MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व
गतिमान आवेश और चुम्बकत्व NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
तार की एक वृत्ताकार कुंडली में 100 फेरे हैं, प्रत्येक की त्रिज्या 8.0 सेमी है और इनमें 0.40 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है?
हल :
दिया है :
फेरों की संख्या N = 100,
कुंडली में धारा i = 0.40 ऐम्पियर
कुंडली की त्रिज्या r = 8.0 × 10-2 मीटर,
केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B= ?
= 3.14 × 10-4 टेस्ला ।
प्रश्न 2.
एक लम्बे,सीधे तार में 35 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। तार से 20 सेमी दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है?
हल :
दिया है : सीधे तार में धारा i = 35 ऐम्पियर,
बिन्दु की तार से दूरी r = 0.20 मीटर
∴ लम्बे सीधे तार के कारण चम्बकीय क्षेत्र \(B=\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \times \frac{i}{r}=\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi} \times \frac{35}{0.20}\)
= 3.5 × 10-5 टेस्ला ।
प्रश्न 3.
क्षैतिज तल में रखे एक लम्बे सीधे तार में 50 ऐम्पियर विद्युत धारा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के पूर्व में 2.5 मीटर दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण और उसकी दिशा ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है :
तार में धारा i = 50 ऐम्पियर (उत्तर से दक्षिण),
तार से दूरी = 2.5 मीटर (पूर्व में)
तार के कारण चम्बकीय क्षेत्र B= \(\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \times \frac{i}{r}=\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi} \times \frac{50}{2.5}\)
= 4 × 10-6 टेस्ला ।
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर होगी।
प्रश्न 4.
व्योमस्थ खिंचे क्षैतिज बिजली के तार में 90 ऐम्पियर विद्युत धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के 1.5 मीटर नीचे विद्युत धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण और दिशा क्या है?
हल :
तार में धारा i = 90 ऐम्पियर (पूर्व से पश्चिम), ..
तार से दूरी = 1.5 मीटर
तार के कारण चुम्बकीय क्षेत्र B= \(\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \times \frac{i}{r}=\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi} \times \frac{90}{1.5}\)
= 1.2 × 10-5 टेस्ला ।
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्षैतिजत: उत्तर से दक्षिण की ओर होगी।
प्रश्न 5.
एक तार जिसमें 8 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, 0.15 टेस्ला के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र से 30° का कोण बनाते हुए रखा है। इसकी एकांक लम्बाई पर लगने वाले बल का परिमाण और इसकी दिशा क्या है?
हल :
दिया है :
तार में धारा i = 8 ऐम्पियर,
चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.15 टेस्ला,
तार व क्षेत्र के बीच कोण θ = 30°
∴ तार की एकांक लम्बाई पर बल F = ilB sin 30°
= 8 × 1 × 0.15 × \(\frac{1}{2}\)
= 0.6 न्यूटन-मीटर-1।
बल की दिशा तार की लम्बाई तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दोनों के लम्बवत होगी।
प्रश्न 6.
एक 3.0 सेमी लम्बा तार जिसमें 10 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, एक परिनालिका के भीतर उसके अक्ष के लम्बवत् रखा है। परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र का मान 0.27 टेस्ला है। तार पर लगने वाला चुम्बकीय बल क्या है?
हल :
तार की लम्बाई 1 = 3.0 × 10-2 मीटर,
तार में धारा i = 10 ऐम्पियर
परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र B= 0.27 टेस्ला
∵ परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र उसकी अक्ष के अनुदिश होता है, अत: चुम्बकीय क्षेत्र तार की लम्बाई के लम्बवत् है।
∴ तार पर लाने वाला चुम्बकीय बल F = ilB sin 90°
= 10 × 3.0 × 10-2 × 0.27
= 8.1 × 10-2 न्यूटन।
प्रश्न 7.
एक-दूसरे से 4.0 सेमी की दूरी पर रखे दो लम्बे, सीधे, समान्तर तारों A एवं B से क्रमशः 8.0 ऐम्पियर एवं 5.0 ऐम्पियर की विद्युत धाराएँ एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही हैं। तार A के 10 सेमी खण्ड पर बल का आकलन कीजिए।
हल :
तारों के बीच दूरी r= 4.0 × 10-2 मीटर,
धाराएँ i1 = 8.0 ऐम्पियर,
i2 = 5.0 ऐम्पियर,
तार A की लम्बाई l = 0.10 मीटर
यह बल आकर्षण का होगा।
प्रश्न 8.
पास-पास फेरों वाली एक परिनालिका 80 सेमी लम्बी है और इसमें 5 परतें हैं जिनमें से प्रत्येक में 400 फेरे हैं। परिनालिका का व्यास 1.8 सेमी है। यदि इसमें 8.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है तो परिनालिका के भीतर केन्द्र के पास चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{B}}\) का परिमाण परिकलित कीजिए।
हल:
परिनालिका की लम्बाई l = 0.80 मीटर,
त्रिज्या r = 0.9 × 10-2 मीटर
प्रवाहित धारा i = 8.0 ऐम्पियर,
कुल फेरे N = 5 × 400 = 2000
∴ एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या \(n=\frac{N}{l}=\frac{2000}{0.8}\) = 2500 प्रति मीटर
∴ अक्ष पर केन्द्र के समीप चुम्बकीय क्षेत्र B= μoni = 4π × 10-7 × 2500 × 8.0
= 8π × 10-3 टेस्ला
= 2.5 × 10-2 टेस्ला।
प्रश्न 9.
एक वर्गाकार कुंडली जिसकी प्रत्येक भुजा 10 सेमी है, में 20 फेरे हैं और उसमें 12 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुंडली ऊर्ध्वाधरतः लटकी हुई है और इसके तल पर खींचा गया अभिलम्ब 0.80 टेस्ला के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 30°का एक कोण बनाता है। कुंडली पर लगने वाले बलयुग्म आघूर्ण का परिमाण क्या है?
हल :
कुंडली में फेरे N = 20, धारा i = 12 ऐम्पियर, कुंडली की भुजा a = 0.1 मीटर .
B= 0.80 टेस्ला ,
θ = 30° बल-युग्म का आघूर्ण, t = ?
t = NiAB sin 30°
= Ni (a2) B sin 30°
= 20 × 12 x (0.1)2 × 0.8 × \(\frac { 1 }{ 2 }\)
= 0.96 न्यूटन-मीटर।
प्रश्न 10.
दो चल कुंडली गैल्वेनोमीटर M1 एवं M2 के विवरण नीचे दिए गए हैं :
R1 = 10Ω,
N1 = 30,
A1 = 3.6 × 10-3 मीटर2
B1 = 0.25 टेस्ला ,
R2 = 14Ω,
N2 = 42,
A = 1.8 × 10-3 मीटर2
B2 = 0.50 टेस्ला ।
(दोनों मीटरों के लिए स्प्रिंग नियतांक समान है)।
(a) M2 एवं M1 की धारा सुग्राहिताओं
(b) M2 एवं M1 की वोल्टता सुग्राहिताओं का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल :
(a)
(b)
प्रश्न 11.
एक प्रकोष्ठ में 6.5 गाउस (1 गाउस= 10-4 टेस्ला) का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र बनाए रखा गया है। इस चुम्बकीय क्षेत्र में एक इलेक्ट्रॉन 4.8 x 106 मीटर-सेकण्ड-1 के वेग से क्षेत्र के लम्बवत् भेजा गया है। व्याख्या कीजिए कि इस इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार क्यों होगा? वृत्ताकार कक्षा की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
(e = 1.6 × 10-19 कूलॉम, me = 9.1 × 10-31 किग्रा)
हल :
दिया है :
B= 6.5 गाउस = 6.5 × 10-4 टेस्ला,
इलेक्ट्रॉन का वेग υ = 4.8 × 106 मीटर-सेकण्ड-1
चूँकि इलेक्ट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् गतिमान है, अत: इलेक्ट्रॉन पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल सदैव इलेक्ट्रॉन के वेग के लम्बवत् दिशा में लगता है जो केवल इलेक्ट्रॉन की गति की दिशा में परिवर्तन करता है परन्तु वेग के परिणाम में कोई परिवर्तन उत्पन्न नहीं करता। इस कारण इलेक्ट्रॉन वृत्तीय पथ पर गति करता है।
प्रश्न 12.
प्रश्न 11 में, वृत्ताकार कक्षा में इलेक्ट्रॉन की परिक्रमण आवृत्ति प्राप्त कीजिए। क्या यह उत्तर इलेक्ट्रॉन के वेग पर निर्भर करता है? व्याख्या कीजिए।
हल :
∵ इलेक्ट्रॉन का वेग υ = 4.8 × 106 मीटर-सेकण्ड-1
तथा . कक्षा की त्रिज्या r = 4.2 × 10-2 मीटर
∵ आवृत्ति का सूत्र इलेक्ट्रॉन की चाल से मुक्त है, अत: यह उत्तर इलेक्ट्रॉन के वेग पर निर्भर नहीं करता।
प्रश्न 13.
(a) 30 फेरों वाली एक वृत्ताकार कुंडली जिसकी त्रिज्या 8.0 सेमी है और जिसमें 6.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, 1.0 टेस्ला के एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र में ऊर्ध्वाधरतः लटकी है। क्षेत्र रेखाएँ कुंडली के अभिलम्ब से 60° का कोण बनाती हैं। कुंडली को घूमने से रोकने के लिए जो प्रति आघूर्ण लगाया जाना चाहिए उसके परिमाण परिकलित कीजिए।
(b) यदि (a) में बतायी गई वृत्ताकार कुंडली को उसी क्षेत्रफल की अनियमित आकृति की समतलीय कुंडली से प्रतिस्थापित कर दिया जाए (शेष सभी विवरण अपरिवर्तित रहें.) तो क्या आपका उत्तर परिवर्तित हो जाएगा?
हल :
(a) कुंडली में फेरे N = 30, त्रिज्या r = 8.0 × 10-2 मीटर, i = 6.0 ऐम्पियर
चुम्बकीय क्षेत्र B= 1.0 टेस्ला, θ = 60°
∴ कुंडली पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल-युग्म का आघूर्ण
t = NiAB sin 60°
= Ni (πr2) B sin 60°
= 30 × 6.0 × (3.14 × 64.0 x 10-4) × 1.0 × \(\frac{\sqrt{3}}{2}\)
= 3.13 न्यूटन-मीटर।
स्पष्ट है कि कुंडली को घूमने से रोकने के लिए 3.13 न्यूटन-मीटर का बल-आघूर्ण विपरीत दिशा में लगाना होगा।
(b) नहीं, उत्तर में कोई परिवर्तन नहीं होगा। इसका कारण यह है कि बल-आघूर्ण (t = NiAB sin θ ) कुंडली के क्षेत्रफल A पर निर्भर करता है न कि उसके आकार पर।
प्रश्न 14.
दो समकेन्द्रिक वृत्ताकार कुंडलियाँ x और Y जिनकी त्रिज्याएँ क्रमशः 16 सेमी एवं 10 सेमी हैं, उत्तर-दक्षिण दिशा में समान ऊर्ध्वाधर तल में अवस्थित हैं। कुंडली X में 20 फेरे हैं और इसमें 16 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, कुंडली Y में 25 फेरे हैं और इसमें 18 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। पश्चिम की ओर मुख करके खड़ा एक प्रेक्षक देखता है कि X में धारा प्रवाह वामावर्त है जबकि Y में दक्षिणावर्त है। कुंडलियों के केन्द्र पर, उनमें प्रवाहित विद्युत धाराओं के कारण उत्पन्न कुल चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : कुंडली X के लिए, rX = 0.16 मीटर, NX = 20, iX = 16 ऐम्पियर
कुंडली Y के लिए, rY = 0.10 मीटर, NY = 25, iY = 18 ऐम्पियर
∵ BX तथा BY परस्पर विपरीत हैं। अत: केन्द्र पर नेट चुम्बकीय क्षेत्र B= By – BX
__= 9π × 10-4 – 4π × 10-4
= 5π × 10-4 टेस्ला
= 1.5 × 10-3 टेस्ला पश्चिम दिशा में। .
प्रश्न 15.
10 सेमी लम्बाई और 10-3 मीटर2 अनुप्रस्थ काट के एक क्षेत्र में 100 गाउस (1 गाउस= 10-4 टेस्ला) का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र चाहिए, जिस तार से परिनालिका का निर्माण करना है उसमें अधिकतम 15A विद्युत धारा प्रवाहित हो सकती है और क्रोड पर अधिकतम 1000 फेरे प्रति मीटर लपेटे जा सकते हैं। इस उद्देश्य के लिए परिनालिका के निर्माण का विवरण सुझाइए। यह मान लीजिए कि क्रोड लोहचुम्बकीय नहीं है।
हल :
माना परिनालिका की एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या n तथा उसमें प्रवाहित धारा i है तब उसकी अक्ष पर केन्द्रीय भाग में
चुम्बकीय क्षेत्र B= μoni ⇒ ni = \(\frac{B}{\mu_{0}}\)
∵ B= 100 × 10-4 टेस्ला नियत है
तथा μo भी नियतांक है।
∴ दी गई परिनालिका के लिए ni = नियतांक
∵ इस प्रतिबन्ध में दो चर राशियाँ हैं, अतः हम किसी एक राशि को दी गई सीमाओं के अनुरूप स्वेच्छ मान देकर दूसरी राशि का चुनाव कर सकते हैं।
इससे स्पष्ट है कि अभीष्ट परिनालिका के बहुत से भिन्न-भिन्न विवरण सम्भव हैं।
हम जानते हैं कि परिनालिका की अक्ष पर उसके केन्द्रीय भाग में चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एकसमान होता है। अत: दिया गया स्थान (10 सेमी लम्बा व 10-3 मीटर2 अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाला) परिनालिका की अक्ष के अनुदिश तथा केन्द्रीय भाग में होना चाहिए।
अतः परिनालिका की लम्बाई लगभग 50 सेमी से 100 सेमी के बीच (10 सेमी से काफी अधिक) होनी चाहिए तथा परिनालिका का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल 10-3 मीटर2 से अधिक होना चाहिए।
माना परिनालिका की त्रिज्या r है, तब πr2 > 10-3
⇒ r2 > \(\frac{10^{-3}}{3.14}\) = 3.18 x 10-4
⇒ r > 1.78 × 10-2 मीटर
या r > 1.78 सेमी
अत: हम परिनालिका की त्रिज्या 2 सेमी से अधिक (माना 3 सेमी) ले सकते हैं।
अतः परिनालिका का विवरण निम्नलिखित है :
लम्बाई l = 50 सेमी (लगभग),
फेरों की संख्या N = nl = 800 × 0.5 = 400 (लगभग),
त्रिज्या r = 3 सेमी (लगभग),
धारा i = 10 ऐम्पियर।
प्रश्न 16.
I धारावाही, N फेरों और R त्रिज्या वाली वृत्ताकार कुंडली के लिए, इसके अक्ष पर, केन्द्र से दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए निम्नलिखित व्यंजक है –
(a) स्पष्ट कीजिए, इससे कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए सुपरिचित परिणाम कैसे प्राप्त किया जा . सकता है?
(b) बराबर त्रिज्या R एवं फेरों की संख्या N, वाली दो वृत्ताकार कुंडलियाँ एक-दूसरे से R दूरी पर एक-दूसरे के समान्तर, अक्ष मिलाकर रखी गई हैं। दोनों में समान विद्युत धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है। दर्शाइए कि कुण्डलियों के अक्ष के लगभग मध्य-बिन्दु पर क्षेत्र, एक बहुत छोटी दूरी के लिए जो कि Rसे कम है, एकसमान है और इस क्षेत्र का लगभग मान निम्नलिखित है –
B = 0.70\(\frac{\mu_{0} N I}{R}\)
हल :
(a) दिए गए सूत्र में x = 0 रखने पर,
जो कि स्पष्टतया कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का सूत्र है।
अतः दिए गए सूत्र से कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए x के स्थान पर शून्य रखना होगा।
(b) माना इस प्रकार की दो कुंडलियों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा C1C2 का मध्य-बिन्दु C है तथा इससे d दूरी (दूरी d बहुत छोटी है) पर एक बिन्दु P स्थित है।
तब प्रथम कुंडली के लिए, x1 = \(\frac { R }{ 2 }\) + d
तथा दूसरी कुंडली के लिए, x2 =\(\frac { R }{ 2 }\) – d
∵ दोनों कुंडली पूर्णतः एक जैसी हैं तथा दोनों में धाराएँ भी एक ही दिशा में हैं, अत: बिन्दु P पर दोनों के कारण चुम्बकीय क्षेत्र एक ही दिशा में होंगे।
प्रश्न 17.
एक टोरॉइड के (अलौह चुम्बकीय) क्रोड की आन्तरिक त्रिज्या 25 सेमी और बाह्य त्रिज्या 26 सेमी है। इसके ऊपर किसी तार के 3500 फेरे लपेटे गए हैं। यदि तार में प्रवाहित विद्युत धारा 11 ऐम्पियर हो तो चुम्बकीय क्षेत्र का मान क्या होगा? (i) टोरॉइड के बाहर, (ii) टोरॉइड के क्रोड में, (iii) टोरॉइड द्वारा घिरी हुई खाली जगह में। हल :
दिया है : आन्तरिक त्रज्या r1 = 0.25 मीटर,
बाह्य त्रिज्या r2 = 0.26 मीटर
फेरों की संख्या N = 3500, धारा i = 11 ऐम्पियर
(i) टोरॉइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र B= 0
(ii)
(iii) टोरॉइड द्वारा घेरे गए रिक्त स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र B= 0.
प्रश्न 18.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) किसी प्रकोष्ठ में एक ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया गया है जिसका परिमाण तो एक बिन्दु पर बदलता है, पर दिशा निश्चित है ( पूर्व से पश्चिम)। इस प्रकोष्ठ में एक आवेशित कण प्रवेश करता है और अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता रहता है। आप कण के प्रारम्भिक वेग के बारे में क्या कह सकते हैं?
(b) एक आवेशित कण, एक ऐसे शक्तिशाली असमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है जिसका परिमाण एवं दिशा दोनों एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर बदलते जाते हैं, एक जटिल पथ पर चलते हुए इसके बाहर आ जाता है। यदि यह मान लें कि चुम्बकीय क्षेत्र में इसका किसी भी दूसरे कण से कोई संघट्ट नहीं होता तो क्या इसकी अन्तिम चाल, प्रारम्भिक चाल के बराबर होगी?
(c) पश्चिम से पूर्व की ओर चलता हुआ एक इलेक्ट्रॉन एक ऐसे प्रकोष्ठ में प्रवेश करता है जिसमें उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एकसमान एक विद्युत क्षेत्र है। वह दिशा बताइए जिसमें एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया जाए ताकि इलेक्ट्रॉन को अपने सरल रेखीय पथ से विचलित होने से रोका जा सके।
हल :
(a) ∵ आवेशित कण अविचलित सरल रेखीय गति करता है, इसका यह अर्थ है कि कण पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कोई बल नहीं लगा है। इससे प्रदर्शित होता है कि कण का प्रारम्भिक वेग या तो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में है अथवा उसके विपरीत है।
(b) हाँ, कण की अन्तिम चाल उसकी प्रारम्भिक चाल के बराबर होगी। इसका कारण यह है कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण गतिमान आवेश पर कार्यरत बल सदैव कण के वेग के लम्बवत् दिशा में लगता है जो केवल गति की दिशा को बदल सकता है परन्तु कण की चाल को नहीं।
(c) ∵ विद्युत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन पर दक्षिण से उत्तर की ओर विद्युत बल Fe कार्य करेगा, जिसके कारण इलेक्ट्रॉन उत्तर दिशा की ओर विक्षेपित होने की प्रवृत्ति रखेगा। इलेक्ट्रॉन बिना विचलित हुए सरल रेखीय गति करे इसके लिए आवश्यक है कि चुम्बकीय क्षेत्र ऐसी दिशा में लगाया जाए कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन पर उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर चुम्बकीय बल कार्य करे। इसके लिए फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम से चुम्बकीय क्षेत्र ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर लगाना चाहिए।
प्रश्न 19.
ऊष्मित कैथोड से उत्सर्जित और 2.0 किलोवोल्ट के विभवान्तर पर त्वरित एक इलेक्ट्रॉन 0.15 टेस्ला के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन का गमन पथ ज्ञात कीजिए यदि चुम्बकीय क्षेत्र (a) प्रारम्भिक वेग के लम्बवत् है, (b) प्रारम्भिक वेग की दिशा से 30° का कोण बनाता है।
हल :
माना इलेक्ट्रॉन का वेग υ है, तब
(a) ∵ इलेक्ट्रॉन का वेग चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है, अतः इस दशा में इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार होगा।
(b) ∵ इलेक्ट्रॉन का वेग चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् नहीं है। अतः इस दशा में इलेक्ट्रॉन का पथ कुंडलिनीय (सर्पिलाकार) होगा। चुम्बकीय क्षेत्र के लम्ब दिशा में इलेक्ट्रॉन के वेग का वियोजित घटक
प्रश्न 20.
प्रश्न 16 में वर्णित हेल्महोल्ट्ज कुंडलियों का उपयोग करके किसी लघुक्षेत्र में 0.75 टेस्ला का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया है। इसी क्षेत्र में कोई एकसमान स्थिर विद्युत क्षेत्र कुंडलियों के उभयनिष्ठ अक्ष के लम्बवत् लगाया जाता है। (एक ही प्रकार के) आवेशित कणों का 15 किलोवोल्ट विभवान्तर पर त्वरित एक संकीर्ण किरण पुंज इस क्षेत्र में दोनों कुंडलियों के अक्ष तथा स्थिर विद्युत क्षेत्र की लम्बवत् दिशा के अनुदिश प्रवेश करता है। यदि यह किरण पुंज 9.0 x 10-5 वोल्ट मीटर-1, स्थिर विद्युत क्षेत्र में अविक्षेपित रहता है तो यह अनुमान लगाइए कि किरण पुंज में कौन-से कण हैं। यह स्पष्ट कीजिए कि यह उत्तर एकमात्र उत्तर क्यों नहीं है?
हल :
दिया है : B = 0.75 टेस्ला; E = 9.0 × 10-5 वोल्ट/मीटर-1, V = 15 × 103 वोल्ट
माना कण का द्रव्यमान m, वेग v तथा आवेश q है तब कण की
विद्युत क्षेत्र के कारण कण पर बल Fe = qE
तथा कण पर चुम्बकीय बल Fm = qυB sin 90° = qυ B
∵ दोनों क्षेत्रों से कण अविचलित गुजरता है, अतः कण पर कार्यरत दोनों बल परिमाण में बराबर व दिशा में विपरीत होंगे।
∴ qυB=qE
हम जानते हैं कि प्रोटॉन के लिए \(\frac{q}{m}\) का मान 9.6 x 107 कूलॉम/किग्रा होता है जबकि दिए गए कणों के लिए \(\frac{q}{m}\) के मान का आधा है। इससे ज्ञात होता है कि इस कण का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान का दोगुना होना चाहिए। अत: किरण पुंज में ड्यूटीरियम के आयन उपस्थित हो सकते हैं।
परन्तु ड्यूटीरियम ही एकमात्र ऐसा कण नहीं है जिसके लिए \(\frac{q}{m}\) का मान 4.8 x 10-13 कूलॉम/किग्रा है। द्विआयनित हीलियम परमाणु (x-कण या हीलियम नाभिक He2+) के लिए \(\frac{2e}{2m}\) तथा त्रिआयनित लीथियम परमाणु (Li3+ ) के लिए \(\frac{3e}{3m}\) के लिए भी \(\frac{2e}{2m}\) का मान यही रहता है।
प्रश्न 21.
एक सीधी, क्षैतिज चालक छड़ जिसकी लम्बाई 0.45 मीटर एवं द्रव्यमान 60 ग्राम है इसके सिरों पर जुड़े दो ऊर्ध्वाधर तारों पर लटकी हुई है। तारों से होकर छड़ में 5.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है।
(a) चालक के लम्बवत् कितना चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए कि तारों में तनाव शून्य हो जाए।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा यथावत् रखते हुए यदि विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कर दी जाए तो तारों में कुल आवेश कितना होगा? (तारों के द्रव्यमान की उपेक्षा कीजिए।) (g = 9.8 मीटर सेकण्ड-2)
हल :
छड़ की लम्बाई l = 0.45 मीटर व द्रव्यमान m = 0.06 किग्रा, तार में धारा i = 5.0 ऐम्पियर
(a) तारों में तनाव शून्य करने के लिए आवश्यक है कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण छड़ पर बल उसके भार के बराबर व विपरीत हो।
अतः ilB sin 90° = mg
⇒ \(B=\frac{m g}{i l}=\frac{0.06 \times 9.8}{5.0 \times 0.45}\) = 0.26 टेस्ला ।
(b) यदि धारा की दिशा बदल दी जाए तो चुम्बकीय बल तथा छड़ का भार दोनों एक ही दिशा में हो जाएँगे।
इस स्थिति में, तारों का तनाव = mg + ilB sin 90°
= mg + mg = 2mg (∵ प्रथम दशा से, ilB sin 90° = mg)
= 2 × 0.06 × 9.8= 1.176
= 1.18 न्यूटन।
प्रश्न 22.
एक स्वचालित वाहन की बैटरी से इसकी चालन मोटर को जोड़ने वाले तारों में 300 ऐम्पियर विद्यत धारा (अल्प काल के लिए) प्रवाहित होती है। तारों के बीच प्रति एकांक लम्बाई पर कितना बल लगता है यदि इनकी लम्बाई 70 सेमी एवं बीच की दूरी 1.5 सेमी हो। यह बल आकर्षण बल है या प्रतिकर्षण बल?
हल :
दिया है : तारों में धारा i1 = i2 = 300 ऐम्पियर,
बीच की दूरी r = 1.5 × 10-2 मीटर
तारों की लम्बाई = 70 सेमी
= 1.2 न्यूटन-मीटर-1।
चूँकि तारों में धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है, अतः यह बल प्रतिकर्षण का होगा।
प्रश्न 23.
1.5 टेस्ला का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र, 10.0 सेमी त्रिज्या के बेलनाकार क्षेत्र में विद्यमान है। इसकी दिशा अक्ष के समान्तर पूर्व से पश्चिम की ओर है। एक तार जिसमें 7.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इस क्षेत्र में होकर उत्तर से दक्षिण की ओर गुजरती है। तार पर लगने वाले बल का परिमाण और दिशा क्या है, यदि
(a) तार अक्ष को काटता हो
(b) तार N-S दिशा से घुमाकर उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम दिशा में कर दिए जाए,
(c) N-S दिशा में रखते हुए ही तार को अक्ष से 6.0 सेमी नीचे उतार दिया जाए।
हल :
दिया है : B= 1.5 टेस्ला ,
क्षेत्र की त्रिज्या = 10.0 सेमी,
तार में धारा i = 7.0 ऐम्पियर
(a) इस दशा में तार की l = 2r = 0.20 मीटर लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र से गुजरेगी।
चूँकि क्षेत्र तार की लम्बाई के लम्बवत् है,
∴ तार पर बल F = ilB sin 90°
= 7.0 × 0.20 × 1.5 × 1
= 2.1न्यूटन।
बल की दिशा ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर होगी।
(b) इस दशा में तार की लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 45° का कोण बनाएगी।
माना,इस दशा में तार की l1 लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र में गुजरती है, तब
sin 45° =\(\frac{2 r}{l_{1}}\) ⇒ l1 =\(\frac{2 r}{\sin 45^{\circ}}=l \sqrt{2}\)
∴ तार पर बल F = il1B sin 45°
\(=i l \sqrt{2} B \times \frac{1}{\sqrt{2}}\) = iBl
= 2.1न्यूटन (ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर )।
(c) माना इस दशा में तार की l2 (लम्बाई) (l2 = AB) चुम्बकीय क्षेत्र से गुजरती है।
ΔOAC में, ∠OCA = 90°
∴ AC2 = OA2 – OC2
= 102 -62 = 64 ⇒ AC = 8 सेमी
∴ l2 = AB = 2 AC = 16 सेमी
= 0.16 मीटर
∴ तार पर बल F = il2B sin 90°
= 7.0 × 0.16 × 1.5 = 1.68 न्यूटन (ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर)।
प्रश्न 24.
धनात्मक z-दिशा में 3000 गॉस का एक एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र लगाया गया है। एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 10 सेमी एवं 5 सेमी और जिसमें 12 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है, इस क्षेत्र में रखा है। चित्र-4.5 में दिखायी गई लूप की विभिन्न स्थितियों में इस पर लगने वाला बल-युग्म आघूर्ण क्या है? हर स्थिति में बल क्या है? स्थायी सन्तुलन वाली स्थिति कौन-सी है?
हल :
दिया है : B= 3000 गाउस = 0.3 टेस्ला, a = 0.1 मीटर, b = 0.05 मीटर, i = 12 ऐम्पियर
कुंडली का क्षेत्रफल A = ab = 0.1 मीटर × 0.05 मीटर = 5 × 10-3 मीटर2
(a), (b), (c), (d) प्रत्येक दशा में कुंडली के तल पर अभिलम्ब, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है। अत: प्रत्येक दशा में बल-युग्म का आघूर्ण t = iAB sin 90° .
= 12 × 5 × 10-3 × 0.3 × 1
= 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर।
प्रत्येक दशा में बल शून्य है क्योंकि एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखे धारा लूप पर बल-युग्म कार्य करता है परन्तु बल नहीं।
(a) t = 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर ऋण Y-अक्ष की दिशा में तथा बल शून्य है।
(b) t = 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर ऋण Y-अक्ष की दिशा में तथा बल शून्य है।
(c) t = 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर ऋण X-अक्ष की दिशा में तथा बल शून्य है।
(d) t= 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर तथा बल शून्य है।
(e) तथा (f) दोनों स्थितियों में कुंडली के तल पर अभिलम्ब चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश है अतः
t = iAB sin 0° = 0 .
अत: इन दोनों दशाओं में बल-आघूर्ण व बल दोनों शून्य हैं। यह स्थितियाँ सन्तुलन की स्थायी अवस्था को दर्शाती हैं।
प्रश्न 25.
एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें 20 फेरे हैं और जिसकी त्रिज्या 10 सेमी है, एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी है जिसका परिमाण 0.10 टेस्ला है और जो कुंडली के तल के लम्बवत् है। यदि कुंडली में 5.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही हो, तो
(a) कुंडली पर लगने वाला कुल बलयुग्म आघूर्ण क्या है?
(b) कुंडली पर लगने वाला कुल परिणामी बल क्या है?
(c) चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कुंडली के प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला कुल औसत बल क्या है?
(कुंडली 10-5 मीटर2 अनुप्रस्थ क्षेत्र वाले ताँबे के तार से बनी है, और ताँबे में मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व 1029 मीटर-3 दिया गया है।)
हल:
फेरे N = 20, i = 5.0 ऐम्पियर, r = 0.10 मीटर, B= 0.10 टेस्ला
इलेक्ट्रॉन घनत्व n = 1029 मीटर-3 ,
तार का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A = 10-5 मीटर2
(a) ∵ कुंडली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है, अत: कुंडली के तल पर अभिलम्ब व चुम्बकीय क्षेत्र के बीच का कोण शून्य है (θ = 0°)
बल आधूर्ण t = NiAB sin 0° = 0
(b) कुंडली पर नेट बल भी शून्य है।
(c) यदि इलेक्ट्रॉनों का अपवाह वेग υd है तो
प्रश्न 26.
एक परिनालिका जो 60 सेमी लम्बी है, जिसकी त्रिज्या 4.0 सेमी है और जिसमें 300 फेरों वाली 3 परतें लपेटी गई हैं। इसके भीतर एक 2.0 सेमी लम्बा, 2.5 ग्राम द्रव्यमान का तार इसके ( केन्द्र के निकट) अक्ष के लम्बवत् रखा है। तार एवं परिनालिका का अक्ष दोनों क्षैतिज तल में हैं। तार को परिनालिका के समान्तर दो वाही संयोजकों द्वारा एक बाह्य बैटरी से जोड़ा गया है जो इसमें 6.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रदान करती है। किस मान की विद्युत धारा (परिवहन की उचित दिशा के साथ) इस परिनालिका के फेरों में प्रवाहित होने वाले तार का भार संभाल सकेगी? (g = 9.8 मीटर सेकण्ड-2)
हल :
परिनालिका की लम्बाई l = 0.6 मीटर,
त्रिज्या = 4.0 सेमी,
फेरे N = 300 × 3,
तार की लम्बाई L = 2.0 × 10-2 मीटर,
द्रव्यमान m = 2.5 × 10-3 किग्रा,
धारा I = 6.0 ऐम्पियर
माना परिनालिका में प्रवाहित धारा =i
तब परिनालिका के अक्ष पर केन्द्रीय भाग में चुम्बकीय क्षेत्र
∵ तार में धारा की दिशा ज्ञात नहीं है, अत: परिनालिका में धारा की दिशा बता पाना सम्भव नहीं है।
प्रश्न 27.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध 12Ω है। 4 मिलीऐम्पियर की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्ण स्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 18 वोल्ट परास वाले वोल्टमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?
हल :
दिया है : G = 12Ω, ig= 4 मिलीऐम्पियर = 4 × 10-3 ऐम्पियर
0 से V (V = 18 वोल्ट) वोल्ट परास के वोल्टमीटर में बदलने के लिए गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में एक उच्च प्रतिरोध R जोड़ना होगा, जहाँ
\(\frac{V}{R+G}=i_{g} R+G = \frac{V}{i_{g}}\)
\(R=\frac{V}{i_{g}}-G=\frac{18}{4 \times 10^{-3}}-12=4488 \Omega\)
अत: गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में 44882 का प्रतिरोध जोड़ना होगा।
प्रश्न 28.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध 15 2 है। 4 मिली ऐम्पियर की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 6 ऐम्पियर परास वाले अमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?
हल : दिया है : G = 15Ω, ig = 4 मिलीऐम्पियर = 4.0 × 10-3 ऐम्पियर, i = 6 ऐम्पियर
गैल्वेनोमीटर को 0 से i ऐम्पियर धारा परास वाले अमीटर में बदलने के लिए इसके पार्श्वक्रम में एक सूक्ष्म प्रतिरोध S (शण्ट) जोड़ना होगा, जहाँ .
अत: इसके समान्तर क्रम में 10 m2 का प्रतिरोध जोड़ना होगा।
गतिमान आवेश और चुम्बकत्व NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Q Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल
गतिमान आवेश और चुम्बकत्व बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बायो-सेवर्ट नियम इंगित करता है कि । वेग से गतिमान इलेक्ट्रॉनों द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र Bइस प्रकार होता है कि –
(a) \(\overrightarrow{\mathrm{B}} \perp \vec{v}\)
(b) \(\overrightarrow{\mathrm{B}} \| \vec{v}\)
(c) यह व्युत्क्रम घन नियम का पालन करता है
(d) यह प्रेक्षण बिन्दु और इलेक्ट्रॉनों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होता है।
उत्तर :
(a) \(\overrightarrow{\mathrm{B}} \perp \vec{v}\)
प्रश्न 2.
R त्रिज्या का कोई धारावाही वृत्ताकार लूप x-y तल में इस प्रकार रखा है कि उसका केन्द्र मूलबिन्दु पर हो। इसका वह अर्द्धभाग जिसके लिए x> 0 है, अब इस प्रकार मोड़ दिया गया है कि यह y-2 तल में रहे –
(a) अब चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण घट जाता है
(b) चुम्बकीय-आघूर्ण परिवर्तित नहीं होता
(c) (0, 0, Z); Z>> R पर B का परिमाण बढ़ जाता है
(d) (0, 0, Z); Z >> R पर B का परिमाण अपरिवर्तित रहता है।
उत्तर :
(a) अब चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण घट जाता है
प्रश्न 3.
एक इलेक्ट्रॉन को किसी लम्बी धारावाही परिनलिका के अक्ष के अनुदिश एकसमान वेग से प्रक्षेपित किया जाता है। निम्नलिखित में कौन सा प्रकथन सत्य है
(a) इलेक्ट्रॉन अक्ष के अनुदिश त्वरित होगा
(b) अक्ष के परित: इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार होगा
(c) इलेक्ट्रॉन अक्ष से 45° पर बल अनुभव करेगा और इस प्रकार कुंडलिनी पथ पर गमन करेगा
(d) इलेक्ट्रॉन परिनालिका के अक्ष के अनुदिश एकसमान वेग से गति करता रहेगा।
उत्तर :
(d) इलेक्ट्रॉन परिनालिका के अक्ष के अनुदिश एकसमान वेग से गति करता रहेगा।
प्रश्न 4.
साइक्लोट्रॉन में कोई आवेशित कण –
(a) सदैव त्वरित होता है ।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र के कारण दोनों ‘डी’ के बीच के अन्तराल में त्वरित होता है
(c) की चाल ‘डी’ में बढ़ जाती है
(d) की चाल ‘डी’ में मन्द हो जाती तथा दोनों ‘डी’ के बीच बढ़ जाती है।
उत्तर :
(a) सदैव त्वरित होता है ।
प्रश्न 5.
चुम्बकीय-आघूर्ण M का कोई विद्युतवाही वृत्ताकार लूप, किसी यादृच्छिक दिग्विन्यास में किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित है। लूप को इसके तल के लम्बवत् अक्ष के परितः 30° पर घूर्णन कराने में किया गया कार्य है –
(a) MB :
(b) \(\sqrt{3} \frac{M B}{2}\)
(c) \(\frac{M B}{2}\)
(d) शून्य।
उत्तर :
(d) शून्य।
गतिमान आवेश और चुम्बकत्व अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
यह सत्यापित कीजिए कि साइक्लोट्रॉन आवृत्ति \(\omega=\frac{e B}{m}\) की सही विमाएँ [T-1] हैं।
उत्तर :
साइक्लोट्रॉन में चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् गति करते समय आवेशित कण वृत्ताकार पथ पर गति करता है, जिसके लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल, चुम्बकीय बल से प्राप्त होता है। अतः
प्रश्न 2.
यह दर्शाइए कि ऐसा बल जो कोई प्रभावी कार्य नहीं करता वेग-निर्भर बल होना चाहिए।
उत्तर :
बल कोई प्रभावी कार्य नहीं कर रहा है, अतः
प्रश्न 3.
साइक्लोट्रॉन में यदि रेडियो आवृत्ति (rf) वैद्युत क्षेत्र की आवृत्ति की दो गुनी हो जाए, तो उसमें किसी आवेशित कण की गति का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
रेडियो आवृत्ति के दो गुनी हो जाने पर कण एकान्तर क्रम में त्वरित एवं मन्दित गति करेगा तथा दोनों डी में कण के पथ की त्रिज्या अपरिवर्तित रहेगी।
गतिमान आवेश और चुम्बकत्व आंकिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
चित्र में दर्शाए गए गैल्वेनोमीटर परिपथ का उपयोग करके बहुपरिसरीय वोल्टमीटर की रचना की जा सकती है। हम एक ऐसे वोल्टमीटर की रचना करना चाहते हैं, जो 2 वोल्ट, 20 वोल्ट तथा 200 वोल्ट माप सके तथा 10Ω प्रतिरोध के ऐसे गैल्वेनोमीटर से बना हो जिसमें 1 मिलीऐम्पियर धारा से अधिकतम विक्षेप उत्पन्न होता है। इसके लिए उपयोग किए जाने वाले R1, R2 तथा R3 के मान ज्ञात कीजिए।
हल :
गैल्वोनोमीटर को वोल्टमीटर में परिवर्तित करने के लिए
V = iG (G + R)
जहाँ iG = 1 मिलीऐम्पियर = 10-3 ऐम्पियर
तथा G = 10Ω
(i) 0 से 2 वोल्ट परिसर के लिए, 2 = 10-3 (10 + R1)
या 2000 = 10 + R1.
या R1= 1990Ω
(ii) 0 से 20 वोल्ट परिसर के लिए, 20 = 10-3 (10+ R + Ra)
या 20,000 = 10 + R1 + R2
या 19990 = R1 + R2
या R2 = 19990 – 1990 = 18,000Ω = 18 kΩ
(iii) 0 से 200 वोल्ट परिसर के लिए, 200 = 10-3 (10 + R1 + R2 + R3 )
200000 = 10 + R1 + R2 + R3
199990 = 1990 + 18000+ R3
या R3 = 199990 – 19990
= 180000Ω= 180 kΩ
प्रश्न 2.
कोई लम्बा सीधा तार जिसमें 25 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है। चित्र में दर्शाइए अनुसार किसी मेज पर रखा है। 1 मीटर लम्बा 2.5 ग्राम द्रव्यमान का कोई अन्य तार PQ है जिसमें विपरीत दिशा में इतनी ही धारा प्रवाहित हो रही है। तार PQ ऊपर अथवा नीचे सरकने के लिए स्वतन्त्र है। तार PQ किस ऊँचाई तक ऊपर उठेगा?
हल :
माना तार PQ, h ऊँचाई तक ऊपर उठता है।
मेज पर रखे धारावाही तार के कारण h ऊँचाई पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र,
\(B=\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \cdot \frac{I}{h}\)
तार PQ पर कार्यरत चुम्बकीय बल F = BIl sin 90° = BIL
तार PQ पर नीचे की ओर कार्यरत तार का भार = mg
सन्तुलन की स्थिति में, BIl = mg
प्रश्न 3.
12 a लम्बाई.तथा प्रतिरोध का कोई एकसमान चालक तार एक धारावाही कुंडली के रूप में (i) भुजा a के समबाहु त्रिभुज (ii) भुजा a के वर्ग (iii) भुजा a के नियमित षट्भुज की आकृति में लपेटा गया है। कुंडली विभव स्रोतV से सम्बद्ध है। प्रत्येक प्रकरण में कुंडलियों का चुम्बकीय-आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
हल :
तार की कुल लम्बाई = 12a
प्रतिरोध = R
विभवान्तर = V0
प्रत्येक स्थिति में प्रवाहित धारा I=\(\frac{V_{0}}{R}\)
(i) a भुजा की समबाहु त्रिभुजाकार कुंडली में फेरों की संख्या (n1) = \(\frac{12 a}{3 a}\) = 4
a भुजा की समबाहु त्रिभुजाकार कुंडली के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफ (A) = \(\frac{\sqrt{3}}{4}\) a2
(ii) a भुजा की वर्गाकार कुंडली में फेरों की संख्या (n2) = \(\frac{12 a}{4 a}\) = 3
कुंडली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A2) = a2
कुंडली का चुम्बकीय आघूर्ण (M2) = n2IA2 =3 \(\times \frac{V_{0}}{R} \times a^{2}=\frac{3 V_{0} a^{2}}{R}\)
(iii) a भुजा की नियमित षट्भुजाकार कुंडली में फेरों की संख्या (n3) = \(\frac{12 a}{6 a}\) = 2
प्रश्न 4.
चित्र में दर्शाए गए गैल्वेनोमीटर परिपथ का उपयोग करके बहपरिसरीय धारामापियों की रचना की जा सकती है। हम 10 mA, 100 mA तथा 1 A की धारा माप सकने वाले ऐसे धारामापी की रचना करना चाहते हैं जो 10Ω प्रतिरोध के ऐसे गैल्वेनोमीटर से बना हो जिसमें 1 mA धारा प्रवाहित होने पर अधिकतम विक्षेप होता है। इसके लिए उपयोग किए जाने वाले प्रतिरोधों S1, S2 तथा S3 के मान ज्ञात कीजिए।
हल :
IG = 1 mA = 10-3A
तथा गैल्वेनोमीटर का प्रतिरोध (G) = 10Ω
गैल्वेनोमीटर को धारामापी में परिवर्तित करने के लिए उसके समान्तर क्रम में निम्न प्रतिरोध S लगाते हैं। अतः
IG × G = (I – IG) × S
(i) 10 मिली ऐम्पियर परिसर के लिए, IG × G = (I1-IG) (S1+S2 +S3)
अतः 10-3 × 10 = (10 – 1) × 10-3 (S1 + S2 + S3)
अत: S1 + S2 + S3 = \(\frac{10}{9}\) ……………………(1)
(ii) 100 मिलीऐम्पियर परिसर के लिए, IG × G = (I2 – IG) (S2 + S3)
10-3 × 100 = (100 – 1) × 10-3 (S2 + S3)
या S2 + S3 = \(\frac{10}{99}\)……………………(2)
(iii) 1 ऐम्पियर परिसर के लिए, . IG × G = (I3 – IG) S3
10-3 × 10 = (1 – 1 × 10-3) × S3