MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 24 मित्र को पत्र

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 24 प्रश्न अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
1. ऋषि – (क) बंगला
2. रंग – (ख) पहल
3. चहल – (ग) बिरंगे
4. डाक – (घ) मुनि
उत्तर-
1. (घ)
2. (ग)
3. (ख)
4. (क)

प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. उन्हें न कोई ………………………….. था और न मारता था। (माता/पालता)
2. पेड़ पर कहीं से बंदर आ जाए तो …………………………… ही क्या। (कहना/बोलना)
3. पूरे साल भर इनमें ………………………….. रहती है। (हरियाली/खुशहाली)
4. पेड़-पौधों का तो जैसे …………………………… लगा हुआ है। (मेला/रेला)
उत्तर-
1. सताता,
2. कहना,
3. हरियाली,
4. मेला।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 24 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए

(क) ऋषि-मुनियों का वन्य-पशुओं के साथ किस ‘प्रकार का व्यवहार होता था?
उत्तर-
ऋषि-मुनि वन्य पशुओं को बहुत प्यार करते थे।

(ख) ‘कान्हा अभयारण्य’ में जाकर किस तरह रहते हैं?
उत्तर-
‘कान्हा अभयारण्य’ में जानवर निडर हो कर रहते हैं।

(ग) धूप तेज होने पर जानवर क्या करते हैं?
उत्तर-
धूप तेज होने पर जानवर घने जंगल में चले जाते हैं।

(घ) कान्हा अभयारण्य कहाँ पर है?
उत्तर-
‘कान्हा अभयारण्य’ जबलपुर से 160 किसी की दूरी पर है।

(ङ) कान्हा अभयारण्य में कौन-कौन से पेड़ हैं?
उत्तर-
कान्हा अभयारण्य में सागौन, साल, तेंदू, खैर. पलाश और हर्रा आदि के पेड़ हैं।

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MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 24 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) कान्हा वनस्थली का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कान्हा वनस्थली 950 वर्ग किलोमीटर तक फैली हुई है। यहाँ अनेक किस्म के घने-घने वृक्ष, रंग-बिरंगे फूल, और बड़े-बड़े घास के मैदान हैं। यहाँ सभी प्रकार के वन्य पशु स्वच्छंद विचरण करते
हुए मिल जाएँगे। कान्हा में अलग-अलग रंग-रूप के हजारों पक्षियों के झुंड। हैं। यहाँ का मौसम सदा सुहावना रहता है।

(ख) चीतल के स्वभाव के बारे में लिखिए।
उत्तर-
कान्हा में पचास या उससे अधिक के झुंड में चीतल चरते या साल वृक्ष के नीचे आराम करते नजर आते हैं। धूप तेज होने पर ये घने जंगल में चले जाते हैं। शाम के समय फिर बड़ी संख्या में ये दिखाई देते हैं।

(ग) मयंक ने राष्ट्रीय उद्यान में कौन-कौन से पक्षी देखे?
उत्तर-
मयंक ने राष्ट्रीय उद्यान में अनेक रंगों और रूपों के हजारों पक्षों देखे। सबकी अलग बोली और अदा थी। उसने वहाँ पंख फैलाकर नाचता हआ मोर देखा। इसके अलावा तीतर, बटेर, तोते, जंगली बत्तख, चकोर आदि भी देखे।

(घ) वनराज के बारे में तीन वाक्य लिखिए।
उत्तर-
वनराज का शरीर शानदार होता हैं। उसके अंगों से ताकत झलकती है। भयानक होने के बाद भी उसकी रचना प्रभावित करने वाली है।

(ङ) अभयारण्य क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर-
अभयारण्य वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें यहाँ सहज ढंग से जीवन बिताने का प्राकृतिक वातावरण भी मिलता है। अभयारण्य पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभदायक है। घने वृक्ष और हरियाली पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भाषा की बात

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिएअभयारण्य, दृश्य, ऋषि, आश्रम, वनस्थली
उत्तर-
छात्र स्वयं करे।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की सही वर्तनी लिखिएबिचित्र, उददयान, विरक्छ, प्रचीन, झुनड, विसाल
उत्तर-
विचित्र, उद्यान, वृक्ष, प्राचीन, झुंड, विशाल।

प्रश्न 6.
उदाहरण के अनुसार दिए गए शब्दों में ‘अनु’ और ‘वि’ उपसर्ग जोड़कर नए शब्द बनाइए
उदाहरण-अनु+भव-अनुभव वि+चित्र-विचित्र
उत्तर-
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 24 मित्र को पत्र 1

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण छांटकर लिखिए-
वनस्थली घने-घने वृक्षों से भरी हुई है।
बगीचे को कांटेदार तारों से घेरा गया है।
शीतर 1 में बहुत से पक्षी आ जाते हैं।
घास के खुले मैदान हैं।
वन्य पशुओं की शोभा निराली है।
अभयारण्य में अच्छा प्रबंध है।
उत्तर-
घने-घने, कांटेदार, शीतकाल, खुले, वन्य, शोभा, निराली, अच्छा।

मित्र को पत्र प्रसंग सहित व्याख्या

1. यह वन-उद्यान देखकर न जाने क्यों मुझे प्राचीन ऋषि मुनियों के जमाने की बात याद हो आई। ऋषि-मुनि जिन वनों में आश्रम बनाकर रहते थे, उनमें वन्य पशु-पक्षी आजादी से रहते थे। उन्हें न कोई सताता था न मारता था। ऋषि मुनि उन्हें बहुत प्यार करते थे। कान्हा में भी कुछ ऐसा ही प्रबंध है। यहाँ वन्य पशु-पक्षी निडर होकर अपना जीवन सहज ढंग से बिता सकते हैं। मुझ जैसे शहरी लड़के के लिए यह बड़े अचंभे की बात थी।

शब्दार्थ-उद्यान-उपवन, बगीचा। प्राचीन-पुराना। प्रबंध-व्यवस्था। अचम्भा आश्चर्य। शहरी-शहर में रहने वाला।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित ‘मित्र को पत्र’ से उद्धत हैं। इसमें ‘कान्हा अभयारण्य’ की विशेषता का वर्णन है।

व्याख्या-कहा जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि मुनियों के आश्रम में सभी पशु-पक्षी आजादी से घूमा करते थे। वहाँ उन्हें मारने या उनका शिकार करने की अनुमति किसी को भी नहीं होती थी। परंतु आज के समय में जहाँ जानवरों को पिंजड़े में बंद रखा जाता है और उनके साथ निर्मम व्यवहार होता है, हम वैसी स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते, जो कान्हा अभयारण्य में है। यहाँ भी सभी पशु-पक्षी सहज ढंग से घूमते-फिरते ओर जीवन व्यतीत करते हैं। आदमियों की भीड़ देखकर वे चौंकते नहीं हैं और न ही उन्हें कोई परेशान करता है। यह आश्चर्य की बात है, परंतु इसकी प्रशंसा होनी चाहिए।

विशेष-

  1. पशु-पक्षियों के प्रति संवेदना का भाव है।
  2. ‘कान्हा’ के विशेषता का वर्णन है।

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2. सच कहूँ, घने-घने वृक्षों में भरी हुई रंग-बिरंगी अनगिनत फूलों से सजी हुई यह वनस्थली मन को मोह लेती है। जिधर देखो उधर हरियाली ही हरियाली है। पेड़-पौधों का तो जैसे मेला लगा हुआ है। अब दो-चार किस्म के पेड़ हों तो नाम गिनाऊँ। सागौन, साल, तेंदू, खैर, पलाश, हर्रा आदि के पेड़ ही पेड़ हैं। पूरे साल भर इनमें हरियाली रहती है। पास के खुले मैदान भी कितने लंबे-चौड़े हैं।

शब्दार्थ-वृक्ष-पेड़। अनगिनत अनेक, बहुत सारे। वनस्थली-वन की भूमि। किस्म प्रकार।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या-कान्हा अभयारण्य में घने वृक्ष हैं, रंग-बिरंगे फूल हैं और चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है। यहाँ कई प्रकार के वृक्ष लगे हैं, जिनमें से कुछ हैं-सागौन, साल, तेंदू, खैर, पलाश, हर्रा आदि। ये पेड़ साल भर हरे रहते हैं। कान्हा अभयारण्य में लंबे चौड़े घास के मैदान भी हैं।

विशेश-

  1. कान्हा अभयारण्य की हरियाली का वर्णन है।
  2. वहाँ के वृक्षों की किस्मों के बारे में बताया गया है।

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