MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 3 The Family and the Society

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 3 The Family and the Society

MP Board Class 6th Social Science Chapter 3 Text Book Exercise

MP Board Class 6th Social Science Chapter 3 Short Answer Type Questions

Question 1.
Question (a)
What is the unit of family?
Answer:
Father, mother, brother and sister together constitute a family. In bigger families grandfather, grandmother, uncles, aunts also live with their children. This type of family is called joint family.

Question (b)
How is a person known in society?
Answer:
A person known in society through the relationship with the neighbour and other families.

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Question (c)
Who is considered to be the first teacher of a child?
Answer:
Parents are considered to be the first teacher of a child.

Question (d)
What occupations are taken up by people in a society?
Answer:
The occupations taken up by people in a society are interdependence among people, the spirit of working together, respect for the ideas of others and the capacity to analyse social events in a right manner.

MP Board Class 6th Social Science Chapter 3 Long Answer Type Questions

Question 2.
Question (a)
What do you understand by a nuclear and joint family?
Answer:
A nuclear family is usually small family consisting of father, mother, brother and sister. A joint family, on the other hand, also has grandfather, grandmother, uncles, aunts and their children.

Question (b)
How a society is formed? What evils can be controlled by the society?
Answer:
A society is a network of social relations. In fact, a society is formed by the relationship among many families. Man is a social animal, so man lives in a family and society. Many problems come in the life of a man, like selection of a partner for marriage and bringing up children and educating them. The members of the family and their family friends help to resolve these problems.

A society can control many social evils like child – marriage, large families not giving elementary education to children.

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Question 3.
Fill in the blanks:

  1.  …………. accept the responsibility of their children naturally.
  2. A small family is considered to be ……………. family.
  3. The unit of the family is ……………
  4. The unit of the society is …………..

Answer:

  1. parent
  2. an ideal
  3. individual
  4. system

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Project Work

Question 1.
Make a list of five nuclear familes and five joint families. Observe one nucelar family and one joint family. Write a note on their activites, interdependence and social relation?
Answer:
Please do with the help of your teacher.

Question 2.
Observe the food habits, life style, traditions and festivals of people around you. Write a brief report on them?
Answer:
Please do with the help of your teacher.

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti महत्त्वपूर्ण पाठों के सारांश

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions महत्त्वपूर्ण पाठों के सारांश

कटक वचन मत बोल

प्रस्तुत पाठ रामेश्वर दयाल दुबे की रचना है। इस पाठ में लेखक ने स्पष्ट किया है कि वाणी अति महत्वपूर्ण है। संसार में वाणी का वरदान केवल मनुष्य को ही प्राप्त है। अतः उसे सदैव विनम्र और मृदुभाषी होना चाहिए। विनम्र व्यक्ति सदैव लम्बी आयु प्राप्त करता है। कटु वचन लोगों को चुभ जाते हैं। श्रोताओं पर कटु वचनों का प्रभाव ऐसा होता है कि इससे बड़े-बड़े अनर्थ हो जाते हैं।

यद्यपि सत्य आचरण और सत्य कथन दोनों का पालन करना भी कठिन होता है परन्तु दोनों के पालन में मनुष्य को अपनी वाणी पर नियन्त्रण रखना चाहिए। विनम्रतापूर्वक कटु सत्य को भी लोगों तक पहुँचाया जा सकता है। उससे दूसरे को ठेस भी नहीं लगती है और सत्य बात भी कह दी जाती है। इसे ही वाणी की चतुराई कहते हैं। इससे ही मनुष्य का व्यक्तित्व निखरकर प्रभावशाली हो जाता है।

लेखक ने अनेक उदाहरण देकर यही तथ्य सामने रखा है कि जीभ में कोमलता है, अतः हमें कोमल और मृदुभाषी होना चाहिए। वाणी के प्रयोग से ही अनेक युद्ध हुए हैं। महाभारत युद्ध वाणी के दुरुपयोग का ही नतीजा था। मीठा वचन औषधि के समान लाभकारी होता है और कटु वचन वाण सदृश जो हृदय को चीर देता है। मृदु वचन अमृत समान प्रभावशाली होता है। वाणी की चतुराई से कटु सत्य को प्रिय और मधुर बनाया जा सकता है। अतः हमें अपने व्यक्तित्व को लोकप्रिय बनाना है, तो हमें मृदुभाषी होना पड़ेगा।

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हार की जीत

प्रस्तुत कहानी ‘हार की जीत’ में सुदर्शन जी ने इस तथ्य को सभी के सामने उजागर कर दिया है कि मनुष्य अपने श्रेष्ठ विचारों और सद्व्यवहार से बड़े से बड़े दुर्दान्त डाकुओं और क्रूर हृदय वाले व्यक्तियों के हृदय को भी परिवर्तित कर सकता है। इस कहानी के पुरुष पात्र दो हैं-एक बाबा भारती और दूसरा डाकू खड्गसिंह। बाबा भारती के पास अमूल्य सम्पत्ति है उनका घोड़ा सुलतान । बाबा भारती अपने घोड़े से बहुत प्यार करते हैं। वह घोड़ा बाबा भारती का परिवारी सदस्य है।

उसी क्षेत्र में डाकू खड्गसिंह रहता है। उसके नाम से सभी काँपते हैं। उसने बाबा भारती के घोड़े की विशेषताओं को सुना। वह आता है, घोड़े को देखकर वह बाबा भारती से कहता है कि मैं इस घोड़े को तुम्हारे पास नहीं रहने दूँगा। बाबा भारती घोड़े की रखवाली के लिए रात-दिन चिन्तित रहने लगे। एक दिन कंगले अपाहित का वेश धारण करके खड्गसिंह ने घोड़े को बाबा भारती से छीन लिया। बाबा भारती ने सोचा कि यदि घोड़े की इस चोरी का लोगों को पता चलेगा कि डाकू खड्गसिंह ने अपाहिज के वेश में बाबा को ठगकर घोड़ा छीन लिया है, तो गरीबों का आगे से कोई विश्वास नहीं करेगा। इसलिए बाबा भारती ने खड्ग सिंह डाकू को आवाज लगाते हुए कहा कि तू मेरी एक विनती सुनं ले कि इस घटना को किसी के सामने मत कहना, नहीं तो लोग गरीबों और अपाहिजों का विश्वास नहीं करेंगे।

बाबा भारती ने घोड़े की ओर से अपनी आँखें फिरा ली और अपनी कुटिया की ओर चल दिए। घोड़े की ओर आसक्ति नाम मात्र भी नहीं रह गई। परन्तु बाबा भारती के वचनों कि ‘गरीबों और अपाहिजों का कोई विश्वास नहीं करेगा,’ की गूंज डाकू खड्गसिंह के कानों में बार-बार उठ रही थी। अन्ततः डाकू खड्गसिंह का हृदय परिवर्तित हुआ। वह बाबा भारती के घोड़े सुलतान को अस्तबल में चुपचाप बाँध कर चला गया। इस कहानी का मूल सन्देश यह है कि मनुष्य का सद्व्यवहार और अच्छे विचार कठोर हृदय निर्दयी लोगों तक के हृदय को बदल देते हैं।

हम बीमार ही क्यों हों ?

प्रस्तुत पाठ ‘हम बीमार ही क्यों हों ?’ में डॉ. आनन्द ने बड़ी तथ्यपरक परक बात बहुत सरल रूप में हमें समझाई है कि हम लोग ऐसा आचरण अपनाएँ जिससे हम कभी बीमार न हों और सदैव स्वस्थ बने रहें। किसी भी बीमारी का उपचार कराने से तो यही अच्छा है कि हम बीमार ही न पड़ें। लेखक ने अपना स्वास्थ्य सामान्य बनाए रखने के लिए नियम बताए हैं, उन नियमों का पालन करते रहने से मनुष्य सदैव स्वस्थ बना रह सकता है क्योंकि बीमारी का निदान कराने की बजाए बीमार न पड़ना ही बुद्धिमानी है।

हमारा शरीर-पाँच तत्वों के योग से निर्मित है।

वे तत्व हैं-

  1. पृथ्वी,
  2. जल,
  3. अग्नि,
  4. गगन (आकाश),
  5. समीर (वायु)।

इन तत्वों में से कोई भी एक या दो तत्व यदि हमारे शरीर में कम हो जाते हैं, तो हम बीमार हो जाते हैं। आरोग्य लाभ के लिए इन सभी तत्वों का उपयोग बुद्धिमानी से करना चाहिए।

इन पाँच तत्वों को सदा से स्वच्छ बनाए रखने का प्रयास किया जाता रहा है। स्वच्छ निर्मल आकाश में सांस लेने से और पवित्र जल से प्राण शक्ति मिलती है। सूर्य का प्रकाश हमें गर्मी देकर हमारे अन्दर विटामिनों को संरक्षित करता है। धरती से हमें अन्न, फल और पेय पदार्थ मिलते हैं जिनसे हमें स्वास्थ्य, बल और तेज की प्राप्ति होती है।

वन-उपवनों की रक्षा करनी है। अणुबमों के परीक्षणों से इन पाँचों तत्वों को सुरक्षित बचाने का प्रयास करना चाहिए। रासायनिक खादों का उपयोग सीमित करना होगा। आकाश तत्व आरोग्य-सम्राट है। साफ-सुथरे स्थान पर टहलना चाहिए। सूर्य नमस्कार से शरीर में लाल रक्तकण उत्पन्न होते हैं। इससे हमारी जीवनी शक्ति बढ़ती है। जल हमारे रक्त में सत्तर प्रतिशत होता है। हम थलचरों को पृथ्वी को विशुद्ध बनाने का प्रयास करना चाहिए। भोजन में आहार संतुलित होना चाहिए। अत: इस भौतिक शरीर को भौतिक तत्वों के आधार पर ही स्वस्थ रखा जा सकता है।

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डॉ. होमी जहाँगीर भाभा

आजकल विश्व के सर्वाधिक देशों में अणु शक्ति का प्रयोग बहुत अधिक किया जा रहा है। हमारे देश में अणु शक्ति का विकास पर्याप्त रूप से किया जा रहा है। अणुशक्ति का विकास करने वाले सबसे पहले भारतीय वैज्ञानिक का नाम है-डॉ. होमी जहाँगीर भाभा।

इनका जन्म 30 अक्टूबर, सन् 1909 ई. में सुशिक्षित एवं सम्पन्न पारसी परिवार में हुआ था। इनके पिता श्री जे. एस भाभा मुम्बई के प्रसिद्ध बैरिस्टर थे। होमी जहाँगीर बचपन से कुशाग्र बुद्धि थे। उन्हें बचपन में नींद नहीं आती थी। वे रोते रहते थे, अतः डॉक्टरों की सलाह से उन्हें ग्रामोफोन पर संगीत सुनाया गया। वे चुप होकर सुनने लगे और संगीत की ओर उनका झुकाव हो गया।

बालक होमी ने 15 वर्ष की आयु में सीनियर कैम्ब्रिज की परीक्षा उत्तीर्ण की। मुम्बई विश्वविद्यालय से ई. एम. सी. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इंग्लैण्ड जाकर उन्होंने इंजीनियरिंग की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्हें गणित और भौतिक विज्ञान के प्रति बहुत झुकाव था। उन्होंने विद्युत एवं चुम्बक के अतिरिक्त कॉस्मिक किरण की मौलिक खोजों पर भाषण दिया। सन् 1941 में पी-एच. डी. की उपाधि मिली। भारत आकर बंगलुरू में भारतीय विज्ञान संस्थान में रीडर नियुक्त हुए। कॉस्मिक किरणों पर खोज करने के कारण लंदन की रॉयल सोसायटी का इन्हें फैलो चुना गया। इन्हें विभिन्न विश्वविद्यालयों से डी. एस-सी. की उपाधि मिली।

सन् 1951 ई. में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। सन् 1954 ई. में इन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण की पदवी से अलंकृत किया। उसी वर्ष अणु शक्ति निर्माणकारी अन्तर्राष्ट्रीय कांग्रेस के जिनेवा में अध्यक्ष चुने गए। वे अणु शक्ति से अणुबम बनाना नहीं चाहते थे। शान्तिपूर्ण रचनात्मक कार्यों के लिए इसका प्रयोग करना चाहते थे। इसलिए इनके अनुरोध से मुम्बई के दौराबजी टाटा ट्रस्ट द्वारा ‘टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च’ संस्था की स्थापना की गयी। वे इस संस्था के डाइरेक्टर बनकर बंगलुरू से मुम्बई आ गये।

डॉ. भाभा अणुशक्ति कमीशन के अध्यक्ष रहे। ट्रॉम्बे का अणु शक्ति केन्द्र उनकी महान् कृति है। डॉ. भाभा को संगीत, नृत्य और चित्रकला में भी रुचि थी। उनका जीवन सादा, सरल और उदार था। 24 जनवरी, 1966 ई. में डॉ. भाभा जिनेवा की यात्रा पर थे। भारतीय विमान सेवा की ‘कंचनजंघा’ नामक जेट विमान जिनेवा के पास बहुत ऊँचे पहाड़ माउण्ट ब्लॉक’ से टकरा गया। उस दुर्घटना में डॉ. भाभा की मृत्यु हो गई।

नारियल का बगीचा-केरल

“सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ताँ हमारा” के अनुसार भारत की प्राकृतिक सौन्दर्य-सम्पदा सर्वोपरि है। चारों ओर नारियल ही नारियल के वृक्ष खड़े देख कर केरल को नारियल का बगीचा कहा जा सकता है। केरल की सीमाएँ-पश्चिम में अरब सागर तक हैं। उसकी पूरी पट्टी पर नरियल के कुंज ही दीख पड़ते हैं। यह भाग नारियल के विशाल बगीचे सदृश लगता है। नारियल का वृक्ष वहाँ पर कल्पवृक्ष कहलाता है। इससे अमृत समान मीठा पानी मिलता है। गिरी का साग-सब्जी और चटनी में प्रयोग किया जाता है। गोले का तेल निकाला जाता है जिसका साबुन बनाने और शरीर में मालिश के लिए प्रयोग करते हैं। नारियल से रस्सी, मोटे रस्से, चटाई, कूँची, पायदान बनते हैं। इसके बड़े छिलके से कटोरे, प्याले तथा चमचे बनाए जाते हैं। इसकी लकड़ी से मकान और पत्तों से छत बनाते हैं।

केरल में 400 से 500 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। पर्वतीय क्षेत्र जंगलों से ढका हुआ है। वनों में सागौन, शीशम, रबर और चन्दन के वृक्ष होते हैं। इन वृक्षों के आधार पर कई उद्योग-धन्धे जन्म लेते हैं। पहाड़ीनुमा जमीन होने के कारण रेलें बहुत कम होती है। सड़कें अच्छी हैं।

यहाँ के लोगों का खान-पान भी स्वास्थ्यवर्द्धक है। चावल मुख्य भोजन है। रसम्, सांभर, इडली और डोसा यहाँ के प्रिय खाद्य पदार्थ हैं। केरल के लोग लुंगी पहनते हैं। उनके कपड़े ढीले- ढाले होते हैं। स्त्रियाँ धोती और ब्लाउज पहनती हैं। कपड़े प्रायः सफेद होते हैं।

यहाँ का मुख्य त्यौहार ओणम है। नौकाओं की प्रतियोगिता प्रसिद्ध है। ओणम के त्यौहार पर लक्ष्मी और नौका की पूजा होती है। यहाँ लोग संगीत और नृत्य के बड़े शौकीन होते हैं। ‘कथकली’ यहाँ की प्रसिद्ध नृत्यकला है। अनेक कथाओं को नृत्य में ढाल कर ‘कथकली’ नृत्य विकसित किया गया है। यहाँ के लोग कॉफी पीने के शौकीन होते हैं।

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दस्तक

लेखक डॉ. शिवभूषण त्रिपाठी ने अपनी ‘दस्तक’ शीर्षक कहानी के माध्यम से यह सन्देश दिया है कि मनुष्यों में परस्पर सहयोग, सहानुभूति एवं सद्भाव रखना बहुत ही अनिवार्य है। इन भावों से मनुष्य एक-दूसरे की मदद करने और सह-भाव रखने से एक-दूसरे के प्रति अपने मनुष्य होने की अवस्था का ज्ञान करा देता है।

लेखक सदैव ही समाज सेवा के लिए तत्पर रहता है। वह अपने अधिकांश समय को पीड़ितों और जरूरतमंदों की सेवा में बिताया करता है। इस तरह की उसकी आदत को लेखक की पत्नी पसन्द नहीं करती है। एक बार ऐसा होता है कि लेखक अपने अन्य मित्र के किसी काम से अपने शहर के बाहर चला जाता है। वहाँ वह कई दिन रहता है। इधर लेखक का पुत्र तीन मंजिल के मकान की छत से गिर कर बेहोश हो जाता है। उसके गिरने की सूचना कानों-कान सुनकर मुहल्ले और आस-पास के लोगों को मिलती है, तो वे अपना काम-धाम छोड़ लेखक के पुत्र सोनू को अस्पताल ले जाते हैं और इसके इलाज पर होने वाले खर्चे को भी वे आपस में मिलकर पूरा कर लेते हैं।

लेखक की पत्नी भी इस सूचना से आहत है। वह भी अस्पताल पहुँचती है लेकिन सोनू की चोट की सहानुभूति में इकट्ठ लोगों की भीड़ देखकर लेखक की पत्नी भी बेहोश हो जाती है। उसे पता नहीं कि यहाँ क्या हो रहा है ? होश में आने पर पता चला कि वे सभी उसके पुत्र और उनके परिवार की सहायता के लिए इकटे हुए हैं। वह दंग रह जाती है।

उधर लेखक भी दूसरे शहर में एक बालक के पैर में आई हुई चोट के लिए उसकी सहायता करता है। घर आने पर सोनू के गिरने की दुर्घटना को सुनकर वह भी आश्चर्य करता है। परन्तु लेखक की पत्नी के हृदय का परिवर्तन हो चुका है। वह अब मानती है कि भलाई का नतीजा भलाई में ही मिलता है। सोनू स्वस्थ हो जाता है। उस दिन से लेखक की पत्नी भी शहर के प्रत्येक मुहल्ले में समाज सेवा और सहायता केन्द्र चलाना प्रारम्भ कर देती है।

श्रम की महिमा

संसार में वे ही व्यक्ति असफलताओं से घिरे हुए रहते हैं जो कार्य को प्रारम्भ करने से पहले उसके विषय में अच्छी तरह सोच-विचार नहीं करते और कार्य को बिना विचारे कर डालते हैं। दूसरे वे व्यक्ति जो कार्य के विषय में सिर्फ सोचते रहते हैं। उसे क्रिया रूप में परिणत नहीं करते। सोचकर न करना और बिना विचार और सोच के कार्य कर बैठना हमारी असफलता का मुख्य कारण है। जीवन में सफलता उन्हें ही मिलती है जो सदैव सोच-विचार कर उसके करने का प्रतिफल क्या होगा, इसे भी विचार करके जो कार्य करते हैं, वे सफल होते हैं।

गाँधीजी ने सफलता का मंत्र यही बताया कि सोच-विचार कर किया गया कार्य सफलता दिलाता है। खुशी मिलती है। गाँधीजी आत्मनिर्भर थे। वे सेवा करने को कोई ईश्वर मानते थे। इसका कारण भी गाँधीजी ने बताया कि सेवाधारी का मन निर्मल होता है। स्वभाव में मिठास और अपनापन होता है। गाँधीजी अपने आश्रम के प्रत्येक कार्य को स्वंय करते थे। चक्की घिसते थे, अनाज में से कंकड़ चुनते थे। वे रुई धुनते थे, सूत कातते थे, वस्त्र बुनते थे। आश्रम के प्रत्येक कार्य को करने के लिए सदैव तत्पर रहते थे। सेवा करने से ही मेवा मिलती है। यह श्रम ही ईश्वर है। दीन हीन की सेवा करने से ईश्वर प्रसन्न होता है। सेवा धर्म कठिन अवश्य है, परन्तु शुभ फलदायक और कल्याणकारी होता है।

गाँधीजी के अनुसार कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। सभी कामों के करने में, दूसरों को अपनी सेवा अर्पित करने में कोई झिझक नहीं होना चाहिए।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 3

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 3

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) केरल को नारियल का कहते हैं
(i) बगीचा,
(ii) जंगल,
(iii) सागर,
(iv) खेत।
उत्तर-
(i) बगीचा,

(ख) सेवा के कार्य को ईश्वर मानते थे.
(i) ईश्वरचन्द्र,
(ii) भवानी प्रसाद,
(iii) महात्मा गाँधी,
(iv) बाबा भारती।
उत्तर-
(iii) महात्मा गाँधी,

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(ग) आरुणि के गुरु का नाम था
(i) धौम्य,
(ii) द्रोणाचार्य,
(iii) उपमन्यु,
(iv) वशिष्ठ।
उत्तर-
(i) धौम्य,

(घ) सदाशिव गोविन्द कात्रे को कहा गया
(i) नेताजी,
(ii) महात्मा,
(iii) परमानन्द माधवम्,
(iv) गुरुजी।
उत्तर-
(iii) परमानन्द माधवम्,

(ङ) समाज शब्द में ‘इक’ प्रत्यय लगाने पर बनने वाला शब्द है
(i) सामाजीक,
(ii) सामाजिक,
(iii) सामासिक,
(iv) सामाजिकी।
उत्तर-
(ii) सामाजिक।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) अपना काम सफाई से करना ………………………………. को भाता था।
(ख) बसंत के स्वागत में ………………………………. गीत गाती है।
(ग) परमानन्द माधवम् की मृत्यु सन् ……………………………….’ में हुई।
(घ) र रुपये की ………………………………. पहचान है।
(ङ) ‘सहज’ शब्द में ‘ता’ प्रत्यय लगने पर ……………………………….” शब्द बनता है।
उत्तर-
(क) महात्मा गाँधी,
(ख) प्रकृति भी,
(ग) 1977 ई.,
(घ) अन्तर्राष्ट्रीय,
(ङ) सहजता।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में लिखिए
(क) केरलवासी किस चीज के शौकीन हैं?
उत्तर-
केरलवासी (केरल के लोग) नृत्य और संगीत के बड़े शौकीन होते हैं।

(ख) शीला की रुचि समाज-सेवा में कैसे उत्पन्न हुई?
उत्तर-
लेखक के घर पर न होने पर एक दिन उनका पुत्र सोनू छत से गिरकर बेहोश हो गया। मुहल्ले और आस-पास के जिस किसी ने भी सुना, वह सहायता के लिए दौड़ पड़ा। गरीब-अमीर सभी अस्पताल में सोनू की देख-रेख के लिए धन और बल से तैयार थे। इस सब को देखकर बेहोश हुई लेखक की पत्नी को ज्ञात न हो सका कि यह सब क्या है? उसने होश आने पर असंख्य लोगों को सोनू की सहायता के लिए देखा वह दंग रह गई। साथ ही शीला के अन्दर लेखक के सिद्धान्तों के प्रति आस्था और विश्वास पक्का होता चला गया कि जो समाज की सेवा में तत्पर रहते हैं, समाज उनकी सेवा में तन, मन, धन देकर सेवा करता है। उस दिन से शीला की रुचि समाज सेवा में उत्पन्न हो गई।

(ग) आरुणि ने शिष्य का परमधर्म किसे कहा है?
उत्तर-
आरुणि ने गुरु सेवा को ही शिष्य का परमधर्म कहा है।

(घ) वर्तमान में बसन्त का स्वरूप क्यों बदल गया है?
उत्तर-
लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़-पौधों को काटकर हरियाली को समाप्त कर दिया है। इसलिए बसन्त का स्वरूप ही बदल गया है।

(ङ) बिस्मिल की माताजी ने गृहकार्य की शिक्षा किससे प्राप्त की?
उत्तर-
मात्र ग्यारह वर्ष की अल्पायु में बिस्मिल की माताजी का विवाह हो गया था। तब वह नितान्त अशिक्षित एवं ग्रामीण कन्या थीं। ऐसे में दादीजी ने अपनी छोटी बहन को शाहजहाँपुर बुला लिया था। उन्हीं ने माताजी को गृहकार्य आदि की शिक्षा प्रदान की थी।

(च) अकर्मक और सकर्मक क्रिया का एक-एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर-

  1. अकर्मक क्रिया-वह हँसता है। ‘हँसना’ अकर्मक क्रिया है।
  2. सकर्मक क्रिया-सीता पत्र लिखती है। ‘लिखना’ सकर्मक क्रिया है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में लिखिए

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(क) गाँधीजी आश्रम में कौन-कौन से काम स्वयं करतेथे?
उत्तर-
गाँधीजी अपने आश्रम में सूत कातते थे, वे कपड़ा बुनते थे, कपास धुनते थे। आश्रम के लोगों के भोजन के लिए अनाज में से कंकड़ चुनकर उसे साफ करते थे। अनाज से आटा बनाने के लिए चक्की भी घिसते थे। अनाज पीसते और पुस्तकों की जिल्द भी बहुत अच्छी तरह बनाते थे।

(ख) ‘आत्म-बलिदान’ एकांकी का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘आत्म-बलिदान’ एकांकी का मूल भाव यह है कि गुरु और शिष्य दोनों ही एक-दूसरे के लिए समर्पित रहते हैं। गुरु को अपने शिष्यों के शारीरिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास के लिए हर समय चिन्ता रहती थी। शिष्य भी आश्रम के सारे कार्यों की पूर्ति तन, मन तथा श्रद्धा से करते हैं। धौम्य ऋषि को अतिवृष्टि से खेत की मिट्टी बह जाने की चिन्ता है। परन्तु आरुणि भी उन्हें चिन्ता मुक्त करने का प्रयास करता है। मेड़ के कटाव में स्वयं लेट जाता है और मिट्टी के कटाव को रोक देता है। गुरु भी उसे तलाशते हुए विपरीत मौसम में जाते हैं। उन्हें उसके स्वास्थ्य की चिन्ता है। इस तरह गुरु और शिष्य दोनों परस्पर सेवा में समर्पित हैं।

(ग) हमीर ने कर्तव्य का महत्व किस प्रकार बताया है?
उत्तर-
हमीर रणथम्भौर के राणा हैं। वे माहमशाह को अपने यहाँ शरण देने का वचन देते हैं। दिल्ली के बादशाह खिलजी ने उसे मामूली गलती के लिए फाँसी की सजा देने का आदेश करके उसे जेल में बन्द कर दिया। वह जेल से फरार होकर रणथम्भौर पहुँचकर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाता है जिसे राणा अभयदान देते हैं। राणा हमीर के सामंत और सरदार सभी इसके विरुद्ध हैं लेकिन राणा ने अपने क्षत्रियत्व और राजपूत होने की श्रेष्ठता। बताते हुए उनकी सलाह नहीं मानी। उन्होंने शरणागत को सुरक्षा देना राजपूत का कर्तव्य बताया। उसकी पूर्ति के लिए अपनी आन, बान, शान की परवाह नहीं करते। यहाँ तक है कि अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटते। राजपूत धर्म की शरणागत वत्सलता एवं सर्वस्व समर्पण ही उनके लिए कर्त्तव्य पालन की बलिवेदी है।

(घ) दशमलव प्रणाली में रुपये को किस प्रकार विभाजित किया गया है?
उत्तर-
दशमलव प्रणाली में रुपये को 100 पैसों में बाँटा गया है। इस तरह छोटे सिक्कों के रूप में 50 पैसे, 25 पैसे, 10 पैसे, 5 पैसे, 3 पैसे, 2 पैसे तथा 1 पैसे के सिक्के भी प्रचलन में आए। उन्हें नए पैसे कहा गया।

(ङ) सुभाषचन्द्र बोस ने युवकों को किस प्रकार प्रेरित किया?
उत्तर-
सुभाषचन्द्र बोस ने युवकों को आजादी प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आजादी के लिए बलिदान देने होंगे। जिन युवकों के खून में आजादी प्राप्त करने के लिए उबाल नहीं, गतिशीलता नहीं, उनका खून खून नहीं वह तो पानी जैसा है। आजादी की लड़ाई शीश कटाने का सौदा है। आजादी का इतिहास खून की लाल स्याही से लिखा जाता है। इतना सुनते ही युवकों के चेहरे लाल पड़ गए। उन्होंने आजादी की लड़ाई करने के लिए कागज पर अपने खून से हस्ताक्षर कर दिए। युवकों में बढ़ते साहस को देख सभी दंग रह गये।

(च) बिस्मिल ने वकालतनामे पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किये?
उत्तर-
एक बार बिस्मिल के पिताजी दीवानी मुकदमे में वकील से कह गए कि जो काम हो वह उनकी अनुपस्थिति में बिस्मिल से करा लें। कुछ आवश्यकता पड़ने पर वकील साहब ने बिस्मिल को बुलवाकर उनसे वकालतनामे पर अपने पिताजी के हस्ताक्षर करने को कहा। बिस्मिल ने यह कहते हुए कि वकालतनामे पर पिताजी के हस्ताक्षर करने से मना कर दिया कि यह तो धर्म के विरुद्ध होगा। सदैव सत्य के मार्ग पर चलने वाले बिस्मिल ने वकील साहब के यह समझाने पर भी हस्ताक्षर नहीं किये कि हस्ताक्षर न करने पर मुकदमा खारिज हो जायेगा।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) “कुछ लोग बातों से कमाते हैं। किसी का रुपया कमाई करता है। कुछ लोग दिमाग चलाकर कमाते हैं। दिमाग से कमाने वाले लोग जल्दी बुढ़ापा बुला लेते हैं। रक्त चाप और जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं लेकिन हाथपैर चलाकर दिमाग से काम करने वाले कभी लाचार नहीं होते।”
उत्तर-
आशय-लेखक का तात्पर्य यह है कि धन कमाने के लिए लोग अलग-अलग तरीका अपनाते हैं। कुछ लोग तो केवल अपनी बातों के बल पर धन कमा लेते हैं अर्थात् उनका कार्य केवल दलाली, बट्टे या कानूनी दांव-पेंच लड़ा कर धन इकट्ठा कर लेना है। दूसरी ओर वे लोग हैं जो धनवान हैं और उसके सहारे व्यापार या ब्याज बट्टे के काम से धन कमा लेते हैं। इनके अलावा कुछ लोग अपने दिमाग से ही धन कमा सकते हैं। लेकिन ऐसे लोग जल्दी ही बूढ़े हो जाते हैं, उन्हें रक्तचाप और हाथ-पैर के जोड़ों का दर्द शुरू हो जाता है। लेकिन वे लोग जो अपने हाथ-पैर से, परिश्रम और बुद्धि के बल के योग से भी धन कमाने वाले होते हैं, ऐसे लोग प्रायः किसी के सामने अपनी लाचारी नहीं दिखाते। वे स्वावलम्बी होते हैं।

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(ख) अभी तुम अधखिले पुष्प के समान हो। अगर तुमको इसी पुष्य की भाँति अविकसित अवस्था में मुझ जैसे पौधे से अलग कर दिया जाए, तो मुझे भी दुःख होगा।
उत्तर-
धौम्य अपने शिष्य उपमन्यु को बताते हैं कि वह (उपमन्यु) अभी आधे खिले फूल के समान है। वह अभी पूर्ण फूल नहीं बन सका। एक अधखिला फूल अपने पौधे से अलग कर दिया जाए, तो वह अधखिला ही मुरझा जाएगा। उसका विकास तो हो सकेगा, पर उसका जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा। इसी तरह उपमन्यु अभी तक अविकसित फूल के समान है। उसे विकास के लिए अभी अपनी गुरु रूपी पौधे के आश्रय की जरूरत है। यदि उसे गुरु रूपी पौधे से अलग कर दिया गया तो पुष्परूपी शिष्य-उपमन्यु अपनी अविकसित अवस्था में ही अपने अस्तित्व के लिए अनिश्चय की स्थिति में आ जाएगा। इसका गुरु रूपी पौधे को अपार कष्ट होगा।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) दुखी है मेरा मन, कुछ तो अब दुख बाँटो।
जंगल ही जीवन है जंगल को मत काटो।
(ख) आजादी का संग्राम कहीं, पैसे पर खेला जाता है?
यह शीश कटाने का सौदा, नंगे सर झेला जाता है।
उत्तर-
(क) बसन्त के बदलते स्वरूप के प्रति चिन्ता व्यक्त करते हुए कवि कहता है कि बसन्त के मन में व्याप्त कष्ट को ‘थोड़ा-बहुत आप (संसार के लोग) बाँट लीजिए। जंगल से जीवन सम्भव है, इसलिए इन जंगलों को मत काटिए। वन लगाइए, जीवन बचाइए।

(ख) शब्दार्थ-सौदा = सामान, व्यापार। सन्दर्भ-पूर्व की तरह। प्रसंग-आजादी प्राप्त करने के लिए शीश कटाना होता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि स्वतन्त्रता देवी के चरणों में वह जयमाला अर्पित की जाएगी, जिसे तुम्हारे (देशवासियों के) शीशों रूपी फूलों से गूंथा जाएगा।

तुम्हें ध्यान रखना चाहिए कि यह आजादी की लड़ाई कभी भी पैसों के आधार पर नहीं लड़ी जा सकती। यह तो सिर कटाने का सौदा है (व्यापार है)। इस सिर कटाने के सौदे को नंगे सिर ही झेलना पड़ता है।

प्रश्न 7.
दो देशों की मुद्राओं के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. अमेरिका-डॉलर
  2. जापान-येन।

प्रश्न 8.
वीर रस से ओत-प्रोत किसी कविता की चार पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर-
“सारी जनता हुँकार उठी
हम आते हैं, हम आते हैं।

माता के चरणों में यह लो,
हम अपना रक्त चढ़ाते हैं।”

प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
अपने ही बल पर काम करने को स्वावलम्बन कहते हैं। इस गुण के आ जाने से किसी सहारे की आवश्यकता नहीं होती। स्वावलम्बी मनुष्य के पास आलस्य फटकता भी नहीं। स्वावलम्बन कर्त्तव्यपरायणता भी सिखाता है। स्वावलम्बी के प्रति सभी की सद्भावना रहती है। ऐसे पुरुष का समाज, राष्ट्र और जाति में सम्मान व आदर होता है।

प्रश्न

  1. स्वावलम्बन किसे कहते हैं?
  2. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
    स्वावलम्बन ………………………..” भी सिखाता है।
  3. स्वावलम्बी पुरुष को किस-किस से सम्मान मिलता है?
  4. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।

उत्तर-

  1. अपने ही बल पर काम करने को स्वावलम्बन कहते हैं।
  2. रिक्त स्थान की पूर्ति-“कर्त्तव्य परायणता।”
  3. स्वावलम्बी पुरुष को समाज, राष्ट्र और जाति से सम्मान मिलता है।
  4. उचित शीर्षक-“स्वावलम्बन।”

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प्रश्न 10.
अपने प्रधानाध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए जिसमें अपने भाई के विवाह में जाने हेतु तीन दिवस के अवकाश की माँग की गई हो।
अथवा
अपने मित्र को पत्र लिखकर होली मनाने के अपने अनुभव लिखिए।
उत्तर-
अध्याय-4 पत्र लेखन’ शीर्षक देखिए।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर निबन्ध लिखिए (लगभग 100 शब्दों में)
प्रिय खेल, मेला, महापुरुष।
उत्तर-
अध्याय-5 ‘निबन्ध लेखन’ शीर्षक देखिए।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 2

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 2

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए-

(क) 13 वर्ष की आयु में 1300 (तेरह सौ) पंक्तियों की मर्मस्पर्शी कविता लिखी थी
(i) अहिल्याबाई ने,
(ii) सरोजनी नायडू ने,
(iii) तारा दत्त ने,
(iv) लक्ष्मीबाई ने।।
उत्तर-
(ii) सरोजनी नायडू ने,

(ख) भाभा अणु-शक्ति अनुसन्धान केन्द्र स्थित है
(i) भोपाल में,
(ii) हैदराबाद में
(iii) जिनेवा में,
(iv) ट्रॉम्बे में।
उत्तर-
(iv) ट्रॉम्बे में,

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(ग) पृथ्वी पर रहने वाले जीव कहलाते हैं
(i) नभचर,
(ii) जलचर,
(iii) थलचर,
(iv) उभयचर।
उत्तर-
(iii) थलचर,

(घ) महात्मा गाँधी ने आकाश तत्व को संज्ञा दी है
(i) निर्मल आकाश,
(ii) आरोग्य सम्राट,
(iii) प्रसिद्ध विचारक,
(iv) स्वास्थ्य विशेषज्ञ।
उत्तर-
(ii) आरोग्य सम्राट।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) बीमारी का निदान कराने के बजाय बीमार न पड़ना ही ………………………………. है।
(ख) अकबर ने तानसेन को ………………………………. राग सुनाने का आदेश दिया।
(ग) डॉ. भाभा को भारत सरकार ………………………………. द्वारा पद्वी से अलंकृत किया।
(घ) बूढ़े ……………………………….” में भी आई फिर से नई जवानी थी।
(ङ) जो दिल खोजा आपना ……………………………….” बुरा न कोय।
उत्तर-
(क) बुद्धिमता,
(ख) दीपक,
(ग) पद्म भूषण,
(घ) भारत,
(ङ) मुझसे।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए

(क) सूर्य की किरणें हमारे शरीर में किस विटामिन की वृद्धि करती हैं?
उत्तर-
सूर्य की किरणें हमारे शरीर में विटामिन-डी की वृद्धि करती हैं।

(ख) मीराबाई ने अपने पति की क्या निशानी बताई है?
उत्तर-
मीराबाई ने अपने पति की निशानी बताई है कि वह अपने सिर पर मोर-मुकुट धारण करता है।

(ग) बसन्त के स्वागत में कौन गाती थी?
उत्तर-
बसन्त के स्वागत में कोयल गाती थी।

(घ) राग मेघ मल्हार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
वर्षा ऋतु में गाया जाने वाला राग जो बादलों को आमन्त्रित करता है।

(ङ) झाँसी की रानी की कहानी हमने किसके मुँह से सुनी है?
उत्तर-
झाँसी की रानी की कहानी हमने बुन्देलखण्ड के हरबोलों के मुख से सुनी है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में लिखिए

(क) अकबर ने स्वामी हरिदास के गायन की प्रशंसा में क्या कहा?
उत्तर-
अकबर ने स्वामी हरिदास के गायन को सुनने के लिए सेवक का वेष धारण किया। सम्राट् उनके आश्रम में पहुंचा। संगीत से भाव-विभोर हुआ तथा इस तरह उनका संगीत सुनकर मुक्त कण्ठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि स्वामी जी आपका संगीत सचमुच ही जन्नत का संगीत है।

(ख) रानी लक्ष्मीबाई का बचपन कैसा बीता?
उत्तर-
रानी लक्ष्मीबाई का बचपन बहुत अच्छे वातावरण में बीता। उनका बचपन का नाम छबीली था। वे अपने पिता की इकलौती सन्तान थीं। वह नाना साहब के साथ ही पढ़ती थीं और खेल भी उनके साथ खेलती थीं। बरछी, ढाल, तलवार और कटारों से खेलना उनका प्रिय खेल था। वे बड़ी साहसी थीं। उन्होंने अपने बचपन में ही वीर शिवाजी की वीरता से भरी कहानियाँ याद की हुई थीं।

(ग) कबीर ने कमाल को क्या सीख दी है?
उत्तर-
कबीर ने अपने पुत्र कमाल को यह शिक्षा (सीख) दी है कि उसे ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। साथ ही, जो व्यक्ति दीन और भूखा हो, उसे भिक्षा देनी चाहिए (उसे भोजन आदि करा देना चाहिए)। भूख से पीड़ित व्यक्ति को भोजन देने से बढ़ कर कोई पुण्य नहीं होता है।

(घ) रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की क्या पहचान है?
उत्तर-
रहीम के अनुसार सुख-सम्पत्ति के समय में बहुत से लोग अनेक प्रकार से सगे-सम्बन्धी बन जाते हैं। लेकिन विपत्ति रूपी कसौटी पर कसे जाने पर ही सच्चे मित्र की पहचान होती है। शुद्ध सोने की परख कसौटी पर घिसकर की जाती है। उसी तरह सच्चे मित्र की पहचान भी उस समय होती है जब वह किसी की सहायता विपत्ति काल में करने को तत्पर रहता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) अँसुअन जल सींच-सींच, प्रेम-बेलि बोई।
अब तो बेलि फैल गई आनन्द फल होई।।
(ख) अभी उम्र कुल तेईस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी।
(ग) हरे भरे जंगल सब तुमने तो काट दिए,
घर मेरा उजाड़कर अपनों में बाँट दिए।
(घ) रहिमन चुप द्वै बैठिए, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आई हैं, बनत न लगिहैं बेर॥
उत्तर-
(क) शब्दार्थ-आपनों = अपना। छाँड़ि दई = छोड़ दी। कुल = परिवार। कानि = इज्जत, कुल मर्यादा। ढिंग = पास। खोई – मिटा दी। लाज = शर्म, लज्जा। चूनरी = चूंदरी, चादर। लोई = लोई नामक वस्त्र जिसे प्रायः त्यागी, साधु-सन्त ओढ़ते हैं। वन-माला = वन के फूल और पत्तियों की माला। पोई = पिरो कर। प्रेम बेलि = प्रेम की लता। होई = लग रहे हैं। मथनियाँ = मथानी, रई। बिलोई = दही मथने का काम किया। जतन से = प्रयत्न से। काढ़ि लियो = निकाल लिया। छाछ = मट्ठा। पियो कोई = कोई भी पीता रहे। राजी भई = प्रसन्न हुई। जगत देखि रोई = संसार के बन्धनों को देखकर दुःखी होने लगी। तारो = उद्धार करो। मोही = मेरा, या मुझे।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद ‘पद और दोहे’ नामक पाठ से लिया गया है। यह पद मीराबाई की रचना है।

प्रसंग-मीरा ने स्वयं को श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन कर दिया है। वह चाहती है कि उसके इष्ट भगवान कृष्ण उसका भवसागर से उद्धार कर दें।

व्याख्या-मीराबाई कहती है कि मेरे प्रभु, तो गोवर्धन पर्वत को धारण करने वाले, गौ का पालन करने वाले श्रीकृष्ण हैं। उनके अतिरिक्त मेरा कोई अन्य प्रभु नहीं है। अपने सिर पर जो मोर-मुकुट धारण करते हैं, वही मेरे पति हैं। माता-पिता, भाई-बन्धु (सरो सम्बन्धी) अपने तो कोई भी नहीं हैं। मैंने कुल मर्यादा छोड़ दी है, मेरा कोई क्या कर सकेगा। साधु-सन्तों की संगति में बैठना शुरू कर दिया है, मैंने लोक-लाज भी खो दी है। प्रतिष्ठित घर की बहू जिस चादर को ओढ़ कर चलती है, उस चादर के मैंने दो टुकड़े कर दिए हैं, (फाड़ दी है)। लोई पहन ली है। मोती-मूंगे धारण करना छोड़ दिया है। वन के फूलों की माला (सहज में प्राप्त फूलों की माला) पिरों कर पहनने लगी हूँ। भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में आँसू बहाते हुए, उनके प्रति प्रेम की बेलि को बोया है और लगातार सींचा है। वह बेलि अब फूलकर फैल चुकी है। उस पर अब तो आनन्द के फल लगने शुरू हो गए हैं। प्रेम की मथानी से प्रयत्नपूर्वक बिलोने पर (अमृत रूपी) सम्पूर्ण घी निकाल लिया है। शेष छाछ (मट्ठा) रह गया है, उसे कोई भी पीता रहे (संसार छोड़ा हुआ मट्ठा है-तत्वहीन पदार्थ है। जो उसे पीना चाहे वह पीता रहे।) मैं प्रभु भक्तों की संगति में आनन्दित हो रही हूँ। संसार को देखकर अत्यधिक दुःखी होती हूँ। मीराबाई वर्णन करती हैं कि मैं तो गिरधर लाल श्रीकृष्ण की दासी हूँ। हे प्रभो ! आप मेरा उद्धार कीजिए।

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(ख) शब्दार्थ-सैन्य = सेना। विषम = भयानक। सवार = घुड़सवार सैनिक। वीरगति = युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाना।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-झाँसी पर जब अंग्रेजों ने आक्रमण किया तो रानी लक्ष्मीबाई ने उनका बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया। रानी का घोड़ा कालपी में आकर मर गया तब उन्होंने नया घोड़ा लिया और अंग्रेजों की सेना में मार-काट मचा दी।

व्याख्या-रानी शत्रुओं से घिरी हुई थी किन्तु वह बड़ी वीरता से उन्हें मारकर अपने लिये रास्ता निकाल लेती थी किन्तु, एक नाले के पास घोड़े के अड़ जाने से शत्रुओं ने उसे फिर से घेरने का मौका पा लिया। युद्ध में रानी बुरी तरह घायल हो गई। इस प्रकार वह बहादुर सिंहनी लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गई। बुन्देले हरबोले आज भी उसकी गौरव गाथा गाकर बताते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई ने बड़ी बहादुरी से युद्ध किया था।

(ग) शब्दार्थ-उजाड़कर = बरबाद करके।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-‘बसन्त’ आ गया है, ऐसा क्यों नहीं लगता ? इस प्रश्न का उत्तर बसन्त देता है।

व्याख्या-बसन्त ने उत्तर देते हुए कहा कि मैं कहाँ पर आऊँ, क्योंकि मेरे ठहरने के स्थान हरे-भरे पेड़-पौधे थे, उन सबको तुमने काट दिया है। बताओ तो मैं अब कहाँ ठहरूँ ? हरियाली से परिपूर्ण जंगलों को तुमने काट दिया है। हरे-भरे वन ही मेरे निवास स्थान थे, उन्हें ही काटकर मेरा घर बरबाद कर दिया है। हे मनुष्यो! तुमने ही हरे-भरे वनों को काट कर अपनों में आपस में बाँट लिया है। मेरे लिए तो रहने का स्थान छोड़ा ही नहीं है।

(घ)
(1) रहीम जी कहते हैं कि एक ईश्वर की साधना करने से सब कुछ प्राप्त करने में सफलता मिल जाती है। सब (ईश्वर और संसार) की साधना करने से सब कुछ मिट जाता है। इसलिए मूल (जड़) की सिंचाई करने से वृक्ष पर फूल-फल पूर्ण सन्तुष्ट करने के लिए लगना प्रारम्भ हो जाता है।

(2) रहीम जी सलाह देते हैं कि बड़े लोगों की संगति पाकर छोटे आदमियों का अपमान कभी भी नहीं करना चाहिए। उदाहरण देते हुए कि जो काम (सिलाई आदि) छोटी सी सुई से किया जा सकता है, वही काम तलवार (बड़ी वस्तु) से नहीं किया जा सकता अर्थात् छोटे आदमी ही कभी-कभी महत्वपूर्ण होते हैं।

(3) रहीम जी कहते हैं कि दिनों के परिवर्तन से (समय के बदल जाने पर-विपरीत समय पर) किसी भी कार्य की सिद्धि न हो सकने की दशा में शान्तिपूर्वक बैठ जाना चाहिए। (खराब समय में शान्ति से विचार करने लग जाना चाहिए, अधीर नहीं होना चाहिए) क्योंकि जब अच्छा समय आएगा, तो बात बनते (काम होने में) देर नहीं लगती।

(4) रहीम जी कहते हैं कि जो व्यक्ति अच्छे स्वभाव का होता है, उसके ऊपर बुरी संगति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। देखिए चन्दन के वृक्ष पर अनेक सर्प लिपटे रहते हैं, लेकिन उस वृक्ष पर उन सॉं के जहर का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता। चन्दन वृक्ष शीतलता और शीलवानपन का प्रतीक है।

(5) रहीम जी कहते हैं कि सम्पत्ति काल में बहुत से लोग अनेक तरह से सगे-सम्बन्धी बनने लगते हैं। (परन्तु सच्चे मित्र सिद्ध नहीं होते)। सच्चे मित्र तो वही होते हैं जो विपत्ति रूपी कसौटी पर कसे जाने पर साथ रहते हैं। अर्थात् विपत्ति में जो साथ देते हैं, वे ही सच्चे मित्र होते हैं।

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प्रश्न 6.
निम्नांकित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

(क) यह वह मिट्टी है, जहाँ के लोगों ने मानवता की रक्षा के लिए खुशी-खुशी अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
उत्तर-
प्रेरक प्रसंगों से अवतरित इस पंक्ति का आशय यह है कि पुड़िया में दूत द्वारा लाई गई मिट्टी उस स्थान की है, जहाँ के लोगों ने सदैव से मानवता की रक्षा की। साथ ही आवश्यकता पड़ी तो अपनी इच्छा से , प्रसन्नतापूर्वक अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। अतः वह मिट्टी बहुत ही महत्वपूर्ण और सम्माननीय है।

(ख) “हम सबके चेहरे पर अभावों की धुन्ध छाई है।”
उत्तर-
‘क्या ऐसा हो सकता है? ‘ से अवतरित इस पंक्ति का आशय यह है कि इस दुनिया में अधिकतर मनुष्यों के चेहरों से यह प्रतीत हो जाता है कि उसके पास किसी न किसी वस्तु की कमी है। हम लोग उस कमी को छिपाने का ढोंग करते हैं, परन्तु उस अभाव की अभिव्यक्ति मनुष्य के चेहरे पर हो ही जाती है। यह अभाव एक धुंधलापन है जो मनुष्य की वास्तविकता को छिपा लेता है।

(ग) “पंचभौतिक शरीर को पंचभौतिक तत्वों से ही स्वस्थ रखा जा सकता है।”
उत्तर-
‘हम बीमार ही क्यों हों? पाठ से ली गई इस पंक्ति का आशय यह है कि हमारे शरीर की रचना पंच भूतों से हुई है।
ये पंचभूत-पाँच तत्व कहे जाते हैं, वे हैं-

  1. पृथ्वी,
  2. जल,
  3. अग्नि,
  4. आकाश,
  5. समीर (वायु)।

इन पाँच भौतिक तत्वों के सम पर रहने से ही इस पंचभूत शरीर को पूर्ण स्वस्थ रखा जा सकता है। किसी भी तत्व के भाग में विषमता आ जाती है, तो हम रोगी हो जाते हैं।

(घ) “राजमहल का सम्मान और नवरत्नों में स्थान मिल जाना सदा सुखकारी नहीं होता।”
उत्तर-
संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास’ पाठ से अवतरित इस पंक्ति का आशय यह है कि किसी भी राजा या शासन द्वारा राज भवन में प्राप्त सम्मान अथवा राज दरबार के प्रमुख ‘नवरत्नों’ में स्थान किसी कारण मिल भी जाता है, परन्तु यह ध्यान रखना होगा कि यह सम्मान सदैव सुख देने वाला नहीं होता है। कभी-कभी इस प्राप्त किए गए सम्मान की परीक्षा देनी होती है। उस परीक्षा में प्राण भी जा सकते हैं, अत: यह उक्ति अक्षरशः सत्य है जिसे स्वामी हरिदास ने अपने शिष्य तानसेन के प्रति कहा है।

प्रश्न 7.
बसन्त में कौन-कौन से फूल खिलते हैं? सूची बनाइए।
उत्तर-
बसन्त ऋतु में अन्य कई प्रकार के फूलों के साथ-साथ मुख्य रूप से चम्पा, चमेली और गेंदे के फूल खिलते हैं।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
नरेन्द्रनाथ की मुलाकात स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुई। स्वामी जी उच्चकोटि के विचारक व सुधारक थे। उन्होंने बालक की अलौकिक शक्तियों को परखा। नरेन्द्रनाथ ने उनके सामने प्रश्न रखा क्या आपने ईश्वर को देखा है?
उत्तर-
मिला-हाँ, जैसे मैं तुम्हें देख रहा हूँ। स्वामी जी ने अपना हाथ उनके मस्तक पर रखा। स्वामी के वरदहस्त का स्पर्श होते ही नरेन्द्र को एक अलौकिक चेतना की अनुभूति हुई। गुरु ने शिष्य को, शिष्य ने गुरु को पहचाना। यह सत्संग बढ़ता ही गया, परिणाम यह हुआ कि पिता की मृत्यु के बाद नरेन्द्रनाथ ने संन्यास ले लिया। सारा विश्व ही उनके लिए उनका परिवार बन गया। अब वे स्वामी विवेकानन्द बन गए। स्वामी विवेकानन्द को गुरु का आदेश मिला-‘जनसेवा ही प्रभु सेवा है।

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उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- .

(i) नरेन्द्रनाथ के गुरु का नाम बताइए।
उत्तर-
नरेन्द्रनाथ के गुरु का नाम ‘स्वामी रामकृष्ण परमहंस’ था।

(ii) स्वामी जी ने गुरु से कौन-सा प्रश्न किया?
उत्तर-
स्वामीजी (विवेकानन्द) ने अपने गुरु के सामने प्रश्न रखा कि क्या उन्होंने ईश्वर को देखा है?’

(iii) विवेकानन्द को गुरु ने क्या आदेश दिया?
उत्तर-
विवेकानन्द को गुरु ने आदेश दिया कि उन्हें जन सेवा करनी चाहिए, क्योंकि जन सेवा ही प्रभु सेवा है। .

(iv) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक ‘स्वामी विवेकानन्द और उनके गुरु’ ही है।

प्रश्न 9.
अपने ग्राम की सफाई के लिए ग्राम पंचायत को एक पत्र लिखिए।
अथवा
अपने मित्र को स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर-
खण्ड-4 ‘पत्र लेखन’ में देखिए।

प्रश्न 10.
किसी विषय पर 100 शब्दों में निबन्ध लिखिए
(1) गणतन्त्र दिवस,
(2) होली,
(3) पुस्तकालय,
(4) बसन्त ऋतु।
उत्तर-
खण्ड-5 ‘निबन्ध लेखन’ में देखिए।

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MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 2 The Primitive Man

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 2 The Primitive Man

MP Board Class 6th Social Science Chapter 2 Text Book Exercise

MP Board Class 6th Social Science Short Answer Type Questions

Question 1.
Question (a)
How did the primitive man made their tools?
Answer:
1. In the Paleolithic Age tools were made by simply breaking the stones. In the Mesolithic Age, the tools became lighter and sharper. Hard and strong stones were used in making these tools. The speciality of these stones were that they could be easily chipped and given desired shape.

2. In the beginning tools were made of such stones which were easy to hold in hands. Gradually man learnt the art of making handles of the tools. The power of the tools were increased by fixing wooden butts as handles.

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Question (b)
What different uses of stone tools were made by primitive man?
Answer:
Primitive man used stone tools to hunt animals, to chop meat, to cut wood and to dig up tubers and roots.

Question (c)
Where are rock – paintings found in Madhya Pradesh?
Answer:
In Madhya Pradesh rock-paintings are found in the districts of Raisen, Hoshangabad and Mandsaur.

Question (d)
How did the primitive man protect themselves from animals?
Answer:
The primitive man protected themselves from animals by burning the fire at the entrance of the caves.

Question (e)
How was fire discovered? How did the primitive man benefit from it?
Answer:
It is assumed that the discovery of fire was by accident. When two flint stones were struck against each other, it created sparks which caused leaves to burn. In this way man learnt to light a fire. Fire was very useful to them for light, roasting meat and protection from wild animals.

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Question 2.
Give detailed answer to the following:

Question (a)
Explain the evolution of the primitive man?
Answer:
1. The early human beings could not talk clearly, so they might have used different sounds to convey information. When they saw fruits high up on the trees, they balanced their bodies and stretched their front limbs to pluck the fruits.

2. This way their front limbs became independent which they started using for digging, holding and picking. They started using the back limbs to walk. In this manner they had hands and legs.

3. In this way, changes gradually occurred in the body of human beings. For example, when they stood on their feet, they were able to see far, and to see nearby they turned their neck instead of the whole body.

4. They used their hands to pluck fruits, collect food and eat it. At this time they started sleeping on their back. The ability of thinking was also rapidly developed with the changes in the body. Also, at this time the sounds of laughter and cry became clear.

5. With the continuous changes occurring in human beings, he started thinking about the basic needs like food, protection and shelter.

Evolution of man:

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 2 The Primitive Man img 1

Question (b)
How did primitive man learn agriculture and animal husbandary? Elaborate.
Answer:
1. In India cultivation started 5,000 to 6,000 years ago, growing plants and grain was an important discovery. Now, man had learnt that by putting seeds into the soil and watering the soil, plants would grow. This was the beginning of agriculture. He could grow his own food. So, he started living at one place and settled him as an agriculturist.

2. Along with cultivation man also learnt animal husbandary. He began rearing a number of useful animals. He used them for different tasks:

  1. Use of dogs in hunting.
  2. Use of bullocks in farming.
  3. Cows, goats and buffaloes for milk.
  4. Sheep, bulls and goats for meat.
  5. Horses for riding.

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Question 3
Write notes:

Question (a)
Discovery of fire?
Answer:
1. In the Paleolithic Age tools were made by simply breaking the stones. In the Mesolithic Age, the tools became lighter and sharper. Hard and strong stones were used in making these tools. The speciality of these stones were that they could be easily chipped and given desired shape.

2. In the beginning tools were made of such stones which were easy to hold in hands. Gradually man learnt the art of making handles of the tools. The power of the tools were increased by fixing wooden butts as handles.

Question (b)
Discovery and uses of wheel?
Answer:
Wheel was a very important discovery of the early man. It led to a big advance in the pattern of man’s living. Its discovery made life very much easy in a number of ways. Man now discovered carts which were drawn by animals. People now could travel easily from one place to other. It also helped in movement of objects. It improved the making of pottery.

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 1 The Sources of Knowing History img 2

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MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 12 जागो उपभोक्ता जागो

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 12 जागो उपभोक्ता जागो

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 12 प्रश्न-अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
1. रेल टिकट – (क) शुद्धता का प्रमाण
2. टेलीफोन – (ख) उपभोक्ता
3. एगमार्क – (ग) बिल
4. क्षति पूर्ति – (घ) रिजर्वेशन (आरक्षण)
उत्तर
1. (घ), 3. (ग), 3. (क), 4. (ख)

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प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनक रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1. वस्तु का उपभोग करने वालों को………कहते हैं (विक्रेता/उपभोक्ता)
2. राज्य उपभोक्ता आयोग में……..के मामले सुन जाएँगे।(बीस लाख रुपये तक/बीस लाख रुपये से अधिक)
3. आई.एस.आई. मार्क लगी वस्तु सरकार द्वार प्रमाणित…… (होती हैं/नहीं होती हैं।)
उत्तर
1. उपभोक्ता
2. बीस लाख रुपये से अधिक
3. होती हैं।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 12 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) उपभोक्ता फोरम में अपनी लिखित शिकायत के साथ क्या संलग्न करना जरूरी है?
उत्तर
उपभोक्ता फोरम में अपनी लिखित शिकायत के साथ जिन चीजों को संलग्न करने की आवश्यकत है, वे हैं-वस्तु का बिल, वस्तु की खराबी आदि के साथ उपभोक्ता के हस्ताक्षर।

(ख) गारंटी किसे कहते हैं?
उत्तर
गारंटी का अर्थ है कि कोई वस्तु एक खासा समय तक खराब नहीं होगा और यदि खराब हो गया तो उसे दुकानदार बदल देगा।

(ग) राष्ट्रीय उपभोक्ता-आयोग में कौन-सी शिकायत सुनी जाती है?
उत्तर
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में एक करोड़ से ऊपर के मामलों की सुनवाई होती है।

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(घ) “एगमार्क’ अंकित वस्तु का अर्थ क्या है?
उत्तर
‘एगमार्कअंकित वस्तु का अर्थ है कि वह वस्तु सरकार द्वारा प्रमाणित है। उसमें धोखे या ठगी की कोई गुंजाइश नहीं है।

(ङ) उपभोक्ता वस्तुओं की संख्या बढ़ रही है, क्यों?
उत्तर
हमारी जनसंख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि उपभोक्ता वस्तुओं की संख्या बढ़ रही

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 12 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दें

(क) ‘जागो, उपभोक्ता जागो’ का आशय समझाइए।
उत्तर
‘जागो, उपभोक्ता जागो’ का अर्थ है कि उपभोक्ता सामान खरीदते समय सचेत रहें। वे समझदारी से काम लें।

(ख) सेवा के अंतर्गत आनेवाले चार क्षेत्रों के नाम बताइए
उत्तर

  • बिजली विभाग से बिजली
  • जल प्रदाय |विभाग से जल
  • दूरसंचार से टेलीफोन
  • मोबाइल की सुविधाएँ।

(ग) जिला उपभोक्ता फोरम के प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर
जिला उपभोक्ता फोरम आपके आवेदन-पत्र के अनुसार दोनों पक्षों की बात सुनेगा। इसमें सामान | को बदला भी जा सकता है। और आपको क्षतिपूर्ति की राशि मय ब्याज के मिल सकती है।

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(घ) तीन स्तरीय उपभोक्ता फोरम के नाम बताइए
उत्तर

  • जिला उपभोक्ता
  • राज्य उपभोक्ता
  • राष्ट्रीय उपभोक्ता

(ङ) आई.एस.आई. अथवा एगमार्क अंकित वस्तुएँ ही क्यों खरीदी जानी चाहिए?
उत्तर
आई.एस.आई. अथवा एगमार्क अंकित वस्तुएँ इसलिए खरीदी जानी चाहिए क्योंकि ये वस्तुएँ सरकार द्वारा प्रमाणित होती है और इनमें धोखे या ठगी की गुंजाइश नहीं रहती है।

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भाषा की बात

प्रश्न 4.
शुद्ध उच्चारण कीजिए
उपभोक्ता, जागरूक, प्रकरण, शिकायत, मान्य
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5.
वर्तनी शुद्ध कीजिए।
क्रमश, पमाणित, सदेश, पर्शासन, प्रसनता।
उत्तर
क्रमशः, प्रमाणित, संदेश, प्रशासन, प्रसन्नता।

प्रश्न 6. निम्नलिखित शब्दों में अंग्रेजी, उर्दू और हिंदी के शब्द छांटकर लिखिए
अवधि, टेलीफोन, पैगाम, मोबाइल, रिजर्वेशन, प्रारूप, पक्ष, शिकायत, खराब, गारंटी, न्यायाधीश, गुंजाइश, एगमार्क, क्षतिपूर्ति, अखबार।
उत्तर
अंग्रेजी शब्द-टेलीफोन, मोबाइल, रिजर्वेशन, एगमार्क
उर्दू शब्द-पैगाम, हिंदी शब्द-अवधि, प्रारूप, पक्ष, न्यायाधीश, क्षतिपूर्ति।

प्रश्न 7.
‘प्र’, ‘उप’ तथा ‘अप’ उपसर्गों से दो-दो नए शब्द बनाइए।
उत्तर
MP Board Class 10th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Additional Questions 39

प्रश्न 8.
निम्नलिखित गयांश को पढ़िए एवं उपयुक्त विराम चिह्नों का यथास्थान प्रयोग कीजिए
समुद्र बाँधा जा रहा था तब गिलहरी भी अपनी पूंछ में थोड़ी रेत भरकर लाती और समुद्र में पटक जाती उसका यह श्रम देखकर किसी बंदर ने पूछा गिलहरी तेरे बालों में रत्ती भर भी रेत नहीं आती फिर परिश्रम से क्या लाभ गिलहरी बोली असुरता को मिटाने में यदि मैं भी थोड़ा सा सहयोग कर सकती हूँ तो उससे पीछे क्यों हटूं समुद्र कुछ तो पुरेगा यह संवाद सुनकर अतिशय प्रसन्न हुए राम ने गिलहरी की पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा नीति के विरुद्ध जहाँ तुम्हारी जैसी निष्ठा होगी वहाँ असुरता कभी ठहर नहीं सकेगी।
उत्तर
समुद्र बाँधा जा रहा था तब गिलहरी भी अपनी पूंछ में थोड़ी रेत भरकर लाती और समुद्र में पटक जाती। उसका यह श्रम देखकर किसी बंदर ने पूछा, ‘गिलहरी! तेरे बालों में रत्ती भर भी रेत नहीं आती फिर परिश्रम से क्या लाभ?’ गिलहरी बोली, ‘असुरता को मिटाने में यदि मैं भी थोड़ा-सा सहयोग कर सकती हूँ तो उससे पीछे क्यों हटूं?’ यह संवाद सुनकर अतिशय प्रसन्न हुए राम ने गिलहरी की पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘अनीति के विरुद्ध जहाँ तुम्हारी जैसी निष्ठा होगी वहाँ असुरता कभी ठहर न सकेगी।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कालों को उनके सम्मुख दिए गए कोष्ठक में लिखिए
(क) उपभोक्ताओं को क्षतिपूर्ति मिल रही है।(…….)
(ख) मैंने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की थी।(…….)
(ग) जिला प्रशासन परचे बांट रहा हैं। (…….)
(घ) जनसंख्या वृद्धि के साथ उपभोक्ता वस्तुओं की संख्या बढ़ेगी(…….)
(ङ) वस्तु खरीदते समय बिल लेना जरूरी था। (…….)
उत्तर
(क) वर्तमान काल
(ख) भूतकाल
(ग) वर्तमान काल
(घ) भविष्यत काल
(ङ) भूतकाल।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 1

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विकल्पों में से सही चुनकर। लिखिए
(क) चीनी दार्शनिक थे
(i) लुकमान,
(ii) कन्फ्यू शस,
(iii) शास्त्री जी,
(iv) न्यूटन।
उत्तर-
(ii) कन्फ्यू शस,

(ख) महानगरों में गगन चूमते खड़े हैं
(i) पहाड़,
(ii) वृक्ष,
(iii) भवन,
(iv) खम्बे।
उत्तर-
(iii) भवन,

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(ग) उज्जयिनी के सम्राट का नाम था
(i) कालिदास,
(ii) विक्रमादित्य,
(iii) शिवाजी,
(iv) राजा भोज।
उत्तर-
(ii) विक्रमादित्य,

(घ) सफलता शब्द में ‘ता’ है
(i) उपसर्ग,
(ii) प्रत्यय,
(iii) क्रिया,
(iv) सर्वनाम।
उत्तर-
(ii) प्रत्यय,

(ङ) ‘सूर्य’ का पर्यायवाची शब्द है
(i) मयंक,
(ii) भास्कर,
(iii) इन्दु,
(iv) रज।
उत्तर-
(ii) भास्कर।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) ………………………” युद्ध वाणी के प्रयोग का ही परिणाम था।
(ख) बाबा भारती अपने घोड़े को ……………………… कहकर पुकारते थे।
(ग) धन के कोष भरने के बाद भी मनुष्य को ……………………… नहीं है।
(घ) ‘विशेष’ शब्द में ……………………… उपसर्ग है।
(ङ) मीठी बोली’ शब्द में ……………………… विशेषण है।
उत्तर-
(क) महाभारत,
(ख) सुलतान,
(ग) सन्तोष,
(घ) ‘वि’,
(ङ) मीठी।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) स्वतन्त्रता संग्राम में शत्रु की दशा कैसी थी?
उत्तर-
स्वतन्त्रता संग्राम में माँ भारती के वीर सपूतों के साहस व पराक्रम को देखकर शत्रु काँपने लगते हैं।

(ख) अपना घोड़ा वापस पाकर बाबा भारती ने क्या कहा?
उत्तर-
अपना घोड़ा वापस पाकर बाबा भारती ने सन्तोष की साँस ली और बोले कि अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।

(ग) जन-सेवा का भाव क्यों समाप्त हो रहा है?
उत्तर-
जन-सेवा का भाव इसलिए समाप्त हो रहा है, क्योंकि जो शिक्षा दी जा रही है वह संस्कारविहीन है जिससे लोगों में चिन्तन की गहराई और विस्तृतता नहीं है।

(घ) संज्ञानन्द की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर-
संज्ञानन्द की पत्नी का नाम क्रियादेवी था।

(ङ) खाई-कुएँ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर-
खाई-कुएँ से आशय है श्रेष्ठ वीरों के मार्ग में सब – ओर कठिनाई और बाधाएँ होती हैं।

(च) पतित-पावनी किसे कहा गया है?
उत्तर-
पतित-पावनी शब्द ‘गंगा माता’ के लिए कहा गया

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) शास्त्रीजी ने अपनी पत्नी को कौन-कौन सी पंक्तियाँ सुनायीं और क्यों?
उत्तर-
शास्त्रीजी ने अपनी पत्नी को निम्नलिखित पंक्तियाँ सुनायीं “कुदरत को नापसन्द है सख्ती जबान में, इसलिए तो दी नहीं हड्डी जबान में, जो बात कहो, साफ हो, सुथरी हो, भली हो। कड़वी न हो, खट्टी न हो, मिश्री की डली हो।”

इन पंक्तियों को सुनकर उनकी पत्नी का क्रोध सदा के लिए समाप्त हो गया। इसी उद्देश्य से शास्त्रीजी ने उपर्युक्त पंक्तियाँ अपनी पत्नी को सुनायीं।।

(ख) खड्गसिंह ने बाबा भारती का घोड़ा वापिस क्यों कर दिया? समझाइए।
उत्तर-
खड्गसिंह के ऊपर बाबा भारती के इस कथन का कि “लोगों के सामने इस घटना को प्रकट न करना क्योंकि उन्हें इस घटना का पता लग गया, तो वे किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे।” बहुत प्रभाव पड़ा। वह सोचने लगा कि बाबा को घोड़े के छीन लेने का कोई कष्ट नहीं है, उन्हें तो केवल यही ख्याल रहा कि कहीं लोग गरीबों पर विश्वास करना न छोड़ दें। यह बात खड्गसिंह के कानों में बराबर गूंजती थी। इस बात से प्रभावित होकर कि बाबा भारती कोई सामान्य आदमी नहीं, यह तो निश्चय ही कोई देवता हैं, बाबा भारती के घोड़े को वापिस कर दिया। खड्गसिंह का हृदय परिवर्तन हो चुका था। उसकी आँखों में नेकी के आँसू भर आए।

(ग) अगस्त्य ऋषि का उल्लेख कवि ने क्यों किया है?
उत्तर-
कवि ने भारतीय वीरों में अपने निश्चय की दृढ़ता को बनाए रखने और अपने उद्देश्य से न डिगने के लिए अगस्त्य ऋषि का उल्लेख किया है। अगस्त्य ऋषि ने अपने हाथों की अंजलि जैसे छोटे साधन से विशाल समुद्र को पीकर उसके घमण्ड को चूर कर दिया था, अत: पक्के इरादों वाले हे वीरवरो ! तुम भी विपत्तियों पर विजय पाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हो।

(घ) ‘अपना हिन्दुस्तान कहाँ है?’ कवि ने यह प्रश्न क्यों किया?
उत्तर-
अपना हिन्दुस्तान कहाँ है? यह प्रश्न कवि ने उचित ही किया है क्योंकि भूमण्डलीकरण के इस युग में हिन्दुस्तानीपन, अपनी जीवन शैली, अपनी सोच, अपनी शैक्षिक-प्रणाली, शिक्षा की विस्तृतता, गम्भीरता इत्यादि सभी समाप्त हो चुकी हैं। पारिवारिकता, संघीय सोच, वैवाहिक संस्थाएँ सब की सब बदल चुकी हैं। धन के लालच में लोगों के पारिवारिक सम्बन्ध टूट चुके हैं। टेलीफोन पर बातचीत करके ही किसी भी तरह की जानकारी ली जाती है। भारत से वैदिककालीन शिक्षा समाप्त है। मन्त्रों की घोष यन्त्रों की आवाज तले लुप्त हो गयी है। हमारी चिन्तन शैली भी सीमित हो चुकी है। शिक्षा संस्कारविहीन हो चुकी है। हनुमान की योगपरक शक्ति, राम की मर्यादा को भुला दिया है। कवियों और साहित्यकारों को समाज और शासन द्वारा सम्मान प्राप्त नहीं है। देश में तुलसी, सूर, निराला, दिनकर, रहीम और रसखान जैसे जनकवियों का अभाव है। गीतों और कविता में मधुमास की सरसता, श्रेष्ठ, काव्य सृजन की शक्ति का ह्रास हो चुका है। इन सभी बातों को सोचकर कवि ने अपना हिन्दुस्तान कहाँ है?’ कहकर उचित समय पर प्रश्न उठाया है। हिन्दुस्तानीयत की रक्षा के सवाल का उत्तर ही भारत राष्ट्र को सुदृढ़ता, सुसम्पन्नता से संयुक्त कर सकता है।

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प्रश्न 5.
निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) हो अगस्त्य, क्या कठिन सुखाना, बाधा का दुर्दम सागर। सम्हल-सम्हल कर चलो वीरवर, तलवारों की धारों पर।
उत्तर-
हे वीरो! तुम्हें किसी भी तरह का मोह भी छू न सके, इसके लिए तुम्हें एक तपस्वी बन जाना चाहिए। तुम्हें लोहे के हृदय वाला हो जाना चाहिए जिससे काल भी भयभीत हो उठे। तुम्हें अत्यन्त पक्के इरादों वाला हो जाना चाहिए। हे वीरवरो! तुम्हें अगस्त्य ऋषि के समान बन जाना चाहिए जिससे बाधाओं के  र्दमनीय (कठिनाई से वश में किए जाने वाला) सागर को भी वश में करना तुम्हारे लिए बिल्कुल भी कठिन नहीं होगा। अतः हे श्रेष्ठ वीरो! तुम्हें सम्हल कर तलवार की धार पर चलना है (चुनौतीपूर्ण कार्य करना है।)

(ख) कविकुल गुरु की सृजन शक्ति का, वह पांवन संस्कार कहाँ है?
फूहड़ गीतों में खोया जो, वह मधुरस शृंगार कहाँ है?
उत्तर-
आज कविकुल गुरु कालिदास की सी काव्य रचना करने की शक्ति पैदा करने के पवित्र संस्कार कहाँ छिप गए हैं। मिठास भरा श्रृंगार रस तो आज के फूहड़ गीतों में खो गया है। मन में उत्साह भर देने वाली कविता की धारा ही कहीं विलुप्त हो गयी है। साथ ही, राजा भोज जैसे साहित्य प्रेमी भी नहीं दीखते जिन्होंने कविता के साहित्यिक विकास को विस्तार दिया था। आज तुलसीदास, सूरदास, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ और रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जैसे महान कवि भी जन्म नहीं ले रहे जिन्होंने जन-जन में परस्पर आदर्श प्रेम, समता, महानता और राष्ट्रीय एकता के भाव लोगों में भरने के लिए काव्य रचना की। रहीम और रसखान जैसे आदर्श एवं जनकवियों का सर्वत्र अभाव . (कमी) दीख रहा है। आज वास्तव में, ऐसे अपने हिन्दुस्तान की विश्वभर में खोज करनी है कि वे अब कहाँ है ?

प्रश्न 6.
निम्नांकित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

(क) वाणी तो सभी को मिली हुई है, परन्तु बोलना किसी-किसी को ही आता है।
उत्तर-
लेखक का कथन है कि वाणी (जीभ) सभी को प्राप्त है परन्तु उससे बोलना तो किसी-किसी को ही आता है। बहुत कम लोग बोलना जानते हैं। वाणी का प्रयोग हर कोई ठीक से नहीं कर पाता। ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोगों की वाणी से प्रेम झलकता है, तो किसी की बात इतनी चुभने वाली होती है कि झगड़ा हो जाता है। कड़वी बात संसार में कितने ही झगड़े पैदा कर देती है और उसका प्रभाव बहुत ही कष्टकारक होता है। बोलने में मात्र तीन इंच की छोटी जीभ का प्रयोग करते हैं परन्तु उसका प्रभाव इतना विनाशकारी होता है कि उससे छः फीट का लम्बा मनुष्य मर जाता है।

(ख) बाबाजी भी मनुष्य ही थे। अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय अधीर हो गया।
उत्तर-
बाबा भारती भले ही संन्यासी थे लेकिन थे तो मनुष्य ही। अपनी चीज की तारीफ सबको अच्छी लगती है। खड्ग सिंह के मुख से अपने घोड़े की तारीफ सुनने की चाह उनके मन में जाग उठी।

(ग) अब संसार की कोई आकांक्षा मुझे इस स्थान से नहीं हटा सकती, क्योंकि यह मेरा प्यारा देश है और यही मेरी मातृभूमि है। बस, मेरी उत्कट इच्छा यही है कि मैं अपनी प्यारी मातृभूमि 1 में ही अपने प्राण विसर्जन करूँ।
उत्तर-
लेखक का मन अपनी मातृभूमि के प्रेम में रंग गया है। उसके अन्दर किसी भी अन्य वस्तु को याद करने की अब कोई | इच्छा नहीं रह गई है, जिसे प्राप्त करने के लिए वह अपनी मातृभूमि का त्याग कर सके। उसे उसकी मातृभूमि मिल गई है। वह उसकी मातृभूमि ही उसका प्यारा मातृदेश है। उसकी यह हार्दिक इच्छा है कि वह अपने जीवन के शेष समय को यहीं रहकर व्यतीत करे तथा जिस मातृभूमि ने उसे जन्म दिया, जिसका अन्न-जल खा-पीकर बड़ा हुआ, उसी मातृभूमि की पवित्र गोद में रहकर अपने जीवन की इह-लीला समाप्त करे। अपनी प्यारी भूमि में जन्म लेकर उसी की गोद में अपने प्राण त्याग करे।

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प्रश्न 7.
‘हार की जीत’ कहानी के अनुरूप हृदय परिवर्तन करने वाली कोई कहानी लिखिए।
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं लिखें।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए “हिन्दू होते हुए भी शिवा के लिए सभी धर्म पूज्य हैं। इस्लाम के पवित्र स्थान, उसके पवित्र ग्रन्थ सम्मान की वस्तुएँ हैं। शिवा, हिन्दू और मुसलमान प्रजा में कोई भेद नहीं समझता। वह देश में हिन्दू राज्य नहीं, सच्चे स्वराज्य की स्थापना चाहता है। आतताइयों से सत्ता का अपहरण कर उदारचेताओं के हाथों में अधिकार देना चाहता है। फिर पर-स्त्री ! अरे ! पर-स्त्री तो हर एक के लिए माता के समान है।”

  1. सभी धर्म किसे पूज्य हैं?
  2. शिवा कैसे राज्य की स्थापना करना चाहता है?
  3. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।

उत्तर-

  1. शिवा हिन्दू है। लेकिन उसके लिए सभी धर्म पूज्य हैं।
  2. शिवा सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहता है।
  3. ‘शिवा की उदारता’।

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MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 19 मीरा पदावली

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 19 मीरा पदावली

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 19 प्रश्न अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए.
1. सांवरी – (क) मूरत
2. कंगना के – (ख) कंवल।
3. मोहनी – (ग) सूरत
4. चरण – (घ) झनकारे
उत्तर-
1. (ग),
2. (घ),
3. (क),
4. (ख)

प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. बसो मोरे नैनन में …………………………..। (गोपाल/नंदलाल)
2. उठो लालजी ………………………….. भयो है। (भोर/शोर)
3. द्रोपदी की लाज रखी तुम ………………………….. चीर। (बढ़ायो/चलायो)
4. छुद्र घंटिका ………………………….. तट शोभित। (कटि/बैनी),
उत्तर-
1. नंदलाल,
2. भोर,
3. बढ़ायो,
4. कटि।

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MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 19 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए

(क) गोपी सुबह-सुबह क्या मथती है?
उत्तर-
गोपी सुबह-सुबह दही मथती है।

(ख) मीरा हरि से क्या कहने के लिए कह रही है?
उत्तर-
मीरा हरि से लोगों के कष्ट हरने के लिए कह रही है।

(ग) भक्त के कारण हरि ने कौन-सा रूप धारण किया था?
उत्तर-
भक्त के कारण हरि ने नरहरि का रूप धारण किया था।

(घ) ग्वाल-बाल किन शब्द का उच्चारण कर रहे हैं?
उत्तर-
ग्वाल-बाल जय-जय शब्द का उच्चारण कर रहे हैं?

(ङ) मीरा नंदलाल को कहाँ बसाना चाहती है?
उत्तर-
मीरा नंदलाल को अपनी आँखों में बसाना चाहती हैं।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 19 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) मीरा ने वंशीवाले को जगाने के लिए भोर के किन-किन क्रियाकलापों का वर्णन किया है?
उत्तर-
मीरा ने वंशी वाले को जगाने के लिए कहा है कि घरों के द्वार खुल गए हैं। गोपियों के दही मथने से उनके कंगन की आवाज आ रही है। द्वार पर देवता और मनुष्य खड़े हैं। ग्वाल-बाल जय-जय शब्द का उच्चारण करते हुए कोलाहल मचा रहे हैं।

(ख) मीरा के पद के आधार पर श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कृष्ण की बड़ी-बड़ी आँखें, सांवरी सूरत और मूरत मन मोहने वाली है। उनके होठों पर सुशोभित मुरली अमृत रस बरसा रही है। उनके हृदय पर वैजयंती माला और कमर में छोटी-सी घंटी सुशोभित है। उनकी पायल मधुर ध्वनि कर रही है।

(ग) मीरा ने प्रभु से ‘संतन सुखदाई’ क्यों कहा है?
उत्तर-
मीरा के प्रभु भक्त वत्सल हैं। वे संतों को सुख देने वाले हैं। इसलिए मीरा ने प्रभु से ‘संतन सुखदाई’ कहा है।

(घ) द्रोपदी की लाज कृष्ण भगवान ने किस तरह बचाई थी?
उत्तर-
कृष्ण भगवान ने द्रोपदी के वस्त्र बढ़ा कर उनकी लाज बचाई थी। दुःशासन उनके वस्त्र खींचते-खींचते थक कर चूर हो गया, परंतु ईश्वर की कृपा से द्रौपदी के वस्त्र कम नहीं हुए, बढ़ते ही गए।

(ङ) कौन-कौन से उदाहरण देकर मीरा मनुष्यों की पीर दूर करने की प्रार्थना कर रही है?
उत्तर-
मीरा उदाहरण देती हैं कि प्रभु ने वस्त्र बढ़ाकर द्रौपदी की लाज रख ली। भक्त के कारण नरहरि का रूप धरा। हिरण्यकशिपु का वध किया। ऐसे ही तुम मनुष्यों की पीर दूर करो।

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भाषा की बात

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
कंगन, मुरली, नूपुर, सुधारस, प्रभु, क्षुद्र, वैजन्तीमाला, हिरण्यकश्यपु।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए-
सूखदाई, कंगना, गिरीधर, मुरत, वीसाल, दोपदी।
उत्तर-
सुखदाई, कंगना, गिरिधर, मूरत, विशाल, द्रौपदी

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिएरजनी, भोर, सुर, नर, नैन, कंवल
उत्तर-
पर्यायवाची-निशा, रैन, उषा, प्रातः, देव, देवता, मनुष्य, मानव, नेत्र, लोचन, सरोज, जलज

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप लिखिए-
मोरे, ठाढ़े, सबद, उचारे, छुद्र, सोभित
उत्तर-
मानक शब्द-मेरे, खड़े, शब्द, बोले, अच्छा, शोभायमान।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिएदही, दूध, नैन, कान, ओठ
उत्तर-
तत्सम-दधि, दुग्ध, नेत्र, कण, ओष्ठ। निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए “आत्मा व परमात्मा ज्योति स्वरूप है। यह स्मरण रखने के लिए शुभ कार्यों में सर्वप्रथम दीपक प्रज्जवलित किया जाता है। इसकी लौ कर एकटक ध्यान करने से एकाग्रता व स्मरण शक्ति बढ़ती है। और यह प्रेरणा मिलती है कि ऊपर की ओर उठती हुई लौ के समान हम भी उच्च कर्म करें और चारों ओर ऊर्जा और ज्ञान का प्रकाश बिखेरें। दीपक स्वयं जलकर त्याग और बलिदान की प्रेरणा देता है।”।

प्रश्न 9.
उपर्युक्त गद्यांश में से संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं विशेषण शब्दों को छाँटकर लिखें-
उत्तर-
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मीरा पदावली प्रसंग सहित व्याख्या

1. जागो बंसी बारे ललना, जागो मोरे प्यारे।
रजनी बीती भोर भयो है, घर-घर खुले किनारे।
गोपी दही मथत सुनियत हैं, कंगना के झनकारे।।
उठो लालजी भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे।
ग्वाल बाल सब करत कुलाहल, जय जय सबद उचारे॥

शब्दार्थ-जागो-उठो। ललना-प्यारा बच्चा। बंसी= बांसुरी। रजनी = रात। भोर = सुबह। किवारे दरवाजे। झनकारे = झनकार, आवाज। सुर = देव। सबद-शबद। उचारे उच्चारित किए, बोले।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित ‘मीरा पदावली’ से ली गई हैं। इन पंदों में मीरा कृष्ण को जगा रही हैं।

व्याख्या-मीरा कहती हैं मेरे बंसी वाले प्यारे बाल कृष्ण, जागो। रात बीत चुकी है, सुबह हो गयी है और घर-घर के दरवाजे खुल गए हैं। गोपियों के कंगन की झनकार से लगता है वे दही मथ रहीं हैं। सुबह हो गई है। देवता-मनुष्य द्वारा पर खड़े हैं। ग्वाल-बाल सब शोर कर रहे हैं और जय-जय शब्द का उच्चारण कर रहे हैं।

विशेष-
1. भक्ति भाव की महत्ता है।
2. पद लयात्मक तथा संगीतात्मक है।

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2. बसो मोरे नैनन में नंदलाल।
मोहनी मूरत सांवरी सूरत, नैना बने बिसाल।
अधर सुधारस मुरली राजति, उर बैजनीमाल।
छुद्र घटिका कटि तट शोभित, नूपुर सबद रसाल।
मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भगत-बछल गोपाल॥

शब्दार्थ–बसो-निवास करो। मोरे मेरे। मोहनी-मन को मोहने वाली। सांवरी-सांवली.। बिसाल-सुशोभित। उर हृदय। कटि=कमर। तट-किनारा। नूपुर-पायल। सबद:शब्द। रसाल-मधुर। भगन-बछल-भक्त -वत्सल।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या-मीरा कृष्ण को अपनी आंखों में बस जाने के लिए कहती हैं। कृष्ण के बड़े-बड़े नैन, सांवरी सूरत और मूरत मन मोहने वाली है। उनके होंठों पर सुशोभित – मुरली अमृतरस बरसा रही है। उनके हृदय पर वैजयंतीमाला और कमर पर छोटी-सी घंटी सुशोभित है। उनकी पायल मधुर ध्वनि कर रही है। मीरा के प्रभु संतों को सुख देने वाले और भक्त-वत्सल गोपाल हैं।

विशेष-
1. ईश्वर के रूप का वर्णन है।
2. वृत्यनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
3. पद लयात्मक तथा संगीतात्मक हैं।

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MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 8 बाथरूम की फिसलन

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 8 बाथरूम की फिसलन

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 8 प्रश्न-अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. (क) सही जोड़ी बनाइए
1. प्रौढ – (क) आघात
2. मानसिक – (ख) निवारण
3. लेखा – (ग) अवस्था
4. कष्ट – (घ) जोखा
उत्तर
1. (ग), 2. (क), 3. (घ), 4. (ख)

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प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. बड़े आदमियों के साथ अपने नाम को जुड़ता देखकर मैं मन-ही-मन….हुआ। (खुश/दुखी)
2. मालूम नहीं, यह मेरी मजबूरी थी या उनका……… था। (सौभाग्य दुर्भाग्य)
3. मेरा लीवर मुझपर खुश था क्योंकि में बहुत… खाता था। (कम ज्यादा)
4. यहाँ ओढ़ी हुई….काम नहीं देती, और हड्डी टूटने का ध्यान बराबर बना रहता है। (दार्शनिकता/भौतिकता)
उत्तर
1. खुश
2. सौभाग्य
3. कम
4. दार्शनिकता।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 8 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए

(क) ‘अपराधी कोई हो, और सजा किसी को मिले’ का आशय लिखिए।
उत्तर
लेखक का बाँया पैर फिसला था, लेकिन चोट दाहिने पैर में आई।

(ख) टूटी टांग को साहित्य में ‘कैश करूँगा’ इसका क्या आशय है?
उत्तर
कहने का तात्पर्य है कि लेखक इस विषय पर इतना लिखेगा कि शोहरत और दौलत दोनों मिलेंगे।

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(ग) लेखक अपने कष्टों के निवारण के लिए किससे आत्म निवेदन करता है?
उत्तर
अपने कष्टों के निवारण के लिए लेखक ईश्वर से आत्म निवेदन करता है।

(घ) तीन माह बिस्तर पर पड़े रहकर लेखक ने कौन-कौन सी रचनाएँ की?
उत्तर
तीन माह बिस्तर पर पड़े रहकर लेखन ने दो-चार व्यंग्य और समीक्षाएँ लिखीं।

(ङ) लेखक को मित्र ने राम नाम लेने की सलाह क्यों दी?
उत्तर
लेखक को मित्र ने राम नाम लेने की सलाह इसलिए दी ताकि उसके सारे पाप धुल जाएँ।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) ‘अक्सर व्यंग्यकार और साहित्यकार बाथरूम में फिसलते हैं। इस संबंध में लेखक ने किन-किन साहित्यकारों के उदाहरण दिए हैं?
उत्तर
‘अक्सर व्यंग्यकार और साहित्यकार बाथरूम में फिसलते हैं’। इस संबंध में लेखक ने जिन साहित्यकारों के उदाहरण दिए हैं, वे हैं-हरिशंकर परसाई, डॉ. रामकुमार वर्मा।

(ख) हही के टूटने पर लेखक के जनरल नॉलेज में इजाफा किस प्रकार हुआ?
उत्तर
यह सही है कि हही के टूटने से लेखक के जनरल नॉलेज में काफी बढ़ोतरी हुई। उसने अपने डॉक्टर मित्र को पोर्टेबल एक्स-रे मशीन के साथ आते देखा।
पेंच-पूर्जे जमाते देखा। इस प्रकार पोर्टेबल एक्स-रे मशीन के बारे में उसे जानकारी मिली।

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(ग) कवियों के समाजोपयोगी होने का अर्थ समझाइए।
उत्तर
कवियों के समाजोपयोगी होने का तात्पर्य है अस्पताल में उनकी ड्यूटी लगाई जाए। वे ऑपरेशन कक्ष में मरीज को कविताएँ सुनाकर आवश्यकतानुसार ऑपरेशन
के समय वेहोश करें।

(घ) ‘आदमी के भीतर का मनोबल न टूटे’ व्यंग्य के इस केंद्रीय भाव को समझाइए।
उत्तर
‘बाथरूम की फिसलन’ का केन्द्रीय भाव है आदमी के भीतर का मनोबल नहीं टूटना चाहिए अगर शरीर का कोई अंग टूट जाए तो वह जुड़ सकता है, और फिर से पहले की तरह काम कर सकता है किंतु ‘अगर हमारे मनोबल टूट जाएँगे तो हम कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। कुछ कर दिखाने की हमारी इच्छा खत्म हो जाएगी। अतः हमारा मनोबल नहीं टना चाहिए। उसे बरकरार रहना चाहिए।

(ङ) ‘दर्द सबको माँजता है’ का आशय समझाइए।
उत्तर
दर्द आदमी में सहन शक्ति पैदा करता है। यही सहन शक्ति उसे जुझारू बनाता है, विपरीत परिस्थितियों में भी अडिग रहना सिखाता है।

भाषा की बात

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
व्यंग्य, प्रौढ़, सौजन्य, समीक्षा, संकल्प, संघर्ष
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए
प्रभू, अध्यन, प्रभावसाली, व्यंग, साहितयिक
उत्तर
प्रभु, अध्ययन, प्रभावशाली, व्यंग्य, साहित्यिक।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय छांटकर लिखिए
पढ़ाई, बुनाई, मिलावट, कसावट, सजावट, तकिया, छलिया, चहचहाहट, शिवा, मिठाई,
सफाई, गरीबी, जोड़ी, खेती, शहरी, चिल्लाहट, डिबिया, चिकनाहट, पूरा, चूरा
उत्तर
पढ़ाई – आई
बुनाई – आई
मिलावट – आवट
सजावट – आवट
तकिया – इया
छलिया – इया
चहचहाहट – आहट
शिवा – वा
मिठाई – आई
सफाई – आई

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के आगे जो शब्द उसका पर्याय नहीं हो उस पर गोला लगाइए
मित्र – दोस्त, बंधु, सखा।
नदी – सरिता, तटिनी, तारिणी।
ईश्वर – देवालय, ईश, प्रभु।
घर – सदन, गृह, गगन।
इच्छा – आकांक्षा, मनोरक्ष, मनोरम ।
उत्तर
बंधु, तारिणी, देवालय, गगन, मनोरम

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों में हिंदी (तत्सम, तत्भव) और आगत (उर्दू, अंग्रेजी) शब्द छाँटकर लिखिए
वैष्णव, दुनिया, मित्र, साफ, डॉक्टर, बाथरूम, घर, संकल्प, सौभाग्य, शेहरत, दौलत, गर्मी, एक्स-रे, हाथ, आर्थिक, अपराधी, मजबूरी, साहित्य, खुदा, पोर्टेबल-टी.वी., रॉयल्टी, काम, हड्डी
उत्तर
हिन्दी तत्सम तद्भव-वैष्णव, मित्र, साफ, घर संकल्प, सौभाग्य, गर्मी, आर्थिक, अपराधी, साहित्य, काम, हड्डी, हाथ आगत (उर्दू, अंग्रेजी)-दुनिया, डॉक्टर, बाथरूम, शोहरत, दौलत, एक्स-रे, मजबूरी, खुदा, पोर्टेबल, टी.वी. , रॉयल्टी ।

प्रसंग सहित व्याख्या 

1. प्लास्टर के दौरान एक मित्र ने कहा “और लिखो व्यंग्य दूसरों पर । ईश्वर ने तुम्हें भी चोट दी।” मैंने उत्तर दिया, “मैंने तो लोगों को मानसिक आघात दिए थे, लेकिन ईश्वर ने मुझे शारीरिक चोट क्यों दी?”

शब्दार्थ-मानसिक=दिमागी, आघात =चोट । शारीरिक = शरीर से संबंधित।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित व्यंग्य ‘बाथरूम की फिसलन’ से ली गई हैं। इसके व्यंग्यकार हैं-डॉ. संतोष कुमार तिवारी। इसमें लेखक ने अपने अनुभव का वर्णन किया है।

व्याख्या-लेखक अपने बाथरूम में फिसल जाता है और उसका दाहिना पैर टूट जाता है। टूटी हड्डी को सही करने के लिए प्लास्टर की जरूरत पड़ती है। डॉक्टर प्लास्टर कर देता है और लेखक तीन महीने तक के लिए बिस्तर पकड़ लेता है। इस दौरान लेखक के मित्रगण उसे देखने आते रहते हैं। और तरह-तरह की टीका-टिप्पणी करते रहते हैं। प्लास्टर देखकर एक मित्र ने यहाँ तक कह दिया कि वह (लेखक) चूंकि व्यंग्य लिखकर दूसरों को चोट पहुँचाता है, इसीलिए ईश्वर ने उसे भी चोट पहुँचाई। लेखक को मित्र की यह बात कुछ, समझ में नहीं आयी। लेखक तो व्यंग्य से लोगों को मानसिक कष्ट पहुँचाता है। किंतु ईश्वर ने तो उसे शारीरिक पीड़ा दे दी। यह बात उसकी समझ से परे है। उसके दिमाग में प्रश्न चिह्न लग जाता है कि ईश्वर ने ऐसा क्यों किया। ईश्वर को तो उसे मानसिक कष्ट देना चाहिए था।

विशेष

  • उच्चकोटि का व्यंग्य है।
  • भाषा सरल और मनोरंजक है
  • शब्दों का प्रयोग उपयुक्त है।

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2. बिस्तर पर ……… माँजता है।

शब्दार्थ-मनोबल=आत्मबल। संकल्प=प्रतिज्ञा। दुहाई=प्रशंसा। अपराजेय=जिसे जीता न जा सके।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या-लेखक का दाहिना पैर बाथरूम में फिसलने के कारण टूट गया है। डॉक्टर ने उस पर प्लास्टर चढ़ा दी है और उसे तीन महिने तक विस्तर पर पड़े रहने की सलाह दी है। लेखक के सामने बिस्तर पर पड़े रहने के अतिरिक्त और कोई उपाए भी नहीं है। समय काटने के लिए वह तरह तरह का साहित्य पढ़ता है। कुछ लिखने का भी काम कर लेता है। इस दौरान उसके मित्र भी उसे देखने के लिए आते रहते हैं। मित्रों से गपशप होती है। कुछ समय उसमें भी कट जाता है।

लेखक अपने मित्रों से दार्शनिक अंदाज में बातें करता है। वह कहता है कि शरीर का कोई अंग अगर टूट जाए तो कोई-बात नहीं है। टूटा अंग जुड़ जाता है। दिनोंदिन उसका आत्मविश्वास खोने लगता हैं अतः आदमी को हमेशा अपना आत्मबल बनाए रखना चाहिए। उसे किसी भी कीमत पर टूटने नहीं देना चाहिए। क्योंकि एक बार अगर हमारा मनाबेल टूट गया तो फिर शरीर के अंग की तरह वह जुड़ नहीं सकता। लेखक खुश होता है कि उसके इतने सारे प्रशंसक है। रोज आने-जाने वालों का तांता लगा रहता है। इस प्रकार विस्तर में पड़े रहने के बावजूद लेखक अपना मनोबल बनाए रखता है।

विशेष

  • व्यंग्य के माध्यम से लेखक ने जीवन की सच्चाई की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है।
  • व्यंग्य का केंद्रीय भाव है-हमारा मनोबल नहीं टूटना चाहिए।

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MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 20 कित्तूर की रानी चेन्नम्मा

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 20 कित्तूर की रानी चेन्नम्मा

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 20 प्रश्न अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
1. सेना – (क) माता
2. तोप – (ख) जल
3. भारत – (ग) नायक
4. सरोवर – (घ) बारूद
उत्तर-
1. (ग),
2. (घ),
3. (क),
4. (ख)

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प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. शत्रु ……………………….. दिखाकर भाग गया। (पीठ/पेट)
2. ऐसी ……………………….. हमने बहुत सुनी है। (गीदड़ भभकियाँ सिंह की दहाड़ें)
3. अंग्रेजों को चुनौती देना ……………………….. हाथ डालना है। (साँप की बांबी में/चूहे के बिल में)
4. लालच में आदमी कितना अंधा और नीच बन जाता है, तुम इसके ……………………….. उदाहरण हो। (जीते-जागते/मृतप्रायः)
उत्तर-
1. पीठ,
2. गीदड़ भभकियाँ,
3. सांप की बांबी में,
4. जीते-जागते।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 20 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए
(क) ‘कंपनी सरकार की भी तो जय कहिए।’ यह किसने किससे कहा?
उत्तर-
यह रानी चेन्नम्मा ने मल्लप्पा से कहा।

(ख) लालच आने पर आदमी में क्या परिवर्तन हो जाते हैं?
उत्तर-
लालच आदमी को अंधा बना देता है।

(ग) समय आने पर नारी क्या कर सकती है?
उत्तर-
समय आने पर नारी प्रलय ला सकती है।

(घ) नारी की शक्ति के बारे में चेन्नम्मा ने मल्लप्पा से क्या कहा?
उत्तर-
चेन्नम्मा ने पल्लप्पा से कहा कि समय आने पर नारी प्रलय भी ला सकती है।

(ङ) दास बनकर जीवन बिताने से किस प्रकार का जीवन जीना अच्छा है?
उत्तर-
दास बनकर जीवन बिताने से लड़कर मर जाना कहीं अच्छा है।

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MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 20 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) चेन्नम्मा ने सरकार के फरमान का उत्तर किन शब्दों में दिया?
उत्तर-
चेन्नम्मा ने सरकार के भेजे हुए फरमान के टुकड़े-टुकड़े कर दिया और कहा कि अंग्रेज यदि समझते हैं कि एक असहाय नारी को डरा धमकाकर उसका राज्य छीन लेंगे, तो यह उनकी भूल है। नारी को दुर्बल समझने वाले नहीं जानते कि समय आने पर वो प्रलय भी ला सकती हैं।

(ख) यदि मल्लप्पा जैसे भेड़िए शत्रु से मिल जाएँ तो क्या होगा?
उत्तर-
यदि मल्लप्पा जैसे भेड़िए शत्रु से मिल जाएँ तो बड़े-से-बड़ा शक्तिशाली साम्राज्य भी मिट्टी में मिल जाएगा। अभेद्य दुर्ग भी ढह जाएँगे तथा वीर एवं बहादुर योद्धा भी परास्त हो जाएँगे।

(ग) अंग्रेजों को चुनौती देना साँप की बांबी में हाथ डालना है।’ का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
अंग्रेज अत्यंत शक्तिशाली थे और उनकी क्षमता अपार थी। उन्हें हरा पाना कित्तूर जैसे छोटे राज्य के लिए संभव नहीं था। उन्हें युद्ध के लिए आमंत्रित करना अपने अस्तित्व के लिए खतरा मोल लेना था।

(घ) मल्लप्पा का अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर-
रानी चेन्नम्मा के गिरफ्तार होने के बाद मल्लप्पा उनके सामने यह आशा व्यक्त करता है कि संभवतः अंग्रेज सरकार उसे ही कित्तूर की गद्दी सौंप देगी। यह सुनकर रानी क्रोधित हो जाती हैं और फुर्ती से कटार निकाल कर उसके सीने में भोंक देती हैं। इस तरह मल्लप्पा. का अंत होता है।

(ङ) लड़ाई की तैयारी के बारे में रायण्णा ने चेन्नम्मा को क्या बताया? .
उत्तर-
रायण्णा ने चेन्नम्मा को बताया कि लड़ाई के |लिए वे अच्छी तरह तैयार हैं। राज्य के गोदामों में इतना अन्न भर है। कि वर्षों तक समाप्त नहीं होगा। बारूद इतना है कि तोपें पिघल जाएँगी पर बारूद समाप्त नहीं होगा।

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भाषा की बात

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए-
आज्ञा, अन्यथा, आँसू, फाँसी, समाप्त
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए-
कपनी, नीती, देशदोही, पारंभ, शक्ती
उत्तर-
कंपनी, नीति, देशद्रोही, प्रारंभ, शक्ति

प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग कीजिए
उत्तर-
दो-दो हाथ करना-परिस्थितिवश रानी को अंग्रेजों से दो-दो हाथ करना ही पड़ा। मिट्टी में मिलाना-अंग्रेजों ने सोचा था वे कित्तूर को मिट्टी में मिला देंगे, पर ऐसा नहीं हुआ।
दाँत खट्टे करना-रानी चेन्नम्मा ने अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिए।
जिस थाली में खाना उसी में छेद करना-मल्लप्पा ने जिस थाली में खाया उसी में छेद किया।
उपर्युक्त मुहावरों के अलावा पाठ में आए अन्य मुहावरे छाँटकर लिखिए।
आग बबूला होना, सबक सिखाना, जीना हराम करना, साँप की बांबी में हाथ डालना, दुम दबाकर भागना, बाल बाँका न करना, वीरगति को प्राप्त होना।

प्रश्न 7.
नीचे दिए वाक्यों में गुणों का अभाव हैं जिस गुण का अभाव हो उसे वाक्य में से सम्मुख दिए गए रिक्त कोष्ठक में लिखिए
(क) दिन में काम करते हैं। (आकांक्षा)
(ख) किसान लाठी से खेत जोतता है। (योग्यता)
(ग) पुस्तक पढ़ी सौरभ ने। (पदक्रम)
(घ) बाघ और बकरी एक घांट पर पानी पीती है। (अन्विति)
(ङ) शुभम शाला से वापस लौटता है। (सार्थकता)

कित्तूर की रानी चेन्नम्मा प्रसंग सहित व्याख्या

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1. चेन्नम्माः (क्रोध से) फरमान का यह उत्तर कंपनी सरकार को दे देना। अंग्रेजों ने समझा होगा कि एक असहाय नारी को डरा-धमका कर उसका राज्य छीन लेंगे, उसे मिट्टी में मिला देंगे। यह उनकी सरासर भूल है। नारी को वे दुर्बल तो समझते हैं, किंतु वे यह नहीं जानते कि समय आने पर वह प्रलय भी कर सकती है।

शब्दार्थ-फरमान = आदेश। असहाय = बेसहारा। सरासर=निश्चित रूप से, बिलकुल। दुर्बल कमजोर। प्रलय-सर्वनाश का समय।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित एकांकी ‘कित्तूर की रानी चेन्नम्मा’ से ली गई हैं। इसके लेखक शंकर बाम हैं। इन पंक्तियों में रानी कंपनी सरकार के प्रति अपना क्रोध प्रकट करती रही हैं।

व्याख्या-रानी चेन्नम्मा कंपनी सरकार के कित्तूर अधिग्रहण के फरमान का उत्तर देते हुए कहती हैं कि अंग्रेज सरकार उन्हें कमजोरं समझकर यह न सोचें कि वे उनका राज्य हथिया लेंगे। उन्हें असहाय समझना अंग्रेजों की भूल है। वे नारी को कमचोर समझते हैं परंतु उन्हें यह नहीं पता है कि यही नारी समय आने पर प्रलय भी ला सकती है।

विशेष-
1. वीर रस की प्रधानता है।
2. रानी चेन्नम्मा के स्वाभिमान का पता चलता है।

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2. चेन्नम्मा : शर्म नहीं आई तुम्हें यह कहते हुए, मल्लप्पा। जीवन-भर जिसका तुमने नमक खाया, स्वार्थ में पड़ कर उसी का गला काट रहे हो, लालच में आदमी कितना अंधा और नीच बन जाता है, तुम इसके जीते-जागते उदाहरण हो, किंतु याद रखो, जो अपने देश को धोखा देता है, उसके साथ गद्दारी करता है, ईश्वर उसे कभी क्षमा नहीं करता।

शब्दार्थ-गद्दारी-देशद्रोह। क्षमा माफ।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या-चेन्नम्मा मल्लप्पा को धिक्कारते हुए कहती हैं कि कित्तूर की गद्दी पाने का सपना देखते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई। तुमने जीवन भर जिसका नमक खाया, उसका कर्ज उतारने की जगह अपने स्वार्थ के लिए तुम उसके साथ गद्दारी कर रहे हो । लालच ने तुम्हें गिरा दिया है परंतु इतना याद रखना कि एक देशद्रोही को भगवान कभी माफ नहीं करता है।

विशेष-
1. स्वार्थ और लालच के दुष्परिणाम से अवगत कराया गया है।
2. मल्लप्पा के प्रति रानी के क्रोध एवं नफरत का पता चलता है।

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