MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ

(क) मुहावरे

‘मुहाविरा’ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘अभ्यास’। वह वाक्यांश, जिसका साधारण शब्दार्थ न लेकर कोई विशेष अर्थ ग्रहण किया जाए, मुहावरा कहलाता-

  1. महावरे वाक्यांश होते हैं। इनका प्रयोग वाक्यों के बीच में ही होता है. स्वतंत्र रूप से नहीं होता।
  2. मुहावरों के प्रयोग से भाषा में सजीवता और रोचकता आ जाती है।
  3. मुहावरा अपना असली रूप कभी नहीं बदलता। उसमें प्रयुक्त शब्दों को उनके पर्यायवाची शब्दों से भी नहीं बदला जा सकता। ‘गाल बजाना’ के स्थान पर ‘कपोल बजाना’ हास्यास्पद है।
  4. मुहावरे का शब्दार्थ नहीं लेना चाहिए, बल्कि प्रसंग के अनुसार उसका अर्थ लेना चाहिए। ‘छाती पर पत्थर रखना’ का यदि शब्दार्थ लिया जाए तो उसका अर्थ बिल्कुल भिन्न होगा, जबकि मुहावरे के रूप में प्रयोग करने पर इसका अर्थ होगा ‘चुपचाप सहना’।
  5. मुहावरे समय के साथ बनते – बिगड़ते रहते हैं।

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यहाँ कुछ बहुप्रचलित मुहावरों के अर्थ और उनका वाक्यों में प्रयोग दिया जा रहा है –

1. अक्ल पर पत्थर पड़ना=बुद्धि मारी जाना।
प्रयोग – तुम्हारी अक्ल पर क्या पत्थर पड़ गए थे तो तुम बच्चे को अकेला छोड़ आए?

2. अंकुश लगाना=नियंत्रण करना।
प्रयोग – सुरेश! तुम अपने बेटे पर अंकुश लगाओ, नहीं तो आगे बहुत पछताओगे।

3. अपना उल्लू सीधा करना स्वार्थ पूरा करना।
प्रयोग – आज के राजनीतिज्ञ जनता की सेवा नहीं करते अपना उल्लू सीधा करते हैं।

4. अपनी खिचड़ी अलग पकाना सबसे अलग।
प्रयोग – मिलजुलकर काम करो, अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं।

5. अपने पैरों पर खड़ा होना स्वावलम्बी होना।
प्रयोग – मैं तुम लोगों का बोझ कब तक उठाऊँगा अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास करो।

6. अपने पैरों कुल्हाड़ी मारना – अपने ही हाथों अपना अहित करना।
प्रयोग – तुमने शर्माजी का कहा न मानकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है।

7. आँखों में धूल झोंकना धोखा देना।
प्रयोग – तुम यह सड़ी – गली सब्जी देकर मेरी आँखों में धूल झोंकना चाहते हो।

8. आँख खुलना – समझ आ जाना।
प्रयोग – उसका व्यवहार देखकर मेरी आँखें खुल गईं।

9. आँख दिखाना – धमकाना।
प्रयोग – माताजी ने ज्यों ही आँखें दिखाईं त्यों ही बालक ने मिठाई लेने से इन्कार कर दिया।

10. आटे – दाल का भाव मालूम होना वास्तविकता का ज्ञान होना।
प्रयोग – आठ सौ – नौ सौ रुपये में घर का सब खर्च चलाओगे तब आटे – दाल का भाव मालूम होगा।

11. आस्तीन का साँप होना विश्वासघाती सिद्ध होना।
प्रयोग – जिसे हमने अपना परम मित्र समझा था, वह आस्तीन का साँप सिद्ध हुआ।

12. ईंट से ईंट बजाना नष्ट कर देना।
प्रयोग – मानसिंह ने राणा प्रताप से कहा, “मैं मेवाड़ की ईंट से ईंट बजा दूंगा।”

13. उँगली उठाना=दोषारोपण करना।
प्रयोग – ऐसा काम करना कि कोई उँगली न उठा सके।

14. कमर कसना कार्य करने को तैयार होना।
प्रयोग – नौजवानों को देश के सम्मान की रक्षा के लिए कमर कस लेनी चाहिए।

15. कमर टूटना – दुःखदायक स्थिति बनना।
प्रयोग – व्यापार में बहुत हानि होने से उसकी तो कमर ही टूट गई।

16. काठ का उल्लू – महान् मूर्ख।
प्रयोग – उसे क्या समझते हो, वह तो निरा काठ का उल्लू है।

17. कान भरना – चुगली करना, भड़काना।
प्रयोग – शर्माजी अन्य अध्यापकों के खिलाफ प्रिंसिपल साहब के कान भरते रहते हैं।

18. कान का कच्चा होना दूसरों की बात पर शीघ्र विश्वास कर लेना।
प्रयोग – जो अधिकारी कान का कच्चा होता है, उससे न्याय की आशा कैसे की जा सकती है।

19. खरी – खोटी सुनाना भला – बुरा कहना।
प्रयोग – मेरी कोई गलती नहीं थी, फिर भी प्रिंसिपल साहब ने मुझे खरी – खोटी सुना दी।

20. खून खौलना=बहुत क्रुद्ध होना।
प्रयोग – द्रोपदी को लज्जित होते देख भीम का खून खौलने लगा।

21. खाक में मिलना बर्बाद हो जाना।
प्रयोग – रावण की हठधर्मी से सोने की लंका खाक में मिल गई।

22. गड़े मुर्दे उखाड़ना=पुरानी बातें दोहराना।
प्रयोग – इतिहास में तो गड़े मुर्दे ही उखाड़े जाते हैं।

23. गले का हार – अत्यंत प्रिय।
प्रयोग – रामचरितमानस भक्तों के गले का हार है।

24. गाल बजाना बढ़ – चढ़कर बातें करना।
प्रयोग – धीरेन्द्र की बात पर यकीन न करना, उसे गाल बजाने की आदत है।

25. गुदड़ी का लाल=निर्धनता में उत्पन्न प्रतिभाशाली व्यक्ति।
प्रयोग – लाल बहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे।

26. घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुखी करना।
प्रयोग – एक तो उसका नुकसान हुआ, अब ताने देकर उसके घाव पर नमक मत छिड़को।

27. चंगुल में फँसना काबू में कर लेना।
प्रयोग – भोले – भाले लोग धूर्तों के चंगुल में फँस जाते हैं।

28. चकमा देना – धोखा देना।
प्रयोग – चोर पुलिस को चकमा देकर भाग निकला।

29. चार दिन की चाँदनी थोड़े समय की सम्पन्नता।
प्रयोग – लक्ष्मी चंचल है, चार दिन की चाँदनी पर गर्व मत करो।

30. चिकना घड़ा जिस पर किसी बात का असर न हो।
प्रयोग – वह तो चिकना घड़ा है, तुम्हारी बातों का उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

31. छप्पर फाड़कर देना=भाग्य के बल पर लाभ होना।
प्रयोग – भगवान ने उसे छप्पर फाड़कर धन दिया।

32. छोटे मुँह बड़ी बात अपनी मर्यादा से अधिक बोलना।
प्रयोग – छोटे मुँह बड़ी बात करके तुमने समझदारी का काम नहीं किया।

33. जान के लाले पड़ना=संकट में पड़ना।
प्रयोग – सारा गाँव बाढ़ की चपेट में आ गया; लोगों को जान के लाले पड़ गए।

34. जले पर नमक छिड़कना दुखी के दुख को और अधिक बढ़ाना।
प्रयोग – सुरेश तो परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर वैसे ही दुखी था, तुमने उसका उपहास करके जले पर नमक छिड़क दिया।

35. टका – सा जवाब देना – साफ इन्कार कर देना।
प्रयोग – इस बार भी जब चंदा देने की बात उठी तो उसने टका – सा जवाब दे दिया।

36. टाँग अड़ाना रुकावट डालना।
प्रयोग – मेरी उसकी बात हो रही है, तुम क्यों बीच में टाँग अड़ाते हो?

37. टेढ़ी खीर कठिन कार्य।
प्रयोग – कक्षा में प्रथम आना टेढ़ी खीर है।

38. डंके की चोट सबके सामने।
प्रयोग – उसने डंके की चोट पे समाज से बाहर शादी की।

39. तलवे चाटना – चापलूसी करना।
प्रयोग – वे कोई और होंगे जो आपके तलवे चाटते हैं, मुझसे आशा न करना

40. तिनके का सहारा थोड़ा – सा आश्रय।
प्रयोग – डूबते को तिनके का सहारा होता है।

41. तूती बोलना धाक जमना।
प्रयोग – वे दिन गए, जब जमींदारों की तूती बोलती थी।

42. दंग रह जाना आश्चर्यचकित होना।
प्रयोग – बालक के करतब देखकर दर्शक दंग रह गए।

43. दाँत खट्टे करना=पराजित करना।
प्रयोग – भारत ने अनेक बार दुश्मनों के दाँत खट्टे किए हैं।

44. दाल. में काला होना=संदेहजनक बात होना।
प्रयोग – आपकी बातों से लगता है कि दाल में कुछ काला है।

45. दाल न गलना=चाल सफल न होना।
प्रयोग – पिताजी को पता लग गया है, अब तुम्हारी दाल नहीं गलेगी।

46. दुम दबाकर भागना डरकर भाग जाना।
प्रयोग – दुम दबाकर भागना तो कायरों का काम है।

47. दो टूक बात कहना – साफ – साफ बात कहना।
प्रयोग – मुझे कुछ लेना – देना नहीं है, मैंने दो टूक बात कह दी।

48. नमक खाना – पालन – पोषण होना।
प्रयोग – मैंने इस घर का नमक खाया है, इसे बरबाद न होने दूंगा।

49. नाक कटना – बदनामी होना।
प्रयोग – भारतीय टीम तीनों मैच हार गई, उसकी तो नाक कट गई।

50. नाक में दम करना परेशान करना।
प्रयोग – मच्छरों ने तो नाक में दम कर रखी है, रात भर सोने नहीं देते।

51. नाक रगड़नाखुशामद करना।
प्रयोग – पहले तो बहुत ताव दिखा रहे थे, अब क्यों नाक रगड़ते हो?

52. नाक – भौं सिकोड़ना – नफरत प्रकट करना।
प्रयोग – नाक – भौं मत सिकोड़ो, जो कुछ परोसा गया है, वह खा लो।

53. पत्थर की लकीर अमिट।
प्रयोग – मेरी बात पत्थर की लकीर मानो, शहर में दंगा होनेवाला है।

54. परदा डालना कोई बात छिपाना।
प्रयोग – अपने पापों का प्रायश्चित करो, उन पर पर्दा मत डालो। प्रमा

55. पहाड़ टूटना अत्यधिक विपत्ति आ जाना।
प्रयोग – अवधेश के निधन से पूरे परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा।

56. पानी – पानी होना अधिक शर्मिन्दा होना।
प्रयोग – बद्रीसिंह को जब प्रिंसिपल साहब ने डाँटा तो वह पानी – पानी हो गया।

57. पाँचों उँगलियाँ घी में होना सभी प्रकार का सुख होना।
प्रयोग – तुम्हारे भाई एम.एल.ए. हो गए हैं, अब तो तुम्हारी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं।

58. पीठ दिखाना कायरता दिखाना।
प्रयोग – युद्ध में पीठ दिखाना क्षत्रिय को शोभा नहीं देता।

59. पेट में चूहे कूदना – बहुत भूखा होना।
प्रयोग – पेट में चूहे कूद रहे हैं, अब काम – धाम नहीं हो सकता।

60. पौ बारह होना बहुत लाभ होना।
प्रयोग – मंत्रीजी का हाथ सिर पर है; अब तो तुम्हारे पौ बारह हैं।

61. फूंक – फूंककर कदम रखना सावधानी बरतना।
प्रयोग – वह एक बार धोखा खा चुका है, इसलिए फूंक – फूंककर कदम रखता

62. बाल की खाल निकालना – अनावश्यक रूप से दोष निकालना।
प्रयोग – बाल की खाल निकालना उसका स्वभाव बन गया है।

(ख) लोकोक्ति

लोकोक्ति का अर्थ है – लोक में प्रचलित उक्ति। किसी महापुरुष, किसी कवि या लेखक की उक्ति कहावत बन जाती है। कहावतों में एक अनुभूत सत्य छिपा रहता है। लोकोक्ति एक स्वतंत्र वाक्य की तरह भाषा में प्रयुक्त होती है। इसका प्रयोग किसी कथन की पूर्ति में उदाहरण के रूप में किया जाता है। लोकोक्ति का क्षेत्र मुहावरे की अपेक्षा अधिक व्यापक है। इसमें स्वयं एक स्वतंत्र अर्थ ध्वनित करने की क्षमता होती है। ‘सुनिए सबकी, करिए मन की’ यह एक लोकोक्ति है। इसका अर्थ है, ‘सबकी बात सुनकर जो मन को अच्छा लगे, वही करना चाहिए। इस प्रकार इस लोकोक्ति में एक वाक्य के सभी आवश्यक तत्त्व विद्यमान हैं।

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मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर है। मुहावरा वाक्यांश है, जबकि कहावत स्वतंत्र वाक्य है। मुहावरे का स्वतंत्र रूप में प्रयोग नहीं हो सकता, उसे किसी वाक्य का अंग बनना पड़ता है, कहावत का एक वाक्य की तरह प्रयोग किया जाता है।

लोकोक्ति किसी कथा या चिर- सत्य से संबद्ध रहती है। यहाँ कुछ लोकोक्तियों के अर्थ और उनका वाक्यों में प्रयोग दिया जा रहा है –

1. अधजल गगरी छलकत जाय=गुणहीन व्यक्ति अपने गुणों का अधिक प्रदर्शन करता है।
प्रयोग – किशोर एक साधारण क्लर्क है। घूसखोरी में उसने कुछ धन कमा लिया है तो उसके दिमाग नहीं मिलते। सच है – अधजल गगरी छलकत जाय।

2. अपनी करनी पार उतरे – अपने सुकर्मों से ही अच्छा फल मिलता है।
प्रयोग – अगर पढ़ाई में मन लगाओगे और मेहनत करोगे तो अच्छे नंबरों से पास हो जाओगे, नहीं पढ़ोगे तो फेल हो जाओगे। अपनी करनी पार उतरे।

3. अक्ल बड़ी कि भैंस – शारीरिक शक्ति से बौद्धिक शक्ति बड़ी होती है।
प्रयोग – भीमसिंह देखने में हाथी जरूर है, लेकिन उसकी बुद्धि मोटी है। वह वाद – विवाद में तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकता। अक्ल बड़ी कि भैंस कहावत तुमने सुनी ही होगी।

4. अपना हाथ जगन्नाथ अपना काम स्वयं करना चाहिए।
प्रयोग – सत्यम् ने अलमारी खोलकर लड्डू निकाला और खा लिया। फिर वह बोला, “अपना हाथ, जगन्नाथ”।

5. अंधा पीसे, कुत्ता खाय – ठीक न्याय न होना।
प्रयोग – आज न्याय तो कहीं रहा ही नहीं। भ्रष्टाचारी और चापलूस लोगों का बोलबाला है। स्थिति तो यह है कि अंधा पीसे, कुत्ता खाय।

6. अंधेर नगरी, चौपट राजा – जहाँ कोई व्यवस्था या न्याय न हो।
प्रयोग – बिहार की बात मत पूछो। वहाँ तो अंधेर नगरी चौपट राजा की बात चरितार्थ हो रही है।

7. अपनी – अपनी ढपली, अपना – अपना राग – अपनी – अपनी बात को महत्त्व देना।
प्रयोग – चौदह पार्टियों की सरकार में सब अपनी – अपनी हाँकते हैं। इसीलिए इस सरकार के कार्यकलापों पर लोग कहते हैं – अपनी – अपनी ढपली, अपना – अपना राग।

8. अपनी गली में कुत्ता भी शेर अपने घर पर कमजोर भी अपने आपको बहुत ताकतवर समझता है।।
प्रयोग – जसवीर अपने घर पर खड़ा होकर उदयन को गालियाँ दे रहा था। उदयन ने कहा, “जसवीर अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है, अगर हिम्मत हो तो बाहर निकल आओ।”

9. अंधों में काना राजा मूर्तों के बीच में कोई साधारण समझदार।
प्रयोग – गाँव के अशिक्षितों के बीच वहाँ का पटवारी ही अंधों में काना राजा होता है।’

10. अब पछताये होत का जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत – समय निकल जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं।
प्रयोग – साल भर से तुम्हें समझा रहे थे कि पढ़ाई में ध्यान लगाओ, लेकिन तुमने एक न सुनी। अब फेल हो गए तो रोते हो। यह बेकार है, क्योंकि अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चग गई खेत।।

11. अंधा बाँटे रेवड़ी, फिरि – फिरि अपने को देय अपने सगे – सम्बन्धियों को लाभ पहुँचाना।
प्रयोग – यादवजी मंत्री हो गए हैं, वे सरकारी नौकरी में यादवों को ही भर रहे हैं। सच है – अंधा बाँटे रेवड़ी, फिर – फिर अपने को देय।

12. आँखों का अंधा नाम नयनसुख नाम और गुण में विरोध।
प्रयोग – नाम तो है सुशील, लेकिन काम है चरित्रहीनों का। ऐसे ही लोगों के लिए यह कहावत कही जाती है – आँखों का अंधा नाम नयनसुख।

13. आम के आम गुठलियों के दाम दोहरा लाभ।
प्रयोग – हम तो अखबार खरीदते हैं, हमारी बीवी रद्दी अखबारों के लिफाफे बनाकर बेच देती है। आम के आम गुठलियों के दाम।

14. आप भला तो जग भगाभले के लिए सब भले होते हैं।
प्रयोग – छोटे भैया तो यथाशक्ति सबकी सहायता करते हैं और सबसे अच्छी तरह से मिलते हैं, इसलिए सब लोग आदर करते हैं। सच है – आप भला तो जग भला।

15. आगे नाथ न पीछे पगहा – आगे – पीछे कोई न होना।
प्रयोग – पता नहीं अमरनाथ इतने धन का क्या करेगा, उसके आगे नाथ न पीछे पगहा।

16. उल्टे बाँस बरेली का उल्टा काम करना।
प्रयोग – भोपाल से पेठा लेकर आगरा जा रहे हो। दिमाग तो ठीक है. उल्टे बाँस बरेली को।

17. ऊँची दुकान, फीका पकवान बाहरी दिखावा।
प्रयोग – होटल का नाम तो है ग्राण्ड होटल, लेकिन वहाँ कोई विशेष सुविधाएँ नहीं हैं। ऊँची दुकान फीका पकवान की कहावत चरितार्थ होती है।

18. ऊँट के मुँह में जीरा आवश्यकता से बहुत कम वस्तु।
प्रयोग – शर्मा जी के लिए चार पूड़ियाँ तो ऊँट के मुँह में जीरा साबित होंगी।

19. एक अनार सौ बीमार – वस्तु कम, माँग अधिक।
प्रयोग – पिताजी ने आइसक्रीम मँगाई चार और खानेवाले इकट्ठे हो गए चौदह। यह तो एक अनार सौ बीमार वाली कहावत हो गई।

20. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर कठिन काम शुरू करके कठिनाइयों से क्या डरना।
प्रयोग – बंजर जमीन खरीदकर उसे जोतना शुरू किया है तो उसमें कठिनाइयाँ तो आएँगी ही। ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर?

21. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली – दो ऐसे असमान व्यक्ति जिनकी आपस में कोई तुलना न हो।
प्रयोग – कहाँ परमानन्द जैसा संत पुरुष और कहाँ रवीन्द्र जैसा स्वार्थी व्यक्ति। आप भी क्या समानता दिखा रहे हैं? कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली।

22. काला अक्षर भैंस बराबर – निरक्षर व्यक्ति।
प्रयोग – राम से पत्र पढ़वाने जा रहे हो। अरे भाई उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।

23. का वर्षा जब कृषी सुखानी – अवसर निकल जाने पर प्रयत्न करना व्यर्थ है।
प्रयोग – परीक्षा के पहले पुस्तकें खरीदने को रुपये मँगाए थे, वह पिताजी ने भेजे नहीं। अब परीक्षा समाप्त होने पर मनीआर्डर आया है। अब रुपये किस काम के। ठीक ही कहा है – का वर्षा जब कृषी सुखानी।

24. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है – संगति का प्रभाव पड़ता है।
प्रयोग – उमेश का बड़ा लड़का कामचोर है, छोटे लड़के पर भी उसका प्रभाव पड़ा है। वह भी कामधाम नहीं करता। सच ही तो है – खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।

25. खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे लज्जित होने पर निरपराध पर क्रोधित होना।
प्रयोग – जब ऊषा को उसके पिताजी ने डांट दिया तो वह अपनी छोटी बहिन पर बिगड़ी। तब उसके भाई ने कहा ‘खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे।’

26. खोदा पहाड़ निकली चुहिया=बहुत प्रयास करने का थोड़ा फल मिलना।
प्रयोग – सेन्ट्रल लायब्रेरी में मैथिलीशरण जी की पुस्तकें तलाश करने गया था, लेकिन मिली एक पंचवटी। मन ही मन कहा – खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

27. गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है बड़ों के साथ रहने वालों को भी उनके साथ कष्ट उठाना पड़ता है।
प्रयोग – जसवीर और परमवीर आपस में लड़ रहे थे, विजय दोनों को समझा रहा था। प्रिंसिपल साहब ने तीनों को बुलाकर मार लगाई। गेहूँ के साथ घुन भी पिस गया।

28. घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध – स्वयं के स्थान पर सम्मान नहीं मिलता।
प्रयोग – बनवारीलालजी गाँव के बहुत अच्छे वैद्य हैं, लेकिन गाँववाले डिस्पेन्सरी के कम्पाउण्डर से दवाइयाँ लेते हैं। ठीक ही है – घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध।

29. घर का भेदी लंका ढावै आपसी फूट का फल बुरा होता है।
प्रयोग – जयचन्द ने मुहम्मद गोरी से मिलकर पृथ्वीराज के खिलाफ युद्ध लड़ा। ठीक ही कहा है – घर का भेदी लंका ढावै।

30. चार दिन की चाँदनी, फिर अँधेरी रात – थोड़े समय का सुख।
प्रयोग – धन – संपत्ति का गर्व न करना; यह तो आती – जाती रहती है, चार दिन। की चाँदनी फिर अंधेरी रात कहावत को याद रखो।

31. चोर – चोर मौसेरे भाई एक जैसी मनोवृत्ति वाले लोग।
प्रयोग – विकास और प्रयास दोनों में से किसी पर विश्वास मत करना, दोनों चोर – चोर मौसेरे भाई हैं।

32. चोर की दाढ़ी में तिनका – अपराधी की चेष्टा से उसका अपराध प्रकट हो जाता
प्रयोग – कक्षाध्यापक ने जब चार अपराधी प्रवृत्ति के लड़कों को शीशा तोड़ने के जुर्म में प्रिंसिपल साहब के सामने खड़ा किया तो एक ने चिल्लाकर कहा, “मैं तो कल आया ही नहीं था। इसी को कहते हैं चोर की दाढ़ी में तिनका।”

33. जहाँ चाह वहाँ राह – दृढ़ इच्छाशक्ति से सब काम हो सकते हैं।
प्रयोग – हिम्मत हारकर मत बैठो, प्रयत्न करो – जहाँ चाह वहाँ राह।

34. जिसकी लाठी उसकी भैंस बलवान की ही जीत होती है।
प्रयोग – बद्रीप्रसाद अदालत से तो जीत गए, लेकिन खेत तो अभी भी पहलवान सिंह जोत रहा है। आजकल तो जिसकी लाठी उसकी भैंस है।

35. जैसे नागनाथ, वैसे साँपनाथ दोनों एक समान।
प्रयोग – क्या सुधीर और क्या मधुर’ दोनों में से किसी से सहायता की उम्मीद न करना। जैसे नागनाथ, वैसे साँपनाथ।

36. थोथा चना बाजे घना कम जाननेवाला अधिक बुद्धिमान होने का प्रदर्शन करता
प्रयोग – किशोर एक साधारण ठेकेदार है लेकिन बातें करोड़ों की करता है। सच है – थोथा चना बाजे घना।

37. दूर के ढोल सुहावने होते हैं दूर की चीजें अच्छी लगती हैं।
प्रयोग – सुना था कि कृष्ण जहाँ रासलीला करते थे, वहाँ बड़े सुंदर कुल हैं किंतु जाकर देखा तो सब वीरान दिखा। ठीक ही कहा है – दूर के ढोल सुहावने होते हैं।

38. धोबी का कुत्ता घर का न घाट का=दोनों तरफ की साधने वाले को कहीं सफलता नहीं मिलती।
प्रयोग – हरीश ने कम्प्यूटर की कक्षा में प्रवेश लिया और एम.बी.ए. की भी तैयारी की। दोनों ओर दिमाग रहने से कहीं भी सफलता नहीं मिली। उसके मित्रों ने कहा – धोबी का कुत्ता घर का न घाट का।

39. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरीन कारण होगा, न कार्य होगा।
प्रयोग – सत्यम और संकेत कैरम के लिए लड़ते रहते थे। एक दिन उनकी माँ ने कहा, “मैं कैरम उठाके रखे देती हूँ। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।”

40. नाच न जाने आँगन टेढ़ा – स्वयं की अयोग्यता को छिपाकर साधनों को दोष देना।
प्रयोग – सुरेश को चित्र बनाना आता तो नहीं, लेकिन वह कहता था कि ब्रुश खराब था, इसलिए चित्र अच्छा नहीं बना। इसी को नाच न जाने आँगन टेढ़ा कहते हैं।

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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण वाक्य संशोधन

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प्रश्न-
सामान्य अशुद्धियाँ कितने तरह की होती हैं? उदाहरण सहित उन पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
भाषा का शुद्ध और स्पष्ट लेखन उस समय तक संभव नहीं है, जब तक कि शब्दों और उनके अर्थ के विषय में पूर्ण ज्ञान न हो। शुद्ध वाक्य रचना के लिए अशुद्धियों पर ध्यान देना बड़ा आवश्यक है। अशुद्ध वाक्य उतना ही अरुचिपूर्ण लगता है जितना कि बेतरतीब बनाया हुआ भोजन। अतः अशुद्धियों का विवरण नीचे दिया जा रहा है-

1. लिंग संबंधी अशुद्धियाँ-संज्ञा शब्दों में लिंग परिवर्तन होता है;

जैसे-

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग
1. पाठक – पाठिका
2. विद्वान् – विदुषी
3. सभापति – सभानेत्री

2. वचन संबंधी अशुद्धियाँ-
1. वह किसके कमल है-वह किसकी कलम है?
2. उसका भाग्य फूट गया-उसके भाग्य फूट गए।
3. मेरे बटुआ उड़ गया-मेरा बटुआ उड़ गया।
4. क्या तेरा प्राण निकल रहा है-क्या तेरे प्राण निकल रहे हैं?

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3. समास संबंधी अशद्धियाँ-

अशुद्ध – शुद्ध
1. माता भक्ति- मातृ भक्ति
2. भ्रातगण – भ्रातागण
3. कालीदास – कालिदास
4. महाराज – महाराजा

4. संधि समास अशुद्धियाँ-
1. निरस-नीरस (निः + रस)
2. उपरोक्त-उपर्युक्त (उपरि + उक्त)
3. सदोपदेश-सदुपदेश (सद् + उपदेश)

5. कारक संबंधी अशुद्धियाँ-कर्ता और क्रिया के वचन, लिंग और पुरुष समान होने चाहिएँ। यदि ऐसा न हुआ तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है। उदाहरण के लिए

अशुद्ध वाक्य – शुद्ध वाक्य
1. गाय दूध देता है। – गाय दूध देती है।
2. हम लौटूंगा। – मैं लौटूंगा।

6. शब्दों का यथा स्थान रखना-वाक्य में कर्ता, कर्म, कारण, विशेषण, विशेष्य, क्रिया-विशेषण आदि के स्थान निश्चित होते हैं। यदि वे निश्चित स्थान पर न रखे गए अथवा उनका स्थान बदल दिया गया तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है।

अशुद्ध – शुद्ध
1. बंदर को मोहन ने मारा डंडे से। – 1. मोहन ने बंदर को डंडे से मारा।
2. विमला मेरी घड़ी हाय-हाय न – 2. हाय हाय! विमला मेरी घड़ी न जाने
जाने कहाँ खो गई। – कहाँ खो गई।

7. अनावश्यक शब्दों का प्रयोग-
1. रोज प्रतिदिन नवल पाठशाला जाता है। – 1. नवल पाठशाला प्रतिदिन जाता है।
2. वह लड़की क्या नाम कहाँ पढ़ता है? – 2. वह लड़की कहाँ पढ़ती है?

8. वर्ण और मात्रा संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध
1. उदेश्य – उद्देश्य
2. जागृत – जाग्रत
3. उज्जवल – उज्ज्वल
4. कोतुहल – कौतूहल
5. कलस – कलश
6. ग्यान – ज्ञान
7. पैत्रिक – पैतृक

प्रश्न 2 :
निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिए :
1. इंदिरा गांधी की मृत्यु पर भारत में दुःख छा गया।
2. मैं कल आगरा से वापस लौटूंगा।
3. तुमने यह काम करना है।
4. कोप ही दंड का एक विधान है।
5. आग में कई लोगों के जल जाने की आशा है।
उत्तर-
1. इंदिरा गांधी की मृत्यु पर भारत में शोक छा गया।
2. मैं कल आगरा से लौटूंगा।
3. तुम्हें यह काम करना है।
4. दंड ही कोप का एक विधान है।
5. आग में कई लोगों के जल जाने की आशंका है।

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प्रश्न 3 :
निम्नलिखित अशुद्ध शब्दों को शुद्ध कीजिए-

अशुद्ध शब्द – शुद्ध शब्द
1. राजनीतिक – राजनैतिक
2. सन्मुख – सम्मुख
3. कलेश – क्लेश .

प्रश्न 4 :
चार विकल्पों में शुद्ध शब्द खोजकर उसे चिह्नित कीजिए
1. संग्रहित
(क) संघरित
(ख) संगृहीत
(ग) संग्रहीत
(घ) संघह्वीत
उत्तर-
(ख) संगृहीत।

2. प्रथक
(क) पृथक्
(ख) पिरथक
(ग) परथिक
(घ) पिर्थक
उत्तर-
(क) पृथक्

3. उज्जवल
(क) उजवल
(ख) उज्ज्वल
(ग) उजवल्य
(घ) उज्जवल
उत्तर-
(ख) उज्ज्व ल।

4. प्रनाम
(क) पिरणाम
(ख) पिरनाम
(ग) पृणाम
(घ) प्रणाम
उत्तर-
(घ) प्रणाम।

प्रश्न 5 :
निम्नलिखित वाक्यों के सही रूप चुनकर लिखें।
1. भैंस और बैल खड़े हैं
(क) भैंस खड़ा और बैल खड़ी है।
(ख) भैंस और बैल दोनों खड़ी हैं।
(ग) भैंस और बैल खड़ा हुआ है।
(घ) भैंस और बैल दोनों खड़े हैं।
उत्तर-
(घ) भैंस और बैल दोनों खड़े हैं।

2. आगरा के अंदर हैजा का जोर है
(क) आगरा के अंदर हैजा का प्रकोप है।
(ख) हैजा का जोर है आगरा में।
(ग) हैजा का प्रकोप है आगरा में।
(घ) आगरा में प्रकोप है हैजा का।
उत्तर-
(घ) आगरा में प्रकोप है हैजा का।

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3. उसे अनुत्तीर्ण होने की आशा है
(क) आशा है उसे अनुत्तीर्ण होने की।
(ख) अनुत्तीर्ण होने की उसे आशंका है।
(ग) उसे आशंका है अनुत्तीर्ण होने की।
(घ) उसे अनुत्तीर्ण होने की आशंका है।
उत्तर-
(घ) उसे अनुत्तीर्ण होने की आशंका है।

प्रश्न 6 :
शब्दों के क्रम संबंधी अशुद्धियों को शुद्ध कीजिए-
(क) अशुद्ध-राम, जो कल भूखा भा, ने अभी तक कोई भोजन नहीं किया।
(ख) अशुद्ध-राम बाजार से फूलों की माला एक लाई।
(ग) अशुद्ध-सब लड़कियाँ अपनी किताब और कलम से लिख और पढ़ रहे थे।
उत्तर-
(क) शुद्ध-राम, जो कल भूखा था अभी तक भोजन नहीं किया।
(ख) शुद्ध-राम बाजार से एक फूलों की माला लाया।
(ग) शुद्ध-सब लड़कियाँ अपनी किताब और कलम से पढ़ और लिख रही थीं।।

प्रश्न 7 :
प्रत्यय संबंधी अशुद्धियाँ दूर कीजिए
(क) अशुद्ध-राम यह कार्य आवश्यकीय है।
(ख) अशुद्ध-आपकी सौजन्यता से मेरे पुत्र को नौकरी मिल गई।
(ग) अशुद्ध-साधू के माथे पर रामानन्द तिलक है।
उत्तर-
(क) शुद्ध-राम यह कार्य आवश्यक है।
(ख) शुद्ध-आपके सौजन्य से मेरे पुत्र को नौकरी मिल गई।
(ग) शुद्ध-साधू के माथे पर रामानन्दी तिलक है।

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प्रश्न 8 :
अनुस्वार एवं चन्द्र बिंदु संबंध अशुद्धियाँ शुद्ध कीजिए
1. आँख,
2. ऊंचा,
3. सांप,
4. कुंअर,
5. दांत,
6. हंसिया,
7. चंवर
उत्तर :
आँख, ऊँचा, साँप, कुँअर, दाँत, हँसिया, चँवर

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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण वाक्यांश के लिए एकार्थी या एक शब्द

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण वाक्यांश के लिए एकार्थी या एक शब्द

संक्षेप में बात कहना एक कला है। मुहावरे के रूप में कहें तो यह गागर में सागर भरने के समान है। बहुत थोड़े शब्दों में गंभीर और महत्त्वपूर्ण बात कहने के लिए हमारा शब्द–भंडार समृद्ध होना चाहिए। हमें उन शब्दों की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए जो वाक्यांशों के लिए प्रयोग किए जाते हैं। ऐसे शब्दों के प्रयोग से वाक्य में आकर्षण और कसावट आ जाती है। दो उदाहरण देखिए–

1.
(क) भीष्म ने जीवन–भर विवाह न करने की प्रतिज्ञा की।
(ख) भीष्म ने आजीवन विवाह न करने की प्रतिज्ञा की।

2.
(क) विजय अपने प्रति किए गए उपकार को न माननेवाला लड़का है।
(ख) विजय कृतघ्न है।

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ऊपर क और ख वाक्यों में एक ही बात को दो प्रकार से लिखा गया है। लेकिन इन दोनों वाक्यों के गठन में अंतर है। 1 के क वाक्य में ‘जीवन–भर’ का प्रयोग किया गया है और ख में ‘आजीवन’। इसी प्रकार 2 के क वाक्य में ‘अपने प्रति किए गए उपकार को न माननेवाला’ के लिए ख में केवल ‘कृतघ्न’ शब्द का प्रयोग हुआ है। निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि क वाक्यों की अपेक्षा ख वाक्य अधिक आकर्षक हैं। हमें अपने लेखन आकर्षक बनाने के लिए ऐसे शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए।

यहाँ वाक्यांशों के लिए प्रयोग किये जाने वाले शब्द दिए जा रहे हैं–

वाक्यांश – एक शब्द

  • अभिनय करनेवाला पुरुष – अभिनेता
  • अभिनय करनेवाली स्त्री – अभिनेत्री
  • आगे आने वाला समय – भविष्य
  • अपने प्रति किए गए उपकार को न मानने वाला – कृतघ्न
  • अपने प्रति किए गए उपकार को मानने वाला – कृतज्ञ
  • अच्छे आचरण वाला – सदाचारी
  • आकाश को चूमने वाली – गगनचुंबी
  • कम बोलने वाला – मितभाषी
  • कम खर्च करने वाला – मितव्ययी
  • जिसका अंत न हो – अनन्त
  • छोटा भाई – अनुज
  • खेती करने वाला – कृषक
  • जो आसानी से प्राप्त हो जाता है – सुलभ।
  • जो सर्वत्र विद्यमान हो। – सर्वव्यापी
  • जो सब कुछ जानता हो – सर्वज्ञ
  • जब सर्दी और गर्मी समान हो – समशीतोष्ण
  • जो सदा अस्तित्व में रहता हो – शाश्वत
  • जिसका कोई शत्रु न हो – अजातशत्रु
  • जो सहन न हो सके – असह्य
  • जिस जमीन पर कुछ न उगता हो – बंजर
  • इतिहास से संबंधित – ऐतिहासिक
  • नाव चलानेवाला – केवट, नाविक
  • दुख देने वाला – दुखदायी
  • जिसका करना कठिन है – दुष्कर
  • जो नया आया हुआ हो – नवागंतुक
  • जो रात्रि में विचरण करता है – निशाचर
  • जो नीति को जानता हो – नीतिज्ञ
  • जिसके पास धन न हो – निर्धन
  • जिसको भय न हो – निर्भय
  • जो लज्जित न हो – निर्लज्ज
  • जिसका कोई आश्रय न हो – निराश्रय
  • जिसका कोई विरोध न हो – निर्विरोध
  • किसी एक का पक्ष लेनेवाला – पक्षपाती
  • जो किसी के अधीन हो – पराधीन
  • किसी लिखे हुए की नकल – प्रतिलिपि
  • जो किसी के अधीन हो – पराधीन
  • जिस समय बहुत कठिनाई से भिक्षा मिलती हो – दुर्भिक्ष
  • जिसकी सीमा न हो – असीम
  • जिस पुरुष की स्त्री मर गई हो – विधुर
  • जिस स्त्री का पति मर गया हो – विधवा
  • जहाँ दो या अधिक नदियों का मिलन हो – संगम
  • जो पढ़ना–लिखना न जानता हो – निरक्षर
  • जो कभी न मरे – अमर
  • जो मांस का आहार करता हो – मांसाहारी
  • जो मांस का आहार न करता हो – शाकाहारी
  • जो ईश्वर की सत्ता को न मानता हो – नास्तिक
  • जो ईश्वर की सत्ता को मानता हो – आस्तिक
  • जो अच्छे कुल में उत्पन्न हुआ हो – कुलीन
  • जन्मभर – आजन्म
  • जो दूसरों से ईर्ष्या करता हो – ईर्ष्यालु
  • जो प्राणी जल में रहे – जलचर
  • जो लोक में प्रिय हो – लोकप्रिय
  • दोपहर का समय – मध्याह्न
  • बीता हुआ समय – अतीत
  • किसी परिश्रम के बदले मिलनेवाला धन – पारिश्रमिक
  • बहुत बातें जानने वाला – बहुज्ञ
  • मीठी बात कहनेवाला – मृदुभाषी
  • बहुत बोलने वाला – वाचाल
  • जो राजगद्दी का अधिकारी हो – युवराज
  • जहाँ नाटक खेला जाता हो – नाट्यशाला या रंगमंच
  • जो पुरुष लोहे की तरह बलिष्ठ हो – लौह पुरुष
  • जो सारे विश्व में व्याप्त हो – विश्वव्यापी
  • शारीरिक दृष्टि से जिसका पूर्ण विकास हो गया हो – वयस्क
  • एक वर्ष में होने वाला – वार्षिक
  • किसी विषय को विशेष रूप से जानने वाला – विशेषज्ञ
  • जो स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अथवा उसे प्राप्त करने के लिए जान गँवाता है – शहीद
  • किसी चीज का सबसे ऊंचा सिरा – शीर्ष
  • वह स्थान जहाँ मुर्दे जलाए जाते हैं – श्मशान
  • शिव की उपासना करने वाला – शैव
  • वह जो किसी प्रकार का संवाद देता हो – संवाददाता
  • जहाँ लोगों का मिलन हो – सम्मेलन
  • अपना मतलब पूरा करनेवाला – मतलबी, स्वार्थी
  • जो तीनों लोकों का स्वामी हो – त्रिलोकीनाथ
  • दूर की सोचने वाला – दूरदर्शी
  • देखने योग्य – दर्शनीय
  • जो लज्जाविहीन हो – निर्लज्ज
  • शक्ति के अनुसार – यथाशक्ति
  • जो सभी का प्रिय हो – सर्वप्रिय
  • जिस पर विश्वास न किया जा सके – अविश्वसनीय
  • जिसका वर्णन न किया जा सके – अवर्णनीय
  • जो उत्तर न दे सके – निरुत्तर
  • जो प्राणी जल में रहे – जलचर
  • दुष्ट बुद्धि वाला – दुर्बुद्धि
  • जिसके समान दूसरा कोई न हो – अद्वितीय
  • जिसमें दया न हो – निर्दयी
  • जिसमें विकार न हो – निर्विकार
  • जो नष्ट न होने वाला हो – अमर
  • जानने की इच्छा – जिज्ञासु
  • सूर्य से संबंध रखने वाला – सौर
  • जो दान करता हो – दानी

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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण विलोम या विपरीतार्थी शब्द

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण विलोम या विपरीतार्थी शब्द

किसी शब्द का विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्द विपरीतार्थी या विलोम शब्द कहलाते हैं।
यहाँ कुछ शब्दों के विलोम या विपरीतार्थी शब्द दिए जा रहे हैं-

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण विलोम या विपरीतार्थी शब्द img 1
MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण विलोम या विपरीतार्थी शब्द img 2
MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण विलोम या विपरीतार्थी शब्द img 3
MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण विलोम या विपरीतार्थी शब्द img 4

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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण अनेकार्थक या अनेकार्थी शब्द

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण अनेकार्थक या अनेकार्थी शब्द

अनेकार्थक या अनेकार्थी शब्द वे शब्द कहलाते हैं, जिनके अर्थ एक से अधिक होते हैं। जैसे – ‘कल’। ‘कल’ शब्द का अर्थ ‘शोर’ भी है, ‘मशीन’ भी है, ‘शांति’ भी है और ‘आने वाला अथवा बीता हुआ दिवस’ भी है। इस प्रकार के कई शब्द एक भाषा में रहते हैं। इनसे परिचित होना अत्यंत आवश्यक है।

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नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं–

  • अक्षर – नष्ट न होने वाला, स्वर – व्यंजन वर्ण, ईश्वर।
  • अनन्त – न अंत होने वाला, ईश्वर।
  • अम्बर – आकाश, कपड़ा, एक सुगंधित द्रव्य।
  • अमर – शाश्वत, देवता।
  • अर्थ – धन, व्याख्या, के लिए।
  • अलि – भँवरा, सखी।
  • अंक – गोद, गणना के अंक, मध्य।
  • उत्तर – जवाब, बाद का, दिशा का नाम।
  • कल – चैन, बीता हुआ कल, आने वाला दिन, मशीन, शोर।
  • कोट – किला, पहनने का एक वस्त्र।
  • ग्रहण – लेना, चाँद – सूर्य का ग्रहण।
  • गुण – विशेषता, रस्सी। गुरु – शिक्षक, बड़ा (महत्त्वपूर्ण)।
  • जड़ – मूल, मूर्ख।
  • जेठ – पति का बड़ा भाई, महीना विशेष।
  • खग – पक्षी, आकाश।
  • नव – नया, नौ।
  • नाग – साँप, हाथी।
  • पतंग – सूर्य, उड़ाई जाने वाली, गुड़िया, विशेष प्रकार का कीड़ा।
  • पय – दूध, पानी, अमृत।
  • फल – परिणाम, सेब, केला आदि, छुरी – बाण आदि का नुकीला भाग।
  • मधु – मीठा शहद, शराब।
  • लाल – रंग, बेटा, मूल्यवान पत्थर।
  • वर्ण – जाति, रंग, अक्षर।
  • विधि – ब्रह्मा, भाग्य, पद्धति, रीति।
  • हरि – विष्णु, सूर्य, इन्द्र, सिंह, सर्प।
  • हार – पराजय, आभूषण – विशेष।
  • श्री – शोभा, लक्ष्मी, धन – वैभव।

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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण पर्यायवाची

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण पर्यायवाची

एक अर्थ प्रकट करने के लिए प्रत्येक भाषा में कई शब्द होते हैं। ऐसे शब्द समानार्थी या पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं। वास्तव में तो एक–एक शब्द के सभी पर्यायवाची शब्दों का अर्थ एक समान नहीं होता, उनमें सूक्ष्म अंतर होता है। हवा, प्रभंजन, समीर, झंझा पर्यायवाची शब्द हैं।

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नीचे कुछ पर्यायवाची शब्द दिए जा रहे हैं–

  • अग्नि – आग, पावक, अनल, वह्नि।
  • अमृत – सुधा, अमिय, सोम पीयूष।
  • आकाश – नभ, गगन, आसमान, अंबर।
  • आँख – नेत्र, लोचन, नयन, दृग।
  • कमल – सरोज, जलज, पंकज, राजीव।
  • घर – गृह, गेह, सदन, मंदिर।
  • चंद्रमा – शशि, विधु, चंद्र मयंक।
  • जल – पानी, नीर, वारि, सलिल।
  • पर्वत – शैल, गिरि, पहाड़, अचल।
  • पुष्प – फूल, कुसुम, सुमन, प्रसून।
  • बादल – मेघ, घन, पयोद, नीरद।
  • मनुष्य – नर, मानव, आदमी, मानुष।
  • रात – रात्रि, निशा, रैन, यामिनी।
  • राजा – नृप, भूप, नरेश, नरेन्द्र।
  • समुद्र – सागर, जलधि, सिंधु, रत्नाकर।
  • सूर्य – भानु, रवि, दिवाकर, आदित्य।
  • सिंह – शेर, मृगेन्द्र, नाहर, मृगराज।
  • सर्प – भुजंग, विषधर, नाग, साँप।
  • स्त्री – नारी, भार्या, कांता, वधू।
  • हवा – वायु, समीर, बयार, अनिल।
  • हाथी – गज, करी, नाग, गयंद।
  • घोड़ा – अश्व, बाजि, तुरंग, तुरग।
  • कृष्ण – हरि, केशव, घनश्याम, मोहन।
  • कोयल – कोकिला, पिक, अलि, श्यामा।
  • पक्षी – विहग, खग, पखेरू, चिड़िया।
  • पुत्र – सुत, तनय, बेटा, पूत।
  • पुत्री – सुता, तनया, बेटी, तनूजा।
  • महादेव – शिव, शंभु, शंकर, गिरीश।
  • माता – मां, जननी, अम्ब, मातृ।।
  • मोर – केकी, मयूर, कलापी, सारंग।
  • सरस्वती – शारदा, भारती, वीणापाणि, गिरा।
  • सोना – कंचन, कनक, हेम, स्वर्ण।
  • हनुमान – पवनसुत, महावीर, कपीश्वर, रामदूत।
  • आम – रसाल, आम्र, अमृतफल, सहकार।
  • दुःख – क्लेश, विषाद, वेदना, संताप।
  • विष – गरल, हलाहल, जहर, माहुर।
  • सेना – सैन्य, दल, चमू, फौज।
  • शत्रु – रिपु, अरि, अमित्र, वैरी।
  • सुंदर – ललित, रम्य, चारु, सुरम्य।
  • मित्र – सखा, मीत, सुहृद, अंतरंग।
  • लक्ष्मी – कमला, पद्मा, श्री, हरिप्रिया।
  • पत्थर – पाषाण, उपल, पाहन, प्रस्तर।

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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण शब्द विचार

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण शब्द विचार

प्रश्न 1.
शब्द की परिभाषा दें।
उत्तर-
शब्द की परिभाषा-निश्चित अर्थ को प्रकट करने वाले वर्ण-समूह को शब्द कहते हैं। जैसे-घर, रोटी, अर्थ, विचार, शब्द आदि।

प्रश्न 2.
शब्द के कितने रूप हैं? उदाहरण सहित समझाएँ।
उत्तरउत्पत्ति के आधार पर हिंदी में शब्द के चार भेद हैं

  1. तत्सम,
  2. तद्भव,
  3. देशज,
  4. विदेशी।

1. तत्सम-संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द, जो हिंदी में भी अपने मूल रूप में प्रचलित हैं, तत्सम कहलाते हैं। जैसे-वायु, नारी, सत्य, छात्र, समुद्र आदि।
2. तद्भव-जो शब्द संस्कृत भाषा के शब्दों से बिगड़ कर हिंदी में प्रचलित हैं, तद्भव कहलाते हैं। जैसे-सपना (स्वप्न), दूध (दुग्ध)।
3. देशज-जो शब्द स्थानीय पदार्थ के रूप में, कार्य के रूप में अथवा ध्वनि के अनुसार प्रसिद्ध और प्रचलित हैं, देशज कहलाते हैं। ये शब्द देश की विभिन्न बोलियों से लिये गए हैं। जैसे–पेट, खिड़की, थूक, चीनी।
4. विदेशी-वे शब्द, जो अंग्रेज़ी, अरबी, फारसी, तुर्की, पुर्तगाली, फ्रांसीसी आदि विदेशी भाषाओं से हिंदी में आए हैं, विदेशी कहलाते हैं। जैसे-स्कूल, बटन, आलू, गरीब, किताब, लाश।

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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण शब्द विचार 1

प्रश्न 3.
तत्सम एवं तद्भव शब्द रूपों के अन्तर उदाहरण सहित समझाएँ।
उत्तर-
तत्सम और तद्भव शब्द-

तत्सम शब्द-
हिंदी में संस्कृत के कुछ शब्दों को ज्यों का त्यों (यथावत्) ले लिया है। ऐसे शब्द तत्सम कहलाते हैं।

तद्भव शब्द-
संस्कृत के कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनका रूप परिवर्तन करके हिंदी में अपनाया गया है। ऐसे शब्दों को तद्भव शब्द कहते हैं। यहाँ कुछ तद्भव शब्द और उनके तत्सम रूप दिए जा रहे हैं

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प्रश्न 4.
हिन्दी में प्रयुक्त होने वाले कुछ विदेशी शब्दों के उदाहरण दें?
उत्तर-
अंग्रेजी-स्टेशन, राशन, सिनेमा, टेलीविजन, टिकट, फीस, रेडियो, डॉक्टर, बैंक आदि।
अरबी-मौलवी, अदालत, अमीर, मालिक, दुनिया, फकीर, तारीख, किताब, कसर आदि।
फारसी-जिंदगी, बाग, चश्मा, खरगोश, चाकू, कारखाना, रूमाल, शिकायत, जल्दी, खरीद, तमाम, ज़मीन, फौज़, काग़ज़, हज़ार, दुकान, बादाम आदि।
पुर्तगाली-प्याला, आलू, साबुन, नीलाम, पिस्तौल, आदि।
ग्रीक-सुरंग, दाम आदि।
तुर्की-दारोगा, तमगा, काबू, लाश, कालीन, तोप आदि।
फ्रांसीसी-कूपन, अंगरेज़, कारतूस आदि।

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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण वर्तनी

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण वर्तनी

प्रश्न 1.
वर्तनी की परिभाषा दें।
उत्तर-
‘वर्तनी’ का अर्थ है उच्चारण के अनुरूप वर्ण-विन्यास। इसे अंग्रेजी में (spelling) कहते हैं। सामान्यतया लिखने की रीति को वर्तनी कहते हैं। वर्तनी की शुद्धता के लिए उच्चारण की शुद्धता आवश्यक है। यदि उच्चारण गलत हुआ तो वर्तनी भी गलत होती है।

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प्रश्न 2.
वर्तनी संशोधन के नियमों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
वर्तनी संबंधी कुछ नियम हैं, जिनका पालन करने से शब्दों के शुद्ध रूप लिखे जा सकते हैं।
1. किसी भी स्वर के साथ किसी अन्य स्वर की मात्रा नहीं लगनी चाहिए।

जैसे-

‘अ’ अिस, ओक, अपर-ये अशुद्ध रूप हैं।
इस, एक, ऊपर-ये शुद्ध रूप हैं।

2. भाववाची-ति, नि, धि, टि से समाप्त होने वाली स्त्रीलिंग संज्ञाओं की अंतिम ‘इ’ ह्रस्व होती है।

जैसे-

भक्ति, शक्ति, नीति, प्रीति, रीति, जाति आदि।

3. संस्कृत के तत्सम पुल्लिंग शब्द के अंतिम इ, उ, प्रायः ह्रस्व होते हैं।

जैसे-

कवि, कपि, हरि, रवि, वाल्मीकि, उदधि आदि।

4. तद्भव तथा विदेशी भाषाओं में आए पुल्लिंग शब्दों के अंतिम इ, उ दीर्घ होते हैं।

जैसे-

अंग्रेजी, फ्रांसीसी, आलू, भालू, डाकू, लड़ाकू।

5. ‘ऋ’ स्वर है। कभी-कभी उसका उच्चारण, रि, रु इस प्रकार करके इसी से शब्द लिखते हैं, वह अशुद्ध रूप है। ‘ऋ’ प्रारंभ में लगने वाले शब्द को ‘र’ से नहीं ‘ऋ’ से लिखना चाहिए

जैसे-

ऋतु लिखना चाहिए, रितु नहीं।
शुद्ध रूप-ऋचा, ऋग्वेद, ऋण, वृष्टि, कृषक, कृष्ण, तृण, तृष्णा आदि।

6. ‘घ’ तथा ‘ध’ वाले शब्द-‘घ’-घर, घोड़ा, घनश्याम, घड़ा, घमण्ड आदि।

‘ध’-धैर्य, धर्म, धन, धमाका, धाम आदि।

7. ‘व’ और ‘ब’ में अंतर-‘व’ के उच्चारण में होठ’ (ओठ) खुले रहते हैं और ‘ब’ के उच्चारण में बंद हो जाते हैं।

‘व’ वाले शब्द-वह, वर्ण, विवाहर, विश्व इत्यादि।
‘ब’ वाले शब्द-बाहर, बंद, बंदर, बँटवारा, बाप, बतासा, बनावट, बारात इत्यादि।

8. श, ष, स का अन्तर-‘श’ वाले शब्द-शहर, शरबत, शेर इत्यादि।

‘ष’ वाले शब्द-षट्कोण, नष्ट, कष्ट, राष्ट्र, युधिष्ठिर, विशिष्ट इत्यादि।
‘स’ वाले शब्द-समाज, सपेरा, समय, सावन, स्वागत, सरौता, सबेरा, स्वर्ग इत्यादि।

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प्रश्न 3.
परसर्ग या कारक चिह्न का प्रयोग कहाँ किया जाता है?
उत्तर-
परसर्ग या कारक चिह्न का प्रयोग-संज्ञा शब्दों के साथ होना चाहिए। इस प्रकार जैसे-राम ने, मोहन को, घर में सर्वनाम के साथ प्रयोग-जैसे-मैंने, आपने, उन्होंने, उनको, जिसको इत्यादि।

प्रश्न 4.
योजक चिह्न का प्रयोग सोदाहरण समझाइये।
उत्तर-
योजक चिह्न का प्रयोग समानपद में करना चाहिए।

जैसे-

माता-पिता,
भाई-बहन,
पाप-पुण्य,
सरस्वती – वन्दना,
शोध-संस्था,
रात-दिन आदि।

प्रश्न 5.
शुद्ध एवं अशुद्ध वर्तनी को उदाहरण सहित समझाएँ।
उत्तर-
जैसे-
MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण वर्तनी 1

प्रश्न 6.
वर्ण तथा शब्द में क्या अंतर है?
उत्तर-
ध्वनि का लिखित रूप वर्ण कहलाता है। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इन्हें विभाजित नहीं किया जा सकता, परन्तु वर्णों के सार्थक समूह से शब्दों का निर्माण होता है।

जैसे-

अ, आ, इ, ई वर्ण हैं जबकि र् + आ + म् + अ = ‘राम’ शब्द है।

प्रश्न 7.
हिन्दी की लिपि का नाम बताएँ।
उत्तर-
हिन्दी की लिपि का नाम देवनागरी लिपि है। प्रश्न 8. वर्तनी के नियमों में से कोई भी दो नियम लिखिए।
उत्तर-
1. किसी भी स्वर के साथ किसी अन्य स्वर की मात्रा नहीं लगती है।

जैसे-

अशुद्ध-ओक, शुद्ध-एक।

2. ‘ऋ’ स्वर का शुद्ध उच्चारण

जैसे-

रितु-अशुद्ध, ऋतु-शुद्ध शब्द है।

प्रश्न 9.
मानक वर्तनी क्या है? सोदाहरण समझाएँ।
उत्तर-
वर्तनी संबंधी कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं। शुद्ध शब्द उच्चारण के लिए, उनका पालन करने से मानक शुद्ध वर्तनी प्रस्तुत होती है।
जैसे-
‘ष’ के स्थान पर ‘श’ संबंधी अशुद्धियाँ।
अशुद्ध शब्द – मानक (शुद्ध) वर्तनी
द्वेश – द्वेष
निर्दोष – निर्दोश

प्रश्न 10.
निम्नांकित शब्दों के (मानक) शुद्ध रूप लिखिए।
उत्तर-
अशुद्ध रूप – मानक (शुद्ध रूप)

  1. उज्वल – उज्ज्व ल
  2. क्षन – क्षण
  3. एकलौता – इकलौता
  4. सौंदर्यता – सौंदर्य
  5. आशीर्वाद – आशीर्वाद
  6. चाहिये – चाहिए
  7. अनाधिकार – अनधिकार
  8. मैथली – मैथिली
  9. उपरोक्त – उपर्युक्त
  10. अनुग्रहित – अनुगृहीत

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प्रश्न 11.
‘ऋ’ तथा ‘रि’ से बनने वाले कोई चार शब्द लिखिए।
उत्तर-
‘रि’ –

  1. रिगवेद
  2. रितु
  3. रिषि
  4. रिचा।।

‘ऋ’ –

  1. ऋग्वेद
  2. ऋतु
  3. ऋषि
  4. ऋचा।

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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण प्रत्यय

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण प्रत्यय

प्रश्न 1.
प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर-
मूल शब्दों के अंत में जो शब्दांश जुड़कर नये शब्द बनाए जाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। दूसरे शब्दों में जो शब्दांश शब्द के अंत में जुड़कर नये-नये शब्दों का निर्माण करते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।

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प्रश्न 2.
प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर-प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं-कृत और तद्धित।

प्रश्न 3.
कृत प्रत्यय को सोदाहरण समझाएँ:
उत्तर-
कृत प्रत्यय-क्रिया शब्दों के अंत में जो शब्दांश जोड़े जाते हैं, वे कृत प्रत्यय कहलाते हैं,

जैसे-

पढ़ना + ई = पढ़ाई ; लिखना + ई = लिखाई।

क्रिया में प्रत्यय जोड़कर संज्ञाएँ भी बनाई जाती हैं और विशेषण भी। संज्ञा बनाने वाले हिंदी के प्रमुख कृत् प्रत्यय निम्नलिखित हैं-MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण प्रत्यय img 1

विशेषण बनाने वाले प्रत्यय
MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण प्रत्यय img 5
MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण प्रत्यय img 2

प्रश्न 4.
तद्धित प्रत्यय को सोदाहरण समझाएँ।
उत्तर-
तद्धित प्रत्यय-जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के साथ जुड़कर नये शब्द बनाते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

संज्ञा बनाने वाले तद्धित प्रत्यय-
MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण प्रत्यय img 3

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विशेषण बनाने वाले तद्धित प्रत्यय-
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MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण उपसर्ग

MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण उपसर्ग

प्रश्न 1.
उपसर्ग किसे कहते हैं?
उत्तर-
उपसर्ग वे अविकारी (अव्यय) शब्दांश होते हैं, जो किसी शब्द के पूर्व में जुड़कर मूल शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।

प्रश्न 2.
उपसर्ग की विशेषता बताइये।
उत्तर-
उपसर्ग किसी भी शब्द को परिवर्तित कर देता है। इससे

  1. शब्द के अर्थ में एक नयी विशेषता आ जाती है।
  2. शब्द का अर्थ बदल जाता है।
  3. कहीं-कहीं शब्द के अर्थ में कोई विशेष अंतर नहीं आता। हिंदी में जो उपसर्ग मिलते हैं, वे संस्कृत, हिंदी और उर्दू भाषा के हैं।

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प्रश्न 3.
उपसर्ग कितने तरह के होते हैं? उनके उदाहरण दें।
उत्तर-
संस्कृत उपसर्ग
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हिंदी उपसर्ग

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