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MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 12 Maharana Pratap

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Maharana Pratap Textual Exercises

Word Power

A. Pick out the correct meanings of the given words.
1. vehement
(a) possessing strong ideas
(b) showing very strong feelings
(c) fearless and dashing
(d) innocent and lovable.
Answer:
(b) showing very strong feelings

2. shepherd
(a) a person whose job is to take care of sheep
(b) a farmer who works in the fields
(c) one who works on a ship
(d) one, who supplies milk to others
Answer:
(a) a person whose job is to take care of sheep

3. noble
(a) very kind and polite
(b) a very famous drug
(c) having fine personal qualities the people admire
(d) the prestigious prize for literature and other areas
Answer:
(c) having fine personal qualities the people admire

4. pilgrimage
(a) a journey to a holy place for religious reasons
(b) a building with many pillars
(c) a voyage to the world
(d) a long drive
Answer:
(a) a journey to a holy place for religious reasons

5. ancestor
(a) a very ancient building
(b) a ruler in the past time
(c) one who studies the history of ancient heroes
(d) a person in your family who lived a long time ago
Answer:
(d) a person in your family who lived a long time ago

B. Use the following words in your own sentences.
Answer:

  1. rally – Members took out a larger rally in their party’s support.
  2. generous – We should be generous with our friends.
  3. ruin – Untimely rain has ruined the crops.
  4. emblem – Indian currency contains its national emblem.
  5. shrewd – Rohan had a shrewd look.

How Much Have I Understood?

A. Answer these questions. (One or two sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।)

Question 1.
Where did Pratap Singh encamp?
(व्हेयर डिड प्रताप सिंह एनकैम्प?)
प्रताप सिंह ने कहाँ पड़ाव डाला?
Answer:
Pratap Singh encamped at the foot of the Aravallis.
(प्रताप सिंह एन्कैम्प्ट एट द फुट ऑफ द अरावलीज़।)
प्रतापसिंह ने अरावली पर्वत के नीचे पड़ाव डाला।

Question 2.
What did Pratap Singh say to his son about Mewar?
(व्हॉट डिड प्रताप सिंह से टू हिज़ सन अबाऊट मेवाड़?)
प्रताप सिंह ने अपने बेटे से मेवाड़ के बारे में क्या कहा?
Answer:
Pratap Singh said to his son Prince Amar about Mewar to see his land for the last time and then turn his eyes towards exile.
(प्रताप सिंह सेड डू हिज़ सन प्रिन्स अमर अबाऊट मेवाड़ टू सी हिज़ लैण्ड फॉर द लास्ट टाइम एण्ड देन टर्न हिज़ आईज़ टुवर्ड्स एग्ज़ाइल।)
प्रताप सिंह ने अपने पुत्र राजकुमार अमर से कहा कि वह अपनी भूमि मेवाड़ को आखिरी बार देख लें व फिर निर्वासित हो जायें।

Question 3.
Who came to meet Pratap Singh in the disguise of Brahmins?
(हू केम टू मीट प्रताप सिंह इन द डिसगाइज़ ऑफ ब्रैहमिन्स?)
प्रताप सिंह से ब्राह्मण के वेश में कौन मिलने आया?
Answer:
Bhama Sah came to meet Pratap Singh in the disguise of Brahmins.
(भामा साह केम टू मीट प्रताप सिंह इन द डिस्माईज़ ऑफ ब्रैहमिन्स।)
भामा साह प्रताप सिंह से ब्राह्मण के वेश में मिलने आये।

Question 4.
Who was Bhama Sah?
(हू वॉज़ भामा साह?)
भामा साह कौन थे?
Answer:
Bhama Sah was the chief advisor and the Chief Minister of Rana Pratap. He was a very rich man.
(भामा साह वॉज़ द चीफ एडवाइज़र एण्ड द चीफ मिनिस्टर ऑफ राणा प्रताप। ही वॉज़ अ वेरी रिच मैन।)
भामा साह राणा प्रताप के मुख्य सलाहकार व मुख्यमन्त्री थे। वे काफी अमीर व्यक्ति थे।

Question 5.
What did Bhama Sah bring?
(व्हॉट डिड भामा साह ब्रिग?)
भामा साह क्या लाये?
Answer:
Bhama Sah had brought all his wealth in the form of gold that he had hoarded for many years.
(भामा साह हैड ब्रॉट ऑल हिज़ वेल्थ इन द फॉर्म ऑफ गोल्ड दैट ही हैड होर्डेड फॉर मैनी ईयर्स।)
भामा साह अपनी सारी दौलत सोने के रूप में जो कि उन्होंने कई वर्षों में इकट्ठा की थी, लाये थे।

Question 6.
Why did Bhama Sah travel as a pilgrim?
(व्हाय डिड भामा साह ट्रैवल एज़ अ पिलग्रिम?)
भामा साह तीर्थयात्री की तरह क्यों सफर कर रहे थे?
Answer:
Bhama Sah travelled as a pilgrim to prevent his identity from the Moghuls on the way.
(भामा साह ट्रेवल्ड एज अ पिलग्रिम टू प्रिवेन्ट हिज़ आइडेन्टिटी फ्रॉम द मुगल्स ऑन द वे।)
भामा साह तीर्थयात्री की तरह मुगलों से बचने के लिए सफर कर रहे थे।

Question 7.
What was Pratap Singh’s reaction after listening to Bhama Sah’s views?
(व्हॉट वॉज़ प्रताप सिंहज़ रिएक्शन आफ्टर लिसनिंग टू भामा साहज़ व्यूज?)
भामा साह के विचार जानने के बाद प्रताप सिंह की क्या प्रतिक्रिया थी?
Answer:
Pratap Singh was delighted to hear Bhama Sah’s views. He said that he had not felt that much joy since he became Mewar’s ruler.
(प्रताप सिंह वॉज़ डिलाइटेड टू हिअर् भामा साहज़ व्यूज़। ही सेड दैट ही हैड नॉट फेल्ट दैट मच जॉय सिन्स ही बिकेम मेवाड्ज़ रूलर।)
प्रताप सिंह भामा साह के विचारों को जानकर बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा कि उन्हें इतनी खुशी मेवाड़ का राजा बनने के बाद पहली बार हुई है।

Question 8.
What title did Pratap Singh give to Bhama Sah?
(व्हॉट टाइट्ल् डिड प्रताप सिंह गिव टू भामा साह?)
प्रताप सिंह ने भामा साह को कौन-सा खिताब दिया?
Answer:
Pratap Singh called Bhama Sah as saviour of Mewar.
(प्रताप सिंह कॉल्ड् भामा साह एज सेविअर ऑफ मेवाड़।)
प्रताप सिंह ने भामा साह को मेवाड़ का रक्षक कहा।

B. Answer these questions. (Three or four sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में दीजिए।)

Question 1.
Describe the thoughts of Bhama Sah about his motherland.
(डिस्क्राइब द थॉट्स् ऑफ भामा साह अबाऊट हिज़ मदरलैण्ड।)
भामा साह के अपनी माँ के बारे में विचारों का वर्णन कीजिए।
Answer:
Bhama Sah said that in Mewar there was grand and generous rule of Rajputs. There was great prosperity and tax was not levied by Rana over them in any case of need or hardship.
(भामा साह सेड दैट इन मेवाड़ देयर वॉज़ ग्रैण्ड एण्ड जेनरस रूल ऑफ राजपूत्स। देयर वॉज़ ग्रेट प्रॉस्पेरिटी एण्ड टैक्स वॉज़ नॉट लेवीड बाइ राणा ओवर देम इन एनी केस ऑफ नीड और हार्डशिप।)
भामा साह ने कहा कि मेवाड़ में राजपूतों का भव्य व उदार शासन था। वहाँ बहुत समृद्धता थी व राणा ने उन पर किसी भी जरूरत व परेशानी के समय कर नहीं लगाया।

Question 2.
Why did Pratap Singh call Bhama Sah the ‘Saviour of Mewar’?
(व्हाय डिड प्रताप सिंह कॉल भामा साह द ‘सेवियर ऑफ मेवाड़’?)
प्रताप सिंह ने भामा साह को मेवाड़ का रक्षक’ क्यों कहां?
Answer:
Pratap Singh called Bhama Sah the Saviour of Mewar’ because he had offered all his wealth to him for feeding and arming his army, so that he may not go into exile and retain Mewar. It would, therefore, be because of him that Mewar would be saved from Moguls.

(प्रताप सिंह कॉल्ड भामा साह द ‘सेवियर ऑफ मेवाड़’ बिकॉज़ ही हैड ऑफर्ड ऑल हिज़ वैल्थ टू हिम फॉर फीडिंग एण्ड आर्मिंग हिज़ आर्मी, सो दैट ही मे नॉट गो इन्टू एग्ज़ाइल एण्ड रिटेन मेवाड़। इट वुड, देयरफोर बी बिकॉज़ ऑफ हिम दैट मेवाड़ वुड बी सेव्ड फ्रॉम मुगल्स।)

प्रताप सिंह ने भामा साह को ‘मेवाड़ का रक्षक’ कहा क्योंकि उसने अपनी सारी दौलत उसे अपनी सेना को पालने व शस्त्रित करने में लगा दी थी जिससे कि वह निष्कासित न होकर मेवाड़ को वापस ले। अतः उसी की वजह से मेवाड़ की मुगलों से रक्षा होगी।

Question 3.
How did Rao Sakta react for Bhama Sah?
(हाउ डिड राउ सक्ता रिएक्ट फॉर भामा साह?)
भामा साह के लिए राउ सक्ता की क्या प्रतिक्रिया थी?)
Answer:
Rao Sakta on seeing Bhama Sah’s contribution for Mewar said that if Akbar knew it he would have bartered half on his captains for getting one Bhama Sah. A renowned person such as Raja Birbal was just a shadow of shrewd Bhama Sah.

(राउ सक्ता ऑन सीइंग भामा साहज़ कॉन्ट्रिब्यूशन फॉर मेवाड़ सेड दैट इफ अकबर न्यू इट ही वुड हैव बार्टर्ड हाफ ऑफ हिज़ कैप्टेन्स फॉर गेटिंग वन भामा साह। अ रिनाउन्ड पर्सन सच एज राजा बीरबल वॉज़ जस्ट अ शैडो ऑफ श्रूड भामा साह।)

‘राव सक्ता ने भामा साह का मेवाड़ के लिए योगदान देखकर कहा कि अगर अकबर यह जानता तो वो अपने आधे सिपाही एक भामा साह को पाने के लिए दे देता। राजा बीरबल जैसा लोकप्रिय व्यक्ति भी चतुर भामा साह की बस परछाईं है।

Question 4.
Describe the qualities of Maharana Pratap.
(डिस्क्राइब द क्वॉलिटीज़ ऑफ महाराणा प्रताप।)
महाराणा प्रताप के गुणों का वर्णन कीजिए।
Answer:
Maharana Pratap was a brave and patriotic Rajput with love for his motherland. He was an egoistic but responsible person. He could have finished himself instead of going into exile but for the sake of his family’s responsibility he struggles and survives.

(महाराणा प्रताप वॉज़ अ ब्रेव एण्ड पेट्रिऑटिक राजपूत विद लव फॉर हिज़ मदरलैण्ड। ही वॉज़ इन ईगोइस्टिक बट रिस्पॉन्सिबल पर्सन। ही कड हैव फिनिश्ड हिमसेल्फ इन्स्टैड ऑफ गोइंग इन्टू एग्ज़ाइल बट फॉर द सेक ऑफ हिज़ फैमिलीज़ रिस्पॉन्सिबिलिटी ही स्ट्रगल्स एण्ड सरवाइव्स।)

महाराणा प्रताप एक बहादुर व देशभक्त राजपूत थे जो अपनी मातृभूमि से प्रेम करते थे। वे स्वामिभानी मगर जिम्मेदार व्यक्ति थे। उन्होंने निष्कासन में जाने के बजाय आत्महत्या कर ली होती मगर अपने परिवार के लिए वे जीवित रहते हैं व संघर्ष करते हैं।

Language Practice

A. Underline the Noun Clauses in the following sentences.
(Noun Clauses को रेखांकित करिए।)
Answer:

  1. A teacher always thinks how his students are preparing for the examination.
  2. I do not know what she will sing at the annual function.
  3. The postman knows everybody where he/she lives.
  4. Harish told me that he would come late.
  5. Do you know when Mahatma Gandhi was born?

B. Combine the pairs of sentences using a suitable conjunction.
(निम्न वाक्यों को जोड़िए)

Question 1.
Razia wants to know:
What did Sheela want?
Answer:
Razia wants to know what Sheela wanted.

Question 2.
I believed.
He was a true friend.
Answer:
I believed that he was a true friend.

Question 3.
Rajesh does not know.
He can solve the problems.
Answer:
Rajesh does not know that he can solve the problems.

Question 4.
Do you know?
When will the bus arrive here?
Answer:
Do you know when the bus will arrive here?

Question 5.
Can you tell me?
What was the result of the match?
Answer:
Can you tell me what was the result of the match?

Question 6.
It is a mystery.
Why did she leave the hall?
Answer:
It is a mystery why she left the hall

Listening Time

The teacher will read aloud the following words with proper pronunciation and students will repeat them.
(निम्न लिखित को पूरा कीजिए।)
Answer:
MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 12 Maharana Pratap 1

Speaking Time

Talk to your friends about the given calendar. Students should ask some questions based upon the calendar.
(पुस्तक में दी गई समय सारणी देखकर छात्र आपस में एक- दूसरे से सवाल करें।)
Answer:
Students can talk among themselves seeing the given calendar.
(छात्र आपस में स्वयं बात करें।)

Writing Time

Question 1.
Write the character sketch of Rana Pratap in not more than 100 words.
(राणा प्रताप का चरित्र-चरित्र 100 शब्दों में लिखिए)
Answer:
Rana Pratap was a brave Rajput with great patriotic feeling for his kingdom Mewar. He was an egoistic but responsible person. He knew his responsibility towards his family. That is why instead of ending his life he thinks of becoming even a shepherd. He was generous and humble even when a ruler. He was also full of gratitude for the contribution of Bhama Sah. He agreed to take money from him because he wanted to free his land from the Moghuls otherwise he was not greedy of money as he never imposed any tax on him during his rule.

Question 2.
Write a paragraph about Bhama Sah in not more than 50 words.
(भामा सह के में 50 शब्दों में एक गधांश लिखिए)
Answer:
Bhama Sah, the Chief Minister and chief advisor of Rana Pratap was a symbol of sacrifice and love for one’s motherland. He willingly gave away all the wealth that he had earned throughout his life for the sake of freedom of Mewar and for struggling Rana Pratap in exile. He was a brave and intelligent person as he reached Rana Pratap in disguise of a pilgrim taking the risk of his life and passes the Moghuls on the way without getting caught.

Things to do

Make a list of some Indian freedom fighters.
(भारतीय स्वतन्त्रता सेनानियों की सूची बनाओ।)
Answer:
Bhagat Singh, Sukhdev, Rajguru, Mahatma Gandhi, Subhash Chandra Bose, Jawaharlal Nehru, Chandrashekhar.

Maharana Pratap Difficult Word Meanings

MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 12 Maharana Pratap 2

Maharana Pratap Summary, Pronunciation & Translation

Characters :

Pratap Singh : Ruler of Mewar
Rawat Krishna : Rawat Krishna of Salumbar, one of the loyal followers of Rana Pratap
Rao Sakta : One of the faithful followers of Rana Pratap. He was the chief of the Saktawats.
Bhama Sah : The chief advisor and the Chief Minister of Rana Pratap. He was a very rich man.
Amar Singh : The son of Rana Pratap

[Pratap Singh with the remnants of his followers, his family and their attendants, is encamped at the foot of the Aravallis. It is dark, and the chain of mountain fortresses looms like an impregnable black wall above them. The Royal Ladies are resting after the fatigues of the march, and the Rana and his son, Prince Amar stand together, withdrawn a little from the rest of the warriors.]

कैरेक्टर्स
(प्रताप सिंह: रूलर ऑफ मेवाड़.
रावत कृष्णा : रावत कृष्णा ऑफ सालुम्बर, वन ऑफ द लॉयल फॉलोअर्स ऑफ राणा प्रताप.
राव सक्ता : वन ऑफ द फेथफुल फॉलोअर्स ऑफ राणा प्रताप. ही वॉज़ द चीफ ऑफ द सक्तावत्स.
भामाशाह : द चीफ एडवाईज़र ऐण्ड द चीफ मिनिस्टर ऑफ राणा प्रताप. ही वॉज़ अ वेरी रिच मैन.
अमर सिंह : द सन ऑफ राणा प्रताप.

(प्रताप सिंह विद द रेम्नेण्ट्स ऑफ हिज़ फॉलोअर्स, हिज़ फैमिली ऐण्ड देयर अटेण्डेण्ट्स, इज़ एन्कैम्प्ड ऐट द फुट ऑफ द अरावलीज़. इट इज़ डार्क, ऐण्ड द चेन ऑफ माऊण्टेन फॉरट्रेसिस लूम्स लाईक ऐन इम्प्रेग्नेबल ब्लैक वाल अबव दैम. द रॉयल लेडीज़ आर रेस्टिंग आफ्टर द फैटीग्स ऑफ द मार्च, ऐण्ड द राणा ऐण्ड हिज़ सन, प्रिंस अमर स्टैण्ड टुगेदर, विथड्रॉन अ लिटल फ्रॉम द रेस्ट ऑफ द वॉरियर्स.)

अनुवाद :
पात्र
प्रताप सिंह : मेवाड़ के राजा (राणा प्रताप)
रावत कृष्णा : ‘राणा प्रताप के विश्वस्त निष्ठावान अनुयायियों में से एक सालुम्बर के रावत कृष्णा।
राव सक्ता : राणा प्रताप के एक भरोसेमन्द अनुयायी। वे शाक्तों के प्रधान थे।
भामा शाह : राणा प्रताप के मुख्य सलाहकार एवं मुख्यमंत्री। वे बहुत धनवान थे।
अमर सिंह : राणा प्रताप का बेटा।

प्रताप सिंह अपने बचे-खुचे अनुयायियों, अपने परिवार के सदस्यों एवं उनके अनुचरों के साथ अरावली पर्वतों की तलहटी में डेरा डाले हुए हैं। अंधेरा हो चुका है और अरावली की पर्वत श्रृंखला ऐसी प्रतीत हो रही है जैसे किसी अभेद्य किले की दीवारें उन्हें घेरे हैं। राजपरिवार की महिलाएँ लम्बी पैदल यात्रा के बाद थकान उतारने के लिए आराम कर रही हैं और राणा और उनका पुत्र राजकुमार अमर अन्य योद्धाओं से थोड़ा अलग हटकर खड़े

Pratap Singh : (Speaking with calm bitterness) Come, Amar, look your last upon the land where you were born. It was meant for your inheritance, long have I striven for it and you. Look once again, then turn your eyes towards exile. This is the last phase of Pratap Singh of Mewar.
Prince Amar : (vehemently) Father, I would have fought until my sword was broken at the hilt, or I had fallen dead, rather than leave our country.
Pratap Singh : And so would I, my son, for what is life when exiled and stripped of all which made each day a fresh and fine adventure? (waves a hand towards where the ladies are placed.) But what of those poor women, the queen, and your new-wed wife, a gallant child but tender?

(प्रताप सिंह : (स्पीकिंग विद काम बिटरनैस) कम, अमर लुक यॉर लास्ट अपॉन द लैण्ड व्हेअर यू वर बॉर्न. इट वॉज़ मेण्ट फॉर यॉर इन्हेरिटेन्स, लॉन्ग हैव आई स्ट्रिवन फॉर इट ऐण्ड यू. लुक वन्स अगेन, देन टर्न यॉर आईज़ टुवर्ड्स एक्जाईल. दिस इज़ द लास्ट फेज़ ऑफ प्रताप सिंह ऑफ मेवाड़.)
प्रिंस अमर : (वेहमेण्टली) फादर, आई वुड हैव फॉट अन्टिल माई स्वोर्ड वॉज़ ब्रोकिन ऐट द हिल्ट ऑर आई हैड फालन डैड, रादर दैन लीव आवर कंट्री.
प्रताप सिंह : ऐण्ड सो वुड आई, माई सन् फॉर व्हॉट इज़ लाईफ व्हेन ऐक्जाईल्ड ऐण्ड स्ट्रिप्ड ऑफ ऑल व्हिच मेड ईच डे अ फ्रेश ऐण्ड फाईन ऐडवेन्चर? (वेव्ज़ अ हैण्ड टुवर्ड्स व्हेअर द लेडीज़ आर प्लेस्ड.) बट व्हॉट ऑफ दोज़ पूअर विमन. द क्वीन ऐण्ड यॉर न्यू-वेड वाईफ, अ गैलैण्ट चाईल्ड बट टेण्डर?)

अनुवाद :
प्रताप सिंह : (कटुता लिए स्वर में) आओ अमर और उस धरती को अन्तिम बार देख लो जहाँ तुम्हारा जन्म हुआ था। यह तुम्हें विरासत में मिलनी थी। मैंने लम्बे समय तक इसके लिए प्रयत्न किया। एक बार पुनः इसे देख लो फिर उसके बाद अपनी आँखें निर्वासन की तरफ फेर लो। यह मेवाड़ के प्रताप सिंह का आखिरी दौर है।
राजकुमार अमर : (ज़ोरदार ढंग से) पिताजी देश छोड़ने के बजाए मैं तब तक लड़ता जब तक कि मेरी तलवार मूठ से नहीं टूट जाती या फिर मैं वीरगति को प्राप्त हो जाता।
प्रताप सिंह : मैं भी मेरे पुत्र, क्योंकि जीवन ही क्या जब निर्वासित हों और उन सभी चीज़ों से वंचित कर दिए गए हों जो हर एक दिन का एक नूतन चित्ताकर्षक अपूर्व अनुभव बनाते हैं? (अपने एक हाथ से महिलाओं को इंगित करते हुए) परन्तु इन बेचारी महिलाओं का क्या, रानी अभी हाल ही में शादी करके आई तुम्हारी पत्नी जो एक बहादुर बच्ची है परन्तु कोमल है?

Prince Amar : Mira! If I had died for Mewar, we had long decided that this good sword of mine should have set her free.
Pratap Singh : (Shocked) That lovely maidenyou would have killed her, Amar?
Prince Amar : (Very proudly) Yes, killed her so that no rough hand should touch her robe. She wished it, being a Rajput woman, and begged me with many tears never to leave her.
Pratap Singh : (with a sigh almost of relief) Well, she at least is safe, and my dear queen, the noblest woman ever given to man. Come, look your last, dear Prince, the light is failing: then break your sword and lay it shattered as a last offering upon the tomb of your lost Mewar.

(प्रिंस अमर : मीरा! इफ आई हैड डाईड फॉर मेवाड़, वी हैड लॉन्ग डिसाईडिड दैट दिस गुड स्वोर्ड ऑफ माईन शुड हैव सेट हर फ्री.
प्रताप सिंह : (शॉक्ड) दैट लवली मेडन-यू वुड हैव किल्ड हर, अमर?
प्रिंस अमर : (वेरी प्राऊडली) यस, किल्ड हर सो दैट नो रफ हैण्ड शुड टच हर रोब, शी विश्ड इट, बीईंग अ-राजपूत वुमन, ऐण्ड वेग्ड मी विद मैनी टीयर्स नेवर टू लीव हर.
प्रताप सिंह : (विद अ साय ऑलमोस्ट ऑफ रिलीफ) वैल, शी ऐट लीस्ट इज सेफ. ऐण्ड माई डीयर क्वीन, द नोबलेस्ट वुमन, एवर गिवन टू मैन. कम, लुक यॉर लास्ट, डीयर प्रिंस, द लाईट इज़ फेलिंग: देन ब्रेक यॉर स्वोर्ड ऐण्ड ले इट शैटर्ड ऐज़ अ लास्ट ऑफरिंग अपॉन द टूम्ब ऑफ यॉर लॉस्ट मेवाड़.)

अनुवाद :
राजकुमार अमर : मीरा! यदि मैं मेवाड़ की खातिर मर गया होता तो हमने बहुत पहले ही यह तय कर लिया था कि यह मेरी प्यारी तलवार उसको आज़ाद कर देती।
प्रताप सिंह : (स्तंभित होकर) वो प्यारी लड़की-तुम उसे मार देते अमर?
राजकुमार अमर : (शान से) हाँ मार देता ताकि किसी के गन्दे हाथ उसके वस्त्रों तक न पहँचे। एक राजपूत महिला होने के नाते यही उसकी इच्छा थी और अश्रुपूरित नेत्रों से मुझसे उसने अकेला छोड़कर न जाने की विनती की थी।
प्रताप सिंह : (राहत भरी दीर्घ निश्वास के साथ) चलो अच्छा हुआ। वह कम से कम जीवित और सुरक्षित तो है, और मेरी प्रिय रानी, सबसे शरीफ, कुलीन महिला जो कि किसी पुरुष को पत्नी रूप में मिली। आओ प्यारे राजकुमार अन्तिम बार देख लो क्योंकि रोशनी अब जाने ही वाली है: फिर तलवार को तोड़ दो और इस धरती पर डाल दो हार चुके मेवाड़ की समाधि पर अपने अन्तिम भेंट स्वरूप।

Prince Amar : (in great distress) What! Break my sword, Maharanaji! Do not ask me. It is the very one that Rawat Krishna gave me, bidding me be the first knight of the great Rana, Pratap Singh.
Pratap Singh : (brokenly) Good, noble, brave Salumbar! If he spoke so, then Amar, keep your sword, and I’ll keep mine. I had intended to live the life of any private man, even turn shepherd and watch goats as the great Sanga did. .
Prince Amar : (cheerfully) and very badly, getting a cuff from his rough master.

(प्रिंस अमर : (इन ग्रेट डिस्ट्रेस) व्हॉट! ब्रेक माई स्वोर्ड, महाराणाजी! डू नॉट ऑस्क मी। इट इज़ द वेरी वन दैट रावत कृष्णा गेव मी, बिडिंग मी द फर्स्ट नाईट ऑफ द ग्रेट राणा, प्रताप सिंह
प्रताप सिंह : (ब्रोकनली) गुड, नोबल, ब्रेव सालुम्बर! इफ ही स्पोक सो, देन अमर, कीप यॉर स्वोर्ड, ऐण्ड आई विल कीप माईन. आई हैड इन्टेन्डिड टू लिव द लाईफ ऑफ एनी प्राईवेट मैन, ईवन टर्न शेपहर्ड ऐण्ड वॉच गोट्स ऐज़ द ग्रेट सांगा डिड.
प्रिंस अमर : (चीयरफुली) ऐण्ड वेरी बैडली, गेटिंग अ कफ फ्रॉम हिज़ रफ मास्टर.)

अनुवाद :
राजकुमार अमर : (अत्यधिक परेशानी में) क्या! अपनी तलवार तोड़ दूं महाराणाजी! ऐसा मत कहिए। यह वही तलवार है जो मुझे रावत कृष्णा ने दी थी यह कहते हुए कि मैं महान राणा प्रताप सिंह का प्रथम सामंत हूँ।)
प्रताप सिंह : (टूटे हुए स्वर में) नेक, प्रशंसनीय, बहादर सालुम्बर! यदि उसने ऐसा कहा था तो अमर अपनी तलवार रख लो और मैं अपनी। मैंने एक आम आदमी का जीवन जीने का निश्चय किया है, यहाँ तक कि चरवाहा बनकर बकरियाँ निहारूँगा जैसे महान सांगा (राणा सांगा) करते थे।
राजकुमार अमर : (प्रसन्नतापूर्वक) हाँ और वो भी बड़े खराब ढंग से जिस कारण उन्हें अपने अशिष्ट असभ्य मालिक से तमाचा भी पड़ा था।

Pratap Singh : Kings are not suited to a shepherd’s staff, though even they may learn. Well, Amar, your high spirit has helped my own, fallen so low that the vast desert stretching out before us might well have been my bier.
Prince Amar : (shyly) I’m glad you’re comforted. But who is this approaching? An old, old man; a Brahman from his dress, and all his company are Brahmans too, no warrior among them.
Pratap Singh : Strange, in these warlike times, an unarmed band. Perhaps they carry daggers beneath their robes. It seems they’re friendly.

(प्रताप सिंह : किंग्ज़ आर नॉट सूटिड टू अ शेपहर्ड स्टाफ, दो ईवन दे मे लन. वैल, अमर, यॉर हाई स्पिरिट हैज़ हैल्प्ड माई ओन, फॉलन सो लो दैट द वास्ट डेज़र्ट स्ट्रेचिंग आऊट बिफोर अस माईट वैल हैव बीन माई बायर.
प्रिंस अमर : (शाईली) आई ऐम ग्लैड यू आर कम्फर्टिड. बट हू इज़ दिस अप्रोचिंग? ऐन ओल्ड, ओल्ड मैन; अ ब्राह्मण फ्रॉम हिज़ ड्रैस, ऐण्ड ऑल हिज़ कम्पनी आर ब्राह्मन्स टू, नो वॉरियर अमंग दैम.
प्रताप सिंह : स्ट्रेन्ज, इन दीज़ वॉरलाईक टाईम्स, एन अनआर्मड बैण्ड. परहैप्स दे कैरी डैगर्स बिनीथ देयर रोब्स. इट सीम्स दे और फ्रण्डली.)

अनुवाद :
प्रताप सिंह : चरवाहे की लाठी के लिए राजा लोग उपयुक्त नहीं हैं परन्तु वे भी सीख सकते हैं। अमर तुम्हारे उत्साह से मेरा भी उत्साहवर्द्धन हुआ है जो इतना कम हो चुका था कि हमारे सामने फैली यह विशाल मरुभूमि मेरी अर्थी ही बन जाती।
राजकुमार अमर : (झेंपते हुए) मुझे खुशी है कि आपको तसल्ली मिली। परन्तु यह कौन आ रहा है? एक बेहद वृद्ध व्यक्ति: भेषभूषा से ब्राह्मण प्रतीत हो रहा है, और उसके सभी संगी साथी भी ब्राह्मण ही लग रहे हैं, उनमें से कोई भी सैनिक नहीं है।
प्रताप सिंह : हैरानी की बात है, इन युद्ध जैसे हालातों में कोई हथियार विहीन टोली। शायद वे अपने वस्त्रों के अन्दर खन्जर छिपाए हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वे काफी मित्रवत हैं.

Prince Amar : Shall I ask their business? Here comes Rao Sakta. (moves forward quickly to meet Rao Sakta, the Chief of the Saktawats, who is accompanying the Rana into exile.) Uncle, who are these Brahmans, by their dress? It’s very strange that they should seek the Rana at this late hour.
Rao Sakta : (gaily) Who, who are these? Why? Nephew, pilgrims surely, who seek the safety of our armed escorts. Even the desert might conceal a band of thieves or some sharp spy of Akbar’s.
Prince Amar : (laughing too) To steal from you ! That would be clever! (earnestly.) it’s not for myself I want good tidings.

(प्रिंस अमर : शैल आई आस्क देयर बिज़नस? हेयर कम्स राव सक्ता. (मूज़ फॉरवर्ड क्विक्ली टू मीट राव सक्ता, द चीफ ऑफ द सक्तावत्स, हू इज़ अकम्पनीईंग द राना इण्टू एक्ज़र्ज़ाइल) अंकल, हू आर दीज़ ब्राह्मन्स, बाई देयर ड्रेस? इट इज् वेरी स्ट्रेन्ज दैट दे शुड सीक द राना ऐट दिस लेट आवर.
राव साक्ता : (गेली) हू, हू आर दीज? वाई? नेफ्यू, पिल्यिम्स श्योरली, हू सीक द सेफ्टी ऑफ ऑवर आम्र्ड एस्कॉर्ट्स, ईवन द डेज़र्ट माईट कन्सील अ बैण्ड ऑफ थीव्ज़ ऑर सम शार्प स्पाई ऑफ अकबर्स.)
प्रिंस अमर : (लाफिंग ट्र) टू स्टील फ्रॉम यू! दैट वुड बी क्लेवर! (अर्नेस्ट्ली) इट इज़ नॉट फॉर माईसेल्फ आई वॉण्ट गुड टाईडिंग्स.

अनुवाद :
राजकुमार अमर-क्या मैं उनसे पूछू उनके आने का कारण? लो राव सक्ता आ रहे हैं (सक्तावतों के मुखिया राव सक्ता जो राणा प्रताप के निर्वासित जीवन में उनके साथ हैं से मिलने को तेजी से आगे बढ़े) चाचा यह वेशभूषा से ब्राह्मण प्रतीत होने वाले लोग कौन हैं ? आश्चर्य की बात है कि इतनी रात में यह लोग राणा के पास आए हैं।
राव सक्ता : (प्रसन्नचित्त होकर) कौन, कौन हैं यह? क्यों? भतीजे, निश्चित रूप से तीर्थयात्री, जो हमारे हथियारबन्द रक्षकों की सुरक्षा चाहते हैं। मरुभूमि में भी लुटेरे हो सकते हैं या फिर अकबर के चतुर गुप्तचर।
राजकुमार अमर : (हंसी में साथ देते हुए) आपसे चुराने के लिए! यह बहुत अक्लमंदी का काम होगा! (गम्भीरता से) अपने लिए नहीं मैं अच्छा समाचार सुनना चाहता हूँ।

Rao Sakta : Ha!
Prince Amar : (laughing again) How good it is to laugh once more!
Rao Sakta : Sssh! you will awake the Queen. She’ll thinkyou crazy, for mirth has long been absent from our thoughts.
Prince Amar : But have you good news?
Rao Sakta : Well, middling good.
Prince Amar : Then share it with the Rana.

(राव सक्ता : हा!
प्रिंस अमर : (लाफिंग अगेन) हाऊ गुड इट इज़ टू लाफ वन्स मोर!
राव सक्ता : शsssh! यू विल अवेक द क्वीन. शी विल थिंक यू क्रेजी, फॉर मर्थ हैज़ लॉन्ग बीन ऐबसेण्ट फ्रॉम आवर थाट्स.. प्रिंस अमर : बट हैव यू गुड न्यूज़ ?
राव सक्ता : वैल, मिडलिंग गुड. प्रिंस अमर : देन शेयर इट विद द राना.)

अनुवाद :
राव सक्ता : हा!
राजकुमार अमर : (पुनः हँसते हुए) कितना अच्छा है एक बार फिर से हँसना!
राव सक्ता : शsss! तुम रानी साहिबा को जगा दोगे। वह समझेंगी तुम पागल हो गए हो क्योंकि आनन्द तो हमारी सोच में. बहुत समय से नहीं है।
राजकुमार अमर : परन्तु क्या आपके पास अच्छी खबर
राव सक्ता : ज्यादा तो नहीं परन्तु थोड़ी अच्छी खबर है।
राजकुमार अमर : फिर आप राणा जी को भी बताएँ।

Rao Sakta : It is all his. The Chief Minister, Bhama Sah, has come to say farewell, to wish the Rana happy days and all good fortune.
Prince Amar : (disappointed) ‘Good fortunehappy days?’ When far from Mewar! So that’s your news. Good Bhama Sah meant well, but yet another parting will make it harder for my father. See how he stands there, Uncle, Quite, quite alone.

Rao Sakta : (quickly) His back is not towards Mewar. (crosses over the grass to where the Rana is standing still gazing at the dim outline of the peaks of the Arawallis. He seems to have forgotten the arrivals. Rao Sakta touches him on the arm.) Patta! Patta! I have news for you. Bhama Sah wishes to pay his respect to you: significantly some great benevolent purpose brings him after us.

(राव सक्ता : इट इज़ ऑल हिज़. द चीफ मिनिस्टर, भामा शाह, हैज़ कम टू से फेयरवैल, टू विश द राना हैप्पी डेज़ ऐण्ड ऑल गुड फॉरचून.
प्रिंस अमर : (डिस्अपॉईन्टिड) ‘गुड फॉरचून-हैप्पी डेज़?’ व्हेन फार फ्रॉम मेवाड़! सो दैट्स यॉर न्यूज़, गुड भामा शाह मेण्ट वैल, बट यट अनदर पार्टिंग विल मेक इट हार्डर फॉर माई फादर. सी हाऊ ही स्टैण्ड्स देयर, अंकल, क्वाईट अलोन.

राव सक्ता : (क्विकली) हिज़ बैक इज नॉट टुवर्ड्स मेवाड़. (क्रॉसिस ओवर द ग्रास टू व्हेअर द राना इज़ स्टैण्डिग स्टिल गेजिंग ऐट द डिम आऊटलाईन ऑफ द पीक्स ऑफ द अरावलीज. ही सीम्स टू हैव फॉरगॉटन द अराईवल्स. राव सक्ता टचिस हिम ऑन द आर्म.) पट्टा! पट्टा! आई हैव न्यूज़ फॉर यू. भामा शाह विशस टू पे हिज़ रिस्पेक्ट टू यू : सिग्निफिकेण्ट्ली सम ग्रेट बेनिवलेण्ट पर्पस ब्रिग्स हिम आफ्टर अस.)

अनुवाद :
राव सक्ता : सब कुछ उन्हीं के लिए है। मुख्यमन्त्री भामा शाह आए हैं उनको विदा करने और आनन्द भरे दिनों की व सौभाग्य की कामना करने।
राजकुमार अमर : (निराशा से) ‘सौभाग्य-आनन्द भरे दिन’? जबकि मेवाड़ से दूर हैं! तो यह है आपकी खबर। नेक भामा शाह की सोच अच्छी है परन्तु एक और विदाई मेरे पिताजी को और दुखी करेगी। चाचा देखिए कैसे खड़े हैं वे अकेले, नितान्त अकेले।

राव सक्ता : (जल्दी से) उनकी पीठ मेवाड़ की तरफ नहीं है। (घास पर से चलकर वहाँ पहुँचते हैं जहाँ राणा खड़े होकर अभी भी अरावली की चोटियों की धुंधली आकृतियाँ निहार रहे थे। वे आगन्तुकों के बारे में शायद भूल चुके हैं। राव सक्ता उनकी बाँह छूकर.) पट्टा! पट्टा! मेरे पास आपके लिए सूचना है। भामा शाह आपसे मिलने के इच्छुक हैं-ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ विशेष सद्भावपूर्ण उद्देश्य उन्हें हमारे पीछे लाया है।

Pratap Singh : Good, kind old man. For generations his family has served the state. Well, bring him to me, this grassy plot must be my hall of audience. (Sakta hurries off and returns with the venerable figure of Bhama Sah, whom he leaves alone with the Rana. The Minister prostrates himself at the feet of Pratap Singh). Rise, my good friend. No longer am I Lord of Mewar; only a poor wanderer. (bitterly.) My caravan, it would disgrace a gipsy.

Bhama Sah : (rises to his feet and stands with folded hands and bent head in front of his master) Maharanaji ! long ago my ancestors found favour with the Lords of Mewar. Since then, thanks to a grand and generous rule, great prosperity has attended all our family. No need, no hardship, has ever: caused the Rana to levy a tax upon our private fund. And so we find ourselves rich in a land of ruin. While Princes have hungered, we have hoarded gold.

(प्रताप सिंह : गुड, काईण्ड ओल्ड मैन. फॉर जनरेशन्स हिज़ फैमिली हैज़ सर्ल्ड द स्टेट. वैल, बिंग हिम टू मी, दिस ग्रासी प्लॉट मस्ट बी माई हॉल ऑफ ऑडियन्स. (सक्ता हरीज़ ऑफ ऐण्ड रिटर्स विद द वेनरेबल फिगर ऑफ भामा शाह, हूम ही लीव्ज़ अलोन विद द राना. द मिनिस्टर प्रॉस्ट्रेट्स हिमसेल्फ ऐट द फीट ऑफ प्रताप सिंह). राईज़ माई गुड फ्रैण्ड. नो लॉन्गर ऐम आई लॉर्ड ऑफ मेवाड़; ओनली अ पूअर वॉन्डरर. (बिटरली) माई कैरावान, इट वुड डिस्प्रेस अ जिप्सी.

भामा शाह : (राईज़िज टू हिज़ फीट ऐण्ट स्टैण्ड्स विद फोल्डिड हैण्ड्स ऐण्ड बेण्ट हैड इन फ्रण्ट ऑफ हिज् मास्टर) महारानाजी! लॉन्ग अगो माई एन्सेस्टर्स फाऊण्ड फेवर विद द लॉर्ड्स ऑफ मेवाड़, सिन्स दैन, थैक्स टू अ ग्रैण्ड ऐण्ड जेनरस रूल, ग्रेट प्रॉस्परिटी हैज़ अटेण्डिड ऑल आवर फैमिली. नो नीड, नो हार्डशिप, हैज़ एवर कॉज्ड द राना टू लेवी अ टैक्स अपॉन आवर प्राईवेट फण्ड. ऐण्ड सो वी फाईण्ड आवरसेल्व्स रिच इन अ लैण्ड ऑफ रूइन. व्हाईल प्रिन्सिस हैव हंगर्ड, वी हैव होर्डिड गोल्ड.)

अनुवाद :
प्रताप सिंह : नेक, दयालु वृद्ध मित्र। पीड़ियों से उनके परिवार ने राज्य की सेवा की है। ठीक है, उन्हें यहाँ ले आओ, यह घासयुक्त भूमि का भाग मेरा सभागृह होगा। (सक्ता जल्दी से जाते हैं और श्रद्धेय भामा शाह के साथ लौटते हैं, जिन्हें वे राणा के पास अकेले छोड़ जाते हैं। मन्त्री भामा शाह राणा के चरणों में दण्डवत प्रणाम करते हैं)। उठो मेरे प्रिय मित्र। अब मैं मेवाड़ का राजा नहीं; एक गरीब पथिक हूँ। (कटुता से) मेरा कारवाँ किसी बंजारे के कारवाँ से भी गया-गुज़रा है।

भामा शाह : (खड़े होते हैं और हाथ जोड़कर एवं सिर को झुकाकर अपने स्वामी के सामने खड़े होते हैं) महाराणाजी। बहुत समय पहले मेरे पूर्वजों पर मेवाड़ राजवंश की कृपा हुई थी। तब से एक बेहद शानदार, उदार शासन की बदौलत हमारे परिवार को बहुत समृद्धि मिली। राज्य की किसी भी परेशानी में कभी भी राणा ने हमारी पारिवारिक सम्पत्ति पर कोई कर नहीं लगाया। इन सब कारणों से हम इस बर्बाद प्रदेश स्वयं को बेहद धनी पाते हैं। जहाँ राजकुमारों ने फाके किये (भूखे रहे), हमने स्वर्ण इकट्ठा किया।

Pratap Singh : (wearily) Why not the gold? No stain has ever touched your honour, my good Bhama Sah. But what of this? I’m glad to feel there’s one my conflict has not ruined. So, go your way and take your Rana’s blessing, even if he calls himself so far the last time.
Bhama Sah : The hoarded wealth of many years, I’ve brought for your acceptance.
Pratap Singh : (in amazement) For mine?

(प्रतापसिंह : (वीयरिली) व्हाई नॉट द गोल्ड? नो स्टेन हैज़ एवर टच्ड यॉर ऑनर, माई गुड भामा शाह. बट व्हॉट ऑफ दिस? आई ऐम ग्लैड टू फील देयर्स वन माई कन्फ्लिक्ट हैज़ नॉट रूइन्ड सो, गो यॉर वे ऐण्ड टेक यॉर रानाज़ ब्लेसिंग, ईवन इफ ही काल्स, हिमसेल्फ सो फॉर द लास्ट टाईम.
भामा शाह : द होर्डिड वेल्थ ऑफ मैनी यीअर्स, आई हैव ब्रॉट फॉर यॉर एक्सेप्टेन्स.
प्रताप सिंह : (इन अमेजमेण्ट) फॉर माईन?)

अनुवाद :
प्रतापसिंह : (थके हुए अंदाज़ में) सोना क्यों नहीं? मेरे अच्छे भामा शाह तुम्हारे सम्मान तुम्हारी प्रतिष्ठा पर कभी कोई दाग नहीं लगा। परन्तु इसका क्या। मैं खुश हूँ कि मेरे युद्ध के कारण कम-से-कम एक तो है जो बर्बाद नहीं हुआ। तो प्यारे मित्र अपनी राह जाओ, और अपने राणा की दुआएँ ले जाओ जबकि वह अन्तिम बार स्वयं के लिए यह सम्बोधन प्रयोग कर रहा है।
भामाशाह : इतने वर्षों का जमा किया गया धन, मैं आपकी सेवा में लाया हूँ स्वीकार हेतु।
प्रताप सिंह : (आश्चर्य से) मेरे लिए?

Bhama Sah : I’ve not kept one golden coin, nor anything I thought could swell the fund. Dear Lord, my kindest noblest master, I have lived to greet the day when I might bring my service to one full and splendid close. I’ve wealth enough to feed and arm your warriors for twelve or fifteen years. Not just a few brave men, but twenty, thirty thousand lusty Rajputs. Come, how’s that for Akbar? We’ll soon show him, and his Moguls, too, how Mewar men may rally. Up, upon the hill side, I passed a Mogul camp.

A merry crew, all drinking good riddance to the Rana, the flying Rana Pratap. We stole so quietly by them, they little knew how near them a band of well picked swordsmen, looking like humble pilgrims, passed. They little knew our purpose or how, below Kumbhalmer, we’d saddled sixty horses, who had descended the rocky paths each moving as quietly as a leopard on its padded paws.

(भामा शाह : आई हैव नॉट केप्ट वन गोल्डन कॉईन, नॉर एनीथिंग आई थॉट कुड स्वेल द फंड. डीयर लॉर्ड, माई काईन्डेस्ट नोबलेस्टं मास्टर, आई हैव लिव्ड टू ग्रीट द डे व्हेन आई माईट बिंग माई सर्विस टू वन फुल ऐण्ड स्प्लेण्डिड क्लोज. आई हैव वेल्थ एनफ टू फीड ऐण्ड आर्म यॉर वॉरियर्स फॉर ट्वेल्व और फिफ्टीन यीअर्स. नॉट जस्ट अ फ्यू ब्रेव मेन, बट ट्वेण्टी. थर्टी थाऊजेण्ड लस्टी राजपूट्स. कम, हाउज़ दैट फॉर अकबर? वी विल सून शो हिम, ऐण्ड हिज् मोगल्स, टू, हाऊ मेवाड़ मेन मे रैली. अप, अपॉन द हिल साईड, आई पास्ड अ मोगल कैम्प.

अ मेरी क्रू, ऑल ड्रिन्किंग गुड रिडेन्स टू द राना, द फ्लाईंग राना प्रताप. वी स्टोल सो क्वाईट्ली बाई दैम, दे लिटल न्यू हाऊ नीयर देम अ बैण्ड ऑफ वेल पिक्ड स्वोसमेन, लुकिंग लाईक हम्बल पिल्ग्रिम्स, पास्ड. दे लिटल न्यू आवर पर्पस ऑर हाऊ, बिलो कुम्भलमेर, वी हैड सैडल्ड सिक्स्टी हार्सिस, हू हैड डिसेन्डिड द रॉकी पाथ्स ईच मूविंग ऐज़ क्वाईट्ली ऐज़ अ लेपर्ड ऑन इट्स पैडेड पॉज़.)

अनुवाद :
भामा शाह : मैंने एक भी सोने का सिक्का नहीं रखा, न ही कोई भी ऐसी चीज़ जो मेरे विचार से मेरी सम्पत्ति में वृद्धि कर सकती थी। प्रिय स्वामी मेरे सबसे दयालु और महान स्वामी, मैं इस दिन के लिए जिया हूँ कि मैं एक बेहद शानदार ढंग से अन्तिम बार आपकी सेवा कर सकूँ। मेरे पास इतना धन है कि आपके सैनिकों के लिए बारह से पन्द्रह वर्षों तक भोजन व हथियारों की व्यवस्था हो सकती है और सिर्फ मुट्ठी भर वीर पुरुष नहीं बल्कि पूरे बीस हज़ार, तीस हज़ार हष्ट-पुष्ट राजपूत। कहिए कैसा होगा यह अकबर के लिए? हम बहुत ही जल्द उसे दिखा देंगे और उसके मुगलों को भी कि कैसे मेवाड़ के लोग वापसी करते हैं। वहाँ ऊपर पर्वत के किनारे हम एक मुगल डेरे के पास से गुज़रे।

प्रसन्नचित्त सैनिकों की टोली में सभी राना से छुटकारा मिलने की खुशी में शराब पी रहे थे, युद्ध छोड़कर भागने वाले राणा प्रताप की। हम वहाँ से इतनी शान्ति के साथ निकले कि उनको बिल्कुल भी यह पता नहीं चल पाया कि उनके कितनी पास से बेहतरीन तलवारबाज़ों का दल, तीर्थयात्रियों की वेशभूषा में गुज़र गया। उन्हें हमारे इरादों का बिल्कुल भी पता नहीं था न ही कि नीचे कुम्भलमेर में हमने साठ घोड़ों पर जीन कसी थी जो पथरीले मार्गों से ऐसे उतर गए जैसे कि कोई तेंदुआ अपने गद्देदार पाँव पर।

Pratap Singh : Your tidings almost take away my power of speech. Am I awake? I fear that this is all a dream.

Bhama Sah : (delighted) A dream, my Rana? Look, is that a dream? (points to body of horsemen who are approaching the camp cautiously.) We muffled all the trappings, tricked out the men like mummies. A Mogul, straying from his camp and meeting such a party, would have gone mad with fear thinking he saw the ghosts of Rana Pratap’s band, believing you far away across the sandy desert, with every faithful Rajput following your blood red flag.

Pratap Singh : And you, brave Bhama Sah, came all unarmed to bring me joy, the like I have not felt since the grand day when, hailed as Mewar’s ruler, I led the hunt.

(प्रताप सिंह : यॉर टाईडिंग्स ऑलमोस्ट टेक अवे माई पावर ऑफ स्पीच. ऐम आई अवेक? आई फीचर दैट दिस इज़ ऑल अ ड्रीम.

भामा शाह : (डिलार्डटिड) अ ड्रीम, माई राना? लुक, इज़ दैट अ ड्रीम? (पॉईण्ट्स टू बॉडी ऑफ हॉर्समेन हू आर अप्रोचिंग द कैम्प कॉशियसली.) वी मफल्ड ऑल द ट्रैपिंग्स, ट्रिक्ड आऊट द मेन लाईक ममीज़. अ मोगल, स्ट्रेईंग फ्रॉम हिज़ कैम्प ऐण्ड मीटिंग सच अ पार्टी, वुड हैव गॉन मैड विद फीयर थिंकिंग ही सॉ द घोस्ट्स ऑफ राना प्रताप्स बैण्ड, बिलीविंग यू फार अवे अक्रॉस द सैण्डी डेज़र्ट, विद एवरी फेथफुल राजपूत फॉलोईंग यॉर ब्लड रेड फ्लेग.

प्रताप सिंह : ऐण्ड यू, ब्रेव भामा शाह, केम ऑल अनआर्मड टू बिंग मी जॉए, द लाईक आई हैव नॉट फेल्ट सिन्स द ग्रैण्ड डे व्हेन, हेल्ड ऐज़ मेवाड्स रूलर, आई लेड द हण्ट.)

अनुवाद :
प्रताप सिंह : तुम्हारी सूचना ने मेरी बोलने की शक्ति छीन ली है। क्या मैं जागृतावस्था में हूँ? मुझे तो ऐसा लग रहा है कि यह कोई सपना है।

भामा शाह : (खुशी से) सपना, मेरे राणा? देखिए, क्या यह सपना है? (घुड़सवारों के एक दल की ओर इशारा करते हुए जो कि बेहद सावधानी से डेरे की तरफ आ रहे थे।) हमने घोड़ों की झूलों को लपेट दिया था और घुड़सवार ऐसी वेशभूषा में थे मानो कफन में लिपटे मुर्दे। अपने डेरे से भटक कर आया हुआ कोई मुगल सैनिक का सामना यदि ऐसे दल से हो जाता तो वह यह सोच कर पागल हो जाता कि उसने राणा प्रताप के दल के भूत देखे हैं, क्योंकि वे यही मानते हैं कि आप इस रेतीले रेगिस्तान के पार जा चुके हैं, अपने सभी निष्ठावान राजपूत अनुयायियों के साथ आपके खूनी लाल झण्डे के पीछे।

प्रताप सिंह : और तुम मेरे बहादुर भामा शाह पूर्णतया निहत्थे आए हो मुझे खुशी प्रदान करने, ऐसी खुशी जो मुझे उस दिन मिली थी जिस दिन मैं मेवाड़ का राजा बना था और फिर उसके बाद आज मैंने शिकार का नेतृत्व किया था।

Bhama Sah : That was a day.! But do not prize my valour quite so highly. Beneath my pilgrim’s robe, I wear light mail. My sword lies snug inside. Once, in the days of Sanga, that sword saw service. I’ve never drawn it since, but spent my life toiling for this great moment.
Pratap Singh : If good days come, and the Sisodias plant once again the emblem of the Sun about Chittor, your family shall be still further honoured. I hail you, Bhama Sah, as Saviour of Mewar.
Bhama Sah : (very simply) I love you, Maharanaji, you and all your race. I ask for no reward but still to serve you. The moon is rising : What a night to take the Mogul outpost unawares and then press on to Dawer? Shabez Khan himself is making merry, thinking you are toiling across the desert with your face turned towards forgetfulness.

(भामाशाह : दैट वॉज़ अ डे! बट डू नॉट प्राईज़ माई वैलर क्वाईट सो हाईली. बिनीथ माई पिल्यिम्स रोब, आई वीयर लाईट मेल. माई स्वोर्ड लाईज स्नग इन्साईड. वन्स, इन द डेज ऑफ सांगा, दैट स्वोर्ड सॉ सर्विस. आई हैव नेवर ड्रॉन इट सिन्स, बट स्पेण्ट माई लाईफ टॉएलिंग फॉर दिस ग्रेट मोमण्ट.

प्रताप सिंह : इफ गुड डेज़ कम, ऐण्ड द सिसोदिया प्लाण्ट वन्स अगेन द एम्बलम ऑफ सन अबाऊट चित्तौड़, यॉर फैमिली शैल बी फर्दर ऑनर्ड. आई हेल यू. भामा शाह, ऐज़ सेवियर ऑफ मेवाड़.
भामा शाह : (वेरी सिम्प्ली) आई लव यू, महारानाजी, यू ऐण्ड ऑल यॉर रेस. आई आस्क फॉर नो रिवार्ड बट स्टिल टू सर्व यू. द मून इज़ राईजिंग : व्हॉट अ नाईट टू टैक द मोगल आउटपोस्ट अनअवेर्स ऐण्ड देन प्रेस ऑन टू दावेर? शाहबाज़ खान हिमसेल्फ इज़ मेकिंग मेरी, थिंकिंग यू आर टॉयलिंग अक्रॉस द डेज़र्ट विद यॉर फेस टर्ड टुवर्ड्स फॉरगेटफुलनेस.)

अनुवाद :
भामा शाह : वो भी एक दिन था! परन्तु मेरी वीरता को इतना ज्यादा न ऑकिए। अपने तीर्थयात्री के लिबास के नीचे मैं हल्के कपड़े पहने हूँ। मेरी तलवार कपड़ों के भीतर है। एक बार सांगा के दिनों में उस तलवार का प्रयोग किया था। तब से आज तक मैंने तलवार नहीं निकाली, अपितु पूरा जीवन इस महान क्षण के लिए इन्तज़ार करता रहा।
प्रताप सिंह : यदि अच्छे दिन वापिस आते हैं और सिसोदिया लोग चितौड़ पर पुनः सूर्य (मेवाड़ राज्य का प्रतीक चिह्न) का राज्य स्थापित करते हैं तो आपके परिवार का और भी अधिक सम्मान किया जाएगा। मैं आपको मेवाड़ को बचाने वाले के रूप में नमन करता हूँ।
भामा शाह : (बड़े साधारण तरीके से) मैं आपसे प्रेम करता हूँ महाराणाजी आपको और आपके सम्पूर्ण वंश को। मुझे किसी पुरस्कार की इच्छा नहीं है मैं केवल आपकी सेवा करना चाहता हूँ। चाँद निकलने वाला है: कितनी अच्छी रात है मुगलों की सीमांत चौकी पर अचानक हमला करते हैं और फिर डावेर की तरफ कूच करते हैं ? शाहबाज खाँ खुद आनन्द लेने में लगा है यह सोचकर कि आप अभी रेगिस्तान में भटक रहे होंगे और यहाँ के बारे में भूलने लगे होंगे।

Pratap Singh : You are a counsellor as golden as the money you give so freely for our country. I feel my sword like some live thing, pricking me on to action. Come, let us rejoin the Chiefs. This is grand news for them. (He moves towards the camp where Rao Sakta and Prince Amar are waiting anxiously for news of the interview. Bama Sah follows the Rana, still mindfull of his royal rank. But Pratap Singh waits for him and, taking him by the arm, leads him to Prince Amar). My son, salute the noblest man that ever Mewar reared.

Prince Amar : (puzzled but willing to believe his father) My thanks and greeting, Bhama Sah.
Rao Sakta : And mine, if it was you who mounted the sixty horsemen who have joined us.’
Bhama Sah : And sixty more for every mile between this camp and Dawer.

(प्रताप सिंहः यू आर अ काऊन्सेलर ऐज़ गोल्डन ऐज़ द मनी यू गिव सो फ्रीली फॉर आवर कन्ट्री. आई फील माई स्वोर्ड लाईक सम लाईव थिंग, प्रिकिंग मी ऑन टू एक्शन. कम, लेट अस रिजॉइन द चीफ्स. दिस इज ग्रैण्ड न्यूज़ फॉर देमः (ही मूज टुवर्ड्स द कैम्प व्हेअर राव सक्ता ऐण्ड प्रिंस अमर आर वेटिंग एंगशियसली फॉर न्यूज ऑफ द इण्टरव्यू. भामा शाह फौलोज़ द राना, स्टिल माईन्डफुल ऑफ हिज़ रॉयल रैंक. बट प्रताप सिंह वेट्स फॉर हिम ऐण्ड, टेकिंग हिम बाई द आर्म, लीड्स हिम टु प्रिंस अमर). माई सन, सल्यूट द नोबलेस्ट मैन दैट एवर मेवाड़ रीअर्ड.

प्रिंस अमर : (पज़ल्ड बट विलिंग टू बिलीव हिज़ फादर) माई बैंक्स ऐण्ड ग्रीटिंग, भामा शाह.
राव सक्ता : ऐण्ड माईन, इफ इट वॉज़ यू हू माऊण्टिड द सिक्स्टी हॉर्समेन हू हैव जॉइन्ड अस.
भामा शाह : ऐण्ड सिक्स्टी मोर फॉर एवरी माईल बिटवीन दिस कैम्प ऐण्ड डावेर.)

अनुवाद :
प्रताप सिंह : आप ऐसे मंत्री है जो उसी स्वर्ण के समान हैं जो आप इतनी उदारता से हमारे देश के लिए दे रहे हैं। मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि मेरी तलवार कोई जीवंत चीज़ है और मुझे युद्ध के लिए कोंच रही है। आइए बाकी मुखियाओं के पास चलें। यह उनके लिए बहुत अच्छी खबर है। (राणा डेरे की तरफ बढ़ते हैं जहाँ राव सक्ता और राजकुमार अमर बड़ी बेसब्री से राणा और भामा शाह के बीच हुई बातों के बारे में जानने का इंतजार कर रहे हैं। भामा शाह राणा के पीछे-पीछे चलते हैं अभी भी अपने और राणा के पद की गरिमा के अनुकूल व्यवहार करते हुए परन्तु प्रताप सिंह उनके लिए इंतज़ार करते हैं फिर उनकी बाँह में हाथ डालकर उन्हें राजकुमार अमर के सामने ले जाते हैं) मेरे पुत्र मेवाड़ की धरती पर जन्मे सबसे श्रेष्ठ सबसे महान व्यक्ति को नमन करो।

राजकुमार अमर : (उलझन में परन्तु पिता की बात पर विश्वास को तत्पर) मेरा धन्यवाद और अभिनन्दन भामा शाह।
राव सेक्ता : और मेरा भी यदि वे आप हैं जो इन साठ घुड़सवारों को लाए हैं जो अभी-अभी हमारे दल में शामिल हुए हैं।
भामा शाह : और यहाँ से दावेर के बीच हर एक मील E पर साठ।

Rao Sakta : (uproariously) What a man! If Akbar knew, he’d barter half his captains for such a one. Why Rają Birbal whom there’s so much talk about, is but a shadow of our shrewed Bhama Sah.
Bhama Sah : (drily) We’ll see when this night’s work is over. Maharanaji, I ask leave of you to depart. You too have much to think of. At every mile are posted well-armed men. They know the signal. Farewell, and heaven be with you in your most noble purpose.

(With a fresh prostration, Bhama Sah takes leave of the Rana, and collecting his innocent-looking guard, returns the way he has come. As he passes the sixty horsemen, there is a clash of steel, and sixty swords flash out in the moonlight. Bhama Sah raises his hand as if blessing the swords, and then moves into the shadow of the rocks that overhang the mountain track, and is lost to sight.]

राव सक्ता : (अपरोरिअसली) व्हॉट अ मैन! इफ अकबर न्यू, ही हैड बार्टर हाफ हिज़ कैप्टेन्स फॉर सच अ वन. व्हाई राजा बीरबल हूम देयर्स सो मच टॉक अबाऊट, इज़ बट अ शैडो ऑफ आवर थूड भामा शाह.
भामा शाह : (ड्राईली) वी विल सी व्हेन दिस नाईट्स वर्क इज ओवर. महारानाजी, आई आस्क लीव ऑफ यू टू डिपार्ट. यू टू हैव मच टू थिंक ऑफ. ऐट एवरी माईल आर पोस्टिड वैल-आम्र्ड मेन. दे नो द सिग्नल. फेयरवेल, ऐण्ड हेवन बी विद यू इन यॉर मोस्ट नोबल पर्पस.

[विद अ फ्रेश प्रॉस्ट्रेशन, भामा शाह टेक्स लीव ऑफ द राना, ऐण्ड कलेक्टिग हिज़ इनोसेण्ट-लुकिंग गार्ड, रिटर्न्स द वे दी हैज़ कम. ऐज़ ही पासिस द सिक्स्टी हॉर्समेन, देयर इज् अ क्लैश ऑफ स्टील, ऐण्ड सिक्स्टी स्वोर्ड्स फ्लैश आऊट इन द मूनलाईट. भामा शाह रेज़िज हिज़ हैण्ड ऐज़ इफ ब्लेसिंग द स्वोर्ड्स, ऐण्ड देन मूव्ज़ इण्टू द शैडो ऑफ द रॉक्स दैट ओवरहँग द माऊण्टेन ट्रैक, ऐण्ड इज़ लॉस्ट टू साईट.]

अनुवाद :
रावसक्ता : (खुशी से लगभग चीखते हुए) क्या व्यक्ति है! यदि अकबर जानता तो वह अपने आधे सिपहसालार दे देता एक के बदले और राजा बीरबल जिनके बारे में इतनी बातें कही जाती हैं वे भी हमारे चतुर भामाशाह की परछाईं मात्र
भामा शाह : (शुष्कता से) हम देखेंगे जब आज रात का कार्य पूरा होगा। महाराणा जी अब मैं आपसे आज्ञा लेना चाहता हूँ। आपके पास भी सोचने के लिए बहुत कुछ है। हर एक मील पर आपको हथियार बन्द आदमी मिलेंगे। वे संकेत जानते हैं। अच्छा नमस्कार ईश्वर आपके साथ हों आपके सबसे महान मकसद में।

[एक बार और दण्डवत प्रणाम करते हुए भामा शाह राणा से विदा लेते हैं और अपने सीधे-साधे लगने वाले अंगरक्षकों को लेकर जिस राह आए थे उसी राह लौटने लगे। जब वे साठ घुड़सवारों के पास से गुज़रे तो एकदम लोहे की टंकार के साथ साठ तलवारें चाँद की रोशनी में चमकी। भामा शाह ने अपना हाथ ऊपर उठाया जैसे तलवारों को आर्शीवाद दे रहे हों फिर चट्टानों की परछाई में जो पहाड़ी मार्ग को घेरे हुए हैं में जाकर आँखों से ओझल हो गए।]

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