MP Board Class 12th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 6 उनको पुकारता हूँ (कविता, आनन्द मिश्र)

उनको पुकारता हूँ अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
‘लहू के पानी होने’ से कवि का क्या तात्पर्य है? (2015)
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में ‘लहू के पानी होने से कवि का तात्पर्य ऐसे शौर्यवान और पराक्रमी लोगों से है, जिनके शरीर की धमनियों में बहता रक्त अपनी मातृभूमि को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए सदैव उबलता रहता है। उनके रक्त के ताप की अनुभूति युद्ध के मैदान में उनकी वीरता को देखकर सहज ही की जा सकती है। सच्चे अर्थों में ऐसे वीर युवाओं का रक्त-ही-रक्त है अन्यथा आपातकाल में भी जिस रक्त में उबाल न आये, उसे निरा पानी कहना ही न्यायसंगत होगा।

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प्रश्न 2.
‘मिटकर अजर-अमर जो’ कहकर कवि किन लोगों की ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में वाक्यांश-‘मिटकर अजर-अमर जो’ से कवि देश के उन महान् शहीदों को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करना चाहता है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के आन-मान सम्मान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। इस पंक्ति के माध्यम से कवि आज की युवा पीढ़ी को यह समझाना चाहता है कि संकट के समय संघर्ष करते हुए जिन लोगों ने देश-हित में अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिये,वे मरकर भी अजर-अमर हैं। आने वाली संततियाँ उनके नाम से स्वयं को जोड़कर गौरव का अनुभव करेंगी।

प्रश्न 3.
विजय से भाँवर भरने की क्षमता किसमें होती है?
उत्तर:
कवि के अनुसार युद्ध के मैदान में जो रण-बाँकुरे अपने शौर्य और वीरता से शत्र के छक्के छुड़ा देते हैं तथा जो आवश्यकता पड़ने पर स्वतन्त्रता के यज्ञ में सफलता पाने हेतु अपने प्राणों तक की आहुति देने से भी नहीं हिचकते,वास्तव में, विजयश्री’ के साथ भाँवर भरने अथवा उसका ‘वरण’ करने का अधिकार भी उन्हीं को होता है। ऐसे वीर पुरुष अपने व्यक्तिगत हितों को त्यागकर निःस्वार्थ भावना से राष्ट्र की सेवा में स्वयं को पूरी तरह झोंक देते हैं और समूचा राष्ट्र अपने इन लाड़लों के कृत्यों से निहाल हो उठता है।

प्रश्न 4.
‘पावक’ से श्रृंगार कौन करता है?
उत्तर:
कवि के अनुसार देश-सेवा के लिए सिर्फ वही व्यक्ति उपयुक्त हैं जो महलों की ऐशो-आराम की जिन्दगी को त्यागकर कठिन एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में भी संघर्ष करते हैं। ऐसे श्रम-साधकों को अपने श्रृंगार हेतु किसी भी प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधनों अथवा पुष्पात्यादि की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि तपती आग के सम्पर्क में आकर इनके चेहरे का ओज और भी चमक उठता है। ऐसे मतवालों का प्रथम प्यार होता है,देश की स्वतन्त्रता और उसे पाने के लिए वे सदैव अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तत्पर रहते हैं।

प्रश्न 5.
कवि किन सपूतों को जागरण का संदेश देना चाह रहा है? (2014)
उत्तर:
प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि माँ भारती के उन सभी सपूतों का आह्वान करना चाहता है, जिनका रक्त का उबाल अभी तक ठण्डा नहीं हुआ है तथा जिनके पराक्रम एवं शौर्य का संसार में दूसरा कोई उदाहरण नहीं मिलता। देश-सेवा हेतु आह्वान करते हुए कवि ऐसे रण-बांकुरों को आवाज देता है,जो वीरता से लड़ते-लड़ते युद्ध-स्थल पर वीरगति को प्राप्त होकर भी अजर-अमर हैं, जिनकी गर्जना सुनकर समूची सृष्टि दहल जाये तथा जिनके प्रलयंकारी प्रहार से एकबारगी विशाल पर्वत तक चूर-चूर हो जायें। कवि ऐसे शेर-सपूतों को आन्दोलित करना चाहता है, जिनका प्रथम प्यार राष्ट्र है और जिनका श्रृंगार स्वयं अग्निदेव किया करते हैं। ऐसे वीर पुरुषों को पुकारते हुए कवि उन्हें मुक्ति-दूत की संज्ञा देता है और चाहता है कि संग्राम-संघर्ष के इस काल में वे सभी स्वाभिमानी राष्ट्रवासी देश-सेवा हेतु आगे आयें जिनका मान अभी तक मिटा नहीं है अर्थात् जो राष्ट्र के आन-मान-सम्मान की रक्षार्थ अपना सर्वस्व त्यागने को सदैव तत्पर रहते हैं।

प्रश्न 6.
‘मुक्ति-दूत’ से कवि का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में ‘मुक्ति-दूत’ से कवि का तात्पर्य उन वीरों से है,जो अपने अदम्य साहस और अनूठे पराक्रम के बलबूते पर परतन्त्रता की बेड़ियाँ काटने की क्षमता रखते हैं। ऐसे निःस्वार्थी लोग अपने कार्यों से देश के लिए उन मुक्ति के दूतों के समान ही तो हैं,जो राष्ट्र को स्वतन्त्रता की मीठी सुगन्ध से परिचित कराने हेतु अपना सर्वस्य न्यौछावर करने को सदैव तत्पर रहते हैं। ऐसे वीर, संकटकाल में माँ भारती के सम्मानार्थ संघर्ष करते हैं और उसे हर संकट से मुक्ति प्रदान करवाने में प्राण-प्रण से प्रयास करते हैं।

प्रश्न 7.
‘सोया न मान जिनका, चेरा विहान जिनका’ इस पंक्ति का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
सोया न मान जिनका, चेरा विहान जिनका’ इस पंक्ति के माध्यम से कवि उन राष्ट्रभक्तों को राष्ट्र-रक्षा हेतु आवाज देना चाहता है, जिनका स्वाभिमान अभी तक जीवित है और जो देश के आन-मान-सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए बड़े-से-बड़ा त्याग करने को भी सदैव आकुल रहते हैं। साथ ही, कवि माँ भारती के उन वीर सपूतों का भी आह्वान करता है जो प्राण-पण से संकट एवं संघर्ष के समय देश-रक्षा के अभियान में जुट जायें, जिनके पराक्रम और साहस को प्रकृति भी स्वीकार करती हो तथा आशाओं भरा प्रभातकाल चाकर (नौकर) बनकर जिनके सम्मुख खड़ा रहता हो।

प्रश्न 8.
‘उनको पुकारता हूँ’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
उत्तर:
इस प्रश्न के उत्तर हेतु कृपया पाठ के प्रारम्भ में दिए गये ‘पाठ का सारांश’ का अवलोकन करें।

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उनको पुकारता हूँ अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘उनको पुकारता हूँ’ में कवि ने देश-हित हेतु किसका आह्वान किया है?
उत्तर:
उक्त कविता में कवि ने देश-हित हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए स्वाभिमानी युवाओं का आह्वान किया है।

प्रश्न 2.
कवि आनन्द मिश्र के अनुसार सच्चे देशभक्त को परतन्त्रता की बेडियाँ कैसी लगती हैं?
उत्तर:
कवि के अनुसार सच्चे राष्ट्रभक्तों को परतन्त्रता की बेडियाँ नरक की यातना के समान लगती हैं।

उनको पुकारता हूँ पाठ का सारांश

कुशल कवि ‘आनन्द मिश्र’ द्वारा लिखित प्रस्तुत कविता, ‘उनको पुकारता है’ में कवि ने देश-हित हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए स्वाभिमानी युवाओं का आह्वान किया है।

कवि आपातकाल में देश-सेवा हेतु माँ भारती के उन रण-बाँकुरों को आवाज देता है, जिनका स्वाभिमान जीवित है तथा संसार में जिनकी वीरता और त्याग का दूसरा कोई उदाहरण नहीं मिलता,जो आवश्यकता पड़ने पर अपने प्राणों की बाजी लगाने से भी नहीं हिचकते तथा जो वीरगति को प्राप्त होकर भी सदा के लिए. अमर हो गये हैं। जिनकी हंकार से विशाल पर्वत भी दहल जायें, जिनका आघात अत्यन्त प्रलयंकारी हो तथा जो अपने पराक्रम एवं शौर्य से युद्ध के मैदान में ‘विजयश्री’ का वरण’ करते हैं। कवि ऐसे वीरों का आह्वान करता है जिन्हें परतन्त्रता की बेड़ियाँ नरक की यातना के सदृश लगती हैं और जो अपने प्राणों की आहुति देकर भी स्वतन्त्रता का दीप-गान गाते हैं। युद्ध-काल के समय कवि ऐसे युवाओं को पुकारता है, जिनका मान सोया नहीं है तथा प्रभातकाल जिनके आदेश का पालन करने को सदैव तत्पर रहता है।

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