MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ
अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
किसी n-प्रकार के सिलिकॉन में निम्नलिखित में से कौन-सा प्रकथन सत्य है?
(a) इलेक्ट्रॉन बहुसंख्यक वाहक हैं और त्रिसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं ।
(b) इलेक्ट्रॉन अल्पसंख्यक वाहक हैं और पंचसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं
(c) होल (विवर) अल्पसंख्यक वाहक हैं और पंचसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं
(d) होल (विवर) बहुसंख्यक वाहक हैं और त्रिसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं।
उत्तर
(c) प्रकथन सत्य है।
प्रश्न 2.
प्रश्न 1 में दिए गए कथनों में से कौन-सा प्रकार के अर्द्धचालकों के लिए सत्य है?
उत्तर :
(d) प्रकथन सत्य है।
प्रश्न 3.
कार्बन, सिलिकॉन और जर्मेनियम, प्रत्येक में चार संयोजक इलेक्ट्रॉन हैं। इनकी विशेषता ऊर्जा बैण्ड अन्तराल द्वारा पृथक्कृत संयोजकता और चालन बैण्ड द्वारा दी गई हैं, जो क्रमशः (Eg)c, (Eg)si तथा (Eg)Ge के बराबर हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा प्रकथन सत्य है?
(a) (Eg)si < (Eg)Ge < (Eg)c
(b) (Eg)c < (E g)Ge > (Eg)si
(c) (Eg)c > (Eg)si > (Eg)Ge .
(d) (Eg)c = (Eg)si = (Eg)Ge
उत्तर
चालन बैण्ड तथा संयोजकता बैण्ड के बीच ऊर्जा अन्तराल कार्बन के लिए सबसे अधिक, सिलिकॉन के लिए उससे कम तथा जर्मेनियम के लिए सबसे कम होता है, अत: (c) प्रकथन सत्य है।
प्रश्न 4.
बिना बायस p-n सन्धि में, होल क्षेत्र में n-क्षेत्र की ओर विसरित होते हैं, क्योंकि
(a) n-क्षेत्र में मुक्त इलेक्ट्रॉन उन्हें आकर्षित करते हैं
(b) ये विभवान्तर के कारण सन्धि के पार गति करते हैं।
(c) P-क्षेत्र में होल-सान्द्रता, n-क्षेत्र में उनकी सान्द्रता से अधिक है
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(c) प्रकथन सत्य है।
प्रश्न 5.
जब p-n सन्धि पर अग्रदिशिक बायस अनुप्रयुक्त किया जाता है, तब यह
(a) विभव रोधक बढ़ाता है
(b) बहुसंख्यक वाहक धारा को शून्य कर देता है
(c) विभव रोधक को कम कर देता है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(c) प्रकथन सत्य है।
प्रश्न 6.
ट्रांजिस्टर की क्रिया हेतु निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं
(a) आधार, उत्सर्जक और संग्राहक क्षेत्रों की आमाप और अपमिश्रण सान्द्रता समान होनी चाहिए
(b) आधार क्षेत्र बहुत बारीक और कम अपमिश्रित होना चाहिए
(c) उत्सर्जक सन्धि अग्रदिशिक बायस है और संग्राहक सन्धि पश्चदिशिक बायस है
(d) उत्सर्जक सन्धि संग्राहक सन्धि दोनों ही अग्रदिशिक बायस हैं।
उत्तर
(b) तथा (c) प्रकथन सही है।
प्रश्न 7.
किसी ट्रांजिस्टर प्रवर्धक के लिए वोल्टता लब्धि
(a) सभी आवृत्तियों के लिए समान रहती है
(b) उच्च और निम्न आवृत्तियों पर उच्च होती है तथा मध्य आवृत्ति परिसर में अचर रहती है ।
(c) उच्च और निम्न आवृत्तियों पर कम होती है और मध्य आवृत्तियों पर अचर रहती है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(c) प्रकथन सत्य है।
प्रश्न 8.
अर्द्ध तरंग दिष्टकरण में, यदि निवेश आवृत्ति 50 हर्ट है तो निर्गम आवृत्ति क्या है? समान निवेश आवृत्ति हेतु पूर्ण तरंग दिष्टकारी की निर्गम आवृत्ति क्या है?
उत्तर
अर्द्ध तरंग दिष्टकारी के लिए निर्गम आवृत्ति 50 हर्ट्स ही रहेगी परन्तु पूर्ण तरंग दिष्टकारी के लिए निर्गम आवृत्ति दोगुनी अर्थात् 100 हर्ट्स होगी।
प्रश्न 9.
उभयनिष्ठ उत्सर्जक (CE-ट्रांजिस्टर) प्रवर्धक हेतु, 2kΩ के संग्राहक प्रतिरोध के सिरों पर ध्वनि वोल्टता 2 वोल्ट है। मान लीजिए कि ट्रांजिस्टर का धारा प्रवर्धन गुणक 100 है। यदि आधार प्रतिरोध 1kΩ है तो निवेश संकेत (signal) वोल्टता और आधार धारा परिकलित कीजिए।
हल
दिया है, CE – प्रवर्धक हेतु, धारा प्रवर्धन गुणांक β = 100
निवेशी प्रतिरोध Ri = 1kΩ= 103Ω
निर्गम प्रतिरोध Ro = 2kΩ = 2 × 103Ω
निर्गम वोल्टता Vo = 2 वोल्ट
प्रश्न 10.
एक के पश्चात् एक श्रेणीक्रम सोपानित में दो प्रवर्धक संयोजित किए गए हैं। प्रथम प्रवर्धक की वोल्टता लब्धि 10 और द्वितीय की वोल्टता लब्धि 20 है। यदि निवेश संकेत 0.01 वोल्ट है तो निर्गम प्रत्यावर्ती संकेत का परिकलन कीजिए।
हल
निवेश संकेत वोल्टता Vi = 0.01 वोल्ट
प्रथम प्रवर्धक की वोल्टता लब्धि = 10
द्वितीय प्रवर्धक की वोल्टता लब्धि = 20.
श्रेणी संयोजन की कुल वोल्टता लब्धि \(\frac{V_{o}}{V_{i}}\) = 20 × 10= 200
निर्गम वोल्टता Vo = 200Vi = 200 × 0.01 = 2 वोल्ट।
प्रश्न 11.
कोई p-n फोटो डायोड 2.8 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट बैण्ड अन्तराल वाले अर्द्धचालक से संविरचित है। क्या यह 6000 नैनोमीटर की तरंगदैर्घ्य का संसूचन कर सकता है?
हल
बैण्ड अन्तराल Eg = 2.8 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
प्रकाश की तरंगदैर्घ्य λ = 6000 नैनोमीटर = 6000×10-9 मीटर
∵ आपतित प्रकाश के फोटॉन की ऊर्जा, बैण्ड अन्तराल से कम है, अत: फोटो डायोड इस प्रकाश का संसूचन नहीं कर पाएगा।
प्रश्न 12.
सिलिकॉन परमाणुओं की संख्या 5x 1028 प्रति मीटर है। यह साथ ही साथ आर्सेनिक के 5×1022 परमाणु प्रति मीटर3 और इंडियम के 5×1020 परमाणु प्रति मीटर3 से अपमिश्रित किया गया है। इलेक्ट्रॉन और होल की संख्या का परिकलन कीजिए। दिया. है कि ni = 1.5 × 1016 प्रति मीटर3 । दिया गया पदार्थ n-प्रकार का है या p-प्रकार का?
हल
यहाँ दाता परमाणुओं की सान्द्रता ND = 5 ×1022 परमाणु प्रति मीटर3
ग्राही परमाणुओं की सान्द्रता NA = 5 ×1020 परमाणु प्रति मीटर3
= 0.05 x 1022 परमाणु प्रति मीटर3
नैज वाहक सान्द्रता ni = 1.5 × 1016 प्रति मीटर3
नैज परमाणु सान्द्रता N= 5 × 1028 प्रति मीटर3 .
प्रश्न 13.
किसी नैज अर्द्धचालक में ऊर्जा अन्तराल Eg का मान 1.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। इसकी होल गतिशीलता इलेक्ट्रॉन गतिशीलता की तुलना में काफी कम है तथा ताप पर निर्भर नहीं है। इसकी 600 K तथा 300 K पर चालकताओं का क्या अनुपात है? यह मानिए की नैज वाहक सान्द्रता ni की ताप निर्भरता इस प्रकार व्यक्त होती है- \(\boldsymbol{n}_{\boldsymbol{i}}=\boldsymbol{n}_{0} \exp \left(-\frac{\boldsymbol{E}_{\boldsymbol{g}}}{\boldsymbol{2} \boldsymbol{k}_{\boldsymbol{B}} \boldsymbol{T}}\right)\)
जहाँ n0 एक स्थिरांक है।
हल
नैज अर्द्धचालक का ऊर्जा अन्तराल Eg = 1.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
तथा परम ताप T1 = 600K व T2 = 300K
माना उक्त तापों पर अर्द्धचालक की चालकताएँ क्रमश: σ1व σ2 हैं।
अर्द्धचालक की चालकता निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होती है-
प्रश्न 14.
किसी p-n सन्धि डायोड में धारा I को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है
I=Io\(\left[\exp \left(\frac{e V}{2 k_{B} T}\right)-1\right]\)
जहाँ I0 को उत्क्रमित संतृप्त धारा कहते हैं, V डायोड के सिरों पर वोल्टता है तथा यह अग्रदिशिक बायस के लिए धनात्मक तथा पश्चदिशिक बायस के लिए ऋणात्मक है। I डायोड से प्रवाहित धारा है, kB बोल्ट्समान नियतांक (8.6x 10-5 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट-K-1) है तथा T परम ताप है। यदि किसी दिए गए डायोड के लिए I0 = 5x 10-12 ऐम्पियर तथा T= 300K है, तब
(a) 0.6 वोल्ट अग्रदिशिक वोल्टता के लिए अग्रदिशिकधारा क्या होगी?
(b) यदि डायोड के सिरों पर वोल्टता को बढ़ाकर 0.7 वोल्ट कर दें तो धारा में कितनी वृद्धि हो जाएगी?
(c) गतिक प्रतिरोध कितना है?
(d) यदि पश्चदिशिक वोल्टता को 1 वोल्ट से 2 वोल्ट कर दें तो धारा का मान क्या होगा?
हल
(b) माना अग्र बायस वोल्टता को V = + 0.7 वोल्ट करने पर धारा
(c) डायोड का गतिक प्रतिरोध Rd =\(\frac{\Delta V}{\Delta I}\) = \(\frac { 0.7-0.6 }{ 2.957 }\) =0.033Ω
(d) पश्चदिशिक वोल्टता 1V (V = -1V) के लिए
इसी प्रकार V = – 2 वोल्ट हेतु, I = -5×10-12 ऐम्पियर।
अत: उत्क्रम वोल्टता के लिए धारा उत्क्रमित. संतृप्त धारा के बराबर बनी रहती है।
इससे ज्ञात होता है कि पश्चदिशिक बायस के लिए डायोड का गतिक प्रतिरोध अनन्त होता है।
प्रश्न 15.
आपको चित्र-14.1 में दो परिपथ दिए गए हैं। यह दर्शाइए कि परिपथ
(a) OR गेट की भाँति व्यवहार करता है जबकि परिपथ
(b) AND गेट की भाँति कार्य करता है।
हल
(a) दिया गया परिपथ NOR गेट तथा NOT गेट का श्रेणी संयोजन है। .
माना NOR गेट का निर्गम 1 है जो कि NOT गेट का निवेश है।
स्पष्ट है कि Y, OR गेट के निर्गम के समान है, अत: दिया गया परिपथ एक OR गेट की भाँति व्यवहार करता है। इसी तथ्य को इस गेट की सत्यमान सारणी से भी सत्यापित किया जा सकता है जो कि निम्नवत् हैA .
इस सारणी से स्पष्ट है कि हम देख सकते हैं कि इस परिपथ् का निर्गम केवल तभी निम्न है जबकि दोनों निवेश निम्न हैं, अन्यथा निर्गम उच्च है। यही OR गेट की भी विशेषता है। अतः दिया गया परिपथ एक OR गेट की भाँति व्यवहार करता है।
(b) दिए गए परिपथ में NOR गेट के दो निवेश दो NOT गेटों के निर्गमों से प्राप्त किए गए हैं। माना NOR गेट के ये दो निवेश क्रमश: y1 तथा y2 हैं।
परन्तु यह एक AND गेट का निर्गम हैं, अत: इससे स्पष्ट है कि दिया गया परिपथ एक AND गेट की भाँति व्यवहार करता है। इस तथ्य को परिपथ की सत्यमान सारणी से भी सत्यापित किया जा सकता है जो कि निम्नवत है
सारणी से स्पष्ट है कि इस परिपथ का निर्गम तभी उच्च है जबकि इसके दोनों निवेश उच्च हैं। अन्यथा निर्गम निम्न है। यही AND गेट की विशेषता है।
अतः यह परिपथ एक AND गेट की भाँति व्यवहार करता है।
प्रश्न 16.
नीचे दिए गए चित्र-14.2 में संयोजित NAND गेट संयोजित परिपथ.. की सत्यमान सारणी बनाइए।
अतः इस परिपथ द्वारा की जाने वाली यथार्थ तर्क संक्रिया का अभिनिर्धारण चित्र-14.2 कीजिए।
हल
चित्र-14.2 में प्रदर्शित गेट एक NAND गेट है जिसके दोनों निवेशों को लघुपथित (short circuit) करके एक कर दिया गया है।
इस परिपथ की सत्यमान सारणी निम्नवत् है
∵ दोनों निवेश एक ही हैं, अतः उक्त सारणी को निम्नवत् बनाया जा सकता है
इस सारणी से स्पष्ट है कि यह परिपथ NOT गेट की भाँति व्यवहार करता है।
इसकी तर्क संक्रिया निम्नलिखित है- \(Y=\bar{A}\)
प्रश्न 17.
आपको निम्न चित्र-14.3 में दर्शाए अनुसार परिपथ दिए गए हैं जिनमें NAND गेट जुड़े हैं। इन दोनों परिपथों द्वारा की जाने वाली तर्क संक्रियाओं का अभिनिर्धारण कीजिए।
हल
(a) माना पहले NAND गेट का निर्गम Y1 है, तब
पहले NAND गेट का निर्गम Y1 दूसरे NAND गेट का निवेश है। अत:
पूर्ण परिपथ का निर्गम
अतः दिया गया परिपथ AND गेट की भाँति व्यवहार करेगा।
इसकी तर्क संक्रिया Y = A AND B या A. B है।
(b) माना प्रथम दो NAND गेटों के निर्गम क्रमश: Y1 तथा Y2 हैं तथा ये दोनों निर्गम अन्तिम NAND. गेट के निवेश हैं।
यही इस परिपथ की तर्क संक्रिया है। इससे स्पष्ट है कि यह परिपथ एक OR गेट की भाँति व्यवहार करेगा।
प्रश्न 18.
चित्र-14.4 में दिए गए NOR गेट युक्त परिपथ की सत्यमान सारणी लिखिए और इस परिपथ द्वारा अनुपालित तर्क संक्रियाओं (OR, AND, NOT) को अभिनिर्धारित कीजिए।
हल
माना प्रथम NOR गेट का निर्गम 71 है तब यह निर्गम Y, दूसरे NOR गेट के लिए निवेश है।
तब \(y_{1}=\overline{A+B}\) तथा पूर्ण परिपथ का निर्गम Y = \(\overline{y_{1}}\)
इस परिपथ की सत्यमान सारणी निम्नलिखित है
सारणी से स्पष्ट है कि इस परिपथ का निर्गम केवल तभी निम्न है जबकि इसके दोनों निवेश निम्न हैं, अत: यह परिपथ एक OR गेट की भाँति व्यवहार करता है।
प्रश्न 19.
चित्र-14.5 में दर्शाए गए केवल NOR गेटों से बने परिपथ की सत्यमान सारणी बनाइए। दोनों परिपथों द्वारा अनुपालित तर्क संक्रियाओं (OR, AND, NOT) को अभिनिर्धारित कीजिए।
(a) दिया गया परिपथ एक NOR गेट को प्रदर्शित करता है जिसके दो निवेशों को लघुपथित कर दिया गया है।
इस परिपथ का निर्गम निम्नलिखित है Y = \(\bar{A}\)= NOTA
इसकी सत्यमान सारणी निम्नलिखित है
स्पष्ट है कि यह परिपथ एक NOT गेट की भाँति व्यवहार करता है जिसकी तर्क संक्रिया Y = \(\bar{A}\) है।
(b) दिए गए परिपथ में दो NOR गेटों के निर्गम \(\bar{A}\) तथा \(\bar{B}\) तीसरे NOR गेट के निवेश हैं।
एक NOR. गेट का निर्गम केवल तभी उच्च होता है जबकि उसके सभी निवेश निम्न हों अन्यथा निर्गम निम्न होता है। उक्त परिपथ की सत्यमान सारणी निम्नवत् है
इस परिपथ का निर्गम है \(Y=\overline{\bar{A}+\bar{B}}=\overline{\bar{A}} \cdot \overline{\bar{B}}\) (डि-मोर्गन नियम से)
⇒ Y = A. B
यही इस परिपथ की तर्क संक्रिया है। तर्क संक्रिया से स्पष्ट है कि यह परिपथ एक AND गेट की भाँति व्यवहार करता है।
अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LQ Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल
अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
ताप में वृद्धि से किसी अर्द्धचालक की चालकता में वृद्धि का कारण यह है कि मुक्त धारावाहकों का
(a) संख्या घनत्व बढ़ जाता है ।
(b) विश्रांति काल बढ़ जाता है
(c) संख्या घनत्व तथा विश्रांति काल दोनों बढ़ जाते हैं
(d) संख्या घनत्व बढ़ जाता है और विश्रांति काल घट जाता है।
उत्तर
(d) संख्या घनत्व बढ़ जाता है और विश्रांति काल घट जाता है।
प्रश्न 2.
चित्र-14.6 में किसी सन्धि डायोड के लिए सन्धि केन्द्र से दूर जाने पर दूरी के साथ सन्धि के सिरों पर विभव प्राचीर में अन्तर को दर्शाया गया है। इसमें V. सन्धि के सिरों पर वह विभव प्राचीर है जो तब प्रभावी होती है जब सन्धि के सिरों के बीच कोई बैटरी न जुड़ी 1 हो
(a) 1 तथा 3 दोनों अग्र बायसित सन्धि के संगत हैं
(b) 3 अग्र बायसित सन्धि के संगत और 1 पश्च बायसित सन्धि के संगत है
(c) 1 अग्र बायसित सन्धि के संगत और 3 पश्च बायसित सन्धि के संगत है
(d) 3 तथा 1 दोनों पश्च बायसित सन्धि के संगत हैं।
उत्तर
(b) 3 अग्र बायसित सन्धि के संगत और 1 पश्च बायसित सन्धि के संगत है
प्रश्न 3.
चित्र-14.7 में डायोडों को आदर्श मानें तो
(a) D1 अग्र बायसित है और D2 अतः धारा A से B की ओर प्रवाहित होती है
(b) D2 अग्र. बायसित और D1 पश्च बायसित है, अत: B से A की ओर अथवा A से B की ओर कोई धारा प्रवाहित नहीं होती
(c) D1 तथा D2 दोनों अग्र बायसित हैं, अतः धारा A से B की ओर अथवा B से की ओर प्रवाहित होती है .
(d) D1 तथा D2 दोनों पश्च बायसित हैं, अत: A से B की ओर अथवा B से A की ओर कोई धारा प्रवाहित नहीं होती।
उत्तर
(b) D2 अग्र. बायसित और D1 पश्च बायसित है, अत: B से A की ओर अथवा A से B की ओर कोई धारा प्रवाहित नहीं होती
प्रश्न 4.
220 V ac विद्युत प्रदाय बिन्दुओं A और B के बीच जुड़ा है (चित्र-14.8) A_ संधारित्र के सिरों पर विभवान्तर V कितना होगा
(a) 220V
(b) 110V
(c) शून्य
(d) 220/2V.
उत्तर
(d) 220/2V.
प्रश्न 5.
होल होता है
(a) इलेक्ट्रॉन का प्रतिकण
(b) सहसंयोजी आबन्ध से एक इलेक्ट्रॉन दूर छिटक जाने पर उत्पन्न रिक्ति
(c) मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति
(d) कृत्रिम रूप से सृजित कोई कण।
उत्तर
(b) सहसंयोजी आबन्ध से एक इलेक्ट्रॉन दूर छिटक जाने पर उत्पन्न रिक्ति
प्रश्न 6.
चित्र-14.9 में दिए गए परिपथ का निर्गम होगा
(a) हर समय शून्य
(b) किसी अर्द्ध तरंग दिष्टकारी की भाँति निर्गम में धनात्मक अर्द्ध चक्र होंगे
(c) किसी अर्द्ध तरंग दिष्टकारी की भाँति निर्गम में ऋणात्मक अर्द्ध चक्र होंगे
(d) किसी पूर्ण तरंग दिष्टकारी के निर्गम जैसा।
उत्तर
(c) किसी अर्द्ध तरंग दिष्टकारी की भाँति निर्गम में ऋणात्मक अर्द्ध चक्र होंगे
प्रश्न 7.
चित्र-14.10 में दर्शाए परिपथ में यदि डायोड का अग्रदिश वोल्टता-पात 0.3V है, तो A एवं B के बीच विभवान्तर है
(a) 1.3V
(b) 2.3V
(c) शून्य
(d) 0.5V.
उत्तर
(b) 2.3V
प्रश्न 8.
दिए गए परिपथ (चित्र-14.11) के लिए सत्यापन सारणी है
उत्तर
अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
सिलिकन या जर्मेनियम के मादन के लिए तात्विक मादकों का चयन प्रायः या तो समूह XIII अथवा समूह ‘xv के तत्वों में से ही क्यों किया जाता है?
उत्तर
सिलिकन या जर्मेनियम के मादन के लिए XIII अथवा XV समूह के तत्वों का चयन इसलिए किया जाता है क्योंकि इन तत्वों के परमाणुओं का आकार ऐसा होता है कि ये अर्द्धचालक क्रिस्टल जालक की संरचना को विकृत किए बिना ही सिलिकन या जर्मेनियम के साथ सहसंयोजी बन्ध बनाकर एक आवेश वाहक का क्रिस्टल में योगदान कर देते हैं।
प्रश्न 2.
Sn, C तथा Ge, Si सभी समूह XIV के तत्व हैं। फिर भी Sn चालक है, C विद्युतरोधी है जबकि Si एवं Ge अर्द्धचालक हैं। ऐसा क्यों है?
उत्तर
परमाणु आकार के अनुसार Sn के लिए ऊर्जा अन्तराल 0 eV,C के लिए 5.4eV, Si के लिए 1.1eV तथा Ge के लिए 0.7eV होता है। अत: Sn चालक, C विद्युतरोधी जबकि Si व Ge अर्द्धचालक हैं।
प्रश्न 3.
क्या p-n सन्धि के सिरों पर विभव प्राचीर की माप केवल सन्धि पर वोल्टतामापी जोड़ कर की जा सकती है?
उत्तर
नहीं, p-n सन्धि के सिरों पर वोल्टतामापी जोड़कर विभव प्राचीर की माप नहीं की जा सकती है। क्योंकि इसके लिए सन्धि प्रतिरोध की तुलना में वोल्टतामापी का प्रतिरोध बहुत अधिक होना चाहिए जबकि सन्धि प्रतिरोध लगभग अनन्त होता है।
प्रश्न 4.
प्रवर्धकों X, Y एवं Z को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। यदि x, Y एवं Z की वोल्टता लब्धि क्रमश: 10, 20 एवं 30 और निवेश सिग्नल का शिखर मान 1 मिलीवोल्ट है, तो निर्गत सिग्नल वोल्टता का शिखर मान क्या होगा, जबकि
- dc प्रदान वोल्टता 10 वोल्ट है?
- dc प्रदाय वोल्टता 5 वोल्ट है?
हल
1. परिणामी वोल्टता लब्धि = 10x20x 30 = 6000 .
∴ निर्गत सिग्नल वोल्टता का शिखर मान (V0) = 6000×1 मिलीवोल्ट = 6000×10-3 वोल्ट = 6 वोल्ट।
2. यहाँ dc प्रदाय वोल्टता 5 वोल्ट है तो निर्गत सिग्नल वोल्टता का शिखर मान. भी 5 वोल्ट से अधिक नहीं हो सकता।
∴ V0 = 5 वोल्ट।
प्रश्न 5.
किसी उभयनिष्ठ उत्सर्जक ट्रांजिस्टर प्रवर्धक परिपथ से कोई धारा और वोल्टता लब्धि सम्बद्ध है। दसरे शब्दों में, कोई शक्ति-लब्धि होती है? शक्ति को ऊर्जा की माप मानते हुए क्या इस परिपथ में ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन होता है?
उत्तर
नहीं, इस परिपथ में ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन नहीं हुआ है। इस प्रक्रिया में आवश्यक अतिरिक्त शक्ति प्रयुक्त D.C. स्रोत द्वारा प्रदान की जाती है।
अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
(i) उस डायोड के प्रकार का नाम लिखिए जिसके अभिलक्षणिक uil चित्र-14.12
(a) एवं
(b) में दर्शाए गए हैं।
(ii) चित्र-14.12 (a) में बिन्दु P क्या निरूपित करता है?
(iii) चित्र-14.12 (b) में बिन्दु P एवं Q क्या निरूपित करते हैं?
उत्तर
- चित्र-14.12 (a) जेनर डायोड के व चित्र-14.12 (5) सौर सेल के अभिलक्षिक वक्र को प्रदर्शित करता है।
- चित्र-14.12 (a) में बिन्दु P, जेनर भंजक वोल्टता को निरूपित करता है।
- चित्र-14.12 (b) में बिन्दु P, खुले परिपथ की वोल्टता को तथा बिन्दु Q, लघु पथन धारा को निरूपित करता है।
प्रश्न 2.
तीन फोटो डायोड D1, D2 एवं D3 ऐसे अर्द्धचालकों से बनाया गए हैं जिनके बैण्ड अन्तराल क्रमशः 2.5eV;2eV एवं 3eV हैं। इनमें से कौन-सा डायोड 6000 A तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का संसूचन करने योग्य होगा?
उत्तर
6000A तरंगदैर्घ्य के प्रकाश फोटॉन की कर्ज (E) = \(\frac { hc }{ λ }\) = \(\frac{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{6 \times 10^{-7}}\)
=\(\frac{3.3 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\) eV = 2.06eV
किसी फोटो डायोड द्वारा विकिरण के संसूचन के लिए आवश्यक है कि विकिरण फोटॉनों की ऊर्जा, बैण्ड अन्तराल से अधिक हो। यह शर्त केवल फोटो डायोड D2 के लिए पूरी होती है। अत: फोटो डायोड D2 ही आपतित विकिरण को संसूचित करेगा।
प्रश्न 3.
यदि प्रतिरोध R1 बढ़ाया जाता है (चित्र-14.13) तो अमीटर तथा वोल्टमीटर के पाठ्यांकों में क्या परिवर्तन होंगे?
उत्तर
प्रतिरोध R1 का मान बढ़ाने पर आधार धारा IB\(\left(I_{B}=\frac{V_{B B}-V_{B E}}{R_{1}}\right)\) का मान कम होगा, जिसके परिणामस्वरूप संग्राहक काम धारा Ic का मान भी कम होगा। अत: अमीटर तथा वोल्टमीटर का पाठ्यांक कम होगा।
प्रश्न 4.
स्पष्ट कीजिए कि तात्विक अर्द्धचालकों का उपयोग दृश्य LEDs बनाने में क्यों नहीं किया जा सकता?
उत्तर
तात्विक अर्द्धचालकों का उपयोग दृश्य LED बनाने में नहीं किया जा सकता क्योंकि तात्विक अर्द्धचालकों के ऊर्जा-अन्तराल इस प्रकार के होते हैं कि उनसे उत्सर्जन अवरक्त क्षेत्र में होता है।
अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ आंकिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
यदि चित्र-14.14 में दर्शाए गए प्रत्येक डायोड का अग्र बायस प्रतिरोध _ 252 तथा पश्च बायस प्रतिरोध अनन्त हो, तो धारा 11, 12, I एवं I के मान क्या । होंगे?
हल
C व D के बीच लगा डायोड पश्च बायस है।
अतः I3 = 0
शाखा AB व EF का समान प्रतिरोध = 25+ 125 = 150Ω
शाखा AB व EF का तुल्य प्रतिरोध R’= \(\frac { 150 }{ 2 }\) = 750Ω
परिपथ का कुल प्रतिरोष्ट R = 75+ 25 = 100Ω
परिपथ में धारा I1= \(\frac { V }{ R }\) = \(\frac { 5 }{ 100 }\) = 0.05 ऐम्पियर
तथा धारा I2 = I4 = \(\frac { 0.05 }{ 2 }\)= 0.025 ऐम्पियर।
प्रश्न 2.
चित्र-14.15 में द्वारों के दिए गए संयोजनों के निर्गम सिग्नलों C एवं C को आरेखित कीजिए।
हल
NAND गेटों से पहला प्राप्त संयोजन NOR गेट की भाँति कार्य करेगा [चित्र-14.15 (b)]|
NOR गेटों से प्राप्त दूसरा संयोजन AND गेट की भाँति कार्य करेगा [चित्र-14.15 (c)]।
C1 व C2 निर्गम सिग्नलों को चित्र-14.16 में दर्शाया गया है।