MP Board Class 11th Special Hindi विचार एवं भाव-विस्तार

थोड़े में कही हुई बात को विस्तार से व्याख्या करके समझाना ही भाव-विस्तार है। संक्षेप में जो बात कही जाती है, उसमें अलंकृत भाषा शैली का उपयोग होता है। जीवन का गम्भीर अनुभव उसमें छिपा रहता है। उस अनुभव को समझकर ही उसे समझाया जा सकता है। अतः भाव-विस्तार करते समय हमें इन बातों पर ध्यान देना चाहिए

  1. पहले पढ़कर समझ लेना चाहिए कि वाक्य में जीवन के किस महत्त्वपूर्ण तथ्य का उल्लेख है।
  2. फिर यह ज्ञात करें कि वह तथ्य कब और किस दशा में गठित होगा।
  3. फिर विचार कीजिए कि क्या उस वाक्य में, रूपक, लोकोक्ति, उपमा अथवा मुहावरे का प्रयोग हुआ है।
  4. अब सोची हुई बात को क्रम से व्यवस्थित करके समझाते हुए लिखिए।
  5. भाव विस्तार 5-6 पंक्तियों के आस-पास होना चाहिए।
  6. उसमें कोई कठिन या महत्त्वपूर्ण शब्द हो तो उस पर विशेष ध्यान देकर उसकी व्याख्या करनी चाहिए।

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कुछ चुने हुए भाव-विस्तार
(1) समन्वय युक्त जीवन ही राष्ट्र का सुखदायी रूप है। [2009]
एक राष्ट्र के अन्तर्गत विभिन्न भाषाएँ, संस्कृतियाँ एवं धर्म होते हैं। जब तक इन सबके मध्य प्रेम, सहयोग, सद्भावना एवं सामंजस्य नहीं होगा तब तक राष्ट्र का सुखदायी स्वरूप निर्मित नहीं हो सकता, राष्ट्र में सुख चैन तथा बन्धुत्व की भावना का विकास होना नितान्त असम्भव है। जिस राष्ट्र में द्वेष, कलह एवं अशान्ति होगी, वहाँ दुःख का ही वातावरण दृष्टिगोचर होगा। जिस प्रकार अनेक नदियाँ सागर में एकाकार हो जाती हैं तदनुसार भिन्न-भिन्न संस्कृतियाँ राष्ट्रीय संस्कृति में विलीन हो जाती हैं।

(2) जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं। [2010]
इस संसार में जन्म देने की जननी (माँ) होती है और संसार में आने के पश्चात् पालन-पोषण करने वाली जन्मभूमि होती है। इस प्रकार जननी और जन्मभूमि सबसे श्रेष्ठ होती है। इन दोनों के बिना मनुष्य का जन्म तथा जीवन सम्भव नहीं है। ईश्वर के बाद जननी ही पूज्य तथा श्रद्धेय होती है। हम जन्मभूमि पर निवास करते हैं, उसी के अन्न, फल, दूध आदि से हमारा शरीर पुष्ट होता है। इसीलिए जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं।

(3) बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है। [2017]
बैर क्रोध का स्थिर रूप है जिस प्रकार आँवले या आम का मुरब्बा आम या आँवले की तुलना में अधिक टिकाऊ होता है। तद्नुसार बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है। जब किसी के प्रति मन में क्रोध हो लेकिन उसका प्रदर्शन न किया जाये तो वह मनुष्य के मन में टिक जाता है। वह मौके की तलाश में रहता है। जैसे ही स्वयं के लक्ष्य को देखता है अपना प्रतिकार चुका लेता है। यही प्रतिकार (बदला) बैर की कोटि में आता है।

(4) अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है।
आदमी की जिन्दगी में अज्ञानता सबसे बड़ा अभिशाप है। ज्ञान की पगडंडी पर ही कदम बढ़ाकर ही सत् एवं असत्, शुभ एवं अशुभ की परख करने की क्षमता उत्पन्न हुई है। अज्ञानता विकास के मार्ग को अवरुद्ध करती है अतः यह कथन सत्य है कि अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है।

(5) क्रोध अन्धा होता है।
अन्धा का आशय है कि बिना सोचे-विचारे काम में जुट जाना। उदाहरणस्वरूप जैसे अन्धा मानव पथ पर अग्रसर होने पर ठोकर खाता है। तद्नुसार बिना विचारे काम करने वाला इन्सान यत्र- तत्र भटकता फिरता है। क्रोध का संचार बहुत ही तेज गति से होता है। क्रोधी व्यक्ति में सोचने-विचारने की शक्ति नहीं रहती है। इसलिए क्रोध को अन्धा कहा गया है।

(6) जीवन के विटप का पुष्य संस्कृति है।
संस्कृति मानव जीवन का सर्वोत्तम रूप है अथवा जीवन का पुष्प है जिस भाँति बीज अंकुर से विशाल वृक्ष बनता है। तद्नुसार मनुष्य अपने समाज में निवास करके स्वयं के सुख के साथ-साथ समाज की सुविधा के लिए सोचता-विचारता है, कुछ नियमों का समाज में रहकर पालन करना अनिवार्य है। ये सामाजिक नियम परिपालन संस्कृति कहलाते हैं। इस भाँति जिस प्रकार वृक्ष का परिणाम पुष्प है उसी भाँति संस्कृति मानव-जीवन का सर्वोत्तम परिणाम है। इस हेतु सदृश्य के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जीवन रूपी वृक्ष का पुष्प संस्कृति है। सांस्कृतिक सुषमा और सुगन्ध ही राष्ट्रीय सौन्दर्य का आधार है।

(7) चरित्र सबसे बड़ा धन है।। [2012]
उत्तर-
जीवन में चरित्र का बहुत महत्त्व है। इसीलिए चरित्र की सुरक्षा सर्वोपरि मानी गयी है। चरित्र के आधार पर ही मनुष्य का मूल्यांकन होता है। जिनका चरित्र श्रेष्ठ होता है ध व्यक्ति महान होते हैं। लक्ष्मी तो आती-जाती रहती है किन्तु चरित्र एक बार गिर जाने पर फिर नहीं उठता है। इसीलिए माना गया है कि ‘धन जाने पर कुछ नष्ट नहीं होता, स्वास्थ्य जाने पर कुछ नष्ट होता है किन्तु चरित्र जाने पर सब कुछ नष्ट हो जाता है। यही कारण है कि चरित्र सबसे बड़ा धन है जिसकी रक्षा हर हाल में करनी चाहिए।

(8) दूर के ढोल सुहावने होते हैं। [2016]
उत्तर-
दूर के ढोल सुहावने होते हैं क्योंकि उनकी तीव्र ध्वनि की कर्कशता दूर तक नहीं पहुँच पाती है। इसके विपरीत ढोल के पास बैठने वाले लोगों के कानों के पर्दे फटते रहते हैं। दूर किसी मनोरम स्थान पर शाम के समय बजने वाले ढोलों की आवाज अपनी मधुरता के साथ पहुँचती है तो सुनने वाले के मन में विवाहोत्सव का मनोरम चित्र उभर आता है। शोर-शराबे के बीच घर के एक कोने में बैठी लाजवंती नव-वधू की कल्पना से उसका हृदय आनंदित होने लगता है। प्रेम, उल्लास आदि के भाव उसके मन में उठने लगते हैं। इस प्रकार पास के लोगों को कटु लगने वाली ढोल की आवाज दूर पहुँचकर मधुर बन जाती है।

प्रश्नोत्तर

  • लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अल्पविराम किसे कहते हैं? इसका प्रयोग कहाँ होता है? उदाहरण देकर समझाइए। [2016]
उत्तर-
अल्पविराम एक विराम चिह्न है जिसका प्रयोग बहुत थोड़ी देर रुकने के संकेत के लिए होता है। जैसे-शिवाजी, महाराणा प्रताप हमारे आदर्श पुरुष हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश में उचित विराम चिह्न लगाइए- [2013]
बसें बदलता हुआ रात भर का सफर तय करके अगले दिन सुबह ही मैं रामेश्वरम् पहुँच गया मेरे पिताजी बहुत देर तक मेरा हाथ थामे रहे उनकी आँखों में आँसू नहीं थे क्या तुम नहीं देखते अबुल ईश्वर किस प्रकार अँधेरा कर देता है
उत्तर-
बसें बदलता हुआ रात भर का सफर तय करके अगले दिन सुबह ही मैं रामेश्वरम् पहुँच गया, मेरे पिताजी बहुत देर तक मेरा हाथ थामे रहे, उनकी आँखों में आँसू नहीं थे। क्या तुम नहीं देखते अबुल? ईश्वर किस प्रकार अँधेरा कर देता है?

प्रश्न 3.
निम्नांकित गद्यांश में विराम चिह्नों का यथास्थान प्रयोग कीजिए [2009]
बड़प्पन कहीं रहने या नहीं रहने से नहीं आता है, आता है दूसरे को बड़प्पन देने से दूसरे के दुःख को अपना दुःख मानने से अपभ्रंश का एक पुराना दोहा है जिसका भावार्थ है यदि तुम पूछते हो बड़ा घर कौन है तो देखो वह छोटी सी टूटी-फूटी झोंपड़ी उसमें सबके प्यारे बन्धु रहते हैं जो कोई भी कष्ट में हो उसके कष्ट का निवारण करने के लिए तत्पर रहते हैं।
उत्तर-
बड़प्पन कहीं रहने या नहीं रहने से नहीं आता है, आता है दूसरे को बड़प्पन देने से। दूसरे के दुःख को अपना दुःख मानने से। अपभ्रंश का एक पुराना दोहा है जिसका अर्थ है यदि तुम पूछते हो बड़ा घर कौन है तो देखो वह छोटी सी टूटी-फूटी झोंपड़ी। उसमें सबके प्यारे बन्धु रहते हैं। जो कोई भी कष्ट में हो, उसके कष्ट का निवारण करने के लिए तत्पर रहते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अनुच्छेद में विराम चिह्नों का यथास्थान प्रयोग कीजिए [2008]
कभी कभार वह भी घर आ जाती पर पहले का सा तूफान नहीं करती हँसती खिलखिलाती पर उसमें पहले की सी जीवंतता नहीं थी जब वह चली जाती तो यह कहते कहा था साथ चली जाओ तब नहीं मानी पैसे का मुँह देखती रही अब मन ही मन घुल रही है।
उत्तर-
कभी कभार वह भी घर आ जाती, पर पहले का सा तूफान नहीं करती। हँसती खिलखिलाती, पर उसमें पहले की-सी जीवंतता नहीं थी। जब वह चली जाती तो यह कहते, “कहा था साथ चली जाओ। तब नहीं मानी, पैसे का मुँह देखती रही। अब मन ही मन घुल रही है।”

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए
(1) देवेन्द्र श्याम अनुपम इन्दौर ग्वालियर जबलपुर होकर आज ही लौटे हैं। [2008]
(2) मेरा मित्र अभी आएगा पर रुकेगा नहीं [2008]
(3) हे ईश्वर उसकी रक्षा करो [2008]
(4) हाय यह तो बहुत बुरा हुआ [2008]
(5) आपका पत्र क्यों नहीं मिला [2012]
(6) अनेक बार मैंने उसे समझाया हठ न करो [2012]
उत्तर-
(1) देवेन्द्र, श्याम, अनुपम इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर होकर आज ही लौटे हैं।
(2) मेरा मित्र अभी आएगा, पर रुकेगा नहीं।
(3) हे ईश्वर ! उसकी रक्षा करो।
(4) हाय ! यह तो बहुत बुरा हुआ।
(5) आपका पत्र क्यों नहीं मिला?
(6) अनेक बार मैंने उसे समझाया, हठ न करो।

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प्रश्न 6.
कोई तीन विराम चिह्नों का वर्णन करते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए। [2017]
उत्तर-
पूर्ण विराम वाक्य के पूर्ण होने पर लगाते हैं, अल्प विराम थोड़ी-सी देर रुकने को लगाते हैं और प्रश्नवाचक चिह्न प्रश्नवाचक वाक्यों के अन्त में लगाया जाता है।
उदाहरण वाक्य-अच्छा जी आप दु:खी हुए न? क्या करूँ, बिना चोरी किए इस बेरोजगारी में काम नहीं चलता।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए
(1) श्रीकृष्ण के अनेकों नाम हैं। [2009, 13]
(2) आपका पत्र सधन्यवाद मिला।
(3) क्या आप देवनागरी भाषा जानते हैं। [2009]
(4) भाषा की माधुर्यता बस देखते ही बनती है। [2013]
(5) कृपया शीघ्र पत्र देने की कृपा करें। [2016]
(6) मेले में भारी भीड़ थी। [2016]
उत्तर-
(1) श्रीकृष्ण के अनेक नाम हैं।
(2) आपका पत्र मिला, धन्यवाद।
(3) क्या आप देवनागरी लिपि जानते हैं?
(4) भाषा की मधुरता, बस देखते ही बनती है।
(5) शीघ्र पत्र देने की कृपा करें।
(6) मेले में बहुत भीड़ थी।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए-
(1) उसे अनुत्तीर्ण होने की आशा है। [2009, 14]
(2) तुम्हारा सब काम गलत होता है। [2012, 14]
(3) मेरे को खाना खाना है। [2012]
(4) हत्यारे को मृत्युदण्ड की सजा मिली है।
(5) मुझे तुम्हारी पदोन्नति की आशंका है। [2012]
उत्तर-
(1) उसे अनुत्तीर्ण होने की आशंका है।
(2) तुम्हारे सब काम गलत होते हैं।
(3) मुझे खाना खाना है।
(4) हत्यारे को मृत्युदण्ड मिला है।
(5) मुझे तुम्हारी पदोन्नति की आशा है।

प्रश्न 9.
निम्नांकित वाक्यों की अशुद्धियाँ दूर कीजिए
(1) किरन एक मोतियों का हार पहिने है।
(2) प्रधानाचार्य को प्रार्थना करनी चाहिए।
(3) मैंने कल पुस्तकें खरीदा।
(4) रामा एक विद्वान छात्रा है।
उत्तर-
(1) किरन मोतियों का एक हार पहने है।
(2) प्रधानाचार्य से प्रार्थना करनी चाहिए।
(3) मैंने कल पुस्तकें खरीदी।
(4) रामा एक विदुषी छात्रा है।

प्रश्न 10.
मुहावरे और लोकोक्ति में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए। [2014]
उत्तर-
ऐसा वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विशेष अर्थ का आभास दे, उसे मुहावरा कहते हैं। लोकोक्तियाँ किसी विशेष घटना या कहानी से निकलकर प्रचलित होती हैं। इनमें लोक अनुभव छिपा होता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताते हुए वाक्य प्रयोग कीजिए
अन्धे की लकड़ी, ईद का चाँद होना, छप्पर फाड़ कर देना, पेट में चूहे कूदना।
उत्तर-
अन्धे की लकड़ी (एक ही सहारा)-श्रवण कुमार अपने माता-पिता की अंधे की लकड़ी थे।
ईद का चाँद होना (बहुत दिनों में दिखना) श्याम, तुम्हें देखने को आँखें तरस गईं, तुम तो ईद का चाँद हो गए।
छप्पर फाड़कर देना (बिना परिश्रम के अनायास प्राप्ति)-भगवान देता है तो छप्पर फाड़कर देता है।
पेट में चूहे कूदना (जोर से भूख लगना)-पेट में चूहे कूद रहे हैं, पहले कुछ खा लें तब काम निपटायेंगे।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित का अर्थ बताते हुए वाक्य प्रयोग कीजिए
नौ-दो ग्यारह होना, पौ बारह होना, ऊँची दुकान फीका पकवान, आँख के अन्धे गाँठ के पूरे।
उत्तर-
नौ-दो ग्यारह होना (चम्पत हो जाना)-जगार पड़ते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।
पौ बारह होना (खूब लाभ)-आजकल जमीन के व्यापार में पौ बारह है।
ऊँची दुकान फीका पकवान (दिखावा मात्र) यह शुद्ध घी का विज्ञापन करने वाले के यहाँ रेपसीड का सामान पकड़ा गया है तो सभी कहने लगे इसकी तो ऊँची दुकान और फीका पकवान है।
आँख के अन्धे, गाँठ के पूरे (मूर्ख धनवान) वकीलों के क्या कहने उनके यहाँ तो आँख के अन्धे और गाँठ के पूरे आते ही रहते हैं।

प्रश्न 13.
“सब उन्नतियों का मूल धर्म है” का भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कथन भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का है। उन्होंने देशोपकारिणी सभा में भाषण करते हुए भारतवासियों को राष्ट्र के प्रति सजग किया था। भारतेन्दु जी मानते थे कि सभी प्रकार की उन्नतियों का आधार धर्म होता है। धर्म में समाज गठन की अनेक नीतियाँ हैं। धार्मिक अनुष्ठान, त्यौहार आदि समाज को उन्नत बनाने के लिए हैं। हमारे यहाँ धर्म और समाज सुधार दूध तथा पानी के समान मिले हुए हैं। धर्म समाज सुधार के लिए होता है। धर्म समाज में अनुशासन, व्यवस्था तथा पवित्र भावनाओं का विकास करता है। अत: राष्ट्र, समाज तथा व्यक्ति का हित धर्म के अनुसार कार्य करने में है। मंगलकारी भावना से किए गए कार्य विकास की ओर ले जाने वाले होते हैं। ऐसे कार्यों से हमारा ध्यान समाज कल्याण तथा विश्व बन्धुत्व पर केन्द्रित होगा। इससे मानव मात्र का मंगल विधान होगा। इसीलिए धर्म को सभी प्रकार की उन्नतियों का मूल आधार माना गया है।

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प्रश्न 14.
“उत्साह की गिनती अच्छे गुणों में होती है।”का भाव विस्तार कीजिए। [2009]
उत्तर-
गुण अच्छे तथा बुरे दो प्रकार के माने गये हैं। भाव का अच्छा या बुरा होना उसकी प्रवृत्ति के अच्छे या बुरे फल के आधार पर निश्चित होता है। इस प्रकार देखें तो उत्साह अच्छे गुणों की कोटि में आता है। उत्साह की प्रशंसा तभी होती है, जब वह करने के योग्य कर्मों में दिखाया जाता है। न करने योग्य कामों के प्रति होने वाला उत्साह उतना प्रशंसनीय नहीं होता है।

प्रश्न 15.
“साँझ की आँखों में करुणा क्यों उभर आती है” का भाव विस्तार कीजिए। [2009]
उत्तर-
घर लौटते निरीह वनवासियों की पगड़ी पर तथा वनवासी स्त्रियों की चूनर पर दो चार फूल-पत्ते गिर जाते हैं। यह देखकर साँझ की आँखों में करुणा उभर आती है। यह करुणा ओस की बूंद रूपी आँसुओं में प्रकट होती है।

प्रश्न 16.
“प्रेम की भाषा शब्द रहित है” का भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत उक्ति सरदार पूर्णसिंह के आचरण की सभ्यता’ निबन्ध की है। भावात्मक निबन्धों के श्रेष्ठ रचनाकार ने यहाँ पर प्रेम की सहज अभिव्यक्ति के विषय में बताया है। प्रेम सहज सम्प्रेषित होने वाला भाव है। बिना शब्दों के हाव-भावों द्वारा ही प्रेम की अभिव्यक्ति हो जाती है। नेत्र, कपोल, मस्तक आदि की चेष्टाएँ प्रेम को व्यक्त करने में समर्थ हैं। प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए वाक्यों से निर्मित भाषा के प्रयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती है। शब्द तो मात्र साधारण विषयों को ही सम्प्रेषित कर पाते हैं। प्रेम एक विशिष्ट स्तर का भाव है इसलिए इसकी अभिव्यक्ति भाषा नहीं कर सकती है। इसकी भाषा शब्दों से परे होती है।

प्रश्न 17.
“साहसपूर्ण आनन्द की उमंग का नाम उत्साह है” का भाव विस्तार कीजिए। [2011, 14]
उत्तर-
गम्भीर विचारक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के ‘उत्साह’ निबन्ध में यह कथन आया है। उत्साह का स्थान आनन्द वर्ग में माना गया है क्योंकि ‘उत्साही’ कर्म सौन्दर्य के उपासक होते हैं। वे कठिन स्थिति के बीच भी साहसपूर्ण उल्लास के साथ कर्म में प्रवृत्त होते हैं। कठिन स्थिति आने से भयभीत होकर प्रायः उससे बचने का प्रयास करते हैं। लेकिन कठिनतम स्थिति में भी साहस के साथ आनन्द का अनुभव करते हुए उल्लासपूर्वक कार्य में लगने का प्रयत्न करते हैं वे प्रशंसा के योग्य होते हैं। वे सच्चे उत्साही कहे जाते हैं। उत्साह में साहसमय आनन्द के भाव का होना आवश्यक है।

प्रश्न 18.
“कला जीवन भी है और जीवनयापन का साधन भी।” का भाव विस्तार कीजिए। [2008, 13]
उत्तर-
कला ही जीवन है। जीवन जीने की शैली को कला कहते हैं। हम पल-पल जो कुछ भी सीखते हैं। उन सभी में किसी-न-किसी रूप में कला के दर्शन होते हैं। कला में संघर्ष करने की शक्ति, कर्त्तव्यनिष्ठा, दयालुता आदि मानवीय गुण पाये जाते हैं। कला रोजी-रोटी का साधन है। कला से सम्बन्धित विभिन्न कार्यों के द्वारा जीवनयापन करना सीखते हैं। कला सम्पूर्ण जीवन का प्रतिबिम्ब है।

प्रश्न 19.
“मुल्क बदल जाए वतन तो वतन होता है” का भाव पल्लवन कीजिए। [2015]
उत्तर-
विदेश में निवास करने वाला व्यक्ति कहता है कि रहें कहीं पर, किन्तु अपना वतन तो अपना ही होता है। भाव यह है कि जिस धरती पर जन्म लिया है, जिसके अन्न-जल से यह शरीर पुष्ट हुआ, उसे भला कैसे भुलाया जा सकता है? विविध प्रकार के कार्यों से, आवश्यकताओं से, विवशता से अनेक देशों में जाया जा सकता है, किन्तु वहाँ जाने पर भी अपना निजी देश तो हृदय में समाया रहता है। रहने से देश तो बदल सकते हैं, किन्तु जन्म का देश नहीं बदला जा सकता है। उसके प्रति तो अटूट भाव रहेगा ही।

प्रश्न 20.
“आज तो मर्यादाओं को फिर से पहचानना है।” पंक्ति का भाव पल्लवन कीजिए। [2008, 15
उत्तर-
‘आज तो मर्यादाओं को फिर से पहचानना है।’ का भाव है कि वर्तमान अर्थप्रधान युग में मर्यादाएँ समाप्त हो रही हैं। स्वार्थग्रस्त होकर मनुष्य सामाजिक मान्यताओं को त्याग रहा है। जिन मर्यादाओं ने परिवार को संगठित और खुशहाल रखा, आज वे चरमरा रही हैं। मर्यादा एकांकी में जगदीश के भाई स्वार्थ हित के कारण अलग हो जाते हैं, बँधा-बँधाया परिवार बिखर जाता है तभी जगदीश अनुभव करते हैं कि हमें आज की परिस्थितियों में पारिवारिक मर्यादाओं को पहचानना होगा। तभी संयुक्त परिवार चल पायेंगे।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए- [2015] पृथ्वी, आँख, पुष्प, कमल।
उत्तर-
पृथ्वी-भू, भूमि; आँख-नेत्र, नयन; पुष्प-फूल, सुमन; कमल-जलज, पंकज।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी मानक रूप लिखिए [2015]
सांझ, न्हात, जरी, बिगरी।
उत्तर-
संध्या, स्नान, जड़ी, बिगड़ी।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-(कोई दो) [2015]
भय, शत्रु, उपस्थित, अल्पज्ञ।
उत्तर-
निर्भय, मित्र, अनुपस्थित, सर्वज्ञ।

  • अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश में उचित विराम चिह्न लगाइए
(अ) अच्छा महोदय आपको कष्ट हुआ न क्या करूँ बिना भीख माँगे इस सर्दी में पेट गालियाँ देने लगता है [2010]
उत्तर-
अच्छा महोदय, आपको कष्ट हुआ न, क्या करूँ? बिना भीख माँगे इस सर्दी में पेट गालियाँ देने लगता है।

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(ब) मनुष्य मनुष्य का विश्वास नहीं कर सका इसीलिए तो एक सुखी दूसरे दु:खी की ओर घृणा से देखता था दु:ख ने ईश्वर का अवलम्बन लिया तो भी भगवान ने संसार के दुःखों की सृष्टि बन्द कर दी क्या। . उत्तर-मनुष्य मनुष्य का विश्वास नहीं कर सका। इसीलिए तो एक सुखी दूसरे दुःखी की ओर घृणा से देखता था। दुःख ने ईश्वर का अवलम्बन लिया तो भी भगवान ने संसार के दुःखों की सृष्टि बन्द कर दी क्या?

प्रश्न 2.
हिन्दी में विराम चिह्नों का क्या महत्व है? हिन्दी में प्रयोग किए जाने वाले दो विराम चिह्नों के नाम लिखिए। [2014]
उत्तर-
भाषा एक व्यक्ति के विचारों को दूसरे तक पहुँचाने का माध्यम है। सही विचार सम्प्रेषित करने के लिए बोलने में रुकना पड़ता है। इस रुकने को इंगित करने के लिए विराम चिह्नों का प्रयोग होता है। यदि विराम चिह्नों का सही प्रयोग नहीं है तो बात का भाव बदल जाता है। अत: भाव सम्प्रेषण के लिए हिन्दी में विराम चिह्नों का बहुत महत्व है। पूर्ण विराम (1) तथा अर्द्ध विराम (,) हिन्दी के दो प्रमुख विराम चिह्न हैं।

प्रश्न 3.
विराम चिह्नों के प्रयोग से भाषा की शुद्धता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
विराम चिह्नों के प्रयोग से भाषा शुद्ध हो जाती है।

प्रश्न 4.
हर्ष,शोक, विस्मय आदि को प्रकट करने वाले वाक्यों में कौन-सा विराम चिह्न प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
हर्ष, शोक, विस्मय आदि को प्रकट करने वाले वाक्यों में (!) विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ बताइए कलम तोड़ना, खेत रहना।
उत्तर-
कलम तोड़ना-अच्छा लिखना। खेत रहना-वीरगति प्राप्त करना।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य प्रयोग कीजिए
(i) खाक छानना,
(ii) पट्टी पढ़ाना।
उत्तर-
(i) नौकरी के लिए वह खाक छानता फिर रहा है।
(ii) आपने राकेश को क्या पट्टी पढ़ा दी है, वह घर जाने का नाम ही नहीं लेता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित लोकोक्तियों के अर्थ लिखिए-
(i) आँख का अंधा नाम नयनसुख,
(ii) नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
उत्तर-
(i) आँख का अन्धा नाम नयनसुख….गुण के विपरीत नाम।
(ii) नाच न जाने आँगन टेढ़ा-काम न जानना और बहाना बनाना।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए
(i) अपना उल्लू सीधा करना,
(ii) उन्नीस-बीस होना।
उत्तर-
(i) अपना उल्लू सीधा करना-अपना काम निकालना।
(ii) उन्नीस-बीस होना-मामूली अन्तर।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य प्रयोग कीजिए
(i) गाल बजाना,
(ii) जान पर खेलना।
उत्तर-
(i) गाल बजाने से कुछ नहीं होता, काम तो करने से ही होता है।
(ii) भारतीय सैनिक देश की रक्षा के लिए जान पर खेल जाते हैं।

प्रश्न 10.
‘नाक नचाना’ का अर्थ बताते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए
उत्तर-
नाक नचाना (तंग करना)-चिन्मय अपनी माँ को सारे दिन नाक नचाता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित लोकोक्ति का अर्थ वाक्य प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए-
आगे नाथ न पीछे पगहा।। उत्तर…तुम्हारे तो आगे नाथ न पीछे पगहा, इसीलिए घूमते रहते हो।

प्रश्न 12.
“कान देना’ मुहावरे का अर्थ वाक्य प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
शिक्षकों की बातों पर कान देना आवश्यक है।

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प्रश्न 13.
‘सिर पीटना’ का वाक्य में प्रयोग करके अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अब सिर पीटने से क्या होता है, सारा माल तो चला गया।

प्रश्न 14.
‘चाँदी का जूता मारना’ लोकोक्ति का सही अर्थ बताइए।
उत्तर-
चाँदी का जूता मारना-पैसे के बल पर काम कराना।

प्रश्न 15.
‘आग में घी डालना’ मुहावरे का अर्थ वाक्य प्रयोगद्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
श्याम ने आग में घी डालकर झगड़ा बढ़ा दिया नहीं तो दोनों शान्त हो रहे थे।

प्रश्न 16.
भाव विस्तार से क्या आशय है?
उत्तर-
सूत्र रूप में कही गई बात को विस्तार से समझाना, भाव विस्तार कहलाता है।

प्रश्न 17.
भाव विस्तार की क्या उपयोगिता है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-
भाव विस्तार से गूढ कथन का अर्थ उजागर होता है। उस कथन के सभी पक्ष समझ में आ जाते हैं।

सम्पूर्ण अध्याय पर आधारित महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न |

  • बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. ‘क्या तुम घर जाओगे’ वाक्य के अन्त में कौन-सा विराम चिह्न लगेगा?
(i) ,
(ii) ।
(ii) ?
(iv) !

2. पूर्णविराम चिह्न होता है
(i) () (ii)। (iii) ; (iv) !

3. निम्नलिखित में उद्धरण विराम चिह्न कौन-सा है?
(i) “” (ii)? (iii) () (iv) ………..

4. “इस नगर में अनेकों आदमी रहते हैं।” का शुद्ध रूप है-
(i) इस नगर में रहते हैं अनेकों आदमी,
(ii) अनेकों आदमी रहते हैं, इस नगर में,
(iii) इस नगर में अनेक आदमी रहते हैं,
(iv) इस नगर में अनेकों सज्जन रहते हैं।

5. “भारत में अनेकों पर्व मनाये जाते हैं।”का शुद्ध वाक्य है- [2011]
(i) भारत भर में अनेकों पर्व मनाये जाते हैं,
(ii) भारत में अनेकों त्यौहार मनाये जाते हैं,
(iii) भारत में अनेक पर्व मनाये जाते हैं,
(iv) भारत में नाना पर्व मनाये जाते हैं।

6. “सोहन अगले वर्ष भोपाल गया था।” में अशुद्धि है [2014]
(i) काल सम्बन्धी, (ii) वर्तनी सम्बन्धी, (iii) वचन सम्बन्धी, (iv) कर्ता सम्बन्धी।

7. ‘टेढ़ी खीर’ मुहावरे का अर्थ है [2016]
(i) खीर खाना, (ii) मीठी खीर, (iii) सरल कार्य, (iv) कठिन कार्य।

8. ‘सब धान बाईस पसेरी’ का अर्थ है
(i) बहुत सस्ता होना, (ii) बहुत महँगा होना, (iii) अधिक से सुविधा, (iv) अच्छे-बुरे को समान समझना।

9. ‘मँह में राम बगल में छुरी’ का अर्थ है
(i) कठोर स्वभाव, (ii) कपटपूर्ण व्यवहार, (iii) कोमल स्वभाव, (iv) राम-राम जपने वाला।

10. ‘ईद का चाँद’ का अर्थ है… [2009]
(i) ईद पर मिलना, (ii) बहुत दिन बाद मिलना, (iii) ईद पर खुश होना, (iv) ईद पर चाँद दिखना।

11. ‘कवित्री’ शब्द की सही वर्तनी होगी [2017]
(i) कवीत्री, (ii) कवीयत्री, (iii) कवयित्री, (iv) कवयीत्री।
उत्तर-
1. (iii), 2. (ii), 3. (i), 4. (iii), 5. (iii), 6. (i), 7. (iv), 8. (iv), 9. (ii), 10. (ii), 11.(iii)।

  • रिक्त स्थान पूर्ति

1. क्या भोपाल सुन्दर शहर है ……….।
2. वाक्य के अन्त में ………….’ लगाया जाता है। [2017]
3. ‘हानि’ का विलोम शब्द ‘………….. ‘ है। [2015]
4. ‘एक पंथ ………….. ‘ प्रसिद्ध मुहावरा है।
5. ‘ऊँट के मुँह में जीरा’ का अर्थ ………….. है।
6. ‘आम के आम …………..’ प्रचलित लोकोक्ति है।
7. माधुर्यता का शुद्ध रूप ………….’ है।
8. ‘अनेकों’ का शुद्ध ………….. होता है।
9. ‘आस्तीन का साँप’ मुहावरे का अर्थ ………… है। [2009]
10. ‘सब धान बाईस पसेरी’ मुहावरे का अर्थ ……. है। [2014]
11. ‘ईद का चाँद होना’ मुहावरे का अर्थ है ………….. | [2016]
उत्तर-
1. ?, 2. पूर्णविराम, 3. लाभ, 4. दो काज, 5. बहुत कम, 6. गुठलियों के दाम, 7. माधुर्य, 8. अनेक, 9. कपटी मित्र, 10. अच्छे-बुरे को समान समझना, 11. कभी-कभी दिखना।

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  • सत्य असत्य

1. प्रश्नवाचक वाक्य के अन्त में (?) विराम चिह्न लगाया जाता है।
2. ‘नाक रगड़ना’ का अर्थ खुशामद करना है।
3. ‘लोहा लेना’ मुहावरे का अर्थ युद्ध करना है। [2017]
4. ‘टेढ़ी खीर’ मुहावरे का अर्थ खीर खाना है।
5. ‘उज्ज्वल’ शब्द पूर्ण शुद्ध है। [2013]
6. पूर्ण विराम का प्रयोग किसी कथन के पूर्ण होने पर किया जाता है। [2008]
7. लोक + उक्ति से लोकोक्ति शब्द की उत्पत्ति हुई है। [2008, 14]
8. यह चिन्ह्न ! प्रश्नवाचक चिह्न के लिए प्रयोग किया जाता है। [2008]
9. “अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग” यह एक लोकोक्ति है। [2008]
10. लोकोक्ति पूर्ण स्वतन्त्र होती है जबकि मुहावरा पूर्ण स्वतन्त्र नहीं होता। [2008]
11. लोकोक्ति को कहावत भी कहते हैं। [2010, 16]
12. मुहावरे का प्रयोग भाषा में चमत्कार उत्पन्न करता है। [2011]
उत्तर-
1. सत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. सत्य, 8. असत्य, 9. सत्य, 10. सत्य, 11. सत्य, 12. सत्य।

  • जोड़ी मिलाइए

I. 1. रात-दिन [2015] – (क) विस्मयादिबोधक
2. ‘हे राम ! क्या-क्या सहना पड़ेगा?’ वाक्य है – (ख) द्वन्द्व समास
3. ‘दाँत खट्टे करना’ का अर्थ है – (ग) प्रश्नवाचक वाक्य
4. ‘पौन’ का तत्सम है [2015] – (घ) परास्त करना
5. वह कहाँ जा रहा है? [2017] – (ङ) पवन
उत्तर-
1.→ (ख),
2. → (क),
3. → (घ),
4.→ (ङ),
5. → (ग)।

II.
1. तुम तो कुर्सी में बैठे हो वाक्य है – (क) अशुद्ध
2. ‘एक मात्र सहारा’ के लिए मुहावरा है – (ख) बिखर जाना
3. तीन तेरह होना [2014, 17] – (ग) अन्धे की लकड़ी
4. ‘चार चाँद लगाना’ का अर्थ है – (घ) मुँह मोड़ना
5. उपेक्षा के लिए मुहावरा है – (ङ) शोभा बढ़ाना
उत्तर-
1. → (क),
2. → (ग),
3. → (ख),
4. → (ङ),
5. → (घ)।

  • एक शब्द /वाक्य में उत्तर

1. जो समाज की सेवा करता है। [2008]
2. जो हमेशा सत्य बोलता है। [2008]
3. जिसे पराजित न किया जा सके। [2008, 09]
4. जहाँ से चार रास्ते जाते हों। [2008]
5. जो सब कुछ सहन कर लेता है। [2008]
6. जिसका अस्तित्व लोक में न हो। [2008, 09]
7. जिसकी धर्म में आस्था हो। [2008]
8. जिसका विश्वास ईश्वर में न हो। [2008, 09, 16]
9. जो देश पर बलिदान हो गया हो। [2008]
10. जिनकी गिनती न की जा सके। [2008]
11. जो आदर के योग्य हो। [2008]
12. जिसे देखा न जा सके। [2008, 09]
13. जिसकी ईश्वर में आस्था हो। [2008]
14. जिस पर नियन्त्रण न हो। [2008]
15. जिसे विभाजित न किया जा सके। [2008]
16. किये गये उपकार को मानने वाला। [2009]
17. जिसके आने की तिथि ज्ञात न हो। [2010]
18. जो सबसे श्रेष्ठ हो। [2010]
19. जो उच्च कुल में पैदा हुआ हो। [2010]
20. जिसके पास धन नहीं है। [2010]

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21. तपस्या करने वाला। [2010]
22. जिसका कोई शुल्क न देना पड़े। [2011, 15, 16]
23. परिश्रम करने वाला। [2011]
24. जिसका क्षय न हो। [2011]
25. जिसका कोई शत्रु न हो। [2011]
26. जिसे क्षमा न किया जा सके। [2011]
27. जो वेतन लेकर काम करता है। [2013]
28. जो कम बोलता हो। [2013]
29. जो समाज की सेवा करता है, उसे क्या कहते हैं? [2014]
30. जिसके समान कोई दूसरा न हो। [2015]
31. व्यवसाय से सम्बन्धित। [2016]
32. जिसकी कोई उपमा न हो। [2017]
33. आकाश को छूने वाला। [2017]
34. ‘मोहन को गर्म भैंस का दूध पिलाओ’-वाक्य शुद्ध कीजिए। [2016]
35. ‘मुझे केवल मात्र पाँच रुपये चाहिए।’ वाक्य को शुद्ध करके लिखिए। [2017]
उत्तर-
1. समाजसेवक, 2. सत्यवादी, 3. अपराजेय, 4. चौराहा, 5. सहनशील, 6. अलौकिक,7. धार्मिक,8. नास्तिक,9.शहीद, 10. अनगिनत, 11. आदरणीय, 12. अदृश्य, 13. आस्तिक, 14. अनियन्त्रित, 15. अविभाज्य, 16. कृतज्ञ, 17. अतिथि, 18. सर्वश्रेष्ठ, 19. कुलीन, 20.निर्धन, 21.तपस्वी, 22. निःशुल्क, 23. परिश्रमी, 24. अक्षय, 25. अजातशत्रु, 26. अक्षम्य, 27. वैतनिक, 28. अल्पभाषी, 29. समाजसेवी, 30. अद्वितीय, 31. व्यावसायिक, 32. अनुपमेय, 33. गगनचुम्बी, 34. मोहन को भैंस का गर्म दूध पिलाओ, 35. मुझे मात्र पाँच रुपये चाहिए।

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