MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 9 पितृभक्तः श्रवणकुमारः

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 9 पितृभक्तः श्रवणकुमारः (संवादः)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 9 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) पितृभक्तः कः आसीत्? (पितृभक्त कौन था?)
उत्तर:
श्रवण कुमारः। (पितृभक्त श्रवण कुमार था।)

(ख) श्रवणः जलार्थं कुत्र गतः? (श्रवण जल लेने कहाँ गया?)
उत्तर:
तमसा तीरे। (श्रवण जल लेने तमसा तीर गया।)

(ग) शब्दवेधि-बाण-विद्यायां निपुणः कः? (शब्दभेदी बाण चलाने में निपुण कौन था?)
उत्तर:
दशरथः। (शब्दभेदी बाण चलाने में निपुण दशरथ था।)

MP Board Solutions

(घ) श्रवणकुमारः किमर्थं प्रख्यातः? (श्रवण कुमार किसलिये प्रसिद्ध हुआ?)
उत्तर:
पितृभक्तिः। (श्रवण कुमार पितृभक्ति के लिए प्रसिद्ध हुआ।)

प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) प्रवणस्य पितरौ कीदृशौ आस्ताम्? (श्रवण के माता-पिता कैसे थे?)
उत्तर:
श्रवणस्य पितरौ जन्मान्धौ आस्ताम्। (श्रवण के माता-पिता जन्म से अन्धे थे।)

(ख) श्रवणः पित्रोः तीर्थाटनं कथमकारयत्? (श्रवण कुमार अपने माता-पिता को तीर्थयात्रा किससे कराया?)
उत्तर:
श्रवणः पित्रोः तीर्थाटनं विहङ्गिकायाम् कारयत्। (श्रवण कुमार अपने माता-पिता को काँवर से तीर्थयात्रा कराया।)

(ग) दशरथः किमर्थं वनं गतवान्? (दशरथ वन किसलिये गये?)
उत्तर:
दशरथः आखेटम् दनं गतवान्। (दशरथ आखेट के लिये वन गये।)

प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत.
(क) वाणविद्धस्य श्रवणस्य कः अभिलाषः आसीत्? (बाण से बिंधे हुये श्रवण कुमार की क्या अभिलाषा थी?)
उत्तर:
बाणविद्धस्य श्रवणस्य अभिलाषः यत ममपित्रोः जलं व्यवस्थां कृत्वा अद्यारभ्य भवान् कदापि निरपराधिनां जन्तूनां हिंसनं मा करोतु। (बाण से बिंधे हुये श्रवण कुमार की अभिलाषा थी कि मेरे माता-पिता के लिये जल की व्यवस्था करें और भविष्य में किसी भी निरपराध प्राणियों की हिंसा न करें।)

(ख) श्रवणस्य वृत्तं ज्ञात्वा पित्रोः का दशा सजाता? (श्रवण कुमार के वृत्तांत को जानकर उनके माता-पिता की क्या दशा हुई?)
उत्तर:
श्रवणस्य वृत्तं ज्ञात्वा पित्रोः वज्रपातः इव सजाता। (श्रवण कुमार के वृत्तांत को जानकर उनके माता-पिता दुःखी हुये।)

(ग) श्रवणस्य पितरौ कं शापं दत्तवन्तौ? (श्रवण के माता-पिता किसको श्राप दिये?)
उत्तर:
श्रवणस्य पितरौ दशरथं शापं दत्तवन्तौ। (श्रवण के माता-पिता दशरथ को श्राप दिये।)

प्रश्न 4.
यथायोग्यं योजयत-
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 9 पितृभक्तः श्रवणकुमार img-1

प्रश्न 5.
अधोलिखित वाक्यानां शुद्धरूपाणि लिखत
(क) श्रवणकुमारः पितरौ भक्त सन्ति।
उत्तर:
श्रवण कुमार पितरौ भक्तः अस्ति।

(ख) दशरथः वने गतवान्।
उत्तर:
दशरथः वने गतः।

(ग) पितरौ अन्धः आस्ताम्।
उत्तर:
पितरौ अन्धौ आस्ताम्।

(घ) श्रवणः जगतीतलं प्रसिद्धम्।
उत्तर:
श्रवणः जगतीतले प्रसिद्धम्।

MP Board Solutions

प्रश्न 6.
कोष्ठकस्यौ शब्दैः वाक्यानि रचयत
(क) श्रवणः शान्तनु पुत्रः अस्ति।
(ख) दशरथः अयोध्यायाः राजा आसीत्।
(ग) भवान् सवज्ञः अस्ति।
(घ) अहम् संस्कृतं पठामि।
(ङ) मम विद्यालये षोडश अध्यापकाः सन्ति

प्रश्न 7.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत
(क) श्रवणकुमारः पितरौ भक्तः आसीत्।
(ख) माता-पितरौ अन्धौ न आस्ताम्
(ग) एषा कथा कलियुगस्य अस्ति।
(घ) दशरथः महाराजः आसीत्।
(ङ) श्रवणः तमसातीरं न गतवान्
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न

प्रश्न 8.
उचित विकल्पेन वाक्यानि पूरयत
(क) पितरौ पिपसितौ आस्ताम्। (बुभुक्षितौ/पिपासितौ)
(ख) श्रवण वारिम् आनेतुं तमसा तीरम् आगतः। (वारि/वारिम)
(ग) दशरथः वाण विद्यायां अतिनिपुणः आसीत्। (शस्त्र/वाण)

प्रश्न 9.
सन्धिविच्छेदं कुरुत
(क) तीर्थाटनाय
तीर्थम् + आटनाय

(ख) नरेन्द्रः
नर + इन्द्रः

(ग) जन्मान्धौ
जन्म + अन्धौ

(घ) किञ्च
किम् + च

प्रश्न 10.
समुचितेन अक्षरेण रिक्तस्थानपर्तिं कुरुत
(क) श्र व ण कु मा रः
(ख) म हा रा. जः द श र थः
(ग) वा ण वि द्या यां

MP Board Solutions

पितृभक्तः श्रवणकुमारः पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

संस्कृत साहित्य में नीतिपरक, आचार का बोध कराने वाली अनेक कथाएं हैं। जैसे सती सावित्री की पति-भक्ति, श्री रामचन्द्र की पितृभक्ति, एकलव्य की गुरु-भक्ति इत्यादि कथाएं बहुत प्रसिद्ध हैं। इस पाठ में श्रवण कुमार द्वारा माता-पिता की सेवा का वर्णन किया गया है।

पितृभक्तः श्रवणकुमारः पाठ का हिन्दी अर्थ

1. आचार्यः-ईशभक्तिः गुरुभक्तिः मातापितृभक्तिश्च भारतीयसंस्कृतेः मूलम्। अद्य वयम् मातापितृभक्तिविषये विमृशामः। नरेन्द्र! मातापितृभक्तिविषये त्वं किंजानासि? नरेन्द्रः-गुरुवर्य! श्रूयते श्रवणकुमारः मातापितृभक्तः आसीत् इत्येव जानामि नाधिकम्। आचार्यः-शृणोतु श्रवणस्य पितरौ वृद्धौ जन्मान्धौ चास्ताम्।। भरतः-गुरुदेव! श्रवणस्य पित्रोः नाम किम् ? श्रवणेन किञ्च कृतम्? आचार्यः-श्रवणस्य मातुः नाम भाग्यवती पितुः नाम शान्तनुः च आस्ताम्।

शब्दार्थ:
श्रूयते-सुना जाता है-Is listent नाधिकम्-अधिक नहीं-Not much; शृणोतु-सुनो-Listen; श्रवण-श्रवण के द्वारा-Through Shrawan; कृतम्-किया-Did;

हिन्दी अर्थ:
आचार्य-ईश्वर की भक्ति, गुरुभक्ति, माता-पिता की भक्ति भारतीय संस्कृति की मूल हैं। आज हम माता-पिता की भक्ति के विषय में विचार करेंगे। नरेन्द्र! मातृ-पितृ भक्ति के विषय में तुम क्या जानते हो?

नरेन्द्र :
गुरुवर! सुना है कि श्रवण कुमार माता-पिता भक्त थे। इतना ही जानता हूँ, इससे अधिक नहीं।

आचार्य :
सुना है, श्रवण कुमार के माता-पिता वृद्ध और जन्मांध थे। भरत-गुरुदेव! श्रवण के पिता का नाम क्या था? श्रवण ने क्या किया?

आचार्य :
श्रवण के माता का नाम भाग्यवती, पिता का नाम शान्तनु था।

2. श्रवणः मातरं पितरं च विहङ्गिकायाम् उपवेश्य स्वस्कन्धे तां धृत्वा तीर्थाटनन् अकारयत्। सः वनात् वनान्तरे भ्रमन् तमसानद्याः तीरं समागतः। संयोगात् अयोध्यायः नृपः दशरथः आखेटं कुर्वन् सैनिकैः वियुक्तः मार्गात् भ्रष्टः तत्रैव वनमागतः। तदैव श्रवणः पित्रोः पिपासाशमनार्थं वारि आनेतुं तमसा तीरं जगाम। जलग्रहणकाले जलपात्रात् समुत्पन्नां ध्वनिं श्रुत्वा दशरथः “कश्चित् जन्तुः जलं पिबन् अस्ति” इति अनुमीय शब्दलक्ष्यं कृत्वा त्वरितमेव बाणम् अमुञ्चत्।।

शिष्याः :
(साश्चर्यम्) तदा किमभवत्?

आचार्यः :
शृण्वन्तु! श्रवणकुमारस्य हृदये संलग्नः सः शरः तस्य मर्मभेदनम् अकरोत्। तदा जन्तोः स्थाने मानववाणीं श्रुत्वा दशरथः त्वरितमेव तत्रागतः। तत्र बाणविद्धं श्रवणं दृष्ट्वा दुखितः अभवत्। स तमुत्थाय तस्य परिचयम् पृष्टवान्।

शिष्याः :
श्रवणेन किं कथितम्?

MP Board Solutions

आचार्यः :
स्वपरिचयं दत्वा तेन कथिम-राजन् मम मृत्योः किमपि दुःखं नास्ति। परन्तु मम पितरौ वृद्धौ अन्धौ च स्तः। इदानीं तौ पिपासितौ। अतः भवान् शीघ्रं गत्वा तौ जलं पाययतु। तदा दशरथः अवदत्-वत्स! अन्यः कस्ते अभिलाषः? श्रवणः अवदत्ममपित्रोः व्यवस्थां कृत्वा अद्यारभ्य भवान् कदापि निरपराधिनां जन्तूनां हिंसनं मा करोतु इत्युक्त्वा श्रवणः स्वप्राणान् अत्यजत्।

महेशः :
ततः किमभवत?

शब्दार्थ :
विहङ्गिका-काँवर-Reg/var, kavar; स्वकन्धे-अपने कंधे पर-On his shoulder; अत्रांतरे-इसके बाद-After it; समागतः-आया-Come; संयोगात्-संयोग से-By co-incidence; आखेटं-शिकार को-To hunting; जगाम्-गया-Went; आनेतुम-लाने के लिए-For bringing: श्रुत्वा-सुनकर-Listen; कश्चित्-कोई-Any; पिवन्-पीने के लिए-For drinking: कृत्वा-करके-Done; बाणम्-बाण को-To arrow; साश्चर्यम्-आश्चर्य के साथ-With wonder; अकरोत्-किया-Did; तत्रागतः-वहाँ आया-Come there; अमुत्थाय-उसे उठाकर-Lift it; किमपि-कुछ भी-Also, Some; करोतु-करो-Do; इत्युक्त्वा-ऐसा कहकर-As said; स्वप्राणान् अत्यजत्-अपने प्राणों को छोड़ दिया-Left own life.

हिन्दी अर्थ :
श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को कांवर में बैठाकर अपने कंधे पर ढोते हुए तीर्थाटन कराया। वह एक वन से दूसरे वन का भ्रमण करते हुए तमसा नदी के तट पर पहुँचे । संयोग वश अयोध्या के राजा दशरथ शिकार करते हुए सैनिकों से बिछुड़ मार्ग भूलकर उस वन में आ पहुँचे। तभी श्रवण कुमार माता-पिता की प्यास शान्त करने के लिए जल लेने तमसा के तट पर पहुँचे। जल लेते समय जल पात्र से निकलने वाली ध्वनि सुनकर-संभवतः कोई जानवर जल पी रहा है, ऐसा अनुमान कर शब्द का लक्ष्य कर बाण को छोड़ दिया।

शिष्य :
(आश्चर्य से) तब क्या हुआ?

आचार्य :
सुनो! श्रवण कुमार के हृदय में लगे तीर ने उसका मर्मभेद दिया। कष्ट के कारण मुँह से निकली मनुष्य की आवाज सुन राजा दशरथ तत्काल वहाँ आ गए। तब वाण से घायल श्रवण को देख कर बहुत दुःखी हुए और उसे उठाते हुए उन्होंने परिचय पूछा।

शिष :
तब श्रवण ने क्या कहा?

आचार्य :
तब उसने अपना परिचय देते हुए (राजा दशरथ से) कहा-महाराज! मुझे अपनी मृत्यु से कोई दुःख नहीं है किन्तु मेरे माता-पिता अंधे हैं और इस समय बहुत प्यासे हैं अतः आप उन्हें शीघ्र जाकर जल पिलाएँ। तब दशरथ बोले-पुत्र! तुम्हारी इच्छा क्या है?

श्रवण बोले :
(मेरी अभिलाषा यह है कि) आप मेरे माता-पिता की व्यवस्था करें और आज के बाद फिर कभी निरपराध जन्तुओं की हत्या न करें… ऐसा कहते हुए श्रवण ने अपने प्राण त्याग दिए।

महेश :
तब क्या हुआ?

3. आचार्यः-ततः दशरथः पात्रे जलं गृहीत्वा श्रवणस्य पित्रोः समीपं गतः। तौ पिपासया आकुलो श्रवणम् आह्वयन्तौ कस्यापि आगमनसङ्केतं प्राप्य “वत्स श्रवण” इति अवोचताम्। दशरथः शनैः शनैः तयोः समीपं गत्वा अब्रवीत् गृह्यताम् जलम्।

अयं शब्दः श्रवणस्य नास्ति इति विचार्य तौ अपृच्छताम् को भवान् अस्मभ्यं जलम् प्रयच्छति? तदा राजा नितरां लज्जितः दुःखितश्च सर्वं वृत्तान्तम् अश्रावयत् । तच्छ्रुत्वा तयोः उपरि वज्रपातः इव सञ्जातः। वृद्धावस्था अन्धता, वने निवासः, एकः पुत्रः, तस्यापि अकस्मात् बाणेन मृत्युः इत्यादि व्याकुलो भूत्वा विलपन्तौ, राजानम् अकथयताम्-तव कारणात् एव पुत्र-शोकेन पीडितौ आवाम् इदानीम् प्राणान् परित्यजावः, अतः त्वमपि पुत्रशोकेन प्राणान् परित्यक्ष्यसि इति राजा शप्तः। रामस्य वनगमनकाले तच्छापवशात् पुत्रशोकेन दशरथोऽपि दिवङ्गतः।

छात्राः :
आचार्य! वयं ज्ञातवन्तः यत् वस्तुतः श्रवणः पितृभक्तः आसीत्। एतदर्थं तस्य नाम जगतीतले प्रसिद्धम्।

MP Board Solutions

शब्दार्थ :
कस्यपि-किसी का भी-Any person; अवोचताम्-सोचा-Thought; अब्रवीत्-बोला-Spoke; ग्रहताम्-ग्रहण करो-Take,do Accept; अप्रक्ष्यताम्-पूछे-Asked; कोभवान्-आप कौन हैं?-Who are you; अस्मभ्यम्-हम दोनों को-We both; प्रयच्छति-दे रहे हो-You are giving; नितराम्-बहुत अधिक-Very much; अश्रावयत्-सुनाया-Told; तत्श्रुत्वा-उसे सुनकर-To listen him; अकथयताम्-कहा/सुनाया-Said/Listened; कारणात्-कारण से-For reason; त्वमपि-तुम भी-You also; परित्यक्षसि-परित्याग करोगे-Will left; वनगमन काले-वनवास के समय-In forest time; दिवगंतः-दिवंगत हुए-Didéd; ज्ञातवंतः-मालूम हुआ-Known; जगतितले-संसार में-In world; प्रसिद्धम-प्रसिद्ध-Famous; एतदर्थ-उसके-His;

हिन्दी अर्थ :
आचार्य-इसके बाद दशरथ जलपात्र में जल लेकर श्रवण के पिता के निकट गए। प्यास से व्याकुल श्रवण के पिता उसके आगमन की आहट पाकर ‘वत्स श्रवण’ इस प्रकार बोले। दशरथ धीरे-धीरे उनके समीप जाकर बोले-इस जल को ग्रहण करे।

यह शब्द श्रवण का नहीं है, ऐसा विचार कर उन्होंने (श्रवण के माता-पिता ने) उनसे पूछा-आप कौन हैं जो मुझे जल दे रहे हैं। तब राजा अत्यन्त दुखित एवं लज्जित होकर सब बातें बताईं। ऐसा सुनकर (श्रवण के माता-पिता पर) वज्रपात-सा हुआ। वृद्धावस्था में अंधा हो जाना, वन में निवास, एक ही पुत्र उसकी भी बाण लगने से अकस्मात् मृत्यु से व्याकुल होकर विलाप करते हुए राजा से बोले-तुम्हारे कारण ही पुत्र-शोक से पीड़ित होकर हम दोनों मृत्यु को प्राप्त होने वाले हैं अतः तुम भी पुत्रशोक में ही प्राण त्याग करोगे-ऐसा राजा को शाप दिया। उसी शाप के कारण राम के वन-गमन के समय राजा दशरथ पुत्र-शोक में प्राण त्याग किए।

विद्यार्थी गण :
गुरु जी! हमें ज्ञात हुआ कि वास्तव में श्रवण पित्र-भक्त थे। इसी कारण उनका नाम पृथ्वी लोक में प्रसिद्ध है।

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्तिः

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्तिः (वर्णनात्मकः)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 8 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक पद में उत्तर लिखो)
(क) अष्टमूर्तिः कुत्र प्रतिष्ठापिता अस्ति। (अष्टमूर्ति कहाँ स्थित है?)
उत्तर:
दसपुर (दसपुर (मंदसौर))

(ख) कति शैवप्रतिमाः प्रसिद्धाः सन्ति। (कितनी शिव प्रतिमा प्रसिद्ध हैं?)
उत्तर:
त्रिनः। (तीन)

(ग) पूर्वमुखे कः रसः विद्यते? (पूर्व दिशा के मुख में कौन-सा रस विद्यमान है?)
उत्तर:
शान्तरसः। (शान्त रस)

MP Board Solutions

(घ) कस्यमुखस्य शिला लोहितवर्णा वर्तते? (किस मुख वाली शिला लाल रंग की है?)
उत्तर:
पश्चिमुखस्य। (पश्चिम मुख की)।

(ङ) कश्मिन मुखे शिवः अट्टहासं कुर्वन इव प्रतिभाति? (किस मुख में शिव अट्टहास करते दिखाई देते हैं?)
उत्तर:
उत्तरदिशः। (उत्तर दिशा)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) अष्टमूर्तिः भक्तैः कस्मिन ईशवीये दृष्टा? (अष्टमूर्ति भक्तों ने किस ईशवी में देखी?)
उत्तर:
अष्टमूर्तिः भक्तैः 1940 ईशवीये दृष्टा। (अष्टमूर्ति भक्तों ने 1940 ईशवी में देखी।)

(ख) वरस्य शृङ्गार मनोरमत्वं कस्मिन मुखे उल्लिखितम्? (वर के श्रृंगार का मनोहर वर्णन किस मुख में उल्लिखित है।)
उत्तर:
वरस्य शृंगार मनोरम भावं दक्षिण मुखे उल्लिखितम्। (वर के श्रृंगार का मनोहर वर्णन दक्षिण मुखे उल्लिखित है।)

(ग) ऐतिहासिकैः अर्धनारीश्वरस्य कः कालः निर्धारितः? (ऐतिहासिकों द्वारा अर्धनारीश्वर का कौन-सा काल निर्धारित किया गया है?)
उत्तर:
ऐतिहासिकैः अर्धनारीश्वरस्य चतुर्थदशः शताब्दे कालः निर्धारितः।। (ऐतिहासिकों ने अर्धनारीश्वर का काल चौदहवीं शताब्दी निर्धारित की है।)

(घ) अष्टमूर्तिः इदानीं केन नाम्ना प्रख्याता? (अष्टमूर्ति इस समय किस नाम से प्रसिद्ध हैं?)
उत्तर:
अष्टमूर्तिः इदानी पशुपतिनाथः नाम्ना प्रख्याता। (अष्टमूर्ति इस समय पशुपतिनाथ इस नाम से प्रसिद्ध है।)

प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत। (नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर लिखो)
(क) मूर्तेः पश्चिमे मुखे वैशिष्ट्यं किम्? (मूर्ति के पश्चिम मुख की क्या विशेषता है?)
उत्तर:
मूर्तेः पश्चिम मुखे वैशिष्ट्यं प्रलयंकारी शिव।। (मूर्ति के पश्चिम मुख में प्रलंयकारी शिव को दिखाया गया है)

MP Board Solutions

(ख) काः तिस्रः शैव प्रतिमाः प्रसिद्धः? (कौन-सी तीन शिव प्रतिमा प्रसिद्ध हैं?)
उत्तर:
अर्धनारीश्वरः, ऐलीफैण्टायाः त्रिमूर्ति, चिदम्बरस्य नटराज तिस्रः शैवप्रतिमाः प्रसिद्धाः। (अर्धनारीश्वर, ऐलीफैण्टा की त्रिमूर्ति, व चिदम्बर की नटराज मूर्ति ये तीन शिव प्रतिमा प्रसिद्ध हैं।)

(ग) दशपुर कुत्र अस्ति? अधुना केन नाम्ना प्रसिद्धम्? (दशपुर कहाँ स्थित है? वर्तमान में यह किस नाम से प्रसिद्ध है?)
उत्तर:
दशपुरं मध्यप्रदेशस्य पश्चिम भागे मालवाञ्चले शिवनानधास्तीरे अस्ति। अधुना मंदसौर नाम्ना प्रसिद्धम्। (दशपुर मध्य प्रदेश के पश्चिम भाग में मालवाञ्चल में शिवना नदी के किनारे स्थित है। वर्तमान में यह मंदसौर नाम से प्रसिद्ध है।)

(घ) अष्टमूर्तेः उत्तर मुखे कीदृशं वैशिष्ट्यं विद्यते? (अष्टमूर्ति का उत्तर मुख क्या विशेषता बतलाता है।)
उत्तर:
अष्टमूर्तेः उत्तर मुखे आनंदतत्त्व युक्ता वैशिष्ट्यं विद्यते। (अष्टमूर्ति का उत्तर मुख आनंद तत्त्व से युक्त होने की विशेषता बताता है।)

प्रश्न 4.
रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) पूर्वमुखे शान्तरसविशिष्टः शिवसमाधिः विद्यते।
(ख) अष्टमुखाङ्कितं लिङ्गम् अष्टमूर्तिः इति नाम्ना ज्ञायते।।
(ग) अद्यावधि शैवप्रतिमाः केवलं तिस्रः प्रसिद्धाः।
(घ) लघु सर्पद्वयं प्रतीकरूपेण उत्कीर्णीतम्।

प्रश्न 5.
युग्ममेलनं कुरुत-
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्ति img-1

प्रश्न 6.
अवायैः वाक्यनिर्माणं कुरुत-
अधुना – दशपुरम् अधुना मन्दसौरम् इति नाम्ना प्रख्यातम् अस्ति।
इदानीम् – इदानीः सः विद्यालयं गच्छति।
यथा – सः यथा एव आगच्छतिर्तदा अहं गमिष्यामि।
तथा – यथा नृपः तथा प्रजाः।
तत्र – तत्र कोऽपि न विद्यते।
अपि – सः अपि गमिष्यसि।
अत्र – अत्र वृक्षाः सन्ति।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दानां संधिविच्छेद कृत्वा सन्धेः नाम लिखत
उदाहरणम् :
विद्यार्थी-विद्या+अर्थी = विद्यार्थी।
(क) उभावपि
उत्तर:
उभौ+अपि = अयादि स्वर

(ख) अत्रैव
उत्तर:
अत्र+एव = वृद्धि स्वर

(ग) सर्वे
उत्तर:
सः+एव – विसर्ग = वृद्धि स्वर संधि

(घ) नास्ति
उत्तर:
न+अस्ति = दीर्घ स्वर

(ङ) अत्रास्ति
उत्तर:
अत्र+अस्ति = दीर्घ स्वर।

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं क्रियापदानां वचन परिवर्तनं कुरुत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्ति img-2

प्रश्न 9.
निम्नलिखितपदानां समास विग्रहं कृत्वा। समासस्य नाम लिखत
उदाहरणं यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्ति img-3

प्रश्न 10.
निम्नलिखित मूलशब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्ति img-4

प्रश्न 11.
निम्नलिखितानां शब्दानां धातुं प्रत्ययं च पृथक् कुरुत
उदाहरणं यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्ति img-5

दशपुरीया अष्टमूर्तिः पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

मध्य प्रदेश के मालव अंचल में स्थित मंदसौर नगर के पुरातात्त्विक महत्त्व से हम लोग पूर्ण भिज्ञ हैं। यहाँ स्थित आठ मुखों वाली भगवान शिव की लिंग प्रतिमा अद्भुत एवं अनुपम है। प्रस्तुत पाठ डॉ. रामचन्द्र तिवारी द्वारा प्रणीत है। धर्म, दर्शन एवं पुरातत्त्व में इनका अभिनिवेश होने के कारण ‘अद्वितीय अष्टमूर्ति’ नामक पुस्तक आपने लिखी। इसकी मूर्तियाँ ही पाठ की विशेषता हैं।

दशपुरीया अष्टमूर्तिः पाठ का हिन्दी अर्थ

मध्यप्रदेशस्य पश्चिमे भागे मालवाञ्चले शिवनानद्यास्तीरे दशपुरं नाम नगरमस्ति। दशपुरम् अधुना मन्दसौरम इति नाम्मा प्रख्यातमस्ति। एतस्य दशपुरस्य वर्णनम् महाकविकालिदासेनापि स्वकीये ग्रन्थे मेघदूते कृतम्। अत्रैव शिवनानयास्तीरे भगवतः शिवस्य विशालमन्दिरमस्ति। अत्र स्थितम् अष्टमुखाकितं शिव लिङ्गम् अष्टमूर्तिः इति लिखितम् । इदानीं सैव पशुपतिनाथः इति नाम्ना दशपुरे प्रख्यातः।

शब्दार्थ :
अधुना-इस समय-This time; स्वकीये-स्वयं के-by self; इसका-its; लिखतम्-लिखित-Written; इदानीं-इस समय-this time.

हिन्दी अर्थ :
मध्य प्रदेश के पश्चिम भाग मालवांचल में शिवना नदी के किनारे स्थिति दशपुर नामक नगर है। दशपुर का आधुनिक नाम मन्दसौर प्रसिद्ध है। इस दशपुर का वर्णन महाकवि कालिदास ने भी स्वरचित ग्रन्थ मेघदूत में किया है। यहीं पर शिवना नदी के किनारे भगवान शिव का विशाल मन्दिर है। इसमें स्थित अष्टमुखी लिंग प्रतिमा है-ऐसा लिखा गया है। इस समय वही मन्दिर पशुपति नाथ नाम से प्रसिद्ध है।

MP Board Solutions

2. शैवदर्शनदृष्ट्या शैवकलादृष्ट्या च दशपुरीया अष्टमूर्तिः शैवमूर्तिषु अद्वितीया अस्ति। अद्यावधि शैवप्रतिमाः केवलं तिस्रः प्रसिद्धाः सन्ति। प्रथमा-प्रथमशताब्धाः मथुरायाः अर्धनारीश्वरः, द्वितीया अष्टमशताब्धाः, एलीफैण्टायाः त्रिमूर्ति। तृतीया दशमशताब्याः, चिदम्बरस्य नटराजः। शेषाणि लिङ्गानि। तामु तादृशी कला, दर्शनं वा नास्ति यथा दशपुरे वर्तमानायाः अष्टमूर्ती। वस्तुतः सा अनुपमा, अतिशायिनी शैव प्रतिमा अस्ति। अष्ट मुखानि प्रायः ‘सप्त फिट’ मानात्मके उत्तुङ्गे विशाले नीललोहिते पाषाणलिङ्गे उट्टङ्कितानि सन्ति।

शब्दार्थ :
अष्टमुखाङ्कितम्-उत्कीर्ण आठ मुख वाली-Carve of eight mouth; नीललोहिते-नीले व रक्तवर्ण से युक्त-with blue & Red Colour; पाषाणलिङ्गे-पत्थर के लिङ्ग पर-on the stone statue; अर्धनारीश्वर-अर्धनारीश्वर-(शिव पार्वती का रूप)-the fame of Shiva and Parvati.

हिन्दी अर्थ :
शैव दर्शन की दृष्टि से, शैव कला की दृष्टि से दशपुर की अष्टमूर्ति शिव मूर्ति अद्वितीय है। आज तक शिव की केवल तीन ही प्रतिमाएँ प्रसिद्ध हैं। मथुरा स्थित प्रथम शताब्दी की अर्धनारीश्वर की मूर्ति, आठवीं शताब्दी की एलीटो की त्रिमूर्ति और तीसरी, दशम शताब्दी की चिदम्बरम् की नटराज मूर्ति। शेष सभी शिवलिंग हैं। उनमें वेसी कला दृष्टिगोचर नहीं होती जैसी दशपुर की वर्तमान अष्टमूर्ति में। वस्तुतः यह शिव की मूर्ति अनुपम एवं अद्वितीय है। यह अष्टमुख लिंग मूर्ति सात फुट ऊँचे विशाल गुलाबी-नीले पाषाण खण्ड पर उकेरा गया है।

3. अस्याः मूर्तेः केवलं चतुर्मुखानि एव पूर्णतया लिङ्गमथ्ये निर्मितानि सन्ति, ततोऽधः चतुर्मुखानि केवलम् अशित एव निर्मितानि सन्ति। वैदेशिकानाम् आक्रमणवशात् एषा मूर्तिः रक्षणार्थम् अर्धनिर्मिता एव शिवनागर्भे (ईशवीये चतुर्दशाब्दे) गोपिता, कालेन नदी प्रवाहात् प्रकटिता एषा मूर्तिः 1940 ईशवीये वर्षे भक्तैः दृष्टा, तटे प्रतिष्ठापिता च। अस्या निर्मितानि मुखानि अतीव सुन्दराणि जीवनतत्त्वस्य व्यञ्जकानि च सन्ति।

शब्दार्थ :
ततोऽध-इससे नीचे-below its; गोपिता-छिपा दी गई-is hidden; प्रकटिता-प्रकट हुआ-appeared; जीवनतत्त्वस्य-जीवन के तत्त्व का-factor of life.

हिन्दी अर्थ :
इस मूर्ति के मात्र चार मुख ही पूर्णरूपेण लिंग के मध्य ही निर्मित हैं। उसके नीचे चारमुख केवल अर्धांश में ही निर्मित है। विदेशियों के आक्रमण के कारण इस मूर्ति की रक्षा के लिए अर्धमूर्ति शिवना के गर्भ में चौदहवीं शताब्दी में द्विपादी गई। समायानुसार नदी के प्रवाह के कारण यह मूर्ति बाहर निकल आई। सन् 1940 ई. में भक्तों ने इसे देखकर नदी के तट पर स्थापित कर दिया। इस मूर्ति के मुख बहुत सुंदर हैं जो जीवन के तथ्य को व्यक्त करते हैं।

4. दक्षिणमुखशिल्पे विवाहमण्डपस्थस्य वरस्य शृङ्गारमनोरमत्वं दृश्यते। तत्रैव शीर्षे केशकलापे षोडशीचन्द्र कला शोभते च। अत्रैवमुखे शुचिस्मितत्वं मधुरस्मितत्वं च अवलोकनीयम् । अत्र भयङ्कराः सर्पाः न उत्कीर्णाः, केवलं लघु सर्पद्वयं प्रतीकरूपेण उत्कीर्णितं वर्तते। पूर्व मुखे शान्तरस विशिष्टः शिवसमाधिः व्यज्यते। अस्मिन् केशकिरीटे रुद्राक्षमालयोः रेखाद्वयं निबद्धम् अस्य! मध्यमणिः तिलक रूपेण उपनिबद्धः। अत्र ग्रीवायां सर्पमाला, मन्दारमाला च शोभते।

शब्दार्थ :
स्मितत्वम्-मुस्कुराहट-Smile; मध्यमणि-बीच की मणि-between very precious stone; दृश्यते-दिखाई देता है-Looks; तत्रैव-वहाँ-there; अवलोकनीयम्-देखने को-for Look; उत्कीर्ण-उत्कीर्ण-Carve, scratch; तिलक रूपेण-तिलक के रूप में-in the form of auspious mark; उपनिबद्ध-बंधी हुई-to tie on for head;

MP Board Solutions

हिन्दी अर्थ :
मूर्ति की दक्षिण मुख की रचना विवाह मण्डप में बैठे श्रृंगार युक्त दूल्हे जैसी दिखाई देती है। उमसें सबसे ऊपर बालों के मध्य चन्द्रमा की सोलहवीं कला सुशोभित हो रही है। इस मुख की पवित्र मुस्कान ही देखने योग्य है। इस मूर्ति में भयंकर सर्प उत्कीर्ण नहीं किए गए हैं। केवल दो छोटे सर्प ही प्रतीक रूप में उत्कीर्ण हैं। मूर्ति के पूर्व मुख से शान्ति रस की विशिष्टता से युक्त शिव के समाधिस्थ होने का भाव व्यक्त होता है। इस मूर्ति में बालों की जटा में रुद्राक्ष की दो मालाएँ दो रेखाओं के रूप में दर्शित होती हैं। इसके बीच की मणि तिलक के समान दृष्टिगोचर होती है। इस मूर्ति में गले के साँप की माला और मंदार की माला शोभित हो रही है।

5. पश्चिममुखे प्रलयङ्करः शिवः रुद्ररूपेण व्यज्यते। अस्यैव मुखस्य सम्पूर्णा शिला केवलं लोहितवर्णा वर्तते। अत्र तादृशी नीलिमा श्वेतधारा वा न दृश्यते यादृशी मुखान्तरेषु। सुखे तृतीयनेत्रं सुस्पष्टम् अवलोक्यते। उग्रक्रोधेन मुखं विकृतम् उत्कीर्णम् । अस्मिन्नेव मुखे ऊँकार उल्लिखितः। ॐकारादेव उदयः, प्रलयश्च उभावपि भवतः इति शिल्पस्य दर्शनम्। उत्तरमुखे आनन्दतत्त्वस्य व्यञ्जना विद्यते। अस्मिन् भगवान विजयामत्त अट्टहासं कुर्वन इव प्रतिभाति। अत्र कपोलौ उत्फुल्लौ, अधरोष्ठौ स्फुटौ, नेत्रौ निमीलिते, शिथिलाः विकीर्णाः मूर्धजाः च सुस्पष्टं दृश्यन्ते। अर्धनिर्मितेषु अधोऽङ्कितेषुमुखेणु प्रथमे विद्यार्विभावःद्वितीये उद्योगार्थिभावः चतुर्थे च अर्थार्थभावः च विद्भिः सम्भाव्यन्ते। वस्तुतः दशपुरीया अष्टमूर्तिः कलासौन्दर्यदृष्ट्या दार्शनिकदृष्ट्या च सर्वासु शैवप्रतिमासु अद्वितीय उत्कृष्टा दर्शनीया च अस्ति।

शब्दार्थ :
प्रलयङ्कर-प्रलय करने वाला-disasterer; लोहितवर्णा-लाल रंग की-Red coloured; निलिमाश्वेतधारा-नीली अथवा सफेद धारा-Blue or white stream; उदयः प्रलयश्च-रचना एवं विनाश-Creation & disaster; उभावपि-दोनों ही-both; विजयामत्त-भांग के नशे में मस्त-to become fortic some with Bhang (hemp leaves); अट्टहासम-जोरों से हँसना-Laughing in a loud voice; विकिर्णाः-फैले हुए-Spread; रुद्ररूपेण-क्रोध के रूप में-in the form of Anger.

हिन्दी अर्थ :
मूर्ति के पश्चिम मुख से शिव का प्रलयंकर रुद्र रूप प्रकट होता है। इस मुख की सम्पूर्ण शिला लोहित वर्ण की है। यहाँ नील-श्वेत वर्ण की धारा नहीं दिखाई देती जैसी दूसरे मुख से। इस मूर्ति में शिव की तीसरी आँख स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। अत्यधिक क्रोध को व्यक्त करने के लिए मूर्ति के मुख को विकृत रूप में उत्कीर्ण किया गया है। इसी मूर्ति के मुख में ओंकार लिखा गया है। इसी ओंकार से ही उदय और प्रलय दोनों होता है-ऐसा शिल्पकारों ने इस मूर्ति में दिखाने का प्रयत्न किया है।

मूर्ति के उत्तर मुख में आनन्द तत्त्व की अभिव्यंजना की गई है। इसमें भगवान शिव भाँग के नशे में मत्त अट्टहास करते दिखाई देते हैं। यहाँ उनका गाल फूला हुआ दिखाई देता है, ओठ विकसित एवं आँखें मुंदी (अलसाई हई), सिर के बाल ढीले बिखरे हुए साफ-साफ दिखाई देते हैं। अर्ध निर्मित नीचे के मुखों में पहले मुँह पर ब्रह्मचारी (विद्यार्थी) का भाव, दूसरे में धर्मशील होने का भाव, तीसरे में उद्योगी होने का भाव एवं चौथे मुखसे अर्थार्थी होने का भाव दिखाई देता है।

वास्तव में दशपुर की यह अष्टमूर्ति कला, सौन्दर्य एवं दार्शनिक दृष्टि से सभी शैव मूर्तियों में उत्कृष्ट एवं दर्शनीय है।

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत्

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् (कथा)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 7 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एक पदेन उत्तरं लिखत् (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) पर्कटीवृक्षः कुत्र अस्ति? (पाकर का वृक्ष कहां पर है?)
उत्तर:
पर्कटीवृक्षः गृध्रकूटनामि अस्ति। (गृध्रकूट नामक स्थान में)

(ख) पक्षिशावकं भक्षितुं कः आगतः? (पक्षी के बच्चे को खाने के लिए कौन आया?)
उत्तर:
पक्षिशावकं भक्षितुं मार्जारः आगतः। (बिल्ली)

MP Board Solutions

(ग) विश्वासस्य मार्जारः कुत्र स्थितः? (विश्वास की बिल्ली कहां थी?)
उत्तर:
विश्वासस्य मार्जारः तस्फूटते स्थितः। (उसके कोटर में)

(घ) पक्षिशावकान् खादित्वा मार्जारः कुत्र गतः? (पक्षी के बच्चे को खाकर बिलाव कहां गया?)
उत्तर:
पक्षिशावकान् खादित्वा मार्जारः कोटरान्नि सृत्य बहिः प्रलायतिः। (कोटर से बाहर चला गया।)

(ङ) गृध्रः केः हतः? (गिद्ध ने किनको मारा?)
उत्तर:
गृधः पक्षिभि हतः। (पक्षियों को)

(च) कस्यदोषेण गृध्रः हतः? (किसके दोष के कारण गिद्ध मारा गया?)
उत्तर:
मार्जारस्य हि दोषेण। (बिल्ली के दोष के कारण)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखिए)
(क) जरद्गवनामा गृध्रः कुत्र वसति? (जदर्गव नाम का गिद्ध कहां रहता था?)
उत्तर:
जरद्गवनामा गृध्रः पर्कटीवृक्षः वसति। (जरद्गव नाम का गिद्ध पाकर के वृक्ष में रहता था।)

(ख) जनः वध्यः पूज्यः वा कथं भवति? (लोगों का वध व पूजा कैसे होती थी?)
उत्तर:
जनः वध्यः पूज्यः वा कर्मणा भवति। (लोगों का वध व पूजा कर्म से होती थी।)।

(ग) कस्मै वासो न देयः? (किसको निवास करने नहीं देना चाहिए?)
उत्तर:
आज्ञात् कुलशीलस्य वासो न देयः। (अज्ञात और जिसके कुल का ज्ञान न हो ऐसे लोगों को निवास नहीं देना चाहिए।)

(घ) पञ्चतन्त्रस्य रचनाकारः कः? (पञ्चतन्त्र के रचनाकार कौन हैं?)
उत्तर:
पञ्चतन्त्रस्य रचनाकार विष्णु शर्मा आसीत। (पंचतन्त्र के रचयिता विष्णु शर्मा थे।)

प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) पंचतन्त्र कानि पञ्चतन्त्राणि? (पंचतन्त्र में कौन-कौन से पांच तंत्र हैं?)
उत्तर:
पञ्चतंत्रे लब्धप्राणभः, मित्रभेद, मित्रलाभः, काकोलकी अपरिक्षित कारक इति पंचतन्त्राणि। (पंचतंत्र में लब्ध प्राणसा, मित्र-भेद, मित्र-प्राप्ति, काकोलुकीयम अपरिक्षित कारक नाम के पांच तंत्र हैं, (पुस्तकें हैं)

(ख) मार्जारः गृधं कथं विश्वासस्य तरुकोटरे स्थितः? (बिल्ली ने गिद्ध को किस विश्वास के साथ वृक्ष के कोटर में रहने दिया?)
उत्तर:
मार्जारः गृधं अहिंसा परमो धर्मः विश्वासस्य तरु कोटरे स्थितः। (बिल्ली ने गिद्ध को अहिंसा परम धर्म है-इस विश्वास के साथ रहने दिया।)

MP Board Solutions

(ग) कोटरे निवसन मार्जारः किं करोति स्म? (कोटर में निवास करते हुए बिल्ली क्या करती थी?)
उत्तर:
कोटरे पक्षीशावकामअभक्षयत करोति स्म? (कोटरे में निवास करते हुए बिल्ली पक्षियों के बच्चों को खाती थी।)

(घ) अस्या कथायाः सारः कः? (इस कथा का सार क्या है?)
उत्तर:
अस्या कथायाः सारः अस्ति-अज्ञात् कुलशीलस्य वासो न देयः। (इस कथा का सार है-अज्ञात एवं जिनके कुल का ज्ञान न हो ऐसे व्यक्ति को आश्रय नहीं देना चाहिए।)

प्रश्न 4.
प्रदत्तैः शब्देः रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) गृध्रकूटनाम्नि पर्वते पर्कटीवृक्षः अस्ति। (पर्वते/गृहे)
(ख) वृक्षस्य कोटरे जरद्गवनामा गृध्रः प्रतिवसित। (सिद्धः/गृध्रः)
(ग) मार्जारः प्रतिदिनम् पक्षिशावकम् खादति। (पशुशावकम् पक्षिशावकम्)
(घ) गृध्रः पक्षिशावकान् रक्षति। (रक्षति/भक्षति)
(ङ) पक्षिभिः गृध्रः हतः। (मार्जारः/गृध्रः)

प्रश्न 5.
युग्मेलनं कुरुत-
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् img-1

प्रश्न 6.
कोष्ठकात् उचितपदं चित्वा रेखाङ्गितपदै प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(कैः, कस्य, के, कम्, केन)
उदाहरणं यथा :
अज्ञातः अविश्वसनीयः भवति।
कः अविश्वसनीयः भवति?
(अ) मार्जारस्य दोषेण गृध्रः हतः।
उत्तर:
कस्य दोषेण गृध्रः हतः?

(ब) पक्षिभिः जरद्गवः हतः।
उत्तर:
कैः जरद्गवः हतः?

(स) व्यवहारेण जनः पूज्यः भवति।
उत्तर:
केन जनः पूज्यः भवति?

(द) गृध्रः मार्जारम् उक्तवान्।
उत्तर:
गृध्रः कम् उक्तवान्?

(ङ) पक्षिणः दुःखेन विलापं कृतवन्तः।
उत्तर:
के दुःखेन विलापं कृतवन्तः?

MP Board Solutions

प्रश्न 7.
विपरीतार्थशब्दानां मेलनं कुरुत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् img-2

प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं धातुं प्रत्ययं च पृथक कुरुत
उदाहरण-
दृष्ट्वा – दृश + क्त्वा
(क) हन्तव्यः
(ख) हतः
(ग) भक्षितुम्
(स) परिज्ञाय
(द) श्रोतुम्
(ङ) श्रुत्वा
उत्तर:
(क) हन्तव्यः – हन् + तव्यत्
(ख) हतः – हन् + क्त
(ग) भक्षितुम् – भक्ष् + तुमुन्
(स) परिज्ञाय – परि + ज्ञा + ल्यप्
(द) श्रोतुम् – श्रु + तुमुन्
(ङ) श्रुत्वा – श्रु + क्त्वा

प्रश्न 9.
उदाहरणानुसारं वर्तमानकालिक क्रियापदानां कालपरिवर्तनं कुरुत
उत्तर:
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् img-3

प्रश्न 10.
निम्नलिखितानि अव्ययानि प्रयुज्य वाक्यानि स्वयत
यदि-यदि पुस्तकम् अस्ति तर्हि पठतु।
उत्तर:
सदा – सदा भूपेन्द्र पटेलः पठति तदा दुर्गेशः लिखति।
कदा – त्वम् कदा विद्यालयं गच्छसि।
अथ – अथ राम कथा श्रावयामि।
एव – अहम् एव गच्छामि।
इति – इति सः भोपालुपरम् अगच्छत्।
अपि – अहम् अपि छात्रः अस्मि।
अत्र – अत्र उत्कृष्ट विद्यालयः अस्ति।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित शब्दानां द्विवचन बहुवचनं च लिखत
उदाहरणं यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् img-4

सुविज्ञातमेव विश्वसेत् पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

कथाएँ प्रायः उपदेशपरक होती हैं। इनमें सरल, रोचक एवं विनोदप्रिय शैली में जीवनोपयोगी विचार व्यक्त किए गए हैं। संस्कृत साहित्य में कथा साहित्य की बहुत दीर्घ परंपरा रही है। संस्कृत कथाकारों में मूर्धन्य नारायण पंडित ने बालकों को शिक्षा के उद्देश्य से हितोपदेश की रचना की। प्रस्तुत पाठ भी हितोपदेश से ही संकलित किया गया है।

सुविज्ञातमेव विश्वसेत् पाठ का हिन्दी अर्थ

1. अस्ति भागीरथीतीरे गृध्रकूटनाम्नि पर्वते महान पर्कटीवृक्षः। तस्य कोटरे दैवदुर्विपाकाद्गलितनस्व-नयने जरद्गवनामा गृध्रः प्रतिवसति। अथ कृपया तज्जीवनाय तवृक्षवासिनः पक्षिणः स्वाहारात् किञ्चित्-किञ्चिदुद्धृत्य ददति। तेन असौ जीवति। अथ कदाचिद् दीर्घकर्णनामा मार्जारः पक्षिशावकान्भक्षितुं तत्रागतः। ततस्तमायान्तं दृष्ट्रवा पक्षिशावकैर्भयार्तेः कोलाहलः कृतः। तच्छ्रुत्वा जरद्गवेनोक्तम्-कोऽयमायाति! दीर्घकर्णो गृध्रमवलोक्य सभयमाह-“हा हतोऽस्मि’ अधुनास्य सन्निधाने पलायितुमक्षमः।

तद्यथा भवितव्यं तद्भवतु। तावविश्वासमुत्पाद्यास्य समीपं गच्छामि। इत्यालोच्योपसृत्याब्रवीत-आर्य! त्वामभिवन्दे। गृध्रोऽवदत्-कस्त्वम्? सोऽवदत्-मार्जारोऽहम्। गृध्रो ब्रूते-दूरमपसर। नो चेत् हन्तव्योऽसि मया। मार्जारोऽवदत्-श्रूयतां तावद्स्मद्वचनम्। ततो यद्यहं व ध्यस्तदा हन्तव्यः यतः

जातिमात्रेण किं कश्चित् हन्यते पूज्यते क्वचित्।
व्यवहारं परिज्ञाय वध्यः पूज्योऽथवा भवेत् ॥

MP Board Solutions

शब्दार्थ :
पर्कटीवृक्षः-पाकड़ का वृक्ष-Tree of Pakar; दैवदुर्विपाकात्-दुर्भाग्य से-Unfortunatly; किञ्चिदुधृत्य-थोड़ा-थोड़ा निकालकर-To take out of few; निरामिषाशी-मांस का भक्षण न करने वाला-Vegitarian; विद्यावयोवृद्धभ्यो-विद्या और अवस्था में बड़ी से-Knowledge and age an old; वीतरागेणेदम्-विषय वासना को छोड़ने के बाद-After living enjoyment of object of sense; चान्द्रायणव्रतम्-एक प्रकार का व्रत-The fast of karvachouth; कोलाहलः-कलरव-Noise; श्रूयतां-सुनिए-Hello; हन्तव्य-मारना चाहिए-Should kill; निते-गानना चाहिए-Should agree; परिज्ञाय-जानकार-Knowledge.

हिन्दी का अर्थ :
भागीरथी नदी के तट पर स्थित गृद्धकूट नामक पर्वत पर एक विशाल पाकड़ का वृक्ष है। उस (वृक्ष) के कोटर में जरद्गव नामक एक गृद्ध रहता था जिसके दैव गति से नख आदि गल गए थे और आँखों से अंधा था। अतः उसके जीवन के रक्षार्थ उस वृक्ष पर रहने वाले पशु-पक्षी दया वश अपने आहार से थोड़ा-थोड़ा बचाकर उसे भी दे देते थे जिससे वह जीवित था। एक बार दीर्घकर्णनामक बिलाव पक्षियों के भक्षण के उद्देश्य से वहाँ आया। उस बिलाव को वहां आया देख पक्षि-शावकों ने भयभीत होकर कोलाहल किया। उसे सुन जरद्गव बोला-यह कौन आ रहा है? दीर्घकर्ण गद्ध को देख भयभीत होकर बोला-हा!

अब तो मैं मारा गया? अब तो इसके सामने से भागने में भी अक्षम हूँ। तब भी जो होगा देखा जाएगा-ऐसा विश्वास मन में भरकर उसके समीप गया और बोला-आर्य! मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ। गृद्ध ने कहा-तुम कौन हो? वह बोला-में बिलाव हूँ। गिद्ध बोला-दूर हटो अन्यथा तुम मेरे द्वारा मारे जाओगे। बिलाव बोला-मेरी दो बातें सुन लीजिए। उसके बाद यदि मैं मारने योग्य हूँ तो मार डालिए क्योंकि जाति मात्र से ही कोई मारने या पूजने योग्य नहीं हो जाता बल्कि व्यवहार के कारण मारने या पूजने योग्य होता है।

2. गृध्रो ब्रूते-ब्रूहि किमर्थमागतोऽसि? सोऽवदत्-अहमत्र गङ्गतीरे नित्यस्नायी निरामिषाशी ब्रह्मचारी चान्द्रायण व्रतमाचरंस्तिष्ठामि। “यूयं धर्मज्ञानरता विश्वासभूमयः” इति पक्षिणः सर्वे सर्वदा ममाग्रे प्रस्तुवन्ति। अतो भवद्भ्यो विद्यावयोवृद्धेभ्यो धर्म श्रोतुमिहागतः। भवन्तश्चैतादृशा धर्मज्ञा यन्मामतिथि हन्तुमुद्यताः। गृहस्थ धर्मश्चैषःयदि वा धजं नास्ति तदा प्रीतिवचसात्यतिथिः पूज्य एव।

शब्दार्थ :
किमर्थं-किस लिए-For what; अहम् अत्र-मैं यहाँ-I here; तिष्ठामि-करूँगा-Will do; हन्तुमुद्यताः-मारने के लिए तैयार-Ready to kill.

हिन्दी अर्थ :
गृद्ध बोला-बोलो, किस अर्थ से यहाँ आए हो? तब वह बोला-यहाँ मैं गंगा के तट पर आकर नित्य स्नान करता हूँ, निरामिष हूँ और ब्रह्मचर्य धारण किए हुए चान्द्रायण व्रत का अनुष्ठान करता हूँ। आप धर्म के ज्ञान से परिपूर्ण हो और विश्वास करने योग्य हो-ऐसा सभी पक्षी मेरे समक्ष आकर बोलते हैं। आप विद्या में पारंगत एवं आयु में भी बड़े हैं, धर्म-चर्चा सुनने आपके यहाँ आया हूँ। किन्तु इतना धर्म मर्मज्ञ होने पर भी मुझे मार डालने के लिए उद्यत हैं। गृहस्थ धर्म तो यह है कि अतिथि सेवा करने के लिए धन न होने पर प्रेम पूर्ण वचन से भी अतिथि की सेवा होती है।

3. गृध्रोऽवदत्-“मार्जारो हि मांसरुचिः।” पक्षिशावकाश्चात्र निवसन्ति तेनाहत्मेवं ब्रवीमि। तत्छ्रुत्वा मार्जारो भूमिं स्पृष्ट्वा कर्णौ स्पृशति ब्रूते च-मया धर्मशास्त्रं श्रुत्वा वीतरागेणेदं दुष्करं व्रतं चान्द्रायणमध्यवसितम्। परस्परं विवदमानानामपि धर्मशास्त्राणाम् “अहिंसा परमो धर्मः!” इत्यत्रैकमत्यम्।

MP Board Solutions

शब्दार्थ :
अवदत्-बोले-Spoke; तेनाहमेवं-इससे मैं इस प्रकार-I am for this, that; वीतरागेणेदं-राग आदि चले गए हों-Attachtment and aversion has gone; चान्द्रायणमध्यवसितम्-चन्द्रायण व्रत का अनुष्ठान-worship of Chandrayan fast; इत्यत्रैकमत्यम्-एक मत है-For one aim.

हिन्दी अर्थ :
तब गृद्ध बोला-बिलाव की रुचि मांस में होती है और यहाँ पक्षियों के बच्चे रहते हैं इसलिए मैंने ऐसा कहा। यह सुनकर बिलाव पृथ्वी का स्पर्श कर कानों को पकड़ता हुआ बोला-मैं धर्मशास्त्र का श्रवण करते हुए वीतराग होकर इस दुष्कर चान्द्रायण व्रत का अनुष्ठान कर रहा हूँ। परस्पर विवाद मानने वालों में भी धर्मशास्त्र कहते हैं-अहिंसा ही परम धर्म है।

4. एवं विश्वास्य स मार्जारस्तरुकोटरे स्थितः। ततो दिनेषु गच्छत्सु पक्षिशावकानाक्रम्य कोटरमानीय प्रत्यहं खादति। येषामपत्यानि खादितानि तैः शोकातैर्विलपद्भिरितस्ततो जिज्ञासा समारब्धा। तत्परिज्ञाय मार्जारः कोटरान्निः सृत्य बहिः पलायितः। पश्चात्पक्षिभिरितस्ततो निरूपयद्भिः तत्र तरु कोतरे शावकास्थीति प्राप्तानि। अनन्तरं ते ऊचुः-“अनेनैव जरद्गवेनास्माकं शावकाः खादिताः” इति सर्वैः पक्षिभिनिश्चित्य गृध्रो व्यापादितः अतोऽहं ब्रीवीमि –
अज्ञातकुलशीलस्य वासो देयो न कस्यचित्।
मार्जारस्य हि दोषेण हतो गृध्रो जरद्गवः॥

शब्दार्थ :
मार्जारस्तकोटरे-विलाव वृक्ष की कोटर में-Cat in the hole of tree; गच्छसु-जाने लगा-To going; निसृत्य-बाहर निकलकर-After get out; पलायितः-भागा-Run; प्राप्तानि-प्राप्त किया-Received; अनेनैव-एक तरह-Like that; व्यापादितः-मर गए-Death; अज्ञातकुलशीलस्य-जिसका कुल व शील ज्ञात नहीं-Who has no knowledge of family & nature; जरद्गवः-जरद्गव ने-Jaradgavaney.

हिन्दी अर्थ :
इस तरह गृद्ध को विश्वास में लेकर वह बिलाव वृक्ष के कोटर में रहने लगा। फिर कुछ दिन बीतने पर पक्षि शावकों को बिलाव खा गया था वे पक्षी शोक के कारण विलाप करते हुए अपने बच्चों को ढूँढ़ने लगे। यह जान बिलाव कोटर से निकलकर भाग गया। पक्षियों द्वारा इधर-उधर अच्छी तरह ढूँढ़े जाने पर उस वृक्ष के कोटर में शावकों की अस्थियां मिलीं तब वे बोले-इस गृद्ध ने ही हमारे बच्चों को खाया-ऐसा निश्चय कर सभी पक्षियों ने गृद्ध को मार डाला। इसीलिए मैं कहता

जिसके चरित्र एवं कुल की जानकारी न हो, उसे कभी भी अपने पास नहीं रखना चाहिए क्योंकि इसी भूल के कारण बिलाव के कर्मों का फल जरद्गव को भोगना पड़ा।

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् (पद्यम्)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 6 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) ध्यानं कथम्, आचरेत? (ध्यान का पालन कैसे करना चाहिए?)
उत्तर:
ध्यानं बकवत् आचरेत। (बगुले के समान एकाग्र मन से ध्यान करना चाहिए।)

(ख) दीपः किं प्रसूयते? (दीपक क्या उत्पन्न करता है?)
उत्तर:
दीपः कञ्जलम् प्रसूयते। (दीपक काजल पैदा करता है।)

MP Board Solutions

(ग) आहारसमं किं नास्ति? (भोजन के समान क्या नहीं है?)
उत्तर:
आहारसमं सौख्यम् नास्ति। (भोजन के समान सुख नहीं है।)

(घ) सर्व परित्यज्य कम् अनुपालयेत्? (सबको छोड़कर किसका पालन करना चाहिए?)
उत्तर:
सर्व परित्यज्य शरीर अनुपालयेत। (सबको छोड़कर शरीर का पालन करना चाहिए।)

(ङ) चर्वणं कथं कुर्यात? (किस तरह चबाना चाहिए?)
उत्तर:
चर्वणं अजवत् कुर्यात्। (बकरे की तरह चबाना चाहिए।)

प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) के सुखदुःखयोःकतारं मन्येत्? (किसे सुख-दुख का कर्ता माना जाता है?)
उत्तर:
आत्मानम् सुखदुःखयो कर्तारं मन्यते (सबको सुख दुःख का कर्ता माना जाता है।)

(ख) अन्यैधृत किं-किं न धारयेत्? (दूसरों के द्वारा धारण की गयी, किन-किन वस्तु को धारण नहीं करना चाहिए?)
उत्तर:
अन्यैः धृतम् उपानहौ, वासः च, उपवीतम्, अलङ्कारं स्रजं च न एव धारयेत्। (दूसरों का धारण किया हुआ कपड़ा, जूता, जनेऊ, आभूषण, माला आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए)

(ग) जठराग्नि विवर्धनाय किं करणीयम्? (जठराग्नि को बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
महुः-महुः-अभूरि वारि पिवेत्। (बार-बार थोड़ा-थोड़ा जल पीना चाहिए।

(घ) युक्तेन प्राणायामेव किं भवति? (उचित प्राणायाम से क्या होता है?)
उत्तर:
सर्वरोगक्षय। (सभी रोग दूर होते हैं)

(ङ) कार्य विशुद्धयर्थम् आदौ किं विधीयते? (कार्य की शुद्धता के पहले क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
(कार्य विशुद्धयर्थम् आदौ स्नानादौ विधीयते।) (कार्य की शुद्धता के लिए सबसे पहले स्नान करना चाहिए।)

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) आदौ स्नानं किमर्थं विधीयते? (प्रारम्भ में स्नान क्यों करना चाहिए?)
उत्तर:
आदौ स्नानं कार्य विशुद्धयर्थम् विधीयते। (कार्य के प्रारम्भ में शुद्धता के लिए स्नान करना चाहिए।)

(ख) आचार्याणां मते अन्यत् कर्म किमर्थं न सम्मतम्? (शिक्षकों के मत के अनुसार अन्य कोई कार्य किस तरह सम्मत् नहीं है?)
उत्तर:
आचार्याणां मते सर्वे मलाः प्राणायमैः एव प्रशुष्यन्ति। (सभी विकार प्राणायाम से शुद्ध होते हैं।)

(ग) शरीर किमर्थम् अनुपालयेत्? (शरीर की किस तरह रक्षा करना चाहिए?)
उत्तर:
शरीरस्य प्रणष्टस्य सर्वमेव विनश्यति।।
सर्व परित्यज्य शरीरम् एव अनुपालयेत्।
(सभी का परित्याग कर शरीर की रक्षा करनी चाहिए।)

(घ) नरेण वह्नि विवर्धनाय किं करणीयम्? (व्यक्ति के द्वारा जठराग्नि को बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
मुहुर्महुर्वारि पिवेद। (बार-बार जल पीना चाहिए।)

प्रश्न 4.
रिक्त स्थानानि पूरयत :
(क) जायते तादृशी प्रजा।
(ख) गजवत् स्नानम् आचरेत्।
(ग) आत्मानमेव मन्येत कर्तारं सुखदुःखयोः।
(घ) शरीरस्य प्रणष्टष्य सर्वमेव विनश्यति।
(ङ) अत्यम्बुपानान्न विपष्यायते अन्नम्।

प्रश्न 5.
युग्ममेलनं कुरुत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् img-1
उत्तर:
(क) 4
(ख) 1
(ग) 5
(घ) 3
(ङ) 2

प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं न इति लिखत-
यथा :
भावशुद्धि-स्नानं बिना युज्यते। – (न)
वह्नि विवर्धनाय मुहुर्मुह वारि पिवेत् – (आम)
(क) उपानहौ अन्यधृतं धारयेत्।
(ख) श्रेयस्करम् मार्ग प्रतिपद्येत।
(ग) अपरीक्ष्य अश्नीयात्।
(घ) अत्यम्बुपानात् अन्नं न विपच्यते।
(ङ) शरीरम् अनुपालयेत्।
उत्तर:
(क) (न)
(ख) (आम)
(ग) (न)
(घ) (आम)
(ङ) (आम)

MP Board Solutions

प्रश्न 7.
श्लोकपूर्ति कुरुत :
(क) दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।
यदन्नं भक्षयेन्नित्यं जायते तादृशी प्रजा॥

(ख) शुकवदं भाषणं कुर्याद् बकवद ध्यानमाचरेत।
अजवच्चतत्व कुर्यात् गजवत् स्नानमाचारेत॥

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दागं सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धेः नाम लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् img-2

प्रश्न 9.
उदाहरणानुसारं शब्दानां विभक्ति वचनं च लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् img-3

प्रश्न 10.
उदाहरणानुसारं क्रियापदानां धातु, लकार, पुरुष च लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् img-4

प्रश्न 11.
अव्यवैः वाक्य निर्मार्णं कुरुत-
यथा सः तत्र व गमिष्यति।
(क) बिना
(ख) च
(ग) एव
(घ) अपि
(ङ) अति
उत्तर:
(क) रामः बिना दशरथः न जीयेत।
(ख) दीपकः पंकजः च लिखतिः।
(ग) सः एव पठति।
(घ) अहं अपि गच्छामि।
(ङ) अति सर्वत्र वर्जयेत।

शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

जीवन की सभी क्रियाओं के विधिवत् सम्पादन के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन बसता है। यहाँ स्वास्थ्य रक्षण से सम्बन्धित वैद्यकीय सुभाषित श्लोक संकलित किए गए हैं।

शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् पाठ का हिन्दी अर्थ

1. नैर्मल्यं भावशुद्धिश्च विना स्नानं न युज्यते।
तस्मात् कार्यविशुद्धयर्थं स्नानमादौ विधीयते॥

शब्दार्थ :
नैर्मल्यं-निर्मलता, स्वच्छता-Fine.clean; कार्य विशुद्धयर्थं कार्य की शुद्धता-For purity of work; के लिए आदौ-सबसे पहले-first. .
हिन्दी अर्थ-बिना स्नान किए भाव की शुद्धि एवं निर्मलता ठीक प्रकार से नहीं होती अतः कार्य के अच्छी तरह पूर्ण होने के लिए सबसे पहले स्नान करना चाहिए।

MP Board Solutions

2. शुकवद् भाषणं कुर्याद्, बकवद् ध्यानमाचरेत्।
अजवच्चर्वणं कुर्याद्, गजवत्स्नानमाचरेत्॥

शब्दार्थ :
भाषणम्-बोलना-Speech; चर्वणम्-चबाना-Chem कुर्यात्-करना चाहिए-Should do; आचरेत्-आचरण करना चाहिए-Should do good behave;

हिन्दी अर्थ :
तोते के समान मीठा बोलना चाहिए, बगुले के समान ध्यान लगाना चाहिए; बकरी के समान (भोजनादि का) चर्वण करना चाहिए एवं हाथी के समान स्नान करना चाहिए।

3. प्राणायामैरेव सर्वे प्रशुष्यन्ति मला इति।
आचार्याणां तु केषाञ्चिदन्यत्कर्म न सम्मतम्॥

शब्दार्थ :
प्रशुष्यन्ति-पूरी तरह सूख जाते हैं-full dries ; नष्ट हो जाते हैं-Wastes : मला-शरीर अथवा मन को मलिन करने वाले अप-तत्त्व-Wastage of Body; element; प्राणायामैरेव-प्राणायाम से-with yoga; आचार्याणां-शिक्षकों के मतों में-According to teachers; सम्मतम्-मतानुसार-According to.

हिन्दी अर्थ :
प्राणायाम करने से शरीर व मन को दूषित करने वाले अपतत्त्व नष्ट हो जाते हैं। आचार्यों के मतानुसार कोई दूसरा कार्य मन और शरीर की मलिनता को दूर करने के लिए उपयुक्त नहीं है।

4. प्राणायामेन युक्तेन सर्वरोगक्षयो भवेत्।
अयुक्ताभ्यासयोगेन सर्वरोगस्य सम्भवः॥

शब्दार्थ :
युक्तेन-उचित रीति से किए गए-with systemetic; अयुक्त-अनुचित fira À force 75-without systemetic.

हिन्दी अर्थ :
युक्ति युक्त विधि से प्राणायाम करने वाले व्यक्ति के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। अनुचित तरीके से प्राणायाम करने से अनेक रोगों की उत्पति संभव है।

5. अत्यम्बुपानान्न विपच्यतेऽन्न, निरम्बुपानाच्च स एव दोषः।
तस्मान्नरो वह्निविवर्धनाय, मुहुर्मुहुर्वारि पिवेद् भूरि॥

शब्दार्थ :
अम्बु-जल, पानी-Water; पानात-पीने से-by drinking; न विपच्यते-ठीक से पचता नहीं है-Undigest; बहिन विवर्धनाय Digetion; -जठराग्नि (भूख) को बढ़ाने के Farç-hungry to increase.

हिन्दी अर्थ :
अत्यधिक जल पीने से अन्न (भोजन) नहीं पचता। एकदम जल न पीने से भी वही दोष होता है। अतः जठराग्नि (पाचनशक्ति) को बढ़ाने के लिए थोड़ा-थोड़ा जल बार-बार पीना चाहिए।

MP Board Solutions

6. न रागान्नाप्यविज्ञानात् आहाराकुपयोजयेत्।
परीक्ष्यहितमश्नीयात् देहो ह्याहारसम्भवः॥

शब्दार्थ :
रागात्-जीभ के लालच के वशीभूत होकर-influence of; tongue; अविज्ञानात्-बिना ठीक से जाने-without knowledge; हितम्-हित को-to kind; आहारसम्भवः-सम्भावित आहार-will food.

हिन्दी अर्थ :
पथ्य-अपथ्य का विचार किए बिना जीभ (स्वाद) के वशीभूत होकर , भोजन नहीं करना चाहिए। शरीर का हित देखते हुए ही भोजन करना चाहिए क्योंकि शरीर भोजन पर ही निर्भर होता है।

7. दीपोभक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।
यदन्नं भद्रयेन्नित्यं जायते तादृशी प्रजा॥

शब्दार्थ :
कज्जलम्-काजल को- to blackness; तादृशी-वैसी ही-like that; भक्षयते-भक्षण करता है-to eat; नित्यम-हमेशा-Always.

हिन्दी अर्थ :
दीपक अंधकार को दूर करता है किन्तु काजल उत्पन्न करता है, (वैसे ही) भक्षण किए गए अन्न की ही प्रकृति के अनुसार संतानें होती हैं।

8. नास्ति क्षुधासमं दुःखं, नास्ति रोगः, क्षुधासमः।
नास्त्याहारसमं सौख्यं, नास्ति क्रोधसमो रिपुः॥

शब्दार्थ :
क्षुधासमम्-भूख के समान like hunger, like appetite; सौख्यम्-सुख-happy; रिपु-शत्रु-enemy.

हिन्दी अर्थ :
भूख के समान कोई दुःख नहीं है और न भूख के समान कोई रोग। भोजन के समान कोई मित्र नहीं है और क्रोध के समान कोई शत्रु नहीं है।.

MP Board Solutions

9. उपानहौ च वासश्च धृतमन्त्यैर्नधारयेत्।
उपवीतमलङ्कारं स्रजं करकमेव च।।

शब्दार्थ :
उपानहौ-जूते-Shoes; वासश्च -और कपड़े-And Colthes,धृतमन्यै-दूसरी के द्वारा पहने हुए-Put on by another; करकम्-लोटा, कुल्हड़-Bowel; धारयेत्-धारण करना चाहिए-Pun on also.

हिन्दी अनुवाद :
दूसरे का धारण किया हुआ जूता, वस्त्र, जनेऊ, आभूषण, माला और मिट्टी का बना जल पीने का पात्र (कुल्हण) आदि नहीं प्रयोग में लाना चाहिए।

10. आत्मानमेव मन्येत कर्तारं सुखदुःखयोः।
तस्माच्छ्रेयस्करं मागं प्रतिपद्येत नो सेत्।।

शब्दार्थ :
श्रेयस्करम-हितकारी-Profitable; न त्रसेते-नहीं डरना चाहिए-Should not affraid of;सुखदुःखयो-सुख दुख को-to happy sad;मन्यते-मानना चाहिए-Should obey; तस्माद्-उससे-so that.

हिन्दी अनुवाद :
सुख-दुःख का कारक स्वयं को मानना चाहिए। कल्याणकारी मार्ग पर निडर होकर चलना चाहिए।

11. सर्वमेव परित्यज्य शरीरमनपालयेत.
शरीरस्य प्रणष्टस्य सर्वमेव विनश्यति।।

शब्दार्थ :
परित्यज्य-छोड़ कर-except; प्रणष्टस्य-नष्ट हुए का-distroy; अनुपालयत्-पालन करना चाहिए-Should obey.

हिन्दी अनुवाद :
सब कुछ का परित्याग कर शरीर की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि यदि शरीर नष्ट हो गया तो सब कुछ नष्ट हो जाएगा।

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरतः

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 5 सर्वदमनः भरतः (नाट्यांशः)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 5 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिख-(एक शब्द में उत्तर दीजिए)
(क) ऋषि जनेन बालस्य नाम किं कृतम्? (ऋषिगणों के द्वारा बालक का नाम क्या रखा गया?)
उत्तर:
सर्वदमनः। (सर्वदमन)

(ख) उटजे कस्य मृत्तिकामयूरः तिष्ठति? (कुटिया में किसका मिट्टी का मयूर था?)
उत्तर:
मार्कण्डेयस्य ऋषिकुमारस्य वर्णचित्रितो। (कुटिया में मार्कण्डेय का मिट्टी का मयूर था।)

MP Board Solutions

(ग) राजा बालस्य हस्ते के लक्षणम् अपश्यत्? (राजा बालक के हाथ में क्या लक्षण देखता है?)
उत्तर:
चक्रवर्ती। (चक्रवर्ती)।

(घ) रक्षा करण्डकं केन दत्तम्? (रक्षा ताबीज किसके द्वारा दिया गया?)
उत्तर:
भगवता मरीचेन् (ऋषि मरीच के द्वारा ताबीज दिया गया।)

(ङ) एकां वेणी का धृतवती? (एक चोटी किसने धारण की थी?)
उत्तर:
शकुन्तला। (शकुन्तला)

प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तर लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) बालः सिंहशावकं किम् उक्तवान? (बालक ने सिंह के बच्चे से क्याकहा?)
उत्तर:
जिम्भस्व दंताम् ते गणिष्यामि। (बालक सिंह के बच्चे से बोला रे सिंह जभाई ले, मैं तेरे दांत गिनूंगा।)

(ख) द्वितीया तापसी सवर्दमनं किमर्थ क्रीडनकं दातुमिच्छति? (दूसरी तापसी सर्वदमन को किसलिए खिलौना देने की इच्छा करती है?)
उत्तर:
सिंहशावकम् त्यक्तुम्। (सिंह के बच्चे को छोड़ने के लिए दूसरा खिलौना देना चाहती है)

(ग) तापसी किमर्थम् आश्चर्ये निमग्नाना? (तापसी किसलिए आश्चर्यचकित हो गई?)
उत्तर:
रक्षाकरण्डकम्। (ताबीज के कारण तापसी आश्चर्य-चकित हो गई।)

(घ) राजा स्मृतिः कथम् उपलब्धा? (राजा की मृति किस प्रकार वापस आई।)
उत्तर:
अभिज्ञान दर्शनन (राजा की स्मृति विशेष चिह्न को देखकर आई)।

प्रश्न 3.
अधोलिखत प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत(क) औषधेः विषये तापसी राजानं किं कथयति? (औषधि के संबंध में तापसी को क्या कहती है?)
उत्तर:
पितरौ परित्यज्य सर्पिणी भूत्वा दशति (माता-पिता को छोड़कर यह औषधि सांप बनकर डंसती है।)

(ख) राजा बालस्य स्पर्श कृत्वा कीदृशमऽनुभवति? (राजा पुत्र का स्पर्श करके किस तरह का अनुभव किया?)
उत्तर:
स्वपुत्र मेवा। (राजा बालक का स्पर्श करके अपने पुत्र के समान खुशी का अनुभव किया।)

MP Board Solutions

(ग) शकुन्तला वीक्ष्य राजा किम् अवोचत्? (शकुन्तला को देखकर राजा ने क्या कहा?)
उत्तर:
मम्-स्मृतिरूपलब्धा शकुन्तलां वीक्ष्य राजा अवोचत्। (शकुन्तला को देखकर राजा ने बस स्मृति की रूपवती मुझे सब कुछ याद आ गया ऐसा कहा।)

प्रश्न 4.
उचितेः शब्दैः रिक्तस्थान पूर्तिं कुरुत
(क) रे सिंहशावक जृम्भस्व दन्तान् ते गणयिष्याभि। (नखान्/दन्ताम्)
(ख) वत्स! मुञ्च बालमृगेन्द्रकम्। (बालमृगेन्द्रकम/क्रीडनकम्)
(ग) रक्षाकरण्डकमस्य मणिबंधे न दृश्यते। (अनुबन्धे/मणिबन्धे)
(घ) कोऽपि पुरुषः मां पुत्रइति आलिङ्गति। (भ्राताइति/पुत्रइति)
(ङ) आर्यपुत्र इदं ते अङ्गलीयकम्। (अङ्गुलीयकम्/वस्त्रम्)

प्रश्न 5.
युग्ममेलनं कुरुत?
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरत img-1

प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम “आम” अशुद्धवाक्यानां समक्ष ‘न’ इति लिखत
यथा :
तेजसः बीजं बालः प्रतिभाति। – (आम्)
बाले चक्रवर्ति लक्षणं नास्ति। – (न)
(क) बालः सिंहशावकेन सह क्रीडति।
(ख) राजा बालं न लालयति।।
(ग) राज्ञः बालस्य च आकृतिः समाना वर्तते।
(घ) अपराजिता औषधिः भगवता कण्वेन दत्ता।
उत्तर:
(क) (आम्)
(ख) (न)
(ग) (न)
(घ) (आम्)

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दानां मूलशब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत
उदाहरण, यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरत img-2

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शिगपदानां धातु पुरुषं वचनं लकारं च लिखत
उदाहरणः यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरत img-3

प्रश्न 9.
निम्नलिखितानां प्रकृति प्रत्ययं च पृथक कुरुत
उदाहरण, यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरत img-4

सर्वदमनः भरतः पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

कालिदास सर्वश्रेष्ठ कवि कहे जाते हैं। इनकी उपमा सर्वोत्तम कही जाती है। इनके रघुवंशम् और कुमारसंभवम् दो महाकाव्य, ऋतुसंहार एवं मेघदूत दो खंडकाव्य, विक्रमोर्वशीय, मालविकाग्नि मित्रम् और अभिज्ञानशाकुन्तलम् नामक इनकी तीन नाटक कृतियाँ हैं। उसमें अभिज्ञानशाकुन्तलम् नाटक सबसे अच्छा है। उसी नाटक से प्रस्तुत पाठ उद्धृत है।

सर्वदमनः भरतः पाठ का हिन्दी अर्थ

1. (ततः प्रविशति तापसीभ्यः सह बालः)
बालः :
जृम्भस्व रे सिंहशावकः! जृम्भस्व, दन्तान् ते गणयिष्यामि।

प्रथमाः :
अविनीत! किं नु अपत्यनिर्विशेषाणि सत्त्वानि विप्रकरोषि। हन्त! वर्धत इव ते संरम्भः। स्थाने खलु ऋषिजनेन ‘सर्वदमन’ इति कृतनामधेयोऽसि ।

राजाः :
किं नु खलु बालेऽस्मिन्नौरस इव पुत्रे स्निह्यति मे हृदयम्। (विचिन्त्य) नूनमनपत्यता मां वत्सलयति।

द्वितीयाः :
एषा त्वां केशरिणी लङ्घयिष्यति, यद्यस्याः पुत्रकं न मोक्ष्यसि।

बालः :
(सस्मितम्) अहो! बलीयः खलु भीतोऽस्मि। (इत्यधरं दर्शयति)

राजाः :
(सविस्मयम्)
महतस्तेजसो बीजं बालोऽयं प्रतिभाति मे।
स्फुलिङ्गावस्थया वह्निरेधापेक्ष इव स्थितः॥

प्रथमा-वत्स! मुञ्च बालमृगेन्द्रकम्, अपरं ते क्रीडनकं दास्यामि।

MP Board Solutions

शब्दार्थ :
जृम्भस्व-जंभाई ले-yawn; गणयिष्यामि-गिनूंगा-will count;जम्भव-जॅम्हाई लो-take yawn; अविनीत-उद्दण्ड-undiciple; संभव-उद्वेग, वेग प्रयास-forcely; उटजे-कुटिया में-in hut; स्निहयति-स्नेह करता है-loves; वत्सलयति-स्नेह पैदा करती है-growing the love; केशरिणी-सिंहनी-lioness; लपयिष्यति-आक्रमण कर देगी-will attack; यद्यस्याः -यदि तु इसके-ifyouit; न मोक्ष्यसि-नहीं छोड़ेगा-not left; भीतोऽस्मि-मैं डर गया हूँ-I am affraid of; महतस्तेजसो-महान व्यक्ति का तेज-Great persons ardour; प्रतिभाति-दिखाई देता है-looks; अपरं-दूसरा-other.

हिन्दी अर्थ :
(फिर दो तपस्विनियों के साथ बालक प्रवेश करता है।)

बालक :
जम्भाई ले, अरे सिंहशावक जम्माई ले। मैं तेरे दाँत गिनूँगा।

पहली तपस्विनी :
हे धृष्ट! हमारे द्वारा पुत्रों सदृश पालित इन जीवों को इस तरह क्यों परेशान करता है? हाय! तुम्हारी उद्दण्डता तो दिन-प्रतिदिन बढ़ती-सी जा रही है। ऋषि लोगों ने तुम्हारा नाम ‘सर्वदमन’ ठीक ही रखा है। तू तो किसी से भी भयभीत नहीं होता।

राजा :
(स्वगत) न जाने क्यों मेरे हृदय में इस बालक के प्रति पुत्रवत स्नेह हो रहा है। ठीक ही है, मेरा निःसन्तान होना ही मुझे दूसरे बच्चों में स्नेह उत्पन्न कर रहा है।

दूसरी तपस्विनी :
(बालक से) देख, यदि तू इस सिंह शावक को नहीं छोड़ेगा तो सिंहिनी तुम्हारे ऊपर आक्रमण कर देगी।

बालक :
(मुस्कुराता हुआ) (व्यंग्य रूप से) अहो! तुम्हारे कहने से तो मैं बहुत डर गया हूँ। मुँह बनाता हुआ हँसता है।

राजा :
(विस्मयपूर्वक) यह बालक तो मुझे किसी महान तेजस्वी पुरुष का अंश प्रतीत होता है। यह तो उसी प्रकार है जैसे चिनगारी के रूप में अग्नि। (जिस प्रकार एक चिनगारी काष्ठ के सान्निध्य में आते ही प्रचण्ड रूप धर लेती है, उसी प्रकार यह बालक भी समय पाकर प्रतापी, तेजस्वी एवं महान वीर होगा-ऐसा प्रतीत होता है।)

पहली तापसी :
हे बेटा! तुम सिंह शावक को छोड़ दो। मैं तुम्हें दूसरा खिलौना दूंगा।

2. बालः :
कुत्र! देहिंतत्। (इति हस्तं प्रसारयति)

राजा :
(बालस्य हस्तं दृष्ट्वा) कथं चक्रवर्तिलक्षणमप्यनेन धार्यते?

द्वितीया :
सुव्रते! मुञ्चैननैष शक्यो वाङ्मात्रेण शमयितुम्। तद् गच्छ मदीये उटजे सङ्कोचनस्य ऋषिकुमारस्य वर्णचित्रितो मृत्तिकामयूरतिष्ठति, तमस्योपहर।

प्रथमा :
तथा। (इति निष्क्रान्ता)

बाल :
तावदनेवैव क्रीडिष्यामि। (इति तापसी लोक्य हसति)

राजा :
स्पृह्यामि खलु दुर्ललितायास्मै। (निःश्वस्य)-
आलक्ष्यदन्तमुकुलाननिमित्तहासै
रव्यक्तवर्णरमणीयवचः प्रवृत्तीन।
अङ्काश्रयप्रणयिनस्तनयान् वहन्तो
धन्यास्तदङ्गरजसा कलुषी भवन्ति।।

तापसी-(साङ्गलितर्जनम्) भोः! न मां गणयसिः (पार्श्वमवलोक्य) कोऽत्र ऋषिकुमाराणाम (राजानं दृष्ट्वा) भद्रमुख! एहि तावन्मोचय अनेन दुर्मोक्षहस्तग्रहेण डिम्भकेन बाध्यमानं बालमृगेन्द्रम्।।

राजा :
तथा (इत्युपगम्य सस्मितम्)
अनेन कस्यापि कलाङ्करेण स्पृष्टस्य गात्रे सुखिता ममैवम्।
कां निवृतिं चेतसि तस्य कुर्याद् यस्यायमङ्गात् कृतिनः प्रसूतः॥
तापसी-(उभौं निर्वय) आश्चर्यमाश्चर्यम्।

MP Board Solutions

शब्दार्थ :
कुत्र-कहां-where; हस्तं-हाथ को-to hand; दृष्ट्वा -देखकर-to look; धार्यते-धारण करता है-put on; सुव्रते-सुव्रत-Subrath namely; मुञ्चै नैष-इसे छोड़ दो-left it; वाङ्मात्रेण-वाणि मात्र से-only by tongue/voice; तमस्योपहर-इसे लेकर दे दो-come with that thing; निष्क्रान्ता-निकल जाते हैं-go out; विलोक्य-देखकर-to look;खलु-निश्चित ही-certainly; दुर्ललितायास्मै-प्यार करने के लिए ललक-for loving; कीडिष्यामि-खेलूंगा-will play; स्पृह्यामि-छूता हूँ-to tuch; प्रवृत्तीन्-प्रवृत्ति-Habit; आलक्ष्य-बिना कारण-without reason; गणयसि-गिनते हो-do count; कोऽत्र-यहां कौन है-who is here?

हिन्दी अर्थ :
बालक :
कहाँ है, मुझे दो-(ऐसा कहकर हाथ फैलाता है)।

राजा :
(बालक के हाथ को देखकर) क्या यह चक्रवर्ती के लक्षणों से युक्त है?

दूसरी तापसी :
सुव्रते! इसे छोड़ दो। यह देखने मात्र से मानने वाला नहीं है। इसलिए मेरी कुटी में रखा हुआ ऋषि कुमार मार्कण्डेय द्वारा बनाया गया मिट्टी का जो मोर है वही लाकर इसे दे दो।
प्रथम तापसी-अच्छा! लाती हूँ। (यह कहकर वह चली जाती है) बालक-तब तक मैं इसी से खेलूँगा। (तापसी की ओर देखकर हँसता है)

राजा :
इस हठीले बालक को देख इससे प्यार करने को मन ललचा रहा है। (निःश्वास लेकर) अकारण ही हँसने से जिसकी दंत पंक्तियाँ दिखाई पड़ रही हैं, तोतली बातें मन को मोह ले रही हैं, जिसे अपने अंक में ले लेने के लिए मन लालायित हो रहा है ऐसे प्राणी भाग्यवान व पुण्यात्मा ही होते हैं जिनके गाद में धूल-धूसरित एवं मलिन ऐसा बालक आकर उनकी गोद को धूत धूसरित करते हैं। (अर्थात् मिट्टी-धूल में खेलते हुए बालक भाग्यवानों की ही गोद में जाकर बैठते हैं और उन्हें भी धूल धूसरित करते हैं।)

तापसी :
(अपनी अंगुलियों से धमकाते हुए) अच्छा! यह मुझे कुछ भी नहीं समझ रहा है। (पीछे की ओर देखकर) यहाँ कौन ऋषि कुमार है? (राजा को देखकर) हे महानुभाव! अपनी बाल-क्रीड़ा द्वारा परेशान किए जाते हुए इस सिंह शावक को इस बालक से छुड़ा दीजिए। मेरे द्वारा यह नहीं छुड़ाया जा सकता क्यों कि इसने शावक को जोर से पकड़ रखा है।

राजा :
अच्छा (ऐसा कहकर हँसते हुए जाते हैं) अन्य किसी के भी कुल का यह अंकुर (दीपक) स्पर्श करने मात्र से जब मेरे हृदय में सुख का संचार करता है तब यह अपने माता-पिता को (जिसने इसे पाला-पोसा है) कितना सुख प्रदान करता होगा? तापसी-(दोनों अवाक् होकर) आश्चर्य है, आश्चर्य है।

3. राजा-आर्ये किमिव।
राजा-आर्ये किमिव।

तापसी :
अस्य बालकस्य असम्बद्धेऽपि भद्रमुखे संवादिनी आकृतिरिति विस्मितास्मि। अपि च धामशीलोऽपि भूत्वा अपरिचितस्यापि ते वचनेन प्रकृतिस्थः संवृत्त।

राजा :
(बालकमुपलालयन्) आर्य! न चेन्मुनिकुमारोऽयम् तत् कोऽस्य व्यपदेशः?

तापसी :
पौरव इति।

राजा :
(स्वगतम्) कथमेकान्वयोऽयमस्माकम्।

तापसी :
(प्रविश्य मयूरहस्ता) सर्वदमन शकुन्तलावण्यं प्रेक्षस्व।

बालः :
(सदृष्टिक्षेपम्) कुत्र वा मम माता?

उभे :
नामसादृश्येन वञ्चितो मातृवत्सलः।

द्वितीया :
वत्स अस्य मृत्तिकामयूरस्य रम्यत्वम् पश्येति भणितोऽसि।

MP Board Solutions

राजा :
(आत्मगतम्) किंवा शकुन्तलेत्यस्य मातुराख्या। सन्ति पुनर्नामधेयसादृश्यानि।

बालः :
मातः रोचते में एष भद्रमयूरः। (इति क्रीडनकमादत्ते)

प्रथमा :
(विलोक्य सोद्वेगम) अहो रक्षाकरण्डकमस्य मणिबन्धे न दृश्यते।

शब्दार्थ :
आर्ये-आदरणीया-respected; भद्रमुखे-अच्छे मुख वाली-beautiful; आकृतिरिति-ऐसी आकृति-this type of shape; भूत्वा-होकर-done; संवृत्तः-होये-happened; अस्य-इसका-its; कोस्य-यह कौन है-who is this? मयूर हस्ता-हाथ में मोर-peacock in hand;शकुन्तलावण्यं-पक्षी का सुदूर-bird’s beautiful; कुत्र-कहाँ-where; रोचते-अच्छा लगता है-to seems good.

हिन्दी अर्थ :
राजा :
आर्ये! कैसा आश्चर्य!

तापसी :
इस बालक का आप से संबंध न होने पर भी इसका चेहरा आप से बहुत मिलता-जुलता है इसलिए मैं आश्चर्यचकित हो रही हूँ। और भी, यह हठी बालक आप से अपरिचित होने पर भी आपको देख शान्त हो गया।

राजा :
(उस बालक को प्यार करते हैं) यदि यह मुनिकुमार नहीं है तो यह किस कुल-गोत्र का है?

तापसी :
पौरव वंश। राजा-(अपने मन ही मन) क्या यह मेरे वंश का है?

तापसी :
(हाथ में मिट्टी के बने मोर के साथ प्रवेश) सर्वदमन! इस शकुन्त के लावण्य को देख।

बालक :
(इधर-उधर देखकर) मेरी माता कहाँ है?

दोनों :
नाम एक समान होने के कारण बेचारा ठगा गया।

दूसरी तापसी :
पुत्र! इस मिट्टी से बने शकुन्त (मोर) पक्षी की सुंदरता देखो।

राजा :
(मन-ही-मन) क्या इसकी माँ का नाम शकुन्तला है? किन्तु नाम की समानता तो बहुत मिलती है।

बालक :
माँ! यह मोर मुझे अच्छा लग रहा है (ऐसा कह खिलौने को हाथ में ले लेता है।)

पहली तापसी :
(देखते ही उद्वेगपूर्वक) इसके मणिबन्ध में रक्षा-सूत्र नहीं दिखाई दे रहा है? (आर्ये!)

MP Board Solutions

4. राजाः :
अलमलमावेगने। नन्विदमस्य सिंहशावविमर्दात्परिभ्रष्टम्। (इत्यादातुमिच्छति)

प्रथमाः :
शृणोतु महाराजः एषाऽपराजिता नामौषधिरस्य जातकर्मसमये भगवता मारीचेन दत्ता। एतां किल मातापितरावात्मानं च वर्जयित्वापरो भूमिपतितां न गृह्णाति।

राजाः :
अथ गृह्णाति।

प्रथमाः :
ततस्तं सर्पो भूत्वा दशति।

राजाः :
(सहर्षम् आत्मगतम्) कथमिव सम्पूर्णमपि मे मनोरथंनाभिनन्दामि। (इति। बालं परिष्वजते)

(ततः प्रविशत्येकवेणीधरा शकुन्तला)
राजाः-(शकुन्तलां विलोक्य) अये सेयमत्रभवती शकुन्तला।

बालः :
(मातरमुपेत्य) मातः एष कोऽपि पुरुषो मां पुत्र इत्यालिङ्गति।

राजाः :
प्रिये क्रौर्यमपि मे त्वयि प्रयुक्तमनुकूलपरिणामं संवृत्तम् यदहमिदानीं त्वया प्रत्यभिज्ञातमात्मानं पश्यामि।

शकुन्तलाः :
(नाममुद्रां दृष्ट्वा) आर्यपुत्रं इदं तेऽङ्गलीयकम्।।

राजाः :
अस्मादङ्गलीयोपलम्भात्खलु स्मृतिरूपलब्धा।
(इति निष्क्रान्तः)

शब्दार्थ :
दातुमिच्छति-देने की इच्छा करता है-wish to give;जातकर्मसमये-जात कर्म के समय-ceremonyperformed at the birthofachild; दाता-दिया गया है-given; वर्जयितापरो-छोड़कर दूसरा-expect other; भूमिपतिता-भूमि पर गिरे हुए को-to fallen on the ground; न ग्रहणाति-ग्रहण नहीं करता-does not take; ततस्तं-तब उसे-then it; भूत्वा-होकर -across; सहर्षम्-हर्ष के साथ-with cheer; आत्मगतम्-मन में-in mind; विलोक्य-देखकर-looking; इत्यालिङ्गति-ऐसा आलिंगन करता है-armes; पश्यामि-देखता हूँ-look; त्वया-तुझसे-your.

MP Board Solutions

हिन्दी अर्थ :
राजा :
घबराएं नहीं, सिंह शावक के साथ खेलते समय रगड़ से हाथ में बंधा रक्षा-सूत्र नीचे गिर गया (यह कह राजा उसे उठाना चाहता है।)

पहली तपस्विनी :
महाराज! सुनिए। यह अपराजिता नामक दिव्य औषधि (ताबीज) इस बालक के जात कर्म के समय पूज्य कश्यप ऋषि ने इसके हाथ में बाँध दी थी। इसके भूमि पर गिर जाने पर इस बालक के माता-पिता के अलावा किसी दूसरे द्वारा उठाया जाना वर्जित है (अर्थात् इसके माता-पिता के सिवा कोई दूसरा नहीं उठा सकता)।

राजा :
यदि कोई दूसरा उठा ले तो?

पहली तपस्विनी :
तो साँप बनकर यह डस लेता है।

राजा :
(मन में प्रसन्न होते हुए) तब तो मेरा मनोरथ पूर्ण हुआ (बालक को छाती से लगाता है) (तब एक वेणी धारण किए शकुन्तला प्रवेश करती है)।

राजा :
(शकुन्तला को देखकर) अरे, यह तो शकुन्तला ही है।

बालक :
(अपनी माँ के पास जाकर) माँ! ये कौन है जो मुझे बड़े स्नेह से पुत्र कहते हुए गले लगा रहे हैं।

राजा :
प्रिये! मैंने तुम्हारे साथ जो भी प्रतिकूल व्यवहार किया था, उसका परिणाम है कि अब तुम भी मुझे नहीं पहचान रही हो।

शकुन्तला :
आर्य पुत्र! क्या यह वही अंगूठी है?

राजा:
यह वही अँगूठी है जिससे हम स्मृति को उपलब्ध हुए हैं। (ऐसा कह निकल जाते हैं)।

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions

MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

MP Board Class 9th Science Chapter 15 पाठ के अन्तर्गत के प्रश्नोत्तर

प्रश्न शृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 229

प्रश्न 1.
अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
अनाज से कार्बोहाइड्रेट, दाल से प्रोटीन तथा फल एवं सब्जियों से विटामिन्स एवं मिनरल्स मिलते हैं।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 230

प्रश्न 1.
जैविक तथा अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
फसल उत्पादन को प्रभावित करने वाले जैविक कारक:

  1. रोग, कीट तथा निमेटोड फसल उत्पादन को कम करते हैं।
  2. कुछ बैक्टीरिया नाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा वायुमण्डल की नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स में बदल देते हैं जिससे फसल उत्पादन बढ़ता है।

फसल उत्पादन को प्रभावित करने वाले अजैविक कारक:

  1. सूखा (अनावृष्टि), बाढ़ (अतिवृद्धि), क्षारकता, पाला आदि फसल उत्पादन को कम कर देते हैं।
  2. उचित ताप, वायु, सूर्य का प्रकाश आदि फसल उत्पादन को बढ़ाते हैं।

प्रश्न 2.
फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?
उत्तर:
ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण-चारे वाली फसलों के लिए लम्बी तथा सघन शाखाएँ तथा अनाज के लिए बौने पौधे ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण होते हैं। इन फसलों को उगाने से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 231

प्रश्न 1. वृहत् पोषक क्या है? इन्हें वृहत् पोषक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम एवं सल्फर वृहत् पोषक कहलाते हैं। इन पोषकों की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है इसलिए इन्हें वृहत् पोषक कहते हैं।

प्रश्न 2.
पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
पौधे अपना पोषक मृदा, हवा एवं पानी से प्राप्त करते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न शृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 232

प्रश्न 1.
मिट्टी की उर्वरकता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलना कीजिए।
उत्तर:
उर्वरक फसलों का उत्पादन बढ़ाते हैं अर्थात् कम समय में अधिक उत्पादन लेकिन इनका लगातार तथा अधिक उपयोग मृदा की उर्वरकता को शनैः-शनैः घटाता है, जबकि खाद के उपयोग से मृदा की उर्वरकता दीर्घ अवधि तक बनी रहती है।

प्रश्न श्रृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 235

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थिति में सबसे अधिक लाभ होगा और क्यों?
(a) किसान उच्चकोटि के बीज का उपयोग करें, सिंचाई न करें अथवा उर्वरक का उपयोग न करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई करें तथा उर्वरक का उपयोग करें।
(c) किसान अच्छी किस्म के बीजों का प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियों को अपनाएँ।
उत्तर:
परिस्थिति (c) सबसे अधिक लाभदायक रहेगी क्योंकि सबसे अधिक फसल उत्पादन के लिए आवश्यक है कि अच्छी किस्म के बीजों का उपयोग किया जाए, सिंचाई की जाए, उर्वरकों का प्रयोग हो एवं फसल को नुकसान से बचाने के लिए सुरक्षा विधियों का प्रयोग किया जाए।

प्रश्न शृंखला-6 # पृष्ठ संख्या 235

प्रश्न 1.
फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियों तथा जैव नियन्त्रण क्यों अच्छा समझा जाता है?
उत्तर:
निरोधक विधियों और जैव नियन्त्रण से उत्पादों की गुणवत्ता सुरक्षित रहती है। बीजों की अंकुरण क्षमता बनी रहती है तथा उत्पाद की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। इसलिए फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियन्त्रण को अच्छा समझा जाता है।

प्रश्न 2.
भण्डारण की प्रक्रिया में कौन से कारक अनाज को हानि पहुँचाने के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
भण्डारण की प्रक्रिया में अनाज को हानि पहुँचाने वाले कारक:

1. जैविक कारक:
कीट, कृन्तक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु।

2. अजैविक कारक (भौतिक कारक):
नमी का होना तथा उचित ताप का अभाव।

प्रश्न श्रृंखला-7 # पृष्ठ संख्या 236

प्रश्न 1.
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों?
उत्तर:
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः संकरण विधि का उपयोग किया जाता है क्योंकि इससे एक ऐसी संतति प्राप्त होती है जिसमें दोनों नस्लों के अच्छे ऐच्छिक गुण विद्यमान होंगे।

प्रश्न शृंखला-8 # पृष्ठ संख्या 237

प्रश्न 1.
निम्नलिखित की विवेचना कीजिए –
“यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पौष्टिकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तित करने के लिए सबसे अधिक सक्षम हैं। अन्य रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।”
उत्तर:
कुक्कुट (मुर्गियाँ) जो भोजन ग्रहण करती हैं वे प्रायः कृषि के उपोत्पाद से प्राप्त सस्ता रेशेदार आहार होता है जो मनुष्यों के सर्वथा अनप्रयुक्त तथा अपशिष्ट होता है। इनसे मनुष्यों को जो अण्डे एवं माँस के रूप में खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं वे उच्च पौष्टिकता वाला पशु प्रोटीन आहार होता है। इस प्रकार भारत में कुक्कुट अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पौष्टिकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तित करने के लिए सक्षम होते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न श्रृंखला-9 # पृष्ठ संख्या 238

प्रश्न 1.
पशुपालन तथा कुक्कुट पालन की प्रबन्धन प्रणाली में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर:
पशुपालन एवं कुक्कुट पालन की प्रबन्धन प्रणाली में समानताएँ –

  1. दोनों के लिए उचित, स्वच्छ, हवादार, रोशनी युक्त एवं संक्रमणरहित आवास की व्यवस्था करना।
  2. दोनों के लिए आहार एवं जल की व्यवस्था करना।
  3. दोनों को बीमारियों से बचाने के उपाय एवं टीकाकरण।
  4. दोनों को अच्छे उत्पादन के लिए संकरण द्वारा अच्छी नस्लें तैयार करना।

प्रश्न 2.
ब्रौलर तथा अण्डे देने वाली लेयर में क्या अन्तर है? इनके प्रबन्धन के अन्तर को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ब्रौलर तथा अण्डे देने वाली लेयर में अन्तर:
ब्रौलर को माँस उत्पादन के लिए तथा लेयर को अण्डे उत्पादन के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

ब्रौलर तथा अण्डे देने वाली लेयर के प्रबन्धन में अन्तर:
ब्रौलर के आवास, पर्यावरण तथा पोषक सन्तुलित आहार का विशेष ध्यान रखना होता है। ब्रौलर के आहार में प्रोटीन तथा वसा की प्रचुर मात्रा आवश्यक है तथा अण्डे देने वाले कुक्कुटों के आहार में विटामिन ‘A’ तथा ‘K’ की अधिक मात्रा आवश्यक है।

प्रश्न श्रृंखला-10 # पृष्ठ संख्या 239

प्रश्न 1.
मछलियाँ कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
मछलियाँ प्राप्त करने की दो अग्र विधियाँ हैं –

  1. प्राकृतिक स्रोत से मछलियाँ पकड़ना।
  2. मछली पालन या मत्स्य संवर्धन।

प्रश्न 2.
मिश्रित मछली संवर्धन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
मिश्रित मछली संवर्धन से एक साथ पाँच-छ: स्पीशीज की मछलियों का प्रचुर मात्रा में उत्पादन किया जा सकता है।

प्रश्न श्रृंखला-11 # पृष्ठ संख्या 240

प्रश्न 1.
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खियों में कौन से ऐच्छिक गुण होने चाहिए?
उत्तर:
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खियों के ऐच्छिक गुण –

  1. मधु एकत्रित करने की अधिकतम क्षमता।
  2. निर्धारित छत्ते में अधिक समय तक रहने की प्रवृत्ति।
  3. तीव्र प्रजनन की प्रवृत्ति।
  4. कम डंक मारने की प्रवृत्ति।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
चरागाह क्या है? और ये मधु उत्पादन से कैसे सम्बन्धित है?
उत्तर:
चरागाह:
मधुमक्खियों के चरागाह वे क्षेत्र कहलाते हैं जहाँ मधुमक्खियाँ फूलों से मकरन्द एवं पराग कण एकत्रित करती हैं।”

चरागाहों का मधु उत्पादन से सम्बन्ध:
मधु की गुणवत्ता एवं मात्रा मधुमक्खियों के चरागाह अर्थात् उनको मधु एकत्रित करने के लिए उपलब्ध फूलों पर निर्भर करती है। चरागाह की पर्याप्त उपलब्धता एवं पुष्पों की किस्में मधु के स्वाद को निर्धारित करती हैं।

MP Board Class 9th Science Chapter 15 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
फसल उत्पादन की एक विधि का वर्णन कीजिए जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।
उत्तर:
अधिक पैदावार के लिए फसल उत्पादन की अन्तराफसलीकरण विधि-इस विधि में दो अथवा दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में निर्दिष्ट पैटर्न पर उगाते हैं। कुछ पंक्तियों में एक प्रकार की फसल तथा उसके एकान्तर में स्थित दूसरी पंक्तियों में दूसरे प्रकार की फसल उगाते हैं। इससे अधिक पैदावार प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
खेतों में खाद तथा उर्वरकों का प्रयोग क्यों करते हैं?
उत्तर:
पौधों की वृद्धि के लिए पोषक पदार्थों की आवश्यकता होती है। इन पोषकों की कमी से पौधों की शारीरिक क्रियाओं, जनन, वृद्धि एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेतों में खाद तथा उर्वरकों के रूप में पोषकों को मिलाना आवश्यक है। इसलिए इनका प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 3.
अन्तराफसलीकरण तथा फसल चक्र के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
अन्तराफसलीकरण तथा फसल चक्र के लाभ:

  1. कम कृषि लागत में फसल की उपज में वृद्धि।
  2. भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखते हुए भूमि का समुचित उपयोग।
  3. आर्थिक जोखिम कम होता है तथा आय में वृद्धि होती है।
  4. एक साथ अनेक प्रकार के शुद्ध बीजों का उत्पादन सरल होता है।
  5. खरपतवारों को नियन्त्रित करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 4.
आनुवंशिक फेरबदल क्या है? कृषि प्रणालियों में यह कैसे उपयोगी है?
उत्तर:
आनुवंशिक फेरबदल:
“फसल सुधार के लिए ऐच्छिक गुणों वाले जीन का डालना जिससे आनुवंशिकीय रूपान्तरित फसल प्राप्त होती है, आनुवंशिक फेरबदल कहलाता है।”

आनुवंशिक फेरबदल की कृषि प्रणालियों में उपयोगिता:
इस प्रक्रिया से हमको ऐच्छिक गुणों वाले उन्नत किस्म के कृषि उत्पाद एवं अच्छी गुणवत्ता वाले विशेष बीज उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 5.
भण्डारगृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?
उत्तर:
भण्डारगृहों (गोदामों) में अनाज की हानि:

  1. नमी, सीलन एवं ताप का अभाव अनाज को बदरंग कर देते हैं तथा अनाज सड़ भी जाता है।
  2. अनाज की अंकुरण क्षमता कम हो जाती है।
  3. कीट, कृन्तक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु अनाज को नष्ट कर देते हैं तथा पेस्ट (चूहे) अनाज को खा जाते हैं।
  4. अनाज का वजन कम हो जाता है तथा गुणवत्ता खराब होने से बाजार मूल्य भी कम होता है।

प्रश्न 6.
किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक हैं?
उत्तर:
पशुपालन की प्रणालियों से किसानों को उचित पशु आवास का प्रबन्धन, पशुओं के उचित आहार, प्रजनन प्रबन्धन, पशुओं में फैलने वाले रोगों और उनके उचित उपचार की जानकारी मिलती है। इससे पशु उत्पादन को बढ़ाने में सहायता मिलती है। इस प्रकार किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ लाभदायक हैं।

प्रश्न 7.
पशुपालन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:

  1. पशुपालन से भोज्य पदार्थ दूध की आपूर्ति होती है।
  2. पशुपालन से कृषि कार्यों (हल चलाना, सिंचाई करना, बोझा ढोना आदि) के लिए पशु उपलब्ध होते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन के प्रबन्धन में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर:
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन एवं मधुमक्खी पालन के प्रबन्धन में निम्न समानताएँ हैं –

  1. उचित आवास की व्यवस्था करना।
  2. उनके सन्तुलित एवं पौष्टिक आहार की व्यवस्था करना।
  3. उनको नीरोग रखने के लिए व्यवस्था करना।
  4. उनके प्रजनन की उचित व्यवस्था करना।

प्रश्न 9.
प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्रग्रहण मत्स्यन:
प्राकृतिक स्रोतों से मछली पकड़ने की विधि प्रग्रहण मत्स्यन कहलाती है। इसमें तालाबों, नदियों तथा समुद्रों से पारम्परिक तरीकों से मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। इससे मछली उत्पादन अधिक मात्रा में नहीं हो पाता।

मेरीकल्चर:
मत्स्यपालन की वह विधि जिसके द्वारा समुद्र में मछलियों का संवर्धन किया जाता है। मेरी कल्चर कहलाती है। इसमें आर्थिक महत्व की मछलियों का संवर्धन किया जा सकता है।

जल संवर्धन:
ताजा जल स्रोत; जैसे नाले, नदियाँ, तालाब, पोखर आदि में जहाँ प्रग्रहण विधि से मत्स्य उत्पादन अधिक नहीं होता वहाँ संवर्धन द्वारा अधिकांश मत्स्य उत्पादन किया जाता है। इस प्रणाली को जल संवर्धन कहते हैं। इस प्रणाली द्वारा मछली उत्पादन अधिक होता है।

MP Board Class 9th Science Chapter 15 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 9th Science Chapter 15 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किस पौधे से तेल प्राप्त होता है?
(a) मसूर
(b) सूरजमुखी
(c) फूलगोभी
(d) गुड़हल
उत्तर:
(b) सूरजमुखी

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा कार्बोहाइड्रेट का स्रोत नहीं है?
(a) चावल
(b) बाजरा
(c) ज्वार
(d) चना
उत्तर:
(d) चना

प्रश्न 3.
देश की खाद्य समस्या के हल के लिए निम्नलिखित में से कौन आवश्यक है?
(a) उत्पादन का बढ़ाना तथा खाद्यान्न का भण्डारण
(b) लोगों को आसानी से खाद्यान्न का मिलना
(c) लोगों के पास अन्न खरीदने के लिए धन का होना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
खरपतवार फसलों को निम्नलिखित में से किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
(a) वृद्धि करने से पहले ही खेत में पादप को नष्ट करके
(b) पादप की वृद्धि को प्रभावित करके
(c) पादप के अन्य संसाधनों में प्रतियोगिता के कारण पोषक पदार्थ की उपलब्धता में कमी करके
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(c) पादप के अन्य संसाधनों में प्रतियोगिता के कारण पोषक पदार्थ की उपलब्धता में कमी करके

MP Board Solutions

प्रश्न 5.
मधुमक्खी की निम्नलिखित जातियों (स्पीशीज) में से कौन-सी स्पीशीज इटली की है।
(a) ऐपिस डॉर्मेटा
(b) ऐपिस फ्लोरी
(c) ऐपिस सेरना इण्डिका
(d) ऐपिस मेलीफेरा
उत्तर:
(d) ऐपिस मेलीफेरा

प्रश्न 6.
पशुपालन निम्नलिखित उद्देश्यों में से किसके लिए किया जाता है?
(i) दुग्ध उत्पादन
(ii) कृषि कार्य
(iii) माँस उत्पादन
(iv) अण्डा उत्पादन

(a) (i), (ii) तथा (iii)
(b) (ii), (iii) तथा (iv)
(c) (ii) तथा (iii)
(d) (iii) तथा (iv)
उत्तर:
(a) (i), (ii) तथा (iii)

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-से पशु भारतीय हैं?
(i) बॉस इण्डिकस
(ii) बॉस डोमेस्टिका
(iii) बॉस बुबेलिस
(iv) बॉस बुल्गैरिस

(a) (i) तथा (iii)
(b) (ii) तथा (iii)
(c) (i) तथा (iv)
(d) (ii) तथा (iv)
उत्तर:
(a) (i) तथा (iii)

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सी विदेशी नस्ल है?
(i) ब्रॉन
(ii) जर्सी
(ii) ब्राउन स्विस
(iv) जर्सी स्विस

(a) (i) तथा (iii)
(b) (ii) तथा (iii)
(c) (i) तथा (iv)
(d) (ii) तथा (iv)
उत्तर:
(b) (ii) तथा (iii)

प्रश्न 9.
मुर्गीपालन निम्नलिखित में से किसकी वृद्धि के लिए किया जाता है?
(i) अण्डा उत्पादन
(ii) पंख उत्पादन
(iii) चिकनमाँस
(iv) दुग्ध उत्पादन

(a) (i) तथा (iii)
(b) (i) तथा (ii)
(c) (ii) तथा (iii)
(d) (iii) तथा (iv)
उत्तर:
(a) (i) तथा (iii)

प्रश्न 10.
कुक्कुट (मुर्गियाँ) निम्नलिखित रोगजनकों में से किसके प्रति सुग्राह्य हैं?
(a) विषाणु
(b) जीवाणु
(c) कवक
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-सी मछली जल की सतह से भोजन प्राप्त करती है?
(a) रोहू
(b) मृगल
(c) सामान्य कार्प
(d) कटला
उत्तर:
(b) मृगल

प्रश्न 12.
पशुपालन में निम्नलिखित में से किसका वैज्ञानिक प्रबन्धन किया जाता है?
(i) पशु प्रजनन
(ii) पशु संवर्धन
(iii) पशुधन
(iv) पशुओं का पालन-पोषण

(a) (i), (ii) तथा (iii)
(b) (ii), (iii) तथा (iv)
(c) (i), (ii) तथा (iv)
(d) (i), (iii) तथा (iv)
उत्तर:
(b) (ii), (iii) तथा (iv)

MP Board Solutions

प्रश्न 13.
निम्नलिखित पोषकों में से कौन-सा पोषक उर्वरकों में उपलब्ध नहीं होता है?
(a) नाइट्रोजन
(b) फॉस्फोरस
(c) आयरन
(d) पोटैशियम
उत्तर:
(c) आयरन

प्रश्न 14.
अन्न भण्डारण के नियन्त्रण और रोकथाम के लिए कौन-सा उपाय किया जाता है?
(a) भण्डारण कक्ष की भली-भाँति स्वच्छता
(b) उत्पाद को अच्छी तरह सुखाना
(c) धूमन
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

प्रश्न 15.
दुग्ध उत्पादन में अपार वृद्धि कहलाती है –
(a) श्वेत क्रान्ति
(b) हरित क्रान्ति
(c) नीली क्रान्ति
(d) ये सभी
उत्तर:
(a) श्वेत क्रान्ति

प्रश्न 16.
मछली उत्पादन में अपार वृद्धि कहलाती है –
(a) श्वेत क्रान्ति
(b) हरित क्रान्ति
(c) नीली क्रान्ति
(d) ये सभी
उत्तर:
(c) नीली क्रान्ति

प्रश्न 17.
कृषि उत्पादन में अपार वृद्धि कहलाती है –
(a) श्वेत क्रान्ति
(b) हरित क्रान्ति
(c) नीली क्रान्ति
(d) ये सभी
उत्तर:
(b) हरित क्रान्ति

रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. अरहर ……… का एक अच्छा स्रोत है।
2. बरसीम ……की एक मुख्य फसल है।
3. वर्षा ऋतु में होने वाली फसल को ………….. फसल कहते हैं।
4. ……. विटामिनों से भरपूर होती है।
5. ………… फसल शीत ऋतु में होती है।
6. खेती जो उर्वरक, शाकनाशी तथा पीड़कनाशी जैसे रसायनों की अनुपस्थित में होती है उसे …….. कहते हैं।
7. गेहूँ और मूंगफली का एक ही खेत में साथ-साथ उगाने को ………. कहते हैं।
8. सोयाबीन और मक्का को एकान्तर पंक्ति में एक ही खेत में उगाने को ………… कहते हैं।
9. एक भूमि के टुकड़े में विभिन्न फसलों को पूर्व नियोजित तरीके को क्रमवार उगाने को …………. कहते हैं।
10. गोखरू (जैन्थियम) तथा गाजर घास (पारथेनियम) आमतौर पर ………….. कहे जाते हैं।
11. किसी बीमारी का कारक जीव ……….. कहलाता है।
12. दीप्तिकाल पादपों में ……….. को प्रभावित करता है।
13. खरीफ की फसल की खेती ………… से ………….. तक की जाती है।
14. रबी की खेती …………. से ……….. की जाती है।
15. धान, मक्का, मूंग तथा उड़द ……. फसलें हैं।
16. गेहूँ, चना, मटर, सरसों ……… फसलें हैं।
17. पादपों की वृद्धि के लिए कुल ………….. पोषक तत्व आवश्यक होते हैं।
18. …………. तथा …………. पादपों को वायु से प्राप्त होते हैं।
19. पादपों को ……….. की आपूर्ति जल द्वारा होती है।
20. पादपों को ….. पोषकों की आपूर्ति मृदा से होती है।
21. कुल ……….. पोषकों की बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है और इन्हें ………. कहते हैं।
22. कुल ……….. पोषकों की अल्पमात्रा में आवश्यकता होती है और इन्हें ………… कहते हैं।
उत्तर:

  1. प्रोटीन
  2. चारे
  3. खरीफ
  4. वनस्पति
  5. रबी
  6. जैविक कृषि
  7. मिश्रित फसल
  8. अन्तरफसलीकरण
  9. फसल चक्र
  10. खरपतवार
  11. रोगजनक
  12. पुष्पन
  13. जून, अक्टूबर
  14. नवम्बर, अप्रैल
  15. खरीफ
  16. रबी
  17. सोलह
  18. कार्बन, ऑक्सीजन
  19. हाइड्रोजन
  20. तेरह
  21. छ:, बृहद पोषक
  22. सात, सूक्ष्म पोषक।

सही जोड़ी बनाना
I.
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार 1
उत्तर:

  1. → (ii)
  2. → (iii)
  3. → (i)
  4. → (iv)।

II.
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार 2
उत्तर:

  1. → (iii)
  2. → (v)
  3. → (iv)
  4. → (i)
  5. → (ii)।

MP Board Solutions

सत्य/असत्य कथन

1. श्वेत क्रान्ति का अर्थ दुग्ध उत्पादन को बढ़ाना है।
2. नीली क्रान्ति का अर्थ मत्स्य उत्पादन को बढ़ाना है।
3. पर्यावरणीय गुणवत्ता के साथ समझौता किए बिना खाद्य उत्पादन में वृद्धि संधारणीय कृषि कहलाती है।
4. संकरण का अर्थ है आनुवंशिक रूप से दो असमान पादपों के बीच क्रासिंग कराना।
5. दो किस्मों के बीच किया जाने वाला संकरण, अन्तरास्पीशीजी संकरण कहलाता है।
6. किसी पादप में वांछित गुणों वाले जीन डालने से आनुवंशिकीय रूपान्तरित फसल प्राप्त होती है।
7. दो स्पीशीजों के पौधों के बीच किया जाने वाला संकरण अन्तरावैरायटी संकरण कहलाता है।
8. खाद में जैव पदार्थों की मात्रा अधिक होती है और पोषक पदार्थों की मात्रा कम होती है।
9. खाद रेतीली मृदा में जलधारण क्षमता को बढ़ाती है।
10. खाद चिकनी मृदा से अतिरिक्त जल को बाहर निकालने में सहायता करती है।
11. ,खाद का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को प्रदूषित करता है, क्योंकि यह जन्तु के उत्सर्जित अपशिष्ट से बनी होती है।
उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. सत्य
  6. सत्य
  7. असत्य
  8. सत्य
  9. सत्य
  10. असत्य
  11. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
कृषि उत्पादन में अपार वृद्धि क्या कहलाती है?
उत्तर:
हरित क्रान्ति।

प्रश्न 2.
दुग्ध उत्पादन में अपार वृद्धि क्या कहलाती है?
उत्तर:
श्वेत क्रान्ति।

प्रश्न 3.
मत्स्य उत्पादन में अपार वृद्धि क्या कहलाती है?
उत्तर:
नीली क्रान्ति।

प्रश्न 4.
श्वेत क्रान्ति के जनक का नाम लिखिए।
उत्तर:
डॉ. वर्गीस कुरियन।

प्रश्न 5.
भारतीय मधुमक्खी का जन्तु वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर:
ऐपिस सेरना इण्डिका।

प्रश्न 6.
जिन पोषकों की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। उनको क्या कहते हैं?
उत्तर:
वृहद् पोषण।

प्रश्न 7.
जिन पोषकों की अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है उन्हें क्या कहते हैं?
उत्तर:
सूक्ष्म पोषक।

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
व्यावसायिक रूप से तैयार पादप पोषक क्या कहलाते हैं?
उत्तर:
उर्वरक।

प्रश्न 9.
जन्तुओं के अपशिष्ट एवं पौधों के कचरे से बने पादप पोषक क्या कहलाते हैं।
उत्तर:
खाद।

प्रश्न 10.
इटली की मधुमक्खी का नाम क्या है?
उत्तर:
ऐपिस मेलीफेरा।

प्रश्न 11.
कुक्कुट पालन में किसकी उन्नत नस्लें विकसित की जाती हैं? (2018)
उत्तर:
कुक्कुट (मुर्गी)।

MP Board Class 9th Science Chapter 15 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मिश्रित खेती से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मिश्रित खेती:
“जब किसी फार्म पर फसलों के उत्पादन के साथ-साथ कोई अन्य कृषि आधारित व्यवसाय भी अपनाया जाता है, तब कृषि की यह प्रणाली मिश्रित खेती (कृषि) कहलाती है।”

प्रश्न 2.
फसल चक्र को लाभ सहित समझाइए।
उत्तर:
फसल चक्र:
“किसी निश्चित समय में फसलों की पूर्व योजनानुसार क्रम में अदल-बदल कर बोना, जिससे कि भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट न हो, फसल चक्र कहलाता है। फसल चक्र का प्रमुख लाभ भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखकर फसलों का उत्पादन करना है।

प्रश्न 3.
खाद किसे कहते हैं?
उत्तर:
खाद:
“जन्तुओं के अपशिष्ट एवं पादप कचरे से निर्मित तथा प्रचुर मात्रा में कार्बनिक पदार्थों से युक्त पादप पोषक खाद कहलाते हैं।”

प्रश्न 4.
उर्वरक किसे कहते हैं?
उत्तर:
उर्वरक:
“व्यावसायिक रूप से निर्मित तथा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम प्रदान करने वाले पादप पोषक उर्वरक कहलाते हैं।

प्रश्न 5.
अन्तराफसलीकरण से क्या समझते हो?
उत्तर:
अन्तराफसलीकरण:
“वह फसल पैटर्न जिसमें दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में निर्दिष्ट पैटर्न पर उगाते हैं, अन्तराफसलीकरण कहलाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 6.
खरपतवार किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
खरपतवार:
“कृषि योग्य भूमि में उगने वाले अनावश्यक पौधे जो कृषि को हानि पहुँचाते हैं, खरपतवार कहलाते हैं।”

प्रश्न 7.
पशुपालन किसे कहते हैं?
उत्तर:
पशुपालन:
“पशुधन के प्रबन्धन को पशुपालन कहते हैं। इसके अन्तर्गत अनेक कार्य एवं व्यवस्थाएँ आती हैं। जैसे- भोजन व्यवस्था, आवास व्यवस्था, रोगों पर नियंत्रण एवं प्रजनन कराना।

प्रश्न 8.
आनुवंशिक रूप से रूपान्तरित फसलें क्या होती हैं? भारत में उगायी जाने वाली एक ऐसी फसल का नाम बताइए।
उत्तर:
आनुवंशिक रूपान्तरित फसलें:
“वे फसलें जिनमें वांछित लक्षण प्राप्त करने के लिए किसी दूसरे स्रोत से प्राप्त जीन को प्रवेश कराकर विकसित किया गया हो, आनुवंशिक रूपान्तरित (G.M.) फसल कहलाती है।”
उदाहरण:
बीटी कपास जी. एम. फसल का उदाहरण है।

प्रश्न 9.
उर्वरक का अधिक उपयोग पर्यावरण के लिए क्यों हानिकारक है?
उत्तर:
उर्वरक का अत्यधिक उपयोग पर्यावरणीय प्रदूषण पैदा करता है क्योंकि इसकी अप्रयुक्त मात्रा वायु, जल एवं मृदा प्रदूषण पैदा करती हैं तथा भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 10.
संकरण तथा दीप्तिकाल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
संकरण:
“आनुवंशिक रूप से भिन्न जीवों में क्रॉस कराना संकरण कहलाता है।”

दीप्तिकाल:
“सूर्य के प्रकाश की अवधि जो पौधे को मिलती है, दीप्तिकाल कहलाती है।”

प्रश्न 11.
“कृषि पद्धतियाँ तथा फसल की पैदावार का सम्बन्ध पर्यावरणीय परिस्थितियों से होता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न फसलों तथा कृषि प्रणालियों की विभिन्न जलवायु अवस्थाएँ, तापमान, दीप्तिकाल की आवश्यकताएँ, उनकी वृद्धि तथा जीवन चक्र के पूर्ण होने के लिए होती हैं। कुछ फसलों को वर्षा ऋतु (खरीफ फसल) तथा कुछ को शीत ऋतु (रबी फसल) में बोया जाता है।

प्रश्न 12.
यदि किसी गाँव में पूरे साल कम वर्षा हुई है, तो आप किसानों को अच्छी फसल लेने के लिए क्या उपाय सुझाएँगे?
उत्तर:
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में किसानों को दिए जाने वाले सुझाव –

  1. जलाभाव सहिष्णु तथा जल्दी पकने वाली किस्मों की खेती करें।
  2. मृदा को अधिक ह्यूमस से समृद्ध करें क्योंकि यह जलधारण क्षमता बढ़ाती है और मृदा लम्बे समय के लिए जलधारण करती है।

प्रश्न 13.
हरी खाद तैयार करने के लिए इन कथनों को सही क्रम में लिखिए –
(a) हरे पौधे मृदा में अपघटित हो जाते हैं।
(b) खाद बनाने के लिए हरे पौधे उगाये जाते हैं या फसली पौधों के भागों का इस्तेमाल किया जाता है।
(c) पौधे खेत में जोत दिये जाते हैं, जो मृदा में मिल जाते हैं।
(d) अपघटन के बाद हरी खाद बन जाती है।
उत्तर:
(b)→ (c)→ (a)→ (d).

प्रश्न 14.
“कृषि पद्धतियों में अधिक लागत से अधिक पैदावार होती है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
कृषि प्रणालियों में अच्छी लागत से अधिक पैदावार होती है क्योंकि अच्छी आर्थिक स्थिति वाले किसान अधिक धन लगाकर विभिन्न विकसित कृषि पद्धतियाँ, कृषि तकनीकों एवं कृषि उपकरणों तथा साधनों का उपयोग करके अधिक पैदावार कर सकते हैं।

प्रश्न 15.
फसल सुधार में संकरण की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संकरण अन्तरकिस्मीय, अन्तरस्पीशीज अथवा अन्तरवंशीय हो सकता है। अच्छे लक्षणों वाली वांछित दो फसलों को चयनित करके उन जनक फसलों को संकरण करके नई फसल प्राप्त की जाती है। संकरण की इस विधि से हम अधिक उपज वाली, रोग प्रतिरोधी तथा पीड़करोधी फसल तैयार कर सकते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 16.
मधुमक्खी पालन हमें अच्छे चरागाह में क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
अच्छे चरागाहों में मधुमक्खियों को अधिक मात्रा में पुष्प रस एवं अच्छी गुणवत्ता वाला मकरन्द प्राप्त होता है। इसके फलस्वरूप मधुमक्खियाँ अधिक मात्रा में तथा अच्छी गुणवत्ता का शहद बनाती हैं। इसलिए मधुमक्खी पालन हमको अच्छे चरागाह में करना चाहिए।

प्रश्न 17.
वे विधियाँ बताइए जिनसे कीट फसल की पैदावार को प्रभावित करता है।
उत्तर:
कीट पौधों के भागों विशेषकर पत्तियों को काटकर, कोशिकाओं का वेधन करके तथा कोशिकाओं का रस चूसकर फसल की पैदावार को कम करके प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 18.
पशुओं के भोजन के दो प्रकारों के नाम तथा उनके कार्य लिखिए।
उत्तर:

  1. रूक्षांश-ये प्रायः रेशे प्रदान करते हैं।
  2. सान्द्र-ये प्रोटीन तथा प्रचुर मात्रा में पोषक उपलब्ध कराते हैं।

प्रश्न 19.
यदि कुक्कुट (मुर्गियाँ) आकार में बड़ी होती तथा उनमें ग्रीष्म अनुकूलन की क्षमता नहीं होती तो क्या होता? कुक्कुटों को छोटे आकार का और उन्हें ग्रीष्म अनुकूलित बनाने के लिए क्या उपाय किया जाता है?
उत्तर:
कुक्कुट पक्षियों का बड़ा आकार (शरीर की सतही क्षेत्रफल की अधिकता) और ग्रीष्म-अनुकूलित न होने के कारण अण्डा उत्पादन में कमी आ जाती है। कुक्कुटों का छोटा आकार एवं ग्रीष्म अनुकूल प्राप्त करने के लिए कुक्कुटों में संकरण कराया जाता है।

MP Board Class 9th Science Chapter 15 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उन्नत फसलों में पाए जाने वाले कुछ लाभदायक लक्षणों की सूची बनाइए।
उत्तर:
उन्नत फसलों में सुधार के बाद फसल के लाभदायक लक्षण हैं –

  1. अधिक पैदावार
  2. उत्तम पोषण गुणवत्ता
  3. जैविक तथा अजैविक तनाव से प्रतिरोधकता
  4. परिपक्वन में परिवर्तन
  5. व्यापक अनुकूलता
  6. इच्छित शस्य-विज्ञान लक्षण।

प्रश्न 2.
फसल उत्पादन में जैव पदार्थ क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
जैव पदार्थ फसलों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि –

  1. यह मृदा की संरचना सुधारने में सहायता करता है।
  2. यह बलुई मृदा में जल भराव की क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।
  3. मृत्तिका मृदा में अधिक जैव पदार्थ जल निकासी में सहायता करते हैं।
  4. ये जल प्लावन को रोकने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समूह बनाइए तथा उन्हें ऊर्जा देने वाले, प्रोटीन देने वाले, तेल देने वाली तथा चारा देने वाली फसलों में वर्गीकृत कीजिए –
गेहूँ, चावल, बरसीम, मक्का, चना, जई, अरहर, सूडान घास, मंसूर, सोयाबीन, मूंगफली, अरंडी तथा सरसों।
उत्तर:

  1. ऊर्जा देने वाले-गेहूँ, चावल, मक्का।
  2. प्रोटीन देने वाले-चना, अरहर, मंसूर, सोयाबीन।
  3. तेल देने वाले-मूंगफली, अरंडी, सरसों, सोयाबीन।
  4. चारा देने वाले-बरसीम, जई, सूडान घास।

प्रश्न 4.
कम्पोस्ट तथा वर्मी कम्पोस्ट में अन्तर बताइए।
उत्तर:
कम्पोस्ट:
“कम्पोस्ट का बनना एक ऐसी क्रिया है जिसमें फसलों के अपशिष्ट, जन्तुओं के अपशिष्ट; जैसे-मल-मूत्र, पशुओं के मल-मूत्र, वनस्पतियों के अपशिष्ट, घरेलू अपशिष्ट, भूसा, उखाड़े हुए खरपतवार आदि का अपघटन करके खाद की तरह प्रयुक्त किया जाता है। – वर्मी कम्पोस्ट-ऐसा कम्पोस्ट जो केंचुओं का प्रयोग करके जैव पदार्थों से तैयार किया जाता है। इससे अपघटन की क्रिया तीव्र हो जाती है तथा अच्छी गुणवत्ता की खाद प्राप्त होती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 5.
इटली की एक मधुमक्खी की किस्म ऐपिस मेलीफेरा को शहद उत्पादन के लिए भारत लाया गया है। इस मधुमक्खी के उन गुणों का उल्लेख कीजिए जिनमें यह अन्य किस्मों से बेहतर मानी जाती है।
उत्तर:
इटली की मधुमक्खी ऐपिस मेलीफेरा के विशिष्ट गुण निम्न हैं –

  1. इनका दंश कम होता है।
  2. इनकी मधु संग्रहण क्षमता अधिक होती है।
  3. यह अपने छत्ते में ठीक प्रकार से लम्बे समय तक रहती है।
  4. इसकी प्रजनन क्षमता अच्छी है।

प्रश्न 6.
खरपतवार नियन्त्रण के लिए विभिन्न विधियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
खरपतवार के नियन्त्रण के विभिन्न उपाय निम्न हैं –

  1. यान्त्रिक विधि से निकालना।
  2. बीच की क्यारी अच्छी तरह बनाना ताकि खरपतवार की वृद्धि न हो।
  3. समय से फसल बोना ताकि खरपतवार की वृद्धि न हो।
  4. अन्तरफसलीकरण तथा फसल चक्र द्वारा खरपतवार का नियन्त्रण करना।

प्रश्न 7.
मत्स्य संवर्धन के दो गुण तथा दो दोष बताइए। (2019)
उत्तर:
मत्स्य संवर्धन के गुण:

  1. कम क्षेत्र से अधिक मात्रा में वांछित मछलियों को प्राप्त किया जा सकता है।
  2. मछलियों में सुधार किया जा सकता है।

मत्स्य संवर्धन के दोष:

  1. जैव-विविधता का संकट उत्पन्न हो सकता है।
  2. केवल आर्थिक महत्व की तथा बहुमूल्य मछलियों का ही संवर्धन किया जायेगा।

प्रश्न 8.
मिश्रित मछली संवर्धन से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
मिश्रित मछली (मत्स्य) संवर्धन:
“पाँच या छः स्पीशीजों जिनमें विदेशी एवं स्वदेशी दोनों प्रकार की मछलियाँ सम्मिलित होती हैं, को एक ही तालाब में संवर्धन करने की विधि मिश्रित मछली (मत्स्य) संवर्धन कहलाती है।” इन स्पीशीज का चयन इनकी अशन प्रवृत्तियों के आधार पर किया जाता है ताकि भोजन के लिए इनमें स्वयं प्रतिस्पर्धा न हो। परिणामस्वरूप तालाब के प्रत्येक भाग में भोजन उपलब्ध रहता है। उदाहरण के लिए, कतला सतहभोजी है, रोहू मध्यक्षेत्र भोजी है तथा मृगाल और सामान्य कार्प अधःस्तल-भोजी होती है।

प्रश्न 9.
पीड़कनाशी का उपयोग बहुत सही सान्द्रण तथा बहुत सही विधि से क्यों किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पीड़कनाशी का उपयोग उपयुक्त सान्द्रण में तथा उचित विधि से करना होता है क्योंकि यदि इसका अधिक मात्रा में उपयोग हो गया तो –

  1. मृदा को नुकसान पहुँचता है तथा मृदा की उर्वरकता कम हो जाती है।
  2. जैव पदार्थों की पुनः पूर्ति रुक जाती है।
  3. मृदा के सूक्ष्म कण नष्ट हो जाते हैं।
  4. वायु, जल तथा मृदा प्रदूषण उत्पन्न होता है।

प्रश्न 10.
कुक्कुट (मुर्गियों) की बीमारियों से रोकथाम के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:
कुक्कुट (मुर्गियों) की बीमारियों से रोकथाम के उपाय –

  1. कुक्कुट फार्म को साफ (स्वच्छ) तथा संक्रमण रहित रखना चाहिए।
  2. रोगाणुनाशी का समय-समय पर छिड़काव करना चाहिए।
  3. कुक्कुटों का उपयुक्त टीकाकरण कराते रहना चाहिए।
  4. कुक्कुटों को पौष्टिक सन्तुलित आहार देना चाहिए।
  5. पशु चिकित्सकों से समय-समय पर जाँच कराते रहना चाहिए।

MP Board Solutions

प्रश्न 11.
मछली पालन की महत्ता एवं उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
मछली पालन की उपयोगिता एवं महत्ता:

  1. यह उद्योग कम समय एवं लागत वाला लाभकारी उद्योग है।
  2. मछली प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज पदार्थों का एक अच्छा स्रोत है, अतः मछली पालन से कुपोषण की समस्या से छुटकारा मिलता है।
  3. यह व्यापार बेरोजगारी समाप्त करके आर्थिक स्थायित्व प्रदान कर सकता है।
  4. यह व्यवसाय खेती के साथ-साथ अतिरिक्त अधिक आय प्रदान कर सकता है।

प्रश्न 12.
मधुमक्खी पालन की महत्ता एवं उपयोगिता लिखिए। (2019)
उत्तर:
मधुमक्खी पालन की महत्ता एवं उपयोगिता:

  1. पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों वाला शहद प्राप्त होता है।
  2. इससे मोम प्राप्त होता है जिसका उपयोग औषधियाँ, मलहम, क्रीम, पॉलिश, वेसलीन एवं मोमबत्ती बनाने में होता है।
  3. मधुमक्खियाँ परागण क्रिया में भाग लेकर फसल की पैदावार बढ़ाती हैं।
  4. इस उद्योग का संचालन निर्धन एवं अल्पशिक्षित ग्रामीण भी कर सकते हैं।

प्रश्न 13.
सिंचाई के चार स्त्रोतों का वर्णन कीजिए। (2018)
उत्तर:
सिंचाई के जल स्त्रोत एवं विधियाँ:

1. नहर:
नदी या बाँधों से पानी सिंचाई के लिए नहरों द्वारा दूर-दराज तक पहुँचाया जाता है। इससे खेतों को पानी मिलता है।

2. नलकूप:
-बोरिंग करके जमीन में पाइप डाल दिए जाते हैं फिर उसमें सबमर्सीबल पम्प फिट कर दी जाती है जिससे जमीन के अन्दर से सिंचाई के लिए पानी प्राप्त किया जाता है।

3. चरस:
यह एक चमड़े का बहुत बड़ा थैला होता है जिसमें मोटा रस्सा बाँधकर कुए से बैलों के द्वारा पानी खींचा जाता है।

4. रहट:
यह युक्ति कुए में स्थापित कर दी जाती है इसमें छोटी-छोटी अनेकों बाल्टियाँ चेन द्वारा लगी होती हैं जो एक पहिए पर घूमती हुई नीचे कुए के जल तक जाती है तथा वहाँ से जल लाकर देती हैं।

प्रश्न 14.
हरी खाद क्या है? इसके लाभ लिखिए। (2019)
उत्तर:
हरी खाद:
“जो खाद खेतों में हरे पौधों के अपघटन से तैयार की जाती है, हरी खाद कहलाती है।” इसको तैयार करने के लिए खेतों में ढेंचा, पटसन, मूंग अथवा ग्वार आदि बोया जाता है, जिसे बड़ा होने पर खेत में ही जोत दिया जाता है और अपघटन के बाद उसे हरी ग्वाद बनने के लिए छोड़ दिया जाता है।

हरी खाद के लाभ:

  1. यह खाद हरे पौधों; जैसे-ढेंचा, पटसन, मूंग एवं ग्वार के अपघटन से बनाई जाती है। अतः हानिकारक रसायनों से मुक्त होती है।
  2. यह खाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है।

MP Board Class 9th Science Chapter 15 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए –
1. वर्मी कम्पोस्ट (2018, 19)
2. हरी खाद (2018, 19)
3. जैव उर्वरक (2019)।
उत्तर:
1. वर्मी कम्पोस्ट:
“कम्पोस्ट खाद की एक किस्म जिसमें जैव पदार्थ और पोषक पदार्थों की पर्याप्त मात्रा विद्यमान रहती है, जिसे बनाने में जन्तुओं के उत्सर्जी पदार्थ एवं पादपों के अवशेषों का शीघ्र अपघटन करने के लिए केंचुओं का उपयोग किया जाता है, वर्मी कम्पोस्ट कहा जाता है।”

2. हरी खाद:
“जो खाद खेतों में हरे पौधों के अपघटन से तैयार की जाती है, हरी खाद कहलाती है।” इसको तैयार करने के लिए खेतों में ढेंचा, पटसन, मूंग अथवा ग्वार आदि बोया जाता है, जिसे बड़ा होने पर खेत में ही जोत दिया जाता है और अपघटन के बाद उसे हरी ग्वाद बनने के लिए छोड़ दिया जाता है।

3. जैव उर्वरक:
“जीव जो पादपों को पोषक देते हैं तथा जिनका उपयोग पौधों के द्वारा उर्वरक के रूप में किया जाता है, वे जैव उर्वरक कहलाते हैं।” उदाहरण के लिए, नीली-हरी शैवाल जो चावल के खेतों में मृदा के अन्दर नाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा नाइट्रेट्स बनाते हैं वे जैव उर्वरक होते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए –
1. मछली पकड़ना तथा मछली संवर्धन
2. मिश्रित फसल तथा अन्तरफसलीकरण
3. मधुमक्खी पालन तथा कुक्कुट पालन।
उत्तर:
1. मछली पकड़ना, प्राकृतिक संसाधनों से मछली निकालने की विधि होती है जबकि मछली संवर्धन, मत्स्य उत्पादन द्वारा मछली प्राप्त करना है।

2. मिश्रित खेती में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ ही एक ही खेत में उगाते हैं, जबकि अन्तरफसलीकरण में दो या अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में निश्चित पैटर्न में उगाते हैं। जैसे अलग-अलग पंक्तियों में।

3. मधुमक्खी पालन, मधु (शहद) का उत्पादन करने के लिए मधुमक्खियों को पालने की प्रक्रिया है जबकि कुक्कुट पालन अण्डे और माँस का उत्पादन करने के लिए घरेलू कुक्कुट (मुर्गियाँ) को पालने की प्रक्रिया होती है।

प्रश्न 3.
संलग्न चित्र में खेती की दो फसलों को (प्लाट ‘A’ तथा प्लाट ‘B’) क्रमशः खाद तथा रासायनिक उर्वरक से दर्शाया गया है, दूसरे पर्यावरणीय कारकों को यथावत्र रखते हुए ग्राफ का अवलोकन कीजिए तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार 3
1. ग्राफ ‘B’ पैदावार में अचानक वृद्धि तथा शनैः-शनैः कमी क्यों दिखाता है?
2. ग्राफ ‘A’ की सबसे ऊँची चोटी कुछ विलम्बित है, क्यों?
3. दोनों ग्राफों के पैटर्न अलग होने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
1. रासायनिक उर्वरक को डालने से अधिक मात्रा में N, P, K पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं जिससे उत्पादन में अचानक वृद्धि हो जाती है। लगातार अधिक मात्रा में प्रयोग किए गए रासायनिक उर्वरक उन सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देते हैं जो मृदा में जैव पदार्थों की पुनः पूर्ति करते हैं। इससे मृदा की उर्वरक शक्ति में कमी आने लगती है। इस कारण ग्राफ ‘B’ पहले पैदावार में अचानक वृद्धि तथा शनैः-शनैः पैदावार में कमी दिखाता है।

2. खाद, मृदा में पोषकों की आपूर्ति धीरे-धीरे अल्प मात्रा में करती है क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में जैव पदार्थ होते हैं। यह मृदा को पोषकों से समृद्ध करती है और उसकी उर्वरकता बढ़ाती है। इसके कारण मृदा की उर्वरकता कम नहीं होती और फसल उत्पादन भी कम नहीं होता है। इसलिए ग्राफ ‘A’ की सबसे ऊँची चोटी कुछ विलम्बित होती है।

3. दो ग्राफों का अन्तर दर्शाता है कि खाद का उपयोग लम्बी अवधि के लिए लाभदायक है क्योंकि जब खाद की मात्रा बढ़ाई जाती है तो यह उच्च उत्पादन को बढ़ाए रखती है।

उर्वरकों का उपयोग यदि लम्बे समय के लिए किया जाये तो मृदा की उर्वरकता शनैः-शनैः कम होती जाती है और इसलिए फसल का उत्पादन भी कम होता जाता है। इस कारण दोनों ग्राफों के पैटर्न अलग-अलग हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए – (2019)
1. मधुमक्खी पालन
2. मुर्गीपालन
3. फसल पैटर्न
4. अनाज का भंडारण।
उत्तर:
1. मधुमक्खी पालन:
मधु (शहद) और मोम के उत्पादन करने के लिए मधुमक्खियों को पालने की प्रक्रिया मधुमक्खी पालन कहलाती है। शहद का सर्वत्र उपयोग होता है अतः इसके लिए मधुमक्खी पालन का उद्यम एक कृषि उद्योग बन गया है। शहद एवं मोम का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। …

2. मुर्गीपालन:
अण्डे और माँस का उत्पादन करने के लिए मुर्गियों को पालने की प्रक्रिया मुर्गीपालन कहलाती है। मुर्गीपालन में उन्नत मुर्गी की नस्लें विकसित की जाती हैं। अंडों के लिए अंडे देने वाली (लेअर) तथा माँस के लिए ब्रौलर मुर्गीपालन किया जाता है।

3. फसल पैटर्न:
“किसी निश्चित समय में फसलों की पूर्व योजनानुसार क्रम में अदल-बदल कर बोना, जिससे कि भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट न हो, फसल चक्र कहलाता है। फसल चक्र का प्रमुख लाभ भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखकर फसलों का उत्पादन करना है।

4. अनाज का भंडारण:
अनाज (कृषि उत्पाद) का जैविक एवं अजैविक कारकों से सुरक्षित भण्डार की प्रक्रिया अनाज का भण्डारण कहलाती है। जैविक कारक कीट, कृन्तक, कवक, चिचड़ी तथा जीवाणु हैं तथा अजैविक कारक भण्डारण के स्थान पर उपयुक्त नमी व ताप का अभाव है। ये कारक अनाज की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं, वजन कम कर देते हैं तथा अंकुरण करने की क्षमता कम कर देते हैं।

MP Board Class 9th Science Solutions

MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

MP Board Class 9th Science Chapter 14 पाठ के अन्तर्गत के प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 217

प्रश्न 1.
शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमण्डल से हमारा वायुमण्डल कैसे भिन्न है?
उत्तर:
शुक्र एवं मंगल ग्रह के वायुमण्डल में प्राणवायु ऑक्सीजन का अभाव है तथा हानिकारक कार्बन डाइ-ऑक्साइड लगभग 95% से 97% तक है। हमारे वायुमण्डल में प्राणवायु ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है तथा हानिकारक कार्बन डाइ-ऑक्साइड अत्यल्प मात्रा में।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल एक कम्बल की तरह कैसे कार्य करता है? (2018)
उत्तर:
वायु ऊष्मा की कुचालक होती है। इसलिए वायुमण्डल पृथ्वी के औसत तापमान को लगभग नियत रखता है। यह दिन में तापमान को बढ़ने से रोकता है तथा रात के समय ऊष्मा को बाहरी अन्तरिक्ष में जाने से रोकता है। इस तरह वायुमण्डल एक कम्बल की तरह कार्य करता है।

प्रश्न 3.
वायु प्रवाह (पवन) के क्या कारण हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल के विभिन्न क्षेत्रों में तापमान एवं दाब में होने वाले अन्तर के कारण वायु प्रवाह (पवन) होता है।

प्रश्न 4.
बादलों का निर्माण कैसे होता है? (2018)
उत्तर:
बादलों के निर्माण की प्रक्रिया-सूर्य के ताप के कारण जलाशयों (तालाब, झील, नदियाँ एवं समुद्र आदि) का जल वाष्पीकृत हो जाता है। यह जलवाष्प गर्म वायु के साथ ऊपर उठती है और फैलने के कारण ठंडी हो जाती है तथा छोटी-छोटी बूंदों के रूप में संघनित हो जाती है। जलवाष्प का यह संघनित रूप ही बादल होता है।

प्रश्न 5.
मनुष्य के तीन क्रियाकलापों को लिखिए जो वायु प्रदूषण में सहायक हैं। (2018)
उत्तर:
वायु प्रदूषण में सहायक मनुष्य के क्रियाकलाप:

  1. जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग जिससे कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साइडों का उत्सर्जन।
  2. रेफ्रिजरेटरों एवं एयरकण्डीशनरों का उपयोग जिससे हानिकारक ऐरोसॉल (क्लोरोफ्लोरोकार्बन) का रिसाव।
  3. वनों, वृक्षों का अत्यधिक कटान।

MP Board Solutions

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 219

प्रश्न 1.
जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
जीवों को जल की आवश्यकता:

  1. सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
  2. पदार्थों का संवहन जल के माध्यम से होता है। इसलिए जीवों को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
जिस गाँव/शहर/नगर में आप रहते हैं, वहाँ पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर:
उपलब्ध जल का मुख्य स्रोत जलाशय (कुएँ, तालाब, झील एवं नदियाँ)। (निर्देश-छात्र अपने गाँव/शहर/नगर के जल स्रोत का स्वयं उल्लेख करें।)

प्रश्न 3.
क्या आप किसी क्रियाकलाप के बारे में जानते हैं जो इस जल के स्रोत को प्रदूषित कर रहा है?
उत्तर:
हम अनेक क्रियाकलापों को जानते हैं जिनसे जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं –

  1. पशुओं एवं जानवरों को जलाशयों में नहलाना तथा कपड़े धोना।
  2. शवों, घरेलू अपशिष्टों आदि को जलाशयों में बहाना।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 222

प्रश्न 1.
मृदा (मिट्टी) का निर्माण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
मृदा (मिट्टी) के निर्माण की प्रक्रिया:

  1. सूर्य की गर्मी से पत्थर गर्म होकर फैलते हैं तथा रात्रि को ठंडे होकर सिकुड़ते हैं। इसलिए पत्थर छोटे-छोटे टुकड़ों में विभक्त हो जाते हैं।
  2. पत्थरों की दरार में जल भर जाता है जो ठंडा होने पर बर्फ बनकर फैलता है जिससे पत्थर दबाव के कारण टूटते हैं। इसके अतिरिक्त बहता हुआ जल पत्थरों से टकराकर उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवर्तित कर देता है।

ये पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े जल के बहाव के साथ-साथ बहते रहते हैं तथा आपस में टकरा-टकराकर मृदा में बदल जाते हैं। इसके अतिरिक्त हवाएँ भी पत्थरों को तोड़ने में सहायक होती हैं।

प्रश्न 2.
मृदा अपरदन क्या है?
उत्तर:
मृदा अपरदन:
“आँधी, तूफान, तेज हवा, तीव्र जल प्रवाह एवं बाढ़ के कारण खेत की उपजाऊ मिट्टी (मृदा) का बहकर नष्ट हो जाना मृदा अपरदन कहलाता है।”

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
मृदा अपरदन को रोकने और कम करने के कोई तीन तरीके लिखिए। (2018)
उत्तर:
मृदा अपरदन को रोकने एवं कम करने के उपाय –

  1. वनों के काटने पर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगाकर तथा वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करके।
  2. पहाड़ों एवं ढलवाँ स्थानों पर सीढ़ीनुमा खेती करके।
  3. खेतों की मेंढ़ बनाकर तथा उस पर विभिन्न पेड़-पौधे उगाकर।

प्रश्न श्रृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 226

प्रश्न 1.
जल चक्र के क्रम में जल की कौन-कौन सी अवस्थाएँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
जल चक्र के क्रम में जल की निम्न अवस्थाएँ पाई जाती हैं –

  1. ठोस अवस्था (बर्फ)
  2. द्रव अवस्था (पानी)
  3. गैसीय अवस्था (जलवाष्प, बादल, कोहरा आदि)।

प्रश्न 2.
जैविक रूप से महत्वपूर्ण दो यौगिकों के नाम दीजिए जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाये जाते हैं।
उत्तर:

  1. प्रोटीन्स
  2. न्यूक्लिक अम्ल।

प्रश्न 3.
मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियों को पहचानें जिनसे वायु में कार्बन डाइ-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है।
उत्तर:

  1. औद्योगिक इकाइयों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन।
  2. ऑटोमोबाइलों एवं घरेलू चूल्हों में प्रयुक्त जीवाश्म ईंधन का दहन।
  3. श्वसन क्रिया।

प्रश्न 4.
ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? (2019)
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect):
ठण्डे प्रदेशों में पौधों को ठण्ड से बचाने के लिए काँच या फाइबर ग्लास के बने पौधाघरों में रखा जाता है।

सूर्य से निकलने वाली छोटी तरंगदैर्घ्य की विकिरण काँच से होकर इसमें प्रवेश कर जाती है तथा वहाँ ये बड़ी तरंगदैर्घ्य की विकिरणों में बदल जाती है जिनको काँच बाहर आने से रोकता है। इस प्रकार पौधाघर का ताप वायुमण्डल के ताप से अधिक रहता है। इस घटना को पौधाघर प्रभाव या ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल में पायी जाने वाली ऑक्सीजन के दो रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. ऑक्सीजन गैस (O2)
  2. ओजोन गैस (O3)।

MP Board Solutions

MP Board Class 9th Science Chapter 14 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जीवन के लिए वायुमण्डल क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जीवन के लिए वायुमण्डल की आवश्यकता-जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन गैस (प्राणवायु) अत्यन्त आवश्यक है। इसके बिना जीवन असम्भव है और ऑक्सीजन वायुमण्डल का ही एक घटक है। इसलिए जीवन के लिए वायुमण्डल की आवश्यकता है।

प्रश्न 2.
जीवन के लिए जल क्यों अनिवार्य है? (2019)
उत्तर:
जीवन के लिए जल की अनिवार्यता –

  1. सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
  2. पदार्थों का संवहन जल के माध्यम से होता है। इसलिए जीवों को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं? क्या जल में रहने वाले जीव सम्पदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतन्त्र हैं?
उत्तर:
जीवित प्राणी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पोषक तत्व एवं खनिज मृदा से ही प्राप्त करते हैं। इसलिए जीवित प्राणी मृदा पर निर्भर करते हैं। जलीय जीव भी पूर्णरूप से सम्पदा के रूप में मृदा से स्वतन्त्र नहीं

प्रश्न 4.
आपने टेलीविजन पर और समाचार-पत्रों में मौसम सम्बन्धी रिपोर्ट को देखा होगा। क्या आप सोचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?
उत्तर:
हाँ ! हम मौसम के पूर्वानुमान में काफी हद तक सक्षम हैं।

प्रश्न 5.
हम जानते हैं कि बहुत-सी मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण स्तर को बढ़ा रही हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेगी?
उत्तर:
हाँ ! प्रदूषण के स्तर का घटाने में सहायता अवश्य मिलेगी।

प्रश्न 6.
जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
जंगल प्रकाश-संश्लेषण द्वारा वायु को प्रदूषण मुक्त करते हैं। वर्षा को प्रोत्साहित करते हैं, मृदा अपरदन को रोकते हैं। इस प्रकार जंगल वायु, मृदा एवं जलस्रोतों की गुणवत्ता को सुधारने में सहायक होते हैं।

MP Board Solutions

MP Board Class 9th Science Chapter 14 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 9th Science Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी का वायुमण्डल जिन विकिरणों द्वारा गर्म होता है वह मुख्यत: है –
(a) सूर्य से आने वाला विकिरण
(b) पृथ्वी से वापस होने वाला विकिरण
(c) जल से बाहर विकिरण
(d) पृथ्वी तथा जल में विकिरण
उत्तर:
(d) पृथ्वी तथा जल में विकिरण

प्रश्न 2.
यदि पृथ्वी के चारों ओर वायुमण्डल नहीं होता तो पृथ्वी का तापमान –
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) दिन के समय बढ़ता तथा रात के समय घटता
(d) अप्रभावित रहता
उत्तर:
(c) दिन के समय बढ़ता तथा रात के समय घटता

प्रश्न 3.
यदि पर्यावरण में उपस्थित सभी ऑक्सीजन ओजोन में परिवर्तित हो जाये, तो क्या होगा?
(a) हम अधिक सुरक्षित होंगे
(b) यह विषाक्त हो जायेगी तथा जीवों को नष्ट करेगी
(c) ओजोन स्थिर नहीं है अतः आविषालु हो जाएगी
(d) यह हानिकारक सूर्य विकिरणों को पृथ्वी पर पहुँचने में मदद करेगी तथा कई प्रकार के जीवों को नष्ट कर देगी।
उत्तर:
(b) यह विषाक्त हो जायेगी तथा जीवों को नष्ट करेगी

प्रश्न 4.
निम्न कारकों में से कौन-सा एक कारक प्रकृति में मृदा बनावट में पहल नहीं करता?
(a) सूर्य
(b) जल
(c) पवन
(d) पॉलिथीन के थैले
उत्तर:
(d) पॉलिथीन के थैले

प्रश्न 5.
वायुमण्डल में मिलने वाली ऑक्सीजन के दो रूप कौन से हैं?
(a) जल तथा ओजोन
(b) जल तथा ऑक्सीजन
(c) ओजोन तथा ऑक्सीजन
(d) जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर:
(c) ओजोन तथा ऑक्सीजन

प्रश्न 6.
जीवाणु द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्रिया निम्नलिखित में से किसकी उपस्थिति में नहीं होती है?
(a) हाइड्रोजन का आण्विक रूप
(b) ऑक्सीजन का तत्व रूप
(c) जल
(d) नाइट्रोजन का तत्व रूप
उत्तर:
(b) ऑक्सीजन का तत्व रूप

प्रश्न 7.
वर्षा प्रतिमान किस पर निर्भर करता है?
(a) भूमिगत जल स्तर
(b) किसी क्षेत्र में जलाशयों की संख्या
(c) किसी क्षेत्र की मानव समष्टि का घनत्व प्रतिमान
(d) किसी क्षेत्र का प्रमुख मौसम
उत्तर:
(b) किसी क्षेत्र में जलाशयों की संख्या

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
उर्वरक और पीड़कनाशी की अधिक मात्रा के उपयोग की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि –
(a) वे पारि हितैषी हैं
(b) कुछ समय बाद खेत को बंजर कर देते हैं
(c) वे मृदा के लाभदायक अवयवों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं
(d) वे मृदा की उर्वरकता को नष्ट कर देते हैं
उत्तर:
(a) वे पारि हितैषी हैं

प्रश्न 9.
वायु में उपस्थित नाइट्रोजन के अणु निम्नलिखित के कारण नाइट्रेट अथवा नाइदाइट में परिवर्तित हो जाते हैं –
(a) मृदा में पाये जाने वाले नाइट्रोजन स्थिरकारी जीवाणुओं की जैविक प्रक्रिया द्वारा
(b) मृदा में पाई जाने वाले कार्बन स्थिरकारी कारक की जैविक प्रक्रिया द्वारा
(c) नाइट्रोजन यौगिक बनाने वाले किसी उद्योग के द्वारा
(d) उन पौधों के द्वारा जिन्हें खेत में अनाज फसलों के लिए उगाया जाता है
उत्तर:
(a) मृदा में पाये जाने वाले नाइट्रोजन स्थिरकारी जीवाणुओं की जैविक प्रक्रिया द्वारा

प्रश्न 10.
प्रकृति में चल रहे जल चक्र में निम्नलिखित में से कौन-सी एक क्रिया सम्मिलित नहीं है?
(a) वाष्पन
(b) वाष्पोत्सर्जन
(c) अवक्षेपण
(d) प्रकाश-संश्लेषण
उत्तर:
(d) प्रकाश-संश्लेषण

प्रश्न 11.
‘जल प्रदूषण’ शब्द की परिभाषा कई प्रकार से दी जा सकती है। निम्नलिखित में से किस कथन में उचित परिभाषा नहीं है?
(a) जलाशयों में अवांछित पदार्थों का मिलाया जाना
(b) जलाशयों से वांछनीय पदार्थों का निकाला जाना
(c) जलाशयों के दाब में परिवर्तन
(d) जलाशयों के ताप में परिवर्तन
उत्तर:
(c) जलाशयों के दाब में परिवर्तन

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से कौन-सी ग्रीन हाउस गैस नहीं है? (2019)
(a) मीथेन
(b) कार्बन डाइऑक्साइड
(c) कार्बन मोनोक्साइड
(d) अमोनिया
उत्तर:
(d) अमोनिया

प्रश्न 13.
कार्बन चक्र में कौन-सा चरण सम्मिलित नहीं है?
(a) प्रकाश-संश्लेषण
(b) वाष्पोत्सर्जन
(c) श्वसन
(d) जीवाश्म ईंधन को जलाना
उत्तर:
(b) वाष्पोत्सर्जन

प्रश्न 14.
ओजोन छिद्र का अर्थ है –
(a) ओजोन पर्त में एक बड़े आकार का छिद्र
(b) ओजोन पर्त का पतला होना
(c) ओजोन पर्त में छितरे हुए छोटे छिद्र
(d) ओजोन पर्त में ओजोन का मोटा होना।
उत्तर:
(b) ओजोन पर्त का पतला होना

MP Board Solutions

प्रश्न 15.
ओजोन पर्त का ह्रास हो रहा है क्योंकि –
(a) मोटरगाड़ियों का अत्यधिक उपयोग
(b) औद्योगिक इकाइयों का अत्यधिक निर्माण
(c) मनुष्य निर्मित यौगिकों जिनमें क्लोरीन और फ्लोरीन दोनों शामिल हैं, का अत्यधिक उपयोग होना
(d) वनों की अत्यधिक कटाई।
उत्तर:
(c) मनुष्य निर्मित यौगिकों जिनमें क्लोरीन और फ्लोरीन दोनों शामिल हैं, का अत्यधिक उपयोग होना

प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से पर्यावरण की कौन-सी समस्या हाल ही में उत्पन्न हुई है?
(a) ओजोन पर्त का ह्रास
(b) ग्रीन हाउस का प्रभाव
(c) वैश्विक ऊष्मन
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

प्रश्न 17.
जब हम साँस लेते समय वायु अन्दर लेते हैं तो ऑक्सीजन के साथ नाइट्रोजन भी अन्दर जाती है। इस नाइट्रोजन का क्या होता है?
(a) यह ऑक्सीजन के साथ कोशिकाओं में भ्रमण करती है
(b) यह साँस छोड़ते समय कार्बन डाइऑक्साइड के साथ बाहर आ जाती है
(c) यह केवल नासिका कोशिकाओं द्वारा अवशोषित हो जाती है
(d) कोशिकाओं में नाइट्रोजन का सान्द्रण पहले ही इतना अधिक है कि यह अवशोषित नहीं हो पाती।
उत्तर:
(b) यह साँस छोड़ते समय कार्बन डाइऑक्साइड के साथ बाहर आ जाती है

प्रश्न 18.
उपरि मृदा में निम्नलिखित में से विद्यमान होता है –
(a) केवल ह्यूमस तथा सजीव
(b) केवल ह्यूमस तथा मृदा कणिकाएँ
(c) ह्यूमस सजीव तथा पादप
(d) ह्यूमस सजीव तथा मृदा कणिकाएँ
उत्तर:
(d) ह्यूमस सजीव तथा मृदा कणिकाएँ

प्रश्न 19.
सही क्रम का चयन कीजिए –
(a) वायुमण्डल में CO2 → अपघटक → जन्तुओं में जैव कार्बन → पादपों में जैव कार्बन
(b) वायुमण्डल में CO2 → पादपों में जैव कार्बन → जन्तुओं में जैव कार्बन → मृदा में अकार्बनिक कार्बन
(c) जल में अकार्बनिक कार्बोनेट → पादपों में जैव कार्बन → जन्तुओं में जैव कार्बन → अपमार्जक
(d) जन्तुओं में जैव कार्बन → अपघटक → वायुमण्डल में CO2 → पादपों में जैव कार्बन
उत्तर:
(b) वायुमण्डल में CO2 → पादपों में जैव कार्बन → जन्तुओं में जैव कार्बन → मृदा में अकार्बनिक कार्बन

प्रश्न 20.
मृदा में खनिज का मुख्य स्रोत कौन-सा है?
(a) जनक शैल जिससे मृदा बनती है
(b) पादप
(c) जन्तु
(d) जीवाणु
उत्तर:
(a) जनक शैल जिससे मृदा बनती है

MP Board Solutions

प्रश्न 21.
पृथ्वी के कुल धरातल का कितना भाग जल से ढका है?
(a) 75%
(b) 60%
(c) 85%
(d) 50%
उत्तर:
(a) 75%

प्रश्न 22.
जैवमण्डल के जैविक घटक का निर्माण किसके द्वारा नहीं होता है?
(a) उत्पादक
(b) उपभोक्ता
(c) अपघटक
(d) वायु
उत्तर:
(d) वायु

प्रश्न 23.
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि से क्या नहीं होगा?
(a) पर्यावरण में अधिक ऊष्मा को रोका जा सकता है
(b) पौधों में प्रकाश-संश्लेषण की वृद्धि
(c) वैश्विक ऊष्मन
(d) मरुस्थली पादपों की प्रचुरता
उत्तर:
(d) मरुस्थली पादपों की प्रचुरता

प्रश्न 24.
ऑक्सीजन मुख्यतः किसके द्वारा वायुमण्डल में वापस आती है?
(a) जीवाश्म ईंधन के जलने से
(b) श्वसन से
(c) प्रकाश-संश्लेषण से
(d) कवक से।
उत्तर:
(c) प्रकाश-संश्लेषण से

प्रश्न 25.
ठंडे मौसम में कम दृश्यता का कारण –
(a) जीवाश्म ईंधन का निर्माण
(b) बिना दहन हुए कार्बन कण या वायु में निलम्बित हाइड्रोकार्बन
(c) पर्याप्त विद्युत आपूर्ति में कमी
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) बिना दहन हुए कार्बन कण या वायु में निलम्बित हाइड्रोकार्बन

प्रश्न 26.
बंजर शैल पर लाइकेन की वृद्धि के बाद किसकी वृद्धि होती है?
(a) मॉस
(b) फर्न
(c) जिम्नोस्पर्म
(d) शैवाल
उत्तर:
(a) मॉस

प्रश्न 27.
जलीय पर्यावरण में विशेष तापक्रम परिवर्तन प्रभावित कर सकता है –
(a) जन्तुओं में प्रजनन
(b) जलीय पौधों में अधिक वृद्धि
(c) जन्तुओं में पाचन की प्रक्रिया
(d) पोषकों की उपलब्धता
उत्तर:
(a) जन्तुओं में प्रजनन

MP Board Solutions

प्रश्न 28.
मृदा अपरदन इसके द्वारा रोका जा सकता है –
(a) वनों का विकास करके
(b) वनों की कटाई
(c) उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग
(d) जन्तुओं द्वारा अति चारण
उत्तर:
(a) वनों का विकास करके

प्रश्न 29.
वनस्पति रहित मृदा पर जब वर्षा होती है तो क्या होता है?
(a) वर्षा का जल मृदा के भीतर भली-भाँति रिस जाता है
(b) वर्षा का जल मृदा की सतह को हानि पहुँचाता है
(c) वर्षा का जल मृदा की उर्वरकता को बढ़ाता है
(d) वर्षा का जल मृदा में कोई परिवर्तन नहीं करता है
उत्तर:
(b) वर्षा का जल मृदा की सतह को हानि पहुँचाता है

प्रश्न 30.
ऑक्सीजन निम्नलिखित में से किसके लिए हानिकारक है?
(a) फर्न
(b) नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु
(c) चारा
(d) आम का वृक्ष।
उत्तर:
(b) नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु

प्रश्न 31.
वायु प्रदूषक है –
(a) गैसीय अपशिष्ट
(b) वाहित मल
(c) कृषि अपशिष्ट
(d) शोर
उत्तर:
(a) गैसीय अपशिष्ट

प्रश्न 32.
जल प्रदूषक है –
(a) गैसीय अपशिष्ट
(b) रेडियोधर्मी विकिरण
(c) वाहित मल
(d) शोर
उत्तर:
(c) वाहित मल

प्रश्न 33.
नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु का नाम है –
(a) स्यूडोमोनास
(b) नाइट्रोसोमोनास
(c) राइजोबियम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) राइजोबियम

MP Board Solutions

रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. पृथ्वी के चारों ओर गैसीय आवरण …………… कहलाता है।
2. पृथ्वी पर जो भाग जल से ढका है वह ………… कहलाता है।
3. समस्त जीवों से मिलकर बने तन्त्र को …………… कहते हैं।
4. अजैविक एवं जैविक घटकों को …………… कहते हैं। (2019)
अथवा
जैविक एवं अजैविक घटक मिलकर …………… बनाते हैं। (2019)
5. प्रदूषकों का वायु में मिलना ………….. प्रदूषण कहलाता है।
6. प्रदूषकों का जल में मिलना …………… प्रदूषण कहलाता है।
7. कीटनाशकों से ………… प्रदूषण फैलता है।
8. शोर से ……….. प्रदूषण होता है।
9. ध्वनि मापन की इकाई ……………. है।
10. CFC का पूरा नाम ………. है। (2019)
11. जीवाश्म ईंधन …………… है। (2019)
उत्तर:

  1. वायुमण्डल
  2. जलमण्डल
  3. जैव तन्त्र
  4. पारिस्थितिक तन्त्र
  5. वायु
  6. जल
  7. मृदा
  8. ध्वनि
  9. डेसीबल
  10. क्लोरोफ्लोरोकार्बन
  11. L.P.G. एवं कोयला।

सही जोड़ी बनाना
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा image 1
उत्तर:

  1. → (iii)
  2. → (iv)
  3. → (v)
  4. → (i)
  5. → (ii)
  6. → (vii)
  7. → (vi)

सत्य/असत्य कथन

1. खनिज ईंधन के जलने से प्रदूषण नहीं फैलता।
2. 60 डेसीबल से ऊपर की ध्वनि ध्वनि-प्रदूषण पैदा करती है।
3. प्रदूषित जल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
4. क्लोरोफ्लोरोकार्बन ओजोन परत में छेद कर रहे हैं।
5. ताप पारितन्त्र का अजैव घटक है।
6. जैवमण्डल की क्रियात्मक इकाई पारितन्त्र है।
7. वायुमण्डल में नाइट्रोजन 28% होती है।
उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. सत्य
  6. असत्य
  7. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
ऐरोसॉल का रासायनिक नाम क्या है?
उत्तर:
क्लोरोफ्लोरोकार्बन।

प्रश्न 2.
क्लोरोफ्लोरोकार्बन का रासायनिक सूत्र क्या है?
उत्तर:
CCl2F2.

प्रश्न 3.
सम्पूर्ण विश्व में मनुष्य के क्रियाकलापों से वातावरण का तापमान बढ़ने की घटना क्या कहलाती है?
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग।

प्रश्न 4.
ध्वनि की इकाई क्या है?
उत्तर:
डेसीबल।

प्रश्न 5.
नाइट्रोजन चक्र में नाइट्रोजन स्थिरीकरण में भाग लेने वाले जीवाणु का नाम लिखिए।
उत्तर:
ऐजोटोबैक्टर एवं राइजोबियम।

प्रश्न 6.
नाइट्रोजन चक्र में अमोनीकरण में भाग लेने वाले जीवाणु का नाम लिखिए।
उत्तर:
नाइट्रोसोमोनास।

प्रश्न 7.
नाइट्रोजन चक्र में नाइट्रीकारक बैक्टीरिया का नाम लिखिए।
उत्तर:
नाइट्रोबैक्टर।

प्रश्न 8.
नाइट्रोजन चक्र में विनाइट्रीकारक जीवाणु का नाम लिखिए। (2019)
उत्तर:
स्यूडोमोनास।

प्रश्न 9.
किस वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम ‘पारितन्त्र’ शब्द का प्रयोग किया?
उत्तर:
टेन्सले।

प्रश्न 10.
ऐरोसॉल वायुमण्डल की किस परत का क्षरण करने के लिए उत्तरदायी है?
उत्तर:
ओजोन परत का।

प्रश्न 11.
शुष्क बर्फ किसे कहते हैं? (2019)
उत्तर:
ठोस कार्बन डाइऑक्साइड।

प्रश्न 12.
ओजोन का रासायनिक सूत्र लिखिए। (2019)
उत्तर:
O3.

प्रश्न 13.
ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली प्रमुख गैस का नाम लिखिए। (2019)
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड।

MP Board Solutions

MP Board Class 9th Science Chapter 14 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ओजोन परत क्या है? इसके क्या लाभ हैं? (2019)
उत्तर:
ओजोन परत:
“हमारे वायुमण्डल में समुद्र की सतह से 32 से 80 किमी की दूरी तक ओजोन गैस की एक मोटी परत पाई जाती है जिसे ओजोन परत कहते हैं।

ओजोन परत का लाभ:
ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है।

प्रश्न 2.
वैश्विक ऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) से क्या समझते हो? (2019)
उत्तर:
वैश्विक ऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग):
मनुष्यों के क्रियाकलापों के फलस्वरूप ग्रीन हाउस प्रभाव से सम्पूर्ण पृथ्वी का तापमान बढ़कर सामान्य तापमान से अधिक हो रहा है। इस घटना को वैश्विक ऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) कहते हैं।”

प्रश्न 3.
नदियाँ खनिजों को भूमि से लेकर समुद्री जल तक ले जाती हैं। चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जल एक अच्छा विलायक है इसलिए अनेक खनिजों को घोलने में सक्षम होता है। जब नदियों का जल पहाड़ों से प्रवाहित होता है तो अपने रास्ते में पड़ने वाली मृदा से अनेक खनिजों को घोलकर समुद्र तक ले जाता है।

प्रश्न 4.
जल के प्रदूषित हो जाने पर जल में रहने वाले जीव का जीवन कैसे प्रभावित होता है?
उत्तर:
पीड़कनाशी, उर्वरक, घरेलू एवं औद्योगिक कचरा एवं अन्य विषैले पदार्थ जल में घुलकर उसे विषैला और प्रदूषित कर देते हैं। इसके साथ ही जल में घुली ऑक्सीजन की मात्रा भी कम कर देते हैं। इससे जलीय जीवों का जीवन दूभर हो जाता है और अधिकतर जीव मर जाते हैं।

प्रश्न 5.
यदि गर्मियों में आप झील के निकट जाएँ तो आप गर्मी से राहत महसूस करेंगे, क्यों?
उत्तर:
चूँकि जलाशयों (झील) के निकट की वायु उसके जल के वाष्पीकरण के कारण ठंडी हो जायेगी। इसलिए उसके निकट जाने पर गर्मी में राहत महसूस होगी।

प्रश्न 6.
तटीय क्षेत्रों में, दिन में पवन धाराएँ समुद्र से भूमि की ओर, लेकिन रात में भूमि से समुद्र की ओर चलती हैं। कारण बताइए।
उत्तर:
दिन के समय भूमि के ऊपर की हवा जल्दी गर्म होने से हल्की होकर ऊपर उठ जाती है और नीचे दाब कम हो जाता है। इससे समुद्र के ऊपर की हवा भूमि की ओर प्रवाहित होती है। रात्रि के समय भूमि की हवा जल्दी ठंडी होती है और समुद्र के ऊपर की हवा अपेक्षाकृत गर्म रहती है और ऊपर उठती है तथा नीचे दाब कम हो जाता है। इसलिए भूमि से समुद्र की ओर पवन धाराएँ चलती हैं।

प्रश्न 7.
नीचे कुछ जीव दिए गए हैं –
(a) लाइकेन
(b) मॉस
(c) आम का वृक्ष
(d) कैक्टस।
उपर्युक्त में से पत्थर पर कौन उग सकता है और मृदा निर्माण में भी सहायता करता है? मृदा बनाने की इसकी क्रिया पद्धति पर लेख लिखिए।
उत्तर:
(a) लाइकेन एवं
(b) मॉस ऐसे पौधे हैं जो पत्थर पर उग सकते हैं तथा ऐसे रासायनिक पदार्थों का स्रावण करते हैं जो पत्थर को तोड़कर छोटे-छोटे कणों में बदल देते हैं। यही कण मृदा का निर्माण करते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
मृदा का निर्माण जैव तथा अजैव दोनों प्रकार के कारक करते हैं। अजैव तथा जैव के रूप में वर्गीकरण करते हुए कारकों के नाम की सूची बनाइए।
उत्तर:
मृदा निर्माण के जैव कारक-लाइकेन, मॉस एवं वृक्ष। मृदा निर्माण के अजैव कारक-सूर्य, जल एवं पवन।

प्रश्न 9.
सभी जीव मूलरूप से C, N, S, P, H तथा O से बने होते हैं। ये तत्व जीवों में किस प्रकार प्रवेश करते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पेड़-पौधे अपनी जड़ों के माध्यम से जल एवं लवण अवशोषित करते हैं तथा प्रकाश-संश्लेषण द्वारा भोजन बनाते हैं। जन्तु पेड़-पौधों से भोजन ग्रहण करते हैं। इस तरह ये सभी तत्व सभी जीवों में प्रवेश करते हैं।

प्रश्न 10.
ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों का प्रतिशत वायुमण्डल में सदैव एक जैसा क्यों रहता है?
उत्तर:
इन गैसों का वायुमण्डल में सदैव एक जैसा प्रतिशत बना रहता है क्योंकि इन गैसों के चक्रों में आपस में संगतता बनी रहती है।

प्रश्न 11.
चन्द्रमा के तापक्रम में बहुत सर्द और बहुत गर्म तापमान की विविधताएँ पाई जाती हैं। उदाहरण के लिए-190°C से 110°C तक, हालांकि सूर्य से इसकी दूरी पृथ्वी के ही बराबर है। ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर:
चन्द्रमा पर वायु एवं जल का अभाव होता है जो तापक्रम नियन्त्रण में सहायक हो सकते थे इसलिए जब यह सूर्य की ओर आता है तो तापक्रम 110°C तक पहुँच जाता है और उससे दूर होने पर -190°C तक गिर जाता है।

प्रश्न 12.
समुद्र तट के निकट लोग पतंग उड़ाना क्यों पसन्द करते हैं?
उत्तर:
समुद्र के पास दिन में पवन का निर्माण होता है जो पतंग उड़ाने के लिए आवश्यक है इसलिए लोग समुद्र के किनारे पतंग उड़ाना पसन्द करते हैं।

प्रश्न 13.
मथुरा रिफाइनरी ताजमहल के लिए क्यों एक समस्या बनी हुई है?
उत्तर:
मथुरा रिफाइनरी विषाक्त गैसें जैसे सल्फर डाइ-ऑक्साइड आदि छोड़ती है जो वर्षा के जल से मिलकर एसिड (अम्ल) बनाती है और अम्ल वर्षा (एसिड रेन) करने का कारण बनती है जो ताजमहल के संगमरमर का क्षरण करती है।

प्रश्न 14.
दिल्ली में लाइकेन क्यों नहीं मिलते हैं जबकि मनाली या दार्जिलिंग में आमतौर पर उगते हैं?
उत्तर:
लाइकेन एक जैव संकेतक है तथा SO2 आदि प्रदूषकों के लिए अति संवेदनशील होता है। दिल्ली में स्वचालित वाहनों की अत्यधिक संख्या एवं औद्योगिक संस्थानों के कारण यहाँ की वायु अति प्रदूषित होती है जबकि मनाली एवं दार्जिलिंग प्रायः प्रदूषण रहित हैं इसलिए लाइकेन दिल्ली में नहीं पाया जाता जबकि मनाली एवं दार्जिलिंग में खूब उगता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 15.
जल संरक्षण की क्यों आवश्यकता है जबकि भूखण्डों को विशाल समुद्र घेरे हुए है?
उत्तर:
लवणयुक्त समुद्री जल मनुष्य और पादपों के लिए प्रत्यक्ष रूप से लाभदायक नहीं होता तथा लवण विहीन जल के संसाधन सीमित हैं तथा माँग अधिक। इसलिए माँग की आपूर्ति हेतु जल संरक्षण की आवश्यकता है।

प्रश्न 16.
लाइकेन वनस्पतिहीन चट्टानों पर सबसे पहले आने वाले जीव कहलाते हैं। ये मृदा बनाने में किस प्रकार सहायक होते हैं?
उत्तर:
लाइकेन चट्टानों पर उगने वाले सबसे पहले जीव हैं। लाइकेन रासायनिक पदार्थ छोड़ते हैं जो पत्थरों को छोटे-छोटे कणों में बदलकर मृदा का निर्माण करते हैं। उसके बाद में मॉस जैसे छोटे-छोटे पौधे उगते हैं जो पत्थरों को तोड़ने में सक्षम होते हैं। इस तरह से चट्टानों को मृदा में बदल देते हैं।

प्रश्न 17.
उर्वरक मृदा में ह्यूमस बड़ी मात्रा में होती है, क्यों?
उत्तर:
उर्वरक मृदा में अनेक प्रकार के जीव मौजूद होते हैं जो मृत कार्बनिक पदार्थों को विघटित करके ह्यूमस बना देते हैं। ह्यूमस खनिज प्रदान करती है, जल का अवशोषण करती है और मृदा को छिदिल बनाकर उर्वरक मृदा बना देती है।

प्रश्न 18.
पहाड़ों पर सोपानी कृषि (Step farming) आमतौर पर क्यों पाई जाती है?
उत्तर:
ढलान पर जलधारा द्वारा मृदा अपरदन होता है। उसे रोकने के लिए पहाड़ों पर सोपानी कृषि आमतौर पर पाई जाती है।

प्रश्न 19.
जड़ों में पायी जाने वाली मूल ग्रन्थिकाएँ पौधों के लिए क्यों लाभदायक होती हैं?
उत्तर:
जड़ों में पायी जाने वाली मूल ग्रन्थिकाओं में नाइट्रोजन स्थिरकारी जीवाणु राइजोबियम होते हैं जो वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के लवणों में बदल देते हैं जिससे मृदा की उर्वरकता बढ़ जाती है।

प्रश्न 20.
“धूल एक प्रदूषक है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
वायु में उपस्थित धूल निलम्बित कणों के रूप में एलर्जी या दूसरे श्वसन रोग पैदा करती है। पौधों की पत्तियों पर एकत्रित होकर उसके रन्ध्रों को बन्द कर पादप वृद्धि में व्यवधान डालती है। इसलिए यह एक प्रदूषक है।

प्रश्न 21.
मृदा के बनने में सूर्य की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सूर्य शैलों को गरम करता है और इस प्रकार दिन में ये फैलती हैं तथा रात्रि में ठण्ड पड़ने पर सिकुड़ती हैं। परिणामस्वरूप शैल टूट जाते हैं और छोटे-छोटे कणों में विभक्त होकर मृदा का निर्माण करते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 22.
कार्बन डाइऑक्साइड पौधों के लिए आवश्यक है। हम इसे प्रदूषक क्यों मानते हैं?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड पौधों के लिए प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा भोजन बनाने में सहयोग प्रदान करती है इसलिए पौधों के लिए अति आवश्यक है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका सान्द्रण वायु प्रदूषण पैदा करता है इसलिए हम इसे प्रदूषक मानते हैं।

प्रश्न 23.
ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक ऊष्मीकरण) के प्रमुख कारण लिखिए। (2019)
उत्तर:
वैश्विकऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) के प्रमुख कारण-विभिन्न निम्न मानवीय क्रियाकलापों के कारण वायुमण्डल का तापमान निरन्तर बढ़ता जा रहा है –

  1. शहरीकरण एवं औद्योगीकरण के कारण वृक्षों का अत्यधिक कटान।
  2. जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग।

प्रश्न 24.
अम्ल वर्षा क्या है? (2019)
उत्तर:
अम्ल वर्षा-“जीवाश्म ईंधन के जलने से वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की अम्लीय गैसें; जैसे-कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड वायुमण्डल में एकत्रित होते हैं जो जलवाष्प से मिलकर अम्ल बनाकर वर्षा के साथ बरसते हैं। इस वर्षा को अम्ल वर्षा कहते हैं।”

MP Board Class 9th Science Chapter 14  लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वायु प्रदूषण के कारण लिखिए।
अथवा
वायु प्रदूषण के मानव निर्मित स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के कारण अथवा वायु प्रदूषकों के मानव निर्मित स्रोत –

  1. घर, कल-कारखानों एवं वाहनों में ईंधन के दहन से उत्पन्न प्रदूषक गैसें वायुमण्डल में मिल जाती हैं।
  2. रेफ्रिजरेटरों एवं एयर कण्डीशनरों में प्रयुक्त क्लोरोफ्लोरोकार्बन (ऐरोसॉल) रिसाव के कारण वायुमण्डल में मिल जाती है।
  3. कृषि रसायनों (कीटनाशक, फंगसनाशक, खरपतवारनाशक, पीड़कनाशक) के छिड़काव के कारण उनसे निकले गैसीय रसायन वायुमण्डल में मिल जाते हैं।
  4. वनों की कटाई, बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण एवं खनन आदि के कारण भी वायु प्रदूषक वायुमण्डल में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं।

प्रश्न 2.
वायु प्रदूषण के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के प्रभाव-मानव जीवन पर विभिन्न वायु प्रदूषकों के निम्न प्रभाव पड़ते हैं –

1. नाइट्रोजन ऑक्साइड के प्रभाव:
फेफड़ों के ऊतकों में सूजन आना, न्यूमोनिया होना, ऑक्सीजन परिवहन क्षमता में कमी होना, फेफड़ों का कैंसर होना, आँखों में जलन होना एवं प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना।

2. सल्फर डाइ:
ऑक्साइड के प्रभाव-कफ, खाँसी, सिरदर्द एवं आँखों में जलन होना।

3. कार्बन मोनो:
ऑक्साइड के प्रभाव-सिरदर्द एवं उल्टी होना, साँस लेने में कठिनाई होना, उल्टी आना, ऑक्सीजन की परिवहन क्षमता में कमी, पेशीय कमजोरी होना।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
वायु प्रदूषण के नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के नियन्त्रण के उपाय –

  1. उद्योगों एवं कल-कारखानों को आवासीय क्षेत्रों से दूर स्थापित करना चाहिए।
  2. कारखानों की चिमनियों को काफी ऊँचा बनाना चाहिए।
  3. वाहनों के धुआँ निकलने वाले पाइप (साइलेंसर) के मुँह पर फिल्टर लगाना चाहिए।
  4. धूम्रपान से बचना चाहिए।
  5. प्रदूषण रहित ईंधन का उपयोग करना चाहिए तथा सस्ते ईंधन से बचना चाहिए।

प्रश्न 4.
जल प्रदूषण के प्रभाव लिखिए।
उत्तर:
जल प्रदूषण के प्रभाव:
जीवों पर जल प्रदूषण के निम्न प्रभाव पड़ते हैं –

1. मानव पर प्रभाव:
प्रदूषित जल से मानव में विभिन्न घातक बीमारियाँ; जैसे हैजा, टायफाइड, डायरिया, पेचिश, पीलिया एवं हेपेटाइटिस आदि हो जाती हैं। जल प्रदूषण मानव अंगों; जैसे-मस्तिष्क, यकृत, फेफड़े एवं वृक्क आदि पर घातक प्रभाव डालते हैं।

2. प्राणियों पर प्रभाव:
प्रदूषित जल के कारण प्राणियों के अण्डे, लार्वा आदि नष्ट हो जाते हैं। प्राणियों का जीवन खतरे में आ जाता है। प्रदूषित जल में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, फलस्वरूप मछलियाँ आदि जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है।

3. वनस्पति पर प्रभाव:
प्रकाश-संश्लेषण की दर में कमी आ जाती है। पेस्टीसाइड एवं कीटनाशकों के कारण नील-हरित शैवाल मर जाते हैं। जल में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

प्रश्न 5.
जल प्रदूषण के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जल प्रदूषण के कारण:

  1. घरेलू अपशिष्ट एवं वाहित मल का जलस्रोतों में मिलना।
  2. औद्योगिक जलीय अवशिष्टों का जलस्रोतों में मिलना।
  3. अपमार्जक एवं साबुन युक्त (नहाने एवं कपड़े धोने के कारण प्रदूषित) जल का जलाशयों में मिलना।
  4. कृषि रसायनों (उर्वरक, खरपतवारनाशी, कीटनाशी, फंगसनाशी, पीड़कनाशी आदि) का वर्षा जल के साथ बहकर जलस्रोतों में मिलना।
  5. रेडियोधर्मी पदार्थों का जलस्रोतों में मिलना।

प्रश्न 6.
जल प्रदूषण के नियन्त्रण (रोकने) के उपाय लिखिए। (2019)
उत्तर:
जल प्रदूषण के नियन्त्रण के उपाय:

  1. वाहित मल को जल में प्रवाहित करने से पहले उसे उपचारित कर लेना चाहिए।
  2. औद्योगिक अपशिष्टों को जलाशयों में मिलाने से पहले उपचारित करके हानिरहित बना लेना चाहिए।
  3. ठोस अपशिष्टों को जलाशयों में नहीं फेंकना चाहिए।
  4. जैविक अपशिष्टों को जलाशयों में नहीं फेंकना चाहिए।
  5. जलाशयों में जानवरों के नहाने एवं कपड़े धोने पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।

प्रश्न 7.
ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं? इसके क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण:
“विभिन्न प्रकार की अवांछित तीव्र ध्वनियों द्वारा पर्यावरण में उत्पन्न अशान्ति, ध्वनि प्रदूषण कहलाती है।”

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव:

  1. श्रव्य क्षमता कम हो जाती है तथा व्यक्ति बहरा तक हो जाता है।
  2. सिरदर्द होने लगता है तथा चिड़चिड़ापन आ जाता है।
  3. इससे दौरे पड़ने लगते हैं।
  4. गर्भस्थ शिशु पर कुप्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 8.
ध्वनि प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय बताइए।
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय:

  1. उद्योग व कारखानों को शहर से दूर स्थापित करना चाहिए।
  2. वाहनों में गुणवत्ता वाले ईंधन का उपयोग करना चाहिए।
  3. वाहनों एवं जनरेटरों में साइलेंसर का उपयोग करना चाहिए।
  4. कारखानों के कलपुर्जी का उचित रख-रखाव करना चाहिए।
  5. रेडियो, टेलीविजन आदि को धीमी आवाज में बजाना चाहिए।
  6. लाउडस्पीकर एवं डीजे आदि पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।

प्रश्न 9.
मृदा प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मृदा प्रदूषण के स्त्रोत:

1. औद्योगिक कार्य:
उद्योगों से निकले त्याज्यों को मृदा में मिला दिया जाता है।

2. शहरी अपशिष्ट:
शहर से निकलने वाला घरेलू एवं व्यावसायिक अपशिष्ट, सूखा, कीचड़, कूड़ा-करकट, ईंधन अवशेष, गले, कागज, पॉलीथीन की थैलियाँ, फल-सब्जियों के छिलके आदि मृदा में डाल दिए जाते हैं।

3. कृषि कार्य:
कृषि कार्य में प्रयुक्त उर्वरक, कीटनाशक, फंगीनाशक, खरपतवार नाशक, पीड़कनाशक आदि रासायनिक पदार्थ मृदा की उर्वरक शक्ति को नष्ट करते हैं तथा उसे विषैला एवं प्रदूषित करते हैं।

4. मृदा अवसाद:
आँधी, तूफान, तेज हवा एवं बाढ़ के कारण खेत की उपजाऊ मिट्टी (मृदा) अपरदन द्वारा नष्ट हो जाती है तथा गन्दगी भरे दलदली पदार्थ मृदा में एकत्रित हो जाते हैं।

प्रश्न 10.
मृदा प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डालिए। (2019)
उत्तर:
मृदा प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव:

  1. ठोस अपशिष्ट (कूड़ा-करकट) में मच्छर एवं मक्खियाँ पनपती हैं जो रोगवाहक होते हैं।
  2. उद्योगों से निकला अपशिष्ट मृदा की उर्वरक शक्ति को क्षीण करता है तथा उसकी अम्लीयता एवं क्षारीयता के सन्तुलन को बिगाड़ देता है। इससे फसल उत्पादन प्रभावित होता है।
  3. अम्ल वर्षा से पृथ्वी की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है तथा फसल उत्पादन प्रभावित होता है।
  4. मृदा अपरदन से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
  5. रासायनिक उर्वरकों, कृषि रसायन (जैसे-कीटनाशक, पीड़कनाशक, फंगीनाशक एवं खरपतवारनाशक) खाद्य श्रृंखला के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं।
  6. वाहित मल और कचरा, पर्यावरण को बदबूदार बनाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 11.
मृदा प्रदूषण रोकने के उपाय लिखिए।
उत्तर:
मृदा प्रदूषण रोकने के उपाय:

  1. कार्बनिक खाद का उपयोग करके।
  2. फसल चक्रण का उपयोग करके।
  3. वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करके तथा वृक्षों को अत्यधिक कटान को प्रतिबन्धित करके।
  4. ढलानों पर सीढ़ीदार आकार बनाकर।
  5. कृषि रसायनों (उर्वरक एवं अन्य) का कम से कम उपयोग करके।

प्रश्न 12.
नाइट्रोजन चक्र में जीवों की भूमिका क्या है?
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र में जीवों की भूमिका अथवा जीवों द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण के प्रमुख चरण (Biotic Role in Nitrogen Cycle or Nitrogen Fixation by Organism):
“नाइट्रोजन चक्र में जीवों की भूमिका अथवा जीनों द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण को विभिन्न चरणों में निम्नांकित तालिका से समझ सकते हैं –
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा image 2

प्रश्न 13.
प्रकृति में ऑक्सीजन चक्र समझाइए।
अथवा
ऑक्सीजन चक्र का रेखीय चित्र बनाकर वर्णन कीजिए। (2019)
उत्तर:
प्रकृति में ऑक्सीजन चक्र (Oxygen Cycle in Nature):
श्वसन हेतु वायुमण्डलीय ऑक्सीजन का उपयोग स्थलीय जन्तुओं द्वारा तथा जल में घुली हुई ऑक्सीजन का उपयोग जलीय जन्तु द्वारा किया जाता है तथा कोशिकीय श्वसन के फलस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल बनता है। जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड हरे पेड़-पौधों द्वारा ग्रहण की जाती है तथा प्रकाश-संश्लेषण द्वारा ऑक्सीजन मुक्त होती है जो वायुमण्डल में चली जाती है। मृत जीवों के अपघटन से भी ऑक्सीजन मुक्त होती है। इस प्रकार ऑक्सीजन चक्र चलता रहता है।
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा image 3

प्रश्न 14.
पदार्थों के चक्रण में अपघटकों की भूमिका संक्षेप में बताइए।
अथवा
जीवमण्डल में अपघटकों की अनुपस्थिति के क्या परिणाम हो सकते हैं?
अथवा
पारितन्त्र में अपघटकों की भूमिका समझाइए।
उत्तर:
पदार्थों के चक्रण में अपघटकों की भूमिका (Role of Decomposers in Cycling of Materials):
अपघटक जीवाणु, कवक तथा फंगस आदि सूक्ष्मजीव होते हैं जो मृत पेड़-पौधों (उत्पादकों) एवं मृत जन्तुओं (उपभोक्ताओं) का अपघटन करते हैं। वे उन जीवों में उपस्थित जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं। इन सरल अकार्बनिक पदार्थों का पुन: उपयोग उत्पादकों द्वारा कर लिया जाता है तथा जटिल कार्बनिक पदार्थों में रूपान्तरित कर दिया जाता है।
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा image 4
इन जटिल कार्बनिक पदार्थों का उपयोग पुनः उपभोक्ताओं द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कर लिया जाता है। यदि जीवमण्डल में अपघटक अनुपस्थित जड़ों द्वारा हो जाएँ तो पदार्थों के चक्रण की सभी प्रक्रियाएँ बन्द हो जाएँगी और मृत पेड़-पौधों और जन्तुओं की भरमार से पर्यावरण असन्तुलित हो जाने से भयंकर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इस प्रकार के पदार्थों के चक्रण में अपघटकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न 15.
प्रकृति में जल-चक्र को सचित्र समझाइए।
अथवा
जलीय चक्र किसे कहते हैं ? इसके चरण एवं प्रकृति में जलीय चक्र को चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
प्रकृति में जल-चक्र (Water Cycle or Hydrological Cycles in Nature):
पौधे जड़ों द्वारा मृदा से जल ग्रहण करते हैं तथा जन्तु भोजन के साथ। पौधों से जल वाष्पोत्सर्जन की क्रिया द्वारा जलवाष्प के रूप में तथा जन्तुओं में पसीने के द्वारा जलवाष्प के रूप में वायुमण्डल में चला जाता है। जन्तु मूत्र विसर्जन में भी जल त्यागते हैं जो मृदा में मिल जाता है। तालाबों, झीलों, नदियों और समुद्रों का जल वाष्पन द्वारा वायुमण्डल में पहुँचता है। वायुमण्डल में बादल बनते हैं जो निम्न ताप पर वर्षा या हिम के रूप में बरसते हैं। इस प्रकार जल पृथ्वी पर वापस आ जाता है।

प्रश्न 16.
उपरिमृदा की हानि को हम कैसे रोक सकते हैं?
उत्तर:
उपरिमृदा की हानि को रोकने के उपाय:
उपरिमृदा की हानि को रोकने के लिए हम निम्न उपाय करेंगे –

  1. अधिकाधिक वानस्पतिक वृद्धि करके अर्थात् वृक्षारोपण द्वारा।
  2. वृक्षों के कटान पर प्रतिबन्ध लगाकर।
  3. पशुचारण एवं वनस्पति काटने पर प्रतिबन्ध लगाकर।
  4. ढलानों पर सोपानी कृषि (सीढ़ीदार कृषि) करके।

MP Board Solutions

प्रश्न 17.
एक तालाब में मछलियाँ बड़ी संख्या में मरी पाई गईं। क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
एक तालाब में बड़ी संख्या में मछलियाँ मरी पाई गईं। इसके मुख्य कारण निम्न हैं –

  1. जलाशयों में अनैच्छिक विषैले पदार्थों का मिलना। ये पदार्थ औद्योगिक अपशिष्ट, वाहित मल, पीड़कनाशक आदि हो सकते हैं।
  2. जलाशयों में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आना जिससे श्वसन बाधित होना।
  3. जलाशयों में पोषक तत्वों की कमी होना।
  4. जलाशय के तापमान में परिवर्तन होना अर्थात् ऊष्मीय प्रदूषण।
  5. प्रदूषकों के कारण क्लोमों का अवरुद्ध होना।

प्रश्न 18.
“मृदा जल से बनती है” यदि आप इस कथन से सहमत हैं तो कारण बताइए।
उत्तर:
मृदा जल से बनती है क्योंकि जल पत्थरों से निम्न प्रकार मृदा बनाने में सहायक होता है –

  1. दीर्घकाल तक पत्थरों की घिसाई करता है।
  2. पत्थरों को एक-दूसरे से टकराने एवं रगड़ने में सहायता करता है।
  3. पत्थरों की विदरिकाओं (झिर्रियों) में जल भर जाता है जो जमने के कारण फैलता है तो पत्थरों को तोड़कर टुकड़े-टुकड़े करता है।
  4. जल के बहाव के साथ पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े आपस में टकराते, रगड़ते और घिसते हैं।

प्रश्न 19.
जीवाश्म ईंधन किस प्रकार वायु प्रदूषण फैलाता है?
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन से वायु प्रदूषण का फैलना:
जब जीवाश्म ईंधन स्वचालित वाहनों, औद्योगिक इकाइयों, भट्टियों तथा चूल्हों में जलता है तो कार्बन डाइ-ऑक्साइड, कार्बन मोनो-ऑक्साइड, लैड के ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि बनते हैं जो वायुमण्डल में प्रवेश करके उसे प्रदूषित करते हैं। इसके अतिरिक्त अधजले कार्बन के कण एवं धुआँ भी वायुमण्डल में प्रवेश करता है। ये सभी अवांछित एवं विषैले होते हैं। इस प्रकार जीवाश्म ईंधन वायु प्रदूषण फैलाता है। इसके अतिरिक्त निलम्बित कणों की उपस्थिति के कारण दृश्यता कम हो जाती है।

प्रश्न 20.
मोटर कार जिसके शीशे पूरी तरह से बन्द किए हुए हैं, धूप में पार्क कर दी जाती है। कार के अन्दर का तापक्रम तेजी से बढ़ता है। समझाइए, क्यों?
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश की अवरक्त विकिरण काँच से प्रवेश कर जाती है तथा कार के अन्दर का तापमान बढ़ा देती है क्योंकि काँच सूर्य से आने वाली कम तरंगदैर्घ्य वाली अवरक्त किरणों के लिए पारगम्य है, जबकि कार के अन्दर से बाहर आने वाली अवरक्त किरणों जिनकी तरंगदैर्घ्य अपेक्षाकृत अधिक होती है के लिए पारगम्य नहीं होता। इस प्रकार कार के शीशे सूर्य से आने वाली ऊष्मीय विवरण को अन्दर तो जाने देते हैं लेकिन अन्दर की ऊष्मीय विकिरण को बाहर नहीं आने देते इसलिए कार के अन्दर का तापक्रम तेजी से बढ़ता है।

MP Board Class 9th Science Chapter 14  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जल प्रदूषण के क्या कारण हैं? आप जल प्रदूषण को कम करने में किस प्रकार योगदान कर सकते हैं?
उत्तर:
जल प्रदूषण के कारण:

  1. घरेलू अपशिष्ट एवं वाहित मल का जलस्रोतों में मिलना।
  2. औद्योगिक जलीय अवशिष्टों का जलस्रोतों में मिलना।
  3. अपमार्जक एवं साबुन युक्त (नहाने एवं कपड़े धोने के कारण प्रदूषित) जल का जलाशयों में मिलना।
  4. कृषि रसायनों (उर्वरक, खरपतवारनाशी, कीटनाशी, फंगसनाशी, पीड़कनाशी आदि) का वर्षा जल के साथ बहकर जलस्रोतों में मिलना।
  5. रेडियोधर्मी पदार्थों का जलस्रोतों में मिलना।

जल प्रदूषण के नियन्त्रण के उपाय:

  1. वाहित मल को जल में प्रवाहित करने से पहले उसे उपचारित कर लेना चाहिए।
  2. औद्योगिक अपशिष्टों को जलाशयों में मिलाने से पहले उपचारित करके हानिरहित बना लेना चाहिए।
  3. ठोस अपशिष्टों को जलाशयों में नहीं फेंकना चाहिए।
  4. जैविक अपशिष्टों को जलाशयों में नहीं फेंकना चाहिए।
  5. जलाशयों में जानवरों के नहाने एवं कपड़े धोने पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र को चित्र की सहायता से समझाइए।
अथवा
नाइट्रोजन चक्र कैसे पूरा होता है? समझाइए।
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र के विभिन्न चरण (Different Steps of Nitrogen Cycle):
नाइट्रोजन चक्र निम्नांकित चरणों में पूर्ण होता है –

1. नाइट्रोजन का स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation):
इसमें वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को उपयुक्त सरल नाइट्रोजन लवणों में बदला जाता है जिनका उपयोग पौधे कर सकें। यह प्रक्रिया कई प्रकार से होती है –
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा image 5
(i) तड़ित द्वारा (By Thundering):
वायुमण्डल की नाइट्रोजन वायु को ऑक्सीजन से तड़ित की उपस्थिति में क्रिया करके नाइट्रोजन के ऑक्साइड बनाती है। ये ऑक्साइड वर्षा के जल में घुलकर नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं जो मृदा से क्रिया करके नाइट्रेट बनाते हैं।

(ii) सहजीवी जीवाणुओं द्वारा (By Symbiotic Bacteria):
द्वि-दलीय पौधों की जड़ में कुछ गाँठें होती हैं जिनमें उपस्थित जीवाणु वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके नाइट्रेट में बदल देते हैं।

(iii) कृत्रिम विधि द्वारा (ByArtificial Method):
कृत्रिम रूप से वायुमण्डल की नाइट्रोजन को हैबर विधि से अमोनिया में फिर अमोनिया लवण में बदला जाता है जो उर्वरक के रूप में पौधों को उपलब्ध कराया जाता है।

2. जन्तु एवं पौधों में नाइट्रोजन का प्रोटीन के रूप में संग्रहण (Storage of Nitrogen in Animals and Plants in the Form of Protein):
पौधों में यह नाइट्रोजन जटिल कार्बनिक पदार्थों (प्रोटीनों) में बदल जाता है। पेड़-पौधों को शाकाहारी जन्तु खाते हैं। शाकाहारी जन्तुओं को माँसाहारी जन्तु खाते हैं। इस प्रकार प्रोटीन के रूप में नाइट्रोजन पौधों और जन्तुओं में उपस्थित होती है।

3. अमोनीकरण (Ammonification):
मृत पेड़-पौधों एवं जन्तुओं के मल-मूत्र के अपघटन द्वारा प्रोटीन यूरिया तथा यूरिक अम्ल अमोनिया में परिवर्तित होता है। यह प्रक्रिया नाइट्रोसोमोनास जीवाणुओं द्वारा होती है।

4. नाइट्रीकरण (Nitrification):
नाइट्रोबैक्टर द्वारा अमोनिया को नाइट्रेट में बदला जाता है जिसका कुछ भाग पौधों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।

5. विनाइट्रीकरण (Denitrification):
शेष नाइट्रेट को स्यूडोमोनास जीवाणुओं द्वारा नाइट्रोजन से मुक्त कर दिया जाता है जो वायुमण्डल को वापस मिल जाता है। इस प्रकार नाइट्रोजन चक्र पूर्ण होता है।

प्रश्न 3.
जीवमण्डल में कार्बन चक्र (कार्बन डाइऑक्साइड चक्र) किस प्रकार है ? विवरण रेखाचित्र सहित दीजिए।
अथवा
प्रकृति में कार्बन डाइऑक्साइड चक्र को चित्र की सहायता से समझाइए।
अथवा
कार्बन चक्र को समझाइए।
उत्तर:
जीवमण्डल में कार्बन-चक्र अथवा कार्बन डाइऑक्साइड चक्र (Carbon Cycle or Carbon Dioxide Cycle in Biosphere):

  1. वायुमण्डल की कार्बन डाइऑक्साइड का कुछ भाग जल में घुल जाता है जिसका उपयोग जलीय पौधे एवं वायुमण्डल की शेष CO2 का उपयोग स्थलीय पौधे प्रकाश-संश्लेषण में करते हैं। इस प्रकार CO2 के रूप में उपस्थित कार्बन भोजन के रूप में पौधों में एकत्रित हो जाता है।
  2. पौधों से यह कार्बन शाकाहारी जन्तुओं और फिर उनसे माँसाहारी जन्तुओं में भोजन के रूप में पहुँचता है।
  3. पौधों एवं जन्तुओं के श्वसन से तथा मृतजीवों (पौधे एवं जन्तुओं) के अपघटन से CO2 बनती है जो वायुमण्डल में वापस चली जाती है।
  4. पौधों से कोयला बनता है तथा पौधों और जन्तुओं से पृथ्वी के गर्त में पेट्रोलियम बनता है।
  5. कोयले के जलने तथा पेट्रोलियम के दहन से पुन: CO2 बनती है जो वायुमण्डल में चली जाती है।

MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा image 6
इस प्रकार जीवमण्डल में कार्बन चक्र अथवा कार्बन डाइ-ऑक्साइड चक्र पूर्ण होता है।

MP Board Class 9th Science Solutions

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
खरीफ की फसल है (2009, 13)
(i) गेहूँ
(ii) चना
(iii) धान
(iv) जौ।
उत्तर:
(iii) धान

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अंग है
(i) जूते की दुकान
(ii) सोने-चाँदी की दुकान
(iii) राशन की दुकान
(iv) किराने की दुकान।।
उत्तर:
(iii) राशन की दुकान

प्रश्न 3.
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सम्बन्ध है
(i) महिलाओं से
(ii) पुरुषों से
(iii) निर्धनता की रेखा के नीचे रहने वालों से
(iv) उपरोक्त में से किसी से नहीं।
उत्तर:
(iii) निर्धनता की रेखा के नीचे रहने वालों से

प्रश्न 4.
अन्त्योदय अन्न योजना के अन्तर्गत कितना खाद्यान्न दिया जाता है? (2014)
(i) 5 किलोग्राम
(ii) 10 किलोग्राम
(iii) 15 किलोग्राम
(iv) 25 किलोग्राम।
उत्तर:
(iv) 25 किलोग्राम।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मोटे अनाज के नाम लिखिए।
उत्तर:
मोटे अनाज में निम्नलिखित खाद्यान्न सम्मिलित किये जाते हैं- ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी तथा जौ आदि।

प्रश्न 2.
भारत को किन वर्षों में अकाल का सामना करना पड़ा था ?
उत्तर:
भारत को निम्नलिखित अकालों का सामना करना पड़ा था जिसमें लाखों लोग भूख से मारे गये थे-

  1. सन् 1835 का उड़ीसा अकाल
  2. सन् 1877 का पंजाब और मध्य प्रदेश का अकाल
  3. सन् 1943 का बंगाल का अकाल।

प्रश्न 3.
रोजगार आश्वासन योजना क्या है?
उत्तर:
रोजगार आश्वासन योजना के अन्तर्गत 18 से 60 वर्ष के अकुशल व्यक्तियों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जा सके जिससे लोग आय प्राप्त करके नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न खरीद सके।

प्रश्न 4.
समर्थन मूल्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा की जाती है। इसके अन्तर्गत सरकार कृषि उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है। जब खाद्यान्नों का बाजार भाव सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से नीचे चला जाता है, तो सरकार स्वयं घोषित समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न खरीदने लगती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 5.
खाद्य सुरक्षा हेतु संचालित किन्हीं दो योजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
खाद्यान्न सुरक्षा द्वारा संचालित प्रमुख दो योजनाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. अन्त्योदय अन्न योजना
  2. काम के बदले अनाज योजना।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाद्यान्न-सुरक्षा के मुख्य घटक कौन-कौन से हैं? लिखिए। (2009)
उत्तर:
सामान्यतः खाद्यान्न सुरक्षा के अन्तर्गत समस्त जनसंख्या को खाद्यान्नों की न्यूनतम मात्रा उपलब्ध कराना माना जाता है। खाद्यान्न सुरक्षा के निम्नलिखित घटक हैं –

  1. देश की समस्त जनसंख्या को भोजन की उपलब्धता।
  2. उपलब्ध खाद्यान्न को खरीदने के लिए पर्याप्त धन।
  3. खाद्यान्न उस मूल्य पर उपलब्ध हो जिस पर सभी उसे खरीद सकें।
  4. खाद्यान्न हर समय उपलब्ध होना चाहिए।
  5. उपलब्ध खाद्यान्न की किस्म अच्छी होनी चाहिए।

एक विकासशील अर्थव्यवस्था में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। निरन्तर होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप इसकी निम्नलिखित अवस्थाएँ (घटक) भी हो सकती हैं। –

  1. पर्याप्त मात्रा में अनाज की उपलब्धता।
  2. पर्याप्त मात्रा में अनाज और दालों की उपलब्धता।
  3. अनाज और दालों के साथ दूध और दूध से बनी वस्तुओं की उपलब्धता।
  4. अनाज, दालें, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएँ, सब्जियाँ, फल आदि की उपलब्धता।

प्रश्न 2.
बफर-स्टॉक क्या है? समझाइए। (2008, 09, 11)
उत्तर:
यदि देश में खाद्यान्न का उत्पादन कम होता है तो ऐसी संकटकालीन स्थिति का सामना करने के लिए तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न वितरित करने के लिए सरकार द्वारा बनाया खाद्यान्न भण्डार ‘बफर-स्टॉक’ कहलाता है। बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (E.C.I.) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज गेहूँ और चावल का भण्डार है। भारतीय खाद्य निगम अधिक उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित मूल्य दे दिया जाता है। इस मूल्य को ‘न्यूनतम समर्थित मूल्य’ कहते हैं। क्रय किया हुआ खाद्यान्न खाद्य भण्डार में रखा जाता है। इसे संकटकाल में अनाज की समस्या से निपटने के लिए प्रयोग किया जाता है। गत वर्षों से देश में उपलब्ध ‘बफर-स्टॉक’ निर्धारित न्यूनतम मात्रा से अधिक रहा है। जनवरी 2012 में न्यूनतम निर्धारित सीमा 25 मिलियन टन थी। जबकि भारत का वास्तविक स्टॉक 55-3 था जो भारत की मजबूत खाद्य-सुरक्षा को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 3.
नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है? समझाइए।
अथवा
नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली की विशेषताएँ लिखिए। (2017)
उत्तर:
जनवरी 1992 से पूर्व में चल रही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में संशोधन करके देश के दुर्गम, जनजातीय, पिछड़े, सूखाग्रस्त एवं पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रामवासियों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू की गयी। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. सूखा प्रवृत्त क्षेत्रों, रेगिस्तानी क्षेत्रों, पर्वतीय क्षेत्रों तथा शहरी गन्दी बस्तियों में निवास करने वाले लोगों को प्राथमिकता प्रदान की गयी है।
  2. इस प्रणाली में अपेक्षाकृत कम कीमत और अधिक मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा जाता है।
  3. इस प्रणाली में छः प्रमुख आवश्यक वस्तओं (गेहूँ, चावल, चीनी, आयातित खाद्य तेल, मिट्टी का तेल एवं कोयला) के अतिरिक्त चाय, साबुन, दाल, आयोडीन नमक जैसी वस्तुओं को शामिल किया गया है।
  4. इस योजना में शामिल विकास खण्डों में रोजगार आश्वासन योजना प्रारम्भ की गई, इसके अतिरिक्त 18 से 60 वर्ष के अकुशल बेरोजगार व्यक्तियों को 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जाएगा। जिससे लोग आय प्राप्त करने नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से अन्न खरीद सकें।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को समझाइए।
उत्तर:
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली 1 जून, 1997 से लागू की गयी। इस प्रणाली में गरीबी रेखा के नीचे (BPL) तथा गरीबी रेखा से ऊपर (APL) के लोगों के लिए गेहूँ तथा चावल के भिन्न-भिन्न निर्गम मूल्य निर्धारित किये गये हैं।
केन्द्रीय निर्गम मूल्य
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा - 1

लक्ष्य निर्धारित वितरण प्रणाली (TDPS) में निर्धन लोगों को विशेष राशन कार्ड जारी करके विशेष रूप से कम कीमत पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। यह विश्व की सबसे बड़ी खाद्य परियोजना है।

लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TDPS) को गरीबों के प्रति और अति संकेन्द्रित और लक्षित करने के लिए दिसम्बर 2000 में अन्त्योदय अन्न योजना प्रारम्भ की गई। इस योजना में प्रतिमाह प्रत्येक परिवार को गेहूँ 2 रुपये प्रति किग्रा. व चावल 3 रुपये प्रति किग्रा. के निम्न मूल्य पर 25 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराने का प्रावधान है। अन्त्योदय परिवारों के लिए खाद्यान्नों का अनुमानित वार्षिक आबण्टन 30 लाख टन है, जिसमें 2.315 करोड़ रुपये की सब्सिडी शामिल है।

प्रश्न 5.
खाद्य-सुरक्षा में सहकारिता की क्या भूमिका है? समझाइए। (2008, 09)
अथवा
खाद्य सुरक्षा और सहकारिता का क्या सम्बन्ध है? (2010)
उत्तर:
सहकारिता ऐसे व्यक्तियों का ऐच्छिक संगठन है जो समानता, स्व सहायता तथा प्रजातान्त्रिक व्यवस्था के आधार पर सामूहिक हित के कार्य करता है। भारत में खाद्य-सुरक्षा उपलब्ध कराने में सहकारिता की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यह कार्य उपभोक्ता सहकारी समितियों द्वारा निर्धन लोगों के लिए खाद्यान्न बिक्री हेतु राशन की दुकान खोलकर किया जाता है। भारत में उपभोक्ता सहकारिता के राष्ट्रीय, राज्य, जिलों व ग्राम स्तर पर भिन्न-भिन्न व्यवस्थाएँ हैं। 30 राज्य सहकारी उपभोक्ता संगठन इस परिसंघ के साथ जुड़े हैं। केन्द्रीय या थोक स्तर पर 794 उपभोक्ता सहकारी स्टोर हैं। प्रारम्भिक स्तर पर 24,078 प्राथमिक स्टोर हैं।

ग्रामीण इलाकों में लगभग 44,418 ग्राम स्तरीय प्राथमिक कृषि की ऋण समितियाँ अपने सामान्य व्यापार के साथ-साथ आवश्यक वस्तुओं के वितरण में संलग्न है। उपभोक्ता सहकारी समितियों द्वारा शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में लगभग 37,226 खुदरा बिक्री केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है ताकि उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। सरकार द्वारा 2000 में ‘सर्वप्रिय’ योजना का प्रारम्भ किया है। इस योजना में आम जनता को बुनियादी आवश्यकताओं की वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

प्रश्न 6.
खरीफ और रबी फसलों में क्या अन्तर है ? लिखिए। (2008, 09, 14)
उत्तर:
खरीफ और रबी की फसल में अन्तर

खरीफरबी
1. यह फसल मानसून ऋतु के आगमन के साथ ही शुरू होती है।1. यह फसल मानसून ऋतु के बाद शरद ऋतु के साथ शुरू होती है।
2. इसकी प्रमुख फसलें चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, पटसन और मूंगफली आदि हैं।2. इसकी मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, चना, सरसों और अलसी जैसे तेल निकालने के बीज आदि हैं।
3. इन फसलों के पकने में कम समय लगता है।3. इन फसलों के पकने में अपेक्षाकृत अधिक समय
लगता है।
4. इन फसलों का प्रति हेक्टेअर उत्पादन कम होता है।4. इन फसलों का प्रति हेक्टेअर उत्पादन अधिक होता है।
5. ये फसलें सितम्बर-अक्टूबर में काटी जाती हैं।5. ये फसलें मार्च-अप्रैल में काटी जाती हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के मुख्य खाद्यान्न कौन से हैं ? विवरण दीजिए। (2008, 14, 18)
अथवा
भारत की प्रमुख खाद्य फसलों को लिखिए। (2015)
उत्तर:
भारत की खाद्यान्न फसलें भारत में खाद्यान्न पैदावार अलग-अलग समय पर अलग-अलग होती है। अतः समय के अनुसार इन खाद्यान्न फसलों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है
I.खरीफ की फसलें :
ये फसलें जुलाई में बोई तथा अक्टूबर में काटी जाती हैं। इसके अन्तर्गत मुख्य फसलें चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, पटसन और मूंगफली आदि हैं।

II. रबी की फसलें :
ये फसलें अक्टूबर में बोई जाती हैं तथा मार्च के अन्त या अप्रैल में काटी जाती हैं। इसके अन्तर्गत गेहूँ, जौ, चना, सरसों और अलसी आदि हैं। भारत के प्रमुख खाद्यान्नों (अनाज) का विवरण निम्न प्रकार है –
(1) चावल :
यह खरीफ की फसल है। यह भारतवासियों का प्रिय भोजन है। भारत में कुल खाद्य-फसलों को बोये गये क्षेत्रफल के 25 प्रतिशत भाग पर चावल बोया जाता है। चीन के बाद चावल के उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है। संसार के कुल उत्पादन का 11.4 प्रतिशत चावल भारत में होता है।

भारत में चावल का उत्पादन आन्ध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व असम राज्यों में होता है। भारत में चावल के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि रासायनिक उर्वरकों और उन्नत बीजों के प्रयोग के कारण हो रही है। इस समय देश चावल के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ इसका निर्यात भी कर रहा है।

(2) गेहूँ :
चावल के पश्चात् गेहूँ भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। गेहूँ रबी की फसल है। विश्व में भारत गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से चीन व संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर व क्षेत्रफल की दृष्टि से पाँचवें स्थान पर है। भारत में मुख्यतः दो प्रकार का गेहूँ उगाया जाता है।

  • वल्गेयर गेहूँ :
    यह चमकीला, मोटा और सफेद होता है। इसे साधारणतः रोटी का गेहूँ कहते हैं।
  • मैकरानी गेहूँ :
    यह लाल छोटे दाने वाला और कठोर होता है। देश में गेहूँ उत्पादक प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान तथा गुजरात हैं। भारत गेहूँ के उत्पादन में आत्मनिर्भर है। यद्यपि चालू वर्ष में संचित स्टॉक में कमी के कारण भारत को गेहूँ का आयात करना पड़ा।

(3) ज्वार :
यह दक्षिण भारत में किसानों का मुख्य भोजन है। उत्तरी भारत में यह पशुओं को खिलायी जाती है। ज्वार से अरारोट बनाया जाता है जिसके अनेक आर्थिक उपयोग होते हैं। उत्तर भारत में यह खरीफ की फसल है, लेकिन दक्षिण में यह खरीफ एवं रबी दोनों की फसल है। भारत के कुल ज्वार उत्पादन का लगभग 87 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश में होता है।

(4) बाजरा :
विश्व में बाजरा उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है। राजस्थान, मध्य प्रदेश व गुजरात में इसका प्रयोग खाद्यान्न के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। यह उत्तर भारत में खरीफ की फसल है। दक्षिण भारत में यह रबी और खरीफ दोनों की फसल है। देश के कुल उत्पादन का 96 प्रतिशत भाग राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश व पंजाब में उत्पादित किया जाता है।

(5) मक्का :
मक्का मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों की उपज है। इसका उपयोग पशुओं के चारे और खाने के लिए किया जाता है। मानव भी मक्के के विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ उपयोग करता है। इससे स्टार्च और ग्लूकोज तैयार किया जाता है। यह हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में उत्पादित किया जाता है, लेकिन प्रमुख रूप से यह उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात व कर्नाटक में उत्पादित किया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
खाद्य-सुरक्षा क्या है एवं खाद्य-सुरक्षा क्यों आवश्यक है? समझाइए। (2009)
अथवा
खाद्य-सुरक्षा के आन्तरिक कारणों का वर्णन कीजिए। (2013)
अथवा
खाद्य-सुरक्षा क्यों आवश्यक है? खाद्य-सुरक्षा में सहकारिता की क्या भूमिका है ?(2008,09)
अथवा
खाद्य सुरक्षा क्यों आवश्यक है? समझाइए। (2017)
उत्तर:
खाद्य-सुरक्षा से आशय-खाद्यान्न-सुरक्षा का सम्बन्ध मानव की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताओं से है। सरल शब्दों में खाद्यान्न सुरक्षा का आशय है सभी लोगों को पौष्टिक भोजन की उपलब्धता। साथ ही यह भी आवश्यक है कि व्यक्ति के पास भोजन-व्यवस्था करने के लिए क्रय-शक्ति (पैसा) हो तथा खाद्यान्न उचित मूल्य पर उपलब्ध रहे। विश्व विकास रिपोर्ट 1986 के अनुसार, “खाद्यान्न-सुरक्षा सभी व्यक्तियों के लिए सही समय पर सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त भोजन की उपलब्धता है।” खाद्य एवं कृषि संस्थान के अनुसार, “खाद्यान्न-सुरक्षा सभी व्यक्तियों को सही समय पर उनके लिए आवश्यक बुनियादी भोजन के लिए भौतिक एवं आर्थिक दोनों रूप में उपलब्धि का आश्वासन है।”

खाद्य-सुरक्षा की आवश्यकता :
भारत की वर्तमान स्थिति में खाद्यान्न-सुरक्षा का महत्त्व बहुत अधिक हो गया है। एक ओर तो हमारी जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है, और दूसरी ओर अर्थव्यवस्था विकासशील है। अत: खाद्यान्नों की बढ़ती हुई माँगों की पूर्ति के लिए खाद्यान्न-सुरक्षा आवश्यक हो गई है। इसके कारणों को हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं –

I. आन्तरिक कारण-इसमें वे सभी कारण आते हैं जो देश के भीतर की परिस्थितियों से सम्बन्धित हैं।

  • जीवन का आधार :
    भारत एक विशाल जनसंख्या वाला राष्ट्र है, साथ ही जन्म-दर भी ऊँची है। यहाँ प्रति वर्ष लगभग डेढ़ करोड़ व्यक्ति बढ़ जाते हैं; जबकि खाद्यान्नों के उत्पादन में उच्चावचन होते रहते हैं। इस कारण खाद्यान्न-सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक है।
  • कम उत्पादकता :
    भारत में खाद्यान्न उत्पादकता प्रति हैक्टेअर तथा प्रति श्रमिक दोनों ही दृष्टि से कम है। इस दृष्टि से भी खाद्यान्न-सुरक्षा आवश्यक है।
  • प्राकृतिक संकट :
    समय-समय पर प्राकृतिक संकट; जैसे-सूखा, बाढ़, अत्यधिक वर्षा एवं फसलों के शत्रु कीड़े-मकोड़े आदि भी फसलों को हानि पहुँचाकर खाद्य संकट में वृद्धि करते हैं। राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक शोध परिषद् के अनुमानों के अनुसार इन कीड़े-मकोड़ों, चूहों एवं अन्य पशु-पक्षियों द्वारा कुल खाद्यान्नों के उत्पादन का 15 प्रतिशत भाग नष्ट कर दिया जाता है। प्राकृतिक संकटों का सामना करने के लिए खाद्यान्न-सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक है।
  • बढ़ती महँगाई :
    खाद्यान्न की कीमतों में वृद्धि हो रही है, जिसके फलस्वरूप भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस समस्या का सामना करने के लिए खाद्य-सुरक्षा आवश्यक हो जाती है।
  • राष्ट्र की प्रगति में आवश्यक :
    खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त किये बिना कोई भी राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता। इस हेतु खाद्यान्न-सुरक्षा आवश्यक होती है।

II. बाह्य कारण :
बाह्य कारणों के अन्तर्गत वे कारण शामिल किये जाते हैं जो दूसरे राष्ट्र के सम्बन्धों से जुड़े होते हैं। प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं –

  • विदेशों पर निर्भरता :
    देश में जब खाद्यान्नों की पर्याप्त पूर्ति नहीं हो पाती है, तब इस प्रकार की स्थिति में हमें विदेशों पर निर्भर होना पड़ता है। फिर खाद्यान्न महँगे हों या सस्ते या उनकी गुणवत्ता अच्छी हो या न हो हमें खाद्यान्न आयात करना पड़ता है व विदेशों पर निर्भरता बढ़ जाती है।
  • विदेशी मुद्रा कोष में कमी :
    जब हम विदेशों से खाद्यान्न वस्तुएँ मँगाते हैं तो अनावश्यक रूप से हमारी विदेशी मुद्रा खर्च हो जाती है। खाद्यान्न की पूर्ति हम स्वयं ही कर सकते हैं परन्तु खाद्य-सुरक्षा के अभाव में नहीं कर पाते। परिणाम यह होता है कि बहुत अनिवार्य वस्तुएँ खरीदने हेतु हमारे पास विदेशी मुद्रा नहीं बच पाती है।
  • विदेशी दबाव :
    जो राष्ट्र खाद्यान्नों की पूर्ति करते हैं वे प्रभावशाली हो जाते हैं और फिर अपनी नीतियों को दबाव द्वारा मनवाने का प्रयास करते हैं। ऐसे राष्ट्र खाद्यान्न का आयात करने वाले राष्ट्रों पर हावी हो जाते हैं, और आयातक देश विदेश नीति निर्धारण करने में स्वतन्त्र नहीं रह पाते। कई बार खाद्यान्न संकटों के दौरान भारत ने यह अनुभव किया कि राष्ट्र के नागरिकों को भुखमरी से बचाने, विकास करने, स्वाभिमान, सम्मान और सम्प्रभुता की रक्षा के लिए खाद्य-सुरक्षा अनिवार्य है।

प्रश्न 3.
सरकार गरीबों को किस प्रकार खाद्य-सुरक्षा प्रदान करती है? समझाइए। (2009, 12, 13, 15, 18)
उत्तर:
सरकार गरीबों को निम्न प्रकार खाद्य-सुरक्षा प्रदान करती है –
(1) सार्वजनिक वितरण प्रणाली :
सार्वजनिक वितरण प्रणाली सार्वजनिक रूप से उपभोक्ताओं को निर्धारित कीमतों पर उचित मात्रा में उपभोक्ता वस्तुएँ वितरित करने से सम्बन्धित है। मुख्य रूप से यह व्यवस्था कमजोर वर्ग के सदस्यों के लिए उपयोग में लायी गयी है। उपभोक्ताओं को आवश्यक उपभोग वस्तुएँ उचित कीमत पर उपलब्ध कराना एवं वितरण व्यवस्था को सुचारु रूप प्रदान करना इस प्रणाली का मुख्य लक्ष्य है।

(2) नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली :
जनवरी 1992 से पूर्व में चल रही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में संशोधन करके देश के दुर्गम, जनजातीय, पिछड़े, सूखाग्रस्त एवं पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रामवासियों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू की गयी।

(3) लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली :
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली 1 जून, 1997 से लागू की गयी। इस प्रणाली में गरीबी रेखा के नीचे (BPL) तथा गरीबी रेखा से ऊपर (APL) के लोगों के लिए गेहूँ तथा चावल के भिन्न-भिन्न निर्गम मूल्य निर्धारित किये गये हैं।

इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा समन्वित राज्य विकास कार्यक्रम, पाठशाला में अध्ययनरत छात्रों के लिए मध्यान्ह भोजन योजना, खाद्यान्न अन्त्योदय अन्न योजना तथा काम के बदले अनाज आदि योजनाओं के माध्यम से खाद्य-सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।

प्रश्न 4.
खाद्यान्न वृद्धि के लिए सरकार ने कौन-कौन से प्रयास किये हैं? (2008, 09, 12, 16)
अथवा
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है? (2008)
[संकेत : ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ शीर्षक देखें।]
उत्तर:
खाद्य-सुरक्षा के लिए सरकारी प्रयास
भारत में प्राकृतिक संकट या किसी अन्य कारण से उत्पन्न होने वाले खाद्यान्न संकट के समय एवं सामान्य परिस्थितियों में निर्धनों तथा अन्य लोगों को खाद्यान्न उचित कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए खाद्य-सुरक्षा प्रणाली का विकास किया गया है। इस व्यवस्था के महत्त्वपूर्ण अंग निम्न प्रकार हैं –

(1) खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाना :
खाद्यान्न सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि देश में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न का उत्पादन हो। इस कार्य में हरित क्रान्ति का योगदान महत्त्वपूर्ण है। इसके अन्तर्गत कृषि का यन्त्रीकरण, अच्छे बीजों का प्रयोग, उर्वरकों का प्रयोग, कीटनाशकों के प्रयोग तथा सिंचाई सुविधाओं का प्रयास किया गया। साथ ही चकबन्दी और मध्यस्थों के उन्मूलन कार्यक्रम के परिणामस्वरूप आज भारत खाद्यान्नों के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बन गया है। भारत में खाद्यान्नों के उत्पादन की प्रगति को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया गया है –

भारत में खाद्यान्नों का उत्पादन (करोड़ टन में)1
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा - 2
स्त्रोत-आर्थिक समीक्षा 2017-18 Vol-2, P.A-35 *अनुमानित

(2) न्यूनतम समर्थन मूल्य :
कृषि उत्पादों के मूल्यों में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। फसल के समय उत्पादन के कारण आपूर्ति अधिक हो जाती है, जिससे मूल्यों में काफी कमी आ जाती है। इस समय निर्धारित सीमा से कम मूल्य होने पर उत्पादकों को अपने उत्पादों की लागत प्राप्त करना कठिन हो जाता है। इसलिए सरकार कृषि उपजों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है, जिसके अन्तर्गत जब खाद्यान्नों का बाजार भाव सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से नीचे चला जाता है, तो सरकार स्वयं घोषित समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न खरीदने लगती है। इससे किसानों को लाभकारी मूल्य मिलने के साथ सार्वजनिक खाद्य भण्डारण बनाने का दोहरा उद्देश्य पूरा होता है। गत् वर्षों में सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्यों को निम्न तालिका में दर्शाया गया है।

गेहूँ और धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (रुपये प्रति क्वि.)
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा - 3
स्रोत-आर्थिक समीक्षा 2017-18; A82, Vol-2.

(3) बफर स्टॉक :
कृषि मूल्यों में उच्चावचनों को रोकने के उद्देश्य से सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम की स्थापना की गई थी। यह निगम सरकार की ओर से खाद्यान्नों का स्टॉक करता है। इस प्रयोजन हेतु यह निगम खाद्यान्न की सरकारी खरीद करता है तथा उनका भण्डारण करता है इसी को बफर स्टॉक कहते हैं। यह स्टॉक राशन की दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को वितरित कर दिया जाता है। इससे आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या हल करने में मदद मिलती है। गत वर्षों में देश में उपलब्ध बफर-स्टॉक की स्थिति को निम्न तालिका में स्पष्ट किया गया है।
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा - 4
स्रोत-आर्थिक समीक्षा 2011-12; पृष्ठ 197.

बफर स्टॉक की तालिका से स्पष्ट होता है कि गत वर्षों में भारत में स्टॉक निर्धारित न्यूनतम मात्रा से अधिक ही रहा है। जो मजबूत खाद्य-सुरक्षा का प्रतीक है।

MP Board Solutions

प्रश्न 5.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है व इसके मुख्य अंग कौन-कौन से हैं? (2008, 16)
उत्तर:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली से आशय-सार्वजनिक वितरण प्रणाली से आशय उस प्रणाली से है, जिसके अन्तर्गत सार्वजनिक रूप से उपभोक्ताओं विशेषकर कमजोर वर्ग के उपभोक्ताओं को निर्धारित कीमतों पर उचित मात्रा में विभिन्न वस्तुओं (गेहूँ, चावल, चीनी, आयातित खाद्य तेल, कोयला, मिट्टी का तेल आदि) का विक्रय राशन की दुकान व सहकारी उपभोक्ता भण्डारों के माध्यम से कराया जाता है। इन विक्रेताओं के लिए लाभ की दर निश्चित रहती है तथा इन्हें निश्चित कीमत पर निश्चिम मात्रा में वस्तुएँ राशन कार्ड धारकों को बेचनी होती हैं। राशन कार्ड तीन-तीन प्रकार के होते हैं-बी. पी. एल. कार्ड, ए. पी. एल. कार्ड एवं अन्त्योदय कार्ड।

बी. पी. एल. कार्ड गरीबी रेखा के नीचे के लोगों के लिए ए. पी. एल. कार्ड गरीबी रेखा से ऊपर वाले लोगों के लिए तथा अन्त्योदय कार्ड गरीब में भी गरीब लोगों के लिए होता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंग :
भारत के सन्दर्भ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रमुख अंग निम्न हैं –

  • राशन या उचित मूल्य की दुकानें :
    सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्यान्नों तथा अन्य आवश्यकताओं की वस्तुओं को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। इन दुकानों पर से आवश्यकता की वस्तुओं; जैसे-गेहूँ, चावल, चीनी, मैदा, खाद्य तेल, मिट्टी का तेल एवं अन्य वस्तुएँ; जैसे-कॉफी, चाय, साबुन, दाल, माचिस आदि को वितरित किया जाता है।
  • सहकारी उपभोक्ता भण्डारण :
    सहकारी उपभोक्ता भण्डार भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंग हैं। इन भण्डारों के माध्यम से उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ नियन्त्रित वस्तुओं की भी बिक्री की जाती है। कुछ बड़े-बड़े उद्योगों ने भी अपने श्रमिकों को उचित मूल्य पर वस्तु उपलब्ध कराने के लिए सहकारी उपभोक्ता भण्डार खोले हैं।
  • सुपर बाजार-कुछ बड़े :
    बड़े नगरों में सुपर बाजारों की स्थापना की गई है। यहाँ आवश्यकताओं की वस्तुओं को उपभोक्ताओं के लिए उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है।

प्रश्न 6.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन किस प्रकार किया जाता है? वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर :
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन केन्द्र तथा राज्य सरकारें मिलकर करती हैं। केन्द्र द्वारा राज्यों को खाद्यान्न एवं अन्य वस्तुओं का आवंटन किया जाता है एवं इन वस्तुओं का विक्रय मूल्य भी निर्धारित किया जाता है। राज्य को केन्द्र द्वारा निर्धारित मूल्य में परिवहन व्यय आदि सम्मिलित करने का अधिकार है। इस प्रणाली के अन्तर्गत प्राप्त वस्तुओं का परिवहन, संग्रहण, वितरण व निरीक्षण राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। राज्य सरकारें चाहें तो अन्य वस्तुएँ भी जिन्हें वे खरीद सकती हैं; सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सम्मिलित कर सकती हैं।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने का काम मुख्य रूप से भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा किया जाता है। 1965 में स्थापित भारतीय खाद्य निगम खाद्यान्नों व अन्य खाद्य सामग्री की खरीददारी, भण्डारण व संग्रहण, स्थानान्तरण, वितरण तथा बिक्री का कार्य करता है। निगम एक ओर तो यह निश्चित करता है कि किसानों को उनके उत्पादन की उचित कीमत मिले (जो सरकार द्वारा निर्धारित वसूली/ समर्थन कीमत से कम न हो) तथा दूसरी ओर यह निश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को भण्डार से एक-सी कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध हो। निगम को यह भी उत्तरदायित्व सौंपा गया है कि वह सरकार की ओर से खाद्यान्नों के बफर स्टॉक बना कर रखे।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चावल उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
(2009)
(i) प्रथम
(ii) द्वितीय
(iii) तृतीय
(iv) चतुर्थ।
उत्तर:
(ii) द्वितीय

प्रश्न 2.
विश्व के कुल चावल उत्पादन का लगभग कितना प्रतिशत चावल भारत में होता है?
(i) 21.5 प्रतिशत
(ii) 31.4 प्रतिशत
(iii) 11.4 प्रतिशत
(iv) 7.5 प्रतिशत।
उत्तर:
(iii) 11.4 प्रतिशत

प्रश्न 3.
गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
(i) पहला
(ii) दूसरा
(iii) तीसरा
(iv) चौथा।
उत्तर:
(iii) तीसरा

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
विश्व में बाजरा उत्पादन में भारत का कौन-सा स्थान है?
(i) पहला
(ii) दूसरा
(iii) तीसरा
(iv) चौथा।
उत्तर:
(i) पहला

प्रश्न 5.
न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति सरकार द्वारा कब अपनायी गयी?
(i) 1960
(ii) 1963
(iii) 1962
(iv) 1965
उत्तर:
(iv) 1965

प्रश्न 6.
गरीबों में भी गरीब लोगों के लिये किस प्रकार के राशन कार्ड की व्यवस्था है?
(i) बी. पी. एल. कार्ड,
(ii) अन्त्योदय कार्ड
(iii) ए. पी. एल. कार्ड
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ii) अन्त्योदय कार्ड

प्रश्न 7.
भारतीय खाद्य निगम (E.C.I.) की स्थापना कब हुई थी?
(i) 1955
(ii) 1965
(iii) 1967
(iv) 1968
उत्तर:
(ii) 1965

प्रश्न 8.
खाद्यान्न अन्त्योदय अन्य योजना का शुभारम्भ कब किया गया था?
(i) 25 दिसम्बर, 2000
(ii) 25 दिसम्बर, 1995
(iii) 25 दिसम्बर, 2005
(iv) 25 दिसम्बर, 1993।
उत्तर:
(i) 25 दिसम्बर, 2000

रिक्त स्थान पूर्ति

  1. समय के अनुसार खाद्यान्न फसलों को ………… तथा ………… भागों में बाँटा गया है। (2008)
  2. चावल के उत्पादन में भारत का विश्व में …………. स्थान है। (2009)
  3. ज्वार उत्तर भारत में ……….. की फसल है।
  4. खाद्यान्न उचित कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए ……….. का विकास किया गया है।
  5. गरीबों में भी गरीब लोगों के लिए ………… कार्ड।

उत्तर:

  1. रबी तथा खरीफ
  2. दूसरा
  3. खरीफ
  4. खाद्य सुरक्षा प्रणाली
  5. अन्त्योदय।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है। (2008, 09)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
विश्व के कुल चावल उत्पादन का 10% से कम चावल भारत में होता है। (2008)
उत्तर:
असत्य

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
विश्व में बाजरा उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
सरकार ने जुलाई 2003 में ‘सर्वप्रिय’ नाम की एक योजना प्रारम्भ की। (2011)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5.
खरीफ की फसल गेहूँ है।
उत्तर:
असत्य

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 18 भारत में खाद्यान्न सुरक्षा - 5
उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (क)
  3. → (घ)
  4. → (ख)
  5. → (ङ)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अंग है।
उत्तर:
उचित मूल्य की दुकान

प्रश्न 2.
खाद्यान्न वितरित करने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया भण्डार कहलाता हैं।
उत्तर:
बफर स्टॉक

प्रश्न 3.
अक्टूबर में बोकर मार्च-अप्रैल के अन्त में काटी जाने वाली फसल है। (2015)
उत्तर:
रबी

प्रश्न 4.
वह भुगतान जो सरकार द्वारा किसी उत्पादक को बाजार कीमत की अनुपूर्ति के लिए किया जाता है।
उत्तर:
अनुदान (सब्सिडी)

प्रश्न 5.
रोजगार आश्वासन योजना में कितने दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है?
उत्तर:
100 दिन।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव जीवन की प्रमुख आवश्यकताएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
मानव जीवन की तीन प्रमुख आवश्यकताएँ रोटी, कपड़ा और मकान हैं।

प्रश्न 2.
खाद्यान्न सुरक्षा से क्या आशय है?
उत्तर:
विश्व विकास रिपोर्ट 1986 के अनुसार, “खाद्यान्न सुरक्षा सभी व्यक्तियों के लिये सही समय पर सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिये पर्याप्त भोजन की उपलब्धता है।”

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
वर्तमान में खाद्यान्न सुरक्षा का महत्त्व अधिक क्यों है?
उत्तर:
वर्तमान में एक ओर तो हमारी अर्थव्यवस्था विकासशील है दूसरी ओर जनसंख्या तीव्रता से बढ़ रही है। अतः खाद्यान्नों की बढ़ती हुई माँग की पूर्ति के लिये खाद्यान्न सुरक्षा बहुत आवश्यक है।

प्रश्न 4.
भारत ने किस वर्ष भयंकर सुखे का सामना किया था व किस देश से गेहूँ आयात किया था?
उत्तर:
भारत ने सन् 1965-66 और 1966-67 में मानसून की विफलता के कारण भयंकर सूखे का सामना किया था तथा अमेरिका से गेहूँ आयात किया था।

प्रश्न 5.
खरीफ की फसलों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
खरीफ की फसलें जुलाई में बोई तथा अक्टूबर में काटी जाती है। इसके अन्तर्गत चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि खाद्यान्न फसलें आती हैं।

प्रश्न 6.
रबी की फसल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
रबी की फसल अक्टूबर में बोई जाती है तथा मार्च के अन्त में या अप्रैल में काट ली जाती है। इसके अन्तर्गत गेहूँ, जौ, चना आदि खाद्यान्न फसलें शामिल की जाती है।

प्रश्न 7.
भारत में प्रमुख चावल उत्पादक राज्य कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में प्रमुख चावल उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ तथा असम हैं।

प्रश्न 8.
भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्य निम्न हैं-उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तराखण्ड व गुजरात।

प्रश्न 9.
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली कब प्रारम्भ की गयी?
उत्तर:
गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को खाद्यान्न की न्यूनतम मात्रा सुनिश्चित रूप से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1997 में यह प्रणाली प्रारम्भ की गई।

प्रश्न 10.
राशन कार्ड कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
राशन कार्ड तीन प्रकार के होते हैं-

  1. बी. पी. एल. कार्ड
  2. ए. पी. एल. कार्ड
  3. अन्त्योदय कार्ड।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मोटे अनाज के अन्तर्गत किस अनाज को सम्मिलित किया जाता है? ये अनाज कहाँ-कहाँ पैदा होते हैं? (2011)
उत्तर:
पाठान्त अभ्यास के अन्तर्गत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1 में ज्वार, बाजरा तथा मक्का शीर्षक देखें।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
सरकार द्वारा जुलाई 2000 में प्रारम्भ की गई ‘सर्वप्रिय’ योजना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आम जनता को बुनियादी आवश्यकताओं की वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने 21 जुलाई, 2000 को यह योजना शुरू की। इसके अन्तर्गत राशन की दुकानों से खाद्यान्नों के अतिरिक्त 11 अन्य वस्तुएँ आम जनता को उपलब्ध करायी जा रही हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 18 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की खाद्यान्न फसलों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है? वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर:
भारत की खाद्यान्न फसलें भारत में खाद्यान्न पैदावार अलग-अलग समय पर अलग-अलग होती है। अतः समय के अनुसार इन खाद्यान्न फसलों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है
I.खरीफ की फसलें :
ये फसलें जुलाई में बोई तथा अक्टूबर में काटी जाती हैं। इसके अन्तर्गत मुख्य फसलें चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, पटसन और मूंगफली आदि हैं।

II. रबी की फसलें :
ये फसलें अक्टूबर में बोई जाती हैं तथा मार्च के अन्त या अप्रैल में काटी जाती हैं। इसके अन्तर्गत गेहूँ, जौ, चना, सरसों और अलसी आदि हैं। भारत के प्रमुख खाद्यान्नों (अनाज) का विवरण निम्न प्रकार है –
(1) चावल :
यह खरीफ की फसल है। यह भारतवासियों का प्रिय भोजन है। भारत में कुल खाद्य-फसलों को बोये गये क्षेत्रफल के 25 प्रतिशत भाग पर चावल बोया जाता है। चीन के बाद चावल के उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है। संसार के कुल उत्पादन का 11.4 प्रतिशत चावल भारत में होता है।

भारत में चावल का उत्पादन आन्ध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व असम राज्यों में होता है। भारत में चावल के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि रासायनिक उर्वरकों और उन्नत बीजों के प्रयोग के कारण हो रही है। इस समय देश चावल के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ इसका निर्यात भी कर रहा है।

(2) गेहूँ :
चावल के पश्चात् गेहूँ भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न है। गेहूँ रबी की फसल है। विश्व में भारत गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से चीन व संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर व क्षेत्रफल की दृष्टि से पाँचवें स्थान पर है। भारत में मुख्यतः दो प्रकार का गेहूँ उगाया जाता है।

  • वल्गेयर गेहूँ :
    यह चमकीला, मोटा और सफेद होता है। इसे साधारणतः रोटी का गेहूँ कहते हैं।
  • मैकरानी गेहूँ :
    यह लाल छोटे दाने वाला और कठोर होता है। देश में गेहूँ उत्पादक प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान तथा गुजरात हैं। भारत गेहूँ के उत्पादन में आत्मनिर्भर है। यद्यपि चालू वर्ष में संचित स्टॉक में कमी के कारण भारत को गेहूँ का आयात करना पड़ा।

(3) ज्वार :
यह दक्षिण भारत में किसानों का मुख्य भोजन है। उत्तरी भारत में यह पशुओं को खिलायी जाती है। ज्वार से अरारोट बनाया जाता है जिसके अनेक आर्थिक उपयोग होते हैं। उत्तर भारत में यह खरीफ की फसल है, लेकिन दक्षिण में यह खरीफ एवं रबी दोनों की फसल है। भारत के कुल ज्वार उत्पादन का लगभग 87 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश में होता है।

(4) बाजरा :
विश्व में बाजरा उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है। राजस्थान, मध्य प्रदेश व गुजरात में इसका प्रयोग खाद्यान्न के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। यह उत्तर भारत में खरीफ की फसल है। दक्षिण भारत में यह रबी और खरीफ दोनों की फसल है। देश के कुल उत्पादन का 96 प्रतिशत भाग राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश व पंजाब में उत्पादित किया जाता है।

(5) मक्का :
मक्का मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों की उपज है। इसका उपयोग पशुओं के चारे और खाने के लिए किया जाता है। मानव भी मक्के के विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ उपयोग करता है। इससे स्टार्च और ग्लूकोज तैयार किया जाता है। यह हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में उत्पादित किया जाता है, लेकिन प्रमुख रूप से यह उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात व कर्नाटक में उत्पादित किया जाता है।

MP Board Class 9th Social Science Solutions

MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

MP Board Class 9th Science Chapter 13 पाठ के अन्तर्गत के प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 200

प्रश्न 1.
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यक स्थितियाँ:

  1. अपनी रुचि वाले कार्य करने में मन लगना।
  2. विभिन्न सामाजिक एवं सामुदायिक कार्यों में रुचि लेना।

प्रश्न 2.
रोगमुक्ति की कोई दो आवश्यक स्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
रोगमुक्ति की आवश्यक स्थितियाँ:

  1. ठीक प्रकार से भूख लगना।
  2. विभिन्न अंगों के क्रियाकलाप ठीक से चलना।

प्रश्न 3.
क्या उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं अथवा भिन्न? क्यों?
उत्तर:
नहीं, दोनों भिन्न-भिन्न हैं। क्योंकि नीरोग (रोगमुक्त) होना व्यक्तिगत एवं शारीरिक होता है। नीरोग होते हुए भी व्यक्ति मानसिक एवं सामाजिक रूप से अस्वस्थ हो सकता है।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 203

प्रश्न 1.
ऐसे तीन कारण लिखिए जिससे आप सोचते हैं कि आप बीमार हैं तथा चिकित्सक के पास जाना चाहते हैं। यदि इनमें से एक भी लक्षण हो तो क्या आप फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहेंगे ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर:
बीमार होने के कारण जिससे हम सोचते हैं कि हम बीमार हैं और चिकित्सक के पास जाना चाहिए –

  1. लम्बे समय तक खाँसी-जुकाम का बना रहना।
  2. तीव्र सिरदर्द या शारीरिक दर्द होना।
  3. भूख नहीं लगना।

किसी एक लक्षण के होने पर भी हमको चिकित्सक के पास जाना चाहिए क्योंकि वह लक्षण किसी बड़ी बीमारी के कारण भी हो सकता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किसके लम्बे समय तक रहने के कारण आप समझते हैं कि आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा? तथा क्यों?
1. यदि आप पीलिया रोग से ग्रस्त हैं।
2. यदि आपके शरीर पर जूं (lice) हैं।
3. यदि आप मुँहासों से ग्रस्त हैं।
उत्तर:
यदि हम पीलिया रोग से ग्रस्त हैं तो इसके लम्बे समय तक रहने से हमारे स्वास्थ्य पर बहुत भयानक प्रभाव पड़ेगा। मृत्यु भी सम्भव है।

MP Board Solutions

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 210

प्रश्न 1.
जब आप बीमार होते हैं तो आपको सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन करने का परामर्श क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
जब हम बीमार होते हैं तो हमको सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन करने का परामर्श दिया जाता है जिससे हमारी शारीरिक शक्ति बढ़े तथा रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तन्त्र सुदृढ़ हो।

प्रश्न 2.
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ:

  1. वायु द्वारा
  2. पानी द्वारा
  3. लैंगिक क्रियाओं द्वारा
  4. अन्य रोगवाहकों द्वारा।

प्रश्न 3.
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके विद्यालय में कौन-कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं? (2019)
उत्तर:
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए विद्यालय में आवश्यक सावधानियाँ –

  1. संक्रमित छात्र एवं छात्राओं को विद्यालय आने से रोकना चाहिए।
  2. विद्यालय के अन्दर एवं आसपास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  3. विद्यालय परिसर में जलभराव एवं अपशिष्ट पदार्थों को एकत्रित होने से रोकना चाहिए।
  4. सम्पूर्ण विद्यालय में रोगाणुनाशक रसायनों का छिड़काव कराना चाहिए।
  5. स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना चाहिए तथा उसे ढककर रखना चाहिए।
  6. छात्र/छात्राओं का उपयुक्त टीकाकरण कराया जाना चाहिए।

प्रश्न 4.
प्रतिरक्षीकरण क्या है? (2019)
उत्तर:
प्रतिरक्षीकरण:
“विभिन्न संक्रामक रोगों के लिए उपलब्ध टीका लगवाकर (टीकाकरण द्वारा) प्रतिरक्षा तन्त्र को विकसित करना प्रतिरक्षीकरण कहलाता है।”

प्रश्न 5.
आपके पास में स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टीकाकरण के कौन-से कार्यक्रम उपलब्ध हैं? आपके क्षेत्र में कौन-कौन सी स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्याएँ हैं?
उत्तर:
(निर्देश-इस प्रश्न का उत्तर छात्र/छात्राएँ स्वयं लिखें)।

MP Board Solutions

MP Board Class 9th Science Chapter 13 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पिछले एक वर्ष में आप कितनी बार बीमार हुए? बीमारी क्या थी?
(a) इन बीमारियों को हटाने के लिए आप अपनी दिनचर्या में क्या परिवर्तन करेंगे?
(b) इन बीमारियों से बचने के लिए आप अपने पास-पड़ोस में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर:
(निर्देश-इस प्रश्न का उत्तर छात्र/छात्राएँ स्वयं लिखें।)

प्रश्न 2.
डॉक्टर/नर्स/स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के सम्पर्क में अधिक रहते हैं। पता करो कि वे अपने आप को बीमार होने से कैसे बचाते हैं?
उत्तर:
डॉक्टर/नर्स/स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के सम्पर्क में अधिक समय तक रहते हैं लेकिन वे संक्रमण से बचने के लिए विभिन्न सावधानियाँ रखते हैं –

  1. मुँह एवं नाक को ढककर रखते हैं जिससे साँस द्वारा रोगाणु प्रवेश न कर सकें।
  2. हाथों में दस्ताने पहनते हैं जिससे मरीज को छूने पर रोगाणु त्वचा के सम्पर्क में न आयें।
  3. स्वच्छ धुले हुए कपड़े, एप्रिन आदि पहनते हैं।
  4. एण्टीसेप्टिक लोशन या साबुन से हाथ साफ करते हैं।

प्रश्न 3.
अपने पास-पड़ोस में एक सर्वेक्षण कीजिए तथा पता लगाइए कि सामान्यतः कौन-सी तीन बीमारियाँ होती हैं? इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
(निर्देश-इस प्रश्न का उत्तर छात्र/छात्राएँ स्वयं लिखें।)

प्रश्न 4.
एक बच्चा अपनी बीमारी के विषय में नहीं बता पा रहा है। हम कैसे पता करेंगे कि –
1. बच्चा बीमार है।
2. उसे कौन-सी बीमारी है?
उत्तर:

  1. बच्चा रोता रहता है, वह खाना नहीं खाता है तथा असहज या सुस्त रहता है तो हम समझते हैं कि वह बीमार है।
  2. बच्चे को कौन-सी बीमारी है? यह पता करने के लिए हम चिकित्सक से परामर्श करेंगे तथा उसकी मेडीकल जाँच करायेंगे।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में किन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है? क्यों?
1. जब वह मलेरिया से ठीक हो रहा है।
2. वह मलेरिया से ठीक हो चुका है और वह चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
3. मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास करता है और चेचक के रोगी की सेवा करता है।
उत्तर:
1. जब व्यक्ति मलेरिया से ठीक हो रहा है तो वह शारीरिक रूप से कुछ कमजोर होगा और यदि वह अपने उपचार में लापरवाही करेगा तथा उचित आहार नहीं लेगा तो उसके पुनः बीमार होने की सम्भावना रहती है।

2. मलेरिया से ठीक हुआ व्यक्ति चेचक रोगी की सेवा करेगा और आवश्यक सावधानियाँ नहीं रखेगा तो वह चेचक से संक्रमित हो सकता है तथा पुनः बीमार हो सकता है।

3. मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन तक उपवास करने से उस व्यक्ति का प्रतिरक्षा तन्त्र अत्यन्त कमजोर हो जायेगा अतः उस व्यक्ति की चेचक से संक्रमित होने की सम्भावना और अधिक हो जायेगी और वह व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन परिस्थितियों में आप बीमार हो सकते हैं? क्यों?
1. जब आपकी परीक्षा का समय है।
2. जब आप बस तथा रेलगाड़ी में दो दिन तक यात्रा कर चुके हैं।
3. जब आपका मित्र खसरे से पीड़ित है।
उत्तर:

  1. अगर आपकी परीक्षा की तैयारी नहीं है तो आप परीक्षा के भय से ग्रसित हो सकते हैं।
  2. बस या रेलगाड़ी में दो दिन तक यात्रा करने पर केवल थकान हो सकती है।
  3. जब आपका मित्र खसरे से पीड़ित है और आप असावधानीपूर्वक उसके सम्पर्क में आते हैं तो आप खसरे से संक्रमित होकर बीमार हो सकते हैं।

MP Board Class 9th Science Chapter 13 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 9th Science Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा विषाणु रोग नहीं है ?
(a) डेंगू
(b) एड्स
(c) टायफॉइड
(d) इन्फ्लु एन्जा
उत्तर:
(c) टायफॉइड

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा जीवाणु रोग नहीं है?
(a) हैजा
(b) तपेदिक
(c) एंथ्रेक्स
(d) इन्फ्लु एन्जा
उत्तर:
(d) इन्फ्लु एन्जा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा रोग मच्छरों से संचारित नहीं होता है? (2019)
(a) मस्तिष्क ज्वर
(b) मलेरिया
(c) टायफॉइड
(d) डेंगू
उत्तर:
(c) टायफॉइड

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जीवाणु जनित नहीं होता है?
(a) टायफॉइड
(b) एंथ्रेक्स
(c) क्षयरोग (तपेदिक)
(d) मलेरिया
उत्तर:
(d) मलेरिया

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा रोग प्रोटोजोआ प्राणियों द्वारा होता है?
(a) मलेरिया
(b) इन्फ्लुएन्जा
(c) एड्स
(d) हैजा
उत्तर:
(a) मलेरिया

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा व्यक्ति के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डालता है?
(a) खाँसी-जुकाम
(b) चिकन पॉक्स (छोटी माता)
(c) तम्बाकू चबाना
(d) तनाव
उत्तर:
(c) तम्बाकू चबाना

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा संक्रमित व्यक्ति आपके सम्पर्क में आने पर आपको बीमार कर सकता है?
(a) उच्च रक्तदाब
(b) आनुवंशिक उपसामान्यता
(c) छींक
(d) रुधिर कैंसर
उत्तर:
(c) छींक

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किसके द्वारा एड्स नहीं फैल सकता?
(a) लैंगिक संसर्ग
(b) गले मिलना
(c) स्तनपान
(d) रक्ताधान
उत्तर:
(b) गले मिलना

प्रश्न 9.
प्रतिविषाणुक औषधियाँ बनाना प्रतिजीवाणुक दवाइयों के बनाने की अपेक्षा अधिक कठिन है क्योंकि –
(a) विषाणु (वाइरस) परपोषी की मशीनरी का उपयोग करते हैं।
(b) विषाणु (वाइरस) सजीव और निर्जीव की सीमारेखा पर है।
(c) विषाणु (वाइरस) में अपनी जैवरासायनिक प्रणाली बहुत कम है।
(d) विषाणु (वाइरस) के चारों ओर प्रोटीन से बना कवच होता है।
उत्तर:
(c) विषाणु (वाइरस) में अपनी जैवरासायनिक प्रणाली बहुत कम है।

प्रश्न 10.
निम्न में से कौन-सा रोगजनक कालाजार का कारण होता है?
(a) ऐस्केरिस
(b) ट्रिपैनोसोमा
(c) लीशमैनिया
(d) बैक्टीरिया
उत्तर:
(c) लीशमैनिया

प्रश्न 11.
यदि आप छोटे से भीड़भाड़ वाले तथा कम हवादार घर में रह रहे हैं तो आपको निम्नलिखित में से कौन-से रोग होने की सम्भावना हो सकती है?
(a) कैंसर
(b) एड्स
(c) वायु वाहित रोग
(d) हैजा
उत्तर:
(c) वायु वाहित रोग

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से कौन-सी बीमारी मच्छर द्वारा नहीं फैलती है?
(a) डेंगू
(b) मलेरिया
(c) मस्तिष्क ज्वर (ऐन्सेफेलाइटिस)
(d) न्यूमोनिया
उत्तर:
(d) न्यूमोनिया

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से कौन-सा व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए प्रमुख नहीं है?
(a) एक स्वच्छ स्थान पर रहना
(b) अच्छी आर्थिक स्थिति
(c) सामाजिक समानता तथा मेलजोल की भावना
(d) एक बड़े और सुसज्जित भवन में रखना
उत्तर:
(b) अच्छी आर्थिक स्थिति

प्रश्न 14.
हमें अपने वातावरण में मच्छरों के प्रजनन को रोकना चाहिए क्योंकि –
(a) बहुत तीव्रगति से गुणन करते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं।
(b) बहुत-सी बीमारियों के रोगवाहक हैं।
(c) काटते हैं और त्वचा की बीमारियों का कारण बनते हैं।
(d) विशेष कीट नहीं है।
उत्तर:
(b) बहुत-सी बीमारियों के रोगवाहक हैं।

प्रश्न 15.
आप अपने शहर में पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में जागरूक हैं? इसके लिए बच्चों का टीकाकरण किया जाता है क्योंकि –
(a) टीकाकरण, पोलियो फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देता है।
(b) पोलियो फैलाने वाले जीवों का प्रवेश रोक देता है।
(c) यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को उत्पन्न करता है।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(c) यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को उत्पन्न करता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 16.
विषाणुओं से हेपेटाइटिस रोग होता है। यह रोग निम्नलिखित में से किसी एक द्वारा संचरित होता है –
(a) वायु
(b) जल
(c) भोजन
(d) व्यक्तिगत सम्पर्क
उत्तर:
(b) जल

प्रश्न 17.
वेक्टर (संवाहक) की सही परिभाषा कौन-सी है?
(a) वह सूक्ष्मजीव जो संक्रामक कारकों को एक रोगग्रस्त व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति तक ले जाता है।
(b) सूक्ष्मजीव जो बहुत-से रोगों को फैलाता है।
(c) संक्रमित व्यक्ति।
(d) रोगग्रस्त पादप।
उत्तर:
(a) वह सूक्ष्मजीव जो संक्रामक कारकों को एक रोगग्रस्त व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति तक ले जाता है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. न्यूमोनिया …………….. रोग का एक उदाहरण है।
2. त्वचा के अनेक रोग ……………. के द्वारा फैलते हैं।
3. प्रतिजैविक आमतौर पर जैव-रासायनिक पथ को, जो ………… की वृद्धि के लिए आवश्यक है, अवरुद्ध कर देता है।
4. वे सजीव जीव जो संक्रामक कारक हों एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक ले जाते हैं, उन्हें ………… कहते हैं।
5. …………….. रोग बहुत दिन तक लगातार बने रहते हैं और शरीर पर इनका …………….. बना रहता हैं।
6. ……………. रोग कुछ दिन तक रहता है तथा शरीर पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं छोड़ता।
7. …………….. शब्द शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कार्य सुचारु और सुखद प्रकार से पूरा करने को परिभाषित करता है।
8. हैजा एक ……………. रोग है। (2019)
9. रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी से …………….. होता है। (2019)
उत्तर:

  1. संचरणीय
  2. कवक
  3. जीवाणु
  4. वेक्टर
  5. दीर्घकालिक, प्रभाव
  6. तीव्र (प्रचण्ड)
  7. स्वास्थ्य
  8. संचरित (संक्रामक)
  9. एनीमिया।

सही जोड़ी बनाना
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं image 1
उत्तर:

  1. → (iii)
  2. → (iv)
  3. → (v)
  4. → (i)
  5. → (ii).

सत्य/असत्य कथन

1. उच्च रक्तचाप (दाब), अधिक वजन व व्यायाम के न करने के कारण होता है।
2. आनुवंशिक अपसामान्यताओं के कारण कैंसर होता है।
3. अम्लीय भोजन खाने के कारण पेप्टिक व्रण (अल्सर) होता है।
4. एक्ने स्टेफाइलोकोकाई के कारण नहीं होता है।
5. स्वस्थ शरीर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के अन्दर किसी प्रकार की कोई संरचनात्मक एवं . कार्यात्मक अनियमितता न हो।
6. कॉलेरा एक संक्रामक रोग (बीमारी) है।
उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. सत्य
  6. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
HIV का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
Human Immuno Deficiency Virus.

प्रश्न 2.
AIDS का पूरा नाम लिखिए। (2019)
उत्तर:
Acquired Immuno Deficiency Syndrome.

प्रश्न 3.
एक संक्रामक रोग का नाम बताइए। (2018)
उत्तर:
हैजा।

प्रश्न 4.
प्रदूषित जल के कारण होने वाले किसी रोग का नाम लिखिए।
उत्तर:
पीलिया।

प्रश्न 5.
T.B. के रोगाणु का नाम लिखिए।
उत्तर:
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस।

प्रश्न 6.
उस विषाणु का नाम लिखिए जिसके कारण AIDS फैलता है।
उत्तर:
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस।

प्रश्न 7.
टीकाकरण की खोज किसने की? (2018)
उत्तर:
एडवर्ड जेनर।

प्रश्न 8.
हेपेटाइटिस में हमारे शरीर का कौन-सा अंग प्रभावित होता है? (2019)
उत्तर:
यकृत।

प्रश्न 9.
टी.बी. रोग के उपचार के लिए किसका टीका लगाया जाता है? (2019)
उत्तर:
बी. सी. जी.।

MP Board Solutions

MP Board Class 9th Science Chapter 13 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संक्रामक या संचरणीय रोग किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संक्रामक या संचरणीय रोग:
“जो रोग वायु, जल, भोजन या कीटों के माध्यम द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं, संक्रामक या संचरणीय रोग कहलाते हैं।”
उदाहरण:
हैजा, टी. बी., फ्लू आदि।

प्रश्न 2.
असंक्रामक या असंचरणीय रोग किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
असंक्रामक या असंचरणीय रोग:
जो रोग संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में नहीं फैलते, वे असंक्रामक या असंचरणीय रोग कहलाते हैं।
उदाहरण:
रक्त दाब (चाप), हृदय रोग, कैंसर आदि।

प्रश्न 3.
AIDS रोग क्या होता है?
उत्तर:
AIDS:
“एक ऐसा रोग जो AIDS के वायरस HIV द्वारा फैलाया जाता है तथा जिससे शरीर का प्रतिरक्षण संस्थान निष्क्रिय हो जाता है, एड्स (AIDS) कहलाता है।”

प्रश्न 4.
AIDS कैसे फैलता है?
उत्तर:
AIDS फैलने का कारण:
जब AIDS के वायरस HIV शरीर में किसी प्रकार प्रवेश कर जाते हैं तो वे तेजी से प्रतिरक्षण संस्थान को निष्क्रिय कर देते हैं। यह रोग असुरक्षित यौन सम्बन्धों एवं संक्रमित सुई के प्रयोग के कारण होता है।

प्रश्न 5.
बच्चों को टीका लगवाना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
बच्चों को टीका लगवाने की आवश्यकता:
बच्चों के अन्दर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए टीका लगवाना आवश्यक है जिससे वे नीरोग एवं स्वस्थ रह सकें।

प्रश्न 6.
टायफॉइड एवं संक्रामक रोग किसके कारण होते हैं?
उत्तर:

  1. टायफॉइड साल्मोनेला टाइफी के कारण होते हैं।
  2. संक्रामक रोग सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं।

प्रश्न 7.
हेपेटाइटिस क्या है?
उत्तर:
हेपेटाइटिस:
“पीलिया के समान वायरस से फैलने वाला यकृत रोग हेपेटाइटिस कहलाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
प्रोटोजोआ प्राणियों के कारण होने वाले दो रोगों के नाम लिखिए। उनके कारक जीवों के नाम बताइए।
उत्तर:
रोग का नाम      कारक का नाम
1.  मलेरिया          प्लाज्मोडियम
2.  कालाजार       लीशमैनिया

प्रश्न 9.
पेक्टिक व्रण किस जीवाणु के द्वारा होता है? प्रथम बार इस रोगजनक को किसने खोजा था?
उत्तर:

  1. जीवाणु का नाम: हेलिकोबैक्टर पाइलोरी।
  2. खोजकर्ता का नाम: मार्शल तथा वॉरेन।

प्रश्न 10.
प्रतिजैविक क्या है? कोई दो उदाहरण दीजिए। (2019)
उत्तर:
प्रतिजैविक:
“जीवाणुओं को नष्ट करने वाला वह रासायनिक पदार्थ जो सूक्ष्मजीवी से स्रावित होता है तथा रोगजनक को नष्ट कर देता है, प्रतिजैविक कहलाता है।
उदाहरण:

  1. पैनिसिलीन
  2. स्ट्रैप्टोमाइसिन।

प्रश्न 11.
टीका (वैक्सीन) की पहली बार खोज किसने की थी ? ऐसे दो रोगों के नाम लिखिए जिनका उपचार टीकाकरण से किया जा सके।
उत्तर:
टीका (वैक्सीन) के खोजकर्ता का नाम – एडवर्ड जेनर।
टीकाकरण से उपचारित रोगों के नाम –

  1. चेचक
  2. पोलियो।

प्रश्न 12.
सूक्ष्मजीवी के उन दो वर्णों के नाम लिखिए जिनसे प्रतिजैविक प्राप्त किये जा सकें।
उत्तर:
एण्टीजैविक के स्रोत सूक्ष्मजीवी:

  1. जीवाणु
  2. कवक।

प्रश्न 13.
वेक्टरों से फैलने वाले तीन रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वेक्टरों से फैलने वाले रोग:

  1. मलेरिया
  2. डेंगू
  3. कालाजार।

प्रश्न 14.
प्रतिरक्षा तन्त्र हमारे स्वास्थ्य के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तन्त्र एक प्रकार की सुरक्षा प्रणाली है जो रोगजनक सूक्ष्मजीवों के साथ लड़ता है। इसकी कोशिकाएँ संक्रामक सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने के लिए विशेषित होती हैं तथा इस तरह हमारे शरीर को स्वस्थ रखती हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 15.
एक ही वातावरण (आस-पास) में रहने वाले कुछ बच्चे अन्य बच्चों की अपेक्षा बहुधा बीमार रहते हैं, क्यों?
उत्तर:
दुर्बल प्रतिरक्षा तन्त्र के कारण कुछ बच्चे अन्य बच्चों की अपेक्षा बहुधा बीमार रहते हैं और यह सन्तुलित आहार और समुचित पोषण के अभाव के कारण होता है।

प्रश्न 16.
विषाणु रोगों के लिए प्रतिजैविक प्रभावी क्यों नहीं होते?
उत्तर:
प्रतिजैविक आमतौर पर जैव-संश्लेषित पथ को अवरुद्ध कर देते हैं तथा वे सूक्ष्मजीवों (जीवाणुओं) का पथ अवरुद्ध कर देते हैं यद्यपि विषाणुओं के पास अपने बहुत कम जैव-रासायनिक तन्त्र होते हैं। अतः ये प्रतिजैविक से अप्रभावित रहते हैं।

MP Board Class 9th Science Chapter 13 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए –
(a) तीव्र रोग
(b) दीर्घकालिक रोग
(c) संक्रामक रोग
(d) असंक्रामक रोग।
उत्तर:
(a) तीव्र रोग:

  1. विषाणु ज्वर
  2. फ्लू

(b) दीर्घकालिक रोग:

  1. फीलपाँव,
  2. तपेदिक (टी. बी.)

(c) संक्रामक रोग:

  1. चेचक
  2. हैजा।

(d) असंक्रामक रोग:

  1. मधुमेह
  2. घेघा (गोइटर)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रोगों से कौन-से अंग प्रभावित होते हैं?
(a) हेपेटाइटिस से प्रभावित अंग
(b) दौरा या अर्द्ध चेतनावस्था से प्रभावित अंग
(c) न्यूमोनिया से प्रभावित अंग
(d) कवक से प्रभावित अंग।
उत्तर:
(a) हेपेटाइटिस से प्रभावित अंग: यकृत
(b) दौरा (अर्द्ध चेतनावस्था) से प्रभावित अंग: मस्तिष्क
(c) न्यूमोनिया से प्रभावित अंग: फुफ्फुस (फेफड़े)
(d) कवक से प्रभावित अंग: त्वचा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित रोगों को संक्रामक तथा असंक्रामक में वर्गीकृत कीजिए –
(a) एड्स
(b) तपेदिक
(c) हैजा
(d) उच्च रक्तचाप
(e) हृदय रोग
(f) न्यूमोनिया
(g) कैंसर।
उत्तर:
संक्रामक रोग:
(a) एड्स
(b) तपेदिक
(c) हैजा
(f) न्यूमोनिया।

असंक्रामक रोग:
(d) उच्च रक्त चाप
(e) हृदय रोग
(g) कैंसर।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
रोग से क्या तात्पर्य है? आपने कितने प्रकार के रोगों का अध्ययन किया है ? उनके उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
रोग:
“जब शरीर क क या एक से अधिक तन्त्रों के क्रियान्वयन या दिखने में शरीर में बदतर परिवर्तन आने लगे तो इस अवस्था को रोग कहते हैं।”
हमने निम्न चार प्रकार के रोगों का अध्ययन किया है –

  1. तीव्र रोग: उदाहरण-इन्फ्लु एन्जा।
  2. दीर्घकालिक: उदाहरण-तपेदिक (टी. बी.)
  3. संक्रामक: उदाहरण-न्यूमोनिया
  4. असंक्रामक: उदाहरण-कैंसर।

प्रश्न 5.
रोग लक्षण से आप क्या समझते हैं? दो उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रोग लक्षण:
“जब शरीर के एक या एक से अधिक तन्त्रों के क्रियान्वयन या दिखने में शरीर में बदतर परिवर्तन आने लगे तो यहाँ रोग के निश्चित अपसामान्य लक्षण हैं। मनुष्य में ये दिखाई देने वाले परिवर्तन लक्षण कहलाते हैं। लक्षण किसी विशेष रोग के सूचक हैं।”
उदाहरण:

  1. त्वचा पर विक्षत चिकन पॉक्स के लक्षण हैं।
  2. कफ फुफ्फुस संक्रमण का लक्षण है।

प्रश्न 6.
“रोग की रोकथाम उसके उपचार से बेहतर है।” इस कथन की सार्थकता दिखाने के लिए आप कौन-सी सावधानियाँ बरतेंगे?
उत्तर:
रोग की रोकथाम उसके उपचार से बेहतर है। रोग की रोकथाम के लिए हमें निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए –

  1. वातावरण को स्वच्छ बनाए रखना।
  2. रोग तथा उसके कारक के बारे में जागरूकता बनाए रखना।
  3. सन्तुलित आहार का सेवन करना।
  4. स्वास्थ्य की नियमित जाँच कराते रहना।

प्रश्न 7.
“किसी संक्रामक सूक्ष्मजीव से संक्रमित होने या उसके प्रभाव में आने का अर्थ अनिवार्य रूप से किसी रोग से ग्रस्त होना नहीं है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हमारे शरीर में प्रबल प्रतिरक्षा तन्त्र होते हुए आमतौर पर ये सूक्ष्मजीवों से लड़ते रहते हैं। हमारी कोशिकाएँ रोगजनक सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने के लिए विशेषित होती हैं। जब कोई संक्रामक सूक्ष्मजीव हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो ये कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं और यदि ये रोगजनक को दूर करने में सफल हो जाती हैं तब हम निरोग रहते हैं। अत: यदि हम संक्रामक सूक्ष्मजीव से मुक्त भी हो गए तो भी यह जरूरी नहीं कि हम रोगग्रस्त हैं।

प्रश्न 8.
किसी व्यक्ति के लिए वे कौन-सी चार बातें हैं जो उसे स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक होती हैं?
उत्तर:
एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि –

  1. उसके आस-पास का पर्यावरण स्वच्छ हो जिससे वह वायु वाहित एवं जल वाहित रोगों से बच सके।
  2. व्यक्तिगत स्वच्छता का सदैव ध्यान रखे। इससे संक्रामक रोगों से रक्षा होती है।
  3. पर्याप्त और समुचित पोषक तत्वों तथा सन्तुलित आहार का सेवन करे। इससे शरीर का प्रतिरक्षा तन्त्र सुदृढ़ होता है।
  4. विभिन्न रोगों के लिए प्रतिरक्षीकरण (टीकाकरण) करवाये, जिससे रोगों से बचा जा सके।

प्रश्न 9.
एड्स को एक सिण्ड्रोम क्यों कहा गया है, रोग नहीं?
उत्तर:
एड्स (AIDS) का कारक HIV वायरस किसी भी विधि, जैसे लैंगिक असुरक्षित यौन सम्बन्ध, रक्ताधान या संक्रमित सुई के प्रयोग द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो पूरे शरीर में फैली लसिका ग्रन्थियों तक पहुँच जाता है। विषाणु शरीर के प्रतिरक्षातन्त्र को नष्ट कर देता है और इस कारण अधिकांश मामूली संक्रमण से भी नहीं लड़ा जा सकता।

हल्की खाँसी, जुकाम न्यूमोनिया का रूप धारण कर लेता है। आन्त्र का हल्का संक्रमण रुधिर हानि के साथ भयंकर पेचिश बन सकता है। अत: एड्स के कोई विशेष रोग लक्षण नहीं हैं बल्कि यह जटिल रोग लक्षणों का परिणाम है। अतः इसे रोग नहीं, सिण्ड्रोम कहा जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 10.
संक्रामक एवं असंक्रामक रोगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2019)
उत्तर:
संक्रामक एवं असंक्रामक रोगों में अन्तर:
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं image 2

MP Board Class 9th Science Chapter 13 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शर्ते लिखिए तथा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शर्ते:
1. पोषण:
सन्तुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त आवश्यक होता है।

2. स्वास्थ्यकारी आदतें एवं जीवन शैली:
अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यकारी आदतें एवं अच्छी जीवन । शैली भी अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। जैसे –

  • शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखना, नित्य स्नान करना, ब्रुश करना, स्वच्छ कपड़े पहनना, खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोना।
  • भोजन, जल एवं अन्य खाद्य पदार्थों को ढककर रखना, रसोई के बर्तनों को साफ रखना।
  • प्रदूषण रहित वातावरण बनाए रखना।
  • घर, नालियाँ एवं आस-पास सफाई रखना तथा कूड़ा-करकट एकत्रित न होने देना।
  • धूम्रपान, तम्बाकू, शराब एवं अन्य मादक पदार्थों का सेवन न करना आदि।

3. व्यायाम एवं विश्राम:
अच्छे स्वास्थ्य के लिये नियमित व्यायाम अत्यन्त आवश्यक है। माँसपेशियों की थकान मिटाने के लिए यथासमय विश्राम की भी आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
कारण सहित व्याख्या कीजिए –
1. स्वस्थ शरीर को बनाए रखने के लिए सन्तुलित आहार करना आवश्यक होता है।
2. किसी प्राणी का स्वास्थ्य उसके आसपास के पर्यावरण की अवस्थाओं पर आश्रित होता है।
3. हमारा स्वास्थ्य हमारे आसपास के पर्यावरण की अवस्थाओं पर आश्रित होता है।
4. सामाजिक मेलजोल की भावना तथा अच्छी आर्थिक स्थिति अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
उत्तर:

1. भोजन शरीर की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है। सन्तुलित आहार शरीर को उचित मात्रा में आवश्यक सामग्री यथा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, खनिज लवण तथा विटामिन प्रदान करता है। प्रोटीन शरीर की वृद्धि एवं विकास तथा टूट-फूट की मरम्मत के लिए आवश्यक है। कार्बोहाइड्रेट्स एवं वसा शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। खनिज लवण एवं विटामिन शरीर को स्वस्थ एवं निरोग रखने में सहायक हैं तथा विभिन्न जैव-रासायनिक क्रियाओं के लिए उत्तरदायी हैं।

2. स्वास्थ्य वह अवस्था है जिसके अन्तर्गत शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कार्य समुचित क्षमता द्वारा उचित प्रकार से किया जा सके तथा ये स्थितियाँ हमारे आस-पास के पर्यावरण पर निर्भर करती हैं। यदि क्षेत्र का वातावरण दूषित है तो हम संक्रमित या बीमार हो सकते हैं।

3. हमारा स्वास्थ्य हमारे आस-पास के पर्यावरण की अवस्थाओं पर आश्रित होता है ऐसा इसलिए कि अनेक जल वाहित बीमारियों के रोगजनक तथा रोगवाहक कीट (वेक्टर) रुके हुए जल में पनपते हैं और मनुष्यों में बीमारियाँ फैलाते हैं।

4. मनुष्य जिस समुदाय में, गाँव या शहर में रहता है वहाँ के सामाजिक और भौतिक पर्यावरण को निर्धारित करता है तथा दोनों में साम्य रखना होता है। जन-स्वच्छता व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। अच्छे जीवन-यापन के लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है। स्वस्थ शरीर बनाए रखने के लिए हमें अच्छे भोजन की आवश्यकता होती है और इसके लिए हमें अधिक धन कमाना चाहिए। रोगों के उपचार के लिए भी अच्छी आर्थिक स्थिति होनी चाहिए।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
संक्रामक रोग फैलने की कोई पाँच विधियाँ लिखिए। (2018)
उत्तर:
संक्रामक रोग फैलने की विधियाँ:

  1. संक्रमित व्यक्ति के रक्त का स्वस्थ मनुष्य में आधान करना।
  2. संक्रमित, सुई, ब्लेड, रेजर एवं अन्य उपकरणों का उपयोग करना।
  3. संक्रमित व्यक्ति के अधिक सम्पर्क में रहना और उसके कक्ष की सफाई का ध्यान न रखना।
  4. रोगी के मलमूत्र, थूक एवं गंदगी के द्वारा।
  5. प्रदूषित वायु, जल एवं खाद्य पदार्थों का सेवन करना।
  6. मक्खी, मच्छर आदि वाहकों के द्वारा।

प्रश्न 4.
सामान्य बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए कोई पाँच सुझाव दीजिए। (2018)
उत्तर:
सामान्य बीमारियों को फैलने से रोकने के सुझाव:

  1. स्वच्छता: अपने शरीर, घर एवं आस-पास की स्वच्छता को बनाए रखना।
  2. जल एवं अन्य खाद्य पदार्थों को उचित तरीके से ढककर रखना एवं रसोई की स्वच्छता को बनाए रखना।
  3. मक्खी, मच्छरों आदि से बचाव के उपाय अपनाना।
  4. उचित एवं समयानुकूल टीकाकरण कराना।
  5. जल एवं वायु प्रदूषण को नियन्त्रित करना।
  6. धूम्रपान, तम्बाकू सेवन एवं मदिरापान आदि से बचना।

MP Board Class 9th Science Solutions

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 17 भारत में उद्योगों की स्थिति

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 17 भारत में उद्योगों की स्थिति

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
लघु औद्योगिक इकाइयों की अधिकतम विनियोग सीमा है
(i) 1 करोड़ रुपये
(ii) 5 करोड़ रुपये
(iii) 3 करोड़ रुपये
(iv) 7 करोड़ रुपये।
उत्तर:
(ii) 5 करोड़ रुपये

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
विश्व में कुल जूट उत्पादन का भारत में पैदा होता है
(i) 25 प्रतिशत
(ii) 10 प्रतिशत
(iii) 50 प्रतिशत
(iv) 35 प्रतिशत।
उत्तर:
(iii) 50 प्रतिशत

प्रश्न 3.
इनमें से किसका सम्बन्ध सूचना प्रौद्योगिकी से है?
(i) मोटर कार
(ii) सुन्दर कपड़े
(iii) कम्प्यू टर
(iv) सोना चाँदी।
उत्तर:
(iii) कम्प्यू टर

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में काँच निर्मित वस्तुओं का निर्यात किन देशों में किया जाता है?
उत्तर:
भारत में निर्मित काँच से बनी वस्तुओं का निर्यात पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, कुवैत, ईरान, इराक, सऊदी अरब, म्यांमार व मलेशिया आदि देशों में किया जाता है।

प्रश्न 2.
भारत में असली रेशम उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?
उत्तर:

  1. कश्मीर घाटी
  2. पूर्वी कर्नाटक व तमिलनाडु के पठारी व पहाड़ी क्षेत्र
  3. पश्चिमी बंगाल का हुगली क्षेत्र
  4. असम का पर्वतीय भू-भाग।

प्रश्न 3.
भारत में उत्पादित लाख के.प्रमुख ग्राहक देश कौन से हैं?
उत्तर:
भारत की लाख के प्रमुख ग्राहक चीन, अमेरिका, रूस और ब्रिटेन हैं। इसके अलावा जर्मनी, ब्राजील, इटली, फ्रांस तथा जापान हैं।

प्रश्न 4.
कृषि आधारित उद्योग कौन से हैं? (2008, 13)
उत्तर:
वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, कागज उद्योग, पटसन उद्योग, वनस्पति उद्योग कृषि पर आधारित उद्योग हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 5.
देश में स्थापित सीमेण्ट कारखानों की उत्पादन क्षमता कितनी है?
उत्तर:
वर्तमान में देश में 190 बड़े सीमेण्ट कारखाने हैं जिनकी उत्पादन क्षमता 324.5 मिलियन टन है। इसके अलावा देश में 360 लघु सीमेण्ट कारखाने हैं जिनकी उत्पादन क्षमता 11.10 मिलियन टन है।

प्रश्न 6.
भारत में रेशम उत्पादन की दृष्टि से कौन से राज्य महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
भारत में असली रेशम उत्पादन के चार प्रमुख क्षेत्र हैं-

  1. कश्मीर घाटी
  2. पूर्वी कर्नाटक व तमिलनाडु के पठारी व पहाड़ी क्षेत्र
  3. पश्चिमी बंगाल का हुगली क्षेत्र
  4. असम का पर्वतीय भू-भाग।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में विभिन्न उद्योगों को किन-किन आधारों पर वर्गीकृत किया गया है? समझाइए।
उत्तर:
उद्योगों को हम उनके स्वामित्व, उपयोगिता, आकार, माल की प्रकृति एवं कच्चे माल की उपलब्धता के आधार पर विभिन्न भागों में बाँट सकते हैं। जैसा कि नीचे दिये गये चार्ट से स्पष्ट है –
उद्योगों का वर्गीकरण
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 17 भारत में उद्योगों की स्थिति - 1
प्रश्न 2.
भारत के प्रमुख कुटीर उद्योगों की स्थिति का विवरण दीजिए। (2009, 14)
उत्तर:
भारत के प्रमुख कुटीर उद्योग
रेशम उद्योग :
रेशम एक कृषि आधारित उद्योग है और भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए यह एक उपयुक्त उद्योग है। यह गाँव एवं श्रम आधारित उद्योग है, जो न्यूनतम निवेश पर अधिकतम लाभ की वापसी देता है। विश्व में भारत दूसरा बड़ा रेशम उत्पादक है और विश्व के कुल कच्चे रेशम उत्पादन का 18 प्रतिशत पूरा करता है। इस उद्योग में 78.50 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जिसमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। इस उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सन् 1949 में केन्द्रीय रेशम बोर्ड की स्थापना की गई।

लाख उद्योग :
भारत लाख का प्रमुख उत्पादक राष्ट्र है। सन् 1950 से पहले केवल भारत में ही लाख साफ की जाती थी, परन्तु अब थाईलैण्ड में भी यह काम होता है। इसका भारत के लाख उद्योग पर प्रभाव पड़ा है। पहले विश्व की 85 प्रतिशत लाख भारत में तैयार होती थी, जो वर्तमान में घटकर 50 प्रतिशत रह गई है। भारत में लाख का सबसे अधिक उत्पादन छोटा नागपुर पठार में होता है। यहाँ देश का 50 प्रतिशत उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, गुजरात व उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला लाख के प्रमुख उत्पादक केन्द्र हैं। इस उद्योग से लगभग 10,000 लोगों को रोजगार प्राप्त है।

काँच उद्योग :
कुटीर उद्योग के रूप में यह उद्योग प्रमुख रूप से फिरोजाबाद व बेलगाँव में केन्द्रित हैं। फिरोजाबाद में काँच के 225 से भी अधिक छोटे-बड़े कारखाने हैं काँच की विभिन्न प्रकार की चूड़ियाँ बनाई जाती हैं। एटा, शिकोहाबाद, फतेहाबाद व हाथरस में भी यह उद्योग कुटीर उद्योग के रूप में संचालित हैं।

प्रश्न 3.
भारत में चर्म उद्योग में किन वस्तुओं का निर्माण होता है?
उत्तर:
यह एक पारम्परिक उद्योग है। चमड़े से कई प्रकार की वस्तुएँ; जैसे-कोट, जर्सी, पर्स, बटुए, थैले, खेल का सामान, खिलौने, कनटोपं, बेल्ट, दस्ताने, जूते व चप्पल आदि बनाये जाते हैं। देश में चमड़े की वस्तुओं का सर्वाधिक उत्पादन तमिलनाडु, कोलकाता, कानपुर, मुम्बई, औरंगाबाद, कोल्हापुर, देवास, जालंधर और आगरा में होता है। चमड़े की वस्तुओं के उत्पादन का 75 प्रतिशत भाग लघु और कुटीर उद्योगों द्वारा उत्पादित किया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
भारत में कागज उद्योग की स्थिति समझाइए।
उत्तर:
कागज उद्योग-भारत में कुटीर उद्योग के अन्तर्गत कागज-निर्माण का इतिहास पुराना है। भारत में आधुनिक ढंग की पहली कागज मिल बालीगंज (कोलकाता) में 1870 में स्थापित की गयी। देश में पहला अखबारी कागज उद्योग मध्य प्रदेश के नेपानगर में 1947 में स्थापित किया गया था। कागज बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में लकड़ी की लुग्दी, घास, बाँस, कपड़े व चिथड़े, जूट आदि का प्रयोग होता है। भारत के कागज उद्योग को विश्व के 20 बड़े कागज उद्योगों में से गिना जाता है। यहाँ 16,000 करोड़ रुपये का उत्पादन होता है, प्रत्यक्ष रूप से 3 लाख और परोक्ष रूप से 10 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। भारत में प्रति व्यक्ति कागज की खपत सिर्फ 7-2 किलोग्राम है जोकि विश्व औसत (50 किग्रा) से बहुत कम है।

भारत में कागज के प्रमुख उत्पादक राज्य आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा केरल हैं।

प्रश्न 5.
भारत में काँच उद्योग पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
काँच उद्योग-काँच उद्योग भारत का प्राचीन उद्योग है, किन्तु भारत में विकसित काँच उद्योग की शुरूआत द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् ही सम्भव हो सकी। वर्तमान में इस उद्योग में आधुनिक एवं नवीनतम तकनीकों से काँच का उत्पादन किया जा रहा है। देश में इस समय काँच के 56 बड़े कारखानों में से 15 ऐसे आधुनिक कारखाने हैं, जो उत्तम किस्म के काँच के सामान का निर्माण पूर्णतः मशीनों द्वारा करते हैं।

आधुनिक उद्योग के रूप में यह उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु व ओडिशा में केन्द्रित हैं। देश में काँच बनाने के सबसे अधिक कारखाने पश्चिम बंगाल में हैं। कुटीर उद्योग के रूप में यह उद्योग प्रमुख रूप से फिरोजाबाद व बेलगाँव में केन्द्रित है।

प्रश्न 6.
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग भारत का सबसे तेज बढ़ता हुआ उद्योग है। समझाइए। (2008, 09, 13, 14)
उत्तर:
सूचना एवं प्रौद्योगिकी उद्योग :
सूचना एवं प्रौद्योगिकी उद्योग से आशय उस उद्योग से है, जिसमें कम्प्यूटर और उसके सहायक उपकरणों की सहायता से ज्ञान का प्रसार किया जाता है। इसके अन्तर्गत कम्प्यूटर, संचार, प्रौद्योगिकी और सम्बन्धित सॉफ्टवेयर को शामिल किया जाता है। इसके अन्तर्गत उस सम्पूर्ण व्यवस्था को शामिल किया जाता है, जिसके द्वारा संचार माध्यम और उपकरणों की सहायता से सूचना पहुँचाई जाती है। यह ज्ञान आधारित उद्योग है। वर्ष 2000-01 में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 33,138 करोड़ रुपये था जो 2008-09 में बढ़कर 2,35,300 करोड़ रुपये पहुँच गया। भारत में सकल घरेलू उत्पाद में उद्योग का योगदान वर्ष 1999-2000 में 1.2 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2013 में 8 प्रतिशत हो गया है। इससे ज्ञात होता है कि यह उद्योग भारत का सबसे तेज गति से बढ़ता हुआ उद्योग है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में वृहद् उद्योगों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में वृहद् उद्योग
सूती वस्त्र उद्योग :
भारत में सूती वस्त्रों की अत्यन्त पुरानी परम्परा है। देश की प्रथम सूती कपड़ा मिल सन् 1818 में कोलकाता में स्थापित की गई थी। देश की सूती कपड़ा मिलें मुख्य रूप से महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात में हैं। यह उद्योग भारत का सबसे बड़ा एवं व्यापक उद्योग है। देश के औद्योगिक उत्पादन में इसका योगदान 14 प्रतिशत है, जबकि देश के कुल निर्यात आय में इसका हिस्सा 19 प्रतिशत है। आयात में इसका हिस्सा 3 प्रतिशत है। यह उद्योग लगभग 9 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहा है। इस उद्योग में लगभग 5,000 करोड़ रुपये की पूँजी लगी है। सरकार ने कपड़ा आदेश (विकास एवं विनिमय)1993 के माध्यम से कपड़ा उद्योग को लाइसेन्स मुक्त कर दिया।

लोहा तथा इस्पात उद्योग :
लोहा-इस्पात उद्योग देश का एक आधारभूत उद्योग है। विनियोग की दृष्टि से यह संगठित क्षेत्र के सबसे महत्त्वपूर्ण एवं विशालतम उद्योगों में से एक है।

भारत में यह उद्योग अति प्राचीन है लेकिन आधुनिक तरीके से लोहे का उत्पादन 1875 में आरम्भ हुआ, जब बंगाल आयरन वर्क्स कम्पनी ने कुल्टी (पश्चिम बंगाल) में अपने संयन्त्र की स्थापना की। परन्तु बड़े पैमाने पर उत्पादन 1907 में जमशेदपुर में टाटा आयरन इण्डस्ट्रीज कम्पनी (टिस्को) की स्थापना के साथ आरम्भ हुआ। भारत में कुल 10 कारखाने हैं जिसमें से 9 सार्वजनिक क्षेत्र में एवं केवल एक निजी क्षेत्र (टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, जमशेदपुर, पश्चिमी बंगाल) में है। सार्वजनिक क्षेत्र के कारखाने भिलाई, दुर्गापुर, राउरकेला, बोकारो, विशाखापट्टनम् एवं सलेम में है।

इस समय देश में 196 लघु इस्पात संयन्त्र हैं। इनमें से 179 इकाइयाँ चालू हैं तथा शेष बन्द हैं। वर्तमान में इस उद्योग में 90,000 करोड़ रुपये की पूँजी लगी है तथा इसमें 5 लाख लोगों को रोजगार प्राप्त है।

जूट उद्योग :
वर्ष 1859 में कलकत्ता के निकट पहली जूट मिल स्थापित हुई थी। इस उद्योग में करीब – 4 लाख श्रमिकों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है। भारत की 90% जूट मिलें पश्चिम बंगाल में कोलकाता के समीप हुगली नदी के किनारे स्थित हैं। इस राज्य की जलवायु तथा उपजाऊ भूमि जूट-उत्पादन के अनुकूल है। देश में 83 पटसन मिलें हैं जिनमें से 6 कपड़ा मन्त्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राष्ट्रीय पटसन उत्पाद निगम की हैं। पटसन उत्पादनों का वार्षिक निर्यात 1400-1500 करोड़ रुपये के बीच है। घरेलू खपत और निर्यात का अनुपात 80 : 20 हैं।

चीनी उद्योग :
चीनी उद्योग के विकास का प्रारम्भ 1903 से होता है और 1931 में भारत में चीनी बनाने के 29 कारखाने स्थापित हो गये थे 1950-51 में इनकी संख्या बढ़कर 139 हो गयी थी 1995 में भारत में 435 कारखाने थे जिनकी स्थापना मुख्यतः गन्ना उत्पादक क्षेत्रों या उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में ही की गयी थी। चूंकि गन्ना शीघ्र ही सूख जाता है, इसलिए इसको शीघ्रता से कारखानों तक पहुंचाने एक अनिवार्यता होती है।

सीमेण्ट उद्योग :
भारत में संगठित रूप से समुद्री सीपियों से सीमेण्ट तैयार करने का प्रथम कारखाना सन् 1904 में मद्रास में स्थापित किया गया था, लेकिन वह असफल हो गया। इसके पश्चात् 1913 में टाटा एण्ड सन्स कम्पनी के निर्देशन में पोरबन्दर (गुजरात) में इण्डियन सीमेण्ट कम्पनी लिमिटेड की स्थापना की गयी जिसकी सफलता से प्रेरित होकर सन् 1914 तक देश में 5 सीमेण्ट कारखाने स्थापित किये गये, जिनका कुल उत्पादन 76 हजार टन वार्षिक था।

वर्तमान स्थिति-वर्तमान में 190 बड़े सीमेण्ट संयन्त्र हैं, जिनकी संस्थापित क्षमता करीब 324.5 मिलियन टन है। इसके अलावा देश में करीब 360 लघु सीमेण्ट संयन्त्र भी हैं जिनकी अनुमानित क्षमता 11-10 मिलियन टन है। वर्तमान समय में सीमेण्ट उद्योग में 800 करोड़ रुपये से भी अधिक पूँजी विनियोजित है तथा तीन लाख लोगों को रोजगार प्राप्त है। मार्च 1989 से सीमेण्ट उद्योग को मूल्य तथा विक्रय से नियन्त्रण मुक्त करने और उदार नीतियाँ अपनाये जाने के कारण इसमें उत्पादन वृद्धि के साथ-साथ तकनीक क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

सूचना एवं प्रौद्योगिकी उद्योग :
सूचना एवं प्रौद्योगिकी उद्योग से आशय उस उद्योग से है, जिसमें कम्प्यूटर और उसके सहायक उपकरणों की सहायता से ज्ञान का प्रसार किया जाता है। इसके अन्तर्गत कम्प्यूटर, संचार, प्रौद्योगिकी और सम्बन्धित सॉफ्टवेयर को शामिल किया जाता है। इसके अन्तर्गत उस सम्पूर्ण व्यवस्था को शामिल किया जाता है, जिसके द्वारा संचार माध्यम और उपकरणों की सहायता से सूचना पहुँचाई जाती है। यह ज्ञान आधारित उद्योग है। वर्ष 2000-01 में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 33,138 करोड़ रुपये था जो 2008-09 में बढ़कर 2,35,300 करोड़ रुपये पहुँच गया। भारत में सकल घरेलू उत्पाद में उद्योग का योगदान वर्ष 1999-2000 में 1.2 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2013 में 8 प्रतिशत हो गया है। इससे ज्ञात होता है कि यह उद्योग भारत का सबसे तेज गति से बढ़ता हुआ उद्योग है।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा क्या-क्या प्रयास किये गये हैं? लिखिए। (2008)
उत्तर:
लघु उद्योगों के विकास के लिए किये गये सरकारी प्रयास
(1) निगमों एवं मण्डलों की स्थापना केन्द्रीय सरकार ने विभिन्न निगमों एवं मण्डलों की स्थापना की है। इनसे कुटीर व लघु उद्योगों के विकास को बहुत प्रोत्साहन मिला है। इनमें –

  • अखिल भारतीय कुटीर उद्योग मण्डल, 1948
  • केन्द्रीय सिल्क बोर्ड 1950
  • अखिल भारतीय हस्तकला बोर्ड 1952
  • अखिल भारतीय हथकरघा बोर्ड, 1952
  • अखिल भारतीय खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, 1953
  • लघु उद्योग मण्डल, 1954
  • नारियल-जूट मण्डल, 1954
  • राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम, 1955, तथा
  • भारतीय दस्तकारी विकास निगम, 1958 आदि प्रमुख हैं। ये अखिल भारतीय संस्थाएँ अपने-अपने क्षेत्रों में उद्योगों के विकास हेतु राज्य सरकारों एवं उद्योग संगठनों के सहयोग से तकनीकी शिक्षा, विपणन सुविधाओं तथा वस्तुओं के प्रमापीकरण की व्यवस्था कर रही है।

(2) वित्तीय सहायता :
लघु कुटीर उद्योगों को पूँजी तथा अन्य आर्थिक सहायता प्रदान करने के क्षेत्र में भी सरकार ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकार द्वारा जिन साधनों से लघु एवं कुटीर उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान कराई गई है, वे निम्न हैं –

  • स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा ऋण योजना चालू करना।
  • रिजर्व बैंक द्वारा गारण्टी की योजना चालू करना।
  • राज्य वित्त निगमों द्वारा ऋण प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम द्वारा किराया क्रय पद्धति के आधार पर यन्त्रों के खरीदने की सुविधाएँ प्रदान किया जाना।
  • सहकारी बैंकों और अनुसूचित बैंकों द्वारा ऋण की सहायता प्रदान करना।
  • राज्य सरकारों द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान करना।

(3) व्यापक सहायता कार्यक्रम :
भारत सरकार ने छोटे उद्यमियों की सहायतार्थ हेतु एक व्यापक सहायता कार्यक्रम बनाया है। लघु उद्योग विकास संगठन (SIDO) के अन्तर्गत लघु उद्योग सेवा संस्थान, शाखा संस्थान एवं विस्तार केन्द्र हैं, जिनके द्वारा आर्थिक, तकनीकी व प्रबन्धकीय सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। राज्यों के उद्योग निदेशालय भूमि या फैक्ट्री शेड आबंटित करते हैं तथा इनके लिए कच्चा माल तथा पूँजी उपलब्ध कराने में सहायता देते हैं।

(4) सरकार द्वारा क्रय में प्राथमिकता :
सरकार ने स्वयं भी लघु उद्योगों से अधिक मात्रा में वस्तुएँ क्रय करके उनके विकास में सहायता दी है। सरकार कुछ वस्तुओं का क्रय पूर्ण रूप से लघु उद्योगों से करती है।

(5) दुर्लभ कच्चे माल का आबंटन :
सरकार दुर्लभ देशी तथा विदेशी कच्चे माल के आबंटन में लघु उद्योगों के हितों का विशेष ध्यान रखती है और उन्हें प्राथमिकता देती है। 1991 की नई आयात नीति में सरकार द्वारा लघु इकाइयों को आयात लाइसेंस देने में अधिक उदारता बरती गई थी। अब इन्हें 5 लाख रुपये तक के आयात के लाइसेंस स्वतन्त्र विदेशी मुद्रा से प्राप्त हो सकेंगे।

(6) सम्मिलित उत्पादन कार्यक्रम :
सरकार ने बड़े तथा लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए एक सम्मिलित उत्पादन कार्यक्रम की योजना बनाई है। इस योजना के अनुसार लघु उद्योगों का उत्पादन क्षेत्र सीमित रखा गया है। बड़े उद्योगों की उत्पादन क्षमता में विस्तार पर रोक लगाने की व्यवस्था है। बड़े उद्योगों पर उत्पादन कर लगाया जाता है जबकि, लघु व कुटीर उद्योगों के उत्पादन को कर-मुक्त रखा गया है। बड़े उद्योगों से प्राप्त उत्पादन कर को लघु व कुटीर उद्योगों के विकास पर खर्च किया जाता है तथा अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण में आदान-प्रदान का समन्वय स्थापित किया जाता है।

(7) विपणन सम्बन्धी सुविधाएँ :
केन्द्र सरकार ने एक केन्द्रीय कुटीर उद्योग एम्पोरियम की स्थापना की है जो देश-विदेश में कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं के विक्रय की व्यवस्था करता है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, असम, जम्मू कश्मीर तथा तमिलनाडु आदि राज्यों में भी कुटीर उद्योग एम्पोरियम स्थापित किये गये हैं। औद्योगिक सहकारी संस्थाओं द्वारा निर्यात एवं थोक बाजार में इसकी विक्रय व्यवस्था करने के लिए सन् 1966 में औद्योगिक सहकारी संस्थाओं का महासंघ स्थापित किया गया था।

(8) तकनीकी सहायता :
लघु उद्योगों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए केन्द्रीय सरकार ने केन्द्रीय लघु उद्योग संगठन के अधीन एक औद्योगिक विस्तार सेवा प्रारम्भ की है। इस योजना के अन्तर्गत 28 लघु उद्योगशालाएँ, 31 प्रादेशिक सेवाशालाएँ और 37 प्रसार उत्पादन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये गये हैं। लघु उद्योगों को तकनीकी परामर्श देने के लिए विदेशी विशेषज्ञ बुलाये जाते हैं तथा फोर्ड फाउण्डेशन ऑफ इण्डिया की सहायता से भारतीय विशेषज्ञ प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजे जाते हैं।

(9) औद्योगिक बस्तियों का निर्माण :
लघु उद्योगों के विकास हेतु देश के विभिन्न भागों में औद्योगिक बस्तियाँ स्थापित की गयी हैं। इसके लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा राज्य सरकारों को ऋण दिया जाता है। इनका प्रमुख उद्देश्य उद्योगों को शहरी क्षेत्रों से हटाकर उचित स्थान पर ले जाना है।

(10) जिला उद्योग केन्द्र :
इन केन्द्रों की स्थापना मई, 1978 में प्रारम्भ की गयी। इनकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण तथा अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैले छोटे और अत्यन्त छोटे ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जिला स्तर पर एक केन्द्र स्थापना करना है। इसका एक अन्य उद्देश्य पूँजी निवेश के दौरान तथा पूँजी निवेश के पश्चात् जहाँ तक सम्भव हो सभी अनिवार्य सेवाएँ और सहयोग जिला स्तर पर भी उपलब्ध कराना है। इस कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे कस्बों में ऐसे उद्योगों की स्थापना पर अधिक जोर दिया जाता है जिनसे इन इलाकों में रोजगार के ज्यादा अवसर उपलब्ध कराये जा सकें।

प्रश्न 3.
लघु एवं कुटीर उद्योगों का महत्त्व लिखिए। (2009)
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु उद्योगों का महत्त्व लिखिए। (2017)
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था में कुटीर एवं लघु उद्योगों का महत्त्व :
महात्मा गाँधी के अनुसार, “भारत का कल्याण उसके कुटीर उद्योगों में निहित है।” भारतीय योजना आयोग के अनुसार, “लघु एवं कुटीर उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण अंग हैं जिनकी कभी उपेक्षा नहीं की जा सकती।” भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु एवं कुटीर उद्योगों का महत्त्व निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट किया जा सकता है-

  • रोजगार का सृजन :
    इन उद्योगों का सबसे महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इनसे रोजगार के अधिक अवसर विकसित होते हैं, क्योंकि इन उद्योगों में प्रायः श्रम प्रधान तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इन उद्योगों में कम पूँजी लगाकर अधिक लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
  • कलात्मक वस्तुओं का निर्माण :
    कुटीर उद्योगों में अधिकांश कार्य हाथों द्वारा किया जाता है जो कलात्मक वस्तुओं को सम्भव बनाते हैं; जैसे-ऊनी, रेशमी वस्त्रों पर कढ़ाई, कालीन व गलीचों का निर्माण, हाथी दाँत का सामान आदि ऐसे कुटीर उद्योग हैं जिनसे काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है। इस प्रकार का उत्पादन वृहत् उद्योगों में सम्भव नहीं है।
  • शीघ्र उत्पादक उद्योग :
    लघु एवं कुटीर उद्योग शीघ्र उत्पादक उद्योग होते हैं आशय यह है कि इन उद्योगों में विनियोग करने और उत्पादन आरम्भ होने में अधिक समयान्तर नहीं होता।
  • आयातों में कमी :
    लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास प्रायः श्रम प्रधान तकनीक के आधार पर किया जाता है। इस कारण इन उद्योगों के विकास के लिए आयातों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है और राष्ट्र के मूल्यवान विदेशी विनिमय-भण्डारों की बचत होती है।
  • उद्योगों का विकेन्द्रीकरण :
    इन उद्योगों से देश में उद्योगों के विकेन्द्रीकरण में सहायता मिलती है। बड़े उद्योग कुछ विशेष कारणों से एक ही स्थान पर केन्द्रित हो जाते हैं, लेकिन लघु एवं कुटीर उद्योगों को गाँवों और छोटे कस्बों में भी स्थापित किया जा सकता है।
  • कम पूँजी व अधिक श्रम की स्थिति में उपयुक्त :
    भारत में पूँजी का अभाव है जबकि श्रम शक्ति का बाहुल्य है। चूँकि कुटीर उद्योग में कम पूँजी से ही काम चल जाता है और अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध हो जाता है, इसलिए भारत में कुटीर उद्योगों का विकास किया जाए तो स्त्री-श्रम का भी उपयोग हो सकेगा तथा देश की सम्पत्ति में भी वृद्धि होगी।
  • कृषकों के खाली समय का सदुपयोग :
    देश में कृषि द्वारा केवल विशेष मौसम के लिए रोजगार मिल पाता है। वर्ष में 3-4 महीने तक कृषक लोग बेकार बैठे रहते हैं। यदि कुटीर एवं लघु उद्योगों का विकास हो जाए तो इससे न केवल कृषकों के खाली समय का सदुपयोग होगा वरन् उनकी आय में वृद्धि होगी।।
  • सरल कार्य-प्रणाली :
    कुटीर उद्योगों की स्थापना तथा कार्य-प्रणाली बहुत ही सरल होती है। इनके लिए उच्च कोटि के तकनीकी विशेषज्ञों, प्रबन्धकों, विशाल भवन, विशेष प्रशिक्षण तथा विस्तृत हिसाब-किताब की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • बड़े पैमाने के उद्योगों के पूरक :
    लघु एवं कुटीर उद्योग बड़े पैमाने के उद्योगों को कच्ची सामग्री एवं अर्द्ध-निर्मित माल उपलब्ध कराते हैं। इस प्रकार इन उद्योगों का विकास बड़े पैमाने के उद्योगों के विकास .. के लिए भी आवश्यक है।
  • निर्यात व्यापार में महत्त्व :
    विगत वर्षों में हथकरघा वस्त्र, हाथी दाँत की वस्तुएँ, ताँबे व पीतल की कलात्मक बर्तन, दरियाँ, कालीन तथा गलीचे, चमड़े के जूते, सिलाई की मशीनें, बिजली के पंखे, साइकिलें आदि कुटीर व लघु उद्योगों द्वारा उत्पादित माल के निर्यात में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 2005-06 में इन उद्योगों का निर्यात में योगदान 1,50,242 करोड़ रुपये रहा है।
  • आर्थिक विकास में योगदान :
    लघु उद्यम क्षेत्र का देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है। औद्योगिक उत्पादन में 39 प्रतिशत से अधिक और राष्ट्रीय निर्यात से 33 प्रतिशत से अधिक योगदान करके इस क्षेत्र ने राष्ट्र के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भागीदारी निभाई है। अनुमान है कि इस क्षेत्र में 3 करोड़ 10 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
टिप्पणी लिखिए

  1. चमड़ा उद्योग
  2. लोहा इस्पात उद्योग(2009)
  3. सूती वस्त्र उद्योग, (2008, 09)
  4. सूचना एवं प्रौद्योगिकी।

उत्तर:
1. चमड़ा उद्योग :
यह एक पारम्परिक उद्योग है। चमड़े से कई प्रकार की वस्तुएँ; जैसे-कोट, जर्सी, पर्स, बटुए, थैले, खेल का सामान, खिलौने, कनटोपं, बेल्ट, दस्ताने, जूते व चप्पल आदि बनाये जाते हैं। देश में चमड़े की वस्तुओं का सर्वाधिक उत्पादन तमिलनाडु, कोलकाता, कानपुर, मुम्बई, औरंगाबाद, कोल्हापुर, देवास, जालंधर और आगरा में होता है। चमड़े की वस्तुओं के उत्पादन का 75 प्रतिशत भाग लघु और कुटीर उद्योगों द्वारा उत्पादित किया जाता है।

2. लोहा तथा इस्पात उद्योग एवं :
लोहा-इस्पात उद्योग देश का एक आधारभूत उद्योग है। विनियोग की दृष्टि से यह संगठित क्षेत्र के सबसे महत्त्वपूर्ण एवं विशालतम उद्योगों में से एक है।
भारत में यह उद्योग अति प्राचीन है लेकिन आधुनिक तरीके से लोहे का उत्पादन 1875 में आरम्भ हुआ, जब बंगाल आयरन वर्क्स कम्पनी ने कुल्टी (पश्चिम बंगाल) में अपने संयन्त्र की स्थापना की। परन्तु बड़े पैमाने पर उत्पादन 1907 में जमशेदपुर में टाटा आयरन इण्डस्ट्रीज कम्पनी (टिस्को) की स्थापना के साथ आरम्भ हुआ। भारत में कुल 10 कारखाने हैं जिसमें से 9 सार्वजनिक क्षेत्र में एवं केवल एक निजी क्षेत्र (टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, जमशेदपुर, पश्चिमी बंगाल) में है। सार्वजनिक क्षेत्र के कारखाने भिलाई, दुर्गापुर, राउरकेला, बोकारो, विशाखापट्टनम् एवं सलेम में है।

इस समय देश में 196 लघु इस्पात संयन्त्र हैं। इनमें से 179 इकाइयाँ चालू हैं तथा शेष बन्द हैं। वर्तमान में इस उद्योग में 90,000 करोड़ रुपये की पूँजी लगी है तथा इसमें 5 लाख लोगों को रोजगार प्राप्त है।

3. सूती वस्त्र उद्योग :
भारत में सूती वस्त्रों की अत्यन्त पुरानी परम्परा है। देश की प्रथम सूती कपड़ा मिल सन् 1818 में कोलकाता में स्थापित की गई थी। देश की सूती कपड़ा मिलें मुख्य रूप से महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात में हैं। यह उद्योग भारत का सबसे बड़ा एवं व्यापक उद्योग है। देश के औद्योगिक उत्पादन में इसका योगदान 14 प्रतिशत है, जबकि देश के कुल निर्यात आय में इसका हिस्सा 19 प्रतिशत है। आयात में इसका हिस्सा 3 प्रतिशत है। यह उद्योग लगभग 9 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहा है। इस उद्योग में लगभग 5,000 करोड़ रुपये की पूँजी लगी है। सरकार ने कपड़ा आदेश (विकास एवं विनिमय)1993 के माध्यम से कपड़ा उद्योग को लाइसेन्स मुक्त कर दिया।

4. सूचना एवं प्रौद्योगिकी :
सूचना एवं प्रौद्योगिकी उद्योग से आशय उस उद्योग से है, जिसमें कम्प्यूटर और उसके सहायक उपकरणों की सहायता से ज्ञान का प्रसार किया जाता है। इसके अन्तर्गत कम्प्यूटर, संचार, प्रौद्योगिकी और सम्बन्धित सॉफ्टवेयर को शामिल किया जाता है। इसके अन्तर्गत उस सम्पूर्ण व्यवस्था को शामिल किया जाता है, जिसके द्वारा संचार माध्यम और उपकरणों की सहायता से सूचना पहुँचाई जाती है। यह ज्ञान आधारित उद्योग है। वर्ष 2000-01 में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 33,138 करोड़ रुपये था जो 2008-09 में बढ़कर 2,35,300 करोड़ रुपये पहुँच गया। भारत में सकल घरेलू उत्पाद में उद्योग का योगदान वर्ष 1999-2000 में 1.2 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2013 में 8 प्रतिशत हो गया है। इससे ज्ञात होता है कि यह उद्योग भारत का सबसे तेज गति से बढ़ता हुआ उद्योग है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अति लघु उद्योग इकाइयों की अधिकतम विनियोग सीमा है
(i) 5 लाख रुपये
(ii) 15 लाख रुपये
(iii) 20 लाख रुपये
(iv) 25 लाख रुपये
उत्तर:
(iv) 25 लाख रुपये

प्रश्न 2.
वर्तमान में चीनी उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
(i) पहला
(ii) दूसरा
(iii) तीसरा
(iv) चौथा।
उत्तर:
(ii) दूसरा

प्रश्न 3.
विश्व में सीमेण्ट उत्पादन में भारत का कौन-सा स्थान है?
(i) तीसरा
(ii) चौथा
(iii) पाँचवाँ
(iv) छठा।
उत्तर:
(iii) पाँचवाँ

MP Board Solutions

रिक्त स्थान की पूर्ति

  1. कुटीर उद्योग सिर्फ …………. में चलाये जाते हैं।
  2. ………. उद्योग भारत का सबसे प्राचीन और प्रमुख उद्योग है।
  3. जूट के उत्पादन में भारत का विश्व में ………… स्थान है।
  4. भारत की लगभग …………. प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
  5. वर्तमान में लघु उद्योगों की वस्तुओं का देश के कुल निर्यात में ……… प्रतिशत हिस्सा है।

उत्तर:

  1. ग्रामों
  2. सूती वस्त्र
  3. पहला
  4. 58.4
  5. 35

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
देश की प्रथम सूती कपड़ा मिल सन् 1818 में कोलकाता में स्थापित की गई थी। (2014)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
जिन औद्योगिक इकाइयों में 50 लाख रुपये तक की पूँजी लगी हो उन्हें अति उद्योग की श्रेणी में रखा जाता है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
नेशनल न्यूज प्रिण्ट एण्ड पेपर मिल लिमिटेड नेपानगर (म. प्र.) में है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
भारत में लाख का सबसे अधिक उत्पादन छोटा नागपुर पठार में होता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
अनुमान है कि विश्व के चमड़े की कुल आपूर्ति का 20 प्रतिशत चमड़ा भारत में तैयार होता है।
उत्तर:
असत्य

सही.जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 17 भारत में उद्योगों की स्थिति - 2
उत्तर:

  1. →(घ)
  2. →(ग)
  3. →(क)
  4. →(ङ)
  5. →(ख)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
लोहा इस्पात उद्योग को किस वर्ष में लाइसेंस मुक्त कर दिया?
उत्तर:
1991 में

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
चीनी उत्पादन में किन दो राज्यों का महत्त्वपूर्ण स्थान है?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र

प्रश्न 3.
हथकरघा, खादी उद्योग तथा रेशम उद्योग को किस उद्योग की श्रेणी में रखा गया है?
उत्तर:
ग्राम उद्योग

प्रश्न 4.
देश में काँच बनाने के कारखाने किस राज्य में हैं?
उत्तर:
पश्चिम बंगाल

प्रश्न 5.
भारत में लाख का उत्पादन सबसे अधिक कहाँ होता है?
उत्तर:
छोटा नागपुर का पठार।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उद्योगों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
किसी देश के आर्थिक विकास में उद्योगों की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। उद्योग देश के तीव्र आर्थिक विकास में सहायक होते हैं। उद्योगों के विकास के बिना कोई राष्ट्र समृद्ध नहीं हो सकता है।

प्रश्न 2.
वृहत् उद्योग किसे कहते हैं?
अथवा
बडे पैमाने के उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
जिन उद्योगों में कारखाना अधिनियम लागू होता है अर्थात् जहाँ अधिक संख्या में श्रमिक कार्य करते हैं व अधिक मात्रा में पूँजी लगी होती है वे उद्योग वृहत् (या बड़े) उद्योग कहलाते हैं।

प्रश्न 3.
मध्यम उद्योगों से क्या आशय है?
उत्तर:
जिन औद्योगिक इकाइयों में प्लाण्ट एवं मशीनरी में पाँच से दस करोड़ रुपये तक की पूँजी लगी होती है, वे औद्योगिक इकाइयाँ मध्यम उद्योगों की श्रेणी में आती हैं। सेवा क्षेत्र वाली इकाइयों के लिए यह सीमा 5 करोड़ रुपये तक रखी गयी है। उदाहरणार्थ-चमड़ा उद्योग, रेशम उद्योग।

प्रश्न 4.
लघु उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
वर्तमान में वे सभी औद्योगिक इकाइयाँ लघु उद्योग के अन्तर्गत आती हैं जिनकी अचल सम्पत्ति, संयन्त्र एवं मशीनरी में सीमित तथा सरकार द्वारा स्वीकृत से अधिक पूँजी न लगी हो, साथ ही जिनमें कारखाना अधिनियम लागू नहीं होता।

प्रश्न 5.
कुटीर उद्योगों से क्या आशय है?
उत्तर:
कुटीर उद्योग से आशय ऐसे उद्योगों से है जो पूर्णतया या मुख्यतया परिवार के सदस्यों की सहायता से पूर्णकालिक या अंशकालिक व्यवसाय के रूप में चलाये जाते हैं। ये प्रायः ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थापित होते हैं तथा अंशकालीन रोजगार प्रदान करते हैं।

प्रश्न 6.
ग्राम उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ये उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किये जाते हैं। ग्रामीण उद्योग दो श्रेणियों में विभाजित किये जा सकते हैं-एक वे हैं जो किसानों द्वारा सहायक धन्धे के रूप में चलाये जाते हैं; जैसे-मुर्गी पालन, करघों पर बुनाई, गाय-भैंस पालन, टोकरियाँ बनाना, रेशम के कीड़े पालना, मधुमक्खियाँ पालना आदि। दूसरे वे हैं जो ग्रामीण कौशल से सम्बन्धित होते हैं; जैसे-मिट्टी के बर्तन बनाना, चमड़े के जूते बनाना, हथकरघा पर कपड़े बुनना आदि।

MP Board Solutions

प्रश्न 7.
देश की प्रथम सूती कपड़ा मिल कब और कहाँ स्थापित की गयी थी?
उत्तर:
देश की प्रथम सूती कपड़ा मिल 1818 में कोलकाता में स्थापित की गई थी।

प्रश्न 8.
सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित भारत के चार लौह-इस्पात केन्द्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:

  1. भिलाई (मध्य प्रदेश)
  2. दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल)
  3. राउरकेला (उड़ीसा)
  4. बोकारो (बिहार)।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उद्योग से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों से आशय-जब किसी एक जैसी वस्तु या सेवा का उत्पादन अनेक फर्मों के द्वारा किया जाता है तब ये सभी फर्म मिलकर उद्योग कहलाते हैं; जैसे-लोहा-इस्पात उद्योग के अन्तर्गत दुर्गापुर, राउरकेला, बोकारो तथा टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी सभी शामिल हैं।

‘उद्योग’ की परिधि में वे समस्त उपक्रम आते हैं जिनमें नियोजकों एवं नियोजितों के सहयोग से मानवीय आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं की सन्तुष्टि के लिए एक व्यवस्थित गतिविधि के रूप में वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादन का कार्य सम्पन्न किया जाता है।

प्रश्न 2.
भारत में चीनी उद्योग का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चीनी उद्योग-भारत विश्व में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। चीनी के उत्पादन में भी भारत का दूसरा स्थान है। 30 जून, 2016 तक देश में 719 चीनी कारखाने स्थापित हो चुके थे, जबकि वर्ष 1950-51 में इनकी संख्या मात्र 138 थी। स्थापित चीनी मिलों में 326 सहकारी क्षेत्र के अन्तर्गत हैं। चीनी उत्पादन जो 1950-51 में 11.3 लाख टन था, वर्ष 2016-17 में 225-21 लाख टन पहुँच गया। यह मौसमी उद्योग है, अत: इसके लिए सहकारी क्षेत्र उपयुक्त है। देश में चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 17 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उद्योग से क्या आशय है? देश के आर्थिक विकास में उद्योगों की भूमिका क्या है?
उत्तर:
उद्योगों से आशय :
उद्योगों से आशय-जब किसी एक जैसी वस्तु या सेवा का उत्पादन अनेक फर्मों के द्वारा किया जाता है तब ये सभी फर्म मिलकर उद्योग कहलाते हैं; जैसे-लोहा-इस्पात उद्योग के अन्तर्गत दुर्गापुर, राउरकेला, बोकारो तथा टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी सभी शामिल हैं।

‘उद्योग’ की परिधि में वे समस्त उपक्रम आते हैं जिनमें नियोजकों एवं नियोजितों के सहयोग से मानवीय आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं की सन्तुष्टि के लिए एक व्यवस्थित गतिविधि के रूप में वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादन का कार्य सम्पन्न किया जाता है।

आर्थिक विकास में उद्योगों की भूमिका :
किसी देश के आर्थिक विकास में उद्योगों की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। उद्योग देश के तीव्र आर्थिक विकास में सहायक होते हैं। बी.एच.येमे के अनुसार, “औद्योगीकरण व्यापक रूप में आर्थिक विकास तथा रहन-सहन की कुंजी माना जाता है। निर्माणी उद्योगों के रूप में, प्रचलित विचारधारा के अनुसार औद्योगीकरण को आर्थिक अस्थिरता एवं निर्धनता को दूर करने की संजीवनी माना गया है।” प्रो. बाइस ने कहा है, “विकास के किसी भी सुदृढ़ कार्यक्रम में औद्योगिक विकास को आवश्यक और अन्तिम रूप से एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है।” अर्थात् उद्योगों के विकास के बिना कोई देश समृद्ध नहीं हो सकता।

MP Board Class 9th Social Science Solutions