MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 2 न्यग्रोधवृक्षः

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 2 न्यग्रोधवृक्षः (कथा) (कथावल्लरीतः)

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 2 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

कक्षा 10 संस्कृत पाठ 2 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए)।
(क) ग्रामे कः वृक्षः आसीत्? (गाँव में कौन-सा पेड़ था?)
उत्तर:
न्यग्रोधवृक्षः (बरगद का पेड़)

(ख) के मार्गायासं परिहरन्ति स्म? (कौन रास्ते की थकान दूर करते थे?)
उत्तर:
पथिकाः (राहगीर)

(ग) कस्य ध्वनिः अन्तरिक्षम् अस्पृशत्? (किसकी आवाज अंतरिक्ष को छू रही थी?)
उत्तर:
काकस्य (कौए की)

(घ) प्रकृतिदत्तः वरः कः? (प्रकृति का दिया हुआ वरदान क्या था?)
उत्तर:
वृक्षः (पेड़)

(ङ) तरोः पत्राणि खादन् कः नन्दति स्म? (पेड़ के पत्ते खाकर कौन प्रसन्न होता था?)
उत्तर:
अजापुत्रः (बकरी का बच्चा)

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Class 10 Sanskrit Chapter 2 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए-)
(क) सर्वैः कस्य निर्णयः स्वीकृतः? (सबने किसका निर्णय माना?)
उत्तर:
सर्वैः अजस्य निर्णयः स्वीकृतः। (सबने बकरे का निर्णय माना।)

(ख) कः वृष्टिं वर्षति? (कौन वर्षा करता है?)
उत्तर:
वरुणदेवः वृष्टिं वर्षति। (वरुणदेव वर्षा करते हैं।)

(ग) वृक्षस्य आधारभूता का? (वृक्ष का आधार कौन है?)
उत्तर:
वृक्षस्य आधारभूता भूमाता। (पेड़ का आधार धरती है।)

(घ) अस्माभिः का वर्धनीया? (हमें क्या बढ़ाना चाहिए?)
उत्तर:
अस्माभिः वृक्षसम्पत् वर्धनीया। (हमें वृक्ष-सम्पत्ति को बढ़ाना चाहिए।)

(ङ) किं महत् पापम् अस्ति? (क्या बहुत बड़ा पाप है?)
उत्तर:
वृक्षाणां छेदनं महत् पापम् अस्ति । (पेड़ों को काटना बहुत बड़ा पाप है।)

Sanskrit Class 10 Chapter 2 MP Board प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत- (नांचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
(क) शकः किम् अवदत्? (तोते ने क्या कहा?)
उत्तर:
शुकः अवदत्-“अस्य वृक्षस्य फलानि खादन् जन्मतः अहम् अत्रेव वर्ते। नाहम् इमं द्रुमं परित्यक्तुमिच्छामि मदीय एवायं न्यग्रोधवृक्षः।” इति। (तोते ने कहा- “इस पेड़ के फल खाता हुआ मैं जन्म से यहीं हूँ। मैं इस पेड़ को नहीं छोड़ना चाहता। यह मेरा ही बरगद का पेड़ है।)

(ख) कीटः किं प्रत्यवदत्? (कीड़े ने क्या जवाब दिया?)
उत्तर:
कीटः प्रत्यवदत्-“मदीयैः अर्भकैः सार्द्धम् अहं बहुवर्षेभ्यः अत्रैव उषितवानस्मि। अतः अयं वृक्षः ममैव” इति।

(कीड़े ने कहा-“मेरे पुत्रों के साथ मैं बहुत सालों से यहीं रह रहा हूँ। इसलिए यह पेड़ मेरा ही है।”)

(ग) वृक्षच्छेदनविषये काष्ठच्छेदकः किम् अवदत्? (वृक्ष काटने के विषय पर लकड़हारे ने क्या कहा?)
उत्तर:
वृक्षच्छेदनविषये काष्ठछेदकः अवदत्-“पूर्वम् अहं वृक्षान् छिनद्मि स्म। अधुना तादृशे कृत्सिते कर्मणि न व्यापारयामि। वृक्षाणां छेदनं महत् पापमिति मयाअधिगतमस्ति अतः न्यग्रोधवृक्षस्य छेदन अहं न करष्यिामि’ इति।

(वृक्ष काटने के विषय पर लकड़हारे ने कहा-“मैं पहले पेड़ काटता था पर अब यह बुरा काम नहीं करता। पेड़ काटना बहुत बड़ा पाप है, यह मैं जान गया हूँ, इसलिए मैं पेड़ नहीं काटूंगा।”)

MP Board Class 10 Sanskrit Chapter 2 प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत
(दिए गए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-)
(नीडानि, अनिलं, मार्गायासं, सूर्यदेवः, चंक्रम्य)
(क) शाखान्तरं …………….. एकः कीटः अवदत्
(ख) पथिकाः …………….. परिहरन्ति स्म।
(ग) पक्षिणः शाखासु …………….. विरच्य वसन्ति स्म।
(घ) वायुः …………….. ददाति।
(ङ) …………….. प्रकाशं प्रयच्छति।
उत्तर:
(क) चंक्रम्य
(ख) मार्गायासं
(ग) नीडानि
(घ) अनिलं
(ङ) सूर्यदेवः

Sanskrit Chapter 2 Class 10 MP Board प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत
(उचित रूप से जोड़िए-)
कक्षा 10 संस्कृत पाठ 2 MP Board Sanskrit Solutions
उत्तर:
(क) 2
(ख) 3
(ग) 1
(व) 5
(ङ) 4

Class 10th Sanskrit Chapter 2 प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के सामाने ‘न’ लिखिए-)
(क) शुकस्य ध्वनिः अन्तरिक्षम् अस्पृशत्।
(ख) कीटः अर्भकैः सार्द्धम् वसति स्म।
(ग) वृक्षच्छेदकः वृक्षं खण्डशः कृतवान्।
(घ) वृक्षाणां छेदनं महत् पापम्।
(ङ) सूर्यदेवः वृष्टिं वर्षति।।
उत्तर:
(क) न
(ख) आम्
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न।

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 2 प्रश्न 7.
अधोलिखितपदानां प्रकृतिं प्रत्ययं च पृथक्कुरुत
(नीचे लिखे पदों की प्रकृति व प्रत्यय अलग कीजिए-)
यथा-भक्षयित्वा – भक्ष्+ क्त्वा
(क) कुर्वन्
(ख) विभज्य
(ग) छेत्तुम
(घ) विस्मृत्य
उत्तर:
(क) कुर्वन् – कृ+शतृ
(ख) विभज्य – वि+भ+ल्यप्
(ग) छेत्तुम – छिद्+तुमुन्
(घ) विस्मृत्य – वि+स्मृ+ल्यप्

Chapter 2 Sanskrit Class 10 MP Board प्रश्न 8.
अधोलिखितपदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखिए-)
Class 10 Sanskrit Chapter 2 MP Board Solutions न्यग्रोधवृक्षः
उत्तर:
Sanskrit Class 10 Chapter 2 MP Board Solutions न्यग्रोधवृक्षः

Sanskrit Class 10 Chapter 2 प्रश्न 9.
अधोलिखितपदानां पर्यायशब्दान् लिखत
(नीचे लिखे पदों के पर्यायवाची शब्द लिखिए-)
यथा- वृक्षः – तरुः
(क) काकः
(ख) सर्पः
(ग) पिताः
(घ) पुत्रः
उत्तर:
(क) काकः – वायतः
(ख) सर्पः – भुजङ्गः
(ग) पिता – जनकः
(घ) पुत्रः – अर्भकः

Class 10 Sanskrit Chapter 2 Question Answer प्रश्न 10.
अव्ययैः वाक्यरचनां कुरुत- (अव्ययों के द्वारा वाक्य बनाइए-)
यथा- एव – ईश्वरः एव रक्षकः अस्ति
(क) अपि
उत्तर:
अपि-पुत्रः अपि पित्रा सह गच्छति। (पुत्र भी पिता के साथ जाता है।)

(ख) तहिं
उत्तर:
तर्हि-यदि सः परिश्रमं करिष्यति तर्हि सफलं भविष्यति।
(यदि वह मेहनत करेगा तभी सफल होगा।)

(ग) ततः
उत्तर:
ततः-ततः पार्वे उपवनम् अस्ति। (उसके पास में एक बगीचा है।)

योग्यताविस्तार

“वृक्षः” इति विषयमधिकृत्य संस्कृते निबन्धं लिखत।
‘वृक्ष’ इस विषय के आधार पर संस्कृत में निबन्ध लिखिए।

पर्यावरणसंरक्षणार्थम् उपायान् लिखत।
पर्यावरण संरक्षण के लिए उपाय लिखिए।

न्यग्रोधवृक्षः पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरुकता एक कथा के माध्यम से दाई गई है। इस कथा में वृक्ष का महत्त्व बताया गया है तथा उसे काटने से होने वाली हानियों का वर्णन किया गया है, जिससे वन-सरंक्षण किया जा सके।

न्यग्रोधवृक्षः पाठ का अनुवाद

1. कस्मिंश्चित ग्रामे एकःप्राचीनः विशालः त्च न्यग्रोधवृक्षः आसीत्। सः पशुपक्षिभ्यः बहुविधेभ्यः जीवजन्तुभ्यः मनुष्येभ्यः अपि नित्यं बहूपकारकः आसीत्। पथिकाः तस्य वृक्षस्य छायायां पाथेयं भक्षयित्वा मार्गायासं परिहरन्ति स्म। पशवः छायार्थं वृक्षमिमम् आश्रयन्ति स्म। पक्षिणः तस्य शाखासु नीडानि विरच्य वसन्ति स्म। साश्च तत्रत्येषु वल्मीकेषु वासं कुर्वन्ति स्म। एवं स वृक्षः सर्वप्रिय सर्वहितः सर्वापेक्षितः च आसीत्।

शब्दार्था :
न्यग्रोधवृक्षः-बरगद का पेड़-A banyan tree; बहुविधेभ्यः-अनेक प्रकार के-in various (different) ways; पथिकाः -राहगीर-travellers,passers by; way farers; पाथेयम्-रास्ते का भोजन-foodstuff; मार्गायासम्-रास्ते की थकान को-fatigue of the way;नीडानि-घोंसले-nests; विरच्य-बनाकर-making, building; वल्मीकेषु-बिलों में-holes (white ant; termite).

हिन्दी अनुवाद :
किसी गाँव में एक पुराना और विशाल बरगद का पेड़ था। वह पशु-पक्षियों व अनेक प्रकार के जीव-जन्तुओं तथा मनुष्यों के लिए भी सदा बहुत उपकारक था। राहगीर उस वृक्ष की छाया में रास्ते का भोजन खाकर रास्ते की थकान दूर करते थे। पशु छाया के लिए इस वृक्ष का आश्रय लेते थे। पक्षी उसकी शाखाओं पर घोंसले बनाकर रहते थे। और साँप वहीं पर बिलों में रहते थे। इस प्रकार वह वृक्ष सबका प्यारा, सबका हित करने वाला तथा सबके द्वारा अपेक्षित था।

2. तस्य न्यग्रोधवृक्षस्य शाखायाम् एकः काकः बहुकालात् वसन्नासीत्। कस्मिंश्चित् दिने स वायसः किमपि स्मरन् इतस्ततः दृष्ट्वा एवम् उच्चैः अरटत्-“हे बन्धवः श्रूयतां-श्रूयतां मे वचः। अहम् अस्मिन् वृक्षे चिरात् वसामि। अतः अस्योपरि ममैव अधिकारः वर्तते। अयं मदीयः वृक्षः इति। काकस्य ध्वनि क्रमेण अन्तरिक्षम् अस्पृशत्।

शब्दार्था :
वायसः-कौआ-Crow;अरटत-रटने लगा (लगातार) cawed persistently; चिरात्-बहुत समय से-since a long time; मदीयः-मेरा-mite, my.

अनुवाद :
उस बरगद के वृक्ष की शाखा पर एक कौआ बहुत समय से रहता था। किसी (एक) दिन वह कौआ कुछ याद कर इधर-उधर देखकर ही जोर से रटने लगा-‘हे बन्धुओ। सुनो, सुनो मेरी बात। मैं इस पेड़ पर बहुत समय से रहता हूँ। अतः इसके ऊपर मेरा ही अधिकार है। यह मेरा वृक्ष (पेड़) है। कौए की आवाज, क्रम से अन्तरिक्ष को छू रही थी।

English :
A crow lived in the tree; proclaimed himself as sole owner of the tree. Made a loud cry and tall claim over the tree.

3. काकस्य रटनं श्रुत्वा वृक्षस्य समीपे चरन्तः वृक्षाग्रे डयमानाः वृक्षस्य कोटरेषु निवसन्तः च सर्वे प्राणिनः पशवः पक्षिणः साश्च समायाताः। तेषां मध्ये प्रथमं सर्पः फटाटोपं कुर्वन् न्यगदत् “पितृपितामहान कालादपि अहम् अत्रैव निवसामि अतोऽयं वृक्षः मदीय एद” इति। ततः शाखातः शाखान्तरं चंक्रम्य एकः कीटः प्रत्यवदत् “मदीयैः अर्भकैः सार्द्धम् अहं बहुवर्षेभ्यः अत्रैव उषितवानस्मि। अतोऽयं वृक्षः ममैव” इति।

शब्दार्था :
डयमानाः-उड़ते हुए-flying; समायाताः-आ गए-gathered; assembled; flocked; फटाटोपम्-फण् से क्रोध को-showing anger by spreading its hood; न्यगदत्-बोला-uttered;spoke out; अर्भकैः-पुत्रों के साथ-with male issues.

अनुवाद :
कौए की रट को सुनकर पेड़ के पास में चरते हुए, पेड़ के आगे (ऊपर) उड़ते हुए और पेड़ के बिल में रहते हुए सभी प्राणी पशुओं, पक्षी और साँप वहाँ आ गए। उनके बीच में से पहले साँप फण से क्रोध प्रकट करते हुए बोला- “मेरे बाप-दादा के समय से ही मैं यहीं रह रहा हूँ, इसलिए यह मेरा ही पेड़ है।” तब एक शाखा से दूसरी शाखा पर घूमते हुए एक कीड़ा बोला-“मेरे पुत्रों के साथ मैं बहुत सालों से यहीं रह रहा हूँ। इसलिए यह मेरा ही पेड़ है।”

English :
All creatures flocked near the banyan tree. The snake spread its hood and called himself the possessor of the tree. An insect proclaimed its possession of the tree because of the long stay of his family in it.

4. अनन्तरं शुकः “अस्य वृक्षस्य फलानि खादन् जन्मतः अहमत्रैव वर्ते। नाहमिमं द्रुमं परित्यक्तुमिच्छामि। मदीय एवायं न्यग्रोधवृक्षः” इति उच्चैः अभणत्। ततश्च तत्रत्याः अपरिमिताः कृमयः कीटाश्च “अयं तरुः अस्मदीय एव” इत्युक्त्वा वृक्षस्योपरि स्वं स्वम् अधिकार घोषयन् विचित्रतरं कोलाहलम् अकुर्वन्।

शब्दार्था :
द्रुमम्-पेड़ को-the tree; परित्यक्तुम्-छोड़ना-to leave; अभणत्बोला-repeated, uttered; तत्रत्याः -वहाँ के-living there; अपरिमिताः-न मापने योग्य-numberless; कृमयः-कीड़े-मकोड़े-insects (worms).

अनुवाद :
इसी बीच में तोता जोर से बोला-“इस पेड़ के फलों को खाता हुआ जन्म से ही मैं यहीं हूँ। मैं इस पेड़ को छोड़ना नहीं चाहता हूँ। यह बरगद का पेड़ मेरा ही है।” और तब वहाँ के सब छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े “यह पेड़ हमारा ही है” ऐसा कहकर पेड़ पर अपने-अपने अधिकार की घोषणा करते हुए अजीब-सा शोर करने लगे।

English :
Parrot lived in the banyan since its birth. Claimed the tree its own. The worms and insects also declared their claim, created a strange bediam (clamour) scene of confusion).

5. अत्रान्तरे कश्चित् अजापुत्रः तत्रागतः। सोऽपि तस्य तरोः पत्राणि खादन नन्दति स्म। तं दृष्ट्वा सर्वे प्राणिनः न्यायनिर्णयं कर्तुं तं प्रार्थयन्त। सर्वेषां वचनानि श्रुत्वा स अजः अवदत्-“अस्तु मया समेषां समस्या समाकर्णिता। इदानीं मम चचनानि यूयं शृणुत। काश्चन शाखाः काकेभ्यः, शाखान्तराणि च कृमिकीटेभ्यः, मूलं सर्वेभ्यः अनेन प्रकारेण सर्वेभ्योऽपि वृक्षं विभज्य दापयिष्यामि। अस्मिन्नेव ग्रामे कश्चित् वृक्षच्छेदकः मे मित्रमस्ति। तम् आह्वयामि इमं वृक्षं खण्डशः कर्तुम्” इति।

शब्दार्था :
अजापुत्रः-बकरी का बच्चा-Kid; नन्दति-प्रसन्न होता है-rejoices; समेषाम्-सभी की-of one and all; समाकर्णिता-सुन ली है-have heard; दापयिष्यामि-दिलवाऊँगा-cause to be given; वृक्षच्छेदकः-लकड़हारा-a woodcutter; आह्वयामि-बुलाता हूँ-call.

अनुवाद :
तभी यहाँ कोई बकरी का बच्चा आता है। वह भी उस पेड़ के पत्तों को खाकर प्रसन्न होता था। उसे देखकर सभी प्राणियों ने न्यायनिर्णय करने की उससे प्रार्थना की। सबके वचनों को सुनकर वह बकरा बोला-“ठीक है, मेरे द्वारा सारी समस्या सुन ली गई है। अब मेरी बात तुम सब सुनो। कोई शाखा कौओं के लिए, शाखाओं के अन्दर का भाग कीड़े-मकोड़ों के लिए और जड़ सबके लिए इस प्रकार से सबको ही पेड़ को विभाजित कर दिलवाऊँगा। इसी गाँव में ही कोई लकड़हारा मेरा मित्र है। उसे इस पेड़ के टुकड़े-टुकड़े करने के लिए बुलाता हूँ।

English :
A kid arrives there. All the creatures asked him to give its judgement on the claimant of the tree. He proposed that the tree should be cut into pieces. (branches for crows, inner portion for worms and insects and root for all).

6. अजस्य निर्णयः सर्वैः स्वीकृतः अतः सर्वेऽपि वृक्षच्छेदकस्य समीपं गत्वा न्यग्रोधवृक्षं छित्वा तस्य भागानाम् वितरणार्थं प्रार्थयन्त। परं सोऽयं काष्ठच्छेदकः अवदत् “पूर्वम् अहं वृक्षान् छिनमि स्म। अधुना तादृशे कुत्सिते कर्मणि न व्यापारयानि। वृक्षाणां छेदनं महत् पापमिति मया अधिगतमस्ति अतः न्यग्रोधवृक्षस्य छेदनं अहं न करिष्यामि” इति।

शब्दार्था :
वितरणार्थम्-बाँटने के लिए-to make a division; कुल्सिते-बुरे में-evil, vicious, sinful; अधिगतम्-जान गया-have known.

अनुवाद :
बकरे का निर्णय सब ने मान लिया, इसलिए सभी ने लकड़हारे के पास जाकर बरगद के पेड़ को काटकर उसके टुकड़ों को बाँटने की प्रार्थना की। पर उस लकड़हारे ने कहा-‘पहले मैं पेड़ काटता था। अब उस बुरे काम (में) को नहीं करता हूँ’ पेड़ों को काटना बहुत बड़ा पाप है, मैं यह जान गया हूँ। इसलिए मैं बरगद का पेड़ नहीं काटूंगा।”

English :
Everyone honoured the kid’s decision. All approached the woodcutter to cut the tree into pieces; the woodcutter declined to do the sinful job of cutting a tree.

7. तथापि सर्वे प्राणिनः तं वृक्षं छेत्तुं यदा निर्बन्धम् अकुर्वन् सदा स धीमान् इदमाह-“अस्तु तर्हि प्रथमं मे वचः शृणुत-यूयं सर्वेऽपि अनेन वृक्षण उपकृताः एव। वृक्षस्य उपकारं स्वीकृत्य युष्माभिः कः प्रत्युपकारः कृतः? युष्माकं मध्ये कः वृक्षस्य जलसेचनम् अकरोत्? कः तस्य॑ रक्षणं विहितवान्? न कोऽपि किञ्चिदपि अकरोत्। वरुणदेवः वृष्टि वर्षति। सूर्यदेवः प्रकाशं प्रयच्छति। भूमाता वृक्षस्य आधारभूता अस्ति। वायुः अनिलं ददाति। ते सर्वे वृक्षं पालयन्ति पोषयन्ति रक्षन्ति च। ते न कदापि “मम अधिकारः वर्तते।” इति अवदन्। ते सर्वे परोपकारिणः। परं यूयं सर्वे परापकारिणः वृक्षस्य साहाय्यं स्वीकृत्य तमेव नाशयितुं कृतसङ्कल्पा यूयं स्वाश्रयमेव नाशयथ। अस्मिन् वृक्षे छिन्ने सति यूयं कुत्र गच्छथ?

शब्दार्था :
निर्बन्धम्-अत्यधिक आग्रह करना-Appealed repeatedly; insisted; प्रत्युपकारः-उपकार का बदला उतारना-to repay the gratitude; सेचनम्-सींचना-to sprinkle, वृष्टिम्-वर्षा को-rain.

अनुवाद :
तभी भी सब प्राणियों ने जब उसको पेड़ काटने के लिए अत्यधिक आग्रह किया, तब उस बुद्धिमान् ने कहा-“ठीक है, तो पहले मेरी बात सुनो-तुम सभी उस पेड़ के द्वारा उपकृत (उ कार करवाया जाना) हो। पेड़ के उपकार को लेकर तुम सब ने क्या प्रत्युपकार (उपकार बदला) किया? तुम सब के बीच में से किसने पेड़ को जल से सींचा? किसने इसकी रक्षा की? किसी ने भी कुछ भी नहीं किया। वरुण देव ने वर्षा की। सूर्यदेव ने प्रकाश दिया। भूमि माता पेड़ का आधार है। वायु ने हवा दी। उन सब ने पेड़ को पाला, पोषण किया और रक्षा की। उन्होंने कभी नहीं कहा कि “मेरा अधिकार है।” वे सब परोपकारी हैं। पर तुम सभी परापकारी हो, पेड़ की सहायता स्वीकार करके उसे ही नष्ट करने का सङ्कल्प कर तुम सब अपने आश्रय को ही नष्ट कर रहे हो। इस पेड़ के कट जाने पर तुम सब कहाँ जाओगे?

English :
Being insisted repeatedly the woodcutter reminded them of their ungrate fulness. They were out at harming themselves by cutting the tree reared by the divine powers. They would lose their own refuge.

8. सर्वमिदं श्रुत्वा पशुपक्षिणः “आम्। सत्यम्। वयं स्वकर्त्तव्यं विस्मृत्य अधिकारार्थं कोलाहलं कुर्मः। वृक्षः प्रकृतिदत्तः वरः अस्ति। स न कस्यापि एकस्य सम्पत् भवितुमर्हति। अस्माभिः सर्वैः मिलित्वा वृक्षस्य संरक्षणं संवर्धनं समारोपणं च कर्त्तव्यम्। न तु विनाशः कार्यः” इति दृढनिश्चयम् अकुर्वन्। अस्माभिः मानवैः अपि वृक्षसम्पत् वर्धनीया ननु।

शब्दार्था :
विस्मृत्य-भूलकर-forgetting; दत्तः-दिया हुआ-given;सम्पत्-संपत्तिproperty; संवर्धनम्-बढ़ाने का-growing (rearing).

अनुवाद :
यह सब सुनकर पशु-पक्षियों ने-“हाँ। सत्य है। हम सब अपने कर्तव्य को भूलकर अधिकार के लिए शोर कर रहे हैं। पेड़ प्रकृति का दिया हुआ वरदान है। वह किसी भी एक की सम्पत्ति नहीं हो सकती। हम सब को मिल कर पेड़ की रक्षा करनी चाहिए, बढ़ाना चाहिए और उगाना चाहिए। न कि विनाश करना चाहिए” ऐसा दृढ़निश्चय किया। हम मानवों के द्वारा भी वृक्ष सम्पत्ति को बढ़ाना चाहिए।

English :
All the creatures realised their folly. They had no claim on the tree which is a gift of nature. They should grow more trees and protect them. It is an object lesson to human beings also.

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 7 The First Freedom Struggle of 1857

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MP Board Class 10th Social Science Text Book Exercise

Objective Type Questions

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (a)
Who led the freedom struggle of 1857 in Bundelkhand was:
(a) Kunwar Singh
(b) Bakhtawar Singh
(c) Tatya Tope
(d) Anamadulla Khan.
Answer:
(c) Tatya Tope

Question (b)
The British Governor General of India in 1857 was:
(a) Dalhousie
(b) Willium Bantick
(c) Canning
(d) Rippon.
Answer:
(c) Canning

Class 10 Social Science Chapter 7 MP Board Question 2.
Fill in the blanks:

  1. After being arrested Bahadur Saha II was sent to ……………………..
  2. Many Indian states were annexed to the British empire as a result of Dulhosie’s ………………………. policy. (MP Board, 2013)
  3. An ordinance passed by British Parliament, India was placed under the direct control of ……………………….
  4. The people of Delhi proclaimed …………………………. as the emperor of India. (MP Board, 2009, 2011)
  5. British historians depicted Freedom Struggle of 1857 as …………………………

Answer:

  1. Rangoon
  2. Doctrine of lapse
  3. Crown
  4. Bahadur Shah II
  5. the sepoy mutiny.

Name The Places Most Affected By Freedom Struggle Of 1857 Question 3.
Match the Column:
MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 The First Freedom Struggle Of 1857
Answer:

  1. (c)
  2. (d)
  3. (e)
  4. (b)
  5. (a).

MP Board Class 10th Social Science Very Short Answer Type Questions

The First Freedom Struggle Of 1857 Class 10th Question 1.
Name the places most affected.by freedom struggle of 1857?
Answer:
Delhi, Meerut, Barrackpur, Avadh, Rohelkhand, Bundelkhand, Kanpur, Jagdishpur, Lucknow and Gwalior.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 Solutions Question 2.
Name a few main freedom fighters who led the freedom struggle of 1857? (MP Board 2009)
Answer:
Rani Laxmibai, Kunwar Singh, Begum Hazarat Mahal, Tatyia Tope, Mangal Pandey, Bahadur Shah Zafar.

Name The Place Most Affected By Freedom Struggle Of 1857 Question 3.
What were the immediate causes of freedom struggle?
Answer:
The immediate cause of the Revolt of 1857 was the cartridges incident. The cartridges supplied to the soldiers for the newly introduced enfield rifle were greased with fat and had to be bitten with teeth before being loaded in the rifle. The rumour spread that the cartridges were greased with the fat of cows and pigs. As such many Indian soldiers refused to use them. This sparked the revolt.

MP Board Class 10th Social Science Short Answer Type Questions

Class 10th Social Science Chapter 7 Question 1.
Why is the struggle of 1857 called the first struggle of freedom? (MP Board 2011)
Answer:
The struggle for freedom of 1857 is considered as a glorious and revolutionary event in the history of India. The revolution of 1857 was the first armed revolution which was so widespread and powerful that it shook the foundation of British Empire. By keeping the national problems on center stage, the revolution of 1857 challenged the existence of East India Company’s Rule.

The revolution of 1857 was a nationwide, organized struggle for putting up an end to the British Rule. Although this struggle failed in its mission, its memories and inspiration are still alive in the heart of common man. Among the Indian people an awakening took place followed by the freedom struggle.

Chapter 7 Social Science Class 10 Question 2.
Why did the 1857 uprisings against the British Rule failed?
Answer:
Lack of organised policy, leadership and tradition weapons are the main factors responsible to the failure of 1857 awakening. While the British army and leaders were well planned in there resources and policy. The rising did not spread throughout the country.

It was confined to some pockets of India. Sindh, Kashmir, Rajputana, East Bengal, South India and most of the Punjab did not take part in it. The Sikh, Rajput and Gorkha battallions remained faithful to British and even helped them in suppressing the revolt.

The First Freedom Struggle Of 1857 Class 10th Notes Question 3.
Why were the Indian rulers angry with the British Rule? (MP Board 2010, 2013)
Answer:
The policy of exploitation for the natural and human resources of the country was the matter of dissatisfaction to the Indians. On the other hand, the policy of ‘divide and rule’ proned a dicisive for uprising the Indian against the company rule.

Class 10 Social Science Chapter 7 Question 4.
What changes were introduced in the British administration after the freedom struggle of 1857?
Answer:
The revolt was eventually crushed by British Government but it caused a severe blow to the British Government. Consequentially British Government had to introduce many administrative changes. These changes brought about many transform in Indian society, economy and governance. They were:

1. A declaration was passed in 1858 in British Parliament according to which the right to rule was transferred to British Government from the East India Company.

2. After 1858 there was a restructuring of army. Since British Government had lost faith in Indian soldiers, all important posts in army were given to British officers. More number of European soldiers was inducted. British restructured the Indian army with the policy of “divide and rule”.

3. There was change in policy of merger of states. Adoption of a successor was recognized. Native rules were assured that no more take over of states will take place henceforth.

4. British Government showed a more sympathetic altitude towards landowners, landlords, and native rulers in order to get their support.

MP Board Class 10th Social Science Long Answer Type Questions

Mention The Reason For The Failure Of The First Struggle For Freedom Question 1.
Describe the historical importance of the first struggle for freedom?
Or
Describe the historical importance of the struggle for freedom of 1857? (MP Board 2009)
Answer:
The importance of the first struggle of freedom – 1857 can be discussed under the following heads:

1. The end of the Company Rule in India:
The rule and administrations of East India Company had transferred to British Government. It was then thought that the crown’s administration would bring a new period of good administration.

2. Indian People in Government Service:
It was thought that with the introduction of new government. Indian people will have good chances to secure government services and that would be without any discrimination of colour, creed, sex and other economic grounds.

3. Religious freedom:
In its post policy, it was expected, as per assurance given that religious freedom would be given to the Indian people and Britishers would not interfere in their religious matters.

4. Assurance to the Princely states:
Indian kings were given assurance that their kingdoms would not be annexed. They were also told that right of adoption will also be given.

5. Patriotism:
After the struggle of 1857, the feeling of patriotism was fostered in the minds of the people and they were more confident of achieving things if they are denied by the administration.

Class 10 Social Science MP Board Chapter 7 Question 2.
Write short notes on:

  1. Tatya Tope
  2. Rani Laxmibai
  3. Nana Saheb
  4. Begam Hazrat Mahal.

Or
“Tatya Tope was a brave freedom fighter”. Write in short? (MP Board 2009)
Or
Write about Rani Laxmibai? (MP Board 2009)
Or
Give a brief introduction of main freedom fighter of first freedom struggle? (MP Board 2009)
Answer:
1. Tatya Tope:
Tatya Tope was one of the valiant soldiers of struggle of 1857 who had their loyalty with Peshwa family. Tatya Tope will be remembered for his patriotism, courage, strategizing skills, military acumen, perseverance in the absence of resources, fearlessness and guerrilla warfare tactics. The entire responsibility of Nana Saheb Peshwa’s military campaign was on the shoulders of Tatya Tope.

Tatya Tope played a major role in acquiring Gwalior for the Queen of Jhansi Laxmibai. After the death of Laxmibai, Tatya Tope continuously engaged himself in guerrilla warfare and challenged British army in Central India and Bundelkhand. He was arrested by British by deceit and betrayal. He was caught in the jungle of Aaron (district Guna) and was hanged in Shivpuri on 18th April, 1859.

Class 10 Social Science Chapter 7 MP Board The First Freedom Struggle Of 1857

2. Rani Laxmibai:
In the year 1854, following the death of Raja Gangadhar Rao, the husband of Laxmibai, British Government denied their adopted son the throne and merged Jhansi with their empire. Rani Laxmibai protested and fought fiercely. Having defeated by Hurose she landed in Kalapi and, with the help of Tatya Tope she acquired Gwalior.

British commandor Hurose besieged Gwalior fort. On 17th June, 1858 Laxmi sacrificed her life in soldier’s outfit and harnessed with horse. Stories of her valour are still sung and inspire the Indians.

Name The Places Most Affected By Freedom Struggle Of 1857 MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 7

3. Nana Saheb:
Nana Saheb was another important soldier in the freedom struggle. He was the adopted son of Bajirao Peshwa II and stayed in Bithur. After the demise of Bajirao Peshwa, British Govemement refused to grant a title or pension to Nana Saheb. Therefore, Nana Saheb along with his loyal soldiers chased British army off from Kanpur and declared himself a Peshwa. Tatya Tope and Ajimullah were his loyal army chiefs.

The First Freedom Struggle Of 1857 Class 10th MP Board Social Science Solutions Chapter 7

4. Begam Hazrat Mahal:
Begum Hazrat Mahal was the widow of Nawab of Awadh. Once the revolt started, Begum encouraged and manage it. She declared her minor son Birjis Kadar as Nawab of Awadh and ordered her soldiers to attack the British residency in Lucknow. She also led the revolt in Shahajahnpur. After suffering a defeat she went to Nepal.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 Solutions The First Freedom Struggle Of 1857

Project Work

The First Freedom Struggle Of 1857 Class 10th MP Board Question 1.
Trace the places related to the freedom on struggle of 1857 on the map of India. Also write the names of regional leaders associated with it?
Answer:
Following are the main places of the freedom struggle of 1857.

  1. Barrackpur – Revolt by Mangal Pandey, an Indian soldier in British Army.
  2. Jagdishpur (Ara) – Revolt by Kunwar Singh.
  3. Ranchi – Revolt by local landlord.
  4. Faizabad – Revolt led by Maulvi Ahmad Ulla.
  5. Lucknow – Revolt led by Begum Hazrat Mahal.
  6. Shahajahnpur – Revolt let by Maulvi Ahmad Shah.
  7. kanpur – Revolt by Nana Saheb Peshwa.
  8. Bareilly – Revolt by Barkhat Khan.
  9. Meerut – Revolt by Indian soldiers of British Army.
  10. Delhi – Revolt by Mughal Emperor Bahadur Shah Zafar.
  11. Jhansi – Revolt under the leadership of Maha rani Laxmibai and Tatya Tope.
  12. Gwalior – Maharani Laxmibai and Tantiya Tope went to Gwalior to seek help of Sindhia. When Sindhia refused, they captured Gwalior, which was later on recaptured by Sindhia with the help of the British.

Name The Place Most Affected By Freedom Struggle Of 1857 MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 7

Chapter 7 Class 10 Social Science Question 2.
Analyse, what do you think were the causes of failure of freedom struggle of 1857. Share your view’s with your classmates?
Answer:
Do yourself with the help of your classmates.

MP Board Class 10th Social Science Additional Important Questions

Objective Type Questions

MP Board Class 10 Social Science Chapter 7 Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (a)
Kunwar Singh was the landlord of:
(a) Bihar
(b) Jagdishpur
(c) U.P.
(d) Meerut.
Answer:
(b) Jagdishpur

Question (b)
The revolt out breaked at Meerut on:
(a) 10 April 1857
(b) Jagdishpur
(c) 10 June 1857
(d) 10 July 1857.
Answer:
(b) Jagdishpur

Question (c)
The Commander of Mughal army Bakht Khan led the revolt in:
(a) Jhansi
(b) Lucknow
(c) Delhi
(d) Kanpur.
Answer:
(c) Delhi

 

Question (d)
Bahadurshah was sent to Rangoon in:
(a) 1860
(b) 1861
(c) 1862
(d) 1864.
Answer:
(c) 1862

Mention The Reason Of The Failure Of The First Struggle For Freedom Question 2.
Fill in the blanks:

  1. …………………….. called the revolt of 1857 as the first struggle for freedom.
  2. Barrackpur is situated in the state of …………………….
  3. The disputed cartridge was made of the fat of ……………………….
  4.  ………………………… was the founder of Subsidiary Alliance.
  5. Residence of Nana Sahib was in ………………………….. (MP Board 2009)

Answer:

  1. Damodar Savarkar
  2. Bengal
  3. cow and pig
  4. Lord Wellesely
  5. Bithur.

Social Science Class 10 Chapter 7 Question 3.
True and False type questions.

  1. Lord Dalhousie was the founder of doctrine of lapse.
  2. The battle of Plassy was started in 1857.
  3. Mangal Pandey was the soldier of 34th batallion.
  4. The British East India Company was established in the year of 1700.
  5. Bahadur Shah II was declared the king of India by public of Delhi. (MP Board 2009)
  6. The British Governer General of India during the struggle of 1857 was Lord Dalhousie. (MP Board 2009)

Answer:

  1. True
  2. False
  3. True
  4. False
  5. False
  6. False.

Question 4.
Match the column:
Class 10th Social Science Chapter 7 MP Board The First Freedom Struggle Of 1857
Answer:

  1. (c)
  2. (a)
  3. (e)
  4. (b)
  5. (d)

Answer in One – Two Words or One Sentence

Question 1.
How much people sacrificed their lives in this struggle?
Answer:
Lakhs of people sacrified their lives in this struggle.

Question 2.
When was British East India Company established?
Answer:
In the year 1600.

Question 3.
When did Aurangzeb die?
Answer:
In 1707.

Question 4.
What was the name of British Company?
Answer:
British East India Company.

Question 5.
When did the battle of Plassy started?
Answer:
1757.

 

Question 6.
When was Mangal Pandy executed?
Answer:
Mangal Pandey was executed on 8 April, 1857.

Question 7.
Who declared Bahadur Shah – II as the emperor of India?
Answer:
The soldiers declared Bahadur Shah – II as the emperor of India.

Question 8.
Who led the revolt in Bihar?
Answer:
Kunwar Singh.

Question 9.
Who led the army of Nana Saheb?
Answer:
Tatya Tope.

Question 10.
To whom Begum Hazrat Mahal declared as the Nawab of Awadh?
Answer:
Her younger son Birjis Kadar.

MP Board Class 10th Social Science Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Mantion the important centres of the Revolt of 1857?
Answer:
Delhi, Meerut, Kanpur, Lucknow, Jhansi, Barrackpur, Allahabad, Arraha, Gwalior and Bareilly.

Question 2.
Why the British Government discourged the cottage industries of handlooms and handicrafts?
Answer:
In order to sell more and more finished goods manufactured in England, the British Government discourged the cottage industries of handlooms and handicrafts.

Question 3.
What was the statement of Major Edwarden?
Answer:
Major Edwarden’s statement was the ultimate aim of the British rule to make India a Christian country.

 

Question 4.
Who was Mangal Pandey?
Answer:
Mangal Pandey was a soldier and on 29 March, 1857 he refused to use the larded cartridge and shot a British officer in a feat of anger.

Question 5.
Who was Bahadurshah Jafar II?
Answer:
Bahadur Shah Zafar II was the last Mughal emperor of India. Despite his old age, Bahadurshah II accepted the leadership of revolt. Looking to the enthusiasm of soldiers, he was also optimistic about the success of revolt.

MP Board Class 10th Social Science Short Answer Type Questions

Question 1.
What do you mean by the East India Company?
Answer:
The British East India, Company was established in the year 1600. To earn more and more profit through trade was the main aim of the company. In order to achieve its objective, the company did not hesitate to even use the unscrupulous methods.

Surat was the first place to be developed as a trade center by East India Company. Following which the company established its main trade centers in Bharuch, Ahmedabad, Agra, Macchlipatnam, Madras, Calcutta, Bengal and Mumbai etc.

By the end of 17th century, the East India Company began, aspiring for the political foot hold in India so that it would facilitate its commercial activities. After Aurangzeb’s death in 1707, Mughal empire started disbanding. The whole nation disintegrated into smaller states. Many of the states became virtually independent. These circumstances led to establishing company’s foothold in the country.

Question 2.
What is the importance of Meerut in 1857?
Answer:
The Barrackpur incident was repeated in Meerut too. About 85 soldiers of Indian cavalary refused to use larded cartridges. As a result they were dismissed from the army and were imprisoned, as a reaction to their dismissal, the other soldiers in Meerut, on 10th May 1857, openly confronted the Government by breaking in to the prison and liberating the arrested soldiers. They then marched towards Delhi and took control of armory. The soldiers declared Bahadur Shah – H as the emperor of India, who wrote letters to various rulers of India seeking their support.

Question 3.
Why were the Indian rulers angry with the British rule? (MP Board 2010, 2013)
Answer:
Due to British territorial extension policies there was a lot of dispute among land – lords and Jamindars. Lord Wellesley introduced the scheme to bring the India rulers under the British thumb with the plan of Subsidiary Alliance. The Doctrine of Lapse policy of dissolution of state, Lord Dalhousie caused many Indian states to be a part of the British empire.

British took control of many states like Punjab, Sikkim Satara, Jhansi, Nagpur etc. British were disrespectful towards the last Mughal emperors which caused a state of anxiety among ruling families, and British seiged lands from many jamindars and sardars which resulted in unempbyment of many people working there previously.

 

Question 4.
Which classes of Indians joined the Revolt of 1857 to show their resentment against the British rule?
Answer:
Following were the main classes:

  1. The peasants whose land were taken away and auctioned.
  2. The artisans who became unemployed due to loss of partronage.
  3. The common people who feared forcible conversion to Christianity.
  4. The soldiers who were refused promotion and equality of pay and status.
  5. The princely rulers whose states had been annexed under the Doctrine of Lapse, Subsidiary Alliance and through direct annexation.

Question 5.
What were the main results of the 1857 revolt?
Or
Mention two consequences of the Revolt of 1857?
Answer:
The main results or consequneces of the revolt of 1857 were:

  1. The company’s rule came to an end and India was placed under the direct control of British Government.
  2. The British Government declared that no more territories would be annexed to the British Empire.
  3. The Indian rulers were allowed to adopt sons. It was also declared that the treaties entered into with the company shall be honoured.
  4. Religious freedom was guaranteed to the Indian people.
  5. The revolt brought the Hindu-Muslim unity.

 

Question 6.
What led to the failure of freedom struggle of 1857? (MP Board 2010, 2011)
Or
Write any four reasons of failure of the first freedom struggle? (MP Board 2009)
Answer:
The reasons of failures of the freedom struggle:
The revolt of 1857 did not bring about positive outcome but it proved to be a milestone in gaining the freedom. This revolt did not receive success in full measure because of the following:

1. Lack of unity and organization:
The chief cause of failure of first war of freedom was lack of unity and organized effort. Neither was a proper planning for the revolt nor any concrete programme. This resulted in unorganized and limited attempt.

2. Lack of leadership:
One of the main reasons of failure was, a lack of powerful leadership which was capable of strategizing. Due to the lack of a single capable leadership, this revolt did not succeed in its objective.

3. Traditional and outdated weapons:
Indian soldiers had to use traditional weapons like sword, bow and arrow, spear, barchha unlike the British soldiers who had modern and sophisticated weapons with a big artillery.

4. Unawareness of Bahadurshah II.

5. Lack of communication.

6. Localise revolt.

7. No common language of communication.

MP Board Class 10th Social Science Long Short Answer Type Questions

Question 1.
The Freedom Struggle of 1857 was a mass struggle? Explain?
Answer:
A large number of people participated in the struggle. On one hand the soldiers were revolting against the British regime, on the other hand common people were protesting against on roads with spears, axe and sticks in hands. The fear of administration and rulers was eliminated from people of villages.

Wherever the soldiers could not reach, these villagers organized themselves and came forward to protest and revolt. Farmers, artisans and landlords whose lands were seized came forward openly to express their agitation. Every policy that affected Indian society adversely affected the soldiers as well, therefore the similarity in the interests of soldiers and common man was a major issue of unity.

This blurred the line of divide between caste and religion. Hindus and Muslims became closer more than before. This struggle of freedom always inspired the coming generations of India. The struggle of 1857 implanted the nationalistic feelings. This caused to reinforce a cultural unity in the country.

The main feature of this revolt was that Indians realised the importance of unity and organization for the achievement of their goals. Therefore, common goal, religious harmony and feeling of co-operation between people makes the struggle for freedom of 1857 an event of national importance.

 

Question 2.
Describe the political reasons of the revolt of 1857? (MP Board 2009)
Answer:
There was a lot of discontent among landlords and jamindars due to the British territorial extension policies. Lord Wellesely’s introduced a scheme to bring the India rulers under the British thumb. He named this plan the Subsidary Alliance.

The Doctrine of Lapse policy of dissolution of states, Lord Dulhosie caused many Indian states to be dissolve in British empire. British took control of many states like Punjab, Sikkim, Satara, Jaitpur, Sambhalpur, Jhansi Nagpur etc. The British Govt, ended state titles conferred to Nawab’s of Awadh, Tanjore and Karnataka which caused a political distability therein. British were disrespectful towards the last Mughal emperors.

This caused a state of anxiety among ruling families, whichever states’ British took control of, their soldiers, craftsmen and people connected with various other trades were adversely affected. British seized lands from many Jamindars and Sardars which resulted in unemployement of many people working there previously.

Question 3.
What was the education policy suggested by Lord Macaulay? How Indian languages, culture and traditions was affected through this policy?
Answer:
The education policy formulated by Lord Macaulay was an attack on Indian culture and education system. Lord Macaulay was prejudiced and was against education in vernacular languages. Macaulay considered English as a superior race and English language as finest language.

He therefore encouraged English language and western and scientific learning, but at that point of time, Lord Macaulay’s aim was to protect the interests of British rule in India by providing English education and prepare a class of people who would help in running of British administration.

Macaulay was such a conceited racist that he recommended a ban on printing and translation of books in oriental languages. The followers of oriental education considered, English education policy as an attack on their culture, traditions and language and protested against it.

 

Question 4.
Describe the main causes of freedon struggle of 1857. (MP Board 2009)
Answer:
The main causes of freedom struggle of 1857 were:
1. The Political Causes:
The British policy of annexation derived many native rulers of their states. Lord Delhousie’s Doctrine of Lapse resulted in the annexation of many states. He annexed Outh on the pretext of bad government. All this led to widespread discontent.

2. Economic Causes:
Economic policies of the British Government disrupted .the traditional social and economic relationships. Peasants were dispossessed of their lands; native industries and trade was ruined, the artisans were rendered jobless. The new revenue system led to peasant indebtedness.

3. Raligious Causes:
The British Government paid little attention to the religious beliefs and sentiments of the Indian people. Indians began to feel that the British Government wanted to forcibly convert them, to Christianity.

4. Social Causes:
Racial discrimination, prohibition of sati practice, legalising widow – remarrige, banning infanticide, etc. were regarded as an interference in the Indian’s social matters.

5. Military Causes:
There was widespread discontent in the army. Indian soldiers were paid low salaries as compared with the British soldiers of the same rank. Doors of promotion were closed on them. They could not rise above the rank of a Subedar. British officers maltreated them.

 

Question 5.
Why were the Indian unhappy with social reforms introduced by the British Government? (MP Board, 2011, 2013)
Answer:
The social and religious policies of company caused a lot of discontent among Indians. Indians developed an apprehension that British Government was bent upon destroying their religion and traditions. Major Edwarden’s statement was “the ultimate aim of the British rule was to make India a Christian country”.

Company Government made many laws and took major steps to eradicate the social evils prevailing in India. Indians considered this as an interference in their social life. The Christian missionaries tried to convert the Indian people to Christianity. They made objectionable and violent public attacks on Hinduism and Islam. The rumours that the British Government was forcibly converting Indians into Christianity.

The Indian sepoys who had by their dedicated service enabled the British Company to conquer India were a dissatisfied lot. They were not only ill – treated by their seniors but were paid very less salary. They were treated with contempt by their British officers.

The growing poverty of the Indian people made them revolt against the mighty British kingdom. The poverty had emanated out of the faulty economic policy followed by the Britishers in India. Their economic policy led to the impoverishment of the peasantry, artisans, handicraftsmen and a large number of tradition zamindars.

A large number of peasant proprietors became landless and fell into the clutches of money lenders. Excessive land revenue, prevalence of corruption at the lower level of administration and lack of interest in the improvement of agriculture etc. made people revolt against the British Government. These all causes were working as the catalyte to uprise the revolt on the social base.

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 5 कर्मवीर

In this article, we will share MP Board Class 10th Hindi Book Solutions Chapter 5 कर्मवीर (अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’) Pdf, These solutions are solved subject experts from latest edition books.

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 5 कर्मवीर (अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)

कर्मवीर पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

कर्मवीर लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

कर्मवीर कविता का भावार्थ प्रश्न 1.
कवि ने कर्मवीर किसे कहा है?
उत्तर-
कवि ने असंभव को संभव कर दिखाने वाले को कर्मवीर कहा है।

कर्मवीर कविता के प्रश्न उत्तर प्रश्न 2.
भाग्य के भरोसे कौन नहीं रहता है?
उत्तर-
कर्मवीर भाग्य के भरोसे नहीं रहता है।

कर्मवीर कविता का प्रश्न उत्तर प्रश्न 3.
बुरे दिन भी भले कब हो सकते हैं?
उत्तर-
बुरे दिन भी भले तब हो सकते हैं, जब कर्मवीर शीघ्र ही अपने बुरे दिनों को अच्छे दिनों में बदलने में लग जाते हैं।

कर्मवीर कविता का सार प्रश्न 4.
‘संपदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘संपदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते’ का आशय यह है कि कर्मवीर अपने वर्तमान-भविष्य की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं। उन्हें अपने सुख-आराम का कुछ भी ध्यान-ख्याल नहीं होता है। वे तो परोपकार और परमार्थी ही होते हैं।

कर्मवीर कविता का सारांश प्रश्न 5.
‘कर्मवीर’ कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर-
‘कर्मवीर’ कविता एक प्रेरक और भाववर्द्धक कविता है। फलस्वरूप इस कविता से हमें अनेक प्रकार की प्ररेणा मिलती है। हमें किसी प्रकार की कठिनाइयों से घबड़ाना नहीं चाहिए। हमें भाग्यवादी नहीं बनना चाहिए। कितना भी कठिन काम क्यों न हो, हमें उसे देखकर घबड़ाना नहीं चाहिए। इस प्रकार की हमें अनेक प्रेरणाएँ प्रस्तुत कविता से मिलती हैं।

कर्मवीर दीर्घ-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Karmveer Kavita Ka Bhavarth प्रश्न 1.
कर्मवीर मनुष्य की विशेषताएँ लिखिए।।
उत्तर-
देखिए-कविता का सारांश।।

कर्मवीर कविता का अर्थ प्रश्न 2.
कर्मवीर मनुष्य के मार्ग में कैसी-कैसी बाधाएँ आती हैं?
उत्तर-
कर्मवीर मनुष्य के मार्ग में अनेक प्रकार की बाधाएँ आती हैं। कभी उनके सामने आकाश को छूने वाले पहाड़ों के शिखर आ जाते हैं। तो कभी आठों पहर अंधेरा से भरे जंगल। उनके सामने कभी विशाल समुद्र की गरजती हुई लहरें और चारों ओर फैली हुई भयानक आग की लपटें आ जाती हैं।

Karmveer Poem Question Answer In Hindi प्रश्न 3.
किसी भी कार्य को बीच में न छोड़ने से क्या लाभ होता है?
उत्तर-
किसी भी कार्य को बीच में न छोड़ने से लाभ यह होता है कि वह कार्य पूरा हो जाता है। इससे बड़ी राहत और खुशी मिलती है।

Class 10 Hindi Chapter 5 MP Board प्रश्न 4.
कर्मवीर कौन-कौन से बड़े काम करके दिखा देते हैं?
उत्तर-
कर्मवीर अनेक प्रकार के बड़े-बड़े काम करके दिखा देते हैं। वे पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं। रेगिस्तान में नदियाँ बहा देते हैं। समुद्र की गहराइयों में बेड़ा चला देते हैं और जंगलों में भी यह मंगल रचा देते हैं।

कर्मवीर कविता की व्याख्या प्रश्न 5.
‘जंगलों में भी महामंगल रचा देते हैं।’ इस पंक्ति का भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर-
‘जंगलों में भी महामंगल रचा देते हैं। इस पंक्ति का भाव यह है कि कर्मवीर बड़े बहादुर होते हैं। उनमें असंभव को संभव कर दिखाने की पूरी क्षमता होती है। इस प्रकार उनके लिए कोई भी चीज़ बड़ी या छोटी नहीं होती है और न तो दुख और न कष्टकर।

कर्मवीर भाषा-अनुशीलन

MP Board Class 10th Hindi Chapter 5 प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
फूलना-फलना, आकाश छूना, कलेजा काँपना, मुँह मोड़ना, गगन के तारे तोड़ना, जंगल में मंगल करना।
उत्तर-
कर्मवीर कविता का भावार्थ MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 5

MP Board Class 10 Hindi Chapter 5 प्रश्न 2.
नीचे लिखे शब्दों के पर्यायवाची लिखिए. पुष्प, जल हाथ, भूमि, सूर्य
उत्तर-
कर्मवीर कविता के प्रश्न उत्तर MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 5

Karmveer Kavita Ka Arth प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कर नामोल्लेख कीजिए
दुर्गम, उज्ज्वल, उपाध्याय, विद्यार्थी, सदाचार।।
उत्तर-
कर्मवीर कविता का प्रश्न उत्तर MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 5

कर्मवीर योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
यह कविता कठोर परिश्रम करने की प्रेरणा देती है। इसी भाव पर आधारित अन्य कवियों की कविताएँ खोजकर पढ़िए।

प्रश्न 2.
कर्मवीर की तरह धर्मवीर, दयावीर और दानवीर भी होते हैं। इन तीनों प्रकार के वीरों के चरित्र संकलित कीजिए।

प्रश्न 3.
कर्मवीर एक महत्त्वपूर्ण पत्रिका रही है। इसी प्रकार की मध्यप्रदेश से प्रकाशित हिंदी पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

कर्मवीर परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

कर्मवीर योग्यता-विस्तार

प्रश्न (क)
‘कर्मवीर असंभव को संभव कर देते हैं’-यह बात कवि किन पंक्तियों में व्यक्त की है? उन्हें पढ़कर सुनाइए।
उत्तर-
‘कर्मवीर असंभव को संभव कर देते हैं।’ यह बात कवि ने निम्न पंक्तियों में व्यक्त की है चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना। काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना॥ जो कि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना। है कठिन कुछ भी नहीं जिनके है जी में यह ठना॥ कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं। कौन सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं।

प्रश्न (ख)
कवि के मन में संपन्न देशों की सफलता का कारण क्या है?
उत्तर-
कवि कर्मवीर व्यक्तियों के परिश्रम को संपन्न देशों की सफलता का कारण मानता है। आज जितने भी देश, संपन्न और उन्नत दिखाई देते हैं, वे ऐसे ही संपन्न और उन्नत नहीं हो गए। कर्मवीर, अध्यवसायी और साहसी व्यक्तियों के प्रयत्नों से ही वे उन्नत हुए हैं।

प्रश्न (ग)
किस प्रकार के लोग जीवन में असफल होते हैं?
उत्तर-
निठल्ले, निकम्मे, आलसी, भाग्य भरोसे रहने वाले व्यक्ति जीवन में असफल रहते हैं। जो व्यक्ति काम को मन लगाकर नहीं करते, काम को शुरू करके, उसे बीच में अधूरा छोड़ देते हैं, वे भी जीवन में सफल नहीं हो पाते। जो लोग विघ्न और बाधाओं को देख घबरा जाते हैं, वे भी जीवन में सफल नहीं हो पाते।

प्रश्न (घ)
जीवन में दुखी होकर कौन लोग पश्चात्ताप करते हैं?
उत्तर-
जो लोग आलसी और कर्महीन होते हैं और केवल दिवास्वप्न देखने में ही लगे रहते हैं, वे लोग जीवन में दुखी होकर पश्चात्ताप करते हैं। जो अपना कार्य मन लगाकर नहीं करते और कोई बाधा या विघ्न पड़ने पर अपना कार्य बीच में अधूरा छोड़ देते हैं, वे लोग ही जीवन में दुखी और पश्चात्ताप करते देखे गए हैं।

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्द के चयन से कीजिए।
1. कर्मवीर अनेक प्रकार के विघ्न आने पर नहीं ……………..हैं। (घबराते, पछताते)
2. भाग्य के भरोसे रहते हैं. …………। (कर्मवीर, आलसी)
3. करोड़ों की संपदा मन से जोड़ते हैं ………….। (कर्मवीर, सुविधाभोगी)
4. एक बार काम को आरंभ करके बीच में …………………. छोड़ देते हैं। (कर्महीन, – साहसी)
5. कर्मवीरों का गौरवपूर्ण इतिहास है ……………….। (आध्यात्मिक विकास, भौतिक विकास)
उत्तर-
1. घबराते,
2. आलसी,
3. सुविधाभोगी,
4. कर्महीन,
5. भौतिक विकास।

प्रश्न 3.
दिए गए कथनों के लिए सही विकल्प चुनिए

1. देखकर बाधा विविध
(क) पछताते नहीं,
(ख) देखते नहीं,
(ग) मानते नहीं,
(घ) घबराते नहीं।
उत्तर-
(घ) घबराते नहीं।

2. काम कितना हो कठिन, किंतु.
(क) उकताते नहीं,
(ख) समझते नहीं,
(ग) पछताते नहीं,
(घ) करते नहीं।
उत्तर-
(क) उकताते नहीं,

3. घने जंगलों में रहता है अंधेरा
(क) एक पहर,
(ख) दोनों पहर,
(ग) आठों पहर,
(घ) चारों पहर।
उत्तर-
(ग) आठों पहर,

4. आसमान के फूल बातों से नहीं
(क) करते हैं,
(ख) तोड़ते हैं,
(ग) चुनते हैं,
(घ) समझते हैं।
उत्तर-
(ख) तोड़ते हैं,

5. जंगलों में रचा देते हैं
(क) शहर,
(ख) मेला,
(ग) मंगल,
(घ) गाँव।
उत्तर-
(ग) मंगल,

प्रश्न 4.
सही जोड़ी का मिलान कीजिए
दादा कामरेड – सरदारपूर्ण सिंह
रोटी का राग – दिवाकर वर्मा
तुलसी के राम – श्रीमन्नारायण अग्रवाल
चन्दन वन में राम – डॉ. प्रेमभारती
आचरण की सभ्यता – यशपाल
उत्तर-
दादा कामरेड – यशपाल
रोटी का राग – श्रीमन्नारायण अग्रवाल
तुलसी के राम – डॉ. प्रेमभारती
चन्दन वन में आग – दिवाकर वर्मा
आचरण की सभ्यता – सरदारपूर्ण सिंह।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए-
1. ‘हरिऔध’ का पूरा नाम है-अयोध्यासिंह उपाध्याय
2. ‘कर्मवीर’ कविता में कर्म की चेतना है।
3. कर्मवीरों के कभी बुरे दिन नहीं आते हैं।
4. किसी काम को बीच में छोड़ने का लाभ होता है।
5. कर्मवीर हर समय फूले-फले रहते हैं।
उत्तर-
1. सत्य,
2. सत्य,
3. असत्य,
4. असत्य,
5. सत्य

प्रश्न 6.
एक शब्द में उत्तर दीजिए-
1. भाग्य के भरोसे रहना चाहिए।
2. भीड़ में कौन चंचल बनते हैं?
3. क्या कर्मवीर कभी नाकाम होते हैं?
4. क्या कर्मवीर काम को आरंभ करके बीच में छोड़ देते हैं?
5. कर्मवीरों ने किसकी सारी क्रिया निकाली है?
उत्तर-
1. नहीं,
2. कर्मवीर,
3. नहीं,
4. नहीं,
5. कर्मवीर।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
(क) ‘कर्मवीर’ कविता में किसका उल्लेख है?
उत्तर-
‘कर्मवीर’ कविता में कर्मवीरों का उल्लेख है।

(ख) विघ्नों के बार-बार आने पर कर्मवीर क्या करते हैं?
उत्तर-
विघ्नों के बार-बार आने पर कर्मवीर उनसे घबड़ाते नहीं हैं, अपितु उनका डटकर सामना करते हैं।

(ग) घने जंगल में क्या रहता है?
उत्तर-
घने जंगल में आठों पहर घना अंधेरा रहता है।

कर्मवीर कवि-परिचय

जीवन-परिचय-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का जन्म सन् 1865 ई. में उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के निज़ामाबाद कस्बे में हुआ था। नार्मल की परीक्षा पास कर उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू कर दिया था। कई वर्ष तक वे कानूनगो के पद पर भी कार्य करते रहे।

सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण कर उन्होंने हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में अवैतनिक अध्यापक के रूप में कार्य किया। वे उर्दू, फारसी और संस्कृत के विद्वान थे। स्वाध्याय द्वारा ही उन्होंने इन भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया है। सन् 1945 ई. में उनका निधन हो गया।

प्रमुख रचनाएँ- प्रियप्रवास, वैदेही वनवास पारिजात, रसकलश, चोखे-चौपदे आदि अनेक ग्रंथों की उन्होंने रचना की थी।

भाषा-शैली-कविवर अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की भाषा-शैली में प्रवाह और ओज है। उसमें भावों का जैसा उच्चस्तरीय प्रवाह है, वैसे ही शब्दों के चुनाव भी। दूसरे शब्दों में, यह कि कविवर ‘हरिऔध’ की भाषा की शब्दावली तत्सम शब्दों की है। ऐसे तत्सम शब्द उनकी भाषा के हैं जो बहुत प्रचलित होकर अपने अर्थ-भाव को गम्भीरता के साथ व्यक्त करते हैं। इस प्रकार के शब्दों से ढली हुई शैली सरल, चलती-फिरती और भावपूर्ण है। उसमें गीत, प्रभाव और अभिप्राय की त्रिवेणी प्रवाहित हुई है।

साहित्य में स्थान-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ आधुनिक युग के मूर्धन्य कवियों में गिने जाते हैं। खड़ी बोली और ब्रजभाषा दोनों पर ही उनका समान अधिकार था। उनकी रचनाओं में एक ओर सरल हिन्दी का सौन्दर्य देखने को मिलता है तो दूसरी ओर समास युक्त तत्सम शब्दों का सुन्दर प्रयोग भी दिखाई देता है। मुहावरों और बोल-चाल के शब्दों का सुंदर प्रयोग भी उनके काव्य में उपलब्ध है। ‘प्रिय-प्रवास’ उनका लोकप्रिय महाकाव्य है। इसमें उन्होंने श्रीकृष्ण को लोकनायक के रूप में चित्रित किया है, अवतार के रूप में नहीं।

कर्मवीर कविता का सारांश

अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने अपनी कविता कर्मवीर में परिश्रमी, साहसी और वीरतापूर्ण कार्य करने वाले व्यक्तियों का गुणगान किया है। सच्चा कर्मवीर व्यक्ति विघ्न और बाधाओं से नहीं घबराता। कठिन-से-कठिन कार्य को भी वह हँसते-हँसते पूरा कर लेता है। बड़े-से-बड़े संकट भी उसे अपने काम से विचलित नहीं कर सकता। वह जिस काम को आरम्भ करता है उसे समाप्त करके ही छोड़ता है। वह किसी कार्य को बीच में अधूरा नहीं छोड़ता।ऐसे कर्मवीर व्यक्तियों से ही देश और मानव-जाति का कल्याण होगा।

कर्मवीर संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. देखकर वाधा विविध, बहुत विघ्न घबराते नहीं।
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।
काम कितना ही कठिन हो किंतु उकताते नहीं।
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं॥
हो गए इक आन में उनके बुरे दिन भी भले।
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले-फले।

शब्दार्थ-बाधा-रुकावट। विविध-अनेक प्रकार के। विघ्न-बाधा। उकताते-तंग आते, ऊबते। इक आन में शीघ्र ही। फूले-फले-सम्पन्न, खुशहाल।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ में संकलित अयोध्यासिंह उपाध्याय विरचित ‘कर्मवीर’ कविता से है।

प्रसंग-इसमें कविवर अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने कर्मवीर व्यक्तियों के लक्षणों और उनकी सफलता को स्पष्ट किया है।

व्याख्या-कवि कर्मवीर व्यक्तियों की विशेषताओं का बखान करता हुआ कहता है कि जो व्यक्ति अनेक प्रकार की बाधाओं और विघ्नों को देखकर नहीं घबराते और भाग्य के भरोसे पर ही अपने-आपको नहीं छोड़ देते, वे वीर होते हैं। जो वीर व्यक्ति कठिन-से-कठिन काम को भी मन लगाकर करते हैं, काम करने से ऊबते नहीं वे जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
जो व्यक्ति बहुत-से लोगों के बीच धीरतापूर्वक व्यवहार करते हैं, जो चंचलता प्रकट नहीं करते और अपना काम निश्चल होकर करते रहते हैं, वे शीघ्र की अपने बुरे दिनों को भी अच्छे दिनों में बदलने में सफल होते हैं। ऐसे ही कर्मवीर व्यक्ति सब स्थानों पर सम्पन्न और खुशहाल मिलते हैं। सभी कालों में ऐसे ही व्यक्तियों का बोलबाला रहता है।

विशेष-
1. सहज और सरस भाषा में कर्मवीर व्यक्तियों की विशेषताएँ स्पष्ट की गई हैं।
2. यह अंश वीर रस में प्रवाहित है।

सौन्दर्य बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौन्दर्य

प्रश्न-1. उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-योजना बड़ी ही ओजस्वी और प्रेरक है। इससे सोए हुए भाव अचानक फड़क उठते हैं। कुछ कर गुजरने की तमन्ना होने लगती है। पुरुषार्थ की तरंगें जोर मारने लगती हैं। दूसरी ओर कायरों की अकर्मता की धिक्कार भी सुनाई देती है। इस प्रकार प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य अधिक प्रशंसनीय है।

(ख) शिल्प-सौन्दर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौन्दर्य तत्सम और तद्भव शब्दों की योजना से प्रस्तुत प्रेरक भावों से भरा हुआ है। अनुप्रास अलंकार से अलंकृत और मुहावरों से मंडित यह पद्यांश अपने शिल्प के सौंदर्य को विशेष रूप से आकर्षित कर रहा है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय स्पष्ट किजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कर्मवीरों की कर्मवीरता की विशेषता को रेखांकित किया गया है। कर्मवीरों की जिंदगी उनके कर्म के वैभव पर आधारित होती है। इसे बखूबी स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।

2. व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर।
वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर॥
गरजती जल-राशि की उठती हुई ऊँची लहर।
आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लवर।
ये कँपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं।
भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।

शब्दार्थ-व्योम-आकाश। दुर्गम-जिन्हें पार करना कठिन हो। पहर-तीन घंटे का एक पहर होता है। जल-राशि-सागर। भयदायिनी-भय पैदा करने वाली, डरावनी। लवर-आग की लपेट, ज्वाला। कलेजा-मन, हृदय। नाकाम-असफ़ल। कलेजा कंपाना-डराना।

संदर्भ-पूर्ववत्। प्रसंग-इसमें कवि ने कर्मवीर की विशेषताओं का चित्रण किया है।

व्याख्या-ऐसे साहसी, परिश्रमी और कर्मवीर व्यक्ति जो साहसपूर्वक अपना काम करने में लगे रहते हैं, कभी भी अपने कार्य में असफल नहीं होते।

आकाश को छूने वाली पर्वत की ऊँची-ऊँची चोटियाँ जहाँ चढ़ना बहुत कठिन होता है, और वे घने जंगल जहाँ आठों पहर अंधेरा रहता है। दिन में सूर्य की किरणें भी जहाँ नहीं पहुँच पाती ऐसे स्थानों पर भी जो कर्मवीर पहुँच जाते हैं, वे कभी भी अपने कार्य में विफल नहीं होते।

विशाल सागर की ज़ोर-ज़ोर से गर्जन करती लहरें और चारों ओर फैली हुई भयानक आग की लपटें जिस कर्मवीर के हृदय को विचलित नहीं कर पातीं, वह कर्मवीर अपने कार्य में कभी नाकाम नहीं रहता।

भाव यह है कि जो कर्मवीर संकटों का सामना करने से नहीं घबराते और अपना कार्य परिश्रम और ईमानदारी के साथ करते रहते हैं, वे जीवन में सदा सफल होते हैं। वे ही अपना लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होते हैं।

विशेष-
1. कर्मवीर कठिन-से-कठिन कार्य भी सफलतापूर्वक करते हैं। इस तथ्य को प्रेरक रूप दिया गया है।
2. शैली चित्रमयी है।

सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौन्दर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य पुष्ट भावों से भरा हुआ है। कर्मवीरों की कर्मवीरता की वास्तविकता की सुन्दर झाँकी प्रस्तुत की गई है। इससे प्रस्तुत पद्यांश रोचक और भाववर्द्धक रूप में प्रस्तुत होने के फलस्वरूप अधिक महत्त्वपूर्ण बन गया है।

(ख) शिल्प-सौन्दर्य

प्रश्न-2.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-भाषा-ओजस्वी और उत्साहवर्द्धक है। मुहावरों की झड़ी लगाकर वीररस का प्रवाह अद्भुत रूप में है। मिश्रित शब्द-प्रयोग से कथ्य . का तथ्य सहज रूप में स्पष्ट हो रहा है। बिम्ब और प्रतीक यथास्थान हैं।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कर्मवीरों की असाधारण और बेजोड़ कर्मवीरता को प्रकाशित किया गया है। उनके कार्य स्वयं के लिए नहीं अपितु सभी के लिए सुखद और अपेक्षित होते हैं। इस आधार पर वे हर जगह और हर समय सम्मानित और प्रतिष्ठित होते हैं।

3. काम को आरंभ करके यों नहीं जो छोड़ते।
सामना करके नहीं जो भूल कर मुँह मोड़ते॥
जो गगन के फूल बातों से वृथा नहीं तोड़ते।
सम्पदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते॥
बन गया हीरा उन्हीं के हाथ से है कारबन।
काँच को करके दिखा देते हैं वे उज्ज्वल रतन॥

शब्दार्थ-सामना करना-मुकाबला करना। मुँह मोड़ना-पीछे हटना। गगन के फूल बातों से तोड़ना-केवल बातें करना, दिवा स्वप्न देखना। मन से करोड़ों की संपदा जोड़ना-असंभव कल्पनाएँ करना। कारबन-कोयला। काँच-शीशा। उज्ज्वल रतन-चमकीला, मूल्यवान रत्न।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-कवि ने कर्मवीर व्यक्तियों की सफलताओं का सजीव चित्र उतारा है।

व्याख्या-कर्मवीर व्यक्ति काम आरंभ करके उसे बिना किसी कारण के बीच में अधूरा नहीं छोड़ते। वे काम या तो आरंभ ही नहीं करते और यदि काम आरंभ कर देते हैं तो उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं।

यदि ऐसे कर्मवीर व्यक्ति एक बार किसी बाधा या संकट का सामना करने का निश्चय कर लेते हैं तो वे भूलकर भी मुँह नहीं मोड़ते। वे साहसपूर्वक सामने आई बाधाओं, कठिनाइयों आदि को दूर करके ही शान्त होते हैं।

कर्मवीर व्यक्ति केवल बातें-ही-बातें नहीं करते। वे काम में विश्वास रखते हैं। ऐसे व्यक्ति ऐसी कल्पना ही नहीं करते जो असंभव हो। वे ख्याली पुलाव नहीं पकाते। ऐसे साहसी कर्मवीर व्यक्तियों के हाथ में पड़ा हुआ कोयला भी हीरा बन जाता है। काँच को भी वे मूल्यवान रत्न में बदल देते हैं। कर्मवीर व्यक्ति अपने परिश्रम से मूल्यहीन वस्तु को मूल्यवान बना देते हैं।

विशेष-
1. भाषा सरल और भावपूर्ण है।
2. सामना करना, गगन के फूल बातों से तोड़ना, मुँह मोड़ना जैसे मुहावरों का सुंदर प्रयोग है।
3. भाषा भावानुरूप है।

सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-सौंदर्य धारा प्रवाह है। उसमें स्वस्थता, ओजस्विता, तरंगिता, उत्साहवर्द्धकता जैसी अनूठी और हृदयस्पर्शी विशेषताओं को देखा जा सकता · है। इससे भावों की क्रमबद्धता और उपयुक्ता सही रूप में प्रस्तुत हुई है।

(ख) शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौन्दर्य की उपयुक्तता इसकी भाषा-शैली, बिम्ब-विधान, प्रतीक-योजना आदि से परिपुष्ट है। वीर रस के प्रवाह को बढ़ाने वाली भाषा मिश्रित है, तो शैली चित्रात्मक और भावात्मक दोनों ही है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कर्मवीरों की कर्मवीरता को सामने लाने का प्रयास किया। गया है। कर्मवीर अपने कर्म के प्रति अडिग और अटल होते हैं। वे अपने कर्म-पथ से कभी पीछे नहीं हटते हैं। उनका हर कदम स्वयं के लिए न होकर औरों के लिए ही होता है। इस प्रकार वे अपनी अद्भुत मिसाल कायम करते रहते हैं।

4. पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं वे।
सैंकड़ों मरुभूमि में नदियाँ बहा देते हैं वे॥
गर्भ में जल-राशि के बेड़ा चला देते हैं वे।
जंगलों में भी महा-मंगल रचा देते हैं वे॥
भेद नभ-तल का उन्होंने बहुत बतला दिया।
है उन्होंने ही निकाली तार की सारी क्रिया।।

शब्दार्थ-पर्वतों को काट कर सड़कें बनाना-कठिन कार्य करना। मरुभूमि-रेगिस्तान, रेतीली, अनुपजाऊ भूमि। जल-राशि-सागर। बेड़ा-जहाजों या नावों का समूह। जंगल में मंगल रचना-निर्जन स्थान में भी उत्सव मनाना (चहल-पहल होना)। भेद बतलाना-रहस्य स्पष्ट करना। नभ-तल-आकाश और पृथ्वी। तार क्रिया-तार से किए जाने वाले काम।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-इसमें ‘हरिऔध’ जी ने यह स्पष्ट किया है कि ‘कर्मवीर’ के प्रयत्नों के फलस्वरूप ही बड़े-बड़े कार्य हुए हैं।

व्याख्या-पर्वतों को काटकर वहाँ सड़कें बना देना सरल कार्य नहीं। पर जो लोग ऐसा कार्य करते हैं, वे ही संसार में महान कार्य करने में सफल होते हैं। ऐसे कर्मवीर और साहसी व्यक्ति रेगिस्तान में भी नदियों की धारा को लाने में सफल होते हैं।

कर्मवीर व्यक्ति विशाल और गहरे सागरों में जहाजों के बेड़े चलाने में समर्थ होते हैं। ऐसे व्यक्ति ही जंगलों में भी चहल-पहल और धूम-धाम पचा देते हैं। निर्जन स्थानों पर भी ऐसे व्यक्ति उत्सव का वातावरण पैदा कर देते हैं।

साहसी, कर्मवीर व्यक्तियों के परिश्रम के फलस्वरूप ही नभ और पृथ्वी से संबंधित अनेक रहस्यों का पता चल पाया है। तार के माध्यम से कई नए-नए कार्य किए जाने लगे हैं। दूरदर्शन, रेडियो, बिजली, टेलीफोन आदि का आविष्कार तार की क्रियाओं का परिणाम है।

स्पष्ट है कि संसार के रूप में परिवर्तन लाने का श्रेय कर्मवीर व्यक्तियों को ही जाता है।

विशेष-
1. सरल और प्रवाहमय भाषा का सुंदर प्रयोग है।
2. कर्मवीर व्यक्तियों के कार्यों का सटीक चित्रण है।
3. कवि का भाषा पर पूर्ण अधिकार स्पष्ट दिखाई देता है।

सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का भावधारा प्रवाह है, सरस है और उत्साहवर्द्धक है। कर्मवीरों की विशेषताओं को स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत करने की भाव-योजना लाक्षयिक है। इस प्रकार प्रस्तुत हुआ भाव-सौंदर्य प्रशंसनीय है।

(ख) शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौन्दर्य अद्भुत कर्मवीरता को रेखांकित करने में समर्थ है। तत्सम और तद्भव दोनों ही शब्द साथ-साथ प्रयुक्त हुए हैं। भावात्मक और चित्रात्मक शैली वीर रस के रस से मग्न हुई आकर्षक लग रही है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कर्मवीर किस प्रकार असाधारण, असंभव, अद्भुत और बेजोड़ कर्म करके अपनी वीरता का परिचय देते हैं, इसे सुस्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। इससे उनके प्रेरक स्वरूप को भी प्रस्तुत करने के आशय को अस्वीकारा नहीं जा सकता है।

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 7 वह देश कौन-सा है?

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 7 वह देश कौन-सा है? (पंडित रामनरेश त्रिपाठी)

वह देश कौन-सा है? पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

वह देश कौन-सा है? लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

वह देश कौन-सा है कविता का प्रश्न उत्तर प्रश्न 1.
कवि ने देश का मकट हिमालय को क्यों कहा है?
उत्तर-
कवि ने देश का मुकुट हिमालय को कहा है। यह इसलिए कि वह सर्वाधिक ऊँचा होकर मस्तक स्वरूप दिखाई देता है।

वह देश कौन सा है प्रश्न 2.
राष्ट्र की सहायता को उजागर करने वाले पौराणिक महानायकों का उल्लेख कीजिए। .
उत्तर-
राष्ट्र की सहायता को उजागर करने वाले पौराणिक महानायक हैं-श्री राम, लक्ष्मण, भरत आदि हैं।

वह देश कौन-सा है प्रश्न उत्तर प्रश्न 3.
भारत के प्राकृतिक सौंदर्य को कवि ने स्वर्ग के सदृश्य क्यों कहा है?
उत्तर-
भारत के प्राकृतिक सौंदर्य को कवि ने स्वर्ग के सदृश्य कहा है। यह इसलिए कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता में स्वर्ग की सुंदरता, सुख और आनंद का रोचक अनुमान हो रहा है।

Vah Desh Kaun Sa Hai Question Answer प्रश्न 4.
कवि ने भारत की कौन-कौन-सी विशेषताएँ बताई हैं?
उत्तर-
कवि ने भारत देश की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं-

  1. भारत देश में सुख स्वर्ग के समान है।
  2. हिमालय भारत देश का मुकुट है।
  3. भारत देश की नदियाँ अमृत की धारा बहा रही हैं।
  4. भारत देश की धरती अनंत धन से लदी-भरी पड़ी है।
  5. भारत ने ही संसार के लोगों को सबसे पहले ज्ञान दिया।

Vah Desh Kaun Sa Hai प्रश्न 5.
‘जिसका चरण निरंतर रत्नेश धो रहा है, से कवि का क्या आशय है?
उत्तर-
‘जिसका चरण निरंतर रत्नेश धो रहा है’ से कवि का आशय है-भारत देश विश्व का ऐसा महान् देश है, जिसकी महानता को प्रकृति भी स्वीकारती है। उसको मानप्रतिष्ठा देने के लिए ही समुद्र बार-बार उसके चरणों को स्पर्श कर फूले नहीं समाता है।

वह देश कौन-सा है? दीर्घ-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Class 10 Hindi Chapter 7 MP Board प्रश्न 1.
कविता के आधार पर भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
देखें कविता का सारांश।

Class 10 Hindi Chapter 7 MP Board Solution प्रश्न 2.
प्रकृति ने हमें क्या-क्या प्रदान किया है? बताइए।
उत्तर-
प्रकृति ने हमें स्वर्ग के समान-सुख, निरंतर चरण धोने वाला समुद्र, मुकुट-स्वरूप हिमालय अमृत की धारा बहाने वाली नदियाँ, बड़े रसीले, फल-कंद, नाज-मेवे, दिन-रात हँस रहे सुंदर और सुगंधित फूल, मैदानों-पहाड़ों और वनों में लहकती हई हरियालियाँ और अनंत धन से लदी-भरी हुई धरती प्रदान किया है।

MP Board Class 10th Hindi Chapter 7 प्रश्न 3.
‘कवि ने भारत को संसार का शिरोमणि कहा है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘कवि ने भारत को संसार का शिरोमणि कहा है।’ यह इसलिए कि भारत की जो विशेषताएँ हैं, वह संसार के और किसी देश की नहीं हैं।

वह देश कौन सा है प्रश्न उत्तर प्रश्न 4.
‘वह देश कौन-सा है’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
देखिए कविता का सारांश।

Vah Desh Kaun Sa Hai Question Answer Class 10 प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(क) जिसके सुगंधवाले ………………….. कौन-सा है?
(ख) निष्पक्ष न्यायकारी ………………….. कौन-सा है?
(ग) जिसके अनंत ………………….. कौन-सा है?
उत्तर-
देखें व्याख्या भाग।

वह देश कौन-सा है? भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
‘नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही है’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पंक्ति के द्वारा यह भाव स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है कि भारत देश संसार का अनोखा देश है। वह संसार का शिरोमणि है। वह अमृतमय जीवन है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम शब्द लिखिए :
अँगने, रात, भाई, दिन, सपूत, धरती।
उत्तर-
वह देश कौन-सा है कविता का प्रश्न उत्तर MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 7

वह देश कौन-सा है? योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
लक्ष्मण और भरत के भात-प्रेम की चर्चा कक्षा में कीजिए।

प्रश्न 2.
भारत के मानचित्र में पर्वत और नदियाँ अनुरेखित कीजिए।

प्रश्न 3.
भारत में शिक्षा के केंद्र कौन-कौन से थे? जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

वह देश कौन-सा है? परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

वह देश कौन-सा है? अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘वह देश कौन-सा है?’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने भारत देश के अतीत का गौरव गान किया है। कवि ने इस देश की गरिमा और वैभव का प्रभावशील शब्दों में वर्णन किया है। कदि के अनुसार उत्तर में हिमालय इसका मुकुट है तो दक्षिण में समुद्र इसके चरणों को धो रहा है। इसकी नदियाँ, इसके कंदमूल-फल, अनाज, मैदान, पहाड़ सभी आकर्षक हैं। यह देश सम्पूर्ण संसार को अपने आचरण से शिक्षा देने वाला पहला देश रहा है। यह विभिन्न आदर्शों की प्रतिष्ठा का देश है। श्रीराम की पितृभक्ति, त्याग-भावना तथा लक्ष्मण और भरत के भ्रातृत्व ने उच्चादर्शों की धूम रही है। देश की प्रकृति-देश की भौतिक समृद्धि और देश की आचरणशील गरिमा का उल्लेख कवि ने इस कविता में प्रश्नात्मक शैली में किया है। प्रश्न और उत्तर की समन्वित शैली इस कविता के शिल्प-सौंदर्य को बढ़ा देती है।

प्रश्न 2.
कवि ने किन पंक्तियों के द्वारा भारत देश को विश्व का शिरोमणि और पहला देश कहा है?
उत्तर-
कवि ने निम्नलिखित पंक्तियों के द्वारा भारत देश को विश्व को शिरोमणि और पहला देश कहा है जिसके अनंत धन से धरती भरी पड़ी है, संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है? पृथ्वी निवासियों को जिसने प्रथम जगाया शिक्षित किया सुधारा, वह देश कौन-सा है?

प्रश्न 3.
भारत देश के त्यागशील वीर चरित्रों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
भारत देश के त्यागशील वीर चरित्र हैं-राम, लक्षण, भरत आदि। राम ने अपने पिता का आदेश पाते ही अपने विशाल साम्राज्य को तिनके के समान त्याग दिया। लक्ष्मण-भरत के त्यागशील चरित्र बिलकुल निःस्वार्थ भाव से भरे हुए थे। वे वास्तव में शुद्ध और प्रेम भाई थे। उनके समान और कोई हुआ ही नहीं।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए।
1. भारत प्रकृति की ……………….. में बसा है। (कोख, गोद)
2. हिमालय ……………….. का मुकुट है। (भारत, संसार)
3. भारत संसार का ……………….. देश है। (सर्वश्रेष्ठ, शिरोमणि)
4. भारत संसार का ……………….. है। (गुरु, अग्रदूत)
5. श्रीराम सर्वश्रेष्ठ ……………… थे। (मातृभक्त, पितृभक्त)
उत्तर-
1. गोद,
2. भारत,
3. शिरोमणि,
4. गुरु,
5. पितृभक्त।

प्रश्न 3.
दिए गए कथनों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए :
1. पंडित रामनरेश त्रिपाठी का जन्म हुआ था-
1. 1890 में,
2. 1891 में,
3. 1889 में,
4. 1892 में।
उत्तर-
(3) 1889 में,

2. पंडित रामनरेश त्रिपाठी की प्रमुख रचना है-
1. कौमुदी,
2. पथिक,
3. स्वप्न,
4. आदर्श।
उत्तर-
(2) पथिक,

3. पंडित रामनरेश त्रिपाठी का निधन हुआ था-
1. 1962 में,
2. 1960 में,
3. 1961 में,
4. 1959 में।
उत्तर-
(1) 1962 में,

4. रामनरेश त्रिपाठी हैं
1. प्रेमचंद युग के,
2. द्विवेदी युग के,
3. भारतेंदु युग के,
4. आधुनिक युग के।
उत्तर-
(2) द्विवेदी युग के,

5. वह देश कौन-सा है? कविता में है-
1. सौंदर्य चित्रण,
2. प्रेम चित्रण,
3. राष्ट्र-प्रेम,
4. समाज-चित्रण।
उत्तर-
(3) राष्ट्र-प्रेम।

प्रश्न 4.
सही जोड़े मिलाइए।
वह देश कौन सा है MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 7
उत्तर-
वह देश कौन-सा है प्रश्न उत्तर MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 7

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।
1. भारत की नदियाँ अमृत की धारा बहाती हैं।
2. उत्तर में समुद्र भारत के चरणों को धो रहा है।
3. भारत ने ही संसार को सबसे पहले ज्ञान दिया।
4. लक्ष्मण-भरत निःस्वार्थ शुद्ध प्रेमी भाई थे।
5. भारत के सिवाय और भी देश हैं।
उत्तर-
1. सत्य,
2. असत्य,
3. सत्य,
4. सत्य,
5. असत्य।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित कथनों का उत्तर एक शब्द में दीजिए।
1. मनमोहन प्रकृति की गोद में कौन बसा है?
2. भारत मुकुट कौन है?।
3. भारत के मैदानों, पहाड़ों और जंगलों में क्या लहकती हैं?
4. भारत की धरती किस धन से भरी पड़ी है?
5. भारत देश की महानता को कौन बता सकेंगे?
उत्तर-
1. भारत,
2. हिमालय,
3. हरियालियाँ,
4. अनंत,
5. शिक्षित।

वह देश कौन-सा है? लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सुख किसके समान है?
उत्तर-
भारत में सुख स्वर्ग के समान है।

प्रश्न 2.
भारत में दिन-रात कौन हँसते रहते हैं?
उत्तर-
भारत में दिन-रात सुगंधित, सुंदर और प्यारे फूल हँसते रहते हैं।

प्रश्न 3.
किसने क्या परित्याग किया?
उत्तर-
श्री राम ने अपने पिता के आदेश से विशाल साम्राज्य का तिनके के समान परित्याग किया।

प्रश्न 4.
लक्ष्मण-भरत किस प्रकार के भाई थे?
उत्तर-
लक्ष्मण-भरत निःस्वार्थ शुद्ध प्रेमी भाई थे।

वह देश कौन-सा है? कवि-परिचय

जीवन-परिचय-रामनरेश त्रिपाठी द्विवेदी युग की राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्य-धारा के प्रमुख कवियों में से हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कोइरीपुर गाँव में सन् 1881 में हुआ था। इनके पिता रामायण प्रेमी थे। उनका गहरा प्रभाव इन पर पड़ा।

त्रिपाठी जी ने हिंदी, बंगला और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया और सामाजिक तथा राष्ट्रीय कार्यों में योग देने लगे। इन्हें भ्रमण में बहुत रुचि थी। भारतीय रियासतों के अनेक राजा-महाराजाओं से इनकी मित्रता थी। उन्हीं के साथ ही वे भी भ्रमण के लिए जाया करते थे। उन्होंने 20 हजार किलोमीटर पैदल यात्रा भी की थी। इस यात्रा के दौरान उन्होंने हज़ारों ग्राम-गीतों का संकलन किया था। उनका सन् 1962 में निधन हो गया।

रचनाएं-त्रिपाठी जी की रचनाएं हैं-पथिक, मिलन और स्वप्न (खंड काव्य), मानसी (स्फुट कविता संग्रह), कविता-कौमुदी, गाम्यगीत (सम्पादित), गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता (आलोचना)। इनकी रचनाओं में नवीन आदर्श और नवयुग का संकेत है।

भाव पक्ष-कविवर रामनरेश त्रिपाठी का भाव पक्ष सरस किंतु प्रेरक है। उसमें सजीवता है। प्रवाहमयता है, तो प्रभावमयता भी है। रामनरेश त्रिपाठी प्रकृति के चितेरे हैं। इसलिए उनकी कविताओं के भाव स्वस्थ और सुंदर हैं।

कला पक्ष-वे अपनी रचनाओं में देशभक्ति की भावनाओं का समावेश बड़ी कुशलता से करते हैं। उनकी भाषा सहज-सरल खड़ी बोली है पर वे शुद्ध संस्कृत शब्दों के प्रति आग्रही नहीं हैं। उर्दू शैली के प्रचलित शब्दों का भी उन्होंने खुलकर प्रयोग किया है।

साहित्य में स्थान-साहित्य के क्षेत्र में त्रिपाठी जी ने विविध रूपों में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने हिंदी, उर्दू, संस्कृत और बँगला के प्रतिनिधि काव्य-संकलनों का संपादन किया। बाल कथा कहानी के नाम से उन्होंने रोचक और शिक्षाप्रद कहानियों के कई संग्रह बच्चों के लिए तैयार किए। उन्हें हिंदी बाल-साहित्य का जनक कहना गलत न होगा।

वह देश कौन-सा है? कविता का सारांश

प्रस्तुत कविता ‘वह देश कौन-सा है?’ पंडित रामनरेश त्रिपाठी की देश-भक्ति के ऊँचे स्वर को जगाने वाली सरस कविता है। इस कविता में भारत देश की प्राकृतिक संपदा, सम्पन्नता, सुंदरता और रोचकता का भरपूर दर्शन और ज्ञान देने का सार्थक प्रयास किया गया है। कवि के अनुसार भारत देश मनमोहिनी प्रकृति की गोद में स्वर्ग के समान सुखों को फैलाए हुए है। समुद्र उसके चरण को धोता रहता है। हिमालय उसका मुकुट है। उसकी नदियाँ अमृत की धारा बहाती हैं। उनकी वनस्पतियाँ रस भरे फल-कंद से लदी हुई हैं। रात-दिन खिलते हुए मुसकराते रहते हैं। चारों ओर हरियाली है और आनंद उमड़ रहा है। उसकी धरती अनंत धन से भरी पड़ी है। वह संसार का शिरोमणि है। उसने सारे संसार के लोगों को जगाकर शिक्षित किया और सुधारा भी। इस देश में ही राम जैसे आदर्श पुरुष हुए। जिन्होंने अपने पिता के आदेश से तृण के समान स्वराज्य छोड़ दिया। इस देश में ही लक्ष्मण-भरत जैसे शुद्ध प्रेमी भाई थे। इस प्रकार भारत देश के सिवाय और कोई देश महान् और श्रेष्ठ नहीं है।

वह देश कौन-सा है? संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

(1) मन-मोहिनी प्रकृति की जो गोद में बसा है,
सुख स्वर्ग सा जहाँ है, वह देश कौन-सा है,
जिसका चरण निरंतर रत्नेश धो रहा है,
जिसका मुकुट हिमालय, वह देश कौन-सा है?
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं,
सींचा हुआ सालोना, वह देश कौन-सा है?

शब्दार्थ-निरंतर-हमेशा। रत्नेश-समुद्र। सुधा-अमृत। सलोना-सुंदर।

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ में संकलित पंडित रामनरेश त्रिपाठी विरचित कविता ‘वह देश कौन-सा है?’ से है।

प्रसंग-प्रस्तुत कवितांश में भारत देश की सुंदरता और छटा का चित्र खींचते हुए कहा है कि-

व्याख्या-जो मनमोहक प्रकृति की गोद में विराजमान है। जहाँ स्वर्ग के समान सुख फैला हुआ है, वह देश कौन-सा है, अर्थात् वह देश भारत ही है। जिसका चरण हमेशा समुद्र धोता रहता है और जिसका मुकुट हिमालय है, वह देश कौन-सा है; अर्थात् वह देश भारत ही है। जहाँ नदियाँ अमृत की धारा बहा रही हैं और जिसका सलोना सींचा हुआ है, वह देश कौन-सा है? अर्थात् वह देश भारत ही है।

विशेष-
1. भाषा सरल है,
2. विचारात्मक शैली है।

सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में भारत देश की अद्भुत प्राकृतिक छटा का अत्यंत भावपूर्ण चित्रण किया गया है। सम्पूर्ण भाव-चित्रण सरस और रोचक होने के साथ-साथ ज्ञानवर्द्धक और प्रेरक भी है। इस प्रकार इस पद्यांश का भाव-सौंदर्य प्रभावशाली है।

शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा-भावों के अनुरूप है। शब्द-चयन सरल और सुबोध है। शैली वर्णनात्मक और चित्रात्मक दोनों ही है। बिम्ब-प्रतीक यथा-स्थान हैं।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कवि ने भारत देश की सुंदरता और सम्पन्नता का चित्रण किया है। इसके द्वारा उसने देशवासियों के सोए हुए देश को जगाने का प्रयास किया है। इससे कवि का स्वदेश प्रेम का आशय स्पष्ट हो रहा है।

(2) जिसके बड़े रसीले फल-कंद नाज मेवे,
सब अंगने सज हैं, वह देश कौन-सा है?
जिसके सुगंधवाले सुंदर प्रसून प्यारे,
दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन-सा है?
मैदान-गिरि-वनों में हरिलियाँ लहकतीं,
आनंदमय जहाँ है, वह देश कौन-सा है?

शब्दार्थ-रसीले-रसभरे। प्रसून-फूल। गिरि-पहाड़। संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-पूर्ववत्।

व्याख्या-जिसके फल-कंद और नाज-मेवे बड़े ही रसीले हैं। सब अँगने सजे हैं। वह देश कौन-सा है? अर्थात् वह देश भारत ही है। जिसके सुगंधित और सुंदर फूल बड़े ही प्यारे-प्यारे लगते हैं। इस प्रकार के दिन-रात हँसते रहते हैं। वह ऐसा कौन-सा देश है? अर्थात् वह देश भारत ही है। जिसके मैदान, पहाड़ और वनों में भी हरियाली बिछी हुई दिन-रात लहकती रहती हैं और जहाँ आनंद-ही-आनंद का साम्राज्य है, वह देश कौन-सा है? अर्थात् वह देश भारत ही है।

विशेष-
1. भाव आकर्षक हैं।
2. इससे देश-भक्ति की प्रेरणा मिलती है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौंदर्य आकर्षक और भावप्रद है। भाव धारा प्रवाह हैं जो देश-भक्ति में डूबने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा, शैली आकर्षक है। तुकान्त शब्द-योजना से लय और संगीत की रूपरेखा देखते ही बनती है। चित्रमयी शैली विधान मन को छू रही है तो शृंगार का प्रवाह अधिक जोर मार रहा है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने भारत देश को दुनिया का अधिक संपन्न और सरस देश चित्रित करने का प्रयास किया है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और परिपूर्णता भला किसका मन नहीं मोह लेती है, अर्थात् सबको अपनी ओर खींच लेती है, इस तथ्य को उजागर करने का कवि प्रयास धन्य है।

3. जिसके अनंत धन से धरती भरी पड़ी है,
संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है?
पृथ्वी निवासियों को जिसने प्रथम जगाया,
शिक्षित किया सुधारा, वह देश कौन-सा है?
छोड़ा स्वराज्य तृणवत् आदेश से पिता के,
श्रीराम थे जहाँ पर, वह देश कौन-सा है?

शब्दार्थ-अनंत-जिसका अंत न हो। धरती-पृथ्वी। शिरोमणि-सर्वोच्च; सर्वश्रेष्ठ। तृणवत्-तृण के समान।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-पूर्ववत्।

व्याख्या-जिसकी धरती अनंत धन से लदी-भरी पड़ी है। जो संसार का शिरोमणि है। वह कौन-सा देश है; अर्थात् वह देश भारत ही है। जिसने सारे संसार को सबसे पहले जगाया; अर्थात् ज्ञान प्रदान किया। जिसने संसार के सभी लोगों का मार्ग-दर्शन किया। वह ऐसा देश कौन-सा है? अर्थात् वह देश भारत ही है। जिसने अपने पिता का आदेश पाते ही तिनके समान विशाल साम्राज्य का परित्याग किया। ऐसे श्री राम जहाँ पर थे, वह ऐसा देश कौन-सा है? अर्थात् वह देश भारत ही है।

विशेष-
1. भाव सजीव है।
2. इससे देश-भक्ति की भावना जग रही है।

सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कवि ने भारत देश के गौरवपूर्ण स्वरूप का जो चित्रांकन किया है। वह इतना भावपूर्ण और रोचक है कि उसे देखते ही बनता है। भावों की योजना अधिक सरल और सुस्पष्ट होने के कारण सराहनीय है।

शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा और शैली प्रशंसनीय है। भाषा की शब्दावली बोधगम्य है। लय और संगीत की योजना के लिए आई हुई तुकान्त शब्दावली के प्रयोग आकर्षक रूप में हैं।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तरं-
उपर्युक्त पद्यांश में कवि ने यह भाव व्यक्त करना चाहा है कि भारत देश महान है। उसका अतीत गौरवपूर्ण है। वह प्रेरक रूप में है। इस प्रकार यह अधिक आकर्षक होने के साथ-ज्ञानवर्द्धक रूप में है, जो कवि का मुख्योद्देश्य है।

(4) निःस्वार्थ शुद्ध प्रेमी, भाई भले जहाँ थे,
लक्ष्मण-भरत सरीखे, वह देश कौन-सा है?
निष्पक्ष न्यायकारी, जन जो पढ़े-लिखे हैं,
वे सब बता सकेंगे, वह देश कौन-सा है?
चालीस कोटि भाइ, सेवक सपूत जिसके,
भारत सिवाय दूजा, वह देश कौन-सा है?

शब्दार्थ-निःस्वार्थ-बिना स्वार्थ के। सरीखे-समान। जन-मनुष्य। कोटि-करोड़। सिवाय-दूसरा।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-पूर्ववत्।

व्याख्या-जहाँ पर लक्ष्मण-भरत के समान निःस्वार्थ शुद्ध प्रेमी भाई थे। वह कौन-सा देश है; अर्थात् वह भारत देश ही है। जो लोग निष्पक्ष न्याय करने वाले पढ़े-लिखे हैं, वही यह बता सकते हैं कि वह ऐसा कौन-सा देश है; अर्थात् वह देश भारत ही है। जिस देश के चालीस करोड़ भाई-बंधु-सेवक और सपूत हैं, वह भारत के सिवाय और कौन हो सकता है। अर्थात् वह देश भारत ही हो सकता है। विशेष- 1. आजादी से पहले भारत देश की दशा का चित्रांकन है।

2. भारतीयों में देश-प्रेम की भावना भरने का प्रयास किया गया है। सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौंदर्य लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भावधारा सरल और सपाट है। भारत देश की महानता का विश्वसनीय उल्लेख मन को छू रहा है। संसार के दूसरे देशों से इसके अनूठा होने के भाव अपने-आप प्रकट हो रहे हैं।

शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-योजना के अनुसार ही शिल्प-योजना है। भाषा की शब्दावली प्रचलित शब्दों की है जिनमें विविधता और अनेक रूपता है। शैली अलंकृत है। इसके लिए कवि ने अनुप्रास और रूपक अलंकारों का चुनाव किया है। फलस्वरूप पूरा पद्यांश हृदयस्पर्शी बन गया है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने यह प्रयास किया है कि भारतवासी अपने देश के अतीत को न केवल जाने-समझें अपितु उसके मान-सम्मान के लिए अपना तन-मन सब कुछ समर्पित कर सच्चे देश-भक्त के स्वरूप को प्रस्तुत कर सकें।

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 7 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 7 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 प्रश्न 1.
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में बुन्देलखण्ड से प्रमुख सेनानी थे – (2016)
(i) कुँवर सिंह
(ii) बख्तावर सिंह
(iii) तात्या टोपे
(iv) अहमदुल्ला खाँ।
उत्तर:
(iii) तात्या टोपे

प्रश्न 2.
1857 के संग्राम के समय भारत के गवर्नर जनरल थे – (2009)
(i) डलहौजी
(ii) बैंटिंक
(iii) कैनिंग
(iv) रिपन।
उत्तर:
(iii) कैनिंग

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

प्रश्न 1.
बहादुर शाह द्वितीय को बन्दी बनाकर ……….. स्थान पर भेज दिया गया।
उत्तर:
रंगून (बर्मा)

प्रश्न 2.
लार्ड डलहौजी ने ……….. नीति के कारण अनेक भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राज्य में शामिल कर लिया। (2013, 16, 18)
उत्तर:
हड़प

प्रश्न 3.
ब्रिटिश संसद के 1858 के अधिनियम के अनुसार भारत पर शासन करने का अधिकार ……….. को दिया।
उत्तर:
इंग्लैण्ड की सरकार

प्रश्न 4.
दिल्ली की जनता ने …………. को भारत का सम्राट घोषित किया। (2009, 14, 15)
उत्तर:
बहादुरशाह (द्वितीय)

प्रश्न 5.
अंग्रेज इतिहासकारों ने 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम को ……….. कहना स्वीकार किया।
उत्तर:
सैनिक विद्रोह।

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम
उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (घ)
  3. → (ङ)
  4. → (ख)
  5. → (क)

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उन क्षेत्रों के नाम लिखिए जहाँ 1857 ई. का स्वतन्त्रता संग्राम व्यापक रूप से हुआ।
अथवा
1857 की क्रान्ति के प्रमुख केन्द्र कौन-कौनसे थे ? (2015)
उत्तर:

  1. बैरकपुर
  2. मेरठ
  3. दिल्ली
  4. कानपुर
  5. झाँसी
  6. ग्वालियर
  7. लखनऊ
  8. जगदीशपुर (बिहार)।

प्रश्न 2.
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं के नाम बताइए। (2009, 14)
उत्तर:

  1. मंगल पाण्डे
  2. बहादुरशाह (जफर) द्वितीय
  3. रानी लक्ष्मीबाई
  4. तात्या टोपे
  5. नाना साहब
  6. बेगम हजरत महल
  7. कुँवर सिंह
  8. अहमदुल्ला खाँ
  9. रंगा बापूजी गुप्त
  10. सोनाजी पण्डित
  11. नाना फड़नवीस
  12. गुलाम गौस आदि।

प्रश्न 3.
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का तात्कालिक कारण क्या था ? (2014, 18)
उत्तर:
बैरकपुर छावनी में 29 मार्च, 1857 को मंगल पाण्डे नामक सैनिक ने चर्बी वाले कारतूस को भरने से इन्कार कर दिया और उत्तेजित होकर अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी। फलस्वरूप उसे बन्दी बनाकर 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गयी। इस प्रकार चर्बी लगे कारतूस 1857 की क्रान्ति का तात्कालिक कारण बना।

प्रश्न 4.
ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाए गए समाज सुधार के कार्यों से भारतीय क्यों असंतुष्ट हए ? (2011, 13)
उत्तर:
कम्पनी सरकार ने सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए अनेक कदम उठाये तथा कानूनों को लागू किया। परम्परागत दृष्टिकोण के भारतीयों को अंग्रेजों का उनके सामाजिक जीवन में हस्तक्षेप करना उनमें रोष उत्पन्न करने वाला था। ब्रिटिश सरकार द्वारा ईसाई धर्म का प्रचार, धर्म परिवर्तन हेतु सुविधाओं का प्रलोभन देना, शिक्षण संस्थाओं में ईसाई धर्म की शिक्षा दिया जाना, ऐसे अनेक कारण थे जिनके कारण भारतीयों में अत्यधिक असन्तोष था।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के संग्राम को प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम क्यों कहा जाता है ? (2011, 17)
उत्तर:
भारत में पहला प्रभावशाली आन्दोलन 1857 ई. की क्रान्ति थी। यह भारत का पहला स्वतन्त्रता आन्दोलन था। इस क्रान्ति ने अंग्रेजों की जड़ों को हिलाकर रख दिया। इससे पहले भी बैल्लोर, बैरकपुर तथा बुन्देलखण्ड में विद्रोह हुए, जिनको अंग्रेजों ने कुचल दिया, किन्तु इन विद्रोहों से 1857 ई. के क्रान्तिकारियों को . बड़ी प्रेरणा मिली। वीर सावरकर, अशोक मेहता तथा अन्य भारतीय इतिहासकारों ने 1857 की इस क्रान्ति को प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का नाम दिया।

इस क्रान्ति के उठ खड़ा होने का कारण न चर्बी के कारतूसों का प्रयोग करना था और न ही कुछ भारतीय शासकों का व्यक्तिगत स्वार्थ, वरन् जन साधारण में वह असन्तोष की भावना थी जो पिछले सौ वर्षों के अंग्रेजी राज्य के कारण उत्पन्न हो रही थी। इन इतिहासकारों का विचार है कि विस्फोट की सामग्री काफी समय पहले से ही इकट्ठी होती आ रही थी। इसे केवल एक चिंगारी की आवश्यकता थी जो चर्बी वाले कारतूसों से मिल गयी। इसलिए 1857 की इस महान क्रान्ति को केवल सैनिक विद्रोह न कहकर पहला स्वतन्त्रता संग्राम या राष्ट्रीय आन्दोलन कहना कहीं उचित होगा।

प्रश्न 2.
1857 के पूर्व ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह अपनी आरम्भिक अवस्था में क्यों असफल रहे?
उत्तर:
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने विजय के माध्यम से, भारतीय प्रदेशों का अनुचित तरीकों से कम्पनी के साम्राज्य में विलय करके तथा भारतीय जनता का शोषण करके भारतीय जनमानस को असन्तोष एवं आक्रोश की भावना से भर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि 1765 से 1856 तक देश के विभिन्न भागों में दर्जनों विद्रोह हुए। इनमें से कई विद्रोह किसानों और आदिवासियों ने किये थे। पदच्युत शासकों, जमींदारों और सरदारों के नेतृत्व में भी कई विद्रोह हुए। कम्पनी की फौज के सिपाहियों ने भी विद्रोह का झण्डा ऊँचा किया।

अंग्रेजी शासन के विरुद्ध जितने विद्रोह हुए उनका स्वरूप स्थानीय रहा और उनका दमन हो गया। यद्यपि ये विद्रोह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध गम्भीर चुनौती उत्पन्न नहीं कर सके परन्तु इससे यह सिद्ध होता है कि 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के पूर्व ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन के विरुद्ध व्यापक असन्तोष विद्यमान था। 1857 के संग्राम की पृष्ठभूमि तैयार करने में इन विद्रोहों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

प्रश्न 3.
भारतीय शासकों में असन्तोष के क्या कारण थे?
अथवा
अंग्रेजी शासन (ब्रिटिश शासन) से भारतीय शासकों में असन्तोष के क्या कारण थे ? (2010, 13)
अथवा
भारतीय शासकों में ब्रिटिश शासन से असन्तोष के क्या कारण थे ? (2017)
उत्तर:
अंग्रेजों की राज्य विस्तार की नीति के कारण भारत के अनेक शासकों और जमींदारों में असन्तोष व्याप्त हो गया था। लॉर्ड वेलेजली की सहायक सन्धि व्यवस्था और लॉर्ड डलहौजी की हड़प नीति के कारण अनेक राज्यों का अंग्रेजी साम्राज्य में जबरदस्ती विलय कर दिया गया। अंग्रेजों ने पंजाब, सिक्किम, सतारा, जैतपुर, सम्भलपुर, झाँसी, नागपुर आदि राज्यों को अपने अधीन कर लिया था। सरकार ने अवध, तंजौर, कर्नाटक के नवाबों की राजकीय उपाधियाँ समाप्त कर राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न कर दी।

अन्तिम मुगल सम्राटों के प्रति अंग्रेजों का व्यवहार अनादरपूर्ण होता चला गया। इन परिस्थितियों में शासन-परिवारों में घबराहट फैल गयी थी। अंग्रेजों ने जिन राज्यों पर कब्जा किया वहाँ के सैनिक, कारीगर तथा अन्य व्यवसायों में जुड़े लोग भी प्रभावित हुए। अंग्रेजों ने अनेक सरदारों और जमींदारों से उनकी जमीन छीन ली। इसके कारण भारतीय शासकों में असन्तोष व्याप्त हो गया।

प्रश्न 4.
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का राजनैतिक व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम ब्रिटिश राज के लिए एक बड़ी चुनौती था। इसे अन्ततः कुचल दिया गया, परन्तु इस संग्राम से अंग्रेजों को गहरा झटका लगा। इस संग्राम ने अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ों को हिलाकर रख दिया। अतः ब्रिटिश सरकार ने भारत में अनेक प्रशासनिक परिवर्तन किए। महत्वपूर्ण परिवर्तन निम्नलिखित हुए –

  1. ब्रिटिश संसद ने 1858 ई. में अधिनियम पारित किया। इसके अनुसार भारत पर शासन करने का अधिकार ईस्ट इण्डिया कम्पनी से लेकर सीधे इंग्लैण्ड की सरकार ने ले लिया।
  2. 1858 के पश्चात् सेना का पुनर्गठन किया गया। अंग्रेजों का भारतीय सैनिकों पर से विश्वास उठ गया था। अत: महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ अंग्रेज अधिकारियों को सौंपी गयीं।
  3. ब्रिटिश शासन ने देशी रियायतों का विलय करने की नीति में परिवर्तन किया और उत्तराधिकारियों को गोद लेने के अधिकार को मान्यता प्रदान की।
  4. ब्रिटिश सरकार ने राजाओं, भू-स्वामियों और जमींदारों के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया और इस प्रकार उनका समर्थन प्राप्त करने की नीति अपनायी।

प्रश्न 5.
1857 के स्वतंत्रता संग्राम की असफलता के कारण बताइए। (2010, 11, 15)
अथवा
सन् 1857 की क्रान्ति की असफलता के दो कारण बताइए। (2016)
अथवा
1857 के संग्राम की असफलता के कोई तीन कारण लिखिए। (2018)
उत्तर:
1857 के संग्राम की असफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –

  1. 1857 की क्रान्ति निर्धारित तिथि से पूर्व प्रारम्भ कर दी गयी थी जिससे यह असफल हो गयी। मैलसन के अनुसार, “यदि यह क्रान्ति निश्चित समय पर प्रारम्भ होती तो इसे सफलता अवश्य मिलती।”
  2. 1857 की क्रान्ति की असफलता का अन्य कारण योग्य नेतृत्व का अभाव था। विद्रोही नेताओं में सैनिक कुशलता तथा संगठित होकर कार्य करने तथा क्रान्ति संचालन की क्षमता का अभाव था।
  3. 1857 की क्रान्ति के समय अधिकांश नरेशों ने क्रान्तिकारियों का साथ न देकर अंग्रेजों का ही साथ दिया। सर जॉन के मत में, “यदि समस्त भारतवासी पूर्ण उत्साह से अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित हो जाते तो अंग्रेज पूर्णतया नष्ट हो जाते।”
  4. क्रान्तिकारियों में वीरता तथा साहस की भावना का अभाव नहीं था परन्तु उनकी सैनिक शक्ति अत्यधिक निर्बल थी।
  5. अंग्रेज अधिकारी क्रान्तिकारियों का दमन आधुनिक हथियारों से करते थे परन्तु क्रान्तिकारियों के पास उनका सामना करने के लिए आधुनिक हथियारों का अभाव था।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का भारतीय इतिहास में क्या महत्व है ? समझाइए ? (2009)
उत्तर:
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का महत्व

1857 की क्रान्ति का महत्व निम्नलिखित कारणों से है –

(1) हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रदर्शन-1857 की क्रान्ति का सर्वाधिक महत्व इस कारण है क्योंकि इस क्रान्ति में पहली बारी हिन्दू तथा मुसलमानों ने एकजुट होकर अंग्रेजों से संघर्ष किया था। इस क्रान्ति ने हिन्दू और मुसलमानों में प्रेम-भावना का विकास किया। नाना साहब तथा बहादुरशाह का संयुक्त मोर्चा इसका उदाहरण है। इस क्रान्ति ने यह सिद्ध कर दिया कि हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के निकट आ सकते हैं।

(2) नवीन उत्साह की भावना का उदय-1857 की क्रान्ति से पूर्व भारतवासी अंग्रेजों को अजेय समझते थे, परन्तु इस क्रान्ति के पश्चात् उनका यह भ्रम टूट गया, क्योंकि अनेक स्थानों पर अंग्रेजों को भी भीषण पराजय का मुख देखना पड़ा था। भारतवासियों में यह आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न हुई कि वे संगठित होकर अंग्रेजों से संघर्ष कर सकते हैं।

(3) क्रान्ति में किसानों का भाग लेना-1857 की क्रान्ति की प्रमुख विशेषता यह थी कि इससे पूर्व किसानों ने किसी भी राजनीतिक आन्दोलन तथा संघर्ष में भाग नहीं लिया था। परन्तु अंग्रेजों ने अपनी नीतियों से ग्रामीण जीवन में हस्तक्षेप कर अनेक प्रकार से शोषण करने का प्रयास किया था। परिणामस्वरूप किसानों में अंग्रेजों के विरुद्ध जागरूकता आयी तथा उन्होंने भी सक्रिय होकर क्रान्ति को अपना पूर्ण सहयोग दिया।

(4) भारतीय राजाओं तथा नवाबों को आश्वासन-क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने यह अनुभव किया कि भारतीय राजाओं के साथ उन्हें अच्छे सम्बन्ध बनाने चाहिए, क्योंकि उनके सहयोग से ही भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को सुदृढ़ किया जा सकता है। इस आधार पर ही महारानी विक्टोरिया ने घोषणा करके भारतीय राजाओं को आश्वासन दिया कि अब उनके राज्यों को नहीं हड़पा जायेगा। कम्पनी द्वारा की गयी सन्धियाँ पूर्ववत् ही चलेंगी तथा उनमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जायेगा।

(5) संचार तथा यातायात साधनों का अपूर्व विकास-क्रान्ति से पूर्व भी संचार तथा यातायात के साधनों की स्थापना हो चुकी थी परन्तु वे सीमित अवस्था में थे जिससे कम्पनी के अधिकारी क्रान्ति दमन में उनका समुचित प्रयोग नहीं कर सके। अत: 1857 की क्रान्ति के पश्चात् अंग्रेजों ने भारत में तार, रेलों तथा डाक सेवाओं का जाल बिछा दिया।

(6) देशी राजाओं व सामन्तों की दुर्बलताओं पर प्रकाश पड़ना-1857 की क्रान्ति ने देशी राजाओं व सामन्त वर्ग की स्वार्थपरता, कायरता तथा परस्पर मतभेद की भावनाओं पर प्रकाश डाला। क्रान्ति के समय जब क्रान्तिकारी अंग्रेजों से संघर्ष कर अपने प्राणों का सौदा कर रहे थे, तो उसी समय कुछ देशी राजा तथा सामन्त अंग्रेजों को सहयोग दे रहे थे।

इस प्रकार लक्ष्य की एकता, साम्प्रदायिक सद्भाव एवं जन सहयोग की भावना के कारण 1857 ई. की घटनाएँ राष्ट्रीय स्वरूप की मानी जाती हैं।

प्रश्न 2.
टिप्पणी लिखिए –
(क) तात्या टोपे (2009, 11, 14, 18)
(ख) रानी लक्ष्मीबाई (2009, 11, 14)
(ग) नाना साहब (2018)
(घ) हजरत महल।
अथवा
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख सेनानियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए। (2009)
उत्तर:
(क) तात्या टोपे
तात्या टोपे, 1857 के उन वीर सेनानियों में से एक थे, जिनकी आरम्भिक निष्ठा पेशवा परिवार के प्रति . थी। तात्या टोपे अपनी देश भक्ति, वीरता, व्यूह रचना, शत्रु को चकमा देने की कुशलता, साधनहीनता की स्थिति में युद्ध जारी रखने का साहस, निर्भीकता और गुरिल्ला पद्धति से युद्ध के लिए जाने जाते हैं। पेशवा नाना साहब की ओर युद्ध का समस्त उत्तरदायित्व तात्या टोपे पर ही था।

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ ग्वालियर पर अधिकार करने में तात्या टोपे का बड़ा योगदान रहा। रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु के पश्चात् तात्या टोपे ने निरन्तर गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से मध्य भारत और बुन्देलखण्ड में अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी। अंग्रेजों ने तात्या टोपे को बन्दी बनाने के लिए कुटिलता और विश्वासघात की नीति का पालन किया। अन्ततः तात्या टोपे को आरौन (जिला गुना) के जंगल में विश्राम करते समय बन्दी बनाया गया। अंग्रेजों ने 18 अप्रैल, 1859 को तात्या को फाँसी दे दी।

(ख) रानी लक्ष्मीबाई
अंग्रेजों ने 1854 में झाँसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु के पश्चात् उनकी रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को झाँसी की गद्दी का उत्तराधिकारी मानने से इन्कार कर दिया तथा झाँसी का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय कर लिया। इसका विरोध करते हुए रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सेना से जबरदस्त टक्कर ली। सर ह्यूरोज द्वारा पराजित होने पर वह कालपी आयीं व तात्या टोपे की मदद से ग्वालियर पर अधिकार किया। अंग्रेज सेनापति एरोज ने ग्वालियर आकर किले को घेर लिया। 17 जून, 1858 को झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बड़ी वीरता से सैनिक वेश में संघर्ष करती हुई वीरगति को प्राप्त हुईं। उनकी वीरता की गाथाएँ आज भी देशवासियों को प्रेरित करती हैं।

(ग) नाना साहब
नाना साहब प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के महत्वपूर्ण नेता थे। नाना साहब भूतपूर्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे और बिठूर में निवास करते थे। पेशवा की मृत्यु के उपरान्त लॉर्ड डलहौजी ने नाना साहब को पेंशन एवं उपाधि देने से वंचित कर दिया था। अत: नाना ने अपने विश्वासपात्र सैनिकों की सहायता से अंग्रेजों को कानपुर से निकाल दिया और स्वयं को पेशवा घोषित कर दिया। तात्या टोपे और अजीमुल्लाह नाना साहब के विश्वासपात्र सेनानायक थे।

(घ) हजरत महल
बेगम हजरत महल अवध के नवाब की विधवा थीं। संग्राम आरम्भ होने पर 4 जून, 1857 को अवध की बेगम ने संग्राम को प्रोत्साहन दिया और उसका संचालन किया। उन्होंने अपने युवा पुत्र विराजिस कादर को अवध का नवाब घोषित कर दिया तथा लखनऊ स्थिति ब्रिटिश रेजीडेन्सी पर आक्रमण किया। बेगम हजरत महल ने शाहजहाँपुर में भी संग्राम का नेतृत्व किया। पराजित होने के पश्चात् बेगम सुरक्षा की दृष्टि से नेपाल चली गयीं।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना हुई थी
(i) 1705 ई.
(ii) 1600 ई. में
(iii) 1800 ई.
(iv) 1830 ई में।
उत्तर:
(ii) 1600 ई. में

प्रश्न 2.
मंगल पाण्डे को फाँसी दी गयी –
(i) 8 अप्रैल, 1857
(ii) 5 अक्टूबर, 1856
(iii) 18 अप्रैल, 1860
(iv) 10 अक्टूबर. 1858
उत्तर:
(i) 8 अप्रैल, 1857

प्रश्न 3.
अंग्रेजों ने बहादुरशाह को बन्दी बनाकर भेजा
(i) ब्रिटेन
(ii) अफगानिस्तान
(iii) भूटान
(iv) रंगून (बर्मा)।
उत्तर:
(iv) रंगून (बर्मा)।

प्रश्न 4.
कानपुर में आन्दोलन शुरु किया था – (2018)
(i) रानी लक्ष्मीबाई ने
(ii) तात्या टोपे ने
(iii) नाना साहब ने
(iv) बहादुरशाह ने।
उत्तर:
(iii) नाना साहब ने

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. नाना साहब का निवास …………… में था।
  2. 1857 ई. की क्रान्ति में मध्य प्रदेश के दो नेताओं के नाम …………… थे।

उत्तर:

  1. बिठूर
  2. रानी लक्ष्मीबाई एवं झलकारी बाई।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
1857 ई. की क्रान्ति के व्यापक प्रचार में मुख्यतया भारतीय सैनिकों की भूमिका रही।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
1857 ई. की क्रान्ति का तात्कालिक कारण ‘हड़प नीति’ थी।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
जन आन्दोलन तथा सामूहिक आन्दोलन 1857 ई. की ही क्रान्ति थी।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
1857 ई. की क्रान्ति प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम थी।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
1857 की क्रान्ति के प्रमुख केन्द्र बैरकपुर, मेरठ, दिल्ली, कानपुर, झाँसी आदि थे।
उत्तर:
सत्य।

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 7 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम 2
उत्तर

  1. → (ग)
  2. → (क)
  3. → (ख)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. 1857 ई. के संग्राम के समय भारत के गवर्नर जनरल कौन थे ? (2010)
  2. 1857 ई. की क्रान्ति का तात्कालिक कारण क्या था ? (2015)
  3. 1857 ई. की क्रान्ति कब और कहाँ से प्रारम्भ हुई थी ?
  4. 1857 ई. की क्रान्ति की पूर्व निश्चित तिथि क्या थी ?
  5. 1857 ई. की क्रान्ति के क्या प्रतीक थे?

उत्तर:

  1. कैनिंग
  2. चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग के लिए सैनिकों को बाध्य करना
  3. 29 मार्च, 1857 में बैरकपुर छावनी से
  4. 31 मई, 1857
  5. कमल का फूल और रोटी।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हड़प नीति क्या थी ?
उत्तर:
इसे विलय नीति भी कहा जाता है। लार्ड डलहौजी द्वारा कम्पनी के अधीन देशी राज्यों के सन्तानहीन शासकों को गोद लेने के अधिकार से वंचित कर उनके राज्य को हड़प लेना ही हड़प नीति थी।

प्रश्न 2.
सहायक सन्धि व्यवस्था क्या थी ? इसको किसने लागू किया था ? (2017)
उत्तर:
भारत के गवर्नर जनरल वेलेजली द्वारा लागू व्यवस्था को सहायक सन्धि व्यवस्था कहा जाता है। इस व्यवस्था को जो भारतीय नरेश स्वीकार करते थे, उन्हें अंग्रेजों के संरक्षण में रहकर कार्य करना पड़ता था।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 ई. की क्रान्ति के राजनीतिक कारण संक्षेप में बताइए। (2009)
उत्तर:
1857 ई. के स्वतन्त्रता संग्राम के राजनीतिक कारण निम्नलिखित थे –
(1) लार्ड डलहौजी की अपहरण (हड़प) नीति-इतिहासकारों के मत में 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का प्रमुख राजनीतिक कारण लॉर्ड डलहौजी का अपहरण नीति थी। उसकी अपहरण नीति के परिणामस्वरूप अनेक रियासतें ब्रिटिश साम्राज्य का एक अंग बन गयी थीं। इन समस्त रियासतों के शासक लॉर्ड डलहौजी की नीतियों के कारण ब्रिटिश साम्राज्य के प्रबल विरोधी हो गये।

(2) बहादुरशाह का अपमान तथा अन्याय-अंग्रेजों ने दिल्ली के मुगल शासक बहादरशाह के साथ अन्याय किया तथा उसे भेंट देना बन्द कर दिया। कम्पनी के नौकर भी बहादुरशाह का अपमान करते रहते थे।

(3) दोषपूर्ण प्रशासनिक नीतियाँ-अंग्रेजों ने महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों से यथासम्भव भारतीयों को दूर रखा। साथ-ही-साथ समान पर पर भी अंग्रेजों तथा भारतीय के वेतनों में पर्याप्त असमानता थी। पदोन्नति भारतीयों को देर से तथा कम मिलती थी, जबकि अंग्रेजों को शीघ्र तथा अधिक मिलती थी। इस प्रकार की भेद-भावना ने भारतवासियों के मन में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध असन्तोष को भावना उत्पन्न कर दी थी।

प्रश्न 2.
“लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का मूल कारण नहीं थी परन्तु यह असन्तोष का गौण कारण अवश्य थी।” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा पद्धति एवं संस्कृति पर आक्रमण था। वह पूर्वाग्रहों से प्रेरित था और देशी भाषाओं में शिक्षा दिये जाने का विरोधी था। मैकाले अंग्रेजों को सबसे उच्च नस्ल एवं अंग्रेजी भाषा को सर्वोत्तम मानता था और इसीलिए उसने अंग्रेजी भाषा और पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान के अध्ययन को प्रोत्साहित किया। परन्तु इस समय मैकाले का उद्देश्य अंग्रेजी शिक्षा का ज्ञान देकर ब्रिटिश राज्य के हितों की रक्षा करना था और ऐसे व्यक्ति तैयार करना था जो अंग्रेजों को शासन में मदद कर सकें। मैकाले प्रजातीय अहंकार से परिपूर्ण था इसका उदाहरण यह है कि उनकी अनुशंसा पर सरकार ने प्राच्य भाषाओं की पुस्तकों के मुद्रण और अनुवाद पर प्रतिबन्ध लगा दिया। प्राच्य भाषा के समर्थकों ने अंग्रेजी शिक्षा नीति को अपनी भाषा, परम्परा एवं संस्कृति पर आक्रमण मानकर इसका विरोध किया। यद्यपि यह कारण 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का मूल कारण नहीं था परन्तु यह असन्तोष का गौण कारण अवश्य था।

प्रश्न 3.
1857 ई. की क्रान्ति के लिए आर्थिक कारण लिखिए।
उत्तर:
आर्थिक कारण – अंग्रेजों के निरन्तर आर्थिक शोषण ने भारतीयों में असन्तोष की भावना उत्पन्न की। अंग्रेजों ने भारतीय व्यापार, वाणिज्य तथा उद्योग-धन्धों को तो आघात पहुँचाया ही, साथ ही अपनी भूमि-सम्बन्धी नीतियों से भारतीय किसानों को भुखमरी के कगार पर खड़ा कर दिया। जमींदारों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया गया। उनके अनेक अधिकार छीन लिये गये। परिणामस्वरूप वे भी ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध हो गये। कम्पनी की आर्थिक नीति ने भारतीय गृह-उद्योगों को पूर्णतया नष्ट कर दिया। देश के व्यापार पर भी अंग्रेजों ने पूर्णतया अपना अधिकार स्थापित कर भारतीय व्यापारियों को भी अपना विरोधी बना लिया था।

प्रश्न 4.
सन् 1857 ई. की क्रान्ति में मंगल पाण्डे की क्या भूमिका रही ?
उत्तर:
मंगल पाण्डे – मंगल पाण्डे एक सैनिक थे, जो बैरकपुर (बंगाल) स्थित छावनी में नियुक्त थे। 29 मार्च, 1857 को इस सैनिक ने चर्बी युक्त कारतूसों को मुँह से काटने से स्पष्ट मना कर दिया व क्रोध में आकर अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी। फलस्वरूप उन्हें बन्दी बनाकर 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गयी। मंगल पाण्डे का बलिदान इस विद्रोह की पहली आहुति थी।

प्रश्न 5.
बहादुरशाह जफर का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
बहादुरशाह जफर – बहादरशाह जफर मुगल साम्राज्य के अन्तिम बादशाह थे। 10 मई, 1857 ई. को मेरठ की सैन्य छावनी के सिपाहियों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संग्राम आरम्भ कर दिल्ली जीतकर सत्ता के नए प्रतीक के रूप में बहादुरशाह जफर को भारत का सम्राट घोषित कर दिया। वृद्धावस्था के बावजूद बहादुरशाह में व्याप्त भक्ति की भावना ने क्रान्तिकारियों में भी आशा का संचार किया। दिल्ली र्को समाचारों के कारण क्रान्ति का विस्तार अनक स्थानों पर हुआ। इससे घबराकर लॉर्ड कैनिंग ने दिल्ली से ही क्रान्ति दमन का निश्चय किया। बहादुरशाह ने वीरतापूर्वक अंग्रेजों से युद्ध किया किन्तु वह पराजित हुआ। अंग्रेजों ने बहादुरशाह को बन्दी बनाकर रंगून (बर्मा) भेज दिया जहाँ 1862 में बहादुरशाह जफर का निधन हो गया।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सन् 1857 की क्रान्ति के क्या परिणाम हुए ? समझाइए। (2009)
उत्तर:
परिणाम-1857 का विद्रोह भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तनशील बिन्दु था। इसके बड़े दूरगामी परिणाम निकले। संक्षेप में, इस विद्रोह के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित थे –

(1) कम्पनी राज्य समाप्त – विद्रोह के कारण ब्रिटिश सरकार ने कम्पनी के बार-बार विरोध करने के बावजूद कम्पनी के शासन का अन्त कर दिया। भारत के अच्छे शासन के लिए 1858 ई. में भारत शासन अधिनियम पारित हुआ और भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन के हाथ में चला गया।

(2) भारतीय सेना का पुनर्गठन – विद्रोह के परिणामस्वरूप सेना का पुनर्गठन हुआ। भारतीय सैनिकों की संख्या घटा दी गयी। महत्त्वपूर्ण स्थानों पर अंग्रेजी सैनिक रखे गये। उच्च सैनिक पद भारतीयों के लिए बन्द कर दिए गए।

(3) प्रतिक्रियावादी तत्व सक्रिय – ब्रिटिश व्यापारिक नीति के फलस्वरूप देश के अधिकांश उद्योग-धन्धे नष्ट हो चुके थे। नयी शिक्षा-पद्धति के कारण बेरोजगारी की समस्या बढ़ने लगी। सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ी, जिससे नैतिक पतन तथा संघर्ष बढ़ा। इस प्रकार, समाज में अनेक प्रतिक्रियावादी तत्व सक्रिय हो गये।

(4) अंग्रेजों के प्रति कटुता – 1857 की क्रान्ति के परिणामस्वरूप अंग्रेजों तथा भारतीयों में पारस्परिक कटुता तथा घृणा की भावना इतनी बढ़ गयी कि वे एक-दूसरे के निकट सम्पर्क में नहीं आ सके। भारतीयों के बीच यह भावना घर कर गयी कि अंग्रेज उनका शोषण कर रहे हैं।

(5) भारतीयों को लाभ – इस क्रान्ति के अनेक दुष्परिणाम निकले, पर इससे भारतीयों को अनेक लाभ भी हुए। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत की आन्तरिक दशा को सुधारने की ओर ध्यान दिया। क्रान्ति की विफलता से भारतीयों को अपनी भूल का एहसास हुआ। यह स्पष्ट हो गया कि कोई क्रान्ति राष्ट्रीयता के अभाव में सफल नहीं हो सकती। अतः 1857 ई. की क्रान्ति से भारतीयों को राष्ट्रीयता के आधार पर संगठित तथा एकमत होने की प्रेरणा मिली तथा इसी भावना के आधार पर राष्ट्रीय आन्दोलन की पृष्ठभूमि तैयार की गयी।

प्रश्न 2.
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की प्रमुख घटनाएँ

क्रान्ति की प्रथम चिंगारी बैरकपुर (बंगाल) में प्रज्वलित हुई परन्तु क्रान्ति का प्रारम्भ 10 मई से माना जाता है क्योंकि क्रान्तिकारियों ने इसी घटना के बाद सुनियोजित रूप से ब्रिटिश सत्ता को चुनौती देने का कार्य आरम्भ किया।

दिल्ली की क्रान्ति का समाचार शीघ्र ही आग की भाँति चारों ओर फैल गया। अवध, कानपुर, रुहेलखण्ड, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, बदायूँ, बिहार के अधिकांश भागों, राजस्थान की नसीराबाद सैनिक छावनी, कोटा, जोधपुर आदि नगरों तथा मध्य प्रदेश के इन्दौर, नीमच और ग्वालियर की सैनिक छावनियों में सैनिकों ने क्रान्ति आरम्भ कर दी। किसानों और दस्तकारों ने जो अत्याचार और शोषण का शिकार थे, संग्राम में खुलकर भाग लिया।

बिहार में क्रान्तिकारियों का नेतृत्व कुंवर सिंह ने किया। दिल्ली में क्रान्ति का नेतृत्व मुगल बादशाह के सेनापति बख्त खाँ ने किया। कानपुर में क्रान्तिकारियों ने नाना साहब को पेशवा घोषित किया और अजीमुल्ला उसका मुख्य सलाहकार बना। नाना साहब के सैनिकों का नेतृत्व तात्या टोपे ने किया। झाँसी में दिवंगत राजा की विधवा रानी लक्ष्मीबाई ने सैनिकों का नेतृत्व किया।

सम्पूर्ण क्रान्ति के दौरान हिन्दू और मुसलमान कन्धे से कन्धा मिलाकर लड़े। अंग्रेजों ने हिन्दुओं और मुसलमानो को एक-दूसरे के विरुद्ध उकसाने के अनेक प्रयास किए, परन्तु ऐसे सारे प्रयास व्यर्थ सिद्ध हुए।

संग्राम का स्वरूप इतना व्यापक होने के उपरान्त भी एक वर्ष से कुछ अधिक समय बाद ही इसे कुचल दिया गया। सितम्बर 1857 में अंग्रेजों ने दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। 1858 में लखनऊ पर ब्रिटिश सैनिकों का कब्जा हो गया, किन्तु बेगम हजरत महल ने समर्पण करने से मना कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने तात्या टोपे की मदद से ग्वालियर पर अधिकार कर लिया परन्तु अन्तत: 17 जून, 1858 में लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुईं। अप्रैल 1858 में गम्भीर रूप से घायल होने के बाद कुँवर सिंह की मृत्यु हो गयी। तात्या टोपे राजस्थान और मध्य प्रदेश में अंग्रेजों से गुरिल्ला युद्ध पद्धति से संघर्ष करते रहे। तात्या टोपे को धोखे से अंग्रेजों द्वारा बन्दी बनाकर शिवपुरी में फाँसी दे दी गयी।

1857 का संग्राम अंग्रेजों द्वारा कुचल दिया गया परन्तु अंग्रेजों को सैनिकों के साथ-साथ नागरिकों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। अत: अंग्रेजी फौजों ने संग्राम के दमन के लिए गाँव के गाँव जला दिये तथा लोगों को भयभीत करने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर बन्दियों को फाँसी देने की व्यवस्था की। इतिहासकारों का मत है कि इस संग्राम में लगभग तीन लाख नागरिक मारे गए।

प्रश्न 3.
सन् 1857 की क्रान्ति के कारणों का वर्णन कीजिए। (2016)
अथवा
1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के उत्तरदायी चार कारण लिखिए। (2012)
उत्तर:
1857 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सबसे बड़ा सशस्त्र विद्रोह हुआ जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिला दिया। इस विद्रोह के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –
(1) राजनीतिक कारण-इस विद्रोह के अधिकांश राजनीतिक कारणों के लिए लॉर्ड डलहौजी उत्तरदायी था। उसकी उग्र-साम्राज्यवादी नीति तथा छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने के विभिन्न सिद्धान्तों ने भारतीय राजपरिवारों में घोर असन्तोष उत्पन्न कर दिया था।

(2) सामाजिक कारण-अंग्रेजों द्वारा सती-प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाकर, धर्म-परिवर्तन को प्रोत्साहित करके, परम्परागत उत्तराधिकार के नियम में संशोधन करके भारतीयों की सामाजिक, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई गयी। इसने भी 1857 ई. की क्रान्ति लाने में सहयोग दिया।

(3) आर्थिक कारण-1857 के विद्रोह में राजनीतिक कारणों की तरह ही आर्थिक कारण भी प्रबल थे। अंग्रेजों की नीति ने भारतीय किसानों को उजाड़ दिया, शिल्पकारों व दस्तकारों को बेकार बना दिया, व्यापारियों को चौपट कर दिया तथा जमींदारियाँ समाप्त कर दीं। भारत का धन बाहर जाने लगा और इस तरह शासन के खिलाफ व्यापक आर्थिक असन्तोष उत्पन्न कर दिया।

(4) सैनिक कारण-कम्पनी के सैनिकों में भारतीय सैनिकों की संख्या दो लाख तेतीस हजार थी, जबकि ब्रिटिश सैनिक केवल 35 हजार थे। इस प्रकार भारतीय सैनिक ब्रिटिश साम्राज्य के स्तम्भ थे, परन्तु वेतन-भत्ते ब्रिटिश सैनिकों से कम थे। अंग्रेज अधिकारी भारतीय सैनिकों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते थे।

(5) तात्कालिक कारण-इस समय सरकार ने ‘एनफील्ड रायफल’ नामक एकनली बन्दूक सेना के व्यवहार के लिए चालू की। इसके कारतूसों में सूअर तथा गाय की चर्बी होती थी। इससे भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया।

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 विनय के पद

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 विनय के पद (तुलसीदास)

विनय के पद पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

विनय के पद लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Vinay Ke Pad Class 10 MP Board Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 1.
तुलसीदास ने किसे त्यागने योग्य माना है?
उत्तर-
तुलसीदास ने उसे त्यागने योग्य माना है, जिसे श्रीराम और सीता प्रिय नहीं हैं।

विनय के पद कक्षा 10 MP Board Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 2.
तुलसीदास का राम से कैसा नाता है? उत्तर-तुलसीदास का राम से अनन्य भक्ति का नाता है। प्रश्न 3. तुलसीदास रघुपति के चरण-कमलों में क्यों बसना चाहते हैं?
उत्तर-
तुलसीदास रघुपति के चरण-कमलों में बसना चाहते हैं। यह इसलिए कि वे इंद्रियों के वश में न होकर अपने इष्टदेव श्रीराम की भक्ति कर सकें।

Vinay Ke Pad MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 4.
अपने परिजनों का स्त्याग किस-किसने किया?
उत्तर-
अपने परिजनों का त्याग प्रह्लाद, विभीषन, भरत, राजा बलि और गोपियों ने किया।

विनय के पद दीर्घ-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

विनय के पद MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 1.
तुलसीदास जी ने परमहित किसे माना है?
उत्तर-
तुलसीदास ने जिसके कारण श्रीराम के चरणों में स्नेह-प्रीति हो उसे ही अपना परमहित माना है।

विनय के पद प्रश्न उत्तर MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 2.
कवि को अपनी इंद्रियों पर हँसी क्यों आती है? .
उत्तर-
कवि को अपनी इंद्रियों पर हँसी आती है। यह इसलिए कि जब तक वह इंद्रियों के वश में था, तब तक उन्होंने उसे मनमाना नाच नचाकर उसकी बड़ी हँसी उड़ाई, परंतु अब स्वतंत्र होने पर यानी मन-इंद्रियों को जीत लेने पर उनसे वह अपनी हँसी नहीं करा रहा है। अब तो उन पर ही वह हँस रहा है।

Class 10 Hindi Chapter 1 Vinay Ke Pad MP Board प्रश्न 3.
“पायो नाम चारु चिंतामनि” से कवि का क्या आशय है?
उत्तर-
“पायो नाम चारु चिंतामनि से” कवि का आशय है-श्रीराम नाम के स्मरण करते रहने से वह अब किसी प्रकार के सांसारिक मोह-बंधन में नहीं बँधेगा।

Class 10 Hindi Chapter 1 Vinay Ke Pad Question Answer MP Board प्रश्न 4.
भाव-भौंदर्य लिखिए
(क) अंजन कहा आँखि जेहि फूटै।
(ख) रामकृपा भव-निसा सिरानी।
(ग) अब लौं नसानी, अब न नसैहौं।
उत्तर-
(क) उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौंदर्य आकर्षक है। अपेक्षित वस्तु के स्थान अनुचित और अनपेक्षित वस्तु के द्वारा हानि होने की निश्चयता को सहज ढंग से व्यक्त किया गया है। यह प्रदर्शन बड़ा ही रोचक और सटीक है।
(ख) राम की कृपा का महत्त्वांकन करने के लिए कवि ने उसे असाधारण रूप में प्रस्तुत किया है। ‘भव-निसा’ में प्रस्तुत रूपक की योजना भक्ति-भावों को जगाती-बढ़ाती हुई आकर्षक है।
(ग) “बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेव।” सूक्ति का सार्थक-प्रयोग है। इससे निराशा को त्यागकर आशावान बनने की सुंदर भावना उत्पन्न होती है।

विनय के पद भाषा अनुशीलन

Vinay Ke Pad Question Answers MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप लिखिएजाके, छाँड़िए, जदपि, नेह, ऐतो, मतो, हमारो परबस।
उत्तर-
शब्द – मानक रूप
जाके – जिसे
छाँड़िए – त्याग, त्याज्य
जदपि – यद्यपि
नेह – स्नेह
ऐतो – यही
मतो – मत
हमारो – हमारा।
परबस – परवश।

विनय के पद के प्रश्न उत्तर MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिएबंधु, नेह, उर, मधुकर, कंचन, कर।
उत्तर-
पर्यायवाची शब्द-
बंधु – भ्राता, भाई, सहोदर
नेह – स्नेह, प्रेम
उर – हृदय, अंतर
मधुकर – भौंरा, भ्रमर
कंचन – स्वर्ण, सोना
कर – हाथ, हस्त।

Class 10 Hindi Chapter 1 MP Board Vasanti Solutions विनय के पद प्रश्न 3.
पाठ में सनेह, निसि आदि जैसे तद्भव शब्दों का प्रयोग हुआ है। इसी प्रकार के अन्य तद्भव शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर-
तद्भव शब्द-जदपि, महतारी, नेह, आँखि, प्रान, निसा, कर, परबस।

विनय के पद योग्यता-विस्तार

MP Board Class 10 Hindi Book Solution Chapter 1 विनय के पद प्रश्न 1.
महाकवि तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की सूची बनाइए।
प्रश्न 2. श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का वनगमन का काल्पनिक चित्र वनाइए। प्रहलाद, विभीषण, भरत, बलि एवं ब्रज की गोपियों से संबंधित प्रसंग शिक्षक से जानिए।
उत्तर-
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

विनय के पद परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

Class 10 Hindi Vinay Ke Pad MP Board Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 1.
तुलसीदास ने अपने परम स्नेही जनों को करोड़ों शत्रु के समान क्यों कहा है? .
उत्तर-
तुलसीदास ने अपने परम स्नेही जनों को करोड़ों शत्रु के समान कहा है। यह इसलिए कि उनका उनके इष्टदेव श्रीराम और सीता के प्रति बिल्कुल भक्ति-भावना नहीं है।

वासंती हिंदी सामान्य कक्षा 10 MP Board Class Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 2.
किन-किन अपने परिजनों का किस-किसने परित्याग किया और क्या प्राप्त किया?
उत्तर-
प्रह्लाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यपु, विभीषण ने अपने भाई रावण, भरत ने अपनी माँ कैकेयी, राजा बलि ने अपने गुरु शुक्राचार्य और ब्रज की गोपियों ने अपने-अपने पतियों का परित्याग किया। इससे वे सभी मंगल और आनंद के विधायक बने।

वासंती हिंदी सामान्य कक्षा 10 Pdf Download MP Board Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 विनय के पद प्रश्न 3.
तुलसीदास के अनुसार परमहितैषी, पूज्य और प्राणों से भी बढ़कर प्रिय कौन है और क्यों?
उत्तर-
तुलसीदास के अनुसार राम के प्रति स्नेह और भक्ति भाव रखने वाला ही परम हितैषी, पूज्य और प्राणों से भी बढ़कर है। यह इसलिए कि राम के प्रति भक्ति भावना न रखने वाला उनका परम स्नेही होकर भी करोड़ों शुभ के समान है।

विनय के पद कक्षा दसवीं MP Board Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 4.
अब तक कवि की आयु किसमें नष्ट हो गयी?
उत्तर-
अब तक कवि की आयु व्यर्थ में ही नष्ट हो गयी।

Vinay Ke Pad Question Answer MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 5.
कवि और क्या नहीं नष्ट होने देगा और क्यों?
उत्तर-
कवि और अपनी आयु नष्ट नहीं होने देगा। इसलिए कि उसे अपने इष्टदेव श्रीराम की कृपा प्राप्त हो गयी है। उससे वह संसार की माया रूपी रात से जग गया है।

Vinay Ke Pad Class 10 MP Board Hindi Vasanti Solutions Chapter 1 प्रश्न 6.
कवि किसे क्या बनाकर क्या करना चाहता है?
उत्तर-
कवि अपने इष्टदेव श्रीराम के पवित्र श्यामसुंदर स्वरूप की कसौटी बनाकर अपने चित्त रूपी सोने को कसना चाहता है।

Vasanti Hindi Book Class 10 Pdf Download Solutions Chapter 1 विनय के पद MP Board प्रश्न 7.
कवि का क्या प्रण है?
उत्तर-
कवि का यह प्रण है कि वह अपने मन रूपी भौरे को श्रीराम के चरणों को छोड़कर और किसी दूसरी जगह नहीं जाने देगा।

2. निम्नलिखित कथनों के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए।

1. तुलसीदास प्रवर्तक कवि हैं।
(क) ज्ञानमार्गी के,
(ख) सगुण भक्ति-काव्यधारा के
(ग) निर्गुण शाखा के,
(घ) प्रेममार्गी शाखा के।
उत्तर-
(ख) सगुण भक्ति-काव्यधारा के

2. ‘सो छाँड़िए कोटि बैरी सम’ में अलंकार है।
(क) अनुप्रास
(ख) रूपक
(ग) उपमा
(घ) उत्प्रेक्षा।
उत्तर-
(ग) उपमा

3. तुलसीदास भक्त थे। .
(क) श्रीकृष्ण के
(ख) शिव के
(ग) विष्णु के
(घ) श्रीराम के।
उत्तर-
(ख) शिव के

4. तुलसीदास के पदों में रस प्रधान है-
(क) भक्ति रस
(ख) वीर रस
(ग) श्रृंगार रस
(घ) शांत रस।
उत्तर-
(क) भक्ति रस

5. रामनाम है ……………………………।
(क) सोना
(ख) कसौटी
(ग) चिंतामणि
(घ) पवित्र रूप।
उत्तर-
(ग) चिंतामणि

3. रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से चुनकर कीजिए।

1. विनय के पद के कवि हैं …………………………..।
(क) कबीर दास
(ख) रहीम दास
(ग) सूरदास
(घ) तुलसीदास।
उत्तर-
(घ) तुलसीदास।

2. करोड़ों बैरी के समान हैं ……………………………।
(क) राम के विरोधी
(ख) रावण के विरोधी
(ग) राम-सीता के विरोधी
(घ) सीता के विरोधी।
उत्तर-
(ग) राम-सीता के विरोधी

3. तुलसी की कविता में …………………………… मिलता है
(क) भक्ति भावना
(ख) ओजपूर्ण भावना
(ग) माधुर्य भावना
(ग) सौंदर्य भावना।
उत्तर-
(क) भक्ति भावना

4. कसौटी पर ………….. कसा जाता है।
(क) चाँदी
(ख) सोना
(ग) चित्त
(ग) पेंच।
उत्तर-
(ख) सोना

5. तुलसीदास का मन ……………………………
(क) चिंतामणि
(ख) कसौटी
(ग) भौंरा
(घ) माया।
उत्तर-
(ग) भौंरा

4. सही जोड़ी का मिलान कीजिए-

अशोक के फूल – महादेवी वर्मा
उत्साह – ‘दिनकर’
कुरुक्षेत्र – हजारीप्रसाद द्विवेदी
अतीत के चलचित्र – रामचंद्र शुक्ल
उत्तर-
अशोक के फूल – हजारीप्रसाद द्विवेदी
उत्साह – रामचंद्र शुक्ल
कुरुक्षेत्र – ‘दिनकर’
अतीत के चलचित्र – महादेवी वर्मा

5. दिए गए सत्य/असत्य लिखिए-

1. विनय के पद हैं-कवितावली से
2. तुलसीदास के गुरु थे-नरहरिदास
3. कवि तुलसी ने पहले लिखा था-‘विनय-पत्रिका’
4. तुलसीदास की भाषा थी-अवधी-ब्रज
5. तुलसीदास के पदों में अलंकार प्रधान है-अनुप्रास और उपमा
उत्तर-
1. असत्य,
2. सत्य,
3. असत्य,
4. सत्य,
5. सत्य।

6. एक या दो शब्द में उत्तर दीजिए-

1. राम की कृपा से कौन-सी रात बीत जाती है?
2. तुलसीदास अपने मन को किसके चरणों में लगाना चाहते हैं?
3. राष्ट्र के विकास का आधार कौन-सी भाषा है?
4. महाराणा प्रताप का युद्ध किससे हुआ था?
5. अलंकार कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
1. माया-रात्रि,
2. श्रीराम के,
3. राष्ट्रभाषा,
4. मुगलों से,
5. दो प्रकार के।

विनय के पद लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कौन त्याज्य है?
उत्तर-
भगवत्प्राप्ति में जो बाधक बने वह त्याज्य है।

प्रश्न 2.
अंजन कब व्यर्थ होता है?
उत्तर-
अंजन तब व्यर्थ होता है-जब वह रोशनी देने के बजाय रोशनी ही समाप्त .. कर देता है।

प्रश्न 3.
श्रीरामचंद्र के शरीर और कसौटी में क्या समानता है?
उत्तर-
श्रीरामचंद्र के शरीर और कसौटी में यही समानता है कि दोनों ही श्याम वर्ण के हैं।

विनय के पद कवि-परिचय

जीवन-परिचय-तुलसीदास का जन्म सन् 1532 ई. में बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था। मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण उनको अशुभ माना गया। इसलिए उनके माता-पिता ने उन्हें त्याग दिया। नरहरिदास ने उन्हें शिक्षा दी।

विवाह एवं वैराग्य-उनका विवाह रत्नावली नाम की कन्या से हुआ। कहा जाता है कि एक बार रत्नावली अपनी मायके चली गई। तुलसीदास उसका वियोग सहन न कर सके और नदी को पार कर उसके मायके जा पहुँचे। तब रत्नावली ने उन्हें जो उपदेश दिया उससे उन्हें वैराग्य हो गया और उनका मन रामभक्ति की ओर मुड़ गया। उन्होंने अपना जीवन, काशी, अयोध्या और चित्रकूट में व्यतीत किया। उनका निधन सन् 1623 में काशी के असी घाट पर हुआ था।

रचनाएँ-तुलसीदास ने अनेक ग्रंथ लिखे हैं। उनमें प्रमुख रचनाएँ हैं-श्रीरामचरित मानस, विनयपत्रिका, कवितावली, दोहावली, गीतावली, रामलला नहछू आदि। इन सभी रचनाओं में रामचरितमानस बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसकी गणना संसार के प्रसिद्ध ग्रंथों में की जाती है। इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के शक्ति, शील और सौंदर्य का चित्रण है। तुलसीदास ने इस ग्रंथ में ‘राम-राज्य’ का चित्र प्रस्तुत किया है।

भाव-पक्ष-तुलसीदास भक्त-कवि हैं। उनकी भक्ति-भावना भगवान राम के प्रति है। वे भगवान राम के प्रति संपूर्ण रूप से समर्पित और आश्रित हैं। उनके प्रभु बड़े दयालु हैं। इसलिए उनसे वे स्वयं को बिलकुल दीन और हर प्रकार से असहाय कहकर अपनी शरण में लेने के लिए बार-बार विनती करते हैं। उनकी यह विनती बहुत ही मार्मिक, आकर्षक और प्रेरक रूप में है। अपने इष्ट देव श्री राम के प्रति उनकी भावना दास्य-भक्ति की है। इसमें ओज, प्रवाह और सरसता तो है ही, इसके साथ-ही-साथ इसमें अनूठापन और लचीलापन के साथ स्वाभाविकता और लोकप्रियता जैसी अद्भुत विशेषताएँ भी हैं।

कला-पक्ष-अवधी और ब्रजभाषा-दोनों भाषाओं पर तुलसीदास का समान अधिकार था। उन्होंने ‘रामचरितमानस’ अवधी भाषा में लिखा था। गीतावली, कवितावली और विनयपत्रिका, ब्रजभाषा में लिखी गई थीं। उनकी रचनाओं में दोहा, चौपाई, कवित्त, सवैया आदि छंदों का प्रयोग हुआ है। उनके काव्य में अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है।

साहित्य में स्थान-तुलसीदास का रामभक्त कवियों में सर्वोच्च स्थान है। उनकी रचना ‘रामचरितमानस’ संसार का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है। उसका अनुवाद संसार की लगभग सभी भाषाओं में हुआ है। इस प्रकार वे युगीन कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी प्रशंसा में किसी ने ठीक ही कहा है

‘सुर ससि, तुलसी रवि, उड्गन केसवदास।
अब के कवि खद्योत सम, जहँ-तहँ करत-प्रकास॥

विनय के पद कविता का सार

प्रस्तुत विनय के पद में कविवर तुलसीदास ने अपने इष्टदेव श्री राम और सीता के प्रति अनन्य भक्ति-भावना प्रस्तुत की है। उनका यह स्पष्ट रूप से कहना है कि जिन्हें राम और सीता प्रिय न हों, उन्हें छोड़ देना चाहिए। इसका प्रमाण देते हुए उनका कहना है कि प्रहलाद ने अपने पिता, विभीषण ने अपने भाई रावण, बलि ने अपने गुरु और ब्रज की गोपियों ने अपने-अपने पतियों का परित्याग किया था। इसलिए राम के चरणों के प्रति जिसके स्नेह भाव हैं, उसका हर प्रकार से कल्याण-ही-कल्याण है।

कविवर तुलसीदास ने ‘नब जागे, तभी सबेरा’ की भावना जगाते हुए दूसरे पद में यह कहना चाहा है कि अब उनके इष्टदेव राम की उन पर कृपा हुई है। फलस्वरूप संसार की माया-मोह रूपी रात समाप्त हो गयी है। अब उन्हें राम-नाम की सुन्दर चिंतामणि प्राप्त हुई। उसे कसौटी बनाकर अब अपने हृदय रूपी सोने को करूंगा। इस प्रकार अब मैं अपने मन रूपी भौरे को प्रण करके श्री राम के चरण कमलों में. ही लगा दूंगा।

विनय के पद संदर्भ और प्रसंग सहित व्याख्या

1. जाके प्रिय न राम बैदेहि।
सो छाँड़िए कोटि बैरी सम, जदपि परम सनेही॥
तज्यो पिता प्रहलाद, विभीषण बंधु भरत महतारी।
बलि गुरु तज्यौ, कंत ब्रज-बनितन, भए मुद-मंगलकारी॥
नाते नेह राम के मनियत सुहृद सुसेव्य जहाँ लौं।
अंजन कहा आँखि जेहि फूटै बहुतक कहौं कहाँ लाँ।
तुलसी सो सब भाँति परमहित पूज्य प्रान ते प्यारो।
जासो होय सनेह राम पद, ऐतो मतो हमारे ॥1॥

शब्दार्थ-कोटि-करोड़। कंत-पति। मनिपत-माने जाते हैं।

संदर्भ-प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ में संकलित कविवर तुलसीदास विरचित ‘विनय के पद’ से है।

प्रसंग-इसमें तुलसीदास ने अपने इष्टदेव श्रीराम के प्रति अपार भक्ति-भावना को प्रस्तुत करते हुए कहा है कि

व्याख्या-जिसे श्रीराम सीता प्रिय नहीं हैं, वह कोटिक शत्रुओं के समान त्याज्य हैं, भले ही वह अपना परम स्नेही-संबंधी ही क्यों न हो। समझने के लिए ढेरों दृष्टांत हैं-प्रहलाद ने अपने पिता को त्याग दिया, विभीषण ने भाई को, भरत ने माँ को, राजा बलि ने गुरु शुक्राचार्य को और ब्रजांगनाओं ने अपने पतियों को। (भगवत्प्राप्ति में जो भी बाधक बने, त्याज्य है। परंतु ये सब-के-सब लोग आनंद और मंगल के विधायक बने। जितने सुदृढ़ और सेवायोग्य जन हैं, वे सब राम जी के ही नेह-नाते से मान्य हैं। अब और अधिक कहाँ तक कहें? वह अंजन किस काम का कि जिसके लगाने से आँखें ही फूट जाएँ? गोस्वामी जी कहते हैं कि जिसके कारण से श्रीराम के चरणों में स्नेह प्रीति हो, वही सब प्रकार से अपना परम हितैषी, पूजनीय और प्राणों से भी अधिक प्रिय है। हमारा यही सुनिश्चित मत है।

विशेष-
(1) कहते हैं कि मीराबाई ने पत्र लिखकर गोस्वामी जी से परामर्श माँगा था कि प्रभु-प्रेम के सम्मुख क्या परिवारीजन की उपेक्षा कर दें? उसी पत्र का उत्तर उपर्युक्त पंक्तियों में है।
(2) अलंकार-उपमा-बैरी सम। व्यतिरेक-प्रान तै प्यारी।

विनय के पद सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर-
(क) कवि-तुलसीदास
(ख) कविता-विनय के पद

प्रश्न 2.
उपर्युक्त पद के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद में कविवर तुलसीदास ने शिल्प-सौंदर्य के अलग-अलग विधानों को लिया है। पूरा पद गीतात्मक शैली में है। ब्रजभाषा की शब्दावली है। उपमालंकार. से पूरा पद चमत्कृत और अलंकृत है। भक्ति रस में पगा हुआ यह सरस भावों से पुष्ट है। बिंब और प्रतीक लाक्षणिक रूप में है। योजना-विधान देखते ही बनता है।

(ख) भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
‘जाके प्रिय न राम वैदेही।
सो छाँडिए कोटि बैरी सम, जदपि परम सनेही।
उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर बताइए कि कोटि वैरी सम क्यों और कौन हो जाता है?
उत्तर-
‘जाके प्रिय न राम बैदेही।
सो छाँड़िए कोटि बैरी सम, जदपि परम सनेही ॥
उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर सनेही लोग करोड़ों बैरी के समान हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें राम-बैदेही प्रिय नहीं हैं।

प्रश्न 2.
भगवत्प्राप्ति में कौन-कौन वाधक बने?
उत्तर-
भगवत्प्राप्ति में प्रहलाद के पिता हिरण्यकशियपु, विभीषण के भाई रावण, भरत की माँ कैकेयी, राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य और ब्रज की गोपियों के पति बाधक बने।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘जाके प्रिय न राम-बैदेही’ पद का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘जाके प्रिय न राम-बैदेही’ पद में कविवर तुलसीदास ने अपने इष्टदेव श्रीराम के प्रति अपनी सच्ची भक्ति भावना प्रकट की है। इसे उन्होंने डंके की चोट पर व्यक्त किया है। इसके लिए उन्होंने अपने परम स्नेही जनों का भी परित्याग करने में कोई झिझक नहीं दिखाई है। इसकी पुष्टि में वे कई प्रकार के प्रमाण और विचार प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार वे राम के प्रति स्नेह रखने वालों को अपने प्राणों से भी प्रिय मानते हैं। यह उनका निश्चय और अटल मत है।

2. अबलौं नसानी, अब ने नसैहौं।
राम-कृपा भव-निसा सिरानी, जागे फिरि न डसैहौं।
पायेउँ नाम चारु चिंतामनि, उर कर तें न खसैहौं।
स्यामरूप सुचि रुचिर कसौटी, चित कंचनहिं कसैहौं।
परबस जानि हँस्यो इन इंद्रिन, निज बस है न हँसैहौं।
मन मधुकर पनकै तुलसी रघुपति-पद-कमल बसैहौं।

शब्दार्थ-अबलौ-अब तक। भव-निसा-संसार रूपी रात्रि। सिरानी-बीत चुकी है। नसानी करनी बिगड़ गई है। भव-संसार। डसैहौं बिछौना बिछाऊँगा। चारु=सुंदर। उर कर हृदय और हाथ से। बसैहौं गिराऊँगा। सुचि-पवित्र। रुचिर=सुंदर। मधुकर भौंरा। बसैहौं बसाऊँगा।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-इसमें कविवर तुलसीदास ने अपने इष्टदेव श्रीराम की कृपा और उनके प्रति अपनी अनन्य भक्ति-भावना को समर्पित करते हुए कहा है कि

व्याख्या-अब तक (की आयु तो व्यर्थ ही) नष्ट हो गयी, परंतु अब (अर्थ) नष्ट नहीं होने दूंगा। श्रीराम की कृपा से संसार रूपी रात्रि बीत गयी हैं, (मैं संसार की माया-रात्रि से जग गया हूँ) अब जागने पर फिर (माया-का) बिछौना नहीं बिछाऊँगा (अब फिर माया के फंदे में नहीं फराँगा) मुझे रामनाम रूपी सुंदर चिंतामणि मिल गयी है। उसे हृदयरूपी हाथ-से कभी नहीं गिरने दूंगा। अथवा हृदय से रामनाम का स्मरण करता रहूँगा और हाथ से रामनाम की माला जपा करूँगा। श्रीरघुनाथ जी का जो पवित्र श्यामसुंदर रूप है उसकी कसौटी बनाकर अपने चित्त रूपी सोने को कलूंगा। अर्थात् यह देलूँगा कि श्रीराम के ध्यान में मेरा मन सदा-सर्वदा लगता है कि नहीं। जब तक मैं इंद्रियों के वश में था, तब तक उन्होंने (मुझे मनमाना नाच नचाकर) मेरी बड़ी हँसी उड़ाई, परंतु अब स्वतंत्र होने पर यानी मन-इंद्रियों को जीत लेने पर उनसे अपनी हँसी नहीं कराऊँगा। अब तो अपने मन रूपी भ्रमर को प्रण करके श्रीराम जी के चरण कमलों में लगा दूँगा। अर्थात् श्रीराम जी के चरणों को छोड़कर दूसरी जगह मन को जाने ही नहीं दूंगा।

विशेष-
रस-भक्ति रस, शांत रस। भाषा-अवधी भाषा। भाव-प्रस्तुत पद में कवि का आत्मनिवेदन वर्णित हुआ है। अलंकार-उपमा, रूपक, अनुप्रास।

टिप्पणी-(1) ‘अबलौ नसानी………नसैहौं।’-इसी भाव की व्यंजना एक अन्य स्थल पर इस प्रकार हुई है-

‘बीती ताहि बिसारि दै, आगे की सुधि लेइ।’

(2) ‘स्याम रूप………..कसौटी’-कसौटी एक पत्थर का नाम है। इसका रंग काला शालिग्राम शिला के समान होता है। इसी पर सोना कसा जाता है। श्रीरामचंद्र जी का भी शरीर श्याम वर्ण का है। इसीलिए यह उपाय सब प्रकार के सुंदर और श्रेष्ठ है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर-
(क) कवि-तुलसीदास
(ख) कविता-विनय के पद।

प्रश्न 2.
उपर्युक्त पद के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद में कविवर तुलसीदास ने शिल्प-सौंदर्य को आकर्षक बनाने का प्रयास किया है। इसके लिए उन्होंने दास्य-भक्ति की भावना पर बल दिया है। इस पद का शिल्प-विधान ब्रजभाषा की शब्दावली से परिपुष्ट है। इसे कवि ने राम की कृपा के विविध-स्वरूपों को अनुप्रास और रूपक अलंकारों से मंडित-सज्जित करने का प्रयास किया है। पूरा पद शांत रस से ओत-प्रोत है। भावों की आकर्षक व्यंजना अधिक प्रभावित करने में समर्थ है। गीताशैली के कारण यह पद सचमुच बहुत अनूठा और रोचक है।

(ख) भाव-सौदर्य
प्रश्न 1.
‘अबलौ नसानी, अबलौ न नसैहौं’ से कवि का कौन-सा भाव स्पष्ट हो रहा है?
उत्तर-
‘अबलौ नसानी’, अबलौ न नसैहों’ से कवि का अपने इष्टदेव श्रीराम के . प्रति अपने भवभाव को भूल-भुलाकर दृढ़तापूर्वक अनन्य भक्ति भाव स्पष्ट हो रहा है।

प्रश्न 2.
‘स्यामरूप सुचि रुचिर कसौटी’ का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘स्यामरूप सुचि रुचिर कसौटी’ का भाव-सौंदर्य सरस और हृदयस्पर्शी है। श्रीराम का रूप-सौंदर्य श्यामवर्ण का है। वह अत्यंत पवित्र और दोषरहित है। उसमें आकर्षण और प्रभाव भरा हुआ है। अतएव वह अत्यंत रोचक और हृदयस्पर्शी है। ठीक इसी प्रकार के समान चिंतामणि कसौटी है, जो अत्यंत दुर्लभ और दुःसाध्य है। इस प्रकार ‘स्यामरूप सुचि रुचिर कसौटी’ का भाव-सौंदर्य सराहनीय है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद के माध्यम से कविवर तुलसीदास ने यह भाव स्पष्ट करना चाहा है कि उनके अनन्य इष्टदेव श्रीराम की कृपा से माया-मोह रूपी रात बीत गयी है। फलस्वरूप अब वे अपने इष्टदेव श्रीराम की शरण को कभी नहीं छोड़ेंगे। उन्हें जो अपने इष्टदेव श्रीराम की कृपा से उनके नामरूपी चिंतामणि नामक कसौटी प्राप्त हुई है, उस पर वे अपने चित्तरूपी सोने को कसेंगी। इस प्रकार कवि ने अपने जीवन की सार्थकता का प्रतिपादन अपने इष्टदेव श्रीराम के प्रति किए गए समर्पण भाव को ही माना है।

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 1 लोकसंस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 1 लोकसंस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा (यात्रा वृत्तांत, डॉ. श्यामसुंदर दुबे)

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा अभ्यास

यात्रा वृत्तांत

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा नर्मदा प्रश्न 1.
अमरकंटक पहुँचने के लिए लेखक द्वारा बनाये गये मार्ग की रूपरेखा लिखिए।
उत्तर:
अमरकंटक पहुँचने के लिए लेखक ने कटनी और बिलासपुर को जोड़ने वाली रेलवे लाइन के पेण्ड्रा रोड स्टेशन पर प्रातःकाल अपनी आँखें खोलीं। पेंड्रा रोड से लगभग चालीस किलोमीटर की यात्रा बस द्वारा करनी थी।

रात का गहन अन्धकार हमारे चारों ओर था। हमारी जीप पहाड़ी की ऊँचाई पर चढ़ रही थी। चारों ओर वृक्ष थे। ये वृक्ष हवा के कारण तेजी से हिल रहे थे। ठण्ड के दिन थे। ठण्डी हवायें हमारे शरीर को छू रही थीं। इस प्रकार पहले रेल से फिर बस और जीप के द्वारा हमने अमरकंटक का मार्ग तय किया। इस प्रकार ऊँची-नीची पहाड़ियों और चट्टानों को पार करते हुए हम अमरकंटक पहुँचे।

Lok Sanskriti Ki Smriti Rekha Narmada प्रश्न 2.
‘कपिलधारा’ नामकरण से लेखक ने कपिलधारा को किस तरह व्याख्यायित किया है?
उत्तर:
कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर कपिल मुनि ने तपस्या की थी। अमरकंटक तपस्या का स्थान है। यहाँ बैठकर न जाने कितने मुनियों ने तपस्या की थी। इस तथ्य को सत्य मानते हुए लेखक ने यह माना है कि कपिलमुनि ने यहीं पर तपस्या की थी।

नर्मदा की क्षीण धारा जब उसके वास्तविक स्वरूप को प्रकट नहीं कर पाती, तब वह ‘कपिलधारा’ के रूप में पर्वतों पर खड़ी ऊँचाई से कूदती है, तब नर्मदा स्फटिक जैसी सफेदी में प्रकट होती है। अतः कपिलधारा का नाम लेखक को बार-बार कपिला गाय से जोड़ रहा है। उसे ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो कपिलधारा का नामकरण कपिला गाय की सफेदी के आधार पर ही किया गया है क्योंकि नर्मदा का जलप्रपात अपनी आकृति व रंग-रूप में एकदम कपिला गाय की भाँति सफेद दिखाई देता है। इसी जलप्रपात के नीचे की ओर एक अन्य छोटा प्रपात है। यह प्रपात लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर है, इसे दूधधारा का नाम दिया गया।

इन नामकरणों के पीछे वास्तव में गाय का रूपक ही है। कपिलधारा के रूप में जब नर्मदा नीचे की ओर जाती है, तब भूमि पर पड़ी बड़ी-बड़ी चट्टानों की छाती पिचक जाती है।

अन्त में लेखक ने यही निष्कर्ष निकाला है कि कपिला गाय एवं कपिलमुनि की तपस्या के आधार पर कपिलधारा को व्याख्यापित किया गया है।

प्रश्न 3.
मधुछत्रों का वर्णन करते हुए लेखक ने मधु को प्राप्त करने की क्या विधि बतलाई है?
उत्तर:
मधुछत्रों का वर्णन करते हुए लेखक ने कहा है कि अमरकंटक के घने जंगलों के मध्य मधुछत्रों का निवास है। अमरकंटक अपने बीहड़ों में एक अनोखा मधु क्षरित करता है। इसे प्राप्त करने के लिए ऊँची-नीची पहाड़ियों को पार करके चट्टानों में लटके मधु छत्रों से मधु प्राप्त किया जा सकता है। मधु (शहद) में दो तत्त्व विद्यमान हैं-भय और हर्ष। भय मधुमक्खियों के काटने का तथा हर्ष मधु को प्राप्त करने का मधु को तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब हम भय को त्याग दें। भय रहित होकर ही मधु का पान हर्ष के साथ किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
कुआँ पर पनहारिनें क्या कर रही थीं? वे किसके गीत गा रही थीं?
उत्तर:
कुएँ पर पनहारिनें पानी भर रही थीं। वे नर्मदा माई के गीत गा रही थीं।

प्रश्न 5.
पुराणों में नर्मदा की उत्पत्ति का वर्णन किस तरह से किया गया है?
उत्तर:
पुराणों में नर्मदा की उत्पत्ति का वर्णन इस प्रकार है-
नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है। नर्मदा जिस ऊँचाई से अपना आकार ग्रहण करती है,उसकी कोई भी निर्धारित सीमा नहीं है लेकिन नर्मदा बहुत शान्त नदी है और शान्ति से विस्तार लेती है। पुराणों में कहा जाता है कि नर्मदा नदी का जन्म शंकर जी के श्रम सीकर (पसीने की बूंदों) से हुआ है। शंकर जी के मस्तक पर जो श्रम के कारण पसीने की बूंदें थीं, उसी ने नर्मदा नदी का रूप लिया। ऐसा भी कहा जाता है कि आदि पुरुष के श्रम सीकरों से भी नर्मदा नदी का विस्तार सम्भव है। गोंडवाना की इस आदिभूमि पर करोड़ों वर्ष पूर्व नर्मदा का अस्तित्व था। इसी कारण इस नदी को सनातन नदी भी कहा जाता है। ऐसा पुराणों में उल्लेख है।

प्रश्न 6.
नर्मदा और सोन से सम्बन्धित लोककथा लिखिए। (2011)
उत्तर:
नर्मदा और सोन के विषय में इस प्रकार की लोककथा प्रचलित है-
ये लोककथाएँ इतिहास के अमृत कुण्ड हैं। ये धाराएँ इतिहास की हैं और अनेक रूपों में फूटती हैं। नर्मदा पश्चिम की ओर प्रवाहित हुई होगी लेकिन कुछ भू-भौतिक परिवर्तनों के कारण लोगों ने इसे कथा रूप दे दिया है।

संसार में ऐसा प्रचलित है कि सोन और नर्मदा की प्रणय कथा मिथकीय सृष्टि है। यह कथा अमरकंटक में ही जन्म लेती है।

महाभारत में भी इस तथ्य की चर्चा है। ऐसा कहा जाता है जो व्यक्ति शोण और ज्योति रथ्या नदी के संगम पर तर्पण करते हैं। वे अपने देवताओं और पितरों को प्रसन्न करते हैं।

सोन नदी अपने उद्गम स्थान से सैकड़ों फुट ऊँचाई से गिरती है। इसके विपरीत नर्मदा नदी उत्स कुण्ड से निकलकर शान्त भाव से बहती है।

नर्मदा की क्षीणधारा कपिल धारा के रूप में ऊँची पहाड़ियों से कूदती हुई श्वेत जलधारा के रूप में प्रवाहित होती है।

प्रश्न 7.
‘माई की बगिया’ का वर्णन अपने शब्दों में कीजिये।
उत्तर:
‘माई की बगिया’ नर्मदा के उत्स कुण्ड से थोड़ा ऊपर है। माई की बगिया पहाड़ी ढलान पर है। यह बगिया पहाड़ी को काटकर बनाई गयी है। यहाँ एक जल धारा भी प्रवाहित होती है। यहाँ पर अनेक मन्दिर भी हैं। बगीची का रूप सुव्यवस्थित नहीं है। यहाँ गुलबकावली के फूल खिले हुए हैं। माई की बगिया ऐतिहासिक तथ्यों की ओर संकेत करती है।

एक बात का बहुत आश्चर्य है माई तो नर्मदा नदी ही है। नर्मदा बचपन में अपने सखियों के साथ खेलने आती थीं। वे नाराज होकर पश्चिम की ओर गतिशील हो गयीं, तब उनकी सहेलियाँ उनके वियोग में गुलबकावली बन गयीं। यह एक सुन्दर और मनोहर स्थान है। यहाँ फूलों की एक विशेष प्रकार की दवा बनायी जाती है। यह दवा आँखों को ठण्डक पहुँचाती है और नेत्रों को निरोगी बनाती है।

प्रश्न 8.
“विपरीत से विपरीत को पार करने की ताकत हमें अमरकंटक से निकलने वाली एक सीधी-सादी नदी ने अपने वेगवान आचरण से दी है।” इस कथन से लेखक का क्या आशय है? लिखिए।
उत्तर:
लेखक का कथन है कि अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा नदी यद्यपि बहुत ही सरल और शान्त प्रवृत्ति की है, यह नदी एक प्रकार से नवीन जीवन प्रदान करने वाली है । लेखक ने इस नदी से अपनापन प्रकट करने का प्रयास करते हुए कहा है-जिस प्रकार नर्मदा नदी विषम परिस्थितियों में शान्त भाव से अडिग रहकर बहती है उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को विषम परिस्थितियों में इस शान्त नर्मदा नदी की भाँति जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। लेखक के कथन का अभिप्राय है कि यह शान्त नर्मदा ऊँची-नीची पहाड़ियों और चट्टानों से निकलती हुई निरन्तर बहती रहती है और पत्थरों को भी झुका देती है। इसी प्रकार मानव को भी विषम परिस्थितियों में निभीकतापूर्वक निरन्तर नर्मदा की भाँति गतिशील रहना चाहिए।

वास्तव में लेखक ने मानव को नदी की भाँति जीवन में बढ़ने की प्रेरणा दी है। वैसे भी किसी ने उचित ही कहा है-
“गति ही जीवन है, रुकना ही मृत्यु है।”

प्रश्न 9.
‘सोन और नर्मदा का जलप्रवाह’ किन-किन दिशाओं में है? (2018)
उत्तर:
सोन अपने उद्गम के साथ ही सैकड़ों फुट की ऊँचाई से नीचे गिरती है, जबकि नर्मदा अपने उत्स कुण्ड से निकलकर एकदम शांत और सूक्ष्म रूप में बहती है।

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
माई की बगिया किस स्थान पर है?
(क) नर्मदा से ऊपर
(ख) घाटी में
(ग) नर्मदा से नीचे
(घ) पहाड़ी पर।
उत्तर:
(क) नर्मदा से ऊपर

प्रश्न 2.
कपिलधारा का नाम किस तपस्वी मुनि के नाम पर रखा गया?
(क) विश्वामित्र
(ख) दुर्वासा
(ग) द्रोणाचार्य
(घ) कपिल मुनि।
उत्तर:
(घ) कपिल मुनि।

प्रश्न 3.
नर्मदा जिस स्थान से अपना स्थान ग्रहण करती है वहाँ किस आराध्य का पवित्र स्थान है?
(क) राम
(ख) शंकर
(ग) कृष्ण
(घ) गणेश।
उत्तर:
(ख) शंकर

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. अमरकंटक ही नहीं नर्मदा तो पूरे देश में …………… है।
  2. जब जल प्रपात नीचे गिरता है, तो वह अपने रंग में ………….. जैसा दिखता है।
  3. अमरकंटक ऐसा ही ………… क्षरित करता है।
  4. अमरकंटक की केन्द्रीय सत्ता तो ………. है। (2013)
  5. नर्मदा के उत्स कुण्ड से थोड़ा-सा ……….. चलने पर ‘माई की बगिया’ है। (2014)
  6. माई की बगिया में ………… के फूल खिलते हैं। (2015)

उत्तर:

  1. माई
  2. गाय
  3. मधु
  4. नर्मदा
  5. ऊपर
  6. गुलबकावली।

सत्य/असत्य

  1. नर्मदा नदी विश्व की आदि संस्कृति को अपने गर्भ में छिपाये हुए है।
  2. लोक कथाएँ इतिहास का अमृत कुण्ड हैं।
  3. अमरकंटक को स्मृतियों की भूमि नहीं कहा जा सकता है।
  4. माई की बगिया पहाड़ी ढलान पर है।
  5. नर्मदा का उद्गम स्थल नासिक है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य

सही जोड़ी मिलाइए

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा नर्मदा MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 1
उत्तर:
1. → (ख)
2. → (ग)
3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. नर्मदा को जन्म देने वाले कौन हैं?
  2. जो अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, वे क्या करते हैं?
  3. अमरकंटक अपनी बीहड़ता में क्या क्षरित करता है?

उत्तर:

  1. शंकर
  2. अग्निष्ठोम यज्ञ
  3. मधु।

MP Board Class 10th Hindi Solutions

MP Board Class 10th Special Hindi गद्य की विविध विधाएँ

MP Board Class 10th Special Hindi गद्य की विविध विधाएँ

भावों एवं विचारों की स्वाभाविक एवं सरल अभिव्यक्ति गद्य के द्वारा ही होती है। इसी कारण सामाजिक, साहित्यिक तथा वैज्ञानिक आदि समस्त विषयों के लिखने का माध्यम प्रायः गद्य है।

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छन्द, विधान एवं लय के बन्धन से मुक्त रचना गद्य कहलाती है।

हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी ने गद्यकाल कह कर पुकारा है। इस प्रकार हिन्दी में प्रथम बार हिन्दी साहित्य का विकास गद्यात्मक और पद्यात्मक दो प्रकार से हुआ है। – हिन्दी गद्य के प्रवर्तक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हैं। गद्य साहित्य की अनेक विधाएँ हैं। उनका विभाजन इस प्रकार है-
गद्य की प्रमुख विधाएँ MP Board Class 10th Special Hindi
पाठ्यक्रम के अनुरूप प्रमुख विधाओं का संक्षिप्त परिचय यहाँ दिया जा रहा है।

1. निबन्ध

गद्य की उस रचना को कहते हैं जिसमें लेखक किसी विषय पर अपने विचारों को सीमित सजीव, स्वच्छन्द, सुव्यवस्थित रूप से अभिव्यक्त करता है। हिन्दी निबन्धों का प्रारम्भ भारतेन्दु युग से माना जाता है।

निबन्ध के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं

  • वर्णनात्मक,
  • विवरणात्मक,
  • विचारात्मक,
  • भावात्मक,
  • विवेचनात्मक,
  • आलोचनात्मक,
  • व्यंग्यात्मक,
  • अलंकारिक निबन्ध।

2. कहानी

कहानी गद्य साहित्य की सबसे लोकप्रिय मनोरंजक विधा है। कहानी साहित्य की वह गद्य रचना है जिसमें जीवन के किसी एक पक्ष का कल्पना प्रधान हृदयस्पर्शी एवं सुरुचिपूर्ण कथात्मक वर्णन होता है। कहानी एक कलात्मक गद्य विद्या है। कहानी के प्रमुख छः तत्त्व निम्नलिखित हैं

  • कथानक,
  • पात्र चरित्र-चित्रण,
  • कथोपकथन (संवाद),
  • देशकाल तथा वातावरण,
  • भाषा-शैली,
  • उद्देश्य।

मुंशी प्रेमचन्द तथा जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र, अज्ञेय, यशपाल आदि कहानीकारों में लोकप्रिय हैं।

3. उपन्यास

उपन्यास गद्य साहित्य की वह विधा है कि जिसमें मानव जीवन का विस्तृत रूप कथात्मक गद्य में रोचक प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है। साथ ही इसमें युगीन प्रवृत्तियाँ इस प्रकार चित्रित की जाती हैं कि मनुष्य को कुछ दिशा-निर्देश मिल सके।

उपन्यास के प्रमुख तत्त्व इस प्रकार हैं-

  • कथानक,
  • पात्र व चरित्र-चित्रण,
  • संवाद,
  • देशकाल तथा वातावरण,
  • भाषा-शैली
  • उद्देश्य।

उपन्यासों के प्रमुख भेद इस प्रकार हैं’-

  • सामाजिक,
  • ऐतिहासिक,
  • राजनैतिक,
  • मनोवैज्ञानिक,
  • पौराणिक,
  • आंचलिक,
  • जासूसी,
  • क्रान्तिकारी।

उपन्यासकारों में प्रेमचन्द जी का नाम उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने ग्रामीण जीवन, नारी उद्धार, मजदूर एवं कृषकों की दीन दशा का सुन्दर वर्णन किया है। प्रेमचन्द के उपन्यास राष्ट्रीय चेतना पर आधारित हैं।

4. एकांकी

एक अंक वाले नाटक को एकांकी कहा जाता है। आकार में छोटा होने के कारण इसमें जीवन का खण्ड चित्र प्रस्तुत होता है। नाटक के समान इसके भी छ: तत्त्व होते हैं। इसमें पात्रों की संख्या एवं घटनाएँ भी कम होती हैं। एकांकी अनेक प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं

एकांकी के विविध प्रकार निम्नलिखित हैं

  • सामाजिक एकांकी,
  • पौराणिक एकांकी,
  • ऐतिहासिक एकांकी,
  • राजनीति से सम्बन्धित एकांकी,
  • चरित्र प्रधान एकांकी,
  • तथ्यपूर्ण एकांकी।

एकांकी के प्रमुख तत्त्व इस प्रकार हैं

  • कथावस्तु,
  • पात्र व चरित्र-चित्रण
  • कथोपकथन या संवाद,
  • भाषा-शैली,
  • देशकाल तथा वातावरण,
  • उद्देश्य।

एकांकी को कथावस्तु के आधार पर संवादों एवं अभिनय के द्वारा रंगमंच पर प्रस्तुत किया जा सकता है। रामकुमार वर्मा, धर्मवीर भारती, उपेन्द्रनाथ अश्क, विष्णु प्रभाकर आदि जाने-माने एकांकीकार हैं।

5. नाटक

नाटक ‘नट’ शब्द से निर्मित है जिसका आशय है-सात्विक भावों का अभिनय। हिन्दी में नाटक लिखने का प्रारम्भ पद्य के द्वारा हुआ लेकिन आज के नाटकों में गद्य की प्रमुखता है। नाटक गद्य का वह कथात्मक रूप है, जिसे अभिनय संगीत, नृत्य, संवाद आदि के माध्यम से रंगमंच पर अभिनीत किया जा सकता है। पाश्चात्य आचार्यों के मतानुसार नाटक के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं

  • कथावस्तु,
  • पात्र व चरित्र-चित्रण,
  • संवाद या कथोपकथन
  • भाषा-शैली,
  • देशकाल और वातावरण,
  • उद्देश्य,
  • संकलनत्रय
  • रंगमंचीयता।

लेकिन भारतीय विद्वानों के अनुसार नाटक के तत्त्व हैं-

  • कथावस्तु,
  • नेता (नायक),
  • रस,
  • अभिनय,
  • वृत्ति।

सुप्रतिष्ठित एवं श्रेष्ठ नाटककारों में श्री जयशंकर प्रसाद का नाम उल्लेखनीय है। नाटक के विकास में श्री जयशंकर प्रसाद ने सर्वाधिक योगदान दिया है।

6. जीवनी

गद्य साहित्य की इस विधा में किसी महान पुरुष के जीवन को व्यवस्थित रूप से रोषक शैली में प्रस्तुत किया जाता है। इस रचना को जीवनी कहा जाता है।

जीवनी लेखक जीवन में जीवन के यथार्थ तथ्य को उजागर करते हुए व्यक्ति के आन्तरिक एवं बाह्य जीवन से सम्बन्धित विभिन्न पक्षों को पाठकों के सम्मुख उपस्थित करता है। जीवनी में एक ओर तो इतिहास जैसी प्रामाणिकता तथा तथ्यपूर्णता होती है तथा दूसरी ओर वह साहित्यिकता के तत्त्वों से पूर्ण होती है। सरलता,सरसता,सत्यता एवं स्पष्टता इस शैली की मुख्य विशेषताएँ हैं। जीवनी लेखकों में प्रमुख रूप से डॉ.राजेन्द्र प्रसाद,जैनेन्द्र कुमार,रामवृक्ष बेनीपुरी, राम विलास शर्मा, विष्णु प्रभाकर, राहुल सांकृत्यायन तथा अमृतराय प्रमुख हैं।

7. आत्मकथा

महापुरुषों के माध्यम से लिखी गई आत्मकथाएँ पाठकों का सही मार्गदर्शन करती हैं। साथ ही उनके लिए प्रेरणादायक भी होती हैं। गद्य की इस विधा के अन्तर्गत लेखक अपने जीवन वृत्त को व्यवस्थित रूप से रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है। आत्मकथा में वह अपने जीवन से सम्बन्धित सभी छोटी या बड़ी घटनाओं को न केवल क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करता है अपितु अपने जीवन पर.पड़े हुए अनेक प्रभावों का भी उल्लेख करता है।

इन घटनाओं में जीवन से सम्बन्धित सभी ऊँच-नीच का सरल भाव से वर्णन होता है।

आत्मकथा लेखकों में पाण्डेय बेचन शर्मा, यशपाल, बाबू गुलाबराय तथा हरिवंशराय बच्चन विशेष रूप से प्रशंसनीय हैं।

8. रेखाचित्र

रेखाचित्र शब्द अंग्रेजी के ‘स्क्रेच’ शब्द का अनुवाद है तथा दो शब्दों रेखा और चित्र के योग से बना है।

यह गद्य साहित्य की आधुनिक विधा है। इस विधा में लेखक रेखाचित्र के माध्यम से शब्दों का ढाँचा तैयार करता है। लेखक किसी भी सत्य घटना की वस्तु का या व्यक्ति का चित्रात्मक भाषा में वर्णन करता है। इसमें शब्द चित्रों का प्रयोग आवश्यक है।

रेखाचित्रकारों में महादेवी वर्मा, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, बनारसीदास चतुर्वेदी, रामवृक्ष बेनीपुरी एवं डॉ. नगेन्द्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

9. संस्मरण

संस्मरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-सम् + स्मरण। इसका अर्थ है सम्यक स्मरण अर्थात् किसी घटना, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का स्मृति के आधार पर कलात्मक वर्णन करना संस्मरण कहलाता है। इसमें स्वयं की अपेक्षा उस वस्तु की घटना का अधिक महत्त्व होता है जिसके विषय में लेखक संस्मरण लिख रहा होता है। संस्मरण की समस्त घटनाएँ सत्यता पर ही आधारित होती हैं। इसमें लेखक कल्पना का अधिक प्रयोग नहीं करता है। संस्मरण लेखकों में महादेवी वर्मा एवं बनारसीदास चतुर्वेदी का प्रमुख स्थान है।

10. यात्रा वृत्तान्त या यात्रा साहित्य

इसका प्रारम्भ आधुनिक काल में हुआ है। यात्रा + वृत्तान्त, इसके नाम से ही परिलक्षित होता है कि इसमें किसी यात्रा का वर्णन है। इसमें लेखक किसी यात्रा का अथवा किसी घटना विशेष का सुन्दर ढंग से वर्णन करता है। इसके द्वारा लेखक की विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं।

यात्रा वृत्तान्त लेखकों में प्रमुख हैंराहुल सांकृत्यायन, धर्मवीर भारती, मोहन राकेश तथा विनय मोहन शर्मा।

इसके अतिरिक्त रामधारीसिंह ‘दिनकर’ ने ‘देश-विदेश’ यात्रावृत्त तथा बालकृष्ण भट्ट ने ‘कतिकी का जहान’ लिखे हैं।

इस विधा में अनौपचारिक एवं आत्मव्यंजक वर्णन होता है। गद्य साहित्य की यह विधा रोचक एवं मनोरंजक होती है। यात्रा का सरस एवं रोचक वर्णन सांस्कृतिक भौगोलिक एवं ऐतिहासिक धरातल पर होता है।

11. रिपोर्ताज

‘रिपोर्ताज’ मूल रूप से फ्रांसीसी भाषा का शब्द है जिसका आशय है-सरस एवं भावात्मक अंकन। इसमें लेखक किसी भी आयोजन, घटना, संस्था आदि की कलात्मक ढंग से ब्यौरे-बार रिपोर्ट तैयार करके जो प्रस्तुतीकरण करता है; उसे ही रिपोर्ताज कहते हैं। इसमें लेखक घटना का स्वाभाविक वर्णन करता है। यह गद्य साहित्य की आधुनिक विधा है। कुछ प्रमुख रिपोर्ताज लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’, विष्णु प्रभाकर माचवे, श्याम परमार, अमृतराय, रांगेय राघव तथा प्रकाश चन्द्र गुप्त आदि हैं।

12. गद्यकाव्य या गद्य गीत

किसी सघन अनुभूति को कलात्मक लय से गद्य में प्रस्तुत करना गद्यकाव्य कहलाता है। यह गद्य की आधुनिक विधा है।

गद्यकाव्य में रसमयता, कलात्मकता, भावात्मक और चमत्कारिकता गद्यकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

कुछ गद्यकाव्य के लेखक इस प्रकार हैं-वियोगी हरि,रामवृक्ष बेनीपुरी तथा रायकृष्णदास आदि।

13. भेंट वार्ता (साक्षात्कार)

भेंट वार्ता का अर्थ है–साक्षात्कार। भेंट वार्ता ही इण्टरव्यू नाम से प्रसिद्ध है। इस विधा में भेंटकर्ता किसी महान व्यक्ति के मन और जीवन में प्रश्नों के द्वारा झाँककर उसके आन्तरिक दृष्टिकोण को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करता है। भेटवार्ता वस्तुतः पत्रकारिता की देन है। भेंट वार्ता वास्तविक एवं काल्पनिक दोनों प्रकार की होती है। आजकल परिचर्चा के माध्यम से यह विधा विकसित हो रही है। हिन्दी में इसके विकास की पूर्ण सम्भावना है।

भेटवार्ता लेखकों में राजेन्द्र यादव, पद्मसिंह शर्मा ‘कमलेश’ और शिवदान सिंह चौहान उल्लेखनीय हैं।

14. आलोचना

आलोचना हिन्दी गद्य साहित्य की प्रमुख विधा है। आलोचना का अर्थ है-किसी रचना को उचित प्रकार परख कर उसके गुण और दोषों की समीक्षा करना और उसके विषय में अपने विचार प्रस्तुत करना।

आलोचना के लिए समालोचना एवं समीक्षा शब्दों का भी प्रयोग होता है। कुछ समालोचक लेखकों के नाम इस प्रकार हैं

  • डॉ. श्यामसुन्दर दास
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
  • डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • डॉ. नगेन्द्र
  • डॉ.रामविलास शर्मा
  • बाबू गुलाबराय
  • आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी आदि। सार रूप में यह कह सकते हैं कि आलोचना रसानुभूति का बुद्धि विषयक उल्लेख है।

15. डायरी

डायरी गद्य साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधा है। ‘डायरी’ शब्द अंग्रेजी का है। डायस शब्द संस्कृत भाषा दिवस का समानार्थी है। डायरी में प्रतिदिन की घटनाओं का वर्णन तिथिवार होता है। इसमें लेखक उन घटनाओं का वर्णन करता है जो उसके जीवन में घटित होती हैं। हिन्दी में सर्वप्रथम डायरी लेखन का प्रयोग गाँधीजी ने किया था। आज के भौतिक युग में डायरी लेखन का महत्त्व बढ़ गया है। धीरेन्द्र वर्मा,रामधारीसिंह दिनकर तथा शमशेर बहादुर एवं मोहन राकेश प्रमुख डायरी लेखक हैं।

डायरी लेखन के दो प्रकार हैं-

  • साहित्यिक तथा
  • ऐतिहासिक।

साहित्यिक डायरी में लेखक का व्यक्तित्व स्पष्ट दिखायी देता है। ऐतिहासिक डायरी में घटनाओं की स्पष्टता साकार हो उठती है।

16. पत्र साहित्य

किसी भी व्यक्ति/साहित्यकार द्वारा लिखे गए पत्रों में उसकी सहजता एवं उसके व्यक्तित्व का स्वाभाविक रूप उभरकर सामने आता है। क्योंकि यह एक व्यक्ति/साहित्यकार द्वारा दूसरे व्यक्ति को लिखा गया होता है। उद्देश्य संभवतः छपवाने का नहीं हो पर कभी-कभी ऐसे पत्र साहित्यिक दृष्टि से मूल्यवान तथा समाज के लिए एक धरोहर बन जाते हैं। उदाहरणार्थ,महात्मा गांधी द्वारा लिखे गए विभिन्न पत्र एवं पं. नेहरू द्वारा जेल में रहकर इंदिरा गांधी को लिखे गए पत्र (पिता के पत्र पुत्री के नाम)।

पत्रों के संबंध में पं. बनारसीदास चतुर्वेदी का कथन है-“जीवन में पत्रों का बड़ा महत्व है। शरीर में रक्त-माँस का जो स्थान है, वही स्थान चरित्रों में छोटे-छोटे किस्से कहानियों तथा पत्रों का है।”

हिन्दी पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले जिस पत्र-साहित्य को ख्याति मिली, उसमें बालमुकुन्द गुप्त के ‘भारत मित्र’ में प्रकाशित ‘शिव शम्भु के चिठे’ विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ द्वारा ‘चाँद’ में प्रकाशित ‘दुबे जी की चिट्ठी’ प्रमुख हैं। महावीर प्रसाद द्विवेदी के पत्र ‘पत्रावली’ नामक पुस्तक में संकलित हैं। प्रेमचन्द जी भी अच्छे पत्र लेखक थे। उनके पत्रों का संग्रह श्री अमृत राय ने ‘चिट्ठी-पत्री’ भाग-1 व 2 शीर्षक से प्रकाशित किया है। ‘निराला’ के दुर्लभ पत्रों का संकलन ‘निराला की साहित्य साधना’ के तृतीय खण्ड में डॉ. रामविलास शर्मा ने सम्पादित किया है। पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ ने तो उपन्यास ‘चन्द हसीनों के खतूत’ ही पत्र शैली में लिखा है। बनारसीदास चतुर्वेदी जी द्वारा सम्पादित ‘पद्मसिंह शर्मा के पत्र’ भी उल्लेखनीय पत्र साहित्य हैं। स्वयं बनारसीदास चतुर्वेदी ने अपने जीवन में हजारों पत्र लिखे हैं, वे एक अच्छे पत्र-लेखक थे।

प्रश्नोत्तर

(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. हिन्दी साहित्य में प्रेमचन्द …………………. सम्राट के नाम से जाने जाते हैं [2013]
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) निबन्ध
(घ) नाटक।
उत्तर-
(ख) उपन्यास

2. निम्न में से कौन-सा गद्यकार भारतेन्दु युग का नहीं है?
(क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ख) बालकृष्ण भट्ट
(ग) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(घ) प्रताप नारायण मिश्र।
उत्तर-
(ग) महावीर प्रसाद द्विवेदी

3. हिन्दी की प्रथम कहानी है
(क) काकी
(ख) पूस की रात
(ग) रानी केतकी
(घ) नमक का दारोगा।
उत्तर-
(ग) रानी केतकी

4. किस पत्रिका के साथ ही हिन्दी कहानी का जन्म माना जाता है? [2012]
(क) सुदर्शन
(ख) इन्दु
(ग) सरस्वती
(घ) प्रभा।
उत्तर-
(ग) सरस्वती

5. दीपदान एकांकी के रचयिता हैं-
(क) सेठ गोविन्द दास
(ख) डॉ.रामकुमार वर्मा
(ग) हरिकृष्ण प्रेमी
(घ) उदय शंकर भट्ट।
उत्तर-
(ख) डॉ.रामकुमार वर्मा

6. मील के पत्थर संस्मरण के लेखक हैं-
(क) मोहन राकेश
(ख) डॉ.रामविलास
(ग) रामवृक्ष बेनीपुरी
(घ) नागार्जुन।
उत्तर-
(ग) रामवृक्ष बेनीपुरी

7. आंचलिक कहानीकारों में प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं
(क) श्री निवासदास
(ख) अज्ञेय
(ग) गजानन माधव
(घ) फणीश्वर रेणु।
उत्तर-
(घ) फणीश्वर रेणु।

8. गद्य काव्य के प्रसिद्ध लेखक हैं
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) प्रेमचन्द
(ग) गिरिजा कुमार माथुर
(घ) वियोगी हरि।
उत्तर-
(घ) वियोगी हरि।

9. ‘तितली’ उपन्यास के लेखक हैं-
(क) डॉ.रामकुमार वर्मा
(ख) प्रेमचन्द
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) यशपाल।
उत्तर-
(ग) जयशंकर प्रसाद

रिक्त स्थानों की पूर्ति
1. हिन्दी निबन्धों का प्रारम्भ …………………. युग से माना जाता है।
2. एकांकी में जिन्दगी की किसी एक घटना अथवा पहलू का …………………. होता है।
3. उपन्यास में मानव जीवन का समग्र रूप …………………. किया जाता है।
4. वातावरण प्रधान कहानी में …………………. का अंकन प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है।
5. हिन्दी में यात्रा साहित्य के प्रणेता …………………. हैं।
6. सरस्वती पत्रिका का सम्पादन …………………. के द्वारा किया गया। [2009]
7. ‘आषाढ़ का एक दिन’ नाटक के लेखक …………………. हैं।
8. फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा रचित …………………. बहुचर्चित उपन्यास है।
9. गद्य काव्य …………………. युग की उल्लेखनीय देन है।
10. आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने …………………. निबन्धों के हिन्दी अनुवाद किये हैं। [2011]
11. ‘रिपोर्ताज’ मूल रूप से …………………. भाषा का शब्द है। [2017]
12. साक्षात्कार गद्य की …………………. विधा है। [2018]
उत्तर-
1. भारतेन्दु युग,
2. अंकन,
3. चित्रित,
4. वातावरण,
5. राहुल सांकृत्यायन,
6. महावीर प्रसाद द्विवेदी,
7. मोहन राकेश,
8. मैला आंचल,
9. छायावादी युग,
10. चौबीस,
11. फ्रेंच,
12. गौण।

सत्य/असत्य

1. सरस्वती पत्रिका सन् 1913 में प्रकाशित हुई।
2. ‘लहरों का राजहंस’ एक कहानी है।
3. ‘झाँसी की रानी’ वृन्दावन लाल वर्मा का सामाजिक उपन्यास है।
4. महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबन्ध विविधता लिए हुए हैं।
5. ‘पथ के साथी’ एक संस्मरण है।
6. ‘चन्द्रगुप्त’ एक ऐतिहासिक नाटक है।
7. उपन्यास का कलेवर लघु होता है इसमें जीवन के एक अंश का वर्णन होता है।
8. एकांकी के कलेवर में समग्र जीवन का अंकन होता है।।
9. निबन्ध के प्रकार हैं-(1) वर्णनात्मक, (2) भावनात्मक, (3) विचारात्मक।
उत्तर-
1. सत्य,
2. असत्य,
3. असत्य,
4. सत्य,
5. सत्य,
6. सत्य,
7. असत्य,
8. असत्य,
9. सत्य।

सही जोड़ी मिलाइए

I. ‘अ’ – ‘ब’

1. भारतेन्दु युग के निबन्धकार – (क) छायावाद युग
2. द्विवेदी युग के प्रमुख गद्य लेखक – (ख) शुक्लोत्तर युग
3. गोदान उपन्यास के रचयिता [2009] – (ग) प्रतापनारायण मिश्र
4. सन् 1920 से सन् 1936 का समय – (घ) सरदार पूर्णसिंह
5. हजारी प्रसाद द्विवेदी – (ङ) प्रेमचन्द
उत्तर-
1. → (ग),
2. → (घ),
3. → (ङ),
4. → (क),
5. → (ख)।

II. ‘अ’ – ‘ब’

1. वृन्दावन लाल वर्मा ‘राखी की लाज’ – (क) मुंशी प्रेमचन्द हैं
2. प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यासकार [2009] – (ख) उदयशंकर भट्ट हैं
3. गिरती दीवारें एकांकी के रचयिता – (ग) नाटक के रचयिता हैं
4. नाटक में [2010] – (घ) फणीश्वरनाथ रेणु’
5. शतरंज के खिलाड़ी कहानी के लेखक – (ङ) अनेक अंक होते हैं
उत्तर-
1. → (ग),
2. → (घ),
3. → (ख),
4. → (ङ),
5. → (क)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. हिन्दी में निबन्ध लेखन की शुरुआत कब हुई?
2. ‘नाटक’ शब्द किससे बना है?
3. इंशा अल्ला खाँ द्वारा लिखित ‘रानी केतकी’ कहानी है।
4. ईद और होली एकांकी के लेखक कौन हैं?
5. साहित्य-लोचन निबन्ध के लेखक कौन हैं?
6. कोटर और कटीर कहानी के लेखक कौन हैं?
7. राहुल सांकृत्यायन किस विधा के लिए प्रसिद्ध हैं?
8. किसी एक रेखाचित्रकार का नाम लिखिए।
9. नाटक सम्राट के रूप में विख्यात हैं।
10. उपन्यास सम्राट किसे कहा जाता है?
11. एकांकी में कितने अंक होते हैं? [2016]
उत्तर-
1. भारतेन्दु युग से,
2. ‘नट’,
3. हिन्दी की प्रथम कहानी,
4. सेठ गोविन्द दास,
5. श्यामसुन्दर दास,
6. सियारामशरण गुप्त,
7. यात्रावृत्तान्त के लिए,
8. महादेवी वर्मा,
9. जयशंकर प्रसाद,
10. मुंशी प्रेमचन्द,
11. एक अंक।

(ख) अति लघु उत्तरीय प्रश्न

गद्य की प्रमुख विधाएँ प्रश्न 1.
गद्य किसे कहते हैं? गद्य की परिभाषा लिखिए।
उत्तर–
सामान्य बोलचाल की शैली में गद्य ही प्रयुक्त होता है। छन्द, विधान एवं लय के बन्धन से मुक्त रचना गद्य कहलाती है।

Gadya Ki Vidhaye प्रश्न 2.
निबन्ध किसे कहते हैं? अध्ययन की दृष्टि से इसे हम कितने भागों में बाँट सकते हैं?
उत्तर-
निबन्ध गद्य साहित्य की एक विधा है। यह भाषा का व्यवस्थित और अनुशासित रूप है। अध्ययन की दृष्टि से इसे हम चार भागों में बाँट सकते हैं

  • भारतेन्दु युग,
  • द्विवेदी युग,
  • शुक्ल युग,
  • आधुनिक काल।

गद्य की विधाएँ प्रश्न 3.
उपन्यास के प्रमुख भेद बताइये।
उत्तर-
उपन्यास के प्रमुख भेद इस प्रकार हैं-

  • राजनैतिक उपन्यास,
  • सामाजिक उपन्यास,
  • ऐतिहासिक उपन्यास,
  • पौराणिक उपन्यास,
  • आंचलिक उपन्यास,
  • मनोवैज्ञानिक उपन्यास,
  • क्रान्तिकारी उपन्यास,
  • जासूसी उपन्यास।

Gadh Ki Vidhaye प्रश्न 4.
हिन्दी के प्रथम उपन्यास का नाम व उपन्यासकार का भी नाम लिखिए।
उत्तर-
हिन्दी का प्रथम उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ है। उपन्यास के रचयिता श्री निवासदास हैं।

Hindi Gadya Ki Vidhaye प्रश्न 5.
उपन्यास सम्राट कौन हैं? उनके किन्हीं चार उपन्यासों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर-
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द हैं। उनके उपन्यास इस प्रकार हैं

  • गबन,
  • कर्मभूमि,
  • निर्मला,
  • गोदान,
  • सेवा सदन,
  • रंगभूमि।

गद्य की प्रमुख विधाएं प्रश्न 6.
एकांकी से क्या अभिप्राय है? दो एकांकीकारों के नाम लिखिए। (2009)
उत्तर-
एकांकी का अर्थ होता है एक अंक वाला लघु नाटक। एकांकीकारों में डॉ. रामुकमार वर्मा और उदयशंकर भट्ट उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 7.
हिन्दी के प्रथम एकांकी का नाम लिखिए।
उत्तर-
हिन्दी के प्रथम एकांकी का नाम ‘वैदिकी हिंसा, हिंसा भवति’ है। इसके रचयिता भारतेन्दु हरिश्चन्द हैं।

प्रश्न 8.
हिन्दी की प्रथम कहानी कौन-सी है? लेखक का नाम भी लिखिए।
उत्तर-
हिन्दी की प्रथम कहानी ‘रानी केतकी’ है। इसके लेखक इंशा अल्ला खाँ हैं।

प्रश्न 9.
आंचलिक कहानी से क्या अभिप्राय है? किसी एक आंचलिक कहानीकार का नाम लिखिए।
उत्तर-
आंचलिक कहानी विशेष रूप से किसी ग्रामीण अंचल से सम्बन्ध रखती है। इसके अन्तर्गत सामाजिक समस्याओं का भी अंकन होता है। आंचलिक कहानीकारों में श्री फणीश्वरनाथ रेणु जी प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 10.
कुछ संस्मरण लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • महादेवी वर्मा,
  • वियोगी हरि,
  • बनारसीदास चतुर्वेदी,
  • पदमसिंह शर्मा,
  • हरिभाऊ उपाध्याय।

प्रश्न 11.
‘गद्य-काव्य’ किसे कहते हैं? कुछ गद्य-काव्य लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
गद्य को कलात्मक लय व अनुभूति के साथ प्रस्तुत करना गद्य-काव्य कहलाता है। कुछ गद्य काव्य लेखकों के नाम हैं-
रामवृक्ष बेनीपुरी,रायकृष्ण दास, वियोगी हरि आदि।

प्रश्न 12.
हिन्दी गद्य की दो नई विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
‘डायरी’ व ‘रिपोर्ताज’ गद्य साहित्य की दो नवीन विधाएँ हैं।

प्रश्न 13.
हिन्दी के कुछ प्रसिद्ध समालोचकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामचन्द्र शुक्ल, डॉ. नगेन्द्र, नन्ददुलारे वाजपेयी एवं डॉ. रामविलास शर्मा सुप्रसिद्ध समालोचक हैं।

प्रश्न 14.
शुक्ल युग के प्रमुख गद्यकारों के नाम लिखिए।
उत्तर-
रामचन्द्र शुक्ल, बाबू गुलाबराय, वियोगी हरि, डॉ. रामकुमार वर्मा, हरिकृष्ण प्रेमी, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी एवं हजारीप्रसाद द्विवेदी आदि हैं।

प्रश्न 15.
कुछ आत्मकथा लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, श्यामसुन्दर दास, हरिवंश राय बच्चन, महावीरप्रसाद द्विवेदी, पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ एवं बाबू गुलाबराय।

(ग) लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गद्य का प्रथम विकास किस रूप में हुआ? शुक्ल युग में किन-किन गद्य विधाओं की रचना हुई?
उत्तर-
गद्य का प्रथम विकास साधारण बोल-चाल की भाषा में हुआ। शुक्ल युग में गद्य की निम्न विधाओं की रचना हुई निबन्ध, कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, आलोचना, आत्मकथा, डायरी, जीवनी, रिपोर्ताज, संस्मरण, यात्रा-वृत्तान्त एवं रेखाचित्र आदि गद्य साहित्य की रचना हुई।

प्रश्न 2.
निबन्ध शब्द का अर्थ बताते हुए बाबू गुलाबराय के अनुसार निबन्ध की परिभाषा लिखिए। [2014]
अथवा
बाबू गुलाबराय के अनुसार निबन्ध की परिभाषा देते हुए हिन्दी साहित्य के दो निबन्धकारों के नाम लिखिए। [2016]
उत्तर-
निबन्ध’ शब्द नि + बन्ध से मिलकर बना है, जिसका अर्थ-अच्छी तरह बँधी हुई परिमार्जित प्रौढ़ रचना से है। निबन्ध अपने आधुनिक रूप में ‘ऐसे’ (Essay) शब्द का पर्याय है। अंग्रेजी में इसका अर्थ है-

प्रयत्न,प्रयोग अथवा परीक्षण। अभिप्राय यह है कि किसी विषय का भली-भाँति प्रतिपादन करना या परीक्षण करना निबन्ध कहलाता है।

बाबू गुलाबराय के अनुसार, “निबन्ध उस गद्य रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सौष्ठव और सजीवता तथा आवश्यक संगति और सम्बद्धता के साथ किया गया हो।”

हिन्दी साहित्य के प्रमुख निबन्धकार-प्रतापनारायण मिश्र,बालकृष्ण भट्ट,सरदार पूर्णसिंह, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, हजारीप्रसाद द्विवेदी।

प्रश्न 3.
निबन्ध लेखन की प्रमुख शैलियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
निबन्ध लेखन की प्रमुख शैलियाँ इस प्रकार हैं

  • भावात्मक,
  • विचारात्मक,
  • विवरणात्मक,
  • समीक्षात्मक,
  • विवेचनात्मक,
  • अलंकारिक शैली,
  • व्यंग्यात्मक शैली,
  • वर्णनात्मक शैली।

प्रश्न 4.
भारतेन्दु युग का नाम भारतेन्दु युग क्यों पड़ा?
अथवा
भारतेन्दु युग के निबन्धों की कोई चार विशेषताएँ बताइए। [2013]
उत्तर-
भारतेन्दु जी का विशिष्ट योगदान हिन्दी गद्य साहित्य के विकास में रहा है। उनकी महती सेवाओं को देखकर ही इस युग का प्रवर्तक व गद्य साहित्य का जनक भारतेन्दु जी को कहा जाता है। इस युग के निबन्धों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  • भाषा प्रवाह युक्त एवं बोधगम्य है,
  • हास्य व्यंग्य से परिपूर्ण है,
  • शैलियों में विविधता दिखायी देती है,
  • निबन्ध के विषयों में अनेकरूपता दृष्टिगोचर होती है,
  • इस युग के निबन्ध सरस ही नहीं अपितु प्राणदायक भी थे।

प्रश्न 5.
द्विवेदी युग के प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए तथा उस युग के निबन्धों की कुछ विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
द्विवेदी युग के प्रमुख दो गद्य लेखकों के नाम तथा कोई चार विशेषताएँ बताइए। [2012]
उत्तर-
द्विवेदी युग के प्रमुख लेखक अग्र प्रकार हैं

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रेमचन्द, बाबू गुलाबराय, डॉ. श्यामसुन्दर दास और सरदार पूर्णसिंह आदि।

द्विवेदी युग के गद्य (निबन्धों) की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  • भाषा सरल, सुबोध एवं परिष्कृत है,
  • शैली प्रवाहपूर्ण है,
  • हिन्दी गद्य व्याकरण सम्मत है,
  • खड़ी बोली का शुद्ध प्रयोग है,
  • नैतिकता,राष्ट्रीयता, समाज सुधार जैसे विषयों पर पर्याप्त गद्य लिखा गया है।

प्रश्न 6.
हिन्दी नाटकों के विकास को कितने भागों में बाँटा गया है, लिखते हुए भारतेन्दु युगीन दो नाटककारों के नाम लिखिए। [2014]
उत्तर-
हिन्दी नाटकों के विकास को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा गया है-

  • भारतेन्दु युगीन नाटक (1850 ई. से 1900 ई),
  • द्विवेदी युगीन नाटक (1901 ई. से 1920 ई),
  • प्रसाद युगीन नाटक (1921 ई.से 1936 ई),
  • प्रसादोत्तर युगीन नाटक (1937 ई. से आज तक)।

भारतेन्दु युगीन प्रमुख नाटककार

  • भारतेन्दु,
  • बालकृष्ण भट्ट,
  • राधाचरण गोस्वामी,
  • लाला श्रीनिवास दास आदि।

प्रश्न 7.
नाटक एवं एकांकी में कोई चार अन्तर लिखिए। [2013, 17]
अथवा
नाटक और एकांकी में कोई दो अन्तर लिखते हुए एक-एक रचना एवं रचनाकारों के नाम लिखिए। [2015]
नाटक-‘आषाढ़ का एक दिन’ (मोहन राकेश) एकांकी-‘अंधेर नगरी’ (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)।
उत्तर-
MP Board Class 10th Special Hindi गद्य की विविध विधाएँ img-2

प्रश्न 8.
जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ हैं-रोचकता, सरलता, सत्यता एवं स्पष्टता।

 

प्रश्न 9.
जीवनी को परिभाषित करते हुए किन्हीं दो जीवनी लेखकों एवं उनकी एक-एक जीवनी का नाम लिखिए। [2018]
उत्तर-
गद्य साहित्य की इस विधा में किसी महापुरुष के जीवन को व्यवस्थित रूप से रोचक शैली में प्रस्तुत किया जाता है। इस रचना को जीवनी कहा जाता है।

प्रमुख जीवनी लेखक एवं उनकी रचनाएँ

  • रामनरेश त्रिपाठी (मालवीय जी के साथ तीस दिन),
  • विष्णु प्रभाकर (आवारा मसीहा),
  • अमृतराय (कलम का सिपाही)।

प्रश्न 10.
यात्रावृत्त किसे कहते हैं? कुछ यात्रावृत्त लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
यात्रा के दौरान मिलने वाले दृश्यों का कलात्मक व तथ्यपरक गद्य लेखन ही यात्रावृत्त कहा जाता है। कुछ यात्रावृत्त लेखकों के नाम अग्र प्रकार हैं

  • राहुल सांकृत्यायन,
  • विनय मोहन शर्मा,
  • श्रीराम शर्मा,
  • धर्मवीर भारती,
  • काका कालेलकर तथा अज्ञेय आदि हैं।

प्रश्न 11.
रिपोर्ताज किसे कहते हैं? गद्य साहित्य में इसका स्थान लिखिए। कुछ प्रमुख रिपोर्ताज लेखकों के नाम लिखिए। [2010, 16]
उत्तर-
रिपोर्ट के कलात्मक और साहित्यिक रूप को रिपोर्ताज कहते हैं। इसमें किसी भी घटना या दृश्य का पूर्ण विवरण सूक्ष्म एवं रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। इसके द्वारा लेखक प्रतिपाद्य विषय को सरलता से पाठक के समक्ष प्रस्तुत करता है। इसमें पत्रकारिता के गुण होते हैं।

कुछ रिपोर्ताज लेखकों के नाम इस प्रकार हैं

  • बालकृष्ण राव,
  • धर्मवीर भारती,
  • डॉ. भगवतशरण उपाध्याय,
  • लक्ष्मीचन्द्र जैन,
  • विष्णुकान्त शास्त्री तथा
  • कन्हैयालाल मिश्र,
  • रांगेय राघव आदि हैं।

प्रश्न 12.
रेखाचित्र एवं संस्मरण में अन्तर बताइये। [2009]
उत्तर-
संस्मरण एवं रेखाचित्र दोनों ही गद्य विधा के पृथक्-पृथक् रूप हैं। संस्मरण में लेखक प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित किसी घटना,व्यक्ति अथवा वस्तु का वर्णन स्मृति के आधार पर करता है जबकि रेखाचित्र में किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना का चित्रात्मक वर्णन होता है।

प्रश्न 13.
हिन्दी आलोचना में रामचन्द्र शुक्ल का क्या योगदान है?
उत्तर-
हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में रामचन्द्र शुक्ल का सर्वश्रेष्ठ स्थान है। उन्होंने वह कार्य किया है,जो कि आज के लेखकों के लिए दिशा निर्देश करने वाला बना हुआ है। उन्होंने आलोचना के क्षेत्र में अभिव्यंजना शैली का प्रयोग करके भाषा को गरिमामय एवं प्रभावशाली बना दिया है।

प्रश्न 14.
रेडियो रूपक किसे कहते हैं? प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर-
रेडियो रूपक में मंच, अभिनय आदि के बिना ही ध्वनि द्वारा भाषा-शैली के द्वारा सजीव चित्रण करना होता है। प्रमुख रेडियो रूपक लेखक हैं-विष्णु प्रभाकर, उदयशंकर भट्ट आदि।

प्रश्न 15.
चरित्र प्रधान कहानी से क्या अभिप्राय है? कुछ कहानीकारों के नाम व कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
चरित्र प्रधान कहानी में किसी विशेष चरित्र को उभारा जाता है तथा उसके क्रियाकलाप मानव के मन मस्तिष्क में प्रभाव छोड़ें; ऐसा अंकन किया जाता है।

कहानीकार कहानियाँ कहानीकार कहानियाँ

  • मुंशी प्रेमचन्द कफन
  • जयशंकर प्रसाद ममता

प्रश्न 16.
उपन्यास किसे कहते हैं? किन्हीं दो उपन्यासकारों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर-
उपन्यास में मानव जीवन की विस्तृत कथा, चरित्र-चित्रण व कथोपकथन द्वारा प्रस्तुत की जाती है। मुंशी प्रेमचन्द, वृन्दावनलाल वर्मा प्रमुख उपन्यासकार हैं।

प्रश्न 17.
कहानी और उपन्यास में कोई चार अन्तर बताइये। [2012, 17]
उत्तर-
कहानी और उपन्यास में निम्नलिखित अन्तर हैं

  • कहानी जीवन के किसी एक खण्ड का चित्रण करती है तथा उपन्यास में सम्पूर्ण जीवन का चित्रण होता है।
  • कहानी में एक ही कथा होती है जबकि उपन्यास में मुख्य कथा के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक कथाएँ भी जुड़ी होती हैं।
  • कहानी का आकार लघु होता है जबकि उपन्यास अपेक्षाकृत बहुत बड़े आकार का होता है।
  • कहानी कम समय में सघन प्रभाव डालती है जबकि उपन्यास में प्रत्येक स्थल में वह प्रभावशीलता नहीं होती है।

प्रश्न 18.
जीवनी और आत्मकथा में अन्तर लिखिए। दोनों विधाओं की एक-एक रचना एवं उनके रचनाकारों के नाम लिखिए। [2099, 10]
अथवा
आत्मकथा और जीवनी में कोई दो अन्तर लिखते हुए एक-एक रचना एवं रचनाकारों के नाम लिखिए। [2015]
उत्तर-

  1. आत्मकथा में लेखक स्वयं अपने जीवन की कथा पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करता है जबकि जीवनी में लेखक इतिहासकार की तरह पूरी सच्चाई से किसी व्यक्ति के जीवन की जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी घटनाओं के बारे में लिखता है।
  2. जीवनी लेखन में लेखक तटस्थ रहकर लिखता है। आत्मकथा में लेखक अपने जीवन की घटना का वर्णन अपनी स्मरण शक्ति के आधार पर करता है।

आत्मकथा-‘मेरी कहानी (जवाहरलाल नेहरू)
जीवनी-‘कलम का सिपाही’ (अमृतलाल)।

प्रश्न 19.
दो उपन्यास एवं उपन्यासकारों तथा दो एकांकी एवं एकांकीकारों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर-
MP Board Class 10th Special Hindi गद्य की विविध विधाएँ img-3

प्रश्न 20.
रेखाचित्र और संस्मरण में दो अन्तर लिखिए एवं दोनों विधाओं की एक-एक रचना एवं उसके रचनाकार का नाम लिखिए।[2009]
अथवा
‘रेखाचित्र’ किसे कहते हैं? दो रेखाचित्रकारों के नाम उनकी कृति सहित लिखिए।
अथवा
संस्मरण किसे कहते हैं? रेखाचित्र और संस्मरण में तीन अन्तर लिखिए।
उत्तर-
रेखाचित्र-लेखक जब अपने सम्पर्क में आने वाले किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना आदि को अल्प शब्दों के माध्यम से सांकेतिक रूप से चित्रित करता है,तो उस कृति को रेखाचित्र कहते हैं।

संस्मरण-जब लेखक अपने सम्पर्क में आने वाली विशेष, अनोखी, प्रिय एवं आकर्षक घटनाओं, दृश्यों या व्यक्तियों को स्मृति के सहारे पुनः अपनी कल्पना में मूर्त करके शब्दों द्वारा चित्रण करता है, उसे संस्मरण कहते हैं।

रेखाचित्र एवं संस्मरण में तीन अन्तर निम्नलिखित हैं-

  • रेखाचित्र के चित्र अपूर्ण या खण्डित भी हो सकते हैं जबकि संस्मरण के शब्द चित्र सदैव पूर्ण होते हैं।
  • रेखाचित्र में सांकेतिक और व्यंजक होता है जबकि संस्मरण अभिधा मूलक होता है।
  • रेखाचित्र में कुछ शाब्दिक रेखाओं द्वारा ही विषय वस्तु की विशेषताओं को प्रस्तुत किया जाता है जबकि संस्मरण में विषयवस्तु का सर्वांगीण वर्णन होता है।

MP Board Class 10th Special Hindi गद्य की विविध विधाएँ img-4

प्रश्न 21.
पत्र-साहित्य किसे कहते हैं? किन्हीं दो पत्र-साहित्यकार एवं उनकी एक-एक कृति का नाम लिखए। [2018]
उत्तर-
किसी भी व्यत्ति/साहित्यकार द्वारा दूसरे व्यक्ति को भेजा गया लिखित संदेश जो अधिकांशतः गद्य शैली में लिख जाता है,को पत्र अथवा पत्र-साहित्य कहते हैं।

प्रमुख पत्र-साहित्यकार एवं उनकी कृतियाँ-

  • जवाहर लाल नेहरू (पिता के पत्र पुत्री के नाम),
  • बालमुकुन्द गुप्त (शिवशम्भु के चिठे),
  • विश्वभरनाथ शर्मा कौशिक’ (दुबे जी की चिट्ठी),
  • महावीर प्रसाद द्विवेदी (पत्रावली में संकलित पत्र)।

MP Board Class 10th Hindi Solutions

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 4 सुभाषितानि

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 4 सुभाषितानि (पद्यम्) (सङ्कलितम्)

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 4 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

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Class 10 Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 1.
एकान उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए)।
(क) गङ्गा किं हन्ति? (गङ्गा क्या नष्ट करती है?)
उत्तर:
पापम् (पाप को)

(ख) केतकीगन्धम् आघ्राय के स्वयम् आयान्ति? (केवड़े की गन्ध को सूंघकर कौन स्वयं आ जाते हैं?)
उत्तर:
षट्पदाः (भौरे)

(ग) सर्वोत्तमं भूषणं किम् अस्ति? (सबसे उत्तम आभूषण क्या है?)
उत्तर:
वाग्भूषणम् (वाणी)

(घ) प्रीतिरसायनं किम् अस्ति? (प्रेमरूपी रस का आश्रय क्या है?)
उत्तर:
मित्रम् (मित्र)

(ङ) सर्वस्य के परीक्ष्यन्ते? (सबकी क्या परीक्षा की जाती है?)
उत्तर:
स्वभावः (स्वभाव)

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Sanskrit Class 10 Chapter 4 MP Board प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए-)
(क) केषां कृते महोदधिः अपारो नास्ति? किसके लिए महान् समुद्र अगम्य नहीं है?)
उत्तर:
व्यवसायद्वितीयानां कृते पहोदधिः अपारो नास्ति। (उद्यमशील लोगों के लिए महान् समुद्र अगम्य नहीं है।)

(ख) अर्थेः समायुक्तोऽपि कः परिभवपदं याति? (धन से युक्त होते हुए भी कौन पराजयता को प्राप्त होता है?)
उत्तर:
अर्थैः समायुक्तोऽपि कृपणः परिभवपदं याति। (धन से युक्त होते हुए भी कंजूस व्यक्ति पराजय को प्राप्त होते हैं।)

(ग) सन्तः कानि घ्नन्ति? (सज्जन क्या नष्ट करते हैं?)
उत्तर:
सन्तः पापं, तापं दैन्यं च ध्नन्ति। (सज्जन लोग पाप, ताप और दीनता का नाश करते हैं।)

(घ) कान् अतीत्य कः मूर्ध्नि वर्तते? (किसको छोड़कर क्या सर्वोच्च है?)
उत्तर:
सर्वान् गुणान् अतीत्य स्वभावः मूर्ध्नि वर्तते। (सब गुणों को छोड़कर स्वभाव सर्वोच्च है।)

(ङ)
कीदृशो वह्रि स्वयम् उपशाम्योते? (कैसी अग्नि स्वयं शान्त हो जाती है?)
उत्तर:
अतृणे पतितः वह्निः स्वयम् उपशाम्यति। (तिनके से रहित गिरी हुई अग्नि स्वयं शान्त हो जाती है।)

MP Board Class 10 Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए)
(क) दानेन कानि-कानि भवन्ति? (दान से क्या-क्या होता है?)
उत्तर:
दानेन भूतानि वशीभवन्ति, वैराणि नाशं यान्ति, परः अपि बन्धुत्वम् उपैति, सर्वव्यसनानि च हन्ति। (दान से प्राणी वश में होते हैं, शत्रुभाव नष्ट हो जाता है, पराये भी अपने हो जाते हैं और सब बुरी आदतों का नाश होता है।)

(ख) पुरुष के न विभूषयन्ति? (पुरुष को क्या शोभा नहीं देते?)
उत्तर:
पुरुषः केयूराः न, चन्द्रोज्ज्वलाः हाराः न, स्नानं न, विलेपन न, कुसुमं न, अलङ्कताः मूर्धजा न विभूषयन्ति।

(पुरुष न बाजूबन्द, न चन्द्रमा जैसे उचल हार, न स्नान, न चन्दन आदि के लेप, न फूल और न सुसज्जित केशां से सुशोभित होता है।)

(ग) बुधजनसकाशात् मे किमभवत्? (विद्वानो की सङ्गति से मेरा क्या हुआ?)
उत्तर:
बुधजनसकाशात् मे मदः ज्वर इव व्यपगतः।
(विद्वानों की सङ्गति में मेरा अभिमान ज्वर के समान दूर हो गया।)

Chapter 4 Sanskrit Class 10 MP Board प्रश्न 4.
रिक्तस्थानानि पूरयत
(दिए हुए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-.)
(क) दानेन …………… वशी भवन्ति। (भूतानि/प्रेताः)
(ख) द्युतिं सैंही …………… किं धृतकनकमालोऽपि लभते। (श्वा/अश्वाः )
(ग) केतकीगन्धमानाय स्वयमायान्ति ……………। (आपदाः/षट्पदाः)
(घ) क्षमाशस्त्रं करे यस्य …………… किं करिष्यति। (सज्जनः/दुर्जनः)
(ङ) अतीत्य हि गुणान्सर्वान् …………… मूर्ध्नि वर्तते। (स्वभावो/दुर्भावो)
उत्तर:
(क) भूतानि
(ख) श्वा
(ग) पट्पदाः
(घ) दुर्जनः
(ङ) स्वभावो

सुभाषितानि श्लोक अर्थ सहित Class 10 प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत-(उचित क्रम से मिलाइए-)
Class 10 Sanskrit Chapter 4 MP Board Solutions सुभाषितानि
उत्तर:
(क) 2
(ख) 1
(ग) 4
(घ) 5
(ङ) 3

Class 10th Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं ‘न’ इति लिखत- (शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम’ तथा अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए-)
(क) अलङ्कताः मूर्धजाः पुरुषं विभूषयन्ति।
(ख) संस्कृता वाणी पुरुष समलङ्करोति।
(ग) तृणे पतितो वह्निः स्वयमेवोपशाम्यति।
(घ) दानेन परोऽपि बन्धुत्वमुपैति।
(ङ) धृतकनकमालो श्वा सैंहीं द्युतिं लभते।
उत्तर:
(क) न
(ख) आम्
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न।

Sanskrit Chapter 4 Class 10 MP Board प्रश्न 7.
अधोलिखितक्रियापदानां लकारं पुरुषं वचनं च लिखत-(नीचे लिखे क्रियापदों के लकार, पुरुष और वचन लिखिए।)
Sanskrit Class 10 Chapter 4 MP Board सुभाषितानि
उत्तर:
MP Board Class 10 Sanskrit Chapter 4 Solutions सुभाषितानि

संस्कृत श्लोक 10 वीं कक्षा MP Board प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं पर्यायशब्दं लिखत-(उदाहरण के अनुसार पर्यायवाची शब्द लिखिए)
यथा- गङ्गा – देवनदी
(क) सन्तः
(ख) शिखरः
(ग) वीरः
(घ) षट्पदाः
(ङ) नयनयोः
उत्तर:
(क) सन्तः – सज्जनाः
(ख) शिखरः – तुंगः
(ग) वीरः – शूरः
(घ) षट्पदाः – भ्रमराः
(ङ) नयनयोः – नेत्रयोः

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 9.
रेखात्तिपदान्याधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-(खांकित्त पदों के आधार पर प्रश्न बनाइए।)
(क) ते सर्वत्र मिलन्ति। (वे सब जगह मिलते हैं।)
उत्तर:
के सर्वत्र मिलन्ति? (कौन सब जगह मिलते हैं?)

(ख) दानेन वैराण्यपि नाशं यान्ति। (दान से शत्रुभाव नष्ट होता है।
उत्तर”
केन वैराण्यपि नाशं यान्ति? (किससे शत्रुभाव नष्ट होता है?)

(ग) कृपणः परिभवपदं याति। (कंजूस पराजयता को प्राप्त होता है।)
उत्तर:
कः परिभवपदं याति? (कौन पराजयता, को प्राप्त होता है ?)

(घ) मे मदः ज्वर इव व्यपगतः। (मेरा घमण्ड ज्वर के समान दूर हो गया।)
उत्तर:
कस्य मदः ज्वर इव व्यपगतः? (किसका घमण्ड ज्वर के समान दूर हो गया?)

(ङ) केयूराः पुरुषं न विभूषयन्ति। (बाजूबन्द पुरुष को शोभा नहीं देते।)
उत्तर:
केयूराः कं न विभूषयन्ति? (बाजूबन्द किसको शोभा नहीं देते?)

Class 10 Sanskrit Chapter 4 Question Answer प्रश्न 10.
श्लोकपूर्ति कुरुत। (श्लोक पूरा कीजिए।)
उत्तर:
(क) गङ्गा पापं शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तथा।
पापं तापं च दैन्यं च घ्नन्ति सन्तोमहाशयाः॥

(ख) नात्युच्चशिखरो मेरु नातिनीचं रसातलम्।
व्यवसायद्वितीयानां नाप्यपारो महोदधिः॥

(ग) गुणाः कुर्वन्ति दूतत्वं दूरेऽपि वसतां सताम् ।
केतकी गन्धमाघ्राय स्वयमायान्ति षट्पदाः॥

(घ) क्षमाशस्त्रं करे यस्य दुर्जनः किं करिष्यति।
अतृणे पतितो वह्निः स्वयमेवोपशाम्यति॥

(ङ) सर्वस्य हि परीक्ष्यन्ते स्वभावाः नेतरेः गुणाः।
अतीत्य हि गुणान्सर्वान् स्वभावो मूर्धिन वर्तते॥

योग्यताविस्तार –

पाठे समागतान् श्लोकान् कण्ठस्थं कुरुत।
(पाठ में आए हुए लोकों को कण्ठस्थ करो।)

पाठ्यपुस्तकेतराणि सुभाषितानि पठत।।
(पाठ्यपुस्तक से अलग सुभाषित श्लोक पढ़ो।)

पाठ्यपुस्तकेतरान् दशसुभाषितश्लोकान् लिखत।
(पाठ्यपुस्तक से अलग दस सुभाषित श्लोक लिखो।)

सुभाषितानि पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में ऐसे श्लोकों का संग्रह है, जिनसे मनुष्य को जीवन में अच्छे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। इनमें सज्जन व दान की, परिश्रमी व वीर पुरुषों की, गुण की, वाणी की, क्षमा की प्रशंसा, मित्र का स्वरूप, स्वभाव की महिमा तथा अल्पज्ञानी के स्वभाव की चर्चा की गई है।

सुभाषितानि पाठ का अनुवाद

1. गङ्गा पापं शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तया।
पापं तापं च दैन्यं च ध्नन्ति सन्तोमहाशयाः॥1॥

अन्वय :
गङ्गा पापं, शशी तापं कल्पतरुः च दैन्यं (घ्नन्ति) तथा सन्तो महाशयाः पापं तापं दैन्य च (त्रीणि अपि) घ्नन्ति।

शब्दार्था:
शशी-चन्द्रमा-Moon; दैन्यम्-दीनता/गरीबी-humbleness, poverty, indigence, घ्नन्ति-नाश करते हैं-destroy, uproot.

अनुवाद :
गंगा पाप का, चन्द्रमा ताप (गर्मी) का और कल्पवृक्ष गरीबी का नाश करते हैं। वैसे ही महान (संत) लोग पाप, ताप व दीनता तीनों का ही नाश करते हैं।

English :
The saints uproot sin, heat and poverty. They have the qualities of the ganges, the moon and the kalpa tree.

2. दानेन भूतानि वशीभवन्ति दानेन वैराण्यपि यान्ति नाशम्।
परोऽपि बन्धुत्वमुपैति दानैर्दानं हि सर्वव्यसनानि हन्ति॥2॥

अन्वय :
दानेन भूतानि वशीभवन्ति, दानेन वैराणि अपि नाशं यान्ति, दानैः परः अपि बन्धुत्वम् उपैति, हि दानं सर्वव्यसनानि हन्ति ।।

शब्दार्था :
भूतानि-प्राण-animate creatures, वैराणि-शत्रुभाव-enmity; उपैति-बन जाता है-turns into, becomes.

अनुवाद :
दान के द्वारा सभी प्राणी वश में किए जाते हैं, दान के द्वारा शत्रुभाव का भी नाश किया जाता है, दान के द्वारा पराये भी अपने बन जाते हैं, क्योंकि दान सब बुरी आदतों को हर लेता है।

English :
Generosity controls human beings (creatures), removes enmity, befriends enemies and uproots vices.

3. नात्युच्चशिखरो मेरुनातिनीचं रसातलम् ।
व्यवसायद्वितीयानां नाप्यपारो महोदधिः॥3॥

अन्वय :
व्यवसायद्वितीयानां कृते मेरुः शिखरो अत्युच्चः न, रसातलम् अतिनीचं न, महोदधिः अपि अपारो न।

शब्दार्था :
व्यवसायद्वितीयानाम्-उद्यमशील लोगों के लिए-for the adventurous people; अत्युच्चः-अत्यन्त ऊँचा-lofty, very high, रसातलम्-पृथ्वी के नीचे का रसातल नामक छठा लोक-nether region, अपारः-अगम्य-inaccessible.

अनुवाद :
उद्यमशील (परिश्रमी) लोगों के लिए मेरू शिखर अत्यन्त ऊंचा नहीं है, रसातल (पृथ्वी के नीचे का लोक) बहुत नीचा नहीं है, बहुत बड़ा समुद्र भी अगम्य (न पार करने योग्य) नहीं है। अर्थात् परिश्रमी व्यक्तियों के लिए कोई भी कार्य असम्भव नहीं है।)

English :
Adventurous people have access to all the places under the earth, on the earth and above the earth.

4. विनाप्यर्थैर्वीरः स्पृशति बहुमानोन्नतिपदं,
समायुक्तोप्यर्थैः परिभवपदं याति कृपणः।
स्वभावादुद्भूतां गुणसमुदयावाप्तिविषयां,
युतिं सैंही श्वा किं धृतकनकमालोऽपि लभते॥4॥

अन्वय P\वीरः अर्थेः विना अपि बहुमानोन्नतिपदं स्पृशति, कृपणः अर्थः समायुक्तः अपि परिभवपदं याति, गुणसमुदयावाप्तिविषयां स्वभावाद् उद्भूतां सैंही द्युतिं धृतकनकमालो श्वा अपि किं लभते?

शब्दार्था :
अथैः विना-धन से रहित-devoidof riches (money), बहुमानोन्नतिपदम्अत्यन्त सम्मान एवं उन्नति के स्थान.को-Position of respect and progress, परिभवपदम्-पराजयता को-defeat, गुणसमुदयावाप्तिविषयाम्-गुणों के समुदाय को प्राप्त कराने वाली को-whichcauses theattainmentofheapofvirtues, सैंही द्युतिम्-सिंह की कान्ति को-The grace of the lion, धृतकनकमालः-स्वर्णमाला को धारण करने वाला-Wearing golden necklace, श्वा-कुत्ता-a dog.

अनुवाद :
वीर पुरुष धन के बिना भी अत्यधिक सम्मान एवं उन्नति के स्थान को छू लेता है, कंजूस व्यक्ति, धन से युक्त होते भी पराजयंता को प्राप्त होता है। स्वभाव से गुणों के समुदाय को प्राप्त कराने वाली सिंह की कान्ति को स्वर्णमाला को धारण करने वाला कुत्ता भी क्या प्राप्त कर सकता है?

English :
Money is no criterion for greatness. A dog with ornaments can not match a lion in grace.

5. गुणाः कुर्वन्ति दूतत्वं दूरेऽपि वसतां सताम्।
केतकीगन्धमाघ्राय स्वयमायान्ति षट्पदाः॥5॥

अन्वय :
दूरे अपि वसतां सतां गुणाः दूतत्वं कुर्वन्ति, षट्पदाः केतकीगन्धम् आघ्राय स्वयम् आयान्ति। – शब्दार्थाः-दूतत्वम्-दूत के कार्य-duty of messenger, सताम्-सज्जनों के-of the noble persons, षट्पदाः-भौरे-Black bee केतकीगन्धम्-केवड़े के गन्ध को-smell of ‘ketaki’, आघ्राय-सूंघकर-smelling.

अनुवाद :
दूर रहते हुए भी सज्जनों के गुण दूत के कार्य करते हैं, भौरे केवड़े की गन्ध को सूंघकर स्वयं ही आ जाते हैं।

English :
Virtues reveal themselves from a distance. The smell of flowers attracts black bees.

6. केयूरा न विभूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्वलाः.
न स्नानं न विलेपनं न कुसुमं नालङ्कता मूर्धजाः।
वाण्येका समलङ्करोति पुरुष या संस्कृता धार्यते,
क्षीयन्ते खलु भूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम्।।6।।

अन्वय :
पुरुषं केयूराः न, चन्द्रोज्ज्वलाः हाराः न, स्नानं न, विलेपनं न, कुसुमं न, अलङ्कताः मूर्धजाः न विभूषयन्ति, एका वाणी (एव) पुरुषं समलङ्करोति या संस्कृता धार्यते, भूषणानि खलु सततं क्षीयन्ते, वाग्भूषणं भूषणम् (अस्ति)।

शब्दार्था:
विलेपनम्-चन्दनादि सुगन्धित पदार्थों के लेप-bemearing with fragrant pastes, मूर्धजाः-केश-hair, समलङ्करोति-सुशोभित करती है-adorn, संस्कृतासंस्कारमयी-cultured, polished, क्षीयन्ते-नष्ट हो जाते हैं-decay.

अनुवाद :
मनुष्य न बाजूबन्द से, न चन्द्रमा के समान उज्ज्वल हार से, न स्नान से, न चन्दनादि सुगन्धित पदार्थों के लेप से, न फूलों से, न सुसज्जित केश से सुशोभित होता है। एक वाणी ही मनुष्य को सुशोभित करती है, जो संस्कारित रूप से धारण की जाती है। आभूषण तो निरन्तर नष्ट हो जाते हैं, वाणी रूपी आभूषण ही सच्चा आभूषण है।

English :
Ornaments and pastes fail to adorn a person. Cultured speech beautifies one’s personality. Speech is the real ornament which never loses its lustre (fades).

7. क्षमाशस्त्रं करे यस्य दुर्जनः कि करिष्यति।
अतणे पतितोः वद्धिः स्वयमेवोपशाम्यति॥7॥

अन्वय :
यस्य करे क्षमाशस्त्रं (विद्यते), (तस्य) दुर्जनः किं करिष्यति? (यथा) अतृणे पतितः वह्निः स्वयम् एव उपशाम्यति।

शब्दार्था :
अतृणे-तृण (घास) से रहित-withoutstraw (grass), उपशाम्यति-उपशमित हो जाता है-extinguishes..

अनुवाद :
जिसके हाथ में क्षमा रूपी शस्त्र होता है, उसका दुष्ट व्यक्ति क्या कर सकता है? जैसे तिनके से रहित गिरी हुई अग्नि स्वयं ही शान्त हो जाती है।

English :
An enemy cannot harm a forgiving person. The fire lying on bare ground gets extinguished.

8. मित्रं प्रीतिरसायनं नयनयोरानन्दनं चेतसः
पात्रं यत्सुखदुःखयोः सह भवेन्मित्रेण तद् दुर्लभम्।
ये चान्ये सुहृदः समृद्धिसमये द्रव्याभिलाषाकुला
स्ते सर्वत्र मिलन्ति तत्त्वनिकषग्रावा तु तेषां विपत्॥8॥

अन्वय :
मित्रं प्रीतिरसायनं, नयनयोः चेतसः (च) आनन्दनं, यत् मित्रेण सह सुखदुःखयोः पात्रं भवति तदुर्लभम्, ये च अन्ये सुहृदः समृद्धिसमये द्रव्याभिलाषाकुलाः (भवन्ति) ते सर्वत्र मिलन्ति, तेषां (कृते) विपत् तु तत्त्वनिकषग्रावा (इव भवति)।

शब्दार्था :
प्रीतिरसायनम्-प्रेमरूपी रस का आश्रय-uf the heart, चेतसः-चिन्न का-of the heart, आनन्दनम्-आनन्दित करने वाला-which delights, अन्ये-दूसरे-others; द्रव्याभिलाषाकुलाः-धन प्राप्ति की कामना करने वाले-those who crave for attainment of wealth; तत्त्वनिकषग्रावा-तत्त्व रूपी कसौटी का पत्थर-touchstone.

अनुवाद :
प्रेमरूपी रस का आश्रय मित्र नेत्रों व मन को आनन्दित करने वाला होता है। जो मित्र के साथ सुख-दुख का भागी होता है, वह (मित्र) मुश्किल से मिलता है और जो, दूसरे, मित्र की खुशहाली के समय पर धन प्राप्ति की कामना करने वाले होते हैं, वे सब जगह मिलते हैं, उनके लिए विपत्ति तो तत्त्व रूपी कसौटी का पत्थर समान है।

English :
A loving friend delights one’s eyes and heart. Shares weal and woe of a friend. He is rare. A false friend sticks during prosperity but leaves in adversity.

9. सर्वस्य हि परीक्ष्यन्ते स्वभावा नेतरे गुणाः।
अतीत्य हि गुणान्सर्वान्स्वभावो मूर्ध्नि वर्तते॥9॥

अन्वय:
सर्वस्य स्वभाषाः हि परीक्ष्यन्ते, इतरे गुणाः न, हि सर्वान् गुणान् अतीत्य स्वभावो मनि वर्तते।

शब्दार्था :
परीक्ष्यन्ते-परीक्षा की जाती है-is tested, अतीत्य-छोड़कर-surpassing, leaving behind, मूर्जि-मस्तक पर (सर्वोच्च)-on the head, above all.

अनुवाद :
सबके स्वभाव की ही परीक्षा की जाती है, दूसरे गुणों की नहीं, क्योंकि सब गुणों को छोड़कर स्वभाव सर्वोच्च है।

English :
Nature is above other virtues. It is tested everywhere leaving aside other qualities.

10. यदा किञ्चिज्ज्ञोऽहं गज इय मदान्धः समभवं,
तदा सर्वज्ञोऽस्मीत्यभवदवलिप्तं मम मनः।
यदा किञ्चित् किञ्चिद् बुधजनसकाशादवगतं
तदा मूखोऽस्मीति ज्वर इव मदो मे व्यपगतः॥10॥

अन्वय :
यदा अहं किञ्चिद् ज्ञः (आसम्) तदा (अह) गज इव मदान्धः समभवम्, सर्वज्ञः अस्मि इति मम मनः अवलिप्तम् अभवत्। यदा किञ्चित् किञ्चिद् बुधजनसकाशात् अवगतं तदा मूर्खः अस्मि इति मे मदः ज्वर इव व्यपगतः।

शब्दार्था :
किञ्चिज्ज्ञः-थोड़ा जानने वाला-having lesser knowledge, मदान्धः-घमण्ड में चूर-vain, full of pride, अवलिप्तम्-अभिमानी-proud, बुधलनराकाशात्-विद्वानों की सङ्गति से-Incompanyof the wise,अवगतम्-जाना-knew, व्यपगतः-दूर हो गया-removed, abated.

अनुवाद :
जब मैं थोड़ा जानने वाला होता, तब मैं हाथी के समान घमण्ड में चूर हो जाता, मैं सब जानता हूँ, ऐसा मेरा मन अभिमानी हुआ। जब थोड़ा-थोड़ा विद्वानों की सङ्गति से जाना, तब ‘मैं मूर्ख हूँ’ ऐसा मेरा अभिमान (घमण्ड) बुखार के समान दूर हो गया।

English :
Aman with lesser knowledge is proud like an elephantthinks himself knowledgeable-Pride shattered when came in association with learned persons.

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 1 Resources of India: Soil, Water, Forest and Wild Life

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 1 Resources of India: Soil, Water, Forest and Wild Life

MP Board Class 10th Social Science Chapter 1 Text book Exercise

Objective Type Questions

MP board class 10th social science chapter 1 Question 1.
Multiple Choice Questions
(Choose the correct answer from the following)

MP board class 10 social science chapter 1 solution Question 1.
Which factor does not help in the formation of the soil?
(a) Wind and water
(b) Decomposed plants and animals
(c) Rocks and temperature
(d) Water accumulation.
Answer:
(a) Wind and water

MP Board 10th Maths Solution

resources of india class 10 Question 2.
Which soil is generally found in the delta region of Andhra Pradesh and Orissa and the plains of Ganges?
(a) Red soil
(b) Alluvial soil
(c) Black soil
(d) Laterite soil.
Answer:
(b) Alluvial soil

social science class 10 MP board Question 3.
In which region, the method of making contour bunds is used for soil conservation?
(a) Delta region
(b) Plateau region
(c) Hills
(d) Plains
Answer:
(c) Hills

chapter 1 social science class 10 MP board Question 4.
Man uses the most?
(a) underground water
(b) Oceanic Water
(c) Surface Water
(d) Atmospheric Water
Answer:
(a) underground water

class 10 social science MP board Question 5.
Which of the following states is known as Tiger state?
(a) Rajasthan
(b) Madhya Pradesh
(c) Uttarakhand
(d) Assam.
Answer:
(b) Madhya Pradesh

class 10 social science chapter 1 MP board Question 6.
The founder of Vanmahostava was?
(a) Mahatma Gandhi
(b) Pt.Jawaharlal Nehru
(c) K.M. Munshi
(d) Acharya Vinobha Bhave
Answer:
(c) K.M. Munshi

MP board class 10th social science solution in english Question 7.
Most forested state is –
(a) Madhya Pradesh
(b) Uttar Pradesh
(c) Assam
(d) Tamil Nady.
Answer:
(c) Assam

class 10 social science MP board chapter 1 Question 8.
Ghana Bird Santuary is located in –
(a) Kerala
(b) Rajasthan
(c) West Bengal
(d) Madhya Pradesh
Answer:
(b) Rajasthan

social science class 10 chapter 1 Question 2.
Fill in the blanks:

  1.  ………………. has an important place in Joint Forest Management System.
  2.  Social Forestry Scheme is getting financial assistance from ……………….
  3.  Forest Fire Control Project is working in association with ……………….
  4.  ……………….. and are ……………… established to protect and conserve wild life.

Answer:

    1.  Forest protection
    2.  World Bank
    3.  W.W.F.
  1.  Sancturay, Naitonal Parks.

class 10th social science chapter 1 Question 3.
MP board class 10th social science chapter 1 Resources of India: Soil, Water, Forest and Wild Life
Answer:

  1. (a)
  2. (c)
  3. (b)
  4. (e)
  5. (d)

MP Board Class 10th Social Science Chapter 1 Very Short Answer Type Questions

social science class 10 MP board solutions Question 1.
What is meant by soil erosion?
Answer:
Removal of soil at a large scale from one place to another by some natural agent is known as soil erosion.

MP board class 10th social science solution Question 2.
What do you mean by soil conservation?
Answer:
The ever increasing population resulted in the destruction of natural resources. Therefore, to prevent destruction soil conservation is necessary. There are various methods of soil conservation.

resources of india class 10 MP board Question 3.
What are the sources of underground water?
Answer:
Rain water is a main source of underground water. Some part of rain water is soaked by the land. Rest of the water percolates and is collected below the surface as underground water.

class 10 social science chapter 1 Question 4.
What is the basis of modified forest policy of 1988?
Answer:
The main basis of modified forest policy is to maintain environmental stability, to conserve the natural heritage and to check on soil erosion.

social science class 10 MP board chapter 1 Question 5.
What is the basis of the success of social forestry?
Answer:
This programme of plantation has been started in association with World Bank. It aims to plant useful trees in waste lands, road side and canal embankments near villages. One tree for every child’ this slogan is developed in schools and colleges. People’s participation is increased by publishing Vanmahotsava and by farm forestry, by planting trees road side, railway side and canal embankments.

class 10 MP board social science chapter 1 Question 6.
Why Indian Institute of Forest Management had been established?
Answer:
This institute had been established in Ahemdabad in 1978 in collaboration with a Swidish Company for the development of the forest. Central Government has also established Indian Institute of Forest Management in Bhopal for training, research and consultancy purposes.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 1 Short Answer Type Questions

class 10th MP board social science chapter 1 Question 1.
What is meant by soil profile? Explain?
Answer:
Soil profile is the sequence, colour, texture and nature of the horizons (layers) superimposed one above the other and exposed in a pit – section dug through the soil mantle,

  1.  Upper most layer is top soil
  2.  Second layer is sub soil
  3.  Third layer is weathered parent rock material
  4.  Fourth layer consists of parent rocks.

Top soil of the upper most layer is the real soil. Its important characteristic is the presence of humans and organic matter. Second layer is sub soil which consists of rocks, sand particles and clay. Third layer consists of weathered parent rock material and the fourth layer is made of parent rocks.

MP board 10th class social science book solutions Question 2.
What is importance of soil in human life? Explain?
Answer:
Soil is very important for human life, especially for farmers. Human life depends on soil. All living organisms get their food directly or indirectly from soil. We get cotton, silk, jute and wool for making
clothes from soil, either directly or indirectly, e.g. sheep eats grass and gives us wool, silk worms survive on vegetation and vegetation grows in soil. Our industries like animal rearing, agriculture and forest – based industries all depend on soil. So soil is the basis of our life. According to Wil Cox, ‘The history of civilization is the history of the soil and the education of the individual begins from the soil.’

class 10th social science MP board Question 3.
Differentiate between Red Soil and Laterite Soil ?
Answer:
Red Soil:

  1. Red soil is formed due to weathering of igneous and metamorphic rocks.
  2. It is highly porous and less fertile but where it is deep it is fertile.
  3. It is less crystalline.
  4. It is red in colour due to the presence of iron in it.
  5. It occurs in part of Tamilnadu, Karnataka, Orissa, Jharkhand and Andhra Pradesh.

Laterite Soil:

  1. Laterite soil is formed by the leaching process in the heavy rainfall areas of tropical India.
  2. It is less fertile, only grass grows on it in abundance.
  3. It is crystalline.
  4. It is red in colour due to little clay and much gravel of red sandstones.
  5. It is found is hills of the Deccan, Karnataka, Orissa, Assam, Megha­laya and Kerala.

class 10th social science chapter 1 MP board Question 4.
What are the measures of water conservation?
Answer:
The judicious utilization, conservation and management of water resources is necessary. In the view of the limited water available, increasing demand and its uneven availability it has become imperative to conserve the water resources. Following three steps are essential in this direction:

  1.  To collect the rainwater and stop it from draining off.
  2.  Scientific management of the water resources of all the river watersheds minor to major.
  3.  Prevention of water resources from pollution.

MP board solution class 10 social science Question 5.
Rain water harvesting is important. Why?
Answer:
Natural water is precious but abundantly available during rainy season. But due to carelessness of the people it goes wasted. We know that the crisis of fresh and pure water has became a world wide problem. So it is call of time to collect such a huge quantity of water by constructing reservoir on the roof or nearby the house or roadways.

Question 6.
Conservation of forest is necessary, why?
Answer:
Conservation of forests is necessary, because of the following:

  1. Plants provide food for men and animals.
  2. They help in the maintenance of ecosystem.
  3. They give oxygen necessary for the survival of men and animals.
  4. They provide us timber for building, doors, houses, etc.
  5. They give us herbal medicines.
  6.  They help in soil erosion.

Question 7.
Explain forest based industries?
Answer:
Forests provide a large number of minor produce which are essential for industries such as lac, tanning materials, gum, honey, katha, wax, resins, bamboo, medicinal herbs, horn and hides of animals etc. Forests provide materials for basic industries i.e., wood is useful raw material for several industries like paper, match, lac, leather, oil and herbal medicines. Small scale industries developed from the minor forest provide like tendupatta, cane, honey, wax, etc.

Question 8.
How does forest control the climate?
Answer:
It is necessary for a country to have a proper echological balance. A country should therefore have at least one third of its land area covered with the forests. A larger area under forest is must for absorption of carbon – di – oxide, the accumulation of which is likely to accentuate green house effect. This ‘effect’ may further give rise to general increase in temperature globally and ultimately melt the icecaped areas of the world. This would cause great loss to the life and property of the people living in low lying areas of the world. Thus, the forests would vanish by these natural calamities brought by the man.

Question 9.
Write down the chief characteristics of Forests Policy of December 1988?
Answer:
The following are the chief characteristics of the Forests Policy of Decemeber 1988:

  1. Substantial increase in forest tree cover through massive forestation and social forestry programmes.
  2. Steps to meet requirements of fuel wood, fodder and minor forest produce and timber for tribal and rural populations.
  3. Increase in productivity of forest to meet the national needs.
  4. Encouragement of efficient utilisation of forest produce and optimum substitution of wood.
  5. Steps to massive people’s movement with involvement of women to achieve the objective and minimise pressure on existing forests.

Question 10.
What is Social Forestry Scheme?
Answer:
Social Forestry Scheme means the scheme for an awareness of tree plantation with the help of government and non – governmental institution. There is a known slogan ‘one tree for every child’ geared up to the students of schools and colleges is a serious measure to implement this variety of ecological scheme. This scheme of plantation is started in association with World Bank.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 1 Long Answer Type Questions

Question 1.
What is soil? Describe different types of soil, their characteristics and distribution?
Answer:
The – uppermost layer of the earth’s crust, which is useful for cultivations and the basic resource of agriculture is called soil. The soils of India are:

  1. Alluvial soil
  2. Black soil
  3. Red soil, and
  4. Laterite soil.

1. Alluvial Soil:
Alluvial soil is considered to be a most fertile soil which forms the largest and the most important soil group of India. It contributes the largest share to the country’s agricultural production.

(a) Area:
Alluvial soil covers about 43.7% of the total land area under cultivation. The entire northern plain of India is made up of alluvial soil.

(b) Composition:
These soils are made up of new alluvium and old alluvium. These soils contain fine particles of soil called alluvium. The soil is called new and old depending upon their period of deposit.

(c) Fertility:
Alluvium soils are very fertile soils as they contain adequate amount of potash, phosphoric acid and lime. All the river basin generally have alluvial soils. It supports over half the Indian population.

2. Black Soil:
These soils are black in colour and are very suitable for the cultivation of cotton.

(a) Area:
These soils are spread all over the Deccan trap and are made up of lava flows. They cover the plateaus of Maharashtra, Saurastra, Malwa and southern Madhya Pradesh and extend eastwards in the south along the Godavari and Krishan Valley.

(b) Composition:
The Regur soils or Black soils contain calcium carbonate, magnesium carbonate, potash and lime. They are generally poor in phosphoric content. The soils consisting of extremely fine clay material known for their sticky characteristics are also called Black soils.

(c) Fertility:
Regur soils are very important and suitable for the cultivation of cotton, that is why they are sometimes also called cotton soil.

3. Red Soil:
These soils are derived from crystalline and metamorphic rocks rich in minerals.

(a) Area:
The southern half of peninsular block is covered by red soils of different shades of red and yellow. This type of soil can be seen in Chotanagpur plateau, Orissa, east Madhya Pradesh, Telangana, Nigiries and Tamilnadu plateau. These soil areas are also found northwards in the west along the Konkan coast of Maharashtra.

(b) Composition:
Red soils are loamy in deep depressions and in uplands. They contain loose grave (a highly coarse material and are deficient in phosphoric acid, organic matter and nitrogenous material.

(c) Fertility:
Since these soils are loamy and are made up of coarse material, they are not fertile. They are deficient in the organic matter and nitrogenous material that makes it less fertile.

4. Laterite Soil:
The laterite soil is a result of intense leaching owing to heavy tropical rains.

(a) Area:
They are found in western coastal regions receiving very heavy rainfall. They are also found in patches along the edge of the plateau in the east covering small parts of Tamilnadu and Orissa, a small part of Chotanagpur and Meghalaya in the north east.

(b) Composition:
These soil’s have resulted due to intense leaching owing to heavy tropical rainfall.

(c) Fertility:
These soils are invariably poor and support only pastures and scrub forests.

Question 2.
What is soil erosion? Explain the causes of soil erosion and methods of conservation of soil?
Answer:
The term erosion means the loosening and removal of soil from its previous resting place by the action of water and other agents. In India, soil erosion is in many places a serious menace. The extent to which erosion is liable to occur will vary with the condition but at any point its incidence is determined by the following factors:

  1. The configuration, and particularly the slope of the land.
  2. The credibility of the soil.
  3. The amount distribution and intensity of the rainfall.
  4. The vegetable cover.
  5. The system of husbandary and soil management practiced.

Causes of soil erosion are:

  1. Deforestation
  2. Overgrazing
  3. Shifting agriculture
  4. Wind erosion
  5. Agriculture by non-scientific methods.

Soil conservation:
The ever increasing population resulted in the destruction of natural resources. Therefore, to prevent destruction, soil conservation is necessary. There are various methods of soil conservation.

  1. Contour farming
  2. To prevent gully erosion by making field ridge.
  3. Prevention of soil erosion by planting trees as wind breaks in deserts which check the velocity of wind. By doing plantation on the follow land and mountain slopes and by controlled grazing.
  4. By collecting the run off water in mountain slopes and uneven areas.
  5. By developing grazing land in the rural areas.

Question 3.
Draw a labelled diagram of soil profile?
Answer:
Soil profile:
Soil profile is the sequence, colour, texture, nature of the horizons (layers) superimposed one above the other and exposed in a pit – section dug through the soil mantle. Top soil of the upper most layer is the real soil. Its important characteristic is the presence of humans and organic matter.

Second layer is sub soil which consists of rocks, sand particles and clay. Third layer consists of weathered parent rock material and the fourth layer is made of parent rocks.
MP board class 10 social science chapter 1 solution Resources of India: Soil, Water, Forest and Wild Life

Question 4.
What are the main sources of water resource? What is importance of water resources in human life?
Answer:
There are four major sources of water.

  1. Surface water
  2. Ground water
  3. Atmospheric water, and
  4. Oceanic Water.

1. Surface water:
The surface water is available in rivers, ponds and lakes. Rivers are the main source of surface water in India. Rivers and its tributaries are found in each and every part of India. Three main rivers are the Indus, the Ganga and the Brahmaputra and they carry nearly 60 percent of the total surface water in India. Among the major rivers of the world, the Brahmaputra and the Ganga are at eighth and tenth places respectively.

2. Ground water:
Some part of rain water is soaked by the land. Only 60 percent reaches the upper layer of the soil, which is very useful for agriculture and vegetation to grow. Rest of the water percolates and is collected below the surface as ground water. It is obtained on the surface through wells and tubewells and is used by human beings for irrigation purposes, gardening and industrial purposes.

3. Atmospheric water:
This is in the form of water vapour therefore, it is not used.

4. Ocean water:
This type of water is mainly used for transport and fishing industry. Arabian Sea, Bay of Bengal and Indian Ocean are in the West, East and South of India respectively. Importance of water in human life is as follows:

  1. To provide irrigational facilities.
  2. To conserve the soil fertility as the flood.
  3. To generate hydro – electric power.
  4. To promote navigation through canals and rivers.
  5. To promote tourism as beach tourism.
  6. To promote fish culture, and
  7. To store water, which can be used when it is in greater demand.

Question 5.
Describe the methods of water conservation. Why is it necessary?
Or
Why is water conservation necessary? Describe its main methods? (MP Board 2009,)
Answer:
The following are the crucial methods for the water conservation:

  1. To collect rain water and stop it from draining off.
  2. Scientific management of water resources.
  3. Prevention of water resources from industrial and domestic pollution.

The availability of water for agricultural and other purpose is inadequate and irregular in our country. Being the monsoon, the bulk of rainfall is confined to a brief period of three to four months. Even the places of high rainfall like Cherrapunji and Konkan having heavy rainfall face scarcity of water during the dry season.

Secondly the distribution of rainfall is unequal for example our ground water resources are abundant only in the northern and coastal plains and in the other parts of the country its supply is inadequate. The river water of the Country is also not well connected by canals. In short, the supply of water in India depends on Monsoons and also the topography of land.

Therefore we feel that it is necessary to conserve this precious natural resource. Running water of rivers may be used for irrigation by constructing a canal. Similarly, dams may to constructed to produce electricity.

Question 6.
Describe direct and indirect advantages of forests? (MP Board .2009, 2013)
Or
Mention the direct and indirect advantages of forests? (MP Board 2009)
Answer:
Direct advantages of the forests are:
1. Forest provides wood:
Wood from forests is an important fuel. Wood and cow dung produces 34.6 per cent of total power resources. They provide us Teak, Sal, Shisham, Pine, Abnoos, Sandle wood and Deodar. Wood is also used for making furniture.

2. Forests provide minor forest produce:
Forests produce a large number of minor product which are essential for industries such as lac, tanning materials, gum, honey, katha, wax, resins, bamboo, medicinal herbs, horn and hides of animals etc.

Forests provide materials for basic industries i.e., wood is useful raw material for several industries like paper, match, lac, leather, oil and herbal medicines. Small scale industries developed from the minor forest provide like tendupatta, cane, honey, wax, etc.

3. Grazing land for animals:
Forests provide natural pastures for grazing animals.

4. Employment:
About 7.8 crore people depend on forests for their livelihood. Many industries are based on raw materials from forests giving employment to crores of people.

5. Revenue generation:
Government receive crores of rupees from the forests as revenue and royalty. Presently this revenue is 670 crore rupees per annum.

Indirect advantages of the forests are:

1. Control soil erosion:
Trees firmly enclose and considerably reduce soil erosion. Trees hold the fertile top layer of the soil.

2. Control the climate:
Forest act as wind breaks which check the velocity of wind. The climate of forest area remains temperate.

3. Check floods:
Speed of water is reduced by the existence of forests. Water is reduced by the trees. The force of water is reduced by the extensive forest cover.

4. Control expansion of desert areas:
Sardar Patel said, “If expansion of deserts are to be controlled and human civilization is to be prevented then the destruction of forest wealth is to be prevented.”

Question 7.
Describe the efforts of government in forest conservation?
Answer:
In 1950 after independence, Central Forest Board was established. New forest policy was made. Its four main points were:

  1. Forest area should be increased to 33.3 per cent.
  2. Forestation
  3. Protection of forests
  4. Forestry research.

The policy was revised on 7th December 1988. The main aim of the forest policy of 1988 is protection, conservation and development of forests. Policy holds the following objectives:

  1. Maintenance of environmental stability through preservation and restoration of ecological balance.
  2. Conservation of natural heritage.
  3. Check on soil erosion and denudation in catchment areas of river, lakes and reservoirs.

In 1990, a 20 – year National Forestry Action programme was launched to make National Forest Policy of 1988 functional. For the development of the forests following activities are taking place:

  1. Establishment of Central Forest Commission.
  2. Indian Forest Survey Organisation.
  3. Council of Forestry Research and Education.
  4. Establishment of Wood Craft Training Centre.
  5. State Forest Development Corporations.
  6. Indian Institute of Forest Management.

Question 8.
Why wildlife conservation is necessary? What are the measures of wildlife conservation? (MP Board, 2011)
Answer:
Depletion of forest has endangered plant and wildlife. Several species have already become extinct. In order to preserve natural habitat and protect them from becoming extinct the government has set up many programmes. There are also programmes for conservation of wetland mangroves and coral reefs under the preservation of special ecosystem.

Coral reefs are characterized by high biomass production and rich floral and faunal diversity four coral reefs have been identified for conservation and management. Periodic census of wild animals are undertaken to check the number of certain species getting reduced. The hunting of wild animals and. birds has been banned and hunters are penalised. Conservation of wildlife: Following efforts can be made to protect the wildlife:

  1. Safeguarding the national habitat of the wild animals.
  2. Poaching should be restricted.
  3. Establishing biosphere reserves in forest areas.
  4. Educating public for environmental protection at levels of education.
  5. Implementation of wildlife management programmes.

Project Work

Question 1.
Prepare a plan for a geographical tour of your area and collect the following information:

  1. Type of soil in your region and its characteristics.
  2. Causes of soil erosion in the area.
  3. What could be the measures to prevent soil erosion in that area.
  4. Characteristics of soil on the basis of crops grown in that area.

Answer:
Do yourself with the help of your subject teacher.

Question 2.
Prepare a map of India and show the following:
Kaziranga, Gir, Gim, Keoladeo, Simlipal National Park, Sunderban, Ranthambore, Savisca, Manas, Corbett Tiger Project, Nilgiri, Nandadevi, Great Nicobar, Pachmarhi Biosphere Reserve.
Answer:
Do yourself with the help of map under the guidance of your subject teacher.

Question 3.
Visit a National Park and prepare a report on the following points:

  1. Wild life
  2. Habitat of wild animals.
  3. Their food and methods of hunting.
  4. Forest produce collected from that park.

Answer:
Do yourself with the help of your subject teacher.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 1 Additional Important Questions

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (a)
Which soil variety in known a ‘regur’?
(a) Laterite soil
(b) Black soil
(c) Red soil
(d) Alluvial soil.
Answer:
(b) Black soil

Question (b)
Which of the following river is the longest one?
(a) Indus
(b) Narmada
(c) Godavari
(d) Ghagra.
Answer:
(b) Narmada

Question (c)
Indian Institute of Forest Management is in?
(a) Mumbai
(b) Kanpur
(c) Dehradoon
(d) Ahamedabad.
Answer:
(d) Ahamedabad.

Question (d)
Dachigam National Park is located in the state?
(a) Madhya Pradesh
(b) Jammu & Kashmir
(c) Kerala
(d) Uttar Pradesh
Answer:
(c) Kerala

Question (e)
Project Tiger was started in?
(a) 1971
(b) 1972
(c) 1973
(d) 1974
Answer:
(c) 1973

Question (f)
Which type of soil is found in western Ghats?
(a) Alluvial soil
(b) Black soil
(c) Laterite soil
(d) Red soil
Answer:
(a) Alluvial soil

Question 2.
Fill in the blanks:

  1. Petrol and coal are ………………… resources.
  2. Clay soil is called ………………….. soil.
  3. Deforestation is the cause of soil …………………
  4. The National Forest Policy was formulated in …………………….
  5. Jim Corbett National Park is located in …………………
  6. Central Forest Commission is established in …………………… (MP Board 2009, Set D)
  7. Ghana Bird Sanctuary is located in …………………….. (MP Board 2009, Set C)
  8. All the elements which are capable of fulfilling human wants, are called ……………………..
  9. Soil erosion ocwrs due to ………………… , ……………… and ………………. activities.

Answer:

  1. non – renewable
  2. alluvial
  3. erosion
  4. 1988
  5. Uttarakhand
  6. 1965
  7. Rajasthan
  8. Resources
  9. water, wind, human.

Question 3.
True and False type questions:

  1. Sunderlal Bahuguna was the founder of Vanmahotsava in 1950.
  2. 33 per cent is the minimum criteria of the forestation as the biological balance.
  3. About 47,000 species are found in India according to Zoological Survey of India.
  4. In 1965, K.M. Munshi started Vanmahostsava. (MP Board 2009, Set C)
  5. Gir National Park is located in Maharashtra.
  6. There are 14 boisphere reserves which have been established in India.

Answer:

  1. False
  2. True
  3. False
  4. False
  5. False
  6. True.

Question 5.
Match the Columns:
resources of india class 10 MP Board Social Science Solutions Chapter 1 Soil, Water, Forest and Wild Life
Answer:

  1. (c)
  2. (e)
  3. (d)
  4. (a)
  5. (b)

Question 1.
What per cent of our land area is plain?
Answer:
About 43%.

Question 2.
What per cent of land is mountainous?
Answer:
About 30%.

Question 3.
What is pasture?
Answer:
Land covered with natural grasses is knows as pasture.

Question 4.
Name the most endangered species in India?
Answer:
The tiger, the rhino, the bustard and the lion.

Question 5.
Which is the first biological reserve in India?
Answer:
The first biological reserve was set up in the Nilgiries.

Question 6.
Where is the Gulf of Mannar?
Answer:
Tamil Nadu.

Question 7.
What percentage of India is covered with forests?
Answer:
About 23.3%.

Question 8.
What are the sources of surface water?
Answer:
Ponds, tanks, rivers and reservoirs, etc.

Question 9.
What do you mean by rain water harvesting?
Answer:
It simply means capturing rains where it falls.

Question 10.
What are the major sources of irrigation in India?
Answer:
Canals, Tanks, Wells and Tubewells.

Question 11.
Which elements enhance the fertility of soil?
Answer:
Fine vegetal and animal remains add to the fertility of the soil.

Question 12.
What is Bangar?
Answer:
This is the old alluvium soil spread at the outer areas of khadar.

Question 13.
Where are the elephants found in India?
Answer:
Elephants in India are found in the jungles of Assam and those of Kerala and Karnataka.

Question 14.
How many species of animals, birds and fishes are found in India?
Answer:
India has approximately 89000 species of animals, 1200 of birds and 2500 species of fishes.

Question 15.
What is the primary source of water on the earth?
Answer:
The primary source of water on earth is precipitation that comes in the forms of rain and snowfall.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 1 Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Name the various elements of nature which contribute to evolution of soil?
Answer:
Changing temperature, running water and wind etc., contribute in the evolution of soil.

Question 2.
Which soil supports over half the Indian population?
Answer:
The alluvial soil. The new alluvium soil near the river banks or the catchment areas is called khadar.

Question 3.
What is National Park?
Answer:
It is a place where wildlife is in their natural setting. It is a place where animals mpve freely. Food for the animals is provided by animals themselves.

Question 4.
What do you mean by hydro – electricity?
Answer:
The electricity derived from the running or falling water. It is one of the neatest, cheapest and pollution free form of energy.

Question 5.
What are the types of forests according to administration?
Answer:
On the basis of administration, forests are classified into three types:

  1. Reserved Forests
  2. Protected Forests
  3. Unclassified Forests.

Question 6.
What are the main causes of growing scarcity of water?
Answer:
Main causes of growing scarcity of water are:

  1. Rapidly growing population.
  2. Rising demand for. food and cash crops.
  3. Increasing urbanisaffon and rising standard of living.

Question 7.
What is Humus?
Answer:
Deposited organic matter of plants and animals is called humus. It is found in top soil and helps in making soil fertile.

Question 8.
Define weathering?
Answer:
Disintegration of rocks on the earth surface due to weathering.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 1 Short Answer Type Questions

Question 1.
Write any four characteristics of black soil?
Answer:
Black soil is also known as Regur soil. It is:

  1. most suitable for the cultivation of cotton.
  2. made up of extremely fine material.
  3. known for its capacity to hold moisture.
  4. rich in soil nutrients such as calcium carbonate, magnesium carbonate, potash and lime.

Question 2.
Why should we increase the land under forest?
Answer:
India has only 19 per cent of forest cover out its total land area. It is far below the scientific norms which prescribes minimum availability of forest to be 33 per cent. The forest area in India must therefore be increased to maintain ecological balance and absorption of carbon dioxide. The forests help us to preserve the wild ‘life. They cause precipitation and help us in decreasing the possibility of droughts. Forests regulate the flow of river water.

Question 3.
Write the main differences between Khadar soil and Bangar soil?
Answer:
Khadar Soil:

  1. This is the new alluvial soil deposited by the rivers in the northern plains. The new alluvial soil deposited at the bank of rivers is locally kndwn as khadar.
  2. This is very fertile land and the soil contains adequate amount of potash, phosphoric acid and lime. This has fine particles.

Bangar Soil:

  1. This is the old alluvial soil ‘ deposited by the rivers in the northern plains. The old alluvial soil which is deposited beyond the new alluvium is locally called bangar in the norhtern plains.
  2. This is also fertile soil but not as fertile as the Khadar is. This old alluvium often contains kankar nodules with- calcium carbonate in sub soil.

Question 4.
What is bio – reserve?
Answer:
Efforts are being made on the basis of specific regions to protect and preserve every plant and animal species found in India so that this natural heritage can be transmitted to the future. This concept is known as bio – reserve. Till now there are 14 bio – reserves have been established in India. Nilgiri of Kerala is one of them.

Question 5.
Differentiate between surface water and ground water resources?
Answer:
Surface Water:

  1. Surface water is the volume of water present over the surface of the earth whether in the stationary state or the running state.
  2. The volume of water on the surface changes with the change in the seasons and weather conditions.
  3. The surface water can be used by constructing dams and canals etc.

Ground Water:

  1. The underground water is the volume of water present below the earth surface whether in the stationary state or the running state.
  2. The volume of underground water also depends on the amount of water received on the surface and at the same time, the amount of underground water utilized.
  3. The undergournd water is widely used for drinking and irrigation through well and tube- wells.

Question 6.
Explain the agents of soil formation?
Answer:
Soil is a renewable resource. It takes hundreds of years in the formation of one centimetre thick layer of soil. Plain surface is best for the formation of soil because least problems are created here during the formation. There are different factors which help in formation of soil e.g., parent rocks and topography, climatic conditions which helps in weathering of rocks, plants, animals and there remains.

Question 7.
Write five steps for conervation of wild life?
Answer:

  1. Safeguarding the national habital of the wild animals.
  2. Hunting of wild animals should be restricted.
  3. Establishing Biosphere Reserves in forest areas.
  4. Educating public for environmental protection at levels of education.
  5. Implementation of wildlife management programmes.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 1 Long Answer Type Questions

Question 1.
Describe the concept of soil conservation. Outline the measures of soil conservation?
Answer:
Conservation of Soil. Soil is the most important resource to support human life. The soil on which we depend so much for our survival has evolved over thousands and thousands of years. It is therefore necessary to conserve this resource to enable people to produce a variety of crops.

What is needed to day is the scientific management of soil, their proper conservation, avoidance of their erosion and maintainence of their fertility through organic and bio manures.

Soil erosion is one single factor which cause great harm to our agricultural productivity. Secondly, salinity and alkalinity has also spoiled the fertility of the soil in India. Running water and wind have been causing regular soil erosion. So, conservation is necessary to ensure sustained productivity of land.
The soil can be conserved by adopting the following measures:

1. Aforestation and a ban on blind deforestation.

2. Contour Ploughing:
It is the method by which field are ploughed, harrowed and sown along the contours instead of up and down the slopes.

3. Terracing:
This means making a series of winding steps on mountain slope.

4. Strip Cropping:
Cover crop such as grasses and small grains are planted alternately with cultivated crops. Cover crops absorb moisture and hold the soil together.

5. Stopping clearance of forests on a large scale.

6. Preventing overgrazing.

7. Construction of bunds.

Question 2.
How are forests useful to man?
Answer:
The economical uses of forests are as follows:

  1. Forests maintain environmental stability, ecological balance for the existence of all life forms.
  2. They provide timber and fuel wood. Soft wood is used in furniture, packages, and also other building materials.
  3. Pulp is made from soft wood and is used in paper making.
  4. Forest provide many things to meet our food requirements like wild fruits, nuts, berries, etc. Many tribes are dependent on gathering of these products in forests.
  5. They modify climatic conditions and bring better rainfall in the area.
  6. They reduce wind force and reduce air temperature during summer which have a positive effect on the overall environment.
  7. They add to the forest floor large quantities of leaves, twigs and branches, which after decomposition form humus. This increases the fertility of soil.

Question 1.
Show distribution of soil on a outline map of India?
Answer:
social science class 10 MP board Solutions Chapter 1 Resources of India: Soil, Water, Forest and Wild Life

Question 2.
Show Wildlife and Biosphere Reserves on a outline map of India?
Answer:
chapter 1 social science class 10 MP board Resources of India: Soil, Water, Forest and Wild Life