MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1

Solve the following equations.

Question 1.
x – 2 = 7.
Solution:
We have, x – 2 = 7
Transposing -2 to R.H.S., we get
x = 7 + 2 ⇒ x = 9, which is the required solution.

Question 2.
y + 3 = 10.
Solution:
We have, y + 3 = 10
Transposing 3 to R.H.S., we get y = 10 – 3
⇒ y = 7, which is the required solution.

Question 3.
6 = z + 2.
Solution:
We have, 6 = z + 2
Transposing 2 to L.H.S., we get
6 – 2 = z
⇒ z = 4, which is the required solution.

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Question 4.
\(\frac{3}{7}\) + x = \(\frac{17}{7}\).
Solution:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 1
⇒ x = 2, which is the required solution.

Question 5.
6x = 12.
Solution:
We have, 6x = 12
Dividing both sides by 6, we get
\(\frac{6 x}{6}=\frac{12}{6}\)
⇒ x = 2, which is the required solution.
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Question 6.
\(\frac{t}{5}=10\)
Solution:
We have, \(\frac{t}{5}\) = 10
Multiplying both sides by 5, we get
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 2
⇒ t = 50, which is the required solution.

Question 7.
\(\frac{2 x}{3}\) = 18
Solution:
We have,
\(\frac{2 x}{3}\) = 18
Dividing both sides by 2, we get
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 3
Now, multiplying both sides by 3, we get
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 4
⇒ x = 27, which is the required solution.

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Question 8.
\(1.6=\frac{y}{1.5}\)
Solution:
We have, \(1.6=\frac{y}{1.5}\)
Multiplying both sides by 1.5, we get
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 5
⇒ y = 2.4, which is the required solution.
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Question 9.
7x – 9 = 16.
Solution:
We have, 7x – 9 = 16
Transposing -9 to R.H.S., we get
7x = 16 + 9
⇒ 7x = 25
Now, dividing both sides by 7, we get
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 6
⇒ x = \(\frac{25}{7}\), which is the required solution.

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Question 10.
14y – 8 = 13.
Solution:
We have, 14y -8 = 13
Transposing -8 to R.H.S., we get
14y = 13 + 8 ⇒ 14y = 21
Now, dividing both sides by 14, we get
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 7

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Question 11.
17 + 6p = 9.
Solution:
We have, 17 + 6p = 9
Transposing 17 to R.H.S., we get 6p = 9 – 17
⇒ 6p = – 8
Now, dividing both sides by 6, we get
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 8

Question 12.
\(\frac{x}{3}+1=\frac{7}{15}\)
Solution:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 9
Now, multiplying both sides by 3, we get
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 Linear Equations in One Variable Ex 2.1 10
⇒ x = \(-\frac{8}{5}\), which is the required solution.

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 20 महान् वैज्ञानिक : डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 20 महान् वैज्ञानिक : डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 20 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) चन्द्रशेखर वेंकटरमण का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर
चन्द्रशेखर वेंकटरमण का जन्म 7 नवम्बर सन् 1888 ई. में दक्षिण भारत में तिरुचिरापल्ली नगर में हुआ था।

(ख) डॉक्टर रमण की विज्ञान के क्षेत्र में ख्याति फैलने की सबसे पहली घटना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
उच्च शिक्षा समाप्त करने के उपरान्त रमण ने लेखा विभाग की प्रतियोगी परीक्षा दी। परीक्षा में सफलता हेतु उन्होंने विज्ञान का विद्यार्थी होते हुए भी इतिहास, राजनीतिशास्त्र, संस्कृत आदि नए विषयों का अध्ययन किया। इस परीक्षा में भी उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। उनकी नियुक्ति भारत सरकार के सहायक महालेखापाल के पद पर कलकत्ता में हो गई।

(ग) ‘लेनिन शान्ति पुरस्कार’ प्राप्त करते समय डॉ. रमण ने क्या कहा था ?
उत्तर
‘लेनिन शान्ति पुरस्कार’ प्राप्त करते समय डॉ. रमण ने कहा था-“मैंने अपने ज्ञान का उपयोग सैनिक कार्यों के लिए कभी नहीं किया। मैंने हमेशा यही कोशिश की है कि मेरी खोजों का इस्तेमाल रचनात्मक कार्यों में हो और इससे मानव जाति का कल्याण हो।”

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(घ) “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” कब और क्यों मनाया जाता है ?
उत्तर
‘रमण-प्रभाव’ की खोज 28 फरवरी, सन् 1928 ई. में हुई थी। इसलिए इस महान् घटना की याद में 28 फरवरी को ‘राष्ट्रीय विज्ञान-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

(ङ) डॉ. रमण की क्या अभिलाषा थी?
उत्तर
डॉ. रमण की अभिलाषा थी कि हमारा देश वैज्ञानिक खोजों के मामले में अपने पैरों पर खड़ा हो जाये और हमें विदेशों का मुँह न ताकना पड़े।

प्रश्न 2.
सही विकल्प को चुनकर लिखिए

(क) डॉ. रमण को भौतिक विज्ञान का ‘नोबल पुरस्कार’ दिया गया
(अ) सन् 1914 ई. में
(ब) सन् 1930 ई. में
(स) सन् 1931 ई. में
(द) सन् 1920 ई. में।
उत्तर
(ब) सन् 1930 में

(ख) सन् 1954 ई. में भारत सरकार ने डॉ. रमण को उपाधि देकर सम्मानित किया
(अ) पद्म श्री
(ब) डॉक्टर ऑफ साइन्स
(स) भारत रत्न
(द) पद्म विभूषण।
उत्तर
(स) भारत रल

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(ग) डॉ. रमण प्रकाश सम्बन्धी खोज के विषय में गए थे-
(अ) न्यूयार्क
(ब) अमेरिका
(स) मास्को
(द) कनाडा।
उत्तर
(द) कनाडा

(घ) ‘रमण-प्रभाव’ की खोज हुई थी
(अ) 28 फरवरी, 1928 को
(ब) 28 फरवरी, 1931 को
(स) 28 फरवरी, 1911 को
(द) 28 फरवरी, 1930 को।
उत्तर
(अ) 28 फरवरी, 1928 को

(ङ) डॉ. रमण का पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन हो गया
(अ) 24 नवम्बर, 1970 ई. को
(ब) 21 नवम्बर, 1970 ई. को
(स) 21 अक्टूबर, 1970 ई. को
(द) 21 दिसम्बर, 1970 ई. को।
उत्तर
(ब) 21 नवम्बर, 1970 ई. को।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1. सही शब्दों के सामने (✓) सही का चिन्ह लगाइए
(क) शिक्षा, सिछा, सीक्षा, शीछा।
(ख) आविश्कार, आविस्कार, आविष्कार, आवीष्कार
(ग) अनुशंधान, अनुसंधान, अनुसंधान, अनुसधांन
(घ) आसुतोष, आशुतोश, आशुतोष, आसूतोश।
(ङ) पुरुस्कार, पुरस्कार, पूरस्कार, पुरस्कार।
उत्तर
(क) शिक्षा
(ख) आविष्कार
(ग) अनुसंधान
(घ) आशुतोष
(ङ) पुरस्कार।

प्रश्न 2.
अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत करके तालिका में जानकारी अंकित कीजिए
परिवार के सदस्य, जन्मतिथि, जन्म-स्थान, शिक्षा, रुचि, व्यवसाय, उपलब्धि।
(क) दादाजी
(ख) पिता जी
(ग) चाचा/ताऊ
(घ) माँ
(ङ) भाई/बहन।
उत्तर
इस तालिका को छात्र स्वयं तैयार करें, अपने घर के सदस्यों से पूछकर।

प्रश्न 3.
नीचे लिखी तालिका में कुछ शब्द दिए गए हैं। तालिका के अनुसार उनके सामने उपयुक्त खाने में उन्हें लिखिए।
शब्द-असाधारण, लकड़हारा, सफलता, अनुकृति, वैज्ञानिक, अभिमान, मिठाई वाला, भारतीय।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 20 महान् वैज्ञानिक डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण 2

प्रश्न 4.
नीचे के रेखाचित्र में एक उद्देश्य के साथ विभिन्न विधेय जोड़े जा सकते हैं।
उक्त तालिका से विभिन्न वाक्य बनाकर लिखिए।
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 20 महान् वैज्ञानिक डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण 1
उत्तर

  1. रमण पहली बार विदेश गए।
  2. रमण प्रतिभाशाली थे।
  3. रमण नोबल पुरस्कार विजेता थे।
  4. रमण खोज में जुट गए।
  5. रमण भारत रत्न थे।

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महान् वैज्ञानिक : डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

1. डॉ. रमण देश के महान वैज्ञानिक थे। उनका विश्वास था कि इस देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। वे चाहते थे कि हमारा देश वैज्ञानिक खोजों के मामले में अपने पैरों पर खड़ा हो और हमें विदेशों का मुँह न ताकना पड़े। देशवासियों का यह पुनीत कर्तव्य है कि सभी उनके इस विश्वास को कायम रखें।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश “महान वैज्ञानिक : डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण” नामक पाठ से अवतरित है। यह एक निबन्ध विधा है।

प्रसंग-इन पंक्तियों में स्पष्ट किया गया है कि डॉ. रमण देश के एक महान वैज्ञानिक थे। साथ ही बताया है कि हमारे देश में विज्ञान सम्बन्धी खोज करने के लिए प्रतिभावान लोगों को प्रोत्साहित किया जाये।

व्याख्या-डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण उच्चकोटि के विज्ञानवेत्ता थे। वे इस बात को मानते थे कि हमारे देश भारतवर्ष में वान लोगों की कमी नहीं है। उनकी इच्छा थी कि हमारा देश ज्ञान के क्षेत्र में खोज करे और इन खोजों के आधार पर आत्र नर्भर हो जाये। विज्ञान के क्षेत्र में विशेष खोजों के लिए दूसरे देशों में की जाने वाली खोजों के लिए इन्तजार न करना पड़े। अब यह बात हमारे देशवासियों के लिए एक पवित्र कर्तव्य एवं दायित्व की बनती है कि हम उनके विश्वास को स्थायी रूप में मान्यता दें।

महान् वैज्ञानिक : डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण शब्दकोश

प्रतिनिधित्व – प्रतिनिधि का कार्य करना; व्याख्यान = भाषण; पार्थिव = मिट्टी का, पृथ्वी से सम्बन्धित; पंचतत्व = पाँच तत्व (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश); विलीन = मिल जाना; पुनीत = पवित्र; कायम = स्थिर; अनुसंधान = खोज।

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2

Question 1.
Represent these numbers on the number line.
(i) \(\frac{7}{4}\)
(ii) \(\frac{-5}{6}\)
Solution:
(i) We have to represent \(\frac{7}{4}\) on the number line. \(\frac{7}{4}\) can be written as \(1 \frac{3}{4} \cdot 1 \frac{3}{4}\) lies between 1 and 2.
Step-1: Draw a number line and mark O on it to represents ‘0’ (zero)
Step-2 : Take a point A to represent
1 and B to represent 2.
Step-3 : Divide the distance of A and B in four equal parts A A1, A1A2, A2A3, A3B.
Step-4 : Count from 1 and reach to the third point A3 and A3 is the required point on number line.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-1

(ii) \(\frac{-5}{6}\) is lies between 0 and -1.
Step-1: Draw a number line and mark O on it to represent ‘0’ (zero).
Step-2 : Take a point A to represent -1.
Step-3 : Divide the distance of A and O in six equal parts AO5, O5O4, O4O3, O3O2, O2O1, O1O.
Step-4 : Count from 0 and reach to the fifth point O5.
O5 is the required point.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-2

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Question 2.
Represent \(\frac{-2}{11}, \frac{-5}{11}, \frac{-9}{11}\) on the number line.
Solution:
We have to mark \(\frac{-2}{11}, \frac{-5}{11}, \frac{-9}{11}\) on the same number line.
Since \(\frac{-2}{11}, \frac{-5}{11}, \frac{-9}{11}\) all are less than 0 but greater than -1.
∴ All these lie between 0 and -1.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-3
Thus, A, B and C are the required points.

Question 3.
Write five rational numbers which are smaller than 2.
Solution:
Five numbers less than 2 lies on the left of 2 on the number line.
∴ Five rational numbers are \(0, \frac{1}{5}, \frac{2}{5}, \frac{3}{5}, \frac{4}{5}\)

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Question 4.
Find ten rational numbers between \(\frac{-2}{5}\) and \(\frac{1}{2}\).
Solution:
We have given, two rational numbers \(\frac{-2}{5}\) and \(\frac{1}{2}\).
First we make the same denominator of both rational numbers.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-4
Now, we have to find 10 rational numbers between \(\frac{-4}{10}\) and \(\frac{5}{10}\). so we have to multiply the numerator and denominator by a number such that difference between numerators is atleast 10.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-5

Question 5.
Find five rational numbers between
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-6
Solution:
First we make the same denominator of both rational numbers
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-7
Since, we have to find five rational numbers between \(\frac{10}{15}\) and \(\frac{12}{15}\) so we multiply the numerator and denominator by a number such that difference between the numerators is atleast 5.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-8
∴ The five rational numbers between \(\frac{1}{4}\) and \(\frac{2}{4}\) are \(\frac{41}{60}, \frac{42}{60}, \frac{43}{60}, \frac{44}{60}, \frac{45}{60}\)

(ii) First we make the same denominator of both rational numbers.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-9
Since, we have to find five rational numbers between and \(-\frac{9}{6}\) and \(\frac{10}{6}\), so we do not need to multiply the numerator and denominator of \(-\frac{9}{6}\) and \(\frac{10}{6}\) by any number, because we can see that the difference between the numerators is 19 > 5.
∴ Five rational numbers between \(\frac{-3}{2}\) and \(\frac{5}{3}\) are \(\frac{-8}{6}, \frac{-7}{6}, \frac{0}{6}, \frac{1}{6}, \frac{2}{6}\)

(iii) First we make the same denominator of both rational numbers.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-10
Since we have to find five rational numbers between \(\frac{1}{4}\) and \(\frac{2}{4}\), so we multiply the numerator and denominator by a number such that difference between the numerators is atleast 5.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-11
∴ Five rational numbers between \(\frac{1}{4}\) and \(\frac{2}{4}\) are \(\frac{9}{32}, \frac{10}{32}, \frac{11}{32}, \frac{12}{32}, \frac{13}{32}\).

Question 6.
Write five rational numbers greater than -2.
Solution:
Five rational numbers greater than -2 lies on the right side of -2 on number line.
∴ Any five rationals on the right of -2 are \(\frac{-3}{2},-1, \frac{-1}{2}, 0, \frac{1}{2}\).

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Question 7.
Find ten rational numbers between \(\frac{3}{5}\) and \(\frac{3}{4}\)
Solution:
Make the common denominator.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-12
Since we have to find ten rational numbers between \(\frac{3}{5}\) and \(\frac{3}{4}\) so, we multiply the numerator and denominator by a number such that difference between the numerators is atleast 10.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 1 Rational Numbers Ex 1.2 img-13

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 19 ज्ञानदा की डायरी

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 19 ज्ञानदा की डायरी

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 19 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) ज्ञानदा का चयन किस प्रतियोगिता के लिए हुआ था?
उत्तर
ज्ञानदा का चयन राज्यस्तरीय शालेय हॉकी प्रतियोगिता के लिए हुआ था।

(ख) मौनिया नर्तक किस तरह नृत्य कर रहे थे ?
उत्तर
मौनिया नर्तक ढोलक और नगड़िया की थाप पर ! हाथ में पकड़े डण्डों को लय के साथ आपस में टकराते हुए अपने कदम बिना ताल चूके थिरका रहे थे।

(ग) ज्ञानदा को किस बात का दुःख था?
उत्तर
ज्ञानदा को इस बात का दुःख था कि वह हाफ बैक की जगह पर खेल रही थी। विपक्षी सेण्टर फारवर्ड खिलाड़ी गेंद लेकर उनके गोल की तरफ बढ़ी, तो उसने (ज्ञानदा ने) उसे रोकने के लिए गलत तरीके से ‘हाकी स्टिक’ अड़ा दी जिससे वह गिर पड़ी, उसका घुटना छिल गया।

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(घ) खेलों से हम कौन-कौन-से गुण सीखते हैं ?
उत्तर
खेलों से हमारे अन्दर अनुशासन, धैर्य, सहिष्णुता, उदारता और हार-जीत को समान रूप से लेने का गुण पैदा होता है।

(ङ) कोच ने ज्ञानदा की तारीफ क्यों की?
उत्तर
कोच ने ज्ञानदा की सूझबूझ और तत्काल निर्णय लेने के गुण के लिए तारीफ की।

प्रश्न 2.
खाली स्थान में उचित शब्द भरिए

(क) व्यक्तिगत उपलब्धि से अधिक टीम का हित ……… होता है। (सर्वोपरि, गौण)
(ख) मध्य प्रदेश में भोपाल को …….. कहते हैं। (क्रिकेट का गढ़, हॉकी का गढ़)
(ग) भोपाल में प्रतिवर्ष ……… हॉकी टूर्नामेण्ट आयोजित किया जाता है।
(सिंधिया स्वर्ण कप, औबेदुल्ला स्वर्ण कप)
(घ) हॉकी टीम में …………… खिलाड़ी होते हैं। (पाँच, ग्यारह)
(ङ) ज्ञानदा ने ………….. पर गोल किया। (पेनल्टी स्ट्रोक, पेनाल्टी कॉर्नर)
उत्तर
(क) सर्वोपरि
(ख) हॉकी का गढ़
(ग) औबेदुल्ला स्वर्णकप
(घ) ग्यारह
(ङ) पेनाल्टी कॉर्नर।

प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिए

1. ‘हॉकी के जादूगर’ के नाम से प्रसिद्ध हैं
(क) परगट सिंह
(ख) मेजर ध्यानचन्द
(ग) धनराज पिल्लई
(घ) अजीतपाल सिंह।
उत्तर
(ख) मेजर ध्यानचन्द

2. सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुत किया गया
(क) डांडिया नृत्य
(ख) गरबा नृत्य
(ग) मौनिया नृत्य
(घ) राई नृत्य।
उत्तर
(ग) मौनिया नृत्य

3. ज्ञानदा का चयन किस सम्भाग के लिए हुआ था ?
(क) सागर
(ख) रीवा
(ग) ग्वालियर
(घ) भोपाल
उत्तर
(घ) भोपाल

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4. ज्ञानदा किस पोजीशन (स्थान) पर खेल रही थी ?
(क) हाफ बैक
(ख) सेन्टर फारवर्ड
(ग) राइट आउट
(घ) लेफ्ट इन।
उत्तर
(क) हाफ बैक

5. ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ कब मनाया जाता है ?
(क) 29 अगस्त
(ख) 15 अगस्त
(ग) 26 फरवरी
(घ) 28 फरवरी।
उत्तर
(क) 29 अगस्त

प्रश्न 4.
तालिका से खेलों के नाम छाँटिए और नीचे लिखिए
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 19 ज्ञानदा की डायरी 1
उत्तर

  1. टेबिल टेनिस
  2. क्रिकेट
  3. फुटबाल
  4. कैरम
  5. भारोत्तोलन
  6. कबड्डी
  7. गोल्फ
  8. खो-खो
  9. कुश्ती
  10. निशानेबाजी
  11. फुटबाल
  12. पोलो।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए
तथा इनके प्रयोग वाले वाक्य छाँटकर लिखिए
(क) नाम कमाना
(ख) झण्डे गाड़ना
(ग) समा बाँधना
(घ) खून पसीना बहाना
(ङ) कांटे की टक्कर
(च) ताकत झोंकना।
उत्तर
(क) प्रसिद्धि प्राप्त करना
(ख) सफलता दिखाना
(ग) सबको मोहित करना
(घ) कड़ी मेहनत करना
(ङ) बराबरी का मुकाबला
(च) पूरी तरह शक्ति लगा देना।
इन मुहावरों में प्रयोग होने वाले वाक्य

(ख) ग्वालियर के शिवाजी पवार, शंकर-लक्ष और क्रिस्टी ने भी हॉकी के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम के झण्डे गाड़े हैं।
(ग) यहाँ के लोक नृत्य ‘मौनिया’ ने तो जैसे समां बाँध दिया।
नोट-इसी तरह वाक्य छाँटकर छात्र स्वयं लिखें।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए
प्रतीक्षा, सम्भागीय, चयन, गौरव, चहल-पहल, स्वर्ण-पदक, जन्म-दिवस, कौशल, आक्रामक।
उत्तर

  1. मझे प्रतीक्षा करना बहुत कष्टदायी लगता है।
  2. सम्भागीय खेलों का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता
  3. मेरा चयन हॉकी की राष्ट्रीय टीम में कर लिया गया
  4. सम्भागीय हॉकी प्रजोगिता में खेलने के लिए सोनाली को गौरव प्राप्त है।
  5. स्टेशन पर जब रेलगाड़ी आती है तो वहाँ चहल-पहल बढ़ जाती है।
  6. मेजर ध्यानचन्द ने हॉकी के ओलम्पिक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त कराये।
  7. 29 अगस्त को ध्यानचन्द का जन्म-दिवस है। इस तिथि को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता
  8. ज्ञानदा ने बड़े कौशल से हॉकी का खेल खेलते हुए प्रतियोगिता में जीत हासिल की।
  9. सौरभ ने आक्रामक रुख अपनाते हुए एक गोल किया।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो अर्थ और उनके वाक्य प्रयोग कीजिए
पत्र, पृष्ठ, लक्ष्य, जीवन।
उत्तर
पत्र-पत्ता, चिट्ठी।
पृष्ठ-पीठ, पन्ना।
लक्ष्य-उद्देश्य, निशाना।
जीवन-ज़िन्दगी, जल।

प्रयोग
(क) पेड़ से पत्र गिरते हैं।
मुझे उसका पत्र मिला है।

(ख) उसकी पृष्ठ पर कील से घाव हो गया।
पुस्तक का पृष्ठ उलटिए।

(ग) हमें अपना लक्ष्य प्राप्त करना है।
उसने पक्षी पर लक्ष्य साधा।

(घ) वृक्षों में जीवन होता है।
वनों से जीवन प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों से हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी के शब्द अलग-अलग छाँटकर तालिका में लिखिए
सीनियर, सम्भागीय, टीम, वर्ग, स्पर्धा, ओलम्पिक, टूनामेण्ट, राष्ट्रीय, मदद, जूनियर, रेलवे स्टेशन, मैनेजर, दल, मुताबिक, ट्रेन, कैप्टेन, जादूगर, खाना, तरीका, शहीद, खूबसूरत, स्टेडियम, मार्चपास्ट, शपथ, शबनम, दर्द, मुकाबला।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 19 ज्ञानदा की डायरी 2

प्रश्न 5.
‘सागर’ तथा ‘अनुसार’ शब्दों से पूर्व अन्य शब्द जोड़कर दो-दो नवीन शब्द बनाइए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर
शब्द

  1. (क) भव सागर , (ख) गंगा सागर।
  2. (क) नियमानुसार ,(ख) कथनानुसार।

प्रयोग

  1. (क) भवसागर कठिनाई से पार किया जाता है।
    (ख) मैं और मेरा मित्र स्नान करने गंगा सागर गये।
  2.  (क) हमे नियमानुसार काम करना अच्छा लगता है।
    (ख) उन्होंने आपके कथनानुसार ही अपना कार्यक्रम तैयार किया।

 ज्ञानदा की डायरी परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

1. खेल हम सिर्फ जीतने या मनोरंजन के लिए नहीं खेलते। खेल हमें अनुशासन, धैर्य, सहिष्णुता, उदारता और हार-जीत को समान रूप से लेने का गुण सिखाते

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ ज्ञानदा की डायरी’ नामक पाठ से अवतरित हैं। इस पाठ को डायरी शैली में लिखा गया है।

प्रसंग-किसी भी खेल के खिलाड़ियों में खेल भावना का होना आवश्यक है।

व्याख्या-किसी भी खेल को जीत प्राप्त कर लेने अथवा एक विशेष मनोरंजन से मानसिक तनाव को न होने देने के लिए ही नहीं खेलते। खेल खेलने से हमारे अन्दर अनुशासन एवं धीरज रखने की भावना उत्पन्न होती है। इन्हीं दोनों गुणों से मनुष्य अपने जीवन को कुछ हद तक सफलता की सीढ़ी तक पहुँचा देता है। इन गुणों के अलावा हमारे अन्दर सहनशीलता, उदारता, (सभी को अपना ही मानने का गुण) हमारे अन्दर विकसित होने लगते हैं। खेल में हार हो अथवा जीत-इस हार-जीत को समान रूप से समझना चाहिए। इस प्रकार, ऊपर बताये गये अनेक गुण इन खेलों के खेलने से हम सीख जाते हैं।

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2. मैच के बाद, मेरी कोच ने मेरी सूझ-बूझ और तत्काल निर्णय लेने के लिए मेरी तारीफ की। तारीफ सुनकर मुझे बड़ा संकोच हुआ। खेल तो मिल-जुलकर ही खेला जाता है। व्यक्तिगत उपलब्धि से अधिक दल का हित सर्वोपरि होता है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रत्येक तरह के खेल में खिलाड़ियों के मेल-जोल से ही सफलता मिलती है।

व्याख्या-खेल में जीत पाकर खुशी हुई। खेल के बाद हम आगे चले, तो लेखिका की प्रशिक्षिका ने बताया कि खेल में उसी की सूझ-बूझ से सफलता मिली थी तथा जो निर्णय लेखिका ने उस क्षण लिया, वह बहुत ही अच्छा था, लाभकारी था। इस प्रकार प्रशिक्षिका ने लेखिका की प्रशंसा की। प्रशिक्षिका को अपनी तारीफ करते हुए सुन लेखिका को संकोच होने लगा। सही स्वभाव का व्यक्ति अपनी प्रशंसा सुनकर कभी भी घमण्डित नहीं होता, वह तो संकोच ही करता है। सभी खिलाड़ी अपने-अपने दायित्व को टीम में रहकर निभाते हैं। पूरा दल (टीम) सामूहिक जिम्मेदारी निभाता है, तो सफलता मिलती ही है। एक खिलाड़ी यदि व्यक्तिगत सफलता के लिए ही कार्य करता है तो सफलता प्राप्त होने में सन्देह रहता है।

ज्ञानदा की डायरी शब्दकोश

ख्याति = प्रसिद्धि स्पर्धा = होड़; नर्तक = नाचने वाला; उद्बोधन = बोलना, सम्बोधन; मुँह अंधेरे = सुबह के पहले का समय जब अँधेरा रहता है; चयन = चुना जाना, चुनाव में चुने जाने की प्रक्रिया; पंक्ति = कतार; मुताबिकअनुसार।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 18 लोकमाता : अहिल्याबाई

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 18 लोकमाता : अहिल्याबाई

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 18 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) अहिल्याबाई को “लोकमाता” क्यों कहते हैं ?
उत्तर
अहिल्याबाई के शासनकाल में सम्पूर्ण प्रजा सुख और शान्ति से तथा समृद्धि से भरपूर थी, इसलिए लोग उन्हें लोकमाता कहते थे।

(ख) मल्हार राव ने अहिल्याबाई को किस राह पर आगे बढ़ाया ?
उत्तर
मल्हार राव ने अहिल्याबाई की आन्तरिक शक्तियों और क्षमताओं को पहचाना तथा अपने बेटे के समान ही राजनीति और यद्ध कला की शिक्षा दिलायी, घुडसवारी सिखलाई। इस तरह अहिल्याबाई को एक अच्छे शासक होने की राह पर आगे बढ़ाया।

(ग) अहिल्याबाई ने राज्य की बागडोर किन परिस्थितियों में संभाली?
उत्तर
भरतपुर के राजा सूरजमल ने मल्हार राव को वार्षिक कर नहीं दिया तो मल्हार राव ने भरतपुर पर आक्रमण कर दिया। तीन महीने तक चले इस भीषण युद्ध में अहिल्याबाई के पति खण्डेराव वीरगति को प्राप्त हुए। इस भीषण आघात से व्याकुल और आहत अहिल्याबाई ने जनकल्याण के लिए दृढ़तापूर्वक होल्कर राज्य की बागडोर अपने हाथों से संभाली।

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(घ) पेशवा राघोवा द्वारा आक्रमण किए जाने पर अहिल्याबाई ने क्या किया ?
उत्तर
पेशवा राघोवा द्वारा आक्रमण किए जाने पर अहिल्याबाई ने तुकोजी को पेशवा राघोवा से युद्ध करने के लिए भेजा और पेशवा राघोवा के लिए एक पत्र लिखा। इस पत्र में लिखा कि वह उनके पूर्वजों के राज्य को हड़पने का सपना न देखे। वह स्वयं नारी सेना लेकर युद्ध करेंगी। उसे (पेशवा को) नारी द्वारा हराये जाने का अपयश मिलेगा। यदि उसने विजय भी प्राप्त की तो उसके मुख पर एक विधवा के राज्य को हड़पने की कालिख लगेगी। पेशवा राघोवा पर इस बात का प्रभाव पड़ा और वह बिना युद्ध किये लौट गया। अहिल्याबाई ने होल्कर राज्य को अपनी बुद्धिमानी और दूरदर्शिता से भयमुक्त कर लिया।

(ङ) सौभागसिंह कौन था ? वह कैसे पकड़ा गया ?
उत्तर
सौभागसिंह रामपुरा का सरदार था। उदयपुर के राणा ने उसकी सहायता के लिए विशाल सेना भेजी। मन्दसौर के युद्ध क्षेत्र में भयानक युद्ध हुआ। तिरेसठ वर्षीय अहिल्याबाई ने युद्ध का संचालन किया। विरोधी सेना के छक्के छुड़ा दिये। सौभागसिंह को पकड़ लिया गया।

(च) भीलों द्वारा लूटपाट की समस्या अहिल्याबाई ने किस तरह निपटाई?
उत्तर
भीलों द्वारा लूटपाट की समस्या अहिल्याबाई ने अपने विवेक से निपटाई। अहिल्याबाई ने भीलों के सरदार को ही यात्रियों की सुरक्षा का दायित्व दे दिया। साथ ही, यह नियम भी बना दिया कि जिस इलाके में यात्रियों से लूटपाट होगी, तो वहाँ के भील उसकी भरपाई भी करेंगे। इस तरह इस समस्या से मुक्ति मिली।

(छ) “महारानी अहिल्याबाई का जीवन जनहित की मिसाल है”-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
महारानी अहिल्याबाई का व्यक्तित्व जुझारू था। – उनमें चतुराई, बुद्धिमानी, राज्य संचालन की क्षमता थी। सम्पूर्ण – प्रजा सुखी और सम्पन्न थी। वह समस्याओं को तुरन्त निपटाती थी। सैनिकों के परिवारों की देखरेख करती थीं। कृषकों को । सुविधाएँ देती थीं। किसानों से कर बहुत कम लिया जाता था। उन्होंने उद्योग-धन्धों को भी बढ़ावा दिया।

उन्होंने विद्वानों, लेखकों, साहित्यकारों, ज्योतिषियों तथा कलाकारों को प्रोत्साहित किया। उन्हें राज्य में बसाया और उन्हें पुरस्कृत भी किया। इस तरह अहिल्याबाई का जीवन जनहित की मिसाल है। उन्होंने पूरे भारत में मन्दिर बनवाये। जरूरतमन्दों को कभी निराश नहीं होने दिया।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) यात्री…………….होकर राज्य में विचरण करने लगे थे।
(ख) अहिल्याबाई ने 63 वर्ष की अवस्था में युद्ध का …………….. संचालन किया।
(ग) भारत के मन्दिर …………… कला के अनुपम उदाहरण
उत्तर
(क) निर्भय
(ख) कुशलता से
(ग) वास्तु।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग छाँटकर लिखिए
प्रशिक्षित, सशरीर, आघात, सुयोग्य, आहत, अपयश, वियोग, विजय, विचरण।
उत्तर
प्र, स, आ,सु, आ, अप, वि, वि, वि।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों के समक्ष दिए गए
विकल्पों में से सही मुहावरे का प्रयोग करके रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) अहिल्याबाई के सामने दिग्गजों के ………….
(कालिख लगाना, छक्के छूटना, हार नहीं मानना)

(ख) गृहकार्य में दक्ष वधू ने सबका ………….. है।
(मन मोह लेना, घुटने टेकना, रास न आना)

(ग) अनैतिक कार्यों की पोल खुलने से व्यक्ति के …………. है।
(मुँह पर रंग लगना, मुंह पर कालिख लगाना, मुँह पर छींटे मारना)

(घ) अहिल्याबाई की वीरता की सभी थे।
(भूरि-भूरि प्रशंसा करना, विचलित होना, निन्दा करना)

(ङ) अहिल्याबाई ने पेशवा के सामने …………… थे।
(पैर टेकना, सिर टेकना, घुटने न टेकना)

(च) विदेशी भी भारतीय नारियों की वीरता देखकर …………. थे।
(आँख मूंद लेते थे, दाँतों तले अंगुली दबा लेते, कानों पर हाथ रख लेते थे)
उत्तर
(क) छक्के छूट जाते
(ख) मन मोह लिया
(ग) मुँह पर कालिख लग जाती
(घ) भूरि-भूरि प्रशंसा करते
(ङ) घुटने नहीं टेके
(च) दाँतों तले अँगुली दबा लेते।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के स्त्रीलिंग रूप लिखिए
शीलवान, बुद्धिमान, सुत, घोड़ा, नाना, जेठ, सेठ, ठाकुर।
उत्तर
स्त्रीलिंग-शीलवती, बुद्धिमती, सुता, घोड़ी, नानी, जेठानी, सेठानी, ठकुराइन।

लोकमाता : अहिल्याबाई परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

1. “आप मेरे पूर्वजों द्वारा अपने कठिन परिश्रम से स्थापित किए हुए होल्कर राज्य को हड़प लेने का दिवा स्वप्न मत देखिए, मैं अपनी नारी सेना के साथ आपसे युद्ध करूंगी। आप हारे तो आपको एक नारी द्वारा पराजित होने का अपयश मिलेगा और जीत गए तो एक पुत्र के वियोग से व्यथित विधवा के राज्य को अकारण हड़प लेने की कालिख आपके मुंह पर लगेगी। इस बात पर विचार कर उत्तर दें। मैं अपनी नारी सेना के साथ आपसे युद्ध करने के लिए तैयार हूँ।”

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश ‘लोकमाता : अहिल्याबाई’ नामक पाठ से अवतरित है। यह एक जीवनी है।

प्रसंग-होल्कर राज्य पर आक्रमण करने के लिए सेना सहित आये हुए पेशवा राघोवा के लिए अहिल्याबाई द्वारा लिखे पत्र का यह अंश है।

व्याख्या-अहिल्याबाई ने पत्र में लिखा कि होल्कर राज्य को उनके पूर्वजों ने बड़े ही परिश्रम से स्थापित किया है। तुम्हें इस राज्य को जबरन छीन लेने के लिए कल्पना नहीं करनी चाहिए यह विचार दिन में देखे सपने के समान होगा। मैंने तुमसे युद्ध करने का निश्चय कर लिया है। इस युद्ध में मेरी नारी सेना भाग लेगी जिसका संचालन में स्वयं (एक नारी) करूंगी। एक नारी के हाथ हार जाने पर तुम्हारा अपयश फैलेगा और यदि तुम जीत भी गए तो लोग कहेंगे कि तुमने एक विधवा के राज्य को छीन लिया जिसका पुत्र भी अभी-अभी मरा है। बिना किसी कारण तुमने राज्य छीन भी लिया, तो यह अपयश की कालिमा का टीका तुम्हारे माथे पर लगेगा। इन सभी बातों पर विचार करके मुझे उत्तर देने की कृपा करें। मैं युद्ध करने को तो तैयार हैं।

2. इस तरह जुझारू व्यक्तित्व की धनी रानी अहिल्याबाई ने अपने वाक् चातुर्य, बुद्धि कौशल से सत्ता का कुशलतापूर्वक संचालन कर जनता को सुखी किया। वह रोज दरबार लगातीं। प्रजा की समस्याओं का समाधान करतीं। वीरगति पाने वाले, सैनिकों एवं युद्ध में जाने वाले सैनिक परिवारों की सारी व्यवस्था स्वयं करतीं। वे कृषकों को सुविधाएँ देतीं। लगान के रूप में कृषि कर लिया जाता, जो बहुत कम होता, उसे भी वे जनहित के कार्यों में खर्च कर देतीं। अन्य उद्योगधन्धों को भी उन्होंने बढ़ावा दिया।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-अहिल्याबाई के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बतायी गई हैं।

व्याख्या-अहिल्याबाई विपत्तियों से जूझने वाली महिला थीं। उनमें वाणी की चतुराई थी। वह बुद्धिमान थीं। इस तरह विशेष कौशल से चतुराईपूर्वक राज्य के ऊपर शासन कर रही थी। सभी प्रजा सुखी थी। वे प्रतिदिन ही अपने दरबार में उपस्थित होती थीं। अपनी प्रजा की सभी समस्याओं का हल वे अपने आप करती थीं। जितने भी सैनिक युद्ध में वीरगति प्राप्त कर चुके थे. उनके परिवारों तथा जो सैनिक युद्ध क्षेत्र में लड़ने के लिए गये हुए हैं, अथवा जाने वाले हैं, उनके परिवारों के सदस्यों की देख-रेख का काम अहिल्याबाई स्वयं ही किया करती थीं। इनके सुख-सुविधा के लिए वे स्वयं उत्तरदायित्व लेती थी। उन्होंने किसानों को अनेक तरह की सुविधाएँ दी थीं। किसानों से जो कृषि कर लिया जाता था। उसे अन्य उद्योगों के लगाने, उनके विकास में लगाया गया।

लोकमाता : अहिल्याबाई शब्दकोश

विद्रोह-विरोध करना, विरुद्ध होना; जनहित = जनता का हित, जन कल्याण; पारंगत = निपुण; विचलित = अस्थिर, हटना, डिगना; प्रत्युत्तर = उत्तर का उत्तर, उत्तर पाने पर दिया गया उत्तर; कूटनीति = छलकपट की नीति; दायित्व = जिम्मेदारी; दिग्गज = प्रकाण्ड, महान्; वज्राघात = विचलित: दिवास्वप्न = दिन में स्वप्न देखना संवेदना = समान दु:ख, समान वेदना; दाँतों तले अंगुली दबाना = अचम्भा करना; विचरण = घूमना; छक्के छूटना = भयभीत हो जाना; क्षीणकाय = कमजोर शरीर वाला, दुबले = पतले शरीर वाला; अपयश = बुराई: दूरदर्शिता = आगे की सोचना।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 16 नरबदी

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 16 नरबदी

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 16 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) नरबदी कौन थी ? वह किसके साथ रहती थी?
उत्तर
मैकल पर्वत के घने जंगलों के एक गाँव में दुग्गन रहता था। नरबदी उसकी बेटी थी। नरबदी अपने पिता के साथ रहती थी।

(ख) पिता के साथ नरबदी कहाँ रहती थी?
उत्तर
नरबदी अपने पिता के साथ जनजातियों के एक गाँव में रहती थी। यह गाँव आठ-दस झोपड़ियों का गाँव था।

(ग) दुग्गन सुबह-सुबह पहाड़ की दिशा में क्यों चल पड़ा?
उत्तर
बरसात आने वाली थी। दुग्गन को झोंपड़ी की मरम्मत के लिए बाँस की जरूरत थी। बाँस लेने के लिए दुग्गन सुबह-सुबह पहाड़ की दिशा में चल पड़ा।

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(घ) नरबदी झरना क्यों बन गई?
उत्तर
नरबदी अपनी प्यास के कष्ट को भूल गई। उसकी आँखों के सामने परेशान पिता का चेहरा आ गया। उसकी आँखों से आँसुओं की झड़ी लग गई। वह अपने देवता से मन ही मन प्रार्थना करने लगी कि वे उसके पिता की रक्षा करें, क्योंकि उनका प्यास से बुरा हाल है। तुम मेरे प्राण ले लो, लेकिन मेरे प्यारे बाबा को बचा लो। इसके साथ ही नरबदी वहाँ से अदृश्य हो गयी और झरने के रूप में वहाँ से प्रकट हो गई।

(ङ) लोक कथा के अनुसार नरबदी के कारण किस नदी का जन्म हुआ ?
उत्तर
लोक कथा के अनुसार नरबदी के कारण ‘नर्मदा’ नदी का जन्म अमरकण्टक से हुआ।

प्रश्न 2.
निम्नांकित कथनों का आशय स्पष्ट कीजिए

(क) उसकी आँखों के सामने पिता का परेशान चेहरा घूम गया।
आशय-नरबदी को उसके पिता दुग्गन का चेहरा स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था। उसके चेहरे से दुग्गन की परेशानी भी झलक रही थी, क्योंकि वह लगातार ही अपनी प्यासी पुत्री के लिए पानी की तलाश कर रहा था। .

(ख) मैं तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए झरना बन गई हूँ।
आशय- नरबदी ने अपने परेशान और प्यासे पिता दुग्णन के लिए जल प्राप्त कराने वाले झरने का रूप धारण कर लिया।

प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) …………. तब घने जंगलों से घिरा था।
(ख) दुग्गन ने उसे ………….की तरह पाला पोसा था।
(ग) दुग्गन के हाथ अपने आप ………….. में उठकर जुड़ गए।
(घ) मैं तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए ……… बन गई हूँ।
(ङ) इस जंगल में अब कभी कोई आदमी … से अपनी जान नहीं देगा।
उत्तर
(क) मैकल पर्वत
(ख) माँ
(ग) प्रार्थना
(घ) झरना
(ङ) प्यास।

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भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के सामने कुछ शब्द लिखे हुए हैं। इनमें प्रत्येक के साथ दो-दो पर्यायवाची शब्द हैं, आप उन्हें छाँटकर लिखिए
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 16 नरबदी 1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश में यथास्थान विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए
वह मन ही मन बड़े देव को मनाने लगी है बड़े देव मेरे बाबा को बचा लेना उनका प्यास के मारे बुरा हाल है पानी नहीं मिला तो वे मर जाएंगे
उत्तर
वह, मन ही मन, बड़े देव को मनाने लगी है। बड़े देव ! मेरे बाबा को बचा लेना। उनका प्यास के मारे बुरा हाल है। पानी नहीं मिला, तो वे मर जाएँगे।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का सही क्रम करके सार्थक वाक्य बनाइए
(क) मुस्कुराने की कोशिश नरबदी की ने।
(ख) चुकी थी थक वह तरह बुरी।
(ग) थी वाली बरसात आने।
(घ) वह हो चिन्तित उठा न नरबदी को वहाँ पाकर।
(ङ) रही थी बह नरबदी।
उत्तर
(क) नरबदी ने मुस्कुराने की कोशिश की।
(ख) वह बुरी तरह थक चुकी थी।
(ग) बरसात आने वाली थी।
(घ) नरबदी को वहाँ न पाकर वह चिन्तित हो उठा।
(ङ) नरबदी बह रही थी।

प्रश्न – दिए गए संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय शब्दों से उदाहरण के अनुसार विशेषण बनाइए
(क) संज्ञा-(1) धन, (2) सुख, (3) ज्ञान, (4) दान, (5) बल, (6) गुण।
उत्तर
विशेषण-(1) धनी, (2) सुखी, (3) ज्ञानी, (4) दानी, (5) बली, (6) गुणी।

(ख) सर्वनाम-(1) यह, (2) वह, (3) कौन, (4) जो।
उत्तर
विशेषण-(1) ऐसा, (2) वैसा, (3) कैसा, (4) जैसा।

(ग) क्रिया-(1) पढ़ना, (2) लड़ना, (3) झगड़ना, (4) बेचना।
उत्तर
विशेषण-(1) पढ़ाकू, (2) लड़ाकू, (3) झगड़ालू, (4) विकबाल।

(घ) अव्यय-(1) आगे, (2) पीछे, (3) बाहर, (4) ऊपर।
उत्तर
विशेषण-(1) अगला, (2) पिछला, (3) बाहरी, (4) ऊपरी।

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प्रश्न 5.
नीचे बनी तालिकाओं में दिए गए उदाहरणों के अनुसार रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 16 नरबदी 2

नरबदी परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

1. मैकल के शिखर पर घने-ऊँचे पेड़ तो थे, लेकिन झरने की कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी, दुग्गन भटकता रहा। उसका भी प्यास के मारे बुरा हाल था। वह सोच रहा था-जब प्यास के कारण मेरी यह दशा हैतो नहीं जान नरबदी का क्या हाल होगा? उसने सिर उठाकर आसमान की तरफ देखा। सूरज तमतमाया हुआ था। दुग्गन के हाथ अपने आप प्रार्थना में उठकर जुड़ गए। वह लगभग रुआंसा होकर गिड़गिड़ाया, “हे प्रभु ! मेरी लाडली की रक्षा कर। वह बिना माँ की बच्ची है। उसे कुछ हो गया तो मैं जीवित नहीं रह पाऊँगा।”

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘नरबदी’ नामक पाठ से ली गई हैं। इस लोककथा के लेखक लक्ष्मीनारायण ‘पयोधि हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत गोंडी लोक कथा में लेखक ने नर्मदा नदी के उद्गम की कल्पना प्रस्तुत की है।

व्याख्या-मैकल पर्वत (अमरकण्टक पहाड़) की सबसे ऊँची चोटी पर बहुत ऊँचे-ऊँचे पेड़ थे। वहाँ कोई झरना नहीं था, क्योंकि झरने के बहने की आवाज सुनाई नहीं पड़ रही थी। दुग्गन अपनी प्यासी बेटी नरबदी के लिए पानी लाने के लिए चारों और भटकता रहा। वह भी प्यास से पीड़ित था। उसने विचार किया कि जब प्यास से मेरी यह दशा है तो अति छोटी-सी मेरी पुत्री नरबदी का हाल तो प्यास से बहुत बुरा हो रहा होगा। उसने आसमान की ओर देखा। सूरज अपनी रोशनी से तप रहा था। उसने हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना की। वह प्रार्थना करते समय रो रहा था। दयनीय अवस्था में कहने लगा “हे ईश्वर ! तू, मेरी प्यारी पुत्री नरबदी की रक्षा करना। वह बिना माँ की बेटी है। उसको कुछ भी नहीं होना चाहिए, नहीं तो मैं अपना जीवन समाप्त कर दूंगा।”

नरबदी शब्दकोश

शिखर = चोटी; तूम्बा = विशेष प्रकार की लौकी से बना पात्र, बर्तन; लस्त-पस्त = थका हारा ; प्रतिध्वनि = गूंज;झुरमुट = झाड़ियों का समूह।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 14 मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 14 मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 14 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) कवि का ठहरने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
ठहरने से कवि का तात्पर्य है, गतिहीन हो जाना, किसी भी प्रकार की उन्नति से रहित। दूसरा अर्थ जीवन का रुक जाना भी होता है।

(ख) हमें अपने साथ किन्हें लेकर चलना है?
उत्तर
हमें अपने साथ जमाने को लेकर चलना है। साथ ही, पिछड़े हुए लोगों को भी आगे बढ़ाना है।

(ग) जीवन की बाधाओं को कैसे दूर किया जा सकता
उत्तर
पक्के निश्चय से (पक्के इरादों से) जीवन की बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

(घ) कवि के अनुसार मनुष्य को कब पछताना पड़ता है?
उत्तर
काम करने के उचित अवसर के हाथ से निकाल दिये जाने पर मनुष्य को पछताना पड़ता है।

(ङ) कवि निरन्तर चलते रहने को महत्त्व क्यों दे रहा
उत्तर
कवि निरन्तर चलते रहने को महत्त्व इसलिए दे रहा है, क्योंकि ठहरना पतन का और मृत्यु का प्रतीक है। जीवन में ठहराव अवनति लाने वाला होता है।

(च) समय व्यर्थ क्यों नहीं गवाना चाहिए?
उत्तर
हमें अपना समय व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए। अपनी जिम्मेदारी का निभाना ही ईश्वर की पूजा है। अतः प्रत्येक क्षण का सही उपयोग करते हुए काम को पूरा करें, नहीं तो काम करने के उचित अवसर के बीत जाने पर हमें पछताना पड़ेगा।

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प्रश्न 2.
निम्नांकित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

(क) तुमको प्रतीक बनना है, विश्व प्रगति का।
तुमको जनहित के साँचे में ढलना है।
उत्तर
हे मनुष्य, तुम्हें संसार की प्रगति के प्रतीक (पहचान) बनकर प्रत्येक मनुष्य की भलाई के लिए एक साँचा . (आदर्श) बन जाना चाहिए।

(ख) जितने भी रोड़े मिलें, उन्हें ठुकराओ।
पच के कांटों को पैरों से दलना है।
उत्तर
हे मनुष्य, तुम्हारे मार्ग में कितनी ही बाधाएँ और रुकावटें भले ही आ जाएँ, परन्तु उन्हें अपने पैर की ठोकर से हटा दो। मार्ग में कितने भी काँटे हो सकते हैं, परन्तु हिम्मत के साथ उनके ऊपर से चलते हुए, उन्हें कुचलते हुए आगे ही आगे बढ़ते जाना चाहिए। मार्ग की बाधाओं और रुकावटों को हिम्मत से दूर करते हुए, अपने निश्चित मार्ग पर आगे ही आगे गतिमान बने रहना हमारा कर्तव्य है।

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) सुख की खोज बड़ी ………….. है।
(ख) जनहित के साँचे में ……….. है।
(ग) काँटों को पैरों से ……….. है।
(घ) अवसर खोकर हाथ ………… है।
(ङ) प्रण से तुम्हें नहीं ………. है।
उत्तर
(क) छलना
(ख) ढलना
(ग) दलना
(घ) मलना
(ङ) टलना

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए। साथ ही कविता में उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए, जिनमें इन मुहावरों का प्रयोग हुआ है
(क) साँचे में ढलना
(ख) हाथ मलना
(ग) व्रत लेना
(घ) जुट जाना
(ङ) अवसर खोना।
उत्तर
(1) अर्थ-(क) अनुसार बन जाना
(ख) पछताना
(ग) प्रतिज्ञा कर लेना
(घ) लग जाना
(ङ) समय को निकाल देना।

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(2) पंक्तियाँ जिनमें मुहावरों का प्रयोग हुआ है
(क) तुमको जनहित के साँचे में ढलना है।
(ख) अवसर खोकर तो सदा हाथ मलना है।
(ग) जब चलने का व्रत लिया, ठहरना कैसा?
(घ) जो कुछ करना है, उठो ! करो, जुट जाओ।
(ङ) अवसर खोकर तो सदा हाथ मलना है।

प्रश्न 2.
इस कविता के तुकान्त शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर
(क) चलना, टलना, छलना, ढलना, दलना मलना।
(ख) पतन, जीवन।
(ग) चलाओ, बढ़ाओ, ठुकराओ, जुट जाओ, गँवाओ।
(घ) आती, जाती।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों के । विलोम शब्द भरिए
(क) जीवन में उत्थान और ………… आते ही रहते हैं।
(ख) कहीं भी अधिक ठहरना अच्छा नहीं, हमेशा प्रगति के – पथ पर ……..अच्छा है।
(ग) पशु-पक्षी भी अपना हित ……….. जानते हैं।
(घ) असफलता के बाद ……….का मिलना एक प्रक्रिया
(ङ) सुख सभी चाहते हैं ………कोई नहीं।
उत्तर
(क) पतन
(ख) चलना
(ग) अनहित
(घ) सफलता
(ङ) दुःख।

प्रश्न 4.
दिये गये प्रयोगों की तरह नीचे दिए गए वाक्यों 1 में ‘मत’ का प्रयोग कीजिए।
(क) रुको मत, आगे बढ़ो।
(ख) पढ़ो मत, बात करो।
(ग) हँसो मत, भोजन करो।
(घ) भागो मत, धीरे चलो।
उत्तर
(क) मत रुको, आगे बढ़ो।
(ख) पढ़ो, मत बात करो।
(ग) मत हँसो, भोजन करो।
(घ) मत भागो, धीरे चलो।

मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

1. मत ठहरो, तुमको चलना ही चलना है।
चलने के प्रण से, तुम्हें नहीं टलना है।
केवल गति ही जीवन, विश्रान्ति पतन है।
तुम ठहरे, तो समझो ठहरा जीवन है।
जब चलने का व्रत लिया, ठहरना कैसा?
अपने हित सुख की खोज बड़ी छलना है।
मत ठहरो, तुमको चलना ही चलना है।

शब्दार्थ-प्रण = प्रतिज्ञा; टलना = हटना; गति = चलना; विश्रान्ति = थकान, या रुकावट; पतन = गिरावट, अधोगति; ठहरे = स्थिर होना, रुकना; व्रत = प्रण, प्रतिज्ञा; हित = भलाई के लिए, कल्याण के लिए;
छलना = धोखा; ठहरो-रुको।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक की कविता ‘मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है’ से लिया गया है। इस कविता के रचयिता श्रीकृष्ण ‘सरल’ हैं।

प्रसंग-जीवन गतिमान होता है। ठहराव आने पर अवनति हो जाती है।

व्याख्या-हे मनुष्य ! तुम्हें ठहरना नहीं है। तुम्हें तो लगातार चलते रहना है। तुमने चलने का जो प्रण (व्रत, प्रतिज्ञा) किया है, उसी पर तुम्हें मजबूती से बने रहना है। उससे बिल्कुल भी हटना नहीं है। जीवन में गति हुआ करती है। थकान या रुकावट आने पर आदमी को समझ लेना चाहिए कि उसके जीवन में गिरावट आ गई। इसलिए तुम्हारे ठहराव से जीवन भी ठहर जाता है। शायद उसे फिर जीवन नहीं कहते हैं, परन्तु जब हमने चलते रहने का प्रण किया हुआ है, प्रतिज्ञा की हुई है तो ठहराव किस बात का, कैसा ? अपने कल्याण के लिए यदि हम सुख की खोज करते हैं, तो यही एक धोखा है। तुम्हें बिना ठहरे ही चलते रहना है।

2. तुम चलो, जमाना अपने साथ चलाओ,
जो पिछड़ गये हैं, आगे उन्हें बढ़ाओ।
तुमको प्रतीक बनना है, विश्व प्रगति का,
तुमको जनहित के साँचे में ढलना है।
मत व्हरो तुमको चलना ही चलना है।

शब्दार्थ-जमाना = युग; प्रतीक = चिह्न, पहचान; विश्व प्रगति-संसार की उन्नति जनहित सभी लोगों की भलाई के।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह। प्रसंग-कवि सन्देश दे रहा है कि हमें आगे बढ़ना चाहिए और दुनिया के अन्य लोगों को भी आगे बढ़ाना चाहिए।

व्याख्या-कवि कहता है कि तुम्हें लगातार चलते रहना है, साथ ही युग को भी अपने साथ चलाना है। इस उन्नति की दौड़ में जो पीछे रह गये हैं, उन्हें भी आगे बढ़ाने का हमारा कर्तव्य है। इस तरह संसार की उन्नति का, उसमें परिवर्तन लाने का आदर्श बनकर तुम्हें प्रतीक (पहचान) बनना है। इस संसार के लोगों की भलाई के लिए कार्य करने के साँचे में तुम्हें ढल जाना चाहिए। इसलिए तुम ठहरो मत, तुम्हें तो आगे ही आगे बढ़ते जाना है।

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3. बाधाएँ, असफलताएँ तो आती हैं।
दृढ़ निश्चय लख, वे स्वयं चली जाती हैं।
जितने भी रोड़े मिलें, उन्हें ठुकराओ,
पथ के काँटों को पैरों से दलना है।
मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है।

शब्दार्थ-बाधाएँ = रुकावटें; असफलताएँ = विफलताएँ; दृढ़ निश्चय- पक्का इरादा; लख – देखकर रोड़े-रुकावट, मार्ग की बाधाएँ ठुकराओ = ठोकर मारकर हटा दो; पथ – मार्ग; दलना = कुचलना है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि सन्देश देता है कि हमें असफलताओं, बाधाओं से नहीं घबराना चाहिए।

व्याख्या-मनुष्य के जीवन में आने वाली बाधाएँ (रुकावटें) और विफलताएँ मनुष्य के पक्के इरादों को देखकर अपने आप ही चली जाती हैं। वे उसके मार्ग में रुकावट बनने से हट जाती हैं। इसलिए मार्ग के रोड़ों को अपने पैर की ठोकर से एक तरफ हटा दो। अपने मार्ग के काँटों को अपने पैरों से कुचल डालो और अपने मार्ग पर चलते रहो, तुम्हें रुकना नहीं है।

4. जो कुछ करना है, उठो ! करो, जुट जाओ,
जीवन का कोई क्षण, मत व्यर्थ गवाओ।
कर लिया काम, भज लिया राम यह सच है,
अवसर खोकर तो सदा हाथ मलना है।
मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है।

शब्दार्थ-जुट जाओ – (काम में) लग जाओ; व्यर्थ = बेकार, निष्फल; गँवाओ= नष्ट करो, बिताओ; अवसर खोकर – मौका नष्ट करके; सदा = हमेशा; हाथ मलना है पश्चाताप करना है, पछताना है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि कहता है कि समय व्यर्थ बिताकर मनुष्य को जीवनभर पश्चाताप करना पड़ता है।

व्याख्या-हे मनुष्यो ! तुम्हें जो भी कार्य करना है, उसे पूरा करने के लिए तुम्हें उठना चाहिए। कार्य पूरा करो। कार्य में तल्लीन होकर लग जाओ। अपने जीवन के समय का एक भी क्षण व्यर्थ (बेकार के कामों में) नहीं बिताना चाहिए। यदि तुमने अपने कर्तव्य का पालन किया हुआ है, तो समझो तुमने राम का भजन कर लिया। अर्थात् अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना ही ईश्वर की भक्ति है। काम को पूरा करने का समय गंवा दिया, तो फिर सदा ही पछताना पड़ेगा। इसलिए तुम्हें ठहरना नहीं, सदैव गतिमान बने रहो।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 13 अगर नाक न होती

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 13 अगर नाक न होती

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 13 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) नाक को किस बात का प्रतीक माना जाता है?
उत्तर
नाक को इज्जत व प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता

(ख) आदमी सामान्यतः नाक रगड़ने को कब मजबूर हो जाता है?
उत्तर
जब आदमी का बुरा वक्त आता है या उसे किसी से कोई काम करवाना होता है, तब वह सारा अक्खड़पन भूल जाता है और वह हजार बार नाक रगड़ने को मजबूर हो जाता है।

(ग) असली हींग और देशी घी की पहचान में नाक का क्या उपयोग है?
उत्तर
नाक से ही असली हींग और देशी घी की पहचान कर सकते हैं। नाक की सहायता से सँघकर असली और नकली की पहचान करते हैं। इसलिए नाक का सूंघने की अपनी इसी विशेषता के कारण बड़ा महत्व है, उपयोग है।

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(घ) नाक हीटर का काम कैसे करती है ?
उत्तर
बाहर की ठण्डी हवा को नाक गरम करती है और तब उसे अन्दर जाने देती है। हवाओं को गरम करने के कारण ही नाक हीटर का काम करती है।

(ङ) नाक में कौन-से आभूषण पहने जाते हैं ?
उत्तर
नाक में सोने की हीरे-मोती जड़ी नथ, नथुनी, लौंग, बुलाक, आदि आभूषण पहने जाते हैं।

(च) नाक के लिए कोई चार उपमाएँ लिखिए
उत्तर
नाक को प्रायः निम्नलिखित चार उपमाएँ देकर वर्णित किया गया है

  1. सारस जैसी लम्बी
  2. चिलगोजे जैसी छोटी
  3. चोथ जैसी चपटी
  4. पकौड़ा जैसी मोटी।

प्रश्न 2.
इन कर्मेन्द्रियों को उनके कामों (कार्यों से मिलाओ और सामने लिखो

(1) सूंघना – (क) आँख
(2) छूना – (ख) कान
(3) देखना – (ग) नाक
(4) सुनना – घ) मुँह
(5) चखना – (ङ) त्वचा
उत्तर
(क)→ (3),(ख)→(4),(ग)→(1),(घ)→ (5),(ङ) → (2)

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भाषा अध्ययन

ग्रान 1.
इस पाठ में आये हुए-तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्द छाँटकर लिखिए
उत्तर
तत्सम् = मनोवैज्ञानिक, मृत्यु, उच्छ्वास, प्रदूषण, पर्यावरण।
तद्भव = ब्याह, रूठ, सहेली, हेकड़ी, शिख, नख, पाँव।
देशज = छोछक, नकटा, नथुनी, बुलाक, असली, नकसुरा, छन्ना।
विदेशी = कूलर, टी.वी., फ्रिज, प्लास्टिक सर्जरी, कटलेट।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सम्बन्ध बोधक अव्ययों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए
के सामने, के बिना, के नीचे, के ऊपर, की ओर, के बदले की अपेक्षा, के साथ।
उत्तर
मेरे घर के सामने स्थित पेड़ के नीचे वे बैठते हैं। उस पेड़ के ऊपर पक्षी रहते हैं।
बालक माता-पिता के बिना सुस्त दिखते हैं।
रवीन्द्र के बदले उसके साथ मोहन खेत की ओर गया,
क्योंकि उसकी अपेक्षा मोहन ताकतवर है।

प्रश्न 3.
‘नाक’ शब्द से अनेक मुहावरे बनते हैं। निम्नलिखित तालिका में ‘नाक’ शब्द जोड़कर मुहावरे बनाइए
रखना, कटना, ऊंची रखना, फुलाना, रहना, के नीचे, चने चबाना।
उत्तर
नाक रखना। नाक कटना। नाक ऊँची रखना। नाक फुलाना। नाक रहना। नाक के नीचे। नाकों चने चबाना।
मुहावरों का अर्थ-इज्जत का बचाव करना। इज्जत चली जाना। सम्मान बनाये रखना। गुस्सा हो जाना। इज्जत या सम्मान का बना रहना। उपस्थिति में परेशान करना।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पीछे ‘दिखाना’ शब्द जोड़ने से बने मुहावरों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए
आँख, अँगूठा, दाँत, पीठ, जीभ, आईना।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 13 अगर नाक न होती 1

प्रश्न 5.
‘कितना’ और ‘अगर’ शब्द लगाकर पाँच वाक्य बनाओ।
उत्तर

  1. ‘कितना’ अच्छा होता ‘अगर’ वह परीक्षा में पास हो जाता।
  2. ‘कितना अच्छा होता ‘अगर’ मेरा मित्र आज यहाँ आ जाता।
  3. ‘कितना’ अच्छा होता ‘अगर’ वह मेरी सहायता कर देता।
  4. ‘कितना अच्छा होता ‘अगर’ वह मेरे साथ यात्रा में होता।
  5. ‘कितना’ अच्छा होता ‘अगर’ वह मेरे विद्यालय में प्रवेश लेता।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों को दिए गये उदाहरण के अनुसार बदलिए
(क) वे मौके की तलाश में रहते हैं कि कब, कैसे, किसी की नाक रगड़ दें।
(ख) यह कोशिश रहती है कि उसकी नाक न कटे।
(ग) आज तुम्हें अच्छा गाना सुनाती हूँ।
(घ) सेठ जी अपने बच्चे के जन्म दिन पर सभी को दावत खिलाते हैं।
उत्तर
(क) वे मौके की तलाश में रहते हैं कि कब, कैसे, किसी की नाक रगड़वा दें।
(ख) यह कोशिश रहती है कि उसकी नाक न कटवा दें। (ग) आज तुम्हें अच्छा गाना सुनवाती हूँ।
(घ) सेठ जी अपने बच्चे के जन्मदिन पर सभी को दावत खिलवाते हैं।

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प्रश्न 7.
उदाहरण के अनुसार क्रियारूप परिवर्तन करके लिखिए
खाना, जाना, गाना, पढ़ना, हँसना, रोना, सोना, धोना।
उत्तर

  1. खाकर, खाया
  2. जाकर, गया
  3. गाकर, गाया
  4. पढकर, पढ़ा
  5. हँसकर, हंसा
  6. रोकर, रोया
  7. सोकर, सोया
  8. धोकर, धोया।

प्रश्न 8.
नीचे उर्दू के शब्द दिए गये हैं, उनके हिन्दी शब्द लिखिए
औकात, आदमी, खानदान, इल्जाम, वक्त, तलाश, जिन्दगी, मर्द।
उत्तर

  1. क्षमता
  2. मनुष्य
  3. कुटुम्ब
  4. दोष
  5. समय
  6. अन्वेषण
  7. जीवन
  8. पुरुष।

अगर नाक न होती परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

1. नाक की चिन्ता में आदमी का जीना मुहाल हो गया है। नाक रखने की खातिर लोग मुकदमेबाजी में बरबाद हो जाते हैं, कर्ज लेकर भी व्याह-शादी, भात-छोछक आदि में अन्धाधुन्ध खर्च करते हैं। जन्म पर ही नहीं, मृत्यु पर भी दावत खिलाते हैं। खरीदने की औकात न होने पर भी महंगी किश्त देकर टी.वी., फ्रिज या कूलर आदि ले आते हैं, क्योंकि नाक नीची होने से डरते हैं। लोग अपनी धाक जमाने के लिए नाक ऊँची रखते हैं।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘अगर नाक न होती’ नामक पाठ से अवतरित हैं। इसके लेखक ‘गोपाल बाबू शर्मा हैं।

प्रसंग-इस पाठ में लेखक ने अपनी व्यंग्य शैली में नाक के रखने या नाक के कट जाने जैसे मुहावरों का प्रयोग करके बताया है, कि आदमी इस खातिर न जाने कितने आडम्बर युक्त कार्य करता है।

व्याख्या-लेखक कहता है कि आज आदमी अपनी इज्जत रखने की चिन्ता में बड़ी कठिनाई से जीवन जी रहा है। अपनी नाक रखने की (इज्जत रखने की) चिन्ता लगी रहती है, अतः वह मुकदमेबाजी में धन खर्च कर देता है और नष्ट हो जाता है। चाहे उसे ऋण (कर्ज) लेना पड़े. फिर भी विवाह, भात-छोछक जैसे कामों के ऊपर आँख बन्द करके व्यय करता है। लोग बच्चे के जन्म की खुशी पर दावत देते हैं, साथ ही वे मृत्युभोज देकर भी अपना नाम कमा लेने की बात करते हैं। उनकी उतनी हैसियत न हो, पर कितना भी महँगा टी. वी. हो, फ्रिज हो या कूलर हो, इन सबको वे खरीदते हैं। किश्त का ऋण चुकाने के लिए वे परेशान हो सकते हैं, परन्तु उन्हें अपनी नाक नीची होने का भय सताता रहता है। अपनी नाक रखने के लिए (इज्जत बचाने के लिए) वे गलत और अनुचित काम करने से भी पीछे नहीं हटते हैं।

2. नाक के कारण आदमी को नाकों चने चबाने पड़ते हैं। नाक बड़ी जल्दी कटती है और प्रायः बिना किसी हथियार के ही कट जाती है। आदमी की अपनी नाक के साथ खानदान की नाक भी जुड़ी रहती है। कभी कोई ऐसी-वैसी बात हो जाए, लड़का घर से रूठकर भाग जाए, कोई झूठ-मूठा इलजाम जान को लग जाए, तो अपनी ही नहीं, पूरे खानदान की नाक कट जाती है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-अपनी इज्जत रखने के लिए (नाक रखने के लिए) आदमी अनेक तरह की कोशिश करता है।

व्याख्या-आदमी यदि अपनी इज्जत बचाना चाहता है, तो उसे अच्छा खासा परिश्रम करना पड़ता है। आज आदमी की नाक (इज्जत) बड़ी जल्दी ही चली जाती है (कट जाती है), इस काम के लिए उसे किसी हथियार आदि का प्रयोग भी नहीं करना पड़ता। अकेले उस आदमी की ही नहीं, उसके परिवार के, उसके सम्बन्धी लोगों की भी नाक चट से कट जाती है। उनकी इज्जत चली जाती है। छोटी-मोटी घटना के घट जाने से उस आदमी के सम्बन्धियों आदि की भी इज्जत समाप्त हो जाती है। चाहे उनके घर-परिवार में छोटी-से-छोटी घटना ही क्यों न घट जाए-वह भी बहुत महत्वपूर्ण बात मानी जाती है।

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3. जब आदमी का बुरा वक्त आता है, या उसे किसी सेकोई काम करवाना होता है, तब वह सारी हेकड़ी भूल जाता है। एक बार क्या हजार बार नाक रगड़ता है। जब कोई गलती हो जाती है, तब भी आदमी को अपनी नाक रगड़नी पड़ती है। जिन लोगों में बदले या ईर्ष्या की भावना होती है, वे भी मौके की तलाश में रहते हैं कि कब, कैसे किसी की नाक रगड़वा दें।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-आदमी के ऊपर बुरे समय के आने पर भी उसे अपनी इज्जत बचाने के लाले पड़ सकते हैं।

व्याख्या-आदमी के जब खराब दिन आते हैं, तो वह अपना सारा अक्खड़पन भूल जाता है। उसे अपने काम करवाने के लिए अनेक बार अपनी इज्जत की परवाह न करते हुए भी नीचे दर्जे का व्यवहार करने पर उतारू रहना पड़ता है। अपनी गलती के लिए भी आदमी को अपनी आत्मा के विरुद्ध आचरण अपनाना पड़ता है। ऐसी विपरीत दशा में, कुछ लोग जो जलनशील स्वभाव के होते हैं अथवा जो बदला लेना चाहते हैं, वे भी अपने ऐसे मौके की तलाश जारी रखते हैं, जिसमें वे अपने विरोधी की नाक काटना चाहते हैं। वे उसे नीचा दिखाना चाहते हैं।

4. गुस्सा भी बहुत से लोगों की नाक पर रखा रहता है। उनसे जरा कुछ कहा नहीं कि बिना बात नाक फुला लेते हैं। नाक में जितनी कमियाँ या बुराइयाँ हैं, उससे ज्यादा अच्छाइयाँ हैं इसलिए जिनकी नाक नहीं होती है, वे भी नाक लगाते हैं, भले ही इस बात पर कोई दूसरा नाक भौंह सिकोड़े तो सिकोड़ता रहे।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-बहुत जल्दी ही नाराज हो जाने वाले आदमियों पर – व्यंग्य कसा जा रहा है।

व्याख्या-लेखक कहता है कि कुछ लोग इस तरह के होते हैं कि वे छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाते हैं। उनसे चाहे, उनके फायदे की ही बात क्यों न कही जायें, परन्तु फिर भी वे अपनी नाक फुला लेते हैं अर्थात् अपना क्रोध प्रकट कर बैठते हैं। इस तरह नाक से सम्बन्धी अनेक बुराइयाँ हो सकती हैं, अनेक कमियाँ हो सकती हैं, परन्तु हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नाक से अनेक लाभ भी हैं, क्योंकि शरीर के एक अंग होने की दशा में नाक अपना अलग ही महत्व रखती है जिसे कटने से – बचाये रखने के लिए अति खर्चीले काम भी करने पड़ते हैं।

अगर नाक न होती शब्दकोश

मुहाल = कठिन औकात = हैसियत; हेकड़ी = अकड़, अड़ना; फ्रन्ट = मुकाबला या सामना; नक्कूशाह- अपने आपको बड़ा समझने वाला; निःश्वास = श्वास निकाल देना, बिना सांस लिए; नाक नीची होना – अपमानित होना; नाक बचाना = सम्मान की रक्षा करना; भात-छोछक = विवाह अथवा बच्चे के जन्म के समय पर मामा के द्वारा दिया जाने वाला । भेंट; फुरेरी = सींक व तिनके के सिरे पर लिपटी हुई रुई जिस पर इत्र, तेल आदि चुपड़ा जाता है; चोथ = गाय, भैंस का गोबर,सुतवाँ = लम्बी, पतली; उच्छ्वास = लम्बी साँसें, गहरी साँसे; नाक रखना = सम्मान रखना; नाक जमाना = प्रभाव छोड़ना; नाकों चने चबाना = बहुत कष्ट सहना; असम्मानित होना = अनादरित होना; मान न मान मैं तेरा मेहमान = जबरदस्ती करना; नाक फुलाना = रूठ जाना; हाथ के तोते उड़ जाना = घबरा जाना; नानी याद आना = बड़े संकट में पड़ जाना; न बैठने देना = चैन न लेने देना; नाक नचाना = परेशान करना; सिर खाना = परेशान करना; नाक का बाल बनना बहुत प्रिय होना; आँख दिखाना = हीनता प्रकट करना; पीठ दिखाना =घर के लिए भाग जाना; नाक रगड़ना-मिन्नतें करना; गुस्सा नाक पर रखा होना – जल्दी नाराज हो जाना; सोने में सुहागा – अच्छी वस्तु में और अधिक अच्छाई; चार चाँद लगाना – सुन्दरता बढ़ जाना नाक पर मक्खी तक न बैठने देना- अपने विरुद्ध कुछ भी न सुनना; नाक के नीचे होना = उपस्थिति में, मौजूदगी में, नाक रहना = सम्मान बचे रहना; मुँह की खाना = घर जाना, अपमानित होना; सिंगट्टा दिखाना = बेवकूफ बना देना, प्रार्थना न सुनना; दाँत दिखाना = हीनता प्रकट करना।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 नींव का पत्थर

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 नींव का पत्थर

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 12 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) जूही के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता है’हँसना’। आपको जूही की हँसी से क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर
हँसना बहुत जरूरी है। जूही के चरित्र की यह बहुत बड़ी विशेषता है। जूही की हँसी सभी को प्रेरणा देती है कि वे मृत्यु से भी भयभीत नहीं हो सकेंगे। उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी हँसना चाहिए। इस प्रकार हम अपनी मंजिल की ओर बढ़ते जा सकते हैं।

(ख) “वीरता कलंकित न हो, सुशोभित हो” इसके लिए कौन-कौन से कार्य करना चाहिए?
उत्तर
वीरता तभी कलंकित होती है जब हम अपने कर्त्तव्य के पालन में पीछे रहते हैं। कर्त्तव्यपालन से मिलने वाली सफलता वीरता को सुशोभित करती है। इसलिए मातृभूमि की आजादी की रक्षा के काम में अडिग बना रहना चाहिए। मातृभूमि की सेवा हमारे बलिदान को चाहती है।

(ग) निम्नांकित के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए
(क) लक्ष्मीबाई
(ख) मुन्दर
(ग) तात्या।
उत्तर
(क) लक्ष्मीबाई – महारानी लक्ष्मीबाई अपनी मातृभूमि से बहुत प्रेम करती हैं। वे उसकी आजादी की रक्षा में अपना सर्वस्व लुटा देती हैं। वे आजादी के लिए लगातार लड़ती रहती हैं। दृढ़ प्रतिज्ञ लक्ष्मीबाई हँसते-हँसते आजादी की बलि वेदी पर स्वयं को न्योछावर कर देती हैं। देशभक्ति, जनसेवा और राष्ट्र सेवा के लिए सब कुछ त्यागने के लिए तत्पर रहती हैं।

(ख) मुन्दर – मुन्दर महारानी लक्ष्मीबाई की सहेली है। वह फिरंगियों (अंग्रेजों) के आगमन की सूचना पर व्याकुल हो उठती और चाहती है कि उन्हें एकदम वहाँ से खदेड़ देना चाहिए। वह आज्ञापालक और वीरता के गुणों से युक्त है। वह स्वराज्य की पुजारिन है।

(ग) तात्या – तात्या लक्ष्मीबाई के एक सहयोगी हैं। वे प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम (1857) के सेनानी हैं। वे मातृभूमि की सुरक्षा और स्वराज्य की नींव का आधार है। वे निर्भीक होकर शत्रु से लोहा लेते रहे।

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प्रश्न 2. निम्नांकित कथनों का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) हम सब मिलकर या तो स्वराज्य प्राप्त करके रहेंगे या स्वराज्य की नींव का पत्थर बनेंगे।
(ख) सूर्य का तेज अनन्त सूर्य में विलीन हो गया।
उत्तर
(क) स्वराज्य प्राप्त करने में सफलता हम सब के सम्मिलित प्रयासों से सम्भव है। आजादी मिल भी सकती है। अन्यथा आजादी के लिए किये गये अपने प्रयासों के द्वारा स्वराज्य की नींव का पत्थर तो बन ही जायेंगे, जो आजादी के भवन को ऊँचा और मजबूत बनाने में सहायक होगा।

(ख) लक्ष्मीबाई की सेना का सेनापति रघुनाथ राव महारानी लक्ष्मीबाई के सर्वस्व त्याग पर कहता है कि लक्ष्मीबाई सूर्य जैसे तेज से युक्त ीं। उनका तेज सूर्य के कभी भी समाप्त न होने वाले तेज में विलीन हो गया। कहने का तात्पर्य यह है कि सूर्य के अन्तहीन तेज से स्वयं चूकने वाली वीरांगना अब उसी तेज में विलीन हो गयी और अमर हो गयी।

प्रश्न 3.
निम्नांकित कश्चन किसके द्वारा कहे गये
(क) स्वराज्य की लड़ाई स्वराज्य मिलने पर ही समाप्त हो सकती है, बाई साहब। (…… ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ख) महारानी जी, विश्वास दिलाता हूँ कि आपकी पवित्र देह को छूने का साहस केवल पवित्र अग्नि ही कर सकेगी। (…… ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ग) मैं किसी के लिए सरदार हो सकता हूँ, पर आपके लिए तो सेवक ही हूँ। (……… ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(घ) आज हमें स्वामिभक्त से ज्यादा देशभक्तों की आवश्यकता है। (ने जूही से कहा)
उत्तर
(क) (मुन्दर ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ख) (रघुनाथ राव ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ग) (तात्या ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(घ) (लक्ष्मीबाई ने जूही से कहा।)

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भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
अस्तबल, प्रतिज्ञा, रणभूमि, समर्पित, स्वराज्य।
उत्तर
शुद्ध उच्चारण के लिए विद्यार्थी लगातार इन शब्दों को पढ़ें और कोशिश करें कि ये शब्द सही रूप से उच्चारित हो रहे हैं या नहीं। अध्यापक महोदय की सहायता ले सकते हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए
विलासप्रियता, जनसेवक, स्वामिभक्त, मरहमपट्टी।
उत्तर
विलासप्रियता = विलासप्रियता राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा करने में एक सबसे बड़ी बाधा है।
जनसेवक = जनसेवक ही स्वराज्य के सच्चे पहरेदार हैं।
स्वामिभक्त = स्वामिभक्त की अपेक्षा देशभक्त बनिए।
मरहमपट्टी = अनेक घायलों की मरहमपट्टी करके उनका इलाज किया।

प्रश्न 3.
सही शब्द पर सही (✓) का निशान लगाइए
(क) दुर्भाग्य, दुरभाग्य, र्दुभाग्य, दुभार्य।
(ख) लक्ष्मिबाई, लछमीबाई, लक्ष्मीबाई, लक्षमीबाई।
(ग) सुरक्षीत, सुरक्षित, सूरछित, सुरशित।
(घ) समीत, समरपित, समर्पित, स्मर्पित।
(ङ) युधघोस, युधघोष, युधघोश, युद्धघोष।
उत्तर
(क) दुर्भाग्य
(ख) लक्ष्मीबाई
(ग) सुरक्षित
(घ) समर्पित
(ङ) युद्धघोष।

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प्रश्न 4.
नीचे दिये गये शब्द समूहों का प्रयोग करते हुए प्रत्येक से एक-एक वाक्य बनाइए
(क) क्या से क्या हो गया ?
(ख) कहाँ से कहाँ पहुँच गई?
(ग) नहीं, नहीं।
(घ) कौन कहता है?
उत्तर
(क) सोचते थे कि इस वर्ष वह परीक्षा में सफल हो सकेगा, परन्तु वह तो असफल ही रहा। क्या से क्या हो गया ? यह तो सोचा ही नहीं था।
(ख) उसकी पुत्री एक साधारण छात्रा थी, परन्तु वह तो आई.ए.एस. में सफल हो गयी। देखो तो वह कहाँ से कहाँ पहुंच गई ?
(ग) राधा ने उसे अपने घर ठहरने के लिए आग्रह किया परन्तु वह तो नहीं, नहीं ही कहती रही।
(घ) कौन कहता है कि मैंने उसकी सहायता नहीं की है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रत्येक शब्द के दो-दो वाक्य छाँटकर लिखिए
कौन, कहाँ, कब, किसने, किसे।
उत्तर

  1. कौन कहता है, आप अकेली हैं, महारानी ?
    कौन सी बात की बाई साहब?
  2. कब हमने सोचा था, ऐसा भी होगा।
    कब क्या हो जाये, कह नहीं सकते।
  3. किसने ग्वालियर से झाँसी की ओर कूच किया ?
    किसने सम्मान पाया है ? देशभक्त ने या स्वामिभक्त ने।
  4.  मेरी सहायता की किसे है दरकार।
    उसने किसे सहायता के लिए वचन दिया।

प्रश्न 6.
दिए गए संवादों का हाव-भाव से वाचन कीजिए
रघुनाथ राव-महारानी, आपने सुना ?
लक्ष्मीबाई-क्या, रघुनाथ राव ?
जूही-क्या हुआ सरदार?
रघुनाथ राव-महारानी, जनरल यूरोज की सेना ने मुरार की सेना को हरा दिया।
जूही-(काँपकर) क्या पेशवा की सेना हार गई ?
उत्तर
इन संवादों को विशेष हाव-भाव से वाचन करने के लिए अपने आचार्य महोदय की सहायता ले सकते हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थी शब्द लिखिए
सफलता, दुर्भाग्य, आकाश, चेतन, दुर्बल, दुश्मन।
उत्तर
शब्द – विपरीतार्थी शब्द
सफलता – असफलता
दुर्भाग्य – सौभाग्य
आकाश – पाताल
चेतन – अचेतन
दुर्बल – सबल
दुश्मन – मित्र

प्रश्न 8.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
हिमालय अड़ जाना, नींद खुलना, पीठ दिखाना, कलेजे पर पत्थर रखना।
उत्तर
हिमालय अड़ जाना – जीवन में सफलता के मार्ग में कभी-कभी हिमालय अड़ जाता है।
नींद खुलना – मुरार की सेना पर अंग्रेजों की फौज के आक्रमण ने उनकी नींद खोल दी।
पीठ दिखाना – भारतीय सैनिक युद्धक्षेत्र में कभी भी पीठ नहीं दिखाते।
कलेजे पर पत्थर रखना – कलेजे पर पत्थर रखकर, उसने अपने प्राणप्रिय से वियोग प्राप्त किया।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों के समास विग्रह करते हुए समास के नाम लिखिए
देशभक्त, रणभूमि, पेड़-पौधे, वीरबाला, फूल-पत्ती, शुभ-अशुभ, युद्धघोष।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 नींव का पत्थर 1

नींव का पत्थर परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

1. स्वराज्य को आते देखती हूँ, परन्तु दूसरे ही क्षण मार्ग में हिमालय अड़ जाता है। जूही, मैंने प्रतिज्ञा की थी कि अपनी झाँसी नहीं दूंगी। लेकिन झाँसी हाथ से निकल गई। (अत्यन्त धीमे स्वर में) झाँसी हाथ से निकल गई जूही। (सहसा तीव्रतर होकर) नहीं, नहीं, झाँसी हाथ से नहीं निकली। मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती के ‘नींव का पत्थर’ नामक पाठ से ली गई हैं। इस पाठ के लेखक विष्णु प्रभाकर हैं।

प्रसंग-महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजी सेना के खिलाफ युद्ध कर रही हैं। वे झाँसी पर अंग्रेजों का अधिकार नहीं होने देंगी। वे अपनी आजादी के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं।

व्याख्या-महारानी लक्ष्मीबाई अपनी सखी जूही से कहती हैं कि वह एक क्षण तो आशावान हो उठती हैं कि वह स्वराज्य (आजादी) प्राप्त कर लेंगी। परन्तु दूसरे ही क्षण आजादी के मार्ग में बाधा आ खड़ी होती है। यह बाधा हिमालय पर्वत जैसी अति दुर्गम हो जाती है। लक्ष्मीबाई ने यह प्रतिज्ञा की हुई थी कि वह कभी भी अपनी झाँसी पर दुश्मनों का अधिकार नहीं होने देंगी। वह भावनाओं में खो जाती हैं और कहती हैं कि झाँसी उनके हाथों से निकल गई है, परन्तु एकदम ही वह अपनी प्रतिज्ञा को याद करके कह उठती हैं कि वह अपनी झाँसी को नहीं देंगी। झाँसी उनके हाथ से नहीं निकल सकती। वह कभी भी झाँसी पर शत्रुओं का अधिकार नहीं होने देंगी।

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2. मैं जानती हूँ कि मैं झाँसी लेकर रहूँगी, लेकिन क्या तुम नहीं जानती कि उस दिन बाबा गंगादास ने कहा था फिर मिट जाना, जब तक हम विलास-प्रियता को छोड़कर जन-सेवक नहीं बन जाते, तब तक स्वराज्य नहीं मिल सकता। वह मिल सकता है केवल सेवा, तपस्या और बलिदान से।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-महारानी लक्ष्मीबाई स्वराज्य को प्राप्त करने के लिए सेवा, तपस्या और बलिदान को महत्वपूर्ण मानती हैं।

व्याख्या-लक्ष्मीबाई को उनकी सखी जूही बताती है कि उनके साथ वे सभी (देशवासी) हैं। लक्ष्मीबाई इस बात को भली-भाँति जानती भी हैं कि पूरी जनता का सहयोग उनके साथ है। अत: वे झाँसी को फिर से अपने अधिकार में लेकर ही रहेंगी। लक्ष्मीबाई अपनी सखी से कहती हैं कि बाबा गंगादास का उपदेश तो वह जानती ही है। उन्होंने कहा था झाँसी (मातृभूमि) की आजादी के लिए हमें मर-मिट जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि हम जब तक विलासी बने रहेंगे, तब तक आम आदमी की सेवा करने वाले हम लोग नहीं हो सकते तथा आजादी को भी प्राप्त नहीं कर सकते। स्वराज्य को केवल सेवा के कार्यों से, तपस्या से और स्वयं को बलिदान करने की भावना से प्राप्त किया जा सकता है।

3. उन्होंने यह भी तो कहा था कि स्वराज्य प्राप्ति सेबढ़कर है, स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना; स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना। सफलता
और असफलता देव के हाथ में है, लेकिन नींव का पत्थर बनने से हमें कौन रोक सकता है? वह हमारा अधिकार है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-महारानी लक्ष्मीबाई की सहेली जूही अपने इस वार्तालाप में स्वराज्य स्थापना के लिए स्वराज्य की नींव का पत्थर बनने को अनिवार्य बतलाती है।

व्याख्या-महारानी लक्ष्मीबाई को जूही बाबा गंगादास के उपदेश के बारे में याद दिलाती हुई कहती है कि उन्होंने बतलाया था कि स्वराज्य को प्राप्त करने से भी बढ़कर यह जरूरी है कि स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार की जाये फिर स्वराज्य की नींव का ऐसा पत्थर जड़ा जाये कि उस पर आजादी के भवन का निर्माण होता चला जाये। उस आजादी को प्राप्त करने में जो भी सफलता और असफलता हाथ लगेगी, वह तो देवता के अधीन है, परन्तु आजादी की नींव का पत्थर बनने में हमारे लिए कोई भी बाधा नहीं डाल सकता। स्वराज्य को प्राप्त करना, हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।

नींव का पत्थर शब्दकोश

निराशा = हताश, जो हर आशा छोड़ चुका है; फिरंगी = अंग्रेज; कूच = प्रयाण, प्रस्थान; रणभूमि = युद्ध क्षेत्र, कलंक = दाग, धब्या; मुलाहिजा = लिहाज, सम्मान; अस्तबल = घोड़े बाँधने का स्थान; व्यूह = जमावड़ा, युद्धभूमि में सैनिकों को विशेषरूप में खड़ा करना; कृतज्ञ = उपकार मानने वाला।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 10 सुभाषचन्द्र बोस का पत्र

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 10 सुभाषचन्द्र बोस का पत्र

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 10 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(अ) सुभाष चन्द्र बोस को किस जेल से किस जेल के लिए स्थानान्तरण आदेश मिला?
उत्त
सुभाषचन्द्र बोस को बहरामपुर जेल (बंगाल) से माण्डले सेन्ट्रल जेल के लिए स्थानान्तरण आदेश मिला था।

(ब) सुभाषचन्द्र बोस ने माण्डले जेल को तीर्थ स्थल क्यों कहा है?
उत्तर
सुभाषचन्द्र बोस ने माण्डले जेल को तीर्थ स्थल, इसलिए कहा है, क्योंकि वह जेल एक ऐसी जेल थी जहाँ भारत का एक महानतम् सपूत (लोकमान्य तिलक) लगातार छः वर्ष तक रहा था।

(स) माण्डले जेल में लोकमान्य तिलक के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था ?
‘उत्तर
माण्डले जेल में लोकमान्य तिलक को छ: वर्ष तक शारीरिक और मानसिक यन्त्रणाओं से गुजरना पड़ा था। वे वहाँ अकेले रहे। उन्हें बौद्धिक स्तर का कोई साथी नहीं मिला। किसी अन्य बन्दी से उन्हें मिलने-जुलने नहीं दिया जाता था। जेल और पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में ही इतने वर्षों में दो या तीन भेंट से अधिक का मौका नहीं दिया था।

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(द) सुभाषचन्द्र बोस के अनुसार अपने आपको बन्दी जीवन के अनुकूल बनाने के लिए स्वयं में क्या-क्या परिवर्तन लाने पड़ते हैं?
उत्तर
सुभाषचन्द्र बोस के अनुसार अपने आपको बन्दी जीवन के अनुकूल बनाने के लिए हमें स्वयं ही पिछली आदतों का त्याग करना होता है। स्वयं को पूर्ण स्वस्थ और फुर्तीला बनाना पड़ता है। प्रत्येक नियम को सिर झुकाकर मानना पड़ता है। आन्तरिक प्रसन्नता बनाये रखनी होती है।
मानसिक सन्तुलन स्थिर रखना होता है।

(य) सुभाषचन्द्र बोस ने लोकमान्य तिलक को विश्व के महापुरुषों की प्रथम पंक्ति में स्थान मिलने की सिफारिश क्यों की है ?
उत्तर
सुभाषचन्द्र बोस ने सिफारिश की है कि लोकमान्य तिलक को विश्व के महापुरुषों की प्रथम पंक्ति में स्थान मिले क्योंकि लोकमान्य तिलक प्रतिकूल और शक्तिहारी वातावरण में भी ‘गीता-भाष्य’ जैसे महान दर्शन की रचना कर सके। उनमें प्रकाण्ड पाण्डित्य था, प्रबल इच्छाशक्ति थी। उनमें साधना की गहराई और सहनशीलता थी। वे बौद्धिक क्षमतावान एवं संघर्ष शक्ति से संयुक्त थे। उन्होंने बन्दीगृह के अन्धकारमय दिनों में अपनी मातृभूमि के लिए ‘गीता-भाष्य’ जैसे अतुलनीय ग्रन्थ की रचना भेंट स्वरूप प्रस्तुत की।

प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(अ) लोकमान्य तिलक ने जेल में सुप्रसिद्ध ………. ग्रन्थ का प्रणयन किया था। (भारत की खोज/गीता भाष्य)
(ब) जेल में लोकमान्य तिलक अपना समय ………. बिताते थे। (किताबें पढ़कर/चित्र देखकर)
(स) सुभाषचन्द्र बोस ने अपने पत्र में माण्डले जेल को………..माना। (तीर्थस्थल/यातनास्थल)
उत्तर
(अ) गीताभाष्य
(ब) किताबें पढ़कर
(स) तीर्थस्थल।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए___ अदम्य, प्रणयन, कृतित्व, सुदीर्घ, यन्त्रणा।
उत्तर
अदम्य-भारतीय स्वतन्त्रता के योद्धाओं में अदम्य साहस था।
प्रणयन-गीता भाष्य का प्रणयन लोकमान्य तिलक ने माण्डले सेन्ट्रल जेल में छ: वर्ष के बन्दी काल में किया।
कृतित्व-भारतीय मनीषियों को उनके कृतित्व के लिए आज भी स्मरण किया जाता है।
सुदीर्घ-भारतीय आजादी की लड़ाई सुदीर्घ काल तक चली।
यन्त्रणा-स्वतन्त्रता सैनिकों को बन्दीगृहों में विविध यन्त्रणाएँ दी गई।

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों में ‘दुर- उपसर्ग तथा तम’ प्रत्यय जोड़कर शब्द बनाइए.
(क) भाग्य, गम, गति, जन, गुण। (‘दुर’ उपसर्ग जोड़कर)
उत्तर
दुर्भाग्य, दुर्गम, दुर्गति, दुर्जन, दुर्गुण।

(ख) महान, अधिक, सरल, कठिन। (‘तम’ प्रत्यय जोड़कर)
उत्तर
महानतम, अधिकतम, सरलतम, कठिनतम।

प्रश्न 3.
इस पाठ में से इक प्रत्यय से बने शब्द छांटकर लिखिए।
उत्तर
शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, राजनैतिक, दार्शनिक।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से उपसर्ग और मूल शब्द छाँटकर लिखिए
सपूत, परिवेश, सशरीर, आदेश, अनुपस्थित, स्वदेश प्रकाण्ड, सुप्रसिद्ध।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 10 सुभाषचन्द्र बोस का पत्र 1
प्रश्न 5.
(क) निम्नलिखित शब्दों को पढ़िए और समझकर उनका विग्रह कीजिए
कर्मयोगी, चहारदीवारी, गीताभाष्य, शीतऋतु, धूलभरी, देशवासी. तीर्थस्थल, मन्दगति, युगनिर्माण, दशानन, दिन-रात।
उत्तर
कर्म का योगी, चहार से दीवार, गीता का भाष्य, शीत की ऋतु, धूल से भरी, देश के वासी, तीर्थ का स्थल, मन्द है जो गति, युग का निर्माण, दश हैं आनन जिसके, दिन और रात।

(ख) अपने प्रधानाध्यापक को शुल्क मुक्ति हेतु एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर
‘प्रार्थना-पत्र’ अध्याय में देखिए।

सुभाषचन्द्र बोस का पत्र परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

1. यह विश्व भगवान की कृति है, लेकिन जेलें मानवb के कृतित्व की निशानी हैं। उनकी अपनी एक अलग ही दुनिया है और सभ्य समाज ने जिन विचारों और संस्कारों को प्रतिबद्ध होकर स्वीकार किया है, वो जेलों में लागू नहीं होते। अपनी आत्मा के ह्रास के बिना बन्दी जीवन के प्रति अपने आपको अनुकूल बना पाना आसान काम नहीं है। इसके लिए हमें पिछली आदतें छोड़नी होती हैं और फिर भी स्वास्थ्य और स्फूर्ति बनाए रखनी होती है, सभी तरह के नियमों के आगे नत होना होता है और फिर भी आन्तरिक प्रफुल्लता अक्षुण्ण रखनी होती है।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश ‘सुभाष चन्द्र बोस का पत्र’ शीर्षक से अवतरित है। इसके लेखक नेताजी सुभाषचन्द्र बोस है।

प्रसंग-सुभाषचन्द्र बोस ने इस पत्र को एन. सी. केलकर के नाम उस समय लिखा, जब वे माण्डले सेन्ट्रल जेल, बर्मा में थे। यह पत्र उन्होंने दिनांक 20-08-1925 को लिखा था।

व्याख्या-यह संसार ईश्वर ने बनाया है। अत: यह मनुष्यों के अनुकूल ही है, परन्तु इस संसार में जेलों की रचना मनुष्य ने की है जो आदमी के द्वारा किए गये कर्मों की निशानी है। इन जेलों की दुनिया अलग ही प्रकार की होती है। मनुष्य ने सभ्यता | का विकास किया। उसके विचारों और संस्कारों को मजबूती से समाज ने स्वीकार किया और अपनी एक सभ्यता कायम की। इस सभ्यता के पीछे मानव द्वारा विचारित नियम और संस्कार होते हैं जिससे मनुष्य समाज सभ्य कहलाया।

परन्तु मनुष्य के इन विचारों और संस्कारों को जेल-जीवन और जेल-जगत् पर लागू नहीं किया जा सकता। वहाँ अपनी आत्मा मर जाती है। इसलिए मनुष्य बन्दी जीवन के प्रति स्वयं को ढाल पाने में कठिनता अनुभव करता है। जेल का जीवन बहुत ही कठिन होता है। मनुष्य को जेल जीवन की आदतें ढालनी पड़ती हैं। पुरानी आदतों को त्यागना होता है। सब कुछ विपरीत होने पर भी जेल के बन्दियों को अपना स्वास्थ्य ठीक रखना पड़ता है तथा शरीर में तरो-ताजगी बनाये रखना अनिवार्य होता है। जेल के सभी नियमों का पालन करना पड़ता है। उन नियमों को सिर झुकाकर मानना होता है और कार्य करने के लिए विवश होना पड़ता है। हदय के अन्दर प्रसन्नता सदा बनाये रखनी पड़ती है।

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2. दासवृत्ति ठुकरानी होती है और फिर भी मानसिक सन्तुलन अडिग बनाये रखना होता है। केवल लोकमान्य जैसा दार्शनिक ही, जिसे अदम्य इच्छाशक्ति का वरदान मिला था, उस बन्दी जीवन के शक्ति हननकारी प्रभावों से बच सकता था, उस यन्त्रणा और दासता के बीच मानसिक सन्तुलन बना रख सकता था और ‘गीता-भाष्य’ जैसे विशाल एवं युगनिर्माणकारी ग्रन्थ का प्रणयन कर सकता था।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाषचन्द्र बोस ने बन्दी जीवन के प्रभावों का
वर्णन किया है जिसके कारण शारीरिक शक्ति एवं मानसिक सन्तुलन समाप्त सा होने लगता है।
व्याख्या-जेल के जीवन का प्रभाव ऐसा होता है, कि कारागार में रहने वाले व्यक्ति के मन मस्तिष्क से दासता की भावना तो विलीन होती ही है। उसके साथ ही मानसिक सन्तुलन स्थिर बनाये रखना होता है। बन्दी विचारशील बना रहता है। लोकमान्य तिलक भी इसी माण्डले सेन्ट्रल जेल में बन्दी रहे। उन्होंने यहाँ छः वर्ष का कठोर कारावास सहा। वे उच्चकोटि के दर्शनशास्त्री थे।

उनके अन्दर अदमनीय दृढ़ इच्छा शक्ति थी जिसे उन्होंने ईश्वर से वरदान के रूप में प्राप्त किया था। उनके ऊपर जेल जीवन का प्रभाव नहीं पड़ सकता था यद्यपि जेल का जीवन मनुष्य के अन्दर की शक्तियों को प्रभावित करता है। लोकमान्य तिलक जैसा पक्के इरादे वाला मनुष्य जेल के कष्टों और दासता के बीच रहकर भी अपने मानसिक सन्तुलन को बनाये रख सकता था और उन्होंने अपनी चिन्तन शक्ति को स्थिरता दी; तभी तो वे ‘गीता-भाष्य’ जैसे महान ग्रन्थ की रचना कर सके। यह ग्रन्थ नये युग का निर्माण करने वाला ग्रन्थ है।

3. अगर किसी को प्रत्यक्ष अनुभव पाना है कि इतने प्रतिकूल, शक्तिहारी और दुर्बल बना लेने वाले वातावरण में लोकमान्य के ‘गीता-भाष्य’ जैसे प्रकाण्ड पाण्डित्यपूर्ण एवं महान ग्रन्थ की रचना करने के लिए कितनी प्रबल इच्छाशक्ति, साधना की गहराई एवं सहनशीलता अपेक्षित है, तो जेल में आकर रहना चाहिए।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग- नेताजी सुभाषचन्द्र बोस बताते हैं कि अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं विशिष्ट सहनशीलता के गुण के कारण ही लोकमान्य तिलक माण्डले की सेन्ट्रल जेल में गीता भाष्य की रचना कर सके।

व्याख्या-सुभाषचन्द्र बोस कहते हैं कि जेल का वातावरण अपने अनुकूल नहीं होता, परन्तु मनुष्य अपने अन्दर पक्की इच्छाशक्ति, साधना की गहराई तथा सहनशीलता पैदा कर लेता है। लोकमान्य ने अपने अन्दर इन्हीं गुणों को पैदा कर लिया था और गीता का भाष्य लिखा जो उनकी विद्वता पाण्डित्य को दर्शाता है। तिलक के ऊपर भी जेल के वातावरण का प्रभाव पड़ा। इससे मनुष्य में जीवन शक्ति कमजोर पड़ती है। शरीर दुर्बल हो जाता है। माण्डले की सेन्ट्रल जेल में रहते हुए तिलक ने अपनी आत्मिक शक्ति पैदा कर ली थी, जिससे वे गीता के भाष्य की रचना कर सके। यह रचना अद्वितीय है।

सुभाषचन्द्र बोस का पत्र शब्दकोश

दिलचस्पी = रुचि, शौक; निष्कासन हटाना, निकालना; यन्त्रणा = पीड़ा, यातना, अतिकष्ट; ह्रास = गिरावट; स्नेहभाजन = प्रेम पात्र। भाष्यकार = टीकाकार; प्रकाण्ड – उत्तम, सर्वश्रेष्ठ; बलात् = बलपूर्वक; कारावास = बन्दी होना, जेल की सजा; प्रफल्लता = प्रसन्नता; सुदीर्घ = बहुत लम्बा; दण्डसंहिता = सजा देने के नियमों की पुस्तक प्रणयन = रचना; प्रेरणा = उत्साह, किसी के प्रति उत्साहित करने की क्रिया; यातना = कष्ट, पीड़ा; अक्षुण्ण = अखण्डित हननकारीचोट पहुँचाने वाला, अडिग = न डिगने वाला, स्थिर, पक्का, दृढ़ शरीरान्त= मृत्यु: मन्दाग्नि = भूख कम लगने का रोग प्रतिबद्ध = बँधा हुआ, किसी कार्य के लिए संकल्पित; अदम्य – जिसका दमन न किया जा सके; अपेक्षित = जिसकी इच्छा की गई हो।

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