MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता Ex 16.1

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता Ex 16.1

निम्नलिखित प्रश्नों 1 से 7 में निर्दिष्ट परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि ज्ञात कीजिए।
प्रश्न 1.
एक सिक्के को तीन बार उछाला गया है।
हल:
एक सिक्के को 3 बार उछालने से प्रतिदर्श समष्टि
S = {HHH, HHT, HTH, THH, TTH, THT, HTT, TIT}

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प्रश्न 2.
एक पासा दो बार फेंका गया है।
हल:
एक पासे को दो बार फेंकने से जो घटनाएं घटी उनका प्रतिदर्श समष्टि :
S = {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (1, 5), (1, 6), (2, 1), (2, 2), (2, 3), (2, 4), (2, 5), (2, 6), (3, 1), (3, 2), (3, 3), (3, 4), (3, 5), (3, 6), (4, 1), (4, 2), (4,3), (4, 4), (4,5), (4,6), (5, 1), (5, 2), (5, 3), (5, 4), (5,5), (5, 6), (6, 1), (6, 2), (6, 3), (6, 4), 6, 5), (6, 6)}

प्रश्न 3.
एक सिक्का चार बार उछाला गया है।
हल:
एक सिक्के को 4 बार उछालने से घटनाओं का प्रतिदर्श समष्टि इस प्रकार है
S = {HHHH, HHHT, HHTH, HTHH, HTTH, HTHT, HHTT, HTTT, THHH, THHT, THTH, TTHH, TTTH, TTHT, THTT, TTTT}

प्रश्न 4.
एक सिक्का उछाला गया है और एक पासा फेंका गया है।
हल:
एक सिक्का व एक पासा उछालने पर प्रतिदर्श समष्टि
S = {H1, H2, H3, H4, H5, H6, T1, T2, T3, T4, T5, T6}

प्रश्न 5.
एक सिक्का उछाला गया है और केवल उस दशा में, जब सिक्के पर चित्त प्रकट होता है एक पास फेंका जाता है।
हल:
सिक्के पर चित्त आने से एक पासा फेंका जाता है अन्यथा नहीं की प्रतिदर्श समष्टि
S = {H1, H2, H3, H4, H5, H6, T}

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प्रश्न 6.
X कमरे में 2 लड़के और 2 लड़कियाँ तथा Y कमरे में 1 लड़का और 3 लड़कियाँ हैं। उस परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि ज्ञात कीजिए जिसमें पहले एक कमरा चुना जाता है और फिर एक बच्चा चुना जाता है।
हल:
माना X कमरे के लड़के व लड़कियों को B1, B2, G1, G2, और Y कमरे के लड़के व लड़कियों को B3, G3, G4, G5 से दर्शाया गया है। एक कमरे को चुनना और फिर एक बच्चे को चुने जाने की प्रतिदर्श समष्टि
S = {XB1, XB2, XG1, XG2, YB3, YG3, YG4, YG5} .

प्रश्न 7.
एक पासा लाल रंग का, एक सफेद रंग का और एक अन्य पासा नीले रंग का एक थैले में रखे हैं। एक पासा यादृच्छया चुना गया और उसे फेंका गया है। पासे का रंग और इसके ऊपर के फलक पर प्राप्त संख्या को लिखा गया है। प्रतिदर्श समष्टि का वर्णन कीजिए।
हल:
माना लाल रंग को R से, सफेद रंग को W से तथा नीले रंग को B से दर्शाया गया हो तो पासे को चुन कर अंकों को प्राप्त करने की प्रतिदर्श समष्टि
S = {R1, R2, R3, R4, R5, R6, W1, W2, W3, W4, W5, W6, B1, B2, B3, B4, B5, B6}

प्रश्न 8.
एक परीक्षण में 2 बच्चों वाले परिवारों में से प्रत्येक में लड़के-लड़कियों की संख्या को लिखा जाता है।
(i) यदि हमारी रूचि इस बात को जानने में है कि जन्म के क्रम में बच्चा लड़का है या लड़की है तो प्रतिदर्श समष्टि क्या होगी?
(ii) यदि हमारी रूचि किसी परिवार में लड़कियों की संख्या जानने में है तो प्रतिदर्श समष्टि क्या होगी?
हल:
(i) परिवार में दो बच्चे हैं वे लड़के, लड़की हो सकते हैं। इनकी प्रतिदर्श समष्टि = {BB, BG,GB, GG} है।
(ii) एक परिवार में कोई लड़की न हो या एक या दो लड़कियाँ होगी। अतः प्रतिदर्श समष्टि {0, 1, 2}

प्रश्न 9.
एक डिब्बे में 1 लाल और एक जैसी 3 सफेद गेंद रखी गई हैं। दो गेंद उत्तरोत्तर (In succession) बिना प्रतिस्थापित किए यादृच्छया निकाली जाती है। इस परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि ज्ञात कीजिए।
हल:
डिब्बे में एक लाल व 3 सफेद गेंद हैं।
यदि लाल को R से, सफेद को W से निरूपित किया जाए तो इस प्रशिक्षण का प्रतिदर्श समष्टि
S = {RW, WR, WW}.

प्रश्न 10.
एक परीक्षण में एक सिक्के को उछाला जाता है और यदि उस पर चित्त प्रकट होता है तो उसे पुनः उछाला जाता है। यदि पहली बार उछालने पर पद प्राप्त होता है तो एक पासा फेंका जाता है। प्रतिदर्श समष्टि ज्ञात ‘ कीजिए।
हल:
यदि एक सिक्का उछाला जाता है और चित्त प्रकट होता है तो दुबारा उछालने पर चित्त या पट् आ सकता है। इस प्रकार घटना HH या HT होगी। पट् आने पर पासा फेंका जाता है। पासा फेंकने से संख्या 1, 2, 3, 4, 5, 6 आ सकती है।
∴ प्रतिदर्श समष्टि = {HH, HT, TI, T2, T3, T4, T5, T6}.

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प्रश्न 11.
मान लीजिए कि बल्बों के एक ढेर में से 3 बल्ब यादृच्छया निकाले जाते हैं। प्रत्येक बल्ब को जाँचा जाता है और उसे खराब (D) या ठीक (N) में वर्गीकृत करते हैं। इस परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि ज्ञात कीजिए।
हल:
खराब के लिए D और ठीक बल्ब को N द्वारा निरूपित करते हैं। तीन बल्बों से बना प्रतिदर्श समष्टि इस प्रकार है।
{DDD, DDN, DND, NDD, NND, NDN, DNN, NNN}

प्रश्न 12.
एक सिक्का उछाला जाता है। यदि परिणाम चित्त हो तो एक पासा फेंका जाता है। यदि पासे पर एक सम संख्या प्रकट होती है, तो पासे को पुनः फेंका जाता है। इस परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि ज्ञात कीजिए।
हल:
एक सिक्का उछालने पर यदि चित्त को H से और पट को T से दर्शाया जाए और चित्त आने पर पासा फेंका जाता है H1, H2, H3, H4, H5, H6 की घटनाएं हो सकती हैं। H2, H4, H6 आने की अवस्था में पासा दुबारा फेंका जाता है जिससे प्रत्येक की 1, 2, 3, 4, 5, 6 की छः घटनाएं हो सकती हैं।
इस प्रकार प्रतिदर्श समष्टि है :
{T, H1, H3, H5, H21, H22, H23, H24, H25, H26, H41, H42, H43, 144, H45, H46, H61, H62, H63, H64, H65, H66}

प्रश्न 13.
कागज की चार पर्चियों पर संख्याएँ 1, 2, 3, 4 अलग-अलग लिखी गई हैं। इन पर्चियों को एक डिब्बे में रख कर भली-भाँति मिलाया गया है। एक व्यक्ति डिब्बे में से दो पर्चियाँ एक के बाद दूसरी बिना प्रतिस्थापित किए निकालता है। इस परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि ज्ञात कीजिए।
हल:
एक डिब्बे में चार पर्चियाँ हैं। जिन पर 1, 2, 3, 4 लिखा है। यदि पर्ची सं. 1 पहली पर्ची हो दूसरी पर्ची पर सं. 2, 3, 4 लिखा होगा। इसी प्रकार पहली पर्ची पर 2 लिखा हो तो शेष पर्ची पर 1, 3, 4 लिखा होगा।
इस प्रकार प्रतिदर्श समष्टि है :
{(1, 2), (1, 3), (1, 4), (2, 1), (2, 3), (2, 4), (3, 1), (3, 2), (3, 4), (4, 1), (4, 2), (4,3)}

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प्रश्न 14.
एक परीक्षण में एक पासा फेंका जाता है और यदि पासे पर प्राप्त संख्या सम है तो एक सिक्का एक बार उछाला जाता है। यदि पासे पर प्राप्त संख्या विषम है तो सिक्के को दो बार उछालते हैं। प्रतिदर्श समष्टि लिखिए।
हल:
पासा फेंकने से यदि सम संख्या प्राप्त होती है तो सिक्का उछालने पर H या T की घटना होगी। यदि पासे पर विषम संख्या आती है तो सिक्का दो बार उछाला जाता है जिससे HH, HT, TH, TT घटनाएँ हो सकती हैं। इस प्रकार प्रतिदर्श समष्टि इस प्रकार है-
{2H, 2T, 4H, 4T, 6H, 6T, 1HH, 1HT, 1TH, 1TT, 3HH, 3HT, 3TH, 3TT, 5HH, SHT, 5TH, 5TT}.

प्रश्न 15.
एक सिक्का उछाला गया यदि उस पर पद प्रकट होता है तो एक डिब्बे में से जिसमें 2 लाल और 3 काली गेंदे रखी हैं, एक गेंद निकालते हैं। यदि सिक्के पर चित्त प्रकट होता है तो एक पासा फेंका जाता है। इस परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि लिखिए।
हल:
यदि लाल रंग की गेंद को R1, R2, से तथा काले रंग की गेंद को B1, B2, B3 से दर्शाया जाए तो सिक्का उछालने पर यदि पट् आता है तो R1, R2, B1, B2, B3, में से एक घटना होगी। यदि सिक्के पर चित्त आता है तो पासा फेंकने से 1, 2, 3, 4, 5, 6 आते हैं। तो प्रतिदर्श समष्टि इस प्रकार है :
{TR1, TR2, TB1, TB2, TB3, H1, H2, H3, H4, H5, H6}.

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प्रश्न 16.
एक पासे को बार-बार तब तक फेंका जाता है जब तक उस पर 6 प्रकट न हो जाए। इस परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि क्या है ?
हल:
6 आने पर पासा दुबारा नहीं फेंका जाएगा। यदि 1, 2, 3, 4, 5 में से कोई संख्या प्रकट होती है तो पासा दुबारा नहीं फेंका जाता। इस परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि है :
{6, (1, 6), (2, 6), (3, 6), (4, 6), (5, 6), (1, 1, 6), (1, 2, 6),… (1, 5, 6), (2, 1, 6), (2, 2, 6), …, (2, 5, 6),… (3, 1, 6), (3, 2, 6), …, (3, 5, 6), (4, 1, 6), (4, 2, 6), … (4, 5, 6), (5, 1, 6), (5, 2, 6),…, (5, 5, 6)….}.

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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली

प्रश्न 1.
आठ प्रेक्षणों का माध्य तथा प्रसरण क्रमश: 9 और 9.25 है। यदि इनमें से छः प्रेक्षण 6, 7, 10, 12, 12, और 13 हैं, तो शेष दो प्रेक्षण ज्ञात कीजिए।
हल:
मान लीजिए वे दो संख्याएँ x और y हैं।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली img-1
= 62 + 72 + 102 + 122 + 122 + 132 + x2 + y2
722 = 36 + 49 + 100 + 144 + 144 + 169 + x2 + y2.
= 642 + x2 + y2
x2 + y2 = 722 – 642 = 80
∴ x2 + y2 = 80 …(2)
समीकरण (1) और (2) से
या x2 + (12 – x)2 = 80
या 2x2 – 24x + 144 = 80
या x2 – 12x + 32 = 0
(x – 4) (x – 8) = 0
∴ x = 4 या 8
∴ y = 8 या 4
अतः वे दो संख्याएँ 4 और 8 हैं।

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प्रश्न 2.
सात प्रेक्षणों का माध्य तथा प्रसरण क्रमशः 8 और 16 हैं। यदि इनमें से पाँच प्रेक्षण 2, 4, 10, 12, 14 हैं तो शेष दो प्रेक्षण ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि वे दो संख्याएँ x और y हैं।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली img-2
या 22 + 42 + 102 + 122 + 142 + x2 + y2 = 560
460 + x2 + y2 = 560
x2 + y2 = 560 – 460 = 100 …….(2)
समीकरण (1) और (2) से
x2 + (14 – x)2 = 100
या 2x2 – 28x + 196 – 100 = 0
या x2 – 14x + 48 = 0
∴ (x – 6) (x – 8) = 0
∴ x = 6 या 8
∴ y = 8 या 6
∴ वे दो संख्याएँ 6 और 8 हैं।

प्रश्न 3.
छः प्रेक्षणों का माध्य तथा मानक विचलन क्रमशः 8 तथा 4 हैं। यदि प्रत्येक प्रेक्षण को 3 से गुणा कर दिया जाए तो परिणामी प्रेक्षणों का माध्य व मानक विचलन ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली img-3

प्रश्न 4.
यदि n प्रेक्षणों का माध्य \(\bar{x}\) तथा प्रसरण σ2 है तो सिद्ध कीजिए कि प्रेक्षणों ax1, ax2, ax3, …… axn, का माध्य और प्रसरण क्रमशः a\(\bar{x}\) तथा a2σ2 (a ≠ 0) है।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली img-4
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली img-5

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प्रश्न 5.
बीस प्रेक्षणों का माध्य तथा मानक विचलन क्रमशः 10 तथा 2 हैं। जांच करने पर यह पाया गया कि प्रेक्षण 8 गलत है। निम्न में से प्रत्येक का सही माध्य तथा मानक विचलन ज्ञात कीजिए यदि
(i) गलत प्रेक्षण हटा दिया जाए।
(ii) उसे 12 से बदल दिया जाए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली img-6
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली img-7
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली img-8

प्रश्न 6.
एक कक्षा के पचास छात्रों द्वारा तीन विषयों गणित, भौतिक शास्त्र व रसायन शास्त्र में प्राप्तांकों का माध्य व मानक विचलन नीचे दिए गए हैं :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी विविध प्रश्नावली img-9
किस विषय में सबसे अधिक विचलन है तथा किसमें सबसे कम विचलन है?
हल:
विचरण गुणांक = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
गणित विषय में विचरण गुणांक = \(\frac{12}{42}\) × 100 = 28.57
भौतिक विषय में विचरण गुणांक = \(\frac{15}{32}\) × 100 = 46.875
रसायन विषय में विचरण गुणांक =\(\frac{20}{40.9}\) × 100 = 48.9
अतः रसायन विषय में सबसे अधिक विचर तथा गणित में सबसे कम विचलन है।

प्रश्न 7.
100 प्रेक्षणों का माध्य और मानक विचलन क्रमशः 20 और 3 हैं। बाद में यह पाया गया कि तीन प्रेश्च 21, 21 तथा 18 गलत थे। यदि गलत प्रेक्षणों को हटा दिया जाए तो माध्य व मानक विचलन ज्ञात कीजिए।
हल:
\(\bar{x}\) = \(\frac{\Sigma x_{i}}{n}\)
∴ Exi = n\(\bar{x}\)
= 100 × 20 = 2000
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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे

पर्यावरण के मुद्दे NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
घरेलू वाहित मल के विभिन्न घटक क्या हैं ? वाहित मल के नदी में विसर्जन से होने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
उत्तर
घरेलू वाहित मल में मुख्यतः जैव निम्नीकरण कार्बनिक पदार्थ होते हैं जिनका अपघटन जीवाणु व अन्य सूक्ष्म जीवों द्वारा होता है। इसके अतिरिक्त वाहित मल में अनेक प्रकार के निलंबित ठोस, रेत व सिल्ट कण, अकार्बनिक एवं कोलाइडी कण, मल, कपड़ा, खाद्य अपशिष्ट, कागज, रेशे आदि एवं घुले हुए पदार्थ (फॉस्फेट, नाइट्रेट, धातु आयन) होते हैं। नदियों में वाहित मल के विसर्जन फलस्वरूप ऑक्सीजन की कमी हो जाती है क्योंकि जैव निम्नीकरण से संबंधित सूक्ष्मजीव ऑक्सीजन की मात्रा का प्रयोग करने लगते हैं। इस कारण वाहित मल विसर्जन स्थल पर अनुप्रवाह जल में घुली O2, की मात्रा में तेजी से गिरावट आती है इसके कारण मछलियाँ तथा अन्य जलीय जीवों की मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। इसी प्रकार वाहित मल में अनेक रोग-कारक सूक्ष्मजीव होते हैं । इस जल के उपयोग से पेचिश, टाइफाइड, पीलिया, हैजा आदि रोग हो सकते हैं।

प्रश्न 2.
आप अपने घर, विद्यालय या अन्य स्थानों में भ्रमण के दौरान जो अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं उनकी सूची बनाइए। क्या आप उन्हें आसानी से कम कर सकते हैं ? कौन-से ऐसे अपशिष्ट हैं जिनको कम करना काठेन या असंभव है ?
उत्तर-
घर, विद्यालय या अन्य स्थानों पर निम्नलिखित अपशिष्ट होते हैं–कागज, प्लास्टिक की थैलियाँ, फलों एवं सब्जियों के छिलके, थर्मोकोल एवं प्लास्टिक धातु के कप-प्लेट, पेंसिल के टुकड़े, लेड, लकड़ी की छिलन, धातुओं के अपशिष्ट पदार्थ, टिन, पैक्स, चाक के टुकड़े, काँच के टुकड़े, फटे वस्त्र, वाहित मल आदि  अपशिष्टो को कम करना कठिन ही नहीं असंभव भी है, वे हैं-प्लास्टिक एवं पॉलीथीन की थैलियाँ, टिन, पैक्स, रिफिल,.प्लास्टिक की बोतल, प्लास्टिक के व्यर्थ सामान आदि।

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प्रश्न 3.
वैश्विक उष्णता (ग्लोबल वार्मिंग) में वृद्धि के कारणों और प्रभावों की चर्चा कीजिए। वैश्विक उष्णता वृद्धि को नियंत्रित करने के क्या उपाय हैं ?
अथवा
ग्रीन हाउस प्रभाव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
परिभाषा-वायुमंडल में CO2 तथा अन्य हानिकारक गैसों की मात्रा में वृद्धि होने के कारण पृथ्वी की सतह एवं वायुमंडल में होने वाली तापमान वृद्धि को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। मानवीय कारणों से CO2 की मात्रा में वृद्धि तथा इससे तापमान में होने वाली वृद्धि को सर्वप्रथम अमेरिकी वैज्ञानिक रोजर रेवेल 1957 ने ग्रीनहाउस प्रभाव नाम दिया।

पृथ्वी की सतह पर गैसों का आवरण ग्रीन हाउस के शीशे जैसा कार्य करता है अर्थात् यह सौर विकिरण को तो पृथ्वी पर जाने देता है परन्तु लंबी तरंगदैर्घ्य के विकिरण को अवशोषित कर लेता है। प्राकृतिक ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी की सतह के तापमान को 15°C पर गर्म करता है ग्रीन हाउस गैसों की अनुपस्थिति में पृथ्वी का तापमान 20°C गिर सकता है। परन्तु औद्योगिक क्रान्ति के बाद वायुमंडलीय CO2, CFC, CH4, हैलोजेन्स और अन्य गैसों की मात्रा में ये अत्यधिक वृद्धि।

ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण-

  • वृक्षों के अत्यधिक कटाई से CO2 गैस की वातावरण में वृद्धि होना।
  • जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम) आदि के आरंभिक या पूर्ण दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइक्साइड एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइडों की मात्रा में वृद्धि।
  • रेफ्रिजिरेटरों एवं एयर कंडीशनरों में एरोसोल का उपयोग अग्निशमन यंत्रों तथा फोम के उपयोग से क्लोरोफ्लोरो कार्बन का वातावरण में एकत्रित होना। .
  • अनेक जैविक प्रक्रियाओं, कृषि कार्यों एवं अपशिष्टों के सड़ने से ग्रीन हाउस गैसों का वातावरण में एकत्रित होना।

ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी परिणाम-

  • पृथ्वी का तापमान बढ़ने से पानी के वाष्पीकरण की दर बढ़ेगी जिससे उपलब्ध पानी में कमी आयेगी।
  • पृथ्वी का तापमान बढ़ने से ध्रुवों की बर्फ पिघलेगी जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ने से तटीय आबादी को, जीवन का खतरा हो जायेगा।
  • पेड़ पौधों एवं जंतुओं की मृत्यु दर बढ़ जायेगी।
  • जल एवं वायु प्रदूषण में तेजी से वृद्धि होगी।
  • असामयिक वृष्टि, अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि एवं बाढ़ की संभावनाएँ बढ़ जायेंगी।

ग्लोबल वार्मिंग से बचने के उपाय-

  • वृक्षों के कटाई को प्रतिबंधित करना चाहिए तथा अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • जीवाश्म ईंधन को मितव्ययिता से तथा पूर्णदहन हो, ऐसा उपयोग करना चाहिए।
  • क्लोरो फ्लोरो कार्बन को पूर्णतः प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
  • रासायनिक खादों के प्रयोग को बंद करके जैविक खादों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिये।
  • अधिकाधिक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
कॉलम ‘अ’ और ‘ब’ में दिए गए मदों का मिलान कीजिए

कॉलम ‘अ’ – कॉलम ‘ब’

1. उत्प्रेरक परिवर्तक – (a) कणकीय पदार्थ
2. स्थिर वैद्युत अवक्षेपित्र – (b) कार्बन मोनोऑक्साइड और (इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर) नाइट्रोजन ऑक्साइड
3. कर्णमफ (इयर मफ्स) – (c) उच्च शोर स्तर
4. लैंडफिल – (d) ठोस अपशिष्ट।
उत्तर
1. (b), 2. (a), 3. (c), 4. (d).

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिए
(क) सुपोषण (यूट्रोफिकेशन)
(ख) जैव आवर्धन (बायोलॉजिकल मैग्निफिकेशन)
(ग) भौमजल (भूजल) का अवक्षय और इसकी पुनःपूर्ति के तरीके।
उत्तर
(क) सुपोषण (Eutrophication)-जलाशय, घरेलू अपशिष्ट, फॉस्फेट, नाइट्रेट इत्यादि से या इसके अपघटन से उत्पादों के मिलने से पोषक पदार्थों से समृद्ध हो जाते हैं । इस परिघटना के कारण जलाशय अत्यधिक उत्पादक या सुपोषी हो जाते हैं, जिसे सुपोषण (Eutrophication) कहते हैं। पोषकों के मिलने से जल में शैवाल (Algae) की प्रचुर मात्रा में वृद्धि होती है। इस कारण प्रदूषित जल में शैवालों की मात्रा अत्यधिक हो जाती है और वह जलाशय की सतह पर फैल जाते हैं। शैवालों की अत्यधिक वृद्धि के कारण जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है जिसके फलस्वरूप जीव जंतुओं की मृत्यु दर बढ़ जाती है।

(ख) जैव आवर्धन (बायोलॉजिकल मैग्निफिकेशन)-बायोमैग्नीफिकेशन-कुछ कीटनाशक पदार्थ तथा हानिकारक पदार्थ जल में मिलकर जलीय जीवधारियों के माध्यम से विभिन्न पोषी स्तरों में पहुँचते हैं। प्रत्येक स्तर पर जैविक क्रियाओं से इनकी सान्द्रता में वृद्धि होती जाती है। इस क्रिया को जैविक आवर्धन (Bio magnification) कहते हैं।

(ग) भौमजल (भूजल) का अवक्षय और इसकी पुनःपूर्ति के तरीके (Depletion of under ground water and measures for its Recovery)-वर्षा की कमी, वनोन्मूलन अधिक सिंचाई, तालाब या गड्ढों में अधिक अपशिष्टों के जमा हो जाने तथा औद्योगिक इकाईयों में अत्यधिक जल की माँग के कारण भूजल का स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस कारण से कई क्षेत्रों में भू-जल स्तर (Water level) न्यूनतम स्तर पर जा पहुँचा है। जल एक नवीकरणीय प्राकृतिक सम्पदा है, फिर भी इसकी सुचारू रूप से आपूर्ति करना आवश्यक हो गया है। गिरते हुए भू-जल स्तर की पुनः पूर्ति निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है

  • रैनवाटर हार्वेस्टिंग द्वारा वर्षा जल को एकत्र करके उसका उपयोग करना चाहिए।
  • तालाबों तथा गड्ढों में सफाई करके जमा मलबे को हटाना चाहिए।
  • वर्षा के जल को जलाशयों में संगृहित करना चाहिए।
  • कम भू-जल स्तर वाले क्षेत्रों में कम सिंचाई वाली फसलें उगानी चाहिए।

प्रश्न 6.
अन्टार्कटिका के ऊपर ओजोन छिद्र क्यों बनते हैं ? पराबैंगनी विकिरण के बढ़ने से हमारे ऊपर किस प्रकार प्रभाव पड़ेंगे?
अथवा
ओजोन छिद्र क्या है ? इसके प्रभाव लिखिए।
उत्तर
पृथ्वी के ऊपर ध्रुवों पर 6 कि.मी. तथा भूमध्य रेखा पर 17 कि. मी. की ऊँचाई पर समताप मण्डल स्थित है, जहाँ O3, की परत उपस्थित है जो पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है। अंटार्कटिका में हेली के केन्द्र पर ओजोन परत की मोटाई 33% रह गई है इसे ही ओजोन छिद्र कहते हैं। इस छिद्र के लिए CH4, N2O और CFCs जिम्मेदार हैं। CFCs गैस हैलोकार्बन वर्ग से संबंधित है। इनमें कार्बन और हैलोजन परमाणुओं वाली मानव निर्मित गैसों की श्रृंखला है। CFCs का उपयोग नोदक एयरोसॉल डिब्बों, एयर कंडीशनरों एवं फोम के निर्माण में हो रहा है। वायुमण्डल में CFCs के विघटन से क्लोरीन परमाणु बनते हैं जो O2, के अणुओं को नष्ट करते हैं। O2, की परत का क्षय हो रहा है।
CF2Cl2 —> CF2Cl+Cl
Cl+O3 —> CIO +O2
ClO+O —> Cl+O2
ओजोन छिद्र का प्रभाव-ओजोन परत की अनुपस्थिति में सूर्य से पराबैंगनी किरणें सीधी धरातल पर आ रही हैं जिससे कैंसर, मोतियाबिंद में वृद्धि हो रही है। मानव की प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और न्यूक्लिक अम्ल भी प्रभावित हो रहा है। ये किरणें पौधों में प्रकाश संश्लेषण को भी प्रभावित करती हैं।

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प्रश्न 7.
वनों के संरक्षण और सुरक्षा में महिलाओं और समुदायों की भूमिका की चर्चा कीजिये।
उत्तर
वन संरक्षण हेतु हिमालय के अनपढ़ जनजातीय महिलाओं ने एक विशेष आन्दोलन दिसंबर, 1972 में प्रारंभ किया जो ‘चिपको आंदोलन’ के नाम में प्रसिद्ध हुआ। यह आन्दोलन उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल जिले में आरंभ हुआ। इन महिलाओं ने पेड़ों से चिपककर आंदोलन चलाया जिसके कारण इन्हें 1978 में पुलिस की गोलियों का शिकार होना पड़ा।

देश के अन्य भागों में जनजातियाँ इस आंदोलन से प्रेरित हुई और पेड़ों के विनाश के विरुद्ध आवाजें उठाई। इसी प्रकार सन् 1731 में राजस्थान में जोधपुर के निकट अमृता देवी उनकी तीन बेटियों और विश्नोई परिवार के सैकड़ों लोगों ने वृक्ष की रक्षा के लिए अपने प्राण गँवा दिये। इस प्रकार उन्होंने जंगल एवं जमीन की घरोहर को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 8.
पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिये एक व्यक्ति के रूप में आप क्या उपाय करेंगे?
उत्तर
पर्यावरणीय प्रदूषण को निम्नलिखित उपायों द्वारा कम किया जा सकता है

  1. हमें प्रत्येक उपलब्ध स्थान पर अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  2. घरों में भोजन बनाने के लिए धुआँ रहित ईंधन, जैसे-LPG, गोबर गैस, सौर ऊर्जा आदि के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
  3. वाहनों के धुएँ को रोकने के लिए उसमें फिल्टर का प्रयोग करना चाहिए।
  4. पॉलीथीन की थैलियों के स्थान पर हमें कागज की थैली या कपड़े का थैला उपयोग में लाना चाहिए।
  5. कूड़ा-करकट डस्टबीन में ही डालना चाहिए।
  6. पानी का दुरुपयोग न कर उसका संरक्षण करना चाहिए।
  7. उत्सवों पर आतिशबाजी के प्रयोग पर रोक लगनी चाहिए।
  8. मल पदार्थ, गोबर तथा पौधे के अवशेषों को गड्ढे में डालना चाहिए। जिससे ह्यूमस का निर्माण हो सके।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में चर्चा कीजिये-
(क) रेडियो सक्रिय अपशिष्ट,
(ख) पुराने बेकार जहाज और ई. अपशिष्ट
(ग) नगर पालिक के ठोस अपशिष्ट।
उत्तर
(क) रेडियो सक्रिय अपशिष्ट (Radioactive wastages)- प्रदूषण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

(i) जल प्रदूषण-जल स्त्रोतों में होने वाले उन अवांछनीय परिवर्तन को जिससे जल प्रदूषित होता है, जल प्रदूषण कहते हैं। यह प्रदूषण वाहितमल, घरेलू बहिस्राव, औद्योगिक बहिस्राव, कृषि कार्यों, कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

(ii) वायु प्रदूषण-वायुमण्डल में होने वाले ऐसे परिवर्तन जिनसे जीवों का नुकसान हो वायु प्रदूषण कहलाता है। यह मुख्यत: दहन क्रियाओं, औद्योगिक गतिविधियों, कृषि कार्यों में कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

(iii) रेडियोऐक्टिव प्रदूषण-रेडियोऐक्टिव पदार्थों के कारण पैदा होने वाले प्रदूषण को रेडियोऐक्टिव प्रदूषण कहते हैं । परमाणु ऊर्जा के अपशिष्टों के कारण भी रेडियोऐक्टिव प्रदूषण होता है।

(iv)शोर प्रदूषण-अवांछनीय ध्वनि को शोर कहते हैं । वातावरण में फैली ऐसी अनियन्त्रित ध्वनि अथवा शोर को ध्वनि अथवा शोर प्रदूषण कहते हैं । यह प्रदूषण अनियन्त्रित ध्वनि, आतिशबाजी, लाउडस्पीकर, हवाई अड्डा, उद्योग इत्यादि से पैदा हुई ध्वनि के कारण होती है।

(v) मृदा प्रदूषण-मृदा में होने वाले हानिकारक परिवर्तनों को मृदा प्रदूषण कहते हैं । यह कीटनाशकों, खरपतवारनाशियों, उर्वरकों के प्रयोग के कारण होता है।

रेडियोऐक्टिव (विकिरण) प्रदूषण के कारण जीवों के ऊपर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं, जो बीमारियों के रूप में दिखाई देते हैं

  • ल्यूकीमिया तथा अस्थि कैंसर-रेडियोऐक्टिव प्रदूषण के कारण मनुष्य, गाय, बैल आदि जीवों में रुधिर तथा अस्थि का कैंसर होता है।
  • असामयिक बुढ़ापा-रेडियोऐक्टिव प्रदूषण के कारण जीवों की प्रजनन क्षमता घट जाती है तथा उनमें असामयिक बुढ़ापा आता है।
  • महामारी-विकिरण प्रदूषण के कारण जीवों में रोगजनकों के प्रति एन्टिटॉक्सिन उत्पादन की या रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, जिसके कारण महामारी तेजी से फैलती है।
  • उत्परिवर्तन-इसके कारण जीवों में अचानक कुछ आनुवंशिक परिवर्तन पैदा हो जाते हैं।
  • तन्त्रिका तन्त्र तथा संवेदी कोशिकाएँ उत्तेजित हो जाती है।
  • बाह्य त्वचा पर घाव बन जाता है एवं आँख, आँत व जनन ऊतक प्रभावित होते हैं। इसके तात्कालिक प्रभाव के रूप में आँखों में जलन, डायरिया, उल्टी इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं। कैंसर होता है।

(ख) पुराने बेकार जहाज (Old useless ships)–पुराने बेकार मरम्मत के योग्य न रहने वाले जहाज, ठोस अपशिष्ट की तरह होते हैं । इन जहाजों को समुद्र तट पर तोड़कर कबाड़ (स्क्रेप) निकाला जाता है। जहाजों के स्क्रेप में अनेक विषाक्त पदार्थ जैसे-एस्बेस्टास, सीसा, पारा आदि निकल कर तटीय क्षेत्रों को प्रदूषित करते हैं।

ई-अपशिष्ट (e-wastes)-कम्प्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान जिन्हें मरम्मत करके ठीक-ठीक नहीं किया जा सकता, ई-अपशिष्ट कहलाते हैं। विकासशील देशों में ई-अपशिष्टों का पुनः चक्रण कर ताँबा, सिलिकॉन, निकिल एवं स्वर्ण धातु प्राप्त किया जाता है। इन देशों में पुनः चक्रण की क्रिया आधुनिक विधियों से करके हाथों द्वारा किया जाता है, जिससे ई-अपशिष्ट में मौजूद विषैले पदार्थ इन कार्य में जुड़े लोगों पर दुष्प्रभाव डालते हैं।

(ग) नगर पालिका के ठोस अपशिष्ट (Solid wastes of municipality)-नगर पालिक के ठोस अपशिष्टों में घरों, कार्यालयों, भंडारों, विद्यालयों आदि से रद्दी में फेंकी गई सभी चीजें आती है जो नगर पालिका द्वारा इकट्ठी की जाती है और इनका निपटान किया जाता है। इन्हें ठोस अपशिष्ट कहते हैं। इनमें आमतौर पर कागज, खाद्य अपशिष्ट, काँच, धातु, रबर, चमड़ा, वस्त्र आदि होते हैं। इनको जलाने से अपशिष्ट के आयतन में कमी आ जाती है, लेकिन यह सामान्यतः पूरी तरह जलता नहीं है और खुले में इसे फेंकने पर यह चूहों और मक्खियों के लिए प्रजनन स्थल का कार्य करता है। सैनेटरी लैंडफिल में अपशिष्ट को संघनन (Compaction) के बाद गड्ढा या खाई में डाला जाता है और प्रतिदिन धूल-मिट्टी (Dirt) से ढंक दिया जाता है।

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प्रश्न 10.
दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए क्या प्रयास किये गये ? क्या दिल्ली में वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
उत्तर
वाहनों की संख्या अधिक होने के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर देश में सबसे अधिक है। 41 सर्वाधिक प्रदूषित नगरों में दिल्ली का स्थान चौथा है। इस स्थिति को देखकर भारत के न्यायालय ने भारत सरकार को निश्चित अवधि में प्रदूषण कम करने का उपाय करने बाबत् आदेश दिये कि सभी सरकारी वाहनों में डीजल के स्थान पर संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) का प्रयोग किया जाये। वर्ष 2002 के अंत तक सभी बसों को CNG. में परिवर्तित कर दिया गया।

CNG डीजल से बेहतर है, क्योंकि डीजल की तुलना में इसका दहन उच्च होता है तथा यह अन्य पेट्रोलियम पदार्थों से किफायती होता है, साथ ही दिल्ली में वाहन प्रदूषण को कम करने के अन्य उपाय भी किये गये हैं, जैसे-पुरानी गाड़ियों को धीरे-धीरे हटा देना, सीसा रहित पेट्रोल एवं डीजल का प्रयोग, कम गन्धक युक्त पेट्रोल और डीजल का प्रयोग, वाहनों में उत्प्रेरक परिवर्तनों का प्रयोग, वाहनों के लिए कठोर प्रदूषण स्तर लागू करना आदि। दिल्ली में किये गये उक्त प्रयासों के कारण यहाँ की वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में चर्चा कीजिए
(क) ग्रीन हाऊस गैसें
(ख) उत्प्रेरक परिवर्तक
(ग) पराबैंगनी-B
उत्तर
(क) ग्रीन हाऊस गैसें (Green house gases)-वातावरण में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैसें ग्रीनहाऊस गैसें कहलाती हैं। इन गैसों के अत्यधिक उत्सर्जन से पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि होती है।

(ख) उत्प्रेरक परिवर्तक (Catalytic converter)-महानगरों में स्वचालित वाहन वायुमण्डल प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। जैसे-जैसे सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ती है यह समस्या छोटे शहरों में भी पहुंच रही है। स्वचालित वाहनों का रखरखाव उचित होना चाहिए। उनमें सीसा रहित पेट्रोल या डीजल का प्रयोग होने से उत्सर्जित प्रदूषकों की मात्रा कम हो जाती है। उत्प्रेरक परिवर्तक में कीमती धातु प्लैटिनम-पैलेडियम और रेडियम लगे होते हैं, जो उत्प्रेरक (Catalyst) का कार्य करते हैं। ये परिवर्तन स्वचालित वाहनों में लगे होते हैं जो विषैले गैसों के उत्सर्जन को कम करते हैं।

(ग) पराबैंगनी-बी (Ultraviolet-B)-पराबैंगनी-B(UV-B) विकिरण एक बड़ी तरंगदैर्घ्य वाली किरण है तथा पृथ्वी के वायुमण्डल द्वारा पूरी तरह अवशोषित नहीं हो पाती। ये किरणें जीवधारियों को बड़े पैमाने पर हानि पहुँचाती है। UV-B, DNA को क्षतिग्रस्त करता है जिसके कारण उत्परिवर्तन (Mutation) हो सकता है। त्वचा की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त तथा शरीर में विविध प्रकार के कैंसर उत्पन्न हो सकते हैं। इसके प्रभाव से त्वचा में बुढ़ापे के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। हमारी आँखों का कॉर्निया UV-B विकिरण का अवशोषण करता है। इसकी उच्च मात्रा होने पर कार्निया में शोथ होने लगता है, जिसे मोतियाबिंद (Cataract) कहा जाता है। UV-B प्रतिरक्षा तंत्र को भी प्रभावित करता है।

पर्यावरणीय मुद्दे अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
जीवाश्मीय ईंधन का दहन निम्नलिखित का मुख्य कारण है
(a) SO2 प्रदूषण
(b) नाइट्रोजन डाइ-ऑक्साइड
(c) नाइट्रस ऑक्साइड प्रदूषण
(d) नाइट्रिक ऑक्साइड प्रदूषण।
उत्तर
(a) SO2 प्रदूषण

प्रश्न 2.
ग्रीन हाउस प्रभाव का कारण वायुमण्डल में निम्नलिखित की सान्द्रता का बढ़ना है
(a) CO2
(b)CO
(c) O3
(d) नाइट्रोजन ऑक्साइड।
उत्तर
(a) CO2

प्रश्न 3.
वातावरण में O2, की मात्रा में कमी का दायित्व किस रसायन के फलस्वरूप है
(a) CFC
(b) NO2
(c)CO2
(d) SO2
उत्तर
(a) CFC

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प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा सर्वाधिक भयंकर रेडियोऐक्टिव प्रदूषक है
(a) स्ट्रांशियम-90
(b) फॉस्फोरस-32
(c) सल्फर-35
(d) कैल्सियम-40.
उत्तर
(a) स्ट्रांशियम-90

प्रश्न 5.
अम्लीय वर्षा का कारण है
(a) सल्फर डाइ-ऑक्साइड प्रदूषण
(b) कार्बन मोनो-ऑक्साइड प्रदूषण
(c) पीड़कनाशी प्रदूषण
(d) धूल कण।
उत्तर
(a) सल्फर डाइ-ऑक्साइड प्रदूषण

प्रश्न 6.
कार्बन मोनो-ऑक्साइड एक प्रमुख प्रदूषक है
(a) जल का
(b) हवा का
(c) ध्वनि का
(d) मृदा का।
उत्तर
(b) हवा का

प्रश्न 7.
पौधे हवा के शोधक माने जाते हैं, निम्न क्रिया के कारण
(a) श्वसन
(b) प्रकाश-संश्लेषण
(c) वाष्पोत्सर्जन
(d) शुष्कन।
उत्तर
(b) प्रकाश-संश्लेषण

प्रश्न 8.
ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाला प्रमुख प्रदूषक है
(a) ओजोन डाइ-ऑक्साइड
(b) कार्बन डाइ-ऑक्साइड
(c) कार्बन मोनो-ऑक्साइड
(d) नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं फ्लोरोकार्बन
उत्तर
(d) नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं फ्लोरोकार्बन

प्रश्न 9.
भोपाल गैस दुर्घटना में किस गैस का रिसाव हुआ था
(a) मेथिल आइसोसायनेट
(b) पोटैशियम आइसोथायोसायनेट
(c) सोडियम आइसो थायोसायनेट
(d) एथिल आइसोइनेट।
उत्तर
(a) मेथिल आइसोसायनेट

प्रश्न 10.
मिनिमाता रोग किसके कारण उत्पन्न होता है
(a) पेय जल में कार्बनिक प्रदूषक
(b) तेल उत्पन्य
(c) जल में पारद युक्त औद्योगिक कचरा
(d) वायुमंडलीय ऑर्गेनिक।
उत्तर
(c) जल में पारद युक्त औद्योगिक कचरा

प्रश्न 11.
ताजमहल को किससे खतरा है
(a) यमुना में आने वाले बाढ़
(b) तापक्रम द्वारा संगमरमर का वरण
(c) मथुरा रिफाइनरी से उत्पन्न प्रदूषक
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(c) मथुरा रिफाइनरी से उत्पन्न प्रदूषक

प्रश्न 12.
निम्न में से कौन वायुमंडलीय प्रदूषण उत्पन्न नहीं करेगा
(a) SO2
(b)CO2
(c)CO
(d) H2
उत्तर
(d) H2

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प्रश्न 13.
भोपाल गैस दुर्घटना कब हुई
(a) 1982
(b) 1984
(c) 1986
(d) 1988.
उत्तर
(c) 1986

प्रश्न 14.
ग्रीन हाउस प्रभाव में तापन का कारण होता है
(a) पृथ्वी पर आने वाले इन्फ्रारेड किरणें
(b) वायुमंडल की नमी
(c) वायुमंडलीय CO2
(d) वायुमंडलीय ओजोन।
उत्तर
(b) वायुमंडल की नमी

प्रश्न 15.
ग्रीन हाउस गैसें किससे संबंधित हैं–
(a) हरी शैवालों की अति वृद्धि
(b) वैश्विक तापमान में वृद्धि
(c) घरों में सब्जी की खेती
(d) टेरेस गार्डन का विकास।
उत्तर
(a) हरी शैवालों की अति वृद्धि

प्रश्न 16.
ग्रीन हाउस गैसें होती हैं
(a) CO2,CFC,CH2 ,NO2
(b) CO2,O2,N2,NO2,NH3
(c) CH4,N3,CO2,NH3
(d) CFC,CO2,NH3,H2
उत्तर
(d) CFC,CO2,NH3,H2

प्रश्न 17.
जल प्रदूषण किसके कारण होता है
(a) सल्फर डाइ-ऑक्साइड
(b) कार्बन डाइ-ऑक्साइड
(c) ऑक्सीजन
(d) औद्योगिक अपशिष्ट
उत्तर
(d) औद्योगिक अपशिष्ट

प्रश्न 18.
किस खेत से मीथेन गैस का उत्पादन होता है
(a) गेहूँ का खेत
(b) धान का खेत
(c) कपास का खेत
(d) मूंगफली का खेत।
उत्तर
(b) धान का खेत

प्रश्न 19.
प्रदूषित जल का उपचार किससे किया जाता है
(a) लाइकेन
(b) कवक
(c) फर्न
(d) फाइटो प्लैंक्टॉन।
उत्तर
(d) फाइटो प्लैंक्टॉन।

प्रश्न 20.
परिवहन से उत्पन्न गैस जो अचानक श्वास संबंधी रोग उत्पन्न हो सकता है
(a) CO
(b)CH4
(c)NO2
(d) क्लोरीन।
उत्तर
(a) CO

प्रश्न 21.
किस देश के द्वारा ग्रीन हाउस गैस का अधिकतम उत्पादन होता है
(a) भारत
(b) ब्रिटेन
(c) U.S.A.
(d) फ्रांस।
उत्तर
(c) U.S.A.

प्रश्न 22.
अम्लीय वर्षा से कौन अप्रभावित रहता है
(a) लिथोस्फीयर
(b) पौधे
(c) ओजोन परत.
(d) जन्तु।
उत्तर
(c) ओजोन परत.

प्रश्न 23.
ओजोन परत के छिद्र के कारण उत्पन्न होता है
(a) वैश्विक तापन
(b) प्रकाश संश्लेषण की दर में कमी
(c) अधिक UV किरणों का पृथ्वी पर आना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 24.
भारत वर्ष में सबसे अधिक प्रदूषित नदी है
(a) गंगा
(b) यमुना
(c) गोमती
(d) गोदावरी।
उत्तर
(b) यमुना

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2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. चारों ओर फैले परिवेश को ………….कहते हैं।
2. पर्यावरण अध्ययन की प्रकृति …………… होती है।
3. …………. पृथ्वी पर जीवों का सर्वाधिक उच्च स्तर है।
4. …………….स्थान विशेष में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्राणियों, जीवाणुओं तथा कवकों का समूह है।
5. भू-पटल के ऊपर पाये जाने वाले वायु के विस्तार को ………….. कहते हैं।
6. विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के दृश्य रेंज को ………….. कहा जाता है।
7. मृदा की ऊर्ध्वाकार स्तरीय संरचना को ………….. कहते हैं।
8. …………. जल पौधों को सर्वाधिक रूप से उपलब्ध होता है।
9. ………….. मृदा में पाये जाने वाले जीवों के श्वसन के लिए आवश्यक होता है।
10. पृथ्वी पर जीवों के अस्तित्व के लिए मृत्यु एक ………….. घटना है।
11. जीवित रहने के लिए ………….. गैस आवश्यक है।
12. ……………. मछली, मच्छर के अण्डों एवं लार्वा का भक्षण करती है।
13. वनीकरण द्वारा वातावरणीय CO2, की मात्रा को …………… किया जा सकता है।
14. मृदा प्रदूषण ……………. के द्वारा होता है।
15. ओजोन परत सूर्य की …………. को अवशोषित करती है।
उत्तर

  1. पर्यावरण
  2. बहुविषयक
  3. जैवमंडल
  4. जैव-समुदाय
  5. वायुमंडल
  6. प्रकाश
  7. मृदा-परिच्छेदिका,
  8. केशिका
  9. ऑक्सीजन
  10. आवश्यक
  11. ऑक्सीजन
  12. गैम्बूशिया
  13. नियंत्रित,
  14. रासायनिक उर्वरकों,
  15. पराबैंगनी किरणों।

3. सही जोड़ी बनाइए

I. ‘A’ – ‘B’

1. अम्लीय वर्षा का कारण – (a)CO2
2. ग्रीन हाउस प्रभाव का कारण  – (b) SO2 प्रदूषण
3. वातावरण में O3 की मात्रा की कमी का कारण – (c) SO2 + NO2
4. जीवाश्मीय दहन का मुख्य कारण – (d) C.F.C.
उत्तर
1.(c), 2. (a), 3. (d), 4. (b)

II. ‘A’ – ‘B’

1. मच्छर नियंत्रण – (a) 1972 अधिनियम
2. शिकार पर रोक – (b) वनस्पति हानि
3. पेन (PAN) – (c) स्मॉग
4. ओजोन विघटन – (d) गैसों की स्क्रबिंग।
उत्तर
1. (c), 2.(a), 3. (b), 4. (d)

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. प्रभावकारी दशाओं का वह संपूर्ण योग जिसमें जीव पाये जाते हैं।
2 परस्पर प्रजनन करने वाले जीवों का समूह ।
3. किसी स्थान विशेष में पाये जाने वाले जीवों तथा निर्जीव कारकों के मध्य होने वाली अंतक्रिया से विकसित होने वाला तंत्र।
4. वायुमंडल का वह निचला हिस्सा जिसमें 90% से अधिक गैसें पायी जाती हैं।
5. बैंगनी रंग के प्रकाश से कम तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश की किरणें।
6. पौधे में पुष्पन क्रिया पर प्रकाश का प्रभाव।
7. मृदा में पाये जाने वाले सबसे छोटे आकार के कण।
8. गुरुत्वाकर्षण बल के कारण मृदा कणों के बीच रिसकर नीचे चले जाने वाला कण।
9. शुष्क स्थिति टालने के लिए कुछ ही समय में जीवन चक्र करने वाले पौधे।
10. लवणीय पर्यावरण में पाये जाने वाले पौधे।।
11. सुरक्षा के लिए एक जीव का दूसरे जीव का स्वरूप ग्रहण करना।
12. B.O.D. का पूरा नाम लिखिए।
13. वायु प्रदूषण करने वाली दो प्रमुख गैसों के नाम लिखिए।
14. मनुष्य की श्रवण क्षमता कितनी होती है ?
15. भारत की सबसे अधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है ?
16 वातावरण में CO2 की सान्द्रता में वृद्धि होने से वातावरण के ताप में वृद्धि को क्या कहते हैं ?
17. D.D T. का पूरा नाम लिखिये।
18. पर्यावरण में CO2, की मात्रा कितनी होती है ?
19. किसके कारण धुएँ से आँखों में जलन पैदा होती है ?
20. विश्व-पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है ?
21. PAN का पूरा नाम लिखिए।
22. CFCs का पूरा नाम क्या है ?
23. भू-मण्डलीय तापन में CO2 का कितने प्रतिशत योगदान है ?
उत्तर

  1. पर्यावरण
  2. जाति
  3. पारिस्थितिक तंत्र
  4. क्षोभमंडल
  5. पराबैंगनी किरणें
  6. प्रकाश कालिता
  7. क्ले
  8. गुरुत्वाकर्षण जल
  9. इफिमीरल
  10. लवणोद्भिद
  11. अनुहरण
  12. Biological Oxygen Demand
  13. SO2, एवं CO2
  14. 10-12 डेसीबल
  15. गंगा
  16. ग्रीन हाऊस प्रभाव
  17. डाइक्लोरो डाइफिनाइल ट्राइक्लोरो एथेन,
  18. 0.03%,
  19. NO2
  20. 5 जून
  21. परॉक्सिल एसिटाइल नाइट्रेट,
  22. क्लोरो फ्लोरो कार्बन, 23.60%.

पर्यावरण के मुद्दे लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रदूषण की परिभाषा लिखिए।
उत्तर
“वायु, जल एवं मृदा के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों में होने वाला ऐसा अवांछित परिवर्तन जो मनुष्य के साथ ही सम्पूर्ण परिवेश के प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक तत्वों को हानि पहुँचाता है उसे प्रदूषण कहते हैं।”

प्रश्न 2.
वायु प्रदूषण के कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर

  1. प्राकृतिक स्रोतों में ज्वालामुखी, दावाग्नि, अपशिष्ट आदि प्रमुख हैं।
  2. मानव निर्मित स्रोत परिवहन, घरेलू कार्यों में दहन, ताप बिजली घर, उद्योग, कृषि कार्य, पेंट, वार्निश, खनन, रेडियोधर्मिता दुर्घटनाएँ, आतिशबाजी, गुलाल, धूम्रपान वायु प्रदूषण उत्पन्न करती हैं।
  3. कालिख, धुआँ, धूल, एस्बेस्टॉस तन्तु, कीटनाशक पौधे के परागण, कवकों एवं जीवाणुओं के स्पोर्स वायु प्रदूषण आदि के उदाहरण हैं।
  4. जीवाश्म के अपूर्ण दहन से CO2 का निर्माण होता है।

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प्रश्न 3.
अम्ल वर्षा क्या है ? मनुष्य में इसके दो प्रभाव लिखिए।
उत्तर
जीवाश्मीय ईधनों के जलने पर ऑक्सीकरण के द्वारा सल्फर के ऑक्साइड (SO2और SO3) पैदा होती हैं । ये दोनों गैसें पानी से क्रिया करके सल्फ्यूरस एवं सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) बनाती हैं । वर्षा के दिनों में जीवाश्मीय ईंधन के जलने से बनी SO2, और SO3 वर्षा की बूंदों के साथ अम्लों के रूप में पृथ्वी पर गिरती हैं, इसे ही अम्ल वर्षा कहते हैं। मानव पर इसके दो

प्रभाव

  • त्वचा में जलन होती है तथा फफोले बन जाते हैं।
  • इसके कारण इन्फ्लुएंजा, ब्रोंकॉइटिस तथा न्यूमोनिया रोग होते हैं।

प्रश्न 4.
वायु प्रदूषण का पौधों पर प्रभाव लिखिए।
उत्तर
वायु प्रदूषण का पौधों पर प्रभाव-

  • वायु प्रदूषण मुख्यत: SO2 की सान्द्रता बढ़ने के कारण पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं।
  • इनकी पत्तियों की कोशिकाएँ तथा क्लोरोफिल अपघटित होने लगती हैं अन्त में पत्तियाँ गिरती हैं और पौधे की मृत्यु हो जाती है।
  • पौधों की कायिक एवं जनन वृद्धि रुक जाती है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
  • पौधे का विकास अवरुद्ध हो जाता है।

प्रश्न 5.
दहन क्रियाओं से होने वाले वायु प्रदूषण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
दहन क्रियाओं से अनेक प्रकार के प्रदूषण होते हैं । घरेलू कार्यों में दहन क्रियाओं से जहाँ एक ओर CO2,CO, SO2, जैसे गैसें उत्पन्न होती हैं वही, इस क्रिया में वायुमण्डल की ऑक्सीजन उपयोग में ली जाती है। इससे वातावरण में ऑक्सीजन की कमी होती है। इसी प्रकार अनेक विद्युत्-गृहों में पत्थर का कोयला जलाने से अन्य गैसें तथा धुआँ उत्पन्न होता है। कोयले की राख व्यर्थ पदार्थ के रूप में उड़कर वायुमण्डल में मिलती है। दहन क्रियाओं से होने वाले प्रदूषण में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी वाहनों में जलने वाले ईंधन से होती है। डीजल वाहनों के धुएँ में अनेक हाइड्रोकार्बन, सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड आदि होते हैं। पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के धुएँ में CO2 के अलावा सीसा भी होता है।

प्रश्न 6.
वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु उपाय लिखिए।
उत्तर
वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु उपाय-वायु प्रदूषण निम्नलिखित उपायों द्वारा रोका जा सकता

  • कल कारखानों को आबादी से दूर करके तथा इनमें शोधन यन्त्रों को लगाना।
  • नये वनों को लगाना तथा वनों की कटाई पर रोक लगाना।
  • अधिक धुआँ देने वाले वाहनों तथा संयन्त्रों पर प्रतिबंध लगाना।
  • बड़े नगरों में बगीचों, उद्यानों का विकास करना।
  • फैक्ट्रियों की चिमनियों को ऊँचा करना।
  • बस अड्डों तथा मोटर गैराजों को शहर से दूर करना।
  • वायु शोषक पादपों का वृक्षारोपण करना।
  • वायु प्रदूषण सम्बन्धी नियमों को बनाकर तथा उनका पालन करवाकर ।

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प्रश्न 7.
हरित गृह प्रभाव के नियंत्रण के कोई चार उपाय लिखिये।
उत्तर
हरित गृह प्रभाव के नियंत्रण के उपाय निम्नलिखित हैं

  • जीवाश्म ईंधनों के उपयोग में कमी लाई जाये।
  • वनों का विनाश रोका जाये तथा नये वन विकसित किये जायें।
  • हरित गृह गैसों के विसर्जन रोकने हेतु वित्तीय सहायता के साथ तकनीकी जानकारी दी जानी चाहिए।
  • ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों पर निर्भरता कम की जाये। नये ऊर्जा स्रोतों का विकास किया जाये।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
1. बायोमैग्नीफिकेशन,
2.UV-किरणें,
3. बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक
4. नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक।
उत्तर-
1. बायोमैग्नीफिकेशन-कुछ कीटनाशक पदार्थ तथा हानिकारक पदार्थ जल में मिलकर जलीय जीवधारियों के माध्यम से विभिन्न पोषी स्तरों में पहुँचते हैं। प्रत्येक स्तर पर जैविक क्रियाओं से इनकी सान्द्रता में वृद्धि होती जाती है। इस क्रिया को जैविक आवर्धन (Bio magnification) कहते हैं।

2. पराबैंगनी किरणें या UV- किरणें-UV- किरणें वे प्रकाश कि हैं जिनकी तरंगदैर्ध्य 200 से 300 nm के बीच होता है। इन्हें हम सामान्य आँख से नहीं देख सकते हैं।

3. बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक या निम्नीकरणीय प्रदूषक-जिन प्रदूषकों का सूक्ष्म जीवों की प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा अहानिकारक पदार्थों में अपघटन किया जा सके, उन्हें जैव निम्नीकरणीय प्रदूषक कहते हैं। ये कम हानिकारक होते हैं । मल-मूत्र , कूड़ा-करकट इसी श्रेणी में आते हैं।

4.नॉन-बायोडिग्रेडेबल या जैव अनिम्नीकरणीय प्रदूषक-जिन प्रदूषकों का सूक्ष्म जीवों की प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा अपघटन न किया जा सके उन्हें अनिम्नीकरणीय प्रदूषक कहते हैं। ये अपेक्षाकृत अधिक नुकसानदेह होते हैं। इनका प्रकृति में पुनर्चक्रण नहीं हो पाता। ऐल्युमिनियम, काँच, प्लास्टिक इसी श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 9.
SO2 का वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे 1

प्रश्न 10.
जल अथवा वायु प्रदूषण के स्रोतों के केवल नाम लिखिए।
उत्तर
जल प्रदूषण के स्रोत-जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत निम्नानुसार हैं

(A) मानवीय स्रोत

  • वाहित मल
  • घरेलू बहिस्राव
  • कृषि बहिस्राव
  • औद्योगिक बहिस्राव
  • तैलीय प्रदूषण।

(B) प्राकृतिक स्रोत-कुछ लवण तथा तत्व प्राकृतिक रूप से जल में मिलकर प्रदूषण फैलाते हैं जैसेसीसा, आर्सेनिक, पारा, निकिल आदि। वायु प्रदूषण के स्रोत-वायु प्रदूषण के स्रोतों को सामान्यत: दो भागों में बाँटते हैं

(A) प्राकृतिक स्रोत-ज्वालामुखी का लावा, धूल, वन की आग के धुएँ तथा दलदल भूमि की CH4

(B) कृत्रिम स्रोत या मानवीय स्रोत–मानवीय स्रोत निम्नानुसार हैं दहन क्रियाएँ, औद्योगिक गतिविधियाँ, कृषि कार्य, कीटनाशकों का प्रयोग तक परमाणु ऊर्जा सम्बन्धी गतिविधियाँ।

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प्रश्न 11.
जलीय जीवों पर जल प्रदूषण के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
जलीय पादपों पर जल प्रदूषण के प्रभाव-

  • N2 तथा P की उपस्थिति के कारण जल सतह पर काई जम जाती है, जिससे सूर्य प्रकाश गहराई तक नहीं जाता है।
  • प्रदूषित जल में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ जाती है।
  • जल में गाद जमती है।
  • जलीय तापमान बढ़ता है तथा O2, का अनुपात कम होता है।

जलीय जन्तुओं पर जल प्रदूषण का प्रभाव-जलीय वनस्पति पर ही जन्तु जीवन निर्भर रहता है। जलीय जन्तु जल प्रदूषण से निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित होते हैं

  • B.O. D. की कमी के कारण जन्तु संख्या कम होते हैं।
  • स्वच्छ जल में पाये जाने वाले जन्तु समाप्त हो जाते हैं।
  • जन्तु विविधता कम होती है तथा मछलियों में तरह-तरह की बीमारियाँ होती हैं।
    जल से बाहर रहने वाले जीव भी प्रदूषित जल के उपयोग के कारण प्रभावित होते हैं।

प्रश्न 12.
जल प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के उपाय बताइए।
उत्तर
जल प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं

  • प्रत्येक घर में सेप्टिक टैंक होना चाहिए।
  • जल स्रोतों में पशुओं को नहीं धोना चाहिए।
  • लोगों को नदी, तालाब, झील में स्नान नहीं करना चाहिए।
  • कीटनाशियों, कवकनाशियों इत्यादि के रूप में निम्नीकरण योग्य पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए।
  • खतरनाक कीटनाशियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। इन जल स्रोतों में पशुओं को भी नहीं धोना चाहिए।
  • जल स्रोतों के जल के शोधन पर विशिष्ट ध्यान देना चाहिए। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में जल शोधन संयन्त्रों को लगाना चाहिए।

प्रश्न 13.
औद्योगिक कारणों से होने वाले वायु प्रदूषण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर
वायु प्रदूषण मुख्यतः उद्योगों से निकले धुएँ एवं अपशिष्ट पदार्थों से ही होता है। कपड़ा उद्योगों, रासायनिक उद्योग, तेल शोधक कारखाने, गत्ता उद्योग एवं शक्कर उद्योग वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत हैं और H4S, SO2,CO2,CO, धूल, सीसा, ऐम्बेस्टॉस आर्सेनिक फ्लुओराइड, बेरिलियम तथा अनेक हाइड्रोकार्बन इन उद्योगों से निकले प्रमुख वायु प्रदूषक हैं । औद्योगिक क्षेत्रों के आस-पास के धुआँ को देखकर उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को समझा जा सकता है। उद्योगों के कारण भारत के औद्योगिक शहर बहुत अधिक प्रदूषित हैं।

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प्रश्न 14.
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत क्या हैं ? ध्वनि प्रदूषण के कोई चार प्रभाव लिखिए।
उत्तर
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत (Sources of Noise Pollution)- ध्वनि प्रदूषण का स्रोत ध्वनि, शोर या आवाज ही है चाहे वह किसी भी प्रकार से पैदा हुई हो। टी. वी., रेडियों, कूलर, स्कूटर, कार, बस, ट्रेन, जहाज, रॉकेट, घरेलू उपकरण, वाशिंग मशीन, लाउड स्पीकर, स्टीरियो, टैंक, तोप तथा दूसरे सुरक्षात्मक उपकरणों के अलावा सभी प्रकार की आवाज करने वाले साधन उपकरण या कारक ध्वनि प्रदूषण स्रोत होते हैं।

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव-ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख प्रभाव निम्नानुसार हैं

  • सतत् शोर के कारण सुनने की क्षमता में कमी आती है।
  • ज्यादा शोर होने पर त्वचा में उत्तेजना पैदा होती है, जठर पेशियाँ संकीर्ण होती हैं और क्रोध तथा स्वभाव में उत्तेजना पैदा होती है।
  • शोर के कारण हृदय की धड़कन तथा रक्त दाब बढ़ता है और सिर दर्द, थकान, अनिद्रा आदि रोग होते हैं।
  • अधिक शोर के कारण ऐड्रीनल हॉर्मोनों का स्राव अधिक होता है।
  • यह कई उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करने के अलावा संवेदी तथा तन्त्रिका-तन्त्र को कमजोर बनाता है।

प्रश्न 15.
ध्वनि प्रदूषण से बचने के उपायों को लिखिए।
उत्तर
ध्वनि प्रदूषण से बचने के उपाय-ध्वनि प्रदूषण से निम्नलिखित उपायों द्वारा बचा जा सकता

  • ऐसे उपकरणों का निर्माण करना जो शोर या ध्वनि की तीव्रता को कम करें।
  • ध्वनि अवशोषकों का प्रयोग करना चाहिए।
  • मशीनों के साथ काम करने वाले व्यक्तियों को ध्वनि अवशोषक वस्त्रों को देना चाहिए।
  • पौधों को उगाकर भी ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
  • अनावश्यक शोर नहीं करना चाहिए। ध्वनि उत्पादक उपकरणों का आवश्यतानुसार ही प्रयोग करना चाहिए।
  • अनावश्यक ध्वनि पैदा करने वालों के खिलाफ कानून बनाकर उसका कड़ाई से पालन करवाना चाहिए।

प्रश्न 16.
प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं ? प्रत्येक का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर
प्रदूषण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

(i) जल प्रदूषण-जल स्त्रोतों में होने वाले उन अवांछनीय परिवर्तन को जिससे जल प्रदूषित होता है, जल प्रदूषण कहते हैं। यह प्रदूषण वाहितमल, घरेलू बहिस्राव, औद्योगिक बहिस्राव, कृषि कार्यों, कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

(ii) वायु प्रदूषण-वायुमण्डल में होने वाले ऐसे परिवर्तन जिनसे जीवों का नुकसान हो वायु प्रदूषण कहलाता है। यह मुख्यत: दहन क्रियाओं, औद्योगिक गतिविधियों, कृषि कार्यों में कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

(iii) रेडियोऐक्टिव प्रदूषण-रेडियोऐक्टिव पदार्थों के कारण पैदा होने वाले प्रदूषण को रेडियोऐक्टिव प्रदूषण कहते हैं । परमाणु ऊर्जा के अपशिष्टों के कारण भी रेडियोऐक्टिव प्रदूषण होता है।

(iv)शोर प्रदूषण-अवांछनीय ध्वनि को शोर कहते हैं । वातावरण में फैली ऐसी अनियन्त्रित ध्वनि अथवा शोर को ध्वनि अथवा शोर प्रदूषण कहते हैं । यह प्रदूषण अनियन्त्रित ध्वनि, आतिशबाजी, लाउडस्पीकर, हवाई अड्डा, उद्योग इत्यादि से पैदा हुई ध्वनि के कारण होती है।

(v) मृदा प्रदूषण-मृदा में होने वाले हानिकारक परिवर्तनों को मृदा प्रदूषण कहते हैं । यह कीटनाशकों, खरपतवारनाशियों, उर्वरकों के प्रयोग के कारण होता है।

पर्यावरण के मुद्दे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेडियोऐक्टिव प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
रेडियोऐक्टिव (विकिरण) प्रदूषण के कारण जीवों के ऊपर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं, जो बीमारियों के रूप में दिखाई देते हैं

  • ल्यूकीमिया तथा अस्थि कैंसर-रेडियोऐक्टिव प्रदूषण के कारण मनुष्य, गाय, बैल आदि जीवों में रुधिर तथा अस्थि का कैंसर होता है।
  • असामयिक बुढ़ापा-रेडियोऐक्टिव प्रदूषण के कारण जीवों की प्रजनन क्षमता घट जाती है तथा उनमें असामयिक बुढ़ापा आता है।
  • महामारी-विकिरण प्रदूषण के कारण जीवों में रोगजनकों के प्रति एन्टिटॉक्सिन उत्पादन की या रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, जिसके कारण महामारी तेजी से फैलती है।
  • उत्परिवर्तन-इसके कारण जीवों में अचानक कुछ आनुवंशिक परिवर्तन पैदा हो जाते हैं।
  • तन्त्रिका तन्त्र तथा संवेदी कोशिकाएँ उत्तेजित हो जाती है।
  • बाह्य त्वचा पर घाव बन जाता है एवं आँख, आँत व जनन ऊतक प्रभावित होते हैं। इसके तात्कालिक प्रभाव के रूप में आँखों में जलन, डायरिया, उल्टी इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं। कैंसर होता है।

प्रश्न 2.
आतिशबाजी से पर्यावरण में किस प्रकार का प्रदूषण फैलता है ? समझाइए।
उत्तर
आतिशबाजी का अर्थ विभिन्न उत्सवों के दौरान पटाखों तथा बारूद का अत्यधिक उपयोग से है। वैसे हम इसे खुशी के मौकों पर प्रयोग करते हैं, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि यह हमें भविष्य में दुःख ही देगा। आतिशबाजी के कारण पर्यावरण में निम्न प्रकार से प्रदूषण फैलता है

  • वायु प्रदूषण-आतिशबाजो में प्रयुक्त विस्फोटकों से निकली हानिकारक गैसें जैसे-CO2,CO, SO2, इत्यादि वायु को प्रदूषित करती हैं, जिससे अनेक प्रकार की श्वास सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती हैं।
  • ध्वनि प्रदूषण-आतिशबाजी के कारण पैदा हुई ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण पैदा करती है।
  • जल प्रदूषण-आतिशबाजी के कारण पैदा हुआ कचरा नालियों में मिलकर जल को प्रदूषित करता है। इसके फलस्वरूप कई विषैले पदार्थ भी पैदा होते हैं।

आतिशबाजी सबसे अधिक वायु प्रदूषण पैदा करती है। इसके कारण बहुत अधिक मात्रा में धुआँ पैदा होता है, जो सीधे वायुमण्डल में मिल जाता है । इसके अलावा इसके प्रभाव से बहुत अधिक मात्रा में धूल, वायु में कणीय प्रदूषक के रूप में मिल जाती है, जिसके साथ कुछ बारूद तथा दूसरे हानिकारक पदार्थों के कण भी होते हैं, जो भूमि पर गिरकर प्रदूषण पैदा करते हैं। आतिशबाजी की आवाज से व्यक्ति बहरा हो सकता है। उसका रक्त-दाब बढ़ सकता है तथा उसमें हृदयाघात व तन्त्रिकीय विकृति पैदा हो सकती है।

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प्रश्न 3.
‘वायु प्रदूषण’ पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर
वायु प्रदूषणा-वायुमण्डल मे होने वाले ऐसे परिवर्तन जिनसे जीवों का नुकसान हो वायु प्रदूषण कहलाता है। यह मुख्यत: दहन क्रियाओं, औद्योगिक गतिविधियों, कृषि कार्यों में कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

उत्तर.
वाय प्रदूषण के प्रभात्र-वायु प्रदूषण हमारे शरीर में तरह-तरह की विकृतियाँ पैदा करता है। इसके कुछ हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं

1. कारखानों की चिमनियों से निकलने वाली So,श्वास नली में जलन पैदा करती है तथा फेफड़ों को हानि पहुँचाती है। यह विभिन्न प्रकार के पौधों को क्षतिग्रस्त कर देती है। कुछ अधिपादप एवं लाइकेन SO2, से स्वतंत्र माध्यम में वहत तीव्रता से बढ़ते हैं। जन्तुओं में इसका प्रभाव श्वसन क्रिया पर सबसे अधिक पड़ता है।

2. नाइट्रस ऑक्साइड से फेफड़ों, आँखों व हृदय के रोग तथा ओजोन से आँख के रोग, खाँसी एवं सीने में दर्द होने लगता है। यह कई पौधों में वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ाकर भी उन्हें नुकसान पहुंचाती है।

3.P.A.N. प्रकाश प्रतिक्रिया में प्रकाशीय जल-अपघटन को रोककर, परितन्त्र का उत्पादन कम कर देती है। यह आँखों में जलन पैदा करके फेफड़ों को क्षति पहुँचाती है।

प्रश्न 4.
मुख्य वायु प्रदूषकों के नाम तथा उनके प्रभावों का पृथक्-पृथक् विवरण दीजिए।
उत्तर
मुख्य वायु प्रदूषक-मुख्य वायु प्रदूषकों के नाम तथा उनके प्रभाव निम्नानुसार हैं

  • कार्बन मोनोऑक्साइड-ये रुधिर के हीमोग्लोबीन से संयुक्त होकर उसकी ), सम्वहन क्षमता को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण सिरदर्द, सुस्ती, कमजोरी, भाराल्पता इत्यादि की शिकायत होती है।
  • सल्फर डाइऑक्साइड-इसके कारण जन्तुओं में श्वास की बीमारी, श्लैष्मिक ज्वर (influenza) और न्यूमोनिया तथा अम्ल वर्षा के कारण त्वचीय रोग होते हैं। पौधों में इसकी कमी से पत्तियाँ सबसे अधिक प्रभावित होती हैं तथा उत्पादकता कम हो जाती है।
  • हाइड्रोजन सल्फाइड-इसके कारण पौधों में पतझड़ तथा जन्तुओं की आँख में जलन, गले में खराश तथा उल्टी आती है।
  • नाइट्रोजन के ऑक्साइड-इसके कारण पत्तियों में हरिमहीनता, पत्तियों में सड़न, पुष्प तथा फल का पतन होता है। मनुष्य तथा जन्तुओं में इसके कारण श्वसन सम्बन्धी बीमारियाँ होती हैं।
  • ऐरोसोल्स-ऐरोसोल्स ओजोन परत को प्रभावित करने वाले रसायन हैं, जिसके कारण अल्ट्रावायलेट किरणें पृथ्वी पर आकर जन्तु तथा पादपों को नुकसान पहुँचाती हैं।
  • अमोनिया-यह पौधों के बीजों के अंकुरण, जड़ एवं प्ररोह वृद्धि और पौधों में हरितलवक अपघटन को पैदा करती है। जन्तुओं में यह श्वास में कठिनाई पैदा करती है।
  • हाइड्रीजन क्लोराइड-इसके कारण पौधों की पत्तियाँ तथा जन्तुओं की आँख व श्वसन अंग प्रभावित होते हैं।
  • हाइड्रोकार्बन-इसके कारण पौधों में पीलेपन, पत्तियों की सड़न, कलिका का सूखना, पत्तों का छोटापन इत्यादि समस्याएँ पैदा होती हैं। जन्तुओं में इनके कारण आँख एवं नाक की म्यूकस ग्रन्थियाँ उत्तेजित हो जाती हैं। इसके कारण फेफड़ों का कैंसर भी होता है। उपर्युक्त के अलावा भी वायु में कई प्रदूषक और पाये जाते हैं, जो जीवों को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 5.
मृदा प्रदूषण को नियन्त्रित करने वाले उपायों को लिखिए।
उत्तर
निम्नलिखित उपायों को अमल में लाकर मृदा प्रदूषण के दर को काफी हद तक कम कर नियन्त्रित किया जा सकता है

  • ठोस तथा अनिम्नीकरण योग्य पदार्थों जैसे-लोहा, ताँबा, काँच, पॉलिथीन को मिट्टी में नहीं दबाना चाहिए।
  • रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशियों, शाकनाशियों आदि के प्रयोग को कम-से-कम करना चाहिए।
  • रासायनिक कीटनाशियों के स्थान पर जैव कीटनाशियों का प्रयोग करना चाहिए।
  • ठोस अपशिष्टों को मृदा में मिलाने के बजाय उनको गलाकर इनके चक्रीकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • अपशिष्ट पदार्थों को खुले में छोडने के बदले खोखले, बन्द स्थानों में संग्रहीत करना चाहिए।
  • मृदा-क्षरण (Soil erosion) को रोकने का तरीका अपनाना चाहिए साथ ही भूमि में भरपूर जल संचयन हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।
  • जैव उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • गोबर, कार्बनिक अपशिष्ट तथा मानव मल-मूत्र से जैव गैस उत्पादन पर ज्यादा बल देना चाहिए।
  • एकीकृत भूमि प्रबन्धन तकनीक को अपनाना चाहिए ताकि भूमि प्रदूषण के प्रत्येक पहलू पर समुचित ध्यान देकर भूमि प्रदूषण को रोका जा सके।

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प्रश्न 6.
भूमि प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
भूमि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं

  1. अम्ल वर्षा के घटक मृदा को प्रदूषित करते हैं।
  2. अवांछित कूड़ा-करकट जैसे-घरेलू अपमार्जक, पॉलिथीन आदि मृदा को प्रदूषित करते हैं।
  3. मृदा की लवणता, अनियन्त्रित फसल उत्पादन, अनियन्त्रित मल विसर्जन, अनियन्त्रित चराई इत्यादि कार्य मृदा को प्रदूषित करते हैं।
  4. उर्वरकों, कीटनाशियों, शाकनाशियों का अन्धाधुन्ध उपयोग मृदा की प्राकृतिक संरचना को परिवर्तित करता है।
  5. औद्योगिक अपशिष्ट निकिल, आर्सेनिक, कैडमियम मृदा प्रदूषण पैदा कर जीव-जन्तुओं को प्रभावित करते हैं।
  6. मलेरिया उन्मूलन में DDT का अत्यधिक उपयोग भी मृदा प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बना है, क्योंकि यह खाद्य श्रृंखला द्वारा मनुष्य के शरीर में पहुँच कर अल्सर, कैंसर जैसे खतरनाक रोगों को पैदा करता है।

प्रश्न 7.
विजिबल स्पेक्ट्रम से क्या तात्पर्य है ? सूर्य प्रकाश के विभिन्न स्पेक्ट्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखते हुए, UV किरणों का जैविक प्रणालियों पर प्रभाव लिखिए।
उत्तर
दृश्य स्पेक्ट्रम (वर्णक्रम)-सूर्य द्वारा उत्सर्जित विकिरण के 390 nm से 760 nm की तरंगदैर्ध्य की प्रकाश किरणों को मनुष्य की आँखें देख सकती हैं, इसे दृश्य स्पेक्ट्रम कहते हैं।
सूर्य प्रकाश के विभिन्न स्पेक्ट्रम-सूर्य के प्रकाश से निकलने वाले विकिरण अथवा प्रकाश को तीन भागों में बाँटते हैं

  • अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रम-सूर्य प्रकाश के 200 से 390 nm तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश किरण पुंज को अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रम कहते हैं। इसे हमारी आँखें नहीं देख सकतीं।
  • दृश्य स्पेक्ट्रम-390 से 760 nm तरंगदैर्ध्य की प्रकाश किरणों को दृश्य वर्णक्रम (visible spectrum) कहते हैं।
  • अवरक्त स्पेक्ट्रम या वर्णक्रम-सूर्य प्रकाश के 760 nm से अधिक तरंगदैर्ध्य की प्रकाश किरणों को अवरक्त वर्णक्रम (Infrared spectrum) कहते हैं । इसे भी हमारी आँखें नहीं देख सकती।

UV किरणों का जैविक प्रणालियों पर प्रभाव-UV किरणें कोशिकाओं के DNA को विकृत कर देती हैं, जिससे कोशिकाओं में DNA द्विगुणन एवं प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है। इसके अलावा जन्तुओं में इनके प्रभाव से कैंसर, ट्यूमर, महामारी, आनुवंशिक विकृति जैसी समस्याएँ भी पैदा होती हैं।
पौधों में UV किरणों के प्रभाव से कई विषैले प्रकाश उत्पादों का संश्लेषण होता है, जिसके कारण इनकी मृत्यु हो जाती है।

यदि UV किरणों से प्रभावित जीव को कुछ देर तक सामान्य सूर्य के प्रकाश में रखा जाये तो इसका प्रभाव कुछ कम हो जाता है। UV किरणे काँच को पार नहीं कर पाती अर्थात् इसका प्रयोग करके हानिकारक प्रभाव से बचा जा सकता है।

प्रश्न 8.
आयोनाइजिंग एवं नॉन-आयोनाइजिंग रेडियोधर्मिता में अन्तर स्पष्ट कीजिए। इनके स्रोत तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
आयोनाइजिंग एवं नॉन-आयोनाइजिंग रेडियोधर्मिता में अन्तर-आयोनाइजिंग एवं नॉनआयोनाइजिंग विकिरण में निम्नलिखित अन्तर हैं

  • आयोनाइजिंग रेडियोधर्मिता रेडियोधर्मी पदार्थों के कारण पैदा होती है, जबकि नॉन-आयोनाइजिंग सूर्य की किरणों के कारण पैदा होती है।
  • आयोनाइजिंग विकिरण a,B, Y किरणों का बना होता है, जबकि नानआयोनाइजिंग विकिरण 200 से 390nm तक की तरंगदैर्घ्य वाली किरणों का बना होता है।
  • आयोनाइजिंग विकिरण जीव समुदाय के लिए बहुत अधिक हानिकारक होता है, जबकि नॉन-आयोनाइजिंग विकिरण अपेक्षाकृत कम हानिकारक होता है।
  • आयोनाइजिंग विकिरण का प्रभाव दीर्घगामी होता है, जबकि नॉन-आयोनाइजिंग विकिरण का प्रभाव जल्दी दिखाई देता है।

स्रोत-आयोनाइजिंग रेडियाधर्मिता के स्रोत प्रकृति में पाये जाने वाले रेडियोधर्मी पदार्थ होते हैं अर्थात् इनमें अल्फा, बीटा एवं गामा किरणें ही रेडियोधर्मिता पैदा करती हैं। नॉन-आयोनाइजिंग रेडियोधर्मिता का स्रोत सूर्य होता है।

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प्रश्न 9.
ध्वनि प्रदूषण के कारण और जीवधारियों पर इसके चार प्रभाव लिखिए।
उत्तर
ध्वनि प्रदूषण के कारण (स्रोत)-ध्वनि प्रदूषण का स्रोत ध्वनि, शोर या आवाज ही है, चाहे वह किसी भी प्रकार से पैदा हुई हो । टी.वी., रेडियो, कूलर प्कूटर, कार, बस, ट्रेन, प्लेन, रॉकेट, घरेलू उपकरण, वाशिंग मशीन, लाउडस्पीकर, स्टीरियो, टैंक, तोप तथा दूसरे सुरक्षात्मक उपकरणों के अलावा आवाज उत्पन्न करने वाले सभी प्रकार के साधन, उपकरण या कारक ध्वनि प्रदूषण के स्रोत होते हैं । उद्योग, कल-कारखाने तथा यान व हवाई अड्डे ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।
ध्वनि प्रदूषण का जीवधारियों पर प्रभाव-इसके प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं

  • सतत् शोर के कारण सुनने की क्षमता में कमी आती है तथा आदमी के बहरा होने की सम्भावना बढ़ती है।
  • ज्यादा शोर होने पर त्वचा में उत्तेजना (Irritation) पैदा होती है, जठर पेशियाँ (Gastric muscles) संकीर्ण होती हैं और क्रोध तथा स्वभाव में उत्तेजना पैदा होती है।
  • शोर के कारण हृदय की धड़कन (Heart beating) तथा रक्त दाब (Blood pressure) बढ़ता है।
  • ध्वनि प्रदूषण के कारण सिर दर्द, थकान, अनिद्रा आदि रोग होते हैं ।
  • अधिक शोर के कारण ऐड्रीनल हॉर्मोन (Adrenal hormones) का स्राव अधिक होता है।
  • यह कई उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करने के अलावा संवेदी (Sensory) तथा तन्त्रिका तन्त्र (Nervous system) को कमजोर बनाता है।
  • अवांछित ध्वनि (शोर) के कारण मस्तिष्क का तनाव बढ़ता है, जिससे व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है।
  • तीव्र शोर के कारण हमारा पाचन तंत्र (Digestive system) प्रभावित होता है और पाचन (Digestion) क्रिया अनियमित हो जाती है। शोर के कारण अल्सर (Ulcer) की सम्भावना भी बढ़ती है।
  • ध्वनि प्रदूषण के कारण धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमाव बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप रक्तचाप (Blood pressure) भी बढ़ता है।
  • शोर के कारण हमारे शरीर का पूरा अन्तःस्रावी तन्त्र (Endocrine system) उत्तेजित हो जाता है।
  • शोर में लगातार रहने पर बुढ़ापा (Ageing) जल्दी आता है।

प्रश्न 10.
हरित गृह प्रभाव क्या है ? इनके चार प्रभावों का वर्णन कीजिये।
उत्तर
“मानव द्वारा निर्मित CO2 के कारण उत्पन्न कम्बल जैसे प्रभाव (Blanketing effect) के कारण पृथ्वी की सतह के तापमान में होने वाली क्रमिक वृद्धि को ही हरित गृह प्रभाव (Greenhouse effect) कहते हैं।
हरित गृह (ग्रीन हाउस) प्रभाव के दुष्परिणाम (प्रभाव)

(1) पृथ्वी की जलवायु पर प्रभाव (Efféct on global climate)-कार्बन-डाइऑक्साइड के अवरक्त लाल विकिरणों (Infrared radiations) के अवशोषक गुण के कारण ही CO2 को पृथ्वी का ताप निर्धारित करने वाला प्रमुख कारक माना गया है। ग्रीन हाउस गैसों (Green house gases) की मात्रा में वृद्धि के साथसाथ पृथ्वी के सभी भागों के तापमान में वृद्धि एकसमान (Uniform) नहीं होती है। तापमान में होने वाली वृद्धि ध्रुवों (Poles) में सर्वाधिक तथा कटिबंधों (Tropics) में सबसे कम होती है, अत: आइसलैण्ड (Iceland), ग्रीनलैण्ड (Green-land), स्वीडन (Sweden), नार्वे (Norway), फिनलैण्ड (Finland), अलास्का (Alaska) एवं साइबेरिया (Siberia) इससे सर्वाधिक प्रभावित हैं तथा ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है।

(2) वनों पर हरित गृह प्रभाव का प्रभाव (Effect of Green house Effect on forests)-वायुमण्डलीय तापमान में वृद्धि होने के कारण केवल वही पेड़-पौधे जीवित रह पायेंगे जो कि इस उच्च तापमान को सहन कर सकेंगे। इसके साथ नये प्रकार की वनस्पतियों की उत्पत्ति होगी। शाकीय (Herbaceous) पौधे इस बढ़ते हुए तापमान में जीवित नहीं रह पायेंगे। कठोर काष्ठ (Hard wood) वाले पौधों का तेजी से विकास होगा। एक अनुमान के अनुसार वायुमण्डल में CO2 की मात्रा दुगुनी हो जाने पर हरित जैव भार (Green biomass) में अत्यधिक कमी आ जायेगी।

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(3) फसलों पर प्रभाव (Effect on crops)-हरित गृह प्रभाव के कारण वातावरण के तापमान में वृद्धि होने पर पौधों से होने वाले वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) एवं वाष्पीकरण (Evaporation) की दर में अत्यधिक वृद्धि होगी, अतः ऐसे पौधे जिनके लिये अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, उनके लिये जल कमी की समस्या उत्पन्न हो जायेगी। इसके साथ-साथ ऐसी फसलें, जिन्हें एक निश्चित तापमान की आवश्यकता होती है, वे अधिक तापमान के कारण नष्ट हो जायेंगी। अधिक तापमान के कारण पौधों पर रोगों एवं कीटों का प्रकोप बढ़ जायेगा, फलतः उत्पादन में कमी आयेगी।

(4) ओजोन परत पर प्रभाव (Effect on ozone layer)-डॉ. इवान्स (Dr. Evans) के अनुसार, पिछले 12 वर्षों में हरित गृह प्रभाव के द्वारा पृथ्वी पर वापस आने वाले ऊष्मीय विकिरणों (Heat radiations) की मात्रा CFC (क्लोरोफ्लुओरो-कार्बन) की मात्रा में वृद्धि के साथ-साथ दुगुनी हो गयी है। CFC वायुमण्डल में उपस्थित ओजोन स्तर को अत्यधिक हानि पहुँचाती है। CFC के प्रकाश अपघटनी विघटन (Photolytic dissociation) के कारण क्लोरीन (Chlorine) गैस मुक्त होती है, जो कि ओजोन, (Ozone) के साथ क्रिया करके आण्विक ऑक्सीजन (Molecular oxygen) एवं क्लोरीन मोनोऑक्साइड (Chlorine Mono-oxide) का निर्माण करती है। यह क्लोरीन मोनोऑक्साइड वातावरण में उपस्थित आण्विक ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके ऑक्सीजन (O2) के अणुओं का निर्माण करके पुनः क्लोरीन (Cl) गैस मुक्त करती है।
नियंत्रण के उपाय

  • स्वचालित वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को उत्प्रेरक संपरिवर्तकों के प्रयोग द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है।
  • रेडियोधर्मी विकिरण के प्रभाव से बचने के लिए परमाणु विस्फोटों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहिए तथा परमाणु संयंत्रों में सुरक्षा हेतु विशेष प्रबंध करने चाहिए।

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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आँकड़ों से बताइए कि A या B में से किसमें अधिक बिखराव है :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-1
हल:
माना कल्पित माध्य A = 45, h = 10.
yi = \(\frac{x_{i}-45}{h}\)
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-2
सूमह A के लिए:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-3
सूमह B के लिए:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-4
∴ σ = 15.62
विचरण गुणांक, C.V. = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) = × 100
= \(\frac{1562}{44.6}\) = 35.02
समूह B का विचरण गुणांक समूह A के विचरण गुणांक से अधिक है।
अतः समूह B में अंकों का बिखराव सूमह A के अंकों से अधिक है।

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प्रश्न 2.
शेयरों X और Y के नीचे दिए गए मूल्यों से बताइए कि किसके मूल्यों में अधिक स्थिरता है ?
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-5
हल:
माना शेयर X के आँकड़ों में कल्पित माध्य = 52
और शेयर Y के आँकड़ों में कल्पित माध्य = 105
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-6
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-7
विचरण गुणांक Y शेयर में x शेयर की तुलना में कम है।
अतः शेयर Y में, शेयर X की तुलना में अधिक स्थिरता है।

प्रश्न 3.
एक कारखाने की दो फर्मों A और B के कर्मचारियों को दिए मासिक वेतन के विश्लेषण का निम्नलिखित परिणाम है :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-8
(i) A और B में से कौन सी फर्म अपने कर्मचारियों को वेतन के रूप में अधिक राशि देती है?
(ii) व्यक्तिगत वेतनों में किस फर्म A या B में अधिक विचरण है ?
हल:
फर्म के लिए: वेतन पाने वाले कर्मचारियों की संख्या = 586
मासिक वेतन की माध्य = 5253 रू
फर्म A द्वारा दिया गया कुल वेतन = 5253 x 586
= 3078258 रू
वेतन बंटन का प्रसरण = 100
मानक विचलन = 10
विचरण गुणांक = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
= \(\frac{10}{5253}\) × 100
= \(\frac{1000}{5253}\) = 0.19
फर्म B के लिए:
वेतन पाने वाले कर्मचारियों की संख्या = 648
मासिक वेतन का संख्या = 5253 रू
फर्म B द्वारा गया कुल वेतन = 5253 x 648 रू
= 3403944 रू
वेतन बंटन का प्रसरण = 121
∴ मानक विचलन = 11
विचरण गुणांक = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
\(\frac{11}{5253}\) × 100 = 0.21
(i) फर्म A द्वारा दिया गया कुल मासिक वेतन = 3078258 रू
फर्म B द्वारा दिया गया कुल मासिक वेतन = 3403944 रू
अतः फर्म B फर्म A की तुलना में अधिक मासिक वेतन देती है।

(ii) फर्म A के वेतन बंटन का विचरण गुणांक = 0.19 और
फर्म A के वेतन बंटन का विचरण गुणांक = 0.21
अतः फर्म B के वेतन बंटन में अधिक बिखराव है।

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प्रश्न 4.
टीम A द्वारा एक सत्र में खेले गए फुटबॉल मैचों के आँकड़े नीचे दिए गए हैं :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-9
टीम B द्वारा खेले गए मैचों में बनाए गए गोलों का माध्य 2 प्रति मैच और गोलों का मानक विचलन 1.25 था। किस टीम को अधिक संगत (consistent) समझा जाना चाहिए ?
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-10
= 54.75
फर्म B के लिए :
माध्य \(\bar{x}\) = 2
मानक विचलन = 1.25
विचरण गुणांक = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
= \(\frac{1.25}{2}\) × 100 = 62.5
टीम A का टीम B की तुलना में विचरण गुणांक कम है।
अतः टीम A में टीम B से अधिक स्थिरता है।

प्रश्न 5.
पचास वनस्पति उत्पादों की लंबाई x (सेमी में) और भार y (ग्राम में) के योग और वर्गों के योग नीचे दिए गए हैं :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-11
लंबाई या भार में किसमें अधिक विचरण है ?
हल:
लंबाई के लिए :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-12
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-13
भार के लिए:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.3 img-14
भार का विचरण गुणांक, लंबाई के विचरण गुणांक से अधिक है।
अतः भार के बंटन में अधिक विचरण है।

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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2

प्रश्न 1 से 5 तक के लिए आँकड़ों के लिए माध्य व प्रसरण ज्ञात कीजिए।
प्रश्न 1.
6, 7, 10, 12, 13, 4, 8, 12.
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-1

प्रश्न 2.
प्रथम n प्राकृत संख्याएँ।
हल:
पहली n प्राकृत संख्याएँ : 1, 2, 3,….., n
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-2
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-3

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प्रश्न 3.
3 के प्रथम 10 गुणज।
हल:
प्रथम दस 3 के गुणज : 3, 6, 9, 12, 15, 18, 21, 24, 27, 30
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-4
= \(\frac{9 \times 825}{100}\)
= \(\frac{7425}{100}\) = 74.25
अतः माध्य = 16.5, प्रसरण = 74.25.

प्रश्न 4.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-5
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-6

प्रश्न 5.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-7
हल:
मान लीजिए कल्पित माध्य A = 98, ∴ yi = xi – 98
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-8
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-9

प्रश्न 6.
लघु विधि द्वारा माध्य व मानक विचलन ज्ञात कीजिए :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-10
हल:
मान लीजिए कल्पित माध्य A = 64
तथा yi = xi – 64
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-11
= \(\frac{286}{100}\) = 2.86
मानक विचलन, σ = \(\sqrt{2.86}\) = 1.69.

प्रश्न 7 व 8 में दिए गए बारंबारता बंटन के लिए माध्य व प्रसरण ज्ञात कीजिए :
प्रश्न 7.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-12
हल:
माना कल्पित माध्य A = 105, वर्ग अंतराल h = 30
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-13

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प्रश्न 8.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-14
हल:
माना कल्पित माध्य A = 25, वर्ग अंतराल = 10
yi = \(\frac{x_{i}-A}{h}=\frac{x_{i}-25}{10}\)
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-15

प्रश्न 9.
लघु विधि द्वारा माध्य, प्रसरण व मानक विचलन ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-16
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-17
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-18
मानक विचलन, σ = \(\sqrt{105.58}\) = 10.28.

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प्रश्न 10.
एक डिजाइन में बनाए गए वृत्तों के व्यास (मिमी में) नीचे दिए गए हैं।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-19
वृत्तों के व्यासों का मानक विचलन व माध्य व्यास ज्ञात कीजिए।
हल:
दिए हुए असतत आँकड़ों को सतत बारंबारता बंटन में बदलने के लिए अंतराल इस प्रकार हैं।
32.5 – 36.5, 36.5 – 40.5, 40.50 – 44.5, 44.5 – 48.5, 48.5 – 52.5
माना A = 42.5, h = 4, ∴ yi = \(\frac{x_{i}-42.5}{4}\)
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-20
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.2 img-21

∴ मानक विचलन σ = \(\sqrt{30.84}\) = 5.56.

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन

विलयन NCERT पाठ्यनिहित प्रश्न

प्रश्न 1.
यदि 22g बेन्जीन 122g कार्बन टेट्राक्लोराइड में घुली हुई है, तब बेन्जीन (C6H6) एवं कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCl4) का द्रव्यमान प्रतिशत की गणना कीजिए।
हल
विलयन का द्रव्यमान = बेन्जीन का द्रव्यमान +CCl4 का द्रव्यमान
= 22g + 122g = 144g

(a)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 1
बेन्जीन का द्रव्यमान % = 15.28%.
(b)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 2
CCl4 का द्रव्यमान % = 84.72%
या
CCl4 का द्रव्यमान % = 100-15.28
CCl4 का द्रव्यमान % = 84.72%.

प्रश्न 2.
बेन्जीन विलयन में 30% द्रव्यमान की दृष्टि से कार्बन टेट्राक्लोराइड है, तब बेन्जीन मोल प्रभाज की गणना कीजिए।
उत्तर
हल- A → बेन्जीन : B → CCl4
A → Benzene : B → CCl4
WA = 30g
MA = 78g
WB = 70g
MB = 154g
nA = \(\frac{\mathrm{W}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{M}_{\mathrm{A}}}=\frac{30}{78} = 0.38\)

nB =\( \frac{\mathrm{W}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}}}=\frac{70}{154} = 0.45\)

XA = \(\frac{n_{\mathrm{A}}}{n_{\mathrm{A}}+n_{\mathrm{B}}}=\frac{0.38}{0.38+0.45}\) = 0.46g

XB =1-XA = 0.54.

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प्रश्न 3.
निम्न विलयनों में प्रत्येक की मोलरता की गणना कीजिए
(a) 30g CO(NO3), 6H2O 4:3L विलयन में
(b) 30g ml 0.5 MH2SO4 500 ml तक तनु करते हैं।
हल
(a) CO(NO3), 6H2O का मोलर द्रव्यमान = MB = 29
CO(NO3), 6H2O का WB = 30g,
Vsol 4.3L = 4300ml

\(\mathrm{M}=\frac{\mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}} \times \mathrm{V}_{\mathrm{sol}}}\)

M = \(\frac{30 \times 1000}{291 \times 4300}\) = 0.024.

(b) तनुता के बाद विलयन की मोलरता की गणना कर सकते हैं
M1V1 (सान्द्रण)= M2V2 (तनुता)
0.5 ×30 = M2 × 500
M2 = \(\frac{0.5 \times 30}{500}\) = 0.03.

प्रश्न 4.
यूरिया (NH2CONH2) के द्रव्यमान की गणना कीजिए, जिसके 2.5kg के 0.25 मोलल जलीय विलयन बनाने के लिए आवश्यक है।
हल
0.25 मोलल विलयन का अर्थ है, 0.25 मोल यूरिया 1000g जल में है।
यूरिया का द्रव्यमान = 0.25 × 60 = 15g
विलयन का कुल द्रव्यमान = 1000 + 15 = 1015g
= 1.015kg
1.015 kg विलयन में यूरिया है = 15g.
2.5 kg विलयन में यूरिया की आवश्यकता होगी,

= \(\frac{15 \times 2.5}{1 \cdot 015}\) = 36.94g.

प्रश्न 5.
गणना कीजिए (a) मोललता, (b) मोलरता एवं (c) KI का मोल प्रभाज यदि 20% (द्रव्यमान/द्रव्यमान ) जलीय KI का घनत्व 1.202 gmL-1 है।
हल-
(a) M = \(\frac{\% \times d \times 10}{M_{B}}\) = MB = 166
M = \(\frac{20 \times 1.202 \times 10}{166}\) = =1.45molL-1

(b) M = \(\frac{\mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}} \times \mathrm{W}_{\mathrm{A}}}\), MB = 20, WA = 80
m = \(\frac{20 \times 1000}{166 \times 80}\) = 1.5 kgmol-1

(c)
KI के मोल = 0.120
H2O के मोल = \(\frac{80}{18}\) = 4.44
Xkl = \(\frac{0.120}{4.44+0.120}\) = 0.0263.

प्रश्न 6.
H2S सड़े अण्डे जैसी गंध वाली जहरीली गैस है, जिसका उपयोग गुणात्मक विश्लेषण में करते हैं। यदि STP पर H2S की जल में विलेयता 0.195 m है, हेनरी नियम स्थिरांक की गणना कीजिए।
हल
0.195 M विलयन का अर्थ है, 0.195 मोल H2S 1kg जल में विलेय है।
H2S के मोल = 0.195
जल के मोल = \(\frac{1000}{18}\) =55.55
H2S का मोल प्रभाज = \(\frac{0.195}{55.55+0.195}\) = 0.0035
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प्रश्न 7.
298K पर CO2 का जल में हेनरी नियम स्थिरांक 1.67×108 pa है। 500 ml सोडा वाटर में CO2 की मात्रा की गणना कीजिए, जबकि इसे 298K एवं 2.5 atm. दाब पर CO2 को भरा गया है।
हल- हेनरी नियम के अनुसार,
P= KHX…………. (i)
P2 = 2.5atm = 2.5 × 101325 Pa
KH = 1.67 × 108 Pa
इन मानों को समी. (i) में रखने पर, हमें प्राप्त होगा,
2.5 ×101325 = 1.67 × 10% ×X
X = 1.517 × 10-3
\(\mathrm{X}_{\mathrm{CO}_{2}}=\frac{n_{\mathrm{CO}_{2}}}{n_{\mathrm{H}_{2} \mathrm{O}}+n_{\mathrm{CO}_{2}}}=\frac{n_{\mathrm{CO}_{2}}}{n_{\mathrm{H}_{2} \mathrm{O}}}
n_{\mathrm{H}_{2} \mathrm{O}}=\frac{500}{18}\) = 27.77

अतः समी. (ii) से हमें प्राप्त होता है।
1.517×101-3 = \(\frac{n_{\mathrm{CO}_{2}}}{27 \cdot 77}\)
\(n_{\mathrm{CO}_{2}}\) = 0.042mol.

प्रश्न 8.
350K पर शुद्ध द्रवों A एवं B का वाष्पदाब क्रमशः 450 एवं 700 mm Hg हैं। यदि कुल वाष्पदाब 600mm Hg हो, तब द्रव मिश्रण का संघटन ज्ञात कीजिए, वाष्प प्रावस्था में संघटन भी ज्ञात कीजिए।
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प्रश्न 9.
298K पर शुद्ध जल का वाष्पदाब 23-8mm Hg है। 50g यूरिया (NH,CONH) को 850g जल में घुला हो, तब इस विलयन में जल के वाष्प दाब एवं इसके आपेक्षिक अवनमन की गणना कीजिए। .
हल
हमें ज्ञात है,
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यहाँ P° = 23.8mm, W2 = 50g,
M2 (यूरिया) = 60g mol-1
W1 = 850g, M1 (जल) = 18g mol-1
हमारा उद्देश्य P एवं p° – Ps/P° की गणना करना है।
मानों को समी. (i) में रखने पर
\(\frac{P^{0}-P_{s}}{P^{0}}\) = \(\frac{50 / 60}{850 / 18+50 / 60}=0 \cdot 017\)
वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन 0.017 है
P° = 23.8mm को रखने पर हमें प्राप्त होगा,
\(\frac{23 \cdot 8-P_{S}}{23 \cdot 8}=0 \cdot 017\)
23.8 Ps = 0.412
Ps= 23:39
अतः विलयन में जल का वाष्प दाब = 23-4 mm.

प्रश्न 10.
750 mmHg पर जल का क्वथनांक 99.63°C है। 500g जल में कितना सुक्रोस मिलावे, कि यह जल 100°C पर क्वथन करें।
हल
ΔTb = 100 – 99.63 = 0.37
आवश्यक सुक्रोस की मात्रा की गणना निम्न व्यंजक से गणना कर सकते हैं
ΔTb = \(\frac{\mathrm{K}_{b} \times \mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}} \times \mathrm{W}_{\mathrm{A}}}\)
Kb = 0.52kgmol-1,MB = 342gmol-1,
WA = 500g, ΔTb = 0.37
इन मानों को समी. (i) में रखने पर, हमें प्राप्त होगा –
0.37 = \(\frac{0.52 \times \mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{342 \times 500}\)
342×500
wB = 121.67g.

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प्रश्न 11.
एस्कॉर्बिक अम्ल (विटामिन C,CH,08)) के द्रव्यमान की गणना कीजिए, जिसे 75g एसीटिक अम्ल में घोलने पर गलनांक 1.5°C कम होवे।kf = 3.9k kg mol-1.
हल
हमें ज्ञात है,
ΔTf = \(\frac{\mathbf{K}_{f} \times 1000}{\mathbf{M}_{\mathbf{B}} \times \mathbf{W}_{\mathbf{A}}}\)
दिया गया है, ΔTb =1.5, Kf = 3.9Kkg mol-1,
WA = 75g
MB (एस्कॉर्बिक अम्ल C6H8O6)
= 6 × 12 + 8 + 16 × 8 =176
इन मानों को समी (i) में रखने पर
1.5 = \(\frac{3.9 \times \mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{176 \times 75}\)
WB = 5.077g.

प्रश्न 12.
उस विलयन के परासरण दाब की पास्कल में गणना कीजिए, जिसे 1.0g बहुलक, जिसका मोलर द्रव्यमान 185,000 है को 37°C पर 450 ml जल में घोला गया है।
हल
हमें ज्ञात है, π = CRT =\(\frac { n }{ v }\) RT
π = \(\frac{1 \cdot 0}{185,000}\)
V= 450ml, T = 273+37 =310K
R = 8:314 × 103 PaLmol-1K-1
π = \(\frac{1 \times 8.314 \times 10^{3} \times 310}{185,000 \times \frac{450}{1000}}\)
π = 30.96 Pa

विलयन NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विलयन को परिभाषित कीजिए। कितने प्रकार के विलयन बनाए जा सकते हैं ? प्रत्येक प्रकार के विलयन को उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर
विलयन – दो या दो से अधिक अक्रियाशील पदार्थों का समांगी मिश्रण होता है। जिसके रासायनिक संघटन को कुछ सीमा तक परिवर्तित किया जा सकता है। प्रत्येक विलयन में दो घटक विलायक तथा विलेय होते हैं।
विलयन के प्रकार – भौतिक अवस्था के आधार पर विलयन के तीन प्रकार होते हैं। जिन्हें पुनः तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
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प्रश्न 2.
माना दो पदार्थों के बीच ठोस विलयन बनता है, जिनमें से एक के कण अत्यधिक बड़े तथा दूसरे के कण अत्यधिक छोटे हैं। किस प्रकार का ठोस विलयन संभव है ?
हल- अन्तराकाशी ठोस विलयन।

प्रश्न 3.
निम्न को परिभाषित कीजिए –
(i) मोल प्रभाज
(ii) मोललता
(iii) मोलरता
(iv) द्रव्यमान प्रतिशत।
उत्तर
(i) मोल प्रभाज (Mole fraction)-किसी विलयन में उपस्थित किसी अवयव (विलायक या विलेय) के मोलों की संख्या तथा विलयन में उपस्थित कुल मोलों की संख्या के अनुपात को मोल प्रभाज कहते हैं।
यदि विलेय के मोलों की संख्या n व विलायक के मोलों की संख्या N हो, तो
विलेय का मोल प्रभाज = \(\frac{n}{n+N} \)
विलायक का मोल प्रभाज = \(\frac{n}{n+N} \)

(ii) मोललता (Molality)-“किसी विलयन की मोललता प्रति 1000 ग्राम विलायक में घुले विलेय पदार्थ के मोलों की संख्या है।” इसे m द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
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(iii) मोलरता (Molarity) – “किसी विलयन की मोलरता उसके एक लीटर में घुले विलेय पदार्थ के मोलों की संख्या है।” इसे M द्वारा दर्शाते हैं।
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(iv) द्रव्यमान प्रतिशत (Percentage by mass)-किसी विलयन की द्रव्यमान प्रतिशतता द्रव्यमान के अनुसार विलेय के भागों की वह संख्या है, जो द्रव्यमान के अनुसार विलयन के 100 भागों में उपस्थित रहती है। साधारणतः विलेय का ग्रामों में वह द्रव्यमान जो 100 ग्राम विलयन में उपस्थित रहता है, द्रव्यमान प्रतिशतता कहलाता है।
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किसी द्विअंगी विलयन के लिए WA विलायक का द्रव्यमान एवं WBविलेय का द्रव्यमान हो, तो
विलायक (A) का द्रव्यमान % = \(\frac{\mathrm{w}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{W}_{\mathrm{A}}+\mathrm{W}_{\mathrm{B}}} \times 100\)
इसी भाँति,
विलेय (B) का द्रव्यमान % = \(\frac{\mathrm{w}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{W}_{\mathrm{A}}+\mathrm{W}_{\mathrm{B}}} \times 100\)

इसे (W/W) से व्यक्त किया जाता है। उदाहरणार्थ- 10% Na2CO3 (W/W) का अर्थ है कि 100 ग्राम विलयन में 10 ग्राम Na2CO3 उपस्थित है (अर्थात् 10g Na2CO3 को 90g जल में विलेय किया गया है।)

प्रश्न 4.
प्रयोगशाला में उपयोग लाए जाने वाले नाइट्रिक अम्ल जलीय विलयन में द्रव्यमान की दृष्टि से 68% होता है। यदि विलयन का घनत्व 1.504gmL-1 हो, तो इस अम्ल के सेम्पल की मोललता क्या होगी?
हल
विलयन की मोललता निम्न के उपयोग से गणना की जा सकती है –
M = \(\frac{\% \times d \times 10}{M_{B}}\) ; % = 68;d = 1.504g mol-1,
MB= 63
M = \(\frac{68 \times 1.504 \times 10}{63}\) = 16.23M.

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प्रश्न 5.
जल में ग्लूकोस के विलयन पर 10% W/W लिखा है, तब विलयन में प्रत्येक अवयव की मोललता एवं मोल प्रभाज क्या होगा? यदि विलयन का घनत्व 1.2gmL-1 है, तब विलयन की मोलरता क्या होगी?
हल-
10% (W/w) ग्लूकोस का अर्थ है- 10g ग्लूकोस 100g विलयन में है, i.e., 90 g जल = 0.090 kg जल
nग्लूकोस = \(\frac{10}{180}\) = 0.05555mol,
\(n_{\mathrm{H}_{2} \mathrm{O}}\) = \(\frac{90}{18}\) = 5 mol.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 12

प्रश्न 6.
1g Na2CO3, एवं NaHCO3 के मिश्रण से पूर्ण क्रिया कराने के लिए 0.1M HCl के कितने ml की आवश्यकता होगी, जबकि मिश्रण में दोनों सम आण्विक मात्रा में हैं ?
हल
माना यहाँ xg Na2CO3 एवं (1 – x) g NaHCO3 मिश्रण में है –
Na2CO3 का मोलर द्रव्यमान = 106 g/mol
NaHCO3 का मोलर द्रव्यमान = 84g/mol
Na2CO3 के मोलों की संख्या = NaHCO3 के मोलों की संख्या
\(\frac{x}{106}\) = \(\frac{(1-x)}{84}\)
हल करने पर x= 0.56.
Na2CO3के मोलों की संख्या = NaHCO3 के मोलों की संख्या
=5.283 x 10-3
उदासीनीकरण प्रक्रम की अवधि, निम्न अभिक्रिया होती है –
Na2CO3 + 2HCl → 2NaCl + H2O + CO2
NaHCO3 + HCl + NaCl + H2O +CO2
आवश्यक HCl के मोलों की संख्या
= 2 × Na2CO3 के मोलों की संख्या + NaHCO3 के मोलों की संख्या
= 2 × 5.283 × 10-3 + 5.283 × 10-3
= 0.0158
अब
M =\(\frac{n_{B} \times 1000}{V}\)
V = \(\frac{0.0158 \times 1000}{0.1}\) = 158ml.

प्रश्न 7.
द्रव्यमान की दृष्टि से 25% विलयन के 300g एवं 40% के 400g को मिलाने पर प्राप्त विलयन के द्रव्यमान प्रतिशत की गणना कीजिए।
हल
25% विलयन के 300 g में विलेय है = 75g
40% विलयन के 400 g में विलेय है = 160g
कुल विलेय = 160 + 75 = 235g
कुल विलयन = 300 + 400 = 700g
विलेय का द्रव्यमान % =\(\frac{235}{700}\) × 100 = 33.5%
जल का द्रव्यमान % = 100 – 33.5 = 66.5%.

प्रश्न 8.
222.6 g एथिलीन ग्लाइकॉल (C2H6O2) एवं 200g जल को मिलाने पर एण्टीफ्रिज विलयन बनता है। विलयन की मोललता की गणना कीजिए। यदि विलयन का घनत्व 1.072 gmL-1 हो, तब विलयन की मोलरता क्या होगी?
हल
विलेय C2H4(OH)2 का द्रव्यमान = 222.6g, विलेय का मोलर द्रव्यमान = 62 g mol-1
∴ विलेय के मोल =\(\frac{222 \cdot 6}{62}\) = 3.59
विलायक का द्रव्यमान = 200g = 0.2kg
m=\(\frac{3.59}{0.2}\)molkg-1
विलयन का कुल द्रव्यमान = 222.6 + 200 = 422.6g .
∴विलयन का आयतन = \(\frac{422.6}{1.072}\)
= 394.2 ml = 0.3942 L
M=\(\frac{3 \cdot 59}{0.3942}\) = 9.11molL-1.

प्रश्न 9.
एक पेयजल के सेम्पल में क्लोरोफॉर्म (CHCl3) सहित अनेक अशुद्धियाँ पाई जाती हैं, माना ये कासनोजन है। इन अशुद्धियों का लेवल 15 ppm (द्रव्यमान की दृष्टि से) था।
(i) इसे द्रव्यमान के प्रतिशत में दर्शाइए।
(ii) जल के सेम्पल में क्लोरोफॉर्म की मोललता ज्ञात कीजिए।
हल
15 ppm (द्रव्यमान में) का अर्थ है- 15 g CHCl3 106 g विलयन में उपस्थित है।
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प्रश्न 10.
ऐल्कोहॉल एवं जल के विलयन में आण्विक अन्तःक्रिया का क्या रोल होगा?
हल
एल्कोहॉल जल के साथ अन्तर आण्विक H-बंध बनाता है, इसलिए जल में ऐल्कोहॉल विलेय है।

प्रश्न 11.
क्या कारण है कि तापक्रम में वृद्धि से गैसें द्रव में कम विलेय होती हैं ?
हल-
अधिकतर गैसों की ताप में वृद्धि से द्रव में विलेयता घटती है, क्योंकि घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। गर्म करने पर घुली हुई गैसें विलयन से बाहर निकलती हैं।

प्रश्न 12.
हेनरी नियम को लिखते हुए कुछ प्रमुख अनुप्रयोग भी लिखिए।
हल
हेनरी का नियम-स्थिर ताप पर किसी विलायक के निश्चित आयतन में विलेय गैस का द्रव्यमान गैस के दाब के समानुपाती होता है, जिसके साथ वह विलायक साम्यावस्था में है।
यदि विलायक आयतन में विलेय गैस का द्रव्यमान m तथा साम्य दाब हो, तो
m = kp (जहाँ k एक स्थिरांक है।)
हेनरी के नियम के अनुप्रयोग (Applications of Henry’s law) –

1. कार्बोनिकृत पेय पदार्थों के उत्पादन में- मृदु पेय, सोडा वाटर, बीयर जैसे कार्बोनिकृत पेय पदार्थों (Carbonated beverages) को बनाते समय CO2 की विलेयता बढ़ाने के लिए उच्च दाब का उपयोग किया जाता है।’

2. रक्त में घुली गैसों के विनिमय में- श्वास के द्वारा अन्दर ली गई वायु में O2 का आंशिक दाब उच्च होता है, फेफड़ों में पहुँचकर यह हीमोग्लोबीन से संयुक्त होकर ऑक्सीहीमोग्लोबीन बनाती है। उतकों (Tissues) में ऑक्सीजन का आंशिक दाब तुलनात्मक रूप से कम होता है अत: ऑक्सीहीमोग्लोबीन से ऑक्सीजन मुक्त होकर कोशिका सक्रियण के लिए उपलब्ध हो जाती है।

3. गहरे समुद्र में गोताखोरी के लिए- गहरे समुद्र में गोताखोरी करते समय श्वसन के लिए संपीडित वायु का उपयोग किया जाता है। संपीडित वायु में O2 के अतिरिक्त N2 भी होती है जो सामान्य दाब पर रक्त में ज्यादा विलेयशील नहीं होती है किन्तु उच्च दाब पर N2 की रक्त में विलेयता बढ़ जाती है एवं N2 रक्त में घुल जाती है। रक्त में नाइट्रोजन की उच्च सान्द्रता के हानिकारक प्रभावों एवं बेण्ड्स को रोकने के लिए गोताखोरों द्वारा प्रयुक्त टैंक को हीलियम द्वारा तनु किए गए वायु (He = 11.7%, N2 = 56-2% एवं O2 = 32.9%) से भरते हैं।

4. बहुत ऊँचाई पर बहुत ऊँचाई पर O2 का आंशिक दाब सतह की तुलना में अत्यन्त कम होता है। परिणामस्वरूप पर्वतारोहियों के श्वसन द्वारा उनके रक्त एवं कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन का सान्द्रण निम्न हो जाता है। रक्त में ऑक्सीजन की कमी पर्वतारोहियों को कमजोर बना देती है एवं वे ठीक-ठीक सोचने में भी असमर्थ होते हैं जिसे एनॉक्सिया (Anoxia) कहा जाता है।

5. जलीय जीवन में- वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की जल में विलेयता के कारण ही नदी, समुद्र एवं झीलों में जलीय जीव-जन्तुओं का जीवन संभव हो पाता है।

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प्रश्न 13.
एक विलयन में 6.56 x 10-3g एथेन है, तब एथेन का आंशिक दाब 1 bar है। यदि विलयन में 5.00 x 10-2g एथेन हो, तब गैस का आंशिक दाब क्या होगा?
हल
हेनरी नियम से, m = K × P
6.56 × 10-3g=K × 1 bar
K= 6-56 × 10-3g bar-1
अब यदि m = 5 × 10-2g, P= ?
प्रयुक्त करने पर, m’ =K × P’
5-00 × 10-2g = 6.56 × 10-3g bar-1 × P’
P =\(\frac{5 \cdot 00 \times 10^{-2}}{6 \cdot 56 \times 10^{-3}}\) = 7.62 bar

प्रश्न 14.
राउल्ट नियम से धनात्मक एवं ऋणात्मक विचलन का क्या अर्थ है, एवं Δmix चिन्ह किस प्रकार राउल्ट नियम से धनात्मक एवं ऋणात्मक विचलन से संबंधित है ?
उत्तर
धनात्मक विचलन-जब विलयन का वाष्प दाब, राउल्ट के नियम से प्राप्त वाष्प दाब से अधिक होता है, तो वह धनात्मक विचलन कहलाता है। दो घटक A तथा B से बने विलयन के लिए यदि विलेय और विलायक A-B के अन्तराकर्षण बल का मान विलेय (A-A) एवं विलायक (B-B) के अन्तराकर्षण बल के मान से कम हो तो विलेय और विलायक की निष्कासन की प्रवृत्ति का मान घटकों की शुद्ध अवस्था की तुलना में ज्यादा हो जाता है। अतः प्रत्येक घटक के आंशिक दाब का मान राउल्ट के नियम से प्राप्त होने वाले आंशिक दाब की तुलना में उच्च होता है।
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धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले विलयन के गुण

(i) \(\mathrm{P}_{\mathrm{A}}>\mathrm{P}_{\mathrm{A}}^{\circ} \mathrm{X}_{\mathrm{A}}\) एवं \(\mathrm{P}_{\mathrm{B}}>\mathrm{P}_{\mathrm{B}}^{\circ} \mathrm{X}_{\mathrm{B}}\)
(ii) ΔHmixing > 0 तब विचलन धनात्मक होता है।
(iii) ΔUmixing > 0 तब विचलन धनात्मक होता

उदाहरण – (1) एथिल एल्कोहॉल तथा जल, (2) एसीटोन तथा बेंजीन।
ऋणात्मक विचलन – जब विलयन का वाष्पदाब राउल्ट के नियम से प्राप्त वाष्प दाब से कम प्राप्त होता है तो यह ऋणात्मक विचलन कहलाता है। इस प्रकार के विलयनों में A-B (विलेय और विलायक) अन्तराकर्षण बल का । मान A-A (विलेय-विलेय) और B-B (विलायक-विलायक) के मध्य लगने वाले अन्तराकर्षण बल से प्रबल होता है। अतः विलयन में A और B (विलेय एवं विलायक) के अणुओं के निष्कासित होने की प्रवृत्ति शुद्ध घटकों की तुलना में कम होती है। अतः प्रत्येक घटक का विलयन में वाष्प दाब राउल्ट के नियम से प्राप्त होने वाले दाब से कम होता है।
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ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले विलयन के गुण –
(i) PA <\(\mathrm{P}_{\mathrm{A}}^{\circ} \mathrm{X}_{\mathrm{A}}\) तथा PB< \(\mathrm{P}_{\mathrm{B}}^{\mathrm{o}} \mathrm{X}_{\mathrm{B}}\)
(ii) ΔHmisxing <0 तब विचलन ऋणात्मक होता है।
(iii) Δmisxing <0 तब विचलन ऋणात्मक होता है।
उदाहरण – (1) HNO3 तथा जल, (2) क्लोरोफॉर्म तथा एसीटोन।

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प्रश्न 15.
विलायक के सामान्य क्वथनांक पर एक 2% अवाष्पशील विलेय का जलीय विलयन 1.004 bar दाब प्रेक्षित करता है। विलेय का मोलर द्रव्यमान क्या होगा?
हल
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प्रश्न 16.
हेप्टेन एवं ऑक्टेन आदर्श विलयन बनाते हैं। 373K पर दो द्रवों अवयवों का वाष्प दाब क्रमशः 105.2K Pa एवं 46.8 k Pa हैं। 26.0g हेप्टेन एवं 35g ऑक्टेन के मिश्रण का वाष्पदाब क्या होगा?
हल
हेप्टेन (C7H16),
द्रव्यमान = 26g
मोलर द्रव्यमान = 100
ऑक्टेन (C8H18)
द्रव्यमान = 35g .
मोलर द्रव्यमान = 114
मोलों की संख्या (n1) = \(\frac{26}{100}\) = 0.26
मोलों की संख्या (n2) = \(\frac{35}{114}\) = 0.31
मोल प्रभाज = X1 = \(\frac{n_{1}}{n_{1}+n_{2}}\) X2 = 1 – 0.456
X1 = \(\frac{0 \cdot 26}{0 \cdot 26+0 \cdot 31}\) X2 =0.544
X1 = 0.456
वाष्पदाब \(\mathrm{P}_{1}^{\mathrm{o}}\) = 105.2
\(\mathrm{P}_{2}^{\mathrm{o}}\) = 46.8
मिश्रण का वाष्प दाब (P) = \(\mathrm{P}_{1}^{\mathrm{o}} \mathrm{X}_{1}+\mathrm{P}_{2}^{\mathrm{o}} \mathrm{X}_{2}\)
P = 105.2 × 0.456 + 46.8 × 0.544
P = 42.97 + 25.46 = 73.43 kPa.

प्रश्न 17.
300K पर जल का वाष्पदाब 123kPa है, यदि इसके अवाष्पशील विलेय के 1 मोलल विलयन के वाष्पदाब की गणना कीजिए।
हल
1 मोलल विलयन का अर्थ है, विलेय का 1 मोल विलायक के 1 kg (जल) में उपस्थित है। …
∴ विलेय का मोल प्रभाज =\(\frac{1}{1+55.5}\) = 0-0177
अब, \(\frac{p^{0}-p_{s}}{p^{0}}=x_{2}\) , i.e. \(\frac{12 \cdot 3-P_{s}}{12 \cdot 3}=0 \cdot 0177\)
∴ Ps = 12.08 kPa.

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प्रश्न 18.
उस अवाष्पशील विलेय (मोलर द्रव्यमान 40g mol-1) की गणना कीजिए जो 114g ऑक्टेन में घुलकर उसके वाष्पदाब को 80% कम कर देता है।
हल
राउल्ट के नियम से,
P= \(\mathrm{P}_{\mathrm{A}}^{\mathrm{o}} \mathrm{X}_{\mathrm{A}}\)
\(\mathrm{P}_{\mathrm{A}}^{\circ}\) = 100, P = 80
∴ समी. (i) से XA = 0.80
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प्रश्न 19.
एक विलयन जिसे एक अवाष्पशील ठोस के 30g को 90g जल में विलीन करके बनाया गया है, इसका 298K पर वाष्पदाब 2.8kPa है, इसमें 18g जल मिलाने पर विलयन का नया वाष्पदाब 298K पर 2.9kPa हो जाता है, तब गणना कीजिए –
(i) विलेय का मोलर द्रव्यमान, (ii) 298K पर जल का वाष्पदाब।
हल
रॉउल्ट के नियम को लागू करने पर,
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 19
प्रथम प्रयोग से
जहाँ A = विलायक, B = विलेय
दिया गया है- WB = 30g, WA = 90g, Ps = 2.8kPa
MA = 18g mol-1
मानों को समी. (i) में रखने पर,
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 20

द्वितीय प्रयोग से
दिया गया है- WB = 30g, WA = 90 + 18 = 108g,
Ps = 2.9 kPa, MA = 18gmol-1
समी. (i) में मानों को रखने पर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 21
समी. (iii) को समी. (ii) से भाग देने पर हमें प्राप्त होता है,
\(\frac{\mathrm{M}_{\mathrm{B}}-5}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}}-6}\) = \(\frac{2 \cdot 9}{2 \cdot 8}\)
अथवा, 2.8(MB – 5) = 2.9 (MB – 6)
अथवा, 2.9 × 6 – 2.8 ×5 = MB (2.9 – 2.8)
अथवा, MB =\(\frac{3 \cdot 4}{0 \cdot 1}\) = 34g mol-1  …………………………….. (iv)          
समी. (iv) से Mg का मान समी. (iii) में रखने पर हमें प्राप्त होता है,
\(\frac{34-5}{34} = \frac{2 \cdot 9}{\mathrm{P}^{\circ}}\)
अथवा, P0 =\( \frac{2 \cdot 9}{0.853}\) = 3.4kPa.

प्रश्न 20.
गन्ने के रस (Cane sugar) का जल में 5% विलयन का हिमांक बिन्दु 271K है। यदि शुद्ध जल का हिमांक बिन्दु 273.15K हो, तो जल में 5% ग्लूकोस के हिमांक बिन्दु की गणना कीजिए। हल-गन्ने की शर्करा के लिए,
ΔTf = 273.15-271-0 = 2.15°C
Kf = \(\frac{2 \cdot 15 \times 100 \times 342}{1000 \times 5}\)
= 14.706 KM -1
ग्लूकोस विलयन के लिए,
ΔTb = \(\frac{14706 \times 1000 \times 5}{100 \times 180}\) = 4.085K.

प्रश्न 21.
दो तत्व A एवं B यौगिक बनाते हैं, जिनका सूत्र AB2एवं AB4 है। यदि 20g बेन्जीन (C6H6) में घोल देवें, AB2 का 1g हिमांक बिन्दु में 2-3K का अवनमन करता है, जबकि 1g AB41:3K का अवनमन होता है। बेंजीन के लिए मोलर अवनमन स्थिरांक 5.1Kkg mol-1 A एवं B के परमाणु द्रव्यमान की गणना कीजिए।
हल
सूत्र को लागू करने पर,
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माना A एवं B के परमाणु द्रव्यमान क्रमशः ‘a’ एवं ‘b’ हैं,
तब AB2 का मोलर द्रव्यमान = a+2b = 110.87g mol-1
AB4 का मोलर द्रव्यमान = a+4b = 196.15g mol-1
समी. (ii) से समी. (i) को घटाने पर –
2b = 85-28 अथवा b = 42.64
समी. (i) में रखने पर, हमें प्राप्त होगा, a + 2 × 42.64 = 110.8
अथवा a = 25.59
अतः A का परमाणु द्रव्यमान = 25.59u.
B का परमाणु द्रव्यमान = 42.6u.

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प्रश्न 22.
300K पर 36g ग्लूकोस एक लीटर विलयन में उपस्थित है, इसका परासरण दाब 4.98 bar है। यदि समान ताप पर विलयन का परासरण दाब 1.52 bar हो, तो इसका सान्द्रण क्या होगा?
हल
हमें ज्ञात है- πV = nRT
प्रथम प्रकरण में, 4.98 × 1= \(\frac{36}{180} \)× R × T
द्वितीय प्रकरण में, 1:52 × 1 = \(\frac{\mathrm{W}}{180}\) × RT
समी (i) में समी. (ii) का भाग देने पर, हमें प्राप्त होगा,
\(\frac{4 \cdot 98}{1 \cdot 52}=\frac{36}{W}\)
w = 10.987g/L.

प्रश्न 23.
निम्न जोड़ों में प्रमुख अन्तर-आण्विक आकर्षण अन्तःक्रिया को समझाइये
(i) n-हेक्सेन एवं n-ऑक्टेन,
(ii) I2 एवं CCl4
(iii) NaClO4 एवं जल
(iv) मेथेनॉल एवं एसीटोन
(v) एसीटोनाइट्राइल (CH3CN) एवं एसीटोन (C3H6O)।
उत्तर-
(i) n-हेक्सेन एवं n- ऑक्टेन – परिक्षेपण अथवा लण्डन बल
(ii) I2 एवं CCl4 (दोनों अध्रुवीय हैं) – लण्डन अथवा परिक्षेपण बल
(iii) NaClO4 एवं जल (आयनिक) (ध्रुवीय) – आयन-द्विध्रुव अन्तर-क्रिया को आयन का जलयोजन (ध्रुवीय) कहते हैं।
(iv) मेथेनॉल एवं ऐसीटोन – द्विध्रुव-द्विध्रुव (ध्रुवीय)
(iv) एसीटोनाइट्राइल एवं ऐसीटोन (ध्रुवीय) – द्विध्रुव-द्विध्रुव (ध्रुवीय )।

प्रश्न 24.
विलेय-विलायक अन्तःक्रिया के आधार पर निम्न को n-ऑक्टेन में विलेयता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए एवं समझाइए- चक्रीय हेक्सेन, KCl, CH3OH, CH3CN.
उत्तर
विलेयता के लिए हमें ज्ञात है Like dissolves like (समान-समान को घोलना), n-ऑक्टेन अध्रुवीय विलायक है, अतः अध्रुवीय यौगिक अधिक विलेय होते हैं।
KCl> CH3OH <CH3CN < चक्रीय हेक्सेन

प्रश्न 25.
निम्न में से कौन-सा यौगिक जल में अविलेय है, आंशिक विलेय है एवं अत्यधिक विलेय है, पहचान कीजिए.
(i) फीनॉल,
(i) टॉलुईन
(iii) फॉर्मिक अम्ल
(iv) एथिलीन ग्लाइकॉल
(v) क्लोरोफॉर्म
(vi) पेण्टेनॉल।
उत्तर
अत्यधिक विलेय -फॉर्मिक अम्ल एवं एथिलीन ग्लाइकॉल। ये जल के अणुओं के साथ Hबंध बनाने की क्षमता रखते हैं।
अविलेय -क्लोरोफॉर्म एवं टॉलुईन अध्रुवीय हैं, ये ध्रुवीय माध्यम जैसे-जल में अविलेय हैं। आंशिक विलेय-फीनॉल एवं पेन्टेनॉल जल के साथ दुर्बल H-बंध बनाते हैं, अतः ये आंशिक विलेय हैं।

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प्रश्न 26.
झील के जल का घनत्व 1.25gmL-1 है एवं 92g Na+ आयन प्रति kg जल में हैं, झील में Na+ आयनों की मोललता की गणना कीजिए। .
हल
दिया गया है,
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प्रश्न 27.
यदि CuS का विलेयता गुणनफल 6 × 10-16 है। जलीय विलयन में Cus की अधिकतम मोलरता की गणना कीजिए।
हल
दिया गया है,
Cus at Ksp = 6 × 10-16
यदि ‘S’ विलेयता है, तब
Cus ⇌ Cu2+ + S2-
[Cu2+] = S [Su2-] = S
Ksp = [Cu2+] [Su2-] = S2
∴ विलेयता S = \(\sqrt{\mathrm{K}_{s p}}\) = \(\sqrt{6 \times 10^{-16}}\) = 2.45 × 10-8M.

प्रश्न 28.
यदि 6.5g C9H8O4 450g CH3CN में घुली है, तब एसीटोनाइट्राइल (CH3CN) में एस्पिन (C9H8O4) के द्रव्यमान प्रतिशत की गणना कीजिए।
हल
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प्रश्न 29.
नेलोरफिन (C19H21NO3) जो मार्फिन के समान है, का उपयोग स्वापक (Narcotic) उपभोक्ताओं द्वारा स्वापक छोड़ने से उत्पन्न लक्षणों को दूर करने के लिए करते हैं। सामान्यतः नेलोरफिन खुराक 1.5 mg दिया जाता है। उपरोक्त खुराक के लिए 1.5 x 10-m जलीय विलयन में आवश्यक द्रव्यमान की गणना कीजिए।
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प्रश्न 30.
मेथेनॉल में 0.15M 250ml विलयन बनाने के लिए आवश्यक बेन्जोइक अम्ल (C6H5 COOH) की मात्रा की गणना कीजिए।
हल-हमें ज्ञात है M = \(\frac{\mathrm{w}_{\mathrm{B}} \times 1000}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}} \times \mathrm{V}}\)
दिया गया है, M = 0.15, V = 250 ml, MB= 122
0.15 = \(\frac{\mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{122 \times 250}\)
WB = 4.575g.

प्रश्न 31.
प्रेक्षिप्त जल के हिमांक में अवनमन, समान मात्रा में एसीटिक अम्ल, ट्राईक्लोरो एसीटिक अम्ल एवं ट्राई फ्लुओरो एसीटिक अम्ल, में वृद्धि उपरोक्त दिए गए क्रम में होती है, विस्तृत रूप में समझाइये।
उत्तर-
एसीटिक अम्ल < ट्राइक्लोरो एसीटिक अम्ल < ट्राइफ्लुओरो एसीटिक अम्ल
कार्बोक्सिलिक समूह के साथ जुड़े समूहों के इलेक्ट्रॉन विकर्षी प्रभाव में वृद्धि से आयनन की मात्रा में वृद्धि होती है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 26
इलेक्ट्रॉन विकर्षी प्रभाव में वृद्धि हिमांक में अवनमन एक अणुसंख्यक गुणधर्म है । ट्राइफ्लुओरो एसीटिक अम्ल के आयनन से अधिक आयन उत्पन्न होते हैं, तब हिमांक में अवनमन अधिकतम होगा।

प्रश्न 32.
250g जल में 10g CH3CH2CHClCOOH को मिलाने पर जल के हिमांक में अवनमन की गणना कीजिए।
Ka = 1.4 x 10-13, Kf =1.86K kgmol-1.
हल- CH3CH2CHClCOOH का मोलर द्रव्यमान (MB)
(विलेय) = 122.5g mol-1.
WB = 10g.
nB = \(\frac{10}{122 \cdot 5}\) = 8.16 × 10-2mol
m = \(\frac{8.16 \times 10^{-2} \times 1000}{250}\)
= 0.3265m
यदि αCH3CH2 CHCl COOH के वियोजन की मात्रा है,
CH3CH2 CHCl COOH ⇌ CH3CH2 CHCl COO + H+
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प्रश्न 33.
500g जल में 19-5g CH2F COOH घुला है।जल में हिमांक में अवनयन 1.0°C प्रेक्षित हुआ, फ्लुओरो-एसीटिक अम्ल का वॉण्ट हॉफ गुणांक एवं वियोजन स्थिरांक की गणना कीजिए।
हल
CH2F COOH का आण्विक द्रव्यमान (MB ) = 78
WB = 19.5g, WA= 500g
m = \(\frac{\mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}} \times 500}\)=\(\frac{19.5 \times 1000}{78 \times 500}=0.50 \mathrm{m}\)
= 1.86 × 0.50 = 0.93K
वॉण्ट हॉफ कारक
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प्रश्न 34.
293K पर जल का वाष्पदाब 17:535 mm Hg है। 25g ग्लुकोस को 450g जल में घोलकर 293K पर जल के वाष्पदाब की गणना कीजिए।
हल
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प्रश्न 35.
298K पर मेथेन की बेन्जीन में मोललता का हेनरी नियम स्थिरांक 4.27x 105 mmHg है। 298K एवं 760mm Hg पर मेथेन की बेन्जीन में विलेयता की गणना कीजिए।
हल
जहाँ KH = 4.27 × 105 mm, P=760mm
हेनरी नियम को लागू करने पर, P = KHX
X = \(\frac{P}{K_{H}}=\frac{760}{4.27 \times 10^{5}}\) = 1.78 × 10-3
∴ बेन्जीन में मेथेन का मोल प्रभाज = 1.78 × 10-3

प्रश्न 36.
100g द्रव A (मोलर द्रव्यमान 140g mol-1) 1000g द्रव B (मोलर द्रव्यमान 180g mor’) में विलेय है।शुद्ध द्रव B का वाष्पदाब 500 torr प्राप्त होता है। यदि विलयन का कुल वाष्पदाब 475 torr है, तब शुद्ध द्रव A का वाष्प दाब एवं विलयन में इसके वाष्प दाब की गणना कीजिए।
हल:
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प्रश्न 37.
328K पर शुद्ध ऐसीटोन एवं क्लोरोफॉर्म के वाष्पदाब क्रमश: 741.8 mm Hg एवं 632.8 mm Hg हैं। माना ये सभी संघटन पर आदर्श विलयन बनाते हैं।
PTotal, Pक्लोरोफॉर्म एवं Pएसीटोन को Xएसीटोन के फलन के रूप में ग्राफ खींचते हैं। मिश्रण के विभिन्न संघटनों पर प्रेक्षित प्रायोगिक आँकड़े है –
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समान ग्राफ पेपर पर इन आँकड़ों को प्लाट करना है। तब यह बताना है ये आदर्श विलयन से धनात्मक विलयन अथवा ऋणात्मक विचलन दर्शाते हैं।
हल
From the question, we have the following data
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उक्त ग्राफ से देखा जा सकता है कि विलयन के PTotal के लिए प्लॉट निम्नवक्रीय है। अतः विलयन आदर्श व्यवहार से ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 38.
सभी संघटनों पर बेन्जीन एवं टॉलुईन आदर्श विलयन बनाते हैं। शुद्ध बेन्जीन एवं टॉलुईन का 300 K पर वाष्पदाब क्रमशः 50.71mm Hg एवं 32.06mm Hg है। यदि 80g बेन्जीन को 100g टॉलुईन में मिलावें, तो वाष्य प्रावस्था में बेन्जीन के मोल प्रभाज की गणना कीजिए।
हल
A→ बेन्जीन (C6H6), B-→ टॉलुईन (C7H8)
बेन्जीन के मोलों की संख्या nA = \(\frac { 80 }{ 78 }\) = 1.026
टॉलुईन के मोलों की संख्या nB = \(\frac { 100 }{ 92 }\) = 1.087
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प्रश्न 39.
वायु अनेक गैसों का मिश्रण है। इनमें मुख्य अवयव 298K पर लगभग ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन 20% एवं 79% हैं। 10 atm. दाब पर जल एवं वायु साम्यावस्था में हैं। यदि 298K पर ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन के हेनरी नियम स्थिरांक क्रमश: 3.30 x 107 mmHg एवं 6.51 x 107 mm हों तो जल में इन गैसों का संघटन की गणना कीजिए।
हल
जल के ऊपर वायु का वाष्पदाब = 10 atm.
N2 एवं O2 आंशिक दाब
\(\mathrm{P}_{\mathrm{N}_{2}}\) =\(\frac{79 \times 10}{100}\) = 7.9 atm.
= 7.9 × 760 mm = 6004 mm Hg
\(P_{O_{2}}\)=\(\frac{20 \times 10}{100}\) = 2 atm.
= 2 × 760 mm Hg = 1520 mm Hg.
हेनरी नियम लागू करने पर,
\(\mathrm{P}_{\mathrm{N}_{2}}=\mathrm{K}_{\mathrm{H}} \mathrm{X}_{\mathrm{N}_{2}}\)
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प्रश्न 40.
CaCl2 (i = 2.47) की मात्रा ज्ञात कीजिए, जब इसे 2.5 लीटर जल में घोला जाता है, इसका 27°C पर परासरण दाब 0.75 atm. है।
हल
CaCl2 के लिए, i = 2.47
π= iCRT
\(\pi=i \frac{n_{\mathrm{B}}}{\mathrm{V}} \mathrm{RT}\)
0.75 = \(\frac{2 \cdot 47 \times n_{\mathrm{B}} \times 0 \cdot 082 \times 300}{2 \cdot 5}\)
nB = \(\frac{0.75 \times 2.5}{2.47 \times 0.082 \times 300}\)
nB = 0.0308 mol.

प्रश्न 41.
25°C पर 25 mg K2SO4 को 2 लीटर जल में घोलने पर बने विलयन का वाष्प दाब ज्ञात कीजिए, मान लीजिए यह पूर्ण वियोजित हो जाता है।
हुल
πV= inBRT
π × 2 = 3 × \(\frac{0.025}{174}\) × 0.0821 × 298
π = 5.272 × 10-3 atm.

विलयन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विलयन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
विलेय की मोलल सान्द्रता वाले विलयन का क्वथनांक उन्नयन सर्वाधिक होगा यदि विलायक –
(a) एथिल ऐल्कोहॉल है
(b) ऐसीटोन है
(c) बेन्जीन है
(d) क्लोरोफॉर्म है।
उत्तर
(c) बेन्जीन है

प्रश्न 2.
समान परासरण दाब वाले विलयन कहलाते हैं
(a) अतिपरासरी
(b) अल्पपरासरी
(c) समपरासरी
(d) नॉर्मल।
उत्तर
(c) समपरासरी

प्रश्न 3.
IM NaOH के 10 ml को उदासीन करने के लिए IM H2SO4 के कितने ml की आवश्यकता
होगी
(a) 20ml
(b) 2.5ml
(c) 5ml
(d) 10ml.
उत्तर
(c) 5ml

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन नहीं दर्शाता है –
(a) बेन्जीन-क्लोरोफॉर्म
(b) बेन्जीन-ऐसीटोन
(c) बेन्जीन-एथेनॉल
(d) बेन्जीन-CCl4
उत्तर
(a) बेन्जीन-क्लोरोफॉर्म

प्रश्न 5.
H2SO4 के एक घोल, जिसमें 9.8 gm H2SO4, 2 लिटर जल में घुला है, की मोलरता है –
(a) 0.1M
(b) 0.05M
(c) 0.01M
(d) 0.2M.
उत्तर
(b) 0.05M

प्रश्न 6.
साधारण नमक को जल में घोलने पर –
(a) जल का क्वथनांक घट जाता है
(b) जल का क्वथनांक बढ़ जाता है
(c) कोई परिवर्तन नहीं होता हैं
(d) कुछ कहा नहीं जा सकता।
उत्तर
(b) जल का क्वथनांक बढ़ जाता है

प्रश्न 7.
जब रक्त कोशिकाएँ, कोशिका एक से अधिक परासरण वाले विलयन में रखी जाती है, तो –
(a) वे सिकुड़ जाती हैं
(b) वे फूल जाती हैं
(c) कोई प्रभाव नहीं होता
(d) पहले सिकुड़ती हैं बाद में फूलती हैं।
उत्तर
(a) वे सिकुड़ जाती हैं

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प्रश्न 8.
सभी आदर्श विलयन बनाते हैं, केवल एक नहीं –
(a)C2H5Br वC2H5Cl
(b) C6H5Cl व C6H5Br
(c) C6H6 व C6H5CH3
(d) C2H5I व C2H5OH
उत्तर
(b) C6H5Cl व C6H5Br

प्रश्न 9.
राउल्ट के नियमानुसार एक अवाष्पशील विलेय के विलयन के लिए सापेक्ष वाष्प-दाब अवनमन बराबर है –
(a) विलायक के मोल प्रभाज के
(b) विलेय के मोल प्रभाज के ।
(c) विलायक के द्रव्यमान प्रतिशत के
(d) विलेय के द्रव्यमान प्रतिशत के।
उत्तर
(b) विलेय के मोल प्रभाज के ।

प्रश्न 10.
परासरण दाब (P), आयतन (V) व ताप (T) के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है –
(a) Pr ∝ \(\frac{1}{V}\), यदि T स्थिर है
(b) P ∝T, यदि v स्थिर है
(c) P ∝ v, यदि T स्थिर है
(d) PV, यदि T स्थिर है।
उत्तर
(c) P∝ v, यदि T स्थिर है

प्रश्न 11.
किसका क्वथनांक 1 atm दाब पर अधिकतम होगा
(a) 0.1M ग्लूकोज
(b) 0.1M BaCl2
(c) 0.1M NaCl
(d) 0.1M यूरिया।
उत्तर
(b) 0.1M BaCl2

प्रश्न 12.
अर्द्धपारगम्य झिल्ली रासायनिक रूप से है –
(a) कॉपर फेरोसायनाइड
(b) कॉपर फेरीसायनाइड
(c) कॉपर सल्फेट
(d) पोटैशियम फोरोसायनाइड।
उत्तर
(a) कॉपर फेरोसायनाइड

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से कौन-सा अणुसंख्यक गुणधर्म है –
(a) पृष्ठ तनाव
(b) श्यानता
(c) परासरण दाब
(d) प्रकाशीय घूर्णन।
उत्तर
(c) परासरण दाब

प्रश्न 14.
एक विद्युत्-अपघट्य का प्रायोगिक अणुभार सदैव ही इसके परिकलित मान से कम होगा, क्योंकि वाण्ट हॉफ गुणांकां का मान होता है –
(a) 1 से कम
(b) 1 से अधिक
(c) 1 के तुल्य
(d) शून्य।
उत्तर
(b) 1 से अधिक

प्रश्न 15.
“मोलल विलयन” में विलेय पदार्थ का 1 मोल घुला रहता है –
(a) 1000gm विलायक में
(b) 1 लिटर विलयन में
(c) 1 लिटर विलायक में
(d) 22.4 लिटर विलयन में।
उत्तर
(a) 1000gm विलायक में

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प्रश्न 16.
यदि विलयन का क्वथनांक T, तथा विलायक का क्वथनांक T, हो, तो क्वथनांक में उन्नयन होगा
(a) T1 + T2
(b) T1 – T2
(c) T2 – T1
(d) T 1T2.
उत्तर
(b) T1 – T2

प्रश्न 17.
अणुसंख्यक गुणधर्म है –
(a) मुक्त ऊर्जा में परिवर्तन
(b) दाब में परिवर्तन
(c) वाष्पन की ऊष्मा
(d) परासरण दाब।
उत्तर
(d) परासरण दाब।

प्रश्न 18.
एक विलयन की ग्राम मोललता है –
(a) प्रति 1000ml विलायक में विलेय के अणुओं की संख्या
(b) प्रति 1000 ग्राम विलायक में विलेय के अणुओं की संख्या
(c) प्रति 1000ml विलयन में विलेय के अणुओं की संख्या
(d) प्रति 1000ml विलायक में विलेय के ग्राम तुल्यांकों की संख्या।
उत्तर
(b) प्रति 1000 ग्राम विलायक में विलेय के अणुओं की संख्या

प्रश्न 19.
एक आदर्श विलयन वह है जो –
(a) राउल्ट नियम से नकारात्मक विचलन प्रदर्शित करता है
(b) राउल्ट नियम से सकारात्मक विचलन प्रदर्शित करता है
(c) राउल्ट नियम से कोई सम्बन्ध नहीं रखता है
(d) राउल्ट नियम का पालन करता है।
उत्तर
(d) राउल्ट नियम का पालन करता है।

प्रश्न 20.
समान मोलरता वाले BaCl2 NaCl तथा ग्लूकोज विलयनों के परासरण दाब का क्रम होगा –
(a) BaCl2 > NaCl > ग्लूकोज
(b) NaCl> BaCl2 > ग्लूकोज
(c) ग्लूकोज > BaCl2 > NaCl
(d) ग्लूकोज > NaCl> BaCl2
उत्तर
(a) BaCl2 > NaCl > ग्लूकोज

प्रश्न 21.
किसी विलेय के उसके विलयन में 20 mol है तथा मोलों की पूर्ण संख्या 80 है। विलेय का मोल प्रभाज होगा
(a) 2.5
(b) 0.25
(c) 1
(d) 0.75.
उत्तर
(b) 0.25

प्रश्न 22.
एक विलयन में जल का मोल तथा एथेनॉल के मोल हैं। इसमें जल एवं एथेनॉल का एक मोल प्रभाज होगा –
(a) 0.2 जल + 0.8 एथेनॉल
(b) 0.4 जल + 0.6 एथेनॉल
(c) 0.6 जल + 0.4 एथेनॉल
(d) 0.8 जल + 0.2 एथेनॉल।
उत्तर
(a) 0.2 जल + 0.8 एथेनॉल

प्रश्न 23.
किसी घोल के अणुसंख्यक गुण आधारित हैं –
(a) विलायक की प्रकृति पर
(b) विलेय की प्रकृति पर
(c) विलेय के कणों की संख्या पर
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) विलेय के कणों की संख्या पर

प्रश्न 24.
शुद्ध जल की मोलरता है –
(a) 55.6
(b) 50
(c) 100
(d) 18.
उत्तर
(a) 55.6

प्रश्न 25.
निम्न में से कौन-सा अणुसंख्यक गुण धर्म नहीं है –
(a) परासरण दाब
(b) वाष्पदाब पर अवनमन
(c) हिमांक अवनमन
(d) क्वथनांक उन्नयन।
उत्तर
(b) वाष्पदाब पर अवनमन

प्रश्न 26.
परासरण दाब ज्ञात करने का सूत्र है
(a) \(\pi=\frac{n \mathrm{RT}}{m}\)
(b) \(\mathrm{P}=\frac{n \mathrm{RT}}{\mathrm{V} d}\)
(c)\( \pi=\frac{n \mathrm{RT}}{\mathrm{V}}\)
(d) \(P=\frac{R T}{V}\)
उत्तर
(c) \(\pi=\frac{n \mathrm{RT}}{\mathrm{V}}\)

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प्रश्न 27.
अणुसंख्यक के गुण के प्रेक्षित मान तथा अणुसंख्यक गुण के सैद्धान्तिक मान के अनुपात को कहते हैं –
(a) अणुसंख्यक गुण
(b) वाण्ट हॉफ गुणांक
(c) विलयन स्थिरांक
(d) विशिष्ट स्थिरांक।
उत्तर
(b) वाण्ट हॉफ गुणांक

प्रश्न 28.
निम्नलिखित में से कौन राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन नहीं दर्शाता है –
(a) बेन्जीन-क्लोरोफॉर्म
(b) बेन्जीन-ऐसीटोन
(c) बेन्जीन-एथेनॉल
(d) बेन्जीन-CCl4
उत्तर
(d) बेन्जीन-CCl4

प्रश्न 29.
6 ग्राम यूरिया 180 ग्राम जल में उपस्थित है तो यूरिया का मोल प्रभाज होगा –
(a) \(\frac{10}{10-1}\)
(b) \(\frac{10-1}{10}\)
(c) \(\frac{0-1}{10-1}\)
(d) \(\frac{10-1}{0-1}\)
उत्तर
(c) \(\frac{0-1}{10-1}\)

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. विलयन में विलेय की सामान्य स्थिति दर्शाने वाले वाण्ट-हॉफ गुणांक का मान एक से ………. होगा।
  2. वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन का व्यंजक ………. है।
  3. 1000gm विलायक में विलेय के मोलों की संख्या ……………….. कहलाती है।
  4. द्रव मिश्रण जो बिना संघटक परिवर्तन किये हुए उबलता है, उसे ………………….. कहते हैं।
  5. अर्द्धपारगम्य झिल्ली से केवल ………………….. के अणु पार हो सकते हैं।
  6. ऊँचे स्थानों पर जल का क्वथनांक घट जाता है, क्योंकि ऊँचे स्थलों पर वायुमण्डलीय दाब….. हो जाता है।
  7. जल की मोललता ……………… होती है।
  8. सोडा वाटर .. ………………… विलयन है।
  9. एक लीटर विलयन में उपस्थित विलेय के मोलों की संख्या ………….. कहलाती है।
  10. H2O+ C2H5OH का 95.4% अनआदर्श विलयन ………… विचलन दर्शाता है।

उत्तर

  1. बराबर
  2. \(\frac{P_{A}^{\circ}-P_{A}}{P_{A}^{\circ}}\)
  3. मोललता
  4. एजियोट्रॉपिक द्रव मिश्रण
  5. विलायक
  6. कम
  7. 55.6m
  8. गैस का द्रव में
  9. मोलरता
  10. धनात्मक।

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3. उचित संबंध जोडिए –
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उत्तर
1. (c), 2. (a), 3. (b), 4. (h), 5. (1), 6. (g), 7. (d), 8. (e)

4. एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. नॉर्मलता व्यक्त करने का सूत्र लिखिए।
  2. मोललता का मात्रक क्या होता है ?
  3. वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन तथा विलेय का द्रव्यमान में संबंध बताने वाला सूत्र लिखिए।
  4. किसी भी तनु विलयन के वे गुणधर्म जो विलयन में उपस्थित विलेय की संख्या पर निर्भर करते हैं, क्या कहलाते हैं ?
  5. राउल्ट का नियम क्या है ?
  6. धनात्मक विचलन वाले अनादर्श विलयन का एक उदाहरण लिखिए।
  7. ऋणात्मक विचलन वाले अनादर्श विलयन का एक उदाहरण लिखिए।
  8. एण्टी फ्रिज यौगिक का एक उदाहरण दीजिए।
  9. प्रदूषण व्यक्त करने की इकाई लिखिए।
  10. न्यूनतम क्वथन स्थिर क्वाथी विलयन का एक उदाहरण लिखिए।

उत्तर

  1. MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 37
  2. मोल प्रति किलो ग्राम,
  3. \(\frac{\mathrm{P}_{\mathrm{A}}^{\mathrm{o}}-\mathrm{P}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{P}_{\mathrm{A}}^{\circ}}=\frac{\mathrm{W}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}}} \times \frac{\mathrm{M}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{W}_{\mathrm{A}}}\)
  4. अणुसंख्यक गुणधर्म,
  5. निश्चित ताप या किसी अवाष्पशील विलेय वाले विलयन के लिए वाष्प दाब में आपेक्षिक द्रव्यमान विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है,
  6. CH3COCH3+ C6H6
  7. CHCl3 + CH3COCH3,
  8. एथिलीन,
  9. P.P.M.,
  10. 96-4C2H5OH + 4.5 H2O.

विलयन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वाण्ट हॉफ घटक (i) को निर्धारित करने वाला सूत्र क्या है ?
उत्तर
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प्रश्न 2.
वाण्ट हॉफ समीकरण लिखिए। इसकी सहायता से अणुभार ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
वाण्ट हॉफ समीकरण, πV =nRT
या \(\pi=\frac{n \mathrm{RT}}{\mathrm{V}}\)
या \(\pi=\frac{\mathrm{WRT}}{\mathrm{MV}} \) (∵ n =\(\frac{\mathrm{W}}{\mathrm{M}}\))
∴ M = \(\frac{\mathrm{WRT}}{\pi \mathrm{V}}\)

प्रश्न 3.
ऑक्जेलिक अम्ल (तुल्यांक भार = 63) के 6.3 ग्राम 500 मिली विलयन में घुले हैं। विलयन की नॉर्मलता ज्ञात कीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 4.
फॉर्मलता की परिभाषा एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर
फॉर्मलता (Formality) – किसी भी विलेय के ग्राम सूत्र भार की संख्या जो एक लीटर विलायक में उपस्थित हो फॉर्मलता (F) कहलाती है। यह उस विलयन में प्रयुक्त होती है, जहाँ विलेय का संगुणन होता है।
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प्रश्न 5.
NaOH के 4.0 ग्राम/लीटर सांद्रता वाले विलयन की मोलरता ज्ञात कीजिये।
हल
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प्रश्न 6.
ऋणात्मक विचलन वाले विलयन के दो-दो उदाहरण लिखिए। .
CHCl3 +CH3COCH3, CHCl3 +C2H5OC2H5
CHCl3 +C6H6, CH3COOH+C6H5N
ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले कारक हैं।

प्रश्न 7.
धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर
धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन –
(i) CCl4 और CHCl3, का मिश्रण,
(ii) CCI और CH6CH3 (टॉलुईन) का मिश्रण।

प्रश्न 8.
नॉर्मलता की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-नॉर्मलता (Normality)—“किसी विलयन की नॉर्मलता उसके एक लीटर विलयन में उपस्थित विलेय के ग्राम-तुल्यांकों की संख्या है।” इसे N द्वारा दर्शाते हैं। यदि किसी विलयन के एक लीटर में विलेय पदार्थ का एक ग्राम-तुल्यांक विलेय हो, तो उस विलयन की नॉर्मलता 1 N होगी। उसी प्रकार यदि किसी विलयन के 1 लीटर में 0.5 ग्राम-तुल्यांक विलेय पदार्थ विलेय हो, तो उसकी नॉर्मलता 0.5 N होगी।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 42

प्रश्न 9.
यदि NaOH की 2 ग्राम मात्रा 250 मिली विलयन में उपस्थित है, तो विलयन की नॉर्मलता ज्ञात कीजिए।
उत्तर
NaOH का तुल्यांकी भार = 40
250 ml विलयन में उपस्थित
NaOH की मात्रा = 2 ग्राम
∴ 1000 ml विलयन में उपस्थित
NaOH = \(\frac{2 \times 1000}{250}\) = 8 ग्राम
अतः . NaOH ग्राम/ ली. सांद्रता = 8 ग्राम
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प्रश्न 10.
मोलरता व मोललता में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मोलरता तथा मोललता में अन्तर –
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प्रश्न 11.
पार्ट्स प्रति मिलियन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
पार्ट्स प्रति मिलियन (ppm) – जब विलयन में विलेय का सान्द्रण बहुत कम हो तब इस इकाई का प्रयोग करते हैं। अंश या भाग आयतन या द्रव्यमान के रूप में हो सकते हैं।
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प्रश्न 12.
विसरण और परासरण में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
विसरण और परासरण में अन्तर –
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प्रश्न 13.
ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर
(i) ऐसीटोन और क्लोरोफॉर्म
(ii) जल और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।

प्रश्न 14.
विलयन के अणुसंख्यक गुणधर्म किस कारक पर निर्भर करते हैं ?
उत्तर
विलयन के अणुसंख्यक, विलयन में उपस्थित विलेय के अणुओं की संख्या पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 15.
संक्रमण ताप किसे कहते हैं ?
उत्तर
वह ताप जिस पर विलेयता की प्रकृति परिवर्तित होती है (उदाहरण-पहले बढ़ती है, फिर घटती है) संक्रमण ताप कहलाता है। सोडियम सल्फेट की जल में विलेयता 32.4 तक बढ़ती है, उसके बाद घटने लगती है। अत: 32.4°C सोडियम सल्फेट का संक्रमण ताप कहलाता है।

प्रश्न 16.
एक ऐसे ठोस विलयन का उदाहरण दीजिए, जिसमें विलेय कोई गैस है।
उत्तर-पैलेडियम (विलायक) में हाइड्रोजन (विलेय) का विलयन।।

प्रश्न 17.
ठण्डे देशों में सड़कों पर जमी बर्फ को हटाने के लिए CaCl2 का उपयोग किया जाता है। क्यों?
उत्तर
सड़कों पर जमे बर्फ पर CaCl2 या NaCl छिड़कने से जल का क्वथनांक कम हो जाता है। जिससे बर्फ पिघल जाता है एवं सड़कों पर जमी बर्फ साफ हो जाती है।

विलयन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राउल्ट का नियम क्या है ?
उत्तर
राउल्ट के नियमानुसार “ स्थिर ताप पर वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन, विलयन में उपस्थित विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है।”
गणितीय रूप में, \(\frac{P_{A}^{\circ}-P_{A}}{P_{A}^{\circ}}=X_{B}\)
जहाँ, \(\mathrm{P}_{\mathrm{A}}^{\circ}\) = शुद्ध विलायक का वाष्पदाब ,
PA= विलयन में उपस्थित विलायक का वाष्पदाब
XB = विलेय का मोल प्रभाज।

प्रश्न 2.
स्थिरक्वाथी मिश्रण (Azeotropes) किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर
स्थिर क्वाथी मिश्रण (Azeotropes)—ऐसे विलयन, जो बिना संघटन के परिवर्तन के एक ही ताप पर आसवित हो जाते हैं। स्थिर क्वथनांक या स्थिर क्वाथी मिश्रण कहलाता है। 95.6% एल्कोहॉल और 4.4% जल का मिश्रण स्थिर क्वाथी मिश्रण का उदाहरण है, जो 78.13°C पर उबलता है। स्थिर क्वाथी मिश्रण के अवयवों को आसवन द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता।
स्थिर क्वाथी दो प्रकार के होते हैं –
(i) निम्न क्वथन स्थिर क्वाथी मिश्रण-ऐसे विलयन, जो राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करते हैं अर्थात् इनका वाष्पदाब उच्च होता है। अतः इनका क्वथनांक कम होता है।
उदाहरण – एसीटोन + CS2,C2H5 OH + n-hexane
(ii) उच्च क्वथन स्थिर क्वाथी मिश्रण-वे विलयन जो राउल्ट के नियम से ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करते हैं, उनका वाष्पदाब अपेक्षाकृत कम व क्वथनांक उच्च होता है। उदाहरण – एसीटोन + क्लोरोफॉर्म, ईथर + क्लोरोफॉर्म।

प्रश्न 3.
क्वथनांक के उन्नयन तथा आण्विक द्रव्यमान में सम्बन्ध दीजिए।
उत्तर
क्वथनांक के उन्नयन तथा आण्विक द्रव्यमान में सम्बन्ध-मानलो WB ग्राम अवाष्पशील विलेय WA ग्राम विलायक में घुला है तथा विलेय का मोलर द्रव्यमान MB ग्राम है।
अतः मोललता m =\(\frac{\mathrm{W}_{\mathrm{A}} / \mathrm{M}_{\mathrm{B}} \times 1000}{\mathrm{W}_{\mathrm{A}}}\) ……………..(1)
किसी अवाष्पशील विलेय के लिए,
ΔTb= Kb.m …………….(2)
समी. (1) एवं (2) से,
ΔTb = \(\frac{\mathrm{K}_{b} \times \mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}} \times \mathrm{W}_{\mathrm{A}}}\) …………..(3)
Mb = \(\frac{\mathrm{K}_{b} \times \mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{\Delta \mathrm{T}_{b} \times \mathrm{W}_{\mathrm{A}}}\) …………..(4)

प्रश्न 4.
वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन से विलेय का आण्विक द्रव्यमान ज्ञात करने हेतु सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर
वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन से अवाष्पशील विलेय के आण्विक द्रव्यमान की गणनाहम जानते हैं कि जब किसी द्रव में कोई अवाष्पशील विलेय मिलाया जाता है, तब वाष्पदाब में अवनमन (P-P) होता है। राउल्ट के नियमानुसार, विलेय को विलायक में मिलाने पर वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है। |
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 47
यदि nA और nB क्रमशः विलायक और विलेय के मोलों की संख्याएँ, WA और nB क्रमशः विलायक और विलेय के द्रव्यमान तथा MA और nb क्रमश: विलायक और विलेय के आण्विक द्रव्यमान हों तो,
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 48
समीकरण (1), (3) और (4) के आधार पर वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन सम्बन्धी गणनाएँ की जाती हैं।

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प्रश्न 5.
आदर्श और अनादर्श विलयन किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर
आदर्श विलयन-आदर्श विलयन ऐने विलयन को कहते हैं, जिस पर राउल्ट का नियम विलयन की सभी सान्द्रताओं तथा सभी ताप की स्थिति में पूर्ण रूप से लागू होता है।
आदर्श विलयन बनाने की शर्ते इस प्रकार हैं –
(i) ΔVmixing = 0 (ii) ΔHmixing = 0.
उदाहरण – C2H5Br+C2H5Cl.
अनादर्श विलयन-अनादर्श विलयन ऐसे विलयन हैं, जिन पर राउल्ट का नियम विलयन की सभी सान्द्रताओं तथा तापों की स्थिति में पूर्ण रूप से लागू नहीं होता है।
इन विलयनों के लिए ΔVmixing # 0 एवं ΔHmixing # 0 होता है।
उदाहरण – बेंजीन + ऐसीटोन।

प्रश्न 6.
विसरण व परासरण में अन्तर लिखिए।
उत्तर
विसरण और परासरण में अन्तर –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 49

प्रश्न 7.
विलयनों के अणुसंख्यक गुणों के चार उदाहरण लिखिये।
उत्तर
विलयन के ऐसे भौतिक गुण जो विलयन के एक निश्चित आयतन में घुले हुए विलेय के कणों की संख्या पर निर्भर करते हैं, अणुसंख्यक गुण-धर्म कहलाते हैं । ये निम्न हैं –
1. वाष्प दाब में अवनमन ।
2. क्वथनांक में उन्नयन ।
3.. हिमांक का अवनमन ।
4. परासरण दाब ।
सभी अणुसंख्यक गुणों के मान विलेय के सान्द्रण में वृद्धि के साथ बढ़ते हैं तथा सान्द्रण में कमी के साथ घटते हैं ।

प्रश्न 8.
वाण्ट हॉफ विलयन समीकरण स्थापित कीजिए।
उत्तर- “किसी अवाष्पशील विलेय के तनु विलयन का परासरण दाब (π), विलयन के परमताप (T) के समानुपाती होता है, जब विलयन का सान्द्रण (C) स्थिर हो।” इसे वाण्ट हॉफ नियम कहते हैं।
π ∝ T (C स्थिर है) …………(1)
व्युत्पत्ति – π परासरण दाब विलयन के मोलर सान्द्रण (C) के समानुपाती होता है।
(2)
∴ π ↓∝ C(T स्थिर है)
समी. (1) एवं समीकरण (2) से,
π ∝ CT
या π = CRT (वाण्ट हॉफ समीकरण) …………(3)
जहाँ, R = गैस स्थिरांक
c = \(\frac{1}{\mathrm{V}}\)
π = \(\frac{\mathrm{RT}}{\mathrm{V}}\)………………….(4)
या
πV = RT…………………….(5)
इसे वाण्ट हॉफ आदर्श विलयन समीकरण कहते हैं।

प्रश्न 9.
निम्न को समझाइए (1) मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक, (2) मोलल क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक।
उत्तर
(1) मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक-किसी विलयन का मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक, विलयन के हिमांक में उस कमी के बराबर है, जो एक मोल अवाष्पशील विलेय को 1000 ग्राम विलायक में विलेय करने पर प्राप्त होता है।
∴ हिमांक में अवनमन ΔTf ∝ m
ΔTf = kf × m
यदि m = 1
तो ΔTf = kf
जहाँ, kf मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक है।

(2) मोलल क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक-किसी विलयन का मोलल क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक, विलयन के क्वथनांक में हुई उस वृद्धि के बराबर होता है, जो एक मोल अवाष्पशील पदार्थ को 1000 ग्राम विलायक में विलेय करने पर प्राप्त होता है।
क्वथनांक में उन्नयन ΔTb∝ m
ΔTb = kb × m
यदि m = 1
तो ΔTb = kb
जहाँ, kb मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक है।

प्रश्न 10.
(a) परासरण दाब क्या है ?
(b) यूरिया के एक लीटर विलयन में 6 gm यूरिया घुला है। 300 K पर यूरिया के उस विलयन का परासरण दाब ज्ञात कीजिए।(R = 0.0821 L/Atm-1mol-1) (यूरिया का अणुभार = 60)
उत्तर
(a) परासरण दाब-किसी विलयन को विलायक से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग रखने पर परासरण को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जो बाहरी दाब लगाना पड़ता है, वह विलयन का परासरण दाब कहलाता है। परासरण दाब को π से दर्शाते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 50

(b) हल – wB = विलेय का द्रव्यमान = 6 gm
R = विलयन का स्थिरांक = 0 . 0821 L/Atm-1mol-1
T = परम ताप = 300K
MB = विलेय का आण्विक द्रव्यमान = 60 gm
V = 1. OL
∴\(\pi=\frac{\mathrm{W}_{\mathrm{B}} \mathrm{RT}}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}} \times \mathrm{V}}\)

= \(\frac{6 \times 0 \cdot 0821 \times 300}{60 \times 1 \cdot 0}\)
= 2.463 वायुमण्डल।

विलयन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थिर क्वाथी मिश्रण किसे कहते हैं ? आदर्श विलयन एवं अनादर्श विलयन में तीन अंतर लिखिए।
उत्तर
स्थिरक्वाथी मिश्रण-द्रवों का ऐसा मिश्रण जो एक निश्चित ताप पर बिना संघटन बदले उसी ताप पर आसवित होता है, स्थिरक्वाथी मिश्रण कहलाता है।
आदर्श विलयन एवं अनादर्श विलयन में अंतरक –
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प्रश्न 2.
(a) हिमांक अवनमन से क्या तात्पर्य है ?
(b) 100gm जल में 1gm NaCl विलेय कर एक विलयन बनाया गया है।जल का मोलल अवनमन स्थिरांक 1.8544gm moL-1हो, तो NaCl के वियोजन की मात्रा ज्ञात कीजिए। NaCl विलयन के लिए हिमांक में अवनमन 0.6044 है।
उत्तर
(a) हिमांक अवनमन-किसी पदार्थ का हिमांक वह ताप है, जिस पर उसकी ठोस तथा द्रव अवस्थाओं के वाष्पदाब समान होते हैं। चूँकि विलयन का वाष्प दाब विलायक के वाष्प दाब से कम होता है, जिसके कारण विलयन का हिमांक शुद्ध विलायक के हिमांक से कम हो जाता है, इसे हिमांक में अवनमन कहते हैं।
(b) NaCl के प्रेक्षित आण्विक द्रव्यमान की गणना निम्नलिखित सूत्र से की जाती है –
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अतः प्रेक्षित आण्विक द्रव्यमान (Observed molecular mass) = 30.6
सोडियम क्लोराइड का सामान्य आण्विक द्रव्यमान = 58.5
माना NaCl के वियोजन की मात्रा α है (अर्थात् 1 मोल NaCl में से α मोल वियोजित होता है)
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प्रश्न 3.
धनात्मक विचलन वाले विलयन व ऋणात्मक विचलन वाले विलयन में पाँच अंतर लिखिए।
उत्तर
धनात्मक विचलन वाले विलयन व ऋणात्मक विचलन वाले विलयन में अंतर –
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प्रश्न 4.
परासरण दाब मापन की बर्कले एवं हार्टले विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए तथा इस विधि के लाभ बताइये।
उत्तर
बर्कले औरहार्टले की विधि (Berkley and Hartley Method)-उपकरण में दो समकेन्द्रिक नलियाँ होती हैं, जिनमें भीतरी नली संरन्ध्र होती है। भीतरी संरन्ध्र नली पर विद्युत् विधि से कॉपर फेरोसायनाइड की अर्द्धपारगम्य झिल्ली बना दी जाती है। इसके एक सिरे पर केशिका नली (Capillary tube) तथा दूसरे सिरे पर टोंटीदार कीप लगाते हैं। संरन्ध्र नली को घेरे हुए गन मेटल की बनी बाहरी नली होती है। इसमें जलरोधक पिस्टन लगा होता है. जिससे विलयन की सतह पर दाब डाला जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 55

भीतरी नली में आसुत जल भर दिया जाता है, जो केशिका नली में एक निशान तक होता है। बाहरी नली में वह विलयन भरते हैं, जिसका परासरण दाब ज्ञात करना होता है । परासरण के कारण भीतरी नली से झिल्ली द्वारा जल का प्रवाह विलयन की ओर होता है और केशिका नली में जल-स्तर नीचे आने लगता है। अब पिस्टन द्वारा विलयन पर दाब डालकर केशिका नली में जल-स्तर पूर्व निशान पर स्थिर रखा जाता है। स्थायी स्थिति आने पर पिस्टन द्वारा, जो दाब लगाया जाता है वह विलयन का परासरण दाब होता है।

लाभ – इस विधि के निम्नांकित लाभ हैं –
(i) परासरण दाब निकालने में समय कम लगता है।
(ii) विलयन की सान्द्रता न बदलने से परिणाम सही मिलते हैं।
(iii) अर्द्धपारगम्य झिल्ली पर अधिक दाब न पड़ने से वह टूटती नहीं।
(iv) उच्च परासरण दाब का मापन किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
फीनॉल को बेन्जीन में घोलने पर उसके दो अणु संगुणित होकर एक बड़ा अणु बना लेते हैं। जब 2gm फीनॉल को 100gm बेन्जीन में घोला जाता है, तब हिमांक में 0.69°C की कमी होती है। फीनॉल की संगुणन की मात्रा ज्ञात कीजिए। (Kb = 5.12 g mol-1)
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 56
या
\(\frac{94}{1484}\)=\(\frac{1-\frac{x}{2}}{1}\)
0.63 =1 – 1-\(\frac{x}{2}\)
0.63 = \( \frac{2-x}{2}\)
0.63 × 2 = 2 – x
1.26 =2 – x
x = 2 – 1.26
संगुणन की मात्रा = 0.74
संगुणन की % मात्रा = 74%.

प्रश्न 6.
वाण्ट हॉफ गुणांक से आप क्या समझते हैं ? इसकी उपयोगिता को लिखिए।
उत्तर
वाण्ट हॉफ गुणांक (Van’t Hoff’s Factor)-विलयन में विलेय के अणुओं का संगुणन या वियोजन होने पर विलेय के आण्विक द्रव्यमान के सामान्य मान और प्रेक्षित मान का अनुपात वाण्ट हॉफ गुणांक कहलाता है। इसे । से प्रदर्शित करते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 57
विलयन में विलेय के अणुओं का संगुणन होने पर कणों की प्रभावी संख्या कम हो जाती है एवं वियोजन होने पर कणों की प्रभावी संख्या बढ़ जाती है। चूंकि अणुसंख्यक गुण विलयन में प्रभावी कणों की वास्तविक संख्या पर आधारित है तथा आण्विक द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती है, अतः प्रेक्षित मान संगुणन या वियोजन होने पर सामान्य मानों से क्रमशः अधिक या कम होते हैं । वाण्ट हॉफ गुणांक i द्वारा अणुसंख्यक गुणों के समीकरण संशोधित कर लिये जाते हैं, जिनसे विलेय का सही आण्विक द्रव्यमान प्राप्त होता है।

क्वथनांक में उन्नयन ΔTb = iKbm
हिमांक का अवनमन ΔTf = iKfm
परासरण दाब
π = iCRT

i के मान से संगुणन की कोटि एवं वियोजन की मात्रा ज्ञात करने में सहायता मिलती है। का मान –
(a) एक हो तो अणुओं का संगुणन या वियोजन न होना प्रदर्शित होता है।
(b) एक से कम हो तो अणुओं का संगुणन होता है, जैसे-बेंजीन में बेंजोइक अम्ल का विलयन।
(c) एक से अधिक हो तो अणुओं का वियोजन होता है, जैसे-जल में NaCl का विलयन ।
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प्रश्न 7.
असामान्य अणुसंख्यक गुणों के मान असामान्य होने के कारण आण्विक द्रव्यमान असामान्य होते हैं,,कारण लिखिए।
उत्तर
इसके प्रमुख दो कारण हैं(1) विलेय के अणुओं का संगुणन, (2) विलेय के अणुओं का वियोजन।
(1) विलेय के अणुओं का संगुणन-किसी भी विलेय को विलायक में विलेय करने पर उसका संगुणन हो जाता है, तो विलयन में विलेय के कणों की संख्या सामान्य रूप में प्राप्त होने वाले अणुओं की संख्या से कम हो जाती है। इसके कारण अणुसंख्यक गुणों के मान कम प्राप्त होते हैं । इस प्रकार आण्विक द्रव्यमान की गणना करने पर प्राप्त मान विलेय के सामान्य आण्विक द्रव्यमान से अधिक होता है क्योंकि हम जानते हैं कि अणुसंख्यक गुण विलेय के आण्विक द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है। एसीटिक अम्ल एवं बेंजीन का उदाहरण ले तो हम पायेंगे कि एसीटिक अम्ल को बेंजीन में विलेय करने पर उसका आण्विक द्रव्यमान 120 प्राप्त होगा जबकि सामान्य आण्विक द्रव्यमान 60 है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 59
(2) विलेय के अणुओं का वियोजन-कुछ विद्युत्-अपघट्य पदार्थ जैसे-BaCI, KCI आदि के विलयन में उनके अणुओं का दो या दो से अधिक कण जो आयन के रूप में विद्यमान है का वियोजन होता है। जिससे विद्युत्-अपघट्य पदार्थों के विलयनों में कणों या आयनों की संख्या विलेय के अणुओं की संभावित संख्या से अधिक हो जाती है। इस प्रकार ऐसे विलयनों के लिए अणुसंख्यक का मान अधिक मिलेगा जैसा कि हम जानते हैं अणुसंख्यक गुण आण्विक द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं। इस प्रकार ऐसे यौगिकों के लिए अणुसंख्यक गुण के आधार पर ज्ञात किए आण्विक द्रव्यमान के मान सामान्य आण्विक द्रव्यमान के मान से हमेशा कम ही होते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विलेय के संगुणन या वियोजन के कारण पदार्थ के प्रेक्षित आण्विक द्रव्यमान सामान्य आण्विक द्रव्यमान से अधिक या कम होते हैं।

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प्रश्न 8.
मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक क्या है? एक जलीय विलयन का हिमांक -0.385°C है यदि
Kf = 3.85 Kkg mol-1
तथा
kb = 0.712 Kgmol-1
हो, तो इसके क्वथनांक में उन्नयन ज्ञात कीजिए।
उत्तर
मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक – 1 ग्राम विलेय पदार्थ को 1000 ग्राम विलायक में घोलने पर विलयन के हिमांक में जो कमी होती है, उसे मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक कहते हैं। इसे Kf से दर्शाते हैं।
दिया है-विलयन का हिमांक = 0.385°C
∴ ΔTf = T1 – T2
=0 – (-0.385)
= 0.385°C Kg = 3.85 K Kgmol-1
Kb = 0.712 K Kgmol-1
मोललता m=\(\frac{\Delta \mathrm{T}_{f}}{\mathrm{K}_{f}}\) = \(\frac{0.385}{3.85}\) =0.1
क्वथनांक में उन्नयन = ΔTb
ΔTb=Kb× m .
= 0.712 × 0-1
= 00712°C.

प्रश्न 9.
क्वथनांक में उन्नयन क्या है ? अवाष्पशील पदार्थ के मिलाने से विलयन का क्वथनांक क्यों बढ़ जाता है ? ग्राफ की सहायता से समझाइये।
उत्तर
क्वथनांक में उन्नयन-“किसी द्रव का क्वथनांक वह ताप है, जिस पर उसके वाष्पदाब का मान वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है।”
हमें यह भी ज्ञात है कि किसी विलयन का वाष्पदाब शुद्ध विलायक के वाष्पदाब से कम होता है। अत: वह ताप जिस पर किसी विलयन का वाष्पदाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है (अर्थात् विलयन का क्वथनांक), उस ताप से अधिक होगा जिस पर शुद्ध विलायक का F वाष्पदाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है (अर्थात् शुद्ध विलायक का क्वथनांक)। कहने का तात्पर्य यह है कि शुद्ध विलायक में कोई विलेय मिला देने पर उसका क्वथनांक बढ़ जाता है।

Tb, , का मान \(\mathrm{T}_{b}^{\circ}\) के मान से अधिक है, अतः विलयन का क्वथनांक विलायक के क्वथनांक से अधिक है। दूसरे शब्दों में, शुद्ध विलायक की अपेक्षा विलयन उच्च ताप पर उबलता है। अतः विलेय को विलायक में घोलने से उसके क्वथनांक में होने वाली वृद्धि को क्वथनांक का उन्नयन (Elevation of boiling point) कहते हैं । उसे ΔTb, से प्रदर्शित करते हैं, अतः \(\Delta \mathrm{T}_{b}=\mathrm{T}_{b}-\mathrm{T}_{b}^{0}\)
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प्रश्न 10.
सिद्ध कीजिए कि किसी विलयन का आपेक्षिक वाष्पदाब अवनमन, विलयन में उपस्थित विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है।
अथवा
राउल्ट का नियम क्या है ? इसका गणितीय स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
राउल्ट का नियम (अवाष्पशील विलेय के लिए)-जब किसी वाष्पशील द्रव में कोई अवाष्पशील विलेय मिला दिया जाये तो विलायक का वाष्पदाब कम हो जाता है। विलयन में उपस्थित विलायक का वाष्पदाब विलयन में विलायक के मोल प्रभाज के समानुपाती होता है।
व्यंजक प्राप्त करना – चूँकि विलयन में उपस्थित विलेय अवाष्पशील है, अतः विलयन का वाष्पदाब (P), विलयन में विलायक के वाष्पदाब (PA) के बराबर होगा। अतः
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आधार पर राउल्ट नियम की दूसरी परिभाषा दी जा सकती है, जिसके अनुसार –

अवाष्पशील विलेय वाले विलयन के लिए किसी निश्चित ताप पर वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन विलयन में विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है।
समीकरण (8) से स्पष्ट है कि वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन का मान विलेय के मोलर सान्द्रण पर निर्भर करता है, विलेय की प्रकृति पर नहीं, अत: वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन एक अणुसंख्यक गुण है।

प्रश्न 11.
मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक क्या है ? मोलल हिमांक अवनमन में संबंध प्रदर्शित करने के लिए सूत्र की व्युत्पत्ति कीजिए।
अथवा हिमांक अवनमन क्या है ? इसका विलेय के आण्विक द्रव्यमान के साथ सम्बन्ध स्थापित कीजिये।
उत्तर
किसी विलायक में अवाष्पशील विलेय पदार्थ मिलाने पर प्राप्त विलयन का वाष्प दाब शुद्ध विलायक के वाष्प दाब से कम होता है, जिसके कारण हिमांक ताप में कमी आ जाती है अर्थात् वाष्प दाब अवनमन के कारण विलयन का हिमांक शुद्ध विलायक के हिमांक से कम हो जाता है। इस प्रकार, विलायक और विलयन के हिमांकों का अन्तर हिमांक का अवनमन (ΔT<sub<f) कहलाता है।

हिमांक में अवनमन द्वारा विलेय का आण्विक द्रव्यमान ज्ञात करना-हिमांक में अवनमन (ΔT<sub<f) का प्रायोगिक निर्धारण करके अवाष्पशील विलेय का आण्विक द्रव्यमान ज्ञात किया जा सकता है। . किसी अवाष्पशील विलेय के विलयन के लिए,
ΔTf = Kf× m ……………(1)
मानलो WB ग्राम अवाष्पशील विलेय WA ग्राम विलायक में घुला है तथा विलेय का आण्विक (मोलर) द्रव्यमान MB ग्राम है।
atah
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समीकरण (4) से शेष अन्य राशियों के मान ज्ञात होने पर विलेय के आण्विक द्रव्यमान M की गणना की जा सकती है।

विलयन आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
सोडियम कार्बोनेट के 1.325 ग्राम 250 ml विलयन में विलेय है। विलयन की सन्दता ग्राम / लीटर में ज्ञात कीजिए ।
हल
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 63
Na2CO3 का भार = 1.325 ग्राम .
विलयन का आयतन = 250 ml
सोडियम कार्बोनेट की ग्राम प्रति लीटर सान्द्रता =\(\frac{1 \cdot 325}{250} \times 1000\) = 5.3 ml

प्रश्न 2.
4gm कॉस्टिक सोडा (NaOH) 500 ml जलीय विलयन में घुले हैं। घोल की नॉर्मलता ज्ञात कीजिए।
हल
जबकि 500 ml विलयन में 4 gm NaOH घुला है।
∴ 1000 ml में \(\frac{4 \times 1000}{500}=8 \mathrm{gm}\)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन - 64
= \(\frac { 8 }{ 40 }\)

= \(\frac { 1 }{ 5 }\) = 0.2N.

प्रश्न 3.
ग्लूकोज के 5% विलयन के 25°C पर परासरण दाब की गणना कीजिए। ग्लूकोज का आण्विक द्रव्यमान = 180, R = 0.0821 लीटर वायुमण्डल।
हल- ∵ 5 ग्राम ग्लूकोज 100 मिली में घुला है
∴ 180 ग्राम ग्लूकोज होगा \(\frac{100}{5} \times 180\) = 3600 लीटर
= 3.6 लीटर में
हम जानते हैं, PV = RT
∴P × 3.6 = 0.0821 × (25 + 273) = 0.0821 × 298
या
P = \(\frac{0.0821 \times 298}{3.6}\) = 6.80 वायुमण्डल।

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प्रश्न 4.
12.5 ग्राम यूरिया के 170 ग्राम जल में विलयन के क्वथनांक में उन्नयन 0.63 K पाया गया है। जल के लिये Kb = 0.52 Km-1 है, तो यूरिया के आण्विक द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
उत्तर
हल-
सूत्र- MB = \(\mathrm{K}_{b} \times \frac{\mathrm{W}_{\mathrm{B}} \times 1000}{\Delta \mathrm{T}_{b} \times \mathrm{W}_{\mathrm{A}}}\)

दिया है, WA = 170 gm, WB = 12.5 gm, ΔTb= 0.63 K, Kb= 0.52 Km-1 सूत्र में मान रखने पर,

MB = \(\frac{0 \cdot 52 \times 12 \cdot 5 \times 1000}{0 \cdot 63 \times 170}\)
= 60.7 gm mol-1.

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

जैव-विविधता एवं संरक्षण NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जैव विविधता के तीन आवश्यक घटकों (Component) के नाम बताइए।
उत्तर
जैव विविधता (Bio diversity) के तीन आवश्यक घटक निम्नलिखित हैं

  • आनुवंशिक विविधता (Genetic diversity)
  • जातीय विविधता (Species diversity)
  • पारिस्थितिकीय विविधता (Ecological diversity)।

प्रश्न 2.
पारिस्थितिकीविद् किस प्रकार विश्व की कुल जातियों का आंकलन करते हैं ?
उत्तर
वैश्विक विविधता के निर्धारण के लिए UNEP (United Nations Environmental Programme) के अन्तर्गत चलाई गई एक योजना के अनुसार पृथ्वी पर जीवों की 13-14 मिलियन जाति का अनुमान लगाया गया है। लेकिन इनमें से केवल 1.75 मिलियन जीव-जातियों का ही वर्णन किया गया है। यह कुल जीवधारियों का केवल 15% ही है।

ज्ञात जातियों में से लगभग 61% (10,2,500) कीटों की जातियाँ है। स्तनधारियों की जातियाँ सापेक्षिक रूप से बहुत कम (4650 जातियाँ) है। इनमें भी शैवाल एवं जीवाणुओं की संख्या कम है। अनेक वर्गिकीविज्ञों का विश्वास है कि अभी भी असंख्य जीव जातियों की खोज नहीं हुई है। विषाणुओं, जीवाणुओं, प्रोटिस्टा के बारे में अभी भी ज्ञान अधूरा है। उपलब्ध रिकॉर्ड से ज्ञात होता है कि विषाणुओं की 1,550, जीवाणुओं की 40, 000 जातियाँ ज्ञात हैं।

प्रश्न 3.
उष्ण कटिबन्ध क्षेत्रों में सबसे अधिक स्तर की जाति-समृद्धि क्यों मिलती है ? इसकी तीन · परिकल्पनाएँ दीजिए।
उत्तर
उष्ण कटिबन्ध क्षेत्रों में सबसे अधिक स्तर की जाति समृद्धि पायी जाती है, इसको समझाने के लिए पारिस्थितिक तथा जैव विकास विदों ने अनेक परिकल्पनाएँ प्रस्तुत की हैं जिनमें से प्रमुख निम्नानुसार हैं

  • जाति उद्भवन (Speciation) समयानुसार होता है। शीतोष्ण क्षेत्र में प्राचीन काल से ही बार-बार हिमनद (Glaciation) होता रहता है, जबकि उष्ण कटिबन्ध क्षेत्र लाखों वर्षों से बाधा से मुक्त रहता है। इसी कारण जाति विकास तथा विविधता के लिए लंबा समय मिलता है।
  • उष्ण कटिबन्धीय पर्यावरण शीतोष्ण पर्यावरण (Temperate environment) से भिन्न तथा कम मौसमी परिवर्तन को दर्शाता है। यह स्थिर पर्यावरण निकेत (Niches) विशिष्ट करण को प्रोत्साहित करता रहता है जिसके कारण अधिकाधिक जाति विविधता उत्पन्न हुई ।
  • उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में अधिक सौर ऊर्जा उपलब्ध है जिससे उत्पादन अधिक होता है जिससे परोक्ष रूप से अधिक जैव विविधता उत्पन्न हुई है।

प्रश्न 4.
जातीय क्षेत्र संबंध में समाश्रयण (रिग्रेशन) की ढलान का क्या महत्व है ?
उत्तर
जर्मनी के महान् प्रकृतिविद् व भूगोलशास्त्री अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट ने दक्षिणी अमेरिका के जंगलों के गहन अन्वेषण के समय दर्शाया कि कुछ सीमा तक किसी क्षेत्र की जातीय समृद्धि अन्वेषण क्षेत्र की सीमा बढ़ाने के साथ बढ़ती है। वास्तव में जाति समृद्धि और वर्गकों (अनावृत्तबीजी पादप, पक्षी, चमगादड़, अलवणजलीय मछलियाँ) की व्यापक किस्मों के क्षेत्र के बीच संबंध आयताकार अतिपरवलय (रेक्टंगुलर हाइपरबोल) होता है (चित्र)। लघुगणक पैमाने पर यह संबंध एक सीधी रेखा दर्शाता है जो कि निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित है |
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण
log S = log C+Z log A
जहाँ पर S = जातीय समृद्धि, A = क्षेत्र, Z = रेखीय ढाल (समाश्रयण गुणांक रिग्रेशन कोएफिशिएट), S = Y अंत: खंड (इंटरसेप्ट)

पारिस्थितिक वैज्ञानिकों ने बताया कि Z का मान 0.1, से 0-2 परास में होता है भले ही वर्गिकी समूह अथवा क्षेत्र (जैसे कि ब्रिटेन के पादप, कैलिफोर्निया के पक्षी या न्यूयार्क के मोलस्क) कुछ भी हो। समाश्रयण रेखा (रिग्रेसन लाइन) की ढलान आश्चर्यजनक रूप से एक जैसी होती हैं। लेकिन यदि हम किसी बड़े समूह, जैसे संपूर्ण महाद्वीप के जातीय क्षेत्र संबंध का विश्लेषण करते हैं तब ज्ञात होता है कि समाश्रयण रेखा की ढलान पैमाने पर संबंध रेखीय हो जाते हैं तीव्र रूप से तिरछी खड़ी है (Z का मान की परास 0.6 से 1.2 है)।
उदाहरणार्थ – विभिन्न महाद्वीपों के उष्ण कटिबंध वनों के फलाहारी पक्षी तथा स्तनधारियों की रेखा की ढलान 1.15 है।

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प्रश्न 5.
किसी भौगोलिक क्षेत्र में जाति क्षति के मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर
वन्य जातियों के या जाति क्षति के लिए जिम्मेदार कारण निम्नलिखित हैं

(1) मानव सभ्यता के विकास के साथ मानव आवश्यकताएँ बढ़ती गयी हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मनुष्य ने लगभग आधे से अधिक जंगलों को नष्ट कर दिया है। भारतवर्ष में 18% से भी कम स्थान में आज वन रह गये हैं। इस कारण जलवायु परिवर्तित हो गयी है, जिसके कारण वन्य जीव विलुप्त हो रहे हैं, क्योंकि इनका प्राकृतिक आवास नष्ट एवं परिवर्तित हो गया है ।

(2) वन्य जीवों की संख्या उनके शिकार के कारण भी कम हो रही है, क्योंकि मनुष्य मनोरंजन तथा विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जीवों का शिकार करता है, जैसेकस्तूरी मृग को कस्तूरी के लिए, हिरन, सांभर, तेंदुआ, शेर, चीता, खरगोश को खाल के लिए तथा हाथी को दाँत के लिए।

(3) वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध न होना भी वन्य जीव विलुप्तीकरण का एक प्रमुख कारण है।

(4) प्रदूषण (जैसे-शोर इत्यादि) भी वन्य जीवों को प्रभावित करता है, जिसके कारण ये आज विलुप्त हो रहे हैं।

(5) वनों की कटाई, उद्योगों की स्थापना तथा विभिन्न रसायनों व प्रदूषकों के उपयोग इत्यादि के कारण वातावरण में परिवर्तन आया है, जिससे कई जीव विलुप्त हो गये हैं या हो रहे हैं ।

(6) मनुष्य सुरक्षात्मक कारणों से भी कुछ वन्य जीवों को मार देता है, जिसके कारण ये विलुप्त हो रहे हैं। जैसे-चीता, शेर इत्यादि से मनुष्य डरता है । इस कारण इन्हें मार देता है।

(7) कुछ जन्तुओं तथा उनके उत्पादों जैसे-हाथी दाँत, चमड़ा, सींग, मोती आदि की यूरोपीय देशों में बहुत अधिक माँग है और ये वहाँ पर उच्च दामों में बिकते हैं। भारत तथा दूसरे विकासशील राष्ट्रों में अवैध शिकार हो रहा है जो एक प्रमुख कारण है।

प्रश्न 6.
पारितंत्र के कार्यों के लिये जैव-विविधता कैसे उपयोगी है ?
उत्तर
जैव विविधता की पारितंत्र के कार्यों के लिए उपयोगिता (Utility of Biodiversity for ecosystem functioning)-समृद्ध जैव-विविधता अच्छे पारितंत्र के लिए आवश्यक है। प्रकृति द्वारा प्रदान की गई जैव विविधता को अनेक पारितंत्र सेवाओं में मुख्य भूमिका है। तीव्र गति से नष्ट हो रहा अमेजन वन पृथ्वी के वायुमण्डल को लगभग 20% ऑक्सीजन, प्रकाश संश्लेषण द्वारा प्रदान करता है। अन्य उपयोग हैं परागण क्रिया जिसके बिना पौधे फल तथा बीज नहीं दे सकते जो परागणकर्ता, जैसे-मधुमक्खी, पक्षी, चमगादड़ आदि द्वारा सम्पन्न होते हैं।

पादप एवं जंतुओं को हजारों खाने योग्य प्रजातियाँ ज्ञात हैं, फिर भी विश्व में 85% खाद्य उत्पादन 20 पादप जातियों से ही प्राप्त होता है। जैव विविधता उन्नत प्रजातियों के विकास के लिये प्रजनन पदार्थ ‘भी उपलब्ध कराती है। अनेक पदार्थों में उपचारात्मक गुण होते हैं जिन्हें अनेक पौधों और जंतुओं से प्राप्त किया जाता है। राष्ट्रीय उद्यानों तथा अभयारण्य में घूमना आनन्ददायक तथा रोमांचक होता है। सभी जीवधारी खाद्य शृंखलाओं में व्यवस्थित होते हैं। ये सभी अपने जैविक पर्यावरण से संबंधित होकर पारिस्थितिक संतुलन बनाते हैं। प्रकृति में अनेक चक्र लगातार चलते रहते हैं जिनमें जीवधारी एवं अजैविक वातवरण अपनी अपनी भूमिका पूर्णतः निभाते हैं।

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प्रश्न 7.
पवित्र उपवन क्या है ? उनकी संरक्षण में क्या भूमिका है ?
उत्तर
पवित्र उपवन (Sacred groves)- भारत में सांस्कृतिक व धार्मिक परम्परा का इतिहास जो प्रकृति की रक्षा करने पर जोर देता है। बहुत-सी संस्कृतियों में वनों के लिए अलग भू-भाग छोड़े जाते थे और उनमें सभी पौधों तथा वन्य जीवों की पूजा की जाती थी। पवित्र उपवन पूजा स्थलों के चारों ओर पाया जाने वाला वनखण्ड है। ये जातीय समुदायों/राज्य या केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित किये गये हैं। ये उपवन भारत के कई राज्यों, मेघालय, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल आदि में है।

जातीय समुदाय द्वारा निर्मित मंदिर के आस-पास देवदार के वृक्ष लगाये गये हैं, जैसे-कुमाऊं क्षेत्र । इसी प्रकार राजस्थान में विश्नोई समुदाय के लोगों ने प्रोस्पिस व ब्लैक बक को धार्मिक रूप से बचाया है। पवित्र उपवन में किसी भी पौधे को तोड़ने की अनुमति नहीं होती है। अतः इनमें सभी स्थानिक (Endemic) प्रजातियाँ भली प्रकार से वृद्धि करती हैं और संरक्षित रहती हैं।

प्रश्न 8.
पारितंत्र सेवा के अन्तर्गत बाढ़ व भू-अपरदन (Soil Erosion) नियंत्रण आते हैं। यह किस प्रकार पारितंत्र के जीवीय घटकों (बायोटिक कम्पोनेंट) द्वारा पूर्ण होते हैं ?
उत्तर
वृक्ष तथा पौधे बाढ़ व भू-अपरदन को नियंत्रण करने में सहायक सिद्ध होते हैं । वृक्ष तथा पौधे भूअपरदन को विभिन्न तरीकों के द्वारा रोक सकते हैं

  • पौधे तथा वृक्षों की जड़ें मृदा या भूमि को मजबूती से जकड़े रहती है जिससे जल तथा वायु प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होते हैं।
  • वृक्ष वायु गति की तीव्रता को कम करने में सहायक होते हैं। जिससे अपरदन की दर कम हो जाती है।
  • वृक्ष मृदा को छाया उपलब्ध कराते हैं। जिससे ग्रीष्म के दौरान मृदा के शुष्क होने से बचाव होता है।
  • वृक्षों की गिरी हुई पत्तियाँ वर्षा की बूंदों की तीव्रता से होने वाली मृदा को हानि से बचाव करती है।
  • वृक्षारोपण बाढ़ नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाता है।
  • वृक्ष मरुस्थलों में वायवीय अपरदन (Wind erosion) को रोकने में उपयोगी होते हैं।

प्रश्न 9.
पादपों की जाति विविधता ( 22 प्रतिशत), जंतुओं ( 72 प्रतिशत) की अपेक्षा बहुत कम है। क्या कारण है कि जन्तुओं में अधिक विविधता मिलती है ?
उत्तर
किसी भी पारितंत्र में जंतुओं में पौधों की तुलना में अधिक जैव विविधता पायी जाती है, इसके निम्नलिखित कारण हैं

  • जंतुओं में अनुकूलन की क्षमता पौधों की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। जंतुओं में तंत्रिका तंत्र तथा अन्त:स्रावी तंत्र पाये जाने के कारण वे स्वयं को वातावरण के प्रति अनुकूलित कर लेते हैं।
  • प्राणियों में प्रचलन का गुण पाया जाता है जिसके कारण वे विपरीत परिस्थितियाँ होने पर स्थान परिवर्तन कर लेते हैं और स्वयं को बचाये रखते हैं। जबकि पौधे स्थिर होने के कारण वे विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिये विवश रहते हैं।

जैव-विविधता एवं संरक्षण अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

जैव-विविधता एवं संरक्षण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनिए

प्रश्न 1.
हमारे देश में वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम कब पारित किया गया था
(a) 1883
(b) 1972
(c) 1973
(d)1982
उत्तर
(b) 1972

प्रश्न 2.
इण्डियन बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (IBWL) की स्थापना कब हुई थी
(a) 1952
(b) 1981
(c) 1971
(d) 1972.
उत्तर
(a) 1952

प्रश्न 3.
NBPGR कहाँ स्थित है
(a) दिल्ली
(b) कोलकाता
(c) लखनऊ
(d) मुम्बई।
उत्तर
(a) दिल्ली

प्रश्न 4.
हमारे देश में बायोस्फियर रिजर्व की संख्या है
(a)73
(b) 7
(c)416
(d) 23
उत्तर
(b) 7

प्रश्न 5.
कौन-सा राष्ट्रीय उद्यान सफेद शेर से सम्बन्धित है
(a) कांकेर
(b) सतपुड़ा
(c) बाँधवगढ़
(d) कान्हा
उत्तर
(c) बाँधवगढ़

प्रश्न 6.
म. प्र. का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है
(a) शिवपुरी
(b) बाँधवगढ़
(c) कान्हा
(d) कांकेर।
उत्तर
(c) कान्हा

प्रश्न 7.
पादप जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान कहाँ पर स्थित है
(a) शिवपुरी
(b) मण्डला
(c) कान्हा
(d) कांकेर।
उत्तर
(b) मण्डला

प्रश्न 8.
म. प्र. का राष्ट्रीय उद्यान जिसे बायोस्फियर रिजर्व के रूप में चिह्नित किया गया है, वह है
(a) कान्हा
(b) शिवपुरी
(c) बाँधवगढ़
(d) सतपुड़ा।
उत्तर
(a) कान्हा

प्रश्न 9.
बांदीपुर (कर्नाटक) का राष्ट्रीय उद्यान किसके संरक्षण से संबंधित है
(a) मोर
(b) हिरण
(c) शेर
(d) हाथी।
उत्तर
(d) हाथी।

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प्रश्न 10.
भारत से विलुप्त हुआ जन्तु है
(a) हिप्पोपोटामस
(b) स्नो लेपर्ड
(c) चीता
(d) भेड़िया।
उत्तर
(c) चीता

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-सी संरक्षण की स्व-स्थाने (In-situ) विधि है- .
(a) वानस्पतिक उद्यान
(b) राष्ट्रीय उद्यान
(c) ऊतक संवर्धन
(d) क्रायो-परिरक्षण।
उत्तर
(b) राष्ट्रीय उद्यान

प्रश्न 12.
वन्य जीव अभयारण्य में निम्न में से क्या नहीं होता है
(a) फ्लोरा का संरक्षण
(b) फोना का संरक्षण
(c) मृदा एवं फ्लोरा का उपयोग
(d) शिकार का निषेध।
उत्तर
(c) मृदा एवं फ्लोरा का उपयोग

प्रश्न 13.
भारत में अधिकतर क्षेत्र वनों से आच्छादित है
(a) उड़ीसा
(b) अरूणाचल-प्रदेश
(c) मध्यप्रदेश
(d) केरल।
उत्तर
(b) अरूणाचल-प्रदेश

प्रश्न 14.
वनों का विनाश
(a) प्राकृतिक स्रोतों का विनाश
(b) पर्यावरण का प्रदूषण
(c) आनुवंशिक विकृति
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(b) पर्यावरण का प्रदूषण

प्रश्न 15.
वन्य अनुसंधान केन्द्र स्थित है
(a) शिमला
(b) चेन्नई
(c) देहरादून
(d) कलकत्ता।
उत्तर
(c) देहरादून

प्रश्न 16.
विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है
(a)4 मई
(b)5 जून
(c) 15 मार्च
(d) 15 अप्रैल।
उत्तर
(b) 5 जून

प्रश्न 17.
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान किस राज्य में स्थित है
(a) उत्तर प्रदेश
(b) राजस्थान
(c) गुजरात
(d) मध्यप्रदेश।
उत्तर
(d) मध्यप्रदेश।

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प्रश्न 18.
वे जातियाँ लगातार विलुप्त होती जा रही हैं
(a) दीर्घ जीवी जीव
(b) खतरनाक जीव
(c) साधारण जीव
(d) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर
(c) साधारण जीव

प्रश्न 19.
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान स्थित है
(a) पश्चिम बंगाल
(b) केरल
(c) असम
(d) गुजरात।
उत्तर
(c) असम

प्रश्न 20.
बान्धवगढ़ नेशनल पार्क किस जिले में है
(a) सतना
(b) शिवपुरी
(c) मंडला
(d) उमरिया।
उत्तर
(d) उमरिया।

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. FR… …………… में स्थित है।
2. काजीरंगा अभयारण्य …………… के संरक्षण से संबंधित है।
3. रेड डाटा बुक …………… के संरक्षण से संबंधित है।
4. …………… भारतवर्ष का प्रथम बायोस्फियर रिजर्व है।
5. भारत में पक्षियों की …………… प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
6. ………….ऊर्जा का अक्षय साधन है।
7. मध्यप्रदेश में …………… के संरक्षण हेतु नेशनल पार्क बनाए गए हैं।
8. वन अपरोपण का मुख्य कारण …………. है।
9. भारतीय शेर व चीता का नाम …………….पशु में आता है।
10. बंजर व खाली (परती) भूमि पर वनों को विकसित करना ………….. कहलाता है।
11. विश्व पर्यावरण दिवस …………… को मनाया जाता है।
उत्तर

  1. देहरादून
  2. गेंडा
  3. विलुप्त प्रायः प्रजाति
  4. नीलगिरी
  5. 1200
  6. सूर्य
  7. विलुप्तप्राय जातियों
  8. बढ़ती जनसंख्या
  9. दुर्लभ
  10. वनीकरण
  11. 5 जून।

3. सही जोड़ी बनाइए

I. ‘A’ – ‘B’

1. MAB – (a). जन्तु उत्पाद
2. वन संरक्षण अधिनियम – (b) कान्हा
3. पादप जीवाश्म उद्यान – (c) सन् 1973
4. टाइगर प्रोजेक्ट – (d) सन् 1980
5. लाख – (e) मण्डला।
उत्तर
1.(c), 2.(d), 3.(e), 4. (b), 5. (a).

II. ‘A’ – ‘B’

1. संकटमयी जातियाँ – (a) R
2. भेद्य जातियाँ – (b) T
3. दुर्लभ जातियाँ – (c) E
4. आशंकित जातियाँ – (d) V
5. विलुप्त जातियाँ – (e) EVR
उत्तर
1. (e), 2.(d), 3. (a), 4. (b), 5.(c)

III. ‘A’ – ‘B’

1. उत्प्रेरक परिवर्तक – (a) कणकीय पदार्थ
2 स्थिर वैद्युत् अपक्षेपित्र – (b) कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड (इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर)
3. कर्ण सफ (इयर मफ्स) – (c) उच्च शोर स्तर
4. लैण्ड: फेल – (d) ठोस अपशिष्ट।
उत्तर
1. (b), 2. (a), 3. (c), 4. (d).

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है ?
2. म.प्र. में प्रोजेक्ट टाइगर कहाँ स्थापित है ?
3. सिंह भारत में कहाँ पाये जाते हैं ?
4. जंगली गधा कहाँ पाया जाता है ?
5. सोनचिड़िया भारत में कहाँ पायी जाती है ?
6. घाना पक्षी अभयारण्य यह किस राज्य में स्थित है ?
7. भारत के राष्ट्रीय पशु एवं राष्ट्रीय पक्षी का नाम बताइए।
8. चिपको आन्दोलन किस व्यक्ति से संबंधित है।
9. IUCN का मुख्यालय कहाँ है ?
10. भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान कौन-सा है ?
11. जैव विविधता का अन्य नाम लिखिए।
12. विश्व के किस भाग में न्यूनतम जैव विविधता पायी जाती है ?
13. जैव मण्डल की जैविक विविधता का मूलभूत आधार क्या है ?
14. किन्हीं दो प्रान्तों में पूजे जाने वाले पौधों के नाम लिखिए।
15. विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता कहाँ होती है ?
16. IUCN का पूर्ण शब्द विस्तार लिखिए।
17. प्रकृति संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान कौन करते हैं ?
18. वन्य जीव संरक्षण का अध्ययन विज्ञान की किस शाखा के अंतर्गत किया जाता है ?
19. सामाजिक वानिकी कार्यक्रम कब प्रारम्भ हुआ?
20. अभयारण्य का आधुनिक नाम लिखिए।
उत्तर

  1. 5 जून
  2. कान्हा शरणस्थल
  3. गिर-वन (गुजरात)
  4. कच्छ के रन में
  5. राजस्थान में
  6. राजस्थान में
  7. टाइगर, मोर
  8. सुन्दरलाल बहुगुणा
  9. मॉर्गेस में
  10. जिम कार्बेट
  11. जैविक विविधता
  12. ध्रुवों पर न्यूनतम जैव विविधता पायी जाती है
  13. जीन
  14. (i) राजस्थान में कदम्ब
    (ii) उड़ीसा में आम,
  15. ब्राजील में
  16. International Union for Conservation of Nature and Natural Resources
  17. वन्य जीव
  18. वानिकी
  19. 1976
  20. शरण-स्थल।

जैव-विविधता एवं संरक्षण लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जैविक विविधता के संरक्षण को समझाइये।
उत्तर
कोई जीव कभी-भी अकेला नहीं रहता, बल्कि सभी जीव समूहों में दूसरे जीवों के साथ रहने का प्रयास करते हैं। इसी कारण किसी स्थान विशेष में विविध प्रकार के जीव पाये जाते हैं । जैविक विविधता का सबसे बड़ा कारण यह है कि सभी जीव भोजन, आवास या पर्यावरण तथा दूसरी उपयोगी वस्तुओं के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। चूँकि सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं इस कारण जैविक विविधता को बनाये रखना आवश्यक है। जैविक विविधता को बनाये रखने वाले उपायों को ही जैविक विविधता का संरक्षण कहते हैं।

प्रश्न 2.
सामुदायिक वानिकी के चार उद्देश्य लिखिए।
उत्तर
सामुदायिक वानिकी सन् 1976 में शुरू की गई एक परियोजना है, जिसके द्वारा वनों का विकास तथा संरक्षण किया जाता है। यह परियोजना भारत सरकार द्वारा चलायी जा रही है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं|

  • वनों में उपयोगी वृक्षों को रोपना।
  • व्यक्तिगत क्षेत्रों में सहकारी सहयोग से वनों का विकास।
  • प्रदूषण से उत्पन्न खतरों को कृत्रिम वनों के विकास द्वारा दूर करना।
  • विलुप्त हो रही वन्य जातियों को विशेष संरक्षण प्रदान करना।

प्रश्न 3.
वनों का महत्व लिखिए।
उत्तर
वन हमारे लिए बहुत अधिक महत्व रखते हैं। इनके महत्व निम्नलिखित हैं

  • ये वातावरण को सन्तुलित रखते हैं।
  • ये वर्षा को नियन्त्रित करते हैं।
  • ये भूमि कटाव तथा बाढ़ पर नियन्त्रण रखते हैं।
  • ये प्रदूषण को नियन्त्रित करते हैं ।
  • वनों से हमें कई पादप उत्पाद एवं औषधियाँ प्राप्त होती हैं ।
  • इनसे कई जन्तु उत्पाद लाख, रेशम, मोम आदि प्राप्त होते हैं ।
  • वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए जीन कोष का

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प्रश्न 5.
वन्य प्राणियों के नष्ट होने के कोई पाँच कारण लिखिए।
अथवा
वन्य जीवों के विलुप्तीकरण के पाँच कारणों को लिखिए।
उत्तर
वन्य प्राणियों के नष्ट होने के पाँच कारण निम्न हैं-

  • वन्य प्राणियों के आवासों का प्रतिकूल परिवर्तन-वन कटने के कारण वन्य प्राणियों का आवास परिवर्तित हो गया है।
  • शिकार-पैसा कमाने तथा मनोरंजन के लिए वन्य प्राणियों का अन्धाधुन्ध शिकार किया गया है जिसके कारण ये नष्ट हो रहे हैं।
  • वैधानिक नियमों की कमी-हमारे देश में शक्तिशाली वैधानिक नियम न होने के कारण वन्य प्राणी नष्ट हुए हैं।
  • प्राकृतिक विपदाएँ-प्राकृतिक सम्पदा के अनियन्त्रित दोहन से आयी विपदाओं के कारण भी वन्य प्राणी घटे हैं।
  • प्रदूषण-वन्य प्राणियों के आवासों में प्रदूषण के कारण भी वन्य प्राणी नष्ट हुए हैं।

प्रश्न 6.
वन्य प्राणियों के संरक्षण की आवश्यकता किन कारणों से है ? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर
वन्य प्राणियों के संरक्षण की आवश्यकता-वन्य प्राणी हमारे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होते हैं। नीचे कुछ ऐसे लाभ या कारण दिये गये हैं जिसके कारण इनका संरक्षण आवश्यक है

  • प्राकृतिक सन्तुलन-ये प्राकृतिक सन्तुलन स्थापित करते हैं।
  • आर्थिक महत्व-इनसे कई आर्थिक महत्व के उत्पाद जैसे-दाँत, त्वचा, सींग आदि प्राप्त होते हैं, जिनसे अनेक उपयोगी वस्तुएँ बनाई जाती हैं।
  • वैज्ञानिक शोधकार्य-इनका उपयोग वैज्ञानिक शोध कार्यों में किया जाता है।
  • मनोरंजन-वन्य प्राणियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने से आनन्द की प्राप्ति होती है।
  • धार्मिक तथा सांस्कृतिक मूल्य-इनके साथ हमारी धार्मिक भावनाएँ तथा सांस्कृतिक भावनाएँ भी जुड़ी हैं।

जैव-विविधता एवं संरक्षण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संकटग्रस्त प्रजातियाँ क्या हैं ? इनके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिये।
उत्तर
पौधों की लगभग 20,000 से 25,000 प्रजातियाँ विनाश के कगार पर हैं (एक अनुमान)। इनका संरक्षण आवश्यक है। ऐसी जातियों के पौधे व जीव जन्तु को ही संकटापन्न या लुप्तप्राय जातियाँ कहते हैं । इनका वर्णन रेड डाटा बुक में किया गया है। द इण्डियन प्लाण्ट्स रेड डाटा बुक में संकटापन्न जातियों को निम्नलिखित समूहों में वर्गीकृत किया गया है

(1) विलुप्त (Extinct)—ऐसे पौधे जो कि पूर्व में किसी स्थान विशेष में पाये जाते थे, लेकिन वर्तमान में वे अपने प्राकृतिक स्थानों से लुप्त हो गये हैं, उन्हें ही विलुप्त प्रजातियाँ कहते हैं। ऐसे पौधे जब उनके प्राकृतिक आवास स्थानों पर उपलब्ध नहीं होते तब इन्हें विलुप्त प्रजाति माना जाता है, अत: इनका संरक्षण असम्भव होता है।

(2) लुप्तप्राय (Endangered)-ऐसी पादप प्रजातियाँ जो कि लुप्त होने की स्थिति में हों एवं यदि वही पारिस्थितिक परिस्थितियाँ बनी रहें तब उन्हें विलुप्त होने से नहीं बचाया जा सकता है, अर्थात् जिन प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा बना रहता है उन्हें लुप्तप्राय (Indangered) प्रजाति कहते हैं। ऐसी प्रजातियों की संख्या धीरेधीरे इतनी कम हो जाती है कि उनमें प्रजनन की सम्भावनाएँ लगभग समाप्त हो जाती हैं जिसके कारण धीरे-धीरे ये विलुप्त होने लगती हैं।

(3) वल्नेरेबिल या चपेट में (Vulnerable)—ऐसी पादप प्रजातियाँ जो कि कुछ ही समय में लुप्तप्राय स्थिति में पहुँचने वाली हों उन्हें ही वल्नरेबिल प्रजातियाँ कहते हैं। यदि इन्हें लगातार उन्हीं पारिस्थितिक स्थितियों का सामना करना पड़ता है तब ये प्रजातियाँ भी लुप्त होने लगती हैं।

(4) दुर्लभ (Rare)–ऐसी पादप प्रजातियाँ जो कि संसार में कहीं-कहीं पर और बहुत कम संख्या में उपलब्ध हों उन्हें ही दुर्लभ प्रजातियाँ कहते हैं । ऐसी प्रजातियाँ प्रारम्भ से ही लुप्तप्राय या वल्नेरेबिल नहीं होती, लेकिन धीरे-धीरे लुप्तप्राय स्थिति में आ जाती हैं और अन्त में समाप्त हो जाती हैं।

(5) अपर्याप्त जानकारी (Insufficient knowledge)—ऐसी पादप प्रजातियाँ जिनके सम्बन्ध में यह नहीं कहा जा सकता है कि वे किस समूह (1 से 4) के अन्तर्गत आती हैं, ऐसी प्रजातियों के बारे में हमें सही जानकारी नहीं मिल पाती, लेकिन धीरे-धीरे ये लुप्तप्राय स्थिति में आ जाती हैं।

(6) खतरे से बाहर (Out of danger)—ऐसी समस्त पादप प्रजातियाँ जो कि उपर्युक्त श्रेणियों (1 से 5) के अन्तर्गत पहुँच चुकी होती हैं, लेकिन उनके संरक्षण के पश्चात् पूर्व के वास स्थान पर स्थापित हो जाती हैं उन्हें इस समूह में रखा गया है।

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प्रश्न 2.
राष्ट्रीय उद्यान क्या है ? भारतवर्ष के किन्हीं 5 राष्ट्रीय उद्यानों का वर्णन कीजिये।
उत्तर
वह क्षेत्र जो भारत सरकार द्वारा वन्य जीवन के विकास के लिये घोषित किया गया हो, राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है। ऐसे क्षेत्रों में वनों के काटने, पशु चारागाह या पशुचारण, खेती इत्यादि की अनुमति नहीं दी जाती। हमारे देश में कुल 66 राष्ट्रीय उद्यान हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 33,988.14 वर्ग किलोमीटर है।
हमारे देश के कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान निम्नलिखित हैं

  • शिवपुरी पार्क (Shivpuri Park)—यह मध्य प्रदेश में ग्वालियर के पास शिवपुरी में एक झील के किनारे स्थित है। इसमें चीतल, साँभर, बाघ प्रमुख रूप से पाये जाते हैं।
  • गुण्डी डीयर पार्क (Gundy Deer Park)—यह काले चीतल तथा ऐल्विनों हिरणों के लिए स्थापित किया गया है। यह चेन्नई के पास तमिलनाडु में स्थित है।
  • जिम कार्बेट पार्क (Jim Corbett Park)—यह उत्तराखण्ड में नैनीताल के पास बनाया गया है। यहाँ शेरों को संरक्षित किया गया है।
  • बेतला राष्ट्रीय उद्यान (Betla National Park)—यहाँ बाघों व हाथियों का संरक्षण किया गया है। बिहार राज्य के पलामू जिले में है।
  • डचिगम राष्ट्रीय उद्यान (Dachigam National Park)—चीता, काले भालू, कस्तूरी मृग, एण्टिलोप, हिमालय टहर, जंगली बकरी तथा कश्मीरी बारहसिंगों का संरक्षण कश्मीर में किया गया है।

प्रश्न 3.
भारत में वन्य जीवन की विलुप्ति के कारणों की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
उत्तर
आदिकाल से ही जन्तुओं की विभिन्न जातियाँ प्राकृतिक कारणों से विलुप्त होती जा रही हैं, जैसे-एमोनाइट्स (Ammonites), दैत्याकार सिफैलोपॉड्स (Cephalopodes), ब्रैकियोपॉड्स (Brachiopods) तथा डाइनोसॉर्स (Dinosaurs) मानव के आगमन के पूर्व ही मध्यजीवी कल्प (Mesozoic era) के समाप्त होतेहोते विलुप्त हो गये। बढ़ती मानव जनसंख्या ने वन्य जीवन एवं उनके प्राकृतिक आवासों का दोहन किया है। साथ ही बढ़ते शहरीकरण, औद्योगीकरण एवं प्रदूषण के परिणामस्वरूप जन्तुओं के लुप्त होने की गति बढ़ती जा रही है। 17वीं, 18वीं एवं 19वीं सदी में जन्तुओं की क्रमशः 7, 11 एवं 27 जातियाँ विलुप्त हुई जबकि बीसवीं सदी में जन्तुओं की 67 जातियाँ विलुप्त हुईं। मानव द्वारा वन्य जीवन के विनाश के विभिन्न कारण निम्नलिखित दो श्रेणियों में आते हैं

(1) प्रत्यक्ष विनाश (Direct destruction)—सुरक्षा, क्रीड़ा, मनोरंजन, मांस, गौरव, उपहार आदि के लिए मानव द्वारा वन्य जन्तुओं के शिकार को हमेशा से प्रोत्साहित किया गया है। शेर, बाघ, तेंदुआ, भेड़िया, आदि महत्वपूर्ण वन्य जन्तुओं का शिकार राजा-महाराजाओं द्वारा किया जाता रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से अथवा पशुधन को सुरक्षित रखने के लिए भी इनका वध किया जाता है ।

सौन्दर्य प्रसाधनों, सुगन्ध द्रव्यों, साज-सज्जा आदि के लिए भी इनका शिकार किया गया। ढेलों को प्रसाधनों एवं साबुन उद्योगों में प्रयुक्त होने वाले वसा के लिए हजारों की संख्या में प्रतिवर्ष मारा जाता है। इसी प्रकार हाथी दाँत के लिए हाथियों का, कामोत्तेजक औषधियों (Aphrodisiac) के संश्लेषण में प्रयुक्त सींग के लिए गेंडे (Rhinoceros) का, कस्तूरी के लिए कस्तूरी मृगों (Musk deers) का, फर या समूर के लिए हिमालयी हिमचीते (Himalayan snow-leopard) आदि का वध होता चला आ रहा है जिसके कारण आज यह संकटग्रस्त अवस्था में पहुँच गये हैं।

(2) अप्रत्यक्ष विनाश (Indirect destruction)-वन्य जीवन के अप्रत्यक्ष रूप से विनाश के भी अनेक कारण हैं। इनमें सर्वाधिक प्रमुख कारण है–मनुष्य की निरन्तर बढ़ रही जनसंख्या की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए होने वाले भूमि अधिग्रहण । जैसे-जैसे मानव जनसंख्या में वृद्धि होती गयी, आवास, कृषि, ईंधन एवं औद्योगीकरण आदि की आवश्यकताओं में भी वृद्धि होती गयी।

परिणामस्वरूप वकेन्मूलन (Deforestation), आवासों का विनाश, मरुस्थलों का प्रसार आदि से मानव आवश्यकताओं की पूर्ति करता चला गया, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव वन्य जीव-जन्तुओं पर पड़ा और उनकी संख्या में लगातार कमी आती चली गई। कीटनाशकों के प्रयोग एवं पर्यावरणीय प्रदूषण ने भी जीवों का विनाश किया है।

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प्रश्न 4.
वन संरक्षण के राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
वन संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास अंग्रेजी शासन के समय ही प्रारम्भ हो गया था। सन् 1856 में लॉर्ड डलहौजी ने बर्मा के वनों के संरक्षण के लिए एक नीति बनायी थी, जो बाद में पूरे देश में लागू की गयी। सन् 1894 में भारत सरकार ने वनों के संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर नीति बनायी। इस नीति में निम्नलिखित बातों पर अधिक ध्यान दिया गया

  • वन प्रबन्धन
  • वन भूमि का उचित उपयोग
  • सुरक्षित वनों की नीति
  • वन उत्पादों की बढ़ोतरी।

इस नीति के तहत् वनों तथा जन्तुओं के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय अभ्यारण्य एवं प्राणी उद्यानों की स्थापना की है।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वनों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की एफ. ए. ओ. संस्था कार्य कर रही है। यह संस्था वनों के संरक्षण के लिए आर्थिक मदद भी करती है। इस संस्था के द्वारा समय-समय पर सेमिनार तथा वर्क शॉप आयोजित किये जाते हैं। इसी संस्था के द्वारा बस्तर क्षेत्र का सर्वेक्षण कराया गया है और वहाँ पर देवदार ( पाइन) एवं बाँस लगाने की योजना बनायी गयी है । सन् 1952 में भारत सरकार ने इसी संस्था के निर्देश पर “India’s New National Forest Policy” नामक एक राष्ट्रीय वन नीति बनायी है। इस नीति में निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है

  • पहाड़ी क्षेत्रों में वृक्षों को कटने से बचाना ।
  • नष्ट हुए वनों के पूरक वनों को विकसित करना।
  • अपरदन रोकने के लिए वृक्षों को लगाना ।
  • चारागाहों का विकास करना जिससे वनों पर कम भार पड़े।
  • औद्योगिक दृष्टि से उपयोगी वनों को लगाना।
  • वनों से होने वाली सरकारी आय को बढ़ाना।

आजकल वनों के संरक्षण के लिए सामाजिक संस्थाओं के साथ आम जनता भी बहुत जागरूक हो गयी है और इसने कई आन्दोलन प्रारम्भ कर दिये हैं।  पं. सुन्दर लाल बहुगुणा द्वारा उत्तर प्रदेश के टेहरी गढ़वाल क्षेत्र में चलाया जाने वाला चिपको आन्दोलन दिशा में एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।

प्रश्न 5.
भारत के प्रमुख वन्य प्राणियों पर एक लेख लिखिए।
उत्तर
भारत के प्रमुख वन्य प्राणी-भारत की जलवायु में बहुत अधिक विविधता पायी जाती है। एक तरफ हिमालयी क्षेत्र का तापमान 0°C होता है, दूसरी तरफ राजस्थान का तापमान 49°C रहता है। जलवायु की विविधता के कारण भारत के वनों एवं प्राणियों में भी बहुत अधिक विविधता पायी जाती है। भारत के कुछ प्रमुख वन्य प्राणी निम्नानुसार हैं
(1) पशु-भारत के वनों में पाये जाने वाले प्रमुख पशु निम्नलिखित हैं

1. मृग या हिरण-हमारे देश में इनकी कई जातियाँ, जैसे-कस्तूरी मृग, बार्किग हिरण, सांभर, चीतल आदि पायी जाती हैं।
2. एण्टीलोप-ये मृग के ही समान होते हैं, जैसे-नीलगाय, बारहसिंघा, चौसिंघा, भारतीय गजेले (Gazelle) आदि।
3. हाथी-यह वर्तमान में पृथ्वी का सबसे बड़ा चौपाया है, जो अधिकतर केरल तथा उत्तर के तराई भागों में पाया जाता है।
4. गैण्डा-यह हिमालय क्षेत्र, बंगाल एवं असम के जंगलों में पाया जाता है। सींग के कारण इनका इतना शिकार हुआ है कि यह विलुप्त होने के कगार पर है।
5. जंगली गधा-संसार में यह और कहीं नहीं पाया जाता है । अब भारत में भी यह केवल कच्छ के रन क्षेत्र तक ही सीमित रह गया है।
6. मांसाहारी पशु-कुछ भारतीय वन्य मांसाहारी पशु निम्नलिखित हैं-

  • भारतीय सिंह-अब गिर के वनों तक ही सीमित हैं।
  • चीता-यह विलुप्त होने के कगार पर है।
  • शेर-भारत का राष्ट्रीय पशु है, हमारे देश में वर्तमान में इनकी संख्या 3000 से ज्यादा है।
  • तेंदुआ-ये चीते के समान, लेकिन छोटे होते हैं।

(2) पक्षी-हमारे देश के वनों में मोर, जंगली मुर्गा, कई प्रकार के बत्तखें, बगुले, कबूतर, तीतर, बटेर, गरुढ़, गिद्ध, सारस, उल्लू, बाज, दूधराज आदि पक्षी पाये जाते हैं।

(3) सरीसृप-हमारे देश के वनों में मगर, घड़ियाल, कछुए, छिपकलियाँ, सर्प आदि वन्य प्राणी सरीसृप वर्ग के पाये जाते हैं। इसके अलावा भी भारत के वनों में कई कशेरुकी तथा अकशेरुकी प्राणी पाये जाते हैं।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय वन नीति के अन्तर्गत किन प्रमुख बातों पर ध्यान दिया गया है?
उत्तर
राष्ट्रीय वन नीति के अन्तर्गत निम्नलिखित प्रमुख बातों पर ध्यान दिया गया है
(1) वन प्रबन्ध-इसके अन्तर्गत सरकार ने उपयोगी वनों के रख-रखाव व प्रबन्ध की व्यवस्था की है।
(2) वन भूमि का उचित उपयोग-वन में पड़ी फालत भूमि के विवेकपूर्ण उपयोग करने हेत नीति का निर्धारण किया गया है।
(3) सुरक्षित वनों की नीति-सरकार ने कुछ वनों को सुरक्षित वन घोषित किया है। इसमें वृक्षों की कटाई पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगायी गयी है।
(4) बन उत्पाद की बढ़ोत्तरी-इसके अन्तर्गत वनों के विभिन्न उत्पादों को बढ़ाने हेतु प्रयास एवं नयी जानकारियों को खोजा गया है। उपर्युक्त बातों के अलावा इस नीति में निम्नलिखित बातों पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है

  • पहाड़ी क्षेत्रों के वृक्षों को काटने से रोकना
  • नष्ट किये वनों के स्थान पर पूरक वनों को रोपना
  • भूमि अपरदन को रोकने के लिए वृक्षारोपण करना।
  • वनों के बीच चारागाहों का विकास करना, जिससे पशुओं के द्वारा वनों को नष्ट होने से बचाया जा सके।
  • औद्योगिक दृष्टि से उपयोगी वनों को लगाना ।
  • वनों से होने वाली आय को बढ़ाने का प्रयास करना।

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प्रश्न 7.
वन तथा वन्य प्राणी एवं उनके संरक्षण के अन्तर्सबन्धों पर एक लेख लिखिए।
उत्तर
बन तथा वन्य प्राणी-मानव के आवासीय क्षेत्र से बाहर वृक्षों, झाड़ियो तथा घासों से आच्छादित क्षेत्र जिसमें वृक्ष प्रभावी रूप में हो वन कहलाता है, जबकि वह वन जिसमें किसी भी प्रकार का मानव हस्तक्षेप न हो जंगल कहलाता है। वनों में निवास करने वाले प्राणियों को वन्य प्राणी कहते हैं। भारत की जलवायु में विविधता के कारण यहाँ के वनों तथा वन्य प्राणियों में बहुत अधिक विविधता पायी जाती है।

भारतीय वन वन्य प्राणियों के मामले मे समृद्ध हैं। भारत में कुछ 500 प्रकार के स्तनी, 1200 प्रकार के पक्षियाँ, 220 प्रकार के सर्प, 150 प्रकार की छिपकलियाँ, 30 प्रकार के कहुए, 30 प्रकार के मगर तथा घड़ियाल पायी जाती हैं। इनमें से हिरण, ऐण्टिीलोप, जंगली भैंसा, बाइसन, हाथी, गेण्डा, जंगली गधा, सिंह, चीता, शेर, तेंदुआ आदि जातियों के पशु एवं मोर, जंगली मुर्गा, बत्तख, तीतर, बटेर, कबूतर, सारस, गिद्ध, सोनचिड़िया आदि प्रमख पक्षियों एवं मगर, घडियाल तथा सर्प प्रमुख रूप से पाये जाने वाले प्राणी हैं।

वन तथा वन्य प्राणी के संरक्षण के अंतर्सम्बन्ध-चूँकि वन्य प्राणी वनों में पाये जाने वाले जन्तु हैं। इस कारण वनों के बिना वन्य प्राणियों की कल्पना ही नहीं की जा सकती। अगर हमें वन्य प्राणियों को संरक्षित रखना है, तो उनके प्राकृतिक आवासों अर्थात् वनों को संरक्षित रखना अत्यन्त आवश्यक है। हमारे कई उपयोगी वन्य प्राणियों के विलुप्त होने का एकमात्र कारण यह है कि उनका प्राकृतिक आवास अर्थात् वन, दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है।

वनों में पाये जाने वाले वन्य प्राणी भी वनों को संरक्षित करते हैं, क्योंकि इनके भय से वन को हानि पहुँचाने वाले जीव वनों में प्रवेश नहीं करते। इस प्रकार वन तथा वन्य प्राणी एक-दूसरे से घनिष्ट रूप से जुड़े हैं था एक-दूसरे का प्राकृतिक रूप से संरक्षण एवं पोषण करते हैं। इस कारण दोनों के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए दोनों का ही संरक्षित रहना आवश्यक है।

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु

जैव-अणु NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ग्लूकोज तथा सुक्रोज जल में विलेय है जबकि साइक्लो-हेक्सेन अथवा बेंजीन (सामान्यतः छः सदस्यीय वलय युक्त यौगिक) जल में अविलेय होते हैं, समझाइए।
उत्तर
बेंजीन व साइक्लोहेक्सेन में न तो यह ध्रुवीय और न ही इनमें -OH समूह होता है। अत: यह जल के अणुओं के साथ हाइड्रोजन बंध बनाने के योग्य नहीं होते हैं, अतः जल में अघुलनशील होते हैं।

ग्लूकोज व सुक्रोज ध्रुवीय अणु होते हैं तथा इनमें बड़ी संख्या में -OH समूह उपस्थित होते हैं (ग्लूकोज में पाँच तथा सुक्रोज में आठ) हैं ये व्यापक (विस्तृत) रूप में जल के साथ हाइड्रोजन बंध बनाते हैं, अत: ये जल में घुलनशील होते हैं।

प्रश्न 2.
लैक्टोज के जल-अपघटन से किन उत्पादों के बनने की अपेक्षा करते हैं ?
उत्तर
गैलैक्टोज तथा ग्लूकोज, लैक्टोज के जल-अपघटन पर बनने वाले उत्पाद है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 2
प्रश्न 3.
D-ग्लूकोज के पेन्टाऐसीटेट में आप ऐल्डिहाइड समूह की अनुपस्थिति को कैसे समझाएँगे?
उत्तर
जब ग्लूकोज ( α या β ) की क्रिया एसीटिक ऐनहाइड्राइड से की जाती है, तो यह एक पेन्टाएसीटिल व्युत्पन्न बनाता है, जिसमें C-1 पर मुक्त -OH समूह नहीं होता है। ये जलीय विलयन में जलअपघटित होकर खुली-श्रृंखला वाला ऐल्डिहाइडिक रूप नहीं बनाता है, अत: ग्लूकोज पेन्टाऐसीटेट NH2OH के साथ क्रिया कर ग्लूकोज ऑक्सिम नहीं बनाता है।
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प्रश्न 4.
एमीनो अम्लों के गलनांक व जल में विलेयता सामान्यतः संगत हैलो अम्लों की तुलना में अधिक होती है, समझाइए।
उत्तर
एमीनो अम्ल ज्विटर आयन के रूप में प्रदर्शित होते हैं MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 4 इस द्विध्रुव के लवण के समान गुण होने के कारण इनमें प्रबल द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण या स्थिर विद्युतीय आकर्षण पाया जाता है। अतः इनके गलनांक हैलो अम्लों से उच्च होते हैं जिनमें लवण के समान लक्षण नहीं होते हैं तथा लवण के समान गुण होने के कारण इनका जल के साथ प्रबलतम आकर्षण होता है । अतः एमीनो अम्ल की जल में घुलनशीलता उनके संगत हैलो अम्लों जिनमें लवण के समान लक्षण नहीं होते हैं से ज्यादा होती है।

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प्रश्न 5.
अण्डे को उबालने पर उसमें उपस्थित जल कहाँ चला जाता है ?
उत्तर
जब अण्डे को उबाला जाता है तब प्रोटीन के विकृतिकरण तथा स्कंदन संभवत: H- बंध के द्वारा होता है । अण्डे में उपस्थित जल अवशोषित हो जाता है या विकृतिकरण के दौरान अवशोषित या विलुप्त हो जाता है। इस क्रिया में गोलिकाकार प्रोटीन अघुलनशील रेशेदार प्रोटीन में परिवर्तित हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
हमारे शरीर में विटामिन C संचित क्यों नहीं होता है ?
उत्तर-
विटामिन-C जल में घुलनशील होता है। यह हमारे शरीर में संचित नहीं होता है क्योंकि ये मूत्र के द्वारा आसानी से निष्कासित हो जाता है।

प्रश्न 7.
यदि DNA के थायमीन युक्त न्यूक्लियोटाइड का जल-अपघटन किया जाये, तो कौनकौन से उत्पाद बनेंगे?
उत्तर
जल-अपघटन उत्पाद-2-डिऑक्सी-D-राइबोज (शर्करा) + थायमीन (क्षार) + फॉस्फोरिक अम्ल।

प्रश्न 8.
यदि RNA का जल-अपघटन किया जाता है, तो प्राप्त क्षारकों की मात्राओं के मध्य कोई संबंध नहीं होता। यह तथ्य RNA की संरचना के विषय में क्या संकेत देता है ?
उत्तर
जब RNA जल-अपघटित होता है, तब चारों क्षारों की मात्राओं में कोई संबंध नहीं होता है अर्थात् साइटोसीन (C), ग्वानीन (G), एडेनीन (A) तथा यूरेसिल (U) प्राप्त होते हैं। अतः क्षारयुग्मन सिद्धान्त अर्थात् (A) का (T) के साथ युग्म तथा (C) का (G) के साथ युग्मन नहीं होता (जैसा कि DNA में होता है)। अतः RNA एक एकल रज्जुक (तन्तु) अणु है।

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जैव-अणु NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मोनोसैकेराइड क्या होते हैं ?
उत्तर
मोनोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो पुनः जल-अपघटित होकर पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड व कीटोन की सरलतम इकाई नहीं देते हैं।

प्रश्न 2.
अपचायी शर्करा क्या होती है ?
उत्तर
अपचायी शर्करा कार्बोहाइड्रेट है, जो फेहलिंग विलयन को अपचयित करके Cu2O का लाल अवक्षेप बनाते हैं तथा टॉलेन्स अभिकर्मक से चमकदार धात्विक सिल्वर बनाती है। सभी मोनोसैकेराइड (एल्डोज तथा कीटोज दोनों) तथा डाइसैकेराइड सुक्रोज को छोड़कर अपचायी शर्करा होते हैं। अत: D(+) ग्लूकोज, D(+) गैलैक्टोज, D(-) फ्रक्टोज, D(+) माल्टोज तथा D(+) लैक्टोज अपचायी शर्करा है।

प्रश्न 3.
पौधों में कार्बोहाइड्रेटों के दो मुख्य कार्यों को लिखिए।
उत्तर

  • सेल्युलोज प्रमुखतः पादप-कोशिकाओं की कोशिका भित्ति (Cell wall) बनाते हैं।
  • स्टार्च पौधों में संग्रहित मुख्य पॉलीसैकेराइड है। स्टार्च बीजों में जमा होता है जब तक कि वे अपना भोजन प्रकाश-संश्लेषण द्वारा स्वतः नहीं बना लेते हैं तब तक उन्हें खाद्य पदार्थ प्रदान करते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को मोनोसैकैराइड तथा डाइसैकेराइड में वर्गीकृत कीजिए-राइबोज, 2-डि-ऑक्सीराइबोज, माल्टोज, गैलैक्टोज, फ्रक्टोज तथा लैक्टोज।
उत्तर
मोनोसैकेराइड- राइबोस, 2-डि-ऑक्सीराइबोज, गैलैक्टोज तथा फ्रक्टोज।
डाइसैकेराइड- माल्टोज तथा लैक्टोज।

प्रश्न 5.
ग्लाइकोसाइडी बंध से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
ऑक्सीजन लिंकेज जिसके द्वारा दो मोनोसैकेराइड इकाई जल के एक अणु को निष्कासित कर डाइसैकेराइड का एक अणु बनाते हैं । यह ग्लाइकोसिडिक लिंकेज या ग्लाइकोसाइडी बंध कहलाते हैं। उदाहरण के लिये-सुक्रोज (एक डाइसैकेराइड) a-ग्लूकोज के C1 तथा 8-फ्रक्टोज के C2 में ग्लाइकोसाइडी बंध द्वारा बनते हैं।
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प्रश्न 6.
ग्लाइकोजेन क्या होता है तथा ये स्टार्च से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर
1. कार्बोहाइड्रेट जन्तुओं के शरीर में ग्लाइकोजेन के रूप में संगृहित होते हैं । ये यकृत, माँसपेशियों तथा मस्तिष्क में उपस्थित होते हैं । एन्जाइम, ग्लाइकोजेन को ग्लूकोज में तोड़ता है जब शरीर को ग्लूकोज की आवश्यकता होती है।

2. ग्लाइकोजेन एमाइलोपेक्टीन (स्टार्च) की तुलना में ज्यादा शाखित होता है। ग्लाइकोजेन श्रृंखला 10-14 ग्लूकोज इकाइयों से बनी होती है, जबकि एमाइलोपेक्टीन 20-25 ग्लूकोज इकाइयों से बना होता है।

प्रश्न 7.
(अ) सुक्रोज तथा (ब)लैक्टोज के जल-अपघटन से कौन-से उत्पाद प्राप्त होते हैं ?
उत्तर
(अ) ग्लूकोज तथा फ्रक्टोज।
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(ब) D-ग्लूकोज तथा D-गैलैक्टोज।
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प्रश्न 8.
स्टार्च तथा सेल्युलोज में मुख्य संरचनात्मक अंतर क्या है ?
उत्तर
स्टार्च दो यौगिकों का बना होता है-एमाइलोज तथा एमाइलोपेक्टीन । एमाइलोज 200-1000 α-D(+) ग्लूकोज इकाई का लम्बा रेखीय बहुलक है, जो C1-C4 ग्लाइ-कोसिडिक बंध द्वारा संघटित होता है। ये पानी में घुलनशील होता है। एमाइलोपेक्टीन α-D(+) ग्लूकोज बंध का शाखित शृंखलित बहुलक होता है, जो C1-C6 ग्लाइकोसिडिक बंध द्वारा शाखित होता है। ये पानी में अघुलनशील होता है।

दूसरी तरफ सेल्युलोज सीधी शृंखला वाला पॉलीसैकेराइड है, जो β-D(+) ग्लूकोज इकाई द्वारा संघटित होता है जिसमें एक ग्लूकोज इकाई के C1 तथा दूसरी ग्लूकोज इकाई के C4 के बीच ग्लाइकोसाइड बंध बनता है।

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प्रश्न 9.
क्या होता है, जब D-ग्लूकोज की अभिक्रिया निम्नलिखित अभिकर्मकों से करते हैं

  1. HI
  2. ब्रोमीन जल
  3. HNO3

उत्तर
1. जब ग्लूकोज की क्रिया HI से करायी जाती है, तो यह n-हेक्सेन बनाता है, जो पुष्टि करता है, कि सभी छ: कार्बन सीधी श्रृंखला में बँधे होते हैं।
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2. ग्लूकोज को ब्रोमीन जल के साथ गरम करने पर यह छ: कार्बन वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल ग्लूकोनिक अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 9

3. ग्लूकोज को नाइट्रिक अम्ल के साथ क्रिया करने पर यह डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल सैकेरिक अम्ल देता है
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 10

प्रश्न 10.
ग्लूकोज की उन अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए जो इसकी विवृत्त श्रृंखला संरचना के द्वारा नहीं समझायी जा सकती है।
उत्तर
निम्न अभिक्रियाएँ ग्लूकोज की विवृत्त श्रृंखला संरचना के द्वारा नहीं समझायी जा सकती है

  • ग्लूकोज का पेण्टा-ऐसीटेट हाइड्रॉक्सिल एमीन से क्रिया नहीं करता है। इसमें मुक्त –CHO समूह की अनुपस्थिति प्रदर्शित करता है।
  • ऐल्डिहाइडिक समूह के बावजूद –
    • ग्लूकोज NaHSO3 के साथ हाइड्रोजन सल्फाइड योगा-त्मक उत्पाद नहीं बनाता है।
    • ग्लूकोज शिफ परीक्षण नहीं देता है।

प्रश्न 11.
आवश्यक तथा अनावश्यक ऐमीनो अम्ल क्या होते हैं ? प्रत्येक प्रकार के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
1. आवश्यक एमीनो अम्ल-एमीनो अम्ल जिन्हें हमारा शरीर नहीं बनाता है, ये आहार से प्राप्त होते हैं । उदाहरण-वैलीन, आइसोल्यूसीन, आर्जिनीन, ल्यूसीन, थ्रिऑनीन आदि।

2. अनावश्यक एमीनो अम्ल-ये वे एमीनो अम्ल हैं जिन्हें हमारा शरीर बनाता है। उदाहरणग्लूसीन, ऐलानिन, ग्लूटेमिक अम्ल, ऐस्पार्टिक अम्ल, ग्लूटेमिन, सेरीन इत्यादि।

प्रश्न 12.
प्रोटीन के संदर्भ में निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए

  1. पेप्टाइड बंध,
  2. प्राथमिक संरचना,
  3. विकृतिकरण।

उत्तर
1. पेप्टाइड बंध-पेप्टाइड बंध एक एमाइड बंध है, जो -COOH समूह एक -एमीनो अम्ल के तथा दूसरे -एमीनो अम्ल के -NH2 समूह के बीच जल के एक अणु के निष्कासन द्वारा बनता है। . ये दो एमीनो अम्ल की इकाइयों को एक पेप्टाइड अणु में जोड़ देती है।
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2. प्रोटीन – एमीनो अम्लों का पॉलीमर है-यह पॉलीमर (पॉलीपेप्टाइड के नाम से भी जाने जाते हैं), एमीनो अम्लों से जो एक-दूसरे से विशिष्ट क्रम के साथ बंधा होता है के द्वारा संघटित होता है। एमीनो अम्लों का यह क्रम प्रोटीन की प्राथमिक संरचना कहलाता है। एमीनो अम्लों के इस क्रम में कोई भी परिवर्तन (अर्थात् प्राथमिक संरचना) एक अलग प्रोटीन का निर्माण करता है।

3. विकृतिकरण- वह अभिक्रिया जो प्रोटीन की भौतिक तथा जैविक गुणों को बिना प्रोटीन की रासायनिक संघटन में प्रभाव डाले परिवर्तित कर देते हैं, विकृतिकरण कहलाते हैं। विकृतिकरण निश्चित भौतिक व रासायनिक उपचार है, जैसे-pH में परिवर्तन, ताप, कुछ लवणों की उपस्थिति या निश्चित रासायनिक कारकों के कारण होता है।

प्रश्न 13.
प्रोटीन की द्वितीयक संरचना के सामान्य प्रकार क्या हैं ?
उत्तर
पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का संरूपण जिसकी कल्पना हाइड्रोजन बंध के फलस्वरूप की जाती है। प्रोटीन की द्वितीयक संरचना कहलाती है। इनके दो प्रकार की द्वितीयक संरचना है-

  • a-हेलिक्स तथा
  • P-प्लेटेडेड शीट संरचना (विस्तार के लिए NCERT पाठ्य-पुस्तक में देखें)।

प्रश्न 14.
प्रोटीन की -हेलिक्स संरचना के स्थायीकरण में कौन-से आबंध सहायक होते हैं?
उत्तर
6,6 पेप्टाइड बंधों से जो -NH तथा -C=0 समूह के बीच हाइड्रोजन बंध से बनता है। -हेलिक्स संरचना में स्थायित्व देता है (विस्तार के लिये NCERT पाठ्य-पुस्तक में देखें)।

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प्रश्न 15.
रेशेदार तथा गोलिकाकार (Globular) प्रोटीन को विभेदित कीजिए।
उत्तर
रेशेदार तथा गोलिकाकार प्रोटीन में अन्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 12

प्रश्न 16.
ऐमीनो अम्लों की उभयधर्मी प्रकृति को आप कैसे समझायेंगे?
उत्तर
द्विध्रुवीय या ज्विटर आयन संरचना के कारण एमीनो अम्ल उभयधर्मी स्वभाव के होते हैं । एमीनो अम्लों का अम्लीय स्वभाव MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 13 समूह के कारण तथा क्षारीय गुण – COOH समूह के कारण जैसा कि निम्न में दिखाया गया है, होता है
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प्रश्न 17.
एन्जाइम क्या होते हैं ?
उत्तर
एन्जाइम गोलिकाकार प्रोटीन होते हैं जो जैव-उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं। ये बहुत विशिष्ट तथा अपनी क्रियाओं में दक्ष होते हैं । लगभग सभी क्रियाएँ जो हमारे शरीर में होती है, एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती
है।

प्रश्न 18.
प्रोटीन की संरचना पर विकृतिकरण का क्या प्रभाव होता है ?
उत्तर
वकृतिकरण के दौरान प्रोटीन की 2° तथा 3° संरचना नष्ट हो जाती है, प्राथमिक संरचना वैसी ही रहती है। विकृतिकरण के परिणामस्वरूप गोलिकाकार प्रोटीन (H2O में घुलनशील) रेशेदार प्रोटीन में (H2O में अघुलनशील) परिवर्तित हो जाते हैं तथा उनकी जैविक क्रियाशीलता नष्ट हो जाती है। अण्डे की सफेदी को उबालने पर स्कंदन विकृतिकरण का सामान्य उदाहरण है।

प्रश्न 19.
विटामिनों को किस प्रकार वर्गीकृत किया गया है ? रक्त के थक्के जमने के लिए जिम्मेदार विटामिन का नाम दीजिए।
उत्तर
वसा या जल में घुलनशीलता के आधार पर विटामिन सामान्यतः निम्न दो प्रकारों में वर्गीकृत होते है –

1. जल में विलेय विटामिन-इसमें विटामिन B-संकुल (B1,B2, B3,B4, B6, B12 तथा निकोटिनिक अम्ल इत्यादि) तथा विटामिन C शामिल है।

2. वसा में विलेय विटामिन-इसमें विटामिन A,D,E तथा K शामिल हैं। यकृत कोशिका में वसा में विलेय विटामिन बहुतायत में पाये जाते हैं। विटामिन K रक्त के स्कंदन के लिये उत्तरदायी होता है।

प्रश्न 20.
विटामिन A व C हमारे लिए आवश्यक क्यों हैं ? उनके महत्वपूर्ण स्रोत दीजिए।
उत्तर
विटामिन A -ये हमारे लिये आवश्यक होते हैं क्योंकि इनकी कमी से रतौंधी तथा जीरोफ्थैल्मिया (आँख की कॉर्निया का कठोरीपन) का कारण बनती है।
स्रोत- गाजर, दूध, मक्खन, मछली के यकृत का तेल, अण्डे का योक, पीली व हरी सब्जियाँ।

विटामिन C- ये हमारे लिये आवश्यक होते हैं क्योंकि इनकी कमी के कारण स्कर्वी (मसूड़ों में रक्त बहाव), दाँतों का टूटना, पाइरिया इत्यादि होता है।
स्रोत- नींबू, संतरा (रसीले फल), आँवला, टमाटर, आलू तथा हरी पत्तेदार सब्जियाँ।

प्रश्न 21.
न्यूक्लिक अम्ल क्या होते हैं ? इनके दो महत्वपूर्ण कार्य लिखिए।
उत्तर
न्यूक्लिक अम्ल न्यूक्लियोटाइड की लंबी शृंखलित बहुलक होते हैं। इन्हें पॉलीन्यूक्लियोटाइड भी कहते हैं। न्यूक्लिक अम्ल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं,

  • डि-ऑक्सी-राइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) तथा
  • राइबोन्यूक्लिक अम्ल (RNA) के होते हैं।

कार्य-
1. DNA एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक वंशागत प्रभाव को स्थानान्तरित करते हैं। ये कोशिका विभाजन के दौरान प्रतिकरण (Replication) के विशिष्ट गुण तथा दो DNA रज्जुक (Strand) के पुत्री कोशिका में स्थानान्तरित होने के कारण होता है।

2. DNA तथा RNA सभी प्रोटीन के संश्लेषण के लिए उत्तरदायी होते हैं तथा हमारे शरीर के विकास तथा संरक्षण के लिए आवश्यक होते हैं। वास्तविकता में प्रोटीन का संश्लेषण कोशिका में विभिन्न RNA अणु (m-RNA & t-RNA इत्यादि) के द्वारा होता है। वस्तु विशेष प्रोटीन के संश्लेषण की सुचना DNA में रहती है।

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प्रश्न 22.
न्यूक्लियोसाइड तथा न्यूक्लियोटाइड में क्या अन्तर होता है ?
उत्तर
एक न्यूक्लियोसाइड श्रृंखला केवल न्यूक्लिक अम्ल का आधार घटक है, जिसका नाम पेन्टोज शर्करा तथा एक नाइट्रोजनीय क्षार की बनी होती है। एक न्यूक्लियोसाइड में न्यूक्लिक अम्ल के सभी तीन घटक जिनका नाम एक फॉस्फोरिक अम्ल समूह, एक पेन्टोज शर्करा तथा एक नाइट्रोजनीय क्षार होता है।
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प्रश्न 23.
DNA के दो रज्जुक समान नहीं होते, अपितु एक-दूसरे के पूरक होते हैं। समझाइए।
उत्तर
DNA अणु में दो रज्जुक (तन्तु) एक-दूसरे से एक रज्जुक के प्यूरीन क्षार तथा दूसरे के पिरिमिडीन क्षार के बीच हाइड्रोजन बंध द्वारा बँधे रहते हैं । क्षारों के विभिन्न आकार तथा ज्यामिति के कारण, DNA में संभावित युग्मन है-ग्वानीन (G) तथा साइटोसीन (C) तीन हाइड्रोजन बंध द्वारा अर्थात् (C=G) तथा एडेनीन A तथा थायमीन T दो हाइड्रोजन बंधों द्वारा (अर्थात् A = T) (चित्र के लिये पाठ्य-पुस्तक देखिए)। इस क्षार युग्मन सिद्धान्तानुसार एक रज्जुक में क्षारों का क्रम स्वतः दूसरे रज्जुक में क्षारों के क्रम को स्थिर करता है। अतः दो रज्जुक एक-दूसरे के पूरक तथा असमान होते हैं।

प्रश्न 24.
DNA तथा RNA में महत्वपूर्ण संरचनात्मक एवं क्रियात्मक अंतर लिखिए।
उत्तर
DNA तथा RNA में अंतर
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प्रश्न 25.
कोशिका में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के RNA कौन-से हैं ?
उत्तर
RNA निम्न तीन प्रकार के होते हैं

  • राइबोसोमल RNA(r-RNA),
  • संदेशवाहक RNA(m-RNA),
  • अंतरण (स्थानान्तरण) RNA(t-RNA)

जैव-अणु अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

जैव-अणु वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
कौन-सा प्रोटीन रक्त प्रवाह द्वारा 02 का अभिगमन करता है
(a) मायोग्लोबिन
(b) इन्सुलिन
(c) ऐल्बुमिन
(d) हीमोग्लोबिन।
उत्तर
(d) हीमोग्लोबिन।

प्रश्न 2.
बेरी-बेरी रोग किस विटामिन की कमी से होता है
(a) विटामिन-A
(b) विटामिन-C
(c) विटामिन-B
(d) विटामिन-D.
उत्तर
(c) विटामिन-B

प्रश्न 3.
एन्जाइम जो ग्लूकोज के एथेनॉल में रूपान्तरण को उत्प्रेरित करता है
(a) जाइमेज
(b) इन्वर्टेस
(c) माल्टेस .
(d) डायस्टेज।
उत्तर
(a) जाइमेज

प्रश्न 4.
मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट का संचयन होता है
(a) ग्लूकोज के रूप में
(b) ग्लाइकोजन के रूप में
(c) स्टार्च के रूप में
(d) फ्रक्टोस के रूप में।
उत्तर
(b) ग्लाइकोजन के रूप में

प्रश्न 5.
शर्करा के ताजे विलयन का प्रकाशीय घूर्णन कुछ समय बाद परिवर्तन होना कहलाता है
(a) घूर्णन गति
(b) इन्वर्सन
(c) विशिष्ट घूर्णन
(d) म्यूटारोटेशन।
उत्तर
(b) इन्वर्सन

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प्रश्न 6.
बहुधा प्रायोजित डाइसैकेराइड अणु का सूत्र है
(a) C1oH18O9
(b) C1oH20O1o
(c) C18H22O11
(d) C12H22O11
उत्तर
(d) C12H22O11

प्रश्न 7.
राइबोज के संबंध में निम्न कथन असत्य है
(a) यह पॉलीहाइड्रॉक्सी यौगिक
(b) यह ऐल्डिहाइड शर्करा है
(c) इसमें छ: कार्बन परमाणु हैं
(d) इसमें ध्रुवण घूर्णकता है।
उत्तर
(c) इसमें छ: कार्बन परमाणु हैं

प्रश्न 8.
कार्बोहाइड्रेट को बनाने में आवश्यक होते हैं
(a) 2 कार्बन
(b) 3 कार्बन
(c) 4 कार्बन
(d) 6 कार्बन।
उत्तर
(d) 6 कार्बन।

प्रश्न 9.
हीमोग्लोबिन है
(a) एन्जाइम
(b) ग्लोब्यूलर प्रोटीन
(c) विटामिन
(d) कार्बोहाइड्रेट।
उत्तर
(d) कार्बोहाइड्रेट।

प्रश्न 10.
कौन-सा कार्बोहाइड्रेट पौधों की कोशिकाओं का महत्वपूर्ण अवयव है
(a) सेल्युलोज
(b) स्टार्च
(c) इक्षु शर्करा
(d) विटामिन।
उत्तर
(b) स्टार्च

प्रश्न 11.
हीमोग्लोबिन में कितनी उप-इकाइयाँ उपस्थित होती हैं
(a) 2
(b) 3
(c) 4
(d) 5.
उत्तर
(b) 3

प्रश्न 12.
स्टार्च किसका बहुलक है
(a) ग्लूकोज
(b) सुक्रोज
(c) (a) तथा (b) दोनों का
(d) इसमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) ग्लूकोज

प्रश्न 13.
मानव रक्त में कौन-सी शर्करा अधिकतम विद्यमान है
(a) d-फ्रक्टोज
(b) d-ग्लूकोज
(c) सुक्रोज
(d) लैक्टोज।
उत्तर
(b) d-ग्लूकोज

प्रश्न 14.
विटामिन B12 में धातु होता है
(a) Pb
(b) Zn
(c) Fe
(d) Co.
उत्तर
(d) Co.

प्रश्न 15.
रक्त में ग्लूकोज का मात्रात्मक निर्धारण किया जाता है
(a) टॉलेन अभिकर्मक
(b) बेनेडिक्ट विलयन
(c) क्षारीय आयोडिन विलय
(d) ब्रोमीन जल,
उत्तर
(b) बेनेडिक्ट विलयन

प्रश्न 16.
रिकेट्स किस विटामिन की कमी से होता है
(a) विटामिन-C
(b) विटामिन-B
(c) विटामिन-A
(d) विटामिन-D.
उत्तर
(d) विटामिन-D.

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प्रश्न 17.
उपापचयी विधियों में निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक ऊर्जा प्रदान करता है
(a) प्रोटीन
(b) विटामिन
(c) लिपिड .
(d) कार्बोहाइड्रेट।
उत्तर
(d) कार्बोहाइड्रेट।

प्रश्न 18.
विटामिन B, है
(a) राइबोफ्लेविन
(b) कोबालामीन
(c) थायमिन
(d) पिरीमिडीन।
उत्तर
(a) राइबोफ्लेविन

प्रश्न 19.
विटामिन C की कमी से होता है
(a) स्कर्वी
(b) रिकेट्स
(c) पायरिया
(d) रक्ताल्पता।
उत्तर
(a) स्कर्वी

प्रश्न 20.
सभी जीवित कोशिकाओं के अधिकतम प्रभावशाली ऊर्जा वाहक हैं
(a) A.M.P. .
(b) A.T.P.
(c) A.D.P.
(d) U.D.P.
उत्तर
(b) A.T.P.

प्रश्न 21.
दूध में उपस्थित डाइसकेरॉइड है
(a) सुक्रोस
(b) लैक्टोस
(c) माल्टोस
(d) सेलुलोस।
उत्तर
(b) लैक्टोस

प्रश्न 22.
कौन ग्लिसराइड नहीं है
(a) वसा
(b) तेल
(c) फॉस्फोलिपिड
(d) साबुन।
उत्तर
(d) साबुन।

प्रश्न 23.
RNA में नहीं पाया जाता है
(a) थायमीन
(b) यूरेसिल .
(c) ऐडिनीन
(d) ग्वानीन।
उत्तर
(a) थायमीन

प्रश्न 24.
एन्जाइम होते हैं
(a) नाइट्रोजन युक्त जटिल यौगिक
(b) कार्बोहाइड्रेट
(c) उपसहसंयोजी यौगिक
(d) धात्विक यौगिक।
उत्तर
(a) नाइट्रोजन युक्त जटिल यौगिक

प्रश्न 25.
विटामिन C का रासायनिक नाम है
(a) सायनो कोबाल्ट ऐमीन
(b) एस्कार्बिक अम्ल
(c) टोकोफेरॉल
(d) बायोटिन।
उत्तर
(b) एस्कार्बिक अम्ल

26. हीमोग्लोबिन आयरन का ……. यौगिक है।
उत्तर
संकुल।

2. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. विटामिन-C का रासायनिक नाम लिखिए।
  2. विटामिन-K का स्रोत बताइए।
  3. खून का थक्का न जमने के लिए उत्तरदायी है।
  4. अमीनो अम्लों को आपस में कौन-सा बंध जोड़ता है ?
  5. मनुष्य के शरीर के द्वारा कितने अमीनो अम्ल संश्लेषित होते हैं ?
  6. सेल्यूलोस किस ग्लूकोज का रेखीय बहुलक है ?
  7. RNA अणु में थायमिन के स्थान पर कौन-सा पिरामिडीन होता है ?
  8. लैक्टोज जल-अपघटन पर देता है।
  9. ग्लूकोस में पाइरेनोज वलय होता है, जबकि फ्रक्टोज में।
  10. पॉलीसैकेराइडों में मोनोसैकेराइड की इकाइयाँ आपस में एक-दूसरे से किस बन्ध के द्वारा जुड़ी रहती हैं ?
  11. रक्त का थक्का बनाने में सहायक प्रोटीन क्या कहलाता है?
  12. मोनोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट का एक उदाहरण लिखिए।
  13. दूध में उपस्थित डाईसैकेराइड शर्करा क्या कहलाती है ?

उत्तर

  1.  ऐस्कार्बिक अम्ल
  2. हरे पत्तेदार सब्जियाँ
  3. विटामिन-K (फाइलो क्वीनोन)
  4. पेप्टाइड बंध
  5. दस
  6. B-ग्लूकोज
  7. यूरेसिल
  8. ग्लूकोज और लैक्टोज
  9. फ्यूरेनोज वलय
  10. ग्लाइकोसाइडिक
  11. फाइब्रिनोजेन
  12. ग्लूकोज या फ्रक्टोज
  13. लैक्टोस।

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3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. ग्लूकोज के ऑक्सीकरण में ATP के ………. अणु उत्पन्न होते हैं।
  2. जीवों में जटिल अणुओं का टूटना …………. कहलाता है।
  3. हाइपरग्लाइसेमिया में रक्त में ……….. की मात्रा बढ़ जाती है।
  4. ………….. की कमी से आँखों का रोग होता है।
  5. आयोडीन की कमी से …………… रोग होता है।
  6. रक्त सम्पूर्ण शरीर के ताप को ………. बनाये रखता है।
  7. …………. हॉर्मोन रक्त में शर्करा की मात्रा को संतुलित रखता है।
  8. ………. रक्त थक्का बनने के लिए उत्तरदायी है।
  9. विकृतिकरण प्रोटीन की ………… संरचना को प्रभावित नहीं करता।
  10. प्रोटीन ………… का बहुलक है।
  11. ………… प्रोटीन की मौलिक इकाई है।
  12. ………… DNA में नहीं पाया जाता है।
  13. हीमोग्लोबिन आयरन का ………….. यौगिक है।
  14. जन्तुओं एवं पौधों से प्राप्त तेल व वसा ………….. कहलाते हैं।

उत्तर

  1. 38,
  2. कैटाबोलिज्म
  3. शर्करा
  4. विटामिन-A
  5. पेंघा
  6. एकसमान
  7. इन्सुलिन
  8. विटामिन-K
  9. प्राथमिक
  10. एमीनो अम्लों
  11. एमीनो अम्ल
  12. यूरेसिल
  13. संकुल
  14. लिपिड।

4. उचित संबंध जोड़िए

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उत्तर

  1. (1)
  2. (c)
  3. (b)
  4. (e)
  5. (d)
  6. (a)
  7. (h)
  8. (g).

जैव-अणु लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रोटीन की कमी से कौन-सा रोग होता है व इसका शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग –

1. ऐनीमिया-मनुष्य में हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन की कमी से यह रोग होता है। इसमें रोगी के शरीर में रक्त की कमी होने से चक्कर आना, शरीर पर झुर्रियाँ पड़ जाना आदि परिलक्षित होते हैं।

2. क्वाशियोरकर-यह रोग मुख्यतः बच्चों में पाया जाता है, इसमें रोगी का शरीर सूजकर बेडौल हो जाता है।

प्रश्न 2.
कार्बोहाइड्रेट को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
वे पदार्थ जो जल, हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या पॉलीहाइड्रॉक्सी कीटोन हैं अथवा वे पदार्थ जो जल-अपघटित होने पर ये यौगिक देते हैं, कार्बोहाइड्रेट कहलाते हैं।

प्रश्न 3.
विटामिन-C का रासायनिक नाम, स्रोत, सूत्र तथा इसकी कमी से उत्पन्न रोगका नाम लिखिए।
उत्तर
विटामिन-C का रासायनिक नाम-ऐस्कार्बिक अम्ल हैं।
विटामिन-C के स्रोत–सन्तरा, नीबू, आँवला, टमाटर।
विटामिन-C की कमी से होने वाले रोग-स्कर्वी, पायरिया, हड्डियों का कमजोर होना।
विटामिन-C का सूत्र- C6H8O6.

प्रश्न 4.
निम्नलिखित विटामिन की कमी से होने वाले रोग लिखिए
(a) विटामिन-A
(b) विटामिन-B
(c) विटामिन-D
(d) विटामिन-E
उत्तर
उपर्युक्त विटामिनों की कमी से होने वाले रोग निम्नलिखित हैं
(a) विटामिन-A की कमी-रतौंधी (Night blindness)।
(b) विटामिन-B की कमी- भूख न लगना, पैरों में दर्द व सूजन (बेरी-बेरी)।
(c) विटामिन-D की कमी-बच्चों में सूखा रोग (रिकेट्स)।
(d) विटामिन-E की कमी-बन्ध्यता रोग (बाँझपन)।

अथवा निम्नलिखित विटामिनों के कार्य लिखिए
(a) विटामिन-A
(b) विटामिन-D
(c) विटामिन-E
(d) विटामिन-K.
उत्तर
उपर्युक्त विटामिनों के कार्य
(a) विटामिन-A के कार्य-दृष्टि, वृद्धि व प्रतिरोधात्मक शक्ति प्रदान करना।
(b) विटामिन-D के कार्य-सुदृढ़ अस्थि, फॉस्फोरस तथा कैल्सियम चयापचय का नियंत्रण करना।
(c) विटामिन-E के कार्य-नर-प्रजनन क्षमता बढ़ाना।
(d) विटामिन-K के कार्य-रक्त का जमना।

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प्रश्न 5.
किन्हीं चार प्रोटीनों के नाम देते हुए उनके द्वारा मनुष्य के शरीर में किये जाने वाले कार्य लिखिए।
उत्तर
प्रोटीन और उनके कार्य –

1. हीमोग्लोबिन- यह रक्त में पाया जाता है तथा श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन नामक अस्थायी यौगिक बनाता है, जो फेफड़ों से विभिन्न ऊतकों तथा ऑक्सीजन का संवहन करता है।

2. मायोसिन-यह मांसपेशियों में पाया जाता है तथा यह मांसपेशियों के संचालन में सहायक होता है।

3. पेप्सिन-यह शरीर के आहार नाल के आमाशय (Stomach) में पाया जाता है तथा यह भोजन के पाचन में सहायक होता है।

4. फाइब्रिनोजेन-यह रक्त में पाया जाता है तथा यह रक्त का थक्का बनाने में सहायक होता है।

प्रश्न 6.
एन्जाइम क्या है ? उद्योगों में इनके चार अनुप्रयोग लिखिए।।
उत्तर
एन्जाइम (Enzyme)—एन्जाइम उच्च अणुभार के नाइट्रोजनयुक्त जटिल कार्बनिक यौगिक हैं, जो जीवित कोशिकाओं में उत्पन्न होते हैं। ये मुख्य रूप से रासायनिक क्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं, अतः एन्जाइम जीव-उत्प्रेरक कहलाते हैं।
उदाहरण- इनवर्टेस एन्जाइम सुक्रोस के जल-अपघटन को उत्प्रेरित करता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 32

ग्लूकोस फ्रक्टोस एन्जाइम की क्रियाशीलता को प्रभावित करने वाले कारक-

  • ताप
  • pH
  • एन्जाइम की सान्द्रता
  • पदार्थ की सान्द्रता
  • बनने वाले उत्पाद की सान्द्रता।

अनुप्रयोग-

  • कार्बोहाइड्रेट के किण्वन से बीयर, विस्की, मादक पेय द्रव्य निर्माण में।
  • खाद्य उपयोग में मक्का के स्टार्च से शरबत बनाने में।
  • पनीर बनाने में।
  • किण्वन क्रिया द्वारा शीरा से ऐल्कोहॉल निर्माण में।

प्रश्न 7.
मोनोसैकेराइड किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर
मोनोसैकेराइड- ये सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट हैं और इन्हें जल-अपघटन द्वारा अधिक सरल (लघु अणुओं में) कार्बोहाइड्रेटों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। इनका सामान्य सूत्र (CnH2nOn) जिसके कुछ अपवाद भी हैं । जहाँ n का मान 2 से 10 तक हो सकता है । ये ऐल्डोस और कीटोस प्रकार के हो सकते हैं। जैसे

ऐल्डोपेण्टोसेस- एरेबिनोस, जाइलोस, राइबोस आदि (C5H10O5) ।
ऐल्डोहेक्सोसेस- ग्लूकोस, गैलेक्टोस, मैनोस आदि (C6H12O6)।
कीटोहेक्सोसेस- फ्रक्टोस, सारबोस आदि (C6H12O6)।

प्रश्न 8.
प्रोटीन क्या होते हैं ?
उत्तर
प्रोटीन शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द प्रोटियोस (Protios = To take the first) से हुई अर्थात् प्रथम या अतिआवश्यक है। प्रोटीन उच्च अणु भार के नाइट्रोजन युक्त जटिल कार्बनिक यौगिक हैं, जो सभी जन्तु तथा पादप के प्रोटोप्लाज्म में पाये जाते हैं । इसमें हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन, नाइट्रोजन तथा अल्प मात्रा में सल्फर भी पाया जाता है।
रासायनिक रूप से प्रोटीन अल्फा अमीनो अम्ल के संघनन बहुलक हैं।

प्रश्न 9.
कार्बोहाइड्रेट क्या है ? कार्बोहाइड्रेट की कौन-सी इकाई मानव शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है ?
उत्तर
कार्बोहाइड्रेट, कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से बने यौगिक हैं। इनका सामान्य सूत्र Cx(H2O)y होता है, जहाँ x और y गुणांक हैं। इन कार्बनिक यौगिकों में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का अनुपात जल (H2O) के समान 2 : 1 होने के कारण इन्हें कार्बन का हाइड्रोजन माना गया है तथा इन यौगिकों का नाम कार्बोहाइड्रेट रखा गया है। कार्बोहाइड्रेट श्रेणी के यौगिकों के अन्तर्गत ग्लूकोस (C6H12O6), फ्रक्टोस(C6H12O6), सुक्रोस (C12H22O11), स्टार्च आदि आते हैं।

ग्लूकोस, कार्बोहाइड्रेट्स की वह इकाई है, जो शरीर में उपस्थित एन्जाइम की सहायता से ऑक्सीकरण द्वारा धीरे-धीरे CO2 तथा जल में अपघटित हो जाती है तथा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है।

प्रश्न 10.
प्रोटीन की संरचना में पेप्टाइड लिंक का बनना स्पष्ट कीजिए। अथवा ऐमाइड एवं पेप्टाइड बन्ध क्या हैं ?
उत्तर
ऐमाइड बन्ध- प्रोटीन एक जटिल कार्बनिक पदार्थ है, जो विभिन्न अमीनो अम्लों के आपस में संयुक्त होने से बनता है। एक अमीनो अम्ल का कार्बोक्सिलिक समूह दूसरे अमीनो अम्ल के अमीनो समूह से संयोग करके ऐमाइड बन्ध बनाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 19

पेप्टाइड बन्ध- अमीनो अम्ल प्रोटीन के निर्माण की इकाई होती हैं। प्रोटीन में अमीनो अम्ल पेप्टाइड बन्धों द्वारा अर्थात् -CONH- समूह द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं । पेप्टाइड बन्ध का निर्माण α -अमीनो समूह और दूसरे – अमीनो समूह के कार्बोक्सिलिक समूह की परस्पर क्रिया के फलस्वरूप होता है। पार्श्व श्रृंखला के R में उपस्थित कोई भी समूह पेप्टाइड बन्ध के निर्माण में भाग नहीं लेता। R R
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प्रश्न 11.
पॉलिसैकेराइड क्या हैं ? इनके दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
पॉलिसैकेराइड प्राकृतिक बहुलक हैं, जिनका आण्विक द्रव्यमान कुछ हजार से कई लाख तक होता है। इनका सामान्य सूत्र (C6H10O5)n है जिसमें n का मान 12 से कई हजार तक होता है। ये अत्यन्त जटिल पदार्थ हैं। ये मोनोसैकेराइडों के संघनन बहुलीकरण द्वारा बनते हैं। इनमें ग्लाइकोसाइडिक बन्ध पाया जाता है। पॉलिसैकेराइडों के दो प्रमुख उदाहरण – स्टार्च एवं सेल्युलोस हैं।

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प्रश्न 12.
इन्वर्ट शर्करा किसे कहते हैं ?
उत्तर
शर्करा दक्षिण ध्रुवण घूर्णक [D या +] होता है परन्तु जल-अपघटन पर दो मोनोसैकेराइडों का एक सम-अणुक मिश्रण प्राप्त होता है; जो वाम ध्रुवण घूर्णक [L या –] हो जाता है। अतः प्राप्त ग्लूकोस और फ्रक्टोस का मिश्रण इन्वर्ट शर्करा कहलाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 21

प्रश्न 13.
डाइसैकेराइड क्या हैं ? किसी सामान्य डाइसैकेराइड का अणुसूत्र लिखिए ।
उत्तर
डाइसैकेराइड वे शर्करा हैं, जो मोनोसैकेराइड के दो अणुओं के संयुक्त होने पर जल के एक अणु के निष्कर्षण द्वारा बनते हैं। दोनों मोनोसैकेराइड प्रायः हेक्सोस होते हैं तथा उनमें से एक ग्लूकोस होता है। इस प्रकार ऐल्डोस-ऐल्डोस तथा ऐल्डोस-कीटोस प्रकार के डाइसैकेराइड पाये जाते हैं। इन डाइसैकेराइडों का अणुसूत्र C12H22O11 होता है। उदाहरणार्थ सुक्रोस, माल्टोस ,लैक्टोस आदि।

प्रश्न 14.
सुक्रोज और माल्टोज के पाइरानोस संरचना दीजिए।
उत्तर
सुक्रोज-सुक्रोज में दो मोनोसैकेराइड्स अणु (ग्लूकोज और फ्रक्टोस) परस्पर ग्लाइकोसाइडिक बन्ध के द्वारा जुड़े होते हैं । जो α – ग्लूकोस के C1 तथा β- फ्रक्टोस के C2 के मध्य जुड़ा होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 22

प्रश्न 15.
प्रोटीन की संरचना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
प्रोटीन के अणु का निर्माण ऐमीनो अम्लों से होता है। वस्तुतः प्रोटीन अणु ऐमीनो अम्लों के रैखिक बहुलक (linear polymers) होते हैं। इनकी सम्पूर्ण संरचना चार पदों में निर्धारित की जाती है।
1. प्राथमिक संरचना- इसमें प्रोटीन की पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में विभिन्न ऐमीनो अम्लों के परस्पर जुड़ने के क्रम का ज्ञान होता है।

2. द्वितीयक संरचना- यह प्रोटीन की पेप्टाइड शृंखलाओं के संरूपण (Conformations) का ज्ञान कराती है।

3. तृतीयक संरचना- इससे यह ज्ञान होता है कि प्रोटीन अणु किस प्रकार मुड़कर एक विशिष्ट आकृति प्राप्त कर लेता है।

4. चतुर्थक संरचना- इससे यह पता चलता है कि दो पॉलिपेप्टाइड शृंखलाएँ एक-दूसरे के सापेक्ष किस प्रकार व्यवस्थित हैं।

प्रश्न 16.
न्यूक्लिओसाइड तथा न्यूक्लिओटाइड से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
न्यूक्लिओसाइड- जब कोई प्यूरीन या पाइरामिडीन बेस, पेण्टोस शुगर अणु के साथ जुड़ जाता है, तो इसे न्यूक्लिओसाइड कहते हैं।
Base + Sugar → Nucleoside
न्यूक्लिओटाइड- यह न्यूक्लिओसाइड का फॉस्फेट एस्टर है।
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प्रश्न 17.
कार्बोहाइड्रेट क्या है ? मोनो, डाइ तथा पॉलीसैकेराइडों को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर
कार्बोहाइड्रेट- वे पदार्थ जो पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डीहाइड या पॉलीहाइड्रॉक्सी कीटोन है। अथवा वे पदार्थ जो जल-अपघटन के पश्चात् ये यौगिक देते हैं कार्बोहाइड्रेट्स कहलाते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स को जलअपघटन के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है।

1. मोनोसैकेराइड- ये सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट्स हैं। इन्हें जल-अपघटन द्वारा अधिक सरल कार्बोहाइड्रेटों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। इनका सामान्य सूत्र CnH2nOn है, जहाँ n का मान 1 से 10 तक हो सकता है। ये क्रिस्टलीय ठोस हैं। जल में घुलनशील और स्वाद में मीठे होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं

  • ऐल्डोस,
  • कीटोस।

2. डाइसैकेराइड- ये वे शर्करा हैं, जो मोनोसैकेराइड के दो अणुओं के संयुक्त होने या जल के एक अणु के निष्कर्षण द्वारा बनता है। दोनों मोनोसैकेराइड प्रायः हेक्सोस होते हैं तथा उनमें से एक अणु ग्लूकोस होता है। इन डाइसैकेराइड का अणुसूत्र C12H22O11 है।
उदाहरण- सुक्रोस, माल्टोस।

3. पॉलीसैकेराइड- ये वे सैकेराइड हैं, जो जल-अपघटन के पश्चात् मोनोसैकेराइड के n अणु देते हैं। ये रंगहीन तथा स्वादहीन होते हैं। इनका अणुसूत्र Cn(H1005)n होता है।
उदाहरण- स्टार्च, सेल्यूलोज।

प्रश्न 18.
क्या होता है जब, प्रोटीन का विकृतिकरण होता है ?
उत्तर
प्रोटीन का विकृतिकरण-प्रोटीन, ऊष्मा तथा रसायनों से प्रभावित होते हैं। प्रोटीन को गर्म करने पर अथवा रासायनिक यौगिकों से क्रिया कराने पर इसकी जैविक क्रियाशीलता नष्ट हो जाती है ये विकृत और स्कन्दित होकर अविलेय हो जाते हैं। इस क्रिया को प्रोटीन का विकृतिकरण कहते हैं।

विकृतिकरण से प्रोटीन की प्राथमिक संरचना अपरिवर्तित रहती है, किन्तु द्वितीयक एवं तृतीयक संरचना में परिवर्तन हो जाता है। जैसे-जब अण्डे को उबलते हुए पानी में कुछ समय के लिए रखा जाता है, तो अण्डे की प्रोटीन अविलेय रेशेदार प्रोटीन में परिवर्तित हो जाती है, जिससे प्रोटीन स्कन्दित हो जाता है अर्थात् प्रोटीन का विकृतिकरण हो जाता है।

प्रश्न 19.
विटामिन-B के कार्य तथा विटामिन-B के अभाव में होने वाले दो रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर
विटामिन-B1 बहुत से विटामिन के समूह को कहते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

विटामिन-B1(थायमीन)
विटामिन-B2 (राइबोफ्लेविन)
विटामिन-B3(पेन्टोथेनिक ऐसिड)
विटामिन-B6 (पायरीडॉक्सीन)
विटामिन-B12 (सायनोबलेमीन)।

विटामिन- B1(थायमीन)-स्रोत-बिना पॉलिश किया चावल, हरी सब्जी, अण्डा।
कार्य- तंत्रिका तन्त्र की क्रियाशीलता बनाये रखना।
अभाव से रोग- (i) बेरी-बेरी (हाथ पैर में सूजन), (ii) गैस्ट्रिक (पाचन क्रिया का अनियमित होना)।
विटामिन- B2 (राइबोफ्लेविन) स्रोत-खमीर, अण्डा का पीला भाग आदि।
कार्य- शारीरिक वृद्धि हेतु।
अभाव से रोग- होठों का फटना, नेत्र दृष्टि कम होना।

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प्रश्न 20.
विटामिन्स क्या हैं ? उन विटामिन्स के नाम लिखिये जिनकी कमी से निम्नलिखित बीमीरियाँ उत्पन्न होती हैं –

  • खून का थक्का न जमना
  • रतौंधी
  • रक्त अल्पता
  • सूखा रोग
  • पायरिया
  • बन्ध्यता
  • अरक्तता।

उत्तर
विटामिन जटिल कार्बनिक यौगिक हैं, जो शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व के समान कार्य करते हैं, यद्यपि ये हमारे शरीर में बनते नहीं, परन्तु इनके अभाव से अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। विटामिनों की थोड़ी-सी मात्रा भी शरीर के सुचारु रूप से कार्य करने और वृद्धि के लिए आवश्यक हैं। विटामिन कई प्रकार के होते हैं। जैसे-A, B, C, D, E व K. .

  • खून का थक्का न जमना-विटामिन-K(फाइलोक्विनोन)
  • रतौंधी-विटामिन-A (रेटिनॉल) एक्सेरोफाइटॉल
  • रक्त अल्पता-विटामिन-B12 (सायनोबलेमीन)
  • सूखा रोग-विटामिन-D (कैल्सिफेरॉल)
  • पायरिया-विटामिन-C (ऐस्कार्बिक एसिड)
  • बन्ध्यता-विटामिन-E (aटोकॉफेरॉल)
  • अरक्तता- विटामिन-B6 (पिरिडॉक्सीन)।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित हॉर्मोन्स के बारे में लिखिए

  • टेस्टोस्टेरॉन
  • थायरॉक्सिन
  • इन्सुलिन
  • कार्टिसोन।

उत्तर

  • टेस्टोस्टेरॉन- टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन को सावित करने वाली ग्रंथि वृषण है तथा इसका कार्य पुरुषों में जनन अंगों का नियंत्रण है।
  • थायरॉक्सिन- इस हॉर्मोन को स्रावित करने वाली ग्रंथि का नाम, थायरॉयड है। इसका कार्य उपापचय क्रियाओं एवं वृद्धि का नियंत्रण है।
  • इन्सुलिन- इन्सुलिन हॉर्मोन अग्न्याशय द्वारा स्रावित होता है तथा इसका कार्य रक्त में ग्लूकोज की मात्रा का नियंत्रण करना है।
  • कार्टिसोन- कार्टिसोन ऐड्रीनल कॉर्टेक्स द्वारा स्रावित होता है तथा इसका कार्य वसा, प्रोटीन तथा जल के उपापचय का नियंत्रण करना है।

प्रश्न 22.
रेटिनॉल, थायमीन, ऐस्कार्बिक एसिड व राइबोफ्लेवीन की कमी से होने वाले दो-दो रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर
रेटिनॉल- रतौंधी, अतिसार । थायमीन- बेरी-बेरी, शरीर की वृद्धि रुक जाती है।
ऐस्कार्बिक एसिड- स्कर्वी, दंतक्षय। राइबोफ्लेवीन-नेत्र दृष्टि कम होना, त्वचा फटना।

प्रश्न 23.
विटामिन-A विटामिन-C के दो-दो स्रोत लिखिए। इनकी कमी से होने वाले एक-एक रोग बताइये।
उत्तर
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प्रश्न 24.
विटामिन A, D, E एवं K के कार्य लिखिए।
उत्तर
विटामिन A – यह रोडोप्सिन एवं आयोडोप्सिन नामक दृश्य पिगमेन्ट के निर्माण में भाग लेता
विटामिन D – यह हड्डियों के निर्माण में उपयोगी होता है।
विटामिन E – यह RBC के टूटने की क्रिया को रोकता है।
विटामिन K – यह रक्त को जमने में सहायता करता है।

प्रश्न 25.
निम्नलिखित जैव-अणुओं/तत्वों के कार्य व प्राप्ति के स्रोत लिखिए

  1. प्रोटीन
  2. कार्बोहाइड्रेट
  3. वसा
  4. कैल्सियम।

उत्तर
1. प्रोटीन – शरीर के अंगों का निर्माण करना।
प्राप्ति – दूध, पनीर, अंडा, मछली आदि।

2. कार्बोहाइड्रेट – ऊर्जा प्रदान करना ।
प्राप्ति – अनाज, चावल, फल, आलू, शक्कर आदि।

3. वसा – ऊर्जा प्रदान करना।
प्राप्ति – घी, तेल, मेवे, दूध, अंडा।

4. कैल्सियम – दाँत व हड्डी की वृद्धि।
प्राप्ति – पत्तेदार सब्जियाँ, साबुत अनाज, दूध।

प्रश्न 26.
α -ऐमीनो अम्ल तथा प्रोटीन में दो-दो अन्तर लिखिए।
उत्तर
α -ऐमीनो अम्ल तथा प्रोटीन में अन्तर
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प्रश्न 27.
संक्षेप में समझाइये
(a) दो ऐन्जाइमों के नाम तथा उनके कार्य।
(b) जल में घुलनशील दो विटामिनों के नाम एवं इनके अभाव से होने वाले रोग।
उत्तर
(a) दो ऐन्जाइमों के नाम तथा उनके कार्य
नाम-
1. ऐमाइलेज (टायलिन)
कार्य- यह स्टार्च को ग्लूकोज में बदल देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 26

2. पेप्सिन –
कार्य- यह प्रोटीन को ऐमीनो अम्ल में बदल देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु - 27

(b) जल में घुलनशील विटामिन –

1. विटामिन B1– थायमीन –
अभाव में रोग – बेरी-बेरी

2. विटामिन C- ऐस्कार्बिक अम्ल
अभाव में रोग – स्कर्वी
जल में घुलनशील विटामिनों के अन्य उदाहरण- विटामिन B2, B6, B12 तथा K.

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जैव-अणु दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यूक्लिक अम्ल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
न्यूक्लिक अम्ल-यह जीव कोशिका के केन्द्रक में पाया जाता है। इसमें फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है। न्यूक्लिक अम्ल पॉली न्यूक्लिओटाइड होते हैं, जो अनेक न्यूक्लिओटाइड की इकाइयों के , मिलने से बनती है।
प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड तीन रासायनिक घटकों का बना होता है –

  • फॉस्फेट समूह,
  • पेण्टोज राइबोज शर्करा या डी-ऑक्सीराइबोज,
  • विषमचक्रीय बेस, जैसे-पायरीमिडीन के व्युत्पन्न (थाइमीन, यूरेसिल, साइटोसीन) एवं प्यूरीन के व्युत्पन्न (ऐडीनीन एवं ग्वानीन)।

न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होते हैं
(A) DNA-डी-ऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल

(B) RNA- राइबोन्यूक्लिक अम्ल ।
DNA के घटक
(a) डी-ऑक्सीराइबोस शर्करा अणु,
(b) फॉस्फोरिक अम्ल के अणु,

(c) नाइट्रोजन बेस। ये दो तरह के होते हैं

  • पिरीमिडीन बेस-इसके अन्तर्गत साइटोसीन (C) और थायमीन (T) आते हैं।
  • प्यूरीन बेस- इसके अन्तर्गत एडीनीन (A) और ग्वानीन (G) आते हैं।

RNA के घटक-RNA में राइबोज तथा नाइट्रोजन बेस, जैसे-ऐडीनीन (A), ग्वानीन (G), यूरेसिल (U), और साइटोसीन (C) होते हैं।

प्रश्न 2.
कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ? इनका वर्गीकरण करके चार प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर
परिभाषा-प्रकाश सक्रिय पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या कीटोन या वे पदार्थ जो जल-अपघटित होकर इनका निर्माण करते हैं, कार्बोहाइड्रेट कहलाते हैं।
उदाहरण- ग्लूकोस, स्टार्च, सेल्युलोस, सुक्रोस आदि।
कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण –
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कार्बोहाइड्रेट के कार्य –
1.यह कोशिका का प्रमुख संरचनात्मक घटक है।

2. यह जैव-ईंधन की तरह कार्य करता है और जीवधारियों को कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
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3. लीवर (Liver) में कार्बोहाइड्रेट ग्लाइकोजन के रूप में आरक्षित रहते हैं, जो जल-अपघटित होकर आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं।

4. सेल्युलोस घास और पौधों में पाया जाता है जो घास चरने वाले जानवरों को ऊर्जा प्रदान करता है क्योंकि जानवरों के शरीर में सेल्युलोस को ग्लूकोस में जल-अपघटित करने वाले विशिष्ट एन्जाइम पाये जाते हैं।

प्रश्न 3.
ऐस्कार्बिक अम्ल, थायमिन, रेटिनॉल एवं निकोटिनिक अम्ल की कमी से होने वाले बीमारियों के नाम लिखिए। (प्रत्येक के दो-दो नाम दीजिये)
अथवाविटामिन A,B,C और D की कमी से कौन-कौन से रोग होते हैं ? इनके नाम व एक-एक स्रोत लिखिये।
अथवा विटामिन A, C, D एवं E की कमी से होने वाले रोग एवं प्राप्ति के स्रोत बताइये।
उत्तर
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प्रश्न 4.
मोनोसैकेराइड, डाइसैकेराइड और पॉलिसैकेराइड में अन्तर लिखिए।
उत्तर
मोनोसैकेराइड, डाइसैकेराइड और पॉलिसैकेराइड में अन्तर –
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पारितंत्र NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये

1. पादपों को …………… कहते हैं, क्योंकि ये कार्बन डाइऑक्साइड का स्थिरीकरण करते हैं।
2. पादप द्वारा प्रमुख पारितंत्र का पिरामिड (संख्या का)…………… प्रकार का होता है।
3. एक जलीय पारितंत्र में, उत्पादकता का सीमाकारक …………… है।
4. हमारे पारितंत्र में सामान्य अपरदन …………… है।
5. पृथ्वी पर कार्बन का प्रमुख भण्डार …………… हैं।
उत्तर

  1. उत्पादक
  2. उल्टा
  3. प्रकाश
  4. केंचुआ
  5. समुद्र एवं वायुमण्डल।

प्रश्न 2.
एक खाद्य श्रृंखला में निम्नलिखित में सर्वाधिक संख्या किसकी होती है
(a) उत्पादक
(b) प्राथमिक उपभोक्ता
(c) द्वितीयक उपभोक्ता
(d) अपघटक।
उत्तर
(d) अपघटक।

प्रश्न 3.
एक झील में द्वितीयक (दूसरी) पोषण स्तर होता है
(a) पादप प्लवक
(b) प्राणी प्लवक
(c) नितलक (बेन्थॉस)
(d) मछलियाँ।
उत्तर
(b) प्राणी प्लवक

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प्रश्न 4.
द्वितीयक उत्पादक है
(a) शाकाहारी (शाकभक्षी)
(b) उत्पादक
(c) मांसाहारी (मांसभक्षी)
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(a) शाकाहारी (शाकभक्षी)

प्रश्न 5.
प्रासंगिक सौर विकिरण में प्रकाश-संश्लेषणात्मक सक्रिय विकिरण का क्या प्रतिशत होता है
(a) 100%
(b) 50%
(c) 1-5%
(d) 2-10%
उत्तर
(b) 50%

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरदन खाद्य श्रृंखला,
(ख) उत्पादन एवं अपघटन
(ग) ऊर्ध्ववर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरामिड।
उत्तर
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरदन खाद्य श्रृंखला

1. चारण खाद्य श्रृंखला (Grazing food chain)–चारण खाद्य श्रृंखला पादपों से प्रारंभ होकर छोटे जंतुओं से बड़े जंतुओं की ओर चलती है। जैसे
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 1
यह ऊर्जा के स्रोत हेतु प्रत्यक्ष रूप से और विकिरण पर निर्भर होती है।

2. अपरदन खाद्य श्रृंखला (Detritus food chain)-यह खाद्य श्रृंखला मृत जीवों से प्रारंभ होकर सूक्ष्मजीवों की ओर चलती है। जैसे
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 2
यह ऊर्जा के स्रोत हेतु सौर विकिरण पर निर्भर नहीं होती।

(ख) उत्पादन तथा अपघटन में अंतर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 3

(ग) उर्ध्ववर्ती पिरामिड व अधोवर्ती पिरामिड में अंतर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 4

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए
(क) खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल (वेष)
(ख) लिटर (कर्टक) एवं अपरद
(ग) प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता।
उत्तर
(क) खाद्य श्रृंखला व खाद्य जाल में अन्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 5

(ख) लिटर (कर्टक) एवं अपरद
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 6

(ग) प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 7
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 8

प्रश्न 8.
पारिस्थितिक तंत्र के घटकों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
पारिस्थितिक तन्त्र किसे कहते हैं ? किसी तालाब पारितन्त्र के मुख्य घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
पारिस्थितिक तन्त्र-टेंसले के अनुसार, “वातावरण के जीवीय तथा अजीवीय घटकों की समन्वित प्रणाली को पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं।” तालाब परितन्त्र के घटक-तालाब के घटक भी एक प्रारूपिक घटकों के ही समान निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

(A) अजैविक घटक-तालाब का मुख्य अजीवीय घटक जल होता है, जिसमें सभी कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन घुले रहते हैं।

(B) जीवीय घटक-तालाब पारितन्त्र में सभी जीवीय घटक पाये जाते हैं

(1) उत्पादक-प्लवक जैसे-वॉलवॉक्स, पेण्डोराइना, ऊडोगोनियम, स्पाइरोगायरा इत्यादि के अलावा हाइड्रिला, सेजिटेरिया, युट्रिकुलेरिया, ऐजोला, ट्रापा, लेना, टाइफा, निम्फिया आदि पादप तालाब पारितन्त्र उत्पादक वर्ग का निर्माण करते हैं।

(2) प्राथमिक उपभोक्ता-इस श्रेणी में जन्तु प्लवक डेफ्निया, साइक्लोप्स, पैरामीशियम, अमीबा आदि आते हैं।

(3) द्वितीयक एवं तृतीयक उपभोक्ता-छोटी शाकाहारी मछलियों को खाने वाली बड़ी मछलियाँ द्वितीयक उपभोक्ता एवं सारस तथा मांसाहारी मछली खाने वाले आदमी जल तन्त्र के तृतीयक उपभोक्ता की तरह कार्य करते हैं।

(4) अपघटक-विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव इसके अन्तर्गत रखे जाते हैं, जो जन्तुओं एवं पादपों के मृत शरीर को विघटित करके फिर से उनके अवयवों को भूमि में मिला देते हैं, जिससे उत्पादक उनका उपयोग कर सकें। कवक सिफैलोस्पोरियम, क्लैडोस्पोरियम, पायथियम, कवुलेरिया, सैप्रोलिग्निया तथा जीवाणु इस श्रेणी के उदाहरण हैं।

नोट- वातावरण के मुख्य घटक निम्नानुसार हैं
(A) अजैविक घटक-ये दो प्रकार के होते हैं

  • ऊर्जा-प्रकाश, ताप तथा रासायनिक पदार्थों की ऊर्जा।
  • पदार्थ-पानी, मिट्टी, लवण इत्यादि।

(B) अजैविक घटक-ये तीन प्रकार के होते हैं

  • उत्पादक-हरे पौधे।
  • उपभोक्ता-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक।
  • अपघटक-जीवाणु एवं कवक।

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प्रश्न 9.
पारिस्थितिक पिरामिड को पारिभाषित कीजिए तथा जैव मात्रा या जैव भार तथा संख्या के पिरामिडों की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर
पोषी स्तर-आहार श्रृंखला या पारिस्थितिक-तन्त्र के उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के विभिन्न स्तरों को पोषक स्तर कहते हैं। दूसरे शब्दों में आहार श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी पोषी या पोषक स्तर कहलाती आहार शंकु या पारिस्थितिक शंकु- यदि पारितन्त्र के विभिन्न पोषक स्तरों के जीवों को उनकी शेर संख्या, जीवभार तथा उनमें संचित ऊर्जा की मात्राओं बाघ के अनुपात को चित्र द्वारा व्यक्त करें तो एक शंकु जैसी आकृति प्राप्त होती है जिसे आहार शंकु कहते हैं। ये

1. जीव संख्या का शंकु- जब आहार श्रृंखला को पोषक स्तरों का शंकु पोषक स्तरों में उपस्थित जीवों की संख्या के आधार पर बनाते हैं तो इसे जीव संख्या का शंकु कहते हैं। यदि हम संख्या को आधारानें तो उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक तथा इसके बाद के पोषक स्तरों के जीवों की संख्या क्रम से कम होती जाती है इस कारण इसका शंकु सीधा बनता है, लेकिन एक वृक्ष को आधार मानने पर यह उल्टा बनता है।

2. जीव भार का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र में संख्या के स्थान पर जीवों के कुल भार के आधार पर पोषी स्तरों को देखें तो उल्टे तथा सीधे, अर्थात् दोनों प्रकार के शंकु बनते हैं।

3. ऊर्जा का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र के विभिन्न जैविक घटकों में संचित ऊर्जा को आधार मानकर शंकु का निर्माण करें तो इसे ऊर्जा का शंकु कहते हैं यह शंकु हमेशा सीधा बनता है, क्योंकि प्रत्येक पोषी स्तरों में ऊर्जा में कमी आती जाती है। (लघु उत्तरीय प्रश्न क्र. 6 का चित्र देखें।) ऊर्जा के शंकु को सीधा बनने का कारण-चूँकि प्रत्येक पोषी स्तर में ऊर्जा की मात्रा कम होती जाती है इस कारण ऊर्जा का शंकु हमेशा सीधा ही बनता है।

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 9

तालाब के जैव भार काशंकु-किसी पारिस्थितिक तन्त्र में जीवित जीवों का इकाई क्षेत्र में शुष्कभार जीव भार कहलाता है। सामान्यत: उत्पादकों का भार सबसे ज्यादा होता है ।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 10
इसके बाद भार क्रमशः कम होता जाता है इस कारण जीवभार का शंकु सीधा बनता है, लेकिन तालाब पारिस्थितिक तन्त्र इसका अपवाद है अर्थात् उपभोक्ता यह उल्टा बनता है क्योंकि तालाब में शैवालों अर्थात् उत्पादों का भार सबसे कम होता है। कीटों और दूसरे सूक्ष्म जीवों का भार उत्पादक उत्पादों से ज्यादा होता है। इसी प्रकार छोटी मछलियों का भार कीटों से ज्यादा और उन पर आश्रित बड़ी मछलियों का भार सबसे ज्यादा होता है|

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प्रश्न 10.
प्राथमिक उत्पादकता क्या है ? उन कारकों की संक्षेप में चर्चा कीजिए जो प्राथमिक उत्पादकता को प्रभावित करते हैं
उत्तर
हरे पादपों द्वारा उत्पादित द्रव्यों की कुल मात्रा को प्राथमिक उत्पादन (Primary production) कहा जाता है। इसे प्रति इकाई समय में प्रति इकाई क्षेत्रफल में उत्पादित जैव भार या संचित ऊर्जा के रूप में व्यक्त करते हैं । सामान्यतया इसे ग्राम/मीटर वर्ष के रूप में व्यक्त किया जाता है। प्राथमिक उत्पादकता दो प्रकार की होती है-

  • सकल (Gross) तथा
  • नेट (Net) या वास्तविक या शुद्ध।

प्राथमिक उत्पादकों द्वारा ऊर्जा के पूर्ण अवशोषण की दर को या कार्बनिक पदार्थों यथा जैव भार के कुल उत्पादन की दर को सकल प्राथमिक उत्पादकता (Gross primary productivity) कहते हैं तथा उत्पादकों को श्वसन क्रिया के पश्चात् बचे हुए जैव भार या ऊर्जा की दर को वास्तविक या नेट प्राथमिक उत्पादकता कहते हैं अर्थात् वास्तविक या नेट प्राथमिक उत्पादकता (NPP) = सकल प्राथमिक उत्पादकता (GPP)-श्वसन दर (R)।

प्राथमिक उत्पादकता, प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारकों से सर्वाधिक प्रभावित होती है जैसे-विकिरण, तापमान, प्रकाश, मृदा की आर्द्रता आदि। जलीय पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकता प्रकाश के कारण सीमित रहती है। महासागरों (गहरे) में पोषक तत्व (जैसे-नाइट्रोजन, फॉस्फोरस आदि) उत्पादकता को सीमित करते हैं।

प्रश्न 11.
अपघटन की परिभाषा दीजिए तथा अपघटन की प्रक्रिया एवं उसके उत्पादों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
आपने शायद सुना होगा कि केंचुए किसान के मित्र होते हैं, क्योंकि ये खेतों और बगीचों में जटिल कार्बनिक पदार्थों का खण्डन करने के साथ-साथ मृदा को भुरभुरा बनाते हैं। इसी प्रकार अपघटक (Decomposer) जटिल कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्वों जैसे CO2, जल व पोषक पदार्थों में खण्डित
करने में सहायता करते हैं तथा इस प्रक्रिया को अपघटन (Decomposition) कहते हैं।

पादपों के मृत अवशेष ‘ जैसे–पत्तियाँ, छाल, टहनियाँ, पुष्प एवं प्राणियों के मृत अवशेष, मल सहित अपरद (Detritus) बनाते हैं जो कि अपघटन हेतु कच्चे माल का काम करते हैं। इस प्रक्रिया में कवक, जीवाणुओं, अन्य सूक्ष्मजीवों के अतिरिक्त छोटे प्राणियों जैसे-निमेटोड, कीट, केंचुए आदि का मुख्य योगदान रहता है। अपघटन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चरण-खण्डन, निक्षालन अपचयन, ह्यूमीफिकेशन (Humification), खनिजीकरण है।

ह्यूमीफिकेशन तथा खनिजीकरण की प्रक्रियाएँ अपघटन के समय मृदा में सम्पन्न होती हैं। हयूमीफिकेशन के कारण एक गहरे रंग के क्रिस्टल रहित पदार्थ का निर्माण होता है जिसे ह्यूमस (Humus) कहते हैं । ह्यूमस सूक्ष्मजैविकी क्रियाओं के लिये उच्च प्रतिरोधी होता है और इसका अपघटन बहुत धीमी गति से होना है। स्वभाव से कोलॉइडल होने के कारण यह पोषक के भण्डार का कार्य करता है। ह्यूमस पुनः सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित होता है और खनिजीकरण प्रक्रिया के द्वारा अकार्बनिक पोषक उत्पन्न होते हैं।

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प्रश्न 12.
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा के प्रवाह को समझाइए।
अथवा
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह क्या है? खाद्य श्रृंखला में इसका ह्रास होता है, क्यों?
अथवा
पारितन्त्र में ऊर्जा के प्रवाह से क्या तात्पर्य है ? किसी पारितन्त्र में विभिन्न पोषी स्तरों पर ऊर्जा का किस प्रकार से ह्रास होता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह-किसी पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा स्रोत से ग्रहण की गई ऊर्जा को उत्पादकों से विभिन्न उपभोक्ताओं और अपघटकों की ओर भोजन के रूप में स्थानान्तरण होने की क्रिया को ऊर्जा का प्रवाह कहते हैं। पारितन्त्र में ऊर्जा का ह्रास-सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा के एक या दो प्रतिशत भाग को हरे पौधे प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया के द्वारा संगृहीत करते हैं तथा भोज्य पदार्थों में रासायनिक बन्ध के रूप मे इकट्ठा कर लेते हैं।

डॉ. कैलाश चन्द्र (1972) के अनुसार-पौधों द्वारा भोज्य पदार्थों के रूप में संचित ऊर्जा का लगभग 90% स्वयं की जैविक क्रियाओं और उसके शरीर के बाहर ऊष्मा के रूप में निकल जाता है। शेष 10% भाग संचित भोज्य पदार्थ के रूप में प्राथमिक उपभोक्ताओं द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। इसी प्रकार प्राथमिक उपभोक्ता भी प्राप्त

ऊर्जा का 90% भाग खर्च कर देते हैं और 10% भाग अगली पारितन्त्र श्रेणी को स्थानांतरित कर देते हैं। पारितन्त्र में यही क्रम चलता रहता है और अन्त में अपघटक मृत जीवों के शरीर में बची शेष ऊर्जा के कुछ भाग को बाहरी वातावरण में मुक्त कर देते हैं और कुछ का स्वयं उपयोग कर लेते हैं । इस प्रकार पारितन्त्र में ऊर्जा का एक दिशीय प्रव ना रहता है तथा प्रत्येक स्तर में इसमें कमी आती रहती है। अतः पारितन्त्र में आहार-श्रृंखला जितनी छोटी होगी, ऊर्जा का ह्यस उतना ही कम होगा।

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प्रश्न 13.
एक पारिस्थितिक तंत्र में एक अवसादी चक्र की महत्वपूर्ण विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर
एक पारिस्थितिक तंत्र में अवसादी चक्र की महत्वपूर्ण विशिष्टताएँ निम्नलिखित हैं

  • अवसादन चक्र जैव-भू रसायन चक्र (Biogiochemical cycle) का एक प्रकार है।
  • अवसादी चक्र (Sedimentary cycle) में पोषक तत्वों का संचय पृथ्वी की चट्टानों में होता है। उदाहरण के लिए, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम, सल्फर आदि के चक्र।
  • ये चक्र अपेक्षाकृत अधिक धीमें होते हैं। ये अधिक परिपूर्ण (Perfect) भी नहीं होते क्योंकि चक्रित तत्व किसी भी संचय स्थल में फँसकर रह जाते हैं तथा चक्रण से बाहर हो जाते हैं। अतः इनकी प्रकृति में उपलब्धता पर गहरा प्रभाव पड़ता है, हो सकता है यह रूकावट सैकड़ों से सहस्रों वर्षों के लिए बनी रहे।

प्रश्न 14.
एक पारिस्थितिक तंत्र में कार्बन चक्रण की महत्वपूर्ण विशिष्टताओं की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
सजीवों के शुष्क भार का 49% भाग कार्बन से बना होता है। समुद्र में 71% कार्बन विलेय के रूप में विद्यमान है। यह सागरीय कार्बन भण्डार वायुमण्डल में CO2, की मात्रा को नियमित करता है। कुल भूमण्डलीय कार्बन का केवल 1% भाग ही वायुमण्डल में समाहित है। जीवाश्मी ईंधन भी कार्बन के भण्डार का प्रतिनिधित्व करता है। कार्बन चक्र वायुमण्डल, सागर तथा जीवित व मृतजीवों द्वारा सम्पन्न होता है। जैवमण्डल में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा प्रतिवर्ष 4×1013 कि.ग्रा. कार्बन का स्थिरीकरण होता है। एक महत्वपूर्ण कार्बन की मात्रा CO2, के रूप में उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के श्वसन क्रिया के माध्यम से वायुमण्डल में वापस आती है। इसके साथ ही भूमि, कचरा सामग्री एवं मृत कार्बनिक पदार्थों के अपघटन प्रक्रिया द्वारा भी CO2, की काफी मात्रा अपघटकों द्वारा छोड़ी जाती है।

यौगिकीकृत कार्बन की कुछ मात्रा अवसादों में नष्ट होती है और संचरण द्वारा निकाली जाती है। लकड़ी के जलाने, जंगली आग एवं जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण, कार्बनिक सामग्री, ज्वालामुखीय क्रियाओं आदि के अतिरिक्त स्रोतों द्वारा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करता है।

कार्बन चक्र में मानवीय क्रियाकलापों का महत्वपूर्ण प्रभाव है। तेजी से जंगलों का विनाश तथा परिवहन एवं ऊर्जा के लिए जीवाश्मी ईंधनों को जलाने आदि से, महत्वपूर्ण रूप से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करने की दर बढ़ी है।

पारितंत्र अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

पारितंत्र वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है
(a) सौर ऊर्जा
(b) हरे पौधे
(c) भोज्य पदार्थ
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(a) सौर ऊर्जा

प्रश्न 2.
वृक्ष का पारिस्थितिक तंत्र में संख्या का पिरामिड होगा
(a) उल्टा
(b) सीधा
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) उल्टा

प्रश्न 3.
मनुष्य होता है
(a) उत्पादक
(b) मांसाहारी
(c) सर्वाहारी
(d) शाकाहारी।
उत्तर
(c) सर्वाहारी

प्रश्न 4.
मानव निर्मित पारिस्थितिक तंत्र है
(a) वन
(b) तालाब
(c) मछली घर
(d) झील।
उत्तर
(c) मछली घर

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प्रश्न 5.
इनमें से अपघटक है
(a) जीवाणु व कवक
(b) शैवाल
(c) चूहे
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(a) जीवाणु व कवक

प्रश्न 6.
खाद्य श्रृंखला प्रारंभ होती है
(a) प्रकाश-संश्लेषण से
(b) श्वसन से
(c) अपघटन से
(d) N2 के स्थिरीकरण से।
उत्तर
(a) प्रकाश-संश्लेषण से

प्रश्न 7.
खाद्य जाल बनती है
(a) एक खाद्य श्रृंखला से
(b) दो खाद्य श्रृंखला से
(c) परस्पर जुड़ी खाद्य श्रृंखलाओं से
(d) तीन खाद्य श्रृंखला से।
उत्तर
(c) परस्पर जुड़ी खाद्य श्रृंखलाओं से

प्रश्न 8.
इकोसिस्टम शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किया था
(a) टेन्सले ने
(b) ओडम ने
(c) रीटर ने
(d) मिश्रा व पुरी ने।
उत्तर
(a) टेन्सले ने

प्रश्न 9.
प्राथमिक या प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता कहलाते हैं
(a) स्वपोषी
(b) शाकाहारी
(c) मांसाहारी
(d) रक्तभक्षी।
उत्तर
(b) शाकाहारी

प्रश्न 10.
खाद्य श्रृंखला के प्रारंभिक जीव होते हैं
(a) प्रकाश-संश्लेषी
(b) परजीवी
(c) सहजीवी
(d) मृतोपजीवी।
उत्तर
(a) प्रकाश-संश्लेषी

प्रश्न 11.
सही खाद्य श्रृंखला है
(a) घास, टिड्डे, मेढक, साँप, बाज़
(b) घास, मेढक, साँप, मोर
(c) घास, मोर, टिड्डे, बाज़
(d) घास, साँप, शशक
उत्तर
(a) घास, टिड्डे, मेढक, साँप, बाज़

प्रश्न 12.
झील के पारिस्थितिक तंत्र में जैवभार का पिरामिड होता है
(a) सीधा
(b) उल्टा
(c) उल्टा व सीधा दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(b) उल्टा

प्रश्न 13.
‘बायोसीनोसिस’ शब्द का उपयोग करने वाले वैज्ञानिक
(a) थाइनमैन
(b) कार्ल मोबियस
(c) एस.ए. फोर्ब्स
(d) फ्रेडरिक
उत्तर
(b) कार्ल मोबियस

प्रश्न 14.
ऊर्जा का पिरामिड होता है
(a) हमेशा सीधा
(b) हमेशा उल्टा
(c) उल्टा व सीधा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) हमेशा सीधा

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प्रश्न 15.
समुदाय व पर्यावरण की मिली-जुली इकाई कहलाती है
(a) परितंत्र
(b) खाद्य जाल
(c) खाद्य श्रृंखला
(d) पारिस्थितिक शंकु।
उत्तर
(a) परितंत्र

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये

1. दो समीपस्थ जीवोमों के मध्य उपस्थित संक्रमण क्षेत्र ……………… कहलाता है।
2. …………….. ने सर्वप्रथम इकोसिस्टम शब्द का उपयोग किया था।
3. पारिस्थितिक तंत्रों में ऊर्जा का मूल स्रोत ……………… होता है।
4. नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाला बैक्टीरिया ……………… कहलाता है।
5. प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र ऊर्जा के लिए ……………… पर आश्रित होता है।
6. पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को ……………… कहते हैं।
7. किसी स्थान विशेष पर उपस्थित समस्त पौधे उस स्थान का ……………… बनाते हैं।
8. बड़े पारिस्थितिक तंत्र को ……………… कहते हैं।
उत्तर

  1. इकोटोन
  2. टेन्सले
  3. सूर्य प्रकाश
  4. राइजोबियम
  5. सौर ऊर्जा
  6. समस्थिरता
  7. पादप जाल
  8. जीवोम।

3. सही जोड़ी बनाइए

I. ‘A’ – ‘B’

1. पारिस्थितिक तंत्र – (a) प्राथमिक उपभोक्ता
2. भेड़िया, मोर – (b) ऊर्जा प्रवाह
3. शेर, साँप, चीता – (c) एक बन्द तंत्र
4. पृथ्वी – (d) पारिस्थितिकी की मूल क्रियात्मक इकाई
5. 10% नियम – (e) द्वितीयक उपभोक्ता
6. भेड़, बकरी – (f) तृतीयक उपभोक्ता।
उत्तर
1. (d), 2. (e), 3. (f), 4. (c), 5. (b), 6. (a).

II. ‘A’ – ‘B’

1. ए. जी. टेन्सले – (a) सरलतम पारिस्थितिक तंत्र
2. सर्वाधिक स्थायी पारिस्थितिक तंत्र – (b) इकोसिस्टम
3. पारिस्थितिकी की मूल इकाई – (c) मेक्रोफाइट्स
4. सबसे कम स्थायी पारिस्थितिक तंत्र – (d) पारिस्थितिक तंत्र
5. जलकाय सतह के जीव – (e) जटिलतम पारिस्थितिक तंत्र।
उत्तर
1. (b), 2. (e), 3. (d), 4. (a), 5. (c)

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. पारिस्थितिक तन्त्र के दो घटकों के नाम लिखिये।
2. इकोसिस्टम शब्द का प्रयोग किसने किया था ?
3. कौन-सा पारिस्थितिक तन्त्र सर्वाधिक स्थायी होता है ?
4. उस पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये जो सबसे कम स्थायी होता है।
5. सर्वाधिक स्तरीकरण प्रदर्शित करने वाले पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये।
6. किन्हीं दो प्रकार की खाद्य श्रृंखलाओं के नाम लिखिये।
7. बहुत-सी खाद्य श्रृंखलाओं के परस्पर जुड़ने के कारण निर्मित संरचना को क्या कहते हैं ?
8. पारिस्थितिक तंत्र की मूल इकाई का नाम लिखिये।
9. सर्वाधिक उत्पादकता प्रदर्शित करने वाले पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये।
10.जलकाय की सतह पर पाये जाने वाले जीवों को क्या कहते हैं ?
11.दो समीपस्थ जीवोमों के मध्य उपस्थित संक्रमण क्षेत्र को क्या कहते हैं ?
12.अनुक्रमण शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किसने किया था ?
13.नग्न चट्टान से प्रारंभ होने वाला अनुक्रमण ।
14.मरुक्रमण कहाँ से प्रारंभ होता है ?
उत्तर

  1. जैविक घटक, अजैविक घटक
  2. ए.जी. टेन्सले
  3. महासागरीय
  4. मरुस्थलीय
  5. जलीय
  6. चारण, अपरद
  7. खाद्य जाल
  8. उत्पादक
  9. महासागरीय
  10. बेन्थोज
  11. इकाटोन
  12. हुल्ट (1885)
  13. लिथोसियर
  14. चट्टानों से।

पारितंत्र अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मृदा निर्माण की प्रक्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर
पीडोजिनेसिस।

प्रश्न 2.
ऊर्जा का पिरामिड कैसा होता है ?
उत्तर
हमेशा सीधा।

प्रश्न 3.
कौन-सा पारिस्थितिक तन्त्र सर्वाधिक स्थायी होता है ?
उत्तर
जटिलतम पारिस्थितिक तंत्र

प्रश्न 4.
बहुत सी खाद्य श्रृंखलाओं के परस्पर जुड़ने के कारण निर्मित संरचना को क्या कहते हैं?
उत्तर
खाद्य जाल।

प्रश्न 5.
सर्वाधिक उत्पादकता प्रदर्शित करने वाले पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये।
उत्तर
उष्ण कटिबंधीय पारिस्थितिक तंत्र।

प्रश्न 6.
पारिस्थितिक तंत्र में कवक एवं जीवाणु क्या कहलाते हैं ?
उत्तर
सूक्ष्म उपभोक्ता या अपघटक।

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प्रश्न 7.
एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर तक कितनी ऊर्जा पहुँचती है ?
उत्तर
10%।

प्रश्न 8.
रसायन संश्लेषी जीवाणु किस प्रकार का घटक है ?
उत्तर
स्वपोषित।

प्रश्न 9.
प्रो. आर. मिश्रा द्वारा पारिस्थितिक तंत्र के अनुसार दिये गये शब्द को लिखिए।
उत्तर
इकोकोज्म (Ecocosm)।

प्रश्न 10.
हरे पादपों का कौन-सा पोषण स्तर है ?
उत्तर
पोषण स्तर प्रथम।

प्रश्न 11.
उत्पादक के लिए परिवर्तक शब्द किसने दिया था ?
उत्तर
इ.जे. कोरोमेन्डी (E.J. Koromandy) ने।

प्रश्न 12.
किन्हीं दो अवसादी चक्रों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • फॉस्फोरस चक्र
  • सल्फर चक्र।

प्रश्न 13.
ऊर्जा के स्तूप (पिरामिड) हमेशा होते हैं ?
उत्तर
सीधा।

प्रश्न 14.
अपघटकों के उदाहरण हैं ?
उत्तर
जीवाणु एवं कवक।

प्रश्न 15.
ऊर्जा के 10% का नियम किसने दिया ?
उत्तर
लिण्डेमान ने।

प्रश्न 16.
पौधे नाइट्रोजन को किस रूप में ग्रहण करते हैं ?
उत्तर
नाइट्रोजन के यौगिक (नाइट्रेट आयन NO5 ) के रूप में।

प्रश्न 17.
दो प्रकार के खाद्य श्रृंखलाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
चारण खाद्य श्रृंखला, अपरदन खाद्य शृंखला।

पारितंत्र लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तंत्र के जैविक व अजैविक घटकों के नाम लिखिये।
उत्तर
वातावरण के मुख्य घटक निम्नानुसार हैं
(A) अजैविक घटक-ये दो प्रकार के होते हैं

  • ऊर्जा-प्रकाश, ताप तथा रासायनिक पदार्थों की ऊर्जा।
  • पदार्थ-पानी, मिट्टी, लवण इत्यादि।

(B) अजैविक घटक-ये तीन प्रकार के होते हैं

  • उत्पादक-हरे पौधे।
  • उपभोक्ता-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक।
  • अपघटक-जीवाणु एवं कवक।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल के विभिन्न घटकों के नाम तथा उनका अनुपात लिखिए।
उत्तर
वायुमण्डल के घटकों के नाम तथा उनका अनुपातनाम

  • नाम – अनुपात
  • ऑक्सीजन – 20%
  • नाइट्रोजन – 79%
  • कार्बन-डाइऑक्साइड – 0.03%
  • हाइड्रोजन – 0.00005%

इसके अलावा शेष गैसें, जैसे-हीलियम, आर्गन, नियॉन तथा क्रिप्टॉन अत्यल्प मात्रा में पायी जाती हैं।

प्रश्न 3.
अपमार्जक एवं अपघटक में अन्तर बताइए।
उत्तर
अपमार्जक वे जीव हैं, जो दूसरे जीवों के मृत शरीर को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। जैसेगिद्ध। जबकि अपघटक वे जीव हैं, जो मृत जीवों के शरीर को उनके अवयवों में विघटित कर देते हैं, जैसेजीवाणु एवं कवक।

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प्रश्न 4.
जीवोम एवं परितन्त्र में अन्तर बताइए।
उत्तर
किसी निश्चित क्षेत्र में आपस में जुड़े वातावरणीय तथा जीवीय घटकों को एक साथ परितन्त्र कहते हैं। यह जल की एक बूंद से लेकर समुद्र इतना बड़ा हो सकता है, जबकि बहुत बड़े परितन्त्र को जीवोम कहते हैं। जैसे-महासागर।

प्रश्न 5.
पारिस्थितिक तंत्र के जैविक घटकों के नाम लिखिये।
उत्तर
(1) उत्पादक-सभी हरे–पौधे (दूब, जौ, आम आदि)।
(2) उपभोक्ता-

  • प्राथमिक उपभोक्ता-सभी शाकाहारी जन्तु (बकरी, टिड्डे, चूहा, हिरण आदि)।
  • द्वितीयक उपभोक्ता-शाकाहारियों को खाने वाले मांसाहारी (सियार, लोमड़ी, मेंढक आदि)।
  • तृतीयक उपभोक्ता-द्वितीयक उपभोक्ता को खाने वाले जन्तु (शेर, बाघ, सर्प आदि)।

(3) अपघटक-वे जीव जो मृत जीवों के शरीर को अनेक अवयवों में अपघटित कर देते हैं। (जीवाणु, कवक)

प्रश्न 6.
केवल चित्र की सहायता से घास पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का सीधा पिरामिड बनाकर समझाइए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 11

प्रश्न 7.
प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र को समझाइये।
उत्तर
वायु में नाइट्रोजन पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है। बादल की बिजली और वर्षा के कारण यह नाइट्रोजन ऑक्साइड के रूप में मृदा में मिल जाती है। इसके अलावा कुछ सूक्ष्म जीव भी वायुमंडल की N2 को नाइट्रोजन के ऑक्साइडों (नाइट्राइट, नाइट्रेट) में बदल देते हैं जिसे पौधे अवशोषित करके अपने लिए आवश्यक प्रोटीन बनाते हैं इनसे यह प्रोटीन जन्तुओं में जाता है और जब जीव मरते हैं तो अपघटक जीवों के प्रोटीन की N2 को गैस के रूप में पुनः वातावरण में मुक्त कर देते हैं।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 12

प्रश्न 8.
प्रकृति में सल्फर चक्र को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 13

प्रश्न 9.
जलवायु के प्रकाश कारक का पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर
प्रकाश पारिस्थितिक-तन्त्र का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो सम्पूर्ण पारितन्त्र को ऊर्जा देता है। हरे पौधे इसे अवशोषित कर प्रकाश-संश्लेषण करते हैं । इसी कारण प्रकाश की तीव्रता, अवधि इत्यादि का पादपों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। प्रकाश तीव्रता की आवश्यकता के आधार पर पादप दो प्रकार के होते हैं

  • हेलियोफाइट्स-ये तेज प्रकाश में अच्छी वृद्धि करते हैं, अर्थात् इनमें तेज प्रकाश में संश्लेषण की क्षमता होती है।
  • सायोफाइट्स-ये कम प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण करते हैं, अर्थात् ये छायादार स्थानों में उगते हैं।

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प्रश्न 10.
आहार जाल का अर्थ स्पष्ट करते हुए एक आहार जाल का रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर
खाद्य-जाल-पारितन्त्र का कोई भी जीव एक से अधिक खाद्य श्रृंखलाओं का सदस्य हो सकता है। ऐसा होने पर वह विभिन्न आहार श्रृंखलाओं के बीच एक कड़ी का काम करता है। इस प्रकार एक जैव समुदाय की सभी आहार श्रृंखलाएँ मिलकर एक जाल का रूप ले लेती हैं जिसे खाद्य जाल या आहार जाल कहते हैं।
उदाहरण-घास पारितन्त्र में टिड्डे, चूहे, शशक, हिरण आदि पाये जाते हैं, जिन्हें मेढक, पक्षी, भेड़िया आदि जन्तु खाकर एक खाद्य जाल की संरचना करते हैं इस पारितन्त्र में एक भी श्रृंखला सीधी नहीं रह पाती है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 14

प्रश्न 11.
प्रकृति में कैल्सियम चक्र को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 15

प्रश्न 12.
वृक्ष एवं तालाब पारिस्थितिक तंत्र के घटकों के संख्या का पिरामिड बनाइये।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 16

प्रश्न 13.
तालाब पारिस्थितिकी तन्त्र के उपभोक्ता समुदाय को 66-75 शब्दों में समझाइए।
उत्तर
तालाब एक सरल तथा कृमि पारितन्त्र है जिसके अन्दर उपभोक्ता वर्ग के जीव निम्नानुसार होते

  • प्राथमिक उपभोक्ता-इसमें तालाब के शाकाहारी जन्तु प्लवक आते हैं, जैसे-डैफनिया, साइक्लोस, पैरामीशियम, अमीबा। इसके अलावा कुछ नितलस्थ जन्तु, जैसे-अनेक प्रकार की मछलियाँ, क्रस्टेशिया, मोलस्क, कीट तथा भुंग आदि भी प्राथमिक उपभोक्ता की तरह व्यवहार करते हैं।
  • द्वितीयक उपभोक्ता-छोटी शाकाहारी मछलियों तथा कीटों को खाने वाली बड़ी मछलियाँ, मेढक, इत्यादि जीव इस श्रेणी में आते हैं।
  • तृतीयक उपभोक्ता-द्वितीयक उपभोक्ताओं को ग्रहण करने वाले जीव सारस, बगुला एवं मांसाहारी मछलियाँ इस श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 14.
किसी तालाब पारिस्थितिक-तन्त्र के जैवभार के शंकु को समझाइए।
उत्तर
तालाब के जैव भार काशंकु-किसी पारिस्थितिक तन्त्र में जीवित जीवों का इकाई क्षेत्र में शुष्कभार जीव भार कहलाता है। सामान्यत: उत्पादकों का भार सबसे ज्यादा होता है ।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 17
इसके बाद भार क्रमशः कम होता जाता है इस कारण जीवभार का शंकु सीधा बनता है, लेकिन तालाब पारिस्थितिक तन्त्र इसका अपवाद है अर्थात् उपभोक्ता यह उल्टा बनता है क्योंकि तालाब में शैवालों अर्थात् उत्पादों का भार सबसे कम होता है। कीटों और दूसरे सूक्ष्म जीवों का भार उत्पादक उत्पादों से ज्यादा होता है। इसी प्रकार छोटी मछलियों का भार कीटों से ज्यादा और उन पर आश्रित बड़ी मछलियों का भार सबसे ज्यादा होता है

पारितंत्र दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक-तन्त्र में पोषी स्तरों से आप क्या समझते हैं ? विभिन्न प्रकार के आहार शंकुओं का वर्णन कीजिए। संक्षेप में समझाइए कि ऊर्जा शंकु सदैव सीधे ही क्यों होगी?
उत्तर
पोषी स्तर-आहार श्रृंखला या पारिस्थितिक-तन्त्र के उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के विभिन्न स्तरों को पोषक स्तर कहते हैं। दूसरे शब्दों में आहार श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी पोषी या पोषक स्तर कहलाती
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 18

आहार शंकु या पारिस्थितिक शंकु- यदि पारितन्त्र के विभिन्न पोषक स्तरों के जीवों को उनकी शेर संख्या, जीवभार तथा उनमें संचित ऊर्जा की मात्राओं बाघ के अनुपात को चित्र द्वारा व्यक्त करें तो एक शंकु जैसी आकृति प्राप्त होती है जिसे आहार शंकु कहते हैं। ये

1. जीव संख्या का शंकु- जब आहार श्रृंखला को पोषक स्तरों का शंकु पोषक स्तरों में उपस्थित जीवों की संख्या के आधार पर बनाते हैं तो इसे जीव संख्या का शंकु कहते हैं। यदि हम संख्या को आधारानें तो उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक तथा इसके बाद के पोषक स्तरों के जीवों की संख्या क्रम से कम होती जाती है इस कारण इसका शंकु सीधा बनता है, लेकिन एक वृक्ष को आधार मानने पर यह उल्टा बनता है।

2. जीव भार का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र में संख्या के स्थान पर जीवों के कुल भार के आधार पर पोषी स्तरों को देखें तो उल्टे तथा सीधे, अर्थात् दोनों प्रकार के शंकु बनते हैं।

3. ऊर्जा का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र के विभिन्न जैविक घटकों में संचित ऊर्जा को आधार मानकर शंकु का निर्माण करें तो इसे ऊर्जा का शंकु कहते हैं यह शंकु हमेशा सीधा बनता है, क्योंकि प्रत्येक पोषी स्तरों में ऊर्जा में कमी आती जाती है। (लघु उत्तरीय प्रश्न क्र. 6 का चित्र देखें।) ऊर्जा के शंकु को सीधा बनने का कारण-चूँकि प्रत्येक पोषी स्तर में ऊर्जा की मात्रा कम होती जाती है इस कारण ऊर्जा का शंकु हमेशा सीधा ही बनता है।

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प्रश्न 2.
स्थलीय बायोम से क्या तात्पर्य है ? ये कितने प्रकार के होते हैं ? किसी एक बायोम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर
स्थलीय बायोम-प्राकृतिक रूप से बड़े-बड़े क्षेत्रों में फैले पारितन्त्रों को बायोम कहते हैं अर्थात् बायोम बड़े पारिस्थितिक तन्त्र हैं। अगर बायोम भूमि पर हो तब उसे स्थलीय बायोम कहते हैं । स्थलीय बायोम निम्न प्रकार के हो सकते हैं
(अ) वनीय बायोम-ये निम्न प्रकार के हो सकते हैं

  • ऊष्ण कटिबन्धीय वन
  • शीतोष्ण कटिबन्धीय वन
  • टैगा वन।

(ब) घास स्थलीय बायोम-ये निम्न प्रकार के हो सकते हैं

  • ऊष्ण कटिबन्धीय एवं
  • शीतोष्ण कटिबन्धीय।

(स) रेगिस्तानी बायोम
(द) टुण्ड्रा बायोम
घास स्थलीय बायोम या पारितन्त्र-वह बायोम (पारितन्त्र) है जिसमें लम्बी-लम्बी घासें पायी जाती हैं इसकी भूमि उपजाऊ होती है। यहाँ पर लगभग 25 से 75 सेमी. औसतन वार्षिक वर्षा होती है। इस पारितन्त्र (बायोम) के घटक निम्नानुसार होते हैं-

(A) अजीवीय घटक-इसमें भूमि के कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ तथा जलवायुवीय घटक आते हैं

(B) जीवीय घटक-इसके जीवीय घटक निम्नानुसार होते हैं.

  • उत्पादक-इस वर्ग में घासें, शाकीय पादप तथा झाड़ियाँ आती हैं।
  • प्राथमिक उपभोक्ता-इस क्षेत्र के शाकाहारी जन्तुओं में गाय, भैंस, बकरियाँ, भेड़, हिरन, खरगोश, चूहे, कीट, पक्षी प्रमुख होते हैं।
  • द्वितीयक उपभोक्ता-कई प्रकार के मांसाहारी जीव जो प्राथमिक उपभोक्ताओं का भक्षण करते हैं, द्वितीयक उपभोक्ता कहलाते हैं। साँप, पक्षी, लोमड़ी, भेड़िया आदि इस समूह के प्राणी हैं।
  • तृतीयक उपभोक्ता-ये जीवधारी द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाने के कारण उच्च मांसाहारी कहलाते हैं, क्योंकि इस पारितन्त्र में इन्हें खाने वाला दूसरा जीव नहीं होता। बाज, मोर इसी श्रेणी में रखे जाते हैं।
  • अपघटक-अनेक प्रकार के सूक्ष्मजीवी कवक जीवाणु एवं एक्टिनोमाइसीट्स घास के मैदान के अपघटक होते हैं। ये उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं के मृत शरीर व उत्तार्जी पदार्थों को विघटित करके उन्हें पुनः अजीवित घटकों में बदल देते हैं, जो पुनः पेड़-पौधों को प्राप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
पारिस्थितिक तंत्र में खनिजों के चक्रीकरण को समझाइये।
उत्तर
जैव-भूगर्भीय रासायनिक चक्र—पारितन्त्र या प्रकृति में पोषक पदार्थों और मानव निर्मित वस्तुओं सहित (रासायनिक खादों, दवाओं इत्यादि के रूप में प्रयुक्त पदार्थ) दूसरे कई अन्य पदार्थ अजीवीय से जीवीय और पुन: अजीवीय घटकों में एक चक्र के रूप में प्रवाहित होते रहते हैं, इस चक्र को जैव-भूगर्भीय रासायनिक चक्र या खनिजों का चक्रीकरण कहते हैं। प्रमुख चक्र हैं N2 चक्र, O2 चक्र, कार्बन चक्र आदि।

सल्फर चक्र-प्रकृति में यह तत्व रूप में मिलती है, कुछ जीवाणु इसे सल्फेट में बदल देते हैं, जिसे पौधे ग्रहण कर लेते हैं, पौधों से यह जन्तुओं में आती है और जब ये सब मरते हैं, तब जीवाणु इन्हें H2S और तात्विक रूप में मुक्त कर देते हैं, जो जीवाणुओं द्वारा पुनः SC के रूप में रूपान्तरित कर दी जाती है
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 19

कैल्सियम चक्र-भूमि से पादप Ca को लवण के रूप में ग्रहण करते हैं उनसे इसे जन्तु ग्रहण करते हैं, जहाँ यह अस्थियों के कवचों में उपस्थित रहता है। जब पादप एवं जन्तु मरते हैं, तब इनके शरीर का अपघटन जीवाणुओं द्वारा किया जाता है और इनके शरीर की Ca को फिर से प्रकृति में मुक्त कर दिया जाता है
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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1

प्रश्न 1 व 2 में दिए गए आँकड़ों के लिए माध्य के सापेक्ष विचलन ज्ञात कीजिए :
प्रश्न 1.
4, 7, 8, 9, 10, 12, 13, 17.
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-1

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प्रश्न 2.
38, 70, 48, 40, 42, 55, 63, 46, 54, 44.
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-2

प्रश्न 3 व 4 के आँकड़ों के लिए माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए :
प्रश्न 3.
13, 17, 16, 14, 11, 13, 10, 16, 11, 18, 12, 17.
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-3

प्रश्न 4.
36, 72, 46, 42, 60, 45, 53, 46, 51, 49.
हल:
दिए हुए आँकड़ों को आरोही क्रम में लिखने पर
36, 42, 45, 46, 46, 49, 51, 53, 60, 72
n = 10
∴ \(\frac{10}{2}\) = 5 वाँ पद = 46, और 5 + 1 = 6वाँ पद = 49
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प्रश्न 5 व 6 के आँकड़ों के लिए माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए :
प्रश्न 5.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-5
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-6

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प्रश्न 6.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-7
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-8

प्रश्न 7 व 8 के आँकड़ों के लिए माध्यिका के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए :
प्रश्न 7.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-9
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-10

प्रश्न 8.
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हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-12

प्रश्न 9 व 10 के आँकड़ों के लिए माध्य के सापेक्ष माध्य विचलन ज्ञात कीजिए।
प्रश्न 9.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-13
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-14
= 157.92.

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प्रश्न 10.
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हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-16

प्रश्न 11.
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हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 15 सांख्यिकी Ex 15.1 img-18
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प्रश्न 12.
नीचे दिए गए 100 व्यक्तियों की आयु के बंटन की माध्यिका आयु के सापेक्ष माध्य विचलन की गणना कीजिए :
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हल:
दिए गए आँकड़ों की सतत बारंबारता बंटन में बदलते हुए :
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