MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

MP Board Class 10th Science Chapter 15 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न शृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 289

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?
उत्तर:
कुछ पदार्थों का मृतोपजीवियों या मृतजीवी अथवा अपघटक एवं जीवाणुओं द्वारा अपघटन या पाचन हो जाता है। इसलिए वे पदार्थ जटिल में सरल में अपघटित हो जाते हैं अथवा जैव निम्नीकरणीय होते हैं लेकिन कुछ पदार्थों का अपघटन नहीं होता इसलिए वे अजैव निम्नीकरणीय होते हैं।

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प्रश्न 2.
ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का पर्यावरण पर प्रभाव:

  1. अगर जैव निम्नीकरणीय पदार्थों की मात्रा इतनी हो कि वे सूक्ष्मजीवी अपघटकों द्वारा विघटित किए जा सकें तो वे पारिस्थितिक तन्त्र को न केवल सन्तुलित रखते हैं अपितु उपयोगी सिद्ध होते हैं।
  2. अगर जैव निम्नीकरणीय पदार्थों की मात्रा इतनी अधिक हो कि वे सूक्ष्मजीवी अपघटनों द्वारा विघटित न हो सकें तो ऐसे पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करने लगते हैं।

प्रश्न 3.
ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का पर्यावरण पर प्रभाव:

  1. ये पदार्थ कचरे की तरह एकत्रित होते रहते हैं तथा इनका प्रबन्धन करना कठिन होता है तथा ये प्रदूषण पैदा करते हैं।
  2. ये पदार्थ खाद्य श्रृंखला में एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर तक स्थानान्तरित होने के कारण इनका जैविक आवर्धन होता है।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 294

प्रश्न 1.
पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बताइए।
उत्तर:
पोषी स्तर:
“खाद्य शृंखला (आहार श्रृंखला) के विभिन्न चरणों को जहाँ पर भोजन अथवा ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है, पोषी स्तर कहते हैं।”
आहार श्रृंखला एवं पोषी स्तर का उदाहरण –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1

प्रश्न 2.
पारितन्त्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है?
उत्तर:
पारितन्त्र में अपमार्जकों की भूमिका-अपमार्जक (अपघटक सूक्ष्मजीवी) उत्पादकों एवं विभिन्न प्रकार के उपभोक्ताओं के मृत शरीर का अपघटन करके जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं जिनको उत्पादकों (पौधों) द्वारा मृदा में पोषण के लिए अवशोषण कर लिया जाता है।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 296

प्रश्न 1.
ओजोन क्या है? यह किसी पारितन्त्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर:
ओजोन:
ओजोन ऑक्सीजन का एक अपररूप है जिसके एक अणु में ऑक्सीजन के तीन परमाणु होते हैं। इस गैस का अणुसूत्र O3 होता है। ओजोन का पारितन्त्र पर प्रभाव-ओजोन वायुमण्डल में एक सुरक्षात्मक परत का निर्माण करती है जो सूर्य से आने वाली घातक पराबैंगनी किरणों को रोकती है तथा वैश्विक ऊष्मण (ग्लोबल वार्मिंग) पौधाघर प्रभाव (ग्रीन हाउस प्रभाव) आदि से बचाव करती है। पराबैंगनी किरणों से होने वाले घातक रोगों त्वचा कैन्सर, आँख के रोग (मोतियाबिन्द, आँख के घाव) आदि से बचाव करती है।

प्रश्न 2.
आप कचरा निपटान की समस्या को कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कचरा निपटान प्रबन्धन में योगदान:

  1. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों; जैसे-प्लास्टिक एवं पॉलीथीन आदि के उपयोग को बन्द करके जैव निम्नीकरणीय पदार्थों; जैसे-कागज, मिट्टी आदि की बनी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।
  2. कचरे का पुनः चक्रण करके पुनः उपयोग में लाना चाहिए।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा।
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक।
(c) फलों के छिलके, केक तथा नींबू का रस।
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर:
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा।
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस।
(d) केक, लकड़ी तथा घास।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं? (2019)
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बलरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी।
उत्तर:
(b) घास, बकरी तथा मानव।

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं?
(a) बाजार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना।
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बन्द करना।
(c) माँ द्वारा स्कूटर से विद्यालय छोड़ने के बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर;
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें)?
उत्तर:
यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें) तो उसके ऊपर वाले पोषी स्तर के जीव पोषण के अभाव में धीरे-धीरे नष्ट हो जाएँगे तथा नीचे वाले पोषी स्तर में जीवों की संख्या अत्यधिक बढ़ती जायेगी फिर उनमें जीवन संघर्ष होगा।

प्रश्न 5.
क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितन्त्र को प्रभावित किए बिना हटाना सम्भव है?
उत्तर:
हाँ, किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने पर उससे नीचे के पोषी स्तरों एवं ऊपर के पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा। हाँ, किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितन्त्र को प्रभावित किए बिना हटाना सम्भव है यदि हम उच्चतम पोषी स्तर को हटा दें अर्थात् अपमार्जकों को हटाना पारितन्त्र को प्रभावित करेगा क्योंकि फिर मृतजीवों का अपघटन नहीं होगा।

प्रश्न 6.
जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है? क्या पारितन्त्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
उत्तर:
जैविक आवर्धन (Biological magnification):
“पौधों एवं फसलों को रोग मुक्त रखने एवं पीड़कों से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशी, फफूंदनाशी, खरपतवारनाशी एवं पीड़कनाशी आदि रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन रसायनों का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करना पौधों के माध्यम से खाद्य श्रृंखला के विभिन्न पोषण स्तरों में प्रवेश कर जाते हैं तथा वहाँ संचित होने लगते हैं। इस परिघटना को जैविक आवर्धन कहते हैं।” हाँ, पारितन्त्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है। चूँकि मनुष्य आहार श्रृंखला में शीर्षस्थ होता है अतः मनुष्य के जैविक आवर्धन सर्वाधिक होता है।

प्रश्न 7.
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से उत्पन्न समस्याएँ:
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरा जैसे पॉलीथीन आदि एवं विभिन्न रसायनों का जैव अपघटकों द्वारा अपघटन एवं अपमार्जन नहीं होता। अतः ये पर्यावरण में एकत्रित होते जाते हैं और चारों ओर इस कचरे के ढेर लग जाते हैं। पर्यावरण प्रदूषित होता है। प्रमुखतः मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ पैदा होती हैं। कचरे के ढेर की वजह से भू-भाग बेकार हो जाते हैं। जैविक आवर्धन होता है। जब इस कचरे को गाय आदि पशु खाते हैं तो उनके मरने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।

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प्रश्न 8.
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इसका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?
उत्तर:
हमारे द्वारा उत्पादित जैव निम्नीकरणीय कचरा यदि अल्पमात्रा में हो तो उसका सूक्ष्मजीवियों द्वारा अपघटन हो जाता है और अमूल्य खाद्य का निर्माण होता है जिसका पुनः उपयोग पोषण के लिए पौधों द्वारा कर लिया जाता है, हालांकि इससे दुर्गन्ध युक्त गैसों का निर्माण होता है जो वातावरण को दुर्गन्ध से भर देती हैं और यदि कचरा अत्यधिक है तो उसका अपघटन एवं निपटान कठिन ही नहीं अपितु असम्भव हो जाता है जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है और विभिन्न बीमारियों को आमन्त्रित करता है।

प्रश्न 9.
ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिन्ता का विषय क्यों है? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर:
ओजोन परत की क्षति (क्षरण) हमारे लिए चिन्ता का विषय इसलिए है क्योंकि इसके अनेक दुष्परिणाम हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  1. ओजोन परत के क्षरण के कारण सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरण वायुमण्डल में प्रवेश कर जाती है जिससे त्वचा कैन्सर हो जाता है।
  2. मनुष्य की त्वचा की ऊपरी सतह की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं से हिस्टामिन नामक रासायनिक पदार्थ स्रावित होता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है। फलस्वरूप अल्सर, निमोनिया, ब्रोन्काइटिस जैसी भयानक बीमारियाँ होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।
  3. इससे आनुवंशिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं तथा चिरकालिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
  4. पराबैंगनी विकिरण से आँख के घातक रोग, मोतियाबिन्द, आँख में घाव एवं सूजन हो जाती है।
  5. ओजोन क्षरण से वायुमण्डल का ताप बढ़ जाता है।
  6. इसके सूक्ष्मजीवी एवं वनस्पतियों पर घातक प्रभाव पड़ते हैं। वनस्पतियों में प्रोटीन की कमी हो जाती है। प्रकाश-संश्लेषण एवं चयापचय क्रियाएँ प्रभावित होती हैं।
  7. इसके कारण खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। उत्पादक शैवाल नष्ट हो जाते हैं। शैवालों के नष्ट होने से जलीय जीव मछलियाँ, जलीय पक्षी, समुद्र में रहने वाले स्तनी जीव आदि प्रभावित होते हैं।
  8. ओजोन परत की क्षति को सीमित करने के लिए उठाए गए कदम-ओजोन परत की क्षति क्लोरोफ्लोरो-कार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड तथा मीथेन गैसों के कारण होती है। क्लोरोफ्लोरो-कार्बन सर्वाधिक क्षति पहुँचाता है। इसका विकल्प तलाशा जा रहा है तथा ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 15 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में कौन-सा मानव रचित (कृत्रिम) पारितन्त्र है –
(a) पोखर।
(b) खेत।
(c) झील।
(d) जंगल।
उत्तर:
(b) खेत।

प्रश्न 2.
किसी आहार श्रृंखला में तृतीय पोषण स्तर पर सदैव होते हैं –
(a) माँसाहारी।
(b) शाकाहारी।
(c) अपघटक।
(d) उत्पादक।
उत्तर:
(a) माँसाहारी।

प्रश्न 3.
एक पारितन्त्र में होते हैं –
(a) सभी सजीव।
(b) सभी अजैव वस्तुएँ।
(c) सभी सजीव एवं अजैव वस्तुएँ।
(d) कभी सजीव कभी अजैव वस्तुएँ।
उत्तर:
(c) सभी सजीव एवं अजैव वस्तुएँ।

प्रश्न 4.
एक दी हुई खाद्य श्रृंखला में मान लीजिए चतुर्थ पोषण स्तर पर 5 k J ऊर्जा की मात्रा है तो उपभोक्ता स्तर पर कितनी ऊर्जा उपलब्ध होगी?
घास → टिड्डे → मेंढक → सर्प → चील (गिद्ध)
(a) 5 k J
(b) 50 k J
(c) 500 k J
(d) 5000 k J
उत्तर:
(d) 5000 k J

प्रश्न 5.
अजैव निम्नकरणीय पीड़कनाशकों का आहार श्रृंखला के प्रत्येक पोषण स्तर पर बढ़ती मात्रा में संचयन कहलाता है –
(a) पोषण।
(b) प्रदूषण।
(c) जैव-आवर्धन।
(d) सम्मिश्रण।
उत्तर:
(c) जैव-आवर्धन।

प्रश्न 6.
ओजोन परत का क्षरण मुख्य रूप से इस कारण है –
(a) क्लोरोफ्लोरो-कार्बन।
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड।
(c) मीथेन।
(d) पीड़कनाशक।
उत्तर:
(a) क्लोरोफ्लोरो-कार्बन।

प्रश्न 7.
वे जीव जो अकार्बनिक यौगिकों से विकिरण ऊर्जा का प्रयोग करके कार्बोहाइड्रेट्स में संश्लेषण करते हैं, कहलाते हैं –
(a) अपघटक।
(b) उत्पादक।
(c) शाकाहारी।
(d) माँसाहारी।
उत्तर:
(b) उत्पादक।

प्रश्न 8.
पारितन्त्र में 10% ऊर्जा उपलब्ध होती है। एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर में स्थानान्तरण हेतु निम्न के रूप में –
(a) ऊष्मीय ऊर्जा।
(b) प्रकाश ऊर्जा।
(c) रासायनिक ऊर्जा।
(d) यान्त्रिक ऊर्जा।
उत्तर:
(c) रासायनिक ऊर्जा।

प्रश्न 9.
उच्चतर पोषण स्तर के जीव जो निम्न पोषण स्तर के अनेक प्रकार के जीवों पर पोषण के लिए निर्भर होते हैं, बनाते हैं –
(a) आहार (खाद्य) जाल।
(b) पारितन्त्र का पिरामिड।
(c) पारितन्त्र।
(d) आहार (खाद्य) शृंखला।
उत्तर:
(a) आहार (खाद्य) जाल।

प्रश्न 10.
पारितन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह सदैव होता है –
(a) एकदैशिक।
(b) द्वि-दैशिक।
(c) बहु-दैशिक।
(d) कोई निश्चित दिशा नहीं।
उत्तर:
(a) एकदैशिक।

प्रश्न 11.
अधिक देर तक मनुष्य का पराबैंगनी विकिरण में खुले रहने का परिणाम होता है –
(i) प्रतिरक्षण तन्त्र का नष्ट होना
(ii) फेफड़ों का नष्ट होना
(iii) चर्म कैंसर
(iv) आमाशयिक अल्सर।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (ii) एवं (iv)
(c) (i) एवं (iii)
(d) (iii) एवं (iv)
उत्तर:
(c) (i) एवं (iii)

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प्रश्न 12.
वस्तुओं के निम्न समूहों में से किनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं?
(i) लकड़ी, कागज, चमड़ा।
(ii) पॉलीथीन, डिटर्जेण्ट, PVC।
(iii) प्लास्टिक, डिटर्जेण्ट, घास।
(iv) प्लास्टिक, बैकेलाइट, DDT।
(a) (iii)
(b) (iv)
(c) (i) एवं (iii)
(d) (ii), (iii) एवं (iv)
उत्तर:
(d) (ii), (iii) एवं (iv)

प्रश्न 13.
एक खाद्य श्रृंखला में पोषण स्तरों को कौन सीमित करता है?
(a) उच्चतर पोषण स्तर में ऊर्जा का कम होना।
(b) अपर्याप्त खाद्य आपूर्ति।
(c) प्रदूषित वायु।
(d) जल।
उत्तर:
(a) उच्चतर पोषण स्तर में ऊर्जा का कम होना।

प्रश्न 14.
निम्न में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) सभी हरे पेड़-पौधे एवं हरी-नीली ऐल्गी उत्पादक होते हैं।
(b) हरे पौधे अपना भोजन कार्बनिक यौगिकों से लेते हैं।
(c) उत्पादक अपना भोजन अकार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं।
(d) पौधे सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं।
उत्तर:
(b) हरे पौधे अपना भोजन कार्बनिक यौगिकों से लेते हैं।

प्रश्न 15.
कौन-से जैव समूह आहार श्रृंखला का निर्माण नहीं करते?
(i) घास, शेर, खरगोश, भेड़िया।
(ii) जलीय पौधे, मनुष्य, मछली, टिड्डे।
(iii) भेड़िया, घास, सर्प, चीता।
(iv) मेंढक, सर्प, चील, घास, टिड्डे।
(a) (i) एवं (iii)
(b) (iii) एवं (iv)
(c) (ii) एवं (iii)
(d) (i) एवं (iv)
उत्तर:
(c) (ii) एवं (iii)

प्रश्न 16.
हरे पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण के लिए सौर विकिरण की ऊर्जा का निम्न प्रतिशत भाग अवशोषित किया जाता है –
(a) 1%
(b) 5%
(c) 8%
(d) 10%
उत्तर:
(a) 1%

प्रश्न 17.
संलग्न चित्र के विभिन्न पोषण स्तर दिखाए गए हैं। एक पिरामिड के रूप में किस पोषण स्तर में सर्वाधिक ऊर्जा उपलब्ध होती है?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 2
(a) T4
(b) T2
(c) T1
(d) T3
उत्तर:
(c) T1

प्रश्न 18.
क्या होगा यदि दी हुई आहार (खाद्य) श्रृंखला से हिरन गायब हो जाएँ –
घास → हिरन → चीता
(a) चीतों की जनसंख्या बढ़ जायेगी।
(b) घास की मात्रा (जनसंख्या) बढ़ जाएगी।
(c) चीते घास खाना प्रारम्भ कर देंगे।
(d) चीतों की जनसंख्या घट जाएगी और घास की जनसंख्या बढ़ जाएगी।
उत्तर:
(d) चीतों की जनसंख्या घट जाएगी और घास की जनसंख्या बढ़ जाएगी।

प्रश्न 19.
किसी पारितन्त्र में अपघटक –
(a) अकार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में परिवर्तित करते हैं।
(b) कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक रूप में परिवर्तित करते हैं।
(c) अकार्बनिक पदार्थों को कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित करते हैं।
(d) कार्बनिक पदार्थों को अपघटित नहीं करते।
उत्तर:
(b) कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक रूप में परिवर्तित करते हैं।

प्रश्न 20.
यदि एक टिड्डे को मेंढक खा जाता है तब ऊर्जा का स्थानान्तरण होगा –
(a) उत्पादक से अपघटक को।
(b) उत्पादक से प्राथमिक उपभोक्ता को।
(c) प्राथमिक उपभोक्ता से द्वितीयक उपभोक्ता को।
(d) द्वितीय उपभोक्ता से प्राथमिक उपभोक्ता को।
उत्तर:
(c) प्राथमिक उपभोक्ता से द्वितीयक उपभोक्ता को।

प्रश्न 21.
डिस्पोजेवल प्लास्टिक प्लेटों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि –
(a) वे हल्के वजन के पदार्थों से बने होते हैं।
(b) वे विषाक्त पदार्थों से बने होते हैं।
(c) वे जैव निम्नीकरणीय पदार्थों से बने होते हैं।
(d) वे अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों से बने होते हैं।
उत्तर:
(d) वे अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों से बने होते हैं।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर के लिए ऊर्जा का स्थानान्तरण …….प्रतिशत होता है। (2019)
  2. हरे पौधे प्रकाश-संश्लेषण के लिए सौर विकिरण ऊर्जा का केवल ……….. प्रतिशत भाग अवशोषित करते हैं।
  3. एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर को ऊर्जा का भाग ………. जाता है।
  4. मनुष्य …….. जीव है।
  5. किसी आहार (खाद्य) श्रृंखला में केवल ……….. पोषण स्तर ही हो सकते हैं।

उत्तर:

  1. दस।
  2. एक।
  3. घटता।
  4. सर्वाहारी।
  5. चार-पाँच।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 3
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. कुत्ता सर्वाहारी है।
  2. मनुष्य अपना भोजन स्वयं पकाता है, इसलिए उत्पादक है।
  3. क्लोरोफ्लोरो-कार्बन ओजोन परत को क्षीण करती है।
  4. पृथ्वी की सतह से ऊपर वायु से घिरा क्षेत्र पर्यावरण कहलाता है।
  5. ओजोन परत पराबैंगनी विकिरण को रोकता है।

उत्तर:

  1. सत्य।
  2. असत्य।
  3. सत्य।
  4. असत्य।
  5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. जो पदार्थ सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित होते हैं, क्या कहलाते हैं?
  2. जो पदार्थ सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित नहीं होते हैं, क्या कहलाते हैं?
  3. पौधे अपना भोजन किस प्रक्रिया द्वारा बनाते हैं?
  4. अपघटक मृतजीवों को किस प्रकार के पदार्थों में अपघटित करते हैं?
  5. अनेक आहार श्रृंखलाओं का एक संयुक्त समूह क्या कहलाता है?

उत्तर:

  1. जैव निम्नीकरणीय।
  2. अजैव निम्नीकरणीय।
  3. प्रकाश-संश्लेषण।
  4. सरल अकार्बनिक।
  5. आहार (खाद्य) जाल।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण क्या है?
उत्तर:
पर्यावरण:
“चारों ओर की उन बाहरी दशाओं का सम्पूर्ण योग, जिसके अन्दर एक जीव या समुदाय रहता है, पर्यावरण कहलाता है।”

प्रश्न 2.
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ:
“वे पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों द्वारा आसानी से अपघटित हो जाते हैं तथा अपघटन के बाद हानिकारक पदार्थ नहीं बनते, जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं।”

उदाहरण:
घरेलू अपशिष्ट, मलमूत्र, वाहितमल, कृषि एवं जन्तु अपशिष्ट आदि।

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प्रश्न 3.
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ-“वे पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित नहीं होते, अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं।” ।

उदाहरण:
विभिन्न कृषि रसायन, पॉलीथीन, कृत्रिम रेशे आदि।

प्रश्न 4.
अपशिष्ट किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अपशिष्ट:
“उपयोग के बाद त्यागा गया पदार्थ जो वातावरण को प्रदूषित करता है, अपशिष्ट कहलाता है।”

उदाहरण:
घरेलू अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट, पॉलीथीन आदि।

प्रश्न 5.
पारिस्थितिकी क्या है? पारिस्थितिक तन्त्र के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
पारिस्थितिकी:
“विज्ञान की वह शाखा, जिसमें पारिस्थितिक तन्त्र का अध्ययन किया जाता है, पारिस्थितिकी कहलाती है।”

पारिस्थितिक तन्त्र के प्रमुख घटक-इसके दो घटक हैं –

  1. जैविक घटक।
  2. अजैविक घटक।

प्रश्न 6.
जैविक घटक क्या हैं? कार्य के आधार पर जैविक घटकों को कौन-कौन से भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
जैविक घटक:
“पारिस्थितिक तन्त्र के वे घटक जो सजीव होते हैं, जैविक घटक कहलाते हैं।”

जैविक घटकों को कार्य के आधार पर निम्न तीन भागों में बाँटा गया है –

  1. उत्पादक।
  2. उपभोक्ता।
  3. अपघटक (अपमार्जक)।

प्रश्न 7.
उत्पादक किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
उत्पादक:
“जो जीव अपने पोषण के लिए सौर ऊर्जा एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल को प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित कर देते हैं, उन्हें उत्पादक कहते हैं।”

उदाहरण: हरे पेड़-पौधे और हरी, नीली शैवाल (ऐल्गी)।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता:
“वे जीव जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने पोषण के लिए पौधों (उत्पादकों) पर निर्भर करते हैं तथा अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते, उपभोक्ता कहलाते हैं।

उदाहरण: सभी प्रकार के जन्तु।

प्रश्न 9.
पोषण के आधार पर उपभोक्ताओं को किन-किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
पोषण के आधार पर उपभोक्ताओं को निम्न तीन भागों में बाँटा गया है –

  1. शाकाहारी।
  2. माँसाहारी।
  3. सर्वाहारी।

प्रश्न 10.
शाकाहारी से क्या समझते हो? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
शाकाहारी: “वे उपभोक्ता जो अपने पोषण के लिए केवल पेड़-पौधों पर निर्भर रहते हैं, शाकाहारी कहलाते हैं।”

उदाहरण: भेड़-बकरी प्रायः सभी पालतू पशु एवं खरगोश आदि।

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प्रश्न 11.
माँसाहारी किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
माँसाहारी:
“वे जन्तु जो अपने पोषण के लिए केवल जन्तुओं पर निर्भर करते हैं अर्थात् उनके माँस का भक्षण करते हैं, माँसाहारी कहलाते हैं।”

उदाहरण: भेड़िया, शेर, बिल्ली आदि।

प्रश्न 12.
सर्वाहारी क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सर्वाहारी:
“वे जन्तु जो अपने पोषण के लिए पेड़-पौधों एवं जन्तुओं दोनों पर निर्भर रहते हैं, सर्वाहारी कहलाते हैं।”

उदाहरण: मनुष्य, कुत्ता, कौआ आदि।

प्रश्न 13.
अजैविक घटक क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अजैविक घटक:
“पारितन्त्र के कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ तथा भौतिक वातावरण आदि सभी अजैव पदार्थ अजैविक घटक कहलाते हैं।”

उदाहरण:
कार्बनिक पदार्थ – कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि।
अकार्बनिक पदार्थ – हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।
भौतिक वातावरण – प्रकाश, ताप आदि।

प्रश्न 14.
आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला) किसे कहते हैं?
उत्तर:
आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला):
“भोजन रूपी ऊर्जा की जीवों में क्रमिक रूपान्तरण की श्रृंखला आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला) कहलाती है।”

प्रश्न 15.
खाद्य जाल (आहार जाल) किसे कहते हैं?
उत्तर:
आहार जाल (खाद्य जाल):
“जब अनेक खाद्य शृंखलाएँ परस्पर मिलकर एक जटिल पथ बनाती है तो एक जाल-सा बनता है, जिसे आहार जाल (खाद्य जाल) कहते हैं।”

प्रश्न 16.
ग्रीन हाउस गैसें किन्हें कहते हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस गैसें:
“जो गैसें पौधा घर प्रभाव (ग्रीन हाउस प्रभाव) उत्पन्न करती हैं, ग्रीन हाउस गैसें कहलाती हैं।”

उदाहरण:
कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड एवं क्लोरोफ्लोरो-कार्बन आदि।

प्रश्न 17.
ग्लोबल वार्मिंग से क्या समझते हो?
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग:
“मानव के क्रियाकलापों के फलस्वरूप ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण सम्पूर्ण पृथ्वी का तापमान बढ़कर सामान्य तापमान से अधिक हो रहा है, यह घटना ग्लोबल वार्मिंग कहलाती है।”

प्रश्न 18.
ओजोन परत क्या है? यह क्यों क्षीण हो रही है?
उत्तर:
ओजोन परत:
“हमारे वायुमण्डल में समुद्र सतह से 32 से 80 किमी तक ओजोन की एक मोटी परत पाई जाती है, जिसे ओजोन परत कहते हैं।” ओजोन परत ऐरोसॉल (क्लोरोफ्लोरो-कार्बन) जैसे प्रदूषकों की उपस्थिति के कारण क्षीण हो रही है।

प्रश्न 19.
अम्ल वर्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
अम्ल वर्षा:
वायुमण्डल में जब अम्लीय गैसें; जैसे-CO2, SO2, SO3 एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड एकत्रित हो जाते हैं तो वर्षा के जल में घुलकर अम्ल बनकर बरसते हैं, जिसे अम्ल वर्षा कहते हैं।

प्रश्न 20.
यदि किसी खाद्य श्रृंखला के प्रथम पोषी स्तर पर 10,000 जूल ऊर्जा उपलब्ध है, तो द्वितीय पोषी स्तर के जीवों को कितनी ऊर्जा उपलब्ध होगी?
उत्तर:
द्वितीय पोषी स्तर के जीवों के लिए उपलब्ध –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 4

प्रश्न 21.
ओजोन परत की क्षति चिन्ता का विषय है, क्यों?
उत्तर:
ओजोन परत की क्षति (क्षरण) हमारे लिए चिन्ता का विषय इसलिए है क्योंकि इसके अनेक दुष्परिणाम हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  1. ओजोन परत के क्षरण के कारण सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरण वायुमण्डल में प्रवेश कर जाती है जिससे त्वचा कैन्सर हो जाता है।
  2. मनुष्य की त्वचा की ऊपरी सतह की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं से हिस्टामिन नामक रासायनिक पदार्थ स्रावित होता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है। फलस्वरूप अल्सर, निमोनिया, ब्रोन्काइटिस जैसी भयानक बीमारियाँ होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।
  3. इससे आनुवंशिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं तथा चिरकालिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
  4. पराबैंगनी विकिरण से आँख के घातक रोग, मोतियाबिन्द, आँख में घाव एवं सूजन हो जाती है।
  5. ओजोन क्षरण से वायुमण्डल का ताप बढ़ जाता है।
  6. इसके सूक्ष्मजीवी एवं वनस्पतियों पर घातक प्रभाव पड़ते हैं। वनस्पतियों में प्रोटीन की कमी हो जाती है। प्रकाश-संश्लेषण एवं चयापचय क्रियाएँ प्रभावित होती हैं।
  7. इसके कारण खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। उत्पादक शैवाल नष्ट हो जाते हैं। शैवालों के नष्ट होने से जलीय जीव मछलियाँ, जलीय पक्षी, समुद्र में रहने वाले स्तनी जीव आदि प्रभावित होते हैं।
  8. ओजोन परत की क्षति को सीमित करने के लिए उठाए गए कदम-ओजोन परत की क्षति क्लोरोफ्लोरो-कार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड तथा मीथेन गैसों के कारण होती है। क्लोरोफ्लोरो-कार्बन सर्वाधिक क्षति पहुँचाता है। इसका विकल्प तलाशा जा रहा है तथा ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित खाद्य श्रृंखला में, शेर को 100 J ऊर्जा उपलब्ध है। उत्पादक स्तर पर कितनी ऊर्जा उपलब्ध थी?
पादप → हिरण → शेर
उत्तर:
उत्पादक स्तर (पादपों) के लिए –
उपलब्ध ऊर्जा = 100 J × (10)2 = 10.000 J

प्रश्न 23.
अनुचित तरीके से कचरे (अपशिष्ट) का फेंकना पर्यावरण के लिए अभिशाप क्यों है?
उत्तर:
अनुचित तरीके से फेंके गए कचरे (अपशिष्ट) का उचित विस्तारण न होने के कारण यह वातावरण को प्रदूषित करता है। इससे वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण एवं जल प्रदूषण होता है जो सभी जीवधारियों के लिए हानिकारक होते हैं।

प्रश्न 24.
एक पोखर (तालाब) की सामान्य आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला) लिखिए।
उत्तर:
पोखर (तालाब) की एक सामान्य आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला) –
जलीय पौधे → छोटे जलीय जन्तु, लार्वा, कीड़े-मकोड़े आदि → मछलियाँ → जलीय पक्षी।

प्रश्न 25.
फसल वाले क्षेत्र (खेत) कृत्रिम पारितन्त्र माने जाते हैं, क्यों?
उत्तर:
फसल वाले क्षेत्र (खेत) मनुष्य द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं, प्राकृतिक रूप से नहीं बनते, इसलिए इन्हें कृत्रिम पारितन्त्र माना जाता है।

प्रश्न 26.
निम्न में से गलत जोड़ी को छाँटिए एवं इसका संशोधन कीजिए –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 5
उत्तर:
गलत जोड़ी है –
(b) पारितन्त्र – पर्यावरण के जैवीय घटक

संशोधित रूप
(b) पारितन्त्र – पर्यावरण के जैवीय एवं अजैवीय घटक

प्रश्न 27.
हम तालाबों एवं झीलों की सफाई नहीं करते जबकि जल जीवशाला की सफाई करनी पड़ती है, क्यों?
उत्तर:
तालाब एवं झीलें प्राकृतिक पारितन्त्र हैं जो पूर्ण हैं तथा परस्पर अन्योन्य क्रियाओं को करने में सक्षम हैं जबकि जल जीवशाला एक कृत्रिम एवं अपूर्ण मानवनिर्मित पारितन्त्र है जिसमें परस्पर अन्योन्य क्रियाओं की क्षमता नहीं इसलिए जल जीवशाला को सफाई की आवश्यकता होती है जबकि तालाब एवं झीलों की नहीं।

प्रश्न 28.
उर्वरक उद्योग (कारखानों) के कचरे के निस्तारण की तकनीक सुझाइए।
उत्तर:

  1. वायु प्रदूषण का नियन्त्रण करना चाहिए।
  2. वाहित कचरे को पर्यावरण में बहाने से पहले उपचारित करना चाहिए।

प्रश्न 29.
उर्वरक उद्योग के उप-उत्पाद क्या हैं? वे पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
उर्वरक उद्योग के उप-उत्पाद हानिकारक वायु प्रदूषण गैसें; जैसे-सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) एवं नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) आदि हैं जो वायु प्रदूषक हैं तथा अम्ल वर्षा के कारक हैं।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कचरे के प्रबन्धन की तकनीक पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
कचरे के प्रबन्धन की तकनीक:

  1. कचरे का वर्गीकरण विघटनीय-अविघटनीय; ज्वलनशील-अज्वलनशील इत्यादि में करना।
  2. स्थान-स्थान पर कूड़ेदान रखवाना।
  3. अपशिष्ट को डम्पिंग स्थल तक पहुँचाने की उत्तम व्यवस्था करना।
  4. ठोस जैविक अपशिष्ट को वर्मीकम्पोस्टिंग विधि द्वारा खाद में परिवर्तित करना।
  5. अनुपयोगी अजैविक अपशिष्ट को पुन:चक्रण द्वारा उपयोगी पदार्थों में बदलना।

प्रश्न 2.
अजैविक तथा जैविक घटकों की परस्पर अन्तक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अजैविक एवं जैविक घटकों की अन्तक्रिया:
जैविक घटक के उत्पादक (हरे पौधे) वातावरण से अजैविक अकार्बनिक पदार्थ कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं जल लेकर सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाशसंश्लेषण के द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। वे उत्पादक एवं स्वपोषी होते हैं। अत: उत्पादकों को कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थों एवं भौतिक वातावरण (अजैविक घटकों) की आवश्यकता होती है।

उपभोक्ता अपने पोषण के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर करते हैं तथा उन्हें वातावरण के अजैविक घटकों (प्रकाश, ताप, जल एवं वायु) की भी आवश्यकता होती है। अतः कह सकते हैं कि सजीवों की प्रथम अन्तक्रिया वातावरण के तत्वों से तथा द्वितीय अन्तक्रिया सजीवों के साथ परस्पर होती है। जैविक तत्वों की मृत्यु के बाद सूक्ष्मजीवी अपघटकों के द्वारा उनका अपघटन कर दिया जाता है। उनमें व्याप्त मूल खनिज पदार्थ तथा कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थों को अजैविक वातावरण में मिला दिया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
एक खाद्य श्रृंखला को चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला का चित्र द्वारा प्रदर्शन –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 6

प्रश्न 4.
एक खाद्य जाल को चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
खाद्य जाल का चित्र द्वारा प्रदर्शन –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 7

प्रश्न 5.
पर्यावरण संरक्षण क्या है? पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण:
“प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करके पर्यावरण को प्रदूषण रहित एवं स्वस्थ बनाना, पर्यावरण संरक्षण कहलाता है।”

पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य –

  1. प्राकृतिक सम्पदाओं को निरन्तर बनाये रखना, उनका सदुपयोग करना तथा उनकी वृद्धि करना।
  2. नवीनीकरणीय एवं अनवीनीकरणीय संसाधनों का उपयोग विवेक एवं मितव्ययिता के साथ करना।
  3. प्राकृतिक संसाधनों (जल, मृदा, वन, खनिज, सम्पदा, जन्तुओं एवं ऊर्जा) का संरक्षण करके पर्यावरण का संरक्षण करना।

प्रश्न 6.
पर्यावरण संरक्षण पर प्रकाश डालिए।
अथवा
प्राकृतिक सम्पदा एवं संसाधन के संरक्षण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण एवं प्राकृतिक सम्पदा का संरक्षण –

  1. जल संरक्षण: जल को प्रदूषण से बचाना, उसके अतिव्यय को रोकना, उसका उपयुक्त तरीके से संग्रहण करना। इन सब क्रियाकलापों से जल का संरक्षण किया जा सकता है।
  2. मृदा संरक्षण: इसके संरक्षण के लिए खेतों पर मेंड बनाना, जैविक खाद का प्रयोग करना, वृक्षारोपण करना आदि।
  3. वन संरक्षण: वन के संरक्षण के लिए वनों का रखरखाव ठीक से करना, वृक्षारोपण, राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्यों की स्थापना करना आदि।
  4. खनिज: इनके संरक्षण के लिए इनका मितव्ययिता के साथ सीमित प्रयोग करना।
  5. ऊर्जा: इसके संरक्षण के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का अधिकाधिक उपयोग करना तथा परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के प्रयोग में मितव्ययिता रखना।

प्रश्न 7.
पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूकता क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूकता की आवश्यकता:
पर्यावरण संरक्षण एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। इसे अकेले न तो शासन एवं प्रशासन पूर्ण कर सकता है और न कोई व्यक्ति। यह संयुक्त रूप से प्रयत्न करने पर ही सम्भव है। इसके लिए आवश्यक है जनता को जागरूक बनाया जाए। उसे पर्यावरण के नष्ट होने के कारणों, उसके प्रभावों की जानकारी देना आवश्यक है।

जनजागरण के द्वारा ही वे अपने पर्यावरण की वास्तविक स्थितियों से भलीभाँति परिचित हो सकेंगे और पर्यावरण के संरक्षण में अपना क्रियात्मक योगदान दे सकेंगे। इसलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए समग्र जागरूकता आवश्यक है।

प्रश्न 8.
ग्रीन हाउस प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect):
ठण्डे प्रदेशों में पौधों को ठण्ड से बचाने के लिए काँच या फाइबर ग्लास के बने पौधाघरों में रखा जाता है। सूर्य से निकलने वाली छोटी तरंगदैर्घ्य की विकिरण काँच से होकर इसमें प्रवेश कर जाती है तथा वहाँ ये बड़ी तरंगदैर्घ्य की विकिरणों में बदल जाती है जिनको काँच बाहर आने से रोकता है।

इस प्रकार पौधाघर का ताप वायुमण्डल के ताप से अधिक रहता है। इस घटना को पौधाघर प्रभाव या ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। काँच की जगह यही कार्य पर्यावरण में कार्बन डाइ-ऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, ओजोन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन आदि गैसें करती हैं, जिन्हें ग्रीन हाउस गैसें कहते हैं। इससे पृथ्वी का ताप बढ़ जाता है।

प्रश्न 9.
ग्लोबल वार्मिंग को समझाइए।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग की व्याख्या-मनुष्य के क्रियाकलापों से वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हो रही है। ये गैसें कम्बल का कार्य करती हैं तथा ग्रीन हाउस के प्रभाव के कारण ये सूर्य के प्रकाश की ऊष्मा को पृथ्वी पर आने देती हैं लेकिन पृथ्वी की ऊष्मा को अन्तरिक्ष में नहीं जाने देती। ज्यों-ज्यों ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होती जा रही है, त्यों-त्यों पृथ्वी पर ऊष्मा की मात्रा में वृद्धि होती जा रही है। इससे वैश्विक ताप में भी वृद्धि होती जा रही है। इस तरह ग्लोबल वार्मिंग की समस्या खड़ी हो रही है। इससे पृथ्वी का सामान्य ताप पहले से काफी बढ़ गया है।

प्रश्न 10.
ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण लिखिए।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण:

  1. वृक्षों के अत्यधिक कटान से कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस की वातावरण में वृद्धि होना।
  2. जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम) आदि के आंशिक या पूर्ण दहन से कार्बन मोनो-ऑक्साइड एवं कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइडों की मात्रा में वृद्धि।
  3. रेफ्रिजरेटरों एवं एयर कण्डीशनरों में ऐरोसोल का उपायेग, अग्निशमन यन्त्रों तथा फोम के उपयोग से क्लोरोफ्लोरोकार्बन का वातावरण में एकत्रित होना।
  4. अनेक जैविक प्रक्रियाओं, कृषि कार्यों एवं अपशिष्टों के सड़ने से ग्रीन हाउस गैसों का वातावरण में एकत्रित होना।

प्रश्न 11.
ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी परिणामों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी परिणाम:

  1. पृथ्वी का तापमान बढ़ने से पानी के वाष्पीकरण की दर बढ़ेगी जिससे उपलब्ध पानी में कमी आयेगी।
  2. पृथ्वी का तापमान बढ़ने से ध्रुवों की बरफ पिघलेगी जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ने से तटीय आबादी को जीवन का खतरा हो जायेगा।
  3. पेड़-पौधों एवं जन्तुओं की मृत्यु सम्भव है।
  4. जल एवं वायु प्रदूषण में तेजी से वृद्धि होगी।
  5. असामयिक वर्षा, अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि एवं बाढ़ की सम्भावनाएँ बढ़ जायेंगी।

प्रश्न 12.
ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय लिखिए।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय:

  1. वृक्षों के अत्यधिक कटान को प्रतिबन्धित करना चाहिए तथा अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
  2. जीवाश्म ईंधन का मितव्ययिता से तथा पूर्ण दहन के साथ उपयोग करना चाहिए।
  3. क्लोरोफ्लोरोकार्बन (ऐरोसोल) को पूर्णतः प्रतिबन्धित कर देना चाहिए।
  4. रासायनिक खादों के प्रयोग को बन्द करके जैविक खादों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
  5. अधिकाधिक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न 13.
ओजोन स्तर (परत) के ह्रास (क्षरण) के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ओजोन स्तर (परत) के ह्रास (क्षरण) के कारण:

  1. क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस (ऐरोसोल) द्वारा ओजोन को नष्ट करना।
  2. मोटर वाहनों, ऊर्जा संयन्त्रों एवं विभिन्न प्रकार के उद्योगों से निकलने वाले धुएँ में पाई जाने वाली सल्फर डाइ-ऑक्साइड, कार्बन मोनो-ऑक्साइड,
  3. नाइट्रोजन के ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन आदि द्वारा ओजोन स्तर का क्षरण करना।
  4. अन्तरिक्ष यान, जेट वायुयान में ईंधन के जलने से नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्पन्न होना।
  5. ज्वालामुखी विस्फोट के कारण वायुमण्डल में सल्फर डाइ-ऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि होना।
  6. हेलोन-1301, क्लोरोफॉर्म, कार्बन टेट्राक्लोराइड, मीथेन, ऐरोसोल, फोम आदि से ओजोन का क्षरण होना।

प्रश्न 14.
अम्ल वर्षा कैसे होती है?
उत्तर:
अम्ल वर्षा की प्रक्रिया:
वायु प्रदूषण के फलस्वरूप वायुमण्डल में कार्बन डाइ-ऑक्साइड, सल्फर डाइ-ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड जैसी अम्लीय गैसें एकत्रित हो जाती हैं। सूर्य की ऊष्मा के कारण नदियों, झीलों, तालाबों एवं समुद्रों का जल वाष्प बनकर वायुमण्डल में एकत्रित होता है। यह जलवाष्प उन अम्लीय गैसों से मिश्रित हो जाती है।

जब अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, तब जलवाष्प संघनित होकर जल की बूंदों में परिवर्तित होकर अम्लीय गैसों को अपने में घोलकर अम्ल बनाती है। इसमें कार्बनिक अम्ल, सल्फ्यूरस अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल एवं नाइट्रिक अम्ल बनते हैं। जब जल की बूंदें वर्षा के रूप में पृथ्वी पर बरसती हैं तो उनके साथ अम्ल भी बरसता है। इस प्रकार अम्ल वर्षा होती है।

प्रश्न 15.
मानव के क्रियाकलापों ने जीवमण्डल के जीव रूपों को बुरी तरह प्रभावित किया है। मानव द्वारा प्रकृति के असीमित दोहन ने जीवमण्डल के जैव-अजैव अवयवों के संवेदनशील सन्तुलन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मानव द्वारा स्वयं सृजित प्रतिकूल परिस्थितियों ने न केवल उसकी अपनी उत्तरजीविता को ललकारा है, बल्कि पृथ्वी के समस्त जीवों को भी ललकारा है। आपका एक सहपाठी जो आपके स्कूल के ‘ईको क्लब’ का सक्रिय सदस्य है, स्कूल के छात्रों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न कर रहा है तथा इसे समाज में भी फैला रहा है। वह पास-पड़ोस के पर्यावरण के निम्नीकरण को रोकने के लिए भी कठोर कार्य कर रहा है।
(a) हमें अपने पर्यावरण का संरक्षण करना क्यों आवश्यक है?
(b) घरेलू अपशिष्टों के निरापद निपटारे के लिए हरी और नीली कड़ा-पेटियों का महत्व लिखिए।
(c) आपके उस सहपाठी द्वारा प्रदर्शित दो मूल्यों की सूची बनाइए जो आपके विद्यालय के ‘ईको क्लब’ का सक्रिय सदस्य है।
उत्तर:
(a) हमें अपने पर्यावरण का संरक्षण करना अति आवश्यक है क्योंकि हमारे द्वारा प्रकृति के असीमित दोहन ने जीवमण्डल के जैव एवं अजैव अवयवों के संवेदनशील सन्तुलन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। हमारे द्वारा सृजित प्रतिकूल परिस्थितियों ने न केवल हमारी अपनी उत्तरजीविता खतरे पड़ गयी है अपितु पृथ्वी के समस्त जीवों की उत्तरजीविता को भी भारी खतरा हो गया है। सम्पूर्ण पर्यावरण असन्तुलित होता जा रहा है।

(b) घरेलू अपशिष्टों के निपटारे के लिए हरी और नीली कूड़ा-पेटियों का बहुत महत्व है। इससे जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय कचरे को पृथक्-पृथक् रखा जा सकता है जिससे उनका उचित तरीके से निस्तारण किया जा सके। अलग-अलग रंग होने से कचरे के मिश्रित होने की सम्भावना नहीं रहती।

(c) ‘ईको क्लब’ के सक्रिय सदस्य द्वारा प्रदर्शित मूल्य:

  1. पर्यावरणीय-मित्रता।
  2. मानवीय मूल्य।

प्रश्न 16.
जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के बीच प्रत्येक का एक उदाहरण देकर विभेदन कीजिए। उन दो आदतों में परिवर्तन की सूची बनाइए जिन्हें पर्यावरण को बचाने के लिए, व्यक्ति अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों के निपटारा करने में अपना सकते हैं।
उत्तर:
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो सूक्ष्मजीवियों द्वारा आसानी से अपघटित होकर सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल जाते हैं। जैसे जन्तु एवं वनस्पति अवशेष एवं अपशिष्ट, जबकि अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ वे पदार्थ हैं जिनका सूक्ष्मजीवियों द्वारा या तो अपघटन नहीं होता या फिर बहुत अधिक धीमी गति से अपघटन होता है और वे लम्बे समय तक प्रकृति में बने रहकर पर्यावरण को हानि पहुँचाते हैं; जैसे-पॉलीथीन, प्लास्टिक एवं धातुएँ आदि।

पर्यावरण बचाने के लिए अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के निपटारे के लिए आदतों में बदलाव –

  1. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों पॉलीथीन एवं प्लास्टिक आदि के स्थान पर उनकी वैकल्पिक जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अधिकाधिक प्रयोग करना; जैसे-कागज की थैलियाँ, कपड़े के थैले, मिट्टी के कुल्लड़, सकोरे, वृक्ष के पत्तों से बने पत्तल एवं दोने आदि।
  2. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का पुनर्चक्रण करके पुनः उपयोग करना।

प्रश्न 17.
पारितन्त्र में ऊर्जा प्रवाह को दर्शाइए। यह एकदैशिक क्यों होता है? पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
पारितन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 8
चूँकि ऊर्जा का प्रवाह एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर की ओर आगे बढ़ता जाता है और वापस विपरीत दिशा में नहीं होता इसलिए यह एकदैशिक कहलाता है। इसके अतिरिक्त उपलब्ध ऊर्जा हर पोषी स्तर पर कम होती जाती है जिससे ऊर्जा का वापस लौटना असम्भव हो जाता है।

प्रश्न 18.
बाजार से खरीददारी करने के लिए कपड़े के थैलों का उपयोग करना प्लास्टिक की थैलियों से क्यों उत्तम है?
उत्तर:
कपड़े के थैलों का उपयोग प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग से उत्तम है क्योंकि –

  1. कपड़े के थैलों में अधिक सामान आ जाता है।
  2. कपड़ा जैव निम्नीकरणीय पदार्थ है जबकि प्लास्टिक अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ है।
  3. कपड़ा पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करता जबकि प्लास्टिक पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
  4. कपड़े के थैलों को बार-बार उपयोग में लाया जा सकता है जबकि प्लास्टिक (पॉलीथीन) की थैलियों को बार-बार प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।

प्रश्न 19.
निम्न वाक्यों, कथनों एवं परिभाषाओं के लिए एक शब्द सुझाइए –
(a) भौतिक एवं जैवीय दुनिया जहाँ हम रहते हैं?
(b) आहार श्रृंखला (खाद्य शृंखला) का प्रत्येक स्तर जहाँ ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है।
(c) पारितन्त्र के भौतिक कारक; जैसे-तापक्रम, वर्षा, पवन, मृदा आदि।
(d) वे जीव, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पेड़-पौधों पर भोजन के लिए निर्भर होते हैं।
उत्तर:
(a) पर्यावरण या जैवमण्डल।
(b) पोषीस्तर।
(c) पारितन्त्र के अजैव घटक।
(d) उपभोक्ता या परपोषी।

प्रश्न 20.
अपघटक (अपमार्जक) क्या होते हैं? इनकी अनुपस्थिति पारितन्त्र पर क्या कुप्रभाव डालेगी?
उत्तर:
अपघटक (अपमार्जक):
“वे सूक्ष्मजीवी जो जन्तुओं एवं वनस्पतियों के अवशेषों, मृत शरीरों एवं जैव अपशिष्टों का साधारण अकार्बनिक यौगिकों में अपघटन करके पौधों के लिए उपयोगी बनाते हैं, अपघटक (अपमार्जक) कहलाते हैं।”

अपमार्जकों (अपघटकों) की अनुपस्थिति का पारितन्त्र पर प्रभाव:
अगर पारितन्त्र से अपघटक अनुपस्थित हो जाएँ तो जैव निम्नीकरणीय पदार्थों और अपशिष्टों का अपघटन नहीं होगा और पारितन्त्र में उनकी मात्रा इतनी बढ़ जायेगी कि उनका निस्तारण करना असम्भव हो जायेगा। इससे पर्यावरण प्रदूषित होगा अर्थात् अपशिष्टों का पुनर्चक्रण रुक जायेगा।

प्रश्न 21.
अपने दैनिक जीवन के चार ऐसे क्रियाकलापों का वर्णन कीजिए जो पारितन्त्र मैत्रीय हों।
उत्तर:

  1. जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों को पृथक्-पृथक् रखना जिससे उनका आसानी से निपटारन हो सके।
  2. घरों में पेड़-पौधे लगाना, किचन गार्डन में फल-सब्जी उगाना तथा सड़कों के सहारे वृक्षारोपण करना।
  3. प्लास्टिक एवं पॉलीथीन की थैलियों एवं अन्य वस्तुओं के स्थान पर कपड़े एवं कागज के बने थैले तथा पत्तों से बने पत्तल, दोनों एवं मिट्टी के बने कुल्लड़-सकोरों को उपयोग में लाना।
  4. उर्वरकों के स्थान पर कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग करना। (5) वर्षा जल संग्रहण करना।

प्रश्न 22.
आहार जाल (खाद्य जाल) एवं आहार श्रृंखला (खाद्य शृंखला) के दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:

आहार जाल (खाद्य जाल) आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला)
आहार जाल अनेक आहार श्रृंखलाओंCका कम संकलन है जो आपस में गुथी होती है। आहार श्रृंखला एक जीवों की श्रृंखला है जो अपने पोषण के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
उच्चतर पोषी स्तर के सदस्य अपने नीचे के पोषी स्तर की किसी अन्य श्रृंखला के सदस्य जीव द्वारा पोषण प्राप्त कर सकते हैं। उच्चतर पोषी स्तर के जीव अपने से निम्न पोषी स्तर के किसी विशेष सदस्य जीव से पोषण प्राप्तकर सकते हैं।

प्रश्न 23.
कृषिकर्म के क्रियाकलापों से पर्यावरण पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कृषिकर्म के क्रियाकलापों का पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव –

  1. उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग मृदा की गुणवत्ता को समाप्त कर देता है तथा कृषि के लिए उपयोगी सूक्ष्मजीवियों का वध कर देती है।
  2. पीड़कनाशक आदि अजैव निम्नीकरणीय रसायनों का अत्यधिक उपयोग जैव संवर्धन को बढ़ावा देता है।
  3. अत्यधिक फसल उत्पादन मृदा की उर्वरक क्षमता का ह्रास करता है।
  4. कृषि के लिए अत्यधिक जमीनी जल का उपयोग जल स्तर को गिराता है।
  5. प्राकृतिक पारितन्त्र एवं आवास को हानि पहुँचाता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आपके घर में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले अपशिष्टों के नाम लिखिए। आप उनके निस्तारण के लिए क्या उपाय अपनाएँगे?
उत्तर:
घरों में प्रतिदिन उत्पन्न (पैदा होने वाले) अपशिष्ट निम्न प्रकार के हैं –

  1. रसोईघर के अपशिष्ट।
  2. कागज के अपशिष्ट; जैसे-अखबार, कॉपी-किताब, लिफाफे, थैलियाँ आदि।
  3. पॉलीथीन या प्लास्टिक की थैलियाँ, गिलास, प्लेट, कटोरियाँ एवं चम्मच आदि।
  4. फल एवं तरकारियों की छीलन तथा उनके अन्य अपशिष्ट।

उनके निस्तारण के उपाय एवं सावधानियाँ:

  1. जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों का पृथक्-पृथक् संचय करना जिससे उनके निस्तारण में आसानी हो।
  2. पॉलीथीन एवं प्लास्टिक की थैलियाँ एवं अन्य वस्तुओं का सुरक्षापूर्वक निस्तारण के लिए उन्हें पुनर्चक्रण के लिए दे देंगे।
  3. फल एवं तरकारियों के छिलके, छीलन एवं अन्य अवशेषों को पौधों में डालना ताकि उनका उपयोग खाद के रूप में हो सके जो पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध करा सके।
  4. कागज के अखबार, कापियाँ एवं पुस्तकों तथा अन्य अप्रयुक्त कागज उत्पादों को पुनर्चक्रण के लिए दे देंगे।
  5. रसोईघर के अपशिष्टों के निपटान (निस्तारण) के लिए कम्पोस्ट गड्डे का निर्माण करेंगे।

प्रश्न 2.
पर्यावरणीय समस्याएँ क्या-क्या हैं? लिखिए।
उत्तर:
प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएँ-प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएँ निम्न हैं –

  1. वायु, जल, मृदा एवं ध्वनि के प्रदूषण की समस्याएँ।
  2. मरुस्थल, भूस्खलन, बाढ़, नदियों के मार्ग में परिवर्तन, मृदा अपरदन की समस्याएँ।
  3. प्राणी एवं पादप जातियों के विलोपन के कारण जंगलों के विनाश की समस्या।
  4. लवणों के कारण मरुस्थल बनने अर्थात् लवणीकरण की समस्या।
  5. कचरे के जमाव एवं उसके निस्तारण की समस्या।
  6. प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास की समस्या।
  7. ग्लोबल वार्मिंग एवं ग्रीन हाउस के प्रभाव की समस्या।
  8. ओजोन परत के पतले होने तथा उसमें छेद होने की समस्या।

प्रश्न 3.
अम्ल वर्षा का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
अम्ल वर्षा का पर्यावरण पर प्रभाव:

  1. धरती का हरा-भरा आवरण नष्ट हो जाता है।
  2. पेड़-पौधों की जड़ें सिकुड़ने लगती हैं।
  3. पेड़-पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है।
  4. पेड़-पौधों की पत्तियाँ झड़ जाती हैं।
  5. मृदा की अम्लीयता बढ़ जाती है तथा उसकी उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है।
  6. सभी जैविक क्रियाएँ मन्द पड़ जाती हैं।
  7. खड़ी फसलें नष्ट हो जाती हैं।
  8. पेयजल प्रदूषित हो जाता है।
  9. मनुष्य की त्वचा एवं आँखों में जलन होने लगती है तथा श्वसन रोग हो जाते हैं।
  10. ऐतिहासिक महत्व के भवनों (जैसे ताजमहल) पर दुष्प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 4.
पर्यावरण हेतु जागरूकता पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
पर्यावरण हेतु जागरूकता:
दिन-प्रतिदिन पर्यावरण असन्तुलित होता जा रहा है जिससे मानव जीवन एवं जन्तुओं तथा पेड़-पौधों का जीवन संकट में पड़ सकता है। अतः इसके संरक्षण की महती आवश्यकता है। लेकिन यह कार्य एक अकेले के बूते का नहीं है। शासन-प्रशासन भी इस कार्य को पूर्ण रूप से करने में सक्षम नहीं, जब तक कि जन-जन इसके लिए जागरूक नहीं होगा। जन-जागृति के लिए तथा मनुष्यों में जागरूकता पैदा करने के लिए उन क्षेत्रों की जानकारी होना आवश्यक है जिनमें उन्हें जागरूक करना है और वे निम्न हैं –

  1. जनसंख्या वृद्धि: जनसंख्या वृद्धि से प्रदूषण की समस्या बढ़ती है, संसाधनों का अधिकाधिक दोहन होता है। इसलिए इस पर नियन्त्रण आवश्यक है।
    संसाधनों का समुचित प्रयोग: संसाधन सीमित हैं अतः उनका विवेकपूर्ण एवं मितव्ययिता के साथ उपयोग करना आवश्यक है तथा उन्हें लम्बे समय तक बनाये रखना है।
  2. प्रदूषण के प्रति सचेत करना: प्रदूषण से नाना प्रकार की असाध्य बीमारियाँ पैदा होती हैं। सबसे ज्यादा प्रदूषण मनुष्य के क्रियाकलापों से होता है।
  3. अतः इसके प्रति सचेत करना आवश्यक है। उन्हें प्रदूषणों के कारणों, उनके दुष्परिणामों एवं उनसे निदान के सम्बन्ध में बताना है।
  4. संरक्षण के प्रति जागरूकता: प्राकृतिक संसाधनों के प्रति उन्हें जागरूक बनाना है कि वे उन संसाधनों का अति दोहन न करें बल्कि उन्हें संरक्षित करें।
  5. आदतों में सुधार: मनुष्य के अन्दर मितव्ययिता की प्रवृत्ति को बढ़ाना है जिससे वे संसाधनों के अपव्यय को रोक सकें क्योंकि ऊर्जा बचाना, ऊर्जा पैदा करने के समान होता है।
  6. उपर्युक्त सभी क्षेत्रों में जागरूकता लाकर पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए पर्यावरण शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  7. प्रारम्भ से ही बच्चों के पाठ्यक्रम में पर्यावरण पर पाठ्य सामग्री होना आवश्यक है।
  8. पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए प्रतियोगिताएँ (निबन्ध, वाद-विवाद, पोस्टर), सेमीनार, कार्यशालाएँ एवं प्रदर्शन रैली आयोजित करना अधिक कारगर होगा।

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MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

MP Board Class 10th Science Chapter 14 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 273

प्रश्न 1.
ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक उत्तम ऊर्जा स्रोत वह कहलाता है जो –

  1. सतत् अनवरत रूप से प्रचुरता में आसानी से उपलब्ध हो।
  2. नवीकरणीय हो।
  3. पर्यावरण के लिए हानि रहित (पर्यावरण-मित्र) हो।
  4. मितव्ययी हो।

प्रश्न 2.
उत्तम ईंधन किसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्तम ईंधन:
“अधिक कैलोरी मान वाला आसानी से कम मूल्य पर सर्वदा उपलब्ध, संग्रहण एवं परिवहन में प्ररक्षित ईंधन उत्तम ईंधन या आदर्श ईंधन कहलाता है।”

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प्रश्न 3.
यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी भी ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों?
उत्तर:
हम भोजन को गर्म करने के लिए गैसीय जीवाश्म ईंधन (LPG या प्राकृतिक गैस) का प्रयोग करेंगे क्योंकि यह एक उत्तम एवं प्रयोग में आसान ईंधन है।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 279

प्रश्न 1.
जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं?
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन से हानियाँ:

  1. इनके दहन से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर के ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, लेड ऑक्साइड आदि अनेक वायु प्रदूषक उत्पन्न होते हैं।
  2. ठोस जीवाश्म ईंधन से राख आदि अपशिष्ट बचते हैं।
  3. वायु में हानिकारक गैसों के अतिरिक्त कार्बन के कण एवं धुआँ उत्पन्न होता है।
  4. इसके अतिरिक्त यह एक अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।

प्रश्न 2.
हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की ओर क्यों बढ़ रहे हैं?
उत्तर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत हमारी जीवन शैली के बढ़ते स्तर के कारण उत्पन्न ईंधन की अत्यधिक आवश्यकता की आपूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं है इसलिए हम ऊर्जा के वैकल्पिक (गैर-परम्परागत) ऊर्जा स्रोत की ओर बढ़ रहे हैं।

प्रश्न 3.
हमारी सुविधा के लिए पवन तथा जल ऊर्जा के पारम्परिक उपयोग में किस प्रकार से सुधार किए गए हैं?
उत्तर:
हमारी सुविधा के लिए पवन तथा जल ऊर्जा के पारम्परिक उपयोग के स्थान पर उससे विद्युत् उत्पादन किया जा रहा है जो बहु उपयोगी और सरल है।

प्रश्न शृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 285

प्रश्न 1.
सौर कुकर के लिए कौन-सा दर्पण (अवतल, उत्तल अथवा समतल) सर्वाधिक उपयुक्त होता है?
उत्तर:
समतल दर्पण।

प्रश्न 2.
महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:
महासागरीय ऊर्जाओं (ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा एवं महासागरीय तापीय ऊर्जा) की दक्षता अति विशाल है परन्तु इनके दक्षता पूर्वक व्यापारिक दोहन में अनेक कठिनाइयाँ हैं।

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प्रश्न 3.
भूतापीय ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर:
भूतापीय ऊर्जा:
“जब जल भूमि के अन्दर तप्त स्थलों के सम्पर्क में आता है तो वाष्पीकृत हो जाता है जो पृथ्वी से बाहर गरम वाष्प (ऊष्मा स्रोत) के रूप में निकल जाती है। इस वाष्प की ऊर्जा का उपयोग विद्युत् ऊर्जा उत्पन्न करने में किया जाता है। इस ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।”

प्रश्न 4.
नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्व है?
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा का महत्व:

  1. नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पादन में किया जा सकता है।
  2. नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग पनडुब्बी को चलाने में किया जाता है।
  3. कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग होता है।
  4. कृषि एवं उद्योग क्षेत्र में इसका उपयोग होता है।
  5. इसमें ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने वाली गैसें उत्पन्न नहीं होती हैं।

प्रश्न शृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 285

प्रश्न 1.
क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
हाँ, हो सकता है क्योंकि सौर सेल युक्ति का वास्तविक प्रचालन प्रदूषण मुक्त है लेकिन यह हो सकता है कि उस युक्ति के संयोजन में पर्यावरणीय क्षति हुई हो। इसके अतिरिक्त हाइड्रोजन एक प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत है क्योंकि इसके दहन से जल वाष्प उत्पन्न होती है जो प्रदूषण उत्पन्न नहीं करती।

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प्रश्न 2.
रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है? क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
हाँ, हम हाइड्रोजन को CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं क्योंकि हाइड्रोजन के दहन से जलवाष्प बनती है जो प्रदूषण पैदा नहीं करती जबकि CNG के दहन से कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड गैसें बनती हैं जो वायु प्रदूषण करती हैं।

प्रश्न श्रृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 286

प्रश्न 1.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं? अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत:

  1. बायो गैस।
  2. सौर ऊर्जा हैं। क्योंकि ये समाप्त होने वाले नहीं हैं बायोगैस, बायोमास (जन्तु एवं वनस्पति अपशिष्टों) से बनती है जो सदैव प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो सकती है और सूर्य सदैव चमकता रहेगा और हमको ऊर्जा प्रदान करता रहेगा।

प्रश्न 2.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:
समाप्य ऊर्जा स्त्रोत:

  1. कोयला।
  2. पेट्रोलियम हैं क्योंकि ये दोनों ही ऊर्जा स्रोत प्राकृतिक उथल-पुथल के परिणामस्वरूप हजारों लाखों वर्षों में बनकर तैयार हुए हैं। इनका प्राकृतिक भण्डारण भी सीमित है तथा इनका नवीकरण नहीं किया जा सकता।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का प्रयोग किस दिन नहीं कर सकते?
(a) धूप वाले दिन।
(b) बादलों वाले दिन।
(c) गरम दिन।
(d) पवनों (वायु) वाले दिन।
उत्तर:
(b) बादलों वाले दिन।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन जैव-मास ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है?
(a) लकड़ी।
(b) गोबर गैस।
(c) नाभिकीय ऊर्जा।
(d) कोयला।
उत्तर:
(c) नाभिकीय ऊर्जा।

प्रश्न 3.
जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्त्रोत अन्ततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है?
(a) भूतापीय ऊर्जा।
(b) पवन ऊर्जा।
(c) नाभिकीय ऊर्जा।
(d) जैव-मास।
उत्तर:
(c) नाभिकीय ऊर्जा।

प्रश्न 4.
ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अन्तर लिखिए।
उत्तर:
जीवाश्मी ऊर्जा स्रोत एवं सौर ऊर्जा स्रोत में अन्तर –

जीवाश्म ऊर्जा स्रोत सौर ऊर्जा स्त्रोत
ये स्रोत समाप्य हैं। ये स्रोत असमाप्य हैं।
ये पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। ये पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करते हैं।
इनका उपयोग किसी भी मौसम एवं रात्रि में भी किया जा सकता है। इनका उपयोग केवल दिन में और वह भी धूप निकलने पर ही किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
जैव मास का ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अन्तर लिखिए।
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 1
प्रश्न 6.
निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए –
(a) पवनें।
(b) तरंगें।
(c) ज्वार-भाटा।
उत्तर:
(a) पवनों से ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ:

  1. पवन ऊर्जा फॉर्म केवल उन्हीं क्षेत्रों में स्थापित किये जा सकते हैं जहाँ वर्ष के अधिकांश दिनों में तीव्र पवन चलती हों।
  2. टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाये रखने के लिए पवन की चाल भी कम से कम 15 km/h होनी चाहिए।
  3. ऊर्जा फार्म स्थापित करने के लिए विशाल भूखण्ड की आवश्यकता होती है। 1 MW के जनित्र के लिए पवन फॉर्म को लगभग 2 हेक्टेयर भूमि चाहिए।
  4. संचायक सेलों जैसी कोई सुविधा होनी चाहिए जिससे पवन ऊर्जा का उपयोग उस समय किया जा सके जब पवन नहीं चलती है।
  5. पवन ऊर्जा फॉर्म की स्थापना में प्रारम्भिक लागत अत्यधिक है।
  6. पवन चक्कियों के दृढ़ आधार, विशाल पंखुड़ियाँ वायुमण्डल में खुले होने के कारण अंधड़, चक्रवात, धूप, वर्षा आदि प्राकृतिक थपेड़ों को सहन करना पड़ता है, अत: इनके लिए उच्च स्तर के रख-रखाव की आवश्यकता होती है।

(b) समुद्री तरंगों से ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ: तरंग ऊर्जा का वहीं पर व्यावहारिक उपयोग हो सकता है जहाँ तरंगें अत्यन्त प्रबल हों।

(c) ज्वार-भाटा से ज्वारीय ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ: ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके होता है। इस प्रकार के बाँध निर्मित किए जा सकने वाले स्थान सीमित हैं।

प्रश्न 7.
ऊर्जा स्त्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे –
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय।
(b) समाप्य तथा अक्षय।
क्या (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं?
उत्तर:
(a) ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में उत्पन्न होते रहते हैं तथा जिनका पुनः उपयोग किया जा सकता है तथा समाप्त नहीं होते, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के वर्ग में आते हैं। जबकि ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में प्राचीनकाल से एक लम्बी समयावधि में संचित हो पाते हैं तथा उन्हें पुनः प्राप्त करना असम्भव है तथा उनके निरन्तर उपयोग से जो समाप्त हो जाते हैं, अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के वर्ग में आते हैं।

(b) वे ऊर्जा स्रोत जो निरन्तर उपयोग के कारण समाप्त हो जाते हैं। समाप्य ऊर्जा स्रोत के वर्ग में आते हैं तथा जो निरन्तर उपयोग के बाद भी समाप्त नहीं होते, असमाप्य (अक्षय) ऊर्जा स्रोत के वर्ग में आते हैं।
हाँ (a) तथा (b) के विकल्प प्रायः समान हैं।

प्रश्न 8.
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं? (2019)
उत्तर:
आदर्श ऊर्जा स्रोत के गुण:

  1. प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करता है अर्थात् अधिक ऊर्जा देता है।
  2. सरलता से उपलब्ध होता है।
  3. परिवहन तथा भण्डारण में आसान होता है।
  4. वह सस्ता होता है।

प्रश्न 9.
सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ एवं हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
उत्तर:
सौर कुकर के उपयोग के लाभ:

  1. ईंधन की बचत होती है।
  2. प्रदूषण नहीं होता है।
  3. रख-रखाव पर कोई खर्चा नहीं होता अर्थात् आर्थिक बचत होती है।
  4. खाना स्वादिष्ट एवं पौष्टिक बनता है।
  5. खाने के जलने की सम्भावना नहीं रहती।
  6. एक ही समय में चार-पाँच खाद्य पदार्थ पकाए जा सकते हैं।

सोलर कुकर के उपयोग की हानियाँ (सीमाएँ):

  1. सौर प्रकाश (धूप) की अनुपस्थिति में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता।
  2. वस्तुओं को तलने, रोटी-पूड़ी आदि सेकना सम्भव नहीं।
  3. खाना बनने में अधिक समय लगता है। इसलिए तुरन्त खाना नहीं बना सकते।
  4. चाय आदि बनाना मुश्किल ही नहीं असम्भव ही होता है।

हाँ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है जहाँ धूप (सूर्य प्रकाश) कम समय के लिए तथा कम तीव्रता की होती है।

प्रश्न 10.
ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर:
ऊर्जा की बढ़ती माँग की पूर्ति हेतु पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों का दोहन बढ़ेगा। लकड़ी के लिए पेड़-पौधों का अत्यधिक कटान होगा। जीवाश्म (खनिज) ईंधन एवं लकड़ी एवं अन्य पारम्परिक ईंधन के दहन से पर्यावरण प्रदूषित होगा। वनों के कटान से पर्यावरण को पर्याप्त हानि होगी।

ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय:

  1. ऊर्जा के परम्परागत स्रोतों का उपयोग मितव्ययिता के साथ करना।
  2. अनावश्यक रूप से ऊर्जा के दुरुपयोग को रोकना।
  3. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना।
  4. सौर ऊर्जा पर आधारित उपकरणों का अधिकाधिक उपयोग करना।
  5. पवन ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग करना आदि।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है –
(a) लकड़ी।
(b) सूर्य।
(c) जीवाश्म ईंधन।
(d) पवन।
उत्तर:
(c) जीवाश्म ईंधन।

प्रश्न 2.
अम्ल वर्षा होती है क्योंकि –
(a) सूर्य वायुमण्डल की ऊपरी परत को गर्म करता है।
(b) जीवाश्म ईंधन के दहन से वायुमण्डल में कार्बन, नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साइड उत्सर्जित होते हैं।
(c) बादलों में घर्षण के कारण विद्युत आवेश पैदा होता है।
(d) पृथ्वी के वायुमण्डल में अम्ल होता है।
उत्तर:
(b) जीवाश्म ईंधन के दहन से वायुमण्डल में कार्बन, नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साइड उत्सर्जित होते हैं।

प्रश्न 3.
ताप विद्युत् संयन्त्र में ईंधन प्रयुक्त होता है –
(a) जल।
(b) यूरेनियम।
(c) जैव-मास।
(d) जीवाश्म ईंधन।
उत्तर:
(d) जीवाश्म ईंधन।

प्रश्न 4.
जल विद्युत् संयन्त्र में प्रयुक्त होता है –
(a) संग्रहित जल में उपस्थित स्थितिज ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत् ऊर्जा में होता है।
(b) संग्रहित जल में उपस्थित गतिज ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत् ऊर्जा में होता है।
(c) जल से विद्युत् का निष्कर्षण किया जाता है।
(d) विद्युत् उत्पादन के लिए जल वाष्प में परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(a) संग्रहित जल में उपस्थित स्थितिज ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत् ऊर्जा में होता है।

प्रश्न 5.
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रमुखतः ऊर्जा स्रोत है –
(a) जल।
(b) सूर्य।
(c) यूरेनियम।
(d) जीवाश्म ईंधन।
उत्तर:
(b) सूर्य।

प्रश्न 6.
निम्न में से ऊर्जा का कौन-सा रूप उत्पन्न होने तथा प्रयुक्त होने के दौरान सबसे कम पर्यावरण को प्रदूषित करता है?
(a) नाभिकीय ऊर्जा।
(b) तापीय ऊर्जा।
(c) सौर ऊर्जा।
(d) भू-तापीय ऊर्जा।
उत्तर:
(c) सौर ऊर्जा।

प्रश्न 7.
महासागरीय तापीय ऊर्जा (OTE) निम्न के कारण होती है –
(a) महासागर में तरंगों द्वारा संग्रहित ऊर्जा।
(b) महासागर के विभिन्न स्तरों पर तापान्तर।
(c) महासागर के विभिन्न स्तरों पर दाबान्तर।
(d) महासागर में ज्वार का आना।
उत्तर:
(b) महासागर के विभिन्न स्तरों पर तापान्तर।

प्रश्न 8.
नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में प्रमुख समस्या है कि किस प्रकार –
(a) केन्द्रक को विखण्डित किया जाय
(b) अभिक्रिया का संचालन किया जाय।
(c) ईंधन के कचरे को निस्तारित किया जाय।
(d) नाभिकीय ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जाय।
उत्तर:
(c) ईंधन के कचरे को निस्तारित किया जाय।

प्रश्न 9.
सौर कुकर का कौन-सा भाग पौधा घर प्रभाव के लिए जिम्मेदार है?
(a) बॉक्स के अन्दर की सतह पर काला रंग करना।
(b) दर्पण।
(c) काँच की प्लेट।
(d) सौर कुकर बाहरी खोल।
उत्तर:
(c) काँच की प्लेट।

प्रश्न 10.
बायोगैस का मुख्य अवयव है –
(a) मीथेन।
(b) कार्बन डाइऑक्साइड।
(c) हाइड्रोजन।
(d) हाइड्रोजन सल्फाइड।
उत्तर:
(a) मीथेन।

प्रश्न 11.
एक पवन चक्की में उत्पन्न शक्ति –
(a) वर्षा ऋतु में अधिक होती है क्योंकि नम वायु अधिक द्रव्यमान से ब्लेड से टकराती है।
(b) मीनार (टॉवर) की ऊँचाई पर निर्भर होती है।
(c) पवन के वेग पर निर्भर करती है।
(d) मीनार के पास ऊँचे वृक्ष लगाकर बढ़ायी जा सकती है।
उत्तर:
(c) पवन के वेग पर निर्भर करती है।

प्रश्न 12.
सही कथन चुनिए
(a) सूर्य एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है।
(b) जीवाश्म ईंधन के पृथ्वी में अनन्त भण्डार हैं।
(c) जल विद्युत् एवं पवन ऊर्जा संयन्त्र प्रदूषण रहित ऊर्जा स्रोत है।
(d) नाभिकीय ऊर्जा संयन्त्र में उत्पन्न कचरे का आसानी से निस्तारण किया जा सकता है।
उत्तर:
(a) सूर्य एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है।

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प्रश्न 13.
जल विद्युत् संयन्त्र में अधिक विद्युत् ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है यदि जल अधिक ऊँचाई से गिरे क्योंकि –
(a) इसका तापमान बढ़ जाता है।
(b) अधिक स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है।
(c) जल में उपस्थिति से विद्युत् ऊर्जा ऊँचाई पर बढ़ जाती है।
(d) जल के अधिक अणु आयनों में विभक्त हो जाते हैं।
उत्तर:
(b) अधिक स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है।

प्रश्न 14.
पवन ऊर्जा के सन्दर्भ में निम्न में से असत्य कथन चुनिए –
(a) पवन ऊर्जा के दोहन की खुले क्षेत्र में न्यूनतम अपेक्षा की जाती है।
(b) बहुत अधिक ऊँचाई पर बहने वाली पवन में उपस्थित स्थितिज ऊर्जा पवन ऊर्जा का स्रोत है।
(c) पवन जब पवन चक्की के ब्लेड से टकराती है तो उसे घुमा देती है। इस प्रकार प्राप्त घूर्णन को पुनः प्रयुक्त किया जा सकता है।
(d) घूर्णन ऊर्जा के उपयोग का एक सम्भव तरीका यह है कि ब्लेडों के घूर्णन से एक विद्युत् जनित्र के टरबाइन को घुमाया जा सकता है।
उत्तर:
(b) बहुत अधिक ऊँचाई पर बहने वाली पवन में उपस्थित स्थितिज ऊर्जा पवन ऊर्जा का स्रोत है।

प्रश्न 15.
असत्य कथन चुनिए –
(a) हम अधिक पौधारोपण के लिए उत्साहित हैं जिससे अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सके तथा ईंधन के लिए जैव-मास (लकड़ी आदि) उपलब्ध हो सके।
(b) जब फसल के अपशिष्ट एवं वनस्पति अपशिष्टों का ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटन होता है तो गोबर गैस का निर्माण होता है।
(c) बायोगैस (गोबर गैस) का मुख्य अवयव ईथेन गैस है। यह अत्यधिक धुआँ देती है तथा अत्यधिक मात्रा में ठोस अपशिष्ट बनाती है।
(d) जैव-मास एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।
उत्तर:
(c) बायोगैस (गोबर गैस) का मुख्य अवयव ईथेन गैस है। यह अत्यधिक धुआँ देती है तथा अत्यधिक मात्रा में ठोस अपशिष्ट बनाती है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ….. का प्रमुख अवयव मीथेन है।
  2. कोयला ऊर्जा का ……….. स्रोत है।
  3. सौर तापन युक्ति की सतह ……… रंग दी जाती है।
  4. बायोमास ऊर्जा का …… स्रोत है।
  5. बाँधों का उपयोग ……. ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है।

उत्तर:

  1. बायो गैस।
  2. अनवीकरणीय।
  3. काली।
  4. नवीकरणीय।
  5. जल विद्युत्।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 2
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. जो ऊर्जा स्रोत अनवीकरणीय होते हैं, वे असमाप्य होते हैं।
  2. सौर ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पादन में किया जाता है।
  3. जो ऊर्जा स्रोत नवीकरणीय होते हैं, वे समाप्य होते हैं।
  4. सौर कुकर में बाह्य सतह काली कर दी जाती है।
  5. सोलर कुकर का उपयोग रात्रि में भी कर सकते हैं।

उत्तर:

  1. असत्य।
  2. सत्य।
  3. असत्य।
  4. सत्य।
  5. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. ऊर्जा का विशाल प्राकृतिक स्रोत क्या है?
  2. बायोगैस संयन्त्र के लिए मुख्य निवेशी घटक क्या है?
  3. रसोईघर में प्रयुक्त गैस का नाम लिखिए।
  4. दो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए।
  5. दो अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए।
    अथवा
  6. दो जीवाश्म ईंधन के नाम लिखिए। (2019)

उत्तर:

  1. सूर्य।
  2. जैव-मास।
  3. L.P.G.।
  4. जल, पवन।
  5. कोयला, पेट्रोलियम।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत:
वे ऊर्जा स्रोत जिनको हम सदियों से पारम्परिक रूप से प्रयोग करते आये हैं, पारम्परिक ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।

उदाहरण: लकड़ी, गोबर, कोयला, पेट्रोलियम आदि।

प्रश्न 2.
जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन (खनिज ईंधन):
“उच्च ताप एवं दाब पर जन्तु एवं वनस्पतियों के जीवाश्मों के अपघटन से भूगर्भ में निर्मित ईंधन जीवाश्म ईंधन या खनिज ईंधन कहलाता है।”

उदाहरण: कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।

प्रश्न 3.
जैव-मात्रा (जैवमास) किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जैव-मात्रा (जैवमास): “जन्तु एवं वनस्पतियों के अपशिष्ट जैव-मात्रा या जैवमास कहलाते है।”

प्रश्न 4.
बायोगैस किसे कहते हैं? इसका मुख्य अवयव क्या है?
उत्तर:
बायोगैस:
“बायो मात्रा के सूक्ष्मजीवियों द्वारा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटन के फलस्वरूप प्राप्त होने वाली गैस बायोगैस कहलाती है।” इसका प्रमुख अवयव मीथेन है।

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प्रश्न 5.
सोलर कुकर में काँच की पट्टी का क्या महत्व है?
उत्तर:
सोलर कुकर में काँच की पट्टी का महत्व-काँच की पट्टी और ऊर्जा के लिए पारगम्य है लेकिन बॉक्स की सतह से उत्सर्जित होने वाली अवरक्त किरणों के लिए अपारगम्य है। इस प्रकार अवशोषित ऊष्मा बॉक्स के अन्दर ही रहती है।

प्रश्न 6.
ज्वार-भाटा किसे कहते हैं? यह क्यों आता है?
उत्तर:
ज्वार-भाटा:
“सागर जल स्तर के चढ़ने एवं गिरने की घटना ज्वार-भाटा कहलाती है।” यह घूर्णन करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चन्द्रमा के गुरुत्वीय आकर्षण के कारण आता है।

प्रश्न 7.
महासागरीय तापीय ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
महासागरीय तापीय ऊर्जा:
“महासागर के जलस्तरों के बीच तापान्तर के कारण प्राप्त ऊर्जा महासागरीय तापीय ऊर्जा कहलाती है।”

प्रश्न 8.
पवन चक्की क्या होती है? इसका प्रमुख उपयोग क्या है?
उत्तर:
पवन चक्की:
“पवन ऊर्जा का सदुपयोग करने वाला संयन्त्र पवन चक्की कहलाता है।” पवन चक्की का प्रमुख उपयोग विद्युत् उत्पन्न करना है।

प्रश्न 9.
नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा:
“नाभिकीय अभिक्रियाओं जैसे नाभिकीय विखण्डन एवं नाभिकीय संलयन के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है।”

प्रश्न 10.
प्राकृतिक गैस क्या है तथा CNG किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक गैस एवं CNG:
“तेलकूपों से खनिज तेल के साथ तथा अन्य कूपों से प्राप्त ज्वलनशील गैसीय मिश्रण प्राकृतिक गैस कहलाती है।” उच्च दाब पर जब प्राकृतिक गैस को सम्पीडित किया जाता है तो इसे CNG कहते हैं।

प्रश्न 11.
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
“ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में निरन्तर उत्पन्न होते रहते हैं तथा समाप्त नहीं होते, नवीकरण णीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।”
उदाहरण: सूर्य, पवन, जल आदि।

प्रश्न 12.
अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत:
“ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में प्राचीन काल से तथा बहुत लम्बी अवधि से संचित हैं और जो निरन्तर उपयोग से समाप्त हो रहे हैं तथा पुनः आसानी से प्राप्त नहीं होते, अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत कहलाते हैं।”

उदाहरण:
जीवाश्म ईंधन; जैसे-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।

प्रश्न 13.
हम वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की ओर क्यों बढ़ रहे हैं? दो मुख्य कारण दीजिए।
उत्तर:
हम वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के उपयोग की तरफ इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि –

  1. अपने जीवन स्तर की गुणवत्ता सुधारने के लिए एवं बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण हमारी ऊर्जा की आवश्यकताएँ बढ़ने से माँग बढ़ रही है।
  2. खनिज जीवाश्म ईंधन का भण्डारण प्रकृति में सीमित है।

प्रश्न 14.
एक सोलर कुकर में समतल दर्पण एवं काँच की पट्टिका की क्या भूमिका है?
उत्तर:
समतल दर्पण एक परावर्तक का काम करता है तथा सौर ऊष्मा को कुकर पर डालता है। काँच की पट्टिका का काम पौधाघर प्रभाव पैदा करके सौर ऊर्जा को तो कुकर के अन्दर जाने देता है लेकिन कुकर से उत्सर्जित विकिरणों को बाहर नहीं आने देता।

प्रश्न 15.
“जीवाश्म ईंधन को जलाने से वैश्विक ऊष्मण होता है।” इस कथन की पुष्टि के लिए कारण दीजिए।
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड आदि पौधाघर प्रभाव (Green House Effect):
डालने वाली गैसें उत्पन्न होती हैं जो सौर ऊष्मा को तो वायुमण्डल में प्रवेश करने देती हैं लेकिन पृथ्वी की विकिरण ऊष्मा को अन्तरिक्ष में जाने से रोकती हैं। इस कारण पृथ्वी का ताप बढ़ता जाता है जिससे वैश्विक ऊष्मण होता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भूतापीय ऊर्जा क्या होती है? समझाइए।
उत्तर:
भूतापीय ऊर्जा:
पृथ्वी के गर्त में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। पृथ्वी के अन्दर कुछ चट्टानों का ताप काफी अधिक होता है जो चट्टानों में स्थित रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन से प्राप्त होता है। पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित तप्त चट्टानों वाले क्षेत्र, तप्त क्षेत्र कहलाते हैं। जब पृथ्वी के अन्दर स्थित जल इन चट्टानों के संपर्क में आता है तो वाष्प में परिणित हो जाता है तथा चट्टानों के बीच किसी भाग में एकत्रित हो जाता है। वाष्प के अधिक मात्रा में एकत्रित होने से दाब बढ़ जाता है। इन चट्टानों में छेद करके तथा पाइप डालकर वाष्प को निकालकर उससे टरबाइन चलाकर विद्युत् उत्पन्न की जाती है। इस ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 2.
ज्वारीय ऊर्जा एवं तरंग ऊर्जा को संक्षेप में समझाइए।
अथवा
महासागरीय ऊर्जा के दोहन के दो भिन्न तरीके लिखिए।
उत्तर:
ज्वारीय ऊर्जा:
घूर्णन करती पृथ्वी पर चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण सागरों के जल का स्तर चढ़ता-गिरता रहता है जिसको ज्वार-भाटा आना कहते हैं। सागर में ज्वार-भाटे की स्थिति निरन्तर चलती रहती है। ज्वार-भाटे में ऊर्जा होती है जिसका दोहन बाँध बनाकर तथा बाँध के द्वार पर टरबाइन स्थापित करके विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित करके किया जा सकता है।

तरंग ऊर्जा:
समुद्र तट के निकट विशाल तरंगों की गतिज ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पन्न करने में किया जा सकता है। जहाँ महासागर के पृष्ठों पर प्रबल तरंगें उत्पन्न होती हैं वहाँ विभिन्न युक्तियों के प्रयोग द्वारा टरबाइन चलाकर तरंगों की गतिज ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदला जा सकता है।

प्रश्न 3.
पवन ऊर्जा का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर:
पवन ऊर्जा के उपयोग-पवन ऊर्जा का उपयोग निम्न प्रकार किया जा सकता है –

  1. पवन क्षेत्रों में पवन चक्कियाँ लगाकर उनके द्वारा टरबाइन चलाकर विद्युत् ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
  2. पाल नौकाओं में दिशा परिवर्तन के लिए पवन ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है।
  3. पवन चक्की द्वारा जल पम्प चलाकर पानी निकाला जा सकता है।
  4. ग्लाइडर की उड़ान में पवन ऊर्जा का उपयोग होता है।
  5. पवन चक्की से आटा पीसने का काम किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
बायोगैस एक उपयुक्त ईंधन क्यों माना जाता है?
उत्तर:
बायोगैस की विशेषताएँ:

  1. बायोगैस के जलाने से प्रदूषण नहीं होता।
  2. बायोगैस के जलने से कोई ठोस अवशिष्ट नहीं बचता।
  3. इसका कैलोरी मान पर्याप्त होता है।
  4. यह नीली लौ के साथ जलती है। धुआँ नहीं देती तथा बर्तनों को काला भी नहीं करती।

प्रश्न 5.
बायोगैस संयन्त्र किसानों के लिए वरदान है, क्यों?
उत्तर:
बायोगैस संयन्त्र किसानों के लिए वरदान है, क्योंकि –

  1. आवश्यक कच्चा माल बायोमास, गोबर एवं कृषि अपशिष्ट किसानों के पास उपलब्ध होता है।
  2. अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण होता है।
  3. बायोगैस मिलती है जो एक आदर्श ईंधन है जिससे खाना पकाया जा सकता है, रोशनी की जा सकती है तथा विद्युत् उत्पन्न की जा सकती है। .
  4. बची स्लरी एक उत्तम खाद का कार्य करती है।

प्रश्न 6.
नाभिकीय ऊर्जा की क्या हानियाँ हैं?
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा से हानियाँ-इसकी निम्नलिखित हानियाँ हैं –

  1. रेडियोधर्मी विकिरण मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके द्वारा कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ हो सकती हैं।
  2. नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन के प्रत्येक चरण से प्राप्त “रेडियोधर्मी नाभिकीय कचरे” से वनस्पति एवं प्राणी जगत् को गम्भीर खतरा बना रहता ।
  3. नाभिकीय विकिरण से प्रभावित मनुष्य में आनुवंशिक विकृति उत्पन्न हो सकती है, जिसका दुष्प्रभाव आने वाली अनेक पीढ़ियों तक रहता है।
  4. नाभिकीय ऊर्जा पर आधारित परमाणु बम एवं हाइड्रोजन बम अत्यन्त विनाशकारी होते हैं।

प्रश्न 7.
सोलर कुकर के उपयोग के लाभ लिखिए। (2019)
उत्तर:
सौर कुकर के उपयोग के लाभ:

  1. ईंधन की बचत होती है।
  2. प्रदूषण नहीं होता है।
  3. रख-रखाव पर कोई खर्चा नहीं होता अर्थात् आर्थिक बचत होती है।
  4. खाना स्वादिष्ट एवं पौष्टिक बनता है।
  5. खाने के जलने की सम्भावना नहीं रहती।
  6. एक ही समय में चार-पाँच खाद्य पदार्थ पकाए जा सकते हैं।

सोलर कुकर के उपयोग की हानियाँ (सीमाएँ):

  1. सौर प्रकाश (धूप) की अनुपस्थिति में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता।
  2. वस्तुओं को तलने, रोटी-पूड़ी आदि सेकना सम्भव नहीं।
  3. खाना बनने में अधिक समय लगता है। इसलिए तुरन्त खाना नहीं बना सकते।
  4. चाय आदि बनाना मुश्किल ही नहीं असम्भव ही होता है।

हाँ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है जहाँ धूप (सूर्य प्रकाश) कम समय के लिए तथा कम तीव्रता की होती है।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आदर्श ईंधन के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
आदर्श ईंधन के प्रमुख लक्षण (Main Characteristics of Ideal Fuel):
आदर्श ईंधन के निम्नलिखित प्रमुख लक्षण हैं –

  1. ऊष्मीय मान उच्च होना।
  2. दहन दर का सरलता से नियन्त्रित होना।
  3. दहन ताप का उचित होना।
  4. पूर्णरूप से दहन होना।
  5. विषैले पदार्थों का अनुपस्थित होना।
  6. प्रदूषण मुक्त होना।
  7. अपशिष्ट पदार्थों का न्यूनतम होना।
  8. पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना।
  9. न्यूनतम मूल्य होना।
  10. भण्डारण आसान एवं सुरक्षित होना।
  11. परिवहन आसान एवं सुरक्षित होना।

प्रश्न 2.
अच्छे ईंधन का चयन (चुनाव) किस प्रकार किया जाता है? समझाइए।
उत्तर:
अच्छे ईंधन का चयन-अच्छे ईंधन के चयन के लिए हमको उस ईंधन में निम्न लक्षण देखने चाहिए कि –

  1. वह आसानी से जलता हो।
  2. वह लगातार जलता हो।
  3. वह पर्याप्त ऊर्जा मुक्त करता हो।
  4. वह पर्याप्त मात्रा में तथा आसानी से उपलब्ध हो।
  5. उसका परिवहन आसान एवं सुरक्षित हो।
  6. उसका भण्डारण आसान एवं सुरक्षित हो।
  7. वह जलने पर वायु को प्रदूषित नहीं करता हो।
  8. वह धुआँ नहीं देता हो तथा बर्तनों को काला भी नहीं करता हो।
  9. उसके जलने पर ठोस अवशिष्ट पदार्थ (राख) भी नहीं बचती हो।
  10. उसकी कीमत भी अधिक न हो।
  11. अगर किसी ईंधन में उपर्युक्त लक्षण हों तो वह अच्छा ईंधन होगा।

प्रश्न 3.
सौर ऊर्जा पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
सौर ऊर्जा:
सूर्य, ऊर्जा का सबसे अधिक प्रत्यक्ष एवं विशाल प्राकृतिक स्रोत है। यह एक नवीकरणीय स्रोत है। सूर्य लगभग 4.6 × 109 वर्ष से लगातार अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विकरित कर रहा है और आगे भी करता रहेगा। इसकी इस ऊर्जा की उत्पत्ति का कारण इसके केन्द्र में विद्यमान हाइड्रोजन का उच्च ताप एवं दाब के कारण नाभिकीय संलयन की क्रिया है जिसके फलस्वरूप हीलियम बनती है तथा द्रव्यमान क्षति के कारण अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसके विकिरण में रेडियो तरंगों से लेकर गामा तरंगों तक सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें उपस्थित रहती हैं। एक्स एवं गामा किरणें आयनमंडल का निर्माण करके पृथ्वी को जीवधारी ग्रह बनाने में मदद करती हैं।

सौर ऊर्जा के कारण ही हरे पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। इसके कारण ही पवन प्रवाहित होती है, चक्रवात एवं जलचक्र सम्पन्न होते हैं। भारतवर्ष प्रतिवर्ष सूर्य से 5 × 108 करोड़ किलो वाट घण्टा सौर ऊर्जा प्राप्त करता है।
हमारे वायुमण्डल की ऊपरी सतह का प्रत्येक वर्ग मीटर लगभग 1.4 किलो जूल ऊर्जा प्रति सेकण्ड प्राप्त करता है जिसका लगभग 47% भाग पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है तथा शेष भाग अन्तरिक्ष में परावर्तित हो जाता है।

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प्रश्न 4.
आजकल नाभिकीय ऊर्जा को उपयोगी बनाने के लिए कौन-सी प्रक्रिया अपनायी जाती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
नाभिकीय रिएक्टर के मुख्य भागों के नाम लिखकर उन्हें चित्र द्वारा संक्षिप्त में समझाइए।
अथवा
नाभिकीय रिएक्टर का वर्णन निम्न शीर्षकों में कीजिए –
(i) नामांकित चित्र।
(ii) कार्यविधि।
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा को उपयोगी बनाने के लिए नाभिकीय रियेक्टर द्वारा विद्युत् उत्पादन करते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 3
नाभिकीय रिएक्टर का वर्णन (Description of Nuclear Reactor):
नाभिकीय रिएक्टर कंक्रीट की मोटी दीवारों से बनाया जाता है। इसमें नियन्त्रित नाभिकीय विखण्डन की क्रिया द्वारा अत्यधिक मात्रा में ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, जिससे जल को वाष्पित करके, उस वाष्प से टर्बाइन चलाकर विद्युत् ऊर्जा प्राप्त की जाती है। इसका उपयोग मानव कल्याण के लिये रचनात्मक कार्यों में किया जाता है।
एक सामान्य नाभिकीय रिएक्टर में निम्न अवयव होते हैं –

  1. ईंधन (Fuel): परिष्कृत यूरेनियम (U235) एवं प्लूटोनियम (Pu239) का उपयोग ईंधन के लिये होता है।
  2. नियन्त्रक (Controller): नाभिकीय क्रिया के नियन्त्रण के लिये कैडमियम तथा बोरॉन की छड़ें प्रयुक्त होती हैं। ये न्यूट्रॉन के अच्छे अवशोषक हैं।
  3. मन्दक (Moderator): ग्रेफाइट, कैडमियम का उपयोग न्यूट्रॉन की गति को कम करने के लिये मंदक के रूप में किया जाता है।
  4. शीतलक (Coolant): नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त असीम ऊष्मीय ऊर्जा के अवशोषण के लिये भारी पानी तथा द्रवित सोडियम का उपयोग शीतलक के रूप में होता है।

कार्यविधि (Working) यूरेनियम:
235 का न्यूट्रॉनों के द्वारा विखण्डन कराया जाता है। मंदक द्वारा न्यूट्रॉन की गति कम कर दी जाती है। नियन्त्रक द्वारा अतिरिक्त न्यूट्रॉनों को अवशोषित कर लिया जाता है। उत्पन्न असीम ऊर्जा को भारी पानी या सोडियम द्वारा अवशोषण कर लिया जाता है, जिसका उपयोग विद्युत् उत्पादन में कर लिया जाता है।

प्रश्न 5.
पवन चक्की का वर्णन निम्न बिन्दुओं के वायु का टकराना आधार पर कीजिए –
(i) नामांकित चित्र।
(ii) कार्यकारी सिद्धान्त।
उत्तर:
कार्यकारी सिद्धान्त:
जब पवन चक्की के ब्लेडों से वायु टकराती है तो उन ब्लेडों पर एक बल लगता है। जिससे उसके ब्लेड घूमने लगते हैं। ब्लेडों के घूमने से पवन चक्की भी घूमने लगती है। पवन चक्की का घूर्णन उसके ब्लेडों की विशिष्ट बनावट के कारण सम्भव होता है जो विद्युत् पंखों के ब्लेडों के समान होती है। जिस प्रकार पंखे के ब्लेडों के घूमने से वायु गतिशील हो जाती है। इसके ठीक विपरीत उसी प्रकार गतिशील वायु से ब्लेड घूमते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 4

प्रश्न 6.
जल-विद्युत् उत्पादक यन्त्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
जल-विद्युत् का उत्पादन किस प्रकार किया जाता है? चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
जल-विद्युत् उत्पादक यन्त्र (Hydroelectric Generator):
जल-विद्युत् उत्पादक यन्त्र के प्रमुख दो अंग होते हैं –
(1) जेनरेटर।
(2) टर्बाइन।
(1) जेनरेटर (Generator):
जेनरेटर के दो भाग होते हैं –
(i) स्टेटर (Stator): यह भाग स्थिर रहता है। यह एक खोखले बेलन के अन्दर कई कुण्डलियों से बनाया जाता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 5
(ii) रोटर (Rotor): यह भाग एक धुरी पर घूर्णन करता है। घूर्णन करने वाली धुरी पर शक्तिशाली चुम्बक के अनेक दुकड़े संगलित करके इसे बनाया जाता है।

(2) टर्बाइन (Turbine): टर्बाइन की धुरी रोटर की धुरी से दृढ़ता से जुड़ी रहती है।

कार्यविधि (Working):
जब टर्बाइन को प्राकृतिक या कृत्रिम जल प्रपात के द्वारा घुमाया जाता है तो रोटर की धुरी पर जुड़े चुम्बक, स्टेटर के मध्य घूर्णन करने लगते हैं जिससे कुण्डलियों में विद्युत् धारा उत्पन्न होती है। इस प्रकार उत्पन्न विद्युत् जल-विद्युत् कहलाती है।

प्रश्न 7.
सौर सेल पेनल का सचित्र वर्णन कीजिए। सौर सेल पेनल की क्रियाविधि एवं उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
सौर सेल पेनल:
सौर सेलों का विशिष्ट क्रम में संकलन सौर सेल पेनल कहलाता है जहाँ सौर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करनी की एक युक्ति है।

सौर सेल पेनल की क्रियाविधि:
जब किसी सौर सेल या सौर सेल पेनल में प्रयुक्त अर्द्धचालकों पर सौर प्रकाश डाला जाता है, तो उससे इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होकर प्रवाहित होने लगते हैं। इसके फलस्वरूप परिपथ में धारा प्रवाहित होने लगती है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 6
सौर सेल पेनल की उपयोगिता:

  1. तट से दूर निर्मित खनिज तेल के कुएँ खोदने के यन्त्रों तक विद्युत् आपूर्ति करना।
  2. दूरदर्शन की अभिग्रहियों को प्रचालित करने के लिए।
  3. दुर्गम क्षेत्रों में विद्युत् आपूर्ति करने में।
  4. कृत्रिम उपग्रहों एवं अन्तरिक्ष अन्वेषकों के लिए प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में।
  5. रेडियो एवं बेतार संचार यन्त्रों, यातायात संकेतों आदि के संचालन में।
  6. सड़क प्रकाश योजना में।

प्रश्न 8.
सौर ऊष्मक (कुकर) का निम्न शीर्षकों में वर्णन कीजिए –

  1. सिद्धान्त।
  2. उपकरण का नामांकित चित्र।
  3. कार्यविधि।
  4. उपयोग।

अथवा
सोलर कुकर का चित्र बनाकर कार्यविधि समझाइए।
अथवा
सोलर कुकर का वर्णन कीजिए। स्वच्छ नामांकित चित्र बनाकर इसके प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर:
सौर ऊष्मक (कुकर) का सिद्धान्त:
काले और खुरदरे पदार्थ ऊष्मा के अच्छे अवशोषक होते हैं। अतः काली तापन युक्ति को सूर्य के प्रकाश में रख देते हैं तो वह सौर ऊष्मा को अवशोषित कर लेती है। यदि इसे काँच की पट्टिका द्वारा ढक दिया जाये तो उत्सर्जन द्वारा होने वाले ऊष्मा ह्रास को रोका जा सकता है जिससे अन्दर के ताप में वृद्धि होती रहती है।

कार्यविधि:
सौर ऊष्मक को धूप में रखा जाता है। ढक्कन को इस प्रकार समंजित सूर्य)४ किया जाता है कि सूर्य का प्रकाश समतल दर्पण से परावर्तित होकर, सौर ऊष्मक के अन्दर प्रवेश करे। बॉक्स के अन्दर का काला रंग तथा बर्तनों के बाहर का काला रंग ऊष्मा को अवशोषित करता है। बॉक्स के ऊपर रखी हुई काँच की प्लेट ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करती है जिसके कारण बॉक्स के अन्दर का ताप बढ़ता जाता है, जिससे भोजन पक जाता है।

उपयोग:
सौर ऊष्मक का उपयोग प्रायः खाना बनाने में किया जाता है। आजकल मूंगफली भूनने, अनाज के दाने भूनने में भी सौर ऊष्मक का उपयोग किया जाता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 7

प्रश्न 9.
स्थायी गुम्बद प्रकार के बायो गैस (गोबर गैस) संयन्त्र का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्थिर गुम्बदनुमा टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र:
इस संयन्त्र में गैस एकत्रित करने के लिए गुम्बदनुमा स्थिर टंकी रहती है। इसलिए इसे स्थिर गुम्बदनुमा टंकी वाला बायोगैस संयन्त्र कहते हैं। इसके प्रमुखतः निम्नलिखित चार भाग होते हैं –
(1) संपाचक टैंक (Digestion Tank):
यह टैंक कंक्रीट द्वारा जमीन के अन्दर या बाहर बनाया जाता है। इसी के अन्दर जन्तु अवशेषों के आसानी से अनॉक्सी सूक्ष्म-जीवों द्वारा पानी की उपस्थिति में अपघटन से मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे बायोगैस कहते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 8

(2) मिलाने का टैंक (Mixing Tank):
यह टैंक सीमेण्ट से जमीन के ऊपर बनाया जाता है। इसका सम्बन्ध संपाचक टैंक से होता है। इस टैंक में गोबर में जल मिलाकर घोल बनाया जाता है जिसे एक खिड़की की सहायता से संपाचक टैंक में भेज दिया जाता है।

(3) गुम्बदनुमा टैंक (Dome Type Tank):
यह टैंक बायोगैस को एकत्रित करने के काम आता है। यह गुम्बद के आकार का होता है तथा संपाचक टैंक के ऊपर स्थित होता है। इसके ऊपर गैस वाल्व सहित गैस निर्गम पाइप लगा होता है जिसके द्वारा गैस की आपूर्ति की जाती है।

(4) निर्गम टैंक (Exhaust Tank):
यह टैंक संपाचक टैंक से लगा हुआ होता है। इसका सम्बन्ध संपाचक टैंक से एक खिड़की के द्वारा होता है जिसमें से स्लरी निकलकर इस टैंक में एकत्रित होती रहती है। दाब बढ़ने पर यह स्लरी बाहर आ जाती है। यह उत्तम किस्म की खाद का काम करती है।

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प्रश्न 10.
तैरती हुई टंकी वाले बायो गैस संयन्त्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तैरती हुई टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र:
इस संयन्त्र में गैस की टंकी पानी में तैरती है, इसलिए इसे तैरती हुई टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र कहते हैं। इसके मुख्यतः निम्नलिखित भाग होते हैं –
(1) मिश्रण टैंक (Mixing Tank): इसमें गोबर और पानी का घोल तैयार किया जाता है।

(2) संपाचक टैंक (Digestion Tank):
गोबर पानी का घोल मिश्रण टैंक से संपाचक टैंक में आ जाता है तब यहाँ सूक्ष्मजीवी द्वारा इसका अपघटन होने से बायो गैस का निर्माण होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 9
(3) गैस की तैरती टंकी (Floating Tank of Gas):
यह टंकी पानी में तैरती रहती है। इसमें गैस एकत्रित होती रहती है। इस टंकी में गैस-वाल्व युक्त गैस निर्गम पाइप लगा होता है जिससे गैस की आपूर्ति की जाती है।

(4) स्लरी निर्गम टैंक (Slurry Exhaust Tank): अवशेष स्लरी इस टैंक में एकत्रित हो जाती है जो खाद के रूप में प्रयुक्त होती है।

प्रश्न 11.
“ऊर्जा संकट के दौर में नाभिकीय ऊर्जा का विकल्प प्रासंगिक है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ऊर्जा संकट के दौर में नाभिकीय ऊर्जा का विकल्प-जनसंख्या बेतहाशा बढ़ रही है। भौतिक संसाधनों के उपयोग की प्रवृत्ति बहुत तेजी से बढ़ रही है। हमारे परम्परागत ऊर्जा स्रोत सीमित एवं निश्चित हैं लेकिन उनकी खपत की दर बहुत तीव्र है। यही हाल रहा तो हमारे सभी परम्परागत ऊर्जा स्रोत शीघ्र समाप्त हो जायेंगे और मानव जीवन दुश्वार हो जायेगा। न खाना बन पायेगा और न पानी ही गर्म होगा। चारों ओर अँधेरा ही अँधेरा नजर आयेगा। विकट ऊर्जा संकट पैदा हो जायेगा।

ऊर्जा संकट के इस दौर में नाभिकीय ऊर्जा का विकल्प ही सामने रहता है। इससे अपार ऊर्जा प्राप्त हो सकती है। नाभिकीय ऊर्जा से इतनी विशाल मात्रा में विद्युत् ऊर्जा तैयार की जा सकती है जो हमारी सम्पूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। इससे ग्लोबल वार्मिंग वाली गैसें भी नहीं बनेंगी व पर्यावरण प्रदूषण मुक्त रहेगा।

लेकिन नाभिकीय विद्युत् गृहों में घटित, चेरनोबिल (सोवियत संघ) एवं थ्रीमाइल द्वीप (अमेरिका) जैसी दुर्घटनाएँ मन में आशंका उत्पन्न करती हैं। अतः इनके संयमित एवं सावधानीपूर्वक उपयोग करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 12.
ऊर्जा संकट के इस दौर में दैनिक जीवन में ऊर्जा के सदुपयोग करने के लिए किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
ऊर्जा समाज की मूलभूत आवश्यकता है। जिस तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ रही है तथा जिस तीव्र गति से ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि पारम्पारिक ऊर्जा स्रोत शीघ्र ही समाप्त हो जायेंगे क्योंकि वर्तमान ऊर्जा आपूर्ति मुख्य रूप से इन स्रोतों पर ही निर्भर है। इससे एक विशाल ऊर्जा संकट पैदा हो जायेगा। अतः ऊर्जा संकट के इस दौर में हमें दैनिक जीवन में ऊर्जा के सदुपयोग करने के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए –

  1. ऊर्जा के परम्परागत स्रोतों का उपयोग मितव्ययिता के साथ करना चाहिए।
  2. घरों में विद्युत् बल्बों के स्थान पर एल. ई. डी या सी. एफ. एल. का उपयोग करना चाहिए तथा ए. सी., माइक्रोवेव आदि का कम से कम उपयोग करना चाहिए।
  3. विवाह समारोह आदि में जहाँ तक हो सके विद्युत् ऊर्जा का कम से कम उपयोग करना चाहिए। अनावश्यक रूप से ऊर्जा का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
  4. जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल, डीजल, कैरोसीन) का विवेकपूर्ण एवं मितव्ययिता से प्रयोग करना चाहिए।
  5. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
  6. सौर ऊर्जा पर आधारित उपकरणों (सोलर कुकर, सोलर जल ऊष्मक, सौर सेल पैनल) का उपयोग बहुतायत में करना चाहिए।
  7. जैव ईंधन (बायोगैस) पर आधारित तकनीक और उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।
  8. पवन ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न 13.
ताप विद्युत् उत्पादन की प्रक्रिया को निदर्शित करने के लिए एक मॉडल का नामांकित चित्र बनाइए तथा उसकी क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
संलग्न चित्रानुसार ताप विद्युत् उत्पादन को निदर्शित करने हेतु एक मॉडल बनाइए। जब कुकर को गर्म करते हैं तो उसका जल वाष्पीकृत होकर भाप नली से होता हुआ टरबाइन की पंखुड़ियों पर दबाव डालता है जिसे पंखुड़ियाँ घूमती हैं इससे रोटर घूमता है जिससे डायनमो (जनित्र) का थैफ्ट घूमता है जिससे विद्युत् उत्पादन होता है जिसका निदर्शन बल्ब के जलने से होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 10

प्रश्न 14.
सौर ऊर्जा का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है और ऊर्जा के उपयोग की दो सीमाएँ लिखिए। किस प्रकार इन बाधाओं को दूर किया जा सकता है?
उत्तर:
सौर ऊर्जा का उपयोग सौर कुकर, सौर जल ऊष्मक के द्वारा किया जा सकता है। ये सौर तापन युक्ति द्वारा सम्भव होता है।

सौर तापन युक्तियाँ (Solar Heating Devices):
वे युक्तियाँ जिनके द्वारा सौर ऊर्जा का उपयोग ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में पानी गरम करने या खाना पकाने के कार्य में लाया जाता है, सौर तापन युक्तियाँ कहलाती हैं।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 11

सौर तापन युक्ति का सिद्धान्त (Principle of Solar Heating Device):
कृष्ण (काली) सतह ऊष्मीय ऊर्जा की अच्छी अवशोषक होती है। अत: सौर प्रकाश में रखी हुई कोई कृष्ण पट्टिका (काली सतह) एक सरल सौर तापन युक्ति मानी जा सकती है परन्तु वायुमण्डल का ताप गिरने पर यही कृष्ण पट्टिका (काली सतह) ऊष्मा को विकरित करना प्रारम्भ कर देती है, जब तक कि इसका ताप वायुमण्डल के ताप के बराबर न हो जाये। यदि इस युक्ति को काँच की प्लेट से ढक दिया जाये तो इस प्रकार विकिरण से होने वाले ऊर्जा हास को रोका जा सकता है।

सौर ऊर्जा के उपयोग की सीमाएँ:

  1. इसका उपयोग रात्रि में नहीं किया जा सकता।
  2. इसका उपयोग केवल सूर्य के प्रकाश में दिन में किया जा सकता है।

सौर ऊर्जा के उपयोग की बाधाओं को दूर करना:
इसके लिए हमको सौर सेल पेनलों का उपयोग करके सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करके बैटरी में संचित कर लेना चाहिए।

प्रश्न 15.
अपारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की क्या आवश्यकता है? महासागरीय ऊर्जा का किन भिन्न-भिन्न तरीकों से दोहन किया जा सकता है?
उत्तर:
अपारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की आवश्यकता:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत हमारी जीवन शैली के बढ़ते स्तर के कारण उत्पन्न ईंधन की अत्यधिक आवश्यकता की आपूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं है इसलिए हम ऊर्जा के वैकल्पिक (गैर-परम्परागत) ऊर्जा स्रोत की ओर बढ़ रहे हैं।

महासागरीय ऊर्जा के उपयोग (दोहन) के विभिन्न विधियाँ:
पृथ्वी के गर्त में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। पृथ्वी के अन्दर कुछ चट्टानों का ताप काफी अधिक होता है जो चट्टानों में स्थित रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन से प्राप्त होता है। पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित तप्त चट्टानों वाले क्षेत्र, तप्त क्षेत्र कहलाते हैं। जब पृथ्वी के अन्दर स्थित जल इन चट्टानों के संपर्क में आता है तो वाष्प में परिणित हो जाता है तथा चट्टानों के बीच किसी भाग में एकत्रित हो जाता है। वाष्प के अधिक मात्रा में एकत्रित होने से दाब बढ़ जाता है। इन चट्टानों में छेद करके तथा पाइप डालकर वाष्प को निकालकर उससे टरबाइन चलाकर विद्युत् उत्पन्न की जाती है। इस ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

ज्वारीय ऊर्जा:
घूर्णन करती पृथ्वी पर चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण सागरों के जल का स्तर चढ़ता-गिरता रहता है जिसको ज्वार-भाटा आना कहते हैं। सागर में ज्वार-भाटे की स्थिति निरन्तर चलती रहती है। ज्वार-भाटे में ऊर्जा होती है जिसका दोहन बाँध बनाकर तथा बाँध के द्वार पर टरबाइन स्थापित करके विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित करके किया जा सकता है।

प्रश्न 16.
परम्परागत एवं अपरम्परागत ऊर्जा स्रोतों की एक लिस्ट (तालिका) बनाइए। किसी एक अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत से ऊर्जा के उपयोग का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत: जीवाश्म या खनिज ईंधन, जल, पवन एवं जीव-मास आदि।

अपरम्परागत ऊर्जा स्त्रोत: नाभिकीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, महासागरीय ऊर्जा स्रोत एवं भूतापीय ऊर्जा स्रोत।

सौर ऊर्जा से ऊर्जा का दोहन (सौर सेल पेनल द्वारा):
सौर सेलों का विशिष्ट क्रम में संकलन सौर सेल पेनल कहलाता है जहाँ सौर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करनी की एक युक्ति है।

सौर सेल पेनल की क्रियाविधि:
जब किसी सौर सेल या सौर सेल पेनल में प्रयुक्त अर्द्धचालकों पर सौर प्रकाश डाला जाता है, तो उससे इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होकर प्रवाहित होने लगते हैं। इसके फलस्वरूप परिपथ में धारा प्रवाहित होने लगती है।

सौर सेल पेनल की उपयोगिता:

  1. तट से दूर निर्मित खनिज तेल के कुएँ खोदने के यन्त्रों तक विद्युत् आपूर्ति करना।
  2. दूरदर्शन की अभिग्रहियों को प्रचालित करने के लिए।
  3. दुर्गम क्षेत्रों में विद्युत् आपूर्ति करने में।
  4. कृत्रिम उपग्रहों एवं अन्तरिक्ष अन्वेषकों के लिए प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में।
  5. रेडियो एवं बेतार संचार यन्त्रों, यातायात संकेतों आदि के संचालन में।
  6. सड़क प्रकाश योजना में।

प्रश्न 17.
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा अन्ततः प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सूर्य से ही प्राप्त होती है? क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
हाँ, हम सहमत हैं कि विभिन्न ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा वास्तव में सूर्य से ही उत्पादित है।
सौर ऊर्जा:
सूर्य, ऊर्जा का सबसे अधिक प्रत्यक्ष एवं विशाल प्राकृतिक स्रोत है। यह एक नवीकरणीय स्रोत है। सूर्य लगभग 4.6 × 109 वर्ष से लगातार अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विकरित कर रहा है और आगे भी करता रहेगा। इसकी इस ऊर्जा की उत्पत्ति का कारण इसके केन्द्र में विद्यमान हाइड्रोजन का उच्च ताप एवं दाब के कारण नाभिकीय संलयन की क्रिया है जिसके फलस्वरूप हीलियम बनती है तथा द्रव्यमान क्षति के कारण अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसके विकिरण में रेडियो तरंगों से लेकर गामा तरंगों तक सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें उपस्थित रहती हैं। एक्स एवं गामा किरणें आयनमंडल का निर्माण करके पृथ्वी को जीवधारी ग्रह बनाने में मदद करती हैं।

सौर ऊर्जा के कारण ही हरे पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। इसके कारण ही पवन प्रवाहित होती है, चक्रवात एवं जलचक्र सम्पन्न होते हैं। भारतवर्ष प्रतिवर्ष सूर्य से 5 × 108 करोड़ किलो वाट घण्टा सौर ऊर्जा प्राप्त करता है। हमारे वायुमण्डल की ऊपरी सतह का प्रत्येक वर्ग मीटर लगभग 1.4 किलो जूल ऊर्जा प्रति सेकण्ड प्राप्त करता है जिसका लगभग 47% भाग पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है तथा शेष भाग अन्तरिक्ष में परावर्तित हो जाता है।

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प्रश्न 18.
जैव-मात्रा क्या है? एक बायो गैस (गोबर गैस) संयन्त्र का सिद्धान्त एवं कार्यविधि का नामांकित रेखाचित्र की सहायता से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैव-मात्रा: “जन्तु एवं वनस्पतियों के अपशिष्ट जैव-मात्रा या जैवमास कहलाते है।”

स्थिर गुम्बदनुमा टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र:
इस संयन्त्र में गैस एकत्रित करने के लिए गुम्बदनुमा स्थिर टंकी रहती है। इसलिए इसे स्थिर गुम्बदनुमा टंकी वाला बायोगैस संयन्त्र कहते हैं। इसके प्रमुखतः निम्नलिखित चार भाग होते हैं –
(1) संपाचक टैंक (Digestion Tank):
यह टैंक कंक्रीट द्वारा जमीन के अन्दर या बाहर बनाया जाता है। इसी के अन्दर जन्तु अवशेषों के आसानी से अनॉक्सी सूक्ष्म-जीवों द्वारा पानी की उपस्थिति में अपघटन से मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे बायोगैस कहते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 8

(2) मिलाने का टैंक (Mixing Tank):
यह टैंक सीमेण्ट से जमीन के ऊपर बनाया जाता है। इसका सम्बन्ध संपाचक टैंक से होता है। इस टैंक में गोबर में जल मिलाकर घोल बनाया जाता है जिसे एक खिड़की की सहायता से संपाचक टैंक में भेज दिया जाता है।

(3) गुम्बदनुमा टैंक (Dome Type Tank):
यह टैंक बायोगैस को एकत्रित करने के काम आता है। यह गुम्बद के आकार का होता है तथा संपाचक टैंक के ऊपर स्थित होता है। इसके ऊपर गैस वाल्व सहित गैस निर्गम पाइप लगा होता है जिसके द्वारा गैस की आपूर्ति की जाती है।

(4) निर्गम टैंक (Exhaust Tank):
यह टैंक संपाचक टैंक से लगा हुआ होता है। इसका सम्बन्ध संपाचक टैंक से एक खिड़की के द्वारा होता है जिसमें से स्लरी निकलकर इस टैंक में एकत्रित होती रहती है। दाब बढ़ने पर यह स्लरी बाहर आ जाती है। यह उत्तम किस्म की खाद का काम करती है।

तैरती हुई टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र:
इस संयन्त्र में गैस की टंकी पानी में तैरती है, इसलिए इसे तैरती हुई टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र कहते हैं। इसके मुख्यतः निम्नलिखित भाग होते हैं –
(1) मिश्रण टैंक (Mixing Tank): इसमें गोबर और पानी का घोल तैयार किया जाता है।

(2) संपाचक टैंक (Digestion Tank):
गोबर पानी का घोल मिश्रण टैंक से संपाचक टैंक में आ जाता है तब यहाँ सूक्ष्मजीवी द्वारा इसका अपघटन होने से बायो गैस का निर्माण होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 9
(3) गैस की तैरती टंकी (Floating Tank of Gas):
यह टंकी पानी में तैरती रहती है। इसमें गैस एकत्रित होती रहती है। इस टंकी में गैस-वाल्व युक्त गैस निर्गम पाइप लगा होता है जिससे गैस की आपूर्ति की जाती है।

(4) स्लरी निर्गम टैंक (Slurry Exhaust Tank): अवशेष स्लरी इस टैंक में एकत्रित हो जाती है जो खाद के रूप में प्रयुक्त होती है।

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MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

MP Board Class 10th Science Chapter 13 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न शृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 250

प्रश्न 1.
चुम्बक के निकट लाने पर दिक् सूचक की सुई विक्षेपित क्यों होती है?
उत्तर:
दिक् सूचक भी एक छोटा चुम्बक है तथा दो चुम्बकों के ध्रुवों के मध्य आकर्षण एवं प्रतिकर्षण के बल कार्य करते हैं फलस्वरूप दिक् सूचक की सुई चुम्बक के निकट लाने पर विक्षेपित हो जाती है।

प्रश्न शृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 255

प्रश्न 1.
किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:
छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 1

प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए। (2019)
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण:

  1. चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चिकने बन्द वक्र होते हैं जो परस्पर कभी प्रतिच्छेद नहीं करते।
  2. ये रेखाएँ चुम्बक के बाहर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।
  3. अधिक प्रबलता वाले चुम्बकीय क्षेत्र में ये क्षेत्र रेखाएँ पास-पास तथा कम प्रबलता वाले क्षेत्र में दूर-दूर होती हैं।

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प्रश्न 3.
दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ अगर परस्पर प्रतिच्छेद करेंगी तो प्रतिच्छेद बिन्दु पर क्षेत्र की तीव्रता की दो दिशाएँ होंगी जो असम्भव हैं।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 256-257

प्रश्न 1.
मेज के तल पर पड़े तार के वृत्ताकार पाथ पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाथ में दक्षिणावर्त विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त-अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाथ के भीतर तथा बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
पाथ के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाथ के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर होगी तथा पाथ के बाहर ऊपर की ओर।

प्रश्न 2.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
हल:
समान चुम्बकीय क्षेत्र के लिए आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 2

प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिएकिसी विद्युत् धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र –
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरों की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरों की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिन्दुओं पर समान रहता है।
उत्तर:
(d) सभी बिन्दुओं पर समान रहता है।

प्रश्न श्रृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 259

प्रश्न 1.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुम्बकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते है)
(a) द्रव्यमान।
(b) चाल।
(c) वेग।
(d) संवेग।
उत्तर:
(c) वेग एवं (d) संवेग।

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प्रश्न 2.
पाठ्य-पुस्तक के क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि –
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत् धारा में वृद्धि हो जाय।
(ii) अधिक प्रबल नाल चुम्बक प्रयोग किया जाय।
(iii) छड़ AB की लम्बाई में वृद्धि कर दी जाये।
उत्तर:
छड़ AB के विस्थापन की दिशा में उपर्युक्त तीनों स्थितियों (a), (b) एवं (c) में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा प्रत्येक स्थिति में छड़ पर बल अधिक लगेगा। इसलिए विस्थापन तेज तथा अधिक होगा।

प्रश्न 3.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेश कण (अल्फा कण) किसी चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी?
(a) दक्षिण की ओर।
(b) पूर्व की ओर।
(c) अधोमुखी।
(d) उपरिमुखी।
उत्तर:
(d) उपरिमुखी।

प्रश्न शृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 261

प्रश्न 1.
फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम लिखिए। (2019)
उत्तर:
फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम:
“अपने वाम-हस्त (बाएँ हाथ) की तर्जनी, मध्यमा एवं अंगूठे को हम परस्पर लम्बवत् दिशा में फैलाएँ और यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करती है, तो अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर लगने वाले बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 3

प्रश्न 2.
विद्युत् मोटर का क्या सिद्धान्त है?
उत्तर:
विद्युत् मोटर का सिद्धान्त-विद्युत् मोटर विद्युत् धारा के चुम्बकीय प्रभाव के सिद्धान्त पर कार्य करता है जिसके परिणामस्वरूप विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। यह फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम पर आधारित होता है। इसके आधार पर चुम्बकीय क्षेत्र में रखी धारावाही कुण्डली पर आरोपित बलों के कारण कुण्डली घूमती है।

प्रश्न 3.
विद्युत् मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विभक्त वलय के कारण मोटर DC विद्युत् पर कार्य करती है। विभक्त वलय की भूमिका दिक् परिवर्तक की है।

प्रश्न श्रृंखला-6 # पृष्ठ संख्या 264

प्रश्न 1.
किसी कुण्डली में विद्युत् धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी कुण्डली में विद्युत् धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग:

  1. एक प्रबल चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली की तरफ लाने पर कुण्डली में वामवर्त विद्युत् धारा प्रेरित होगी।
  2. प्रबल चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाने पर कुण्डली में दक्षिणावर्त विद्युत् धारा प्रेरित होगी।
  3. इसके दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली की ओर लाने पर कुण्डली में दक्षिणावर्त विद्युत् धारा प्रेरित होगी।
  4. दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाने पर कुण्डली में वामावर्त विद्युत् धारा प्रेरित होगी।
  5. चुम्बक को स्थिर रखकर कुण्डली में सापेक्ष गति कराने पर भी कुण्डली में विद्युत् धारा प्रेरित होगी।

प्रश्न शृंखला-7 # पृष्ठ संख्या 265-266

प्रश्न 1.
विद्युत् जनित्र का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् जनित्र का सिद्धान्त-विद्युत् जनित्र का सिद्धान्त विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की परिघटना पर आधारित है जिसके अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा प्रवाहित होती है जिसकी दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम पर आधारित है तथा इससे यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दिष्ट धारा के स्रोत:

  1. दिष्ट धारा जनित्र।
  2. रासायनिक विद्युत् सेल (बैटरी)।
  3. सौर विद्युत् सेल आदि।

प्रश्न 3.
प्रत्यावर्ती विद्युत् धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रत्यावर्ती विद्युत् धारा जनित्र।

प्रश्न 4.
सही विकल्प का चयन कीजिए –
ताँबे के तार की एक आयताकार कुण्डली किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात् परिवर्तन होता है?
(a) दो।
(b) एक।
(c) आधे।
(d) चौथाई।
उत्तर:
(c) आधे।

प्रश्न श्रृंखला-8 # पृष्ठ संख्या 267

प्रश्न 1.
विद्युत् परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् परिपथों एवं साधित्रों में प्रयुक्त सुरक्षा उपाय:

  1. भू-सम्पर्कन।
  2. विद्युत् फ्यूज।

प्रश्न 2.
2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत् तंदूर किसी घरेलू परिपथ (220 V) में प्रचलित किया जाता है जिसका विद्युत् धारा अनुमतांक 5 A है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चूँकि परिपथ में अधिकतम प्रयुक्त हो सकने वाली शक्ति की मात्रा P = 220 V × 5 A = 1100 W अर्थात् 1.1 kW है जबकि तंदूर की शक्ति 2 kW है जो अधिक है अतः अतिभारण के कारण विद्युत् फ्यूज उड़ जायेगा।

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प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत् परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर:
अतिभारण से बचने के लिए परिपथ के गर्म तारों के साथ उपयुक्त विद्युत् फ्यूज लगा देना चाहिए।

MP Board Class 10th Science Chapter 13 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लम्बे विद्युत्वाही तार के निकट चुम्बकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लम्बवत् होती हैं।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समान्तर होती हैं।
(c) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्री क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।
उत्तर:
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्री क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।

प्रश्न 2.
विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की परिघटना –
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुण्डली में विद्युत् धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया
(c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत् मोटर की कुण्डली घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर:
(c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न

प्रश्न 3.
विद्युत् धारा को उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं –
(a) जनित्र।
(b) गैल्वेनोमीटर।
(c) अमीटर।
(d) मोटर।
उत्तर:
(a) जनित्र।

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अन्तर यह है कि –
(a) ac जनित्र में विद्युत् चुम्बक होता है जबकि dc जनित्र में स्थायी चुम्बक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं तथा dc जनित्र में दिक् परिवर्तक होता है।
उत्तर:
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं तथा dc जनित्र में दिक् परिवर्तक होता है।

प्रश्न 5.
लघु पाथन के समय परिपथ में विद्युत् धारा का मान –
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरन्तर परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए –
(a) विद्युत् मोटर यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
(b) विद्युत् जनित्र वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
(c) किसी लम्बी वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र समानान्तर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युत् रोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर:
(a) असत्य।
(b) सत्य।
(c) सत्य।
(d) असत्य।

प्रश्न 7.
चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीकों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के तरीके:

  1. छड़ चुम्बक द्वारा।
  2. धारावाही चालक (सीधा, वृत्ताकार पाथ या परिनालिका) द्वारा।

प्रश्न 8.
परिनालिका चुम्बक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी विद्युत् धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?
उत्तर:
जब किसी परिनालिका में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो यह परिनालिका एक चुम्बक की तरह व्यवहार करती है अर्थात् स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर इसका एक सिरा उत्तर की ओर तथा दूसरा सिरा दक्षिण की ओर स्थिर हो जाता है ठीक स्वतन्त्रतापूर्वक लटके छड़ चुम्बक की तरह।

इस प्रकार परिनालिका एक चुम्बक की तरह व्यवहार करती है। जब हम एक छड़ चुम्बक को स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी धारावाही परिनालिका के समीप लाते हैं तो परिनालिका का जो सिरा छड़ चुम्बक के दक्षिण ध्रुव की ओर आकर्षित होगा वह उत्तरी ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा।

प्रश्न 9.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होगा?
उत्तर:
जब धारावाही चालक चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् होगा तब उस पर आरोपित बल अधिकतम होगा।

प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैम्बर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आपके दायीं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र की अभीष्ट दिशा ऊर्ध्वाधर अधोमुखी होगी।

प्रश्न 11.
विद्युत् मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत् मोटर में विभक्त विलय का क्या महत्व है?
उत्तर:
विद्युत् मोटर का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 4

विद्युत् मोटर का सिद्धान्त एवं कार्यविधि:
सिद्धान्त:
विद्युत् मोटर विद्युत् धारा के चुम्बकीय प्रभाव के सिद्धान्त पर फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम के अनुसार विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है।

कार्यविधि:
जब चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखी धारावाही कुण्डली ABCD में वामावर्त दिशा में विद्युत् धारा अर्थात् भुजा AB में A से B की ओर तथा CD में C से D की ओर बहती है तो फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम के अनुसार AB एवं CD पर विपरीत दिशा में बल लगेंगे जो AB को अधोमुखी तथा CD को उपरमुखी विस्थापित करेगा। आधे घूर्णन के बाद AB एवं CD में धारा की दिशा में परिवर्तन हो जायेगा। इससे CD अधोमुखी एवं AB उपरमुखी विस्थापन करेगा। इस प्रकार कुण्डली एक दिशा में लगातार घूमती रहेगी।

विभक्त वलय का महत्व:
विभक्त वलय कुण्डली में प्रवाहित धारा की दिशा उसकी भुजाओं AB तथा CD में क्रमश: B से A तथा D से C की बदलकर दिक् परिवर्तक का कार्य करते हैं जिससे कुण्डली लगातार एक ही दिशा में घूमती रहती है।

प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत् मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्त:
विद्युत् मोटर को प्रयुक्त करने वाली युक्तियाँ:

  1. विद्युत् पंखे।
  2. विद्युत् मिक्सर।
  3. रेफ्रिजरेटर।
  4. विद्युत् वाशिंग मशीन।
  5. कम्प्यूटर।
  6. MP-3 प्लेयर आदि।

प्रश्न 13.
कोई विद्युत्रोधी ताँबे के तार की कुण्डली किसी गैल्वेनो से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुम्बक –
(i) कुण्डली में धकेला जाता है?
(ii) कुण्डली के भीतर से बाहर खींचा जाता है?
(iii) कुण्डली के भीतर स्थिर रखा जाता है?
उत्तर:
(i) गैल्वेनोमीटर की सुई एक दिशा में क्षणिक गति करेगी।
(ii) गैल्वेनोमीटर की सुई (i) के विपरीत दिशा में क्षणिक गति करेगी।
(iii) गैल्वेनोमीटर की सुई में कोई परिवर्तन दिखाई नहीं देगा।

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प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुण्डली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुण्डली A में विद्युत् धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुण्डली B में कोई विद्युत् धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।
उत्तर:
हाँ, कुण्डली B में विद्युत् धारा प्रेरित होगी क्योंकि कुण्डली A में धारा परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन होगा जो कुण्डली B के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन करेगा, फलस्वरूप कुण्डली B में प्रेरित वि. बा. बल उत्पन्न होगा।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा निर्धारित करने वाला नियम लिखिए –

  1. किसी विद्युत् धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र।
  2. किसी चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् स्थित, विद्युत् धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल तथा
  3.  किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुण्डली के घूर्णन करने पर उस कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् धारा।

उत्तर:
1. दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम:
“यदि आप दाहिने हाथ में धारावाही सीधे चालक को इस प्रकार पकड़ें कि आपका अंगूठा विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करें तो आपकी अंगुलियाँ चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेंगी।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 5

2. फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम:
“यदि बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा एवं अंगूठे को परस्पर लम्बवत् फैलाएँ और यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, मध्यमा विद्युत् धारा की दिशा को प्रदर्शित करे तो अंगूठा लगने वाले बल की दिशा प्रदर्शित करेगा।”

3. फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम:
“यदि दाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा एवं अंगूठे को परस्पर लम्बवत् दिशा में फैलाएँ और यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा एवं अंगूठा चालक की दिशा को प्रदर्शित करे तो मध्यमा प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा को प्रदर्शित करेगी।”
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प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत् जनित्र का मूल सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रुशों का क्या कार्य है?
उत्तर:
विद्युत् जनित्र का नामांकित आरेख –
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जनित्र विद्युत् जनित्र का मूल सिद्धान्त:
विद्युत् जनित्र का सिद्धान्त विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की परिघटना पर आधारित है जिसके आधार पर जब किसी कुण्डली के तल पर चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उस कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा प्रवाहित होती है और इस प्रकार यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य विद्युत् जनित्र करता है।

कार्यविधि:
जब आर्मेचर (कुण्डली) ABCD को दक्षिणावर्त दिशा में घुमाया जाता है तो कुण्डली में विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के कारण विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से ज्ञात की जाती है। कुण्डली के आधा चक्कर पूरा करने तक धारा की दिशा वही रहती है अतः पहले आधे चक्कर में धारा B2 से B1 की दिशा में बहती है। अगले आधे चक्कर में विद्युत् धारा की दिशा बदल जाती है। अतः धारा B2 से B1 की ओर बहती है। इस प्रकार परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित होती है।

ब्रुशों का कार्य:
दोनों ब्रुश घूर्णन करती कुण्डली के वलयों के सम्पर्क में रहते हैं जिससे उसके घूर्णन में कोई बाधा नहीं आती तथा उससे प्राप्त विद्युत् धारा को बाह्य परिपथ में प्रवाहित करने में सहायक है।

प्रश्न 17.
किसी विद्युत् परिपथ में लघु पाथन कब होता है?
उत्तर:
खराब तथा क्षतिग्रस्त तारों के कारण जब कभी विद्युन्मय एवं उदासीन तार आपस में मिल जाते हैं तो परिपथ का प्रतिरोध लगभग शून्य हो जाता है तथा उसमें धारा की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है। इस प्रकार लघु पाथन हो जाता है।

प्रश्न 18.
भू-सम्पर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत् साधित्रों को भू-सम्पर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भू-सम्पर्क तार का कार्य-भू-सम्पर्क तार एक सुरक्षा युक्ति है जो यह सुनिश्चित करता है कि साधित्र के धात्विक आवरण में यदि विद्युत् धारा का कोई भी क्षरण होता है तो भू-सम्पर्क तार विद्युत् धारा के लिए अल्प प्रतिरोध का कार्य करता है जिससे इसका सम्पर्क भूमि से हो जाता है। इस प्रकार साधित्र को उपयोग करने वाले व्यक्ति तीव्र विद्युत् आघात से बच जाते हैं। इसलिए धातु के आवरणों वाले विद्युत् साधित्रों को भू-सम्पर्क तार से जोड़कर भू-सम्पर्कित करना आवश्यक है।

MP Board Class 10th Science Chapter 13 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के सम्बन्ध में अग्र में से असत्य कथन छाँटिए –
(a) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चुम्बकीय कम्पास के उत्तरी ध्रुव की दिशा ही उस चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होती है।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ बन्द वक्र होते हैं।
(c) यदि चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ समान्तर तथा समदूरस्थ हैं तो ये शून्य चुम्बकीय क्षेत्र को प्रदर्शित करती हैं।
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की आपेक्षिक प्रबलता चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की सन्निकटता से प्रदर्शित होती है।
उत्तर:
(c) यदि चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ समान्तर तथा समदूरस्थ हैं तो ये शून्य चुम्बकीय क्षेत्र को प्रदर्शित करती हैं।

प्रश्न 2.
निम्न संलग्न आकृति में परिपथ की व्यवस्था से कुंजी को निकाल दिया जाय अर्थात् परिपथ को खोल दिया जाय और चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींची जायें क्षैतिज तल ABCD पर, तो क्षेत्र रेखाएँ होंगी –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 8
(a) संकेन्द्री वृत्त।
(b) दीर्घ वृत्ताकार।
(c) परस्पर समान्तर सीधी रेखाएँ।
(d) बिन्दु O के पास वृत्ताकार और दूर जाने पर दीर्घ वृत्ताकार।
उत्तर:
(c) परस्पर समान्तर सीधी रेखाएँ।

प्रश्न 3.
एक वृत्ताकार कुण्डली कागज की तल के लम्बवत् तल में रखी जाती है तथा इसमें विद्युत् धारा बह रही होती है जब कुंजी को चालू कर दिया जाता है। विद्युत् धारा कुण्डली के अक्ष से होकर कागज के तल में A से B की ओर प्रवाहित हो रही है जो A और B से क्रमशः एण्टी-क्लॉकवाइज एवं क्लॉक वाइज दिखाई देती है। चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ B से A की ओर संकेत करती हैं। देखिए संलग्न आकृति।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 9
(a) A के नजदीक।
(b) B के नजदीक।
(c) A के नजदीक यदि धारा की तीव्रता कम है और अगर धारा की तीव्रता अधिक है तो B के नजदीक।
(d) B के नजदीक यदि धारा की तीव्रता कम है और अगर धारा की तीव्रता अधिक है तो A के नजदीक।
उत्तर:
(a) A के नजदीक।

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प्रश्न 4.
किसी लम्बी धारावाही परिनालिका के सिरे पर N एवं S ध्रुव (पोल) उत्पन्न होते हैं। निम्न कथनों में असत्य कथन है –
(a) परिनालिका के अन्दर की क्षेत्र रेखाएँ सीधी समान्तर रेखाओं के रूप में होती हैं ये यह प्रदर्शित करती है कि परिनालिका के अन्दर प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र समान है।
(b) परिनालिका के अन्दर उत्पन्न शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग उसके अन्दर चुम्बकीय पदार्थ जैसे कच्चा लोहा आदि रखकर उसे चुम्बक बनाने में किया जा सकता है।
(c) परिनालिका से सम्बन्धित चुम्बकीय क्षेत्र का स्वरूप एक छड़ चुम्बक के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र के स्वरूप से भिन्न होता है।
(d) यदि परिनालिका में विद्युत् धारा की दिशा बदल दी जाय तो परिनालिका के सिरों पर उत्पन्न चुम्बकीय ध्रुव N एवं S भी परिवर्तित हो जाते हैं।
उत्तर:
(c) परिनालिका से सम्बन्धित चुम्बकीय क्षेत्र का स्वरूप एक छड़ चुम्बक के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र के स्वरूप से भिन्न होता है।

प्रश्न 5.
एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल में बाईं ओर से दायीं ओर को आरोपित है। जैसा कि संलग्न आकृति में दिखाया गया है। एक इलेक्ट्रॉन एवं एक प्रोटॉन उस चुम्बकीय क्षेत्र में गति करते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 10
इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन पर लगने वाले बल होंगे –
(a) दोनों बल कागज के लम्बवत् अन्दर की ओर।
(b) दोनों बल कागज के लम्बवत् बाहर की ओर।
(c) एक बल कागज के लम्बवत् अन्दर की ओर तथा दूसरा बल कागज के लम्बवत् बाहर की ओर क्रमशः।
(d) दोनों बल समरूप चुम्बकीय क्षेत्र के समानान्तर लेकिन विपरीत दिशाओं में।
उत्तर:
(a) दोनों बल कागज के लम्बवत् अन्दर की ओर।

प्रश्न 6.
वाणिज्यिक (व्यापारिक) विद्युत् मोटर प्रयोग नहीं करती –
(a) आर्मेचर को घुमाने के लिए विद्युत् चुम्बक।
(b) धारावाही चालक कुण्डली में चालक तार की अधिक चक्करों की संख्या।
(c) आर्मेचर को घुमाने के लिए स्थायी चुम्बक।
(d) एक कच्चे लोहे की क्रोड जिस पर कुण्डली लपेटी जाती है।
उत्तर:
(c) आर्मेचर को घुमाने के लिए स्थायी चुम्बक।

प्रश्न 7.
संलग्न चित्र में दी गयी व्यवस्था में दो कुण्डलियाँ अचालक बेलनाकार छड़ पर लपेटी गयी हैं। प्रारम्भ में कुंजी का प्लग नहीं लगाया गया है। जब कुंजी का प्लग लगाया जाता है और फिर निकाल दिया जाता है, तब –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 11
(a) गैल्वेनोमीटर में पूरे समय तक विस्थापन शून्य रहेगा।
(b) गैल्वेनोमीटर में क्षणिक विस्थापन होगा लेकिन यह शीघ्र ही समाप्त हो जायेगा और कुंजी निकालने पर कोई असर नहीं होगा।
(c) गैल्वेनोमीटर में क्षणिक विस्थापन होगा और शीघ्र ही समाप्त हो जायेगा और बाद में विस्थापन उसी दिशा में होगा।
(d) गैल्वेनोमीटर में क्षणिक विस्थापन होकर और शीघ्र ही वह समाप्त हो जायेगा बाद में विस्थापन विपरीत दिशा में होगा।
उत्तर:
(d) गैल्वेनोमीटर में क्षणिक विस्थापन होकर और शीघ्र ही वह समाप्त हो जायेगा बाद में विस्थापन विपरीत दिशा में होगा।

प्रश्न 8.
असत्य कथन का चयन कीजिए –
(a) फ्लेमिंग दक्षिण-हस्त नियम प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने में प्रयुक्त होता है।
(b) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए प्रयुक्त होता है।
(c) DC एवं AC में यह अन्तर है कि DC सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती है जबकि AC निश्चित समय अन्तराल के बाद अपनी दिशा बदलती रहती है।
(d) भारत में AC हर 1/50 सेकण्ड बाद अपनी दिशा बदलती है।
उत्तर:
(d) भारत में AC हर 1/50 सेकण्ड बाद अपनी दिशा बदलती है।

प्रश्न 9.
एक क्षैतिज चालक तार में समान निश्चित धारा कागज के तल में पूर्व से पश्चिम की ओर बह रही है जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है। उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा एक बिन्दु पर उत्तर से दक्षिण होगी –
(a) सीधे तार के ऊपर।
(b) सीधे तार के नीचे।
(c) तार की उत्तरी दिशा में कागज पर स्थित किसी बिन्द पर।
(d) तार की दक्षिण दिशा में कागज पर स्थित किसी बिन्दु पर।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 12
उत्तर:
(b) सीधे तार के नीचे।

प्रश्न 10.
किसी धारावाही लम्बी सीधी परिनालिका के अन्दर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता होगी –
(a) क्रोड की अपेक्षा सिरों पर अधिक।
(b) मध्य में सबसे कम।
(c) सभी स्थानों पर समान।
(d) एक सिरे से दूसरे सिरे तक बढ़ती हुई।
उत्तर:
(c) सभी स्थानों पर समान।

प्रश्न 11.
एक AC जनित्र को DC जनित्र में बदलने के लिए प्रयुक्त होना चाहिए –
(a) विभक्त वलय प्रकार का दिशा परिवर्तक।
(b) विसी वलय एवं ब्रुश।
(c) शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र।
(d) एक आयताकार तार की कुण्डली।
उत्तर:
(a) विभक्त वलय प्रकार का दिशा परिवर्तक।

प्रश्न 12.
लघुपाथन एवं अतिभारण से होने वाली हानि से उपकरणों को बचाने की सर्वश्रेष्ठ एवं अति आवश्यक युक्ति है –
(a) भूसम्पर्क करना।
(b) फ्यूज वायर का प्रयोग।
(c) स्टेबलाइजर का प्रयोग।
(d) विद्युत् मीटर का प्रयोग।
उत्तर:
(b) फ्यूज वायर का प्रयोग।

प्रश्न 13.
विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलने वाली युक्ति है –
(a) जनित्र।
(b) मोटर।
(c) धारा नियन्त्रक।
(d) धारामापी।
उत्तर:
(b) मोटर।

प्रश्न 14.
यांन्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलने वाली युक्ति है –
(a) जनित्र।
(b) मोटर।
(c) धारा नियन्त्रक।
(d) फ्यूज।
उत्तर:
(a) जनित्र।

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प्रश्न 15.
उपकरणों को विद्युत् आघात से बचाने वाली युक्ति है –
(a) जनित्र।
(b) मोटर।
(c) फ्यूज।
(d) धारा नियन्त्रक।
उत्तर:
(c) फ्यूज।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में खींची गयी क्षेत्र रेखाएँ परस्पर … होती हैं।
  2. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद ……….. हैं।
  3. चुम्बकीय ध्रुवों के पास क्षेत्र रेखाएँ ……होती हैं।
  4. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ ………. वक्र होती हैं।
  5. विद्युत् तथा चुम्बकत्व में सम्बन्ध ज्ञात किया।

उत्तर:

  1. समान्तर।
  2. नहीं करती।
  3. सघन (पास-पास)।
  4. बन्द।
  5. आर्टेड।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 13
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. घरेलू विद्युत् प्रत्यावर्ती धारा (AC) होती है।
  2. विद्युत् उपकरण श्रेणीक्रम में संयोजित होते हैं।
  3. AC जनित्र में विसर्णी वलय प्रयोग होते हैं।
  4. किसी परिपथ में अत्यधिक धारा प्रवाह भूसम्पर्क कहलाता है।
  5. DC जनित्र में विभक्त वलय प्रयुक्त होते हैं।

उत्तर:

  1. सत्य।
  2. असत्य।
  3. सत्य।
  4. असत्य।
  5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. उस युक्ति का क्या नाम है जो विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलती है?
  2. उस युक्ति का क्या नाम है जो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदल देती है?
  3. उस युक्ति का क्या नाम है जो अतिभारण एवं लघुपाथन से उपकरणों की रक्षा करती है?
  4. घरेलू परिपथ में किस प्रकार की धारा प्रवाहित होती है?
  5. विद्युत् घंटी में किस प्रकार की चुम्बक का प्रयोग किया जाता है?

उत्तर:

  1. विद्युत् मोटर।
  2. विद्युत् जनित्र।
  3. फ्यूज तार।
  4. प्रत्यावर्ती धारा।
  5. विद्युत् चुम्बक (अस्थायी चुम्बक)।

MP Board Class 10th Science Chapter 13 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र: “किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जहाँ चुम्बकीय बल की अनुभूति होती है, चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।”

प्रश्न 2.
परिनालिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
परिनालिका: “पास-पास लिपटे विद्युत्रोधी ताँबे के तार की बेलनाकार अनेक फेरौं वाली कुण्डली परिनालिका कहलाती है।

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प्रश्न 3.
विद्युत् चुम्बक क्या होती है?
उत्तर:
जब किसी चुम्बकीय पदार्थ जैसे कच्चा लोहा आदि की छड़ को किसी धारावाही परिनालिका के अन्दर रखा जाता है तो उसके अन्दर अस्थायी चुम्बक के गुण उत्पन्न हो जाते हैं। इस प्रकार बनी चुम्बक विद्युत् चुम्बक कहलाती है।

प्रश्न 4.
विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण से क्या समझते हो?
उत्तर:
विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण:
जब किसी कुण्डली और चुम्बक के बीच सापेक्ष गति होती है तो कुण्डली में विद्युत् धारा उत्पन्न हो जाती है। इस परिघटना को विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं और इस प्रकार उत्पन्न विद्युत् धारा को प्रेरित विद्युत् धारा कहते हैं।

प्रश्न 5.
दिक् परिवर्तक किसे कहते हैं?
उत्तर:
दिक् परिवर्तक:
वह युक्ति जो किसी विद्युत् परिपथ में विद्युत् धारा के प्रवाह को उत्क्रमित कर देती है, दिक् परिवर्तक कहलाती है।”

प्रश्न 6.
एक धारावाही परिनालिका का उपयोग करके स्थायी चम्बक किन शर्तों के अन्तर्गत प्राप्त किया जा सकता है। नामांकित
परिपथ द्वारा अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
धारावाही परिनालिका द्वारा स्थायी चुम्बक प्राप्त करने के लिए आवश्यक शर्ते –

  1. परिनालिका में दिष्ट धारा प्रवाहित होनी चाहिए।
  2. परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय पदार्थ जैसे स्टील आदि की छड़ चित्र रखी होनी चाहिए।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 14

प्रश्न 7.
जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है। कागज के तल में AB एक धारावाही सीधा चालक है। बिन्दु P एवं Q पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी? यदि r1 > r2 हो तो किस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक होगी?
उत्तर:
बिन्दु P पर कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर तथा बिन्दु Q पर कागज के तल के लम्बवत् बाहर की ओर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होगी। निकटस्थ बिन्दु अर्थात् बिन्दु Q पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक होगी।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 15

प्रश्न 8.
जब किसी चुम्बकीय कम्पास को किसी धारावाही चालक के पास रखा जाता है तो वह विक्षेपित हो जाती है। यदि चालक में विद्युत् धारा की तीव्रता बढ़ा दी जाय तो उसके विक्षेप पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अपने उत्तर का कारण बताइए।
उत्तर:
कम्पास का विक्षेप बढ़ जाता है क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता धारावाही चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की मात्रा के समानुपाती होती है।

प्रश्न 9.
यह सर्व ज्ञात है कि जब किसी धात्विक तार में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों ओर एक चम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है। यदि एक पतली किरण पंज (i) अल्फा कणों की (ii) न्यूट्रॉनों की प्रवाहित हो तो क्या उनके चारों ओर भी इसी प्रकार का चुम्बकीय क्षेत्र पैदा होगा? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
(i) अल्फा कणों के किरण पुंज के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र पैदा होगा क्योंकि अल्फा कण धनावेशित होते हैं और उनका प्रवाह उनकी दिशा में विद्युत् धारा के प्रवाह की तरह ही है।
(ii) चूँकि न्यूट्रॉन उदासीन कण होते हैं इसलिए उनके किरण पुंज के चारों ओर कोई भी चुम्बकीय क्षेत्र पैदा नहीं होगा।

प्रश्न 10.
दक्षिण हस्त-अंगुष्ठ नियम में अंगूठे की दिशा क्या प्रदर्शित करती है? यह नियम फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
दक्षिण-हस्त-अंगुष्ठ नियम में अंगूठा विद्युत् धारा की दिशा को प्रदर्शित करता है। दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम किसी धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को निर्धारित करता है जबकि फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा निर्धारित करता है।

प्रश्न 11.
मीना किसी धारावाही वृत्ताकार पाथ के अक्ष के पास चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचती है। वह जैसे ही वृत्ताकार पाथ के केन्द्र से दूर हटती है वह प्रेक्षित करती है कि क्षेत्र रेखाएँ मुड़ती जाती हैं। आप उसके प्रेक्षण की कैसे व्याख्या करेंगे?
उत्तर:
जैसे-जैसे पाथ के केन्द्र से दूरी बढ़ती जाती है। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कम होती जाती है। यह चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की समीपता को कम करती जाती है। इसलिए क्षेत्र रेखाएँ मुड़ती जाती हैं।

प्रश्न 12.
किसी धारावाही परिनालिका के सिरों के पास चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का मुड़ना क्या प्रदर्शित करता है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का मुड़ना अर्थात् क्षेत्र रेखाओं की समीपता कम होना परिनालिका के सिरे से दूर जाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का कम होते जाना प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 13.
चार ऐसे उपकरणों के नाम लिखिए जहाँ विद्युत् मोटर एक घूर्णन युक्ति, जो विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है, एक आवश्यक अवयव की तरह प्रयुक्त होती है? किस सम्बन्ध में एक मोटर एक जनित्र से भिन्न होती है?
उत्तर:
उपकरण जिनमें विद्युत् मोटर प्रयुक्त होती है:

  1. विद्युत् पंखा।
  2. विद्युत् मिक्सर ग्राइण्डर।
  3. वाशिंग मशीन।
  4. कम्प्यूटर ड्राइव आदि।

विद्युत् मोटर विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है जवकि जनित्र यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में।

प्रश्न 14.
एक साधारण विद्युत् मोटर में दो स्थायी (स्थिर) चालक ब्रशों की क्या भूमिका है?
उत्तर:
एक साधारण विद्युत् मोटर में दो स्थिर चालक ब्रुश बैटरी से संयोजित होते हैं तथा ये दो अर्ध विभक्त वलयों के बाहरी तल को स्पर्श करते हैं जिनके आन्तरिक तल एक्सल से जुड़े रहते हैं तथा पृथक्कृत होते हैं। इससे एक्सल को घूमने में आसानी रहती है।

प्रश्न 15.
दिष्टधारा (D.C.) एवं प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) में क्या अन्तर है? भारत में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा कितनी बार एक सेकण्ड में दिशा परिवर्तन करती है?
उत्तर:
दिष्टं धारा सदैव एक दिशा में प्रवाहित होती है जबकि प्रत्यावर्ती धारा एक निश्चित समयान्तराल के बाद अपनी दिशा बदलती है। भारत में प्रयुक्त AC की आवृत्ति 50 हर्ट्ज़ है और प्रत्येक चक्र में यह दो बार अपनी दिशा बदलती है अर्थात् भारत में प्रयुक्त AC एक सेकण्ड में 100 बार दिशा बदलती है।

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प्रश्न 16.
किसी विद्युत् उपकरण के परिपथ में श्रेणीक्रम में फ्यूज लगाने की क्या भूमिका है? उपयुक्त क्षमता के फ्यूज को अधिक क्षमता के फ्यूज से क्यों नहीं बदलना चाहिए?
उत्तर:
परिपथ में अधिक धारा के हिसाब से उपयुक्त क्षमता का फ्यूज लगा होता है यदि लघुपाथन या अतिभारण के कारण परिपथ में धारा का मान बढ़ जाता है तो ऊष्मीय प्रभाव के कारण फ्यूज का तार पिघल जाता है और विद्युत् धारा का प्रवाह रुक जाता है। इससे उपकरण क्षतिग्रस्त होने से बच जाते हैं।

अगर उचित क्षमता से अधिक का फ्यूज लगा दिया जायेगा तो फ्यूज का तार पिघलेगा नहीं और अधिक धारा प्रवाह के कारण उपकरण नष्ट होने की सम्भावना अधिक हो जाती है। इसलिए हमको उचित क्षमता का समान फ्यूज लगाना चाहिए।

MP Board Class 10th Science Chapter 13 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक चुम्बकीय कम्पास सुई कागज के तल में बिन्दु A के पास रखी है जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है। एक धारावाही सीधे चालक को किस तल में रखना चाहिए कि यह A से होकर जाता हो लेकिन कम्पास सुई के विस्थापन (विक्षेप) चित्र में कोई अन्तर नहीं आये। किस अवस्था में सुई में विक्षेप सर्वाधिक होगी और क्यों?
उत्तर:
स्वयं कागज के तल में क्योंकि इस अवस्था में कम्पास का अक्ष ऊर्ध्वाधर है और धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र भी ऊर्ध्वाधर है। कम्पास सुई का घूमना एक दिक्पात (डिप) की अवस्था है जो इस अवस्था में सम्भव नहीं। डिप की अवस्था तभी सम्भव है जब कम्पास सुई का अक्ष क्षैतिज हो। विक्षेप अधिकतम होगा जब चालक कागज के तल के लम्बवत् A से होकर जाय तथा इसके द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल में अधिकतम हो।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 16

प्रश्न 2.
विद्युत् फ्यूज क्या होता है? इसकी बनावट का सचित्र वर्णन कीजिए। इसकी क्रियाविधि का भी वर्णन कीजिए।
अथवा
फ्यूज तार क्या है? इसका उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
विद्युत् फ्यूज (Electric Fuse):
विद्युत् फ्यूज वह युक्ति होल्डर है जिसकी सहायता से किसी विद्युत् परिपथ में होकर जाने वाली धारा की अधिकतम सीमा नियन्त्रित की जा सकती है। यह उच्च प्रतिरोध एवं कम गलनांक की मिश्रधातु का छोटा तार F होता है जो पोर्सिलेन होल्डर के दोनों टर्मिनलों T1 एवं T2 के बीच कसा रहता है। इस होल्डर को पोर्सिलेन केसिंग में लगा देते हैं। यह परिपथ में गर्म तार के साथ श्रेणीक्रम में लगाया जाता है।
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क्रियाविधि:
जब परिपथ में अतिभारण या लघुपाथन के कारण बहुत अधिक धारा प्रवाहित होती है, तब फ्यूज का तार गर्म होकर पिघल जाता है; जिससे परिपथ टूट जाता है और धारा बन्द हो जाती है। इसका उपयोग विद्युत् उपकरण की सुरक्षा के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत् परिपथ का नामांकित चित्र बनाइए।
अथवा
एक कमरे में एक प्लग सॉकेट, एक बल्ब एवं एक रेगुलेटर सहित पंखा के लिए एक सरल परिपथ का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
परिपथ का नामांकित चित्र –
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प्रश्न 4.
निकट में चुम्बक के अभाव में एक चुम्बकीय सुई उत्तर-दक्षिण दिशा में संकेत करती है लेकिन जब-जब उसके पास एक छड़ चुम्बक या धारावाही वृत्ताकार पाथ लाया जाता है तो वह विक्षेपित हो जाती है। चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के कुछ प्रमुख गुण लिखिए।
उत्तर:
बिना किसी चुम्बक की उपस्थिति के चुम्बकीय कम्पास सुई पर केवल पार्थिव चुम्बकीय क्षेत्र लागू होता है। इस कारण वह उत्तर दक्षिण दिशा में संकेत करती है लेकिन जब उसके पास चुम्बक या धारावाही पाथ (जो चुम्बक की तरह व्यवहार करता है) लाया जाता है तो उसके परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में कम्पास सुई विक्षेपित हो जाती है।
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के प्रगुण:

  1. चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चिकने बन्द वक्र होते हैं जो परस्पर कभी प्रतिच्छेद नहीं करते।
  2. ये रेखाएँ चुम्बक के बाहर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।
  3. अधिक प्रबलता वाले चुम्बकीय क्षेत्र में ये क्षेत्र रेखाएँ पास-पास तथा कम प्रबलता वाले क्षेत्र में दूर-दूर होती हैं।

प्रश्न 5.
एक नामांकित परिपथ आरेख की सहायता से धारावाही सरल सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं के पैटर्न प्रदर्शित कीजिए। किस प्रकार दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम इनकी दिशा निर्धारण में सहायक होता है ?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ तार के चारों ओर वृत्ताकार होती हैं। तार के पास ये सघन तथा परस्पर विरल होती जाती हैं।
आरेख –
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दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम:
“यदि आप दाहिने हाथ में धारावाही सीधे चालक को इस प्रकार पकड़ें कि आपका अंगूठा विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करें तो आपकी अंगुलियाँ चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेंगी।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 5

प्रश्न 6.
एक नामांकित आकृति की सहायता से एक वृत्ताकार धारावाही वृत्ताकार पाथ (कुण्डली) के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के वितरण को समझाइए। ऐसा क्या है कि धारावाही n फेरों की कुण्डली में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र किसी बिन्दु पर उस चुम्बकीय क्षेत्र का n गुना होता है जो एक फेरे के वृत्ताकार पाथ के द्वारा उत्पन्न होता है ?
उत्तर:
किसी धारावाही कुण्डली द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र किसी बिन्दु पर उन सभी चुम्बकीय क्षेत्रों का योगफल होता है जो कुण्डली के प्रत्येक फेरे के द्वारा उत्पन्न होता है। इसलिए n फेरों वाली धारावाही कुण्डली द्वारा किसी बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उसके एक फेरे द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का n गुना होता है।
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प्रश्न 7.
विद्युत् मोटर का नामांकित चित्र बनाइए। (2019)
उत्तर:
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प्रश्न 8.
विद्युत् जनित्र का नामांकित चित्र बनाइए। (2019)
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 7

MP Board Class 10th Science Chapter 13 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक क्रियाकलाप का वर्णन कीजिए जिससे यह प्रदर्शित होता हो कि धारावाही चालक पर किसी चुम्बकीय क्षेत्र के कारण लगने वाला बल चालक की लम्बाई एवं बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र दोनों के लम्बवत् होता है। इस बल की दिशा ज्ञात करने में फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
संलग्न चित्र के अनुसार एक ऐलुमिनियम की छड़ लेकर एक स्टैण्ड से लटकाकर एक विद्युत् परिपथ तैयार कीजिए तथा एक प्रबल नाल चुम्बक इस प्रकार व्यवस्थित कीजिए कि छड़ नाल चुम्बक के दोनों ध्रुवों के बीच रहे।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 21
आकृति 13.20 जब हम परिपथ में विद्युत् धारा प्रवाहित करते हैं तो ऐलुमिनियम की छड़ विस्थापित होती है जो उस पर लगने वाले बल के कारण है। हम प्रेक्षित करते हैं कि छड़ बाईं ओर विस्थापित होती है और जब हम विद्युत्

धारा के चुम्बकीय प्रभाव 285 धारा की दिशा बदलते हैं तब छड़ के विस्थापन की दिशा भी बदल जाती है। यह विस्थापन हर स्थिति में बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र एवं विद्युत् धारा (चालक की लम्बाई) दोनों के लम्बवत् है।

फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम:
“अपने वाम-हस्त (बाएँ हाथ) की तर्जनी, मध्यमा एवं अंगूठे को हम परस्पर लम्बवत् दिशा में फैलाएँ और यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करती है, तो अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर लगने वाले बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।”
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प्रश्न 2.
“विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की व्याख्या कीजिए। एक प्रयोग का वर्णन कीजिए जिससे यह प्रदर्शित हो कि जब एक बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र किसी चालक के बंद पाथ के परिच्छेद में होकर बढ़ता या घटता है तो उस बन्द पाथ में विद्युत् धारा प्रवाहित होती है।
उत्तर:
विद्युत् चुम्बकीय प्ररेण:
जब किसी कुण्डली और चुम्बक के बीच सापेक्ष गति होती है तो कुण्डली में विद्युत् धारा उत्पन्न हो जाती है। इस परिघटना को विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं और इस प्रकार उत्पन्न विद्युत् धारा को प्रेरित विद्युत् धारा कहते हैं।

प्रयोग-प्रेरित विद्यत् धारा के प्रदर्शन के लिए:
संलग्न चित्रानुसार एक कुण्डली को एक परिपथ द्वारा एक गैल्वेनोमीटर से संयोजित कीजिए। अब एक छड़ चुम्बक को कुण्डली के पास तेजी से लाइए तो देखते हैं कि गैल्वेनोमीटर में विक्षेप होता है। यदि छड़ चुम्बक स्थिर रहती है तो विक्षेप नहीं होता। चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली के पास लाने पर अथवा दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाने पर एक दिशा में विक्षेप होता है लेकिन उत्तरी ध्रुव कुण्डली से दूर ले जाने एवं दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली के पास लाने पर विक्षेप दूसरी दिशा में होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 22
इससे प्रदर्शित होता है कि किसी बन्द कुण्डली (पाथ) के परिच्छेद से होकर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के घटने या बढ़ने पर कुण्डली (पाथ) में प्रेरित विद्युत् धारा प्रवाहित होती है।

प्रश्न 3.
एक AC जनित्र का सिद्धान्त एवं क्रियाविधि नामांकित परिपथ आरेख की सहायता से वर्णन कीजिए। एक AC जनित्र को एक DC जनित्र में बदलने के लिए उसकी संरचना व्यवस्था में क्या परिवर्तन करेंगे?
उत्तर:
विद्युत् जनित्र का नामांकित आरेख –
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AC को DC में बदलने के लिए व्यवस्था में परिवर्तन – AC को DC में बदलने के लिए सी वलयों के स्थान पर अर्द्ध-विभक्त वलयों का प्रयोग करेंगे।

प्रश्न 4.
घरेलू विद्युत् परिपथ का एक व्यवस्थात्मक आरेख खींचिए। विद्युत् फ्यूज के महत्व को समझाइए। ऐसा क्यों है कि फ्यूज के जल जाने पर उसी क्षमता का फ्यूज लगाना चाहिए?
उत्तर:
परिपथ का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 18
परिपथ में अधिक धारा के हिसाब से उपयुक्त क्षमता का फ्यूज लगा होता है यदि लघुपाथन या अतिभारण के कारण परिपथ में धारा का मान बढ़ जाता है तो ऊष्मीय प्रभाव के कारण फ्यूज का तार पिघल जाता है और विद्युत् धारा का प्रवाह रुक जाता है। इससे उपकरण क्षतिग्रस्त होने से बच जाते हैं।

प्रश्न 5.
विद्युत् धारा का उपयोग करते समय हमें कौन-कौन सी मुख्य सावधानियाँ रखनी चाहिए?
अथवा
विद्युत् धारा परिपथों को उपयोग में लाते समय क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर:
विद्युत् परिपथ के उपयोग में सावधानियाँ:

  1. आग लगने या अन्य किसी दुर्घटना के समय परिपथ का स्विच तुरन्त बन्द कर देना चाहिए।
  2. परिपथ में अतिभारण एवं लघुपाथन से बचने के लिए उपयुक्त क्षमता का फ्यूज प्रयोग में लाना चाहिए।
  3. विद्युत् उपकरणों के उपयोग में सदैव भू-सम्पर्क तार प्रयोग में लाना चाहिए।
  4. प्रयोग में लाते समय धातु के बने विद्युत् उपकरणों को नहीं छूना चाहिए।
  5. परिपथ में फ्यूज एवं स्विचों को सदैव गर्म तार (विद्युन्मय तार) में लगाना चाहिए।
  6. अच्छे किस्म की विद्युत् युक्तियों को उपयोग में लाना चाहिए।
  7. संयोजन तारों के जोड़ों को विद्युत्रोधी टेप से ढक देना चाहिए।
  8. विद्युत् परिपथ में लगे स्विच ऑन-ऑफ करते समय हमारे हाथ गीले नहीं होने चाहिए।
  9. घरेलू विद्युत् उपकरणों का प्रयोग रबर या प्लास्टिक की चप्पल पहनकर करना चाहिए।
  10. उच्च शक्ति के उपकरणों के लिए 15 ऐम्पियर विद्युत् धारा के प्लग, सॉकेट एवं स्विच का प्रयोग करना चाहिए।

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MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत

MP Board Class 10th Science Chapter 12 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 222

प्रश्न 1.
विद्युत् परिपथ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
विद्युत् परिपथ:
“किसी विद्युत् धारा के सतत बन्द पथ को विद्युत् परिपथ कहते हैं।”

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प्रश्न 2.
विद्युत् धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् धारा का S.I. मात्रक ऐम्पियर होता है।
एक ऐम्पियर:
“यदि किसी चालक के परिच्छेद से प्रति सेकण्ड 1 कूलॉम आवेश प्रवाहित हो जाता है, तो उस चालक में बहने वाली विद्युत् धारा की मात्रा 1 ऐम्पियर कहलाती है।”

प्रश्न 3.
एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए।
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 1
प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 224

प्रश्न 1.
उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर बनाए रखने में सहायता करती है?
उत्तर:
विद्युत् सेल या बैटरी।

प्रश्न 2.
यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 17 है?
उत्तर:
जब एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक 1 कूलॉम धनावेश को ले जाने में 1 जूल कार्य करना पड़े तो उन दोनों बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 1 वोल्ट (1 V) होता है।

प्रश्न 3.
6V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
उत्तर:
6 जूल ऊर्जा।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 232

प्रश्न 1.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी चालक का प्रतिरोध निम्न कारकों पर निर्भर करता है –

  1. चालक की लम्बाई।
  2. चालक की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल।
  3. चालक के पदार्थ की प्रकृति पर।

प्रश्न 2.
समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला है तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत् धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत् स्रोत में संयोजित किया जाता है? क्यों?
उत्तर:
मोटे तार में होकर क्योंकि इसका विद्युत् प्रतिरोध कम है।

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प्रश्न 3.
मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवान्तर को उसके पूर्व के विभवान्तर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
विद्युत् धारा का मान आधा रह जायेगा।

प्रश्न 4.
विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के क्यों बनाये जाते हैं?
उत्तर:
शुद्ध धातुओं की अपेक्षा किसी मिश्रातु की प्रतिरोधकता अधिक होती है। इसलिए अधिक प्रतिरोध उत्पन्न करने के लिए विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर मिश्रातु के बनाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाठ्य-पुस्तक की तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए –

  1. आयरन (Fe) तथा मरकरी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत् चालक है?
  2. कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है?

उत्तर:

  1. आयरन (Fe) तथा मरकरी (Hg) में आयरन (Fe) अच्छा विद्युत् चालक है।
  2. सर्वश्रेष्ठ चालक सिल्वर (Ag) है।

प्रश्न श्रृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 237

प्रश्न 1.
किसी विद्युत् परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2V के तीन सेलों की बैटरी, एक 5 Ω प्रतिरोधक, एक 8 Ω प्रतिरोधक, एक 12 Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों?
उत्तर:
विद्युत् परिपथ का अभीष्ट व्यवस्था आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 2

प्रश्न 2.
प्रश्न 1 का परिपथ दुबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत् धारा को मापने के लिए अमीटर तथा 12 Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। अमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?
उत्तर:
विद्युत् परिपथ का अभीष्ट व्यवस्था आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 3

संख्यात्मक भाग –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 4

प्रश्न श्रृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 240

प्रश्न 1.
जब (a) 1 Ω तथा 106 Ω, (b) 1 Ω, 103 Ω तथा 106 Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के सम्बन्ध में आप क्या निर्णय लेंगे?
उत्तर:
दोनों ही अवस्था में तुल्य प्रतिरोध का मान 1 Ω से कम होगा।

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प्रश्न 2.
100 Ω का एक विद्युत् लैम्प, 50 Ω का एक विद्युत् टोस्टर तथा 500 Ω का एक जल फिल्टर 220 V के एक विद्युत् स्रोत से पार्यक्रम में संयोजित है। उस विद्युत् इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान स्रोत के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत् धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत् इस्तरी से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होती है?
हल:
दिया है: R1 = 100 Ω, R2 = 50 Ω एवं R3 = 500 Ω तथा V = 220 V मान लीजिए कि इस्तरी का प्रतिरोध R Ω है।
चूँकि इस्तरी समान स्रोत से जुड़ने पर तीनों युक्तियों के तुल्य विद्युत् धारा लेती है अतः इस्तरी का प्रतिरोध तीनों युक्तियों के तुल्य प्रतिरोध के बराबर होगा और चूँकि ये युक्ति पार्यक्रम में संयोजित है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 5
उत्तर – अतः इस्तरी का अभीष्ट प्रतिरोध \(\frac { 125 }{ 4 } \) Ω अर्थात् 31.25 Ω है तथा इसमें से अभीष्ट धारा = 7.04A प्रवाहित होगी।

प्रश्न 3.
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत् युक्तियों को पार्यक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
श्रेणीक्रम में संयोजित युक्तियों में समान धारा प्रवाहित होती है जबकि प्रत्येक युक्ति को उनके ठीक प्रकार कार्य सम्पादन हेतु अलग-अलग धाराओं की आवश्यकता होती है जो पार्श्वक्रम में ही सम्भव है श्रेणीक्रम में नहीं।

इसके अतिरिक्त एक युक्ति के खराब होने पर श्रेणीक्रम में सभी युक्तियाँ कार्य करना बन्द कर देंगी जबकि पार्श्वक्रम में एक युक्ति के खराब होने या बन्द होने की स्थिति में अन्य युक्तियाँ कार्य करती रहेंगी।

श्रेणीक्रम में हम इच्छानुसार एक या अधिक युक्तियों को प्रयोग में नहीं ला सकते, सभी युक्तियों को एक साथ ही प्रयोग में लाना होगा जबकि पार्श्वक्रम में हम ऐसा कर सकते हैं। इसलिए युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं।

प्रश्न 4.
2 Ω, 3 Ω तथा 6 Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध –
(a) 4 Ω, (b) 1 Ω हो?
उत्तर:
(a) 3 Ω एवं 6 Ω के प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करेंगे जिससे इनका तुल्य प्रतिरोध R’ प्राप्त होगा।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 6
फिर इस संयोजन को 2 Ω के प्रतिरोध से श्रेणीक्रम में संयोजित करेंगे इससे कुल तुल्य प्रतिरोध –
Ra = 2 Ω + 2 Ω = 4 Ω प्राप्त होगा।

(b) तीनों प्रतिरोधकों को हम पार्श्वक्रम में संयोजित करेंगे जिससे तुल्य प्रतिरोध Rb प्राप्त होगा निम्न प्रकार है –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 7

प्रश्न 5.
4 Ω, 8 Ω, 12 Ω तथा 24 Ω प्रतिरोध की चार कुण्डलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से –
(a) अधिकतम, (b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके?
उत्तर:
(a) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए चारों कुण्डलियों को हम श्रेणीक्रम में संयोजित करेंगे।

(b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए हम चारों कुण्डलियों को पार्यक्रम में संयोजित करेंगे।

प्रश्न श्रृंखला-6 # पृष्ठ संख्या 242

प्रश्न 1.
किसी विद्युत् हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है।
उत्तर:
विद्युत् हीटर की डोरी का प्रतिरोध नगण्य होता है। इसलिए वह उत्तप्त नहीं होती जबकि उसके तापन अवयव का प्रतिरोध अधिक होने से उसमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और वह उत्तप्त हो जाता है।

प्रश्न 2.
एक घण्टे में 50 V विभवान्तर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानान्तरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है: V = 50 V एवं q= 96000 C
ऊष्मा = V × q = 50 V × 96000 C = 48,00,000 J
अतः अभीष्ट उत्पन्न ऊष्मा = 48,00,000 J अर्थात् 4,800 kJ – उत्तर

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प्रश्न 3.
20 Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत् इस्तरी 5 A विद्युत्धारा लेती है, 30 s में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है: R = 20 Ω, I = 5 A, t = 30s
चूँकि
उत्पन्न ऊष्मा = I2Rt = (5)2 × 20 × 30 J = 15,000 J अर्थात् 15 kJ.
अत: अभीष्ट उत्पन्न ऊष्मा = 15,000 J अर्थात् 15 kJ – उत्तर

प्रश्न शृंखला-7 # पृष्ठ संख्या 245

प्रश्न 1.
विद्युत् धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
विद्युत् धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण विद्युत् धारा की मात्रा एवं विभवान्तर के गुणनफल के द्वारा किया जाता है।
अर्थात्
प्रदत्त विद्युत् ऊर्जा की दर = विद्युत् सामर्थ्य
P = विभवान्तर V × विद्युत् धारा I ⇒ P = VI

प्रश्न 2.
कोई विद्युत् मोटर 220 V के विद्युत् स्रोत से 5.0 A की विद्युत् धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घण्टे में मोटर द्वारा उपयुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है:
विभवान्तर V = 220 V, विद्युत् धारा i = 5.0 A, समय t = 2 घण्टे।
चूँकि मोटर की शक्ति P = VI = 220 × 5.0 = 1100 W
\(\frac { 1100 }{ 1000 } \) = 1.1 kW
2 घण्टे में उपयुक्त ऊर्जा = 2 × 1.1 = 2.2 kWh
अतः मोटर की अभीष्ट सामर्थ्य = 1.1 kW एवं 2 घण्टे में उपयुक्त ऊर्जा की अभीष्ट मात्रा = 2.2 kWh – उत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 12 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता है। इन टुकड़ों को फिर पार्यक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है, तो R/R’ अनुपात का मान क्या है?
(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25
उत्तर:
(d) 25

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा पद विद्युत् परिपथ में विद्युत् शक्ति को निरूपित नहीं करता?
(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R
उत्तर:
(b) IR2

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प्रश्न 3.
किसी विद्युत् बल्ब का अनुमतांक 220 V : 100 W है। जब इसे 110 V पर प्रचलित करते हैं तब इसके द्वारा उपयुक्त शक्ति कितनी होगी?
(a) 100 W
(b) 75 W
(c) 50 W
(d) 25 W
उत्तर:
(d) 25 W

प्रश्न 4.
दो चालक तार जिनके पदार्थ, लम्बाई तथा व्यास समान हैं, किसी विद्युत् परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्श्वक्रम में संयोजित किये जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1 : 2
(b) 2 : 1
(c) 1 : 4
(d) 4 : 1
उत्तर:
(c) 1 : 4

प्रश्न 5.
किसी विद्युत् परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है?
उत्तर:
समान्तर क्रम (पावक्रम) में।

प्रश्न 6.
किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 × 10-8 Ωm है। 10 Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लम्बे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दो गुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अन्तर आयेगा?
हल:
दिया है:
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प्रश्न 7.
किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर V के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत् धाराओं के संगत मान निम्नवत् हैं –

I(ऐम्पियर मे) 0.5 1.0 2.0 3.0 4.0
V(वोल्ट में) 1.6 3.4 6.7 10.2 13.2

V और I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल:
विभवान्तर V एवं विद्युत् धारा I में ग्राफ –
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प्रश्न 8.
किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12 V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5 m A विद्युत् धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है:
विभवान्तर V = 12 V, विद्युत् धारा I = 2.5 mA = 2.5 × 10-3 A
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प्रश्न 9.
9 V की किसी बैटरी को 0.2 Ω, 0.3 Ω,0.4 Ω,0.5 Ω तथा 12 Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12 Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होगी?
हल:
दिया है:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 12
चूँकि प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में है इसलिए सभी प्रतिरोधकों में होकर समान धारा प्रवाहित होगी।
अतः 12 Ω प्रतिरोधक से प्रवाहित अभीष्ट विद्युत् धारा = 0.67 A

प्रश्न 10.
176 Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करें कि 220 V के विद्युत् स्रोत के संयोजन से 5 A विद्युत् धारा प्रवाहित हो।
हल:
दिया है:
विभवान्तर V = 220 V, विद्युत् धारा i = 5 A
मान लीजिए प्रत्येक R = 176 Ω के n प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में संयोजित किए गए हैं तो पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध यदि Rp है तो –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 13
अतः प्रतिरोधकों की अभीष्ट संख्या = 4 – उत्तर

प्रश्न 11.
यह दर्शाइए कि आप 6 Ω प्रतिरोधक के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करोगे? प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध –
(i) 9 Ω
(ii) 4 Ω हो।
हल:
(i) दो प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में तथा इस संयोजन को तीसरे प्रतिरोधक के श्रेणीक्रम में संयोजित करते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 14
AC के मध्य तुल्य प्रतिरोध R = 3 Ω + 6 Ω = 9 Ω

(ii) दो प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में तथा तीसरे को उक्त संयोजन के पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 15

प्रश्न 12.
220 V की विद्युत् लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10 W है। यदि 220 V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत् धारा 5 A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्यक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
हल:
दिया है:
प्रत्येक विद्युत् बल्ब का अनुमतांक P1 = 10 W; विद्युत् लाइन का विभवान्तर V = 220 V, अधिकतम अनुमत विद्युत् धारा I = 5 A है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 16

प्रश्न 13.
किसी विद्युत् घण्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुण्डलियों A तथा B की बनी हुई हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोधक 24 Ω है तथा इन्हें पृथक-पृथक श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220 V विद्युत् स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में विद्युत् धाराएँ क्या हैं?
हल:
दिया है:
Ra = Rb = R = 24 Ω, V = 220 V
मान लीजिए समान्तर क्रम में तुल्य प्रतिरोध = Rs
तथा पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध = Rp, है तो
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 17
अतः अभीष्ट विद्युत् धाराएँ क्रमश: 9.2 A (लगभग), 4.6 A (लगभग) एवं 18.3 A (लगभग) – उत्तर

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 2 Ω प्रतिरोधक द्वारा उपमुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए –
(i) 6 V की बैटरी से संयोजित 1 Ω तथा 2 Ω प्रतिरोधक श्रेणीक्रम संयोजन।
(ii) 4 V बैटरी से संयोजित 12 Ω तथा 2 Ω पार्श्वक्रम संयोजन।
हल:
(i) V = 6 V, R1 = 1 Ω एवं R2 = 2 Ω
मान लीजिए श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोधक = Rs तो
Rs = R1 + R2 = 1 Ω + 2 Ω = 3 Ω
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 18
अतः अभीष्ट शक्ति क्रमशः (i) 8 W एवं (ii) 8 W – उत्तर

प्रश्न 15.
दो विद्युत् लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W : 220 V तथा दूसरे का 60 W : 220 V है। विद्युत् मेन्स के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित है। यदि विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता 220 V है, तो विद्युत् में से कितनी धारा ली जाती है?
हल:
दिया है:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 19

प्रश्न 16.
किसमें अधिक विद्युत् ऊर्जा उपमुक्त होती है; 250 W टी. वी. सैट जो एक घण्टे तक चलाया जाता है अथवा 120 W का विद्युत् हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है।
हल:
दिया है:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 20

प्रश्न 17.
8 Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत् हीटर विद्युत् मेन्स से 2 घण्टे तक 15 A विद्युत् धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊर्जा की दर परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 18.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए –
(a) विद्युत् लैम्पों के तन्तुओं के निर्माण में प्रायः एक मात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
(b) विद्युत् तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत् इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रातुओं के क्यों बनाए जाते हैं?
(c) घरेलू विद्युत् परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
(e) विद्युत् संचारण के लिए प्रायः कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
(a) बल्बों के तन्तु बनाने में बहुत पतले टंगस्टन के तारों का उपयोग होता है क्योंकि इनका गलनांक अति उच्च होता है। ये गर्म अवस्था में ऑक्सीकृत नहीं होते तथा ऊष्मा को रोककर प्रकाश उत्पन्न करते हैं।

(b)
1. 3 Ω एवं 6 Ω के प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करेंगे जिससे इनका तुल्य प्रतिरोध R’ प्राप्त होगा।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 6
फिर इस संयोजन को 2 Ω के प्रतिरोध से श्रेणीक्रम में संयोजित करेंगे इससे कुल तुल्य प्रतिरोध –
Ra = 2 Ω + 2 Ω = 4 Ω प्राप्त होगा।

2. तीनों प्रतिरोधकों को हम पार्श्वक्रम में संयोजित करेंगे जिससे तुल्य प्रतिरोध Rb प्राप्त होगा निम्न प्रकार है –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 7

(c) श्रेणीक्रम में संयोजित युक्तियों में समान धारा प्रवाहित होती है जबकि प्रत्येक युक्ति को उनके ठीक प्रकार कार्य सम्पादन हेतु अलग-अलग धाराओं की आवश्यकता होती है जो पार्श्वक्रम में ही सम्भव है श्रेणीक्रम में नहीं।

इसके अतिरिक्त एक युक्ति के खराब होने पर श्रेणीक्रम में सभी युक्तियाँ कार्य करना बन्द कर देंगी जबकि पार्श्वक्रम में एक युक्ति के खराब होने या बन्द होने की स्थिति में अन्य युक्तियाँ कार्य करती रहेंगी।

श्रेणीक्रम में हम इच्छानुसार एक या अधिक युक्तियों को प्रयोग में नहीं ला सकते, सभी युक्तियों को एक साथ ही प्रयोग में लाना होगा जबकि पार्श्वक्रम में हम ऐसा कर सकते हैं। इसलिए युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं।

(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् क्षेत्रफल बढ़ने पर प्रतिरोध कम होता है तथा कम होने पर बढ़ता है।

(e) विद्युत् संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग किया जाता है क्योंकि इनकी प्रतिरोधकता बहुत कम है। अत: ये अतितप्त नहीं होते।

MP Board Class 10th Science Chapter 12 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रतिरोध का मात्रक है –
(a) ऐम्पियर।
(b) वाट।
(c) ओम।
(d) वोल्ट।
उत्तर:
(c) ओम।

प्रश्न 2.
विद्युत् धारा का S.I. मात्रक है –
(a) जूल।
(b) ऐम्पियर।
(c) वोल्ट।
(d) वाट।
उत्तर:
(b) ऐम्पियर।

प्रश्न 3.
विद्युत् शक्ति का अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में मात्रक है –
(a) अश्व शक्ति।
(b) वाट।
(c) किलोवाट घण्टा।
(d) ये सभी। (2019)
उत्तर:
(b) वाट।

प्रश्न 4.
विभवान्तर का मात्रक है –
(a) ऐम्पियर।
(b) वोल्ट।
(c) ओम।
(d) वाट।
उत्तर:
(b) वोल्ट।

प्रश्न 5.
विभवान्तर का मापक यन्त्र है –
(a) अमीटर।
(b) वोल्टमीटर।
(c) लैक्टोमीटर।
(d) शुष्क सेल।
उत्तर:
(b) वोल्टमीटर।

प्रश्न 6.
विद्युत् धारा का मापक यन्त्र है –
(a) अमीटर।
(b) वोल्टमीटर।
(c) लैक्टोमीटर।
(d) शुष्क सेल।
उत्तर:
(a) अमीटर।

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प्रश्न 7.
एक सेल, एक प्रतिरोध, एक कुंजी एवं एक अमीटर निम्न तीन प्रकार से परिपथ में संयोजित किए गए हैं –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 21
तो अमीटर से प्रेक्षित की गई विद्युत् धारा का मान –
(a) (i) में अधिकतम होगा।
(b) (ii) में अधिकतम होगा।
(c) (iii) में अधिकतम होगा।
(d) सभी में समान होगा।
उत्तर:
(d) सभी में समान होगा।

प्रश्न 8.
निम्न परिपथों में 12 वोल्ट की बैटरी से संयोजित प्रतिरोध या प्रतिरोध संयोजन में उत्पन्न ऊष्मा का मान होगा –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 22
(a) सभी स्थितियों में समान।
(b) (i) में अधिकतम।
(c) (ii) में अधिकतम।
(d) (iii) में अधिकतम।
उत्तर:
(d) (iii) में अधिकतम।

प्रश्न 9.
किसी धातु के तार की प्रतिरोधकता निर्भर करती है –
(a) इसकी लम्बाई पर।
(b) इसकी मोटाई पर।
(c) इसकी आकृति पर।
(d) इसके पदार्थ की प्रकृति पर।
उत्तर:
(d) इसके पदार्थ की प्रकृति पर।

प्रश्न 10.
एक विद्युत् बल्ब की तन्तु ने 1 A विद्युत् धारा ली। इस तन्तु के परिच्छेद से 16 s में प्रवाहित इलेक्ट्रॉनों की लगभग संख्या होगी
(a) 1020
(b) 1016
(c) 1018
(d) 1023
उत्तर:
(a) 1020

प्रश्न 11.
जाँच कीजिए कि निम्न चित्रों में किस परिपथ में विद्युत् अवयवों का सही संयोजन किया गया है?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 23
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 25

प्रश्न 12.
पाँच प्रतिरोधक तारों के संयोजन से कितना अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त किया जा सकता है जबकि प्रत्येक प्रतिरोधक का प्रतिरोध 1/5 Ω है?
(a) 1/5 Ω
(b) 10 Ω
(c) 5 Ω
(d) 1 Ω
उत्तर:
(d) 1 Ω

प्रश्न 13.
पाँच प्रतिरोधकों के संयोजन से न्यूनतम कितना प्रतिरोध प्राप्त किया जा सकता है जबकि प्रत्येक प्रतिरोधक का प्रतिरोध 1/5 Ω है –
(a) 1/5 Ω
(b) 1/25 Ω
(c) 1/10 Ω
(d) 25 Ω
उत्तर:
(b) 1/25 Ω

प्रश्न 14.
अधिकतम विभवान्तर प्राप्त करने के लिए चार सेलों का श्रेणीक्रम में संयोजन निम्न प्रकार किया गया। निम्न में कौन-सा संयोजन सही स्थिति को प्रदर्शित करता है?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 24
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 26

प्रश्न 15.
निम्न में कौन विभवान्तर को प्रदर्शित करता है?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 27
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 28

प्रश्न 16.
एक/लम्बाई एक समान परिच्छेद क्षेत्रफल A वाला चालक तार का प्रतिरोध R है। दूसरे चालक की लम्बाई 2 l तथा प्रतिरोध R है समान पदार्थ का बना है तो उसका परिच्छेद होगा –
(a) A/2
(b) 3 A/2
(c) 2 A
(d) 3 A
उत्तर:
(c) 2 A

प्रश्न 17.
संलग्न चित्र में V – I ग्राफ तीन नमूनों नाइक्रोम तार के जिनके प्रतिरोध R1, R2 एवं R3 पर एक छात्र द्वारा किए गए प्रयोग के आधार पर खींचे गए हैं। निम्न में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) R1 = R2 = R3
(b) R1 > R2 > R3
(c) R1 > R2 > R3
(d) R1 >R2 > R3
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 29

प्रश्न 18.
यदि किसी प्रतिरोधक में होकर बहने वाली धारा I को दुगुना कर दिया जाय अर्थात् 100% बढ़ा दिया जाय तो उसकी विद्युत् सामर्थ्य में वृद्धि होगी (जबकि उसका तापमान नियत रहता है) –
(a) 100%
(b) 200%
(c) 300%
(d) 400%
उत्तर:
(c) 300%

प्रश्न 19.
किसी चालक की प्रतिरोधकता परिवर्तित नहीं होती यदि –
(a) चालक का पदार्थ परिवर्तित कर दिया जाय।
(b) चालक का ताप परिवर्तित कर दिया जाय।
(c) चालक का आकार बदल दिया जाय।
(d) दोनों पदार्थ एवं ताप परिवर्तित कर दिया जाय।
उत्तर:
(c) चालक का आकार बदल दिया जाय।

प्रश्न 20.
एक विद्युत् परिपथ में 2 Ω एवं 4 Ω के दो प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में एक 6 V बैटरी के साथ संयोजित किए गए हैं तो 4 Ω के प्रतिरोधक से 5 s में ऊष्मा प्राप्त होगी –
(a) 5 J
(b) 10 J
(c) 20 J
(d) 30 J
उत्तर:
(c) 20 J

प्रश्न 21.
एक बिजली की केतली जब 220 V पर प्रयोग की जाती है तो 1 kW विद्युत् सामर्थ्य लेती है। किस दर का एक फ्यूज तार इसके लिए प्रयुक्त होना चाहिए?
(a) 1 A
(b) 2 A
(c) 4 A
(d) 5 A
उत्तर:
(d) 5 A

प्रश्न 22.
एक विद्युत् परिपथ में तीन विद्युत् बल्ब A, B एवं C क्रमश: 40 W, 60 W एवं 100 W क्षमता के समान्तर क्रम में विद्युत् स्रोत से संयोजित किए जाते हैं। उनकी रोशनी के सन्दर्भ में निम्न में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) सभी समान रोशनी देंगे।
(b) बल्ब A की रोशनी सर्वाधिक होगी।
(c) बल्ब B की रोशनी बल्ब A से अधिक होगी।
(d) बल्ब C की रोशनी बल्ब B से कम होगी।
उत्तर:
(c) बल्ब B की रोशनी बल्ब A से अधिक होगी।

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प्रश्न 23.
जब 2 Ω एवं 4 Ω प्रतिरोध के दो प्रतिरोधक एक बैटरी से संयोजित किए जाते हैं तो –
(a) उनमें समान विद्युत् धारा प्रवाहित होगी जब उनको समान्तर क्रम में संयोजित किया जाय।
(b) उनमें समान विद्युत् धारा प्रवाहित होगी जब उनको श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाय।
(c) उनके सिरों पर समान विभवान्तर होगा जब उनको श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाय।
(d) उनके सिरों पर अलग-अलग विभवान्तर होगा जब उनको समान्तर क्रम में संयोजित किया जाय।
उत्तर:
(b) उनमें समान विद्युत् धारा प्रवाहित होगी जब उनको श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाय।

प्रश्न 24.
विद्युत् सामर्थ्य का मात्रक इस प्रकार भी प्रदर्शित किया जा सकता है –
(a) वोल्ट-ऐम्पियर।
(b) किलोवाट-घण्टा।
(c) वाट-सेकण्ड।
(d) जूल-सेकण्ड।
उत्तर:
(a) वोल्ट-ऐम्पियर।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. शुद्ध जल विद्युत् का ……. होता है।
  2. एक अश्व शक्ति = … वाट।
  3. किसी तार का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के ……. होता है।
  4. किसी तार का प्रतिरोध उसके परिच्छेद के ………… होता है।
  5. किसी तार की प्रतिरोधकता पर उसकी आकृति का ……… पड़ता है।

उत्तर:

  1. कुचालक
  2. 746
  3. अनुक्रमानुपाती
  4. व्युत्क्रमानुपाती
  5. कोई प्रभाव नहीं।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 30
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में संयोजित करना चाहिए।
  2. I = V R अर्थात् विद्युत् धारा = विभवान्तर × प्रतिरोध।
  3. न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधकों को समान्तर क्रम में संयोजित करना चाहिए।
  4. हॉर्स पावर विद्युत् ऊर्जा का मात्रक है।
  5. किसी चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा एवं उसके सिरों के मध्य विभवान्तर के परस्पर सम्बन्ध का पता ओम ने लगाया था।

उत्तर:

  1. सत्य।
  2. असत्य।
  3. सत्य।
  4. असत्य।
  5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. विभवान्तर (V), विद्युत् धारा (I) एवं प्रतिरोध (R) में सम्बन्ध बताइए।
  2. तीन प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में संयोजित करने पर उनके परिणामी तुल्य प्रतिरोध का सम्बन्ध लिखिए।
  3. तीन प्रतिरोधकों को समान्तर क्रम में जोड़ने पर उनके परिणामी तुल्य प्रतिरोध का सूत्र लिखिए।
  4. आवेश एवं विद्युत् धारा में क्या सम्बन्ध है? सूत्र के रूप में लिखिए।
  5. एक इलेक्ट्रॉन पर कितना आवेश होता है?

उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 31

MP Board Class 10th Science Chapter 12 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विद्युत् विभव किसे कहते हैं? इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् विभव:
“एकांक धनावेश को अनन्त से विद्युत् क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में किए गए कार्य को इस बिन्दु का विद्युत् विभव कहते हैं।” इसका मात्रक वोल्ट है।

प्रश्न 2.
विद्युत् धारा किसे कहते हैं? इसका S.I. मात्रक लिखिए। (2019)
उत्तर:
विद्युत् धारा:
“आवेश प्रवाह की दर को विद्युत् धारा कहते हैं।” दूसरे शब्दों में “एकांक समय में चालक तार में प्रवाहित आवेश की मात्रा को विद्युत् धारा कहते हैं।”
आवेश  MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 32

प्रश्न 3.
विभवान्तर किसे कहते हैं? इसका मात्रक (S.I.) लिखिए। (2019)
उत्तर:
विभवान्तर:
“विद्युत् क्षेत्र में एकांक धनावेश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने में जो कार्य किया जाता है, दोनों बिन्दुओं के बीच विभवान्तर कहलाता है।”
अर्थात्
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 33
इसका मात्रक वोल्ट है।

प्रश्न 4.
एक वोल्ट विभव से क्या समझते हो?
उत्तर:
एक वोल्ट विभव:
“एकांक धनावेश को अनन्त से विद्युत् क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में यदि एक जूल कार्य करना पड़ता है तो विद्युत् क्षेत्र के उस बिन्दु पर विभव का मान एक वोल्ट होगा।”

प्रश्न 5.
ओम का नियम लिखिए। (2019)
उत्तर:
ओम का नियम:
“किसी बन्द परिपथ में संयोजित चालक में, जिसकी भौतिक परिस्थितियाँ अपरिवर्तित रहती हों, विद्युत् धारा प्रवाहित की जाए तो उसके सिरों के मध्य विभवान्तर और उसमें प्रवाहित विद्युत् धारा की तीव्रता में एक निश्चित अनुपात होता है, जिसे विद्युत् प्रतिरोध कहते हैं अर्थात्
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 34

प्रश्न 6.
विद्युत् प्रतिरोध किसे कहते हैं? इसका मात्रक क्या है?
उत्तर:
विद्युत् प्रतिरोध:
“चालक की परमाणु संरचना के कारण इलेक्ट्रॉन प्रवाह में उत्पन्न अवरोध के परिमाण को चालक का विद्युत् प्रतिरोध कहते हैं।” इसका मात्रक ओम होता है।

प्रश्न 7.
“एक ओम प्रतिरोध” से क्या समझते हो?
उत्तर:
एक ओम प्रतिरोध:
“यदि किसी चालक के सिरों पर एक वोल्ट का विभवान्तर आरोपित करने पर उस चालक में एक ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही हो तो उस चालक का प्रतिरोध एक ओम होता है।”

प्रश्न 8.
विद्युत् प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध) किसे कहते हैं? इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर:
विद्यत् प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध):
“एक मीटर लम्बे तथा एक वर्ग मीटर अनुप्रस्थ काट वाले चालक तार का प्रतिरोध, उस चालक पदार्थ की विद्युत् प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध) कहलाता है।” इसका मात्रक ओम-मीटर है।

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प्रश्न 9.
विद्युत् शक्ति को परिभाषित कीजिए। इसका मात्रक क्या है?
उत्तर:
विद्युत् शक्ति: “किसी विद्युत् उपकरण में विद्युत् ऊर्जा के व्यय की दर विद्युत् शक्ति कहलाती है।”

प्रश्न 10.
“एक वाट विद्युत् शक्ति” क्या होती है?
उत्तर:
एक वाट विद्युत् शक्ति:
“यदि किसी विद्युत् परिपथ में एक जूल प्रति सेकण्ड की विद्युत् ऊर्जा की हानि हो रही है तो परिपथ की विद्युत् शक्ति एक वाट कहलाती है।”

प्रश्न 11.
विद्युत् शक्ति के विभिन्न पदों में व्यंजक (सूत्र) लिखिए।
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 35

प्रश्न 12.
विद्युत् ऊर्जा अथवा उससे उत्पन्न ऊष्मा को विभिन्न पदों में व्यंजक (सूत्र) लिखिए।
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 36

प्रश्न 13.
किसी चालक के प्रतिरोध R एवं उसकी प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध) p में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
विशिष्ट प्रातराध (प्रातराधकता)
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 37

प्रश्न 14.
एक किलोवाट घण्टा (kWh) अथवा विद्युत् यूनिट से क्या समझते हो?
उत्तर:
किलोवाट घण्टा (kWh) अथवा विद्युत् यूनिट:
“परिपथ में 1000 वाट का उपकरण 1 घण्टे में जितनी विद्युत् ऊर्जा व्यय करता है उसे एक किलोवाट घण्टा (kWh) या एक विद्युत् यूनिट कहते हैं।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 38

प्रश्न 15.
विद्युत् धारा के ऊष्मीय प्रभाव से क्या समझते हो?
उत्तर:
विद्युत् धारा का ऊष्मीय प्रभाव:
“जब किसी प्रतिरोधक में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो ऊष्मा उत्पन्न होती है, विद्युत् धारा के द्वारा ऊष्मा उत्पन्न होने की यह परिघटना विद्युत् धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहलाती है।”

प्रश्न 16.
विद्युत् धारा के ऊष्मीय प्रभाव के अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर:
विद्यत धारा के ऊष्मीय प्रभाव के अनप्रयोग:
विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव का अनुप्रयोग विद्युत् ऊष्मीय युक्तियों में होता है; जैसे-विद्युत् आयरन, विद्युत् हीटर, गीजर, इलेक्ट्रिक केतली आदि घरेलू उपकरणों में तथा बल्बों में प्रकाश के लिए होता है। इसके अतिरिक्त फ्यूज के तार में विद्युत् उपकरणों को बचाने के लिए भी होता है।

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प्रश्न 17.
अमापी का प्रतिरोध कम या अधिक क्या होना चाहिए?
उत्तर:
अमापी (अमीटर) के प्रतिरोध को शून्य के निकटतम होना चाहिए बल्कि आदर्श स्थिति में इसका मान शून्य होना चाहिए अन्यथा यह विद्युत् धारा का वास्तविक मापन नहीं कर सकता।

प्रश्न 18.
फ्यूज वायर किस प्रकार विद्युत् उपकरणों को नष्ट होने से बचाता है?
उत्तर:
जब भी विद्युत् परिपथ में अतिभारक या लघु पाथन के कारण धारा का मान बढ़ता है तो फ्यूज वायर में ऊष्मा उत्पन्न होने के कारण उसका ताप बढ़ जाता है तथा फ्यूज वायर पिघल जाता है जिसमें परिपथ टूट जाता है और उपकरण बच जाते हैं।

प्रश्न 19.
विद्युत् ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक क्या है? इसे जूल के पदों में लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक किलोवाट घण्टा (kWh) होता है।
1 kWh = 3.6 × 106 J

प्रश्न 20.
घरेलू परिपथ में समान्तर क्रम में उपकरणों का संयोजन क्यों किया जाता है?
उत्तर:
घरेलू परिपथ में विद्युत् उपकरणों का संयोजन समान्तर क्रम में इसलिए किया जाता है ताकि उन सभी उपकरणों को समान विभवान्तर उपलब्ध हो सके।

MP Board Class 10th Science Chapter 12 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ठोस चालक के लिए विद्युत् प्रतिरोध का मान किन-किन बातों पर निर्भर करता है और किस प्रकार?
उत्तर:
ठोस चालक के विद्युत् प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक:
ठोस चालक का विद्युत् प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

  1.  चालक की लम्बाई पर:
    चालक का प्रतिरोध R, चालक की लम्बाई l के अनुक्रमानुपाती (समानुपाती) होता है अर्थात्
    R ∝ l
  2. चालक के अनुप्रस्थ काट (क्षेत्रफल) पर:
    चालक का प्रतिरोध R, चालक के अनुप्रस्थ काट (क्षेत्रफल) A के व्युत्क्रमानुपाती (विलोमानुपाती) होता है अर्थात्
    R ∝ \(\frac { 1 }{ A } \)
  3. चालक के ताप पर:
    चालक का ताप बढ़ाने पर प्रतिरोध बढ़ जाता है तथा घटाने पर घट जाता है।
  4. चालक के पदार्थ की प्रकृति पर:
    चालक का प्रतिरोध उसके पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।

प्रश्न 2.
प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम संयोजन में जोड़ने पर संयोजन में कुल प्रतिरोध का व्यंजक ज्ञात कीजिए।
अथवा
तीन प्रतिरोधकों R1, R2 एवं R3 को श्रेणी क्रम में जोड़ा गया है। संयोजन के कुल प्रतिरोध की गणना कीजिए।
उत्तर:
मान लीजिए तीन प्रतिरोधक R1, R2 एवं R3 को चित्रानुसार श्रेणी क्रम में जोड़ा गया है तथा इनका तुल्य प्रतिरोध R है। इस परिपथ को बैटरी से V वोल्ट का विभवान्तर दिया गया है जिससे परिपथ में –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 39
धारा I ऐम्पियर बह रही है। चूँकि प्रतिरोधक श्रेणी क्रम में संयोजित है, इसलिए प्रत्येक प्रतिरोधक में I ऐम्पियर धारा प्रवाहित होगी। पुनः मान लीजिए कि प्रतिरोधकों के सिरों के विभवान्तर क्रमश: V1, V2 एवं V3 हैं, तो –
V=V1 + V2 + V3
IR =IR1 + IR2 + IR3 [ओम के नियम से]
IR = I (R1 + R2 + R3)
R = R1 + R2 + R3
अतः प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम संयोजन में जोड़ने पर संयोजन का कुल प्रतिरोध उनके अलग-अलग प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है।

प्रश्न 3.
प्रतिरोधकों को समानान्तर क्रम संयोजन में जोड़ने पर संयोजन के कुल प्रतिरोध का व्यंजक ज्ञात कीजिए।
अथवा
तीन प्रतिरोधकों R1, R2 एवं R3 को समानान्तर क्रम में जोड़ा गया है। संयोजन के कुल प्रतिरोध की गणना कीजिए।
उत्तर:
मान लीजिए तीन प्रतिरोधक R1, R2 एवं R3 को चित्रानुसार समानान्तर क्रम में जोड़ा गया है तथा उनका तुल्य प्रतिरोध R है। इस परिपथ को बैटरी द्वारा V वोल्ट का विभवान्तर दिया गया है, जिससे परिपथ में धारा I ऐम्पियर बह रही है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 40
चूँकि प्रतिरोधक समानान्तर क्रम में संयोजित है इसलिए प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों का विभवान्तर V वोल्ट होगा।
पुनः मान लीजिए कि प्रतिरोधकों में धारा क्रमश: I1, I2 एवं I3 ऐम्पियर बह रही है तो
I = I1 + I2 + I3
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 41
अतः प्रतिरोधकों को समानान्तर क्रम संयोजन में जोड़ने पर संयोजन के कुल प्रतिरोध का व्युत्क्रम उन प्रतिरोधकों के प्रतिरोधों के अलग-अलग व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।

प्रश्न 4.
जूल के तापन नियम की व्याख्या कीजिए।
अथवा
जूल के तापन नियम को समझाइए।
उत्तर:
जूल का तापन नियम:
जब किसी प्रतिरोधक R में I विद्युत् धारा t समय तक प्रवाहित की जाती है तो उस प्रतिरोधक में विद्युत् धारा के ऊष्मीय प्रभाव से उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा (H):
H = I2Rt यदि I ऐम्पियर में, R ओम में तथा t सेकण्ड में हो तो H का मान जूल में होता है। इस नियम को जूल का तापन नियम कहते हैं।
इस नियम के अनुसार:

  1. प्रतिरोधक में उत्पन्न ऊष्मा H, उसमें प्रवाहित धारा I के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात्,
    H ∝ I2
  2. प्रतिरोधक में उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा H, उसके प्रतिरोध R के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात्,
    H ∝ R
  3. प्रतिरोधक में उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा H, समय t के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात्
    H ∝ t

प्रश्न 5.
विद्युत् धारा के ऊष्मीय प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:
विद्युत् धारा का ऊष्मीय प्रभाव:
जब किसी प्रतिरोधक में विद्युत् धारा प्रवाहित होती है, तो आवेश को उस प्रतिरोधक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाने में कार्य करना पड़ता है। यह कार्य ऊष्मा के रूप में परिवर्तित हो जाता है जिससे प्रतिरोधक गर्म हो जाता है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध जितना अधिक होगा, ऊष्मा का मान भी उतना ही अधिक होगा।
मान लीजिए R प्रतिरोधक में I धारा t सेकण्ड के लिए प्रवाहित की जाती है, तब t सेकण्ड में तार में बहने वाला आवेश
q = It ………(1) [विद्युत् धारा की परिभाषा से]
मान लीजिए q आवेश के प्रतिरोध में एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित होने में किया गया कार्य W है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 42
अतः H = VIt
चूँकि V=IR [ओम के नियम से]
H =I2 Rt

प्रश्न 6.
एक छात्र ने ओम के नियम के अध्ययन के लिए एक विद्युत् परिपथ का रेखाचित्र बनाया जो निम्न चित्र में दिया गया है। उसके अध्यापक ने कहा कि यह परिपथ का रेखाचित्र कुछ संशोधन चाहता है। परिपथ के रेखाचित्र का अध्ययन कीजिए और इसमें सभी संशोधन करके पुनः विद्युत् परिपथ का रेखाचित्र बनाइए।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 43
उत्तर:
सही संशोधित नवीन परिपथ का रेखाचित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 44

प्रश्न 7.
प्रत्येक 2 Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधक A, B एवं C संलग्न चित्र के अनुसार संयोजित किए गए हैं उनमें से प्रत्येक विद्युत् ऊर्जा को व्यय करता है तथा अधिकतम विद्युत् सामर्थ्य (शक्ति) 18 W तक बिना पिघले हुए प्रयुक्त कर सकता है। इन तीनों प्रतिरोधकों में प्रत्येक द्वारा अधिकतम प्रवाहित धारा का परिकलन कीजिए।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 45
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 46

प्रश्न 8.
एक विद्युत् परिपथ का रेखाचित्र खींचिए जिसमें एक सेल, एक की (कुंजी), एक अमीटर, एक प्रतिरोधक जिसका प्रतिरोध 2 Ω है, समान्तर क्रम में संयोजित दो प्रतिरोधक प्रति 4 Ω प्रतिरोध तथा समान्तर क्रम में संयोजन के सिरों पर वोल्ट-मीटर है। क्या 2 Ω प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर समान्तर क्रम में संयोजित प्रतिरोधकों के सिरों के बीच विभवान्तर के बराबर है? कारण दीजिए।
उत्तर:
अभीष्ट विद्युत् परिपथ का रेखाचित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 47
हाँ, 2 Ω प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर 4-4 ओम प्रतिरोध के समान्तर क्रम में संयोजित दो प्रतिरोधों के सिरों के बीच विभवान्तर के बराबर होगा क्योंकि उनका तुल्य प्रतिरोध भी 2 Ω के बराबर है।

प्रश्न 9.
प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध) क्या है? एक विद्युत् परिपथ में श्रेणीक्रम में एक धात्विक तार से बने प्रतिरोधक से संयोजित अमीटर का पाठ्यांक 5 A है। अमीटर का पाठ्यांक आधा हो जाता है जब उस प्रतिरोधक की लम्बाई दूनी कर दी जाती है।
उत्तर:
प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध):
“एक मीटर लम्बे तथा एक वर्ग मीटर अनुप्रस्थ काट वाले चालक तार का प्रतिरोध, उस चालक पदार्थ की विद्युत् प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध) कहलाता है।” इसका मात्रक ओम-मीटर है।

चूँकि प्रतिरोधक तार की लम्बाई दूनी कर दी गयी है तो उसका प्रतिरोध भी दूना हो जायेगा और चूँकि I = \(\frac { V }{ R } \)
अर्थात् I ∝ R
अतः प्रतिरोध दूना होने पर धारा का मान आधा रह जाता है इसलिए अमीटर का पाठयांक आधा रह गया।

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प्रश्न 10.
(i) जब एक विद्युत् परिपथ में एक विद्युत् बल्ब, एक 5 Ω प्रतिरोधक का चालक एवं एक 10 V विभवान्तर की बैटरी श्रेणीक्रम में संयोजित है तो प्रवाहित विद्युत् धारा 1 A होती है तो विद्युत् बल्ब का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
(ii) अब यदि 10 Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक चालक इस श्रेणीक्रम संयोजन के साथ समान्तर क्रम में संयोजित किया जाता है तो 5 Ω प्रतिरोध के चालक से होकर प्रवाहित धारा में एवं विद्युत् बल्ब के सिरों के बीच विभवान्तर में क्या परिवर्तन होगा? (यदि हो)
हल:
(i) मान लीजिए कि विद्युत् बल्ब का प्रतिरोध r Ω है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध
R = r +5 Ω एवं धारा I = 1 A
दिया है: वान्तर V= 10 V
चूँकि
V = IR
⇒ 10 = 1 × (r + 5)
⇒ r + 5 = 10
⇒ r = 10 – 5 = 5 Ω
अतः विद्युत् बल्ब का अभीष्ट प्रतिरोध = 5 Ω है। – उत्तर

(ii) परिपथ में 10 Ω का प्रतिरोध समान्तर क्रम में बल्ब एवं प्रतिरोधक के तुल्य प्रतिरोध 10 Ω के साथ संयोजित है। समान्तर क्रम में संयोजन से दोनों संयोजनों को बराबर उतना ही विभवान्तर 10 V ही प्राप्त होगा। अत: चालक में प्रवाहित धारा एवं बल्ब के सिरों के बीच विभवान्तर में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

प्रश्न 11.
B1, B2 एवं B3 तीन सर्वांगसम विद्युत् बल्ब हैं जिनको संलग्न चित्र के अनुसार संयोजित किया गया है। जब तीनों बल्ब प्रकाशित होते हैं तो अमीटर A के द्वारा 3 A धारा को प्रेक्षित किया –
(i) जब बल्ब B1 फ्यूज हो जाता है तो अन्य दो बल्बों के प्रकाशित होने का क्या होगा?
(ii) जब बल्ब B2 फ्यूज हो जाता है तो A1, A2, A3 एवं A के पाठ्यांकों का क्या होगा?
(ii) जब तीनों बल्ब एक साथ प्रकाशित होते हैं तो सम्पूर्ण परिपथ में कितनी विद्युत् सामर्थ्य का लोड होगा?
हल:
दिये हुए चित्र के अनुसार तीन समान प्रतिरोध वाले बल्ब B1, B2 एवं B3 तीन अमीटरों A1, A2, एवं A3 के साथ समान्तर क्रम में परिपथ जुड़े हैं जिनको 4.5 V की बैटरी से विद्युत् धारा प्रदान चित्र 12.17 की जा रही है जो मुख्य अमीटर A द्वारा 3 A प्रेक्षित की गयी है। अतः प्रत्येक बल्ब में समान धारा 1 A प्रवाहित होगी।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 48
(i) जब बल्ब B1 फ्यूज हो जाता है तो वह बुझ जायेगा लेकिन अन्य दो बल्ब B2 एवं B3 यथावत् प्रकाशित होते रहेंगे।
(ii) जब बल्ब B2 फ्यूज हो जाता है तो उस परिपथ में धारा प्रवाह नहीं होगा तथा शेष दो परिपथों में धारा प्रवाह यथावत् बना रहेगा। कुल धारा प्रवाह 2 A हो जायेगा। अत: A1, A2, A3 एवं A के पाठ्यांक क्रमशः 1 A, 0 A, 1 A एवं 2 A होंगे।
(iii) जब तीनों बल्ब एक साथ प्रकाशित होते हैं तो कुल परिपथ का विभवान्तर V = 4.5 V एवं कुल धारा I = 3 A होगी।
और चूँकि विद्युत् सामर्थ्य P = VI
P = 4.5 V × 3 A = 13.5 W
अतः परिपथ द्वारा ग्रहण की गयी कुल विद्युत् सामर्थ्य = 13.5 W

प्रश्न 12.
तीन विद्युत् बल्ब प्रत्येक 100 वाट के एक परिपथ में श्रेणीक्रम में संयोजित है तथा दूसरे परिपथ में तीन अन्य प्रत्येक 100 वाट के समान्तर क्रम में संयोजित हैं। दोनों परिपथों को एक ही विद्युत् स्त्रोत से विद्युत् धारा प्रदान की जाती है।
(i) क्या दोनों परिपथों के बल्ब समान रूप से प्रकाशित होंगे? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(ii) अब प्रत्येक परिपथ से एक बल्ब फ्यूज हो जाता है तब क्या दोनों परिपथों का प्रत्येक बल्ब प्रकाशित होता रहेगा? कारण दीजिए।
उत्तर:
मान लीजिए प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध R Ω तथा स्रोत का विभवान्तर V है।
(i) श्रेणीक्रम में बल्बों का तुल्य प्रतिरोध = 3 R अतः विद्युत् धारा = \(\frac { V }{ R } \) A प्रत्येक बल्ब से प्रवाहित होगी जबकि समान्तर क्रम में प्रत्येक बल्ब को V वोल्टेज विभवान्तर मिलेगा। अतः उनमें प्रत्येक बल्ब से \(\frac { V }{ R } \) A धारा प्रवाहित होगी अर्थात् श्रेणीक्रम के बल्ब से तीन गुना अधिक। इसलिए समान्तर क्रम के बल्ब अधिक रोशनी (चमक) से प्रकाशित होंगे।

(ii) जब प्रत्येक परिपथ से एक-एक बल्ब फ्यूज हो जाता है तो श्रेणीक्रम के बल्ब तो प्रकाशित होना बन्द कर देंगे क्योंकि धारा प्रवाह रुक जायेगा तथा समान्तर क्रम के बल्ब यथावत् प्रकाशित होते रहेंगे।

प्रश्न 13.
विद्युत् परिपथ आरेख में उपयोग होने वाले निम्नलिखित अवयवों के रूढ़ चिह्न बनाइए।
(a) विद्युत् सेल।
(b) तार सन्धि।
(c) विद्युत् बल्ब।
(d) वोल्टमीटर। (2019)
उत्तर:
(a) विद्युत् सेल।
(b) तार संधि।
(c) विद्युत् बल्ब।
(d) वोल्टमीटर।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 49

MP Board Class 10th Science Chapter 12 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ओम के नियम की परिभाषा दीजिए। इसका प्रायोगिक सत्यापन कैसे करोगे? विस्तार से बतलाइए क्या यह नियम हर स्थिति में सही साबित होता है? समीक्षा कीजिए।
अथवा
प्रयोगशाला में ओम के नियम का सत्यापन करने सम्बन्धी प्रयोग का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए –
(अ) सिद्धान्त।
(ब) परिपथ का रेखाचित्र।
(स) प्रयोग विधि।
(द) प्रेक्षण तालिका।
(य) ग्राफ।
(र) निष्कर्ष (परिणाम)।
(ल) सावधानियाँ।
अथवा
ओम के नियम के सत्यापन की व्याख्या निम्न शीर्षकों में कीजिए –
(i) सिद्धान्त (नियम एवं सूत्र)।
(ii) उपकरण का नामांकित चित्र।
(iii) प्रेक्षण तालिका।
(iv) प्रमुख सूत्र।
(v) प्रमुख सावधानियाँ।
उत्तर:
प्रयोगशाला में ओम के नियम का सत्यापन करनानियम:
“किसी बन्द परिपथ में संयोजित चालक में, जिसकी भौतिक परिस्थितियाँ अपरिवर्तित रहती हों, विद्युत् धारा प्रवाहित की जाए तो उसके सिरों के मध्य विभवान्तर और उसमें प्रवाहित विद्युत् धारा की तीव्रता में एक निश्चित अनुपात होता है, जिसे विद्युत् प्रतिरोध कहते हैं अर्थात्

(अ) सिद्धान्त:
\(\frac { V }{ I } \) = नियतांक
जहाँ,
V = चालक के सिरों का विभवान्तर तथा
I = चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की सामर्थ्य

(ब) परिपथ का रेखाचित्र (उपकरण का नामांकित चित्र):
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 50

(स) प्रयोग विधि:

  1. चित्रानुसार उपकरण का संयोजन किया।
  2. अमीटर और वोल्टमीटर के अल्पतमांक ज्ञात किये।
  3. परिवर्ती प्रतिरोध (धारा नियन्त्रक) की सहायता से धारा की सामर्थ्य को न्यूनमान से बढ़ाते गये।
  4. प्रत्येक स्थिति में अमीटर एवं वोल्टमीटर के पाठ्यांक लेते गये।
  5. प्राप्त मानों को प्रेक्षण तालिका में प्रविष्ट कर लिया।
  6. गणना द्वारा प्रत्येक प्रेक्षण के लिए \(\frac { V }{ I } \) का मान ज्ञात किया।
  7. V और I में ग्राफ खींचा।

(द) प्रेक्षण:

  1. अमीटर का अल्पतमांक = …… ऐम्पियर
  2. वोल्टमीटर का अल्पतमांक = …… वोल्ट
  3. अमीटर एवं वोल्टमीटर के पाठ्यांकों की प्रेक्षण सारणी
क्रमांक अमीटर का पाठ्यांक I(ऐम्पियर में) वोल्टमीटर का पाठ्यांक V (वोल्ट में) \(\frac { V }{ I } \) = R (ओम में)
1
2
3
4
5

(य) V – I ग्राफ:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 51

(र) निष्कर्ष (परिणाम):

  1. गणना से \(\frac { V }{ I } \) स्थिरांक आया है, अतः ओम के नियम की पुष्टि होती है।
  2. V – I ग्राफ एक सरल रेखा है अत: ओम के नियम का सत्यापन होता है।

(ल) सावधानियाँ:

  1. सभी तारों को सभी संयोजक स्थलों पर ठीक प्रकार से कस लेना चाहिए।
  2. अमीटर को परिपथ में श्रेणीक्रम में तथा वोल्टमीटर को प्रतिरोध तार के समानान्तर क्रम में संयोजित करना चाहिए।
  3. परिपथ में देर तक धारा प्रवाहित नहीं करनी चाहिए तथा प्रत्येक पाठ के बाद मार्ग कुंजी को हटा देना चाहिए।
  4. परिपथ में उच्च धारा प्रवाहित नहीं करनी चाहिए।
  5. बैटरी का (+) सिरा, वोल्टमीटर एवं अमीटर के (+) सिरों से जुड़ा होना चाहिए।

ओम का नियम सभी स्थितियों में कसौटी पर खरा नहीं उतरता। इसमें चालक की भौतिक अवस्थाएँ जैसे तापक्रम आदि अपरिवर्तन रहना चाहिए।

प्रश्न 2.
किसी पदार्थ की विद्युत् प्रतिरोधकता क्या है? इसका मात्रक क्या है? एक प्रयोग का वर्णन कीजिए जिसके द्वारा उन कारकों का अध्ययन किया जा सके जो चालक तार के प्रतिरोध को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
पदार्थ की विद्युत् अवरोधकता एवं उसका मात्रक:
“एक मीटर लम्बे तथा एक वर्ग मीटर अनुप्रस्थ काट वाले चालक तार का प्रतिरोध, उस चालक पदार्थ की विद्युत् प्रतिरोधकता (विशिष्ट प्रतिरोध) कहलाता है।” इसका मात्रक ओम-मीटर है।

प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन हेतु प्रयोग –
(A) चालक की लम्बाई का प्रभाव-इसके लिए समान धातु के समान अनुप्रस्थ परिच्छेद वाले चालक के तीन या अधिक अलग-अलग लम्बाई के तार लेते हैं और निम्न परिपथ में क्रमशः एक-एक करके उन तारों को पेंच P एवं Q के मध्य संयोजित करके उनका प्रतिरोध ज्ञात करते हैं और नोटबुक में नोट कर लेते हैं। धारा नियन्त्रक की सहायता से धारा बदल-बदलकर अनेक प्रेक्षण लेते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 52
प्रेक्षित मानों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि लम्बे तार का प्रतिरोध छोटे तार की अपेक्षा अधिक होता है और हम यह भी पाते हैं कि ज्यों-ज्यों तार की लम्बाई बढ़ाते जाते हैं, प्रतिरोध बढ़ता जाता है अतः इससे निष्कर्ष निकलता है कि
चालक प्रतिरोध R ∝ चालक की लम्बाई l

(B) चालक के अनुप्रस्थ परिच्छेद का प्रभाव:
इसके लिए एक ही धातु के बने समान लम्बाई के तीन या अधिक विभिन्न मोटाई के चालक तार लेते हैं तथा उक्त परिपथ में पेच P एवं Q के मध्य बारी-बारी से लगाकर उनका प्रतिरोध ज्ञात करते हैं। संकलित आँकड़ों से पता चलता है कि जो तार मोटा है उसका प्रतिरोध कम आता है तथा जो तार पतला है उसका प्रतिरोध अधिक आता है। इससे निष्कर्ष निकलता है कि –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 53

प्रश्न 3.
एक प्रयोग के आधार पर आप कैसे निष्कर्ष निकालेंगे कि किसी परिपथ में श्रेणीक्रम में संयोजित तीन प्रतिरोधक चालकों में से प्रत्येक में होकर समान धारा प्रवाहित हो रही है?
उत्तर:
श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधकों में होकर समान धारा प्रवाहित होने की जाँच हेतु प्रयोग:
हम तीनों प्रतिरोधकों R1, R2, एवं R3 को अमीटरों A1, A2 एवं A3 के साथ क्रमशः श्रेणीक्रमों में संयोजित करके
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 54
धारा नियन्त्रक (Rh), एक कुंजी (K), बैटरी (B) एवं अमीटर (A) के साथ चित्र के अनुसार श्रेणीक्रम में संयोजित करके परिपथ बनाते हैं। परिपथ में धारा प्रवाहित करके चारों अमीटरों का पाठ्यांक लेते हैं तथा धारा नियन्त्रक के उपयोग से परिपथ में धारा की मात्रा को बदल-बदलकर अनेक प्रेक्षण लेते हैं।

प्रेक्षणों के अवलोकन से पता चलता है कि सभी अमीटरों का पाठयांक हर बार बराबर-बराबर (समान) आता है। इससे निष्कर्ष निकलता है कि श्रेणीक्रम में जुड़े सभी प्रतिरोधक चालकों में समान विद्युत् धारा प्रवाहित होती है।

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प्रश्न 4.
आप यह कैसे निष्कर्ष निकालेंगे कि समान्तर क्रम में संयोजित तीन प्रतिरोधक चालकों के सिरों के मध्य विभवान्तर समान होगा? जब इस संयोजन को किसी बैटरी से संयोजित किया जाता है? इसके लिए एक प्रयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समान्तर क्रम में जुड़े प्रतिरोधकों के सिरे के विभवान्तर समान होने की जाँच हेतु प्रयोग-तीन प्रतिरोधकों R1, R2, एवं R3 को समान्तर क्रम में संयोजित करके एक धारा नियन्त्रक (Rh), एक बैटरी (B), एक अमीटर (A) तथा एक कुंजी (K) के साथ में संयोजित कर देते हैं। प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर क्रमशः वोल्टमीटर V1,V2 एवं V3 संयोजित करते हैं। देखिए संलग्न चित्र।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 12 विद्युत 55
धारा नियन्त्रक की सहायता से परिपथ में विभिन्न धारा प्रवाहित करके वोल्टमीटरों के पाठ्यांक प्रत्येक बार लेते हैं। प्राप्त आँकड़ों के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि हर बार तीनों वोल्टमीटरों के पाठ्यांक समान आते हैं।
इससे निष्कर्ष निकलता है कि समान्तर क्रम में किसी परिपथ से जुड़े सभी प्रतिरोधक चालकों के सिरों का विभवान्तर समान होता है।

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MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

MP Board Class 10th Science Chapter 11 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न शृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 41

प्रश्न 1.
नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नेत्र की समंजन क्षमता-“नेत्र द्वारा निकटस्थ से लेकर दूरस्थ वस्तुओं को सुस्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह नेत्र लेन्स की फोकस दूरी को समायोजन करने से सम्भव होता है। नेत्र की इस समायोजन क्षमता को नेत्र की समंजन क्षमता कहते हैं।

प्रश्न 2.
निकट दृष्टि दोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेन्स किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर:
अवतल (अपसारी) लेन्स।

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प्रश्न 3.
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिन्दु तथा निकट बिन्दु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर:
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए नेत्र से क्रमशः दूर बिन्दु की दूरी अनन्त तथा निकट बिन्दु की दूरी 25 cm होती है।

प्रश्न 4.
अन्तिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टि दोष से पीड़ित है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर:
वह विद्यार्थी निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है। इस दोष का निवारण उपयुक्त क्षमता के अवतल (अपसारी) लेन्स के उपयोग द्वारा किया जा सकता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 11 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मानव नेत्र अभिनेत्र लेन्स की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का कारण है?
(a) जरा-दूरदृष्टिता।
(b) समंजन।
(c) निकट दृष्टि।
(d) दीर्घ दृष्टि।
उत्तर:
(b) समंजन।

प्रश्न 2.
मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाते हैं, वह है – (2019)
(a) कॉर्निया।
(b) परितारिका।
(c) पुतली।
(d) दृष्टि-पटल।
उत्तर:
(d) दृष्टि-पटल।

प्रश्न 3.
सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग –
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर:
(c) 25 cm

प्रश्न 4.
अभिनेत्र लेन्स की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है –
(a) पुतली द्वारा।
(b) दृष्टि-पटल द्वारा।
(c) पक्ष्माभी द्वारा।
(d) परितारिका द्वारा।
उत्तर:
(c) पक्ष्माभी द्वारा।

प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए 5.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेन्स की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेन्स की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लेन्स की फोकस दूरी क्या होगी?

  1. दूर की दृष्टि के लिए।
  2. निकट की दृष्टि के लिए।

उत्तर:
1. दूर की दृष्टि के लिए –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 1
अतः लेन्स की अभीष्ट फोकस दूरी = – 18.2 cm (लगभग) – उत्तर

2. निकट की दृष्टि के लिए –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 2
अतः लेन्स की अभीष्ट फोकस दूरी = 66.7 cm (लगभग) – उत्तर

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प्रश्न 6.
किसी निकट दृष्टि से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु नेत्र के सामने 80 cm की दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेन्स की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
हल:
चूँकि u = – ∞ cm एवं v = – 80 cm (∵ दोनों दूरियाँ नेत्र लेन्स के सामने हैं)
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 3
अतः अभीष्ट लेन्स की प्रकृति अपसारी अवतल लेन्स एवं उसकी अभीष्ट क्षमता = – 1.25 D – उत्तर

प्रश्न 7.
चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है? एक दीर्घ दृष्टि दोष युक्त नेत्र का निकट बिन्दु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेन्स की क्षमता क्या होगी? मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिन्दु 25 cm है।
हल:
दीर्घ दृष्टि दोष का संशोधन उपयुक्त क्षमता के उत्तल लेन्स का उपयोग करके किया जाता है।

दीर्घ दृष्टि दोष एवं उसके निवारण का किरण आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 4
संख्यात्मक भाग –
हम जानते हैं कि स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी (एक स्वस्थ नेत्र के लिये) = 25 cm = u = – 25 cm
दिया है: निकट बिन्दु = 1 m ⇒ u = – 100 cm
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 5
अतः लेन्स की अभीष्ट क्षमता = 3D एवं प्रकृति अभिसारी उत्तल लेन्स।

प्रश्न 8.
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर:
क्योंकि स्वस्थ सामान्य नेत्र के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 cm होती है। इसलिए सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाते।

प्रश्न 9.
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिम्ब दूरी का क्या होता है?
उत्तर:
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं, तो नेत्र में प्रतिबिम्ब दूरी पर नेत्र की समंजन क्षमता के कारण कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 10.
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर:
तारे पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर स्थित हैं, अतः तारों से चलने वाले प्रकाश को वायुमण्डल की विभिन्न परतों को पार करना पड़ता है। इन परतों का घनत्व बदलते रहने से इनकी सघनता भी बदलती रहती है। किसी विशेष तारे से आने वाली प्रकाश की किरणें इन विभिन्न परतों से अपवर्तित होकर हमारी आँखों में आती है। परतों के बदलते रहने से तारे के प्रतिबिम्ब की स्थिति भी बदलती हुई प्रतीत होती है। इसलिए तारे टिमटिमाते हैं।

प्रश्न 11.
व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते?
उत्तर:
ग्रह पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर नहीं होते इसलिए उनसे आने वाले प्रकाश की किरणों को विभिन्न बदलती सघनता वाली वायुमण्डल की परतों से नहीं गुजरना पड़ता तथा उनके प्रतिबिम्ब की स्थिति नहीं बदलती इसलिए ग्रह नहीं टिमटिमाते।

प्रश्न 12.
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
सूर्योदय के समय सूर्य से आने वाली प्रकाश किरणों को वायुमण्डल में वायु की मोटी परतों से गुजरना पड़ता है। इससे प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक होता है लेकिन लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं हो पाता। इसलिए हमारी आँखों में लाल रंग की प्रकाश की किरणें ही पहुँच पाती हैं। इसलिए सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।

प्रश्न 13.
किसी अन्तरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
चूँकि अन्तरिक्ष यात्री पृथ्वी से इतनी अधिक ऊँचाई पर होता है कि उन तक प्रकीर्णित प्रकाश नहीं पहुँच पाता। इसलिए उन्हें आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 11 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 11 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कोई छात्र आपतन कोण के विभिन्न मानों के लिए काँच के त्रिभुजाकार प्रिज्म से होकर गुजरने वाली प्रकाश किरण का पथ आरेखित करता है। प्रकाश किरण आरेखों का विश्लेषण करने पर उसे निम्नलिखित में से कौन-सा निष्कर्ष निकालना चाहिए?
(a) निर्गत किरण आपतित किरण के समान्तर होती है।
(b) निर्गत किरण आपतित किरण की दिशा से किसी कोण पर मुड़ जाती है।
(c) निर्गत किरण और अपवर्तित किरण एक-दूसरे से समकोण बनाती है।
(d) निर्गत किरण आपतित किरण के लम्बवत् होती है।
उत्तर:
(b) निर्गत किरण आपतित किरण की दिशा से किसी कोण पर मुड़ जाती है।

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए आरेख में सही अंकित कोण कौन-से हैं?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 6
उत्तर:
(d) ∠r, ∠A और ∠D

प्रश्न 3.
निम्नलिखित किरण आरेख का अध्ययन कीजिए –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 7
इस आरेख में आपतन कोण, निर्गत कोण और विचलन कोण को क्रमशः किनके द्वारा निरूपित किया गया है?
(a) y, p, z
(b) x, q, z
(c) p, y, z
(d) p, z, y
उत्तर:
(c) p, y, z

प्रश्न 4.
स्वस्थ मनुष्य के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी है –
(a) 20 cm
(b) 25 cm
(c) 10 cm
(d) 30 cm
उत्तर:
(b) 25 cm

प्रश्न 5.
निकट दृष्टि दोष दूर करने में लेन्स प्रयुक्त होता है –
(a) उत्तल।
(b) अवतल।
(c) बेलनाकार लेन्स/उत्तल दर्पण।
(d) सामान्य लेन्स।
उत्तर:
(d) सामान्य लेन्स।

प्रश्न 6.
दूर दृष्टि दोष दूर करने में लेन्स प्रयुक्त होता है –
(a) उत्तल लेन्स।
(b) अवतल लेन्स।
(c) साधारण लेन्स।
(d) बेलनाकार लेन्स।
उत्तर:
(a) उत्तल लेन्स।

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प्रश्न 7.
एक व्यक्ति 2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता। यह दोष दूर किया जा सकता है –
(a) + 0.5 D
(b) – 0.5D
(c) + 0.2 D
(d) – 0.2 D
उत्तर:
(b) – 0.5D

प्रश्न 8.
एक छात्र अपनी कक्षा की आखिरी बेंच पर बैठकर श्यामपट (ब्लैकबोर्ड) पर लिखे अक्षरों को पढ़ सकता है, लेकिन अपनी पुस्तकों में लिखे अक्षरों को पढ़ने में असमर्थ है। निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) उसकी आँख का निकट बिन्दु दूर चला गया है।
(b) उसकी आँख का निकट बिन्दु उसके समीप आ गया है।
(c) उसकी आँख का दूर बिन्दु उसके पास आ गया है।
(d) उसकी आँख का दूर बिन्दु उससे दूर चला गया है।
उत्तर:
(a) उसकी आँख का निकट बिन्दु दूर चला गया है।

प्रश्न 9.
एक प्रिज्म ABC जिसका आधार BC है, विभिन्न मुद्राओं में रखा गया है। एक संकीर्ण श्वेत प्रकाश की किरण चित्रानुसार प्रिज्म पर आपतित होती है। निम्न में से किस स्थिति में वर्ण विक्षेपण के बाद ऊपर से तीसरा रंग आसमानी नीला रंग होगा?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 8
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 21

प्रश्न 10.
दोपहर में सूर्य श्वेत दिखाई देता है क्योंकि –
(a) प्रकाश कम प्रकीर्णित होता है।
(b) श्वेत प्रकाश की सभी रंग प्रकीर्णित हो जाते हैं।
(c) नीला रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है।
(d) लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है।
उत्तर:
(a) प्रकाश कम प्रकीर्णित होता है।

प्रश्न 11.
निम्न में कौन से प्रकाश की घटनाएँ इन्द्रधनुष के निर्माण में संलिप्त होती हैं?
(a) परावर्तन, अपवर्तन एवं वर्ण विक्षेपण।
(b) अपवर्तन, वर्ण विक्षेपण एवं पूर्ण आन्तरिक परावर्तन।
(c) अपवर्तन, वर्ण विक्षेपण एवं आन्तरिक परावर्तन।
(d) वर्ण विक्षेपण, प्रकीर्णन एवं पूर्ण आन्तरिक परावर्तन।
उत्तर:
(c) अपवर्तन, वर्ण विक्षेपण एवं आन्तरिक परावर्तन।

प्रश्न 12.
तारों का टिमटिमाना निम्न वायुण्डलीय घटना के कारण होता है?
(a) जल की बूंदों के द्वारा प्रकाश का वर्ण विक्षेपण।
(b) वायुमण्डल की विभिन्न अपवर्तनांकों की परतों के द्वारा प्रकाश का अपवर्तन।
(c) धूल के कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन।
(d) बादलों द्वारा प्रकाश का आन्तरिक परावर्तन।
उत्तर:
(b) वायुमण्डल की विभिन्न अपवर्तनांकों की परतों के द्वारा प्रकाश का अपवर्तन।

प्रश्न 13.
स्वच्छ आकाश नीला दिखाई देता है क्योंकि –
(a) नीला प्रकाश वायुमण्डल द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।
(b) वायुमण्डल में पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित कर लिया जाता है।
(c) बैंगनी एवं नीले रंग के प्रकाश का अन्य सभी रंग के प्रकाश की अपेक्षा अधिक प्रकीर्णन होता है।
(d) बैंगनी एवं नीले रंग के प्रकाश को छोड़कर शेष सभी रंगों के प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक होता है।
उत्तर:
(c) बैंगनी एवं नीले रंग के प्रकाश का अन्य सभी रंग के प्रकाश की अपेक्षा अधिक प्रकीर्णन होता है।

प्रश्न 14.
श्वेत प्रकाश के विभिन्न रंग के प्रकाश के वायु में संचरण के सम्बन्ध में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) लाल रंग का प्रकाश सबसे अधिक तेज गति से संचरण करता है।
(b) नीला प्रकाश हरे प्रकाश से अधिक तेजी से गति करता है।
(c) श्वेत प्रकाश के सभी रंग समान चाल से गति करते हैं।
(d) पीला प्रकाश लाल एवं बैंगनी प्रकाश की औसत चाल से गति करता है।
उत्तर:
(c) श्वेत प्रकाश के सभी रंग समान चाल से गति करते हैं।

प्रश्न 15.
ऊँची इमारतों की चोटी पर सबसे ऊपर खतरे के सूचक के रूप में लाल रंग के लगाए जाते हैं। ये दूर से ही आसानी से देखे जा सकते हैं क्योंकि लाल प्रकाश –
(a) धुएँ एवं कोहरे के कारण सर्वाधिक प्रकीर्णित होता है।
(b) धुएँ एवं कोहरे के कारण न्यूनतम प्रकीर्णित होता है।
(c) धुएँ एवं कोहरे के द्वारा अधिकतर अवशोषित कर लिया जाता है।
(d) वायु में सबसे तेज गति करता है।
उत्तर:
(b) धुएँ एवं कोहरे के कारण न्यूनतम प्रकीर्णित होता है।

प्रश्न 16.
सूर्यादय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना निम्न में से प्रकाश की किस घटना का परिणाम है?
(a) प्रकाश का वर्ण विक्षेपण।
(b) प्रकाश का प्रकीर्णन।
(c) प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन।
(d) प्रकाश का पृथ्वी तल से परावर्तन।
उत्तर:
(b) प्रकाश का प्रकीर्णन।

प्रश्न 17.
गहरे समुद्र का जल नीला दिखाई देने के कारण है –
(a) जल में ऐल्गी एवं अन्य पौधों की उपस्थिति।
(b) आकाश का जल में परावर्तन (प्रतिबिम्ब बनना)।
(c) प्रकाश का प्रकीर्णन।
(d) समुद्र के द्वारा प्रकाश का अवशोषण।
उत्तर:
(c) प्रकाश का प्रकीर्णन।

प्रश्न 18.
जब प्रकाश की किरण नेत्रों में प्रवेश करती है, तो प्रकाश का अधिकतम अपवर्तन होता है निम्न पर –
(a) क्रिस्टलीय लेन्स।
(b) कॉर्निया का बाह्य पृष्ठ।
(c) उपतारा (आइरिस)।
(d) तारा (प्यूपिल)।
उत्तर:
(b) कॉर्निया का बाह्य पृष्ठ।

प्रश्न 19.
नेत्र लेन्स की फोकस दूरी बढ़ती है जब नेत्र की माँसपेशियाँ –
(a) विमोचित होती हैं तथा नेत्र लेन्स पतला हो जाता है।
(b) सिकुड़ती (संकुचित) हैं तथा नेत्र लेन्स मोटा हो जाता है।
(c) विमोचित होती है तथा नेत्र लेन्स मोटा हो जाता है।
(d) सिकुड़ती (संकुचित) होती है तथा नेत्र लेन्स पतला हो जाता है।
उत्तर:
(a) विमोचित होती हैं तथा नेत्र लेन्स पतला हो जाता है।

प्रश्न 20.
निम्न में कौन-सा कथन सत्य है?
(a) निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति दूर रखी वस्तुओं को आसानी से देख पाता है।
(b) दूर दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति निकट में रखी हुई वस्तुओं को आसानी से देख सकता है।
(c) निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति पास में रखी हुई वस्तुओं को आसानी से देख सकता है।
(d) दूर दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति दूर पर रखी वस्तुओं को आसानी से नहीं देख सकता।
उत्तर:
(c) निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति पास में रखी हुई वस्तुओं को आसानी से देख सकता है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. प्रिज्म के दो फलकों के बीच का कोण ……… कहलाता है।
  2. प्रिज्म में आपाती किरण एवं निर्गत किरण के बीच का कोण ……… कहलाता है।
  3. श्वेत प्रकाश का रंगों में विभक्त होना ………. कहलाता है।
  4. इन्द्रधनुष जल की सूक्ष्म बूंदों द्वारा प्रकाश के ……….. के कारण प्राप्त होता है।
  5. आकाश का रंग नीला प्रकाश के ………. के कारण दिखाई देता है।
  6. सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी ……. है। (2019)

उत्तर:

  1. प्रिज्म कोण।
  2. विचलन कोण।
  3. वर्ण विक्षेपण।
  4. परिक्षेपण।
  5. प्रकीर्णन।
  6. 25 सेमी।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 10
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. सूर्योदय के समय सूर्य लाल प्रतीत होता है।
  2. निकट की वस्तुओं को ठीक से नहीं देख पाना निकट दृष्टि दोष है।
  3. सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है।
  4. दूर की वस्तुओं को ठीक से नहीं देख पाना दूर दृष्टि दोष है।
  5. दोपहर के समय सूर्य का रंग श्वेत दिखाई देना।

उत्तर:

  1. सत्य।
  2. असत्य।
  3. सत्य।
  4. असत्य।
  5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. नेत्र के किस भाग पर वस्तुओं के प्रतिबिम्ब बनते हैं?
  2. नेत्र लेन्स की फोकस दूरी को कौन समंजित करता है?
  3. श्वेत प्रकाश के विक्षेपण में किस रंग के प्रकाश का विचलन सर्वाधिक होता है।
  4. श्वेत प्रकाश के विक्षेपण में किस रंग के प्रकाश का विचलन न्यूनतम होता है।
  5. अन्तरिक्ष यात्रियों को आकाश कैसा दिखाई देगा?

उत्तर:

  1. दृष्टि पटल (रेटिना)।
  2. पक्ष्माभी।
  3. बैंगनी।
  4. लाल।
  5. काला।

MP Board Class 10th Science Chapter 11 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं?
उत्तर:
निकट दृष्टि दोष:
“जब कोई व्यक्ति पास रखी वस्तुओं को तो आसानी से तथा स्पष्टता के साथ देख पाता है लेकिन दूरी पर रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता तो उस व्यक्ति का दृष्टि दोष निकट दृष्टि दोष कहलाता है।”

प्रश्न 2.
दूर दृष्टि (दीर्घ दृष्टि) दोष किसे कहते हैं?
उत्तर:
दूर दृष्टि (दीर्घ दृष्टि) दोष:
“जब कोई वस्तु दूरी पर रखी हुई वस्तुओं को तो स्पष्ट रूप से तथा आसानी के साथ देख पाता है लेकिन पास में रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता तो उस व्यक्ति का दृष्टि दोष दूर दृष्टि (दीर्घ दृष्टि) दोष कहलाता है।”

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प्रश्न 3.
जरा दूरदर्शिता किसे कहते हैं?
उत्तर:
जरा दूरदर्शिता:
“वृद्धावस्था के कारण नेत्र की पेशियाँ कमजोर होने के कारण जब कोई व्यक्ति न तो पास रखी हुई वस्तुओं को स्पष्टतया देख पाता है और न ही दूर रखी हुई वस्तुओं को स्पष्टतया देख पाता है तो उस व्यक्ति के नेत्र दोष को जरा दूरदर्शिता कहते हैं।”

प्रश्न 4.
स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी किसे कहते हैं?
उत्तर:
स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी:
“वह न्यूनतम दूरी जिस पर रखी वस्तु को एक स्वस्थ व्यक्ति स्पष्ट रूप से तथा आसानी से देख पाता है, स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है।” स्पष्ट मनुष्य के लिए इसका मान 25 cm होता है।

प्रश्न 5.
विचलन कोण किसे कहते हैं?
उत्तर:
विचलन कोण:
“जब कोई प्रकाश की किरण किसी त्रिभुजाकार प्रिज्म के पृष्ठ पर आपतित होती है तो उसके दूसरे पृष्ठ से निर्गत हो जाती है तो आपाती किरण एवं निर्गत किरण के बीच का कोण विचलन कोण कहलाता है।”

प्रश्न 6.
प्रकाश का प्रकीर्णन किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रकाश का प्रकीर्णन:
“वायु में उपस्थित धुआँ एवं धूल के कणों के कारण प्रकाश के विभिन्न रंग वायुमण्डल में बिखर (छिटक) जाते हैं प्रकाश की यह घटना प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाती है।”

प्रश्न 7.
वर्ण विक्षेपण किसे कहते हैं?
उत्तर:
वर्ण विक्षेपण:
वह प्रकाशीय घटना जिसके फलस्वरूप प्रकाश के विभिन्न अवयवी रंगों के लिए विभिन्न विचलन कोण होने के कारण श्वेत प्रकाश विभिन्न अवयवी रंगों में विभक्त हो जाता है, वर्ण विक्षेपण कहलाती है।

प्रश्न 8.
वर्णक्रम क्या है?
उत्तर:
वर्णक्रम:
“वर्ण विक्षेपण के फलस्वरूप श्वेत प्रकाश का अपने अवयवी रंगों में विभक्त होकर विभिन्न रंगों का प्राप्त अनुक्रम वर्णक्रम कहलाता है।

प्रश्न 9.
स्वच्छ आकाश नीला क्यों दिखाई देता है?
उत्तर:
वायु में उपस्थित वायु के अणु एवं अन्य कण बैंगनी एवं नीले प्रकाश का तीव्रता से प्रकीर्णन कर देते हैं। प्रकीर्णित नीला प्रकाश जब हमारे नेत्रों में पड़ता है तो वह आकाश की ओर से आता प्रतीत होता है इसलिए हमें आकाश नीला दिखाई पड़ता है।

प्रश्न 10.
हम पास की और दूर की वस्तुओं को स्वच्छता के साथ देख सकने में किस प्रकार समर्थ हो सकते हैं?
उत्तर:
हमारे नेत्र की पक्ष्माभि नेत्र लेन्स की क्षमता को कम ज्यादा करने की क्षमता रखती है इसी समंजन क्षमता के कारण हम पास की वस्तुओं को भी देख सकते हैं और दूर रखी वस्तुओं को भी।

प्रश्न 11.
हम किसी तारे को आकाश में देखते हैं, क्या वह उसकी वास्तविक स्थिति है? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
नहीं। वह तारे की वास्तविक स्थिति नहीं है क्योंकि तारे से आने वाला प्रकाश वायुमण्डल की निरन्तर परिवर्तनीय अपवर्तनांक वाली परतों के द्वारा अपवर्तन के बाद हमारे नेत्रों में पड़ता है। इसलिए हम उसका प्रतिबिम्ब ही देखते हैं।

प्रश्न 12.
हम वर्षा होने के बाद ही आकाश में इन्द्रधनुष क्यों देखते हैं?
उत्तर:
वर्षा के समय जो जल की बूंदें हैं वे एक प्रिज्म का कार्य करती हैं जिससे वे प्रकाश का वर्ण विक्षेपण करके वर्णक्रम प्रदान करती हैं जो धनुषाकार होता है। इसलिए हम वर्षा के बाद ही इन्द्रधनुष देखते हैं।

MP Board Class 10th Science Chapter 11 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जब हम उगते (उदय होते), डूबते (अस्त होते) एवं दोपहर के समय सूर्य को देखते हैं तो उसके रंगों में क्या अन्तर होता है? प्रत्येक की व्याख्या कीजिए।
अथवा
हमें सर्योदय एवं सर्यास्त के समय सर्य लाल दिखाई देता है तथा दोपहर के समय सर्य लाल नहीं दिखाई देता अपितु श्वेत एवं चमकीला दिखाई देता है। हम इसकी किस प्रकार व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर:
सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय हमको सूर्य लाल दिखाई देता है लेकिन दोपहर के समय यह लाल दिखाई न देकर श्वेत चमकीला दिखाई देता है क्योंकि सूर्य सूर्यास्त एवं सूर्योदय के समय क्षितिज के पार होता है उस समय उसके प्रकाश को हमारे नेत्रों तक आने में बहुत लम्बी वायुमण्डलीय दूरी तय करनी पड़ती है। इससे वायु के अणुओं के द्वारा प्रकाश के अधिकांश रंगों का प्रकीर्णन हो जाता है लेकिन सर्वाधिक तरंगदैर्घ्य होने के कारण लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं हो पाता और हमारे नेत्रों में लाल रंग का प्रकाश पड़ता है इस कारण हमको सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है लेकिन दोपहर के समय सूर्य हमारे ऊपर हमसे बहुत पास होता है और उसके प्रकाश का प्रकीर्णन कम होने के कारण अधिकांश प्रकाश हमारे नेत्रों में पड़ता है इसलिए दोपहर के समय सूर्य लाल दिखाई न देकर श्वेत चमकीला दिखाई देता है।

प्रश्न 2.
निम्न के लिए किरण आरेख खींचिए –
(a) निकट दृष्टि दोष से पीड़ित नेत्र।
(b) दूर दृष्टि (दीर्घ दृष्टि) दोष से पीड़ित नेत्र।
उत्तर:
(a) निकट दृष्टि दोष से पीड़ित नेत्र का किरण आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 11

(b) दूर दृष्टि (दीर्घ दृष्टि) दोष से पीड़ित नेत्र का किरण आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 4

प्रश्न 3.
एक छात्रा पीछे की बेंच पर अपनी कक्षा में बैठी है। वहश्यामपट (ब्लैक-बोड) पर लिखे अक्षरों को तो ठीक से पढ़ नहीं पाती लेकिन पुस्तक में लिखे अक्षरों को सुगमता से स्पष्टतया देख पाती है। डॉक्टर इस छात्रा को क्या सलाह देंगे? नेत्र के इस दोष को ठीक करने के लिए प्रयुक्त युक्ति का एक किरण आरेख खींचिए।
उत्तर:
डॉक्टर उस छात्रा को बताएगा कि उसको निकट दृष्टि दोष है उसे दूर की वस्तुओं को देखने के लिए एक चश्मे का प्रयोग करना होगा और वह उसे एक ऋणात्मक लेन्स क्षमता का अवतल लेन्स युक्त चश्मा लगाने को देगा।
निकट दृष्टि दोष के निवारण का किरण आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 12

प्रश्न 4.
एक महिला को – 4.5D क्षमता के लेन्स के चश्मे की आवश्यकता अपने नेत्र दोष को संशोधन हेतु है।
(a) वह महिला किस प्रकार के दृष्टि दोष से पीड़ित है?
(b) उस दृष्टि दोष के संशोधन हेतु प्रयुक्त लेन्स (संशोधन लेन्स) की फोकस दूरी क्या है?
(c) उस संशोधक लेन्स की प्रकृति क्या है
उत्तर:
(a) महिला निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है। क्योंकि उसे – 4-5 D क्षमता के संशोधक लेन्स की आवश्यकता है और यह लेन्स निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति के लिए ही संशोधक लेन्स की तरह प्रयोग करने की आवश्यकता होती है।

(b) चूँकि फोकस दूरी
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 13
अतः संशोधक लेन्स की अभीष्ट क्षमता = – 22.22 cm है।

(c) यह संशोधक लेन्स अपसारी प्रकृति का अवतल लेन्स है। – उत्तर

प्रश्न 5.
आप दो समरूप काँच के प्रिज्मों को कैसे प्रयोग करेंगे जिससे एक प्रिज्म पर आपतित संकीर्ण श्वेत प्रकाश किरण दूसरे प्रिज्म से होकर एक संकीर्ण श्वेत प्रकाश किरण के रूप में निर्गत हो? सम्बन्धित रेखाचित्र खींचिए।
उत्तर:
हम दोनों प्रिज्मों को एक-दूसरे के समान्तर चित्रानुसार इस प्रकार रखेंगे कि उनमें से एक प्रिज्म का आधार नीचे की ओर तथा दूसरे का आधार ऊपर की ओर रहे तथा उनके बीच में थोड़ा रिक्त स्थान रहे। इससे एक प्रिज्म द्वारा प्रकाश किरण का वर्ण विक्षेपण होगा जो दूसरे प्रिज्म द्वारा संयुक्त होकर एक संकीर्ण श्वेत प्रकाश की किरण के रूप में निर्गत होगा।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 14

प्रश्न 6.
जब एक प्रिज्म के अपवर्तक तल पर एक संकीर्ण श्वेत प्रकाश किरण आपतित होती है तो उसका वर्ण विक्षेपण हो जाता है। इस घटना को दर्शाने वाला एक किरण आरेख खींचिए तथा प्राप्त वर्णक्रम के रंगों का अनुक्रम लिखिए।
अथवा
प्रिज्म से श्वेत प्रकाश के विक्षेपण का चित्र बनाइए। (2019)
अथवा
प्रिज्य की सहायता से प्राप्त होने वाली विभिन्न रंगों की किरणों की स्थिति समझाइए।
अथवा
सिद्ध कीजिए कि सूर्य का प्रकाश सात रंगों का बना होता है।
अथवा
क्या होता है जब श्वेत प्रकाश की किरण प्रिज्म से गुजरती है? चित्र द्वारा समझाइए।
अथवा
प्रिज्म द्वारा सूर्य के प्रकाश के वर्ण विक्षेपण को चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
जब श्वेत प्रकाश की किरण प्रिज्म से गुजरती है तो वर्णक्रम प्राप्त होता है। चित्रानुसार सूर्य का प्रकाश एक प्रिज्म पर डालते हैं तथा प्राप्त वर्णक्रम को पर्दे पर लेते हैं तो हम देखते हैं कि वर्णक्रम में सात रंग हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 15
जिनका अनुक्रम है – (आधार से शीर्ष की ओर)

  1. बैंगनी (Violet)
  2. जामुनी (Indigo)
  3. नीला (Blue)
  4. हरा (Green)
  5. पीला (Yellow)
  6. नारंगी (Orange)
  7. लाल (Red)

प्रश्न 7.
एक व्यक्ति दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्टता के साथ देख सकता है लेकिन उसे पुस्तक पढ़ने में कठिनाई होती है। वह व्यक्ति किस दृष्टि दोष से पीड़ित है? इसका निवारण करने के लिए क्या करेंगे ? किरण आरेख खींचिए।
उत्तर:
वह व्यक्ति दूर दृष्टि दोष से पीड़ित है। इसके निवारण के लिए उसे उपयुक्त लेन्स क्षमता का उत्तल लेन्स का चश्मा धारण करना होगा।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 4

प्रश्न 8.
प्रकाश के प्रकीर्णन से क्या समझते हो? इस परिघटना की सहायता से व्याख्या कीजिए कि स्वच्छ आकाश का रंग नीला क्यों होता है?
अथवा
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
प्रकाश का प्रकीर्णन:
“वायु में उपस्थित धुआँ एवं धूल के कणों के कारण प्रकाश के विभिन्न रंग वायुमण्डल में बिखर (छिटक) जाते हैं प्रकाश की यह घटना प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाती है।”

स्वच्छ अकाश का नीला प्रतीत होने की परिघटना:
वायु में उपस्थित वायु के अणु एवं अन्य कण बैंगनी एवं नीले प्रकाश का तीव्रता से प्रकीर्णन कर देते हैं। प्रकीर्णित नीला प्रकाश जब हमारे नेत्रों में पड़ता है तो वह आकाश की ओर से आता प्रतीत होता है इसलिए हमें आकाश नीला दिखाई पड़ता है।

सूर्योदय के समय सूर्य का रक्ताभ दिखाई देना:
वर्षा के समय जो जल की बूंदें हैं वे एक प्रिज्म का कार्य करती हैं जिससे वे प्रकाश का वर्ण विक्षेपण करके वर्णक्रम प्रदान करती हैं जो धनुषाकार होता है। इसलिए हम वर्षा के बाद ही इन्द्रधनुष देखते हैं।

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प्रश्न 9.
यह दर्शाने के लिए किसी क्रियाकलाप का वर्णन कीजिए कि किस प्रकार एक प्रिज्म द्वारा विपाटित श्वेत प्रकाश को अन्य सर्वसम प्रिज्म द्वारा पुनर्योजित करके पुनः श्वेत प्रकाश प्राप्त किया जा सकता है? श्वेत प्रकाश के स्पेक्ट्रम के पुनर्योजन को दर्शाने के लिए एक किरण आरेख भी खींचिए।
उत्तर:
हम दोनों प्रिज्मों को एक-दूसरे के समान्तर चित्रानुसार इस प्रकार रखेंगे कि उनमें से एक प्रिज्म का आधार नीचे की ओर तथा दूसरे का आधार ऊपर की ओर रहे तथा उनके बीच में थोड़ा रिक्त स्थान रहे। इससे एक प्रिज्म द्वारा प्रकाश किरण का वर्ण विक्षेपण होगा जो दूसरे प्रिज्म द्वारा संयुक्त होकर एक संकीर्ण श्वेत प्रकाश की किरण के रूप में निर्गत होगा।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 14

प्रश्न 10.
काँच के किसी प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश के विक्षेपण का कारण लिखिए। न्यूटन ने काँच के दो सर्वसम प्रिज्मों द्वारा यह किस प्रकार दर्शाया कि श्वेत प्रकाश सात वर्णों का बना है। किरण आरेख खींचकर दर्शाइए कि जब कोई संकीर्ण श्वेत प्रकाश पुंज एक-दूसरे से उल्टे व्यवस्थित काँच के दो सर्वसम प्रिज्मों के संयोजन के प्रथम प्रिज्म के एक फलक पर तिर्यकतः आपतन करता है, तो इस संयोजन में उस पुंज का क्या होता है?
उत्तर:
काँच के प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश के वर्ण विक्षेपण का कारण:
जब कोई प्रकाश किरण किसी प्रिज्म के अपवर्तक तल पर आपतित होती है तो निर्गत किरण आपतित किरण के साथ विचलन कोण बनाती है जो प्रत्येक रंग के प्रकाश के लिए भिन्न-भिन्न होता है। विचलन कोण की इसी विभिन्नता के कारण प्रकाश के अलग-अलग रंग अलग-अलग हो जाते हैं और प्रकाश का वर्ण विक्षेपण हो जाता है।

हम दोनों प्रिज्मों को एक-दूसरे के समान्तर चित्रानुसार इस प्रकार रखेंगे कि उनमें से एक प्रिज्म का आधार नीचे की ओर तथा दूसरे का आधार ऊपर की ओर रहे तथा उनके बीच में थोड़ा रिक्त स्थान रहे। इससे एक प्रिज्म द्वारा प्रकाश किरण का वर्ण विक्षेपण होगा जो दूसरे प्रिज्म द्वारा संयुक्त होकर एक संकीर्ण श्वेत प्रकाश की किरण के रूप में निर्गत होगा।

प्रश्न 11.
मानव नेत्र का नामांकित चित्र बनाइए। (2019)
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 16

MP Board Class 10th Science Chapter 11 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव नेत्र की संरचना एवं उसकी कार्यविधि की व्याख्या कीजिए। हम स्पष्टता के साथ किस प्रकार पास रखी वस्तुओं को देख सकते हैं उसी स्पष्टता के साथ दूर रखी वस्तुओं को भी देख सकते हैं?
उत्तर:
मानव नेत्र की बनावट-मानव नेत्र कपाल की नेत्र गुहा में सुरक्षित रहता है। इसमें नेत्र लेन्स निकाय एक क्रिस्टलीय लेन्स होता है जिसकी लेन्स क्षमता को पक्ष्माभि पेशियाँ नियन्त्रित करती हैं। नेत्र लेन्स प्रकाश किरण पुंज को एक प्रकाश सुग्राही परदे पर जिसे दृष्टि पटल (रेटिना) कहते हैं पर प्रतिबिम्बित करता है जिस पर दृष्टि तन्त्रिकाएँ होती हैं जो प्राप्त संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं।

लेन्स के आगे एक पारदर्शी उभार होता है जिसे स्वच्छ मण्डल (कॉर्निया) कहते हैं। कॉर्निया से होकर ही प्रकाश नेत्र में प्रवेश करता है। कॉर्निया के पीछे एक संरचना होती है जिसे परितारिका (आइरिस) कहते हैं। यह पुतली (प्यूपिल) के आकार (साइज) को नियन्त्रित करती है।
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कार्यविधि:
जब प्रकाश हमारे नेत्रों पर पड़ता है तो प्रकाश की तीव्रता के अनुसार परितारिका पुतली के आकार को कम या अधिक कर देती है। प्रकाश किरण पुंज पुतली में होकर नेत्र लेन्स पर पड़ता है जिसकी लेन्स क्षमता को पक्ष्माभी पेशियाँ वस्तु की स्थिति के अनुसार निश्चित करती है।

लेन्स उन प्रकाश किरण पुंज को दृष्टि पटल पर फोकसित करके बिम्ब का प्रतिबिम्ब बनाता है जहाँ से इसकी संवेदना दृक् (दृष्टि) तन्त्रिकाएँ ग्रहण करती हैं और मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं। मस्तिष्क का दृष्टि पिण्ड इन सिग्नलों की व्याख्या करता है और हमको बिम्ब का आभास होता है।

प्रश्न 2.
हम कैसे निर्धारित करते हैं कि कोई व्यक्ति निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है या दीर्घ दृष्टि दोष से? किरण आरेखों का प्रयोग करके बताइए कि किस प्रकार निकट दृष्टि दोष एवं दीर्घ (दूर) दृष्टि दोष का निवारण कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:
अगर कोई व्यक्ति पास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख पाता है और दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता तो हम निर्धारित करेंगे कि वह व्यक्ति निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है और यदि व्यक्ति दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख पाता है तथा पास रखी वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता है तो हम निर्धारित करेंगे कि वह व्यक्ति दूर (दीर्घ) दृष्टि दोष से पीड़ित है।

डॉक्टर उस छात्रा को बताएगा कि उसको निकट दृष्टि दोष है उसे दूर की वस्तुओं को देखने के लिए एक चश्मे का प्रयोग करना होगा और वह उसे एक ऋणात्मक लेन्स क्षमता का अवतल लेन्स युक्त चश्मा लगाने को देगा।

निकट दृष्टि दोष के निवारण का किरण आरेख –

वह व्यक्ति दूर दृष्टि दोष से पीड़ित है। इसके निवारण के लिए उसे उपयुक्त लेन्स क्षमता का उत्तल लेन्स का चश्मा धारण करना होगा।
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प्रश्न 3.
नामांकित किरण आरेख की सहायता से किसी त्रिभुजाकार काँच की प्रिज्म के द्वारा प्रकाश के अपवर्तन की परिघटना को समझाइए। इस प्रकार विचलन कोण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
काँच की त्रिभुजाकार प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन-जब प्रकाश की किरण त्रिभुजाकार काँच के प्रिज्म के एक अपवर्तक पृष्ठ पर आपत्ति होती है तो अपवर्तन के बाद दूसरे अपवर्तक तल पर गिरती है जहाँ से पुनः अपवर्तन के पश्चात् निर्गत हो जाती है। यह निर्गत किरण मूल आपतित किरण के साथ एक कोण बनाती है जिसे हम विचलन कोण कहते हैं और इस प्रकार प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन होता है।
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विचलन कोण की परिभाषा:
“जब कोई प्रकाश की किरण किसी त्रिभुजाकार प्रिज्म के पृष्ठ पर आपतित होती है तो उसके दूसरे पृष्ठ से निर्गत हो जाती है तो आपाती किरण एवं निर्गत किरण के बीच का कोण विचलन कोण कहलाता है।”

प्रश्न 4.
वायुमण्डल में प्रकाश का अपवर्तन किस प्रकार होता है? आकाश में तारे क्यों टिमटिमाते प्रतीत होते हैं जबकि ग्रह नहीं?
उत्तर:
वायुमण्डल में प्रकाश का अपवर्तन-वायुमण्डल में उपस्थित वायु की अनेक विभिन्न सघनता की परतें होती हैं जिनकी सघनता परिवर्तित होती रहती है तथा इनके अपवर्तनांक भी भिन्न-भिन्न होते हैं और वह भी परिवर्तित होते रहते हैं। इसलिए इस अपवर्तक माध्यम (वायु) की अस्थिरता के कारण इसमें होकर देखने पर हमको वस्तु की परिवर्तनशील आभासी स्थिति देखने को मिलती है। इस तरह प्रकाश का वायुमण्डलीय अपवर्तन होता है जो निरन्तर परिवर्तित होता रहता है।

तारे पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर स्थित हैं, अतः तारों से चलने वाले प्रकाश को वायुमण्डल की विभिन्न परतों को पार करना पड़ता है। इन परतों का घनत्व बदलते रहने से इनकी सघनता भी बदलती रहती है। किसी विशेष तारे से आने वाली प्रकाश की किरणें इन विभिन्न परतों से अपवर्तित होकर हमारी आँखों में आती है। परतों के बदलते रहने से तारे के प्रतिबिम्ब की स्थिति भी बदलती हुई प्रतीत होती है। इसलिए तारे टिमटिमाते हैं।

ग्रह पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर नहीं होते इसलिए उनसे आने वाले प्रकाश की किरणों को विभिन्न बदलती सघनता वाली वायुमण्डल की परतों से नहीं गुजरना पड़ता तथा उनके प्रतिबिम्ब की स्थिति नहीं बदलती इसलिए ग्रह नहीं टिमटिमाते।

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प्रश्न 5.
वायुमण्डलीय अपवर्तन क्या है? इस परिघटना का उपयोग करके नीचे दी गयी प्राकृतिक घटनाओं की व्याख्या कीजिए –
(a) तारों का टिमटिमाना।
(b) अग्रिम सूर्योदय और विलम्बित सूर्यास्त।
अपने उत्तरों के स्पष्टीकरण के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर:
वायुमण्डलीय अपवर्तननिर्देश:
वायुमण्डल में प्रकाश का अपवर्तन-वायुमण्डल में उपस्थित वायु की अनेक विभिन्न सघनता की परतें होती हैं जिनकी सघनता परिवर्तित होती रहती है तथा इनके अपवर्तनांक भी भिन्न-भिन्न होते हैं और वह भी परिवर्तित होते रहते हैं। इसलिए इस अपवर्तक माध्यम (वायु) की अस्थिरता के कारण इसमें होकर देखने पर हमको वस्तु की परिवर्तनशील आभासी स्थिति देखने को मिलती है। इस तरह प्रकाश का वायुमण्डलीय अपवर्तन होता है जो निरन्तर परिवर्तित होता रहता है।

तारे पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर स्थित हैं, अतः तारों से चलने वाले प्रकाश को वायुमण्डल की विभिन्न परतों को पार करना पड़ता है। इन परतों का घनत्व बदलते रहने से इनकी सघनता भी बदलती रहती है। किसी विशेष तारे से आने वाली प्रकाश की किरणें इन विभिन्न परतों से अपवर्तित होकर हमारी आँखों में आती है। परतों के बदलते रहने से तारे के प्रतिबिम्ब की स्थिति भी बदलती हुई प्रतीत होती है। इसलिए तारे टिमटिमाते हैं।

ग्रह पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर नहीं होते इसलिए उनसे आने वाले प्रकाश की किरणों को विभिन्न बदलती सघनता वाली वायुमण्डल की परतों से नहीं गुजरना पड़ता तथा उनके प्रतिबिम्ब की स्थिति नहीं बदलती इसलिए ग्रह नहीं टिमटिमाते।

(a) तारों का टिमटिमाना:
तारे पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर स्थित हैं, अतः तारों से चलने वाले प्रकाश को वायुमण्डल की विभिन्न परतों को पार करना पड़ता है। इन परतों का घनत्व बदलते रहने से इनकी सघनता भी बदलती रहती है। किसी विशेष तारे से आने वाली प्रकाश की किरणें इन विभिन्न परतों से अपवर्तित होकर हमारी आँखों में आती है। परतों के बदलते रहने से तारे के प्रतिबिम्ब की स्थिति भी बदलती हुई प्रतीत होती है। इसलिए तारे टिमटिमाते हैं।
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(b) अग्रिम सूर्यादय एवं विलम्बित सूर्याप्त:
सूर्योदय से पहले एवं सूर्यास्त के बाद सूर्य क्षितिज से नीचे होता है लेकिन वायुमण्डलीय अपवर्तन के कारण अनेक अपवर्तन के बाद सूर्य से आने वाला प्रकाश पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के कारण हम तक पहुँचता है और हमको सूर्य का प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। इसलिए हमको सूर्योदय अग्रिम तथा सूर्यास्त विलम्बित दिखाई पड़ता है।
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प्रश्न 6.
मानव नेत्र में पक्ष्माभी पेशियों का महत्व लिखिए। उस दृष्टि दोष का नाम लिखिए जो वृद्धावस्था में पक्ष्माभी पेशियों के धीरे-धीरे दुर्बल होने के कारण उत्पन्न होता है। इस दोष से पीड़ित व्यक्तियों को सुस्पष्ट देख सकने के लिए किस प्रकार के लेन्सों की आवश्यकता होती है?

अक्षय अपनी कक्षा में अन्तिम पंक्ति में बैठे हुए, ब्लैकबोर्ड पर लिखे शब्दों को स्पष्ट नहीं देख पा रहा था। जैसे ही शिक्षक महोदय को पता चला उन्होंने कक्षा में घोषणा की कि क्या पहली पंक्ति में बैठा हुआ कोई छात्र अक्षय से अपनी सीट बदलना चाहेगा? सलमान तुरन्त ही अपनी सीट अक्षय से बदलने के लिए तैयार हो गया। अब अक्षय को ब्लैकबोर्ड पर लिखा हुआ स्पष्ट दिखाई देने लगा। यह देखकर शिक्षक महोदय ने अक्षय के माता-पिता को सन्देश भेजा कि वे शीघ्र ही अक्षय के नेत्रों का परीक्षण करवायें।

उपर्युक्त घटना के सन्दर्भ में निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) अक्षय किस दृष्टि दोष से पीड़ित है? इस दोष के लिए किस प्रकार का लेन्स उपयोग किया जाता है?
(b) शिक्षक महोदय एवं सलमान द्वारा प्रदर्शित मूल्यों का उल्लेख कीजिए।
(c) आपके विचार से अक्षय को शिक्षक महोदय एवं सलमान के प्रति अपनी कृतज्ञता किस प्रकार प्रकट करनी चाहिए?
उत्तर:
मानव नेत्र में पक्ष्माभी पेशियों का महत्व:
मानव नेत्र में पक्ष्माभी पेशियाँ आवश्यकतानुसार नेत्र की लेन्स क्षमता (फोकस दूरी) को परिवर्तित करके उसकी समंजन क्षमता को नियन्त्रित करती है।

वृद्धावस्था में होने वाला दृष्टि दोष एवं उसका निवारण:
वृद्धावस्था में पक्ष्माभी पेशियों के धीरे-धीरे दुर्बल होने के कारण उत्पन्न नेत्र रोग जरा दूरदर्शिता कहलाता है। इसके निवारण के लिए द्विफोकसी लेन्स के उपयोग की आवश्यकता होती है।
(a) अक्षय निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है। इस दोष के संशोधन के लिए उपयुक्त ऋणात्मक क्षमता का अवतल लेन्स प्रयोग किया जाता है।
(b) शिक्षक महोदय और सलमान द्वारा प्रदर्शित मूल्य मानवीय मूल्य है।
(c) हमारे विचार से अक्षय को शिक्षक महोदय एवं सलमान का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापन करना चाहिए।

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प्रश्न 7.
(a) निकट दृष्टि दोष से पीड़ित कोई छात्र 5 m से अधिक दूरी पर स्थित बिम्बों को स्पष्ट नहीं देख पाता। इस दृष्टि दोष के उत्पन्न होने के दो सम्भावित कारणों की सूची बनाइए। किरण आरेखों की सहायता से व्याख्या कीजिए कि
(i) वह छात्र 5 m से अधिक दूरी पर स्थित बिम्बों को क्यों नहीं देख पाता?
(ii) इस दृष्टि दोष के संशोधन के लिए उसे किस प्रकार के लेन्स का उपयोग करना चाहिए और इस लेन्स के उपयोग द्वारा इस दोष का संशोधन किस प्रकार होता है?
(b) यदि इस प्रकरण में संशोधक लेन्स की फोकस दूरी का संख्यात्मक मान 5 m है, तो नयी कार्तीय चिह्न परिपाटी के अनुसार इस लेन्स की क्षमता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(a) निकट दृष्टि दोष होने के सम्भावित कारण:
अभिनेत्र लेन्स की वक्रता का अत्यधिक होना।
नेत्र गोलक का लम्बा हो जाना।
(i) चूँकि छात्र का दूर बिन्दु 5 m है अर्थात् अधिकतम 5 m दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब ही उसके दृष्टि पटल पर बनता है, इससे अधिक दूरी के बिम्ब का फोकस दृष्टि पटल से पहले ही हो जाता है। इसलिए उसे 5 m से अधिक दूरी का बिम्ब दिखाई नहीं देता।
किरण आरेख –
(a) निकट दृष्टि दोष से पीड़ित नेत्र का किरण –
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(ii) इस दृष्टि दोष के निवारण (संशोधन) के लिए उपयुक्त ऋणात्मक क्षमता के अवतल लेन्स का प्रयोग करना चाहिए। इससे यह प्रकाश किरणों का अपसरण कर देगा। दूसरे शब्दों में इसके द्वारा नेत्र लेन्स की क्षमता कम हो जायेगी और उसकी फोकस दूरी बढ़ जायेगी जिससे बिम्ब का प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर बनेगा और दिखाई देगा। इस प्रकार उक्त दोष का संशोधन (निराकरण) हो जाता है।
किरण आरेख –
डॉक्टर उस छात्रा को बताएगा कि उसको निकट दृष्टि दोष है उसे दूर की वस्तुओं को देखने के लिए एक चश्मे का प्रयोग करना होगा और वह उसे एक ऋणात्मक लेन्स क्षमता का अवतल लेन्स युक्त चश्मा लगाने को देगा।
निकट दृष्टि दोष के निवारण का किरण आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 12

(b) चूँकि फोकस दूरी का संख्यात्मक मान 5 m है और लेन्स अवतल है जिसकी फोकस दूरी एवं लेन्स क्षमता दोनों ऋणात्मक होते हैं अतः f = – 5 m
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MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

MP Board Class 10th Science Chapter 10 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 185

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण की मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए। (2019)
उत्तर:
अवतल दर्पण की मुख्य फोकस:
“अवतल दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणें अवतल दर्पण से परावर्तन के पश्चात् जिस बिन्दु से होकर जाती हैं उस बिन्दु को अवतल दर्पण की मुख्य फोकस कहते हैं।” इसे अक्षर ‘F’ से व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 2.
एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी?
हल:
दिया है: गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या R = 20 cm
चूँकि फोकस दूरी (f) ⇒ \(\frac { R }{ 2 } \) ⇒ f ⇒ \(\frac { 20 }{ 2 } \) = 10 cm
अतः गोलीय दर्पण की अभीष्ट फोकस दूरी = 10 cm

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प्रश्न 3.
उस दर्पण का नाम बताइए जो बिम्ब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिम्ब बना सके।
उत्तर:
अवतल दर्पण।

प्रश्न 4.
हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं?
उत्तर:
हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता देते हैं क्योंकि इससे ये सदैव सीधा तथा छोटा प्रतिबिम्ब बनाते हैं तथा इनका दृष्टि क्षेत्र बहुत अधिक होता है। इसलिए इससे पीछे का पूरा दृश्य ड्राइवर को दिखाई देता है।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 188

प्रश्न 1.
उस उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता त्रिज्या 32 cm है।
हल:
दिया है: उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या R = 32 cm
चूँकि फोकस दूरी f ⇒ \(\frac { R }{ 2 } \) ⇒ f ⇒ \(\frac { 32 }{ 2 } \) = 16 cm
अतः उत्तल दर्पण की अभीष्ट फोकस दूरी = 16 cm

प्रश्न 2.
कोई अवतल दर्पण अपने सामने 10 cm की दूरी पर रखे किसी बिम्ब का तीन गुना आवर्धित (बड़ा) वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाता है। प्रतिबिम्ब दर्पण से कितनी दूरी पर है।
हल:
चूँकि प्रतिबिम्ब बिम्ब से तीन गुना उल्टा (वास्तविक) बन रहा है अतः h’ = – 3h एवं u = –  10 cm (दिया है)
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 1
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के सम्मुख बाईं ओर उससे 30 cm दूरी पर है।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 194

प्रश्न 1.
वायु में गमन करती एक प्रकाश की किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है। क्या प्रकाश किरण अभिलम्ब की ओर झुकेगी अथवा अभिलम्ब से दूर हटेगी? बताइए क्यों?
उत्तर:
प्रकाश किरण अभिलम्ब की ओर झुकेगी क्योंकि जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम (वायु) से सघन माध्यम (जल) में तिरछी प्रवेश करती है तो प्रकाश की किरण धीमी हो जाती है तथा अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है।

प्रश्न 2.
प्रकाश वायु से 1.50 अपवर्तनांक काँच की प्लेट में प्रवेश करता है। काँच में प्रकाश की चाल कितनी है? निर्वात में प्रकाश की चाल 3 × 108 ms-1 है।
हल:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 2

प्रश्न 3.
सारणी 10.3 से अधिकतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को ज्ञात कीजिए। न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
पाठ्य-पुस्तक में दी सारणी 10.3 के आधार पर –
अधिकतम प्रकाशिक घनत्व वाला माध्यम = हीरा (n = 2.42)
एवं न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व वाला माध्यम = वायु (n = 1.0003)

प्रश्न 4.
आपको कैरोसीन, तारपीन का तेल तथा जल दिए गए हैं। इनमें प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है? सारणी 10.3 में दिए गए आंकड़ों का उपयोग कीजिए।
उत्तर:
जल में प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है।

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प्रश्न 5.
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 से अभिप्राय है कि प्रकाश की हीरे में चाल उसकी निर्वात में चाल 3 × 108 ms-1 का \(\frac { 1 }{ 2.42 } \) गुना है। दूसरे शब्दों में निर्वात में प्रकाश की चाल = 2.42 × हीरे में प्रकाश की चाल।

प्रश्न शृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 203

प्रश्न 1.
किसी लेंस की एक डायप्टर (डाइऑप्टर) क्षमता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
लेंस की 1 डाइऑप्टर क्षमता:
जब किसी अभिसारी (द्वि-उत्तल) लेंस की फोकस दूरी 1 m हो तो उसकी लेंस क्षमता 1 डाइऑप्टर होगी अर्थात् किसी लेंस की 1 डाइऑप्टर क्षमता उस द्वि-उत्तल लेंस की क्षमता के बराबर है जिसकी फोकस दूरी 1 m हो।

प्रश्न 2.
कोई उत्तल लेंस किसी सुई का वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब उस लेंस से 50 cm दूर बनाता है। यह सुई उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखी हुई है, यदि इसका प्रतिबिम्ब उसी साइज का बन रहा है जिस साइज का बिम्ब है। लेंस की क्षमता भी ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 3
अतः बिम्ब बाईं ओर लेंस से 50 cm दूर रखा होगा।
तथा
लेंस की आवर्धन क्षमता = 4 डाइऑप्टर है।

प्रश्न 3.
2 m फोकस दूरी वाले अवतल लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है: अवतल लेंस की फोकस दूरी f = – 2 n
(चूँकि अवतल लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।)
और चूँकि
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 4
अतः अवतल लेंस की अभीष्ट क्षमता = – 0.5 डाइऑप्टर हैं।

MP Board Class 10th Science Chapter 10 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता?
(a) जल।
(b) काँच।
(c) प्लास्टिक।
(d) मिट्टी।
उत्तर:
(d) मिट्टी।

प्रश्न 2.
किसी बिम्ब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा तथा बिम्ब से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच।
(b) वक्रता केन्द्र पर।
(c) वक्रता केन्द्र से परे।
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच।
उत्तर:
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच।

प्रश्न 3.
किसी बिम्ब का वास्तविक तथा समान साइज का प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए बिम्ब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें?
(a) लेंस के मुख्य फोकस पर।
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर।
(c) अनंत पर।
(d) लेंस के प्रकाशिक केन्द्र तथा मुख्य फोकस के बीच।
उत्तर:
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर।

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प्रश्न 4.
किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ – 15 cm हैं। दर्पण तथा लेंस सम्भवतः है –
(a) दोनों अवतल।
(b) दोनों उत्तल।
(c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल।
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल।
उत्तर:
(a) दोनों अवतल।

प्रश्न 5.
किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिम्ब सदैव सीधा प्रतीत होता है। सम्भवतः दर्पण है –
(a) केवल समतल।
(b) केवल अवतल।
(c) केवल उत्तल।
(d) या तो समतल अथवा उत्तल।
उत्तर:
(d) या तो समतल अथवा उत्तल।

प्रश्न 6.
किसी शब्दकोष (Dictionary) में पाए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप निम्न में से कौन-सा लेंस पसन्द करेंगे?
(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस।
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस।
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस।
(d) 5 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस।
उत्तर:
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस।

प्रश्न 7.
15 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिम्ब का सीधा प्रतिबिम्ब बनाना चाहते हैं। बिम्ब का दर्पण से दूरी का परिसर (Range) क्या होना चाहिए? प्रतिबिम्ब की प्रकृति कैसी है? प्रतिबिम्ब बिम्ब से बड़ा है या छोटा? इस स्थिति में प्रतिबिम्ब बनने का एक किरण आरेख बनाइए।
उत्तर:
बिम्ब का दर्पण से दूरी का परिसर = 0 cm से 25 cm है।
प्रतिबिम्ब की प्रकृति: आभासी।
प्रतिबिम्ब का साइज: बिम्ब से बड़ा।
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प्रश्न 8.
निम्न स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए –

  1. किसी कार का अग्र-दीप (हैड-लाइट)।
  2. किसी वाहन का पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण।
  3. सौर भट्टी।

अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:

  1. अवतल दर्पण: शक्तिशाली समान्तर किरण पुन्ज प्राप्त करने के लिए।
  2. उत्तल दर्पण: बहुत अधिक दृष्टि क्षेत्र प्राप्त करने एवं पश्च-दृश्य का सीधा प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए।
  3. अवतल दर्पण: सूर्य के प्रकाश को केन्द्रित करने के लिए।

प्रश्न 9.
किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिम्ब का पूरा प्रतिबिम्ब बना पायेगा? अपने उत्तर की प्रयोग द्वारा जाँच कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, यह लेंस किसी बिम्ब का पूरा प्रतिबिम्ब बना पायेगा।
निर्देश: शेष प्रयोगात्मक भाग के लिए छात्र स्वयं अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

प्रश्न 10.
5 cm लम्बा कोई बिम्ब 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm की दूरी पर रखा जाता है। प्रकाश किरण आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति, साइज तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रतिबिम्ब बनने का प्रकाश किरण आरेख –
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प्रतिबिम्ब की स्थिति: V= 167 cm (लगभग), साइज: h = 3.3 cm (लगभग)
एवं प्रतिबिम्ब की प्रकृति: वास्तविक एवं उल्टा।

प्रश्न 11.
15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी बिम्ब का प्रतिबिम्ब लेंस से 10 cm दूरी पर बनाता है। बिम्ब लेंस से कितनी दूरी पर है? किरण आरेख खींचिए।
हल:
दिया है: f = – 15 cm, v = – 10 cm
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अतः बिम्ब लेंस से 30 cm की दूरी पर बाईं ओर है तथा अभीष्ट किरण आरेख निम्न है –
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प्रश्न 12.
15 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण में कोई बिम्ब 10 cm दूरी पर रखा है। प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है: f = 15 cm, u = – 10 cm
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अतः अभीष्ट प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी दर्पण के पीछे 6 cm होगी तथा वह प्रतिबिम्ब सीधा तथा काल्पनिक होगा।

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प्रश्न 13.
एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन +1 है। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब बिम्ब के बराबर, सीधा तथा दर्पण के पीछे समान दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 14.
5.0 cm लम्बाई का कोई बिम्ब 30 cm वक्रता त्रिज्या के किसी उत्तल दर्पण के सामने 20 cm दूरी पर रखा है। प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति तथा साइज ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है: उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या R = 30 cm
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प्रश्न 15.
7.0 cm साइज का कोई बिम्ब 18 cm फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 27 cm की दूरी पर रखा गया है। दर्पण से कितनी दूरी पर किसी परदे को रखें कि उस पर वस्तु का स्पष्ट फोकसित प्रतिबिम्ब प्राप्त किया जा सके। प्रतिबिम्ब का साइज तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
ज्ञात है: f = – 18 cm, u = – 27 cm, बिम्ब की लम्बाई h = 7.0 cm
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 11
अतः स्पष्ट प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए परदे को दर्पण के सम्मुख अभीष्ट 54 cm की दूरी पर रखना होगा तथा प्रतिबिम्ब 14 cm लम्बा, उल्टा तथा वास्तविक बनेगा।

प्रश्न 16.
उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी क्षमता – 2.0 D है। यह किस प्रकार का लेंस है? (2019)
हल:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 12
अतः लेंस की अभीष्ट फोकस दूरी – 50 cm है तथा यह अपसारी अवतल लेंस होगा।

प्रश्न 17.
कोई डॉक्टर + 1.5 D का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। क्या निर्धारित लेंस अभिसारी है अथवा अपसारी? (2019)
हल:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 13

MP Board Class 10th Science Chapter 10 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दिए गए किरण आरेखों का अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित में से सही कथन चुनिए –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 14
(a) युक्ति X अवतल दर्पण है और युक्ति Y उत्तल लेंस है, जिनकी फोकस दूरियाँ क्रमशः 20 cm और 25 cm हैं।
(b) युक्ति X उत्तल लेंस है और युक्ति Y अवतल दर्पण है जिनकी फोकस दूरियाँ क्रमशः 10 cm एवं 25 cm हैं।
(c) युक्ति X अवतल लेंस है और युक्ति Y उत्तल दर्पण है, जिनकी फोकस दूरियाँ क्रमशः 25 cm और 25 cm हैं।
(d) युक्ति X उत्तल लेंस है और युक्ति Y अवतल दर्पण है, जिनकी फोकस दूरियाँ क्रमश: 20 cm और 25 cm हैं।
उत्तर:
(d) युक्ति X उत्तल लेंस है और युक्ति Y अवतल दर्पण है, जिनकी फोकस दूरियाँ क्रमश: 20 cm और 25 cm हैं।

प्रश्न 2.
कोई छात्र उत्तल लेंस द्वारा किसी दूरस्थ बिम्ब का धुंधला प्रतिबिम्ब परदे पर प्राप्त करता है। परदे पर स्पष्ट प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए उसे लेंस को रिवर्स करना होगा –
(a) परदे से दूर।
(b) परदे की ओर।
(c) किसी ऐसी स्थिति पर जो परदे से काफी दूर है।
(d) यात्री परदे की ओर या परदे से दूर, यह प्रतिबिम्ब की स्थिति पर निर्भर करता है।
उत्तर:
(b) परदे की ओर।

प्रश्न 3.
कोई छात्र अत्यन्त सावधानीपूर्वक आपतन कोण (∠1) के विभिन्न मानों के लिए काँच के स्लैब से गुजरने वाली प्रकाश किरण का पथ आरेखित करता है। फिर वह आपतन कोण के प्रत्येक मान के लिए अपवर्तन कोण (∠r) और निर्गत कोण (∠e) के संगत मानों को मापता है। इन कोणों की माप का विश्लेषण करके उसे क्या निष्कर्ष निकालना चाहिए?
(a) ∠i > ∠r < ∠e
(b) ∠i = ∠e > ∠r
(c) ∠i < ∠r < ∠e
(d) ∠i = ∠e < ∠r
उत्तर:
(b) ∠i = ∠e > ∠r

प्रश्न 4.
दिए गए अवतल दर्पण की सन्निकट फोकस दूरी ज्ञात करने के लिए आप दर्पण द्वारा किसी दूरस्थ बिम्ब का प्रतिबिम्ब किसी परदे पर फोकसित करते हैं। पर्दे पर प्राप्त प्रतिबिम्ब, बिम्ब की तुलना में सदैव –
(a) पार्श्व परिवर्तित और छोटा होता है।
(b) उल्टा और छोटा होता है।
(c) सीधा और छोटा होता है।
(d) सीधा और अत्यधिक छोटा होता है।
उत्तर:
(d) सीधा और अत्यधिक छोटा होता है।

प्रश्न 5.
मान लीजिए आपने अपनी प्रयोगशाला की मेज के दूरस्थ सिरे पर रखी मोमबत्ती की ज्वाला का प्रतिबिम्ब उत्तल लेंस द्वारा पर्दे पर फोकसित कर लिया है। अब यदि आपके शिक्षक महोदय आपको सूर्य से आपकी मेज पर आती सूर्य की समान्तर किरणों को उसी पर्दे पर फोकसित करने का सुझाव दें, तो आपसे यह अपेक्षा की जाती है कि आप –
(a) लेंस को थोड़ा-सा पर्दे की ओर खिसकायेंगे।
(b) लेंस को थोड़ा-सा पर्दे से दूर खिसकायेंगे।
(c) लेंस को थोड़ा-सा सूर्य की दिशा में खिसकायेंगे।
(d) लेंस और पर्दे दोनों को सूर्य की ओर खिसकायेंगे।
उत्तर:
(a) लेंस को थोड़ा-सा पर्दे की ओर खिसकायेंगे।

प्रश्न 6.
आप अपनी प्रयोगशाला में विभिन्न आपतन कोणों (∠i) के लिए काँच के स्लैब से गुजरने वाली प्रकाश किरण का पथ आरेखित करते हैं तथा प्रत्येक प्रकरण में तदनुरूपी अपवर्तन कोण (∠r) और निर्गत कोण (∠e) भी मापते हैं। आपने प्रेक्षणों के आधार पर आपका सही निष्कर्ष वह है कि –
(a) ∠i बड़ा है < r से, परन्तु ∠e के लगभग बराबर है।
(b) ∠i छोटा है < r से, परन्तु ∠e के लगभग बराबर है।
(c) ∠i बड़ा है < e से, परन्तु ∠r के लगभग बराबर है।
(d) ∠i छोटा है < e से, परन्तु ∠r के लगभग बराबर है।
उत्तर:
(b) ∠i छोटा है < r से, परन्तु ∠e के लगभग बराबर है।

प्रश्न 7.
कोई छात्र अपने विद्यालय की प्रयोगशाला में दिए गए अवतल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करते समय दर्पण (M) द्वारा प्रयोगशाला की दूरस्थ खिड़की (W) का स्पष्ट प्रतिबिम्ब पर्दे (S) पर प्राप्त करता है। दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करने के लिए उसे कौन-सी दूरी मापनी चाहिए?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 15
(a) MW
(b) MS
(c) SW
(d) MW-MS
उत्तर:
(b) MS

प्रश्न 8.
किसी छात्र ने नीचे दिए गए आरेख में दर्शाए अनुसार एक भली-भाँति प्रदीप्त दूरस्थ भवन का प्रतिबिम्ब पर्दे (S) पर फोकसित करने के लिए किसी युक्ति (X) का उपयोग किया। इस युक्ति (X) के विषय में सही कथन चुनिए –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 16
(a) यह युक्ति 8 cm फोकस दूरी का अवतल लेंस है।
(b) यह युक्ति 8 cm फोकस दूरी का उत्तल दर्पण है।
(c) यह युक्ति 4 cm फोकस दूरी का उत्तल लेंस है।
(d) यह युक्ति 8 cm फोकस दूरी का उत्तल लेंस है।
उत्तर:
(d) यह युक्ति 8 cm फोकस दूरी का उत्तल लेंस है।

प्रश्न 9.
कोई छात्र आयताकार काँच की सिल्ली से होकर गुजरने वाली प्रकाश किरण का पथ आपतन कोणों के विभिन्न मानों के लिए आरेखित करता है। वह प्रयोग के प्रत्येक चरण को करते समय यथासम्भव सावधानियाँ बरतता है। प्रयोग के अन्त में, मापों का विश्लेषण करने पर निम्नलिखित में से उसका सम्भावित निष्कर्ष क्या होना चाहिए?
(a) ∠i = ∠e < r
(b) ∠i < ∠e < ∠r
(c) ∠i > ∠e > ∠r
(d) ∠i = ∠e > ∠r
उत्तर:
(d) ∠i = ∠e > ∠r

प्रश्न 10.
इनमें से कौन-सी युक्ति एक बिन्दु स्रोत से आने वाले प्रकाश पुंज को समान्तर बना देती है जब वह इस पर आपतित होता है?
(a) अवतल दर्पण एवं उत्तल लेंस।
(b) उत्तल दर्पण एवं अवतल लेंस।
(c) दो समतल दर्पण 90° पर रखे हुए।
(d) अवतल दर्पण एवं अवतल लेंस।
उत्तर:
(a) अवतल दर्पण एवं उत्तल लेंस।

प्रश्न 11.
एक 10 mm लम्बी पिन को एक अवतल दर्पण के सम्मुख ऊर्ध्वाधरतः रखा गया तो उसका 5 mm लम्बा प्रतिबिम्ब दर्पण के सम्मुख दर्पण से 30 cm दूरी पर बना तो दर्पण की फोकस दूरी होगी –
(a) – 30 cm
(b) – 20 cm
(c) – 40 cm
(d) – 60 cm
उत्तर:
(b) – 20 cm

प्रश्न 12.
निम्न में से किस स्थिति में अवतल दर्पण वास्तविक बिम्ब से बड़ा प्रतिबिम्ब बना सकता है?
(a) जब वह बिम्ब अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या के बराबर दूरी पर रखा गया हो।
(b) जब वह बिम्ब अवतल दर्पण की फोकस दूरी से कम दूरी पर रखा गया हो।
(c) जब वह बिम्ब अवतल दर्पण की फोकस एवं उसके वक्रता केन्द्र से बीच रखा गया हो।
(d) जब वह बिम्ब अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या से अधिक दूरी पर रखा गया हो।
उत्तर:
(c) जब वह बिम्ब अवतल दर्पण की फोकस एवं उसके वक्रता केन्द्र से बीच रखा गया हो।

प्रश्न 13.
संलग्न आकृति एक प्रकाश किरण को दर्शाती है जो माध्यम –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 17
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 18

प्रश्न 14.
एक प्रकाश किरण माध्यम (A) से माध्यम (B) में प्रवेश करती है जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है। माध्यम (A) के सापेक्ष माध्यम (B) का अपवर्तनांक है –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 19
(a) इकाई से अधिक।
(b) इकाई से कम।
(c) इकाई के बराबर।
(d) शून्य।
उत्तर:
(a) इकाई से अधिक।

प्रश्न 15.
प्रकाश पुंज किसी बॉक्स के छिद्र A एवं B से आयनित होते हैं तथा क्रमशः छिद्र C एवं D से निर्गत हो जाते हैं जैसा कि निम्न आकृति में दर्शाया गया है। बक्से के अन्दर निम्न में से कौन-सी युक्ति होगी?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 20
(a) आयताकार काँच का गुटाका।
(b) उत्तल लेंस।
(c) अवतल लेंस।
(d) प्रिज्म।
उत्तर:
(a) आयताकार काँच का गुटाका।

प्रश्न 16.
एक प्रकाश पुंज एक बॉक्स में साइड A की तरफ से छिद्रों द्वारा आपतित होती है तथा दूसरी साइड B की तरफ के छिद्रों से निर्गत हो जाती है। जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है। उस बॉक्स में निम्न में से कौन-सी युक्ति हो सकती है?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 21
(a) अवतल लेंस।
(b) आयतकार काँच का गुटका।
(c) प्रिज्म।
(d) उत्तल लेंस।
उत्तर:
(d) उत्तल लेंस।

प्रश्न 17.
निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) एक उत्तल लेंस की क्षमता 4 D है जबकि उसकी फोकस दूरी 0.25 cm है।
(b) एक उत्तल लेंस की क्षमता – 4 D है जबकि उसकी फोकस दूरी 0.25 cm है।
(c) एक अवतल लेंस की क्षमता 4 D है जबकि उसकी फोकस दूरी 0.25 cm है।
(d) एक अवतल लेंस की क्षमता – 4 D है जबकि उसकी फोकस दूरी 0:25 cm है।
उत्तर:
(a) एक उत्तल लेंस की क्षमता 4 D है जबकि उसकी फोकस दूरी 0.25 cm है।

प्रश्न 18.
किसी वाहन में लगे पश्च-दृश्य दर्पण के द्वारा उत्पन्न आवर्धन होगा –
(a) एक से कम।
(b) एक से अधिक।
(c) एक के बराबर।
(d) एक से कम या एक से अधिक दर्पण के सम्मुख बिम्ब की स्थिति पर निर्भर करेगा।
उत्तर:
(a) एक से कम।

प्रश्न 19.
सूर्य से आने वाली प्रकाश-किरणें एक अवतल दर्पण पर आपतित होकर एक बिन्दु पर अभिसरित होती हैं जो दर्पण से 15 cm की दूरी पर स्थित है। एक बिम्ब को कहाँ रखा जाय कि प्रतिबिम्ब की लम्बाई इसके बराबर हो?
(a) दर्पण के सम्मुख 15 cm की दूरी पर।
(b) दर्पण के सम्मुख 30 cm की दूरी पर।
(c) दर्पण के सम्मुख 15 cm एवं 30 cm के बीच।
(d) दर्पण के सम्मुख 30 cm से अधिक दूरी पर।
उत्तर:
(b) दर्पण के सम्मुख 30 cm की दूरी पर।

प्रश्न 20.
दूरी पर खड़ी ऊँची इमारत का पूरी लम्बाई का प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है निम्न से –
(a) अवतल दर्पण।
(b) उत्तल दर्पण।
(c) समतल दर्पण।
(d) समतल एवं अवतल दोनों दर्पणों में।
उत्तर:
(b) उत्तल दर्पण।

प्रश्न 21.
टॉर्चों, सर्च लाइटों एवं वाहनों की हैड लाइटों में बल्ब रखा जाता है –
(a) परावर्तक के पोल (ध्रुव) एवं फोकस के बीच।
(b) परावर्तक के फोकस के काफी समीप।
(c) परावर्तक के फोकस एवं वक्रता केन्द्र के बीच।
(d) परावर्तक के वक्रता केन्द्र पर।
उत्तर:
(b) परावर्तक के फोकस के काफी समीप।

प्रश्न 22.
परावर्तन के नियम अच्छे साबित होते हैं निम्न के लिए –
(a) केवल समतल दर्पण।
(b) केवल अवतल दर्पण।
(c) केवल उत्तल दर्पण।
(d) सभी दर्पणों के लिए चाहे उसका आकृति कुछ भी हो।
उत्तर:
(d) सभी दर्पणों के लिए चाहे उसका आकृति कुछ भी हो।

MP Board Solutions

प्रश्न 23.
चार विभिन्न विद्यार्थियों ने अलग-अलग वायु से आने वाली तथा आयताकार काँच के गुटके में से होकर निर्गत होने वाली प्रकाश किरण के पथ का आरेख बनाया जो निम्न आकृति में क्रमशः (a), (b), (c) एवं (d) से दिखाया गया हैइनमें से कौन-सा आरेख सही है?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 22
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 23

प्रश्न 24.
आपको जल, सरसों का तेल, ग्लिसरीन एवं मिट्टी का तेल दिए हुए हैं। समान कोण पर आपतित होने पर प्रकाश किरण किस माध्यम में अधिक झुकेगी?
(a) मिट्टी का तेल।
(b) जल।
(c) सरसों का तेल।
(d) ग्लिसरीन।
उत्तर:
(d) ग्लिसरीन।

प्रश्न 25.
जब प्रकाश की किरण किसी अवतल दर्पण पर आपतित होती है – जैसा कि संलग्न आकृति में दिखाया गया है, तो निम्न में कौन-सा किरण आरेख सही है?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 24
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 25
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 26

प्रश्न 26.
जब प्रकाश की किरण एक उत्तल लेंस पर आपतित होती है जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है तो निम्न में कौन-सा किरण आरेख सही है ?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 27
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 28
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 29

प्रश्न 27.
एक बच्ची एक मैजिक-दर्पण के सम्मुख खड़ी है। वह अपने सिर का प्रतिबिम्ब बड़ा तथा उसी साइज के अपने शरीर के मध्य भाग का प्रतिबिम्ब बराबर तथा उसी साइज की अपनी टाँगों का प्रतिबिम्ब छोटा देखती है तो ऊपर से नीचे तक मैजिक दर्पण में दर्पणों के संयोजन का सही क्रम होगा?
(a) समतल, उत्तल एवं अवतल।
(b) उत्तल, अवतल एवं समतल।
(c) अवतल, समतल एवं उत्तल।
(d) उत्तल, समतल एवं अवतल।
उत्तर:
(c) अवतल, समतल एवं उत्तल।

प्रश्न 28.
इनमें से किस युक्ति द्वारा अनन्त पर रखे बिम्ब का अत्यधिक छोटा एवं बिन्दु की बराबर प्रतिबिम्ब बनेगा?
(a) केवल अवतल दर्पण से।
(b) केवल उत्तल दर्पण से।
(c) केवल उत्तल लेंस से।
(d) अवतल दर्पण, उत्तल दर्पण, उत्तल लेंस एवं अवतल लेंस।
उत्तर:
(d) अवतल दर्पण, उत्तल दर्पण, उत्तल लेंस एवं अवतल लेंस।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ……….. लेंस एवं ………… दर्पण में प्रतिबिम्ब सदैव छोटा और सीधा बनता है।
  2. µ = sin i/sin r कहलाता है ………… का नियम।
  3. सीधा एवं बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है केवल ………… दर्पण एवं ………… लेंस में।
  4. प्रतिबिम्ब की ऊँचाई और बिम्ब की ऊँचाई का अनुपात ………… कहलाता है।
  5. उत्तल लेंस की क्षमता ………… तथा अवतल लेंस की क्षमता ………… होती है।

उत्तर:

  1. अवतल, उत्तल।
  2. स्नैल।
  3. अवतल, उत्तल।
  4. आवर्धन।
  5. धनात्मक, ऋणात्मक।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 30
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. अवतल दर्पण में बने प्रतिबिम्ब सदैव वास्तविक होते हैं।
  2. लेंस की क्षमता का मात्रक डायप्टर होता है।
  3. उत्तल लेंस में सदैव वास्तविक प्रतिबिम्ब बनते हैं।
  4. अपवर्तनांक का कोई मात्रक नहीं होता है।
  5. काँच का अपवर्तनांक एक से कम होते है।

उत्तर:

  1. असत्य।
  2. सत्य।
  3. असत्य।
  4. सत्य।
  5. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. दर्पण: सूत्र लिखिए अथवा किसी गोलीय दर्पण में फोकस अन्तर (f), बिम्ब की दर्पण से दूरी (u) एवं __ प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी (v) में सम्बन्ध लिखिए।
  2. लेंस: सूत्र लिखिए अथवा लेंस की फोकस दूरी (f), बिम्ब की लेंस से दूरी (u) एवं प्रतिबिम्ब की लेंस से दूरी (v) में सम्बन्ध लिखिए।
  3. लेंस की क्षमता के लिए सूत्र लिखिए तथा उसका मात्रक भी लिखिए।
  4. किसी गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या R एवं उसकी फोकस दूरी (f) में क्या सम्बन्ध है?
  5. दो माध्यमों के बीच अपवर्तनांक एवं उनमें प्रकाश की चालों में क्या सम्बन्ध है?

उत्तर:
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MP Board Class 10th Science Chapter 10 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गोलीय दर्पण किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
गोलीय दर्पण:
“ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है, गोलीय दर्पण कहलाते हैं।” गोलीय दर्पण के प्रकार-ये दो प्रकार के होते हैं –

  1. अवतल दर्पण।
  2. उत्तल दर्पण।

प्रश्न 2.
आवर्धन किसे कहते हैं?
उत्तर:
आवर्धन:
किसी प्रकाशिक युक्ति द्वारा उत्पन्न आवर्धन वह आपेक्षिक विस्तार है जिसमें ज्ञात होता है कि उस युक्ति द्वारा बना प्रतिबिम्ब, बिम्ब की अपेक्षा कितना गुणा आवर्धित है।
अर्थात्
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 32

प्रश्न 3.
अपवर्तनांक से क्या समझते हैं?
अथवा
अपवर्तनांक और माध्यमों में प्रकाश की चाल में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
अपवर्तनांक:
एक माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक पहले माध्यम में प्रकाश की चाल एवं दूसरे माध्यम के प्रकाश की चाल के अनुपात के बराबर होता है। इस अनुपात को अपवर्तनांक अथवा सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 33

प्रश्न 4.
निरपेक्ष अपवर्तनांक से क्या समझते हो?
उत्तर:
निरपेक्ष अपवर्तनांक:
जब किसी माध्यम का अपवर्तनांक निर्वात (वायु) की सापेक्ष ज्ञात किया जाता है तब इसे निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं। इसे n से प्रदर्शित करते हैं। अर्थात् –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 34

प्रश्न 5.
लेंस की क्षमता से क्या समझते हो? इसका मात्रक क्या है?
उत्तर:
लेंस की क्षमता:
“किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों का अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उस लेंस की क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है।” संख्यात्मक रूप से “लेंस की मीटर में व्यक्त फोकस दूरी का व्युत्क्रम उस लेंस की क्षमता कहलाती है।”
अर्थात्
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 35
लेंस की क्षमता का मात्रक: इसका मात्रक डायप्टर (D) होता है।

प्रश्न 6.
एक पेंसिल पानी से भरे एक काँच के पात्र में तिरछी डुबोई जाती है तो यह वायु एवं जल के अन्तरापृष्ठ पर मुड़ी हुई दिखाई पड़ती है। क्या यह पेंसिल उतनी ही मुड़ी हुई प्रतीत होगी जबकि इसे जल के स्थान पर अन्य द्रव जैसे कैरोसीन या तारपीन के तेल में डुबाई जाती है। अपने उत्तर का कारण बताइए।
उत्तर:
नहीं, उतनी मुड़ी नहीं दिखाई देगी क्योंकि किसी भी माध्यम में प्रकाश की सापेक्ष चाल उनके सापेक्ष अपवर्तनांकों पर निर्भर करती है।

प्रश्न 7.
एक माध्यम का अपवर्तनांक किस प्रकार प्रकाश की चाल पर निर्भर करता है। किसी माध्यम का दूसरे माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक का व्यंजक उन दोनों माध्यमों में प्रकाश की चाल के पदों में ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 36

प्रश्न 8.
एक 20 cm फोकस दूरी वाला उत्तल लेंस में आवर्धित आभासी प्रतिबिम्ब एवं वास्तविक प्रतिबिम्ब दोनों प्रकार से बना सकता है। क्या यह कथन सत्य है? यदि हाँ, तो बिम्ब को प्रत्येक अवस्था में कहाँ रखना चाहिए जिससे ये प्रतिबिम्ब प्राप्त हो सके?
उत्तर:
कथन सत्य है क्योंकि उत्तल लेंस आभासी एवं वास्तविक दोनों प्रकार के आवर्धित प्रतिबिम्ब बना सकता है। पहली स्थिति में बिम्ब को दर्पण से 20 cm से कम दूरी पर रखना चाहिए और दूसरी स्थिति में बिम्ब के दर्पण से 20 cm से 40 cm के बीच दूरी पर रखना चाहिए।

MP Board Solutions

प्रश्न 9.
सुधा देखती है कि उसकी विज्ञान-प्रयोगशाला की खिड़की के कपाट का स्पष्ट प्रतिबिम्ब एक लेंस से 15 cm की दूरी पर बनता है। अब वह लेंस की स्थिति को छेड़े बिना खिड़की से बाहर दिखाई देनी वाली इमारत को फोकस करना चाहती है। उसको किस दिशा में परदे (स्क्रीन) को खिसकाना चाहिए जिससे उसे उस इमारत का स्पष्ट प्रतिबिम्ब उस परदे पर बन सके। उस लेंस की लगभग फोकस दूरी क्या है?
उत्तर:
इमारत का स्वच्छ एवं स्पष्ट प्रतिबिम्ब परदे (स्क्रीन) पर प्राप्त करने के लिए सुधा को स्क्रीन को लेंस की तरफ खिसकाना चाहिए। लेंस की लगभग फोकस दूरी 15 cm है।

प्रश्न 10.
एक लेंस की क्षमता एवं फोकस दूरी किस प्रकार सम्बन्धित है? आपको दो लेंस 20 cm एवं 40 cm फोकस दूरी के उपलब्ध कराये जाते हैं। अधिक अभिसारी प्रकाश प्राप्त करने के लिए आप कौन-सा लेंस प्रयोग में लाएँगे?
उत्तर:
किसी लेंस की क्षमता (P) उस लेंस की मीटर में मापी गयी फोकस दूरी का व्युत्क्रम होता है अर्थात् –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 37
अर्थात् किसी लेंस की क्षमता उसकी फोकस दूरी का व्युत्क्रमानुपाती होती है। इसलिए 20 cm फोकस दूरी वाला लेंस अधिक अभिसारी प्रकाश उपलब्ध करायेगा।

प्रश्न 11.
किसी उत्तल लेंस के मुख्य अक्ष पर लेंस के प्रकाशिक केन्द्र से 12 cm की दूरी पर कोई 4 cm लम्बा बिम्ब स्थित है। लेंस से 24 cm दूरी पर लेंस के दूसरी ओर इस बिम्ब का तीक्ष्ण प्रतिबिम्ब एक पर्दे पर बन रहा है। अब यदि इस बिम्ब को लेंस से कुछ दूर ले जाएँ, तो बिम्ब का तीक्ष्ण प्रतिबिम्ब पर्दे पर फिर प्राप्त करने के लिए पर्दे को किस दिशा में (लेंस की ओर अथवा लेंस से दूर) ले जाना होगा? प्रतिबिम्ब के आवर्धन पर इसका क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
परदे को थोड़ा लेंस की ओर ले जाना होगा। उपर्युक्त प्रक्रिया में लेंस से बिम्ब की दूरी u का मान बढ़ रहा है तथा प्रतिबिम्ब की लेंस से दूरी v का मान घट रहा है। इसलिए आवर्धन का मान कम हो जायेगा।

प्रश्न 12.
काँच और जल के निरपेक्ष अपवर्तनांक क्रमश: \(\frac { 3 }{ 2 } \) एवं \(\frac { 4 }{ 3 } \) हैं। यदि काँच में प्रकाश की चाल 2 × 108 m/s है तो (i) निर्वात, (ii) जल में प्रकाश की चाल परिकलित कीजिए।
हल:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 38

प्रश्न 13.
सौर भट्टियों की अभिकल्पना में उपयोग होने वाले दर्पण का नाम लिखिए। इस युक्ति द्वारा उच्च ताप किस प्रकार प्राप्त किया जाता है? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सौर भट्टियों की अभिकल्पना में प्रयुक्त होने वाला दर्पण दीर्घ द्वारक का अवतल दर्पण होगा। अवतल दर्पण समानान्तर सौर प्रकाश पुंज का अभिसरण करके एक बिन्दु पर केन्द्रित करेगा जिससे उस स्थान का ताप अत्यधिक बढ़ जायेगा। इस प्रकार हम उसके उपयोग से उच्च ताप प्राप्त कर सकेंगे।

प्रश्न 14.
कोई बिम्ब 15 cm फोकस दूरी की अवतल लेंस से 30 cm की दूरी पर स्थित है। लेंस द्वारा बने प्रतिबिम्ब के चार अभिलक्षणों (प्रकृति, स्थिति आदि) की सूची बनाइए।
उत्तर:
प्रतिबिम्ब:

  1. लेंस के उसी ओर फोकस एवं प्रकाशिक केन्द्र के बीच बनेगा।
  2. प्रतिबिम्ब सीधा होगा।
  3. प्रतिबिम्ब छोटा होगा।
  4. प्रतिबिम्ब आभासी होगा।

MP Board Solutions

प्रश्न 15.
आयताकार काँच के गुटके से प्रकाश के अपवर्तन का आरेख खींचिए। (2019)
हल:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 40

प्रश्न 16.
गोलीय दर्पण के वक्रता केन्द्र की परिभाषा लिखिए। (2019)
उत्तर:
गोलीय दर्पण का वक्रता केन्द्र:
“गोलीय दर्पण जिस गोले के भाग होते हैं, उस गोले का केन्द्र उस गोलीय दर्पण का वक्रता केन्द्र कहलाता है।”

MP Board Class 10th Science Chapter 10 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘परावर्तन के नियम’ लिखिए। (2019)
अथवा
प्रकाश के परावर्तन के नियम को किरण – आरेख (रेखाचित्र) द्वारा समझाइए।
उत्तर:
परावर्तन के निम्नलिखित दो नियम हैं –

1. आपतित किरण, अभिलम्ब एवं परावर्तित किरण एक ही तल में होते हैं।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 39

2. आपतन कोण तथा परावर्तन कोण परस्पर बराबर होते हैं।

प्रश्न 2.
अपवर्तन के नियम लिखिए। अपवर्तन को दर्शाने वाला एक किरण आरेख खींचिए जिसमें एक प्रकाश किरण एक आयताकार काँच के गुटके से होकर निर्गत होती है।
उत्तर:
प्रकाश के अपवर्तन के नियम:

  1. आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब सभी एक ही तल में होते हैं।
    प्रकाश के किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात स्थिर रहता है।
  2. इस नियम को स्नैल का अपवर्तन नियम कहते हैं।
    अर्थात्

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 40

प्रश्न 3.
लेंस की क्षमता को परिभाषित कीजिए तथा इसका मात्रक भी लिखिए। एक छात्र 50 cm फोकस दूरी का लेंस प्रयुक्त करता है तथा दूसरा छात्र – 50 cm फोकस दूरी का लेंस। इन लेंसों की प्रकृति क्या है तथा इनकी लेंस क्षमता क्या-क्या है?
उत्तर:
लेंस की क्षमता की परिभाषा एवं मात्रक:
“किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों का अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उस लेंस की क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है।” संख्यात्मक रूप से “लेंस की मीटर में व्यक्त फोकस दूरी का व्युत्क्रम उस लेंस की क्षमता कहलाती है।”
अर्थात्
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 35
लेंस की क्षमता का मात्रक: इसका मात्रक डायप्टर (D) होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 41

प्रश्न 4.
एक उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब बनने को दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए जबकि बिम्ब स्थित है –

  1. अनन्त पर।
  2. दर्पण से किसी दूरी पर।

उत्तर:
1. उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब बनना जब बिम्ब अनन्त पर स्थित है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 42

2. उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब बनना जब बिम्ब दर्पण से किसी दूरी पर स्थित है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 43

प्रश्न 5.
निम्न प्रत्येक स्थिति में प्रकाश युक्ति गोलीय दर्पण अथवा लेंस का प्रयोग किया गया है तथा प्रत्येक स्थिति में सीधा और आभासी प्रतिबिम्ब बनता है तो प्रत्येक स्थिति में प्रयुक्त युक्ति की पहचान कीजिए –

  1. बिम्ब को युक्ति एवं इसके फोकस के बीच रखा गया है, बना हुआ प्रतिबिम्ब इस युक्ति के पीछे तथा आवर्धित है।
  2. बिम्ब को युक्ति एवं इसके फोकस के बीच रखा गया है, प्रतिबिम्ब आवर्धित एवं युक्ति के उसी तरफ बना है।
  3. बिम्ब को अनन्त एवं युक्ति के बीच रखा गया है, प्रतिबिम्ब फोकस एवं प्रकाशिक केन्द्र के बीच एवं छोटा बिम्ब की तरफ ही बनता है।
  4. बिम्ब को अनन्त एवं युक्ति के बीच रखा गया है, प्रतिबिम्ब ध्रुव एवं फोकस के बीच छोटा तथा युक्ति के पीछे बनता है।

उत्तर:

  1. अवतल दर्पण।
  2. उत्तल लेंस।
  3. अवतल लेंस।
  4. उत्तल दर्पण।

प्रश्न 6.
काँच की सापेक्ष हीरे का अपवर्तनांक 1.6 है। काँच का निरपेक्ष अपवर्तनांक 1.5 है तो हीरे का निरपेक्ष अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 44
अतः हीरे का अभीष्ट निरपेक्ष अपवर्तनांक = 2.40
वैकल्पिक विधिदिया है:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 45
अतः हीरे का अभीष्ट अपवर्तनांक = 2.40

प्रश्न 7.
एक किरण आरेख खींचकर एक प्रकाश किरण का किरण-पथ प्रदर्शित कीजिए जबकि प्रकाश किरण तिरछी आपतित होती हुई प्रवेश करती है –
(a) हवा से जल में।
(b) जल से हवा में।
उत्तर:
किरण के अपवर्तन का किरण आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 46

प्रश्न 8.
जब एक प्रकाश किरण किसी माध्यम में डूबे काँच की आयताकार गुटके पर आपतित होती है तो निर्गत किरण आपतित किरण के समान्तर क्यों होती है? किरण आरेख खींचकर व्याख्या कीजिए।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 47
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 48

प्रश्न 9.
दो समतल दर्पणों के संयोजन की किस स्थिति में आपतित किरण परावर्तित किरण के समान्तर रहेगी चाहे आयतन कोण कुछ भी हो? एक आरेख के द्वारा इसे प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
जब दो समतल दर्पणों को परस्पर समकोण पर रखे जाएँ तो कोई भी प्रकाश किरण किसी भी कोण पर एक दर्पण पर आपतित होती है तो दोनों दर्पणों से परावर्तन के पश्चात् आपतित किरण के सदैव समान्तर परावर्तित हो जाती है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 49

प्रश्न 10.
यदि कोई दर्पण उसके सामने कहीं भी स्थित बिम्ब का सदैव ही सीधा और साइज में छोटा प्रतिबिम्ब बनाता है, तो वह दर्पण किस प्रकार का है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए एक किरण आरेख खींचिए। इस प्रकार के दर्पण प्रायः कहाँ और क्या उपयोग किए जाते हैं?
उत्तर:
वह दर्पण उत्तल दर्पण है।
उत्तल दर्पण के उपयोग:

  1. वाहनों के पश्च दृश्य दर्पण के रूप में पीछे के वाहनों को देखने के लिए। इससे प्रतिबिम्ब सदैव सीधा तथा छोटा बनता है इससे दृष्टि-क्षेत्र बढ़ जाता है।
  2. नगर की सड़कों के खम्भों पर लगे विद्युत् बल्बों के परावर्तन के रूप में जिससे प्रकाश किरणें अधिक से अधिक क्षेत्रफल तक फैल सकें।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 50

प्रश्न 11.
किसी दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा और – 1 आवर्धन का है। यदि प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी 40 cm है, तो बिम्ब कहाँ स्थित है? यदि बिम्ब को दर्पण की ओर 20 cm स्थानान्तरित कर दिया जाय तो प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए तथा बिम्ब की नयी स्थिति के लिए किरण आरेख खींचिए।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 51
उत्तर:
प्रतिबिम्ब के स्थान पर अर्थात् दर्पण से 40 cm की दूरी पर दर्पण के वक्रता केन्द्र पर स्थित है क्योंकि आवर्धन – 1 है अतः प्रतिबिम्ब उल्टा तथा बिम्ब के बराबर है। यह स्थिति अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र पर होती है।
चूँकि दर्पण की फोकस दूरी वक्रता त्रिज्या की आधी होती है। इसलिए बिम्ब को दर्पण की ओर 20 cm खिसकाने पर उसकी स्थिति फोकस पर होगी जिसका प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनेगा।

प्रश्न 12.
2.5 cm ऊँचाई का कोई बिम्ब 10 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल लेंस के प्रकाशिक केन्द्र ‘O’ से 15 cm की दूरी पर स्थित है। बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति और साइज ज्ञात करने के लिए किरण आरेख खींचिए। इस आरेख में प्रकाशिक केन्द्र ‘O’ मुख्य फोकस F तथा प्रतिबिम्ब की ऊँचाई अंकित कीजिए।
उत्तर:
अभीष्ट आरेख निम्न है –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 52
यहाँ प्रतिबिम्ब लेंस के दूसरी ओर लेंस से 30 cm दूरी पर बनेगा तथा उसकी ऊँचाई 5.0 cm होगी। (आरेखानुसार मापने पर)

प्रश्न 13.
यदि कोई लेंस उसके सामने स्थित किसी बिम्ब की किसी भी स्थिति के लिए सदैव ही सीधा और छोटा प्रतिबिम्ब बनाता है, तो उस लेंस की प्रकृति क्या है? अपने उत्तर की पुष्टि किरण आरेख खींचकर कीजिए। यदि इस लेंस की क्षमता का संख्यात्मक मान 10 D है, तो कार्तीय प्रणाली के अनुसार इसकी फोकस दूरी क्या है?
उत्तर:
अवतल लेंस में ही सदैव प्रत्येक स्थिति में प्रतिबिम्ब बिम्ब से छोटा तथा सीधा बनता है अतः दिया हुआ लेंस अवतल लेंस है जिसकी प्रकृति अपसारी है। लेंस की फोकस दूरी एवं लेंस क्षमता ऋणात्मक होगी।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 53
अतः लेंस की अभीष्ट फोकस दूरी = – 10 cm है।

प्रश्न 14.
कोई छात्र 10 cm फोकस दूरी के उत्तल लेंस का उपयोग करके लेंस से लगभग 2 m दूरी पर रखी मोमबत्ती की ज्वाला को परदे पर फोकसित करता है। इसके पश्चात् वह ज्वाला को धीरे-धीरे लेंस की ओर खिसकाता है और हर बार उसके प्रतिबिम्ब को परदे पर फोकसित करता है।

  1. परदे पर ज्वाला को फोकसित करने के लिए उसे लेंस को किस दिशा में खिसकाना होता है?
  2. परदे पर बनी ज्वाला के प्रतिबिम्ब के साइज में क्या अन्तर होता है?
  3. परदे पर बनी ज्वाला की तीव्रता (चमक) में क्या अन्तर दिखाई देता है?
  4. जब ज्वाला लेंस के बहुत पास (लगभग 5 cm) दूरी पर होती है, तो परदे पर क्या दिखाई देता है?

उत्तर:

  1. लेंस को परदे से दूर मोमबत्ती की ज्वाला की ओर खिसकाना होगा।
  2. प्रतिबिम्ब का साइज बढ़ता जायेगा।
  3. ज्वाला की तीव्रता (चमक) कम होती जायेगी।
  4. परदे पर कुछ भी दिखाई नहीं देगा क्योंकि ज्वाला का प्रतिबिम्ब नहीं बनेगा।

प्रश्न 15.
अवतल दर्पण के उपयोग लिखिए। (2019)
उत्तर:
अवतल दर्पण के उपयोग:

  1. परवलयाकार अवतल दर्पण को टॉर्च, सर्चलाइट तथा वाहनों के अग्रदीपों में शक्तिशाली समान्तर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं।
  2. नाक, कान, गला, दाँत एवं आँख का परीक्षण करने के लिए चिकित्सकों द्वारा प्रयुक्त किये जाते हैं।
  3. सोलर भट्टियाँ एवं सोलर कुकर में प्रकाश किरणों को केन्द्रित करने हेतु प्रयुक्त।
  4. शेव बनाने के लिए इनका प्रयोग होता है जिससे दाढ़ी का प्रतिबिम्ब बड़ा बन सके।

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प्रश्न 16.
एक लेंस द्वारा मोमबत्ती की ज्वाला का प्रतिबिम्ब एक पर्दे पर लिया गया जो लेंस की दूसरी ओर स्थित है। यदि प्रतिबिम्ब ज्वाला का तीन गुना बड़ा हो एवं लेंस तथा प्रतिबिम्ब के बीच दूरी 80 cm हो तो मोमबत्ती को लेंस से कितनी दूरी पर रखना चाहिए? 80 cm की दूरी पर बने प्रतिबिम्ब की एवं लेंस की प्रकृति क्या है?
उत्तर:
चूँकि प्रतिबिम्ब को पर्दे पर लिया गया है तथा प्रतिबिम्ब लेंस के दूसरी ओर बना है इसलिए प्रतिबिम्ब वास्तविक है तथा लेंस अभिसारी उत्तल लेंस है। प्रतिबिम्ब उल्टा बनेगा।

संख्यात्मक प्रश्न का हल:
दिया है: प्रतिबिम्ब की लम्बाई (h’) = 3 × बिम्ब की लम्बाई (h) एवं लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी v = 80 cm
चूँकि
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अतः मोमबत्ती को लेंस से लगभग 26.7 cm दूर रखना चाहिए।

MP Board Class 10th Science Chapter 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण में प्रतिबिम्ब का बनना दर्शाने हेतु किरण आरेख खींचिए तथा प्रत्येक स्थिति में प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं प्रकृति आदि के बारे में लिखिए जबकि बिम्ब स्थित है –
(a) अनन्त पर।
(b) वक्रता केन्द्र से परे।
(c) वक्रता केन्द्र पर।
उत्तर:
अवतल दर्पण में प्रतिबिम्ब का बनना –
(a) जब वस्तु (बिम्ब) अनन्त पर स्थित है तो प्रतिबिम्ब बनेगा

  1. फोकस पर
  2. बिन्दु के आकार का।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 55

(b) जब वस्तु वक्रता केन्द्र से परे हो (अनन्त और केन्द्र के बीच) तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. वक्रता केन्द्र (C) और फोकस (F ) के बीच।
  2. छोटा।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 56

(c) जब वस्तु वक्रता केन्द्र (C) पर हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. वक्रता केन्द्र (C) पर।
  2. वस्तु के बराबर।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 57

प्रश्न 2.
अवतल दर्पण में प्रतिबिम्ब का बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए तथा प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं प्रकृति आदि के बारे में प्रत्येक स्थिति में लिखिए। जबकि बिम्ब (वस्तु) स्थित है।
(a) वक्रता केन्द्र (C) एवं फोकस (F) के बीच।
(b) फोकस (F) पर।
(c) फोकस (F ) एवं ध्रुव (P) के बीच।
उत्तर:
अवतल दर्पण में प्रतिबिम्ब बनना
(a) जब बिम्ब (वस्तु) वक्रता केन्द्र (C) एवंफोकस (F) के बीच स्थित हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. वक्रता केन्द्र से परे अर्थात् (वक्रता केन्द्र एवं अनन्त के बीच)।
  2. वस्तु से बड़ा (आवर्धित)।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 58

(b) जब बिम्ब फोकस (F) पर हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. अनन्त पर।
  2. बहुत बड़ा (अति आवर्धित)।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 59

(c) जब बिम्ब फोकस (F) एवं ध्रुव (P) के बीच स्थित हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 60

  1. दर्पण के पीछे।
  2. आवर्धित।
  3. सीधा।
  4. आभासी।

प्रश्न 3.
उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब बनना प्रदर्शित करने के लिए किरण आरेख खींचिए तथा प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं प्रकृति आदि का उल्लेख कीजिए जबकि बिम्ब स्थित है –
(a) अनन्त पर।
(b) 2 F से परे अर्थात् 2 F एवं अनन्त (∞) के बीच।
(c) 2 F पर।
उत्तर:
उत्तल लेंस में प्रतिबिम्ब का बनना –
(a) जब बिम्ब अनन्त पर हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. लेंस दूसरी ओर फोकस (F) पर।
  2. बहुत छोटा बिन्दु आकार का।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 61

(b) जब बिम्ब वस्तु अनन्त (∞) और 2 F के बीच हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. F एवं 2 F के बीच।
  2. छोटा।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 62

(c) जब बिम्ब 2 F पर हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. 2 F पर।
  2. बराबर।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 63

प्रश्न 4.
उत्तल लेंस में प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए तथा प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं प्रकृति आदि का उल्लेख कीजिए। जबकि बिम्ब स्थित है –
(a) F एवं 2 F के बीच।
(b) F पर।
(c) F और प्रकाशिक केन्द्र O के बीच।
उत्तर:
उत्तल लेंस में प्रतिबिम्ब का बनना –
(a) जब बिम्ब F एवं 2 F के बीच स्थित हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. 2 F से परे।
  2. आवर्धित।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 64

(b) जब बिम्ब फोकस (F) पर स्थित हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. अनन्त पर।
  2. अति आवर्धित।
  3. उल्टा।
  4. वास्तविक।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 65

(c) जब बिम्ब फोकस (F) एवं प्रकाशिक केन्द्र (O) के बीच हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. लेंस के उसी ओर।
  2. आवर्धित।
  3. सीधा।
  4. आभासी।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 66

प्रश्न 5.
अवतल लेंस में प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए तथा प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं प्रकृति आदि का उल्लेख कीजिए जबकि बिम्ब स्थित हो –
(a) अनन्त पर।
(b) F एवं अनन्त के बीच।
(c) F पर।
उत्तर:
(a) जब बिम्ब अनन्त पर हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा।

  1. लेंस के उसी ओर F पर।
  2. बिन्दु आकार।
  3. सीधा।
  4. आभासी।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 67

(b) जब बिम्ब अनन्त एवं F के बीच स्थित हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा।

  1. फोकस (F) एवं प्रकाशिक केन्द्र (O) के बीच।
  2. छोटा।
  3. सीधा।
  4. आभासी।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 68

(c) जब बिम्ब फोकस (F) पर हो तो प्रतिबिम्ब बनेगा –

  1. फोकस (F) एवं प्रकाशिक केन्द्र (O) के बीच।
  2. छोटा।
  3. सीधा।
  4. आभासी।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 69

प्रश्न 6.
एक छात्र ने एक उत्तल लेंस का प्रयोग करके एक मोमबत्ती की ज्वाला को एक सफेद परदे पर फोकस किया। उसने मोमबत्ती, लेंस एवं पर्दे की स्थितियाँ अग्र प्रकार प्रेक्षित कर अंकित की –
मोमबत्ती की स्थिति = 12.0 cm पर।
उत्तल लेंस की स्थिति = 50.0 cm पर।
परदे की स्थिति = 88.0 cm पर।
(i) उस उत्तल लेंस की फोकस दूरी क्या है?
(ii) यदि वह छात्र मोमबत्ती को लेंस की ओर 31.0 cm की स्थिति तक खिसका देता है तो प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा?
(iii) यदि मोमबत्ती को पुनः लेंस की ओर खिसका दें तो बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति क्या होगी?
(iv) उपर्युक्त स्थिति (iii) के लिए प्रतिबिम्ब बनने को दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए।
हल:
(ii) चूँकि अब मोमबत्ती की नयी स्थिति = 31.0 cm पर है
⇒ मोमबत्ती की लेंस से दूरी (u) = 31 – 50 = – 19 cm
– चूँकि मोमबत्ती लेंस के फोकस पर स्थित है अत: मोमबत्ती का प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनेगा।

(iii) यदि हम मोमबत्ती को लेंस की ओर और अधिक खिसकाएँगे तो इसकी स्थिति फोकस और प्रकाशिक केन्द्र के बीच हो जाएगी।
अतः प्रतिबिम्ब लेंस के उसी ओर सीधा एवं आभासी होगा तथा परदे पर नहीं बनेगा।

(iv) किरण आरेख – जब मोमबत्ती लेंस के फोकस (F) एवं प्रकाशिक केन्द्र (O) के बीच है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 70

प्रश्न 7.
20 cm फोकस दूरी वाले एक दर्पण द्वारा किसी बिम्ब का प्रतिबिम्ब बिम्ब की ऊँचाई का \(\frac { 1 }{ 3 } \) भाग के बराबर का बनता है। बिम्ब को दर्पण से कितनी दूरी पर रखना चाहिए। प्रतिबिम्ब एवं दर्पण की प्रकृति क्या होगी?
हल:
इस प्रश्न में दो स्थितियाँ हो सकती हैं।
(i) जब दर्पण अवतल हो तो उसकी फोकस दूरी ऋणात्मक होगी, अर्थात् f = – 20 cm,
u एवं v दोनों ऋणात्मक होंगे।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 71
अतः बिम्ब को अवतल दर्पण से 80 cm की दूरी पर उसके सम्मुख रखना चाहिए। दर्पण अवतल तथा प्रतिबिम्ब उल्टा तथा वास्तविक होगा तथा दर्पण के सम्मुख बनेगा। – उत्तर

(ii) जब दर्पण उत्तल होगा तो दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक अर्थात् f = + 20 cm होगी तथा प्रतिबिम्ब सीधा, आभासी तथा दर्पण के पीछे बनेगा। यहाँ u ऋणात्मक तथा v धनात्मक होगा।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 72
अतः बिम्ब को उत्तल दर्पण के सम्मुख 40 cm की दूरी पर रखना होगा। दर्पण उत्तल तथा प्रतिबिम्ब सीधा एवं आभासी होगा तथा दर्पण के पीछे बनेगा।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रेक्षण तालिका का विश्लेषण कीजिए, जिसमें उत्तल लेंस की स्थिति में बिम्ब दूरी (u) के साथ प्रतिबिम्ब दूरी (v) का विचरण दर्शाया गया है, और बिना कोई परिकलन किए ही निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 73
(a) उत्तल लेंस की फोकस दूरी क्या है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए।
(b) उस प्रेक्षण की क्रम संख्या लिखिए, जो सही नहीं है। यह निष्कर्ष आपने किस आधार पर निकाला है?
(c) किसी उचित पैमाने को चुनकर क्रम संख्या 2 के प्रेक्षण के लिए किरण आरेख खींचिए। आवर्धन का लगभग मान भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(a) चूँकि प्रेक्षण क्रम संख्या 3 में हैं एवं v के संख्यात्मक मान बराबर हैं जोकि 40 cm है। यह उत्तल लेंस में तभी सम्भव होता है जब वस्तु 2 F पर होती है तो प्रतिबिम्ब 2 F पर बनता है।
इसलिए
2 F = 40 cm ⇒ f = \(\frac { 40 }{ 2 } \) = 20 cm
अतः उत्तल लेंस की अभीष्ट फोकस दूरी = 20 cm है।

(b) क्रम संख्या 6 वाला प्रेक्षण सही नहीं है क्योंकि इसमें बिम्ब की स्थिति फोकस (F) एवं प्रकाशिक केन्द्र (O) के बीच स्थित है जिससे उसका प्रतिबिम्ब आभासी बनेगा जिसका प्रेक्षण सम्भव नहीं है।

(c) स्थिति (b) में बनने वाले प्रतिबिम्ब के लिए किरण आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 74

प्रश्न 9.
(a) यदि किसी दर्पण द्वारा उसके सामने स्थित बिम्ब की किसी भी स्थिति के लिए सदैव ही छोटा, सीधा एवं आभासी प्रतिबिम्ब बनता है, तो इस दर्पण की प्रकृति लिखिए और अपने उत्तर की पुष्टि के लिए एक किरण आरेख भी खींचिए। इस प्रकार के दर्पणों का एक उपयोग लिखिए तथा उनका उपयोग क्यों किया जाता है? उसका उल्लेख कीजिए।
(b) गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या की परिभाषा लिखिए। किसी गोलीय दर्पण की प्रकृति और फोकस दूरी ज्ञात कीजिए, जिसकी वक्रता त्रिज्या + 24 cm है।
उत्तर:
(a) जब दो समतल दर्पणों को परस्पर समकोण पर रखे जाएँ तो कोई भी प्रकाश किरण किसी भी कोण पर एक दर्पण पर आपतित होती है तो दोनों दर्पणों से परावर्तन के पश्चात् आपतित किरण के सदैव समान्तर परावर्तित हो जाती है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 49

(b) गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या:
“गोलीय दर्पण जिस गोले के भाग होते हैं उसकी त्रिज्या गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है।” दूसरे शब्दों में “गोलीय दर्पण के वक्रता केन्द्र से उसके प्रकाशिक केन्द्र की सीधी दूरी उस गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या होती है।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 75
अतः दर्पण की अभीष्ट फोकस दूरी + 12 cm है तथा दर्पण एक उत्तल दर्पण है।

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प्रश्न 10.
12 cm फोकस दूरी के अवतल दर्पण द्वारा किसी बिम्ब का सीधा प्रतिबिम्ब बनाने के लिए कहा गया है।
(i) दर्पण के सामने बिम्ब की दूरी का क्या परिसर होगा?
(ii) बनने वाला प्रतिबिम्ब साइज में बिम्ब से छोटा होगा या बड़ा होगा। इस प्रकरण में प्रतिबिम्ब दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए।
(iii) इस बिम्ब का प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा यदि इसे दर्पण के सामने 24 cm की दूरी पर रख दिया जाए। अपने उत्तर की पुष्टि के लिए इस स्थिति के लिए भी किरण आरेख खींचिए।
उपर्युक्त किरण आरेखों में ध्रुव मुख्य फोकस और वक्रता केन्द्र की स्थितियों को भी दर्शाइए।
उत्तर:
(i) दर्पण के सम्मुख इस स्थिति के लिए बिम्ब की दूरी दर्पण में 12 cm से कम होनी चाहिए।
(ii) बनने वाला प्रतिबिम्ब साइज में बिम्ब से बड़ा होगा।
किरण आरेख –
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(iii) जब बिम्ब को दर्पण के सम्मुख 24 cm की दूरी पर रखा जाता है तो यह स्थिति बिम्ब की वक्रता केन्द्र पर है जिसका प्रतिबिम्ब भी वक्रता केन्द्र पर ही अर्थात् दर्पण के सम्मुख दर्पण से 24 cm की दूरी पर बिम्ब के ऊपर ही बनेगा।
किरण आरेख –
जहाँ P = ध्रुव, F = मुख्य फोकस, C = वक्रता केन्द्र
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प्रश्न 11.
(a) गोलीय लेंस के प्रकाशिक केन्द्र की परिभाषा लिखिए।
(b) किसी अपसारी लेंस की फोकस दूरी 20 cm है। 4 cm ऊँचाई के किसी बिम्ब को इस लेंस के प्रकाशिक केन्द्र से कितनी दूरी पर रखा जाना चाहिए कि इसका प्रतिबिम्ब लेंस से 10 cm दूरी पर बने। प्रतिबिम्ब का साइज भी परिकलित कीजिए।
(c) उपर्युक्त स्थिति के लिए प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के किरण आरेख खींचिए।
उत्तर:
(a) गोलीय लेंस का प्रकाशिक केन्द्र:
“लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जिससे होकर जाने वाली प्रकाश किरण अपवर्तन के पश्चात् आपतित किरण की दिशा में निर्गमित होती है, लेंस का प्रकाशिक केन्द्र कहलाता है।” यह लेंस का केन्द्रीय बिन्दु होता है।

(b) अपसारी लेंस अवतल लेंस होता है जिसकी फोकस दूरी प्रतिबिम्ब की दूरी दोनों ऋणात्मक होते हैं।
दिया है: f = – 20 cm, v = – 10 cm तथा बिम्ब की ऊँचाई h = 4 cm
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 78
अतः वस्तु को लेंस के सामने उससे 20 cm की दूरी पर रखी जानी चाहिए तथा प्रतिबिम्ब का अभीष्ट साइज लगभग 2 cm है।

(c) किरण आरेख – (अपसारी लेंस में प्रतिबिम्ब बनना)
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 79

प्रश्न 12.
किसी लेंस की क्षमता से क्या तात्पर्य है? इसके SI मात्रक की परिभाषा लिखिए। आपके पास दो लेंस A और B हैं, जिनकी फोकस दूरियाँ क्रमशः + 10 cm और – 10 cm हैं। इन दोनों लेंसों की प्रकृति लिखिए और क्षमता ज्ञात कीजिए। इन दोनों में से किस लेंस से किसी बिम्ब को लेंस से 8 cm दूरी पर रखने पर उसका आभासी और आवर्धित प्रतिबिम्ब बनेगा ? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए एक किरण आरेख खींचिए।
उत्तर:
लेंस की क्षमता:
“किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों का अभिसरण या अपसरण करने की मात्रा को उस लेंस की क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है।” संख्यात्मक रूप से “लेंस की मीटर में व्यक्त फोकस दूरी का व्युत्क्रम उस लेंस की क्षमता कहलाती है।”
अर्थात्
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 80
लेंस की क्षमता का मात्रक: इसका मात्रक डायप्टर (D) होता है।

लेंस की क्षमता के मात्रक डायप्टर की परिभाषा:
एक डायप्टर उस लेंस की क्षमता के बराबर होती है जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर हो।
अर्थात्
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 44
+ 10 cm फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस द्वारा वस्तु को लेंस से 8 cm दूरी पर रखने पर अर्थात् फोकस (F) एवं प्रकाशिक केन्द्र (O) के बीच रखने पर सीधा, आभासी और आवर्धित प्रतिबिम्ब बनेगा।
किरण आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 45

प्रश्न 13.
10 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल लेंस के आधे भाग को काले कागज से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस 30 cm दूरी पर स्थित बिम्ब का पूरा प्रतिबिम्ब बना सकता है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए एक किरण आरेख खींचिए।
कोई 4 cm लम्बा बिम्ब 20 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल लेंस के मुख्य अक्ष के लम्बवत् रखा है। बिम्ब की लेंस से दूरी 15 cm है। प्रतिबिम्ब की प्रकृति, स्थिति और साइज ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हाँ, इस लेंस द्वारा 30 cm दूरी पर स्थित बिम्ब का पूरा प्रतिबिम्ब बन सकता है।
किरण आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 81
संख्यात्मक भाग का हल –
दिया है: h = 4 cm, f= 20 cm, u= – 15 cm
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 82
अतः प्रतिबिम्ब लेंस के उसी ओर लेंस से 60 cm की दूरी पर सीधा, 16 cm ऊँचा तथा आभासी बनेगा।

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MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

MP Board Class 10th Science Chapter 9 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 157

प्रश्न 1.
यदि एक ‘लक्षण – A’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण – B’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?
उत्तर:
लक्षण – B’।

प्रश्न 2.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?
उत्तर:
प्रतिकूल परिस्थितियों में कोई भी स्पीशीज का अस्तित्व समाप्त हो सकता है लेकिन यदि उस स्पीशीज में विभिन्नताएँ होंगी तो कुछ विभिन्नताएँ तो उन परिस्थितियों के अनुकूल होंगी। इससे उस स्पीशीज के अस्तित्व की सम्भावनाएँ बढ़ जायेंगी।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 161

प्रश्न 1.
मेण्डल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में दो भिन्न गुणों वाले मटर के पौधों में संकरण कराया। जैसे-लम्बे पौधे और बौने पौधे। प्रेक्षण करने पर पता चला कि प्रथम पीढ़ी में केवल लम्बे पौधे प्राप्त हुए लेकिन दूसरी पीढ़ी में सभी पौधे लम्बे नहीं थे, कुछ पौधे बौने भी थे। यहाँ पौधों का लम्बा होना प्रभावी लक्षण तथा बौना होना अप्रभावी लक्षण है। इस प्रकार मेण्डल के प्रयोगों द्वारा पता चलता है कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं।

प्रश्न 2.
मेण्डल के प्रयोग से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल के द्विसंकर संकरण के प्रयोग में F2 पीढ़ी के अन्तर्गत चार प्रकार की सन्ताने उत्पन्न होती हैं जिनमें दो जनकों के समान तथा दो जनकों के असमान होती हैं। इससे पता चलता है कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं।

प्रश्न 3.
एक ‘A-रुधिर वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है। उसकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है। यदि यह कहा जाय कि कौन-सा विकल्प लक्षण-रुधिर वर्ग-‘A’ अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण हैं? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर:
यह सूचना पर्याप्त नहीं है जिससे यह ज्ञात किया जा सके कि कौन-सा लक्षण-रक्त-समूह ‘A’ अथवा ‘रक्त समूह ‘O’ प्रभावी है क्योंकि हमें सभी सन्तानों के रक्त समूह ज्ञात नहीं हैं।

प्रश्न 4.
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर:
मनुष्य में लिंग निर्धारण प्रक्रिया:
उच्च श्रेणी के जन्तुओं में नर एवं मादा जननांग विकसित होते हैं और इनमें ही नर एवं मादा युग्मकों का निर्माण क्रमशः शुक्रजनन एवं अण्डजनन द्वारा होता है। मनुष्य की एक कोशिका में 23 जोड़े गुणसूत्र पाये जाते हैं। 22 जोड़ी गुणसूत्र तो नर एवं मादा में समान होते हैं लेकिन 23वाँ जोड़ा नर एवं मादा में अलग-अलग होता है जिसे लिंग गुणसूत्र कहते हैं। नर में यह ‘XY’ से तथा मादा में यह ‘XX’ से प्रदर्शित होता है।

शुक्रजनन में दो प्रकार के बराबर:
बराबर X गुणसूत्र वाले एवं Y गुणसूत्र वाले शुक्राणु बनते हैं जबकि अण्डाणु समान गुणसूत्र वाले होते हैं। निषेचन की क्रिया के फलस्वरूप जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु X गुणसूत्र वाले अण्डाणु से संयुग्मित होकर XX गुणसूत्र वाला युग्मनज बनाता है, तो सन्तान पुत्री होगी और जब Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु X गुणसूत्र वाले अण्डाणु से संयुग्मित होकर XY गुणसूत्र वाला युग्मनज बनाता है, तो सन्तान पुत्र होगा। इस प्रकार पुरुष का गुणसूत्र ‘XY’ लिंग निर्धारण के लिए उत्तरदायी है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 1
निषेचन की क्रिया के फलस्वरूप जब X-गुणसूत्र वाला शुक्राणु X-गुणसूत्र वाले अण्डाणु से संयुग्मित होकर ‘XX’ गुणसूत्र वाला युग्मनज बनाता है, तो बच्चा लड़की (पुत्री) होती है और जब Y-गुणसूत्र वाला शुक्राणु X-गुणसूत्र वाले अण्डाणु में से युग्मित होकर ‘XY’ गुणसूत्र वाला युग्मनज बनाता है तो बच्चा लड़का (पुत्र) होगा।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 165

प्रश्न 1.
वे कौन से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है?
उत्तर:
एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि की वृद्धि में सहायक उपाय –

  1. प्राकृतिक वरण एवं सर्वश्रेष्ठ का जीवित रहना।
  2. आनुवंशिक लक्षण जो उस समष्टि में स्थानान्तरित होते हैं तथा उस समष्टि में सामान्य हो जाते हैं।
  3. जब लक्षण एक जीव में जीवन-पर्यन्त अर्जित होते रहते हैं।

प्रश्न 2.
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यत: अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते, क्यों?
उत्तर:
एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण जनन कोशिकाओं में उपस्थित डी. एन. ए. को प्रभावित नहीं करते, इसलिए वे वंशानुगत नहीं होते।

प्रश्न 3.
बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिन्ता का विषय क्यों है?
उत्तर:
आनुवंशिकी के दृष्टिकोण से बाघों की कमी होना उसकी समष्टि के विलुप्त होने का संकेत है, इसलिए चिन्ता का विषय है।

प्रश्न शृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 166

प्रश्न 1.
वे कौन से कारक हैं, जो नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक हैं?
उत्तर:
नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक कारक:

  1. आनुवंशिक विचलन (जेनेटिक ड्रिफ्ट)।
  2. प्राकृतिक वरण।
  3. डी. एन. ए. में परिवर्तन।

प्रश्न 2.
क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण हो सकते हैं? क्यों और क्यों नहीं?
उत्तर:
भौगोलिक पृथक्करण जाति उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है क्योंकि भौगोलिक पृथक्करण परागण को संरक्षित करता है। जबकि पौधों पर-परागित हो लेकिन स्वपरागित पौधों के सन्दर्भ में भौगोलिक पृथक्करण जाति उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता।

प्रश्न 3.
क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर:
भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक नहीं हो सकता क्योंकि अलैंगिक जनन में जनक अपने DNA को अपनी संतति में बिना किसी परिवर्तन के स्थानान्तरित करता है।

प्रश्न शृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 171

प्रश्न 1.
उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीजों के विकासीय सम्बन्ध निर्धारण के लिए करते हैं।
उत्तर:
प्रमुख अभिलक्षण:

  1. समजात अंग।
  2. समरूप (समवृत्ति) अंग।

प्रश्न 2.
क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है? क्यों और क्यों नहीं?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि चमगादड़ के पंख मुख्यतः उसकी दीर्घित अंगुली के मध्य की त्वचा के फैलाव से बनते हैं जबकि तितली के पंख त्वचा के झिल्लीनुमा विस्तारों के रूप में बने रहते हैं तथा खोखली नलिका रूपी शिराओं द्वारा तने रहते हैं। वास्तव में ये समरूप (समवृत्ति) अंग हैं।

प्रश्न 3.
जीवाश्म क्या हैं? वे जैव विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर:
जीवाश्म:
“प्राचीनकालीन अनेक प्रकार के जीव, पौधे एवं जन्तुओं के मृत अवशेष जो चट्टानों में परिरक्षित होते हैं, जीवाश्म कहलाते हैं।”
जीवाश्मों का संग्रह एवं आयु के अनुसार उनका अनुक्रम जैव विकास प्रक्रम के क्रम को दर्शाता है कि किस प्रकार जीवों का विकास शनैः – शनैः हुआ।

प्रश्न श्रृंखला-6 # पृष्ठ संख्या 173

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं?
उत्तर:
आकृति, आकार, रंग-रूप का भेद वाली प्रजातियों का कोई जैविक आधार नहीं है। ये आभासी प्रजातियाँ हैं। DNA अनुक्रम के अध्ययन से पता चलता है कि ये सभी मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं जो कालान्तर में भौगोलिक पृथक्करण और अन्य कारकों से आभासी प्रजातियों में बँट गए। यह जैव विकास की घटना है।

प्रश्न 2.
विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विकास साधारण रूप से केवल शारीरिक संरचना को जटिल बनाता है। इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं कि सरल शारीरिक रचना अक्रियाशील है। वास्तव में बैक्टीरिया की शारीरिक संरचना सरल है फिर भी वह सर्वव्यापी होते हैं अर्थात् वे जल में, थल पर एवं वायु में जीवित रहते हैं। इसलिए बैक्टीरिया (जीवाणु), मकड़ी, मछली एवं चिम्पैंजी विकास की पृथक्-पृथक् शाखाएँ हैं।

MP Board Class 10th Science Chapter 9 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मेण्डल के एक प्रयोग में लम्बे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्य बैंगनी रंग के थे परन्तु उनमें से लगभग आधे बौने थे इससे कहा जा सकता है कि लम्बे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना भिन्न थी –
(a) TTWW
(b) TTww
(c) TUWW
(d) TtWw
उत्तर:
(c) TtWW

प्रश्न 2.
समजात अंगों का उदाहरण है –
(a) हमारा हाथ, कुत्ते के अग्रपाद।
(b) हमारे दाँत, हाथी के दाँत।
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है?
(a) चीन के विद्यार्थी।
(b) चिम्पैंजी।
(c) मकड़ी।
(d) जीवाणु।
उत्तर:
(a) चीन के विद्यार्थी।

प्रश्न 4.
एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी होता है या नहीं, यह हम नहीं बता सकते क्योंकि दिए हुए आँकड़े अपर्याप्त हैं कम से कम तीन पीढ़ियों के सन्दर्भ में आँकड़े होने चाहिए जबकि यहाँ केवल दो पीढ़ियों के आँकड़े ही हैं।

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प्रश्न 5.
जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र किस प्रकार परस्पर सम्बन्धित है?
उत्तर:
वर्गीकरण में जीवों को आन्तरिक एवं बाह्य संरचना में समानताओं एवं विकास के इतिहास के आधार पर सामान्य रूप से समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।

दो जातियाँ एक-दूसरे से निकट सम्बन्ध रखती हैं यदि उनमें अधिकतर अभिलक्षण समान हों और यदि दो जातियाँ काफी निकट सम्बन्ध रखती हैं तो उनके पूर्वज नवीन ही होंगे।

हम जीवों को उनकी समानताओं के आधार पर जोकि विकास वृक्ष बनाने पर समानता रखता है, वर्गीकृत करते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि जैव विकास एवं वर्गीकरण के अध्ययन क्षेत्र परस्पर सम्बन्धित होते हैं।

प्रश्न 6.
समजात एवं समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए। (2019)
उत्तर:
समजात अंग:
“प्राणियों के शरीर के ऐसे अंग जो उत्पत्ति एवं संरचना में समान होते हैं, लेकिन कार्यों में भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं।”
उदाहरण:
मनुष्य के हाथ, चमगादड़ एवं पक्षियों के पंख, मगर, छिपकली एवं घोड़े के अग्रपाद आदि समजात अंग हैं।

समवृत्ति अंग:
“प्राणियों के शरीर के ऐसे अंग जो उत्पत्ति एवं संरचना में भिन्न-भिन्न होते हैं लेकिन कार्य में समान होते हैं, समवृत्ति अंग कहलाते हैं।”
उदाहरण:
चमगादड़, पक्षी एवं कीटों के पंख आदि।

प्रश्न 7.
कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर:
कुत्ते की खाल के रंग को नियन्त्रित करने के लिए कम से कम 11 (ग्यारह) समरूप जीन्स की श्रेणी होती है जो कुत्ते की त्वचा के रंग को प्रभावित करती है। कुत्ते में प्रत्येक जनन से एक जीन वंशागत होता है। प्रभावी जीन फीनोटाइप में प्रदर्शित होता है।

उदाहरणार्थ:
एक कुत्ता आनुवंशिक रूप से B श्रेणी में काला या भूरा (ब्राउन) हो सकता है। मान लीजिए एक जनक समयुग्मजी काला (BB) है तथा दूसरा जनक समप्रभाजी भूरा (ब्राउन) है तो इस स्थिति में प्रथम पीढ़ी की सभी सन्ताने विषमयुग्मजी (Bb) होंगी और चूँकि काला जीन (B) प्रभावी है। इसलिये सभी सन्तानें काली होंगी यद्यपि वे दोनों (B) एवं (b) एलील रखते हैं।

यदि ये विषमयुग्मजी पुनः संकरण करते हैं तो 25% समयुग्मजी काली (BB), 50% विषमयुग्मजी काली (Bb) तथा 25% समयुग्मजी भूरी (ब्राउन) (bb) सन्तानें होंगी।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 2

प्रश्न 8.
विकासीय सम्बन्ध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्व है?
उत्तर:
जैव विकास में जीवाश्म का महत्व-जैव विकास में जीवाश्म का प्रमाण बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न जीवाश्मों को एकत्रित करके उनकी आयु का निर्धारण कर लिया जाता है। फिर उन्हें आयु के क्रम में व्यवस्थित करके अध्ययन करने से विकास की प्रक्रिया ज्ञात की जा सकती है।

उदाहरणार्थ:
घोड़ों के प्राप्त जीवाश्मों के अध्ययन से ज्ञात हुआ कि घोड़े का विकास इयोसिन काल के 30 सेमी ऊँचे लोमड़ी के आकार के जीव इयोहिप्पस से हुआ। इसके विकास का क्रम जो प्राप्त जीवाश्मों के आधार पर ज्ञात किया, निम्न प्रकार है –
इयोहिप्पस से मीसोहिप्पस, मीसोहिप्पस से मेरीहिप्पस, मेरीहिप्पस से प्लायोहिप्पस तथा प्लायोहिप्पस से इक्वस, जो आधुनिक घोड़े तथा उसके सम्बन्धियों को निरूपित करता है।
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प्रश्न 9.
किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?
उत्तर:
स्टेनले एल. मिलर एवं हैरल्ड सी. मूरे ने सन् 1953 में एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने एक ऐसा वातावरण तैयार किया जिसमें अमोनिया गैस, मीथेन गैस एवं हाइड्रोजन सल्फाइड गैस के अणु थे लेकिन ऑक्सीजन नहीं थी तथा इस वातावरण को जल के ऊपर एकत्रित किया यह सोचते हुए कि प्राचीनकाल में पृथ्वी पर ऐसा ही वातावरण रहा होगा।

इस वातावरण को 100°C के नीचे तापमान पर स्थापित रखा तथा इसमें विद्युत् स्पार्क पैदा किया जाय ठीक तड़ित की तरह। एक सप्ताह बाद मीथेन का 15% कार्बन, सरल कार्बनिक यौगिक अमीनो अम्लों के साथ तैयार हुआ जो प्रोटीन का निर्माण करता है तथा जीवन को साधारण स्तर पर सहयोग करता है। इससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई।

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प्रश्न 10.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं। व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर:
लैंगिक जनन में अधिक स्थायी विभिन्नताएँ पैदा होती हैं। इसके अनेक कारण हैं –

  1. DNA प्रतिकृति में त्रुटियाँ।
  2. युग्मक बनते समय मातृ एवं पितृ गुणसूत्रों का अचानक पृथक्करण।
  3. युग्मनज बनते समय जीन विनिमय।
  4. पीढ़ी-दर-पीढ़ी विभिन्नताओं का लैंगिक जनन द्वारा अन्तर्ग्रहण।

अलैंगिक जनन की स्थिति में DNA की प्रतिकृति में बहुत कम परिवर्तन सन्तान में जाते हैं। इसलिए अलैंगिक जनन से उत्पन्न सन्तानों (नवजातों) में अधिकतर समानताएँ पाई जाती हैं।

इससे निष्कर्ष निकलता है कि अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं। लैंगिक जनन से उत्पन्न संतति में अधिक विभिन्नताओं से जैव विकास की सम्भावनाएँ भी अधिक होती हैं और इस प्रकार यह उनके विकास को प्रभावित करता है।

प्रश्न 11.
संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर:
मानव में नर एवं मादा जनकों की समान आनुवंशिक सहभागिता उनकी सन्तानों में दोनों जनकों के समान संख्या में गुणसूत्रों के वंशागत (आहरित) होने से निश्चित की जाती है। मानव में 23 जोड़े गुणसूत्रों होते हैं। सभी मानव गुणसूत्र 23 जोड़ों में से एक जोड़ा गुणसूत्र लिंग-गुणसूत्रों का होता है जो X एवं Y से प्रदर्शित होता है। मादा में यह जोड़ा सम (X, X) एवं नर में विषम (X, Y) होता है।

जनन के लिए मैथुन के समय बने युग्मनज में दोनों जनकों से समान मात्रा में आनुवंशिक पदार्थ गुणसूत्र की सम सहभागिता रहती है। 23 जोड़े गुणसूत्रों में पितृ जनक द्वारा अपनी सन्तान को 22 समान गुणसूत्र तथा एक X तथा एक X या Y गुणसूत्र उपलब्ध कराता है जबकि मातृ जनक 22 समान गुणसूत्र तथा एक X गुणसूत्र उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 12.
“केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव(व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं,समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों और क्यों नहीं?
उत्तर:
हम इस कथन से सहमत हैं कि केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। सभी विभिन्नताओं को पर्यावरण में अपना अस्तित्व बनाये रखने का समान अवसर नहीं मिलता है जिसमें वे अपने आपको पाते हैं अथवा जिस पर्यावरण में वे रहते हैं।

किसी विभिन्नता को अपना अस्तित्व बनाए रखने का अवसर उस विभिन्नता की प्रकृति पर निर्भर करता है। विभिन्न जीव विभिन्न प्रकार के लाभ रखते हैं। जो बैक्टीरिया ऊष्मा को सहन कर सकता है वह गर्मी (ऊष्मा) में जीवित रह सकता है। विभिन्नताओं का पर्यावरण द्वारा चयन ही विकास प्रक्रिया के आधार का निर्माण करता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 9 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 9 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे बाजार में उपलब्ध कछ सब्जियों की सची दी गई है। इनमें से उन दो सब्जियों को चनिए जिनकी संरचनाएँ समजात हैं: आलू, शकरकंद, अदरक, मूली, टमाटर, गाजर, भिण्डी।
(a) आलू और शकरकंद।
(b) मूली और गाजर।
(c) भिण्डी और शकरकंद।
(d) आलू और टमाटर।
उत्तर:
(b) मूली और गाजर।

प्रश्न 2.
यदि आपसे नीचे दी गयी सब्जियों में से उन दो सब्जियों के समूह को चुनने के लिए कहा जाए जिसकी संरचनाएँ समजात हैं, तो आप इनमें से किसे चुनेंगे?
(a) गाजर और मूली।
(b) आलू और शकरकंद।
(c) आलू और टमाटर।
(d) भिण्डी और आलू।
उत्तर:
(a) गाजर और मूली।

प्रश्न 3.
एक टोकरी में निम्नलिखित सब्जियाँ रखी हैं – आलू, टमाटर, मूली, बैंगन, गाजर, लौकी। इनमें से कौन-सी दो सब्जियाँ समजात संरचनाओं का सही निरूपण करती हैं?
(a) गाजर और टमाटर।
(b) आलू और बैंगन।
(c) मूली और गाजर।
(d) मूली और लौकी।
उत्तर:
(c) मूली और गाजर।

प्रश्न 4.
किसमें जेनेटिक पदार्थों का परस्पर विनिमय होता है?
(a) वर्धी प्रजनन।
(b) अलैंगिक प्रजनन।
(c) लैंगिक प्रजनन।
(d) मुकुलन।
उत्तर:
(c) लैंगिक प्रजनन।

प्रश्न 5.
दो पिंक रंग के पुष्पों में संकरण कराने पर परिणामस्वरूप 1 लाल, 2 पिंक एवं 1 सफेद पुष्प प्राप्त होते हैं तो संकरण की प्रकृति होगी –
(a) द्विनिषेचन।
(b) स्वपरागण।
(c) क्रॉस निषेचन।
(d) निषेचन नहीं।
उत्तर:
(b) स्वपरागण।

प्रश्न 6.
एक लम्बे पौधे (TT) एवं एक बौने पौधे (tt) के बीच क्रॉस कराने पर सन्तान में परिणामस्वरूप सभी लम्बे पौधे प्राप्त हुए, क्योंकि –
(a) लम्बापन प्रभावी लक्षण है।
(b) बौनापन प्रभावी लक्षण है।
(c) लम्बापन अप्रभावी लक्षण है।
(d) T एवं t जीन पौधे की लम्बाई को प्रभावित नहीं करते।
उत्तर:
(a) लम्बापन प्रभावी लक्षण है।

प्रश्न 7.
निम्न में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) प्रत्येक हॉर्मोन के लिए एक जीन होता है।
(b) प्रत्येक प्रोटीन के लिए एक जीन होता है।
(c) प्रत्येक एन्जाइम के निर्माण के लिए एक जीन होता है।
(d) वसा के प्रत्येक अणु के लिए एक जीन होता है।
उत्तर:
(d) वसा के प्रत्येक अणु के लिए एक जीन होता है।

प्रश्न 8.
यदि एक गोल हरे बीज वाले मटर के पौधे की एक झुरींदार पीले बीज वाले मटर के पौधे से क्रॉस (संकरण) कराया जाता है तो F2 संतति (सन्तान) में बीज होंगे –
(a) गोल, पीले।
(b) गोल, हरे।
(c) झुरींदार, हरे।
(d) झुरींदार, पीले।
उत्तर:
(a) गोल, पीले।

प्रश्न 9.
मानव में गुणसूत्र में एक को छोड़कर सभी समान युग्मित होते हैं/यह/ये अयुग्मित गुणसूत्र है।
(i) बड़े गुणसूत्र।
(ii) छोटे गुणसूत्र।
(iii) Y-गुणसूत्र।
(iv) X-गुणसूत्र।
(a) (i) एवं (ii)
(b) केवल (iii)
(c) (iii) एवं (iv)
(d) (ii) एवं (iv)
उत्तर:
(c) (iii) एवं (iv)

प्रश्न 10.
किसी शिशु का नर होना निर्धारित होता है –
(a) युग्मनज में X गुणसूत्र द्वारा।
(b) युग्मनज में Y गुणसूत्र द्वारा।
(c) जनन कोशिका का कोशिकाद्रव्य जो लिंग निर्धारण करता है।
(d) लिंग निर्धारण एकाएक होता है।
उत्तर:
(b) युग्मनज में Y गुणसूत्र द्वारा।

प्रश्न 11.
एक युग्मजन जिसमें पिता से प्राप्त X-गुणसूत्र है, विकसित होगा –
(a) लड़के में।
(b) लड़की में।
(c) X गुणसूत्र लिंग निर्धारण नहीं करता है।
(d) या तो लड़के में अथवा लड़की में।
उत्तर:
(b) लड़की में।

प्रश्न 12.
असत्य कथन छाँटिए –
(a) किसी जीन की आवृत्ति अनेक पीढ़ियों के जनसंख्या परिवर्तन में विकास को जन्म देती है।
(b) अकाल के कारण जीवों के भार में कमी को आनुवंशिक रूप से नियन्त्रित किया जाता है।
(c) कम भार वाले जनक अधिक भार वाले नवजातों को जन्म दे सकते हैं।
(d) जो अभिलक्षण पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानान्तरित नहीं होते वे विकास का कारण नहीं बन सकते।
उत्तर:
(b) अकाल के कारण जीवों के भार में कमी को आनुवंशिक रूप से नियन्त्रित किया जाता है।

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प्रश्न 13.
नयी समष्टि (स्पीशीज) का निर्माण हो सकता है, यदि –
(i) जनन कोशिकाओं के DNA में पर्याप्त परिवर्तन हो।
(ii) युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन हो।
(iii) आनुवंशिक पदार्थों में कोई परिवर्तन न हो।
(iv) मैथुन की घटना घटित न हो।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (i) एवं (iii)
(c) (ii), (iii) एवं (iv)
(d) (i), (ii) एवं (iii)
उत्तर:
(a) (i) एवं (ii)

प्रश्न 14.
दो मटर के पौधे जिनमें एक गोल हरे बीजों वाला (RR, YY) दूसरा झुरींदार पीले बीजों वाला (rr, yy) F2 पीढ़ी में नवजातों को जन्म देते हैं जिनके बीज गोल पीले (RrYy) हैं। जब F2 पौधे में स्वपरागण होता है तो F2 पीढ़ी में संतति नये लक्षणों के युग्म से युक्त होगी। निम्न में से नवीन युग्म का चयन कीजिए –
(i) गोले, पीले।
(ii) गोल, हरे।
(iii) झुरींदार, पीले।
(iv) झुरींदार, हरे।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (i) एवं (iv)
(c) (ii) एवं (iii)
(d) (i) एवं (iii)
उत्तर:
(b) (i) एवं (iv)

प्रश्न 15.
सही कथन चुनिए –
(a) मटर के पौधे के तन्तु (टैण्ड्रिल) एवं नागफनी के पर्णकाय स्तम्भ (फिल्लोक्लेड) समजात अंग हैं।
(b) मटर के पौधे के तन्तु (टैण्ड्रिल) एवं नागफनी के पर्णकाय स्तम्भ समवृत्ति अंग हैं।
(c) पक्षियों के पंख एवं छिपकली के पैर समवृत्ति अंग हैं।
(d) पक्षियों के पंख एवं चमगादड़ के पंख समजात अंग हैं।
उत्तर:
(a) मटर के पौधे के तन्तु (टैण्ड्रिल) एवं नागफनी के पर्णकाय स्तम्भ (फिल्लोक्लेड) समजात अंग हैं।

प्रश्न 16.
यदि किसी जीव के जीवाश्म पृथ्वी के अन्दर बहुत गहराई में मिलते हैं तो हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि –
(a) जीव अभी हाल ही में विलुप्त हुए हैं।
(b) जीव हजारों वर्ष पूर्व विलुप्त हुए।
(c) जीवाश्म पृथ्वी की परतों में स्थित जीव के विलुप्त होने के समय से कोई सम्बन्ध नहीं रखती है।
(d) जीव के विलुप्त होने का समय हम ज्ञात नहीं कर सकते।
उत्तर:
(b) जीव हजारों वर्ष पूर्व विलुप्त हुए।

प्रश्न 17.
विभिन्नताओं के सन्दर्भ में निम्न में कौन कथन असत्य है?
(a) सभी विभिन्नताएँ जीव के जीवित रहने की समान सम्भावनाएँ रखती हैं।
(b) आनुवंशिक संरचना में परिवर्तन विभिन्नताओं को जन्म देता है।
(c) पर्यावरणीय कारकों द्वारा जीव का वरण विकास प्रक्रिया का आधार होता है।
(d) अलैंगिक जनन में विभिन्नताएँ न्यूनतम होती है।
उत्तर:
(a) सभी विभिन्नताएँ जीव के जीवित रहने की समान सम्भावनाएँ रखती हैं।

प्रश्न 18.
किसी जीव में कोई अभिलक्षण प्रभावित होता है –
(a) केवल पितृ DNA द्वारा।
(b) केवल मातृ DNA द्वारा।
(c) मातृ एवं पितृ दोनों DNA द्वारा।
(d) न मातृ DNA न पितृ DNA द्वारा।
उत्तर:
(c) मातृ एवं पितृ दोनों DNA द्वारा।

प्रश्न 19.
उस समूह का चयन कीजिए जिसमें अधिकतम समानता है –
(a) एक ही जाति (स्पीशीज) के दो जन्तु।
(b) एक ही जीन्स के दो जीव।
(c) एक ही फैमिली के दो जेनेरा।
(d) दो फैमिली के दो जेनेरा।
उत्तर:
(a) एक ही जाति (स्पीशीज) के दो जन्तु।

प्रश्न 20.
विकासवाद (विकास सिद्धान्त) के अनुसार नयी स्पीशीज का निर्माण प्रायः निम्न के द्वारा होता है –
(a) प्रकृति के द्वारा अचानक सृजन।
(b) अनेक पीढ़ियों में होते हुए विभिन्नताओं को अर्जित करके।
(c) अलैंगिक जनन के समय क्लोन का निर्माण।
(d) किसी जीव का एक आवास से दूसरे आवास को जाना।
उत्तर:
(b) अनेक पीढ़ियों में होते हुए विभिन्नताओं को अर्जित करके।

प्रश्न 21.
नीचे दी गई सूची में से उस लक्षण का चयन कीजिए जो अर्जित तो होता है लेकिन आनुवंशिक नहीं –
(a) नेत्र का रंग।
(b) त्वचा का रंग।
(c) शरीर का आकार।
(d) बालों की प्रकृति।
उत्तर:
(c) शरीर का आकार।

प्रश्न 22.
एक अभिलक्षण के दो रूप जोकि नर एवं मादा युग्मकों द्वारा लाये जाते हैं, वे निम्न में होते हैं –
(a) किसी एक गुणसूत्र की प्रतिकृतियों में।
(b) दो भिन्न गुणसूत्रों में।
(c) लिंग गुणसूत्रों में।
(d) किसी भी गुणसूत्र में।
उत्तर:
(a) किसी एक गुणसूत्र की प्रतिकृतियों में।

प्रश्न 23.
उन कथनों का चयन कीजिए जो जीन के लक्षणों की व्याख्या करते हैं –
(i) DNA अणु में जीन विशिष्ट क्रमिक आधार होते हैं।
(ii) एक जीन किसी प्रोटीन को प्रदर्शित नहीं करता।
(iii) एक दी हुई स्पीशीज के जीवों में किसी विभेध गुणसूत्र पर विशिष्ट जीन स्थित होता है।
(iv) प्रत्येक गुणसूत्र पर केवल एक जीन होता है।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (i) एवं (iii)
(c) (i) एवं (iv)
(d) (ii) एवं (iv)
उत्तर:
(b) (i) एवं (iii)

प्रश्न 24.
मटर के शुद्ध लम्बे (TT) पौधे को बौने (tt) पौधे के साथ क्रॉस कराया गया है। F2 पीढ़ी में शुद्ध लम्बे पौधों और बौने पौधों का अनुपात होगा –
(a) 1 : 3
(b) 3 : 1
(c) 1 : 1
(d) 2 : 1
उत्तर:
(c) 1 : 1

प्रश्न 25.
मानव युग्मनज में लिंग गुणसूत्रों के जोड़ों की संख्या होगी –
(a) एक।
(b) दो।
(c) तीन।
(d) चार।
उत्तर:
(a) एक।

प्रश्न 26.
प्राकृतिक वरण द्वारा स्पीशीज के विकास का सिद्धान्त निम्न के द्वारा दिया गया था –
(a) मेण्डल।
(b) डार्विन।
(c) मॉर्गन।
(d) लैमार्क।
(b) डार्विन।

प्रश्न 27.
कुछ डायनासोरों में पंख होते थे हालांकि वे उड़ नहीं पाते थे लेकिन पक्षियों में पंख होते हैं जो ‘उनको उड़ने में सहायक होते हैं। विकास के सन्दर्भ में इसका अर्थ है कि –
(a) सरीसृपों का विकास पक्षियों से हुआ था।
(b) सरीसृपों एवं पक्षियों में विकास के सन्दर्भ में कोई सम्बन्ध नहीं है।
(c) दोनों जीवों में पंख समजात अंग हैं।
(d) पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ।
उत्तर:
(d) पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ।

प्रश्न 28.
मनुष्य की एक कोशिका में गुणसूत्र पाये जाते हैं –
(a) 23 जोड़े।
(b) 24 जोड़े।
(c) 20 जोड़े।
(d) 22 जोड़े।
उत्तर:
(a) 23 जोड़े।

प्रश्न 29.
आर्कियोप्टेरिक्स उदाहरण है –
(a) समजात अंग का।
(b) समवृत्ति अंग का।
(c) अवशेषी अंग का।
(d) संयोजी कड़ी का।
उत्तर:
(d) संयोजी कड़ी का।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. पीढ़ी दर पीढ़ी विभिन्न लक्षणों का संचरण ………… कहलाता है।
  2. पीढ़ी दर पीढ़ी संचारित होने वाले लक्षण ……….. कहलाते हैं।
  3. आनुवंशिकता का अध्ययन ………… कहलाता है।
  4. कर्णपल्लव को पेशियाँ, अक्लदाढ़ मानव के ………… अंग कहलाते हैं।
  5. प्राणी अपने भ्रूणीय परिवर्धन में अपने पूर्वजों की ………… अवस्थाओं को दोहराते हैं।
  6. मेण्डल ने ……….. के नियमों का प्रतिपादन किया। (2019)

उत्तर:

  1. आनुवंशिकता।
  2. आनुवंशिक लक्षण।
  3. आनुवंशिकी।
  4. अवशेषी।
  5. भ्रूणीय।
  6. वंशागाते।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 4
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. पुष्प के लाल एवं सफेद रंग में सफेद प्रभावी एवं लाल अप्रभावी होता है।
  2. बीजों के गोल एवं झुरींदार गुणों में गोल प्रभावी तथा झुरींदार अप्रभावी होता है।
  3. जिन अंगों का हम निरन्तर उपयोग करते हैं वे क्षीण होते जाते हैं।
  4. प्रकृति योग्यतम का चयन करती है।
  5. जो गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचरित नहीं होते, वे आनुवंशिक गुण कहलाते हैं।

उत्तर:

  1. असत्य।
  2. सत्य।
  3. असत्य।
  4. सत्य।
  5. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. योग्यतम की उत्तरजीविता के प्रवर्तक कौन थे?
  2. आनुवंशिकी के जनन का क्या नाम है?
  3. सरीसृप एवं पक्षी वर्ग की संयोजी कड़ी का नाम लिखिए।
  4. पक्षी वर्ग एवं स्तनधारियों के बीच की कड़ी कौन है?
  5. लिग निर्धारण करने वाले गुणसूत्र को क्या कहते हैं?

उत्तर:

  1. डार्विन।
  2. ग्रेगर जॉन मेण्डल।
  3. आर्कियोप्टेरिक्स।
  4. ऐकेडिना।
  5. लिंग गुणसूत्र।

MP Board Class 10th Science Chapter 9 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिकता क्या है? आनुवंशिक लक्षण किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
आनुवंशिकता:
“जीवधारियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी विभिन्न लक्षणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है तथा ये लक्षण आनुवंशिक लक्षण कहलाते हैं।”

प्रश्न 2.
आनुवंशिकी से क्या समझते हो?
उत्तर:
आनुवंशिकी:
“विज्ञान की वह शाखा जिसमें आनुवंशिक लक्षणों, उनके संचरण एवं कारणों का अध्ययन किया जाता है, आनुवंशिकी कहलाती है।”

प्रश्न 3.
विभिन्नताएँ (जैव विविधताएँ) क्या होती हैं?
उत्तर:
विभिन्नताएँ:
एक ही जनक की सन्तानों में समानता होते हुए भी वे एक-दूसरे से भिन्न होती हैं, यही विभिन्नता अथवा जैव विविधता कहलाती है।

प्रश्न 4.
आनुवंशिक विभिन्नताएँ किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
आनुवंशिक विभिन्नताएँ-“जो विभिन्नताएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानान्तरित होती हैं, आनुवंशिक विभिन्नताएँ कहलाती हैं।”

प्रश्न 5.
मेण्डल को प्रयोगों द्वारा कैसे ज्ञात हुआ कि लक्षण प्रभावी या अप्रभावी होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में देखा कि संकरण करने पर कुछ गुण प्रदर्शित होते हैं तथा कुछ गुण छिप जाते हैं। जो गुण प्रदर्शित होते हैं, वे प्रभावी तथा जो गुण छिप जाते हैं, वे अप्रभावी होते हैं।

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प्रश्न 6.
प्रभावी लक्षण किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
प्रभावी लक्षण:
“जब विपरीत लक्षणों के जोड़े में क्रॉस कराया जाता है तो पहली पीढ़ी में जो लक्षण प्रदर्शित होते हैं, वे प्रभावी लक्षण कहलाते हैं।”

प्रश्न 7.
अप्रभावी लक्षण किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
अप्रभावी लक्षण:
“जब विपरीत लक्षणों के जोड़े में क्रॉस कराया जाता है तब पहली पीढ़ी में जो लक्षण छिपा रहता है, वह अप्रभावी लक्षण कहलाता है।”

प्रश्न 8.
एकसंकर क्रॉस क्या होता है?
उत्तर:
एकसंकर क्रॉस:
“एक विपरीत लक्षण को साथ लेकर कराये गए संकरण को एकसंकर क्रॉस कहते हैं।”

प्रश्न 9.
द्विसंकर क्रॉस क्या होता है?
उत्तर:
द्विसंकर क्रॉस:
“दो विपरीत लक्षणों को साथ लेकर कराये गए संकरण को द्विसंकर क्रॉस कहते हैं।”

प्रश्न 10.
मेण्डल के प्रभाविता के नियम को समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल के प्रभाविता के नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब विपरीत लक्षणों के एक जोड़े को ध्यान में रखकर क्रॉस कराया जाता है, तो पहली पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लक्षण) दिखाई देते हैं।” गुणों की यह प्रवृत्ति प्रभाविता तथा यह नियम प्रभाविता का नियम कहलाता है।

प्रश्न 11.
मेण्डल का पृथक्करण का नियम समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल का पृथक्करण का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।

प्रश्न 12.
मेण्डल के स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम:
इस नियम के अनुसार-जीवों के लक्षण एक-दूसरे से प्रभावित किए बिना स्वतन्त्र रूप से युग्मकों या सन्तान में जाते हैं। अतः उन लक्षणों का पृथक्करण स्वतन्त्र रूप से है अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे लक्षण को प्रभावित नहीं करती, इस प्रवृत्ति को स्वतन्त्र अपव्यूहन एवं इस नियम को स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम कहते हैं।”

प्रश्न 13.
गुणसूत्र क्या है अथवा गुणसूत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
गुणसूत्र:
“सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं के केन्द्रक में स्थित लम्बी धागेनुमा पतली संरचनाएँ जिनका आनुवंशिक पदार्थ कोशिकाद्रव्य में स्वतन्त्र रूप से न रहकर केन्द्रक में कुछ विशिष्ट संरचनाओं के रूप में व्यवस्थित होते हैं, गुणसूत्र कहलाते हैं।”
अथवा
“जीन्स को वहन करने वाली वे वैयक्तिक जीवद्रव्य इकाइयाँ सम्मिलित रूप से उत्तरोत्तर कोशिका विभाजन द्वारा द्विगुणित करती है तथा अपने व्यक्तित्व एवं आकारिकी एवं कार्यिकी को बनाए रखती है, गुणसूत्र कहलाती है।”

प्रश्न 14.
गुणसूत्र का कार्य एवं महत्व समझाइए।
उत्तर:
गुणसूत्र का कार्य एवं महत्व:

  1. आनुवंशिकी में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना।
  2. शरीर की संरचना एवं क्रियाशीलता में महत्वपूर्ण भाग लेना।
  3. गुणसूत्र के प्रतिकृतिकरण में संतति बनती है जोकि कोशिकाओं में पहुँचकर नए जीवों का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 15.
लिंग निर्धारण में गुणसूत्र की भूमिका को समझाइए।
उत्तर:
मनुष्य में सन्तान के लिंग का निर्धारण जनक (माता-पिता) के 23वें जोड़े के लिंग गुणसूत्र द्वारा ही होता है। इस प्रकार लिंग निर्धारण में गुणसूत्र की अहम् भूमिका है।

प्रश्न 16.
जैव विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जैव विकास अथवा विकास-“अधिक धीमी गति एवं क्रमबद्ध परिवर्तनों की वह प्रक्रिया जिसके द्वारा आधुनिक जीवों (पौधे एवं प्राणियों) की विभिन्न जातियाँ आदिकाल में उपस्थित जातियों से विकसित हुई, जैव विकास या विकास कहलाता है।”
अथवा
“आदिकाल में धीमी गति से होने वाला वह क्रमिक परिवर्तन जिसके कारण आदि-सूक्ष्म सरल जीवों से वर्तमान समय के विकसित एवं जटिल जीवों का निर्माण हुआ, विकास या जैव विकास कहलाता है।”

प्रश्न 17.
अवशेषी अंग क्या हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अवशेषी अंग:
“प्राणियों के शरीर में पाये जाने वाले ऐसे अंग जोकि कार्य के लिए अनावश्यक होते हैं तथा पूर्ण विकसित नहीं होते हैं, लेकिन किन्हीं अन्य सम्बन्धित प्राणियों में पूर्ण विकसित होते हैं, अवशेषी अंग कहलाते हैं।”
अथवा
“वे अंग जो किसी प्राणी के पूर्वजों में पूर्ण विकसित तथा क्रियाशील अवस्था में पाये जाते रहे हों, परन्तु विकास क्रम में धीरे-धीरे अपकर्षित होकर अपशिष्ट हो गए हों, अवशेषी अंग कहलाते हैं।”
उदाहरण: कर्णपल्लव की पेशियाँ एवं कृमिरूप परिशेषिका।

प्रश्न 18.
संयोजन कड़ियों से क्या आशय है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संयोजन कड़ियाँ:
“प्राणियों में कुछ ऐसे जन्तु मिलते हैं, जिनमें कुछ कम विकसित लक्षणों के साथ-साथ विकसित लक्षण भी पाये जाते हैं अर्थात् उनमें प्राचीन पूर्वज और आधुनिक रूप से विकसित प्राणी वर्गों के लक्षण पाये जाते हैं, संयोजन कड़ियाँ कहलाते हैं।”
उदाहरण: सरीसृप एवं पक्षी वर्ग की संयोजन कड़ी आर्कियोप्टेरिक्स।

प्रश्न 19.
जीवाश्म किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए। (2019)
उत्तर:
जीवाश्म:
“प्राचीनकालीन अनेक प्रकार के पौधे एवं प्राणियों के मृत अवशेष जो चट्टानों में परिरक्षित रहते हैं, जीवाश्म कहलाते हैं।”
उदाहरण: डायनोसोर्स एवं आर्कियोप्टेरिक्स के जीवाश्म।

प्रश्न 20.
जीवन संघर्ष से क्या समझते हो?
उत्तर:
जीवन संघर्ष:
“जीवों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होने से उनके जीवित रहने के लिए समस्या बढ़ जाती है। प्रकृति का सन्तुलन बनाए रखने के लिए तथा भोजन, जल, प्रकाश, वायु एवं सुरक्षित निवास के लिए जीवों में संघर्ष होने लगता है, जिसे जीवन संघर्ष कहते हैं।”

प्रश्न 21.
योग्यतम की उत्तरजीविता से क्या समझते हो?
उत्तर:
योग्यतम की उत्तरजीविता:
“ऐसे जीव जिनमें लाभदायक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं, वे ही जीवन संघर्ष में विजयी होकर जीवित रहते हैं तथा हानिकारक विभिन्नताओं वाले जीव उस जीवन संघर्ष में नष्ट हो जाते हैं। इस घटना को योग्यतम की उत्तरजीविता कहते हैं।”

प्रश्न 22.
प्राकृतिक चयन (वरण) किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक चयन (वरण):
“प्रकृति जीवन संघर्ष के द्वारा योग्यतम का चयन करती रहती है, जिसे प्राकृतिक चयन (वरण) कहते हैं।”

प्रश्न 23.
जातिउद्भवन से क्या समझते हो?
उत्तर:
जातिउद्भवन:
“जब कोई एक जाति (स्पीशीज) के जीव दो वर्गों में बँट जाएँ और उनके DNA में एवं गुणसूत्रों की संख्या में इस प्रकार परिवर्तन हो जाय कि वे परस्पर जनन करने में असमर्थ हों तो नयी जाति (स्पीशीज) का उद्भव होता है। यह घटना जातिउद्भवन कहलाती है।”

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प्रश्न 24.
मानव के नवजात शिशु का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर:
मनुष्य में पिता से प्राप्त लिंग गुणसूत्र द्वारा बच्चे के लिंग का निर्धारण होता है। यदि बच्चा पिता के ‘X’ गुणसूत्र को ग्रहण करता है तो वह लड़की होगी और यदि वह Y-गुणसूत्र को ग्रहण करता है तो वह लड़का होगा।

प्रश्न 25.
क्या नवजात के लिंग निर्धारण में माँ का लिंग गुणसूत्र युग्म अहम् भूमिका निभाता है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि माँ के लिंग गुणसूत्र जोड़े में केवल X-गुणसूत्र होते हैं और नवजात चाहे लड़का हो अथवा लड़की वह माँ से केवल X-गुणसूत्र ही ग्रहण करता है।

प्रश्न 26.
मादा मानव में सभी युग्मक केवल X-गुणसूत्र ही रखते हैं, क्यों?
उत्तर:
मादा मानव में लिंग गुणसूत्र युग्म में केवल (XX) गुणसूत्र होते हैं। इसलिए युग्मक बनते समय अर्द्धसूत्र विभाजन के फलस्वरूप केवल X गुणसूत्र ही युग्मक में प्रवेश करता है। अतः प्रत्येक युग्मक में केवल X-गुणसूत्र ही होते हैं।

प्रश्न 27.
मनुष्य में नर बालक या मादा बालिका प्राप्त करने की सांख्यिकीय प्रायिकता 50 : 50 है। उचित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य में बालक का लिंग निर्धारण पिता से प्राप्त लिंग गुणसूत्र द्वारा होता है चूँकि नर मनुष्य में X-गुणसूत्र एवं Y-गुणसूत्र की संख्या का अनुपात 50 : 50 है इसलिए नर बालक या मादा बालिका बनने की सांख्यिकीय प्रायिकता भी 50 : 50 होगी।

प्रश्न 28.
किसी समष्टि की छोटी जनसंख्या के विलुप्त होने की अधिक सम्भावनाएँ रहती हैं जबकि बड़ी जनसंख्या वाली स्पीशीज की विलुप्त होने की कम सम्भावनाएँ होती हैं? उचित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
छोटी जनसंख्या वाले जीवों में जनन कम होगा फलस्वरूप उनके अन्दर विभिन्नताएँ (विविधताएँ) भी कम होंगी जबकि किसी जीव की जितनी अधिक जनसंख्या होगी उतनी ही अधिक जनन की सम्भावनाएँ होंगी और फलस्वरूप उतनी ही अधिक विभिन्नताएँ होंगी। प्रतिकूल परिस्थितियों में अधिक विभिन्नताओं वाले जीवों के जीवित रहने की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं। इसलिए अधिक जनसंख्या वाले जीवों की अपेक्षा बहुत कम जनसंख्या वाले जीवों के विलुप्त होने की अधिक सम्भावनाएँ होती हैं।

प्रश्न 29.
समजात संरचना क्या होती है? एक उदाहरण दीजिए। क्या यह आवश्यक है कि समजात संरचना वाले जीवों के पूर्वज एक ही होंगे?
उत्तर:
समजात संरचना एवं उसके उदाहरणनिर्देश-पाठान्त प्रश्नोत्तर के प्रश्न 6 का प्रथम भाग देखिए। हाँ, उनके पूर्वज एक ही होंगे लेकिन विभिन्न क्रियाकलापों के लिए विभिन्न रूप से विकसित होंगे।

प्रश्न 30.
क्या पृथ्वी पर जन्तुओं में उत्पन्न विविधता उनके पूर्वजों की विविधता की ओर इशारा करती है? विकास के प्रकाश में इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यद्यपि पृथ्वी पर जन्तुओं की संरचना में बड़े पैमाने पर विविधता देखने को मिलती है पर शायद उनके पूर्वज समान नहीं होंगे क्योंकि समान पूर्वजों में विविधता को कुछ सीमा तक सीमित किया होता। विविधता युक्त बहुत से जीव आज भी समान आवासों में रहते हैं। उनका भौगोलिक पृथक्करण भी उनका समान नहीं होगा। अतः सभी जीवों के समान पूर्वजों में भी समानता का सिद्धान्त नहीं है।

प्रश्न 31.
निम्न मटर के पौधों के लक्षणों के विपरीत लक्षण लिखिए तथा बताइए उनमें कौन प्रभावी है और कौन अप्रभावी?

  1. पीला बीज।
  2. गोल बीज।

उत्तर:

  1. पीला बीज का विपरीत लक्षण हरा बीज है। यहाँ पीला प्रभावी लक्षण है तथा हरा अप्रभावी।
  2. गोल बीज का विपरीत लक्षण झुरींदार बीज है यहाँ गोल प्रभावी लक्षण है और झुरींदार अप्रभावी।

प्रश्न 32.
एक औरत के केवल लड़कियाँ हैं। इस स्थिति का आनुवंशिक रूप से विश्लेषण कीजिए एवं एक उचित व्याख्या दीजिए।
उत्तर:
औरत (महिला) लिंग गुणसूत्र युग्म में केवल X-गुणसूत्र उत्पन्न करती है जबकि पुरुष के लिंग गुणसूत्र युग्म में X-गुणसूत्र एवं Y-गुणसूत्र दोनों होते हैं जो वास्तव में बच्चे का लिंग निर्धारण करते हैं। हर बार महिला के युग्मकों को पुरुष का X-गुणसूत्र वाला ही युग्मक जनन के लिए प्राप्त हो सका, इसलिए उसके केवल लड़कियाँ ही हैं।

प्रश्न 33.
कारण बताइए कि क्यों उपार्जित गुणों की वंशागति नहीं होती?
उत्तर:
उपार्जित गुणों (लक्षणों) की वंशागति नहीं होती क्योंकि ये लक्षण जनन कोशिकाओं के DNA में कोई परिवर्तन नहीं करते, केवल वे ही लक्षण वंशागत होते हैं जिनका कोई जीन होता है।

प्रश्न 34.
F2 संतति में लक्षणों के नए संयोग बनने का कारण बताइए।
उत्तर:
पौधों का लम्बा या बौना होना, बीजों का गोल या झुरींदार होना आदि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत हुए हैं।

प्रश्न 35.
निम्न परपरागण एवं F2 में स्वपरागण का अध्ययन कीजिए तथा रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 5
उत्तर:
RrYy गोल, पीले।

प्रश्न 36.
उपर्युक्त प्रश्न-34 में F2 पीढ़ी की सन्तानों में लक्षणों के कौन से संयोग बनेंगे? उनका अनुपात क्या होगा?
उत्तर:

  1. गोल, पीले।
  2. गोल, हरे।
  3. झुर्शीदार, पीले।
  4. झुर्रादार हरे।

अनुपात: 9 : 3 : 3 : 1

प्रश्न 37.
मानव की तुलना में बैक्टीरिया की शारीरिक संरचना काफी सरल है। इसका मतलब यह तो नहीं कि मानव बैक्टीरिया की अपेक्षा अधिक विकसित है? उचित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह एक वाद-विवाद का विषय है। यदि शारीरिक जटिलता विकास का परिणाम है तब तो मानव बैक्टीरिया की अपेक्षा अधिक विकसित है। लेकिन जब हम पूरे जीवन की विशेषताओं को ध्यान में रखें तो यह कहना कठिन होगा कि कौन-सा जीव विकसित है।

प्रश्न 38.
विकास आण्विक संरचना को अधिक स्थायी रूप से प्रदर्शित करता है जब इसकी तुलना शारीरिक संरचना से की जाती है। इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
जैव जगत में जीवों में आकार, आकृति, संरचना आकारिकी विशेषताओं (लक्षणों) में गहरी विभिन्नताएँ देखने को मिलती हैं लेकिन आण्विक स्तर पर ये विविधता युक्त जीव परस्पर अविश्वसनीय समानताएँ रखते हैं। उदाहरणस्वरूप प्राथमिक तौर-पर जैवीय अणु, जैसे-DNA. RNA, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स आदि सभी जीवों में अत्यन्त समानता रखते हैं।

प्रश्न 39.
जैव-विविधता किसे कहते हैं? यदि किसी क्षेत्र की जैव-विविधता सुरक्षित नहीं रखी जाए, तो क्या होगा? इसके एक प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विभिन्नताएँ:
एक ही जनक की सन्तानों में समानता होते हुए भी वे एक-दूसरे से भिन्न होती हैं, यही विभिन्नता अथवा जैव विविधता कहलाती है। यदि किसी क्षेत्र की जैव-विविधता सुरक्षित नहीं रखी जाए, तो प्रतिकूल परिस्थितियों में उस क्षेत्र से उस स्पीशीज की उत्तरजीविता के अभाव में विलुप्त होने की सम्भावना बढ़ जाती है। विभिन्नताओं के प्रभाव के कारण नयी स्पीशीज के उत्पन्न होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

प्रश्न 40.
वंशागति एवं उपार्जित लक्षणों में उदाहरण सहित अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वंशागत लक्षण:
“जो लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को अर्थात् जनकों से सन्तान को स्थानान्तरित होते हैं, वंशागत लक्षण कहलाते हैं।”
उदाहरण: आँख का रंग, बीज़ों का रंग।

उपार्जित लक्षण:
“जो लक्षण जीवन-पर्यन्त अर्जित किए जाते हैं तथा जनक से सन्तान को स्थानान्तरित नहीं होते, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं।”
उदाहरण: मोटापा, किसी दुर्घटना में कटी हुई अंगुलियाँ।

MP Board Class 10th Science Chapter 9 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिक विभिन्नताओं के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आनुवंशिक विभिन्नताओं के कारण:

  1. गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन – गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन से आनुवंशिक पदार्थ में भी परिवर्तन आ जाता है, जिस कारण जीव अपने जनक से भिन्न हो जाता है।
  2. जीन उत्परिवर्तन – जीन संरचना में परिवर्तन होने से भी विभिन्नता उत्पन्न होती है।
  3. गुणसूत्रों की संरचना में परिवर्तन – इसमें जीन की संख्या एवं विन्यास में परिवर्तन होने से एक ही जाति के जीवों में विभिन्नता आ जाती है।
  4. लैंगिक जनन – लैंगिक जनन के समय जीन विनिमय के कारण विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 2.
मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर का पौधा ही क्यों चुना? कारणों को समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल के द्वारा अपने प्रयोगों के लिए मटर के पौधे का चयन करने के कारण:
मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे का निम्न कारणों से चयन किया –

  1. मटर का पौधा आसानी से सर्वत्र उगाया जा सकता है।
  2. मटर का पौधा वार्षिक तथा अल्पकालिक जीवन चक्र वाला होता है।
  3. मटर के पुष्प द्विलिंगी होते हैं तथा पौधे मुख्यतः स्व-परागित होते हैं।
  4. मटर के पौधे में अनेक विरोधी गुण पाये जाते हैं।
  5. मटर में कृत्रिम रूप से परपरागण द्वारा आसानी से संकरण कराया जा सकता है।
  6. स्व:निषेचन के कारण मटर के पौधे समयुग्मजी होते हैं अत: पीढ़ी-दर-पीढ़ी ये शुद्ध लक्षण वाले होते हैं।

प्रश्न 3.
मेण्डल के प्रभाविता के नियम को उदाहरण सहित समझाइए तथा इस नियम की पुष्टि के लिए रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
मेण्डल के प्रभाविता के नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब विपरीत लक्षणों के एक जोड़े को ध्यान में रखकर क्रॉस कराया जाता है, तो पहली पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लक्षण) दिखाई देते हैं।” गुणों की यह प्रवृत्ति प्रभाविता तथा यह नियम प्रभाविता का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 6

प्रश्न 4.
मेण्डल के पृथक्करण के नियम को उदाहरण सहित समझाइए तथा इस नियम की पुष्टि के लिए रेखाचित्र खींचिए।
उत्तर:
मेण्डल के पृथक्करण का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 7

प्रश्न 5.
मेण्डल के स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। इस नियम की पुष्टि के लिए द्विगुणित क्रॉस का रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम:
मेण्डल का पृथक्करण का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 8

प्रश्न 6.
मेण्डल के नियमों का महत्व समझाइए।
उत्तर:
मेण्डल के नियमों का महत्व:

  1. मेण्डलवाद (मेण्डल के नियमों) के आधार पर उच्च लक्षणों वाली सन्तानों को प्राप्त किया जा सकता है।
  2. रोग प्रतिरोधी पौधों की किस्मों का विकास किया जा सकता है।
  3. उन्नत किस्में बनाकर उनके उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
  4. आनुवंशिक रोगों की खोज एवं उनके निदान में इसका प्रयोग हो सकता है।
  5. आनुवंशिकता के आधुनिक सिद्धान्त बनाने में बहुत मदद मिली है।
  6. जन्तुओं की अच्छी नस्ल पैदा करने में सहायता मिली है।

प्रश्न 7.
जीवों में पाई जाने वाली मूलभूत समानताओं को लिखिए।
उत्तर:
जीवों के संगठन एवं संरचना में समानताएँ:

  1. सभी जीव कोशिकाओं से निर्मित होते हैं।
  2. सभी जीवों का निर्माण जीवद्रव्य से हुआ है, जो उनकी कोशिकाओं में पाया जाता है।
  3. सभी जीवों में प्रजनन की प्रवृत्ति पाई जाती है।
  4. सभी जीवों की अपनी-अपनी जातियाँ होती हैं।

प्रश्न 8.
जैव विकास की परिकल्पना किन तथ्यों पर आधारित होती है?
उत्तर:
जैव विकास की परिकल्पना निम्न तथ्यों पर आधारित होती है –

  1. प्रकृति का वातावरण एवं उसकी दशाएँ कभी भी स्थिर या स्थायी नहीं होती हैं, इनमें निरन्तर परिवर्तन होता रहता है।
  2. आधुनिक समय में पृथ्वी पर जितनी अधिक जीव-जातियाँ पाई जाती हैं, उतनी अधिक संख्या में आदिकाल में नहीं पाई जाती होंगी।
  3. विकास के कारण एक ही जाति से अनेक जीव-जातियों की उत्पत्ति एवं विकास हुआ होगा।
  4. आदिकाल में पायी जाने वाली जीव-जातियों की संरचना, वर्तमान में पाई जाने वाली जीव-जातियों की संरचना से सरल रही होगी।
  5. जीव-जातियों के वंशज एक ही रहे होंगे।

प्रश्न 9.
समजात एवं समवृत्ति अंगों में अन्तर बताइए।
उत्तर:
समजात एवं समवृत्ति अंगों में अन्तर –

समजात अंग समवृत्ति अंग
समजात अंगों की उत्पत्ति समान होती है। समवृत्ति अंगों की उत्पत्ति भिन्न-भिन्न होती है। अर्थात् ये अलग-अलग स्थान से उत्पन्न होते हैं।
समजात अंगों की संरचना समान होती है। समवृत्ति अंगों की संरचना भिन्न-भिन्न होती है।
समजात अंगों के कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं अर्थात् प्रत्येक समजात अंग अलग-अलग प्रकार के कार्य करता है। समवृत्ति अंग एक जैसा कार्य करते हैं।

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प्रश्न 10.
आर्कियोप्टेरिक्स के लक्षणों के आधार पर इस तथ्य की पुष्टि कीजिए कि पक्षी वर्ग का विकास सरीसृप वर्ग से हुआ।
उत्तर:
इस पुरातन पक्षी को सरीसृपों एवं पक्षियों के बीच की संयोजी कड़ी माना गया है। यह जुरैसिक कल्प में पाया जाने वाला कौवे के आकार का पक्षी था। इसमें सरीस्प एवं पक्षी वर्ग दोनों के मिश्रित लक्षण थे। इसका सिर छोटा परन्तु मजबूत था। इसके जबड़े में दाँत पाये जाते थे। अपेक्षाकृत कमजोर एवं लम्बी पूँछ पर जोड़ों में पंख व्यवस्थित थे। शरीर पर शल्क पाये जाते थे। पसलियों पर अन्सिनेट प्रवर्ध अनुपस्थित थे। V के आकार की अर्कुला पायी जाती थी। इसके लक्षणों के अध्ययन से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि पक्षियों का विकास परीसृप से हुआ।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 9

प्रश्न 11.
प्रत्येक के लिए एक-एक उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए कि निम्नलिखित किस प्रकार जीवों के विकास के पक्ष में प्रमाण प्रस्तुत करते हैं?

  1. समजात अंग।
  2. समरूप अंग।
  3. जीवाश्य।

उत्तर:
1. समजात अंग:
सील एवं ह्वेल के अगपाद पक्षों में (तैरने के लिए), चमगादड़ों के पंखों में (उड़ने के लिए), घोड़ों के खुरों वाली टाँगों में (दौड़ने के लिए), मानव के हाथों में (पकड़ने के लिए) अनुकूलित होते हैं। इन सभी समजात अंगों में समान अस्थियों का बना कंकाल समान पेशियाँ आदि पायी जाती हैं। इनकी समजातता प्रमाणित करती है कि इनकी उत्पत्ति सहपूर्वजों से हुई है जो कालान्तर में वातावरण एवं आवश्यकतानुसार विभिन्न रूपों में परिवर्तित हो गए।

2. समरूप अंग (समवृत्ति अंग):
शकरकंद एवं आलूकंद दोनों ही भूमि के अन्दर पायी जाने वाले माँसल कंद होते हैं तथा दोनों ही भोजन का संचय एवं जनन का कार्य करते हैं अत: दोनों ही समरूप (समवृत्ति) अंग हैं क्योंकि दोनों के कार्य समान हैं, रूप समान हैं लेकिन शकरकंद अपस्थानिक जड़ का रूपान्तरण है तथा आलू भुमिगत तने का रूपान्तरण है। अतः इनकी उत्पत्ति सहपूर्वजों से नहीं हुई है।

3. जीवाश्म:
जैव विकास में जीवाश्म का महत्व-जैव विकास में जीवाश्म का प्रमाण बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न जीवाश्मों को एकत्रित करके उनकी आयु का निर्धारण कर लिया जाता है। फिर उन्हें आयु के क्रम में व्यवस्थित करके अध्ययन करने से विकास की प्रक्रिया ज्ञात की जा सकती है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए –

  1. जातिउद्भत।
  2. प्राकृतिक वरण (चयन)।

उत्तर:
1. जातिउद्भवन:
“जब कोई एक जाति (स्पीशीज) के जीव दो वर्गों में बँट जाएँ और उनके DNA में एवं गुणसूत्रों की संख्या में इस प्रकार परिवर्तन हो जाय कि वे परस्पर जनन करने में असमर्थ हों तो नयी जाति (स्पीशीज) का उद्भव होता है। यह घटना जातिउद्भवन कहलाती है।”

2. प्राकृतिक वरण (चयन):
प्राकृतिक चयन (वरण):
“प्रकृति जीवन संघर्ष के द्वारा योग्यतम का चयन करती रहती है, जिसे प्राकृतिक चयन (वरण) कहते हैं।”

प्रश्न 13.
मेण्डल के प्रयोगों द्वारा किस प्रकार दर्शाया कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं?
उत्तर:
मेण्डल के अपने प्रयोगों द्वारा दर्शाया कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम भी प्रतिपादित किया।
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 8

प्रश्न 14.
“अध्ययन के दो क्षेत्र-‘विकास’ और ‘वर्गीकरण’ परस्पर जुड़े हुए हैं।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
“जैव विकास तथा जीवों का वर्गीकरण परस्पर सम्बन्धित है।” इस कथन की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
जैव विकास एवं जैव वर्गीकरण में सम्बन्ध-स्वीडन वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस ने वर्गीकरण की द्विनाम पद्धति को प्रस्तुत किया। इसके अनुसार इसमें द्वितीय नाम जाति तथा पहला नाम उस श्रेणी का है जिसमें इस जाति से मिलती-जुलती सभी जातियों को सम्मिलित किया गया है।

जाति पौधों एवं जन्तुओं का ऐसा समूह है जिसके सभी सदस्य परस्पर संकरण द्वारा जननक्षम संतति उत्पन्न करते हैं तथा उनमें संरचनात्मक कार्यिकीय तथा भ्रूणीय समानताएँ पायी जाती हैं। समान जातियों को श्रेण” में समान श्रेणियाँ को कुल में, समान कुलों को गण में, समान गणों को वर्गों में, वर्गों को संघों में तथा संघों का जगत में रखा गया है। दरसे इस कथन की पुष्टि होती है कि जैव विकास तथा जीवों का वर्गीकरण परस्पर सम्बन्धित है।

प्रश्न 15.
मेण्डल ने यह किस प्रकार स्पष्ट किया कि “यह सम्भव है कि कोई लक्षण वंशानुगत हो जाय परन्तु किसी जीव में व्यक्त न हो पाए।”
उत्तर:
मेण्डल ने जब मटर के दो भिन्न लक्षणों वाले पौधों में संकरण कराया तो प्रथम पीढ़ी (संतति) में दोनों के लक्षण वंशागत होते हैं। लेकिन केवल एक लक्षण ही व्यक्त होता है तथा दूसरा लक्षण व्यक्त नहीं होता अर्थात् छिपा रहता है जो अगली पीढ़ी में पुनः व्यक्त होता है। अर्थात् प्रभावी लक्षण प्रकट होता है तथा अप्रभावी लक्षण छिपा रहता है। इससे स्पष्ट होता है कि कोई लक्षण वंशानुगत तो होता है लेकिन व्यक्त नहीं होता।

उदाहरणार्थ:
मटर के लाल पुष्प एवं सफेद पुष्पों वाले पौधों में संकरण कराने पर पहली पीढ़ी में सभी पौधे लाल पुष्प वाले होते हैं जबकि अगली पीढ़ी में लाल एवं सफेद दोनों प्रकार के पुष्पों के पौधे उत्पन्न होते हैं। अर्थात् सफेद रंग वंशानुगत तो हुआ लेकिन पहली पीढ़ी में प्रकट नहीं हुआ।

प्रश्न 16.
जीवाश्म की तीन महत्वपूर्ण विशेषताएँ लिखिए जो हमको विकास के अध्ययन में सहायक हों।
उत्तर:
जीवाश्म की महत्वपूर्ण विशेषताएँ जो विकास के अध्ययन में सहायक होंगी –

  1. जीवाश्म पूर्वज स्पीशीज के संरक्षण के मोड़ को व्यक्त करते हैं अर्थात् उससे जीवाश्मीकरण की प्रक्रिया का पता चलता है।
  2. जीवाश्म जीवों और उनके पूर्वजों के बीच क्रमिक विकसित लक्षणों में सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होते हैं।
  3. जीवाश्म आयु निर्धारण में सहायक होते हैं। कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया द्वारा जीवाश्मों के जीवनकाल की गणना की जा सकती है। इससे उन्हें काल
  4. खण्ड के क्रम में व्यवस्थित करके उनके क्रमिक विकास का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
क्या किसी स्पीशीज के जीवों का भौगोलिक पृथक्करण नयी स्पीशीज को जन्म देगा? एक उचित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, भौगोलिक पृथक्करण धीरे-धीरे समष्टि को विलुप्त होने के कगार पर ले जाता है। यह घटना पृथक्कृत जीवों में लैंगिक जनन के लिए कुछ सीमाएँ बाँध सकते हैं। धीरे-धीरे पृथक्कृत जीव परस्पर जनन करने लगते हैं और नयी विभिन्नताएँ उत्पन्न कर सकते हैं। लगातार उन विभिन्नताओं का संचयन नयी पीढ़ियों द्वारा करते-करते अन्त में नयी स्पीशीज के जनन की ओर बढ़ती है। इस प्रकार नयी स्पीशीज का जन्म होगा।

प्रश्न 18.
सभी मानव प्रजातियाँ जैसे अफ्रीकन, एशियन, यूरोपियन, अमेरिकन एवं अन्य का विकास सह-पूर्वजों से विकसित हुई हो ऐसा हो सकता है। इस विचार की पुष्टि के लिए प्रमाण दीजिए।
उत्तर:
सभी मानव प्रजातियाँ जैसे अफ्रीकन, एशियन, यूरोपियन, अमेरिकन एवं अन्य सभी का विकास एक सह-पूर्वजों से ही हुआ है। इसके प्रमाणस्वरूप निम्न तथ्य महत्वपूर्ण हैं –

  1. समान शारीरिक संरचना।
  2. समान जैव प्रक्रम एवं चयापचय क्रियाएँ।
  3. सभी में समान गुणसूत्रों की संख्या।
  4. समान आनुवंशिक ब्लूप्रिंट इत्यादि।

प्रश्न 19.
निम्न संकरणों में संतति के लक्षण लिखिए –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 10
उत्तर:
(a) (गोल, पीले)
(b)

  1. (गोल, पीले)
  2. (गोल, हरे)
  3. (झुरींदार, पीले)
  4. (झुरींदार, हरे)

(c) (झुरींदार, हरे)
(d) (गोल, पीले)

MP Board Class 10th Science Chapter 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीन संकल्पना की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
जीन संकल्पना की विशेषताएँ:

  1. जीन गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं।
  2. जीन एक भौतिक इकाई है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी जनक (माता-पिता) से सन्तान में वंशागत होते हैं।
  3. जीन गुणसूत्रों पर माला के दाने की तरह विन्यासित होते हैं।
  4. प्रत्येक जीन एक विशिष्ट गुणसूत्र में विशिष्ट स्थान पर स्थित होता है।
  5. कोई भी जीन एक से अधिक अवस्थाओं में मिल सकता है।
  6. जीन जीवों के भौतिक एवं शरीर के क्रियात्मक लक्षणों को निर्धारित करते हैं अर्थात् जीन एक भौतिक क्रियात्मक इकाई है।
  7. जीन पुनरावृत्ति करते हैं।
  8. प्रत्येक जीन एक विशेष प्रोटीन का संश्लेषण करता है।
  9. जीन जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं जो कार्बोहाइड्रेट्स एवं न्यूक्लिक अम्लों के रूप में संयुक्त होते हैं।

प्रश्न 2.
मेण्डल के प्रयोग ने यह कैसे दर्शाया कि –

  1. लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
  2. विभिन्न लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं?

उत्तर:
1. लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं।
मेण्डल ने अपने प्रयोगों द्वारा दर्शाया कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशागत होते हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने प्रभाविता का नियम भी प्रतिपादित किया।
मेण्डल के प्रभाविता के नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब विपरीत लक्षणों के एक जोड़े को ध्यान में रखकर क्रॉस कराया जाता है, तो पहली पीढ़ी में केवल प्रभावी गुण (लक्षण) दिखाई देते हैं।” गुणों की यह प्रवृत्ति प्रभाविता तथा यह नियम प्रभाविता का नियम कहलाता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 9

2. विभिन्न लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं।
मेण्डल के अपने प्रयोगों द्वारा दर्शाया कि लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशानुगत होते हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम भी प्रतिपादित किया।
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम:
इस नियम के अनुसार – “जब युग्मकों के निर्माण के समय दो ऐलीलीय जोड़े पृथक्-पृथक् हो जाते हैं और एक युग्मक में एक ही जोड़ा जाता है।” जीन की यह प्रवृत्ति पृथक्करण तथा यह नियम पृथक्करण का नियम कहलाता है।
रेखाचित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 8

प्रश्न 3.
विकास की परिभाषा लिखिए। यह किस प्रकार होता है? वर्णन कीजिए कि जीवाश्म किस प्रकार विकास के समर्थन में प्रमाण प्रस्तुत करते हैं?
उत्तर:
विकास या जैव विकास:
जैव विकास अथवा विकास-“अधिक धीमी गति एवं क्रमबद्ध परिवर्तनों की वह प्रक्रिया जिसके द्वारा आधुनिक जीवों (पौधे एवं प्राणियों) की विभिन्न जातियाँ आदिकाल में उपस्थित जातियों से विकसित हुई, जैव विकास या विकास कहलाता है।”
अथवा
“आदिकाल में धीमी गति से होने वाला वह क्रमिक परिवर्तन जिसके कारण आदि-सूक्ष्म सरल जीवों से वर्तमान समय के विकसित एवं जटिल जीवों का निर्माण हुआ, विकास या जैव विकास कहलाता है।”

विकास की प्रक्रिया:
वर्तमान जटिल जीवों का विकास पूर्व के सरल जीवों के क्रमिक परिवर्तन, विभिन्नताओं एवं अनुकूलन के द्वारा हजारों-लाखों वर्षों में धीरे-धीरे हुआ। पर्यावरण एवं जीव की आवश्यकताओं के अनुसार धीरे-धीरे जीव का विकास हुआ।

विकास के समर्थन में जीवाश्मों के प्रमाण:
जैव विकास में जीवाश्म का प्रमाण बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न जीवाश्मों को एकत्रित करके उनकी आयु का निर्धारण कर लिया जाता है। फिर उन्हें आयु के क्रम में व्यवस्थित करके अध्ययन करने से विकास की प्रक्रिया ज्ञात की जा सकती है।

प्रश्न 4.
प्रत्येक का एक-एक उदाहरण देकर उपार्जित लक्षणों और आनुवंशिक लक्षणों के बीच विभेदन कीजिए। किसी व्यष्टि द्वारा अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में उपार्जित लक्षण/अनुभव अगली पीढ़ी में वंशानुगत क्यों नहीं होते? इस तथ्य का कारण उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपार्जित लक्षण एवं वंशानुगत (आनुवंशिक) लक्षणों के बीच उदाहरण सहित विभेदन:
“जो लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को अर्थात् जनकों से सन्तान को स्थानान्तरित होते हैं, वंशागत लक्षण कहलाते हैं।”
उदाहरण: आँख का रंग, बीज़ों का रंग।

उपार्जित लक्षण: “जो लक्षण जीवन-पर्यन्त अर्जित किए जाते हैं तथा जनक से सन्तान को स्थानान्तरित नहीं होते, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं।”
उदाहरण: मोटापा, किसी दुर्घटना में कटी हुई अंगुलियाँ।

किसी व्यष्टि द्वारा अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में उपार्जित लक्षण/अनुभव अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। उपार्जित गुणों (लक्षणों) की वंशागति नहीं होती क्योंकि ये लक्षण जनन कोशिकाओं के DNA में कोई परिवर्तन नहीं करते, केवल वे ही लक्षण वंशागत होते हैं जिनका कोई जीन होता है।

प्रश्न 5.
आनुवंशिकता की तकनीक की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
आनुवंशिकता (वंशानुगत) की प्रमुख विशेषताएँ:

  1. लक्षणों का नियन्त्रण जीन्स के द्वारा होता है।
  2. प्रत्येक जीन एक-एक लक्षण को नियन्त्रित करता है।
  3. जीन दो या अधिक प्रकार रूपों के हो सकते हैं।
  4. एक प्रकार (रूप) दूसरे पर प्रभावी हो सकता है।
  5. जीन गुणसूत्रों (क्रोमोसोम्स) पर उपस्थित होते हैं।
  6. एक जीव के दो प्रकार के जीन्स हो सकते हैं समान या असमान।
  7. युग्मक बनते समय वे दोनों जीन्स के रूप अलग-अलग हो जाते हैं।
  8. वे दोनों रूप युग्मनज बनने के समय साथ-साथ आ जाते हैं।

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MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

MP Board Class 10th Science Chapter 8 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 142

प्रश्न 1.
डी. एन. ए. प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्व है?
उत्तर:
जनन की मूल घटना डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनना है। जनन में एक कोशिका द्वारा डी.एन.ए. की प्रतिकृति का निर्माण तथा अतिरिक्त कोशिकीय संगठन का सृजन होता है।

प्रश्न 2.
जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परन्तु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
उत्तर:
अन्य जैव प्रक्रमों के विपरीत किसी जीव (व्यष्टि) के अपने अस्तित्व या अनुरक्षण के लिये जनन या डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना आवश्यक नहीं परन्तु विभिन्न स्पीशीज (प्रजाति) की समष्टि के स्थायित्व के लिए लाभदायक है क्योंकि विभिन्नता के होते हुए भौतिक वातावरण में परिवर्तन होने पर उस प्रजाति के कुछ व्यष्टि नवीन परिस्थितियों के अनुकूल जीवित रह सकते हैं तथा जनन द्वारा वृद्धि कर सकते हैं।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 146

प्रश्न 1.
द्विखण्डन, बहुखण्डन से किस प्रकार भिन्न है? (2019)
उत्तर:
द्विखण्डन में एक कोशा प्रायः दो समान भागों में विभक्त होकर दो जीवों को एक साथ जन्म देती है जबकि बहुविखण्डन में एक कोशा अनेक संतति कोशिकाओं में एक साथ विखण्डित होकर अनेक जीवों को एक साथ जन्म देती है।

प्रश्न 2.
बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर:
बीजाणुजनन की प्रक्रिया में एक बार में बहुत संख्या में बीजाणुओं का निर्माण होता है तथा ये बीजाणु वायु के द्वारा आसानी से दूर-दूर तक चले जाते हैं। इस प्रकार स्पर्धा से बचते हैं। इसके अतिरिक्त बीजाणुओं के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है तथा अनुकूल परिस्थिति में नम सतह के सम्पर्क में आने पर बीजाणु वृद्धि करने लगते हैं। इस प्रकार बीजाणु द्वारा जनन से जीव अधिक सुरक्षित रहते हैं। इस कारण ये इस विधि से लाभान्वित होते हैं।

प्रश्न 3.
क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं, जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते?
उत्तर:
जटिल संरचना वाले जीवों में विभिन्न क्रियाकलापों के लिए विभिन्न ऊतक, अंग या अंगतन्त्र होते हैं। जब इन जटिल संरचना वाले जीवों के किसी अंग के किसी भाग को काट दिया जाता है तो विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं एवं ऊतकों का निर्माण नहीं होता तथा इनमें पुनरुद्भवन की प्रक्रिया नहीं होती। इसलिए जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते।

प्रश्न 4.
कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कुछ पौधों में ऐसी क्षमता होती है कि उनके कुछ भाग; जैसे-जड़, तना तथा पत्तियाँ उपयुक्त परिस्थितियों में विकसित होकर नया पौधा बना लेती हैं। इस प्रक्रिया में नये पौधे शीघ्र तथा आसानी से उत्पन्न हो जाते हैं तथा ऐसे पौधे भी इस विधि से उगाये जा सकते हैं जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके होते हैं। इसके अतिरिक्त इस प्रकार से उत्पन्न पौधे आनुवांशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं। इसलिए कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 5.
डी. एन. ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर:
डी.एन.ए. के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी तक स्थानान्तरित होता है, अतः जनन की मूल घटना डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना है। इसलिए जनन के लिए डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना आवश्यक है।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 154

प्रश्न 1.
परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
परागण, परागकणों का पुंकेसर के परागकोश से किसी भी विधि द्वारा स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया है। जबकि निषेचन परागकणों में उपस्थित नर युग्मक का अण्डाशय में स्थित मादा युग्मक से मिलना है।

प्रश्न 2.
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
उत्तर:
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रन्थि से होने वाला स्राव शुक्राशय में जाकर शुक्राणुओं को एक तरल माध्यम प्रदान करता है। इससे इनका स्थानान्तरण सरलता से होता है तथा यह स्राव शुक्राणुओं को पोषण भी प्रदान करता है।

प्रश्न 3.
यौवनारम्भ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर:
काँख और जाँघों के मध्य जननांगी क्षेत्र में बालगुच्छ निकल आते हैं। स्तनों के आकार में वृद्धि होने लगती है। रजोधर्म प्रारम्भ हो जाता है। इस प्रकार यौवनावस्था के समय लड़कियों में उपर्युक्त परिवर्तन दिखाई देते हैं।

प्रश्न 4.
माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
उत्तर:
माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण माँ के रुधिर से होता है। इसके लिए विशेष संरचना होती है जिसे प्लेसेण्टा कहते हैं। यह माँ से भ्रूण को ग्लूकोज, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों की आपूर्ति माँ के रक्त से करता है।

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प्रश्न 5.
यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचरित रोगों से रक्षा करेगा?
उत्तर:
नहीं।

MP Board Class 10th Science Chapter 8 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है –
(a) अमीबा में।
(b) यीस्ट में।
(c) प्लाज्मोडियम में।
(d) लेस्मानिया में।
उत्तर:
(b) यीस्ट में।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानव में मादा जनन जन्त्र का भाग नहीं है?
(a) अण्डाशय।
(b) गर्भाशय।
(c) शुक्रवाहिनी।
(d) डिम्बवाहिनी।
उत्तर:
(c) शुक्रवाहिनी।

प्रश्न 3.
परागकोश में होते हैं –
(a) बाह्यदल।
(b) अण्डाशय।
(c) अण्डप।
(d) परागकण।
उत्तर:
(d) परागकण।

प्रश्न 4.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
लैंगिक जनन के लाभ (महत्व) – अलैंगिक जनन की अपेक्षा:

  1. लैंगिक जनन में सन्तति में नए गुणों के विकास की सम्भावना होती है जो अलैंगिक जनन में नहीं।
  2. नवीन संतति में विभिन्नता का विकास होता है जो अलैंगिक जनन में नहीं। लैंगिक जनन के फलस्वरूप उत्पन्न विभिन्नताएँ उस स्पीशीज के अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक होती हैं जो अलैंगिक जनन में सम्भव नहीं। अतः अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के अनेक लाभ हैं।

प्रश्न 5.
मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
मानव में वृषण के कार्य:
मानव वृषण में नर जनन कोशा शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके अतिरिक्त टेस्टोस्टेरॉन नामक हॉर्मोन का स्राव होता है जो शुक्राणु उत्पादन के नियन्त्रण के अतिरिक्त लड़कों में यौवनावस्था के लक्षणों का भी नियन्त्रण करता है।

प्रश्न 6.
ऋतु स्राव क्यों होता है?
उत्तर:
जब अण्ड निषेचन नहीं होता तो गर्भाशय की भित्ति में बनने वाली परत का कोई उपयोग नहीं रहता। अत: यह परत धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इसलिए ऋतु स्राव होता है।

प्रश्न 7.
पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का नामांकित चित्र बनाइए। (2019)
उत्तर:
पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 1

प्रश्न 8.
गर्भ निरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
गर्भ निरोधन की विभिन्न विधियाँ:

  1. यान्त्रिक विधियाँ: पुरुषों द्वारा कण्डोम का उपयोग तथा स्त्रियों में लूप या कॉपर टी को गर्भाशय में स्थापित करना।
  2. शल्य क्रिया विधियाँ: पुरुषों में शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध करना तथा स्त्रियों में अण्डवाहिनी को अवरुद्ध करना।
  3. शल्य क्रिया द्वारा अनचाहे गर्भ का समापन लेकिन इस विधि का दुरुपयोग हो रहा है जो गैर-कानूनी है।
  4. हॉर्मोन संतुलन द्वारा: इसके लिए गोलियों का सेवन किया जाता है।
  5. प्राकृतिक विधि: आत्म संयम द्वारा ऋतु स्राव अवधि के 10वें दिन से 17वें दिन तक यौन सम्बन्ध से दूर रहना।

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प्रश्न 9.
एककोशिक एवं बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अन्तर है?
उत्तर:
एककोशिक जीवों में प्रजनन केवल अलैंगिक विधि से होता है जबकि बहुकोशिक जीवों में अलैंगिक तथा लैंगिक दोनों प्रकार से जनन हो सकता है।

प्रश्न 10.
जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
जनन के कारण जीवन की निरंतरता बनी रहती है। जनन में जीव लगभग अपने जैसे जीवों को जन्म देता है। इस कारण उस स्पीशीज की जनसंख्या बढ़ती जाती है। अनुकूल विभिन्नताओं का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संवहन जनन द्वारा ही सम्भव है। जनन का विकास में भी योगदान है। जनन किसी स्पीशीज की समष्टि का संरक्षण कर उसके स्थायित्व में सहायक है।

प्रश्न 11.
गर्भ निरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
यौन (लैंगिक) क्रिया द्वारा गर्भ धारण की सम्भावना सदैव ही बनी रहती है। गर्भ धारण की अवस्था में स्त्री के शरीर एवं भावनाओं की मांग एवं आपूर्ति बढ़ जाती है एवं यदि वह इसके लिए तैयार नहीं है, तो इसका उसके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त स्त्री की शारीरिक अस्वस्थता एवं असमर्थता भी उसे गर्भ धारण न करने के लिए बाध्य करती है। इस कारण गर्भ निरोधक युक्तियाँ अपनानी पड़ती हैं।

MP Board Class 10th Science Chapter 8 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
एक विद्यार्थी से राजमा के बीज के भ्रूण का प्रेक्षण करके उसके विभिन्न भागों की पहचान करने को कहा गया। उसने भ्रूण के भागों को पहचान कर नीचे दी गयी सूची बनाई –
(i) अन्तःकवच।
(ii) बीजचोल।
(iii) बीजपत्र।
(iv) मूलांकुर।
(v) प्रांकुर।
इनमें से सही पहचाने गए भाग हैं –
(a) (i), (ii) एवं (iii)
(b) (ii), (iii) एवं (iv)
(c) (iii), (iv) एवं (v)
(d) (i), (iii) (iv) एवं (v)
उत्तर:
(c) (iii), (iv) एवं (v)

प्रश्न 2.
प्रयोगशाला में मटर के बीज के भ्रूण का प्रेक्षण करते समय किसी छात्र ने नीचे दिए गए अनुसार भ्रूण के विभिन्न भागों की अपनी नोट बुक में सूची बनाईबीजावरण, अन्तःकवच, मूलांकुर, प्रांकुर, बीजाण्ड द्वार, बीजपत्र। उपर्युक्त सूची में से सही तीन भाग हैं –
(a) बीजावरण, मूलांकुर, बीजपत्र।
(b) अन्त:कवच, मूलांकुर, बीजाण्डद्वार।
(c) बीजपत्र, प्रांकुर, बीजावरण।
(d) मूलांकुर, बीजपत्र, प्रांकुर।
उत्तर:
(d) मूलांकुर, बीजपत्र, प्रांकुर।

प्रश्न 3.
द्विबीजपत्री बीज के भ्रूण के विभिन्न भागों को पहचानने का प्रयोग करने के लिए सर्वप्रथम आपको कोई द्विबीजपत्री बीज चाहिए। निम्नलिखित समूह में से द्विबीजपत्री बीज चुनिएगेहूँ, चना, मक्का, मटर, जौ, मूंगफली।
(a) गेहूँ, चना और मटर।
(b) चना, मटर और मूंगफली।
(c) मक्का, मटर और जौ।
(d) चना, मक्का और मूंगफली।
उत्तर:
(b) चना, मटर और मूंगफली।

प्रश्न 4.
निम्न जीवों की सूची में से अलैंगिक जनन करने वाले जीव हैं –
(i) बनाना।
(ii) कुत्ता।
(iii) यीस्ट।
(iv) अमीबा।
(a) (ii) एवं (iv)
(b) (i), (iii) एवं (iv)
(c) (i) एवं (iv)
(d) (ii), (iii) एवं (iv)
उत्तर:
(d) (ii), (iii) एवं (iv)

प्रश्न 5.
एक पुष्प में नर युग्मक एवं मादा युग्मक बनाने वाले भाग हैं –
(a) पुंकेसर एवं परागकोश।
(b) पुतन्तु एवं वर्तिकाग्र।
(c) परागकोश एवं अण्डाशय।
(d) पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर।
उत्तर:
(c) परागकोश एवं अण्डाशय।

प्रश्न 6.
पुष्यों में लैंगिक जनन की प्रक्रिया में घटनाओं का सही क्रम क्या है?
(a) परागण, निषेचन, अंकुरण, भ्रूण।
(b) अंकुरण, भ्रूण, निषेचन, परागण।
(c) परागण, निषेचन, भ्रूण, अंकुरण।
(d) भ्रूण, अंकुरण, परागण, निषेचन।
उत्तर:
(c) परागण, निषेचन, भ्रूण, अंकुरण।

प्रश्न 7.
अलैंगिक जनन से उत्पन्न नवजातों में परस्पर अधिक समानताएँ होती हैं, क्योंकि –
(i) अलैंगिक जनन में केवल एक जनक होता है।
(ii) अलैंगिक जनन में युग्मकों की कोई भूमिका नहीं है।
(iii) अलैंगिक जनन लैंगिक जनन से पहले होता है।
(iv) अलैंगिक जनन लैंगिक जनन की बाद में होता है।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (i) एवं (iii)
(c) (i) एवं (iv)
(d) (iii) एवं (iv)
उत्तर:
(a) (i) एवं (ii)

प्रश्न 8.
जो गुण जनकों से शिशुओं (नवजातों) में स्थानान्तरित होते हैं, वे होते हैं –
(a) साइटोप्लाज्म में।
(b) राइबोसोम्स में।
(c) गॉल्जी बॉडी में।
(d) जीन्स में।
उत्तर:
(d) जीन्स में।

प्रश्न 9.
जो गुण जनन के समय जनकों से नवजातों में स्थानान्तरित होते हैं, वे प्रदर्शित करते हैं –
(a) जनकों से केवल समानताएँ।
(b) जनकों से केवल असमानताएँ।
(c) जनकों से समानताएँ एवं असमानताएँ दोनों
(d) जनकों से न तो समानताएँ और नही असमानताएँ।
उत्तर:
(c) जनकों से समानताएँ एवं असमानताएँ दोनों

प्रश्न 10.
अमीबा, स्पाइरोगायरा एवं यीस्ट के जनन में एकसमान बात तो यह है कि –
(a) वे सभी अलैंगिक प्रजनन करते हैं।
(b) वे सभी एककोशिकीय हैं।
(c) वे सभी केवल लैंगिक जनन करते हैं।
(d) वे सभी बहुकोशिकीय हैं।
उत्तर:
(a) वे सभी अलैंगिक प्रजनन करते हैं।

प्रश्न 11.
स्पाइरोगायरा में अलैंगिक जनन निम्न के द्वारा होता है –
(a) फिलामेण्ट का छोटे-छोटे टुकड़ों में विखण्डन होना।
(b) एक कोशा का दो कोशिकाओं में विभाजन होना।
(c) एक कोशा का अनेक कोशिकाओं में विभाजन होना।
(d) पुरानी कोशिकाओं से युवा कोशिकाओं का बनना।
उत्तर:
(a) फिलामेण्ट का छोटे-छोटे टुकड़ों में विखण्डन होना।

प्रश्न 12.
प्लाज्मोडियम में जनन के समय एक कोशिका का अनेक कोशिकाओं में विखण्डित होना कहलाता है –
(a) मुकुलन (कलिकायन)।
(b) निम्नीकरण विभाजन।
(c) द्विविखण्डन।
(d) बहुविखण्डन।
उत्तर:
(d) बहुविखण्डन।

प्रश्न 13.
पुष्पी पादप में जनन स्तरों का सही क्रम है –
(a) युग्मक, युग्मनज, भ्रूण, अंकुरण।
(b) युग्मनज, युग्मक, भ्रूण, अंकुरण।
(c) अंकुरण, भ्रूण, युग्मनज, युग्मक।
(d) युग्मक, भ्रूण, युग्मनज, अंकुरण।
उत्तर:
(a) युग्मक, युग्मनज, भ्रूण, अंकुरण।

प्रश्न 14.
क्रोमोसोम्स (गुणसूत्रों) की संख्या जनकों एवं नवजातों में समान रहती है निम्न के कारण –
(a) युग्मनज बनने के बाद गुणसूत्रों की संख्या द्विगुणित हो जाती है।
(b) युग्मक बनते समय गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।
(c) युग्मक बनने के बाद गुणसूत्रों की संख्या द्विगुणित हो जाती है।
(d) युग्मक बनने के बाद गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।
उत्तर:
(b) युग्मक बनते समय गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।

प्रश्न 15.
राइजोपस में नालिकीय धागे की तरह संरचना जिसके सिरों पर स्पोरेन्जिया होते हैं, कहलाती है –
(a) तन्तु।
(b) हाइफा।
(c) राइजोइड।
(d) जड़ें।
उत्तर:
(b) हाइफा।

प्रश्न 16.
नवीन पौधे तैयार करने के लिए वर्षी प्रजनन की प्रक्रिया निम्नलिखित भागों से होती है –
(a) तना, जड़ एवं फूल।
(b) तना, जड़ एवं पत्तियाँ।
(c) तना, पुष्प एवं फल।
(d) तना, पत्तियाँ एवं पुष्प।
उत्तर:
(b) तना, जड़ एवं पत्तियाँ।

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प्रश्न 17.
ब्रेड-स्लाइसों में ब्रेड-मोल्ड को तेजी से फैलाने वाले उत्तरदायी कारक हैं –
(i) स्पोर की बड़ी संख्या।
(ii) ब्रेड में नमी (आर्द्रता) एवं पोषकों की उपलब्धता।
(iii) नलिकामय शाखान्वित हाइफा की उपस्थिति।
(iv) गोलाकार स्पोरेंजिया का बनना।
(a) (i) एवं (iii)
(b) (ii) एवं (iv)
(c) (i) एवं (ii)
(d) (iii) एवं (iv)
उत्तर:
(c) (i) एवं (ii)

प्रश्न 18.
पराग नलिका की लम्बाई निम्न के बीच दूरी पर निर्भर करती है –
(a) परागकण एवं वर्तिकाग्र का ऊपरी तल।
(b) वर्तिकाग्र के ऊपरी सिरे तल पर स्थित परागकण एवं बीजाण्ड।
(c) परागकोश में परागकण एवं वर्तिकाग्र का ऊपरी तल।
उत्तर:
(b) वर्तिकाग्र के ऊपरी सिरे तल पर स्थित परागकण एवं बीजाण्ड।

प्रश्न 19.
पुष्यों के लिए निम्न में कौन-से कथन सत्य हैं?
(i) पुष्प सदैव द्विलिंगी होते हैं।
(ii) पुष्प लैंगिक जननांग है।
(iii) पुष्प पादपों के सभी समूहों में उत्पन्न होते हैं।
(iv) निषेचन के बाद पुष्प फलों में विकसित हो जाते हैं।
(a) (i) एवं (iv)
(b) (ii) एवं (iii)
(c) (i) एवं (iii)
(d) (ii) एवं (iv)
उत्तर:
(d) (ii) एवं (iv)

प्रश्न 20.
एकलिंगी पुष्यों के लिए निम्न में कौन-से कथन सत्य हैं?
(i) उनमें पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर दोनों होते हैं।
(ii) उनमें या तो पुंकेसर होते हैं अथवा स्त्रीकेसर।
(iii) उनमें पर-परागण होता है।
(iv) वे एकलिंगी पुष्प जिनमें केवल पुंकेसर होता है, फल नहीं बना सकते।
(a) (i) एवं (iv)
(b) (ii), (iii) एवं (iv)
(c) (iii) एवं (iv)
(d) (i), (iii) एवं (iv)
उत्तर:
(b) (ii), (iii) एवं (iv)

प्रश्न 21.
पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन के सन्दर्भ में कौन-से कथन निम्न में से सत्य हैं?
(i) इसके लिए दोनों प्रकार के युग्मकों की आवश्यकता है।
(ii) निषेचन एक आवश्यक घटना है।
(iii) इसका परिणाम सदैव युग्मनज बनाना है।
(iv) नवजात क्लोन होते हैं।
(a) (i) एवं (iv)
(b) (i), (ii) एवं (iv)
(c) (i), (ii) एवं (iii)
(d) (i), (ii) एवं (iv)
उत्तर:
(c) (i), (ii) एवं (iii)

प्रश्न 22.
संलग्न चित्र में भाग A, B एवं c हैं क्रमश:
(a) बीजपत्र, प्रांकुर एवं मूलांकुर।
(b) प्रांकुर, मूलांकुर एवं बीजपत्र।
(c) प्रांकुर, बीजपत्र एवं मूलांकुर।
(d) मूलांकुर, बीजपत्र एवं प्रांकुर।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 2
उत्तर:
(c) प्रांकुर, बीजपत्र एवं मूलांकुर।

प्रश्न 23.
लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप उत्पन्न नवजात अधिक असमानताओं का प्रदर्शन करते हैं, क्योंकि –
(a) लैंगिक जनन एक लम्बी प्रक्रिया है।
(b) जनन सामग्री एक ही जाति के दो जनकों से प्राप्त होती है।
(c) जनन सामग्री दो विभिन्न जाति के जनकों से प्राप्त होती है।
(d) जनन सामग्री अनेक जनकों से प्राप्त होती है।
उत्तर:
(b) जनन सामग्री एक ही जाति के दो जनकों से प्राप्त होती है।

प्रश्न 24.
जैव जगत के लिए जनन अति आवश्यक है –
(a) जीव को जीवित रखने के लिए।
(b) उनकी ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति के लिए।
(c) वृद्धि को बनाए रखने के लिए।
(d) पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपनी जाति को बनाए रखने के लिए।
उत्तर:
(d) पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपनी जाति को बनाए रखने के लिए।

प्रश्न 25.
युवावस्था के दौरान मानव शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं। निम्न में एक परिवर्तन जो लैंगिक परिपवक्ता से सम्बन्धित हो, चुनिए –
(a) दूध के दाँतों का टूटना।
(b) लम्बाई में वृद्धि।
(c) आवाज का भारी होना।
(d) भार में वृद्धि।
उत्तर:
(c) आवाज का भारी होना।

प्रश्न 26.
महिलाओं (मादा मानवों) में वह घटना जो उन्हें जनन के लिए परिपक्वता का प्रदर्शन करती है –
(a) शरीर का विकास।
(b) बालों के पेटर्न में बदलाव।
(c) आवाज में परिवर्तन।
(d) ऋतुस्राव (मासिक धर्म)।
उत्तर:
(d) ऋतुस्राव (मासिक धर्म)।

प्रश्न 27.
नर मानवों में वृषण, वृषणकोश में रहते हैं, क्योंकि यह सहायक है –
(a) मैथुन की प्रक्रियाएँ में।
(b) शुक्राणु के निर्माण में।
(c) युग्मकों के आसान स्थानान्तरण में।
(d) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर:
(b) शुक्राणु के निर्माण में।

प्रश्न 28.
निम्नलिखित में से कौन-सा यौवनारम्भ के समय वृषण का कार्य नहीं है?
(i) शुक्राणु कोशाओं का निर्माण करना।
(ii) टेस्टोस्टेरॉन का स्रावण करना।
(iii) प्लेसेण्टा का विकास करना।
(iv) एस्ट्रोजन का स्रावण।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (ii) एवं (iii)
(c) (iii) एवं (iv)
(d) (i) एवं (iv)
उत्तर:
(c) (iii) एवं (iv)

प्रश्न 29.
नर जनन तन्त्र में शुक्राणुओं के संवहन (गमन) में सहायक अंगों का सही क्रम है –
(a) वृषण – शुक्रवाहिनी – शिश्न।
(b) वृषण-मूत्रनली – शिश्न।
(c) वृषण – शिश्न – मूत्रनली।
(d) वृषण – शुक्रवाहिनी – मूत्रनली।
उत्तर:
(a) वृषण – शुक्रवाहिनी – शिश्न।

प्रश्न 30.
निम्न रोगों में से कौन-सा रोग मैथुन के द्वारा फैलने वाला (यौन-जनित) रोग नहीं है?
(a) सिफलिस।
(b) हिपेटाइटिस।
(c) HIV-AIDS।
(d) गोनेरिया।
उत्तर:
(b) हिपेटाइटिस।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. मनुष्य में वृषण …… में पाए जाते हैं।
  2. मनुष्य में ………….. जनन होता है।
  3. अपुष्पी पादपों में ………….. जनन होता है।
  4. मादा और गर्भस्थ शिशु के बीच जैविक सम्बन्ध स्थापित करने वाला ऊतक ………….. कहलाता है।
  5. नर युग्मक एवं मादा युग्मक के संलयन की क्रिया ………… कहलाती है।

उत्तर:

  1. वृषणकोश।
  2. लैंगिक।
  3. अलैंगिक।
  4. प्लेसेण्टा।
  5. निषेचन।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 3
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. निषेचन के तुरन्त बाद युग्मनज बनता है।
  2. बहुविखण्डन की प्रक्रिया अलैंगिक जनन की है।
  3. एकलिंगी पुष्पों में स्वपरागण होता है।
  4. द्विलिंगी पुष्पों में स्वपरागण अथवा पर-परागण कुछ भी हो सकता है।
  5. एककोशीय जीवों में लैंगिक जनन होता है।

उत्तर:

  1. असत्य।
  2. सत्य।
  3. असत्य।
  4. सत्य।
  5. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. परागकोश से परागणकणों का वर्तिकाग्र तक पहुँचने की घटना क्या कहलाती है?
  2. नर युग्मक एवं मादा युग्मकों के संलयन को क्या कहते हैं?
  3. मनुष्य में शुक्राणु जनन क्रिया कहाँ होती है?
  4. मनुष्य में अण्डाणु जनन क्रिया कहाँ होती है?
  5. किसी जीव के उस जैव प्रक्रम का नाम लिखिए जो उसकी समष्टि की वृद्धि में सहायता करता है।
  6. जब कोई कोशिका जनन करती है तो उसके DNA का क्या होता है?
  7. क्या होता है जब कोई परिपक्व स्पाइरोगाइरा तन्तु काफी लम्बा हो जाता है?

उत्तर:

  1. परागण।
  2. निषेचन।
  3. वृषण।
  4. अण्डाशय में।
  5. जनन।
  6. भिन्नता आ जाती है।
  7. विखण्डित होकर नवजातों को जन्म देता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 8 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनन क्या है?
उत्तर:
जनन:
“सजीवों की अपने समान आकृति, रंग-रूप एवं गुणों के नए जीव उत्पन्न करने की क्षमता जनन कहलाती है।”

प्रश्न 2.
अलैंगिक जनन किसे कहते हैं?
उत्तर:
अलैंगिक जनन:
जीवों में जनन की वह प्रक्रिया जिसमें युग्मकों का निर्माण नहीं होता बल्कि जनन जैव के अलैंगिक भागों (अंगों) के द्वारा होता है, अलैंगिक जनन कहलाता है।”

प्रश्न 3.
कायिक प्रवर्धन क्या होता है? (2019)
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन:
“जब मनुष्य कृत्रिम रूप से पौधों के विभिन्न भागों (रचनाओं) से नवीन पौधे पैदा करता है तो इस प्रक्रिया को कायिक प्रवर्धन या कृत्रिम अलैंगिक जनन कहते हैं।”

प्रश्न 4.
मुकुलन क्या है?
उत्तर:
मुकुलन:
कुछ जीवों में उनके शरीर पर कुछ उभार उत्पन्न हो जाते हैं जो परिपक्व होने पर जीव से अलग होकर नए जीव को जन्म देते हैं। जनन की यह प्रक्रिया मुकुलन (कलिकायन) कहलाती है।”

प्रश्न 5.
पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) से क्या समझते हो?
उत्तर:
पुनरुद्भवन (पुनर्जनन):
“शरीर के नवनिर्माण की वह शक्ति जिसके अन्तर्गत शरीर के टूट जाने पर उसकी मरम्मत हो जाती है और प्रत्येक टुकड़ा पूर्ण होकर नया जीव बनाता है, पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) कहलाता है।”

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प्रश्न 6.
द्विखण्डन (द्वि-विखण्डन) क्या है?
उत्तर:
द्विखण्डन:
“एककोशिकीय जीवों में कोशिका विभाजन द्वारा दो बराबर भागों में विभक्त हो जाती है तथा प्रत्येक भाग एक नए जीव को जन्म देता है। इस प्रक्रिया को द्विखण्डन (द्वि-विखण्डन) कहते हैं।”

प्रश्न 7.
बहुखण्डन (बहुविखण्डन) क्या है?
उत्तर:
बहुखण्डन:
“कुछ एककोशिकीय जीवों में एक कोशिका अनेक संतति कोशिकाओं में एक साथ विभाजित हो जाती है तथा अनेक नवजीवों को उत्पन्न करती है। यह प्रक्रियो बहुखण्डन (बहुविखण्डन) कहलाती है।”

प्रश्न 8.
खण्डन क्या है?
उत्तर:
सरल संरचना वाले बहुकोशिकीय जीव विकसित होकर छोटे-छोटे टुकड़ों में खण्डित हो जाते हैं। ये टुकड़े (खण्ड) वृद्धि करके नए जीव में विकसित हो जाते हैं यह प्रक्रिया खण्डन कहलाती है।

प्रश्न 9.
बीजाणु समासंघ क्या होता है?
उत्तर:
बीजाणु समासंघ:
“अनेक सरल बहुकोशिकीय जीवों में विशिष्ट संरचनाएँ पाई जाती हैं जो बीजाणुधानी कहलाती हैं जिनमें बीजाणु पाए जाते हैं जो अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर नए जीव उत्पन्न करते हैं। अलैंगिक जनन की यह प्रक्रिया बीजाणु समासंघ कहलाती है।

प्रश्न 10.
लैंगिक जनन किसे कहते हैं?
उत्तर:
लैंगिक जनन:
“नर जनन कोशा एवं मादा जनन कोशा के संयोग (सम्मिलन) से होने वाले जनन को लैंगिक जनन कहते हैं।”

प्रश्न 11.
परागण किसे कहते हैं? (2019)
उत्तर:
परागण:
“वह प्रक्रिया जिसमें परागकोश से परागकण वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं परागण कहलाती है।” अर्थात् “परागकणों का किसी भी माध्यम से परागकोश से वर्तिकाग्र तक पहुँचने की प्रक्रिया परागण कहलाती है।”

प्रश्न 12.
स्वपरागण क्या होता है?
उत्तर:
स्वपरागण:
“जब किसी एक पुष्प के पुंकेसर परागकोश से परागकण उसी पुष्प की स्त्रीकेसर की वर्तिकान पर पहुँचते हैं तो परागण की यह प्रक्रिया स्वपरागण कहलाती है।”

प्रश्न 13.
पर-परागण क्या है?
उत्तर:
पर-परागण:
“जब एक पुष्प के परागकोश से परागकण दूसरे पुष्प की वर्तिकाग्र तक किसी भी माध्यम की सहायता से पहुँचते हैं तो परागण की यह प्रक्रिया पर-परागण कहलाती है।”

प्रश्न 14.
निषेचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
निषेचन: “नर युग्मक एवं मादा युग्मक का संयोग (सम्मिलन) निषेचन कहलाता है।”

प्रश्न 15.
अंकुरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
अंकुरण:
“बीजों में भावी पौधा भ्रूण होता है जो अनुकूल परिस्थितियों में नवोद्भिद् में विकसित हो जाता है। इस प्रक्रिया को अंकुरण या बीजों का अंकुरण कहते हैं।”

प्रश्न 16.
ऋतुस्राव या रजोधर्म किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऋतुस्राव या रजोधर्म:
“अण्ड के निषेचन न होने की अवस्था में गर्भाशय की दीवारों पर जमी माँसल पर्त धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं।”

प्रश्न 17.
एक द्विलिंगी पुष्य में से पुंकेसरों को काटकर निकाल दिया जाता है। इसके बाद भी वह पुष्प फल उत्पन्न करता है? ऐसी स्थिति की उचित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पुष्प में स्त्रीकेसर है और फल स्त्रीकेसर बनाती है तथा पर-परागण द्वारा उसे नर जनन कोशा परागकण निषेचन के लिए प्राप्त हो जाते हैं, फलस्वरूप वे फल बनाते हैं।

प्रश्न 18.
क्या आप एककोशीय जीवों में कोशिका विभाजन को जनन का प्रकार समझते हैं? एक कारण दीजिए।
उत्तर:
हाँ, एककोशीय जीवों में कोशिका विभाजन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है, क्योंकि उस कोशिका विभाजन से नवजातों का जन्म होता है। इस प्रकार जीवों की संतति बढ़ती है।

प्रश्न 19.
क्लोन क्या होते हैं? अलैंगिक जनन के फलस्वरूप उत्पन्न नवजातों में काफी अधिक सम्मानताएँ क्यों पाई जाती है?
उत्तर:
क्लोन:
“किसी जीव के अलैंगिक जनन से उत्पन्न एकदम समरूप नवजात उस जीव के क्लोन कहलाते हैं।”
चूँकि उनका एकल जनक होता है और उनका DNA उनके जनक के DNA से एकदम मेल खाता है। इसलिए उनमें काफी अधिक समानताएँ पाई जाती हैं।

प्रश्न 20.
लैंगिक जनन से उत्पन्न नवजातों में गुणसूत्रों की संख्या उनके जनकों के गुणसूत्रों की संख्या के समान क्यों होती है?
उत्तर:
युग्मक बनने की प्रक्रिया में अर्द्धसूत्री विभाजन के कारण युग्मकों (नर एवं मादा दोनों) में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है और जब ये युग्मक निषेचन के लिए आपस में संयुक्त होते हैं तो उनके गुणसूत्र मिलकर संख्या पुनः जनकों के गुणसूत्रों के बराबर हो जाती है। यही कारण है कि लैंगिक जनन से उत्पन्न नवजातों में गुणसूत्रों की संख्या अपने जनकों के गुणसूत्रों के समान होती है।

प्रश्न 21.
यीस्ट की कॉलोनी-जल में द्विगुणित होने में असफल हो जाती है, लेकिन शक्कर के विलयन में द्विगुणित होती है। क्यों? इसके लिए एक कारण दीजिए।
उत्तर:
शक्कर के घोल में यीस्ट के प्रजनन के लिए आवश्यक ऊर्जा पर्याप्त मात्रा में मिलती है जिससे वे द्विगुणित होते हैं, लेकिन जल में अपर्याप्त ऊर्जा मिलने के कारण ये द्विगुणित होने में असफल हो जाते हैं।

प्रश्न 22.
ब्रेड-मोल्ड नम ब्रेड स्लाइस पर अधिक तेजी से उगती है, जबकि सूखी ब्रेड स्लाइस पर नहीं, क्यों?
उत्तर:
हाइफा की वृद्धि के लिए नमी (आर्द्रता) अति-आवश्यक है। भीगी या नम (आर्द्र) ब्रेड स्लाइस ब्रेड-मोल्ड के लिए पर्याप्त नमी एवं पोषक उपलब्ध कराती है, जबकि सूखी ब्रेड स्लाइस केवल पोषक ही उपलब्ध कराती है। इसलिए नम ब्रेड स्लाइस पर ब्रेड-मोल्ड अधिक तेजी से उगती है, पर सूखी ब्रेड-स्लाइस पर नहीं।

प्रश्न 23.
लैंगिक जनन से प्राप्त नवजातों में विषमताएँ होने के दो कारण दीजिए।
उत्तर:

  1. लैंगिक जनन में दो जनक भाग लेते हैं जिनके गुण भिन्न होते हैं।
  2. युग्मकों में गुणसूत्रों का संयोग भिन्न-भिन्न होता है।

प्रश्न 24.
अगर प्लेनेरिया को ऊर्ध्वाधरतः दो भागों में काट दिया जाए तो क्या वे कटे भाग दो अलग जीवों में पुनर्जनित हो जाएंगे? निम्नलिखित आकृति में D एवं E को पुनर्जनित भाग को दर्शाते हुए पूरा कीजिए।
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उत्तर:
हाँ! संलग्न चित्र में D एवं E के छायांकित भाग पुनर्जनित भाग हैं।
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प्रश्न 25.
तम्बाकू के पौधे में नर युग्मक में 24 गुणसूत्र हैं। मादा युग्मक में कितने गुणसूत्र होंगे? युग्मनज में गुणसूत्रों की संख्या क्या होगी?
उत्तर:
मादा युग्मक में गुणसूत्रों की संख्या = 24 युग्मनज में गुणसूत्रों की संख्या = 48.

प्रश्न 26.
अगर परागण नहीं घटित होता तो पुष्पों में निषेचन की क्रिया क्यों नहीं होती?
उत्तर:
पुष्पों में निषेचन के लिए दोनों नर युग्मक (परागकण) एवं मादा युग्मक (बीजाण्ड) चाहिए और अगर परागण नहीं होगा तो नर युग्मक (परागकणों) की अनुपस्थित में निषेचन भी नहीं होगा।

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प्रश्न 27.
क्या किसी जीव के युग्मनज, भ्रूणीय कोशा एवं जीव में गुणसूत्रों की संख्या सदैव निश्चित होती है? इन तीनों अवस्थाओं में निश्चित संख्या कैसे बनी रहती है?
उत्तर:
हाँ, क्योंकि तीनों अवस्थाओं में कोशिका विभाजन माइटोटिक कोशिका विभाजन होता है।

प्रश्न 28.
निषेचन के बाद पुष्य में कहाँ युग्मनज स्थित होता है?
उत्तर:
निषेचन के बाद पुष्प में युग्मनज अण्डाशय में उपस्थित बीजाण्ड में स्थित होता है।

प्रश्न 29.
“जनन किसी जीव की जनसंख्या (समष्टि) के स्थायित्व से सम्बन्धित होती है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
जनन की प्रक्रिया में DNA एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्थानान्तरित होते रहते हैं। ये DNA कुछ सूक्ष्म विभिन्नताओं के साथ कॉपी किए जाते हैं इसलिए जनसंख्या का स्थायित्व बना रहता है।

प्रश्न 30.
अण्ड के निषेचन न होने की स्थिति में गर्भाशय में क्या परिवर्तन दिखाई देता है?
उत्तर:
जब अण्ड का निषेचन नहीं होता तो भावी भ्रूण के पोषण हेतु जमा की गई मोटी माँसल एवं स्पंजी परत का गर्भाशय की दीवार से क्षरण होने लगता है और वह रक्त एवं म्यूकस के रूप में योनि मार्ग से, निष्कासित होती है।

प्रश्न 31.
जब गर्भाशय में निषेचित अण्ड (युग्मनज) स्थापित हो जाता है तो गर्भाशय में क्या परिवर्तन दिखाई देता है?
उत्तर:
गर्भाशय में निषेचित अण्ड (युग्मनज) के स्थापित होने पर गर्भाशय की दीवारें मोटी और स्पंजी हो जाती हैं तथा इनमें भ्रूण के पोषण के लिए रक्त प्रवाह बढ़ जाता है। एक विशेष ऊतक जिसे प्लेसेण्टा कहते हैं, द्वारा भ्रूण का सम्बन्ध गर्भाशय की दीवारों से हो जाता है जिसके द्वारा भ्रूण को पोषक पदार्थ एवं ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है।

प्रश्न 32.
मैथुन के समय गर्भ निरोधक यान्त्रिक विधियों के उपयोग के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
मैथुन के समय प्रयुक्त यान्त्रिक विधियाँ स्पर्म (शुक्राणुओं) को अण्ड तक जाने से रोकती हैं इसलिए यह गर्भ निरोध की प्रभावी युक्ति है। इसके साथ ही यह संक्रमण होने से भी बचाव करती है।

प्रश्न 33.
एक अण्ड एवं एक भ्रूण के अन्दर गुणसूत्रों की संख्या में क्या अनुपात होगा? एक शुक्राणु एवं एक अण्ड में आनुवंशिक क्या अन्तर है ?
उत्तर:
गुणसूत्रों का अनुपात 1 : 2 होगा। एक शुक्राणु में X एवं Y दोनों प्रकार के गुणसूत्र होते हैं, जबकि अण्ड में केवल X एवं X प्रकार के गुणसूत्र पाए जाते हैं।

MP Board Class 10th Science Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
छात्रों से यीस्ट में मुकुलन के विभिन्न चरणों को दर्शाने वाली स्थायी स्लाइडों का सूक्ष्मदर्शी की उच्च क्षमता में प्रेक्षण करने के लिए कहा गया –
(a) स्लाइडों को फोकस करने के लिए आपको सूक्ष्म समायोजन अथवा रुक्ष समायोजन में से किसे घुमाने के लिए कहा गया?
(b) यीस्ट में मुकुलन को सही क्रम में दर्शाने के लिए तीन आरेख खींचिए।
उत्तर:
(a) स्लाइडों को फोकस करने के लिए हमको सूक्ष्म समायोजन घुमाने के लिए कहा गया।

(b) यीस्ट में मुकुलन के विभिन्न चरण –
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प्रश्न 2.
कोई छात्र यीस्ट में होने वाले अलैंगिक जनन के विभिन्न चरणों को क्रमवार दर्शाने वाली स्थायी स्लाइड का प्रेक्षण कर रहा है। इस प्रक्रिया का नाम लिखिए। जो कुछ वह प्रेक्षण करता है उसे उचित क्रम में, आरेख खींचकर दर्शाइए।
उत्तर:
प्रेक्षण की इस प्रक्रिया का नाम माइक्रोस्कोपिक अवलोकन (परीक्षण) है तथा यीस्ट की अलैंगिक जनन की प्रक्रिया का नाम मुकुलन है।
प्रेक्षित जनन – क्रम का आलेख:

प्रश्न 3.
अमीबा में द्विखण्डन की प्रक्रिया को (चार चरणों द्वारा) क्रमवार आरेख खींचकर दर्शाइए। (2019)
उत्तर:
अमीबा में द्विखण्डन की प्रक्रिया का आरेख:
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प्रश्न 4.
हाइड्रा में अलैंगिक जनन की मुकुलन प्रक्रिया को तीन चरणों के सही क्रम में दर्शाने वाला आरेख खींचिए।
उत्तर:
हाइड्रा में अलैंगिक जनन की मुकुलन प्रक्रिया का चरण वार आरेख –
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प्रश्न 5.
इण्टरनेट की सहायता से 5 जन्तु एवं 5 पौधों के गुणसूत्रों की संख्याओं के बारे में सूचना एकत्रित कीजिए। इन गुणसूत्रों की संख्या का उन जीवों के आकार से सम्बन्ध स्थापित कीजिए एवं निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

  1. क्या बड़े जीवों में गुणसूत्रों की संख्या अधिक होती है?
  2. क्या कम गुणसूत्रों की संख्या वाले जीव आसानी से जनन करते हैं उन जीवों की अपेक्षा जिनमें गुणसूत्रों की संख्या अधिक है?
  3. जितनी अधिक गुणसूत्रों की संख्या उतनी अधिक DNA मात्रा। पुष्टि कीजिए।

उत्तर:
निर्देश – प्रथम भाग के लिए छात्र स्वयं सूचना एकत्र करें।

  1. नहीं, क्योंकि गुणसूत्रों की संख्या और जीव के आकार में कोई सम्बन्ध नहीं होता।
  2. नहीं, क्योंकि जनन की प्रक्रिया गुणसूत्रों की संख्या पर कदापि निर्भर नहीं करती वह एक सामान्य प्रक्रिया है।
  3. हाँ, क्योंकि गुणसूत्रों का प्रमुख घटक DNA है। इसलिए अधिक गुणसूत्रों की संख्या अधिक DNA की मात्रा।

प्रश्न 6.
सामान्य शारीरिक वृद्धि एवं लैंगिक परिपक्वता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सामान्य शारीरिक वृद्धि में विभिन्न प्रकार की विकास की प्रक्रियाएँ होती हैं। लम्बाई में वृद्धि, भार में वृद्धि तथा शरीर के प्रत्येक भाग में सामान्य रूप से वृद्धि होती है। कोई नवीन संरचना एवं नवीन प्रक्रियाएँ प्रारम्भ नहीं होती। जबकि लैंगिक परिपक्वता में लैंगिक अंगों एवं प्रक्रियाओं का विकास होता है। जैसे नर में दाढ़ी-मूंछों का आना, आवाज का भारी होना तथा मादाओं में स्तन ग्रंथियों का विकास, मासिक रजोधर्म (ऋतु स्राव) का प्रारम्भ होना तथा सभी में गुप्तांगों एवं काँख में बालों का उगना।

प्रश्न 7.
शुक्राणुओं के मोचन के समय शुक्राणुओं का मार्ग बताइए तथा नर जनन तन्त्र से सम्बन्धित ग्रंथि का नाम एवं उसके कार्य बताइए।
उत्तर:
शुक्राणुओं के मोचन के समय शुक्राणु वृषण से बाहर आकर शुक्रवाहिकाओं की सहायता से मूत्र मार्ग तक पहुँचते हैं।
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथियों द्वारा होने वाले स्राव शुक्राणुओं को स्थानान्तरण के लिए एक तरल माध्यम उपलब्ध करवाते हैं जिससे उनका स्थानान्तरण सरलता से बिना घर्षण के होता है। इसके अतिरिक्त यह स्राव शुक्राणुओं को पोषण भी प्रदान करता है।

प्रश्न 8.
संलग्न चित्र में निम्न भागों के नाम लिखिए तथा उनके कार्य लिखिए –
(a) अण्डों का निर्माण।
(b) निषेचन का स्थान।
(c) युग्मनज की स्थापना का स्थान।
(d) शुक्राणुओं का प्रवेश स्थान।
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उत्तर:
(a) अण्डाशय (ओवरी)।
(b) अण्डवाहिका (फैलोपियन ट्यूब)।
(c) गर्भाशय (यूटेरस)।
(d) योनि (वेजाइना)।
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(a) अण्डाशय: वह स्थान जहाँ अण्डों का निर्माण होता है।
(b) अण्डवाहिका: वह स्थान जहाँ अण्डों की निषेचन क्रिया होती है।
(c) गर्भाशय: वह स्थान जहाँ निषेचन अण्डों (युग्मनजों) की स्थापना होती है।
(d) योनि: इस मार्ग से ही शुक्राणु प्रवेश करते हैं।

प्रश्न 9.
किसी समाज के लिए जनन स्वास्थ्य के चार महत्वपूर्ण बिन्दुओं की सूची बनाइए। हमारे देश में पिछले 50 वर्षों में जनन स्वास्थ्य से सम्बन्धित जिन क्षेत्रों में सुधार हुआ है, उनमें से किन्हीं दो के नाम लिखिए।
उत्तर:
जनन स्वास्थ्य के चार महत्वपूर्ण बिन्दु या पहलू निम्नलिखित हैं –

  1. शारीरिक स्वास्थ्य।
  2. भावनात्मक स्वास्थ्य।
  3. व्यवहारात्मक स्वास्थ्य।
  4. सामाजिक स्वास्थ्य।

हमारे देश में पिछले 50 वर्षों में भारत सरकार ने जननात्मक स्वास्थ्य से सम्बन्धित अनेक क्षेत्रों में सुधार किया है जिनमें से प्रमुख हैं –

  1. परिवार नियोजन कार्यक्रम।
  2. जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य, टीकाकरण एवं स्तनपान पर जागरूकता पैदा करना।

प्रश्न 10.
स्व-परागण एवं पर-परागण में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
स्व-परागण एवं पर-परागण में अन्तर –
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प्रश्न 11.
प्रजनन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
प्रजनन का महत्त्व:

  1. प्रजनन के कारण जीवन की निरन्तरता बनी रहती है।
  2. प्रजनन के कारण ही स्पीशीज का संरक्षण रहता है।
  3. प्रजनन ही स्पीशीज की जनसंख्या बढ़ाने का माध्यम है।
  4. अनुकूल विभिन्नताओं का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संवहन प्रजनन द्वारा ही सम्भव है।
  5. प्रजनन का विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है।

MP Board Class 10th Science Chapter 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लैंगिक जनन के विशिष्ट लक्षणों की सूची बनाइए।
उत्तर:
लैंगिक जनन के प्रमुख विशिष्ट लक्षण:

  1. लैंगिक जनन में दो व्यष्टि (एकक जीवों) की भागीदारी होती है।
  2. इसमें नर एवं मादा दोनों लिंगों की आवश्यकता होती है।
  3. एक ही समष्टि के जीवों के दो भिन्न युग्मकों के निषेचन से युग्मनजों का निर्माण होता है।
  4. संतति में विभिन्नताएँ पायी जाती हैं।
  5. संतति में दोनों ही पित्रों नर एवं मादा के गुण उत्पन्न होते हैं।
  6. लैंगिक जनन से नई स्पीशीज उत्पन्न हो सकती है।

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प्रश्न 2.
गुणसूत्र क्या होते हैं? स्पष्ट कीजिए कि लैंगिक जनन करने वाले जीतों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी संतति में गुणसूत्रों की संख्या किस प्रकार समान बनी रहती है ?
उत्तर:
गुणसूत्र:
“कोशिकाओं के केन्द्रक में स्थित धागेनुमा पतली संरचनाएँ जिनका आनुवंशिक पदार्थ DNA कोशिकाद्रव्य में स्वतन्त्र रूप में न रहकर केन्द्रक में कुछ विशिष्ट संरचनाओं के रूप में व्यवस्थित होता है, गुणसूत्र कहलाते हैं।”

लैंगिक जनन करने वाली कोशिकाओं में प्रत्येक जीव में अलग-अलग संख्या में गुणसूत्रों की जोड़ियाँ होती हैं जिनमें लिंग गुणसूत्र वाला जोड़ा निषेचन के लिए युग्मक बनाते समय अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप दो भागों में विभक्त हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप युग्मकों के गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।

जब निषेचन होता है तो नर युग्मक मादा युग्मक के साथ संलयित होता है जिससे गुणसूत्रों की संख्या पूर्ववत् हो जाती है। यह क्रम लगातार चलता रहता है। इस प्रकार लैंगिक जनन करने वाले जीवों मैं पीढ़ी-दर-पीढ़ी संतति में गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है।

प्रश्न 3.
जनन की परिभाषा लिखिए। स्पीशीज की समष्टि को स्थायित्व प्रदान करने में यह किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर:
जनन:
“सजीवों की अपने समान आकृति, रंग-रूप एवं गुणों के नए जीव उत्पन्न करने की क्षमता जनन कहलाती है।” जनन के कारण जीवन की निरंतरता बनी रहती है। जनन में जीव लगभग अपने जैसे जीवों को जन्म देता है। इस कारण उस स्पीशीज की जनसंख्या बढ़ती जाती है। अनुकूल विभिन्नताओं का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संवहन जनन द्वारा ही सम्भव है। जनन का विकास में भी योगदान है। जनन किसी स्पीशीज की समष्टि का संरक्षण कर उसके स्थायित्व में सहायक है।

प्रश्न 4.
जीवों के जनन के सन्दर्भ में उपयोग होने वाले पद “पुनरुद्भवन” (पुनर्जनन) की व्याख्या कीजिए। संक्षेप में वर्णन कीजिए कि हाइड्रा जैसे बहुकोशिकीय जीवों में पुनरुद्भवन की प्रक्रिया किस प्रकार सम्पन्न होती है?
उत्तर:
पुनरुद्भवन (पुनर्जनन):
“शरीर के नवनिर्माण की वह शक्ति जिसके अन्तर्गत शरीर के टूट जाने पर उसकी मरम्मत हो जाती है और प्रत्येक टुकड़ा पूर्ण होकर नया जीव बनाता है, पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) कहलाता है।”

हाइड्रा में पुनरुद्भवन (पुनर्जनन):
पूर्णरूपेण विभेदित जीवों जैसे हाइड्रा किसी कारणवश क्षत-विक्षत होकर कुछ टुकड़ों में विभक्त हो जाता है तो प्रत्येक खण्ड पुनरुद्भवन की क्षमता के कारण पूर्ण नवीन जीव में विकसित हो जाता है। इस प्रकार हाइड्रा जैसे बहुकोशिकीय जीवों में पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) की क्रिया सम्पन्न होती है। देखिए चित्र।
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प्रश्न 5.
(a) लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति में विभिन्नता दृष्टिगोचर होने के दो कारणों की सूची बनाइए।
(b)

  1. आरेख में अंकित भाग ‘A’ का नाम लिखिए।
  2. ‘A’ भाग ‘B’ तक कैसे पहुँचता है?
  3. भाग ‘C’ का महत्व लिखिए।
  4. ‘D’ द्वारा अंकित भाग का निषेचन के बाद क्या होता है?

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उत्तर:
(a)

  1. लैंगिक जनन में दो जनक भाग लेते हैं जिनके गुण भिन्न होते हैं।
  2. युग्मकों में गुणसूत्रों का संयोग भिन्न-भिन्न होता है।

(b)

  1. भाग ‘A’ का नाम: परागकण (नर जनक) है।
  2. भाग ‘A’ परागकण भाग ‘B’ वर्तिकाग्र तक परागण की प्रक्रिया द्वारा पहुँचता है।
  3. भाग ‘C’ पराग नलिका का महत्व: पराग नलिका के माध्यम से परागकण द्वारा उत्पन्न नर युग्मक बीजाण्ड तक पहुँचता है तथा बीजाण्ड का भेदन करके बीजाण्ड में उत्पन्न अण्ड कोशिका के मादा युग्मक से संलगित होकर निषेचन करता है।
  4. भाग ‘D’ बीजाण्ड निषेचित होकर युग्मनज बनाता है जो बाद में विकसित होकर बीज में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 6.
जनन सजीवों का एक महत्वपूर्ण लक्षण है। इस कथन के पक्ष में तीन कारण दीजिए।
उत्तर:
जीवधारियों में अनेक जैविक प्रक्रियाएँ होती हैं, लेकिन वे सभी स्वयं के अस्तित्व के लिए ही होती हैं। हम जानते हैं कि जीव नश्वर है और जब उसने जन्म लिया है तो उसकी मृत्यु भी असम्भावी है।
अपनी समष्टि को इस समष्टि में बनाए रखने के लिए जनन जीवों का एक महत्वपूर्ण लक्षण है, क्योंकि –

  1. जनन के द्वारा जीव अपने जैसे अनेक जीवों को जन्म देता है। इससे उन जीवों की जनसंख्या में वृद्धि होती है तथा जीव की समष्टि का अन्त भी नहीं होता, क्योंकि यदि कुछ जीव मरते भी हैं तो जनन के द्वारा उनकी प्रतिपूर्ति हो जाती है।
  2. जनन के द्वारा जीव अपने गुणों एवं विशेषताओं को पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानान्तरित करते रहते हैं तथा सभी जीवों में जाति की निरन्तरता बनी रहती है।
  3. जनन के द्वारा ही जीवों में विविधता आती है तथा जाति का उद्विकास भी होता है तथा नए-नए जीवों का विकास भी जनन के कारण ही सम्भव है।

प्रश्न 7.
कायिक प्रवर्धन क्या है? इस विधि के दो लाभ और दो हानियाँ लिखिए।
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन:
“जब मनुष्य कृत्रिम रूप से पौधों के विभिन्न भागों (रचनाओं) से नवीन पौधे पैदा करता है तो इस प्रक्रिया को कायिक प्रवर्धन या कृत्रिम अलैंगिक जनन कहते हैं।”

कायिक प्रवर्धन के लाभ:

  1. कायिक प्रवर्धन के द्वारा पौधे शीघ्र तैयार हो जाते हैं तथा शीघ्र ही फूलते-फलते हैं।
  2. इस विधि से प्राप्त पुत्री पौधे हर प्रकार से जनक पौधों के समान होते हैं।

कायिक प्रवर्धन से हानियाँ:

  1. कायिक प्रवर्धन सभी पौधों में सम्भव नहीं होता।
  2. कायिक प्रवर्धन से पौधों में विविधता नहीं आती। इस कारण प्रतिकूल परिस्थितियों में उस समष्टि के लुप्त होने का अन्देशा बना रहता है।

प्रश्न 8.
गर्भ धारण को रोकने के लिए विकसित की गई तीन तकनीकों की सूची बनाइए। इनमें से कौन-सी तकनीक पुरुषों के लिए नहीं है? इन तकनीकों का प्रयोग किस प्रकार किसी परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि को सीधे प्रभावित करता है?
उत्तर:
गर्भ धारण रोकने के लिए विकसित नई तकनीकें:

  1. निरोध का उपयोग
  2. शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध कर देना
  3. हॉर्मोन सन्तुलन के लिए दवाओं का सेवन इनमें तीसरी तकनीक हॉर्मोन सन्तुलन के लिए दवाओं का सेवन पुरुषों के लिए नहीं है।

गर्भ निरोधक तकनीक (परिवार नियोजन) का सीधे परिवार के स्वास्थ्य एवं समृद्धि पर प्रभाव:
बार-बार गर्भ धारण करने पर महिलाओं का स्वास्थ्य बहुत गिर जाता है। परिवार नियोजन तकनीकों के प्रयोग से उनका स्वास्थ्य बना रहता है तथा वे विभिन्न यौन संक्रमण से बची रहती हैं। परिवार नियोजन से सीमित परिवार होने से संसाधनों का अच्छा उपयोग हो सकता है। अच्छा खाना, अच्छा पहनना, अच्छी शिक्षा, अच्छी सुख-सुविधाएँ उपलब्ध हो सकती हैं। आजकल के महंगाई के समय में परिवार नियोजन परिवार की खुशहाली प्रदान करता है तथा इसका सीधा प्रभाव परिवार के स्वास्थ्य एवं समृद्धि पर पड़ता है।

प्रश्न 9.
यौन संक्रमित रोगों का वर्णन कीजिए तथा उनमें बचाव के उपाय लिखिए।
उत्तर:
यौन संक्रमित रोग-“ऐसे सभी रोग जो मैथुन द्वारा संचारित होते हैं, यौन संचरित रोग कहलाते हैं। इन रोगों के लक्षण जनन क्षेत्र (गुप्तांगों) में खुजली, जलन, तरल स्राव तथा दर्द होना है। इनमें प्रमुख रोग हैं – एचआईवी संक्रमण (AIDS), गोनेरिया, सिफलिस, जननांग की हीज आदि। इन रोगों में सर्वाधिक खतरनाक रोग एड्स है। एड्स को छोड़कर प्रायः सभी रोग पूर्ण रूप से उपचार योग्य हैं।

बचाव के उपाय:
चूँकि यौन संक्रमित रोग मैथुन के द्वारा संचरित होते हैं। इसलिए सुरक्षात्मक मैथुन इसका सर्वश्रेष्ठ उपाय है। इसके लिए –

  1. मैथुन के समय गर्भ निरोधक युक्तियों का उपयोग सर्वाधिक सुगम एवं सुरक्षित है।
  2. जननांगों की नियमित स्वच्छता पर विशेष ध्यान।
  3. संक्रमित सुई एवं सिरिंज का प्रयोग न करना।
  4. वैश्यागमन या अनैतिक सम्बन्धों से बचना।
  5. संक्रमित महिलाओं को गर्भधारण न करने देना।
  6. उपयुक्त समयानुकूल टीकाकरण।
  7. बिना परीक्षण रक्त दान न करना।
  8. ड्रग्स एवं नशाखोरी से बचना आदि।

प्रश्न 10.
(a) मादा जनन तन्त्र की निम्नलिखित भागों के कार्यों का उल्लेख कीजिए –

  1. अण्डाशय
  2. गर्भाशय
  3. फैलोपियन ट्यूब।

(b) मानव मादा में प्लेसेण्टा की संरचना और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(a)

  1. अण्डाशय: इसमें अण्ड कोशिका का निर्माण होता है तथा ये कुछ हॉर्मोन भी सावित करता है।
  2. गर्भाशय: इसमें निषेचित अण्डा या युग्मनज स्थापित होता है तथा उसका विकास एवं पोषण होता है तथा शिशु बनने तक की सभी प्रक्रियाएँ यहाँ पूर्ण होती हैं।
  3. फैलोपियन ट्यूब (अण्डवाहिका): इसमें अण्ड कोशिका का निषेचन होता है तथा यह निषेचित अण्ड कोशिका (युग्मनज) को गर्भाशय में प्रेषित कर देती है।

(b) प्लेसेण्टा की संरचना:
प्लेसेन्टा एक विशेष तस्तरीनुमा संरचना होती है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी रहती है। इसमें भ्रूण की ओर के ऊतक में प्रवर्ध होते हैं जो माँ के ऊतकों में स्थित रिक्त स्थानों से आच्छादित होते हैं।

प्लेसेण्टा के कार्य:

  1. यह माँ के रक्त से भ्रूण के पोषण के लिए ग्लूकोज एवं अन्य पदार्थ तथा श्वसन के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराती है।
  2. भ्रूण में उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों के निपटान में सहायक होती है।

प्रश्न 11.
प्लेसेन्टा क्या है? इसकी संरचना का वर्णन कीजिए। गर्भवती मानव मादा के प्रकरण में इसके कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्लेसेण्टा:
“मादा के गर्भाशय में भ्रूण और माँ के बीच सम्बन्ध स्थापित करने वाली विशेष संरचना प्लेसेण्टा कहलाती है।”

प्लेसेण्टा की संरचना:
प्लेसेन्टा एक विशेष तस्तरीनुमा संरचना होती है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी रहती है। इसमें भ्रूण की ओर के ऊतक में प्रवर्ध होते हैं जो माँ के ऊतकों में स्थित रिक्त स्थानों से आच्छादित होते हैं।

प्रश्न 12.
(a) मानव नर के उस जननांग का नाम लिखिए जो शुक्राणुओं के उत्पादन के साथ-साथ हॉर्मोन भी स्रावित करता है। स्रावित हॉर्मोन के कार्य लिखिए।
(b) मानव मादा के जनन तन्त्र के उस भाग का नाम लिखिए जहाँ –

  1. निषेचन होता है।
  2. निषेचित अण्डे का आरोपण होता है।
  3. स्पष्ट कीजिए कि माता के शरीर के भीतर भ्रूण का पोषण किस प्रकार होता है?

उत्तर:
(a) मानव नर के वृषण में शुक्राणुओं के निर्माण के साथ-साथ टेस्टोस्टेरॉन नामक हॉर्मोन का उत्पादन एवं स्रावण होता है। हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन का कार्य-यह हॉर्मोन नर मानव में शुक्राणुओं के निर्माण के नियन्त्रण के साथ-साथ लड़कों में यौवनावस्था के लक्षणों का भी नियन्त्रण करता है।

(b)

  1. अण्डवाहिकाएँ (फैलोपियन ट्यूब)।
  2. गर्भाशय।
  3. माता के शरीर के अन्दर भ्रूण का पोषण:
    माता के शरीर के अन्दर भ्रूण का पोषण माता के रक्त से प्लेसेण्टा के माध्यम से होता है। प्लेसेण्टा माता के रक्त के सम्पर्क में रहता है तथा उससे ग्लूकोज, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों को अवशोषित करके भ्रूण को उपलब्ध कराता है।

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प्रश्न 13.
मुकुलन (कलिकायन) खण्डन, विखण्डन, पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) ये सभी अलैंगिक प्रकार का जनन क्यों माना जाता है? एक स्वच्छ आकृति (रेखाचित्र) बनाकर प्लेनेरिया में पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
जीवों में मुकुलन (कलिकायन), खण्डन, विखण्डन एवं पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) को अलैंगिक प्रकार का जनन माना जाता है, क्योंकि इसमें जीव के लैंगिक भागों की कोई भूमिका नहीं होती है तथा इसमें नर एवं मादा युग्मक भाग नहीं लेते।

प्लेनेरिया में पुनरुद्भवन की प्रक्रिया द्वारा जनन:
प्लेनेरिया जैसे सरल जीवों में पुनरुद्भवन की क्षमता होती है, अर्थात् यदि किसी कारणवश जीव क्षत-विक्षत होकर अनेक टुकड़ों में विभक्त हो जाता है तो अपनी इस क्षमता के कारण प्रत्येक टुकड़ा एक नए जीव में विकसित हो जाता है। इस प्रकार प्लेनेरिया में पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) द्वारा जनन होता है –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 14

प्रश्न 14.
अलैंगिक एवं लैंगिक जनन में अन्तर स्पष्ट कीजिए। लैंगिक जनन से उत्पन्न नवजातों में विविधता (विभिन्नताएँ) क्यों पाई जाती हैं? समझाइए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन एवं लैंगिक जनन में अन्तर –
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  1. लैंगिक जनन में दो जनक भाग लेते हैं जिनके गुण भिन्न होते हैं।
  2. युग्मकों में गुणसूत्रों का संयोग भिन्न-भिन्न होता है।

प्रश्न 15.
परागण एवं निषेचन में अन्तर स्पष्ट कीजिए। पुष्प में निषेचन कहाँ होता है तथा निषेचन के बाद क्या बनता है? किसी पुष्प की स्त्रीकेसर का स्वच्छ नामांकित आरेख बनाइए जिसमें पराग नलिका की वृद्धि एवं इसकी बीजाण्ड में प्रवेश दिखाया गया हो।
उत्तर:
परागण तथा निषेचन में अन्तर –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 16
पुष्प में निषेचन स्त्रीकेसर के अण्डाशय में होता है तथा निषेचन के बाद बीजाण्ड बीज में तथा अण्डाशय फल में विकसित होता है। इस प्रकार निषेचन के बाद फलों और बीजों का उत्पादन होता है।

स्त्रीकेसर का निषेचन प्रदर्शित करती आकृति –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 17

प्रश्न 16.
एक पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए। पुष्प के युग्मक बनाने वाले भागों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का नामांकित आरेख:
  2. पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का नामांकित चित्र –
  3. नर युग्मक बनाने वाला अंग: परागकोश (पुंकेसर)।
  4. मादा युग्मक बनाने वाला अंग: अण्डाशय (स्त्रीकेसर)।

प्रश्न 17.
युग्मक एवं युग्मनज में अन्तर स्पष्ट कीजिए। उनकी लैंगिक जनन में भूमिका बताइए।
उत्तर:
युग्मक लैंगिक जनन में जनन कोशिका प्रदर्शित करता है। यह दो प्रकार का होता है-नर जनन कोशिका (नर युग्मक) एवं मादा जनन कोशिका (मादा युग्मक)। युग्मनज निषेचन के परिणामस्वरूप बना उत्पाद होता है जिसमें कि नर युग्मक एवं मादा युग्मक परस्पर संलयित हो जाते हैं।

दो संलयित होने वाले युग्मक अपने DNA में अपने जनक के गुणों से युक्त होते हैं। निषेचन इन दोनों जनकों के गुणों को एक कोशिका युग्मनज में संयुक्त करते हैं। युग्मनज नई संतति (पीढ़ी) की प्रथम प्रारम्भिक कोशा है जो विभाजन की विभिन्न चरणों की प्रक्रिया द्वारा भ्रूण का निर्माण करती है। यह भ्रूण विकास की विभिन्न प्रक्रियाओं से होता हुआ धीरे-धीरे नवजात में विकसित हो जाता है।

प्रश्न 18.
निषेचन की अभिक्रिया किस प्रकार घटित होती है? निषेचन महीने में केवल एक बार ही घटित होता है, क्यों? समझाइए।
उत्तर:
लैंगिक रूप से परिपक्व महिला के अण्डाशय में बनने वाली अण्ड कोशिका प्रति माह एक बार अण्डवाहिनी में प्रवेश करता है। मैथुन के समय नर जनन कोशिका शुक्राणु योनि मार्ग में स्थापित हो जाते हैं जहाँ से ऊपर की ओर यात्रा करके अण्डवाहिका में प्रवेश कर जाते हैं, जहाँ इन शुक्राणुओं में उपस्थित नर युग्मक अण्ड कोशिका में उपस्थित मादा युग्मक से संलयित होकर निषेचन की प्रक्रिया को पूर्ण करती है। यह निषेचित अण्डा अण्डवाहिका द्वारा गर्भाशय में स्थापित हो जाता है।

चूँकि एकान्तर में प्रति माह एक अण्डाशय से एक अण्ड एक अण्ड कोशिका अण्डवाहिका द्वारा ग्रहण की जाती है तथा दूसरे माह दूसरे अण्डाशय से एक अण्ड कोशिका अण्डवाहिका द्वारा ग्रहण की जाती है। इसलिए माह में केवल एक बार ही निषेचन की क्रिया घटित होना सम्भव है।

प्रश्न 19.
जनन जीवों के लिए एक अत्यन्त आवश्यक जैव प्रक्रम है, लेकिन वह किसी जीव के स्वयं के अस्तित्व के लिए नहीं बल्कि उसकी समष्टि के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
उत्तर:
जनन की मूल घटना डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनना है। जनन में एक कोशिका द्वारा डी.एन.ए. की प्रतिकृति का निर्माण तथा अतिरिक्त कोशिकीय संगठन का सृजन होता है। जनन के कारण जीवन की निरंतरता बनी रहती है। जनन में जीव लगभग अपने जैसे जीवों को जन्म देता है। इस कारण उस स्पीशीज की जनसंख्या बढ़ती जाती है। अनुकूल विभिन्नताओं का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संवहन जनन द्वारा ही सम्भव है। जनन का विकास में भी योगदान है। जनन किसी स्पीशीज की समष्टि का संरक्षण कर उसके स्थायित्व में सहायक है।

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MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

MP Board Class 10th Science Chapter 7 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 132

प्रश्न 1.
प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया एक अनैच्छिक क्रिया है जो मेरुरज्जु द्वारा नियन्त्रित होती है, जबकि टहलना एक ऐच्छिक क्रिया है जो मस्तिष्क द्वारा नियन्त्रित होती है।

प्रश्न 2.
दो तन्त्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अन्तर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है?
उत्तर:
एक तन्त्रिका के तन्त्रिकाक्ष (एक्सॉन) से होता हुआ विद्युत् आवेग कुछ रसायनों का विमोचन करता है जो न्यूरॉन के मध्य रिक्त स्थान अन्तर्ग्रथन (सिनेप्स) को पार करके अगली तन्त्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी तरह का विद्युत् आवेग पैदा करता है।

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प्रश्न 3.
मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
उत्तर:
पश्च मस्तिष्क में स्थित भाग अनुमस्तिष्क शरीर की स्थिति तथा सन्तुलन का अनुरक्षण करता है।

प्रश्न 4.
हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर:
जब अगरबत्ती की गंध हमारी नासिका में पहुँचती है तो वहाँ उपस्थित न्यूरॉन की दुमिका में विद्युत् आवेग पैदा हो जाता है जो एक तन्त्रिका कोशिका से दूसरी तन्त्रिका कोशिका में होता हुआ अग्र मस्तिष्क के अनुभाग घ्राणपिण्ड में पहुँचता है। तब हमको अगरबत्ती की गंध का पता चलता है।

प्रश्न 5.
प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की भूमिका-हृदय स्पंदन, श्वसन, पाचन आदि अनेक अनैच्छिक क्रियाएँ तथा पुतली का फैलना, सिकुड़ना, स्वादिष्ट भोजन को देखकर मुँह में पानी आना आदि अनैच्छिक प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियंत्रण एवं नियमन मस्तिष्क द्वारा होता है।

प्रश्न शृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 136

प्रश्न 1.
पादप हॉर्मोन क्या है?
उत्तर:
पादप हॉर्मोन:
“विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ जो पादपों के विशिष्ट भागों या कोशिकाओं द्वारा स्रावित होते हैं और विशेष प्रकार की कोशिकाओं की क्रियाशीलता या कार्यशीलता को प्रभावित करते हैं तथा विविध क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वय करते हैं, पादप हॉर्मोन्स कहलाते हैं।”

प्रश्न 2.
छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति वृद्धि मुक्त होती है। इसका वृद्धि से कोई लेना-देना नहीं, जबकि प्रकाश की ओर प्ररोह की गति वृद्धिपरक होती है अर्थात् वृद्धि के कारण होती है।

प्रश्न 3.
एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर:
ऑक्सिन एक वृद्धि को बढ़ाने वाला पादप हॉर्मोन है।

प्रश्न 4.
किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
जब कोई प्रतान किसी सहारे का सहारा लेता है उसका झुकाव जिस ओर होता है उसके विपरीत दिशा में ऑक्सिन चला जाता है और उस ओर की कोशिकाओं को लम्बाई में वृद्धि के लिए उद्दीपित करता है तो प्रतान का तना वहीं से मुड़कर जाता है। यही प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है और प्रतान उस सहारे के चारों ओर वृद्धि करता रहता है। इस प्रकार किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन सहायक होता है।

प्रश्न 5.
जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर:
जलानुवर्तन के प्रदर्शन हेतु प्रयोग-एक बड़ा आयताकार बर्तन लेकर उसमें कुछ मिट्टी तथा लकड़ी का बुरादा भरकर एक सिरे पर एक छोटा पौधा लगा दीजिए तथा दूसरे सिरे पर मिट्टी में थोड़ा पानी डालिए। इस उपकरण को कुछ दिन सूर्य के प्रकाश में रखा रहने दीजिए। कुछ दिन बाद पौधे को निकालिए तो आप देखेंगे कि जड़ें उस ओर को मुड़ी हुई हैं जिस ओर बर्तन में पानी था। यह प्रयोग जलानुवर्तन का प्रदर्शन करता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 1

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 138

प्रश्न 1.
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
उत्तर:
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय विशिष्ट रासायनिक पदार्थ हॉर्मोन्स द्वारा होता है जो जन्तुओं की विशिष्ट एवं विविध ग्रंथियों या अंगों में स्रावित होते हैं।

प्रश्न 2.
आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है?
उत्तर:
अवटु ग्रंथि (थायरॉइड ग्रन्थि) को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक है। भोजन में आयोडीन की कमी से गॉयटर रोग से ग्रसित होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इस बीमारी से बचाव के लिए हमें आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह दी जाती है।

प्रश्न 3.
जब ऐड्रीनेलिन रुधिर में स्रावित होती है, तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर:
ऐड्रीनेलिन हृदय सहित लक्ष्य अंगों या विशिष्ट ऊतकों को प्रभावित करता है। इससे हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, श्वसन की दर बढ़ जाती है, पाचन तन्त्र एवं त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है, धमनियों के आस-पास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं, रुधिर की दिशा कंकाल पेशियों की ओर हो जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर शरीर को स्थिति में निपटने के लिए तैयार करती हैं।

प्रश्न 4.
मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर:
मधुमेह की बीमारी इन्सुलिन की कमी के कारण होती है। इसलिए मधुमेह के रोगियों की चिकित्सा इन्सुलिन का इन्जेक्शन देकर की जाती है ताकि इन्सुलिन की कमी को दूर किया जा सके।

MP Board Class 10th Science Chapter 7 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है?
(a) इंसुलिन।
(b) थायरॉक्सिन।
(c) एस्ट्रोजन।
(d) साइटोकाइनिन।
उत्तर:
(d) साइटोकाइनिन।

प्रश्न 2.
दो तन्त्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं –
(a) द्रुमिका।
(b) सिनेप्स।
(c) एक्सॉन।
(d) आवेग।
उत्तर:
(b) सिनेप्स।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क उत्तरदायी है –
(a) सोचने के लिए।
(b) हृदय स्पन्दन के लिए।
(c) शरीर का संतुलन बनाने के लिए।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर:
हमारे शरीर में ग्राही हमारे पर्यावरण से सभी सूचनाओं का संग्रह हमारी ज्ञानेन्द्रियों की सहायता से करते हैं। अगर ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हैं तो अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं; जैसे-हमको गंध का आभास नहीं होगा, स्वाद का पता नहीं चलेगा, हम आवाज नहीं सुन सकेंगे, हम कुछ देख नहीं सकेंगे या हमको स्पर्श में कठोरता या कोमलता, ठण्ड या गर्मी आदि का अनुभव नहीं होगा।

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प्रश्न 5.
एक तन्त्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तन्त्रिका कोशिका की संरचना –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 2
तन्त्रिका कोशिका (न्यूरॉन) के कार्य –

  1. बाह्य वातावरण से प्राप्त प्रेरणाओं या संवेदनाओं को विद्युत् आवेगों में बदलना।
  2. इन विद्युत् आवेगों को तन्त्रिका तन्त्र के प्रमुख अंगों मस्तिष्क या मेरुरज्जु के विभिन्न भागों तक पहुँचाना।
  3. मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु से प्राप्त आदेशों को सम्बन्धित अंगों तक पहुँचाना।
  4. सजीवों के शरीर के आन्तरिक वातावरण में विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करना।

प्रश्न 6.
पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
पादप के प्ररोह के अग्र भाग (टिप) में एक पादप हॉर्मोन ऑक्सिन संश्लेषित होता है जो कोशिकाओं की लम्बाई में वृद्धि में सहायक होता है। जब पादप पर एक ओर से प्रकाश आ रहा है तब ऑक्सिन विपरीत होकर प्ररोह के छाया वाले भाग में आ जाता है। प्ररोह की प्रकाश से दूर वाली साइड में ऑक्सिन का सान्द्रण कोशिकाओं को लम्बाई में वृद्धि के लिए उद्दीपित करता है। अतः पादप प्रकाश की ओर मुड़ता हुआ दिखाई देता है। इस प्रकार पादप में प्रकाशानुवर्तन होता है।

प्रश्न 7.
मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा?
उत्तर:
मेरुरज्जु आघात में बाहरी आघातों, दुर्घटनाओं, आक्रमणों एवं विभिन्न प्रकार के खतरों से सम्बन्धित संकेतों के आने में व्यवधान होगा।

प्रश्न 8.
पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?
उत्तर:
पादप में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोन्स के स्रावण के द्वारा होता है।

प्रश्न 9.
एक जीव में नियन्त्रण एवं समन्वय की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
जीव में नियन्त्रण एवं समन्वय की आवश्यकता:
एक जीव की विभिन्न क्रियाकलापों के सुचारु रूप से संचालन एवं जीव के अनुरक्षण के लिए नियन्त्रण एवं समन्वय अति आवश्यक है।

प्रश्न 10.
अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
सभी अनैच्छिक क्रियाएँ प्रतिवर्ती क्रियाएँ नहीं होतीं अपितु सभी प्रतिवर्ती क्रियाएँ अनैच्छिक क्रियाएँ होती हैं। उदाहरणार्थ हृदय की धड़कन, पाचन, श्वसन अदि अनैच्छिक क्रियाएँ हैं लेकिन प्रतिवर्ती क्रियाएँ नहीं हैं।

प्रश्न 11.
जन्तुओं में नियन्त्रण एवं समन्वय के लिए तन्त्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (Contrast) कीजिए।
उत्तर:
जन्तुओं में नियन्त्रण एवं समन्वय का कार्य तन्त्रिका तन्त्र तथा हॉर्मोन दोनों द्वारा किया जाता है। तन्त्रिका तन्त्रं हमारी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा सूचना प्राप्त करता है तथा हमारी पेशियों द्वारा क्रिया करता है, जबकि हॉर्मोन रसायनों के कम या अधिक स्रावण से क्रियाएँ नियमित होती हैं तथा हॉर्मोन्स जीव के एक भाग में उत्पन्न होते हैं तथा दूसरे भाग में इच्छित प्रभाव पाने के लिए गति करते हैं।

तन्त्रिका तन्त्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु एवं तन्त्रिका कोशिकाएँ क्रियाशील होती हैं, जबकि हॉर्मोन्स का उत्पादन विशेष ग्रंथियों में होता है। अन्य किसी अंग की आवश्यकता नहीं होती। हॉर्मोन की क्रिया को पुनर्भरण क्रियाविधि नियन्त्रित करती है।

तन्त्रिका तन्त्र में विद्युत् आवेगों का संवहन होता है, जबकि हॉर्मोन्स नियन्त्रण में विशिष्ट कार्बनिक यौगिक हॉर्मोन्स का स्रावण एवं संवहन होता है।

तन्त्रिका तन्त्र सभी ऐच्छिक, अनैच्छिक एवं प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वय करता है, जबकि हॉर्मोन्स ऐसा नहीं करते।

प्रश्न 12.
छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अन्तर है?
उत्तर:
छुई-मुई पादप की गति में कोई तन्त्रिका या अन्य पेशी ऊतक भाग नहीं लेता, जबकि हमारी टाँग की गति में तन्त्रिका ऊतक तथा पेशी ऊतक भाग लेता है।

पादप कोशिकाओं में जन्तु पेशी कोशिकाओं की तरह विशिष्टीकृत प्रोटीन तो नहीं होती अपितु वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदल लेती है।

MP Board Class 10th Science Chapter 7 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न कथनों में कौन-सा कथन ज्ञानेन्द्रियों के सन्दर्भ में सत्य है –
(a) स्वादेन्द्रिय स्वाद का संसूचक है, घ्राणेन्द्रिय गंध का।
(b) स्वादेन्द्रिय एवं घ्राणेन्द्रिय दोनों गंध के संसूचक हैं।
(c) दृश्येन्द्रिय गंध का संसूचक है एवं घ्राणेन्द्रिय स्वाद का।
(d) घ्राणेन्द्रिय स्वाद का संसूचक है एवं स्वादेन्द्रिय गंध का।
उत्तर:
(a) स्वादेन्द्रिय स्वाद का संसूचक है, घ्राणेन्द्रिय गंध का।

प्रश्न 2.
इलेक्ट्रिकल आवेगों का गमन तन्त्रिका कोशिकाओं में होता है –
(a) डेण्ड्राइट → एक्सॉन → एक्सॉन सिरा → कोशिकाकाय।
(b) कोशिकाकाय → डेण्ड्राइट → एक्सॉन → एक्सॉन सिरा।
(c) डेण्ड्राइट → कोशिकाकाय → एक्सॉन → एक्सॉन सिरा।
(d) एक्सॉन सिरा → एक्सॉन → कोशिकाकाय → डेण्ड्राइट।
उत्तर:
(c) डेण्ड्राइट → कोशिकाकाय → एक्सॉन → एक्सॉन सिरा।

प्रश्न 3.
सिनेप्स में रासायनिक संकेत का संवहन होता है –
(a) एक न्यूरॉन के डेण्ड्राइट सिरे से दूसरे न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे तक।
(b) एक ही न्यूरॉन के एक्सॉन से कोशिकाकाय तक।
(c) एक ही न्यूरॉन के कोशिकाकाय से एक्सॉन सिरे तक।
(d) एक न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे से दूसरे न्यूरॉन के डेण्ड्राइट सिरे तक।
उत्तर:
(d) एक न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे से दूसरे न्यूरॉन के डेण्ड्राइट सिरे तक।

प्रश्न 4.
एक न्यूरॉन में इलेक्ट्रिकल संकेत का रासायनिक संकेत में परिवर्तन घटित होता है निम्न में –
(a) कोशिकाकाय।
(b) एक्सॉन सिरा।
(c) डेण्ड्राइट सिरा।
(d) एक्सॉन।
उत्तर:
(b) एक्सॉन सिरा।

प्रश्न 5.
प्रतिवर्ती चाप के अवयवों का सही क्रम है –
(a) ग्राही → पेशी → संवेदी न्यूरॉन → मोटर न्यूरॉन → मेरुरज्जु।
(b) ग्राही → मोटर न्यूरॉन → मेरुरज्जु → संवेदी न्यूरॉन → पेशी।
(c) ग्राही → मेरुरज्जु → संवेदी न्यूरॉन → मोटर न्यूरॉन → पेशी।
(d) ग्राही → संवेदी न्यूरॉन → मेरुरज्जु → मोटर न्यूरॉन → पेशी।
उत्तर:
(d) ग्राही → संवेदी न्यूरॉन → मेरुरज्जु → मोटर न्यूरॉन → पेशी।

प्रश्न 6.
शरीर का सन्तुलन निम्न द्वारा नियन्त्रित होता है –
(a) सेरीब्रम।
(b) सेरीबेलम।
(c) मेड्यूला।
(d) पोन्स।
उत्तर:
(b) सेरीबेलम।

प्रश्न 7.
मेरुरज्जु निकलती है निम्न से –
(a) सेरीब्रम।
(b) मेड्यूला।
(c) पोन्स।
(d) सेरीबेलम।
उत्तर:
(b) मेड्यूला।

प्रश्न 8.
प्रकाश की ओर प्ररोह की गति कहलाती है –
(a) गुरुत्वानुवर्तन।
(b) जलानुवर्तन।
(c) रसायनानुवर्तन।
(d) प्रकाशानुवर्तन।
उत्तर:
(d) प्रकाशानुवर्तन।

प्रश्न 9.
पौधों में ऐब्सिसिक अम्ल का मुख्य कार्य है –
(a) कोशिकाओं की लम्बाई में वृद्धि करना।
(b) कोशिका विभाजन को प्रोत्साहित करना।
(c) वृद्धि का अवरोधन करना।
(d) तने की वृद्धि को प्रोत्साहित करना।
उत्तर:
(d) तने की वृद्धि को प्रोत्साहित करना।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन पादप की वृद्धि से सम्बन्धित नहीं है?
(a) ऑक्सिन।
(b) जिबरेलिन।
(c) साइटोकाइनिन।
(d) ऐब्सिसिक अम्ल।
उत्तर:
(d) ऐब्सिसिक अम्ल।

प्रश्न 11.
किस हॉर्मोन के संश्लेषण के लिए आयोडीन आवश्यक है?
(a) एड्रीनेलिन।
(b) थायरॉक्सिन।
(c) ऑक्सिन।
(d) इन्सुलिन।
उत्तर:
(b) थायरॉक्सिन।

प्रश्न 12.
इन्सुलिन के सन्दर्भ में असत्य कथन चुनिए –
(a) इसका स्रावण पेंक्रियाज से होता है।
(b) यह शरीर की वृद्धि एवं विकास का नियमन करती है।
(c) यह रक्त शर्करा के स्तर का नियमन करती है।
(d) इन्सुलिन का अपर्याप्त स्रावण डायबिटीज का कारण होता है।
उत्तर:
(b) यह शरीर की वृद्धि एवं विकास का नियमन करती है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में असंगत जोड़े को छाँटिए –
(a) ऐड्रीनेलिन-पिट्यूटरी ग्रंथि।
(b) टेस्टोस्टेरॉन-टेस्टीज।
(c) एस्ट्रोजन-ओवरी।
(d) थायरॉक्सिन-थायरॉइड ग्रन्थि।
उत्तर:
(a) ऐड्रीनेलिन-पिट्यूटरी ग्रंथि।

प्रश्न 14.
गार्ड कोशा के आकार में परिवर्तन होता है निम्नलिखित के कारण –
(a) प्रोटीन का कोशा में संघटन।
(b) कोशा का तापमान।
(c) कोशा में जल की मात्रा।
(d) कोशा में केन्द्रक की स्थिति।
उत्तर:
(c) कोशा में जल की मात्रा।

प्रश्न 15.
मटर के पौधों में तन्तुओं (टैण्ड्रिल) की वृद्धि निम्नलिखित के कारण होती है –
(a) प्रकाश का प्रभाव।
(b) गुरुत्व का प्रभाव।
(c) तन्तुओं की उन कोशिकाओं में तीव्र कोशिका विभाजन जो सहारे से दूर है।
(d) तन्तुओं की उन कोशिकाओं में तीव्र कोशिका विभाजन जो सहारे की सम्पर्क में है।
उत्तर:
(c) तन्तुओं की उन कोशिकाओं में तीव्र कोशिका विभाजन जो सहारे से दूर है।

प्रश्न 16.
पराग नलिका की अण्डाणु की ओर वृद्धि निम्न के कारण होती है –
(a) जलानुवर्तन।
(b) रसायनानुवर्तन।
(c) गुरुत्वानुवर्तन।
(d) प्रकाशानुवर्तन।
उत्तर:
(b) रसायनानुवर्तन।

प्रश्न 17.
सूरजमुखी पुष्प का सूर्य के मुखातिव होकर गति करना निम्न के कारण है –
(a) प्रकाशानुवर्तन।
(b) गुरुत्वानुवर्तन।
(c) रसायनानुवर्तन।
(d) जलानुवर्तन।
उत्तर:
(a) प्रकाशानुवर्तन।

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प्रश्न 18.
पकी हुई पत्तियों और फलों का वृक्षों से अलग होकर गिरना निम्न पदार्थ के कारण होता है –
(a) ऑक्सिन।
(b) जिबरेलिन।
(c) ऐब्सिसिक अम्ल।
(d) साइटोकाइनिन।
उत्तर:
(c) ऐब्सिसिक अम्ल।

प्रश्न 19.
संवेदी आवेगों के स्थानान्तरण या गमन के सन्दर्भ में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) संवेदी आवेग गति करता है डेण्ड्राइड सिरे से एक्सॉन सिरे तक।
(b) डेण्ड्राइट सिरे पर संवेदी आवेग कुछ रसायन उत्पन्न करता है जो एक विद्युत् आवेग पैदा करता है दूसरे न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे पर।
(c) एक न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे पर उत्पन्न रसायन सिनेप्स को पार करके दूसरे न्यूरॉन के डेण्ड्राइट में वैसा ही विद्युत् आवेग पैदा करता है।
(d) एक न्यूरॉन विद्युत् आवेगों को केवल दूसरे न्यूरॉन को ही नहीं भेजता बल्कि पेशी एवं ग्रंथि कोशिकाओं को भी भेजता है।
उत्तर:
(b) डेण्ड्राइट सिरे पर संवेदी आवेग कुछ रसायन उत्पन्न करता है जो एक विद्युत् आवेग पैदा करता है दूसरे न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे पर।

प्रश्न 20.
अनैच्छिक क्रियाओं का शरीर में नियन्त्रण होता है निम्न में –
(a) अग्र मस्तिष्क में मेड्यूला
(b) मध्य मस्तिष्क में मेड्यूला।
(c) पश्च मस्तिष्क में मेड्यूला।
(d) मेरुरज्जु में मेड्यूला।
उत्तर:
(c) पश्च मस्तिष्क में मेड्यूला।

प्रश्न 21.
निम्न में कौन अनैच्छिक क्रिया नहीं है?
(a) उल्टी आना।
(b) लार आना।
(c) हृदय स्पन्दन।
(d) चबाना।
उत्तर:
(d) चबाना।

प्रश्न 22.
यदि एक व्यक्ति (महिला/पुरुष) तीव्र सर्दी जुकाम से पीड़ित है, तो वह –
(a) सेब एवं आइसक्रीम के स्वाद का नहीं अन्तर कर पाता।
(b) इत्र की गंध एवं अगरबत्ती की गंध में अन्तर नहीं कर पाता।
(c) हरे प्रकाश से लाल प्रकाश में अन्तर नहीं कर पाता।
(d) ठंडी वस्तु से गर्म वस्तु में अन्तर नहीं कर पाता।
उत्तर:
(b) इत्र की गंध एवं अगरबत्ती की गंध में अन्तर नहीं कर पाता।

प्रश्न 23.
थायरॉक्सिन के सन्दर्भ में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) थायरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयरन आवश्यक है।
(b) यह कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन एवं वसा के चयापचय का नियमन करता है।
(c) थायरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए थायरॉइड को आयोडीन चाहिए।
(d) थायरॉक्सिन को थायरॉइड हॉर्मोन भी कहते हैं।
उत्तर:
(a) थायरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयरन आवश्यक है।

प्रश्न 24.
बौनापन परिणाम है –
(a) थायरॉक्सिन का अत्यधिक स्रावण।
(b) वृद्धि हॉर्मोन का कम स्रावण।
(c) ऐड्रीनेलिन का कम स्रावण।
(d) वृद्धि हॉर्मोन का अत्यधिक स्रावण।
उत्तर:
(b) वृद्धि हॉर्मोन का कम स्रावण।

प्रश्न 25.
यौवनारम्भ के समय उससे सम्बन्धित शारीरिक परिवर्तनों का नाटकीय ढंग से अन्तर का कारण है निम्न का स्रावण –
(a) वृषण से एस्ट्रोजन एवं अण्डाशय से टेस्टोस्टेरॉन।
(b) ऐड्रीनल ग्रंथि में एस्ट्रोजन एवं पिट्यूटरी से टेस्टोस्टोरॉन।
(c) वृषण से टेस्टोस्टेरॉन एवं एस्ट्रोजन अण्डाशय से।
(d) थायरॉइड से टेस्टोस्टेरॉन एवं पिट्यूटरी ग्रंथि से एस्ट्रोजन।
उत्तर:
(c) वृषण से टेस्टोस्टेरॉन एवं एस्ट्रोजन अण्डाशय से।

प्रश्न 26.
एक डॉक्टर एक मरीज को इन्सुलिन इन्जेक्शन लेने की सलाह देता है, क्योंकि –
(a) उसका रक्तचाप कम है।
(b) उसका हृदय स्पन्दन धीमा है।
(c) वह घेघा (गॉयटर) से पीड़ित है।
(d) उसका रक्त शर्करा का स्तर ऊँचा है।
उत्तर:
(d) उसका रक्त शर्करा का स्तर ऊँचा है।

प्रश्न 27.
मनुष्य में पौरुष बढ़ाने वाला हॉर्मोन है –
(a) एस्ट्रोजन।
(b) टेस्टोस्टेरॉन।
(c) इन्सुलिन।
(d) वृद्धि-हॉर्मोन।
उत्तर:
(b) टेस्टोस्टेरॉन।

प्रश्न 28.
निम्न में कौन-सी अन्तःस्रावी ग्रंथि युग्म में नहीं है?
(a) ऐड्रीनल।
(b) वृषण।
(c) पिट्यूटरी।
(d) अण्डाशय।
उत्तर:
(c) पिट्यूटरी।

प्रश्न 29.
दो न्यूरॉन के बीच सन्धि कहलाती है –
(a) कोशिका संधि।
(b) तन्त्रिका पेशी संधि।
(c) उदासीन संधि।
(d) सिनेप्स।
उत्तर:
(d) सिनेप्स।

प्रश्न 30.
मानव में जीवन पद्धतियों का नियन्त्रण एवं नियमन निम्न के द्वारा होता है –
(a) जनन एवं अन्तःस्रावी तन्त्र।
(b) श्वसन एवं तन्त्रिका तन्त्र।
(c) अन्तःस्रावी एवं पाचन तन्त्र।
(d) तन्त्रिका एवं अन्तःस्रावी तन्त्र।
उत्तर:
(d) तन्त्रिका एवं अन्तःस्रावी तन्त्र।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. हमारे शरीर में नियन्त्रण एवं समन्वय का कार्य ………… तथा ………… द्वारा होता है।
  2. तन्त्रिका तन्त्र हमारी …………. द्वारा सूचना प्राप्त करता है तथा हमारी ………….. द्वारा क्रिया करता है।
  3. तन्त्रिका तन्त्र की प्रमुख इकाई ………… होता है।
  4. रासायनिक समन्वय ………….. द्वारा होता है।
  5. पौधों में केवल ………….. समन्वय होता है।

उत्तर:

  1. तन्त्रिका तन्त्र, हॉर्मोन।
  2. ज्ञानेन्द्रियों, पेशियों।
  3. न्यूरॉन।
  4. हॉर्मोन।
  5. रासायनिक।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 3
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (f)
  5. → (b)
  6. → (a)

सत्य/असत्य कथन

  1. आकस्मिक पर्यावरणीय संवेदना की तुरन्त प्रतिक्रिया प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है।
  2. संवेदी न्यूरॉन मेरुरज्जु से आवेग को पेशियाँ तक पहुँचाती है।
  3. मोटर न्यूरॉन ग्राही अंगों से आवेग को मेरुरज्जु तक पहुँचाते हैं।
  4. संवेदी आवेगों के गमन का पथ ग्राही से मेरुरज्जु होते हुए पेशियों या ग्रंथियों तक का प्रतिवर्ती चाप कहलाता है।
  5. मस्तिष्क का सोचने-समझने वाला भाग पश्च मस्तिष्क है।
  6. सुनने, सूंघने, दृष्टि एवं याददास्त के केन्द्र अग्र मस्तिष्क में स्थित हैं।
  7. लार आना, उल्टी आना, रक्त चाप आदि अनैच्छिक क्रियाएँ पश्च मस्तिष्क के मैड्यूला द्वारा नियन्त्रित होती है।
  8. अनुमस्तिष्क हमारे शरीर के सन्तुलन को नियन्त्रित नहीं करता है।

उत्तर:

  1. सत्य।
  2. असत्य।
  3. असत्य।
  4. सत्य।
  5. असत्य।
  6. सत्य।
  7. सत्य।
  8. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. पौधों में नियन्त्रण एवं समन्वय किस तन्त्र द्वारा होता है?
  2. कशेरुकी जन्तुओं में किन तन्त्रों द्वारा नियन्त्रण एवं समन्वय होता है?
  3. किस हॉर्मोन की कमी से मधुमेह का रोग होता है?
  4. मनुष्य में आयोडीन की कमी से कौन-सा रोग होता है? (2019)
  5. अग्न्याशय में किस हॉर्मोन का स्रावण होता है?

उत्तर:

  1. अन्तःस्रावी तन्त्र।
  2. तन्त्रिका तन्त्र एवं अन्तःस्रावी तन्त्र।
  3. इन्सुलिन।
  4. घेघा।
  5. इन्सुलिन।

MP Board Class 10th Science Chapter 7 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
तन्त्रिका तन्त्र से क्या समझते हो?
उत्तर:
तन्त्रिका तन्त्र:
“प्राणियों में समझने, सोचने और किसी भी चीज को याद रखने के साथ-साथ शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों में समन्वय एवं सन्तुलन स्थापित करके, नियन्त्रण बनाए रखने वाला तन्त्र तन्त्रिका तन्त्र कहलाता है।”

प्रश्न 2.
तन्त्रिका तन्त्र को कितने भागों में विभाजित किया जाता है? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
तन्त्रिका तन्त्र के मुख्य भाग-तन्त्रिका तंत्र के निम्न मुख्य तीन भाग हैं –

  1. केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र।
  2. परिधीय तन्त्रिका तन्त्र।
  3. स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क क्या होता है?
उत्तर:
मस्तिष्क: “केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र का वह भाग (अंग) जो कपालगुहा में सुरक्षित रहता है, मस्तिष्क कहलाता है।”

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प्रश्न 4.
सुषुम्ना या मेरुरज्जु से क्या समझते हो?
उत्तर:
कशेरुक दण्ड की गुहिका में स्थित सुरक्षित केन्द्रीय तन्त्र का वह भाग (अंग) जो संयोजी ऊतकों से बनी तीन झिल्लियों से ढकी संरचना है, सुषुम्ना या मेरुरज्जु कहलाती है।”

प्रश्न 5.
हॉर्मोन्स से क्या समझते हो?
उत्तर:
हॉर्मोन्स:
“विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ जो विशिष्ट भागों या कोशिकाओं द्वारा स्रावित होते हैं और विशेष प्रकार की कोशिकाओं की क्रियाशीलता या कार्यशीलता को प्रभावित करते हैं तथा विविध क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वय करते हैं, हॉर्मोन्स कहलाते हैं।”

प्रश्न 6.
अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ क्या होती हैं?
उत्तर:
अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ:
“शरीर में पायी जाने वाली विशेष प्रकार की ग्रंथियाँ जिनसे हॉर्मोन्स का स्रावण होता है, अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ कहलाती हैं।”

प्रश्न 7.
न्यूरॉन किसे कहते हैं?
उत्तर:
न्यूरॉन या तन्त्रिका कोशा:
“तन्त्रिका तन्त्र की सूक्ष्मतम इकाई कोशा अथवा ऊतक तन्त्रिका कोशा या तन्त्रिका ऊतक या न्यूरॉन कहलाती है।”

प्रश्न 8.
प्रत्यावर्ती (प्रतिवर्ती) क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्यावर्ती (प्रतिवर्ती) क्रिया:
“वे अनैच्छिक क्रियाएँ जो किसी प्रेरणा या उद्दीपन या फिर किसी प्रतिक्रिया के रूप में होती है। प्रत्यावर्ती (प्रतिवी) क्रियाएँ कहलाती है।”

प्रश्न 9.
प्रतिवर्ती (प्रत्यावर्ती) चाप से क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्रतिवर्ती (प्रत्यावर्ती) चाप:
“तन्त्रिकीय तत्व जो प्रतिवर्ती क्रिया को संचालित करते हैं तथा एक चाप बनाते हैं जिसे प्रत्यावर्ती (प्रतिवर्ती) चाप कहते हैं।

प्रश्न 10.
सुषुम्ना (मेरुरज्जु) के दो प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
सुषुम्ना (मेरुरज्जु) के प्रमुख कार्य:

  1. मस्तिष्क से आने वाली प्रेरणाओं या संवेदनाओं का संवहन करना।
  2. प्रतिवर्ती क्रियाओं का समन्वय एवं नियन्त्रण करना।

प्रश्न 11.
अनुवर्तन गति किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
अनुवर्तन गति:
“पर्यावरणीय उद्दीपन के कारण पेड़-पौधे दिशिक गतियाँ करते हैं, जिन्हें अनुवर्तन गति कहते हैं।” ये गतियाँ उद्दीपन की दिशा में भी हो सकती हैं अथवा विपरीत ।

उदाहरण:
पौधों का प्ररोह तन्त्र प्रकाश की ओर एवं जड़ तन्त्र अन्धकार की ओर गति करता है।

प्रश्न 12.
प्रकाशानुवर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रकाशानुवर्तन:
“पौधों का प्ररोह तन्त्र प्रकाश की ओर तथा जड़ तन्त्र अन्धकार की ओर अर्थात् प्रकाश के विपरीत गति करता है। प्रकाश के कारण होने वाले इस अनुवर्तन गति को प्रकाशानुवर्तन कहते हैं।”

प्रश्न 13.
जलानुवर्तन से क्या समझते हो?
उत्तर:
जलानुवर्तन:
“पौधों का जड़ तन्त्र जल की ओर गति करता है। जल के उद्दीपन के कारण होने वाली यह अनुवर्तन गति जलानुवर्तन कहलाती है।”

प्रश्न 14.
गुरुत्वानुवर्तन से क्या समझते हो?
उत्तर:
गुरुत्वानुवर्तन:
“पौधे का प्ररोह तन्त्र गुरुत्व के विपरीत ऊपर की ओर गति करता है तथा जड़ तन्त्र गुरुत्व की ओर अर्थात् नीचे की ओर गति करता है। गुरुत्वीय उद्दीपन के कारण होने वाली यह अनुवर्तन गति गुरुत्वानुवर्तन कहलाती है।

प्रश्न 15.
क्या होगा जब हमारे खाने में आयोडीन की कमी हो जाएगी?
उत्तर:

  1. आयोडीन की भोजन में कमी के कारण थायरॉइड द्वारा थायरॉक्सिन हॉर्मोन्स का स्रावण कम होगा जिसके फलस्वरूप कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा की चयापचय अभिक्रिया बाधित होगी।
  2. इसके अतिरिक्त आयोडीन की कमी से व्यक्ति घेघा रोग से पीड़ित हो सकता है।

प्रश्न 16.
दो न्यूरॉन के मध्य सिनेप्स में क्या घटित होता है?
उत्तर:
जब एक इलेक्ट्रिक आवेग एक न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे पर पहुँचता है तो यह कुछ रासायनिक पदार्थों का विमोचन करता है जो सिनेप्स को पार करके दूसरे न्यूरॉन के डेण्ड्राइट सिरे की ओर बढ़ता है और अन्य इलेक्ट्रिक आवेग उत्पन्न करता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आकृति भाग (a), (b), (c) एवं (d) का नामांकन कीजिए तथा इलेक्ट्रिकल संकेत (आवेग) की दिशा प्रदर्शित कीजिए।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 4
उत्तर:
(a) संवेदी न्यूरॉन।
(b) मेरुरज्जु (CNS)।
(c) मोटर न्यूरॉन।
(d) भुजा की पेशियाँ।

इलेक्ट्रिकल संकेत (आवेग) की दिशा –
ग्राही – संवेदी न्यूरॉन – मेरुरज्जु – मोटर न्यूरॉन – शी।

प्रश्न 2.
निम्न के लिए जबावदेय हॉर्मोन्स के नाम लिखिए –

  1. कोशिकाओं की लम्बाई में वृद्धि करना।
  2. तने की वृद्धि करना।
  3. कोशिका विभाजन को प्रोत्साहन देना।
  4. परिपक्व पत्तियों का गिरना (पतझड़)।

उत्तर:

  1. ऑक्सिन।
  2. जिबरेलिन।
  3. साइटोकाइनिन।
  4. ऐब्सिसिक अम्ल।

प्रश्न 3.
अन्तःस्रावी ग्रंथियों को संलग्न चित्र में नामांकित कीजिए।
उत्तर:
(a) पिनियल ग्रंथि।
(b) पिट्यूटरी ग्रंथि।
(c) थायरॉइड ग्रंथि।
(d) थायमस ग्रंथि।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 5

प्रश्न 4.
संलग्न चित्र के (a), (b) एवं (c) में कौन अधिक सही है और क्यों?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 6
उत्तर:
(a) अधिक सत्य है, क्योंकि गुरुत्वानुवर्तन के कारण पौधे का प्ररोह तन्त्र गुरुत्व के विपरीत ऊपर की ओर गति करता है, जबकि जड़ तन्त्र गुरुत्व की ओर नीचे की तरफ गति करता है।

प्रश्न 5.
संलग्न चित्र में भाग (a), (b), (c) एवं (d) को नामांकित कीजिए।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 7
उत्तर:
(a) डेण्ड्राइट
(b) कोशिकाकाय
(c) एक्सॉन,
(d) तन्त्रिका (न्यूरॉन) सिरा या एक्सॉन सिरा।

प्रश्न 6.
प्रतिवर्ती चाप का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रतिवर्ती चाप का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 8

प्रश्न 7.
प्रतिवर्ती क्रियाविधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रियाविधि (Process of Reflex Action):
प्रतिवर्ती क्रिया में मेरुरज्जु (Spinal cord) भाग लेती है जबकि मस्तिष्क का इसमें कोई कार्य नहीं होता। मनुष्य की इच्छा के बिना ये क्रियाएँ बाहरी उद्दीपनों के फलस्वरूप होती हैं। जैसे कि जब हम किसी गर्म वस्तु को छूते हैं तो एकाएक अपना हाथ हटा लेते हैं। इस प्रकार संवेदनाओं को संवेदी अंगों (Sensory organs) से संवेदी तन्त्रिकाओं (Sensory neurons) के माध्यम से मेरुरज्जु तक पहुँचा दिया जाता है।

यह संवेदना या प्रेरणा सुषुम्ना में पाए जाने वाले संवेदी तन्तुओं में से होकर पृष्ठीय मूल के द्वारा सुषुम्ना तक पहुँचती हैं तथा सायटॉन के एक्सॉन सुषुम्ना के धूसर द्रव्य में इन्हें ले जाते हैं। धूसर द्रव्य में से प्रेरणा या संवेदना चालक तन्त्रिका में पहुँचती है। चालक तन्त्रिका सुषुम्ना तन्त्रिका के आधारीय मूल से निकल कर पेशियों में जाकर विभाजित हो जाती है। पेशी प्रेरणा या उद्दीपन के अनुसार कार्य करती है, अतः हाथ उठ जाता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए –

  1. यौवनारम्भ के समय महिलाओं में जो शारीरिक परिवर्तन देखने को मिलते हैं उसके लिए कौन-सा हॉर्मोन उत्तरदायी है ?
  2. किस हॉर्मोन की कमी से शरीर बौना रह जाता है?
  3. किस हॉर्मोन की कमी के कारण रक्त का शर्करा का स्तर बढ़ जाता है?
  4. किस हॉर्मोन के संश्लेषण के लिए आयोडीन आवश्यक है?

उत्तर:

  1. ऑस्टेरोजिन।
  2. वृद्धि हॉर्मोन।
  3. इन्सुलिन।
  4. थायरॉक्सिन।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए –

  1. मस्तिष्क से सम्बन्धित अन्तःस्रावी ग्रंथि का नाम लिखिए।
  2. कौन-सी ग्रंथि पाचक एन्जाइम एवं हॉर्मोन्स का स्रावण करते हैं?
  3. वृक्क से सम्बन्धित अन्तःस्रावी ग्रंथि का नाम लिखिए।
  4. कौन-सी अन्तःस्रावी ग्रंथि पुरुषों में मिलती है, लेकिन महिलाओं में नहीं।

उत्तर:

  1. पिट्यूटरी।
  2. पैंक्रियाज।
  3. ऐड्रीनल।
  4. वृषण।

प्रश्न 10.
कौन-से घटक केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र एवं परिधीय तन्त्रिका तन्त्र का निर्माण करते हैं? केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र के घटक अवयवों की सुरक्षा कैसे होती है?
उत्तर:
मस्तिष्क एवं सुषुम्ना (मेरुरज्जु) केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र का निर्माण करते हैं तथा परिधीय तन्त्रिका तन्त्र में तन्त्रिका कोशिकाओं का जाल बिछा रहता है।

मस्तिष्क की सुरक्षा कपाल गुहा से होती है जो खोपड़ी की हड्डियों से बना एक मजबूत खोल होता है जिसमें हृदय स्थित होता है तथा सुरक्षित रहता है।

सुषुम्ना (मेरुरज्जु) मजबूत हड्डियों से बनी कशेरुक दण्ड की गुहिका में सुरक्षित होता है। इसके अतिरिक्त इन दोनों अंगों की बाह्य आघातों से सुरक्षा इनमें उपस्थित मस्तिष्क-सुषुम्ना द्रव्य के द्वारा भी होती है।

प्रश्न 11.
जन्तुओं में रासायनिक नियन्त्रण एवं समन्वय कैसे होता है?
उत्तर:
जन्तुओं के शरीर में उपस्थित विभिन्न अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ विभिन्न प्रकार के हॉर्मोनों का स्रावण करती हैं। ये हॉर्मोन रक्त में मिल जाते हैं जहाँ से विशिष्ट ऊतकों अथवा अंगों में चले जाते हैं, जिन्हें लक्ष्य ऊतक या लक्ष्य अंग कहते हैं। उस लक्ष्य ऊतक या लक्ष्य अंग में ये हॉर्मोन विशिष्ट जैव-रासायनिक या शारीरिक क्रियाओं का सम्पादन करते हैं। इस प्रकार जन्तुओं में रासायनिक या हॉर्मोनल नियन्त्रण एवं समन्वय होता है।

प्रश्न 12.
किसी सिनेप्स में एक न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे से दूसरे न्यूरॉन के डेण्डाइट सिरे तक संकेतों या आवेग का प्रवाह होता है, लेकिन इसके उलट नहीं। क्यों?
उत्तर:
जब कोई विद्युत् आवेग किसी न्यूरॉन के एक्सॉन सिरे पर पहुँचता है, तो यह एक रासायनिक पदार्थ का विमोचन करता है। यह रसायन दूसरे न्यूरॉन के डेण्ड्राइट सिरे की सिरे की ओर प्रसरण करता है जहाँ यह विद्युत् आवेग (संकेत) उत्पन्न करता हैं। इस प्रकार विद्युत् आवेग एक रासायनिक संकेत में परिवर्तित हो जाता है। चूँकि यह रसायन डेण्ड्राइट सिरे पर अनुपस्थित होता है इसलिए इलैक्ट्रिकल संकेत रासायनिक संकेतों में परिवर्तित नहीं होता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 7 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मस्तिष्क के मुख्य भाग क्या हैं? विभिन्न भागों के कार्य लिखिए।
उत्तर:
मस्तिष्क के मुख्य भाग एवं उनके कार्य:
(a) अग्र मस्तिष्क-इसके निम्नलिखित दो उपभाग हैं –
(1) प्रमस्तिष्क:
इसका प्रमुख कार्य तन्त्रिका तन्त्र के अन्य शेष भागों पर नियन्त्रण रखना है। इसके अतिरिक्त यह बुद्धि, विचार, स्मृति, अनुभव एवं मनोभाव का केन्द्र है तथा सभी ऐच्छिक क्रियाओं का नियन्त्रण करता है। इसके अविकसित होने से मंदबुद्धि होते हैं।

(2) हाइपोथैलेमस:
यह तन्त्रिका तन्त्र का संगठन केन्द्र होता है। यह जननांग, अन्तःस्रावी ग्रंथियों, हृदय आदि की क्रियाओं पर नियन्त्रण रखता है।

(b) मध्य मस्तिष्क: यह दृष्टि एवं श्रवण उद्दीपन को ग्रहण करता है।

(c) पश्च मस्तिष्क:
इसके निम्नलिखित तीन उपभाग हैं –

  1. अनुमस्तिष्क-यह अंग विन्यास एवं शारीरिक संतुलन को बनाए रखता है।
  2. पॉन्स वेरोलाई-यह अनुमस्तिष्क के एक भाग से दूसरे भाग को प्रेरणाओं के प्रेषण का कार्य करता है तथा पेशीय गतियों पर नियन्त्रण रखता है।
  3. मैड्यूला ऑब्लांगेटा-यह अनैच्छिक क्रियाओं पर नियन्त्रण करता है।
  4. प्रमस्तिष्क गोलार्डों के नीचे एक छोटा भाग डायनसेफेलॉन होता है जो शरीर की उपापचय क्रियाओं पर नियन्त्रण करता है। यह शारीरिक ताप एवं जनन क्रियाओं को नियन्त्रित करता है।

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प्रश्न 2.
निम्न हॉर्मोन्स में से प्रत्येक का एक कार्य लिखिए –
(a) थायरॉक्सिन।
(b) इन्सुलिन।
(c) ऐडीनेलिन।
(d) वृद्धि हॉर्मोन्स।
(e) टेस्टोस्टेरॉन।
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 9

प्रश्न 3.
विभिन्न पादप हॉर्मोनों के नाम लिखिए तथा उनके पौधों की वृद्धि एवं विकास पर शारीरिक (कायिक) प्रभावों को लिखिए।
अथवा
चार पादप हॉर्मोन के नाम एवं कार्य लिखिए। (2019)
उत्तर:
पादप हॉर्मोनों के प्रकार एवं कार्य-पादप हॉर्मोन प्रमुख्तः निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं –

  1. ऑक्सिन।
  2. जिबरेलिन।
  3. साइटोकाइनिन।
  4. ऐब्सिसिक अम्ल (ABA) वृद्धि रोधक।

1. ऑक्सिन:
कोशिकाओं की लम्बाई में वृद्धि, कोशिका विभाजन में सहयोग, पौधों की गतियों पर नियन्त्रण, पत्तियों को गिरने से रोकना, बीज रहित फलों के उत्पादन में सहायता करना।

2. जिबरेलिन:
बीजों के शीघ्र अंकुरण में सहायक, बौने पौधों की लम्बाई में वृद्धि, पौधों की पत्तियों को चौड़ी करने में सहायता करना।

3. साइटोकाइनिन:
प्रोटीन के संश्लेषण में सहायक, कोशिकाओं एवं तने की लम्बाई में वृद्धि, पार्श्व कलिकाओं में वृद्धि, जड़ों एवं पत्तियों की वृद्धि रोकने में सहायक एवं अंकुरण के समय उत्प्रेरक उत्पन्न करना।

4. ऐब्सिसिक अम्ल (ABA) वृद्धि रोधक:
पत्तियों के एवं फूलों के खुलने एवं बन्द करने की क्रियाओं का नियन्त्रण, पतझड़ की क्रिया को प्रोत्साहित करना तथा पौधों की वृद्धि दर को कम करना।

प्रश्न 4.
प्रतिवर्ती क्रिया क्या है? दो उदाहरण दीजिए। एक प्रतिवर्ती चाप की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रिया:
“वे अनैच्छिक क्रियाएँ जो किसी प्रेरणा या उद्दीपन या फिर किसी प्रतिक्रिया के रूप में होती हैं, प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है।”

प्रतिवर्ती क्रिया के उदाहरण:

  1. गर्म वस्तु पर पैर पड़ते ही पैर का एकदम उठना।
  2. आँख के आगे अचानक तिनके के आने से आँख के पलक का झपकना।

प्रतिवर्ती चाप:
तन्त्रिकीय तन्त्र जो प्रतिवर्ती क्रिया को संचालित करते हैं तथा एक चाप बनाते हैं जिसे प्रतिवर्ती चाप कहते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 10

प्रश्न 5.
“तन्त्रिकीय तन्त्र एवं अन्तःस्रावी (हॉर्मोनल) तन्त्र मिलकर मानव शरीर में नियन्त्रण एवं समन्वय के कार्य को पूर्ण करते हैं।” कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
अन्तःस्रावी तन्त्र एवं तन्त्रिका तन्त्र द्वारा मानव शरीर में नियन्त्रण एवं समन्वय मानव शरीर में हॉर्मोनल नियन्त्रण एवं समन्वय:
मानव के शरीर में विशेष प्रकार की ग्रन्थि पाई जाती है जिनसे विशेष प्रकार के कार्बनिक रासायनिक पदार्थ स्रावित होते हैं, जिन्हें जन्तु हॉर्मोन्स या हॉर्मोन्स कहते हैं। इन ग्रन्थियों को अन्त:स्रावी ग्रन्थियाँ कहते हैं। ये हॉर्मोन्स विभिन्न प्रकार की ग्रन्थियों में स्रावित होकर रक्त में मिल जाते हैं।

रक्त के द्वारा ये हॉर्मोन्स विभिन्न प्रकार के अंगों की विभिन्न कोशिकाओं में पहुँचते हैं तथा उन कोशिकाओं को उत्तेजित करके उनकी क्रियाशीलता को बढ़ा देते हैं तथा उसका नियन्त्रण करते हैं। ये हॉर्मोन्स वृद्धि उपापचय क्रियाओं एवं विभिन्न प्रकार की शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वय करते हैं। यह नियन्त्रण एवं समन्वय हॉर्मोनल नियन्त्रण एवं समन्वय कहलाता है।

तन्त्रिकीय समन्वय एवं नियन्त्रण (Coordination and Control by Nervous Systems):
मनुष्यों में शरीर की विभिन्न क्रियाएँ एक विशिष्ट एवं विकसित तन्त्र द्वारा समन्वित, नियन्त्रित एवं संचालित होती हैं, जिसकी तन्त्रिका तन्त्र कहते हैं। तन्त्रिका तन्त्र की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई न्यूरॉन होती है। तन्त्रिका तन्त्र में संकेत तन्त्रिका उद्दीपनों के रूप में उत्पन्न होते हैं, जो कि वातावरणीय उद्दीपनों के प्रति तीव्र व्यवहार प्रवाह करती हैं।

बाह्य वातावरण से प्राप्त प्रेरणाएँ या संवेदनाएँ न्यूरॉन को उत्प्रेरित करके शरीर के विभिन्न भागों में समन्वय एवं नियमन स्थापित करती हैं। सजीवों के शरीर के आन्तरिक वातावरण में विभिन्न अंगों के बीच समन्वय, न्यूरॉन के द्वारा स्थापित किया जाता है।
शरीर की सम्पूर्ण ऐच्छिक एवं अनैच्छिक तथा प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियन्त्रण, केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (मस्तिष्क एवं सुषुम्ना) के द्वारा किया जाता है।

इस प्रकार मनुष्य एवं अन्य बहुकोशिकीय जन्तुओं के शरीर के बाह्य वातावरण, आन्तरिक वातावरण, संतुलन एवं संवेदी अंगों में नियन्त्रण एवं समन्वय, तन्त्रिका तन्त्र के द्वारा स्थापित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि किस प्रकार अन्तःस्रावी (हॉर्मोनल) तन्त्र एवं तन्त्रिका तन्त्र मिलकर मानव शरीर में नियन्त्रण एवं समन्वय बनाए रखते हैं।

MP Board Class 10th Science Solutions

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

MP Board Class 10th Science Chapter 6 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न शृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 105

प्रश्न 1.
हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?
उत्तर:
हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की शरीर के सभी भागों को आवश्यकता होती है तथा इन जीवों की सभी कोशिकाएँ अपने आस-पास के पर्यावरण के सीधे सम्पर्क में नहीं रहती अत: साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर सकता इसलिए विसरण अपर्याप्त है।

प्रश्न 2.
कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदण्ड का उपयोग करेंगे?
उत्तर:
कोई वस्तु सजीव है इसका निर्धारण करने के लिए हम विभिन्न प्रकार की अदृश्य आण्विक गतियों को जीवन सूचक मापदण्ड मानेंगे।

प्रश्न 3.
किसी जीव द्वारा किन-किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
किसी जीव द्वारा कच्ची सामग्री के रूप में विभिन्न कार्बन आधारित अणुओं, ऑक्सीजन, जल एवं सौर ऊर्जा तथा विभिन्न लवणों का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?
उत्तर:
जीवन के अनुरक्षण के लिए हम पोषण, श्वसन, शरीर के अन्दर पदार्थों का संवहन तथा अपशिष्ट हानिकारक पदार्थों के उत्सर्जन आदि प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 111

प्रश्न 1.
स्वयंपोषी पोषण एवं विषमपोषी पोषण में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्वयंपोषी पोषण में जीव बाहर से कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल ग्रहण करके क्लोरोफिल एवं सौर प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश – संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, जबकि विषमपोषी पोषण में जीव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वयंपोषी जीवों द्वारा निर्मित भोजन ग्रहण करते हैं।

प्रश्न 2.
प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?
उत्तर:
प्रकाश-संश्लेषण के लिए पौधा जल मृदा से तथा कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल से एवं ऊर्जा सौर प्रकाश से प्राप्त करता है।

प्रश्न 3.
हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
उत्तर:
हमारे आमाशय में अम्ल भोजन के साथ आये हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है तथा माध्यम को अम्लीय बनाता है जो पेप्सिन एन्जाइम की क्रिया में सहायक होता है, लेकिन अधिक मात्रा में अम्ल अम्लीयता (ऐसिडिटी) पैदा करता है।

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प्रश्न 4.
पाचक एन्जाइमों का क्या कार्य है?
उत्तर:
पाचक एन्जाइम जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में परिवर्तित करने में सहायक होते हैं। ये कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज में, वसा को वसीय अम्लों में तथा प्रोटीनों को अमीनो अम्लों में परिवर्तित करके भोजन का पाचन करते हैं।

प्रश्न 5.
पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रान्त को कैसे अभिकल्पित किया गया
उत्तर:
क्षुद्रान्त की भित्ति के आन्तरिक अस्तर पर अनेक अँगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं। ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं तथा दीर्घ रोमों में रुधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है जो पचे हुए भोजन का अवशोषण कर लेते हैं। इस प्रकार क्षुद्रान्त को पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए अभिकल्पित किया गया है।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 116

प्रश्न 1.
श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर:
जलीय जीव श्वसन के लिए जल में घुली हुई ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं, जबकि स्थलीय जीव वायुमण्डल में उपस्थिति ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। जल में घुली ऑक्सीजन की मात्रा वायुमण्डल में उपलब्ध ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम होती है। इसलिए श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव ज्यादा लाभप्रद है।

प्रश्न 2.
ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं? (2019)
उत्तर:
ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ सर्वप्रथम कोशिकाद्रव्य में ग्लूकोज विखण्डित होकर तीन कार्बन अणु देता है, जिसे पायरुवेट कहते हैं। पायरुवेट पुनः चित्र के अनुसार विखण्डित होकर ऊर्जा देता है।

प्रश्न 3.
मनुष्य में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर:
मनुष्य में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन मनुष्य के रक्त की लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित लाल वर्णक हीमोग्लोबिन द्वारा होता है।

प्रश्न 4.
गैसों के विनियम के लिए मानव फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?
उत्तर:
हमारे फुफ्फुसों के मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाता है जिन्हें कपिका कहते हैं। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैस का विनिमय हो सके। इस प्रकार गैसों के विनिमय के लिए मानव फुफ्फुसों में अधिकतम क्षेत्रफल अभिकल्पित किया गया है।

प्रश्न श्रृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 122

प्रश्न 1.
मानव के वहन तन्त्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
मानव के वहन (परिसंचरण) तन्त्र के घटक निम्न हैं –

  1. रक्त (रुधिर)।
  2. हृदय।
  3. रुधिर वाहिकाएँ।

1. रक्त:
यह परिवहन माध्यम का कार्य करता है जो अपने अन्दर विभिन्न गैसों (कार्बन डाइऑक्साइड; ऑक्सीजन), विभिन्न एन्जाइमों, अपशिष्ट हानिकारक पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन करता है।

2. हृदय यह रक्त को विभिन्न भागों को भेजने एवं वहाँ से रक्त एकत्रित करने के लिए पम्प का कार्य करता है।

3. रुधिर वाहिकाएँ: इनके माध्यम से ही रक्त का विभिन्न भागों में परिवहन होता है।

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प्रश्न 2.
स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित एवं विऑक्सीजनित रुधिर को अलग-अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
स्तनधारी एवं पक्षियों को अपने शरीर एक तापमान बनाए रखने के लिए निरन्तर ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए उच्च ऊर्जा की आवश्यकता की आपूर्ति के लिए इनमें ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग-अलग करना आवश्यक है जिससे उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके।

प्रश्न 3.
उच्च संगठित पादप में वहन तन्त्र के घटक क्या हैं ?
उत्तर:
उच्च संगठित पादप में वहन तन्त्र के प्रमुख घटक हैं-जाइलम तथा फ्लोएम, जिन्हें संयुक्त रूप से संवहन ऊतक कहते हैं।

प्रश्न 4.
पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
उत्तर:
पादपों में जल एवं खनिज लवणों का वहन संवहन ऊतक जाइलम द्वारा होता है।

प्रश्न 5.
पादप में भोजन का स्थानान्तरण कैसे होता है?
उत्तर:
पादप में भोजन का स्थानान्तरण संवहन ऊतक फ्लोएम द्वारा होता है।

प्रश्न श्रृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 124

प्रश्न 1.
वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना एवं क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना:
केशिकागुच्छ (ग्लोमेरुलस) वृक्क में अनेक आधारी निस्यंदन एकक होते हैं, जिन्हें वृक्काणु (नेफ्रॉन) कहते हैं। इनमें बहुत वृक्क पतली भित्ति वाली रुधिर केशिकाओं का गुच्छ, (ग्लोमेरुलस) होता है जो एक नलिका के कप के आकार के सिरे के अन्दर होता है जिसे बोमन सम्पुट कहते हैं।

वृक्काणु (नेफ्रॉन) की क्रियाविधि:
वृक्क धमनी वृक्काणु की नलिका केशिका गुच्छ से छने हुए मूत्र जिसमें यूरिया, यूरिक अम्ल आदि होते हैं, को एकत्रित कर लेती है। इस प्रारम्भिक निस्यंद में कुछ उपयोगी पदार्थ ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं। नलिका में मूत्र जैसे-जैसे आगे बढ़ता है। इन पदार्थों का चयनित पुनरावशोषण हो जाता है। यह मूत्र प्रत्येक वृक्काणु नलिका से संग्राहक मूत्र वाहिनी में एकत्रित होता है जहाँ से मूत्राशय में जाकर एकत्रित हो जाता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 1

प्रश्न 2.
उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं?
उत्तर:
पादप अपशिष्ट पदार्थों से छुटकारा प्राप्त करने के लिए विविध तकनीकों का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए अपशिष्ट पदार्थ कोशिका रिक्तिका में संचित किए जा सकते हैं या गोंद व रेजिन के रूप में पुराने जाइलम से संचित हो सकते हैं अथवा गिरती पत्तियों द्वारा दूर किये जा सकते हैं या ये अपने आस-पास की मृदा में उत्सर्जित कर देते हैं। इस प्रकार पादप अपशिष्ट पदार्थों से छुटकारा पाने के लिए अनेक विधियों का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 3.
मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
मूत्र बनने की मात्रा का नियमन उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा एवं उत्सर्जन हेतु प्राप्त विलेय वर्ण्य की मात्रा पर निर्भर करता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 6 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मनुष्य में वृक्क एक तन्त्र का भाग है, जो सम्बन्धित है – (2019)
(a) पोषण।
(b) श्वसन।
(c) उत्सर्जन।
(d) परिवहन।
उत्तर:
(c) उत्सर्जन।

प्रश्न 2.
पादप में जाइलम उत्तरदायी है –
(a) जल का वहन।
(b) भोजन का वहन।
(c) अमीनो अम्ल का वहन।
(d) ऑक्सीजन का वहन।
उत्तर:
(a) जल का वहन।

प्रश्न 3.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है –
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल।
(b) क्लोरोफिल।
(c) सूर्य का प्रकाश।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
पायरुवेट का विखण्डन कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है –
(a) कोशिकाद्रव्य में।
(b) माइटोकॉण्ड्रिया में।
(c) हरितलवक में।
(d) केन्द्रक में।
उत्तर:
(b) माइटोकॉण्ड्रिया में।

प्रश्न 5.
हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?
उत्तर:
हमारे शरीर में वसा का पाचन क्षुद्रान्त्र के ऊपरी भाग ग्रहणी (ड्यूओडिनम) में होता है। जहाँ पित्ताशय से क्षारीय पित्त रस पित्त नली द्वारा भोजन में मिलता है जो भोजन के माध्यम को क्षारीय बना देता है जिससे अग्न्याशय से प्राप्त पाचक रस सक्रिय होते हैं। पित्त रस वसा को इमल्सीफाई कर देता है तथा अग्न्याशय रस से प्राप्त लाइपेज एन्जाइम इमल्सीफाइड वसा का पाचन वसीय अम्लों में कर देता है। इस प्रकार वसा का पाचन हमारे शरीर में क्षुद्रान्त के ऊपरी भाग में होता है।

प्रश्न 6.
भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर:
मुँह में स्थित लार ग्रंथियों से लार निकलकर चबाये हुए भोजन में मिलकर इसे चिकना तथा लसलसा बना देती है जिससे यह भोजननली में आसानी से फिसल सकता है। इससे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि लार में उपस्थित एन्जाइम एमाइलेज मण्ड के जटिल अणुओं को शर्करा में खण्डित कर देती है जो मण्ड की अपेक्षा काफी सरल अणु होते हैं। इस तरह लार भोजन के पाचन में अहम् भूमिका निभाती है।

प्रश्न 7.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?
उत्तर:
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ:

  1. कार्बन डाइऑक्साइड की उपलब्धता।
  2. जल की उपलब्धता।
  3. सौर ऊर्जा की उपलब्धता।
  4. क्लोरोफिल की उपलब्धता।

स्वपोषी पोषण के उपोत्पाद:

  1. ग्लूकोज।
  2. ऑक्सीजन गैस।

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प्रश्न 8.
वायवीय एवं अवायवीय श्वसन में क्या अन्तर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
उत्तर:
वायवीय श्वसन एवं अवायवीय श्वसन में अन्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2

प्रश्न 9.
गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
उत्तर:
कूपिकाएँ गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए पर्याप्त सतह उपलब्ध कराती हैं।

प्रश्न 10.
हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर:
श्वसन के फलस्वरूप प्राप्त ऑक्सीजन का परिवहन करने तथा उसे ऊतकों तक पहुँचाने का कार्य हीमोग्लोबिन करता है। इसकी कमी से श्वसन क्रिया प्रभावित होगी। शरीर को ऊर्जा कम मिलेगी क्योंकि ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा प्राप्त नहीं होगी।

प्रश्न 11.
मनुष्य में दोहरे परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
“मनुष्य में प्रत्येक चक्र में रुधिर दो बार हृदय में जाता है। इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं।” इस प्रक्रिया में एक बार ऑक्सीजनित रक्त फुफ्फुसों (फेफड़ों) से हृदय में आता है तो दूसरी बार अनॉक्सीजनित रक्त शरीर के विभिन्न भागों से हृदय में आता है।
दोहरा परिसंचरण ऑक्सीजनित एवं विऑक्सीजनित रुधिर को मिलने से रोकने में सहायक होता है जिससे उच्च ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 12.
जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जाइलम पादपों में जड़ों द्वारा मृदा से अवशोषित जल एवं खनिजों को पत्तियों तक पहुँचाने के लिए वहन करते हैं, जबकि फ्लोएम पत्तियों द्वारा निर्मित खाद्य पदार्थों को पादप के विभिन्न भागों तक पहुँचाने के लिए वहन करते हैं।

प्रश्न 13.
फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।
उत्तर:
फुफ्फुस में कूपिकाओं की रचना श्वसन नलिकाओं के सिरों की फूले हुए गुब्बारे की तरह संरचना होती है, जबकि वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना में रुधिर केशिकाओं का गुच्छा होता है जो एक नलिका के कप के आकार के सिरे के अन्दर स्थित होता है।
कृपिकाओं का कार्य गैसों के विनिमय के लिए सतह उपलब्ध कराना है, जबकि वृक्काणु का कार्य मूत्र का निस्यंदन करना तथा मूत्र में मिले आवश्यक पदार्थों का पुनरावशोषण करना है।

MP Board Class 10th Science Chapter 6 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वपोषी जीवों के सम्बन्ध में निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) वे सौर-प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल से कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करते हैं।
(b) वे कार्बोहाइड्रेट का संचय स्टार्च के रूप में करते हैं।
(c) वे कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं जल को सौर-प्रकाश की अनुपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित कर देते हैं।
(d) वे खाद्य श्रृंखला के प्रथम पोषी स्तर का निर्माण करते हैं।
उत्तर:
(c) वे कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं जल को सौर-प्रकाश की अनुपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित कर देते हैं।

प्रश्न 2.
निम्न में से जीवों के किस समूह में खाद्य पदार्थों को शरीर से बाहर पहले विखण्डित किया जाता है फिर अवशोषण?
(a) मशरूम, हरे पौधे, अमीबा।
(b) यीस्ट, मशरूम, ब्रेड मोल्ड।
(c) पैरामीशियम, अमीबा, कस्कुटा।
(d) कस्कुटा, लाइस, टेपवर्म।
उत्तर:
(b) यीस्ट, मशरूम, ब्रेड मोल्ड।

प्रश्न 3.
सही कथन चुनिए –
(a) विषमपोषी अपने भोजन का स्वयं संश्लेषण नहीं करते हैं।
(b) विषमपोषी प्रकाश-संश्लेषण के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
(c) विषमपोषी अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं।
(d) विषमपोषी कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल को कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित करने में सक्षम हैं।
उत्तर:
(a) विषमपोषी अपने भोजन का स्वयं संश्लेषण नहीं करते हैं।

प्रश्न 4.
मानव आहार नाल के विभिन्न अंगों (भागों) का सही क्रम क्या है?
(a) मुँह → आमाशय → छोटी आँतें → ग्रसिका → बड़ी आँतें।
(b) मुँह → ग्रसिका → आमाशय → बड़ी आँतें → छोटी आँतें।
(c) मुँह → आमाशय → ग्रसिका → छोटी आँतें → बड़ी आँतें।
(d) मुँह → ग्रसिका → आमाशय → छोटी आँतें → बड़ी आँतें।
उत्तर:
(d) मुँह → ग्रसिका → आमाशय → छोटी आँतें → बड़ी आँतें।

प्रश्न 5.
यदि लार में लार-एमाइलेज का अभाव हो जाए तो मुखगुहा की कौन-सी घटना प्रभावित होगी?
(a) प्रोटीन का अमीनो अम्ल में विघटन (टूटना)।
(b) ‘स्टार्च का सुगर में विघटन (टूटना)।
(c) वसा का वसीय अम्ल में टूटना (विघटन)।
(d) विटामिनों का अवशोषण।
उत्तर:
(b) ‘स्टार्च का सुगर में विघटन (टूटना)।

प्रश्न 6.
आमाशय का आन्तरिक अस्तर की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से रक्षा निम्न में किसके द्वारा होती है?
(a) पेप्सिन।
(b) म्यूकस।
(c) लार-एमाइलेज।
(d) पित्तरस।
उत्तर:
(b) म्यूकस।

प्रश्न 7.
भोजन नली का कौन-सा भाग यकृत से पित्तरस प्राप्त करता है?
(a) आमाशय।
(b) क्षुद्रान्त्र।
(c) वृहदान्त्र।
(d) ग्रसिका।
उत्तर:
(b) क्षुद्रान्त्र।

प्रश्न 8.
चावल के पानी में कुछ बूंदें आयोडीन विलयन की डाली जायें तो विलयन का रंग नीला-काला हो जाता है। इससे प्रदर्शित होता है कि चावल के पानी में उपस्थित है –
(a) जटिल प्रोटीन।
(b) साधारण प्रोटीन।
(c) वसा।
(d) स्टार्च।
उत्तर:
(d) स्टार्च।

प्रश्न 9.
भोजन नली के किस भाग में भोजन का पूर्ण पाचन हो जाता है?
(a) आमाशय।
(b) मुखगुहा।
(c) वृहदान्त्र।
(d) क्षुद्रान्त्र।
उत्तर:
(d) क्षुद्रान्त्र।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन-सा कार्य पेन्क्रियाज जूस का है?
(a) ट्रिप्सिन प्रोटीन का एवं लाइपेज कार्बोहाइड्रेट का पाचन करता है।
(b) ट्रिप्सिन इमल्सीफाइड वसा का तथा लाइपेज प्रोटीन का पाचन करता है।
(c) ट्रिप्सिन एवं लाइपेज दोनों वसा का पाचन करते हैं।
(d) ट्रिप्सिन प्रोटीन का एवं लाइपेज इमल्सीफाइड वसा का पाचन करते हैं।
उत्तर:
(b) ट्रिप्सिन इमल्सीफाइड वसा का तथा लाइपेज प्रोटीन का पाचन करता है।

प्रश्न 11.
जब चूने के पानी युक्त परखनली में मुँह से हवा फूंकते हैं, तो चूने का पानी दूधिया हो जाता है, निम्न की उपस्थिति के कारण-
(a) ऑक्सीजन।
(b) कार्बन डाइऑक्साइड।
(c) नाइट्रोजन।
(d) जलवाष्प।
उत्तर:
(b) कार्बन डाइऑक्साइड।

प्रश्न 12.
यीस्ट में अवायवीय श्वसन का सही क्रम है –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 3
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 4

प्रश्न 13.
वायवीय श्वसन के लिए निम्न में कौन सर्वाधिक सही है?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 5
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 6

प्रश्न 14.
निम्न में निःश्वसन में वायु प्रवाह का सही क्रम कौन-सा है?
(a) नॉस्ट्रिल → लेरिंग्स → फेरिंग्स → ट्रेकिया → फेफड़े।
(b) नॉस्ट्रिल → ट्रेकिया → फेरिंग्स → लेरिंग्स → एल्वोली।
(c) लेरिंग्स → नॉस्ट्रिल → फेरिंग्स → फेफड़े।
(d) नॉस्ट्रिल → फेरिंग्स → लेरिंग्स → ट्रेकिया → एल्वोली।
उत्तर:
(d) नॉस्ट्रिल → फेरिंग्स → लेरिंग्स → ट्रेकिया → एल्वोली।

प्रश्न 15.
श्वसन के समय गैसों का आदान-प्रदान होता है निम्न में –
(a) ट्रेकिया एवं लेरिंग्स।
(b) एल्वोली (फेफड़े)।
(c) एल्वोली एवं थ्रोट (गला)।
(d) थ्रोट (गला) एवं लेरिंग्स।
उत्तर:
(b) एल्वोली (फेफड़े)।

प्रश्न 16.
हृदय के अन्दर उसके संकुचन के समय रक्त को वापस लौटने से कौन रोकता है?
(a) हृदय में वाल्व।
(b) वेण्ट्रिकल की मोटी दीवारें।
(c) एट्रिया की पतली दीवारें।
(d) ऊपर के सभी।
उत्तर:
(a) हृदय में वाल्व।

प्रश्न 17.
गुर्दो की निस्यन्दन इकाई कहलाती है –
(a) यूरेटर।
(b) यूरेथ्रा।
(c) न्यूरॉन।
(d) नेफ्रॉन।
उत्तर:
(d) नेफ्रॉन।

प्रश्न 18.
प्रकाश-संश्लेषण के समय मुक्त होने वाली ऑक्सीजन प्राप्त होती है, निम्न से –
(a) जल।
(b) क्लोरोफिल।
(c) कार्बन डाइऑक्साइड।
(d) ग्लूकोज।
उत्तर:
(a) जल।

प्रश्न 19.
ऊतकों से निकलने के बाद रक्त में वृद्धि होती है –
(a) CO2
(b) जल।
(c) हीमोग्लोबिन।
(d) ऑक्सीजन।
उत्तर:
(a) CO2

प्रश्न 20.
निम्न में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) जीव समय के साथ वृद्धि करते हैं।
(b) जीव अपने ढाँचे की मरम्मत एवं अनुरक्षण करते हैं।
(c) कोशिकाओं में अणुओं का संचालन नहीं होता है।
(d) जैव प्रक्रम के लिए ऊर्जा आवश्यक है।
उत्तर:
(c) कोशिकाओं में अणुओं का संचालन नहीं होता है।

प्रश्न 21.
स्वयंपोषी जीवों में आन्तरिक कोशिकीय ऊर्जा एकत्रित रहती है निम्न में –
(a) ग्लाइकोजन।
(b) प्रोटीन।
(c) स्टार्च।
(d) वसीय अम्ल।
उत्तर:
(c) स्टार्च।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित में से कौन प्रकाश-संश्लेषण की रूपरेखा है –
(a) 6CO2 + 12H2O → C6H12O6 + 6O2 + 6H2O
(b) 6CO2 + H2O + सौर प्रकाश → C6H12O6 + O2 + 6H2O
(c) 6CO2 + 12H2O + सौर प्रकाश + क्लोरोफिल → C6H12O6 + 6O2 + 6H2O
(d) 6CO2 + 12H2O + क्लोरोफिल + सौर प्रकाश → C6H12O6 + 6 CO2 + 6H2O
उत्तर:
(c) 6CO2 + 12H2O + सौर प्रकाश + क्लोरोफिल → C6H12O6 + 6O2 + 6H2O

प्रश्न 23.
प्रकाश-संश्लेषण में घटित नहीं होने वाली घटना है –
(a) क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा का शोषण।
(b) कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन।
(c) कार्बन का कार्बन डाइऑक्साइड में उपचयन।
(d) प्रकाश ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन।
उत्तर:
(c) कार्बन का कार्बन डाइऑक्साइड में उपचयन।

प्रश्न 24.
पर्णरन्ध्रों (Stomatal pore) के खुलने एवं बन्द होने की प्रक्रिया निम्न पर निर्भर करती है –
(a) ऑक्सीजन।
(b) तापक्रम।
(c) गार्ड कोशा में जल।
(d) पर्णरन्ध्र में CO2 की सान्द्रता।
उत्तर:
(c) गार्ड कोशा में जल।

प्रश्न 25.
ज्यादातर पेड़-पौधे नाइट्रोजन का अवशोषण निम्न रूप में करते हैं –
(i) प्रोटीन।
(ii) नाइट्रेट एवं नाइट्राइट।
(iii) यूरिया।
(iv) वायुमण्डलीय नाइट्रोजन।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (ii) एवं (iii)
(c) (iii) एवं (iv)
(d) (i) एवं (iv)
उत्तर:
(b) (ii) एवं (iii)

प्रश्न 26.
पाचन नली में सर्वप्रथम भोजन में मिलने वाला एन्जाइम है –
(a) पेप्सिन।
(b) सेल्यूलेज।
(c) एमाइलेज।
(d) ट्रिप्सिन।
उत्तर:
(c) एमाइलेज।

प्रश्न 27.
माँस-पेशियों में ऑक्सीजन की कमी प्रायः क्रिकेट खिलाड़ियों के पैरों में जकड़न का कारण बनती है। यह निम्न के परिणामस्वरूप होता है –
(a) पाइरुवेट का एथेनॉल में परिवर्तन।
(b) पाइरुवेट का ग्लूकोज में परिवर्तन।
(c) ग्लूकोज का पाइरुवेट में परिवर्तन नहीं होना।
(d) पाइरूवेट का लैक्टिक अम्ल में परिवर्तन।
उत्तर:
(d) पाइरूवेट का लैक्टिक अम्ल में परिवर्तन।

प्रश्न 28.
हमारे शरीर में पेशाब (यूरिन) के सही पथ का चयन कीजिए –
(a) वृक्क → यूरेटर → यूरेथ्रा → यूरीनरी ब्लैडर।
(b) वृक्क → यूरीनरी ब्लैडर → यूरेथ्रा → यूरेटर।
(c) वृक्क → यूरेटर → यूरीनरी ब्लैडर → यूरेथ्रा।
(d) यूरीनरी ब्लैडर → वृक्क → यूरेटर → यूरेथा।
उत्तर:
(c) वृक्क → यूरेटर → यूरीनरी ब्लैडर → यूरेथ्रा।

प्रश्न 29.
मनुष्य के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी के होने पर पाइरुविक अम्ल लैक्टिक अम्ल में परिवर्तन निम्न में होता है –
(a) साइटोप्लाज्म में।
(b) क्लोरोप्लास्ट में।
(c) माइटोकॉण्ड्रिया में।
(d) गॉल्जी बॉडी में।
उत्तर:
(a) साइटोप्लाज्म में।

प्रश्न 30.
प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया पौधे के किस भाग में होती है?
(a) जड़।
(b) तना।
(c) पत्ती।
(d) फूल/फल।
उत्तर:
(c) पत्ती।

प्रश्न 31.
फेफड़े (फुफ्फुस) स्थित होते हैं –
(a) वक्षगुहा में।
(b) उदरगुहा में।
(c) आन्त्र के पास।
(d) अग्न्याशय के नीचे।
उत्तर:
(a) वक्षगुहा में।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं ………….. कहलाते हैं।
  2. ऊर्जा के स्रोत भोजन को बाहर से शरीर के अन्दर ग्रहण करना ………….. कहलाता है।
  3. शरीर के बाहर से ऑक्सीजन का ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकतानुसार खाद्य स्रोत के विघटन ___में उसका उपयोग करना ………….. कहलाता है।
  4. भोजन तथा ऑक्सीजन को शरीर के अन्दर एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने के प्रक्रम को ………….. कहते हैं।
  5. शरीर में उपस्थित अपशिष्ट हानिकारक एवं विषैले पदार्थों का शरीर से बाहर निकालने का प्रक्रम …………… कहलाता है।

उत्तर:

  1. जैव प्रक्रम।
  2. पोषण।
  3. श्वसन।
  4. वहन या संवहन।
  5. उत्सर्जन।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 7
उत्तर:

  1. → (b)
  2. → (c)
  3. → (d)
  4. → (a)

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 8
उत्तर:

  1. → (b)
  2. → (c)
  3. → (d)
  4. → (a)

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 9
उत्तर:

  1. → (a)
  2. → (d)
  3. → (b)
  4. → (c)

सत्य/असत्य कथन

  1. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण होता है।
  2. बायाँ अलिंद शरीर के विभिन्न भागों से आए ऑक्सीजनित रक्त को ग्रहण करता है।
  3. बायाँ निलय ऑक्सीजनित रक्त को शरीर के विभिन्न भागों में प्रेषित करता है।
  4. बायाँ अलिंद ऑक्सीजनित रक्त को दाएँ निलय में प्रेषित करता है।
  5. दायाँ अलिंद अनॉक्सीजनित रक्त को शरीर के विभिन्न भागों से आने पर ग्रहण करता है।

उत्तर:

  1. सत्य।
  2. असत्य।
  3. सत्य।
  4. असत्य।
  5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. सौर-प्रकाश एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल के संश्लेषण के फलस्वरूप ग्लूकोज बनने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?
  2. मनुष्य में ग्रहण किए गए भोजन के जटिल यौगिकों को सरल यौगिकों में विखण्डित करने की सतत् प्रक्रिया क्या कहलाती है?
  3. अपशिष्ट हानिकारक एवं विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में प्रयुक्त अंगों का समूह क्या कहलाता है?
  4. वायु की अनुपस्थिति में होने वाले श्वसन को क्या कहा जाता है?
  5. पादप के वायवीय भागों द्वारा वाष्प के रूप में जल-हानि क्या कहलाती है?
  6. हरे पौधों की पत्तियों में पाये जाने वाले वर्णक का नाम लिखिए। (2019)

उत्तर:

  1. प्रकाश-संश्लेषण।
  2. पाचक।
  3. उत्सर्जी तन्त्र।
  4. अवायवीय श्वसन।
  5. वाष्पोत्सर्जन।
  6. क्लोरोफिल।

MP Board Class 10th Science Chapter 6 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“सभी पौधे दिन के प्रकाश में ऑक्सीजन एवं रात्रि में कार्बन डाइऑक्साइड देते हैं।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? कारण बताइए।
उत्तर:
दिन के प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया के फलस्वरूप ऑक्सीजन बनने की दर श्वसन के फलस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड बनने की दर से बहुत अधिक होती है परिणामस्वरूप दिन में पौधे ऑक्सीजन देते हैं और रात में प्रकाश-संश्लेषण नहीं होता केवल श्वसन होता है। इसलिए कार्बन डाइऑक्साइड देते हैं।

प्रश्न 2.
गार्ड सेल किस प्रकार पर्णरन्ध्रों को खोलने एवं बन्द करने की प्रक्रिया को नियन्त्रित करते हैं?
उत्तर:
जल के अवशोषण से गार्ड सेल के फूलने के कारण पर्ण-रन्ध्र खुल जाते हैं और जल निष्कासन से गार्ड सेल के सिकुड़ने के कारण पर्णरन्ध्र बन्द हो जाते हैं। इस प्रकार गार्ड सेल पर्णरन्ध्रों को खोलना एवं बन्द करने की प्रक्रिया को नियन्त्रित करते हैं।

प्रश्न 3.
दो हरे पौधे अलग-अलग ऑक्सीजनरहित बन्द पात्रों में रखे जाते हैं। एक अँधेरे में तथा दूसरा लगातार सौर-प्रकाश में। कौन-सा पौधा अधिक समय तक जीवित रहेगा और क्यों?
उत्तर:
जो पौधा लगातार सौर-प्रकाश में रखा गया वह ही अधिक समय तक जीवित रहेगा, क्योंकि ये श्वसन लिए आवश्यक ऑक्सीजन प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा उत्पन्न करने में सक्षम है।

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प्रश्न 4.
यदि कोई पौधा दिन के प्रकाश में कार्बन डाइऑक्साइड निकाल रहा है तथा ऑक्सीजन ले रहा है, क्या इसका मतलब यह है कि प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया नहीं हो रही है?
उत्तर:
प्रायः यह माना जाता है कि यदि दिन के प्रकाश में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड निकाल रहे हैं तथा ऑक्सीजन ले रहे हैं तो या तो प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो नहीं रही है अथवा श्वसन की प्रक्रिया से बहुत कम गति से हो रही है लेकिन वास्तव में दिन के प्रकाश में पौधे ऑक्सीजन गैस निकालते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड जो श्वसन में उत्पन्न होती है का अवशोषण कर लेते हैं। चूँकि प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया श्वसन की प्रक्रिया के सापेक्ष तीव्र गति से होती है। अत: दिन के प्रकाश में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड नहीं बल्कि ऑक्सीजन गैस निकालते हैं।

प्रश्न 5.
जल से बाहर निकालने पर मछलियाँ क्यों मर जाती है?
उत्तर:
मछलियाँ गिल्स की सहायता से श्वसन करती हैं और इसके लिए वे जल में घुली ऑक्सीजन को ही अवशोषित करने में सक्षम होती हैं। मछलियाँ वायुमण्डलीय ऑक्सीजन का अवशोषण नहीं कर पाती अतः जल से बाहर निकालने पर श्वसन के अभाव में मर जाती हैं।

प्रश्न 6.
यदि पृथ्वी से हरे पेड़-पौधे विलुप्त हो जाएँ तो क्या होगा?
उत्तर:
सम्पूर्ण जीव पोषण के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर करते हैं। इसलिए सभी जीव भुखमरी से मृत्यु को प्राप्त होंगे।

प्रश्न 7.
शाकाहारी जीवों में क्षुद्रान्त्र लम्बी तथा माँसाहारी जीवों में छोटी होती है, क्यों?
उत्तर:
शाकाहारी जीवों में सेल्यूलोज का पाचन समय लेता है इसलिए उनकी क्षुद्रान्त्र लम्बी होती है, जबकि माँसाहारी जीवों में सेल्यूलोज के पाचन की आवश्यकता नहीं होती और माँसाहार जल्दी पच जाता है। इसलिए उनकी क्षुद्रान्त्र छोटी होती है।

प्रश्न 8.
यदि आमाशयिक ग्रंथियों से म्यूकस का स्रावण नहीं हो, तो क्या होगा?
उत्तर:
म्यूकस आमाशय के आन्तरिक अस्तर की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं पेप्सिन एन्जाइम की अभिक्रिया से रक्षा करता है। यदि आमाशयी ग्रंथियों से म्यूकस का स्रावण नहीं होगा तो आमाशय के आन्तरिक अस्तर का संक्षारण हो जाएगा।

प्रश्न 9.
वसा के इमल्सीकरण का क्या महत्व है?
उत्तर:
भोजन में वसा बड़ी-बड़ी कणिकाओं के रूप में उपस्थित होता है जिन पर पाचक एन्जाइम को क्रिया करने में कठिनाई होती है। इमल्सीकरण में पित्तरस द्वारा वसा की बड़ी-बड़ी कणिकाओं को यान्त्रिक रूप से छोटी-छोटी कणिकाओं में विभक्त कर दिया जाता है। इससे एन्जाइम की क्रिया आसान हो जाती है।

प्रश्न 10.
आहार नाल में अन्दर भोजन के गतिमान होने का क्या कारण है?
उत्तर:
भोजन नली की दीवारों में माँसपेशियाँ होती हैं जो लगातार संकुचन विमोचन करती रहती हैं जो पूरी आहार नाल में होती रहती है। इसके फलस्वरूप भोजन आहार नाल में आगे गतिमान होता रहता है।

प्रश्न 11.
जलीय जीवों में पार्थिव जीवों की अपेक्षा श्वसन दर क्यों अधिक होती है?
उत्तर:
जलीय जीव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का अवशोषण श्वसन के लिए करते हैं, जिसकी मात्रा वायुमण्डलीय ऑक्सीजन से काफी कम होती है, जबकि पार्थिव जीव वायुमण्डल से ऑक्सीजन लेते हैं जो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है। इसलिए जलीय जीवों की श्वसन दर पार्थिव जीवों से अधिक होती है।

प्रश्न 12.
मनुष्यों में रक्त संचरण दोहरा रक्त संचरण क्यों कहलाता है?
उत्तर:
मनुष्य के पूरे शरीर में रक्त के संचरण के एक चक्र में रक्त हृदय में दो बार गुजरता है। एक बार दाहिने भाग से अनॉक्सीजनित रक्त और दूसरी बार बाएँ भाग से ऑक्सीजनित रक्त। इसलिए मनुष्य में रक्त संचरण दोहरा रक्त संचरण कहलाता है।

प्रश्न 13.
मानव हृदय में चार प्रकोष्ठ होने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
मानव हृदय में चार प्रकोष्ठ होते हैं। दोनों बाएँ प्रकोष्ठ पूर्णतया दोनों दाएँ प्रकोष्ठों से पृथक्कृत होते हैं। यह ऑक्सीजनित एवं अनॉक्सीजनित रक्त को आपस में मिश्रित होने से रोकता है। इससे ऑक्सीजनित रक्त सम्पूर्ण शरीर को उपलब्ध कराने की क्षमता बढ़ जाती है।

प्रश्न 14.
जीवधारियों में ऊर्जा-मुद्रा का नाम लिखिए यह कब और कहाँ उत्पन्न होती है ?
उत्तर:
ऊर्जा-मुद्रा का नाम है-ऐडीनोसिन ट्राइ फॉस्फेट (ATP)। इसका उत्पादन जीवधारियों में श्वसन के समय एवं पेड़-पौधों में प्रकाश-संश्लेषण के समय भी होता है।

प्रश्न 15.
‘कस्कुटा’, ‘टिक्स’ एवं लीच में क्या समानता है?
उत्तर:
तीनों ही परजीवी हैं। वे अपना पोषण पेड़-पौधे एवं जन्तुओं से बिना उनका वध किए ही प्राप्त कर लेते हैं।

प्रश्न 16.
शिराओं की दीवारें धमनियों से पतली क्यों होती हैं?
उत्तर:
धमनियों में रक्त का प्रवाह हृदय से शरीर के विभिन्न भागों को अधिक दाब के साथ होता है, जबकि शिराओं में रक्त शरीर के विभिन्न भागों से हृदय में एकत्रित होता है जिसमें कोई अधिक दाब नहीं होता। इसलिए शिराओं की दीवारें धमनियों की अपेक्षा पतली होती हैं।

प्रश्न 17.
अगर रक्त में प्लेटलेट्स का अभाव हो जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
रक्त में प्लेटलेट्स के अभाव के कारण रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया रुक जाएगी और चोट लगने पर रक्त बहता रहेगा।

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प्रश्न 18.
जन्तुओं की अपेक्षा पौधों को कम ऊर्जा की क्यों आवश्यकता होती है?
उत्तर:
पौधों में जन्तुओं की तरह प्रचलन नहीं होता तथा बड़े वृक्षों में मृत कोशिकाएँ पर्याप्त मात्रा में स्क्लेरेनकाइमा की तरह पाई जाती हैं। इसलिए पौधों को जन्तुओं की अपेक्षा कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 19.
पौधों की पत्तियाँ उत्सर्जन में किस प्रकार सहायता करती हैं?
उत्तर:
बहुत से पौधों में अपशिष्ट पदार्थ मीजोफिल कोशिकाओं और एपीडर्मल कोशिकाओं में एकत्रित होते हैं। जब पुरानी पत्तियाँ पौधे से गिर जाती हैं तो अपशिष्टों का उत्सर्जन पत्तियों के साथ ही हो जाता है। इस प्रकार पत्तियाँ उत्सर्जन में सहायक होती हैं।

प्रश्न 20.
क्यों और कैसे जल लगातार जड़ की जाइलम में प्रवेश करता रहता है?
उत्तर:
जड़ों की कोशिकाएँ मृदा के सम्पर्क में रहती हैं। इसलिए सक्रियता के साथ आयन ग्रहण करती हैं। इससे जड़ के अन्दर आयन सान्द्रण बढ़ जाता है और परिणामस्वरूप परासरण दाब बढ़ जाता है जिसके कारण मृदा से लगातार जल पेड़ों के जाइलम में प्रवेश करता रहता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 6 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न के नाम लिखिए –

  1. पौधों में सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा से जोड़ने वाली प्रक्रिया का।
  2. उन जीवों का जो अपना भोजन स्वयं बना सकते हैं।
  3. उस कोशिकांग का जहाँ प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया घटित होती है।
  4. पर्णरन्ध्र के चारों ओर से घेरे रखने वाली कोशिकाओं का।
  5. उन जीवों का जो अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते हैं।
  6. आमाशयी ग्रंथियों से स्रावित होने वाले उस एन्जाइम का नाम जो प्रोटीन के पाचन में सहायक है।

उत्तर:

  1. प्रकाश-संश्लेषण।
  2. स्वयंपोषी।
  3. क्लोरोप्लास्ट (हरितलवक)।
  4. गार्ड कोशिका।
  5. विषमपोषी।
  6. पेप्सिन।

प्रश्न 2.
क्या पोषण किसी जीव के लिए आवश्यक है? समझाइए।
उत्तर:
किसी भी जीव के लिए पोषण आवश्यक है, क्योंकि भोजन निम्न उद्देश्यों की पूर्ति करता है –

  1. यह विविध चयापचय क्रियाओं जो भी जीव के अन्दर घटित होती हैं, के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
  2. यह नई कोशिकाओं के निर्माण एवं वृद्धि तथा पुरानी टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत करने अथवा उनके बदलने के लिए अति-आवश्यक है।
  3. यह विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता (प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 3.
एक गमले में लगे स्वस्थ पौधों की पत्तियों पर वैसलीन का लेप कर दिया गया। क्या यह पौधा लम्बे समय तक स्वस्थ बना रहेगा?
उत्तर:
यह पौधा लम्बे समय तक स्वस्थ नहीं बना रहेगा क्योंकि –

  1. यह श्वसन के लिए ऑक्सीजन ग्रहण नहीं कर सकेगा तथा ऑक्सीजन के अभाव में इसके विभिन्न प्रक्रमों के लिए ऊर्जा का अभाव हो जाएगा।
  2. यह प्रकाश-संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त नहीं कर सकेगा जिससे पौधे के लिए भोजन का निर्माण नहीं हो सकेगा।
  3. वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया नहीं होगी। इससे पौधे का अतिरिक्त जल नहीं निकल सकेगा तथा जल एवं खनिजों का जड़ से पत्तियों तक प्रवाह बाधित होगा।

प्रश्न 4.
एक धमनी एवं एक शिरा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धमनी एवं शिरा में अन्तर –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 10

प्रश्न 5.
प्रकाश-संश्लेषण के लिए पत्तियों में क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर:
प्रकाश-संश्लेषण के लिए पत्तियों में निम्न विशेषताएँ होती हैं –

  1. अधिकतम सौर ऊर्जा के शोषण के लिए पत्तियाँ अधिकतम पृष्ठीय क्षेत्रफल उपलब्ध कराती हैं।
  2. पत्तियाँ प्रायः प्रकाश स्रोत के लम्बवत् व्यवस्थित होती हैं जिसमें उनके पृष्ठ पर अधिकतम प्रकाश आपतित हो।
  3. मीजोफिल कोशिकाओं से और बाहर लाने और उनके अन्दर ले जाने के लिए द्रुत गति से संवहन हेतु कोशिकाओं का वृहदतम जाल की व्यवस्था।
  4. गैसीय विनिमय (आदान-प्रदान) हेतु अधिकतम पर्णरन्ध्रों की व्यवस्था।
  5. क्लोरोप्लास्ट (हरितलवकों) का ऊपरी पृष्ठ पर अधिकतम संख्या में उपलब्ध कराने की व्यवस्था।

प्रश्न 6.
पचित भोजन का सर्वाधिक अवशोषण क्षुद्रान्त्र में मुख्यतः क्यों होता है?
उत्तर:
पचे हुए भोजन का अधिकतम अवशोषण क्षुद्रान्त्र में होता है, क्योंकि –

  1. क्षुद्रान्त्र तक आते-आते भोजन का पूर्णतया पाचन हो जाता है।
  2. क्षुद्रान्त्र के आन्तरिक अस्तर में बहुत-सी विलाई पायी जाती हैं जो अवशोषण के लिए अधिकाधिक पृष्ठीय क्षेत्रफल उपलब्ध कराती हैं।
  3. क्षुद्रान्त्र की दीवारों में रक्त केशिकाओं का प्रचुर मात्रा में जाल बिछा होता है जो अवशोषित भोजन को तुरन्त शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाने का काम करती हैं।

प्रश्न 7.
प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान होने वाली विभिन्न परिघटनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के समय होने वाली प्रमुख परिघटनाएँ –

  1. पर्णहरित (क्लोरोफिल) द्वारा सौर ऊर्जा का अवशोषण।
  2. प्रकाश ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन।
  3. जल के अणु H2O का हाइड्रोजन (H2), ऑक्सीजन (O2) एवं इलेक्ट्रॉनों (e) में विखण्डन।
  4. कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO2) का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन।

प्रश्न 8.
निम्न में से प्रत्येक अवस्था में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया की दर पर क्या प्रभाव पड़ेगा? और क्यों?

  1. दिन में आकाश में बादलों का छाया रहना।
  2. क्षेत्र में वर्षा का बिल्कुल न होना।
  3. क्षेत्र में श्रेष्ठ खाद का उपलब्ध होना।
  4. धूल के कारण पर्णरन्धों (Stomata) का ढक जाना।

उत्तर:

  1. सौर प्रकाश की अनुपलब्धता के कारण प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया की दर घट जाएगी।
  2. क्षेत्र में वर्षा न होने के कारण जल की उपलब्धता में कमी होने के कारण प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया की दर घट जाएगी।
  3. क्षेत्र में श्रेष्ठ (उच्च) कोटि की खाद मिली होने से जड़ों द्वारा जल एवं खनिजों का अवशोषण बढ़ जाएगा। इससे प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया की दर बढ़ जाएगी।
  4. धूल के कारण पर्णरन्ध्रों के ढक जाने से पौधों को वायुमण्डलीय कार्बन डाइऑक्साइड एवं सौर प्रकाश की उपलब्धता घट जाएगी। इसलिए
  5. प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया की दर भी घट जाएगी।

प्रश्न 9.
भोजन के पाचन में मुख की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भोजन के पाचन में मुख की भूमिका –

  1. भोजन को दाँतों द्वारा चबाने पर भोजन छोटे-छोटे टुकड़ों में पीस दिया जाता है जिससे भोजन का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक हो जाने से पाचक एन्जाइमों का अच्छा असर होता है।
  2. इसमें अच्छी तरह से लार और लार में उपस्थित एन्जाइम एमाइलेज मिल जाता है जो भोजन में उपस्थित स्टार्च को शर्करा में विघटित कर देता है।
  3. जिह्वा भोजन में ठीक प्रकार से लार को मिलाने का काम करती है जिससे भोजन चिकना और मुलायम हो जाता है और आसानी से आहार नाल में आगे बढ़ता है।

प्रश्न 10.
आमाशय की दीवारों में उपस्थित आमाशयी ग्रंथियों की क्या भूमिका है?
उत्तर:
आमाशय की दीवारों में उपस्थित आमाशयी ग्रंथियों की भूमिका –

  1. ये ग्रंथियाँ पेप्सिन नामक एन्जाइम का स्रावण करती हैं जो प्रोटीन का पाचन करके पेप्टोन्स बनाता है।
  2. ये ग्रंथियाँ म्यूकस का स्रावण करती हैं जो आमाशय की आन्तरिक दीवारों के अस्तर की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं पेप्सिन के द्वारा होने वाले संक्षारण से रक्षा करता है तथा भोजन को मुलायम एवं चिकना बना देता है जिससे इसे आहार नाल में खिसकने में आसानी होती है।

प्रश्न 11.
भोजन के उन सभी अवयवों के नाम लिखिए जिनको निम्न एन्जाइम पाचन करते हैं और किस प्रकार?

  1. ट्रिप्सिन।
  2. एमाइलेज।
  3. पेप्सिन।
  4. लाइपेज।

उत्तर:

  1. प्रोटीन एवं आमाशय से प्राप्त पेप्टोन्स को ट्रिप्सिन सीधे अमीनो अम्ल में अपघटित करके उनका पाचन कर देता है।
  2. स्टार्च को एमाइलेज शर्करा (ग्लूकोज) में अपघटित करके उसका पाचन कर देता है।
  3. पेप्सिन जटिल प्रोटीन को सरल पेप्टोन्स में अपघटित करके उसका पाचन कर देता है।
  4. वसा एवं तेलों का वसीय अम्ल में अपघटित करके लाइपेज उनका पाचन कर देता है।

प्रश्न 12.
पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
पौधों में वाष्पोत्सर्जन का महत्व-वाष्पोत्सर्जन पौधों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि –

  1. इसके द्वारा पौधे में उपस्थित अतिरिक्त जल की मात्रा को वाष्प के रूप में उत्सर्जन कर दिया जाता है। इससे पौधों में जल का नियमन होता है।
  2. इसके द्वारा पौधों की ऊष्मा से रक्षा होती है, क्योंकि इसके द्वारा शीतलन होता है।
  3. यह पौधों में एक खिंचाव पैदा करता है जिससे जड़ें मृदा से लवण एवं जल को अवशोषित करके पौधे के ऊपरी भाग में पत्तियों तक प्रेषित कर पाते हैं।

प्रश्न 13.
अमीबा में पोषण विधि को समझाइए।
उत्तर:
अमीबा में पोषण:
अमीबा अपना भोजन अपनी सतह पर उभरी अस्थायी-अंगुलाकार संरचनाओं के माध्यम से ग्रहण करता है। भोजन के कण इन संरचनाओं से चिपक जाते है। ये प्रवर्ध (संरचनाएँ) भोजन के कणों को घेर लेती हैं तथा संगलित होकर खाद्य रिक्तिकाएँ बनाती हैं। (देखिए संलग्न चित्र) खाद्य रिक्तिकाओं के अन्दर जटिल पदार्थों का विघटन सरल पदार्थों में किया जाता है। ये सरल पदार्थ कोशिकाद्रव्य में प्रसरित हो जाते हैं। बचा हुआ पदार्थ कोशिका की सतह की ओर गति करता है तथा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 12

प्रश्न 14.
निश्वसन व निःश्वसन प्रक्रिया को समझाइए।
अथवा
श्वासोच्छ्वास कितने पदों में होता है? समझाइए।
अथवा
मनुष्यं में श्वासोच्छ्वास की क्रिया समझाइए।
उत्तर:
श्वासोच्छ्वास की क्रिया: श्वासोच्छ्वास की क्रिया अग्र दो पदों में होती है –
प्रथम पद – निश्वसन में डायाफ्राम नीचे गिरता है जिससे फेफड़े फैलते हैं अतः वायुमण्डल की ऑक्सीजनयुक्त वायु नासिका रन्ध्रों में होकर श्वास नली में होती हुई फेफड़ों में प्रवेश करती है। फेफड़ों में यह वायु रक्त के सम्पर्क में आती है जिससे रक्त की लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन वायु की ऑक्सीजन का अवशोषण कर लेता है। कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं जलवाष्प रक्त में से निर्मुक्त हो जाती है।
द्वितीय पद – निःश्वसन (उच्छ्वसन) में जब डायाफ्राम ऊपर उठता है तो फेफड़ों पर दाब बढ़ने से वे सिकुड़ते हैं और वायु कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं जलवाष्प सहित फेफड़ों, श्वास नली और नासिका रन्ध्रों में होती हुई वायुमण्डल में चली जाती है।

प्रश्न 15.
प्रकाश-संश्लेषण क्रिया का समीकरण सहित वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रकाश-संश्लेषण क्रिया को समझाइए।
उत्तर:
प्रकाश-संश्लेषण क्रिया विधि-सभी हरे पौधे पर्णहरिम की सहायता से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं जल का उपयोग करके ग्लूकोज बनाते हैं। इस क्रिया के फलस्वरूप ऑक्सीजन गैस एक सह-उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। प्रकाश-संश्लेषण क्रिया एक जैवरासायनिक अभिक्रिया है जिसमें जल का ऑक्सीकरण होता है तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड का अपचयन होता है।

रासायनिक अभिक्रिया का समीकरण:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 13

प्रश्न 16.
वृक्क (Kidneys) में मूत्र बनने की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
वृक्क में मूत्र बनने की प्रक्रिया-वृक्क में वृक्कीय धमनी द्वारा रक्त पहुँचाता है। वृक्कीय धमनी से रक्त असंख्य कुण्डलित कोशिका-गुच्छों में पहुँचता है जो बोमन सम्पुट में स्थित होते हैं। यहीं रक्त का छानन होता है, जिसमें ग्लूकोज, विलेय लवण, यूरिया तथा यूरिक अम्ल जल में घुला होता है। यह छनित द्रव अत्यन्त छोटी-छोटी नलिकाओं से गुजरता है जहाँ ग्लूकोज एवं अन्य उपयोगी लवण पुनः अवशोषित करके वृक्कीय शिराओं द्वारा पुनः रक्त में वापस भेज दिए जाते हैं। शेष बचा द्रव ‘मूत्र’ कहलाता है। इस प्रकार वृक्क में मूत्र बनने की प्रक्रिया होती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 17.
पौधों की वृद्धि में मृदा की क्या भूमिका है? समझाइए।
उत्तर:
पौधों की वृद्धि में मृदा की आवश्यकता-मृदा में अनेक खनिज होते हैं तथा जल के अधिशोषण की क्षमता होती है। पौधों की जड़ों द्वारा जल एवं खनिजों का अवशोषण करके पौधों के ऊपरी भाग (पत्तियों) तक उनका संवहन कर दिया जाता है। मृदा जड़ की कोशिकाओं को श्वसन के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराती है।

पत्तियाँ जड़ों द्वारा अवशोषित जल एवं वायुमण्लीय कार्बन डाइऑक्साइड का सौर-प्रकाश तथा क्लोरोफिल की उपस्थिति में प्रकाश-संश्लेषण द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करती हैं जिससे पौधों को पोषण मिलता है। खनिज विभिन्न प्रकार से पौधों की वृद्धि में सहायक होते हैं। नाइट्रोजन से विभिन्न प्रकार के प्रोटीन्स बनते हैं जो पौधों की नवीन कोशिकाओं एवं हॉर्मोन्स का निर्माण करती हैं जो पौधों की वृद्धि एवं फलने-फूलने के लिए अति-आवश्यक होते हैं। यह सहजीविता में सहयोग देती है।

इस प्रकार मृदा पौधों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अतिरिक्त मृदा पौधों को अपने अन्दर साधे रहती है।

प्रश्न 18.
जीवों में ग्लूकोज के विखण्डन के विभिन्न पथों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 14

MP Board Class 10th Science Chapter 6 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव के आहार नाल (पाचन तन्त्र) का चित्र बनाकर निम्न को नामांकित कीजिएमुख, ग्रसनी, आमाशय, आन्त्र।
अथवा
मानव के आहार नाल का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मनुष्य के आहार नाल (पाचन तन्त्र) का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 15

प्रश्न 2.
मनुष्य में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा का पाचन कैसे होता है? वर्णन कीजिए।
अथवा
मानव में होने वाली पाचन क्रिया को समझाइए।
उत्तर:
मनुष्य की पाचन क्रिया (Digestion in Human):
मनुष्य की पाचन क्रिया निम्नलिखित चरणों में विभिन्न अंगों में परिपूर्ण होती है –
(1) मुखगुहा में पाचन क्रिया (Digestion in Mouth Cavity):
मनुष्य मुख के द्वारा भोजन ग्रहण करता है। मुख में स्थित दाँत भोजन के कणों को चबाते हैं जिससे भोज्य पदार्थ छोटे-छोटे कणों में विभक्त हो जाता है। लार ग्रन्थियों से निकली लार भोजन में अच्छी तरह मिल जाती है। लार में उपस्थित एन्जाइम भोज्य पदार्थ में उपस्थित मंड (स्टार्च) को शर्करा (ग्लूकोज) में बदल देता है। भोजन को चिकना और लुग्दीदार बना देता है जिससे भोजन ग्रसिका में होकर आसानी से आमाशय में पहुँच जाता है।

(2) आमाशय में पाचन क्रिया (Digestion in Stomach):
जब भोजन आमाशय में पहुँचता है तो वहाँ भोजन का मंथन होता है जिससे भोजन और छोटे-छोटे कणों में टूट जाता है। भोजन में नमक का अम्ल मिलता है जो माध्यम को अम्लीय बनाता है तथा भोजन को सड़ने से रोकता है। आमाशयी पाचक रस में उपस्थित एन्जाइम प्रोटीन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ देते हैं।

(3) ग्रहणी में पाचन (Digestion in Duodenum):
आमाशय में पाचन के बाद जब भोजन ग्रहणी में पहुँचता है तो यकृत से आया पित्तरस भोजन से अभिक्रिया करके वसा का पायसीकरण कर देता है तथा माध्यम को क्षारीय बनाता है जिससे अग्न्याशय से आये पाचक रस में उपस्थित एन्जाइम क्रियाशील हो जाते हैं और ये भोजन में उपस्थित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का पाचन कर देते हैं।

(4) क्षुद्रान्त्र में पाचन (Digestion in Ileum):
ग्रहणी में पाचन के बाद जब भोजन क्षुद्रान्त्र में पहुँचता है तो वहाँ आन्त्रिक रस में उपस्थित एन्जाइम बचे हुए अपचित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा का पाचन कर देते हैं। आन्त्र की विलाई द्वारा पचे हुए भोजन का अवशोषण कर लिया जाता है तथा अवशोषित भोजन . रक्त में पहुँचा दिया जाता है।

प्रश्न 3.
मानव के आहार नाल (पाचन तन्त्र) का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव के आहार नाल (पाचन तन्त्र) का वर्णन-मानव के आहार नाल (पाचन तन्त्र) में निम्न भाग होते हैं –
(1) मुखगुहा:
मुखगुहा में दाँतों का कार्य भोजन को चबाना है। लार ग्रन्थियों का कार्य लार का स्रावण करना है जिसमें पाचक एन्जाइम होता है। जिह्वा का कार्य भोजन में लार को अच्छी तरह मिलाकर लुग्दी बनाना है।

(2) ग्रसिका:
यह मुख गुहा और आमाशय के बीच का नलिका के आकार का भाग होता है जिसके द्वारा मुखगुहा से लुग्दीदार भोजन आमाशय में पहुँचता है।

(3) आमाशय:
यह आहार नाल का सबसे चौड़ा थैलीनुमा भाग होता है जिसकी दीवारों में आमाशयी ग्रन्थियाँ होती हैं जिनसे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल म्यूकस एवं पाचक एन्जाइम रेनिन एवं पेप्सिन का स्रावण होता है।

(4) आन्त्र: यह आहार नाल का सबसे लम्बा भाग होता है जिसके तीन भाग होते हैं –

  1. ग्रहणी (ड्यूओडिनम)-इसमें पैन्क्रियाज से स्रावित पाचक एन्जाइम मिलते हैं तथा पित्ताशय द्वारा पित्त रस मिलता है।
  2. क्षुद्रान्त्र-यह आन्त्र का सबसे लम्बा कुण्डली के आकार का भाग होता है जिसमें भोजन का पूर्ण पाचन होता है तथा विलाई द्वारा पचे भोजन का अवशोषण कर लिया जाता है जिसे रक्त वाहिकाओं में भेज दिया जाता है।
  3. वृहदान्त्र-यहाँ भोजन से अतिरिक्त जल का अवशोषण कर लिया जाता है तथा शेष अवशिष्ट गुदा मार्ग द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 4.
मानव के श्वसन तन्त्र का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मानव के श्वसन तन्त्र का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 16

प्रश्न 5.
मानव हृदय के द्वारा रक्त के संवहन की प्रक्रिया समझाइए।
अथवा
मनुष्य के हृदय की कार्यविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव हृदय की कार्यविधि (Function of Human Heart):
शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध रक्त शिराओं द्वारा एकत्रित होकर महाशिरा के द्वारा हृदय के दाएँ अलिन्द में एकत्रित होता है, जो त्रिवलनी कपाट द्वारा दाएँ निलय में पहुँच जाता है। फुफ्फुसीय शिरा द्वारा फेफड़ों से शुद्ध रक्त बाएँ अलिन्द में
आता है, जो द्विवलनी वाल्व द्वारा बाएँ निलय में चला जाता है। दाएँ निलय से अशुद्ध रक्त शुद्ध होने के लिए फुफ्फुसीय धमनी द्वारा फेफड़ों में भेज दिया जाता है तथा बाएँ निलय से शुद्ध रक्त महाधमनी द्वारा शरीर के विभिन्न भागों को भेज दिया जाता है।
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हृदय निरन्तर धड़कता (संकुचन तथा विमोचन) रहता है, जिसके फलस्वरूप यह रक्त को सारे शरीर में पम्प करता है। जब बाएँ अलिन्द में फुफ्फुस से शुद्ध रक्त आ जाता है तो दोनों अलिन्द एक साथ सिकुड़कर अपने रक्त को क्रमशः दाएँ तथा बाएँ निलय में भेज देते हैं। अब दोनों निलय एक साथ सिकुड़ते हैं। दाहिने निलय का अशुद्ध रक्त फुफ्फुसीय महाधमनी द्वारा फेफड़ों में शुद्धीकरण के लिए चला जाता है और बाएँ निलय का शुद्ध रक्त बार्टी महाधमनी द्वारा सारे शरीर में पम्प कर दिया जाता है। निलयों के सिकुड़ने की आवाजें ही हृदय की धड़कन के रूप में सुनाई देती हैं। सामान्य मनुष्य का हृदय 1 मिनट में 75 से 80 बार धड़कता है।

प्रश्न 6.
मानव के उत्सर्जन तन्त्र का नामांकित चित्र बनाइए। (2019)
उत्तर:
मानव के उत्सर्जन तन्त्र का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 18

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