MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण सन्धि

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण सन्धि

दो या दो से अधिक वर्षों के परस्पर मिलने से जो विकास या परिवर्तन होता है। उसे सन्धि कहते हैं।

जैसे–

  • विद्या + आलय = विद्यालय
  • रमा + ईश = रमेश
  • सूर्य + उदय = सूर्योदय
  • पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
  • सत् + जन = सज्जन
  • एक + एक = एकैक

सन्धि तीन प्रकार की होती हैं

  1. स्वर संधि,
  2. व्यंजन संधि और
  3. विसर्ग संधि।

जब स्वर से परे स्वर होने पर उनमें जो विकार होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। दूसरे शब्दों में स्वर के बाद जब कोई स्वर आता है तो दोनों के स्थान में स्वर हो जाता है। उसे स्वर संधि कहते हैं;

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जैसे–

  • धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
  • रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
  • भानु + उदय = भानूदय
  • सुर + इन्द्र सुरेन्द्र
  • सदा + एव = सदैव
  • इति + आदि = इत्यादि
  • नै + अक = नायक

स्वर संधि के भेद–स्वर संधि के पाँच भेद हैं–

  1. दीर्घ संधि,
  2. गुण संधि,
  3. वृद्धि संधि,
  4. यण संधि, और
  5. अयादि संधि।

1. दीर्घ संधि–ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, ऋ, के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ इ, उ, ऋ क्रमशः आए तो दोनों को मिलाकर एक दीर्घ–स्वर हो जाता है।

जैसे–

  • परम + अर्थ = परमार्थ
  • राम + आधार = रामाधार
  • अभि + इष्ट = अभीष्ट
  • भानु + उदय = भानूदय
  • मही + इन्द्र = महीन्द्र
  • गिरि + ईश = गिरीश
  • महा + आशय = महाशय
  • अदय + अपि = यद्यपि

2. गुण संधि–अ अथवा आ के पश्चात् ह्रस्व या दीर्घ इ, उ, ऋ आए तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ए, ओ तथा अर् हो जाते हैं।

जैसे–

  • सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
  • सुर + ईश = सुरेश
  • सूर्य + उदय = सूर्योदय
  • महा + ऋषि = महर्षि
  • महा + उत्सव = महोत्सव
  • वीर + इन्द्र = वीरेन्द्र
  • राज + ऋषि = राजर्षि
  • हित + उपदेश = हितोपदेश

3. वृद्धि संधि–हस्व अथवा दीर्घ अ के पश्चात् ए अथवा ऐ आने पर “ऐ” और ओ अथवा औ आने पर दोनों के स्थान पर “औ” हो जाता है।

जैसे–

  • सदा + एव = सदैव
  • मत + ऐक्य = मतैक्य
  • परम + औषधि = परमौषधि
  • वन + औषधि = वनौषधि
  • महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
  • जल + ओध = जलौध

4. यण सन्धि–हस्व या दीर्घ इ, उ, ऋ से परे अपने से भिन्न स्वर हो जाने पर इनके स्थान पर क्रमशः य, व और र होता है।

जैसे–

  • अति + उत्तम = अत्युत्तम
  • इति + आदि = इत्यादि.
  • प्रति + एक = प्रत्येक
  • यदि + अपि = यद्यपि
  • सु + आगत = स्वागत
  • अति + आचार = अत्याचार
  • पित्र + आदेश = पित्रादेश।

5. अयादि संधि–ए, ऐ, ओ, औ के पश्चात् स्वर वर्ण आने पर उनके स्थान .. पर अय, आय तथा अव हो जाते हैं।

जैसे–

  • पो + अन = पवन
  • पो + अक = पावक
  • नै + अक = नायक
  • न + अन = नयन
  • नै + इका = नायिका

जब व्यंजन और स्वर अथवा व्यंजन से मेल होता है, तो उसे व्यंजन संधि कहते हैं। जैसे

  • सत् + जन = सज्जन
  • उत् + चारण = उच्चारण
  • जगत + नाथ = जगन्नाथ
  • दुस + चरित्र = दुश्चरित्र
  • शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र
  • महत् + चक्र = महच्चक्र
  • षट् + आनन = षडानन
  • दिक् + गज = दिग्गज
  • सद् + आचार = सदाचार
  • दिक् + अम्बर = दिगम्बर
  • वाक् + ईश = वागीश
  • उत् + गमन = उद्गमन
  • उत् + हार = उद्धार
  • सम + कल्प = संकल्प
  • राम + अयन = रामायन

विसर्ग के साथ जब किसी स्वर या व्यंजन का मेल होता है, तब विसर्ग संधि होती है।
जैसे–

  • अति + एव = अतएव
  • निः + छल = निश्छल
  • धनु + टंकार = धनुष्टंकार
  • निः + कपट = निष्कपट
  • निः + पाप = निष्पाप
  • निः + धन = निर्धन
  • नमः +. कार = नमस्कार
  • तिरः + कार = तिरस्कार
  • पुरः + कार = पुरस्कार
  • मनः + योग = मनोयोग
  • मनः + रथ = मनोरथ
  • पुनः + जन्म = पुनर्जन्म
  • दुः + तर = दुस्तर
  • सत + आनंद = सदानन्द

अभ्यास के लिए महत्त्वपूर्ण प्रश्न

  1. संधि किसे कहते हैं?
  2. संधि के कितने प्रकार हैं?
  3. निम्नलिखित शब्दों में संधि करो और उनके नाम बताओ
  • मत + ऐक्य,
  • शुभ + इच्छु
  • धन + अभाव,
  • उत + लास
  • पितृ + अनुमति,
  • निः + सन्देह
  • जगत + नाथ,
  • जगत + ईश
  • हित + उपदेश,
  • सदा + ऐव
  • भोजन + आलय,
  • परम + ईश्वर
  • मनः + हर,
  • निः + बल
  • शिव + आलय,
  • उत् + गम
  • निः + रोग,
  • सम + कल्प
  • यदि + अपि,
  • पो + अन
  • नर + इन्द्र,
  • परम + अर्थ।

4. निम्नलिखित शब्दों का संधि–विच्छेद करो
व्यवसाय, दुरुपयोग, उद्योग, निश्चल, निर्जन, उज्ज्वल, सूर्योदय, इत्यादि, निर्भय, जगदीश, निश्चिन्त, मनोरथ।

5. नीचे लिखे प्रत्येक शब्द के आगे संधियों के उदाहरण और संधियों के नाम लिखे हैं, किन्तु वे गलत हैं। आप उन्हें सही क्रम में लिखिए–

  • मनोरथ – अयादि संधि
  • नायक – वृद्धि संधि
  • इत्यादि – गुण संधि
  • विद्यार्थी – व्यंजन संधि
  • महेन्द्र – विसर्ग संधि
  • सदैव – दीर्घ संधि
  • सज्जन – यण संधि
  • सम–कल्प – व्यंजन संधि
  • निष्फल – व्यंजन संधि
  • मनोयोग – विसर्ग संधि

6. निम्नलिखित शब्दों में से व्यंजन संधि का उदाहरण बताइएं।

  • मनोहर,
  • पवन,
  • जगन्नाथ,
  • महाशय।

7. परम + अर्थ, हित + उपदेश, सत् + जन, मनः + विकार उपर्युक्त संधियों में से किन–किन संधियों का उदाहरण है।

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MP Board Class 12th General Hindi निबंध साहित्य का इतिहास

MP Board Class 12th General Hindi निबंध साहित्य का इतिहास

निबंध का उदय

आधुनिक युग को गद्य की प्रतिस्थापना का श्रेय जाता है। जिस विश्वास, भावना और आस्था पर हमारे युग की बुनियाद टिकी थी उसमें कहीं न कहीं अनास्था, तर्क और विचार ने अपनी सेंध लगाई। कदाचित् यह सेंध अपने युग की माँग थी जिसका मुख्य साधन गद्य बना। यही कारण है, कवियों ने गद्य साहित्य में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।

हिंदी गद्य का आरम्भ भारतेंदु हरिश्चंद्र से माना जाता है। वह कविता के क्षेत्र में चाहे परम्परावादी थे पर गद्य के क्षेत्र में नवीन विचारधारा के पोषक थे। उनका व्यक्तित्व इतना समर्थ था कि उनके इर्द-गिर्द लेखकों का एक मण्डल ही बन गया था। यह वह मण्डल था जो हिंदी गद्य के विकास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हिंदी गद्य के विकास में दशा और दिशा की आधारशिला रखने वालों में इस मण्डल का अपूर्व योगदान है। इन लेखकों ने अपनी बात कहने के लिए निबंध विधा को चुना।

निबंध की व्युत्पत्ति, स्वरूप एवं परिभाषा

निबंध की व्युत्पत्ति पर विचार करने पर पता चलता है कि ‘नि’ उपसर्ग, ‘बन्ध’ धातु और ‘धर्म प्रत्यय से यह शब्द बना है। इसका अर्थ है बाँधना। निबंध शब्द के पर्याय के रूप में लेख, संदर्भ, रचना, शोध प्रबंध आदि को स्वीकार किया जाता है। निबंध को हिंदी में अंग्रेजी के एसे और फ्रेंच के एसाई के अर्थ में ग्रहण किया जाता है जिसका सामान्य अर्थ प्रयत्न, प्रयोग या परीक्षण कहा गया है।

निबंध की भारतीय व पाश्चात्य परिभाषाएँ कोशीय अर्थ।

‘मानक हिंदी कोश’ में निबंध के संबंध में यह मत प्रकट किया गया है-“वह विचारपूर्ण विवरणात्मक और विस्तृत लेख, जिसमें किसी विषय के सब अंगों का मौलिक और स्वतंत्र रूप से विवेचन किया गया हो।”

हिंदी शब्द सागर’ में निबंध शब्द का यह अर्थ दिया गया है- ‘बन्धन वह व्याख्या है जिसमें अनेक मतों का संग्रह हो।”

पाश्चात्य विचारकों का मत

निबंध शब्द का सबसे पहले प्रयोग फ्रेंच के मांतेन ने किया था, और वह भी एक विशिष्ट काव्य विधा के लिए। इन्हें ही निबंध का जनक माना जाता है। उनकी रचनाएँ आत्मनिष्ठ हैं। उनका मानना था कि “I am myself the subject of my essays because I am the only person whom I know best.”

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अंग्रेजी में सबसे पहले एस्से शब्द का प्रयोग बेकन ने किया था। वह लैटिन । भाषा का ज्ञाता था और उसने इस भाषा में अनेक निबंध लिखे। उसने निबंध कोबिखरावमुक्त चिन्तन कहा है।

सैमुअल जॉनसन ने लिखा, “A loose sally of the mind, an irregular, .. undigested place is not a regular and orderly composition.” “निबंध मानसिक जगत् की विशृंखल विचार तरंग एक असंगठित-अपरिपक्व और अनियमित विचार खण्ड है। निबंध की समस्त विशेषताएँ हमें आक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में दी गई इस परिभाषा में मिल जाती है, “सीमित आकार की एक ऐसी रचना जो किसी विषय विशेष या उसकी किसी शाखा पर लिखी गई हो, जिसे शुरू में परिष्कारहीन अनियमित, अपरिपक्व खंड माना जाता था, किंतु अब उससे न्यूनाधिक शैली में लिखित छोटी आकार की संबद्ध रचना का बोध होता है।”

भारतीय विचारकों का मत

आचार्य रामचंद्र शक्ल-आचार्य रामचंद्र शक्ल ने निबंध को व्यवस्थित और मर्यादित प्रधान गद्य रचना माना है जिसमें शैली की विशिष्टता होनी चाहिए, लेखक का निजी चिंतन होना चाहिए और अनुभव की विशेषता होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त लेखक के अपने व्यक्तित्व की विशिष्टता भी निबंध में रहती है। हिंदी साहित्य के इतिहास में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबंध की परिभाषा देते हुए लिखा, “आधुनिक पाश्चात्य लेखकों के अनुसार निबंध उसी को कहना चाहिए जिसमें व्यक्तित्व अर्थात् व्यक्तिगत विशेषता है। बात तो ठीक है यदि ठीक तरह से समझी जाय। व्यक्तिगत विशेषता का यह मतलब नहीं कि उसके प्रदर्शन के लिए विचारकों की श्रृंखला रखी ही न जाए या जान-बूझकर जगह-जगह से तोड़ दी जाए जो उनकी अनुमति के प्रकृत या लोक सामान्य स्वरूप से कोई संबंध ही न रखे अथवा भाषा से सरकस वालों की सी कसरतें या हठयोगियों के से आसन कराये जाएँ, जिनका लक्ष्य तमाशा दिखाने के सिवाय और कुछ न हो।”

बाबू गुलाब राय-बाबू गुलाबराय ने भी निबंध में व्यक्तित्व और विचार दोनों को आवश्यक माना है। वे लिखते हैं- “निबंध उस गद्य रचना को कहते हैं जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छंदता, सौष्ठव, सजीवता तथा अनावश्यक संगति और संबद्धता के साथ किया गया हो।”

निबंध की परिभाषाओं का अध्ययन करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि निबंध एक गद्य रचना है। इसका प्रमुख उद्देश्य अपनी वैयक्तिक अनुभूति, भावना या आदर्श को प्रकट करना है। यह एक छोटी-सी रचना है और किसी एक विषय पर लिखी गई क्रमबद्ध रचना है। इसमें विषय की एकरूपता होनी चाहिए और साथ ही तारतम्यता भी। यह गद्य काव्य की ऐसी विधा है जिसमें लेखक सीमित आकार में अपनी भावात्मकता और प्रतिक्रियाओं को प्रकट करता है।

निबंध के तत्त्व

प्राचीन काल से आज तक साहित्य विधाओं में अनेक बदलाव आए हैं। साधारणतः निबंध में निम्नलिखित तत्त्वों का होना अनिवार्य माना गया है
1. उपयुक्त विषय का चुनाव-लेखक जिस विषय पर निबंध लिखना चाहता है उसे सबसे पहले उपयुक्त विषय का चुनाव करना चाहिए। इसके लिए उसे पर्याप्त सोच-विचार करना चाहिए। निबंध का विषय सामाजिक, वैज्ञानिक, दार्शनिक आर्थिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, साहित्यिक, वस्तु, प्रकृति-वर्णन, चरित्र, संस्मरण, भाव, घटना आदि में से किसी भी विषय पर हो सकता है, किंतु विषय ऐसा होना चाहिए कि जिसमें लेखक अपना निश्चित पक्ष व दृष्टिकोण भली-भाँति व्यक्त कर सके।

2. व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति-निबंध में निबंधकार के व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति दिखनी चाहिए। मोन्तेन ने निबंधों पर निजी चर्चा करते हुए लिखा है, “ये मेरी भावनाएँ हैं, इनके द्वारा मैं स्वयं को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करता हूँ।” भारतीय और पाश्चात्य दोनों ही विचारकों ने निबंध लेखक के व्यक्तित्व के महत्त्व को स्वीकार किया है। निबंध लेखक की आत्मीयता और वैयक्तिकता के कारण ही विषय के सम्बन्ध में निबंधकार के विचारों, भावों और अनुभूति के आधार पर पाठक उनके साथ संबद्ध कर पाता है। इस प्रकार निबंधकार के व्यक्तित्व को निबंध का केंद्रीय गुण कहा जाता है।

3. एकसूत्रता-निबंध बँधी हुई एक कलात्मक रचना है। इसमें विषयान्तर की संभावना नहीं होती, इसलिए निबंध के लिए आवश्यक है कि निबंधकार अपने विचारों को एकसूत्रता के गुण से संबद्ध करके प्रस्तुत करता है। निबंध के विषय के मुख्य भाव या विचार पर अपनी दृष्टि डालते हुए निबंधकार तथ्यों को उसके तर्क के रूप में प्रस्तुत करता है। इन तर्कों को प्रस्तुत करते हुए निबंधकार को यह ध्यान रखना पड़ता है कि तथ्यों और तर्कों के बीच अन्विति क्रम बना रहे। कई निबंधकार निबंध लिखते समय अपनी भाव-तरंगों पर नियन्त्रण नहीं रख पाते, ऐसे में वह विषय अलग हो जाता है। वस्तुतः लेखक का कर्तव्य है कि वह विषयान्तर न हो। अगर विषयान्तर हो भी गया तो उसे इधर-उधर विचरण कर पुनः अपने विषय पर आना ही पड़ेगा। निबंधकार को अपने अभिप्रेत का अंत तक बनाए रखना चाहिए।

4. मर्यादित आकार-निबंध आकार की दृष्टि से छोटी रचना है। इस संदर्भ में हर्बट रीड ने कहा है कि निबंध 3500 से 5000 शब्दों तक सीमित किया जाना चाहिए। वास्तव में निबंध के आकार के निर्धारण की कोई आवश्यकता नहीं है। निबंध विषय के अनुरूप और सटीक तर्कों द्वारा लिखा जाता है। लेखक अपने विचार भावावेश के क्षणों में व्यक्त करता है। ऐसे में वह उसके आकार के विषय में सोचकर नहीं चलता। आवेश के क्षण बहुत थोड़ी अवधि के लिए होते हैं, इसलिए निश्चित रूप से निबंध का आकार स्वतः ही लघु हो जाता है। इसमें अनावश्यक सूचनाओं को कोई स्थान नहीं मिलता।

5. स्वतःपूर्णता-निबंध का एक गुण या विशेषता है कि यह अपने-आप में पूर्ण होना चाहिए। निबंधकार का दायित्व पाठकों को निबंध में चुने हुए विषय की समस्त जानकारी देना है। यही कारण है कि उसे विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों पर पूर्णतः विचार करना चाहिए। विषय से संबंधित कोई ज्ञान अधूरा नहीं रहना चाहिए। जिस भाव या विचार या बिंदु को लेकर निबंधकार निबंध लिखता है, निबंध के अंत तक पाठक के मन में संतुष्टि का भाव जागृत होना चाहिए। अगर पाठक के मन में किसी तरह का जिज्ञासा भाव रह जाता है तो उस निबंध को अपूर्ण माना जाता है और इसे निबंध के अवगुण के रूप में शुमार कर लिया जाएगा।

6. रोचकता-निबंध क्योंकि एक साहित्यिक विधा है इसलिए इसमें रोचकता का तत्त्व निश्चित रूप से होना चाहिए। यह अलग बात है कि निबंध का सीधा संबंध बुद्धि तत्त्व से रहता है। फिर इसे ज्ञान की विधा न कहकर रस की विधा कहा जाता है, इसलिए इसमें रोचकता होनी चाहिए, ललितता होनी चाहिए और आकर्षण होना चाहिए। निबंध के विषय प्रायः शुष्क होते हैं, गंभीर होते हैं या बौद्धिक होते हैं।

अगर निबंधकार इन विषयों को रोचक रूप में पाठक तक पहुँचाने में समर्थ हो जाता है तो इसे निबंध की पूर्णता और सफलता कहा जाएगा।

निबंध के भेद

निबंध के भेद, इसके लिए अध्ययन किए गए हैं। विषयों की विविधता से देखा जाए तो इन्हें सीमा में नहीं बाँधा जा सकता। अतः निबंध लेखन का विषय दुनिया के किसी भी कोने का हो सकता है। विद्वानों ने निबंधों का वर्गीकरण तो अवश्य किया है पर यह वर्गीकरण या तो वर्णनीय विषय के आधार पर किया है या फिर उसकी शैली के आधार पर। निबंध का सबसे अधिक प्रचलित वर्गीकरण यह है

1. वर्णनात्मक-वर्णनात्मक निबंध वे कहलाते हैं जिनमें प्रायः भूगोल, यात्रा, ऋतु, तीर्थ, दर्शनीय स्थान, पर्व-त्योहार, सभा- सम्मेलन आदि विषयों का वर्णन किया जाता है। इनमें दृश्यों व स्थानों का वर्णन करते हुए रचनाकार कल्पना का आश्रय लेता है। ऐसे में उसकी भाषा सरल और सुगम हो जाती है। इसमें लेखक निबंध को रोचक बनाने में पूरी कोशिश करता है।

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2. विवरणात्मक-इस प्रकार के निबंधों का विषय स्थिर नहीं रहता अपितु गतिशील रहता है। शिकार वर्णन, पर्वतारोहण, दुर्गम प्रदेश की यात्रा आदि का वर्णन जब कलात्मक रूप से किया जाता है तो वे निबंध विवरणात्मक निबंधों की शैली में स्थान पाते हैं। विवरणात्मक निबंधों में विशेष रूप से घटनाओं का विवरण अधिक होता है।

3. विचारात्मक-इस प्रकार के निबंधों में बौद्धिक चिन्तन होता है। इनमें दर्शन, अध्यात्म, मनोविज्ञान आदि विषयगत पक्षों का विवेचन किया जाता है। लेखक अपने अध्ययन व चिन्तन के अनुरूप तर्क-शितर्क और खण्डन का आश्रय लेते हुए विषय का प्रभावशाली विवेचन करता है। इनमें बौद्धिकता तो होती ही है साथ ही भावना और कला कल्पना का समन्वय भी होता है। ऐसे निबंधों में लेखक आमतौर पर तत्सम शैली अपनाता है। समासिकता की प्रधानता भी होती है।

4. भावात्मक-इस श्रेणी में उन निबंधों को स्थान मिलता है जो भावात्मक विषयों पर लिखे जाते हैं। इन निबंधों का निस्सरण हृदय से होता है। इनमें रागात्मकता होती है इसलिए लेखक कवित्व का भी प्रयोग कर लेता है। अनुभूतियाँ और उनके उद्घाटन की रसमय क्षमता इस प्रकार के निबंध लेखकों की संपत्ति मानी जाती हैं। वस्तुतः कल्पना के साथ काव्यात्मकता का पुट इन निबंधों में दृश्यमान होता है।

वर्गीकरण अनावश्यक

गौर से देखा जाए तो इन चारों भेदों की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि ये निबंध लेखन की शैली हैं। इन्हें वर्गीकरण नहीं कहा जाना चाहिए। अगर कोई कहता है कि वर्णनात्मक निबंध है या दूसरा कोई कहता है कि विवरणात्मक निबंध है तो यह शैली नहीं है तो और क्या है?

वस्तुतः इन्हें विचारात्मक निबंध की श्रेणी में रखा जा सकता है। विचारात्मक निबंधों का विषय मानव जीवन का व्यापक कार्य क्षेत्र है और असीम चिंतन लोक है। इसमें धर्म, दर्शन, मनोविज्ञान आदि विषयों का गंभीर विश्लेषण होता है। इसे निबंध का आदर्श भी कहा जा सकता है। इसमें निबंधकार के गहन चिंतन, मनन, सूक्ष्म अन्तर्दृष्टि और विशद ज्ञान का स्पष्ट रूप देखने को मिलता है। इस संबंध में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा है, “शुद्ध विचारात्मक निबंधों का वहाँ चरम उत्कर्ष नहीं कहा जा सकता है जहाँ एक-एक पैराग्राफ में विचार दबा-दबाकर.टूंसे गए हों, और एक-एक वाक्य किसी विचार खण्ड को लिए हुए हो।’

आचार्य शुक्ल ने अपने निबंधों में स्वयं इस शैली का बखूबी प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने भी इस प्रकार के अनेक निबंध लिखे हैं जिनमें उनके मन की मुक्त उड़ान को अनुभव किया जा सकता है। इन निबंधों में उनकी व्यक्तिगत रुचि और अरुचि का प्रकाशन है। नित्य प्रति के सामान्य शब्दों को अपनाते हुए बड़ी-बड़ी बातें कह देना द्विवेदीजी की अपनी विशेषता है। व्यक्तिगत निबंध जब लेखक लिखता है तो उसका संबंध उसके संपूर्ण निबंध से होता है। आचार्यजी के इसी प्रकार के निबंध ललित निबंध कहलाते रहे हैं। आचार्यजी ने स्वयं कहा है, “व्यक्तिगत निबंधों का लेखन किसी एक विषय को छेड़ता है किंतु जिस प्रकार वीणा के एक तार को छेड़ने से बाकी सभी तार झंकृत हो उठते हैं उसी प्रकार उस एक विषय को छुते ही लेखक की चित्तभूमि पर बँधे सैकड़ों विचार बज उठते हैं।”

आचार्य रामचंद्र शुक्ल व्यक्तित्व व्यंजना को निबंधों का आवश्यक गुण मानते हैं। उन्होंने वैचारिक गंभीरता और क्रमबद्धता का समर्थन किया है। आज हिंदी में दो ही प्रकार के प्रमुख निबंध लिखे जा रहे हैं, “व्यक्तिनिष्ठ और वस्तुनिष्ठ। यों निबंध का कोई भी विषय हो सकता है। साहित्यिक भी हो सकता है और सांस्कृतिक भी। सामाजिक भी और ऐतिहासिक आदि भी। वस्तुतः कोई भी निबंध केवल वस्तुनिष्ठ नहीं हो सकता और न ही व्यक्तिनिष्ठ हो सकता है। निबंध में कभी चिंतन की प्रधानता होती है और कभी लेखक का व्यक्तित्व उभर आता है।”

निबंध शैली

वस्तुतः निबंध शैली को अलग रूप में देखने की परम्परा-सी चल निकली है अन्यथा निबंधों का व करण निबंध शैली ही है। लेखक की रचना ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है। शैली ही उसके व्यक्तित्व की पहचान होती है। एक आलोचक ने शैली के बारे में कहा है कि जितने निबंध हैं, उतनी शैलियाँ हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि निबंध लेखन में लेखक के निजीपन का पूरा असर पड़ता है। निबंध की शैली से ही किसी निबंधकार की पहचान होती है क्योंकि एक निबंधकार की शैली दूसरे निबंधकार से भिन्न होती हैं।

मुख्य रूप से निबंध की निम्न शैलियाँ कही जाती हैं-
1. समास शैली-इस निबंध शैली में निबंधकार कम से कम शब्दों में अधिक-से-अधिक विषय का प्रतिपादन करता है। उसके वाक्य सुगठित और कसे हुए होते हैं। गंभीर विषयों के लिए इस शैली का प्रयोग किया जाता है।

2. व्यास शैली-इस तरह के निबंधों में लेखक तथ्यों को खोलता हुआ चला जाता है। उन्हें विभिन्न तर्कों और उदाहरणों के ज़रिए व्याख्यायित करता चला जाता है। वर्णनात्मक, विवरणात्मक और तुलनात्मक निबंधों में निबंधकार इसी प्रकार की शैली का प्रयोग करता है।

3. तरंग या विक्षेप शैली-इस शैली में निबंधकार में एकान्विति का अभाव रहता है। इसमें निबंधकार अपने मन की मौज़,में आकर बात कहता हुआ चलता है पर विषय पर केंद्रित अवश्य रहता है।

4. विवेचन शैली-इंस निबंध शैली में लेखक तर्क-वितर्क के माध्यम से प्रमाण पुष्टि और व्याख्या के माध्यम से, निर्णय आदि के माध्यम से अपने विषय को बढ़ाता हुआ चलता है। इस शैली में लेखक गहन चिंतन के आधार पर अपना कथ्य प्रस्तुत करता चला जाता है। विचारात्मक निबंधों में लेखक इस शैली का प्रयोग करता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध इसी प्रकार की शैली के अन्तर्गत माने जाते हैं।

5. व्यंग्य शैली-इस शैली में निबंधकार व्यंग्य के माध्यम से अपने विषयों का प्रतिपादन करता चलता है। इसमें उसके विषय धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि भी हो सकते हैं। इसमें रचनाकार किंचित हास्य का पुट देकर विषय को पठनीय बना देता है। शब्द चयन और अर्थ के चमत्कार की दृष्टि से इस शैली का निबंधकारों में विशेष प्रचलन है। व्यंग्यात्मक निबंध इसी शैली में लिखे जाते हैं।

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6. निगमन और आगमन शैली-निबंधकार अपने विषय का प्रतिपादन करने । की दृष्टि से निगमन शैली और आगमन शैली का प्रयोग करता है। इस प्रकार की शैली में लेखक पहले विचारों को सूत्र रूप में प्रस्तुत करता है। तद्उपरांत उस सूत्र के अन्तर्गत पहले अपने विचारों की विस्तार के साथ व्याख्या करता है। बाद में सूत्र रूप में सार लिख देता है। आगमन शैली निनन शैली के विपरीत होती है। इसके अतिरिक्त निबंध की अन्य कई शैलियों को देखा जा सकता है, जैसे प्रलय शैली। इस प्रकार की शैली में निबंधकार कुछ बहके-बहके भावों की अभिव्यंजना करता है। कुछ लेखकों के निबंधों में इस शैली को देखा जा सकता है। भावात्मक निबंधों के लिए कुछ निबंधकार विक्षेप शैली अपनाते हैं। धारा शैली में भी कुछ निबंधकार निबंध लिखते हैं। इसी प्रकार कुछ निबंधकारों ने अलंकरण, चित्रात्मक, सूक्तिपरक, धाराप्रवाह शैली का भी प्रयोग किया है। महादेवी वर्मा की निबंध शैली अलंकरण शैली है।

हिंदी निबंध : विकास की दिशाएँ
हिंदी गद्य का अभाव तो भारतेंदुजी से पूर्व भी नहीं था, पर कुछ अपवादों तक सीमित था। उसकी न तो कोई निश्चित परंपरा थी और न ही प्रधानता। सन् 1850 के बाद गद्य की निश्चित परंपरा स्थापित हुई, महत्त्व भी बढ़ा। पाश्चात्य सभ्यता के संपर्क में आने पर हिंदी साहित्य भी निबंध की ओर उन्मुख हुआ। इसीलिए कहा जाता है कि भारतेंदु युग में सबसे अधिक सफलता निबंध लेखन में मिली। हिंदी निंबध साहित्य को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है

  • भारतेंदुयुगीन निबंध,
  • द्विवेदीयुगीन निबंध,
  • शुक्लयुगीन निबंध
  • शुक्लयुगोत्तर निबंध एवं
  • सामयिक निबंध-1940 से अब तक।

भारतेंदुयुगीन निबंध-भारतेंदु युग में सबसे अधिक सफलता निबंध में प्राप्त हुई। इस युग के लेखकों ने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से निबंध साहित्य को संपन्न किया! भारतेंदु हरिश्चंद्र से हिंदी निबंध का आरंभ माना जाना चाहिए। बालकृष्ण भट्ट और प्रतापनारायण मिश्र ने इस गद्य विधा को विकसित एवं समृद्ध किया। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इन दोनों लेखकों को स्टील और एडीसन कहा है। ये दोनों हिंदी के आत्म-व्यंजक निबंधकार थे। इस युग के प्रमुख निबंधकार हैं-भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रतापनारायण मिश्र, बालकृष्ण भट्ट, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’, लाला श्री निवासदास, राधाचरण गोस्वामी, काशीनाथ खत्री आदि। इन सभी निबंधकारों का संबंध किसी-न-किसी पत्र-पत्रिका से था। भारतेंदु ने पुरातत्त्व, इतिहास, धर्म, कला, समाज-सुधार, जीवनी, यात्रा-वृत्तांत, भाषा तथा साहित्य आदि अनेक विषयों पर निबंध लिखे। प्रतापनारायण मिश्र के लिए तो विषय की कोई सीमा ही नहीं थी। ‘धोखा’, ‘खुशामद’, ‘आप’, ‘दाँत’, ‘बात’ आदि पर उन्होंने अत्यंत रोचक निबंध लिखे। बालकृष्ण भट्ट भारतेंदु युग के सर्वाधिक समर्थ निबंधकार हैं। उन्होंने सामयिक विषय जैसे ‘बाल-विवाह’, ‘स्त्रियाँ और उनकी शिक्षा’ पर उपयोगी निबंध लिखे। ‘प्रेमघन’ के निबंध भी सामयिक विषयों पर टिप्पणी के रूप में हैं। अन्य निबंधकारों का महत्त्व इसी में है कि उन्होंने भारतेंदु, बालकृष्ण भट्ट और प्रतापनारायण मिश्र के मार्ग का अनुसरण किया।

द्विवेदीयुगीन निबंध-भारतेंदु युग में निबंध साहित्य की पूर्णतः स्थापना हो गई थी, लेकिन निबंधों का विषय अधिकांशतः व्यक्तिव्यंजक था। द्विवेदीयुगीन निबंधों में व्यक्तिव्यंजक निबंध कम लिखे गए। इस युग के श्रेष्ठ निबंधकारों में महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864-1938), गोविंदनारायण मिश्र (1859-1926), बालमुकुंद गुप्त (1865-1907), माधव प्रसाद मिश्र (1871-1907), मिश्र बंधु-श्याम बिहारी मिश्र (1873-1947) और शुकदेव बिहारी मिश्र (1878-1951), सरदार पूर्णसिंह (1881-1939), चंद्रधर शर्मा गुलेरी (1883-1920), जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी (1875-1939), श्यामसुंदर दास (1875-1945), पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’ (1876-1932), रामचंद्र शुक्ल (1884-1940), कृष्ण बिहारी मिश्र (1890-1963) आदि उल्लेखनीय हैं। महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबंध परिचयात्मक या आलोचनात्मक हैं। उनमें आत्मव्यंजन तत्त्व नहीं है। गोंविद नारायण मिश्र के निबंध पांडित्यपूर्ण तथा संस्कृतनिष्ठ गद्यशैली के लिए प्रसिद्ध हैं। बालमुकुंद गुप्त ‘शिवशंभु के चिट्टे’ के लिए विख्यात हैं।

ये चिट्ठे “भारत मित्र’ में छपे थे। माधव प्रसाद मिश्र के निबंध ‘सुदर्शन’ में प्रकाशित हुए। उनके निबंधों का संग्रह ‘माधव मिश्र निबंध माला’ के नाम से प्रकाशित है। सरदार पूर्णसिंह भी इस युग के निबंधकार हैं। इनके निबंध नैतिक विषयों पर हैं। कहीं-कहीं इनकी शैली व्याख्यानात्मक हो गई हैं। चंद्रधर शर्मा गलेरी ने कहानी के अतिरिक्त निबंध भी लिखे। उनके निबंधों में मार्मिक व्यंग्य है। जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी के निबंध ‘गद्यमाला’ (1909) और ‘निबंध-निलय’ में प्रकाशित हैं। पद्मसिंह शर्मा कमलेश तुलनात्मक आलोचना के लिए विख्यात हैं। उनकी शैली प्रशंसात्मक और प्रभावपूर्ण है। श्यामसुंदरदास तथा कृष्ण बिहारी मिश्र मूलतः आलोचक थे। इनकी शैली सहज और परिमार्जित है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के प्रारंभिक निबंधों में भाषा संबंधी प्रश्नों और कुछ ऐतिहासिक व्यक्तियों के संबंध में विचार व्यक्त किए गए हैं। उन्होंने कुछ अंग्रेजी निबंधों का अनुवाद भी किया।

इस युग में गणेशशंकर विद्यार्थी, मन्नन द्विवेदी आदि ने भी पाठकों का ध्यान आकर्षित किया। शुक्लयुगीन निबंध-इस युग के प्रमुख निबंधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल हैं आचार्य शुक्ल के निबंध ‘चिंतामणि’ के दोनों खंडों में संकलित हैं। अभी हाल में चिंतामणि का तीसरा खंड प्रकाशित हुआ है। इसका संपादन डॉ. नामवर सिंह ने किया है। इसी युग के निबंधकारों में बाबू गुलाबराय (1888-1963) का उल्लेखनीय स्थान है। ‘ठलुआ क्लब’, ‘फिर निराश क्यों’, ‘मेरी असफलताएँ’ आदि संग्रहों में उनके श्रेष्ठ निबंध संकलित हैं। ल पुन्नालाल बख्शी’ ने कई अच्छे निबंध लिखे। इनके निबंध ‘पंचपात्र’ में संगृहीत हैं। अन्य निबंधकारों में शांति प्रेत द्विवेदी, शिवपूजन सहाय, पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’, रधुवीर सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी आदि मुख्य हैं। इस युग में निबंध तो लिखे गए, पर ललित निबंध कम ही हैं।

शुक्लयुगोत्तर निबंध-शुक्लयुगोत्तर काल में निबंध ने अनेक दिशाओं में सफलता प्राप्त की। इस युग मं समीक्षात्मक निबंध अधिक लिखे गए। यों व्यक्तव्यंजक निबंध भी कम नहीं लिखे गए। शुक्लजी के समीक्षात्मक निबंधों को परंपरा के दूसरे नाम हैं नंददुलारे वाजपेयी। इसी काल के महत्त्वपूर्ण निबंधकार आच हजागे प्रसाद द्विवेदी हैं। उनके ललित निबंधों में नवीन जीवन-बोध है।

शुक्लयुगोत्तर निबंधकारों में जैनेंद्र कुमार का स्थान काफी ऊँचा है। उनके निबंधों में दार्शनिकता है। यह दार्शनिकता निजी है, अतः ऊब पैदा नहीं करती। उनके निबंधों में सरसता है।

हिंदी में प्रभावशाली समीक्षा के अग्रदूत शांतिप्रिय द्विवेदी हैं। इन्होंने समीक्षात्मक निबंध भी लिखे हैं और साहित्येतर भी। इनके समीक्षात्मक निर्बंधों में निर्बध का स्वाद मिलता है। रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ने भी इस युग में महत्त्वपूर्ण निबंध लिखे। इनके निबंध विचार-प्रधान हैं। लेकिन कुछ निबंधों में उनका अंतरंग पक्ष भी उद्घाटित हुआ है। समीक्षात्मक निबंधकारों में डॉ. नगेंद्र का स्थान महत्त्वपूर्ण है। उनके निबंधों की कल्पना, मनोवैज्ञानिक दृष्टि उनके व्यक्तित्व के अपरिहार्य अंग हैं। रामवृक्ष बेनीपुरी के निबंध-संग्रह ‘गेहूँ और गुलाब’ तथा ‘वंदे वाणी विनायकौ’ हैं। बेनीपुरी की भाषा में आवेग है, जटिलता नहीं। श्रीराम शर्मा, देवेंद्र सत्यार्थी भी निबंध के क्षेत्र में उल्लेखनीय हैं। वासुदेवशरण अग्रवाल के निबंधों में भारतीय संस्कृति के विविध आयामों को विद्वतापूर्वक उद्घाटित किया गया है। यशपाल के निबंधों में भी मार्क्सवादी दृष्टिकोण मिलता है। बनारसीदास चतुर्वेदी के निबंध-संग्रह ‘साहित्य और जीवन’, ‘हमारे आराध्य’ नाम में यही प्रवृत्ति है। कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर के निबंध में करुणा, व्यंग्य और भावुकता का सन्निवेश है। भगवतशरण उपाध्याय ने ‘ठूठा आम’, और ‘सांस्कृतिक निबंध’ में इतिहास और संस्कृति की पृष्टभूमि पर निबंध लिखे। प्रभाकर माचवे, विद्यानिवास मिश्र, धर्मवीर भारती, शिवप्रसाद सिंह, कुबेरनाथ राय, ठाकुर प्रसाद सिन्हा आदि के ललित निबंध विख्यात हैं।

सामयिक निबंधों में नई चिंतन पद्धति और अभिव्यक्ति देखी जा सकती है। अज्ञेय, विद्यानिवास मिश्र, कुबेरनाथ राय, निर्मल वर्मा, रमेशचंद्रशाह, शरद जोशी, जानकी वल्लभ शास्त्री, रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’, नेमिचंद्र जैन, विष्णु प्रभाकर, जगदीश चतुर्वेदी, डॉ. नामवर सिंह और विवेकी राय आदि ने हिंदी गद्य की निबंध परंपरा को न केवल बढ़ाया है, बल्कि उसमें विशिष्ट प्रयोग किए हैं। समीक्षात्मक निबंधों में गजानन माधव मुक्तिबोध का नाम आता है। उनके निबंधों में बौद्धिकता है और वयस्क वैचारिकता तबोध के ‘नई कविता का आत्मसंघर्ष तथा अन्य निबंध’ नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, ‘समीक्षा की समस्याएँ’ और ‘एक साहित्यिक की डायरी’ नामक निबंध विशेष उल्लेखनीय हैं। डॉ. रामविलास शर्मा के निबंध शैली में स्वच्छता, प्रखरता तथा वैचारिक संपन्नता है। हिंदी निबंध में व्यंग्य को रवींद्र कालिया ने बढ़ाया है। नए निबंधकारों में रमेशचंद्र शाह का नाम तेजी से उभरा है।

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महादेवी वर्मा, विजयेंद्र स्नातक, धर्मवीर भारती, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना और रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ के निबंधों में प्रौढ़ता है। इसके अतिरिक्त विष्णु प्रभाकर कृत ‘हम जिनके ऋणी हैं’ जानकी वल्लभ शास्त्री कृत ‘मन की बात’, ‘जो बिक न सकी’ आदि निबंधों में क्लासिकल संवेदना का उदात्त रूप मिलता है। नए निबंधकारों में : प्रभाकर श्रोत्रिय, चंद्रकांत वांदिवडेकर, नंदकिशोर आचार्य, बनवारी, कृष्णदत्त पालीवाल, प्रदीप मांडव, कर्णसिंह चौहान और सुधीश पचौरी आदि प्रमुख हैं। आज राजनीतिक-सांस्कृतिक विषयों पर भी निबंध लिखे जा रहे हैं। अतः हिंदी निबंध-साहित्य उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है।

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य

चुम्बकत्व एवं द्रव्य NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भू-चुम्बकत्व सम्बन्धी निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) एक सदिश को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए तीन राशियों की आवश्यकता होती है। उन तीन स्वतन्त्र राशियों के नाम लिखिए जो परम्परागत रूप से पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती हैं।
(b) दक्षिण भारत में किसी स्थान पर नति कोण का मान लगभग 18° है। ब्रिटेन में आप इससे अधिक नति कोण की अपेक्षा करेंगे या कम की?
(c) यदि आप ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में भू-चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का नक्शा बनाएँ तो ये रेखाएँ पृथ्वी के अन्दर जाएँगी या इससे बाहर आएँगी?
(d) एक चुम्बकीय सुई जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, यदि भू-चुम्बकीय उत्तर या दक्षिण ध्रुव पर रखी हो तो यह किस दिशा में संकेत करेगी?
(e) यह माना जाता है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक चुम्बकीय द्विध्रुव के क्षेत्र जैसा है जो पृथ्वी के केन्द्र पर रखा है और जिसका द्विध्रुव आघूर्ण 8 × 10225 जूल टेस्ला-1 है। कोई ढंग सुझाइए जिससे इस संख्या के परिमाण की कोटि जाँची जा सके।
(f) भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि मुख्य N-S चुम्बकीय ध्रुवों के अतिरिक्त, पृथ्वी की सतह पर कई अन्य स्थानीय ध्रुव भी हैं, जो विभिन्न दिशाओं में विन्यस्त हैं। ऐसा होना कैसे सम्भव है?
उत्तर :
(a) पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होने वाली तीन राशियाँ निम्नलिखित हैं-

  • नति कोण अथवा नमन कोण δ
  • दिक्पात का कोण θ
  • पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव BH

(b) चूँकि ब्रिटेन, दक्षिण भारत की तुलना में पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के अधिक समीप है, अतः यहाँ नति कोण अधिक होगा। वास्तव में ब्रिटेन में नति कोण लगभग 70° है।।
(c) ऑस्ट्रेलिया, पृथ्वी के दक्षिण गोलार्द्ध में स्थित है। चूंकि पृथ्वी के दक्षिण ध्रुव से चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ बाहर निकलती हैं, अत: ये पृथ्वी से बाहर निकलती प्रतीत होंगी।
(d) चूँकि ध्रुवों पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र ऊर्ध्वाधर होता है, अतः ध्रुवों पर लटकी चुम्बकीय सुई (जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है) ऊर्ध्वाधर दिशा की ओर इंगित करेगी।

(e) यदि हम मान लें कि पृथ्वी के केन्द्र पर M चुम्बकीय-आघूर्ण का चुम्बकीय द्विध्रुव रखा है तो पृथ्वी के चुम्बकीय निरक्ष पर स्थित बिन्दुओं की इस द्विध्रुव के केन्द्र से दूरी पृथ्वी की त्रिज्या के बराबर होगी।
निरक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र \(B=\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{M}{r^{3}}\)
∴ \(M=\frac{4 \pi B r^{3}}{\mu_{0}} \)
प्रयोगों द्वारा पृथ्वी के चुम्बकीय निरक्ष पर B = 0.4 गॉस = 0.4 × 10-4 टेस्ला तथा
r = RE = 6.4 × 106 मीटर
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 1
= 10.5 × 1022
ऐम्पियर-मीटर 2 स्पष्ट है कि पृथ्वी के चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण का यह मान 8 × 1022 जूल टेस्ला-1 के अत्यन्त निकट है। इस प्रकार पृथ्वी के चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण के परिमाण की कोटि की जाँच की जा सकती है।
(f) यद्यपि पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र, एकल चुम्बकीय द्विध्रुव के कारण माना जाता है अपितु स्थानीय स्तर पर चुम्बकित पदार्थों के भण्डार अन्य चुम्बकीय ध्रुवों का निर्माण करते हैं।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) एक जगह से दूसरी जगह जाने पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र बदलता है। क्या यह समय के साथ भी
साथ भी बदलता है? यदि हाँ, तो कितने समय अन्तराल पर इसमें पर्याप्त परिवर्तन होते हैं?
(b) पृथ्वी के क्रोड में लोहा है, यह ज्ञात है। फिर भी भूगर्भशास्त्री इसको पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का स्रोत नहीं मानते। क्यों?
(c) पृथ्वी के क्रोड के बाहरी चालक भाग में प्रवाहित होने वाली आवेश धाराएँ भू-चुम्बकीय क्षेत्र के लिए उत्तरदायी समझी जाती हैं। इन धाराओं को बनाए रखने वाली बैटरी (ऊर्जा स्रोत) क्या हो सकती है?
(d) अपने 4-5 अरब वर्षों के इतिहास में पृथ्वी अपने चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कई बार उलट चुकी होगी। भूगर्भशास्त्री, इतने सुदूर अतीत के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में कैसे जान पाते हैं?
(e) बहुत अधिक दरियों पर (30,000 किमी से अधिक) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र अपनी द्विध्रुवीय आकृति से काफी भिन्न हो जाता है। कौन-से कारक इस विकृति के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
(1) अन्तरातारकीय अन्तरिक्ष में 10-12 टेस्ला की कोटि का बहुत ही क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र होता है। क्या इस क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र के भी कुछ प्रभावी परिणाम हो सकते हैं? समझाइए।
उत्तर :
(a) यद्यपि यह सत्य है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र समय के साथ बदलता है, परन्तु चुम्बकीय-क्षेत्र में प्रेक्षण योग्य परिवर्तन के लिए कोई निश्चित समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती। इसमें सैकड़ों वर्ष का समय भी लग सकता है।
(b) यह सुज्ञात तथ्य है कि पृथ्वी के क्रोड में पिघला हुआ लोहा है परन्तु इसका ताप लोहे के क्यूरी ताप से कहीं अधिक है। इतने उच्च ताप पर यह (लौहचुम्बकीय नहीं हो सकता) कोई चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं कर सकता।
(c) यह माना जाता है कि पृथ्वी के गर्भ में उपस्थित रेडियोऐक्टिव पदार्थों के विघटन से प्राप्त ऊर्जा ही आवेश धाराओं की ऊर्जा का स्रोत है।

(d) प्रारम्भ में पृथ्वी के गर्भ में अनेकों पिघली हुई चट्टानें थीं जो समय के साथ धीरे-धीरे ठोस होती चली गईं। इन चट्टानों में मौजूद लौह-चुम्बकीय पदार्थ उस समय के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के अनुरूप संरेखित हो गए। इस प्रकार भूतकाल का पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र इन चट्टानों में चुम्बकीय पदार्थों के अनुरूपण में अभिलेखित है। इन चट्टानों का भूचुम्बकीय अध्ययन उस समय के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ज्ञान प्रदान करता है।

(e) पृथ्वी के आयनमण्डल में अनेकों आवेशित कण विद्यमान रहते हैं जिनकी गति एक अलग चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। यही चुम्बकीय क्षेत्र, पृथ्वी तल से अधिक दूरी पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को विकृत कर देता है। आयनों के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र सौर पवन पर निर्भर करता है।

(f) सूत्र R = \(\frac{m v}{q B}\) से, \(R \propto \frac{1}{B}\)
इससे स्पष्ट है कि अत्यन्त क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण अति विशाल त्रिज्या का मार्ग अपनाता है जो कि थोड़ी दूरी में लगभग सरल रेखीय प्रतीत होता है, अत: छोटी दूरियों के लिए सूक्ष्म चुम्बकीय क्षेत्र अप्रभावी प्रतीत होते हैं परन्तु बड़ी दूरियों में ये प्रभावी विक्षेपण उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 3.
एक छोटा छड़ चुम्बक जो एकसमान बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र 0.25 टेस्ला के साथ 30° का कोण बनाता है, पर 4.5 × 10-2 जूल का बल आघूर्ण लगता है। चुम्बक के चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण क्या है?
हल :
दिया है : B= 0.25 टेस्ला, θ = 30°, r = 4.5 × 10-2 जूल, M = ?
t= MB sin θ से,
\(M=\frac{\tau}{B \sin \theta}=\frac{4.5 \times 10^{-2}}{0.25 \times 0.5}\) (∵ sin 30° = 0.5)
∴ चुम्बकीय-आघूर्ण M = 0.36 जूल टेस्ला-1

प्रश्न 4.
चुम्बकीय-आघूर्ण m = 0.32 जूल टेस्ला-1 वाला एक छोटा छड़ चुम्बक, 0.15 टेस्ला के एकसमान बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा है। यदि यह छड़ क्षेत्र के तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो क्षेत्र के किस विन्यास में यह (i) स्थायी सन्तुलन और (ii) अस्थायी सन्तुलन में होगा? प्रत्येक स्थिति में चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा का मान बताइए।
हल :
दिया है : m = 0.32 जूल टेस्ला-1
B= 0.15 टेस्ला ।
(i) जब चुम्बक का चुम्बकीय-आघूर्ण क्षेत्र की दिशा में संरेखित होगा तो चुम्बक स्थायी सन्तुलन की स्थिति में होगा।
इस स्थिति में स्थितिज ऊर्जा U0 = – MB cos 0° [∵ Uθe = – MB cos θ]
= – 0.32 × 0.15 × 1
= – 0.048 जूल
या = 4.8×10-2 जूल।

(ii) जब चुम्बकीय-आघूर्ण, क्षेत्र के विपरीत दिशा में संरेखित होगा (θ = 180°) तो चुम्बक अस्थायी सन्तुलन की स्थिति में होगा। इस स्थिति में स्थितिज ऊर्जा U180° = – MB cos 180°
= – 0.32 × 0.15 × (-1)
= + 0.048 जूल
= 4.8 × 10-2 जूल।

प्रश्न 5.
एक परिनालिका में पास-पास लपेटे गए 800 फेरे हैं तथा इसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 2.5 × 10-4 मीटर2 है और इसमें 3.0 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है। समझाइए कि किस अर्थ में यह परिनालिका एक छड़ चुम्बक की तरह व्यवहार करती है? इसके साथ जुड़ा हुआ चुम्बकीय-आघूर्ण कितना है?
हल :
दिया है : N = 800, i = 3.0 ऐम्पियर, A = 2.5 × 10-4 मीटर2
∴ चुम्बकीय-आघूर्ण M = NiA = 800 × 3.0 × 2.5 × 10-4
= 0.60 जूल टेस्ला-1
∵ परिनालिका को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाने पर दण्ड चुम्बक के समान ही इस पर भी एक बल-युग्म कार्य करता है, अत: यह दण्ड-चुम्बक के समान व्यवहार करती है।

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प्रश्न 6.
यदि प्रश्न 5 में बताई गई परिनालिका ऊर्ध्वाधर दिशा के परितः घूमने के लिए स्वतन्त्र हो और इस पर क्षैतिज दिशा में एक 0.25 टेस्ला का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए, तो इस परिनालिका पर लगने वाले बल आघूर्ण का परिमाण उस समय क्या होगा, जब इसकी अक्ष आरोपित क्षेत्र की दिशा से 30° का कोण बना रही हो?
हल :
दिया है : B= 0.25 टेस्ला
पूर्व प्रश्न में,. M = 0.60 जूल टेस्ला-1
θ = 30°
∴ परिनालिका पर बल-आघूर्ण t = MB sin θ = 0.60 × 0.25 × \(\frac { 1 }{ 2 }\)
= 0.075 जूल = 7.5 × 10-2 जूल।

प्रश्न 7.
एक छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय-आघूर्ण 1.5 जूल टेस्ला-1 है, 0.22 टेस्ला के एक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश रखा है।
(a) एक बाह्य बल आघूर्ण कितना कार्य करेगा यदि यह चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र के (i) लम्बवत्, (ii) विपरीत दिशा में संरेखित करने के लिए घुमा दें।
(b) स्थिति (i) एवं (ii) में चुम्बक पर कितना बल आघूर्ण होता है?
हल :
दिया है : M = 1.5 जूल टेस्ला-1,
B= 0.22 टेस्ला ।
(a) सूत्र W = – MB (cosθ2 – cosθ1) से,
(i) चुम्बक को θ1 = 0° से θ2 = 90° तक घुमाने में बल-आघूर्ण द्वारा कृत कार्य
W = – 1.5 × 0.22 [cos 90° – cos 0°]
= – 0.33 × (0- 1)= 0.33 जूल। (ii) चुम्बक को 01 = 0° से 02 = 180° तक घुमाने में बल आघूर्ण द्वारा कृत कार्य
W = – 1.5 × 0.22 [cos 180° – cos 0°]
= – 0.33 [ – 1 – 1] = 0.66 जूल।

(b) (i) स्थिति (i) में चुम्बक पर कार्यरत बल आघूर्ण
t= MB sin 90°
= 1.5 × 0.22 × 1 = 0.33 जूल।
(ii) स्थिति (ii) में चुम्बक पर कार्यरत बल-आघूर्ण
T= MB sin 180° = 0

प्रश्न 8.
एक परिनालिका जिसमें पास-पास 2000 फेरे लपेटे गए हैं तथा जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 1.6 × 10-4 मीटर2 है और जिसमें 4.0 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है, इसके केन्द्र से इस प्रकार लटकाई गई है कि यह एक क्षैतिज तल में घूम सके।
(a) परिनालिका के चुम्बकीय-आघूर्ण का मान क्या है?
(b) परिनालिका पर लगने वाला बल एवं बल आघूर्ण क्या है, यदि इस पर, इसकी अक्ष से 30° का कोण बनाता हुआ 7.5 × 10-2 टेस्ला का एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए?
हल :
दिया है : कुल फेरे
N = 2000,
A = 1.6 × 10-4 मीटर2
i = 4.0 ऐम्पियर
B = 7.5 × 10-2 टेस्ला

(a) परिनालिका का चुम्बकीय-आघूर्ण
M = NiA = 2000 × 4.0 × 1.6 × 10-4
= 1.28 ऐम्पियर-मीटर2

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(b) सूत्र t = MB sin θ से,
अक्ष से θ = 30° के कोण पर लगे चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल आघूर्ण
t = 1.28 × 7.5 × 10-2 × \(\frac { 1 }{ 2 }\)
= 4.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर
= 0.048 न्यूटन-मीटर। :: क्षेत्र एकसमान है, अत: परिनालिका पर कार्यरत बल शून्य होगा।

प्रश्न 9.
एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें 16 फेरे हैं, जिसकी त्रिज्या 10 सेमी है और जिसमें 0.75 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है, इस प्रकार रखी है कि इसका तल 5.0 × 10-2 टेस्ला परिमाण वाले बाह्य क्षेत्र के लम्बवत् है। कुंडली, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् और इसके अपने तल में स्थित एक अक्ष के चारों तरफ घूमने के लिए स्वतन्त्र है। यदि कुंडली को जरा-सा घुमा कर छोड़ दिया जाए तो यह अपनी स्थायी सन्तुलनावस्था के इधर-उधर 2.0 सेकण्ड-1 की आवृत्ति से दोलन करती है। कुंडली का अपने घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण क्या है?
हल :
दिया है : N = 16, r = 0.10 मीटर, i = 0.75 ऐम्पियर, B= 5.0 × 10-2 टेस्ला
घूर्णन आवृत्ति γ = 2.0 सेकण्ड-1, जड़त्व-आघूर्ण I = ?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 2
कुंडली का चुम्बकीय-आघूर्ण
M = NiA = Ni × πr2
= 16 × 0.75 × 3.14 × (0.10)2
= 0.377 ऐम्पियर-मीटर2
∴ जड़त्व-आघूर्ण \(I=\frac{0.377 \times 5.0 \times 10^{-2}}{4 \times(3.14)^{2} \times(2.0)^{2}}\)
= 1.2 × 10-4 किग्रा-मीटर।

प्रश्न 10.
एक चुम्बकीय सुई चुम्बकीय याम्योत्तर के समान्तर एक ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है। इसका उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 22° के कोण पर नीचे की ओर झुका है। इस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान 0.35 गाउस है। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का परिमाण ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव
BH = 0.35 गाउस
जबकि नति कोण δ = 22°
यदि पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र B है तो BH = B cos δ से,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 3
\(B=\frac{B_{H}}{\cos \delta}=\frac{0.35}{\cos 22^{\circ}}\)
\(=\frac{0.35}{0.9272}\) = 0.38 गाउस।

प्रश्न 11.
दक्षिण अफ्रीका में किसी स्थान पर एक चुम्बकीय सुई भौगोलिक उत्तर से 12° पश्चिम की ओर संकेत करती है। चुम्बकीय याम्योत्तर में संरेखित नति-वृत्त की चुम्बकीय सुई का उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 60° उत्तर की
ओर संकेत करता है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव मापने पर 0.16 गाउस पाया जाता है। इस स्थान पर पृथ्वी के क्षेत्र का परिमाण और दिशा बताइए।
हल :
दिया है : नति कोण 6 = 60° जबकि दिक्पात का कोण θ = 12° उत्तर से पश्चिम की ओर BH = 0.16 गाउस
BH = B cos δ से,
\(B=\frac{B_{H}}{\cos \delta}=\frac{0.16}{\cos 60^{\circ}}\)
\(=\frac{0.16}{0.5}\) = 0.32 गाउस
अत: इस स्थान पर पृथ्वी का सम्पूर्ण क्षेत्र 0.32 गाउस है जिसकी दिशा भौगोलिक याम्योत्तर से 12° पश्चिम की ओर क्षैतिज से 60° के कोण पर ऊपर की ओर है।

प्रश्न 12.
किसी छोटे छड़ चुम्बक का चुम्बकीय-आघूर्ण 0.48 जूल टेस्ला-1 है। चुम्बक के केन्द्र से 10 सेमी की दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर इसके चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा बताइए यदि यह बिन्दु (i) चुम्बक के अक्ष पर स्थित हो, (ii) चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर स्थित हो।
हल :
दिया है : M = 0.48 जूल टेस्ला-1, r = 0.10 मीटर, B= ?
(i) जब बिन्दु चुम्बक के अक्ष पर है तब चुम्बकीय क्षेत्र
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 4
= 0.96 × 10-4 टेस्ला ।
अथवा Bax = 0.96 गाउस दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर
(ii) जब बिन्दु चुम्बक के लम्ब समद्विभाजक पर है तो चुम्बकीय क्षेत्र
Beq= \(\frac { 1 }{ 2 }\)Bax = \(\frac { 1 }{ 2 }\) × 0.96
= 0.48 गाउस ( उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर)।

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प्रश्न 13.
क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुम्बक का अक्ष, चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है। सन्तुलन बिन्दु चुम्बक के अक्ष पर, इसके केन्द्र से 14 सेमी दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.36 गाउस एवं नति कोण शून्य है। चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर इसके केन्द्र से उतनी ही दूर (14 सेमी) स्थित किसी बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र क्या होगा?
हल :
दिया है : पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र B= 0.36 गाउस, नति कोण δ = 0°
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 5
अक्ष पर सन्तुलन बिन्दु की दूरी r = 0.14 मीटर
माना सन्तुलन बिन्दु पर चुम्बक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र Bax है
तब सन्तुलन की अवस्था में ,
Bax = BH⇒ Bax = B cos δ = B
ये क्षेत्र परस्पर विपरीत होंगे।
अभिलम्ब समद्विभाजक पर, इतनी ही दूरी पर चुम्बक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
Beq = \(\frac { 1 }{ 2 }\)Bax⇒ Beq= \(\frac { 1 }{ 2 }\)B
परन्तु यहाँ पृथ्वी का क्षेत्र BH = B तथा चुम्बक का क्षेत्र दोनों एक ही दिशा में हैं, अतः यहाँ परिणामी क्षेत्र
B1 = Beq + B = \(\frac { 1 }{ 2 }\)B + B
= \(\frac { 3 }{ 2 }\)B = \(\frac { 3 }{ 2 }\) × 0.36 = 0.54 गाउस।
इसकी दिशा पृथ्वी के क्षेत्र के अनुदिश होगी।

प्रश्न 14.
यदि प्रश्न 13 में वर्णित चुम्बक को 180° से घुमा दिया जाए तो सन्तुलन बिन्दुओं की नई स्थिति क्या होगी?
हल :
इस स्थिति में, सन्तुलन बिन्दु अभिलम्ब समद्विभाजक पर प्राप्त होगा।
अक्षीय स्थिति में सन्तुलन बिन्दु हेतु
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 6
अन्तिम स्थिति में, प्रश्न के अनुसार rax = 0.14 मीटर
req = \(\frac{0.14}{(2)^{1 / 3}}\) × 2-1/3
= 0.111 मीटर = 11.1 सेमी।
अत: सन्तुलन बिन्दु निरक्षीय स्थिति में केन्द्र से 11.1 सेमी की दूरी पर मिलेगा।

प्रश्न 15.
एक छोटा छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय-आघूर्ण 5.25 × 10-2 जूल टेस्ला-1 है, इस प्रकार रखा है कि इसका अक्ष पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है। चुम्बक के केन्द्र से कितनी दूरी पर, परिणामी क्षेत्र पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा से 45° का कोण बनाएगा, यदि हम (a) अभिलम्ब समद्विभाजक पर देखें, (b) अक्ष पर देखें? इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण 0.42 गाउस है। प्रयुक्त दूरियों की तुलना में चुम्बक की लम्बाई की उपेक्षा कर सकते हैं।
हल :
दिया है : M = 5.25 × 10-2जूल टेस्ला-1
पृथ्वी का क्षेत्र BH = 0.42 गाउस
(a) माना ऐसा, चुम्बक के निरक्ष पर उसके केन्द्र से req दूरी पर होता है।
इस बिन्दु पर चुम्बक के कारण क्षेत्र
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 7

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प्रश्न 16.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) ठण्डा करने पर किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ का नमूना अधिक चुम्बकन क्यों प्रदर्शित करता है? ( एक ही चुम्बककारी क्षेत्र के लिए)
(b) अनुचुम्बकत्व के विपरीत, प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का प्रभाव लगभग नहीं होता। क्यों?
(c) यदि एक टोरॉइड में बिस्मथ का क्रोड लगाया जाए तो इसके अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र उस स्थिति की तुलना में (किंचित) कम होगा या (किंचित) ज्यादा होगा, जबकि क्रोड खाली हो?
(d) क्या किसी लौहचुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकशीलता चुम्बकीय क्षेत्र पर निर्भर करती है? यदि हाँ, तो उच्च चुम्बकीय क्षेत्रों के लिए इसका मान कम होगा या अधिक? . (e) किसी लौह चुम्बक की सतह के प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ सदैव लम्बवत् होती हैं [यह तथ्य उन स्थिरविद्युत क्षेत्र रेखाओं के सदृश है जो कि चालक की सतह.के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत् होती हैं। क्यों?
(f) क्या किसी अनुचुम्बकीय नमूने का अधिकतम सम्भव चुम्बकन, लौहचुम्बक के चुम्बकन के परिमाण की कोटि का होगा?
उत्तर :
(a) ताप के घटने पर पदार्थ के परमाण्वीय चुम्बकों का ऊष्मीय विक्षोभ कम हो जाता है जिसके कारण इन चुम्बकों के बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में संरेखित होने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। –
(b) प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के परमाणु ऊष्मीय विक्षोभ के कारण, भले ही किसी भी स्थिति में हों, उनमें बाह्य
चुम्बकीय क्षेत्र के कारण, प्रेरित चुम्बकीय-आघूर्ण सदैव ही बाह्य क्षेत्र के विपरीत दिशा में प्रेरित होता है। इस प्रकार प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का कोई प्रभाव नहीं होता।
(c) चूँकि बिस्मथ एक प्रतिचुम्बकीय पदार्थ है, अत: चुम्बकीय क्षेत्र अपेक्षाकृत कुछ कम हो जाएगा।
(d) लौहचुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकशीलता बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र पर निर्भर करती है तथा तीव्र चुम्बकीय, क्षेत्र के लिए इसका मान कम होता है।
(e) जब दो माध्यम किसी स्थान पर मिलते हैं जिनमें से एक के लिए µ >>1 हो तो इनके सीमा पृष्ठ पर क्षेत्र रेखाएँ लम्बवत् हो जाती हैं।
(1) हाँ, किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ का अधिकतम सम्भव चुम्बकत्व, लौहचुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन के परिमाण की कोटि का हो सकता है। परन्तु किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ को इस कोटि तक चुम्बकित करने के लिए अति उच्च चुम्बकीय क्षेत्र की आवश्यकता होती है जिसे प्राप्त करना व्यवहार में सम्भव नहीं है।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) लौहचुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन वक्र की अनुत्क्रमणीयता, डोमेनों के आधार पर गुणात्मक दृष्टिकोण से समझाइए।
(b) नर्म लोहे के एक टुकड़े के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल, कार्बन-स्टील के टुकड़े के शैथिल्य लप के क्षेत्रफल से कम होता है। यदि पदार्थ को बार-बार चुम्बकन चक्र से गुजारा जाए तो कौन-सा टुकड़ा अधिक ऊष्मा ऊर्जा का क्षय करेगार
(c) लौह चुम्बक जैसा शैथिल्य लूप प्रदर्शित करने वाली कोई प्रणाली स्मृति संग्रहण की युक्ति है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(d) कैसेट के.चुम्बकीय फीतों पर परत चढ़ाने के लिए या आधुनिक कम्प्यूटर में स्मृति संग्रहण के लिए, किस तरह के लौहचुम्बकीय पदार्थों का इस्तेमाल होता है? ।
(e) किसी स्थान को चुम्बकीय क्षेत्र से परिरक्षित करना है। कोई विधि सुझाइए।
उत्तर :
(a) जब बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र को शून्य कर दिया जाता है तो भी लौहचुम्बकीय पदार्थ के डोमेन अपनी प्रारम्भिक स्थिति में नहीं लौट पाते अपितु उनमें कुछ चुम्बकन शेष रह जाता है। यही कारण है कि लौहचुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकन वक्र अनुत्क्रमणीय होता है।
(b) किसी पदार्थ के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल एक पूर्ण चुम्बकन चक्र में होने वाली ऊर्जा-हानि को प्रदर्शित करता है। यह ऊर्जा-हानि ही पदार्थ में ऊष्मा के रूप में उत्पन्न होती है। चूंकि कार्बन-स्टील के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल अधिक है, अत: इसमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी अर्थात् कार्बन-स्टील का टुकड़ा अधिक ऊष्मा क्षय करेगा।
(c) किसी लौहचुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन उस पर लगाए गए बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र के चक्रों की संख्या पर निर्भर करता है। इस प्रकार किसी लौह चुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन उस पर लगाए गए चुम्बकन चक्र की सूचना दे सकता है। इस प्रकार चुम्बकन चक्र की स्मृति, चुम्बकित पदार्थ के नमूने में एकत्र हो जाती है।
(d) इस कार्य के लिए सिरेमिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है।
(e) किसी स्थान को चुम्बकीय क्षेत्र से परिरक्षित करने के लिए उस स्थान को नर्म लोहे के रिंग से घेर देना चाहिए। इससे चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ, नर्म लोहे के रिंग से होकर गुजर जाती हैं तथा रिंग के भीतर प्रवेश नहीं कर पातीं।

प्रश्न 18.
एक लम्बे, सीधे, क्षैतिज केबल में 2.5 ऐम्पियर धारा, 10° दक्षिण-पश्चिम से 10° उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर भौगोलिक याम्योत्तर के 10° पश्चिम में है। यहाँ पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.33 गाउस एवं नति कोण शून्य है। उदासीन बिन्दुओं की रेखा निर्धारित कीजिए। (केबल की मोटाई की उपेक्षा कर सकते हैं।)
(उदासीन बिन्दुओं पर, धारावाही केबल द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र, पृथ्वी के क्षैतिज घटक के चुम्बकीय क्षेत्र के समान एवं विपरीत दिशा में होता है।)
हल :
दिया है : पृथ्वी का क्षेत्र B= 0.33 × 10-4 टेस्ला, नति कोण δ = 0°
∴ पृथ्वी के क्षेत्र का क्षैतिज घटक BH = B cos δ = 0.33 × 10-4 टेस्ला
माना उदासीन बिन्दु तार से a दूरी पर है, तब
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 8
इस प्रकार, उदासीन बिन्दु रेखा केबल के समान्तर ऊपर की ओर केबल से 1.5 सेमी की दूरी पर होगी।

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प्रश्न 19.
किसी स्थान पर एक टेलीफोन केबल में चार लम्बे, सीधे, क्षैतिज तार हैं जिनमें से प्रत्येक में 1.0 ऐम्पियर की धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.39 गाउस एवं नति कोण 35° है। दिक्पात कोण लगभग शून्य है। केबल के 4.0 सेमी नीचे और 4.0 सेमी ऊपर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्रों के मान क्या होंगे?
हल :
पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र
B = 0.39 × 10-4 टेस्ला, δ = 35°, i= 1.0 ऐम्पियर
पृथ्वी के क्षेत्र का क्षैतिज अवयव
BH = B cos δ = 0.39 × cos 35°
= 0.39 × 0.819
= 0.319 गाउस (दक्षिण से उत्तर)
तथा ऊर्ध्वाधर अवयव
BV = B sin δ = 0.39 × sin 35° = 0.39 × 0.573
= 0.224 गाउस
चार केबलों के कारण उनसे a = 4.0x 10-2 मीटर की दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 9
= 0.2 × 10-4 टेस्ला = 0.2 गाउस
केबल के ऊपर चुम्बकीय क्षेत्र B’ क्षैतिजतः दक्षिण से उत्तर की ओर तथा केबल के नीचे यह क्षेत्र क्षैतिजतः उत्तर से दक्षिण की ओर होगा।
केबल के नीचे चुम्बकीय क्षेत्र
यहाँ BH व B’ परस्पर विपरीत हैं।
∴ क्षैतिज अवयव
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 10
अत: केबल के नीचे नेट चुम्बकीय क्षेत्र 0.254 गाउस है जो क्षैतिज से 62° के कोण पर है।
केबल के ऊपर चुम्बकीय क्षेत्र
यहाँ BH व B’ एक ही दिशा में हैं।
∴ क्षैतिज अवयव
B’H = BH + B’ = 0.319 + 0.2 = 0.519 गाउस
जबकि BV = 0.224 गाउस
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 11
अत: नेट चुम्बकीय क्षेत्र 0.57 गाउस है जो क्षैतिज से 23° के कोण पर है।

प्रश्न 20.
एक चुम्बकीय सुई जो क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, 30 फेरों एवं 12 सेमी त्रिज्या वाली एक कुंडली के केन्द्र पर रखी है। कुंडली एक ऊर्ध्वाधर तल में है और चुम्बकीय याम्योत्तर से 45° का कोण बनाती है। जब कुंडली में 0.35 ऐम्पियर धारा प्रवाहित होती है, चुम्बकीय सुई पश्चिम से पूर्व की ओर संकेत करती है।
(a) इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान ज्ञात कीजिए।
(b) कुंडली में धारा की दिशा उलट दी जाती है और इसको अपनी ऊर्ध्वाधर अक्ष पर वामावर्त दिशा में (ऊपर से देखने पर ) 90° के कोण पर घुमा दिया जाता है। चुम्बकीय सुई किस दिशा में ठहरेगी? इस स्थान पर चुम्बकीय दिक्पात शून्य लीजिए।
हल :
(a) दिया है : कुंडली में फेरों की संख्या N = 30
धारा i = 0.35 ऐम्पियर, त्रिज्या a = 0.12 मीटर
कंडली के केन्द्र पर चम्बकीय क्षेत्र \(B=\frac{\mu_{0} N i}{2 a}=\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 30 \times 0.35}{2 \times 0.12}\)
= 0.55 गाउस
यह क्षेत्र कुंडली के तल के लम्बवत् है।
∵ चुम्बकीय सुई पूर्व-पश्चिम दिशा में ठहरती है, अतः इस स्थान पर नेट चुम्बकीय क्षेत्र पूर्व पश्चिम दिशा में होगा।
यह तभी सम्भव है जबकि क्षेत्र B का उत्तर-दक्षिण दिशा में अवयव BH को सन्तुलित कर ले।
अर्थात् BH = B cos 45° = 0.55 × \(\frac{1}{\sqrt{2}}\)
पृथ्वी के क्षेत्र का क्षैतिज अवयव BH = 0.39 गाउस।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 12
(b) चित्र-5.4 (b) से स्पष्ट है कि इस बार नेट चुम्बकीय क्षेत्र पूर्व से पश्चिम की ओर होगा। अतः चुम्बकीय सुई पूर्व से पश्चिम की ओर संकेत करेगी।

प्रश्न 21.
एक चुम्बकीय द्विध्रुव दो चुम्बकीय क्षेत्रों के प्रभाव में है। ये क्षेत्र एक-दूसरे से 60° का कोण बनाते हैं और उनमें से एक क्षेत्र का परिमाण 1.2 × 10-2 टेस्ला है। यदि द्विध्रुव स्थायी सन्तुलन में इस क्षेत्र से 15° का कोण बनाए, तो दूसरे क्षेत्र का परिमाण क्या होगा?
हल :
दिया है : B1 = 1.2 × 10-2 टेस्ला, B2 = ?
∵ द्विध्रुव एक क्षेत्र से 15° का कोण बनाता है, अत: दूसरे क्षेत्र से 45° का कोण बनाएगा।
सन्तुलन की स्थिति में दोनों के कारण द्विध्रुव पर कार्यरत बल-युग्म के आघूर्ण परस्पर सन्तुलित हो जाएँगे।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 13
∴ MB1 sin 15o = MB2 sin 45°
B2= \(\frac{B_{1} \sin 15^{\circ}}{\sin 45^{\circ}}\)
= \(\frac{1.2 \times 10^{-2} \times 0.2588}{0.707}\)
450
150
= 4.39 × 10-3 टेस्ला
= 4.4 x 10-3 टेस्ला ।

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प्रश्न 22.
एक समोर्जी 18 किलो इलेक्ट्रॉन-वोल्ट वाले इलेक्ट्रॉनों के किरण पुंज पर जो शुरू में क्षैतिज दिशा में गतिमान हैं, 0.04 गाउस का एक क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र, जो किरण पुंज की प्रारम्भिक दिशा के लम्बवत् है, लगाया गया है। आकलन कीजिए 30 सेमी की क्षैतिज दूरी चलने में किरण पुंज कितनी दूरी ऊपर या नीचे विस्थापित होगा? (me = 9.11 × 10-31 किग्रा, e= 1.60 × 10-19 कूलॉम)।
[नोट : इस प्रश्न में आँकड़े इस प्रकार चुने गए हैं कि उत्तर से आपको यह अनुमान हो कि T.V. सेट में इलेक्ट्रॉन गन से पर्दे तक इलेक्ट्रॉन किरण पुंज की गति भू-चुम्बकीय क्षेत्र से किस प्रकार प्रभावित होती है।
हल :
दिया है : B= 0.04 गाउस = 4 x 10-6 टेस्ला ।

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 14
माना इलेक्ट्रॉनों का वेग υ x है, तब \(\frac { 1 }{ 2 }\)meυ x2 = K ⇒ υ x = \(\sqrt{\frac{2 K}{m_{e}}}[latex]
इलेक्ट्रॉन, चुम्बकीय क्षेत्र के कारण वृत्तीय मार्ग पर गति करते हैं जिसकी त्रिज्या । निम्नलिखित है –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 15
माना इलेक्ट्रॉन-पुंज बिन्दु A पर चुम्बकीय क्षेत्र में क्षैतिज दिशा में प्रवेश करते हैं तथा क्षैतिज दिशा में x = 0.30 मीटर दूरी तय करने तक बिन्दु B पर पहुँच जाते हैं, तब (चित्र से),
sin θ = [latex]\frac{x}{R}=\frac{0.30}{11.3}\)= 0.0265
θ = sin-1(0.0265) = 1.52°
∴ इलेक्ट्रॉनों का ऊपर अथवा नीचे की ओर विस्थापन
y= OA – OC = R – R cos θ = R (1 – cosθ) = 11.3 (1 – 0.9996)
= 4.0 × 10-3 मीटर अथवा
y = 4 मिमी।

प्रश्न 23.
अनुचुम्बकीय लवण के एक नमूने में 2.0 × 1024 परमाणु द्विध्रुव हैं जिनमें से प्रत्येक का द्विध्रुव आघूर्ण 1.5 × 10-23 जूल टेस्ला-1 है। इस नमूने को 0.64 टेस्ला के एक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है और 4.2 K ताप तक ठण्डा किया गया। इसमें 15% चुम्बकीय संतृप्तता आ गई। यदि इस नमूने को 0.98 टेस्ला के चुम्बकीय क्षेत्र में 2.8 K ताप पर रखा हो तो इसका कुल द्विध्रुव आघूर्ण कितना होगा? (यह मान सकते हैं कि क्यूरी नियम लागू होता है।)
हल :
दिया है : N = 2.0 × 1024, m = 1.5 × 10-23 जूल टेस्ला -1, B1 = 0.64 टेस्ला, T1= 4.2 K, चुम्बकीय संतृप्तता M1 = 15%, B2 = 0.98 टेस्ला, T2 = 2.8 K,
चुम्बकीय संतृप्तता M2 = ?
चुम्बकीय संतृप्तता की स्थिति में,
पदार्थ का चुम्बकीय-आघूर्ण M = Nm = 2.0 × 1024 × 1.5 × 10-23 = 30 जूल टेस्ला-1
प्रथम स्थिति में,
चम्बकीय-आघूर्ण M1 = M का 15% = \(\frac{15 M}{100}=\frac{15 \times 30}{100}\) = 4.5 जल टेस्ला-1
∵ क्यूरी नियम लागू होता है। अतः
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 16

प्रश्न 24.
एक रोलैंड रिंग की औसत त्रिज्या 15 सेमी है और इसमें 800 आपेक्षिक चुम्बकशीलता के लौह चुम्बकीय क्रोड पर 3500 फेरे लिपटे हुए हैं। 1.2 ऐम्पियर की चुम्बककारी धारा के कारण इसके क्रोड में कितना घुम्बकीय क्षेत्र (\(\overrightarrow{\mathbf{B}}\)) होगा?
हल :
दिया है : औसत त्रिज्या a = 0.15 मीटर, μr = 800, N = 3500, i = 1.2 ऐम्पियर, B= ?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 17

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प्रश्न 25.
किसी इलेक्ट्रॉन के नैज चक्रणी कोणीय संवेग \(\overrightarrow{\mathbf{s}}\) एवं कक्षीय कोणीय संवेग \(\overrightarrow{1}\) के साथ जुड़े चुम्बकीय-आघूर्ण क्रमशः \(\overrightarrow{\mu_{\mathrm{S}}}\) और \(\overrightarrow{\mu_{1}}\) हैं। क्वाण्टम सिद्धान्त के आधार पर (और प्रयोगात्मक रूप से अत्यन्त परिशुद्धतापूर्वक पुष्ट) इनके मान क्रमशः निम्न प्रकार दिए जाते हैं –
μs = – \(\left(\frac{e}{2 m}\right) \overrightarrow{\mathrm{i}}\) एवं μl= – \left(\frac{e}{2 m}\right) \overrightarrow{\mathbf{1}}
इनमें से कौन-सा व्यंजक चिरसम्मत सिद्धान्तों के आधार पर प्राप्त करने की आशा की जा सकती है? उस चिरसम्मत आधार पर प्राप्त होने वाले व्यंजक को व्युत्पन्न कीजिए।
हल :
व्यंजक \(\vec{\mu}_{1}=-\left(\frac{e}{2 m}\right) \overrightarrow{1}\), चिरसम्मत सिद्धान्तों के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है।
माना इलेक्ट्रॉन r त्रिज्या की वृत्तीय कक्षा में चक्कर लगा रहा है तथा इसका परिक्रमण काल T है, तब
परिक्रमण के कारण कक्षा में धारा i = \(\frac{e}{T}\)
∴ परिक्रमण के कारण उत्पन्न चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण
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जबकि कक्षा में घूमते इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग
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∵ इलेक्ट्रॉन का आवेश e ऋणात्मक है, अतः \(\vec{\mu}_{1} व \overrightarrow{1}\) सदिशों की दिशाएँ परस्पर विपरीत होंगी। . :
∴ सदिश रूप में लिखने पर, = \(\overrightarrow{\mu_{1}}=-\left(\frac{e}{2 m}\right) \overrightarrow{1}\)

चुम्बकत्व एवं द्रव्य NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LO Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

चुम्बकत्व एवं द्रव्य बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को पृथ्वी के केन्द्र पर स्थित बिन्दु द्विध्रुव के क्षेत्र का प्रतिरूप माना जा सकता है। इस द्विध्रुव का अक्ष पृथ्वी के अक्ष से 11.3° का कोण बनाता है। मुम्बई में द्विक्पात लगभग शून्य है, तब –
(a) पृथ्वी पर दिक्पात का मान 11.3° पश्चिम से 11.3° पूर्व के बीच परिवर्तित होता है।
(b) निम्नतम दिक्पात शून्य अंश (0°) है।
(c) द्विध्रुव अक्ष तथा पृथ्ट के अक्ष को धारण करने वाला तल ग्रीनविच से गुजरता है।
(d) समस्त पृथ्वी पर दिक्पात सदैव ऋणात्मक होना चाहिए।
उत्तर :
(a) पृथ्वी पर दिक्पात का मान 11.3° पश्चिम से 11.3° पूर्व के बीच परिवर्तित होता है।

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प्रश्न 2.
कमरे के ताप पर किसी स्थायी चुम्बक में –
(a) प्रत्येक अणु का चुम्बकीय-आघूर्ण शून्य होता है
(b) सभी अलग-अलग अणुओं के शून्येतर चुम्बकीय-आघूर्ण होते हैं जो पूर्णत: संरेखित होते हैं।
(c) कुछ डोमेन अंशत: संरेखित होते हैं
(d) सभी डोमेन पूर्णत: संरेखित होते हैं।
उत्तर :
(c) कुछ डोमेन अंशत: संरेखित होते हैं

चुम्बकत्व एवं द्रव्य अतिं लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉन की भाँति प्रोटॉन में भी चक्रण तथा चुम्बकीय-आघूर्ण होता है, तब पदार्थों के चुम्बकत्व में इसमें प्रभाव की उपेक्षा क्यों की जाती है?
उत्तर :
इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय-आघूर्ण \(\left(\mu_{e}\right)=\frac{e h}{4 \pi m_{e}}\)
इसी प्रकार, प्रोटॉन का चुम्बकीय-आघूर्ण \(\left(\mu_{p}\right)=\frac{e h}{4 \pi m_{p}}\)
परन्तु mp >> me अतः μe >> μp
अतः पदार्थों के चुम्बकत्व में इलेक्ट्रॉन की तुलना में प्रोटॉन के चुम्बकीय-आघूर्ण की उपेक्षा की जाती है।

प्रश्न 2.
आण्विक दृष्टिकोण से प्रतिचुम्बकत्व, अनुचुम्बकत्व तथा लौहचुम्बकत्व की चुम्बकीय प्रवृत्तियों की ताप निर्भरता की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
प्रतिचुम्बकत्व इलेक्ट्रॉनों की कक्षीय गति के कारण उत्पन्न होता है, अतः यह ताप से अधिक प्रभावित नहीं होता है। अनुचुम्बकीय तथा लौहचुम्बकीय पदार्थों के अणुओं में अपना परिणामी । चुम्बकीय-आघूर्ण होता है तथा प्रत्येक अणु स्वयं एक चुम्बकीय द्विध्रुव होता है। इन पदार्थों में चुम्बकत्व इन चुम्बकीय द्विध्रुवों के बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश संरेखण के कारण उत्पन्न होता है। ताप वृद्धि पर संरेखण विक्षोभित होता है जिसके परिणामस्वरूप इन पदार्थों की चुम्बकशीलता ताप वृद्धि पर घट जाती है।
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प्रश्न 3.
चित्र में दर्शाए अनुसार तीन सर्वसम छड़ चुम्बकों को समान तल में केन्द्र पर रिवट द्वारा जड़ दिया गया है। इस निकाय को विराम अवस्था में किसी धीरे-धीरे परिवर्तित होने वाले चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। यह पाया गया है कि चुम्बकों के निकाय में कोई गति नहीं हुई। एक चुम्बक के उत्तर-दक्षिण ध्रुवों को चित्र में दर्शाया गया है। अन्य दो चुम्बकों के ध्रुव निर्धारित कीजिए।
उत्तर :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य img 21
चुम्बकों के निकाय में कोई गति नहीं हुई है, अत: परिणामी चुम्बकीय-आघूर्ण m = 0.
इसके लिए एकमात्र सम्भव स्थिति चित्र में दर्शायी गई है।

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व

गतिमान आवेश और चुम्बकत्व NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
तार की एक वृत्ताकार कुंडली में 100 फेरे हैं, प्रत्येक की त्रिज्या 8.0 सेमी है और इनमें 0.40 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है?
हल :
दिया है :
फेरों की संख्या N = 100,
कुंडली में धारा i = 0.40 ऐम्पियर
कुंडली की त्रिज्या r = 8.0 × 10-2 मीटर,
केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B= ?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 1
= 3.14 × 10-4 टेस्ला ।

प्रश्न 2.
एक लम्बे,सीधे तार में 35 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। तार से 20 सेमी दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है?
हल :
दिया है : सीधे तार में धारा i = 35 ऐम्पियर,
बिन्दु की तार से दूरी r = 0.20 मीटर
∴ लम्बे सीधे तार के कारण चम्बकीय क्षेत्र \(B=\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \times \frac{i}{r}=\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi} \times \frac{35}{0.20}\)
= 3.5 × 10-5 टेस्ला ।

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प्रश्न 3.
क्षैतिज तल में रखे एक लम्बे सीधे तार में 50 ऐम्पियर विद्युत धारा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के पूर्व में 2.5 मीटर दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण और उसकी दिशा ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है :
तार में धारा i = 50 ऐम्पियर (उत्तर से दक्षिण),
तार से दूरी = 2.5 मीटर (पूर्व में)
तार के कारण चम्बकीय क्षेत्र B= \(\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \times \frac{i}{r}=\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi} \times \frac{50}{2.5}\)
= 4 × 10-6 टेस्ला ।
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर होगी।

प्रश्न 4.
व्योमस्थ खिंचे क्षैतिज बिजली के तार में 90 ऐम्पियर विद्युत धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के 1.5 मीटर नीचे विद्युत धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण और दिशा क्या है?
हल :
तार में धारा i = 90 ऐम्पियर (पूर्व से पश्चिम), ..
तार से दूरी = 1.5 मीटर
तार के कारण चुम्बकीय क्षेत्र B= \(\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \times \frac{i}{r}=\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi} \times \frac{90}{1.5}\)
= 1.2 × 10-5 टेस्ला ।
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्षैतिजत: उत्तर से दक्षिण की ओर होगी।

प्रश्न 5.
एक तार जिसमें 8 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, 0.15 टेस्ला के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र से 30° का कोण बनाते हुए रखा है। इसकी एकांक लम्बाई पर लगने वाले बल का परिमाण और इसकी दिशा क्या है?
हल :
दिया है :
तार में धारा i = 8 ऐम्पियर,
चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.15 टेस्ला,
तार व क्षेत्र के बीच कोण θ = 30°
∴ तार की एकांक लम्बाई पर बल F = ilB sin 30°
= 8 × 1 × 0.15 × \(\frac{1}{2}\)
= 0.6 न्यूटन-मीटर-1
बल की दिशा तार की लम्बाई तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दोनों के लम्बवत होगी।

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प्रश्न 6.
एक 3.0 सेमी लम्बा तार जिसमें 10 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, एक परिनालिका के भीतर उसके अक्ष के लम्बवत् रखा है। परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र का मान 0.27 टेस्ला है। तार पर लगने वाला चुम्बकीय बल क्या है?
हल :
तार की लम्बाई 1 = 3.0 × 10-2 मीटर,
तार में धारा i = 10 ऐम्पियर
परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र B= 0.27 टेस्ला
∵ परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र उसकी अक्ष के अनुदिश होता है, अत: चुम्बकीय क्षेत्र तार की लम्बाई के लम्बवत् है।
∴ तार पर लाने वाला चुम्बकीय बल F = ilB sin 90°
= 10 × 3.0 × 10-2 × 0.27
= 8.1 × 10-2 न्यूटन।

प्रश्न 7.
एक-दूसरे से 4.0 सेमी की दूरी पर रखे दो लम्बे, सीधे, समान्तर तारों A एवं B से क्रमशः 8.0 ऐम्पियर एवं 5.0 ऐम्पियर की विद्युत धाराएँ एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही हैं। तार A के 10 सेमी खण्ड पर बल का आकलन कीजिए।
हल :
तारों के बीच दूरी r= 4.0 × 10-2 मीटर,
धाराएँ i1 = 8.0 ऐम्पियर,
i2 = 5.0 ऐम्पियर,
तार A की लम्बाई l = 0.10 मीटर
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 2
यह बल आकर्षण का होगा।

प्रश्न 8.
पास-पास फेरों वाली एक परिनालिका 80 सेमी लम्बी है और इसमें 5 परतें हैं जिनमें से प्रत्येक में 400 फेरे हैं। परिनालिका का व्यास 1.8 सेमी है। यदि इसमें 8.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है तो परिनालिका के भीतर केन्द्र के पास चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{B}}\) का परिमाण परिकलित कीजिए।
हल:
परिनालिका की लम्बाई l = 0.80 मीटर,
त्रिज्या r = 0.9 × 10-2 मीटर
प्रवाहित धारा i = 8.0 ऐम्पियर,
कुल फेरे N = 5 × 400 = 2000
∴ एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या \(n=\frac{N}{l}=\frac{2000}{0.8}\) = 2500 प्रति मीटर
∴ अक्ष पर केन्द्र के समीप चुम्बकीय क्षेत्र B= μoni = 4π × 10-7 × 2500 × 8.0
= 8π × 10-3 टेस्ला
= 2.5 × 10-2 टेस्ला।

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प्रश्न 9.
एक वर्गाकार कुंडली जिसकी प्रत्येक भुजा 10 सेमी है, में 20 फेरे हैं और उसमें 12 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुंडली ऊर्ध्वाधरतः लटकी हुई है और इसके तल पर खींचा गया अभिलम्ब 0.80 टेस्ला के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 30°का एक कोण बनाता है। कुंडली पर लगने वाले बलयुग्म आघूर्ण का परिमाण क्या है?
हल :
कुंडली में फेरे N = 20, धारा i = 12 ऐम्पियर, कुंडली की भुजा a = 0.1 मीटर .
B= 0.80 टेस्ला ,
θ = 30° बल-युग्म का आघूर्ण, t = ?
t = NiAB sin 30°
= Ni (a2) B sin 30°
= 20 × 12 x (0.1)2 × 0.8 × \(\frac { 1 }{ 2 }\)
= 0.96 न्यूटन-मीटर।

प्रश्न 10.
दो चल कुंडली गैल्वेनोमीटर M1 एवं M2 के विवरण नीचे दिए गए हैं :
R1 = 10Ω,
N1 = 30,
A1 = 3.6 × 10-3 मीटर2
B1 = 0.25 टेस्ला ,
R2 = 14Ω,
N2 = 42,
A = 1.8 × 10-3 मीटर2
B2 = 0.50 टेस्ला ।
(दोनों मीटरों के लिए स्प्रिंग नियतांक समान है)।
(a) M2 एवं M1 की धारा सुग्राहिताओं
(b) M2 एवं M1 की वोल्टता सुग्राहिताओं का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल :
(a)
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(b)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 4

प्रश्न 11.
एक प्रकोष्ठ में 6.5 गाउस (1 गाउस= 10-4 टेस्ला) का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र बनाए रखा गया है। इस चुम्बकीय क्षेत्र में एक इलेक्ट्रॉन 4.8 x 106 मीटर-सेकण्ड-1 के वेग से क्षेत्र के लम्बवत् भेजा गया है। व्याख्या कीजिए कि इस इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार क्यों होगा? वृत्ताकार कक्षा की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
(e = 1.6 × 10-19 कूलॉम, me = 9.1 × 10-31 किग्रा)
हल :
दिया है :
B= 6.5 गाउस = 6.5 × 10-4 टेस्ला,
इलेक्ट्रॉन का वेग υ = 4.8 × 106 मीटर-सेकण्ड-1
चूँकि इलेक्ट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् गतिमान है, अत: इलेक्ट्रॉन पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल सदैव इलेक्ट्रॉन के वेग के लम्बवत् दिशा में लगता है जो केवल इलेक्ट्रॉन की गति की दिशा में परिवर्तन करता है परन्तु वेग के परिणाम में कोई परिवर्तन उत्पन्न नहीं करता। इस कारण इलेक्ट्रॉन वृत्तीय पथ पर गति करता है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 5

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प्रश्न 12.
प्रश्न 11 में, वृत्ताकार कक्षा में इलेक्ट्रॉन की परिक्रमण आवृत्ति प्राप्त कीजिए। क्या यह उत्तर इलेक्ट्रॉन के वेग पर निर्भर करता है? व्याख्या कीजिए।
हल :
∵ इलेक्ट्रॉन का वेग υ = 4.8 × 106 मीटर-सेकण्ड-1
तथा . कक्षा की त्रिज्या r = 4.2 × 10-2 मीटर
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 6
∵ आवृत्ति का सूत्र इलेक्ट्रॉन की चाल से मुक्त है, अत: यह उत्तर इलेक्ट्रॉन के वेग पर निर्भर नहीं करता।

प्रश्न 13.
(a) 30 फेरों वाली एक वृत्ताकार कुंडली जिसकी त्रिज्या 8.0 सेमी है और जिसमें 6.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, 1.0 टेस्ला के एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र में ऊर्ध्वाधरतः लटकी है। क्षेत्र रेखाएँ कुंडली के अभिलम्ब से 60° का कोण बनाती हैं। कुंडली को घूमने से रोकने के लिए जो प्रति आघूर्ण लगाया जाना चाहिए उसके परिमाण परिकलित कीजिए।
(b) यदि (a) में बतायी गई वृत्ताकार कुंडली को उसी क्षेत्रफल की अनियमित आकृति की समतलीय कुंडली से प्रतिस्थापित कर दिया जाए (शेष सभी विवरण अपरिवर्तित रहें.) तो क्या आपका उत्तर परिवर्तित हो जाएगा?
हल :
(a) कुंडली में फेरे N = 30, त्रिज्या r = 8.0 × 10-2 मीटर, i = 6.0 ऐम्पियर
चुम्बकीय क्षेत्र B= 1.0 टेस्ला, θ = 60°
∴ कुंडली पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल-युग्म का आघूर्ण
t = NiAB sin 60°
= Ni (πr2) B sin 60°
= 30 × 6.0 × (3.14 × 64.0 x 10-4) × 1.0 × \(\frac{\sqrt{3}}{2}\)
= 3.13 न्यूटन-मीटर।

स्पष्ट है कि कुंडली को घूमने से रोकने के लिए 3.13 न्यूटन-मीटर का बल-आघूर्ण विपरीत दिशा में लगाना होगा।

(b) नहीं, उत्तर में कोई परिवर्तन नहीं होगा। इसका कारण यह है कि बल-आघूर्ण (t = NiAB sin θ ) कुंडली के क्षेत्रफल A पर निर्भर करता है न कि उसके आकार पर।

प्रश्न 14.
दो समकेन्द्रिक वृत्ताकार कुंडलियाँ x और Y जिनकी त्रिज्याएँ क्रमशः 16 सेमी एवं 10 सेमी हैं, उत्तर-दक्षिण दिशा में समान ऊर्ध्वाधर तल में अवस्थित हैं। कुंडली X में 20 फेरे हैं और इसमें 16 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, कुंडली Y में 25 फेरे हैं और इसमें 18 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। पश्चिम की ओर मुख करके खड़ा एक प्रेक्षक देखता है कि X में धारा प्रवाह वामावर्त है जबकि Y में दक्षिणावर्त है। कुंडलियों के केन्द्र पर, उनमें प्रवाहित विद्युत धाराओं के कारण उत्पन्न कुल चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : कुंडली X के लिए, rX = 0.16 मीटर, NX = 20, iX = 16 ऐम्पियर
कुंडली Y के लिए, rY = 0.10 मीटर, NY = 25, iY = 18 ऐम्पियर
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 7
∵ BX तथा BY परस्पर विपरीत हैं। अत: केन्द्र पर नेट चुम्बकीय क्षेत्र B= By – BX
__= 9π × 10-4 – 4π × 10-4
= 5π × 10-4 टेस्ला
= 1.5 × 10-3 टेस्ला पश्चिम दिशा में। .

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प्रश्न 15.
10 सेमी लम्बाई और 10-3 मीटर2 अनुप्रस्थ काट के एक क्षेत्र में 100 गाउस (1 गाउस= 10-4 टेस्ला) का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र चाहिए, जिस तार से परिनालिका का निर्माण करना है उसमें अधिकतम 15A विद्युत धारा प्रवाहित हो सकती है और क्रोड पर अधिकतम 1000 फेरे प्रति मीटर लपेटे जा सकते हैं। इस उद्देश्य के लिए परिनालिका के निर्माण का विवरण सुझाइए। यह मान लीजिए कि क्रोड लोहचुम्बकीय नहीं है।
हल :
माना परिनालिका की एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या n तथा उसमें प्रवाहित धारा i है तब उसकी अक्ष पर केन्द्रीय भाग में
चुम्बकीय क्षेत्र B= μoni ⇒ ni = \(\frac{B}{\mu_{0}}\)
∵ B= 100 × 10-4 टेस्ला नियत है
तथा μo भी नियतांक है।
∴ दी गई परिनालिका के लिए ni = नियतांक
∵ इस प्रतिबन्ध में दो चर राशियाँ हैं, अतः हम किसी एक राशि को दी गई सीमाओं के अनुरूप स्वेच्छ मान देकर दूसरी राशि का चुनाव कर सकते हैं।
इससे स्पष्ट है कि अभीष्ट परिनालिका के बहुत से भिन्न-भिन्न विवरण सम्भव हैं।
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हम जानते हैं कि परिनालिका की अक्ष पर उसके केन्द्रीय भाग में चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एकसमान होता है। अत: दिया गया स्थान (10 सेमी लम्बा व 10-3 मीटर2 अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाला) परिनालिका की अक्ष के अनुदिश तथा केन्द्रीय भाग में होना चाहिए।
अतः परिनालिका की लम्बाई लगभग 50 सेमी से 100 सेमी के बीच (10 सेमी से काफी अधिक) होनी चाहिए तथा परिनालिका का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल 10-3 मीटर2 से अधिक होना चाहिए।
माना परिनालिका की त्रिज्या r है, तब πr2 > 10-3
⇒ r2 > \(\frac{10^{-3}}{3.14}\) = 3.18 x 10-4
⇒ r > 1.78 × 10-2 मीटर
या r > 1.78 सेमी
अत: हम परिनालिका की त्रिज्या 2 सेमी से अधिक (माना 3 सेमी) ले सकते हैं।
अतः परिनालिका का विवरण निम्नलिखित है :
लम्बाई l = 50 सेमी (लगभग),
फेरों की संख्या N = nl = 800 × 0.5 = 400 (लगभग),
त्रिज्या r = 3 सेमी (लगभग),
धारा i = 10 ऐम्पियर।

प्रश्न 16.
I धारावाही, N फेरों और R त्रिज्या वाली वृत्ताकार कुंडली के लिए, इसके अक्ष पर, केन्द्र से दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए निम्नलिखित व्यंजक है –
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(a) स्पष्ट कीजिए, इससे कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए सुपरिचित परिणाम कैसे प्राप्त किया जा . सकता है?
(b) बराबर त्रिज्या R एवं फेरों की संख्या N, वाली दो वृत्ताकार कुंडलियाँ एक-दूसरे से R दूरी पर एक-दूसरे के समान्तर, अक्ष मिलाकर रखी गई हैं। दोनों में समान विद्युत धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है। दर्शाइए कि कुण्डलियों के अक्ष के लगभग मध्य-बिन्दु पर क्षेत्र, एक बहुत छोटी दूरी के लिए जो कि Rसे कम है, एकसमान है और इस क्षेत्र का लगभग मान निम्नलिखित है –
B = 0.70\(\frac{\mu_{0} N I}{R}\)
हल :
(a) दिए गए सूत्र में x = 0 रखने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 10
जो कि स्पष्टतया कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का सूत्र है।
अतः दिए गए सूत्र से कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए x के स्थान पर शून्य रखना होगा।
(b) माना इस प्रकार की दो कुंडलियों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा C1C2 का मध्य-बिन्दु C है तथा इससे d दूरी (दूरी d बहुत छोटी है) पर एक बिन्दु P स्थित है।
तब प्रथम कुंडली के लिए, x1 = \(\frac { R }{ 2 }\) + d
तथा दूसरी कुंडली के लिए, x2 =\(\frac { R }{ 2 }\) – d
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 11
∵ दोनों कुंडली पूर्णतः एक जैसी हैं तथा दोनों में धाराएँ भी एक ही दिशा में हैं, अत: बिन्दु P पर दोनों के कारण चुम्बकीय क्षेत्र एक ही दिशा में होंगे।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 12

प्रश्न 17.
एक टोरॉइड के (अलौह चुम्बकीय) क्रोड की आन्तरिक त्रिज्या 25 सेमी और बाह्य त्रिज्या 26 सेमी है। इसके ऊपर किसी तार के 3500 फेरे लपेटे गए हैं। यदि तार में प्रवाहित विद्युत धारा 11 ऐम्पियर हो तो चुम्बकीय क्षेत्र का मान क्या होगा? (i) टोरॉइड के बाहर, (ii) टोरॉइड के क्रोड में, (iii) टोरॉइड द्वारा घिरी हुई खाली जगह में। हल :
दिया है : आन्तरिक त्रज्या r1 = 0.25 मीटर,
बाह्य त्रिज्या r2 = 0.26 मीटर
फेरों की संख्या N = 3500, धारा i = 11 ऐम्पियर
(i) टोरॉइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र B= 0
(ii)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 13
(iii) टोरॉइड द्वारा घेरे गए रिक्त स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र B= 0.

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प्रश्न 18.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) किसी प्रकोष्ठ में एक ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया गया है जिसका परिमाण तो एक बिन्दु पर बदलता है, पर दिशा निश्चित है ( पूर्व से पश्चिम)। इस प्रकोष्ठ में एक आवेशित कण प्रवेश करता है और अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता रहता है। आप कण के प्रारम्भिक वेग के बारे में क्या कह सकते हैं?
(b) एक आवेशित कण, एक ऐसे शक्तिशाली असमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है जिसका परिमाण एवं दिशा दोनों एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर बदलते जाते हैं, एक जटिल पथ पर चलते हुए इसके बाहर आ जाता है। यदि यह मान लें कि चुम्बकीय क्षेत्र में इसका किसी भी दूसरे कण से कोई संघट्ट नहीं होता तो क्या इसकी अन्तिम चाल, प्रारम्भिक चाल के बराबर होगी?
(c) पश्चिम से पूर्व की ओर चलता हुआ एक इलेक्ट्रॉन एक ऐसे प्रकोष्ठ में प्रवेश करता है जिसमें उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एकसमान एक विद्युत क्षेत्र है। वह दिशा बताइए जिसमें एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया जाए ताकि इलेक्ट्रॉन को अपने सरल रेखीय पथ से विचलित होने से रोका जा सके।
हल :
(a) ∵ आवेशित कण अविचलित सरल रेखीय गति करता है, इसका यह अर्थ है कि कण पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कोई बल नहीं लगा है। इससे प्रदर्शित होता है कि कण का प्रारम्भिक वेग या तो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में है अथवा उसके विपरीत है।

(b) हाँ, कण की अन्तिम चाल उसकी प्रारम्भिक चाल के बराबर होगी। इसका कारण यह है कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण गतिमान आवेश पर कार्यरत बल सदैव कण के वेग के लम्बवत् दिशा में लगता है जो केवल गति की दिशा को बदल सकता है परन्तु कण की चाल को नहीं।

(c) ∵ विद्युत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन पर दक्षिण से उत्तर की ओर विद्युत बल Fe कार्य करेगा, जिसके कारण इलेक्ट्रॉन उत्तर दिशा की ओर विक्षेपित होने की प्रवृत्ति रखेगा। इलेक्ट्रॉन बिना विचलित हुए सरल रेखीय गति करे इसके लिए आवश्यक है कि चुम्बकीय क्षेत्र ऐसी दिशा में लगाया जाए कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन पर उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर चुम्बकीय बल कार्य करे। इसके लिए फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम से चुम्बकीय क्षेत्र ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर लगाना चाहिए।

प्रश्न 19.
ऊष्मित कैथोड से उत्सर्जित और 2.0 किलोवोल्ट के विभवान्तर पर त्वरित एक इलेक्ट्रॉन 0.15 टेस्ला के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन का गमन पथ ज्ञात कीजिए यदि चुम्बकीय क्षेत्र (a) प्रारम्भिक वेग के लम्बवत् है, (b) प्रारम्भिक वेग की दिशा से 30° का कोण बनाता है।
हल :
माना इलेक्ट्रॉन का वेग υ है, तब
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(a) ∵ इलेक्ट्रॉन का वेग चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है, अतः इस दशा में इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार होगा।
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(b) ∵ इलेक्ट्रॉन का वेग चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् नहीं है। अतः इस दशा में इलेक्ट्रॉन का पथ कुंडलिनीय (सर्पिलाकार) होगा। चुम्बकीय क्षेत्र के लम्ब दिशा में इलेक्ट्रॉन के वेग का वियोजित घटक
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प्रश्न 20.
प्रश्न 16 में वर्णित हेल्महोल्ट्ज कुंडलियों का उपयोग करके किसी लघुक्षेत्र में 0.75 टेस्ला का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया है। इसी क्षेत्र में कोई एकसमान स्थिर विद्युत क्षेत्र कुंडलियों के उभयनिष्ठ अक्ष के लम्बवत् लगाया जाता है। (एक ही प्रकार के) आवेशित कणों का 15 किलोवोल्ट विभवान्तर पर त्वरित एक संकीर्ण किरण पुंज इस क्षेत्र में दोनों कुंडलियों के अक्ष तथा स्थिर विद्युत क्षेत्र की लम्बवत् दिशा के अनुदिश प्रवेश करता है। यदि यह किरण पुंज 9.0 x 10-5 वोल्ट मीटर-1, स्थिर विद्युत क्षेत्र में अविक्षेपित रहता है तो यह अनुमान लगाइए कि किरण पुंज में कौन-से कण हैं। यह स्पष्ट कीजिए कि यह उत्तर एकमात्र उत्तर क्यों नहीं है?
हल :
दिया है : B = 0.75 टेस्ला; E = 9.0 × 10-5 वोल्ट/मीटर-1, V = 15 × 103 वोल्ट
माना कण का द्रव्यमान m, वेग v तथा आवेश q है तब कण की
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विद्युत क्षेत्र के कारण कण पर बल Fe = qE
तथा कण पर चुम्बकीय बल Fm = qυB sin 90° = qυ B
∵ दोनों क्षेत्रों से कण अविचलित गुजरता है, अतः कण पर कार्यरत दोनों बल परिमाण में बराबर व दिशा में विपरीत होंगे।
∴ qυB=qE
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हम जानते हैं कि प्रोटॉन के लिए \(\frac{q}{m}\) का मान 9.6 x 107 कूलॉम/किग्रा होता है जबकि दिए गए कणों के लिए \(\frac{q}{m}\) के मान का आधा है। इससे ज्ञात होता है कि इस कण का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान का दोगुना होना चाहिए। अत: किरण पुंज में ड्यूटीरियम के आयन उपस्थित हो सकते हैं।

परन्तु ड्यूटीरियम ही एकमात्र ऐसा कण नहीं है जिसके लिए \(\frac{q}{m}\) का मान 4.8 x 10-13 कूलॉम/किग्रा है। द्विआयनित हीलियम परमाणु (x-कण या हीलियम नाभिक He2+) के लिए \(\frac{2e}{2m}\) तथा त्रिआयनित लीथियम परमाणु (Li3+ ) के लिए \(\frac{3e}{3m}\) के लिए भी \(\frac{2e}{2m}\) का मान यही रहता है।

प्रश्न 21.
एक सीधी, क्षैतिज चालक छड़ जिसकी लम्बाई 0.45 मीटर एवं द्रव्यमान 60 ग्राम है इसके सिरों पर जुड़े दो ऊर्ध्वाधर तारों पर लटकी हुई है। तारों से होकर छड़ में 5.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है।
(a) चालक के लम्बवत् कितना चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए कि तारों में तनाव शून्य हो जाए।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा यथावत् रखते हुए यदि विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कर दी जाए तो तारों में कुल आवेश कितना होगा? (तारों के द्रव्यमान की उपेक्षा कीजिए।) (g = 9.8 मीटर सेकण्ड-2)
हल :
छड़ की लम्बाई l = 0.45 मीटर व द्रव्यमान m = 0.06 किग्रा, तार में धारा i = 5.0 ऐम्पियर
(a) तारों में तनाव शून्य करने के लिए आवश्यक है कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण छड़ पर बल उसके भार के बराबर व विपरीत हो।
अतः ilB sin 90° = mg
⇒ \(B=\frac{m g}{i l}=\frac{0.06 \times 9.8}{5.0 \times 0.45}\) = 0.26 टेस्ला ।

(b) यदि धारा की दिशा बदल दी जाए तो चुम्बकीय बल तथा छड़ का भार दोनों एक ही दिशा में हो जाएँगे।
इस स्थिति में, तारों का तनाव = mg + ilB sin 90°
= mg + mg = 2mg (∵ प्रथम दशा से, ilB sin 90° = mg)
= 2 × 0.06 × 9.8= 1.176
= 1.18 न्यूटन।

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प्रश्न 22.
एक स्वचालित वाहन की बैटरी से इसकी चालन मोटर को जोड़ने वाले तारों में 300 ऐम्पियर विद्यत धारा (अल्प काल के लिए) प्रवाहित होती है। तारों के बीच प्रति एकांक लम्बाई पर कितना बल लगता है यदि इनकी लम्बाई 70 सेमी एवं बीच की दूरी 1.5 सेमी हो। यह बल आकर्षण बल है या प्रतिकर्षण बल?
हल :
दिया है : तारों में धारा i1 = i2 = 300 ऐम्पियर,
बीच की दूरी r = 1.5 × 10-2 मीटर
तारों की लम्बाई = 70 सेमी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 19
= 1.2 न्यूटन-मीटर-1
चूँकि तारों में धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है, अतः यह बल प्रतिकर्षण का होगा।

प्रश्न 23.
1.5 टेस्ला का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र, 10.0 सेमी त्रिज्या के बेलनाकार क्षेत्र में विद्यमान है। इसकी दिशा अक्ष के समान्तर पूर्व से पश्चिम की ओर है। एक तार जिसमें 7.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इस क्षेत्र में होकर उत्तर से दक्षिण की ओर गुजरती है। तार पर लगने वाले बल का परिमाण और दिशा क्या है, यदि
(a) तार अक्ष को काटता हो
(b) तार N-S दिशा से घुमाकर उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम दिशा में कर दिए जाए,
(c) N-S दिशा में रखते हुए ही तार को अक्ष से 6.0 सेमी नीचे उतार दिया जाए।
हल :
दिया है : B= 1.5 टेस्ला ,
क्षेत्र की त्रिज्या = 10.0 सेमी,
तार में धारा i = 7.0 ऐम्पियर

(a) इस दशा में तार की l = 2r = 0.20 मीटर लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र से गुजरेगी।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 20
चूँकि क्षेत्र तार की लम्बाई के लम्बवत् है,
∴ तार पर बल F = ilB sin 90°
= 7.0 × 0.20 × 1.5 × 1
= 2.1न्यूटन।
बल की दिशा ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर होगी।

(b) इस दशा में तार की लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 45° का कोण बनाएगी।
माना,इस दशा में तार की l1 लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र में गुजरती है, तब
sin 45° =\(\frac{2 r}{l_{1}}\) ⇒ l1 =\(\frac{2 r}{\sin 45^{\circ}}=l \sqrt{2}\)
∴ तार पर बल F = il1B sin 45°
\(=i l \sqrt{2} B \times \frac{1}{\sqrt{2}}\) = iBl
= 2.1न्यूटन (ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर )।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 21

(c) माना इस दशा में तार की l2 (लम्बाई) (l2 = AB) चुम्बकीय क्षेत्र से गुजरती है।
ΔOAC में, ∠OCA = 90°
∴ AC2 = OA2 – OC2
= 102 -62 = 64 ⇒ AC = 8 सेमी
∴ l2 = AB = 2 AC = 16 सेमी
= 0.16 मीटर
∴ तार पर बल F = il2B sin 90°
= 7.0 × 0.16 × 1.5 = 1.68 न्यूटन (ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर)।

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प्रश्न 24.
धनात्मक z-दिशा में 3000 गॉस का एक एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र लगाया गया है। एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 10 सेमी एवं 5 सेमी और जिसमें 12 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है, इस क्षेत्र में रखा है। चित्र-4.5 में दिखायी गई लूप की विभिन्न स्थितियों में इस पर लगने वाला बल-युग्म आघूर्ण क्या है? हर स्थिति में बल क्या है? स्थायी सन्तुलन वाली स्थिति कौन-सी है?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 22
हल :
दिया है : B= 3000 गाउस = 0.3 टेस्ला, a = 0.1 मीटर, b = 0.05 मीटर, i = 12 ऐम्पियर
कुंडली का क्षेत्रफल A = ab = 0.1 मीटर × 0.05 मीटर = 5 × 10-3 मीटर2
(a), (b), (c), (d) प्रत्येक दशा में कुंडली के तल पर अभिलम्ब, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है। अत: प्रत्येक दशा में बल-युग्म का आघूर्ण t = iAB sin 90° .
= 12 × 5 × 10-3 × 0.3 × 1
= 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर।
प्रत्येक दशा में बल शून्य है क्योंकि एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखे धारा लूप पर बल-युग्म कार्य करता है परन्तु बल नहीं।
(a) t = 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर ऋण Y-अक्ष की दिशा में तथा बल शून्य है।
(b) t = 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर ऋण Y-अक्ष की दिशा में तथा बल शून्य है।
(c) t = 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर ऋण X-अक्ष की दिशा में तथा बल शून्य है।
(d) t= 1.8 × 10-2 न्यूटन-मीटर तथा बल शून्य है।
(e) तथा (f) दोनों स्थितियों में कुंडली के तल पर अभिलम्ब चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश है अतः
t = iAB sin 0° = 0 .
अत: इन दोनों दशाओं में बल-आघूर्ण व बल दोनों शून्य हैं। यह स्थितियाँ सन्तुलन की स्थायी अवस्था को दर्शाती हैं।

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प्रश्न 25.
एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें 20 फेरे हैं और जिसकी त्रिज्या 10 सेमी है, एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी है जिसका परिमाण 0.10 टेस्ला है और जो कुंडली के तल के लम्बवत् है। यदि कुंडली में 5.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही हो, तो
(a) कुंडली पर लगने वाला कुल बलयुग्म आघूर्ण क्या है?
(b) कुंडली पर लगने वाला कुल परिणामी बल क्या है?
(c) चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कुंडली के प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला कुल औसत बल क्या है?
(कुंडली 10-5 मीटर2 अनुप्रस्थ क्षेत्र वाले ताँबे के तार से बनी है, और ताँबे में मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व 1029 मीटर-3 दिया गया है।)
हल:
फेरे N = 20, i = 5.0 ऐम्पियर, r = 0.10 मीटर, B= 0.10 टेस्ला
इलेक्ट्रॉन घनत्व n = 1029 मीटर-3 ,
तार का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A = 10-5 मीटर2

(a) ∵ कुंडली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है, अत: कुंडली के तल पर अभिलम्ब व चुम्बकीय क्षेत्र के बीच का कोण शून्य है (θ = 0°)
बल आधूर्ण t = NiAB sin 0° = 0
(b) कुंडली पर नेट बल भी शून्य है।
(c) यदि इलेक्ट्रॉनों का अपवाह वेग υd है तो
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 23

प्रश्न 26.
एक परिनालिका जो 60 सेमी लम्बी है, जिसकी त्रिज्या 4.0 सेमी है और जिसमें 300 फेरों वाली 3 परतें लपेटी गई हैं। इसके भीतर एक 2.0 सेमी लम्बा, 2.5 ग्राम द्रव्यमान का तार इसके ( केन्द्र के निकट) अक्ष के लम्बवत् रखा है। तार एवं परिनालिका का अक्ष दोनों क्षैतिज तल में हैं। तार को परिनालिका के समान्तर दो वाही संयोजकों द्वारा एक बाह्य बैटरी से जोड़ा गया है जो इसमें 6.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रदान करती है। किस मान की विद्युत धारा (परिवहन की उचित दिशा के साथ) इस परिनालिका के फेरों में प्रवाहित होने वाले तार का भार संभाल सकेगी? (g = 9.8 मीटर सेकण्ड-2)
हल :
परिनालिका की लम्बाई l = 0.6 मीटर,
त्रिज्या = 4.0 सेमी,
फेरे N = 300 × 3,
तार की लम्बाई L = 2.0 × 10-2 मीटर,
द्रव्यमान m = 2.5 × 10-3 किग्रा,
धारा I = 6.0 ऐम्पियर
माना परिनालिका में प्रवाहित धारा =i
तब परिनालिका के अक्ष पर केन्द्रीय भाग में चुम्बकीय क्षेत्र
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 24
∵ तार में धारा की दिशा ज्ञात नहीं है, अत: परिनालिका में धारा की दिशा बता पाना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 27.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध 12Ω है। 4 मिलीऐम्पियर की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्ण स्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 18 वोल्ट परास वाले वोल्टमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?
हल :
दिया है : G = 12Ω, ig= 4 मिलीऐम्पियर = 4 × 10-3 ऐम्पियर
0 से V (V = 18 वोल्ट) वोल्ट परास के वोल्टमीटर में बदलने के लिए गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में एक उच्च प्रतिरोध R जोड़ना होगा, जहाँ
\(\frac{V}{R+G}=i_{g} R+G = \frac{V}{i_{g}}\)
\(R=\frac{V}{i_{g}}-G=\frac{18}{4 \times 10^{-3}}-12=4488 \Omega\)
अत: गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में 44882 का प्रतिरोध जोड़ना होगा।

प्रश्न 28.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध 15 2 है। 4 मिली ऐम्पियर की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 6 ऐम्पियर परास वाले अमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?
हल : दिया है : G = 15Ω, ig = 4 मिलीऐम्पियर = 4.0 × 10-3 ऐम्पियर, i = 6 ऐम्पियर
गैल्वेनोमीटर को 0 से i ऐम्पियर धारा परास वाले अमीटर में बदलने के लिए इसके पार्श्वक्रम में एक सूक्ष्म प्रतिरोध S (शण्ट) जोड़ना होगा, जहाँ .
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 25
अत: इसके समान्तर क्रम में 10 m2 का प्रतिरोध जोड़ना होगा।

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गतिमान आवेश और चुम्बकत्व NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Q Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

गतिमान आवेश और चुम्बकत्व बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बायो-सेवर्ट नियम इंगित करता है कि । वेग से गतिमान इलेक्ट्रॉनों द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र Bइस प्रकार होता है कि –
(a) \(\overrightarrow{\mathrm{B}} \perp \vec{v}\)
(b) \(\overrightarrow{\mathrm{B}} \| \vec{v}\)
(c) यह व्युत्क्रम घन नियम का पालन करता है
(d) यह प्रेक्षण बिन्दु और इलेक्ट्रॉनों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होता है।
उत्तर :
(a) \(\overrightarrow{\mathrm{B}} \perp \vec{v}\)

प्रश्न 2.
R त्रिज्या का कोई धारावाही वृत्ताकार लूप x-y तल में इस प्रकार रखा है कि उसका केन्द्र मूलबिन्दु पर हो। इसका वह अर्द्धभाग जिसके लिए x> 0 है, अब इस प्रकार मोड़ दिया गया है कि यह y-2 तल में रहे –
(a) अब चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण घट जाता है
(b) चुम्बकीय-आघूर्ण परिवर्तित नहीं होता
(c) (0, 0, Z); Z>> R पर B का परिमाण बढ़ जाता है
(d) (0, 0, Z); Z >> R पर B का परिमाण अपरिवर्तित रहता है।
उत्तर :
(a) अब चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण घट जाता है

प्रश्न 3.
एक इलेक्ट्रॉन को किसी लम्बी धारावाही परिनलिका के अक्ष के अनुदिश एकसमान वेग से प्रक्षेपित किया जाता है। निम्नलिखित में कौन सा प्रकथन सत्य है
(a) इलेक्ट्रॉन अक्ष के अनुदिश त्वरित होगा
(b) अक्ष के परित: इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार होगा
(c) इलेक्ट्रॉन अक्ष से 45° पर बल अनुभव करेगा और इस प्रकार कुंडलिनी पथ पर गमन करेगा
(d) इलेक्ट्रॉन परिनालिका के अक्ष के अनुदिश एकसमान वेग से गति करता रहेगा।
उत्तर :
(d) इलेक्ट्रॉन परिनालिका के अक्ष के अनुदिश एकसमान वेग से गति करता रहेगा।

प्रश्न 4.
साइक्लोट्रॉन में कोई आवेशित कण –
(a) सदैव त्वरित होता है ।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र के कारण दोनों ‘डी’ के बीच के अन्तराल में त्वरित होता है
(c) की चाल ‘डी’ में बढ़ जाती है
(d) की चाल ‘डी’ में मन्द हो जाती तथा दोनों ‘डी’ के बीच बढ़ जाती है।
उत्तर :
(a) सदैव त्वरित होता है ।

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प्रश्न 5.
चुम्बकीय-आघूर्ण M का कोई विद्युतवाही वृत्ताकार लूप, किसी यादृच्छिक दिग्विन्यास में किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित है। लूप को इसके तल के लम्बवत् अक्ष के परितः 30° पर घूर्णन कराने में किया गया कार्य है –
(a) MB :
(b) \(\sqrt{3} \frac{M B}{2}\)
(c) \(\frac{M B}{2}\)
(d) शून्य।
उत्तर :
(d) शून्य।

गतिमान आवेश और चुम्बकत्व अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
यह सत्यापित कीजिए कि साइक्लोट्रॉन आवृत्ति \(\omega=\frac{e B}{m}\) की सही विमाएँ [T-1] हैं।
उत्तर :
साइक्लोट्रॉन में चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् गति करते समय आवेशित कण वृत्ताकार पथ पर गति करता है, जिसके लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल, चुम्बकीय बल से प्राप्त होता है। अतः
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 26

प्रश्न 2.
यह दर्शाइए कि ऐसा बल जो कोई प्रभावी कार्य नहीं करता वेग-निर्भर बल होना चाहिए।
उत्तर :
बल कोई प्रभावी कार्य नहीं कर रहा है, अतः
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प्रश्न 3.
साइक्लोट्रॉन में यदि रेडियो आवृत्ति (rf) वैद्युत क्षेत्र की आवृत्ति की दो गुनी हो जाए, तो उसमें किसी आवेशित कण की गति का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
रेडियो आवृत्ति के दो गुनी हो जाने पर कण एकान्तर क्रम में त्वरित एवं मन्दित गति करेगा तथा दोनों डी में कण के पथ की त्रिज्या अपरिवर्तित रहेगी।

गतिमान आवेश और चुम्बकत्व आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
चित्र में दर्शाए गए गैल्वेनोमीटर परिपथ का उपयोग करके बहुपरिसरीय वोल्टमीटर की रचना की जा सकती है। हम एक ऐसे वोल्टमीटर की रचना करना चाहते हैं, जो 2 वोल्ट, 20 वोल्ट तथा 200 वोल्ट माप सके तथा 10Ω प्रतिरोध के ऐसे गैल्वेनोमीटर से बना हो जिसमें 1 मिलीऐम्पियर धारा से अधिकतम विक्षेप उत्पन्न होता है। इसके लिए उपयोग किए जाने वाले R1, R2 तथा R3 के मान ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 28
हल :
गैल्वोनोमीटर को वोल्टमीटर में परिवर्तित करने के लिए
V = iG (G + R)
जहाँ iG = 1 मिलीऐम्पियर = 10-3 ऐम्पियर
तथा G = 10Ω
(i) 0 से 2 वोल्ट परिसर के लिए, 2 = 10-3 (10 + R1)
या 2000 = 10 + R1.
या R1= 1990Ω

(ii) 0 से 20 वोल्ट परिसर के लिए, 20 = 10-3 (10+ R + Ra)
या 20,000 = 10 + R1 + R2
या 19990 = R1 + R2
या R2 = 19990 – 1990 = 18,000Ω = 18 kΩ

(iii) 0 से 200 वोल्ट परिसर के लिए, 200 = 10-3 (10 + R1 + R2 + R3 )
200000 = 10 + R1 + R2 + R3
199990 = 1990 + 18000+ R3
या R3 = 199990 – 19990
= 180000Ω= 180 kΩ

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प्रश्न 2.
कोई लम्बा सीधा तार जिसमें 25 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है। चित्र में दर्शाइए अनुसार किसी मेज पर रखा है। 1 मीटर लम्बा 2.5 ग्राम द्रव्यमान का कोई अन्य तार PQ है जिसमें विपरीत दिशा में इतनी ही धारा प्रवाहित हो रही है। तार PQ ऊपर अथवा नीचे सरकने के लिए स्वतन्त्र है। तार PQ किस ऊँचाई तक ऊपर उठेगा?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 29
हल :
माना तार PQ, h ऊँचाई तक ऊपर उठता है।
मेज पर रखे धारावाही तार के कारण h ऊँचाई पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र,
\(B=\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \cdot \frac{I}{h}\)
तार PQ पर कार्यरत चुम्बकीय बल F = BIl sin 90° = BIL
तार PQ पर नीचे की ओर कार्यरत तार का भार = mg
सन्तुलन की स्थिति में, BIl = mg
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 30

प्रश्न 3.
12 a लम्बाई.तथा प्रतिरोध का कोई एकसमान चालक तार एक धारावाही कुंडली के रूप में (i) भुजा a के समबाहु त्रिभुज (ii) भुजा a के वर्ग (iii) भुजा a के नियमित षट्भुज की आकृति में लपेटा गया है। कुंडली विभव स्रोतV से सम्बद्ध है। प्रत्येक प्रकरण में कुंडलियों का चुम्बकीय-आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
हल :
तार की कुल लम्बाई = 12a
प्रतिरोध = R
विभवान्तर = V0
प्रत्येक स्थिति में प्रवाहित धारा I=\(\frac{V_{0}}{R}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 31

(i) a भुजा की समबाहु त्रिभुजाकार कुंडली में फेरों की संख्या (n1) = \(\frac{12 a}{3 a}\) = 4
a भुजा की समबाहु त्रिभुजाकार कुंडली के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफ (A) = \(\frac{\sqrt{3}}{4}\) a2
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 32

(ii) a भुजा की वर्गाकार कुंडली में फेरों की संख्या (n2) = \(\frac{12 a}{4 a}\) = 3
कुंडली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A2) = a2
कुंडली का चुम्बकीय आघूर्ण (M2) = n2IA2 =3 \(\times \frac{V_{0}}{R} \times a^{2}=\frac{3 V_{0} a^{2}}{R}\)
(iii) a भुजा की नियमित षट्भुजाकार कुंडली में फेरों की संख्या (n3) = \(\frac{12 a}{6 a}\) = 2
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 33

प्रश्न 4.
चित्र में दर्शाए गए गैल्वेनोमीटर परिपथ का उपयोग करके बहपरिसरीय धारामापियों की रचना की जा सकती है। हम 10 mA, 100 mA तथा 1 A की धारा माप सकने वाले ऐसे धारामापी की रचना करना चाहते हैं जो 10Ω प्रतिरोध के ऐसे गैल्वेनोमीटर से बना हो जिसमें 1 mA धारा प्रवाहित होने पर अधिकतम विक्षेप होता है। इसके लिए उपयोग किए जाने वाले प्रतिरोधों S1, S2 तथा S3 के मान ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 34
हल :
IG = 1 mA = 10-3A
तथा गैल्वेनोमीटर का प्रतिरोध (G) = 10Ω
गैल्वेनोमीटर को धारामापी में परिवर्तित करने के लिए उसके समान्तर क्रम में निम्न प्रतिरोध S लगाते हैं। अतः
IG × G = (I – IG) × S
(i) 10 मिली ऐम्पियर परिसर के लिए, IG × G = (I1-IG) (S1+S2 +S3)
अतः 10-3 × 10 = (10 – 1) × 10-3 (S1 + S2 + S3)
अत: S1 + S2 + S3 = \(\frac{10}{9}\) ……………………(1)

(ii) 100 मिलीऐम्पियर परिसर के लिए, IG × G = (I2 – IG) (S2 + S3)
10-3 × 100 = (100 – 1) × 10-3 (S2 + S3)
या  S2 + S3 = \(\frac{10}{99}\)……………………(2)

(iii) 1 ऐम्पियर परिसर के लिए, . IG × G = (I3 – IG) S3
10-3 × 10 = (1 – 1 × 10-3) × S3
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व img 35

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा

विद्युत धारा NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किसी कार की संचायक बैटरी का वैद्युत वाहक बल 12 वोल्ट है। यदि बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध 0.42 हो तो बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा का मान क्या होगा?
हल :
दिया है : E = 12 वोल्ट, r = 0.4Ω, imax = ?
सूत्र \(i=\frac{E}{r+R}\) से,
धारा महत्तम होगी यदि R = 0
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 1

प्रश्न 2.
10 वोल्ट वैद्युत वाहक बल वाली बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 3Ω है, किसी प्रतिरोधक से संयोजित है। यदि परिपथ में धारा का मान 0.5 ऐम्पियर हो तो प्रतिरोधक का प्रतिरोध क्या है? जब परिपथ बन्द है तो सेल की टर्मिनल वोल्टता क्या होगी?
हल :
दिया है : E = 10 वोल्ट, r = 3Ω, i = 0.5 ऐम्पियर, बाह्य प्रतिरोध R = ?
परिषथ बन्द होने पर टर्मिनल वोल्टता V = ?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 2
∴ बाह्य प्रतिरोध R = 20-r = 20- 3 = 17Ω .
सेल की टर्मिनल वोल्टता V = iR = 0.5 ऐम्पियर x 17Ω = 8.5 वोल्ट।

प्रश्न 3.
(a) 1Ω, 2Ω और 3Ω के तीन प्रतिरोधक श्रेणी में संयोजित हैं। प्रतिरोधकों के संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या है?
(b) यदि प्रतिरोधकों का संयोजन किसी 12 वोल्ट की बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है, से सम्बद्ध है तो प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टतापात ज्ञात कीजिए।
हल :
(a) दिया है : R1 = 1Ω, R2 = 2Ω, R3 = 3Ω
श्रेणी संयोजन का प्रतिरोध R = R1 + R2 + R3 = 1+ 2 + 3 = 6Ω
(b) E = 12 वोल्ट, R = 62, r = 0, प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टतापात = ?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 3
यही धारा प्रत्येक प्रतिरोधक में प्रवाहित होगी। .
∴ प्रतिरोधकों की अलग-अलग वोल्टतापात V1 = iR1 = 2 ऐम्पियर x 12 = 2 वोल्ट।
V2 = iR2 = 2 ऐम्पियर x 2Ω = 4 वोल्ट। .
V3 = iR3 = 2 ऐम्पियर x 3Ω = 6 वोल्ट।

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प्रश्न 4.
(a) 2Ω, 4Ω और 5Ω के तीन प्रतिरोधक पार्श्व में संयोजित हैं। संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या होगा?
(b) यदि संयोजन को 20 वोल्ट के वैद्युत वाहक बल की बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है, से सम्बद्ध किया जाता है तो प्रत्येक प्रतिरोधक से प्रवाहित होने वाली धारा तथा बैटरी से ली गई कुल धारा का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
(a) दिया है : R1 = 2Ω, R2 = 4Ω, . R3 = 5Ω
यदि पार्श्व क्रम संयोजन का प्रतिरोध R है तो.
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 4

(b) दिया है, E = 20 वोल्ट, r = 0, प्रत्येक प्रतिरोधक द्वारा ली गई धारा = ?
बैटरी से ली गई कुल धारा = ? ,
∵ प्रतिरोधक पार्श्व क्रम में संयोजित हैं, अत: प्रत्येक के सिरों का विभवान्तर समान (वै० वा० बल के बराबर) होगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 5
बैटरी से ली गई कुल धारा i = i1 +i2+i3 = 10 + 5 + 4 = 19 ऐम्पियर।

प्रश्न 5.
कमरे के ताप (27.0°C) पर किसी तापन-अवयव का प्रतिरोध 100Ω है। यदि तापन-अवयव का प्रतिरोध 117Ω हो तो अवयव का ताप क्या होगा? प्रतिरोधक के पदार्थ का ताप-गुणांक 1.70x 10-4°C-1 है।
हल :
दिया है : 27.0° C ताप पर प्रतिरोध R1 = 100Ω, t1 = 27°C
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 6

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प्रश्न 6.
15 मीटर लम्बे एवं 6.0 x 10-7 मीटर2 अनुप्रस्थ काट वाले तार से उपेक्षणीय धारा प्रवाहित की गई है और इसका प्रतिरोध 5.0Ω मापा गया है। प्रायोगिक ताप पर तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता क्या होगी?
हल :
दिया है : तार की लम्बाई l = 15 मीटर, अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A = 6.0 x 10-7मीटर2
तार का प्रतिरोध R = 5.0Ω, p= ?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 7

प्रश्न 7.
सिल्वर के किसी तार का 27.5°C पर प्रतिरोध 2.1Ω और 100°C पर प्रतिरोध 2.7Ω है सिल्वर का प्रतिरोधकता ताप-गुणांक ज्ञात कीजिए।
हल :
t1 = 27.5°C पर प्रतिरोध R1 = 2.1Ω,
t2 – t1 = 100 – 27.5 = ∆t = 72.5°C
t2 = 100°C पर प्रतिरोध R2 = 2.7Ω, a = ?

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 8

प्रश्न 8.
नाइक्रोम का एक तापन-अवयव 230 वोल्ट की सप्लाई से संयोजित है और 3.2 ऐम्पियर की प्रारम्भिक धारा लेता है जो कुछ सेकण्ड में 2.8 ऐम्पियर पर स्थायी हो जाती है। यदि कमरे का ताप 27.0° C है तो तापन-अवयव का स्थायी ताप क्या होगा? दिए गए ताप-परिसर में नाइक्रोम का औसत प्रतिरोध का ताप-गुणांक 1.70 x 10-4°C-1 है।
हल :
दिया है : V = 230 वोल्ट, i1 = 3.2 ऐम्पियर तथा अन्त में i2 = 2.8 ऐम्पियर
कमरे का ताप t1 = 27.0°C का स्थायी ताप t2 = ?, α = 1.70 x 10-4°C-1
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 9

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प्रश्न 9.
चित्र 3.1 में दर्शाए नेटवर्क की प्रत्येक शाखा में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए।
हल :
पाश ABDA पर किरचॉफ का नियम लगाने पर,
10i1 + 5i3 – 5i2 = 0 या 2i1 – i2 + i3 = 0 …(1)

तथा पाश BCDB से, 5(i1 – i3)- 10 (i2 + i3)- 5i3= 0

या 5i1 – 10i2 – 20i3 = 0 या i1– 2i2 – 4i3 = 0 …(2)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 10

पाश ABCGHA से,
10i1 + 5 (i1 – i3)+10 i = 10
या 10i + 15i1 – 5i3 = 10
या 2i + 3i1 – i3 = 2……………(3)

तथा बिन्दु A पर सन्धि के नियम से, .
i1+ i1 = i ………………(4)

समी० (4) से i का मान समी० (3) में रखने पर,
5i1 + 2i2 – i3= 2 ………………..(5)

समी० (5) व (1) को जोड़ने पर,
7i1 + i2 = 2 ……………..(6)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 11

समी० (1) को 4 से गुणा करके समी० (2) में जोड़ने पर,
9i1 – 6i2 = 0 ⇒ \(i_{2}=\frac{3}{2} i_{1}\)………….(7)
समी० (6) में मान रखने पर, 7i1 + \(\frac{3}{2}\)i1 = 2
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प्रश्न 10.
(a) किसी मीटर-सेतु में जब प्रतिरोधक S = 12.5Ω हो तो सन्तुलन बिन्दु, सिरे A से 39.5 सेमी की लम्बाई पर प्राप्त होता है। R का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। व्हीटस्टोन सेतु या मीटर सेतु में प्रतिरोधकों के संयोजन के लिए मोटी कॉपर की पत्तियाँ क्यों प्रयोग में लाते हैं?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 14
(b) R तथा S को अन्तर्बदल करने पर उपर्युक्त सेतु का सन्तुलन बिन्दु ज्ञात कीजिए।
(c) यदि सेतु के सन्तुलन की अवस्था में गैल्वेनोमीटर और सेल का अन्तर्बदल कर दिया जाए तब क्या गैल्वेनोमीटर कोई धारा दर्शाएगा?
हल :
(a) मीटर सेतु के लिए दिया है : S = 12.5Ω, l = 39.5 सेमी, R = ?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 15
मोटी कॉपर पत्तियों का प्रयोग उनके प्रतिरोध को न्यूनतम रखने के लिए किया जाता है क्योंकि सूत्र की स्थापना में इनके प्रतिरोध पर विचार नहीं किया गया है।

(b) R व S को परस्पर बदलने पर,
\(\frac{l}{100-l}=\frac{S}{R}\) Rl = 100S-lS
\(l=\frac{100 S}{R+S}=\frac{100 \times 12.5}{8.2+12.5}=60.38\) सेमी या 60.4 सेमी
अतः अब शून्य विक्षेप बिन्दु 60.38 सेमी पर प्राप्त होगा।

(c) नहीं, इस स्थिति में गैल्वेनोमीटर कोई विक्षेप नहीं दर्शाएगा।

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प्रश्न 11.
8 वोल्ट वैद्युत वाहक बल की एक संचायक बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 0.5 2 है, को श्रेणीक्रम में 15.5Ω के प्रतिरोधक का उपयोग करके 120 वोल्ट के D.C. स्रोत द्वारा चार्ज किया जाता है। चार्ज होते समय बैटरी की टर्मिनल वोल्टता क्या है? चार्जकारी परिपथ में प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में सम्बद्ध करने का क्या उद्देश्य है?
हल :
दिया है : बैटरी का वै० वा० बल E = 8 वोल्ट, आन्तरिक प्रतिरोध r = 0.5Ω
आवेशन स्रोत का वै० वा० बल Eex = 120 वोल्ट, बाह्य प्रतिरोध R = 15.5Ω
चार्जिंग के समय बैटरी की वोल्टता V = ?
चार्जिंग के समय बैटरी की टर्मिनल वोल्टता V = E + ir
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 16
∴ टर्मिनल वोल्टता V = 8+ 7 x 0.5 = 11.5 वोल्ट।
बाह्य प्रतिरोध को जोड़ने का उद्देश्य, चार्जिंग धारा को कम रखना है। उच्च चार्जिंग धारा के कारण बैटरी के क्षतिग्रस्त होने की सम्भावना है।

प्रश्न 12.
किसी पोटेंशियोमीटर व्यवस्था में, 1.25 वोल्ट वैद्युत वाहक बल से एक सेल का सन्तुलन बिन्दु तार के 35.0 सेमी लम्बाई पर प्राप्त होता है। यदि इस सेल को किसी अन्य सेल द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो सन्तुलन बिन्दु 63.0 सेमी पर स्थानान्तरित हो जाता है। दूसरे सेल का वैद्युत वाहक बल क्या है?
हल :
दिया है : सेल E1 = 1.25 वोल्ट के लिए अविक्षेप बिन्दु की दूरी l1 = 35.0 सेमी
E2 = ?, जबकि l2 = 63.0 सेमी
विभवमापी के लिए, E ∝ l
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 17
अत: दूसरे सेल का वै० वा० बल E2 = 2.25 वोल्ट।

प्रश्न 13.
किसी ताँबे के चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व 8.5 x 1028 मीटर3 आकलित किया गया है। 3 मीटर लम्बे तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपवाह करने में इलेक्ट्रॉन कितना समय लेता है? तार की अनुप्रस्थ-काट 2.0 x 10-6 मीटर2 है और इसमें 3.0 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है।
हल :
ताँबे के लिए, n = 8.5 x 1028 मीटर3 तार की लम्बाई l = 3 मीटर
तार का अनु० क्षे० A = 2.0 x 10-6 मीटर2 = 3.0 ऐम्पियर
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 18

प्रश्न 14.
पृथ्वी के पृष्ठ पर ऋणात्मक पृष्ठ-आवेश घनत्व 10-9 कूलॉम-सेमी-2 है। वायुमण्डल के ऊपरी भाग और पृथ्वी के पृष्ठ के बीच 400 किलोवोल्ट विभवान्तर (नीचे के वायुमण्डल की कम चालकता के कारण) के परिणामतः समूची पृथ्वी पर केवल 1800 ऐम्पियर की धारा है। यदि वायुमण्डलीय वैद्युत क्षेत्र बनाए रखने हेतु कोई प्रक्रिया न हो तो पृथ्वी के पृष्ठ को उदासीन करने हेतु (लगभग) कितना समय लगेगा? (व्यावहारिक रूप में यह कभी नहीं होता है क्योंकि वैद्युत आवेशों की पुनः पूर्ति की एक प्रक्रिया है; यथा-पृथ्वी के विभिन्न भागों में लगातार तड़ित झंझा एवं तड़ित का होना)। (पृथ्वी की त्रिज्या = 6.37 x 106 मीटर)।
हल :
पृथ्वी की त्रिज्या RE = 6.37 x 106 मीटर,
पृष्ठीय-आवेश घनत्व σ = 10-9 कूलॉम-सेमी-2 = 10-5 कूलॉम-मीटर-2
वायुमण्डल से पृथ्वी पर धारा i = 1800 ऐम्पियर
पृथ्वी के निरावेशन में लगा समय t = ?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 19

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प्रश्न 15.
(a) छह लेड एसिड संचायक सेलों, जिनमें प्रत्येक का वैद्युत वाहक बल 2 वोल्ट तथा आन्तरिक प्रतिरोध 0.015Ω है, के संयोजन से एक बैटरी बनाई जाती है। इस बैटरी का उपयोग 8.5Ω प्रतिरोधक जो इसके साथ श्रेणी सम्बद्ध है, में धारा की आपूर्ति के लिए किया जाता है। बैटरी से कितनी धारा ली गई है एवं इसकी टर्मिनल वोल्टता क्या है?
(b) एक लम्बे समय तक उपयोग में लाए गए संचायक सेल का वैद्युत वाहक बल 1.9 वोल्ट और विशाल आन्तरिक प्रतिरोध 380Ω है। सेल से कितनी अधिकतम धारा ली जा सकती है? क्या सेल से प्राप्त यह धारा किसी कार की प्रवर्तक-मोटर को स्टार्ट करने में सक्षम होगी?
हल :
(a) प्रत्येक सेल का. वै० वा० बल = 2 वोल्ट, आ० प्रतिरोध = 0.015Ω
सेलों की संख्या = 6, बाह्य प्रतिरोध R = 8.5Ω, बैटरी से ली गई धारा = ?, टर्मिनल वोल्टता = ?
∵ बैटरी में सेल श्रेणीक्रम में जुड़े हैं।
∴ बैटरी का वै० वा० बल E = 6 x 2 = 12 वोल्ट
बैटरी का आ० प्रतिरोध r = 6 x 0.015 = 0.09Ω
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 20
बैटरी की टर्मिनल वोल्टता V = iR = 1.4 ऐम्पियर x 8.5Ω = 11.9 वोल्ट।

(b) सेल का वै० वा० बल E = 1.9 वोल्ट तथा आ० प्रतिरोध r = 380Ω
E सेल से अधिकतम धारा imax = \(\frac{E}{r}=\frac{1.9}{380}\) = 0.005 ऐम्पियर।
नहीं, यह धारा किसी कार की मोटर स्टार्ट नहीं कर सकती।

प्रश्न 16.
दो समान लम्बाई की तारों में एक ऐलुमिनियम का और दूसरा कॉपर का बना है। इनके प्रतिरोध समान हैं। दोनों तारों में से कौन-सा हल्का है? अतः समझाइए कि ऊपर से जाने वाली बिजली केबिलों में ऐलुमिनियम के तारों को क्यों पसन्द किया जाता है? (ρAl = 2.63 x 10-8 ओम-मीटर, ρCu = 1.72 x 10-8 ओम-मीटर, Al का आपेक्षिक घनत्व = 2.7, कॉपर का आपेक्षिक घनत्व = 8.9)
हल :
दिया है : ρAl = 2.63 x 10-8 ओम-मीटर, Pa = 1.72 x 10-8 ओम-मीटर
dAl = 2.7 तथा dCu = 8.9
माना इन तारों के अनुप्रस्थ परिच्छेद क्रमश: AAl तथा ACu हैं।
∵ तारों के प्रतिरोध समान हैं।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 21
स्पष्ट है कि ऐलुमिनियम के तार का द्रव्यमान, कॉपर के तार के द्रव्यमान का आधा है अर्थात् ऐलुमिनियम का तार हल्का है। यही कारण है कि ऊपर से जाने वाले बिजली के केबिलों में ऐलुमिनियम के तारों का प्रयोग किया जाता है। यदि कॉपर के तारों का प्रयोग किया जाए तो खम्भे और अधिक मजबूत बनाने होंगे।

प्रश्न 17.
मिश्रधातु मैंगनिन के बने प्रतिरोधक पर लिए गए निम्नलिखित प्रेक्षणों से आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 22
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 23
धारा ऐम्पियर वोल्टता वोल्
हल :
दी गई सारणी के प्रत्येक प्रेक्षण से स्पष्ट है कि \(\frac{V}{i} \approx 19.7 \Omega\)
इससे स्पष्ट है कि मैंगनिन का प्रतिरोधक लगभग पूरे वोल्टेज परिसर में ओम के नियम का पालन करता है, अर्थात् मैंगनिन की प्रतिरोधकता पर ताप का बहुत कम प्रभाव पड़ता है। –

प्रश्न 18.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) किसी असमान अनुप्रस्थ काट वाले धात्विक चालक से एकसमान धारा प्रवाहित होती है। निम्नलिखित में से चालक में कौन-सी अचर रहती है—धारा, धारा घनत्व, वैद्युत क्षेत्र, अपवाह चाल।
(b) क्या सभी परिपथीय अवयवों के लिए ओम का नियम सार्वत्रिक रूप से लागू होता है? यदि नहीं, तो उन अवयवों के उदाहरण दीजिए जो ओम के नियम का पालन नहीं करते।
(c) किसी निम्न वोल्टता संभरण जिससे उच्च धारा देनी होती है, का आन्तरिक प्रतिरोध बहुत कम होना चाहिए, क्यों?
(d) किसी उच्च विभव (H.T.) संभरण, मान लीजिए 6 किलोवाट का आन्तरिक प्रतिरोध अत्यधिक होना चाहिए, क्यों?
हल :
(a) केवल धारा अचर रहती है, जैसा कि दिया गया है।
अन्य राशियाँ अनुप्रस्थ क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती हैं।
(b) नहीं, ओम का नियम सभी परिपथीय अवयवों पर लागू नहीं होता।
निर्वात नलिकाएँ, (डायोड वाल्व, ट्रायोड वाल्व) अर्द्धचालक युक्तियाँ (सन्धि डायोड तथा ट्रांजिस्टर) इसी प्रकार की युक्तियाँ हैं।
(c) किसी संभरण से प्राप्त महत्तम धारा \(i_{\max }=\frac{E}{r}\)
∵ वै० वा० बल कम है, अत: पर्याप्त धारा प्राप्त करने के लिए आन्तरिक प्रतिरोध का कम होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त आन्तरिक प्रतिरोध के अधिक होने से सेल द्वारा दी गई ऊर्जा का अधिकांश भाग सेल के भीतर ही व्यय हो जाता है।
(d) यदि आन्तरिक प्रतिरोध बहुत कम है तो किसी कारणवश लघुपथित होने की दशा में संभरण से अति उच्च धारा प्रवाहित होगी और संभरण के क्षतिग्रस्त होने की संभावना उत्पन्न हो जाएगी।

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प्रश्न 19.
सही विकल्प छाँटिए-
(a) धातुओं की मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता प्रायः उनकी अवयव धातुओं की अपेक्षा (अधिक/कम) होती
(b) आमतौर पर मिश्रधातुओं के प्रतिरोध का ताप-गुणांक, शुद्ध धातुओं के प्रतिरोध के ताप-गुणांक से बहुत (कम/अधिक) होता है?
(c) मिश्रधातु मैंगनिन की प्रतिरोधकता ताप में वृद्धि के साथ लगभग (स्वतन्त्र है/तेजी से बढ़ती है)।
(d) किसी प्रारूपी विद्युतरोधी (उदाहरणार्थ, अम्बर) की प्रतिरोधकता किसी धातु की प्रतिरोधकता की तुलना में (1022 / 1023) कोटि के गुणक से बड़ी होती है?
हल :
(a) अधिक।
(b) कम।
(c) स्वतन्त्र है।
(d) 1022

प्रश्न 20.
(a) आपको R प्रतिरोध वाले n प्रतिरोधक दिए गए हैं। (i) अधिकतम, (ii) न्यूनतम प्रभावी प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए आप इन्हें किस प्रकार संयोजित करेंगे? अधिकतम और न्यूनतम प्रतिरोधों का अनुपात क्या होगा?
(b) यदि 1Ω, 2Ω, 3Ω के तीन प्रतिरोध दिए गए हों तो उनको आप किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त
तुल्य प्रतिरोध हों :
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(c) चित्र 3.4 में दिखाए गए नेटवर्कों का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 25
हल :
(a) (i) अधिकतम प्रतिरोध के लिए उन्हें श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा।
श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध RS = R+ R + R+…. n पद = nR
(ii) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए इन्हें पार्श्व क्रम में जोड़ना होगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 26
(b) यहाँ R1 = 1Ω, R2 = 2Ω, R3 = 3Ω
(i) \(\frac{11}{3}\)Ω का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए R1, R2 को पार्यक्रम में व R3 को श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 27
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(ii) \(\frac{11}{5}\) का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए R2, R3 को पार्यक्रम में तथा R1 के श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 29
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 30

(iii) 6Ω का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए तीनों को श्रेणीक्रम मे जोड़ना होगा।
तब Req = R1 + R2 + R3 = 1+2+ 3 = 6Ω

(iv) \(\frac{6}{11}\) का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए तीनों को पार्श्वक्रम में जोड़ना होगा।

(c) (a) प्रत्येक पाश में 1Ω -1Ω श्रेणीक्रम में तथा 2Ω – 2Ω श्रेणीक्रम में हैं।
इन शाखाओं के अलग-अलग प्रतिरोध 1+ 1 = 2Ω व 2 + 2 = 4Ω
अब ये दो शाखाएँ समान्तर क्रम में जुड़ी हैं।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 31

(b) RΩ के 5 प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं,
∴ नेटवर्क का प्रतिरोध Req = R+ R+ R+ R+ R = 5 R

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प्रश्न 21.
किसी 0.5Ω आन्तरिक प्रतिरोध वाले 12 वोल्ट के एक संभरण (Supply) से चित्र 3.7 में दर्शाए गए अनन्त नेटवर्क द्वारा ली गई धारा का मान ज्ञात कीजिए। प्रत्येक प्रतिरोध का मान 1Ω है।
हल :
माना नेटवर्क का प्रतिरोध R है। यदि इस नेटवर्क में तीन . प्रतिरोध (प्रत्येक 1Ω) चित्रानुसार जोड़ दिए जाएँ तो नेटवर्क के प्रतिरोध में कोई परिवर्तन नहीं होगा। (∵ यह अनन्त नेटवर्क है।)
यहाँ R व 1Ω पार्श्वक्रम में हैं तथा 1Ω, 1Ω श्रेणीक्रम में हैं।
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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 33
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 34

प्रश्न 22.
चित्र 3.9 में एक पोटेंशियोमीटर दर्शाया गया है जिसमें एक 2.0 वोल्ट और आन्तरिक प्रतिरोध 0.40Ω का कोई सेल, पोटेंशियोमीटर के प्रतिरोधक तार AB पर वोल्टतापात बनाए रखता है। कोई मानक सेल जो 1.02 वोल्ट का अचर वैद्युत वाहक बल बनाए रखता है (कुछ मिलीऐम्पियर की बहुत सामान्य धाराओं के लिए) तार की 67.3 सेमी लम्बाई पर सन्तुलन बिन्दु देता है। मानक सेल से अति न्यून धारा लेना सुनिश्चित करने के लिए इसके साथ परिपथ में श्रेणी 600 किलोओम का एक अति उच्च प्रतिरोध इसके साथ सम्बद्ध किया जाता है, जिसे सन्तुलन बिन्दु प्राप्त होने के निकट लघुपथित (shorted) कर दिया जाता है। इसके बाद मानक सेल को किसी अज्ञात वैद्युत वाहक बल के सेल से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है जिससे सन्तुलन बिन्दु तार की 82.3 सेमी लम्बाई पर प्राप्त होता है।
(a) ε का मान क्या है?
(b) 600 किलोओम के उच्च प्रतिरोध का क्या प्रयोजन है?
(c) क्या इस उच्च प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित होता है?
(d) क्या परिचालक सेल के आन्तरिक प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित होता है?
(e) उपर्युक्त स्थिति में यदि पोटेंशियोमीटर के परिचालक सेल का वैद्यत वाहक बल 2.0 वोल्ट के स्थान पर 1.0 वोल्ट हो तो क्या यह विधि फिर भी सफल रहेगी?
(f) क्या यह परिपथ कुछ mV की कोटि के अत्यल्प वैद्युत वाहक बलों (जैसे कि किसी प्रारूपी तापविद्युत युग्म का वैद्युत वाहक बल) के निर्धारण में सफल होगी? यदि नहीं, तो आप इसमें किस प्रकार संशोधन करेंगे?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 35
हल :
(a) दिया है : E1 = 1.02 वोल्ट के लिए l1 = 67.3 सेमी, E2= ε के लिए l2 = 82.3 सेमी, ε ?
सूत्र E ∝ l से,
\(\frac{E_{2}}{E_{1}}=\frac{l_{2}}{l_{1}}\)
\(E_{2}=\frac{l_{2}}{l_{1}} \times E_{1}\) या \(\varepsilon=\frac{82.3}{67.3} \times 1.02\)वोल्ट = 1.25 वोल्ट

(b) 600 किलोओम का उच्च प्रतिरोध, गैल्वेनोमीटर को असन्तुलित अवस्था में प्रवाहित होने वाली उच्च धारा से बचाता है।
(c) नहीं, क्योंकि शून्य विक्षेप बिन्दु के समीप पहुँचने पर इस उच्च प्रतिरोध को लघुपथित कर दिया जाता है।
(d) नहीं
(e) नहीं, इस विधि के फल होने के लिए परिचालक सेल का वै० वा० बल मापे जाने वाले वै० वा० बल से अधिक होना आवश्यक है।
(f) नहीं, यह परिपथ कुछ मिलीवोल्ट की कोटि के अत्यल्प वै० वा० बल के मापन के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि इस स्थिति में शून्य विक्षेप बिन्दु लगभग तार के A सिरे के साथ सम्पाती होगा।
मिलीवोल्ट की कोटि के वै० वा० बल के मापन हेतु तार AB पर वोल्टतापात (विभव प्रवणता) को अत्यन्त कम करना होगा। इसके लिए परिचालक सेल के श्रेणीक्रम में एक उच्च प्रतिरोध जोड़ना होगा।

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प्रश्न 23.
चित्र 3.10 दो प्रतिरोधों की तुलना के लिए विभवमापी परिपथ दर्शाता है। मानक प्रतिरोधक R = 10.0Ω के साथ सन्तुलन बिन्दु 58.3 सेमी पर तथा अज्ञात प्रतिरोध x के साथ 68.5 सेमी पर प्राप्त होता है। x का मान ज्ञात कीजिए। यदि आप दिए गए सेल से सन्तुलन बिन्दु प्राप्त करने में असफल रहते हैं तो आप क्या करेंगे?
हल :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 36
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 37
सन्तुलन बिन्दु प्राप्त करने में असफल रहने पर, प्रतिरोधकों R व X के सिरों के बीच विभवपात कम करना होगा। इसके लिए सेल ε के श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोधक जोड़ना होगा।

प्रश्न 24.
चित्र 3.11 में किसी 1.5 वोल्ट के सेल का आन्तरिक
2.0 वोल्ट प्रतिरोध मापने के लिए एक 2.0 वोल्ट का पोटेंशियोमीटर दर्शाया गया है। खुले परिपथ में सेल का सन्तुलन बिन्दु 76.3 सेमी पर मिलता है। सेल के बाह्य परिपथ में 9.52 प्रतिरोध का एक प्रतिरोधक संयोजित करने पर A सन्तुलन बिन्दु पोटेंशियोमीटर के तार की 64.8 सेमी लम्बाई पर पहुँच जाता | 1.5 वोल्ट है। सेल के आन्तरिक प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 38
हल :
जब सेल खुले परपिथ पर है, तब l1 = 76.3 सेमी
जब सेल से R = 9.5Ω का प्रतिरोधक जुड़ा है, तब l1= 64.8 सेमी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 39

विद्युत धारा NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

विद्युत धारा बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दो बैटरियाँ जिनमें emf E1 तथा E2 [E2 > E1] तथा आन्तरिक प्रतिरोध r1 क्रमशः तथा r2 हैं, चित्र में दर्शाए अनुसार पार्श्व क्रम में संयोजित हैं
(a) दोनों सेलों का तुल्य emf Eतुल्य , E1 तथा E2 के बीच अर्थात् E1 < Eतुल्य < E2 है
(b) तुल्य emf Eतुल्य , E1 से कम है
(c) सदैव Eतुल्य = E1 + E2 होता है
(d) Eतुल्य आन्तरिक प्रतिरोधों r1 तथा r2 पर निर्भर नहीं है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 40

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प्रश्न 2.
इलेक्ट्रॉनों का कौन-सा अभिलक्षण चालक में धारा के प्रवाह को निर्धारित करता है –
(a) केवल अपवाह वेग
(b) केवल तापीय वेग
(c) अपवाह वेग तथा तापीय वेग दोनों
(d) न तो अपवाह और न तापीय वेग।

प्रश्न 3.
आयताकार अनुप्रस्थ काट 1 सेमी x \(\frac{1}{2}\) सेमी तथा 10 सेमी लम्बाई की कोई धातु की छड़ विपरीत फलकों पर किसी बैटरी से संयोजित है। इसका प्रतिरोध –
(a) तब अधिकतम होगा जब बैटरी 1 सेमी x \(\frac{1}{2}\) सेमी फलकों के बीच संयोजित है
(b) तब अधिकतम होगा जब बैटरी 10 सेमी x 1 सेमी फलकों के बीच संयोजित है
(c) तब अधिकतम होगा जब बैटरी 10 सेमी x \(\frac{1}{2}\) सेमी फलकों के बीच संयोजित है
(d) समान रहेगा चाहे तीनों फलकों में से किसी के बीच भी बैटरी को संयोजित करें।

प्रश्न 4.
5 वोल्ट तथा 10 वोल्ट सन्निकट emf के दो सेलों की तुलना परिशुद्ध रूप से 400 सेमी लम्बाई के विभवमापी द्वारा की जानी है
(a) विभवमापी में उपयोग होने वाली बैटरी की वोल्टता 8 वोल्ट होनी चाहिए। .
(b) विभवमापी की वोल्टता 15 वोल्ट हो सकती है तथा R को इस प्रकार समायोजित कर सकते हैं कि तार के
सिरों पर विभवपात 10 वोल्ट से थोड़ा अधिक हो।
(c) स्वयं तार के पहले 50 सेमी भाग पर विभवपात 10 वोल्ट होना चाहिए।
(d) विभवमापी का उपयोग प्रायः प्रतिरोधों की तुलना के लिए किया जाता है, विभवों के लिए नहीं।

विद्युत धारा अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या किसी विद्युत नेटवर्क में किसी सन्धि के पार गति में, आवेश का संवेग संरक्षित रहता है?
उत्तर :
नहीं, सन्धि के पार गति में, आवेश का संवेग संरक्षित नहीं रहता है। जब कोई इलेक्ट्रॉन किसी सन्धि की ओर गति करता है तब वहाँ कार्यरत एकसमान वैद्युत क्षेत्र के अतिरिक्त सन्धि के तारों के पृष्ठ पर संचित आवेश के कारण भी वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है जोकि आवेश के संवेग की दिशा परिवर्तित कर देता है।

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प्रश्न 2.
विभवमापी में तारों को संयोजित करने के लिए धातु की मोटी पट्टियों को उपयोग करने का क्या लाभ
उत्तर :
धातु की मोटी पट्टियों का प्रतिरोध नगण्य होने के कारण शून्य विक्षेप स्थिति में इनकी लम्बाई को विभवमापी के तार की लम्बाई में सम्मिलित करने की आवश्यकता नहीं होती है। अतः हमें केवल विभवमापी के सीधे तारों की लम्बाई ज्ञात करनी होती है जिसे मीटर पैमाने से सरलता से ज्ञात किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
घरों में विद्युत के लिए ताँबे (Cu) अथवा ऐलुमिनियम (Al) के तारों का उपयोग किया जाता है। ऐसा करने के पीछे किन-किन विचारों को ध्यान में रखा जाता है?
उत्तर :
घरों में विद्युत के लिए ताँबे अथवा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग करते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है
(i) धातु का मूल्य कम होना चाहिए।
(ii) धातु की चालकता अधिक होनी चाहिए।

विद्युत धारा लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दो चालक समान पदार्थ के बने हैं तथा इनकी लम्बाई भी समान है। चालक A, 1 मिमी व्यास का ठोस तार है। चालक B, 2 मिमी बाह्य व्यास तथा 1 मिमी आन्तरिक व्यास की खोखली नलिका है। प्रतिरोधों RA तथा RB का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है,
rA = \(\frac{1}{2}\) मिमी = 0.5 मिमी
rB = \(\frac{2}{2}\) मिमी = 1 मिमी,
rB = \(\frac{1}{2}\) मिमी = 0.5 मिमी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 41

विद्युत धारा आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पहले R प्रतिरोध के n समान प्रतिरोधकों के समुच्चय को श्रेणीक्रम में emf E तथा आन्तरिक प्रतिरोध R की बैटरी से संयोजित किया गया है। परिपथ में धारा I प्रवाहित होती है तत्पश्चात् । प्रतिरोधकों को उसी बैटरी से पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया है। यह पाया गया कि धारा 10 गुना बढ़ गई है। ‘n’ का क्या मान है?
हल :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 42

प्रश्न 2.
चित्र में दर्शाए परिपथ में दो सेल एक-दूसरे के साथ प्रतिकूलता से, संयोजित हैं। सेल E1 का emf 6 वोल्ट तथा आन्तरिक प्रतिरोध 2Ω और सेल E2 का emf 4 वोल्ट तथा आन्तरिक प्रतिरोध 8Ω है। बिन्दु A तथा B के बीच विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा img 43
हल :
सेलों का परिणामी emf, E = E1 – E2 = 6 – 4 = 2 वोल्ट
सेलों का कुल आन्तरिक प्रतिरोध (r) = r1 + r2 = 2+ 8 = 10Ω
∴ परिपथ में धारा, \(I=\frac{E}{r}=\frac{2}{10}=0.2\) ऐम्पियर
बिन्दु A व B के बीच विभवान्तर = सेल E2 के सिरों पर विभवान्तर = E2 + Ir2
= 4 + 0.2 x 8 = 5.6 वोल्ट।
अत: VAB = 5.6 वोल्ट तथा बिन्दु B, बिन्दु A से उच्च विभव पर है।

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EXTRA SHOTS

  • दोनों सेल प्रतिकूलता से संयोजित हैं, अत: सेलों का परिणामी वि०वा० बल, दोनों सेलों के वि०वा० बलों के
    अन्तर के बराबर होगा, अर्थात् E = E1 – E2
  • सेल E1 का विवा० बल, सेल E2 के वि०वा० बल से अधिक है। अतः परिपथ में धारा की दिशा सेल E1 के अनुसार निर्धारित होगी।
    सेल E2 के धन टर्मिनल से धारा प्रवेश कर रही है, अत: सेल E2 यहाँ आवेशित होगा। अत: उसके सिरों पर विभवान्तर V2 = E2 + Ir2 होगा।

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किसी n-प्रकार के सिलिकॉन में निम्नलिखित में से कौन-सा प्रकथन सत्य है?
(a) इलेक्ट्रॉन बहुसंख्यक वाहक हैं और त्रिसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं ।
(b) इलेक्ट्रॉन अल्पसंख्यक वाहक हैं और पंचसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं
(c) होल (विवर) अल्पसंख्यक वाहक हैं और पंचसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं
(d) होल (विवर) बहुसंख्यक वाहक हैं और त्रिसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं।
उत्तर
(c) प्रकथन सत्य है।

प्रश्न 2.
प्रश्न 1 में दिए गए कथनों में से कौन-सा प्रकार के अर्द्धचालकों के लिए सत्य है?
उत्तर :
(d) प्रकथन सत्य है।

प्रश्न 3.
कार्बन, सिलिकॉन और जर्मेनियम, प्रत्येक में चार संयोजक इलेक्ट्रॉन हैं। इनकी विशेषता ऊर्जा बैण्ड अन्तराल द्वारा पृथक्कृत संयोजकता और चालन बैण्ड द्वारा दी गई हैं, जो क्रमशः (Eg)c, (Eg)si तथा (Eg)Ge के बराबर हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा प्रकथन सत्य है?
(a) (Eg)si < (Eg)Ge < (Eg)c
(b) (Eg)c < (E g)Ge > (Eg)si
(c) (Eg)c > (Eg)si > (Eg)Ge .
(d) (Eg)c = (Eg)si = (Eg)Ge
उत्तर
चालन बैण्ड तथा संयोजकता बैण्ड के बीच ऊर्जा अन्तराल कार्बन के लिए सबसे अधिक, सिलिकॉन के लिए उससे कम तथा जर्मेनियम के लिए सबसे कम होता है, अत: (c) प्रकथन सत्य है।

प्रश्न 4.
बिना बायस p-n सन्धि में, होल क्षेत्र में n-क्षेत्र की ओर विसरित होते हैं, क्योंकि
(a) n-क्षेत्र में मुक्त इलेक्ट्रॉन उन्हें आकर्षित करते हैं
(b) ये विभवान्तर के कारण सन्धि के पार गति करते हैं।
(c) P-क्षेत्र में होल-सान्द्रता, n-क्षेत्र में उनकी सान्द्रता से अधिक है
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(c) प्रकथन सत्य है।

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प्रश्न 5.
जब p-n सन्धि पर अग्रदिशिक बायस अनुप्रयुक्त किया जाता है, तब यह
(a) विभव रोधक बढ़ाता है
(b) बहुसंख्यक वाहक धारा को शून्य कर देता है
(c) विभव रोधक को कम कर देता है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(c) प्रकथन सत्य है।

प्रश्न 6.
ट्रांजिस्टर की क्रिया हेतु निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं
(a) आधार, उत्सर्जक और संग्राहक क्षेत्रों की आमाप और अपमिश्रण सान्द्रता समान होनी चाहिए
(b) आधार क्षेत्र बहुत बारीक और कम अपमिश्रित होना चाहिए
(c) उत्सर्जक सन्धि अग्रदिशिक बायस है और संग्राहक सन्धि पश्चदिशिक बायस है
(d) उत्सर्जक सन्धि संग्राहक सन्धि दोनों ही अग्रदिशिक बायस हैं।
उत्तर
(b) तथा (c) प्रकथन सही है।

प्रश्न 7.
किसी ट्रांजिस्टर प्रवर्धक के लिए वोल्टता लब्धि
(a) सभी आवृत्तियों के लिए समान रहती है
(b) उच्च और निम्न आवृत्तियों पर उच्च होती है तथा मध्य आवृत्ति परिसर में अचर रहती है ।
(c) उच्च और निम्न आवृत्तियों पर कम होती है और मध्य आवृत्तियों पर अचर रहती है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(c) प्रकथन सत्य है।

प्रश्न 8.
अर्द्ध तरंग दिष्टकरण में, यदि निवेश आवृत्ति 50 हर्ट है तो निर्गम आवृत्ति क्या है? समान निवेश आवृत्ति हेतु पूर्ण तरंग दिष्टकारी की निर्गम आवृत्ति क्या है?
उत्तर
अर्द्ध तरंग दिष्टकारी के लिए निर्गम आवृत्ति 50 हर्ट्स ही रहेगी परन्तु पूर्ण तरंग दिष्टकारी के लिए निर्गम आवृत्ति दोगुनी अर्थात् 100 हर्ट्स होगी।

प्रश्न 9.
उभयनिष्ठ उत्सर्जक (CE-ट्रांजिस्टर) प्रवर्धक हेतु, 2kΩ के संग्राहक प्रतिरोध के सिरों पर ध्वनि वोल्टता 2 वोल्ट है। मान लीजिए कि ट्रांजिस्टर का धारा प्रवर्धन गुणक 100 है। यदि आधार प्रतिरोध 1kΩ है तो निवेश संकेत (signal) वोल्टता और आधार धारा परिकलित कीजिए।
हल
दिया है, CE – प्रवर्धक हेतु, धारा प्रवर्धन गुणांक β = 100
निवेशी प्रतिरोध Ri = 1kΩ= 103
निर्गम प्रतिरोध Ro = 2kΩ = 2 × 103
निर्गम वोल्टता Vo = 2 वोल्ट
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 1

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प्रश्न 10.
एक के पश्चात् एक श्रेणीक्रम सोपानित में दो प्रवर्धक संयोजित किए गए हैं। प्रथम प्रवर्धक की वोल्टता लब्धि 10 और द्वितीय की वोल्टता लब्धि 20 है। यदि निवेश संकेत 0.01 वोल्ट है तो निर्गम प्रत्यावर्ती संकेत का परिकलन कीजिए।
हल
निवेश संकेत वोल्टता Vi = 0.01 वोल्ट
प्रथम प्रवर्धक की वोल्टता लब्धि = 10
द्वितीय प्रवर्धक की वोल्टता लब्धि = 20.
श्रेणी संयोजन की कुल वोल्टता लब्धि \(\frac{V_{o}}{V_{i}}\) = 20 × 10= 200
निर्गम वोल्टता Vo = 200Vi = 200 × 0.01 = 2 वोल्ट।

प्रश्न 11.
कोई p-n फोटो डायोड 2.8 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट बैण्ड अन्तराल वाले अर्द्धचालक से संविरचित है। क्या यह 6000 नैनोमीटर की तरंगदैर्घ्य का संसूचन कर सकता है?
हल
बैण्ड अन्तराल Eg = 2.8 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
प्रकाश की तरंगदैर्घ्य λ = 6000 नैनोमीटर = 6000×10-9 मीटर
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 2
∵ आपतित प्रकाश के फोटॉन की ऊर्जा, बैण्ड अन्तराल से कम है, अत: फोटो डायोड इस प्रकाश का संसूचन नहीं कर पाएगा।

प्रश्न 12.
सिलिकॉन परमाणुओं की संख्या 5x 1028 प्रति मीटर है। यह साथ ही साथ आर्सेनिक के 5×1022 परमाणु प्रति मीटर3 और इंडियम के 5×1020 परमाणु प्रति मीटर3 से अपमिश्रित किया गया है। इलेक्ट्रॉन और होल की संख्या का परिकलन कीजिए। दिया. है कि ni = 1.5 × 1016 प्रति मीटर3 । दिया गया पदार्थ n-प्रकार का है या p-प्रकार का?
हल
यहाँ दाता परमाणुओं की सान्द्रता ND = 5 ×1022 परमाणु प्रति मीटर3
ग्राही परमाणुओं की सान्द्रता NA = 5 ×1020 परमाणु प्रति मीटर3
= 0.05 x 1022 परमाणु प्रति मीटर3
नैज वाहक सान्द्रता ni = 1.5 × 1016 प्रति मीटर3
नैज परमाणु सान्द्रता N= 5 × 1028 प्रति मीटर3 .
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 3

प्रश्न 13.
किसी नैज अर्द्धचालक में ऊर्जा अन्तराल Eg का मान 1.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। इसकी होल गतिशीलता इलेक्ट्रॉन गतिशीलता की तुलना में काफी कम है तथा ताप पर निर्भर नहीं है। इसकी 600 K तथा 300 K पर चालकताओं का क्या अनुपात है? यह मानिए की नैज वाहक सान्द्रता ni की ताप निर्भरता इस प्रकार व्यक्त होती है- \(\boldsymbol{n}_{\boldsymbol{i}}=\boldsymbol{n}_{0} \exp \left(-\frac{\boldsymbol{E}_{\boldsymbol{g}}}{\boldsymbol{2} \boldsymbol{k}_{\boldsymbol{B}} \boldsymbol{T}}\right)\)
जहाँ n0 एक स्थिरांक है।
हल
नैज अर्द्धचालक का ऊर्जा अन्तराल Eg = 1.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
तथा परम ताप T1 = 600K व T2 = 300K
माना उक्त तापों पर अर्द्धचालक की चालकताएँ क्रमश: σ1व σ2 हैं।
अर्द्धचालक की चालकता निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होती है-
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 4

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प्रश्न 14.
किसी p-n सन्धि डायोड में धारा I को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है
I=Io\(\left[\exp \left(\frac{e V}{2 k_{B} T}\right)-1\right]\)
जहाँ I0 को उत्क्रमित संतृप्त धारा कहते हैं, V डायोड के सिरों पर वोल्टता है तथा यह अग्रदिशिक बायस के लिए धनात्मक तथा पश्चदिशिक बायस के लिए ऋणात्मक है। I डायोड से प्रवाहित धारा है, kB बोल्ट्समान नियतांक (8.6x 10-5 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट-K-1) है तथा T परम ताप है। यदि किसी दिए गए डायोड के लिए I0 = 5x 10-12 ऐम्पियर तथा T= 300K है, तब
(a) 0.6 वोल्ट अग्रदिशिक वोल्टता के लिए अग्रदिशिकधारा क्या होगी?
(b) यदि डायोड के सिरों पर वोल्टता को बढ़ाकर 0.7 वोल्ट कर दें तो धारा में कितनी वृद्धि हो जाएगी?
(c) गतिक प्रतिरोध कितना है?
(d) यदि पश्चदिशिक वोल्टता को 1 वोल्ट से 2 वोल्ट कर दें तो धारा का मान क्या होगा?
हल
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 5

(b) माना अग्र बायस वोल्टता को V = + 0.7 वोल्ट करने पर धारा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 6

(c) डायोड का गतिक प्रतिरोध Rd =\(\frac{\Delta V}{\Delta I}\) = \(\frac { 0.7-0.6 }{ 2.957 }\) =0.033Ω

(d) पश्चदिशिक वोल्टता 1V (V = -1V) के लिए
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 7
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 8
इसी प्रकार V = – 2 वोल्ट हेतु, I = -5×10-12 ऐम्पियर।
अत: उत्क्रम वोल्टता के लिए धारा उत्क्रमित. संतृप्त धारा के बराबर बनी रहती है।
इससे ज्ञात होता है कि पश्चदिशिक बायस के लिए डायोड का गतिक प्रतिरोध अनन्त होता है।

प्रश्न 15.
आपको चित्र-14.1 में दो परिपथ दिए गए हैं। यह दर्शाइए कि परिपथ
(a) OR गेट की भाँति व्यवहार करता है जबकि परिपथ
(b) AND गेट की भाँति कार्य करता है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 9
हल
(a) दिया गया परिपथ NOR गेट तथा NOT गेट का श्रेणी संयोजन है। .
माना NOR गेट का निर्गम 1 है जो कि NOT गेट का निवेश है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 10
स्पष्ट है कि Y, OR गेट के निर्गम के समान है, अत: दिया गया परिपथ एक OR गेट की भाँति व्यवहार करता है। इसी तथ्य को इस गेट की सत्यमान सारणी से भी सत्यापित किया जा सकता है जो कि निम्नवत् हैA .
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 11
इस सारणी से स्पष्ट है कि हम देख सकते हैं कि इस परिपथ् का निर्गम केवल तभी निम्न है जबकि दोनों निवेश निम्न हैं, अन्यथा निर्गम उच्च है। यही OR गेट की भी विशेषता है। अतः दिया गया परिपथ एक OR गेट की भाँति व्यवहार करता है।

(b) दिए गए परिपथ में NOR गेट के दो निवेश दो NOT गेटों के निर्गमों से प्राप्त किए गए हैं। माना NOR गेट के ये दो निवेश क्रमश: y1 तथा y2 हैं।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 12
परन्तु यह एक AND गेट का निर्गम हैं, अत: इससे स्पष्ट है कि दिया गया परिपथ एक AND गेट की भाँति व्यवहार करता है। इस तथ्य को परिपथ की सत्यमान सारणी से भी सत्यापित किया जा सकता है जो कि निम्नवत है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 13
सारणी से स्पष्ट है कि इस परिपथ का निर्गम तभी उच्च है जबकि इसके दोनों निवेश उच्च हैं। अन्यथा निर्गम निम्न है। यही AND गेट की विशेषता है।
अतः यह परिपथ एक AND गेट की भाँति व्यवहार करता है।

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प्रश्न 16.
नीचे दिए गए चित्र-14.2 में संयोजित NAND गेट संयोजित परिपथ.. की सत्यमान सारणी बनाइए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 14
अतः इस परिपथ द्वारा की जाने वाली यथार्थ तर्क संक्रिया का अभिनिर्धारण चित्र-14.2 कीजिए।
हल
चित्र-14.2 में प्रदर्शित गेट एक NAND गेट है जिसके दोनों निवेशों को लघुपथित (short circuit) करके एक कर दिया गया है।
इस परिपथ की सत्यमान सारणी निम्नवत् है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 15
∵ दोनों निवेश एक ही हैं, अतः उक्त सारणी को निम्नवत् बनाया जा सकता है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 16
इस सारणी से स्पष्ट है कि यह परिपथ NOT गेट की भाँति व्यवहार करता है।
इसकी तर्क संक्रिया निम्नलिखित है- \(Y=\bar{A}\)

प्रश्न 17.
आपको निम्न चित्र-14.3 में दर्शाए अनुसार परिपथ दिए गए हैं जिनमें NAND गेट जुड़े हैं। इन दोनों परिपथों द्वारा की जाने वाली तर्क संक्रियाओं का अभिनिर्धारण कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 17
हल
(a) माना पहले NAND गेट का निर्गम Y1 है, तब
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 18
पहले NAND गेट का निर्गम Y1 दूसरे NAND गेट का निवेश है। अत:
पूर्ण परिपथ का निर्गम
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 19
अतः दिया गया परिपथ AND गेट की भाँति व्यवहार करेगा।
इसकी तर्क संक्रिया Y = A AND B या A. B है।

(b) माना प्रथम दो NAND गेटों के निर्गम क्रमश: Y1 तथा Y2 हैं तथा ये दोनों निर्गम अन्तिम NAND. गेट के निवेश हैं।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 20
यही इस परिपथ की तर्क संक्रिया है। इससे स्पष्ट है कि यह परिपथ एक OR गेट की भाँति व्यवहार करेगा।

प्रश्न 18.
चित्र-14.4 में दिए गए NOR गेट युक्त परिपथ की सत्यमान सारणी लिखिए और इस परिपथ द्वारा अनुपालित तर्क संक्रियाओं (OR, AND, NOT) को अभिनिर्धारित कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 21
हल
माना प्रथम NOR गेट का निर्गम 71 है तब यह निर्गम Y, दूसरे NOR गेट के लिए निवेश है।
तब \(y_{1}=\overline{A+B}\) तथा पूर्ण परिपथ का निर्गम Y = \(\overline{y_{1}}\)
इस परिपथ की सत्यमान सारणी निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 22
सारणी से स्पष्ट है कि इस परिपथ का निर्गम केवल तभी निम्न है जबकि इसके दोनों निवेश निम्न हैं, अत: यह परिपथ एक OR गेट की भाँति व्यवहार करता है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 23

प्रश्न 19.
चित्र-14.5 में दर्शाए गए केवल NOR गेटों से बने परिपथ की सत्यमान सारणी बनाइए। दोनों परिपथों द्वारा अनुपालित तर्क संक्रियाओं (OR, AND, NOT) को अभिनिर्धारित कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 24
(a) दिया गया परिपथ एक NOR गेट को प्रदर्शित करता है जिसके दो निवेशों को लघुपथित कर दिया गया है।
इस परिपथ का निर्गम निम्नलिखित है Y = \(\bar{A}\)= NOTA
इसकी सत्यमान सारणी निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 25
स्पष्ट है कि यह परिपथ एक NOT गेट की भाँति व्यवहार करता है जिसकी तर्क संक्रिया Y = \(\bar{A}\) है।

(b) दिए गए परिपथ में दो NOR गेटों के निर्गम \(\bar{A}\) तथा \(\bar{B}\) तीसरे NOR गेट के निवेश हैं।
एक NOR. गेट का निर्गम केवल तभी उच्च होता है जबकि उसके सभी निवेश निम्न हों अन्यथा निर्गम निम्न होता है। उक्त परिपथ की सत्यमान सारणी निम्नवत् है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 26
इस परिपथ का निर्गम है \(Y=\overline{\bar{A}+\bar{B}}=\overline{\bar{A}} \cdot \overline{\bar{B}}\) (डि-मोर्गन नियम से)
⇒ Y = A. B
यही इस परिपथ की तर्क संक्रिया है। तर्क संक्रिया से स्पष्ट है कि यह परिपथ एक AND गेट की भाँति व्यवहार करता है।

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अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LQ Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ताप में वृद्धि से किसी अर्द्धचालक की चालकता में वृद्धि का कारण यह है कि मुक्त धारावाहकों का
(a) संख्या घनत्व बढ़ जाता है ।
(b) विश्रांति काल बढ़ जाता है
(c) संख्या घनत्व तथा विश्रांति काल दोनों बढ़ जाते हैं
(d) संख्या घनत्व बढ़ जाता है और विश्रांति काल घट जाता है।
उत्तर
(d) संख्या घनत्व बढ़ जाता है और विश्रांति काल घट जाता है।

प्रश्न 2.
चित्र-14.6 में किसी सन्धि डायोड के लिए सन्धि केन्द्र से दूर जाने पर दूरी के साथ सन्धि के सिरों पर विभव प्राचीर में अन्तर को दर्शाया गया है। इसमें V. सन्धि के सिरों पर वह विभव प्राचीर है जो तब प्रभावी होती है जब सन्धि के सिरों के बीच कोई बैटरी न जुड़ी 1 हो
(a) 1 तथा 3 दोनों अग्र बायसित सन्धि के संगत हैं
(b) 3 अग्र बायसित सन्धि के संगत और 1 पश्च बायसित सन्धि के संगत है
(c) 1 अग्र बायसित सन्धि के संगत और 3 पश्च बायसित सन्धि के संगत है
(d) 3 तथा 1 दोनों पश्च बायसित सन्धि के संगत हैं।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 27
उत्तर
(b) 3 अग्र बायसित सन्धि के संगत और 1 पश्च बायसित सन्धि के संगत है

प्रश्न 3.
चित्र-14.7 में डायोडों को आदर्श मानें तो
(a) D1 अग्र बायसित है और D2 अतः धारा A से B की ओर प्रवाहित होती है
(b) D2 अग्र. बायसित और D1 पश्च बायसित है, अत: B से A की ओर अथवा A से B की ओर कोई धारा प्रवाहित नहीं होती
(c) D1 तथा D2 दोनों अग्र बायसित हैं, अतः धारा A से B की ओर अथवा B से की ओर प्रवाहित होती है .
(d) D1 तथा D2 दोनों पश्च बायसित हैं, अत: A से B की ओर अथवा B से A की ओर कोई धारा प्रवाहित नहीं होती।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 28
उत्तर
(b) D2 अग्र. बायसित और D1 पश्च बायसित है, अत: B से A की ओर अथवा A से B की ओर कोई धारा प्रवाहित नहीं होती

प्रश्न 4.
220 V ac विद्युत प्रदाय बिन्दुओं A और B के बीच जुड़ा है (चित्र-14.8) A_ संधारित्र के सिरों पर विभवान्तर V कितना होगा
(a) 220V
(b) 110V
(c) शून्य
(d) 220/2V.
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 29
उत्तर
(d) 220/2V.

प्रश्न 5.
होल होता है
(a) इलेक्ट्रॉन का प्रतिकण
(b) सहसंयोजी आबन्ध से एक इलेक्ट्रॉन दूर छिटक जाने पर उत्पन्न रिक्ति
(c) मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति
(d) कृत्रिम रूप से सृजित कोई कण।
उत्तर
(b) सहसंयोजी आबन्ध से एक इलेक्ट्रॉन दूर छिटक जाने पर उत्पन्न रिक्ति

प्रश्न 6.
चित्र-14.9 में दिए गए परिपथ का निर्गम होगा
(a) हर समय शून्य
(b) किसी अर्द्ध तरंग दिष्टकारी की भाँति निर्गम में धनात्मक अर्द्ध चक्र होंगे
(c) किसी अर्द्ध तरंग दिष्टकारी की भाँति निर्गम में ऋणात्मक अर्द्ध चक्र होंगे
(d) किसी पूर्ण तरंग दिष्टकारी के निर्गम जैसा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 30
उत्तर
(c) किसी अर्द्ध तरंग दिष्टकारी की भाँति निर्गम में ऋणात्मक अर्द्ध चक्र होंगे

प्रश्न 7.
चित्र-14.10 में दर्शाए परिपथ में यदि डायोड का अग्रदिश वोल्टता-पात 0.3V है, तो A एवं B के बीच विभवान्तर है
(a) 1.3V
(b) 2.3V
(c) शून्य
(d) 0.5V.
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 31
उत्तर
(b) 2.3V

प्रश्न 8.
दिए गए परिपथ (चित्र-14.11) के लिए सत्यापन सारणी है
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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 37
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ img 35
उत्तर
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अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सिलिकन या जर्मेनियम के मादन के लिए तात्विक मादकों का चयन प्रायः या तो समूह XIII अथवा समूह ‘xv के तत्वों में से ही क्यों किया जाता है?
उत्तर
सिलिकन या जर्मेनियम के मादन के लिए XIII अथवा XV समूह के तत्वों का चयन इसलिए किया जाता है क्योंकि इन तत्वों के परमाणुओं का आकार ऐसा होता है कि ये अर्द्धचालक क्रिस्टल जालक की संरचना को विकृत किए बिना ही सिलिकन या जर्मेनियम के साथ सहसंयोजी बन्ध बनाकर एक आवेश वाहक का क्रिस्टल में योगदान कर देते हैं।

प्रश्न 2.
Sn, C तथा Ge, Si सभी समूह XIV के तत्व हैं। फिर भी Sn चालक है, C विद्युतरोधी है जबकि Si एवं Ge अर्द्धचालक हैं। ऐसा क्यों है?
उत्तर
परमाणु आकार के अनुसार Sn के लिए ऊर्जा अन्तराल 0 eV,C के लिए 5.4eV, Si के लिए 1.1eV तथा Ge के लिए 0.7eV होता है। अत: Sn चालक, C विद्युतरोधी जबकि Si व Ge अर्द्धचालक हैं।

प्रश्न 3.
क्या p-n सन्धि के सिरों पर विभव प्राचीर की माप केवल सन्धि पर वोल्टतामापी जोड़ कर की जा सकती है?
उत्तर
नहीं, p-n सन्धि के सिरों पर वोल्टतामापी जोड़कर विभव प्राचीर की माप नहीं की जा सकती है। क्योंकि इसके लिए सन्धि प्रतिरोध की तुलना में वोल्टतामापी का प्रतिरोध बहुत अधिक होना चाहिए जबकि सन्धि प्रतिरोध लगभग अनन्त होता है।

प्रश्न 4.
प्रवर्धकों X, Y एवं Z को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। यदि x, Y एवं Z की वोल्टता लब्धि क्रमश: 10, 20 एवं 30 और निवेश सिग्नल का शिखर मान 1 मिलीवोल्ट है, तो निर्गत सिग्नल वोल्टता का शिखर मान क्या होगा, जबकि

  1. dc प्रदान वोल्टता 10 वोल्ट है?
  2. dc प्रदाय वोल्टता 5 वोल्ट है?

हल
1. परिणामी वोल्टता लब्धि = 10x20x 30 = 6000 .
∴ निर्गत सिग्नल वोल्टता का शिखर मान (V0) = 6000×1 मिलीवोल्ट = 6000×10-3 वोल्ट = 6 वोल्ट।

2. यहाँ dc प्रदाय वोल्टता 5 वोल्ट है तो निर्गत सिग्नल वोल्टता का शिखर मान. भी 5 वोल्ट से अधिक नहीं हो सकता।
∴ V0 = 5 वोल्ट।

प्रश्न 5.
किसी उभयनिष्ठ उत्सर्जक ट्रांजिस्टर प्रवर्धक परिपथ से कोई धारा और वोल्टता लब्धि सम्बद्ध है। दसरे शब्दों में, कोई शक्ति-लब्धि होती है? शक्ति को ऊर्जा की माप मानते हुए क्या इस परिपथ में ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन होता है?
उत्तर
नहीं, इस परिपथ में ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन नहीं हुआ है। इस प्रक्रिया में आवश्यक अतिरिक्त शक्ति प्रयुक्त D.C. स्रोत द्वारा प्रदान की जाती है।

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अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
(i) उस डायोड के प्रकार का नाम लिखिए जिसके अभिलक्षणिक uil चित्र-14.12
(a) एवं
(b) में दर्शाए गए हैं।
(ii) चित्र-14.12 (a) में बिन्दु P क्या निरूपित करता है?
(iii) चित्र-14.12 (b) में बिन्दु P एवं Q क्या निरूपित करते हैं?
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उत्तर

  1. चित्र-14.12 (a) जेनर डायोड के व चित्र-14.12 (5) सौर सेल के अभिलक्षिक वक्र को प्रदर्शित करता है।
  2. चित्र-14.12 (a) में बिन्दु P, जेनर भंजक वोल्टता को निरूपित करता है।
  3. चित्र-14.12 (b) में बिन्दु P, खुले परिपथ की वोल्टता को तथा बिन्दु Q, लघु पथन धारा को निरूपित करता है।

प्रश्न 2.
तीन फोटो डायोड D1, D2 एवं D3 ऐसे अर्द्धचालकों से बनाया गए हैं जिनके बैण्ड अन्तराल क्रमशः 2.5eV;2eV एवं 3eV हैं। इनमें से कौन-सा डायोड 6000 A तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का संसूचन करने योग्य होगा?
उत्तर
6000A तरंगदैर्घ्य के प्रकाश फोटॉन की कर्ज (E) = \(\frac { hc }{ λ }\) = \(\frac{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{6 \times 10^{-7}}\)
=\(\frac{3.3 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\) eV = 2.06eV
किसी फोटो डायोड द्वारा विकिरण के संसूचन के लिए आवश्यक है कि विकिरण फोटॉनों की ऊर्जा, बैण्ड अन्तराल से अधिक हो। यह शर्त केवल फोटो डायोड D2 के लिए पूरी होती है। अत: फोटो डायोड D2 ही आपतित विकिरण को संसूचित करेगा।

प्रश्न 3.
यदि प्रतिरोध R1 बढ़ाया जाता है (चित्र-14.13) तो अमीटर तथा वोल्टमीटर के पाठ्यांकों में क्या परिवर्तन होंगे?
उत्तर
प्रतिरोध R1 का मान बढ़ाने पर आधार धारा IB\(\left(I_{B}=\frac{V_{B B}-V_{B E}}{R_{1}}\right)\) का मान कम होगा, जिसके परिणामस्वरूप संग्राहक काम धारा Ic का मान भी कम होगा। अत: अमीटर तथा वोल्टमीटर का पाठ्यांक कम होगा।
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प्रश्न 4.
स्पष्ट कीजिए कि तात्विक अर्द्धचालकों का उपयोग दृश्य LEDs बनाने में क्यों नहीं किया जा सकता?
उत्तर
तात्विक अर्द्धचालकों का उपयोग दृश्य LED बनाने में नहीं किया जा सकता क्योंकि तात्विक अर्द्धचालकों के ऊर्जा-अन्तराल इस प्रकार के होते हैं कि उनसे उत्सर्जन अवरक्त क्षेत्र में होता है।

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अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
यदि चित्र-14.14 में दर्शाए गए प्रत्येक डायोड का अग्र बायस प्रतिरोध _ 252 तथा पश्च बायस प्रतिरोध अनन्त हो, तो धारा 11, 12, I एवं I के मान क्या । होंगे?
हल
C व D के बीच लगा डायोड पश्च बायस है।
अतः I3 = 0
शाखा AB व EF का समान प्रतिरोध = 25+ 125 = 150Ω
शाखा AB व EF का तुल्य प्रतिरोध R’= \(\frac { 150 }{ 2 }\) = 750Ω
परिपथ का कुल प्रतिरोष्ट R = 75+ 25 = 100Ω
परिपथ में धारा I1= \(\frac { V }{ R }\) = \(\frac { 5 }{ 100 }\) = 0.05 ऐम्पियर
तथा धारा I2 = I4 = \(\frac { 0.05 }{ 2 }\)= 0.025 ऐम्पियर।

प्रश्न 2.
चित्र-14.15 में द्वारों के दिए गए संयोजनों के निर्गम सिग्नलों C एवं C को आरेखित कीजिए।
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हल
NAND गेटों से पहला प्राप्त संयोजन NOR गेट की भाँति कार्य करेगा [चित्र-14.15 (b)]|
NOR गेटों से प्राप्त दूसरा संयोजन AND गेट की भाँति कार्य करेगा [चित्र-14.15 (c)]।
C1 व C2 निर्गम सिग्नलों को चित्र-14.16 में दर्शाया गया है।
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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता

स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
5 × 10-8 कूलॉम तथा – 3× 10-8 कूलॉम के दो आवेश 16 सेमी दूरी पर स्थित हैं। दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के किस बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य होगा? अनन्त पर विभव शून्य लीजिए।

COMMON ERRORS

दो विपरीत प्रकृति के आवेशों के कारण वैद्युत विभव केवल एक बिन्दु पर शून्य न होकर दो बिन्दुओं पर शून्य
होता है। पहला बिन्दु दोनों आवेशों के बीच में होगा तथा दूसरा बिन्दु आवेशों से बाहर छोटे परिमाण के आवेश के निकट होगा।

हल :
प्रथम दशा : माना बिन्दु आवेश qA = 5 × 10-8 कूलॉम से दूसरे आवेश की ओर दूरी पर 0 बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य है,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 1

अत: प्रथम आवेश से दूसरे आवेश की ओर 10 सेमी दूरी पर विद्युत विभव शून्य है।
द्वितीय दशा : माना प्रथम आवेश से दूसरे आवेश की ओर r दूरी पर (दूसरे आवेश से बाहर r > 0.16 मीटर) विद्युत विभव शून्य है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 2

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प्रश्न 2.
10 सेमी भुजा वाले एक सम-षट्भुज के प्रत्येक शीर्ष पर 5 माइक्रोकूलॉम का आवेश है। षट्भुज के केन्द्र पर विभव परिकलित कीजिए।
हल :
प्रत्येक आवेश q = 5 माइक्रोकूलॉम
प्रत्येक आवेश की केन्द्र O से दूरी r = 0.1 मीटर
∴ केन्द्र O पर परिणामी विभव V =\(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}\) = 9 × 109 × 6 × \(\frac{q}{r}\)
= 9 × 109 × 6 × \(\frac{5 \times 10^{-6}}{0.1}\)
= 2.7 × 106 वोल्ट।
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प्रश्न 3.
6 सेमी की दूरी पर अवस्थित दो बिन्दुओं A एवं B पर दो आवेश 2 माइक्रोकूलॉम तथा – 2माइक्रोकूलॉम रखे हैं।
(a) निकाय के सम विभव पृष्ठ की पहचान कीजिए।
(b) इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा क्या है?
हल :
(a) चूँकि दोनों वेश समान परिमाण के परन्तु विपरीत चिह्न के हैं। अतः समविभव पृष्ठ दोना आवेशों को मिलाने वाली रेखा AB के लम्बवत् होगा तथा उसके मध्य-बिन्दु से जाएगा।
(b) विद्युत क्षेत्र की दिशा समविभव पृष्ठ के लम्बवत् धनावेश से ऋणावेश की ओर (AB की दिशा में) होगी।

प्रश्न 4.
12 सेमी त्रिज्या वाले एक गोलीय चालक के पृष्ठ पर 1.6 × 10-7कूलॉम पर आवेश एकसमान रूप से वितरित है।
(a) गोले के अन्दर
(b) गोले के ठीक बाहर
(c) गोले के केन्द्र से 18 सेमी पर अवस्थित, किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र क्या होगा?
हल :
(a) ∵ आवेश चालक के पृष्ठ पर वितरित है; अतः गोले के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

(b) दिया है : गोले की त्रिज्या R= 0.12 मीटर
गोले. पर आवेश q= 1.6 × 10-7 कूलॉम
∴ गोले के पृष्ठ के ठीक बाहर विद्यत क्षेत्र \(E=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q}{R^{2}}=9 \times 10^{9} \times \frac{1.6 \times 10^{-7}}{0.12 \times 0.12}\)
= 105 न्यूटन कूलॉम-1

(c) बिन्दु की गोले के केन्द्र से दूरी r = 0.18 मीटर
∵ r > R; अतः बिन्दु गोले के पृष्ठ के बाहर है।
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प्रश्न 5.
एक समान्तर पट्टिका संधारित्र, जिसकी पट्टिकाओं के बीच वायु है, की धारिता 8 pF (1 pF = 10-12 फैरड) है। यदि पट्टिकाओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए और इनके बीच के स्थान में 6 पराविद्युतांक का एक पदार्थ भर दिया जाए तो इसकी धारिता क्या होगी?
हल :
दिया है : वायु संधारित्र की धारिता Co = 8 pF = \(\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)
पदार्थ का पराविद्युतांक K = 6
∴ पराविद्युत पदार्थ भरने पर संधारित्र की धारिता
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प्रश्न 6.
9 pF धारिता वाले तीन संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को 120 वोल्ट के संभरण (सप्लाई) से जोड़ दिया जाए, तो प्रत्येक संधारित्र पर क्या विभवान्तर होगा?
स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता । 69
हल :
दिया है : C1 = C2 = C3 = 9 pF
श्रेणी संयोजन का विभवान्तर V = 120 वोल्ट
कुल धारिता = ?
प्रत्येक संधारित्र का विभवान्तर = ?
(a) श्रेणी संयोजन के सूत्र से,
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(b) संयोजन पर कुल आवेश q = CV = 3 × 10-12 × 120 = 360 × 10-12 कूलॉम
श्रेणी संयोजन में प्रत्येक संधारित्र पर इतना ही आवेश होगा।
∴ प्रत्येक संधारित्र का विभवान्तर V1 = V2 = V3 = \(\frac{q}{C_{1}}\)
(∵ सब की धारिताएँ समान हैं)
=\(\frac{360 \times 10^{-12}}{9 \times 10^{-12}}\) = 40 वोल्ट।

अन्य विधि : माना तीनों के विभवान्तर क्रमश: V1, V2 व V3 हैं।
तब, V1+ V2 + V3 = 120
∵ श्रेणी संयोजन में विभवान्तर धारिताओं के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं।
∵ तीनों की धारिताएँ समान हैं। अत: विभवान्तर भी समान होंगे।
V3 = V2 = V1
अतः
3V1= 120 ⇒ V1 = 40 वोल्ट
अतः प्रत्येक संधारित्र का विभवान्तर 40 वोल्ट है।

प्रश्न 7.
2 pF, 3 pF और 4 pF धारिता वाले तीन संधारित्र पार्श्वक्रम में जोड़े गए हैं।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को 100 वोल्ट के संभरण से जोड़ दें तो प्रत्येक संधारित्र पर आवेश ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : C1 = 2 pF, C2 = 3 pF, C3 = 4 pF
पार्श्वक्रम का विभवान्तर V = 100 वोल्ट
कुल धारिता = ?, प्रत्येक संधारित्र पर आवेश = ?
(a) पार्श्वक्रम में कुल धारिता C = C1 + C2 + C3 = 2+ 3+ 4 = 9 pF
(b) पार्श्वक्रम में सभी का विभवान्तर संयोजन के विभवान्तर के बराबर होता है।
∴ V1 = V2 = V3 = 100 वोल्ट
प्रथम संधारित्र पर आवेश q1 = C1V1 = 2 × 10-12 × 100 = 2 × 10-10 कूलॉम।
दूसरे संधारित्र पर आवेश q2 = C2V2 = 3 × 10-12 × 100 = 3 × 10-10 कूलॉम।
तीसरे संधारित्र पर आवेश q3 = C3V3 = 4 × 10-12 × 100 = 4 × 10-10 कूलॉम।

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प्रश्न 8.
पट्टिकाओं के बीच वायु वाले समान्तर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल 6x 10-3 मीटर तथा उनके बीच की दूरी 3 मिमी है। संधारित्र की धारिता को परिकलित कीजिए। यदि इस संधारित्र को 100 वोल्ट के संभरण से जोड़ दिया जाए तो संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर कितना आवेश होगा?
हल :
दिया है : प्लेट क्षेत्रफल A = 6 × 10-3 मीटर2, V = 100 वोल्ट,
बीच की दूरी d = 3 मिमी = 3 × 10-3 मीटर
धारिता C = ?, प्रत्येक पट्टी पर आवेश = ?
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संधारित्र पर आवेश q = CV = 17.7 × 10-12 x 100 = 17.7 × 10-10 कूलॉम
∴ एक पट्टी पर आवेश = + 17.7 × 10-10 कूलॉम।
दूसरी पट्टी पर आवेश = – 17.7 × 10-10 कूलॉम।

प्रश्न 9.
प्रश्न 8 में दिए गए संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच यदि 3 मिमी मोटी अभ्रक की एक शीट (पत्तर) (पराविद्युतांक = 6) रख दी जाती है तो स्पष्ट कीजिए कि क्या होगा जब
(a) विभव (वोल्टेज) संभरण जुड़ा ही रहेगा?
(b) संभरण को हटा लिया जाएगा?
हल :
प्रश्न 8 के परिणाम से, V = 100 वोल्ट, q = 18 × 10-10 कूलॉम ।
अब माध्यम का पराविद्युतांक K = 6
पराविद्युत की मोटाई t = 3 मिमी = 3 × 10-3 मीटर
t= d; अतः संधारित्र पूर्णतः परावैद्युत द्वारा भरा है।

EXTRA SHOTS

  • संधारित्र के आवेशित हो जाने के बाद, उसे आवेशित करने वाली बैटरी हटा लेने पर उसकी प्लेटों पर आवेश अपरिवर्तित रहता है।
  • संधारित्र के आवेशित हो जाने के बाद भी बैटरी, संधारित्र से जुड़ी रहे तब उसकी प्लेटों के बीच विभवान्तर नियत रहता है।

∴ संधारित्र की नई धारिता C = KC = 6 × 18 pF [∵ Co = 18pF]
= 108pF

(a) ∵ विभव संभरण जुड़ा हुआ है। अत: संधारित्र का विभवान्तर नियत अर्थात् 100 वोल्ट रहेगा।
संधारित्र पर नया आवेश q = CV = 108 × 10-12 × 100
= 1.08 × 10-8 कूलॉम
अतः इस स्थिति में, C = 108 pF, V = 100 वोल्ट,
q= 1.08 × 10-8 कूलॉम ।

(b) ∵ विभव संभरण हटा लिया गया है। अत: संधारित्र पर आवेश q= 18 × 10-10 कूलॉम नियत रहेगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 8
अतः C = 108 pF, \(V=\frac{50}{3}\) वोल्ट = 16.6 वोल्ट,
q= 1.8 × 10-9 कूलॉम।।

प्रश्न 10.
12 pF का एक संधारित्र 50 वोल्ट की बैटरी से जुड़ा है। संधारित्र में कितनी स्थिर विद्युत ऊर्जा . संचित होगी?
हल :
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प्रश्न 11.
200 वोल्ट संभरण (सप्लाई) से एक 600 pF से संधारित्र को आवेशित किया जाता है। फिर इसको संभरण से वियोजित कर देते हैं तथा एक अन्य 600 pF वाले अनावेशित संधारित्र से जोड़ देते हैं। इस प्रक्रिया में कितनी ऊर्जा का ह्रास होता है?
हल :
दिया है : धारिताएँ C1 = 600 × 10-12F, C2 = 600 × 10-12F
विभवान्तर V1 = 200 वोल्ट, V2 = 0 वोल्ट
प्रक्रिया में ऊर्जा का ह्रास ∆U = ?
∵ आवेश के बाद संभरण को हटा दिया जाता है; अत: निकाय पर कुल आवेश नियत रहेगा।(Note)
माना संधारित्रों को जोड़ने पर उनका उभयनिष्ठ विभव V है,.
q= C1V1+ C2V2 = (C1 + C2)V
600 × 10-12 × 200 + 0 = [600+ 600] × 10-12 × v
∴ \(V=\frac{600 \times 200}{1200}\) वोल्ट
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प्रश्न 12.
मूलबिन्दु पर एक 8 माइक्रोकूलॉम का आवेश अवस्थित है। – 2x 10-9 कूलॉम के एक छोटे से आवेश को बिन्दु P(0, 0, 3 सेमी) से, बिन्दु R (0, 6 सेमी, 9 सेमी) से होकर, बिन्दु Q (0, 4 सेमी, 0) तक ले जाने में किया गया कार्य परिकलित कीजिए।
हल :
मूलबिन्दु पर आवेश Q = 8 × 10-3 कूलॉम
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 11
दूसरा आवेश q= – 2 × 10-9 कूलॉम
∵ स्थिर विद्युत क्षेत्र में किसी आवेश को एक बिन्दु से दूसरी बिन्दु तक ले जाने में | किया जाने वाला कार्य मार्ग के स्थान पर अन्त्य बिन्दुओं पर निर्भर करता है।
∴ आवेश q को बिन्दु P से Q तक ले जाने में किया गया कार्य
w = q (VQO – VP)
यहाँ बिन्दु Q की मूलबिन्दु से दूरी rQ = OQ = 0.04 मीटर
Q(0,4,0) तथा बिन्दु P की मूलबिन्दु से दूरी rP = OP = 0.03 मीटर
∴ मूलबिन्दु पर स्थित आवेश Q के कारण Q व P के बीच विभवान्तर
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प्रश्न 13.
b भुजा वाले एक घन के प्रत्येक शीर्ष पर 4 आवेश है। इस आवेश विन्यास के कारण घन के केन्द्र पर विद्युत विभव तथा विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
हल :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 14
(b) ∵ सभी शीर्षों पर आवेश समान हैं। अत: विपरीत शीर्षों के कारण केन्द्र पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र परिमाण में बराबर तथा दिशा में विपरीत होंगे।
अतः केन्द्र पर नैट विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

प्रश्न 14.
1.5 माइक्रोकूलॉम और 2.5 माइक्रोकूलॉम आवेश वाले दो सूक्ष्म गोले 30 सेमी दूर स्थित हैं। (a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य-बिन्दु पर और
(b) मध्य-बिन्दु से होकर जाने वाली रेखा के अभिलम्ब तल में मध्य बिन्दु से 10 सेमी दूर स्थित किसी बिन्दु पर विभव और विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
हल :
(a) मध्य-बिन्दु की प्रत्येक आवेश से दूरी rA = rB = 0.15 मीटर
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प्रश्न 15.
आन्तरिक त्रिज्या r1 तथा बाह्य त्रिज्या r2 वाले एक गोलीय चालक खोल (कोश) पर Q आवेश है।
(a) खोल के केन्द्र पर एक आवेश q रखा जाता है। खोल के भीतरी और बाहरी पृष्ठों पर पृष्ठ आवेश घनत्व क्या है?
(b) क्या किसी कोटर (जो आवेशविहीन है) में विद्युत क्षेत्र शून्य होता है, चाहे खोल गोलीय न होकर किसी भी अनियमित आकार का हो? स्पष्ट कीजिए।
हल :
(a) जब चालक को केवल Q आवेश दिया गया है तो यह पूर्णत: चालक के बाह्य पृष्ठ पर रहता है।
हम जानते हैं कि एक चालक के भीतर नैट आवेश शून्य रहता है। अत: खोल के केन्द्र पर 4 आवेश रखने पर, q खोल की भीतरी सतह पर – q आवेश प्रेरित हो जाता है तथा बाहरी सतह पर अतिरिक्त + q आवेश आ जाता है।
अतः भीतरी सतह पर आवेश = – q
बाहरी सतह पर आवेश = Q+q
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(b) हाँ, यदि कोटर आवेशविहीन है तो उसके अन्दर विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।
इसके विपरीत कल्पना करें कि किसी चालक के भीतर एक अनियमित आकृति का आवेशविहीन कोटर है जिसके भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं है। अब एक ऐसे बन्द लूप पर विचार करें जिसका कुछ भाग कोटर के भीतर क्षेत्र रेखाओं के समान्तर है तथा शेष भाग कोटर से बाहर परन्तु चालक के भीतर है। चूँकि चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य है। अत: यदि एकांक आवेश को इस बन्द लूप के अनुदिश ले जाया जाए तो क्षेत्र द्वारा किया गया नैट कार्य प्राप्त होगा। परन्तु यह स्थिति स्थिर विद्युत क्षेत्र के लिए सत्य नहीं है (बन्द लूप पर नैट कार्य शून्य होता है)। अत: हमारी परिकल्पना कि कोटर के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं है, गलत है।
अर्थात् चालक के भीतर आवेशविहीन कोटर के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

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प्रश्न 16.
(a) दर्शाइए कि आवेशित पृष्ठ के एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व पर स्थिर विद्युत क्षेत्र के अभिलम्ब घटक में असांतत्य होता है, जिसे \(\left(\overrightarrow{\mathrm{E}}_{2}-\overrightarrow{\mathrm{E}}_{1}\right) \cdot \hat{\mathrm{n}}=\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\) द्वारा व्यक्त किया जाता है। जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) एक बिन्दु पर पृष्ठ के
अभिलम्ब एकांक सदिश है तथा σ उस बिन्दु पर पृष्ठ आवेश घनत्व है \(\hat{\mathbf{n}}\) की दिशा पार्श्व 1 से पार्श्व 2 की ओर
है)। अतः दर्शाइए कि चालक के ठीक बाहर विद्युत क्षेत्र \(\frac{\sigma \hat{\mathbf{n}}}{\varepsilon_{0}}\) है।
(b) दर्शाइए कि आवेशित पृष्ठ के एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व पर स्थिर विद्युत क्षेत्र का स्पर्शीय घटक संतत है।
उत्तर :
(a) माना AB एक आवेशित पृष्ठ है जिस पर पृष्ठीय आवेश घनत्व σ है। पृष्ठ के समीप प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) समान तथा पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर है।
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चित्र में एक बेलनाकार गाउसीय पृष्ठ को प्रदर्शित किया गया है। इस पृष्ठ 2 के वृत्ताकार परिच्छेदों पर अभिलम्ब सदिश \(\hat{\mathbf{n}}_{1} व 1\hat{\mathbf{n}}_{2}\) क्रमशः क्षेत्रों \(\overrightarrow{\mathrm{E}}_{1}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{E}}_{2}\) के समदिश हैं जबकि वक्र पृष्ठ पर अभिलम्ब संगत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}_{3}\) के लम्बवत् हैं। ..
माना प्रत्येक वृत्तीय परिच्छेद का क्षेत्रफल Δ A है तब गाउसीय पृष्ठ से -गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स

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उपर्युक्त समीकरण (2) किसी आवेशित सतह के दोनों ओर स्थित विद्युत क्षेत्रों के बीच सम्बन्ध को व्यक्त करता है।
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अब संलग्न चित्र में प्रदर्शित अनियमित आकृति के आवेशित चालक पर विचार के कीजिए। चालक का सम्पूर्ण आवेश उसकी बाह्य सतह पर फैला है। अत: चालक की। बाह्य सतह एक समविभव पृष्ठ है। आइए हम समीकरण (2) को इस चालक के बाहर विद्युत-क्षेत्र ज्ञात करने के लिए प्रयुक्त करते हैं।
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(b) आवेशित पृष्ठ के एक ओर से दूसरी ओर जाने पर स्थिर विद्युत क्षेत्र का स्पर्श रेखीय घटक सतत (सर्वथा शून्य) होता है, अन्यथा पृष्ठ के विभिन्न बिन्दु अलग-अलग विभवों पर होंगे तथा धनावेश पृष्ठ के अनुदिश उच्च विभव से निम्न विभव के बिन्दुओं की ओर गति करता रहेगा।

प्रश्न 17.
रैखिक आवेश घनत्व λ वाला एक लम्बा आवेशित बेलन एक खोखले समाक्षीय चालक बेलन द्वारा घिरा है। दोनों बेलनों के बीच के स्थान में विद्युत क्षेत्र कितना है?
हल :
दोनों बेलनों के बीच r त्रिज्या तथा l लम्बाई के समाक्षीय बेलनाकार गाउसीय पृष्ठ पर विचार कीजिए।
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सममिति के कारण इस बेलन के वक्र पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) सर्वत्र । समान तथा पृष्ठीय अल्पांश \(d \overrightarrow{\mathrm{A}}\) के समान्तर है जबकि वृत्तीय पृष्ठों पर \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) अल्पांश \(d \overrightarrow{\mathrm{A}}\) के लम्बवत् है। अतः
गाउसीय पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स
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प्रश्न 18.
एक हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन लगभग 0.53 Å दूरी पर परिबद्ध हैं :
(a) निकाय की स्थितिज ऊर्जा का ev में परिकलन कीजिए, जबकि प्रोटॉन व इलेक्ट्रॉन के मध्य से अनन्त दूरी पर स्थितिज ऊर्जा को शून्य माना गया है।
(b) इलेक्ट्रॉन को स्वतन्त्र करने में कितना न्यूनतम कार्य करना पड़ेगा, यदि यह दिया गया है कि इसकी कक्षा में गतिज ऊर्जा (a) में प्राप्त स्थितिज ऊर्जा के परिमाण की आधी है?
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा को 1.06 Å पृथक्करण पर शून्य ले लिया जाए तो, उपर्युक्त (a) और (b) के उत्तर
क्या होंगे?
हल : यहाँ q1 = – 1.6 x 10-19 कूलॉम,
q2= + 1.6 x 10-19 कूलॉम
r = 0.53Å = 5.3 x 10-11 मीटर
(a) इलेक्ट्रॉन-प्रोटॉन के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा
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(b) इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा U = – 27.17 ev
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U’ को शून्य मानने पर r = 0.53 Å दूरी पर स्थितिज ऊर्जा
U” = U – U’ = – 27.2 + 13.6 = – 13.6 ev
जबकि K = 13.6ev
∴ हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा
E= K +U” = 0
अतः इलेक्ट्रॉन को मुक्त करने के लिए आवश्यक कार्य
W = E – U’ = 0- (- 13.6) = 13.6 ev

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प्रश्न 19.
यदि H2 अणु के दो में से एक इलेक्ट्रॉन को हटा दिया जाए तो हमें हाइड्रोजन आण्विक आयन : (H2+) प्राप्त होगा। (H2+) की निम्नतम अवस्था (ground state) में दो प्रोटॉन के बीच दूरी लगभग 1.5A है
और इलेक्ट्रॉन प्रत्येक प्रोटॉन से लगभग 1Å की दूरी पर है। निकाय की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। स्थितिज ऊर्जा की शून्य स्थिति के चयन का उल्लेख कीजिए।
हल :
प्रत्येक प्रोटॉन का आवेश q1 = q2 = + 1.6 x 10-19 कूलॉम
दोनों के बीच की दूरी r12 = 1.5 Å = 1.5 x 10-10 मीटर
इलेक्ट्रॉन का आवेश q3 = – 1.6 x 10-19 कूलॉम ।
r23 = r31 = 1A = 10-10 मीटर,
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स्थितिज ऊर्जा का शून्य अनन्त पर लिया गया है।

प्रश्न 20.
a और । त्रिज्याओं वाले दो आवेशित चालक गोले एक तार द्वारा एक-दूसरे से जोड़े गए हैं। दोनों गोलों के पृष्ठों पर विद्युत क्षेत्रों में क्या अनुपात है? प्राप्त परिणाम को, यह समझाने में प्रयुक्त कीजिए कि किसी चालक के तीक्ष्ण और नुकीले सिरों पर आवेश घनत्व, चपटे भागों की अपेक्षा अधिक क्यों होता है?
हल :
माना इन गोलों पर आवेश क्रमशः 41 तथा 42 हैं।
:: दोनों गोले चालक तार द्वारा जुड़े हैं। अत: दोनों के पृष्ठीय विभव बराबर होंगे।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 28
माना किसी आवेशित चालक के दो अलग-अलग भागों की वक्रता त्रिज्याएँ a तथा b हैं। माना चालक का प्रथम भाग दूसरे की तुलना में अधिक नुकीला है तब a यदि इन भागों पर q1 व q2 आवेश संचित हैं तो
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अर्थात् कम वक्रता त्रिज्या वाले भाग (नुकीले भाग) का पृष्ठीय घनत्व अधिक वक्रता त्रिज्या वाले भाग की तुलना में अधिक होगा।

प्रश्न 21.
बिन्दु (0, 0, – a) तथा (0, 0, a) पर दो आवेश क्रमशः -q और +q स्थित हैं।
(a) बिन्दुओं (0, 0, z) और (x, y, 0) पर स्थिर विद्युत विभव क्या है?
(b) मूल बिन्दु से किसी बिन्दु की दूरी r पर विभव की निर्भरता ज्ञात कीजिए, जबकि \(\frac{r}{a}\) >> 1 है।
(c) X-अक्ष पर बिन्दु (5, 0, 0) से बिन्दु (- 7, 0,0) तक एक परीक्षण आवेश को ले जाने में कितना कार्य । करना होगा? यदि परीक्षण आवेश को उन्हीं बिन्दुओं के बीच X-अक्ष से होकर न ले जाएँ तो क्या उत्तर बदल जाएगा?
हल :
दिए गए बिन्दु आवेश एक विद्युत द्विध्रुव बनाते हैं।
आवेशों के बीच की दूरी = 2a
∴ विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण \(\overrightarrow{\mathrm{p}}=q \times 2 \overrightarrow{\mathrm{a}}=2 q \overrightarrow{\mathrm{a}}\)
(a) बिन्दु (0, 0, z) द्विध्रुव की अक्ष पर स्थित है,
∴ इस बिन्दु पर विद्युत विभव \(V=\pm \frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{p}{\left(z^{2}-a^{2}\right)}\)
बिन्दु (x, y, 0) द्विध्रुव के विषुवत तल में स्थित है; अतः इस बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य होगा।

(b) द्विध्रुव के कारण किसी बिन्दु पर विद्युत विभव :
माना कोई बिन्दु P, द्विध्रुव के केन्द्र (मूल बिन्दु) से 7 दूरी पर स्थित है। इस बिन्दु की बिन्दु आवेशों +q तथा । q से दूरियाँ क्रमश: r1 तथा r2 हैं।
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तब बिन्दु P पर द्विध्रुव के कारण विद्युत विभव
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(c) बिन्दु P(5, 0, 0) तथा Q(- 7, 0, 0) द्विध्रुव के विषुवत तल में स्थित हैं। अत: इन दोनों बिन्दुओं पर विभव शून्य होगा।
∴ परीक्षण आवेश qo को बिन्दु P से Q तक ले जाने में किया गया कार्य
W = qo [V (Q)- V (P)] = 0 [∵ V (P) = V(Q)= 0]
विद्युत-क्षेत्र एक संरक्षी क्षेत्र है जिसमें किया गया कार्य केवल अन्त्य बिन्दुओं पर निर्भर करता है, न कि मार्ग पर। (Note)
अतः उत्तर में कोई परिवर्तन नहीं आएगा।

प्रश्न 22.
नीचे दिए गए चित्र-2.12 में एक आवेश विन्यास जिसे विद्युत चतुर्युवी कहा जाता है, दर्शाया गया है। चतुर्भुवी के अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु के लिए r पर विभव की. a a . निर्भरता प्राप्त कीजिए जहाँ \(\frac{r}{a}\)>>11 अपने परिणाम की तुलना एक विद्युत द्विध्रुव व विद्युत एकल ध्रुव (अर्थात् किसी एकल आवेश) के लिए प्राप्त परिणामों से कीजिए।
हल :
माना P की विभिन्न आवेशों से दूरियाँ निम्नलिखित हैं –
r-a, r, r+a
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विद्युत द्विध्रुव के कारण अक्ष पर विभव दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती (\(V \propto \frac{1}{r^{2}}\) ) होता है। एकल ध्रुव के कारण यह दूरी के व्युत्क्रमानुपाती (\(V \propto \frac{1}{r}\) ) होता है। अतः चतुर्भुवी के कारण विभव, विद्युत द्विध्रुव तथा एकल ध्रुव की तुलना में अधिक तेजी से घटता है।

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प्रश्न 23.
एक विद्युत टैक्नीशियन को 1 किलोवोल्ट विभवान्तर के परिपथ में 2 μF संधारित्र की आवश्यकता है। 1 μF के संधारित्र उसे प्रचुर संख्या में उपलब्ध हैं जो 400 वोल्ट से अधिक का विभवान्तर वहन नहीं कर सकते। कोई सम्भव विन्यास सुझाइए जिसमें न्यूनतम संधारित्रों की आवश्यकता हो।
हल :
माना हम प्रत्येक पंक्ति में n संधारित्र जोड़ते हैं तथा ऐसी m पंक्तियों को समान्तर क्रम में जोड़ते हैं। श्रेणीक्रम में, 1 kV = 1000 वोल्ट का विभवान्तर n संधारित्रों में बराबर बॅट जाएगा।
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∵ n न्यूनतम पूर्णांक है। अत: n = 3
प्रत्येक पंक्ति की धारिता = \(\frac{1}{n}\) माइक्रोफैरड होगी।
समान्तर क्रम में जुड़ी ऐसी m पंक्तियों की धारिता
\(\frac{1}{n} +\frac{1}{n} + \frac{1}{n}\) + m पद – = 2μF
⇒ \(\frac{m}{n}\) = 2μF
⇒ m = 2n = 2×3 = 6 ,

∵ हमें 3-3 संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़कर इस प्रकार की 6 पंक्तियाँ बनानी होंगी। अब इन 6 पंक्तियों को समान्तर क्रम में जोड़ना होगा।

प्रश्न 24.
2F वाले एक समान्तर पट्टिका संधारित्र की पट्टिका का क्षेत्रफल क्या है, जबकि पट्टिकाओं का पृथकन 0.5 सेमी है?
हल :
दिया है : d = 0.5 सेमी = 5 x 10 -3मीटर, C = 2F, A = ?
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∴ पट्टिका का क्षेत्रफल 1.13x 10° मीटर’ या 1130 किमी है।

प्रश्न 25.
चित्र 2.13 के नेटवर्क (जाल) की तुल्य धारिता प्राप्त कीजिए। 300 वोल्ट संभरण (सप्लाई) के साथ प्रत्येक संधारित्र का आवेश व उसकी वोल्टता ज्ञात कीजिए।
हल :
दिए गए नेटवर्क को चित्र 2.14 की भाँति व्यवस्थित किया जा सकता है

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सर्वप्रथम C2 व C3 श्रेणीक्रम में जुड़े हैं, इनकी तुल्य धारिता
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अब यह 100 pF की धारिता C1 के साथ समान्तर क्रम में जुड़ी है,
अतः तुल्य धारिता = 100 + 100 = 200 pF
पुन: यह 200 pF, C4 के साथ श्रेणीक्रम में जुड़ा है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 39
∵ C4 शेष संयोजन (धारिता 200 pF) के साथ श्रेणीक्रम में जुड़ा है,
अत: C4तथा शेष संयोजन, दोनों पर यही आवेश होगा।
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∴ शेष संयोजन का विभवान्तर V = 300 वोल्ट – 200 वोल्ट = 100 वोल्ट
∵ C1,C2 व C3 के श्रेणी संयोजन से समान्तर क्रम में जुड़ा है,
∴ C1 का विभवान्तर = 100 वोल्ट
तथा C2 व C3 के श्रेणी संयोजन का विभवान्तर = 100 वोल्ट
C1 पर आवेश q1 = C1V1= 100 x 10-12 फैरड x100 वोल्ट
= 10-8 कूलॉम.
∴ C = C3; अतः कुल विभवान्तर 100 V इन पर बराबर-बराबर बंटेगा।
प्रत्येक का विभवान्तर = 50 वोल्ट
प्रत्येक पर आवेश q2 = C2V2= 200 x 10-12
F x 50 वोल्ट = 10-8c

अतः संयोजन की धारिता \(C=\frac{200}{3}\) pF
C1 का विभवान्तर = 100 वोल्ट।
तथा आवेश = 10-8 कूलॉम
C2 का विभवान्तर = 50 वोल्ट ।
तथा आवेश = 10-8 कूलॉम
C3 का विभवान्तर = 50वोल्ट
तथा आवेश = 10-8 कूलॉम
C4 का विभवान्तर = 200 वोल्ट
तथा आवेश = 2 x 10-8 कूलॉम

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प्रश्न 26.
किसी समान्तर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल 90 सेमी2 है और उनके बीच पृथक्न 2.5 मिमी है। 400 वोल्ट संभरण से संधारित्र को आवेशित किया गया है।
(a) संधारित्र कितना स्थिर विद्युत ऊर्जा संचित करता है?
(b) इस ऊर्जा को पट्टिकाओं के बीच स्थिर विद्युत क्षेत्र में संचित समझकर प्रति एकांक आयतन ऊर्जा u ज्ञात कीजिए। इस प्रकार, पट्टिकाओं के बीच विद्युत क्षेत्र E के परिमाण और u में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
हल :
दिया है : A = 90 सेमी2 = 9 x 10-3 मीटर2, d = 2.5 मिमी = 2.5 x 10-3 मीटर V= 400 वोल्ट, U = ?, एकांक आयतन में ऊर्जा u = ?
u व E के बीच सम्बन्ध = ?
(a)
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(b)
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प्रश्न 27.
एक 4 माइक्रोफैरड के संधारित्र को 200 वोल्ट संभरण (सप्लाई) से आवेशित किया गया है। फिर संभरण से हटाकर इसे एक अन्य अनावेशित 2 माइक्रोफैरड के संधारित्र से जोड़ा जाता है। पहले संधारित्र की कितनी स्थिर विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा और विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में ह्रास होता है ?
हल :
दिया है : C1 = 4 x 10-6 फैरड, V1 = 200 वोल्ट,
C2= 2 x 10-6 फैरड, V2 = 0 वोल्ट
माना जोड़ने के पश्चात् दोनों का उभयनिष्ठ विभव V है।
∵ जोड़ने से पूर्व संभरण को हटा लिया गया है। अत: कुल आवेश स्थिर रहेगा।
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प्रश्न 28.
दर्शाइए कि एक समान्तर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर बल का परिमाण \(\frac{1}{2}\)QE है, जहाँ Q.संधारित्र पर आवेश है और E पट्टिकाओं के बीच विद्युत क्षेत्र का परिमाण है। घटक 1/2 के मूल को समझाइए।
हल :
माना दोनों पट्टिकाओं के बीच लगने वाला पारस्परिक आकर्षण बल F है तथा प्लेटों के बीच की दूरी x है। दूरी x में dx की वृद्धि करने पर आकर्षण बल F के विरुद्ध कृत कार्य
dW = F dx         ………………….(1)
∵ प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र E है। अत: संधारित्र के एकांक आयतन में संचित ऊर्जा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 45
∵ प्लेटों का क्षेत्रफल A व बीच की दूरी x है। अत: संधारित्र की कुल ऊर्जा
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∵ दूरी x में dx की वृद्धि करने पर ऊर्जा में वृद्धि
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घटक \(\frac{1}{2}\) का मूल इस तथ्य में निहित है कि चालक प्लेट के बाहर विद्युत क्षेत्र E तथा प्लेट के भीतर शून्य होता है। अत: औसत विद्युत क्षेत्र \(\frac{E}{2}\) होता है, जिसके विरुद्ध प्लेट को खिसकाया जाता है।

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प्रश्न 29.
दो संकेन्द्री गोलीय चालकों जिनको उपयुक्त विद्युतरोधी आवेश (+q) आलम्बों से उनकी स्थिति में रोका गया है, से मिलकर एक गोलीय संधारित्र बना है (चित्र 2.15)। दर्शाइए कि गोलीय संधारित्र की धारिता C इस प्रकार व्यक्त की जाती है :
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यहाँ r1 और r2 क्रमशः बाहरी तथा भीतरी गोलों की त्रिज्याएँ हैं।
हल :
गोलीय अथवा गोलाकार संधारित्र की धारिता (Capacitance . of Spherical Capacitor) का व्यंजक-माजा गोलीय संधारित्र धातु के आवेश (-q) दो समकेन्द्रीय खोखले गोलों A व B का बना है, जो एक-दूसरे को कहीं भी स्पर्श नहीं करते (चित्र 2.15)। जब गोले A को -q आवेश दिया जाता है तो प्रेरण द्वारा गोले B पर +q आवेश उत्पन्न हो जाता है। चूंकि गोले B का बाहरी तल पृथ्वी से जुड़ा है; अत: गोले B के बाहरी तल पर उत्पन्न -q आवेश पृथ्वी से आने वाले इलेक्ट्रॉनों से निरावेशित हो जाता है। इस प्रकार गोले B के आन्तरिक पृष्ठ पर + q आवेश रह जाता है। माना गोले A की त्रिज्या r2 तथा गोले B की त्रिज्या r1 है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 49
चूँकि गोले के भीतर प्रत्येक बिन्दु पर वही विभव होता है जो कि उसके पृष्ठ पर होता है।
अत: गोले B के अन्दर, +q आवेश के कारण विभव
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 50
चूँकि विभव अदिश राशि है; अत: गोले A पर परिणामी विभव
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 51
गोला B पृथ्वी से जुड़ा होने के कारण इस पर विभव शून्य है। अत: गोले A व B के बीच विभवान्तर
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प्रश्न 30.
एक गोलीय संधारित्र के भीतरी गोले की त्रिज्या 12 सेमी है तथा बाहरी गोले की त्रिज्या 13 सेमी है। बाहरी गोला भू-सम्पर्कित है तथा भीतरी गोले पर 2.5 माइक्रोकूलॉम का आवेश दिया गया है। संकेन्द्री गोलों के बीच के स्थान में 32 पराविधुतांक का द्रव भरा है।
(a) संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए।
(b) भीतरी गोले का विभव क्या है?
(c) इस संधारित्र की धारिता की तुलना एक 12 सेमी त्रिज्या वाले किसी वियुक्त गोले की धारिता से कीजिए। व्याख्या कीजिए कि गोले की धारिता इतनी कम क्यों है?
हल :
दिया है : r1 = 13 सेमी = 0.13 मीटर, r2 = 12 सेमी = 0.12 मीटर, K = 32, Q = 2.5x 10-6 कूलॉम
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 53

अर्थात् गोलीय संधारित्र की धारिता एकल गोले की धारिता से 416 गुनी अधिक है। इससे यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि एकल चालक के समीप एक अन्य भू-सम्पर्कित चालक रखकर उनके बीच के स्थान में पराविद्युत भरने से धारिता बहुत अधिक बढ़ जाती है।

प्रश्न 31.
सावधानीपूर्वक उत्तर दीजिए :
(a) दो बड़े चालक गोले जिन पर आवेश Q1 और Q2 हैं, एक-दूसरे के समीप लाए जाते हैं। क्या इनके बीच स्थिर विद्युत बल का परिमाण तथ्यत –
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द्वारा दर्शाया जाता है, जहाँ r इनके केन्द्रों के बीच की दूरी है।
(b) यदि कूलॉम के नियम में \(\frac{1}{r^{3}}\) निर्भरता का समावेश (1/r2 के स्थान पर) हो तो क्या गाउस का नियम अभी भी सत्य होगा?
(c) स्थिर विद्युत क्षेत्र विन्यास में एक छोटा परीक्षण आवेश किसी बिन्दु पर विराम में छोड़ा जाता है। क्या यह उस बिन्दु से होकर जाने वाली क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा?
(d) इलेक्ट्रॉन द्वारा एक वृत्तीय कक्षा पूरी करने में नाभिक के क्षेत्र द्वारा कितना कार्य किया जाता है? यदि कक्षा दीर्घवृत्ताकार हो तो क्या होगा?
(e) हमें ज्ञात है कि एक आवेशित चालक के पृष्ठ के आर-पार विद्युत क्षेत्र असंतत होता है। क्या वहाँ विद्युत विभव भी असंतत होगा?
(f) किसी एकल चालक की धारिता से आपका क्या अभिप्राय है?
(g) एक सम्भावित उत्तर की कल्पना कीजिए कि पानी का पराविद्युतांक (= 80), अभ्रक के पराविद्युतांक (= 6) से अधिक क्यों होता है?
हल :
(a) यदि दोनों गोले एक-दूसरे से बहुत अधिक दूरी पर होंगे तभी वे बिन्दु आवेशों की भाँति कार्य करेंगे। कूलॉम का नियम केवल बिन्दु आवेशों के लिए सत्य है। अत: गोलों को समीप लाने पर कूलॉम का नियम लागू नहीं होगा।
(b) नहीं, गाउस का नियम केवल तभी तक सत्य है जब तक कि कूलॉम के नियम में निर्भरता (\(\frac{1}{r^{2}}\)) है; अतः कूलॉम के नियम में निर्भरता (\frac{1}{r^{3}}) होने पर गाउस का नियम लागू नहीं होगा।
(c) नहीं, यदि क्षेत्र रेखा एक सरल रेखा है, केवल तभी परीक्षण आवेश क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा।
(d) शून्य, स्थिर विद्युत क्षेत्र में बिन्दु आवेश के बन्द वक्र पर चलाने में किया गया कार्य शून्य होता है। यदि वक्र दीर्घवृत्ताकार है तो भी कार्य शून्य होगा।
(e) नहीं, चालकं की पूरी सतह पर विद्युत विभव सतत होता है। (1) एकल चालक की धारिता एक ऐसे संधारित्र की धारिता है, जिसकी दूसरी प्लेट अनन्त पर है।
(g) जल के अणुओं का अपना स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण होता है। अत: जल का पराविद्युतांक उच्च होता है, इसके विपरीत अभ्रक के अणुओं का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है; अत: इसका पराविद्युतांक निम्न होता है।

प्रश्न 32.
एक बेलनाकार संधारित्र में 15 सेमी लम्बाई एवं त्रिज्याएँ 1.5 सेमी तथा 1.4 सेमी के दो समाक्ष बेलन हैं। बाहरी बेलन भू-सम्पर्कित है और भीतरी बेलन को 3.5 माइक्रोकूलॉम का आवेश दिया गया है। निकाय की धारिता और भीतरी बेलन का विभव ज्ञात कीजिए। अन्त्य प्रभाव (अर्थात् सिरों पर क्षेत्र रेखाओं का मुड़ना) की उपेक्षा कर सकते हैं।
हल :
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प्रश्न 33.
पराविधुतांक तथा 107 वोल्ट मीटर-1 की पराविद्युत सामर्थ्य वाले एक पदार्थ से 1 किलोवोल्ट वोल्टता अनुमतांक के समान्तर पट्टिका संधारित्र की अभिकल्पना करनी है। [पराविद्युत सामर्थ्य वह अधिकतम विद्युत क्षेत्र है जिसे कोई पदार्थ बिना भंग हुए अर्थात् आंशिक आयनन द्वारा बिना विद्युत संचरण आरम्भ किए सहन कर सकता है। सुरक्षा की दृष्टि से क्षेत्र को कभी भी पराविद्युत सामर्थ्य के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए।] 50pF धारिता के लिए पट्टिकाओं का कितना न्यूनतम क्षेत्रफल होना चाहिए?
हल :
दिया है : K = 3, पराविद्युत सामर्थ्य = 107 वोल्ट/मीटर,
C = 50 pF, न्यूनतम क्षेत्रफल A = ? V = 1000 वोल्ट
प्लेटों के बीच अधिकतम क्षेत्र Emax = पराविद्युत सामर्थ्य का 10%
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प्रश्न 34.
व्यवस्थात्मकतः निम्नलिखित में संगत समविभव पृष्ठ का वर्णन कीजिए :
(a) Z-दिशा में अचर विद्युत क्षेत्र
(b) एक क्षेत्र जो एकसमान रूप से बढ़ता है, परन्तु एक ही दिशा (मान लीजिए 2-दिशा) में रहता है।
(c) मूलबिन्दु पर कोई एकल धनावेश और
(d) एक समतल में समान दूरी पर समान्तर लम्बे आवेशित तारों से बने एकसमान जाल।
उत्तर :
(a) x-y समतल के समान्तर समतल।
(b) समविभव पृष्ठ x-y समतल के समान्तर होंगे, परन्तु बढ़ते क्षेत्र के साथ, भिन्न-भिन्न नियत विभव वाले समतल एक-दूसरे के समीप होते जाएँगे।
(c) संकेन्द्रीय गोले जिनके केन्द्र मूलबिन्दु पर हैं।
(d) ग्रिड के समीप, समविभव पृष्ठों की आकृति समय के साथ बदलेगी परन्तु ग्रिड से दूर जाने पर समविभव . पृष्ठ ग्रिड (जाल) के अधिकाधिक समान्तर होते जाएँगे।

प्रश्न 35.
किसी वान डे ग्राफ प्रकार के जनित्र में एक गोलीय धातु कोश 15 x 106 वोल्ट का एक इलेक्ट्रोड बनाना है। इलेक्ट्रोड के परिवेश की गैस की पराविद्युत सामर्थ्य 5 x 107 वोल्ट मीटर-1 है। गोलीय कोश की आवश्यक न्यूनतम त्रिज्या क्या है?
हल :
दिया है : गोलीय कोश का विभव V = 15 x 106 वोल्ट
गैस की पराविद्युत सामर्थ्य Emax = 5 x 107 वोल्ट मीटर-1
माना कोश की न्यूनतम त्रिज्या r है, तब
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 57

प्रश्न 36.
r1 त्रिज्या तथा q1 आवेश वाला एक छोटा गोला r2 त्रिज्या और q2 आवेश के गोलीय खोल (कोश) से घिरा है। दर्शाइए यदि q1 धनात्मक है तो (जब दोनों को एक तार द्वारा जोड़ दिया जाता है) आवश्यक रूप से आवेश, गोले से खोल की तरफ ही प्रवाहित होगा, चाहे खोल पर आवेश q2 कुछ भी हो।
हल :
हम जानते हैं कि किसी चालक का सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर रहता है; अत: जैसे ही दोनों गोलों को चालक तार द्वारा जोड़ा जाएगा वैसे ही अन्दर वाले छोटे गोले का सम्पूर्ण आवेश तार से होकर बाहरी खोल की ओर प्रवाहित हो जाएगा, चाहे खोल पर आवेश q2 कुछ भी क्यों न हो।

प्रश्न 37.
निम्न का उत्तर दीजिए :
(a) पृथ्वी के पृष्ठ के सापेक्ष वायुमण्डल की ऊपर परत लगभग 400 किलोवोल्ट पर है, जिसके संगत विद्युतक्षेत्र ऊँचाई बढ़ने के साथ कम होता है। पृथ्वी के पृष्ठ के सापेक्ष विद्युत क्षेत्र लगभग 100 वोल्ट मीटर-1 है। तब फिर जब हम घर से बाहर खुले में जाते हैं तो हमें विद्युत आघात क्यों नहीं लगता? (घर को लोहे का पिंजरा मान लीजिए; अतः उसके अन्दर कोई विद्युत क्षेत्र नहीं है।)
(b) एक व्यक्ति शाम के समय अपने घर के बाहर 2 मीटर ऊँचा अवरोधी पट्ट रखता है जिसके शिखर पर एक 1 मीटर क्षेत्रफल की बड़ी ऐलुमिनियम की चादर है। अगली सुबह वह यदि धातु की चादर को छूता है तो क्या उसे विद्युत आघात लगेगा?
(c) वायु की थोड़ी-सी चालकता के कारण सारे संसार में औसतन वायुमण्डल में विसर्जन धारा 1800 ऐम्पियर मानी जाती है। तब यथासमय वातावरण स्वयं पूर्णतः निरावेशित होकर विद्युत उदासीन क्यों नहीं हो जाता? दूसरे शब्दों में, वातावरण को कौन आवेशित रखता है?
(d) तड़ित के दौरान वातावरण की विद्युत ऊर्जा, ऊर्जा के किन रूपों में क्षयित होती है?
हल :
(a) हमारा शरीर तथा पृथ्वी के समान विभव पर रहने के कारण हमारे शरीर से होकर कोई विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती इसीलिए हमें कोई विद्युत आघात नहीं लगता।
(b) हाँ, पृथ्वी तथा ऐलुमिनियम की चादर मिलकर एक संधारित्र बनाती हैं तथा अवरोधी पट्ट पराविद्युत का कार्य करता है। ऐलुमिनियम की चादर वायुमण्डलीय आवेश के लगातार गिरते रहने से आवेशित होती रहती है और उच्च विभव प्राप्त कर लेती है; अतः जब व्यक्ति इस चादर को छूता है तो उसके शरीर से होकर एक विद्युत धारा प्रवाहित होती है और इस कारण उस व्यक्ति को विद्युत आघात लगेगा।
(c) यद्यपि वायुमण्डल 1800 ऐम्पियर की औसत विसर्जन धारा के कारण लगातार निरावेशित होता रहता है परन्तु साथ ही यह तड़ित तथा झंझावात के कारण यह लगातार आवेशित भी होता रहता है और इन दोनों के बीच एक सन्तुलन बना रहता है जिससे कि वायुमण्डल कभी भी पूर्णत: निरावेशित नहीं हो पाता।
(d) तड़ित के दौरान वातावरण की विद्युत ऊर्जा, प्रकाश उर्जा, ध्वनि ऊर्जा तथा ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में क्षयित होती है।

NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LQ Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
चित्र में दर्शाए अनुसार परिपथ में 4 μF का संधारित्र संयोजित है। बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध 0.5Ω है। संधारित्र की प्लेटों पर आवेश की मात्रा होगी –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 58
(a) 0
(b) 4 μc
(c) 16 μc
(d) 8 μc
उत्तर :
(d) 8 μc

प्रश्न 2.
किसी एक समान विद्युत क्षेत्र में किसी धनावेशित कण को मुक्त किया जाता है। आवेश की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा
(a) नियत रहती है क्योंकि विद्युत क्षेत्र एकसमान है
(b) बढ़ जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के अनुदिश गति करता है
(c) घट जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के अनुदिश गति करता है
(d) घट जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के विपरीत गति करता है।
उत्तर :
(c) घट जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के अनुदिश गति करता है

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प्रश्न 3.
कुछ आवेशों के एक समूह का कुल योग शून्य नहीं है। इससे अधिक दूरी पर बनने वाले समविभव पृष्ठ होंगे –
(a) गोले
(b) समतल
(c) परवलयज
(d) दीर्घवृत्तज।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 59
उत्तर :
(a) गोले

प्रश्न 4.
कोई समान्तर पट्टिका संधारित्र दो श्रेणीबद्ध परावैद्युत गुटकों से बना है। इनमें चित्र में दर्शाए अनुसार एक गुटके की मोटाई d1 तथा परावैद्युतांक K1 तथा दूसरे गुटके की मोटाई d25 तथा परावैद्युतांक K2 है।* इस व्यवस्था को एक ऐसा परावैद्युत गुटका माना जा सकता है जिसकी d) मोटाई d = (d1 + d2) तथा प्रभावी परावैद्युतांक K है। तब K का मान है –
(a)\(\frac{K_{1} d_{1}+K_{2} d_{2}}{d_{1}+d_{2}}\)
(b)\(\frac{K_{1} d_{1}+K_{2} d_{2}}{K_{1}+K_{2}}\)
(c)\(\frac{K_{1} K_{2}\left(d_{1}+d_{2}\right)}{\left(K_{1} d_{2}+K_{2} d_{1}\right)}\)
(d)\(\frac{2 K_{1} K_{2}}{\left(K_{1}+K_{2}\right)}\)
उत्तर :
(c)\(\frac{K_{1} K_{2}\left(d_{1}+d_{2}\right)}{\left(K_{1} d_{2}+K_{2} d_{1}\right)}\)

स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
R1 तथा R2 त्रिज्याओं (R1 > R2) के दो चालक गोलों पर विचार कीजिए। यदि दोनों गोले समान विभव पर हैं तो छोटे गोले की अपेक्षा बड़े गोले पर अधिक आवेश होता है। उल्लेख कीजिए, छोटे गोले का आवेश घनत्व बड़े गोले की तुलना में अधिक होगा अथवा कम?
उत्तर :
दोनों गोले समान विभव पर हैं। अत: V1 = V2 अथवा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 60
अत: छोटे गोले (R2 त्रिज्या का) का आवेश पृष्ठ घनत्व, बड़े गोले की तुलना में अधिक होगा।

प्रश्न 2.
मुक्त इलेक्ट्रॉन उच्च विभव के क्षेत्र की ओर गमन करते हैं अथवा निम्न विभव के क्षेत्र की ओर?
उत्तर :
मुक्त इलेक्ट्रॉन उच्च विभव के क्षेत्र की ओर गमन करते हैं। .

प्रश्न 3.
समान आवेश वाले दो निकटवर्ती चालकों के बीच क्या कोई विभवान्तर हो सकता है?
उत्तर :
हाँ, यदि चालकों का आमाप भिन्न-भिन्न हों तब समान आवेश होते हुए भी उनके बीच विभवान्तर हो सकता है।

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प्रश्न 4.
कोई परीक्षण आवेश q किसी बिन्दु आवेश Q के विद्युत क्षेत्र में दो भिन्न बन्द पथों पर गमन करता है (चित्रानुसार )। पहला पथ विद्युत क्षेत्र की रेखाओं के अनुदिश तथा लम्बवत् कोई भाग है। दूसरा पथ एक आयताकार पाश है जिसका क्षेत्रफल पहले पाश के बराबर है। इन दोनों प्रकरणों में किए गए कार्य की तुलना कीजिए।
उत्तर :
वैद्युत बल एक संरक्षी बल है, अत: इसके अन्तर्गत बन्द पथ में किया है गया कार्य दोनों स्थितियों में शून्य होगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 61

स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच कोई परावैद्युत है तथा यह संधारित्र किसी दिष्ट स्रोत से संयोजित है। अब बैटरी को हटाया जाता है और फिर परावैद्युत को हटा दिया जाता है। यह उल्लेख कीजिए कि ऐसा करने पर संधारित्र की धारिता उसमें संचित ऊर्जा, विद्युत क्षेत्र, संचित आवेश तथा वोल्टता में वृद्धि होगी, कमी होगी अथवा नियत रहेगी?
उत्तर :
संधारित्र की पट्टिकाओं से संयोजित दिष्ट स्रोत (बैटरी) को हटा लेने पर संधारित्र की प्लेटों पर आवेश नियत रहेगा।
संधारित्र की प्लेटों के बीच से परावैद्युत को हटा लेने पर उसकी धारिता कम हो जाएगी।
संधारित्र में संचित ऊर्जा \(E=\frac{\sigma}{\varepsilon_{0} K}\), धारिता C घट जाने के कारण अधिक हो जाएगी।
प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र \(V=\frac{q}{C}\), परावैद्युत हटा लेने पर बढ़ जाएगा।
प्लेटों के बीच वोल्टता \(V=\frac{q}{C}\), धारिता कम हो जाने के कारण (या V = E.d के अनुसार) बढ़ जाएगी।

स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
R तथा 2R त्रिज्याओं के दो धातु के गोलों के पृष्ठीय आवेश घनत्व समान हैं। इन्हें सम्पर्क में लाकर पृथक कर दिया जाता है। इन दोनों पर नए पृष्ठीय आवेश घनत्व क्या होंगे?
हल :
धातु के गोलों पर आवेश q1 = σ 4πR2 तथा
q2 = σ4π(2R2)
4(σ4πR2) = 4q1
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 62
चालकों को परस्पर सम्पर्क में रखने पर, उन पर आवेशों का पुनर्वितरण उनकी धारिताओं के अनुपात में होता है। अतः

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था

 संचार व्यवस्था  NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
व्योम तरंगों के उपयोग द्वारा क्षितिज के पार संचार के लिए निम्नलिखित आवृत्तियों में से कौन-सी आवृत्ति उपयुक्त रहेगी?
(a) 10 किलोहर्ट्स
(b) 10 मेगाहर्ट्स
(c) 1 गीगाहर्ट्स
(d) 1000 गीगाहर्ट्स।
उत्तर
(b) 10 मेगाहर्ट्स।
3 मेगाहर्ट्स से 30 मेगाहर्ट्स आवृत्ति तक की तरंगें व्योम तरंगों की श्रेणी में आती हैं। इससे उच्च आवृत्ति की तरंगें (जैसे-1 गीगाहर्ट्स, 1000 गीगाहर्ट्स) आयन-मण्डल को भेदकर पार निकल जाती हैं, जबकि 10 किलोहर्ट्स आवृत्ति की तरंगें ऐन्टिना की ऊँचाई अधिक होने के कारण उपयोगी नहीं हैं।

प्रश्न 2.
UHF परिसर की आवृत्तियों का प्रसारण प्रायः किसके द्वारा होता है?
(a) भू-तरंगें
(b) व्योम तरंगें
(c) पृष्ठीय तरंगें
(d) आकाश तरंगें।
उत्तर
(d) आकाश तरंगें।
UHF परिसर में प्रसारण आकाश तरंगों द्वारा ही होता है।

प्रश्न 3.
अंकीय सिग्नल :
(i) मानों का संतत समुच्चय प्रदान नहीं करते
(ii) मानों को विविक्त चरणों के रूप में निरूपित करते हैं
(iii) द्विआधारी पद्धति का उपयोग करते हैं ।
(iv) दशमलव के साथ द्विआधारी पद्धति का भी उपयोग करते हैं।
उपर्युक्त प्रकथनों में कौन-से सत्य हैं?
(a) केवल (i) तथा (ii)
(b) केवल (ii) तथा (iii)
(c) (i), (ii) तथा (iii) परन्तु (iv) नहीं
(d) (i), (ii), (iii) तथा (iv) सभी।
उत्तर
(c).
अंकीय सिग्नल द्विआधारी पद्धति (अंकों 0 तथा 1) का उपयोग करते हैं। अत: मानों का सतत समुच्चय प्रदान करने के स्थान पर उन्हें विविक्त चरणों में निरूपित करते हैं।

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प्रश्न 4.
दृष्टिरेखीय संचार के लिए क्या यह आवश्यक है कि प्रेषक ऐन्टीना की ऊँचाई अभिग्राही ऐन्टीना की ऊँचाई के बराबर हो? कोई TV प्रेषक ऐन्टीना 81 मीटर ऊँचा है। यदि अभिग्राही ऐन्टिना भूस्तर पर है तो यह कितने क्षेत्र में सेवाएँ प्रदान करेगा?
उत्तर
नहीं, दृष्टिरेखीय संचार हेतु प्रेषक ऐन्टिना की ऊँचाई अभिग्राही ऐन्टिना की ऊँचाई के बराबर होना आवश्यक नहीं है। दिया है,
प्रेषक ऐन्टिना की ऊँचाई hT = 81 मीटर .
अभिग्राही ऐन्टिना की ऊँचाई hR = 0
पृथ्वी की त्रिज्या R= 6.4×106 मीटर
माना इस ऐन्टिना से d त्रिज्या के वृत्त में सेवाएँ प्राप्त की जा सकती हैं, तब
d = \(d=\sqrt{2 h_{T} R}+\sqrt{2 h_{R} R}=\sqrt{2 \times 81 \times 6.4 \times 10^{6}}+0\)
यदि ऐन्टिना A क्षेत्रफल में सेवाएँ प्रदान कर सकता है तो
A= πd2 = 3.14 × 2 x 81 × 6.4 × 106 मीटर 2
= 3255.55 किमी2

प्रश्न 5.
12 वोल्ट शिखर वोल्टता की वाहक तरंग का उपयोग किसी संदेश सिग्नल के प्रेषण के लिए किया गया है। मॉडुलन सूचकांक 75% के लिए मॉडुलक सिग्नल की शिखर वोल्टता कितनी होनी चाहिए?
हल :
वाहक तरंग की शिखर वोल्टता Ec = 12 वोल्ट
मॉडुलन सूचकांक μ = 75%
यदि मॉडुलक सिग्नल की शिखर वोल्टता Em है तो
मॉडुलन सूचकांक \(\frac{E_{m}}{E_{c}}\) x 100 = 75
Em = \(\frac { 75 }{ 100 }\)xEc = \(\frac { 3 }{ 4 }\) x 12 = 9 वोल्ट
अत: मॉडुलक सिग्नल की शिखर वोल्टता = 9 वोल्ट।

प्रश्न 6.
चित्र-15.1 में दर्शाए अनुसार कोई मॉडुलक सिग्नलं वर्ग तरंग है। .
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 1
दिया गया है कि वाहक तरंग c(t) = 2sin (8 π t) वोल्ट

  1. आयाम मॉडुलित तरंग रूप आलेखित कीजिए।
  2. मॉडुलन सूचकांक क्या है?

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हल
1. चित्र से स्पष्ट है कि 0 ≤ t ≤ 0.5 सेकण्ड
m(t) = 1 वोल्ट
cm(t) = [Ac + m(t)] sin (8 π t)= 3 sin 8 π t [∵Ac = 2 वोल्ट]
0.5 सेकण्ड ≤ t ≤ 1.0 सेकण्ड
m(t) = – 1 वोल्ट
cm (t) = [Ac + m (t)] sin (8 π t) = 1 sin (8 π t)
1.0 सेकण्ड ≤ t ≤ 1.5 सेकण्ड
m(t) = 1
cm (t) = [Ac + m(t)] sin(8 π t)= 3 sin (8 π t)
तथा इसी प्रकार 1.5 सेकण्ड ≤ t ≤ 2.0 सेकण्ड
cm (t) = 1 sin (8 π t)
अत: मॉडुलित तरंग को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 2
वाहक तरंग की कोणीय आवृत्ति ωc= 8π
∵ \(T_{c}=\frac{2 \pi}{\omega_{c}}=\frac{1}{4}\) 1 सेकण्ड
∵ 1 सेकण्ड में वाहक तरंग के चार दोलन पूरे होंगे।
इनमें से प्रथम 2 दोलन (t= 0 से t = 0.5 सेकण्ड तक) तरंग cm (t) = 3 sin 8 π t के होंगे तथा अगले दो दोलन Cm (t) = 1 sin 8 π t के होंगे।
इसी प्रकार के दोलन अगले 1 सेकण्ड में होंगे।

इस आधार पर मॉडुलित तरंग रूप निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 3

2. वाहक तरंग की शिखर वोल्टता Ec = 2 वोल्ट
मॉडुलक तरंग की शिखर वोल्टता Em = 1 वोल्ट
मॉडुलन सूचकांक μ = \(\frac { Em }{ Em }\) = \(\frac { 1 }{ 2 }\) = 0.5
अथवा
μ = \(\frac { Em }{ Em }\) x 100% = 0.5 x 100% = 50%

प्रश्न 7.
किसी मॉडुलित तरंग का अधिकतम आयाम 10 वोल्ट तथा न्यूनतम आयाम 2 वोल्ट पाया जाता है। मॉडुलन । सूचकांक u का मान निश्चित कीजिए।
यदि न्यूनतम आयाम शून्य वोल्ट हो तो मॉडुलन सूचकांक क्या होगा?
हल :
दिया है, मॉडुलित तरंग का अधिकतम आयाम Emax = 10 वोल्ट, न्यूनतम आयाम Emin = 2 वोल्ट
यदि वाहक तरंग तथा मॉडुलक तरंग के आयाम क्रमश: Ec व Em हैं तो
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 4

प्रश्न 8.
आर्थिक कारणों से किसी AM तरंग का केवल ऊपरी पार्श्व बैण्ड ही प्रेषित किया जाता है, परन्तु ग्राही स्टेशन पर वाहक तरंग उत्पन्न करने की सुविधा होती है। यह दर्शाइए कि यदि कोई ऐसी युक्ति उपलब्ध हो जो दो सिग्नलों की गुणा कर सके तो ग्राही स्टेशन पर मॉडुलक सिग्नल की पुनःप्राप्ति सम्भव है।
उत्तर
माना उच्च आवृत्ति वाहक तरंग निम्नलिखित है
c(t)= Ac cos ωct
माना आयाम मॉडुलित तरंग का केवल उच्च पार्श्व बैण्ड ही प्रेषित किया जाता है तब संसूचन के बाद अभिग्राही पर उपलब्ध सिग्नल
m(t) = A1 cos (ωc + ωm)t
उक्त दोनों की गुणा करने पर,
cm (t) = AcA1 cos ωc t cos (ωc + ωm)t
= \(\frac{A_{c} A_{1}}{2}\) [cos (2ωc + ωm) t+ cos ωmt]

इस सिग्नल को निम्न आवृत्ति फिल्टर से पास करने पर यह फिल्टर उच्च आवृत्ति घटक = \(\frac{A_{c} A_{1}}{2}\) cos (2ωc + ωm) t को रोक देगा तथा निम्न आवृत्ति घटक \(\frac{A_{c} A_{1}}{2}\) cosωmt को गुजरने देगा। इस प्रकार हमें मॉडुलक सिग्नल पुनः प्राप्त हो जाएगा।

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संचार व्यवस्था बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
तीन तरंगें A, B और C जिनकी आवृत्तियाँ क्रमशः 1600 किलोहर्ट्स, 5 मेगाहर्ट्स और 60 मेगाहर्ट्स हैं, एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जानी हैं। निम्न में से कौन-सा संचार का सर्वोपयुक्त ढंग है
(a) A को आकाश तरंग के रूप में तथा B और C को व्योम तरंगों के रूप में भेजा जाए
(b) A को भू तरंग, B को व्योम तरंग तथा C को आकाश तरंग के रूप में भेजा जाए
(c) B और C को भू तरंग, तथा A को व्योम तरंग के रूप में भेजा जाए
(d) B को भू तरंग तथा A और C को आकाश तरंग के रूप में भेजा जाए।
उत्तर
(b) A को भू तरंग, B को व्योम तरंग तथा C को आकाश तरंग के रूप में भेजा जाए

प्रश्न 2.
एक 100 मीटर लम्बा एन्टेना 500 मीटर ऊँची इमारत पर लगा है। यह संयोजन 2 तरंगदैर्घ्य की तरंगों के लिए एक संचरण टावर (transmission tower) बन जाएगा जहाँ 2 है
(a) ~ 400 मीटर
(b) ~ 25 मीटर
(c) ~150 मीटर
(d) ~ 2400 मीटर।
उत्तर
(a) ~ 400 मीटर

प्रश्न 3.
3 किलोहर्ट्स आवृत्ति का एक वाक् सिग्नल, 1 मेगाहर्ट्स आवृत्ति के एक वाहक सिग्नल को आयाम मॉडुलीकरण द्वारा मॉडुलित करने के लिए प्रयुक्त किया गया है। पार्श्व बैण्डों की आवृत्तियाँ होंगी
(a) 1.003 मेगाहर्ट्स व 0:997 मेगाहर्ट्स
(b) 3001 किलोहर्ट्स व 2997 किलोह
(c) 1003 किलोहर्ट्स व 1000 किलोहर्ट्स
(d) 1 मेगाहर्ट्स व 0.997 मेगाहर्ट्स।
उत्तर
(a) 1.003 मेगाहर्ट्स व 0:997 मेगाहर्ट्स

प्रश्न 4.
cm आवृत्ति के एक सन्देश सिग्नल को, आयाम मॉडुलित (AM) तरंग प्राप्त करने के लिए, आवृत्ति की एक वाहक तरंग पर आरोपित (superposed) किया गया है। AM तरंग की आवृत्ति होगी
(a) ωm
(b) ωc
(c) \(\frac{\omega_{c}+\omega_{m}}{2}\)
(d) \(\frac{\omega_{c}-\omega_{m}}{2}\)
उत्तर
(b) ωc

प्रश्न 5.
एक पुरुष की वाणी, मॉडुलीकरण व प्रेषण के पश्चात्, ग्राही को महिला की वाणी की भाँति सुनाई देती (प्रतीत होती) …… है। इसका कारण है
(a) अनुपयुक्त मॉडुलन सूचकांक का चुनाव(0 < m < 1 चुना गया)
(b) आवर्धकों के लिए अनुपयुक्त बैण्ड-चौड़ाई का चुनाव
(c) वाहक तरंगों की आवृत्ति का अनुपयुक्त चुनाव
(d) संचरण में ऊर्जा ह्रास।
उत्तर
(b) आवर्धकों के लिए अनुपयुक्त बैण्ड-चौड़ाई का चुनाव

प्रश्न 6.
एक मूल संचार प्रक्रम में होता है
(A) प्रेषक
(B) सूचना स्रोत
(C) सूचना का उपयोग करने वाला
(D) चैनल
(E) ग्राही।
निम्नलिखित में कौन वह सही क्रम प्रदान करता है जिसमें ये एक मूल संचार प्रक्रम में व्यवस्थित होते हैं
(a) ABCDE
(b) BADEC
(c) BDACE
(d) BEADC.
उत्तर
(b) BADEC .

प्रश्न 7.
आयाम मॉडुलित तरंगों के गणितीय व्यंजक की पहचान कीजिए
(a) Ac sin [{ωc + k1Vm (t)} t + Φ]
(b) Ac sin {ωct + Φ + k2Vm (t)}
(c) { Ac + k2Vm (t)} sin (ωct+Φ)
(d) AcVm(t) sin (ωct+Φ).
उत्तर
(c) { Ac + k2Vm (t)} sin (ωct+Φ)

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संचार व्यवस्था अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में किसमें अनुरूप (analog) सिग्नल तथा किसमें अंकीय (digital) सिग्नल उत्पन्न होते हैं?

  1. एक कम्पित स्वरित्र द्विभुज
  2. सितार के कम्पित तार की सुस्वर ध्वनि
  3. प्रकाश स्पन्द
  4. NAND गेट (द्वार) का निर्गत।

उत्तर

  1. अनुरूप (analog)
  2. अनुरूप (analog)
  3. अंकीय (digital)
  4. अंकीय (digital)।

प्रश्न 2.
क्या व्योम तरंगें, 60 मेगाहर्ट्स आवृत्ति के (टी०वी०) सिग्नलों को प्रेषित करने के लिए उपयुक्त होंगी?
उत्तर
नहीं, क्योंकि 30 मेगाह से अधिक आवृत्ति की तरंगें, आयनमण्डल द्वारा परावर्तित न होकर पारगमित हो जाती हैं।

प्रश्न 3.
दो तरंगें तथा B जिनकी आवृत्तियाँ 2 मेगाहर्ट्स और 3 मेगाहर्ट हैं, एक ही दिशा में, व्योम तरंग के द्वारा संचरित करने के लिए विकीर्णित की जाती हैं। इनमें से कौन-सी आयनमण्डल से पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के पूर्व अधिक दूरी तय कर सकती है?
उत्तर
3 मेगाहर्ट्स की अधिक आवृत्ति की तरंग के लिए वायुमण्डल का अपवर्तनांक अधिक होता है। अत: अधिक आवृत्ति की तरंग के लिए अपवर्तन कोण कम होगा अर्थात् यह तरंग अपने मार्ग से कम मुड़ेगी और पूर्ण आन्तरिक परावर्तन से पूर्व अधिक दूरी तय करेगी।

प्रश्न 4.
आयाम मॉडुलन हेतु, 1 मेगाहर्ट्स आवृत्ति की वाहक तरंगों का उत्पादन करने के लिए आवश्यक, एक समस्वरित आवर्धक परिपथ के LC गुणनफल की गणना कीजिए। · हल :
समस्वरित आवर्धक परिपथ के लिए f= \(\frac{1}{2 \pi \sqrt{L C}}\)
\(\begin{aligned} 1 \times 10^{6} &=\frac{1}{2 \pi \sqrt{L C}} \\ \sqrt{L C} &=\frac{1}{2 \pi \times 10^{6}} \end{aligned}\)
\(L C=\frac{1}{4 \pi^{2} \times 10^{12}}\)

प्रश्न 5.
किसी चैनल से संचरण पर, आयाम मॉडुलित (AM) सिग्नल में, आवृत्ति मॉडुलित सिग्नल (FM) से अधिक रव क्यों होता है?
उत्तर
आयाम मॉडुलन में, वाहक तरंगों के तात्कालिक विभव मान में मॉडुलक तरंग विभव के अनुरूप परिवर्तन किया जाता है। सम्प्रेषण में नॉयज सिग्नल (रव) भी जुड़ जाते हैं तथा ग्राही के लिए मॉडुलेटिंग सिग्नल के एक भाग की भाँति ही कार्य करता है। आवृत्ति मॉडुलन में वाहक तरंगों की आवृत्ति में मॉडुलक तरंग विभव के तात्कालिक मान के अनुरूप परिवर्तन किया जाता है। यह प्रक्रम केवल मॉडुलन स्तर पर होता है; सिग्नल के संचरण के समय नहीं। अत: आवृत्ति मॉडुलित सिग्नल में अधिक नॉयज सिग्नल (रव) नहीं होता है।

संचार व्यवस्था आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एक दूरदर्शन संचरण टावर ऐन्टिना 20 मीटर की ऊँचाई पर है। इससे कितने क्षेत्र में संकेत प्राप्त हो सकेंगेयदिग्राही एन्टिना

  1. भूतल पर ही,
  2. भूतल से 25 मीटर ऊँचाई पर हो
  3. प्रथम स्थिति के सापेक्ष द्वितीय स्थिति में इसमें होने वाली प्रतिशत वृद्धि का परिकलन कीजिए।

हल
1. h = 20 मीटर
संकेत प्राप्त करने वाले क्षेत्र की त्रिज्या
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 5
संकेत से आच्छादित क्षेत्रफल (A) = πd2
= 3.14x (16)2 किमी2= 3.14×256
= 803.84 किमी2

2.

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 6
= (16+17.9) किमी  33.9 किमी
संकेत से आच्छादित क्षेत्रफल (A’) = πd2= 3.14 × (33.9)2 किमी2
= 3608.52 किमी2

3.  क्षेत्रफल में % वृद्धि = \(\frac { A’ – A }{ A }\)x100%
\(\frac { 3608.52 – 803.84 }{ 803.84 }\) x100 = 348.9%

प्रश्न 2.
आयनमण्डल की एक विशेष परत से परिवर्तित होने वाली व्योम तरंगों की अधिकतम आवृत्ति fmax = 9(Nmax)1/2 पायी जाती है, जहाँ Nmax उस आयनमण्डल की परत में अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व है। किसी दिन यह प्रेक्षण किया गया 5 मेगाहर्ट्स से अधिक आवृत्ति के सिग्नल आयनमण्डल को F, परत से परावर्तित होकर प्राप्त नहीं होते हैं जबकि 8 मेगाहर्ट्स से अधिक आवृत्ति के सिग्नल आयनमण्डल को F2 परत से परावर्तन के द्वारा प्राप्त नहीं होते हैं। उस दिन F1 तथा Fपरतों के अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व की गणना कीजिए।
हल :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 7

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र

वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वायु में एक-दूसरे से 30 सेमी दूरी पर रखे दो छोटे आवेशित गोलों पर क्रमशः 2 × 10-7 कूलॉम तथा 3 × 10-7 कूलॉम आवेश हैं। उनके बीच कितना बल है?
हल :
दिया है, गोलों पर आवेश q1 = 2 × 10-7 कूलॉम, q2 = 3 × 10-7 कूलॉम
तथा दूरी r = 30 सेमी = 0.3 मीटर
कूलॉम के नियम से,
गोलों के बीच कार्यरत वैद्यत बल F = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q_{1} q_{2}}{r^{2}}=9 \times 10^{9} \times \frac{2 \times 10^{2} \times 8 \times 10^{7}}{(0.3)^{2}}\)
= 6 × 10-3 न्यूटन।

प्रश्न 2.
0.4माइक्रोकूलॉम आवेश के किसी छोटे गोले पर अन्य छोटे आवेशित गोले के कारण वायु में 0.2 न्यूटन बल लगता है। यदि दूसरे गोले पर 0.8माइक्रोकूलॉम आवेश हो तो
(a) दोनों गोलों के बीच कितनी दूरी है?
(b) दूसरे गोले पर पहले गोले के कारण कितना बल लगता है?
हल :
(a) दिया है, गोलों पर आवेश q1 = 0.4 माइक्रोकूलॉम = 4 × 10-7 कूलॉम,
q2 = 0.8 माइक्रोकूलॉम = 8 × 10-7 कूलॉम
पहले गोले पर दूसरे गोले के कारण बल F12 = 0.2 न्यूटन
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⇒ r = 3 x 4 x 10-2 मीटर = 12 सेमी ·
∴ गोलों के बीच दूरी = 12 सेमी।

(b) क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से, दूसरे गोले पर पहले के कारण बल F21 = F12 = 0.2 न्यूटन।

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प्रश्न 3.
जाँच द्वारा सुनिश्चित कीजिए कि \(\frac{k e^{2}}{G m_{e} m_{p}}\) विमाहीन है। भौतिक नियतांकों की सारणी देखकर इस अनुपात का मान ज्ञात कीजिए। यह अनुपात क्या बताता है?
हल :
k की विमाएँ = [ML3A-2T-4] तथा G की विमाएँ = [M-1L3T-2]
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अतः राशि \(\frac{k e^{2}}{G m_{e} m_{p}}\) विमाहीन है।

आंकिक भाग का हल :
k = 9 x 109 न्यूटन-मीटर 2 /कूलॉम2
e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
G = 6.67 x 10-11 न्यूटन-मीटर/किग्रा,
me = 9.1 x 10-31 किग्रा तथा mp = 1.66 x 10-27 किग्रा
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अत: यह राशि एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन के बीच लगने वाले स्थिर विद्युत बल तथा गुरुत्वीय बल के अनुपात को प्रदर्शित करती है। ___यह अनुपात बताता है कि इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन के बीच विद्युत बल गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में अधिक शक्तिशाली है।

प्रश्न 4.
(a) “किसी वस्तु का विद्युत आवेश क्वाण्टीकृत है।” इस प्रकथन से क्या तात्पर्य है?
(b) स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर विद्युत आवेशों से व्यवहार करते समय हम विद्युत आवेश के क्वाण्टमीकरण की उपेक्षा कैसे कर सकते हैं?
उत्तर :
(a) किसी वस्तु का आवेश क्वाण्टीकृत है, इस कथन का तात्पर्य यह है कि हम किसी वस्तु पर आवेश एक न्यूनतम आवेश (इलेक्ट्रॉनिक आवेश e) के सरल गुणक के रूप में ही हो सकता है। अत: किसी आवेशित वस्तु पर आवेश
q= ± ne
जहाँ n = 1, 2, 3, ……….. तथा e = 1.6x 10-19 कूलॉम

(b) स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर आवेशों से व्यवहार करते समय आवेश के क्वाण्टीकरण का कोई महत्त्व नहीं होता और इसकी उपेक्षा की जा सकती है। इसका कारण यह है कि बड़े पैमाने पर व्यवहार में आने वाले आवेश मूल आवेश की तुलना में बहुत बड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, 1 माइक्रोकूलॉम आवेश में लगभग 1013 मूल आवेश सम्मिलित हैं। ऐसी अवस्था में आवेश को सतत मानकर व्यवहार किया जा सकता है।

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प्रश्न 5.
जब काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं तो दोनों पर आवेश आ जाता है। इसी प्रकार की परिघटना का वस्तुओं के अन्य युग्मों में भी प्रेक्षण किया जाता है। स्पष्ट कीजिए कि यह प्रेक्षण आवेश संरक्षण नियम से किस प्रकार सामंजस्य रखता है?
उत्तर :
घर्षण द्वारा आवेशन की घटनाएँ आवेश संरक्षण नियम के साथ पूर्ण सामंजस्य रखती हैं। जब इस प्रकार की किसी घटना में दो उदासीन वस्तुओं को रगड़ा जाता है तो दोनों वस्तुएँ आवेशित हो जाती हैं। घर्षण से पूर्व दोनों वस्तुएँ उदासीन होती हैं अर्थात् उनका कुल आवेश शून्य होता है। इस प्रकार के सभी प्रेक्षणों में सदैव यह पाया गया है कि एक वस्तु पर जितना धनावेश आता है, दूसरी वस्तु पर उतना ही ऋणावेश आता है। इस प्रकार घर्षण द्वारा आवेशन के बाद भी दोनों वस्तुओं का नेट आवेश शून्य ही बना रहता है।

प्रश्न 6.
चार बिन्दु आवेश qA = 2 माइक्रोकूलॉम, qB = – 5 माइक्रोकूलॉम, qC = 2 माइक्रोकूलॉम तथा qD = – 5माइक्रोकूलॉम, 10 सेमी भुजा के किसी वर्ग ABCD के शीर्षों पर अवस्थित हैं। वर्ग के केन्द्र पर रखे 1 माइक्रोकूलॉम आवेश पर लगने वाला बल कितना है?
हल :
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शीर्षों A व C पर रखे आवेश बराबर तथा सजातीय हैं अतः इनके कारण केन्द्र पर रखे आवेश पर लगे
बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O A}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O C}\) परिमाण में बराबर व दिशा में विपरीत हैं। अत: एक-दूसरे को निरस्त करेंगे।
अर्थात् \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O A}+\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O C}=0\)

इसी प्रकार शीर्षों B व D पर रखे आवेश बराबर व सजातीय हैं। अत: +2 माइक्रो इनके कारण केन्द्र पर रखे आवेश पर बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O B}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O D}\) परिमाण में कलाम बराबर व दिशा में विपरीत हैं। अत: ये भी एक-दूसरे को निरस्त करेंगे।
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अर्थात् परिणामी बल शून्य है।

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प्रश्न 7.
(a) स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखा एक सतत वक्र होती है अर्थात् कोई क्षेत्र रेखा एकाएक नहीं टूट सकती। क्यों?
(b) स्पष्ट कीजिए कि दो क्षेत्र रेखाएँ कभी-भी एक-दूसरे का प्रतिच्छेदन क्यों नहीं करतीं?
उत्तर :
(a) विद्युत क्षेत्र रेखा वह वक्र है जिसके प्रत्येक बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है। ये क्षेत्र रेखाएँ सतत वक्र होती हैं अर्थात् किसी बिन्दु पर एकाएक नहीं टूट सकतीं, अन्यथा उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की कोई दिशा ही नहीं होगी, जो असम्भव है।
(b) दो विद्युत क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेदित नहीं कर सकतीं; क्योंकि इस स्थिति में कटान बिन्दु पर दो स्पर्श रेखाएँ खींची जाएँगी जो उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दो दिशाएँ प्रदर्शित करेंगी जो असम्भव है।

प्रश्न 8.
दो बिन्दु आवेश qA = 3 माइक्रोकूलॉम तथा qB = -3 माइक्रोकूलॉम निर्वात में एक-दूसरे से 20 सेमी दूरी पर स्थित हैं।
(a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा AB के मध्य-बिन्दु O पर विद्युत क्षेत्र कितना है?
(b) यदि 1.5 ×10-9 कूलॉम परिमाण का कोई ऋणात्मक परीक्षण आवेश इस बिन्दु पर रखा जाए तो यह परीक्षण आवेश कितने बल का अनुभव करेगा?
हल :
(a) आवेश qA धनात्मक तथा qB ऋणात्मक है; अत: मध्य-बिन्दु O पर qA व qB दोनों के कारण विद्युत क्षेत्र की दिशा O से B की ओर होगी।
अत: मध्य-बिन्दु पर विद्युत-क्षेत्र की तीव्रता
E = EA + EB = 9 × 109 × \(\frac{q}{(O A)^{2}}\)
+ 9 × 109 × \(\frac{q}{(O B)^{2}}\) [जहाँ q = | qA| = | qB|]
= 9 × 109 \(\left[\frac{3 \times 10^{-6}}{0.1}+\frac{3 \times 10^{-6}}{0.1}\right]\)
= 5.4 × 105 न्यूटन/कूलॉम। (AB दिशा में)
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(b) मध्य-बिन्दु O पर रखे गए Q = – 1.5 × 10-9 कूलॉम के आवेश पर बल
F = QE = 1.5 × 10-9 × 5.4 × 10-9
= 8.1- 10-4 न्यूटन। (OA दिशा में)

प्रश्न 9.
किसी निकाय में दो आवेश qA = 2.5 x 10-7 कूलॉम तथा qB = – 2.5 x 10-7 कूलॉम क्रमशः दो बिन्दुओं A (0, 0, – 15 सेमी) तथा B (0, 0, + 15 सेमी) पर अवस्थित हैं। निकाय का कुल आवेश तथा विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण क्या है?
हल :
निकाय का कुल आवेश
q = qA + qB = 0
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(∴ दोनों आवेश परिमाण में बराबर व विपरीत चिह्न के हैं)
आवेशों के बीच की दूरी 2 a = AB = \(\sqrt{\left[(0-0)^{2}+(0-0)^{2}+(15+15)^{2}\right]}\)= 30 सेमी
ya  2a = 0.3 मीटर
∴ विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण p= qA × 2 a = 2.5 × 10-7Cx 0.3 मीटर
= 7.5 × 10-8 कूलॉम-मीटर।
इसकी दिशा बिन्दु B से A की ओर है।

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प्रश्न 10.
4 × 10-9 कूलॉम-मीटर द्विध्रुव आघूर्ण का कोई विद्युत द्विध्रुव 5 × 104 न्यूटन कूलॉम-1 परिमाण के किसी एकसमान विद्युत क्षेत्र की दिशा से 30° पर संरेखित है। द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण का परिमाण परिकलित कीजिए।
हल :
दिया है, द्विध्रुव आघूर्ण p = 4 × 10-9 कूलॉम-मीटर, विद्युत क्षेत्र E= 5 × 104 न्यूटन कूलॉम-1, θ = 30° द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण t = pE sin θ = 4 × 10-9 × 5 × 104 × \(\frac{1}{2}\) = = 10-4 न्यूटन-मीटर।

प्रश्न 11.
ऊन से रगड़े जाने पर कोई पॉलीथीन का टुकड़ा 3 × 10-7 कूलॉम के ऋणावेश से आवेशित पाया
गया।
(a) स्थानान्तरित (किस पदार्थ से किस पदार्थ में ) इलेक्ट्रॉनों की संख्या आकलित कीजिए। (b) क्या ऊन से पॉलीथीन में संहति का स्थानान्तरण भी होता है?
हल :
(a) टुकड़े पर आवेश q = 3 × 10-7 कूलॉम
q = ne से,
n = \(\frac{q}{e}=\frac{3 \times 10^{-7}}{1.6 \times 10^{-19}} \)
= 1.875 × 1012
∵ पॉलीथीन का टुकड़ा ऋणावेशित है। अत: 1.875 × 1012 इलेक्ट्रॉन ऊन से पॉलीथीन पर स्थानान्तरित हुए हैं।

(b) हाँ, संहति का भी स्थानान्तरण होता है।
∵ एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान me = 9.1 × 10-31 किग्रा
∴ ऊन से पॉलीथीन में स्थानान्तरित संहति m = nme = 1.875 × 1012 × 9.1 × 10-31
= 1.7 × 10-18 किग्रा।

प्रश्न 12.
(a) दो विद्युतरोधी आवेशित ताँबे के गोलों A तथा B के केन्द्रों के बीच की दूरी 50 सेमी है। यदि दोनों गोलों पर पृथक्-पृथक् आवेश 6.5 × 10-7कूलॉम हैं तो इनमें पारस्परिक स्थिर विद्युत प्रतिकर्षण बल कितना है? गोलों के बीच की दूरी की तुलना में गोलों A तथा B की त्रिज्याएँ नगण्य हैं।
(b) यदि प्रत्येक गोले पर आवेश की मात्रा दो गुनी तथा गोलों के बीच की दूरी आधी कर दी जाए तो प्रत्येक गोले पर कितना बल लगेगा?
हल :
(a) दिया है, गोलों पर आवेश q1 = q2 = 6.5 x 10-7 कूलॉम
∵ बीच की दूरी r = 50 सेमी = 0.5 मीटर
∴ बीच की दूरी की तुलना में गोलों की त्रिज्याएँ नगण्य हैं। अत: गोले बिन्दु आवेश की भाँति व्यवहार करेंगे।
गोलों के बीच प्रतिकर्षण बल F = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q_{1} q_{2}}{r^{2}}\)
= 9 × 109 × \(\frac{6.5 \times 10^{-7} \times 6.5 \times 10^{-7}}{(0.5)^{2}}\)
= 1.521 × 10-2 न्यूटन।

(b)
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अतः प्रत्येक गोले पर बल = 16 × 1.521 × 10-2
= 0.24 न्यूटन।

प्रश्न 13.
मान लीजिए प्रश्न 12 में गोले A तथा B साइज में सर्वसम हैं तथा इसी साइज का कोई तीसरा अनावेशित गोला पहले तो पहले गोले के सम्पर्क, तत्पश्चात् दूसरे गोले के सम्पर्क में लाकर, अन्त में दोनों से ही हटा लिया जाता है। अब A तथा B के बीच नया प्रतिकर्षण बल कितना है?
हल :
माना प्रारम्भ में प्रत्येक गोले ‘A’ व ‘B’ पर अलग-अलग q आवेश है। (q = 6.5 × 10-7 कूलॉम)
माना तीसरा अनावेशित गोला C है।
∵ गोले A व C समान आकार के हैं। अतः परस्पर स्पर्श कराने पर ये कुल आवेश (qA + qC = q+ 0) को आधा-आधा बाँट लेंगे।
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प्रश्न 14.
चित्र 1.4 में किसी ,एकसमान स्थिर विद्युत क्षेत्र में तीन आवेशित कणों के पथचिह्न (tracks) दर्शाए गए हैं। तीनों आवेशों के चिह्न लिखिए। इनमें से किस कण का आवेश-संहति अनुपात (\(\frac{\boldsymbol{q}}{m}\)) अधिकतम है?
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उत्तर :
किसी विद्युत क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् गतिमान आवेशित कण का पाश्विक विस्थापन
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जहाँ x कणों द्वारा विद्युत क्षेत्र के लम्ब दिशा में तय दूरी तथा Vx, X-अक्ष की दिशा में वेग है। यदि सभी कण विद्युत क्षेत्र में समान वेग Vx से प्रवेश करते हैं तो
y ∝ \(\frac{\boldsymbol{q}}{m}\)
(∵ विद्युत क्षेत्र की लम्बाई x सबके लिए समान है)
∵कण (3) का विक्षेप सर्वाधिक है। अत: इसके लिए \(\frac{\boldsymbol{q}}{m}\) का मान सर्वाधिक होगा।

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प्रश्न 15.
एकसमान विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{E}}=3 \times 10^{3} \hat{\mathbf{i}}\) न्यूटन कूलॉम पर विचार कीजिए।
(a) इस क्षेत्र का 10 सेमी भुजा के वर्ग के उस पार्श्व से जिसका तल y-z तल के समान्तर है, गुजरने वाला फ्लक्स क्या है?
(b) इसी वर्ग से गुजरने वाला फ्लक्स कितना है यदि इसके तल का अभिलम्ब X-अक्ष से 60° का कोण बनाता है?
हल :
दिया है, \(\overrightarrow{\mathbf{E}}=3 \times 10^{3} \hat{\mathbf{i}}\) न्यूटन/कूलॉम
(a) वर्ग की भुजा = 10 सेमी = 0.1 मीटर
∴ वर्ग का क्षेत्रफल ΔS = (0.1)2 मीटर2 ⇒ ∆S = 0.01 मीटर2
∵ वर्ग का तल Y-z समतल के समान्तर है।
अत: इस पर अभिलम्ब इकाई सदिश \(\hat{n}=\hat{i}\) होगा।
∴ \(\Delta \overrightarrow{\mathrm{S}}=0.01 \hat{\mathrm{i}}\) मीटर 2
∴ वर्ग के फलक से गुजरने वाला फ्लक्स \(\phi_{E}=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \Delta \overrightarrow{\mathrm{S}}=\left(3 \times 10^{3} \hat{\mathrm{i}}\right) \cdot(0.01 \hat{\mathrm{i}})\)
= 30 न्यूटन-मीटर/कूलॉम।
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(b) ∵ विद्युत-क्षेत्र X-अक्ष के अनुदिश है तथा वर्ग पर अभिलम्ब X-अक्ष से 60° का कोण बनाता है,
∴ \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{n}}\) के बीच का कोण 60° होगा।
∴ वर्ग से गुजरने वाला फ्लक्स \(\phi_{E}=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \Delta \overrightarrow{\mathrm{S}}=E \Delta S \cos 60^{\circ}\)
= (3 x 103न्यूटन/कूलॉम) × (0.01 मीटर) × \(\frac{1}{2}\)
= 15 न्यूटन-मीटर2 / कूलॉम।

प्रश्न 16.
प्रश्न 15 में दिए गए एकसमान विद्युत क्षेत्र का 20 सेमी भुजा के किसी घन से (जो इस प्रकार अभिविन्यासित है कि उसके फलक निर्देशांक तलों के समान्तर हैं) कितना नेट फ्लक्स गुजरेगा?
हल :
एक घन के 6 फलक होंगे। इनमें से दो फलक Y-Z समतल के, दो Z-X समतल के तथा दो X-Y समतल के समान्तर होंगे।
∵ विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}=3 \times 10^{3} \hat{\mathrm{i}}\) न्यूटन/कूलॉम X-अक्ष के अनुदिश है। अतः यह Z-X तथा X-Y समतलों के समान्तर फलकों के समान्तर होगा।
∴ इन चारों फलकों से गुजरने वाला फ्लक्स शून्य होगा।
∴ विद्युत क्षेत्र एकसमान है। अत: Y-Z समतल के समान्तर फलकों में से जितना फ्लक्स एक फलक से अन्दर प्रविष्ट होगा उतना ही फ्लक्स दूसरे फलक से बाहर आएगा।
अत: घन से गुजरने वाला नेट फ्लक्स शून्य होगा।

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प्रश्न 17.
किसी काले बॉक्स के पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की सावधानीपूर्वक ली गई माप यह संकेत देती है कि बॉक्स के पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स 8.0 x 103 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम है।
(a) बॉक्स के भीतर नेट आवेश कितना है?
(b) यदि बॉक्स के पृष्ठ से नेट बहिर्मुखी फ्लक्स शून्य है तो आप यह निष्कर्ष निकालेंगे कि बॉक्स के भीतर . कोई आवेश नहीं है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
हल :
(a) गाउस प्रमेय से, \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
∴ \(q=\varepsilon_{0} \phi_{E}\) = 8.854 x 10-12 x 8.0 x 103 = 7.08 x 10-8 कूलॉम
∴ बॉक्स के भीतर स्थित आवेश 0.071 माइक्रोकूलॉम है।

(b) गाउस प्रमेय से, \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
⇒ \(q=\varepsilon_{0} \phi_{E}\)
∵ \(\phi_{E}=0\) (∴ बॉक्स के भीतर नेट आवेश q= 0)
अतः इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि बॉक्स के भीतर नेट आवेश शून्य है यद्यपि उसके भीतर विभिन्न आवेश हो सकते हैं।

प्रश्न 18.
चित्र 1.6 में दर्शाए अनुसार 10 सेमी भुजा के किसी वर्ग के केन्द्र से ठीक 5 सेमी ऊँचाई पर कोई + 10 माइक्रोकूलॉम का आवेश रखा है। इस वर्ग से गुजरने वाले 5 सेमी विद्युत फ्लक्स का परिमाण क्या है?
हल :
एक ऐसे घन की कल्पना कीजिए, जिसका केन्द्र वह बिन्दु है, जिस पर आवेश रखा है तथा जिसका एक फलक. दिया गया वर्ग है।
गाउस के प्रमेय से,
घन के पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स
= \(\frac{1}{\varepsilon_{0}}\) x घन के भीतर कुल आवेश = \(\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
∵ घन के सभी 6 फलक केन्द्र के सापेक्ष समान स्थिति में हैं,
∴ प्रत्येक फलक से गुजरने वाला फ्लक्स
ΦE = \(\frac{1}{6} \times \frac{q}{\varepsilon_{0}}=\frac{10 \times 10^{-6}}{6 \times 8.854 \times 10^{-12}}\)
= 1.88 x 105 न्यूटन-मीटर2/कलॉम।
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प्रश्न 19.
2.0 माइक्रोकूलॉम का कोई बिन्दु आवेश किसी किनारे पर 9.0 सेमी किनारे वाले किसी घनीय गाउसीय पृष्ठ के केन्द्र पर स्थित है। पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स क्या है?
हल :
गाउस के प्रमेय से,
घन के पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स ΦE= \(\frac{1}{\varepsilon_{0}}\) घन के भीतर स्थित कुल आवेश
∵ यहाँ घन के भीतर स्थित आवेश q = 2.0 माइक्रोकूलॉम
ΦE = \(\frac{1}{8.854 \times 10^{-12}} \) x 2.0 x 10-6
= 2. 26 x 105 न्यूटन-मीटर2 / कूलॉम।

प्रश्न 20.
किसी बिन्दु आवेश के कारण, उस बिन्दु को केन्द्र मानकर खींचे गए 10 सेमी त्रिज्या के गोलीय गाउसीय पृष्ठ पर विद्युत फ्लक्स -1.0 x 103 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम है। (a) यदि गाउसीय पृष्ठ की त्रिज्या दो गुनी कर दी जाए तो पृष्ठ से कितना फ्लक्स गुजरेगा? (b) बिन्दु आवेश का मान क्या है?
हल : (a) गाउस प्रमेय के अनुसार किसी बन्द पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स, पृष्ठ के भीतर स्थित नेट आवेश पर निर्भर करता है न कि पृष्ठ के आकार पर।
∵ त्रिज्या दोगुनी करने पर भी पृष्ठ के भीतर स्थित नेट आवेश वही बना रहता है। अतः पृष्ठ से अभी भी उतना ही फ्लक्स – 1.0 x 103 न्यूटन मीटर2/कूलॉम गुजरेगा।

(b) सूत्र \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}} \) से,
गोलीय पृष्ठ के केन्द्र पर रखा बिन्दु आवेश \(q=\varepsilon_{0} \phi_{E}\)
= 8.854 x 10-12 x (-1.0 x 103)
= – 8.854 x 10-9 कूलॉम।

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प्रश्न 21.
10 सेमी त्रिज्या के चालक गोले पर अज्ञात परिमाण का आवेश है। यदि गोले के केन्द्र से 20 सेमी दूरी पर विद्युत क्षेत्र 1.5 × 103 न्यूटन/कूलॉम त्रिज्यतः अन्तर्मुखी (radially inward) है तो गोले पर नेट आवेश कितना है?
हल :
गोले के केन्द्र को केन्द्र मानते हुए 20 सेमी त्रिज्या का गाउसीय गोलीय पृष्ठ खींचा। इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र E = 1.5 × 103 न्यूटन/कूलॉम (अन्तर्मुखी है)

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माना इस पृष्ठ के किसी बिन्दु पर एक सूक्ष्म अल्पांश \(\overrightarrow{d \mathrm{A}}=d A \hat{\mathrm{n}} \) लिया।
तब \(\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot d \overrightarrow{\mathrm{A}}\) = E.dA cos 180° = – E.dA
∴ पृष्ठ से गुजरने वाला कुल फ्लक्स
\(\phi_{E}=\oint_{A} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot d \overrightarrow{\mathrm{A}}=-\oint_{A} E \cdot d A=-E \oint_{A} d A\)
= – EA = – E [4π × (0.2)2] [∵ A = 4 πr2]
परन्तु गाउस प्रमेय से, कई = \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
जहाँ q = गाउसीय पृष्ठ के भीतर नेट आवेश = चालक गोले पर कुल आवेश
∴ \(\frac{q}{\varepsilon_{0}}\) = – E [4 π × (0.2)2]
∴ चालक गोले पर आवेश q = – ε0E × 4π × (0.2)2
= – 8.854 × 10-12 × 1.5×103 × 4 × 3.14 × (0.2)2
= – 6.67 × 10-9 कूलॉम
= – 6.67 नैनोकूलॉम।

प्रश्न, 22.
2.4 मीटर व्यास के एकसमान आवेशित चालक गोले का पृष्ठीय आवेश घनत्व 80.0 माइक्रोकूलॉम/मीटर है।
(a) गोले पर आवेश ज्ञात कीजिए।
(b) गोले के पृष्ठ से निर्गत कुल विद्युत फ्लक्स क्या है?
हल :
(a) ∵ गोला एकसमान रूप से आवेशित है,
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∴ गोले पर आवेश q = 4πr2σ
= 4 × 3.14 × (1.2 मीटर)2 × 80.0 माइक्रो कूलॉम/मीटर2
= 1447 माइक्रोकूलॉम
= 1.45 × 10-3 कूलॉम।

(b) गोले के पृष्ठ से निर्गत फ्लक्स
\(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}=\frac{1.45 \times 10^{-3}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
= 1.6 × 108 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम।

प्रश्न 23.
कोई अनन्त रैखिक आवेश 2 सेमी दूरी पर 9 × 104 न्यूटन/कूलॉम विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। रैखिक आवेश घनत्व ज्ञात कीजिए।
हल :
रैखिक आवेश घनत्व 2 के कारण दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
\(E=\frac{\lambda}{2 \pi \varepsilon_{0} r}\) [∴= 2πε0rE]
यहाँ r = 2 सेमी = 2 × 10-2 मीटर, E = 9 × 104 न्यूटन/कूलॉम
∴ रेखीय आवेश घनत्व λ= 2 × \(\frac{22}{7}\) × 8.854 × 10-12 × 2 × 10-2 × 9 × 104
= 1.0 × 10-7 कूलॉम-मीटर-1
= 10 माइक्रोकुलॉम/मीटर।

प्रश्न 24.
दो बड़ी, पतली धातु की प्लेटें एक-दूसरे के समानान्तर एवं निकट हैं। इनके भीतरी फलकों पर, प्लेटों के पृष्ठीय आवेश घनत्वों के चिह्न विपरीत हैं तथा इनका परिमाण 17.0 × 10-22 कूलॉम/मीटर है। (a) पहली प्लेट के बाह्य क्षेत्र में, (b) दूसरी प्लेट के बाह्य क्षेत्र में तथा (e) प्लेटों के बीच में विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{E}}\) का परिमाण परिकलित कीजिए।
हल :
दिया है, प्रत्येक प्लेट पर पृष्ठीय आवेश घनत्व
σ = 17.0x 10-22 कूलॉम/मीटर2
प्रत्येक एकल प्लेट के कारण प्लेट के समीप किसी बिन्दु पर क्षेत्र E = E2 =
(a) व (b) प्लेटों के बाह्य क्षेत्रों में E1 व E2 परस्पर विपरीत हैं (देखें चित्र)। अत: बाह्य क्षेत्रों में नेट विद्युत-क्षेत्र की तीव्रता E = E1 – E2 = 0 शून्य होगी।
(c) प्लेटों के बीच के स्थान में E1 व E2 दोनों एक ही दिशा में होंगे।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 16
∴ नेट विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = E1 + E2 = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}+\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)
E = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}=\frac{17.0 \times 10^{-22}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
= 1.92 x 10-10 न्यूटन/कूलॉम।
विद्युत क्षेत्र की दिशा प्लेटों के लम्बवत् धन से ऋण प्लेट की ओर होगी।

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प्रश्न 25.
मिलिकन तेल बूंद प्रयोग में 2.55 x 104 न्यूटन/कूलॉम के नियत विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में 12 इलेक्ट्रॉन ‘ आधिक्य की कोई तेल बूंद स्थिर रखी जाती है। तेल का घनत्व 1. 26 ग्राम सेमी-3 है। बूँद की त्रिज्या का आकलन कीजिए। (g= 9.81 मीटर सेकण्ड-2,e = 1.6 x 10-19 कूलॉम)।
हल :
माना बूंद की त्रिज्या r है, तब
बूंद का द्रव्यमान \(m=\frac{4}{3} \pi r^{3} \rho\)
तथा बूंद पर आवेश q = ne
सन्तुलन की अवस्था में, द का भार (mg) = विद्युत बल (qE)
या \(\frac{4}{3} \pi r^{3} \rho \times g=n e E\)
∴ \(r^{3}=\frac{3 n e E}{4 \pi \rho g}\)
यहाँ n = 12,p = 1.26 ग्राम सेमी-3 = 1.26 x 103 किग्रा-मीटर-3, e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
E = 2.55 x 104 न्यूटन/कूलॉम, g = 9.81 मीटर/सेकण्ड2
∴ \(r^{3}=\frac{3 \times 12 \times 1.6 \times 10^{-19} \times 2.55 \times 10^{4}}{4 \times 3.14 \times 1.26 \times 10^{3} \times 9.81}\)
= 946 x 10 -21मीटर3
∴ बूंद की त्रिज्या r = (946 x 10-21 मीटर 3)1/3 = 9.81 x 10-7 मीटर = 9.81 x 10-4 मिमी।

प्रश्न 26.
चित्र-1.9 में दर्शाए गए वक्रों में से कौन सम्भावित स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित नहीं करते?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 17
उत्तर :
केवल चित्र (c) सम्भावित स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित करता है।
(a) विद्युत क्षेत्र रेखाएँ सदैव चालक पृष्ठ के लम्बवत् होती हैं, इस चित्र में रेखाएँ चालक पृष्ठ के लम्बवत् नहीं
(b) क्षेत्र रेखाओं को ऋणावेश से धनावेश की ओर जाते दिखाया गया है जो कि सही नहीं है।
(d) क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को काट रही हैं जो कि सही नहीं है।
(e) क्षेत्र रेखाएँ बन्द वक्रों के रूप में प्रदर्शित की गई हैं जो कि सही नहीं है।

EXTRA SHOTS

  • वैद्युत बल रेखाएँ किसी चालक के पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत् होती हैं।
  • वैद्युत बल रेखाएँ धनावेश से प्रारम्भ होकर ऋणावेश पर समाप्त होती हैं। |
  • वैद्युत बल रेखाएँ कभी बन्द वक्र नहीं बनाती हैं।

प्रश्न 27.
दिकस्थान के किसी क्षेत्र में, विद्युत क्षेत्र सभी जगह Zदिशा के अनुदिश है। परन्तु विद्युत क्षेत्र का परिमाण नियत नहीं है, इसमें एकसमान रूप से Z-दिशा के अनुदिश 105 न्यूटन कूलॉम-1 प्रति मीटर की दर से वृद्धि होती है। वह निकाय जिसका ऋणात्मक Z-दिशा में कुल द्विध्रुव आघूर्ण 10-7 कूलॉम-मीटर के बराबर है, कितना बल तथा बल-आघूर्ण अनुभव करता है?
हल :
प्रश्नानुसार, द्विध्रुव-Z-अक्ष के अनुदिश संरेखित है;
अतः
Px = 0, Py = 0, pz = – 10-7 कूलॉम-मीटर
\(\frac{\partial E}{\partial x}\)=0,\(\frac{\partial E}{\partial y}\)= 0,\(\frac{\partial E}{\partial z}\)=105न्यूटन कूलॉम-1 मीटर-1
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 18
= 0+ 0+ (-10-7) x 105
→ F = – 0.01 न्यूटन।  (ऋण Z-अक्ष की दिशा में)
∵ विद्युत क्षेत्र Z-अक्ष के अनुदिश है तथा \(\overrightarrow{\mathrm{p}}\), -Z-अक्ष के अनुदिश है; अत: θ = 180°
∴ बल-आघूर्ण t = pE sin 180° = 0

प्रश्न 28.
(a) किसी चालक A, जिसमें चित्र 1.10 (a) में दर्शाए अनुसार कोई कोटर/गुहा (Cavity) है, को Q आवेश दिया गया है। यह दर्शाइए कि समस्त आवेश चालक के बाह्य पृष्ठ पर प्रतीत होना चाहिए।
(b) कोई अन्य चालक B जिस पर आवेश q है, को कोटर/गुहा (Cavity) में इस प्रकार धंसा दिया जाता है कि चालक B चालक A से विद्युतरोधी रहे। यह दर्शाइए कि चालक A के बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Q+ q है चित्र-1.10 है [चित्र 1.10 (b)]।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 19
(c) किसी सुग्राही उपकरण को उसके पर्यावरण के प्रबल स्थिर विद्युत क्षेत्रों से परिरक्षित किया जाना है। सम्भावित उपाय लिखिए।
उत्तर :
(a) हम एक ऐसी गाउसीय सतह की कल्पना करते हैं जो पूर्णतया चालक के भीतर स्थित है तथा चालक के बाह्य पृष्ठ के अत्यन्त समीप है।
∵ चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है; अत: इस गाउसीय सतह से गुजरने वाला नेट विद्युत फ्लक्स शून्य होगा।
तब गाउस प्रमेय से, q= ६0Φ = ६00 = 0
अर्थात् सतह के भीतर आवेश शून्य होगा।
अतः चालक का सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर होगा।

(b) दिया है, चालक A पर कुल आवेश = Q
चालक B पर कुल आवेश = q
माना चालक A में बनी कोटर के पृष्ठ पर q1 आवेश है तथा चालक A के बाह्य पृष्ठ पर Q1 आवेश है। अब चालक A पर कुल आवेश
Q1 + q1 = Q……………….(1)
पुनः एक ऐसे गाउसीय पृष्ठ की कल्पना कीजिए जो पूर्णतः चालक ‘A’ के भीतर स्थित है परन्तु इसके बाह्य पृष्ठ . अत्यन्त समीप है।
∵ चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य होता है; अत: इस पृष्ठ से गुजरने वाला कुल फ्लक्स शून्य होगा। अत: इस गाउसीय पृष्ठ के भीतर कुल आवेश = 0
अर्थात्
q1 + q = 0 ⇒ q1 = – q
∴ समीकरण (1) से, Q1 – q= Q
∴ चालक A के बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Q1 = Q + q होगा।

(c) खोखले बन्द चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य होता है। अत: किसी सुग्राही उपकरण को पर्यावरण के प्रबल स्थिर विद्युत-क्षेत्रों से परिरक्षित करने के लिए उसे खोखले बन्द चालक के भीतर रखना चाहिए।

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प्रश्न 29.
किसी खोखले आवेशित चालक में उसके पृष्ठ पर कोई छिद्र बनाया गया है। यह दर्शाइए कि छिद्र में विद्युत क्षेत्र \(\left(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\right) \hat{\mathbf{n}}\) है, जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) अभिलम्बवत् दिशा में बहिर्मुखी एकांक सदिश है तथा छिद्र के निकट पृष्ठीय आवेश घनत्व है।
उत्तर :
माना किसी खोखले चालक को कुछ धनावेश दिया गया है, जो तुरन्त ही उसके पृष्ठ पर समान रूप से वितरित हो जाता है। माना आवेश का पृष्ठ घनत्व σ है।
चालक के पृष्ठ के किसी अवयव dA पर विचार कीजिए। स्पष्ट है कि इस क्षेत्रफल अवयव पर उपस्थित आवेश की मात्रा q = σdA होगी। माना इस क्षेत्रफल अवयव के अत्यन्त समीप चालक के पृष्ठ के बाहर तथा अन्दर दो बिन्दु क्रमशः P तथा Q हैं। चूँकि बिन्दु P पृष्ठ के समीप है; अत: चालक के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\) पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर होगी। माना बिन्दु P पर अवयव dA तथा शेष चालक के कारण विद्युत-क्षेत्र की तीव्रताएँ क्रमश: E1 व E2 हैं, तब स्पष्टतया E1 व E2 दोनों पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर होंगी तथा परिणामी तीव्रता E, E1 व E2 के योग के बराबर होगी।
अतः E1 + E2 = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\)

चूँकि बिन्दु Q क्षेत्रफल अवयव dA के अत्यन्त समीप परन्तु P के विपरीत ओर है; अत: इस अवयव के कारण बिन्दु Q पर क्षेत्र की तीव्रता E1 के बराबर परन्तु दिशा में विपरीत होगी, जबकि शेष चालक के कारण Q पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E2 के बराबर तथा उसी की दिशा में होगी। चूँकि बिन्दु Q चालक के अन्दर है; अतः बिन्दु Q पर परिणामी तीव्रता शून्य होगी।

अतः बिन्दु Q पर परिणामी तीव्रता E2 – E1 = 0 अथवा E1 = E2 [∵ बिन्दु Q पर E1 व E2 के विपरीत हैं।
समीकरण (1) से,
E1 = E2 = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)
अतः शेष चालक के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E2 = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)

अब यदि बिन्दु P पर एक छिद्र (Hole) कर दिया जाए तो क्षेत्र अवयव dA तथा इसके कारण आन्तरिक बिन्दु Q पर विद्युत क्षेत्र E1 दोनों समाप्त हो जाएंगे।
तब विद्युत क्षेत्र E2 छिद्र के किसी बिन्दु पर केवल शेष चालक के कारण शेष रहेगा।
अतः छिद्र पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
\(\overrightarrow{\mathrm{E}}=\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}} \hat{\mathrm{n}}\)
जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) छिद्र पर बहिर्मुखी दिशा में एकांक सदिश है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 20

प्रश्न 30.
गाउस नियम का उपयोग किए बिना किसी एकसमान रैखिक आवेश घनत्व 2 के लम्बे पतले तार के कारण विद्युत क्षेत्र के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
एकसमान रैखिक आवेश घनत्व वाले लम्बे पतले तार के कारण विद्युत क्षेत्र — माना एक लम्बे सीधे धनावेशित तार का एकसमान रैखिक आवेश घनत्व λ है। हमें इस तार के कारण किसी बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 21
बिन्दु P से तार पर लम्ब PO खींचा। तार पर बिन्दु O से x दूरी पर एक O सूक्ष्म अवयव AB= dx लिया।
∵ रैखिक आवेश घनत्व = λ
∴ अवयव dx पर आवेश की मात्रा dq = λdx
इस अवयव dx के कारण बिन्दु P पर
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता dE =\(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{d q}{(A P)^{2}}\) (AP दिशा में)
माना ∠OPA = θ तथा OP=r
विद्युत क्षेत्र dE को OP के अनुदिश तथा OP के लम्बवत् दिशा में वियोजित करने पर,
OP के लम्बवत् दिशा में वियोजित घटक = dE sin θ व OP के अनुदिश दिशा में वियोजित घटक = dE cos θ
∴ तार लम्बा है तथा बिन्दु 0 के दोनों ओर जाता है। अतः एक ओर के प्रत्येक अवयव dx के संगत दूसरी ओर भी एक अन्य अवयव dx अवश्य ही ऐसा होगा कि इन दोनों के कारण OP के लम्ब दिशा में विद्युत-क्षेत्र के वियोजित घटक परस्पर निरस्त करेंगे जबकि OP की दिशा में वियोजित घटक परस्पर जुड़ जाएंगे।

अतः पूरे तार के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E = Σ dE cos θ
परन्तु cos θ = \(\frac{O P}{A P}\)
तथा AP2 = OP2 + 0A2
⇒ AP = (r2 + x2)1/2
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 22

x= r tan θ रखने पर,
dx = r. sec2 θ dθ
x = -∞ ⇒ θ = \(-\frac{\pi}{2}\)
व x = +∞ ⇒ θ = \(\frac{\pi}{2}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 23

क्षेत्र की दिशा तार के लम्बवत् तथा तार से परे होगी। यदि तार ऋणावेशित है तो क्षेत्र की दिशा तार की ओर होगी।

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प्रश्न 31.
अब ऐसा विश्वास किया जाता है कि स्वयं प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन (जो सामान्य द्रव्य के नाभिकों का निर्माण करते हैं) और अधिक मूल इकाइयों जिन्हें क्वार्क कहते हैं, के बने हैं। प्रत्येक प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन तीन क्वार्को से मिलकर बनता है। दो प्रकार के क्वार्क होते हैं : ‘अप’ क्वार्क (u द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर (+\(\frac{2}{3}\)) e आवेश तथा ‘डाउन’ क्वार्क (d द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर (-\(\frac{1}{3}\)) आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन से मिलकर सामान्य द्रव्य बनाते हैं। (कुछ अन्य प्रकार के क्वार्क भी पाए गए हैं जो भिन्न असामान्य प्रकार का द्रव्य बनाते हैं।) प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के सम्भावित क्वार्क संघटन सुझाइए।
उत्तर :
दिया है, u = +\(\frac{2}{3}\)e तथा d =-\(\frac{1}{3}\)e
∵ प्रोटॉन पर आवेश = +e
⇒+\(\frac{2}{3}\)e + \(\frac{2}{3}\)e – \(\frac{1}{e}\)= +e
या u + u + d = +e
अतः प्रोटॉन 2u क्वार्क तथा 1d क्वार्क से मिलकर बना है।

COMMON ERRORS

• आवेश के क्वाण्टीकरण के अनुसार किसी वस्तु पर न्यूनतम आवेश इलेक्ट्रॉनिक आवेश (e) है। परन्तु प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन; क्वार्क से मिलकर बने होते हैं। अत: यह स्पष्ट समझ लेना आवश्यक है कि क्वार्क स्वतन्त्र रूप में नहीं पाया जाता है। अत: किसी वस्तु पर न्यूनतम आवेश में ही हो सकता है।

∵ न्यूट्रॉन पर आवेश = 0
⇒ +\(\frac{2}{3}\)e+\(\frac{1}{3}\)e-\(\frac{1}{3}\)e = 0
या u+u+d = 0
अत: न्यूट्रॉन एक u क्वार्क तथा 2d क्वार्क से मिलकर बना है।

प्रश्न 32.
(a) किसी यादृच्छिक स्थिर विद्युत क्षेत्र विन्यास पर विचार कीजिए। इस विन्यास की किसी शून्य-विक्षेप स्थिति (null-point अर्थात् जहाँ \(\overrightarrow{\mathbf{E}}=0\)) पर कोई छोटा परीक्षण आवेश रखा गया है। यह दर्शाइए कि परीक्षण आवेश का सन्तुलन आवश्यक रूप से अस्थायी है।
(b) इस परिणाम का समान परिमाण तथा चिह्नों के दो आवेशों (जो एक-दूसरे से किसी दूरी पर रखे हैं) के सरल विन्यास के लिए सत्यापन कीजिए।
उत्तर :
(a) माना शून्य विक्षेप स्थिति में रखे परीक्षण आवेश का सन्तुलन स्थायी है। अब यदि परीक्षण आवेश को सन्तुलन की स्थिति से थोड़ा-सा विस्थापित किया जाए तो आवेश पर एक प्रत्यानयन बल लगना चाहिए जो आवेश को वापस सन्तुलन की ओर ले जाए। इसका यह अर्थ हुआ कि उस स्थान पर शून्य विक्षेप बिन्दु की ओर जाने वाली क्षेत्र रेखाएँ होनी चाहिए। जबकि स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ कभी भी शून्य विक्षेप बिन्दु तक नहीं पहुँचतीं। अत: हमारी यह परिकल्पना कि परीक्षण आवेश का सन्तुलन स्थायी है, गलत है। यह निश्चित रूप से अस्थायी सन्तुलन है।

(b) माना दो बिन्दु आवेश (प्रत्येक + q) परस्पर 2a दूरी पर रखे हैं। एक बिन्दु आवेश – Q इनके मध्य-बिन्दु पर रखा है।
बिन्दु आवेशों + q,+q के कारण – Q पर कार्यरत बल बराबर तथा विपरीत होने के कारण बिन्दु आवेश – Q सन्तुलन की स्थिति में रहेगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 24
अब यदि – Q आवेश को x दूरी B की ओर विस्थापित कर दें तो इस पर कार्यरत बल
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 25

स्पष्ट है कि FPB > FPA अतः कण पर नेट बल PB दिशा में लगेगा जो कण को सन्तुलन की स्थिति से दूर ले जाएगा। अतः कण का मध्य-बिन्दु C पर सन्तुलन अस्थायी है।

प्रश्न 33.
प्रारम्भ में X-अक्ष के अनुदिश υx चाल से गति करता हुआ, दो आवेशित प्लेटों के मध्य क्षेत्र में m द्रव्यमान तथा -q आवेश का एक कण प्रवेश करता है (चित्र-1.14 में कण 1 के समान)। प्लेटों की लम्बाई L है। इन दोनों प्लेटों के बीच एकसमान विद्युत क्षेत्र E बनाए रखा जाता है। दर्शाइए कि प्लेट के अन्तिम किनारे पर कण का ऊर्ध्वाधर विक्षेप \(\frac{q E L^{2}}{\left(2 m v_{x}^{2}\right)}\) है।
अथवा एक आवेशित कण किसी एकसमान विद्युत क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् दिशा में गति करता हुआ प्रवेश करता है। दिखाइए कि क्षेत्र के भीतर इस कण का गमन पथ परवलयाकार होगा।
उत्तर :
एकसमान विद्युत क्षेत्र में आवेशित कण (इलेक्ट्रॉन) का गमन-पथ-जब कण का प्रारम्भिक वेग विद्युत क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है-माना धातु की दो समान्तर प्लेटें जिन पर विपरीत आवेश हैं, एक-दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित हैं। इन प्लेटों के बीच के स्थान में विद्युत-क्षेत्र एकसमान है। माना ऊपरी प्लेट धनावेशित है, जबकि नीचे की ।। प्लेट ऋणावेशित है। अतः विद्युत क्षेत्र E कागज के तल में नीचे की ओर दिष्ट होगा [चित्र-1.14]।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 26
माना कोई कण जिस पर आवेश -q है तथा जो X-अक्ष के अनुदिश गतिमान है, υx वेग से विद्युत क्षेत्र E में प्रवेश करता है। चूँकि विद्युत क्षेत्र Y-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में नीचे की ओर है। अतः कण पर Y-अक्ष के अनुदिश लगने वाला बल Fy= qE
कण पर X-अक्ष के अनुदिश कोई बल कार्य नहीं करेगा।
माना कण का द्रव्यमान m है, तब इस बल के कारण कण की गति में उत्पन्न त्वरण \(a_{y}=\frac{F_{y}}{m}=\frac{q E}{m}\)
चूँकि कण का X-अक्ष के अनुदिश प्रारम्भिक वेग υx तथा त्वरण शून्य है। अत: X-अक्ष के अनुदिश t सेकण्ड में चली गई दूरी
x = υxt ………….(1)
चूँकि कण का Y-अक्ष के अनुदिश प्रारम्भिक वेग शून्य तथा त्वरण ay है। अत: Y-अक्ष के अनुदिश t सेकण्ड में चली गई दूरी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 27
यह समीकरण y = cx2 के समरूप है तथा परवलय को प्रकट करती है। अत: विद्युत क्षेत्र में अभिलम्बवत् प्रवेश करने वाले आवेशित कण का गमन-पथ परवलयाकार होता है।
माना कण प्लेटों के बीच के क्षेत्र को बिन्दु A(x, y) पर छोड़ता है, तब
बिन्दु A के लिए x = L (∵ प्लेटों की लम्बाई = L)
पथ के समीकरण में मान रखने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 28

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प्रश्न 34.
प्रश्न 33 में वर्णित कण की इलेक्ट्रॉन के रूप में कल्पना कीजिए जिसको υx = 2.0 x 106 मीटर सेकण्ड-1 के साथ प्रक्षेपित किया गया है। यदि 0.5 सेमी की दूरी पर रखी प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र E का मान 9.1x 102 न्यूटन/कूलॉम हो तो ऊपरी प्लेट पर इलेक्ट्रॉन कहाँ टकराएगा?
(|e|= 1.6 x 10-19 कूलॉम, me = 9.1 x 10-31 किग्रा)
हल :
सूत्र y = \(\frac{q E}{2 m v_{x}^{2}})\)x2 से, x2 =(\(\frac{2 m v_{x}^{2}}{q E})\)y
यहाँ E = 9.1 x 102 न्यूटन/कूलॉम, q = e = 1.6x 10-19 कूलॉम,
m= me = 9.1 x 10-31 किग्रा
υx = 2.0 x 106 मीटर सेकण्ड-1
तथा y = \(\frac{0.5}{2}\) सेमी =\(\frac{0.005}{2}\) मीटर
मान रखने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 29
∴ x = 1.12 x 10-2 मीटर = 1.12 सेमी
अत: इलेक्ट्रॉन ऊपरी प्लेट से 1.12 सेमी दूरी पर टकराएगा।
यहाँ यह माना गया है कि इलेक्ट्रॉन प्लेटों के बीच के स्थान में ठीक बीच में प्रवेश करता है। अतः प्लेट से टकराते समय इसका ऊर्ध्वाधर विक्षेप y = \(\frac{0.5}{2}\) सेमी लिया गया है।

वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LQ Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र  बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. एक बिन्दु आवेश +q किसी वियुक्तं चालक तल से d दूरी पर स्थित है। तल के दूसरी ओर के बिन्दु P पर क्षेत्र की दिशा –
(a) तल के लम्बवत् तथा तल से दूर की ओर है
(b) तल के लम्बवत् परन्तु तल की ओर है
(c) बिन्दु आवेश से दूर की ओर दिष्ट है ।
(d) अरीयतः बिन्दु आवेश की ओर है।
उत्तर :
(a) तल के लम्बवत् तथा तल से दूर की ओर है

2. कोई अर्धगोला एकसमान धनावेशित है। गोले के केन्द्र से परे इसके किसी व्यास पर स्थित बिन्दु पर जो केन्द्र से दूर है, विद्युत क्षेत्र की दिशा –
(a) इस व्यास के लम्बवत् है
(b) इस व्यास के समान्तर है
(c) इस व्यास की ओर किसी कोण पर झुकी है
(d) इस व्यास से दूर किसी कोण पर झुकी है।
उत्तर :
(a) इस व्यास के लम्बवत् है

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3. चित्र में विद्यत क्षेत्र रेखाएँ दर्शायी गई हैं जिनमें एक वैद्युत द्विध्रुव P चित्र में दर्शाए अनुसार रखा है। निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है –
(a) द्विध्रुव किसी बल का अनुभव नहीं करेगा
(b) द्विध्रुव दायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा
(c) द्विध्रुव बायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा
(d) द्विध्रुव ऊपर की ओर किसी बल का अनुभव करेगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 30
उत्तर :
(c) द्विध्रुव बायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा

4. नीचे दिए गए चित्रों में पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 31

(a) चित्र (iv) में सर्वाधिक है
(b) चित्र (iii) में सर्वाधिक है
(c) चित्र (ii) में चित्र (iii) के समान है, परन्तु चित्र (iv) से कम है
(d) सभी चित्रों में समान है।
उत्तर :
(d) सभी चित्रों में समान है।

वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी यादृच्छिक पृष्ठ में कोई द्विध्रुव परिबद्ध है। इस पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स कितना है?
उत्तर :
यादृच्छिक पृष्ठ द्वारा घिरा कुल आवेश (Σq) = q + (-q) = 0, अत: पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फलक्स + Φ = \(\frac{1}{\varepsilon_{0}} \Sigma q\) = 0

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प्रश्न 2.
किसी धातु के गोलीय खोल की भीतरी त्रिज्या R, तथा बाहरी त्रिज्या R, है। इस खोल की गोलीय गुहिका के केन्द्र पर कोई आवेश Q रखा है। खोल के (i) भीतरी पृष्ठ तथा (ii) बाहरी पृष्ठ पर, पृष्ठीय आवेश-घनत्व क्या होगा?
उत्तर :
गोलीय गुहिका के केन्द्र पर रखे आवेश Q के कारण गोलीय खोल के भीतरी पृष्ठ पर – Q आवेश तथा बाहरी पृष्ठ पर +Q आवेश प्रेरित होगा।
(i) भीतरी पृष्ठ पर पृष्ठीय आवेश घनत्व = –\(\frac{Q}{4 \pi R_{1}^{2}}\)
(ii) बाहरी पृष्ठ पर पृष्ठीय आवेश घनत्व = +\(\frac{Q}{4 \pi R_{2}^{2}}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 32

प्रश्न 3.
किसी एकसमान आवेशित खोखले सिलिण्डर के लिए विद्युत क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 33
उत्तर :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 34

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प्रश्न 4.
किसी a लम्बाई के घन के फलकों से गुजरने वाला फ्लक्स कितना होगा यदि आवेश स्थित हो –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 35
(a) A पर जो घन का एक कोना है।
(b) B पर जो किसी कोर का मध्य-बिन्दु है।
(c) C पर जो धन के किसी फलक का केन्द्र है।।
(d) D पर जो B तथा C का मध्य-बिन्दु है।
उत्तर :
(a) यदि 4-4 घन के ब्लॉक ऊपर नीचे रखे हों तथा आवेश q उनके मध्य शीर्ष A पर हो तब दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स = \(\phi_{E}=\frac{1}{8} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)

(b) बिन्दु B, चार घनों के ब्लॉक में सममित रूप से स्थित होगा। अतः दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स \(\phi_{E}=\frac{1}{4} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)

(c) बिन्दु C, दो घनों के ब्लॉक में सममित रूप से स्थित होगा। अतः दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला
फ्लक्स = \(\phi_{E}=\frac{1}{2} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)

(d) बिन्दु D भी दो घनों के ब्लॉक में सममित रूप से स्थित होगा अतः दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स = \(\phi_{E}=\frac{1}{2} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)

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वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दो आवेशों q तथा -3q को X-अक्ष पर ‘d’ दूरी के पृथकन के साथ रखा गया है। तीसरे आवेश 2q को कहाँ रखा जाए ताकि यह कोई बल अनुभव न करे?
हल : माना 2q आवेश को X-अक्ष पर q आवेश से x दूरी पर, आवेशों से बाहर रखने पर वह कोई बल अनुभव नहीं करता है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 36
अत: 2q आवेश के लिए,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 37

प्रश्न 2.
पाँच आवेश, जिनमें प्रत्येक q है, ‘a’ भुजा के किसी नियमित पंचभुज के कोनों पर रखे गए हैं –
(a) इस पंचभुज के केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा?
(b) यदि किसी एक कोने (जैसे A) से आवेश को हटा दिया जाए तो O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा?
(c) यदि A पर आवेश को – १ द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 38
उत्तर :
(a) सममिति के कारण पंचभुज के केन्द्र O पर परिणामी विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

(b) केन्द्र 0 पर परिणामी विद्युत क्षेत्र E = 0
∴ कोने A पर स्थित आवेश q के कारण विद्युत क्षेत्र + शेष चार कोनों पर स्थित आवेशों के कारण विद्युत क्षेत्र = 0
अथवा शेष चार कोनों पर स्थित आवेशों के कारण विद्युत क्षेत्र = – (कोने A पर स्थित आवेश q के कारण विद्युत क्षेत्र)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 39

(c) बिन्दु A पर आवेश को – q द्वारा प्रतिस्थापित कर देने पर केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र = (-q आवेश के कारण केन्द्र 0 पर विद्युत क्षेत्र) + (शेष चार कोनों पर स्थित आवेशों के कारण केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 40

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर

ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

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प्रश्न 1.
निम्न को प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक एल्कोहॉल में वर्गीकृत कीजिये
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 1
उत्तर-

  1. 3°.

प्रश्न 2.
उपरोक्त उदाहरण में एलिलिक एल्कोहॉल की पहचान कीजिये।
उत्तर
एलिलिक एल्कोहॉल,
(ii) तथा (vi) है।

प्रश्न 3.
निम्न यौगिकों के नाम IUPAC पद्धतिनुसार कीजिये
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 2
उत्तर

  1. 3-क्लोरोमेथिल-2-आइसोप्रोपिलपेन्टेन-1-ऑल ।
  2. 2, 5-डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3-डाइऑल
  3. 3-ब्रोमोसाइक्लोहेक्सन-1-ऑल
  4. हेक्स-1-ईन-3-ऑल
  5. 2-ब्रोमो-3 मेथिलब्यूट-2-ईन-1-ऑल ।

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प्रश्न 4.
दर्शाइए कि किस प्रकार निम्न एल्कोहॉल मेथेनल पर उपयुक्त ग्रिगनार्ड अभिकर्मक की क्रिया द्वारा बनाये जाते हैं –
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उत्तर
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प्रश्न 5.
निम्न अभिक्रिया के उत्पाद की संरचना बनाइये –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 5
उत्तर
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प्रश्न 6.
प्रत्येक संभावित उत्पाद की संरचना दीजिये जब निम्न एल्कोहॉल क्रिया करती है
(a) HCI -ZnCl2
(b) HBr तथा
(c) SOCl2के साथ-

  1. ब्यूटेन-1-ऑल,
  2. 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल।

उत्तर
(a) HCl + ZnCl2 के साथ (ल्यूकास अभिकर्मक)-ब्यूटेन-1-ऑल (1° एल्कोहॉल) कमरे के ताप पर ल्यूकास अभिकर्मक के साथ क्रिया नहीं करते जबकि गंदलापन उत्पन्न होता है केवल गरम करने पर, परन्तु 2-मिथाइल ब्यूटेन-2-ऑल (3° एल्कोहॉल) ल्यूकास अभिकर्मक के साथ कमरे के ताप पर तुरन्त गंदलापन देता है।
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(b) HBr के साथ-दोनों ऐल्कोहॉल HBr के साथ क्रिया द्वारा संगत एल्किल ब्रोमाइड देता है।
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(c) SOCl2 के साथ – दोनों ऐल्कोहॉल SOCl2 के साथ क्रिया द्वारा संगत एल्किल क्लोराइड देता है।
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प्रश्न 7.
निम्न की अम्ल उत्प्रेरित निर्जलीकरण पर बनने वाले प्रमुख उत्पाद की भविष्यवाणी कीजिये

  1. 1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल तथा
  2. ब्यूटेन-1-ऑल।

उत्तर
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प्रश्न 8.
फिनॉल की तुलना में ऑर्थो तथा पैरानाइट्रोफिनॉल ज्यादा अम्लीय है। संगत् फिनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनायें बनाइये।
उत्तर
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p-नाइट्रो फिनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ
प्रतिस्थापी फिनॉल में इलेक्ट्रॉन निकालने वाले समूह (—R प्रभाव) जैसे – NO2समूह की उपस्थिति के कारण फिनॉल का अम्लीय स्वभाव बढ़ जाता है। आर्थो तथा पैरा-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन ज्यादा स्थायी है (बॉक्स में दिखाई गई अतिरिक्त अनुनादी संरचना के कारण) क्योंकि फिनॉल की तुलना में ऋणात्मक आवेश का फिनॉक्साइड आयन पर प्रभावी विस्थापनीकरण होता है। अतः ०, तथा p-नाइट्रोफिनॉल, फिनॉल से ज्यादा अम्लीय होते हैं।

प्रश्न 9.
निम्न अभिक्रियाओं में शामिल समीकरण लिखिये

  1. रीमर-टीमैन अभिक्रिया,
  2. कोल्बे अभिक्रिया।

उत्तर
1. रीमर-टीमैन अभिक्रिया (Reimer-Tiemann reaction) – क्षार NaOH की उपस्थिति में फीनॉल का उपचार क्लोरोफॉर्म के साथ करके अम्लीकृत किये जाने पर -CHO समूह मुख्यत: ऑर्थो स्थान पर प्रवेश करता है।
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2. कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe reaction)- जब CO2 प्रवाहित करते हुए सोडियम फिनॉक्साइड को गर्म किया जाता है तब कार्बोक्सीकरण प्रक्रिया होती है। p-हाइड्रॉक्सी बेंजोइक अम्ल की सूक्ष्म मात्रा के साथ मुख्य क्रियाफल के रूप में 0-हाइड्रॉक्सी- बेंजोइक अम्ल (सैलिसिलिक अम्ल) का निर्माण होता है।
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प्रश्न 10.
2-एथॉक्सी-3 मिथाइल पेन्टेन की विलियमसन संश्लेषण क्रिया लिखिये। एथेनॉल तथा 3-मिथाइल पेन्टन-2-ऑल से शुरू करते हुये।।
उत्तर
विलियमसन संश्लेषण में एल्काइल हैलाइड (19) की अभिक्रिया सोडियम एल्कॉक्साइड से कराने पर ईथर Sn2 क्रियाविधि द्वारा प्राप्त होता है। अतः एल्काइल हैलाइड एथेनॉल तथा 3-मिथाइल पेन्टेन-2ऑल के एल्कॉक्साइड आयन से प्राप्त होता है। सम्पूर्ण क्रिया निम्न है
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प्रश्न 11.
1-मिथॉक्सी-4 नाइट्रोबेंजीन को बनाने के लिये निम्न में से कौन-से उपयुक्त अभिकारकों के सेट हैं और क्यों?
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उत्तर
रासायनिक रूप से दोनों सेट संभावित हैं। सेट (A) में Br समूह इलेक्ट्रॉन निकालने वाले समूह-NO2 समूह के कारण सक्रिय हो जाते हैं। अत: CH3ONa का नाभिकस्नेही आक्रमण के बाद NaBr का विलोपन होने से इच्छित ईथर प्राप्त होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 18
सेट (B) में मिथाइल ब्रोमाइड पर 4-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन का नाभिकस्नेही आक्रमण जैसा उत्पाद देगा।
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प्रश्न 12.
निम्न अभिक्रिया के उत्पाद की भविष्यवाणी कीजिये
(i) CH3-CH2 – CH2-O-CH3+HBr→
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उत्तर
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ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
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उत्तर

  1. 2, 2, 4 ट्राइमेथिल पेन्टेन-3-ऑल
  2. 5-एथिलहेप्टेन-2, 4 डाइऑल
  3. ब्यूटेन-2, 3, डाइऑल
  4. प्रोपेन-1, 2, 3 ट्राइऑल
  5. 2-मेथिलफिनॉल
  6. 4-मेथिलफिनॉल
  7. 2, 5-डाइमेथिलफिनॉल
  8. 2, 6-डाइमेथिलफिनॉल
  9. 1-मेथॉक्सी-2-मेथिल-प्रोपेन
  10. एथॉक्सीबेंजीन
  11. 1-फिनॉक्सीहेप्टेन
  12. 2-एथॉक्सीब्यूटेन।

प्रश्न 2.
यौगिकों की संरचना बनाइये जिनके IUPAC नाम निम्न है

  1. 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
  2. 1-फिनाइल प्रोपेन-2-ऑल
  3. 3, 5 डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3, 5 ट्राइऑल .
  4. 2, 3-डाइएथिलफिनॉल
  5. 1-एथॉक्सीप्रोपेन
  6. 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन
  7. साइक्लोहेक्सिल मिथेनॉल
  8. 3-साइक्लोहेक्सिल पेन्टेन-3-ऑल
  9. साइक्लोपेन्ट-3-ईन-1-ऑल
  10. 4-क्लोरो-3-एथिल ब्यूटेन-1-ऑल।

उत्तर
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प्रश्न 3.
अणुसूत्र C5H12O के सभी संभावी समावयवी ऐल्कोहॉलों की संरचना तथा उनके IUPAC नाम बताइये।
उत्तर
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प्रश्न 4.
समझाइये क्यों प्रोपेनॉल का क्वथनांक हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन की तुलना में ज्यादा होता है ?
उत्तर
ब्यूटेन में अणु आपस में दुर्बल वाण्डर-वाल्स आकर्षण बल द्वारा जुड़े होते हैं जबकि प्रोपेनॉल में ये आपस में प्रबल अन्तराणुक हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़े होते हैं
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 28
अतः प्रोपेनॉल का क्वथनांक ब्यूटेन से ज्यादा होता है।

प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉल संगत हाइड्रोकार्बन की तुलना में पानी में ज्यादा घुलनशील होते हैं। समझाइये। क्यों?
उत्तर
ऐल्कोहॉल पानी के साथ हाइड्रोजन बंध बनाता तथा पानी के अणुओं के मध्य उपस्थित H-बंध को तोड़ता है। अतः ये पानी में घुलनशील होते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 29
दूसरी तरफ हाइड्रोकार्बन पानी के साथ हाइड्रोजन बंध नहीं बनाते इसलिये पानी में अघुलनशील होते हैं।

प्रश्न 6.
हाइड्रोबोरेशन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया से क्या समझते हैं ? इसे उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर
डाइबोरेन की एल्कीन से योगात्मक अभिक्रिया द्वारा ट्राइएल्किल बोरेन्स का निर्माण हकोता है जिसका एल्किलाइन हाइड्रोजन परॉक्साइड से ऑक्सीकरण करने पर एल्कोहॉल प्राप्त होता है। इस क्रिया को हाइड्रोबोरेशन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
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इस प्रक्रिया में प्राप्त ऐल्कोहॉल, मार्कोनिकॉफ नियम के विपरीत जल के एल्कीन पर प्रत्यक्ष योग से बनते हैं।

प्रश्न 7.
अणुसूत्र C7H8O के मोनोहाइड्रिक फिनॉल की संरचना व IUPAC नाम दीजिये।
उत्तर
तीन समावयवी हैं
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प्रश्न 8.
आर्थो व पैरा-नाइट्रोफिनॉल के मिश्रण का पृथक्करण भाप-आसवन द्वारा करते समय समावयवी का नाम बताइये जो भाप आसवित होगा, उसका कारण दीजिये।
उत्तर
0-नाइट्रोफिनॉल भाप अस्थिर (Steam volatile) होता है जबकि p-नाइट्रोफिनॉल नहीं। 0-नाइट्रोफिनॉल में अन्तरा-आण्विक (Intermolecular) H-बंध पाया जाता है । इस कारण इसका क्वथनांक p-नाइट्रोफिनॉल से कम होता है । इसलिए यह भाप स्थिर होता है तथा इसके अशुओं के बीच अन्तः आण्विक H-बंध पाया जाता है। (संरचना के लिए पाठ्यपुस्तक देखें)।

गलनांक, क्वथनांक एवं विलेयता पर प्रतिस्थापियों का प्रभाव यह होता है कि o-हाइड्रॉक्सी व्युत्पन्नों में, अंत:अणुक (Intramolecular) हाइड्रोजन बंधन के कारण गलनांक एवं क्वथनांक निम्न होते हैं अतः ये जल में अविलेय या बहुत कम विलेय होते हैं।

इस प्रकार p-नाइट्रोफीनॉल की अपेक्षा o-नाइट्रोफीनॉल कम विलेय एवं निम्न गलनांक तथा क्वथनांक वाला होता है।
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p-समावयवी की अपेक्षा o-नाइट्रोफीनॉल के अधिक वाष्पशील होने का भी यही कारण होता है।

प्रश्न 9.
क्यूमीन से फिनॉल बनाने की विधि के लिये समीकरण दीजिये।
उत्तर
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प्रश्न 10.
क्लोरोबेंजीन से फिनॉल बनाने की रसायनिक अभिक्रिया दीजिये।
उत्तर
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प्रश्न 11.
एथीन के जलयोजन से एथेनॉल प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिये.
उत्तर
किसी भी अम्ल की उपस्थित में एथीन पर जल का प्रत्यक्ष योग नहीं होता है। अप्रत्यक्ष रूप से एथीन को पहले सान्द्र H2SO4 में से कमरे के ताप पर गुजारा जाता है तो एथिल हाइड्रोजन सल्फेट का निर्माण होता है, जो जल के साथ गर्म करने पर अपघटित होकर एल्कोहॉल बनाता है।
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पद – I – हाइड्रोनियम आयन (H3O+) के इलेक्ट्रोफिलिक आक्रमण द्वारा एल्कीन के प्रोटीनीकरण से कार्बोकेटायन का निर्माण होता है।
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पद – II – कार्बोकेटायन पर यूक्लियोफिलिक आक्रमण द्वारा प्रोटीनीकृत एल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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पद – III- अप्रोटीनीकृत (loss of proton) से एल्कोहॉल का निर्माण होता है। आयन (H3O+) के इलेक्ट्रोफिलिक आक्रमण द्वारा एल्कीन के प्रोटीनीकरण से कार्बोकेटायन का निर्माण होता है।
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प्रश्न 12.
आपको बेंजीन, सान्द्र H2SO4 तथा NaOH दिया गया है। इन अभिकर्मकों से फिनॉल बनाने के लिये समीकरण लिखिये।
उत्तर
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प्रश्न 13.
प्रदर्शित कीजिये किस प्रकार आप संश्लेषित करेंगे

  1. 1-फिनाइल एथेनॉल उपयुक्त एल्कीन से
  2. एक एल्किल हैलाइड का उपयोग करते हुये SN2 अभिक्रिया द्वारा साइक्लोहेक्सिल मेथेनॉल।
  3. उपयुक्त एल्किल हैलाइड के उपयोग द्वारा पेन्ट-1-ऑल।

उत्तर
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प्रश्न 14.
दो अभिक्रिया दीजिये जो फिनॉल का अम्लीय स्वभाव दर्शाये फिनॉल की अम्लीयता की तुलना एथेनॉल से कीजिये।
उत्तर
फिनॉल के अम्लीय स्वभाव को प्रदर्शित करने वाली अभिक्रियाएँ
1. सोडियम के साथ अभिक्रिया- फिनॉल, सोडियम के साथ क्रिया द्वारा H, गैस देता है।
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2. NaOH के साथ क्रिया- NaOH में घोलने पर फिनॉल सोडियम फिनॉक्साइड तथा पानी देता है।
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फिनॉल एथेनॉल से ज्यादा अम्लीय है इसका कारण यह है कि फिनॉल से एक प्रोटॉन निकलने के बाद बना फिनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेता है (संरचना के लिये फिनॉल का अम्लीय स्वभाव पाठ्यपुस्तक में देखें) जबकि एथेनॉल से एक प्रोटॉन निकलने के बाद बना एथॉक्साइड आयन में ऐसा नहीं होता है।

प्रश्न 15.
समझाइये क्यों ऑर्थो-नाइट्रोफिनॉल आर्थो-मिथॉक्सी-फिनॉल से ज्यादा अम्लीय होता है ?
उत्तर
NO2 समूह पर प्रबल -R तथा -1 प्रभाव के कारण OH बंध में इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है। अतः प्रोटॉन का त्यागना आसान हो जाता है।
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-1 प्रभाव के कारण –OH बंध पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है तथा इसके कारण प्रोटॉन का निकलना आसान हो जाता है।
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-R प्रभाव के कारण ऑक्सीजन परमाणु पर धनात्मक आवेश आता है, जिससे प्रोट्रॉन को मुक्त करना आसान हो जाता है।
इसके अलावा 0-नाइट्रोफिनॉक्साइड, जो प्रोटॉन के निष्कासन के बाद बनता है तथा अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाता है।
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0-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाते है । अत: 0-नाइट्रोफिनॉल एक प्रबल अम्ल है। दूसरी तरफ …- OCH3 समूह पर + R प्रभाव के कारण O – H बंध पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता हैं इससे प्रोटॉन का निष्कासन कठिन हो जाता है।
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दूसरी संरचनाएँ दो ऋणात्मक आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं तथा o-मिथॉक्सीफिनॉक्साइड आयन अस्थायी हो जाता है। अत: यह 0-नाइट्रोफिनॉल से कम अम्लीय होता है।

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प्रश्न 16.
समझाइये कि बेंजीन रिंग पर जुड़ी कार्बन पर जुड़ा- OH समूह उसको इलेक्ट्रोस्नेही प्रतिस्थापन के लिये सक्रियित करता है।
उत्तर
इलेक्ट्रोफाइल के आक्रमण के दौरान -OH समूह बेंजीन रिंग पर + प्रभाव उत्पन्न करता है। इस कारण, रिंग पर इलेक्ट्रॉन घनत्व मुख्यतः ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर बढ़ जाता है, जिससे इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन मुख्यतः आर्थो तथा पैरा स्थिति पर होता है । (अनुनादी संरचना के लिये फिनॉल की अम्लीय स्वभाव NCERT पाठ्य-पुस्तक में देखें)।

प्रश्न 17.
निम्न अभिक्रियाओं पर समीकरण दीजिये

  1. प्रोपेन-1-ऑल का क्षारीय KMnO4 विलयन द्वारा ऑक्सीकरण।
  2. फिनॉल के साथ CS2 एवं Br, में
  3. फिनॉल के तनु HNO3 के साथ
  4. फिनॉल की क्लोरोफॉर्म के साथ जलीय NaOH की उपस्थिति में क्रिया।

उत्तर
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प्रश्न 18.
निम्न को उदाहरण सहित समझाइये –

  1. कोल्बे अभिक्रिया
  2. रीमर-टीमेन अभिक्रिया
  3. विलियमसन-ईथर संश्लेषण
  4. असममित ईथर।

उत्तर-
1. एवं

2.
1. रीमर-टीमैन अभिक्रिया (Reimer-Tiemann reaction) – क्षार NaOH की उपस्थिति में फीनॉल का उपचार क्लोरोफॉर्म के साथ करके अम्लीकृत किये जाने पर -CHO समूह मुख्यत: ऑर्थो स्थान पर प्रवेश करता है।
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2. कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe reaction)- जब CO2 प्रवाहित करते हुए सोडियम फिनॉक्साइड को गर्म किया जाता है तब कार्बोक्सीकरण प्रक्रिया होती है। p-हाइड्रॉक्सी बेंजोइक अम्ल की सूक्ष्म मात्रा के साथ मुख्य क्रियाफल के रूप में 0-हाइड्रॉक्सी- बेंजोइक अम्ल (सैलिसिलिक अम्ल) का निर्माण होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 51

3. विलियमसन-ईथर संश्लेषण-एल्किल हैलाइड तथा सोडियम एल्कॉक्साइड के बीच क्रिया होकर ईथर बनते हैं। यह एक नाभिक-स्नेही अभिक्रिया है जिसमें एल्कॉक्साइड आयन से हैलाइड आयन का विस्थापन होता है।
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4. असममित ईथर (Asymmetric Ether)-असममित ईथर वे ईथर होते हैं जिनमें ऑक्सीजन अणु के दोनों ओर दो अलग-अलग समूह जुड़े होते हैं एवं कार्बन के अणु समान होते हैं।
उदाहरण-एथिल मेथिल ईथर (CH3-0-CH2CH3)|

प्रश्न 19.
एथेनॉल के अम्लीय निर्जलीकरण से एथीन बनाने की क्रियाविधि लिखिये।
उत्तर
एथेन बनाने के लिए एथेनॉल का अम्लीय डीहाइड्रेशन क्रिया के निम्न पद हैं
पद 1- एथिल ऑक्सोनियम आयन के निर्माण के लिए एथेनॉल का प्रोटॉनीकरण
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पद 2-कार्बोकेटायन का निर्माण (दर निर्धारक पद)
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पद 3-एथेन बनाने के लिए प्रोटॉन का निष्कासन (Elimination)
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पद 1 में अवशोषित अम्ल पद 3 में मुक्त होते हैं । एथेन के निर्माण के बाद संतुलन को आगे की दिशा में बदलने के लिए इसे हटा दिया जाता है।

प्रश्न 20.
निम्न परिवर्तन किस प्रकार किये जाते हैं –

  1. प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल
  2. बेन्जॉइल क्लोराइड → बेन्जॉइल एल्कोहॉल
  3. एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन-1- ऑल
  4. मिथाइल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2-मिथाइल प्रोपेन-2-ऑल

उत्तर
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प्रश्न 21.
निम्न अभिक्रिया में प्रयोग किये जाने वाले अभिकर्मक का नाम बताइये –

  • प्राथमिक ऐल्कोहॉल का कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकरण
  • प्राथमिक ऐल्कोहॉल का एल्डिहाइड में ऑक्सीकरण
  • फिनॉल का 2, 4, 6 ट्राइब्रोमोफिनॉल में ब्रोमीनीकरण
  • बेन्जॉइल एल्कोहॉल को बेन्जोइक अम्ल में।
  • प्रोपेन-2-ऑल को प्रोपीन में निर्जलीकरण
  • ब्यूटेन-2-ऑन को ब्यूटेन-2-ऑल में।

उत्तर

  • अम्लीकृत K2Cr2O7 या उदासीन, अम्लीय या क्षारीय KMnOA
  • पिरिडिनियम क्लोरोक्रोमेट (PCC)CH2CI2 में या 573K पर Cu
  • ब्रोमीन जल (Br2)H2O
  • अम्लीकृत या क्षारीय KMnO4
  • सान्द्र H2SO4, 443 K पर या 85% फॉस्फोरिक अम्ल, 443K पर
  • Ni / H2 T NaBH4 या LiAlH4.

प्रश्न 22.
एथेनॉल का क्वथनांक मिथॉक्सीमेथेन की तुलना में उच्च होने का कारण दीजिये।
उत्तर
एथेनॉल का क्वथनांक मिथॉक्सीमेथेन की तुलना में उच्च इसलिये होता है क्योंकि एथेनॉल की अणुओं के बीच प्रबल अन्तः आण्विक हाइड्रोजन बंध उपस्थित होने के कारण अणु संगुणित रूप में होते हैं। जबकि मिथॉक्सी ईथर में इस प्रकार का H-बंध नहीं होता है।
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प्रश्न 23.
निम्न ईथर के IUPAC नाम दीजिये
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उत्तर

  1. 1-एथॉक्सी-2-मेथिल प्रोपेन
  2. 2-क्लोरो-1-मेथॉक्सी एथेन
  3. 4-नाइट्रोएनीसॉल
  4. 1-मेथॉक्सी प्रोपेन
  5. 1-एथॉक्सी-4, 4-डाइमेथिल साइक्लोहेक्सेन
  6. एथॉक्सी बेंजीन ।

प्रश्न 24.
विलियमसन संश्लेषण द्वारा निम्न ईथरों को बनाने के लिए अभिकर्मक का नाम तथा समीकरण लिखिये

  1. 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
  2. एथॉक्सीबेंजीन
  3. 2-मेथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
  4. 1-मेथॉक्सीएथेन।

उत्तर
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प्रश्न 25.
निश्चित प्रकार के ईथरों को बनाने की विलियमसन संश्लेषण की सीमाओं को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर
विलियमसन संश्लेषण विधि की सीमाएँ
1. यदि एल्किल हैलाइड प्राथमिक हो तो अच्छा परिणाम निकलता है। यदि द्वितीयक व तृतीयक हैलाइड हो, तो प्रतिस्थापन की जगह विलोपन होता है । यदि तृतीयक हैलाइड का प्रयोग करें तो केवल एल्कीन ही बनता है ईथर नहीं । उदाहरण-CH3ONa के साथ (CH3)3 C-Br की क्रिया में 2-मेथिल प्रोपीन (आइसोक्यूटीन) बनेगा।
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ऐसा इसलिये होता है क्योंकि ऐल्कॉक्साइड केवल न्यूक्लियो-फाइल ही नहीं अपितु प्रबल क्षार भी होता है। अतः एल्किल हैलाइड की क्रिया द्वारा विलोपन क्रिया करते हैं । अतः एथिल तृतीयक ब्यूटिल ईथर बनाने के लिये हमें एथिल हैलाइड तथा सोडियम तृतीयक ब्यूटॉक्साइड उपयोग करना चाहिये।
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2. एरिल हैलाइड तथा विनाइल ईथर को सबस्टेट की तरह ऐरोमैटिक एलिफैटिक ईथर बनाने में नहीं होता है क्योंकि ऐरिल हैलाइड तथा विनाइल हैलाइड न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन के प्रति कम सक्रिय होते हैं।
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प्रश्न 26.
प्रोपेन-1 ऑल से 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन किस प्रकार बनायेंगे, इस अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिये।
उत्तर
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(b) इसे प्रोपेन-1-ऑल के निर्जलीकरण द्वारा बनाया जाता है।
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प्रश्न 27.
द्वितीयक व तृतीयक एल्कोहॉल के अम्ल-निर्जलीकरण द्वारा ईथर का बनना एक उपयुक्त विधि नहीं है, कारण दीजिये।
उत्तर
1° एल्कोहॉल प्रोटोनीकृत होता है फिर दूसरा अणु उस पर आक्रमण करता है। अभिक्रिया SN2 होती है।
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2° तथा 3° भी प्रोटोनीकृत होता है परन्तु दूसरा एल्कोहॉल अणु त्रिविम बाधा के कारण उस पर आक्रमण नहीं करता है। इसलिये प्रोटोनीकृत एल्कोहॉल पानी का एक अणु निकालकर स्थायी 2′ या 3° कार्बोकेटायन बनाता है, जो एक प्रोटॉन निकालकर एल्कीन बनाने को प्राथमिकता देता है।
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इसी प्रकार, 3° ऐल्कोहॉल आइसोब्यूटीन बनाता है।
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प्रश्न 28.
निम्न के साथ हाइड्रोजन आयोडाइड के अभिक्रिया का समीकरण लिखिये

  1. 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
  2. मेथॉक्सीबेंजीन तथा
  3. बेन्जॉइल एथिल ईथर।

उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 70

प्रश्न 29.
इस कथन को समझाइये कि एरिल-एल्किल ईथर में

  1. एल्कॉक्सी समूह बेंजीन रिंग को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के लिये सक्रिय करता है तथा
  2. ये नये आने वाले प्रतिस्थापी को ऑर्थो, पैरा स्थिति पर जाने के लिये निर्देशित करता है।

उत्तर
एरिल एल्किल ईथर में +R-प्रभाव के कारण एल्कॉक्सी समूह में इलेक्ट्रॉन घनत्व बेंजीन रिंग पर बढ़ता है। एल्कॉक्सी समूह ऑर्थो, पैरा दिशात्मक होता है तथा बेंजीन रिंग को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति फीनॉल के समान सक्रिय करता है।
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इन संरचनाओं में 0, p पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है जिससे नया आने वाला इलेक्ट्रोफाइल (+ आवेश स्पिीशीज) 0, p पर जाता है।

प्रश्न 30.
HI की मेथॉक्सीमेथेन के साथ क्रिया की क्रियाविधि लिखिये।
उत्तर
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प्रोटोनीकृत ईथर पर I आयन द्वारा SN2आक्रमण होता है तथा मेथिल आयोडाइड तथा मेथिल ऐल्कोहॉल का मिश्रण बनता है। परन्तु यदि HI अधिकता में लिया जाता है तो (ii) में बना मेथिल एल्कोहॉल भी निम्न क्रियाविधि द्वारा मेथिल आयोडाइड में बदल जाता है।
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प्रश्न 31.
निम्न अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिये –

  1. फ्रीडल-क्राफ्ट अभिक्रिया एनीसॉल एल्किलीकरण।
  2. एनीसॉल का नाइट्रीकरण
  3. एनीसॉल का एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीनीकरण
  4. एनीसॉल का फ्रीडल-क्रॉफ्ट एसिलीकरण।

उत्तर
1. फ्रीडल-क्रॉफ्ट अभिक्रिया-एनिसॉल में फ्रीडल-क्रॉफ्ट अभिक्रिया अर्थात् एल्किल या एरिल समूह 0, p स्थिति पर एल्किल या एरिल हैलाइड की निर्जल AICI (लूईस अम्ल) एक उत्प्रेरक की उपस्थिति में प्रवेश करता है
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2. एनीसॉल का नाइट्रीकरण-नाइट्रीकरण पर ()-तथा p-नाइट्रो एनिसॉल बनता है। OCH;
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3. एनीसॉल का एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीनीकरण-एनिसॉल में ब्रोमीनीकरण CH3COOH में बने Br, द्वारा होता (आयरन-III ब्रोमाइड उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में) है तथा पैरा-समावयवी 90% बनता है। OCH3
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4. एनीसॉल का फ्रीडल-क्रॉफ्ट एसिलीकरण
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प्रश्न 32.
दर्शाइये कि आप किस प्रकार निम्न ऐल्कोहॉलों का उपयुक्त एल्कीनों से संश्लेषण करेंगे
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उत्तर
1. ऐल्कोहॉल निर्जलीकरण पर एल्कीन देते हैं जो एल्कीन बनते हैं वो जल के ! अणु के योग होने पर अपेक्षित ऐल्कोहॉल देते हैं। पानी का योग मारकोनीकॉफ नियमानुसार होता है। जब एल्कीन के निर्जलीकरण द्वारा दो एल्कीन बनते हैं तो देखना पड़ता है कि कौन-सा एल्कीन अपेक्षित ऐल्कोहॉल देगा।
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दोनों एल्कीन, जल के एक अणु से योग करके अपेक्षित एल्कोहॉल देंगे।
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2. यह दो एल्कीन बनाते हैं। ये जल के एक अणु के योग द्वारा अपेक्षित ऐल्कोहॉल देते हैं।
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3.

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पेन्ट-1 ईन पर जल के अणु का योग अपेक्षित एल्कोहॉल देगा। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है किOH समूह द्विबंध से जुड़ी उस C परमाणु पर जायेगा जिसमें कम संख्या हाइड्रोजन परमाणु हो । पेन्ट-2-ऑन की स्थिति में दोनों द्विबंध रखने वाले कार्बन पर एक-एक हाइड्रोजन उपस्थित है,। अत: यह एल्कीन पेन्टेन-2-ऑल तथा पेन्टेन-3-ऑल देगा।

4.

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2-मेथिल साइक्लोहेक्सिल ब्यूट-2-ईन पर जल के अणु के योग द्वारा अपेक्षित एल्कोहॉल देगा, -OH समूह द्विबंध से जुड़ी उस कार्बन परमाणु पर जायेगा जिसमें H-परमाणु की संख्या कम है।

प्रश्न 33.
जब 3-मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल की क्रिया HBr से करायी जाती है, तो निम्न क्रिया होती है
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(संकेत-पद II में बने द्वितीयक कार्बोकेटायन में पुनर्विन्यास द्वारा ज्यादा स्थायी नृतीयक कार्बोकेटायन हाइड्राइड आयन के 3-कार्बन परमाणु से स्थानान्तरण द्वारा बनते हैं।)
उत्तर
ऐल्कोहॉल पहले प्रोटोनीकृत होता है फिर जल का एक अणु निकलकर कार्बोकेटायन बनाता है
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 85
अब 2° कार्बोकेटायन पुनव्यविस्थत होकर ज्यादा स्थायी तृतीयक कार्बोकेटायन Cपर निकटवर्ती कार्बन से एक — H परमाणु के निगमन द्वारा बनता है। इसे 1, 2 विस्थापन (शिफ्ट) कहते हैं। इसके बाद Br का योग होता है
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ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
सोडियम, ऐल्कोहॉल में सुगमता से विलेय हो जाता है, क्योंकि
(a) ऐल्कोहॉल, जल की अपेक्षा अधिक घनत्व वाला है
(b) ऐल्कोहॉल, जल की अपेक्षा हल्का है
(c) ऐल्कोहॉल उदासीन है
(d) ऐल्कोहॉल उभयधर्मी है।
उत्तर
(d) ऐल्कोहॉल उभयधर्मी है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित चार यौगिकों में सर्वाधिक अम्लीय है
(a) फीनॉल
(b) O- नाइट्रोफीमॉल
(c) p-नाइट्रोफीनॉल
(d) m- नाइट्रोफीनॉल।
उत्तर
(c) p-नाइट्रोफीनॉल

प्रश्न 3.
फीनॉल से सैलिसिल्डिहाइड बनाने के लिए अभिक्रिया है
(a) रोजेनमुण्ड अभिक्रिया
(b) फ्रीडल-क्रॉफ्ट अभिक्रिया
(c) रीमर-टीमैन अभिक्रिया
(d) न्यूक्लियोफिलिक अभिक्रिया।
उत्तर
(c) रीमर-टीमैन अभिक्रिया

प्रश्न 4.
प्रोपेनॉल-2 को प्रोपेनोन में परिवर्तित करने वाला सर्वाधिक प्रभावी अभिकर्मक है
(a) LiAIH4
(b) Cu/300°C
(c) CO2
(d) K2Cr207.
उत्तर
(b) Cu/300°C

प्रश्न 5.
कार्बोलिक अम्ल है
(a) फीनॉल
(b) फेनिल बेंजोएट
(c) फेनिल एसीटेट
(d) मेथिल सैलिसिलेट।
उत्तर
(a) फीनॉल

प्रश्न 6.
कौन-सा यौगिक विन्टर ग्रीन के तेल के रूप में जाना जाता है
(a) फेनिल बेंजोएट
(b) फेनिल सैलिसिलेट
(c) फेनिल एसीटेट
(d) सैलाल।
उत्तर
(d) सैलाल।

प्रश्न 7.
ल्यूकास अभिकर्मक की क्रिया किसके साथ तीव्रतम होती है
(a) (CH3)3-C-OH
(b) (CH3)2CHOH
(c) CH3-(CH2)2OH
(d) CH3-CH2OH.
उत्तर
(a) (CH3)3-C-OH

प्रश्न 8.
कम ताप पर CS2 में, फोनॉल Br2 के साथ क्रिया करके देता है
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 88
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 89
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 90
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 91

प्रश्न 9.
तप्त Al2O3 पर एथेनॉल की वाष्प प्रवाहित करने पर कौन-सा यौगिक प्राप्त होता है
(a) एथिल ईथर
(b) ऐसीटोन
(c) ऐसिटैल्डिहाइड
(d) एथेन।
उत्तर
(a) एथिल ईथर

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प्रश्न 10.
कौन-सा यौगिक एस्प्रिन है
(a) एसिटिल सैलिसिलिक अम्ल
(b) सैलिसिलिक अम्ल
(c) एसिटामाइड
(d) सैलिसिल एमाइड।
उत्तर
(a) एसिटिल सैलिसिलिक अम्ल

प्रश्न 11.
निम्न यौगिक थैलिक अम्ल से क्रिया करके अम्ल क्षार सूचक देता है
(a) क्लोरोबेंजीन
(b) फीनॉल
(c) ऐल्कोहॉल
(d) ईथर ।
उत्तर
(b) फीनॉल

प्रश्न 12.
बैकेलाइट बनता है, जब फीनॉल निम्न के साथ संघनित होता है
(a) HCHO
(b) CH3CHO
(c) C2H5CHO
(d) CH3COCH2.
उत्तर
(a) HCHO

प्रश्न 13.
निश्चेतक के रूप में प्रयुक्त होता है
(a) CH3OH
(b) C2H5OH
(c) CH3-CHO
(d) (C2H5)2O
उत्तर
(d) (C2H5)2O

प्रश्न 14.
ल्यूकास अभिकर्मक है
(a) सान्द्र HCl
(b) सान्द्र H2SO4
(c) निर्जल ZnCl2
(d) सान्द्र HCl और निर्जल ZnCl2 I
उत्तर
(d) सान्द्र HCl और निर्जल ZnCl2 I

प्रश्न 15.
निम्नलिखित द्वारा ईथर तथा ऐल्कोहॉल में विभेद कर सकते हैं
(a) Na के साथ क्रिया
(b) PCl5 से क्रिया
(c) 2, 4 डाइनाइट्रो फेनिल हाइड्रेजीन से क्रिया
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) Na के साथ क्रिया

प्रश्न 16.
शराब को विषैला बनाने के लिये प्रयुक्त किया जाता है
(a) मेथिल एल्काहाल
(b) एथिल ऐल्कोहॉल
(c) ग्लिसरीन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(a) मेथिल एल्काहाल

प्रश्न 17.
लीबरमैन नाइट्रोसो परीक्षण देता है
(a) C6H5OH
(b) CH3-OH
(c) C2H5-OH
(d) CH3-O-CH3.
उत्तर
(a) C6H5OH

प्रश्न 18.
ल्यूकास अभिकर्मक द्वारा किसका परीक्षण किया जाता है
(a) फीनॉल
(b) ईथर
(c) ऐल्डिहाइड
(d) ऐल्कोहॉल।
उत्तर
(d) ऐल्कोहॉल।

प्रश्न 19.
ऐल्कोहॉल, जल में विलेय होते हैं इसका प्रमुख कारण है
(a) O-H बंध
(b) हाइड्रोजन बन्ध
(c) सहसंयोजक बन्ध
(d) वैद्युत संयोजकता।
उत्तर
(b) हाइड्रोजन बन्ध

प्रश्न 20.
ऐथिल ऐल्कोहॉल को विरंजक चूर्ण के साथ गर्म करने पर बनता है
(a) डाइ-एथिल ईथर
(b) फीनॉल
(c) क्लोरोबेन्जीन
(d) क्लोरोफॉर्म।
उत्तर
(d) क्लोरोफॉर्म।

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. ईथर का सामान्य सूत्र ……… है।
  2. फीनॉल की कोल्बे-श्मिट अभिक्रिया का मुख्य उत्पाद ……… है।
  3. फीनॉल का हाइड्रोजनीकरण करने पर ……… देता है।
  4. ऐल्कोहॉल, I2 और क्षार के साथ क्रिया करके ……… का पीला अवक्षेप देता है।
  5. फीनॉल के 2n चूर्ण के साथ गर्म करने पर ……… देता है।
  6. फॉर्मेल्डिहाइड को ……… के साथ गर्म करने पर बैकलाइट बनता है।
  7. डाइएथिल ईथर ……… के रूप में प्रयुक्त होता है।
  8. RX को NaOR के साथ गर्म करने पर ROR बनता है। इस अभिक्रिया का नाम ……… है।
  9. ऐल्कोहॉल ……… है, जबकि फीनॉल ……… प्रकृति का होता है।
  10. ऐल्कोहॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 160-170°C पर गर्म करने पर ……… बनता है।
  11. ऐथिल ऐल्कोहॉल के निर्जलीकरण से ……… तथा ……… प्राप्त किया जाता है।
  12. रेक्टिफाइड स्पिरिट ………% ऐल्कोहॉल तथा ……… जल का मिश्रण होता है।

उत्तर-

  1. CnH2n+2.0
  2. सैलिसिलिक अम्ल
  3. साइक्लो हेक्सेनॉल
  4. आयोडोफॉर्म (CH3J)
  5. बेंजीन
  6. फीनॉल
  7. निश्चेतक
  8. विलियमसन संश्लेषण
  9. उदासीन, अम्लीय
  10. ऐल्कीन
  11. इथिलीन, डाइ एथिल ईथर
  12. 95.5%, 4.5% |

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3. उचित संबंध जोडिए’
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 92
उत्तर-

  1. (f)
  2. (d)
  3. (e)
  4. (g)
  5. (b)
  6. (a)
  7. (j)
  8. (c)
  9. (h)
  10. (i).

4. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. डाइएथिल ईथर Na से क्रिया नहीं करता, क्यों?
  2. ईथर में लगी आग जल द्वारा नहीं बुझायी जा सकती, क्यों? ।
  3. ईथर को जलाने पर बनता है।
  4. मॉल्टोज को ग्लूकोज में परिवर्तित करने वाले एन्जाइम का नाम लिखिए।
  5. सल्फ्यू रिक ईथर को कहते हैं।
  6. ईथर की HI के साथ अभिक्रिया का उपयोग किसके निर्धारण में होता है ?
  7. CS2 की उपस्थिति में Br2, फीनॉल से क्रिया करके बनाता है।
  8. विक्टर मेयर विधि में 1° ऐल्कोहॉल क्षार के साथ कौन-सा रंग देता है ?
  9. फोनॉल, थैलिक ऐनहाइड्राइड के साथ H2SO4 की उपस्थिति में बनाता है।
  10. किण्वन अभिक्रिया में कौन-सी गैस प्राप्त होती है ?
  11. उस प्राथमिक एल्कोहॉल का नाम बताइए जो आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है।
  12. क्षार NaOH की उपस्थिति में फीनॉल की अभिक्रिया क्लोरोफॉर्म के साथ कराने पर सैलिसि ल्डिहाइड प्राप्त होता है, यह अभिक्रिया कहलाती है।

उत्तर

  1. अम्लीय H परमाणु नहीं है,
  2. जल से हल्का और अविलेय,
  3. CO2 और H2O
  4. मॉल्टेज,
  5. डाइएथिल ईथर,
  6. ऐल्कॉक्सी (जीसल),
  7. 0- और p-ब्रोमो फीनॉल,
  8. लाल,
  9. फिनॉल्पथैलीन,
  10. CO2,
  11. C2H5-OH (एथेनॉल),
  12. राइमर-टीमैन अभिक्रिया।

ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ईथर की जल में विलेयता साधारण नमक का संतृप्त विलयन मिलाने से कम क्यों हो जाती है ? समझाइए।
उत्तर
ईथर की जल में विलेयता साधारण नमक के संतृप्त विलयन की उपस्थिति में कम होने का प्रमुख कारण ईथर का एक दुर्बल ध्रुवीय (Weak polar) यौगिक होना है।

नमक का संतृप्त विलयन ईथर की ध्रुवीयता को कम करता है तथा Na और Cr आयन जल के अणुओं को अपनी ओर अधिक आकर्षित करते हैं, जिससे ईथर की विलेयता जल के अणुओं के कम सम्पर्क में आने के कारण घट जाती है।
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प्रश्न 2.
परिशुद्ध ऐल्कोहॉल क्या है ? इसे कैसे बनाया जाता है ?
उत्तर
100% एथेनॉल को परिशुद्ध (विशुद्ध) ऐल्कोहॉल कहते हैं। परिशोधित स्पिरिट में बेंजीन मिलाकर प्रभाजी आसवन करते हैं। 64.8% पर जल 7.4%, ऐल्कोहॉल 18.5% और बेंजीन 74.1% का स्थिर क्वथनांकी (Azeotropic) मिश्रण आसवित होता है। जल के दूर हो जाने के बाद 68:2°C पर ऐल्कोहॉल (32-4%) व बेंजीन (67.6%) का द्विअंगी मिश्रण आसवित होता है। जब सम्पूर्ण बेंजीन निकल जाती है तो 78-1°C पर विशुद्ध ऐल्कोहॉल आसवित होता है। इसमें 100% ऐल्कोहॉल होता है।

प्रश्न 3.
स्टार्च से एथिल ऐल्कोहॉल बनाने की विधि का समीकरण दीजिए एवं एन्जाइमों के नाम लिखिए।
उत्तर
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एन्जाइम-

  • डायस्टेज
  • माल्टेज
  • जाइमेज। .

प्रश्न 4.
ल्युकास अभिकर्मक क्या हैं ? इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल की पहचान किस प्रकार करेंगे? वर्णन कीजिए।
उत्तर
निर्जल ZnCl2 तथा सान्द्र HCl का मिश्रण ल्युकास अभिकर्मक कहलाता है।
1. तृतीयक ऐल्कोहॉल- सामान्य ताप पर यदि ऐल्कोहॉल में ल्युकास अभिकर्मक मिलाने से तुरंत एल्किल क्लोराइड्स का सफेद तेलीय अवक्षेप बनता है तो ऐल्कोहॉल, तृतीयक ऐल्कोहॉल होगा।

2.द्वितीयक ऐल्कोहॉल- सामान्य ताप पर यदि ऐल्कोहॉल में ल्युकास अभिकर्मक मिलाने से 5 मिनट पश्चात् सफेद तेलीय एल्किल क्लोराइड का अवक्षेप प्राप्त होता है, तो ऐल्कोहॉल द्वितीयक ऐल्कोहॉल होगा।

3. प्राथमिक ऐल्कोहॉल- सामान्य ताप पर यदि ऐल्कोहॉल ल्युकास अभिकर्मक के साथ कोई अभिक्रिया नहीं दर्शाता, तो प्राथमिक ऐल्कोहॉल होगा।

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प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक ईथरों की तुलना में उच्च होते हैं, क्यों?
अथवा, C2H5OH तथा CH3OCH3 दोनों का अणु सूत्र C2H6O है, किन्तु ऐल्कोहॉल का क्वथनांक 78.4°C तथा ईथर का क्वथनांक -240°C है। कारण समझाइए।
उत्तर
एथिल ऐल्कोहॉल में उसके अनेक अणु आपस में H-बन्ध द्वारा संगुणित (जुड़े) रहते हैं। इस प्रकार के अणुओं को वाष्पित करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ईथर के अणु एकल अवस्था में ही रहते हैं। अतः इसका क्वथनांक कम होता है।
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प्रश्न 6.
मेथिलेटेड स्प्रिट या विकृतीकृत ऐल्कोहॉल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
मेथिलेटेड स्प्रिट (Methylated Spirit)- परिशोधित स्प्रिट में मेथिल ऐल्कोहॉल और अन्य विषैले पदार्थ जैसे- पिरिडीन, रबर, थिनर, पेट्रोलियम, नेफ्था आदि मिलाकर विकृत कर दिया जाता है, तब इसे मेथिलेटेड स्प्रिट या विकृतीकृत ऐल्कोहॉल कहते हैं। इसका उपयोग स्प्रिट वार्निश बनाने के लिए किया जाता हैं। इससे शराब के रूप में एथेनॉल का दुरुपयोग रुक जाता है।

प्रश्न 7.
भाप अंगार गैस से CHJOH का निर्माण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर
भाप अंगार गैस से मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण जल-वाष्प के रक्त-तप्त कोयले पर प्रवाहित करने पर कार्बन मोनो-ऑक्साइड और हाइड्रोजन गैस का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे (Water gas) भाप अंगार गैस कहते हैं।
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जल गैस में हाइड्रोजन गैस 2 : 1 के अनुपात में मिलाकर मिश्रण को 200 वायुमण्डलीय दाब पर 300°C ताप पर Cu, Zn व Cr के Oxides (उत्प्रेरक) पर प्रवाहित करने पर मेथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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प्रश्न 8.
निम्नांकित परिवर्तनों के रासायनिक समीकरण दीजिए

  1. एथेनॉल से डाईएथिल ईथर
  2. डाईएथिल ईथर से एथेनॉल
  3. एथेनॉल से एथिल एसीटेट
  4. ग्लूकोज से एथेनॉल।

उत्तर
1. एथेनॉल से डाईएथिल ईथर-
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2. डाईएथिल ईथर से एथेनॉल
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3. एथेनॉल से एथिल एसीटेट
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4. ग्लूकोज से एथेनॉल
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प्रश्न 9.
फीनॉल और ऐल्कोहॉल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा, सारिणी बनाकर फीनॉल एवं ऐल्कोहॉल में कोई छः अन्तर कीजिए तथा फीनॉल से सम्बन्धित लीबरमान अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
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लीबरमान क्रिया- फीनॉल में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की कुछ बूंदें और थोड़ा सोडियम नाइट्राइट मिलाने से पहले गहरा नीला रंग उत्पन्न होता है। इसमें जल मिलाने पर रंग लाल हो जाता है तथा क्षारीय करने पर लाल रंग पुनः नीले रंग में बदल जाता है।

प्रश्न 10.
शुद्ध फीनॉलरंगहीन ठोस होता है, परन्तु कुछ समय पश्चात् वह गुलाबी रंग देता है, क्यों ? अथवा, ऑक्सीजन की उपस्थिति में फीनॉल किस रंग का होता है ? अभिक्रिया सहित समझाइए।
उत्तर
फीनॉल वायु के सम्पर्क में आने पर गुलाबी रंग का हो जाता है, क्योंकि वह वायु की 0, से ऑक्सीकृत होकर क्विनोन बनाता है
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यह क्विनोन पुनः फोनॉल के दो अणु के साथ हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़ जाता है जिससे गुलाबी रंग का फिनोक्विनोन बनता है।
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प्रश्न 11.
फीनॉल की फेरिक क्लोराइड से क्रिया बताइए।
उत्तर
फीनॉल की जाँच उदासीन FeCl3 द्वारा भी की जाती है। फीनॉल, उदासीन FeCl3 मिलाने पर एक जटिल लवण का निर्माण करते हुए बैंगनी रंग देता है।
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प्रश्न 12.
ऐल्कोहॉल का क्वथनांक संगत ऐल्केन की अपेक्षा उच्च होता है, क्यों?
उत्तर
लगभग समान अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक बहुत उच्च होते हैं। यह अंतराणुक हाइड्रोजन बंध के कारण होता है। ऐल्कोहॉल अणु हाइड्रोजन बंधों द्वारा संगुणित होते हैं जिनकी ऊर्जा लगभग 5 से 10 कि. कैलोरी मोल-होती है। अतः इन अणुओं के पृथक्करण हेतु अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो क्वथनांक में वृद्धि करते हैं । हाइड्रोकार्बन जो हाइड्रोजन बंध नहीं बनाते हैं उनके क्वथनांक सामान्यतः ऐल्कोहॉलों की अपेक्षा कम होते हैं।

प्रश्न 13.
एथिल ऐल्कोहॉल और फीनॉल दोनों में -OH समूह उपस्थित है ? क्या कारण है कि फीनॉल अम्लीय तथा ऐल्कोहॉल क्षारीय प्रभाव का है ?
अथवा, एथिल ऐल्कोहॉल तथा फीनॉल दोनों में OH समूह उपस्थित रहता है। क्या कारण है कि फीनॉल अम्लीय और ऐल्कोहॉल उदासीन प्रकृति का होता है ?
अथवा, फीनॉल के अम्लीय व्यवहार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
फीनॉल ऐल्कोहॉल की अपेक्षा प्रबल अम्लीय होते हैं, यह सम्भवत: मेसोमेरिक प्रभाव के कारण होता है। फोनॉल अग्रांकित रूपों का अनुनादी संकर है
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अनुनाद के कारण ऑक्सीजन परमाणु धन आवेश प्राप्त कर लेता है, जिससे यह 0-H बन्ध के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है और प्रोटॉन की मुक्ति सहज हो जाती है।
प्रोटॉन के मुक्त होने के बाद फीनॉक्साइड आयन बनता है, जो कि अनुनाद के कारण स्थायित्व प्राप्त कर लेता है।

चूँकि ऐल्कोहॉल में अनुनाद सम्भव नहीं होता है, इसलिए इसका हाइड्रोजन परमाणु ऑक्सीजन के साथ प्रबलता से जकड़ा रहता है । ऐल्कोहॉल इस कारण लगभग उदासीन यौगिक अथवा एक अत्यन्त दुर्बल अम्ल के समान व्यवहार प्रदर्शित करता है।
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प्रश्न 14.
प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक ऐल्कोहॉलों में विभिन्नता दर्शाने वाली विक्टर मेयर विधि लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 15.
विलियमसन की अविरल ईथरीकरण विधि क्या है ? क्या यह अविरल विधि है ? कारण दीजिए एवं विधि का नामांकित चित्र बनाइये।
अथवा, डाइएथिल ईथर बनाने की प्रयोगशाला विधि का नामांकित चित्र बनाइए एवं संबन्धित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
विलियमसन की अविरल ईथरीकरण विधि-एथिल ऐल्कोहॉल और सान्द्र H2SO4 के मिश्रण को 410 K पर गरम करके बनाया जाता है।
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इस अभिक्रिया में (ii) पद में H2SO4 पुनः – ऐल्कोहॉल उत्पन्न हो जाता है, जो C2H5OH से पद (i) के अनुसार क्रिया करके उसे पुनः ईथर में बदलता है। इस प्रकार यह क्रिया आगे चलती रहती है। इस कारण इस विधि को अविरल ईथरीकरण की विधि कहते हैं।
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वास्तव में यह विधि निरन्तर नहीं है, क्योंकि H2SO4 का SO4 में विघटन हो जाता है तथा कुछ समय बाद H2SO4 के तनु हो जाने पर अभिक्रिया चित्र-ईथर बनाने की प्रयोगशाला विधि मंद हो जाती है तथा H2SO4 की अधिक मात्रा बाद में मिलानी पड़ती है।

प्रश्न 16.
किण्वन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
किण्वन-जटिल कार्बनिक यौगिकों का एन्जाइम उत्प्रेरक की उपस्थिति में मन्द गति से सरल कार्बनिक यौगिकों में अपघटित होने की क्रिया को किण्वन कहते हैं । यीस्ट एक अच्छा किण्वक है, यह एक जीवित पदार्थ है, जिसमें एन्जाइम उपस्थित होते हैं। इसमें माल्टेज, जाइमेज, इनवर्टेज़ आदि एन्जाइम पाये जाते हैं।
किण्वन द्वारा ग्लूकोज में यीस्ट मिलाने पर एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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किण्वन की अनुकूल परिस्थितियाँ

  • अनुकूल ताप-25-35°C के बीच होता है।
  • अन्य पदार्थ-कुछ कार्बनिक लवण जैसे-अमोनियम सल्फेट या अमोनियम नाइट्रेट किण्वक के आहार का कार्य करते हैं।
  • सान्द्रण-विलयन तनु हो (सान्द्रता 8-10%)।
  • वायु संचार-यह क्रिया वायु की उपस्थिति में होती है।

प्रश्न 17.

  1. फीनॉल को बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से किस प्रकार प्राप्त करेंगे?
  2. डाइएथिल ईथर की HI अम्ल के साथ क्या क्रिया होती है ?

उत्तर
1. फीनॉल बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड के जलीय विलयन का भाप आसवन करके बनाया जाता है। N2C1
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2. सान्द्र HI के साथ डाइएथिल ईथर को गर्म करने पर एक अणु एथिल आयोडाइड का तथा एक अणु एथिल एल्कोहॉल बनता है।
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प्रश्न 18.
ऐसी दो अभिक्रियाएँ दीजिए जिनसे फोनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती हो, फीनॉल की अम्लता की तुलना एथेनॉल से कीजिए।
उत्तर
फीनॉल का अम्लीय गुण निम्न अभिक्रियाओं द्वारा दर्शाया जाता है
(क)
1. सक्रिय धातुओं से क्रिया (Na, K, Mg आदि)
हाइड्रोजन गैस का उत्पन्न होना।
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2. जलीय NaOH से क्रियाएँफीनॉल दुर्बल अम्ल की भाँति कार्य करता है जो NaOIl को उदासीन करता है। OH

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(ख) फोनॉल की अम्लता से एथेनॉल के साथ तुलना
C2H5OH + NaOH – कोई क्रिया नहीं
लेकिन फोनॉल NaOH से क्रिया दर्शाता है जो एथेनॉल की तुलना में प्रबल अम्लता दर्शाता है।
एथेनॉल और फीनॉल का आयनीकरण निम्न है
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फीनॉल और फोनॉक्साइड आयन संकरण अवस्था दर्शाता संकरण से फोनॉक्साइड आयन स्थायित्व ग्रहण करता है।

दूसरी ओर एथॉक्साइड आयन व एथेनॉल संकरण अवस्था नहीं दर्शाते अर्थात् एथॉक्साइड आयन में ऑक्सीजन पर ऋणात्मक आवेश उपस्थित रहता है। जबकि फीनॉक्साइड आयन में आवेश विस्थापित होता रहता है।

एथेनॉल का मान PKa मान 15:9 है जबकि फीनॉल के लिए PKa का मान 10.0 है। अतः फोनॉल, एथेनॉल की तुलना में कई गुना अधिक अम्लीय है।

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ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐल्कोहॉल में निर्जलीकरण की क्रियाविधि समझाइये।
उत्तर
ऐल्कोहाल का निर्जलीकरण-एथिल ऐल्कोहॉल को सान्द्र H2SO4 के आधिक्य में गर्म करने पर ऐल्कोहाल से जल के अणु निकलने से एल्कीन बनता है।
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क्रियाविधि-H2SO4 द्वारा ऐल्कोहाल का प्रोटॉनीकरण
1.
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2. जल का विलोपन
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3. क्षार (बाइसल्फेट आयन) द्वारा प्रोटॉन के रूप में हाइड्रोजन का निकलना
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निर्मित कार्बो केटायन (I) का स्थायित्व निर्जलीकरण की सरलता निर्धारित करता है एवं कार्बो केटायन के स्थायित्व का क्रम निम्न है
CH3 < C2H5 < आइसोप्रोपिल < तृतीयक ब्यूटिल

प्रश्न 2.
शीरे से एथिल ऐल्कोहॉल कैसे प्राप्त करते हैं ? संक्षेप में समझाइए एवं क्रिया का समीकरण दीजिए।
अथवा, शीरा क्या है ? किण्वन विधि द्वारा ऐल्कोहॉल कैसे बनाया जाता है ? समझाइये।
उत्तर
गन्ने के रस से शक्कर के क्रिस्टल पृथक् कर लेने के पश्चात् पीले गाढ़े रंग का चासनी जैसा द्रव बचता है, जिसे शीरा (molasses) कहते हैं। शीरे से ऐल्कोहॉल का निर्माण निम्नलिखित पदों में किया जाता है

1. तनुकरण- शीरे में जल मिलाकर 8-10% तनु करते हैं और इसमें थोड़ी मात्रा में अमोनियम सल्फेट, अमोनियम और फॉस्फेट, सल्फ्यूरिक अम्ल मिला दिये जाते हैं।

2. किण्वन- उक्त विलयन में यीस्ट (लगभग 5%) मिला दिया जाता है। मिश्रण को 2-3 दिन के लिए 25-30°C ताप पर रख देते हैं। कुछ समय पश्चात् वायु प्रवाहित करते हैं । यीस्ट में उपस्थित एन्जाइमों की उत्प्रेरक क्रियाओं द्वारा एथेनॉल बन जाता है।
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प्राप्त किण्वन द्रव को वाश (Wash) कहते हैं, जिसमें 6-10% C2H5OH तथा शेष जल और अन्य अशुद्धियाँ होती हैं।

3. आसवन- वाश का आसवन कॉफे भभके में किया जाता है। इसमें दो स्तम्भ होते हैं-विश्लेषक (analyser) तथा परिशोधक (rectifier) जो एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।

वाश को एक सर्पिलाकार नली द्वारा परिशोधक में से प्रवाहित करते हैं । प्राप्त गर्म वाष्प को विश्लेषक के ऊपरी भाग से मन्द गति से गिराते हैं। विश्लेषक में ऊपर की ओर जा रही भाप नीचे की ओर आ रहे वाश के सम्पर्क मे आती है तथा उसमें ऐल्कोहॉल को वाष्पित करती है । ऐल्काहाल का क्वथनांक 78.3°C ह । अतः यह वाष्प में आगे बढ़ता जाता है। इन वाष्पों को संघनित करने से लगभग 90% ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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4. परिशोधन- वाश का परिशोधन प्रभाजी आसवन से करते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को कैसे परिवर्तित करेंगे

  1. मेथेनॉल से एथेनॉल
  2. एथेनॉल से मेथेनॉल।

उत्तर
1. मेथेनॉल से एथेनॉल
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2. एथेनॉल से मेथेनॉल
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प्रश्न 4.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल में विभेद की ऑक्सीकरण एवं विहाइड्रोजनीकरण विधि को समझाइये।
उत्तर
1. ऑक्सीकरण विधि-इसे निम्न सारिणी द्वारा दर्शा सकते हैं
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2. विहाइड्रोजनीकरण (Dehydrogenation) परीक्षण-जब ऐल्कोहॉल की वाष्पों को अपचयित एवं गर्म ताँबे पर 300°C पर प्रवाहित किया जाता है तब विभिन्न ऐल्कोहॉल से भिन्न-भिन्न क्रियाफल प्राप्त होते हैं।
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प्रश्न 5.
फीनॉल से निम्न कैसे प्राप्त करोगे-(समीकरण दीजिए)

  1. 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोफीनॉल,
  2. 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल,
  3. बेंजीन,
  4. आर्थो एवं पैरा-क्रिसॉल,
  5. ट्राइब्रोमो फीनॉल,
  6. पिक्रिक अम्ल,
  7. ऐनिलीन,
  8. फीनॉल्पथैलीन,
  9. p-क्रिसॉल।

उत्तर
फीनॉल से निम्न को बनाना
1. 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोफीनॉलOH
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2. 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल
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3. बेंजीन
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4. 0-एवं p – क्रिसॉल
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5. फीनॉल से ट्राइब्रोमोफीनॉल- फीनॉल की जलीय ब्रोमीन के साथ क्रिया कराने पर ट्राइब्रोमोफोनॉल बनता है।
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6. फीनॉल से पिक्रिक अम्ल
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7. फीनॉल से ऎनिलीन
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8. फीनॉल से फीनॉल्फ्थै लीन-फीनॉल की सान्द्र H2SO4 अम्ल की उपस्थिति में थैलिक ऐनहाइड्राइड के साथ गर्म करने पर फीनॉल्पथैलीन बनती है, जो क्षार के साथ लाल रंग देती है। अत: इसका उपयोग अनुमापन में सूचक (indicator) के रूप में किया जाता है।
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9. फीनॉल से पैरा-क्रिसॉल-फीनॉल की निर्जल AICI3 की उपस्थिति में मेथिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया करने पर p- क्रिसॉल मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है और अल्प मात्रा में o- क्रिसॉल भी बनता है। इस अभिक्रिया को फ्रीडल-क्राफ्ट अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 6.
निम्नांकित परिवर्तनों के रासायनिक समीकरण दीजिये

  1. ऐथेनॉल से डाइएथिल ईथर,
  2. डाइएथिल ईथरसे ऐथेनॉल,
  3. ऐथेनॉल से एथिल ऐसीटेट,
  4. ग्लूकोज से ऐथेनॉल।

उत्तर
परिवर्तनों के रासायनिक समीकरण
1. ऐथेनॉल से डाइएथिल ईथर –
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2. डाइएथिल ईथर से ऐथेनॉल
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3. ऐथेनॉल से एथिल ऐसीटेट
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4. ग्लूकोज से ऐथेनॉल
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प्रश्न 7.
लकड़ी के भंजक आसवन से मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
लकड़ी का 400°C पर भंजक आसवन (अर्थात् वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर) करने पर उत्पन्न होने वाली वाष्पों को संघनित्र में प्रवाहित करते हैं तथा कुछ गैसें द्रवित हो जाती हैं। यह द्रव दो परतें बनाती हैं। नीचे काष्ठ तार (Wood tar) होता है और ऊपर अम्लीय व भूरे रंग की एक परत होती है, जिसे पायरो लिग्नियस अम्ल कहते हैं। इसमें जल के अतिरिक्त ऐसीटिक अम्ल (8-10%), मेथेनॉल (2-4%) और ऐसीटोन (0-5) होता है।

पाइरो लिग्नियस अम्ल से शुद्ध मेथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त करना-पाइरो लिग्नियस अम्ल को एक ताँबे के पात्र में गर्म करते हैं और वाष्प को उबलते हुए चूने के पानी में प्रवाहित करते हैं । ऐसीटिक अम्ल अवाष्पशील कैल्सियम ऐसीटेट के रूप में पृथक् हो जाता है। इस पर H2SO4 की क्रिया से CH3COOH प्राप्त करते हैं।
2CH3COOH + Ca(OH)2 →(CH3COO)2 Ca+2H2 O
(CH3COO)2 Ca + H2S04→+2CH3.COOH + CaSO4

बिना शोषित हुए गैसों को संघनित्र के द्वारा द्रवित कर लिया जाता है। इसमें मेथिल ऐल्कोहॉल व ऐसीटोन होता है, जिसका प्रभाजी आसवन करके ऐसीटोन (56°C) व मेथिल ऐल्कोहॉलं (65°C) को अलग-अलग प्राप्त कर लेते हैं।

मेथिल ऐल्कोहॉल का शोधन- अशुद्ध मेथिल ऐल्कोहॉल में निर्जल CaCl2 मिलाते हैं, जिससे CaCl2.4CH3OH सूत्र का एक क्रिस्टलीय यौगिक (कैल्सियम क्लोराइड टेट्रा मेथेनॉल) प्राप्त होता है, इसे पृथक् करके जल के साथ उबालते हैं और आसवन करते हैं। मेथिल ऐल्कोहॉल का जलीय विलयन आसवित होता है। इसे बिना बुझा चूना (CaO) पर सुखाकर पुनः आसवित करने पर 65°C पर शुद्ध मेथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।

प्रश्न 8.
फीनॉल बनाने के तीन विधियों का समीकरण दीजिए।
उत्तर
फीनॉल बनाने की विधियाँ
1. बेंजीन डाइएजोनियम लवणों का जल-अपघटन-एरोमैटिक प्राथमिक एमीन (एनिलीन) को नाइट्रस अम्ल (NaNO2 + HCI) के साथ 0-5°C ताप पर बेंजीन डाइएजोनियम लवण बनता है। इस लवण के जलीय विलयन को उबालने पर फीनॉल प्राप्त होता है।
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2. सोडियम बेंजीन सल्फोनेट के क्षारीय गलन- सोडियम बेंजीन सल्फोनेट को NaOH के साथ संगलित करने पर सोडियम फीनॉक्साइड बनता है जिसे अम्लीकृत करने पर फीनॉल बनता है।
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3. रेशिग विधि- बेंजीन की HCl अम्ल और वायु के मिश्रण के साथ Cu उत्प्ररेक की उपस्थिति में 230°C ताप पर गर्म करने पर क्लोरो बेंजीन बनता है। फिर इसका जल-अपघटन करने पर फीनॉल बनता है।
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