MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 पुस्तक (निबन्ध, देवेन्द्र ‘दीपक’)

पुस्तक पाठ्य-पुस्तक पर अधिारित प्रश्न

पुस्तक लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बख्तियार खिलजी के आक्रमण से क्या हानि हुई?
उत्तर:
बख्तियार खिलजी के आक्रमण से सबसे बड़ी हानि नालंदा के पुस्तकालयों को जलाने से हुई।

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प्रश्न 2.
पुस्तक पढ़ने की आदत कम क्यों होती जा रही है?
उत्तर:
सूचना क्रांति और दूरदर्शन के प्रभाव से पुस्तकें पढ़ने की आदत कम होती जा रही है।

प्रश्न 3.
नालंदा विश्वविद्यालय में कौन-से तीन पुस्तकालय थे?
उत्तर:
नालंदा विश्वविद्यालय में रत्न सागर, रत्नोदधि और रत्नरंजक नाम के तीन विशाल पुस्तकालय थे।

प्रश्न 4.
पुस्तक या यात्रा का क्या संबंध है?
उत्तर:
पुस्तक बाहरी और भीतरी यात्रा का घनिष्ठ संबंध है।

पुस्तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नालंदा विश्वविद्यालय की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
नालंदा विश्वविद्यालय में पुस्तकालय का एक विशिष्ट क्षेत्र था। उसे धर्मगंज कहा जाता था। इसमें रत्नसागर, रत्नोदधि और रत्नरंजक नामक तीन विशाल पुस्तकालय थे। रत्नसागर पुस्तकालय का भवन नौमंजिला था। बख्तियार खिलजी ने इन पुस्तकालयों को जला डाला। इस अग्निकांड में अमूल्य ग्रंथ जलकर सदा के लिए भस्म हो गए।

प्रश्न 2.
पुस्तकें किन षड्यंत्रों का शिकार होती हैं?
उत्तर:
पुस्तकें कई षड्यंत्रों का शिकार होती हैं। षड्यंत्रों के शिकार के कारण ही कुछ पुस्तकें तिरस्कृत हो जाती हैं। कुछ प्रतिबंधित कर दी जाती हैं और कुछ विशेष लेखकों की पुस्तकें जला दी हैं। पुस्तकें भी राजनीतिक, साहित्यिक, धार्मिक और भाषाई षड्यंत्रों का शिकार होती हैं।

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प्रश्न 3.
लेखक के अनुसार पुस्तक की समीक्षा किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
लेखक के अनुसार पुस्तक की समीक्षा बेबाक होती है और प्रायः प्रायोजित होती है। समीक्षा में अक्सर एक अनावश्यक लंबी भूमिका होती है। इसमें पुस्तक के अंदर जो कुछ है उसकी चर्चा कम होती है और जो नहीं है उसकी चर्चा अधिक होती है। दूसरे शब्दों में, पुस्तक की समीक्षा ठीक प्रकार से नहीं होती है।

प्रश्न 4.
पुस्तकों के जलने से होने वाली क्षति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पुस्तकों के जलने से देश की सबसे बड़ी क्षति होती है। ज्ञान का अपार भंडार जलकर राख हो जाता है। प्रत्येक, ग्रंथ रचनाकार की साधना और परिश्रम का प्रतिफल होता है। उसका सारा परिश्रम व्यर्थ चला जाता है। कितने लोगों का शोध व्यर्थ चला जाता है। कितने ही विद्वानों का चिंतन-मनन नष्ट हो जाता है, जो पुनः लौटकर नहीं आता। आगामी पीढ़ियों को ज्ञान नहीं मिल पाता। विश्वधरोहर जलकर नष्ट हो जाती है।

पुस्तक भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्ति का भाव-विस्तार कीजिए“यात्रा में पुस्तक, पुस्तक में यात्रा, यों यात्रा में यात्रा।”
उत्तर:
यात्रा में पुस्तकें यात्रा की मित्र होती हैं। उनको पढ़ने से यात्री की यात्रा आराम से कट जातं. है। पुस्तकें पढ़ने से उनका ज्ञान भी बढ़ता है और मनोरंजन भी होता है। यात्री जिन स्थानों की यात्रा करता है, उनका वर्णन वह पुस्तकों में करता है। उन स्थानों के निवासियों के रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज, त्योहारों और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक धरोहरों का वर्णन करता है। इस प्रकार यात्रा में यात्रा हो जाती है। यात्रा से सभी का ज्ञान बढ़ता है और मनोरंजन होता है।

पुस्तक भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
समीक्षा शब्द विशिष्ट अर्थ में प्रयुक्त होने के कारण पारिभाषिक शब्द है। इसी तरह के पाँच पारिभाषिक शब्द लिखिए –
उत्तर:
विदेश नीति, विमोचन, प्राक्कथन, प्रायोजित, समालोचक।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से विदेशी शब्द और तत्सम शब्द छाँटिए –
वहशत, ग्रंथ, दहशत, दिमाग, सारस्वत, गैरजरूरी, सुटेबिल, जलयात्रा, अलमारी, समवाय, दुर्लभ, समीक्षा।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 पुस्तक img-1

प्रश्न 3.
(क) यह आम रास्ता नहीं है।
(ख) आम के फल मीठे होते हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘आम’ शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। पहले वाक्य में आम का अर्थ ‘जन साधारण’ है, जबकि दूसरे वाक्य में ‘आम’ फल के लिए आया है। इसी प्रकार अंक, अम्बर, अर्थ, उत्तर और मूल शब्दों के उदाहरण के अनुसार वाक्य बनाइए।
उत्तर:

  • अंक – विमला को सौ में से पचास अंक मिले हैं।
    माँ ने रोते बच्चे को अंक में उठा लिया।
  • अंबर – अंबर में तारे छिटके हैं।
    श्रीकृष्ण पीत अंबर धारण करते हैं।
  • अर्थ – ‘गगन’ शब्द का अर्थ आकाश है।
    आजकल हम अर्थ-अभाव से गुजर रहे हैं।
  • उत्तर – इस प्रश्न का उत्तर बीस शब्दों में लिखिए।
    भारत के उत्तर में पर्वतराज हिमालय है।
  • मूल – मूल कट जाने के कारण यह पौधा सूख गया है।
    मैं मूल रूप से राजस्थान का निवसी हूँ।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए –

  1. पुस्तक चुराया जाता है।
  2. जितना सोचता हूँ उतना खिन्नता बढ़ती है।
  3. हर पाठक को पुस्तक मिलना चाहिए।
  4. रविवार के दिन की छुट्टी रहती है।

उत्तर:

  1. पुस्तक चुराई जाती है।
  2. जितना सोचता हूँ, उतनी खिन्नता बढ़ती है।
  3. हर पाठक को पुस्तक मिलनी चाहिए।
  4. रविवार को छुट्टी रहती है।

पुस्तक योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘पुस्तक मित्र’ पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आधुनिक विश्वविद्यालयों में नालंदा विश्वविद्यालय से भिन्न जिन नए विषयों का अध्ययन किया जाता है, उन नए विषयों की सूची बनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं सूची बनाएँ।

प्रश्न 3.
पुस्तकालय जाकर देखिकए कि वहाँ पुस्तकें कैसे व्यवस्थित रखी जाती हैं, ताकि कोई भी पुस्तक एक मिनिट में आप खोज सकें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
अपने विद्यालय के पुस्तकालय से ऐसी पुस्तकें प्राप्त कीजिए, जो बहुत पुरानी हो चुकी हों, तथा जो फट रही हों, उन्हें प्राप्त कर चिपकाइए तथा व्यवस्थित कीजिए ताकित वह लम्बे समय तक सुरक्षित रह सकें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

पुस्तक परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
विचारों की जययात्रा का मूर्तरूप है ……..
(क) पुस्तक
(ख) नालंदा
(ग) शिक्षा
(घ) पुस्तकालय
उत्तर:
(क) पुस्तक।

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प्रश्न 2.
पुस्तक रची, छापी और ………… की जाती है –
(क) बिक्री
(ख) भेंट
(ग) विमोचित
(घ) चुराई
उत्तर:
(ग) विमोचित।

प्रश्न 3.
पुस्तक समीक्षाओं में होती है ……
(क) एक आवश्यक लंबी भूमिका
(ख) एक गैरज़रूरी लंबी भूमिका
(ग) एक बेकार अर्थहीन भूमिका
(घ) एक सार्थक लंबी भूमिका
उत्तर:
(ख) एक गैरज़रूरी लंबी भूमिका।

प्रश्न 4.
नालंदा विश्वविद्यालय को ………. नामक आक्रमणकारी ने जलाकर राख कर दिया।
(क) अलाउद्दीन खिलजी
(ख) ग्यासुद्दीन खिलजी
(ग) बख्तियार खिलजी
(घ) जलालुद्दीन खिलजी
उत्तर:
(ग) बख्तियार खिलजी।

प्रश्न 5.
नालंदा में पुस्तकालयों के विशिष्ट क्षेत्र को कहते थे ………..।
(क) धर्मगंज
(ख) पुस्तकगंज
(ग) दर्शन गंज
(घ) आचार्य गंज
उत्तर:
(क) धर्मगंज।

प्रश्न 6.
पुस्तकालय वाले कहते हैं, दान में किताबें ही नहीं, उन्हें रखने के लिए ……….. भी दो।
(क) अलमारियाँ
(ख) धन
(ग) स्थान
(घ) आदमी
उत्तर:
(क) अलमारियाँ।

प्रश्न 7.
कमरे को रोशनदान चाहिए, तो याद रखिए दिमाग को भी ………..।
(क) दवाई चाहिए
(ख) पुस्तक चाहिए
(ग) ज्ञान चाहिए
(घ) प्रकाश चाहिए
उत्तर:
(ख) पुस्तक चाहिए।

प्रश्न 8.
हर पुस्तक को उसका मिलना चाहिए ……….. ।
(क) खरीददार
(ख) पाठक
(ग) आलोचक
(घ) समीक्षक
उत्तर:
(ख) पाठक।

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प्रश्न 9.
ग्रंथों में प्रक्षेप करते हैं ………..।
(क) कुछ धूर्त लोग
(ख) कुछ धूर्त रचनाकार
(ग) कुछ बेईमान लोग
(घ) कुछ पागल लोग
उत्तर:
(क) कुछ धूर्त लोग।

प्रश्न 10.
सूचना क्रांति और दूरदर्शन के कारण आदत कम होती जा रही है ………….।
(क) पुस्तकें पढ़ने की
(ख) पुस्तकें खरीदने की
(ग) पुस्तकें भेंट करने की
(घ) पुस्तकें एकत्र करने की
उत्तर:
(क) पुस्तकें पढ़ने की।

प्रश्न 11.
एक उम्र होती है कि –
(क) आदमी पुस्तकें लिखता है
(ख) आदमी पुस्तकें सहेजता है
(ग) आदमी पुस्तकें बेचता है
(घ) आदमी पुस्तकें खरीदता है
उत्तर:
(ख) आदमी पुस्तकें सहेजता है।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए –

  1. रातों रात कोई पुस्तक ………. हो जाती है। (बहिष्कृत/तिरस्कृत)
  2. हर पुस्तक को’ उसका ………. मिलना चाहिए। (लेखक/पाठक)
  3. ………. का भवन नौमंजिला था। (रत्नसागर/रत्नरंजक)
  4. आज ………. का दौर है। (हरितक्रांति/सूचनाक्रांति)
  5. पुस्तक ………. जाती है। (रची/लिखी)

उत्तर:

  1. तिरस्कृत
  2. पाठक
  3. रत्नासागर
  4. सूचनाक्रान्ति
  5. रची।

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III. निम्नलिखित कथनों में सत्य/असत्य छाँटिए –

  1. ‘पुस्तक’ एक कहानी है।
  2. ‘पुस्तक’ के लेखक देवेन्द्र ‘दीपक’ हैं।
  3. नालंदा में पन्द्रह हजार विद्यार्थी थे।
  4. पुस्तकें षड्यंत्रों का शिकार होती हैं।
  5. कुछ धूर्त लोग कुछ वाक्यों को लुप्त कर देते हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. सत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 पुस्तक img-2
उत्तर:

(i) (ङ)
(ii) (ग)
(iii) (घ)
(iv) (ख)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
पुस्तक किसका समवाय है?
उत्तर:
पुस्तक बाहरी और भीतरी यात्रा का समवाय है।

प्रश्न 2.
हमारे देश में सबसे बड़ा विद्या का केन्द्र कौन था?
उत्तर:
नालंदा का पुस्तकालय।

प्रश्न 3.
पुस्तक का जलना किसका जलना है?
उत्तर:
पुस्तक का जलना विश्व धरोहर का जलना है।

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प्रश्न 4.
नालंदा के पुस्तकालय को किसने जला डाला था?
उत्तर:
बख्तियार खिलजी ने।

प्रश्न 5.
पुस्तक जलाना और उसे नष्ट करना क्या है?
उत्तर:
पुस्तक जलाना और उसे नष्ट करना घोर अपराध जैसा कत्य है।

पुस्तक लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पुस्तक किसका मूर्तरूप है?
उत्तर:
पुस्तक लेखक के पुरुषार्थ का सारस्वत मूर्तरूप है।

प्रश्न 2.
पुस्तक की भूमिका और प्राक्कथन कैसे लिखवाया जाता है?
उत्तर:
पुस्तक की भूमिका और प्राक्काय लिखवाने के लिए उपयुक्त व्यक्ति खोजे जाते हैं। फिर उनसे प्राक्कथन और भूमिका लिखवाई जाती है।

प्रश्न 3.
पुस्तकों के क्या-क्या प्रयोग किए जाते हैं?
उत्तर:
पुस्तकें भेंट की जाती हैं, माँगी, चुराई, दबाई और पढ़ी जाती हैं।

प्रश्न 4.
पुस्तकालय वाले दान में किताबों के साथ क्या माँगते हैं?
उत्तर:
पुस्तकालय वाले दान में किताबों के लिए अलमारियाँ भी माँगते हैं।

प्रश्न 5.
नालंदा विश्वविद्यालय के साथ कौन-सा काला ध भी लगा है?
उत्तर:
नालंदा विश्वविद्यालय के साथ पुस्तकालय जलाने का काला धब्बा भी लगा है।

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प्रश्न 6.
पुस्तकों के संबंध में लेखक की क्या आशा है?
उत्तर:
लेखक की आशा है कि पुस्तक मित्र थीं, मित्र हैं और मित्र रहेंगी।

प्रश्न 7.
‘पुस्तक’ निबंध में लेखक का कौन-सा स्वर है?
उत्तर:
‘पुस्तक’ निबंध में लेखक का आशावादी स्वर है।

प्रश्न 8.
शिक्षा के क्षेत्र में किसका दबदबा रहा?
उत्तर:
शिक्षा के क्षेत्र में नालंदा विश्वविद्यालय का दबदबा रहा।

प्रश्न 9.
‘रत्नसागर’ का भवन कैसा था?
उत्तर:
रत्नसागर’ का भवन नौमंजिला था।

पुस्तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पुस्तकालय को लेकर घर में चिकचिक क्यों होने लगती है?
उत्तर:
जब घर में आदमी के अपने लिए जगह कम पड़ने लगती है, तो निजी पुस्तकालय को लेकर घर में चिकचिक होने लगती है। प्राध्यापकों की संतानों की शिक्षण में रुचि न होना भी एक कारण है।

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प्रश्न 2.
नालंदा विश्वविद्यालय की महिमा का वर्णन कीजिए। (M.P. 2012)
उत्तर:
नालंदा प्राचीन भारत का एक सुप्रसिद्ध विश्वविद्यालय था। शिक्षा के क्षेत्र – में इसका बड़ा दबदबा था, जहाँ दस हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे। इन विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए 1500 आचार्य थे। यहाँ अनेक विषयों की शिक्षा दी जाती थी। नालंदा का पुस्तकालय बहुत विशाल था। आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नालंदा के पुस्तकालय को जलाकर राख कर दिया था।

प्रश्न 3.
नालंदा में किन-किन विषयों की शिक्षा दी जाती थी? (M.P. 2012)
उत्तर:
नालंदा में बौद्धदर्शन, दर्शन, इतिहास, निरुक्त, वेद, हेतुविद्या, न्यायशास्त्र, व्याकरण, चिकित्साशास्त्र, ज्योतिष आदि के शिक्षा की व्यवस्था थी।

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प्रश्न 4.
नालंदा विश्वविद्यालय में कार्यरत आचार्य कौन-कौन से थे? (M.P. 2010)
उत्तर:
नालंदा विश्वविद्यालय में कार्यरत आचार्य शीलभद्र, नागार्जुन, आचार्य धर्म कीर्ति, आचार्य ज्ञानश्री, आचार्य बुद्ध भंद्र, आचार्य गुणमति, आचार्य स्थिरमति, आचार्य सागरमति आदि विख्यात आचार्य कार्यरत थे।

प्रश्न 5.
‘पुस्तक’ नामक निबंध में देवेन्द्र ‘दीपक’ (लेखक) ने नालंदा विश्वविद्यालय की क्या विशेषताएँ बताई हैं? (M.P. 2009)
उत्तर:
‘पुस्तक’ नामक निबंध में देवेन्द्र ‘दीपक’ (लेखक) नै नालंदा विश्वविद्यालय की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं –
नालंदा विश्वविद्यालय का शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा दबदबा था। वहाँ दस हजार विद्यार्थी और पन्द्रह सौ आचार्य थे। बौद्ध-दर्शन, इतिहास, निरुक्त, वेद, हेतुविद्या, न्यायशास्त्र, व्याकरण, चिकित्साशास्त्र, ज्योतिष आदि के शिक्षण की व्यवस्था थी। आचार्य शीलभद्र, नागार्जुन, आचार्य धर्मकीर्ति, आचार्य ज्ञानश्री, आचार्य बुद्ध भट्ट,आचार्य गुणमति, आचार्य स्थिरमति, आचार्य सागरमीरा जैसे विश्वविख्यात आचार्य वहाँ थे।

प्रश्न 6.
पुस्तक-समीक्षा की क्या विशेषता है?
उत्तर:
पुस्तक-समीक्षा के लिए सुटेबिल आदमी खोजे जाते हैं। समीक्षा कभी बेबाक होती है। समीक्षा प्रायः प्रायोजित होती है। इस प्रकार की समीक्षाओं में प्रायः एक गैरज़रूरी लम्बी भूमिका होती है। पुस्तक में जो है, उसकी चर्चा कम, जो नहीं है, उसकी चर्चा अधिक होती है।

पुस्तक लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
देवेन्द्र ‘दीपक’ का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
राष्ट्रवादी चिंतक और रचनाकार देवेंद्र ‘दीपक’ का जन्म 31 जुलाई, 1934 ई० को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ। आपने शालेय शिक्षा के बाद साहित्य रत्न, एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी में) किया। उसके बाद पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आपने वंचित समाज के विकास में शब्द और कर्म द्वारा अपूर्व कार्य कर महत्त्वपूर्ण योगदान किया। मारीशस, लंदन, सूरीनाम तथा न्यूयार्क में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलनों में अपना सक्रिय योगदान दिया है। आप उन चिंतकों में से हैं, जिन्होंने हिंदी की प्रतिष्ठा के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया है। आप्रे अनुसूचित जाति से संबद्ध परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केंद्र का प्राचार्य रहे हैं। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक के रूप में आपने सराहनीय कार्य किया है।

साहित्यिक-परिचय:
वर्तमान में आप साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद् के निदेशक पद पर कार्य करते हुए साहित्य सेवा में जुटे हैं। ‘साक्षात्कार’ पत्रिका के प्रधान संपादक हैं। ‘दीपक’ जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। आपने काव्य, काव्य नाटक, कठपुतली नाटक और अनेक ग्रंथों का अनुवाद किया है। काव्य-सृजन में उन्होंने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई है। आपने गद्य-क्षेत्र में भी मानदंड स्थापित किए हैं। आपकी गद्य रचनाओं में जीवन-बोध के सहज और आत्मीय प्रसंग मिलते हैं। आपकी गद्य रचनाओं में सामाजिक चिंताओं और आस्थामूलक दृष्टि का समावेश है।

रचनाएँ:

  • काव्य-संग्रह – सूरज बनती किरण, बंद कमरा, दुली कविताएँ (आपत्तकालीन) मास्टर धर्मदास, हम दंने नहीं (अन्त्यज कविता)
  • काव्य-नाटक – भूगोल राजा का। खगोल राजा का।
  • कठपुतली – नाटक दवाव।
  • अन्य रचनाएँ – शिक्षाशास्त्रियों के सिद्धांत, विचारणा विथि का, कुंडली चक्र पर मेरी वार्ता आदि।

भाव-शैली:
‘दीपक’ जी को भाषा-शैली शब्द विपर्यय के चमत्कार आपकी गद्य रचनाओं के भाव-सौन्दर्य में विशेष रूप से वृद्धि करते हैं। वे भाषा के क्षेत्र में अपनी रचनात्मकता के माध्यम से मुहावर जैरे. चते चलते है। उनकी भाषा सहज स्वाभाविक खड़ी बोली है। उसमें यथास्थान तत्सम, उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों का समावेश है।

पुस्तक पाठ का सारांश

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प्रश्न 1.
‘पुस्तक’ पाठ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘पुस्तक’ निबंध में देवेंद्र ‘दीपक’ ने पुस्तक को केंद्र बनाकर अनेक प्रकार के विचारों को प्रस्तुत किया है। लेखक कहता है कि पुस्तक का जीवन में बड़ा महत्त्व है। पुस्तक जीवन की बाहरी और भीतरी,मात्रा का समन्वय है। पुस्तकें लिखी, छापी और विमोचित की जाती हैं। पुस्तकें बेची, खरीदी जाती हैं। बुक डिपो में अलमारी में करीने से सजी होती हैं। ये कभी चौराहे पर भी रेहड़ी में भी बेची जाती हैं। इतना ही नहीं पुस्तकें भेंट की जाती हैं, माँगी, चुराई और दबाई जाती हैं। अंततः पुस्तकें पढ़ी जाती हैं। कुछ पुस्तकें रखी जाती हैं, जबकि कुछ निगली और उनमें से कुछ ही पचाई जाती हैं।

पुस्तकों की भूमिका लिखने के लिए उपयुक्त व्यक्ति खोजे जाते हैं। पुस्तक की समीक्षा की जाती है। व्यक्ति एक आयु में पुस्तकें खरीदता है, पढ़ता है और अंत में पुस्तकालय के कमरे को लेकर परिवार में झगड़ा होता है। पुस्तकालय वाले : भी उन दुर्लभ पुस्तकों को दान में स्वीकार नहीं करते। पुस्तकों को राजनीति के कारण कई उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को बख्तियार खिलजी ने जला डाला था। पुस्तक का जलना विश्व धरोहर का जलना है। पुस्तक जलाना और नष्ट करना घोर अपराध जैसा कार्य है। पुस्तकों को जलाना, जलवाना रचनाकार के कठोर परिश्रम और साधना को बरबाद करने के समान है।

कितनों का शोध और सोचा-समझा व्यर्थ हो जाता, जो पुनः लौट कर नहीं आता। पुस्तकें भी षड्यंत्रों का शिकार होती हैं। कुछ धूर्त लोग ग्रंथों में प्रक्षेप कर देते हैं इसलिए जो ग्रंथ नष्ट होने से बच गए, उनमें भी बहुत बदलाव आ गए। लेखक का आशावादी स्वर भी उभरा है। आधुनिक युग में सूचना क्रांति का दौर होने के कारण पुस्तकों को पढ़ने की आदत अवश्य कम हुई है, लेकिन यह भी पुस्तकों के महत्त्व को कम भी नहीं कर सकता। पुस्तक की उपस्थिति और उपयोगिता बनी ही रहेगी।

पुस्तक संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
पुस्तक बेची जाती हैं-पुस्तक खरीदी जाती हैं-कभी किसी बुक डिपो में करीने से सजी अलमारियों से, तो कभी चौराहे पर खड़े किसी ठेले पर लगे ढेर से। पुस्तक भेंट की जाती है, पुस्तक माँगी जाती है। पुस्तक चुराई जाती है। पुस्तक दबाई जाती है। और यह सब इसलिए कि अंततः पुस्तक पढ़ी जाती है। पढ़ने में कुछ पुस्तकें केवल रखी जाती हैं, कुछ निगली जाती हैं, कुछ ही हैं जो पचाई जाती हैं। पुस्तक की भूमिका और प्राक्कथन के लिए सुटेबिल आदमी खोजे जाते हैं। पुस्तक की समीक्षा की जाती है। कभी यह समीक्षा बेबाक होती है, अक्सर प्रायोजित। इन समीक्षाओं में अक्सर एक गैरज़रूरी लंबी भूमिका होती है। पुस्तक में जो है उसकी चर्चा कम, जो नहीं है उसकी चर्चा अधिक। (Pages 89-90)

शब्दार्थ:

  • सुटेबिल – उपयुक्त।
  • बेबाक – अचूक, सटीक।
  • गैरज़रूरी – अनावश्यक।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश देवेंद्र ‘दीपक’ के द्वारा लिखित निबंध ‘पुस्तक’ से उद्धृत है। लेखक इस गद्यांश में पुस्तकों की उपयोगिता और उनकी समीक्षा पर प्रकाश डाल रहा है।

व्याख्या:
लेखक पुस्तकों की उपयोगिता के संबंध में कहता है कि प्रकाशक पुस्तकों का व्यापार करता है। पुस्तकें प्रकाशन गृहों और बुक डिपों में बेची जाती हैं। बुक डिपो वाले पुस्तकों को अलमारियों में सजाकर रखते हैं और बेचते हैं। कभी-कभी पुस्तकें चौराहे पर खुद को दुकानदारों द्वारा ठेले पर ढेर के रूप में रखकर भी बेची जाती हैं। पाठक पुस्तकों को खरीदते हैं। सुशिक्षित तथा पुस्तकों के सुधी पाठक अपने साहित्यिक मित्रों, सगे-संबंधियों अथवा अन्य लोगों को उपहार के रूप में भी देते हैं। पुस्तकें कुछ लोगों द्वारा माँग कर पढ़ी जाती हैं।

इतना ही नहीं पुस्तकालयों से महत्त्वपूर्ण दुर्लभ पुस्तकों को चुराया भी जाता है और आवश्यक पुस्तकों को इधर-उधर दबाकर भी रख दिया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर उसे प्राप्त किया जा सके। ये सारे काम इसलिए किए जाते हैं कि अंत में पुस्तक पढ़ी जाती है। पुस्तक पढ़ने के बाद कुछ पुस्तकें केवल रखी जाती हैं क्योंकि उन्हें फेंका नहीं जा सकता। कुछ पुस्तकें रोचक अथवा मनोरंजक न होने के कारण जबरदस्ती पढ़ी जाती हैं जबकि कुछ ही पुस्तकें ऐसी होती हैं जिन्हें पाठक पढ़ता है और चिंतन-मनन कर उन्हें आत्मसात् करता है।

लेखक पुस्तक की भूमिका और समीक्षा पर टिप्पणी करते हुए कहता है कि पुस्तक का सर्जन करने वाला अपनी पुस्तक की भूमिका और प्राक्कथन लिखवाने के लिए उपयुक्त आदमी को ढूँढ़कर, उससे भूमिका और प्राक्कथन लिखवाता है। पुस्तक के विषय, उसकी शैली, उसके उद्देश्य और गुण-दोषों की समीक्षा की जाती है। पुस्तक की यह समीक्षा एकदम सटीक होती है। प्रायः यह समीक्षा प्रायोजित होती है। इन समीक्षाओं में प्रायः एक अनावश्यक लंबी भूमिका रहती है, जिसमें जो कुछ पुस्तक के अंदर होता है, उसकी – चर्चा कम होती है और जो उसमें नहीं होता, उसकी चर्चा अधिक की जाती है।

विशेष:

  1. पुस्तकों के अच्छी-बुरी होने का वर्णन रखी, निगली और पचाई जाने जैसे शब्दों से किया गया है।
  2. समीक्षा के ढंग पर व्यंग्य किया गया है।
  3. भाषा तत्सम शब्दों के साथ-साथ विदेशी शब्दों से युक्त खड़ी बोली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
पुस्तकें चुराई और दबाई क्यों जाती हैं?
उत्तर:
कुछ पुस्तकें महत्त्वपूर्ण होती हैं। बाजार में वे उपलब्ध नहीं होती हैं। ऐसी पुस्तकें दुर्लभ होती हैं। जो केवल पुस्तकालयों में ही होती हैं, पाठक या छात्र अथवा शोधकर्ता ऐसी पुस्तकों को चुरा लेते हैं और अपना काम सरलता से निपटा लेते हैं। कुछ पुस्तकें पुस्तकालय में प्रायः छात्रों द्वारा ही दबाई जाती हैं। वे अपने विषय से संबंधित पुस्तक को इधर-उधर दबाकर रख देते हैं और जरूरत पड़ने पर निकाल लेते हैं।

प्रश्न (ii)
पुस्तकों के निगलने और पचाने से लेखक का क्या आशय है?
उत्तर:
पुस्तकों के निगलने से लेखक का आशय यह है कि पुस्तकें विषय पर शैली की दृष्टि से रोचक, मनोरंजक नहीं होतीं। ऐसी पुस्तकों को पाठक जबरदस्ती पढ़ता है। कुछ पुस्तकें विषय की दृष्टि से, शैली और उद्देश्य की दृष्टि से रोचक, मनोरंजक और जीविनोपयोगी होती हैं। ऐसी पुस्तकों को पाठक पढ़कर चिंतन-मनन करता है और जीवन में उनकी बातों को व्यवहार में लाता है। यही पुस्तकों का पचाना है।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
पुस्तक की भूमिका और प्राक्कथन लिखवाने के लिए क्या किया जाता है?
उत्तर:
पुस्तक की भूमिका और प्राक्कथन लिखवाने के लिए उपयुक्त व्यक्ति को खोजा जाता है और उससे ही भूमिका और प्राक्कथन लिखवाया जाता है।

प्रश्न (ii)
पुस्तक-समीक्षा पर लेखक ने क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर:
पुस्तक-समीक्षा पर लेखक ने व्यंग्य किया है कि पुस्तक प्रायः प्रायोजित है। समीक्षा चर्चा होती है जो पुस्तक में होती ही नहीं है। पुस्तक में होने वाली बातों की चर्चा कम की जाती है।

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प्रश्न 2.
पागल कौन है?-वह जो पुस्तक लिखता है या वह जो पुस्तकालय को जलाता है, जलवाता है। क्या होता है किसी पुस्तक का जलना? क्या होता है किसी पुस्तकालय का जलना! जितना सोचता हूँ, उतनी खिन्नता बढ़ती है। हर पुस्तक अपने में लंबी साधना और परिश्रम का प्रतिफल होती है। कितनी आँखों का कितना जागरण व्यर्थ चला गया। कितने लोगों के कितने शोध व्यर्थ हो गए। कितनों का सोचा-समझा था जो अब लौटकर नहीं आएगा। यह तो विश्वधरोहर को नष्ट करना हुआ। शताब्दियों की सारस्वत साधना के साथ छल किया पुस्तकालय जलाने बालों ने। वहत और दहशत की जुगलबंदी के अलावा और क्या था वह! (Page 90) (M.P. 2010)

शब्दार्थ:

  • खिन्नता – दुख।
  • प्रतिफल – परिणाम।
  • वहशत – असभ्यता, जंगलीपन।
  • दहशत – आतंक।
  • सारस्वत – सरस्वती संबंधी।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश देवेंद्र ‘दीपक’ द्वारा रचित निबंध ‘पुस्तक’ से लिया गया है। लेखक पुस्तकालय जलाने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है।

व्याख्या:
लेखक पाठकों से प्रश्न करता है कि पागल कौन है? जो पुस्तक की रचना करता है या वह जो पुस्तकालय को जलाता है, अपने लोगों से जलवाता है। इन दोनों में से पागल व्यक्ति कौन है? इसका उत्तर देने से पूर्व लेखक फिर प्रश्न करता है कि इस संबंध में जितना सोचता हूँ, उतनी ही दुख में वृद्धि होती है। लेखक के मतानुसार प्रत्येक पुस्तक लेखक की लंबी साधना और परिश्रम का परिणाम होती है अर्थात लेखक किसी पुस्तक की रचना लंबी साधना और परिश्रम से करता है। पुस्तक के जलने के कारण लेखक का रातों को जागकर पुस्तक लिखना व्यर्थ हो जाता है।

उसकी कृति नष्ट हो जाती है। कितने ही लोगों के अनुसंधान से संबंधित ग्रंथ पुस्तकालय जलने से नष्ट हो जाते हैं। शोधकर्ताओं द्वारा परिश्रम से खोजे गए नए सिद्धांत और नए फार्मूले बेकार हो जाते हैं। अनेक विद्वानों, चिंतकों, दर्शनशास्त्रियों और चिकित्सकों का चिंतन-मनन जलकर राख हो जाता है जो कभी पुनः प्राप्त नहीं हो सकता। पुस्तकों और पुस्तकालयों को जलाना विश्वधरोहर को नष्ट करना है।

इस तरह विश्वधरोहर को नष्ट करना घोर अपराध जैसा कार्य किया है, पुस्तकालय को जलाने वालों ने। शताब्दियों की विद्या की देवी सरस्वती की साधना के साथ धोखा किया है। यह उनकी असभ्यता और आतंक फैलाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। उन्होंने पुस्तकालय जलाकर विश्व को ज्ञान के स्रोत से वंचित किया। यह उनके असभ्य होने का ही परिचायक है।

विशेष:

  1. लेखक ने पुस्तकालय जलाने को घोर अपराध माना है।
  2. पुस्तकालय जलाने वालों को असभ्य कहा है।
  3. विचारात्मक और प्रश्नात्मक शैली है।
  4. भाषा तत्सम व उर्दू शब्दावली युक्त खड़ी बोली है।

गयांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
लेखक ने पुस्तक लेखक और पुस्तकालय जलाने वाले में से किसे पागल माना है?
उत्तर:
लेखक ने पुस्तक लेखक और पुस्तकालय जलाने वाले में से पुस्तकालय जलाने वाले को पागल माना है ऐसा इसलिए कि पुस्तकालय जलाने से पुस्तक लेखकों की लंबी साधना, शोधकर्ताओं का परिश्रम और विद्वानों का चिंतन-मनन नष्ट हो गया।

प्रश्न (ii)
पुस्तकालय को जलाना लेखक की दृष्टि में कैसा कार्य है?
उत्तर:
पुस्तकालय को जलाना लेखक की दृष्टि में घोर आपराधिक कार्य है।

गयांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
पुस्तकालय जलाने वालों ने किसके साथ छल किया?
उत्तर:
लेखक के अनुसार पुस्तकालय जलाने वालों ने शताब्दियों की विद्या की देवी सरस्वती के साधकों की साधना के साथ छल किया।

प्रश्न (ii)
लेखक पुस्तकालय जलाने वालों को क्या मानता है?
उत्तर:
लेखक पुस्तकालय जलाने वालों को असभ्य और आतंक फैलाने वाले मानता है; क्योंकि पुस्तकालय जलाना असभ्यता और आतंक फैलाने की मनोवृत्ति का ही सूचक है।

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