MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 2 शिक्षा

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 2 शिक्षा (निबंध, स्वामी विवेकानन्द)

शिक्षा पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

शिक्षा लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ज्ञान का मूल उद्गम स्थान कौन-सा है?
उत्तर:
ज्ञान का मूल उद्गम स्थान मन हैं। ज्ञान पर प्रायः पर्दा पड़ा रहता है। यह पर्दा जब धीरे-धीरे हटता है, तब हम कुछ सीखने लगते हैं। इससे हमारे ज्ञान की वृद्धि होती जाती है।

प्रश्न 2.
व्यक्ति सर्वज्ञ सर्वदर्शी कब बनता है?
उत्तर:
व्यक्ति सर्वज्ञ सर्वदर्शी तब बनता है, जब उसके मन में मौजूद ज्ञान पर पड़ा हुआ पर्दा पूरी तरह से हट जाता है। जब तक यह पर्दा पड़ा रहता है, तब तक वह अज्ञानी बना रहता है।

प्रश्न 3.
शिक्षा में शिक्षक की क्या भूमिका है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिक्षा में शिक्षक की बहुत बड़ी भूमिका है। शिक्षक यह भली प्रकार जानता है कि मनुष्य के भीतर सारे ज्ञान का भण्डार भरा हुआ है। उसे केवल प्रबोध देने और जागृति ला देने की आवश्यकता है। इससे वह किसी की भी जीवनधारा को बिल्कुल बदल देता है।

प्रश्न 4.
विवेकानन्द ने आविष्कार का क्या अर्थ बतलाया है?
उत्तर:
विवेकानन्द ने आविष्कार का अर्थ मनुष्य का अपने अनन्त ज्ञान-स्वरूप: आत्मा के ऊपर से पड़े हुए पर्दे को हटा लेना बतलाया है।

प्रश्न 5.
काँच के समान पारदर्शी किसे कहा गया है?
उत्तर:
अनेक मनुष्यों के अन्दर दिव्य ज्योति होती है। वह अज्ञान के अन्धकार से ढकी रहती है। उसे जब पवित्रता और निःस्वार्थता के द्वारा हटाने का प्रयास किया जाता है, तब वह चमकने लगती है। इसे ही काँच के समान पारदर्शी कहा गया है।

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शिक्षा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शिक्षा मनुष्य में अन्तर्निहित पूर्णता को किस प्रकार अभिव्यक्त करती है?
उत्तर:
मनुष्य के मन में ज्ञान मौजूद होता है। वह स्वभाव-सिद्ध होता है। वह चाहे किसी प्रकार का क्यों न हो, वह उसके भीतर ही होता है। वह कहीं बाहर से उसमें नहीं आता है। उस पर अज्ञान का पर्दा पड़ा होता है। मनुष्य उसे खोज अर्थात् कुछ सीख-समझकर हटाता है। इस प्रकार मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है।

प्रश्न 2.
सुधार के लिए बलात् उद्योग करने का परिणाम सदैव उल्टा ही क्यों होता है?
उत्तर:
सुधार के लिए बलात् उद्योग करने का परिणाम हमेशा उल्टा ही होता है जिसमें कोई क्षमता और योग्यता न हो। अगर उसे कोई योग्य बनाना चाहे तो वह जो कुछ भी है, वह भी नहीं रह पाएगा। हम यह प्रायः देखते हैं कि माता-पिता या अभिभावक अपने बच्चों को लिखने-पढ़ने के लिए उनके पीछे हमेशा लगे रहते हैं। उन्हें कोसते रहते हैं कि वे अपने जीवन में कुछ भी न सीख सकते हैं और न बन सकते हैं। इसका परिणाम यह निकलता है कि उनके बच्चे उस हीनभावना का शिकार होकर सचमुच में कभी न कुछ सीख पाते हैं और न कुछ बन पाते हैं।

प्रश्न 3.
मनुष्य-निर्माण, जीवन-निर्माण और चरित्र-निर्माण कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:
मनुष्य के भीतर सभी प्रकार का ज्ञान भरा हआ है। उसे केवल जगाने या प्रबोध देने की आवश्यकता होती है। यह काम शिक्षा ही करती है। शिक्षा के द्वारा हम अपने भीतर के ज्ञान का अनुभव करते हैं। अगर हमें जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण और चरित्र-निर्माण करना है, तो हमें ऐसे विचारों की अनुभूति कर लेनी चाहिए, जो इनके लिए सहायक या अनुकूल हों। इसके लिए यह बेहद आवश्यक है कि हम जीवन-निर्माण, मनुष्य- निर्माण और चरित्र-निर्माण में सहायक चुने हुए विचारों को ही अनुभूति करके अपना कदम बढ़ाएँ। इस प्रकार ही मनुष्य-निर्माण, जीवन-निर्माण और चरित्र-निर्माण किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
“तुम केवल बाधाओं को हटा सकते हो और ज्ञान अपने स्वाभाविक रूप से प्रकट हो जाएगा।” इस उक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आशय-“तुम केवल बाधाओं को हटा सकते हो और ज्ञान अपने स्वाभाविक रूप से प्रकट हो जाएगा।

उपर्युक्त वाक्य का आशय यह है कि किसी को खासतौर से बालक को शिक्षित करना बहुत ही कठिन होता है। यह इसलिए कि वह अपनी प्रकृति के ही अनुसार अपना विकास कर लेता है। इस प्रकार वह स्वयं को स्वयं ही शिक्षित करता है। उसे अपने विकास में किसी दूसरे का हस्तक्षेप करना उसके लिए हानिकारक सिद्ध होता है। इस सम्बन्ध में इतना अवश्य कहा जा सकता है कि अगर कोई उसे शिक्षित करना। चाहता है, तो वह उसे उसके अपने ही तौर-तरीके से विकास करने में उसका साथ – दे। उसकी इच्छानुसारं उसकी सहायता करे। इस प्रकार के सकारात्मक कदम उठाकर ही कोई किसी बालक को शिक्षित कर सकता है। उसके विकास के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को दूर कर सकता है। ऐसा करने से ही उसके भीतर का सोया’ हुआ ज्ञान अपने आप जग जाएगा।

प्रश्न 5.
पाठ के आधार पर ज्ञानी और अज्ञानी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य के भीतर हरेक प्रकारका ज्ञान भरा होता है। उसमें लौकिक या आध्यात्मिक दोनों ही होता है। उसके भीतर के ज्ञान पर अज्ञान का पर्दा पड़ा रहता है। जब वह किसी से कुछ सीखता-समझता है, तब वह पर्दा धीरे-धीरे हटने लगता है। इससे उसका ज्ञान बढ़ता जाता है। फिर वह औरों की अपेक्षा अधिक ज्ञानी और विवेकी हो जाता है। इसके विपरीत जिस पर अज्ञान का पर्दा पड़ा ही रहता है, वह अज्ञानी और मूर्ख होता है। इस प्रकार मनुष्य के भीतर ज्ञान-अज्ञान दोनों ही होता है।

शिक्षा भाव विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-विस्तार कीजिए।
(क) “कार्य को पूजा की भावना से करो”।
(ख) अतीत जीवनों ने हमारी प्रवृत्तियों को गढ़ा है।
(ग) स्वाधीनता विकास की पहली शर्त है।
(घ) जो जहाँ पर है उसे वहीं से आगे बढ़ाओ।
उत्तर:
(क) “कार्य को पूजा की भावना से करो”। हमें किसी काम को सच्चाई और लगन से करना चाहिए। इससे ही सफलता मिलती है। दूसरी बात यह हमें अपने काम के उचित-अनुचित पर भी अवश्य ध्यान देना चाहिए। जो काम हमारे लिए उचित है उसे ही हमें करना चाहिए। जो काम हमारे लिए अनचित है, उस हमें विल्कल ही नहीं करना चाहिए। शिक्षक का काम शिक्षार्थी को शिक्षा देना है न कि उसे उपदेश देना। उसका केवल इतना ही काम होता है कि वह शिक्षार्थी के भीतर के सोए हुए ज्ञान को जगा दे। दूसरी ओर शिक्षार्थी का यह काम होता है कि वह अपने शिक्षा के द्वारा दी गई शिक्षा को ग्रहण करें। दोनों को ही अपना-अपना काम पूजा की भावना से करना चाहिए। इस प्रकार से काम करने से निश्चय ही सफलता मिलती है। इसीलिए किसी अंग्रेजी कवि ने कहा है-
‘Work is worship

(ख) ‘अतीत जीवनों ने हमारी प्रवृत्तियों को गढ़ा है।’
अतीत का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हम जो कुछ अनुभव करते हैं, अतीत से करते हैं। इसलिए अतीत को भूलाकर हम वर्तमान को सफल नहीं बना सकते हैं। हमारे युग महापुरुष और मार्गदर्शक अतीत की ऐसी जीवन ज्योति हैं, जिनसे हम अपने अज्ञान के अन्धकार को दूर कर अपने जीवन को खुशहाल और सम्पन्न बना सकते हैं। अगर हम अपने जीवन में सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते जा रहे हैं, तो इसका श्रेय अतीत जीवनों को दिया जा सकता है। ऐसा इसलिए कि अतीत जीवनों ने हमारी ऐसी प्रवृत्तियों को गढ़ा है, जिनसे हम अपने जीवन की सब बातों को बहुत अधिक सुन्दर ढंग से कर सकते हैं।

(ग) ‘स्वाधीनता विकास की पहली शर्त है।’
स्वाधीनता का महत्त्व सबके के लिए होता है। जिसका जीवन स्वाधीन नहीं है, वह अपना विकास नहीं कर सकता है। इसलिए किसी को विकसित होने या करने के लिए यह सबसे पहले आवश्यक तत्त्व है। उसकी स्वाधीनता पर किसी प्रकार आँच न आने दें। ऐसा करके हम किसी का मार्गदर्शक बन सकते हैं। इसके विपरीत कदम उठाने से विकास का प्रवाह रुक जाता है। इससे बड़ी-बड़ी कठिनाइयाँ खड़ी हो जाती हैं। चारों ओर अव्यवस्था और अशान्ति फैखने लगती है। सदियों तक स्वाधीन न होने के कारण हमारे देश का विकास नहीं हो सकीर उसमें कभी चैन-शान्ति का वातावरण नहीं बन सका। लेकिन जैसे ही वह स्वाधीन हुआ, वैसे उसमें विकास के नए-नए द्वार खुलने लगे। देखते-देखते वह विकासशील देशों से आगे बढ़कर विकसित देशों के करीब-करीब पहुँच गया है।

(घ) ‘जो जहाँ पर है, उसे वहीं से आगे बढ़ाओ।’
हमें किसी का विकास करने के लिए उसकी कमजोरियों के लिए उसे नहीं कोसना चाहिए। उसे तो उत्साहित करना चाहिए। अच्छाइयों को बढ़ा-चढ़ाकर उसे बताना चाहिए। इस प्रकार हमें किसी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उसके कमजोर विचारों, हीनभावनाओं और उसके द्वारा उठाए गये अनुचित कदमों को उसे नहीं बताना चाहिए। उसे तो उत्साहित करते हुए उसकी आवश्यकता के अनुसार ही उसे आगे बढ़ाना चाहिए। इससे वह उन सभी बातों को और अधिक अच्छी तरह से कर सकता है, जिनकी उसे आवश्यकता है। इस प्रकार किसी का विकास करने के लिए उसे और हौसला देकर उसे आगे ही बढ़ाना चाहिए।

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शिक्षा भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नांकित शब्दों की सन्धि कीजिए और सन्धि का नाम भी लिखिए-
अन्तर्निहित, गुरुत्वाकर्षण, प्रतित्ये, खाद्यान्न, जीवाणु।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 2 शिक्षा img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
शिक्षा, ज्ञानी, व्यक्त, लौकिक, समर्थ, शुद्ध, धर्म।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 2 शिक्षा img-2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए

  1. प्रेरणां देने वाला।
  2. जिसे सब विषयों का ज्ञान हो।
  3. जिसकी सीमा न हो।
  4. जिसकी मृत्यु न हो।
  5. दूर की बातों को सोचने वाला।

उत्तर:

  1. प्रेरक
  2. सर्वज्ञ
  3. असीम
  4. अमर,
  5. दूरदर्शी

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों की रचना एवं शब्द के आधार पर शुद्ध करके लिखिए

  1. न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का आविष्कार की।
  2. विसाल बुद्धि एक छोटी जीवानकोश में है।
  3. सभी ज्ञान और सभी शक्तियाँ आतमा के भीतर हैं।
  4. मृत्यु का सामना ही क्यों न करना पडे साक्षात।
  5. शायद हम लोग कानपुर अवश्यक जाँएग।

उत्तर:

  1. न्यूटन ने गुरुत्वाकार्पण का आविष्कार किया।
  2. विशाल बुद्धि एक छोटे-से जीवाणुकोश में है।
  3. सभी ज्ञान और शक्तियाँ आत्मा के भीतर हैं।
  4. साक्षात् मृत्यु का ही सामना क्यों न करना पड़े।
  5. हम लोग कानपुर अवश्य जाएँगे।

शिक्षा अपठित गद्यांश

राष्ट्रनिर्माण का दायित्व उसके नागरिकों पर होता है। इस दृष्टि से भारत के नव-निर्माण का दायित्व विद्यार्थियों के ऊपर भी है क्योंकि आज का विद्यार्थी कल का नागरिक है। राष्ट्र के विकास का अर्थ है उसके नागरिकों का विकास। अतः प्रत्येक छात्र-छात्रा को अपने भावी जीवन का निर्माण बड़ी सतर्कता के साथ करना चाहिए। उन्हें अपने राष्ट्र, समाज, धर्म-संस्कृति के विकास का लक्ष्य एक क्षण के लिए भी तिरोहित नहीं होने देना चाहिए। विद्यार्थियों को अपने जीवन का निर्माण राष्ट्रीय हित को दृष्टिगत रखते हुए करना चाहिए। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी उन्नति राष्ट्र और समाज के लिए भार-स्वरूप होगी।

प्रश्न 1.
इस गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर:
आज के विद्यार्थी का दायित्व।

प्रश्न 2.
गद्यांश के सार को अपने शब्दों में लिखिए।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
उत्तर:
राष्ट्र के नव-निर्माण का दायित्व आज के विद्यार्थियों के ऊपर है। इसलिए हरेक विद्यार्थी को अपने राष्ट्र, समाज, धर्म-संस्कृति के विकास के प्रति हमेशा ही तत्पर रहना चाहिए। वे ऐसा करके ही अपने जीवन को महान बना सकते हैं।

प्रश्न 3.
राष्ट्र के विकास का क्या अर्थ है?
उत्तर:
राष्ट्र विकास का अर्थ है-राष्ट्र के नागरिकों का विकास।

प्रश्न 4.
छात्रों को अपने जीवन का निर्माण किसको दृष्टिगत रखकर करना चाहिए।
उत्तर:
छात्रों को अपने जीवन का निर्माण अपने राष्ट्र, समाज, धर्म और संस्कृति के विकास को दृष्टिगत रखकर करना चाहिए।

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शिक्षा योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
अपने परिवेश के विभिन्न दो शिक्षाविद्/कवि लेखक की संक्षिप्त जानकारी एकत्रित कर जीवनी लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र-छात्रा अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

प्रश्न 2.
“मातृभाषा ही सर्वश्रेष्ठ है” विषय पर अपने मत को स्पष्ट करते हुए दो अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र-छात्रा अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

प्रश्न 3.
शिक्षा विषय से जुड़ी किसी लघु नाटिका को खोजकर वार्षिक उत्सव में उसका अभिनय कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र-छात्रा अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

शिक्षा परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

शिक्षा लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आविष्कार का क्या अर्थ है?
उत्तर:
आविष्कार का अर्थ है-मनुष्य का अपनी अनन्त ज्ञानस्वरूप आत्मा के । ऊपर से पड़े हुए पर्दे को उठाना।

प्रश्न 2.
हमारे मन में ज्ञान किस प्रकार छिपा हुआ है?
उत्तर:
हमारे मन में ज्ञान चकमक पत्थर के टुकड़े में आग के समान छिपा हुआ है। वह किसी सुझाव या शिक्षा रूपी घर्षण के द्वारा देखते-देखते ही प्रकाशित होने लगता है।

प्रश्न 3.
लड़कों को ठोक-पीटकर शिक्षित बनाने की प्रणाली का क्यों अन्त कर देना चाहिए।
उत्तर:
लड़कों को ठोक-पीटकर शिक्षित बनाने की प्रणाली का अन्त कर देना चाहिए। यह इसलिए कि वे अपने माता-पिता के अनुचित दबाव के कारण अपने विकास का स्वतन्त्र अवसर प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 4.
श्री रामकृष्णदेव ने किस प्रकार निकम्मों की जीवन धारा को बदल दिया?
उत्तर:
श्री रामकृष्णदेव ने निकम्मों के प्रति आशा और उत्साह के भावों को. भरा। इस प्रकार उन्होंने उनकी जीवनधारा को बिल्कुल ही बदल दिया।

प्रश्न 5.
विदेशी भाषा की शिक्षा से क्या हानि होती है?
उत्तर:
विदेशी भाषा की शिक्षा से बहुत बड़ी हानि होती है। इससे समाज और समाज के लोगों का अभाव दूर नहीं हो पाता है। उनका चारित्रिक विकास भी नहीं हो पाता।

शिक्षा दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मनुष्य के अन्दर ज्ञान का स्वरूप क्या है?
उत्तर:
मनुष्य के अन्दर सभी प्रकार का ज्ञान भरा होता है। लेकिन वह अज्ञान के पर्दे से ढका रहता है। इसलिए वह प्रायः प्रकाशित नहीं हो पाता है। जब उस पर पड़ा हुआ पर्दा ज्ञान के प्रभाव से धीरे-धीरे हटने लगता है। तब वह प्रकाशित होने लगता है। इसे हम सीखना कहते हैं। सीखने की यह प्रक्रिया जैसे-जैसे बढ़ती । जाती है, वैसे-वैसे ज्ञान की वृद्धि होती जाती है। इस प्रकार जिस पर अज्ञान का पड़ा हआ पर्दा उठता जाता है, वह औरों की अपेक्षा अधिक ज्ञानी हो जाता है। जिस पर यह पर्दा पड़ा रहता है, वह अज्ञानी ही बना रहता है।

प्रश्न 2.
शिक्षक का क्या कार्य होता है?
उत्तर:
शिक्षक को यह समझकर शिक्षा नहीं देना चाहिए कि वह शिक्षा दे रहा है। अगर वह ऐसा समझकर किसी को शिक्षा दे रहा है, तो उसे सफलता नहीं मिल सकती है। उसे तो यह समझकर शिक्षा देनी चाहिए कि जिसे वह शिक्षा दे रहा है, उसके अन्दर सारा ज्ञान भरा हुआ है। उसे केवल जगाने या प्रबोध देने की आवश्यकता . है। इस प्रकार उसे केवल इतना ही करना है कि वह जिसे शिक्षा दे रहा है, वह अपने पैरों पर खड़ा होकर अपना विकास करना सीख ले।

प्रश्न 3.
विद्यार्थियों की शिक्षा में किस प्रकार का परिवर्तन होना चाहिए?
उत्तर:
विद्यार्थियों की शिक्षा में उनकी आवश्यकता के ही अनुसार परिवर्तन होना चाहिए। ऐसा करते समय हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अतीत-जीवनों से उनकी प्रवृत्तियों को गढ़ा है। इसलिए उनकी प्रवृत्तियों के अनुसार उन्हें शिक्षा देनी चाहिए। उनकी कभी भी किसी विशेष प्रवृत्तियों को नहीं नष्ट करना चाहिए। किसी प्रकार के मन्द और निकम्मे विद्यार्थियों को नहीं कोसना चाहिए। ऐसे विद्यार्थियों के भी प्रति आशा और उत्साह भरी शिक्षा देनी चाहिए। इस प्रकार परम्परागत या रूढ़िगत विचारों से हमें हटकर विद्यार्थियों की शिक्षा में युग की माँग के अनुसार परिवर्तन करना चाहिए।

प्रश्न 4.
आज की शिक्षा कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
आज की शिक्षा आज की आवश्यकता के ही अनुसार होनी चाहिए। आज हममें चरित्र बल, मानसिक बल, बुद्धि बल आदि की बहुत कमी हो गई है। इसके साथ ही हमारे देश में उद्योग-धन्धों की भी अधिक कमी है। फलस्वरूप हमारे यहाँ बेरोजगारी बहुत बढ़ गई है। इससे हम और देशों की तुलना में बहुत पीछे हैं। इस प्रकार कमियों को दूर करने वाली हमें आज एक ऐसी शिक्षा चाहिए, जो हमें विदेशी भाषा और विज्ञान की जानकारी दे सके और हमें विदेशी प्रभाव से मुक्त रखे। हमारे ज्ञान-भण्डार की शाखाओं को विकसित करे। हमारी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिक साधनों को बढ़ाए। इसके साथ-ही-साथ भविष्य के लिए कुछ बचाए रखने का भी ज्ञान दे सके।

प्रश्न 5.
सभी प्रकार की शिक्षा का क्या उद्देश्य होना चाहिए?
उत्तर:
सभी प्रकार की शिक्षा का उद्देश्य निम्नलिखित होना चाहिए-

  1. सभी प्रकार की शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य का निर्माण होना चाहिए।
  2. सभी प्रकार की शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य का विकास करना होना चाहिए।
  3. सभी प्रकार की शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य की इच्छाशक्ति को प्रवाहित और प्रकाशित कर कल्याणकारी बनाने का होना चाहिए।
  4. सभी प्रकार की शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य बनाने वाली होनी चाहिए।
  5. सभी प्रकार की शिक्षा का उद्देश्य परस्पर मेल-मिलाप के भावों को पैदा करना होना चाहिए।

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शिक्षा लेखक-परिचय

प्रश्न.
स्वामी विवेकानन्द का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय-स्वामी विवेकानन्द संसार के महापुरुषों में से एक हैं। उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्र नाथ था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी थीं। कुछ समय बाद नरेन्द्र नाथ विवेकानन्द के नाम से संसार में प्रसिद्ध हुए। नरेन्द्र नाथ बचपन से ही मेधावी, बुद्धिमान, निर्भीक, साहसी और स्मृतिधर थे। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त करने के बाद बी.ए. में प्रवेश लेकर पढ़ाई आरम्भ की, तो उनके पिता का स्वर्गवास हो गया। इससे उनके पारिवारिक जीवन में महासंकट आ गया। इसे देखकर उन्होंने नौकरी की तलाश की, लेकिन उन्हें इस दिशा में कोई सफलता नहीं मिली।

उनके अन्दर एक ओर भूख से तड़पते अपने परिवार को भरपेट भोजन-पानी जुटाने की जिम्मेदारी जोर मार रही थी, तो दूसरी ओर विश्व-कल्याण के लिए. धर्म-प्रचार और सेवा की भावना प्रवाहित हो रही थी। उन्होंने जनवरी, 1887 में संन्यास लेकर अपने विवेक से धर्म प्रचार और जन सेवा का व्रत लिया। अपने साथियों को लेकर उन्होंने कोलकाता के उत्तर प्रान्त के बराह नगर में बराह नगर मठ और रामकृष्ण संघ की स्थापना की। उन्होंने देश-विदेश के अनेक स्थानों का भ्रमण कर धर्म प्रचार किया। 4 जुलाई, 1902 में उनका निधन मात्र 39 वर्ष की आयु में हो गया।

महत्त्व :
स्वामी विवेकानन्द ने धर्म का प्रचार-प्रसार करते हुए सन् 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित विश्व धर्म परिपद् में भाग लिया। इसके बाद पाश्चात्य देशों में सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का जोरदार प्रचार किया। इसके बाद उन्होंने भारतीय युवकों को प्रज्ञावान, दृढ़ निश्चयी, तेजस्वी, निर्भीक और आत्मनिर्भर बनने के लिए उत्साहित किया। उन्होंने उन्हें प्रेरित करते हुए कहा

“ गर्व से कहो कि मैं भारतीय हूँ। और प्रत्येक भारतवासी मेरा भाई है, भारत के कल्याण में मेरा कल्याण है।”

इस प्रकार स्वामी विवेकानन्द ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को पूरे संसार में प्रसारित किया।

शिक्षा पाठ का सारांश

प्रश्न.
स्वामी विवेकानन्द द्वारा लिखित निबन्ध ‘शिक्षा’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
स्वामी विवेकानन्द द्वारा लिखित निबन्ध ‘शिक्षा’ में शिक्षा के स्वरूप और उसके उद्देश्य पर सीधा प्रकाश डाला गया है। लेखक का यह मानना है कि हमारा मन ज्ञान का भण्डार है। उसे शिक्षा ही प्रकट करती है। हम जो कुछ सीखते हैं, वह वास्तव में हम आविष्कार करते हैं। अपनी अनन्त ज्ञानस्वरूप आत्मा के ऊपर से अज्ञान के पर्दे को हटा लेना ही आविष्कार है। इसी प्रकार न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का आविष्कार किया था। जैसे-जैसे आविष्कार की प्रक्रिया बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे हमारे अज्ञान का पर्दा हटने से ज्ञान की वृद्धि होती जाती है। जब अज्ञान का पर्दा पूरी तरह से हट जाता है, तब हम सर्वज्ञ, सर्वदर्शी हो जाते हैं। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि चकमक पत्थर के समान हमारे मन में ही ज्ञान की ज्योति छिपी हुई है। उसे किसी प्रकार के सुझाव या शिक्षा देखते-देखते प्रकाशित कर देती है। यह तभी सम्भव है, जब हम अपने अनुभव और अपनी विचार-शक्ति के द्वारा इसे अच्छी तरह से समझकर ग्रहण करें। दूसरी बात यह कि एक फैले हुए विशाल वट वृक्ष की एक छोटे से बीज में छिपी हुई शक्ति के समान हमारी आत्मा में अनन्त शक्ति है। इसको जामना ही उसका प्रकट होना है।

पौधे की तरह बालक का भी विकास अपनी प्रकृति के ही अनुसार होता है। इससे बालक स्वयं को शिक्षित करता है। इसलिए उसे दी गई शिक्षा उसमें स्वाभाविक रूप से ही प्रकट होगी। इस दृष्टि से शिक्षक को इस भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए कि वह उसे शिक्षा दे रहा है। अगर वह ऐसा भ्रम रखता है तो इससे उसे सफलता नहीं मिल सकती है। उसे यह बोध होना चाहिए कि सारा ज्ञान मनुष्य के भीतर मौजूद है। उसे केवल जगाने की आवश्यकता है। बालकों में मौजूद इस ज्ञान को जगाने के लिए शिक्षक को ऐसा प्रयास करना चाहिए कि वह अपने हाथ, पैर, कान और आँखों के उचित उपयोग के लिए अपनी बुद्धि का प्रयोग करना सीख ले। इसलिए किसी बालक को अनुचित दबाव से शिक्षित बनाने की परिपाटी को त्याग देना चाहिए। उसे तो स्वतन्त्र रूप से विकास करने का मौका देना चाहिए।

इससे वह भले ही महान न बने, लेकिन वह महान बनाने का प्रयास तो कर सकता है। अगर हम अपने बच्चों को डाँट-फटकार कर और उन्हें हीन दृष्टि से योग्य बनाने की कोशिश करते हैं, तो वे कभी योग्य नहीं बन सकते हैं। वे तो अयोग्य ही बनकर रह जाएंगे। इसलिए हमें उन्हें हौसला देकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना चाहिए। एक आदर्श विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि उसे समय की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा दी जाए। उसकी प्रवृत्तियों के अनुसार उसे मार्ग मिले। इस आधार पर ही किसी को आगे बढ़ाया जा सकता है। श्री रामकृष्ण देव ने जीवन भर यही किया। उन्होंने निराश और दुःखी मनुष्यों में भी आशा और उत्साह की ज्योति जलाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया।

हमें शिक्षा को विविध प्रकार के ज्ञान का ढेर नहीं समझना चाहिए। हमें जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण और चरित्र-निर्माण में सहायक विचारों को ही ग्रहण करना चाहिए। ऐसे विचारों के द्वारा अपने जीवन और चरित्र-निर्माण कर लेने वाला किसी ग्रन्थालय को कण्ठस्थ करने वाले से कहीं अधिक शिक्षित और योग्य कहा जा सकता है। शिक्षा का उद्देश्य बड़ी-बड़ी उपाधियाँ लेकर वकील या इससे बड़ा कोई पदाधिकारी वन जाना बिल्कुल नहीं है। ऐसा इसलिए कि इससे देश का कुछ भी भला नहीं हो ‘सकता है। देश का भला तो उस शिक्षा से होगा, जो देश के दीन-दुखियों की पुकार सुन सके। देश के अभाव को दूर करने के लिए देशवासियों में चरित्र-बल पैदा करे। उनमें अपार बुद्धि और साहस को जगा सके।

इस प्रकार की शिक्षा से हम आत्मनिर्भर होकर पराधीनता से मुक्त होकर विविध प्रकार के ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन-मनन कर सकते हैं। अपने देश में छोटे-बड़े उद्योग-धन्धों का विकास करके बढ़ती हुई बेरोजगारी पर लगाम कस सकते हैं। यही नहीं, अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए कुछ बचाकर रख सकते हैं। मनुष्य का निर्माण करना ही शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए। वास्तविक शिक्षा वही होती है, जो मनुष्य की सोई हुई इच्छा-शक्ति को जगाकर उसे कल्याणकारी बनाती है। आज हमारे देश को हर प्रकार से मनुष्य बनाने वाली शिक्षा की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

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शिक्षा संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

1. मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है। ज्ञान मनुष्य में स्वभाव-सिद्ध है; कोई भी ज्ञान बाहर से नहीं आता, सब अन्दर ही है। हम जो कहते हैं कि मनुष्य ‘जानता’ है, यथार्थ में, मानसशास्त्र-संगत भाषा में हमें कहना चाहिए कि वह-आविष्कार करता है, ‘अनावृत’ या ‘प्रकट’ करता है। मनुष्य जो कुछ ‘सीखता है, वह वास्तव में ‘आविष्कार करना ही है। ‘आविष्कार’ का अर्थ है-मनुष्य का अपनी अनन्त ज्ञानस्वरूप आत्मा के ऊपर से आवरण को हटा लेना।

शब्दार्थ :
अन्तर्निहित-मन में मौजूद। अभिव्यक्त-प्रकट। यथार्थ-वास्तव। आविष्कार-खोज ।अनावृत-ढका हुआ, पर्दा पड़ा हुआ।अनन्त-अन्त रहित। आवरण-पर्दा, ढक्कन।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिन्दी सामान्य भाग-1’ में संकलित तथा स्वामी विवेकानन्द लिखित निबन्ध ‘शिक्षा’ से अवतरित है। इसमें लेखक ने यह बतलाना चाहा है कि मनुष्य के अन्दर ही ज्ञान होता है।

व्याख्या :
स्वामी विवेकानन्द का कहना है कि शिक्षा का अर्थ है-मनुष्य के मन में मौजूद ज्ञान के भण्डार को प्रकट करना। दूसरे शब्दों में मनुष्य के भीतर भरे हुए ज्ञान को बाहर शिक्षा ही प्रकट करती है। इसलिए हमें इस भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए कि मनुष्य को ज्ञान बाहर से आता है। उसमें तो सभी प्रकार के ज्ञान उसके स्वभाव के अनुसार ही भरे होते हैं। अगर कोई यह कहता है कि मनुष्य सब कुछ जानता-समझता है, यह शत-प्रतिशत सही है। इसे हम मानस-शास्त्र-संगत भाषा में कहना चाहें, तो यह कह सकते हैं कि वह खोज करता है। अपने भीतर के ज्ञान के ऊपर पड़े हुए, पर्दे को हटाता हैं। इस प्रकार वह जो कुछ जानता-समझता है, वह सब कुछ उसकी खोज करना ही होता है। इस आधार पर हम यह कह सकते हैं कि मनुष्य का अपने भीतर मौजूद अपार और अनन्त ज्ञान के भण्डार के ऊपर पड़े पर्दे को हटा लेना ही उसकी खोज है।

विशेष :

  1. प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने शिक्षा और खोज का अर्थ बतलाया है।
  2. भापा सरल और सुबोध है।
  3. शैली वर्णनात्मक है।
  4. यह अंश ज्ञानवर्द्धक है।
  5. यह अंश ज्ञानवर्द्धक है।

गद्यांश पर आधारित अर्थ-ग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) ज्ञान मनुष्य में किस प्रकार है?
(ii) आविष्कार का दूसरा अर्थ क्या है?
(iii) मनुष्य की आत्मा क्या है?
उत्तर:
(i) ज्ञान मनुष्य में स्वभाव सिद्ध है, क्योंकि वह बाहर से उसमें नहीं आता है। वह तो उसके भीतर उसके जन्म से ही होता है।
(ii) आविष्कार का दूसरा अर्थ है-सीखना, समझना।
(iii) मनुष्य की आत्मा अपार और अनन्त ज्ञान स्वरूप है।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
(i) शिक्षा क्या करती है?
(ii) हमारा जानना क्या है?
(iii) मनुष्य को कुछ सीखने-समझने से क्या लाभ होता है?
उत्तर:
(i) शिक्षा. मनुष्य के मन में मौजूद ज्ञान के ऊपर पड़े हुए अज्ञान के पर्दे को हटाती है।
(i) हमारा जीनना हमारे ज्ञान के ऊपर अज्ञान के पर्दे को हटाना है।
(iii) मनुष्य को सीखने-समझने से उसके ज्ञान का विस्तार होता है और अज्ञान का अन्त होने लगता है।

2. यह आवरण तह-पर-तह पड़ा है, वह अज्ञानी है। जिस पर से यह आवरण पूरा हट जाता है, वह सर्वज्ञ सर्वदर्शी हो जाता है। चकमक पत्थर के टुकड़े में अग्नि के समान, ज्ञान मन में निहित है और सुझाव या उद्दीपक-कारण ही वह घर्षण है, जो उस ज्ञानाग्नि को प्रकाशित कर देता है। सभी ज्ञान और सभी शक्तियाँ भीतर हैं। हम जिन्हें शक्तियाँ, प्रकृति के रहस्य या बल कहते हैं, वे सब भीतर ही हैं। मनुष्य की आत्मा से ही सारा ज्ञान आता है जो ज्ञान सनातन काल से मनुष्य के भीतर निहित है, उसी को वह बाहर प्रकट करता है, अपने भीतर ‘देख पाता है।

शब्दार्थ :
आवरण-पर्दा। सर्वदर्शी-सब कुछ देखने वाला। चकमक पत्थर-एक विशेष प्रकार का पत्थर। अग्नि-आग। निहित-छिपा हुआ। उद्दीपक-उत्तेजित करने वाला। ज्ञानाग्नि-ज्ञान की आग। सनातन-जो हमेशा से चला आ रहा है।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी सामान्य भाग-1’ में संकलित तथा स्वामी विवेकानन्द लिखित ‘शिक्षा’ से अवतरित है। इसमें लेखक ने मनुष्य के मन में मौजूद ज्ञान के स्वरूप को बतलाने का प्रयास किया है।

व्याख्या :
लेखक का कहना है कि जिस मनुष्य पर से अज्ञान का पर्दा उठ जाता है, वह और मनुष्यों की अपेक्षा अधिक ज्ञानी बन जाता है। इससे ठीक विपरीत जिस मनुष्य पर अज्ञान का पर्दा पड़ा रहता है, वह अज्ञानी ही बना रहता है। इस प्रकार अज्ञान के पर्दे में रहने वाला मनुष्य मूर्ख होता है और अज्ञान के पर्दे से बाहर रहने वाला मनुष्य सर्वज्ञ और सर्वदर्शी होता है। हमें यह अच्छी प्रकार से समझ लेना चाहिए कि मनुष्य के मन में ज्ञान चकमक पत्थर में छिपी हुई आग के समान होता है। वह किसी प्रकार की शिक्षा या सुझाव के द्वारा प्रकट होता है। इसके लिए मनुष्य को सत्संगति या सद्गुरु की शरण लेनी चाहिए। इससे उसे यह अच्छी प्रकार से समझ आ जाती है कि सभी प्रकार के ज्ञान और सभी प्रकार के बल मनुष्य के मन में ही मौजूद है। इस तरह मनुष्य के मन में सनातन काल से ही ज्ञान मौजूद है। उसे वह किसी सद्गुरु या सदुपदेश के द्वारा अपने भीतर होने का अनुभव कर पाता है। यही नहीं, वह उसे सबके सामने भी प्रकट कर देता है।

विशेष :

  1. मनुष्य के मन में मौजूद ज्ञान की दशा का उल्लेख किया गया है।
  2. मनुष्य के मन में मौजूद ज्ञान की उपमा चकमक पत्थर के टुकड़े से दी गई है इसलिए इसमें उपमा अलंकार है।
  3. तत्सम शब्दावली है।
  4. शैली सुबोध है।।

गद्यांश पर आधारित अर्थ-ग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) कौन-सा आवरण तह पर पड़ा रहता है?
(ii) लेखक ने ‘चकमक पत्थर’ का क्यों उदाहरण दिया है?
(iii) अज्ञानी और सर्वज्ञ कौन होता है?
उत्तर:
(i) मनुष्य के मन में ज्ञान का भण्डार भरा होता है। लेकिन उसके तह पर अज्ञान का आवरण पड़ा रहता है।
(ii) लेखक ने ‘चकमक पत्थर’ का उदाहरण मनुष्य के भीतर छिपे हुए ज्ञान को समझाने के लिए दिया है। उसका यह मानना है कि जिस प्रकार चकमक पत्थर में आग छिपी रहती है, उसी प्रकार मनुष्य के भीतर ज्ञान छिपा हुआ है।
(iii) जिस मनुष्य पर अज्ञान का पदों पड़ा रहता है, वह अज्ञानी होता है। इसके विपरीत जिस मनुष्य पर से अज्ञान का पर्दा हट जाता है, वह सर्वज्ञ होता है।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) मनुष्य के भीतर कौन-कौन-सी शक्तियाँ होती हैं?
(ii) सुझाव का क्या फल होता है?
(iii) मनुष्य अपने भीतर किससे क्या देख पाता है?
उत्तर:
(i) मनुष्य के अपने भीतर सभी प्रकार के ज्ञान, प्रकृति के रहस्य और सभी प्रकार की शक्तियाँ होती हैं।
(ii) सुझाव का फल बहुत सुखद और लाभप्रद होता है, सुझाव वह घर्षण है, जो मनुष्य के भीतर छिपी हुई ज्ञान की आग को प्रकाशित कर देता है।
(iii) मनुष्य अपने भीतर छिपे हुए ज्ञान को अपनी आत्मा से देख पाता है।

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3. हमें विधायक विचार सामने रखने चाहिए। निषेधात्मक विचार लोगों को दुर्बल बना देते हैं। क्या तुमने यह नहीं देखा कि जहाँ माता-पिता पढ़ने-लिखने के लिए अपने बालकों के सदा पीछे लगे रहते हैं और कहा करते हैं कि तुम कभी कुछ सीख नहीं सकते, तुम गधे बने रहोगे, वहाँ बालक यथार्थ में वैसे ही बन जाते हैं यदि तुम उनसे सहानुभूति-भरी बातें करो और उन्हें उत्साह दो, तो समय पाकर उनकी उन्नति होना निश्चित है। यदि तुम उनके सामने विधायक विचार रखो, तो उनमें मनुष्यत्व आएगा और वे अपने पैरों पर खड़ा होना सीखेंगे। भाषा और साहित्य काव्य और कला, हर एक विषय में हमें मनुष्यों को उनके विचार और कार्य की भूलें नहीं बतानी चाहिए, वरन् उन्हें वह मार्ग दिखां देना चाहिए, जिससे वे इन सब बातों को और भी सुचारु रूप से कर सकें।

शब्दार्थ :
विधायक-सकारात्मक, निर्णयात्मक। निषेधात्मक/नकारात्मक/ दुर्बल-कमजोर । यथार्थ-वास्तव । मनुष्यत्व-मनुप्यता। पैरों पर खड़ा होना-आत्मनिर्भर होना। वरन्-बल्कि, अपितु। सुचारु-सुन्दर।

प्रसंग :
पूर्ववत्। इसमें लेखक ने बालकों को आत्मनिर्भर और योग्य बनाने के तौर-तरीकों को बतलाने का प्रयास किया है।

व्याख्या :
लेखक का कहना है कि बच्चों को शिक्षित करने के लिए उनके माता-पिता या अभिभावक को सकारात्मक अर्थात् अपनापन का विचार-भाव रखना चाहिए। उनके प्रति किसी प्रकार के नकारात्मक अर्थात् पराएपन का व्यवहार नहीं करना चाहिए। इस प्रकार के दुर्व्यवहार उनके प्रति किए जाने से वे कुछ सीख-समझ नहीं पाएंगे। यह प्रायः देखा जाता है कि जो माता-पिता या अभिभावक अपने बच्चों को उनकी इच्छा के विपरीत पढ़ने-लिखने के लिए दबाव डालते रहते हैं। उन्हें कोसते रहते हैं, वे वास्तव में पढ़-लिख नहीं पाते हैं। वे उनकी हीनता के शिकार होकर अयोग्य और दुर्बल बन जाते हैं। इसलिए हमें बच्चों की भावनाओं का आदर करना चाहिए। उनके प्रति सहानुभूति और सद्भावना रखनी चाहिए। उन्हें उत्साहित करना चाहिए। ऐसा करके ही हम उन्हें सुशिक्षित और सुयोग्य बना सकते हैं फिर उनमें मानवता आ जाएगी। वे आत्मनिर्भर होकर देश और समाज का बहुत बड़ा कल्याण करेंगे। इससे आने वाली पीढ़ी भी बहुत कुछ सीख-समझ सकती है।

लेखक का पुनः कहना है कि बच्चों को शिक्षित कर उन्हें योग्य बनाने के लिए उन्हें विविध प्रकार की भाषा, साहित्य, काव्य और कला के बारे में ज्ञान देना चाहिए। ऐसा करते समय हमें इस ओर ध्यान देना चाहिए कि वे इन विषयों में आए हुए मनुष्य के दोषों को न जान पाएं। हमारा तो यह प्रयास होना चाहिए कि वे इन विषयों में आए हुए मनुष्यों के गुणों-अच्छाइयों को अच्छी तरह से समझकर ग्रहण कर सके। इससे वे आदर्श विद्यार्थी की भूमिका निभाकर एक श्रेष्ठ नागरिक कहलाएँ।

विशेष :

  1. बच्चों को आदर्श विद्यार्थी बनाने के सुझाव दिए गए हैं।
  2. यह अंश शिक्षाप्रद है।
  3. भाषा की शब्दावली तत्सम शब्दों की है।
  4. शैली उपदेशात्मक है।
  5. ‘पैरों पर खड़ा होना’ मुहावरे का सार्थक प्रयोग है।

गद्यांश पर आधारित अर्थ-ग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) हमें विधायक विचार क्यों रखने चाहिए?
(ii) बच्चे कुछ नहीं सीख पाते हैं, ऐसा लेखक ने क्यों कहा हैं?
(iii) बच्चों के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए?
उत्तर:
(i) हमें विधायक विचार ही बच्चों के सामने रखना चाहिए। यह इसलिए कि निषेधात्मक विचार दर्बल बना देते हैं।
(ii) बच्चे अपने माता-पिता से कुछ सीख नहीं पाते हैं। इसका कारण यह है कि उनके माता-पिता उन्हें हमेशा कोसते रहते हैं। वे उन्हें हीन और अयोग्य ही समझते हैं। वे उनमें छिपी हुई उनकी अच्छाइयों और सम्भावनाओं को नहीं देख पाते
(iii) बच्चों के प्रति हमें सरस, आत्मीयतापूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) बालक यथार्थ में कैसे बन जाते हैं?
(ii) बच्चों की उन्नति होना कैसे निश्चित है?
(iii) बच्चे आत्मनिर्भर होना कब सीखेंगे?
उत्तर:
(i) बालक यथार्थ में वैसे ही बन जाते हैं, जैसे उनके माता-पिता उन्हें चाहते हैं।
(ii) बच्चों की उन्नति होना तभी निश्चित है, जब उनके माता-पिता उनसे सहानुभूति-भरी बातें करें और उन्हें उत्साहित करते रहें।
(iii) बच्चे आत्मनिर्भर होना तभी सीखेंगे, जब उनमें मनुष्यता आएगी। उनमें मनुष्यता लाने के लिए विधायक विचारों को ही उनके सामने रखने होंगे।

4. विद्यार्थी की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा में परिवर्तन होना चाहिए। अतीत जीवनों ने हमारी प्रवृत्तियों को गढ़ा है, इसलिए विद्यार्थी को उसकी प्रवृत्तियों के अनुसार मार्ग दिखाना चाहिए। जो जहाँ पर है, उसे वहीं से आगे बढ़ाओ। हमने देखा है कि जिनको हम निकम्मा समझते थे, उनको भी श्रीरामकृष्णदेव ने किस प्रकार उत्साहित किया और उनके जीवन का प्रवाह बिल्कुल बदल दिया। उन्होंने कभी भी किसी मनुष्य की विशेष प्रवृत्तियों को नष्ट नहीं किया। पन्होंने अत्यन्त पतित मनुष्यों के प्रति भी आशा और उत्साहपूर्ण वचन कहे और उन्हें ऊपर उठा दिया।

शब्दार्थ :
अतीत-बीते हुए। निकम्मा-निठल्ला, कामचोर। पतित-पापी, भ्रष्ट।

प्रसंग :
पूर्ववत्। इसमें लेखक ने विद्यार्थी को किस प्रकार शिक्षित करके योग्य बनाना चाहिए, इसे बतलाने का प्रयास किया है।

व्याख्या :
लेखक का कहना है कि विद्यार्थी को शिक्षा देने से पहले यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि उसे किस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है। इस प्रकार उसकी आवश्यकता के अनुसार शिक्षा देनी चाहिए। आवश्यकतानुसार उसकी शिक्षा में हेर-फेर करने से हमें संकोच या देर नहीं करनी चाहिए। इस प्रकार का कदम उठाते समय हमें अतीतकालीन जीवनादर्शों को नहीं भूलना चाहिए। ऐसा इसलिए कि उसने हमारी प्रवृत्तियों को बनाया है। उससे हम आज आगे बढ़ रहे हैं। अगर हम अपने विद्यार्थियों को उन्हीं प्रवृत्तियों के अनुसार शिक्षा देंगे, तो वे निश्चय ही एक आदर्श विद्यार्थी बनकर एक श्रेष्ठ नागरिक की भूमिका निभा सकेंगे। अपने समाज और अपने देश को महान बनाने के लिए हमें यह अवश्य प्रयास करना चाहिए कि जो कोई जिस दिशा में विकास कर रहा है, उसे उसी दिशा में विकास करने दें। उसमें किसी प्रकार का. फेर-बदल न करें।

लेखक का पुनः कहना है कि हमें किसी का निठल्ला या कामचोर समझना नहीं चाहिए। अगर कोई ऐसा है, तो उसे कोसना नहीं चाहिए। उसे हीन भावना से नहीं देखना चाहिए। उसे हतोत्साहित करने के वजाय उसे उत्साहित ही करना चाहिए। यह हम अच्छी प्रकार से जानते हैं कि निठल्लों या कामचोरों को श्रीरामकृष्णदेव ने कभी न तो कोसा और न ही उन्हें हतोत्साहित किया। उन्होंने तो ऐसे व्यक्तियों को खूब उत्साहित किया। उससे उनकी जीवन धारा ऐसी वदल गई कि वे एक श्रेष्ठ नागरिक बनकर समाज और देश का कल्याण करने लगे। इस प्रकार श्रीरामकृष्णदेव ने किसी भी प्रकार के मनुष्य के जीवन को उच्च और श्रेष्ठ बनाने के लिए उसकी विशेप प्रवृत्तियों को कभी नहीं दवाया। उन्हें वैसे ही बढ़ने दिया। उन्होंने तो एक-से-एक अधम और गिरे हुए मनुप्य को उत्साहित कर और आशा दे-देकर ऊपर उठाने का सफल प्रयास किया।

विशेष :

  1. विद्यार्थी को उसकी आवश्यकतानुसार शिक्षा देने का सुझाव दिया गया
  2. श्रीरामकृष्णदेव के उल्लेख से विषय को स्पष्ट करने का सफल प्रयास है।
  3. हिन्दी-उर्दू की मिश्रित शब्दावली है।
  4. भाषा सरल है।
  5. यह अंश प्रेरणादायक रूप में है।

गद्यांश पर आधारित अर्थ-ग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) शिक्षा में किस प्रकार का परिवर्तन होना चाहिए?
(ii) विद्यार्थियों को किस प्रकार दिशा-निर्देश देना चाहिए?
(iii) ‘जो जहाँ पर है, उसे वहाँ से आगे बढ़ाओ।’ ऐसा लेखक ने क्यों कहा है?
उत्तर:
(i) शिक्षा में युग को ध्यान में रखकर विद्यार्थियों की आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन होना चाहिए।
(ii) विद्यार्थियों को उनकी प्रवृत्तियों के अनुसार दिशा-निर्देश देना चाहिए।
(iii) ‘जो जहाँ पर है, उसे वहाँ से आगे बढ़ओ।’ ऐसा लेखक ने कहा है। ऐसा इसलिए कि जो जिस दिशा में आगे बढ़ रहा है, उस दिशा में उसके विकास की और सम्भावमाएँ बनी रहती हैं। अगर उसे विपरीत दिशा में बढ़ने के लिए उस पर दबाव डाला जाएगा, तो उसका हुआ विकास बिखर जाएगा। उसकी और सम्भावनाएँ भी समाप्त हो जाएँगी।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) श्रीरामकृष्णदेव ने किस प्रकार निकम्मों को आगे बढ़ाया?
(ii) गिरे हुए मनुष्यों को कैसे ऊपर उठाना चाहिए?
उत्तर:
(i) श्रीरामकृष्णदेव ने उत्साहित और प्रेरित करके निकम्मों को आगे बढ़ाया।
(ii) गिरे हुए मनुष्यों को ऊपर उठाने के लिए उनमें आशा और विश्वास भरना चाहिए।

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5. विदेशी भाषा में दूसरे के विचारों को रटकर, अपने मस्तिष्क में उन्हें दूंसकर और विश्वविद्यालयों की कुछ पदवियाँ प्राप्त करके, तुम अपने को शिक्षित समझते हो। क्या यही शिक्षा है? तुम्हारी शिक्षा का उद्देश्य क्या है? या तो मुन्शीगिरी करना, या वकील हो जानाध्या अधिक-से-अधिक डिप्टी मैजिस्ट्रेट बन जाना, जो मुन्शीगिरी का ही दूसरा रूप है। बस यही न? इससे तुमको या तुम्हारे देश को क्या लाभ होगा? आँखें खोलकर देखों, जो भारतखण्ड अन्न का अक्षय भण्डार रहा है, आज वही उसी अन्न के लिए कैसी करुण पुकार उठ रही है! क्या तुम्हारी शिक्षा इस अभाव की पूर्ति करेगी? वह शिक्षा जो जनसमुदाय को जीवन-संग्राम के उपयुक्त नहीं बनाती, जो उनकी चारित्र्य-शक्ति का विकास नहीं करती, जो उनमें दया का भाव और सिंह का साहस पैदा नहीं करती, क्या उसे भी हम ‘शिक्षा’ का नाम दे सकते हैं?

शब्दार्थ :
रटकर-कण्ठस्थ कर। पदवियाँ-उपाधियाँ (डिग्रियाँ)। डिप्टीमैजिस्ट्रेट-उप जिलाधीश। करुण-दुखद। अभाव-कमी। उपयुक्त-उचित। चारित्र्य-चरित्र की। भूत-प्राणी, जीव।

प्रसंग :
पूर्ववत्। इसमें लेखक ने आधुनिक शिक्षा को आड़े हाथ लेते हुए जीवनोपयोगी शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया है।

व्याख्या :
लेखक का कहना है कि हमारी आज की शिक्षा अनुपयोगी सिद्ध हो रही है। वह अपने उद्देश्य से भटक चुकी है। आज के विद्यार्थी की रुचि स्वदेशी भाषा के प्रति न होकर विदेशी भाषा के ही प्रति हो रही है। इससे वह विदेशी संस्कृति को बेहिचक अपना रहा है। उसके मन-मस्तिष्क में विदेशीपन इस तरह घुस गया है कि उसे निकाल पाना कठिन हो गया है। देखा जाए तो आज की शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य विश्वविद्यालय की उपाधियाँ प्राप्त करना रह गया है। इसके द्वारा मुन्शीगिरी या डिप्टी मैजिस्ट्रेट जैसे पद को प्राप्त कर लेने तक सिमटकर रह गया है। इस प्रकार के शिक्षकों से अगर पूछा जाए कि क्या इससे वे समाज और देश का कोई भला कर सकेंगे; तो वे हाँ नहीं कह सकते हैं। ऐसा इसलिए उनमें इस प्रकार की शिक्षा लेकर समाज और देश का भला करने की कोई योग्यता-क्षमता है ही नहीं।

लेखक आज के शिक्षित नवजवानों को फटकारते हुए कह रहा है-हे आज शिक्षित नवजवानो! अपने इस देश की दुर्दशा को देखो। यह याद करो कि तुम्हारा यह देश कृषि प्रधान देश है। इसकी धरती अपार और अक्षय अन्न को उत्पन्न करने वाली रही है। लेकिन बड़े अफसोस के साथ यह कहना पड़ता है कि आज यहाँ के लोगों को भरपेट अन्न नहीं मिल रहा है। बार-बार अन्न की कमी से यहाँ के लोग बिलबिला रहे हैं। देश की इस दुर्दशा को दूर करने के लिए तुम्हारी शिक्षा क्या कारगर कदम उठा सकती है? शायद नहीं। इसलिए उस शिक्षा को सौ बार धिक्कार है, जो अपने देश और समाज को आत्मनिर्भर नहीं बनाती है। ऐसी शिक्षा किस काम की, जो सहानुभूति और कुछ कर गुजरने के भावों को नहीं पैदा करती है।

विशेष :

  1. आधुनिक शिक्षा की कमजोरियों पर सीधा प्रकाश डाला गया है।
  2. देश और समाज के लिए उपयोगी शिक्षा को महत्त्व दिया गया है।
  3. मिश्रित शब्दावली है।
  4. शैली रोचक है।

गद्यांश पर आधारित अर्थ-ग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) विदेशी भाषा और संस्कृति के प्रति लेखक ने क्या कहा है?
(ii) आज की शिक्षा का स्वरूप क्या है?
उत्तर:
(i) विदेशी भाषा और संस्कृति के प्रति लेखक का यह कहना है कि उससे हमारी भाषा और संस्कृति धूमिल और शक्तिहीन होती जा रही है। फलस्वरूप हमारा देश तन-मन से पुनः पराधीन होने के करीब आ चुका है।
(ii) आज की शिक्षा विदेशी शिक्षा के चंगुल में फंस गई है। इससे वह आत्मविवेक और मौलिक दृष्टिकोण देने में असमर्थ हो चुकी है।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) शिक्षा का क्या उद्देश्य होना चाहिए?
(ii) हम किस शिक्षा को ‘शिक्षा’ कह सकते हैं?
उत्तर:
(i) शिक्षा का यही उद्देश्य होना चाहिए कि वह अपने देश के नागरिकों
को अधिक-से-अधिक अन्न, वस्त्र और आवास प्रदान कर सके। दूसरे शब्दों में देश को आत्मनिर्भर बना सके।
(ii) हम उस शिक्षा को ‘शिक्षा’ कह सकते हैं, जो हमारी चारित्रिक शक्ति का विकास करती है। जो हर प्राणी के प्रति दयाभाव और कठिनाइयों का सामना करने के लिए साहस प्रदान करती है, वही सच्ची शिक्षा है।

6. हमें तो ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र बने, मानसिक बल बढ़ेबुद्धि का विकास हो और जिससे मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके। हमें आवश्यकता इस बात की है कि हम विदेशी अधिकार से स्वतन्त्र रहकर अपने निजी ज्ञान भण्डार की विभिन्न शाखाओं का और उसके साथ ही अंग्रेजी भाषा और पाश्चात्य विज्ञान का अध्ययन करें। हमें यान्त्रिक और ऐसी सभी शिक्षाओं की आवश्यकता है, जिनसे उद्योग-धन्धों की वृद्धि और विकास हो, जिससे मनुष्य नौकरी के लिए मारा-मारा फिरने के बदले अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त कमाई कर सके और आपत्काल के लिए कुछ संचय भी कर सके।

शब्दार्थ :
पाश्चात्य-पश्चिमी। यान्त्रिक यन्त्र सम्बन्धित। पर्याप्त अधिक। कमाई-धन प्राप्त करना। आपत्काल-संकट के समय। संचय-बचत।

प्रसंग :
पूर्ववत्। इसमें आज किस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है, लेखक ने इसे बतलाने का प्रयास किया है।

व्याख्या :
लेखक का कहना है कि आज विद्यार्थियों को वही शिक्षा देनी चाहिए, जिससे उनका चारित्रिक विकास हो। उनका मन-मस्तिष्क अधिक विकसित हो। उनकी बल-बुद्धि अधिक आगे बढ़े। हरेक मनुष्य आत्मनिर्भर बन सके। आज की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए कि वह हमें विदेशी संस्कृति के प्रभाव से मुक्त रखे। हमें स्वदेशीपन को अपनाने के लिए प्रेरित करे। हमें स्वतन्त्र जीवन जीने की दृष्टि दे। हमारी निजी समझ को अच्छी तरह से बढ़ावे। इसके बाद ही अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी ज्ञान-विज्ञान को समझे और समझने का प्रयास करे। हमें इस प्रकार की शिक्षा ही आज के इस विज्ञान के युग में चाहिए। ऐसा इसलिए कि इस प्रकार की शिक्षा से ही हमारे देश में विविध प्रकार के कल-कारखानों का विस्तार हो सकेगा। इससे बेरोजगारों को नौकरी मिल सकेगी। वे अपनी रोज की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। यही नहीं, वे अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए भी कुछ बचा सकेंगे।

विशेष :

  1. आज के युग में किस प्रकार की शिक्षा होनी चाहिए, इसे समझाया गया है।
  2. जीवनोपयोगी शिक्षा की विशेषताएँ बतलाई गई हैं।
  3. वाक्य गठन बड़े-बड़े हैं।
  4. सामासिक शब्दावली है।
  5. शैली वर्णनात्मक है।

गद्यांश पर आधारित अर्थ-ग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
(i) शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए?
(ii) आज हमारी सबसे बड़ी क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
(i)शिक्षा का स्वरूप विविध होना चाहिए! दूसरे शब्दों में मानसिक, चारित्रिक व बौद्धिक बल को बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाने वाली शिक्षा का स्वरूप होना चाहिए।
(ii) आज हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है-बेरोजगारी के चंगुल से मुक्त होना। इसके चंगुल से मुक्त होने के लिए अपने निजी ज्ञान को बढ़ाने की बहुत जरूरत है। इससे ज्ञान-विज्ञान की समझ उपजेगी और हमारे देश में विविध प्रकार के कलकारखानों का विस्तार होगा और बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) हमें आज सभी शिक्षाओं की क्यों आवश्यकता है?
(ii) उपर्युक्त गद्यांश का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर:
(i) हमें आज सभी प्रकार की शिक्षाओं की आवश्यकता है। यह इसलिए कि उनसे हमारा देश विकासशील से विकसित बन सकेगा। फिर हमें किसी देश पर किसी प्रकार निर्भर होने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा।
(ii) उपर्युक्त गद्यांश का मुख्य भाव है-‘आज हमें वैविध्यपूर्ण शिक्षा की आवश्यकता है। इससे हमारा वर्तमान और भविष्य दोनों ही सुखद और उज्ज्वल हो सकेगा।

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7. सभी प्रकार की शिक्षा और अभ्यास का उद्देश्य ‘मनुष्य’ निर्माण ही हो। सारे प्रशिक्षणों का अन्तिम ध्येय मनुष्य का विकास करना ही है। जिन प्रक्रिया से.. मनुष्य की इच्छा शक्ति का प्रवाह और प्रकाश संयमित होकर फलदायी बन सके, उसी का नाम है शिक्षा। आज हमारे देश को जिस चीज की आवश्यकता है, वह है लोहे की मांसपेशियां और फौलाद के स्नायु, दुर्दमनीय प्रचण्ड इच्छाशक्ति जो सृष्टि के गुप्त तथ्यों और रहस्यों को भेद सके और जिस उपाय से भी हो अपने उद्देश्य की पूर्ति करने में समर्थ हो, फिर चाहे उसके लिए समुद्र-तल में ही क्यों न जाना पड़े-साक्षात् मृत्यु का ही सामना क्यों न करना पड़े। हम ‘मनुष्य’ बनानेवाला धर्म ही चाहते हैं। हम ‘मनुष्य’ बनानेवाला सिद्धान्त ही चाहते हैं। हम सर्वत्र, सभी क्षेत्रों में ‘मनुष्य’ बनानेवाली शिक्षा ही चाहते हैं।

शब्दार्थ-ध्येय :
उद्देश्य। स्नायु-नाड़ी संस्थान। दुर्दमनीय-जिसका दमन करना कठिन हो। गुप्त-अप्रकट, छिपे हुए। साक्षात्-प्रत्यक्ष। प्रचण्ड-अत्यधिक।

प्रसंग :
पूर्ववत्। इसमें लेखक ने सभी प्रकार की शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य का विकास करना बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या :
चाहे कोई भी शिक्षा हो, उसका एकमात्र उद्देश्य मनुष्य बनाना होना चाहिए। दूसरे शब्दों में यह कि मनुष्य को बनाना या विकास करना ही शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए। इस उद्देश्य से विपरीत होने वाली शिक्षा सार्थक नहीं हो सकती है। उसे हम शिक्षा न कहकर अशिक्षा ही कहेंगे। इस प्रकार वास्तविक शिक्षा मनुष्य के साए हुए मजबूत भावों को जगाती है। उसमें तेजी लाती है। फिर उसे प्रभावशाली वनाती हुई उसे लोककल्याणकारी रूप दे डालती है। इस प्रकार की शिक्षा ही हमारे समाज और देश को आज चाहिए। हमारे समाज और देश को आज ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है, जो लोहे की तरह मजबूत मांसपेशियां और फौलादी नाड़ी संस्थानों के साथ अत्यधिक दृढ़ इच्छाशक्ति को ला सके। इससे ही सभी प्रकार के छिपे हुए भेदों को जाना जा सकता है।

आज हमें एक ऐसी ही शिक्षा की बहुत बड़ी आवश्यकता है जो मनुष्य बनाने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए किसी प्रकार की मुसीबत का सामना करने से पीछे न हटे। वह अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए समुद्र की गहराइयों में जाने का साहस दे सके। यही नहीं, सामने आई हुई मौत को भी ललकारने की हिम्मत दे सके। इस तरह आज हमें वही शिक्षा चाहिए जो मनुष्य को बनाने का धर्म हमें सिखा सके। इस प्रकार का मत-सिद्धान्त हमें बता सके। कहने का भाव यह है कि आज के युग की माँग मनुष्य बनाने वाली या मनुष्य का विकास करने वाली शिक्षा अत्यधिक है।

विशेष :

  1. आधुनिक युग की माँग मनुष्य बनाने वाली शिक्षा की है, इसे सुस्पष्ट किया गया है।
  2. शब्द उच्चस्तरीय हैं।
  3. शैली वर्णनात्मक है।
  4. वाक्य बड़े-बड़े हैं।
  5. यह अंश बोधगम्य है।

गद्यांश पर आधारित अर्थ-ग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) ‘मनुष्य’ निर्माण से लेखक का क्या आशय है?
(ii) किस प्रकार मनुष्य की इच्छाशक्ति प्रवाहित होकर फलदायी बन सकती है?
उत्तर:
(i) ‘मनुष्य’ निर्माण से लेखक का बहुत बड़ा आशय है। इसके द्वारा चारों ओर अपनापन, भाईचारा और आत्मीयता का वह वातावरण तैयार होगा, जिसमें सुख-शान्ति और आनन्द के अपेक्षित फूल खिलेंगे।
(ii) मनुष्य की इच्छाशक्ति सशिक्षा की प्रक्रिया से ही प्रवाहित होकर फलदायी बन सकती है।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर-
प्रश्न.
(i) आज हमारे देश को किस चीज की आवश्यकता है?
(ii) लेखक ने बार-बार ‘मनुष्य’ निर्माण का उल्लेख क्यों किया है?
उत्तर:
(i) आज हमारे देश की अनेक प्रकार की आवश्यकताएँ हैं। उसे आज ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है, जो उसके नागरिकों में फौलादी इच्छाशक्ति भर दे, जिससे सृष्टि के सभी गुप्त रहस्यों और तथ्यों का खुलासा कर सके। यही नहीं, उसे आज वही शिक्षा चाहिए, जो जीवन के हरेक क्षेत्रों में ‘मनुष्यता’ ला सके।
(ii) ‘मनुष्य’ निर्माण से चारों ओर अपनापन, भाईचारा, आत्मीयता का वातावरण निर्मित होता है जिससे मनुष्य को सुख-शान्ति और आनन्द के अपेक्षित फूल खिलेंगे।

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MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

साम्यावस्था (Equilibrium) NCERT अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थिर ताप पर बंद पात्र में एक दव अपनी वाष्प के साथ साम्यावस्था में है तथा अचानक पात्र का आयतन बढ़ जाता है
(a) वाष्पदाब परिवर्तन में क्या प्रभाव पड़ा?
(b) प्रारंभिक वाष्पन तथा संघनन दर में क्या परिवर्तन हुआ ?
(c) क्या होता है जब अंत में पुनः साम्यावस्था आती है तथा अंतिम वाष्पदाब क्या होगा?

उत्तर:
(a) प्रारंभ में वाष्पदाब घटता है, क्योंकि समान मात्रा की वाष्प बड़े स्थान पर बँट जाती है।
(b) प्रारंभ में वाष्पन की दर बढ़ती है क्योंकि ज्यादा स्थान उपलब्ध होता है परन्तु इकाई आयतन में उपस्थित वाष्प घटती है आयतन बढ़ने पर, इसलिये संघनन की दर प्रारंभ में घटती है।
(c) अंत में साम्यावस्था फिर से स्थापित हो जाती है, जब अग्र क्रिया तथा प्रतीप क्रिया की दर बराबर हो जाती है। अतः वाष्पदाब नहीं बदलता क्योंकि ये ताप पर निर्भर करता है, पात्र के आयतन पर निर्भर नहीं।

प्रश्न 2.
निम्न रासायनिक साम्य के लिये K. का मान ज्ञात कीजिए जबकि साम्यावस्था में सान्द्रण है – [SO2] = 0.60M, [O2] = 0.82 M एवं [SO3] = 1.90 M.
2SO2(g + O2(g)) ⇄ 2SO3(g)
हल:
अभिक्रिया 2SO2(g) + O2(g) ⇄ 2SO3(g) के लिये,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 1

प्रश्न 3.
108 Pa दाब तथा निश्चित ताप पर I2 वाष्य में 40% आयतन के माप पर I परमाणु है –
I2(g) ⇄  I2(g)
साम्य पर Kp की गणना कीजिए।
हल:
I2 व I के मोल का अनुपात है 60 : 40 या 3 : 2
अतः इस अनुपात पर I2 का अंश प्रभाज = \(\frac { 3 }{ 5 }\)
I का अंश प्रभाज == \(\frac { 2 }{ 5 }\)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 2

प्रश्न 4.
निम्न अभिक्रियाओं के लिये साम्य स्थिरांक K. के लिये व्यंजक लिखिए –
1. 2NOCl(g) ⇄ 2NO(g) + Cl2(g)
2. 2Cu(NO3)2(s) ⇄ 2CuO(s) + 4NO2(g) + O2(g)
3. CH3COOC2H5(aq) + H2O(l) ⇄  CH3 – COOH(aq) + C2H5OH(aq)
4. Fe(aq)+3 + 3OH(aq) ⇄ Fe(OH)3(s)
5. I2(s) + 5F2 ⇄  2IF5

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उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 29

प्रश्न 5.
निम्न रासायनिक साम्यों हेतु K के मान ज्ञात कीजिए जबकि K, के मान दिये हुए हैं –
1. 2NOCl(g) ⇄ 2NO(g) + Cl2(g), [Kp = 1.8 x 10-2 (at 500 K)]
2. CaCO3(s) ⇄ CaO(s) + CO2(g), [Kp = 167 (at 1073 K)]
हल:
1. ∆ng = 3 – 2 = 1,
Kp = \(\mathrm{K}_{p}=\mathrm{K}_{c}(\mathrm{RT})^{\Delta n_{g}}\),
1.8 x 10-2 = Kc × 500 × 0.082
Kc = 4.38 × 10-4mol L-1.

2. ∆n = 1, क्योंकि, ठोस पर विचार नहीं किया गया।
Kp =Kc (RT)∆n
167 = Kc × 0.0821 × 1073 या Kc = 1.9 मोल / लीटर।

प्रश्न 6.
निम्न साम्य के लिये K. = 6.3 x 10-3 (at 1000 K) NO(g)+ O(g) ⇄  NO2 + O2(g))
अग्र – प्रतीप क्रिया (साम्यावस्था) में तत्वीय द्वि-आण्विक अभिक्रिया है, तो प्रतीप क्रिया (विपरीत क्रिया) के लिये K. क्या होगा?
हल:
उत्क्रमणीय (उल्टी) क्रिया के लिये,
\(\frac { 1 }{ { K }_{ c } } \) = \(\frac { 1 }{ 6.3\times { 10 }^{ -3 } } \) = 0.159 ×103 = 159

प्रश्न 7.
शुद्ध द्रव व ठोस साम्य स्थिरांक, व्यंजक लिखते समय क्यों नहीं लिखते हैं ?
उत्तर:
[शुद्ध द्रव] या [शुद्ध ठोस]

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 3
स्थिर ताप पर शुद्ध द्रव या ठोस का घनत्व व अणुभार स्थिर होता है, इसलिये उनकी मोलर सान्द्रता स्थिर होती है, जो साम्य स्थिरांक में शामिल होता है।

प्रश्न 8.
N2 व O(g) के बीच रासायनिक अभिक्रिया निम्नानुसार होती है –
2N2(g) + O2(g) ⇄ 2N2O(g) यदि 0.482 मोल N2 एवं 0.933 मोल O2 को 10 लीटर के अभिक्रिया पात्र में किसी नियत ताप में रखकर N2O बनने दिया जाता है, जिसके लिये Kc= 2.0 × 10-37 है। साम्य पर साम्य मिश्रण का संघटन बताइए।
हल:
2N2(g) + O2(g) ⇄ 2N2O(g)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 4
Kc= 2.0 × 10-37 का मान अत्यधिक कम है अर्थात् अभिकारक की कम मात्रा क्रिया करती है। अतः x अत्यधिक कम होता है और उसे उपेक्षित कर देते हैं।

[N2] = 0.0482 मोल लीटर’-1, [O2] = 0.0933 मोल लीटर-1, [N2O] = 0.1x
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 5
हल करने पर, यह देता है, x = 6.6 × 10-20.
[N2O] = 0.1 × 6.6 × 10-20 = 6.6 × 10-21 मोल लीटर-1

प्रश्न 9.
नाइट्रिक ऑक्साइड, Br, से अभिक्रिया कर नाइट्रोसिल ब्रोमाइड बनाता है, जिसकी रासायनिक अभिक्रिया निम्न है –
2NO(g)+ Br(g) ⇄ 2NOBr(g)
जब 0.087 मोल NO एवं 0.0437 मोल Br2 को स्थिर ताप पर एक बन्द पात्र में मिलाया जाता है तो 0.0518 मोल NOBr साम्यावस्था में प्राप्त होता है। साम्य पर NO एवं Br2 की मात्राएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
0.0581 मोल NOBr का 0.0518 मोल NO और 0.518/2 = 0.0259 Br2 का मोल
साम्यावस्था पर NO की मात्रा = 0.087 – 0.0518 = 0.0352 मोल
Br2की मात्रा =0.0437 – 0:0259 = 0.0178 मोल।

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प्रश्न 10.
450 K पर K, = 2.0 × 1010/bar की साम्यावस्था अभिक्रिया के लिये 2SO2(g) + O2(g) ⇄ 2SO3(g) इस ताप पर K. का क्या मान होगा?
हल:
दी गई अभिक्रिया में ∆n = 2 – 2 – 1 = -1,
Kp = Kc (RT)-1
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 6

प्रश्न 11.
एक HI(g) का सैम्पल 0.2 वायुमण्डल दाब पर फ्लास्क में रखा गया। साम्यावस्था पर HI(g) का आंशिक दाब 0.04 वायुमण्डल पाया गया। दिये गये साम्य के लिये Kp का मान ज्ञात कीजिए।
2HI(g) ⇄ H2(g) + I2(g)
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 7

प्रश्न 12.
1.57 मोल N2 1.92 मोल H2 तथा 8.13 मोल NH3 को 20 लीटर के पात्र में 500 K पर रखा है। इस ताप पर अभिक्रिया N2(g)+ 3H2(g) → 2NH3(g) के लिये Kc = 1.7 × 102है। तो क्या अभिक्रिया मिश्रण साम्यावस्था पर है ? यदि नहीं तो नेट क्रिया की दिशा बताइए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 8
Qc < Kc इसलिये अभिक्रिया प्रतीप दिशा में चलेगी।

प्रश्न 13.
गैस अभिक्रिया के लिये साम्य स्थिरांक व्यंजक है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 9
इस व्यंजक के लिये संबंधित संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
साम्य स्थिरांक के व्यंजक के अनुसार अभिक्रिया होगी –
4NO(g) + 6H2O(g) ⇄  4NH3(g) + 502(g).

प्रश्न 14.
एक मोल H2O व एक मोल CO को 10 लीटर के पात्र में लेकर 725 K तक गर्म किया गया। साम्यावस्था पर भारानुसार 40% जल CO से निम्नानुसार अभिक्रिया करता है –
H2 O(g) + Co(g) ⇄  H2(g) + CO2(g) अभिक्रिया के लिये साम्य स्थिरांक की गणना कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 10

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प्रश्न 15.
700 Kताप पर अभिक्रिया H2(g) + I2(g) ⇄  2HI2(g) के लिये साम्य स्थिरांक 54.8 है। यदि साम्यावस्था पर 0.5 mol L-1 HI(g) इसी ताप पर उपस्थित हो तो H2(g) व I2(g) के सान्द्रण क्या होंगे ? अभिक्रिया को प्रारम्भिक रूप में HI(g) लेकर प्रारम्भ की गयी तथा 700 K तक साम्य स्थापित हुआ है।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 30

प्रश्न 16.
साम्यावस्था पर प्रत्येक पदार्थ का सान्द्रण क्या होगा, जबकि ICI का प्रारम्भिक सान्द्रण 0.78 M था –
2ICI(g) ⇄  I2(g) + Cl2(g), Kc = 0.14
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 11
[I2] [Cl2] = 0.167 M तथा [ICI] = 0.78 – 2 × 0.167 = 0.446 M.

प्रश्न 17.
नीचे दी गयी साम्य के लिये 899 K पर Kp, = 0.04 atm है। C2H6 का साम्य सान्द्रण क्या होगा, जबकि इसे 4.0 atm दाब पर फ्लास्क में साम्य स्थापित होने तक रखा गया है –
C2H6(g) ⇄  CH2 + H4(g) + H2(g)
हल:
यहाँ, Kp= 0.04 atm, C2H6 का प्रारंभिक दाब = 4 atm, साम्यावस्था पर C2H6 का दाब = ?
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 12
उपर्युक्त समीकरण में मान रखकर हम C2H6 का साम्यावस्था दाब की गणना करते हैं –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 13

प्रश्न 18.
एथेनॉल एवं ऐसीटिक अम्ल की अभिक्रिया से एथिल ऐसीटेट बनाया जाता है एवं साम्य को इस प्रकार दर्शाया जा सकता है –
CH3COOH(l) + C2H5OH(l) ⇄  CH2COOC5H5(l) + H2O(l)
इस अभिक्रिया के लिए सांद्रता अनुपात (अभिक्रिया – भागफल) Q.लिखिए (टीप-यहाँ पर जल आधिक्य में नहीं है एवं विलायक भी नहीं है –
यदि 293 K पर 1.00 मोल ऐसीटिक अम्ल एवं 0.18 मोल एथेनॉल प्रारंभ में लिये जाएँ तो अंतिम साम्य मिश्रण में 0.171 मोल एथिल ऐसीटेट है। साम्य स्थिरांक की गणना कीजिए। 0.5 मोल एथेनॉल एवं 1.0 मोल ऐसीटिक अम्ल से प्रारंभ करते हुए 293 K ताप पर कुछ समय पश्चात् एथिल ऐसीटेट के 0.214 मोल प्राप्त किया जाए तो क्या साम्य स्थापित हो गया ?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 14
क्योंकि, Qc का मान Kc से कम है, अतः साम्यावस्था नहीं आई है तथा अभिक्रिया अग्र दिशा में चलेगी।

प्रश्न 19.
PCI5 के एक शुद्ध सैम्पल को एक खाली पात्र में 473 K पर रखा गया। साम्यावस्था स्थापित हो जाने पर PCl,5 का सान्द्रण 0.5 x 10.1 मोल/लीटर पाया गया। यदि साम्य स्थिरांक Kc= 8.3 × 10-3 हो, तो साम्य पर PCl3 एवं CI2 के सागण बताइए।
PCl5(g) ⇄  PCl3(g) + Cl2(g).
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 15

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प्रश्न 20.
लौह अयस्क से स्टील बनाने की प्रक्रिया में आयरन (II) ऑक्साइड का अपचयन CO द्वारा होता है, जिसमें आयरन धातु व CO2 बनते हैं –
FeO(s) + CO(g) ⇄ Fe(s) + CO2(g), Kp = 0.265 atm (at 1050 K)
यदि प्रारम्भिक आंशिक दाब Pco = 1.4 atm एवं \({ P }_{ { CO }_{ 2 } }\) = 0.80 atm हो, तो CO व CO2 के साम्य आंशिक दाब क्या होंगे?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 16
क्योंकि, Qp>Kp इसलिये क्रिया प्रतीप दिशा में चलेगी।

प्रश्न 21.
अभिक्रिया N2(g) + 3H2(g)) ⇄ 2NH3(g) के लिये Kc 500 K पर 0.061 है। संघटन मिश्रण में 3.0 mol L-1 N2, 2.0 मोल L-1H2 तथा 0.5 mol L-1 NH3 हो, तो क्या अभिक्रिया साम्य में है, यदि नहीं तो साम्यावस्था के लिये अभिक्रिया किस दिशा में जायेगी?
हल:
N2(g) + 3H2(g)) ⇄ 2NH3(g)
किसी समय पर सान्द्रण, [N2] = 3.0 mol L-1,[H2] = 2.0 mol L-1,[NH3] = 0.5
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 17
अतः उस समय पर अभिक्रिया साम्य स्थिति में नहीं है क्योंकि Qc का मान Kc के बराबर नहीं है। (Kc>Qc)
चूँकि Qc का मान साम्य स्थिरांक, K. से कम है अतः साम्यावस्था प्राप्त करने हेतु अभिक्रिया अग्र दिशा में अग्रसर होगी।

प्रश्न 22.
BrCI वियोजन द्वारा Br2 तथा CI2 देकर साम्यावस्था पर पहुँचती है। 2BrCl(g) ⇄  Br2(g) + CL2(g) के लिये, Kc = 32, 500K ताप पर है। प्रारंभ में शुद्ध BrCI की सान्द्रता 3.3 × 10-3 मोल L-1है, तो साम्यावस्था पर मिश्रण में इसकी मोलर सान्दता क्या होगी?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 18

प्रश्न 23.
1127 K एवं 1 वायुमण्डलीय दाब पर CO एवं CO2 का गैसीय मिश्रण इस प्रकार साम्य में है कि कार्बन भारानुसार 90-55% CO में है –
C(s) + CO2(g) ⇄ 2CO(g)
इस ताप पर अभिक्रिया के लिये K. की गणना कीजिए।
हल:
माना, गैसीय मिश्रण का कुल भार 100g है।
अत: CO का भार = 90.55 g
तथा CO2 का भार = 100 – 90.55 = 9.45g
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 19

प्रश्न 24.
NO और O2 से NO2 बनने में साम्य स्थिरांक व ∆G° की गणना 298K पर कीजिए –
NO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2(g) ⇄  NO(g)
जबकि \({ \triangle G° }_{ { NO }_{ 2 } }\) = 52.0 kJ/mol, ∆fG°NO(NO)= 87.0 kJ/mol एवं ∆fG° (O2) = 0 k.J / mol.
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 20

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प्रश्न 25.
निम्न रासायनिक साम्यों में अभिक्रिया के क्रियाफलों के मोलों की संख्या बढ़ेगी, घटेगी या समान रहेगी, जब आयतन बढ़ाते हुए दाब कम कर दिया जाये –
(a) PCl5(g) ⇄  PCl3(g) + Cl2(g)
(b) CaO(s) + CO2(g) ⇄ CaCO3(g)
(c) 3Fe(s) + 4H2O(g) ⇄  Fe3O4(s) + 4H2(g)
उत्तर:
(a) अभिक्रिया अग्र दिशा में चलती है – उत्पाद के मोलों की संख्या बढ़ती है।
(b) अभिक्रिया प्रतीप दिशा में चलती है- अभिकारक के मोलों की संख्या बढ़ती है।
(c) कोई प्रभाव नहीं, गैसों के मोलों की संख्या दोनों तरफ समान है।

प्रश्न 26.
निम्न में कौन-सी क्रिया दाब बढ़ाने पर प्रभावित होती है तथा बताइए कि क्या परिवर्तन से क्रिया अग्र या प्रतीप दिशा में जायेगी

  1. COCl2(g) ⇄ CO(g)+ Cl2(g)
  2. CH4(g) + 2S2(g) ⇄ CS2(g) + 2H2S(g)
  3. CO2(g) + C(s) ⇄ 2CO(g)
  4. 2H2(g) + CO(g) ⇄  CH3OH(g)
  5. CaCO3(s) ⇄ CaO(s) + CO2(g)
  6. 4NH3(g) + 5O2(g) ⇄  4NO(g) + 6H2O(g).

उत्तर:

  1. ∆n(g), = 2 – 1 = 1, ∆n(g) > 0 दाब बढ़ाने पर प्रतीप दिशा में
  2. ∆n(g), = 3 – 3 = 0, दाब का कोई प्रभाव नहीं
  3. ∆n(g), = 2 – 1 = 1, ∆n(g) > 0 दाब बढ़ाने पर प्रतीप दिशा में
  4. ∆n(g), = 1 – 3 = -2, ∆n(g) < 0 दाब बढ़ाने पर अग्र दिशा में
  5. ∆n(g), = 1, ∆n(g) > 0 दाब बढ़ाने पर प्रतीप दिशा में
  6. ∆n(g), = 10-93 1, ∆n(g) > 0 दाब बढ़ाने पर प्रतीप दिशा में जायेगी।

प्रश्न 27.
निम्न अभिक्रिया के लिये साम्य स्थिरांक 1024 K पर 1.6 × 105 है –
H2(g) + Br2(g) ⇄ 2HBr(g)
यदि HBr को 10.0 बार दाब पर एक सीलबन्द पात्र में लिया गया हो तो सभी गैसों के लिये साम्य दाब की गणना कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 21
प्रश्न 28.
निम्न ऊष्माशोषी क्रिया से प्राकृतिक गैस के आंशिक ऑक्सीकरण से डाइहाइड्रोजन गैस मिलती है –
CH4(g) + H2O(g) ⇄ CO(g) + 3H2(g)

  1. उपर्युक्त क्रिया का Kpके लिये व्यंजक लिखिए।
  2. Kpका मान तथा साम्य मिश्रण का संघनन किस तरह प्रभावित होगा –
    • दाब बढ़ने पर
    • ताप बढ़ने पर
    • उत्प्रेरक के उपयोग द्वारा।

उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 23
(b) ∆n(g) = 4 – 2 = 2 ∆n(g) > O

  • ली-शातेलिए सिद्धांतानुसार अभिक्रिया साम्य प्रतीप दिशा में विस्थापित होती है।
  • अभिक्रिया ऊष्माशोषी है, अतः साम्य अग्र दिशा में विस्थापित होती है।
  • साम्य संघटन में कोई व्यवधान नहीं होता क्योंकि साम्य बहुत जल्दी स्थापित हो जाता है।

प्रश्न 29.
प्रभाव को समझाइए –

  1. H2के योग का,
  2. CH3OH के योग का,
  3. CO के निष्कासन का,
  4. CH3OH के निष्कासन का निम्न अभिक्रिया की साम्यावस्था पर –
    2H2(g)+ CO(g) ⇄ CH3OH(g).

उत्तर:

  1. साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाती है।
  2. साम्य प्रतीप दिशा में विस्थापित हो जाती है।
  3. साम्य प्रतीप दिशा में विस्थापित हो जाती है।
  4. साम्य अग्र दिशा में विस्थापित हो जाती है।

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प्रश्न 30.
473 K पर PCI5 के विघटन के लिये साम्य स्थिरांक (Kc) 8.3 x 10-3 है।
PCI5(g) ⇄  PCl3(g) + Cl2(g) AH° = 124.0 kJ mol-1
(i) अभिक्रिया में Kc के लिये व्यंजक लिखिए।
(ii) इसी ताप पर विपरीत अभिक्रिया के लिये Kc का मान क्या होगा ?
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 24

प्रश्न 31.
हैबर विधि में प्रयुक्त हाइड्रोजन को प्राकृतिक गैस से प्राप्त मेथेन को उच्च ताप की भाप से क्रिया कर बनाया जाता है। दो पदों वाली अभिक्रिया में प्रथम में Co और अधिक भाप से अभिक्रिया करती है। CO(g) + H2O(g) ⇄ CO2(g) + H2(g)यदि 400°C पर अभिक्रिया पात्र में CO एवं भाप का सममोलर मिश्रण इस प्रकार लिया जाए कि PCO = \({ P }_{ { H }_{ 2 }O }\) = 4.0 bar, H2 का साम्यावस्था पर आंशिक दाब क्या होगा ? (400°C पर Kp= 10.1.)
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 25

प्रश्न 32.
बताइये निम्न में से किस रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों व क्रियाफलों की सान्द्रता तुलनात्मक रूप से अधिक है –
(a) Cl2(g) ⇄ 2Cl(g); Kc= 5 x 10-39
(b) Cl2(g) + 2NO(g) ⇄ 2NOCl(g); Kc = 3.7 × 108
(c) Cl2(g) + 2NO2(g) ⇄ 2NO2Cl(g); Kc= 1.8.
उत्तर:
Kc = 1.8. यहाँ अभिकारक व उत्पाद की सान्द्रता पर्याप्त है।

प्रश्न 33.
अभिक्रिया 3O2(g) ⇄ 2O3(g) के लिये Kc का मान 2.0 x 10-50 25°C पर है। यदि O2 का 25°C पर साम्य सान्द्रता 1.6 × 10-2 है, तो O3 की सान्द्रता क्या होगी?
हल:
अभिक्रिया 3O2(g) ⇄ 2O2(g) में
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प्रश्न 34.
अभिक्रिया CO(g) + 3H2(g) ⇄ CH4(g) + H2O(g), 1 लीटर फ्लास्क में साम्य में है। इस फ्लास्क में 0.30 मोल CO, 0.10 मोल H2, 0.02 मोल H2O तथा CH4 का अज्ञात आयतन भी है तो मिश्रण में CH4 की सान्द्रता ज्ञात कीजिए। दिये गये ताप Kc का मान 3.90 है।
हल:
अभिक्रिया है – CO(g) + 3H22(g) ⇄ CH4(g) + H2O(g) .
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आयनिक साम्यावस्था (Ionic Equilibrium)  NCERT अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म का क्या अर्थ है ? निम्नलिखित स्पीशीज के लिए संयुग्मी अम्ल / क्षार बताइए –
HNO2, CN, HCIO4, F, OH, Co2-3– एवं S2-.
उत्तर:
अम्ल एवं क्षार के वे युग्म जिनमें केवल एक प्रोटॉन H+ का अन्तर होता है, संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म कहलाते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 31

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा लुईस अम्ल है –
H2O, BF3, H+‘ एवं NH+4.
उत्तर:
BF3, H+ और NH+4 (लुईस अम्ल इलेक्ट्रॉन-न्यून होते हैं)।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित ब्रॉन्स्टेड अम्लों के लिए संयुग्मी क्षारकों के सूत्र लिखिए –
HF, H2SO4 एवं HCO3.
उत्तर:
संयुग्मी अम्ल ⇄ संयुग्मी क्षार + H+
या संयुग्मी क्षार = संयुग्मी अम्ल – H+
अतः दिये गये अम्लों के संयुग्मी क्षार F, HSO4, CO32- हैं।

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प्रश्न 4.
ब्रॉन्स्टेड क्षारकों NH3, NH2, तथा HCOO के संयुग्मी अम्ल लिखिए।
उत्तर:
NH3, NH4+, HCOOH.

प्रश्न 5.
स्पीशीज H2O, HCO3, HSO4, तथा NH3, ब्रॉन्स्टेड अम्ल तथा क्षारक दोनों की भाँति व्यवहार करते हैं। प्रत्येक के संयुग्मी अम्ल तथा क्षारक बताइए।
उत्तर:
संयुग्मी अम्ल:
H3O+, H2CO3, H2SO4, NH4+

संयुग्मी क्षारक:
OH, CO2-4 , SO2-4 , NH2.

प्रश्न 6.
निम्नलिखित स्पीशीज को लुईस अम्ल तथा क्षारक में वर्गीकृत कीजिए तथा बताइए कि ये किस प्रकार लुईस अम्ल-क्षारक के समान कार्य करते हैं –

  1. OH
  2. F
  3. H+
  4. BCI3

उत्तर:

  1. OH एक लुईस क्षार है क्योंकि यह एक इलेक्ट्रॉन युग्म दाता की तरह व्यवहार करता है।
  2. F भी लुईस क्षार है।
  3. H+ एक लुईस अम्ल है क्योंकि यह इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही की तरह व्यवहार करता है।
  4. BCI3 एक इलेक्ट्रॉन – न्यून यौगिक है अत: यह एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही होगा। अत: यह एक लुईस अम्ल है।

प्रश्न 7.
एक मृदु पेय के नमूने में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता 3.8 x 10-3 M है। उसकी pH परिकलित कीजिए।
हल:
pH = – log [H+] = – log [3.8 x 10-3] = 2.42.

प्रश्न 8.
सिरके के एक नमूने की pH, 3.76 है, इसमें हाइड्रोजन आयन की सांद्रता ज्ञात कीजिए।
हल:
[H’] = Anti log [- pH]
= Anti log [- 3.76]
= 1.737 × 10-4M.

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प्रश्न 9.
HF, HCOOH तथा HCN का 298 K पर आयनन स्थिरांक क्रमशः 6.8 × 10-4, 1.8 × 10-4 तथा 4.8 × 10-9 है। इनके संयुग्मी क्षारकों के आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए। हल-यदि अम्ल एवं उनके संयुग्मी क्षारों के आयनन स्थिरांक Ka, एवं Kb, हो, तो
Ka × Kb= Kw
HCN – Ka = 4.8 × 10-9
4.8 × 10-9 × Kb = 10-14
.:. Kb = 2.083 × 10-6.

HCOOH – Ka = 1.8 x 10-4
1.8 x 10-4 × Kb = 10-10
∴ Kb = 5.55 × 10-11

HF – Ka = 6.8 × 10-4
6.8 × 10-4 × Kb = 10-14
∴ Kb= 1.47 × 10-11 .

प्रश्न 10.
फीनॉल का आयनन स्थिरांक 1.0 × 10-10 है। 0.05 M फीनॉल के विलयन में फीनोलेट आयन की सांद्रता तथा 0.01 M सोडियम फीनोलेट विलयन में उसके आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
फीनॉल का आयनन निम्नानुसार होगा –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 32
0.01 M सोडियम फीनोलेट की उपस्थिति में आयनन की कोटि की गणना इस प्रकार की जा सकती है
C6H5O Na+ → C6H5O + Na+
[C6H5O] = 0.01 = Cα

सोडियम फीनोलेट प्रबल विद्युत् अपघट्य है। इसलिए इसके फीनोलेट आयन, फीनॉल के फीनोलेट आयन सान्द्रण को कम करता है।
Kα = Cα2
= Cα × α
10-10 = 0.01 × α
α= 10-8.

प्रश्न 11.
H2S का प्रथम आयनन स्थिरांक 9.1 × 10-8 है। इसके 0.1 M विलयन में HS आयनों की सांद्रता की गणना कीजिए तथा बताइए कि यदि इसमें 0.1 M HCI भी उपस्थित हो, तो सांदता किस प्रकार प्रभावित होगी ? यदि H2S का द्वितीय वियोजन स्थिरांक 1.2 × 10-13 हो, तो सल्फाइड S2-आयनों की दोनों स्थितियों में सांद्रता की गणना कीजिए।
हल:
H2S का आयनन निम्न प्रकार होगा –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 33

0.1 M HCl की उपस्थिति में [H+] का सान्द्रण 0.1 M है, क्योंकि HCl, H2S से प्रबल अम्ल है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 34
H2S का कुल वियोजन स्थिरांक है –
\({ K }_{ a }={ K }_{ { a }_{ 1 } }\times { K }_{ { a }_{ 2 } }\)
= 9.1 × 10-8 × 1.2 × 10-13
= 1.092 × 10-20
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 35
0.1M HCl की उपस्थिति में
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 36

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प्रश्न 12.
एसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.74 × 10-5 है। इसके 0.05 M विलयन में वियोजन की मात्रा, ऐसीटेट आयन सांद्रता तथा pH का परिकलन कीजिए।
हल:
CH3COOH ⇄ CH3COO + H+

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 37

प्रश्न 13.
0.01 M कार्बनिक अम्ल (HA) के विलयन की pH, 4.15 है। इसके ऋणायन की सांदता, अम्ल का आयनन स्थिरांक तथा pKa मान परिकलित कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 38
[H+ ] [A ] = 7.08 × 10-5 M
pKa = – log Ka = – log 5 × 10-7 = 6.3.

प्रश्न 14.
पूर्ण वियोजन मानते हुए निम्नलिखित विलयनों के pH ज्ञात कीजिए –

1. 0.003 M HCl
2. 0.005 M NaOH
3. 0.002 M HBr
4. 0.002 M KOH.

हल:
1. [H+] = [HCl] = 0.003 M
pH = -log[H+] = – log( 3 × 10-3)= 2.52.

2.  [OH] = [NaOH] = 0.005 M
pOH = -log 5 × 10-3 = 2.301
pH = 14 – 2.301 = 11.699.

3. [H+] = [HBr] = 0.002 M
pH = -logH+ = -log(2 × 10H-3)= 2.6989.

4. [OH] = [KOH] = 0.002 M
POH = -log[OH ] = -log(2 × 10-3)= 2.6989
pH = 14 – 2.6989 = 11.3011.

प्रश्न 15.
निम्नलिखित के pH की गणना कीजिये –
(a) 2 ग्राम TiOH जल में घोलकर 2 लीटर विलयन बनाया जाए।
(b) 0.3 ग्राम Ca(OH)2 को जल में घोलकर 500 ml विलयन बनाया जाए।
(c) 0.3 ग्राम NaOH को जल में घोलकर 200 ml विलयन बनाया जाए।
(d) 13.6 M HCI के 1ml का जल से तनुकरण करके कुल आयतन 1 लीटर विलयन बनाया जाए।
हल:
(a) मोलरता
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 39
Ti(OH)(aq) → Ti+ + OH(aq)
[OH ] = 4.9 × 10-3M, POH = -log(OH)
= – log(4.9 × 10-3 M) = 2.309
pH = 14 -2.309 = 11.691.

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 40
Ca(OH)2 → Ca2+ + 2OH(aq)
[OH] = 2 x 8.1 × 1-3 = 0.0162 M
POH = – log[OH ] = -log(1.62 × 10-2‘) = 1.79
pH = 14 – 1.79 = 12.21.

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 41
NaOH → Na+(aq) + OH(aq)
[OH] = 0.0375 M, POH = -log[OH]
= – log [3.75 × 10-2] = 1.426
pH = 14 – 1.426 = 12.574.

(d) M1V1 (तनुकरण से पहले) = M2V2 (तनुकरण के बाद)
13.6 x 1 = M2 × 1000
M2 = 0.0136 M, HCl(aq) → H+(aq) + Cl(aq)
[H+] = 0.0136 M, pH = -log(1.36 × 10-2) = 1.866.

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प्रश्न 16.
ब्रोमोएसीटिक अम्ल के आयनन की मात्रा 0.132 है। 0.1 M अम्ल की pH तथा pKa का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 42
[H+] = Ca = 0.1 ×- 0.132 = 1.32 × 10-2
pH = -log(1.32 × 10-2) = 1.88
[H+] =\(\sqrt { { K }_{ a }×C } \) या 1.32 × 10-2 = \(\sqrt { { K }_{ a }×0.1 } \)
Ka = 1.74 × 10-3
pKa = -log Ka = -log(1.74 × 10-3) = 2.76.

प्रश्न 17.
0.005 M कोडीन (CH18H21NO3) विलयन की pH 9.95 है। इसका आयनन स्थिरांक एवं pKb ज्ञात कीजिए।
हल:
कोडीन + H2O ⇄ कोडीन H+ + OH
pH = 9.95
pOH = 14 – 9.95 = 4.05
या – log [OH ] = 4.05 या log [OH] = – 4.05
[OH] = Anti log [- 4.05] = 8.913 × 10-5M
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 43
= 1:59 × 10-6
pKb= – log (1.59 × 10-6) = 6 – 0.1987 = 5.8.

प्रश्न 18.
0.001 M एनिलीन विलयन का pH क्या है? एनिलीन का आयनन स्थिरांक 4.27 = 10-10 है। इसके संयुग्मी अम्ल का आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
हल:
एनिलीन एक दुर्बल क्षार है जो निम्नानुसार आयनन होगा –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 44
= 6.53 ×  10-7
pOH = – log [OH ] = – log (6.53 × 10-7) = 6.19
∴ pH = 14 – 6.19 = 7.81
[OH ] = Cα या 6.53 × 10-7 = 0.001 × α
या α = 6.53 × 10-4
संयुग्मित अम्ल के लिए,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 45

प्रश्न 19.
यदि 0.05 M ऐसीटिक अम्ल के pK, का मान 4.74 है, तो आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए। यदि इसे (a) 0.01 M, (b) 0-1 M HCI विलयन में डाला जाए, तो वियोजन की मात्रा किस प्रकार प्रभावित होती है ?
हल:
pKα = – log Kα = 4.74
Kα = Antilog (-4.74)
= 1.82 × 10-5
α की गणना निम्नानुसार की जा सकती है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 46

(a) 0.01 M HCl की उपस्थिति में,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 47
(b) 0.1 M HCl की उपस्थिति में
HCl → H+ + Cl
[H+] = 0.1 M
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 48
या 1.82 – 10-5 = latex]\frac { 0.05α × 0.1 }{ 0.01 }[/latex]
α = 1.82 × 10-4

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प्रश्न 20.
डाइमेथिल एमीन का आयनन स्थिरांक 5.4 × 10-4 है। इसके 0.02 M विलयन की आयनन की मात्रा की गणना कीजिए। यदि यह विलयन NaOH प्रति 0.1 M हो, तो डाइमेथिल एमीन का प्रतिशत आयनन क्या होगा?

हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 49

प्रबल क्षार NaOH की उपस्थिति में डाइमेथिल ऐमीन का आयनन समायन प्रभाव के कारण घट जाता है। यदि डाइमेथिल एमीन का वियोजन x हो, तो
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 50

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 51
या 0.54% = वियोजित।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित जैविक द्रवों, जिनमें pH दी गई है, की हाइड्रोजन आयन सांद्रता परिकलित कीजिए –

  1. मानव पेशीय द्रव, 6.83
  2. मानव उदर द्रव, 1.2
  3. मानव रुधिर, 7.38
  4. मानव लार, 6.4.

हल:

  1. [H+] = Anti log [-PH] = Anti log (-6.83) = -479 × 10-7M
  2. [H+] = Anti log (-1.2] = 0.063 M
  3. [H+] = Anti log (-1.38] = 4.168 × 10-8M
  4. [H+] = Anti log [- 6.4] = 3.98 × 10-7 M.

प्रश्न 22.
दूध, काली कॉफी, टमाटर रस, नीबू रस तथा अंडे की सफेदी के pH का मान क्रमशः 6.8, 5.0, 4-2, 2-2 तथा 7.8 हैं। प्रत्येक के संगत H+ आयन की सान्द्रता ज्ञात कीजिए।
हल:
दूध (Milk) [H+] = Antilog [-pH]
= Anti log [6.8]
= 1.58 × 10-7M

काली कॉफी (Black Coffee) [H+] = Antilog [-pH]
= Anti log[-5] = 10-5M

टमाटर का रस (Tomato Juice) [H+] = Antilog [-pH]
= Anti log [-4.2] = 6.3 × 10-5M

नीबू का रस (Lemon Juice) [H+] = Anti log [-pH] –
= Anti log [-2.2] = 6.309 × 10-3M

अण्डे की सफेदी (White Egg) [H+] = Anti log [-pH]
= Anti log [-7.8] = 1.584 × 10-8M.

प्रश्न 23.
298 K पर 0.561g, KOH जल में घोलने पर प्राप्त 200 mL विलयन की है, पोटैशियम, हाइड्रोजन तथा हाइड्रॉक्सिल आयनों की सांद्रताएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 52

प्रश्न 24.
298K पर Sr(OH)2 विलयन की विलेयता 19.23 gm/L है।स्ट्राँशियम तथा हाइड्रॉक्सिल आयन की सांद्रता तथा विलयन की pH ज्ञात कीजिए।
हल:
Sr(OH)2 का अणुभार = 87.6 + 34 = 121.6 g mol-1
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 53
Sr(OH)2 → Sr+2 + 2OH
[Sr+2 ] = 0.1581, [OH ] = 2 × 0.1581 = 0.3162
pOH = – log [0.3162] = 0.5
pH = 14 – pOH = 14 – 0.5 = 13.5

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प्रश्न 25.
प्रोपेनोइक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1:32 × 10-5 है। 0.05 M अम्ल विलयन के आयनन की मात्रा तथा pH ज्ञात कीजिए। यदि विलयन में 0.01 M HCl मिलाया जाए तो उसके आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 54
HCl उपस्थिति में प्रोपेनोइक अम्ल का वियोजन कम होता है। मानलो x मोल वियोजित होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 55
जहाँ x बहुत कम (0.05 – x) है इसलिये इसे 0.05 लेने पर और 0.1 – x = 0.1
Kα \(\frac { x × 0.01 }{0.05 }\) =132 × 10-5
या x = 6.60 × 10-5
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 55
या 0.132% वियोजित हुआ।

प्रश्न 26.
यदि साइनिक अम्ल (HCNO) के 0.1M विलयन की pH 2.34 हो, तो अम्ल के आयनन स्थिरांक तथा आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
HCNO एक दुर्बल अम्ल है। अत: निम्नानुसार आयनित होगा –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 57
Cα = Anti log [- pH].
या 0.1 × α = Anti log [-2.34]
α = 0.0457
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 58

प्रश्न 27.
यदि नाइट्रस अम्ल का आयनन स्थिरांक 4.5 × 10-4है, तो 0.04 M सोडियम नाइट्राइट विलयन की pH तथा जलयोजन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
यह दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार का लवण है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 59
= 1.06 × 10-8
अब pH = – log [H+ ] = – log (1.06 × 10-8 ) = 7.97
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 60

प्रश्न 28.
यदि पिरिडीनियम हाइड्रोजन क्लोराइड के 0.02 M विलयन का pH 3.44 है, तो पिरिडीन का आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
हल:
पिरिडीनियम हाइड्रोक्लोराइड एक प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षार से बना लवण है।
pH = 3.44
[H+ ] = Anti log [-pH]
[H+ ] = Anti log [-3.44] = 3.63 × 10-4M
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 61

प्रश्न 29.
निम्नलिखित लवणों के जलीय विलयनों के उदासीन, अम्लीय तथा क्षारीय होने की प्रागुक्ति कीजिए –
NaCl, KBr, NaCN, NH4NO3, NaNO2, तथा KE.
उत्तर:
NaCN, NaNO2 एवं KF के विलयन क्षारीय होंगे, क्योंकि ये दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार से बने लवण हैं। NaCl एवं KBr के विलयन उदासीन होंगे, क्योंकि ये लवण प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षार से बने हैं। NH4NO3 का विलयन अम्लीय होगा, क्योंकि यह प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षार से बने लवण का विलयन है।

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प्रश्न 30.
क्लोरोएसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.35 × 10-3 है। 0.1 M अम्ल तथा इसके 0.1 M सोडियम लवण की pH ज्ञात कीजिए।
हल:
0.1 M अम्ल का pH:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 62
pH = – log (1.16 × 10-2) = 1.94
0.1 M सोडियम लवण का pH = ये दुर्बल अम्ल का प्रबल क्षार का लवण है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 63
= 1.16 × 10-8 या pH = -log[H+] = -log[1.16 × 10-8] = 7.94.

प्रश्न 31.
310 K पर जल का आयनिक गुणनफल 2.7 × 10-14 है। इसी तापक्रम पर उदासीन जल की pH ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 117

प्रश्न 32.
निम्नलिखित मिश्रणों की pH परिकलित कीजिए –
(a) 0.2 M Ca(OH)2 का 10 mL+ 0-1 M HCI का 25 mL
(b) 0.01 M H2SO4. का 10 mL + 0.01 M Ca(OH)2 का 10 mL
(c) 0.1 M H2SO4 का 10 mL + 0.1 M KOH का 10 mL.
हल:
(a) Ca(OH)2 के मोलों की संख्या = \(\frac { MV }{ 1000 }\) = \(\frac { 0.2×10 }{ 1000 }\) =0.002
HCl के मोलों की संख्या = \(\frac { MV }{ 1000 }\) = \(\frac { 0.1 × 25 }{ 1000 }\) =0.0025
OH के मोलों की संख्या
अर्थात् nOH = 2 × 0.002 = 0.004
तथा \({ n }_{ { H }^{ + } }\) = 0.0025
उदासीनीकरण के बाद बचे OH आयन = 0.004 – 0.0025 = 0.0015
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 64
=0.0428
pOH = -log[OH] = -log[4.28 × 10-2] = 1.368
pH = 14 – 1.368 = 12.64.
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 65
OH मोलों की संख्या \({ n }_{ { H }^{ + } }\) = 2 × Ca(OH)2 के मोलों की संख्या
H+, OH दोनों बराबर हैं। अतः विलयन उदासीन होगा।

(c) H के मोलों की संख्या, \({ n }_{ { H }^{ + } }\) = 2  × H2SO4 के मोलों की संख्या
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 68
OH के मोलों की संख्या, \({ n }_{ { OH }^{ – } }\) = KOH के मोलों की संख्या
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 69
उदासीनीकरण के बाद बचे H* मोलों की संख्या = 2 × 10-3 – 1 × 10-3 = 1 × 10-3 मोललता या [H+] का सान्द्रण –
pH = -log (5 × 10-2) = 1.301.

प्रश्न 33.
सिल्वर क्रोमेट, बेरियम क्रोमेट, फेरिक हाइड्रॉक्साइड, लेड क्लोराइड तथा मर्पूरस आयोडाइड विलयन की विलेयता गुणनफल स्थिरांक की सहायता से विलेयता ज्ञात कीजिए तथा प्रत्येक आयन की मोलरता भी ज्ञात कीजिए।
हल:
यदि सभी लवणों की विलेयता 5 मोल/लीटर है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 70
[Ag+] = 2 × 6.5 × 10-5 = 13 × 10-5M
[Cro2-4] = s = 6.5 × 10-5M.

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 71

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 72
[Fe+3] = s = 1.38 × 10-10 M
[OH] = 3 × 1. 38 × 10-10= 4.14 × 10-10 M.

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 73
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 74

प्रश्न 34.
Ag2Cro4 तथा Ag Br का विलेयता गुणनफल स्थिरांक क्रमशः 1.1 × 10-12 तथा 5.0 × 10-13 है। उनके संतृप्त विलयन की मोलरता का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
Ag2CrO4 का Ksp = 4s3 = 1.1 × 10-12 या s = 6.5 × 10-5
AgBr का Ksp = s2 = 5 × 10-13 या s = 7.07 × 10-7
अनुपात = \(\frac { 6.5 × 10-5 }{ 7.07 × 10-7 }\) = 91.9

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प्रश्न 35.
यदि 0.002 M सांद्रता वाले सोडियम आयोडेट तथा क्यप्रिक क्लोरेट विलयन के समान आयतन को मिलाया जाए, तो क्या कॉपर आयोडेट का अवक्षेपण होगा? (कॉपर आयोडेट के लिए K = 7.4 × 1-8).
हल:
2NalO3 + CuCrO4 – Na2CrO4 + Cu(IO3)2
मिश्रित करने के पश्चात् [NalO3] = [IO3 ] = \(\frac { 2\times { 10 }^{ -3 } }{ { 2 } } \) = 10-3M
[CuCrO4] = [Cu+2] = \(\frac { 2\times { 10 }^{ -3 } }{ { 2 } } \) = 10-3 M
Cu(IO3)2 का आयनिक गुणनफल = [Cu+2] [IO3]2
= (10-3) (10-3)2
= 10-9
चूँकि आयनिक गुणनफल का मान Ksp से कम है। अतः अवक्षेपण प्रारंभ नहीं होगा।

प्रश्न 36.
बेन्जोइक अम्ल का आयनन स्थिरांक 6.46 × 10-5 तथा सिल्वर बेन्जोएट का Ksp2.5 × 10-13 है। 3.19 pH वाले बफर विलयन में सिल्वर बेन्जोएट जल की तुलना में कितना गुना विलेय होगा?
हल:
मानलो, सिल्वर बेन्जोएट की विलेयता s है।
C6H5COOAg ⇄ C6H5COO + Ag+
[Ag+] = [C6H5COO] =s, Ksp = s2, s = \(\sqrt { { K }_{ sp } } \) s = \(\sqrt { 12-5\times { 10 }^{ -13 } } \) = 5 × 10-7 मोल L-1

बफर में विलेयता [H+], बफर = Anti log [-3.19]
C6H5COOH ⇄ C6H5COO + H+ = 6.45 × 10-4M
H+, C6H5COO मिलकर C6H5COOH बनाते हैं, विलयन बफर है इसलिये H+ स्थिर होगा। दिया है –
Kα = 6.46 × 10-5
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 75
[C6H5COOH) = 10 × [C6H5COO”]
मानलो, बफर विलयन में सिल्वर बेन्जोएट की घुलनशीलता = × mol L-1 है।
अधिकतर C6H5COO , C6H5COOH में बदल जाते हैं।
[Ag+] = × = C6H5COOH + C6H5COO
= 10C6H5COO + C6H5COO
= 11C6H5COO
[C6H5COO] = \(\frac { x }{ 11 }\)[Ag+] =x
Ksp = [C6H5COO ] [Ag+]
या 2.5 × 10-13 = \(\frac { x × x }{ 11 }\) या x = 1.66 × 10-6
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 76

प्रश्न 37.
फेरस सल्फेट तथा सोडियम सल्फाइड के सममोलर विलयनों की अधिकतम सान्द्रता बताइए जब उनके समान आयतन मिलाने पर आयरन सल्फाइड अवक्षेपित न हो (आयरन सल्फाइड के लिए Ksp = 6.3 × 10-18)
हल:
मानलो, प्रत्येक FeSO4 व Na2S की सान्द्रता C मोल L-1 है। दोनों के बराबर आयतन मिलाने पर,
[FeSO4] = [Na2S] = \(\frac {C }{ 2 }\)M
अर्थात् [Fe2+] = [S-2] \(\frac {C }{ 2 }\)
Ksp [FeS के लिये] = [Fe2+] [S-2] = 6.3 × 10-18 = \(\frac {C }{ 2 }\) × \(\frac {C }{ 2 }\)
या C2 = 25.2 × 10-18 या C = 5.02 x 10-9M.

प्रश्न 38.
1 ग्राम कैल्सियम सल्फेट को 298K घोलने के लिए कम-से-कम कितने आयतन जल की आवश्यकता होगी? (कैल्सियम सल्फेट के लिए Ksp = 9.1 × 10-6 ).
हल:
यदि 298 K ताप पर CuSO4 की विलेयता ‘s’ मोल प्रति लीटर हो, तो Ksp = S2
S = \(\sqrt { 9.1\times { 10 }^{ -6 } } \) = 3.016 × 10-3 मोल प्रति लीटर
ग्राम प्रति लीटर में विलेयता = 3:016 x 10-3 × 136 = 0.41 ग्राम प्रति लीटर
1 g को घोलने के लिए आवश्यक जल =\(\frac {1 }{ 0.411 }\) लीटर = 2.43 लीटर।

प्रश्न 39.
0.1 M HCI में हाइड्रोजन सल्फाइड से संतृप्त विलयन की सांद्रता 1.0 × 10-19 M है। यदि इस विलयन का 10 mL निम्नलिखित 0.04 M विलयन के 5 mL डाला जाए, तो किन विलयनों से अवक्षेप प्राप्त होगा – FeSO4 MnCl2, ZnCl2 Ta CaCl4.
हल:
हम जानते हैं जब आयनिक गुणनफल का मान विलेयता गुणनफल से अधिक होता है, तो अवक्षेपण प्रारंभ होता है। मिश्रित करने के पश्चात् -आयनों का सान्द्रण होगा –
M1V1 = M2V2
1 x 10-19 × 10 = M2 x 15.
M2 = 6.67 × 10-20M

मिश्रित होने के पश्चात् धातु आयनों का सान्द्रण होगा –
[Fe+2] = [Mn+2] = [Zn+2] = [Cd+2] = \(\frac {5 × 0.04 }{ 15 }\)
= 1.33 × 10-2 M

इन धातु सल्फाइडों का आयनिक गुणनफल –
= 1:33 × 10-2 × 6.67 × 10-20
= 8.87 × 10-22 M2.
केवल ZnS एवं Cds आयनों का अवक्षेपण होगा क्योंकि इनके आयनिक गुणनफल का मान विलेयता गुणनफल से अधिक है।

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साम्यावस्था अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

साम्यावस्था वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
इनमें से किस अभिक्रिया के लिए K. और K, बराबर होंगे
(a) N2(g) + 3H2(g) ⇄ 2NH3(g))
(b) 2H2S(g) + 3O2(g) ⇄ 2SO2(g) + 2H2 O2(g)
(c) Br2(g) + Cl2(g) ⇄ 2BrCl(g)
(d) P4(g) + 6Cl2(g) ⇄ 4PCl3(g)
उत्तर:
(c) Br2(g) + Cl2(g) ⇄ 2BrCl(g)

प्रश्न 2.
अभिक्रिया N2(g) + 3H2(g) ⇄ 2NH3 ; AH = – 92kJ में ताप वृद्धि में साम्यावस्था पर NH3 की सान्द्रता –
(a) बढ़ती है।
(b) नहीं बदलती
(c) घटती है
(d) पहले घटती तथा बाद में बढ़ती है।
उत्तर:
(c) घटती है

प्रश्न  3.
अमोनिया संश्लेषण की ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया N2(g) + 3H2(g)= 2NH3(g). किस अवस्था में अधिक होगी –
(a) उच्च ताप, उच्च दाब
(b) उच्च ताप, निम्न दाब
(c) निम्न ताप, उच्च दाब
(d) निम्न ताप, निम्न दाब।
उत्तर:
(c) निम्न ताप, उच्च दाब

प्रश्न 4.
SO2 व O2 द्वारा SO2 में ऑक्सीकरण एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।SO का निर्माण अधिकतम होगा यदि –
(a) ताप बढ़ाया जाए, दाब घटाया जाए।
(b) ताप घटाया जाए, दाब बढ़ाया जाए
(c) ताप व दाब दोनों बढ़ाए जाएँ
(d) ताप व दाब दोनों घटाए जाएँ।
उत्तर:
(b) ताप घटाया जाए, दाब बढ़ाया जाए

प्रश्न 5.
साम्य में स्थित किसी उत्क्रमणीय अभिक्रिया का क्या होगा जब दाब स्थिर रहते हुए कोई निष्क्रिय गैस मिला दी जाय –
(a) अधिक उत्पाद बनेगा
(b) कम उत्पाद बनेगा
(c) अधिक अभिकारक बनेगा
(d) अप्रभावित रहेगी।
उत्तर:
(d) अप्रभावित रहेगी।

प्रश्न  6.
N2 + 3H2 = 2NH3+ ऊष्मा, के लिए –
(a) pKp = Kc
(b) Kp = KcRT
(c) Kp = Kc(RT)-2
(d) Kp = Kc(RT)-1
उत्तर:
(a) pKp = Kc

MP Board Solutionsc

प्रश्न  7.
साम्य पर उत्क्रमणीय अभिक्रिया पर मुक्त ऊर्जा परिवर्तन होगा –
(a) 0
(b) >0
(c) α
(d) 1.
उत्तर:
(a) 0

प्रश्न  8.
जल – वाष्प भौतिक साम्य के लिए दाब प्रयुक्त करने पर –
(a) क्वथनांक बढ़ेगा
(b) गलनांक घटेगा
(c) क्वथनांक कम होगा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) क्वथनांक बढ़ेगा

प्रश्न  9.
निम्न में किसका pH मान उच्चतम है –
(a) CH3COOK
(b) Na2CO3
(c) NH4Cl
(d) NaNO3
उत्तर:
(b) Na2CO3

प्रश्न  10.
10-8M HCl का pH होगा –
(a)8
(b)7
(c) 7 और 8 के बीच
(d) 6 और 7 के बीच।
उत्तर:
(d) 6 और 7 के बीच।

प्रश्न  11.
यदि N2 + 3H2 ⇄ 2NH3 के लिए K है तब 2N2 + 6H2 ⇄ 4NH3 के लिए K’ होगा –
(a) K2
(b) \(\sqrt { K } \)
(c) \(\frac { 1 }{ \sqrt { K } }\)
(d) \(\frac { 1 }{ { k }^{ 2 } }\)
उत्तर:
(a) K2

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प्रश्न  12.
ऐल्युमिनियम क्लोराइड है –
(a) ब्रॉन्स्टेड अम्ल
(b) आर्चीनियस अम्ल
(c) लुईस अम्ल
(d) लुईस क्षार।
उत्तर:
(d) लुईस क्षार।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. बर्फ ⇄ जल – Q cal. इस अभिक्रिया में उच्च ताप अभिक्रिया को ……………… दिशा में तथा दाब वृद्धि क्रिया को ………….. दिशा में प्रेरित करेगी।
  2. ओस्टवाल्ड तनुता नियम के अनुसार आयनन की मात्रा और आयनन स्थिरांक के मध्य सम्बन्ध के गणितीय रूप को …………… द्वारा व्यक्त किया जाता है। दुर्बल विद्युत् अपघट्य के वियोजन की मात्रा उसकी ………… के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
  3. एसीटिक अम्ल और सोडियम एसीटेट का मिश्रित विलयन ……………. विलयन का उदाहरण है।
  4. अमोनियम क्लोराइड और अमोनियम हाइड्रॉक्साइड का मिश्रित विलयन …………… विलयन का उदाहरण है।
  5. अवक्षेपण हेतु आयनिक गुणनफल विलेयता गुणनफल से ………………….. होना चाहिये।
  6. ओस्टवाल्ड का तनुता नियम …………………….के लिये लागू नहीं होता है।
  7. साम्य स्थिरांक पर ताप के प्रभाव ………………. समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है।
  8. अभिक्रिया N2 + 3H2 ⇄ 2NH3 के लिए Kc की इकाई …………. है।
  9. Kp और Kc का मान ……………… के साथ परिवर्तित होते हैं।
  10. साम्य स्थिरांक का मान अधिक होने पर अभिक्रिया ………………… में अधिक विस्थापित रहती है।

उत्तर:

  1. अग्र, अग्र
  2. α =\(\sqrt { \frac { { K }_{ a } }{ c } } \) सान्द्रण के वर्गमूल
  3. अम्लीय बफर
  4. क्षारीय बफर
  5. अधिक
  6. प्रबल विद्युत् अपघट्य
  7. वाण्ट हॉफ समीकरण
  8. (मोल/ लीटर)-2
  9. ताप
  10. अग्र दिशा।

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प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 28
उत्तर:

  1. (c) क्षारीय होता है जलीय विलयन
  2. (a) अम्लीय होता है
  3. (d) दुर्बल अम्ल और दुर्बल क्षार होता है
  4. (b) उदासीन होता है
  5. (1) Kp = Kc
  6. (e) Kp > Kc
  7. (g) Kp < Kc.

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प्रश्न 4.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. K. की इकाई हेतु सान्द्रता को व्यक्त करते हैं।
  2. अमोनिया गैस जल में घुलकर NH4OH देता है यहाँ जल किस प्रकार व्यवहार करता है ?
  3. जब NH4CI को NH4OH विलयन में मिलाया जाता है तो NH4OH का आयनन कम हो जाता है इसका क्या कारण है ?
  4. जल का 25°C पर pH = 7 है, यदि जल को 50°C तक गर्म किया जाये, तो pH में क्या परिवर्तन होगा?
  5. H2PO4 तथा HCO3 के संयुग्मी क्षारक लिखिए।
  6. एक आयन का नाम लिखिए जो ब्रॉन्स्टेड अम्ल और क्षार दोनों की तरह व्यवहार करता है।
  7. दुर्बल अम्ल व दुर्बल क्षार से बने लवण का कोई एक उदाहरण बताइये।
  8. मानव रक्त का pH मान क्या है ?
  9. NaCl विलयन में HCl गैस गुजारने से क्या होता है ?
  10. निम्न संयुग्मी क्षारकों में कौन-सा प्रबल है CN या F ?

उत्तर:

  1. मोल/लीटर
  2. अम्ल की भाँति
  3. समआयन प्रभाव
  4. pH मान घट जायेगा
  5. HPO42, Co32-
  6. HCO3
  7. अमोनियम ऐसीटेट
  8. 7.4
  9. NaCl अवक्षेपित होगा
  10. CN प्रबल क्षारक।

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साम्यावस्था अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
साम्य स्थिरांक का व्यंजक लिखते समय समझाइए कि शुद्ध द्रवों एवं ठोस को उपेक्षित क्यों किया जा सकता है ?
उत्तर:
शुद्ध ठोस अथवा द्रव (यदि आधिक्य में हो) की मोलर सान्द्रता नियत रहती है अर्थात् उपस्थित मात्रा से स्वतंत्र होती है।) यही कारण है कि साम्य स्थिरांक का व्यंजक लिखते समय शुद्ध द्रवों एवं ठोसों को उपेक्षित किया जाता है।

प्रश्न 4.
सक्रिय द्रव्यमान से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी विलयन की आण्विक सान्द्रता प्रति लीटर को उसका सक्रिय द्रव्यमान कहते हैं। दूसरे शब्दों में, सक्रिय भाग लेने वाले पदार्थ के ग्राम अणुओं की संख्या प्रति लीटर को सक्रिय द्रव्यमान कहते हैं। इसे ग्राम अणु/लीटर से दर्शाते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 77

प्रश्न 5.
भौतिक साम्यावस्था से आप क्या समझते हो ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
वह साम्य जो भौतिक परिवर्तनों या प्रक्रमों में प्राप्त होता है भौतिक साम्य कहलाता है। किसी भी पदार्थ की ठोस, द्रव, गैस तीन अवस्थाएँ हो सकती हैं। जो एक-दूसरे में अन्तर परिवर्तित हो सकती है अतः भौतिक साम्य तीन प्रकार का हो सकता है।
(1) ठोस -द्रव
(2) द्रव = गैस
(3) ठोस – गैस।

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प्रश्न 6.
ओस्टवाल्ड का तनुता नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ओस्टवाल्ड का तनुता नियम-दुर्बल वैद्युत अपघट्य के वियोजन की मात्रा विलयन के तनुता के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है।
\(\sqrt { Kv } \)

जहाँ α = वियोजन की मात्रा, K = वियोजन स्थिरांक। v = तनुता (विलयन का लीटर में आयतन जिसमें एक ग्राम तुल्यांक विद्युत अपघट्य विलेय है)। c = एक लीटर विलयन में विलेय के ग्राम तुल्यांक की संख्या।

प्रश्न 7.
रासायनिक साम्यावस्था पर दाब का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
रासायनिक साम्य पर दाब बढ़ाने से साम्य उस दिशा की ओर अग्रसर होता है जिस दिशा में आयतन में कमी आती है अर्थात् अणुओं की संख्या में कमी आती है।
उदाहरण:
SO2 , और O2 , के संयोग से SO3, बनता है तथा 45.2 kcal ऊष्मा मुक्त होती है।
2SO2(g) + O2(g) ⇄ 2SO3(g), ∆H = -45-2kcal
इस अभिक्रिया में 2 आयतन SO2, एक आयतन O2, से क्रिया करके 2 आयतन SO3, के बनते हैं। अतः दाब बढ़ाने से साम्य अग्र दिशा की ओर विस्थापित होता है।

प्रश्न 8.
बफर विलयन या प्रतिरोधी विलयन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
बफर विलयन या प्रतिरोधी विलयन जिसका वह विलयन है –

  • pH मान निश्चित होता है।
  • तनुता से pH परिवर्तित नहीं होता।
  • अल्प मात्रा में अम्ल या क्षार मिलाने पर जिनका pH मान में परिवर्तन नगण्य होता है।

प्रश्न 9.
अम्लीय बफर और क्षारीय बफर विलयन क्या है ?
उत्तर:
अम्लीय बफर:
अम्लीय बफर दुर्बल अम्ल और उसके अकार्बनिक लवण के मिश्रित विलयन होते हैं।
उदाहरण:
CH3COOH + CH3COONa विलयन।

क्षारीय बफर:
क्षारीय बफर दुर्बल क्षार और उसके अकार्बनिक लवण के मिश्रित विलयन होते हैं।
उदाहरण:
NH4OH + NH4C1 विलयन।

प्रश्न 10.
ली-शातेलिये का नियम क्या है ?
उत्तर:
ली-शातेलिये का नियम-इस नियम के अनुसार, “यदि साम्यावस्था पर स्थापित किसी निकाय के ताप, दाब या सान्द्रण में से कोई परिवर्तन किया जाये तो साम्य इस प्रकार से विस्थापित होता है जिससे परिवर्तन को उदासीन या प्रभावहीन किया जा सके। यह नियम भौतिक एवं रासायनिक साम्यों पर लागू किया जा सकता है।

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प्रश्न 11.
साम्यावस्था पर उत्प्रेरक के प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्प्रेरक मिलाने से साम्यावस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा साम्य स्थिरांक का मान अपरिवर्तित रहता है। उत्प्रेरक के उपयोग से साम्य जल्दी स्थापित होता है क्योंकि उत्प्रेरक अग्र व प्रतीप अभिक्रिया दोनों की दर को समान रूप से बढ़ाता है। वास्तव में उत्प्रेरक मिलाने से सक्रियण ऊर्जा में कमी हो जाती है जिससे अग्र व प्रतीप अभिक्रिया दोनों समान रूप से प्रभावित होती है।

प्रश्न 12.
समीकरण pH = -log[H+] के आधार पर, 10-8mol dm-3 HCI विलयन की pH 8 होनी चाहिए। परन्तु इसका प्रेक्षित मान 7 से कम आता है। कारण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
10-8 mol dm-3 HCI सान्द्रता प्रदर्शित करती है कि विलयन अति तनु होना चाहिए। अतः हम विलयन में जल से उत्पन्न H3O+ आयनों की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं। अतः प्राप्त कुल [H3O+] = (10-8 +10-7)M इस मान से हमें विलयन की pH 7 के लगभग परन्तु 7 से कम प्राप्त होती है। (क्योंकि विलयन अम्लीय है)।

प्रश्न 13.
अमोनिया लुईस क्षारक है, क्यों ?
उत्तर:
लुईस की अम्ल-क्षार अवधारणा के अनुसार वे यौगिक या पदार्थ जो एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म दान कर सकते हैं। अमोनिया के इलेक्ट्रॉनिक संरचना से स्पष्ट है कि अमोनिया में नाइट्रोजन के पास एक एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म है जिसे वह रासायनिक अभिक्रिया में दान कर सकता है। इसलिये अमोनिया प्रबल लुईस क्षार की तरह कार्य करता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 78

प्रश्न 14.
तृतीय समूह के हाइड्रॉक्साइडों के अवक्षेपण में NH4Cl व NH4OH के स्थान पर NaCl की उपस्थिति में NaOH मिलाया जा सकता है, या नहीं?
उत्तर:
तृतीय समूह के हाइड्रॉक्साइडों के अवक्षेपण हेतु NH4Cl की उपस्थिति में NH4OHसम आयन प्रभाव के कारण मिलाया जाता है जिससे NH4OH का वियोजन कम हो। इनके स्थान पर NaCl + NaOH नहीं मिलाया जा सकता क्योंकि NaOH प्रबल क्षार है तथा सम आयन प्रभाव से केवल दुर्बल वैद्युत अपघट्य का वियोजन कम होता है। NaOH डालने पर आगे के हाइड्रॉक्साइड भी अवक्षेपित होने लगते हैं।

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प्रश्न 15.
बफर विलयन के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
उपयोग:

  • रासायनिक क्रियाओं के वेग के अध्ययन में pH का मान स्थिर रखने के लिये बफर विलयन प्रयुक्त होते हैं।
  • किण्वन से एल्कोहॉल का निर्माण करने के लिये pH 5 से 6.8 के बीच होना चाहिये।
  • शक्कर और कागज का निर्माण तथा विद्युत लेपन निश्चित pH पर होता है।

प्रश्न 16.
गैसों की द्रवों में विलेयता पर दाब एवं ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:

  • दाब का प्रभाव – दाब बढ़ाने से गैसों की द्रवों में विलेयता बढ़ती है क्योंकि गैस के अणु विलायक के अन्तर अणुक स्थान में समा जाते हैं।
  • ताप का प्रभाव – ताप बढ़ाने से गैसों की द्रवों में विलेयता घटती है क्योंकि गैसों के अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।

प्रश्न 17.
निम्न में से प्रत्येक अम्ल के संयुग्मी भस्म का सूत्र तथा नाम लिखिए –

  1. H3O+
  2. NH4+
  3. CH3NH3+
  4. H3PO4,
  5. NH2 – NH3+

उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 79

प्रश्न 18.
ब्रॉन्स्टेड क्षारकों NH2, NH3, तथा HCOO के संयुग्मी अम्ल लिखिए। ]
उत्तर:
क्षारक + H+ ⇄ संयुग्मी अम्ल
NH2 + H+ ⇄ NH
NH3+H+ ⇄ NH4+
HCOO + H+ ⇄ HCOOH

प्रश्न 19.
किसी दुर्बल क्षारक का संयुग्मी अम्ल सदैव प्रबल होता है। निम्नलिखित संयुग्मी क्षारकों की क्षारकता का घटता हुआ क्रम क्या होगा –
OH, RO,CH3COO,Cl
उत्तर:
दिए गए क्षारकों के संयुग्मी अम्ल क्रमशः H2O,ROH, CH3COOH तथा HCl है इनकी अम्लीयता का क्रम निम्न है –
HCI > CH3COOH > H2O > ROH
अतः इनके संयुग्मी क्षारकों की क्षारकता का क्रम निम्न होगा –
RO> OH > CH3COO >Cl..

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प्रश्न 20.
साम्य स्थिरांक की इकाई क्या है ?
उत्तर:
साम्य स्थिरांक की इकाई अभिक्रिया के प्रकार पर निर्भर करती है यदि अभिक्रिया में अणुओं की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता है तब साम्य स्थिरांक की कोई इकाई नहीं होती है। लेकिन अभिक्रिया के दौरान अणुओं की संख्या में परिवर्तन हो रहा है तो उनके लिये साम्य स्थिरांक की इकाई होती है।
उदाहरण:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 80

प्रश्न 21.
pH मान की उपयोगिता अम्लीय तथा क्षारीय विलयन की पहचान के लिये अधिक हैं, . क्यों?
उत्तर:
किसी विलयन का pH मान ज्ञात होने पर हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि दिया गया विलयन अम्लीय, क्षारीय या उदासीन है –

  • यदि pH का मान 7 से कम है तो विलयन अम्लीय होगा।
  • यदि pH का मान 7 से अधिक है तो विलयन क्षारीय होगा।
  • यदि pH का मान 7 है तो विलयन उदासीन होगा।

प्रश्न 22.
रासायनिक साम्य पर प्रभाव डालने वाले कारकों के नाम बताइये।
उत्तर:
रासायनिक साम्य को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं –

  • ताप
  • दाब
  • सान्द्रण परिवर्तन
  • उत्प्रेरक।

प्रश्न 23.
सान्द्रण एवं दाब साम्य स्थिरांक में संबंध बताने वाला सूत्र लिखिए।
अथवा,
Kp एवं Kc में संबंध लिखिए।
उत्तर:
सान्द्रण एवं दाब साम्य स्थिरांक में संबंध – Kp = Kc × RT∆n
जहाँ Kp = दाब साम्य स्थिरांक,Kc = साम्य स्थिरांक, R = गैस स्थिरांक, T = परम ताप, ∆n = उत्पाद तथा अभिकारकों के मोलों का अंतर।

प्रश्न 24.
ताप में वृद्धि करने से CO2 की विलेयता कम होती है, क्यों?
उत्तर:
CO2(g) + H2O(g) ⇄ CO2(aq), CO2, की जल में विलेयता एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। अतः ली-शातेलिए सिद्धान्त के अनुसार ताप बढ़ाने पर यह अभिक्रिया प्रतीप दिशा में विस्थापित होती है। इसलिये ताप में वृद्धि करने पर CO2, की विलेयता कम होती है।

साम्यावस्था लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है, क्यों ?
उत्तर:
Na2CO3 ⇄ 2Na+ + CO-23
2H2O ⇄ 2H+ + 2OH
Na2CO3 + 2H2O ⇄ 2NaOH + H2CO3,
प्रबल क्षार दुर्बल अम्ल

Na2CO3 से प्राप्त Na+ आयन जल के OH आयनों के साथ संयोग कर प्रबल विद्युत् अपघट्य NaOH बनाने के कारण जल में आयनों के रूप में रहता है जबकि CO3-2, आयन जल के H* आयन के साथ संयोग कर दुर्बल अम्ल H2CO3, बनाता है जो दुर्बल विद्युत् अपघट्य होने के कारण आंशिक रूप से आयनित रहता है। साम्यावस्था बनाये रखने के लिये H2O आयनित होने लगता है जिससे OH आयनों का सान्द्रण बढ़ने लगता है। इसलिये सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है।

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प्रश्न 2.
गैसों को द्रवों में घोलने पर साम्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
सोडा वाटर की बोतल खोलने पर उसमें विलेय CO2 गैस तेजी से बाहर निकलती है। यह किसी गैस तथा द्रव में विलयन के मध्य स्थापित साम्यावस्था को दर्शाता है। निश्चित दाब पर गैस के विलेय एवं अविलेय अणुओं के मध्य साम्य स्थापित रहता है तथा इस प्रकार के साम्य के लिये हेनरी के नियम का पालन करते हैं।

हेनरी का नियम:
इस नियम के अनुसार, “स्थिर ताप पर विलायक की ज्ञात मात्रा में विलेय होने वाली गैस की मात्रा साम्यावस्था पर विलयन में गैस के दाब के समानुपाती होती है”। यदि विलेय होने वाली गैस की मात्रा m व दाब P हो, तो
m ∝ P m = KP.

उदाहरण:
सोडा वाटर की बोतल बंद करते समय बोतल के अंदर गैस का दाब वायुमण्डलीय दाब से बहुत अधिक होता है जिसके कारण द्रव में CO2, की अत्यधिक मात्रा विलेय रहती है। बोतल को खोलने पर विलयन पर आरोपित दाब में अचानक कमी आ जाने के कारण CO2, की विलेयता में कमी आती है जिसके कारण साम्यावस्था स्थापित करने के लिये CO2 गैस तेजी से बाहर निकलने लगती है।

प्रश्न 3.
सम आयन प्रभाव क्या है ? समझाइये ।
उत्तर:
सम आयन प्रभाव:
किसी दुर्बल विद्युत् अपघट्य के विलयन में कोई सम आयन युक्त प्रबल विद्युत् अपघट्य का विलयन मिलाने पर दुर्बल विद्युत् अपघट्य का आयनन कम हो जाता है। यह प्रभाव सम आयन प्रभाव कहलाता है।

उदाहरण:
द्वितीय समूह के परीक्षण में HCl + H2S का उपयोग समूह अभिकर्मक के रूप में करते हैं समूह II के सल्फाइडों का विलेयता गुणनफल चतुर्थ समूह के सल्फाइडों के विलेयता गुणनफल की अपेक्षा कम होता है। HCl की उपस्थिति में H2S प्रवाहित करने पर सम आयन प्रभाव के कारण H2S का आयनन और कम हो जाता है जिसके कारण विलयन से सल्फाइड आयनों का सान्द्रण घट जाता है।
HCl ⇄ H++Cl
H2S ⇄ 2H+ + S-2
अतः समूह IV के सल्फाइडों का आयनिक गुणनफल उनके विलेयता गुणनफल से अधिक नहीं हो पाता परन्तु सल्फाइड आयनों का सान्द्रण द्वितीय समूह के सल्फाइडों के लिये पर्याप्त रहता है। क्योंकि द्वितीय समूह के सल्फाइडों का विलेयता गुणनफल कम होता है।

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प्रश्न 4.
साम्यावस्था स्थिरांक की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
साम्यावस्था स्थिरांक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • किसी निश्चित ताप पर किसी भी अभिक्रिया के लिये साम्य स्थिरांक का मान निश्चित होता है। इसका मान ताप परिवर्तन होने पर बदल जाता है।
  • किसी भी अभिक्रिया के साम्यावस्था स्थिरांक का मान दाब तथा आयतन पर निर्भर नहीं करता।
  • साम्य स्थिरांक का मान अभिकारकों व क्रियाफलों के प्रारंभिक मोलर सान्द्रण पर निर्भर नहीं करता बल्कि साम्यावस्था में उनके सान्द्रण पर निर्भर है।
  • यदि अभिक्रिया विपरीत करायी जाती है तो साम्य स्थिरांक का मान भी पूर्व अभिक्रिया के विलोम होता है।
  • यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया को 2 से विभाजित किया जाता है तो प्राप्त नयी अभिक्रिया के लिये साम्य स्थिरांक पूर्व में ज्ञात साम्य स्थिरांक का वर्गमूल होगा। K’=\(\sqrt { K } \)
  • यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया जिसका साम्य स्थिरांक K है को 2 से गुणा किया जाता है तो नई अभिक्रिया के लिये प्राप्त साम्य स्थिरांक K का वर्ग होगा। K’= K2
  • यदि अभिक्रिया को दो चरणों में लिखा जाता है इन पदों के साम्य स्थिरांक K1 व K2 हैं, तो
    K = K1 × K2.

प्रश्न 5.
समांगी तथा विषमांगी साम्यावस्था को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
समांगी साम्यावस्था:
जब रासायनिक साम्यावस्था में अभिकारक तथा उत्पादों की भौतिक अवस्था एकसमान हो, तो उसे समांगी साम्यावस्था कहते हैं।
N2(g) + 3H2(g) ⇄ 2NH3(g)
H2(g) +  I2(g) ⇄ 2HI(g)

विषमांगी साम्यावस्था:
जब रासायनिक साम्यावस्था में अभिकारक एवं उत्पाद की भौतिक अवस्था असमान हो, तो उसे विषमांगी साम्यावस्था कहते हैं।
CaCO3(s) ⇄ CaO(s) + CO2(g)
BaCO3(s) ⇄ BaO(s) + CO2(g)

प्रश्न 6.
Kc तथा Qc के मानों की तुलना करके आप किसी अभिक्रिया की निम्नलिखित अवस्थाओं का पता किस प्रकार लगाओगे –

  • परिणामी अभिक्रिया अग्र दिशा की ओर अग्रसर होती है।
  • परिणामी अभिक्रिया पश्च दिशा की ओर अग्रसर होती है।
  • अभिक्रिया में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

उत्तर:

  • यदि Qc < Kc ; अभिक्रिया उत्पादों की दिशा में अग्रसर होगी। (अग्र अभिक्रिया)
  • यदि Qc > Kc; अभिक्रिया अभिकारकों की दिशा की ओर अग्रसर होगी। (अर्थात् प्रतीप या पश्चगामी अभिक्रिया)
  • यदि Qc. = Kc ; अभिक्रिया मिश्रण पर साम्यावस्था में पूर्वतः होता है अतः अभिक्रिया में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से प्रत्येक साम्य में जब आयतन बढ़ाकर दाब कम किया जाता है, तब बतलाइए कि अभिक्रिया के उत्पादों के मोलों की संख्या बढ़ती है या घटती है या समान रहती है ?

  • PCl5(g) ⇄ PCl3(g) + Cl2(g)
  • Ca(s) + CO2(g) ⇄ CaCO3(s)
  • 3Fe(s) + 4H2O(g) ⇄ Fe3O4(s) + 4H2(g).

उत्तर:
ली-शातेलिए सिद्धान्त के अनुसार दाब घटाने पर साम्य उस दिशा में विस्थापित होता है जिस ओर दाब बढ़ता है। (अर्थात् गैसीय अवस्था में मोलों की संख्या अधिक होती है) अतः अभिक्रिया के उत्पादों के मोलों की संख्या:

  • बढ़ती है।
  • घटती है।
  • समान रहती है। (यदि ∆ n(g) = 0 , तो दाब में परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।)

प्रश्न 8.
सान्द्रता भागफल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
उत्पादों तथा अभिकारकों की सान्द्रताओं के अनुपात को सान्द्रता भागफल कहते हैं। इसे Q से दर्शाते हैं। किसी भी उत्क्रमणीय अभिक्रिया के लिये सान्द्रता भागफल Q उसके साम्यावस्था स्थिरांक K. के बराबर होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 82
साम्यावस्था पर Q = Kc

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प्रश्न 9.
आयनन साम्यावस्था को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
जब भी किसी आयनिक यौगिक को जल या किसी उचित विलायक में विलेय किया जाता है तो वह विभाजित होकर धनायन तथा ऋणायन देता है। इस प्रकार किसी भी आयनिक यौगिक के आयनों में विभाजित होने की प्रक्रिया को आयनन या आयनीकरण कहते हैं। तथा इन यौगिकों को विद्युत् अपघट्य कहते हैं। वे आयनिक यौगिक जो पूर्णतः आयनित हो जाते हैं, प्रबल वैद्युत अपघट्य कहलाते हैं।

जैसे – NaCl, NaOH, H2SO4. इत्यादि, दूसरी तरफ वे यौगिक जो पूर्णतः आयनित नहीं होते, दुर्बल वैद्युत अपघट्य कहलाते हैं। जैसे – NH4OH, CH3COOH इत्यादि । दुर्बल वैद्युत अपघट्यों को जब H2O में विलेय कर विलयन बनाया जाता है तो विलयन में आयनों तथा अनआयनित अणुओं के मध्य एक साम्यावस्था स्थापित हो जाती है जिसे आयनन साम्यावस्था कहते हैं।
NH4OH(aq) = NH4(aq)+ + OH(aq)(aq)

प्रश्न 10.
रासायनिक साम्य से क्या समझते हैं ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
किसी उत्क्रमणीय रासायनिक अभिक्रिया की वह अवस्था जिसमें क्रियाकारकों तथा क्रियाफलों के सान्द्रण में समय के साथ कोई परिवर्तन नहीं होता। अर्थात् किसी रासायनिक उत्क्रमणीय अभिक्रिया की वह अवस्था जिसमें अग्र अभिक्रिया प्रतीप अभिक्रिया समान वेग से घटित होती है। रासायनिक साम्यावस्था कहलाती है।

साम्यावस्था की विशेषताएँ:

  • साम्यावस्था पर अग्र और प्रतीप अभिक्रियाओं का वेग समान रहता है।
  • क्रियाकारकों और क्रियाफलों की आपेक्षिक मात्राएँ साम्य मिश्रण में स्थिर रहती हैं।
  • साम्य की प्रकृति गतिक होती है। अर्थात् साम्यावस्था पर अभिक्रिया रुकती नहीं है बल्कि अग्र अभिक्रिया और प्रतीप अभिक्रिया समान वेग से निरन्तर होती रहती है।
  • ताप, दाब या सान्द्रण में परिवर्तन करा के साम्य की स्थिति को बदला जा सकता है।
  • साम्यावस्था पर मुक्त ऊर्जा परिवर्तन शून्य होता है अर्थात् ∆G = 0 होता है।

प्रश्न 11.
दाब बढ़ाने पर निम्न में से कौन-सी अभिक्रियाएँ प्रभावित होगी। यह भी बताइए दाब परिवर्तन करने पर अभिक्रिया अग्र या प्रतीप दिशा में गतिमान होगी

  • COCI2(g) CO(g) + Cl2(g)
  • CH4(g) + 2S2(g) ⇄ CS2(g) + 2H2S(g)
  • CO2(g) + C(S) ⇄ 2CO(g)
  • CaCO3(S) ⇄ Cao(S) + CO2(S)
  • 4NH3(g) +5O2(g) ⇄ 4NO(g) +6H2O(g)

उत्तर:

  • np>nr, प्रतीप दिशा में अग्रसर होगी।
  • np = nr दाब वृद्धि के कारण साम्य प्रभावित नहीं होगा।
  • np>nr प्रतीप दिशा में अग्रसर होगी।
  • np > nrप्रतीप दिशा में अग्रसर होगी।
  • np >nr प्रतीप दिशा में अग्रसर होगी।

प्रश्न 12.
भौतिक साम्यावस्था से क्या समझते हैं ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
वह साम्य जो भौतिक परिवर्तनों या प्रक्रमों में प्राप्त होता है भौतिक साम्य कहलाता है। दूसरे शब्दों में भौतिक साम्यावस्था वह साम्य है जो एक ही रासायनिक यौगिक की दो विभिन्न प्रावस्थाओं के मध्य स्थापित होती है तथा अभिक्रिया के दौरान उस यौगिक के रासायनिक संगठन में कोई परिवर्तन नहीं होता केवल उसकी भौतिक अवस्था में परिवर्तन होता है।
उदाहरण:
बर्फ(ठोस) ⇄ जल(द्रव)
जल(द्रव) ⇄ जलवाष्प(गैस)

भौतिक साम्य की विशेषताएँ:

  • बंद निकाय होना चाहिये अर्थात् घिराव से पदार्थ का आदान-प्रदान नहीं होना चाहिये।
  • इस स्थिति में गतिशील परन्तु स्थिर अवस्था रहती है। अर्थात् दोनों विपरीत प्रक्रम समान गति से चलने चाहिये।
  • पदार्थ का सान्द्रण स्थिर रहना चाहिये तथा मापने योग्य गुण जैसे ताप, दाब इत्यादि स्थिर होने चाहिये।
  • ठोस तथा द्रव के बीच साम्यावस्था एक निश्चित ताप पर स्थापित होती है जिसे गलनांक या हिमांक कहते हैं।

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प्रश्न 13.
विलेयता गुणनफल की परिभाषा देकर इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर;
निश्चित ताप पर किसी विलेय वैद्युत अपघट्य के संतृप्त विलयन में उसके आयनों की सान्द्रताओं का गुणनफल विलेयता गुणनफल कहलाता है। यह मान किसी दिये हुये ताप पर स्थिर होता है। किसी वैद्युत अपघट्य पदार्थ का संतृप्त विलयन यदि अपने ठोस के संपर्क में हो, तो उसमें निम्नलिखित साम्यावस्था होती है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 83
द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम के अनुसार,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 84

जहाँ Ksp एक स्थिरांक है जिसे विलेयता गुणनफल कहते हैं।

प्रश्न 14.
किसी अल्प विलेय द्विअंगी विद्युत् अपघट्य की विलेयता एवं विलेयता गुणनफल में संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
माना कि AB एक द्विअंगी वैद्युत अपघट्य है जिसकी विलेयता 3 ग्राम मोल/ लीटर है।
AB ⇄ A+ + Br
[A+] = S तथा [B] = S
विलेयता गुणनफल के अनुसार,
Ksp = [A+][B]
मान रखने पर,
Ksp = [S][S]
⇒ Ksp = S2
⇒ \(\sqrt { { K }_{ sp } } \) = S
अर्थात् किसी अल्प विलेय द्विअंगी वैद्युत अपघट्य की विलेयता उसके विलेयता गुणनफल के वर्गमूल के बराबर होती है।

प्रश्न 15.
AgCl का उदाहरण देकर विलेयता गुणनफल को समझाइये।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 85
द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम के अनुसार,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 86

अत: AgCl के संतृप्त विलयन में Ag+ तथा Cr आयनों की सान्द्रता का गुणनफल, विलेयता गुणनफल होगा।

प्रश्न 16.
लुईस अम्ल एवं लुईस क्षार से क्या समझते हो? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लुईस अम्ल:
ऐसे अणु, आयन या मूलक जिनके केन्द्रीय परमाणु को अष्टक पूर्ण करने के लिये एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की आवश्यकता होती है लुईस अम्ल कहलाते हैं। अर्थात् इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही लुईस अम्ल कहलाता है।

उदाहरण:
BF3 AICl3 Br+, NO+2 इत्यादि।

लुईस क्षार:
ऐसे अणु, आयन या मूलक जिनके केन्द्रीय परमाणु का अष्टक पूर्ण होता है तथा इनके पास एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं जिसे ये रासायनिक अभिक्रिया में दान करके उपसहसंयोजी बंध बना सकते हैं, लुईस क्षार कहलाते हैं । अर्थात् इलेक्ट्रॉन युग्म दाता लुईस क्षार कहलाते हैं।

उदाहरण:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 116

प्रश्न 17.
संयुग्मी अम्ल एवं संयुग्मी क्षार से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
संयुग्मी अम्ल:
जब कोई अणु या आयन प्रोटॉन ग्रहण करता है तो बनने वाला समूह अम्ल की तरह कार्य करता है। क्योंकि इसमें प्रोटॉन दान करने की प्रवृत्ति होती है। इसे उस क्षार का संयुग्मी अम्ल कहते

उदाहरण:
NH3 का संयुग्मी अम्ल NH3+ है।

संयुग्मी क्षार:
जब कोई अणु, आयन या अम्ल प्रोटॉन दान करता है तो बचा हुआ समूह क्षार की तरह कार्य करता है। क्योंकि इसमें प्रोटॉन ग्रहण करने की शक्ति होती है। इसे उस अम्ल का संयुग्मी क्षार कहते हैं।

उदाहरण:
HCl का Cl आयन संयुग्मी क्षार है। अत: संयुग्मी अम्ल एवं संयुग्मी क्षार में एक प्रोटॉन का अन्तर होता है। प्रबल अम्ल का संयुग्मी क्षार सदैव दुर्बल होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 88

प्रश्न 18.
310 K पर जल का आयनिक गुणनफल 2.7× 10-14 है। इसी तापक्रम पर उदासीन जल की pH ज्ञात कीजिए।
हल:
K.w = [H3O+] [OH ] = 2.7 × 10-14
अभिक्रिया H2O + H2O ⇄  [H2O+][OH ] हेतु
[H3O+] = [OH]
अतः [H2O+] = \(\sqrt { 2.7\times { 10 }^{ -14 } } \) = 1.643 × 10-7M
pH = – log[H3O+] = -log 1.643 × 10-7 = 7 + (-0.2156) = 6.7844.

प्रश्न 19.
pH मान क्या है ? स्पष्ट कीजिए। अथवा, pH किसे कहते हैं ? और इसका हाइड्रोजन सान्द्रण से क्या संबंध है ?
उत्तर:
किसी विलयन की अम्लीयता एवं क्षारीयता को व्यक्त करने के लिये सन् 1909 में सारेन्सन ने एक पैमाना प्रस्तुत किया जिसे pH मापक्रम या स्केल कहते हैं। किसी विलयन का pH मान उस ऋणात्मक घात के संख्यात्मक मान के बराबर होता है जिसे 10 की घात पर लगाया जाना चाहिए जो उस विलयन के H’ आयन या H3O+ आयन के सान्द्रण को दर्शाता है। दूसरे शब्दों में किसी विलयन का pH मान उसके H+ आयन सान्द्रण का ऋण चिन्ह के साथ 10 आधार पर लघुगणक होता है।

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प्रश्न 20.
H2S प्रवाहित करने से पहले प्रथम वर्ग के छनित को HCl द्वारा अम्लीय किया जाता है। क्यों?
उत्तर:
प्रथम वर्ग के छनित का उपयोग द्वितीय वर्ग के सल्फाइडों के परीक्षण के लिये किया जाता है। इसके लिये H2S प्रवाहित करने के पूर्व छनित को तनु HCI मिलाकर अम्लीय कर लिया जाता है। समूह द्वितीय के सल्फाइडों का विलेयता गुणनफल चतुर्थ समूह के सल्फाइडों के विलेयता गुणनफल से कम होता है। H2S दुर्बल वैद्युत अपघट्य है जिसका आयनन कम होता है।

किन्तु HCl प्रबल वैद्युत अपघट्य है जिसके सम आयन प्रभाव के कारण H2S का आयनन कम हो जाता है। जिसके फलस्वरूप सल्फाइड आयनों का सान्द्रण घट जाता है। जिसके कारण चतुर्थ समूह के धातु सल्फाइडों का आयनिक गुणनफल उनके विलेयता गुणनफल से अधिक नहीं हो पाता इसलिये वे अवक्षेपित नहीं होते हैं, परन्तु सल्फाइड आयनों का सान्द्रण द्वितीय समूह के सल्फाइडों के अवक्षेपण के लिये पर्याप्त रहता है क्योंकि इनका विलेयता गुणनफल कम होता है।

प्रश्न 21.
FeSO4तथा Na2S के सममोलर विलयनों की अधिकतम सान्द्रता बताइए जब उनके समान आयतन मिलाने पर आयरन सल्फाइड न हो।(आयरन सल्फाइड के लिएKsp = 6.3 × 10-18 )
हल:
अवक्षेपण बिन्दु पर [Fe2+][S2-] = Ksp
[Fe2+] = [S2-] = \(\sqrt { { K }_{ sp } } \) = \(\sqrt { 6.3\times { 10 }^{ -18 } } \)
[Fe2+] = [S2-] = 2.51 × 10-9M

चूँकि विलयनों के समान आयतन मिलाए गए हैं। अतः प्रत्येक विलयन की मोलर सान्द्रता आधी रह जाती है जिसके कारण मूल विलयन में [FeSO4.] = [Na2S] = 2 × 2.51 × 10-9M = 5.02 × 10-9M अतः विलयन की उच्चतम मोलरता = 2.5 × 10-‘M है।

प्रश्न 22.
यदि पिरीडिनीयम हाइड्रोजन क्लोराइड के 0.02 M विलयन का pH 3.44 है तो पिरीडीन का आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
हल:
पिरीडिनीयम हाइड्रोजन क्लोराइड दुर्बल क्षारक (पिरीडीन) तथा प्रबल अम्ल HCI का लवण है।
C6H5N HCl + H2O ⇄ C6H5N+ HOH + HCl (जलयोजन के कारण अम्लीय विलयन है।)
अतः pH = – \(\frac {1 }{ 2 }\) [log Kw – logKb +log C]
⇒ 3.44 =- \(\frac {1 }{ 2 }\) [-14 -log Kb + log 2.0 × 10-2]
⇒ 6.88 = 14 + logKb +1.70
⇒ log Kb = – 8.82 = \(\overline { 9 } \) .18
∴ Kb= antilog \(\overline { 9 } \) .18 = 1.5 × 10-9 .

प्रश्न 23.
NaCl की जल के साथ अभिक्रिया को जल अपघटन अभिक्रिया में नहीं गिना जाता है, क्यों?
उत्तर:
NaCl जल अपघटित नहीं होता क्योंकि जब NaCl को जल में विलेय किया जाता है तो वह आयनित होकर Na+ तथा Cl आयन देता है। Na+ आयन OH आयन के साथ संयोग नहीं कर पाता। क्योंकि NaOH प्रबल वैद्युत अपघट्य है। इसी प्रकार Cr आयन H+ आयनों के साथ संयोग नहीं करते क्योंकि HCl भी प्रबल वैद्युत अपघट्य है। इस प्रकार इसके जलीय विलयन में H+ तथा OH आयनों की सान्द्रता बराबर होगी। इस प्रकार NaCl का जलीय विलयन न तो अम्ल की तरह कार्य करेगा और न ही क्षार की तरह इसलिये इसे जल अपघटन अभिक्रिया में नहीं गिना जा सकता है।
NaCl + H2O ⇄ NaOH + HCl

प्रश्न 24.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिये सान्द्रता भागफल प्राप्त कीजिए –
(1) Cro-24(aq) + Pb+24(aq) ⇄ PbCrO4(s)
(2) CaCO3(s) ⇄ Ca0(s) + CO2(s)
(3) NH3(aq) + H2O(l) ⇄ NH4(aq)+ + OH(aq)
(4) H2O(l) ⇄  H2O(g)
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 89

प्रश्न 25.
क्लोरोऐसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.35 × 10-3 है। 0.1 M तथा इसके 0.1 M सोडियम लवण का pH ज्ञात कीजिए।
हल:
CH2ClCOOH + H2O ⇄ CH2ClCOO + H3O+
प्रश्नानुसार K.α = 1.35 × 10-3 (दिया है) क्लोरोएसीटिक अम्ल का सोडियम लवण, प्रबल क्षारक NaOH तथा दुर्बल अम्ल क्लोरोएसीटिक अम्ल से बना है। अतः प्रबल क्षारक एवं दुर्बल अम्ल से बने लवण हेतु
pH = \(\frac { 3 }{ 2 }\)[log Kw + log Kα– log C]
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 90

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प्रश्न 26.
निम्नलिखित लवणों के जलीय विलयनों के उदासीन, अम्लीय तथा क्षारीय होने की प्रागुक्ति कीजिए – NaCl, KBr, NaCN, NH,NO3,NaNO, एवं KE.
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 91

प्रश्न 27.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिये साम्य स्थिरांक व्यंजक लिखिए –
1. BaCO3(s) ⇄ BaO(s)+ CO2(s)
2. CH3COCH3(l) ⇄ CH3 COCH3(g)
3. AgBr3(s) + aq ⇄ Ag(aq)+ + Br(aq)
4. CH4(g)+ 2O2(g) ⇄ CO2(g) + 2H2O(l)
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 92

प्रश्न 28.
नमक के शोधन में विलेयता गुणनफल का क्या महत्व है ?
उत्तर:
साधारण नमक का शोधन करने के लिये उसके संतृप्त विलयन से निलम्बित अशुद्धियाँ हटाकर HCl गैस प्रवाहित करते हैं, संतृप्त विलयन में निम्नलिखित साम्यावस्था होती है।
NaCl ठोस ⇄ NaCl विलयन – Na+ + CI
HCl एक प्रबल वैद्युत अपघट्य है जिसका आयनन बहुत अधिक होता है । HCl गैस प्रवाहित करने पर विलयन में Cl आयनों का सान्द्रण बहुत अधिक हो जाता है इससे आयनिक गुणनफल का मान विलेयता गुणनफल से बहुत अधिक हो जाता है तथा सोडियम क्लोराइड विलयन अति संतृप्त हो जाता है। साम्य को स्थापित करने के लिये NaCl के अति संतृप्त विलयन से ठोस NaCl अवक्षेपित होने लगता है। इस प्रकार अवक्षेपित NaCl शुद्ध अवस्था में प्राप्त होता है जिसे छान कर सुखा लेते हैं।

प्रश्न 29.
AgCl की जल में विलेयता साधारण नमक के विलयन की अपेक्षा अधिक होती है, क्यों?
उत्तर:
जब कोई अल्प विलेय लवण सम आयन के साथ संकर लवण नहीं बनाता तो सम आयन की उपस्थिति में लवण की विलेयता घट जाती है। क्योंकि लवण का आयनिक गुणनफल उसके विलेयता गुणनफल से अधिक होती है। AgCl की विलेयता नमक के विलयन की अपेक्षा जल में अधिक होती है। NaCl की उपस्थिति में विलयन के आयनों की सान्द्रता बढ़ जाती है जिससे आयनिक गुणनफल का मान विलेयता गुणनफल से बढ़ जाता है या अधिक हो जाता है। जिससे लवण अवक्षेपित होने लगता है और उसकी विलेयता कम होने लगती है।

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प्रश्न 30.
साबुन के अवक्षेपण में विलेयता गुणनफल का क्या महत्व है ?
उत्तर:
साबुन उच्च वसीय अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण होते हैं जो तेल या वसा का क्षार द्वारा जल अपघटन करने से प्राप्त होता है। साबुन बनाने की गर्म विधि में साबुन सान्द्र विलयन के रूप में प्राप्त होता है जिसे अवक्षेपित करने के लिये नमक का संतृप्त विलयन मिलाया जाता है। नमक का सान्द्र विलयन मिलाने से Na* आयनों का सान्द्रण बढ़ जाता है जिससे आयनिक गुणनफल उस ताप पर साबुन के विलेयता गुणनफल के मान से अधिक हो जाता है। इस प्रकार ठोस साबुन का उसके विलयन से अवक्षेपण हो जाता है।

प्रश्न 31.
NH4OH विलयन द्वारा तृतीय समूह के हाइड्रॉक्साइडों का अवक्षेपण करने के पहले NH4Cl मिलाना आवश्यक होता है, क्यों?
उत्तर:
तृतीय समूह में Fe+3,Cr+3, और A+3 को उनके हाइड्रॉक्साइड के रूप में NH4Cl तथा अधिक मात्रा में NH4 OH मिलाकर अवक्षेपित किया जाता है। समूह III के हाइड्रॉक्साइड का विलेयता गुणनफल का मान समूह IV, V, VI के हाइड्रॉक्साइडों के विलेयता गुणनफल से कम है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 93

तृतीय समूह के अवक्षेपण में यदि केवल NH4OH का उपयोग किया जाये तो OH आयनों का सान्द्रण इतना अधिक होगा कि तृतीय समूह के हाइड्रॉक्साइड के साथ IV, V, VI समूह के हाइड्रॉक्साइड का भी अवक्षेपण हो जायेगा। लेकिन यदि तृतीय समूह के परीक्षण में NH4OH से पहले NH4CI मिलाते हैं तो समआयन प्रभाव के कारण दुर्बल वैद्युत अपघट्य NH4OH का वियोजन, कम हो जाता है जिसमें कम OH आयन प्राप्त होते हैं और ये OH आयन केवल तृतीय समूह के हाइड्रॉक्साइड को ही अवक्षेपित करते हैं।

प्रश्न 32.
नाइट्रिक ऑक्साइड के संश्लेषण में अमोनिया संश्लेषण की अपेक्षा उच्च ताप क्यों प्रयुक्त किया जाता है ?
उत्तर:
N2 + O2 ⇄ 2NO ; ∆H = + 43KCal
N2 + 3H2 ⇄ 2NH3; ∆H = -92.4KCal

ली-शातेलिये सिद्धान्त के अनुसार ताप में वृद्धि करने पर अभिक्रिया उस दिशा में विस्थापित होती है जिस दिशा में अभिक्रिया ऊष्माशोषी होती हैं। नाइट्रिक ऑक्साइड का संश्लेषण ऊष्माशोषी अभिक्रिया है जबकि अमोनिया का संश्लेषण ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है। इसलिये ताप में वृद्धि करने से नाइट्रिक ऑक्साइड के संश्लेषण में अभिक्रिया अग्र दिशा की ओर विस्थापित होती है जिससे NO के बनने की दर बढ़ जाती है जबकि NH3 संश्लेषण में ताप वृद्धि करने से अभिक्रिया प्रतीप दिशा में विस्थापित होती है जिससे NH3 के बनने की दर कम हो जाती है। इसलिये NO का संश्लेषण NH3 की तुलना में उच्च ताप पर कराया जाता है।

प्रश्न 33.
अम्ल एवं क्षार की ब्रॉन्स्टेड – लॉरी अवधारणा को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
ब्रॉन्स्टेड – लॉरी अवधारणा:
इस सिद्धान्त के अनुसार अम्ल वह पदार्थ है, जो प्रोटॉन दान कर सकता है जबकि क्षार वह पदार्थ है जो प्रोटॉन ग्रहण कर सकता है।

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 94

उपर्युक्त उदाहरण में HCl प्रोटॉन दाता है इसलिये यह अम्ल है जबकि H2O प्रोटॉन ग्राही है इसलिये H2O क्षार है। अम्ल जब प्रोटॉन दान करता है तो बचा हुआ समूह क्षार की तरह कार्य करता है इसे उस अम्ल का संयुग्मी क्षार कहते हैं। इसी प्रकार जब क्षार एक प्रोटॉन ग्रहण करता है तो बनने वाला समूह अम्ल की तरह कार्य करता है इसे उस क्षार का संयुग्मी अम्ल कहते हैं तथा संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म में केवल एक प्रोटॉन का अंतर होता है।

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साम्यावस्था दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
साम्य स्थिरांक Kp और Kc में संबंध स्थापित कीजिए। अथवा, सिद्ध कीजिए कि Kp = Kc RT∆n .
उत्त:
सन् 1867 में गुल्डबर्ग एवं वागे ने अभिक्रिया की दर तथा अभिकारकों के सान्द्रण के बीच संबंध स्थापित किया जिसे बाद में द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम दिया। जिसके अनुसार “निश्चित ताप पर किसी पदार्थ के क्रिया करने की दर उसकी सक्रिय मात्रा के समानुपाती होती है तथा रासायनिक अभिक्रिया की दर अभिकारकों के सक्रिय मात्राओं के गुणनफल के समानुपाती होती है।”
उदाहरण –
aA + bB ⇄ cC  + dD
यदि A, B, C तथा D के सक्रिय द्रव्यमान [A], [B], [C] तथा [D] हैं, तो
अग्र अभिक्रिया का वेग α [A][B].
या अग्र अभिक्रिया की दर = Kf[A][B]
इसी प्रकार प्रतीप अभिक्रिया की दर = Kb[C][D]
साम्यावस्था पर, Kf [A][B] = Kb[C][D]

जहाँ Kcअभिक्रिया का साम्य स्थिरांक है।
Kpतथा Kcमें संबंध:
माना एक रासायनिक उत्क्रमणीय अभिक्रिया में अभिकारक A व B तथा उत्पाद C व D सभी गैसीय अवस्था में हैं।
aA +bB ⇄ cC + dD
द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम के अनुसार,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 96
आण्विक सान्द्रण के स्थान पर आंशिक दाब का प्रयोग करने पर
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 97

आदर्श गैस समीकरण के अनुसार,
⇒PV = nRT
⇒ P = \(\frac { n}{ v }\)RT
∴ \(\frac { n}{ v }\) = C
⇒ P = CRT,
जहाँ C गैस के मोलर सान्द्रण को दर्शाता है।
Pa = CaRT = [A] RT
Pb = CbRT = [B] RT
Pc = CcRT = [C] RT
Pd = CdRT = [D] RT
समीकरण (2) में मान रखने पर,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 98

समीकरण (1) के अनुसार,
Kp = Kc × RT = Kc × RT (c+d)-(a+b)
[∴ (c+d) – (a+b) = ∆n]
या Kp = Kc RT∆n

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प्रश्न 2.
नीचे दर्शाए गए साम्य में 899 K पर Kp का मान 0.04 atm है। C2H6 की साम्य पर सान्द्रता क्या होगी, यदि 4.0 atm दाब पर C2H6 को एक फ्लास्क में रखा गया है एवं साम्यावस्था पर आने दिया जाता है।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 99

प्रश्न 3.
निम्नलिखित समीकरण के लिये साम्य स्थिरांक की गणना कीजिए –
(1) PCl5 ⇄ PCl3 + Cl2,
(2) H2 + I2 ⇄ 2HI.
उत्तर:
(1) माना कि PCl5 के a मोल अभिक्रिया प्रारंभ करते हैं और साम्यावस्था पर x मोल वियोजित होते हैं। यदि पात्र का आयतन v लीटर हो, तो
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 100
(2) HI का संश्लेषण-माना कि प्रारंभ में H2 व I2 के क्रमश: a तथा b मोल लेकर अभिक्रिया प्रारंभ करते हैं। साम्यावस्था पर दोनों के x मोल संयोग करते हैं। यदि पात्र का आयतन v लीटर हो, तो।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 101

प्रश्न 4.
दुर्बल वैद्युत अपघट्यों के वियोजन सम्बन्धी ओस्टवाल्ड का तनुता सिद्धान्त का प्रतिपादन कीजिए। इसकी क्या सीमाएँ हैं ?
अथवा
आयनन की मात्रा और आयनन स्थिरांक में संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
सन् 1888 में ओस्टवाल्ड ने बताया कि दुर्बल वैद्युत अपघट्य के विलयन में आयनों तथा अनआयनित अणुओं के मध्य एक साम्य स्थापित हो जाता है और इस आयनिक साम्यावस्था पर द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम का प्रयोग किया जा सकता है जिसे ओस्टवाल्ड का तनुता नियम कहते हैं। माना AB एक दुर्बल वैद्युत अपघट्य है जिसके एक मोल को । लीटर में विलेय है यदि आयनन की मात्रा α है, तो
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 102
दुर्बल वैद्युत अपघट्य में आयनन की मात्रा अत्यंत कम होती है। अतः ४ का मान नगण्य होगा अतः (1 – α) = 1 रखने पर,
K = \(\frac { { α }^{ 2 } }{ v } \)
KV = α2
\(\sqrt { K v} \) = α
∴ \(\frac { 1 }{ v }\)
\(\sqrt { K\frac { 1 }{ c } }\)
ओस्टवाल्ड के तनुता नियमानुसार दुर्बल वैद्युत अपघट्य के वियोजन की मात्रा उसकी तनुता के वर्गमूल के समानुपाती तथा उसकी सान्द्रता के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

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प्रश्न 5.
∆G और के मध्य संबंध लिखिये तथा पद के अर्थ को परिभाषित कीजिए।निम्न प्रश्नों के उत्तर भी दीजिए –
(a) जब Q < K तब अभिक्रिया अग्र दिशा में क्यों अग्रसर होती है तथा जब Q = K तब परिणामी अभिक्रिया क्यों नहीं होती है ?
(b) निम्न अभिक्रिया के दाब में वृद्धि का अभिक्रिया भागफल (Q) पर प्रभाव बताइये –
CO2(g) + 3H2(g) ⇄ CH4(g) + H2O(g)
हल:
∆G तथा Q के मध्य निम्नलिखित संबंध है –
∆G = ∆G°+ RT In Q जहाँ ∆G = अभिक्रिया होने के फलस्वरूप मुक्त ऊर्जा में परिवर्तन, ∆G° = मानक मुक्त ऊर्जा Q = अभिक्रिया भागफल, R = गैस नियतांक, T = परम ताप

(a) AG° = -RT in K
∆G = -RT In K + RT In Q = RT In \(\frac { Q }{ K}\)
यदि Q < K, ∆G = ऋणात्मक होगा तथा अभिक्रिया अग्र दिशा में अग्रसर होगी।
यदि Q = K, ∆G = शून्य अभिक्रिया साम्य में होगी तथा क्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(b) CO(g) + 3H2(g) ⇄ CH4(g) + H2O(g).
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 103
दाब घटाने पर आयतन घटता है। दाब दोगुना करने पर आयतन आधा रह जाता है परन्तु मोलर सान्द्रताएँ दोगुनी हो जाती हैं तब
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 104

अत: Q, K. की अपेक्षा कम है अत: Q साम्यावस्था को पुनः प्राप्त करने के लिए वृद्धि करने का प्रयास करेगा जिसके कारण अभिक्रिया अग्र दिशा में अग्रसर होगी।

प्रश्न 6.
आयनन की मात्रा से क्या समझते हो ? तथा आयनन की मात्रा को प्रभावित करने वाला कारक लिखिए।
उत्तर:
आयनिक यौगिक ठोस अवस्था में ही स्थायी होते हैं। क्योंकि ये स्थिर वैद्युत आकर्षण बल द्वारा जुड़े रहते हैं। इन आयनिक यौगिकों को जब किसी विलायक में विलेय किया जाता है तो स्थिर वैद्युत आकर्षण बल में कमी के कारण ये आयनों में विभक्त हो जाते हैं। किसी विलयन में यौगिकों का आयनों में पृथक् होना आयनन कहलाता है। कुल मात्रा में से जिस अंश तक किसी यौगिक का आयनन होता है, उसे आयनन की मात्रा या वियोजन की मात्रा कहते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 105

आयनन को प्रभावित करने वाले कारक –
(1) विलेय की प्रकृति:
प्रबल वैद्युत अपघट्य जलीय विलयन में पूर्णतः आयनित हो जाते हैं इसलिये इनकी आयनन की मात्रा अधिक होती है जबकि दुर्बल वैद्युत आयनों में आंशिक रूप से आयनित होते हैं । इसलिये इनकी आयनन की मात्रा कम होती है।

(2) सान्द्रता:
आयनन की मात्रा सान्द्रता के व्युत्क्रमानुपाती होती है अत: विलयन की तनुता में वृद्धि करने पर आयनन की मात्रा में वृद्धि होती है।

(3) विलायक की प्रकृति:
विलायक विलेय में उपस्थित स्थिर विद्युत् आकर्षण बल में कमी लाते हैं। इस गुण को विलायक का डाई इलेक्ट्रिक स्थिरांक कहते हैं। किसी भी विलायक का डाई इलेक्ट्रिक स्थिरांक का मान जितना अधिक होगा उसमें विलेय के आयनन की मात्रा उतनी अधिक होगी।

(4) ताप:
आयनन की मात्रा ताप के समानुपाती होती है ताप में वृद्धि करने से आयनन की मात्रा में वृद्धि होती है क्योंकि ताप में वृद्धि करने से स्थिर विद्युत् आकर्षण बल में कमी आती है।

प्रश्न 7.
अम्ल तथा क्षारक क्या है ? इनकी आपेक्षिक प्रबलता कैसे ज्ञात करते हैं ?
उत्तर:
आर्तीनियस के अनुसार अम्ल वह पदार्थ है जो जल में विलेय होकर H’ आयन दान करते हैं।
HCl ⇄ H+ + Cl

ब्रॉन्स्टेड-लॉरी अवधारणा के अनुसार अम्ल वह पदार्थ है जो विलयन में किसी अन्य यौगिक या पदार्थ को प्रोटॉन दान करते हैं।
HCl + H2O ⇄ Cl + H3O+
लुईस परिकल्पना के अनुसार अम्ल वह पदार्थ है जो किसी अन्य पदार्थ से इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर सकते हैं।
NH4: + BE3 → NH3 → BF3
लुईस अम्ल

अम्ल की प्रबलता:
किसी भी अम्ल की प्रबलता को अम्ल के आयनन स्थिरांक की सहायता से दर्शाया जा सकता है।
HA + H2O ⇄ A+ H3O++ द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम के अनुसार,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 106

जहाँ Kα अम्ल का आयनन स्थिरांक है जिसे अम्लीयता स्थिरांक कहते हैं। Kα का मान जितना अधिक होगा। अम्ल उतना प्रबल होगा।

क्षारक:
आर्टीनियस के अनुसार क्षारक वह पदार्थ है जो जल में विलेय होकर OH आयन देता है।
KOH ⇄ K+ + OH
ब्रॉन्स्टेड एवं लॉरी के अनुसार क्षारक वह पदार्थ है जो विलयन में किसी अन्य पदार्थ से प्रोटॉन ग्रहण करता है।

NH3 + H2O ⇄ NH4+ + OH

लुईस परिकल्पना के अनुसार क्षारक वह पदार्थ है जो इलेक्ट्रॉन युग्म दान कर सकता है।
NH3 + BF3 → NH3 → BF3
लुईस क्षार

क्षार की प्रबलता:
किसी भी क्षार की प्रबलता उसके प्रोटॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। क्षार की प्रबलता को आयनन स्थिरांक की सहायता से ज्ञात कर सकते हैं।
NH3 + H2O ⇄ NH4+ + OH
द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम के अनुसार,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 107
यहाँ पर Kb क्षार का आयनन स्थिरांक है जिसे क्षारीयता स्थिरांक कहते हैं। इसका मान जितना अधिक होगा क्षार उतना प्रबल क्षार होगा।

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित ऊष्माशोषी अभिक्रिया के अनुसार ऑक्सीकरण द्वारा डाइहाड्रोजन गैस प्राकृतिक गैस से प्राप्त की जाती है-
CH4(g) + H2O(g) ⇄ CO(g) + H2(g)

  1. उपरोक्त अभिक्रिया के लिए Kpका व्यंजक लिखिए।
  2. Kp एवं अभिक्रिया मिश्रण का साम्य पर संघटन किस प्रकार प्रभावित होगा, यदि –
    • दाब बढ़ा दिया जाय
    • ताप बढ़ा दिया जाय
    • उत्प्रेरक प्रयुक्त किया जाए।

हल:
CH4(g) + H2O(g) ⇄ CO(g) + H2(g)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 108
(b) 1. दाब में वृद्धि के कारण साम्य उस दिशा में अग्रसर होगा, जहाँ दाब में कमी होती है (अर्थात् गैसीय मोलों की संख्या कम हो)। यह प्रतीप अभिक्रिया है। दाब में परिवर्तन के फलस्वरूप Kp समान रहेगा।
2. चूँकि ∆H = धनात्मक (ऊष्माशोषी होती है) अतः अभिक्रिया ऊष्मा के अवशोषण द्वारा सम्पन्न होगी।
इसी कारण ताप में वृद्धि के कारण साम्य उस दिशा में विस्थापित होगा जिस ओर ऊष्मा अवशोषित होती हो (अर्थात् अग्र दिशा)। इसके कारण Kp के मान में वृद्धि होती है।
3. कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि उत्प्रेरक दोनों दिशाओं की दर पर समान प्रभाव डालता है।

प्रश्न 9.
ली-शातेलिये का नियम क्या है ? निम्न समीकरणों पर ताप, दाब एवं सान्द्रण बढ़ाने पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(a) N2 + 3H2 ⇄ 2NH3; ∆H = – 93.6KJ
(b) N2 + O2 ⇄  2NO; ∆H = + 180.7KJ
उत्तर:
सन् 1885 में ली-शातेलिये ने उत्क्रमणीय अभिक्रिया के रासायनिक साम्य पर ताप, दाब व सान्द्रण के गुणात्मक प्रभाव को एक नियम के रूप में दर्शाया। इस नियम के अनुसार, “यदि किसी अभिक्रिया की साम्यावस्था पर स्थापित किसी निकाय के ताप, दाब व सान्द्रण में से कोई परिवर्तन किया जाये तो साम्य इस प्रकार से विस्थापित होगा जिससे परिवर्तन को उदासीन या प्रभावहीन किया जा सके।”

(a) N2 + 3H2 ⇄  2NH3; ∆H = – 93.6KJ
दाब:
उपर्युक्त अभिक्रिया में यदि दाब बढ़ा दिया जाये तो अग्र अभिक्रिया की दर बढ़ जायेगी क्योंकि दाब बढ़ाने से आयतन में कमी आती है। अर्थात् अभिक्रिया के दौरान आयतन में कमी हो रही है। इसलिये ताप बढ़ाने से अभिक्रिया अग्र दिशा की ओर विस्थापित होगी जिससे NH3 के बनने की दर बढ़ जायेगी।

ताप:
NH3 का बनना एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है इसीलिये ताप बढ़ाने से अभिक्रिया प्रतीप दिशा में चलेगी जिससे NH3 के बनने की दर कम हो जायेगी। सान्द्रण – N2 या H2 के सान्द्रण में वृद्धि करने से अभिक्रिया अग्र दिशा की ओर चलेगी अर्थात् NH3 के बनने की दर बढ़ जायेगी क्योंकि। का मान स्थिर रहना चाहिये।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 109

(b) N2 +O2 ⇄ 2NO; ∆H = + 180.7KJ

  • सान्द्रण:
    N2 या O2 का सान्द्रण बढ़ाने से साम्यावस्था अग्र दिशा की ओर विस्थापित होता है जिससे NO के बनने की दर बढ़ जाती है।
  • ताप:
    NO का बनना एक ऊष्माशोषी प्रक्रम है इसलिये ताप में वृद्धि करने से साम्य दाँयी ओर विस्थापित होता है जिससे NO अधिक बढ़ेगा।
  • दाब:
    इस अभिक्रिया के दौरान आयतन में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है इसलिये इस अभिक्रिया पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 10.
ली-शातेलिये नियम की सहायता से साम्यावस्था में 2SO2 + O2 ⇄ 2SO3; ∆H = -188.2 kJ अभिक्रिया द्वारा सल्फर ट्राइऑक्साइड के अधिक उत्पादन के लिये आवश्यक प्रतिबन्ध निकालिये।
उत्तर:
2SO2 + O2 ⇄ 2SO3; ∆H = -188.2kJ

सान्द्रण का प्रभाव:
उपर्युक्त अभिक्रिया में साम्यावस्था में अभिक्रिया मिश्रण में SO2 या O2 का सान्द्रण बढ़ाने पर ली-शातेलिये सिद्धान्त के अनुसार साम्यावस्था दाँयी ओर विस्थापित हो जायेगा। अर्थात् SO3 अधिक मात्रा में बनेगा।

ताप:
SO3का बनना एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है। ली-शातेलिये सिद्धान्त के अनुसार ताप में वृद्धि करने से अभिक्रिया उस दिशा में विस्थापित होती है जिस दिशा में अभिक्रिया ऊष्माशोषी हो इसलिये ताप में वृद्धि करने पर यह अभिक्रिया प्रतीप दिशा में विस्थापित होती है जिससे SO3के बनने की दर में कमी आती है।

दाब का प्रभाव:
SO3 के निर्माण में एक आयतन SO2 एक आयतन O2 के साथ संयोग कर 2 आयतन SO3 का निर्माण करता है अर्थात् SO3 के निर्माण के दौरान आयतन में कमी आती है। इस अभिक्रिया में दाब में वृद्धि करने पर अभिक्रिया अग्र दिशा की ओर विस्थापित होती है जिससे SO3 के बनने की दर बढ़ जाती है।

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प्रश्न 11.
ली-शातेलिये सिद्धान्त के अनुसार निम्नलिखित भौतिक साम्यों पर निम्नलिखित प्रभाव समझाइये
(1) बर्फ के पिघलने पर ताप तथा दाब का प्रभाव
(2) जल के वाष्पीकरण पर ताप तथा दाब का प्रभाव
(3) जल की विलेयता पर ताप का प्रभाव।
उत्तर:
(1) बर्फ के पिघलने पर ताप तथा दाब का प्रभाव  –
बर्फ ⇄ जल – Q cal
बर्फ का जल में परिवर्तन एक ऊष्माशोषी अभिक्रिया है तथा आयतन में कमी आती है। इसलिये ताप व दाब में वृद्धि करने पर साम्यावस्था अग्र दिशा की ओर विस्थापित होती है।

(2) जल के वाष्पीकरण पर ताप तथा दाब का प्रभाव –
जल ⇄  जलवाष्प – Qcal
जल के वाष्पीकरण के दौरान आयतन में वृद्धि होती है। इसलिये दाब में वृद्धि करने पर साम्यावस्था प्रतीप दिशा की ओर विस्थापित होती है। अर्थात् दाब में वृद्धि करने पर जल का वाष्पीकरण कम होता है तथा यह प्रक्रम ऊष्माशोषी प्रक्रम है। इसलिये ताप में वृद्धि करने पर साम्यावस्था अग्र दिशा की ओर विस्थापित होती है।

(3) जल में विलेयता पर ताप का प्रभाव –
NH4Cl, NaCl इत्यादि को जल में विलेय करने पर अभिक्रिया ऊष्माशोषी होती है। ऐसे लवणों की जल में विलेयता ताप में वृद्धि करने पर बढ़ती है। दूसरी तरफ CaCO3 तथा Cao की जल में विलेयता ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है। इसलिये इन यौगिकों की जल में विलेयता ताप में वृद्धि करने पर घटती है।

प्रश्न 12.
हाइड्रोजन आयोडाइड के विरचन (बनने) और वियोजन को उदाहरण के रूप में लेते हुए रासायनिक साम्य का वर्णन कीजिए।
हल:
720 K ताप पर एक बंद पात्र में H2 और I2 के बीच होने वाली अभिक्रिया को निम्न प्रकार से दर्शाया जाता है –
H2(g) + I2(g) → 2HI2(g) अभिकर्मकों H2 और I2 के प्रभावी टकराव से HI का विरचन होता है क्योंकि अभिक्रिया बंद पात्र में होती है इसलिए कोई अणु बाहर नहीं जाता और वे आपस में टकराते रहते हैं । अत: अभिक्रिया दोनों दिशाओं में संपन्न होती है और यह उत्क्रमणीय अभिक्रिया है।

अग्रगामी अभिक्रिया H2(g) + I2(g) → 2HI2(g)
प्रतीप अभिक्रिया 2HI2(g) → H2(g) + I2(g)
उत्क्रमणीय अभिक्रिया H2(g) + I2(g) ⇄ 2HI2(g)

प्रारंभ में अभिकारक की सान्द्रता अधिक होती है अतः अग्रगामी क्रिया की दर अधिक होगी। समय के साथ अग्रगामी क्रिया की दर घटती जाती है और प्रतीप दिशा में उत्पादों की सान्द्रता बढ़ती जाती है। परिणामस्वरूप प्रतीप दिशा में अभिक्रिया दर बढ़ती है। एक अवस्था में दोनों दिशाओं में अभिक्रिया दर समान हो जायेगी अर्थात् HI का वियोजन, HI के विरचन (बनने) के बराबर हो र जायेगा। यह अवस्था उत्क्रमणीय अभिक्रिया की साम्यावस्था कहलाती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 110

प्रश्न 13.
अम्लीय बफर विलयन की बफर क्रिया को समझाइये।
उत्तर:
अम्लीय बफर विलयन की बफर क्रिया:
CH3COONa प्रबल वैद्युत अपघट्य है इसलिये यह पूर्णतः आयनित होकर CH3COO– आयन देता है। जबकि CH3COOH दुर्बल वैद्युत अपघट्य है, यह आंशिक रूप से आयनित होकर कम मात्रा में CH3COO आयन देता है। C3COONa से प्राप्त एसीटेट आयन H+ आयन के साथ संयोग कर एसीटिक अम्ल बनाता है। CH3COONa सम आयन प्रभाव के कारण एसीटिक अम्ल के आयनन को कम कर देता है जिससे बहुत कम H+ बनते हैं इसलिये pH विलयन में कोई परिवर्तन नहीं होता।
CH3COOH  ⇄  CH3COO + H+
CH3COONa  ⇄  CH COO + Na+
CH3COO+ H+ ⇄ CH3COOH

बफर विलयन में अम्ल की अल्प मात्रा मिलाने पर अम्ल से प्राप्त H आयन CH3COO आयन से संयुक्त होकर CH3COOH बनाता है जो दुर्बल वैद्युत अपघट्य है जिसके कारण HCl जैसे प्रबल वैद्युत अपघट्य मिलाने पर भी विलयन के H* आयन सान्द्रण में वृद्धि नहीं हो पाती इसलिये pH में भी कोई परिवर्तन नहीं होता है।
HCl ⇄ H+ + Cl
CH3COO + H+ ⇄  CH3COOH बफर विलयन में क्षार मिलाने पर क्षार से प्राप्त OH आयन H+ आयन के साथ संयोग कर जल बनाते हैं। इस परिस्थिति में साम्यावस्था बनाये रखने के लिये कुछ CH3COOH वियोजित होने लगते हैं। जिसके फलस्वरूप H+ आयनों के सान्द्रण में कोई परिवर्तन नहीं होता इस प्रकार विलयन का pH निश्चित रहता है।
NaOH ⇄ Na+ +OH
OH+ + H ⇄ H2O

प्रश्न 14.
क्षारीय बफर विलयन की बफर क्रिया को समझाइये। बफर क्रिया का महत्व समझाइये।
उत्तर:
NH4Cl प्रबल वैद्युत अपघट्य है इसलिये यह पूर्णतः आयनित होकर अधिक मात्रा में NH4+ आयन देता है। जबकि NH4OH दुर्बल वैद्युत अपघट्य है जो आंशिक रूप से आयनित होकर कम मात्रा में NH4+ आयन देता है। NH4Cl से प्राप्त NH4+आयन OH आयन से संयोग कर NH4OH बनाते हैं। इस प्रकार NH4Cl सम आयन प्रभाव द्वारा NH4OH के वियोजन को कम कर देता है जिससे बहुत कम OH आयन बनते हैं अतः pH मान में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
NH4 OH ⇄ NH4+ + OH
NH4Cl → NH4+ + Cl
NH4+ + OH ⇄ NH4OH
बफर विलयन में क्षार मिलाने पर क्षार से प्राप्त OH आयन NH4+आयनों के साथ संयोग कर NH,OH बनाते हैं जो दुर्बल वैद्युत अपघट्य है जिसका आयनन बहुत कम होता है। इस प्रकार NaOH जैसे प्रबल वैद्युत अपघट्य मिलाने पर भी OH आयनों के सान्द्रण में वृद्धि नहीं हो पाती इसलिये pH स्थिर रहता है।
NaOH ⇄ Na+ + OH
NH4+ + OH ⇄ NH4OH
अम्ल मिलाने पर अम्ल से प्राप्त H+ आयन OHआयनों के साथ संयोग कर HO बनाते हैं। इस परिस्थिति में साम्यावस्था को बनाये रखने के लिये कुछ NH4OH वियोजित हो जाते हैं और इस प्रकार OH आयनों के सान्द्रण स्थिर रहता है अतः pH मान स्थिर रहता है।
HCl ⇄ H++ Cl
H+ + OH→ H2O

बफर विलयन का महत्व:

  • प्रयोगशाला में रासायनिक क्रियाओं के वेग के अध्ययन में pH मान स्थिर रखने के लिये बफर विलयन प्रयुक्त होता है।
  • गुणात्मक विश्लेषण में-फॉस्फेट के निष्कर्षण में CH3COONa और CH3COOH का बफर विलयन प्रयुक्त होता है।
  • उद्योग में – शक्कर और कागज का निर्माण तथा वैद्युत लेपन निश्चित pH पर होता है।

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प्रश्न 15.
pH और pOH मान में संबंध स्थापित कीजिए। अथवा, सिद्ध कीजिये कि pH + pOH = 14.
उत्तर:
जल के स्वआयनन से,
H4O + H4O ⇄ H3O+ + OH
द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम के अनुसार,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 118
Kw, एक स्थिरांक है जिसे जल का आयनिक गुणनफल कहते हैं। 298K ताप पर Kw = 1 × 10-14
समीकरण (1) में मान रखने पर,
10-14 = [H3O+][OH]

दोनों तरफ log10 लेने पर,
-14 log10 10 = log10 [H3O+ ] + log10[OH ]
[∴ log10 10 = 1]
-14 = log10[H3O+] + log10[OH ]

दोनों तरफ (-) का गुणा करने पर,
या 14 = [-log10[H3O+] + [-log10[OH]
या 14 = pH + pOH [-log10[H3O+] = pH, – log10[OH ] = pOH]

प्रश्न 16.
बफर विलयन के pH मान की गणना करने के लिये हेन्डर्सन समीकरण की व्युत्पत्ति कीजिए।
उत्तर:
किसी दुर्बल अम्ल HA और उसके आयनित होने वाले लवण NaA लेते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 111

माना कि मिश्रण में अम्ल और लवण के आण्विक सान्द्रण क्रमशः C1 और C2 है। लवण के भी A आयन की उपस्थिति के कारण विलयन में अम्ल का वियोजन कम हो जायेगा।
[HA] =C1
[A ] = C1
मान रखने पर,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 112
दोनों पक्षों का 10 आधार पर log लेने पर,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 113
यह समीकरण हेन्डर्सन समीकरण कहलाता है।

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प्रश्न 17.
द्रव्य अनुपाती क्रिया के नियम का प्रायोगिक सत्यापन हेतु एक प्रयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
काँच के कुछ बल्ब में H2 और I2 की भिन्न-भिन्न मात्राएँ लेकर उनके मुँह को बंद कर देते हैं । इन बल्बों को उबलती हुई गंधक की वाष्प में कुछ समय तक गर्म करते हैं जिससे साम्य शीघ्र ही स्थापित हो जाता है। इन बल्बों को फिर एकाएक कमरे के ताप पर ठण्डा करके साम्यावस्था स्थापित करते हैं। इन बल्बों के मुँह को NaOH के विलयन में खोलने पर NaOH विलयन प्रत्येक बल्ब की H व आयोडीन को सोख लेता है।

शेष बची हुई हाइड्रोजन का आयतन ज्ञात कर लेते हैं तथा साम्यावस्था पर HI व I2 का सान्द्रण भी प्राप्त कर लेते हैं इस प्रकार प्रत्येक बल्ब में H2, I2 व HI की मात्रा ज्ञात कर लेते हैं तथा इन मानों की सहायता से प्रत्येक बल्ब के लिये K के मान की गणना करते हैं। यदि सभी बल्ब में K का मान लगभग समान रहता है जिससे द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम की पुष्टि होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 114

प्रश्न 18.
1127 K एवं 1 atm दाब पर CO तथा CO2 के गैसीय मिश्रण में साम्यावस्था पर ठोस कार्बन में 90.55% CO है।
C(s) + CO2(g) ⇄  2CO(g)
उपरोक्त ताप पर अभिक्रिया के लिए K. के मान की गणना कीजिए।
हल:
अभिक्रिया C(s) + CO2(g) ⇄ 2CO(g)
यदि मिश्रण CO और CO2 का कुल द्रव्यमान 100g है तब
CO = 90.55 gm तथा CO2 = 100 – 90.55 = 9.45g
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था - 115

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MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 1 कवितावली

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 1 कवितावली (कविता, तुलसीदास)

कवितावली पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

कवितावली लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि तुलसीदास ने किसके बालस्वरूप का वर्णन किया है?
उत्तर:
कवि तुलसीदास ने श्रीराम के बालस्वरूप का वर्णन किया है।

प्रश्न 2.
बालक राम की दन्त-पंक्ति की चमक की उपमा किससे दी गई है?
उत्तर:
बालक राम की दन्त-पंक्ति की चमक की उपमा ‘कुन्द’ नामक फूल की कली से दी गई है।

प्रश्न 3.
बालक राम किसको देखकर डर जाते हैं?
उत्तर:
बालक अपनी परछाईं को देखकर डर जाते हैं।

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कवितावली दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कविता के आधार पर बालक राम की सुन्दरता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बालक श्रीराम के पैरों में धुंघरू हैं। कमल के समान कोमल हाथों में पहुँचियाँ और हृदय पर मन को हरने वाली मणियों की माला शोभा दे रही है। नए नीले कमल के समान उनके साँवले शरीर पर पीले रंग की झिंगुली (कपड़ा) झलक रही है। ऐसे बालक श्रीराम को अपनी गोद में लिए हुए राजा दशरथ अत्यधिक खुश हो रहे हैं। उन श्रीराम की आँखों रूपी भौरे कमल के समान सुन्दर उनके मुख रूपी पराग का आनन्द के साथ पान कर रहे हैं। यदि किसी के मन में ऐसे सुन्दर बाल रूप का ध्यान नहीं आया तो फिर इस संसार में रहने का क्या फल है। अर्थात् कुछ भी नहीं है।

प्रश्न 2.
कवि के अनुसार जीवन का सर्वोत्तम फल क्या है?
उत्तर:
कवि के अनुसार जीवन का सर्वोत्तम फल भगवान श्रीराम के बाल-रूप और उनकी बाल-लीलाओं का दर्शन कर लेना है। ऐसा इसलिए कि यह भगवदनुरक्ति – योग, तप और समाधि से कहीं अधिक बढ़कर है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि अगर कोई भगवान श्रीराम के बाल-रूप और बाल-लीलाओं का दर्शन नहीं करता है, तो उसका जीवन गधों, सुअरों और कुत्तों के समान है। इसलिए उसका इस संसार में जीवित रहना बिल्कुल व्यर्थ है।

प्रश्न 3.
पाठ में आई तीन उपमाओं को उनके भाव सहित लिखिए।
उत्तर:
पाठ में आई तीन उपमाएँ और उनके भाव इस प्रकार हैं-
1. उपमा :
रंजित-अंजन नैन सुखंजन-जातक से-
भाव :
बालक श्रीराम की आँखें न केवल आकर्षक हैं, अपितु सुन्दर और विशाल भी हैं। उनकी आँखों की इन विशेषताओं को व्यंजित करने के लिए खंजन पक्षी के बच्चे की आँखों से उपमा देना अपने आप में एक सार्थक प्रयोग है।

2. अरविन्द सो आनन
भाव :
बालक श्रीराम का मुखमण्डल साधारण नहीं है। वह असाधारण और अधिक प्रभावशाली है। वह तो कमल के समान कोमल, आकर्षक और मनमोहक है। दूसरे शब्दों में यह कि राम का मुखमण्डल वैसे है, जैसे खिला हुआ कनल। इसलिए अत्यधिक मन को छू लेने वाला है।

3. झलकै दंतिया दुति दामिनी ज्यों
भाव :
बालक श्रीराम के दाँतों की चमक अद्भुत है। उसकी झलक बिजली की झलक के समान हृदयस्पर्शी है। उससे उनकी शारीरिक सुन्दरता में चार चाँद लग जाता है। इस प्रकार वह दर्शनीय और प्रेरक है।

कवितावली भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-विस्तार कीजिए
(क) कबहुँ ससि माँगत……….मोद भरै।
(ख) कही जग में फलु कौन जिएँ।
उत्तर:
(क) कबहुँ ससि माँगत………मोद भरै।
उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों के द्वारा कवि ने बाल स्वभाव का सटीक उल्लेख करना चाहा है। कवि का यह मानना है कि बाल-स्वभाव बड़ा ही क्षणिक, अस्थिर और स्वाभिमानी होता है। इसलिए वह अपने सामने किसी की कुछ भी परवाह नहीं करता है। अपने नटखट और चंचल स्वभाव से अपने माता-पिता और अन्य परिजनों के दिलों को बाग-बाग कर देता है।

(ख) ‘कहाँ जग में फलु कौन जिएँ।’
उपर्युक्त काव्यांश में कवि बालक श्रीराम के प्रति अपनी एकमात्र भक्तिधारा को प्रवाहित करना चाहा है। इसलिए उसका यह मानना है कि यदि किसी के मन में सर्वाधिक सुन्दर बालक श्रीराम के बाल-सौन्दर्य का ध्यान न आया तो इस संसार में उसके जीते रहने का कोई फल नहीं है।

कवितावली भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखें
कमल, नेत्र, बालक, पग, नृप।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 1 कवितावली img-1

प्रश्न 2.
कविता में से प्रत्ययांत (प्रत्यय से अन्त होने वाले) तीन शब्द खोजकर लिखिए
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 1 कवितावली img-2

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कवितावली योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
चन्द्रमा लेने की हठ से जुड़ा कोई अन्य प्रसंग या पद खोजें एवं कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर:
योग्यता-विस्तार के उपर्युक्त सभी प्रश्नों के उत्तर छात्र/छात्रा अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

प्रश्न 2.
बालक की वेश-भूषा से सम्बन्धित कुछ वस्तुओं के नाम लिखें।
उत्तर:
योग्यता-विस्तार के उपर्युक्त सभी प्रश्नों के उत्तर छात्र/छात्रा अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

प्रश्न 3.
वात्सल्य सम्राट किसे माना जाता है, उनके पदों को खोजिए और कवितावली के इन पदों से उनकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
योग्यता-विस्तार के उपर्युक्त सभी प्रश्नों के उत्तर छात्र/छात्रा अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

कवितावली परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

कवितावली लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि तुलसीदास ने श्रीराम के बाल स्वरूप का वर्णन कैसा किया है?
उत्तर:
कवि तुलसीदास ने श्रीराम के बाल स्वरूप का वर्णन बड़ा ही अद्भुत, रोचक और स्वाभाविक रूप में किया है।

प्रश्न 2.
बालक राम की आँखों की उपमा किससे दी गई है?
उत्तर:
बालक राम की आँखों की उपमा खंजन पक्षी के बच्चे की आँखों से। दी गई है।

प्रश्न 3.
माताएँ अपने बालकों की किस प्रकार की वाल-लीला को देखकर अपने मन में परमानन्दित हो उठती हैं?
उत्तर:
माताएँ अपने बालकों द्वारा अपने-अपने हाथों से तालियाँ बजा-बजा कर बाल-लीला करते हुए देखकर अपने मन में परमान्दित हो उठती हैं।

कवितावली दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कविता के आधार पर बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य और बाल-लीला का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
‘बाल-रूप’ शीर्षक के अन्तर्गत संकलित पद महाकवि तुलसीदास की प्रमुख रचना ‘कवितावली’ से उद्धृत हैं। इन पदों में कवि ने राम के बाल-रूप सौन्दर्य का वर्णन किया है। इसके लिए कवि ने अनेक उपमाओं का आश्रय लिया है। उन उपमाओं के माध्यम से कवि ने राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम के बाल-सौन्दर्य को चकित करने वाला, खंजन पक्षी के बच्चे के समान मन को लुभाने वाला और चन्द्रमा में खिले हुए दो नए नील-कमल के समान कहा है। ऐसे श्रीराम के चरणों में घुघरू, कमल के समान कोमल हाथों में पहुँचियाँ, और हृदय पर मनोहर मणियों की माला शोभा दे रही है। उनके साँवले शरीर पर पीले रंग की झिंगुली झलक रही है। उनकी आँखें रूपी भौरे कमल के समान सुन्दर मुँह रूपी मकरन्द का आनन्द के साथ पान कर रहे हैं। इससे उनका शरीर सुन्दर और आँखें कमल के समान लग रही हैं, जो कामदेव को भी लज्जित करने वाली हैं। उनकी दंतावलियां बिजली के समान चमक रही हैं। वे किलकारी मारते हुए बाल सुलभ लीलाएँ कर रहे हैं।

प्रश्न 2.
किसके जीवन को कवि ने सार्थक कहा है?
उत्तर:
कवि ने उस व्यक्ति के जीवन को सार्थक कहा है, जो श्रीराम के बाल रूप और बाल मनोविनोद में अपनी सच्ची श्रद्धा भावना रखता है। इसके विपरीत जीवन जीने वाले व्यक्ति के जीवन को निष्फल और निरर्थक माना है। उसके अनुसार ऐसे व्यक्तियों का जीवनतो गधों,सुअरोंऔर कुत्तों के समान है।फिर इस संसार में उनकेजीवनकाक्या अर्थ है?

प्रश्न 3.
प्रस्तुत कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता महाकवि तुलसीदास की अत्यधिक महत्त्वपूर्ण कविता है। इसमें उन्होंने श्रीराम के बाल-रूप का बड़ा ही रोचक उल्लेख किया है, तो उनकी बाल-लीलाओं के भी अनूठे चित्र खींचे हैं। इन दोनों ही प्रकार के चित्रों को मनमोहक बनाने के लिए उन्होंने सटीक उपमाओं का आश्रय लिया है। उनके ये चित्र बाल-मनोविज्ञान पर आधारित हैं। इसके लिए. कवि ने वात्सल्य रस को इस प्रकार प्रवाहित किया है कि उससे सहृदय पाठक रसमग्न हो उठता है। अन्ततः कवि ने उस व्यक्ति के जीवन को सार्थक माना है, जो राम के बालरूप और बाल-लीला से प्रेम रखता है।

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कवितावली कवि-परिचय

प्रश्न 1.
गोस्वामी तुलसीदास का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय :
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन् 1532 ई. में उत्तर-प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था। कुछ विद्वान उनका जन्म-स्थान सोरों (एटा) मानते हैं। उनके पिता का नाम श्री आत्माराम और माता का नाम हुलसी था। अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण उनको अशुभ माना गया। इसलिए उनके माता-पिता ने उन्हें त्याग दिया। इससे उन्हें बचपन में अनेक प्रकार के कष्ट उठाने पड़े। सौभाग्य से उनकी भेंट बाबा नरहरिदास से हो गई। उन्होंने उन्हें शिक्षा और गुरु-मन्त्र दिया। उनकी योग्यता और नम्रता से प्रभावित होकर दीनबन्धु पाठक ने अपनी पुत्री रत्नावली का विवाह उनके साथ कर दिया। अपनी पत्नी रत्नावली से उनका बहुत अधिक प्यार था। कहा जाता है कि उसके अपने मायके चले जाने पर वे भी उफनती हुई नदी को पार कर उसके पास पहुँच गए। अर्द्धरात्रि में सामने देखकर उसने उन्हें इतना फटकरा कि वे संसार से विरक्त हो गए। वे राम-भक्ति में लीन हो गए। काशी जाकर उन्होंने शास्त्रों का अध्ययन-मनन किया। फिर भारत के प्रमुख तीर्थ-स्थानों की यात्रा करते हुए सन्त-महात्माओं का सत्संग किया। इसके बाद उन्होंने अनेक ग्रन्थ लिखे। उनका निधन सन् 1623 ई. में काशी के अस्सी घाट पर हो गया।

रचनाएँ :
तुलसीदास ने बारह ग्रन्थ लिखे हैं-रामचरितमानस, विनयपत्रिका कवितावली, दोहावली, गीतावली, बरवैरामायण, वैराग्य संदीपनी, रामलला नहछू, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, रामाज्ञा प्रश्न और हनुमान बाहुक । इनमें रामचरितमानस सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इसमें रामचरित्र को प्रेरणादायक रूप में प्रस्तुत किया गया है।

साहित्य की विशेषताएँ :
तुलसीदास रामभक्त थे। उन्होंने राम के अतिरिक्त अन्य देवी-देवताओं का भी गुणगान किया है।

(क) भाव पक्ष :
तुलसीदासं राम के अनन्य भक्त थे। उनके काव्य में राम के प्रति पूरी श्रद्धाभावना व्यक्त हुई है। लोक-कल्याण की भावना उनके काव्य में मुख्य रूप से है। उन्होंने प्रकृति के सभी रूपों का मोहक चित्रण किया है। राम-कथा के द्वारा उन्होंने अनेक मतों-सिद्धान्तों का खण्डन-मण्डन किया है। उन्होंने अपनी भक्ति भावना से सबको प्रभावित और आकर्षित किया है।

(ख) कला पक्ष :
तुलसीदास के काव्य की भाषा अवधी और ब्रज दोनों ही है। इन दोनों भाषाओं के अतिरिक्त उनके काव्य में संस्कृत, उर्दू, फारसी आदि के भी शब्द मिलते हैं। उन्होंने अपने काव्य में प्रचलित मुहावरों-कहावतों का सुन्दर प्रयोग किया है। उनके काव्य में सभी रसों के प्रयोग हुए हैं। उनकी कविताओं में दोहा, चौपाई, सोरठा, सवैया, कवित्त आदि छन्द हैं। उनके काव्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, सन्देह, अतिशयोक्ति आदि अलंकार यथास्थान प्रयुक्त हुए हैं। उन्होंने भावात्मक, वर्णनात्मक, चित्रात्मक आदि शैलियों के सफल प्रयोग किए हैं।

(ग) साहित्य में स्थान :
तुलसीदास का साहित्य एक ऐसी सरिता है, जिसमें स्नान करने से सभी प्रकार के क्लेश दूर हो जाते हैं, मन पवित्र हो जाता है और उसमें आस्था-विश्वास के अंकुर फूटने लगते हैं। तुलसीदास का गुणगान करते हुए किसी कवि ने ठीक ही कहा है-
सूर ससी, तुलसी रवी, उड्गन केसवदास।
अब के कवि खद्योत सम, जहँ-जहँ करत प्रकास॥

बाल-रूप की झाँकी भाव सारांश

कविता का सार

प्रश्न 1.
तुलसीदास द्वारा रचित ‘बाल-रूप’ शीर्षक के अंतर्गत संकलित पदों का सारांश लिखिए।
उत्तर:
‘बाल-रूप’ शीर्षक के अन्तर्गत संकलित पद महाकवि तुलसीदास की प्रमुख रचना ‘कवितावली’ से उद्धृत हैं। इन पदों में कवि ने राम के बाल-रूप सौन्दर्य का वर्णन किया है। इसके लिए कवि ने अनेक उपमाओं का आश्रय लिया है। उन उपमाओं के माध्यम से कवि ने राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम के बाल-सौन्दर्य को चकित करने वाला, खंजन पक्षी के बच्चे के समान मन को लुभाने वाला और चन्द्रमा में खिले हुए दो नए नील-कमल के समान कहा है। ऐसे श्रीराम के चरणों में घुघरू, कमल के समान कोमल हाथों में पहुँचियाँ, और हृदय पर मनोहर मणियों की माला शोभा दे रही है। उनके साँवले शरीर पर पीले रंग की झिंगुली झलक रही है। उनकी आँखें रूपी भौरे कमल के समान सुन्दर मुँह रूपी मकरन्द का आनन्द के साथ पान कर रहे हैं। इससे उनका शरीर सुन्दर और आँखें कमल के समान लग रही हैं, जो कामदेव को भी लज्जित करने वाली हैं। उनकी दंतावलियां बिजली के समान चमक रही हैं। वे किलकारी मारते हुए बाल सुलभ लीलाएँ कर रहे हैं।

बाल-रूप की झाँकी संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

1. अवधेश के द्वारे सकारे गई सुत गोद कै भूपति लै निकसे।
अवलोकि हौं सोच बिमोचन को ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से।।
तुलसी मन-रंजन रंजित-अंजन नैन सुखंजन-जातक-से।
सजनी ससि में समसील उभै नवनील सरोरुह से बिकसे ॥1॥

शब्दार्थ :
अवधेश-राजा दशरथ। सुत-पुत्र। भूपति-राजा। सकारे-सुबह। कै-लै-लेकर। अवलोकि-देखकर। सोच-विमोचन-शोक (दुख) से छुटकारा दिलाने वाले। हौं-मैं। ठगि-सी रही-चकित रह गई। खंजन-जातक-खंजन नाम के पक्षी का बच्चा। रंजित अंजन नैन-काजल लगे नेत्र। उभै-दो। नवनील-नए। सरोरुह-नील कमल। विकसे-खिले हुए।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य पुस्तक ‘सामान्य हिन्दी भाग-1’ में संकलित तथा महाकवि तुलसीदास विरचित काव्य-रचना कवितावली के ‘बाल-रूप की झाँकी शीर्षक से लिया गया है। इसमें महाकवि तुलसीदास ने श्रीराम की बाल-शोभा का आकर्षक चित्रण किया है। कवि ने इस विषय में कहा है कि-

व्याख्या :
एक सखी दूसरी सखी से कह रही है कि हे सखी! मैं सुबह अयोध्या के स्वामी दशरथ के महल के द्वार गई। उस समय राजा दशरथ अपने पुत्र रामचन्द्र को अपनी गोद में लेकर राजमहल से बाहर निकल रहे थे। मैं तो शोक से मुक्त करने वाले उन रामचन्द्र की सुन्दरता को देखकर चकित रह गई। उस अपार और अत्यधिक सुन्दरता को देखकर जो चकित न हो, उसे धिक्कार है। खंजन पक्षी के बच्चे के समान मन को लुभाने वाले काजल लगी हुई उनकी आँखें उस समय ऐसी लग रही थीं, मानो चन्द्रमा में दो नए और समान सुन्दरता वाले नील कमल खिले हुए हैं।

विशेष :

  1. बालक राम की आँखों की आकर्षक सुन्दरता का चित्रण है।
  2. खंजन पक्षी के बच्चों की आँखों की उपमा देने से उपमा अलंकार है।
  3. वात्सल्य रस का प्रवाह है।
  4. सवैया छन्द है।
  5. चित्रात्मक शैली है।

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पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(iii) ‘अवलोकि हौं………………………धिक से।’ का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
उत्तर:
(i) प्रस्तुत पद में महाकवि तुलसीदास ने बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य का आकर्षक चित्र खींचा है। यह चित्र बड़ा मनमोहक और रोचक होने के कारण प्रेरक भी है। कवि का मानना है कि बालक श्रीराम की सुन्दरता चकित करने वाली है। उस रूप-सौन्दर्य को देखकर जो चकित न हो, उसे धिक्कार है। काजल लगी उनकी आँखों की सुन्दरता खंजन-पक्षी के बच्चे की आँखों के समान बार-बार मन को लुभाने वाली है। इस प्रकार की उनकी आँखें वैसे ही सुन्दर दिखाई दे रही हैं, मानो चन्द्रमा में दो नए और समान सुन्दरता वाले नील कमल खिले हुए हों।

(ii) प्रस्तुत पद का काव्य-सौन्दर्य देखते ही बनता है। उसमें विशुद्ध ब्रज भाषा का प्रयोग किया गया है। खंजन पक्षी के बच्चों की आँखों और चन्द्रमा में खिल रहे कमलों से दी गई उपमा बड़ी सटीक और सार्थक रूप में है। ‘ठगे-से रह जाना’ मुहावरे का सफल प्रयोग हुआ है। वात्सल्य रस के प्रवाह से यह पद बड़ा ही सरस बन गया है। इस प्रकार इस पद में प्रस्तुत बिम्ब और प्रतीक चित्रात्मक शैली में होने से अधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो रहे हैं।

(iii) इसमें कवि तुलसीदास ने बालक श्रीराम के रूप को चकित करने वाला कहा है। इसके साथ ही ऐसे रूप-सौन्दर्य को देखकर चकित न होने वाले को धिक्कारा है। उससे कवि को बालक श्रीराम का अद्भुत सौन्दर्य प्रति एकमात्र प्रेम सिद्ध हो रहा है।
पद पर आधारित विषय-वस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) कविता का मुख्य विषय क्या है?
(iii) तुलसीदास ने बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य को देखकर चकित न होने वाले को क्यों धिक्कारा है?
(iv) किसके माध्यम से बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य पर प्रकाश डाला गया है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता- ‘बालकाण्ड’ ।
(ii) बालक श्रीराम के अद्भुत रूप-सौन्दर्य का चित्रण।
(iii) एक सखी अपनी दूसरी सखी को सम्बोधित करते हुए कह रही है, इसके माध्यम से बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य पर. प्रकाश डाला गया है।

2. पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ।
नवनील कलेवर पीत अँगा झलकै पुलकैं नूपु गोद लिएँ।
अरबिन्दु सो आननु रूप मरंदु अनन्दित लोचन-भृग पिएँ।
मनमो न बस्यौ अस बालकु जौं तुलसी जगमें फलु कौन जिएँ॥2॥

शब्दार्थ :
पग-पैर। नूपुर-घुघुरू। करकजनि-कमल रूपी हाथों में। मंजु-सुन्दर। मनिमाल-मणियों की माला। हिए-हृदय। नवनील-नया नीला कमल। कलेवर-शरीर। पीत-पीला। झगा-झिंगुली (कपड़ा)। पुलके-प्रसन्न।नृप-राजा दशरथ। अरविन्द-कमल। आनन-मुखमण्डल। मरंद-पराग। लोचन-ग-आँख रूपी भौंरा।।

प्रसंग :
पूर्ववत्। इस पद में महाकवि ने बालक श्रीराम के शारीरिक सुन्दरता का चित्रण करते हुए कहा है कि-

व्याख्या :
बालक श्रीराम के पैरों में धुंघरू हैं। कमल के समान कोमल हाथों में पहुँचियाँ और हृदय पर मन को हरने वाली मणियों की माला शोभा दे रही है। नए नीले कमल के समान उनके साँवले शरीर पर पीले रंग की झिंगुली (कपड़ा) झलक रही है। ऐसे बालक श्रीराम को अपनी गोद में लिए हुए राजा दशरथ अत्यधिक खुश हो रहे हैं। उन श्रीराम की आँखों रूपी भौरे कमल के समान सुन्दर उनके मुख रूपी पराग का आनन्द के साथ पान कर रहे हैं। यदि किसी के मन में ऐसे सुन्दर बाल रूप का ध्यान नहीं आया तो फिर इस संसार में रहने का क्या फल है। अर्थात् कुछ भी नहीं है।

विशेष :

  1. बालक रान की शारीरिक सुन्दरता का मनमोहक चित्रण है।
  2. वात्सल्य रस का सुन्दर प्रवाह है।
  3. शैली चित्रमयी है।
  4. सवैया छन्द है।
  5. उपमा अलंकार है।

पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(iii) ‘नवनील कलेवर पीत अँगा, झलकै पुलकै नूपु गोद लिए’ काव्यांश में कौन-सा भाव व्यक्त हुआ है?
उत्तर:
(i) प्रस्तुत पद में कवि तुलसीदास ने बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य का स्वाभाविक चित्रांकन किया है। बालक श्रीराम के पैरों में घुघुरू, हाथों में पहुँची, हृदय पर मोतियों की माला और पीला वस्त्र उनके साँवले शरीर पर असाधारण शोभा दे रहे हैं। उनकी आँखों के रूप-सौन्दर्य का रसपान भौरे कर रहे हैं। यह सम्पूर्ण चित्रण अपने आप में भाववर्द्धक और आकर्षक है। इसके लिए कवि ने उपयुक्त उपमाओं का चुनाव किया है। तुकान्त शब्दावली और चित्रमयी शैली में ढला हुआ यह पद बड़ा ही अनूठा है।

(ii) प्रस्तुत पद काव्य-सौन्दर्य, भाषा, शैली, रस, छन्द, प्रतीक और योजना की विविधता के कारण देखते ही बनता है। इसकी भाषा सरल और सपाट है, तो शैली विविधता लिए हुए चित्रमयी हो गई है। ‘झगा झलकै’ में अनुप्रास अलंकार है तो ‘अरबिन्दु सो आनन’ में उपमा अलंकार है। इसी प्रकार ‘लोचन-शृंग’ में रूपक अलंकार है। सम्पूर्ण पद सवैया छन्द में गीतबद्ध होकर अधिक सरस और हृदयस्पर्शी बन गया है।

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पद पर आधारित विषय-वस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) कविता का मुख्य विषय क्या है?
(iii) श्रीराम के किस रूप का वर्णन किया गया है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता- ‘बालकाण्ड’।
(ii) कविता का मुख्य विषय है-श्रीराम के बाल-सौन्दर्य का आकर्षक और मनोहारी वर्णन करके उसे मन में उतारकर जीवन को सफल बनाने का उल्लेख करना है।
(iii) श्रीराम के बाल-रूप-सौन्दर्य का नखशिख वर्णन किया गया है?

3. तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंज की मंजुलताई हरैं।
अति सुंदर सोहत, धूरि भरे छबि भूरि अनंग की दूरि धरै॥
दमकैं द॑तियाँ दुति दामिनी-ज्यौं किलक कल बाल-बिनोद करें।
अवधेस के बालक चारि सदा तुलसी-मन-मन्दिर में बिहरै ॥3॥

शब्दार्थ :
तन-शरीर। दुति-चमक। सरोरुह-कमल। लोचन-आँख। कंज-कमल। मंजुलताई-सुन्दरता, सुकोमलता। छवि-सुन्दर। भूरि-बहुत। अनंग-कामदेव। दंतिया-छोटे-छोटे दाँत। दुति-चमक। दामिनी-बिजली। ज्यों-जैसे। किलके-किलकारी। विनोद-मनोरंजन।

प्रसंग :
पूर्ववत्। इसमें कवि ने बालक श्रीराम के आकर्षक और कामदेव को लज्जित करने वाले रूप की सुन्दरता का उल्लेख किया है। कवि का कहना है कि-

व्याख्या :
बालक श्रीराम की शरीर की सुन्दरता साँवले कमल के समान चमक रही है। उनकी आँखें कमलों की सुन्दरता को हर रही हैं। धूल से धूसरित होने पर भी उनका शरीर इतना अधिक सुन्दर दिखाई दे रहा है उसके सामने कामदेव की सुन्दरता भी फीकी पड़ रही है। उनके छोटे-छोटे दाँतों की चमक बिजली के समान है। वे किलकारी मारते हुए अपने साथियों का मनोरंजन कर रहे हैं। कवि तुलसीदास का पुनः कहना है कि अयोध्या के राजा दशरथ के चारों बालक उनके मन-मन्दिर में सदैव विहार करें।

विशेष :

  1. बालक श्रीराम की शारीरिक सुन्दरता को बेजोड़ कहा गया है।
  2. भाषा शुद्ध ब्रजभाषा है।
  3. शैली चित्रमयी है।
  4. वात्सल्य का सुन्दर प्रवाह है।
  5. सम्पूर्ण वर्णन भाववर्द्धक रूप में है।

पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद के काव्य-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
(iii) ‘मन-मन्दिर में बिहरै’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(i) कवि तुलसीदास ने इस पद में यह बतलाने का प्रयास किया है कि बालक श्रीराम का साँवला शरीर धूल से भरा होने पर भी बहुत अधिक सुन्दर दिखाई दे रहा है इसलिए वह कामदेव की भी सुन्दरता को मात दे रहा है। उनकी आँखों की सुन्दरता कमल की सुन्दरता से बढ़कर है तो उनके दाँतों की चमक बिजली की चमक से कहीं अधिक चमकदार है। इस प्रकार बालक श्रीराम की शोभा पर ऐसा कौन है, जो अपने आपको निछावर न कर दे; अर्थात् हर कोई अपने आपको निछावर कर देने के लिए तैयार है।

(ii) प्रस्तुत पद में कवि ने श्रीराम के शारीरिक सौन्दर्य को हृदयस्पर्शी बनाने के लिए कई प्रकार की उपमाओं का आश्रय लिया है। उनके साँवले शरीर और आँखों की सुन्दरता के लिए कमल और दाँतों की चमक के लिए बिजली की चमक से तुलना की है। उनके साँवले शरीर को अत्यधिक सुन्दर बतलाने के लिए कामदेव की भी सुन्दरता को फीका कहा है। इस प्रकार इस पद में मुख्य रूप से उपमा अलंकार का बाहुल्य है, ‘मन-मन्दिर’ में रूपक अलंकार है। शृंगार रस का प्रवाह है। अभिधा शब्द-शक्ति है। इस पद में ब्रज भाषा की प्रचलित शब्दावली का प्रयोग हुआ है। शैली चित्रमयी है।

(iii) मन रूपी मंदिर में ईश्वर विचरण करते हैं। कवि यह दिखाना चाहता है कि ईश्वर का निवास हमारे मन में है।
पद पर आधारित विषय-वस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) कविता का मुख्य विषय क्या है?
(iii) बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य को कौन और क्यों अपने में बसा लेना चाहता है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता-‘बालकाण्ड’।
(ii) कविता का मुख्य विषय है-बालक श्रीराम की शारीरिक सुन्दरता कामदेव की सुन्दरता से बढ़कर बतलाते हुए उसे हृदयस्पर्शी बना लेने का प्रयास करना है।
(iii) बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य को कवि तुलसीदास अपने हृदय में बसा लेना चाहते हैं। यह इसलिए कि वे श्रीराम के अनन्य भक्त हैं।

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बाललीला भाव सारांश

प्रश्न 1.
‘बाललीला’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘बाललीला’ कवितांश महाकवि तुलसीदास की अमर रचना ‘कवितावली’ के ‘बालकाण्ड’ से उद्धृत है। राजा दशरथ के बालक कभी चन्द्रमा लेने का हठ करते हैं, तो कभी अपनी छाया को देखकर डर जाते हैं। कभी अपनी-अपनी तालियों को बजाकर अपनी माताओं को खुश कर देते हैं। कभी-कभी क्रोध में आकर अपनी मनचाही वस्तु को ले ही लेते हैं। उनके पैर कमल के समान कोमल और सुन्दर हैं। उनमें जूतियाँ शोभा दे रही हैं। वे अपने साथियों के साथ सरयू नदी के किनारे बाल-लीला करते हुए लोगों के मनों को मोह रहे हैं। ऐसे बालकों के प्रति जिनका प्रेम नहीं है, तो वे गधों और कुत्तों के समान हैं। फिर इस संसार में उनका जन्म लेना ही व्यर्थ है।

बाललीला संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

1. कबहूँ ससि माँगत आरि करें, कबहूँ प्रतिबिम्ब निहारि डरें।
कबहूँ करताल बजाइ कै नाचत मातु सबै मन मोद भरें।
कबहूँ रिसिआई कहैं हठिकै पुनि लेत सोई जेहि लागि अरैं।
अवधेस के बालक चारि सदा तुलसी-मन-मन्दिर में बिहरे॥

शब्दार्थ :
कबहुँ-कभी। ससि-चन्द्रमा। माँगत-माँगते हैं। आरि-करै-हठ करते हैं। प्रतिबिम्ब-परछाईं, छाया। निहारि-देखकर। करताल-हाथों से ताली बजाना। रिसिआई-क्रोध में आकर। सोई-वही। जेहि-जिसे। लागि अरै-अड़ जाते हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सामान्य हिन्दी भाग-1’ में संकलित तथा कवि तुलसीदास विरचित काव्य-रचना ‘कवितावली’ के ‘बाल-लीला’ शीर्षक से ली गई है। इसमें कवि ने राजा दशरथ के चारों पुत्रों अर्थात् राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के बाललीला का स्वाभाविक चित्रांकन किया है। इस सम्बन्ध में कवि का कहना है कि-

व्याख्या :
राजा दशरथ के पुत्र कभी-कभी तो चन्द्रमा लेने का हठ करते हैं, तो कभी अपनी ही परछाई को देखकर डर जाते हैं। वे कभी-कभी अपने हाथों से तालियाँ . बजा-बजाकर अपनी माताओं को खुश कर देते हैं। वे कभी-कभी क्रोध में आते हैं, तो अपनी मनचाही वस्तु को लेने के लिए हठ करते हैं। फिर उसे लेकर ही वे शान्त होते हैं। इस प्रकार राजा दशरथ के चारों पुत्र उसके (कवि तुलसीदास) के मन रूपी मन्दिर में विहार करते हैं।

विशेष :

  1. सारा चित्रण स्वाभाविक है।
  2. ब्रजभाषा का यथोचित प्रयोग हुआ है।
  3. शैली चित्रमयी है।
  4. पद में वात्सल्य रस का प्रवाह है।

पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
(ii) प्रस्तुत पद के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(iii) ‘कबहुँ रिसिआई कहै हठि के, पुनि लेत सोइ, जेहि लागि अरै’ से किस बाल-स्वभाव का पता लगता है?
उत्तर:
(i) प्रस्तुत पद का भाव-सौन्दर्य अत्यधिक भाववर्द्धक है। बाल-स्वभाव का सहज और सजीव चित्रण हुआ है। इसके लिए सरल और यथोचित वस्तु स्वरूपों को सामने लाया गया है। फिर उनसे रोचक लगने वाली स्थितियों को नपे-तुले भावों के द्वारा व्यक्त किया गया है। फलस्वरूप इस पद का भाव-सौन्दर्य अनूठा हो गया है।

(ii) प्रस्तुत पद का काव्य-सौन्दर्य भाव, भाषा, शैली और बिम्बों-प्रतीकों के सटीक प्रयोगों के कारण देखते ही बनता है। ब्रज भाषा की शब्दावली के द्वारा ‘कबहुँ’ पुनरुक्ति अलंकार का चमत्कार है, तो पूरे पद में वात्सल्य रस का सुन्दर प्रवाह है। बाल-स्वभाव के मनोवैज्ञानिक उल्लेख से कवि की असाधारण काव्य-प्रतिभा की पहचान हो रही है।

(iii) ‘कबहुँ रिसिआई कहै हठि कै, पुनि लेत सोई, जेहि लागि अरै’ से बाल-स्वभाव की मनोवैज्ञानिक दशा का पता लगता है। पद पर आधारित विषय-बोध से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) कविता का मुख्य भाव क्या है?
(iii) बाल-स्वभाव कैसा होता है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता-‘बाल-लीला।’
(ii) स्वभाव के रोचक और हृदयस्पर्शी स्वरूपों का चित्रण करना।
(iii) बाल स्वभाव बड़ा ही चंचल, अस्थिर, स्वतन्त्र और हठी होता है।

2. पदकंजनि मंजु बनीं पनहीं धनुहीं सर पंकज-पानि लिएँ।
लरिका सँग खेलत डोलत हैं सरजू-तट चौहट हाट हिएँ।।
तुलसी अस बालक-सों नहिं नेहु कहा जप जोग समाधि किएँ।
नर वे खर सूकर स्वान समान कहो जगमें फल कौन जिएँ।

शब्दार्थ :
पदकंजनि-कमल के समान कोमल पैर। मंजु-सुन्दर। पनहीं-जूतियाँ। पानि-हाथ। लरिका-साथी। चौहट हाट-चारों ओर फैला हुआ बाजार। नेह-प्रेम। सूकर-सुअर। खर-गधा। श्वान-कुत्ता।

प्रसंग :
पूर्ववत्! इसमें कवि ने बालक श्रीराम के मनमोहक बाललीला का चित्रण किया है। कवि का कहना है कि-

व्याख्या :
बालक श्रीराम के पैर कमल के समान सुन्दर और कोमल हैं। उनकी जूतियाँ भी उसी तरह सुन्दर हैं और मन को मोहने वाली हैं। वे अपने साथियों के साथ सरयू नदी के किनारे स्थित बाजारों और चौराहों पर बाल-लीला करते हुए सबके मन को मोह रहे हैं। कवि का पुनः कहना है कि यदि ऐसे मनोहर बालक के प्रति जिसका प्रेमभाव नहीं है, उसे जप, योग और समाधि लेने से भी कुछ लाभ नहीं प्राप्त होगा। इस प्रकार के लोगों का जीवन तो गधों, सुअरों और कुत्ते के समान ही निरर्थक है। बतलाइए, इस संसार में उनके जीवन का क्या अर्थ है। उनका जीवन किसी प्रकार भी सार्थक नहीं है।

विशेष :

  1. बालक श्रीराम और भाइयों-मित्रों की स्वच्छन्दता का उल्लेख है।
  2. सवैया छन्द है।
  3. आध्यात्मिक स्वरूपों का उल्लेख यथार्थ रूप में है।
  4. ब्रजभाषा की शब्दावली है।

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पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
(iii) किसका जीवन गधों, सुअरों और कुत्तों के समान है?
उत्तर:
(i) प्रस्तुत पद में बालक श्रीराम की बाल-लीला का चित्र खींचा है। यह चित्र स्वाभाविक होने के साथ भाववर्द्धक है। बालक श्रीराम की बाल-लीला को सरल और सहज रूप में प्रस्तुत कर उसे अधिक मनोरम बनाने का प्रयास सराहनीय है।
(ii) प्रस्तुत पद में चित्रित बालक श्रीराम के बाल स्वरूप को ब्रज भाषा की प्रचलित शब्दावली, रूपक, उपमा और अनुप्रास अलंकार से अलंकृत करने का सफल प्रयास किया गया है। सवैया छन्द और गीतात्मक शैली के कारण इस पद का आकर्षण और बढ़ गया है।
(iii) ऐसे व्यक्तियों का जीवन गधों, सुअरों और कुत्तों के समान है, जिनके मन को श्रीराम और उनके भाइयों की यह बालक्रीड़ा मोहित न कर पा रही हो। पद पर आधारित विषय-वस्तु से सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) प्रस्तुत पद का मुख्य भाव बताइए।
(iii) जप, योग और समाधि को निरर्थक क्यों कहा गया है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता-‘बाल-लीला’।
(ii) प्रस्तुत पद का मुख्य भाव बालक श्रीराम के पैरों की सुन्दरता को आकर्षक रूप में प्रस्तुत करके उनके प्रति अपनी एकमात्र भक्ति-भावना प्रकट करना है।
(iii) जप, योग और समाधि को निरर्थक कहा गया है। ऐसा इसलिए कि बालक श्रीराम का बाल-सौन्दर्य और बाल-लीला के प्रति एकमात्र प्रेमभाव के सामने जप, योग और समाधि का कुछ भी महत्त्व नहीं है।

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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

कार्य, ऊर्जा और शक्ति अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 6.1.
किसी वस्तु पर किसी बल द्वारा किए गए कार्य का चिह्न समझना महत्वपूर्ण है। सावधानीपूर्वक बताइए कि निम्नलिखित राशियाँ धनात्मक हैं या ऋणात्मक:

  1. किसी व्यक्ति द्वारा किसी कुएँ में से रस्सी से बँधी बाल्टी को रस्सी द्वारा बाहर निकालने में किया गया कार्य।
  2. उपर्युक्त स्थिति में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य।
  3. किसी आनत तल पर फिसलती हुई किसी वस्तु पर घर्षण द्वारा किया गया कार्य।
  4. किसी खुरदरे क्षैतिज तल पर एकसमान वेग से गतिमान किसी वस्तु पर लगाए गए बल द्वारा किया गया कार्य।
  5. किसी दोलायमान लोलक को विरामावस्था में लाने के लिए वायु के प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य।

उत्तर:

  1. चूँकि रस्सी का विस्थापन तथा मनुष्य द्वारा लगाया गया बल दोनों ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर दिष्ट हैं। अत: कार्य धनात्मक होगा।
  2. चूँकि गुरुत्वीय बल व बाल्टी का विस्थापन विपरीत दिशा में है। अतः गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।
  3. चूँकि घर्षण बल व बाल्टी का विस्थापन विपरीत दिशा में है। अतः घर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।
  4. चूँकि वस्तु पर लगाया गया बल, वस्तु की गति की दिशा में है। अतः कृतं कार्य धनात्मक होगा।
  5. चूँकि वायु का प्रतिरोधी बल सदैव गति के विपरीत दिशा में है अतः कार्य ऋणात्मक होगा।

प्रश्न 6.2.
2 kg द्रव्यमान की कोई वस्तु जो आरंभ में विरामावस्था में है,7N के किसी क्षैतिज बल के प्रभाव से एक मेज पर गति करती है। मेज का गतिज – घर्षण गुणांक 0.1 है। निम्नलिखित का परिकलन कीजिए और अपने परिणामों की व्याख्या कीजिए।

  1. लगाए गए बल द्वारा 10s में किया गया कार्य।
  2. घर्षण द्वारा 10 s में किया गया कार्य।
  3. वस्तु पर कुल बल द्वारा 10 s में किया गया कार्य।
  4. वस्तु की गतिज ऊर्जा में 10s में परिवर्तन।

उत्तर:
दिया है: बल, F = 7 न्यूटन,
m = 2 किग्रा, µ = 0, µk = 0.1
चूँकि गति क्षैतिज मेज पर हो रही है।
अतः घर्षण बल, µkR = µkmg
= 0.1 x 2 x 10 = 2 न्यूटन
अतः पिण्ड पर गति की दिशा में नेट बल,
F1 = F – µkN
= 7 – 2 = 5 न्यूटन
सूत्र F1 = ma से,
त्वरण, a = \(\frac { F_{ 1 } }{ m } \) = \(\frac{5}{2}\)
= 2.5 मीटर/सेकण्डर
अतः 10 सेकण्ड में चली दूरी,
सूत्र S = ut + \(\frac{1}{2}\)at2 से,
S = 0 x 10 + \(\frac{1}{2}\) x 2.5 x 102
= 125 मीटर

1. आरोपित बल द्वारा 10 सेकण्ड में किया गया कार्य,
w1 = F.S cos 0°
= 7 x 125 = 875 जूल

2. घर्षण बल द्वारा 10 सेकण्ड में किया गया कार्य,
w2 = – (µkR).S
= – 2 x 25 = – 250 जूल
चूँकि विस्थापन घर्षण बल के विरुद्ध है। इसी कारण यह कार्य ऋणात्मक है।

3. सम्पूर्ण बल द्वारा कृत कार्य,
W = सम्पूर्ण बल x कुल विस्थापन
= 5 x 125 = 625 न्यूटन

4. कार्य ऊर्जा प्रमेय से,
गतिज ऊर्जा में परिवर्तन,
∆K = सम्पूर्ण बल द्वारा किया गया कार्य
= 625 न्यूटन
यहाँ गतिज ऊर्जा में कुल परिवर्तन बाह्य बल द्वारा किए गए कार्य से कम है। इसका कारण यह है कि बाह्य बल द्वारा किए गए कार्य का कुछ भाग घर्षण प्रभाव को समाप्त करने में कम होता है।

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प्रश्न 6.3.
चित्र में कुछ एकविमीय स्थितिज ऊर्जा – फलनों के उदाहरण दिए गए हैं। कण की कुल ऊर्जा कोटि – अक्ष पर क्रॉस द्वारा निर्देशित की गई है। प्रत्येक स्थिति में, कोई ऐसे क्षेत्र बताइए, यदि कोई हैं तो जिनमें दी गई ऊर्जा के लिए, कण को नहीं पाया जा सकता। इसके अतिरिक्त, कण की कुल न्यूनतम ऊर्जा भी निर्देशित कीजिए। कुछ ऐसे भौतिक सन्दर्भो के विषय में सोचिए जिनके लिए ये स्थितिज ऊर्जा आकृतियाँ प्रासंगिक हों।
उत्तर:
∴ KE. + P.E. = E (constant)
∴ K.E. = E – P.E.
1. इस ग्राफ में x < a के लिए स्थितिज ऊर्जा कुल ऊर्जा से अधिक है; अतः गतिज ऊर्जा ऋणात्मक हो जाएगी जो कि असम्भव है।
अतः कण x > a क्षेत्र में नहीं पाया जा सकता।

2. इस ग्राफ से स्पष्ट है कि प्रत्येक स्थान पर P.E. > E
अतः गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होगी जो कि असम्भव है; अतः कण को कहीं भी नहीं पाया जा सकता।

3. 0 E अतः गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होगी; अतः कण को इन क्षेत्रों में नहीं पाया जा सकता।

4. \(\frac{-b}{2}\) <  x  <  \(\frac{-a}{2}\) <  x  < \(\frac{b}{2}\)
अतः गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होगी इसलिए कण इन क्षेत्रों में नहीं पाया जा सकता।

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 1

प्रश्न 6.4.
रेखीय सरल आवर्त गति कर रहे किसी कण का स्थितिज ऊर्जा फलन V(x) = kx2/2 है, जहाँ k दोलक का बल नियतांक है। k = 0.5 Nm-1 के लिए V(x) व x के मध्य ग्राफ चित्र में दिखाया गया है। यह दिखाइए कि इस विभव के अंतर्गत गतिमान कुल 1 J ऊर्जा वाले कण को अवश्य ही ‘वापिस आना’ चाहिए जब यह x = + 2 m पर पहुँचता है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 5
उत्तर:
हम जानते हैं कि,
E = KE + PE
∴ E = \(\frac{1}{2}\) mv 2 + \(\frac{1}{2}\)kx 2
[∴ PE = v(x) = \(\frac { kx^{ 2 } }{ 2 } \)
कण उस स्थिति x =xn से लौटना शुरू करेगा जबकि कण की गतिज ऊर्जा शून्य होगी।
इस प्रकार \(\frac{1}{2}\) mv 2 = 0 तथा x = xm पर,
E = \(\frac{1}{2}\) kx2m
दिया है:
E = 1 जूल व k = 0.5 न्यूटन/मीटर
∴ 1 = \(\frac{1}{2}\) × 0.5 × x2m
था \(x^{ 2 }m\) = \(\frac{2}{0.5}\)
= 4
∴ xm = ± 2 मीटर
इस प्रकार कण x = ± 2 मीटर पर पहुँचने पर ही वहाँ से वापस लौटना प्रारम्भ करता है।

प्रश्न 6.5.
निम्नलिखित का उत्तर दीजिए:
1. किसी रॉकेट का बाह्य आवरण उड़ान के दौरान घर्षण के कारण जल जाता है। जलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा किसके व्यय पर प्राप्त की गई – रॉकेट या वातावरण?

2. धूमकेतु सूर्य के चारों ओर बहुत ही दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में घूमते हैं। साधारणतया धूमकेतु पर सूर्य का गुरुत्वीय बल धूमकेतु के लंबवत् नहीं होता है। फिर भी धूमकेतु की संपूर्ण कक्षा में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है। क्यों?

3. पृथ्वी के चारों ओर बहुत ही क्षीण वायुमण्डल में घूमते हुए किसी कृत्रिम उपग्रह की ऊर्जा धीरे – धीरे वायुमण्डलीय प्रतिरोध (चाहे यह कितना ही कम क्यों न हो) के विरुद्ध क्षय के कारण कम होती जाती है फिर भी जैसे – जैसे कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी के समीप आता है तो उसकी चाल में लगातार वृद्धि क्यों होती है?

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 6

4. चित्र

  1. में एक व्यक्ति अपने हाथों में 15 kg का कोई द्रव्यमान लेकर 2 m चलता है।
  2. चित्र में वह उतनी ही दूरी अपने पीछे रस्सी को खींचते हुए चलता है। रस्सी घिरनी पर चढ़ी हुई है और उसके दूसरे सिरे पर 15 kg का द्रव्यमान लटका हुआ है। परिकलन कीजिए कि किस स्थिति में किया गया कार्य अधिक है?

उत्तर:
1. बाहरी आवरण के जलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा रॉकेट की यान्त्रिक ऊर्जा से प्राप्त होती है।

2. धूमकेतु पर सूर्य द्वारा लगाया गया गुरुत्वाकर्षण बल एक संरक्षी बल है। संरक्षी बल के द्वारा बन्द पथ में गति करने वाले पिण्ड पर किया गया नेट कार्य शून्य होता है। इस प्रकार धूमकेतु की सम्पूर्ण कक्षा में सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।

3. जैसे – 2 उपग्रह पृथ्वी के समीप आता है वैसे – 2 उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कम होती है। ऊर्जा संरक्षण के नियमानुसार गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती रहती है। अतः उसकी चाल बढ़ती जाती है। कुल ऊर्जा का कुछ भाग घर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने में खर्च हो जाता है।

4. चित्र (i) में स्थिति में, व्यक्ति द्रव्यमान को उठाए रखने के लिए भार के विरुद्ध ऊपर की ओर बल लगाता है जबकि उसका विस्थापन क्षैतिज दिशा में है (i.e., 0 = 90) अतः मनुष्य द्वारा किया गया कार्य, W = Fs cos 90° = 0
चित्र (ii) स्थिति में, घिरनी मनुष्य द्वारा लगाए गए क्षैतिज बल की दिशा को ऊर्ध्वाधर कर देती है व द्रव्यमान का विस्थापन भी ऊपर की ओर है (i.e., θ = 0°)
अतः मनुष्य द्वारा किया गया कार्य,
W = mgh cos 0°
= 15 x 20 x 2 = 300 जूल।

प्रश्न 6.6.
सही विकल्प को रेखांकित कीजिए:

  1. जब कोई संरक्षी बल किसी वस्तु पर धनात्मक कार्य करता है तो वस्तु की स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है/घटती है/अपरिवर्ती रहती है।
  2. किसी वस्तु द्वारा घर्षण के विरुद्ध किए गए कार्य का परिणाम हमेशा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा में क्षय होता है।
  3. किसी बहुकण निकाय के कुल संवेग-परिवर्तन की दर निकाय के बाह्य बल/आंतरिक बलों के जोड़ के अनुक्रमानुपाती होती है।
  4. किन्हीं दो पिंडों के अप्रत्यास्थ संघट्ट में वे राशियाँ, जो संघट्ट के बाद नहीं बदलती हैं; निकाय की कुल गतिज ऊर्जा/कुल रेखीय संवेग/कुल ऊर्जा हैं।

उत्तर:

  1. घटती है, चूँकि संरक्षी बल के विरुद्ध किया गया कार्य ही स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होता है।
  2. गतिज ऊर्जा, चूँकि घर्षण के विरुद्ध कार्य तभी होता है जबकि गति हो रही है।
  3. बाह्य बल, चूँकि बहुकण निकाय में, आन्तरिक बलों का परिणामी शून्य होता है एवम् आन्तरिक बल संवेग परिवर्तन के लिए उत्तरदायी नहीं होते हैं।
  4. कुल रेखीय संवेग तथा कुल ऊर्जा भी जबकि दो पिंडों का निकास वियुक्त है।

प्रश्न 6.7.
बतलाइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य। अपने उत्तर के लिए कारण भी दीजिए।

  1. किन्हीं दो पिंडों के प्रत्यास्थ संघट्ट में, प्रत्येक पिंड का संवेग व ऊर्जा संरक्षित रहती है।
  2. किसी पिंड पर चाहे कोई भी आंतरिक व बाह्य बल क्यों न लग रहा हो, निकाय की कुल ऊर्जा सर्वदा संरक्षित रहती है।
  3. प्रकृति में प्रत्येक बल के लिए किसी बंद लूप में, किसी पिंड की गति में किया गया कार्य शून्य होता है।
  4. किसी अप्रत्यास्थ संघट्ट में, किसी निकाय की अंतिम गतिज ऊर्जा, आरंभिक गतिज ऊर्जा से हमेशा कम होती है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य।

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प्रश्न 6.8.
निम्नलिखित का उत्तर ध्यानपूर्वक, कारण सहित दीजिए:

  1. किन्हीं दो बिलियर्ड-गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट में, क्या गेंदों के संघट्ट की अल्पावधि में (जब वे संपर्क में होती है) कुल गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है?
  2. दो गेंदों के किसी प्रत्यास्थ संघट्ट की लघु अवधि में क्या कुल रेखीय संवेग संरक्षित रहता है?
  3. किसी अप्रत्यास्थ संघट्ट के लिए प्रश्न (a) व (b) के लिए आपके उत्तर क्या हैं?
  4. यदि दो बिलियर्ड – गेंदों की स्थितिज ऊर्जा केवल उनके केंद्रों के मध्य, पृथक्करण-दूरी पर निर्भर करती है तो संघट्ट प्रत्यास्थ होगा या अप्रत्यास्थ? (ध्यान दीजिए कि यहाँ हम संघट्ट के दौरान बल के संगत स्थितिज ऊर्जा की बात कर रहे हैं, ना कि गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा की)

उत्तर:

  1. नहीं, चूँकि संघट्ट काल के दौरान गेंद सम्पीडित हो जाती है। अतः गतिज ऊर्जा, गेंदों की स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
  2. हाँ, संवेग संरक्षित रहता है।
  3. हाँ, दोनों उत्तर उपर्युक्त ही रहेंगे।
  4. चूँकि स्थितिज ऊर्जा केन्द्रों के मध्य दूरी पर निर्भर करती है इसका तात्पर्य यह है कि संघट्ट काल में पिंडों के मध्य लगने वाला संरक्षी बल है। अतः ऊर्जा संरक्षित रहेगी। अतः प्रत्यास्थ संघट्ट होगा।

प्रश्न 6.9.
कोई पिंड जो विरामावस्था में है, अचर त्वरण से एकविमीय गति करता है। इसको किसी । समय पर दी गई शक्ति अनुक्रमानुपाती है।

  1. t1/2
  2. t
  3. t3/2
  4.  t2

उत्तर:
a = नियत, µ =0
∴ बल = ma, अचर होगा तथा = at होगा।
∴ शक्ति P = Fv = ma. at = ma2
∴ P ∝ t
अतः विकल्प (ii) सत्य है।

प्रश्न 6.10.
एक पिंड अचर शक्ति के स्त्रोत के प्रभाव में एक ही दिशा में गतिमान है। इसका t समय में विस्थापन, अनुक्रमानुपाती है।

  1. t1/2
  2. t
  3. t3/2
  4. t2

उत्तर:
शक्ति P = Fv अचर है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 7
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 7 -1

प्रश्न 6.11.
किसी पिंड पर नियत बल लगाकर उसे किसी निर्देशांक प्रणाली के अनुसार z – अक्ष के अनुदिश गति करने के लिए बाध्य किया गया है जो इस प्रकार है –
F = (\(\hat { -i } \) + 2\(\hat { j } \)+ 3\(\hat { k } \)) न्यूटन
चूँकि विस्थापन z – अक्ष के अनुदिश है। अतः \(\vec { s } \) = 4k मीटर
∴ बल द्वारा किया गया कार्य, W = \(\overline { F } .\hat { S } \quad \)
= (- \(\hat { -i } \) + 2 \(\hat { j } \) + 3 \(\hat { k } \) . (4\(\hat { k } \))
= 12 जूल [∴\(\hat { j } \) . \(\hat { k } \) = 0 व \(\hat { k } \) \(\hat { k } \) =1 इत्यादि]

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प्रश्न 6.12.
किसी अंतरिक्ष किरण प्रयोग में एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन का संसूचन होता है जिसमें पहले कण की गतिज ऊर्जा 10 kev है और दूसरे कण की गतिज ऊर्जा 100 kev है। इनमें कौन – सा तीव्रगामी है, इलेक्ट्रॉन या प्रोटॉन? इनकी चालों का अनुपात ज्ञात कीजिए। (इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 9.11 x 10-31 kg, प्रोटॉन का द्रव्यमान = 1.67 x 10-27 1eV = 1.60 x 10-19) जूल
उत्तर:
दिया है: इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान me = 9.11 x 10-31 किग्रा,
प्रोटॉन का द्रव्यमान mp = 1.67 x 10-27 किग्रा,
1eV = 1.6 x 10-19 जूल
प्रोटॉन की गतिज ऊर्जा,
Kp = 100 KeV = 105 eV
= 10 5 x 1.6 x 10-19 J
इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
Ke = 10 keV = 104eV
= 104 x 1.6 x 10-19 J
माना कि प्रोटॉन व इलेक्ट्रॉन की चाल क्रमशः
vp व ve हैं।
सूत्र गतिज ऊर्जा, K = \(\frac { 1 }{ 2 }\) mv2 से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img t

प्रश्न 6.13.
2 mm त्रिज्या की वर्षा की कोई बूंद 500 m की ऊँचाई से पृथ्वी पर गिरती है। यह अपनी आरंभिक ऊँचाई के आधे हिस्से तक (वायु के श्यान प्रतिरोध के कारण) घटते त्वरण के साथ गिरती है और अपनी अधिकतम (सीमान्त) चाल प्राप्त कर लेती है, और उसके बाद एकसमान चाल से गति करती है। वर्षा की बूंद पर उसकी यात्रा के पहले व दूसरे अर्ध भागों में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? यदि बूंद की चाल पृथ्वी तक पहुँचने पर 10 ms-1 हो तो संपूर्ण यात्रा में प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
दिया है: वर्षा की बूंद की त्रिज्या, r = 2 मिमी
= 2 x 10-3 मीटर,
प्रारम्भिक ऊँचाईं, h = 500 मीटर
प्रारम्भिक चाल, u =0 पृथ्वी तल पर बूंद की चाल, v = 10 मीटर/सेकण्ड
त्वरण, 8 = 9.8 मीटर/सेकण्ड2
जल का घनत्व ρ = 103 किग्रा प्रति मीटर 3
बूंद का द्रव्यमान, m = (\(\frac{4}{3}\) πr 3) x (ρ)
= \(\frac{4}{3}\) x \(\frac{22}{7}\) x (2 x 10 -3)3 x 10 3
= 3.35 x 10 -5 किग्रा
बूंद पर गुरुत्वीय बल,
F1 = mg = 3.35 x 10-5 x 9.8
= 3.28 x 10-4 न्यूटन
यात्रा के दोनों अर्धभाग समान हैं।
∴ h1 = h2 = \(\frac{h}{2}\)
= 250 मीटर
यात्रा के इन भागों में गुरुत्वीय बल द्वारा कृत कार्य,
W1 = W2 = mgh1
= (3.28×10-4) x 250 = 0.082 जूल
वर्षा की बूँद की गतिज ऊर्जा में कुल वृद्धि,
∆K = K2 – K1
= 1 x 3.35 x 10-5 x (10)2 – 0
= 0.001 जूल
गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कुल कार्य,
Wg = W1 + W2
= 0.082 + 0.082 = 0.164 जूल

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प्रश्न 6.14.
किसी गैस – पात्र में कोई अणु 200 ms-1 की चाल से अभिलंब के साथ 30° का कोण बनाता हुआ क्षैतिज दीवार से टकराकर पुन: उसी चाल से वापस लौट जाता है। क्या इस संघट्ट में संवेग संरक्षित है? यह संघट्ट प्रत्यास्थ है या अप्रत्यास्थ?
उत्तर:
दिया है: θ = 30°, u = 200 मीटर प्रति सेकण्ड दीवार से संघट्ट के बाद चाल,
v = u = 200 मीटर प्रति सेकण्ड
चूँकि प्रत्येक संघट्ट में भी संवेग संरक्षित रहता है। अतः इस संघट्ट में भी संवेग संरक्षित रहता है।
माना अणु का द्रव्यमान m है।
अतः दीवार से टकराते समय निकाय की गतिज ऊर्जा,
K 1 = \(\frac{1}{2}\) mu2 =\(\frac{1}{2}\) m (200) 2 जूल
एवम् संघट्ट के बाद गतिज ऊर्जा,
K2 = \(\frac{1}{2}\) mv2 = \(\frac{1}{2}\) m (200)2 जूल
∴ K1 = K2
अतः यह एक प्रत्यास्थ संघट्ट है।

प्रश्न 6.15.
किसी भवन के भूतल पर लगा कोई पंप 30 m3 आयतन की पानी की टंकी को 15 मिनट में भर देता है। यदि टंकी पृथ्वी तल से 40 m ऊपर हो और पंप की दक्षता 30% हो तो पंप द्वारा कितनी विद्युत शक्ति का उपयोग किया गया?
उत्तर:
दिया है: टंकी की ऊँचाई, h = 40 मीटर
टंकी का आयतन, V = 30 मीटर3
लगा समय, t = 15 मिनट = 15 x 60 सेकण्ड, पम्प की दक्षता, n=30%
जल का घनत्व, ρ = 103 किग्रा प्रति मीटर 3
उठाए गए जल का द्रव्यमान,
m = V x p = 30 x 103
= 3 x 104 किग्रा
पम्प द्वारा टंकी भरने में खर्च की गई शक्ति,
P0 = \(\frac{ω}{t}\) = \(\frac{mgh}{t}\)
= \(\frac { 3\times 10^{ 4 }\times 9.8\times 40 }{ 1.5\times 60 } \)
= 13066 वॉट
माना पम्प द्वारा उपयोग की गई शक्ति P1 है।
∴η = \(\frac { P_{ 0 } }{ P_{ 1 } } \) x 100
या
P1 = \(\frac { P_{ 0 } }{ { η } } \)
= \(\frac{13066}{30}\) x 100
= 43553 वॉट
= 43.55 किलो वॉट।

प्रश्न 6.16.
दो समरूपी बॉल बियरिंग एक – दूसरे के सम्पर्क में हैं और किसी घर्षणरहित मेज पर विरामावस्था में हैं। इनके साथ समान द्रव्यमान का कोई दूसरा बाल बियरिंग, जो आरंभ में V चाल से गतिमान है, सम्मुख संघट्ट करता है। यदि संघट्ट प्रत्यास्थ है तो संघट्ट के पश्चात् निम्नलिखित (चित्र) में कौन-सा परिणाम संभव है?
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 9
उत्तर:
माना प्रत्येक बॉल बियरिंग का द्रव्यमान m है। अतः संघट्ट से पूर्व निकाय की गतिज ऊर्जा,
K1 = \(\frac{1}{2}\) mv2 + 0 + 0 = \(\frac{1}{2}\) mv2
प्रथम स्थिति में, संघट्ट के पश्चात् निकाय की गतिज ऊर्जा,
K2 = 0 + \(\frac{1}{2}\) (m + m) (\(\frac{V}{2}\)2)
= \(\frac{1}{2}\) x 2m x \(\frac { V^{ 2 } }{ 4 } \)
= \(\frac{1}{2}\)mv2
अतः k 1 > K2
द्वितीय स्थिति में, संघट्ट के पश्चात् निकाय की कुल ऊर्जा,
K2 = 0 + 0 + \(\frac{1}{2}\) mv2 = \(\frac{1}{2}\) mv2
अतः K1 = K2
तृतीय स्थिति में, संघट्ट के पश्चात् निकाय की गतिज ऊर्जा,
K2 = \(\frac{1}{2}\) (m + m + m) (\(\frac{V}{3}\)2)
= \(\frac{1}{2}\) x 3m x \(\frac { v^{ 2 } }{ 9 } \)
= \(\frac{1}{6}\) mv2
अतः K1 & gt; K2
प्रश्नानुसार संघट्ट प्रत्यास्थ है। अतः निकाय की गतिज ऊर्जा संरक्षित रहेगी। चूँकि केवल द्वितीय स्थिति में ही गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है अर्थात् केवल यही परिणाम सम्भव होगा।

प्रश्न 6.17.
किसी लोलक के गोलकA को, जो ऊर्ध्वाधर से 30° का कोण बनाता है, छोड़े जाने पर मेज पर, विरामावस्था में रखे दूसरे गोलक B से टकराता है जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है। ज्ञात कीजिए कि संघट्ट के पश्चात् गोलक A कितना ऊँचा उठता है? गोलकों के आकारों की उपेक्षा कीजिए और मान लीजिए कि संघट्ट प्रत्यास्थ है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 10
उत्तर:
दोनों गोलक समरूप हैं तथा संघट्ट प्रत्यास्थ है; अतः संघट्ट के दौरान लटका हुआ गोलक अपना सम्पूर्ण संवेग नीचे रखे गोलक को दे देता है और जरा भी ऊपर नहीं उठता।

प्रश्न 6.18.
किसी लोलक के गोलक को क्षैतिज अवस्था से छोड़ा गया है। यदि लोलक की लंबाई 1.5 m है तो निम्नतम बिंदु पर, आने पर गोलक की चाल क्या होगी? यह दिया गया है कि इसकी आरंभिक ऊर्जा का 5% अंश वायु प्रतिरोध के विरुद्ध क्षय हो जाता है।
उत्तर:
निम्नतम बिन्दु P पर, लोलक में केवल स्थितिज ऊर्जा है। बिन्दु B पर, लोलक में केवल गतिज ऊर्जा है। इका अर्थ है कि जब लोलक P से Q पर पहुँचता है, तब स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
अतः बिन्दु Q पर KE = PEV
लेकिन 5% स्थितिज ऊर्जा, वायु प्रतिरोध के विरुद्ध क्षय हो जाती है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 11
∴ Q पर गतिज ऊर्जा
= P पर स्थितिज ऊर्जा का 95%
माना लोलक का द्रव्यमान = m
बिन्दु Q पर लोलक की चाल = v
तथा बिन्दु P की Q के सापेक्ष ऊँचाई = h =1.5 मीटर
∴ समी० (1) से,
\(\frac{1}{2}\) mv2 = \(\frac{95}{100}\) x mgh
अथवा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 12
= 5.29 मीटर/सेकण्ड
v = 5.3 मीटर।

प्रश्न 6.19.
300 kg द्रव्यमान की कोई ट्राली, 25 kg रेत का बोरा लिए हुए किसी घर्षणरहित पथ पर 27 km h-1 की एकसमान चाल से गतिमान है। कुछ समय पश्चात् बोरे में किसी छिद्र से रेत 0.05 kgs-1 की दर से निकलकर ट्राली के फर्श पर रिसने लगती है। रेत का बोरा खाली होने के पश्चात् ट्रॉली की चाल क्या होगी?
उत्तर:
चूँकि वेग एक समान है व ट्रॉली व रेत का बोरा एक ही निकाय के अंग हैं जिस पर कोई बाह्य बल नहीं लगा है अतः निकाय का रेखीय संवेग नियत रहेगा भले ही निकाय में किसी भी तरह का आन्तरिक परिवर्तन क्यों न हो जाए। इस प्रकार ट्रॉली की चाल 27 किमी प्रति घण्टा ही बनी रहेगी।

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प्रश्न 6.20.
0.5 kg द्रव्यमान का एक कण v = ax2 वेग से सरल रेखीय गति करता है जहाँ a = 5m-1/2s-1 है। x = 0 से x = 2m तक इसके विस्थापन में कुल बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
दिया है: m = 0.5 किग्रा
v = ax3/2
a = 5m-1/2 प्रति सेकण्ड
माना वस्तु पर F बल से d त्वरण उत्पन्न होता है।
∴ F = ma’ = \(\frac{mdv}{dt}\)
∴ माना वस्तु को dx दूरी विस्थापित करने पर किया गया कार्य dw है।
∴ dw = F.dx = m\(\frac{dv}{dt}\).dx
= m.dv.\(\frac{dx}{dt}\) = mvdv
माना वस्तु को x =0 से x = 2 मीटर तक चलाने में किया गया कुल कार्य w है।
∴ समी० (1) से,
W = \(\int { dw } \) = \(\int { mvdv } \)
= \(\frac { mv^{ 2 } }{ 2 } \) = \(\frac { m(ax^{ 3/2 })^{ 2 } }{ 2 } \)
= \(\frac{1}{2}\) ma2x3
= \(\frac{1}{2}\) x 0.5 x 52 x 23
= 50 जूल।

प्रश्न 6.21.
किसी पवनचक्की के ब्लेड, क्षेत्रफल A के वृत्त जितना क्षेत्रफल प्रसर्प करते हैं। (a) यदि हवा वेग से वृत्त के लंबवत् दिशा में बहती है तो t समय में इससे गुजरने वाली वायु का द्रव्यमान क्या होगा? (b) वायु की गतिज ऊर्जा क्या होगी? (c) मान लीजिए कि पवनचक्की हवा की 25% ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित कर देती है यदि A = 30 m2, और v = 36 kmh-1 और वायु का घनत्व 1.2 kgm-3 है तो उत्पन्न विद्युत शक्ति का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया है: वायु का घनत्व, ρ = 1.2 किग्रा प्रति मीटर3, वायु का वेग, v = 36 किमी/घण्टा
= 36 x \(\frac{5}{18}\) = 10 मीटर/सेकण्ड
= 30 मीटर2, समय, t = ?

(a) समय में वृत्त से प्रवाहित वायु का आयतन,
V = A x vt
वृत्त से प्रवाहित वायु का द्रव्यमान,
m = vρ = Avtρ

(b) इस वायु की गतिज ऊर्जा,
K = \(\frac{1}{2}\)mv2
= \(\frac{1}{2}\) (Avtρ)v3
= \(\frac{1}{2}\) ρAv2t

(c) इस समय में पवन चक्की द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जा, E = वायु की गतिज ऊर्जा का 25%
= (\(\frac{1}{2}\) Aρv3t) x \(\frac{25}{100}\) = \(\frac{1}{8}\) Aρv3t
अतः इस ऊर्जा द्वारा उत्पन्न विद्युत शक्ति,
P = \(\frac{E}{t}\)
= \(\frac{1}{8}\) Aρv3
= \(\frac{1}{8}\) x 30 x 1.2 x 103
= 4.5 किलोवॉट

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प्रश्न 6.22.
कोई व्यक्ति वजन कम करने के लिए 10 kg द्रव्यमान को 0.5 m की ऊँचाई तक 1000 बार उठाता है। मान लीजिए कि प्रत्येक बार द्रव्यमान को नीचे लाने में खोई हुई ऊर्जा क्षयित हो जाती है। (a) वह गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध कितना कार्य करता है? (b) यदि वसा 3.8x 107 J ऊर्जा प्रति किलोग्राम आपूर्ति करता हो जो कि 20% दक्षता की दर से यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है तो वह कितनी क्सा खर्च कर डालेगा?
उत्तर:
दिया है: m=10 किग्रा, h = 0.5 मीटर
द्रव्यमान को उठाया गया, n = 1000 बार

(a) 10 किग्रा के द्रव्यमान को 1000 बार उठाने में किया गया कार्य,
W = n x mgh = 1000 x 10 x 9.8 x 0.5
= 49000 = 49 किलो जूल

(b) 1 किग्रा वसा द्वारा प्रदत्त यान्त्रिक ऊर्जा
= 3.8 x 107 जूल का 20%
= 3.8 x 107 x \(\frac{20}{100}\)
= \(\frac{3.8}{5}\) x 107 जूल
इसलिए (\(\frac{3.8}{5}\) x 107) जूल ऊर्जा मिलती है = 1 किग्रा वसा से,
∴ 1 जूल ऊर्जा मिलती है = \(\frac { 5 }{ 3.8\times 10^{ 7 } } [latex] x 49000 किग्रा वसा से,
= 6.45 x 10 -3 किग्रा वसा से

प्रश्न 6.23.
कोई परिवार 8 kW विद्युत – शक्ति का उपभोग करता है। (a) किसी क्षैतिज सतह पर सीधे आपतित होने वाली सौर ऊर्जा की औसत दर 200 Wm-2 है। यदि इस ऊर्जा का 20% भाग लाभदायक विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित किया जा सकता है तो 8 KW की विद्युत आपूर्ति के लिए कितने क्षेत्रफल की आवश्यकता होगी? (b) इस क्षेत्रफल की तुलना किसी विशिष्ट भवन की छत के क्षेत्रफल से कीजिए।
उत्तर:
दिया है: उपभोग की गई विद्युत शक्ति = 8 KW
(a) सौर ऊर्जा की औसत दर = 200 वॉट/मीटर2
उपयोगी विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण दर = 20%
8 किलो वॉट के लिए आवश्यक क्षे० = ?
प्रति वर्ग मीटर क्षेत्रफल से प्राप्त उपयोगी विद्युत शक्ति
= 200 वॉट का 20%
= 200 x 20 = 40 वॉट
इसलिए 40 वॉट उपभोगी शक्ति प्राप्त होती है = 1 मी क्षेत्रफल से।
∴ 1 वॉट उपभोगी शक्ति प्राप्त होती है
= [latex]\frac{1}{40}\)
= क्षेत्रफल से
∴ 8 kw उपभोगी शक्ति प्राप्त होती है
= \(\frac{1}{40}\) x 8 x 1000 क्षेत्रफल से।

(b) इस क्षेत्रफल की तुलना जटिल घर की छत से करने के लिए माना छत की भुजा a है।
∴ छत का क्षेत्रफल = a x a = a2
∴ a2 = 200
a = \(\sqrt { 200 } \) = 14.14 मीटर
=14 मीटर
अर्थात् आवश्यक क्षेत्रफल 14 मीटर x 14 मीटर आकार के भवन की छत के क्षेत्रफल के समतुल्य है।

कार्य, ऊर्जा और शक्ति अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 6.24.
0.012 kg द्रव्यमान की कोई गोली 70 ms-1 की क्षैतिज चाल से चलते हुए 0.4 kg द्रव्यमान के लकड़ी के गुटके से टकराकर गुटके के सापेक्ष तुरंत ही विरामावस्था में आ जाती है। गुटके को छत से पतली तारों द्वारा लटकाया गया है। परिकलन कीजिए कि गुटका किस ऊँचाई तक ऊपर उठता है? गुटके में पैदा हुई ऊष्मा की मात्रा का भी अनुमान लगाइए।
उत्तर:
दिया है:
गोली का द्रव्यमान, m = 0.012 किग्रा,
गोली की प्रा० चाल, u =70 मीटर/सेकण्ड
गोली की अन्तिम चाल v = 0
लकड़ी के गुटके का द्रव्यमान, m = 0.4 किग्रा
लकड़ी के गुटके की प्रा० चाल, u1 = 0
माना कि संघट्ट के बाद गोली तथा गुटके की अन्तिम चाल । मीटर/सेकण्ड है।
संवेग संरक्षण के नियमानुसार,
संघट्ट से पूर्व गोली तथा गुटके का संवेग = संघट्ट के पश्चात् दोनों का अन्तिम संवेग।
∴mu + mu1 = (m + m) v
∴ 0.012 x 70 + 0.4 x 0
v = \(\frac{0.012 x 70}{0.412}\)
= 2.04 मीटर/सेकण्ड
माना गुटका संघट्ट के बाद h ऊँचाई तक ऊपर उठता है।
∴ संघट्ट से पूर्व गुटके व गोली की KE में कमी = संघट्ट के बाद गुटके व गोली की P.E. में वृद्धि
∴ \(\frac{1}{2}\) (m + m) v2 = (m + m) gh
∴ h = \(\frac{0.012 × 70}{0.412}\)
= \(\frac{2.04 x 2.04}{2 x 9.8}\)
= 0.212 मीटर = 21.2 सेमी
गोली धंसने से उत्पन्न हुई ऊष्मा
= \(\frac{1}{2}\) mu2 – \(\frac{1}{2}\)(m + m)v2
= \(\frac{1}{2}\) x 0.012 x 70 2 – \(\frac{1}{2}\) x 0.412 x 2.042

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प्रश्न 6.25.
दो घर्षण रहित आनत पथ, जिनमें से एक की ढाल अधिक है और दूसरे की ढाल कम है, बिंदु पर मिलते हैं। बिंदु A से प्रत्येक पथ पर एक – एक पत्थर को विरामावस्था से नीचे सरकाया जाता है (चित्र)। क्या ये पत्थर एक ही समय पर नीचे पहुँचेंगे? क्या वे वहाँ एक ही चाल से पहुँचेंगे? व्याख्या कीजिए। यदि 01 = 302, 02 = 60° और h=10m दिया है, तो दोनों पत्थरों की चाल एवं उनके द्वारा नीचे पहुंचने में लिए गए समय क्या हैं?
उत्तर:
AB तथा AC क्रमश: θ1, व θ2, पर झुके दो समतल तल हैं। दोनों पत्थर एक ही समय नीचे नहीं आएंगे।
व्याख्या: माना इन तलों पर इन पत्थरों के भार क्रमशः m1g
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 13
व m2g हैं। m1g तथा m2g के वियोजित घटक चित्र के अनुसार होंगे।
माना पहले व दूसरे पत्थर में उत्पन्न त्वरण क्रमशः a1, व a2 हैं। तब
या
ma1 = m1g sin θ1
a1 = g sin θ1
इसी प्रकार, a2 = g sin θ2
∴ a2 > a1 i.e., a1 = sin 30° = \(\frac{g}{2}\)
तथा a2 = g sin 60° = \(\frac { g\sqrt { 3 } }{ 2 } \)
v = u + at से v = ar
या t = \(\frac{v}{a}\)
यहाँ u = 0, चूँकि प्रारम्भ में दोनों पत्थर विराम में हैं।
या
t ∝ \(\frac{1}{a}\)
t 1 ∝ \(\frac { 1 }{ a_{ 1 } } \) and t 2 ∝ \(\frac { 1 }{ a_{ 2 } } \)
या
\(\frac { t_{ 2 } }{ t_{ 1 } } \) = \(\frac { a_{ 2 } }{ a_{ 1 } } \)
चूँकि a2 > a1, या \(\frac { a_{ 2 } }{ a_{ 1 } } \)
समी० (i) व (ii) से,
\(\frac { t_{ 2 } }{ t_{ 1 } } \) < 1 या t2 < t1
अर्थात् दूसरा पत्थर कम समय लेगा व पहले पत्थर पर जल्दी नीचे पहुँचेगा।
(iii) हाँ, दानों पत्थर एक साथ नीचे पहुँचेंगे।
व्याख्या: बिन्दु A पर तल की ऊँचाई, h = 10 मीटर है। माना दोनों पत्थर, क्रमश: v1 व v 2वेग से नीचे पहुँचते हैं।
ऊर्जा संरक्षण के नियम से, चोटी पर स्थितिज ऊर्जा में क्षय = नीचे गतिज ऊर्जा में वृद्धि
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 14
या
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 15

प्रश्न 6.26.
किसी रुक्ष आनत तल पर रखा हुआ 1 kg द्रव्यमान का गुटका किसी 100 Nm-1 स्प्रिंग नियतांक वाले स्प्रिंग से दिए गए चित्र के अनुसार जुड़ा है। गुटके को स्प्रिंग की बिना खिंची स्थिति में, विरामावस्था से छोड़ा जाता है। गुटका विरामावस्था में आने से पहले आनत तल पर 10 cm नीचे खिसक जाता है। गटके और आनत तल के मध्य घर्षण गणांक ज्ञात कीजिए।मान लीजिए कि स्प्रिंग का द्रव्यमान उपेक्षणीय है और घिरनी घर्षणरहित है।
उत्तर:
दिया है: गुटके का द्रव्यमान, m = 1 किग्रा स्प्रिंग नियतांक,
K = 100 न्यूटन/मीटर,
8 = 10 मीटर/सेकण्ड2
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 16
माना गुटके को छोड़ने पर विस्थापन,
x = 10 सेमी = 0.1 मीटर झुकाव,
θ = 37°
∴ sin 37° = 0.6018 व cos 37° = 0.7996
माना नीचे की ओर x दूरी चलने में किया गया कार्य w है।
∴ W = (mg sin θ – µ mg cos θ) x
लेकिन स्प्रिंग में यह कार्य स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहेगा। ‘
∴ PE = \(\frac{1}{2}\) kx2
समी० (1) व (2) से,
\(\frac{1}{2}\) kx2 = mg (sin θ – µ cos θ) . x
∴µ = \(\frac{2mg sin θ – kx}{2mg cosθ}\)
= \(\frac{2 x 1 x 10 x 0.6018 – 100 x 0.1 }{2 x 1 x 10 x 0.7996 }\)
= 0.125

प्रश्न 6.27.
0.3 kg द्रव्यमान का कोई बोल्ट 7 ms-1 की एकसमान चाल से नीचे आरही किसी लिफ्ट की छत से गिरता है। यह लिफ्ट के फर्श से टकराता है (लिफ्ट की लंबाई =3 m) और वापस नहीं लौटता है। टक्कर द्वारा कितनी ऊष्मा उत्पन्न हुई? यदि लिफ्ट स्थिर होती तो क्या आपका उत्तर इससे भिन्न होता?
उत्तर:
दिया है:
बोल्ट का द्रव्यमान, m = – 0.3 किग्रा
लिफ्ट की लम्बाई, h = 3 मीटर
छत पर बोल्ट की स्थितिज ऊर्जा, V = mgh
= 0.3 x 9.8 x 3
= 8.82 जूल
चूँकि बोल्ट लिफ्ट के फर्श से टकराकर बिल्कुल भी ऊपर नहीं उठता है, इसका तात्पर्य है कि फर्श से टकराने पर बोल्ट की सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा, ऊष्मा में बदल जाती है। अत: बोल्ट के फर्श से टकराने पर उत्पन्न ऊष्मा 8.82 जूल है।लिफ्ट के स्थिर होने पर, यह एक जड़त्वीय निर्देश तन्त्र होता है। चूँकि गुरुत्वीय त्वरण का मान सभी स्थानों पर एक समान होता अर्थात् हमारा उत्तर समान होगा।

प्रश्न 6.28.
200 kg द्रव्यमान की कोई ट्रॉली किसी घर्षणरहित पथ पर 36 km h-1 की एकसमान चाल से गतिमान है। 20 kg द्रव्यमान का कोई बच्चा ट्रॉली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक (10 m दूर) ट्रॉली के सापेक्ष 4 ms-1 की चाल से ट्रॉली की गति की विपरीत दिशा में दौड़ता है और ट्रॉली से बाहर कूद जाता है। ट्रॉली की अंतिम चाल क्या है? बच्चे के दौड़ना आरंभ करने के समय से ट्रॉली ने कितनी दूरी तय की?
उत्तर:
दिया है: ट्रॉली का द्रव्यमान, m, = 200 किग्रा,
ट्रॉली की चाल u =36 किमी प्रति घण्टा
= 36 x \(\frac{5}{18}\) = 10 मी/से
बच्चे का द्रव्यमान m2 = 20 किग्रा
बच्चे की ट्रॉली के सापेक्ष चाल, V2 = 4 मीटर/सेकण्ड
माना ट्रॉली की अन्तिम चाल v1 है
∴ बच्चे के दौड़ना प्रारम्भ करने से पूर्व निकाय का संवेग,
Pi = (m1v1 + m2) u1
= (200 + 20) x 10 = 2200 किग्रा मीटर/सेकण्ड
बच्चे के ट्रॉली से कूदते समय निकाय का संवेग,
P1 = m1V1 + m2(v1 – v2)
= 200(v1 + 20 (v1 – 4)
= 200vvt – 80
परन्तु संवेग संरक्षण के नियमानुसार, Pi = Pf
2200 = 220vt – 80
या 220 v1 = 2280
∴v1 = \(\frac{2280}{220}\)
= 10.36 मीटर/सेकण्ड
ट्रॉली में 10 मीटर की दूरी चलने में बच्चे द्वारा लिया गया समय,
image 16 = \(\frac{10}{4}\) = 2.5 सेकण्ड
माना इस समय में ट्राली द्वारा चली गई दूरी x है।
∴ x = v x t = 10.36 x 2.5
= 25.9 मीटर।

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प्रश्न 6.29.
चित्र में दिए गए स्थितिज ऊर्जा वक्रों में से कौन – सा वक्र सम्भवतः दो बिलियर्ड – गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट का वर्णन नहीं करेगा? यहाँ r गेंदों के केन्द्रों के मध्य की दूरी है और प्रत्येक गेंद का अर्धव्यास R है।
उत्तर:
जब गेंदें संघट्ट करेंगी और एक-दूसरे को संपीडित करेंगी तो उनके केन्द्रों के बीच की दूरीr, 2R से घटती जाएगी और इनकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ती जाएगी। प्रत्यानयन काल में गेंदें अपने आकार को वापस पाने की क्रिया में एक-दूसरे से दूर हटेंगी तो उनकी स्थितिज ऊर्जा घटेगी और प्रारम्भिक आकार पूर्णतः प्राप्त कर लेने पर (r = 2R) स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जाएगी।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 17
केवल ग्राफ (V) की ही उपर्युक्त व्याख्या हो सकती है; अतः अन्य ग्राफों में से कोई भी बिलियर्ड गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट को प्रदर्शित नहीं करता है।

प्रश्न 6.30.
विरामावस्था में किसी मुक्त न्यूट्रॉन के क्षय पर विचार कीजिए n → p + e प्रदर्शित कीजिए कि इस प्रकार के द्विपिंड क्षय से नियत ऊर्जा का कोई इलेक्ट्रॉन अवश्य उत्सर्जित होना चाहिए, और इसलिए यह किसी न्यूट्रॉन या किसी नाभिक के क्षय में प्रेक्षित सतत ऊर्जा वितरण का स्पष्टीकरण नहीं दे सकता (चित्र)।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img 18
[नोट : इस अभ्यास का हल उन कई तर्कों में से एक है जिन्हें डब्ल्यू पॉली द्वारा क्षय के क्षय उत्पादों में किसी तीसरे कण के अस्तित्व का पूर्वानुमान करने के लिए दिया गया था। यह कण न्यूट्रिनो के नाम से जाना जाता है। अब हम जानते हैं कि यह निजी प्रचक्रण 1/2 (जैसे e, p तथा n) का कोई कण है। लेकिन यह उदासीन है या द्रव्यमानरहित या (इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान की तुलना में) इसका द्रव्यमान अत्यधिक कम है और जो द्रव्य के साथ दुर्बलता से परस्पर क्रिया करता है। न्यूट्रॉन की उचित क्षय – प्रक्रिया इस प्रकार है: n →p + e + v]
उत्तर:
माना न्यूट्रॉन के प्रोट्रॉन तथा इलेक्ट्रॉन में क्षय होने पर अवनमन (disintegration) द्रव्यमान ∆m है।
उत्सर्जित ऊर्जा, E = ∆mc2
परन्तु ∆m = न्यूट्रॉन का द्रव्यमान – (प्रोटॉन व इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान)
= 1.6747 x 10-24 – (1.6724 x 10-24 + 9.11 x 10-28
= (1.6747 – 1.6733) x 10-24
= 0.0014 x 10-24 ग्राम
∴ E = 0.0014 – 10-24 x (3 x 1010)2
= 0.0126 x 10-4 ऊर्जा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति img A
= 0.79 Mev
पाजिट्रॉन का द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान के समान परन्तु आवेश इलेक्ट्रॉन का विपरीत होता है। जब इलेक्ट्रॉन तथा पाजिट्रॉन एक दूसरे के समीप आते हैं तो वे एक दूसरे को समाप्त कर देते हैं। इसके द्रव्यमान आइन्सटीन के समीकरण के अनुसार ऊर्जा में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रकार प्राप्त ऊर्जा गामा किरणों के रूप में उत्सर्जित होती है जो कि निम्नवत् है –
E’ = mc2
= 2 x 9 x 10 -31 x (3 x 108)2
= 1.64 x 10-13 जूल
= \(\frac { 1.64\times 10^{ -31 } }{ 1.6\times 10^{ -19 }\times 10^{ 6 } } \)
= 1.02 Mev

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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

गति के नियम अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 5.1.
निम्नलिखित पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए:

  1. एकसमान चाल से नीचे गिरती वर्षा की कोई बूँद।
  2. जल में तैरता 10 g संहति का कोई कार्क।
  3. कुशलता से आकाश में स्थिर रोकी गई कोई पतंग।
  4. 30 km h-1 के एकसमान वेग से ऊबड़ – खाबड़ सड़क पर गतिशील कोई कार।
  5. सभी गुरुत्वीय पिण्डों से दूर तथा वैद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से मुक्त, अंतरिक्ष में तीव्र चाल वाला इलेक्ट्रॉन।

उत्तर:

  1. न्यूटन के प्रथम नियमानुसार कोई नेट बल नहीं लगता है।
  2. न्यूटन के प्रथम नियमानुसार कोई नेट बल नहीं लगता है।
  3. न्यूटन के प्रथम नियमानुसार कोई नेट बल नहीं लगता है।
  4. न्यूटन के प्रथम नियमानुसार कोई नेट बल नहीं लगता है।
  5. चूँकि यह वैद्युत चुम्बकीय एवम् गुरुत्वीय बल उत्पन्न करने वाली भौतिक एजेंसियों से काफी दूर है। अत: कोई बल कार्य नहीं करता है।

प्रश्न 5.2.
0.05 kg संहति का कोई कंकड़ ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंका गया है। नीचे दी गई प्रत्येक परिस्थिति में कंकड़ पर लग रहे नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए:

  1. उपरिमुखी गति के समय।
  2. अधोमुखी गति के समय।
  3. उच्चतम बिंदु पर जहाँ क्षण भर के लिए यह विराम में रहता है। यदि कंकड़ को क्षैतिज दिशा से 45° कोण पर फेंका – जाए, तो क्या आपके उत्तर में कोई परिवर्तन होगा? वायु – प्रतिरोध को उपेक्षणीय मानिए।

उत्तर:
चूँकि उपरोक्त तीनों स्थितियों में, वायु के प्रभाव को नगण्य मानते हुए कंकड़ पर केवल एक ही बल (गुरुत्व बल) 0.5 न्यूटन ऊर्ध्वाधरतः, अधोमुखी लगता है यदि कंकड़ की गति ऊर्ध्वाधर की ओर नहीं है तब भी उत्तर अपरिवर्तित रहता है। कंकड़ उच्चतम बिन्दु पर विराम में नहीं है। इसकी समस्त गति की अवधि में इस पर वेग का एकसमान क्षैतिज घटक कार्यरत रहता है।

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प्रश्न 5.3.
0.1 kg संहति के पत्थर पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा निम्नलिखित परिस्थितियों में ज्ञात कीजिए:

  1. पत्थर को स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्।
  2. पत्थर को 36 km h-1 के एकसमान वेग से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्।
  3. पत्थर को 1ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरंत पश्चात्।
  4. पत्थर 1 ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी के फर्श पर पड़ा है तथा वह रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है। उपरोक्त सभी स्थितियों में वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।

उत्तर:

  1. स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने पर, पत्थर पर एक मात्र बल उसका भार नीचे की ओर कार्य करेगा। पत्थर पर बल (mg) = 0.1 x 10 = 1 न्यूटन नीचे की ओर।
  2. इस स्थिति में गाड़ी से गिराने के पश्चात् गाड़ी की गति का उस पर कार्य करने वाले बल पर कोई प्रभाव नहीं होगा तथा पत्थर पर बल उसका भार नीचे की ओर कार्य करेगा। अतः पत्थर बल पर = 1 न्यूटन नीचे की ओर।
  3. इस स्थिति में (b) के समान बल नीचे की ओर कार्य करेगा।
  4. पत्थर रेलगाड़ी के सापेक्ष विरामावस्था में है।

∴ पत्थर पर त्वरण = रेलगाड़ी का त्वरण = 1 मीटर/सेकण्ड
∴ पत्थर पर गाड़ी की त्वरित गति के कारण नेट बल।
F = ma = 0.1 x 1 = 0.1 न्यूटन क्षैतिज दिशा में।

प्रश्न 5.4.
l लंबाई की एक डोरी का एक सिरा m संहति के किसी कण से तथा दूसरा सिरा चिकनी क्षैतिज मेज पर लगी खूटी से बँधा है। यदि कण ” चाल से वृत्त में गति करता है तो कण पर (केंद्र की ओर निर्देशित) नेट बल है:

  1. T
  2. T – \(\frac { mv^{ 2 } }{ l }\)
  3. T + \(\frac { mv^{ 2 } }{ l }\)
  4. 0

T डोरी में तनाव है। (सही विकल्प चुनिए)
उत्तर:
विकल्प

  1. सही है।

प्रश्न 5.5.
15 ms-1 की आरंभिक चाल से गतिशील 20 kg संहति के किसी पिण्ड पर 50 N का स्थाई मंदन बल आरोपित किया गया है। पिण्ड को रुकने में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
दिया है:
u = 15 मीटर/सेकण्ड,
m = 20 किग्रा, मंदन बल,
F = 50 न्यूटन,
v = 0, समय (t) = ?
गति के द्वितीय नियम से,
a = \(\frac{F}{M}\) = \(\frac{50}{20}\) = 2.5 मीटर/सेकण्ड2
सूत्र, v = u + at से,
0 = 15 + ( – 2.5) x t
∴t = \(\frac{15}{2.5}\)
= 6 सेकण्ड

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प्रश्न 5.6.
3.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर आरोपित कोई बल 25 s में उसकी चाल को 2.0 ms-1 से 3.5 ms-1 कर देता है। पिण्ड की गति की दिशा अपरिवर्तित रहती है। बल का परिमाण व दिशा क्या है?
उत्तर:
दिया है:
m = 3 किग्रा,
µ = 2 मीटर/सेकण्ड,
t = 25 सेकण्ड,
v = 3.5 मीटर/सेकण्ड, बल का परिणाम
F = ?, बल की दिशा = ?
न्यूटन के गति विषयक द्वितीय नियम से,
पिण्ड पर लगा बल, F = संवेग परिवर्तन की दर
\(\frac{mv – mu}{t}\) = \(\frac{m(v – u)}{t}\)
= \(\frac{3(3.5 – 2)}{25}\) = \(\frac{3 x 1.5}{25}\)
= 1.8 न्यूटन
बल पिण्ड की गति की दिशा में ही लगेगा।

प्रश्न 5.7.
5.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर 8 N व 6 N के दो लंबवत् बल आरोपित हैं। पिण्ड के त्वरण का परिमाण व दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है: m =5 किग्रा,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 1
F1 = 8 न्यूटन
F2 = 6 न्यूटन
त्वरण = ?, त्वरण की दिशा = ?
बलों के समान्तर चतुर्भुज नियम से,
पिण्ड पर लगने वाला परिणामी बल,
F = \(\sqrt { F_{ 1 }+F_{ 2 } } \)
= \(\sqrt { 8^{ 2 }\quad +\quad 6^{ 2 }\quad } \)
=10 न्यूटन
परिणामी बल द्वारा F, से बना कोण,
θ = tan-1 \(\frac { F^{ 2 } }{ F_{ 1 } }\)
= tan-1 \(\frac{6}{8}\)
= 37°
पिण्ड पर त्वरण,
a = \(\frac{F}{M}\) = \(\frac{10}{5}\)
= 2 मीटर/सेकण्ड2

प्रश्न 5.8.
36 km h-1 की चाल से गतिमान किसी ऑटो रिक्शा का चालक सड़क के बीच एक बच्चे को खड़ा देखकर अपने वाहन को ठीक 4.0s में रोककर उस बच्चे को बचा लेता है। यदि ऑटो रिक्शा बच्चे के ठीक निकट रुकता है, तो वाहन पर लगा औसत मंदन बल क्या है? ऑटो रिक्शा तथा चालक की संहतियाँ क्रमशः 400 kg और 65 kg हैं।
उत्तर:
दिया है: ऑटो रिक्शा की प्रा० चाल, u = 36 किमी/घण्टा =10 मीटर/सेकण्ड
ऑटो रिक्शा की अन्तिम चाल v = 0, t = 4 सेकण्ड औसत मंदन बल, F = ?
कुल द्रव्यमान = ऑटो रिक्शा का द्रव्यमान + चालक का द्रव्यमान
= 400 + 65 = 465 किग्रा
समी० u = y + at से,
θ = \(\frac{v – u}{t}\) = \(\frac{0 – 10}{4}\)
= -2.5 मीटर/सेकण्ड2
अतः मंदन बल, F = ma = 465 x 2.5
= 1.16 x 103 1.2 x 103 न्यूटन

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प्रश्न 5.9.
20,000 kg उत्थापन संहति के किसी रॉकेट में 5 ms-2 के आरंभिक त्वरण के साथ ऊपर की ओर स्फोट किया जाता है। स्फोट का आरंभिक प्रणोद (बल) परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
रॉकेट का द्रव्यमान, m = 20,000 किग्रा त्वरण, a = 5 मीटर/सेकण्ड2 माना रॉकेट पर ऊपर की ओर लगने वाला आरम्भिक प्रणोद F है।
यहाँ रॉकेट पर दो बल लगते हैं –

  1. प्रणोद (F) ऊपर की ओर तथा
  2. रॉकेट का भार (mg) नीचे की ओर

चूँकि रॉकेट ऊपर उठ रहा है। अतः रॉकेट पर ऊपर की ओर लगने वाला बल,
F1 = F – mg, F1 = ma
∴ ma = F – mg
∴ F = mg + ma
= m (g + a)
= 20,000 (10 + 5)
= 20,000 x 15
= 300,000 x 3 x 105 न्यूटन।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 2

प्रश्न 5.10.
उत्तर की ओर 10 ms-1 की एकसमान आरंभिक चाल से गतिमान 0.40 kg mg संहति के किसी पिण्ड पर दक्षिण दिशा के अनुदिश 8.0 N का स्थाई बल 30 s के लिए आरोपित किया गया है। जिस क्षण बल आरोपित किया गया उसे t =0, तथा उस समय पिण्ड की स्थिति x = 0 लीजिए। t = – 5 s, 25 s, 100 s पर इस कण की स्थति क्या होगी?
उत्तर:
दिया है: प्रारम्भिक वेग, u = 10 मीटर/सेकण्ड, उत्तर दिशा की ओर
आरोपित बल F = 8 न्यूटन, दक्षिण की ओर
m = 0.4 किग्रा, t = 30 सेकण्ड
t = 0 तथा x = 0 पर बल आरोपित किया जाता है।
t = – 5 सेकण्ड पर,
चूँकि t = 0 से पूर्व पिण्ड पर कोई बल आरोपित नहीं था।
अतः इस समयान्तराल में पिण्ड एकसमान वेग से गतिशील होगा।
सूत्र x = x0 + µx + \(\frac{1}{2}\) x 0 x ( – 5)2
= – 50 मीटर
अतः t = – 5 सेकण्ड पर, पिण्ड x = – 50 मीटर पर है।
t=25 सेकण्ड पर,
चूँकि t = 0 से t = 30 सेकण्ड तक पिण्ड पर बल आरोपित है। अतः पिण्ड त्वरित गति में होगा।
चूँकि बल की दिशा प्रारम्भिक वेग से विपरीत है अतः यह मंदन, उत्पन्न करेगा।
सूत्र F = ma से,
मंदन, a = \(\frac{F}{M}\) = \(\frac{8}{0.4}\) = 20 मीटर/सेकण्डर2
अतः (x)t = 25 = 0 + 10 x 25 x \(\frac{1}{2}\) (- 20) x (25)
= – 6000 मीटर = – 6 किमी पर है।
अतः t = 2.5 सेकण्ड पर, पिण्ड x = – 6 किमी पर है।
t = 100 सेकण्ड
xt = 30 = 0 + 10 x 30 + \(\frac{1}{2}\) (-20) x 302
= – 8700 मीटर
30 सेकण्ड पश्चात् वेग,
v = u + at = 10 + (-20) x 30
= – 590 मीटर/सेकण्ड
t = 30 सेकण्ड बाद F = 0 है। अतः t = 30 सेकण्ड बाद पिण्ड आगे के 70 सेकण्ड तक नियत चाल से चलेगा।
∴ S = vt = – 590 x 70 = – 41300 मीटर
∴t = 100 सेकण्ड पर,
x = (x)t = 30 + xt = 70
= – 8700 – 41300 = – 50000
= – 50 किमी।
अतः t = 100 सेकण्ड पर पिण्ड x = – 50 किमी पर है।

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प्रश्न 5.11.
कोई ट्रक विरामावस्था से गति आरंभ करके 2.0 ms – 2 के समान त्वरण से गतिशील रहता है। t = 10s पर, मीटर/सेकण्ड ट्रक के ऊपर खड़ा एक व्यक्ति धरती से 6 m की ऊँचाई से कोई पत्थर बाहर गिराता है। t = 11s पर, पत्थर का (a) वेग, तथा (b) त्वरण क्या है? (वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।)
उत्तर:
दिया है:
u = 0, a = 2 मीटर/सेकण्ड2
सूत्र v = u + at से,
vt = 10 = 0 + 2 x 10 = 20 मीटर/सेकण्ड (क्षैतिज दिशा में)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 3
इसी समय व्यक्ति ट्रक पर पत्थर छोड़ता है।
पत्थर छोड़ने के पश्चात् ट्रक का त्वरण पत्थर पर कोई प्रभाव नहीं डालता है। लेकिन इस क्षण तक ट्रक तथा पत्थर का वेग समान होगा। इस दशा में पत्थर गुरुत्वीय त्वरण के अधीन मुक्त गति करेगा।
माना पत्थर बिन्दु P पर छोड़ते हैं। बिन्दु P से जाने वाली क्षैतिज एवम् ऊर्ध्वाधर रेखाओं को क्रमश: x व y – अक्ष माना, जबकि P मूल बिन्दु है।
∴ux = 20 मीटर/सेकण्ड, ax = 0
व uy = 0, ay = – g मीटर/सेकण्ड2
∴x – दिशा में वेग, त्वरण शून्य है। इस प्रकार 1 सेकड़ परचाथ क्ष दिशा मे वेग, ux = 20 मीटर/सेकण्ड
∴पत्थर छोड़ने के 1 सेकण्ड बाद वेग,
v = \(\sqrt { u_{ x }^{ 2 }+u_{ y }^{ 2 } }\)
= \(\sqrt { 20^{ 2 }+10^{ 2 } }\)
= \(\sqrt { 500 }\)
= 22.3 मीटर/सेकण्ड
अत:
(a) गति प्रारम्भ के बाद t = 11 सेकण्ड पर पत्थर का वेग = 22.3 मीटर/सेकण्ड
(b) 11 सेकण्ड पर पत्थर का त्वरण, a = g =10 मीटर/सेकण्ड2

प्रश्न 5.12.
किसी कमरे की छत से 2m लंबी डोरी द्वारा 0.1 kg संहति के गोलक को लटकाकर दोलन आरंभ किए गए। अपनी माध्य स्थिति पर गोलक की चाल 1ms – 1 है। गोलक का प्रक्षेप – पथ क्या होगा यदि डोरी को उस समय काट दिया जाता है जब गोलक अपनी –

  1. चरम स्थितियों में से किसी एक पर है, तथा –
  2. माध्य स्थिति पर है?

उत्तर:

  1. चरम स्थिति पर गोलक की चाल शून्य है। अब डोरी काट दी जाए तब वह ऊर्ध्वाधर अधोमुखी गिरेगा।
  2. माध्य स्थिति पर गोलक में क्षैतिज वेग होता है। जब डोरी काट दी जाए तब वह किसी परवलयिक पथ के अनुदिश गिरेगा।

प्रश्न 5.13.
किसी व्यक्ति की संहति 70 kg है। वह एक गतिमान लिफ्ट में तुला पर खड़ा है जो:

  1. 10 ms – 1 की एकसमान चाल से ऊपर जा रही है –
  2. 5 ms – 2 के एकसमान त्वरण से नीचे जा रही है –
  3. 5 ms – 2 के एकसमान त्वरण से ऊपर जा रही है तो प्रत्येक प्रकरण में तुला के पैमाने का पाठ्यांक क्या होगा?
  4. यदि लिफ्ट की मशीन में खराबी आ जाए और वह गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से नीचे गिरे तो पाठ्यांक क्या होगा?

उत्तर:
दिया है: m=70 किग्रा

1.  चूँकि लिफ्ट एकसमान वेग से गतिमान है। अतः त्वरण a=0
तुला के पैमाने का पाठ्यांक,
R = mg = 70 x 9.8 = 686 न्यूटन

2. लिफ्ट का त्वरण, a = 5 मीटर/सेकण्ड2 (नीचे की ओर)
∴तुला के पैमाने का पाठ्यांक,
R = m (g-a)
= 70 x (9.8 – 5) = 336 न्यूटन

3. लिफ्ट का त्वरण, a = 5 मीटर/सेकण्ड (ऊपर की ओर)
∴ तुला के पैमाने का पाठ्यांक,
R = m (g + a)
= 70 ( 9.8 + 5) = 1036 न्यूटन

4. चूँकि लिफ्ट गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से गिरती है।
∴ a = g
∴ तुला के पैमाने का पाठ्यांक,
R = m (g – a)
= 70 x 0 = 0

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प्रश्न 5.14.
चित्र में 4 kg संहति के किसी पिण्ड का स्थिति – समय ग्राफ दर्शाया गया है।
(a) t < 0; t > 4s; 0
(b) t = 0 तथाt = 4s पर आवेग क्या है?
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 4
(केवल एकविमीय गति पर विचार कीजिए)
उत्तर:
(a) t < पर, स्थिति – समय (n – t) ग्राफ समय अक्ष के साथ सम्पाती है। अतः पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है। t > 4 सेकण्ड के लिए, x – t ग्राफ समय अक्ष के समान्तर सरल रेखा है। अतः पिण्ड विरामावस्था में है तथा पिण्ड पर कार्यरत बल शून्य है।
0 < t < 4 सेकण्ड के लिए, x – t ग्राफ एक झुकी हुई सरल रेखा है अर्थात् इस काल में पिण्ड की मूल बिन्दु से दूरी नियत दर से लगातार बढ़ रही है अर्थात् इस दौरान नियत है व त्वरण शून्य है। अतः पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है।

(b) t=0 से पहले पिण्ड का वेग v 1 = 0
t = 0 के पश्चात् पिण्ड का वेग
V2 = ग्राफ OA का ढाल
= \(\frac{3}{4}\) मीटर/सेकण्ड
अतः t = 0 पर, आवेग = संवेग परिवर्तन की दर
= mv2 – mv1
= 4 x \(\frac{3}{4}\) – 4 x 0
= 3 किग्रा मीटर/सेकण्ड
पुनः t = 4 सेकण्ड के ठीक पहले,
वेग v1, = मीटर/सेकण्ड
t = 4 सेकण्ड के ठीक बाद, वेग v2 = 0
∴t = 4 सेकण्ड दर, आवेग = संवेग परिवर्तन
= mv2 – mv1
= – 3 किग्रा मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 5.15.
किसी घर्षणरहित मेज पर रखे 10kg तथा 20kg के दो पिण्ड किसी पतली डोरी द्वारा आपस में जुड़े हैं। 600 N का कोई क्षैतिज बल।

  1. A पर
  2. B पर डोरी के अनुदिश लगाया जाता है। प्रत्येक स्थिति में डोरी में तनाव क्या है?

उत्तर:
दिया है: F = 600 न्यूटन
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 5

1. माना पिण्ड A पर बल आरोपित करने से दोनों पिण्ड त्वरण a, से चलना प्रारम्भ करते हैं एवम् डोरी में तनाव T है। पिण्ड A पर बल F आगे की ओर एवम् तनाव T पीछे की ओर लगेगा।
अतः इस पिण्ड पर नेट बल,
F = F – T
न्यूटन के गति विषयक द्वितीय नियम से,
F1 = m1a
∴m1a = F – T
या 10a = 600 – T
पिण्ड B पर एकमात्र बल, डोरी का तनाव (T) आगे की ओर लगेगा।
∴ T = m2 = 20a
समी० (2) से T का मान समी0 (1) में रखने पर,
10a = 600 – 20a
या 10a + 20a = 600
∴30a = 600
या a = \(\frac{600}{30}\) = 20 मी/सेकण्डर2
a का यह मान समी० (2) में रखने पर,
T = 20 x 20 = 400 न्यूटन

2. इस स्थिति में, पिण्ड B पर नेट बल F2 = F2 – T होगा।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 6
F – T = m2a
या 600 – T = 20a
पिण्ड A पर नेट बल T आगे की ओर होगा।
∴ T = m, a
= 10a
(4) समी० (4) से T का मान समी० (3) में रखने पर,
600 – 10a = 20a
∴ a = \(\frac{600}{30}\) = 20 मीटर/सेकण्डर2
600 = 20 मीटर/सेकण्ड
a का यह मान समी० (4) में रखने पर
T = 10 x 20
= 200 न्यूटन

प्रश्न 5.16.
8 kg तथा 12 kg के दो पिण्डों को किसी हल्की अवितान्य डोरी, जो घर्षणरहित घिरनी पर चढ़ी है, के दो सिरों से बाँधा गया है। पिण्डों को मुक्त छोड़ने पर उनके त्वरण तथा डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना घर्षण रहित घिरनी पर हल्की अवितान्य डोरी से द्रव्यमान m1 व m2 लटकाएँ गए हैं।
∴ m1 =8 किग्रा, m2 = 12 किग्रा
माना डोरी में तनाव T व त्वरण a है। यह त्वरण m2 पर नीचे की ओर तथा m1 पर ऊपर की ओर है। m2 की गति की समी० निम्न होगी
F = 12g -T (नीचे की ओर)
गति के नियम से,
F = m2a = 12a
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 7
∴ 12g – T = 12a
इसी प्रकार m के लिए,
8g – T = – 8a.
∴ ‘समी० (2) को (1) में से घटाने पर,
4g = 20a
∴  a = \(\frac{4 x 10}{20}\)
= 2 मीटर/सेकण्डर2
∴ समी० (1) से डोरी में तनाव,
T = 12 (g – a) = 12 (10 – 2)
= 12 x 8 = 96 न्यूटन

प्रश्न 5.17.
प्रयोगशाला के निर्देश फ्रेम में कोई नाभिक विराम में है। यदि यह नाभिक दो छोटे नाभिकों में विघटित हो जाता है, तो यह दर्शाइए कि उत्पाद विपरीत दिशाओं में गति करने चाहिए।
उत्तर:
माना विरामावस्था में नाभिक का द्रव्यमान = m विरामावस्था में नाभिक का प्रा० वेग, \(\vec { u } \) = 0
माना विघटित नाभिकों के द्रव्यमान m1 व m2 तथा इनके वेग क्रमश: \(\vec { P_{ i } } \) व \(\vec { P_{ t } } \)  है।
माना विघटन से पूर्व तथा बाद में संवेग क्रमशः
\(\vec { P_{ i } } \) व  \(\vec { P_{ t } } \)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img B
समीकरण (3) से स्पष्ट है कि \(\vec { V_{ 1 } } \) तथा \(\vec { V_{ 2 } } \) विपरीत दिशा में हैं। अतः विघटित नाभिक विपरीत दिशाओं में गति करेंगे।

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प्रश्न 5.18.
दो बिलियर्ड गेंद जिनमें प्रत्येक की संहति 0.05 kg है, 6 ms-1 की चाल से विपरीत दिशाओं में गति करती हुई संघट्ट करती हैं और संघट्ट के पश्चात् उसी चाल से वापस लौटती हैं। प्रत्येक गेंद पर दूसरी गेंद कितना आवेग लगाती है?
उत्तर:
गेंदों का द्रव्यमान m1 = m2 = 0.05 किग्रा
माना पहली गेंद धनात्मक दिशा में चलती है।
∴u1 = 6 मीटर/से
v1 = – 6 मीटर/सेकण्ड
u2 = – 6 मीटर/सेकण्ड
v2 = 6 मीटर/सेकण्ड
सूत्र आवेग = संवेग परिवर्तन से, पहली गेंद का दूसरी गेंद पर आवेग,
= m1v1 – m1u1
= 0.05 x (-6) – 0.05 x 6
= – 0.6 किग्रा मीटर/सेकण्ड
तथा दूसरी गेंद का पहली गेंद पर आवेगा,
=  m2v2 – m2u2
= 0.05 x (-6) – 0.05 x – 6
= 0.6 किग्रा मीटर/सेकण्ड
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 8

प्रश्न 5.19.
100 kg संहति की किसी तोप द्वारा 0.020 kg का गोला दागा जाता है। यदि गोले की नालमुखी चाल 80 ms – 1 है, तो तोप की प्रतिक्षेप चाल क्या है?
उत्तर:
दिया है: तोप का द्रव्यमान, m1 =100 किग्रा
गोले का द्रव्यमान m2 = 0.02 किग्रा
गोले की नालमुखी चाल, v2 = 80 मीटर/सेकण्ड
तोप की प्रतिक्षेप चाल v1 = ?
प्रश्नानुसार विस्फोट से पूर्व तोप एवम् गोला दोनों विरामावस्था में थे।
संवेग संरक्षण के निकाय से,
विस्फोट से पूर्व संवेग = विस्फोट के बाद संवेग
∴m1v1 + m2v2 = 0
∴v 1 = \(\frac { -m_{ 2 }v_{ 2 } }{ m_{ 1 } }\)
= \(\frac{-0.02 x 80}{100}\) = – 0.016 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 5.20.
कोई बल्लेबाज किसी गेंद को 45° के कोण पर विक्षेपित कर देता है। ऐसा करने में वह गेंद की आरंभिक चाल, जो 54 km/h-1 है, में कोई परिवर्तन नहीं करता। गेंद को कितना आवेग दिया जाता है? (गेंद की संहति 0.15kg है)
उत्तर:
दिया है:
गेंद का द्रव्यमान, m1 = 0.15 किग्रा
प्रा० वेग, u = 54 किमी/घण्टा
= 54 x \(\frac{5}{18}\) = 15 मीटर सेकण्ड
अन्तिम वेग, v = 15 मीटर/सेकण्ड जो कि 4 से 45° के कोण पर है।
माना प्रारम्भिक तथा अन्तिम संवेग क्रमश: \(\vec { P_{ i } } \) व \(\vec { P_{ t } } \)
हैं।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 9
सूत्र आवेग = संवेग परिवर्तन से
\(\vec { I } \) = \(\vec { P_{ t } } \) – \(\vec { P_{ i } } \)
= \(\vec { P_{ t } } \)+ \(\vec { P_{ i } } \)
अतः आवेग दोनों संवेगों का परिणामी है।
∴ \(\vec { I } \) का परिमाण
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 10
= 172 न्यूटन सेकण्ड

प्रश्न 5.21.
किसी डोरी के एक सिरे से बँधा 0.25 kg संहति का कोई पत्थर क्षैतिज तल में 1.5 m त्रिज्या के वृत्त पर 40 rev/min की चाल से चक्कर लगाता है? डोरी में तनाव कितना है? यदि डोरी 200N के अधिकतम तनाव को सहन कर सकती है तो अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए जिससे पत्थर को घुमाया जा सकता है।
उत्तर:
दिया है: पत्थर का द्रव्यमान, m = 0.25 किग्रा
पत्थर के पथ की त्रिज्या, r = 1.5 मीटर
पर विक्षेपित घूर्णन आवृत्ति, u = 40 चक्कर/मिनट
= \(\frac{40}{60}\)
= \(\frac{2}{3}\) चक्कर/सेकण्ड
माना डोरी में तनाव T है।
जब पत्थर को वृत्ताकार पथ में घुमाते हैं तो आवश्यक अभिकेन्द्र बल डोरी के तनाव T से प्राप्त होता है।
∴ T = mrω2 = mr(2πv)2
डोरी का अधिकतम तनाव, Tmax = 200 न्यूटन
पत्थर की अधिकतम चाल = ?
सूत्र T = \(\frac { mv^{ 2 } }{ 2 } \) से,
v2max = \(\frac { T_{ max\quad }\times \quad R }{ m } \)
= \(\frac{200 x 1.5}{0.25}\)
= 1200
vmax = \(\sqrt { 1200 } \)
= 34.6 = 35 मीटर/सेकण्ड

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प्रश्न 5.22.
यदि अभ्यास 5.21 में पत्थर की चाल को अधिकतम निर्धारित सीमा से भी अधिक कर दिया जाए, तथा डोरी यकायकं टूट जाए, तो डोरी के टूटने के पश्चात् पत्थर के प्रक्षेप का वर्णन निम्नलिखित में से कौन करता है:

  1. वह पत्थर झटके के साथ त्रिज्यत: बाहर की ओर जाता है।
  2. डोरी टूटने के क्षण पत्थर स्पर्श रेखीय पथ पर उड़ जाता है।
  3. पत्थर स्पर्शी से किसी कोण पर, जिसका परिमाण पत्थर की चाल पर निर्भर करता है, उड़ जाता है।
  4. क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे को खींचता है।

उत्तर:

1. चूँकि दिक्स्थान से घोड़ा-गाड़ी निकाय पर कोई बाह्य बल कार्यरत नहीं है। घोड़ा तथा गाड़ी के मध्य पारस्परिक बल (क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से) निरस्त हो जाता है। अत: फर्श पर, निकाय व फर्श के बीच सम्पर्क बल (घर्षण बल) घोड़े व गाड़ी को विराम से गति में लाने का कारण होते हैं।

2. यात्री के शरीर का जो भाग गद्दी के सीधे सम्पर्क में नहीं है वह जडत्व के कारण गतिमान, बस के यकायक रुकने पर आगे की ओर हो जाता है परिणामस्वरूप यात्री गिर जाते हैं।

3. घास मूवर को किसी कोण पर बल आरोपित करके खींचा या धकेला जाता है। जब हम धक्का देते हैं तब ऊर्ध्वाधर दिशा में सन्तुलन के लिए, अभिलम्ब बल उसके भार से अधिक होना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप घर्षण बल बढ़ जाता है। इस प्रकार मूवर को चलाने के लिए अधिक बल आरोपित करना पड़ता है जबकि खींचते समय इसके विपरीत होता है। इसी कारण लॉन मूवर को खींचना आसान होता है।

4. क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे को ओर इस कारण खींचता है कि ताकि खिलाड़ी संवेग परिवर्तन की दर को घटा दे तथा इस प्रकार गेंद को रोकने के लिए आवश्यक बल को कम करने के लिए हाथ को पीछे की ओर खींचता है।

गति के नियम अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 5.24.
चित्र में 0.04 kg संहति के किसी पिण्ड का स्थिति-समय ग्राफ दर्शाया गया है। इस गति के लिए कोई उचित भौतिक संदर्भ प्रस्तावित कीजिए। पिण्ड द्वारा प्राप्त दो क्रमिक आवेगों के बीच समय – अंतराल क्या है? प्रत्येक आवेग का परिमाण क्या है?
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 11
उत्तर:
दिया गया ग्राफ दो समान्तर ऊर्ध्वाधर दीवारों के मध्य एक समान चाल से क्षैतिज गति करती गेंद का ग्राफ हो सकता है जो बार – बार दीवार से टकराकर 2 सेकण्ड बाद दूसरी दीवार से टकराती है। यह प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है अर्थात् प्रत्येक 2 सेकण्ड के पश्चात् पिण्ड का वेग बदलता है।
∴दो क्रमिक आवेगों के बीच समयान्तराल = 2 सेकण्ड
t = 2 सेकण्ड से पहले, वेग v1 = ग्राफ का ढाल
= \(\frac{2}{2}\) = 1 सेमी/सेकण्ड
t = 2 सेकण्ड के बाद वेग V2 = ग्राफ का ढाल
= \(\frac{-2}{-2}\) = -1 सेमी/सेकण्ड
सूत्र आवेग = संवेग परिवर्तन से,
आवेग = Pi = Pt = mv1 – mv2
=m (v1 – v2) = 0.04 [1-(-1)]
= 0.04 x 2 = 0.08 किग्रा सेमी/सेकण्ड
= \(\frac{0.08}{100}\) किग्रा – मीटर/सेकण्ड
= 8 x 10-4 किग्रा – मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 5.25,
चित्र में कोई व्यक्ति 1ms-2 त्वरण से गतिशील क्षैतिज संवाहक पट्टे पर स्थित खड़ा है। उस व्यक्ति पर आरोपित नेट बल क्या है? यदि व्यक्ति के जूतों और पट्टे के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक 0.2 है, तो पट्टे के कितने त्वरण तक वह व्यक्ति उस पट्टे के सापेक्ष स्थिर रह सकता है? (व्यक्ति की संहति = 65 kg)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 12
उत्तर:
दिया है: पट्टे का त्वरण, a = 1 मीटर/सेकण्ड2
व्यक्ति का द्रव्यमान, m = 65 किग्रा।
चूँकि व्यक्ति पट्टे पर स्थिर खड़ा है। अत: व्यक्ति का त्वरण a =1 मी/सेकण्ड2
सूत्र F = ma से,
व्यक्ति पर नेट बल, F = 65 x 1
= 65 न्यूटन।
पुनः µs = 0.2
चूँकि पट्टा क्षैतिज अवस्था में है। अत: व्यक्ति पर पट्टे की अभिलम्ब प्रतिक्रिया,
N = mg = 65 x 10 = 650 न्यूटन
माना पट्टे का अधिकतम त्वरण amax है। इस स्थिति में पट्टे के साथ गति करने के लिए व्यक्ति को mammy के बराबर बल की आवश्यकता होगी जो उसे स्थैतिक घर्षण से प्राप्त होगा।
∴mamax ≤ µsN
∴amax = \(\frac { \mu _{ sN } }{ m } \)
= \(\frac{0.2 x 650}{65}\)
= 2 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 5.26.
mसंहति के पत्थर को किसी डोरी के एक सिरे से बाँधकर R त्रिज्या के ऊर्ध्वाधर वृत्त में घुमाया जाता है। वृत्त के निम्नतम तथा उच्चतम बिंदुओं पर ऊर्ध्वाधरतः अधोमुखी दिशा में नेट बल है। (सही विकल्प चुनिए)
निम्नतम बिंदु पर:

  1. mg – T 1
  2. mg + T 1
  3. mg + T 1 – (mv12)/R
  4. mg – T 1 – (mv12)/R

उच्चतम बिंदु पर:

  1. mg + T2
  2. mg – T2
  3. mg – T 2 + (mv22)/R
  4. mg + T2 + (mv22)/R

जहाँ T1 तनाव निम्नतम बिन्दु पर ऊपर की ओर तथा भार mg नीचे की ओर है।
तथा नेट अधोमुखी बल = mg + T2
जहाँ’ T2 तनाव उच्चतम बिन्दु पर तथा भार mg दोनों नीचे की ओर हैं।
अतः विकल्प (i) सही है।

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प्रश्न 5.27.
1000 kg संहति का कोई हेलीकॉप्टर 15 ms-2 के ऊर्ध्वाधर त्वरण से ऊपर उठता है। चालक दल तथा यात्रियों की संहति 300 kg है। निम्नलिखित बलों का परिमाण व दिशा लिखिए:

  1. चालक दल तथा यात्रियों द्वारा फर्श पर आरोपित बल।
  2. चारों ओर की वायु पर हेलीकॉप्टर के रोटर की क्रिया, तथा।
  3. चारों ओर की वायु के कारण हेलीकॉप्टर पर आरोपित बल।

उत्तर:
दिया है: हेलीकॉप्टर का द्रव्यमान,
m1 =1000 किग्रा।
चालक दल व यात्रियों का द्रव्यमान m2 = 300 किग्रा।
हेलीकॉप्टर का ऊर्ध्वाधर त्वरण, a =15 मीटर/सेकण्ड2
गुरुत्व के कारण त्वरण, g = 10 मीटर/सेकण्ड 2

1. माना चालक व यात्रियों द्वारा फर्श पर आरोपित बल R1 हैं।
∴R1 = m2 (g + a) = 300 (10 + 15)
= 7500 न्यूटन। जोकि ऊपर की ओर होगा।

2. माना कि रोटर के कारण वायु पर बल R2 है।
∴ R2 = (m1+ m2) (g + a)
= (1000 + 300) (15 + 10)
= 32500 न्यूटन चूँकि हेलीकॉप्टर इस बल के प्रतिक्रिया स्वरूप ऊपर की ओर चलता है अत: यह बल भी ऊपर की ओर दिष्ट होगा।

3. क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से, वायु द्वारा हेलीकॉप्टर पर आरोपित बल भी 32500 न्यूटन होगा।

प्रश्न 5.28.
15 ms-1 की चाल से क्षैतिजतः प्रवाहित कोई जलधारा 10-2m अनुप्रस्थ काट की किसी नली से बाहर निकलती है तथा समीप की किसी ऊर्ध्वाधर दीवार से टकराती है। जल की टक्कर द्वारा, यह मानते हुए कि जलधारा टकराने पर वापस नहीं लौटती, दीवार पर आरोपित बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है: नली का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल, A = 10-2मीटर 2
जल का वेग, µ = 15 मीटर/सेकण्ड
जल का घनत्व, d = 103 किग्रा/मीटर3/सेकण्ड
जल के कारण दीवार पर लगने वाला बल F = ?
नली से प्रतिसेकण्ड निकलने वाले जल का आयतन
= a x v
= 15 x 10-2मीटर3/सेकण्ड
चूँकि दीवार से टकराकर जल वापस नहीं लौटता है।
अतः आरोपित बल = प्रति सेकण्ड निकलने वाले जल के संवेग में परिवर्तन
= 150 x 15
= 2250 न्यूटन

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प्रश्न 5.29.
किसी मेज पर एक – एक रुपये के दस सिक्कों को एक के ऊपर एक करके रखा गया है। प्रत्येक सिक्के की संहतिm है। निम्नलिखित प्रत्येक स्थिति में बल का परिमाण एवं दिशा लिखिए:

  1. सातवें सिक्के (नीचे से गिनने पर) पर उसके ऊपर रखे सभी सिक्कों के कारण बल,
  2. सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के द्वारा आरोपित बल, तथा
  3. छठे सिक्के की सातवें सिक्के पर प्रतिक्रिया।

उत्तर:

1. नीचे से सातवें सिक्के के ऊपर तीन सिक्के रखे हैं।
अतः सातवें सिक्के पर तीनों सिक्कों के भार का अनुभव होगा।
∴सातवें सिक्के के ऊपर के सिक्कों के कारण बल = 3mg न्यूटन

2. आठवें सिक्के के ऊपर दो सिक्के रखे हैं। अत: सातवें व आठवें सिक्के के कारण बल, आठवें व इसके ऊपर रखे दो सिक्कों के भारों के योग के समान होगा।
अतः सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के के कारण बल
= 3 x mg
= 3mg न्यूटन

3. सातवाँ सिक्का स्वयं व ऊपर के तीन सिक्कों के भारों के योग के समान बल से छठवें सिक्के को दबाएगा।
अतः छठे सिक्के पर सातवें सिक्के के कारण बल = 4mg न्यूटन।
अत: छठे सिक्के की सातवें सिक्के पर प्रतिक्रिया
= 4mg न्यूटन

प्रश्न 5.30.
कोई वायुयान अपने पंखों को क्षैतिज से 15° के झुकाव पर रखते हुए 720 km h-1 की चाल से एक क्षैतिज लूप पूरा करता है। लूप की त्रिज्या क्या है?
उत्तर:
दिया है: वेग = 720 किमी/घण्टा
θ =15° लूप की त्रिज्या, r =?
सूत्र tan θ = \(\frac { v^{ 2 } }{ gr }\) से,܂
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 14

प्रश्न 5.31.
कोई रेलगाड़ी बिना ढाल वाले 30 m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ पर 54 kmh-1 चाल से चलती है। रेलगाड़ी की संहति 106 kg है। इस कार्य को करने के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल कौन प्रदान करता है? इंजन अथवा पटरियाँ? पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए मोड़ का ढाल-कोण कितना होना चाहिए?
उत्तर:
दिया है: v = 54 किमी/घण्टा
= 54 x \(\frac{5}{18}\)
= 15 मीटर/सेकण्ड
r = 30 मीटर
m = 106 किग्रा, g = 10 मीटर/सेकण्ड2
सूत्र tan θ = \(\frac{v}{rg}\) से,
tan θ = \(\frac { (15)^{ 2 } }{ 30\times 10 }\) = \(\frac{3}{4}\)
∴ θ = tan-1(\(\frac{3}{4}\)) = 40°
अर्थात् पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए पटरियों का झुकाव 40° होना चाहिए।

प्रश्न 5.32.
चित्र में दर्शाए अनुसार 50kg संहति का कोई व्यक्ति 25 kg संहति के किसी गुटके को दो भिन्न ढंग से उठाता है। दोनों स्थितियों में उस व्यक्ति द्वारा फर्श पर आरोपित क्रिया-बल कितना है? यदि 700 N अभिलंब बल से फर्श धंसने लगता है, तो फर्श को धंसने से बचाने के लिए उस व्यक्ति को, गुटके को उठाने के लिए कौन-सा ढंग अपनाना चाहिए?
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 15
उत्तर:
दिया है: व्यक्ति का द्रव्यमान m1 = 50 किग्रा, गुटके का द्रव्यमान m2 = 25 किग्रा
प्रथम स्थिति (स्थिति-ā) में,
व्यक्ति रस्सी पर 25 g न्यूटन का बल लगाकर ऊपर खींचता है तथा प्रतिक्रिया स्वरूप रस्सी भी व्यक्ति पर नीचे की ओर 25 g N का बल लगाती है।
∴ व्यक्ति पर नेट बल,
F = व्यक्ति का भार + गुटके का भार
= 50g + 25g = 75g = 75 x 10
=750 न्यूटन।
चूँकि व्यक्ति फर्श पर खड़ा है अतः व्यक्ति फर्श पर यही बल आरोपित करेगा।
द्वितीय स्थिति (स्थिति – b) में, व्यक्ति गुटके को उठाने के लिए, रस्सी पर 25 g न्यूटन का बल नीचे की ओर लगाता है। अतः रस्सी भी इतना ही बल व्यक्ति पर ऊपर की ओर लगाएगी।
∴ व्यक्ति पर नेट बल
F = व्यक्ति का भार – रस्सी द्वारा लगाया गया बल
=50 g – 25g
= 25 g = 250 न्यूटन।
यही बल व्यक्ति फर्श पर लगाता है।
उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि स्थिति a में फर्श धंस जाएगा। अतः इससे बचाने के लिए यह ढंग अनुप्रयुक्त है।

प्रश्न 5.33.
40 kg संहति का कोई बंदर 600 N का अधिकतम तनाव सह सकने योग्य किसी रस्सी पर चढ़ता है (चित्र)। नीचे दी गई स्थितियों में से किसमें रस्सी टूट जाएगी:

  1. बंदर 6 ms-2 त्वरण से ऊपर चढ़ता है,
  2. बंदर 4 ms-2 त्वरण से नीचे उतरता है,
  3. बंदर5 ms-1 की एकसमान चाल से रस्सी पर चढ़ता है,
  4. बंदर लगभग मुक्त रूप से गुरुत्व बल के प्रभाव में रस्सी से गिरता है।
    (रस्सी की संहति उपेक्षणीय मानिए।)

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 16

उत्तर:
माना बन्दर रस्सी पर T बल नीचे की ओर लगाते हुए a त्वरण से ऊपर की ओर चलता है। अतः क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से, रस्सी भी बन्दर पर T बल ऊपर की ओर लगाएगी।
∴ बन्दर पर नेट बल,
F = T – mg (ऊपर की ओर)
पुनः सूत्र F = ma से,
ma = T – mg
∴रस्सी पर तनाव, T = mg + ma

1. दिया है: a = 6 मीटर/सेकण्ड2 m = 40 किग्रा, g=10 मीटर/सेकण्डर2
∴ T = 40 x 10 + 40 x 6
= 640 न्यूटन
परन्तु रस्सी पर अधिकतम तनाव 600 न्यूटन है अतः रस्सी टूट जाएगी।

2. दिया है: a = -4 मीटर/सेकण्डर2
∴ तनाव T = 40 x 10 – 40 x 4
= 240 न्यूटन

3. दिया है: a = 0, चूँकि v =5 मीटर/सेकण्ड नियत है।
∴ तनाव, T = 40 x 10 – 40 x 0
= 400 न्यूटन।

4. मुक्त रूप से गिरते हुए, a = – g
∴ तनाव, T = 40 x g – 40 x g
अतः रस्सी केवल प्रथम स्थिति में टूटेगी।

प्रश्न 5.34.
दो पिण्ड A तथा B, जिनकी संहति क्रमशः 5 kg तथा 10 kg है, एक दूसरे के संपर्क में एक मेज पर किसी दृढ़ विभाजक दीवार के सामने विराम में रखे हैं। (चित्र) पिण्डों तथा मेज के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। 200 N का कोई बल क्षैतिजत: A पर आरोपित किया जाता है। (a) विभाजक दीवार की प्रतिक्रिया, तथा (b) A तथा B के बीच क्रिया-प्रतिक्रिया बल क्या हैं? विभाजक दीवार को हटाने पर क्या होता है? यदि पिण्ड गतिशील है तो क्या (b) का उत्तर बदल जाएगा? µs, तथा µk के बीच अंतर की उपेक्षा कीजिए।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 17
उत्तर:
विभाजक दीवार होने पर, पिण्ड विरामावस्था में होंगे।
∴ पिण्डों का त्वरण, a=0
माना कि पिण्ड A, B पर R1 बल आरोपित करता है जबकि पिण्ड B, A पर विपरीत दिशा में R2, बल आरोपित करता है।
चूँकि पिण्ड A स्थिर अवस्था में है। अतः इस पर नैट बल शून्य होगा।
F = 200 न्यूटन
iMP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 18
∴ R1 – R2
∴ R2 = R 1 = 200 न्यूटन
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 21
विभाजक दीवार हटाने पर पिण्ड गतिशील हो जाते हैं एवम् घर्षण बल कार्यशील हो जाते हैं।
इस दशा में पिण्ड A का बल आरेख चित्र में दिया गया है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 19
मेज की अभिलम्ब प्रतिक्रिया, R = 5g न्यूटन
माना पिण्ड A, त्वरण a से चलना प्रारम्भ करता है तब पिण्ड का गति समीकरण निम्न होगा –
200 – R1 – µR = 59
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 20
∴ R1 – R1 – 5µg = 5a.
पिण्ड B का बल आरेख चित्र के अनुसार है।
∴अभिलम्ब प्रतिक्रिया, R’ = 10g
तथा गति का समीकरण
R1 – µR’ = 10a.
∴R1 – 10µg = 10a
समी० (i) व (ii) को जोड़ने पर,
200 – 15µg = 15a
∴त्वरण a = \(\frac{200 -15µg}{15}\)
=11.83 ~ 12 मीटर/सेकण्ड2
अर्थात् पिण्डों के गतिशील हो जाएंगे ा का मान समीही (२) मे रकने पर,
R1 – 10 x 0.15 x 10 = 10 x 12
∴R1 = 120 + 15 = 135 न्यूटन।
अर्थात् पिण्डों के गतिशील होने पर बाग़ (बी) का अंतर परिवृत्तिथ हो गए है

प्रश्न 5.35.
15 kg संहति का कोई गुटका किसी लंबी ट्राली पर रखा है। गुटके तथा ट्राली के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक 0.18 है। ट्राली विरामावस्था से 20s तक 0.5 ms-2 के त्वरण से त्वरित होकर एकसमान वेग से गति करने लगती है। (a) धरती पर स्थिर खड़े किसी प्रेक्षक को, तथा (b) ट्राली के साथ गतिमान किसी अन्य प्रेक्षक को, गुटके की गति कैसी प्रतीत होगी, इसकी विवेचना कीजिए।
उत्तर:
दिया है: गुटके का द्रव्यमान, m = 15 किग्रा,
स्थैतिक घर्षण गुणांक, µs = 0.18
t = 20 सेकण्ड के लिए, ट्राली का त्वरण,
a1 = 0.5 मीटर/सेकण्ड 2
t = 20 सेकण्ड के पश्चात् ट्राली का वेग अचर है।
चूँकि प्रारम्भ में ट्राली त्वरित गति करती है। अत: यह एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र का उदाहरण है।
अतः गुटके पर छद्द बल
F = ma, = 15 x 0.5 = 7.5 न्यूटन बल पीछे की ओर कार्य करेगा।
ट्राली के फर्श द्वारा गुटके पर लगाया गया अग्रगामी घर्षण बल,
F2 = µN = 0.18 x (15 x 10) = 27 न्यूटन
चूँकि घर्षण बल पश्चगामी बल की तुलना में कम है अतः गुटका पीछे की ओर नहीं फिसलेगा व ट्राली के साथ – साथ गतिमान रहेगा।
(a) धरती पर स्थिर खड़े प्रेक्षक को गुटका ट्राली के साथ गति करता प्रतीत होगा।

प्रश्न 5.36. चित्र में दर्शाए अनुसार किसी ट्रक का पिछला भाग खुला है तथा 40 kg संहति का एक संदूक खुले सिरे से 5 m दूरी पर रखा है। ट्रक के फर्श तथा संदूक के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। किसी सीधी सड़क पर ट्रक विरामावस्था से
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 22
गति प्रारंभ करके 2 ms-2 से त्वरित होता है। आरंभ बिंदु से कितनी दूर चलने पर वह संदूक ट्रक से नीचे गिर जाएगा? (संदूक के आमाप की उपेक्षा कीजिए।)
उत्तर:
दिया है: घर्षण गुणांक, µ = 0.15
संदूक का द्रव्यमान = 40 किग्रा
खुले सिरे से दूरी, s = 5 मीटर, ट्रक के लिए µ = 0, त्वरण = 2 मीटर/सेकण्ड2 ट्रक द्वारा तय दूरी (जबकि संदूक गिर जाता है) = ?
चूँकि ट्रक की गति त्वरित है अतः यह एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र होगा।
अतः ट्रक के पीछे रखे संदूक पर पीछे की ओर एक छद्म बल (F =ma) होगा।
∴ F = 40 x 2 = 80 न्यूटन
संदूक पर स्थैतिक घर्षण बल (µs,N) आगे की ओर लगेगा।
संदूक पर नेट बल,
F1 = F – usN
= 80 – 0.15 x 40 x 10
= 20 न्यूटन (पीछे की ओर)
अत: ट्रक के सापेक्ष संदूक का त्वरण a1 = \(\frac { F_{ 1 } }{ m }\) = \(\frac{20}{40}\)
= 0.5 मीटर/सेकण्ड2(पीछे की ओर)
माना संदूक 5 मीटर चलने में। समय लेता है।
∴ सूत्र s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2 से,
= 0 + \(\frac{1}{2}\) x 2 x 20 = 20 मीटर

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प्रश्न 5.37.
15 cm त्रिज्या का कोई बड़ा ग्रामोफोन रिकॉर्ड 33 – rev/min की चाल से घूर्णन कर रहा है। रिकॉर्ड पर उसके केंद्र से 4 cm तथा 14 cm की दूरियों पर दो सिक्के रखे गए हैं। यदि सिक्के तथा रिकॉर्ड के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है तो कौन-सा सिक्का रिकॉर्ड के साथ परिक्रमा करेगा?
उत्तर:
दिया है: पथों की त्रिज्याएँ
r1 = 0.04 मीटर, r2 = 0.14 मीटर
घर्षण आवृत्ति v = 33 \(\frac{1}{3}\)
= \(\frac{100/3}{60}\)
= \(\frac{5}{9}\) चक्र/सेकण्ड
घर्षण गुणांक, v = 0.15
सिक्कों को रिकायी पर धूमने होथु आवश्यक अभिकेंद्र बाल m1r1ω2 व m2r2ω2 शौथिक दर्शन बाल से प्रप्थ होगा
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= 0.12 मीटर = 12 सीमी
पहले सिक्के के लिए, r1 = 0.04 मीटर < r दूसरे सिक्के के लिए,
जबिक r2 = 0.14 मीटर > 0.12
अतः दूसरा सिक्का रिकार्ड से पिसलकर बहार गिर जाएगा

प्रश्न 5.38.
आपने सरकस में ‘मौत के कुएँ’ (एक खोखला जालयुक्त गोलीय चैम्बर ताकि उसके भीतर के क्रियाकलापों को दर्शक देख सकें) में मोटरसाइकिल सवार को ऊर्ध्वाधर लूप में मोटरसाइकिल चलाते हुए देखा होगा। स्पष्ट कीजिए कि वह मोटरसाइकिल सवार नीचे से कोई सहारा न होने पर भी गोले के उच्चतम बिन्दु से नीचे क्यों नहीं गिरता? यदि चैम्बर की त्रिज्या 25 m है, तो ऊर्ध्वाधर लूप को पूरा करने के लिए मोटरसाइकिल की न्यूनतम चाल कितनी होनी चाहिए?
उत्तर:
गोलीय चैम्बर के उच्चतम बिन्दु पर, मोटर साइकिल सवार चैम्बर को अपकेन्द्र बल के कारण बाहर की ओर दबाता है जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप चैम्बर भी सवार पर गोले के केन्द्र की ओर प्रतिक्रिया R लगाता है। यहाँ मोटर साइकिल व सवार का भार (mg) भी गोले के केन्द्र की ओर कार्य करते हैं। सवार को वृत्तीय गति के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल दोनों बल ही प्रदान करते हैं। इसी कारण सवार गिरता नहीं है।
∴इस स्थिति में गति का समीकरण
R+ mg = \(\frac { -m_{ 2 }v_{ 2 } }{ m_{ r } } \)
परन्तु ऊर्ध्वाधर लूप को पूरा करने के लिए उच्चतम बिन्दु पर न्यूनतम चाल होगी।
∴ R = 0 होगा।
⇒mg = \(\frac { -m_{ 2 }v_{ 2 } }{ m_{ r } } \)
∴ v = \(\sqrt { gr }\) = \(\sqrt { 10 x 25 }\) = 15.8 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 5.39.
70 kg संहति का कोई व्यक्ति अपने ऊर्ध्वाधर अक्ष पर 200 rev/min की चाल से घूर्णन करती 3 m त्रिज्या की किसी बेलनाकार दीवार के साथ उसके संपर्क में खड़ा है। दीवार तथा उसके कपड़ों के बीच घर्षण गणांक 0.15 है। दीवार की वह न्यूनतम घूर्णन चाल ज्ञात कीजिए, जिससे फर्श को यकायक हटा लेने पर भी, वह व्यक्ति बिना गिरे दीवार से चिपका रह सके।
उत्तर:
दिया है: m = 70 किग्रा,
घूर्णन आवृत्ति, v = 200 चक्र/मिनट
= \(\frac{200}{60}\)
= \(\frac{10}{3}\) चक्र/सेकण्ड
त्रिज्या, r = 3 मीटर
घर्षण गुणांक, µ = 0.15
घूर्णन करते समय, व्यक्ति दीवार को बाहर की ओर दबाता है तथा दीवार का अभिलम्ब प्रतिक्रिया आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करती है जो कि केन्द्र की ओर दिष्ट होता है।
∴Fc = mrω2
घर्षण बल, जोकि व्यक्ति के भार को सन्तुलित करता है,
F = mg = µFc
∴ ω2 = µ.mrω2
∴ω2 = \(\sqrt { \frac { g }{ \mu r } }[latex]
= [latex]\sqrt { \frac { 10 }{ 0.15\quad } \times \quad 3 }\)
= 4.72 = 5 रेडियन/सेकण्ड

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प्रश्न 5.40.
R त्रिज्या का पतला वृत्तीय तार अपने ऊर्ध्वाधर व्यास के परितः कोणीय आवृत्ति ω से घूर्णन कर रहा है। यह दर्शाइए कि इस तार में डली कोई मणिका ω ≤ \(\sqrt { g/R } \) के लिए अपने निम्नतम बिंदु पर रहती है। ω = 2g/R के लिए, केंद्र से मनके को जोड़ने वाला त्रिज्य सदिश ऊर्ध्वाधर अधोमुखी दिशा से कितना कोण बनाता है। (घर्षण को उपेक्षणीय मानिए।)
उत्तर:
माना कि किसी समय मणिका R त्रिज्या के गोले में A बिन्दु पर है। A बिन्दु पर, वृत्तीय तार की अभिलम्ब प्रतिक्रिया M नीचे की ओर A0 के अनुदिश होगी जिससे ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम img 24
घटकों को वियोजित कर सकते हैं। यहाँ N cos θ भार को सन्तुलित करता है जब N sin θ आवश्यक अभिकेन्द्र बल mrω2 प्रदान करता है।
जहाँ 0 = वृत्त का केन्द्र
θ = त्रिज्या सदिश द्वारा ऊर्ध्व AO से बना कोण
N cos θ = mg
तथा N sin θ = mRω2 sinθ
समी० (1) से (2) से भाग देने पर
cos θ = \(\frac { g }{ R\omega ^{ 2 } } \)
मणिका को निम्नतम बिन्दु B पर रखने के लिए
ω = ≤ \(\sqrt { g/R } \) इस सिद्दिम
∴जब ω = \(\sqrt { \frac { 2g }{ R } } \)
समी० (3) से,
cos θ =\(\frac { g }{ R.2g } \) x R = \(\frac{1}{2}\) = cos 60°
θ = 60°

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MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

द्रव्य की अवस्थाएँ NCERT अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
30° से. तथा 1 bar दाब पर वायु 500 dm आयतन को 200 dm तक संपीडित करने के लिए कितने न्यूनतम दाब की आवश्यकता होगी?
हल:
स्थिर ताप बॉयल के नियमानुसार,
P1V1 = P2V2,
P1 = 1 bar
V1 = 500 dm3
P2=?
V2 = 200 dm3
\(\quad { P }_{ 2 }=\frac { { P }_{ 1 }{ V }_{ 1 } }{ { V }_{ 2 } } \)
=\(\frac { 1×500 }{ 200}\) = 2.5 bar.

प्रश्न 2.
35° से. ताप तथा 1 – 2 bar दाब पर 120 ml धारिता वाले पात्र में गैस की निश्चित मात्रा भरी है। यदि 35° से. पर गैस को 180 ml धारिता वाले फ्लास्क में स्थानांतरित किया जाता है, तो गैस का दाब क्या होगा?
हल:
दिया है – P1 = 1.2 bar,
V1 = 120 ml,
P2 = ?,
V2 = 180 ml
स्थिर ताप पर बॉयल के नियम से,
\(\quad { P }_{ 2 }=\frac { { P }_{ 1 }{ V }_{ 1 } }{ { V }_{ 2 } } \)
अतः P2 = \(\frac { 1.2 bar × 120mL }{ 180}\) = 0.8bar

प्रश्न 3.
अवस्था-समीकरण का उपयोग करते हुए स्पष्ट कीजिए कि दिए गए ताप पर गैस का घनत्व, गैस के दाब के समानुपाती होता है।
उत्तर:
आदर्श गैस समीकरण के अनुसार,
PV = nRT
P = \(\frac { nRT}{V}\)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 1

= \(\frac { m}{M}\)
P = \(\frac { mRT}{MV}\)
अब घनत्व d=\(\frac { m}{V}\)M रखने पर,
P = \(\frac { dRT}{M}\)}
अतः स्थिर आयतन पर P α d होगा।

प्रश्न 4.
0°C पर तथा 2 bar दाब पर किसी गैस के ऑक्साइड पर घनत्व 5 bar दाब पर डाइनाइट्रोजन के घनत्व के समान है, तो ऑक्साइड का अणु-भार क्या है ?
हल:
घनत्व d = \(\frac { MP}{RT}\), (यहाँ R और T किसी गैस के लिए स्थिरांक है)
N2 के लिए P=5 bar एवं M = 28 g mol-1
dN2 = \(\frac { PM}{RT}\) = \(\frac {5 × 28}{RT}\)

दिये गये गैसीय ऑक्साइड के लिए P = 2 bar एवं M = ?
doxide = \(\frac { PM}{RT}\) = \(\frac {5 × 28}{RT}\)
प्रश्नानुसार, dN2 = doxide
5 × 28 = 2× M
M= \(\frac {5 × 28}{2}\) = 70g mol-1

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प्रश्न 5.
27° से. पर एक ग्राम आदर्श गैस का दाब 2 bar है।जब समान ताप एवंदाब पर इसमें दो ग्राम आदर्श गैस मिलाई जाती है, तो दाब 3 bar हो जाता है। इन गैसों के अणु-भार में संबंध स्थापित कीजिए।
हल:
PV = nRT
गैस A के लिए, PAV = NART ………..(i)
इसी प्रकार, गैस B के लिए, PBV = NBRT ………..(ii)
गैस A के मोलों की संख्या, nA = \(\frac { 1 }{ { M }_{ A } } \) [MA = A का मोलर द्रव्यमान]
गैस B के मोलों की संख्या, nB = \(\frac { 2 }{ { M }_{ B } } \) [MB = B का मोलर द्रव्यमान]
गैस A का दाब, PA = 2 bar
कुल दाब, Pकुल = PA + PB = 3 bar
गैस B का दाब,
PB= Pकुल – PA = 3 – 2 = 1 bar
V, R तथा T दोनों गैसों के लिए समान है।
अतः समी. (i) तथा (ii) से,
\(\frac { { P }_{ A } }{ { P }_{ B } } \) = \(\frac { { n }_{ A } }{ { n }_{ B } } \) = \(\frac { { 1×M }_{ B } }{ { { M }_{ A } }×2 } \)
= \(\frac { { M }_{ B } }{ { M }_{ A } } \) = \(\frac { { 2P }_{ A } }{ { P }_{ B } } \)
= \(\frac { { M }_{ B } }{ { M }_{ A } } \) = \(\frac { 2×2 }{ 1 }\)
MB = 4MA

प्रश्न 6.
नाली साफ करने वाले ड्रेनेक्स में सूक्ष्म मात्रा में ऐल्युमिनियम होता है। यह कास्टिक सोडा से क्रिया कर डाइहाइड्रोजन गैस देता है। यदि 1 bar तथा 20°C ताप पर 0.15 ग्राम ऐल्युमिनियम अभिक्रिया करेगा, तो निर्गमित डाइहाइड्रोजन का आयतन क्या होगा?
हल:
प्रयुक्त रासायनिक समीकरण –
2 AI (2 मोल) + 2NaOH + 2H2O → 2NaAlO2 + 3H2(3 मोल)
= 54 gm
अत: 0-15 g AI से उत्पन्न होने वाले H2 मोल =\(\frac { 3 }{ 54 }\) × 0.15 = 8333×10-3 mol
PV = nRT में P= 1 bar, V = ?, n=8.333 × 10-mol, R=0.083 L atm mol-1K-1 T = 293K रखने पर,
1 × V = 8.33 x 10-3× 0.083 × 293
V=0.202 L या 202 mL.

प्रश्न 7.
यदि 27°C पर 9 dm3 धारिता वाले फ्लास्क में 3.2 ग्राम मेथेन तथा 4.4 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का मिश्रण हो, तो इसका दाब क्या होगा?
हल:
समीकरण, PV = \(\frac {m }{ M}\)RT

मेथेन का दाब –
m = 3.2g, M = 16g mol-1 , T = 300K, V = 9 × 10-3 m-3 R = 8.314 Pa m3K-1mol-1
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 2

CO2 का दाब, –
w = 4.4g, M = 44g mol-1, T = 300K, V = 9x 10-3m3, R= 8.314 Pa m3K-1mol-1 Pa
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 3

मिश्रण का कुल दाब = \({ P }_{ { CH }_{ 4 } }\) + \({ P }_{ { CO }_{2} }\)
= 5-543 × 104Pa + 2.771 × 104 Pa
= 8:314 × 104 Pa.

प्रश्न 8.
27°C ताप पर जब 1 लीटर के फ्लास्क में 0.7 bar पर 2.0 लीटर डाइऑक्सीजन तथा 0.8 bar पर 0.5 L डाइहाइड्रोजन को भरा जाता है, तो गैसीय मिश्रण का दाब क्या होगा?
हल:
समी. P1V1+ P2V2 = P3V3 में,
P1 = 0.8 bar, P2 = 0.7 bar, V1 = 0.5L, V2 = 2L, P3 = ?, V3= 1L रखने पर,
0.8 x 0.5 + 0.7 × 2 = P3 × 1.
∴ P3 = 1.8 bar.

प्रश्न 9.
यदि 27°C ताप तथा 2 bar दाब पर एक गैस का घनत्व 5.46 gdm’ है, तो STP पर इसका घनत्व क्या होगा?
हल:
दी गई गैस के लिए,
\(\frac { { P }_{ 1 } }{ { d }_{ 1 }{ T }_{ 1 } } =\frac { { P }_{ 2 } }{ { d }_{ 2 }T_{ 2 } } \)
d1= 5.46 g/dm3, d2 = ?, P2 = 1 bar, P1 = 2 bar, T1 = 27 + 273 = 300K, T1 = 273 K
∴ \(\frac { 2 }{ 15.46×300 } =\quad \frac { 1 }{ d_{ 2 }×274 } \)
या d2 = 3 g/dm3.

प्रश्न 10.
यदि 546°C तथा 0.1 bar दाब पर 34.05 ml फॉस्फोरस वाष्प का भार 0.0625 g है, तो फॉस्फोरस का मोलर द्रव्यमान क्या होगा?
हल:
PV = nRT
PV = \(\frac { mRT }{ M }\)
(m = फॉस्फोरस का द्रव्यमान (g) तथा M = फॉस्फोरस का मोलर द्रव्यमान)
या M=\(\frac { mRT }{PV}\)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 4
M = 1250.4g mol-1.

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प्रश्न 11.
एक विद्यार्थी 27°C पर गोल पेंदे के फ्लास्क में अभिक्रिया-मिश्रण डालना भूल गया तथा उस फ्लास्क को ज्वाला पर रख दिया। कुछ समय पश्चात् उसे अपनी भूल का अहसास हुआ। उसने उत्तापमापी की सहायता से फ्लास्क का ताप 477°C पाया।आप बताइए कि वायु का कितना भाग फ्लास्क से बाहर निकला।
हल:
प्रथम विधि –
माना 27°C (T1 = 300K) पर फ्लास्क में हवा का आयतन = Vcm3
प्रश्नानुसार, V1 = Vcm3, V2 = ?, T1= 300K, T2 = 750K
\(\frac { { V }_{ 1 } }{ { T }_{ 1 } } =\quad \frac { { V }_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } } \)
\(\frac { V }{ 300 } =\frac { { V }_{ 2 } }{ 750 } \quad \)
⇒  300V2 = 750V (कुल आयतन)
∴ V2 = 2.5V
बाहर निकला आयतन = 2.5V-V = 1.5V
बाहर निकली वायु का भाग = \(\frac { 1.5V }{ 2.5V }\)= 0.6

द्वितीय विधि –
PV = nRT
nα\(\frac { 1 }{ T }\).
\(\frac { { n }_{ 1 } }{ { n }_{ 2 } } =\frac { T_{ 1 } }{ { T }_{ 2 } } \quad \) = \(\frac { 300 }{ 750 }\).
\(\frac { { n }_{ 1 } }{ { n }_{ 2 } } \) = 0.4
∴ बाहर निकली वायु का भाग = 0.6.

प्रश्न 12.
3.32 bar पर 5 dm3 आयतन घेरने वाली 4.0 mol गैस के ताप की गणना कीजिए। (R = 0.83 bar dm3 mol-1 )
हल:
प्रश्नानुसार, P= 3.32 bar
आयतन, V= 5 dm3
मोलों की संख्या, n = 4 mol
गैस का नियतांक, R= 0.083 bar dm3 K-1 mol
ताप, T = ?
आदर्श गैस का समीकरण, PV = nRT से
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 5
T= 50K.

प्रश्न 13.
1.4 g डाइनाइट्रोजन गैस में उपस्थित कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
हल:
∴ N2 के मोलों की संख्या =\(\frac { m }{ M }\) = \(\frac { 1.4 }{ 28 }\)=0.05
अणुओं की संख्या = 0.05 × 6.02 × 1023 = 3.01 x 1023
अणु नाइट्रोजन के एक अणु में 14 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
अतः कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 14 × 3.01 × 1023 = 42.14 × 1022

प्रश्न 14.
यदि एक सेकंड में 1010 गेहूँ के दाने वितरित किए जाएँ, तो ऐवोगैड्रो-संख्या के बराबर दाने वितरित करने में कितना समय लगेगा?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 6

प्रश्न 15.
27°C ताप पर 1 dm3 आयतन वाले फ्लास्क में 8 ग्राम डाइऑक्सीजन तथा 4 ग्राम डाइहाइड्रोजन के मिश्रण का कुल दाब कितना होगा?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 16
H2 के मोलों की संख्या, \(\qquad { n }_{ { H }_{ 2 } }=\quad \frac { 4 }{ 2 } \) = 2.0mol
कुल मोलों की संख्या = 0.25 + 2.0 = 2.25 mol
प्रश्नानुसार, P = ?, n = 2-25 mol, V = 1 dm3, R = 0.083 bar dm K-1 mol-1
T= 27°C = 273 + 27 = 300K
अतः PV = nRT से,
दाब, P=\(\frac { nRT }{ V } \)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 7
P = 56.025 bar.

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प्रश्न 16.
गुब्बारे के भार तथा विस्थापित वायु के भार के अंतर को ‘पेलोड’ कहते हैं। यदि 27°C पर 10 m त्रिज्या वाले गुब्बारे में 1.66 bar पर 100kg हीलियम भरी जाए, तो पेलोड की गणना कीजिए। (वायु का घनत्व = 1.2 kg m’ तथा R = 0.083 bar dm3 K-1mol-1)
हल:
प्रथम गणना-विस्थापित वायु के भार के लिए
गुब्बारे की त्रिज्या (r) = 10 m, d = 1.2 kg m-3
गुब्बारे का आयतन (V) = \(\frac { 4 }{ 3 }\) πr3 = \(\frac { 4 }{ 3 }\) × \(\frac { 22 }{ 7 }\) × = (10)3
= 4190.5 m3
अतः विस्थापित वायु का भार = गुब्बारे की वायु का आयतन × वायु का घनत्व
= 4190.5 × 1-2 = 5028.6 kg
द्वितीय गणना – गुब्बारे में भरी He का द्रव्यमान
He के मोलों की संख्या (n) = \(\frac { PV }{RT }\).
∴ P = 1.66 bar, V = 4190.5 × 103 dm3, R = 0.083 bar dm3 K-1‘mol-1, T = 300K
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 8
= 279.37 ×103
अतः भरे गुब्बारे का भार = 100 + 1117.48 = 1217.48 kg
तृतीय गणना – पेलोड का भार = विस्थापित द्रव्यमान-भरे गुब्बारे का भार
= 5028.6 – 1217.8
= 3811.8 kg.

प्रश्न 17.
31.1 C तथा 1 bar दाब पर 8.8 ग्राम CO2 द्वारा घेरे गए आयतन की गणना कीजिए। (R = 0.083 bar L mol-1)
हल:
सूत्र,
PV = nRT से,
PV = \(\frac { m }{ M }\)RT
प्रश्नानुसार, P= 1 bar, V = ?, m = 8.8g. M= 44g mol-1 (CO2)
R = 0.083 bar LK-1 mol-1 तथा T= 31.1°C = 273 + 31.1
= 304.1 K
t =-273°C पर,
vt = v0 [1-\(\frac { 273 }{ 273 }\)] = 0
अर्थात् – 273°C पर गैस का आयतन शून्य हो जायेगा तथा गैसों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा।
8.8 g CO2द्वारा घेरा गया आयतन,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 35
V=5.048 L.

प्रश्न 18.
समानदाब पर किसी गैस के 2.9g द्रव्यमान का 95°C तथा 0.184g डाइहाइड्रोजन का 17°C का आयतन समान है। बताइए कि गैसों का मोलर द्रव्यमान क्या होगा?
हल:
समी. PV=\(\frac { m }{Ml }\)RT
गैस के लिए, m = 2.9, T = 273 + 95 = 368K, M = ?
PV = \(\frac { 2.9 }{M }\) × R × 368 ………….(i)
एवं हाइड्रोजन के लिए, m = 0.184g, T = 273 + 17 = 290, M = 2
PV = \(\frac { 0.184 }{ 2}\) × R × 290 ………….(ii)
समी. (i) एवं (ii) से,
\(\frac { 2.9 }{M }\) × R × 368 = \(\frac { 0.184 }{ 2}\) × R × 290
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 36

प्रश्न 19.
एक bar दाब पर डाइहाइड्रोजन तथा डाइऑक्सीजन के मिश्रण में 20% डाइहाइड्रोजन (भार से) रखा जाता है, तो डाइहाइड्रोजन का आंशिक दाब क्या होगा?
हल:
∴ H2 तथा O2 के मिश्रण में भारानुसार 20% H2 है।
अतः WH2 = 20 g एवं WO2 = 80g
nH2 = \(\frac {20 }{ 2}\) = 10 moles
WO2 = \(\frac {80 }{ 32}\) = 2.5 moles
PH2= XH2 × Ptotla,
PH2 = \(\frac {10 }{ 10 + 2.5}\) × 1 = 0.8bar
Ptotla = 1bar

प्रश्न 20.
PV2T2/n राशि के लिए SI इकाई क्या होगी?
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 34

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प्रश्न 21.
चार्ल्स के नियम के आधार पर समझाइए कि न्यूनतम संभव ताप -273°C होता है।
उत्तर:
चार्ल्स के नियमानुसार,
Vt = V0(1+\(\frac {t}{ 273}\))

प्रश्न 22.
कार्बन डाइऑक्साइड तथा मेथेन का क्रांतिक ताप क्रमशः 31.1°C एवं -81.9°C है। इनमें से किसमें प्रबल अंतर आण्विक बल है तथा क्यों ?
उत्तर:
क्रान्तिक ताप का मान उच्च होने पर गैसों को द्रवित करना आसान होता है अर्थात् उनके अणुओं के मध्य अन्तर आण्विक बल उतना ही प्रबल होता है। चूँकि CO2 का क्रान्तिक ताप CH4 से उच्च है अत: CO2 में अन्तर आण्विक आकर्षण बल का मान CH4 से प्रबल होगा।

प्रश्न 23.
वाण्डर वाल्स प्राचल की भौतिक सार्थकता को समझाइए।
उत्तर:
वाण्डर वाल स्थिरांक ‘a’ का मान गैस के अणुओं के अन्तराणुक बल को दर्शाता है जबकि स्थिरांक ‘b’ गैस के अणुओं का प्रभावी आयतन है। ‘a’ और ‘b’ के उच्च मान होने पर गैस को द्रवित करना आसान होता है।

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द्रव्य की अवस्थाएँ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

द्रव्य की अवस्थाएँ वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
गैस के घनत्व और विसरण की दर के बीच सम्बन्ध स्थापित किया था –
(a) बॉयल ने
(b) चार्ल्स ने
(c) ग्राम ने
(d) ऐवोगैड्रो ने।
उत्तर:
(c) ग्राम ने

प्रश्न 2.
R का कैलोरी में लगभग मान है –
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4. 3.
उत्तर:
(b) 2

प्रश्न 3.
परम ताप है –
(a) 0°C
(b) -100°C
(c) -273°C
(d) -373°C.
उत्तर:
(c) -273°C

प्रश्न 4.
गैसों का सामान्य समीकरण प्राप्त करने के लिये किन दो नियमों को संयुक्त किया गया है –
(a) चार्ल्स का नियम और डॉल्टन का नियम
(b) ग्राम का नियम और डॉल्टन का नियम
(c) बॉयल का नियम और चार्ल्स का नियम
(d) ऐवोगैड्रो का नियम और डॉल्टन का नियम।
उत्तर:
(c) बॉयल का नियम और चार्ल्स का नियम

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प्रश्न 5.
स्थिर आयतन पर एक-अणुक गैस का दाब निर्भर करता है –
(a) पात्र की दीवार की मोटाई पर
(b) परम ताप पर
(c) तत्व के परमाणु-क्रमांक पर
(d) संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर।
उत्तर:
(b) परम ताप पर

प्रश्न 6.
वास्तविक गैसों का व्यवहार आदर्श गैस के व्यवहार के अधिक समीप होता है यदि –
(a) ताप कम हो
(b) दाब अधिक हो
(c) दाब कम तथा ताप अधिक हो
(d) गैस मोनोएटॉमिक हो।
उत्तर:
(c) दाब कम तथा ताप अधिक हो

प्रश्न 7.
अधिक ऊँचे स्थानों पर जल कम ताप पर उबलने लगता है क्योंकि –
(a) वहाँ पर वायुमण्डलीय दाब कम होता है
(b) वहाँ पर वायुमण्डलीय दाब अधिक होता है
(c) अधिक ऊँचाई पर जल का हाइड्रोजन बन्ध अधिक प्रबल हो जाता है
(d) जल-वाष्प, जल-द्रव से हल्का होता है।
उत्तर:
(a) वहाँ पर वायुमण्डलीय दाब कम होता है

प्रश्न 8.
दो गैसों A तथा B के आण्विक द्रव्यमान क्रमशः 16 और 64 हैं। A और B के विसरण की दरों का अनुपात होगा
(a) 1:4
(b) 4 : 1
(c) 2 : 1
(d) 1 : 2.
उत्तर:
(c) 2 : 1

प्रश्न 9.
उच्च दाब पर गैसें आदर्श व्यवहार से विचलित हो जाती हैं क्योंकि –
(a) उच्च दाब पर अणुओं के संघट्टों (Collisions) की संख्या बढ़ जाती है
(b) उच्च दाब पर अणुओं के मध्य आकर्षण बढ़ जाता है
(c) उच्च दाब पर अणुओं का आकार छोटा हो जाता है
(d) उच्च दाब पर अणु स्थिर हो जाते हैं।
उत्तर:
(b) उच्च दाब पर अणुओं के मध्य आकर्षण बढ़ जाता है

प्रश्न 10.
एक गैस X की तुलना में मेथेन की विसरण की दर दुगुनी है।x का अणु भार है’ –
(a) 64
(b) 32.0
(c) 4.0
(d) 8.0.
उत्तर:
(a) 64

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प्रश्न 11.
वाण्डर वॉल्स समीकरण का वह पद जो वास्तविक गैसों के अन्तराणुक बल का निरूपण करता है –
(a) (V-b)
(b) RT
(c) (P + \(\frac { a }{ { v }^{ 2 } } \))
(d) (RT)-1.
उत्तर:
(c) (P + \(\frac { a }{ { v }^{ 2 } } \))

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –

  1. गैसों के अणुगतिक सिद्धान्त के अनुसार किसी गैस की औसत गतिज ऊर्जा उसके …………. ताप के समानुपाती होती है।
  2. किसी गैस के एक मोल की गतिज ऊर्जा ………….. के बराबर होती है।
  3. वर्ग माध्य मूल वेग होता है ………………।
  4. औसत वेग = …………. x ………………. के बराबर होता है।
  5. अणुगतिक समीकरण का सूत्र है …………….।

उत्तर:

  1. परम
  2. 3/2 RT,
  3. \(\sqrt { \frac { 3PV }{ m } } \) या \(\sqrt { \frac { 3RT }{ m } } \)
  4. 0.921, वर्ग माध्य मूल वेग,
  5. PV = \(\frac { 1 }{ 3 }\) mnv2

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प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 33
उत्तर:

  1. (f) आयनिक क्रिस्टल
  2. (a) आणविक क्रिस्टल
  3. (b) सहसंयोजी क्रिस्टल
  4. (e) अक्रिस्टलीय क्रिस्टल
  5. (d) आणविक क्रिस्टल
  6. (c) धात्विक क्रिस्टल

प्रश्न 4.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. किसी द्रव के बहाव में उत्पन्न प्रतिरोध को क्या कहते हैं?
  2. पृष्ठ तनाव का मात्रक है।
  3. दाब का SI मात्रक लिखिए।
  4. गैस के घनत्व एवं विसरण दर के बीच सम्बन्ध दर्शाने वाले वैज्ञानिक का नाम है।
  5. SI इकाई में गैस स्थिरांक का मान होता है।
  6. 1 पास्कल का मान बराबर होता है।

उत्तर:

  1. श्यानता
  2. डाइन प्रति सेमी
  3. पास्कल
  4. ग्राम
  5. 8.314 JK-1 mo-1
  6. 1Nm2

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द्रव्य की अवस्थाएँ अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी गैस का दाब किसे कहते हैं ?
उत्तर:
गैस को जिस पात्र में रखा जाता है, उसके अणु पात्र की दीवार से टकराते हैं। इस टकराव के कारण गैस पात्र की दीवार पर दाब उत्पन्न करते हैं, “प्रति इकाई क्षेत्रफल पर कार्य करने वाला बल दाब कहलाता है।”
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 9
दाब का S.I. मात्रक न्यूटन/वर्ग मीटर है, इसे पास्कल भी कहते हैं।

प्रश्न 2.
वायुमण्डलीय दाब से क्या समझते हो?
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर वायु का लगभग 800 km मोटाई का आवरण है। यह वायु पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी की सतह की ओर खिंचती है जिसके कारण पृथ्वी की सतह पर एक दाब उत्पन्न होता है जिसे वायुमण्डलीय दाब कहते हैं तथा एक वायुमण्डलीय दाब उस दाब के बराबर होता है। 760 mm पारा 0°C तथा मानक गुरुत्व जनित्र त्वरण पर डालता है।

प्रश्न 3.
अक्रिस्टलीय ठोस किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वे ठोस जिनमें अवयवी कणों की कोई क्रमबद्ध संरचना नहीं होती इसलिये इनकी कोई एक निश्चित ज्यामिति संरचना नहीं होती है। इन्हें अक्रिस्टलीय ठोस कहते हैं। इन्हें आभासी ठोस भी कहते हैं। ये वास्तव में अतिशीतित द्रव होते हैं।

प्रश्न 4.
आयनिक क्रिस्टल किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
वे क्रिस्टलीय ठोस जिनमें अवयवी कण धनावेशित तथा ऋणावेशित आयन होते हैं। ये आयन संपूर्ण क्रिस्टल में निश्चित क्रम में व्यवस्थित होते हैं तथा इन आयनों के मध्य प्रबल स्थिर वैद्युत आकर्षण बल होता है। उदाहरण-Li, NaCl, ZnS इत्यादि।

प्रश्न 5.
सहसंयोजी क्रिस्टल को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
वे क्रिस्टलीय ठोस जिनमें अवयवी कण परमाणु होते हैं तथा आपस में सहसंयोजी बंध द्वारा जुड़े रहते हैं। ये विद्युत् के कुचालक होते हैं तथा इनके गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होते हैं। उदाहरण-डायमंड, सिलिका, सिलिकॉन कार्बाइड।

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प्रश्न 6.
आण्विक क्रिस्टल किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
इनमें अवयवी कण अणु होते हैं। इनके मध्य दुर्बल वाण्डर वाल्स आकर्षण बल होता है। इनके mm.p. तथा b.p. निम्न होते हैं, ये क्रिस्टल नर्म होते हैं। उदाहरण-शुष्क बर्फ, बर्फ, आयोडीन।

प्रश्न 7.
गैसों के अणुगतिक सिद्धांत के एक अभिगृहित के अनुसार, ‘गैस के अणुओं के मध्य कोई आकर्षण बल नहीं होता है।’ यह कथन कितना सत्य है ? क्या आदर्श गैस को द्रवीकृत करना सम्भव है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह कथन केवल आदर्श गैसों के लिए सत्य है। किसी आदर्श गैस को द्रवीकृत करना सम्भव नहीं है क्योंकि आदर्श गैस के अणुओं के बीच अंतर-आण्विक आकर्षण बल नहीं पाया जाता है।

प्रश्न 8.
धात्विक क्रिस्टल को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
इनमें अवयवी कण धनात्मक धात्विक आयन होते हैं। ये धातु आयन गतिशील इलेक्ट्रॉनों के मंडल में बिखरे रहते हैं तथा अवयवी कणों के मध्य धात्विक बंध होता है। ये विद्युत् के सुचालक होते हैं तथा इनके घनत्व उच्च होते हैं। उदाहरण-Cu, Zn, Fe, Ni इत्यादि।

प्रश्न 9.
विषम दैशिकता तथा सम दैशिकता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
क्रिस्टलीय ठोस में विभिन्न दिशाओं में उनके भौतिक गुण जैसे-विद्युत् चालकता, अपवर्तनांक, तापीय प्रसार आदि में अंतर होता है, ऐसे पदार्थ विषम दैशिक कहलाते हैं तथा इस गुण को विषम दैशिकता कहते हैं। इसके विपरीत अक्रिस्टलीय ठोस में सभी दिशाओं में उनके भौतिक गुणों में समानता होती है, ऐसे पदार्थ सम दैशिक कहलाते हैं तथा इस गुण को सम दैशिकता कहते हैं।

प्रश्न 10.
परम शून्य ताप की परिभाषा लिखकर इसका मान सेन्टीग्रेड पैमाने पर बताइये।
उत्तर:
वह काल्पनिक ताप जिस पर किसी गैस का आयतन शून्य हो जाता है, परम शून्य ताप कहलाता है। सेन्टीग्रेड पैमाने पर यह मान -273°C होता है। इस शून्य से जो ताप नापा जाता है उसे परम ताप कहते हैं, इसे केल्विन से दर्शाया जाता है। 0°C = 273 K 0°C ताप को परम ताप में बदलने के लिये उसमें 273 जोड़ दिया जाता है।

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प्रश्न 11.
क्रिस्टल की इकाई कोशिका से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी क्रिस्टल में उसके संघटक कणों जैसे-परमाणु, अणु या आयनों के क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित रहने पर जो सूक्ष्मतम इकाई बनती है। उसे क्रिस्टल की इकाई कोशिका या Unit cell कहते हैं।

प्रश्न 12.
क्रिस्टल जालक क्या है ?
उत्तर:
किसी क्रिस्टल की वह ज्यामिति जिसमें इकाई कोशिकाएँ क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित होकर एक बड़ी तथा इकाई कोशिका की आकृति के समरूप क्रिस्टल बनाती हैं तो उसे क्रिस्टल जालक कहते हैं।

प्रश्न 13.
मौसम अध्ययन के लिये छोड़े गये गुब्बारे के ऊपर उठने पर उसका आयतन कैसे बदलता है?
उत्तर:
गुब्बारा जैसे-जैसे ऊपर उठता है वायुमण्डलीय दाब में कमी आती है। लेकिन दाब घटने से गुब्बारे के अंदर का दाब अधिक हो जाता है जिससे उसका आयतन बढ़ने लगता है।

प्रश्न 14.
शीत ऋतु में झील में बर्फ की पर्त जम जाती है लेकिन उसमें उपस्थित मछली तथा जीवजन्तु जीवित रहते हैं, क्यों?
उत्तर:
जल का अधिकतम घनत्व 4°C ताप पर होता है किन्तु 4°C से कम ताप पर घनत्व कम होता है। जब झील का ताप गिरता है तो ऊपर के पृष्ठ का जल अधिक सघन हो जाता है और वह नीचे चला जाता है। यह क्रम तब तक चलता रहता है जब तक कि ताप 4°C तक नहीं पहुँच जाता है। पृष्ठ का ताप यदि 4°C से कम हो तो जल ऊपर की सतह पर ही रहता है और धीरे-धीरे बर्फ में बदल जाता है जबकि नीचे का जल अधिक घनत्व के कारण नीचे ही रहता है और द्रव अवस्था में ही रहता है इसलिये जीव जन्तु तथा मछली इसमें जीवित रहते हैं।

प्रश्न 15.
द्रव अवस्था में HF अणुओं में उपस्थित दो अंतर-अणुक बलों का नाम लिखिए।
उत्तर:
HF ध्रुवीय सहसंयोजी अणु है। द्रव अवस्था में, इनमें अंतर-अणुक द्विध्रुव-द्विध्रुव आघूर्ण तथा H-आबंध उपस्थित होते हैं।

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प्रश्न 16.
पूर्णतः प्रत्यास्थ टक्कर से क्या समझते हो ?
उत्तर:
गैस के अणु सभी दिशाओं में अनियमित रूप से या जिग-जैग गति करते रहते हैं तथा इस गति के दौरान ये अणु आपस में तथा पात्र की दीवार से टकराते रहते हैं। इन टक्करों के दौरान केवल इनकी दिशा में परिवर्तन होता है लेकिन इनकी गतिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है इसलिये इन टक्करों को पूर्णतः प्रत्यास्थ टक्कर कहते हैं।

प्रश्न 17.
ठण्डी गैस की तुलना में गर्म गैस का घनत्व कम क्यों होता है ?
उत्तर:
चार्ल्स के नियमानुसार किसी गैस की निश्चित द्रव्यमान का आयतन उसके परम ताप के समानुपाती होता है। अतः ताप में वृद्धि करने से आयतन में वृद्धि होती है लेकिन आयतन में वृद्धि होने से घनत्व में कमी आती है। इसलिये गर्म गैस का घनत्व ठण्डी गैस की तुलना में कम होता है।

प्रश्न 18.
ऊँचे पहाड़ों पर जाने से जी मिचलाता है तथा साँस लेने में परेशानी होती है, क्यों?
उत्तर:
ऊँचे पहाड़ों पर वायुमण्डलीय दाब में कमी आती है जिससे वायु विरल हो जाती है जिसके कारण वायुमण्डल में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसलिये जी मिचलाना व साँस लेने में परेशानी का अनुभव होता है।

प्रश्न 19.
क्रान्तिक ताप किसे कहते हैं ?
उत्तर:
क्रान्तिक ताप वह ताप है जिस पर किसी गैस को द्रवित कराया जा सकता है परन्तु इस ताप के ऊपर गैस को उच्च दाब लगाने पर भी द्रवित नहीं कराया जा सकता, इसे TC से दर्शाते हैं। उदाहरण – CO2 का क्रान्तिक ताप 31.1°C है।

प्रश्न 20.
क्रान्तिक दाब तथा क्रान्तिक आयतन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
क्रान्तिक ताप पर किसी गैस को द्रवित कराने के लिये दाब के जिस मान की आवश्यकता होती है उसे क्रान्तिक दाब कहते हैं, इसे Pcसे दर्शाते हैं। क्रान्तिक ताप व क्रान्तिक दाब पर किसी गैस के एक अणु के आयतन को उसका क्रान्तिक आयतन कहते हैं, इसे V. से दर्शाते हैं।

प्रश्न 21.
स्वचालित वाहनों के टायर में ठण्ड की अपेक्षा गर्मी में कम वायु भरी जाती है, क्यों?
उत्तर:
जब स्वचालित वाहन गतिशील अवस्था में होता है तो टायर एवं सड़क के बीच घर्षण के कारण टायर का ताप बढ़ने लगता है जिससे टायर के अंदर भरी वायु के आयतन में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप टायर पर लगने वाले दाब में भी वृद्धि होती है। गर्मी में ताप में भी वृद्धि होती है, जिससे दाब में भी अधिक वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप टायर के फटने की संभावना अधिक रहती है।

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प्रश्न 22.
PVT In के लिए SI इकाई क्या होगी?
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 10

प्रश्न 23.
चार्ल्स के नियम के आधार पर समझाइए कि न्यूनतम संभव ताप -273°C होता है।
उत्तर:
चार्ल्स के नियमानुसार,
t = -273°C पर
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 11
अत: -273°C पर, गैस का आयतन शून्य हो जाएगा तथा इससे कम ताप पर, आयतन का मान ऋणात्मक होगा जो कि अर्थहीन है।

प्रश्न 24.
बॉयल, चार्ल्स तथा एवोगैड्रो नियम का पालन करने वाली गैस को आदर्श गैस कहते हैं। किन दशाओं में वास्तविक गैस, आदर्श गैस की भाँति व्यवहार करती है ?
उत्तर:
निम्न दाब तथा उच्च ताप पर, वास्तविक गैस आदर्श गैस की भाँति व्यवहार करती है।

प्रश्न 25.
वाष्पन और क्वथन में अंतर लिखिए।
उत्तर:
वाष्पन और क्वथन में अंतर –
वाष्पन:

  • वाष्पन स्वतः होता है तथा सभी तापों पर होता है।
  • वाष्पन पृष्ठीय घटना है।
  • वाष्पन मंद प्रक्रम है।

क्वथन:

  • क्वथन तभी होता है जब द्रव का वाष्प। दाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर होता है।
  • क्वथन संपूर्ण द्रव की घटना है।
  • क्वथन तीव्र प्रक्रम है।

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प्रश्न 26.
सम्पीड्यता गुणांक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
निश्चित ताप और दाब पर किसी गैस के प्रेक्षित आयतन तथा अवलोकित आयतन (गणना से प्राप्त आयतन) का अनुपात सम्पीड्यता गुणांक कहलाता है, इसे Z से दर्शाते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 12
आदर्श गैस के लिये Z = 1 होता है।

प्रश्न 27.
दाब बढ़ने पर बर्फ के गलनांक में क्या परिवर्तन होता है ?
उत्तर:
दाब के बढ़ने पर अणुओं की गतिज ऊर्जा में अत्यधिक वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप कम तापक्रम पर ही अणुओं की गतिज ऊर्जा होने के कारण वे स्वतंत्र रूप से गति करने लगते हैं अर्थात् दाब में वृद्धि करने पर बर्फ अपने गलनांक से निम्न ताप पर ही द्रव में परिवर्तित होने लगता है।

प्रश्न 28.
समान ताप पर ईथर तथा पानी अलग-अलग हाथ पर डाले जाते हैं तो ईथर अधिक ठण्डा लगता है, क्यों?
उत्तर
ईथर में उसके अणुओं के मध्य लगने वाला अंतर-अणुक आकर्षण बल जल की तुलना में कम है इसलिये ईथर जल की तुलना में शीघ्रता से वाष्पित होता है तथा वह वाष्पन के लिये आवश्यक ऊर्जा हाथ से ग्रहण करता है इसलिये ईथर ठण्डा लगता है।

प्रश्न 29.
द्रवों में विसरण की दर मंद होती है, क्यों?
उत्तर:
द्रव में अणुओं के मध्य अंतरअणुक आकर्षण बल गैस की तुलना में अधिक होता है तथा इसके अणु एक-दूसरे के साथ इस अंतरअणुक आकर्षण बल के द्वारा गैस की तुलना में दृढ़ता से बँधे रहते हैं । इसलिये द्रव के अणु गैस के अणुओं के समान स्वतंत्र रूप से गति नहीं कर सकते इसलिये द्रव में विसरण की दर गैस की तुलना में मंद होती है।

प्रश्न 30.
गैस में प्रसार असीमित होता है, क्यों?
उत्तर:
गैस के अणुओं के मध्य अंतरअणुक आकर्षण बल नगण्य होता है, इसलिये गैस के अणु सभी दिशाओं में स्वतंत्र रूप से अनियमित रूप से गति करते रहते हैं। इनका कोई निश्चित आकार या आयतन नहीं होता है, जिसके कारण गैसों को जिस भी पात्र में रखा जाता है गैस के अणु फैलकर पात्र के बराबर आकार व आयतन ग्रहण कर लेते हैं।

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द्रव्य की अवस्थाएँ लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्रिस्टलीय ठोस की प्रमुख विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:

  • इनकी संरचना एक निश्चित ज्यामिति वाली होती है।
  • इनकी आंतरिक संरचना में भी कणों का एक निश्चित क्रम रहता है।
  • इनके गलनांक स्पष्ट तथा निश्चित होते हैं।
  • ये कम ऊर्जा वाले होते हैं।
  • ये विषम दैशिकता दर्शाते हैं।
  • अवयवी कणों के मध्य दुर्बल वाण्डर वाल्स, आकर्षण बल या स्थिर वैद्युत आकर्षण बल होता है।

प्रश्न 2.
S.T.P. व N.T.P. से क्या समझते हो?
उत्तर:
गैस की निश्चित मात्रा का आयतन, ताप व दाब के साथ परिवर्तित होता है अर्थात् गैसों के गुण ताप तथा दाब पर निर्भर करते हैं इसलिये विभिन्न गैस के गुणों की तुलना एक निश्चित ताप एवं दाब पर की जा सकती है। इसके लिये 0°C (273 K) ताप तथा एक वायुमण्डलीय दाब (760 mm) को चुना गया है जिसे सामान्य ताप व दाब या N.T.P. कहते हैं N.T.P. पर एक मोल गैस का आयतन 224 लिटर होता है तथा 25°C (298 K) ताप तथा 1 वायुमण्डलीय दाब (760 mm) या 1 बार दाब को मानक ताप व दाब कहते हैं। S.T.P. पर एक मोल गैस का आयतन 22-4 लीटर होता है।

प्रश्न 3.
किसी गैस के संपीड्यता गुणांक Z का मान निम्न होता है –
\(Z=\frac { PV }{ nRT } \)

  1. आदर्श गैस के लिए Z का मान क्या होता है ?
  2. वास्तविक गैस के लिए बॉयल तापमान के ऊपर Z के मान पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

उत्तर:

  1. आदर्श गैस के लिए, संपीड्यता गुणांक, Z = 1.
  2. बॉयल तापमान से ऊपर, वास्तविक गैसें धनात्मक विचलन प्रदर्शित करती हैं। अत: Z>1.

प्रश्न 4.
आदर्श गैसों के लिए P, V तथा T में संबंध हेतु वाण्डर वाल्स समीकरण निम्न है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 13
जहाँ, a तथा b वाण्डर वाल्स नियतांक है। nb गैस के अणुओं के कुल आयतन के लगभग बराबर हैं। a अंतराण्विक आकर्षण बलों के परिणाम की माप है।

  1. निम्नलिखित गैसों को b के बढ़ते हुए क्रम में लिखिए। कारण भी दीजिए।
    O2,CO2, H2, He
  2. निम्नलिखित गैसों के a के परिणाम के घटते हुए क्रम में लिखिए। कारण भी दीजिए।
    CH4, O2, H2

उत्तर:
1. गैस के अणुओं का मोलर आयतन अणुओं का आकार तथा वाण्डर वाल्स नियतांक ‘b’ गैस के अणुओं का मोलर आयतन प्रदर्शित करता है। अतः ‘b’ का बढ़ता हुआ क्रम निम्न है –
H2 < He<O2<CO2     

2. वाण्डर वाल्स नियतांक ‘a’ अंतराण्विक बलों के परिमाण की माप है। किसी अणु में इलेक्ट्रॉन मेघ का आकार बढ़ने के साथ-साथ अंतराण्विक आकर्षण बलों का परिमाण भी बढ़ता है। अतः दी गयी गैसों के लिए ‘a’ का परिणाम निम्न क्रम में घटेगा –
CH4 > O2> H2
इलेक्ट्रॉन मेघ का आकार जितना बड़ा होगा, अणु की ध्रुवण क्षमता उतनी ही अधिक होगी जिसके फलस्वरूप प्रकीर्णन बल अथवा लंदन बल उतना ही अधिक होगा।

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प्रश्न 5.
बॉयल का नियम क्या है ? इसका गणितीय व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
इस नियम के अनुसार, “स्थिर ताप पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन (V) उसके दाब (P) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।”
Pα – \(\frac { 1 }{ V }\)(स्थिर ताप पर)
P= स्थिरांक × \(\frac { 1 }{ V }\)
⇒ PV = स्थिरांक
अतः स्थिर ताप पर किसी गैस की निश्चित मात्रा के आयतन तथा दाब का गुणनफल सदैव एक स्थिरांक होता है।
प्रारंभिक स्थिति में,
P1V1 = K. ………(1)
अंतिम स्थिति में,
P2V2 = K ………(2)
समीकरण (1) और (2) से,
P1V1 = P2V2

प्रश्न 6.
गैस स्थिरांक R की प्रकृति क्या है ?
उत्तर:
सूत्र
PV = nRT से,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 15
अर्थात् R को ऊर्जा प्रति डिग्री प्रति मोल के द्वारा दर्शाया जाता है।

प्रश्न 7.
चार्ल्स का स्थिर दाब का नियम लिखते हुए समीकरण\(\frac { { V }_{ 1 } }{ { V }_{ 2 } } =\frac { { T }_{ 1 } }{ { T }_{ 2 } } \) व्युत्पन्न कीजिये।
उत्तर:
चार्ल्स का नियम-इस नियम के अनुसार “स्थिर दाब पर निश्चित द्रव्यमान की गैस का आयतन परम ताप के समानुपाती होता है।”
Vα T (स्थिर दाब पर)
V= स्थिरांक × T
\(\frac { V }{ T }\) = स्थिरांक
यदि प्रारम्भिक स्थिति में स्थिर दाब पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन V1 तथा ताप T1 है तो
\(\frac { { V }_{ 1 } }{ { T }_{ 1 } }\) = K ……..(1)
यदि अंतिम स्थिति में आयतन V2 तथा ताप T2 है तो
\(\frac { { V }_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } }\) = K …….(2)

समीकरण (1) और (2) से,
\(\frac { { V }_{ 1 } }{ { V }_{ 2 } } =\frac { { T }_{ 1 } }{ { T }_{ 2 } } \)

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प्रश्न 8.
चार्ल्स के नियम के आधार पर परम शून्य की धारणा को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
चार्ल्स का नियम:
इस नियम के अनुसार, “स्थिर दाब पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन ताप के 1°C बढ़ने या घटने पर अपने 0°C वाले आयतन \(\frac { 1 }{ 273 }\) वाँ भाग से क्रमश: बढ़ता या घटता है।
यदि 0°C ताप पर किसी गैस का आयतन = V0घन सेमी
1°C ताप पर किसी गैस का आयतन = V0 [1+\(\frac { 1 }{ 273 }\)]
t°C ताप पर किसी गैस का आयतन = v0 [1+\(\frac { t }{ 273 }\)]
-1°C ताप पर किसी गैस का आयतन = v0 [1- \(\frac { 1 }{ 273 }\)]
-t°C ताप पर किसी गैस का आयतन = v0 [1- \(\frac { t }{ 273 }\)]
-273°C ताप पर किसी गैस का आयतन = v0 [1 – \(\frac { 273 }{ 273 }\)]

सि का आयतन = – 273°C चार्ल्स के नियम से स्पष्ट है कि ताप में कमी करने से आयतन में कमी आती है तथा -273°C ताप पर किसी भी गैस का आयतन शून्य हो जाता है। यह न्यूनतम ताप, जिस पर किसी भी गैस का आयतन शून्य हो जाता है, परम ताप कहलाता है तथा इस परम शून्य ताप पर आधारित स्केल को केल्विन स्केल कहते हैं तथा इसे T से दर्शाते हैं।

प्रश्न 9.
गे-लुसाक का नियम क्या है ?
उत्तर:
गे-लुसाक का निय:
इस नियम के अनुसार, “किसी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन स्थिर रखने पर उसका दाब परम ताप के समानुपाती होता है।”
P α T
P= K × T
\(\frac { P }{ T }\) = K
यदि प्रारम्भिक स्थिति में दाब P1 तथा ताप T1 है तो
\(\frac { { P }_{ 1 } }{ { T }_{ 1 } }\) = K ……..(1)

T इसी प्रकार अंतिम स्थिति में दाब P2 तथा ताप T2 है तो
\(\frac { { P}_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } }\) = K …….(2)
समी. (1) और (2) से,
\(\frac { { P }_{ 1 } }{ { T }_{ 1 } } =\frac { { P }_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } } \)

प्रश्न 10.
एवोगैड्रो का नियम क्या है ?
उत्तर:
इस नियम के अनुसार-“स्थिर ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।”
यदि स्थिर ताप और दाब पर किसी गैस का आयतन v है तो अणुओं की संख्या को एवोगेड्रो संख्या N से दर्शाते हैं।
V α N ………..(1)
स्थिर ताप और दाब पर गैस के मोलों की संख्या n अणुओं की संख्या N के समानुपाती होती है।
N α n
समीकरण (1) से,
V α n
⇒ \(\frac { V }{ n }\) = स्थिरांक
यदि प्रारम्भिक स्थिति में आयतन V1 तथा मोलों की संख्या n1 है तो
\(\frac { { V }_{ 1 } }{ { n }_{ 1 } }\) = स्थिरांक ………..(2)
अंतिम स्थिति में आयतन V2 तथा मोलों की संख्या n2 है तो
\(\frac { { V }_{ 2 } }{ { n }_{ 2 } }\) = स्थिरांक ………..(3)
समीकरण (2) और (3) से,
\(\frac { { V }_{ 1 } }{ { n }_{ 1 } }\) = \(\frac { { V }_{ 2 } }{ { n }_{ 2 } }\)

प्रश्न 11.
गैस समीकरण PV =nRT की स्थापना कीजिये तथा R का मान दो विभिन्न इकाइयों में लिखिए।
अथवा,
आदर्श गैस समीकरण क्या है ? इसकी स्थापना कीजिये।
उत्तर:
यदि गैस की एक निश्चित मात्रा के लिये बॉयल, एवोगैड्रो तथा चार्ल्स नियम का योग करने पर . इनके मध्य एक संबंध स्थापित हो जाता है इसे गैस समीकरण कहते हैं।
बॉयल के नियमानुसार,
V α \(\frac { 1 }{ P }\) (स्थिर ताप पर) ………..(1)
चार्ल्स के नियमानुसार,
V α T (स्थिर दाब पर) ………..(2)
एवोगैड्रो के नियमानुसार,
V α n (स्थिर ताप एवं दाब पर) ………..(3)
समीकरण (1), (2) और (3) से,
V α \(\frac { nT }{ P }\)
V = \(\frac { nRT }{ P }\)
PV = nRT
जहाँ R एक गैस स्थिरांक है।
यदि n = 1 तो PV= RT
\(\frac { PV }{ T }\) = R
यदि प्रारम्भिक स्थिति में दाब P1, आयतन V1, तथा ताप T1, है, तो
\(\frac { { P }_{ 1 }{ V }_{ 1 } }{ { T }_{ 1 } } \) = R ………..(4)
यदि अंतिम स्थिति में दोब P2, आयतन V2 तथा ताप T2, है, तो
\(\frac { { P }_{ 2 }{ V }_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } } \) = R ………..(5)
समीकरण (4) और (5) से,
\(\frac { { P }_{ 1 }{ V }_{ 1 } }{ { T }_{ 1 } } \) = \(\frac { { P }_{ 2 }{ V }_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } } \)

R का मान विभिन्न इकाइयों में –

  • 0.0821 Litre atm K-1 mol-1
  • 8.314 joule K-1 mol-1

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प्रश्न 12.
एवोगैडो की परिकल्पना क्या है ? इसकी सहायता से कैसे सिद्ध करोगे कि 1 मोल गैस . का N.T.P. पर आयतन 22.4 लीटर होता है ?
उत्तर:
एवोगैड्रो का नियम:
“स्थिर ताप एवं दाब पर विभिन्न गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।”
V α n
संबंध –
माना गैस का अणुभार M है तो इसका ग्राम अणुभार M ग्राम है।

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 18

1 लीटर गैस का N.T.P पर द्रव्यमान =\(\frac { M ×0.09 }{2.016 }\) = \(\frac { M }{22.4 }\) gm
22.4 लीटर गैस का N.T.P. पर द्रव्यमान = \(\frac { M }{22.4 }\) × 22.4
M gm = 1 मोल
अत: गैस का 1 मोल = 22.4 लीटर।

प्रश्न 13.
किसी द्रव के ताप में वृद्धि का, अणुओं के मध्य लगने वाले अंतर-आण्विक बलों पर क्या प्रभाव पड़ता है ? किसी द्रव के ताप में वृद्धि का इसकी श्यानता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
किसी द्रव का ताप बढ़ाने पर, अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है जिसके कारण अंतराण्विक बलों का मान घट जाता है। अत: द्रव सरलता से बह सकता है जिसके कारण द्रव की श्यानता घट जाती है।

प्रश्न 14.
आदर्श गैस समीकरण की सहायता से किसी गैस का मोलर द्रव्यमान कैसे ज्ञात कर सकते हैं?
उत्तर:
आदर्श गैस समीकरण से,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 19

प्रश्न 15.
एवोगैड्रो नियम की सहायता से अणुभार तथा वाष्य धनत्व में संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 20
⇒ वाष्प घनत्व = \(\frac { 1 }{2 }\) × गैस का आण्विक द्रव्यमान
अत: आण्विक द्रव्यमान = 2 × वाष्प घनत्व।

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प्रश्न 16.
विभिन्न इकाइयों में R के संख्यात्मक मान लिखिये।
उत्तर:
विभिन्न इकाइयों में R के संख्यात्मक मान निम्नलिखित हैं –

  • 0.0821 litre atm K-1 mol-1
  • 8.31 × 10 erg K-1 mol-1
  • 82.05 atm cm K-1 mol -1
  • 8.31 JK-1 mol-1
  • 62.3 litre mm K-1 mol-1
  • 1.99 cal K-1mol-1
  • 8.31 pa dm K-1 mol-1

प्रश्न 17.
गतिज समीकरण से गैस समीकरण व्युत्पन्न कीजिये।
उत्तर:
अणुगति सिद्धान्त की अभिधारणा के अनुसार, अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा गैस के परम ताप के समानुपाती होती है।
औसत गतिज ऊर्जा = \(\frac { 1 }{2 }\)mnv2
\(\frac { 1 }{2 }\)mnv2 α T
⇒ \(\frac { 1 }{2 }\)mnv2 = KT
⇒ \(\frac { 3 }{2 }\) × \(\frac { 1 }{3}\) mnv2 = KT
⇒ \(\frac { 1 }{3}\) mnv2 = \(\frac { 2 }{3 }\) = KT
⇒ PV = \(\frac { 2 }{3 }\) KT [∵\(\frac { 1 }{3}\) mnv2 = PV]
⇒ \(\frac { PV }{T }\) = \(\frac { 2 }{3 }\) K
⇒ \(\frac { PV }{T }\) = R [ ∵\(\frac { 2 }{3 }\) K = स्थिरांक (R)]
⇒ PV = RT

प्रश्न 18.
डॉल्टन का आंशिक दाब का नियम क्या है ?
उत्तर:
आपस में क्रिया न करने वाली गैसों के मिश्रण के दाब के लिये डॉल्टन ने गैसों का आंशिक दाब का नियम प्रतिपादित किया जिसके अनुसार-“एक निश्चित ताप पर किसी निश्चित आयतन वाले पात्र में दो या दो से अधिक अक्रिय गैसों का मिश्रण लिया जाये तो मिश्रण का कुल दाब गैसों के आंशिक दाब के योग के बराबर होता है। यदि गैसों के मिश्रण का संयुक्त दाब P है तथा इसी ताप पर अवयवी गैसों का आंशिक दाब क्रमश: P1P2 तथा P3 हो, तो
P = P1 + P2+ P3.
नियम का उपयोग:
प्रयोगशाला में गैसें प्रायः जल के ऊपर एकत्रित की जाती हैं, जिनमें नमी उपस्थित रहती है। इस नियम के आधार पर शुष्क गैस का दाब = नम गैस का दाब – जल का वाष्प दाब।

प्रश्न 19.
ग्राहम के विसरण नियम को समझाकर लिखिये।
अथवा
गैसों के विसरण की दर तथा आण्विक द्रव्यमान में संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
ग्राहम का विसरण नियम-इस नियम के अनुसार, “स्थिर ताप एवं दाब पर गैसों के विसरण की दर उनके घनत्व के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 21
\(r\alpha \frac { 1 }{ \sqrt { d } } \)
यदि r1 तथा r2 गैसों के विसरण की दर हैं और d1 तथा d2  उनके घनत्व हैं, तो
r1 = K \(\frac { 1 }{ \sqrt { { d }_{ 1 } } } \)
r2 = K \(\frac { 1 }{ \sqrt { { d }_{ 2 } } } \)
\(\frac { { r }_{ 1 } }{ { r }_{ 2 } } \) = \(\frac { \sqrt { { d }_{ 1 } } }{ \sqrt { { d }_{ 2 } } } \)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 22

प्रश्न 20.
किसी आदर्श गैस द्वारा अनुभव किए गए दाब (Pआदर्श) तथा प्रेक्षित दाब (Pवास्तविक) के मध्य निम्न संबंध होता है –
Pआदर्श = Pवास्तविक + \(\frac { a{ n }^{ 2 } }{ { V }^{ 2 } } \)
(i) यदि दाब को Nm-2 में, मोलों की संख्या को mol में तथा आयतन को m3 में लिया जाए तो ‘a’ की इकाई ज्ञात कीजिए।
(ii) यदि दाब को atm में तथा आयतन को dm3 में लिया जाए तो ‘a’ की इकाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(i) a = \(\frac { P{ V }^{ 2 } }{ { n }^{ 2 } } \)
प्रश्नानुसार,
P की इकाई = Nm-2, V की इकाई = m3,n की इकाई = mol
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 23
(ii) प्रश्नानुसार, Pकी इकाई = atm, V की इकाई = dm3, n की इकाई = mol
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 24

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प्रश्न 21.
ग्राहम के विसरण नियम के विभिन्न अनुप्रयोग लिखिये।
उत्तर:

  • गैस का घनत्व तथा अणुभार ज्ञात करने में – यदि एक गैस के विसरण का समय तथा घनत्व ज्ञात हो तथा दूसरी गैस के विसरण का समय ज्ञात हो तो इसकी सहायता से दूसरी गैस का घनत्व तथा अणुभार ज्ञात किया जा सकता है।
  • मार्श गैस सूचक – खान में काम करने वाले व्यक्ति इस सूचक की सहायता से विषैली गैसों के रिसाव से सचेत हो जाते हैं।
  • गैसों के पृथक्करण में – गैसों की विसरण की दर में भिन्नता होने के कारण उन्हें उनके मिश्रण से सरलता से पृथक् किया जा सकता है।
  •  दुर्गन्ध – दुर्गन्ध और विषैली गैस वायु में विसरित होने के कारण पृथक् होती रहती है।

प्रश्न 22.
अणुगति सिद्धान्त के आधार पर डॉल्टन के आंशिक दाब नियम की व्युत्पत्ति कीजिये।
उत्तर:
माना किसी गैस A के n1, अणु जिनका द्रव्यमान m1, ग्राम है, एक पात्र में बंद हो जिसका आयतन v है। तो
PAV = \(\frac { 1 }{ 3 }\) m1n1V1
या  PA = \(\frac { 1 }{ 3 } \frac { { m }_{ 1 }{ n }_{ 1 }{ v }_{ 1 }^{ 2 } }{ V } \)
इसी प्रकार, PB = \(\frac { 1 }{ 3 } \frac { { m }_{ 2 }{ n }_{ 2 }{ v }_{ 2 }^{ 2 } }{ V } \)
यदि दोनों गैसों को उसी ताप पर उसी पात्र में बंद कर दिया जाये तो मिश्रण का दाब
P = \(\frac { 1 }{ 3 } \frac { { m }_{ 2 }{ n }_{ 2 }{ v }_{ 2 }^{ 2 } }{ V } \) + \(\frac { 1 }{ 3 } \frac { { m }_{ 2 }{ n }_{ 2 }{ v }_{ 2 }^{ 2 } }{ V } \)
⇒ P = PA + PB
यही डॉल्टन का आंशिक दाब का नियम है।

प्रश्न 23.
काँच के तीक्ष्ण किनारे को ज्वाला में इसके गलनांक तक गर्म करने पर यह चिकना क्यों हो जाता है ? इसके लिए उत्तरदायी द्रव के गुण का नाम लिखिए।
उत्तर:
तीक्ष्ण किनारे वाले काँच को ज्वाला में गर्म करके चिकना बनाया जाता है। क्योंकि गर्म करने पर, काँच पिघलता है तथा द्रव का किनारा गोल आकृति लेने का प्रयास करता है जिसका पृष्ठ तनाव न्यूनतम होता है। इसे काँच का ‘अग्नि-चकास’ कहते हैं।

प्रश्न 24.
‘स्तरीय प्रवाह’ पद की व्याख्या कीजिए। क्या स्तरीय प्रवाह की प्रत्येक कणों का वेग समान होता है ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जब द्रव का प्रवाह किसी स्थिर सतह पर होता है, तब द्रव की वह परत जो सतह के संपर्क में होती है, स्थायी हो जाती है। जैसे-जैसे स्थायी परत से ऊपरी परतों की दूरी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे परत का वेग बढ़ता जाता है। इस प्रकार का प्रवाह, जिसमें एक परत से दूसरी परत का वेग क्रमशः बढ़ता जाता है, स्तरीय प्रवाह कहलाता है। स्तरीय प्रवाह में, सभी परतों में कणों की गति समान नहीं होती है क्योंकि परत अपने से ठीक नीचे वाली परत पर कुछ घर्षण अथवा प्रतिरोधक बल आरोपित करती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 28

प्रश्न 25.
गतिज समीकरण की सहायता से एवोगैड्रो नियम की व्युत्पत्ति कीजिये।
उत्तर:
एवोगैड्रो के नियमानुसार, “समान ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।”
हमारे पास यदि दो गैसें हैं, तो
प्रथम गैस हेतु, PV = \(\frac { 1 }{ 3 } \frac { { m }_{ 1 }{ n }_{ 1 }{ v }_{ 1 }^{ 2 } }{ V } \) ………(1)
दूसरी गैस हेतु, PV = \(\frac { 1 }{ 3 } \frac { { m }_{ 2 }{ n }_{ 2 }{ v }_{ 2 }^{ 2 } }{ V } \) ………(2)
समी. (1) और (2) से,
\(\frac { 1 }{ 3 } \frac { { m }_{ 1 }{ n }_{ 1 }{ v }_{ 1 }^{ 2 } }{ V } \) = \(\frac { 1 }{ 3 } \frac { { m }_{ 2 }{ n }_{ 2 }{ v }_{ 2 }^{ 2 } }{ V } \)
\(\frac { { m }_{ 1 }{ n }_{ 1 }{ v }_{ 1 }^{ 2 } }{ V } \) = \(\frac { { m }_{ 2 }{ n }_{ 2 }{ v }_{ 2 }^{ 2 } }{ V } \) ………(3)
यदि दोनों गैसों के ताप समान हैं तो उनकी गतिज ऊर्जा भी समान होगी। अर्थात्
\(\frac { 1 }{ 2 } { m }_{ 1 }{ V }_{ 1 }^{ 2 }=\frac { 1 }{ 2 } { m }_{ 2 }{ V }_{ 2 }^{ 2 }\)
\({ m }_{ 1 }{ { v }_{ 1 }^{ 2 } }={ m }_{ 2 }{ v }_{ 2 }^{ 2 }\) ………(4)
समी. (3) को समी. (4) से भाग देने पर,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 25
n1= n2

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प्रश्न 26.
गैसों के विसरण की दर की तुलना कैसे की जाती है ?
उत्तर:
माना कि दो गैसें A और B जिनके समान आयतन V के विसरण में क्रमशः t1 तथा t2 समय लगता है। तब,
r1 = \(\frac { V }{ { t }_{ 1 } } \)
r2 = \(\frac { V }{ { t }_{ 2 } } \)
\(\frac { { r }_{ 1 } }{ { r }_{ 2 } } =\frac { V }{ { t }_{ 1 } } \times \frac { { t }_{ 1 } }{ V } =\frac { { t }_{ 1 } }{ { t }_{ 2 } }\)
अतः \(\frac { { r }_{ 1 } }{ { r }_{ 2 } } =\frac { \sqrt { { d }_{ 1 } } }{ \sqrt { { d }_{ 2 } } } \)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 26

प्रश्न 27.
आदर्श गैस किसे कहते हैं ? इसकी विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
आदर्श गैस या वास्तविक गैस:
वह गैस जो गैस नियमों का या गैस समीकरण का प्रत्येक दाब व ताप पर दृढ़ता से पालन करती है तो उसे आदर्श गैस कहते हैं।

विशेषताएँ:

  • स्थिर ताप पर गैस के दाब व आयतन का गुणनफल सदैव स्थिर होना चाहिये तथा स्थिर ताप पर PV तथा P के मध्य खींचा गया ग्राफ एक क्षैतिज रेखा होनी चाहिये।
  • यदि आदर्श गैस को स्थिर दाब पर ठण्डा किया जाये तो इसका आयतन लगातार घटना चाहिये और -273°C ताप पर शून्य होना चाहिये।
  • बिना बाहरी कार्य के इसके प्रसार या संकुचन में कोई ऊष्मीय प्रभाव नहीं होना चाहिये। (4) आदर्श गैस का संपीड्यता गुणांक Z = PV का मान 1 होता है।

प्रश्न 28.
वास्तविक गैस क्या है ? इसकी विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
वे गैसें जो बॉयल नियम, चार्ल्स नियम तथा आदर्श गैस समीकरण का दृढ़ता से पालन नहीं करतीं, वास्तविक गैस कहलाती हैं।

विशेषताएँ:

  • गैस के अणुओं के बीच आकर्षण बल नगण्य होता है।
  • गैस के कुल आयतन की तुलना में एक अणु के आयतन को नगण्य नहीं माना जा सकता है।
  • -273°C पर इनका आयतन शून्य नहीं होता क्योंकि अधिकांश गैसें ठण्डा करने पर इससे पहले ही द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाती हैं।
  • न्यून ताप व उच्च दाब पर गैसें बॉयल तथा चार्ल्स नियम का पालन नहीं करती हैं।

प्रश्न 29.
आदर्श गैस तथा वास्तविक गैस में अंतर लिखिये।
उत्तर:
आदर्श गैस तथा वास्तविक गैस में अंतर –

आदर्श गैस:

  • आदर्श गैस, आदर्श गैस समीकरण का पालन करती है।
  • गैस के अणुओं का आयतन पात्र की तुलना में में नगण्य होता है।
  • गैस के अणुओं में परस्पर आकर्षण नहीं होता है।
  • किसी आदर्श गैस का अस्तित्व नहीं है।
  • आदर्श गैसों के लिये संपीड्यता गुणांक का मान 1 होता है।

वास्तविक गैस:

  • वास्तविक गैस निम्न दाब और उच्च ताप पर ही आदर्श गैस समीकरण का पालन करती है।
  • गैस के अणुओं का आयतन पात्र की तुलना में नगण्य नहीं होता है।
  • अणुओं के मध्य आकर्षण होता है।
  • सभी गैसें वास्तविक गैसें हैं तथा वे आदर्श गैसों के व्यवहार से कभी धनात्मक तथा कभी ऋणात्मक विचलन दर्शाती हैं।
  • वास्तविक गैसों के लिये सम्पीड्यता गुणांक का मान 1 नहीं होता है।

प्रश्न 30.
अणुगतिक सिद्धान्त के आधार पर बॉयल के नियम को समझाइये।
उत्तर:
किसी भी गैस का दाब उसके अणुओं के पात्र की दीवारों से टकराने के कारण उत्पन्न होता है। अर्थात् दाब का परिमाण टक्करों की आवृत्ति पर निर्भर करता है तथा टक्करों की आवृत्ति अणुओं की संख्या तथा उनके वेग पर निर्भर करती है। यदि गैस का आयतन कम कर दिया जाये तो इकाई आयतन में उपस्थित अणुओं की संख्या बढ़ जायेगी, जिसके फलस्वरूप इकाई समय में दीवार की इकाई क्षेत्रफल पर टकराने वाले अणुओं की संख्या में भी वृद्धि होगी, जिसके कारण दाब में भी वृद्धि होगी।

दूसरी तरफ यदि आयतन में वृद्धि कर दी जाये तो इकाई क्षेत्रफल में उपस्थित अणुओं की संख्या में कमी आयेगी, जिससे इकाई समय में दीवार की इकाई क्षेत्रफल पर होने वाली टक्करों की संख्या में कमी आयेगी, जिससे दाब में भी कमी आयेगी। अतः स्पष्ट है स्थिर ताप पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन उसके दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 31.
गैसों के अणुगतिक समीकरण की सहायता से चार्ल्स के नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गैस का ताप बढ़ाने पर उसकी गतिज ऊर्जा भी बढ़ती है जिसके फलस्वरूप अणुओं के वेग में वृद्धि होती है और वेग में वृद्धि के कारण अणुओं के मध्य होने वाली टक्करों की संभावना में वृद्धि होती है। जिस बल से वे टकराते हैं उसमें वृद्धि होने लगती है जिसके फलस्वरूप दाब में वृद्धि होने लगती है।

यदि दाब को स्थिर रखना है तो यह जरूरी है कि अणुओं के मध्य होने वाली टक्करों की संभावना में वृद्धि न हो। यह तभी संभव है जब गैस के अणुओं के बीच की दूरी में वृद्धि कर दी जाये अर्थात् आयतन में वृद्धि की जाये । इससे स्पष्ट है कि स्थिर दाब पर गैस की निश्चित मात्रा का आयतन उसके परम ताप के समानुपाती है।

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द्रव्य की अवस्थाएँ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्रिस्टलीय ठोस व अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर लिखिये।
उत्तर:
क्रिस्टलीय ठोस व अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर –

क्रिस्टलीय ठोस:

  • इनकी कोई निश्चित ज्यामिति नहीं होती है।
  • इनकी आंतरिक संरचना में भी कणों का एक निश्चित क्रम रहता है।
  • इनके गलनांक स्पष्ट तथा निश्चित होते हैं।
  • ये विषम दैशिकता दर्शाते हैं।
  • इन ठोसों को वास्तव में ठोस माना जाता है।
  • इनमें long range order होता है।

अक्रिस्टलीय ठोस:

  • इनकी एक निश्चित ज्यामिति होती है।
  • इनकी आंतरिक संरचना में कणों का कोई निश्चित क्रम नहीं रहता है।
  • इनके गलनांक स्पष्ट तथा निश्चित नहीं होते हैं।
  • ये सम दैशिकता दर्शाते हैं।
  • अक्रिस्टलीय ठोसों को अतिशीतित द्रव माना जाता
  • इनमें short range order होता है।

प्रश्न 2.
गैसों के अणुगतिक सिद्धान्त के प्रमुख अभिगृहीत लिखिये।
उत्तर:
गैसों के अणुगतिक सिद्धान्त के प्रमुख अभिगृहीत निम्नलिखित हैं –

  • प्रत्येक गैस सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें अणु कहते हैं।
  • एक ही गैस के सभी अणु समान होते हैं लेकिन भिन्न-भिन्न गैसों के अणु भिन्न-भिन्न होते हैं।
  • साधारण दाब पर गैस के अणु इतने छोटे होते हैं कि उनका वास्तविक आयतन गैस द्वारा घेरे गये कुल आयतन की तुलना में नगण्य होता है।
  • किसी गैस के अणु हमेशा तीव्र गति से प्रत्येक दिशा में यादृच्छिक विभिन्न वेग से गतिशील रहते हैं। ये अणु हमेशा सीधी रेखा में गति करते हैं। परन्तु अन्य अणु या पात्र की दीवार से टकराकर उनकी दिशा बदल जाती है।
  • अणुओं के मध्य संघट्ट पूर्णतः प्रत्यास्थ होती है। इसलिये टक्करों के पश्चात् अणुओं की ऊर्जा में कमी नहीं आती है।
  • गैस के अणुओं के मध्य आकर्षण बल नगण्य होता है तथा वह पूर्णतः प्रत्यास्थ पिंड होते हैं।
  • गैस का दाब गैस के अणुओं के आपस में तथा पात्र की दीवारों से टकराने पर उत्पन्न होता है।
  • गैस के अणुओं की गति पर गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव नगण्य होता है।
  • किसी गैस की गतिज ऊर्जा उसके परम ताप के समानुपाती होती है।

प्रश्न 3.
गैसों के अणुगतिक समीकरण PV = \(\frac { 3 }{ 2 }\)mnv2 को सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
माना एक घनाकार पात्र में कुछ गैस ली गई है, जिसमें प्रत्येक भुजा की लम्बाई = l cm, पात्र में गैस के अणुओं की संख्या = n, गैस के एक अणु की संहति = m, गैस का कुल द्रव्यमान = M, अणुओं के वर्ग माध्य मूल वेग = v. पात्र में n अणु सभी संभावित दिशाओं में गति कर रहे हैं तथा अणु घनाकार पात्र के अंदर तीन अक्षों x, y, z में गति कर रहा है। अतः यह माना जा सकता है कि – अणु किन्हीं दो समान्तर फलकों की ओर गति कर रहा है।

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 29

माना कोई अणु दो फलक A तथा B के बीच गति कर रहा है तथा फलक A पर बार-बार टकरा रहा है। यदि फलक A पर टकराने के पहले अणु का वेग v है तथा टक्कर पूर्णतः प्रत्यास्थ है इसलिये टक्कर के पश्चात् अणु का वेगv होगा। अणु का फलक से टकराने से पहले संवेग = mv अणु का फलक से टकराने के बाद संवेग = – mv अतः प्रत्येक टक्कर लगाने पर संवेग परिवर्तन = mv -(-mv) = 2mv फलक A पर दूसरी बार टकराने के लिये अणु को दूरी तय करनी पड़ेगी = 2l

∴ अणु का वेग है। सेमी / सेकण्ड
∴ सेमी दूरी तय करता है 1 सेकण्ड में
∴ 2l सेमी दूरी तय करेंगे \(\frac { 1 }{v }\) × 2l = \(\frac { 2l }{ v }\) सेकण्ड

फलक A पर \(\frac { 2l }{ v }\) सेकण्ड में अणु टकराता है 1 बार
फलक A पर 1 सेकण्ड में अणु टकराता है = \(\frac { 1 }{ \frac { 2l }{ v } } \) = \(\frac { v }{2l}\)
प्रति सेकण्ड संवेग में परिवर्तन = प्रत्येक टक्कर में संवेग परिवर्तन × 1 सेकण्ड में अणुओं की संख्या × फलक A पर टकराने वाले अणुओं की संख्या
= 2mv × \(\frac { V }{2l }\) × \(\frac { n }{3 }\) = \(\frac { 1 }{3 }\) \(\frac { mn{ v }^{ 2 } }{ l } \)
प्रति सेकण्ड संवेग में परिवर्तन की दर = बल
\(\frac { 1 }{3 }\) \(\frac { mn{ v }^{ 2 } }{ l } \) = F
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 30

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प्रश्न 4.
वाण्डर वाल्स ने गैसों के आदर्श व्यवहार का स्पष्टीकरण करने के लिये गैस समीकरण में क्या संशोधन किया है ?
उत्तर:
अणुगतिक समीकरण के अनुसार गैसों के अणुओं के मध्य आकर्षण बल नगण्य होता है तथा गैस के अणुओं का वास्तविक आयतन कुल आयतन की तुलना में नगण्य होता है। लेकिन ये दोनों अभिधारणाएँ निम्न दाब एवं उच्च ताप पर ही संभव हैं क्योंकि उच्च दाब पर गैस का कुल आयतन बहुत कम हो जाता है।

इसलिये इस स्थिति में वास्तविक आयतन को कुल आयतन की तुलना में नगण्य नहीं माना जा सकता और अणु पास-पास आ जाते हैं इसलिये इनके मध्य आकर्षण बल कार्य करने लग जाता है, जिनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। इन दोनों दोषों को दूर करने के लिये वाण्डर वाल्स ने आदर्श गैस समीकरण में संशोधन कर नये समीकरण की व्युत्पत्ति की जिसे वाण्डर वाल्स समीकरण कहते हैं।

आयतन संशोधन:
उच्च दाब पर गैस के अणुओं के स्वयं का आयतन, गैस की आयतन की तुलना में नगण्य नहीं होता है। अतः गैस का वास्तविक आयतन (V-b) होगा जबकि b गैस के अणु का स्वयं आयतन है।

दाब संशोधन:
उच्च दाब अथवा निम्न ताप पर गैस का आयतन बहुत कम हो जाता है और अणु एकदूसरे के निकट होते हैं। इस अवस्था में अणुओं के मध्य पारस्परिक आकर्षण बल \(\frac { a }{ { V }^{ 2 } } \) बढ़ जाता है।
गैस का वास्तविक दाब = प्रेक्षित दाब + दाब संशोधन
= P + \(\frac { a }{ { V }^{ 2 } } \)
आदर्श गैस समीकरण में दोनों संशोधन करने पर,
[P + \(\frac { a }{ { V }^{ 2 } }\)] [V – b] = RT
n मोल गैस हेतु,
\(p+\frac { a{ n }^{ 2 } }{ { V }^{ 2 } }\) [V – nb] = nRT

प्रश्न 5.
श्यानता या विस्कासिता से आप क्या समझते हैं ? श्यानता को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
प्रत्येक द्रव में बहने की एक प्रवृत्ति होती है क्योंकि द्रव में अन्तरअणुक आकर्षण बल कम होता है और ये असंपीड्य होते हैं। कुछ द्रव जैसे-शहद, कैस्ट्रॉल तेल अत्यन्त धीमी गति से प्रवाहित होते हैं जबकि कुछ द्रव जैसे-जल, कैरोसीन आदि में बहने की प्रवृत्ति अधिक होती है। प्रवाह की गति में भिन्नता श्यानता के कारण होती है।

श्यानता वास्तव में द्रव के प्रवाह पर प्रतिरोध है और यह प्रतिरोध अंतरअणुक आकर्षण बल द्वारा प्रभावित होता है। द्रवों को कई पर्तों से मिलकर बना हुआ समझा जाता है। जब कोई द्रव किसी भी सतह पर बहता है ये पर्ते भिन्न-भिन्न वेग से बहती हैं । द्रव की विभिन्न पर्तों में उपस्थित अणु एक-दूसरे द्वारा आकर्षित होते हैं और ये अंतरअणुक आकर्षण बल द्रव के प्रवाह पर प्रतिरोध उत्पन्न करता है।

श्यानता को प्रभावित करने वाले कारक –

  • अंतरअणुक आकर्षण बल – अंतरअणुक आकर्षण बल द्रव में अणुओं के प्रवाह को अवरुद्ध करते हैं । इसलिये अंतरअणुक आकर्षण बल पर श्यानता निर्भर करती है। जितना अधिक अंतरअणुक आकर्षण बल होगा, द्रव की श्यानता भी उतनी अधिक होगी।
  • अणुभार – अणुभार बढ़ने पर श्यानता बढ़ती है।
  • दाब – दाब बढ़ने पर आयतन में कमी आती है जिसके फलस्वरूप अंतर अणुक आकर्षण बल में वृद्धि होती है इसलिये दाब में वृद्धि करने से श्यानता में वृद्धि होती है।
  • ताप – ताप में वृद्धि करने से द्रव के प्रवाह को अवरुद्ध करने वाला ससंजक बल कम हो जाता है जिससे आण्विक गति में वृद्धि होती है। अतः श्यानता में कमी आती है।

प्रश्न 6.
पृष्ठ तनाव क्या है ? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
यह द्रव का एक महत्वपूर्ण गुण है, जिसके कारण उसका स्वतंत्र पृष्ठ एक प्रत्यास्थ झिल्ली की तरह व्यवहार करता है तथा वह कम-से-कम क्षेत्रफल घेरने की चेष्टा करता है, पृष्ठ तनाव कहलाता है। पृष्ठ तनाव अन्तराअणुक आकर्षण बल पर निर्भर करता है। द्रव के अंदर स्थित समीपवर्ती अन्य अणु द्वारा सभी दिशाओं में समान रूप से आकर्षित होते हैं किन्तु द्रव की सतह पर स्थित अणु केवल नीचे तथा बाजू में स्थित अणुओं द्वारा आकर्षित होते हैं जिसके फलस्वरूप सतह के अणु अंदर की ओर आकर्षित होते हैं तथा सतह की प्रवृत्ति क्षेत्रफल को कम करने की होती है।

संकुचित होने की प्रवृत्ति के कारण द्रव की सतह तनी हुई झिल्ली के समान कार्य करती है। इस घटना को पृष्ठ तनाव कहते हैं। पृष्ठ तनाव उस कार्य की माप है जो द्रव की सतह को एकांक क्षेत्रफल से बढ़ाने के लिये आवश्यक है। इसका S.I. मात्रक जूल / मीटर या न्यूटन / मीटर है।

पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक –
(1) ताप – ताप में वृद्धि करने पर अंतर अणुक आकर्षण बल में कमी के कारण पृष्ठ तनाव में कमी आती है।
(2) विलेय – द्रवों में विलेय मिलाने पर पृष्ठ तनाव प्रभावित होता है।

  • यदि विलेय का पृष्ठ तनाव द्रव के पृष्ठ तनाव के बराबर हो तो द्रव का पृष्ठ तनाव विलेय की मात्रा के समानुपाती होता है। जितना अधिक विलेय मिलाते हैं पृष्ठ तनाव में उतनी वृद्धि होती है।
  • यदि विलेय का पृष्ठ तनाव द्रव के पृष्ठ तनाव से कम हो तो द्रव के पृष्ठ तनाव में कमी आती है।
  • द्रवों का पृष्ठ तनाव सतह को सक्रिय करने वाले पदार्थ जैसे-साबुन, डिटर्जेन्ट मिलाने पर कम हो जाता है।

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प्रश्न 7.
आयनिक, सहसंयोजी, धात्विक तथा आण्विक क्रिस्टल में तुलना कीजिये।
उत्तर:
आयनिक, सहसंयोजी, धात्विक तथा आण्विक क्रिस्टल में तुलना –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 31

प्रश्न 8.
ठोस, द्रव तथा गैस में क्या संरचनात्मक भिन्नताएँ हैं ? लिखिये।
उत्तर:
ठोस, द्रव तथा गैस में संरचनात्मक भिन्नताएँ –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ - 32

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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति

समतल में गति अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 4.1.
निम्नलिखित भौतिक राशियों में से बतलाइए कि कौन – सी सदिश है और कौन – सी अदिश:
आयतन, द्रव्यमान, चाल, त्वरण, घनत्व, मोल संख्या, वेग, कोणीय आवृत्ति, विस्थापन, कोणीय वेग।
उत्तर:
त्वरण, वेग, विस्थापन तथा कोणीय वेग, सदिश राशियाँ हैं जबकि आयतन, द्रव्यमान, चाल, घनत्व, मोल संख्या तथा कोणीय आवृत्ति अदिश राशि हैं।

प्रश्न 4.2.
निम्नांकित सूची में से दो अदिश राशियों को छाँटिए बल, कोणीय संवेग, कार्य, धारा, रैखिक संवेग, विद्युत क्षेत्र, औसत वेग, चुंबकीय आघूर्ण, आपेक्षिक वेग।
उत्तर:
कार्य तथा धारा अदिश राशियाँ हैं।

प्रश्न 4.3.
निम्नलिखित सूची में से एकमात्र सदिश राशि को छाँटिए ताप, दाब, आवेग, समय, शक्ति, पूरी पथ – लंबाई, ऊर्जा, गुरुत्वीय विभव, घर्षण गुणांक, आवेश।
उत्तर:
आवेश एक मात्र अदिश राशि है।

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प्रश्न 4.4.
कारण सहित बताइए कि अदिश तथा सदिश राशियों के साथ क्या निम्नलिखित बीजगणितीय संक्रियाएँ अर्थपूर्ण हैं?

  1. दो अदिशों को जोड़ना।
  2. एक ही विमाओं के एक सदिश व एक अदिश को जोड़ना।
  3. एक सदिश को एक अदिश से गुणा करना।
  4. दो अदिशों का गुणन।
  5. दो सदिशों को जोड़ना।
  6. एक सदिश के घटक को उसी सदिश से जोड़ना।

उत्तर:

  1. नहीं, क्योंकि दो अदिशों का जोड़ तभी अर्थपूर्ण होगा जबकि दोनों समान भौतिक राशि को व्यक्त करते हैं।
  2. नहीं, क्योंकि सदिश को केवल सदिश के साथ एवम् अदिश को केवल अदिश के साथ ही जोड़ा जा सकता है।
  3. अर्थपूर्ण है।
  4. अर्थपूर्ण है।
  5. नहीं, क्योंकि यह केवल तभी अर्थपूर्ण होगा जबकि दोनों एक ही भौतिक राशि को व्यक्त करते हैं।
  6. अर्थपूर्ण है।

प्रश्न 4.5.
निम्नलिखित में से प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढ़िए और कारण सहित बताइए कि यह सत्य है या असत्य:

  1. किसी सदिश का परिमाण सदैव एक अदिश होता है।
  2. किसी सदिश का प्रत्येक घटक सदैव अदिश होता है।
  3. किसी कण द्वारा चली गई पथ की कुल लंबाई सदैव विस्थापन सदिश के परिमाण के बराबर होती है।
  4. किसी कण की औसत चाल (पथ तय करने में लगे समय द्वारा विभाजित कुल पथ – लंबाई) समय के समान – अंतराल में कण के औसत वेग के परिमाण से अधिक या उसके बराबर होती है।
  5. उन तीन सदिशों का योग जो एक समतल में नहीं हैं, कभी भी शून्य सदिश नहीं होता।

उत्तर:

  1. सत्य, चूँकि किसी भी सदिश राशि का परिमाण एक धनात्मक संख्या है, जिसमें दिशा नहीं होती है। इसलिए यह एक अदिश राशि है।
  2. असत्य, चूँकि किसी सदिश का प्रत्येक घटक एक सदिश राशि होता है।
  3. असत्य, जैसे – किसी चक्रीय क्रम में प्रतिचक्र विस्थापन शून्य होता है।
  4. सत्य, चूँकि औसत्त चाल पूर्ण पथ की लम्बाई पर जबकि औसत वेग कुल विस्थापन पर निर्भर करता है तथा पूर्ण पथ की लम्बाई विस्थापन के बराबर अथवा अधिक होती है।
  5. सत्य, चूँकि तीनों सदिश एक समतल में नहीं हैं।

प्रश्न 4.6.
निम्नलिखित असमिकाओं की ज्यामिति या किसी अन्य विधि द्वारा स्थापना कीजिए:

  1. |a + b| ≤ |a| + |b|
  2. |a + b| ≥ |a| – |b|
  3. |a – b| ≤ |a| + |b|
  4. |a – b| ≥ |a| – |b|

इनमें समिका (समता) का चिह्न कब लागू होता है?
उत्तर:
माना \(\vec { O }\)A = \(\vec { a }\) = OA = a
तथा \(\vec { A }\)B = b = AB = b

1. सदिश योग के त्रिभुज नियम से,
\(\vec { a }\) + \(\vec { b }\) = \(\vec { O }\)A + \(\vec { A }\)B = \(\vec { O } \)B
तथा (\(\vec { a}\) + \(\vec { b }\)) = OB
परन्तु
∆OAB में, OB ≤ OA + AB

2. |\(\vec { a }\) + \(\vec { b }\)| ≤ |\(\vec { a }\)| + |\(\vec { b }\)|
चूँकि किसी त्रिभुज में प्रत्येक भुजा शेष दो भुजाओं के अन्तर से बड़ी होती है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 1
OB ≥ OA – AB
या
|\(\vec { a }\)| + |\(\vec { b }\)| ≥ |\(\vec { b }\)|
अतः समीकरण (1) तथा (2) से,
|\(\vec { a }\)| + |\(\vec { b }\)| ≥ |\(\vec { a }\)| – |\(\vec { b }\)|
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 2

3. चित्र – 2 से, AB’ = AB
परन्तु \(\vec { A }B’\) =  \(\vec { – b }\),\(\vec { A }\)B = \(\vec { b }\)
∴ |\(\vec { – b }\)| = |\(\vec { b }\)| = AB
सदिश योग के त्रिभुज निमय से,
|\(\vec { a }\)|- |\(\vec { b }\)| = \(\vec { a }\) + (\(\vec { – b }\))
= |\(\vec { O }\)|A + |\(\vec { A }\)|B’ = |\(\vec { O }\)|B’
= |\(\vec { a }\)| – |\(\vec { b }\)| = OB’
∆OAB’ (चित्र – 2) में,
OB’ ≤ OA + AB’
∴ |\(\vec { a }\)| – |\(\vec { b }\)| ≤ |\(\vec { a }\)| + |\(\vec { – b }\)|
अर्थात्
|\(\vec { a }\)| – |\(\vec { b }\)| ≤ |\(\vec { a }\)| + |\(\vec { b }\)|

4. चूँकि किसी त्रिभुज में प्रत्येक भुजा शेष दो भुजाओं के अन्तर से बड़ी होती हैं।
∴OB’ ≥ OA – AB’
⇒|\(\vec { a }\)| – |\(\vec { b }\)| – |\(\vec { a }\)| – |\(\vec { b }\)|
इसी प्रकार OB’ – AB’ – OA
⇒ |\(\vec { a }\)| – |\(\vec { b }\)| ≥ |\(\vec { b }\)| – |\(\vec { a }\)|
समीकरण (3) तथा (4) से,
|\(\vec { a }\)| – |\(\vec { b }\)|] ≥ |\(\vec { a }\)| – |\(\vec { b }\)|
उपरोक्त समस्त असमिका में समिका तभी लागू होगी जबकि
\(\vec { a }\) व \(\vec { b }\) समदिश होंगे।

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प्रश्न 4.7.
दिया है a + b + c + d = 0, नीचे दिए गए कथनों में से कौन – सा सही है:

  1. a, b, c तथा d में से प्रत्येक शून्य सदिश है।
  2. (a + c)का परिमाण (b + d)के परिमाण के बराबर है।
  3. a का परिमाण b, c तथा d के परिमाणों के योग से कभी भी अधिक नहीं हो सकता।
  4. यदि a तथा d संरेखीय नहीं हैं तो b + c अवश्य ही a तथाd के समतल में होगा, और यह a तथाd के अनुदिश होगा यदि वे संरेखीय हैं।

उत्तर:

1. यह कथन सही नहीं है।

2. दिया है: \(\vec { a }\) + \(\vec { b }\) + \(\vec { c }\) + \(\vec { d }\) = 0
या ( \(\vec { a }\) +  \(\vec { c }\)) = – (\(\vec { b }\) + \(\vec { d }\))
या \(\vec { a }\) +  \(\vec { c }\) = \(\vec { b }\) +  \(\vec { d }\)
अतः कथन (b) सत्य है।

3. दिया है: \(\vec { a }\) + \(\vec { b }\) + \(\vec { c }\) + \(\vec { d }\) = 0
या \(\vec { a }\) = – (\(\vec { b }\) + \(\vec { c }\) + \(\vec { d }\)
या |\(\vec { a }\)| = – (|\(\vec { b }\)| + |\(\vec { c }\)| + |\(\vec { d }\)|)
या |\(\vec { d }\)| ≤ |\(\vec { b }\)| + |\(\vec { c }\)| + |\(\vec { d }\)|
अत: कथन (c) सही है।

4. दिया है: \(\vec { a }\) + \(\vec { b }\) + \(\vec { c }\) + \(\vec { d }\) = 0
या \(\vec { a }\) + \(\vec { d }\) = (\(\vec {- b }\) + \(\vec { c }\))
या (\(\vec { b }\) + \(\vec { c }\)) = (\(\vec { -a }\) + \(\vec { d }\))

चूँकि (\(\vec { a }\)) व (\(\vec { d }\)) संरेखीय नहीं हैं अतः (\(\vec { a }\)) + (\(\vec { d }\)), (\(\vec { a }\)) व (\(\vec { d }\)) के समतल में होगा।
अत: कथन (d) सही है।

प्रश्न 4.8.
तीन लड़कियाँ 200 m त्रिज्या वाली वृत्तीय बर्फीली सतह पर स्केटिंग कर रही हैं। वे सतह के किनारे के बिंदु P से स्केटिंग शुरू करती हैं तथा P के व्यासीय विपरीत बिंदु पर विभिन्न पथों से होकर पहुँचती हैं जैसा कि (चित्र) में दिखाया गया है। प्रत्येक लड़की के विस्थापन सदिश का परिमाण कितना है? किस लड़की के लिए यह वास्तव में स्केट किए गए पथ की लंबाई के बराबर है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 3
उत्तर:
प्रत्येक लड़की का विस्थापन सदिश = (\(\vec { p }\))Q का परिमाण = 2 x त्रिज्या
= 2 x 200 = 400 मीटर दिए गए चित्र से स्पष्ट है कि लड़की B द्वारा तय किए गए पथ की लम्बाई 400 मीटर है। अतः इस लड़की के लिए, विस्थापन सदिश का परिमाण वास्तव में स्केट किए गए पथ की लम्बाई के समान है।

प्रश्न 4.9.
कोई साइकिल सवार किसी वृत्तीय पार्क के केंद्र 0 से चलना शुरू करता है तथा पार्क के किनारे P पर पहुँचता है। पुनः वह पार्क की परिधि के अनुदिश साइकिल चलाता हुआ 00 के रास्ते (जैसा (चित्र) में दिखाया गया है) केंद्र पर वापस आ जाता है। पार्क की त्रिज्या 1 km है। यदि पूरे चक्कर में 10 मिनट लगते हों तो साइकिल सवार का –

1. कुल विस्थापन।
2. औसत वेग, तथा।
3. औसत चाल क्या होगी?

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 4
उत्तर:

(a)  कुल विस्थापन = 0 [∴साइकिल सवार वापस प्रारम्भिक बिन्दु 0 पर लौट आता है।]

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 5

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 6
अतः कुल चली दूरी = त्रिज्या OP + \(\hat {p} \)Q + त्रिज्या OPQ
= 1 + \(\frac{1}{4}\) x 2 x π x 1 + 1
= 1 + \(\frac{1}{2}\) x 3.14 + 1
= 1 + 1.57 + 1
= 3.57 किमी
कुल लिया समय = 10
मिनट = \(\frac{10}{60}\) घण्टा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 7
= 3.57 x 60
= 214.20 किमी/घण्टा

प्रश्न 4.10.
किसी खुले मैदान में कोई मोटर चालक एक ऐसा रास्ता अपनाता है जो प्रत्येक 500 m के बाद उसके बाई ओर 60° के कोण पर मुड़ जाता है। किसी दिए मोड़ से शुरू होकर मोटर चालक का तीसरे, छठे व आठवें मोड़ पर विस्थापन बताइए। प्रत्येक स्थिति में मोटर चालक द्वारा इन मोड़ों पर तय की गई कुल पथ – लंबाई के साथ विस्थापन के परिमाण की तुलना कीजिए?
उत्तर:
मोटर चालक चित्रानुसार, समषट्भुज ABCDEF के अनुदिश चलेगा।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 8

1. माना कि मोटर चालक समषट्भुज के शीर्ष A से चलकर, शीर्ष D पर तीसरा मोड़ लेता है।
दिया है: समषट्भुज की भुजा = 500 मीटर
चित्रानुसार तीसरे मोड़ पर विस्थापन
AD = 2BC = 2 x 500 =1000 मीटर
पथ की लम्बाई
= AB + BC + CD = 500 + 500 + 500
= 1500 मीटर
∴विस्थापन: पथ की लम्बाई = \(\frac{1000}{1500}\) = 2:3

2. मोटर चालक द्वारा लिए गए छठे मोड़ पर विस्थापन = शून्य
[∵ चालक वापस A पर पहुँच जाता है।]
पथ की लम्बाई = 6 x भुजा की ल०
= 6 x 500 = 3000 मीटर
∴विस्थापन पथ की लम्बाई = \(\frac{0}{3000}\) = 0

3. मोटर चालक आठवाँ मोड़ C पर लेगा।
∴विस्थापन
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 9
कुल पद की लम्बाई = 8 × AB = 4000 मीटर
∴विस्थापन: पथ की लम्बाई
= \(\frac { 500\sqrt { 3 } }{ 4000 } \) = \(\frac { \sqrt { 3 } }{ 8 } \) = \(\sqrt { 3 } \):8
= 0.22

प्रश्न 4.11.
कोई यात्री किसी नए शहर में आया है और वह स्टेशन से किसी सीधी सड़क पर स्थित किसी होटल तक जो 10 km दूर है, जाना चाहता है। कोई बेईमान टैक्सी चालक 23 km के चक्करदार रास्ते से उसे ले जाता है और 28 मिनट में होटल में पहुँचता है।

  1. टैक्सी की औसत चाल, और –
  2. औसत वेग का परिमाण क्या होगा? क्या वे बराबर हैं?

उत्तर:
दिया है: कुल चली दूरी = 23 किमी
लगा समय = 28 मिनट = \(\frac{20}{60}\) घण्टा

1. टैक्सी का विस्थापन =10 किमी
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 10
= 49.3 किमी प्रति घण्टा

2.
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 11
= 21.4 किमी प्रति घण्टा
नहीं, चूँकि केवल सीधे पथों के लिए ही परिमाण में माध्य चाल, माध्य वेग के समान होती है।

प्रश्न 4.12.
वर्षा का पानी 30 ms-1 की चाल से ऊर्ध्वाधर नीचे गिर रहा है। कोई महिला उत्तर से दक्षिण की ओर 10 ms-1 की चाल से साइकिल चला रही है। उसे अपना छाता किस दिशा में रखना चाहिए?
उत्तर:
दिया है: वर्षा की चाल \(\vec { v } \)w = 30 मीटर/सेकण्ड तथा महिला की चाल
= 10 मीटर/सेकण्ड
महिला को स्वयं को वर्षा से बचाने के लिए छाते को वर्षा तथा महिला के सापेक्ष (\(\vec { v }\))w वेग की दिशा में रखना चाहिए।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 12
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img t

प्रश्न 4.13.
कोई व्यक्ति स्थिर पानी में 4.0 km/h की चाल से तैर सकता है। उसे 1.0 km चौड़ी नदी को पार करने में कितना समय लगेगा यदि नदी 3.0 km/h की स्थिर चाल से बह रही हो और वह नदी के बहाव के लंब तैर रहा हो। जब वह नदी के दूसरे किनारे पर पहुँचता है तो वह नदी के बहाव की ओर कितनी दूर पहुँचेगा?
उत्तर:
दिया है: व्यक्ति की चाल = 4 किमी प्रति घण्टा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 13
चली दूरी =1 किमी
नदी की चाल =3 किमी/घण्टा
माना नदी को पार करने में लिया गया समय = t सूत्र,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 14
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 15
समय t = \(\frac{1}{4}\) घण्टा = 15 मिनट
अत: व्यक्ति द्वारा 15 मिनट में चली दूरी = 3 x \(\frac{1}{4}\)
= \(\frac{3}{4}\) किमी
= \(\frac{3}{4}\) x 1000
= 750 मीटर

प्रश्न 4.14.
किसी बंदरगाह में 72 km/h की चाल से हवा चल रही है और बंदरगाह में खड़ी किसी नौका के ऊपर लगा झंडा N – E दिशा में लहरा रहा है। यदि वह नौका उत्तर की ओर 51 km/h चाल से गति करना प्रारंभ कर दे तो नौका पर लगा झंडा किस दिशा में लहराएगा?
उत्तर:
दिया है: वायु का वेग \(\vec { v }\)a = 72 किमी प्रति घण्टा N – E दिशा में तथा नौका का वेग। \(\vec { v }\)b= 51 किमी प्रति घण्टा उत्तर दिशा में।
नौका का वायु के सापेक्ष वेग,
\(\vec { v }\)a = \(\vec { v }\)a – \(\vec { v }\)b
= 72 – 51
= 21 किमी/घण्टा
यह सापेक्ष वेग, वायु वेग (\(\vec { v }\)a) तथा नौका के विपरीत दिशा को (-\(\vec { v }\)a) के परिणाम के बराबर होगा एवम् झण्डा वेग \(\vec { v }\)abah को दिशा में लहराएगा।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 16
माना कि सापेक्ष वेग (\(\vec { v }\)ab) वेग \(\vec { v }\)a से θ कोण बनाता है तथा वेगों Va व 5 के बीच 135° का कोण है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 17
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 18
= 1.0035
θ = 45.1°
अतः सापेक्ष वेग द्वारा पूर्व दिशा में बनाया गया कोण,
= θ – 45° = 45.1 – 45
= 0.1
अर्थात् झण्डा लगभग पूर्व दिशा में ही लहराएगा।

प्रश्न 4.15.
किसी लंबे हाल की छत 25 m ऊँची है। वह अधिकतम क्षैतिज दूरी कितनी होगी जिसमें 40 ms-1 की चाल से फेंकी गई कोई गेंद छत से टकराए बिना गुजर जाए?
उत्तर:
दिया है: अधिकतम ऊँचाई Hmax = 25 मीटर
तथा वेग, V0 = 40 मीटर/सेकण्ड
माना कि गेंद को प्रक्षेप्य कोण से फेंका जाता है। तब
सूत्र, MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 19
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 20

प्रश्न 4.16.
क्रिकेट का कोई खिलाड़ी किसी गेंद को 100 m की अधिकतम क्षैतिज दूरी तक फेंक सकता है? वह खिलाड़ी उसी गेंद को जमीन से ऊपर कितनी ऊँचाई तक फेंक सकता है?
उत्तर:
दिया है: अधिकतम परास Rmax =100 मीटर
सूत्र, Rmax = \(\frac { \mu _{ 0 }^{ 2 } }{ g } \)
µ02 = Rmax x g
= 100 x 9.8 = 980
∴ µ0 = \(\sqrt { 980 } \) = 14 \(\sqrt{5}\) मीटर/सेकण्ड
अत: व्यक्ति गेंद का अधिकतम वेग 14 \(\sqrt{5}\) मीटर/सेकण्ड से फेंक सकता है। अतः गेंद को अधिकतम ऊँचाई तक फेंकने के लिए उसे ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर फेंकना होगा।
सूत्र H = \(\frac { { u }_{ 0 }^{ 2 }{ sin }^{ 2 }\theta }{ 2g } \)
Hmax के लिए, θ = 90°
∴H = \(\frac { (14\sqrt { 5 } )^{ 2 } }{ 2\times 9.8 } \)
= 50 मीटर

प्रश्न 4.17.
80 cm लंबे धागे के एक सिरे पर एक पत्थर बाँधा गया है और इसे किसी एकसमान चाल के साथ किसी क्षैतिज वृत्त में घुमाया जाता है। यदि पत्थर 25,s में 14 चक्कर लगाता है तो पत्थर के त्वरण का परिमाण और उसकी दिशा क्या होगी:
उत्तर:
दिया है: त्रिज्या R = 80 सेमी = 0.8 मीटर चक्कर n =14
समय t = 25
सूत्र आवर्तकाल T = \(\frac{t}{n}\) = \(\frac{25}{14}\) सेकण्ड
पत्थर की रेखीय चाल v = \(\frac{2πR}{T}\)
= \(\frac{2 × 22/7 × 0.8}{25/14}\)
= 2.8 मीटर/सेकण्ड
तथा पत्थर का त्वरण
ac = \(\frac { v^{ 2 } }{ R } \)
= \(\frac { (2.8)^{ 2 } }{ (0.8) } \)
= 9.8 मीटर/सेकण्ड2
पत्थर के त्वरण की दिशा केन्द्र की ओर होगी।

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प्रश्न 4.18.
कोई वायुयान 900 kmh-1 की एकसमान चाल से उड़ रहा है और 1.00 km त्रिज्या का कोई क्षैतिज लूप बनाता है। इसके अभिकेन्द्र त्वरण की गुरुत्वीय त्वरण के साथ तुलना कीजिए?
उत्तर:
दिया है: वायुयान की चाल, v = 900 किमी प्रति घण्टा
त्रिज्या, R =1 किमी
सूत्र त्वरण, ac = \(\frac { v^{ 2 } }{ R } \) से
वायुयान का त्वरण,
ac = \(\frac { v^{ 2 } }{ R } \) = \(\frac{900 × 900}{1}\)
= 81 x 104 किमी/घण्टा2
\(\frac { 81\times 10^{ 4 }\times 1000 }{ (60\times 60)^{ 2 } } \) = 62.5 मीटर/सेकण्ड2
गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2
∴\(\frac{ac}{g}\) = \(\frac{62.5}{9.8}\)
= 6.38
अतः अभिकेन्द्र त्वरण, गुरुत्वीय त्वरण का 6.38 गुना है।

प्रश्न 4.19.
नीचे दिए गए कथनों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और कारण देकर बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य:

  1. वृत्तीय गति में किसी कण का नेट त्वरण हमेशा वृत्त की त्रिज्या के अनुदिश केंद्र की ओर होता है।
  2. किस बिंदु पर किसी कण का वेग सदिश सदैव उस बिंदु पर कण के पथ की स्पर्श रेखा के अनुदिश होता है।
  3. किसी कण का एक समान वृत्तीय गति में एक चक्र में लिया गया औसत त्वरण सदिश एक शून्य सदिश होता है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य।

प्रश्न 4.20.
किसी कण की स्थिति सदिश निम्नलिखित है:
\(\bar { r } \) = (3.0t\(\hat { i } \) – 2.0t2\(\hat { j } \) + 4.0\(\hat { k } \))m
समय t सेकण्ड में है तथा सभी गुणांकों के मात्रक इस प्रकार से हैं कि r में मीटर में व्यक्त हो जाए।

  1. कण का vतथा a निकालिए।
  2. t = 2.0 s पर कण के वेग का परिमाण तथा दिशा कितनी होगी?

उत्तर:
दिया है:
\(\bar { r } \) = (3.0t\(\hat { i } \) – 2.0t2\(\hat { j } \) + 4.0\(\hat { k } \)) मीटर
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 21
(b) \(\bar { vt } \) – 25 = 3 \(\hat { i } \) – 4 x 2 \(\hat { j } \) = 3 \(\hat { i } \) – 8 \(\hat { j } \)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 21-1

प्रश्न 4.21.
कोई कण t = 0 क्षण पर मूल बिंदु से 10\(\hat { j } \) ms-1 के वेग से चलना प्रारंभ करता है तथा x – y समतल में एकसमान त्वरण (8.0\(\hat { i } \) + 2.0\(\hat { j } \))ms-2 से गति करता है।

  1. किस क्षण कण का निर्देशांक 16 m होगा? इसी समय इसका y – निर्देशांक कितना होगा?
  2. इस क्षण कण की चाल कितनी होगी?

उत्तर:
दिया है:
\(\overrightarrow{v_{0}}\)= 0\(\hat { i } \) + o\(\hat { j } \)
वेग \(\overrightarrow{v_{0}}\)= 10 \(\hat { j } \) मीटर/सेकण्ड 2
त्वरण \(\vec { a } \) = (8\(\hat { i } \) + o\(\hat {2j } \) मीटर/सेकण्ड 2
अतः t समय पर कण का स्थिति सदिश,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 22
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 22-2

1. x =16 मीटर रखने पर,
16 = 4t2
t =\(\sqrt { 16/4 }\) = 2
∴y = 10 x 2 + 22
= 20 x 4 = 24 मीटर
अत: t = 2 सेकण्ड पर, के निर्देशांक 24 मीटर होगा।

2. vx = \(\frac{dx}{dt}\) = 8t
तथा vy = \(\frac{dy}{dt}\) = 10 + 2t
∴(vy )t=2 = 10 + 2 x 2 = 14 मीटर/सेकण्ड
इस क्षण कण की चाल,
(v-1) = \(\sqrt { v^{ 2x }-v^{ 2y } } \)
= \(\sqrt { 16^{ 2 }+14^{ 2 } } \)
= \(\sqrt { 452 }\)
= 21.3 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 4.22.
\(\hat { i }\) व \(\hat { j }\) क्रमश: x – व y – अक्षों के अनुदिश एकांक सदिश हैं। सदिशों \(\hat { i }\) + \(\hat { j }\) तथा \(\hat { i } \) – \(\hat { j }\) का परिमाण तथा दिशा क्या होगी? सदिश A = 2\(\hat { i }\) + 3 \(\hat { j }\) के दिशाओं के अनुदिश घटक निकालिए।[आप ग्राफी विधि का उपयोग कर सकते हैं।]
उत्तर:
चूँकि \(\hat { i }\) व \(\hat { j }\) तथा परस्पर लम्ब एकांक सदिश है। अतः इनके बीच का कोण 90° है।
सूत्र,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 23
सदिश \(\vec { a }\) का सदिश \(\vec { b }\) की दिशा में घटक,
(A cos θ) = image
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 24

प्रश्न 4.23.
किसी दिकस्थान पर एक स्वेच्छ गति के लिए निम्नलिखित संबंधों में से कौन – सा सत्य है?

  1. v औसत = (1/2) [v(t1) + v(t2)]
  2. v औसत = [r(t2) – r(t1)]/(t2 – t1)
  3. v(t) = v(0) + at
  4. r(t) = r(0) + v(0)t + (1/2) at2
  5. aऔसत = [v(t2) – v(t1)]/(t2 – t1)

यहाँ ‘औसत’ का आशय समय अंतराल t2, व t1 से संबंधित भौतिक राशि के औसत मान से है।
उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

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प्रश्न 4.24.
निम्नलिखित में से प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा कारण एवं उदाहरण सहित बताइए कि क्या यह सत्य है या असत्य: अदिश वह राशि है जो:

  1. किसी प्रक्रिया में संरक्षित रहती है।
  2. कभी ऋणात्मक नहीं होती।
  3. विमाहीन होती है।
  4. किसी स्थान पर एक बिंदु से दूसरे बिंदु के बीच नहीं बदलती
  5. उन सभी दर्शकों के लिए एक ही मान रखती है चाहे अक्षों से उनके अभिविन्यास भिन्न – भिन्न क्यों न हों।

उत्तर:

  1. असत्य, चूँकि किसी अदिश का किसी प्रक्रिया से संरक्षित रहना आवश्यक नहीं है। जैसे ऊपर की ओर फेंके गए पिण्ड की गतिज ऊर्जा पूरी यात्रा में बदलती रहती है।
  2. असत्य, चूँकि अदिश राशि, धनात्मक शून्य या ऋणात्मक कुछ भी मान ग्रहण कर सकती है। जैसे ताप अदिश राशि है जिसका चिह्न कुछ भी हो सकता है।
  3. असत्य, जैसे किसी वस्तु की चाल अदिश राशि है जिसकी विमा [LT-1] है।
  4. असत्य, जैसे ताप एक अदिश राशि है जोकि किसी छड़ में ऊष्मा के एकविमीय प्रवाह की दिशा में बदलता रहता है।
  5. सत्य, चूँकि अदिश राशि दिशाहीन होती है। इसलिए यह प्रत्येक विन्यास में स्थित दर्शक के लिए समान मान रखती है। जैसे किसी वस्तु की चाल प्रत्येक दर्शक के लिए समान होगी।

प्रश्न 4.25.
कोई वायुयान पृथ्वी से 3400 m की ऊँचाई पर उड़ रहा है। यदि पृथ्वी पर किसी अवलोकन बिंदु पर वायुयान की 10.0s से दूरी की स्थितियाँ 30° का कोण बनाती है तो वायुयान की चाल क्या होगी?
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 25
उत्तर:
दिया है:
P से Q तक चलने में लगा समय, t =10 सेकण्ड
सूत्र, MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 26
लम्ब, PQ = OP x tan 30
= 3400 x \(\sqrt [ 1 ]{ 3 } \) मीटर
= 1963 मीटर
माना वायुयान की चाल v मीटर/सेकण्ड है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 26 = \(\frac{1963}{10}\)
= 196.3 मीटर/सेकण्ड

समतल में गति अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 4.26.
किसी सदिश में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं। क्या दिकस्थान में इसकी कोई स्थिति होती है? क्या यह समय के साथ परिवर्तित हो सकता है। क्या दिकस्थान में भिन्न स्थानों पर दो बराबर सदिशों a वb का समान भौतिक प्रभाव अवश्य पड़ेगा? अपने उत्तर के समर्थन में उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सभी सदिशों की स्थिति नहीं होती है। किसी बिन्दु के स्थिति सदिश के समान कुछ सदिशों की स्थिति होती है जबकि वेग सदिश की कोई स्थिति नहीं होती है। हाँ, सदिश समय के साथ परिवर्तित हो सकता है। उदाहरण के लिए, गतिमान कण की स्थिति सदिश। दिक्स्थान में भिन्न स्थानों पर दो बराबर सदिशों \(\vec { a } \) तथा \(\vec { b } \) का समान भौतिक प्रभाव अवश्य पड़े, यह आवश्यक नहीं है। जैसे दो भिन्न – भिन्न बिन्दुओं पर लगे बराबर बल अलग – अलग आघूर्ण उत्पन्न करेंगे।

प्रश्न 4.27.
किसी सदिश में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं। क्या इसका यह अर्थ है कि कोई राशि जिसका परिमाण व दिशा हो, वह अवश्य ही सदिश होगी? किसी वस्तु के घूर्णन की व्याख्या घूर्णन – अक्ष की दिशा और अक्ष के परितः घूर्णन – कोण द्वारा की जा सकती है। क्या इसका यह अर्थ है कि कोई भी घूर्णन एक सदिश है?
उत्तर:
किसी राशि में परिमाण तथा दिशा होने पर उसका सदिश होना आवश्यक नहीं है। जैसे – प्रत्येक घूर्णन कोण सदिश राशि नहीं हो सकता जबकि सूक्ष्म घूर्णन कोण सदिश राशि माना जा सकता है।

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प्रश्न 4.28.
क्या आप निम्नलिखित के साथ कोई सदिश संबद्ध कर सकते हैं:

  1. किसी लूप में मोड़ी गई तार की लंबाई
  2. किसी समतल क्षेत्र
  3. किसी गोले के साथ? व्याख्या कीजिए।

उत्तर:

  1. नहीं, चूँकि वृत्तीय लूप में मोड़े गए तार की कोई निश्चित दिशा नहीं है।
  2. दिए गए समतल पर एक निश्चित अभिलम्ब खींचा जा सकता है। इसलिए समतल क्षेत्र के साथ एक सदिश सम्बद्ध किया जा सकता है जिसकी दिशा समतल पर अभिलम्ब के अनुदिश हो सकती है।
  3. नहीं, चूँकि किसी गोले का आयतन किसी विशेष दिशा के साथ सम्बद्ध नहीं कर सकते हैं।

प्रश्न 4.29.
कोई गोली क्षैतिज से 30° के कोण पर दागी गई है और वह धरातल पर 3.0 km दूर गिरती है। इसके प्रक्षेप्य के कोण का समायोजन करके क्या 5.0 km दूर स्थित किसी लक्ष्य का भेद किया जा सकता है? गोली की नालमुख चाल को नियत तथा वायु के प्रतिरोध को नगण्य मानिए।
उत्तर:
दिया है:
θ1 = 30°,
(R11, = 3 किमी = 3000 मीटर

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 28

माना ((R22) = 5 किमी = 5000 मीटर
जहाँ θ2, प्रक्षेपण कोण पर दागने पर परास R2 है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 29
परन्तु sinθ का मान 1 से अधिक नहीं हो सकता है। अर्थात् प्रक्षेप्य कोण 02 का कोई वास्तविक मान सम्भव नहीं है जिससे कि गोली 5 किमी दूर स्थित लक्ष्य को भेद सकें।

प्रश्न 4.30.
कोई लड़ाकू जहाज 1.5 km की ऊँचाई पर 720 km/h की चाल से क्षैतिज-दिशा में उड़ रहा है और किसी वायुयान भेदी तोप के ठीक ऊपर से गुजरता है। ऊर्ध्वाधर से तोप की नाल का क्या कोण हो जिससे 600 ms-1 की चाल से दागा गया गोला वायुयान पर वार कर सके। वायुयान के चालक को किस न्यूनतम ऊँचाई पर जहाज को उड़ाना चाहिए जिससे गोला लगने से बच सके। (g = 10 ms-2)
उत्तर:
दिया है:
वायुयान की ऊँचाई = 1.5 किमी
= 1500 मीटर
वायुयान की चाल = 720 किमी/घण्टा
= 720 x \(\frac{5}{18}\)
= 200 मीटर/सेकण्ड
गोली की चाल v0 = 600 मीटर/सेकण्ड
माना कि जिस क्षण वायुयान तोप के ठीक ऊपर है, उस क्षण ऊर्ध्वाधर से θ कोण पर तोप से गोला दागा जाता है। जोकि सेकण्ड पश्चात् वायुयान से टकराता है।
अतः क्षैतिज से गोले का प्रक्षेपण कोण,
∅ = 90 – θ होगा।
यहाँ गोले के वेग के घटक,
Vox = Vo cos ∅ = 600 sin θ
तथा Voy = Vo sin θ = 600 cos ∅
समय पश्चात् गोले की ऊँचाई,
y = voyt – \(\frac{1}{2}\) gt2
= 600 cos θ.t – \(\frac{1}{2}\) x 9.8 t2
समय पश्चात् क्षैतिज दूरी,
x = v oxt = 600 sin θ.t
वायुयान के लिए,
x0 = 0
y = 500 मीटर
V ox = 200 मीटर/सेकण्ड
ax = 0
Voy = 0
ay = 0
सेकण्ड पश्चात् वायुयान की स्थिति,
x = Voxt ⇒ x = 200t
तथा y = yo ⇒ y = 1500
गोला वायुयान को तभी लगेगा जबकि समी० (1) तथा (4) से प्राप्त के मान एवम् समी० (2) व (3) से प्राप्त x के मान पृथक्-2 बराबर हो।
समी० (1) तथा (4) से,
1500 = 600 cos θt = 4.9t2
समी० (2) तथा (3) से,
600 sin θt = 200t = sinθ = \(\frac{1}{3}\)
θ =19.5°
अतः तोप की नाल ऊर्ध्वाधर से 19.5° का कोण बनाएगा। जब तोप की नाल को ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर रखते हुए गोला दागा जाता है तो वह अधिकतम ऊँचाई तय करता है।
∴H max = \(\frac { v_{ 0 }^{ 2 } }{ 2g } \)
= \(\frac { (600)^{ 2 } }{ 2\times 10 } \)
= 18000 मीटर
अतः वायुयान की न्यूनतम ऊँचाई 18 किमी होगी।

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प्रश्न 4.31.
एक साइकिल सवार 27 km/h की चाल से साइकिल चला रहा है। जैसे ही सड़क पर वह 80 m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ पर पहुँचता है, वह ब्रेक लगाता है और अपनी चाल को 0.5 m/s2 की एकसमान दर से कम कर लेता है। वृत्तीय मोड़ पर साइकिल सवार के नेट त्वरण का परिमाण और उसकी दिशा निकालिए।
उत्तर:
दिया है:
साइकिल सवार की चाल,
y= 27 किमी/घण्टा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 30
= 27 x \(\frac{5}{18}\) = \(\frac{15}{2}\) मीटर/सेकण्ड
त्रिज्या = 80 मीटर
मंदन, aT = 0.5 मीटर/सेकण्ड2
अभिकेन्द्र त्वरण, ac = \(\frac{v2}{R}\)
= (\(\frac{15/2}{80}2\)=
= 0.703 मीटर/सेकण्ड2
अतः सवार का नेट त्वरण,
a = \(\sqrt { a_{ c }^{ 2 }+aT^{ 2 } } \)
= \(\sqrt { (0.703)^{ 2 }+(0.5)^{ 2 } } \)
= 0.86 मीटर/सेकण्ड2
माना परिणामी त्वरण स्पर्श रेखीय दिशा से कोण पर है।
∴tan θ = \(\frac { a_{ c } }{ a_{ T } } \) = 1.4
∴θ = tan-1 (1.4) = 54.5°

प्रश्न 4.32.

  1. सिद्ध कीजिए कि किसी प्रक्षेप्य के x – अक्ष तथा उसके वेग के बीच के कोण को समय के फलन के रूप में निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं। θ (t) -1 = tan-1 = \(\frac { (v_{ oy }-gt) }{ (v_{ ox }) } \)
  2. सिद्ध कीजिए कि मूल बिंदु से फेंके गए प्रक्षेप्य कोण का मान θ0 = tan-1  = \(\frac { 4h_{ m } }{ R } \)  होगा। यहाँ प्रयुक्त प्रतीकों के अर्थ सामान्य हैं।

उत्तर:

1. माना कि कोई प्रक्षेप्य मूल बिन्दु (0, 0) से इस प्रकार फेंकते हैं कि उसके वेग x – अक्ष एवम् y – अक्षों की दिशाओं में विभाजित घटक क्रमश: Vox व Voy हैं।
माना कि t समय पश्चात् प्रक्षेप्य का स्थिति सदिश, \(\)\vec { r } \(\) (t)
1. निम्नवत् है –
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 31

2. मूल बिन्दु (0, 0) से फेंके गए प्रक्षेप्य का परास,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति img 32

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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति

सरल रेखा में गति अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 3.1.
नीचे दिए गए गति के कौन – से उदाहरणों में वस्तु को लगभग बिंदु वस्तु माना जा सकता है:

  1. दो स्टेशनों के बीच बिना किसी झटके के चल रही कोई रेलगाड़ी।
  2. किसी वृत्तीय पथ पर साइकिल चला रहे किसी व्यक्ति के ऊपर बैठा कोई बंदर।
  3. जमीन से टकरा कर तेजी से मुड़ने वाली क्रिकेट की कोई फिरकती गेंद।
  4. किसी मेज के किनारे से फिसल कर गिरा कोई बीकर।

उत्तर:

  1. रेलगाड़ी दो स्टेशनों के मध्य बिना झटके के चल रही है। इसलिए दोनों स्टेशनों के मध्य की दूरी, रेलगाड़ी की लम्बाई की अपेक्षा अधिक मानी जा सकती है। अतः रेलगाड़ी को बिन्दु वस्तु मान सकते हैं।
  2. बन्दर निश्चित समय में अधिक दूरी तय करता है। इसलिए बन्दर को बिन्दु – वस्तु मान सकते हैं।
  3. चूँकि क्रिकेट की गेंद का मुड़ना सरल नहीं है। इस प्रकार निश्चित समय में क्रिकेट गेंद द्वारा तय की गई दूरी कम है। अतः क्रिकेट गेंद को बिन्दु-वस्तु नहीं मान सकते हैं।
  4. चूँकि बीकर निश्चित समय में कम दूरी चलता है। अतः बीकर को बिन्दु – वस्तु नहीं माना जा सकता है।

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प्रश्न 3.2.
दो बच्चे A व B अपने विद्यालय 0 से लौट कर अपने – अपने घर क्रमशः P तथा Q को जा रहे हैं। उनके स्थिति – समय (x – t) ग्राफ चित्र में दिखाए गए हैं। नीचे लिखे कोष्ठकों में सही प्रविष्टियों को चुनिए:

  1. B/A की तुलना में A/B विद्यालय से निकट रहता है।
  2. B/A की तुलना में A/B विद्यालय से पहले चलता है।
  3. B/A की तुलना A/B तेज चलता है।
  4. A और B घर (एक ही/भिन्न ) समय पर पहुँचते हैं।
  5. A/B सड़क पर B/A से (एक बार/दो बार) आगे हो जाते हैं।

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 1
उत्तर:

  1. B की तुलना में A विद्यालय से निकट रहता है।
  2. B की तुलना में A विद्यालय से पहले चलता है। चूँकि A के लिए गति प्रारम्भ का समय t = 0 जबकि B के लिए गति प्रारम्भ में समय पर होती है।
  3. A की तुलना में B तेज चलता है।
  4. A तथा B घर अलग – अलग समय पर पहुँचते हैं।
  5. B सड़क पर A से एक बार आगे हो जाता है।

प्रश्न 3.3.
एक महिला अपने घर से प्रातः 9.00 बजे 2.5 km दूर अपने कार्यालय के लिए सीधी सड़क पर 5 km h1 चाल से चलती है। वहाँ वह सायं 5.00 बजे तक रहती है और 25 km h1 की चाल से चल रही किसी ऑटो रिक्शा द्वारा अपने घर लौट आती है। उपयुक्त पैमाना चुनिए तथा उसकी गति का x – t ग्राफ खींचिए।
उत्तर:
घर से कार्यालय तक पार की गई दूरी = 2.5 किमी
घर से चलने पर चाल = 5 किमी प्रति घण्टा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 2
कार्यालय पहुँचने में लगा समय = 2.5 = 0.5 घण्टा
माना x – t (समय – दूरी) ग्राफ का मूल बिन्दु 0 है। t = 9 AM पर x = 0 तथा t = 9:30 AM पर x = 2.5 किमी (बिन्दु P)।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 3
तथा महिला 9:30 AM से समय 5:00 PM तक कार्यालय में रहती है। जिसे PQ द्वारा व्यक्त किया गया है।
कार्यालय से घर तक पहुँचने में लगा समय
= \(\frac { 2.5 }{ 25 }\) = \(\frac { 1 }{ 10 }\) घण्टा
= 6 मिनट
∴ t = 5:06 PM पर x = 0 जिसे बिन्दु R से व्यक्त किया गया है।

प्रश्न 3.4.
कोई शराबी किसी तंग गली में 5 कदम आगे बढ़ता है और 3 कदम पीछे आता है, उसके बाद फिर 5 कदम आगे बढ़ता है और 3 कदम पीछे आता है, और इसी तरह वह चलता रहता है। उसका हर कदम 1 m लंबा है और 1 s समय लगता है। उसकी गति का x – t ग्राफ खींचिए। ग्राफ से तथा किसी अन्य विधि से यह ज्ञात कीजिए कि वह जहाँ से चलना प्रारंभ करता है वहाँ से 13 m दूर किसी गड्ढे में कितने समय पश्चात् गिरता है?
उत्तर:
शराबी का x – 1 ग्राफ चित्र में दिखाया गया है। पहले 8 कदमों अर्थात् 8 सेकण्ड में शराबी द्वारा चली दूरी
= 5 मी० – 3 मी० = 2 मीटर
अतः 16 कदमों में शराबी द्वारा चली गई दूरी
= 2 x 2 = 4 मीटर
24 कदमों में शराबी द्वारा चली गई दूरी
= 4 + 2 = 6 मीटर
32 कदमों में शराबी द्वारा चली गई दूरी
= 6 + 2 = 8 मीटर
अगले 5 कदमों में शराबी द्वारा चली गई दूरी
= 8 + 5 = 13 मीटर
∴ कुल 13 मीटर चलने पर लिया गया समय
= 8 x 4 + 5 = 37 सेकण्ड।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 4

प्रश्न 3.5.
कोई जेट वायुयान 500 km h1 की चाल से चल रहा है और यह जेट यान के सापेक्ष 1500 km h1 की चाल से अपने दहन उत्पादों को बाहर निकालता है। जमीन पर खड़े किसी प्रेक्षक के सापेक्ष इन दहन उत्पादों की चाल क्या होगी?
उत्तर:
दिया है : जैट का वेग, Vj = – 500 किमी प्रति घण्टा
जेट के सापेक्ष उत्पाद बाहर निकालने का आपेक्षिक वेग, ve = 1500 किमी प्रति घण्टा
माना बाहर निकलने वाले दहन उत्पादों का वेग ve है।
∴ Vej = Ve – Vj
या Ve =Vej + Vj = 1500 + (- 500)
= 1000 किमी प्रति घण्टा.

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प्रश्न 3.6.
सीधे राजमार्ग पर कोई कार 126 km h1 की चाल से चल रही है। इसे 200 m की दूरी पर रोक दिया जाता है। कार के मंदन को एक समान मानिए और इसका मान निकालिए। कार को रुकने में कितना समय लगा?
उत्तर:
दिया है : u =126 किमी/घण्टा
= 126 x \(\frac { 1000}{ 60 x 60 }\) = 35 मीटर/सेकण्ड
S = 200 मीटर
v = 0
न्यूटन के गति विषयक तृतीय समी० से,
v2 = u2 + 2as
02 = (35)2 + 2 x a x 200
अथवा a = \(\frac { -35 x 35}{2 x 200}\) = – 3.06 मीटर/सेकण्ड
पुन: समीकरण v = u + at से
t = \(\frac {v – u}{a}\) = \(\frac { 0 – 35}{- 3.06}\)
= 11.44 सेकण्ड।

प्रश्न 3.7.
दो रेलगाड़ियाँ A व B दो समांतर पटरियों पर 72 km h1 की एकसमान चाल से एक ही दिशा में चल रही हैं। प्रत्येक गाड़ी 400 m लंबी है और गाड़ी A गाड़ी B से आगे है। B का चालक A से आगे निकलना चाहता है। 1 m s2से इसे त्वरित करता है। यदि 50 s के बाद B का गार्ड A के चालक से आगे हो जाता है तो दोनों के बीच आरंभिक दूरी कितनी थी?
उत्तर:
दिया है : uA = uB = 72 किमी प्रति घण्टा
= 72 x\(\frac { 5}{ 18 }\) = 20 मीटर/सेकण्ड
t = 50 सेकण्ड
गाड़ी की लम्बाई = 400 मीटर
SA = UA x t = 20 x 50 =1000 मीटर
सूत्र S =ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) at2 से,
SB = 20 x 50 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x (50)2
= 1000 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 2500
= 1000 + 1250 = 2250 मीटर
अतः दोनों रेलगाड़ियों के बीच आरम्भिक दूरी
= 2250 – 1000
= 1250 मीटर

प्रश्न 3.8.
दो – लेन वाली किसी सड़क पर कार A 36 km h1 की चाल से चल रही है। एक दूसरे की विपरीत दिशाओं में चलती दो कारें Bव C जिनमें से प्रत्येक की चाल 54km h1 है, कार A तक पहुँचना चाहती है। किसी क्षण जब दूरी AB दूरी AC के बराबर है तथा दोनों 1 km है, कार B का चालक यह निर्णय करता है कि कार C के कार A तक पहुँचने के पहले ही वह कार A से आगे निकल जाए। किसी दुर्घटना से बचने के लिए कार B का कितना न्यूनतम त्वरण जरूरी है?
उत्तर:
दिया है : VA =36 किमी/घण्टा
= 54 x 5 = 15 मीटर/सेकण्ड
माना कार A के सापेक्ष C की आपेक्षिक चाल vca तथा कार A के सापेक्ष कार B की आपेक्षिक चाल VBA है।
∴ Vca = 15 – (-10) = 25 मीटर/सेकण्ड
तथा VBA= 15 -10 = 5 मीटर/सेकण्ड
प्रश्नानुसार aca = 0, चूँकि दोनों कारें (A व C) नियत वेग से गतिमान हैं।
AC दूरी तय करने में लगा समय
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 5
सूत्र S = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) at2 से
AB = UBAt + \(\frac { 1 }{ 2 }\) a x t2
1000 = 5 x 40 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x a x (40)2
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 30
= 1 मीटर प्रति सेकण्डरप्2

रश्न 3.9.
दो नगर A व B नियमित बस सेवा द्वारा एक दूसरे से जुड़े हैं और प्रत्येक T मिनट के बाद दोनों तरफ बसें चलती हैं। कोई व्यक्ति साइकिल से 20 km h1 की चाल से A से B की तरफ जा रहा है और यह नोट करता है कि प्रत्येक 18 मिनट के बाद एक बस उसकी गति की दिशा में तथा प्रत्येक 6 मिनट बाद उसके विपरीत दिशा में गुजरती है। बस सेवाकाल T कितना है और बसें सड़क पर किस चाल (स्थिर मानिए) से चलती हैं?
उत्तर:
माना प्रत्येक बल की चाल Vb किमी प्रति घण्टा तथा साइकिल सवार की चाल vc किमी प्रति घण्टा है।
साइकिल सवार की गति की दिशा में अर्थात् A से B की ओर चल रही बसों की आपेक्षिक चाल = Vb – Vc
∴ साइकिल सवार की गति की दिशा में प्रत्येक 18 मिनट बाद एक बस गुजरती है।
∴ चली गई दूरी = (vb – vb) x \(\frac { 18}{ 60 }\)
परन्तु बसें प्रत्येक T मिनट बाद चलती हैं। अत: यह दूरी vb x \(\frac { T}{ 60 }\) = के तुल्य होगी।
अर्थात् (vb – bc) x \(\frac { 18}{ 60 }\) =vb x \(\frac { T}{ 60 }\) ….(1)
साइकिल सवार से विपरीत दिशा में बसों का आपेक्षिक वेग
= (vb + vc)
∴ चली दूरी = (vb + va) x \(\frac { 6}{ 60 }\)
प्रश्नानुसार विपरीत दिशा में बस प्रत्येक 6 मीटर के अन्तराल पर मिलती है। अतः यह चली दूरी vb x \(\frac { T}{ 60 }\) के तुल्य होगी।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 7
या vb + vc = 3vb – 3vc
अथवा vc + 3vc = 3vb – vb
vb = 2vc
= 2 x 20 किमी/घण्टा
= 40 किमी/घण्टा।
समी० (2) में vb व vc का मान रखने पर,
40 + 20 = \(\frac { 40 x T}{ 6 }\)
T = \(\frac { 60 x 6}{ 40 }\) = 9 मिनट

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प्रश्न 3.10.
कोई खिलाड़ी एक गेंद को ऊपर की ओर आरंभिक चाल 29 m s1 से फेंकता है,

  1. गेंद की ऊपर की ओर गति के दौरान त्वरण की दिशा क्या होगी?
  2. इसकी गति के उच्चतम बिंदु पर गेंद के वेग व त्वरण क्या होंगे?
  3. गेंद के उच्चतम बिंदु पर स्थान व समय को x = 0 व t = 0चुनिए, ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर की दिशा को x – अक्ष की धनात्मक दिशा मानिए। गेंद की ऊपर की व नीचे की ओर गति के दौरान स्थिति, वेग व त्वरण के चिन्ह बताइए।
  4. किस ऊँचाई तक गेंद ऊपर जाती है और कितनी देर के बाद गेंद खिलाड़ी के हाथों में आ जाती है?
    [g = 9.8 ms2 तथा वायु का प्रतिरोध नगण्य है।]

उत्तर:
1. ऊर्ध्वाधर गति में वस्तु सदैव गुरुत्वीय त्वरण के अधीन चलती है जिसकी दिशा नीचे की ओर होती है।
2. गति के उच्चतम बिन्दु v = 0
a = 9.8 मीटर/सेकण्ड नीचे की ओर
3. MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 31
4. दिया है : u = 29 मीटर/सेकण्ड
a = 9.8 मीटर/सेकण्ड2
v = 0
सूत्र v2 =a2 + 2as से,
v2 = 2a2 + 2 x 9.8 x s
∴s = \(\frac { -2a x 2a }{ 2 x 9.8}\) = 42.9 मीटर
अतः सूत्र v=u + at से,
0 = 29 – 9.8 x t
∴ t = \(\frac { 29}{9.8}\) = 2.96 सेकण्ड
∴ कुल समय = 2 x 2.96
= 5.92 सेकण्ड

प्रश्न 3.11.
नीचे दिए गए कथनों को ध्यान से पढ़िए और कारण बताते हुए व उदाहरण देते हुए बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य, एकविमीय गति में किसी कण की।

  1. किसी क्षण चाल शून्य होने पर भी उसका त्वरण अशून्य हो सकता है।
  2. चाल शून्य होने पर भी उसका वेग अशून्य हो सकता
  3. चाल स्थिर हो तो त्वरण अवश्य ही शून्य होना चाहिए।
  4. चाल अवश्य ही बढ़ती रहेगी, यदि उसका त्वरण धनात्मक हो।

उत्तर:

  1. सत्य, सरल आवर्त गति करते कण की महत्तम विस्थापन की स्थिति में कण की चाल शून्य होती है, जबकि त्वरण महत्तम (अशून्य) होता है।
  2. असत्य, चाल शून्य होने का अर्थ है कि कण के वेग का परिमाण शून्य है।
  3. असत्य, एकसमान वृत्तीय गति करते हुए कण की चाल स्थिर रहती है तो भी उसकी गति में अभिकेन्द्र त्वरण कार्य करता
  4. असत्य, यह केवल तब सत्य हो सकता है, जब चुनी गई धनात्मक दिशा गति की दिशा के अनुदिश हो।

प्रश्न 3.12.
किसी गेंद को 90 m की ऊँचाई से फर्श पर गिराया जाता है। फर्श के साथ प्रत्येक टक्कर में गेंद की चाल 1/10 कम हो जाती है। इसकी गति का t=0 से 12 s के बीच चाल – समय ग्राफ खींचिए।
उत्तर:
दिया है : u1 = 0, s1 = 90 मीटर,
a1= 9.8 मीटर/सेकण्ड2
सूत्र v2 = u2 + 2as से,
v12 = 02 + 2 x 9.8 x 90
∴ = \(\sqrt{2 x9.8 x90}\)
= 42 मीटर प्रति सेकण्ड
पुनः सूत्र  v = u + at से
42 = 0 + 9.8 x t1
∴ t1 =\(\frac { 42 }{ 9.8 }\) = 4.2 सेकण्ड
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 8
प्रश्नानुसार, u2 = v1 – \(\frac { v_{ 1 } }{ 10 } \)
= 42 – 4.2 = 37.8 मीटर/सेकण्ड
v2 = 0, a2 = – 9.8 मीटर/सेकण्ड1
सूत्र v = u + at से
0 = 37.8 – 9.8 x t2
∴ t2 = \(\frac { 37.8}{ 9.8 }\)
= 3.9 सेकण्ड
t = t1 + t2
= 4.2 + 3.9 =8.1 सेकण्ड
u2 = 0
हम जानते हैं कि, ऊपर जाने का समय = नीचे आने का समय = 3.9 सेकण्ड
∴ t3 = t2 = 3.9 सेकण्ड
वह वेग जिससे गेंद फर्श पर टकराती है,
= a3 = a2 = 37.8 मीटर/सेकण्ड
तथा t = (t1 + t2) + t3
= 8.1 + 3.9 = 12 सेकण्ड पर
चाल v = 37.8 मीटर/सेकण्ड

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प्रश्न 3.13.
उदाहरण सहित निम्नलिखित के बीच के अंतर को स्पष्ट कीजिए:
(a) किसी समय अंतराल में विस्थापन के परिमाण (जिसे कभी – कभी दूरी भी कहा जाता है) और किसी कण द्वारा उसी अंतराल के दौरान तय किए गए पथ की कुल लंबाई।

(b) किसी समय अंतराल में औसत वेग के परिमाण और उसी अंतराल में औसत चाल (किसी समय अंतराल में किसी कण की औसत चाल को समय अंतराल द्वारा विभाजित की गई कुल पथ-लंबाई के रूप में परिभाषित किया जाता है)। प्रदर्शित कीजिए कि (a) व (b) दोनों में ही दूसरी राशि पहली से अधिक या उसके बराबर है। समता का चिन्ह कब सत्य होता है? (सरलता के लिए केवल एकविमीय गति पर विचार कीजिए।)
उत्तर:
(a) विस्थापन के परिमाण से तात्पर्य है कि सीधी रेखा की कुल लम्बाई कण द्वारा किसी समयान्तराल में तय किए गए निश्चित पथ की लम्बाई उसी समयान्तराल में उन्हीं बिन्दुओं के मध्य तय किए गए पथ से अलग हो सकती है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 9
लेकिन औसत वेग का मान शून्य है चूँकि इस समय में विस्थापन शून्य है।
∴ औसत चाल > औसत वेग

प्रश्न 3.14.
कोई व्यक्ति अपने घर से सीधी सड़क पर 5 km h1 की चाल से 2.5 km दूर बाजार तक पैदल चलता है। परंतु बाजार बंददेखकर वह उसी क्षण वापस मुड़ जाता है तथा 7.5 km h1 की चाल से घर लौट आता है।
समय अंतराल

  1. 0 – 30 मिनट
  2. 0 – 50 मिनट,
  3. 0 – 40 मिनट की अवधि में उस व्यक्ति (a) के माध्य वेग का परिमाण, तथा (b) का माध्य चाल क्या है?

(नोट : आप इस उदाहरण से समझ सकेंगे कि औसत चाल को औसत वेग के परिमाण के रूप में परिभाषित करने की अपेक्षा समय द्वारा विभाजित कल पथ – लंबाई के रूप में परिभाषित करना अधिक अच्छा क्यों है। आप थक कर घर लौटे उस व्यक्ति को यह बताना नहीं चाहेंगे कि उसकी औसत चाल शून्य थी।)

उत्तर:
सूत्र v = \(\frac { s }{ t }\) से
t = \(\frac { s }{ v }\)
∴ व्यक्ति को बाजार जाने में लगा समय
t1 = \(\frac {2.5}{ 5 }\) = 0.5 घण्टा = 30 मिनट
∴ व्यक्ति को बाजार से आने में लगा समय
t2 = 2.5 = 0.33 घण्टा = 20 मिनट

1. 0 – 30 मिनट में व्यक्ति द्वारा चली दूरी = 2.5 किमी
∴ माध्य चाल = \(\frac {2.5}{ 30/60 }\) = 5 किमी/घण्टा
अर्थात् इस समयान्तराल में व्यक्ति का विस्थापन तथा माध्य वेग के परिमाण भी क्रमश: 2.5 किमी तथा 5 किमी/घण्टा होंगे।

2. 0 – 50 मिनट के समयान्तराल में प्रथम 30 मिनट में व्यक्ति बाजार जाता है जबकि अगले 20 मिनट में वापस आता है।
∴ विस्थापन = 0
∴माध्य वेग का परिमाण = \(\frac {0}{ 50/60 }\) = 0
इस समयान्तराल में चली दूरी
= 2.5 + 2.5 = 5 किमी
∴ माध्य चाल = \(\frac {5}{ 50/60 }\) = 6 किमी/घण्टा

3. चूँकि वापस आने में तय दूरी 2.5 किमी तथा लिया गया समय 20 मिनट है। अतः प्रथम 10 मिनट में तय की गई दूरी 1.25 किमी होगी।
अतः 0 – 40 मिनट के समयान्तराल में विस्थापन
= 2.5 – 1.25
= 1.25 किमी
∴ माध्य वेग का परिमाण = \(\frac {12.5}{ 20/60 }\) = 1.875 किमी/घण्टा
तथा इस समयान्तराल में चली दूरी
= 2.5 + 1.25 = 3.75 किमी
∴ माध्य चाल = \(\frac {3.75}{ 20/20 }\) = 5.625 किमी/घण्टा
∴ माध्य वेग < माध्य चाल

प्रश्न 3.15.
हमने अभ्यास 3.13 तथा 3.14 में औसत चाल व औसत वेग के परिमाण के बीच के अंतर को स्पष्ट किया है। यदि हम तात्क्षणिक चाल व वेग के परिमाण पर विचार करते हैं, तो इस तरह का अंतर करना आवश्यक नहीं होता। तात्क्षणिक चाल हमेशा तात्क्षणिक वेग के बराबर होती है। क्यों?
उत्तर:
हम जानते हैं कि तात्क्षणिक चाल
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 10
अर्थात् ∆t → 0 में वस्तु की गति की दिशा को अपरिवर्तित माना जाता है। इस प्रकार कुल पद लम्बाई अर्थात् दूरी एवम् विस्थापन के परिमाण में कोई अन्तर नहीं होता है। अर्थात् तात्क्षणिक चाल हमेशा तात्क्षणिक वेग के परिमाण के तुल्य होती है।

प्रश्न 3.16.
चित्र में (a) से (d) तक के ग्राफों को ध्यान से देखिए और देखकर बताइए कि इनमें से कौन – सा ग्राफ एकविमीय गति को संभवतः नहीं दर्शा सकता।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 11
उत्तर:
चारों ही ग्राफ असम्भव हैं, चूँकि

  1. एक ही समय किसी कण की दो विभिन्न स्थितियाँ सम्भव नहीं है।
  2. एक ही समय किसी कण के विपरीत दिशाओं में वेग नहीं हो सकते हैं।
  3. चाल कभी भी ऋणात्मक नहीं होती है।
  4. किसी कण की कुल पथ लम्बाई समय के साथ कभी भी नहीं घट सकती है।

प्रश्न 3.17.
चित्र में किसी कण की एकविमीय गति का x – t ग्राफ दिखाया गया है। ग्राफ से क्या यह कहना ठीक होगा कि यह कण t < 0 के लिए किसी सरल रेखा में और t > 0 के लिए किसी परवलीय पथ में गति करता है। यदि नहीं, तो ग्राफ के संगत किसी उचित भौतिक संदर्भ का सुझाव दीजिए।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 12
उत्तर:
नहीं, यह गलत है। समय-दूरी आलेख (x – t वक्र) किसी कण के प्रक्षेपण को व्यक्त नहीं करता है। जैसे – जब कोई पिण्ड किसी मीनार से गिराया जाता है तब x = 0 पर t = 0 होता है।

प्रश्न 3.18.
किसी राजमार्ग पर पुलिस की कोई गाड़ी 30 km/h की चाल से चल रही है और यह उसी दिशा में 192 km/h की चाल से जा रही किसी चोर की कार पर गोली चलाती है। यदि गोली की नाल मुखी चाल 150 ms1है तो चोर की कार को गोली किस चाल के साथ आघात करेगी? (नोट : उस चाल को ज्ञात कीजिए जो चोर की कार को हानि पहुँचाने में प्रासंगिक हो)।

उत्तर:
दिया है : चोर की चाल, vt =192 किमी/घण्टा
192 x \(\frac { 5 }{ 18 }\) = \(\frac { 160 }{ 3 }\) मीटर/सेकण्ड
तथा पुलिस की चाल vp = 30 किमी/घण्टा
= 30 x \(\frac { 5 }{ 18 }\) = \(\frac { 25 }{ 3 }\) मीटर/सेकण्ड
अत: चोर की कार का पुलिस की कार के आपेक्ष वेग,
vtp = vt – vp
= \(\frac { 160 }{ 3 }\) – \(\frac { 25 }{ 3 }\) = \(\frac { 160 – 25}{ 3 }\)
= \(\frac { 135 }{ 3 }\) = 45 मीटर / सेकण्ड
गोली की नाल मुखी चाल, Vb = 150 मीटर / सेकण्ड
= गोली की पुलिस के सापेक्ष चाल
अतः चोर की कार पर प्रहार करते समय गोली की चाल
= पुलिस के सापेक्ष गोली की सापेक्ष चाल – पुलिस के सापेक्ष चोर की कार की सापेक्ष चाल = 150 – 45 = 105 मीटर / सेकण्ड

प्रश्न 3.19.
चित्र में दिखाए गए प्रत्येक ग्राफ के लिए किसी उचित भौतिक स्थिति का सुझाव दीजिए
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 13

उत्तर:
(a) x – t ग्राफ प्रदर्शित कर रहा है कि प्रारम्भ में x शून्य है, फिर यह एक स्थिर मान प्राप्त करता है। पुन: यह शून्य हो जाता है तथा फिर यह विपरीत दिशा में बढ़कर अन्त में एक स्थिर मान (विरामावस्था) प्राप्त कर लेता है। अतः यह ग्राफ इस प्रकार की भौतिक स्थिति व्यक्त कर सकता है जैसे एक गेंद को विरामावस्था से फेंका जाता है और वह दीवार से टकराकर लौटती है तथा कम चाल से उछलती है तथा यह क्रम इसके विराम में पहुँचने तक चलत रहता है।

(b) यह ग्राफ प्रदर्शित कर रहा है कि वेग समय के प्रत्येक अन्तराल के साथ परिवर्तित हो रहा है तथा प्रत्येक बार इसका वेग कम हो रहा है। इसलिए यह ग्राफ एक ऐसी भौतिक स्थिति को व्यक्त कर सकता है। जिसमें एक स्वतन्त्रतापूर्वक गिरती हुई गेंद (फेंके जाने पर) धरती से टकराकर कम चाल से पुनः उछलती है तथा प्रत्येक बार धरती से टकराने पर इसकी चाल कम होती जाती है।

(c) यह ग्राफ प्रदर्शित करता है कि वस्तु अल्प समय में ही त्वरित हो जाती है; अतः यह ग्राफ एक ऐसी भौतिक स्थिति को व्यक्त कर सकता है जिसमें एकसमान चाल से चलती हुई गेंद को अत्यल्प समयान्तराल में बल्ले द्वारा टकराया जाता है।

प्रश्न 3.20.
चित्र में किसी कण की एकविमीय सरल आवर्ती गति के लिए. x – t ग्राफ दिखाया गया है। (इस गति के बारे में आप अध्याय 14 में पढ़ेंगे) समय t = 0.3 s, 1.2 s, – 1.2 5 पर कण के स्थिति, वेग व त्वरण के चिन्ह क्या होंगे?
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 13
उत्तर:
हम जानते हैं कि सरल आवर्त गति में,
त्वरण a = – w2x
जहाँ w नियतांक है जिसे कोणीय आवृत्ति कहते हैं।
समय t = 0.3 सेकण्ड दर, दूरी (x) ऋणात्मक है। दूरी – समय ग्राफ का दाब भी ऋणात्मक है। इस कारण स्थिति तथा वेग ऋणात्मक है। अतः त्वरण (a = – w2x) धनात्मक है।

समय t = 1.2 सेकण्ड पर, दूरी (x) धनात्मक है। दूरी समय (x – t) ग्राफ का ढाल भी धनात्मक है। इस प्रकार स्थिति तथा वेग धनात्मक है। अतः त्वरण ऋणात्मक है।

समय t = – 1.2 सेकण्ड पर, दूरी (x) ऋणात्मक है। दूरी समय (x – t) ग्राफ का ढाल भी धनात्मक है। इस प्रकार वेग धनात्मक है तथा अन्त में त्वरण (a) भी धनात्मक है।

प्रश्न 3.21.
चित्र किसी कण की एकविमीय गति का x – t ग्राफ दर्शाता है। इसमें तीन समान अंतराल दिखाए गए हैं। किस अंतराल में औसत चाल अधिकतम है और किसमें न्यूनतम है? प्रत्येक अंतराल के लिए औसत वेग का चिहन बताइए।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 15
उत्तर:
चूँकि लघु अन्तरालों में समय – दूरी (x – t) ग्राफ की ढाल उस अन्तराल में कण की औसत चाल को प्रदर्शित करती है। ग्राफ से स्पष्ट है कि इस अन्तराल में,

  1. अन्तराल (3) में ग्राफ की ढाल अधिकतम है अत: औसत चाल अधिकतम है। जबकि अन्तराल (2) में ग्राफ की ढाल न्यूनतम है अतः इस अन्तराल में औसत चाल न्यूनतम है।
  2. अन्तराल (1) एवम् (2) में ढाल धनात्मक है लेकिन अन्तराल (3) में ऋणात्मक है अतः अन्तराल (1 व 2) में औसत वेग धनात्मक जबकि अन्तराल (3) में ऋणात्मक है।

प्रश्न 3.22.
चित्र में किसी नियत (स्थिर) दिशा के अनुदिश चल रहे कण का चाल – समय ग्राफ दिखाया गया है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 16
इसमें तीन समान समय अंतराल दिखाए गए हैं। किस अंतराल में औसत त्वरण का परिमाण अधिकतम होगा? किस अंतराल में औसत चाल अधिकतम होगी? धनात्मक दिशा को गति की स्थिर दिशा चुनते हुए तीनों अंतरालों में । तथा a के चिहन बताइए। A, B, C व D बिंदुओं पर त्वरण क्या होंगे?
उत्तर:

  1. चूँकि लघु अन्तरालों में चाल-समय (v-1) ग्राफ की ढाल का परिमाण कण के औसत त्वरण के परिमाण को व्यक्त करता है। दिए गए ग्राफ से स्पष्ट है कि ढाल का परिमाण अन्तराल वक्र (2) में अधिकतम जबकि अन्तराल (3) में न्यूनतम है। इस प्रकार औसत त्वरण का परिमाण अन्तराल (2) में अधिकतम व अन्तराल (3) में न्यूनतम होगा।
  2. औसत चाल अन्तराल (1) में न्यूनतम तथा अन्तराल (3) में अधिकतम है।
  3. तीनों अन्तरालों में चाल (v) धनात्मक है। अन्तराल (1) में चाल-समय (v – t) ग्राफ का ढाल धनात्मक जबकि अन्तराल (2) में ढाल अर्थात् त्वरण a ऋणात्मक है। अन्तराल (3) में चाल – समय ग्राफ समय-अक्ष के समान्तर है। अतः इस अन्तराल में त्वरण शून्य है।.
  4. चारों बिन्दुओं (i.e.,A, B, C तथा D) पर, चाल – समय ग्राफ समय-अक्ष के समान्तर है। अतः इन चारों बिन्दुओं पर त्वरण शून्य है।

अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 3.23.
कोई तीन पहिये वाला स्कूटर अपनी विरामावस्था से गति प्रारंभ करता है। फिर 10 s तक किसी सीधी सड़क पर 1 ms2 के एकसमान त्वरण से चलता है। इसके बाद वह एक समान वेग से चलता है। स्कूटर द्वारा गवें सेकंड (n = 1, 2, 3,…) में तय की गई दूरी को n के सापेक्ष आलेखित कीजिए। आप क्या आशा करते हैं कि त्वरित गति के दौरान यह ग्राफ कोई सरल रेखा या कोई परवलय होगा?

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 17
उत्तर:
प्रारम्भिक वेग, u = 0,
त्वरण a = 1 मीटर/सेकण्ड2, t = 10 सेकण्ड
सूत्र Snth =u + \(\frac { a }{ 2 }\) (2n – 1) से,
S1th = 0 + \(\frac { 1}{ 2 }\) (2 x 1 – 1) = 0.5 मीटर
S2th = 0 + \(\frac { 1}{ 2 }\) (2 x 2 – 1) =1.5 मीटर
S3th = 0 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) (2 x 3 – 1) = 2.5 मीटर
Smum = 0 + \(\frac { 1 }{ 2 }\)(2 x 4 – 1) = 3.5 मीटर
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 18
इत्यादि।
चित्र से स्पष्ट है कि एक समान त्वरित गति के लिए समय अक्ष पर झुकी सरल रेखा, एक समान गति के लिए समय अक्ष के समान्तर सरल रेखा ही है।

प्रश्न 3.24.
किसी स्थिर लिफ्ट में (जो ऊपर से खली है) कोई बालक खड़ा है। वह अपने पूरे जोर से एक गेंद ऊपर की ओर फेंकता है जिसकी प्रारंभिक चाल 49 ms-1 है। उसके हाथों में गेंद के वापिस आने में कितना समय लगेगा? यदि लिफ्ट ऊपर की ओर 5 ms1 की एकसमान चाल से गति करना प्रारंभ कर दे और वह बालक फिर गेंद को अपने पूरे जोर से फेंकता तो कितनी देर में गेंद उसके हाथों में लौट आएगी?
उत्तर:
जब लिफ्ट स्थिर है, तब u = 49 ms1, v = 0 तथा a = – 9.8 m s2
जब गेंद लड़के के हाथ में वापस लौटेगी तो गेंद का लिफ्ट के सापेक्ष विस्थापन शून्य होगा।
अतः s =ut +\(\frac { 1 }{ 2 }\) at2में, s = 0 तथा माना लौटने में लगा
समय = t
∴ 0 = 49t – \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 9.8 x t2

⇒\(\frac { 1 }{ 2 }\) x 9.8 x t2
⇒ t = \(\frac { 49 x 2 }{ 9.8 }\) = 10 s
जब लिफ्ट ऊपर की ओर एक समान वेग से चलती है तो लिफ्ट के सापेक्ष गेंद का प्रारम्भिक वेग 49 ms1 ही रहेगा; अतः गेंद को बालक के हाथों में आने में 10 s का ही समय लगेगा।

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प्रश्न 3.25.
क्षैतिज में गतिमान कोई लम्बा पट्टा (चित्र) 4km/h की चाल से चल रहा है। एक बालक इस पर ( पट्टे के सापेक्ष)9 km/h की चाल से कभी आगे कभी पीछे अपने माता-पिता के बीच दौड़ रहा है। माता व पिता के बीच 50 m की दूरी है। बाहर किसी स्थिर प्लेटफॉर्म पर खड़े एक प्रेक्षक के लिए, निम्नलिखित का मान प्राप्त करिए

  1. पट्टे की गति की दिशा में दौड़ रहे बालक की चाल
  2. पट्टे की गति की दिशा के विपरीत दौड़ रहे बालक की चाल,
  3. बच्चे द्वारा (a) व (b) में लिया गया समय यदि बालक की गति का प्रेक्षण उसके माता या पिता करें तो कौन – सा उत्तर बदल जाएगा?

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उत्तर:
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1. जब बालक पट्टे की गति की दिशा में दौड़ता है पट्टे के सापेक्ष बालक का वेग = 9 km h1 (बाएँ से दाएँ) यदि बालक का वेग, प्लेटफार्म पर खड़े किसी प्रेक्षक के सापेक्ष \(\vec{v}_{c}\) हो तो,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 25

2. जब बालक पट्टे की गति की दिशा के विपरीत दौड़ता है
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 28
ऋणात्मक चिहन बालक की विपरीत दिशा (दाएँ से बाएँ) को व्यक्त करता है।

3. स्थिति (a) अथवा (b) में लगने वाला समय
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 29
समय 20s रह जाएगा यदि माता या पिता बालक की गति का प्रेक्षण करते हैं।

प्रश्न 3.26.
किसी 200 m ऊँची खड़ी चट्टान के किनारे से दो पत्थरों को एक साथ ऊपर की ओर 15 ms1तथा 30 ms1की प्रारंभिक चाल से फेंका जाता है। इसका सत्यापन कीजिए कि नीचे दिखाया गया ग्राफ (चित्र) पहले पत्थर के सापेक्ष दूसरे पत्थर की आपेक्षिक स्थिति का समय के साथ परिवर्तन को प्रदर्शित करता है। वायु के प्रतिरोध को नगण्य मानिए और यह मानिए कि जमीन से टकराने के बाद
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 20
पत्थर ऊपर की ओर उछलते नहीं। मान लीजिए g = 10 ms2 ग्राफ के रेखीय व वक्रीय भागों के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर:
दिया है : (0) = 200 मीटर,
v (0) =15 मीटर/सेकण्ड
a = – 10 मीटर/सेकण्डर
हम जानते हैं कि
x = xo + ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) at2
∴ x1(t) = 200 + 15 x t – 5t2
जब पहला पत्थर जमीन से टकराता है,
x1(t) = 0
∴ – 5t2 + 15t + 200 = 0 …(1)
या t2 -3t – 400 =0
या (t + 5) (t – 8) = 0
∴ t= – 5 या 8
परन्तु t # ऋणात्मक
∴ t = 8 सेकण्ड
जब दूसरा पत्थर जमीन से टकराता है,
x2 (t) = 200 मीटर, V0 =30 मीटर/सेकण्ड
a = – 10 मीटर/सेकण्डर2
∴x2 (t) = 200 + 30t – 5t2
प्रश्नानुसार,
x2(t) – x1(t) =15t …(1)
जहाँ x2(t) – x1(t) दोनों पत्थरों के बीच दूरी (x) है।
x = 15t
i.e., x ∝t
i.e., अब तक दोनों पत्थर गतिमान रहेंगे, उनके बीच दूरी बढ़ती रहेगी। अर्थात् (x – t) ग्राफ सरल रेखा होगा।
चूँकि t =8 सेकण्ड, अत: पत्थर पृथ्वी पर 8 सेकण्ड बाद लौटेगा। इस समय पर दोनों के बीच अधिकतम दूरी होगी।
∴अधिकतम दूरी, x =15 x 8
= 120 मीटर होगी।
अर्थात् 8 सेकण्ड बाद केवल दूसरा पत्थर गतिशील होगा। अतः ग्राफ द्विघाती समीकरण के अनुसार परवलयाकार होगा।

प्रश्न 3.27.
किसी निश्चित दिशा के अनुदिश चल रहे किसी कण का चाल – समय ग्राफ (चित्र) में दिखाया गया है। कण द्वारा (a) t = 0 s से t = 10s, (b) t = 25 से 6s के बीच तय की गई दूरी ज्ञात कीजिए।
(a) तथा (b) में दिए गए अंतरालों की अवधि में कण की औसत चाल क्या है?
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 21
उत्तर:
(a) t = 0 सेकण्ड से t =10 सेकण्ड में चली गई दूरी
= चाल समय ग्राफ का क्षेत्रफल
= \(\frac { 1 }{ 2 }\)OB x Ac
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10 x 12 = 60 मीटर
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 24

(b) t = 2 सेकण्ड से 1 = 6 सेकण्ड में चली दूरी ज्ञात करने के लिए, इसे दो भागों में अर्थात् t = 2 से t=5 से० तक तथा t = 5 से t = 6 से० तक ज्ञात कर जोड़ेंगे।

(i) t = 2 से t = 5 से० के लिए
ut = 0, v =12 मीटर/सेकण्ड, t = 5 सेकण्ड
∴a=\(\frac { v – u }{ t }\) से
a = \(\frac { 12 }{ 5 }\)= 2.5 मीटर/सेकण्ड2
अब सूत्र v = u + at से, t = 2 सेकण्ड पर चाल
=0 + 2.4 x 2 = 4.8 मीटर/सेकण्ड
∴ t = 2 से t = 5 से० में चली दूरी
S=ut + at2
= 4.8 x 3+ \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 2.4 x 32
= 14.4 + 10.8
= 25.2 मीटर

(ii) t = 5 से 1 = 6 से० के बीच चली दूरी
x = 12 x 1+ 2 x (- 2.4) x 12
= 12 – 1.2 = 10.8 मीटर
∴ कुल चली दूरी = 25.2 + 10.8
= 36 मीटर
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प्रश्न 3.28.
एकविमीय गति में किसी कण का वेग-समय ग्राफ (चित्र) में दिखाया गया है:
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति 22
नीचे दिए सूत्रों में t1 से t2 तक के समय अंतराल की अवधि में कण की गति का वर्णन करने के लिए कौन-से सूत्र सही हैं:

  1. x (t2) = x (t1) + v (t1) (t2– t1) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) a(t2 -t2)22
  2. v (12) =v (11) + a (t2 – t1)
  3. Vaverage= [x (t2) – x(t1)]/(t2-t1)
  4. aaverage = [v (t2) – (t1)]/(t2 – t1)
  5. x (t2) = x (t1) + vaverage (t2 – t1) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)aaverage (t2 – t1).
  6. x (t2) – x (t1) = t – अक्ष तथा दिखाई गई बिंदुकित रेखा के बीच दर्शाए गए वक्र के अंतर्गत आने वाला क्षेत्रफल।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. सत्य।

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MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

ऊष्मागतिकी NCERT अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊष्मागतिकी अवस्था फलन एक राशि है –
(a) जो ऊष्मा-परिवर्तनों के लिए प्रयुक्त होती है।
(b) जिसका मान पथ पर निर्भर नहीं करता है।
(c) जो दाब-आयतन कार्य की गणना करने में प्रयुक्त होती है।
(d) जिसका मान केवल ताप पर निर्भर करता है।
उत्तर:
(b) क्योंकि अवस्था फलन केवल प्रारंभिक तथा अंतिम अवस्था पर निर्भर करते है।

प्रश्न 2.
एक प्रक्रम के रुद्धोष्म परिस्थितियों में होने के लिए –
(a) ∆T = 0
(b) ∆P = 0
(c) q = 0
(d) W = 0.
उत्तर:
(c) रुद्धोष्म प्रक्रम में न तो ऊर्जा निकलती है और न ही अवशोषित होती है अतः q= 0.

प्रश्न 3.
सभी तत्वों की एन्थैल्पी उनकी सन्दर्भ-अवस्था में होती है –
(a) इकाई
(b) शून्य
(c) < 0
(d) सभी तत्वों के लिए भिन्न होती है।
उत्तर:
(b) शून्य

प्रश्न 4.
मेथेन के दहन के लिए ∆U° का मान – X kJ mol-1 है। इसके लिए ∆H° का मान होगा –
(a) = ∆H°
(b) > ∆U°
(c) < ∆U°
(d) = 0
उत्तर:
CH2(g)A + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(l)
∆ng = 1 – 3 = – 2
∆H = ∆U + ∆ngRT = ∆U – 2RT
∆H < ∆U
∴ सही उत्तर (c).

प्रश्न 5.
मेथेन, ग्रेफाइट एवं डाइहाइड्रोजन के लिए 298 K पर दहन एन्थैल्पी के मान क्रमशः -890.3 kJ mol-1 -393.5 kJ mol-1 एवं – 285.8 kJ mol-1 हैं। CH4(g) की विरचन एन्थैल्पी क्या होगी –
(a) – 74.8 kJ mol-1
(b) – 52:27 kJ mol-1
(c) + 74.8 kJ mol-1
(d) +52-26 kJ mol-1
उत्तर:
दिया गया है-
(i) CH4(g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O; ∆H = -890.3 kJ mol-1
(ii) C(s) + O2(g) → CO2(g); ∆H = -393.5 kJ mol-1.
(iii) H(s) ) + 5O2(g) → H2O(l); ∆H = -285.8 kJ mol-1.
आवश्यक समीकरण = C(s)+ 2H2(g) → CH4 ; ∆H = ?
समी. (ii) + समी. (iii) x 2 समी. (i) से आवश्यक समीकरण प्राप्त होगा।
∆H = -393.5 + 2 (-285.8) – (-890.3) kJ mol-1
= -74.8 kJ mol-1
सही उत्तर (a).

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प्रश्न 6.
एक अभिक्रिया A + B → C+ D + q के लिए एण्ट्रॉपी परिवर्तन धनात्मक पाया गया है। यह अभिक्रिया सम्भव होगी –
(a) उच्च ताप पर,
(b) केवल निम्न ताप पर
(c) किसी भी ताप पर नहीं
(d) किसी भी ताप पर।।
उत्तर:
AG = AH – TAS, जहाँ AH = -ve, AS = +ve. अत: AG = -ve होगा सभी तापमान पर
∴ उत्तर (d).

प्रश्न 7.
एक प्रक्रम में निकाय द्वारा 701 J ऊष्मा अवशोषित होती है एवं 394 J कार्य किया जाता है। इस प्रक्रम में आन्तरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन होगा?
हल:
प्रश्नानुसार
q = + 701 J ( ऊष्मा अवशोषित होती है, ∴q धनात्मक है।)
W = – 394 J ( निकाय द्वारा कार्य होता है, ∴W ऋणात्मक है।)
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से, आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन,
AU = q+ W = + 701 J + (- 394 J) = + 307 J
अतः निकाय की आंतरिक ऊर्जा में 307 J की वृद्धि होती है।

प्रश्न 8.
एक बम कैलोरीमीटर में NH2CN की अभिक्रिया डाइऑक्सीजन के साथ की गई एवं AU का मान – 742:7 kJ mol – पाया गया (298 K पर)। इस अभिक्रिया के लिए 298 K पर एन्थैल्पी परिवर्तन ज्ञात कीजिए –
NH2CN(s) + \(\frac { 3 }{ 2 }\)O2(g) → N2(g) + CO2(g) + H2O(l)

हल:
NH2CN(s) +\(\frac { 3 }{ 2 }\)O2(g) → N2(g) + CO2(g) + H2O(l)
गैसीय उत्पादों तथा अभिकारकों के मोलों की संख्या का अन्तर –
∆ng = np – nr = 2 – \(\frac { 3 }{ 2 }\) = \(\frac { 1 }{ 2 }\) = 0.5 mol
∆H = ∆U+∆ng RT
∆H = -742.7 kj mol-1 + (0.5 mol x 8:314 × 10-3kJ mol-1 × 298k)
∆H = (- 742.7 kJ + 1238.786 × 10-3kJ) mol-1
= 741-46 kJ mol-1

प्रश्न 9.
60 – 0g ऐल्युमिनियम का ताप 36°C से 55°C करने के लिए कितने किलो जूल ऊष्मा की आवश्यकता होगी ? Al की मोलर ऊष्माधारिता 24Jmol-1K-1 है।
हल:
प्रश्नानुसार,
Al का द्रव्यमान = 60.0g,
Al का मोलर द्रव्यमान = 27g mol-1,
मोलर ऊष्माधारिता,
C = 24Jmol ‘K-1,
∆T= 55°C – 35°C = 20°C या 20K.
∴ ऊष्मा, q = n – C∆T
⇒ q = \(\frac {60 }{ 27 }\) × 24Jmol-1 × 20k,
= 1066.66J = 1.067kJ.

प्रश्न 10.
10.0°C पर 1 मोल जल की बर्फ -10°C पर जमाने पर एन्थैल्पी परिवर्तन की गणना कीजिए।
fusH = 6.03 kJ mol-1 0°C पर,
Cp [H2O(l)] = 75.3 J mol-1K-1,
Cp[H2O(s)] = 36.8 J mol-1K-1

हल:
अभिक्रिया तीन पदों में सम्पन्न होगी:
1. जल का एक मोल 10°C पर 1 मोल जल 0°C पर परिवर्तित होगा।
∆H = n × Cp× ∆T = 1 × 75.3 (-10) = -753 J/mol-1

2. 1 मोल जल 0°C पर 1 मोल बर्फ में बदलेगा 0°C पर।
∆H = ∆गलनH × n = -6.03 kJ/mol-1 = – 6030 J/mol-1

3. 1 मोल बर्फ 0°C पर 1 मोल बर्फ में परिवर्तित होगी -10°C पर।
∆H = n × Cp× ∆T = 1 x 36.8 × (-10) = -368 J/mol-1
∴ ∆HHotel = – 753 – 6030 – 368 = – 7151 J/mol-1

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प्रश्न 11.
कार्बन की कार्बन-डाइऑक्साइड में दहन की एन्थैल्पी -393.5 kJ mol-1कार्बन एवं ऑक्सीजन से 35.2gCO2 बनने पर उत्सर्जित ऊष्मा की गणना कीजिए।
हल:
C(s) + O2(g) → CO2(g);
∆H = 393.5 kJmol-1 1 mol = 44 g
∴ जब 44g CO2 बनता है तब मुक्त होने वाली ऊर्जा की मात्रा = 393.5 kJ mol-1
∴ 35.5g CO2 निर्माण होने पर मुक्त होने वाली ऊर्जा की मात्रा = \(\frac { 393.5 }{ 44 }\) × 35.2 = 314.8 kJ.

प्रश्न 12.
CO(g), CO2(g) N2O(g) एवं N2O4(g) की विरचन एन्थैल्पी क्रमशः -110, -393, 81 एवं 9.7 kJ mol-1 हैं। अभिक्रिया N2O4(g) + 3CO(g) → N2O(g)) + 3CO2(g)) के लिए ∆rH का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
हम जानते हैं कि ∆fH° = ∑∆fक्रियाफल – ∑∆fक्रियाकारक
rH° = [∆fN2O + 3∆fCO2] – [∆fNO(2) + 3∆fCO2]
= [ 81 + 3 (-393)] – [9.7 + 3 (-110)] = -777.7 kJ.

प्रश्न 13.
N2(g) + 3H2(g) → 2NH3(g); ∆fH° = – 92.4kJ mol-1 NH3गैस की मानक विरचन एन्थैल्पी क्या है ?
हल:
दी गई अभिक्रिया है – N2(g) + 3H2(g) → 2NH3(g); ∆rH = -92.4kJ mol-1
fN2 = 0,
fH2 = 0,
fNH3 = x,
rH° = ∑∆fक्रियाफल – ∑∆f क्रियाकारक
= 2∆fNH3 – [∆fN2 + 3∆fH2 >]
= -92.4 = 2x
x = – \(\frac { 3 }{ 2 }\) x 92.4 = – 46.2 kJ mol-1
अर्थात् ∆fNH3  = – 46.2kJ mol-1

प्रश्न 14.
निम्नलिखित आँकड़ों से CH3OH(l) की मानक विरचन एन्थैल्पी ज्ञात कीजिए –

  • CH3OH(l)+\(\frac { 3 }{ 2 }\) O2(g) → CO2(g)) + 2H2O(l); ∆rH° = – 726 kJ mol-1
  • C(ग्रेफाइट ) + O2(g) → CO2(g)); ∆cH° = -393 kJ mol-1
  • H2(g) +\(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g)) → H2O(l); ∆fH° = – 286 kJ mol-1

हल:
मेथेनॉल के निर्माण का आवश्यक समीकरण निम्न है –
C(s)+2H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → CH3OH(l); ∆H°=?

प्रश्नानुसार, मेथेनॉल की दहन एन्थैल्पी
(i) C3OH(l)+\(\frac { 3 }{ 2 }\)O2(g)) → CO2(g)) + 2H2O(l); ∆H° = 726kJ mol-1
1 mol CO2(g) की विरचन एन्थैल्पी

(ii) C(s) + O2(g) → CO2(g); ∆H°=-393 kJ mol-1
2 mol H2O(l); के विरचन की एन्थैल्पी

(iii) H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → H2O(l); ∆H° = -286kJ mol-1
समी. (iii) को 2 से गुणा करने पर,

(iv) 2H2(g) + O2(g)→ 2H2O(l)   ∆H° = -572kJ mol-1
समी. (ii) तथा (iv) को जोड़ने पर,

(v) C(s) +2H2(g)+ 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(l); ∆H° = – 965 kJ mol-1
समी. (i) का व्युत्क्रम करने पर,

(vi) CO2(g) + 2H2O(l) → CH3OH(l) + \(\frac { 3 }{ 2 }\)O2(g)); ∆H° = 726kJ mol-1
समी. (v) तथा (vi) का योग करने पर,
C(s) + 2H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2(g) → CH3OH(l); ∆H°= -239kJmol-1

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प्रश्न 15.
CCI4(g) → C(g) + 4CI(g) , अभिक्रिया के लिए एन्थैल्पी परिवर्तन ज्ञात कीजिए एवं CCI4 में C – Cl की आबंध एन्थैल्पी की गणना कीजिए।

  1. vap H°(CCl4) = 30.5 kJ mol-1
  2. fH° (CCl4) = -135.5 kJ mol-1
  3. aH° (C) = 715.0 kJ mol-1
  4. aH° (Cl2) = 242 kJ mol-1   (यहाँ∆aH° कणन एन्थैल्पी है)

हल:
प्रश्नानुसार,
(i) CCI4(l)) → CCl4(g); ∆वाष्पन H° =+ 30.5kJmol-1
(ii) C(s)) + 2Cl2) → CCl4(l); ∆H°= – 135.5kJmol-1
(iii) C(s) → C(g) ;  ∆H° =715.0kJmol-1
(iv) Cl2(g) → 2Cl(g); ∆,H° = 242kJ mol-1
समी. (iv) को 2 से गुणा करने पर,
(v) 2Cl2(g) → 4Cl(g); ∆H° = 484.0kJmol-1
समी. (iii) तथा (v) को जोड़ने पर,

(vi) C(s) + 2C2(g) → C(g)+ 4Cl(g); ∆H = 1199kJmol
समी. (i) तथा (ii) का व्युत्क्रम करने पर,

(vii) CCl4(g) → CCl4(l);∆H =-30.5kJmol-1

(viii) CCl4(l) → C(s) + 2Cl2(g); ∆H =+ 135.5kJmol-1
समी. (vi), (vii) तथा (viii) का योग करने पर,
CCl4(g) → C(g) + 4Cl(g) ;∆H =1304kJmol-1
CCl4 में C – Cl आबंध की आबंध एन्थैल्पी = \(\frac { 1304 }{4 }\)= 326 kJ mol-1
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-1

प्रश्न 16.
एक विलगित निकाय के लिए AU = 0, इसके लिए ∆S क्या होगा?
उत्तर:
एक विलगित तंत्र की एण्ट्रॉपी सदैव धनात्मक होती है (∆S > 0) क्योंकि ∆U = U अर्थात् ऊर्जा कारक अभिक्रिया के लिये कोई महत्व नहीं रखता है। स्वतः परिवर्तित के लिये AS को +ve होना चाहिए। उदाहरण के लिये यदि दो गैसें अलग-अलग रखी गयी हैं। तंत्र को पूर्णतः उसके परिवेश में विलगित किया गया है। मिलाने पर ∆S +ve होता है तथा तंत्र में अनियमितता ज्यादा होती है।

प्रश्न 17.
298 K पर अभिक्रिया 2A + B → C के लिए ∆H = 400 kJ mol-1 एवं ∆S = 0.2 kJK mol-1 ∆H एवं ∆S को ताप-विस्तार में स्थिर मानते हुए बताइए कि किस ताप पर अभिक्रिया स्वतः होगी?
हल:
∆H = 400 × 103 J mol-1 ;∆S = 2000 JK-1 mol-1
एक स्वतः प्रवर्तित प्रक्रम ∆G =-ve

∆H – T∆S < 0 या T >\(\frac { ∆H }{∆S }\) या T > \(\frac { 400 x 1000 }{2000 }\) या T >200K
200 K के ऊपर प्रक्रम स्वतः प्रवर्तित होगा।

प्रश्न 18.
अभिक्रिया, 2Cl(g) → Cl(g),के लिए ∆H एवं ∆S के चिन्ह क्या होंगे?
उत्तर:
(i) बंध निर्माण एक ऊष्माक्षेपी क्रिया है।
∴ ∆H = – ve
(ii) कणों की संख्या कम होने पर एण्ट्रॉपी कम होती है।
∴ ∆S = – ve

प्रश्न 19.
अभिक्रिया 2A(g) + B(g) → 2D(g) के लिए ∆U° = -10.5 kJ एवं ∆S° = – 44.1 JK-1 अभिक्रिया के लिए ∆G° की गणना कीजिए और बताइए कि क्या अभिक्रिया स्वतः प्रवर्तित हो सकती है ?
हल:
दी गयी अभिक्रिया के लिए ∆n(g) =2 – (3) = -1,
∆U° = -10.5 kJ,
R = 8:314 x 10-3 kJ,
∆T = 290 K,
∆S° = – 44.1 JK-1 = – 44.1 x 10-3kJ
∆H° = ∆U° + ∆n(g)RT
= -10.5 + (-1) (8.314 × 10-3) (290)
= -10.5 – 2.48

∆H° = -12.98 kJ
∆G° =∆H° – T∆S°
= -12.98 – 298 (-44.1 × 10-3)
= -12.98 + 13.14 = 0.16 kJ

क्योंकि ∆G° धनात्मक है अतः क्रिया स्वतः प्रवर्तित नहीं होगी।

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प्रश्न 20.
300 K ताप पर एक अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिरांक 10 है। ∆G° का मान क्या होगा ? R = 8.314 JK-1 mol-1.
हुल:
∆G° = -2.303 RT log K
= -2.303 × 8.314 × 300 × log 10
= – 5744.1 J.

प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के आधार पर NO(g) के ऊष्मागतिकी स्थायित्व पर टिप्पणी लिखिए –
\(\frac { 1 }{ 2 }\)N2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → NO(g) ; ∆fH° = 90 kJ mol-1
NO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → NO(g); ∆fH° = – 74 kJ mol-1

उत्तर:
NO(g),NO2की तुलना में कम स्थायी है क्योंकि NO एक ऊष्माशोषी यौगिक है जबकि NO2एक ऊष्माक्षेपी यौगिक है। ऊष्माक्षेपी यौगिक ऊष्माशोषी यौगिकों से अधिक स्थायी होती है।

प्रश्न 22.
जब 1.00 मोल H2O(l)को मानक परिस्थितियों में विरचित किया जाता है, तब परिवेश के एण्ट्रॉपी परिवर्तन की गणना कीजिए।
(∆fH° = -286 kJ mol-1)
हल:
1 mol H2O(l)) के विरचन (निर्माण) में एन्थैल्पी परिवर्तन,
H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g)) → H2O(l);
fH°= -286kJ mol-1

उपर्युक्त अभिक्रिया में उत्सर्जित ऊर्जा, परिवेश द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
अतः
q परिवेश = + 286 kJ mol-1
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-2
= 0.9597 kJ k-1 mol-1
= 959.7 Jk-1 mol-1

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ऊष्मागतिकी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

ऊष्मागतिकी वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
किसी तंत्र को बंद तंत्र कहा जाता है, यदि वह परिवेश के साथ विनिमय करता है –
(a) द्रव्य व ऊर्जा दोनों का
(b) द्रव्य एवं ऊर्जा में से किसी का नहीं
(c) द्रव्य का नहीं केवल ऊर्जा का
(d) ऊर्जा का नहीं केवल द्रव्य का।
उत्तर:
(c) द्रव्य का नहीं केवल ऊर्जा का

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा एन्थैल्पी परिवर्तन सदैव ऋणात्मक होता है –
(a) सम्भवन की एन्थैल्पी
(b) विलयन की एन्थैल्पी
(c) दहन की एन्थैल्पी
(d) जल अपघटन।
उत्तर:
(c) दहन की एन्थैल्पी

प्रश्न 3.
एक बम कैलोरीमीटर द्वारा निम्न का मापन होता है –
(a) ∆H
(b) ∆E
(c) qp
(d) qv.
उत्तर:
(d) qv.

प्रश्न 4.
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार.
(a) ∆ E = q + w
(b) ∆ E = q – W.
(c) ∆ E = q + PV
(d) W = ∆ E – q.
उत्तर:
(a) ∆E = q + w

प्रश्न 5.
यदि गैसीय अभिक्रिया में अभिकारकों एवं उत्पादों के मोलों की संख्या समान हो तो
(a) ∆H = ∆E
(b) ∆H > ∆E
(c) ∆H < ∆E
(d) ∆H = ∆E = 0.
उत्तर:
(a) ∆H = ∆E .

प्रश्न 6.
हेस का नियम संबंधित है –
(a) अभिक्रिया की गति से
(b) साम्य स्थिरांक से
(c) अभिक्रिया ऊष्मा में परिवर्तन से
(d) एक गैस के आयतन पर दाब के प्रभाव से।
उत्तर:
(c) अभिक्रिया ऊष्मा में परिवर्तन से

प्रश्न 7.
जब एक अम्ल की एक क्षार के साथ उदासीनीकरण ऊष्मा का मान 13.7 k cal है, तो
(a) अम्ल तथा क्षार दोनों दुर्बल होंगे
(b) अम्ल तथा क्षार दोनों प्रबल होंगे
(c) अम्ल प्रबल और क्षार दुर्बल होंगे
(d) अम्ल दुर्बल और क्षार प्रबल होंगे।
उत्तर:
(b) अम्ल तथा क्षार दोनों प्रबल होंगे.

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प्रश्न 8.
अभिक्रिया CO2(g) + H2(g) → CO(g) + H2O(g) ;∆H = 80kJ , में उत्पन्न ऊष्मा को
(a) संभवन ऊष्मा कहते हैं
(b) दहन ऊष्मा कहते हैं
(c) उदासीनीकरण ऊष्मा कहते हैं
(d) अभिक्रिया ऊष्मा कहते हैं।
उत्तर:
(d) अभिक्रिया ऊष्मा कहते हैं।

प्रश्न 9.
उदासीनीकरण ऊष्मा का मान किस अभिक्रिया के लिए सबसे कम होगा –
(a) HCl + NaOH
(b) CH3COOH + NH4OH
(c) NH4OH + HCl
(d) NaOH + CH3COOH.
उत्तर:
(b) CH3COOH + NH4OH

प्रश्न 10.
अभिक्रिया C6H6(l)+ \(\frac { 15 }{ 2 }\)O2(g) → 3H2O(l), +6CO2(g)); ∆H = – 3264 kJ mol-1 है, तो 3.9 ग्राम बेन्जीन को वायु में जलाने से उत्पन्न ऊष्मा होगी –
(a) 163.23 kJ
(b) 326.4 kJ
(c) 32.64 kJ
(d) 3.264 kJ.
उत्तर:
(a) 163.23 kJ

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. दहन ऊष्मा∆H का मान सदैव …………. होता है।
  2. उदासीनीकरण ऊष्मा का मान सदैव …………. kJ होता है।
  3.  स्थिर दाब पर किसी तंत्र की सम्पूर्ण ऊष्मा को …………. कहते हैं।
  4. जल का वाष्पीकरण …………. परिवर्तन है।
  5. अभिक्रिया H2 + Cl2 → 2HCl + 44 kcal में सम्भवन ऊष्मा का मान …………. होगा।
  6. प्रक्रम जो तापरोधी होता है …………. कहलाता है।
  7. यदि उत्पादों को पूर्ण ऊष्मा अभिकारकों की पूर्ण ऊष्मा से अधिक होती है तो अभिक्रिया कहलाती है।
  8. नियत दाब पर ऊष्मा परिवर्तन को …………. कहते हैं।
  9. यदि AH का मान ऋणात्मक हो, तो अभिक्रिया …………. होती है।
  10. एक मोल पदार्थ को जलाने पर उत्सर्जित होने वाली ऊष्मा की मात्रा को ………… कहते हैं।

उत्तर:

  1. ऋणात्मक
  2. 57.1 kJ
  3. एन्थैल्पी
  4. ऊष्माशोषी
  5. 22 kcal
  6. रुद्धोष्म
  7. ऊष्माशोषी
  8. एन्थैल्पी
  9. ऊष्माक्षेपी
  10. दहन ऊष्मा।

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प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-3
उत्तर:

  1. (c) ऊष्माशोषी
  2. (d) शून्य
  3. (e) एन्थैल्पी
  4. (a) शून्य
  5. (b) आइसोबोरिक

प्रश्न 4.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. अवस्था फलन के दो उदाहरण दीजिए।
  2. NaCl, H2O(s)) व NH3(s)) में किसकी एण्ट्रापी का मान अधिक होगा?
  3. ∆G = ∆H – T∆S समीकरण को किसने प्रतिपादित किया ?
  4. ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम का समीकरण लिखिए।
  5. जब बर्फ गलकर पानी में परिवर्तित होता है तब एण्ट्रापी का मान क्या होगा?

उत्तर:

  1. एन्थैल्पी, एण्ट्रॉपी,
  2. NH3
  3. गिब्स हेल्महोल्ट्ज
  4. ∆E = q + W
  5. बढ़ जायेगा।

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ऊष्मागतिकी अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रासायनिक ऊर्जिकी शब्द का अर्थ बताइये।
उत्तर:
रासायनिक ऊर्जिकी के अंतर्गत रासायनिक अभिक्रियाओं के फलस्वरूप होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2.
298 K पर अभिक्रिया N2O4(g)  ⥨  2NO2(g) के लिए Kp का मान 0.98 है बताइए कि अभिक्रिया स्वतः प्रवर्धित होगी अथवा नहीं ?
उत्तर:
rG° = – 2.303 RT log Kp
Kp = 0.98 अर्थात् Kp < 1
∴ ∆G° का मान धनात्मक होगा। अतः अभिक्रिया स्वतः प्रवर्धित नहीं होगी।

प्रश्न 3.
विस्तीर्ण गुण द्रव्य की मात्रा पर निर्भर करते हैं परन्तु गहन गुण द्रव्य की मात्रा पर निर्भर नहीं करते हैं। बताइए कि निम्नलिखित गुण विस्तीर्ण है अथवा गहन गुण ? द्रव्यमान, आंतरिक ऊर्जा, दाब, ऊष्माधारिता, मोलर ऊष्माधारिता, घनत्व, मोल प्रभाज, विशिष्ट ऊष्मा, ताप तथा मोलरता।
उत्तर:
विस्तीर्ण गुण – द्रव्यमान, आंतरिक ऊर्जा, ऊष्माधारिता।
गहन गुण – दाब, मोलर ऊष्माधारिता, घनत्व, मोल प्रभाज, विशिष्ट ऊष्मा, ताप तथा मोलरता।

प्रश्न 4.
ऊष्माधारिता (Cp) एक विस्तीर्ण गुण है जबकि विशिष्ट ऊष्मा (C) एक गहन गुण है। 1 मोल जल के लिए Cr तथा C में क्या संबंध होगा?
हल:
किया गया कार्य,
W = – Pबाह्य (V2 – V1)
जब – Pबाह्य= 0,
अतः – w = – 0 (5 – 1) = 0
समतापी प्रसार के लिए, ∆U = 0
अतः ∆T = 0.

प्रश्न 5.
तंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर-ब्रह्माण्ड का वह विशिष्ट भाग जिसे ऊष्मागतिकी के अध्ययन के लिये चुना जाये, तंत्र या निकाय कहलाता है। यदि सम्पूर्ण निकाय के भौतिक गुण या रासायनिक संघटन समान हों तो ऐसे निकाय को समांगी निकाय कहते हैं। जैसे-गैसों का मिश्रण परन्तु यदि निकाय के सभी भागों के भौतिक गुण एवं रासायनिक संघटन भिन्न हों तो यह विषमांगी निकाय कहलाता है। उदाहरण-जल एवं तेल का मिश्रण।

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प्रश्न 6.
प्रक्रम क्या है ? यह कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
ऐसा प्रक्रम जो किसी ऊष्मागतिकी अवस्था में परिवर्तन कराता है तो उसे ऊष्मागतिकी प्रक्रम कहते हैं।
ऊष्मागतिकी प्रक्रम के प्रकार –

  • समतापी प्रक्रम
  • रुद्धोष्म प्रक्रम
  • समदाबी प्रक्रम
  • समआयतनिक प्रक्रम
  • उत्क्रमणीय प्रक्रम
  • अनुत्क्रमणीय प्रक्रम
  • चक्रीय प्रक्रम।

प्रश्न 7.
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये। अथवा, ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया के लिये ∆H का चिह्न ऋणात्मक होता है, क्यों?
उत्तर:
ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा उत्सर्जित होती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। ऐसी अभिक्रियाओं में अभिकारकों की एन्थैल्पी उत्पादों की एन्थैल्पी से अधिक होती है। इसलिये अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा का उत्सर्जन होता है, अत: ऐसी अभिक्रियाओं हेतु एन्थैल्पी का मान ऋणात्मक होता है।
2NO(g) → N2(g) + O2(g) ; ∆H = -180.5kJ/mol-1

प्रश्न 8.
विस्तीर्ण एवं गहन गुण को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
1. विस्तीर्ण गुण-निकाय के वे गुण जो पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करते हैं, विस्तीर्ण गुण या मात्रात्मक गुण कहलाते हैं।
उदाहरण-द्रव्यमान, आयतन, ऊष्माधारिता।

2. गहन गुण-निकाय के वे गुण जो पदार्थ की मात्रा पर निर्भर नहीं करते हैं, गहन गुण या विशिष्ट गुण कहलाते हैं।
उदाहरण-ताप, दाब, पृष्ठ तनाव, श्यानता।

प्रश्न 9.
ऊष्मागतिकी का शून्य नियम किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
इस नियम को तापीय साम्य का नियम भी कहा जाता है। इस नियम के अनुसार-“दो पिण्ड यदि अलग-अलग किसी तीसरे पिण्ड के तापीय साम्य में हैं तो आपस में भी एक-दूसरे के तापीय साम्य में होंगे।”
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-4

प्रश्न 10.
उदासीनीकरण ऊष्मा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
उदासीनीकरण ऊष्मा निकाय की एन्थैल्पी में वह परिवर्तन है जो किसी अम्ल का एक ग्राम तुल्यांक तनु विलयन में किसी क्षार के एक ग्राम तुल्यांक द्वारा पूर्णतः उदासीन करने पर होता है।
HClaq+ NaOHaq ⥨ NaClaq+ H2O(l); ∆H = -57.1 kJ

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प्रश्न 11.
दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार की उदासीनीकरण ऊष्मा का मान प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार की उदासीनीकरण ऊष्मा के मान से कम होता है, क्यों?
उत्तर:
दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार की उदासीनीकरण ऊष्मा का मान कम होता है क्योंकि निकलने वाली ऊष्मा का कुछ भाग दुर्बल अम्ल या क्षार का पूर्ण वियोजन करने में खर्च हो जाती है। अतः परिणामस्वरूप दुर्बल अम्ल एवं क्षार का प्रबल क्षार या प्रबल अम्ल द्वारा उदासीनीकरण करने पर प्राप्त ऊष्मा का मान प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षार के उदासीनीकरण से प्राप्त ऊर्जा के मान से कम प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-5

प्रश्न 12.
आबन्ध वियोजन ऊर्जा या बंध एन्थैल्पी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी रासायनिक बंध के बनते समय ऊर्जा मुक्त होती है। अत: बंध को तोड़ने हेतु भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। किसी बंध को तोड़ने हेतु आवश्यक ऊर्जा बंध, एन्थैल्पी कहलाती है। अत: वह एन्थैल्पी परिवर्तन है जो गैसीय अणु को परमाणुओं में तोड़ने के लिये आवश्यक है।
HCl(g) → H(g) + Cl(g) ; ∆H = 431kJ/mol-1

प्रश्न 13.
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम क्या है ?
उत्तर:
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को ऊर्जा का संरक्षण नियम भी कहा जाता है। इसके अनुसार, “ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।” माना कि तंत्र की आंतरिक ऊर्जा U1 है, यदि इस तंत्र को व ऊष्मा दी जाये तो तंत्र की आंतरिक ऊर्जा बढ़कर U1 + q हो जायेगी। यदि किया गया कार्य w है तो आंतरिक ऊर्जा बढ़कर U2 के बराबर हो जाती है।
अतः U2 – U1 =q + W
या ∆U = q + W.

प्रश्न 14.
एण्ट्रॉपी को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
एण्ट्रॉपी किसी निकाय की अव्यवस्था या यादृच्छिकता की माप है। कोई निकाय जितना अधिक अव्यवस्थित होगा, उसकी एण्ट्रॉपी का मान उतना ही अधिक होगा। किसी पदार्थ की क्रिस्टलीय ठोस अवस्था में एण्ट्रॉपी का मान न्यूनतम तथा गैसीय अवस्था में एण्ट्रॉपी का मान अधिकतम होता है।

प्रश्न 15.
जल वाष्प, जल तथा बर्फ में किसकी एण्ट्रॉपी अधिक है और क्यों ?
उत्तर:
एण्ट्रॉपी अनियमितता का मापक होती है। ठोस अवस्था में अणु पूर्ण रूप से व्यवस्थित होते हैं, इसलिये इसकी एण्ट्रॉपी न्यूनतम होती है तथा गैस में अणु सभी दिशाओं में अनियमित रूप से गति करते रहते हैं इसलिये एण्ट्रॉपी का मान अधिकतम होता है। अतः
S(बर्फ) < S(जल)) < S(जल वाष्प)

प्रश्न 16.
NaCl, H2O तथा NH3 में किसकी एण्ट्रॉपी अधिकतम होगी और क्यों?
उत्तर:
एण्ट्रॉपी अनियमितता की माप होती है। ठोस अवस्था में अणु पूर्ण रूप से व्यवस्थित होते हैं, इसलिये इसकी एण्ट्रॉपी न्यूनतम होती है। जबकि गैस में अणु सभी दिशाओं में अनियमित गति करते हैं, इसलिये इसकी एण्ट्रॉपी अधिकतम होती है। उपर्युक्त उदाहरण में NaCI ठोस, H2O द्रव तथा NH3गैस है इसलिये NH3 की एण्ट्रॉपी सबसे अधिक तथा NaCl की एण्ट्रॉपी सबसे कम होती है।

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प्रश्न 17.
सिद्ध कीजिए – P∆V = ∆nRT.
उत्तर:
आदर्श गैस समीकरण से,
PV = nRT
यदि प्रारम्भिक अवस्था में गैस का आयतन V1 तथा गैस के मोलों की संख्या n हो तो
PV1 = n1 RT
यदि अंतिम अवस्था में गैस का आयतन V2 तथा गैस के मोलों की संख्या n2 हो तो
PV2 =n2RT
समी. (1) और (2) से,
P(V2 – V1) =(n2 – n1)RT
या P∆V = ∆nRT.

प्रश्न 18.
∆H तथा ∆U में क्या संबंध है ?
उत्तर:
यदि किसी तंत्र की एन्थैल्पी H तथा आंतरिक ऊर्जा U है तो एन्थैल्पी तथा आन्तरिक ऊर्जा में निम्नलिखित संबंध है –
H = U + PV
एन्थैल्पी परिवर्तन हेतु, ∆H = ∆U + P∆V
हम जानते हैं, P∆V = ∆nRT
मान रखने पर, ∆H = ∆U + ∆nRT

प्रश्न 19.
विशिष्ट ऊष्माधारिता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
एक ग्राम पदार्थ का ताप 1 डिग्री वृद्धि हेतु आवश्यक ऊष्मा विशिष्ट ऊष्मा कहलाती है। इसे Cs से दर्शाते हैं।
Cs= \(\frac { C }{ M }\)
जहाँ C = ऊष्माधारिता, Cs = विशिष्ट ऊष्माधारिता, m = पदार्थ का द्रव्यमान। इसकी S.I. इकाई जूल प्रति केल्विन प्रति ग्राम है।

प्रश्न 20.
मोलर ऊष्माधारिता से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी पदार्थ के एक मोल का ताप एक डिग्री बढ़ाने हेतु आवश्यक ऊष्मा की मात्रा मोलर ऊष्माधारिता कहलाती है।
मोलर ऊष्माधारिता = \(\frac { C }{∆T×m }\)
जहाँ C = अवशोषित ऊष्मा, ∆T = ताप में वृद्धि, m = आण्विक द्रव्यमान। इसकी SI इकाई जूल प्रति केल्विन प्रति मोल है।

प्रश्न 21.
हेस का नियम लिखिए।
उत्तर:
हेस ने इस नियम का प्रतिपादन सन् 1840 में किया था। इस नियम के अनुसार, “यदि कोई रासायनिक परिवर्तन दो या दो से अधिक विधियों द्वारा या एक या एक से अधिक पदों में किया जाये तो संपूर्ण परिवर्तन में उत्पन्न अथवा अवशोषित ऊष्मा की मात्रा स्थिर रहती है, चाहे वह परिवर्तन किसी भी विधि द्वारा किया गया हो”

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प्रश्न 22.
रुद्धोष्म प्रक्रम क्या है ?
उत्तर:
जब कोई प्रक्रम इस प्रकार कराया जाता है कि निकाय तथा घिराव के बीच किसी प्रकार से ऊष्मा का विनिमय संभव नहीं होता तो इस प्रकार के प्रक्रम को रुद्धोष्म प्रक्रम कहते हैं। इस प्रकार के प्रक्रम प्रायः विलगित निकाय में होते हैं। इस प्रकार के प्रक्रम के लिये dq = 0 होता है।

प्रश्न 23.
मानक संभवन एन्थैल्पी क्या है ?
उत्तर:
मानक अवस्था में अर्थात् 298 K ताप (25°C) और 1 वायुमण्डलीय दाब (760 mm) पर किसी उत्पाद के 1 मोल को उसके अवयवी तत्वों से बनाने में जो एन्थैल्पी परिवर्तन होता है, उसे मानक संभवन की एन्थैल्पी कहते हैं। इसे ∆H°f या ∆f H° से दर्शाते हैं।

प्रश्न 24.
विलयन की एन्थैल्पी क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
किसी पदार्थ के 1 मोल को विलायक के आधिक्य में पूरी तरह घोलने पर होने वाला ऊष्मा परिवर्तन विलयन की एन्थैल्पी कहलाती है। विलायक के आधिक्य का तात्पर्य यह है कि विलयन बनने के बाद इसमें विलायक की मात्रा मिलाने पर किसी प्रकार का ऊष्मा परिवर्तन न हो। उदाहरण – KCl(s) + aq → KCl(aq); ∆H = + 18.6kJ

प्रश्न 25.
जलयोजन की एन्थैल्पी क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
जब किसी निर्जलीय लवण का एक मोल जल के कुछ निश्चित संख्या में अणुओं से संयुक्त होकर जलीय लवण बनाता है तो अभिक्रिया में होने वाला ऊष्मा परिवर्तन जलयोजन की एन्थैल्पी कहलाती है। उदाहरण – CuSO4(s) + 5H2O(l) → CuSO4.5H2O; ∆H = -78.2 kJ

प्रश्न 26.
गलन की एन्थैल्पी क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
गलन की एन्थैल्पी (Heat of fusion):
एक मोल ठोस को उसके गलनांक तथा 1 वायुमण्डलीय दाब पर 1 मोल द्रव में परिवर्तित करने पर होने वाले एन्थैल्पी परिवर्तन को ठोस की गलन ऊष्मा या गलन की एन्थैल्पी कहते हैं। उदाहरण-बर्फ के गलनांक पर 1 मोल बर्फ को 1 मोल जल में परिवर्तित करने के लिए 601 kJ ऊर्जा लगती है।
H2O2 → H2O(l); ∆H = + 6.01kJ
अत: 273 K पर बर्फ की गलन की एन्थैल्पी (ऊष्मा) = 6.01 kJ.

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प्रश्न 27.
एक विलगित निकाय के ∆U = 0, इसके लिए ∆S क्या होगा?
उत्तर:
किसी विलगित निकाय के लिए, ∆U = 0 तथा किसी सतत् प्रक्रम के लिए, एन्ट्रॉपी में कुल परिवर्तन धनात्मक होना चाहिए। उदाहरण के लिए, किसी बंद पात्र, जो कि परिवेश से विलगित है, में दो गैसों A तथा B को विसरित करते हैं। दोनों गैसों A तथा B को एक गतिक विभाजक से पृथक् किया गया है। जब विभाजक हटाया जाता है, तो गैसें आपस में विसरित होने लगती हैं तथा निकाय अधिक अव्यवस्थित हो जाता है। इस प्रक्रम के लिए, ∆S > 0 तथा ∆U = 0.
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-6
अतः T∆S अथवा ∆S > 0.

ऊष्मागतिकी लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊर्जा संरक्षण नियम क्या है? इसका गणितीय व्यंजक भी लिखिए। अथवा, ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम क्या है? इसका गणितीय व्यंजक प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर:
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊर्जा संरक्षण का नियम है, इस नियम के अनुसार, “ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।” दूसरे शब्दों में, “जब कभी ऊर्जा की कोई निश्चित मात्रा एक रूप में अदृश्य या विलुप्त होती है तो ऊर्जा की तुल्य मात्रा दूसरे रूप में प्रकट हो जाती है।”

गणितीय व्यंजक:
माना किसी निकाय की आंतरिक ऊर्जा U1 है तथा यह परिपार्श्व से q ऊष्मा ऊर्जा अवशोषित करता है अतः इसकी आंतरिक ऊर्जा बढ़कर U1 + q हो जायेगी। यदि निकाय पर W कार्य किया जाता है तो आंतरिक ऊर्जा बढ़कर U1 + q + W हो जायेगी तथा यह U2 के बराबर है।
U2 = U1 + q + W.
या  U2 – U1 = q+ W
या  ∆U =q + w, (∴ U2 – U1 = ∆U)

प्रश्न 2.
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को कभी ∆E = q – W से दर्शाया जाता है तथा कभीकभी ∆E = q + w से दर्शाया जाता है। क्यों ?
उत्तर:
यदि तंत्र द्वारा घिराव पर कार्य होता है तो तंत्र की कुछ ऊर्जा कार्य करने में प्रयुक्त होती है जिसके कारण तंत्र की आंतरिक ऊर्जा में कमी आती है तथा तंत्र द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है। इस परिस्थिति में ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को ∆E =q – W से दर्शाया जाता है। दूसरी तरफ यदि तंत्र पर घिराव द्वारा कार्य होता है तो किया गया कार्य धनात्मक होता है क्योंकि तंत्र की आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और इस स्थिति में ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को ∆E = q + W द्वारा दर्शाया जाता है।

प्रश्न 3.
उत्क्रमणीय प्रक्रम तथा अनुत्क्रमणीय प्रक्रम में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्क्रमणीय प्रक्रम तथा अनुत्क्रमणीय प्रक्रम में अंतर –

उत्क्रमणीय प्रक्रम:

  1. ये प्रक्रम अत्यन्त धीमी गति से संचालित होता हैं। इसमें संचालनकारी एवं विपरीतकारी बल व विपरीतकारी बलों के बीच अंतर अत्यन्त सूक्ष्म होता है।
  2. ये अधिकांशतः सैद्धान्तिक प्रक्रम होते हैं।
  3. इन प्रक्रमों को पूर्ण होने में अधिक समय लगता है।
  4. इन प्रक्रमों में किया गया कार्य अधिकतम होता है।
  5. प्रक्रम के दौरान किसी भी समय साम्यावस्था नष्ट नहीं होती है।

अनुत्क्रमणीय प्रक्रम:

  1. ये प्रक्रम तेजी से घटित होते हैं। इनमें संचालनकारी बल में काफी अंतर होता है।
  2. ये अधिकांशतः वास्तविक व स्वतः प्रवर्तित होते है।
  3. इनको पूर्ण होने में निश्चित समय लगता है।
  4. इन प्रक्रमों में किया गया कार्य अधिकतम नहीं होता है।
  5. प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात् ही साम्यावस्था प्राप्त हो जाती है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के आधार पर NO(g) के ऊष्मागतिकीय स्थायित्व पर टिप्पणी कीजिए –
\(\frac { 1 }{ 2 }\)N2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → NO2(g) ; ∆H° = 90kJ mol-1
NO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → NO2(g); ∆H° = 74kJmol-1

उत्तर:
NO(g) अस्थायी है, क्योंकि NO का निर्माण एक ऊष्माशोषी प्रक्रम है (अर्थात् ऊष्मा अवशोषित होती है) परन्तु NO2(g) का निर्माण होता है (स्थायी) क्योंकि इसका निर्माण ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है (अर्थात् ऊष्मा उत्सर्जित होती है)। अतः अस्थायी NO(g)स्थायी NO2(g) में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 5.
साम्यावस्था पर ∆rG तथा ∆rG° में से कौन-सी राशि का मान शून्य होगा?
उत्तर:
rG = ∆rG° + RTInK
साम्यावस्था पर, 0 = ∆G° + RTInK
अथवा ∆rG° = – RTInK
rG° = 0
K के अन्य समस्त मानों के लिए ∆rG° के मान अशून्य होंगे।

प्रश्न 6.
स्थिर आयतन पर किसी विलगित निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
किसी विलगित निकाय की ऊर्जा का ऊष्मा अथवा कार्य के रूप में स्थानान्तरण नहीं होता है। अतः ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से –
∆U =q + W = 0 + 0 = 0.

प्रश्न 7.
ऊष्माधारिता क्या है ? Cp– Cv = R व्यंजक को स्थापित कीजिये।
उत्तर:
ऊष्माधारिता-किसी निकाय का ताप 1°C बढ़ाने के लिये आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को ऊष्माधारिता कहा जाता है। इसकी इकाई जूल प्रति केल्विन है।
Cpएवं Cv में संबंध –
स्थिर आयतन पर ऊष्माधारिता,
Cv = \(\frac { ∆V }{ ∆T }\)v
∆V = Cv∆T = qv
इसी प्रकार स्थिर दाब पर ऊष्माधारिता,
Cp = \(\frac { ∆H }{ ∆T }\)p
∆V = Cp∆T = qp

आदर्श गैस के 1 मोल हेतु,
∆H = ∆V + ∆(PV)
∆H = ∆V + ∆(RT),(∴ PV = RT)
∆H = AV + R∆T

मान रखने पर, Cp∆T = Cv∆T+R∆T
∆T से भाग देने पर,
Cp = CV+R
Cp – CV = R

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प्रश्न 8.
दहन ऊष्मा को समझाइये। इसके उपयोग भी लिखिए।
उत्तर:
दहन ऊष्मा-निश्चित ताप व स्थिर दाब पर किसी यौगिक के 1 मोल की ऑक्सीजन के आधिक्य में पूर्ण दहन करने पर जो ऊर्जा का परिवर्तन होता है, उसे उस यौगिक की दहन ऊष्मा कहते हैं।
उदाहरण – CH4 + 2O2→ CO2 + 2H2O; ∆H = -212kcal
C(s) + O2(g) → CO2(g); ∆H = -94.3kcal
इन अभिक्रियाओं में क्रमश: मेथेन के एक अणु व कार्बन के एक अणु का ऑक्सीजन के साथ पूर्ण दहन होता है। इन अभिक्रियाओं की एन्थैल्पी को दहन की एन्थैल्पी भी कहते हैं। दहन ऊष्मा हमेशा उत्सर्जित होती है।

दहन ऊष्मा के उपयोग:

  • ईंधन का ऊष्मीय मान या कैलोरी मान ज्ञात करने में।
  • यौगिकों की सम्भवन ऊष्मा निर्धारण में।
  • यौगिकों की संरचना निर्धारण में।
  • भोजन के कैलोरी मूल्य के परिकलन में।

प्रश्न 9.
निर्वात् में किसी गैस का प्रसार, मुक्त प्रसार कहलाताहै। यदि किसी आदर्श गैस के IL समतापीय विस्तार द्वारा 5L तक प्रसारित हो जाते हैं, तो किया गया कार्य तथा आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ज्ञात कीजिए।
हल:
किया गया कार्य, W = – Pबाह्य (V2 – V1)
Pबाह्य = 0,
अतः W= – 0 (5 – 1) = 0
समतापी प्रसार के लिए, ∆U = 0
अतः ∆T = 0
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-7

प्रश्न 10.
किसी सिलेण्डर में बंद आदर्श गैस को चित्रानुसार एकल पद में नियत बाह्य दाब, Pबाह्य द्वारा संपीडित किया जाता है, तो गैस पर किया गया कार्य कितना होगा ? ग्राफ द्वारा समझाइए।
हल:
माना प्रारम्भ में गैस का कुल आयतन Vi तथा सिलेण्डर गैस का दाब P है। एकल पद में बाह्य दाब Pबाह्य द्वारा संपीडित करने पर गैस का अन्तिम आयतन Vf हो जाता है।
अतः आयतन में परिवर्तन, ∆V = (Vf – Vi)
यदि पिस्टन की गति के कारण निकाय पर W कार्य हो, तब। किया गया कार्य,
w = Pबाह्य (-∆V)
w = Pबाह्य (Vf – Vi)
इसे चित्र में अंकित P – V ग्राफ द्वारा ज्ञात कर सकते हैं। किया गया कार्य छायांकित भाग ABVfVi, के बराबर होता है। कार्य का ऋणात्मक मान दर्शाता है कि कार्य निकाय पर किया गया है।

प्रश्न 11.
वाष्पन की ऊष्मा एवं सम्भवन की ऊष्मा को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
वाष्पन की ऊष्मा-द्रव से वाष्प तथा वाष्प से द्रव में परिवर्तन से एन्थैल्पी में होने वाले परिवर्तन को वाष्पन की एन्थैल्पी कहते हैं, या एक मोल द्रव को उसके क्वथनांक तथा एक वायुमण्डलीय दाब पर वाष्प में परिवर्तित करने पर होने वाले एन्थैल्पी परिवर्तन को द्रव की वाष्पीकरण ऊष्मा या वाष्पन की एन्थैल्पी कहते हैं।
उदाहरण – H2O(l) ⥨ H2O(g) ); ∆H = + 40.7kJ
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-8
संभवन ऊष्मा:
एक निश्चित ताप व स्थिर दाब पर किसी यौगिक के एक मोल उत्पाद को उसके अवयवी तत्वों से बनाने में जो एन्थैल्पी परिवर्तन होता है, उसे संभवन की एन्थैल्पी या संभवन की ऊष्मा कहते हैं। इसे ∆Hf से दर्शाते हैं।
C(s) + O2(g) → CO2(g); ∆H = -393.5kJ/mol

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प्रश्न 12.
संलयन की एन्थैल्पी तथा ऊर्ध्वपातन की एन्थैल्पी को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
संलयन की एन्थैल्पी-एक मोल ठोस को उसके गलनांक तथा एक वायुमण्डलीय दाब पर एक मोल द्रव में परिवर्तित करने पर होने वाला एन्थैल्पी परिवर्तन ठोस की गलन ऊष्मा या संलयन की एन्थैल्पी कहलाता है।
H2O(s) ⥨ H2O(l); ∆H = + 6.01kJ

ऊर्ध्वपातन की एन्थैल्पी:
जब एक मोल ठोस अपने गलनांक से कम ताप पर बिना द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए सीधे गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है, तो इस प्रक्रिया में एन्थैल्पी का परिवर्तन, ऊर्ध्वपातन की एन्थैल्पी कहलाता है।
I(s) ⥨  I2(g); ∆H = + 62 . 4kJ

प्रश्न 13.
वाष्पीकरण प्रक्रम में एण्ट्रॉपी में किस प्रकार परिवर्तन होता है ?
उत्तर:
वाष्पीकरण की एण्ट्रॉपी-एक मोल द्रव को उसके क्वथनांक तथा एक वायुमण्डलीय दाब पर वाष्प अवस्था में परिवर्तित करने पर जो एण्ट्रॉपी परिवर्तन होता है, उसे वाष्पीकरण की एण्ट्रॉपी कहते हैं। मान लो स्थिर दाब पर एक मोल द्रव अपने क्वथनांक Tb पर द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में उत्क्रमणीय रूप से परिवर्तित होता है। यदि इस पदार्थ की मोलर वाष्पन ऊष्मा ∆Hवाष्पन हो तो वाष्पन प्रक्रम में एण्ट्रॉपी परिवर्तन ∆Sवाष्पन को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-9
चूँकि∆Hगलनतथा ∆Hवाष्पनदोनों धनात्मक होते हैं। अतः गलन तथा वाष्पन दोनों प्रक्रम में एण्ट्रॉपी में वृद्धि होती है।

प्रश्न 14.
आप किसी आदर्श गैस के संपीडन में किए गए कार्य की गणना किस प्रकार करेंगे जबकि दाब में परिवर्तन अनन्त पदों में किया गया हो?
उत्तर:
जब दाब में परिवर्तन अनन्त पदों में किया गया हो, तो यह एक उत्क्रमणीय प्रक्रम होता है। अत: गैस पर किया गया कार्य छायांकित भाग में दर्शाया गया है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-10

प्रश्न 15.
किसी अभिक्रिया के लिए एन्थैल्पी आरेख संलग्न चित्र में दर्शाया गया है। क्या दिए गए चित्र द्वारा दी गई अभिक्रिया की सततता का निश्चय करना सम्भव है?
उत्तर:
नहीं, एन्थैल्पी किसी अभिक्रिया की द्वारा सततता का विनिश्चय करने वाले कारकों में से एक कारक है, परन्तु यह अकेला कारक नहीं है। इसके लिए अन्य कारकों जैसे – ∆G, ∆S, T के साथ-साथ एन्ट्रॉपी ∆S पर भी विचार किया जाता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-11

प्रश्न 16.
किसी आदर्श गैस की उत्क्रमणीय अभिक्रिया अक्षतथा समतापी प्रक्रम द्वारा (PiVi) से (PfVf) में। अवस्था परिवर्तन होती है। इस प्रसार में किए गए कार्य को ग्राफीय रूप में प्रदर्शित कीजिए। PV ग्राफ की। सहायता से, स्थिर बाह्य दाब Pf के विरुद्ध किए गए कार्य की उपरोक्त कार्य से तुलना कीजिए।
उत्तर:
(i) उत्क्रमणीय कार्य कुल क्षेत्र ABC तथा . BCViVfद्वारा प्रदर्शित है।
(ii) स्थिर दाब P के परितः किया गया कार्य क्षेत्र PfBCViVf द्वारा प्रदर्शित है।
अतः कार्य (i) > कार्य (ii)।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-12

प्रश्न 17.
आन्तरिक ऊर्जा से क्या तात्पर्य है ? क्या इसका वास्तविक मान प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
प्रत्येक पदार्थ के अंदर ऊर्जा की कुछ मात्रा निहित रहती है जो उस पदार्थ की रासायनिक प्रकृति, ताप, दाब व आयतन तथा भौतिक अवस्था पर निर्भर करती है। इसे आंतरिक ऊर्जा कहते हैं तथा U से दर्शाते हैं। आंतरिक ऊर्जा विभिन्न प्रकार की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग होती है। जैसे- घूर्णन ऊर्जा (Er), कम्पन ऊर्जा (Ev), स्थानांतरण ऊर्जा (Et), इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा (Ee), नाभिकीय ऊर्जा (En), और अणुओं के बीच उपस्थित आकर्षण बल के कारण उत्पन्न ऊर्जा Ei
अतः U = E e+ En+Et+Er+ Ev+Ei आंतरिक ऊर्जा की अवयवी ऊर्जा जैसे-कम्पन ऊर्जा, घूर्णन ऊर्जा के मान सही-सही प्राप्त नहीं किये जा सकते। अतः पदार्थ की आन्तरिक ऊर्जा के निरपेक्ष मान का सही-सही निर्धारण संभव नहीं है।

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प्रश्न 18.
अभिक्रिया की एन्थैल्पी को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं ?
उत्तर:
किसी अभिक्रिया की एन्थैल्पी निम्न कारकों पर निर्भर करती है –
(1) अभिकारकों व उत्पाद की भौतिक अवस्था:
अभिकारकों व उत्पाद की भौतिक अवस्था एन्थैल्पी को प्रभावित करती है क्योंकि इसमें गुप्त ऊष्मा भी सम्मिलित होती है।

H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g)→ H2O(l)); ∆H = -286kJ
H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g)→ H2O(g)); ∆H = -249kJ

(2) अभिकारक की मात्रा:
अभिकारकों की मात्रा पर भी अभिक्रिया की एन्थैल्पी निर्भर करती है। जैसे – 1 मोल H2 के[ latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] मोल O2 से अभिक्रिया करने पर 286 kJ ऊष्मा उत्पन्न होती है। 2 मोल में यह मात्रा दो गुनी हो जाती है।

H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2(g) → H2O(l); ∆H = – 286kJ
2H2(g) + O2(g) → 2H2O(l); ∆H = -572kJ

(3) अभिकारकों का अपरूपीय रूपान्तरण-एक ही पदार्थ के भिन्न-भिन्न अपरूपों के लिये एन्थैल्पी परिवर्तन अलग-अलग होगा।
Cप्रेफाइट + O2(g) → CO2(g); ∆H = -393.5kJ
Cहीरा + O2(g) → CO2(g); ∆H = -395.4kJ

(4) ताप – अभिक्रिया की एन्थैल्पी ताप पर निर्भर करती है।
25°C पर – H2(g)+ Cl2(g) → 2HCl(g); ∆H = -184.4kJ
75°C पर – H2(g)+ Cl2(g) → 2HCl2(g); ∆H = +184.4kJ

प्रश्न 19.
सिद्ध कीजिए कि स्थिर आयतन पर qv = ∆U.
उत्तर:
जब कोई क्रिया स्थिर आयतन पर करायी जाती है तो तंत्र द्वारा कोई कार्य नहीं होता। अतः W=0.
अतः  ∆U =q+w
मान रखने पर,  ∆U =q
अतः स्थिर आयतन पर जो ऊष्मा अवशोषित होती है वह तंत्र की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि करने के ही काम आती है।
अतः ∆U =q + W =q + P∆V, (W = P∆V) चूँकि क्रिया स्थिर आयतन पर हो रही है इसलिये ∆V = 0 होगा।
मान रखने पर, ∆Uv =qp

प्रश्न 20.
हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन नियम के अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर:
हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन नियम के अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं –

  1. संभवन की एन्थैल्पी का निर्धारण करने में।
  2. अपरूपीय संक्रमणों की एन्थैल्पी का निर्धारण करने में।
  3. जलयोजन के एन्थैल्पी की गणना करने में।
  4. किसी अभिक्रिया के लिये एन्थैल्पी परिवर्तन ज्ञात करने में।
  5. बंध ऊर्जा के निर्धारण में।
  6. दहन की एन्थैल्पी का निर्धारण करने में।

प्रश्न 21.
किसी ईंधन के कैलोरी मान का क्या अभिप्राय है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
एक ग्राम भोजन या ईंधन के दहन से कैलोरी या जूल के रूप में उत्पन्न ऊष्मा को भोजन या ईंधन का कैलोरी मान कहते हैं।
C6H12O6(s) + 6O2(g) → 6CO2(g) + 6H2O(g) ; ∆H = -2840kJ
इस अभिक्रिया में 1 मोल ग्लूकोज अर्थात् 180 ग्राम से प्राप्त ऊष्मा = 2840kJ
अतः 1 ग्राम ग्लूकोज से प्राप्त ऊष्मा = \(\frac { 2840 }{ 180 }\) = 15. 78kJ/gm
अतः ग्लूकोज का कैलोरी मान 15.78 kJ/gm है।

ऊष्मागतिकी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए –
∆H = ∆U+P∆V. अथवा, ∆H तथा ∆U में संबंध समझाइए।
उत्तर:
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियमानुसार,
q = ∆U+w,
q = ∆U+ P∆V, (W = P∆V) ……..(1)
एन्थैल्पी के अनुसार,
q= AH ……..(2)
समी, (1) और (2) से,
∆H= ∆U + P∆V ……..(3)
आदर्श गैस समीकरण से,
PV = nRT
माना प्रारम्भिक स्थिति में गैस का आयतन V1तथा गैस के मोलों की संख्या n है, तो
PV1 = n1 RT ……..(4)
माना अंतिम स्थिति में गैस का आयतन V2तथा गैस के मोलों की संख्या n2 है, तो
PV2= n2RT ……..(5)
समी. (5) में से समी. (4) को घटाने पर,
P(V2 – V1) = (n2 – n1) RT या P∆V=∆nRT
समी. (3) में मान रखने पर,
∆H = ∆U + ∆nRT

परिस्थिति:
(1) यदि उत्पाद के मोलों की संख्या अभिकारक के मोलों की संख्या से अधिक है तो ∆n धनात्मक होगा तथा ∆H का मान ∆U से अधिक होगा। अतः ∆H = ∆U + ∆nRT
(2) यदि अभिकारक के मोलों की संख्या उत्पाद के मोलों की संख्या से अधिक हो तो ∆n ऋणात्मक होगा तथा ∆H का मान ∆U से कम होगा। ∆H = ∆U – ∆nRT
(3) यदि अभिकारक के मोलों की संख्या उत्पाद के मोलों की संख्या के बराबर हो तो ∆n = 0. इस परिस्थिति में ∆H = ∆U होगा।

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प्रश्न 2.
सिद्ध कीजिए –
qp = ∆Hp .
अथवा, सिद्ध कीजिए कि स्थिर दाब व स्थिर ताप पर अभिक्रिया की ऊष्मा, निकाय के एन्थैल्पी परिवर्तन के बराबर होता है।
उत्तर:
यदि कोई प्रक्रम स्थिर दाब पर हो रहा है तो तंत्र के आयतन में परिवर्तन होता है। यदि तंत्र द्वारा ऊष्मा का अवशोषण हो रहा है जिसके फलस्वरूप आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि U1 से U2 हो रही है तथा आयतन में वृद्धि V1 से V2 हो रही है तो ऊष्मागतिकी के प्रथम नियमानुसार,
q = ∆U+ W = ∆U+ P∆V (∴W = P∆V)
या q= [U2 – U1] + P(V2 – V1), [U2 – U1 = ∆U, V2 – V1 =∆V]
या q= [U2 – U1] + [PV2 – PV1]
या q= [U2 + PV2] – [U1 + PV1] ……..(1)

आंतरिक ऊर्जा, दाब तथा आयतन अवस्था परिवर्ती गुण हैं इसलिये इनका योग भी अवस्था परिवर्ती गुण होगा, जिसे एन्थैल्पी कहते हैं तथा H से दर्शाते हैं।
U + PV =H
यदि प्रारंभिक स्थिति में आंतरिक ऊर्जा, आयतन तथा एन्थैल्पी क्रमशः U1V1 तथा H1 हो तो.
U1 + PV1 = H1
इसी प्रकार अंतिम स्थिति में यदि आंतरिक ऊर्जा, आयतन तथा एन्थैल्पी क्रमशः U2, V2तथा H2 हो तो
U2 + PV2 = H2
समीकरण (1) में मान रखने पर,
q= H2 – H1 = ∆Hp.

प्रश्न 3.
हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन का नियम समझाइये तथा इसे उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 1840 में जी. एच. हेस ने इस नियम का प्रतिपादन किया। इसके अनुसार, “किसी भौतिक अथवा रासायनिक परिवर्तन में एन्थैल्पी परिवर्तन हमेशा समान रहता है, चाहे वह परिवर्तन एक पद में हो या कई पदों में। दूसरे शब्दों में, “किसी अभिक्रिया हेतु एन्थैल्पी परिवर्तन हमेशा स्थिर रहता है तथा यह अभिक्रिया के पथ पर निर्भर नहीं करता है।”

सैद्धांतिक स्पष्टीकरण:
पदार्थ A को उत्पाद x में दो विधियों द्वारा बदला जा सकता है। प्रथम विधि में A को सीधे x में परिवर्तित करने पर मुक्त होने वाली ऊष्मा Q है।
A → x + Q
दूसरी विधि में A को पहले B में, B को C में तथा C को x में बदला जा रहा हो तथा इन पदों में मुक्त होने वाली ऊष्मा क्रमशः q1, q2, q3 हों तो
A → B + q1
B → C + q2
C → x + q3
हेस के नियमानुसार,
Q = q1, q2,q3
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-13

उदाहरण:
C को COq2 में निम्नलिखित दो विधियों द्वारा परिवर्तित किया जा सकता हैप्रथम विधि के अनुसार,
C(s) +Q2(g) → CO2(g) ;
∆H = -393.5kJ/mol

द्वितीय विधि द्वारा,
(a) C(s) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → CO(g) ; ∆H1 = -110.5 kJ/mol
(b) CO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → COCO(g) ; ∆H= -283 kJ/mol
(a) और (b) को जोड़ने पर,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-14
∆H = ∆H1 + ∆H2

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प्रश्न 4.
बम-कैलोरीमीटर द्वारा आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन AU के निर्धारण की विधि का निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर वर्णन कीजिए

  1. उपकरण का नामांकित चित्र
  2. विधि का वर्णन
  3. प्रयुक्त सूत्र।

उत्तर:
(1) उपकरण का नामांकित चित्र –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-15

(2) प्रायोगिक निर्धारण:
किसी अभिक्रिया में आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन का मापन बम कैलोरीमीटर द्वारा करते हैं। यह कठोर स्टील का बना होता है तथा उच्च दाब को सहन कर सकता है। स्टील पात्र के भीतरी सतह में Au या Pt की पालिश रहती है जिससे स्टील का ऑक्सीकरण नहीं हो सकता। स्टील के पात्र में भीतर एक Pt कप में पदार्थ की थोड़ी मात्रा ली जाती है। इस कप में विद्युत् तार लगाये जाते हैं जिससे विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर पदार्थ जल जाये।

कप में पदार्थ की अल्प मात्रा लेकर बम कैलोरीमीटर में 20-25 वायुमण्डलीय दाब तक O2 गैस भर लेते हैं तथा बम कैलोरीमीटर को सील कर देते हैं। इसे रुद्धोष्म तंत्र बनाने के लिये ताप रोधित वाटर बाथ में डूबो देते हैं जिसमें भरे हुए जल की मात्रा ज्ञात रहती है। इसमें एक विलोडक तथा एक थर्मामीटर डूबा रहता है। जल का प्रारंभिक ताप नोट कर लेते हैं। विद्युत् स्पार्क उत्पन्न करने से पदार्थ का दहन होता है।

दहन से अत्यन्त ताप द्वारा जलकुण्ड में जल का ताप बढ़ जाता है जिसे नोट कर लिया जाता है। इस तरह ताप में वृद्धि तथा कैलोरीमीटर के जल तुल्यांक के आधार पर अभिक्रिया में उत्पन्न ऊष्मा की गणना कर ली जाती है जो उस अभिक्रिया में आन्तरिक ऊर्जा परिवर्तन ∆U के बराबर होती है।

(3) प्रयुक्त सूत्र:
दहन में उत्पन्न ऊष्मा = कैलोरीमीटर का जल तुल्यांक × ताप में परिवर्तन × जल का विशिष्ट ऊष्माजल तुल्यांक पदार्थ की मात्रा = w gm, पदार्थ का आण्विक द्रव्यमान = m, कैलोरीमीटर का जल तुल्यांक = 2
पदार्थ के दहन से उत्पन्न ऊष्मा = Z×∆t×\(\frac { m }{ w }\)जूल।

प्रश्न 5.
PV कार्य के लिये व्यंजक को व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
यदि किसी सिलेण्डर में भारहीन व घर्षणरहित पिस्टन लगा हो जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है। यदि सिलेण्डर में आदर्श गैस का एक मोल उपस्थित है। गैस का कुल आयतन V तथा दाब P है तथा पिस्टन पर कार्यरत बल F हो तो
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-18
⇒ P = \(\frac { F}{ A }\)
⇒ ∆ × P= F
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-16
यदि पिस्टन पर कार्यरत बल गैस के दाब की तुलना में कम है तो पिस्टन कुछ L दूरी ऊपर की ओर तय करता है। माना यह विस्थापन वा है। इसके फलस्वरूप आयतन में वृद्धि dl हो रही है तो तंत्र द्वारा किया गया कार्य
कार्य = बल × विस्थापन
W = F × dl
F का मान रखने पर,
w = P × A × dl = Pdv, (A×dl = dV)
यदि आयतन में वृद्धि V2 से V1 हो रही है तो कुल कार्य ज्ञात करने के लिये समाकलन करना पड़ता है अतः
चिह्न का प्रयोग:
यदि तंत्र द्वारा घिराव पर कार्य होता है तो किया गया। कार्य ऋणात्मक होता है क्योंकि कार्य करने में तंत्र की आंतरिक ऊर्जा प्रयुक्त होती है जिसके फलस्वरूप आंतरिक ऊर्जा में कमी आती है। यदि घिराव द्वारा तंत्र पर कार्य किया जाता है तो किया गया कार्य धनात्मक होता है क्योंकि तंत्र की आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-17

प्रश्न 6.
मुक्त ऊर्जा किसे कहते हैं ? इसके लिए गणितीय स्वरूप की व्याख्या कीजिए तथा गिब्स-हैल्महोल्ट्ज समीकरण दीजिए।
उत्तर:
मुक्त ऊर्जा (Free Energy):
इसे ‘G’ द्वारा दर्शाया जाता है। यह एक ऐसा उष्मागति की फलन है जिसकी सहायता से किसी तन्त्र के होने या चलने की सम्भावना और उसकी तात्कालिकता (Spontaneity) का आकलन किया जा सकता है। मुक्त ऊर्जा की परिभाषा निम्न प्रकार से दी जा सकती है – किसी तन्त्र से प्राप्त ऊर्जा की वह मात्रा जिसे उपयोगी काम (Useful Work) में लगाया जा सके तन्त्र की मुक्त ऊर्जा कहलाती है। मुक्त ऊर्जा (G) का गणितीय रूप निम्न प्रकार है –
G = H – TH
H = तन्त्र की एन्थैल्पी, S = तन्त्र की एन्ट्रॉपी, T = तापक्रम।

हम जानते हैं कि H = U + PV
G = (U + PV) – TS
तन्त्र के ऊर्जा परिवर्तन (∆G) को निम्नवत दर्शाया जा सकता है –
AG = ∆U+ ∆(PV) – ∆(TS)
यदि प्रक्रम स्थिर दाब और स्थित ताप हो रहा है तो ∆(PV) को P∆V तथा P∆S को T∆S लिखा जायेगा। अतः ∆G = ∆U + P∆V – T∆S

हम जानते हैं कि स्थिर ताप और स्थिर दाब पर,
∆U+ P∆V = ∆H तब ∆G + P∆H = T∆S
गिब्स के समीकरण G = H – TS को स्थिर ताप पर प्रारम्भिक तथा अन्तिम अवस्थाओं के लिए इस प्रकार लिख सकते हैं कि G1 = H1 – TS1 तथा G2 = H2 – TS2
∆G = ∆G1 = ∆G2
अथवा ∆G = (H2 – TS2) – (H1– TS1)
अथवा ∆G = (H2 – H1) – (TS2 – TS1) = ∆H – T∆S
इस समीकरण को गिब्स-हैल्महोल्ट्ज समीकरण कहते हैं।

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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन

मात्रक एवं मापन अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 2.1.
रिक्त स्थान भरिए –

  1. किसी 1 cm भुजा वाले घन का आयतन …………… m3 के बराबर है।
  2. किसी 2 cm त्रिज्या व 10 cm ऊँचाई वाले सिलिंडर का पृष्ठ क्षेत्रफल …………. (mm)2 के बराबर है।
  3. कोई गाड़ी 18 km/h की चाल से चल रही है तो यह 1 s में ………….. m चलती है।
  4. सीसे का आपेक्षिक घनत्व 11.3 है। इसका घनत्व – g cm3 या …………. kg m3 है।.

उत्तर:
1. घन का आयतन = (भुजा)3 = (1 सेमी)3
= 9(\(\frac { 1 }{ 100 }\)मी) [∵ 1 सेमी = \(\frac { 1 }{ 100 }\)मी]

2. सिलिंडर का पृष्ठ क्षेत्रफल
= वक्र पृष्ठ का क्षे० x वृत्तीय सिरों का क्षे०
= 2nr (h + r)
= 2 x 3.14 x 2 सेमी (10 सेमी + 2 सेमी)
= 2 x 3.14 x 2 x 12 वर्ग सेमी
= 150.72 सेमी 2
= 150.72 x (10)2 वर्ग मिमी
= 1.5 x 104 वर्ग मिमी

3. गाड़ी की चाल = 18 किमी/घण्टा
= 18 x 5 मी/सेकण्ड = 5 मीटर/सेकण्ड
∴ 1 सेकण्ड में चली दूरी = चाल x समय
= 5 मी/सेकण्ड x 1 सेकण्ड = 5 मीटर

4. सीसे का घनत्व
= सीसे का आपेक्षिक घनत्व x जल का घनत्व
= 11.3 x 1 ग्राम/सेमी3
= 11.3 ग्राम/सेमी3
= 113( \(\frac { 1 }{ 1000 }\) किग्रा)/(\(\frac { 1 }{ 100 }\)मीटर)3
= 1.13 x 1014 किग्रा प्रति मीटर3

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प्रश्न 2.2.
रिक्त स्थानों को मात्रकों के उचित परिवर्तन द्वारा भरिए

  1. 1 kg m2s2 =………. g cm2s2
  2. 1 m =………. ly
  3. 3.0 ms2 =…….. Kmh2
  4. G = 6.67 x 1011 Nm2 (kg)2 = ……….. (cm)3 s2 g1

उत्तर:
1. 1 kg m2s2 = 1kg x 1 m2s2
= (100 gm) x (100 cm) 2 x 1 s2
= 10 gm cms-2 – 1 ly (light year) = 9.46 x 1015 मीटर

2. ∵ 1 मीटर = \(\frac { 1 }{ 9.46×10^{ 15 } } \) ly = 1.06 x 1016 ly

3. 3 m2 = 3 m x 1 s2
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन t
= 3.9 x 104 km h2

4. G = 6.67 x 1011 Nm2 (kg)2
= 6.67 x 1011 Nm2 x (\(\frac { 1 }{ kg }\))2)
= 6.67 x 1011 (kg ms2) x 1 m2 x (\(\frac { 1 }{ kg }\)2)
= 6.67 x 1011 x m3s2) x \(\frac { 1 }{ kg }\)
= 6.67 x 1011 x \(\frac { 1 }{ 1000 gm }\) x (100)3 x s2
= 6.67 x 108(cm)3s2g1

प्रश्न 2.3.
ऊष्मा (परागमन में ऊर्जा ) का मात्रक कैलोरी है और यह लगभग 4.2 J के बराबर है। जहाँ 1 J = 1kg m2s2 मान लीजिए कि हम मात्रकों की कोई ऐसी प्रणाली उपयोग करते हैं जिससे द्रव्यमान का मात्रक α kg के बराबर है, लंबाई का मात्रक β m के बराबर है, समय का मात्रक γ s के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि नए मात्रकों के पदों में कैलोरी का परिमाण 4.2 α 1β2 γ2 है।
उत्तर:
कैलोरी = 4.2 जूल = 4.2 किग्रा-मीटर प्रति सेकण्ड।
हम जानते हैं कि ऊर्जा का विमीय सूत्र = [ML2T2]
माना कि दो अलग-अलग मापन पद्धतियों के द्रव्यमान के मात्रक M1 व M2 लम्बाई के मात्रक L1 व L2 एवम् समय के मात्रक T1 व T2 है।

प्रश्नानुसार M1 = 1 किग्रा, L1 = 1 मीटर, T1=1 सेकण्ड, तथा M2 = α किग्रा, L2 = β मीटर, T2 = γ सेकण्ड
इस प्रकार u1 = [M1L21T12]
तथा u2 = [M2L22T22]
n1 = 4.2, n2 = ?
सूत्र n1u1 = n1u2 से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 24

अर्थात् दूसरी मापन पद्धति में 1 कैलोरी का मान 4.2 α1 β2 γ2 है।

प्रश्न 2.4.
इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : तुलना के मानक का विशेष उल्लेख किए बिना “किसी विमीय राशि को बड़ा’ या ‘छोटा’ कहना अर्थहीन है।” इसे ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए कथनों को जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, दूसरे शब्दों में व्यक्त कीजिए:

  1. परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
  2. जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
  3. बृहस्पति का द्रव्यमान बहुत ही अधिक है।
  4. इस कमरे के अंदर वायु में अणुओं की संख्या बहुत अधिक है।
  5. इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन से बहुत भारी होता है।
  6. ध्वनि की गति प्रकाश की गति से बहुत ही कम होती

उत्तर:
दिया गया कथन सत्य है। सामान्यत: हम कहते हैं कि परमाणु बहुत छोटा पिण्ड है। लेकिन इलेक्ट्रॉन परमाणु से भी छोटा कण है। तब यह भी कह सकते हैं कि इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा परमाणु एक बड़ा पिण्ड है। जबकि टेनिस गेंद की तुलना में परमाणु बहुत छोटा पिण्ड है। इस प्रकार हम देखते हैं कि परमाणु को किसी एक वस्तु की अपेक्षा बहुत छोटा कह सकते है जबकि इलेक्ट्रॉन की तुलना में बड़ा पिण्ड का संकेत है।

  1. आलपिन की नोक की तुलना में परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
  2. रेलगाड़ी की तुलना में जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
  3. बृहस्पति का द्रव्यमान पृथ्वी की तुलना में बहुत अधिक होता है।
  4. इस कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या वायु के एक ग्राम अणु में उपस्थित अणुओं से काफी अधिक है।
  5. यह कथन सही है।
  6. यह कथन सही है।

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प्रश्न 2.5.
लंबाई का कोई ऐसा नया मात्रक चुना गया है जिसके अनुसार निर्वात में प्रकाश की चाल 1 है। लम्बाई के नए मात्रक के पदों में सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है, प्रकाश इस दूरी को तय करने में 8 min और 20 s लगाता है।
उत्तर:
प्रश्नानुसार प्रकाश की चाल = 1 मात्रक प्रति सेकण्ड प्रकाश द्वारा लिया गया समय, t = 8 मिनट 20 सेकण्ड
= 8 x 60 + 20 = 500 सेकण्ड
∴ सूर्य एवम् पृथ्वी के मध्य दूरी
= प्रकाश की चाल x लिया गया समय
= 1 मात्रक प्रति सेकण्ड x 500 सेकण्ड
= 500 मात्रक

प्रश्न 2.6.
लंबाई मापने के लिए निम्नलिखित में से कौन – सा सबसे परिशुद्ध यंत्र है:

  1. एक वर्नियर कैलीपर्स जिसके वर्नियर पैमाने पर 20 विभाजन हैं।
  2. एक स्क्रूगेज जिसका चूड़ी अंतराल 1 mm और वृत्तीय पैमाने पर 100 विभाजन है।
  3. कोई प्रकाशिक यंत्र जो प्रकाश की तरंग दैर्ध्य की सीमा के अंदर लंबाई माप सकता है।

उत्तर:
1. वर्नियर कैलीपर्स का अल्पतमांक
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 22

2. स्क्रूगेज की अल्पतमांक
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3. चँकि प्रकाशिक यन्त्र द्वारा प्रकाश की तरंग दैर्ध्य की सीमा के अन्दर लम्बाई मापी जा सकती है।
अतः इसकी अल्पतमांक
= 107 मीटर = 1015 सेमी
अर्थात् प्रकाशिक यन्त्र की अल्पतमांक सबसे कम है। इस कारण यह सर्वाधिक परिशुद्ध यन्त्र है।

प्रश्न 2.7.
कोई छात्र 100 आवर्धन के एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखकर मनुष्य के बाल की मोटाई मापता है। वह 20 बार प्रेक्षण करता है और उसे ज्ञात होता है कि सूक्ष्मदर्शी के दृश्य क्षेत्र में बाल की औसत मोटाई 3.5 mm है। बाल की मोटाई का अनुमान क्या है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि, सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 21
अतः बाल की अनुमानित मोटाई = 0.035 मिमी।

प्रश्न 2.8.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:

  1. आपको एक धागा और मीटर पैमाना दिया जाता है। आप धागे के व्यास का अनुमान किस प्रकार लगाएँगे?
  2. एक स्क्रूगेज का चूड़ी अंतराल 1.0 mm है और उसके वृत्तीय पैमाने पर 200 विभाजन हैं। क्या आप यह सोचते हैं कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या स्वेच्छा से बढ़ा देने पर स्क्रूगेज की यथार्थता में वृद्धि करना संभव है?
  3. वर्नियर कैलीपर्स द्वारा पीतल की किसी पतली छड़ का माध्य व्यास मापा जाना है। केवल 5 मापनों के समुच्चय की तुलना में व्यास के 100 मापनों के समुच्चय के द्वारा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्राप्त होने की संभावना क्यों हैं?

उत्तर:
1. एक बेलनाकार छड़ लेकर, इसके ऊपर धागे को सटाकर लपेटते हैं। धागे के फेरों द्वारा घेरी गई छड़ की लम्बाई का मीटर पैमाने द्वारा माप लेते हैं। माना लपेटे गए फेरों की संख्या 20 है।
अत: धागे का व्यास =इस प्रकार धागे का व्यास ज्ञात हो सकता है।

2. हम जानते हैं कि स्क्रूगेज का अल्पतमांक
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 20
प्रश्नानुसार स्क्रूगेज पर बने विभाजनों (भागों) की संख्या बढ़ा देने से, स्क्रूगेज का अल्पतमांक घटेगा अर्थात् यथार्थता बढ़ेगी।

3. हम जानते हैं कि, प्रेक्षणों की माध्य निरपेक्ष त्रुटि,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 20
उपरोक्त सूत्र के अनुसार प्रेक्षणों की संख्या बढ़ाने से माध्य निरपेक्ष त्रुटि घटेगी। अर्थात् अधिक प्रेक्षणों द्वारा प्राप्त, छड़ का माध्य व्यास अधिक विश्वसनीय होगा।

प्रश्न 2.9.
किसी मकान का फोटोग्राफ 35 mm स्लाइड पर 1.75 cm2 क्षेत्र घेरता है। स्लाइड को किसी स्क्रीन पर प्रक्षेपित किया जाता है और स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल 1.55 m2 है। प्रक्षेपित्र -परदा व्यवस्था का रेखीय आवर्धन क्या
उत्तर:
दिया है: स्लाइड पर मकान का क्षेत्रफल = 1.75 वर्ग सेमी स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल
= 1.55 वर्ग मीटर
= 1.55 x (100 सेमी)2
= 1.55 x 10000 सेमी2
= 15500 सेमी2

प्रश्न 2.10.
निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या लिखिए:

  1. 0.007 m2
  2. 2.64 x 1024 kg
  3. 0.2370 g cm
  4. 6.320 J
  5. 6.032 Nm2
  6. 0.0006032 m2

उत्तर:

  1. 1
  2. 3
  3. 4
  4. 4
  5. 4
  6. 4

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प्रश्न 2.11.
धातु की किसी आयताकार शीट की लंबाई, चौड़ाई व मोटाई क्रमशः 4.234 m, 1.005 m व 2.01 cm है। उचित सार्थक अंकों तक इस शीट का क्षेत्रफल व आयतन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
लम्बाई a = 4.234
मीटर चौड़ाई b = 1.005 मीटर
मोटाई c = 2.01 सेंटीमीटर
शीट का पृष्ठ क्षेत्रफल = 2 (ab + bc + ca)
= 2 [4.234 x 1.005 + 1.005 x 2.01 + 2.01 x 4.234]
= 8.7209478 मी2
= 8.72 मीटर2
चूँकि मोटाई में न्यूनतम सार्थक अंक (i.e., 3) है। शीट का आयतन = a x b x c
= 4.234 x 1.005 x 0.0201 मी3
= 0.0855 मीटर3

प्रश्न 2.12.
पंसारी की तुला द्वारा मापे गए डिब्बे का द्रव्यमान 2.300 kg है। सोने के दो टुकड़े जिनका द्रव्यमान 20.15 g व 20.17g है, डिब्बे में रखे जाते हैं।

  1. डिब्बे का कुल द्रव्यमान कितना है
  2. उचित सार्थक अंकों तक टुकड़ों के द्रव्यमानों में कितना अंतर हैं?

उत्तर:
1. दिया है : डिब्बे का द्रव्यमान m = 2.300 किग्रा
पहले टुकड़े का द्रव्यमान m1 = 20.15 ग्राम
= 0.02015 किग्रा
दूसरे टुकड़े का द्रव्यमान m2 = 20.17 ग्राम
= 0.02017 किग्रा
∴ टुकड़े रखने के बाद डिब्बे का कुल द्रव्यमान
M = m + m1 + m2
= 2.300 + 0.02015 + 0.02017
= 2.34032 किग्रा
चूँकि डिब्बे के द्रव्यमान में न्यूनतम सार्थक अंक 4 है। अतः डिब्बे के कुल द्रव्यमान का अधिकतम चार सार्थक अंकों में पूर्णांक करना चाहिए।
∴ कुल द्रव्यमान = 2.340 किग्रा

2. द्रव्यमानों में अन्तर
∆m = m2 – m1 = 20.17 – 20.15
= 0.02 ग्राम
चूँकि अधिकतम सार्थक अंक 4 हैं। अतः इनके अन्तर का दशमलव के दूसरे स्थान तक अर्थात् 0.02 ग्राम होगा।

प्रश्न 2.13.
कोई भौतिक राशि P, चार प्रेक्षण-योग्य राशियों a, b, c तथा d से इस प्रकार संबंधित हैं:
p = \(\frac { a^{ 3 }b^{ 2 } }{ (\sqrt { c } d) } \)
a, b, c तथा d के मापने में प्रतिशत त्रुटियाँ क्रमशः 1%, 3%,4% तथा 2% हैं। राशि Pमें प्रतिशत त्रुटि कितनी है? यदि उपर्युक्त संबंध का उपयोग करके Pका परिकलित मान 3.763 आता है, तो आप परिणाम का किस मान तक निकटन करेंगे?
उत्तर:
दिया है: P =p =\(\frac { a^{ 3 }b^{ 2 } }{ \sqrt { c } d} \)
P के मान में % त्रुटि
= \(\frac {∆p }{ p }\) x 100
= 3 x \(\frac {∆a }{ a }\) x 100 + 2 x \(\frac {∆b }{ b }\) x 100 + \(\frac { 1}{ 2 }\) x \(\frac {∆c }{ c }\) x 100 x \(\frac {∆d }{ d }\) x 100
= 3 x 1% + 2 x 3% +\(\frac { 1}{ 2 }\) x 4% + 2%
= 3% + 6% + 2% + 2%
= 13%
∴ \(\frac {∆p }{ p }\) = 13
∴ ∆P \(\frac { 13 x p}{ 100 }\)
= \(\frac { 13 x 3.763}{ 100}\)
= 0.4891
= 0.489 (उचित सार्थक अंक तीन तक)
अतः
P के मान में त्रुटि 0.489 है। इससे स्पष्ट है कि P के मान में दशमलव के पहले स्थान पर स्थित अंक ही संदिग्ध है। अर्थात् P के मान को दशमलव के दूसरे स्थान तक लिखना कार्य । अतः P के मान का दशमलव के पहले स्थान तक ही पूर्णांकन रना होगा।

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प्रश्न 2.14.
किसी पुस्तक में, जिसमें छपाई की अनेक टियाँ हैं,आवर्त गति कर रहे किसी कण के विस्थापन के चार भन्न सूत्र
दिए गए हैं:

  1. y = a sin 2nt / T
  2. y = a sin vt
  3. y = (a/T) sin tla
  4. y = (av2)(sin 2nt IT + cos 2nt IT)

(a = कण का अधिकतम विस्थापन, y = कण की चाल, “= गति का आवर्त काल)। विमीय आधारों पर गलत सूत्रों को निकाल दीजिए।
उत्तर:
किसी भी त्रिकोणमितीय फलन का कोण एक बमाहीन राशि होती है।

  1. सही है।
  2. ∵ vt विमाहीन नहीं है। अतः यह सूत्र गलत है।
  3. ∵ t / a विमाहीन नहीं है। अत: यह सूत्र गलत है।
  4. सही है।
    ∴ P का निकटतम मान =3.763 =33.8

प्रश्न 2.15.
भौतिकी का एक प्रसिद्ध संबंध किसी कणके ‘चल द्रव्यमान (moving mass)’ m, ‘विराम द्रव्यमान (rest mass) m0 इसकी चाल , और प्रकाश की चाल के बीच है। (यह संबंध सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टाइन के विशेष आपेक्षिकता के सिद्धांत के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था।) कोई छात्र इस संबंध को लगभग सही याद करता है लेकिन स्थिरांक c को लगाना भूल जाता है। वह लिखता है:
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 20
अनुमान लगाइए कि c कहाँ लगेगा?
उत्तर:
दिया है:
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 20
(1 – v2)1/2 = \(\frac { m_{ 0 } }{ m } \)
यहाँ दायाँ पक्ष विमाहीन है जबकि बायाँ पक्ष विमापूर्ण है। अतः सूत्र के सही होने के लिए बायाँ पक्ष भी विमाहीन होना है। अर्थात् (1-v2)1/22 के स्थान पर ((1 – v2)/c2)1/2 होना चाहिए।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 16

प्रश्न 2.16.
परमाण्विक पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक एंगस्ट्रम है और इसे Å : 1 Å= 1010 m द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। हाइड्रोजन के परमाणु का आमाप लगभग 0.5 Å है। हाइड्रोजन परमाणुओं के एक मोल का m’ में कुल आण्विक आयतन कितना होगा?
उत्तर:
हाइड्रोजन के एक अणु में दो परमाणु होते हैं।
∴ एक हाइड्रोजन अणु की त्रिज्या (r) = 1 हाइड्रोजन परमाणु . का आमाप
= 0.5 Å = 0.5 x 1010 मीटर
∴ एक हाइड्रोजन अणु का आयतन
\(\frac { 4 }{ 3 }\) πr3
= \(\frac { 4 }{ 3 }\) x 3.14 x 10.5 x 1010 मी3
= 5.23 x 1031 मीटर3
∴ 1 मोल हाइड्रोजन गैस में अणुओं की संख्या
= 6.023 x 1023
∴ 1 मोल हाइड्रोजन गैस में आण्विक आयतन  = अणुओं की संख्या – एक अणु का आ०
= 6.023 x 1023 x 5.23 x 1031 मीटर
= 3.15 x 107 मीटर3

प्रश्न 2.17.
किसी आदर्श गैस का एक मोल (ग्राम अणुक)मानक ताप व दाब पर 22.4L आयतन (ग्राम अणुक आयतन) घेरता है। हाइड्रोजन के ग्राम अणुक आयतन तथा उसके एक मोल के परमाण्विक आयतन का अनुपात क्या है? (हाइड्रोजन के अणु की आमाप लगभग Å मानिए)। यह अनुपात इतना अधिक क्यों है?
उत्तर:
∵1 मोल हाइड्रोजन गैस का NTP पर आयतन
= 22.4 लीटर
= 22.4 x 103 मीटर3
जबकि 1 मोल हाइड्रोजन गैस का NTP पर परमाण्विक आयतन = 3.15 x 107 मीटर3
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 16
= 7.11 x 104
इस अनुपात का मान अधिक होने का कारण है कि गैस का आयतन उसमें उपस्थित अणुओं के वास्तविक आयतन की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। अर्थात् गैस के अणुओं के मध्य बहुत अधिक खाली स्थान होता है।

प्रश्न 2.18.
इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति की विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड (पहाड़ियाँ, चंद्रमा, तारे आदि) स्थिर प्रतीत होते हैं। (वास्तव में, क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए, ये दूरस्थ वस्तुएँ आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं)।
उत्तर:
किसी वस्तु का हमारे सापेक्ष गति करते हुए प्रतीत होना, हमारे सापेक्ष वस्तु के कोणीय वेग पर निर्भर करता है। जबकि गाड़ी से यात्रा करते समय सभी वस्तुएँ समान वेग से हमारे पीछे की ओर गतिमान रहती है लेकिन समीप स्थित वस्तुओं का हमारे सापेक्ष कोणीय वेग ज्यादा होता है। अर्थात् वे वस्तुएँ तीव्र गति से पीछे की ओर जाती हुई प्रतीत होती हैं जबकि दूर स्थित वस्तुएँ हमारे सापेक्ष, कम कोणीय वेग से चलती हैं। इस प्रकार वे हमें लगभग स्थिर नजर आती हैं।

प्रश्न 2.19.
समीपी तारों की दूरियाँ ज्ञात करने के लिए अनुभाग 2.3.1 में दिए गए’लंबन’ के सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है। सूर्य के परितः अपनी कक्षा में छः महीनों के अंतराल पर पृथ्वी की अपनी दो स्थानों को मिलाने वाली, आधार रेखा AB है। अर्थात् आधार रेखा पृथ्वी की कक्षा के व्यास = 3 x 1011 m के लगभग बराबर है। लेकिन, चूँकि निकटतम तारे भी इतने अधिक दूर हैं कि इतनी लंबी आधार रेखा होने पर भी वे चाप के केवल 1′ (सेकंड, चाप का) की कोटि का लंबन प्रदर्शित करते हैं। खगोलीय पैमाने पर लंबाई का सुविधाजनक मात्रक पारसेक है। यह किसी पिण्ड की वह दूरी है जो पृथ्वी से सूर्य तक की दूरी के बराबर आधार रेखा के दो विपरीत किनारों से चाप के 1′ का लंबन प्रदर्शित करती है। मीटरों में एक पारसेक कितना होता है?
उत्तर:
दिए गए चित्र में S सूर्य तथा E पृथ्वी है। पृथ्वी बिन्दु Pसे 1 पारसेक की दूरी पर है। पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 14
प्रश्नानुसार रेखाखण्ड SE, बिन्दु P पर 1′ पर 1′ का कोण अन्तरित करता है।
इस प्रकार, ∠SPE =1” = (\(\frac { 1 }{ 60 x 60}\))0
= \(\frac { 1 }{ 3600}\) x \(\frac { π }{ 180}\) रेडियन
∠SPE के छोटा होने के कारण PS तथा PE लगभग सम्पाती होंगी।
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प्रश्न 2.20.
हमारे सौर परिवार से निकटतम तारा 4.29 प्रकाश वर्ष दूर है। पारसेक में यह दूरी कितनी है? यह तारा (एल्फा सेंटौरी नामक) तब कितना लंबन प्रदर्शित करेगा जब इसे सूर्य के परितः अपनी कक्षा में पृथ्वी के दो स्थानों से जो छः महीने के अन्तराल पर है, देखा जाएगा?
उत्तर:
तारे की सौर परिवार से दूरी = 4.29 प्रकाश वर्ष
= 4.29 x 9.46 x 1015 मीटर
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अभीष्ट लम्बन = 2 Q
= 2 x तारे की सौर परिवार से दूरी
= 1.32 x 2 = 2.64 सेकण्ड चाप का।

प्रश्न 2.21.
भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएँ हैं। उदाहरण के लिए, किसी शत्रु के लड़ाकू जहाज की चाल सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही छोटे समय-अंतरालों पर इसकी स्थिति का पता लगाने की कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध में रेडार की खोज के पीछे वास्तविक प्रयोजन यही था। आधुनिक विज्ञान के उन भिन्न उदाहरणों को सोचिए जिनमें लंबाई, समय द्रव्यमान आदि के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है। अन्य जिस किसी विषय में भी आप बता सकते हैं, परिशुद्धता की मात्रात्मक धारणा दीजिए।
उत्तर:

  1. द्रव्यमान का मापन – द्रव्यमान स्पेक्ट्रम लेखी द्वारा परमाणुओं के द्रव्यमान का परिशुद्ध मापन किया जाता है।
  2. लम्बाई का मापन – विभिन्न यौगिकों के क्रिस्टलों में परमाणुओं के मध्य की दूरी का मापन करने के लिए लम्बाई के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।
  3. समय का मापन – फोको विधि से किसी माध्यम में प्रकाश की चाल निकालने के प्रयोग में समय के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.22.
जिस प्रकार विज्ञान में परिशुद्ध मापन आवश्यक है, उसी प्रकार अल्पविकसित विचारों तथा सामान्य प्रेक्षणों को उपयोग करने वाली राशियों के स्थूल आंकलन कर सकना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। उन उपायों को सोचिए जिनके द्वारा आप निम्नलिखित का अनुमान लगा सकते हैं : (जहाँ अनुमान लगाना कठिन है वहाँ राशि की उपरिसीमा पता लगाने का प्रयास कीजिए।

  1. मानसून की अवधि में भारत के ऊपर वर्षाधारी मेघों का कुल द्रव्यमान।
  2. किसी हाथी का द्रव्यमान।
  3. किसी तूफान की अवधि में वायु की चाल।
  4. आपके सिर के बालों की संख्या।
  5. आपकी कक्षा के कमरे में वायु के अणुओं की संख्या।

उत्तर:
1. भारत में कुल वर्षा का द्रव्यमान = बादल का द्रव्यमान
= औसत वर्षा x भारत का क्षेत्रफल – जल का घनत्व
= 10 सेमी x 3.3 x 1012 मीटर2 x 103 किग्रा मीटर3
= 3.3 x 1014 किग्रा

2. हाथी का द्रव्यमान लीवर के सिद्धान्त द्वारा निकाला जा सकता है। यह लगभग 3000 किग्रा होता है।

3. किसी तूफान की अवधि में वायु द्वारा उत्पन्न दाब को मापकर, वायु की चाल ज्ञात की जा सकती है। तूफान की चाल लगभग 80 किमी प्रति घण्टा होती है। यह चाल 300 किमी प्रति घण्टा से अधिक भी हो सकती है।

4. मनुष्य के बालों की संख्या
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हम जानते हैं : बाल की मोटाई t = 5 x 103 सेमी तथा मनुष्य के सिर की औसत त्रिज्या =8 सेमी
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5. वायु के 1 मोल का NTP पर आयतन = 22.4 लीटर
= 22.4 x 103मीटर3
माना कक्षा के कमरे का आयतन = V
= 5 x 4 x 3 (माना)
= 60 मी3
∴ कक्षा के कमरे में गैस अणुओं की संख्या कक्षा के कमरे का आ०
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प्रश्न 2.23.
सूर्य एक ऊष्म प्लाज्मा (आयनीकृत पदार्थ) है। जिसके आंतरिक क्रोड का ताप 107 K से अधिक और बाह्य पृष्ठ का ताप लगभग 6000 K है। इतने अधिक ताप पर कोई भी पदार्थ ठोस या तरल प्रावस्था में नहीं रह सकता। आपको सूर्य का द्रव्यमान घनत्व किस परिसर में होने की आशा है? क्या यह ठोसों, तरलों या गैसों के घनत्वों के परिसर में है? क्या आपका अनुमान सही है, इसकी जाँच आप निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर कर सकते हैं : सूर्य का द्रव्यमान = 2.0 x 1030 kg; सूर्य की त्रिज्या = 7.0 x 108 ml
उत्तर:
दिया है : M = 2 x 1030 किग्रा,
R=7.0 x 108 मीटर
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सूर्य का द्रव्यमान द्रवों/ठोस के घनत्व परिसर में होता है। यह गैसों के घनत्वों के परिसर में नहीं होता है। सूर्य की भीतरी पर्तों के कारण बाहरी पर्तों पर अंतर्मुखी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही गर्म प्लाज्मा का इतना अधिक घनत्व हो जाता है।

प्रश्न 2.24.
जब बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 8247 लाख किलोमीटर दूर होता है, तो इसके व्यास की कोणीय माप 35.72” की चाप है। बृहस्पति का व्यास परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है : पृथ्वी से बृहस्पति की दूरी =d
= 824.7 x 1016 किमी
θ = 35.72″
= 35.72 x 4.85 x 106 रेडियन
बृहस्पति का व्यास, D = ?
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D = θ x d
= 35.72 x 4.85 x 106 x 824.7 x 106
= 1.429 x 105 किमी।

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प्रश्न 2.25.
वर्षा के समय में कोई व्यक्ति चाल के साथ तेजी से चला जा रहा है। उसे अपने छाते को टेढ़ा करके ऊर्ध्व के साथ एकोण बनाना पड़ता है। कोई विद्यार्थी कोण θ व v के बीच निम्नलिखित संबंध व्युत्पन्न करता है:
tan θ = v
और वह इस संबंध के औचित्य की सीमा पता लगाता है : जैसी कि आशा की जाती है यदि v → 0 तो θ → 0 (हम यह मान रहे हैं कि तेज हवा नहीं चल रही है और किसी खड़े व्यक्ति के लिए वर्षा ऊर्ध्वाधरतः पड़ रही है)। क्या आप सोचते हैं कि यह संबंध सही हो सकता है? यदि ऐसा नहीं हो तो सही संबंध का अनुमान लगाइए।
उत्तर:
दिया है : tan θ = v
यह सम्बन्ध असत्य है क्योंकि इस सम्बन्ध में बायाँ पक्ष विमाहीन है जबकि दाएँ पक्ष की विमा [LT1] है। अतः दाएँ पक्ष में वर्षा की बूंदों के वेग से भाग देना चाहिए।
∴सही सम्बन्ध tan θ = \(\frac { v }{ u}\) होगा।

प्रश्न 2.26.
यह दावा किया जाता है कि यदि बिना किसी बाधा के 100 वर्षों तक दो सीज़ियम घड़ियों को चलने दिया जाए, तो उनके समयों में केवल 0.02 s का अंतर हो सकता है। मानक सीज़ियम घड़ी द्वारा 15 के समय अंतराल को मापने में यथार्थता के लिए इसका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कुल समय = 100 वर्ष
= 100 x 365 x 24 x 60 x 60 सेकण्ड
समय में अन्तर = 0.2 सेकण्ड
∴ 1 सेकण्ड के मापन में त्रुटि
= \(\frac { ∆T}{ T }\)
= \(\frac { 0.2}{ 100 x 365 x 24 x 60 x 60 }\)
= 6.34×1012
= 1011
\(\frac { 1 }{ 10^{ 11 } } \)
अर्थात् सीजियम घड़ी द्वारा 1 सेकण्ड में मापने में, 1011 में से 1 भाग की परिशुद्धता होती है।

प्रश्न 2.27.
एक सोडियम परमाणु का आमाप लगभग 2.5 A मानते हुए उसके माध्य द्रव्यमान घनत्व का अनुमान लगाइए। (सोडियम के परमाण्वीय द्रव्यमान तथा आवोगाद्रो संख्या के ज्ञात मान का प्रयोग कीजिए।) इस घनत्व की क्रिस्टलीय प्रावस्था में सोडियम के घनत्व 970 kg m3 के साथ तुलना कीजिए। क्या इन दोनों घनत्वों के परिमाण की कोटि समान है? यदि हाँ, तो क्यों? ।
उत्तर:
दिया है: सोडियम परमाणु की त्रिज्या (आमाप)
= 2.5 A = 2.5 x 1010 मीटर
सोडियम का ग्राम परमाणु भार = 23 ग्राम
= 23 x 103 किग्रा
एक ग्राम परमाणु में परमाणुओं की संख्या
= N = 6.023 x 1023
सोडियम के एक परमाणु का द्रव्यमान
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प्रश्न 2.28.
नाभिकीय पैमाने पर लंबाई का सुविधाजनक मात्रक फर्मी है : (1f= 1015 m)। नाभिकीय आमाप लगभग निम्नलिखित आनुभविक संबंध का पालन करते हैं :
r = r0A1/3
जहाँ नाभिक की त्रिज्या,A इसकी द्रव्यमान संख्या और r0 कोई स्थिरांक है जो लगभग 1.2f के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि इस नियम का अर्थ है कि विभिन्न नाभिकों के लिए नाभिकीय द्रव्यमान घनत्व लगभग स्थिर है। सोडियम नाभिक के द्रव्यमान घनत्व का आंकलन कीजिए।

प्रश्न 2.29.
लेसर (LASER), प्रकाश के अत्यधिक तीव्र एकवर्णी तथा एकदिश किरण – पुंज का स्त्रोत है। लेसर के इन गुणों का लंबी दूरियाँ मापने में उपयोग किया जाता है। लेसर को प्रकाश के स्त्रोत के रूप में उपयोग करते हुए पहले ही चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी परिशुद्धता के साथ ज्ञात की जा चुकी है। कोई लेसर प्रकाश किरण-पुंज चंद्रमा के पृष्ठ से परावर्तित होकर 2.56 s में वापस आ जाता है। पृथ्वी के परितः चंद्रमा की कक्षा की त्रिज्या कितनी है?
उत्तर:
दिया है : लेसर प्रकाश द्वारा लिया गया समय, t = 2.56 सेकण्ड
माना चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या = r
अत: लेसर प्रकाश द्वारा चली दूरी = 2r
प्रकाश की चाल, c = 3 x 108 मीटर/सेकण्ड
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 3
=3.84 x 108 मीटर
=3.8 x 105 किमी

प्रश्न 2.30.
जल के नीचे वस्तुओं को ढूँढ़ने व उनके स्थान का पता लगाने के लिए सोनार (SONAR) में पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग होता है। कोई पनडुब्बी सोनार से सुसज्जित है। इसके द्वारा जनित अन्वेषी तरंग और शत्रु की पनडुब्बी से परावर्तित इसकी प्रतिध्वनि की प्राप्ति के बीच काल विलंब 77.0 s है। शत्रु की पनडुब्बी कितनी दूर है? (जल में ध्वनि की चाल
= 1450 ms1)
उत्तर:
दिया है : ध्वनि द्वारा लिया गया समय = 77 सेकण्ड
जल में ध्वनि की चाल = 1450 मीटर/सेकण्ड
माना पनडुब्बी की दूरी = x
∴ ध्वनि तरंगों द्वारा चली गई दूरी = 2x
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या
x = \(\frac {1450×77 }{ 2 }\)
= 55825 मीटर
= 55.83 x 103 मीटर
= 55.83 किमी

प्रश्न 2.31.
हमारे विश्व में आधुनिक खगोलविदों द्वारा खोजे गए सर्वाधिक दूरस्थ पिण्ड इतनी दूर हैं कि उनके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों वर्ष लगते हैं। इन पिंडों (जिन्हें क्वासर (Quasar) कहा जाता है) के कई रहस्यमय लक्षण हैं जिनकी अभी तक संतोषजनक व्याख्या नहीं की जा सकी है। किसी ऐसे क्वासर की km में दूरी ज्ञात कीजिए जिससे उत्सर्जित प्रकाश को हम तक पहुँचने में 300 करोड़ वर्ष लगते हों।
उत्तर:
लिया गया समय, t = 3 x 109 वर्ष
= 3 x 109 x 365 x 24 x 60 x 60 सेकण्ड
प्रकाश की चाल c = 3 x 108 मीटर/सेकण्ड
माना क्वासर की पृथ्वी से दूरी = x
∴ x = चाल x समय
= 3 x 108 x 3 x 109 x 365 x 24 x 60 x 60
= 2.84 x 1022 किमी

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प्रश्न 2.32.
यह एक विख्यात तथ्य है कि पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि में चंद्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरी तरक ढक लेती है। इस तथ्य और उदाहरण 2.3 और 2.4 से एकत्र सूचनाओं के आधार पर चंद्रमा का लगभग व्यास ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है : चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी
(a) = 3.84 x 108 मीटर
माना चन्द्रमा का व्यास = 2r
सूत्र कोणीय व्यास = 4 से
चन्द्रमा का कोणीय व्यास = \(\frac { d }{ 3.84×10^{ 8 } } \) रेडियन
= \(\frac { d }{ 3.84×10^{ 8 } } \) x \(\frac { 180 }{ π }\) x 60 x 60
प्रश्नानुसार पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि में चन्द्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरा ढक लेती हैं।
∴ चन्द्रमा का कोणीय व्यास = सूर्य का कोणीय व्यास
∴d = \(\frac { 1920×3.84×10^{ 8 }π }{ 180x60x60 } \) मीटर
= 3.573 x 106 मीटर
= 3573 x 103 मीटर
= 3573 किमी
अतः चन्द्रमा का व्यास 3573 किमी है।

प्रश्न 2.33.
इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद (पी० ए० एम० डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनंद लेते थे। इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया। परमाण्वीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक G) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुंच गए हैं जिसकी विमा समय की विमा है। साथ ही, यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु (~1500 करोड़ वर्ष) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या (या और कोई अन्य रोचक संख्या जिसे आप सोच सकते हैं) बना सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्वपूर्ण है, तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर:
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन 1

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