MP Board Class 11th Samanya Hindi पद्य खण्ड Important Questions

1. बाल लीला

ससंदर्भ व्याख्या कीजिए

-तुलसीदास

1. कब ससि माँगत आरि करै, कबहूँ प्रतिबिम्ब निहारि डरें। (म. प्र. 2010,11, 15)
कबहूँ करताल बजाइकै नाचत, मातु सबै मन मोद भरैं।
कबहूँ रिसि आई कहैं हठिकै, पुनि लेत सोई जेहि लागि रैं।
अवधेस के बालक चारि सदा, तुलसी-मन-मंदिर में बिहरैं।

शब्दार्थ-आरि = अड़ना, निहारि = देखकर, मोद = प्रसन्नता, रिसिआई = गुस्सा होकर, अरै = अड़ जाना, बिहरै = विचरण करना।

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश तुलसीदास के ‘बाललीला’ से उद्धृत किया गया है। प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में राम की बाल-सुलभ चंचलता का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान राम बाल-सुलभ चंचलता के कारण कभी चन्द्रमा माँगने की जिद कर लेते हैं। इसके लिए वे अड़ जाते हैं। कभी अपने शरीर का प्रतिबिम्ब अर्थात् परछाईं देखकर भयभीत हो जाते हैं। कभी प्रसन्न होकर तालियाँ बजाकर नाचने लगते हैं। उनकी उपर्युक्त क्रियाओं को माता देख रही हैं एवं प्रसन्न हो रही हैं। भगवान राम कभी रूठ जाते हैं तो कभी जिद करने लगते हैं। वह वस्तु लेकर ही मानते हैं जिसके लिए जिद ठान लेते हैं। राजा दशरथ के चारों पुत्र कवि तुलसीदास के मन-मंदिर में विचरण करते रहते हैं।

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विशेष-अलंकार-रूपक, अनुप्रास, रस-वात्सल्य, भाषा-अवधी, अत्यंत मोहक एवं स्वाभाविक बाल चित्रण हैं।

  • वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि तुलसीदास ने किसके बाल रूप का वर्णन किया है (म. प्र. 2011, 13)
(क) राम (ख) कृष्ण (ग) सीता (घ) राधा।
उत्तर-
(क) राम।

प्रश्न 2.
निम्न रचनाओं में से कौन तुलसीदास की नहीं है
(क) रामचरित मानस (ख) विनय पत्रिका (ग) दोहावली (घ) पद्मावत।
उत्तर-
(घ) पद्मावत।

प्रश्न 3.
बालक राम किसको देखकर डर जाते हैं (म. प्र. 2009, 13)
(क) हाथी (ख) भूत (ग) राक्षस (घ) परछाई।
उत्तर-
(घ) परछाई।

प्रश्न 4.
भक्तिकाल में किसकी आराधना की गई? उत्तर-ईश्वर।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित कथन में से सत्य/असत्य छाँटिए (म. प्र. 2011)
(1) सूरदास जी ने राम की सम्पूर्ण लीलाओं का वर्णन किया है।
उत्तर-
असत्य।

  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कविता के आधार पर बालक राम की सुंदरता का वर्णन कीजिए। (म. प्र. 2011)
उत्तर-
बालक राम की सुंदरता विविध प्रकार से तुलसीदास ने वर्णित की है। राम के सौन्दर्य से लोग ठगे से रह जाते हैं। उनकी आँखों में काजल आपूरित है। चन्द्रमा के समान मुख मण्डल है। विकसित नील-कमल के समान राम प्रतीत हो रहे हैं। पाँवों में नुपूर, हाथों में पहुँची, गले में मणियों की माला, शरीर पर पीला-वस्त्र, धूल-धूसरित शरीर, दाँतों की चमक, बाल-सुलभ चंचलता से पूर्ण श्री राम अत्यंत शोभित हो रहे हैं। तुलसीदास स्वयं राम के इस सौन्दर्य पर स्वयं को न्यौछावर करने के लिए तत्पर दिखाई देते हैं। राम के सौन्दर्य के सम्मुख कामदेव का सौन्दर्य भी फीका है।

प्रश्न 2.
कवि के अनुसार जीवन का सर्वोत्तम फल क्या है? (म. प्र. 2009)
उत्तर-
कवि तुलसीदास बाल-रूप राम के सौन्दर्य पर आसक्त हो जाते हैं। राम के चरणों में नपर और हाथ में पहनी हुई पहुँची, गले में मणियों की माला, श्यामल शरीर पर पीला वस्त्र अत्यंत शोभित हो रहा है। ऐसे सुन्दर बालक को गोद में लेकर राजा दशरथ दुलार रहे हैं एवं प्रसन्न हो रहे हैं। कमल के समान मुखमण्डल, रसपान किए हुए भँवरे के समान नेत्र अत्यंत शोभायमान हो रहे हैं। तुलसीदासजी कहते हैं कि भगवान राम का यह बाल रूप मेरे मन में रम गया है। राम के बाल रूप के दर्शन से जिस फल की प्राप्ति होगी वैसी प्राप्ति का आनंद धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष में भी नहीं है। सांसारिक मनुष्य इन्हीं चार फलों की प्राप्ति के लिए अपना सारा जीवन खपा देता है।

प्रश्न 3.
पाठ में आई तीन उपमाओं को उनके भाव सहित लिखिए। उत्तर-प्रस्तुत पाठ में निम्नांकित तीन उपमाएँ प्रयुक्त हुई हैं
(i) “नवनील सरोरुह से बिकसे” अर्थात् राम शैशवावस्था में ऐसे प्रतीत हो रहे हैं मानो कि नील कमल अभी-अभी विकसित हुआ हो।
(ii) “अरबिंदु सो आनन” अर्थात् राम का मुख-मण्डल कमल के समान प्रतीत हो रहा है।
(iii) “तन की दुति स्याम सरोरुह” अर्थात् राम के शरीर की कांति या आभा नील-कमल के समान है।

प्रश्न 4.
वात्सल्य सम्राट ……………….. को माना जाता है। (तुलसीदास/सूरदास) (म. प्र. 2015)
उत्तर-
सूरदास।

2. ग्राम श्री

-सुमित्रानंदन पंत

ससंदर्भ व्याख्या कीजिए-

1. फैली खेतों में दूर तलक, (Imp.)
मखमल-सी कोमल हरियाली।
लिपटी जिससे रवि की किरणें,
चाँदी की-सी उजली जाली॥

शब्दार्थ-तलक = तक, रवि = सूर्य। संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘ग्राम श्री’ से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में पंतजी ने ग्राम-सौन्दर्य का चित्रण किया है।

व्याख्या-पंतजी कहते हैं कि ग्राम सौन्दर्य के भण्डार होते हैं। जहाँ तक दृष्टि जाती है सर्वत्र हरियाली ही-हरियाली खेतों में पसरी दिखाई देती है। हरी-भरी घास मखमल-सी सुकोमल हैं। सूर्य की प्रातः कालीन चमकीली किरणें घासों से लिपटकर चाँदी के तारों का घासों से उलझे रहने का भ्रम पैदा करती हैं।

विशेष-मोहक प्रकृति चित्रण है। अलंकार-उपमा अलंकार। कवि का ग्राम्य-प्रेम झलक रहा है।

2. रोमांचित सी लगती वसुधा, (Imp.)
आई जौ-गेहूँ में बाली।
अरहर सनई की सोने की,
किंकणियाँ हैं शोभाशाली॥

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शब्दार्थ-रोमांचित = पुलकित, वसुधा = धरती, बाली = फलियाँ, सनई = सन की फसल, किंकणियाँ = धनी में लगे छोटे-छोटे घुघरु।

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘ग्राम श्री’ से उद्धृत किया गया है। प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में पंतजी ने फसलों से लदी धरती के सौन्दर्य का चित्रण किया है।

व्याख्या-पंतजी कहते हैं कि धरती पुलकित एवं प्रसन्न दिखाई पड़ रही है। धरती की पुलक को जौ एवं गेहूँ के फसलों में निकली बालियाँ स्वर प्रदान कर रही हैं। खेतों में राहर एवं सन की फसलें, धनी में लगे छोटे छोटे घुघरु शोभाशाली एवं सौभाग्यवर्द्धक प्रतीत हो रहे हैं। जौ, गेहूँ, राहर एवं सन की फसलों के कारण धरती की शोभा और बढ़ गई है।

विशेष-अलंकार-उपमा एवं अनुप्रास। ग्राम्य वातावरण का मोहक चित्रण।

  • वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
पाठ में आई पंक्तियों के आधार पर सही जोड़ी बनाइए
(क) हरियाली – बालू के साँपों-सी
(ख) रवि की किरणें – मोती के दानों-सी
(ग) आम्र-तरू – मखमल सी
(घ) गंगा की रेती – चाँदी की-सी
(ङ) हिमकन – रजत स्वर्ण मंजरियों से।
उत्तर-
(क) हरियाली – मखमल-सी
(ख) रवि की किरणें – चाँदी की-सी
(ग) आम्र-तरू – रजत स्वर्ण मंजरियों से
(घ) गंगा की रेती – बालू के साँपों सी
(ङ) हिमकन – मोती के दानों-सी।

प्रश्न 2.
निम्नांकित रचनाओं में से कौन-सी रचना पंत जी की नहीं है
(क) लोकायतन (ख) युगांतर (ग) ग्राम्या (घ) कामायनी।
उत्तर-
(घ) कामायनी।।

प्रश्न 3.
कवि ने सोने की किंकणियाँ किसको कहा है
(क) गेहूँ की बाली (ख) धान की फसल (ग) अरहर एवं सन (घ) सरसों के खेतों।
उत्तर-
(ग) अरहर एवं सन।।

प्रश्न 4.
‘ग्राम श्री कविता के रचयिता हैं (म. प्र. 2010, 12)
(क) तुलसीदास (ख) श्रीकृष्ण सरल (ग) सुमित्रानंदन पंत (घ) भवानी प्रसाद मिश्र।।
उत्तर-
(ग) सुमित्रानंदन पंत को।

प्रश्न 5.
खेतों पर पड़ती सूर्य की किरणें……….. की उजली जाली-सी प्रतीत हो रही हैं। (सोने/चाँदी) (म. प्र. 2010)
उत्तर-
चाँदी।

प्रश्न 6.
‘प्रकृति के सुकुमार कवि’ इन्हें कहा जाता है (म. प्र. 2011)
(क) श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला को। (ख) सूरदास को। (ग) सुमित्रानंदन पंत को। (घ) कबीर को।
उत्तर-
(ग)सुमित्रानंदन पंत को।

  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कविता में वर्णित खेतों के सौन्दर्य का वर्णन कीजिए। (म. प्र. 2012)
उत्तर-
सुमित्रानंदन पंत जी ने खेतों में फैली हरियाली का वर्णन अत्यंत सुकुमारता के साथ किया है। हरितिमा के साथ सूर्य की स्वर्णिम किरणें लिपटकर अद्भुत वातावरण निर्मित करती हैं। चाँदी की उजली जाली तनी हुई प्रतीत होती है। वसुधा के हरे-हरे शरीर में वायु प्रवाहित होने से स्पन्दन हो रहा है। ऐसा लगता है मानो हरित रक्त हरे शरीर में प्रवाहित हो रहा है। धरती पुलकित दिखाई दे रही है। खेतों में जौ एवं गेहूँ की फसलें लहलहा रही हैं। सन एवं अरहर के खेतों में धनी में लगे छोटे-छोटे घुघरू सौभाग्यशाली प्रतीत हो रहे हैं। सरसों के खेतों में पीले-फूल आ गए हैं। अलसी में नीले फूल आ गए हैं। सरसों एवं अलसी की तेल युक्त गंध वातावरण में फैली हुई है। सम्पूर्ण प्रकृति अत्यंत मोहक दिखाई दे रही है।

प्रश्न 2.
भू पर आकाश उतरने का अनुभव कब होता है? (म. प्र. 2010,11)
उत्तर-
सुमित्रानंदन पंत लिखते हैं कि एक स्थिति ऐसी भी आती है जब मनुष्य को दूसरा मनुष्य दिखाई नहीं देता। कुँहासा अपने आगोश में सारी सृष्टि को लेता है। कुँहासे में प्रकृति की सारी सुन्दरता भी खो जाती है। कुँहासों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानों कि आकाश ने धरती का स्पर्श कर लिया हो। आकाश एवं धरती का यह मिलन भी अत्यंत मोहक होता है। प्रकृति में शामिल सारे उपादान किसानों के खेत, वाटिकाएँ एवं बाग, मनुष्यों के घर एवं सुन्दर जंगलों को कुहरा अपने आगोश में ले लेता है।

प्रश्न 3.
कवि ने ग्राम की तुलना मरकत डिब्बे से क्यों की है? (म. प्र. 2009, 13, 15)
उत्तर-
मरकत का तात्पर्य नीलमणि से है। साफ-स्वच्छ वातावरण में नीला-आकाश का वितान ग्राम को ढंका रहता है। आकाश में टिमटिमाते नक्षत्र नीलमणियों के समान प्रतीत होते हैं। स्वच्छ नीला आकाश में टिमटिमाते तारों की उपमा के लिए कवि के पास शब्द नहीं होते। कवि को ग्राम बर्फ की ठंडक में लिपटा हुआ, चिकना, अत्यंत शांत प्रतीत होता है। अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य से सम्पूर्ण ग्राम शोभा को प्राप्त हो रहा है। सर्वत्र खुशियाली का मोहक वातावरण है। ग्राम के सभी लोग प्रमुदित हैं।

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3. अपना देश सँवारे हम

-श्रीकृष्ण सरल

ससंदर्भ व्याख्या कीजिए-

1. हम प्रतिरूप नए युग के हैं, (Imp.)
सूरज नूतन क्षमता के,
नए क्षितिज के अन्वेषी हम,
पोषक हम जन-समता के।
अपना, सबका, मानवता का मिल-जुल पंथ बुहारें हम।
अपना देश सँवारे हम।

शब्दार्थ-प्रतिरूप = समान रूप, नूतन = नया, क्षितिज = धरती एवं आकाश का काल्पनिक मिलन स्थल, अन्वेषी = खोजने वाला, पोषक = पालने वाला, समता = बराबरी, बुहारें = झाड़ना।

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश श्री कृष्ण सरल की कविता ‘अपना देश सँवारे हम’ से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग-प्रस्तुत कविता में कवि ने कहा है कि नौजवान जन-समता को पोषित करते हुए मानवता का मार्ग बाधारहित बनाते हुए अपने देश को समृद्ध कर सकते हैं।

व्याख्या देश के नौजवानों को लक्ष्य करके श्री कृष्ण सरल लिखते हैं कि नए युग की प्रतिच्छाया नौजवान हैं। नए युग के समान-रूपी नवयुवक हैं। इन नौजवानों में अनेक सम्भावनाएँ हैं। सूरज के समान आभा एवं क्षमता इन नवयुवकों में निहित हैं। नवयुवकों के मन में नई-नई परिकल्पनाएँ हैं। वे चाहें तो क्षितिज तक पहुँचने की सामर्थ्य इनमें है। समाज में समानता की स्थापना एवं वर्गभेद मिटाने में नवयुवकों का अभूतपूर्व योगदान हो सकता है। कवि नवयुवकों का आह्वान करते हुए कहता है कि अपना, समाज का, मानवता के पथ पर पड़ी धूल को झाड़ने की आवश्यकता है। देश तभी सँवरा हआ, सुसज्जित लगेगा।

विशेष-ओज की प्रधानता। राष्ट्रप्रेम की भावना बलवती है। नवयुवकों से नए समाज की स्थापना का आह्वान है।

  • वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
श्री कृष्ण सरल का जन्म कहाँ हुआ था (म. प्र. 2013)
(क) उज्जैन (ख) अशोक नगर (ग) मक्सी (घ) भोपाल।
उत्तर-
(ख) अशोक नगर।

प्रश्न 2.
श्री कृष्ण सरल की एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर-
मुक्तिगान।

प्रश्न 3.
‘अपना देश सँवारे हम’ में सूरज प्रतीक है (म. प्र. 2009)
(क) नई आशा (ख) नया सृजन (ग) नया क्षितिज (घ) नई क्षमता।
उत्तर-
(घ) नई क्षमता।

प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. अपना ………….. सँवारे हम।
2. कर्म बने ………… शत्रु की।
3. प्रतिकूल हवाओं से हमें ………… की रक्षा करनी है। (म. प्र. 2010)
उत्तर-
1. देश, 2. तलवार, 3. देश।

  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सृजन के संवाहक से क्या तात्पर्य है? (म. प्र. 2009, 11, 13, 15)
उत्तर-
कवि श्री कृष्ण सरल ने देश के नौजवानों को सृजन का संवाहक कहा है। देश के नौजवानों के हाथों से देश का नव-निर्माण होना है। देश के रूप को सँवारने एवं निखारने का दायित्व नौजवानों का है। देश को प्रगति के रास्ते पर ले जाने की गुरुत्तर दायित्व नौजवानों का है। देश की रक्षा का भार एवं प्रत्येक चुनौती का प्रति उत्तर उन्हें ही देना है। समाज में समता एवं मानवता की स्थापना भी नौजवानों के माध्यम से सम्भव है। अत: कवि ने नौजवानों को सृजन का संवाहक कहा है।

प्रश्न 2.
चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए हमारी तैयारी कैसी हो?। (म. प्र. 2012)
उत्तर-
कवि श्री कृष्ण सरल ने देश के समक्ष उपस्थित प्रत्येक चुनौती का डटकर मुकाबला करने का आह्वान किया है। हम ही देश के कर्णधार हैं। देश के पहरुए हम ही हैं। युद्ध-क्षेत्र के सन्नद्ध सिपाही हम ही हैं। अत: कवि आह्वान करता है कि-

“नए सृजन के संवाहक हम
प्रगति-पंथ के राही हैं,
हम प्रतिबद्ध पहरुए युग के
हम सन्नद्ध सिपाही हैं।
जो भी मिले चुनौती उत्तर दें उसको स्वीकारें हम !
अपना देश सँवारे हम।

प्रश्न 3.
कर्म को कवि ने किन रूपों में व्यक्त किया है?
उत्तर-
कवि श्री कृष्ण सरल ने कर्म को निम्न रूपों में व्यक्त किया है-

कर्म हमारे बनें कुदाली
कर्म हलों के फाल बने,
कर्म बनें तलवार शत्रु की
कर्म देश की ढाल बनें।

अर्थात् श्रमिक की चलती हुई कुदाली कर्म का पर्याय है। खेत जोतता किसान भी श्रम एवं कर्म का पर्याय है। युद्ध क्षेत्र में योद्धा के तलवारों की टकराहट महान कर्म है। प्रत्येक वह कर्म जिससे देश की रक्षा एवं देश का कल्याण हो महान कर्म कहा जाएगा।

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प्रश्न 4.
कविता में निहित संदेश को स्पष्ट कीजिए। (म. प्र. 2010)
उत्तर-
कवि श्री कृष्ण सरल ने अपना देश सँवारे हम’ कविता के माध्यम से नौजवानों में ओज एवं वीरता का संचार करना चाहते हैं। कवि ने संदेश देना चाहा है कि नौजवान ही सृजन एवं प्रगति के संवाहक हैं। आज नवयुवकों को कर्म-पथ पर सतत चलने का व्रत लेकर चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता है। नौजवान जन-समता एवं मानवता को पोषित करते हुए अपने देश को समृद्ध कर सकते हैं। कवि ने नवयुवकों से देश की रक्षा का गुरुत्तर दायित्व उठाने का संदेश भी दिया है।

प्रश्न 5.
“नए भागीरथ बन वैचारिक गंगा नई उतारे हम” के भाव को स्पष्ट कीजिए। (म. प्र. 2015)
उत्तर-
“नए भागीरथ बन वैचारिक गंगा नई उतारे हम” का भाव नए युग की माँग के अनुसार देश समाज का कायाकल्प करना है। कवि का यह कहना है कि हमें देश और समाज के नव निर्माण के लिए नए भाव, विचार और नए प्रयास करने चाहिए। इसे सभी देशवासियों को अपना पुनीत कर्तव्य समझकर करना चाहिए।

4. नई इबारत

– भवानीप्रसाद मिश्र

ससंदर्भ व्याख्या कीजिए

1. जैसा उठा वैसा गिरा जाकर बिछौने पर,
तिफल जैसा प्यार यह जीवन खिलौने पर,
बिना समझे बिना बूझे खेलते जाना,
एक जिद को जकड़ लेकर ठेलते जाना,
गलत है बेसूद है कुछ रचके सो, कुछ गढ़के सो,
तू जिस जगह जागा सबेरे उस जगह से बढ़के सो।

शब्दार्थ-तिफल = बच्चा, बेसूद = निरर्थक/व्यर्थ। संदर्भ प्रस्तुत पद्यांश भवानीप्रसाद मिश्र की कविता ‘नई इबारत’ से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग-कवि भवानीप्रसाद मिश्र ने प्रस्तुत पंक्तियों में निरन्तर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या-कवि भवानीप्रसाद मिश्र कहते हैं कि जिस स्थिति में हम सुबह जागते हैं, उसी स्थिति में यदि रात्रि को सो जाते हैं, तो हमारा जीवन अर्थपूर्ण नहीं हो पाता है। जिन्दगी ज्यों का त्यों बिस्तर पर सोने का नाम नहीं है। जिस प्रकार बच्चा अपने खिलौने पर मोहित रहता है, उसी प्रकार हमें जीवन रूपी खिलौने पर अत्यधिक मोहित होने की आवश्यकता नहीं है। जीवन समझदारी का नाम है। जीवन का प्रत्येक पग समझदारी से उठना चाहिए। जीवन के किसी भी क्रिया-व्यापार में समझदारी आवश्यक है। जिंदगी में अनावश्यक हठ को छोड़ देना समझदारी है। जिद से ही मनुष्य में मूढ़ता का विकास होता है। जिद एकदम गलत एवं व्यर्थ की भावना है। जिंदगी में रचनात्मक बनो एवं सर्जनात्मक कार्यों से जग में नाम कमाओ। जिंदगी बढ़ते रहने के लिए है। जिस जगह आज सुबह जागे थे, उसके आगे सोने के लिए जिंदगी नहीं है। बढ़ना एवं प्रगति करना जिंदगी है। \

विशेष-अलंकार-उपमा, रूपक एवं अनुप्रास। ओजमय संदेश निहित है। कवि की प्रगतिशील भावना प्रकट हुई है।

  • वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
‘नई इबारत’ किसकी कविता है? (म. प्र. 2012, 13)
उत्तर-
भवानी प्रसाद मिश्र।।

प्रश्न 2.
निम्नांकित कथन सत्य हैं अथवा असत्य
1. कवि ने ‘नई इबारत’ में सोने के पहले कुछ रचने गढ़ने की प्रेरणा दी है।
2. खेल बिना समझे-बूझे भी खेला जा सकता है।
3. ‘नई इबारत’ कविता में खेतों को कवि ने धान से युक्त बताया है।
उत्तर-
1. सत्य,
2. असत्य,
3. सत्य।

प्रश्न 3.
‘गीत फरोश’ किसकी रचना है?
उत्तर-
भवानी प्रसाद मिश्र।

प्रश्न 4.
काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को क्या कहते हैं?
उत्तर-
अलंकार।

प्रश्न 5.
कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने सोने से पहले कौन-सा काम करने को प्रेरित किया है? (म. प्र. 2010)
उत्तर-
कवि ने सोने से पहले ‘कुछ लिख के और कुछ पढ़के ये दो काम के लिए प्रेरित किया है।

  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है? (म. प्र. 2010, 11, 13, 15)
उत्तर-
कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने ‘नई इबारत’ कविता में जीवन में उत्साह का संचार करते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी है। उनके अनुसार जिस स्थिति में हम सुबह जागते हैं, उसी स्थिति में यदि रात्रि को सो जाते हैं, तो हमारा जीवन अर्थपूर्ण नहीं हो पाता है। निरर्थक जिद किए बगैर कुछ रचके, कुछ गढ़के ही जीवन को सृजनात्मक बनाया जा सकता है। प्रकृति का संपूर्ण कार्य-व्यापार जीवन के नए पृष्ठ खोलने वाला है। प्रकृति की इस कर्मशीलता से प्रेरणा लेकर जीवन में कठिनाइयों का सामना किया जाना ही उपयुक्त है। इस तरह के दृढ़ निश्चय से ही जीवन के महत्व को प्रतिपादित किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
कविता में प्रकृति के माध्यम से कवि ने कुछ संदेश व्यक्त किए हैं, उनमें से किन्हीं दो को स्पष्ट कीजिए। (म. प्र. 2009)
उत्तर-
कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने ‘नई इबारत’ कविता में प्रकृति के माध्यम से जीवन में आगे बढ़ते रहने का संदेश प्रेषित करना चाहा है। सूर्य जैसी प्रखरता एवं निश्चितता के आगे व्यक्ति को निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए। सूर्य का जागना एवं सोना निश्चित समय से बद्ध है। उसमें एक अद्भुत कांति, शोभा, आभा एवं प्रखरता सन्निहित है। संसार का कल्याण करने के उपरांत, समस्त मानव सृष्टि की सेवा करने के उपरांत ही वह विश्राम करने जाता है। अतः मनुष्य को सूर्य से प्रेरणा लेनी चाहिए। इसी प्रकार वायु सुख-सुकून का संचार सृष्टि में करती है। वायु ही बादलों को इधर से उधर उड़ाकर ले जाती है ताकि सर्वत्र बरसात हो सके। नदियों में जल आपूरित तभी हो पाता है, जब वायु अपना कर्म करती है। वायु प्रवाहित होकर संसार के प्रत्येक प्राणी को सुख प्रदान करती है। मनुष्य को भी समष्टिगत भावना के साथ सूर्य एवं वायु के समान निरन्तर कर्मशील रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
निष्क्रियता के संबंध में कवि ने कैसे संकेत किया है?
उत्तर-
‘नई इबारत’ कविता की निष्क्रियता के संबंध में कुछ पंक्तियाँ दृष्टव्य हैं

“जैसे उठा वैसा गिरा जाकर बिछौने पर,
तिफ्ल जैसा प्यार यह जीवन खिलौने पर,
बिना समझे बिना बूझे खेलते जाना
एक जिद को जकड़ कर ठेलते जाना,
गलत है बेसूद है कुछ रचके सो कुछ गढ़के सो,
तू जिस तरह जागा सबेरे उस जगह से बढ़के सो।”

अर्थात् मनुष्य जागने एवं सोने के बीच कम से कम कार्यशील रहे। जीवन से अधिक मोह न पाले। समझ बूझ कर, जिद को छोड़कर कर्मशील रहे। अकर्मण्यता का जीवन में कोई स्थान नहीं है। व्यक्ति को सर्जनात्मक एवं रचनात्मक होना चाहिए। प्रगतिशीलता जीवन में हमेशा दिखाई देना चाहिए। पिछली नींद से जागने एवं अगली नींद लेने के बीच में बढ़त होनी चाहिए।

5. बिहारी के दोहे
प्रकृति

ससंदर्भ व्याख्या कीजिए

1. “कहलाने एकत बसत, अहि, मयूर, मृग, बाघ।
जगत तपोवन सो कियो, दीरघ, दाघ, निदाघ॥” (म. प्र. 2012, 13)

शब्दार्थ-बसत = रहना, अहि = सर्प, मयूर = मोर, निदाघ = गरमी।

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश कवि बिहारी द्वारा रचित है। ‘बिहारी के दोहे’ के उपभाग ‘प्रकृति’ से इसे उद्धृत किया गया है।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में प्रकृति के प्रभाव को चित्रित किया गया है।

व्याख्या-कवि बिहारी कहते हैं कि एक ही वन में नदी के किनारे मोर और सर्प तथा हिरण और शेर बसेरा लिए हुआ है। नदी के किनारे के इस परिदृश्य को देखकर किसी को भी भ्रम हो सकता है कि यह कहीं तपोवन तो नहीं है? जहाँ विरोधी प्रकृति के जीव एक साथ बसेरा लिए हुए हैं। वस्तुत: भीषण गर्मी के कारण नदी के किनारे ये समस्त जीव बसेरा लिए हुए हैं। प्रकृति की उग्रता के कारण इन जीवों ने अपना परम्परागत विरोध भी भुला दिया है।

विशेष-
1. ग्रीष्म की प्रखरता का प्रभावी चित्रण है।
2. बिहारी की बहुज्ञता दृष्टव्य है।
3. एकावली अलंकार है।

नीति

ससंदर्भ व्याख्या कीजिए
1. स्वारथ, सुकृत, न श्रम वृथा, देखि विहंग विचारि।
बाज पराए पानि परि तूं पच्छीनु न मारि॥

शब्दार्थ-स्वारथ = स्वार्थ, सुकृत = अच्छा कार्य, वृथा = व्यर्थ, विहंग = पक्षी, पानि = हाथ, पच्छीनु = पक्षियों। . संदर्भप्रस्तुत पद्यांश कवि बिहारी द्वारा रचित है। ‘बिहारी के दोहे’ के उपभाग ‘नीति’ से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग-इस दोहे में सजातीय बंधुओं पर अन्यथा प्रेरणा से प्रहार करने से मना किया गया है।

व्याख्या-कवि बिहारी शिवाजी को लक्ष्य करके लिखते हैं कि छोटे-छोटे देशी हिन्दू राजा मुगल अत्याचार के कारण उनका कहना मानकर उनके लिए युद्ध कर रहे हैं, जबकि वे राजा तुम्हारे ही जाति के हैं। उनका वर्तमान आचरण उनकी मजबूरी है। वीर शिवाजी के द्वारा यदि उनका वध किया जाता है तो इससे शिवाजी का न तो कोई स्वार्थ सिद्ध होगा, न ही यह अच्छा कार्य कहा जाएगा। देशी हिन्दू शासकों को मारने से श्रम ही व्यर्थ होगा। अतः हे शिवाजी दूसरों के कहने में न आकर स्वविवेक से काम लें। पक्षियों रूपी छोटे राजाओं के लिए तुम्हें बाज नहीं बनना चाहिए।

विशेष-रस-वीर। अलंकार-अन्योक्ति एवं रूपक। जातीय गौरव जगाने का उपक्रम है।

2. सोहत ओढ़े पीतु पट, स्याम सलोने गात। (म. प्र. 2015)
मनौं नील मनि-सैल पर, आतपु परपौ प्रभात॥

शब्दार्थ-सोहत = शोभायमान, ओढै = धारण करने पर, पीतु = पीला, पट्ट = वस्त्र, मनौं = मानो, आतपु = धूप, परयो = पड़ा।

प्रसंग-यह दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक सामान्य हिन्दी भाग 1 में संकलित तथा कविवर बिहारी द्वारा विरचित ‘सतसई के भक्ति शीर्षक से उद्धत है इसमें कवि ने श्रीकृष्ण के शारीरिक सौन्दर्य का चित्रण करते हुए कहा है।

व्याख्या-श्रीकृष्ण साँवले हैं। उन्होंने पीताम्बर धारण किया है। उनको इस तरह देखकर ऐसा लगता है, मानो नीलमणि पर्वत पर सुबह-सुबह सूर्य की किरणें पड़ रही हैं। दूसरे शब्दों में पीताम्बर धारण किए हुए साँवले श्रीकृष्ण सुबह की पड़ती हुई सूर्य की किरणों से सुशोभित नीलमणि पर्वत के समान बहुत ही सुन्दर लग रहे हैं।

विशेष-
(i) चित्रात्मक शैली है।
(ii) ब्रजभाषा की शब्दावली है।
(iii) श्रीकृष्ण के अद्भुत सौन्दर्य का चित्रण है।
(iv) श्रृंगार रस है।

  • वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बिहारी सतसई’ में कितने दोहे संगृहीत हैं
(क) 700 (ख) 7000 (ग) 77 (घ) 1277.
उत्तर-
(क) 700.

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प्रश्न 2.
बिहारी किस राजा के राज्याश्रयी कवि थे
(क) बहादुर शाह रंगीले (ख) अकबर (ग) राजा जयसिंह (घ) पृथ्वीराज।
उत्तर-
(ग) राजा जयसिंह।

प्रश्न 3.
इस तिथि को सूर्य और चंद्र एक साथ होते हैं (म. प्र. 2011)
(क) द्वितीया को (ख) पूर्णिमा को (ग) अष्टमी को (घ) अमावस्या को।।
उत्तर-
(घ) अमावस्या को।

प्रश्न 4.
‘गागर में सागर’ किस कवि की रचनाओं में है?
उत्तर-
बिहारी।

प्रश्न 5.
कविता में प्रत्ययांत का क्या अर्थ होता है?
उत्तर-
प्रत्यय से होने वाले अंत को प्रत्ययांत कहते हैं।

  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बाज के माध्यम से कवि ने किसके आचरण को लक्षित किया है और क्यों?
उत्तर-
कवि बिहारी ने बाज के माध्यम से वीर शिवाजी के आचरण को लक्षित किया है। वीर शिवाजी ऐसे देशी हिन्दू शासकों का लगातार वध करते चले जा रहे थे जो मजबूरी या कमजोरीवश मुगलों की अधीनता स्वीकार कर चुके थे। कवि ने अपने दोहे के माध्यम से सचेत करते हुए कहा कि- “बाज पराए पानि परि, तू पच्छीनु न मारि!”

प्रश्न 2.
सज्जन के प्रेम की क्या विशेषताएँ हैं? (Imp.)
उत्तर-
कवि बिहारी ने लिखा है
चटक न छाँड़तु घटत हूँ, सज्जन-नेहुँ गंभीरू।
फीकौ परै न, बरू फटै, रंग्यौ चोल-रंग चीरू।

अर्थात् सज्जन पुरुषों का प्रेम उपर्युक्त विशेषताओं से युक्त होता है। सज्जन व्यक्ति के प्रेम का चटकीलापन कभी समाप्त नहीं होता। ऐसे व्यक्तियों का प्रेम मंजीठे पर रंगा हुआ वह कपड़ा है, जो फट भले ही जाए किन्तु रंग न उतरे।

प्रश्न 3.
मित्रता सदैव चलती रहे, इस हेतु क्या सावधानी बरतनी चाहिए? (म. प्र. 2010)
उत्तर–
कवि बिहारी के अनुसार सच्ची मित्रता वह है जिसकी गर्मी एवं चटकीलापन कभी समाप्त नहीं होता। मित्र परस्पर एक-दूसरे के प्रति हृदय में दुरभाव नहीं आने देते। उनके चित्त संकुचित एवं मैले नहीं होते। मित्रता से आपूरित चिकने एवं पवित्र हृदय पर धूल का कण भी नहीं ठहर सकता।

प्रश्न 4.
श्री कृष्ण की बंशी इन्द्रधनुष के समान क्यों लगती है? (म. प्र. 2013)
उत्तर-
श्री कृष्ण के गुलाबी होठ, नेत्रों का काला एवं सफेद रंग, पहने हुए वस्त्रों का पीला रंग एवं हरे बाँस से बनाई हुई बाँसुरी का हरा रंग मिलकर इन्द्रधनुषी वातावरण निर्मित कर रहे हैं। वर्ण-संयोजन को कवि बिहारी ने इन शब्दों में व्यक्त किया है

“अधर धरत हरि कै परत, ओठ, दीठि-पट-जोति।
हरित बाँस की बाँसुरी, इन्द्र धनुष-रंग होति॥

6. उलाहना

– माखनलाल चतुर्वेदी

ससंदर्भ व्याख्या कीजिए

1. बड़े रस्ते, बड़े पुल, बाँध, क्या कहने।
बड़े ही कारखाने हैं, इमारत हैं,
जरा पोछु इन्हें आँसू उभर आये,
बड़प्पन यह न छोटों की इबादत है।

शब्दार्थ-बड़प्पन = बड़ा होने का भाव, इबादत = पूजा। संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश माखनलाल चतुर्वेदी की कविता ‘उलाहना’ से उद्धृत किया गया है। प्रसंग-कवि ने भौतिक तरक्की के साथ-साथ मानवीय संवेदना के विकास को भी आवश्यक माना है।

व्याख्या-कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी कहते हैं कि हमने भौतिक तरक्की खूब कर ली है। देश में अनेक बड़े-बड़े रास्ते, बड़े पुल, बड़े बाँधों का निर्माण हुआ है। अनेक बड़े-बड़े कारखाने एवं भवन निर्मित हुए हैं। श्रमिक एवं सर्वहारा वर्ग के पसीने से यह भौतिक समृद्धि तर है। सर्वहारा वर्ग का विकास योजनाओं में पर्याप्त शोषण किया गया है। अब इनके आँसू पोछने का वक्त आ गया है। अपने बड़प्पन में मगरूर रहना बड़प्पन नहीं है, बल्कि श्रम-साधकों की संवेदना में भागीदार बनना बड़प्पन है। समाज के निम्नतर लोगों की संवेदना के साथ तादात्म्य ही सच्चा विकास है।

विशेष-सर्वहारा वर्ग के प्रति कवि की सहानुभूति व्यक्त हुई है। मार्क्सवादी चेतना का प्रकटीकरण है।

2. उठो, कारा बनाओ इस गरीबी की, (म. प्र. 2011)
रहो मत दूर अपनों के निकट आओ,
बड़े गहरे लगे हैं, घाव सदियों के,
मसीहा इनको ममता भर के सहलाओ।

शब्दार्थ-कारा = जेल, मसीहा = अवतारी पुरुष, ममता = ममत्वपूर्ण प्रेम। संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश माखनलाल चतुर्वेदी की कविता ‘उलाहना’ से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग-कवि माखनलाल चतुर्वेदी सर्वहारा वर्ग के करीब आने का आह्वान कर रहे हैं।

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व्याख्या-कवि माखन लाल चतुर्वेदी कहते हैं कि इस देश की गरीबी को कारावास में बंद करना होगा, तभी देश से गरीबी दूर होगी। गरीब लोग भी मनुष्य हैं उनके निकट जाकर उनके प्रति सहानुभूति, प्रेम एवं सहयोग की भावना प्रकट करने की आवश्यकता है। लम्बे समय से समाज का यह वर्ग शोषण का शिकार रहा है। शोषण के कारण इस वर्ग की अन्तर्रात्मा आहत हो चुकी है। किसी अवतारी पुरुष की भाँति, ममत्वमय स्नेहिल स्पर्श की आवश्यकता इन्हें है।

विशेष-सामाजिक वर्गभेद मिटाने के प्रति प्रतिबद्धता दृष्टिगोचर हो रही है। प्रगतिवादी सोच की मुखर अभिव्यक्ति है।

3. भुला दी सूलियाँ? जैसे सभी कुछ (म. प्र. 2010)
जमाने से तालियों से पा लिया तुमने
न तुम बहले, न युग बहला, भले साथी
बताओ तो किसे बहला लिया तुमने।

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक सामान्य हिन्दी भाग -1 से संकलित तथा माखन लाल चतुर्वेदी विरचित ‘उलाहना’ शीर्षक कविता से उद्धृत है।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने अमीर वर्ग के प्रति जन सामान्य के उलाहना को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। अमीर वर्ग को उलाहना देते हुए जनसामान्य कह रहा है।

व्याख्या-कवि का कहना है—तुमने देश के आन पर मर मिटने वाले अमर देश भक्तों की पवित्र यादों को भुला दिया है। अपने चापलूसों और पिछलग्गुओं द्वारा वाह वाही की तालियों को बजवाकर मानों तुमने सब कुछ पा लिया है। इस प्रकार की सोच रखने वाले क्या तुम यह बतलाओगे कि अगर तुम बहके नहीं हो और न जमाना ही बहका है, तो फिर तुम्हे किसने बहका लिया है।

विशेष-
(1) अमीर वर्ग से खास तौर से देश के गद्दारों का उल्लेख है।
(2) व्यंग्यात्मक शैली है।
(3) तुकांत शब्दावली है।
(4) यह अंश मार्मिक है।
(5) ‘बलिदान का मंदिर’ में रूपक अलंकार है।

  • वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. तुम्ही जब …………….. टीसें भुलाते हो।
2. बड़े सब …………….. छोटे सलामत हैं।
3. उलाहना में रमलू भगत …………….. का प्रतीक है। (म. प्र. 2009, 12; Imp.)
4. माखनलाल चतुर्वेदी की एक कृति का नाम …………….. है। (म. प्र. 2013)
5. माखनलाल चतुर्वेदी को …………….. के नाम से भी जाना जाता है। (म. प्र. 2011)
6. उलाहना कविता ……………. को लक्ष्य कर लिखी गई है।
7. काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को ……………. कहते हैं। (अलंकार / रस)
उत्तर-
1. याद, 2. मिट गए , 3. निम्न वर्ग, 4. हिमकिरीटनी, 5. एक भारतीय आत्मा, 6. राजनेताओं 7. अलंकार।

प्रश्न 2.
‘उलाहना’ क्या है? (म. प्र. 2009)
उत्तर-
कविता।

प्रश्न 3.
रमलू भगत किसका प्रतीक है? (म. प्र. 2011)
उत्तर-
सर्वहारा वर्ग का।

प्रश्न 4.
उलाहना’ कविता में कवि ने गरीबी की कारा बनाने की प्रेरणा दी है, निम्न कथन सत्य है या असत्य। (म. प्र. 2010)
उत्तर-
सत्य।

  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
छोटे अपने किन गुणों के कारण सलामत रह जाते हैं? (म. प्र. 2009, 12, 15)
उत्तर-
कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने लिखा है
“सदा सहना, सदा श्रम-साधना मर-मर,
वहीं हैं जो लिए छोटों का मृत-वृत हैं,
तनिक छोटों से घुल-मिलकर रहो जीवन,
बड़े सब मिट गए, छोटे सलामत हैं।”

बड़ों के अत्याचार सहना छोटों की नियति है। निरन्तर श्रम में संलग्न रहना उनका जीवन है। अपने वर्ग के प्रत्येक व्यक्ति का साथ देने का उनका संकल्प है। बड़ों का अनुशरण करना एवं उनके सम्मान के लिए स्वयं को न्यौछावर कर देना छोटों का स्वभाव है। उपर्युक्त कारणों से छोटे आज भी सलामत हैं।

प्रश्न 2.
कवि अमीरों से उनके जीवन में किस तरह के परिवर्तन की आकांक्षा करता है?
उत्तर-
कवि अमीरों से कहता है कि

“तुम्हारी चरण रेखा देखते हैं वे,
उन्हें भी देखने का तुम समय पाओ,
तुम्हारी आन पर कुर्बान जाते हैं,
अमीरी से जरा नीचे उतर आओ।”

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अमीरी को छोड़कर अपना स्नेहिल हाथ गरीबों के सिर पर फेरना होगा। रमलू भगत की झोपड़ी में जाकर प्रेमभाव से दलिया ग्रहण करना होगा। जब अमीर गरीबों के आँस पोछने के लिए तत्पर रहेगा तभी समाज में परिवर्तन की बयार चलती दिखाई देगी।

प्रश्न 3.
कविता में ‘कुटिया निवासी’ बनने का क्या तात्पर्य है? (Imp.)
उत्तर-
कवि ने ‘उलाहना’ कविता में अमीरों का आह्वान करते हुए कहा है कि

“तुम्हारी बाँह में बल है जमाने का,
तुम्हारे बोल में जादू जगत का है,
कभी कुटिया निवासी बन जरा देखो,
कि दलिया न्यौतता रमलू भगत का है।”

कवि का मानना है कि अमीरों के हाथ में सभी प्रकार की शक्तियाँ केन्द्रित हो गई हैं। अमीरों की एक आवाज पर समाज में उलट-पुलट हो सकता है। गरीब की कुटिया में आकर और वहाँ का रुखा-सूखा भोजन ग्रहण करने से अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिल सकेगी एवं समाज से वर्ग भेद मिटाया जा सकेगा।

7. विप्लव गायन

– बालकृष्ण शर्मा नवीन

ससंदर्भ व्याख्या कीजिए

1. “प्राणों के लाले पड़ जायें, त्राहि-त्राहि रवनभ में छाएँ,
नाश और सत्यानाशों का धुंआधार जग में छा जाए,
बरसे आग, जलद जल जाए, भस्मसात भूधर हो जाएँ,
पाप-पुण्य सद् सद्भावों की, धूल उड़ उठे दाएँ-बाएँ।” (म. प्र. 2009, 13)

शब्दार्थ-रव = ध्वनि, जलद = बादल, भस्मसात = राख में मिल जाना, भूधर = पहाड़। संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश बालकृष्ण शर्मा नवीन की कविता ‘विप्लव गायन’ से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग-कवि नवीन क्रांति एवं प्रखरता के गीत गाने का आह्वान कर रहे हैं।

व्याख्या-कवि नवीन जी कहते हैं कि कवियों को ऐसे गीत रचने चाहिए, जिसे सुनकर समाज में खलबली मच जाए। लोग मरने-मारने को तत्पर हो जाए। सम्पूर्ण क्रांति की प्रखर ध्वनि से आकाश गूंजने लगे। सर्वत्र विनाश की स्थिति निर्मित हो जाए। विनाश के धुआँधार में कुछ भी दिखाई न दे। आकाश से आग बरसे, बादल और पहाड़ जलकर राख हो जाएँ। पाप-पुण्य जैसे सैकड़ो भावों का अन्तर लोगों को समझ में न आए। ऐसा तभी संभव है जब सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान होगा। विचारकों, समीक्षकों एवं कवियों के माध्यम से ही ऐसी क्रांति आएगी।

विशेष-
1. सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया गया है।
2. वीर रस एवं ओजपूर्ण शैली है।
3. प्रगतिवादी विचारधारा का प्रकटीकरण है।

  • वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
विप्लव गायन कविता के रचयिता हैं (म. प्र. 2009)
(क) श्रीकृष्ण सरल (ख) माखन लाल चतुर्वेदी (ग) बालकृष्ण शर्मा नवीन (घ) भवानी प्रसाद मिश्र।
उत्तर-
(ग) बाल कृष्ण शर्मा ‘नवीन’।

प्रश्न 2.
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ विधानसभा के सदस्य थे अथवा संसद सदस्य थे?
उत्तर-
संसद सदस्य।

प्रश्न 3.
कवि की तान से कौन भस्मसात् हो रहे हैं? (म. प्र. 2011)
उत्तर-
कवि की तान से पहाड़ भस्मसात् हो रहे हैं।

प्रश्न 4.
सही जोड़ी बनाइए
1. माता की छाती का अमृतमय – (क) अचल शिला विचलित हो जाए
2. आँखों का पानी सूखे – (ख) गतानुगति विगलित हो जाए
3. एक ओर कायरता काँपे – (ग) वे शोणित के घूटे हो जाए
4. अन्धे मूढ़ विचारों की (म. प्र. 2013) – (घ) पय काल कूट हो जाए
5. ‘विप्लव गायन’ पाठ के कवि (म. प्र. 2015) – (ङ) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’।
उत्तर-
1. (घ), 2. (ग), 3. (ख), 4. (क), 5. (ङ)।

  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विप्लव गायन से क्या तात्पर्य है? कवि ने विप्लव के कौन-कौन से लक्षण गिनाए हैं? (म. प्र. 2013)
उत्तर-
रूढ़ एवं जीर्ण-शीर्ण समाज ध्वंस करने के लिए विप्लव गान आवश्यक है। सम्पूर्ण क्रांति, सम्पूर्ण परिवर्तन विप्लव गायन से संभव है। समाज में उथल-पुथल, प्राणों के लाले, त्राहि-त्राहि मचने, नाश एवं सत्यानाश का धुआँधार छाने, आग बरसने, बादल भस्म होने, पाप एवं पुण्य जैसे सत-असत भावों की धूल उड़ने, धरती का वक्ष स्थल फटने, नक्षत्रों के टुकड़े-टुकड़े हो जाने पर हमें मान लेना चाहिए कि समाज में कवि ने सम्पूर्ण क्रांति, सम्पूर्ण परिवर्तन का विप्लव गान गाकर जागृति ला दी है। समाज को विप्लवगान के बाद बदलने से कोई नहीं रोक सकता।

प्रश्न 2.
कवि किन-किन रूढ़ियों को समाप्त करना चाहता है? (म. प्र. 2010,11,12)
उत्तर-
कवि चाहता है कि माता अपने आँचल में छिपाकर बच्चे को दूध न पिलाए बल्कि उसे विष पीने के लिए भी तत्पर रखे। पुत्र के दुःख में वह आँसू न बहाए बल्कि दुश्मन का सामना करते हुए अपने पुत्र को देखकर आँखों में खून उतर आए। देश को कायर पुत्रों की आवश्यकता नहीं है। रूढ़िवादिता, मूढ़ता जैसे विचार जो बहुत गहरे तक हममें स्थापित हैं, पिघल जाएँ। सम्पूर्ण ब्रह्मांड में नाश करने वाली गर्जना गूंजने लगे। कवि समाज में वर्षों से स्थापित सारी रूढ़ियों को ‘विप्लव गान’ के माध्यम से समाप्त कर देना चाहता है।

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प्रश्न 3.
नये सृजन के लिए ध्वंस की आवश्यकता क्या है-इस कथन के आधार पर कवि द्वारा वर्णित तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
कवि बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ की मान्यता है कि नाश में ही निर्माण के बीज छिपे रहते हैं। कवि विप्लव गान के माध्यम से रूढ़ एवं जीर्ण-शीर्ण समाज का ध्वंस करना चाहता है। कवि के गीतों में युग परिवर्तन की शक्ति समायी होती है। प्रलय की प्रेरणाएँ भी उसके गीतों में निहित होती हैं। एक ओर ध्वंस और दूसरी ओर सृजन की सामर्थ्य को अपनी कविता में केन्द्रीभूत करने वाले कवि ने जागृति का गीत गाया है। रूढ़ियों, अंध विचारों एवं कायरता की समाप्ति के लिए ध्वंस आवश्यक है। नए युग की परिस्थितियों के अनुसार निर्माण की सामर्थ्य एवं प्रेरणा भी इस कविता में निहित है।

प्रश्न 4.
“प्रलयंकारी आँख खुल जाए” से क्या तात्पर्य है? (म. प्र. 2015)
उत्तर-
प्रलयंकारी आँख खुल जाए से तात्पर्य है-सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रलयंकारी क्रांति का आना बेहद जरूरी है। उससे ही आमूलचूल अपेक्षित परिवर्तन सम्भव हैं।

8. भू का त्रास हरो

– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

ससंदर्भ व्याख्या कीजिए

1. रोक-टोक से नहीं सुनेगा, नृप समाज अविचारी है,
ग्रीवाहर निष्ठुर कुठार का, यह मदान्ध अधिकारी है।
इसीलिए तो मैं कहता हूँ, अरे ज्ञानियों खड्ग धरो,
हर न सका जिसको कोई भी, भू का वह तुम त्रास हो।

शब्दार्थ-नृप = राजा, अविचारी = विचारहीन, ग्रीवाहर = गर्दन काटने वाला, कुठार = कुल्हाड़ी, मदान्ध = नशे में अन्धा, खड्ग = तलवार, भू = धरती, त्रास = कष्ट, दु:ख।

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘भू का त्रास हरो’ से उद्धृत किया गया है।

प्रसंग-कवि की मान्यता है कि नीति विमुख राजसत्ता को सख्ती से सुधारकर संसार का कष्ट दूर किया जा सकता है।

व्याख्या-कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ कहते हैं कि राज-समाज विचारहीन हैं। रोक-टोक का असर उस पर नहीं होगा। नशे में डूबे इन लोगों पर किसी भी चीज का प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। इनका दण्ड यही है कि कुल्हाड़ी से इनकी गर्दन काट ली जाए। समाज तभी सुख का अनुभव कर सकेगा। जब समाज के चरित्रवान कवि, कलाकारों और ज्ञानियों द्वारा तलवार धारण की जाएगी। इस धरती का दुःख एवं कष्ट तभी दूर हो सकेगा जब कुविचारी एवं मदान्ध राजा मारे जाएँगे। धरती की मुक्ति तभी हो सकेगी।

विशेष-वीर रस की प्रधानता है। सामाजिक अव्यवस्था के प्रति क्षोभ प्रकट हुआ है। ओज गुण प्रधान है।

  • लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘भूका त्रास हरो’ कविता में मदान्ध शासकों को सबक सिखाने के लिए क्या धारण करने को कवि कहता है?
उत्तर-
तलवार।

प्रश्न 2.
‘दिनकर’ का शाब्दिक अर्थ क्या होता है? (म. प्र. 2009)
उत्तर-
सूर्य।

प्रश्न 3.
कवि ‘दिनकर’ राज्यसभा में किस सन् में मनोनीत हुए?
उत्तर-
19521

प्रश्न 4.
‘उर्वशी’ के लिए ‘दिनकर’ को कौन-सा सम्मान मिला था?
उत्तर-
ज्ञानपीठ पुरस्कार।

प्रश्न 5.
भू का त्रास कविता में नृप समाज का उल्लेख किस रूप में हुआ है? (म. प्र. 2009)
उत्तर-
मदांध शासक।

  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि का भोगी भूप से क्या आशय है? (म. प्र. 2013, 15)
उत्तर-
कवि ‘दिनकर’ ने भोगी भूप ऐसे राजाओं को कहा है जो अविचारी एवं विलासी हैं। ऐसे राजा प्रजाहित में कार्य नहीं करते और तलवार की ताकत से अपनी सत्ता को सुरक्षित रखते हैं। ऐसे राजा न तो नीति निपुण होते हैं, न ही उनमें त्याग व तप की भावना होती है।

प्रश्न 2.
कवि ने अविचारी नृप समाज के साथ कैसा व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया है? (म. प्र. 2010, 12)
उत्तर-
कवि ‘दिनकर’ ने लिखा है…

रोक-टोक से नहीं सुनेगा, नृप समाज अविचारी है,
ग्रीवाहर निष्ठुर कुठार का यह मदान्ध अधिकारी है।

अर्थात् अविचारी एवं मदान्ध राजाओं के सिर कुल्हाड़ी से कलम कर देना चाहिए। भोग-विलास में डूबे रहने वाले राजाओं के सिर कलम करने की जिम्मेदारी कवि, ज्ञानी, वैज्ञानिकों, कलाकारों एवं पंडितों पर है।

प्रश्न 3.
आग में पड़ी धरती से कवि का क्या तात्पर्य है? (म. प्र. 2011)
उत्तर-
आग में पड़ी धरती के संबंध में कवि ‘दिनकर’ ने लिखा है

“तब तक पड़ी आग में धरती, इसी तरह अकुलायेगी,
चाहे जो भी करे, दु:खों से छूट नहीं वह पायेगी।
अर्थात् इस समाज में जब तक कवियों, ज्ञानियों,
वैज्ञानिकों, कलाकारों एवं पंडितों का मोल नहीं पहचाना जाएगा,

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जब तक उज्ज्वल चरित्र के अभिमानी लोगों को सम्मान नहीं मिलेगा तब तक धरती आग में जलती हुई व्याकुल रहेगी। भोगी, मदान्ध एवं अविचारी राजाओं के सिर कलम करते ही उनके खून से धरती की आग भी ठंडी होगी।

प्रश्न 4.
कवि दिनकर ज्ञानियों को क्या धारण करने का उपदेश देते हैं?
उत्तर-
कवि दिनकर कहते हैं, “हे ज्ञानियों ! तुम जब तक अपने हाथ में तलवार धारण नहीं करोगे तब तक इस धरती का कष्ट कम नहीं होगा।”

प्रश्न 5.
कवि दिनकर के अनुसार राजाओं से भी अधिक पूज्य कौन है? (म. प्र. 2010)
उत्तर-
कवि के अनुसार राजाओं से भी पूज्य कवि, कलाकार और ज्ञानीजन हैं। अर्थात् राजाओं की पूजा केवल देश में होती है जबकि कवि, कलाकार और ज्ञानीजन को संपूर्ण विश्व में श्रेष्ठ माना जाता है एवं उन्हें सबसे पहले आदर दिया जाता है। इसलिये राजाओं से पूज्य ये सब माने गये हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
दिये गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. ‘उलाहना’ कविता में रमलू भगत किसका प्रतीक है (म. प्र. 2015)
(क) गरीब का (ख) अमीर का (ग) शोषक का (घ) कृषक का।

2. ‘मिठाई वाला’ पाठ किस विधा में है-
(क) जीवनी (ख) निबंध (ग) कहानी (घ) आत्मकथा।

3. ‘अंतिम संदेश पत्र शहीद रामप्रसाद बिस्मिल द्वारा किसे लिखा गया था
(क) माँ (ख) पिता (ग) बहिन (घ) मित्र।

4. प्रकृति के सुकुमार कवि हैं
(क) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ (ख) रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (ग) सुमित्रानंदन पंत (घ) श्रीकृष्ण सरल।

5. शब्द के प्रारंभ में जुड़ने वाला शब्दांश क्या कहलाता है
(क) उपसर्ग (ख) प्रत्यय (ग) संधि (घ) समास।
उत्तर-
1. (क), 2. (ग), 3. (क), 4. (ग), 5. (क)।

प्रश्न 2.
सही जोड़ी बनाइये (म. प्र. 2015)
1. रुपया तुम्हें खा गया – (क) भवानी प्रसाद मिश्र
2. गीत फरोस पंचदशी रचनाएँ – (ख) स्वामी विवेकानंद
3. जयपाल था – (ग) भगवती चरण वर्मा
4. ‘शिक्षा’ निबंध के लेखक – (घ) डॉक्टर
5. रात-दिन – (ङ) संधि (च) समास।
उत्तर-
1. (ग), 2. (क), 3. (घ), 4. (ख), 5. (च).

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में से सत्य/असत्य छाँटिए (म. प्र. 2015)
1. रमेश में स्वर संधि है।
2. कवि की तान से भूधर भस्मसात् हो रहे हैं।
3. सर्प, मोर, हिरण और सिंह तपोवन में एक साथ रह सकते हैं।
4. मुहावरा वाक्य है।
5. क्या राम पढ़ता है? वाक्य विधिवाचक है।
उत्तर-
1. सत्य, 2. सत्य, 3. सत्य, 4. असत्य, 5. असत्य।

प्रश्न 4.
एक शब्द अथवा वाक्य में उत्तर लिखिए
1. प्रतिदिन शब्द में कौन-सा समाज है?
2. जिसका शत्रु न हो।
3. जगदीश शब्द में कौन-सी संधि है?
4. दिनकर जी का पूरा नाम क्या है?
उत्तर-
1. अव्ययी भाव समास,
2. अजातशत्रु,
3. व्यंजन संधि,
4. रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

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प्रश्न 5.
‘कब तक योगी भूप प्रजाओं के नेता कहलाएँगे’ का भाव पल्लवन कीजिए। (म. प्र. 2015)
उत्तर-
‘कब तक भोगी भूप प्रजाओं के नेता कहलाएँगे’ का भाव यह है कि जब तक अविचारी और विलासी शासक प्रजाहित में कार्य नहीं करेगा, तब तक कवियों, कलाकारों और ज्ञानियों को मान-सम्मान प्राप्त नहीं होगा। चारों ओर अत्याचार और दुःखद वातावरण बना रहेगा। उससे जीवन खतरे में पड़ जायेगा।

MP Board Class 11th General Hindi Important Questions