MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti लेखकों और कवियों का जीवन परिचय

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions लेखकों और कवियों का जीवन परिचय

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’

जीवन परिचय-कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबन्द नगर में सन् 1906 ई. में हुआ था। आपके पिता रामदत्त मिश्र पूजा-पाठ व पुरोहिताई से अपनी जीविका प्राप्त करते थे। आपने स्वाध्याय से ही संस्कृत, अंग्रेजी आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण आपको अनेक बार कारावास का दण्ड भोगना पड़ा। ‘प्रभाकर’ जी एक ख्याति प्राप्त पत्रकार थे। पत्रकारिता के क्षेत्र में आपने महान् मानवीय आदर्शों की स्थापना की। मानव कल्याण के प्रति समर्पित साहित्यकार के रूप में आपने युगीन परिस्थितियों और समस्याओं का सजीव चित्रण अपनी कृतियों में चित्रित किया है।

MP Board Solutions

भाषा-शैली-‘प्रभाकर’ जी की भाषा तत्सम प्रधान शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है। सुबोधता, माधुर्यमय, स्पष्टता, मुहावरों और कहावतों के प्रयोग से भाषा सशक्त हो गई है।

‘प्रभाकर’ जी की शैली में भावात्मकता, वर्णनात्मकता, नाटकीयता का गुण मिलता है।

प्रमुख कृतियाँ-पत्रकारिता और साहित्यिक क्षेत्र में आपने रेखाचित्र, संस्मरण, निबन्ध और रिपोर्ताज आदि विधाओं पर अपनी कलम का प्रभाव दिखाया। ‘ज्ञानोदय’, ‘नया जीवन’, ‘विकास’, पत्रिकाओं का सम्पादन करके पत्रकारिता को काफी ऊँचाई प्रदान की। ‘जिन्दगी मुस्कराई’, ‘माटी हो गई फूल’ ‘आकाश के तारे’, ‘धरती के फूल’, ‘दीप जले शंख बजे’ आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

पं. माखन लाल चतुर्वेदी

जीवन परिचय-पं. माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल, सन् 1889 ई. को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के 5 बाबई ग्राम में हुआ था। इनके पिता पं. नन्दलाल चतुर्वेदी गाँव के प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे। इन्होंने घर पर ही संस्कृत, बंगला, गुजराती और अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया। पन्द्रह वर्ष की। उम्र में ही इनका विवाह हो गया था। इन्होंने आठ रुपये मासिक पर अध्यापन कार्य किया। इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लिया और इन्हें जेल यात्राएँ भी करनी पड़ी। पं. माखन लाल चतुर्वेदी को सन् 1943 ई. में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष बनाया गया। इनका उद्देश्य साहित्य सृजन और देश सेवा ही रहा। इसके लिए भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण और सागर विश्वविद्यालय ने डी. लिट् की मानद उपाधियाँ प्रदान की। मध्य प्रदेश शासन ने। 7500 रुपये की भेंट तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। 80 वर्ष की। उम्र में 30 जनवरी, सन् 1968 ई. को उनका देहावसान हो गया।

भाषा-शैली-इनकी भाषा शुद्ध मजी हुई खड़ी बोली है।

जहाँ-तहाँ उर्दू के शब्दों का प्रयोग किया है। उनकी शैली मुक्तक। प्रधान है। उसमें छायावाद का पुट है।

प्रमुख कृतियाँ-

  1. हिम किरीटनी, हिम तरंगिनी, माता, युगचारण, समर्पण, वेणु लो गूंजे धरा (काव्यसंग्रह)।
  2. साहित्य देवता (गद्यकाव्य),
  3. चिन्तक की लाचारी, आत्मदीक्षा (भाषा संग्रह),
  4. अमीर इरादे, गरीब इरादे (निबन्ध संग्रह),
  5. नागार्जुन युद्ध (नाटक),
  6. वनवासी, कला का अनुवाद (कहानी संग्रह),
  7. प्रभा, कर्मवीर (सम्पादन)।

गुणाकर मुले

  • जन्म स्थान-महाराष्ट्र के अमरावती जिले का सिन्दी बुजरुक गाँव।
  • जन्म काल-सन् 1955 ई.।
  • शिक्षा-इलाहाबाद में उच्च शिक्षा।
  • कार्यक्षेत्र-स्वतन्त्र पत्रकारिता। विज्ञान में जटिल विषयों। को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना।

डॉ. परशुराम शुक्ल

  • जन्म स्थान-कानपुर जिले का मैबूल नामक ग्राम।
  • जन्म काल-6 जून, सन् 1947 ई.।
  • लेखन विषय-शिशुगीत, बाल कविताएँ, बाल एकांकी तथा बाल उपयोगी
  • ज्ञान-विज्ञान से सम्बन्धित आलेख।
  • कृतियाँ-वृक्ष-कथा, मास्टर दीनदयाल, विश्व जलचर कोश तथा ज्ञान-विज्ञान कोश।

विष्णु प्रभाकर

  • जन्म स्थान-ग्राम मीरनपुर, जिला-मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)।
  • जन्म काल-सन् 1912 ई.।
  • विधाएँ-कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, रिपोर्ताज।
  • कृतियाँ-उपन्यास-‘ढलती रात’, ‘स्वप्नमयी’।
  • कहानी संग्रह-‘आदि और अन्त’, ‘संघर्ष के बाद’।
  • एकांकी संग्रह-‘डॉक्टर’, ‘प्रकाश’, ‘परछाइयाँ’।

MP Board Solutions

डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी

जीवन परिचय-डॉ. बरसाने लाल चतुर्वेदी व्यंग्य और हास्य के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। श्री चतुर्वेदी राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कवि हैं। ऊर्जावान् कवि डॉ. चतुर्वेदी ने लगभग 40 ग्रन्थों की रचना की है। गद्य तथा पद्य दोनों में आपका बराबर अधिकार है। डॉ. चतुर्वेदी को हास्य व्यंग्य लेखन के लिए ठिठोली ‘चकल्लम’, ‘मानव बिन्दु’ मुख्य विषय हैं। आपको भारत सरकार ने पद्मश्री से अलंकृत किया है।

सूरदास

जीवन परिचय-कृष्ण भक्त सूरदास का जन्म मथुरा-आगरा सड़क के किनारे बसे रुनकता गाँव में सन् 1478 ई. में हुआ था। ये जन्मान्ध थे। संगीत प्रतिभा जन्म से ही थी। गऊघाट पर रहकर ईश्वर भजन करते थे। यहाँ से महाप्रभु बल्लभाचार्य की प्रेरणा पाकर रंगनाथ जी के मन्दिर में आ गए और श्रीकृष्ण की लीलाओं का गान पदों के माध्यम से करने लगे।
सन् 1582 ई. में इनका निधन हो गया। इस तरह इन्होंने 104 वर्ष का यशस्वी जीवन प्राप्त किया।
कृतियाँ-सूर-सागर, सूरसारावली तथा साहित्य लहरी इनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं।

रस-सूर के काव्य में वात्सल्य एवं शृंगार रस का अपूर्व प्रयोग हुआ है।
भाषा-सूर की भाषा ब्रजभाषा है। कहावतों और लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा सजीव हो उठी है। भाषा की मधुरता सम्पूर्ण काव्य में व्याप्त है।

तुलसीदास

जीवन परिचय-रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि तुलसी का जन्म सन् 1532 ई. में बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी था। इनके गुरु नरहरिदास थे। गुरु की कृपा से इन्हें भक्ति मार्ग मिला। सन् 1623 ई. में 94 वर्ष की उम्र में इनका निधन हो गया।

कृतियाँ-रामचरितमानस, विनय-पत्रिका, कवितावली, गीतावली, बरवै-रामायण आदि प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।। रस-सभी नव-रसों का प्रयोग तुलसी ने अपने काव्य में किया है।

भाषा-तुलसी ने अपने काव्य में ब्रज और अवधी भाषा का। प्रयोग किया है। भाषा संस्कृतनिष्ठ परिमार्जित तथा श्रुतिमाधुर्य गुण प्रधान है।

मीराबाई

जीवन परिचय-मीरा का जन्म सन् 1498 ई. में राजस्थान के चौकड़ी (मेड़ता), जोधपुर में हुआ था। मीरा पर अपने पितामह दूदाजी का प्रभाव था। वे वैष्णव भक्त थीं। मीरा का। विवाह उदयपुर के राणा साँगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ था, परन्तु भोजराज की असमय मृत्यु हो गई। मीरा ने अपना मन। संसार के माया-मोह से हटा लिया और वे श्रीकृष्ण के रंग में रंग गईं। सन् 1546 ई. में उनका निधन हो गया।।

कृतियाँ-‘नरसी जी का मायरा’, ‘गीत गोविन्द की टीका’, ‘राग गोविन्द’, ‘राग सोरठा के पद’ प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

रस-मीरा के काव्य में शान्त और श्रृंगार रस का प्रयोग हुआ है।

भाषा-मीरा की कविता में राजस्थानी संस्कारित ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’

जीवन परिचय-निराला जी का जन्म बंगाल के मेदिनीपुर में सन् 1897 ई. में हुआ था। आपके पिता पं. रामसहाय त्रिपाठी उन्नाव जिले के ‘गढाकोला’ गाँव के रहने वाले थे। आपका कार्यक्षेत्र प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश ही रहा है। आपकी रचनाओं में प्रेम, सौन्दर्य, उल्लास, ओज और भक्ति के स्वर हैं। हिन्दी के छायावादी कवियों में आप निराले ही हैं। हिन्दी कविता को मुक्त छन्द आपकी देन है। आपका निधन 15 अक्टूबर, सन् 1961 ई. को हो गया।

कृतियाँ-

  1. काव्य-अनामिका, परिमल, गीतिका, तुलसीदास, अपरा, अणिमा, बेला, नये पत्ते, कुकुरमुत्ता।
  2. उपन्यास-अप्सरा, अलका, प्रभावती, निरूपमा।
  3. कहानी-लिली, सखी, चतुरी, चमार, सुकुल की बीबी।
  4. हास्य-व्यंग्य-कुल्लीभाट, बिल्लेसुर बकरिहा।
  5. समालोचना-रवीन्द्र कविता कला आदि। रस-शृंगार, करुण, शान्त, वीर और रौद्र रसों का प्रयोग। भाषा-संस्कृत गर्भित खड़ी बोली।

MP Board Solutions

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

जीवन परिचय-शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का जन्म सन् 1916 ई. बसन्त पंचमी को झगरपुर, जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश में। हुआ था। आपकी आधी शिक्षा मध्य भारत में हुई थी। ग्वालियर के महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज में व्याख्याता के पद पर उनकी नियुक्ति हुई। उज्जैन के माधव कॉलेज में वे प्राचार्य रहे। वे। विक्रम विश्वविद्यालय के बरसों तक कुलपति के रूप में कार्य करते रहे। सुमन जी हिन्दी के अग्रणी कवियों में माने जाते

कृतियाँ-‘हिल्लोल’, ‘जीवन के गान’, ‘प्रलय सृजन’, ‘विश्वास बढ़ता ही गया’, ‘आँखें भरी नहीं’, ‘विन्ध्य-हिमाचल’, “माटी की बारात’। ‘माटी की बारात’ पर आपको साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया है।

रस-करुण, वीर और शान्त रस की अभिव्यक्ति।
भाषा-परिमार्जित लालित्य प्रधान खड़ी बोली।

MP Board Class 8th Hindi Solutions

MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना

MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना

एक भाषा को दूसरी भाषा में बदलने का नाम अनुवाद है। संस्कृत में शब्दों के रखने का कोई क्रम नहीं है। वाक्य का कोई भी शब्द कहीं भी रखा जा सकता है; जैसे

रामः विद्यालयं गच्छति।
या
विद्यालयं रामः गच्छति। इत्यादि

अनुवाद करने के लिए हमें विभक्ति, कारक, वचन, पुरुष, लिंग, शब्द रूप, धातु रूप का ज्ञान होना आवश्यक है। नीचे सरलता के लिए कारक और उनके चिह्न दिये जा रहे हैं-
MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना 1

MP Board Solutions

पुरुष

कहने वाले, सुनने वाले या जिसके विषय में बात की जाती है, उस संज्ञा या सर्वनाम को पुरुष कहते हैं। पुरुष तीन प्रकार के होते हैं-
(क) अन्य पुरुष या प्रथम पुरुष-जिसके विषय में बात की जाये उसे अन्य पुरुष कहते हैं। जैसे-रामः, सः, सा, तत्, किम्, बालक, बालिका इत्यादि।
(ख) मध्यम पुरुष-जिससे प्रत्यक्ष बात की जाती है उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे-त्वम् (तुम्), युवाम् (तुम दोनों), यूयम् (तुम सब)।
(ग) उत्तम पुरुष-जो बात को कहता है उसके लिए उत्तम पुरुष का प्रयोग होता है। जैसे-अहम् (मैं), आवाम् (हम दोनों), वयम् (हम सब)।

लिङ्ग

संस्कृत में लिंग के तीन प्रकार होते हैं-
(क) पुल्लिग-रामः, बालकः, हरिः, गुरुः, सः इत्यादि।
(ख) स्त्रीलिंग-सीता, बालिका, सा, माला, रमा इत्यादि।
(ग) नपुंसकलिंग-फलम्, पुस्तकम्, वस्त्रम्, जलम्, मित्रम् इत्यादि।

वचन

प्रत्येक विभक्ति में तीन वचन होते हैं
(क) एकवचन :
एक व्यक्ति या वस्तु के लिए एक वचन का प्रयोग होता है; जैसे बालकः (एक बालक), रामः (राम), बालिका (एक लड़की) इत्यादि।
(ख) द्विवचन :
दो व्यक्ति या वस्तुओं के लिए द्विवचन का प्रयोग होता है; जैसे बालकौ (दो बालक), बालिके (दो लड़कियाँ), पुस्तके (दो पुस्तकें) इत्यादि।
(ग) बहुवचन :
तीन या तीन से अधिक व्यक्ति या वस्तुओं के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है; जैसे-बालका (बहुत से बच्चे), बालिकाः (लड़कियाँ), पुस्तकानि (पुस्तकें) इत्यादि।

MP Board Solutions

अभ्यास 1.
लट्लकार (वर्तमानकाल)
MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना 2

अभ्यास 2.
लट्लकार (वर्तमान काल)
MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना 3

अभ्यास 3.
लङ्लकार (भूतकाल)
MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना 4

MP Board Solutions

अभ्यासः 4.
लट्लकार (भविष्यकाल)
MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना 5
अभ्यास 5.
लोट्लकार (आज्ञार्थ)
MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना 6

अभ्यास 6.
विधिलिङ्ग लकार (चाहिए अर्थ में)
MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना 7

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions

MP Board Class 8th Sanskrit पत्र-लेखनम्

MP Board Class 8th Sanskrit पत्र-लेखनम्

1. अवकाशार्थं प्रार्थनापत्रम्
(अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र)

सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः
राजकीयः विद्यालयः
भोपालनगरम्

महोदयाः!
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् गतगुरुवासरतः अहं ज्वरेण अतीव पीडितोऽस्मि। एतेन कारणेन विद्यालयम् आगन्तुं न शक्नोमि। अत एव दिनत्रयस्य अवकाशार्थं भवन्तं प्रार्थये।
दिनाङ्क : १/०८/२००७

भवताम् आज्ञानुवर्ती शिष्यः
संजय शर्मा
कक्षा अष्टम्

MP Board Solutions

2. अनुजं प्रति पत्रम्
(छोटे भाई को पत्र)

इन्दौरनगरतः
दिनाङ्क : ५-१०-२००७

प्रिय रमेशः!
चिरंजीव!
आवयोः माता स्वपत्रेण सूचयति यत् तव मनः अध्ययने पूर्ववत् न भवति। प्रायेण त्वं क्रीडने एव संलग्नः भवति। इदं तु अशोभनम् अस्ति। अयं तव जीवनस्य निर्माणकालः। अध्ययनमेव तव जीवनम् उन्नेष्यति।

शुभेच्छुः
राजेशः

3. शुल्क मुक्तये प्रार्थना-पत्रम्
(शुल्क मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र)

सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः
राजकीयः विद्यालयः
भोपालनगरम्

मान्याः!
अहम् भवतां विद्यालये अष्टकक्षायाम् अध्ययनं करोमि। मम। पिता एकः साधारणतः कर्मकरः अस्ति। तस्य श्रमेण परिवारस्य पालनमपि कठिनम् अस्ति। अतः अहम् शिक्षणशुल्कं दातुम् असमर्थोऽस्मि। निवेदनम् अस्ति यत् शुल्कात् मुक्तिं प्रदाय मयि कृपां करिष्यन्ति भवन्तः।
दिनाङ्क : १०/०७/२००७

भवताम् आज्ञाकारी शिष्यः
मनोजः
कक्षा-अष्टम्

MP Board Solutions

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1

प्रश्न 1.
दिए हुए प्रत्येक ठोस के लिए, दो दृश्य दिए गए हैं। प्रत्येक ठोस के लिए संगत, ऊपर से दृश्य और सामने से दृश्य का मिलान कीजिए। इनमें से एक आपके लिए किया गया है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1 img-1
उत्तर:

(a) → (iii) सामने से → (iv) ऊपर से
(b) → (i) सामने से, (v) ऊपर से
(c) → (iv) सामने से → (ii) ऊपर से
(d) → (v) सामने से → (iii) ऊपर से
(e) → (ii) सामने से → (i) ऊपर से।

प्रश्न 2.
दिए हुए प्रत्येक ठोस के लिए, तीन दृश्य दिए गए हैं। प्रत्येक ठोस के संगत, ऊपर से दृश्य, सामने से दृश्य और पार्श्व दृश्य की पहचान कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1 img-2
उत्तर:

(a) (i)→ सामने, (ii) → पार्श्व, (iii) ऊपरी
(b) (i) → पार्श्व, (ii) सामने, (iii) ऊपरी
(c) (i) → सामने, (ii) पार्श्व, (iii) ऊपरी
(d) (i) → सामने, (ii) पार्श्व, (iii) ऊपरी।

प्रश्न 3.
दिए हुए प्रत्येक ठोस के लिए, ऊपर से दृश्य, सामने से दृश्य और पार्श्व दृश्य की पहचान कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1 img-3
उत्तर:

(a) (i) → ऊपरी, (ii) → सामने, (iii) पार्श्व
(b) (i) → पार्श्व, (ii) सामने, (iii) ऊपरी
(c) (i)→ ऊपरी, (ii) पार्श्व, (iii) सामने
(d) (i) → पार्श्व, (ii) सामने, (iii) ऊपरी
(e) (i)→ सामने, (ii) ऊपरी, (iii) पार्श्व।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
दी हुई वस्तुओं के, सामने से दृश्य, पार्श्व दृश्य और ऊपर से दृश्य खींचिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1 img-4
उत्तर:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1 img-5

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 171

प्रश्न 1.
अब एक अन्य मानचित्र को देखिए, जो उसकी 10 वर्षीय बहन मीना ने अपने घर से अपने स्कूल का मार्ग दर्शाने के लिए खींचा है (आकृति 10.12)।
यह मानचित्र पिछले मानचित्र से भिन्न है। यहाँ, मीना ने भिन्न-भिन्न सीमा-चिह्नों (landmarks) के लिए भिन्न-भिन्न संकेतों का प्रयोग किया है। दूसरी बात यह है कि लम्बी दूरियों के लिए लम्बे रेखाखण्ड खींचे गए हैं तथा छोटी दूरियों के लिए छोटे रेखाखण्ड खींचे गए हैं। अर्थात् उसने इस मानचित्र को एक पैमाने (scale) के अनुसार खींचा है। अब, आप निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं –

  1. राघव का स्कूल उसके निवास स्थान से कितनी दूरी पर है?
  2. किसका स्कूल उनके घर से अधिक निकट है-राघव का या मीना का?
  3. मार्ग में कौन-कौन से महत्त्वपूर्ण सीमा-चिह्न है?

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1 img-6
हल:
1. राघव के निवास से उसके स्कूल की दूरी = \(\frac{1}{2}\) किमी + 1 किमी + \(\frac{1}{3}\) किमी = \(\frac{3+6+2}{2}\) किमी
= \(\frac{11}{6}\) किमी = 1\(\frac{5}{6}\) किमी राघव का स्कूल उसके निवास से 1\(\frac{5}{6}\) किमी. है।

2. मीना के स्कूल की दूरी = \(\frac{1}{2}\) किमी + 1 किमी + \(\frac{1}{4}\) किमी = \(\frac{2+4+1}{4}\) किमी
= \(\frac{7}{4}\) किमी = 1\(\frac{3}{4}\) किमी
स्पष्ट है कि 1\(\frac{3}{4}\) किमी < 1\(\frac{5}{6}\) किमी
अत: मीना का स्कूल उसके घर से अधिक निकट है।

3. मार्ग में तालाब और अस्पताल महत्वपूर्ण सीमा-चिह्न

MP Board Solutions

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 172

इन्हें भी कीजिए (क्रमांक 10.3)

प्रश्न 1.
एक नगर के संलग्न मानचित्र को देखिए।
(a) मानचित्र में इस प्रकार रंग भरिए: नीला – जल, लाल – फायर स्टेशन, नारंगी- लाइब्रेरी, पीला – स्कूल, हरा – पार्क, गुलाबी – सामुदायिक केन्द्र, बैंगनी – अस्पताल, भूरा – कब्रिस्तान।

(b) दूसरी सड़क और दानिम सड़क के प्रतिच्छेदन (intersection) पर एक हरा ‘x’ अंकित कीजिए। जहाँ नदी, तीसरी सड़क से मिलती है, वहाँ एक काला ‘Y’ अंकित कीजिए तथा मुख्य सड़क और पहली सड़क के प्रतिच्छेदन पर एक लाल ‘Z’ अंकित कीजिए।

(c) कॉलेज से झील तक के लिए एक छोटा सड़क का मार्ग गहरे गुलाबी रंग में खींचिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1 img-7
हल:
विद्यार्थी अभीष्ट मानचित्र में (a), (b) और (c) के लिए दिये गये निर्देशानुसार स्वयं रंग भरें।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
अपने घर से अपने स्कूल तक के मार्ग का उस पर आने वाले महत्वपूर्ण सीमा-चिह्नों को दर्शाते हुए एक मानचित्र खींचिए।
हल:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Ex 10.1 img-8

MP Board Class 8th Maths Solutions

MP Board Class 8th Sanskrit निबन्ध-रचना

MP Board Class 8th Sanskrit निबन्ध-रचना

(1) उद्यानम्

  1. उद्यानम् अत्यन्तं रमणीयम् भवति।
  2. उद्याने वृक्षाः रोहन्ति।
  3. वृक्षाः पर्णैः, पुष्प, फलैः च शोभन्ते।
  4. बालकाः उद्याने क्रीडन्ति।
  5. उद्याने तडागः अपि अस्ति।
  6. जनाः उद्याने भ्रमणार्थं गच्छन्ति।
  7. खगाः वृक्षेषुः निवसन्ति।
  8. तत्र ते नीडान् रचयन्ति।
  9. प्रभाते खगानां कूजनम् मनोहरम् भवति।
  10. वर्तमानकाले वृक्षारोपणकार्य तीव्रगत्या प्रसरति।

MP Board Solutions

(2) विद्यालयः

  1. मम विद्यालयः ‘गुराडियामाता’ ग्रामे स्थितः अस्ति।
  2. विद्यालयस्य भवनम् अतीवसुन्दरम् अस्ति।
  3. अहम् प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छामि।
  4. अहं विद्यालयं गत्वा गुरुन् प्रणमामि
  5. गुरवः स्नेहेन पठम् पाठयन्ति
  6. विद्यालये एकम् उद्यानम् अपि अस्ति।
  7. विद्यालये एकः पुस्तकालयः अस्ति।
  8. विद्यालये एक विशालं क्रीडाक्षेत्रम् अस्ति।
  9. तत्र छात्राः क्रीडन्ति।
  10. विद्यालयः मह्यम् अतीव रोचते।

(3) धेनुः

  1. धेनुः अस्माकम् माता अस्ति।
  2. धेनोः चत्वारः पादाः, द्वे,शृङ्गे, एकं लाङ्गलं च भवति।
  3. धेनूनां विविधाः वर्णाः भवन्ति।
  4. धेनुः तृणानि भक्षयति।
  5. धेनुः जनेभ्यः मधुरम्. पयः प्रयच्छति।
  6. गोमूत्रेण विविधानां दोषाणां रोगाणां च नाशः भवति।
  7. धेनोः दुग्धेन दधि, तक्रम, नवनीतम्, घृतम् च निर्मितम् भवति
  8. भारतीयसंस्कृतौ धेनूनाम् महत्त्वम् अधिकम् अस्ति।
  9. धेनोः दुग्धम् मधुरम्, पथ्यम् हितकारि च भवति।
  10. वयं धेनुम् मातृरूपेण पूजयामः।

MP Board Solutions

(4) मम कर्त्तव्यम्

  1. लोकहितं मम कर्त्तव्यम्।
  2. देशसेवां करणं मम कर्त्तव्यम्।
  3. सर्वजनसम्मानं मम कर्त्तव्यम्
  4. सर्वजनहितं मम कर्त्तव्यम्।
  5. समयेन विद्यालयगमनं मम कर्त्तव्यम्।
  6. सर्वैः सह मधुरभाषणं मम कर्त्तव्यम्।
  7. राष्ट्रध्वजसम्मानं मम कर्त्तव्यम्।
  8. राष्ट्रगानसम्मानं मम कर्त्तव्यम्।
  9. ध्यानेन पठनम् मम कर्त्तव्यम्।
  10. गुरुजनसम्मानं मम कर्त्तव्यम्।

(5) पुस्तकम्

  1. पुस्तकानि मह्यम् अतीव रोचन्ते।
  2. मम समीपे बहूनिपुस्तकानि सन्ति।
  3. पुस्तकानि अतीव मनोहराणि सन्ति।
  4. मम समीपे चित्रपुस्तकम् अपि अस्ति।
  5. रमणीयं चित्रं चित्तम् आनन्दयति।
  6. स्तकानि ज्ञानस्य भण्डारः भवन्ति।
  7. पुस्तकानि अस्माकं मित्राणि सन्ति।
  8. पुस्तकानां सङ्गतिः लाभप्रदा भवति।
  9. अस्माभिः पुस्तकानि रक्षणीयानि।
  10. स्वगृहे लघुः पुस्तकालयो निर्मातव्यः।
  11. पुस्तकेषु यत्र कुत्रचित् न लेखनीयम्।

(6) विवेकानन्दः

  1. स्वामी विवेकानन्दस्य बाल्यकालस्य नाम ‘नरेन्द्रनाथः’ आसीत्।
  2. स्वामी विवेकानन्दस्य जन्म कोलकातानगरे अभवत्।
  3. स्वामी विवेकानन्दस्य पिता ‘विश्वनाथदत्त’! आसीत्।
  4. स्वामी विवेकानन्दस्य माता ‘भुवनेश्वरी देवी’ आसीत्।
  5. स्वामी विवेकानन्दस्य गुरुः ‘रामकृष्णपरमहंसः’ आसीत्।
  6. स्वामी विवेकानन्दस्य शिष्या ‘भगिनी निवेदिता’ आसीत्।
  7. स्वामी विवेकानन्दः यूनां कृते पथप्रदर्शकः आसीत्।
  8. स्वामी विवेकानन्दः संस्कृतानुरागी आसीत्।
  9. नरेन्द्रनाथः ‘स्वामी विवेकानन्दः’ इति नाम्ना प्रसिद्धोऽभवत्।
  10. स्वामी विवेकानन्दस्य बहवः शिष्याः अभवन्।

MP Board Solutions

(7) अनुशासनम्

  1. मानव जीवने अनुशासनस्य विशेष महत्त्वम् अस्ति।
  2. अनुशासनम् विना जीवनं कष्टमयं भवति।
  3. समाजे नियमानाम् पालनम् एष अनुशासनं भवति।
  4. अनुशासनं विना कोऽपि कार्य सफलं न भवति।
  5. सामाजिकम् परिवारिकम् च व्यवस्थायै अनुशासनम् परमावश्यकम् अस्ति।
  6. राष्ट्रस्य प्रगतये अपि अनुशासनम् अत्यावश्यकम् अस्ति।
  7. मानवतायाः विकासाया छात्रेषु अनुशासनम् अनिवार्यम् अस्ति।
  8. प्रकृतिः अपि ईश्वरस्य अनुशासने परिलक्ष्यते।
  9. अनुशासनस्य पालनस्य भावना बाल्यकालादेव प्रवर्तते।
  10. अतः अस्माभिः जीवनस्य प्रत्येके क्षेत्रे अनुशासनस्य पालनम् करणीयम्।

(8) मध्यप्रदेशः

  1. मध्यप्रदेशः भारतगणराज्यस्य विशालं राज्यम् अस्ति।
  2. अस्मिन् प्रदेशे अनेकानि नगराणि सन्ति।
  3. तत्र औद्योगिक विकासः तीव्र गत्या अभवत्।
  4. अनेकानि रमणीकानि नगराणि सन्ति।
  5. तानि विद्यायाः केन्द्राणि सन्ति।
  6. तेषु नगरेषु अनेके विद्यालयाः महाविद्यालयाः विश्वविद्यालयाः सन्ति।
  7. विविध विषयानाम् ज्ञानम् तेषु गुरुभिः प्रदीयते।
  8. अस्य प्रदेशस्य राजधानी भोपालनगरम् अस्ति।
  9. अस्य नगरस्य महत्वम् प्राचीनकालात् एव वर्तते।
  10. इदम् नगरम् सरोवराणाम्। उद्यानाम् च अस्ति।
  11. राष्ट्रस्य विकासे मध्यप्रदेशस्य अति महत्त्वम् वर्तते।

(9) महात्मा गाँधी

  1. महात्मा गाँधी अस्माकं महापुरुषः अस्ति।
  2. सः। अहिंसाम् परिपालयन् स्वदेशं वैदेशिकेभ्यः अयुञ्चयत्।
  3. महात्मा गाँधिनः वास्तविक नाम मोहनदास गाँधी आसीत्।
  4. तस्य पितुः नाम करमचन्द गाँधी तस्य मातु च नाम पुतलीबाई आसीत्।
  5. तस्य माता अति धार्मिक प्रवृत्येः आसीत्।
  6. तस्य पिता तस्मिन् अत्यन्तं अस्निह्यत्।
  7. उच्च शिक्षा प्राप्तुं सः विदेशं अगच्छत्।
  8. स्वतन्त्रतासंग्रामस्य सः प्रमुख नेता आसीत्।
  9. तस्य प्रेरणया एवं जनाः स्वतन्त्रता आन्दोलने अक्षपिन् स्वदेशं स्वतन्त्रमकुर्वन।
  10. महात्मा गाँधी सम्पूर्ण संसारस्य वन्दनीयः अस्ति।

MP Board Solutions

(10) दीपावलिः

  1. दीपावलिः एकः धार्मिकः उत्सवः अस्ति।
  2. दीपावलिः उत्सवः शरत्कालस्य मध्ये भवति।
  3. मनुष्या स्व-स्व गृहाणि गोमयेन, मृत्तिकया, सुधया वा निर्दोषाणि कुर्वन्ति।
  4. श्रुयते यद् अयम् मुख्य-रूपेण वैश्यानाम् उत्सवः अस्ति।
  5. अस्मिन् दिने सर्वे जनाः प्रसन्नाः भवन्ति।
  6. गृहे-गृहे मिष्ठानानां निर्माणं। भवति।
  7. सर्वे लक्ष्मीपूजनं कुर्वन्ति।
  8. सर्वाणि भवनानि सुन्दराणि राजन्ते।
  9. दीपावलिः प्रकाशस्य उत्सवः अस्ति।
  10. रात्रौ दीपकानाम् आभा सर्वेषाम् मनांसि हरति।

(11) महापुरुषः-आजादचन्द्रशेखरः

  1. महांश्चासौ पुरुषः इति महापुरुषः।
  2. पुरुषः महत्कार्यं कृत्वा महापुरुषः भवति।
  3. समाजहितार्थं राष्ट्रहितार्थं च यानि कार्याणि भवन्ति, तानि एव महत्कार्याणि भवन्ति।
  4. चन्द्रशेखरः आजादः एवमेव राष्ट्रसेवी महापुरुषः अस्ति।
  5. १९०६ख्रीस्ताब्दे आजादचन्द्रशेखरस्य जन्म अभवत्।
  6. अस्य जन्मभूमिः अलीराजपुरमण्डलस्य ‘भाभरा’ नामकग्रामे अस्ति।
  7. तस्य पिता सीतारामतिवारी, माता च जगरानीदेवी आसीत्।
  8. चन्द्रशेखरस्य अध्ययनं वाराणस्यां संस्कृतविद्यालये अभवत्।
  9. सः हिन्दुस्तान-सोसलिस्ट-रिपब्लिकन आर्मी नाम्ना सङ्घटनं कृतवान्।
  10. आजादचन्द्रशेखरः १९३१ ख्रिस्ताब्दे इलाहाबादनगरे (प्रयागनगरे) वीरगति प्राप्नोत्।

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions

MP Board Class 8th Special Hindi पत्र-लेखन

MP Board Class 8th Special Hindi पत्र-लेखन

(1) मित्र को सफलता के लिए बधाई-पत्र

24, गाँधी नगर,
ग्वालियर
23 मई,..

प्रिय कनिष्क,
कल दैनिक ‘अमर उजाला’ में तुम्हारा परीक्षाफल देखने पर ज्ञात हुआ कि तुम परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हो। तुम्हारी सफलता पर मुझे अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव हुआ। सबसे प्रथम अपनी इस सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। आशा है कि तुम भविष्य में भी इसी प्रकार सफलता की डगर पर अग्रसर होते रहोगे।

शुभकामनाओं सहित
अक्षय कुलश्रेष्ठ

(2) अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
शासकीय उ. मा. विद्यालय,
भोपाल (म. प्र.)
विषय-अस्वस्थ होने पर अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र। मान्यवर !
मैं रात से तीव्र ज्वर से पीड़ित हूँ, शरीर में अत्यधिक दर्द भी है। इसलिए मैं पाठशाला में उपस्थित होने में असमर्थ हूँ।
अतः श्रीमान् जी से विनम्र निवेदन है कि मुझे दिनांक 8 अगस्त से 14 अगस्त, 20 …..” तक अवकाश प्रदान कर अनुग्रहीत करें।

सधन्यवाद
दिनांक ………………….

प्रार्थी
रजनीकान्त
कक्षा 8(ब)

(3) पिता को वार्षिक परीक्षा की
जानकारी देने हेतु पत्र

छात्रावास,  मिशन उ. मा. विद्यालय,
जबलपुर (म.प्र.)
28 मार्च, ……

आदरणीय पिताजी,
सादर चरण स्पर्श।
कल प्रातः आपका पत्र मिला। मैं यहाँ पर स्वस्थ एवं सानन्द हूँ, आशा है कि भगवान की कृपा से आप सब भी सकुशल होंगे।
मैं यहाँ पर अपनी वार्षिक परीक्षा की तैयारी करने में जुटा हुआ हूँ। इसलिए पत्र देने में विलम्ब हुआ। वार्षिक परीक्षा सम्भवतः 10 अप्रैल, 20….. से शुरू होगी।
मैं साल के प्रारम्भ से ही पूर्ण मनोयोग से पढ़ाई कर रहा हूँ। अत: मुझे अपनी परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने की पूर्ण आशा है। आपका आशीर्वाद ही इस दिशा में मेरे लिए आशा का सम्बल सिद्ध होगा।
माताजी को चरण स्पर्श तथा छोटे भाई-बहनों को मेरा ढेर सारा प्यार।

पत्रोचार की प्रतीक्षा में
आपका प्रिय पुत्र
कनिष्क

(4) स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र हेतु
आवेदन-पत्र

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
उ. मा. विद्यालय, जबलपुर (म. प्र.)
विषय-स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र हेतु आवेदन। मान्यवर !
सेवा में विनम्र प्रार्थना है कि मैं आपकी पाठशाला का कक्षा 8वीं (स) का छात्र हूँ।।
मेरे पिताजी का स्थानान्तरण नहर विभाग में ग्वालियर हो गया है। ऐसी दशा में मैं भविष्य में ग्वालियर के ही किसी विद्यालय में अध्ययन करूँगा।
‘अतः आपसे सानुरोध प्रार्थना है कि मुझे स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें। मेरे पास पाठशाला की कोई सामग्री नहीं है तथा शुल्क भी अदा कर दिया है।

सधन्यवाद
दिनांक …..

प्रार्थी आपका आज्ञाकारी शिष्य
अक्षय कुमार,
कक्षा 8 (स)

(5) अपने क्षेत्र में लाउडस्पीकर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को
रोकने के लिए एक शिकायती पत्र जिला कलेक्टर को लिखिए।

श्रीमान्,
जिलाधीश महोदय,
ग्वालियर (म. प्र.)
विषय-लाउडस्पीकर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने के सम्बन्ध में। महोदय,
मैं दानाओली क्षेत्र का निवासी हूँ। यहाँ आस-पास लाइट एण्ड साउण्ड की बहुत-सी दुकानें हैं। साथ ही अनेक बैण्ड वाले हैं। ये सभी दिन-रात लाउडस्पीकर से तेज ध्वनि से रिकार्डिंग करते रहते हैं। पास में ही एक अस्पताल भी है जिससे वहाँ मरीज परेशान रहते हैं। कृपया इस तेज ध्वनि से उत्पन्न होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने के आदेश सम्बन्धित थाने के स्टाफ को करने का कष्ट करें।

मैं आपका आभारी रहूँगा।
दिनांक …….

प्रार्थी
राजीव कुमार

(6) अपने प्रधानाध्यापक को शुल्क मुक्ति
हेतु प्रार्थना-पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाध्यापक महोदय,
शासकीय उ. मा. विद्यालय,
मुरैना (म. प्र.)
विषय-शुल्क मुक्ति हेतु प्रार्थना-पत्र। महोदय,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा 8 (अ) का छात्र हूँ। मेरे दो और भाई भी आपके विद्यालय में अध्ययनरत्
प्रार्थी
मेरे पिताजी की आर्थिक स्थिति इतनी इच्छी नहीं है कि वे हम तीनों भाइयों के विद्यालय शुल्क का भुगतान कर सकें।
अतः श्रीमान् जी से प्रार्थना है कि मेरा शुल्क माफ कर मुझे
शुल्क-मुक्ति प्रदान करने का कष्ट करें।
आपकी अति कृपा होगी।
सधन्यवाद
दिनांक …………….

प्रार्थी
राजकुमार गाँधी
कक्षा 8 (अ)

(7) विद्यालय में बाल दिवस के आयोजन की जानकारी देते हुए
माताजी को पत्र लिखिए।

कक्ष संख्या-24
बालक हॉस्टल, राजकीय विद्यालय
मुरैना (म. प्र.)
दिनांक 16-11-20….

पूजनीया माता जी,
सादर चरण स्पर्श।
मैं कुशलतापूर्वक हूँ। आपकी कुशलक्षेम की कामना करता हूँ। त्रैमासिक परीक्षा हो चुकी है। परीक्षाफल अच्छा रहा है। परिश्रम करता रहूँगा।

इस वर्ष 14 नवम्बर को विद्यालय में बाल दिवस पर अनेक कार्यक्रम हुए। यह बाल दिवस वास्तव में चाचा नेहरू का जन्मदिन है। चाचा नेहरू बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। अत: बच्चों का सम्पूर्ण विकास करने के उद्देश्य से अपने जन्मदिन को उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया।

बालकों ने कविताएँ, भाषण और नेहरू जी पर आधारित नाटक प्रस्तुत किए। आचार्यों ने श्री नेहरू जी के जीवन, शिक्षा व देशभक्ति पर भाषण दिए। पं. नेहरू हमारे देश के पहले प्रधानमन्त्री थे। वे भारत माता से बहुत प्रेम करते थे। वे कहते थे कि भारत की उन्नति बालकों के विकास पर निर्भर है। अन्त में सभी विद्यार्थियों को मिठाई वितरित की गई।

अन्त में, मैं चाहता हूँ कि आप अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देती रहें। मुझे अपना आशीर्वाद दें जिससे मैं पढ़-लिखकर स्वयं को देश का अच्छा नागरिक सिद्ध कर सकूँ। पिताजी को प्रणाम। रिंकू को प्यार।

आपका प्रिय बेटा
राहुल पाठक

(8) साँची घूमने जाने के लिए प्रधानाचार्य को
अनुमति/ अवकाश हेतु आवेदन-पत्र लिखिए।

सेवा में,

प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
खजूरी बाजार, इन्दौर (म. प्र.)

मान्यवर,

नम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा-8 का छात्र हूँ। मैं अपनी कक्षा का नायक हूँ मेरे अन्य दस सहपाठियों
ने निश्चय किया है कि हम साँची के स्तूपों का अवलोकन करने | जाएँ। हम सभी ने वहाँ पहुँचने के लिए जैन ट्रैवल्स की बस भी
भाड़े पर ले ली है। हम लोग कल दि. 20.8.20…. को अपनी यात्रा पर चल देंगे। अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे व मेरे अन्य नौ सहपाठियों को वहाँ जाने की अनुमति व कम से कम तीन दिन का अवकाश देने की कृपा करें।
अवकाश 20.08.20…. से 22.08.20…. तक मंजूर कर कृतार्थ करें।

आपके आज्ञाकारी शिष्य
मोहन व अन्य छात्र
कक्षा 8

MP Board Class 8th Hindi Solutions

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions

पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या में 163-164

प्रश्न 1.
निम्नलिखित का मिलान कीजिए (आपके लिए, पहला मिलान किया हुआ है) –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions img-1
उत्तर:

(a) → (ii) द्वि-विमीय → (iii) वर्ग
(b) → (iii) त्रि-विमीय → (vii) शंकु
(c) → (i) त्रि-विमीय → (ii) बेलन
(d) → (iv) द्वि-विमीय → (viii) त्रिभुज
(e) → (v) त्रि-विमीय → (vi) घन
(f) → (vii) द्वि-विमीय → (iv) वृत्त
(g) → (vi) त्रि-विमीय → (v) घनाभ
(h) → (viii) त्रि-विमीय → (i) गोला।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 164-165

इन्हें कीजिए (क्रमांक 10.1)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित चित्रों (वस्तुओं) का उनके आकारों से मिलान कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions img-2
उत्तर:

(i) → (c)
(ii) → (d)
(iii) → (e)
(iv) → (b)
(v) → (a).

MP Board Solutions

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 165

3 – D आकारों के दृश्य

प्रश्न 1.
एक गिलास के निम्नलिखित दृश्य हो सकते हैं –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions img-3
एक गिलास का ऊपर से दृश्य (top view) संकेन्द्रीय वृत्तों का एक युग्म क्यों है? यदि इसे भिन्न दिशा से देखा जाए, तो क्या पार्श्व दृश्य कुछ और प्रकार का प्रतीत होगा ? इसके बारे में सोचिए।
उत्तर:
एक गिलास का ऊपर से दृश्य संकेन्द्रीय वृत्तों का एक युग्म है क्योंकि इस स्थिति में हम गिलास के ऊपर और नीचे की स्थिति देखते हैं जो कि विभिन्न त्रिज्याओं के वृत्त हैं। ऊपर के वृत्त के केन्द्र नीचे वाले वृत्त के ठीक नीचे हैं। नहीं, इसको भिन्न दिशा से देखने पर इसका पार्श्व दृश्य कुछ और प्रकार का प्रतीत नहीं होगा।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 166

MP Board Solutions

इन्हें कीजिए (क्रमांक 10.2)

प्रश्न 1.
अपने आस-पास की विभिन्न वस्तुओं को विभिन्न स्थितियों से देखिए। अपने मित्रों के साथ उनके विभिन्न दृश्यों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करके देखें।

MP Board Class 8th Maths Solutions

MP Board Class 8th Special Hindi निबन्ध लेखन

MP Board Class 8th Special Hindi निबन्ध लेखन

1. विज्ञान के चमत्कार

रूपरेखा

  • प्रस्तावना
  • विज्ञान के आविष्कार
  • विज्ञान से लाभ-हानि
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
आकाश में चमकने वाली बिजली, चमचमाता हुआ सूर्य तथा तारों का टिमटिमाना, बर्फीली पर्वत शृंखलाएँ इत्यादि को देखकर मानव मन में इन्हें जानने एवं समझने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है। यही जिज्ञासा विज्ञान को जन्म देती है।

2. विज्ञान के आविष्कार-
आज विज्ञान के बल पर व्यक्ति चन्द्रमा पर पहुँच चुका है, समुद्र की गहराइयों को नाप चुका है, हिमालय की चोटी पर पहुँच चुका है। आज वैज्ञानिक खोजों ने व्यक्ति के जीवन में अभूतपूर्व चमत्कार ला दिया है। जो यात्रा पहले हम महीनों-सालों में पूर्ण करते थे, वही अब घण्टों में पूर्ण हो जाती है। आज हमारे पास यात्रा के लिए रेलगाड़ी, बसें तथा हवाई जहाज उपलब्ध हैं। इनसे हमारे समय की बचत हुई है तथा यात्रा सुगम एवं आरामदायक हो गयी है। विज्ञान ने लंगड़े को पैर एवं अन्धों को आँखें प्रदान की हैं। विभिन्न प्रकार की मशीनों का आविष्कार करके भूखों को रोटी दी है।

आज टेलीफोन से हम हजारों मील दूर बैठे हुए व्यक्ति से आसानी से बातचीत कर सकते हैं। टेलीविजन द्वारा पर्वतों एवं देश-विदेश के विभिन्न दृश्यों का अवलोकन करते हैं। ज्ञानवर्द्धक प्रोग्राम देखकर हम अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं। आज चन्द्रमा के दृश्य एवं ध्वनियाँ पृथ्वी पर लायी जा चुकी हैं। अन्य नक्षत्रों से भी सम्बन्ध स्थापित हो चुका है। बिजली के आविष्कार ने मानव को बहुत-सी सुविधाएँ प्रदान की हैं। जैसे-ए. सी. से गर्मियों में भी सर्दियों जैसी ठण्डक मिल जाती है, वाशिंग मशीन से बिना श्रम के मिनटों में कपड़े धुल जाते हैं, रूम हीटर से सर्दियों में कमरा गर्म हो जाता है, बड़े-बड़े कारखाने भी इसी बिजली से चलते हैं। विभिन्न प्रकार की औषधियों की खोज करके अनेक असाध्य बीमारियों का इलाज सम्भव हो गया है। शल्य चिकित्सा से ऑपरेशन करने में मदद मिली है। प्लास्टिक सर्जरी से व्यक्ति को सुन्दरता प्रदान की जा सकती है।

छापेखानों से हजारों पुस्तके छपकर निकलती हैं जो हमें विभिन्न प्रकार का ज्ञान प्रदान करती हैं। विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री एवं वस्त्र कारखानों द्वारा उत्पादित किए जा रहे हैं। कृषि क्षेत्र में विभिन्न रासायनिक खादों ने पैदावार में वृद्धि की है तथा खेती करने के अनेक नये तरीके विज्ञान ने ईजाद किए हैं। अब बैलों एवं हल से खेत न जोतकर, ट्रैक्टर से जोते जाते हैं। कीटनाशक औषधियाँ भी खेत की रक्षा करने बहुत लाभप्रद सिद्ध हुई हैं। परमाणु शक्ति की खोज से इस धरा पर स्वर्गीय सुख लाया जा सकता है; उसका प्रयोग सृजन के लिए किया जाए। यदि विध्वंस के लिए किया जाएगा तो महाविनाश का कारण बन जाएगा। मिसाइलों, टैंकों, लड़ाकू विमान तथा हाइड्रोजन बमों ने दुनिया को विनाश के तट पर लाकर खड़ा कर दिया है।

3. विज्ञान से हानि-
लाभ-विज्ञान से उद्योग-धन्धों में विकास हुआ है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। यातायात के साधनों से दूरियाँ समाप्त हो गयी हैं। नवीन औषधियों ने मानव को दीर्घ जीवन प्रदान किया है। मनोरंजन के विभिन्न साधनों ने मानव को नवीन उत्साह एवं उमंग प्रदान करके उनके जीवन में व्याप्त नीरसता को समाप्त किया है।

विज्ञान ने दूसरी ओर व्यक्ति को अकर्मण्य बना दिया है। मशीनों के निर्माण ने बेरोजगारी की समस्या को उत्पन्न कर दिया है। विस्फोटक पदार्थों एवं कल-कारखानों ने वायु को प्रदूषित कर दिया है। मनुष्य अधिक स्वार्थी हो गया है तथा वह आलसी होकर अकर्मण्य हो गया है। वह तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर धन प्राप्ति के लिए छटपटा रहा है।

4. उपसंहार-
विज्ञान मानव के लिए महान् वरदान सिद्ध हो सकता है यदि हम उसका सृजनात्मक कार्यों के लिए प्रयोग करें। भगवान् हमें सद्बुद्धि दे कि हम विज्ञान के आविष्कारों का प्रयोग मानव के हित के लिए करें। तभी विश्व के कण-कण से सुख-शान्ति एवं मंगल की ऐसी धारा प्रवाहित होगी, जिसमें स्नान करके सम्पूर्ण मानव जाति सुख-चैन तथा सन्तोष का अनुभव करेगी।

MP Board Solutions

2. कोई महापुरुष (महात्मा गाँधी) 

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • जीवन परिचय
  • बैरिस्टरी पास करने का निर्णय
  • दक्षिण अफ्रीका में जाना
  • नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना
  • राजनीति में प्रवेश
  • जनता का आन्दोलन
  • दूसरा विश्व युद्ध
  • भयानक उपद्रव
  • गाँधी जी के चारित्रिक गुण
  • कुशल लेखक
  • मृत्यु,
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
पृथ्वी पर जब अनाचार, अत्याचार एवं अन्याय का दौर प्रारम्भ होता है तब पृथ्वी के भार को हल्का करने
के लिए एवं मानव कल्याण के लिए महापुरुषों का आविर्भाव होता है। बीसीं शताब्दी में जिन महापुरुषों ने भारत के गौरव में चार चाँद लगाए: उनमें महात्मा गाँधी एवं रवीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। राजनीति के क्षेत्र में ही नहीं अपितु नैतिक एवं धार्मिक क्षेत्र में भी गाँधी जी की अपूर्व देन है।

2. जीवन परिचय-
महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। इनके पिता करमचन्द थे। इनकी जाति गाँधी थी। इन्होंने अपनी बचपन की आँखें 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबन्दर में खोली थीं। शुरू की शिक्षा-दीक्षा पोरबन्दर में ही ग्रहण की। गाँधी जी की माता बहुत ही साधु स्वभाव 1 की धर्मपरायण महिला थीं जिसका गाँधी जी के जीवन पर । व्यापक प्रभाव पड़ा। इनके पिता राजकोट रियासत के दीवान । पद पर प्रतिष्ठित थे। पिता की यह इच्छा थी कि उनका पुत्र ! पढ़-लिखकर एक योग्य व्यक्ति बने।

3.बैरिस्टरी पास करने का निर्णय-
उन दिनों में बैरिस्टरी पास करके वकालत करना एक उत्तम व्यवसाय माना जाता था। माता पुत्र को विदेश में भेजने के पक्ष में नहीं थी। गाँधी जी ने माता से आज्ञा लेने के लिए प्रतिज्ञा ली, “विदेश में शराब, माँस
और अनाचार से दूर रहूँगा।” गाँधी जी ने इस प्रतिज्ञा का अक्षरश: पालन किया। वकालत का व्यवसाय प्रारम्भ-इंग्लैण्ड से बैरिस्टर की उपाधि ग्रहण करके गाँधी जी ने भारत भूमि पर पदार्पण किया तथा वकालत का व्यवसाय करना प्रारम्भ कर दिया। इस पेशे में झूठ बोले बिना काम नहीं चल सकता, गाँधी जी सत्य पथ के राही थे अत: इस पेशे में वह असफल ही सिद्ध हुए।

4. दक्षिणी अफ्रीका में जाना-
एक बार गाँधी जी को । एक मुकदमे की पैरवी की वजह से दक्षिणी अफ्रीका जाना पड़ा। दक्षिणी अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के साथ बहुत – ही अमानवीय व्यवहार किया जाता था। वे उस बुरे व्यवहार
को कर्मगति समझकर सहन कर लेते थे। एक बार गाँधी जी से अदालत में पगड़ी उतारने को कहा। गाँधी जी ने अदालत से बाहर आना स्वीकार किया परन्तु पगड़ी को सिर से नहीं उतारा।

5. नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना-
गाँधी जी ने 1894 में इण्डियन नेटाल कांग्रेस की स्थापना की। इस संस्था ने भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। देशवासियों को दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों की दुर्दशा से अवगत कराया। दक्षिण अफ्रीका में रहकर गाँधी जी ने सत्याग्रह एवं असहयोग की नवीन नीति से सरकार का विरोध करना प्रारम्भ कर दिया। गाँधी जी तथा जनरल स्मट्स में समझौते के आधार पर भारतीयों को बहुत से अधिकार मिले। इससे उनके मन-मानस में आशा का संचार हुआ।

6. राजनीति में प्रवेश-
सन् 1915 में गाँधी जी ने भारत की राजनीति में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। भारत को स्वतन्त्र कराने के लिए उन्होंने सत्य एवं अहिंसा को अस्त्र-शस्त्र के रूप में प्रयोग किया। इसी मध्य चौरी-चौरा नामक गाँव में सत्याग्रह के मध्य हिंसक घटना घटित हो गई। अहिंसा के उपासक गाँधी जी ने सत्याग्रह को तब तक के लिए स्थगित कर दिया जब तक अहिंसा का अनुपालन न हो। 1930 में पुनः सत्याग्रह प्रारम्भ हुआ जिससे गोरी सरकार को गाँधी जी के समक्ष घुटने टेकने पड़े। लन्दन में समझौते के निमित्त एक गोलमेज सभा आमन्त्रित की गई किन्तु यह व्यर्थ प्रमाणित हुई। गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया। ..

7. जनता का आन्दोलन-
गाँधी जी ने आजादी के आन्दोलन को जनता के आन्दोलन का रूप दे दिया। उनके नेतृत्व में मजदूर एवं कृषक स्वाधीनता के संघर्ष में भाग लेने के लिए सहर्ष तैयार हो गए। अंग्रेजों ने अपनी कूटनीति से अछूतों को चुनाव से अलग कर दिया। गाँधी जी का सन् 1930 से 1939 तक का समय रचनात्मक कार्यों में व्यतीत हुआ।

8. दूसरा विश्व युद्ध-
सन् 1939 में दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया। गाँधी जी ने प्रथम विश्व युद्ध में कुछ आशा लेकर अंग्रेजों की भरपूर सहायता की लेकिन युद्ध के बाद अंग्रेजों का भारतीयों के प्रति रुख और भी कठोर हो गया। इसी हेत द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों की तब तक सहायता न करने की ठान ली जब तक वे अपने बोरी-बिस्तर बाँधकर देश को आजाद नहीं कर देते।

9. भयानक उपद्रव-
देश के बँटवारे के फलस्वरूप भयानक उपद्रव हुए। हिंसा तथा मारकाट का दौर चला। गाँधी जी ने शान्ति स्थापना का भरसक प्रयास किया। दंगा रोकने के लिए आमरण अनशन का व्रत लिया।

10. गाँधी जी के चारित्रिक गुण-
गाँधी जी का मनोबल असाधारण था। वे प्राणों की कीमत पर भी सत्य की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। वे सत्य तथा अहिंसा के पुजारी थे। वे व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ राजनीति में भी सत्य एवं अहिंसा के प्रयोग के प्रबल समर्थक थे। वे जीवन एवं राजनीति को जुड़ा हुआ स्वीकारते थे। राजनीति के अलावा गाँधी जी ने देशवासियों का सभी क्षेत्रों में मार्गदर्शन किया। कंगाल एवं रोगियों की सेवा में उनका अधिकांश समय व्यतीत होता था।

11. कुशल लेखक-
गाँधी जी एक कुशल लेखक भी थे। उन्होंने ‘हरिजन एवं हरिजन सेवक’ नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया। ‘यंग इण्डिया’ नामक पत्र भी निकाला। 12. मृत्यु-साम्प्रदायिकता मानव को विकारग्रस्त कर देती है। ऐसे ही एक विकृत नाथूराम विनायक गोडसे ने 30 जनवरी, सन् 1948 की शाम को प्रार्थना सभा में आते ही गाँधी जी पर गोलियाँ चला दी। हत्यारे को हाथ जोड़कर नमस्ते करते हुए गाँधी पंच’ – में विलीन हो गए।

13. उपसंहार-
महात्मा गाँधी युगपुरुष थे। धर्म, नैतिकता, राजनीति एवं आध्यात्मिकता के क्षेत्र में उनकी देनों
को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। गाँधी जी ने अन्धकार में भटकते हुए भारतीयों को प्रकाश के दर्शन कराए। सत्य एवं अहिंसा का एक ऐसा अमोघ अस्त्र उन्होंने समस्त विश्व को प्रदान किया जिसकी आज के हिंसा एवं मारकाट के दौर से गुजर रहे विश्व को महान् आवश्यकता है।महादेवी वर्मा की गाँधी जी के प्रति कही गई निम्नलिखित पंक्तियाँ देखिए

“हे धरा के अमर सुत ! तुमको अशेष प्रणाम।
जीवन के सहस्त्र प्रणाम, मानव के अनन्त प्रणाम।।”

MP Board Solutions

3. पुस्तकालय का महत्व

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना,
  • पुस्तकालय से अभिप्राय
  • भारत में पुस्तकालयों की परम्परा
  • पुस्तकालयों के प्रकार
  • पुस्तकालय से लाभ
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
मानव स्वभाव से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है। बाल्यावस्था से ही उसकी यह प्रवृत्ति हमें देखने को मिलती है। उदाहरणस्वरूप बच्चा किसी भी खिलौने को लेता है, तो उसे तोड़कर यह जानना चाहता है कि इसके अन्दर क्या छिपा है ? यह कैसे बनाया गया है ? हर व्यक्ति की इतनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं होती कि वह अपनी ज्ञान पिपासा शान्त करने के लिए मनचाही पुस्तक ले सके। पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है, जहाँ पहुँचकर व्यक्ति अपनी ज्ञान-पिपासा को विभिन्न पुस्तकें पढ़कर शान्त कर सकता है।

2. पुस्तकालय से अभिप्राय-
जहाँ पुस्तकों को विषयानुसार सुव्यवस्थित ढंग से रखा जाता है। उस स्थान को पुस्तकालय कहते हैं। यहाँ पाठकों के पढ़ने के लिए बैठने की अच्छी व्यवस्था होती है।

3. भारत में पुस्तकालयों की परम्परा-
भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि पुस्तकालय भारत में प्राचीन समय से चले आ रहे हैं। तक्षशिला और नालन्दा विश्वविद्यालयों में उच्चकोटि के शासकों ने भी कई उच्चस्तरीय पुस्तकालयों की स्थापना की।

4. पुस्तकालयों के प्रकार-
पुस्तकालय अनेक प्रकार के होते हैं। कुछ पुस्तकालय स्कूल व कॉलेजों में  होते हैं, जहाँ विद्यार्थियों को उपयोगी पुस्तकें तथा अन्य पुस्तकें भी उपलब्ध होती हैं। दूसरे प्रकार के पुस्तकालय निजी पुस्तकालय होते हैं, जहाँ व्यक्ति अपनी रुचि के अनुकूल पुस्तकें इकट्ठी करता है। विदेशों में अपेक्षाकृत हमारे देश से अधिक निजी पुस्तकालय हैं। तीसरी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय हैं।

इनमें पुस्तकें अधिक संख्या में रहती हैं। इनकी संख्या अधिक है। इसके साथ ही वाचनालय होते हैं जहाँ छात्रोपयोगी पुस्तकें संग्रहीत रहती हैं। यहाँ विदेशी उच्चस्तरीय पत्र-पत्रिकाएँ भी उपलब्ध रहती हैं। एक निश्चित धनराशि देकर इसका सदस्य बना जा सकता है एवं इससे लाभ ग्रहण किया जा सकता है। ये पुस्तकालय सामाजिक संस्थाओं और शासन द्वारा चलाये जाते

5. पुस्तकालय से लाभ-
मानव मस्तिष्क की भूख मिटाने के लिए पुस्तकें ही भोजन का कार्य करती हैं। पुस्तकें ही हमें इतिहास, धर्म, समाज एवं दर्शन इत्यादि का ज्ञान कराती हैं। पुस्तकालय से हमें अतीतकाल एवं वर्तमान काल का ज्ञान मिलता है तथा भविष्य में उन्नति के शिखर पर पहुँचने का मार्ग भी प्रशस्त होता है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इससे बचने के लिए पुस्तकालय ही सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन का साधन है।

6. उपसंहार-
पुस्तकालय का देश के विकास एवं समृद्धि में बहुत बड़ा योगदान होता है। इसलिए इमें पुस्तकालय एवं पुस्तकों की तन-मन-धन से रक्षा करना चाहिए। पुस्तकालय ज्ञान का उद्गम स्रोत है। यह एक ज्ञान रूपी मन्दिर है, जहाँ पहुँचकर व्यक्ति को निर्मल ज्ञान की प्राप्ति होती है। पुस्तकालय एक ऐसी ज्ञान की गंगा है, जिसमें अवगाहन करके व्यक्ति का हृदय निर्मल एवं बुद्धि विकसित होती है।

MP Board Solutions

4. किसी मेले का वर्णन

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • भारत मेला प्रधान देश
  • मेला जाने का प्रस्ताव पारित
  • मेले में पहुँचना
  • घाट तथा मन्दिरों का मनोहारी दृश्य
  • मेले की चहल-पहल
  • एक आयोजन
  • मेले की व्यवस्था
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
विश्व के हर देश में मेलों का आर्योजन किया जाता रहा है। मेला मनुष्य को शारीरिक एवं मानसिक थकान को मिटाकर एक नवीन उत्साह एवं आनन्द प्रदान करता है। हजारों की संख्या में लोग यहाँ एकत्रित होते हैं। इसलिए यह एक-दूसरे से मिलने एवं पारस्परिक स्नेह एवं सौहार्द्र प्रकट करने का अति उत्तम स्थल है।

2. भारत मेला प्रधान देश-
भारत एक धर्म प्रधान देश है। यहाँ विभिन्न तीर्थ स्थलों पर समय-समय पर मेलों का आयोजन होता रहता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् राष्ट्रीय मेले भी लगने लगे हैं। त्यौहारों पर भी मेले लगते रहते हैं।

3. मेला जाने का प्रस्ताव पारित-
यमुना के किनारे आगरा से करीब तीस मील दूर बटेश्वर है। यहाँ हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को बहुत बड़ा मेला आयोजित होता है। प्रमुख रूप से यह पशुओं को खरीदने एवं बेचने का मेला है। साथ ही मनुष्य को आकर्षित करने के लिए भी इसमें अनेक झूले एवं मनोहारी आयोजन किए जाते हैं। मैंने भी अपने मित्रों के साथ दीपावली के पश्चात् बटेश्वर जाने का मन बना लिया।

4. मेले में पहुँचना-
हम आगरा से टैक्सी करके बटेश्वर के लिए रवाना हो गये। मार्ग में खेतों एवं गाँवों की हरियाली एवं प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर हृदय खुशी से भर गया और एक नवीन ताजगी एवं स्फूर्ति का हमारे भीतर संचार हुआ। हमें सीधे टैक्सी वाले ने मेले पर छोड़ दिया। यह बटेश्वर भगवान शिव का पवित्र तीर्थ है। यहाँ पहुँचकर तीर्थ के प्रभाव से हमारा हृदय पावन भावों से ओत-प्रोत हो गया और हमने प्रतिदिन एक अच्छा कार्य करने का संकल्प लिया।

5. घाट तथा मन्दिरों का मनोहारी दृश्य-
शाम को मित्र के घर पर भोजन करके यमुना किनारे टहलने गये। पूर्णिमा के – चाँद का प्रतिबिम्ब पानी में बहुत सुन्दर छटा बिखेर रहा था। चारों ओर दूधिया उजाला फैल रहा था तथा यमुना शान्त भाव से । कल-कल करती हुई आगे बहती जा रही थी।

चन्द्रमा की चाँदनी पड़ने से सभी मन्दिर संगमरमर जैसे श्वेत दिखाई पड़ रहे थे जिन्हें देखकर मन में एक अलौकिक शान्ति – की अनुभूति हो रही थी तथा सात्विक भावनाएँ मन में हिलोरें ले रही थीं। वास्तव में, जिस अभूतपूर्व आनन्द की उपलब्धि तीर्थों 1 में होती है, वैसी आनन्दानुभूति अन्यत्र कहाँ।।

6. मेले की चहल-पहल-
सभी लोगों ने सर्वप्रथम यमुना । में ब्रह्म मुहूर्त से ही कार्तिक पूर्णिमा का पुण्य-लाभ लेने के लिए स्नान करना आरम्भ कर दिया। बच्चों एवं किशोरों को पानी में किलोल करना बहुत ही अच्छा लग रहा था। स्नानोपरान्त सभी 1 ने भगवान शंकर के मन्दिर में जाकर पूजा-अर्चना की। चारों ओर का वातावरण भगवान की स्तुति एवं घण्टों की आवाज से आपूरित हो गया।

कहीं मिठाइयों की तो कहीं चाट-पकौड़ी की दुकानें थीं। जहाँ लोग अपनी रुचिनुसार चीजें खाकर अपनी जिह्वा का आनन्द ले रहे थे। कहीं बच्चे गुब्बारे एवं खिलौने के लिए हठ कर रहे थे। स्त्रियों की टोलियाँ भजन गाती हुई जा रही थीं। सुबह दस बजे से पशु भी बिकने के लिये लाये जाने लगे; जैसे-गाय, भैंस, बकरी, ऊँट तथा बैल इत्यादि।

दूसरी तरफ चरखी तथा विभिन्न प्रकार के झूले थे जो बच्चों तथा बड़ों सभी को समान रूप से आकर्षित कर रहे थे। कहीं जोकर नाना प्रकार की क्रिया-कलापों द्वारा सबको हँसा रहे थे। पुरुष स्त्री का वेश बनाकर नाच दिखाकर पैसे अर्जित कर रहे थे।

7.एक आयोजन-
एक तरफ मुशायरा तथा कवि सम्मेलन का आयोजन चल रहा था। कवि नीरज प्रेम रस की कविताओं का गान कर रहे थे जिससे हृदय में प्रेम भावना उद्वेलित हो रही थी। काका हाथरसी अपनी कविताओं से चारों ओर हास्य रस की पिचकारी चला रहे थे, जिसमें भीगकर सभी श्रोता हँस रहे थे। कहीं वीर रस में देश-प्रेम की कविताएँ हो रही थीं जो हृदय में देश-प्रेम की भावनाओं को पुष्ट एवं सुदृढ़ कर रही थीं।

8. मेले की व्यवस्था-
मेले में पुलिस का अच्छा प्रबन्ध था जिससे जेबकतरे किसी को हानि नहीं पहुँचा सकें। मेले में एक तरफ उद्घोषणा का प्रबन्ध था जिससे अगर कोई बच्चा मेले में अपने परिवारीजनों से बिछुड़ जाता है, तो वहाँ माइक पर आवाज लगाकर कह दिया जाता था कि अमुक का बच्चा यहाँ है उसके घर वाले आकर ले जायें। मेले में सफाई की व्यवस्था अच्छी थी तथा खाने की चीजों के अच्छे स्तर का विशेष ध्यान रखा गया था।

9. उपसंहार-
मेले सभी प्रियजनों एवं मित्रों को एक स्थान पर मिलाने का कार्य करते हैं जिससे सब एक-दूसरे के हाल-चाल से अवगत हो जाते हैं। आयोजकों को मेले से आर्थिक लाभ भी होता है, ये सभी का मनोरंजन करते हैं। ये हमारी संस्कृति का परिचय कराते हैं। इसलिए जिला परिषद् को इसकी उत्तम व्यवस्था का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सरकार को भी विभिन्न मेलों का आयोजन करके सभी का उत्साहवर्धन करना चाहिए।

MP Board Solutions

5. राष्ट्रीय पर्व : स्वतन्त्रता दिवस

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • स्वतन्त्रता दिवस की महत्ता
  • नाना प्रकार के आयोजन
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना
भारत उत्सव प्रधान देश है। हमारे देश में अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन होते रहते हैं किन्तु ये त्यौहार प्रान्त, धर्म एवं जाति तक के दायरे में रहते हैं

जिस त्यौहार को समस्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है उसे राष्ट्रीय पर्व कहते हैं। सन् 1947 में हमारे देश ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर आजादी की स्वच्छन्द हवा में पहली साँस ली थी। इतनी कुर्बानियों एवं संघर्षों से मिली आजादी के परम हर्षोल्लास के दिवस पर हमारा देश 15 अगस्त के दिन राष्ट्रीय पर्व का आयोजन करता है।

2. स्वतन्त्रता दिवस की महत्ता-
इस स्वतन्त्रता दिवस की प्राप्ति के लिए हमारे देश के न जाने कितने सपूतों ने अंग्रेजों के कोड़े खाए। कारागार में बन्दी रहे तथा न जाने कितने वीर शहीद अपनी माँ की गोद सूनी करके, अपनी पत्नी की माँग का सिन्दूर पोंछकर अपनी बहन एवं भाइयों एवं बच्चों को रोता-बिलखता छोड़कर भारत माता को स्वतन्त्र कराने के लिए हँसते-हंसते फाँसी के तख्ते पर झूल गये। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अहिंसा आन्दोलन

चलाकर अंग्रेज सरकार के छक्के छुड़ा दिए। दूसरी ओर गरम दल के सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, शहीद भगतसिंह इत्यादि द्वारा देश की स्वतन्त्रता के लिए किया गया बलिदान अमिट एवं अविस्मरणीय है। 14 अगस्त, 1947 की आधी रात को देश के स्वतन्त्र होने की घोषणा कर दी गयी थी। 15 अगस्त, 1947 को हमारे देश की आजादी का तिरंगा दिल्ली के लाल किले पर फहराया गया था। समस्त देश एवं देशवासी प्रसन्नता से झूम उठे थे।

3. नाना प्रकार के आयोजन-
इस दिन सभी कॉलेज, कार्यालय इत्यादि में छुट्टी रहती है। सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। बहुत से लोग अपने घरों के ऊपर भी तिरंगा फहरा देते हैं। जुलूस आदि निकलते हैं। सार्वजनिक सभाओं का आयोजन किया जाता है। रात में रोशनी की सजावट की जाती है। प्रत्येक वर्ष प्रधानमन्त्री दिल्ली के लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं। तीनों (जल, थल, नभ) सेनाएँ एवं स्कूली छात्र-छात्राएँ एवं एन. सी. सी. कैडेट राष्ट्रीय ध्वज को अपनी सलामी देते हैं। तत्पश्चात् प्रधानमन्त्री राष्ट्र के नाम सन्देश देते

स्कूल, विद्यालय एवं कॉलेजों में ध्वजारोहण के पश्चात् प्रधानाचार्य अपने भाषण द्वारा छात्र-छात्राओं को हृदय में देश प्रेम एवं उसके प्रति उनके कर्तव्यों का ज्ञान कराते हैं। उसके पश्चात् मिठाई बाँटी जाती है। प्रभातकालीन फेरी लगायी जाती है। स्कूलों में बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं।

4. उपसंहार-
इस प्रकार शहीदों की शहादत से मिली स्वतन्त्रता का हमें दुरुपयोग न करके उसे सदैव स्थायी बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए। देश में भाई-चारे एवं प्रेम की भावना को विकसित एवं कायम रखते हुए, देश की अखण्डता एवं स्वतन्त्रता को सुरक्षित बनाये रखते हुए, सत्य, प्रेम, अहिंसा की त्रिवेणी प्रवाहित करनी चाहिए जिससे हमारी भारत माता एवं उसके सभी निवासी सुख, प्रेम एवं शान्ति के सागर में अवगाहन करते हुए देश को विकास के मार्ग पर अग्रसर करते हुए विश्व के समक्ष एक मिसाल प्रस्तुत कर सके।

MP Board Solutions

6. दीपावली

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • दीपावली का इतिहास एवं महत्ता
  • मनाने का तरीका
  • लाभ-हानि
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
आज व्यक्ति दैनिक कार्यों में इतना व्यस्त है कि सारे दिन के परिश्रम के फलस्वरूप वह कुछ स्वस्थ मनोरंजन की अपेक्षा करता है। इसलिए हमारे यहाँ त्यौहारों को धूमधाम से मनाने की परम्परा चली आ रही है। जैसे-दशहरा, रक्षाबन्धन, होली एवं दीपावली। इनमें से प्रमुख त्यौहार है-दीपावली। ये अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। यह अन्धकार पर प्रकाश की विजय है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। यह कार्तिक अमावस्या के दिन मनायी जाती है। दीपक प्रकाश एवं ज्ञान का प्रतीक माना गया है। यह अन्धकार में प्रकाश फैलाता है। इस दिन सभी लोग अपने घरों के अन्दर एवं बाहर दीपक जलाते हैं।

2. दीपावली का इतिहास एवं महत्ता-
इसी दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्ष पश्चात् अयोध्या में लंका पर विजय प्राप्त करके आये थे। अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसी यादगार में दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ प्रतिवर्ष मनाया जाता है। दीपावली से पहले विजयादशमी के दिन राम ने रावण का वध करके विजयश्री प्राप्त की थी। इसी प्रकार एक दूसरी कथा है द्वापर युग की। इस युग में नरकासुर नामक राजा ने अनेक राजाओं को पराजित करके उनकी कन्याओं को बन्दी बना लिया था। उनकी करुण पुकार सुनकर भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन कार्तिक अमावस्या को उन कन्याओं को बन्दीगृह से मुक्त कराया था। एक और कथा राजा बलि से सम्बन्धित है कि भगवान राजा बलि की परीक्षा लेने के लिए बामन अवतार लेकर आये थे।

राजा बलि की दानशीलता देखकर भगवान विष्णु ने सभी को यह आदेश दिया कि दीप जलाकर उत्सव मनाया करो। इसी दिन समुद्र मन्थन से माँ लक्ष्मी उत्पन्न हुई थीं। इसके अलावा माँ महाकाली ने रक्त बीज का वध करके एवं राक्षसों का खून पीने के उपरान्त जब माँ रोष में आ गईं तो दीपक प्रज्ज्वलित करके उनकी पूजा की गयी थी। तब से ही बंगाली लोग माता महाकाली की पूजा धूमधाम से करते हैं। जैनियों के भगवान महावीर स्वामी का महानिर्वाण भी इसी दिन का है। स्वामी दयानन्द भी आज ही के दिन ब्रह्मलीन हुए थे। स्वामी रामतीर्थ का जन्म एवं मरण भी इसी दिन का है। पुराने समय से व्यापारी विदेशों में व्यापार कर धन अर्जित

करके इसी दिन घर लौटकर अत्यन्त हर्षोल्लास सहित इस उत्सव को मनाकर लक्ष्मी पूजन करते थे।
दीपावली हमारा सांस्कृतिक त्यौहार है। वर्षा के उपरान्त सब जगह मच्छर एवं गन्दगी हो जाती है। दीपावली के बहाने घरों में पुताई हो जाती है। सफाई से मच्छर भाग जाते हैं। दीपकों के जलने से वातावरण शुद्ध हो जाता है। नयी फसल बोने की खुशी में कृषक इसे उल्लासपूर्वक मनाते हैं।

3. मनाने का तरीका-
दीपावली का प्रारम्भ धनतेरस से हो जाता है। इसी दिन सभी हिन्दू चाहे वे धनी हों अथवा निर्धन अपनी सामर्थ्य के अनुसार बर्तन खरीदते हैं। दूसरे दिन नरक चौदस होती है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। बड़ी दीपावली के दिन रात्रि को धन की लक्ष्मी एवं विघ्न विनाशक भगवान गणेश का पूजन किया जाता है।

मान्यता है कि पूरी रात श्री लक्ष्मी गणेश के सामने दीप जलते रहने से खूब धन घर में आता है। रात्रि को सब अपने घरों में दीप जलाकर प्रकाश करते हैं। रात को बच्चे-बड़े पटाखे एवं आतिशबाजी जलाते हैं तथा बच्चे फुलझड़ियाँ छुड़ाकर खुशी मनाते हैं। दूसरे दिन पड़वा को गोवर्धन की पूजा होती है। अन्नकूट की सब्जी बनायी जाती है। द्वितीया को भैया दौज मनायी जाती है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों को टीका करती हैं और भाई उन्हें भेंट देते हैं। इस दिन सभी नये कपड़े पहनते हैं।

4. लाभ-हानि-
बरसात की सारी गन्दगी एवं प्रदूषण का सफाया हो जाता है। सफाई होने से रोग के कीटाणु समाप्त हो जाते हैं लेकिन कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं। यह सारे संकटों का कारण है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इससे बचकर रहना चाहिए।

5. उपसंहार-
यह त्यौहार अच्छाई की बुराई पर विजय है। भगवान राम ने स्वयं अपने श्रीमुख से कहा है कि
“सखा धर्ममय रस रथ जाके, जीतन सकै न कतहुँ रिपु
ताके॥”
इसी आधार पर सैन्य बल रहित, रथ रहित एवं शस्त्र रहित भगवान राम ने सर्वशक्तिसम्पन्न रावण पर विजय प्राप्त की थी। इन बातों से हमें यह शिक्षा लेनी चाहिए कि हमें कर्तव्यों का पालन करते हुए सही मार्ग पर चलते रहना चाहिए।

MP Board Solutions

7. विद्यालय का वार्षिकोत्सव 

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • तैयारियाँ
  • उत्सव के कार्यक्रम
  • उपसंहार

1. प्रस्तावना-
उत्सव मनुष्य के हृदय की खुशी को व्यक्त करते हैं। आज मानव दैनिक कार्यों में बुरी तरह जुटा हुआ है।उसे जीवन बोझ स्वरूप लगने लगता है। मानव उत्सवों में भाग लेकर जिन्दगी की परेशानियों से कुछ समय के लिए छुटकारा प्राप्त कर सकता है। जीवन में रस का संचार होता है।

2. तैयारियाँ-
हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव की तैयारियाँ करीब एक सप्ताह पूर्व प्रारम्भ हो जाती हैं। विद्यालय भवन को रंग-रोगन तथा पुताई करके बहुत ही आकर्षक बनाया गया। मुख्य द्वार को रंग-बिरंगी झण्डियों तथा झालरों से सजाया गया। कहीं ऊँची कूद का अभ्यास हो रहा था तो कहीं दौड़ का। नाटक, कविता तथा वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले जी जान से तैयारियों में जुटे हुए थे। अध्यापकगण भी छात्रों के उत्साह को बढ़ा रहे थे।

3. उत्सव के कार्यक्रम-
पहले दिन मुख्य अतिथि के पधारने पर प्रधानाचार्य ने उनका जोशीला स्वागत किया। सम्मानपूर्वक उन्हें मंच पर ले जाकर फूलमाला पहनाई गई। सभी ने ताली बजाकर प्रसन्नता प्रकट की। छात्रों ने नाटक, कविता, भाषण तथा खेलकूद में अपने करतब दिखाए। डॉक्टर रामकुमार द्वारा लिखित एकांकी ‘दीपदान’ अभिनीत किया गया। इसको छात्रों ने इतनी कुशलता के साथ प्रदर्शित किया कि पन्ना धाय के बलिदान के प्रति करुणा तथा बलिदान का सागर हिलोरें लेने लगा।

मुख्य अतिथि ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पुरस्कार वितरित किए। प्रधानाचार्य ने विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट पढ़कर सुनाई। सभी ने विद्यालय की उन्नति पर गौरव का अनुभव किया। अन्त में मुख्य अतिथि ने भाषण दिया। उन्होंने विद्यालय की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।

4. उपसंहार-
विद्यालय के वार्षिकोत्सव के चार दिन बहुत ही जोश तथा खुशी से बीते। अब जब कभी उन दिनों की याद आती है तो मन आनन्द तथा उमंग से भर जाता है। वास्तव में, विद्यालय के वार्षिकोत्सव छात्रों में हेल-मेल तथा भाईचारे का बीज बोते हैं तथा प्रेम का विस्तार करते हैं। इससे विद्यालय का गौरव बढ़ता है।

MP Board Solutions

8. गणतन्त्र दिवस (राष्ट्रीय पर्व)

रूपरेखा

  • प्रस्तावना
  • गणतन्त्र दिवस का इतिहास
  • भारतीय गणतन्त्र दिवस
  • गणतन्त्र दिवस का महत्त्व व उपयोगिता
  • गणतन्त्र दिवस का सन्देश
  • उपसंहार

1. प्रस्तावना-
एक पक्षी सोने के पिंजरे में सम्पूर्ण खानपान की सुविधाओं से युक्त होकर भी पराधीनता का जीवन बिताने को बेबस होता है। अपने अन्नदाता के संकेतों पर वह विविध कार्य करता है। स्वच्छन्द उड़ान का सपना देखता है। उसकी आत्मा में एक अजीब पीड़ादायक तड़प उठती है। यही तड़पन थी जो सन् 1857 ई. में प्रथम स्वतन्त्रता संघर्ष में परिवर्तित हो गई थी।

2. गणतन्त्र दिवस का इतिहास-
प्रथम स्वतन्त्रता संघर्ष सन् 1857 ई. में बर्बर अंग्रेज शासकों ने कुचल दिया। यह दबी हुई आग सुलगती हुई बाल गंगाधर तिलक की सिंह गर्जना में ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’ फूट पड़ी। महात्मा गाँधी राजनैतिक रंगमंच पर प्रकट हुए। जवाहरलाल नेहरू ने राजसी

वैभव त्यागा और स्वतन्त्रता की साधना की धूनी रमा ली। कांग्रेस |दल ने रावी तट पर एक सभा में पूर्ण स्वराज की माँग करडाली। जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में 26 जनवरी, 1930 की अन्धेरी रात्रि में तिरंगे तले कांग्रेस का अधिवेशन सम्पन्न हआ। नेहरू के साथ सभी सदस्यों ने अपने लक्ष्य की घोषणा की कि

“आज से हमारा लक्ष्य है-पूर्ण स्वराज।” सत्याग्रह चले, बर्बर विदेशी शासकों के हौसले पस्त होने लगे। हमारे क्रान्तिकारियों के बलिदानों से परन्तु विजय हुई सत्य की, अहिंसा की, स्वतन्त्रता के दीवारों की ओर अमर बलिदानियों की और 15 अगस्त, सन् 1947 ई. को भारत ने स्वतन्त्र वायुमण्डल में साँस ली। लाल किले के लहराते तिरंगे ने प्रेरणा दी अभी संघर्ष बाकी है। संविधान बना। भारत को सार्वभौम सत्ता सम्पन्न गणराज्य घोषित करते हुए 26 जनवरी, सन् 1950 ई. के पवित्र दिन हमारा संविधान लागू हुआ।

3. भारतीय गणतन्त्र दिवस-
भारत ने 26 जनवरी, 1950 ई. को अपने द्वारा निर्मित संविधान के अनुरूप शासन चलाने की स्वतन्त्रता प्राप्त की। संविधान में जनता के द्वारा चुने प्रतिनिधियों द्वारा देश का शासन चलाने की व्यवस्था की गयी। विभिन्न राज्यों में जनता के प्रतिनिधियों की सरकार होगी और उन राज्यों का समूह भारत राष्ट्र निर्माण करेगा। 26 जनवरी को भारत में गणतन्त्रात्मक शासन व्यवस्था लागू हुई थी, इसलिए इस पवित्र दिन को गणतन्त्र दिवस कहा जाता है।

4. गणतन्त्र दिवस का महत्त्व व उपयोगिता-
यह दिवस भारतीय स्वतन्त्रता के दीवाने अमर शहीदों की स्मृति दिलाता है। राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करती विभिन्न झाँकियाँ जन-जन के मन को स्पर्श करती हैं। राष्ट्रपति का सन्देश राष्ट्र निर्माण में लगे रहने की प्रेरणा देता है। प्रत्येक नगर, प्रत्येक गाँव में यह दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। प्रभात फेरियाँ निकलती हैं। ध्वजारोहण होता है। भाषण होते हैं। भारतीय स्वतन्त्रता और उसकी अखण्डता की शपथ दिलायी जाती है।

5. गणतन्त्र दिवस का सन्देश-हमारा गणतन्त्र दिवस प्रत्येक वर्ष प्रगति का नया सन्देश लेकर आता है। इसके सन्देश को 26 जनवरी के उदित होते सूर्य की प्रथम किरण के साथ ही लहरों पर थिरकते, तैरते सभी के द्वारा जल, थल और नभ में सर्वत्र स्वर लहरियों में सुना जाता है। भारत के प्रत्येक नागरिक की अन्तरात्मा में भारत की रक्षा का सन्देश, उसकी अखण्डता का सन्देश और उसकी स्वाधीनता का सन्देश सुनायी पड़ता है।

6. उपसंहार-
गणतन्त्र दिवस का पवित्र राष्ट्रीय पर्व हमें देश पर अपने प्राण न्यौछावर करने की प्रेरणा देता है। यह प्रतिज्ञा का दिवस है। हमारे हृदय में इस दिन एक ही स्वर गूंजता रहता
“जिएँ तो सदा इसी के लिए यही अभिमान रहे यह हर्ष। निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष।”

MP Board Solutions

9. खेलों का महत्व

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • मन और मस्तिष्क से खेल का सम्बन्ध
  • खेल का महत्त्व
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
कहा जाता है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।” यदि मनुष्य अपना सम्पूर्ण विकास करना चाहता है तो उसके शरीर का स्वस्थ होना अति आवश्यक है। शरीर को स्वस्थ बनाने में खेलों का विशेष योगदान है। खेल स्वास्थ्य का सर्वोत्तम साधन हैं। उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी है।

2. मन और मस्तिष्क से खेल का सम्बन्ध-
खेल का सम्बन्ध मनुष्य के मन और मस्तिष्क से होता है। खिलाड़ी अपनी रुचि के अनुसार ही खेल चुनता है। रुचि जब तृप्त होती है, रुचि के अनुकूल जब मनुष्य को कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है, तब ये रुचियाँ उसके आत्मविकास में सहायक होती हैं। इसी प्रकार खेल का सम्बन्ध आत्मा से होता है।

दिनभर के मानसिक श्रम के बाद खेलना मनुष्य के लिए आवश्यक है। केवल एक ही प्रकार का कार्य करते रहने से, मानसिक श्रम करते रहने से मस्तिष्क रुक जाता है। शरीर भी थकान और उदासीनता अनुभव करता है। यदि व्यक्ति खेल के मैदान पर नहीं उतरता है तो वह व्यक्ति भोजन के बाद केवल निद्रा में निमग्न हो जायेगा। मानसिक कार्य करने की क्षमता समाप्त होती जायेगी। प्रात:काल जब वह सोकर उठेगा तो नई ताजगी और उत्साह का अभाव ही पाएगा।

वास्तविकता यह है कि खेल में जिसकी रुचि नहीं है, उस व्यक्ति का जीवन उदासीन और निराश रहता है। इसके विपरीत जिस व्यक्ति की खेल में रुचि है, वह सदैव प्रसन्न रहता है। वह जीवन में आने वाले संघर्षों तथा उतार-चढ़ावों से भयभीत न होकर उनका डटकर सामना करता है।

3. खेल का महत्त्व-
खेल एक ओर मनोरंजन का अच्छा साधन है तो दूसरी ओर समय के सदुपयोग का सबसे उत्तम तरीका। मनोरंजन का जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। मनोरंजन से मनुष्य की थकान और उदासीनता दूर होती है। इसलिए मनुष्य मनोविनोद को जीवन में अपनाता है। खेल के मैदान में खिलाड़ी, दिनभर की थकान, चिन्ता इत्यादि को भूल जाता है। खेल के मैदान पर उसका मन निर्मल हो जाता है।

इसके विपरीत जिन व्यक्तियों को खेल में रुचि नहीं है, वे अपना अमूल्य समय, व्यर्थ में ही नष्ट करते हैं। खेल के मैदान में मनुष्य अपने समय का सदुपयोग करता है। खेल के मैदान पर व्यक्ति में सहयोग और मित्रता की सामाजिक भावना का उदय होता है, जिसकी जीवन में पग-पग पर आवश्यकता पड़ती है और जिससे जीवन सजता है, सँवरता है और निखरता है।

इसे ही खिलाड़ी भावना’ कहा गया है। खेल के मैदान पर व्यक्ति एक-दूसरे के शत्रु रहकर भी मित्रता का व्यवहार करते हैं। आपस में उनमें प्रेम और सद्भाव रहता है। उनमें सहयोग और सहानुभूति की भावना कूट-कूटकर भरी होती है। खेलने से अनुशासन का गुण विकसित होता है। खेल से जीवन में संघर्ष करने की भावना पैदा हो जाती है जिसे हम ‘खिलाड़ी प्रवृत्ति’ कहते हैं। इस प्रकार,खेलों से अनुशासन, एकता, साहस तथा धैर्य की शिक्षा मिलती है। खिलाड़ी के ये गुण ही, उसके भावी जीवन का निर्माण करते हैं।

व्यावहारिक जीवन में भी खेल का बहुत महत्त्व है। छात्र जीवन में खेल के कारण छात्र लोकप्रिय हो जाता है। सभी लोगों के प्रेम का पात्र बन जाता है। शिक्षा के पूर्ण होने पर वह जीवन क्षेत्र में उतरता है और किसी पद का प्रत्याशी बनता है। तब खेल उसके निर्वाचन की कसौटी सिद्ध होता है। खिलाड़ी जहाँ भी जाते हैं, सफलता पाते हैं और नौकरियों में उन्हें प्राथमिकता मिलती है।

4. उपसंहार-
खेल और ज्ञान का उचित सम्बन्ध होने पर ही व्यक्तित्व का सन्तुलित विकास हो सकेगा और वह अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकेगा।

MP Board Solutions

10. शिक्षक

रूपरेखा

  • प्रस्तावना
  • आदर्श शिक्षक
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
प्राचीनकाल से ही शिक्षक को राष्ट्रनिर्माता के रूप में सम्मान प्राप्त होता रहा है। शिक्षकों के शब्द विद्यार्थियों के लिए कानून के समान होते थे। वे उनके कथन का पालन हर स्थिति में किया करते थे। शिक्षक भी अपने सारे जीवन को शिष्यों, समाज और राष्ट्र के सनिर्माण में लगा देते थे। आज शिक्षा पद्धति ने शिक्षक को वेतनभोगी बना दिया है। वह एक कर्मचारी है। शिक्षक विद्यादानी न होकर नौकरी करने वाला साधारण व्यक्ति बन गया है। वह राजनीति की गन्दगी में फंस गया है। उसमें बुरी प्रवृत्तियाँ पनप गयी हैं। वह आदर्शों और । यथार्थ से दूर भटक गया है।

2. आदर्श शिक्षक-
शिक्षक समाज की बुद्धि है। वह अपने ज्ञान से समाजगत अन्धकार को मिटाता है। वह अपने विषय का ज्ञाता होता है। वह स्वयं अध्ययन और अध्यापन में व्यस्त रहता है। आदर्श शिक्षक नवीनतम् खोजों और शोधों की जानकारी अपने शिष्यों को देता है। उन्हें राष्ट्रीयता के मन्त्र से प्रभावित करता है। वह समयबद्ध कार्यों को पूरा करता है। समय का पालन करके समय को व्यर्थ नहीं गंवाता। वह सदैव ध्यान रखता है कि समय बहुत कीमती धन है जिसकी बचत करके नए ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।
एक शिक्षक का उद्देश्य अपने अन्दर निर्मलता और निष्पक्षता लाकर सभी छात्रों की भलाई करना होता है। एक अच्छा शिक्षक कभी भी धनवान और सामर्थ्यवान शिष्यों के प्रति पक्षपात नहीं करता। उनका रहन-सहन सादा होता है। सादा जीवन और उच्च विचार ही उसकी जीवन शैली होती है।”

3. उपसंहार-
आदर्श शिक्षक अपनी धनराशि को अच्छे | साहित्य और पुस्तकों पर खर्च करता है। उसकी बोली में मिठास होती है। वेशभूषा सादा होती है। सही अर्थों में ऐसा शिक्षक राष्ट्रनिर्माता होता है। वह भावी पीढ़ी का निर्माण करता है। वह मानवता का रक्षक व पालक कहा जा सकता है। मानव हित ही उसका सिद्धान्त होता है। वह परमब्रह्म के पद से पुकारा जाने वाला गुरु सबके कल्याण का काम करता हुआ यशस्वी जीवन जीता है।

MP Board Class 8th Hindi Solutions

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.5

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.5

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गुणनफलों में से प्रत्येक को प्राप्त करने के लिए उचित सर्वसमिका का उपयोग कीजिए –

  1. (x + 3) (x + 3)
  2. (2y + 5) (2y + 5)
  3. (2a – y) (2a – y)
  4. (3a – \(\frac{1}{2}\)) (3a – \(\frac{1}{2}\))
  5. (11m – 0.4) (1.1m + 0.4)
  6. (a2 + b2)(- a2 + b2)
  7. (6x – 7) (6x + 7)
  8. (- a + c) (- a + c)
  9. (\(\frac{x}{2}\) + \(\frac{3y}{4}\)) (\(\frac{x}{2}\) + \(\frac{3y}{4}\))
  10. (7a – 9b) (7a – 9b)

हल:
1. (x + 3) (x + 3)
सर्वसमिका (a + b)2 = a2 + 2ab + b2 के उपयोग से,
(x + 3)2 = x2 + 2 x 3 × x + (3)2
= x2 + 6x + 9

2. (2y + 5) (2y + 5) = (2y + 5)2
सर्वसमिका (a + b)2 = a2 + 2ab + b2 का उपयोग करने पर,
∴ (2y + 5) = (2y)2 + 2 x (2y) x 5 + (5)2
= 4y2 + 20y + 25

3. (2a – 7) (2a – 7) = (2a – 7)2
सर्वसमिका (a – b)2 = a2 – 2ab + b2 का उपयोग करने पर,
∴ (2a – 7)2 = (2a)2 – 2 x 2a x (7) + (- 7)2
= 4a2 – 28a + 49

4. (3a – \(\frac{1}{2}\)) (3a – \(\frac{1}{2}\)) = (3a – \(\frac{1}{2}\))2
सर्वसमिका (a – b)2 = a2 – 2ab + b2 का उपयोग करने पर,
∴ (3a – \(\frac{1}{2}\))2 = (3a)2 – 2 x (3a) x (\(\frac{1}{2}\)) + (- \(\frac{1}{2}\))2
= 9a2 – 3a + \(\frac{1}{4}\)

5. (1.1m – 0.4) (1.1m + 0.4)
सर्वसमिका (a – b) (a + b) = a2 – b2 का उपयोग करने पर,
∴ (1.1m – 0.4) (11m + 0.4) = (1.1m)2 – (0.4)2
= 1.21m – 0.16

6. (a2 + b2) (- a2 + b2) = (b2 + a2) (b2 – a2)
सर्वसमिका (a + b) (a – b) = a2 – b2 का उपयोग करने पर,
∴ (b2 + a2) (b2 – a2) = (b2)2 – (a2)2
= b4 – a4

7. (6x – 7) (6x + 7)
सर्वसमिका (a – b)(a + b) = a2 – b2 का उपयोग करने पर
∴ (6x – 7) (6x + 7) = (6x)2 – (7)2
= 36x2 – 49

8. (- a + c) (- a + c) = (- a + c)2
सर्वसमिका (a – b)2 = a2 – 2ab + b2 का उपयोग करने पर,
= (- a)2 – 2(a)(c) + (c)2
= a2 – 2ac + c2

9. (\(\frac{x}{2}\) + \(\frac{3y}{4}\)) (\(\frac{x}{2}\) + \(\frac{3y}{2}\)) = (\(\frac{x}{2}\) + \(\frac{3y}{4}\))2
सर्वसमिका (a + b)2 = a2 + 2ab + b2 का उपयोग करने पर,
(\(\frac{x}{2}\) + \(\frac{3y}{4}\))2 = (\(\frac{x}{2}\))2 + \(\frac{x}{2}\) x \(\frac{3y}{4}\) + (\(\frac{3y}{4}\))2
= \(\frac { x^{ 2 } }{ 4 } \) + \(\frac{3xy}{4}\) + \(\frac { 9y^{ 2 } }{ 4 } \)

10. (7a – 9b) (7a – 9b) = (7a – 9b)2
सर्वसमिका (a – b) = a2 – 2ab+ b2 का उपयोग करने पर,
∴ (7a – 7b) = (7a)2 – 2 x 7a x 9b + (9b)2
= 49a2 – 126ab + 81b2

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गुणनफलों को ज्ञात करने के लिए सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b) x + ab का
उपयोग कीजिए –

  1. (x + 3) (x + 7)
  2. (4x + 5) (4x + 1)
  3. (4x – 5) (4x – 1)
  4. (4x + 5) (4x – 1)
  5. (2x + 5y) (2x + 3y)
  6. (2a2 + 9) (2a2 + 5)
  7. (xyz – 4) (xyz – 2).

हल:
1. (x + 3) (x + 7)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab में
a = 3 तथा b = 7 रखने पर,
(x + 3) (x + 7) = x2 + (3 + 7)x + 3 x 7
= x2 + 10x + 21

2. (4x + 5) (4x + 1)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b) x + ab में
x = 4x, a = 5 तथा b = -1 रखने पर,
(4x + 5) (4x + 1) = (4x)2 + (5 + 1) 4x + 5 x 1
= 16x2 + 4x + 5

3. (4x – 5) (4x – 1)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b) x + ab में
x= 4x, a = -5 तथा b = 1 रखने पर,
(4x – 5) (4x – 1) = (4x)2 + (- 5 – 1)4x + (-5)(-1)
= 16x2 – 24x + 5

4. (4x + 5) (4x – 1)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab में
x = 4x, a = 5 तथा b = – 1 रखने पर,
(4x + 5) (4x – 1) = (4x)2 + (5 – 1)4x + (5)(-1)
= 16x2 + 16x – 5

5. (2x + 5y) (2x +3y)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab में
x = 2x, a = 5y तथा b = 3y रखने पर,
(2x + 5y) (2x + 3y)= (2x)2 + (5y + 3y) (2x) +5y x 3y
= 4x2 + 16xy + 15y2

6. (2a2 + a) (2a2 + 5)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab में
x = 2a2, a = 9 तथा b = 5 रखने पर,
(2a2 + 9) (2a2 + 5) = (2a2)2 + (9 + 5) 2a2 + 9 x 5
= 4a4 + 28a2 + 45

7. (xyz – 4) (xyz – 2)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab में
x = xyz, a =- 4 तथा b = – 2 रखने पर,
(xyz – 4) (xyz – 2) = (xyz) + (- 4 – 2)xyz + (- 4)(- 2)
= x2y2z2 – 6xyz +8

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
सर्वसमिका का उपयोग करते हुए निम्नलिखित वर्गों को ज्ञात कीजिए –

  1. (b – 7)2
  2. (xy + 3z)2
  3. (6x2 – 5y
  4. (\(\frac{2}{3}\)m + \(\frac{3}{2}\)n)2
  5. (0.4p – 0.54)2
  6. (2xy + 5y)2

हल:
1. (b – 7)2 सर्वसमिका (a – b)2 = a2 – 2ab + b2 से,
(b – 7)2 = b2 – 2 x b x 7 + (7)2
= b2 – 14b + 49

2. (xy + 3z)
सर्वसमिका (a + b)2 = a2 + 2ab + b2 से,
(xy + 3z)2 = (xy) + 2 × xy x 3z + (3z)2
= xy2 + 6xyz + 9z2

3. (6x2 – 5y)2
सर्वसमिका (a – b)2 = a2 – 2ab + b2 से,
(6x2 – 5y)2 = (6x2)2 – 2 x 6x2 × 5y + (5y)2
= 36x4 – 60xy + 25y2

4. (\(\frac{2}{m}\)m – \(\frac{3}{2}\)n)2
सर्वसमिका (a + b)2 = a2 + 2ab + b2 से,
(\(\frac{2}{3}\)m + \(\frac{3}{2}\)n)2 = (\(\frac{2}{3}\)m)2 + 2 x \(\frac{2}{3}\)m x \(\frac{3}{2}\)n + (\(\frac{3}{2}\)n)2
= \(\frac{4}{9}\)m2 + 2mn + \(\frac{9}{4}\)n

5. (0.4p – 0.5q)2
सर्वसमिका (a – b)2 = a2 – 2ab + b2 से
(0.4p – 0.5q) = (0.4p)2 – 2 x 0.4p x 0.5q + (0.5q)2
= 0.16p2 – 0.4pq + 0.25q2

6. (2xy + 5y)2
सर्वसमिका (a + b)2 = a2 + 2ab + b2 से,
(2xy + 5y)2 = (2xy)2 + 2 x 2xy x 5y + (5y)2
= 4x2y2 + 20xy2 + 25y2

प्रश्न 4.
सरल कीजिए –

  1. (a2 – b2)2
  2. (2x + 5)2 – (2x – 5)2
  3. (7m – 8n)2 + (7m + 8n)2
  4. (4m +5n)2 + (5m +4n)2
  5. (2.5p – 1.5q)2 – (1.5p – 2.5q)2
  6. (ab + bc) – 2ab2c
  7. (m2 – n2 – m)2 + 2m3n2

हल:
1. (a2 – b2)2 = (a2)2 – 2 x a2 x b2 + (b2)2
= a4 – 2a2b2 + b4

2. (2x + 5)2 – (2x – 5)2
= (4x2 + 20x + 25) – (4x2 – 20x + 25)
= 4x2 + 20x + 25 – 4x2 + 20x – 25
= 40x

3. (7m – 8n)2 + (7m + 8n)2
= (49m2 – 112mn + 64n2) + (49m2 + 112mn + 64n2)
= 49m2 – 112mn + 64n2 + 49m2 + 112mn + 64n2
= 98m2 + 128n2

4. (4m + 5n)2 + (5m + 4n)2
= (16m2 + 40mn + 25n2) + (25m2 + 40mn + 16m2)
= 16m2 + 40mn + 25n2 + 25m2 + 40mn + 16n2
= 41m2 + 80mn + 41n2

5. (2.5p – 1.5q)2 – (1.5p – 2.5q)2
= (6.25p2 – 7.5pq + 2.25q2) – (2.25p2 – 7.5pq + 6.25q2)
= 6.25p2 – 7.5pq + 2.25q2 – 2.25p2 + 7.5pq – 6.25q2
= 6.25p2 – 2.25p2 + 2.25q2 – 6.25q2
= 4p2 – 4q2

6. (ab + bc)2 – 2ab2c
= ab2 + 2 x ab x bc + b2c2 – 2ab2c
= ab2 + 2ab2c + b2c2 – 2ab2c
= a2b2 + b2c2

7. (m2 – n2m2) + 2m3n2
= (m2)2 – 2 x m2 x n2m + (n2m)2 + 2m3n2
= m4 – 2m3n2 + n4m2 + 2m3n2
= m4 + n4m2

MP Board Solutions

प्रश्न 5.
दर्शाइए कि –

  1. (3x + 7)2 – 84x = (3x – 7)2
  2. (9p – 5q)2 + 180pq = (9p + 54)2
  3. (\(\frac{4}{3}\)m – \(\frac{3}{4}\)n)2 + 2mn = \(\frac{16}{9}\) m2 + \(\frac{9}{16}\)n2
  4. (4pq +3q)2 – (4pq – 3q)2 = 48pq2
  5. (a – b) (a + b) + (b – c) (b + c) + (c – a) (c + a) = 0.

हल:
1. (3x + 7)2 – 84x = (3x – 7)2
L.H.S. = (3x + 7)2 – 84x
= (9x2 + 42x + 49) – 84x
= 9x2 – 42x + 49
= (3x)2 – 2 x (3x) (7) + (7)2
= (3x – 7)2 = R.H.S.

2. (9p – 5q)2 + 180pq = (9p + 5q)2
L.H.S. = (9p – 5q)2 + 180pq
= 81p2 – 90pq + 25q2 + 180pq
= 81p2 + 90pq + 25q2
= (9p)2 + 2(9p)(5q) + (5q)2
= (9p + 5q) = R.H.S.

3. (\(\frac{4}{3}\)m – \(\frac{3}{4}\)1)2 + 2mn = \(\frac{16}{9}\) m2 + \(\frac{9}{16}\)n2
L.H.S. = (\(\frac{4}{3}\)m – \(\frac{3}{4}\))2 + 2mn
= \(\frac{16}{9}\) m2 – 2mn + \(\frac{9}{16}\)n2 + 2mm
= \(\frac{16}{9}\)m2 + \(\frac{9}{16}\)n2
= R.H.S.

4. (4pq + 3q)2 – (4pq – 3q)2 = 48pq2
L.H.S. = (4pq + 3q)2 – (4pq – 3q)2
= (16p2q2 + 24pq2 + 9q2) – (16p2q2 – 24pq2 + 9q2)
= 16p2q2 + 24pq2 + 9q2 – 16p2q2 + 24pq2 – 9q2
= 48pq2 = R.H.S.

5. (a – b)(a + b) + (b – c)(b + c) + (c – a)(c + a) = 0
L.H.S. = (a – b) (a + b) + (b – c) (b + c) + (c – a) (c + a)
= a2 – b2 + b2 – c2 + c2 – a2
= 0 = R.H.S.

प्रश्न 6.
सर्वसमिकाओं के उपयोग से निम्नलिखित मान ज्ञात कीजिए –

  1. 712
  2. 992
  3. 1022
  4. 9982
  5. 5.22
  6. 297 x 303
  7. 78 x 82
  8. 8.92
  9. 1.05 x 9.5

हल:
1. 712 = (70 + 1)2
= (70)2 + 2 x 70 x 1 + (1)2
= 4900 + 140 + 1
= 5041

2. 992 = (100 – 1)2
= (100)2 – 2 x 100 x 1 + (1)2
= 10000 – 200 + 1
= 9801

3. (102)2 = (100 + 2)2
= (100)2 + 2 x 100 x 2 + (2)2
= 10000 + 400 + 4 = 10404

4. (998)2 = (1000 – 2)2
= (1000)2 – 2 x 1000 x 2 + (2)2
= 1000000 – 4000 + 4
= 996004

5. (5.2)2 = (5 + 0.2)2
= (5)2 + 2 x 5 x 0.2 + (0.2)2
= 25 + 2 + 0.04
= 27.04

6. 297 x 303 = (300 – 3) (300 + 3)
= (300)2 – (3)2
[∴ (a – b) (a + b) = a2 – b2]
= 90000 – 9
= 89991

7. 78 x 82 = (80 – 2) (80 + 2)
= (80)2 – (2)2
= 6400 – 4
= 6396

8. (8.9)2 = (9 – 0.1)2
= (9)2 – 2 x 9 x 0.1 + (0.1)2
=81 – 1.8 + 0.01
= 81.01 – 1.8
= 79.21

9. 1.05 x 9.5 = (1 + 0.05) 9.5
= 1 x 9.5 + 0.05 x 9.5
= 9.5 + 0.475
= 9.975

प्रश्न 7.
a2 – b2 = (a + b) (a – b) का उपयोग करते हुए निम्नलिखित का मान ज्ञात कीजिए –

  1. 512 – 492
  2. (1.02)2 – (0.98)2
  3. 1532 – 1472
  4. 12.12 – 7.92

हल:
1. 512 – 492
a2 – b2 = (a + b) (a-b) का उपयोग करने पर,
512 – 4a2 = (51 + 49) (51 – 49)
= 100 x 2 = 200

2. (1.02)2 – (0.98)2
a2 – b2 = (a + b) (a – b) का उपयोग करने पर
(1.02)2 – (0.98)2 = (1.02 + 0.98) (1.02 – 0.98)
= 2.00 x 0.04 = 0.08

3. 1532 – 1472
a2 – b2 = (a + b)(a – b) का उपयोग करने पर
1532 – 1472 = (153 + 147) (153 – 147)
= 300 x 6 = 1800

4. 12.12 – 7.92
a2 – b2 = (a + b) (a – b) का उपयोग करने पर,
12.12 – 7.92 = (12.1 + 7.9) (12.1 – 7.9)
= 20 x 4.2 = 84

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
(x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab का उपयोग करते हुए निम्नलिखित मान ज्ञात कीजिए –

  1. 103 x 104
  2. 5.1 x 5.2
  3. 103 x 98
  4. 9.7 x 9.8.

हल:
1. 103 x 104 = (100 + 3) (100 + 4)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab में
x = 100, a = 3 तथा b = 4 रखने पर,
(100 + 3) (100 + 4) = (100)2 + (3 + 4) 100 + 3 x 4
= 10000 + 700 + 24 = 10724

2. 5.1 x 5.2 = (5 + 0.1) (5 + 0.2)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab में,
x = 5, a = 0.1 तथा b = 0.2 रखने पर,
(5 + 0.1) (5.02) = (5)2 + (0.1 + 0.2) 5 + 0.1 x 0.2
= 25 + 1.5 + 0.02 = 26.52

3. 103 x 98 = (100 + 3) (100 – 2)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b) x + ab में
x = 100, a = 3 तथा b = – 2 रखने पर,
(100 + 3) (100 – 2)= (100)2 + (3 – 2) 100 – 3 x (-2)
= 10000 + 100 – 6 = 10094

4. 9.7 x 9.8 = (9 + 0.7) (9 + 0.8)
सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b) x + ab में
x = 9, a = 0.7 तथा b = 0.8 रखने पर,
(9 + 0.7) (9 + 0.8) = (9)2 + (0.7+ 0.8)9 + 0.7 x 0.8
= 81 + 13.5 + 0.56 = 95.06

MP Board Class 8th Maths Solutions

MP Board Class 8th Sanskrit परिशिष्टम्

MP Board Class 8th Sanskrit परिशिष्टम्

MP Board Class 8th Sanskrit पुस्तक में दिये गये पद्यांशों का हिन्दी अनुवाद

1. संस्कृतस्य सेवनम् (संस्कृत की सेवा हो)

संस्कृतस्य सेवन………… संस्कृतं विराजताम्॥

भावार्थ :
संस्कृत की सेवा हो अर्थात् संस्कृत भाषा का व्यवहार हो एवं संस्कृत के लिए मानव जीवन हो तथा संसार के कल्याण की वृद्धि के लिए मानव शरीर समर्पित हो।-
(क) अपने कार्य की गरिमा का स्मरण करते हुए तथा विघ्न रूपी सागर को पार करते हुए अपने लक्ष्य की सफलता को दृष्टिगत (समक्ष) रखते हुए मैं स्वयं परिश्रम करता हूँ। जिससे प्रत्येक व्यक्ति तथा प्रत्येक घर में संस्कृत पहुँच सके तथा इसकी निरन्तर गतिशीलता हो सके तब लगाकर संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए कदम बढ़ता रहे।

(ख) मैं सम्पत्ति की कामना नहीं करता हूँ और न भोगैश्वर्य साधन जन्य सुख की भी कामना करता हूँ अपितु संस्कृत की उन्नति के अतिरिक्त मैं किसी अन्य विषय को उसके समान आदर नहीं देता हूँ। अस्तु संस्कृत को अपने गौरवपूर्ण स्थान तक पहुँचाने के लिए अपने जीवन को दाँव पर लगातार प्रत्येक व्यक्ति को कमर कसनी होगी।

(ग) मेरे द्वारा यह जो वाणी कही गयी है, वह निश्चय ही कथित वाणी सुदृढ़तया अटल सत्य हो और साथ ही कहे जाते हुए भाव को प्राप्त कर पुनः-पुनः चिरकाल तक यही वाणी विराजमान हो। यह संस्कृत भाषा भारतभूमि का आभूषण है तथा सभी वाणियों का विशेषतः आभूषण है और साथ ही भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने वाली होने से संस्कृत सर्वथा विराजमान होती रहे।

MP Board Solutions

2. चिरवीना संस्कृता एषा (जो कभी पुरानी न हो ऐसी यह संस्कृत भाषा है।)

चिरनवीना संस्कृता ……….”अनुपमा सरसा॥चिरनवीना॥

भावार्थ :
जो कभी पुरानी न हो ऐसी यह संस्कृत भाषा है। यह देवताओं की भाषा है। जो कभी पुरानी न हो ऐसी यह संस्कृत भाषा है।

बहुत बड़ा जनसमुदाय इसमें श्वांस लेता है अर्थात् इसे बोलता है। इसमें अति प्राचीन वेद और साहित्य है अर्थात् हमारे बहुत प्राचीन वेद और साहित्य इसी संस्कृत भाषा में लिखे हुए हैं।

शास्त्रों से भरी, स्मृतियों के विचारों से युक्त और सर्वश्रेष्ठ कवियों के काव्यों के सार से रंग-बिरंगी सुन्दर पेटी वाली सुन्दर संस्कृत भाषा है।

वाल्मीकि और वेदव्यास मुनियों के द्वारा रचित रामायण और महाभारत महाकाव्य इसी भाषा में है।

कायरता के दोष से युद्ध से रुके हुए पार्थ (अर्जुन) को उसके युद्ध रूपी कार्य में लगाने वाली श्रीमद्भगवद् गीता को भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा कही गयी है, इसी संस्कृत भाषा में है।

यह संस्कृत भाषा भारत में बोली जाने वाली मातृभाषाओं की भी मातृभाषा है। यह भारतीयों की राष्ट्रभाषा होने के योग्य है जिससे भाषा का विरोध समाप्त हो जायेगा। यह बात हमेशा पूरे जोर-शोर से हम कहते हैं। यह भारतीयों की भाषा है, और अत्यन्त मधुर है।

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions