MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

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हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए –
(i) 2 – क्लोरो 3 – मेथिलपेन्टेन
(ii) 1- क्लोरो 4- एथिलसाइक्लोहेक्सेन।
(iii) 4-तृतीयक ब्यूटिल 3 – आयोडोहेप्टेन।
(iv) 1, 4 डाइब्रोमोब्यूट 2 – ईन
(v) 1 – ब्रोमो 4 – द्वितीयक ब्यूटिल 2 – मेथिलबेंजीन
उत्तर
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प्रश्न 2.
एल्कोहॉल तथा KI की अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग क्यों नहीं करते हैं ?
उत्तर
H2SO4 एक ऑक्सीकारक है। ये HI को I2 में ऑक्सीकृत करता है तथा एल्कोहॉल तथा HI के बीच अभिक्रिया को रोकता है। जिनमें ये एल्काइल आयोडाइड बनाते हैं।
KI + H2SO4 → KHSO4 + HI
2HI + H2SO4 → I2 + 2H2O+ SO2).
इस कठिनाई को दूर करने के लिये अभिकर्मक जो ऑक्सी-कारक न हो जैसे-H3PO4, H2SO4 की जगह उपयोग करते हैं।

प्रश्न 3.
प्रोपेन के विभिन्न डाइ हैलोजन व्युत्पन्नों की संरचना लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 4.
C5H12 अणुसूत्र वाले समावयवी एल्केनों में से उसको पहचानिये जो प्रकाश रासायनिक – क्लोरीनीकरण पर देता है।।
(i) केवल एक मोनोक्लोराइड
(ii) तीन समावयवी मोनोक्लोराईड
(iii) चार समावयवी मोनोक्लोराइड।
उत्तर
(i)
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(ii)
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c हाइड्रोजन के विस्थापन से चार मोनोक्लोराइड समावयवी देगा।

(iii)
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हाइड्रोजन परमाणुओं के विस्थापन से चार समावयवी मोनो-क्लोराइड देता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया के मुख्य मोनोहैलो उत्पाद की संरचना बनाइए –
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उत्तर
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प्रश्न 6.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
(i) ब्रोमोमेथेन, ब्रोमोफॉर्म, क्लोरोमेथेन, डाइब्रोमोमेथेन।
(ii) 1-क्लोरोप्रोपेन, आइसोप्रोपिल क्लोराइड, 1-क्लोरो ब्यूटेन।
उत्तर
(a) समान एल्किल समूह के लिये उनके क्वथनांक हैलोजन परमाणु के अणुभार बढ़ने के साथ बढ़ते हैं।
(b) समान हैलोजन के लिये शाखा बढ़ने के साथ क्वथनांक घटते हैं। इस आधार पर निम्न क्रम की भविष्यवाणी की जाती है।
(i) क्लोरोमेथेन < ब्रोमोमेथेन < डाइक्लोरोमेथेन < ब्रोमोफॉर्म
(ii) ऑइसोप्रोपाइल क्लोराइड < 1-क्लोरोप्रोपेन < 1-क्लोरो-ब्यूटेन।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित युग्मों में से आप कौन-से ऐल्किल हैलाइड द्वारा SN2 क्रियाविधि से अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करने की अपेक्षा करते हैं ? अपने उत्तर को समझाइए।
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उत्तर
यदि किसी निश्चित सूत्र के विभिन्न समावयवियों में निकलने वाले समूह समान हों, तो समावयवियों की क्रियाशीलता SN2 अभिक्रिया के लिये त्रिविम बाधा के साथ घटती है।
(i) CH3CH2CH2CH2Br एक 1° एल्किल हैलाइड है,
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(ii)
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तेजी से क्रिया करती है क्योंकि 3° एल्किल हैलाइड में ज्यादा त्रिविम बाधा (2° से) होती है।

(iii)
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ये 1° एल्किल हैलाइड है, परन्तु (II) में CH, समूह C, परमाणु पर है जो Br के निकट है (ज्यादा त्रिविम बाधा उत्पन्न करता है) जो C,
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प्रश्न 8.
हैलोजन यौगिकों के निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा यौगिक तीव्रता से SNI अभिक्रिया करेगा –
(i)
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(ii)
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उत्तर
एल्किल हैलाइड की S1 अभिक्रिया की क्रियाशीलता माध्यमिक कार्बोकेटायन के स्थायित्व पर निर्भर करती है – 3°>2° >1°
(i)
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(ii)
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित में A, B, C, D, E, R तथा R’ को पहचानिये: –
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चूंकि D उस C परमाणु जिस पर MgBr या Br उपस्थित होता है, से जुड़ा होता है, अतः
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हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित हैलाइडों के नाम आई.यू.पी.ए.सी. पद्धति से लिखिए तथा उनका वर्गीकरण, ऐल्किल ऐलाइलिक, बेन्जाइलिक (प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक) वाइनिल अथवा ऐरिल हैलाइड . के रूप में कीजिए –
(i) (CH3)2CHCH(Cl)CH3
(ii) CH3CH2CH(CH3)CH(C2H5)Cl
(iii) CH3CH2C(CH3)2CH2I
(iv) (CH3)3CCH2CH(Br) C6H5
(v) CH3CH(CH3)CH(Br)CH3
(vi) CH3C(C2H5)2CH2Br
(vii) CH3C(Cl)(C2H5)CH2CH3
(viii) CH3CH = C(Cl)CH2CH(CH3)2
(ix) CH3CH = CHC(Br) (CH3) 2
(x) p-ClC6H4CH2CH(CH3)2
(xi) m-ClCH2C6H4CH2C(CH3)3
(xii) o-Br-C6H4CH(CH3)CH2CH3
उत्तर
(i) 2-क्लोरो 3-मिथाइलब्यूटेन (2° एल्काइल)
(ii) 3-क्लोरो 4-मिथाइलहेक्सेन (2° एल्काइल)
(iii) 1-आयोडो 2, 2-डाइमिथाइलब्यूटेन (1° एल्काइल)
(iv) 1-ब्रोमो 3, 3-डाइमिथाइल 1-फिनाइल ब्यूटेन (2° बेन्जाइलिक)
(v) 2-ब्रोमो 3-मिथाइलब्यूटेन (2° एल्काइल)
(vi) 3-ब्रोमोमिथाइल 3-मिथाइलपेन्टेन (1° एल्काइल)
(vii) 3-क्लोरो 3-मिथाइलपेन्टेन (3° एल्काइल)
(viii) 3-क्लोरो 5-मिथाइल हेक्स -2-ईन (विनाइल)
(ix)4-ब्रोमो 4-मिथाइल पेन्ट -2- ईन (एलाइलिक)
(x) 1-क्लोरो 4-(2 मिथाइल-प्रोपाइल) बेंजीन (एराइल) या p-क्लोरो आइसोब्यूटाइल बेंजीन
(xi) 1-क्लोरोमिथाइल 3-(2’2′ डाइइथाइल प्रोपाइल) बेंजीन (बेन्जाइलिक) या m-नियोपेन्टाइल बेंजाइल क्लोराइड
(xii) 1-ब्रोमो 2-(1 मिथाइल प्रोपाइल) बेंजीन (एराइल)।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए –
(i) CH3CH(Cl)CH(Br)CH3
(ii) CHF2CBrClF
(iii) ClCH2C ≡ CCH2Br
(iv) (CCl3)3CCl
(v) CH3C(p-CIC6H4)2CH(Br)CH3
(vi) (CH3)3CCH =ClC6H4I-p
उत्तर
(i)2-ब्रोमो 3- क्लोरोब्यूटेन
(ii) 1-ब्रोमो 1-क्लोरो 1, 2, 2 ट्राइफ्लुओरोएथेन
(iii) 1-ब्रोमो 4- क्लोरोब्यूट-2-आइन
(iv) 1, 1, 1, 2, 3, 3, 3 हेप्टाक्लोरो 2-(ट्राइक्लोरोमिथाइल) प्रोपेन
(v) 3-ब्रोमो 2, 2 बिस (4′- क्लोरोफिनाइल) ब्यूटेन
(vi) 1-क्लोरो 1-(4′-आयोडोफिनाइल) 3, 3-डाइमिथाइल ब्यूट -1-ईन।।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित कार्बनिक हैलोजन यौगिकों की संरचना दीजिए(i) 2-क्लोरो 3-मेथिलपेन्टेन ।
(ii)p-ब्रोमो क्लोरोबेन्जीन
(ii) 1-क्लोरो 4-एथिलसाइक्लोहेक्सेन
(iv) 2-(2-क्लोरोफेनिल)-1-आयोडोऑक्टेन
(v) परफ्लुओरोबेन्जीन
(vi) 4-तृतीयक ब्यूटिल 3-आयोडोहेप्टेन
(vii) 1-ब्रोमो 4-द्वितीयक ब्यूटिल 2-मेथिल बेन्जीन
(viii) 1, 4-डाइब्रोमोब्यूट-2-ईन।
उत्तर
(i)
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(ii)
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(iii)
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(iv)
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(v)
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(vi)
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(vii)
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(viii)
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसका द्विध्रुव आघूर्ण सर्वाधिक होगा –
(1) CH2Cl2
(ii) CHCl3
(iii) CCl4
उत्तर
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CCl4 (iii) सममित हैं, तथा परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है। CHCl3 (ii) में दो C-Cl का परिणामी द्विध्रुव C-H तथा C-Cl बंध के परिणामी द्विध्रुव द्वारा विरोध किया जाता है। इसलिये अन्तिम अनुमानित परिणामी द्विध्रुव पहले से कम होगा, इसलिये CHCl3 में निश्चित द्विध्रुव-आघूर्ण (1.03 D) होगा। CH2Cl2 (j) में दो C-Cl का परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण दो C-H द्विध्रुवों के परिणामी द्विध्रुव की अपेक्षा मजबूत होता है। अत: CH2Cl2 (1.62 D) का द्विध्रुव आघूर्ण CHCl3 से ज्यादा होगा।
अर्थात् CH2Cl2 में उच्चतम द्विध्रुव आघूर्ण होगा।

प्रश्न 5.
एक हाइड्रोकार्बन C5H10 अंधेरे में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता परन्तु सूर्य के तीव्र प्रकाश में केवल एक मोनोक्लोरो यौगिक C5H9Cl देता है। हाइड्रोकार्बन की संरचना क्या है ?
उत्तर
(i) अणुसूत्र यह सुझाव देता है कि यह या तो साइक्लो-एल्केन है या एल्केन। .
(ii) क्योंकि हाइड्रोकार्बन Cl2 के साथ अंधेरे में क्रिया नहीं करते, अतः ये एल्केन नहीं होंगे। ये साइक्लोएल्केन होंगे। .
(iii) हाइड्रोकार्बन Cl2 से तीव्र सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्रिया केर एकल मोनोक्लोरो यौगिक C5H9Cl देगा, अतः सभी 10-H परमाणु साइक्लोएल्केन में समतुल्य होंगे।
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प्रश्न 6.
C4H9Br सूत्र वाले यौगिक के सभी समावयवी लिखिए।
उत्तर
C4H9Br के सभी समावयवी उनके साधारण नामों के साथ नीचे दिये गये हैं –
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प्रश्न 7.
निम्नलिखित से 1-आयोडोब्यूटेन प्राप्त करने की समीकरण दीजिए –
(i) 1-ब्यूटेनॉल
(ii) 1-क्लोरोब्यूटेन
(iii) ब्यूट-1-इन
उत्तर
(i)
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(ii)
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(iii)
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प्रश्न 8.
उभयधर्मी न्यूक्लियोफाइल क्या होते हैं ? एक उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर
वे न्यूक्लियोफाइल जिनमें दो न्यूक्लियोफिलिक केन्द्र होते हैं, उभयधर्मी न्यक्लियोफाइल कहलाते हैं । उदाहरण, सायनाइड समूह है क्योंकि यह C या N दोनों तरफ से आक्रमण कर निम्न अनुनादी संरचनाओं के कारण कर सकता है –
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित में प्रत्येक युगलों में से कौन-सा यौगिक OF के साथ S2 अभिक्रिया में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा –
(i) CH3Br अथवा CH3I
(ii) (CH3)3CCl अथवा CH3Cl
उत्तर
(i) CH3I, OH के साथ SN2 अभिक्रिया तेजी से करता है। क्योंकि I आयन Br आयन की तुलना में अच्छा निर्मोची या निकलने वाला समूह अपने बड़े आकार के कारण है।
(ii) CH3Cl, (CH3)3CCl में उपस्थित त्रिविम बाधा के कारण इसकी तुलना में तेजी से क्रिया करता है।

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प्रश्न 10.
निम्नलिखित हैलाइडों के एथेनॉल में सोडियम विहाइड्रोहैलोजन के फलस्वरूप बनने वाली सभी ऐल्कीनों की संरचना लिखिए। इसमें से मुख्य ऐल्कीन कौन-सी होगी –
(i) 1-ब्रोमो 1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेन
(ii) missing content
उत्तर
(i) 1-ब्रोमो 1-मिथाइलसाइक्लोहेक्सेन में Br परमाणु के दोनों तरफ की β– हाइड्रोजन समतुल्य होती है, अतः केवल 1-एल्कीन बनेगा।
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(ii)
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क्योंकि एल्कीन (A) सेटजैफ नियमानुसार ज्यादा प्रतिस्थापित होगी। अतः यह ज्यादा स्थायी होगी तथा मुख्य उत्पाद होगा।

(iii)
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प्रश्न 11.
निम्नलिखित परिवर्तन आप कैसे करेंगे(i) एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन
(ii) एथीन से ब्रोमोएथेन
(ii) प्रोपीन से 1-नाइट्रोप्रोपेन
(iv) टॉलुईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(v) प्रोपीन से प्रोपाइन
(vi) एथेनॉल से एथिल फ्लुओराइड
(vii) ब्रोमोमेथेन से प्रोपेनोन
(viii) ब्यूट-1-ईन से ब्यूट-2-ईन
(ix) 1-क्लोरोब्यूटेन से n-ऑक्टेन
(x) बेन्जीन से बाइफेनिल।
उत्तर
(i)
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(ii)
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(iii)
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(iv)
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(v)
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(vi)
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(vii)
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(viii)
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(ix)
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(x)
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प्रश्न 12.
समझाइए क्यों –
(i) क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड की तुलना में कम होता है ?
(ii) ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय है ?
(iii) ग्रिगनार्ड अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए?
उत्तर
(i)
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क्लोरोबेंजीन में sp2 संकरित कार्बन होने के कारण, C – परमाणु ज्यादा विद्युत्ऋणात्मक होता है। (ज्यादा-s-लक्षण) जबकि साइक्लोहेक्साइल क्लोराइड, C-परमाणु sp’ संकरित अर्थात् कम विद्युत्ऋणी (कमs-लक्षण) होता है। इसलिये क्लोरोबेंजीन में C-Clबंध की ध्रुवता साइक्लोहेक्साइल क्लोराइड के C-Cl

बंध से कम हो जाती है। इसके अलावा Cl परमाणु के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के बेंजीन रिंग पर विस्थापनीकरण के कारण क्लोरोबेंजीन में C-Cl बंध पर आंशिक द्विबंध लक्षण आ जाता है जबकि C-Cl बंध साइक्लोहेक्साइल क्लोराइड पर शुद्ध एकल बंध होता है। अतः क्लोरोबेंजीन में C-Cl बंध साइक्लोहेक्साइल क्लोराइड से कम होता है। द्विध्रुव-आघूर्ण आवेश तथा दूरी का गुणनफल होता है। अतः क्लोरोबेंजीन का द्विध्रुव-आघूर्ण साइक्लोहेक्साइल क्लोराइड से कम होता है।

(ii) पानी के अणु में पर्याप्त प्रबल अन्तरआण्विक हाइड्रोजन बंध होता है जिसे तोड़ना एल्किल हैलाइड के लिये कठिन होता है, जो ध्रुवीय स्वभाव के होते हैं। अतः एल्किल हैलाइड पानी में नहीं घुलते तथा अलग परत बनाते हैं।

(iii) ग्रिगनार्ड अभिकर्मक पानी द्वारा तुरन्त विघटित होकर एल्केन बनाते हैं। इसी कारण इन्हें निर्जलीय दशा में बनाया जाता है। इसके बदले में ईथर से-ग्रिगनार्ड अभिकर्मक बनाते समय विलायक की तरह उपयोग करते हैं।

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प्रश्न 13.
फ्रिऑन-12, DDT, कार्बनटेट्राक्लोराइड तथा आयोडोफॉर्म के उपयोग लिखिए।
उत्तर
फ्रिऑन-12-(i) इसे घरेलू रेफ्रिजरेटर में कूलिंग एजेन्ट के रूप में उपयोग किया जाता है।
(ii) ऐरोसॉल में नोदक के रूप में उपयोग किया जाता है।
डी. डी. टी.-यह एक शक्तिशाली कीटनाशी (Insecticide) और माइटीनाशी है। इसका प्रमुख उपयोग मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को नष्ट करने में होता है। यह स्थायी होता है अंतः वातावरण में बहुत समय तक उपस्थित रहकर प्रदूषण उत्पन्न करता है। मनुष्यों, पक्षियों और मछलियों की कुछ प्रजातियों पर इसका विषैला प्रभाव होता है। आजकल यू.एस.ए. तथा यूरोपीय देशों में इसका प्रयोग प्रतिबन्धित है।

कार्बनटेट्राक्लोराइड – (i) आग बुझाने के लिये पाइरीन के नाम से।
(ii) CHCl तथा फ्रिऑन के औद्योगिक निर्माण में उपयोग किया जाता है।
(iit) तेल, वसा तथा रेजिन के लिये औद्योगिक विलायक के रूप में, इसके इस गुण के कारण ड्राइक्लीनिंग में भी इसका उपयोग होता है।
(iv) हुकवर्म को निकालने के लिए दवाई के रूप में।
आयोडोफॉर्म-इसका उपयोग पहले एंटीसेप्टिक के रूप में किया जाता था, लेकिन इसका यह एंटीसेप्टिक का गुण मुक्त आयोडीन के कारण है, अतः इसकी आपत्तिजनक गंध के कारण भी इसको अन्य रूपों में बदल दिया गया है, जिसमें आयोडीन समाहित हो।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित की प्रत्येक अभिक्रिया में बनने वाले मुख्य कार्बनिक उत्पाद की संरचना लिखिए –
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उत्तर
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प्रश्न 15.
निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए –
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उत्तर
KCN जलीय माध्यम में CN न्यूक्लियोफाइल आयन देता है, जो निम्न का अनुनादी संकर होता है –
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चूँकि CN आयन उभयधर्मी न्यूक्लियोफाइल होता है। अतः ये n-ब्यूटाइल ब्रोमाइड के C-Br बंध की C-परमाणु पर दोनों तरफ अर्थात् या तो C-परमाणु या N-परमाणु की तरफ से आक्रमण करता है। अतः दो संभावित उत्पाद क्रमशः सायनाइड व आइसोसायनाइड होंगे।

परन्तु C-C बंध, C-N बंध की तुलना में ज्यादा स्थायी होता है। अतः आक्रमण C-परमाणु की तरफ से होता है अतः प्रमुख्यतः सायनाइड बनते हैं।
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प्रश्न 16.
SN2 प्रतिस्थापन के प्रति अभिक्रियाशीलता के आधार पर इन यौगिकों के समूहों को क्रमबद्ध कीजिए।
(i) 2-ब्रोमो 2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमोपेन्टेन, 2-ब्रोमोपेन्टेन
(ii) 1-ब्रोमो 3-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो 2-मेथिलब्यूटेन, 3-ब्रोमो 2-मेथिलब्यूटेन।
(iii) 1-ब्रोमोब्यूटेन, 1-ब्रोमो 2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन, 1-ब्रोमो 2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमो 3-मेथिलब्यूटेन।
उत्तर
SN2 अभिक्रिया की क्रियाशीलता त्रिविम बाधा पर निर्भर करती है। त्रिविम बाधा जितनी ज्यादा होगी क्रियाशीलता उतनी कम होगी। अतः विभिन्न एल्किल हैलाइड की SN2 क्रिया के प्रति क्रियाशीलता होती। 1°>2°>3°.
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प्रश्न 17.
C6H5CH2Cl तथा C6H5CHClC6H5 में से कौन-सा यौगिक जलीय KOH से शीघ्रता से जल-अपघटित होगा?
उत्तर
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अत: SN2 क्रियाविधि में अभिक्रिया की क्रियाशीलता त्रिविम बाधा पर निर्भर करती है। अतः C6H5CH2Cl, C6H5CHClC6H5 की तुलना में SN2 दशा में सरलता से जल-अपघटित होता है।

प्रश्न 18.
p-तथा m-समावयवियों की तुलना में p-डाइक्लोरो-बेन्जीन का गलनांक एवं विलेयता उच्च होती है, विवेचना कीजिए।
उत्तर
p-क्लोरोबेंजीन का गलनांक उसके संगत o-तथा m-समावयवी से ज्यादा उच्च होती है जिसके कारण वह क्रिस्टल जालक में o या m-समावयवी की तुलना में फिट हो जाते हैं । अतः इनमें प्रबल अन्तराआण्विक आकर्षण बल ० तथा m-समावयवी से प्रबल होता है m-समावयवी में o-तथा क्रिस्टल जालक को घोलने या तोड़ने के लिये ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में p-समावयवी का गलनांक उच्च तथा उसकी विलेयता संगत m तथा ०-समावयवी से कम होते हैं।

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प्रश्न 19.
निम्नलिखित परिवर्तन कैसे सम्पन्न किए जा सकते हैं ?
(i) प्रोपीन से प्रोपेन -1- ऑल
(ii) एथेनॉल से ब्यूट -1-आइन
(iii) 1-ब्रोमोप्रोपेन से 2-ब्रोमोप्रोपेन
(iv) टॉलुईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(v) बेन्जीन से 4-ब्रोमोनाइट्रोबेन्जीन
(vi) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से 2-फेनिल एथेनोइक अम्ल
(vii) एथेनॉल से प्रोपेन नाइट्राइल
(viii) एनिलीन से क्लोरोबेन्जीन
(ix) 2-क्लोरोब्यूटेन से 3, +डाइमेथिलहेक्सेन
(x) 2-मेथिल 1-प्रोपीन से 2-क्लोरो 2-मेथिलप्रोपेन
(xi) एथिल क्लोराइड से प्रोपेनोइक अम्ल
(xii) ब्यूट-1-ईन से n-ब्यूटिल आयोडाइड
(xiii) 2-क्लोरोप्रोपेन से 1-प्रोपेनॉल
(xiv) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म
(xv) क्लोरोबेन्जीन से p-नाइट्रोफीनॉल
(xvi) 1-ब्रोमोप्रोपेन से 2-ब्रोमोप्रोपेन
(xvii) क्लोरोएथेन से ब्यूटेन
(xviii) बेन्जीन से डाइफेनिल
(xix) तृतीयक-ब्यूटिले ब्रोमाइड से आइसो-ब्यूटिल ब्रोमाइड
(xx) ऐनिलीन से फेनिलआइसोसायनाइड।
उत्तर
(i)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 64

(ii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 65

(iii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 66

(iv)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 67

(v)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 68

(vi)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 69

(vii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 70

(viii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 71

(ix)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 72

(x)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 73

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(xi)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 74

(xii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 75

(xiii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 76

(xiv)
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(xv)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 78

(xvi)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 79

(xvii)
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(xviii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 81

(xix)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 82

(xx)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 83

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प्रश्न 20.
ऐल्किल क्लोराइड की जलीय KOH से अभिक्रिया द्वारा ऐल्कोहॉल बनता है लेकिन ऐल्कोहॉलिक KOH की उपस्थिति में ऐल्कीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। समझाइए।
उत्तर- पानी की उपस्थिति में KOH पूर्णतः वियोजित होकर OH देता है जो एल्किल हैलाइड में प्रतिस्थापन के लिये प्रबल न्यूक्लियोफाइल का काम करके एल्किल हैलाइड से एल्कोहॉल बनाता है। इसके अलावा जलीय विलयन में OH आयन ज्यादा वियोजित (जलयोजित) होते हैं । ये जलयोजन OH आयन के क्षारीय गुण को कम करता है, जो एल्किल हैलाइड की β-कार्बन से प्रोटॉन का अपोहन कर एल्कीन बनाने में असफल हो जाता है। एल्कोहॉलीय माध्यम में (H2O से कम ध्रुवीय) OH कम जलयोजित होते हैं, अतः प्रबल क्षार की तरह कार्य करते हैं तथा β-कार्बन से प्रोटॉन निकालकर एल्कीन मुख्य उत्पाद (विहाइड्रो-हैलोजनीकरण) बनाता है। इसके अलावा एल्कोहॉलीय विलयन में OH आयन के अलावा एथॉक्साइड आयन C2H5O है जो OH से प्रबल क्षार है, तथा प्रोटॉन त्याग कर एल्कीन बनाता है।

प्रश्न 21.
प्राथमिक से ऐल्किल हैलाइड C4H9Br (A), ऐल्कोहॉलिक KOH से अभिक्रिया द्वारा यौगिक (B) देता है। यौगिक ‘B’ HBr के साथ अभिक्रिया से यौगिक ‘C’ देता है जो कि यौगिक ‘A’ का समावयवी है। जब यौगिक ‘A’ की अभिक्रिया सोडियम धातु से होती है तो यौगिक ‘D’ C8H18 बनाता है, जो कि ब्यूटिलब्रोमाइड की सोडियम से अभिक्रिया द्वारा बने उत्पाद से भिन्न है।यौगिक ‘A’ का संरचना सूत्र दीजिए तथा सभी अभिक्रियाओं की समीकरण दीजिए।
उत्तर
दिये गये C4H9Br 1° एल्किल हैलाइड के संभावित दो समावयवी है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 84

प्रश्नानुसार यौगिक A सोडियम के साथ क्रिया द्वारा समान उत्पाद नहीं बनाता है। जो n-ब्यूटिलब्रोमाइड बनाता है। इसलिये A(I) नहीं होगा।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 85

अतः (II) सही समावयवी होगा।
सम्पूर्ण अभिक्रिया के लिये समीकरण होगा –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 86

प्रश्न 22.
तब क्या होता है, जब
(i) n-ब्यूटिलक्लोराइड को ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिकृत किया जाता है ?
(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में ब्रोमोबेंजीन की अभिक्रिया मैग्नीशियम से होती है ?
(iii) क्लोरोबेन्जीन का जल-अपघटन किया जाता है ?
(iv) एथिलक्लोराइड की अभिक्रिया जलीय KOH से होती है ?
(v)शुष्क ईथर की उपस्थिति में मेथिलब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम से होती है ?
(vi) मेथिलक्लोराइड की अभिक्रिया KCN से होती है ?
गर्म
उत्तर
(i)
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(ii)
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(ii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 88

(iv)
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(v)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन - 91

(vi)
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हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा यौगिक AgNO, विलयन के साथ पीला अवक्षेप देगा-
(a) KIO3
(b) CHI3
(c) KI
(d) CH2I2.
उत्तर
(c) KI

प्रश्न 2.
एथिल ब्रोमाइड की लेड सोडियम मिश्र धातु के साथ क्रिया करने पर बनता है –
(a) टेट्राएथिल लेड
(b) टेट्रा एथिल ब्रोमाइड
(c) दोनों
(d) कोई नहीं।
उत्तर
(a) टेट्राएथिल लेड

प्रश्न 3.
अभिक्रिया CH3Br + OH → CH3 – OH + Br है –
(a) इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन
(b) इलेक्ट्रॉनस्नेही योग
(c) नाभिकस्नेही योग
(d) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन ।
उत्तर
(d) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन ।

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प्रश्न 4.
जब एसीटिलीन HCI के साथ योग करता है तो बनने वाला उत्पाद है –
(a) CH2 = CH – Cl
(b) CH3 – CH – C2.
(c) Cl – CH = CH – Cl
(d) कोई नहीं।
उत्तर
(b) CH3 – CH – C2.

प्रश्न 5.
ऐरिल हैलाइड में हैलोजन परमाणु से जुड़ा कार्बन होता है –
(a) sp संकरित
(b) sp2 संकरित
(c) sp3 संकरित
(d) sp3d संकरित।
उत्तर
(b) sp2 संकरित

प्रश्न 6.
SN1 प्रक्रिया में प्रथम पद में निर्माण होता है –
(a) मुक्त मूलक का
(b) कार्ब ऐनायन
(c) कार्ब धनायन
(d) अंतिम उत्पाद।
उत्तर
(c) कार्ब धनायन

प्रश्न 7.
क्लोरो बेंजीन, SN2 क्लोरल तथा सान्द्र H2SO4 के साथ क्रिया करके बनाता है
(a) P.V.C.
(b) T.N.T.
(c) B.H.U.
(d) D.D.T.
उत्तर
(d) D.D.T.

प्रश्न 8.
CH3OH + OH → CH3.OH + Br है –
(a) SN1
(b) SN2
(c) SE-1
(d) SE-2
उत्तर
(b) SN2

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प्रश्न 9.
निम्न यौगिक रजत चूर्ण के साथ गर्म करने पर ऐसीटिलीन देता है
(a) CH2I2
(b) CH3I
(c) CHI3
(d) Cl4
उत्तर
(c) CHI3

प्रश्न 10.
आग बुझाने के लिए पायरीन का उपयोग निम्न में से किसी एक के द्वारा होता है –
(a) CO2
(b) CH2Cl2
(c) CCl4
(d) CH2 = CHCl.
उत्तर
(c) CCl4

प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा यौगिक फ्रिऑन के नाम से जाना जाता है –
(a) CHCl3
(b) CCl4
(c) CCl2F2
(d) CF4
उत्तर
(c) CCl2F2

प्रश्न 12.
एथिल आयोडाइड को ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ गर्म करने पर प्राप्त होगा –
(a) एथेनॉल
(b) एथेन
(c) एसीटिलीन
(d) एथिलीन।
उत्तर
(d) एथिलीन।

प्रश्न 13.
C2H5-OH को आयोडीन और क्षार के साथ गर्म करने पर बनता है –
(a) CH3I
(b) CHI3
(c) CH3 – CHO
(d) CHCl3.
उत्तर
(b) CHI3

प्रश्न 14.
निम्न में से कौन-सा रासायनिक सूत्र क्लोरो पिक्रिन का है –
(a) CCl3 – CHO
(b) C(NO2)Cl3
(c) CH3-C(NO2)Cl2
(d) CCl3-NH2
उत्तर
(b) C(NO2)Cl3

प्रश्न 15.
CH,I, CH,Br तथा CHICI अणुओं की ध्रुवता का क्रम है –
(a) CH2Br > CH2Cl>CH3I
(b) CH3I > CH3Br > CH2Cl
(c) CH3Cl > CH3Br > CH3I
(d) CH3Cl > CH3I > CH3Br.
उत्तर
(c) CH3Cl > CH3Br > CH3I

प्रश्न 16.
ऐल्किल हैलाइडों की क्रियाशीलता का सही क्रम होगा –
(a) आयोडाइड > ब्रोमाइड > क्लोराइड
(b) आयोडाइड < ब्रोमाइड < क्लोराइड
(c) ब्रोमाइड > आयोडाइड > क्लोराइड
(d) ब्रोमाइड < क्लोराइड > आयोडाइड।
उत्तर
(a) आयोडाइड > ब्रोमाइड > क्लोराइड

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प्रश्न 17.
आयोडोफॉर्म को सिल्वर चूर्ण के साथ गर्म करने पर बनता है –
(a) ऐल्केन
(b) एथिलीन
(c) एसीटिलीन
(d) आइसोसाइनाइड।
उत्तर
(c) एसीटिलीन

प्रश्न 18.
रेशिग विधि निम्न में से किसके निर्माण में प्रयुक्त होती हैं –
(a) क्लोरोबेंजीन
(b) बेंजीन
(c) टालुईन
(d) नाइट्रो बेंजीन।
उत्तर
(a) क्लोरोबेंजीन

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. क्लोरोफॉर्म को खुला छोड़ने पर बनने वाला हानिकारक उत्पाद का सूत्र ………….. है।
  2. ऐल्किल हैलाइड का सामान्य सूत्र ……………… है।
  3. ऐरोमैटिक प्राथमिक एमीन को क्लोरोफॉर्म और ऐल्कोहॉलीय कॉस्टिक पोटॉश के साथ गर्म करने पर एक दुर्गन्ध युक्त गैस ……………… बनता है।
  4. B.H.C. एक कीटनाशी है, जिसका व्यापारिक नाम …………….. है।
  5. क्लोरीटोन उच्च कोटि की ……………… है।।
  6. SN1 अभिक्रिया ……………… पद में होती है।
  7. हैलो एरीन में प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ मुख्यतः……………… होती हैं।
  8. प्रशीतक फ्रिऑन का सूत्र ……………… है।

उत्तर

  1. COCl2
  2. CnH2n+1
  3. फेनिल आइसो सायनाइड
  4. गैमेक्सीन (या लिण्डेन)
  5. निद्राकारी औषधि
  6. दो,
  7. इलेक्ट्रॉनस्नेही
  8. CCl2F2.

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3. उचित सम्बन्ध जोडिए –
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उत्तर

  1. (d)
  2. (e)
  3. (f)
  4. (b)
  5. (c)
  6. (g)
  7. (a).

4. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. बेंजीन को मेथिल क्लोराइड के साथ निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में क्रिया करने पर टॉलुईन बनता है। इस अभिक्रिया का नाम क्या है ?
  2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय प्रकृति का होता है फिर भी जल में अविलेय है।
  3. ऐल्किल हैलाइड के सोडियम धातु के साथ गर्म करने पर बनता है।
  4. बेंजीन डाइएजोनियम लवण को क्युप्रस हैलाइड और उसके संगत अम्ल के साथ गर्म करने पर हैलो ऐरीन बनता है । इस अभिक्रिया का नाम लिखिए।
  5. आयोडो बेंजीन कॉपर चूर्ण के साथ 200°C पर गर्म करने पर प्राप्त होता है।
  6. बेंजीन को सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में Cl2 के साथ क्रिया कराने पर बनता है।
  7. क्लोरोबेंजीन बनाने की प्रयोगशाला विधि का नाम लिखिए।
  8. प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड में होने वाली नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया की क्रिया-विधि का नाम लिखिए।

उत्तर

  1. फ्रीडल क्रॉफ्ट अभिक्रिया
  2. हाइड्रोजन बन्ध नहीं बनाने के कारण
  3. ऐल्केन
  4. सैण्डमेयर अभिक्रिया
  5. डाइफेनिल
  6. B.H.C.
  7. रेशिग विधि
  8. द्विअणुक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया।

हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन  लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
(i) आयोडोफॉर्म अभिक्रिया लिखिए।
(ii) AgNO3 विलयन के साथ CHI3 पीला अवक्षेप देता है जबकि क्लोरोफॉर्म नहीं देता, क्यों?
(iii) क्या होता है, जब ऐथिल ब्रोमाइड को ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ गर्म किया जाता है ?
उत्तर
(i) एथिल ऐल्कोहॉल या ऐसीटोन को I2 और NaOH के साथ गर्म करने पर पीले रंग का क्रिस्टल बनता है। इसे आयोडोफॉर्म या हैलोफॉर्म अभिक्रिया कहते हैं।
C2H5OH + 4I2 + 6NaOH → 5Nal + HCOONa + 5H2O + CHI3

(ii) आयोडोफॉर्म में C-I बन्ध क्लोरोफॉर्म के C-Cl बन्ध की तुलना में कमजोर होता है। अतः CHI3, AgNO3 के साथ Agl का पीला अवक्षेप बनाता है, किन्तु CHCl3 अवक्षेप AgCl नहीं बनाता।

(iii) एथिल ब्रोमाइड को एल्कोहॉलीय KOH के साथ उबालने पर एथिलीन बनता है।
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प्रश्न 2.
सैण्डमेयर अभिक्रिया को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर
सैण्डमेयर अभिक्रिया-ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को HNO2 के साथ 0°C से 5°C ताप पर अभिक्रिया कराने पर बेंजीन डाइऐजोनियम लवण बनता है जो क्यूप्रस और उसके संगत हैलोजन अम्ल की उपस्थिति में विघटित होकर हैलोएरीन देते हैं।
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प्रश्न 3.
क्लोरोबेंजीन और क्लोरल की सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में होने वाली अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
अथवा, डी.डी.टी. कैसे बनता है ? इसका एक उपयोग लिखिए।
उत्तर
जब क्लोरल को सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में क्लोरोबेंजीन के साथ संघनित करते हैं, तो डी. डी. टी. अर्थात् डाइक्लोरो डाइफेनिल ट्राइक्लोरोएथेन बनता है।
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उपयोग-यह एक शक्तिशाली कीटनाशी है।

प्रश्न 4.
जैम-डाइहैलाइड और विस-डाइहैलाइड किसे कहते हैं ?
उत्तर
जब हाइड्रोकार्बन के एक ही कार्बन परमाणु पर दोनों हैलोजन परमाणु जुड़े हों तो उसे जैमडाइहैलाइड (Gem-Dihalide) कहते हैं। Gem mean geminal अर्थात् Same position.
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जब दो हैलोजन परमाणु निकटस्थ दो विभिन्न कार्बन परमाणुओं से जुड़े हों, तो उसे विस-डाइहैलाइड (Vis-dihalide) कहते हैं। Vis-means vicinal जिसका अर्थ है- Adjacent position.
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प्रश्न 5.
ल्यूकॉस अभिकर्मक क्या है ? इसका क्या उपयोग है ?
उत्तर
ल्यूकॉस अभिकर्मक-जिंक क्लोराइड का सान्द्र HCl में विलयन ल्यूकॉस अभिकर्मक कहलाता है। उपयोग-इसका उपयोग प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक ऐल्कोहॉलों में भेद करने के लिए किया जाता है।
ऐल्कोहॉल में ल्यूकॉस अभिकर्मक मिलाने पर यदि तत्काल (20-30 सेकेण्ड में) अवक्षेप या धुंधलापन प्राप्त हो तो वह तृतीयक ऐल्कोहॉल है। यदि लगभग 5 मिनट बाद अवक्षेप बने तो द्वितीयक ऐल्कोहॉल तथा यदि अवक्षेप बिल्कुल न बने तो प्राथमिक ऐल्कोहॉल है।

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प्रश्न 6.
कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया को समझाइए एवं उसका एक उपयोग लिखिए।
उत्तर
कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया–ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को CHCl3 तथा ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ गर्म करने से तीव्र दुर्गन्ध युक्त फेनिल आइसोसायनाइड (कार्बिल ऐमीन) बनता है। इसका उपयोग क्लोरोफॉर्म परीक्षण तथा प्राथमिक ऐमीन परीक्षण में किया जाता है।
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प्रश्न 7.
666 क्या है ? इसके बनाने की विधि दीजिए एवं कृषि में इसका उपयोग बताइये।
उत्तर
बेंजीन को Cl2 के साथ सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में क्रिया कराने पर B.H.C. बनता है। इसे 666 – या गैमेक्सेन या लिण्डेन या 1, 2, 3, 4, 5, 6, हेक्साक्लोरो साइक्लोहेक्सेन भी कहते हैं।
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उपयोग-यह कृषि में कीटनाशी के रूप में उपयोगी है।

प्रश्न 8.
क्लोरोबेंजीन की निम्न अभिक्रियाओं को समझाइए(a) अंधेरे में FeCl3 की उपस्थिति में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया। (b) फिटिग अभिक्रिया।
उत्तर
(a) क्लोरोबेंजीन, क्लोरीन से FeCl3 की उपस्थिति में अंधेरे से क्रिया करके o-डाइक्लोरो बेंजीन तथा p-डाइक्लोरो बेंजीन बनाता है।
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(b) फिटिग (Fittig) अभिक्रिया- जब एरिल हैलाइड के दो अणु Na धातु के साथ शुष्क ईथर की उपस्थिति में क्रिया करते हैं तो डाइफेनिल बनाते हैं, इसे फिटिग अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 9.
क्लोरोफॉर्म से निम्नलिखित को आप किस प्रकार प्राप्त करेंगे, समीकरण लिखिए –
(a) मेथेन, (b) ऐसीटिलीन, (c) कार्बन टेट्राक्लोराइड।
उत्तर
(a) Zn और H2O द्वारा अपचयन से मेथेन बनता है।
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(b) क्लोरोफॉर्म को रजत चूर्ण के साथ गर्म करने पर ऐसीटिलीन बनता है।
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(c) क्लोरोफॉर्म सूर्य के प्रकाश में क्लोरोनीकृत होकर CCIA बनाता है।
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प्रश्न 10.
टिप्पणी लिखिए –
(a) हुन्सडीकर विधि, (b) रेशिग प्रक्रम।
उत्तर
(a) हुन्सडीकर विधि-ऐरोमैटिक कार्बोक्सिलिक अम्ल के सिल्वर लवण को ब्रोमीन के साथ गर्म करने से ऐरिल ब्रोमाइड बनता है।
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(b) रेशिग विधि (औद्योगिक विधि)-बेंजीन वाष्प, वायु एवं HCl गैस मिश्रण को 503K ताप पर उत्प्रेरक CuCl2 पर से प्रभावित करके क्लोरोबेंजीन बनाया जाता है।
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प्रश्न 11.
फ्रीऑन बनाने की विधि, गुण एवं उपयोग दीजिए।
उत्तर
डाईक्लोरो डाईफ्लुओरो मेथेन, SbCls की उपस्थिति में CCl4 एवं SbF3 की अभिक्रिया से फ्रीऑन बनता है।
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इसका क्वथनांक काफी कम होता है जिसे कमरे के ताप पर दाब बढ़ाकर आसानी से द्रवित कर लिया जाता है।
उपयोग – यह एक विषैला, अज्वलनशील तथा अक्रिय पदार्थ है जो रेफ्रिजरेटर में कूलिंग एजेन्ट के रूप में उपयोग किया जाता है। यह एरोसॉल व फोम में नोदक के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 12.
(i) एथिल आयोडाइड का क्वथनांक एथिल ब्रोमाइड से अधिक होता है। कारण लिखिए।
(i) क्या कारण है कि पैराडाइक्लोरो बेंजीन का गलनांक ऑर्थो एवं मेटा समावयवियों से अधिक होता है ?
उत्तर
(i) समान ऐल्किल समूह वाले ऐल्किल हैलाइडों के क्वथनांक उनमें उपस्थित हैलोजन परमाणु के परमाणु भार में वृद्धि के साथ बढ़ते हैं। एथिल आयोडाइड का अणुभार एथिल ब्रोमाइड से अधिक होता है इसलिए एथिल आयोडाइड का क्वथनांक अधिक होता है।
(ii) डाइक्लोरो बेंजीन का पैरा समावयवी ऑर्थो एवं मेटा समावयवियों की तुलना में अधिक सममित होता है तथा क्रिस्टल लैटिस में अच्छी तरह व्यवस्थित होता है, इस कारण पैरा डाइक्लोरोबेंजीन का गलनांक ऑर्थो एवं मेटा समावयवियों से अधिक होता है।

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प्रश्न 13.
ऐल्किल हैलाइडों के प्रमुख न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ दीजिए।
उत्तर
न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ – (i) जल-अपघटन – OH समूह द्वारा प्रतिस्थापन-ऐल्किल हैलाइड HCI को जल या जलीय KOH के साथ जल-अपघटन कराने पर ऐल्कोहॉल बनता है।
C2H5Br + KOH → C2H5OH + KBr

(ii) -OR समूह द्वारा विस्थापन (ईथर का बनना)-ऐल्किल हैलाइड, सोडियम एल्कॉक्साइड (NaOR) या Ag2O के साथ क्रिया करके हैलोजन परमाणु को-OR समूह द्वारा विस्थापित करके ईथर बनाते हैं।

C2H5Br + NaOC2H5 → (C2H5OC2H5 + NaBr)
2C2H5I + Ag2O → (C2H5)2O + 2AgI

(iii)-CN समूह द्वारा प्रतिस्थापन-ऐल्किल हैलाइड जलीय या एल्कोहॉलीय KCN से क्रिया करके ऐल्किल सायनाइड बनाते हैं।

C2H5Cl + KCN → C2H5CN + KCl

(iv) अभिक्रिया के साथ क्रिया (हॉफमैन विधि)-एल्किल हैलाइड को NH3 के जलीय या ऐल्कोहॉलीय विलयन के साथ बंद नली में 100°C पर गर्म करने पर विभिन्न ऐमीन का मिश्रण प्राप्त होता है। .
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प्रश्न 14.
प्रयोगशाला में क्लोरोबेंजीन बनाने की विधि का समीकरण लिखिए तथा इसकी नाइट्रीकरण और सल्फोनीकरण क्रियाएँ लिखिए।
उत्तर
प्रयोगशाला में लौह चूर्ण या आयोडीन की उपस्थिति में गर्म बेंजीन विलयन में शुष्क क्लोरीन प्रवाहित करके क्लोरोबेंजीन प्राप्त किया जाता है।
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नाइट्रीकरण क्रिया – क्लोरोबेंजीन सान्द्र नाइट्रिक अम्ल के साथ सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में गर्म करने पर ऑर्थो तथा पैरा नाइट्रोक्लोरोबेंजीन का मिश्रण बनाता है।
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सल्फोनीकरण क्रिया – सान्द्र H2SO4 के साथ क्लोरोबेंजीन को गर्म करने पर ऑर्थो तथा पैरा क्लोरोबेंजीन सल्फोनिक अम्लों का मिश्रण प्राप्त होता है।
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प्रश्न 15.
एथिल आयोडाइड की निम्न के साथ होने वाली अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिए
(1) Pb-Na मिश्रधातु
(2) Mg धातु
(3) AgNO2
(4) सोडियम धातु के साथ।
उत्तर
(1) Pb – Na मिश्रधातु के साथ-एथिल आयोडाइड Pb – Na मिश्र धातु के साथ क्रिया करके T.E.L. बनाते हैं।
4C2H5I + 4Pb / Na→(C2H5)4 Pb+3Pb+4NaI

(2) Mg धातु के साथ-एथिल आयोडाइड शुष्क ईथर विलायक की उपस्थिति में Mg धातु से क्रिया करके ग्रिगनार्ड अभिकर्मक बनाता है।
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(3) AgNO2 के साथ-नाइट्रो एथेन मुख्य रूप से बनता है।
C2H5I + AgNO2 → C2H5NO2 + AgI

(4) सोडियम धातु के साथ-एथिल आयोडाइड को Na धातु के साथ ईथर की उपस्थिति में गर्म करते हैं तो ब्यूटेन बनता है।
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प्रश्न 16.
डाइ-क्लोरो एथेन के बनाने की विधि लिखिए। इसके मुख्य गुण तथा उपयोग बताइए।
उत्तर-डाइ-क्लोरोएथेन बनाने की विधि-एथेन के दो H-परमाणुओं को दो हैलोजन परमाणुओं से विस्थापित कराते हैं तो डाइ-क्लोरो एथेन प्राप्त होता है।
(1) एथीन-एथिलीन वाष्प या द्रव में CCl4 में विलेय की हुई क्लोरीन गैस प्रवाहित करने पर 1, 2 डाइ क्लोरो एथेन बनता है।
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(2) ग्लाइकॉल-एथेन डाइ-ऑल और HCl अम्ल के मिश्रण को निर्जल ZnCl, की उपस्थिति में पश्चवाहन करने पर 1, 2 डाइ-क्लोरो एथेन बनता है।
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गुण-(1) जलीय KOH के साथ –
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(2) ऐल्कोहॉलीय पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ-गर्म करने पर पहले वाइनिल क्लोराइड और अन्त में अल्प मात्रा में एथाइन बनता है। .
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इस अभिक्रिया में बनने वाला मुख्य यौगिक वाइनिल एथिल ईथर है। यह वाइनिल क्लोराइड से ऐल्को.. कॉस्टिक पोटॉश की अभिक्रिया से बनता है।

CH2= CHCl + HOC2 → H5 + KOHCH2 == CH – O – C2H5 + KCl + H2O

(3) KCN के साथ-पहले डाइसायनो एथेन बनाता है, जिसके जल-अपघटन से सक्सिनिक अम्ल बनाता है, जिसे गर्म करके सक्सिनिक ऐनहाइड्राइड मिलता है।

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(4) जिंक चूर्ण और मेथेनॉल के साथ-जिंक चूर्ण और मेथेनॉल के साथ गर्म करने पर एथिलीन बनता है।

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उपयोग-(1) विलायक के रूप में, (2) अपस्फोटरोधी ईंधन के अवयव के रूप में, (3) पेण्ट को हटाने में।

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प्रश्न 17.
फ्रेंकलैण्ड अभिक्रिया को लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 18.
फ्रीडल-क्रॉफ्ट्स एवं एसिलीकरण अभिक्रिया को समीकरण सहित समझाइए।
उत्तर
फ्रीडल-क्रॉफ्ट्स अभिक्रिया-जब ऐल्किल हैलाइड की अभिक्रिया बेंजीन के साथ निर्जल ऐल्युमिनियम क्लोराइड की उपस्थिति में कराई जाती है तो ऐल्किल बेंजीन प्राप्त होता है।
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एसिलीकरण अभिक्रिया-जब एसीटिल क्लोराइड की अभिक्रिया बेंजीन के साथ निर्जल AICl3, की उपस्थिति में कराते हैं, तो एसीटोफिनोन प्राप्त होता है।
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प्रश्न 19.
निम्न अभिक्रिया में A, B, C, D पहचानिए –
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उत्तर
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प्रश्न 20.
एक ऐल्कोहॉल A सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर ऐल्कीन B देता है।B को ब्रोमीन जल मे प्रवाहित करने पर प्राप्त यौगिक का सोडामाइड की अधिकता द्वारा विहाइड्रोजनीकरण करने पर एक नया यौगिक C बनता है। “C” HgSO4 की उपस्थिति मे H2SO2 से क्रिया कर यौगिक D देता है। A, B, C, D यौगिक पहचानिए।
उत्तर
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हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
टिप्पणी लिखिए
(a) हुन्सडीकर विधि, (b) रेशिग प्रक्रम, (c) कार्बिल-ऐमीन परीक्षण, (d) वेस्ट्रॉन, (e) आयोडोफॉर्म परीक्षण, (f) वु परीक्षण, (g) फ्रेंकलैंड अभिक्रिया, (h) फिटिग अभिक्रिया।
उत्तर
(a) हुन्सडीकर विधि-ऐरोमैटिक कार्बोक्सिलिक अम्ल के सिल्वर लवण को ब्रोमीन के साथ गर्म करने से ऐरिल ब्रोमाइड बनता है।
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(b) रेशिग (Raschig) विधि (औद्योगिक विधि)-बेंजीन वाष्प, वायु एवं HCl गैस मिश्रण को 503K ताफै पर उत्प्रेरक CuCl2 पर से प्रभावित करके क्लोरोबेंजीन बनाया जाता है।
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(c) कार्बिल-ऐमीन अभिक्रिया-ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को CHCl3 तथा ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ गर्म करने से तीव्र दुर्गन्ध युक्त फेनिल आइसोसायनाइड (कार्बिल ऐमीन) बनता है। इसका उपयोग क्लोरोफॉर्म परीक्षण तथा प्राथमिक ऐमीन परीक्षण में किया जाता है।
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(d) वेस्ट्रॉन-सममित टेट्राक्लोरो मेथेन या ऐसीटिलीन टेट्राक्लोराइड (CHCl2—CHCl2) को वेस्ट्रॉन कहते हैं। जिसे ऐसीटिलीन के क्लोरीनीकरण द्वारा बनाया जाता है।
CH ≡ CH + 2Cl2 → CHCl2-CHCl2
यह एक विषैला एवं अज्वलनशील द्रव है, चूने के साथ उबालने पर यह वेस्ट्रॉल बनाता है।

(e) आयोडोफॉर्म-लघु उत्तरीय प्रश्न क्र. 1(i) देखिए।
(f) वु परीक्षण-जब ऐल्किल हैलाइड को सोडियम के साथ शुष्क ईथर की उपस्थिति में गर्म करते हैं तो ऐल्केन बनता है।
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(g) फ्रेंकलैंड अभिक्रिया-जब ऐल्किल हैलाइड को जिंक चूर्ण के साथ गर्म करते हैं तो ऐल्केन बनता है।
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(h) फिटिग (Fittig) अभिक्रिया- जब ऐरिल हैलाइड के दो अणु Na धातु के साथ शुष्क ईथर की उपस्थिति में क्रिया करते हैं तो डाइफेनिल बनाते हैं, इसे फिटिग अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 2.
प्रयोगशाला में क्लोरोफॉर्म किस प्रकार बनाते हैं ? ऐथेनॉल से क्लोरोफॉर्म बनाने की विधि, सिद्धान्त, समीकरण, नामांकित चित्र एवं उपयोग के आधार पर समझाइए।
उत्तर
क्लोरोफॉर्म (CHCl3)-बनाने की प्रयोगशाला विधि-प्रयोगशाला में क्लोरोफॉर्म एथिल ऐल्कोहॉल अथवा ऐसीटोन को विरंजक चूर्ण (Bleaching powder) और जल के साथ अथवा क्लोरीन और NaOH के साथ गर्म करके बनाया जाता है। अभिक्रियाएँ निम्न पदों में होती हैं
सिद्धान्त-(i) विरंजक चूर्ण पर जल की क्रिया से आवश्यक क्लोरीन तथा कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड बनता है।
CaOCl2 + H2O → Ca(OH)2 + Cl2

(ii) क्लोरीन ऑक्सीकारक एवं क्लोरीनीकारक दोनों की ही भाँति कार्य करती है। पहले ऐल्कोहॉल का । ऑक्सीकरण होता है फिर क्लोरीनीकरण होता है।
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(iii) प्रथम पद में बना हुआ कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड, क्लोरल का जल-अपघटन करके क्लोरोफॉर्म बनाता है।
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एथिल ऐल्कोहॉल के स्थान पर ऐसीटोन प्रयुक्त करने पर पहले ट्राइक्लोरोऐसीटोन बनता है जो चूने के पानी (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) से जल-अपघटित होकर क्लोरोफॉर्म बनाता है।
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विधि-प्रयोगशाला में क्लोरोफॉर्म बनाने के लिए एक गोल पेंदी वाले फ्लास्क में 100 g विरंजक चूर्ण तथा 200 ml जल से बनी पेस्ट लेते हैं। इसमें 35 ml ऐथेनॉल अथवा ऐसीटोन डालकर चित्रानुसार उपकरण जमाते हैं।

फ्लास्क को बालू ऊष्मक (Sand bath) पर रखकर धीरे-धीरे गर्म करने पर क्लोरोफॉर्म बनता है जो आसवित होकर ग्राहक पात्र में भरे जल के नीचे बैठ जाता है। इस प्रकार प्राप्त क्लोरोफॉर्म को पृथक् करने से पहले कॉस्टिक सोडा के तनु विलयन से धोते हैं फिर कैल्सियम क्लोराइड द्वारा सुखाकर आसवन करते हैं जिससे शुद्ध क्लोरोफॉर्म प्राप्त होता है।
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शुद्ध क्लोरोफॉर्म, क्लोरल हाइड्रेट और सोडियम हाइड्रॉक्साइड के सान्द्र विलयन को गर्म करके बनाया जाता है।
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प्रश्न 3.
क्लोरोफॉर्म के अपचयन से क्या बनता है ? इसकी नाइट्रिक अम्ल तथा ऐसीटोन से क्रिया के समीकरण लिखिए।
उत्तर
क्लोरोफॉर्म का अपचयन-(a) Zn और HCl के साथ गर्म करने से यह अपचयित होकर मेथिलीन क्लोराइड बनता है।
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(b) जिंक चूर्ण व जल के साथ गर्म करने पर मेथेन बनता है।
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क्लोरोफॉर्म की क्रिया
(a) सान्द्र HNO, से क्रिया-नाइट्रोक्लोरोफॉर्म (या क्लोरोपिक्रिन) बनाता है, जिसे युद्ध में विषैली गैस के रूप में प्रयोग किया जाता है।
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(b) ऐसीटोन से क्रिया-क्षार की उपस्थिति में ऐसीटोन के साथ संघनित होकर एक तीव्र निद्राकारी क्लोरीटोन बनाता है।
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प्रश्न 4.
क्लोरोफॉर्म की निम्नलिखित क्रियाएँ समीकरण सहित समझाइए
(a) ऑक्सीकरण, (b) कार्बिल-ऐमीन अभिक्रिया, (c) रजत चूर्ण के साथ (d) नाइट्रीकरण, (e) राइमर-टीमैन अभिक्रिया।
अथवा
क्लोरोफॉर्म से आप निम्नलिखित कैसे प्राप्त करेंगे(a) कार्बोनिल क्लोराइड, (b) ऐसीटिलीन, (c) क्लोरोपिक्रिन, (d) फेनिल आइसो सायनाइड।
अथवा
ट्राइक्लोरो मेथेन निम्नलिखित से किस तरह क्रिया करता है
(a) वायु में खुला छोड़ने पर, (b) ऐनिलीन एवं एल्कोहॉली कॉस्टिक पोटाश, (c) रजत चूर्ण के साथ, (d) सान्द्र नाइट्रिक अम्ल के साथ, (e) फीनॉल के साथ।
उत्तर
(a) ऑक्सीकरण (Oxidation)- वायु में खुला छोड़ने पर ऑक्सीकृत होकर विषैली गैस फॉस्जीन (कार्बोनिल) क्लोराइड बनाता है।
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फॉस्जीन अति विषैली गैस है, अतः निश्चेतक कार्यों के लिए काम में आने वाले क्लोरोफॉर्म को फॉस्जीन से मुक्त होना चाहिए अर्थात् क्लोरोफॉर्म के उक्त प्रकार के ऑक्सीकरण को रोकना आवश्यक है। इसलिए क्लोरोफॉर्म को नीले या गहरे-भूरे रंग की बोतलों में मुँह तक भरकर रखा जाता है जिससे सक्रिय प्रकाश न पहुँचे
और वायु के लिए स्थान भी न बचे। साथ ही इसमें थोड़ा सा ऐथिल ऐल्कोहॉल भी मिला दिया जाता है यदि अल्प मात्रा में फॉस्जीन बन भी गई हो तो अविषैले ऐथिल कार्बोनेट में बदला जा सके।
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(b) कार्बिल-ऐमीन अभिक्रिया-क्लोरोफॉर्म को प्राथमिक ऐमीन (जैसे ऐनिलीन) तथा ऐल्कोहॉली कॉस्टिक पोटाश के साथ गर्म करने पर एक तीव्र दुर्गन्ध युक्त विषैला पदार्थ फेनिल आइसो सायनाइड बनता है। इसे कार्बिलऐमीन अभिक्रिया कहते हैं ।
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(c) रजत चूर्ण के साथ (विहैलोजनीकरण)-क्लोरोफॉर्म को रजत चूर्ण के साथ उच्च ताप पर गर्म करने पर शुद्ध ऐसीटिलीन गैस बनती है।
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(d) नाइट्रीकरण (Nitration) -क्लोरोफॉर्म सान्द्र HNO, अम्ल से क्रिया करके नाइट्रो क्लोरोफॉर्म (क्लोरोपिक्रिन) नामक विषैली गैस बनाता है, जिसे युद्ध में विषैली गैस के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
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(e) राइमर-टीमैन अभिक्रिया–क्लोरोफॉर्म की सान्द्र NaOH और फीनॉल के साथ 60-70°C तक गर्म करने पर ऑर्थो सैलिसिल ऐल्डिहाइड बनता है।
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प्रश्न 5.
क्लोरोबेंजीन की न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया समझाइए।(केवल उदाहरण देकर)
उत्तर
क्लोरोबेंजीन की नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ-हैलोएरीन्स में हैलोजन परमाणु सीधे बेंजीन नाभिक से अधिक मजबूती से जुड़े होने के कारण इसे न्यूक्लियोफिलिक अभिकर्मकों जैसे-OH, OR, NH2, CN आदि द्वारा सरलता से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता किन्तु अधिक दाब, ताप तथा उपयुक्त उत्प्रेरक की उपस्थिति में इन समूहों द्वारा हैलोजन परमाणु का प्रतिस्थापन हो जाता है।
(1) – OH समूह द्वारा प्रतिस्थापन क्लोरोबेंजीन को 200 वायुमण्डलीय दाब और 300°C ताप पर NaOH के साथ गर्म करने पर फीनॉल बनता है।
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(2) ऐल्कॉक्सी समूह (-OR) द्वारा प्रतिस्थापन –
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सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ मिश्रित ईथर बनता है।

(3) ऐमीनो समूहद्वारा प्रतिस्थापन-जलीय अमोनिया के साथ Cu2O की उपस्थिति में 60 वायुमण्डलीय दाब तथा 200°C ताप पर गर्म करने से ऐरोमैटिक ऐमीन बनता है।
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(4) सायनो समूह द्वारा प्रतिस्थापन –
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प्रश्न 6.
ऐल्किल हैलाइडों में नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन S.1 और S-2 अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर
नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया–कार्बनिक यौगिक के किसी परमाणु या नाभिकस्नेही का अन्य नाभिकस्नेही समूह के द्वारा प्रतिस्थापन नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।

1. SN1 या एक अणुक क्रियाविधि-यह क्रिया दो चरणों में पूर्ण होती है। पहले पद में ऐल्किल हैलाइड (R-X) बंध का विदलन होता है और कार्बोकेटायन बनाता है। यह क्रिया मंद गति से होती है। द्वितीय पद में कार्बोकेटायन न्यूक्लियोफिलिक अभिकर्मक को शीघ्रता से क्रिया करके उत्पाद बनाता है। अभिक्रिया की दर प्रारम्भिक पद पर निर्भर करती है। इस पद पर संक्रमण अवस्था में केवल एक अणु भाग लेता है। इस कारण इसे एक अणुक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।

1. प्रथम पद –
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2. द्वितीय पद –
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2. द्विअणुक क्रियाविधि या SN2 –  इस विधि में नाभिकीय प्रतिस्थापन अभिक्रिया एक ही पद में सम्पन्न होती है। जिसके फलस्वरूप एक संक्रमण अवस्था संरचना बनाती है। जो शीघ्र ही ऐल्कोहॉल में परिवर्तित हो जाती है और हैलाइड आयन मुक्त करती है।
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इस क्रिया में दो अणु भाग लेकर संक्रमण अवस्था का निर्माण करते हैं। इसलिये इसे SN2 द्विअणुक अभिक्रिया कहते हैं। इस प्रकार अभिक्रिया की दर RX और OH आयन दोनों के मोलर सान्द्रण पर निर्भर करती है।

प्रश्न 7.
ऐल्कोहॉल द्वारा आयोडोफॉर्म बनाने की प्रयोगशाला विधि का नामांकित चित्र बनाइए एवं सम्बन्धित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
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रासायनिक अभिक्रियाएँ –
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प्रश्न 8.
क्लोरोबेंजीन की निम्न अभिक्रियाओं को समझाइए –
(अ) अँधेरे में FeCl3 की उपस्थिति में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया
(ब) उल्मान (Ullmann) अभिक्रिया।
उत्तर
(अ) क्लोरोबेंजीन, क्लोरीन से FeCl3 की उपस्थिति में अँधेरे में क्रिया करके ०-डाइक्लोरोबेंजीन तथा p-डाइक्लोरोबेंजीन बनाता है।
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(ब) जब ब्रोमो या आयोडो बेंजीन को 200°C ताप पर Cu के साथ सील बंद नली में गर्म किया जाता है, तो डाइफेनिल बनता है, इसे उल्मान अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 9.
क्लोरोबेंजीन की निम्न क्रियाओं के समीकरण लिखिए –
1. हैलोजनीकरण
2. नाइट्रीकरण
3. सल्फोनीकरण
4. एल्किलीकरण।
उत्तर
1. हैलोजनीकरण –
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2. नाइट्रीकरण –
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3. सल्फोनीकरण –
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4. एल्किलीकरण –
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प्रश्न 10.
क्या कारण है, कि हैलोऐल्केन की तुलना से हैलोएरीन्स केम क्रियाशील होते हैं ? अथवा, एरिल हैलाइड, ऐल्किल हैलाइड की अपेक्षा कम क्रियाशील क्यों होते हैं ?
उत्तर
ऐल्किल हैलाइड की अपेक्षा एरिल हैलाइड में हैलोजन परमाणु नाभिक के साथ दृढ़ता से जुड़ा रहता है इसलिए एरिल हैलाइड का न्यूक्लियोफिलिक अभिकर्मकों द्वारा प्रतिस्थापन सरलता से नहीं होता। ऐरिल हैलाइडों की क्रियाशीलता कम होने के दो कारण हैं –

(i) हैलो ऐल्केन की अपेक्षा हैलो ऐरीन में हैलोजन परमाणु नाभिक के साथ अधिक दृढ़ता के साथ जुड़ा रहता है।
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हैलो ऐरीन … (spसंकरण) हैलो ऐरीन में हैलोजन से जुड़ा हुआ कार्बन परमाणु (C-Cl) sp2 संकरित होता है, जबकि हैलो ऐल्केन में sp3 संकरित रहता है । sp2 हाइब्रिड ऑर्बिटल्स में sp3 ऑर्बिटल्स की तुलना में 5 ऑर्बिटल की प्रवृत्ति अधिक रहती है। अत: इनका आकार छोटा होता है । इलेक्ट्रॉन नाभिक के अधिक निकट रहते हैं तथा नाभिक से अधिक दृढ़ता से बंधे रहते हैं।
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(ii) ऐरिल हैलाइड में हैलोजन परमाणु की कम क्रियाशीलता का दूसरा कारण अनुनाद है। अनुनाद के कारण C_CI बन्ध में द्विबन्ध जैसे गुण आ जाते हैं। C-CI बन्ध की लम्बाई कम हो जाती है अर्थात् CI कार्बन से अधिक दृढ़ता से जुड़ जाता है। अत: C का प्रतिस्थापन कठिन हो जाता है।

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल

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ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर |

प्रश्न 1.
निम्न यौगिकों की संरचना लिखिये

  1. a -मेथॉक्सीप्रोपिऑनैल्डिहाइड
  2. 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल
  3. 2-हाइड्रॉक्सीसाइक्लोपेन्टेन का.ल्डिहाइड
  4. 4-ऑक्जोपेन्टेनल
  5. डाइ-द्वितीयक ब्यूटिल कीटोन
  6. 4-फ्लुओरो एसीटोफीनोन

उत्तर
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प्रश्न 2.
निम्न अभिक्रियाओं के उत्पादों की संरचना लिखिये
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल - 3
उत्तर
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिये
CH3CHO, CH3CH2OH, CH3ÓCH3, CH3CH2CH3.
उत्तर
CH3CH2CH3 < CH3OCH3 < CH3CHO < CH3CH2OH
इस क्रम की भविष्यवाणी इनके बीच कार्य कर रहे अन्तः आण्विक आकर्षण बल के आधार पर की जा सकती है। जैसा इसमें तुलनात्मक अणुभार होता है। एल्कोहॉल में प्रबल H-बंध होता है। CH3OCH3 तथा CH3CHO में द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्त:आण्विक आकर्षण बल होता है। जबकि CH3CHO,CH3OCH3 से ज्यादा ध्रुवीय होता है। इसलिये, इनके क्वथनांक CH3OCH3 से ज्यादा होते हैं। प्रोपेन अध्रुवीय होता है । इसलिये इसमें दुर्बल वाण्डरवाल्स बल कार्य करता है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित यौगिकों को नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रियाओं में उनकी बढ़ती हुई अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिये

  1. एथेनल, प्रोपेनल, प्रोपेनोन, ब्यूटेनोन
  2. बेन्जैल्डिहाइड, p-टॉलूऐल्डिहाइड, p-नाइट्रो-बेन्जैल्डिहाइड, एसीटोफिनोन।

उत्तर
1. ब्यूटेनोन < प्रोपेनोन < प्रोपेनल < एथेनल
इस क्रम की भविष्यवाणी दो कारकों के आधार पर की जा सकती है-

  • +I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव) तथा
  • त्रिविम प्रभाव।

2. एसीटोफिनोन <p-टॉलूऐल्डिहाइड < बेन्जैल्डिहाइड <p-नाइट्रो बेन्जैल्डिहाइड
इस क्रम की भविष्यवाणी (पूर्वानुमान) प्रेरणिक प्रभाव अनुनाद तथा अतिसंयुग्मन प्रभाव द्वारा की जा सकती है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों को पहचानिये
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उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल - 7

प्रश्न 6.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम दीजिये- .
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उत्तर

  1. 3-फेनिलप्रोपेनोइक अम्ल
  2. 3-मेंथिलब्यूट-2-ईन-1-ओइक अम्ल
  3. 2-मेथिलसाइक्लोपेन्टेनकार्बोक्सिलिक अम्ल
  4. 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल या 2, 4, 6-ट्राइनाइ-ट्रोबेन्जीनकार्बोक्सिलिक अम्ल।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित यौगिकों को बेन्जोइक अम्ल में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है

  1. एथिलबेंजीन
  2. एसीटोफिनोन
  3. ब्रोमोबेन्जीन
  4. फेनिलएथीन (स्टाइरीन)।

उत्तर
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प्रश्न 8.
नीचे प्रदर्शित अम्लों के प्रत्येक युग्म में कौन-सा अम्ल अधिक प्रबल हैं

1. CHCO,H अथवा CH,FCO,H
2. CH,FCO,H अथवा CH,CICO,H
3. CH,FCH,CH,CO,H अथवा CH,CHFCH,COH
4.
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उत्तर
1. FCHCOOH (F को -[ प्रभाव के कारण)
2. FCH,CO,H (F पर CIसे ज्यादा – प्रभाव के कारण)
3. CH, CHFCH,COOH (प्रेरणिक प्रभाव दूरी बढ़ने के साथ घटता है। अर्थात् 3-फ्लुओरोब्यूटेनोइक अम्ल, 4-क्लोरोब्यूटेनोइक अम्ल से ज्यादा प्रबल होगा।
4.
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ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदों (शब्दों) से आप क्या समझते हैं, प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिये

  1. सायनोहाइड्रिन
  2. एसीटल
  3. सेमीकार्बेजोन
  4. ऐल्डॉल
  5. हेमीऐसीटल
  6. ऑक्सिम
  7. कीटल
  8. इमीन
  9. 2, 4-DNP व्युत्पन्न
  10. शिफ-क्षारक।

उत्तर
1. सायनोहाइड्रिन-ये कार्बनिक यौगिक हैं, जिसका सूत्र । RR’C(OH)CN होता है, जहाँ R एवं R’ एल्किल समूह हो सकते हैं।
ऐल्डिहाइड और कीटोन, हाइड्रोजन सायनाइड के साथ सोडियम सायनाइड की उपस्थिति में अभिक्रिया करते हैं | NaCN यह एक उत्प्रेरक के रूप में होते हैं। ये अभिक्रियाएँ सायनोहाइड्रीन अभिक्रिया कहलाती है।
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सायनोहाइड्रीन सायनोहाइड्रीन का उपयोग संश्लेषित मध्यवर्ती क्रिया में करते हैं। ,,

2. एसीटल-एसीटल, जेम-डाइ एल्कॉक्सी ऐल्केन है, जिसमें दो एल्कॉक्सी समूह, कार्बन परमाणु के टर्मिनल पर उपस्थित होते हैं। इसके एक बंध एल्किल समूह से जुड़े होते हैं जबकि दूसरा बंध हाइड्रोजन परमाणु से जुड़े होते हैं।
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जब ऐल्डिहाइड, शुष्क HCI गैस की उपस्थिति में मोनोहाइड्रीक एल्कोहॉल OR’ दो समतुल्य के जैसे व्यवहार करते हैं, हेमीएसीटल बनाते हैं। जो आगे एल्कोहॉल के एसीटल की सामान्य संरचना अधिकता के साथ क्रिया करके एसीटल बनाते हैं।
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3. सेमीकार्बेजोन-सेमीकार्बेजोन, ऐल्डिहाइड और कीटोन के व्युत्पन्न है, जो कीटोन या ऐल्डिहाइड और सेमीकार्बेजाइड के मध्य संघनन से बनते हैं।
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4. ऐल्डॉल संघनन-वह अभिक्रिया जिसमें दो समान या विभिन्न कार्बोनिल यौगिकों के अणु जिनमें ‘a-हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित हो तनु क्षार जैसे—NaOH, Ba(OH)2 आदि की उपस्थिति में संयुक्त होकर एक नया यौगिक बनाते हैं जो ऐल्कोहॉल और ऐल्डिहाइड या ऐल्कोहॉल और कीटोन दोनों के गुण प्रदर्शित करता है, ऐल्डॉल संघनन कहलाती है।
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तनु सोडियम हाइड्रॉक्साइड पोटैशियम कार्बोनेट की उपस्थिति में । ऐसीटैल्डिहाइड से दो अणु संघनित होकर β-हाइड्रॉक्सी ब्यूटैरेल्डिहाइड (ऐल्डॉल) का एक अणु बनाते हैं।

5. हेमीऐसीटल- ये α-एल्कॉक्सी ऐल्कोहॉल होते हैं। ऐल्डिहाइड्स जब शुष्क HCL गैस की उपस्थिति में मोनोहाइड्रिक / 2 एल्कोहॉल के एक अणु से क्रिया करते हैं, तो हेमीएसीटल बनता है। हेमीऐसीटल की सामान्य संरचना
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6. ऑक्सिम-ऑक्सिम कार्बनिक यौगिकों की ही एक श्रेणी होती है, जिसका सूत्र RR’CNOH होता है, जहाँ R एक कार्बनिक पार्श्व शृंखला होती है तथा R’ मोनोहाइड्रोजन या एक कार्बनिक पार्श्व श्रृंखला – N होती है। यदि R’H है तब यह एल्डोऑक्सिम और यदि R’ एक कार्बनिक पार्श्व श्रृंखला है, तब यह एक कीटोक्सिम के नाम से जाना जाता है।
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हाइड्रोक्सील एमीन की दुर्बल अम्लीय माध्यम में ऐल्डिहाइड या Aldorime कीटोन से क्रिया कराने पर ऑक्सीम का निर्माण होता है।
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7. कीटल-कीटल्स जेम-डाइएल्कॉक्सीएल्केन्स होते हैं, जिनमें दो एल्कॉक्सी समूह समान कार्बन अणु पर श्रृंखला के रूप में उपस्थित होते हैं। कार्बन R-C-OR’ के अन्य दो बंध दो एल्किल समूहों से संबद्ध होते हैं।
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कीटोन, एथिलीन ग्लाइकॉल से शुष्क HCI गैस की उपस्थिति में क्रिया करके कोलकाता चक्रीय उत्पाद बनाता है, जिसे एथिलीन ग्लाइकॉल कोटल कहते है। R CH,OH
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8. इमीन-इमीन वे रासायनिक यौगिक हैं, जिनमें काबन-नाइट्रोजन द्विबंध पाए जाते हैं।
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ये तब प्राप्त किये जाते हैं, जब ऐल्डिहाइड व कीटोनों की क्रिया अमोनिया व उसके व्युत्पन्नों से कराई जाती है।
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9. 2,4-DNP व्युत्पन्न-2,4-डाइनाइट्रोफिनाइल हाइड्राजोन, 2, 4-DNP का व्युत्पन्न है, जो 2,4डाइफिनाइलहाइड्राजीन के साथ ऐल्डिहाइड या कीटोनों के साथ दुर्बल अम्लीय माध्यम में क्रिया से बनते हैं।
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10. शिफ-क्षारक-शिफ क्षार (एजोमेथीन) वह रासायनिक यौगिक है, जिसमें एक कार्बन-नाइट्रोजन द्विबंध पाया जाता है । जहाँ नाइट्रोजन अणु से एक एरील या एल्किल समूह जुड़ा होता है। इसका सामान्य सूत्र R,R,C=NR, है। . N इस प्रकार यह एक इमीन है। इसका नाम ह्यूगो शिफ वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है।
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इसका उपयोग ऐल्डिहाइड व कीटोन में विलेय करने के लिए किया जाता है।
शिफ-क्षार की सामान्य संरचना

प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नामपद्धति में नाम लिखिए,

  1. CH3CH(CH3)CH2CH2CHO
  2. CH3CH2COCH(C2H5)CH2CH2CI
  3. CH3CH = CHCHO
  4. CH3COCH2COCH3
  5. CH3CH(CH3)CH2C(CH3)2COCH3
  6. (CH3)3CCH2COOH
  7. OHCC6H4CHO-p.

उत्तर

  1. 4-मेथिलपेन्टेनल
  2. 6-क्लोरो-4-एथिलहेक्सेन-3 ऑन
  3. ब्यूट-2-ईन-1-अल
  4. पेन्टेन-2, 4, डाइऑन
  5. 3, 3, 5 ट्राइमेथिलहेक्सेन-2-ओन
  6. 3, 3-डाइमेथिलब्यूटेनोइक अम्ल
  7. बेन्जीन-1, 4-डाइकार्बेल्डिहाइड।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचना बनाइए

  1. 3-मेथिलब्यूटेनल
  2. p-नाइट्रोप्रोपिओफीनोन
  3. p-मेथिलबेन्जैल्डिहाइड
  4. 4-मेथिलपेन्ट-3-ईन-2-ओन
  5. 4-क्लोरोपेन्टेन-2-ओन
  6. 3-ब्रोमो-4-फेनिलपेन्टेनॉइक अम्ल
  7. p,p’-डाइहाइड्रॉक्सीबेन्जोफीनोन
  8. हेक्स-2-ईन-4-इनोइक अम्ल

उत्तर
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के IUPAC नाम लिखिए और जहाँ संभव हो सके साधारण नाम भी दीजिए
1. CH3CO(CH2)4CH3
2. CH3CH2CHBrCH2CH(CH3) CHO
3. CH3(CH2)5CHO
4. Ph-CH = CH-CHO
5.

6. PhCOPh
उत्तर
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प्रश्न 5.
निम्नलिखित व्युत्पन्नों की संरचना बनाइए

  1. बेन्जैल्डिहाइड का 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिलहाइड्रेजोन
  2. साइक्लोप्रोपेनोन ऑक्जिम
  3. ऐसीटैल्डिहाइड डाइमेथिल ऐसीटल
  4. साइक्लोब्यूटेनोन का सेमीकार्बेजोन
  5. हेक्सेन-3-ओन का एथिलीन कीटल
  6. फॉर्मेल्डिहाइड का मेथिल हेमीऐसीटेल।

उत्तर
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प्रश्न 6.
साइक्लोहेक्सेनकार्बेल्डिहाइड की निम्नलिखित अभिकर्मकों के साथ अभिक्रिया से बनने वाले उत्पादों को पहचानिए

  1. PhMgBr एवं तत्पश्चात् H3O+
  2. टॉलेन अभिकर्मक
  3. सेमीकार्बेजाइड एवं दुर्बल अम्ल
  4. एथेनॉल का आधिक्य तथा अम्ल
  5. जिंक अमलगम एवं तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।

उत्तर
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प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-से यौगिकों में ऐल्डॉल संघनन होगा, किसमें कैनिजारो अभिक्रिया होगी और किसमें उपरोक्त में से कोई क्रिया नहीं होगी? ऐल्डॉल संघनन तथा कैनिजारो अभिक्रिया में संभावित उत्पादों की संरचना लिखिए

  1. मेथेनल
  2. 2-मेथिलपेन्टेनल
  3. बेन्जैल्डिहाइड
  4. बेन्जोफीनोन
  5. साइक्लोहेक्सेनोन
  6. 1-फेनिलप्रोपेनोन
  7. फेनिलऐसीटैल्डिहाइड
  8. ब्यूटेन-1-ऑल
  9. 2, 2-डाइमेथिलब्यूटेनल।

उत्तर
[A] (ii) 2-मेथिल पेन्टेनल, (v) साइक्लोहेक्सेनोन, (vi) 1-फेनिल-प्रोपेनोन, (vii) फेनिलऐसी टैल्डिहाइड।
इनमें एक या एक से ज्यादा a-हाइड्रोजन परमाणु है अतः इनमें एल्डोल संघनन होगा। उदाहरण के लिये
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[B] (i) मेथेनल, (ii) बेन्जैल्डिहाइड, (ix)2, 2 डाइमेथिल-ब्यूटेन में a -हाइड्रोजन नहीं होता है, अतः ये कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं।
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[C] (iv) बेन्जोफिनोन एक कीटोन है, इसमें a -H नहीं है।
(viii) ब्यूटेन-1-ऑल एक एल्कोहॉल है।
ये दोनों न तो एल्डोल संघनन देते हैं और न ही कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं।

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प्रश्न 8.
एथेनल को निम्नलिखित यौगिकों में कैसे परिवर्तित करेंगे

  1. ब्यूटेन-1, 3-डाइऑल
  2. ब्यूट-2-ईनल,
  3. ब्यूट-2-इनोइक अम्ल

उत्तर
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प्रश्न 9.
प्रोपेनल एवं ब्यूटेनल के एल्डॉल संघनन से बनने वाले चार संभावित उत्पादों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए। प्रत्येक में बताइए कि कौन-सा ऐल्डिहाइड नाभिकस्नेही और कौन-सा इलेक्ट्रॉनस्नेही होगा?
उत्तर
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प्रश्न 10.
एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C,H100 है 2, 4-DNP व्युत्पन्न बनाता है, टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है तथा कैनिजारो अभिक्रिया देता है, प्रबल ऑक्सीकरण पर वह 1,2-बेन्जीनडाइ-कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाता है। यौगिक को पहचानिए।
उत्तर
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प्रश्न 11.
एक कार्बनिक यौगिक (AI (आण्विक सूत्र C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ जल-अपघटित करने के उपरांत एक कार्बोक्सिलिक अम्ल [B] एवं एक ऐल्कोहॉल [C] प्राप्त हुई। C| को क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकृत करने पर [B] उत्पन्न होता है। C|निर्जलीकरण पर ब्यूट1-ईन देता है। अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होने वाली सभी रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 12.
निम्नलिखित यौगिकों को उनसे संबंधित गुणधर्मों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए

  1. ऐसीटैल्डिहाइड, ऐसीटोन, डाइ-तृतीयक-ब्यूटिल-कीटोन, मेथिल तृतीयक-ब्यूटिल कीटोन (HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता)।
  2. CH3CH2CH(Br)COOH, CH3CH(Br)CH2COOH, (CH3)2CHCOOH, CH3CH2CH2COOH (अम्लता के क्रम में)
  3. वेन्जोइक अम्ल; 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 3, 4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 4-मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल (अम्लता की सामर्थ्य के क्रम में)

उत्तर
1. जैसे-जैसे एल्किल समूह का +I प्रभाव बढ़ता है उनकी HCN योग के प्रति क्रियाशीलता घटती जाती है।

डाइ-तृतीयक ब्यूटिल कीटोन < मेथिल तृतीयक-ब्यूटिल कीटोन < एसीटोन < एसीटैल्डिहाइड।

2. -COOH समूह की अम्लीय प्रबलता को +1 प्रभाव घटाता है तथा – प्रभाव को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त -1 प्रभाव दूरी के साथ घटता है
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3. इलेक्ट्रॉन दाता समूह अम्लीय प्रबलता को घटाता है जबकि इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रभाव अम्लीय प्रबलता को बढ़ाता है

4-मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल < बेन्जोइक अम्ल < 4-नाइट्रो-बेन्जोइक अम्ल < 3, 4-डाइनाइट्रोबेंजोइक अम्ल

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प्रश्न 13.
निम्नलिखित यौगिक युगलों में विभेद करने के लिए सरल रासायनिक परीक्षणों को दीजिए

  1. प्रोपेनल एवं प्रोपेनोन
  2. एसीटोफीनोन एवं बेन्जोफीनोन
  3. फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल
  4. बेन्जोइक अम्ल एवं एथिल बेन्जोएट
  5. पेन्टेन-2-ओन एवं पेन्टेन-3-ओन
  6. बेन्जैल्डिहाइड एवं एसीटोफीनोन
  7. एथेनल एवं प्रोपेनल।

उत्तर
1. टॉलेन अभिकर्मक मिलाकर प्रोपेनल को गर्म करने पर रजत दर्पण बनाता है जबकि प्रोपेनोन क्रिया नहीं करता है।

वैकल्पिक विधि – I2 तथा NaOH मिलाने पर प्रोपेनोन, आयोडोफॉर्म बनने के कारण पीला अवक्षेप देता है, जबकि प्रोपेनल क्रिया नहीं करता है।

2. I2 तथा NaOH मिलाने पर एसीटोफिनोन CHI3 का पीला अवक्षेप देता है जबकि बेन्जोफिनोन नहीं देता है।

3. दोनों में अलग-अलग उदासीन FeCI3 मिलाने पर फीनॉल बैंगनी रंग देता है, जबकि बेन्जोइक अम्ल की कोई क्रिया नहीं होती है।

वैकल्पिक विधि -दोनों के जलीय विलयन में अलग-अलग NaHCO3 मिलाने पर बेन्जोइक अम्ल तीव्र बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस देता है, जबकि फीनॉल की कोई क्रिया नहीं होता है।

4. दोनों में अलग-अलग NaHCO3 विलयन मिलाने पर बेन्जोइक अम्ल CO2 गैस के कारण तीव्र बुदबुदाहट देता है, जबकि एथिल बेन्जोएट कोई क्रिया नहीं करता है।

5. दोनों में अलग-अलग I2 तथा NaOH मिलाने पर पेन्टेन-2-ओन CHI3 का पीला अवक्षेप देता है जबकि पेन्टेन-3-ओन नहीं देता है।

6. टॉलेन अभिकर्मक मिलाने पर बेन्जैल्डिहाइड गर्म करने पर रजत दर्पण देता है जबकि एसीटोफिनोन क्रिया नहीं करता है।

7. I2 तथा NaOH मिलाने पर एथेनल आयोडोफॉर्म का पीला अवक्षेप देता है, जबकि प्रोपेनल क्रिया नहीं करता है।

प्रश्न 14.
बेन्जीन से निम्नलिखित यौगिकों का विरचन आप किस प्रकार करेंगे ? आप कोई भी अकार्बनिक अभिकर्मक एवं ऊर्जा भी कार्बनिक अभिकर्मक, जिसमें एक से अधिक कार्बन न हो, को उपयोग कर सकते हैं।

  1. मेथिल बेन्जोएट
  2. m-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
  3. p-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
  4. फेनिल ऐसीटिक अम्ल
  5. p-नाइट्रोबेन्जैल्डिहाइड

उत्तर
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प्रश्न 15.
आप निम्नलिखित रूपांतरणों को अधिकतम दो चरणों में किस प्रकार से सम्पन्न करेंगे

  1. प्रोपेनोन से प्रोपीन
  2. बेन्जोइक अम्ल से बेन्जैल्डिहाइड
  3. ऐथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल
  4. बेन्जीन से m-नाइट्रोऐसीटोफीनोन
  5. बेन्जल्डिहाइड से बेन्जोफीनोन
  6. ब्रोमोबेन्जीन से 1-फेनिलएथेनॉल
  7. बेन्जैल्डिहाइड से ३-फेनिलप्रोपेन-1-ऑल
  8. बेन्जैल्डिहाइड से a – हाइड्रॉक्सीफेनिलऐसीटिक अम्ल
  9. बेन्जोइक अम्ल से m-नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल।

उत्तर
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प्रश्न 16.
निम्नलिखित पदों (शब्दों) का वर्णन कीजिए

  1. ऐसीटिलीकरण
  2. कैनिजारो अभिक्रिया
  3. क्रॉस ऐल्डॉल संघनन
  4. विकार्बोक्सिलिकरण

उत्तर
1. ऐसीटिलिकरण- किसी कार्बनिक यौगिक के साथ किसी एसीटिल क्रियात्मक-समूह का होना एसीटिलीकरण (Acetylation) कहलाता है। सक्रिय हाइड्रोजन परमाणु के लिए इस विधि में एक एसिटिल समूह का प्रतिस्थापी समाहित होता है। एसीटिलेटिंग एजेण्ट के रूप में सामान्यतः एसीटिल क्लोराइड या एसीटिक एन्हाइड्राइड प्रयुक्त किया जाता है। उदाहरण के रूप में एथेनॉल के एसीटिलीकरण के द्वारा एथिल एसीटेट का निर्माण होता है।
CH3CH2OH + CH3COCI → CH3COOC2H5+ HCI

2. कैनिजारो अभिक्रिया- α-हाइड्रोजन विहीन ऐल्डिहाइडों (जैसे -HCHO, C6H5CHO आदि) पर 50% NaOH विलयन की क्रिया कराने पर ऐल्डिहाइड का एक अणु अम्ल में ऑक्सीकृत होता है और दूसरा अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है। इसे कैनिजारो अभिक्रिया कहते हैं।
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3. क्रॉस-ऐल्डॉल संघनन-कार्बोनिल यौगिकों के दो एकसमान अणुओं के बीच संघनन न कराके अलग-अलग अणुओं के बीच संघनन कराया जाए तो उसे मिश्रित या क्रॉस-ऐल्डॉल संघनन कहते हैं। सामान्यतः जब एक अणु -हाइड्रोजन विहीन हो तो ऐसा संघनन महत्त्वपूर्ण होता है। फॉर्मेल्डिहाइड तथा एसिटैल्डिहाइड के बीच
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चूँकि इस यौगिक में अभी भी दो a-हाइड्रोजन परमाणु है अतः पुनः दो फॉर्मेल्डिहाइड अणु से यह क्रिया कर सकता है।
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4. विकार्बोक्सिलीकरण-कार्बोक्सिलिक समूह का निकलना विकार्बोक्सिलीकरण कहलाता है। सोडालाइम के साथ गर्म करने पर अम्ल का विकार्बोक्सिलीकरण होता है तथा ऐल्केन बनता है (ड्यूमा विधि)।
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प्रश्न 17.
निम्नलिखित प्रत्येक संश्लेषण में छूटे हुए प्रारम्भिक पदार्थ, अभिकर्मक अथवा उत्पादों को लिखकर पूर्ण कीजिए
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उत्तर
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प्रश्न 18.
निम्नलिखित के संभावित कारण दीजिए

  1. साइक्लोहेक्सेनोन अच्छी लब्धि में सायनोहाइड्रिन बनाता है परन्तु 2,2, 6-ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन ऐसा नहीं करता।
  2. सेमीकार्बेजाइड में दो -NH2 समूह होते हैं, परन्तु केवल एक -NH2 समूह ही सेमीकार्बेजोन विरचन में प्रयुक्त होता है।
  3. कार्बोक्सिलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल से, अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एस्टर के विरचन के समय जल अथवा एस्टर जैसे ही निर्मित होता है उसको निकाल दिया जाना चाहिए।

उत्तर
1. 2,2, 6-ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन में 3-मेथिल समूह की त्रिविम बाधा होती है। इसलिये ये साइक्लोहेक्सेनोन जिसमें त्रिविम बाधा नहीं होती है की तुलना में लब्धि प्रचुर मात्रा में सायनोहाइड्रीन नहीं बनाता है।

2. कार्बोनिल समूह से जुड़े NH, के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म अनुनाद में शामिल होते हैं, इसलिये दान करने के लिये उपलब्ध नहीं होते हैं।
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3. ऐसा इसलिये किया जाता है जिससे बना हुआ एस्टर जल-अपघटित न हो।

प्रश्न 19.
एक कार्बनिक यौगिक में 69.77% कार्बन, 11-63% हाइड्रोजन तथा शेष ऑक्सीजन है। यौगिक का आण्विक द्रव्यमान 86 है। यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता परन्तु सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ योगज यौगिक देता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर एथेनोइक तथा प्रोपेनोइक अम्ल देता है। यौगिक की संभावित संरचना लिखिए।
उत्तर
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मूलानुपाती सूत्र = C5H10O, मूलानुपाती सूत्रभार = 86
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अणुसूत्र = C5H10O
ये टॉलेन अभिकर्मक से क्रिया नहीं करता है, अत: ये एक ऐल्डिहाइड नहीं है। ये NaHSO, के साथ योगात्मक यौगिक बनाता है इसलिये यह एक कीटोन है, तथा ये आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है इसलिये ये एक मेथिल कीटोन है। उपरोक्त आधार पर यौगिक की संभावित संरचना होगी –
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तीव्र ऑक्सीकरण पर ये ऐथेनोइक अम्ल तथा प्रोपेनोइक अम्ल देता है। अतः यौगिक पेन्टेन-2-ओन होगा, 3-मेथिल- ब्यूटेन-2-ओन नहीं होगा।
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प्रश्न 20.
यद्यपि फोनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ कार्बोक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक है परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है, क्यों ?
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल - 62
फीनॉक्साइड आयन कार्बोक्सिलेट आयन कार्बोक्सिलेट आयन पर ऋणात्मक आवेश दोनों ऑक्सीजन पर विस्थानीकृत होता है, जो बहत विद्युतऋणी है। जबकि फीनॉक्साइड आयन पर ऋणात्मक आवेश केवल एक ऑक्सीजन परमाणु पर विस्थानीकृत होता है। कार्बोक्सिलेट आयन, फीनॉक्साइड आयन से ज्यादा स्थायी होता है। इसी कारण कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल की तुलना में ज्यादा अम्लीय होता है।

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ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए। कीटोन से सायनो हाइड्रिन का बनना एक उदाहरण है
(a) इलेक्ट्रोफिलिक योगात्मक
(b) न्यूक्लियोफिलिक योगात्मक
(c) न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन
(d) इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन।
उत्तर
(b) न्यूक्लियोफिलिक योगात्मक

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा ऐल्डिहाइड सान्द्र क्षार विलयन के साथ कैनीजारो अभिक्रिया देता
(a) बेंजेल्डिहाइड
(b) ऐसीटेल्डिहाइड
(c) प्रोपेन ऐल्डिहाइड
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(a) बेंजेल्डिहाइड

प्रश्न 3.
ऐल्डिहाइड और कीटोन निम्न में से किस पदार्थ से क्रिया करके ऑक्सीम बनाते हैं
(a) NH3
(b) NH2 – NH2
(c) NH2OH
(4) NH2CONH.NH2
उत्तर
(c) NH2OH

प्रश्न 4.
ऐरोमैटिक ऐल्डिहाइड प्राथमिक एमीन के साथ क्रिया करके देते हैं
(a) यूरिया
(b) ऐमाइड
(c) शिफलेस
(d) ऑक्सीम।
उत्तर
(c) शिफलेस

प्रश्न 5.
क्षारीय माध्यम में ऐसीटेल्डिहाइड जो अभिक्रिया करता है, वह है
(a) बेंजोइन संघनन
(b) एल्डोल संघनने
(c) बहुलीकरण
(d) कैनीजारो अभिक्रिया।
उत्तर
(b) एल्डोल संघनने

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में कौन-सा I, तथा NaOH के साथ पीला अवक्षेप नहीं देता है –
(a) C2H5OH
(b) CH3-CHO
(c) CH3-CO-CH3
(d) HCHO.
उत्तर
(d) HCHO.

प्रश्न 7.
Cl3-C-CH2-CHO सूत्र वाले यौगिक का IUPAC नाम है
(a) 3,3,3 ट्राइक्लोरोप्रोपेनॉल
(b) 1,1,1 ट्राइक्लोरोप्रोपेनॉल
(c) 2,2,2 ट्राइक्लोरोप्रोपेनल
(d) क्लोरल।
उत्तर
(a) 3,3,3 ट्राइक्लोरोप्रोपेनॉल

प्रश्न 8.
फेहलिंग विलयन की एथेनल से प्रतिक्रिया स्वरूप निम्नलिखित अवक्षेप प्राप्त होता है-
(a) Cu
(b) CHO
(c) Cu2O
(d) Cu2O+Cu2O3.
उत्तर
(c) Cu2O

प्रश्न 9.
किसकी उपस्थिति में ऐल्डिहाइडों और कीटोन का हाइड्रोकार्बन में अपचयन होता है.
(a) Zn /Hg एवं HCI
(b) Pd / BasO4
(c) निर्जल AlCl3
(d) Ni / Pt.
उत्तर
(a) Zn /Hg एवं HCI

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में कौन-सा यौगिक HgCl के साथ सफेद अवक्षेप उत्पन्न करता है
(a) HCOOH
(b) CH3COOH
(c) C2H5COOH
(d) C3H7COOH.
उत्तर
(a) HCOOH

प्रश्न 11.
फॉर्मिक अम्ल
(a) जल के साथ अमिश्रणीय है।
(b) अमोनिकल सिल्वर नाइट्रेट का अपचयन करता है।
(c) एसीटिक अम्ल से साढ़े तीन गुना दुर्बल अम्ल है।
(d) KOH को गर्म करने पर प्राप्त होता है।
उत्तर
(b) अमोनिकल सिल्वर नाइट्रेट का अपचयन करता है।

प्रश्न 12.
अम्ल की प्रबलता का सही क्रम है
(a) CH3COOH > CH2CICOOH > CHCI2-COOH
(b) CHCl2-COOH > CH2CICOOH >CH3-COOH
(c) CHCl2-COOH > CH3-COOH > CH2CICOOH
(d) CH2-CICOOH > CH3-COOH > CHCl2-COOH.
उत्तर
(b) CHCl2-COOH > CH2CICOOH >CH3-COOH

प्रश्न 13.
बेंजेल्डिहाइड को ऐल्कोहॉलीय KCN के साथ गर्म करने पर देता है –
(a) बेंजायन
(b) बेंजील ऐल्कोहॉल
(c) सोडियम बेंजोएट
(d) सिन्नेमिक अम्ल।
उत्तर
(a) बेंजायन

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से कौन-सा अमोनियामय AgNO3 के साथ रजत दर्पण नहीं देता –
(a) HCHO
(b) CH3-CHO
(c) CH3-COOH
(d) HCOOH.
उत्तर
(c) CH3-COOH

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प्रश्न 15.
वह अभिकर्मक यौगिक जो एसीटेल्डिहाइड तथा ऐसीटोन दोनों से आसानी से अभिक्रिया करता
(a) फेहलिंग विलयन
(b) ग्रिगनार्ड अभिकर्मक
(c) शिफ अभिकर्मक
(d) टॉलेन अभिकर्मक।
उत्तर
(b) ग्रिगनार्ड अभिकर्मक

प्रश्न 16.
मेथिल कीटोन की पहचान की जाती है
(a) टॉलेन अभिकर्मक से
(b) आयोडोफार्म परीक्षण से
(c) शिफ परीक्षण से
(d) बेनेडिक्ट विलयन से।
उत्तर
(b) आयोडोफार्म परीक्षण से

प्रश्न 17.
ऐल्डिहाइड तथा कीटोन का विभेद किस अभिकर्मक द्वारा होता है
(a) फेहलिंग विलयन
(b) H2SO4 विलयन
(c) NaHSO.3 विलयन
(d) NH3.
उत्तर
(a) फेहलिंग विलयन

प्रश्न 18.
कौन-सा यौगिक कैनिजारो अभिक्रिया देगा
(a) प्रोपिएनोएल्डिहाइड
(b) बेंजेल्डिहाइड
(c) ब्रोमोबेंजीन .
(d) एसीटैल्डिहाइड।
उत्तर
(b) बेंजेल्डिहाइड

प्रश्न 19.
टॉलेन अभिकर्मक है
(a) अमोनियामय क्यूप्रस क्लोराइड
(b) अमोनियामय क्यूप्रस फ्लुओराइड
(c) अमोनियामय सिल्वर ब्रोमाइड
(d) अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट ।
उत्तर
(d) अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट ।

प्रश्न 20.
फार्मेल्डिहाइड की KOH की क्रिया से मेथेनॉल तथा पोटैशियम फोमेट बनता है इस अभिक्रिया को कहते हैं
(a) पर्किन अभिक्रिया
(b) क्लेज़न अभिक्रिया
(c) कैनिजारो अभिक्रिया
(d) नोवेनजेल अभिक्रिया।
उत्तर
(c) कैनिजारो अभिक्रिया

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. पोटैशियम एसीटेट के विद्युत् अपघटन से ………… प्राप्त होता है।
  2. जिंक अमलगम और सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का मिश्रण ………… कहलाता है।
  3. बेकेलाइट, फीनॉल और ………… का बहुलक है।
  4. बेंजेल्डिहाइड को ……….. भी कहते हैं।
  5. कीटोन टॉलेन अभिकर्मक को …………नहीं करते हैं।
  6. फॉर्मिक अम्ल का 40% जलीय विलयन …………कहलाता है। .
  7. ऐल्डिहाइड फेहलिंग विलयन के साथ …………अवक्षेप देता है।
  8. ऐसीटिक अम्ल को फॉस्फोरस पेन्टा ऑक्साइड के साथ गर्म करने पर . ………. बनता है।
  9. पैराऐल्डिहाइड का उपयोग ………… औषधि के रूप में किया जाता है।
  10. रोजेन्डमुण्ड अपचयन में BaSOa, Pd के लिए ………… का कार्य करता है और ऐल्डिहाइड को ………… अपचयित होने से रोकता है।
  11. क्रोमिल क्लोराइड द्वारा टालुइन का बेंजेल्डिहाइड में ऑक्सीकरण ……….. क्रिया कहलाता है।
  12. अम्ल क्लोराइड का Pd/Baso, द्वारा अपचयन करने पर ………. यौगिक बनता है।
  13. α हाइड्रोजन युक्त ऐल्डिहाइड की तनु NaOH के साथ क्रिया से ………… बनता है।
  14. कैल्सियम एसीटेट के शुष्क आसवन से ………… प्राप्त होता है।

उत्तर

  1. एथेन
  2. क्लीमेन्शन अपचयन
  3. HCHO
  4. कड़वे बादाम का तेल
  5. अपचयित
  6. फॉर्मेलीन
  7. लाल
  8. ऐसीटिक एनहाइड्राइड
  9. निद्राकारी
  10. विष ऐल्कोहॉल
  11. इटार्ड अभिक्रिया
  12. ऐल्डिहाइड
  13. एल्डॉल
  14. एसीटोन।

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3. उचित संबंध जोडिए

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उत्तर

  1. (e)
  2. (a)
  3. (c)
  4. (b)
  5. (d).

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उत्तर

  1. (c)
  2. (d)
  3. (e)
  4. (b)
  5. (a).

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल - 65
उत्तर

  1. (e)
  2. (c)
  3. (a)
  4. (b)
  5. (d).

4. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. शिफ अभिकर्मक बेंजेल्डिहाइड के साथ कौन-सा रंग देता है ?
  2. ग्लैशियल ऐसीटिक अम्ल का IUPAC नाम लिखिए।
  3. सोडियम पोटैशियम टाटरेट से संकुलित क्षारीय कॉपर सल्फेट का विलयन कहलाता है।
  4. कार्बोक्सिलिक अम्ल चक्रीय द्विलक के रूप में क्यों होते हैं ?
  5. एरोमैटिक ऐल्डिहाइड को सोडियम कार्बोक्सिलेट की उपस्थिति में एसिड एनहाइड्राइड के साथ गर्म करने पर कौन-सा यौगिक प्राप्त होगा?
  6. बेन्जेल्डिहाइड में KCN मिलाकर संघनन की क्रिया का नाम लिखिए।
  7. फॉर्मिक अम्ल के निर्जलीकरण से कौन-सी गैस प्राप्त होती है ?
  8. उस अभिकर्मक का नाम बताइए जो बिना एल्कोहॉल के प्रयोग से अम्ल को एस्टर में परिवर्तित कर देता

उत्तर

  1. गुलाबी,
  2. एथेनोइक अम्ल,
  3. फेहलिंग विलयन,
  4. अन्तर आण्विक हाइड्रोजन बन्ध के कारण,
  5. असंतृप्त एरोमैटिक कार्बोक्सिलिक अम्ल (सिन्नेमिक अम्ल),
  6. बेन्जोइन संघनन,
  7. कार्बन मोनोऑक्साइड,
  8. 8. CH2N2.

ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अम्लों को बढ़ती हुई प्रबलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए
1. HCOOH, CH3-COOH, C6H5COOH.
2.
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3. HCOH CHCHO और CH, COCH को बढ़ती हुई क्रियाशीलता के क्रम में लिखिए।
उत्तर
1. बढ़ती प्रबलता का क्रम
CH3-COOH < C6H5COOH < HCOOH

2. IUPAC नाम-2 मेथिल, प्रोपेनल ।
प्रचलित नाम-आइसो प्रोपिल ऐल्डिहाइड।

3. बढ़ती हुई क्रियाशीलता का क्रम
CH3-COCH3 < CH3-CHO < HCHO.

प्रश्न 2.

  1. हेल-वोल्हाड़ जेलेन्स्की (HVZ) अभिक्रिया क्या है ?
  2. फॉर्मिक अम्ल को गर्म करने पर क्या होता है ?

उत्तर
1. कार्बोक्सिलिक अम्लों की फॉस्फोरस की उपस्थिति में क्लोरीन या ब्रोमीन की अभिक्रिया से a हैलोजनीकृत अम्ल प्राप्त होते हैं यह अभिक्रिया हेल-वोल्हार्ड जेलेन्स्की अभिक्रिया कहलाती है।
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2. फॉर्मिक अम्ल को 160°C तक गर्म करने पर Co और H2O बनता है।
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प्रश्न 3.

  1. कीटोन ऐल्डिहाइड से कम क्रियाशील होते हैं, क्यों?
  2. बेन्जेल्डिहाइड, ऐसीटेल्डिहाइड से कम क्रियाशील है, क्यों?

उत्तर
1. कीटोन की ऐल्डिहाइड की तुलना में, कम क्रियाशीलता उसमें उपस्थित दो ऐल्किल समूह द्वारा उत्पन्न धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव (+I) के कारण होती है जो कार्बोनिल कार्बन के धन आवेश में कमी कर देती है; फलतः इसकी नाभिकस्नेही अभिकर्मक के प्रति सुग्राहिता घट जाती है।
ऐल्डिहाइड में केवल एक ऐल्किल समूह होता है। अतः ये कीटोन की अपेक्षा अधिक क्रियाशील होते हैं।

2. बेंजेल्डिहाइड का – CHO समूह के बेंजीन चक्र में साथ अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाता है जबकि ऐसीटेल्डिहाइड में अनुनाद नहीं पाया जाता है। बेंजेल्डिहाइड एरोमेटिक होता है व ऐल्डिहाइड एलीफैटिक होता है।

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प्रश्न 4.
फॉर्मेल्डिहाइड से यूरोट्रोपीन कैसे प्राप्त करोगें ? यूरोट्रोपीन का संरचना सूत्र लिखिये।
उत्तर
फॉर्मऐल्डिहाइड और अमोनिया की क्रिया से यूरोट्रोपीन बनता है।
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प्रश्न 5.
यद्यपि फीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ कार्बोक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक है। परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल CH, फीनॉल की तुलना में प्रबल अम्ल हैं। क्यों ?
यूरोट्रोपीन का संरचना सूत्र
उत्तर
कार्बोक्सिलेट आयन तथा फीनॉक्साइड आयन दोनों अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त करते है। किन्तु कार्बोक्सिलेट आयन फीनॉक्साइड आयन की तुलना में अधिक स्थायित्व प्राप्त करता है। क्योंकि इसमे ऋणावेश दो अधिक विद्युत ऋणात्मक आक्सीजन परमाणुओं पर विस्थानीकृत होता है जबकि फोनॉक्साइड आयन की संरचना II, III तथा IV में ऋणावेश का विस्थापन कम विद्युत ऋणात्मक कार्बन पर होता है। इस कारण कार्बोक्सिलिक अम्ल फोनॉल से अधिक अम्लीय होता है।
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प्रश्न 6.
टॉलेन अभिक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। अथवा, टॉलेन अभिकर्मक क्या है ? इसकी ऐसिटैल्डिहाइड के साथ अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
टॉलेन अभिक्रिया-अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट का विलयन टॉलेन अभिकर्मक कहलाता है। जब टॉलेन अभिकर्मक को ऐल्डिहाइड के साथ गरम किया जाता है, तो ऐल्डिहाइड Ag+ आयन को Ag में ‘अपचयित कर देता है और परखनली की दीवार पर चमकदार रजत दर्पण बनाता है।
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प्रश्न 7.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक समान अणुभार वाले ऐल्कोहॉलों की अपेक्षा ऊँचे होते हैं। क्यों?
उत्तर
कार्बोक्सिलिक अम्ल चक्रीय द्वितीयाणु (Cyclic dimer) के रूप में होते हैं। यह अणुओं के मध्य अन्तराण्विक हाइड्रोजन बन्ध बनने के कारण होता है।
अम्लों के हाइड्रोजन बन्ध ऐल्कोहॉलों के हाइड्रोजन बन्ध की तुलना में अधिक प्रबल होते हैं, इसी कारण कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक समान अणुभार के ऐल्कोहॉलों से उच्च होते हैं।
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प्रश्न 8.
फेहलिंग अभिक्रिया को समीकरण सहित समझाइये।
उत्तर
फेहलिंग अभिक्रिया-सोडियम पोटैशियम टाटरेट से संकुलित क्षारीय Cuso4 का विलयन फेहलिंग विलयन कहलाता है। जब ऐल्डिहाइड को फेहलिंग विलयन के साथ गर्म करते हैं, तो ऐल्डिहाइड का ऑक्सीकरण हो जाता है तथा क्यूप्रस ऑक्साइड का लाल अवक्षेप प्राप्त होता है। यह फेहलिंग परीक्षण कहलाता
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प्रश्न 9.
कीटोन का क्वथनांक संगत समावयवी ऐल्डिहाइड की अपेक्षा कुछ अधिक क्यों होता है ?
उत्तर
कीटोन अपने संगत समावयवी ऐल्डिहाइड की तुलना में अधिक ध्रुवीय होते हैं, क्योंकि कीटोन में > C = 0 समूह के पास दो इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी ऐल्किल समूह उपस्थित होते हैं। अतः कीटोन में द्विध्रुव आकर्षण बल ऐल्डिहाइड की अपेक्षा अधिक होता है। यही कारण है कि कीटोन का क्वथनांक संगत समावयवी ऐल्डिहाइडों की तुलना में अधिक होता है।

प्रश्न 10.
फॉर्मेल्डिहाइड, ऐसीटैल्डिहाइड और ऐसीटोन में से कौन-सा यौगिक सबसे अधिक क्रियाशील है और क्यों?
उत्तर
HCHO, CH3CHO और CH3COCH3 की क्रियाशीलता का निर्धारण कार्बोनिल समूहों के साथ जुड़े हुए समूहों की प्रकृति के आधार पर होता है। कार्बोनिल समूहों के कार्बन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन की कमी होने के कारण यौगिक अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। यदि>c= 0 समूह के साथ इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले– प्रभाव वाले समूह जुड़े होंगे तो वे कार्बोनिल समूह वाले कार्बन की इलेक्ट्रॉन न्यूनता को और बढ़ा देंगे जिससे यौगिक बहुत अधिक क्रियाशील हो जायेगा। इसके विपरीत यदि कार्बोनिल समूह के साथ इलेक्ट्रॉन देने वाले (+ I प्रभाव वाले) समूह जुड़े हों तो वे कार्बोनिल समूह की क्रियाशीलता को कम कर देंगे।CH, समूह का +I प्रभाव होता है। अतः उपर्युक्त तीन यौगिकों की क्रियाशीलता का क्रम नीचे दिये अनुसार होगा
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प्रश्न 11.
एसीटिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल तथा क्लोरोऐसीटिक अम्ल की अम्लीय शक्ति की तुलना कीजिए।
उत्तर
एसीटिक अम्ल में उपस्थित एक ऐल्किल समूह के धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव के कारण हाइड्रॉक्सिल ऑक्सीजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ता है, जो अम्ल की प्रबलता को कम करता है। फॉर्मिक अम्ल में एक भी ऐल्किल समूह नहीं होता। फॉर्मिक अम्ल में ऑक्सीजन पर धन आवेश होने के कारण O-H बंध का इलेक्ट्रॉन युग्म ऑक्सीजन की ओर विस्थापित होता जाता है, फलस्वरूप O-H बंध का हाइड्रोजन प्रोटॉन के रूप में सरलता से अलग हो जाता है और फॉर्मिक अम्ल एक अम्ल के समान कार्य करता है, जबकि क्लोरोऐसीटिक अम्ल में उपस्थित क्लोरीन परमाणु प्रबल ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव प्रदर्शित करता है, जिससे अम्ल में 0-H बंध बनाने वाले इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन की ओर सरलता से विस्थापित हो जाते हैं, जिससे सरलता से H* आयन मुक्त होता है। अतः क्लोरोऐसीटिक अम्ल फॉर्मिक अम्ल और ऐसीटिक अम्ल से अधिक प्रबल होता है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित अभिक्रिया में A, B तथा C यौगिकों को पहचानिए
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उत्तर
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प्रश्न 13.
निम्नलिखित क्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिये
(a) ऐसीटैल्डिहाइड की 0°C पर H3SO4 से क्रिया। ।
(b) फॉर्मेल्डिहाइड की अमोनियामय AgNO3 से क्रिया।
(c) एसीटिक ऐसिड को P2O5 के साथ गर्म करने पर।
उत्तर
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प्रश्न 14.
ऐसीटैल्डिहाइड के बहुलीकरण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर
1.साधारण ताप पर ऐसीटैल्डिहाइड सान्द्र H2SO4 की कुछ बूंदों के साथ अभिकृत किये जाने पर पैराऐल्डिहाइड में बहुलीकृत हो जाता हैं। जिसका उपयोग निद्राकारी औषधि के रूप में होता हैं।
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2. 0°C पर ऐसीटैल्डिहाइड में HCI गैस प्रवाहित करने पर मेटा ऐल्डिहाइड प्राप्त होता है।
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प्रश्न 15
निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत फॉर्मिक अम्ल और ऐसीटिक अम्ल में अन्तर लिखिए

  1. गर्म करने पर ,
  2. अम्लीय KMnO4 से क्रिया,
  3. Ca लवण का आसवन करने पर,
  4. अमोनियामय AgNO3 विलयन के साथ क्रिया,
  5. PCL5 से क्रिया।

उत्तर
फॉर्मिक एसिड और ऐसिटिक एसिड में अंतर|
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प्रश्न 16.
स्टीफन अभिक्रिया और बेंजोइन संघनन के उदाहरण एवं समीकरण द्वारा समझाइए।
उत्तर
स्टीफन अभिक्रिया-ऐल्किल सायनाइड को ईथर या एथिल ऐसीटेट में विलेय कर उसका SnCl2 व HCl द्वारा अपचयन करके भाप आसवन करने पर ऐल्डिहाइड प्राप्त होता है। यह स्टीफन अभिक्रिया कहलाती है।
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प्रश्न 17.

  1. पर्किन अभिक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  2. क्या होता है जब ऐसीटोन को H2SO, के साथ गर्म करते हैं ?

उत्तर
1. पर्किन अभिक्रिया-ऐरोमैटिक ऐल्डिहाइड को किसी ऐलिफैटिक अम्ल के सोडियम लवण की उपस्थिति में उस अम्ल के ऐनहाइड्राइड के साथ गर्म करते हैं तो a,B असन्तृप्त अम्ल बनता है। जैसे
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2. H2SO4 की उपस्थिति में ऐसीटोन के तीन अणु संघनित होकर मेसिटिलीन बनाते हैं।

प्रश्न 18.
सिरका किसे कहते हैं ? इसके दो उपयोग लिखिये। (अति महत्वपूर्ण)
उत्तर
एसीटिक एसिड का 6 से 10% जलीय विलयन सिरका कहलाता है।
उपयोग-

  1. अचार, चटनी, मुरब्बा के परिरक्षण में।
  2. बेसिक कॉपर एसीटेट बनाने में।

प्रश्न 19.
फार्मेलीन किसे कहते हैं ? इसके दो उपयोग लिखिए।
उत्तर
फार्मेलीन-ऐल्डिहाइड (H-CHO) को 40%, जलीय विलयन फार्मेलीन कहलाता है।
उपयोग-

  1. रोगियों के कमरे धोने में।
  2. मृत शरीरों के परिरक्षण में।

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प्रश्न 20.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए)

  1. कैल्सियम फॉर्मेट को अकेले गर्म करते हैं।
  2. कैल्सियम बेंजोएट को अकेले गर्म करते हैं।
  3. कैल्सियम फार्मेट को कैल्सियम एसीटेट के साथ गर्म करते हैं।
  4. कैल्सियम बेंजोएट को कैल्सियम फार्मेट का मिश्रण का शुष्क आसवन करते हैं।

उत्तर
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प्रश्न 21.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए)

  1. फॉर्मेल्डिहाइड अमोनिया के साथ क्रिया करता है।
  2. कैल्सियम फॉर्मेट को कैल्सियम एसीटेट के साथ गर्म करते हैं ?
  3. एसीटोन निगनार्ड अभिकर्मक से क्रिया करता है।
  4. एसीटिलीन जल साथ Hgso4 व H2SO4 की उपस्थिति में क्रिया करता है।

उत्तर
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प्रश्न 22.
ऐल्डिहाइड और कीटोन समूहों के यौगिक में प्रमुख अन्तर लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 23.
एक कार्बनिक यौगिक A (अणुसूत्र C8H80), धनात्मक 2,4-DNP परीक्षण देता है। यह आयोडीन तथा सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन के साथ क्रिया कराने पर यौगिक Bका एक पीला अवक्षेप देता है। यौगिक A टॉलेन अथवा फेहलिंग परीक्षण नहीं देता है। पोटैशियम परमैंगनेट के साथ प्रबल ऑक्सीकरण कराने पर यह एक कार्बोक्सिलिक अम्ल C (अणुसूत्र C7H6O2) बनाता है जो उपरोक्त अभिक्रिया में पीले यौगिक के साथ भी बनता है। A, B तथा C को पहचानिए तथा सम्बन्धित सभी अभिक्रियाओं को लिखिए।
उत्तर
यौगिक A टॉलेन अथवा फेहलिंग परीक्षण नहीं देता है। अंत: यह एक कीटोन है, ऐल्डिहाइड नहीं।
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प्रश्न 24.
ट्राइ क्लोरो ऐसीटिक अम्ल अकार्बनिक अम्लों की भाँति प्रबल क्यों है ? बेंजोइक अम्ल ठोस है जबकि प्रारम्भिक ऐलीफैटिक अम्ल द्रव है। कारण दीजिए।
उत्तर
ट्राइ क्लोरो ऐसीटिक अम्ल में Cl परमाणु एक शक्तिशाली ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव (-I प्रभाव) डालते हैं। इसके कारण O-H बंध का इलेक्ट्रॉन जोड़ा ऑक्सीजन की ओर विस्थापित हो जाता है। इस अणु में हाइड्रोजन परमाणु ऑक्सीजन के साथ शिथिलता से जुड़ा रहता है तथा उसका आयनन सरलता से हो जाता है। अतः ट्राइक्लोरो ऐसीटिक अम्ल अकार्बनिक अम्ल की भाँति प्रबल है।
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बेंजोइक अम्ल अपनी ध्रुवीय प्रकृति एवं उच्च आण्विक द्रव्यमान के कारण ठोस है जबकि निम्न
ऐलिफैटिक अम्ल उनमें उपस्थित MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक Q24समूह के कारण आपस में अन्तर आण्विक हाइड्रोजन बंध द्वारा संगुणित होकर द्विलकीकृत हो जाते हैं। इस कारण ये द्रव अवस्था में पाये जाते हैं।
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प्रश्न 25.
बहुलीकरण एवं संघनन में क्या अन्तर है ? (कोई चार)
उत्तर
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प्रश्न 26.
ऐसीटिक अम्ल का फॉर्मिक अम्ल में और फॉर्मिक अम्ल का ऐसीटिक अम्ल में परिवर्तन की क्रियाएँ लिखिए।
उत्तर
1. एसीटिक अम्ल का फॉर्मिक अम्ल में परिवर्तन
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2. फॉर्मिक अम्ल का ऐसीटिक अम्ल में परिवर्तन
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प्रश्न 27.
निम्न को कैसे प्राप्त करेंगे

  1. एसीटिल क्लोराइड से ऐसीटैल्डिहाइड
  2. कैल्सियम ऐसीटेट से ऐसीटोन
  3. एथिल ऐसीटेट से एसीटिक अम्ल।

उत्तर
1. एसीटिल क्लोराइड में Pd युक्त BaSO4 की उपस्थिति H2 गैस प्रवाहित करने पर ऐसीटैल्डिहाइड बनता है।
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2. कैल्सियम ऐसीटेट का शुष्क आसवन करने पर एसीटोन बनता है।
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3. एथिल एसीटेट से एसीटिक अम्ल प्राप्त करने हेतु अम्लीय माध्यम में जल अपघटन किया जाता है।
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प्रश्न 28.
जब द्रव A की एक ताजे बने हुए अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट विलयन के साथ क्रिया करते हैं, तो यह चमकदार रजत दर्पण देता है। यह द्रव सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ अभिकृत करने पर एक सफेद क्रिस्टलीय ठोस बनाता है। द्रव B भी सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ एक सफेद क्रिस्टलीय ठोस बनाता है किन्तु यह अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट के साथ परीक्षण नहीं देता है। दोनों द्रवों में से कौन-सा ऐल्डिहाइड है ? इन अभिक्रियाओं की रासायनिक समीकरणे लिखिए।
उत्तर
चूँकि द्रव A अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट (टॉलेन अभिकर्मक) को अपचयित करता है, अतः, A ऐल्डिहाइड है।
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प्रश्न 29.
प्रयोगशाला में फॉर्मिक अम्ल बनाने की विधि और दो उपयोग बताइये।
उत्तर
प्रयोगशाला में फॉर्मिक अम्ल बनाने के लिए 100-110°C पर ऑक्सेलिक अम्ल तथा ग्लिसरॉल की अभिक्रिया करायी जाती है। अभिक्रिया इस प्रकार है
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उपयोग-

  1. सूती तथा ऊनी कपड़ों की रंगाई में,
  2. चमड़ा तथा रबर उद्योग में,
  3. विद्युत् लेपन में,
  4. फलों के रसों के परिरक्षण में।

ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रयोगशाला में ऐसीटोन बनाने की विधि का वर्णन कीजिए। नामांकित चित्र एवं रासायनिक समीकरण भी दीजिए।
उत्तर
ऐसीटोन बनाने की प्रयोगशाला विधि (Laboratory Method)-प्रयोगशाला में ऐसीटोन निर्जल कैल्सियम ऐसीटेट के शुष्क आसवन से बनाया जाता है।
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चित्रानुसार उपकरण तैयार करके काँच या धातु के रिटॉर्ट में निर्जल कैल्सियम ऐसीटेट लेकर गर्म करते हैं। ऐसीटोन की वाष्प बनती है, जो संघनित्र में संघनित होकर ग्राही में एकत्रित हो जाती है। यह ऐसीटोन अशुद्ध होता है। इसे सन्तृप्त NaHSO3 विलयन के साथ हिलाकर 4-5 घण्टे के लिए रख देते हैं, जिससे ऐसीटोन सोडियम बाइसल्फाइट के क्रिस्टल बनते हैं। इन्हें पृथक् करके Na2CO3 विलयन के साथ मिलाकर आसवन करते हैं। शुद्ध ऐसीटोन प्राप्त होता है। इसमें थोड़ा जल अभी भी होता है। इसलिए इसे निर्जल CaCl2 से सुखाकर पुनः आसवन करते हैं। 56°C पर शुष्क ऐसीटोन आसवित होता है।
(CH3)2C=0+ NaHSO3→(CH3)2C(OH)SO3Na
2(CH3)2C(OH)SO3Na+ Na2CO3→2(CH3)2C=0+2Na2SO3 + H2O + CO2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को उदाहरण देकर समीकरण सहित लिखिए

  1. आयोडोफॉर्म अभिक्रिया,
  2. टिशेन्को अभिक्रिया,
  3. गाटरमानकोच अभिक्रिया,
  4. रोजेनमुण्ड अभिक्रिया।

उत्तर
1. आयोडोफॉर्म (हैलोफॉर्म) अभिक्रिया-ऐसीटैल्डिहाइड या मेथिल कीटोन को आयोडीन तथा क्षार के साथ अभिक्रिया कराने पर पीले रंग का आयोडोफॉर्म (CHI3) का अवक्षेप आता है, इसे आयोडोफॉर्म परीक्षण कहते हैं।
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सम्पूर्ण अभिक्रियाएँ
CH3-CO-CH3+ 312 + 4NaOH →CHI3+ CH3COONa + 3Nal + 3H20

2. टिशेन्को अभिक्रिया (Tischencko reaction)-CH3-CHO या C6H5CHO को ऐल्युमिनियम आइसो प्रोपॉक्साइड और निर्जल AICI3 या ZnCI2 के साथ गर्म करने से एस्टर बनते हैं।
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3. गाटरमैन कोच ऐल्डिहाइड संश्लेषण-CO और HCI के मिश्रण को निर्जल AICI3 और CuCl (अल्प भाग) की उपस्थिति में उच्च दाब पर बेंजीन ईथर विलयन में प्रवाहित करने पर C6H5CHO बनता है।
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4. रोजेनमुण्ड अभिक्रिया–ऐसिड क्लोराइड के उबले जाइलीन में बने विलयन का पैलेडियमयुक्त बेरियम सल्फेट की उपस्थिति में हाइड्रोजन द्वारा अपचयन करने पर ऐल्डिहाइड बनता है। यह अभिक्रिया रोजेनमुण्ड अभिक्रिया कहलाती है ।
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BaSO5 अभिक्रिया में Pd उत्प्रेरक के लिए विष का कार्य करता है। इसकी उपस्थिति ऐल्डिहाइड का ऐल्कोहॉल में अपचयन रोकती है।

प्रश्न 3.
शीघ्र सिरका विधि से ऐसीटिक अम्ल कैसे बनाते हैं? ऐसीटिक अम्ल की क्लोरीन तथा फॉस्फोरस पेन्टाक्लोराइड से अभिक्रिया रासायनिक समीकरण देकर समझाइये।
अथवा, ऐसीटिक अम्ल बनाने की शीघ्र सिरका विधि को सचित्र समझाइये। इसके दो प्रमुख गुण और उपयोग बताइये।
उत्तर
शीघ्र सिरका विधि- इस विधि में ऐल्कोहॉल के तनु विलयन का ऑक्सीकरण वायु के द्वारा माइकोडर्मा ऐसीटी बैक्टीरिया की उपस्थिति में किया जाता है।
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इस विधि में एक बाल्टीनुमा पात्र में जिसके निचले भाग में कई छेद हों पुराने सिरके से भीगी लकड़ी की छीलन भरकर ऊपर से एथिल ऐल्कोहॉल का 10% विलयन (जिसमें थोड़ा अमोनियम सल्फेट मिला हो) धीरेधीरे नीचे गिराते हैं। इसमें अमोनियम सल्फेट बैक्टीरिया के भोजन के रूप में कार्य करता है। तब नीचे तनु ऐसीटिक अम्ल या सिरका एकत्रित हो जाता है। इस तरह प्राप्त अम्ल को तब तक कई बार ऊपर से डालते हैं जब तक ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण पूर्ण न हो जाये। इस प्रकार ऐसीटिक अम्ल का सान्द्रण भी हो जाता है।
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रासायनिक गुण-
1. Cl2 से क्रिया-ऐसीटिक अम्ल क्लोरीन, सूर्य प्रकाश या उच्च ताप पर लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में क्रिया करके मोनो, डाइ एवं ट्राइक्लोरो ऐसीटिक अम्ल बनाते हैं।
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2. PCI से क्रिया
CH3COOH + PCl5 → CH3COCI+ POCl3 + HCI

उपयोग-

  • प्रयोगशाला में अभिकर्मक व विलायक के रूप में।
  • सिरके के रूप में अचार, चटनी आदि बनाने में।
  • मेथिल ऐसीटेट, एथिल ऐसीटेट तथा अन्य एस्टर बनाने में।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए

  1. क्लेजन संघनन,
  2. बेंजोइन संघनन।

उत्तर
1. क्लेजन संघनन—ऐरोमैटिक ऐल्डिहाइड, तनु क्षार की उपस्थिति में जब α -हाइड्रोजन युक्त ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइड अथवा कीटोन के साथ संघनित होता है तो α , β असंतृप्त ऐल्डिहाइड या कीटोन बनाता
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2. बेंजोइन संघनन–बेंजैल्डिहाइड को जब ऐल्कोहॉली पोटैशियम सायनाइड के साथ गर्म किया जाता है, तो इसके दो अणु संघनित होकर बेंजोइक (a – हाइड्रॉक्सी कीटोन) बनाते हैं।
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प्रश्न 5.
ऐसीटिक अम्ल से आप निम्नलिखित कैसे प्राप्त करोगे ? (केवल समीकरण दीजिए)

  1. ऐसीटेमाइड,
  2. एथिल ऐसीटेट,
  3. ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड,
  4. ट्राइक्लोरो ऐसीटिक अम्ल।

उत्तर
1. ऐसीटेमाइड
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2. एथिल ऐसीटेट
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3. ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड
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4. ट्राइक्लोरो ऐसीटिक अम्ल-
CH3 – COOH +3Cl2 →CCl3COOH+3HCI.

प्रश्न 6.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए)

  1. एसीटोन की क्लोरोफर्म से क्रिया,
  2. बेन्जैल्डिहाइड की ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड से क्रिया।

उत्तर
1. ऐसीटोन की क्लोरोफॉर्म से क्रिया-
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2. बेन्जेल्डिहाइड की एसीटिक एनहाइड्राइड से क्रिया-
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प्रश्न 7.
निम्नलिखित अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए

  1. स्टीफन अभिक्रिया
  2. नोवेनजेल अभिक्रिया
  3. इटार्ड अभिक्रिया।

उत्तर
1. स्टीफन अभिक्रिया- स्टीफन अभिक्रिया-ऐल्किल सायनाइड को ईथर या एथिल ऐसीटेट में विलेय कर उसका SnCl2 व HCl द्वारा अपचयन करके भाप आसवन करने पर ऐल्डिहाइड प्राप्त होता है। यह स्टीफन अभिक्रिया कहलाती है।
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2. नोवेनजेल अभिक्रिया- जब बेंजैल्डिहाइड को पिरीडीन या ग्लेश्यिल ऐसीटिक अम्ल की उपस्थिति में डाइ एथिल मैलोनेट (मैलोनिक एस्टर) से क्रिया करके α,β अंसतृप्त एरोमैटिक कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाता है।
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3. इटार्ड अभिक्रिया- कार्बन टेट्रा क्लोराइड में विलेय टालुईन को क्रोमिल क्लोराइड के साथ क्रिया कराने पर जटिल यौगिक बनता है जो जल-अपघटन पर बेंजेएल्डिहाइड देता है।
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प्रश्न 8.
क्या होता है जब (केवल समीकरण)

  1. ऐसीटोन को ग्रिगनार्ड अभिकर्मक के साथ अभिक्रिया कराने पर
  2. ऐसीटोन को KOH की उपस्थिति में क्लोरोफार्म के साथ
  3. बेंजेल्डिहाइड को एनिलीन के साथ ।
  4. कार्बोक्सिलिक अम्ल के सोडियम लवण को सोडा लाइम के साथ गर्म करने पर
  5. बेंजीन को एसीटिल क्लोराइड के साथ निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में।

उत्तर
1. ऐसीटोन को ग्रिगनार्ड अभिकर्मक के साथ अभिक्रिया
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2. ऐसीटोन की CHCI3 के साथ अभिक्रिया
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3. बेंजेल्डिहाइड की एनिलीन के साथ अभिक्रिया
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4. कार्बोक्सिलिक अम्ल के सोडियम लवण (शिफ क्षार) से सोडा लाइम के साथ
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5. बेंजीन की CH3COCI के साथ अभिक्रिया
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प्रश्न 9.
कैसे प्राप्त करोगे
(a) ऐसीटिलीन से ऐसीटेल्डिहाइड
(b) प्रोपाइन से प्रोपेनोन।
उत्तर
(a) ऐसीटिलीन से ऐसीटेल्डिहाइड
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प्रश्न 10.
ऐसीटिक अम्ल से निम्न कैसे प्राप्त करोगे
(a) एथिल ऐल्कोहॉल,
(b) एथिल ऐसीटेट,
(c) मेथिल ब्रोमाइड,
(d) ऐसीटोन
(e) ऐसीटेमाइड,
(f) एसीटिक एनहाइड्राइड,
(g) ट्राईक्लोरो ऐसीटिक अम्ल।
उत्तर
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प्रश्न 11.
कैसे प्राप्त करोगे (समीकरण दीजिए)
(a) टॉलुईन से बेन्जोइक अम्ल,
(b) प्रोपेनोइक अम्ल से ऐसीटिक अम्ल,
(c) प्रोपेनोइक अम्ल से प्रोपेनॉल,
(d) ऐसीटिक अम्ल से फॉर्मिक अम्ल।
उत्तर
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प्रश्न 12.
कैसे परिवर्तित करोगे

  1. फॉर्मेल्डिहाइड से ऐसीटेल्डिहाइड ( मेथेनल से एथेनल)
  2. ऐसीटेल्डिहाइड से फॉर्मेल्डिहाइड (एथेनल से मेथेनल)
  3. फॉर्मिक अम्ल से ऐसीटिक अम्ल।

उत्तर
1. फॉर्मेल्डिहाइड से ऐसीटेल्डिहाइड
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2. ऐसीटेल्डिहाइड से फॉर्मेल्डिहाइड
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3. फॉर्मिक अम्ल से ऐसीटिक अम्ल
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प्रश्न 13.
निम्नलिखित की ग्रिगनार्ड अभिकर्मक से अभिक्रिया का समीकरण दीजिए
(a) CO
(b) HCN
(c) HCOOC2H5
d) CH3CN.
उत्तर
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प्रश्न 14.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए)

  1. एसीटिक अम्ल की एथिल एल्कोहॉल से क्रिया
  2. एसीटिक अम्ल की अमोनिया से क्रिया
  3. एसीटोन की क्लोरोफॉर्म से क्रिया
  4. बेन्जैल्डिहाइड की एसीटिक एनहाइड्राइड से क्रिया।

उत्तर
1. एसीटिक अम्ल की एथिल एल्कोहॉल से क्रिया
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2. एसीटिक अम्ल की अमोनिया से क्रिया
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3. एसीटोन की क्लोरोफॉर्म से क्रिया
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4. बेन्जेल्डिहाइड की एसीटिक एनहाइड्राइड से क्रिया
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प्रश्न 15.
समझाइए

  1. ऐल्डिहाइड और कीटोन के क्वथनांक संगत ऐल्कोहॉल व अम्ल से भिन्न होते हैं।
  2. अम्लों के क्वथनांक उतने ही अणु भार वाले ऐल्कोहॉलों से उच्च होते हैं।

उत्तर
1. ऐल्डिहाइड एवं कीटोन ध्रुवीय यौगिक हैं इसलिए इनके क्वथनांक अध्रुवीं हाइड्रोकार्बन से अधिक होते हैं जबकि इनके क्वथनांक समान अणुभार वाले ऐल्कोहॉलों और कार्बोक्सिलिक अम्लों की तुलना में कम होते हैं । इसका कारण यह है कि ऐल्कोहॉल एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल अन्तर-अणुक (intermolecular) H-बन्ध बनाकर संगुणित अणु बनाते हैं। ऐल्डिहाइड एवं कीटोन में हाइड्रोजन बन्ध बनाना सम्भव नहीं है, क्योंकि अम्ल एवं ऐल्कोहॉल की तरह H-परमाणु; विद्युत् ऋणात्मक ऑक्सीजन परमाणु से आबन्धित नहीं होता है। इस प्रकार हाइड्रोजन बन्ध के कारण ऐल्कोहॉल एवं अम्ल के क्वथनांक उच्च होते हैं।

2. कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्कोहॉलों से अधिक होते हैं, क्योंकि अम्लों में ऐल्कोहॉलों की तुलना में प्रबल हाइड्रोजन बन्ध होता है। परिणामस्वरूप कार्बोक्सिलिक अम्ल के अणु आपस में दो हाइड्रोजन बन्ध से जुड़े होते हैं और अधिक आकर्षण बल होता है जिससे इनके क्वथनांक उच्च होते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड्स, कीटोन्स तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल - 134

MP Board Class 12th Chemistry Solutions

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक

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उपसहसंयोजन यौगिक NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न समन्वयन यौगिकों के सूत्र लिखिए –
(i) टेट्राएमीन डाइएक्वा कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(ii) पोटैशियम टेट्रासायनो निकिलेट (II)
(iii) ट्रिस (एथेन-1,2-डाइएमीन), क्रोमियम (III) क्लोराइड
(iv) एमीनब्रोमीडोक्लोरीडोनाइट्रीटो-N-प्लेटिनेट(II)
(v) डाइक्लोरिडो बिस (एथेन-1,2-डाइएमीन) प्लैटिनम
(iv) नाइट्रेट (vi) आयरन (III) हेक्सा सायनो फेरेट (II)।
उत्तर
(i) [Co(NH3)4(H2O)2]Cl3
(ii) K2[Ni(CN)4]
(iii) [Cr(en)3]Cl3
(iv) [Pt(NH3)BrCl NO2]
(v) [PtCl2(en)2](NO3)2
(vi) Fe4[Fe(CN)6]3.

प्रश्न 2.
निम्न समन्वयन यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए –
(i) [CO(NH3) Cl3
(ii) [Co(NH3)5Cl]Cl2
(iii) K3[Fe(CN)6]
(iv) K3[Fe(C2O4)3]
(v) K2[PdCl4]
(vi) [Pt(NH3)2Cl(NH2CH3)]Cl.
उत्तर
(i) हेक्साएमीन कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(ii) पेण्टाएमीनक्लोरीडो कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(iii) पोटैशियम हेक्सा सायनोफेरेट (III)
(iv) पोटैशियम ट्राइऑक्सेलेटो फेरेट (III)
(v) पोटैशियम टेट्राक्लोरीडो पेलेडेट (II)
(vi) डाइएमीनक्लोरीडो (मेथेनामीन)प्लैटिनम (II) क्लोराइड।।

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प्रश्न 3.
निम्न संकुलों में किस प्रकार की समावयवता पायी जाती है, दर्शाइये एवं इन समावयवियों की संरचना बनाइये –
(i) K[Cr(H2O)2(C2O4)2]
(ii) [Co(en)3]Cl3
(iii) [Co(NH3)5(NO2)](NO3)2
(iv) Pt(NH3)(H3O)Cl2
उत्तर
(i) K[Cr(H2O)2(C2O4)2] ज्यामितीय समावयवता दर्शाते हैं।
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(ii) [Co(en)3]Cl3 प्रकाशीय समावयवता दर्शाते हैं।
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(iii) [Co(NH3)5(NO2)](NO3)2] आयनन समावयवता दर्शाते हैं –
[CO(NH3) 5NO2](NO3)2 एवं [CO(NH3)5NO3] (NO2)(NO3). ये लिंकेज समावयवता भी दर्शाते हैं। [CO(NH3)5NO2] (NO3)2 एवं [CO(NH3)5 (ONO)] NO3.

(iv) [Pt(NH3)(H2O)Cl2] ज्यामितीय समावयवता दर्शाते हैं
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प्रश्न 4.
[CO(NH3)5Cl]SO4 एवं [CO(NH3)5SO4]Cl आयनन समावयवी हैं, प्रमाण दीजिए।
उत्तर
आयनन समावयवियों को जब जल में घोला जाता है, तो विभिन्न आयनों का परीक्षण किया जा सकता है।
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AgCl का सफेद अवक्षेप दर्शाता है कि समावयवी में Cl आयन है, जो समन्वयन मण्डल के बाहर स्थित है।
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BaSO4 का सफेद अवक्षेप दर्शाता है कि समावयवी में SO42- आयन है, जो समन्वयन मण्डल के बाहर स्थित है।

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प्रश्न 5.
संयोजकता बंध सिद्धांत के आधार पर व्याख्या कीजिए कि [Ni(CN4)2-आयन की वर्गसमतलीय संरचना होती है एवं प्रतिचुम्बकीय है तथा [Ni(CN4)2- आयन चतुष्फलकीय ज्यामितीय वाली अनुचुम्बकीय है।
उत्तर
[Ni(CN4)2- संकुल में Ni की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar]3d8 है। इसमें dsp2 संकरण होता है, चूँकि CN प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड है, जिससे इलेक्ट्रॉनों का युग्मन होता है। कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होता है, इसलिए यह प्रति-चुम्बकीय प्रकृति का है।
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[NiCl4]2- संकुल में Ni की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar]3d8 है। इसमें sp3 संकरण होता है। चूंकि CI दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड है, इसलिए इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता है।
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संकरण संकुल आयन में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं, अतः यह अनुचुम्बकीय प्रकृति का है।

प्रश्न 6.
[NiCl4]2- अनुचुम्बकीय है जबकि [Ni(CO)4] प्रतिचुम्बकीय है, जबकि दोनों चतुष्फलकीय हैं, क्यों?
उत्तर
[NiCl4]2- में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है, अतः यह अनुचुम्बकीय है। (विस्तृत रूप में उपर्युक्त प्रश्न क्र. 5 का उत्तर देखिए) जैसे- CN , CO प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड है, समान रूप से CO के कारण इलेक्ट्रॉनों का युग्मन होता है। कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन शेष नहीं होते हैं, अतः यह प्रतिचुम्बकीय है।।

प्रश्न 7.
[Fe(H2O)6]3+ प्रबल अनुचुम्बकीय है,जबकि [Fe (CN)6]3- दुर्बल अनुचुम्बकीय है, व्याख्या कीजिए।
उत्तर
दोनों संकुलों में Fe की +3 ऑक्सीकरण अवस्था है, जिसका विन्यास d5 है। CN प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड है, इसकी उपस्थिति से 3d इलेक्ट्रॉनों का युग्मन होता है, केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन शेष रहता है। अतः संकरण d2sp3 के कारण अन्तर कक्षक संकुल बनते हैं। H2O दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड है। इसकी उपस्थिति से 3d इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता। संकरण sp3d2 से बाह्य कक्षक संकुल बनते हैं, जिसमें पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, अत: यह प्रबल अनु-चुम्बकीय है।

प्रश्न 8.
[COL(NH3)]3+ आंतरिक कक्षक संकुल है, जबकि [Ni(NH3)2+ बाह्य कक्षक संकुल है, व्याख्या कीजिए।
उत्तर
[CO(NH3)]3+ में Co, +3 ऑक्सीकरण अवस्था में 3d6 विन्यास होता है । NH3 की उपस्थिति से 3d इलेक्ट्रॉनों का युग्मन होकर दो d कक्षक खाली रहते हैं । अतः d2sp3 संकरण होकर अन्तर कक्षक संकुल बनाते हैं।

[Ni(NH3)6]2+ में Ni, +2 ऑक्सीकरण अवस्था में 3d6 विन्यास होता है। NH3 की उपस्थिति से 3d इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता। अतः sp3d2 संकरण होकर बाह्य कक्षक संकुल बनाते हैं।

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प्रश्न 9.
वर्गसमतलीय [Pt(CN)4]2- आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताइये।
उत्तर
प्लैटिनम परमाणु का आद्य अवस्था में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 5d96s1 होता है। संकुल में Pt की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है एवं इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 5d8 है। इसकी ज्यामितीय वर्ग समतलीय है, एक 5d कक्षक रिक्त है एवं शेष अन्य चार कक्षकों में इलेक्ट्रॉन युग्मन में रहते हैं। इस प्रकार dsp2 संकरण होकर प्रतिचुम्बकीय है।
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प्रश्न 10.
हेक्साएक्वा मैंगनीज (II) आयन में पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, जबकि हेक्सासायनो आयन में केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है। क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत का उपयोग करते हुए व्याख्या कीजिए।
उत्तर
Mn, +2 ऑक्सीकरण अवस्था में 3d5 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में है। H2O दुर्बल लिगैण्ड है। H2O अणुओं की उपस्थिति में, इलेक्ट्रॉनों का वितरण t32ge2g में होता है, सभी इलेक्ट्रॉन अयुग्मित हैं।
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CN प्रबल लिगैण्ड है। इसकी उपस्थिति में, इलेक्ट्रॉनों का वितरण t52ge0g है, जिसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित है। ..

प्रश्न 11.
[Cu(NH3)4]4+ आयन का सम्पूर्ण संकुल वियोजन साम्य स्थिरांक की गणना कीजिए। इस संकुल के लिए β4 = 2.1 × 1013 दिया गया है।
हल
सम्पूर्ण संकुल वियोजन साम्य स्थिरांक, संपूर्ण स्थायित्व स्थिरांक का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
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NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वर्नर के पदों के क्रम में समन्वयन यौगिकों में बंधन को समझाइए।
उत्तर
वर्नर का उप-सहसंयोजकता सिद्धान्त (Werner’s Co-ordination Theory)—अल्फ्रेड वर्नर ने उप-सहसंयोजकता का प्रतिपादन 1893 ई. में किया। इस सिद्धान्त के अभिगृहीत (Postulates) निम्नलिखित हैं –

(1) धातुओं की दो प्रकार की संयोजकताएँ होती हैं(a) प्राथमिक संयोजकता (Primary or Principal or Ionic Valency) (-)
(b) द्वितीयक संयोजकता (Secondary or Auxiliary or Non-ionic Valency) (….)
प्राथमिक संयोजकता आयनित हो सकती है और इसे ठोस (पूर्ण) रेखा से प्रदर्शित करते हैं, जबकि द्वितीयक संयोजकता आयनित नहीं हो सकती, इसे बिन्दुकित या टूटी रेखा से प्रदर्शित करते हैं।

(2) प्रत्येक धातु परमाणु अपनी प्राथमिक और द्वितीयक दोनों संयोजकताओं को संतृप्त या सन्तुष्ट करना चाहतें हैं।
प्राथमिक संयोजकता सर्वदा ऋणायन से सन्तुष्ट (सन्तृप्त) होती है, जबकि द्वितीयक संयोजकता ऋणायन से या उदासीन अणुओं से (कभी-कभी धनायन से भी) सन्तुष्ट होती है। ऋणायन बहुधा प्राथमिक और द्वितीयक दोनों संयोजकताएँ सन्तुष्ट करता है।

(3) प्रत्येक धातु आयन की द्वितीयक संयोजकताएँ (उप-सहसंयोजी संख्या) निश्चित होती हैं।
जैसे-Pt (IV), Fe (II), Fe (II) तथा Cr (III) की उप-सहसंयोजन संख्या 6 है तथा Pt (II), Cu (II) और Pd (II) की उप-सहसंयोजन (उप-सहसंयोजकता) संख्या 4 है।

(4) द्वितीयक संयोजकताएँ त्रिविम में निश्चित दिशाओं में स्थित होती हैं अर्थात् इनकी निश्चित ज्यामितीय व्यवस्था होती है।
जैसे – निकिल की द्वितीयक संयोजकता 4 होती है और यह चतुष्फलकीय (Tetrahedrally) रूप से व्यवस्थित होती है।
वर्नर की विधि में प्राथमिक संयोजकता को पूर्ण रेखा (Complete line) से तथा द्वितीयक संयोजकता को टूटी रेखाओं (Dotted lines) से दर्शाते हुए उक्त यौगिकों को निम्नांकित विधि से चित्रित किया गया –
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प्रश्न 2.
FeSO4 विलयन को 1:1 मोलर अनुपात में (NH4)2SO4 विलयन में मिलाने पर Fe2+ आयन का परीक्षण देता है, किन्तु CuSO4 विलयन को 1 : 4 मोलर अनुपात में जलीय अमोनिया में मिलाने पर Cu2+ आयन का परीक्षण नहीं देता है, क्यों ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
FeSO4 विलयन को 1 : 1 मोलर अनुपात में (NH4)2SO4 विलयन में मिलाने पर द्विक लवण, FeSO4(NH4)2SO4.6H2O (मोहर लवण) बनाते हैं, जो विलयन में आयनी-कृत होकर Fe2+ आयन देता है, जो Fe2+ आयन का परीक्षण देता है।
CuSO4 विलयन को 1 : 4 मोलर अनुपात में जलीय अमोनिया में मिलाने पर संकुल यौगिक देते हैं।
CuSO4 + 4NH3 → [Cu(NH3)4]SO4
जटिल आयन [Cu(NH3)4]2+ आयनीकृत नहीं होता है तथा Cu2+ आयन नहीं देता है, अतः यह Cu2+ आयनों का परीक्षण नहीं देता।

प्रश्न 3.
निम्न में से प्रत्येक के दो उदाहरण देकर समझाइए –
समन्वयन मण्डल, लिगैण्ड, समन्वयन संख्या, समन्वयन पॉलिहाइड्रॉन, होमोलेप्टिक एवंहेटरोलेप्टिक।
उत्तर-उप-सहसंयोजन मण्डल या समन्वय मण्डल-केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयन से किसी एक निश्चित संख्या में आबन्धित आयन अथवा अणु मिलकर एक उप-सहसंयोजन सत्ता का निर्माण करते है;
जैसे – [COCl3(NH3)3], [Ni(CO) [Pt Cl2(NH3)2], [Fe(CN)6]4- आदि।

लिगैण्ड-उप-सहसंयोजन सत्ता में केन्द्रीय परमाणु / आयन से परिबद्ध आयन अथवा अणु लिगैण्ड कहलाते हैं। ये सामान्य आयन हो सकते है या छोटे अणु हो सकते है। जैसे-H2O या NH3 उदाहरण [CO(CN)6]3- में CO+3 में केन्द्रीय धातु आयन CN लिगैण्ड।

उप-सहसंयोजन संख्या-एक संकुलन धातु आयन की उप-सहसंयोजन संख्या (CN) उससे आबन्धित लिगैण्डों के उन दाता परमाणुओं की संख्या के बराबर होती है जो सीधे धातु आयन से जुड़े हों। .

उदाहरण-संकुल आयनों [PtCl6]2- तथा [Ni(NH3)4]+2 में Pt तथा Ni3 पर संयोजकता 6 तथा 4 है।
समन्वय बहुफलक-केन्द्रीय परमाणु / आयन से सीधे जुड़े लिगैण्ड परमाणु की दिक् स्थान व्यवस्था को समन्वय बहुफलक कहते है। इनमें अष्टफलकीय व समतलीय तथा चतुष्फलकीय मुख्य है।
जैसे – [CO(NH3)6]3+अष्टफलकीय, [Ni(CO)4] चतुष्फलकीय तथा [PtCl4] वर्ग समतलीय है।
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होमोलेप्टिक तथा हेट्रोलेप्टिक संकुल-संकुल जिनमें धातु परमाणु केवल एक प्रकार के दाता समूह से जुड़ा रहता है, उदाहरण [Co(NH3)6]3+ होमोलेप्टिक संकुल कहलाते हैं।
वे संकुल जिनमें धातु परमाणु एक से अधिक प्रकार के दाता समूहों से जुड़ा रहता है। जैसे [CO(NH3)4Cl2]+ हेट्रोलेप्टिक संकुल कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
एकदन्तुर, द्विदन्तुर एवं उभयदन्ती (बहुदन्तुर) लिगैण्डों का क्या अर्थ है ? प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
एकदन्तुर लिगैण्ड-जब एक लिगैण्ड, धातु आयन से एक दाता परमाणु द्वारा परिबद्ध होता है जैसे-Cl, H2O या NH3 तो लिगैण्ड एकदन्तुर कहलाता है।
द्विदन्तुर लिगैण्ड-जब लिगैण्ड दो दाता परमाणुओं द्वारा परिबद्ध होता है, ऐसा लिगैण्ड द्विदन्तुर कहलाता है। जैसे-H2NCH2CH2NH2 या C2O4-2
बहुदन्तुर लिगैण्ड-जब लिगैण्ड एक से अधिक परमाणु इलेक्ट्रॉन त्यागकर उपसहसंयोजी आबन्ध बनाये तो यह लिगैण्ड बहुदन्तुर कहलाता है। जैसे- E.D.T.A. आदि।

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प्रश्न 5.
निम्न समन्वयन मण्डलों में धातुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं को दर्शाइए –
(i) [CO(H2O)(CN)(en)2]2+
(ii) [COBr2(en)2]+
(iiii) [PtCl4]2-
(iv) K3[Fe(CN)6]
(v) [Cr(NH3)3Cl3].
उत्तर
(i) x + (-1) = +2, x = +3
(ii) x +4 (-1) =-2, x = +2
(iii)x + 3 (-1) = 0, x = +3
(iv)x + 2 (-1) = +1,x = +3
(v) x + 6 (-1)= -3, x = +3.

प्रश्न 6.
IUPAC नियमों का उपयोग करते हुए निम्न के सूत्र लिखिए –
(i) देट्राहाइड्रोक्सो जिंकेट (II)
(ii) पोटैशियमटेट्राक्लोरीडो पेलेडेट (II)
(iii) डाइएमीन डाइक्लोरीडो प्लैटिनम (II)
(iv) पोटैशियम टेट्रासायनो निकिलेट (II)
(v) पेण्टाएमीन नाइट्रिटो-0-कोबाल्ट (III)
(vi) हेक्साएमीन कोबाल्ट (III) सल्फेट
(vii) पोटैशियम ट्राई (ऑक्सेलेटो) क्रोमेट (III)
(viii) हेक्साएमीन प्लैटिनम (IV)
(ix) टेट्राब्रोमीडो क्यूप्रेट (II)
(x) पेण्टाएमीन नाइट्रीटो -N- कोबाल्ट (III)।
उत्तर
(i) [Zn(OH)4]2-
(ii) K2[PdCl4]
(iii) [Pt(NH3)2Cl2]
(iv) K2[Ni(CN)4]
(v) [CO(NH3)5(ONO)]2+
(vi) [CO(NH3)6]2 (SO4)3
(vii) K3[Cr(C2CO4)3]
(viii) [Pt(NH3)6]4+
(ix) [Cu(Br)4] 2-
(x) [CO(NH3)5(NO2)]2+

प्रश्न 7.
IUPAC नियमों का उपयोग करते हुए निम्न के सही नाम लिखिए –
(i) [CO(NH3)4]Cl3
(ii) [Pt(NH3)2CH(NH2CH3)]Cl
(iii) [Ti(H2O)6]3+
(iv) [CO(NH3)4Cl(NO2)]Cl
(v) [Mn(H2O)6]2+
(vi) [NiCl4]2-
(vii) [Ni(NH3)6]Cl2
(viii) [CO(en)3]3+
(ix) [Ni(CO)4].
उत्तर-
(i) हेक्साएमीनोकोबाल्ट (III) क्लोराइड
(ii) डाइएमीन क्लोरीडो (मेथिल एमीन) प्लैटिनम (II) क्लोराइड
(iii) हेक्साएक्वा टाइटेनियम (III) आयन।
(iv) टेट्राएमीनक्लोरीडोनाइट्रिटो-N-कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(v) हेक्साएक्वा मैंगनीज (II) आयन
(vi) टेट्राक्लोरीडोनिकलेट (III) आयन
(vii) हेक्साएमीन निकिल (II) क्लोराइड
(viii) ट्रिस (एथेन-1, 2-डाइएमीन) कोबाल्ट (III) आयन
(ix) टेट्राकार्बोनिल निकिल (0).

प्रश्न 8.
समन्वयन यौगिकों में संभावित विभिन्न प्रकार की समावयवता को प्रत्येक के उदाहरण देकर सूची बनाइए।
उत्तर
समन्वयन यौगिकों में समावयवता- जिन यौगिकों के रासायनिक सूत्र समान होते हैं परन्तु संरचना या अंतरिक्ष में विन्यास अलग होता है वे समावयवी (Isomers) कहलाते हैं। उपसहसंयोजी यौगिकों में विभिन्न प्रकार के बन्ध व आकृतियाँ (Shapes) सम्भव हैं, अतः विभिन्न प्रकार के समावयवी पाये जाते हैं।
संकुल या समन्वयन यौगिकों में भी दो प्रकार की समावयवता संभव है –
1. संरचनात्मक समावयवता (Structural isomerism),
2. त्रिविम समावयवता (Stereo isomerism)।
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1.संरचनात्मक समावयवता (Structural Isomerism)
केन्द्रीय धातु परमाणु के चारों ओर लिगैण्ड की जमावट (Arrangement) की भिन्नता के कारण उत्पन्न समावयवता को संरचनात्मक समावयवता कहते हैं। अब हम उनके प्रकारों पर विचार करेंगे।
(i) आयनन समावयवता-अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न में ल. उ. प्र. क्र. 28 देखें।
(ii) बन्धन समावयवता-अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न में ल. उ. प्र. क्र. 20 देखें।
(iii) हाइड्रेट समावयवता-अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न में ल. उ. प्र. क्र. 28 देखें।
(iv) उपसहसंयोजी समावयवता-यह समावयवता उन यौगिकों में पायी जाती हैं, जिनमें धनायन तथा ऋणायन दोनों ही संकुल आयन हो। धनायन संकुल के लिगैण्ड तथा ऋणायन संकुल के लिगैण्ड, अपने केन्द्रीय धातु परमाणु के साथ परस्पर परिवर्तन से समावयवी प्राप्त होते हैं।
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2. त्रिविम समावयवता (Stereo Isomerism) . ऐसे दो यौगिक जिनके अणुसूत्र एकसमान हो, उपस्थित सभी समूह समान हो, उनके बंधों का प्रकार भी समान हो, केवल समूहों (लिगैण्ड) का केन्द्रीय धातु आयन के चारों ओर अभिविन्यास अलग-अलग हो, त्रिविम समावयवी कहलाते हैं, क्योंकि ऐसे समावयवियों का अंतरिक्ष (Space) से संबंध होता है।
अभिविन्यास अलग होने से उनमें ज्यामितीय समावयवता भी हो सकती है अथवा अणु समग्र रूप से असममित (Dissymmetric) भी हो सकता है, जिससे प्रकाशकीय समावयवता संभव हो जाती है, अतः त्रिविम समावयवता दो प्रकार की होती है –

(A) ज्यामितीय समावयवता, (B) प्रकाशकीय समावयवता। –
(i) ज्यामितीय समावयवता-अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न में लघु उ. प्र. क्र. 8 देखें।
(ii) प्रकाशकीय समावयवता-अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न में दीर्घ उ. प्र. क्र. 5 देखें।

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प्रश्न 9.
निम्न समन्वयन मण्डलों में कितने संभावित ज्यामितीय समावयवी होंगे –
(i) [Cr(C2O4)3]3-तथा
(ii) [Co(NH3)3Cl3].
उत्तर
(i) शून्य
(ii) दो (fac एवं mer)।

प्रश्न 10.
निम्न की प्रकाशिक समावयवियों की संरचना बनाइए
(i) [Cr(C2O4)3]3-
(ii) [PtCl2(en)2]2+.
(iii) [Cr(NH3)2Cl2(en)]+.
उत्तर
(i)
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(ii)
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(iii)
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प्रश्न 11.
निम्न की सभी समावयवियों (ज्यामितीय एवं प्रकाशीय) की संरचना बनाइए –
(i) [COCl2(en)2]+
(ii) [CO(NH3)Cl(en)2]2+
(iii) [CO(NH3)2Cl2(en)]+
उत्तर-
(i)
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(ii)
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(iii)
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प्रश्न 12.
[Pt(NH3)(Br) (Cl)(py)] के सभी ज्यामितीय समाव-यवियों को लिखिए एवं इनमें से कितने प्रकाशीय समावयवी रखते हैं ?
उत्तर
तीन समावयवी
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इस प्रकार के समावयवी प्रकाशीय समावयवता नहीं दर्शाते। वर्ग समतलीय संकुलों में प्रकाशीय समावयवता केवल असममित कीलेट लिगेण्ड रखने वालों में पायी जाती है।

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प्रश्न 13.
जलीय कॉपर सल्फेट विलयन (नीले रंग का) देता है –
(i) जलीय पोटैशियम फ्लुओराइड के साथ हरा अवक्षेप, एवं
(ii) जलीय पोटैशियम क्लोराइड के साथ चमकीला हरा विलयन देता है। इन प्रयोगों के परिणामों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
जलीय कॉपर सल्फेट [Cu(H2O)4]SO4 के रूप में रहता है, इसका नीला रंग [Cu(H2O)4]2+ आयनों के कारण होता है।

(a) जब KF मिलाते हैं, तब दुर्बल जल (H2O) लिगेण्ड F लिगैण्ड द्वारा प्रतिस्थापित होकर [CuF4]2- आयन बनाता है, जो हरा अवक्षेप देता है।
[Cu(H2O)4]SO4 + 4F → [CuF4]2- + 4H2O

(b) जब KCI मिलाते हैं, तब दुर्बल जल (H2O) लिगैण्ड Cl आयनों द्वारा प्रतिस्थापित होकर [CuCl4]2- बनाता है, जो चमकदार हरे रंग का होता है। … [Cu(H2O)]SO4 + 4KCl → [CuCl4]2- + 4H2O.

प्रश्न 14.
जब जलीय KCN को जलीय कॉपर सल्फेट विलयन में आधिक्य में मिलाया जाता है, तो बनने वाला समन्वयन मण्डल क्या होगा? जब इस विलयन में H2S(g) प्रवाहित करते हैं, तो बनने वाले कॉपर सल्फाइड का अवक्षेप क्यों प्राप्त नहीं होता ?
उत्तर
यदि आधिक्य में जलीय KCN को जलीय CuSO4 विलयन में मिलाएँ, तो पोटैशियम टेट्रासायनोक्यूप्रेट (II) बनता है।
[Cu(H2O)4]2+ + 4CN → [Cu(CN)4]2-+ 4H2O.
यदि H2S(g) को उपरोक्त विलयन में प्रवाहित करते हैं, कॉपर सल्फाइड का कोई अवक्षेप प्राप्त नहीं होता है, क्योंकि CN आयन प्रबल लिगैण्ड हैं, इसलिए संकुल [Cu(CN)4]2- अत्यधिक स्थायी है। इस प्रकार, Cu2+ आयन उपलब्ध न होने के कारण CuS का अवक्षेप नहीं बनता।

प्रश्न 15.
संयोजकता बन्ध सिद्धांत के आधार पर निम्न समन्वयन मण्डलों में बंधों की प्रकृति की व्याख्या कीजिए –
(i) [Fe(CN)6]4-
(ii) [FeF6]3-
(iii) [CO(C2O4)3] 3-
(iv) [COF6]3-
उत्तर
(i) [Fe(CN)6]4- – d2sp3, अष्टफलकीय, प्रतिचुम्बकीय (NCERT पाठ्य-पुस्तक देखिए)।
(ii) [FeF6]3- – sp3d2 अष्टफलकीय, अनुचुम्बकीय (NCERT पाठ्य-पुस्तक देखिए) CoF के समान।
(iii) [CO(C2O4)3] 3- – d2sp3, अष्टफलकीय, अनुचुम्बकीय ([Fe(CN)614 के समान)।
(iv) [COF6]3- – sp3d2 अष्टफलकीय, अनुचुम्बकीय (NCERT पाठ्य-पुस्तक देखिए)।

प्रश्न 16.
अष्टफलकीय क्रिस्टल क्षेत्र की d-कक्षकों के विपाटन को चित्र बनाकर दर्शाइए।
उत्तर
CFSE की गणना निम्न प्रकार से कर सकते हैं –
CFSE = [-0-4x + 0.6y]Δ0
जहाँ, Δ0 = अष्टफलकीय संकुल में CFSE
x = t2g कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
y = eg कक्षकों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 23

प्रश्न 17.
स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रेणी क्या है ? दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड एवं प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड में अन्तर को समझाइए।
उत्तर
स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रेणी–लिगण्डों को उसके क्षेत्र शक्ति के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने अर्थात् क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा (CFSE) के बढ़ते मानों को स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रेणी कहते हैं।
दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड एवं प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड में अन्तर ऐसे लिगैण्ड जिनका CFSE (Δ0) का मान कम होता है, उन्हें दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड कहते हैं, जबकि जिन लिगैण्डों का उच्च CFSE मान होता है, उन्हें प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड कहते हैं।

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प्रश्न 18.
क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा क्या है ? समन्वयन मण्डल में वास्तविक d- कक्षकों के विन्यास को Δ0 का परिमाण कैसे निर्धारित करेगी।
उत्तर
जब लिगेण्ड संक्रमण धातु आयन के पास आते हैं, तब d-कक्षक दो सेटों में, कम ऊर्जा एवं उच्च ऊर्जा में विभक्त हो जाते हैं । कक्षकों के दो सेटों के बीच की ऊर्जा अन्तर को क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा (CFSE) कहते हैं, जैसे-अष्टफलकीय क्षेत्र के लिए Δ0 ।
उदाहरण के लिए, d तंत्र का निम्न विन्यास । पर निर्भर है।
(i) यदि Δ0 < P (युग्मन ऊर्जा), चौथा e eg कक्षक में से एक में प्रवेश कर t32g e1g विन्यास देता है।
(ii) यदि Δ0 > P, चौथा e t2g कक्षक में से एक में युग्मन होकर tA2g e0gविन्यास देता है।

प्रश्न 19.
[Cr(NH3 )6)]3+ अनुचुम्बकीय है, जबकि [Ni(CN)4]2- प्रतिचुम्बकीय है, क्यों ? समझाइए।
उत्तर
[Cr(NH3 )6)]3+ अनुचुम्बकीय है जबकि [Ni(CN)4]2+ प्रतिचुम्बकीय है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 24

छ: NH3 लिगैण्ड इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागकर d2sp3 संकरण कक्षक का निर्माण करते है क्योंकि 3d उपकक्षक में तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है। अतः [Cr(NH3)6]3+ आयन अनुचुम्बकीय है।
Ni= 28
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CN आयन प्रबल लिगैण्ड है।
इसलिए यह इलेक्ट्रॉन धकेलकर 3d उपकक्षक को इलेक्ट्रॉन रिक्त करता है, जो संकरण में भाग लेते हैं। एक 4s, दो 4p व एक 4d उपकक्षक मिलकर dsp2 संकरण कक्षक का निर्माण करते हैं।
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उप-सहसंयोजन यौगिक में कोई इलेक्ट्रॉन अयुग्मित नहीं है। अतः यह प्रतिचुम्बकीय है।

प्रश्न 20.
[Ni(H2O)6]2+का विलयन हरा है, जबकि [Ni(CN)4]2+ रंगहीन है, समझाइए।
उत्तर
H2O दुर्बल लिगैण्ड है, [Ni(H2O)6]2+ बाह्य कक्षक संकुल है। संकुल में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, यहाँ did संक्रमण संभव है। यह लाल प्रकाश को अवशोषित करता है एवं पूरक हरा प्रकाश उत्सर्जित होता है।
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CN प्रबल लिगैण्ड है, अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युग्मित हो जाते हैं। केन्द्रीय परमाणु dsp2 संकरण दर्शाते हैं, वर्ग समतलीय संकुल बनते हैं। कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित नहीं होते हैं, जिससे d-d संक्रमण संभव नहीं है, जिसके फलस्वरूप संकुल रंगहीन है।

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प्रश्न 21.
[Fe(CN)6]4- एवं [Fe(H2O6)]2+ तनु विलयनों में विभिन्न रंग के होते हैं, क्यों ?
उत्तर-
दोनों संकुलों में, Fe, +2 अवस्था में 3d6 विन्यास में है एवं इसमें चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं। लिगैण्ड H2O एवं CN दोनों की भिन्न क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा (Δ0) होती है, ये दृश्य प्रकाश (VIBGYOR) के विभिन्न अवयवों का अवशोषण d-d संक्रमण के लिए होता है जिससे विवर्तित रंग भिन्न होते

प्रश्न 22.
धातु कार्बोनिलों में बंधों की प्रकृति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
धातु कार्बोनिलों में पाए जाने वाले धात्विक कार्बन में s एवं p दोनों प्रकार के लक्षण विद्यमान होते हैं। धातु के रिक्त कक्षक में कार्बोनिल कार्बन पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के दान द्वारा M-C σ-बंध का निर्माण होता है। इसी प्रकार M-C π-बंध का निर्माण पूर्ण पूरित d-कक्षक वाले धातु के इलेक्ट्रॉन युग्म के कार्बन मोनोक्साइडे रिक्त प्रतिबंधीय π कक्षक में दान द्वारा होता है। इसे कार्बोनिल समूह की बैक बॉण्डिंग भी कहते हैं।

प्रश्न 23.
निम्न संकुलों में केन्द्रीय धातु आयन की ऑक्सीकरण अवस्था, d-कक्षकों का भरना एवं समन्वयन संख्या दीजिए
(i) K3[CO(C2O4)3]
(ii) cis-[Cr(en)2Cl2]Cl
(iii) (NH4)2[CoF4]
(iv) [Mn(H2O)6]SO4
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 28

प्रश्न 24.
निम्न संकुलों के IUPAC नाम लिखिए एवं ऑक्सीकरण अवस्था, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास एवं समन्वयन संख्या दर्शाइये। संकुल की त्रिविम रसायन एवं चुम्बकीय आघूर्ण दीजिए
(i) K[Cr(H2O)2(C2O4)2].3H2O
(ii) [CO(NH3)5Cl]Cl2
(iii) CrCl3(py)3
(iv) Cs[FeCl4]
(v) K4[Mn(CN)6].
उत्तर
(i) पोटैशियम डाइएक्वा डाइऑक्सेलेटो क्रोमेट (III) हाइड्रेट
(ii) पेण्टाएमीनक्लोरीडो कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(iii) ट्राईक्लोरीडोट्राईपिरीडीन क्रोमियम (III)
(iv) सीजियम टेट्राक्लोरीडो फेरेट (III)
(v) पोटैशियम हेक्सासायनोमैंगनेट (II)।
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प्रश्न 25.
विलयन में समन्वयन यौगिक के स्थायित्व का क्या अर्थ है ? संकुलों के स्थायित्व को प्रभावित करने वाले कारकों को लिखिए। .
उत्तर
संकुलों में स्थायित्व दो प्रकार से प्रतिपादित किया जा सकता है
1. ऊष्मागतिकीय स्थायित्व (Thermodynamic stability)–इस प्रकार के स्थायित्व से धातु-लिगैण्ड बंधन ऊर्जा, स्थायित्व स्थिरांक आदि के बारे में विचार किया जाता है।
2. गतिक स्थायित्व (Kinetic stability)—यह स्थायित्व संकुल निर्माण की दर से संबंधित है। वास्तव में हमें यह विचार करना होता है कि संकुल निर्माण में साम्यावस्था कितनी जल्दी अथवा कितनी देर से आती है। इस दृष्टि से संकुलों को दो भागों में बाँटा गया है-पहला अक्रिय (Inert) तथा दूसरा सक्रिय (Labile) जिस संकुल में एक लिगैण्ड का दूसरे लिगैण्ड से विस्थापन शीघ्रता से होता है उसे सक्रिय (Labile) संकुल कहते हैं तथा इसमें विस्थापन बहुत धीरे होता है उसे अक्रिय (Inert) संकुल कहते हैं।

कोई भी संकुल धातु परमाणु अथवा धातु आयन तथा लिगैण्ड के बीच उपसहसंयोजकता स्थापित होने से बनता है। सामान्यत: यह समन्वयन प्रबल होता है क्योंकि धातु आयन को अपने निकटतम अगले अक्रिय तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रॉन-युग्मों की आवश्यकता होती है, जो उसे लिगैण्ड द्वारा दी जाती है।
फिर भी संकुल के जलीय विलयन में संकुल के वियोजन को नकारा नहीं जा सकता। वस्तुतः संकुल तथा उसके वियोजित स्पीशीज के बीच एक साम्यावस्था होती है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 30

यह साम्यावस्था जितनी अधिक बायीं ओर झुकी होगी, संकुल उतना ही स्थायी होगा।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 31

जहाँ, साम्य स्थिरांक K को वियोजन स्थिरांक या अस्थिरता स्थिरांक कहते हैं जो समीकरण (ii) से प्राप्त होता है। K का मान कम होने पर संकुल का स्थायित्व अधिक होता है, आदि।
संकुलों के स्थायित्व को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक –
(1) धातु आयन की प्रकृति-(i) धातु आयन का आवेश व आकार-उच्च आवेश एवं छोटे आकार वाले धातु आयन स्थायी संकुल बनाते हैं।
(ii) धातु आयन की विद्युत्-ऋणात्मकता-उच्च विद्युत्-ऋणात्मकता वाले केन्द्रीय आयन अधिक स्थायी संकुल बनाते हैं।
(2) लिगैण्ड की प्रकृति –
(i) लिगैण्ड का आकार छोटा एवं आवेश उच्च होने पर संकुल अधिक स्थायी बनता है।
(ii) लिंगैण्ड की क्षारकता जितनी अधिक होती है, संकुल का स्थायित्व उतना ही अधिक होता है।
(iii) कीलेट संकुल, सामान्य संकुलों से अधिक स्थायी होते हैं।
(3) माध्यम या विलायक की प्रकृति-ऐसे विलायक जिनका परावैद्युतांक स्थिरांक और द्विध्रुव-आघूर्ण कम होता है, उसमें धातु व लिगैण्ड की अभिक्रिया कराने पर संकुलों का स्थायित्व बढ़ता है।

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प्रश्न 26.
कीलेट प्रभाव का क्या अर्थ है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
द्विदंतुर, त्रिदंतुर आदि लिगैण्ड धातु आयन के साथ कीलेट बनाकर संकुल को स्थायित्व प्रदान करते हैं। कीलेट के कारण स्थायित्व पर पड़ने वाले इस प्रभाव को कीलेट प्रभाव कहते हैं । जैसे-[Ni(NH3)]2+ तथा [Ni(en)3]2+ कीलेट प्रभाव के कारण अधिक स्थायी संकुल है।

प्रश्न 27.
समन्वयन यौगिकों का निम्न के प्रकरणों में उदाहरण देकर योगदान समझाइए
(i) जैविक तंत्र
(ii) वैश्लेषिक रसायन
(iii) दवा रसायनों एवं
(iv) धातुओं के निष्कर्षण | धातुकर्म।
उत्तर-
(i) जैविक तंत्र में-पौधों के विकास में कई धातुओं का महत्वपूर्ण स्थान है। उनकी कमी से पौधों की वृद्धि स्वस्थ रूप से नहीं होती। जैसे-आयरन की कमी से पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं किन्तु आयरन का ऑक्साइड जो मिट्टी में होता है, अविलेय होने के कारण पौधों द्वारा ग्रहण नहीं किया जा सकता। इसके लिए Fe-EDTA संकुल को मिट्टी में मिलाया जाता है। यह विलेय होने के कारण पौधों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।

(ii) वैश्लेषिक रसायन में –
(a) गुणात्मक विश्लेषण में -अकार्बनिक क्षारीय मूलकों के परीक्षण में, मूलकों के पृथक्करण में, आयनों का संकुल बनाया जाता है।
प्रथम समूह में यदि Ag+ तथा Hg22+ आयन दोनों उपस्थित हों, तो उन्हें पृथक् करने के लिए NH4OH का विलयन मिलाया जाता है जिससे Ag+ आयन NH3 के साथ विलेयशील संकुल बना लेता है अब इसे छानकर अलग कर दिया जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 32

द्वितीय समूह में यदि Cu2+ तथा Cd2+ दोनों उपस्थित हों तो HCl माध्यम में H2S गैस प्रवाहित करने पर दोनों आयन CuS तथा CdS

के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं। यदि हम केवल Cd2+ को Cds के रूप में अवक्षेपित कराना चाहें तो इसमें KCN विलयन मिलाया जाता है। ऐसा करने पर Cu2+ आयन स्थायी विलेयशील . संकुल बना लेता है जिससे यह H2S द्वारा Cus के रूप में अवक्षेपित नहीं हो पाता।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 33

(b) परिमाणात्मक विश्लेषण में-धातु आयनों का संकुल बनाकर दिये गये अज्ञात नमूने में धातु की प्रतिशत मात्रा ज्ञात कर सकते हैं।
जैसे-निकिल का भारात्मक निर्धारण करने के लिए Ni2+ आयनों को डाइमेथिलग्लाइऑक्जाइड के साथ संकुल बनाकर अवक्षेपित कर लिया जाता है।

कठोर जल में Ca2+ तथा Mg2+ आयनों का आयतनात्मक आकलन करने के लिए इन आयनों का EDTA के साथ विलेयशील संकुल बना लिया जाता है तथा आयतनमिति से आकलन किया जाता है।

(iii) दवा रसायनों में-प्लेटिनम के संकुल cis- प्लैटिन cis[PtCl2(NH3)2s] का उपयोग एण्टीकार्सिनोजेन के रूप में किया जाता है।
Ca-EDTA संकुल का उपयोग लेड प्वॉइजनिंग (Lead poisoning) में किया जाता है। Pb-EDTA के रूप में बना संकुल पेशाब द्वारा बाहर निकल जाता है।

(iv) धातुओं के निष्कर्षण / धातुकर्म में -रजत को रजत के अयस्क से तथा स्वर्ण को स्वर्ण के अयस्क से निष्कर्षित करने के लिये इन धातुओं का संकुल निर्मित किया जाता है –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 34

प्रश्न 28.
संकुल [CO(NH3)6 Cl2.O] विलयन में कितने आयन देते हैं –
(i) 6.
(ii)4
(iii)3
(iv) 2.
उत्तर
(iii)
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प्रश्न 29.
निम्न आयनों में से किसी एक के चुम्बकीय आघूर्ण का मान अधिकतम है –
(i) [Cr(H2O)6]3+
(ii) [Fe(H2O)6]2+ .
(iii) [Zn(H2O)6]2+ .
उत्तर
(ii) [Fe(H2O)6]2+ का चुम्बकीय आघूर्ण उच्च है, क्योंकि Fe2+ आयन में अधिकतम 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं।

प्रश्न 30.
K[CO(CO)4 में कोबाल्ट की ऑक्सीकरण संख्या है –
(i) +1
(ii) +3
(iii)-1
(iv)-3.
उत्तर
(iii) K[CO(CO)4]
1 +x+4 (0) = 0
x = -1.

प्रश्न 31.
निम्न में से सर्वाधिक स्थायी संकुल है –
(i) [Fe(H2O)6]3+
(ii) [Fe(NH3)6]3+
(iii) [Fe(C2O4)3]3-
(iv) [FeCl6]3-
उत्तर-
(iii) [Fe(C2O4)3]3- सर्वाधिक स्थायी संकुल है चूँकि यह कीलेट लिगैण्ड संकुल है।

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प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से दृश्यक्षेत्र में अवशोषण के तरंगदैर्घ्य का सही क्रम क्या होगा[Ni(NO2)] , [Ni(NHz)*, [Ni(H,0)]t.
उत्तर
सभी तीनों संकुलों में केन्द्रीय धातु आयन समान हैं, इस प्रकार, स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रेणी में लिगैण्ड की क्षेत्र प्रबलता का बढ़ता क्रम है –
H2O < NH3 < NO2
अतः उत्तेजित होने के लिए अवशोषित ऊर्जा का क्रम होगा
[Ni(H2O)6] 2+ < [Ni(NH3)6] 2+ < [Ni(NO2)6]4-
∴ \(E=\frac{h c}{\lambda}\) , इस प्रकार, अवशोषित तरंगदैर्घ्य विपरीत क्रम में होगा।

उपसहसंयोजन यौगिक अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

उपसहसंयोजन यौगिक वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए-

प्रश्न 1.
जीसे लवण (Zeise’s salt) का सही सूत्र है –
(a) K+[PtCl3(C2H4) ]
(b) K+[PtCl3-n2(C2H4)] Cl
(c) K+[PtCl3-n2-C2H4]
(d) K+[PtClz-n2-(C2H4) ].
उत्तर
(d) K+[PtClz-n2-(C2H4) ].

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन ओलिफिनिक कार्ब-धात्विक नहीं हैं –
(a) C4H4Fe(CO)3
(b) (C2H4PtCl3)2
(c) Be(CH2)2
(d) K[C2H4PtCl3]3H2O.
उत्तर
(c) Be(CH2)2

प्रश्न 3.
K3[Al(C2O4)3] का IUPAC NAME HI
(a) पोटैशियम एल्युमिनो ऑक्जेलेट
(b) पोटैशियम ट्राइऑक्जेलेटो ऐल्युमिनेट (III)
(c) पोटैशियम ऐल्युमिनियम (III) आक्जेलेट
(d) पोटैशियम ट्राइऑक्जेलेटो ऐल्युमिनेट (IV)।
उत्तर
(b) पोटैशियम ट्राइऑक्जेलेटो ऐल्युमिनेट (III)

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित के बनने के कारण AgCL जलीय अमोनिया में विलेय है –
(a) [Ag(NH3)4]2+
(b) [Ag(NH4)2]+
(c) [Ag(NH3)4]+
(d) [Ag(NH3)32]+
उत्तर
(d) [Ag(NH3)32]+

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन जलीय विलयन में सिल्वर नाइट्रेट के साथ सफेद अवक्षेप देगा –
(a) [Cs(NH3) Cl](NO2)2
(b) [Pt(NH3)2Cl2]
(c) [Pt(CN)Cl2]
(d) [Pt(NH3)]Cl2.
उत्तर
(d) [Pt(NH3)]Cl2.

प्रश्न 6.
Fe4[Fe(CN)6]3 का सही नामकरण है –
(a) फेरेसो फेरिक सायनाइड
(b) फेरिक फेरस हेक्सा सायनेट
(c) आयरन (III) हेक्सा सायनो फेरेट (II)
(d) हेक्सा सायनो फेरेट (III-II)।
उत्तर
(c) आयरन (III) हेक्सा सायनो फेरेट (II)

प्रश्न 7.
[Pt(NH3),Cl2] ज्यामितीय समावयवियों की संख्या होगी –
(a) दो
(b) एक
(c) तीन
(d) चार।
उत्तर
(a) दो

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प्रश्न 8.
को-ऑर्डिनेशन यौगिकों में किसी धातु का को-ऑर्डिनेशन नम्बर है
(a) प्राथमिक संयोजकता के समान
(b) प्राथमिक एवं द्वितीयक संयोजकता का योग
(c) द्वितीयक संयोजकता के समान
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(c) द्वितीयक संयोजकता के समान

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन-से संकुल में धातु की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य है –
(a) [Pt(NH3)2Cl2]
(b) [Cr(CO)6]
(c) [Cr(NH3)3Cl3]
(d) [Cr(CN)2Cl2].
उत्तर
(b) [Cr(CO)6]

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में कौन-सा कार्ब-धात्विक यौगिक नहीं है –
(a) एथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड
(b) टेट्राऐथिल लेड
(c) सोडियम एथॉक्साइड
(d) टेट्रामेथिल ऐल्युमिनियम।
उत्तर
(c) सोडियम एथॉक्साइड

प्रश्न 11.
संकुल [Fe(CN)6]3- , [Fe(CN)6]3- तथा [Fe(Cl)4]T में Fe की उपसहसंयोजन संख्या . क्रमशः होगी –
(a) 2, 2, 3
(b) 6, 6, 4
(c) 6, 3,3
(d) 6, 4, 6.
उत्तर
(b) 6, 6, 4

प्रश्न 12.
dsp संकरण का उदाहरण है
(a) [Fe(CN)6]3-
(b) [Ni(CN)4]2-
(c) [Zn(NH3)4]2+
(d) [FeF6]3-.
उत्तर
(b) [Ni(CN)4]2-

प्रश्न 13.
निम्न में से किस संकुल का एंटी कैंसर एजेन्ट के रूप में उपयोग किया जाता है –
(a) trans[Co(NH3)3Cl3]
(b) cis[Pt(NH3)2Cl2]
(c) cis-K2[PtCl2Br2]
(d) Na2CO3.
उत्तर
(b) cis[Pt(NH3)2Cl2]

प्रश्न 14.
NH3.[PtCl4]2- PCl5 एवं BCl3 में केन्द्रीय परमाणुओं के संकरण का सही क्रम है –
(a) dsp2, dsp3, sp2 और sp3
(b) sp3, sp3, sp3d और sp2
(c) dsp2, sp2, sp3 और dsp3
(d) dsp2, sp3, sp2 और dsp3.
उत्तर
(b) sp3, sp3, sp3d और sp2

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प्रश्न 15.
[Fe(CO)5] संकुल में Fe की ऑक्सीकरण अवस्था है –
(a)-1
(b) +2
(c) +4
(d) शून्य।
उत्तर
(d) शून्य।

प्रश्न 16.
ग्रिगनार्ड अभिकर्मक है –
(a) कार्ब-धात्विक यौगिक
(b) संकुल यौगिक
(c) द्विक लवण
(d) उदासीन यौगिक।
उत्तर
(a) कार्ब-धात्विक यौगिक

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प्रश्न 17.
संकुल लवणों की संरचना का प्रतिपादन किया –
(a) बर्जीलियस ने
(b) वर्नर ने
(c) राउल्ट ने
(d) फैराडे ने।
उत्तर
(b) वर्नर ने

प्रश्न 18.
मोहर लवण है –
(a) द्विक लवण
(b) संकुल लवण
(c) उदासीन लवण
(d) अभिकर्मक।
उत्तर
(a) द्विक लवण

प्रश्न 19.
सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड का सूत्र है –
(a) Na4[Fe(CN)5NOS]
(b) Na2[Fe(CN)5NO]
(c) NaFe[Fe(CN)6]
(d) Na2[Fe(CN)5NO2].
उत्तर
(b) Na2[Fe(CN)5NO]

प्रश्न 20.
निम्न में से कौन-सा यौगिक भिन्न है –
(a) पोटैशियम फेरोसायनाइड
(b) फेरस अमोनियम सल्फेट
(c) पोटैशियम फेरीसायनाइड
(d) ट्रेटाऐमीन कॉपर (II) सल्फेट ।
उत्तर
(b) फेरस अमोनियम सल्फेट

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. cis[Pt(NH3),Cl2] संकुल का …………. एजेन्ट के रूप में उपयोग किया जाता है।
  2. हीमोग्लोबिन आयरन का ………… यौगिक है।
  3. ज्यामितीय समावयवता …………. तथा ………….. संकुलों दोनों में पायी जाती है।
  4. डाइएथिल जिंक एक ……….. यौगिक है।
  5. [Ni(CO)4] संकुल में Ni की ऑक्सीकरण अवस्था ………….. है।
  6. K4[Fe(CN)6] का सही IUPAC नाम ………………… है।
  7. [CO(EDTA)] में कोबाल्ट की ऑक्सीकरण संख्या ….
  8. cis-डाइब्रोमो क्लोरो ट्राइएक्वोक्रोमियम का संरचना सूत्र ……………….. है।
  9. प्रस्फुटनरोधी कार्ब-धात्विक यौगिक का सूत्र ……
  10. [COF6]3- एक ………………. चक्रण संकुल है।
  11. EDTA ………………. लिगैण्ड है।
  12. षट्दन्तुर लिगैण्ट का उदाहरण ………………. है।

उत्तर

  1. एन्टी-कैंसर
  2. संकर
  3. चतुष्फलकीय, अष्टफलकीय
  4. कार्ब-धात्विक
  5. शून्य
  6. पोटैशियमहेक्सा – सायनोफेरेट (II)
  7. +3
  8. [Cr(H2O)3ClBr2]
  9. (C2H5)4Pb
  10. उच्च
  11. षट्दन्तुर
  12. E.D.T.A.

3. एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. [Co(NH3)5Br]SO4 तथा [CO(NH3)5SO4]Br में किस प्रकार की समावयवता पाया जाती है ?
  2. उस कार्ब-धात्विक यौगिक का नाम लिखिए, जिसका उपयोग पेट्रोल में अपस्फुटनरोधी यौगिक के
    रूप में किया जाता है।
  3. कैल्सियम के E.D.T. A. के साथ बने संकुलों का उपयोग किस धातु के विषैलेपन को दूर करने में
    किया जाता है ?
  4. डाई बेंजीन क्रोमियम की संरचना कैसी होती है ?
  5. Ni(CO)4 में किस प्रकार का संकरण होता है ?
  6. [Cr(H2O)5 SCN]2+ और [Cr(H2O)5NCS)2+ में कौन-सी समावयवता को प्रदर्शित करती है ?

उत्तर

  1. आयनन समावयवता,
  2. टेट्राएथिल लेड,
  3. लेड,
  4. सैंडविच,
  5. sp3
  6. बन्ध समावयवता।

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4. उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 36
उत्तर
1. (h), 2. (g), 3. (1), 4. (e), 5. (b), 6. (d), 7. (a), 8. (c), 9. (i).

उपसहसंयोजन यौगिक लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
द्विक-लवण एवं संकुल-लवण को समझाइए। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
द्विक-लवण (Double Salt)—ये योगशील यौगिक होते हैं जो जलीय विलयन बनाने पर अपने संघटक आयनों में टूट जाते हैं । द्विक लवण के सभी संघटक आयन अपनी स्वतन्त्र पहचान रखते हैं तथा आयनीकरण होने पर अपने परीक्षण देते हैं ।
जैसे-फेरस अमोनियम सल्फेट – FeSO4. (NH4)2SO4.H2O.
पोटाश एलम-K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O.

संकर-लवण या संकुल यौगिक (Complex compound)—इन यौगिकों में लिगैण्ड किसी धातु परमाणु या आयन से उप-सहसंयोजी बन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। धातु व लिगैण्ड मिलकर संकुल आयन बनाते हैं। जलीय विलयन में संकुल आयन अकेला आयन, जैसा व्यवहार करता है तथा संकुल आयन में लिगैण्ड के रूप में जुड़े आयन अपनी पहचान खो देते हैं, जैसे—K,[Fe(CN)6].

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प्रश्न 2.
ऐम्बीडेन्टेट लिगैण्ड को उदाहरण सहित समझाकर लिखिए।
उत्तर
संकुलों, जिसमें एकदन्ती लिगैण्ड एक से अधिक परमाणु केन्द्रीय धातु आयन को इलेक्ट्रॉन प्रदान कर उससे उप-सहसंयोजक बंध बनाते हैं, ऐम्बीडेन्टेट लिगैण्ड कहलाते हैं।
उदाहरण – NO2 आयन लिगैण्ड केन्द्रीय धातु आयन से या तो N या O द्वारा उप-सहसंयोजित हो सकता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 37

प्रश्न 3.
लिगैण्ड से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
लिगैण्ड (Ligand)—कोई भी परमाणु, आयन या अणु जो कि केन्द्रीय आयन को इलेक्ट्रॉन युग्म देकर उप-सहसंयोजी बन्ध बनाने में समर्थ होता है, संलग्नी या लिगैण्ड कहलाता है। उदाहरण-K4[Fe(CN)6] में CN लिगैण्ड है।

लिगैण्ड में वह विशिष्ट परमाणु जो वस्तुतः इलेक्ट्रॉन-युग्म देता है, दाता परमाणु (Donor atom) कहलाता है । किसी लिगैण्ड में एक से अधिक दाता परमाणु हों तो जुड़ने वाले परमाणुओं की संख्या एक, दो, तीन आदि के आधार पर उन्हें क्रमशः एकदन्तुर (Monodentate), द्विदन्तुर (Bidentate), त्रिदन्तुर (Tridentate), बहुदन्तुर (Polydentate) आदि कहा जाता है । इस प्रकार के कुछ लिगैण्ड अग्र दिये गये हैं –
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(लिगैण्ड में तारांकित परमाणु दाता परमाणु है।)

प्रश्न 4.
संकुल आयन क्या है ?
उत्तर
संकुल या जटिल आयन (Complex ion)—संकुल आयन वह आवेशित मूलक है, जो एक सरल धातु आयन और दो या अधिक उदासीन अणुओं या लिगैण्ड के उप-सहसंयोजक बन्ध द्वारा संयोजन से बना होता है। जैसे [Fe(CN)6]4- आयन । इसे बड़े कोष्ठक में लिखा जाता है। यह कोष्ठक उप-सहसंयोजी मण्डल (Co-ordination Sphere) कहलाता है।
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प्रश्न 5.
द्विदन्तुर तथा षट्दन्तुर लिगैण्ड के एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
द्विदन्तुर लिगैण्डए –
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प्रश्न 6.
उप-सहसंयोजन संख्या क्या है ? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
केन्द्रीय धातु या धातु आयन से उप-सहसंयोजक बन्ध द्वारा सीधे ही जुड़े हुए लिगैण्डों की संख्या को केन्द्रीय धातु आयन की उप-सहसंयोजन संख्या कहते हैं।
उदाहरण-[CO(NH3)6]3+ में CO3+ की उप-सहसंयोजन संख्या 6 है।
[Ag(CN)2] में Ag की उप-सहसंयोजन संख्या 2 है।

प्रश्न 7.
कार्ब-धात्विक यौगिक किसे कहते हैं ? कार्बधात्विक यौगिकों के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर
ऐसे यौगिक जिनमें कार्बनिक समूह का कार्बन परमाणु धातु परमाणु से आबन्धित होता है, कार्बधात्विक यौगिक कहलाते हैं।
कार्ब-धात्विक यौगिकों के उपयोग –
(i) टेट्राएथिल लेड (TE.L.) का उपयोग अपस्फुटनरोधी यौगिक के रूप में किया जाता है।।
(ii) जिग्लर-नाटा उत्प्रेरक का उपयोग एथिलीन व अन्य ऐल्कीन की बहुलीकरण क्रियाओं में किया जाता है।
(iii) एथिल मरक्यूरिक क्लोराइड (C2H5HgCl) का उपयोग कृषि में कीटनाशी के रूप में किया जाता है।
(iv) विल्किन्सन उत्प्रेरक का उपयोग कुछ ऐल्कीनों के हाइड्रोजनीकरण में किया जाता है।

प्रश्न 8.
ज्यामितीय समावयवता को एक उदाहरण देते हुए समझाइए।
उत्तर
ज्यामितीय समावयवता-इसे सिस-ट्रांस समावयवता भी कहते हैं। जब केन्द्रीय धातु आयन के चारों ओर दो समान लिगैण्ड एक-दूसरे के निकटवर्ती अर्थात् 90° पर होते हैं, तो उसे सिस-समावयवी एवं जब विकर्णवत् विपरीत अर्थात् 180° पर रहते हैं तो उन्हें ट्रांस-समावयवी कहते हैं।
इस प्रकार की समावयवता प्राय: वर्गसमतलीय [CN = 4] तथा अष्टफलकीय [CN = 6] संकुल यौगिकों में पायी जाती हैं।
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प्रश्न 9.
K4[Fe(CN)6] संकुल यौगिक का उदाहरण देते हुए वर्नर के सिद्धान्त को समझाइए।
उत्तर-
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(i) जब इसे जल में विलेय किया जाता है तो यह अपने अवयवी आयनों K+, Fe2+, CN में विभक्त नहीं होता बल्कि K+ एवं एक संकुल आयन [Fe(CN)6]4- देता है।
(ii) संकुल यौगिक का नाम-पोटैशियम हेक्सासायनोफेरेट (II)
(iii) K4[Fe(CN)6] का जलीय विलयन में आयनन –
K4[Fe(CN)6] ⇌ 4K+ + [FeII(CN)6]4-
वर्नर सिद्धान्त के अनुसार इस संकुल में केन्द्रीय धातु परमाणु Fe है, जिसकी ऑक्सीकरण संख्या 2 (प्राथमिक संयोजकता) तथा उप-सहसंयोजन संख्या (द्वितीयक संयोजकता) 6 है।

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प्रश्न 10.
संयोजकता बन्ध सिद्धांत के आधार पर [Ni(CN)4]2- की रचना को समझाइए। .
उत्तर
[Ni(CN)4]2- की संरचना  – [Ni(CN)4]2- आयन में Ni2+ आयन के रूप में है जिसका बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 है। [Ni(CN)4]2- आयन में Ni2+ की उप-सहसंयोजन संख्या 4 है तथा प्रायोगिक मापनों से ज्ञात है कि आयन प्रतिचुम्बकीय होता है। यह तभी सम्भव है जब Ni2- आयन में कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन न हो अर्थात् 3dz2 अपना इलेक्ट्रॉन \(3 d_{x^{2}-y^{2}}\) को देकर युग्मित कर दे।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 43
अब 3dz2, 4s, 4p, और 4py कक्षक संकरित होकर NC चार नवीन dsp2 संकरित कक्षक बनाते हैं, जो वर्ग समतलीय रूप से व्यवस्थित होते हैं जो चार CN आयनों के 4 एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण करते हैं तथा σ – बन्ध बनाते हैं । अब इसमें एक भी अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं है । अत: [Ni(CN)4]2- प्रतिचुम्बकीय होता है।
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प्रश्न 11.
प्रभावी परमाणु संख्या (EAN) क्या है ? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
उप-सहसंयोजक यौगिक के केन्द्रीय धातु परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या तथा बन्ध के बनने से प्राप्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या के योग को प्रभावी परमाणु संख्या (EAN) कहते हैं। प्रभावी परमाणु संख्या = परमाणु संख्या – आयन बनने में लुप्त इलेक्ट्रॉन + लिगैण्ड द्वारा प्रदत्त इलेक्ट्रॉन युग्मों की संख्या
K4[Fe(CN)6] में Fe के लिए EAN = 26 – 2 + 12 = 36.

प्रश्न 12.
(1) निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए –
(अ) [HgI4]2-
(ब) [Ag(CN)2],
(स) [Fe(C5H5)2],
(द) K [Ag (CN)2].
(2) जीसे सॉल्ट एवं फेरोसीन क्या है ? संरचना सहित समझाइए।
उत्तर
(1) यौगिकों के IUPAC नाम –
(अ) टेट्राआयोडोमरक्यूरेट (II) आयन
(ब) डाइसाइनोअर्जेण्टेट (I) आयन ।
(स) बिस (साइक्लोपेण्टाडाइनिल) आयरन (II)
चित्र-जीसे लवण (द) पोटैशियम डाइसाइनोअर्जेण्टेट (I)
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(2) (i) जीसे लवण (Zeise’s Salt) K[PtCl32 – C2H4)] –
इस यौगिक की खोज डेनमार्क के भेषजज्ञ (Danish Pharmacist) जायसे (Zeise) ने सन् 1830 में की थी। यह संक्रमण धातुओं के प्रथम प्राप्त यौगिकों में से एक है। इसमें एथिलीन अणु का तल (Plane) तथा C =C अक्ष केन्द्रीय परमाणु के प्रत्याशित बन्ध-दिशा के लम्बवत् होता है।
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यह नारंगी-पीले रंग का यौगिक होता है, इसकी खोज सन् 1951 ई. में कीली और पाउसन (Kealy and Pauson) तथा मिलर एवं उनके सहयोगियों (Miller and Co-worker) ने की। इसकी सैंडविच संरचना (Sandwitch structure) होती है, जिसमें दो साइक्लोपेण्टाडाइनिल रिंग (Cyclopentadienyl rings) के बीच आयरन परमाणु होता है।

प्रश्न 13.
कीलेट (Chelate) किसे कहते हैं ? उदाहरण व महत्व लिखिए।
उत्तर
धातु या धातु आयन के साथ संयोजन कर जब कोई बहुदन्तुर लिगैण्ड चक्रीय संरचना वाला अणु बना लेता है, तो यह यौगिक कीलेट कहलाता है।
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जैसे-निकिल डाइमेथिल ग्लाइऑक्जीम
महत्व – (i) आन्तरिक संक्रमण तत्वों के पृथक्करण में
(ii) कठोर जल के मृदुकरण में
(iii) गुणात्मक विश्लेषण में, कुछ धातु आयनों की पहचान में।

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प्रश्न 14.
प्राथमिक तथा द्वितीयक संयोजकताओं में क्या अन्तर है ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर
प्राथमिक संयोजकता आयनित हो सकती है, जबकि द्वितीयक संयोजकता आयनित नहीं हो सकती। प्राथमिक संयोजकता को ठोस (पूर्ण) रेखा ” से तथा द्वितीयक संयोजकता को बिन्दुकित या टूटी रेखा से प्रदर्शित करते हैं।
उदाहरण – [Co(NH3)6]Cl3 में प्राथमिक संयोजकता 3 तथा द्वितीयक
संयोजकता 6 है।
Co = केन्द्रीय धातु, NH3, Cl3 = लिगैण्ड।
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प्रश्न 15.
धातुओं के निष्कर्षण में उप-सहसंयोजक यौगिकों का क्या महत्व है ?
उत्तर
धातुकर्म में-धातुकर्म में गोल्ड, सिल्वर जैसे धातुओं का निष्कर्षण भी संकुलों के माध्यम से ही किया जाता है। धातुओं के अयस्कों की तनु सायनाइड विलयन के साथ क्रिया कराने पर विलेयशील सायनाइड संकुल बनते हैं । जिनकी क्रिया जिंक जैसे अधिक धन-विद्युती धातुओं के साथ कराने पर ये धातुएँ मुक्त होकर अवक्षेपित हो जाती हैं।
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प्रश्न 16.
निम्नलिखित संकुल यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए –
(a) [Cu(NH3)4]SO4
(b) [Cr(H2O)6]Cl3
(c)[Ni(CO)4]
(d) K2[HgI4].
उत्तर
(a) ट्रेटाएमीनकॉपर (II) सल्फेट
(b) हेक्साएक्वाक्रोमियम (III) क्लोराइड
(c) ट्रेटाकार्बोनिलनिकिल (0)
(d) पोटैशियम ट्रेटाआयोडोमरक्यूरेट (II)।

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प्रश्न 17.
द्विक-लवण और संकुल-लवण में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
द्विक-लवण और संकुल-लवण में अन्तर –
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 51

प्रश्न 18.
निम्नलिखित उप-सहसंयोजी यौगिकों के रासायनिक सूत्र लिखिए –
(a) ट्राइनाइट्राइटों ट्राइऐमीन कोबाल्ट (III)
(b) ट्रिस (एथिलीनडाइऐमीन) क्रोमियम (III) क्लोराइड
(c) पेण्टा कार्बोनिल आयरन (0)
(d) टेट्रा क्लोरो प्लेटिनेट (II) आयन।
उत्तर-
(a) [CO(NH3)3(ONO)3]
(b) [Cr(en)3]Cl3
(c) [Fe(CO)5]
(d) [Pt Cl4]-2

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प्रश्न 19.
निम्नलिखित के IUPAC नाम लिखिए –
(i) K4Ni(CN)4]
(ii) H2[CuCl4]
(iii) [Ag(NH3)2]Cl
(iv) [Ni(CO)4].
उत्तर
(i) पोटैशियम टेट्रासायनोनिकलेट (0) आयन
(ii) हाइड्रोजन टेट्राक्लोरोक्यूप्रेट (II) आयन
(iii) डाइ एमीन सिल्वर (I) क्लोराइड
(iv) टेट्राकार्बोनिल निकिल (0) आयन।

प्रश्न 20.
उप-सहसंयोजी यौगिक में बंधन समावयवता व आयनीकरण समावयवता को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर
बन्धन समावयवता-जब केन्द्रीय धातु आयन से एक ही लिगैण्ड भिन्न परमाणु द्वारा जुड़ता है तो प्राप्त संरचना भिन्न होती है, जो एक-दूसरे के समावयवी होते हैं । इस घटना को बन्ध समावयवता कहते हैं। इस प्रकार के लिगैण्ड को ऐम्बीडेण्टेड लिगैण्ड कहते हैं, जैसे –
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संरचना-I में Ni2+ से थायोसायनेट सल्फर द्वारा और संरचना-II में नाइट्रोजन परमाणु द्वारा जुड़ा है।
आयनीकरण समावयवता – ऐसे यौगिक जिनका मूलानुपाती सूत्र एक ही होता है किन्तु जो विलयन में आयनन के पश्चात् भिन्न-भिन्न आयन देते हैं, आयनन समावयवी कहलाते हैं तथा यह समावयवता आयनन समावयवता कहलाती है। यह उप-सहसंयोजी मण्डल के अन्दर तथा बाहर के लिगैण्ड के विनिमय के कारण उत्पन्न होती है।
उदा.- [Co(NH3)5 Br]SO4 यह SO2-4 आयन देता है
[Co(NH3)5 SO4] Br यह Br आयन देता है।

प्रश्न 21.
(i)
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का IUPAC नाम बताइए।
(ii) यौगिक [Cr(NH3)4(ONO)Cl]NO3 में लिगैण्ड तथा उप-सहसंयोजन संख्या लिखिए। (iii) कार्बोनेटो पेन्टाऐमीनकोबाल्ट (III) क्लोराइड का रासायनिक सूत्र लिखिए।
उत्तर
(i)”μ – ऐमीडो, μ – हाइड्रॉक्सी बिस [टेट्रा ऐमीन कोबाल्ट (III) आयन]
(ii) लिगैण्ड (a) NH3, (b) ONO, (c) Cl अर्थात् लिगैण्ड की कुल संख्या 3 एवं उप-सहसंयोजन संख्या = 6 है।
(iii) [Co(NH3)5CO3]Cl.

प्रश्न 22.
निम्नलिखित उप-सहसंयोजी यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए –
(i) NH4(Cr(NH3)2(NCS)4]
(ii) K2(PtCl6)
(iii) (CoCl(en)2NH3)++
(iv) K[Pt (NH3)Cl5]
(v) [Fe(CO)5].
उत्तर
(i) अमोनियम टेट्राआइसोथायोसायनेटो डाइऐमीनक्रोमेट (III) आयन
(ii) पोटैशियम हेक्साक्लोरोप्लेटिनेट (IV) आयन
(iii) क्लोरोबिस (एथिलीन डाइऐमीन), ऐमीन कोबाल्ट (III) आयन
(iv) पोटैशियम पेन्टाक्लोरोऐमीनप्लेटिनेट (IV) आयन
(v) पेन्टाकार्बोनिल आयरन।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए –
(i) Li(AlH4)
(ii) [Cr(NH3)6 (NH3]NO3)3
(iii) [Cr(H2O)6]Cl3
(iv) K3[Fe(CN)6].
उत्तर
(i) लीथियम टेट्राहाइड्रिडोऐल्यूमिनेट (III)
(ii) हेक्साएमीन क्रोमियम (III) नाइट्रेट
(iii) हेक्साऐक्वाक्रोमियम (III) क्लोराइड
(iv) पोटैशियम हेक्सासायनोफेरेट (III)।

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प्रश्न 24.
उप-सहसंयोजी यौगिकों द्वारा प्रदर्शित प्रकाशिक समावयवता को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर
प्रकाशिक समावयवता-इस प्रकार की समावयवता ऐसे दो समान यौगिकों में पायी जाती है, जो एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं, जिन्हें एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं किया जा सकता, ऐसी समावयवता असममिति के कारण उत्पन्न होती है।
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प्रश्न 25.
कार्ब-धात्विक यौगिकों के चार महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
कार्ब-धात्विक यौगिकों के महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं –
(1) औषधि में मरक्यूरोक्रोम, मर्करीहाइड्रिन, टिंचर पूतिरोधी (Antiseptic) औषधियों में प्रयुक्त मरकरी के कार्ब-धात्विक यौगिक हैं।
(2) कृषि में अनेक कार्ब-मरकरी यौगिक जैसे-एथिल मरकरी क्लोराइड या फॉस्फेट से बीज अभिकृत किये जाते हैं।
(3) अपस्फोटरोधी (Antiknock) ट्रेटाएथिल लेड एक महत्त्वपूर्ण अपस्फोटरोधी है।
(4) उत्प्रेरक-संक्रमण धातुओं के विलेयशील कार्ब-धात्विक संकर समांग उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। जैसे—विल्किन्सन उत्प्रेरक (Ph,P), RhCl का उपयोग द्वि-बन्धों के हाइड्रोजनीकरण में किया जाता है।
(5) उद्योगों में कार्ब-लीथियम तथा कार्ब-ऐल्युमिनियम यौगिक उत्प्रेरक के रूप में प्रयुक्त होते हैं। कार्बधात्विक यौगिकों के उत्प्रेरक के रूप में प्रयोग द्वारा अनेक रंजक (Dyes) तथा रसायनों का निर्माण सम्भव है।
(6) रासायनिक संश्लेषण में ग्रिगनार्ड अभिकर्मक एवं अन्य लीथियम यौगिक कार्बनिक संश्लेषण में बहुउपयोगी हैं।

प्रश्न 26.
निम्नलिखित के IUPAC पद्धति में नाम लिखिए
(i) [Cr(H2O)6]Cl3
(ii) [Ag (NH3)2]Cl,
(iii) H2[CuCl4],
(iv) [CO(NH3)6]Cl3,
(v) K2[PtCl6],
(vi) [Pt Cl4(NH3)2].
उत्तर
(i) हेक्साऐक्वाक्रोमियम (III) क्लोराइड
(ii) डाइएमीन सिल्वर (I) क्लोराइड
(iii) हाइड्रोजन टेट्राक्लोरोक्यूप्रेट (II)
(iv) हेक्साएमीन कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(v) पोटैशियम हेक्साक्लोरोप्लैटिनम (IV)
(vi) डाइएमीनटेट्रा-क्लोरोप्लैटिनम (IV)।

प्रश्न 27.
निम्न उपसहसंयोजी यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए –
(i) K[Ag(CN)2],
(ii) K4[Fe(CN)6],
(ii) [Ag(NH3)2]Cl,
(iv) [Cr(NH3)6]Cl3.
उत्तर
(i) पोटैशियम डाइसायनोअर्जेन्टेट (I)
(ii) पोटैशियम हेक्सासायनोफेरेट (II)
(iii) डाइएमीनसिल्वर (I) क्लोराइड
(iv) हेक्साएमीनक्रोमियम (III) क्लोराइड।

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प्रश्न 28.
उप-सहसंयोजी यौगिकों में आयनन समावयवता और हाइड्रेट समावयवता को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर
आयनन समावयवता – समावयवियों का स्टॉकियोमीट्री संघटन एक ही होता है, परन्तु विलयन . में उनसे प्राप्त होने वाले आयन भिन्न प्रकार के होते हैं, ऐसे समावयवी आयनन समावयवी कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ – [Co(NH3)5Br]SO4 (गहरा बैंगनी)-यह विलयन में SO42- आयन देता है, जबकि [CO(NH3 )5SO4]Br (लाल)-यह विलयन में Br आयन देता है। ये दोनों आयनन समावयवी हैं।
हाइड्रेट समावयवता-जब किसी संकुल के उप-सहसंयोजक मण्डलं के भीतर और बाहर जल के अणुओं की संख्या में भिन्नता होती है, तब हाइड्रेट समावयवता उत्पन्न होती है।
उदाहरणार् थ- CrCl6.6H2O के तीन हाइड्रेट समावयवी निम्नलिखित हैं –
(i) [Cr(H2O)6]Cl3-बैंगनी,
(ii) [Cr(H2O)5 Cl]Cl2.H2O—हरा,
(iii) [Cr(H2O)4Cl2]Cl.2H2O—गहरा हरा।

प्रश्न 29.
निम्नलिखित उप-सहसंयोजी यौगिकों के रासायनिक सूत्र लिखिए –
(a) हेक्साऐमीन कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(b) टेट्राऐमीन कॉपर (II) सल्फेट
(c) टेट्राऐमीन प्लैटिनम (II) क्लोराइड
(d) पोटैशियम हेक्सासायनो फैरेट (II)।
उत्तर
(a) [Co(NH3)6]Cl3
(b) [Cu(NH3)4]SO4
(c)[Pt(NH3)4]Cl2
(d) K4[FeII(CN)6].

प्रश्न 30.
निम्नलिखित उप-सहसंयोजी यौगिकों के रासायनिक सूत्र लिखिए –
(a) क्लोरो पेंटाऐमीन कोबाल्ट (II) क्लोराइड
(b) पोटैशियम डाइसायनो अर्जेण्टेट (I)
(c) हेक्साएक्वा क्रोमियम (III) क्लोराइड
(d) टेट्रासायनो निकिलेट (I)।
उत्तर
(a) [Co(NH3)5Cl]Cl2
(b) K[Ag(CN)2]
(c) [Cr(H2O)6]Cl3
(d) [Ni(CN)4]2-

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प्रश्न 31.
निम्नलिखित उप-सहसंयोजी यौगिकों के रासायनिक सूत्र लिखिए –
(a) हेक्सा ऐमीन प्लैटिनम (IV) क्लोराइड
(b) पोटैशियम हेक्सासायनो फेरेट (III)
(c) डाइक्लोरो डाइएमीनो प्लैटिनम (II)
(d) सोडियम पेन्टासायनो नाइट्रोसिल फेरेट (III)।
उत्तर
(a) [Pt(NH3)6]Cl4
(b) K3[FeIII(CN)6]
(c) [Pt(NH3)2Cl2]
(d) Na2[Fe(CN)5NO].

प्रश्न 32.
निम्न के I.U.P.A.C पद्धति में नाम लिखिए –
(a) [Pt(NH3)2Cl2]
(b) K3[Fe(CN)6]
(c) [CO(NH3)6]Cl3
(d) Pt[(NH3)6]Cl4
(e) CuCl42-.
उत्तर
(a) डाइक्लोरो डाइऐमीन प्लैटिनम (II)
(b) पोटैशियम हेक्सासायनो फेरेट (III)
(c) हेक्साऐमीन कोबाल्ट (III) क्लोराइड
(d) हेक्साऐमीन प्लैटिनम (IV) क्लोराइड
(e) ट्रेटाक्लोरो क्यूप्रेट (II)।

प्रश्न 33.
निम्नलिखित के I.U.P.A.C.पद्धति में नाम लिखिए –
(a) K4[Fe(CN)6]
(b) [Cr(NH3)6(NO2)3]
(c) [Ni(CN)3]Cl3
(d) K2[Pt(Cl)6]
(e) Ni (CO)4.
उत्तर
(a) पोटैशियम हेक्सासायनो फेरेट (II), (b) ट्राइनाइट्रो हेक्साऐमीन क्रोमियम (III), (c) ट्राइसायनो निकिल (III) क्लोराइड, (d) पोटैशियम हेक्साक्लोराइड प्लैटिनम, (e) टेट्राकार्बोनिल निकिल (0)।

प्रश्न 34.
Ni(CO)4 एवं [NiCl4]2- दोनों में sp3 संकरण होता है फिर भी Ni(CO)4 प्रतिचुम्बकीय है जबकि [NiCl4]2- अनुचुम्बकीय, क्यों ?
उत्तर
Ni(CO)4 में CO प्रबल लिगैण्ड होने के कारण d- ऑर्बिटल में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन हो जाता है जबकि [NiCl4]2- में Cl दुर्बल लिगैण्ड है जिसके कारण 3d ऑर्बिटल में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन संभव नहीं है। अतः (NiCl4)2- में 3d- ऑर्बिटल में दो इलेक्ट्रॉन अयुग्मित रहते हैं इसलिए दोनों संकुल में sp3 संकरण होने पर भी Ni(CO)4 प्रतिचुम्बकीय और [NiCI4] अनुचुम्बकीय है।

प्रश्न 35.
[Co(NH3)5Br]SO4 एवं [Co(NH3)5SO4]Br में कैसे विभेद करेंगे? .
उत्तर
ये दोनों संकुल आयनन समावयवी हैं। पहला BaCl2 के साथ सफेद अवक्षेप (BaSO4) देगा, दूसरा BaCl2 से कोई अवक्षेप नहीं देगा। इसी प्रकार दूसरा संकुल [Co(NH3)5SO4]Br, AgNO3 के साथ पीला अवक्षेप देगा जबकि पहला कोई अवक्षेप नहीं देगा।

उपसहसंयोजन यौगिक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित उप-सहसंयोजी यौगिकों के केन्द्रीय धातु आयन की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात कीजिए।
(a) [Pt(NH3)Cl3]
(b) [Zn(H2O)3OH]+
(c) Na4[Ni(CN)4]
(d) K2[Zn(OH)4]
उत्तर
(a) [Pt(NH3)Cl3]
1(x) + 3(0) + 3(-1) = -1
x + 0 – 3= -1
x = +2.

(b) [Zn(H2O)3OH]+
1(x) + 3(0) + 1(-1) = +1
x + 0 – 1 = +1
x= +2.

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(c) Na4[Ni(CN)4]
4(+1) + 1(x)+ 4(-1)= 0
4 + x – 4 = 0
x = 0
30.

(d) K2[Zn(OH)4]
2(+1) + 1(x) + 4(-1) = 0
2 + x – 4 = 0
x = +2.

प्रश्न 2.
निम्नलिखित के बनाने की एक-एक विधि दीजिए
(a) टेट्राब्यूटिल टिन, (b) टेट्राएथिल लेड, (c) n-ब्यूटिल लीथियम, (d) फैरोसीन, (e) निकिल टेट्राकार्बोनिल, (f) जीसे लवण।
उत्तर
बनाने की विधियाँ –

(a) टेट्राब्यूटिल टिन –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 55

b) टेट्राएथिल लेड –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 56

(c) n-ब्यूटिल लीथियम –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 57

(d) फैरोसीन—साइक्लोपेण्टाडाइनिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड और FeCl2 की अभिक्रिया से फैरोसीन बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 58

(e) निकिल ट्रेटाकार्बोनिल—सूक्ष्म विभाजित Ni पर 353 K ताप पर CO गैस प्रवाहित करने पर बनता है ।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 59

(f) जीसे लवण –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 60

प्रश्न 3.
संयोजकता बन्ध सिद्धान्त के आधार पर [Ni(CO) की रचना समझाइए।
उत्तर-
[Ni(CO) की संरचना निकिल टेट्राकार्बोनिल में निकिल परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य (0) होती है I Ni का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 4s23d8 या 3d10 होता है । sp3d संकरण के फलस्वरूप चार चतुष्फलकीय रूप में sp3 कक्षक बनते हैं जो रिक्त होते हैं । इनसे चार CO अणु जुड़ जाते है, फलस्वरूप चतुष्फलकीय निकिल टेट्राकार्बोनिल अणु बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 61

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प्रश्न 4.
संयोजकता बंध सिद्धान्त के आधार पर [Zn(NH3)4]2+ की रचना को समझाइए।
उत्तर
[Zn(NH3)4]2+ की संरचना –
Zn (30) : 1s2, 2s2p6, 3s2p6d10, 4s2p0
Zn++ (28) : KL 3s2p6
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 62
उपर्युक्त विन्यास से स्पष्ट है कि 3d- कक्षकों में 10 इलेक्ट्रॉन होने से ये पूर्णतया सन्तृप्त होते हैं और ये संकरण में भाग नहीं लेंगे ।4s और 4p- कक्षकों में sp3 संकरण होता है, जिससे 4 संकर ऑर्बिटल बनते हैं जो कि चतुष्फलक के चार कोनों की ओर उन्मुख होते हैं । चार NH3 अणुओं के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म sp-सिग्मा कक्षक Zn2+ के चार sp3 संकरित कक्षकों से अतिव्यापन करके चार σ-बन्ध बनाते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 63

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प्रश्न 5.
चतुष्फलकीय तथा अष्टफलकीय उप-सहसंयोजक यौगिकों द्वारा प्रदर्शित प्रकाशिक समावयवता को एक-एक उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर
प्रकाशिक समावयवता—इस प्रकार की समावयवता ऐसे दो समान यौगिकों में पायी जाती है, जो एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं, जिन्हें एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं किया जा सकता, ऐसी समावयवता असममिति के कारण उत्पन्न होती है ।

वे यौगिक जो समतल ध्रुवित प्रकाश को दायीं ओर घुमाते हैं, दक्षिण ध्रुवण घूर्णक या d-समावयवी तथा जो बायीं ओर घुमाते हैं उन्हें वाम ध्रुवण घूर्णक या l-समावयवी कहते हैं । इस प्रकार की समावयवता सामान्यतः चतुष्फलकीय संकुलों [CN = 4] तथा अष्टफलकीय संकुलों [CN = 6] द्वारा प्रदर्शित होती हैं ।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 64

प्रश्न 6.
धातुओं के निष्कर्षण तथा धातु आयनों के आकलन में संकुल यौगिकों के अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर
धातुओं के निष्कर्षण तथा धातु आयनों के आकलन में संकुल यौगिकों के अनुप्रयोग –
1. धातु निष्कर्षण में सिल्वर और गोल्ड का उनके अयस्कों से निष्कर्षण करने के लिए सोडियम सायनाइड विलयन से अभिकृत करते हैं, इसमें संकुल बनता है –

(i) सिल्वर ग्लान्स अयस्क NaCN विलयन में विलेय होकर Na[Ag(CN)2] जटिल यौगिक बनाता है जिसमें Zn चूर्ण डालकर Ag को अवक्षेपित कर लेते हैं।

Ag2S + 4NaCN → 2Na[Ag(CN)2] + Na2S.
2Na[Ag(CN)2] +Zn → Na2[Zn(CN)4] + 2Ag↓

Au मुक्त अवस्था में मिलता है। अयस्क चूर्ण को NaCN या KCN विलयन में लेकर 12 से 24 घण्टे रखे रहने पर Au विलेय जटिल यौगिक बनाता है।

4Au+ 8KCN + 2H2O +O2 (वायु से)- 4K[Au(CN)4] + 4KOH

प्राप्त विलयन में Zn छीलन डालने पर Au का अवक्षेपण हो जाता है।

2K[Au(CN)2] + Zn → K2[Zn(CN)4] + 2Au

2. धातु आयनों के आकलन में-धातु आयनों के गुणात्मक विश्लेषण और मात्रात्मक आकलन में संकुल यौगिकों के अनुप्रयोग हैं, जैसे-Ni2+ की पहचान और आकलन डाइमेथिल ग्लाइऑक्जिम (D.M.G.) के साथ लाल रंग का संकुल बनाकर किया जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 65

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प्रश्न 7.
क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त को समझाइए।
उत्तर
यह सिद्धान्त बेथे एवं वान ब्लेक द्वारा प्रतिपादित किया गया। इसके अनुसार, केन्द्रीय धातु आयन एवं इनके लिगैण्ड के बीच बन्धन विशुद्ध वैद्युत् आकर्षण से उत्पन्न होता है। यदि लिगैण्ड ऋणायन है, तो धनायन की तरफ का आकर्षणं उसी प्रकार का होता है जिस प्रकार किन्हीं विपरीत आवेशित कणों के बीच आकर्षण पाया जाता है। यदि लिगैण्ड उदासीन अणु है, तो इस द्विध्रुव का ऋणायन सिरा केन्द्रीय धनात्मक आयन की ओर आकर्षित होता है। अतः इनके बीच बन्धन आयन-आयन आकर्षण या आयन द्विध्रुव आकर्षण के कारण होता है।

क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त में धातु आयन की ओर निर्देशित लिगैण्ड के कारण d-कक्षकों का विभिन्न ऊर्जा स्तरों में विपाटन हो जाता है। विपाटन की मात्रा (जो कि धातु आयन तथा लिगैण्ड की प्रकृति पर निर्भर होता है) के आधार पर संकुल की संरचना व गुणों की व्याख्या होती है। संक्रमण धातु संकुलों में रंग, दृश्य प्रकाश के अवशोषण के कारण होता है जिसके कारण इलेक्ट्रॉन एक d- कक्षक से दूसरे d- कक्षक में उत्तेजित (d-d संक्रमण) होते हैं।

इस प्रकार यह सिद्धान्त सरल है तथा संकुलों के अधिकांश गुणों की सफलतापूर्वक व्याख्या इसकी सहायता से की जा सकती है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 9 उपसहसंयोजन यौगिक - 66

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन

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ऐमीन NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित एमीनों को प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक एमीनों में वर्गीकृत कीजिये

1.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 1

2.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 2
3. (C2H5)2CHNH2
4. (C2H5)2NH.
उत्तर

  1. प्राथमिक (1°)
  2. तृतीयक (3°)
  3. प्राथमिक (1°)
  4. द्वितीयक (2°).

प्रश्न 2.

  1. अणुसूत्र C4H11N से प्राप्त विभिन्न समावयवी एमीनों की संरचना लिखिए।
  2. सभी समावयवी के IUPAC नाम लिखिए। .
  3. विभिन्न युग्मों द्वारा किस प्रकार की समावयवता प्रदर्शित होती है ?

उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 3
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 4

समावयवता-
(i)-(iv) तथा (vi)-(vii) स्थान समा-वयवता, (v)-(vi) तथा (v)-(vii) मध्यावयवता। (i), (ii), (iii), (iv) तथा (i)-(iii) श्रृंखला समावयवता दर्शाते हैं।

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प्रश्न 3.
आप निम्नलिखित परिवर्तन कैसे करेंगे

  1. बेंजीन से एनिलीन
  2. बेंजीन से N, N डाइमेथिल एनिलीन
  3. Cl-(CH2)4-CI से हेक्सेन 1, – 6 डाइएमीन।

उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 5

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को उनकी बढ़ती क्षारीयता के क्रम में लिखिये

  1. C2H5NH2,C6H5NH2,NH3, C6H5CH2 NH2 तथा (C2H5)2NH
  2. C2H5NH2, (C2H5)2NH, (C2H5)3N, C6H5NH2
  3. CH3NH2, (CH3)2NH, (CH3)3N, C6H5NH2, C6H5CH2NH2

उत्तर

  1. C6H5NH2 < NH3 < C6H5CH2NH2 < C2H5NH2< (C2H5)2NH
  2. C6H5NH2< C2H5NH2 < (C2H5)3N < (C2H5)2NH
  3. C6H5NH2< C6H5CH2NH2 < (CH3)3N < CH3NH2< (CH3)2NH

प्रश्न 5.
निम्नलिखित अम्ल-क्षार अभिक्रिया को पूर्ण कीजिये तथा उत्पादों के नाम लिखिये

  1. CH3CH2CH2NH2 + HCl →
  2. (C2H5)N + HCI →

उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 6

प्रश्न 6.
सोडियम कार्बोनेट विलयन की उपस्थिति में मेथिल आयोडाइड के आधिक्य द्वारा ऐनिलीन के ऐल्किली-करण में उत्पन्न होने वाले उत्पादों के लिये अभिक्रिया लिखिये।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 7

प्रश्न 7.
एनिलीन की बेन्जॉयल क्लोराइड के साथ रासायनिक अभिक्रिया द्वारा उत्पन्न उत्पादों के नाम लिखिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 8

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प्रश्न 8.
अणुसूत्र C3H9N से प्राप्त विभिन्न समावयवों की संरचना लिखिये। उन समावयवों के IUPAC नाम लिखिए, जो नाइट्स अम्ल के साथ नाइट्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
उत्तर
(a)C3H9N के चार संरचना समावयवी हैं, ये हैं-
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 9

प्रश्न 9.
निम्नलिखित परिवर्तन कीजिये”

  1. 3-मेथिल एनिलीन से-3-नाइट्रोटॉलुईन
  2. एनिलीन से 1, 3, 5 ट्राइब्रोमोबेंजीन।।

उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 10

ऐमीन पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों को प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक एमीनों में वर्गीकृत कीजिये तथा इनके IUPAC नाम लिखिये

  1. (CH3)2CHNH2
  2. CH3(CH2)2NH2
  3. CH3NHCH(CH3)2
  4. (CH3)3CNH2
  5. C6H5NH-CH3
  6. (CH3CH2)2NCH3
  7. m-BrC6H4NH2

उत्तर

  1. प्रोपेन-2-एमीन (1°)
  2. प्रोपेन-1-एमीन (1°)
  3. N-मेथिलप्रोपेन-2-एमीन (2°)
  4. 2-मेथिल प्रोपेन-2-एमीन (3°)
  5. N-मेथिलबेन्जेनामीन या N-मेथिलएनिलीन (2°)
  6. N-एथिल-N-मेथिलऐथनामीन (3°)
  7. 3-ब्रोमोबेन्जेनामीन या 3-ब्रोमोएनिलीन (1°)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित युगलों के यौगिकों में विभेद के लिये एक रासायनिक परीक्षण दीजिये मेथिल एमीन एवं डाइमेथिल एमीन

  1. द्वितीयक व तृतीयक एमीन
  2. एथिल एमीन एवं ऐनिलीन
  3. ऐनिलीन व बेन्जिलएमीन
  4. एनिलीन व N-मेथिल एनिलीन।

उत्तर
1. कार्बिल एमीन परीक्षण द्वारा- मेथिलएमीन एक प्राथमिक एमीन है। अतः ये कार्बिल एमीन परीक्षण देंगे। इसके विपरीत डाइमेथिल एमीन एक द्वितीयक एमीन है, अतः ये परीक्षण नहीं देगा।
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2. लिबरमैन नाइट्रोसोएमीन परीक्षण द्वारा- 2° एमीन HNO2 (जो HCI तथा NaNO2 की क्रिया द्वारा उत्पन्न होता है) के साथ क्रिया द्वारा पीले रंग का तैलीय N-नाइट्रोसोएमीन देता है। उदाहरण
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 12
N-नाइट्रोसोडाइएथिल एमीन फिनॉल तथा सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म किये जाने पर हरा विलयन देता है जिसे जलीय NaOH से क्षारीय करने पर गहरे नीले रंग में तथा तनुकरण पर लाल रंग में बदलता है। तृतीयक एमीन में परीक्षण नहीं देता है।

3. ऐजोरंजक परीक्षण द्वारा-किसी भी प्राथमिक एरोमैटिक एमीन की क्रिया HNO2(NaNO2+ dil. HCI) से 273-278 K पर β-नेपथॉल के क्षारीय विलयन से क्रिया कराने पर तीव्र पीला, नारंगी या लाल रंग का रंजक बनाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 13

ऐलिफैटिक प्राथमिक एमीन इस दशा में तीव्रता से N, गैस के साथ प्राथमिक एल्कोहॉल बनाता है। अर्थात् विलयन रंगहीन रहता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 14

4. एनिलीन [(iii) में देखिये] रंजक परीक्षण देती है। बेन्जाइल एमीन नाइट्रस अम्ल के साथ क्रिया करके बेन्जॉयल एल्कोहॉल तथा बुलबुले के रूप में N, गैस देती है।
C6H5CH2NH2 + HNO2 → C6H5CH2OH + N2+ H2O

5. ये कार्बिल एमीन परीक्षण द्वारा विभेदित की जाती है। एनिलीन प्राथमिक एमीन है इसलिये कार्बिल एमीन परीक्षण देती है। अर्थात् जब KOH के एल्कोहॉलिक विलयन CHCl3 के साथ गर्म करने पर फेनिल आइसोसायनाइड की दुर्गंध देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 15
मेथिल एनिलीन (1° एमीन) नाइट्रस अम्ल के साथ क्रिया द्वारा नाइट्रोसोएमीन (पीला तैलीय द्रव) बनाता है जो कि कमरे के ताप पर स्थायी होता है। अतः ईथर में HCI तथा एल्कोहॉल के साथ क्रिया पर नाइट्रोसो (-NO) समूह पैरा स्थिति पर चला जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 16

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के कारण बताइये

  1. ऐनिलीन का pKa मेथिल ऐमीन की तुलना में अधिक होता है।
  2. ऐथिल ऐमीन जल में विलेय है जबकि ऐनिलीन नहीं।
  3. मेथिल ऐमीन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का अवक्षेप देता है।
  4. यद्यपि ऐमीनों समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में ऑर्थों एवं पैरा निर्देशक होता है फिर भी ऐनिलीन नाइट्रीकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में मेटानाइट्रो- ऐनिलीन देती है।
  5. ऐनिलीन फ्रीडल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।
  6. ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलि-फैटिक ऐमीनों से प्राप्त लवण से अधिक स्थायी होते हैं।
  7. प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रियल थैलि-माइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती है।

उत्तर
1. एनिलीन में नाइट्रोजन के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेंजीन रिंग पर विस्थापनीकृत होने से नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व को कम करते हैं।
इसके विपरीत CH3NH2 में CH3 समूह का + प्रभाव नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ाता है। इसलिये एनिलीन मेथिल ऐमीन से दुर्बल क्षार है। अतः एनिलीन का pKa मान मेथिल एमीन से ज्यादा होता है।

2. अन्तराआण्विक हाइड्रोजन बंध के कारण एथिल ऐमीन पानी में घुलनशील होता है। एनिलीन में बड़ा जलविरोधी भाग (हाइड्रोफोबिक) हाइड्रोजन बंध के विस्तार को घटाता है। अतः एनिलीन जल में अघुलनशील होता है।

3. मेथिल ऐमीन जल से ज्यादा क्षारीय होता है तथा पानी से एक प्रोटॉन ग्रहण कर OH आयन मुक्त करता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 17
ये OH आयन जल में उपस्थित Fe+3 आयन से संयुक्त होकर जलीयकृत फेरिक ऑक्साइड का भूरा अवक्षेप बनाता है।
FeCl3 → Fe+3+3Cl
2Fe+3+ 6OH → 2Fe(OH)3 या Fe2O3,.3H2O
जलीय फेरिक ऑक्साइड (भूरा अवक्षेप)

4. प्रबल अम्लीय माध्यम (सान्द्र HNO3/ सान्द्र H2SO4) में एनिलीन बहुतायत में प्रोटॉनीकृत होकर एनि-लीनियम आयन MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 18 बनाता है जो m-दिशात्मक व निष्क्रियात्मक समूह होता है जबकि एनिलीन का – NH2 (एमीन) 0-, p-दिशात्मक तथा सक्रियात्मक समूह है। इसी कारण o-, p-व्युत्पन्न के साथ व्यापक मात्रा में m-व्युत्पन्न भी बनते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 19

5. एनिलीन लुईस क्षार होता है, अतः लुईस अम्ल AICI3 के साथ लवण बनाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 20
अतः एनिलीन के नाइट्रोजन पर धनावेश होने के कारण यह इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन के लिये प्रबल निष्क्रियात्मक समूह का कार्य करता है। इस कारण एनिलीन फ्रीडल-क्रॉफ्ट्स अभिक्रिया नहीं देता है।

6. एरोमैटिक एमीन के डाइएजोनियम लवण एलिफैटिक एमीन की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं, क्योंकि इसमें धनावेश बेंजीन रिंग पर विस्थापनीकृत रहता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 21
7. गेब्रियल थैलिमाइड अभिक्रिया शुद्ध प्राथमिक एमीन बिना 2° तथा 3° एमीन के मिलावट के देता है। इसलिये 1 एमीन संश्लेषण में इसे प्राथमिकता दी जाती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को क्रम में लिखिए
1. pKb मान के घटते क्रम में-
C2H5NH2, C6H5NHCH3, (C2H5)2NH एवं C6H5NH2

2. क्षारीय प्राबल्य के घटते क्रम में –
C6H5NH2, C6H5N(CH3)2, (C2H5)2NH2एवं CH3 NH3

3. क्षारीय प्राबल्य के बढ़ते क्रम में –
(क) ऐनिलीन, पैरा-नाइट्रोऐनिलीन एवं पैरा-टॉल्यु-डीन
(ख) C6H5NH2, C6H5)NHCH3 C6H5CH2NH2

4. गैस अवस्था में घटते हुए क्षारीय प्राबल्य के क्रम में-
C2H5NH2, (C2H5)NH, (C2H5)3N एवं NH3

(v) क्वथनांक के बढ़ते क्रम में-
C2H5OH, (CH3))2NH, C2H5NH2

(vi) जल में विलेयता के बढ़ते क्रम में
C6H5NH2, (C2H5)NH, C2H5NH2
उत्तर –
1. नाइट्रोजन परमाणु के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के बेंजीन रिंग पर विस्थापनीकरण के कारण C6H5NH2, तथा C6H5NHCH3, C2H5NH2 तथा (C2H5)2NH की तुलना में कम क्षारीय होंगे। इसी प्रकार

-CH3 समूह के +I प्रभाव के कारण C6H5NHCH3, C6H5NH2 की तुलना में थोड़ा अधिक क्षारीय होगा।

C2H5NH2 तथा (C2H5)2NH में (C2H5)2NH, C2H5NH2 की तुलना में कम क्षारीय होगा। दो –
C2H5 समूह के +I प्रभाव के कारण होगा। सभी प्रभावों को मिलाकर इन चारों एमीन की घटती आपेक्षिक क्षारीय प्रबलता का क्रम होगा
(C2H5)NH > C2H5NH2 > C,6H5NHCH3> C6H5NH2
चूंकि प्रबलतम क्षार का pK, मान कम होता है। अतः इनके PK. मान विपरीत क्रम में घटते हैं।
C6H5NH2> C6H5NHCH3 > C6H5NH2> (C6H5)NH

2. उत्तर (i) के अनुसार एमीनों की आपेक्षिक क्षारीयता का घटता क्रम हैं
(C2H5)2NH > C2H5NHCH3 > C5H5NH2
CH3NH2 तथा (C2H5)2NH में से दो -C2H5 समूह के ज्यादा +I प्रभाव के कारण (C2H5)2NH, CH3NH2 से अधिक क्षारीय होता है। अत: चारों एमीन की क्षारीय प्रबलता का घटता क्रम हैं
(C2H5)2NH> CH3NH2 >C6H5N(CH3)2>C6H5NH2

3. (क) इलेक्ट्रॉन- दान करने वाले समूह एमीन की क्षारीय प्रबलता को बढ़ाते हैं जबकि इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले (इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह) क्षारीय प्रबलता को घटाते हैं। अतः क्षारीयता का बढ़ता क्रम होगा
p- नाइट्रोएनिलीन < एनिलीन

(ख) C6H5NH2 तथा C6H5NHCH3 में N बेंजीन रिंग से सीधे जुड़ा होता है तथा N-परमाणु के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेंजीन रिंग पर विस्थापनीकृत रहते हैं। अत: C6H5NH2 तथा C6H5NHCH3 दोनों C6H5CH2NH2से दुर्बल क्षार है। आगे-CH3 समूह के +I प्रभाव के कारण C6H5NHCH3, C6H5NH2से प्रबल क्षार होता है। क्षारीय प्रबलता का बढ़ता क्रम है
C6H5NH2 < C6H5NHCH3 < C6H5CH2NH2

4. विलायक प्रभाव – गैस प्रावस्था में H-बंध के कारण संयुग्मी अम्लों का स्थायित्व का बढ़ना नहीं पाया जाता है। गैसीय प्रावस्था में क्षारीय प्रबलता मुख्यतः एल्किल समूहों के +I प्रभाव पर निर्भर करती है। अतः गैसीय प्रावस्था में क्षारीय प्रबलता का घटता क्रम है
(C2H5)N > (C2H5)2)NH > C2H5NH2> NH3

5. चूँकि O की विद्युत्-ऋणात्मकता N से ज्यादा होती है, अतः एल्कोहॉल एमीन से प्रबल H-बंध बनाते हैं । इसके अलावा H-बंध का विस्तार N-परमाणु पर उपस्थित H-परमाणुओं की संख्या पर निर्भर करता है। अतः अन्तरा-आण्विक बल का क्रम होगा
C2H5OH > C2H5NH2> (CH3)2NH
अतः दिये गये तीन यौगिकों के क्वथनांक का बढ़ता क्रम हैं
(CH3)2NH < C2H5NH2< C2H5OH

6. विलेयता घटती है –

  1. जलविरोधी हाइड्रोकार्बन भाग के आकार के बढ़ने के कारण एमीन का आण्विक भार बढ़ना।
  2. N-परमाणु जो H-बंध से गुजरते हैं। उन पर उपस्थित H-परमाणुओं की संख्या का घटना।
    दिये गये यौगिकों में से उच्चतम (अधिकतम) आण्विक भार 93,C6H5NH2 का इसके बाद (C2H5)2NH का 73 होता है जबकि C2H5NH2 का निम्नतम आण्विक भार 45 होता है। अतः विलेयता आण्विक भार घटने के साथ बढ़ती है। अतः
    C6H5NH2 < (C2H5)2NH2 < C2H5NH2

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प्रश्न 5.
इन्हें आप कैसे परिवर्तित करेंगे

  1. एथेनोइक अम्ल को मेथेनामीन में
  2. हेक्सेननाइट्राइल को 1-ऐमीनोपेन्टेन में
  3. मेथेनॉल को एथेनोइक अम्ल में ।
  4. एथेनामीन को मेथेनामीन में
  5. एथेनोइक अम्ल को प्रोपेनोइक अम्ल में
  6. मेथेनामीन को ऐथेनामीन में
  7. नाइट्रोमेथेन को डाइमेथिलऐमीन में
  8. प्रोपेनोइक अम्ल को ऐथेनोइक अम्ल में ?

उत्तर
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 24

प्रश्न 6.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों की पहचान की विधि का वर्णन कीजिए। इन अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी लिखिए।
उत्तर
हिंसबर्ग परीक्षण – यह प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक एमीन में विभेद के लिये एक उत्तम परीक्षण है। एपीन की बेंजीन सल्फोनिल क्लोराइड (हिंसबर्ग अभिकर्मक) के साथ क्रिया जलीय पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड विलयन की अधिकता में की जाती है।

प्रश्न 7.
निम्न पर लघु टिप्पणी लिखिए

  1. कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया
  2. डाइऐजोटीकरण
  3. हॉफमैन ब्रोमामाइड अभिक्रिया
  4. युग्मन अभिक्रिया
  5. अमोनी-अपघटन
  6. ऐसीलिकरण
  7. गैब्रियल थैलिमाइड संश्लेषण।

उत्तर
1. कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया- जब प्राथमिक ऐमीन को क्लोरोफार्म तथा ऐल्कोहॉली कॉस्टिक क्षार के साथ गर्म किया जाता है, जो कार्बिल ऐमीन (आइसोसायनाइड) की अरुचिकर गन्ध आती है। यह अभिक्रिया केवल प्राथमिक ऐमीनों द्वारा ही सम्पन्न होती है, इसे कार्बिल ऐमीन परीक्षण कहते हैं।
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2. डाइऐजोटीकरण- ऐनिलीन के हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के विलयन को हिम मिश्रण द्वारा 5°C तक ठण्डा करके उसमें सोडियम नाइट्राइट का हिमशीत विलयन मिलाने पर बेंजीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनता है। इस प्रकार ऐमीन समूह (-NH2) का डाइऐजो समूह (-N2X) द्वारा विस्थापन को डाइऐजोटीकरण कहते हैं।
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3. हॉफमैन ब्रोमामाइड अभिक्रिया- इस अभिक्रिया को हॉफमैन ब्रोमामाइड अभिक्रिया कहते हैं, क्योंकि क्रिया के दौरान बनने वाला एक उत्पाद ब्रोमामाइड है, इसे हॉफमैन पुनर्विन्यास भी कहते हैं, क्योंकि अभिक्रिया के एक पद में पुनर्विन्यास होता है। इसी अभिक्रिया को हॉफमैन डिग्रेडेशन भी कहते हैं क्योंकि अंतिम उत्पाद में कार्बन परमाणु कम हो जाता है।
जब कोई एमाइड क्षार की उपस्थिति में ब्रोमीन से अभिक्रिया करता है तो एक कार्बन परमाणु कम होकर प्राथमिक एमीन बनाता है

R-CONH2+Br2 +3NaOH →RNH2 +2NaBr+ NaHCO3 + H2O
जैसे- एसीटामाइड से मेथिलामीन तथा बेंजामाइड से एनिलीन बनता है।
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4. युग्मन अभिक्रिया-हिमताप पर जब एनिलीन की क्रिया बेंजीन डाइएजोनियम लवण से कराई जाती है तो एक पीला पदार्थ प्राप्त होता है, जिसे हल्का गर्म करने पर चमकदार नारंगी-लाल रंजक बनता है।
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5. अमोनी-अपघटन (Ammonolysis)- यह वह क्रिया है जिसमें या तो एल्किल (या एरिल हैलाइड) के हैलोजन अणु में या एल्कोहॉल (या फिनॉल) के हाइड्रॉक्सिल समूह का विस्थापन एमीनों समूह के द्वारा होता है। इस क्रिया में एल्कोहॉलीय अमोनिया अभिकर्मक प्रयुक्त होता है। सामान्यतः प्राथमिक, द्वितीयक या तृतीयक एमीन बनते हैं।
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6. एसीटिलीकरण – एलिफैटिक तथा एरोमैटिक प्राथमिक तथा द्वितीयक एमीन अम्ल क्लोराइड, ऐनहाइड्राइड तथा एस्टर के साथ नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया देते हैं । इस अभिक्रिया में -NH2 या> NH समूह की परमाणु एसिल समूह द्वारा प्रतिस्थापित होते हैं तथा इस अभिक्रिया को एसीटिलीकरण या एसीलीकरण कहते हैं।

अभिक्रिया एमीन से प्रबल क्षार की उपस्थिति में होती है, जैसे – पिरिडीन, जो बने हुए HCl को निष्कासित करके साम्यावस्था को दायीं तरफ विस्थापित करती है तथा एसीटिलीकरण द्वारा बना उत्पाद एमाइड कहलाता है।
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7. गैब्रियल थैलिमाइड संश्लेषण-इस अभिक्रिया में थैलिमाइड KOH से क्रिया करके पोटैशियम थैलिमाइड बनाता है, जो ऐल्किल हैलाइड से अभिक्रिया कर N-ऐल्किल थैलिमाइड देता है, जिसके जल अपघटन से प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होते हैं।
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प्रश्न 8.
निम्न परिवर्तन निष्पादित कीजिए

  1. नाइट्रोबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल
  2. बेन्जीन से m-ब्रोमोफीनॉल
  3. बेन्जोइक अम्ल से ऐनिलीन
  4. ऐनिलीन से 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफ्लुओरोबेन्जीन
  5. बेन्जिल क्लोराइड से 2-फेनिलएथेनामीन
  6. क्लोरोबेन्जीन से p-क्लोरोऐनिलीन
  7. ऐनिलीन से p-ब्रोमोऐनिलीन
  8. बेन्जेनामाइड से टॉलूईन
  9. ऐनिलीन से बेन्जॉइल ऐल्कोहॉल। NO,

उत्तर
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 34
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प्रश्न 9.
निम्न अभिक्रियाओं में A, B तथा C की संरचना दीजिए –
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उत्तर
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 38
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 39

प्रश्न 10.
एक ऐरोमैटिक यौगिक ‘A’ जलीय अमोनिया के साथ गर्म करने पर यौगिक ‘B’ बनाता है जो Br, एवं KOH के साथ गर्म करने पर अणु सूत्र C6H5N वाला यौगिक ‘C’ बनाता है। A, B एवं cयौगिकों की संरचना एवं इनके IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर
यौगिक ‘B’ तथा ‘C’ की संरचनाएँ
1. चूँकि ‘C’, ‘B’ से बना है, उसकी Br2 + KOH के साथ क्रिया द्वारा (i.e. हॉफमैन ब्रोमामाइड अभिक्रिया)। अत: ‘B’ एक एमाइड तथा ‘C’ एक एमीन होगा। अणुसूत्र C6H5NH2 वाला ही एमीन (बेंजामीन या एनिलीन) होगा।

2. चूँकि ‘C’ एनिलीन है तथा इससे बनने वाले एमाइड बेन्जामाइड (C6H5CONH2) होगा। अतः यौगिक ‘B’ बेन्जामाइड होगा।
‘B’ से ‘C’ में परिवर्तन का रासायनिक समीकरण है
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 50
यौगिक A की संरचना – चूँकि ‘A’ को जलीय अमोनिया के साथ गर्म करने पर बेंजामाइड बनाता है। अत: ‘A’ बेन्जोइक अम्ल होगा।
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प्रश्न 11.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए

1. C6H5NH2 + CHCl3 + KOH (ऐल्कोहॉली) →
2. C2H5N2CI+ H3PO2 + H2O →
3.  C6H5NH2 + H2SO4 (सान्द्र) →
4.  C6H5N2CI+C2H5OH →
5.  C6H5NH2+ Br2(aq) →
6.  C6H5NH2+ (CH3CO)2O →

7.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 52
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 53

प्रश्न 12.
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रियल थैलिमाइड संश्लेषण से क्यों नहीं बनाया जा सकता?
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 54
चूँकि ऐरिल हैलाइड न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया सरलता से नहीं करता है। इसलिये ऐरोमैटिक प्राथमिक एमीन गैब्रियल थैलिमाइड अभिक्रिया द्वारा नहीं बनाये जाते हैं।

प्रश्न 13.
ऐलिफैटिक एवं ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों की नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
एरोमैटिक प्राथमिक एमीन HNO2 के साथ 273-278K पर क्रिया करके ऐरोमैटिक डाइएजोनियम लवण बनाते हैं
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 55
एनिलीन ऐलिफैटिक प्राथमिक एमीन HNO2 के साथ 273-278 K पर भी क्रिया करके ऐलिफैटिक डाइएजोनियम लवण बनाते हैं। परन्तु ये कम ताप पर भी अस्थायी होते हैं। अतः सरलता ये विघटित होकर यौगिकों की मिश्रण जिसमें एल्किल क्लोराइड, एल्कीन तथा एल्कोहॉल होता है बनाते हैं जिनमें से एल्कोहॉल प्रमुखता से बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 56

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में प्रत्येक का संभावित कारण बताइए

  1. समतुल्य अणु द्रव्यमान वाले ऐमीनों की अम्लता ऐल्कोहॉलों से कम होती है।
  2. प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक एमीनों से अधिक होता है।
  3. ऐरोमैटिक ऐमीनों की तुलना में ऐलिफैटिक ऐमीनों प्रबल क्षारक होते हैं।

उत्तर
1. एमीन एक प्रोटॉन को त्यागकर एक ऐमाइल आयन बनाते हैं जबकि एल्कोहॉल एक प्रोटॉन त्यागकर एल्कॉक्-साइड आयन देते हैं
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 57
चूँकि ‘O’,N तथा MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 60 से ज्यादा विद्युत्-ऋणात्मक होता है, इसलिये ऋण आवेश को MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 59 आयन की तुलना में ज्यादा सरलता से (अनुकूलतम) से ग्रहण किये रहता है।
दूसरे शब्दों में MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 58, MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 59 से ज्यादा स्थायी होता है। अतः एल्कोहॉल एमीन से ज्यादा अम्लीय या एमीन एल्को-हॉल से कम अम्लीय होते हैं।

2. प्राथमिक एमीन (R – NH2) पर दो हाइड्रोजन परमाणु N परमाणु पर होते हैं। अतः ये विस्तारित अन्तःआण्विक हाइड्रोजन बंध में भाग लेते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 62
तृतीयक एमीन (RN) में हाइड्रोजन परमाणु, N परमाणु पर नहीं होता है, अतः इसमें H-बंध नहीं होता है। परिणामतः प्राथमिक एमीन का क्वथनांक संगत अणुभार वाले तृतीयक एमीन से ज्यादा होते हैं। उदाहरण
n-ब्यूटाइल एमीन का क्वथनांक (351K) तृतीयक ब्यूटाइल एमीन (b.p. 319 K) से ज्यादा उच्च होता है।

3. एरोमैटिक एमीन में नाइट्रोजन के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेंजीन के साथ संयुग्मन में शामिल हो जाते हैं। जिससे नाइट्रोजन पर धनावेश आ जाता है तथा एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नाइट्रोजन पर दान करने के लिये उपलब्ध नहीं होते हैं। जबकि ऐलिफैटिक एमीन में मेथिल समूह पर +I प्रभाव होने से नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है इसलिये ये प्रबल क्षारक होते हैं।

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ऐमीन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

ऐमीन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
एनिलीन ठण्डे में नाइट्रस अम्ल (NaNO, + HCI) में अभिकृत करने पर देती है-
(a) C6H5OH
(b) C6H5N2Cl
(c) C6H5NO2
(d) C6H5Cl.
उत्तर
(b) C6H5N2Cl

प्रश्न 2.
एक नाइट्रोजनयुक्त कार्बनिक यौगिक, क्लोरोफार्म व ऐल्कोहॉली KOH के साथ गर्म करने पर अति दुर्गन्धयुक्त वाष्प देता है। यह यौगिक हो सकता है-
(a) नाइट्रो बेंजीन
(b) बेंजेन्एमाइड
(c) N – N डाइमेथिल एनिलीन
(d) एनिलीन।
उत्तर
(d) एनिलीन।

प्रश्न 3.
एथिल एमीन नाइट्रस अम्ल से क्रिया करके बनाता है-
(a) अमोनिया
(b) नाइट्रस ऑक्साइड
(c) एथेन
(d) नाइट्रोजन ।
उत्तर
(d) नाइट्रोजन ।

प्रश्न 4.
कम तापक्रम पर नाइट्रस अम्ल प्रतिक्रिया स्वरूप तेलीय नाइट्रोसैमीन देने वाली यौगिक है-
(a) मेथिल एमीन
(b) डाइमेथिल एमीन
(c) ट्राइमेथिल एमीन
(d) ट्राइएथिल एमीन।
उत्तर
(b) डाइमेथिल एमीन

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन सर्वाधिक क्षारीय है-
(a) C6H5NH2
(b) (CH3)2 NH
(C) (CH3)3N
(d) NH3.
उत्तर
(b) (CH3)2 NH

प्रश्न 6.
बेंजीन डाइएजोनियम क्लोराइड के जल-अपघटन से प्राप्त होता है
(a) क्लोरोबेंजीन
(b) फीनॉल
(c) ऐल्कोहॉल
(d) बेंजीन।
उत्तर
(b) फीनॉल

प्रश्न 7.
अभिक्रिया C6H5CHO + C6H5NH3 →C6H5N=CHC6H5+H20 में C6H5N =CHC6H5 कहलाता है-
(a) एल्डॉल
(b) शिफ अभिकर्मक
(c) शिफ बेस
(d बेनेडिक्ट अभिकर्मक।
उत्तर
(c) शिफ बेस

प्रश्न 8.
नाइट्रो बेंजीन निम्न में से किसके द्वारा N- फेनिल हाइड्रॉक्सिल ऐमीन देता है
(a) Sn/HCI
(b) C6H5CH2NH-CH3
(c) Zn / NaOH
(d) Zn/ NH4Cl.
उत्तर
(c) Zn / NaOH

प्रश्न 9.
कार्बिल एमीन अभिक्रिया ऐल्कोहॉली KOH को इनके मिश्रण के साथ गर्म करके की जाती
(a) क्लोरोफार्म और रजत पूर्ण
(b) ट्राइहैलोजनीकृत मेथेन तथा एक प्राथमिक एमीन
(c) एल्किल हैलाइड और प्राथमिक एमीन
(d) एक एल्किल सायनाइड तथा प्राथमिक एमीन।
उत्तर
(b) ट्राइहैलोजनीकृत मेथेन तथा एक प्राथमिक एमीन

प्रश्न 10.
सन् 1984 में भोपाल त्रासदी में रिसने वाली गैस थी|
(a) MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 63
(b)CH3-C=N=S
(c) CHCl3
(d) C6H5COCl.
उत्तर
(a) MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 64

प्रश्न 11.
मीरबेन का तेल है
(a) ऐनिलीन
(b) नाइट्रोबेन्जीन
(c) p-नाइट्रोऐनिलीन
(d) p-ऐमीनो ऐजोबेन्जीन।
उत्तर
(b) नाइट्रोबेन्जीन

प्रश्न 12.
मस्टर्ड तेल अभिक्रिया का उत्पाद है
(a) ऐल्किल आइसो थायोसायनेट
(b) डाइथायो कार्बेमाइड
(c) डाइथायो एथिल ऐसीटेट
(d) p-नाइट्रो फीनॉल।
उत्तर
(c) डाइथायो एथिल ऐसीटेट

प्रश्न 13.
ऐनिलीन का शुद्धिकरण करते हैं
(a) वाष्प आसवन से
(b) निर्वात आसवन से
(c) साधारण आसवन से
(d) विलायक निष्कर्षण से।
उत्तर
(a) वाष्प आसवन से

प्रश्न 14.
जो ऐमीन ऐसीटिल क्लोराइड से क्रिया नहीं करेगा, वह है
(a) CH3NH2
(b) (CH3)2NH
(c) (CH3)2N
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) CH3NH2

प्रश्न 15.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 65 अभिक्रिया है
(a) गाटरमैन
(b) सेण्डमेयर
(c) वुर्ट्ज
(d) फ्रेंकलेंड।
उत्तर
(b) सेण्डमेयर

 

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. एरोमैटिक एमीन जल में ………… होते हैं।
  2. NaOH की उपस्थिति में एमीन का बेंजाइलीकरण किया जाता है यह ………… अभिक्रिया __कहलाती है।
  3. नाइट्रस अम्ल से क्रिया करके 1° एमीन ऐल्कोहॉल 2° एमीन ……….. बनाते हैं।
  4. 20 एमीन की नाइट्स अम्ल से क्रिया …………को प्रदर्शित करती है।
  5. एनिलीन सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ ….. सल्फोनीकरण करने पर …….. बनता है।
  6. धातु (संक्रमण धातुएँ) आयनों के साथ एमीन उपसहसंयोजकता ……… स्थापित कर ….. बनाते हैं।
  7. अपचयन द्वारा सायनाइड ………… तथा आइसो सायनाइड ………… बनाते हैं।
  8. बेंजोइक अम्ल, हाइड्रेजोइक अम्ल से क्रिया करके ………… बनाता है।
  9. सभी ऐलीफैटिक एमीन अमोनिया से अधिक ……….. प्रकृति होते हैं।
  10. 1° और 2° एमीन ग्रिगनार्ड अभिकर्मक से क्रिया करके ……….बनाते हैं।
  11. एमीन की क्षारीय प्रवृत्ति नाइट्रोजन परमाणु पर …… के कारण होती है।
  12. प्राथमिक एमीन को ……… व……. के साथ गर्म करने पर एल्किल आइसोसाइनाइड प्राप्त होता है।
  13. C6H5 COOH+ ………→ +C6H6-NH2 + N2 + CO2
  14. T.N.T तथा अमोनियम नाइट्रेट का मिश्रण …………….. कहलाता है।
  15. एनिलीन की अभिक्रिया 0°C ताप या HCL तथा NaNO2 से कराने पर बेंजीन डाई-एजोनियम क्लोराइड बनाता है। यह …………. अभिक्रिया कहलाती है।
  16. एथिल एमीन अमोनिया की तुलना में ………….. क्षारीय होता है।
  17. ट्राईनाइट्रो टालुईन एक ………. यौगिक है।
  18. एल्किल आइसोसायनाइड को 250° पर गर्म करने पर …….. बनता है।

उत्तर

  1. अविलेय
  2. शॉटन-बामन
  3. नाइट्रोसैमीन
  4. लीबरमान नाइट्रोसो परीक्षण
  5. सल्फोनिलिक अम्ल
  6. संकुल आयन
  7. प्राथमिक एमीन, द्वितीयक एमीन
  8. एनिलीन
  9. क्षारीय
  10. एल्केन
  11. एकांकी CIयुग्म
  12. क्लोरोफार्म व कास्टिक क्षार
  13. N3H
  14. एमेटॉल
  15. डाइएजोटाइजेशन
  16. प्रबल
  17. विस्फोटक
  18. एल्किल सायनाइड ।

3. उचित सम्बन्ध जोडिएI

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 66
उत्तर

  1. (e)
  2. (d)
  3. (b)
  4. (c)
  5. (a)
  6. (g)
  7. (1).

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 67
उत्तर

  1. (e)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (c)
  5. (b).

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 68
उत्तर

  1. (d)
  2. (e)
  3. (a)
  4. (c)
  5. (1)
  6. (b).

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4. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. हवा में खुला छोड़ने पर एनिलीन काला भूरा पड़ जाता है।
  2. तृतीयक एमीन का एसीटिलीकरण नहीं होता क्यों ?
  3. C3H7N का कौन-सा समावयवी सबसे कम क्षारीय तथा सबसे कम क्वथनांक वाला होगा।
  4. कौन-सा एमीन डाइएजोटीकरण क्रिया देता है।
  5. प्राथमिक ऐरोमैटिक एमीन को ट्राइक्लोरो मेथेन और ऐल्कोहॉली कास्टिक पोटाश के साथ गर्म करने पर प्राप्त होता है।
  6. द्वितीयक एमीन की पहचान की जा सकती है।
  7. नाइट्रीकरण मिश्रण किसे कहते हैं।
  8. नाइट्रोबेन्जीन कहलाता है।
  9. MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 69 अभिक्रिया का नाम है। 0-5°C
  10. प्राथमिक नाइट्रोऐल्केन नाइट्रस अम्ल से क्रिया करके कौन-सा यौगिक बनाते हैं ?
  11. ऐमीन की प्रकृति लिखिए।
  12.  प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक एमीन के पृथक्करण हेतु प्रयुक्त अभिकर्मक है।
  13. 11° व 2° एमीन फास्जीन से क्रिया करके क्या बनाते हैं।
  14. MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 70 उक्त अभिक्रिया का नाम लिखिए।
  15. एमीनों की CHCl3 के साथ अभिक्रिया कराने पर क्या प्राप्त होता है।
  16. एमीनों का उपयोग कार्बनिक संश्लेषण में किस रूप में प्रयोग होता है।
  17. KMnO4 की उपस्थिति में ऑक्सीकरण करने पर एथिल ऐमीन क्या बनाता है।
  18. C6H5NH2 के जलीय विलयन में Br2 जल मिलाने पर किसके अवक्षेप मिलते हैं।
  19. सायनाइड का Pt या Ni की उपस्थिति में अपचयन करने पर कौन-सा एमीन बनता है।
  20. MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 71 में x उत्पाद का सूत्र लिखिए।
  21. MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 72 अभिक्रिया का नाम लिखिये।
  22. मेथिल आइसो साइनाइड बनाने की क्रिया का क्या नाम है ?

उत्तर-

  1. एनिलीन वायु द्वारा ऑक्सीकृत हो जाता है
  2. सक्रिय H परमाणु नहीं होता
  3. तृतीयक एमीन
  4. सभी प्राथमिक ऐरोमैटिक एमीन
  5. फेनिल आइसो सायनाइड
  6. लीबरमान परीक्षण से
  7. सान्द्र HNO3 तथा सान्द्र H2SO4
  8. मीरबेन का तेल
  9. डाइ ऐजोटाइजेशन
  10. नाइट्रोलिक अम्ल
  11. क्षारीय
  12. हिन्सबर्ग अभिकर्मक
  13. प्रतिस्थापित यूरिया
  14. कार्बिल एमीन अभिक्रिया
  15. एल्किल आइसोसायनायड
  16. अभिकर्मक एल्केन
  17. ऐल्डिहाइड
  18. सममित ट्राइब्रोमोंएनीलीन
  19. 1° एमीन
  20. C6H5NH2, (एनिलीन)
  21. श्मिट अभिक्रिया
  22. कार्बिल एमीन अभिक्रिया।

ऐमीन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐनिलीन जल में अविलेय है, लेकिन HCI में विलेयशील है, क्यों?
उत्तर
ऐनिलीन की क्षारीय प्रकृति के कारण यह HCI जैसे प्रबल अम्लों के साथ विलेयशील लवण बनाती है जबकि जल के साथ ऐसा लवण नहीं बनता। अत: यह HCI में विलेय एवं जल में अविलेय है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 73

प्रश्न 2.
शॉटन-बॉमन अभिक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर
शॉटन-बॉमन अभिक्रिया (Schotten-Buamann Reaction)-किसी ऐरोमैटिक ऐमीन की बेन्जॉयल क्लोराइड के साथ बेन्जॉयलीकरण की क्रिया को शॉटन-बॉमन अभिक्रिया कहते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 74

प्रश्न 3.

  1. ऐल्किल सायनाइडों के क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्किल हैलाइडों की तुलना में अधिक होते हैं, क्यों?
  2. आइसोसायनाइड यौगिकों में अपने समावयवी सायनाइड यौमिकों की अपेक्षा क्वथनांक एवं गलनांक कम क्यों होते हैं ?

उत्तर
1. सायनाइड समूह MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 75 ध्रुवीय होता है। अतः ऐल्किल सायनाइडों का द्विध्रुव आघूर्ण उच्च होता है, जिसके कारण इनके मध्य अन्तराण्विक आकर्षण बल उच्च होता है, फलस्वरूप ऐल्किल सायनाइडों का क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्किल हैलाइडों से उच्च होता है।

2. आइसोसायनाइड यौगिक अपने समावयवी सायनाइडों की अपेक्षा कम ध्रुवीय होते हैं। अतः क्वथनांक एवं गलनांक भी संगत सायनाइड की अपेक्षा कम होते हैं।

प्रश्न 4.
समीकरणों को पूर्ण कीजिए
(a) C2H5I+H2NC2H5
(b) CH3NH2 + (NaNO2 + HCI) →
उत्तर
(a) सभी ऐमीन एल्किल हैलाइड (जैसे- C2H5I) से क्रिया करके चतुष्क (quatermary) अमोनियम लवण बनाते हैं। यह क्रिया ऐल्किलीकरण (alkylation) कहलाती है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 76

(b) CH3NH2 +OHNO →CH3OH + N2 + H3O
NaNO2 + HCI से नाइट्रस अम्ल (OHNO) प्राप्त होता है।

प्रश्न 5.
एथिल ऐमीन अमोनिया की अपेक्षा अधिक क्षारीय होता है, क्यों?
उत्तर
मेथिल ऐमीन या एथिल ऐमीन का वियोजन स्थिरांक K b = 4.5×10-4 है, जबकि अमोनिया का वियोजन स्थिरांक 1.8×10-5है। अतः स्पष्ट है कि C2H5NH2अमोनिया की तुलना में अधिक क्षारीय है। ऐथिल ऐमीन में एथिल समूह के + I प्रेरणिक प्रभाव के कारण नाइट्रोजन परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की उपलब्धता बढ़ जाती है और वे प्रोटॉन को अपेक्षाकृत और अधिक शीघ्रता से ग्रहण कर लेते हैं । इसलिए एथिल ऐमीन अमोनिया की अपेक्षा अधिक क्षारीय होता है।

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प्रश्न 6.
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए

  1. श्मिट अभिक्रिया,
  2. मस्टर्ड ऑयल अभिक्रिया।

उत्तर
1. श्मिट अभिक्रिया- जब CHCI3 या C6H6 में विलेय हाइड्रोजोइक अम्ल की मोनोकार्बोक्सिलिक .. अम्ल पर
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2. मस्टर्ड ऑयल अभिक्रिया-ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन को -CS2 तथा HgCI2 के साथ गर्म करने पर सरसों के तेल जैसी गन्धयुक्त मेथिल आइसोथायोसायनेट बनता है। इसलिए इस अभिक्रिया को मस्टर्ड ऑयल अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 7.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक एमीन का हिन्सबर्ग परीक्षण लिखिए।
उत्तर
हिन्सबर्ग परीक्षण-यह परीक्षण प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक एमीन में विभेद करता है। इस परीक्षण में क्षार की अधिकता में एमीन को बेंजीन सल्फोनिल क्लोराइड (हिन्सबर्ग अभिकर्मक) के साथ गर्म करने पर विभिन्न एमीन अलग-अलग अवलोकन प्रदर्शित करते हैं।

1. प्राथमिक एमीन- सल्फोनैमाइड बनाते हैं जो KOH में विलेय है।
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2. द्वितीयक एमीन- ये भी सल्फोनैमाइड बनाते हैं जो KOH में अविलेय है।
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3. तृतीयक एमीन- ये कोई अभिक्रिया नहीं देते।।
C6H5SO2Cl+R3N → कोई अभिक्रिया नहीं।

प्रश्न 8.
ऐल्किल नाइट्राइट और नाइट्रो ऐल्केन में क्या अन्तर है ?
उत्तर
नाइट्रस अम्ल दो समावयवी रूपों में पाया जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 81
अतः नाइट्रस अम्ल के दो ऐल्किल व्युत्पन्न बनते हैं।
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अतः स्पष्ट है कि नाइट्रोऐल्केन में ऐल्किल मूलक नाइट्रोजन परमाणु से जुड़ा होता है, जबकि ऐल्किल . नाइट्राइट में ऐल्किल मूलक ऑक्सीजन परमाणु से जुड़ा होता है। ऐल्किल नाइट्राइट एस्टर है, जबकि नाइट्रो ऐल्केन पैराफिन का व्युत्पन्न है।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित परिवर्तनों के केवल समीकरण लिखिए।

  1. मेथिल सायनाइड का C2H5 NH2 में परिवर्तन।
  2. C6H5NH2 का क्लोरोबेंजीन में परिवर्तन।

उत्तर
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प्रश्न 10.
प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक नाइट्रोऐल्केन में विभेद स्पष्ट करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक नाइट्रोऐल्केन में नाइट्रस अम्ल की क्रिया द्वारा अन्तर स्पष्ट कर सकते हैं।

1. प्राथमिक नाइट्रोऐल्केन नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया कर नाइट्रोलिक अम्ल बनाते हैं, जो क्षार के साथ लाल रंग उत्पन्न करते हैं ।
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2. द्वितीयक नाइट्रो यौगिक नाइट्रस अम्ल के साथ क्रिस्टलीय स्यूडोनाइट्रोल (Pseudonitrols) देते हैं, जो क्षार में घुलकर नीला रंग उत्पन्न करते हैं, किन्तु लवण निर्माण नहीं होता ।
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3. तृतीयक नाइट्रोऐल्केन नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया नहीं करते, क्योंकि α – हाइड्रोजन परमाणु नहीं होता ।

प्रश्न 11.
एथिल ऐमीन तथा ऐनिलीन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
एथिल ऐमीन तथा ऐनिलीन में अन्तर –
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प्रश्न 12.
एथिल नाइट्राइट और नाइट्रो एथेन में अन्तर के कोई चार बिन्दु लिखिए।
उत्तर
नाइट्रो एथेन और एथिल नाइट्राइट में अन्तर
1. संरचना- MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 88
2. क्वथनांक- नाइट्रो एथेन का क्वथनांक एथिल नाइट्रेट से उच्च होता है।
3. अपचयन- नाइट्रो एथेन प्राथमिक एमीन तथा एथिल नाइट्राइट अमोनिया बनाता है
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 89
4. जल अपघटन-नाइट्रो एथेन NaOH के साथ ऐल्कोहॉल नहीं बनाता जबकि एथिल नाइट्राइट NaOH के साथ ऐल्कोहॉल बनाता है|
C2H5-O-N= O+NaOH→C2H5OH+NaNO2.

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प्रश्न 13.
मेण्डियस अभिक्रिया क्या है ?
उत्तर
ऐल्किल सायनाइड (RCN) का अपचयन सोडियम तथा ऐल्कोहॉल द्वारा करने पर प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होता है । जैसे- मेथिल सायनाइड के अपचयन से एथिल ऐमीन बनता है । यह अभिक्रिया मेण्डियस अभिक्रिया कहलाती है ।
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प्रश्न 14.
कैसे प्राप्त करेंगे
(a) मेथिल सायनाइड से एथिल ऐमीन
(b) ऐसीटामाइड से मेथिल ऐमीन ।
(c) एथिल ऐल्कोहॉल से एथिल ऐमीन
(d) मेथिल ऐमीन से एथिल ऐमीन ।
उत्तर
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प्रश्न 15.
सायनाइड और आइसोसायनाइड के बीच कोई चार अन्तर लिखिये । अथवा एथिल सायनाइड और एथिल आइसोसायनाइड में अन्तर लिखिये ।
उत्तर
एथिल सायनाइड और एथिल आइसोसायनाइड में अन्तर –
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प्रश्न 16.
एथिल ऐमीन किस प्रकार क्रिया करता है
(a) HNO2 से,
(b) CH3COCI से
(c) CS2 से ।
उत्तर
(a) C2H5NH2 + OHNO → C2H5OH + N2 + H2O

(b)
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(c)
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प्रश्न 17.
एथिल ऐमीन, ऐनिलीन से अधिक क्षारीय है, क्यों? अथवा ऐनिलीन, एथिल ऐमीन से कम क्षारीय होता है, क्यों?
उत्तर
ऐनिलीन एथिल ऐमीन की अपेक्षा कम क्षारीय होता है, क्योंकि बेंजीन नाभिक में अनुनाद के कारण नाइट्रोजन परमाणु का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नाभिक की ओर आकर्षित होकर समस्त रिंग में विस्थापित हो जाता है।

इस कारण यह इलेक्ट्रॉन युग्म एथिल ऐमीन के इलेक्ट्रॉन युग्म की अपेक्षा कठिनाई से त्यागा जाता है, जिससे ऐनिलीन का क्षारीय गुण अपेक्षाकृत कम हो जाता है । ऐनिलीन में इलेक्ट्रॉनों का विस्थापन निम्नलिखित प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता हैr
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प्रश्न 18.
ऐमीनों के क्वथनांक संगत आण्विक द्रव्यमान के हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा उच्च होते हैं; परन्तु संगत ऐल्कोहॉलों एवं कार्बोक्सिलिक अम्लों से निम्न होते हैं । इस कथन का स्पष्टीकरण दीजिए ।
उत्तर
प्राथमिक ऐमीन ध्रुवीय होते हैं तथा इनमें द्विध्रुवीय MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 97 बन्ध उपस्थित होते हैं, जिससे ऐमीन में हाइड्रोजन बन्ध द्वारा अणुओं का संगुणन हो जाता है । इसी कारण इनका क्वथनांक समतुल्य अणुभार वाले ऐल्केन से अधिक होता है।
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नाइट्रोजन की विद्युत्ऋणता का मान ऑक्सीजन से कम होने के कारण ऐल्कोहॉल एवं कार्बोक्सिलिक अम्लों में प्रबल H-बन्ध द्वारा संगुणन हो जाता है, जबकि ऐमीनों में दुर्बल H-बन्ध द्वारा संगुणन होता है । इसलिये ऐमीनों का क्वथनांक एवं गलनांक संगत ऐल्कोहॉलों एवं कार्बोक्सिलिक अम्लों से निम्न होता है।

प्रश्न 19.
ऐनिलीन के नाइट्रीकरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
ऐनिलीन का सीधा नाइट्रीकरण सम्भव नहीं है, क्योंकि -NH2 समूह HNO3 द्वारा ऑक्सीकृत हो जाता है, परन्तु नियंत्रित परिस्थितियों में नाइट्रीकरण कराने पर o- वp- के स्थान पर m-नाइट्रो व्युत्पन्न बनता है। अम्लीय माध्यम में – NH2 समूह का प्रोटोनीकरण हो जाने के कारण बने —N+ H3 समूह की इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, जिससे ऐनिलीन o- वp-निर्देशक के स्थान पर m-निर्देशक की तरह कार्य करने लगता है ।

प्रश्न 20.
ऐनिलीन के नाइट्रीकरण से पूर्व उसका ऐसीटिलीकरण क्यों किया जाता है ? आवश्यक समीकरण भी दीजिए।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 99
उत्तर
एनिलीन का सीधा नाइट्रीकरण सम्भव नहीं है, क्योंकि ऐनिलीन का ऐमीनो समूह नाइट्रिक अम्ल से ऑक्सीकृत हो जाता है । ऐनिलीन का नाइट्रीकरण करने के लिए पहले -NH, समूह को ऐसीटिलीकरण द्वारा सुरक्षित करते हैं। फिर नाइट्रीकरण करते हैं।
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प्रश्न 21.
कैसे प्राप्त करेंगे केवल समीकरण लिखिए
(a) एथिल ऐमीन से मेथिल ऐमीन
(b) ऐनिलीन से फीनॉल
(c) मेथिल ऐमीन से एथिल ऐमीन ।
उत्तर
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 102

प्रश्न 22.
निम्न को समझाइए-
(a) ऐल्किल हैलाइड के अमोनी अपघटन से शुद्ध ऐमीन बनना कठिन है ।
(b) मेथिल ऐमीन जलं में FeCl, से क्रिया करके फेरिक हाइड्रॉक्साइड का अवक्षेप देता है ।
(c) AgCI मेथिल ऐमीन में विलेय है।
उत्तर
(a) ऐल्किल हैलाइड के अमोनीकरण से प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों का मिश्रण प्राप्त होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 103
इन ऐमीनों का पृथक्करण बहुत कठिन है, इस कारण ऐल्किल हैलाइड के अमोनी अपघटन से शुद्ध ऐमीन बनना कठिन है।

(b) मेथिल ऐमीन जल में OH आयन देता है, जो FeCl3 से निम्न प्रकार क्रिया करके Fe(OH)3 का अवक्षेप देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 104

(c) मेथिल ऐमीन AgCl के साथ एक विलेय संकुल बनाता है और इस प्रकार AgCl मेथिल ऐमीन में विलेय हो जाता है।
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ऐमीन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नाइट्रोबेंजीन के अम्लीय, उदासीन एवं क्षारीय माध्यम में अपचयन अभिक्रिया लिखिये।
उत्तर
(a) अम्लीय माध्यम में अपचयन-नाइट्रोबेंजीन अम्लीय माध्यम में (Sn + HCI, Zn + HCI या SnCl2+ HCI) अपचयित होकर ऐनिलीन बनाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 106

(b) उदासीन माध्यम में अपचयन-ऐल्युमिनियम मरकरी युग्म या जिंक रज तथा अमोनियम क्लोराइड के साथ अपचयित होकर फेनिल हाइड्रॉक्सिल ऐमीन बनाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 107

(c) क्षारीय माध्यम में अपचयन–
1. क्षारीय सोडियम आर्सेनाइट द्वारा अपचयन करने पर ऐजॉक्सीबेंजीन बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 108

2. CH3 OH में बने Zn रज व NaOHविलयन द्वारा अपचयन करने पर ऐजोबेंजीन बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 109

3. जिंक रज व कॉस्टिक सोडा द्वारा अपचयन करने पर हाइड्रोऐजोबेंजीन बनता है ।
2C6H5NO2+10[H] →C6H5NH-NH-C6H5+4H2O

प्रश्न 2.
आप ऐनिलीन से निम्नलिखित कैसे प्राप्त करेंगे? केवल समीकरण दीजिए।
(a) फीनॉल
(b) मेथेन
(c) ट्राइब्रोमो ऐनिलीन
(d) फेनिल आइसोसायनाइड ।
उत्तर
(a) फीनॉल
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 110

(b) मेथेन

(c) ट्राइबोमो ऐनिलीन
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 133

(d) फेनिल आइसोसायनाइड-
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 112

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प्रश्न 3.
एक कार्बनिक यौगिक
(A) जिसका अणुसूत्र C,HO,N है, अपचयन पर
(B) यौगिक देता है, जो HNO, से क्रिया करके यौगिक
(C) बनाता है । यौगिक (B) क्लोरोफॉर्म और ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ दुर्गन्धयुक्त यौगिक
(D) बनाता है, जो अपचयन पर यौगिक
(E) ऐमीन बनाता है ।आप यौगिक (A), (B), (C), (D) तथा
(E) के क्या सूत्र निरूपित करेंगे ? क्रियाएँ समझाइये ।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 113

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को कैसे प्राप्त करेंगे”

  1. ऐनिलीन से सल्फैनिलिक अम्ल
  2. ऐनिलीन से p-ऐमीनो ऐजो बेंजीन

उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 114

प्रश्न 5.
क्या होता है, जब
(a) अमोनियम ऐसीटेट की ऐलुमिना से 500°C पर क्रिया कराते हैं।
(b) मेथिल सायनाइड का क्षारीय जल-अपघटन कराते हैं।
(c) बेंजेमाइड की P2O2 से क्रिया कराते हैं।
(d) Ni की उपस्थिति में फेनिल आइसोसायनाइड पर H, गैस प्रवाहित करते हैं।
(e) मेथिल आइसोसायनाइड को 250°C पर गर्म करते हैं।
उत्तर
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 116

प्रश्न 6.

  1. नाइट्रोऐल्केन से प्राथमिक ऐमीन कैसे प्राप्त करेंगे ? समीकरण दीजिए।
  2. प्राथमिक ऐमीन से प्राथमिक ऐल्कोहॉल कैसे प्राप्त किया जाता है ? समीकरण दीजिए।
  3. N-प्रोपिल ऐमीन और आइसोप्रोपिल ऐमीन में कौन-सा अधिक क्षारीय होगा?

उत्तर
1. नाइट्रोऐल्केन का LiAIH4 द्वारा या Ni या Pt की उपस्थिति में H2 द्वारा अपचयन करने से प्राथमिक ऐमीन बनते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 117

2. प्राथमिक ऐलिफैटिक ऐमीन नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया करके प्राथमिक ऐल्कोहॉल बनाते हैं।
C2H5NH2+ HONO→C2H5OH+N2+H2O

3. नॉर्मल प्रोपिल ऐमीन अधिक क्षारीय होगा।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित को कैसे प्राप्त करेंगे (केवल समीकरण दीजिए)
(a) नाइट्रोएथेन से एथिल ऐमीन
(b) नाइट्रोऐथेन से N-एथिल हाइड्रॉक्सिल ऐमीन
(c) नाइट्रोमेथेन से क्लोरोपिक्रिन
(d) बेंजीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से नाइट्रोबेंजीन
(e) नाइट्रोबेंजीन से ट्राइनाइट्रोबेंजीन (T.N.B.) ।
उत्तर
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प्रश्न 8.
एथिल ऐमीन बनाने की प्रयोगशाला विधिका निम्न बिन्दुओं के आधार पर वर्णन कीजिए(a) विधि, (b) अभिक्रिया का समीकरण, (c) चित्र, (d) भौतिक गुण ।
उत्तर-
एथिल ऐमीन (Ethyl Amine), C,H,NH, बनाने की प्रयोगशाला विधि- प्रयोगशाला में एथिल ऐमीन हॉफमैन ब्रोमाइड अभिक्रिया द्वारा बनायी जाती है । इस अभिक्रिया में प्रोपिओनैमाइड की ब्रोमीन एवं कास्टिक पोटॉश विलयन से अभिक्रिया होती है । अभिक्रिया अग्र पदों में पूरी होती है
C2H5CONH2 + Br2 → C2H5CONHBr + HBr
KOH + HBr→KBr + H2O
C2H5CONHBr +KOH →C2H5NCO+KBr + H2O
C2H5NCO+2KOH→C2H5NH2+K2CO3
C2H5CONH2+ Br2 +4KOH → C2H5NH2+ 2KBr+K2CO3+2H2O

विधि- गोल पेंदी के एक आसवन फ्लास्क में ब्रोमीन तथा प्रोपिओनैमाइड की तुल्य मात्राएँ लेकर उसमें 10% KOH विलयन तब तक डालते हैं जब तक की ब्रोमीन का लाल रंग लुप्त न हो जाए। इस विलयन में सान्द्र (50%) KOH विलयन अधिक मात्रा में डालते हैं और उसको जल-ऊष्मक पर ब्रोमो-प्रोपिओनैमाइड 57.67°C तक गर्म करते हैं । फ्लास्क का विलयन जब रंगहीन हो जाता है, तब एथिल ऐमीन आसंवित होने लगती है, जिसे तनु HCI पर अवशोषित कर लिया जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन - 120
भौतिक गुण-यह रंगहीन, अमोनिया जैसी गंध वाला तनु  द्रव है, जो जल एवं कार्बनिक विलायकों में विलेय है । यह ‘ ज्वलनशील पदार्थ है। इसका क्वथनांक 19°C है।

प्रश्न 9.
प्रयोगशाला में ऐनिलीन बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
ऐनिलीन, ऐमीनो बेंजीन अथवा फेनिल ऐमीन (C6H5NH2) प्रयोगशाला में बनानाप्रयोग-शाला में ऐनिलीन नाइट्रोबेंजीन को टिन और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल द्वारा उत्पन्न नवजात हाइड्रोजन से अपचयित कर प्राप्त किया जाता है।
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विधि (Procedure)-एक गोल पेंदे के फ्लास्क में 30g नाइट्रोबेंजीन सान्द्र HCI (4 भाग) व 60 g जिंक लेकर उसमें 150 ml सान्द्र HCI वायु संघनित्र द्वारा डालते हैं
पश्चवाही संघनित्र ।थोड़ा-थोड़ा HCI डालकर हिलाते जाते हैं और फ्लास्क को नल से ठण्डा नाइट्रोबेंजीन (1 भाग) करते जाते हैं । समस्त अम्ल डालने के बाद उसे जल-ऊष्मक पर तब तक गर्म ! करते हैं, जब तक कि नाइट्रोबेंजीन की तेलीय बूंदें गायब न हो जायें । इस प्रक्रम Y -टिन (2 भाग) में बने हुए ऐनिलीन व SnCl4, HCl की उपस्थिति में परस्पर संयुक्त | होकर लवण (C6H5 NH3), SnCl6 बना लेते हैं । इसे विघटित करने के + लिए इस मिश्रण में 40% कॉस्टिक सोडा विलयन धीरे-धीरे करके तब तक डालते हैं जब तक कि बना हुआ अवक्षेप पुनः घुल न जाय आर _योगाला में विलीन बनाना विलयन उदासीन न हो जाये
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(C2H5NH3)2SnCl6+8NaOH → 2C6H5NH2+ 6NaCl + Na2SnO3 +5H2O
इस मिश्रण के वाष्प-आवसन से एनिलीन प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 10.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में किन्हीं पाँच बिंदुओं में विभेद कीजिये।
उत्तर
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प्रश्न 11.
नाइट्रोबेंजीन बनाने की प्रयोगशाला विधि का समीकरण दीजिए एवं नाइट्रो-बेंजीन द्वारा होने वाली निम्नलिखित की रासायनिक अभिक्रिया दीजिए
(1) नाइट्रीकरण
(2) सल्फोनीकरण।
उत्तर
प्रयोगशाला में नाइट्रोबेंजीन बनाना-प्रयोगशाला में नाइट्रोबेंजीन सान्द्र नाइट्रिक अम्ल और सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के मिश्रण द्वारा 60°C से कम ताप पर बेंजीन का नाइट्रीकरण करने से बनता है।
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नाइट्रोबेंजीन की निम्न के साथ क्रिया
1. नाइट्रीकरण- नाइट्रोबेंजीन को सधूम HNO3 के साथ सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में गर्म करने पर m-डाइ नाइट्रोबेंजीन बनती है।
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m-डाइ नाइट्रोबेंजीन का नाइट्रीकरण करने पर 1, 3, 5-ट्राइ नाइट्रोबेंजीन (T.N.B.) बनती है।
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2. सल्फोनीकरण-नाइट्रोबेंजीन को सधूम H2SO4 के साथ गर्म करने पर m-नाइट्रोबेंजीन सल्फोनिक अम्ल बनता है।
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प्रश्न 12.
C4H11N के संभव समावयवी लिखिए।
उत्तर
1. स्थान समावयवी
CH3-CH2-CH2-CH2-NH2Butane-1 amine
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2. श्रृंखला समावयवी
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3. मध्यावयवी
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प्रश्न 13.
C3H9N के संभव समावयवी लिखिए एवं समावयवता का प्रकार लिखिए।
उत्तर
1. क्रियात्मक समूह समावयवता-
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2. स्थान समावयवता-
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आद्य अवस्था में सिल्वर परमाणु में पूर्ण भरे d-कक्षक (4d10) होते हैं। इसे आप कैसे कह सकते हैं कि यह संक्रमण तत्व है?
उत्तर
सिल्वर +2 ऑक्सीकरण अवस्था रखता है। 4d-उपकक्ष में नौ इलेक्ट्रॉन होते हैं, जैसे 4dकक्षकों का एक कक्ष आंशिक भरा होता है। अतः इसे संक्रमण तत्व नहीं मान सकते।

प्रश्न 2.
श्रेणी Sc(Z = 21) से Zn(Z = 30) में, Zn की परमाणुकरण की एन्थैल्पी कम होती है, 126 kJmol-1 क्यों?
उत्तर
जिंक में 3d-इलेक्ट्रॉन धात्विक बन्ध में भाग नहीं लेते क्योंकि d10 विन्यास होता है। दुर्बल धात्विक बंध के कारण जिंक की परमाणुकरण की एन्थैल्पी निम्न होती है।

प्रश्न 3.
संक्रमण धातुओं की 3d श्रेणी में किसकी अधिकतम संख्या में ऑक्सीकरण अवस्था होती है एवं क्यों ?
उत्तर
Mn(Z = 25) अधिक संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थायें रखते हैं, क्योंकि इसमें अधिकतम संख्या में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं। अत: यह +2 से +7 तक ऑक्सीकरण अवस्थायें दर्शाता है।

प्रश्न 4.
E°(M2+/M) का मान कॉपर के लिए धनात्मक (+034V) है। इसका संभावित कारण क्या है ? (संकेत : इसकी उच्च ΔaH एवं निम्न ΔhydH मानने पर) –
उत्तर
किसी धातु की E° (M2+/M) पूर्ण परमाणुकरण की एन्थैल्पी, आयनन एन्थैल्पी एवं जलयोजन एन्थैल्पी पर निर्भर होती है। कॉपर की उच्च परमाणुकरण एन्थैल्पी एवं निम्न आयनन एन्थैल्पी होती है। अतः E° (Cu2+ /Cu) धनात्मक है।

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प्रशन 5.
संक्रमण तत्वों की प्रथम श्रेणी में (प्रथम एवं द्वितीय) आयनन एन्थैल्पियों में अनियमित क्रमिकता को किस प्रकार देखते हो? ।
उत्तर
आयनन एन्थैल्पी में अनियमित क्रम (प्रथम एवं द्वितीय) का कारण मुख्यतः विभिन्न 3dविन्यासों के भिन्न स्थायित्व की मात्रा के कारण होता है। d0, d5 एवं d10 विन्यास अतिरिक्त स्थायित्व रखता है एवं ऐसे प्रकरणों में आयनन एन्थैल्पी के मान सामान्यत: उच्च होते हैं। उदाहरण, Cr के प्रथम आयनन एन्थैल्पी के नाम निम्न होते हैं, क्योंकि 4s- कक्षक से इलेक्ट्रॉन को निकाला जा सकता है, किन्तु द्वितीय आयनन एन्थैल्पी अति उच्च होती है, अत: Cr+ में स्थायी d5 विन्यास होता है। Zn की प्रथम आयनन एन्थैल्पी अति उच्च होती है, क्योंकि स्थायी विन्यास 3d10,4s2 से इलेक्ट्रॉन हटाया जाता है।

प्रश्न 6.
धातु अपने उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था में केवल ऑक्साइड अथवा फ्लोराइड में रहते हैं, क्यों?
उत्तर
क्योंकि ऑक्सीजन एवं फ्लुओरीन का आकार छोटा एवं ऋण-विद्युतता उच्च होती है, इस प्रकार ये सरलता से धातु को उसकी उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में ऑक्सीकृत करता है।

प्रश्न 7.
Cr2+ अथवा Fe2+ में से कौन-सा प्रबल अपचायक अभिकर्मक है एवं क्यों ?
उत्तर
Fe2+ से Cr2+ प्रबल अपचायक अभिकर्मक है। इसका कारण है कि Cr2+ का विन्यास d4 ‘से d3 एवं d3 विन्यास में परिवर्तित होता है, जो स्थायी t32(g)(138) अर्द्धपूर्ण t2) स्तर है।

प्रश्न 8.
M2+(aq) आयन (Z = 27) के लिए ‘चक्रण खेल’ चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
उत्तर
M2+(aq) आयन (Z = 27) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है :
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 1
इस प्रकार तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं। ‘चक्रण केवल’ चुम्बकीय आघूर्ण
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 2

प्रश्न 9.
Cu+ आयन जलीय विलयनों में क्यों स्थायी नहीं हैं, समझाइये?
उत्तर
Cu+(aq) जलीय विलयन में स्थायी नहीं है, क्योंकि इसकी Cu+(aq) की तुलना में निम्न ऋणात्मक जलयोजन एन्थैल्पी है।

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प्रश्न 10.
लैन्थेनॉइड संकुचन की तुलना में तत्वों से तत्वों में एक्टीनॉइड संकुचन अधिक है, क्यों ?
उत्तर
लैन्थेनॉयड के 4f इलेक्ट्रॉनों की तुलना में एक्टीनॉयड्स में 5f इलेक्ट्रॉनों का कमजोर परिरक्षण प्रभाव के कारण होता है।

d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए –
(i) Cr3+
(ii) Cu+
(i) CO2+
(iv) Mn2+
(v) Pm3+
(vi) Ce4+
(vii) Lu2+
(viii) Th4+
उत्तर
(i) Cr+3 : [Ar]3d3
(ii) Cu+1 : [Ar]3d10
(iii) CO+2 : [Ar]3d7
(iv) Mn+2 : [Ar]3d5
(v) Pm+3 : [Xe]4f4
(vi) Ce+4 : [Xe]54 .
(vii) Lu+2 : [Xe]4 f145d1
(vii) Th+4: [Rn].

प्रश्न 2.
+3 अवस्था में Mn+2 यौगिक Fe+2 से ऑक्सीकरण में अधिक स्थायी है, क्यों?
उत्तर
Mn+2 का स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar]4s0,3d5 होता हैं एवं यह सरलता से Mn+3 में परिवर्तित नहीं होता, Fe+2[Ar] 4s0,3d6 ऑक्सीकरण पर Fe+3[Ar] 4s0,3d5 बनाता है जो अधिक स्थायी विन्यास है।

प्रश्न 3.
परमाणु क्रमांक में वृद्धि से संक्रमण तत्वों के प्रथम श्रेणी के पहले आधे की +2 अवस्था अधिक एवं अधिक स्थायी होती हैं, विस्तृत विवेचना कीजिए।
उत्तर
स्कैण्डियम (जो +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है) को छोड़कर, प्रथम श्रेणी के सभी संक्रमण तत्व +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं । यह 4s के दो इलेक्ट्रॉनों के त्यागने के कारण होता है। प्रथम चरण में, जब हम Ti+2 से Mn+2 की तरफ चलते हैं, तो इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d2 से 3d5 में परिवर्तित होता है, जिसका अर्थ है अधिक-से-अधिक d-कक्षकों का अर्द्धपूर्ण भरना है, जो +2 अवस्था को अधिक स्थायित्व प्रदान करते हैं।

प्रश्न 4.
संक्रमण तत्वों की प्रथम श्रेणी में ऑक्सीकरण अवस्थाओं के स्थायित्व का निर्धारण इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों से कितना किया जा सकता है ? अपने उत्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर
संक्रमण श्रेणी में, ऑक्सीकरण अवस्थायें अर्द्धपूर्ण अथवा पूर्ण भरे हुए d-कक्षक अधिक स्थायी है। उदाहरण के लिए, Fe(Z = 26) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar]3d64s2 है। यह दर्शाता है कि विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में Fe(III) अधिक स्थायी है, क्योंकि यह विन्यास [Ar]3d5 रखता है।

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प्रश्न 5.
संक्रमण तत्व के स्थायी ऑक्सीकरण अवस्था, आद्य अवस्था में इनके परमाणुओं के d इलेक्ट्रॉन विन्यासों : 3d3,3d5,3d8 एवं 3d4 में से क्या होगी? ।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 3
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 4
3d4 आद्य अवस्था में कोई d4 विन्यास नहीं होता।

प्रश्न 6.
प्रथम श्रेणी के संक्रमण धातुओं के ऑक्सो धातु ऋणायनों के नाम बताइये, जिसमें धातु की ऑक्सीकरण अवस्था समूह संख्या के बराबर होती है।
उत्तर
CrO2-7 एवं CrO2-4 (समूह संख्या = Cr की ऑक्सीकरण अवस्था = 6) MnO4 (समूह संख्या = Mn की ऑक्सीकरण अवस्था = 7)

प्रश्न 7.
लैन्थेनॉयड संकुचन क्या है ? लैन्थेनॉयड संकुचन के प्रभाव क्या होंगे?
उत्तर
लैन्थेनाइड संकुचन-लैन्थेनाइडों के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ उनके परमाणुओं एवं आयनों के आकार में कमी होती है, इसे लैन्थेनाइड संकुचन कहते हैं।।
कारण-लैन्थेनाइडों में आने वाला नया इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कक्ष में न जाकर (n-2)f- उपकोश में प्रवेश करता है, फलतः इलेक्ट्रॉन और नाभिक के मध्य आकर्षण बल में वृद्धि होती है, जिससे परमाणु अथवा आयन संकुचित हो जाता है।

लैन्थेनाइड संकुचन का प्रभाव :
(i) लैन्थेनाइडों के गुणों में परिवर्तन-लैन्थेनाइड संकुचन के कारण इनके रासायनिक गुणों में बहुत कम परिवर्तन होता है। अतः इन्हें शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना अत्यन्त कठिन होता है।
(ii) अन्य तत्वों के गुणों पर प्रभाव-लैन्थेनाइड संकुचन का लैन्थेनाइडों से पूर्व आने वाले तथा इनके बाद आने वाले तत्वों के आपेक्षिक गुणों पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, Ti और Zr के गुणों में भिन्नता होती है, जबकि Zr और Hf गुणों में काफी समानता रखते हैं।

प्रश्न 8.
संक्रमण तत्वों के अभिलक्षण क्या हैं एवं इन्हें संक्रमण तत्व क्यों कहते हैं ? कौन से dब्लॉक तत्वों को संक्रमण तत्व नहीं माना जा सकता?
उत्तर
संक्रमण तत्व वे तत्व हैं जिसके अणुओं में (स्थायी ऑक्सीकरण अवस्था में) आंशिक रूप से पूर्ण d-ऑर्बिटल विद्यमान होते हैं। इन तत्वों को d-ब्लॉक के तत्व भी कहते हैं, ये 5-ब्लॉक तथा p-ब्लॉक के तत्वों के गुणों में संक्रमण प्रदर्शित करते हैं। इसलिए इन्हें संक्रमण तत्व कहा जाता है। Zn, Cd एवं Hg जैसे तत्वों को संक्रमण तत्वों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इनमें पूर्ण पूरित d-उपकक्षक पाये जाते हैं।

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प्रश्न 9.
नॉन-संक्रमण तत्वों से संक्रमण तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर
संक्रमण तत्वों में d-कक्षकों को भरते हैं, जबकि प्रतिनिधि तत्वों में 5-एवं p-कक्षकों को भरते हैं। संक्रमण तत्वों के सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d1-10ns1-2 है, जबकि प्रतिनिधि तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns1-2 अथवा ns2np1-6 होता है। प्रतिनिधि तत्वों में केवल अंतिम कक्ष अपूर्ण होता है जबकि संक्रमण तत्वों में उपात्य कक्ष अपूर्ण होता है।

प्रश्न 10.
लैन्थेनॉयड्स कौन-सी विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थायें रखते हैं ?
उत्तर
लैन्थेनॉयड्स का मुख्य ऑक्सीकरण अवस्था + 3 है। इसके अतिरिक्त ये + 2 एवं + 4 ऑक्सीकरण अवस्थायें रखते हैं।

प्रश्न 11.
कारण सहित समझाइए-
(i) संक्रमण धातुओं एवं इनके अनेक यौगिक अनुचुम्बकीय व्यवहार दर्शाते हैं।
(ii) संक्रमण धातुओं के परमाण्वीयकरण की एन्थैल्पी उच्च होती है।
(iii) संक्रमण धातुएँ सामान्यतः रंगीन यौगिक बनाते हैं।
(iv) संक्रमण धातुएँ एवं इसके अनेक यौगिक अच्छे उत्प्रेरक होते हैं।
उत्तर
(i) जब किसी यौगिक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो यौगिक के भीतर का चुम्बकत्व बाहरी चुम्बकीय क्षेत्र से प्रभावित होता है। यदि भीतर का चुम्बकत्व बाहरी चुम्बकीय क्षेत्र का साथ देता है तो उसे अनुचुम्बकीय गुण कहते हैं। यदि यौगिक में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हो तो अनुचुम्बकत्व प्रबल हो जाता है अर्थात् किसी यौगिक के अनुचुम्बकत्व की मात्रा उसमें उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों पर निर्भर होती है। संक्रमण तत्वों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, अतः वे अनुचुम्बकीय होते हैं। .

(ii) संक्रमण धातुओं में उच्च प्रभावी न्यूक्लियर आवेश तथा संयोजी इलेक्ट्रॉनों की अधिक संख्या होती है इसलिए ये बहुत मजबूत धात्विक बंध बनाते हैं। परिणामस्वरूप संक्रमण धातुओं के परमाण्विकरण की एन्थैल्पी उच्च होती है।

(iii) संक्रमण धातु आयनों का रंग अपूर्ण रूप से भरे हुए (n-1)d कक्षकों के कारण होता है। संक्रमण धातु आयनों में जिनमें अयुग्मित d-इलेक्ट्रॉन हैं, इस इलेक्ट्रॉन का एक d-कक्षक से दूसरे d-कक्षक में संक्रमण होता है। इस संक्रमण के समय वे दृश्य प्रकाश के कुछ विकिरणों का अवशोषण करते हैं तथा शेष विकिरणों को रंगीन प्रकाश के रूप में उत्सर्जित कर देते हैं। अत: आयन का रंग उसके द्वारा अवशोषित रंग का पूरक (Complementary) होता है। उदाहरणार्थ, [Cu(H2O)6]+2 आयन नीला दिखता है, क्योंकि यह दृश्य प्रकाश के लाल रंग को इलेक्ट्रॉन के उत्तेजना के लिए अवशोषित करता है तथा उसके पूरक (नीले) रंग को उत्सर्जित कर देता है।

कुछ आयनों के रंग –
Cr4+ नीला : Cr3+ बैंगनी
Mn2+ बैंगनी : Mn3+ गुलाबी
Fe2+ हरा : Fe3+ पीला

(iv) संक्रमण तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं, क्योंकि (n-1)d-कक्षक तथा ns-कक्षक के इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा में बहुत अधिक अन्तर नहीं होता है, जिससे d-कक्षक के इलेक्ट्रॉन भी संयोजी इलेक्ट्रॉन का कार्य करते हैं। इन तत्वों में Mn अधिकतम परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 12.
अन्तराकाशी यौगिक क्या है ? संक्रमण धातुओं के ऐसे यौगिक क्यों ज्ञात हैं ?
उत्तर
अधिकांश संक्रमण तत्व उच्च ताप पर अधात्विक तत्वों के परमाणुओं जैसे-H, B,C, Ni, Si आदि के साथ अन्तराकाशी यौगिक बनाते हैं। संक्रमण धातु के क्रिस्टल जालक के अन्तराकाशी रिक्तियों में ये अधात्विक तत्वों के छोटे परमाणु ठीक-ठीक फिट हो जाते हैं। ये अन्तराकाशी यौगिक कहलाते हैं।

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प्रश्न 13.
नॉन-संक्रमण धातुओं से संक्रमण धातुओं की परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थायें भिन्न कैसे होती हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
संक्रमण तत्वों में उत्तरोत्तर ऑक्सीकरण अवस्थाओं में इकाई का अन्तर आता है। उदाहरण के लिए, Mn सभी ऑक्सीकरण अवस्थायें +2 से +7 दर्शाता है। जबकि नॉन-संक्रमण धातुएँ परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाएँ रखती हैं, जिनमें दो इकाई का अन्तर होता है, उदाहरण के लिए Pb(II), Pb(IV), Sn(II), Sn(IV).

प्रश्न 14.
आयरन क्रोमाइट अयस्क से पोटैशियम डाइक्रोमेट के बनाने की विधि का वर्णन कीजिए। पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन की pH बढ़ाने पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर
बनाने की विधि-

बनाने की विधि-K2Cr2O7 को क्रोमाइट अयस्क (Fe2Cr2O4) या क्रोम आयरन (FeO.Cr203) से बनाया जाता है, जो निम्नलिखित पदों में होते हैं।

(1) क्रोमाइट अयस्क का सोडियम क्रोमेट में परिवर्तन-क्रोमाइट अयस्क को NaOH या Na2CO3 के साथ वायु की उपस्थिति में एक परावर्तनी भट्टी में गर्म करने पर सोडियम क्रोमेट (पीला रंग) बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 5

पदार्थ को छिद्रमय रखने हेतु कुछ मात्रा में शुष्क चूने को मिलाते हैं । जल के साथ निष्कर्षण करने पर Na2Cr2O3 विलयन में चला जाता है। जबकि Fe2O3 रह जाता है जिसे छानकर पृथक् कर लेते हैं।

(2) सोडियम क्रोमेट (Na2CrO4) का सोडियम डाइक्रोमेट (Na2Cr2O7) में परिवर्तन-सोडियम क्रोमेट विलयन सान्द्र H2SO4 के साथ अपचयित करके सोडियम डाइक्रोमेट बनाते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 6
2Na2CrO4 कम विलेय होता है जिसका वाष्पन करने पर Na2SO410H2O के रूप में क्रिस्टलीकृत हो जाता है जिसे पृथक् कर लिया जाता है।

(3) Na2Cr2O7 का K2Cr2O7 में परिवर्तन-सोडियम डाइक्रोमेट के जलीय विलयन का उपचार KCI के साथ किये जाने पर पोटैशियम डाइ क्रोमेट प्राप्त होता है। K2Cr2O7 के अल्प विलेय प्रकृति के कारण इसके क्रिस्टल ठण्डे में प्राप्त किये जाते हैं।

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 7

K2Cr2O7 की निम्न के साथ होने वाली रासायनिक अभिक्रिया –

(1) अम्लीय फेरस सल्फेट के साथ-K2Cr207 अम्लीय माध्यम में यह फेरस सल्फेट को फेरिक सल्फेट में ऑक्सीकृत कर देता है। K2Cr2O7 पहले H2SO4 से क्रिया करके नवजात ऑक्सीजन का तीन परमाणु देता है जो Fe2+ को Fe3+ आयन में ऑक्सीकृत कर देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 8

pH बढ़ाने पर प्रभाव-पोटैशियम क्लोराइड सोडियम क्लोराइड से कम विलेयशील होता है। ये ऑरेंज क्रिस्टल के रूप में प्राप्त होते है तथा इन्हें फिल्ट्रेशन से हटाया जा सकता है। pH 4 पर डाइक्रोमेट आयन (CrO72-) क्रोमेट आयन CrO4 2-के रूप में उपस्थित होते हैं । ये pH के मान में परिवर्तन के अनुसार एक-दूसरे में परिवर्तनशील होते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 9

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प्रश्न 15.
पोटैशियम डाइक्रोमेट की ऑक्सीकरण क्रियायें समझाइये एवं इनकी निम्न के साथ आयनिक अभिक्रियायें लिखिए
(i) आयोडाइड, (ii) आयरन (II) विलयन एवं (ii) H2S.
उत्तर
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 2 (K2Cr2O7 की निम्न के साथ होने वाली रासायनिक अभिक्रिया) देखें।

प्रश्न 16.
पोटैशियम परमैंगनेट के बनाने की विधि का वर्णन कीजिए।अम्लीकृत परमैंगनेट विलयन निम्न से कैसे क्रिया करता है
(i) आयरन (II) आयनों से, (ii) SO2 एवं (ii) ऑक्सेलिक अम्ल ? अभिक्रियाओं की आयनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर
KMnO4, पायरोलुसाइट से बनाया जा सकता है, अयस्क को KOH के साथ वायुमण्डलीय ऑक्सीजन या ऑक्सीकृत एजेन्ट जैसे- KNO3 या KClO4 की उपस्थिति में क्रिया कराकर K2MnO4 प्राप्त किया जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 10
प्राप्त 2K2MnO4 (ग्रीन) को जल द्वारा छाना जा सकता है। फिर विद्युत्-अपघटन या क्लोरीन/ओजोन को विलयन मे प्रवाहित कर ऑक्सीकृत किया जाता है।

विद्युत्-अपघटनी ऑक्सीकरण –
2K2MnO4 ⇌ 2K+ + MnO42-
H2O → H+ + OH
एनोड में मैंग्नेट आयन, पर मैंग्नेट आयन में ऑक्सीकृत होता है।
MnO42- → MnO4 + e

क्लोरीन द्वारा ऑक्सीकरण –
2K2MnO4 + Cl2 → 2KMnO4 + 2KCl
2MnO42- + Cl2 → 2MnO4 + 2Cl

ओजोन द्वारा ऑक्सीकरण –
2K2MnO4 + O3 + H4O → 2KMnO4 + 2KOH + O2
2MnO42- + O3 +H2O → 2MnO42- + 2OH + O2
अम्लीकृत KMnO4 विलयन Fe(II) आयन को Fe(III) आयन में ऑक्सीकृत करना है अर्थात् फेरस आयन से फेरिक आयन
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 11

अम्लीकृत पोटैशियम परमैंग्नेट SO2 को H2SO4 में ऑक्सीकृत करता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 12

अम्लीकृत पोटैशियम परमैंग्नेट ऑक्सेलिक अम्ल को कार्बन डाइ-ऑक्साइड में ऑक्सीकृत करता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 13

प्रश्न 17.
M22+M एवं M3+/M2+ तंत्रों के लिए कुछ धातुओं के E° मान निम्न है –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 14
उपर्युक्त आँकड़ों का उपयोग कर निम्न पर टिप्पणी कीजिए –
(i) Cr3+ अथवा Mn3+ की तुलना में Fe3+ का अम्लीय विलयन में स्थायित्व एवं
(ii) वो कौन-सी स्थितियाँ हैं, जहाँ आयरन, समान विधियों में क्रोमियम अथवा मैंगनीज धातु की तुलना में ऑक्सीकृत होता है।
उत्तर
(i) जैसे- \(\mathrm{E}_{\mathrm{Cr}}^{\circ} / \mathrm{Cr}^{+2}\) ऋणात्मक (-04V) है, जिसका अर्थ है cr+3 आयन विलयन में सरलता से Cr+2 में अपचयित नहीं होता, अत: Cr+3 आयन अधिक स्थायी है। इसी प्रकार \(\mathrm{E}^{\circ}_{\mathrm{Mn}^{+} 3} / \mathrm{Mn}^{+2}\) धनात्मक (+1:5V) है, Mn+3 आयन सरलता से Mn+2 आयन में Fe+3 आयन की तुलना में अपचयित होता है अत: इन आयनों की आपेक्षिक स्थायित्व निम्न है –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 15

(ii) दिए गए जोड़ों का ऑक्सीकरण विभव +09V, +1-2V एवं 0-4V है। अत: इनके ऑक्सीकरण का क्रम निम्न है –

Mn>Cr>Fe

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प्रश्न 18.
पहचानिए, निम्न में कौन जलीय विलयन में रंग देते हैं? Ti3+,V3+, Cu+,Sc3+,Mn2+, Fe3+ एवं CO2+ प्रत्येक का कारण दीजिए।
उत्तर
ऐसे आयन जिनमें एक या अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, जलीय विलयन में d – d संक्रमण के कारण रंगीन होते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 16

प्रश्न 19.
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों की +2 ऑक्सीकरण अवस्था को स्थायित्व की तुलना कीजिए।
उत्तर
Mn एवं Zn को छोड़कर + 2 अवस्था का स्थायित्व बायें से दायें चलने पर घटता है। मानव अपचयन विभव के ऋणात्मक मान के घटने के कारण दाँयी तरफ स्थायित्व घटता है। कुल ∆1H1 + ∆1H2 (प्रथम एवं द्वितीय आयनन एन्थैल्पी में वृद्धि के कारण E° के ऋणात्मक मान कम होते हैं।)

प्रश्न 20.
निम्न को ध्यान में रखकर एक्टीनॉयड्स के रसायन की तुलना लैन्थेनॉयड्स के साथ कीजिए
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
(ii) परमाणु एवं आयनिक आकार एवं
(iii) ऑक्सीकरण अवस्था
(iv) रासायनिक क्रियाशीलता।
उत्तर
लैंथेनाइडों एवं एक्टिनाइडों के मध्य भिन्नताएँ
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 17

प्रश्न 21.
निम्न से क्या समझते हो –
(i) d4 श्रेणी में, Cr2+ प्रबल अपचायक है जबकि मैंगनीज (III) प्रबल ऑक्सीकारक है।
(ii) कोबाल्ट (II) जलीय विलयन में स्थायी है, जबकि जटिल अभिकर्मकों की उपस्थिति में यह आसानी से ऑक्सीकृत हो जाता है।
(iii) आयनों में d विन्यास अत्यधिक अस्थायी है।
उत्तर
(i) Cr2+ अपचायक प्रकृति का है, इसका विन्यास d4 से d3 (अर्द्धपूर्ण t.कक्षकों का स्थायी विन्यास) परिवर्तन होता है। अन्य शब्दों में Mn3+ ऑक्सीकारक प्रकृति का है, जिसका विन्यास d4 से d5 (अर्द्धपूर्ण t2g से 2g कक्षकों के स्थायी विन्यास) में परिवर्तन होता है।
(ii) प्रबल लिगेण्ड कोबाल्ट (II) को बल द्वारा 3d- उपकक्ष से एक अथवा अधिक इलेक्ट्रॉन को हटाता है, जिससे d2sp3 संकरण होता है।
(iii) d1-विन्यास वाला आयन प्रयास करता है कि d-उपकक्ष से एक इलेक्ट्रॉन निकालकर स्थायी अकिय गैस विन्यास प्राप्त कर लेवें।।

प्रश्न 22.
विषमसमानुपाती से क्या तात्पर्य है ? जलीय विलयन में विषमसमानुपाती अभिक्रिया के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
विषमसमानुपाती अभिक्रियायें वे होती हैं, जिनमें समान पदार्थ ऑक्सीकृत एवं अपचयित होता है। उदाहरण के लिए –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 18

प्रश्न 23.
संक्रमण धातुओं की प्रथम श्रेणी की कौन-सी धातु सामान्य +1 ऑक्सीकरण अवस्था रखते हैं एवं क्यों ?
उत्तर
कॉपर का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar]3d104s1 है। जो एक इलेक्ट्रॉन (4s1) सरलता से त्याग कर स्थायी विन्यास 3d10 देता है।

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प्रश्न 24.
निम्न गैसीय आयनों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की गणना कीजिए- Mn3+, Cr3+,v3+ एवं Ti3+ इनमें से कोई एक जलीय विलयन में अधिक स्थायी है ?
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 19
Cr2+ अत्यधिक स्थायी है, इसमें अर्द्धपूर्ण t2gस्तर होते हैं।

प्रश्न 25.
संक्रमण धातु रसायन के निम्न के उदाहरण एवं कारणों को दीजिए –
(i) संक्रमण धातु के निम्न ऑक्साइड क्षारीय हैं, उच्च उभयधर्मी/अम्लीय हैं।
(ii) संक्रमण धातु ऑक्साइडों एवं फ्लुओराइडों में उच्च ऑक्सीकरण अवस्था रखते हैं।
(iii) धातु ऑक्सो ऋणायनों में उच्च ऑक्सीकरण अवस्था होती है।
उत्तर
(i) संक्रमण तत्व के निम्न ऑक्साइड क्षारीय होते हैं, क्योंकि धातु परमाणुओं की निम्न
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धातु की निम्न ऑक्सीकरण अवस्था में, धातु परमाणु के कुछ संयोजी इलेक्ट्रॉन बन्धन में भाग नहीं लेते। अत: ये इलेक्ट्रॉन को दानकर क्षार की भाँति व्यवहार करते हैं। उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में, संयोजी इलेक्ट्रॉन बन्धन में भाग लेते हैं एवं जो उपलब्ध नहीं होते। इसके अतिरिक्त प्रभावी नाभिकीय आवेश अधिक होने पर यह इलेक्ट्रॉन स्वीकार करता है एवं अम्ल की भाँति व्यवहार दर्शाते हैं।

(ii) संक्रमण धातु ऑक्साइडों एवं फ्लुओराइडों में उच्च ऑक्सीकरण अवस्थायें रखते हैं, क्योंकि ऑक्सीजन एवं फ्लुओरीन का आकार छोटा एवं उच्च ऋणविद्युतता है एवं ये धातुओं को सरलता से ऑक्सीकृत करते हैं। उदाहरण के लिए- O5F6 [O5(VI)],V2O5 [v(v)] .

(iii) धातुओं के ऑक्सो ऋणायन उच्च ऑक्सीकरण अवस्थायें रखते हैं। उदाहरण के लिए, Cr2O72- में Cr की ऑक्सी-करण अवस्था + 6 है, जबकि MnO4 में Mn की ऑक्सी-करण अवस्था +7 है। क्योंकि ऑक्सीजन की उच्च ऋणविद्युतता एवं उच्च ऑक्सीकारक गुण है।

प्रश्न 26.
बनाने के पदों को दर्शाइये –
(i) क्रोमाइट अयस्क से K2Cr2O7
(ii) पायरोलुसाइट अयस्क से KMnO4.
उत्तर
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न क्र. 2 एवं 4 देखें।

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प्रश्न 27.
मिश्रधातुएँ क्या हैं ? प्रमुख मिश्रधातु के नाम लिखते हुए उसके उपयोग लिखिए, जिनमें कुछ लैन्थेनॉयड्स धातुएँ होती हैं।
उत्तर
दो अथवा अधिक धातुओं अथवा धातुओं एवं अधातुओं के समांगी मिश्रण मिश्रधातु है । प्रमुख मिश्रधातु जिसमें लैन्थेनॉयड होता है, मिश्रधातु है, जिसमें 95% लैन्थेनॉयड धातुएँ एवं 5% आयरन के साथ थोड़ी मात्रा में S, C, Ca एवं Al होते हैं । इसका उपयोग Mg-आधारित मिश्रधातु में करते हैं। जो गोली के आवरण एवं लाइटर में उपयोग होती है।

प्रश्न 28.
अन्तर संक्रमण तत्व क्या हैं ? दिए गए निम्न परमाणु संख्याओं में से अन्तर संक्रमण तत्वों की परमाणु संख्याओं का निर्धारण कीजिए- 29,59, 74, 95, 102, 104.
उत्तर
f-ब्लॉक तत्वों में, अन्तिम इलेक्ट्रॉन अन्तर उपात्यकक्ष – उपकक्ष में प्रवेश करते हैं, अतः इन्हें अन्तर संक्रमण तत्व कहते हैं। इनमें लैन्थेनॉयड्स (58-71) एवं एक्टीनॉयड्स (90-103) होते हैं । अतः परमाणु क्रमांक 59, 95 एवं 102 वाले तत्व अन्तर संक्रमण तत्व हैं।

प्रश्न 29.
लैन्थेनॉयड्स की तुलना में एक्टीनॉयड्स तत्वों का रसायन अधिक सरल नहीं है। इस वाक्य को इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्था के कुछ उदाहरणों द्वारा न्यायोचित सिद्ध कीजिए।
उतर
लैन्थेनॉयड्स निश्चित संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थायें दर्शाते हैं, जैसे +2, +3 एवं +4 (+3 मुख्य ऑक्सीकरण अवस्था है)। क्योंकि 5d एवं 4f उपकक्षों के मध्य अधिक ऊर्जा अन्तर होता है। एक्टीनॉयड्स भी प्रमुख ऑक्सीकरण अवस्था +3 दर्शाते हैं, किन्तु अन्य ऑक्सीकरण अवस्था भी दर्शाते हैं । उदाहरण के लिए, यूरेनियम (Z= 92) +3, +4, +5, +6 ऑक्सीकरण अवस्थायें रखता है, एवं नेप्चूनियम (Z= 94) +3, +4, +5, +6 एवं +7 ऑक्सीकरण अवस्थायें दर्शाता है। क्योंकि 4f एवं 6d कक्षकों के मध्य ऊर्जा अन्तर कम होता है।

प्रश्न 30.
एक्टीनॉयड्स श्रेणी का अंतिम तत्व कौन-सा है ? इस तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इस तत्व की संभावित ऑक्सीकरण अवस्था पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर
एक्टीनॉयड श्रेणी का अंतिम तत्व= लॉरेन्सियम (Z = 103)
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Rn]5f146d17s2
संभावित ऑक्सीकरण अवस्था = +3

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प्रश्न 31.
हुण्ड नियम का उपयोग करते हुए Ce* आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए एवं ‘चक्रण केवल’ सूत्र के आधार पर इसके चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
उत्तर
सीरियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Xe] 4f15d16s2
Ce3+ 344 = [Xe]4f1
जिसका अर्थ है कि एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 21

प्रश्न 32.
लैन्थेनॉयड श्रेणी के उन सदस्यों के नाम दीजिए, जो +4 ऑक्सीकरण अवस्था में एवं +2 ऑक्सीकरण अवस्थायें रखते हैं। इस प्रकार के व्यवहार को इन तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों से संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर
+4= 58Ce, 59Pr, 60Nd, 65Tb, 66Dy
+2 = 60Nd, 62Sm, 63Eu, 69Tm, 70Yb
+4 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है, जब विन्यास बाँयी तरफ के समीप 4f° (अर्थात् 4f04f14f2) अथवा 4f7 के समीप (अर्थात् 4f7 अथवा 4f8) होता है।
+2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है, जब विन्यास 5d0 6s2 है तथा दो इलेक्ट्रॉन सरलता से त्याग देता है।

प्रश्न 33.
निम्न के सापेक्ष एक्टीनॉयड्स एवं लैन्थेनॉयड्स के रसायन की तुलना कीजिए –
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
(ii) ऑक्सीकरण अवस्थाएँ
(iii) आयनन एन्थैल्पी एवं
(iv) परमाण्विक आकार।
उत्तर
लैंथेनाइडों एवं एक्टिनाइडों के मध्य भिन्नताएँ
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 22

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प्रश्न 34.
परमाणु क्रमांक 61,91, 101 एवं 109 वाले तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
(i) z = 61: [Xe]4f5f506s2
(ii) Z = 91: [Rn]5f26d17s2
(iii) Z = 101: [Rn]5f136d07s2
(iv) Z = 109: [Rn]5f146d7s2

प्रश्न 35.
ऊर्ध्वाधर कॉलम के सापेक्ष प्रथम संक्रमण धातुओं की श्रेणी के सामान्य गुणों की तुलना द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के धातुओं से कीजिए। निम्न बिन्दुओं को विशिष्टता प्रदान कीजिए –
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास,
(ii) ऑक्सीकरण अवस्थायें
(iii) आयनन एन्थैल्पी एवं
(iv) परमाण्विक आकार।
उत्तर
प्रथम संक्रमण धातुओं की श्रेणी के सामान्य गुणों की तुलना –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 23

प्रश्न 36.
निम्न आयनों में प्रत्येक के 3d इलेक्ट्रॉनों की संख्या लिखिए –
Ti2+,v2+, Cr3+,Mn2+, Fe2+, Fe3+,Co2+,Ni2+ एवं Cu2+ दर्शाइये कि पाँच 31 कक्षकों को इन हाइड्रेट आयनों (अष्टफलकीय) द्वारा भरा जा सकता है।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 24

प्रश्न 37.
इस वाक्य पर टिप्पणी कीजिए कि प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों में अनेक गुण भारी संक्रमण तत्वों से भिन्न होते हैं।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 25

प्रश्न 38.
निम्न संकुल स्पीशीज के चुम्बकीय आघूर्ण के मानों से क्या दर्शाया जाता है ?
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 26
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 27
उत्तर
K4[Mn(CN)6]
Mn+2 . 3d5 , चुम्बकीय आघूर्ण 2.2 दर्शाता है कि इसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है एवं अन्तर कक्षक संकुल अथवा निम्न चक्रण संकुल बनाता है। इसका विन्यास है –
t22g[Fe(H2 O)6 ]2+

Fe+2: 3d6 चुम्बकीय आघूर्ण का मान 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के समीप है, अत: यह बाह्य कक्षक संकुल अथवा उच्च चक्रण संकुल बनाता है। इसका विन्यास है  – t42g e2g K2[MnCl4]

Mn+2 : 3d5 चुम्बकीय आघूर्ण का मान 5 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के सापेक्ष है। d-कक्षक प्रभावित नहीं होते। अतः यह चतुष्फलकीय संकुल बनाता है। इसका विन्यास है – t32g e2g

d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए-

प्रश्न 1.
मैंगनीज किसमें उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है
(a) K2MnO4
(b) KMnO4
(c) MnO2
(d) MngO4
उत्तर
(b) KMnO4
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प्रश्न 2.
कौन अन्तराली यौगिक बनाता है
(a) Fe
(b) Ca
(c) Ni
(d) सभी।
उत्तर
(b) Ca

प्रश्न 3.
जब KMnO4 को उदासीन माध्यम में प्रयुक्त करते हैं, तब उनका तुल्यांक भार होगा –
(a) M
(b) M/2
(c) M/3
(d) M/5.
उत्तर
(c) M/3

प्रश्न 4.
कौन-सी लैन्थेनाइड सर्वाधिक प्रयुक्त की जाती है –
(a) लैन्थेनम
(b) नोबेलियम
(c) थोरियम
(d) सीरियम।
उत्तर
(d) सीरियम।

प्रश्न 5.
गैडोलिनियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है –
(a) [Xc]4f65d9,6s2
(b) [Xe]4f7,5d1,6s2
(C) [Xe] f3,5d5,6s2
(d) [Xe]4f6,5d2,6s2.
उत्तर
(b) [Xe]4f7,5d1,6s2

प्रश्न 6.
लैन्थेनाइड संकुचन निम्न कारक के लिए उत्तरदायी होता है –
(a) Zr एवं Y की त्रिज्या लगभग समान होती है
(b) Zr एवं Nb की ऑक्सीकरण अवस्था समान होती है
(c) Zr एवं Hf की त्रिज्या लगभग समान होती है
(d)zr एवं Zn की ऑक्सीकरण अवस्था समान होती है।
उत्तर
(c) Zr एवं Hf की त्रिज्या लगभग समान होती है

प्रश्न 7.
3d श्रेणी में उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था किसके द्वारा प्रदर्शित की जाती है –
(a) Mn
(b) Fe2+
(c) Ni
(d) Cr
उत्तर
(a) Mn

प्रश्न 8.
कौन-सा संक्रमण धातु आयन रंगीन है –
(a) Cu+
(b) v2+
(c) Sc+3
(d) Ti+4
उत्तर
(b) v2+

प्रश्न 9.
एक संक्रमण धातु जो +3 ऑक्सीकरण अवस्था में हरा किन्तु +6 ऑक्सीकरण अवस्था में नारंगी होता है –
(a) Mn.
(b) Cr
(c) Os
(d) Fe.
उत्तर
(b) Cr

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प्रश्न 10.
लैन्थेनाइड श्रेणी में, लैन्थेनाइड हाइड्रॉक्साइडों की क्षारकता –
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) पहले बढ़ती है फिर घटती है
(d) पहले घटती है और फिर बढ़ती है।
उत्तर
(b) घटती है

प्रश्न 11.
Fe, Co, Ni किस प्रकार के चुम्बकीय पदार्थ हैं –
(a) अनुचुम्बकीय
(b) लौह चुम्बकीय
(c) प्रति चुम्बकीय
(d) प्रति लौह चुम्बकीय।
उत्तर
(b) लौह चुम्बकीय

प्रश्न 12.
Fe+2 आयन के अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या है –
(a) 0
(b) 4
(c) 6
(d) 3.
उत्तर
(b) 4

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2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए – 

  1. Fe, Co, Ni धातुओं को …………. कहते हैं।
  2. परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ त्रिसंयोजी धनायनों का आकार क्रमशः….,.. जाता है।
  3. निम्नतर ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करने वाले संक्रमण धातु …….. प्रकृति के होते हैं।
  4. K2Cr207 एक प्रबल ……….. है जो केवल अम्लीय माध्यम में नवजात ऑक्सीजन का ……… परमाणु मुक्त करता है।
  5. Zn केवल …………. ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
  6. f-ब्लॉक तत्व …………. तत्व कहलाते हैं।
  7. संक्रमण तत्व और उनके यौगिक ……….. का कार्य करते हैं।
  8. अंतः संक्रमण तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास …………..
  9. पोटैशियम मैंगनेट का रासायनिक सूत्र ……….. है।
  10. d-ब्लॉक तत्वों को …………. भी कहा जाता है।

उत्तर

  1. फेरस धातुएँ
  2.  घटता
  3. क्षारीय
  4. ऑक्सीकारक, तीन
  5. +2
  6. आन्तर संक्रमण
  7. उत्प्रेरक
  8. (n-2)f1-14, (n-1)d1-2,ns2
  9. K2MnO4,
  10. संक्रमण तत्व।

3. सत्य/असत्य बताइए –

  1. पारा द्रव अवस्था में होता है तथा इसकी ऑक्सीकरण अवस्था +1 व + 2 होती है।
  2. संक्रमण धातुओं की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था अम्लीय प्रकृति की होती है।
  3. लैन्थेनाइड और एक्टीनाइड दोनों संक्रमण तत्व कहलाते हैं।
  4. सभी संक्रमण तत्वों में +2 ऑक्सीकरण अवस्था सामान्यत: अधिक पायी जाती है अथवा सामान्य होती है।
  5. Zn, Cd एवं Hg परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करती है।
  6. Cu+2 आयन रंगहीन और प्रतिचुम्बकीय होता है।
  7. प्लूटोनियम का उपयोग परमाणु बम बनाने में तथा परमाणु रियेक्टर में ईंधन के रूप में किया जाता है।
  8. संक्रमण तत्व अन्तराली यौगिक बनाते हैं।

उत्तर

  1. सत्य,
  2. सत्य,
  3. असत्य,
  4. सत्य,
  5. असत्य,
  6. असत्य,
  7. सत्य,
  8. सत्य।

4. उचित संबंध जोडिए –
I.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 28
उत्तर
1. (1), 2. (g), 3. (e), 4. (c), 5. (b), 6, (d), 7. (a).

5. एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए – 

  1. Cu+ तथा Cu2+ में कौन-सा आयन रंगहीन है ?
  2. एक अभिक्रिया में KMnO4 को K2MnO4 में परिवर्तित किया जाता है तो Mn की ऑक्सी
    करण संख्या में कितना परिवर्तन होगा?
  3. लैन्थेनाइड और एक्टीनाइड में कौन-सी श्रेणी उच्च ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है ?
  4. लैन्थेनम की कौन-सी ऑक्सीकरण अवस्था अधिक स्थायी होती है ?
  5. K3Cr3O7 का अम्लीय विलयन में तुल्यांकी भार कितना होता है ?
  6. Fe+3 में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या होती है।
  7. क्रोमिलं क्लोराइड परीक्षण में प्रयुक्त ऑक्सीकरण का नाम लिखिए।
  8. d- ब्लॉक के तत्वों में Zn परिवर्तित संयोजकता प्रदर्शित नहीं करता, क्योंकि।
  9. Cu की सर्वाधिक महत्वपूर्ण ऑक्सीकरण अवस्था है।
  10. f- ब्लॉक के तत्वों को कितने श्रेणी में बाँटा गया है ?
  11. लूनर कॉस्टिक किसे कहते हैं ?
  12. d-ब्लॉक के तत्वों में Zn परिवर्ती ऑक्सीकरण संख्या नहीं दर्शाता है, क्यों ?
  13. HgCl2 तथा KI का क्षारीय विलयन क्या कहलाता है ?

उत्तर-

  1. Cu+
  2. 1,
  3. एक्टीनाइड,
  4. +3,
  5. 49,
  6. 5,
  7. K2Cr2O7,
  8. पूर्ण-पूरित d-कक्षक,
  9. +2,
  10. दो,
  11. AgNO3,
  12. d-कक्षक के पूर्ण भरे होने की वजह से,
  13. नेसलर अभिकर्मक।

d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सिल्वर परमाणु की मूल अवस्था में पूर्ण-पूरित d-कक्षक है।आप कैसे कह सकते हैं कि यह एक संक्रमण तत्व है ?
उत्तर
सिल्वर +1 ऑक्सीकरण अवस्था में 4d10 5s0 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास दर्शाता है। परन्तु कुछ यौगिकों में यह +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है। इस अवस्था में यह 4d95s0 इलेक्ट्रॉनिक विन्यास दर्शाता है। अतः 4d- से कक्षक के अपूर्ण होने के कारण इसे संक्रमण तत्व माना गया है।

प्रश्न 2.
संक्रमण तत्व किसे कहते हैं ? इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। ये धात्विक गुण प्रदर्शित करते हैं, क्यों?
उत्तर
वे तत्व, जिनके परमाणु अथवा साधारण आयनों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में भीतरी d-कक्षक अपूर्ण रूप से भरे होते हैं, संक्रमण तत्व कहलाते हैं । ये समूह 2 और 13 के मध्य स्थित होते हैं।
उदाहरण-Fe, Ni, Co आदि। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास-(n-1)1-10,ns1-2 है।
किसी तत्व द्वारा अपने परमाणु में से एक अथवा अधिक इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाने की क्षमता पर उसका धात्विक गुण निर्भर करता है, सभी संक्रमण तत्व धातुएँ हैं, क्योंकि इनकी बाह्यतम कक्षा में एक या दो इलेक्ट्रॉन होते हैं, जो कि आसानी से त्यागे जा सकते हैं, क्योंकि इनकी आयनन ऊर्जा निम्न होती है। अतः ये धात्विक प्रकृति के होते हैं।

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प्रश्न 3.
संक्रमण तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं, क्यों?
उत्तर-
संक्रमण तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं, क्योंकि (n-1)d-कक्षक तथा ns-कक्षक के इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा में बहुत अधिक अन्तर नहीं होता है, जिससे d-कक्षक के इलेक्ट्रॉन भी संयोजी इलेक्ट्रॉन का कार्य करते हैं । इन तत्वों में Mn अधिकतम परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 4.
संक्रमण धातुएँ आसानी से मिश्र धातुएँ क्यों बना लेती हैं ?
उत्तर
संक्रमण धातुएँ पिघली हुई अवस्था में एक-दूसरे में मिश्रणीय हैं तथा विभिन्न संक्रमण धातुओं के मिश्रण को ठण्डा करने पर मिश्र धातुएँ बनती हैं । संक्रमण धातुओं का आकार लगभग समान होता है, अतः क्रिस्टल जालक में एक धातु परमाणु को दूसरे धातु परमाणु से आसानी से विस्थापित किया जा सकता है, इस प्रकार मिश्रधातुएँ बनती हैं । जैसे-Cr को Ni में विलेय कर Cr-Ni मिश्रधातु बनाया जाता है। मिश्र धातुएँ अपनी जनक धातुओं की तुलना में अधिक कठोर, उच्च गलनांक वाली तथा अधिक संक्षारण प्रतिरोधी होती हैं।

प्रश्न 5.
संक्रमण धातुओं के चुम्बकीय गुणों को उसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर बताइए।
अथवा, अनुचुम्बकत्व और प्रतिचुम्बकत्व को समझाइए।
उत्तर
चुम्बकीय गुण-संक्रमण धातुएँ चुम्बकीय गुण प्रदर्शित करती हैं।
(a) प्रतिचुम्बकत्व-जब किसी पदार्थ में उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित हों तो वह प्रतिचुम्बकत्व दर्शाता है। Zn एक प्रतिचुम्बकीय धातु है।
(b) अनुचुम्बकत्व-यह गुण पदार्थ में उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करता है। अयुग्मित इलेक्ट्रॉन युक्त पदार्थ अनुचुम्बकीय होता है । अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ने से चुम्बकीय गुण भी बढ़ता है।
Fe, Co तथा Ni फेरोचुम्बकीय होते हैं, क्योंकि इन्हें चुम्बकित भी किया जा सकता है । अनुचुम्बकत्व को निम्न सूत्र से दर्शाते हैं –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 29
जिसमें μ = चुम्बकीय आघूर्ण, n = अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या।

प्रश्न 6.
संक्रमण तत्वों की प्रवृत्ति अक्रिय होती है, क्यों? उत्तर
संक्रमण तत्वों की अक्रिय प्रवृत्ति या कम क्रियाशीलता निम्नलिखित कारणों से होती हैं –

(i) इनके मानक इलेक्ट्रोड विभव का मान कम होता है ।
(ii) इनकी आयनन ऊर्जा उच्च होती है ।
(iii) इनकी वाष्पन या कणिकरण ऊर्जा (Sublimation of Atomization energy) का मान उच्च होता है।
(iv) इनके आयनों की जल योजन ऊर्जा का मान कम होता है ।

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प्रश्न 7.
संक्रमण तत्वों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
संक्रमण तत्वों की विशेषताएँ-

  • इनकी प्रकृति धात्विक होती है जिनका धन विद्युतीय गुण सीमित (Ti) से उत्कृष्ट (Cu) तक होता है।
  • ये कठोर होते हैं तथा ऊष्मा और विद्युत् के सुचालक हैं।
  • इनके b.p. तथा m.p. उच्च होते हैं ।
  • ये परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं ।
  • ये रंगीन आयन बनाते हैं ।
  • ये समन्वयन यौगिक बनाते हैं।
  • ये सामान्यत: अनुचुम्बकीय होते हैं ।
  • ये अच्छे उत्प्रेरक होते हैं।
  • ये मिश्रधातु बनाते हैं।
  • ये अधातुओं के साथ अन्तराकाशीय यौगिक बनाते हैं।
  • इनमें कार्बधात्विक यौगिक, समाकृतिक यौगिक तथा नॉन-स्टॉइकियोमीट्रिक यौगिक भी पाये जाते हैं। __

प्रश्न 8.
d और f-ब्लॉक तत्वों में कोई पाँच प्रमुख अन्तर दीजिए।
उत्तर
d और ब्लिॉक तत्वों में अन्तर –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 30
प्रश्न 9.
आन्तरिक संक्रमण तत्व क्या होते हैं ?
उत्तर
वे तत्व जिनमें तीनों बाह्यतम कोश अपूर्ण भरे होते हैं अन्तर संक्रमण तत्व कहलाते हैं। संक्रमण तत्वों के भीतर वर्ग 3 व 4 के मध्य 14-14 तत्व f-ब्लॉक में आते हैं। अतः संक्रमण तत्वों के मध्य स्थित होने के कारण इन्हें अन्तर संक्रमण तत्व कहते हैं। चूँकि इनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कोश से दो अन्दर के कोश उपउपान्त्य कोश अर्थात् (n-2)f-ऑर्बिटल में प्रवेश करते हैं। अत: इन तत्वों को f-ब्लॉक तत्व भी कहते हैं। (n-2)f1-14(n-12)d1-10ns2 इन्हें दो श्रेणियों में बाँटा गया है –

(1) लैन्थेनाइड श्रेणी-लैन्थेनम के बाद (La57) आने वाले 14 तत्व (Ce58-Lu71) लैन्थेनाइड कहलाते हैं।
(2) ऐक्टिनाइड श्रेणी-ऐक्टिनम के बाद आने वाले 14 तत्व ऐक्टिनाइड्स कहलाते हैं।

प्रश्न 10.
समूह- 12 के सदस्यों के नाम लिखिए। वे सामान्यतः संक्रमण तत्व क्यों नहीं माने जाते हैं ?
उत्तर
समूह- 12 के सदस्यों के नाम Zn, Cd, Hg हैं जिन्हें संक्रमण तत्वों में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि इनकी परमाणु अवस्था तथा द्विसंयोजी आयन अवस्था दोनों में इलेक्ट्रॉनिक संरचना (n-1)d10 होती है अर्थात् इनके d- कक्षक पूर्णतः भरे होते हैं। इस कारण इन्हें संक्रमण तत्व नहीं माना जाता।

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प्रश्न 11.
लैन्थेनाइडों की पाँच विशेषताएँ लिखिए। उत्तर-लैन्थेनाइडों की विशेषताएँ –
(a) ये f-ब्लॉक के तत्व हैं ।
(b) ये चाँदी के समान चमकदार धातुएँ हैं ।
(c) ये ऊष्मा तथा विद्युत् के अच्छे चालक हैं ।
(d) इनका गलनांक तथा घनत्व उच्च होता है ।
(e) La से Lu तक इनकी परमाणु त्रिज्या में लगातार कमी होती है, इसे लैन्थेनाइड संकुचन कहते हैं ।

प्रश्न 12.
क्या कारण है कि 5d श्रेणी के तत्वों की आयनन ऊर्जा का मान 4d श्रेणी से अधिक होता है?
उत्तर
किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर आयनन ऊर्जा का मान घटता है, लेकिन अपेक्षा के विरुद्ध 5d श्रेणी के संक्रमण तत्वों की आयनन ऊर्जा का मान 4d श्रेणी के तत्वों के मान से अधिक होता है, जिसका कारण इन दोनों श्रेणियों के बीच आने वाले 14 लैन्थेनाइड तत्वों का रहना तथा उनके आकार में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाना है। अतः नाभिक का आकर्षण बल बाह्यतम कक्षा के इलेक्ट्रॉन के लिए अधिक हो जाता है यही उनके अधिक आयनन विभव का कारण है।

प्रश्न 13.
(i) संक्रमण धातुओं में संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति होती है। समझाइए।
(ii) Zn, Cd एवं Hg संक्रमण तत्व का गुण व्यक्त क्यों नहीं करते हैं ?
(iii) Ti को आश्चर्यजनक धातु क्यों कहते हैं ?
उत्तर
(i) संक्रमण तत्वों के संकुल यौगिक बन्गने के कारण –
1. इन तत्वों के आयनों का आकार कम तथा नाभिकीय आवेश उच्च होता है, जिसके कारण ये आयन या अणु (लिगण्ड) को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
2. लिगैण्ड द्वारा दिये जाने वाले इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण करने के लिए इन तत्वों के आयनों में रिक्त ऑर्बिटल होते हैं।

(ii) ऐसे तत्व जिनमें (n-1)d- उपकोश आंशिक (Partially) रूप से भरे रहते हैं, उन्हें संक्रपण तत्व कहते हैं।
जबकि Zn में [3d104s2], Cd में [4d10 5s2] एवं Hg में [5d10s2] अवस्था पायी जाती है। इसलिए इन्हें संक्रमण तत्व नहीं मानते हैं।
(iii) Ti को आश्चर्यजनक धातु कहते हैं क्योंकि – (1) यह कठोर व उच्च गलनांक वाली धातु है। (2) यह ऊष्मा व विद्युत् की सुचालक होती है। (3) संक्षारण प्रतिरोधी होती है।(4) इसका उपयोग टैंक, तोप, बन्दूक व रक्षात्मक कवच बनाने में किया जाता है।

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प्रश्न 14.
Fe2+ आयन की त्रिज्या Mn2+ आयन की त्रिज्या से कम होती है, क्यों?
उत्तर
Fe का परमाणु क्रमांक (26) Mn के परमाणु क्रमांक (25) से अधिक है। अधिक परमाणुक्रमांक होने से नाभिक में प्रोटॉन की संख्या अधिक होती है, फलतः नाभिक और बाह्य कोश के इलेक्ट्रॉन के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल उतना ही प्रबल होता है। प्रबल आकर्षण बल इलेक्ट्रॉन बल इलेक्ट्रान मेघ को भीतर की ओर खींचता है, जिससे आकार में कमी होती है, इसीलिए Fe+ आयन की त्रिज्या Mn2+ आयन से कम होती है।

प्रश्न 15.
लैन्थेनाइड समूह को पृथक् करना क्यों कठिन है ? समझाइए।
उत्तर
लैन्थेनाइड समूह (Ce58 से – 71Lu) तक तत्वों में लैन्थेनाइड संकुचन के कारण रासायनिक गुणों में अत्यधिक समानता होती है। अत: इन्हें शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना अत्यधिक कठिन होता है। इन्हें आयन विनिमय विधि द्वारा पृथक् किया जाता है।

प्रश्न 16.
(i) TiO2 श्वेत है, जबकि TiCl3 बैंगनी है। क्यों?
(ii) संक्रमण धातुओं की प्रथम पंक्ति में Cr तक अनुचुम्बकत्व बढ़ता है और फिर घटने लगता है, क्यों?
उत्तर
(i) TiO2 में Ti4+ अवस्था में है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d0 है अतःd-इलेक्ट्रॉन के अभाव में d-d संक्रमण नहीं हो पाने के कारण TiO2 श्वेत है। जबकि TiCl3 में Ti3+ अवस्था में है जिसका विन्यास 3d1 है। अतः अयुग्मित d-इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण TiCl3 बैंगनी रंग का होता है।
(ii) संक्रमण धातुओं की प्रथम पंक्ति में Cr (3d5) तक अयुग्मित d-इलेक्ट्रॉनों के संख्या में वृद्धि होती है तथा फिर युग्मन प्रारम्भ होने के कारण इनकी संख्या घटती जाती है। अत: इसी के अनुसार पहले Cr तक अनुचुम्बकत्व बढ़ता है और फिर घटने लगता है।

प्रश्न 17.
किन्हीं पाँच बिन्दुओं पर लैन्थेनाइड और ऐक्टिनाइड की तुलना कीजिए।
उत्तर-लैन्थेनाइडों एवं ऐक्टिनाइडों की तुलना –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 31

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प्रश्न 18.
क्रोमिल क्लोराइड परीक्षण समीकरण सहित लिखिए।
उत्तर
जब किसी धातु क्लोराइड को ठोस पोटैशियम डाइक्रोमेट एवं सांद्र H,SO के साथ गर्म किया जाता है तब क्रोमिल क्लोराइड का नारंगी वाष्प बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 32
प्राप्त वाष्प को NaOH विलयन में प्रवाहित करने पर सोडियम क्रोमेट का पीले रंग का विलयन प्राप्त होता है, जो CH3COOH की उपस्थिति में लेड ऐसीटेट मिलाने पर, लेड क्रोमेट का पीला अवक्षेप देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 33

प्रश्न 19.
प्रथम संक्रमण श्रेणी में उपस्थित तत्वों के नाम, संकेत तथा इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर
प्रथम संक्रमण श्रेणी में उपस्थित तत्वों के नाम, संकेत तथा इलेक्ट्रॉनिक विन्यास –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 34

प्रश्न 20.
f-ब्लॉक तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। लैन्थेमाइड्स के कोई दो उपयोग लिखिए। ऐक्टिनाइड्स के कोई तीन उपयोग लिखिए।
उत्तर
ब्लॉक तत्वों का सामान्य विन्यास –
(n-2)f1-14, (n-1) s2p6 d0-1,ns2 होता है।
लैन्थेनाइड्स के दो उपयोग –

(i) ज्वलनशील मिश्रधातु बनाने में
(ii) धूप के चश्मों में
(iii) रंगीन काँच व फिल्टर बनाने में।

ऐक्टिनाइड्स के उपयोग –

(i) नाभिकीय रिएक्टर में
(ii) कैंसर के उपचार में थोरियम का उपयोग
(iii) प्लूटोनियम का उपयोग परमाणु बम, परमाणु भट्ठी में होता है।

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प्रश्न 21.
K2Cr2O7 एवं KMnO4 के उपयोग बताइए। .
उत्तर
K2Cr2O7 के उपयोग- (i) ऑक्सीकारक के रूप में, (ii) रंगाई व छपाई में, (iii) आयतनमितीय विश्लेषण में, (iv) क्रोमेटेजिंग में।
KMnO4 के उपयोग-(i) ऑक्सीकारक के रूप में, (ii) आयतनात्मक विश्लेषण में, (iii) कार्बनिक यौगिकों के निर्माण में, (iv) संक्रमणरोधी के रूप में।

प्रश्न 22.
अप्रारूपी संक्रमण तत्व एवं प्रारूपी संक्रमण तत्व किसे कहते हैं ?
उत्तर
Zn, Cd तथा Hg के परमाणुओं में (n-1)d उपकक्ष पूर्ण होते है। अत: इन तत्वों को d- समुदाय तत्व नहीं मानना चाहिए। इसी प्रकार ये तत्व d- समुदाय के तत्वों से गुणों के आधार पर बहुत कम समानता रखते हैं। परन्तु फिर भी ये तत्व d- समुदाय के तत्व कहलाते हैं । अत: Zn, Cd तथा Hg को अप्रारूपी संक्रमण तत्व कहा जाता है। जबकि अन्य संक्रमण तत्वों को प्रारूपी संक्रमण तत्व कहा जाता है।

प्रश्न 23.
Cu+ रंगहीन है परन्तु Cu2+ रंगीन होता है, क्यों?
उत्तर
Cu+ का उपकोश पूर्ण भरा होता है। इस प्रकार इनका d – d संक्रमण नहीं होता और वह सफेद अथवा रंगहीन रहता है। जबकि Cu2+ में अयुग्मित 3d इलेक्ट्रॉन होने के कारण एवं d-d संक्रमण सम्भव होने के कारण वह रंगीन होता है।

प्रश्न 24.
संक्रमण तत्व क्या है ? इन्हें कितनी श्रेणियों में विभाजित किया गया है ?
उत्तर
वे तत्व जिनमें परमाण्विक अवस्था में d-कक्षक आंशिक रूप से भरे हुए हों, संक्रमण तत्व कहलाते हैं, इन्हें 4 श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

1. प्रथम संक्रमण श्रेणी (3d- Series)- इसमें चतुर्थ आवर्त के Sc21 स्कैंडियम से जिंक (Zn = 30) तक 10 तत्व हैं।
2. द्वितीय संक्रमण श्रेणी (4d- Series)- इसमें पंचम आवर्त के इट्रियम Y39 से कैडमियम Cd48 तक 10 तत्व हैं।
3. तृतीय संक्रमण श्रेणी (5d- Series)- इसमें छठे आवर्त के लैन्थेनम (La = 57) तथा (Hf =72) से मर्करी (Hg = 80) तक के 10 तत्व हैं।
4. चतुर्थ संक्रमण श्रेणी(6d- Series)- इसमें सातवें आवर्त ऐक्टीनियम (Ac=89) तथा रदरफोर्डियम (Rf =72) तथा हाड्रियम (Ha = 105) हैं ये श्रेणी अभी अपूर्ण है।

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प्रश्न 25.
संक्षेप में स्पष्ट कीजिए कि प्रथम संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्द्धभाग में बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के साथ +2 ऑक्सीकरण अवस्था कैसे अधिक स्थायी होती जाती है?
उत्तर
(IE1 + IE2) आयनन ऊर्जा का मान बढ़ता है। परिमाणस्वरुप मानक अपचयन विभव E0 कम होता जाता है। अत: M+2 आयन बनने की क्षमता घटती है। Mn+2 के लिए उच्च क्षमता अर्द्धपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के कारण है। इसलिए प्रथम सदस्य के लिए इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d14s2 है, जिनमें तीन इलेक्ट्रॉन दान करने की क्षमता होती है। अतः +2 ऑक्सीकरण अवस्था की तुलना में +3 ऑक्सीकरण अवस्था की प्रबलता अधिक है।

d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लैन्थेनाइड का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास देते हुए इसके ऑक्सीकरण अवस्था को समझाइए।
उत्तर
अन्तर संक्रमण तत्त्वों की दो श्रेणियों में एक है लैन्थेनाइड या 4fश्रेणी । इस श्रेणी के तत्त्वों में 4fकक्षक में क्रमशः इलेक्ट्रॉन भरते हैं । इनका सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Xe] 4f1-145d1-26s2 होता है। इनकी कुल संख्या 14 है जो सीरियम (परमाणु क्रमांक 58) से प्रारम्भ होकर ल्यूटीशियम (परमाणु क्रमांक 71) पर समाप्त होती है ।

ऑक्सीकरण अवस्था – लैन्थेनाइड तत्त्वों की सर्वाधिक ऑक्सीकरण अवस्था (+3) होती है। यह लैन्थेनम से दो और एक d-कक्षक के इलेक्ट्रॉन के खोने से बनती है। La3+ का विन्यास जेनॉन (Xe = 54) जैसा होता है जो कि अत्यधिक स्थायी होता है। कुछ तत्व (+ 2) और (+4) ऑक्सीकरण भी प्रदर्शित करते हैं क्योंकि ये तत्व 2 या 4 इलेक्ट्रॉन खोने के बाद स्थायी f7 या f14 विन्यास प्राप्त करते हैं।

उदाहरणार्थ – Ce4+(4f°), Tb+ (4f7),Eu2+ (4f7), Yb2+ (4f14), परन्तु Sm2+, Tm2+ इसके अपवाद हैं।
सामान्यतः लैन्थेनाइड में +4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रबल ऑक्सीकरण का कार्य करती है, जैसे Ce+4 आयन जलीय विलयन का अच्छा ऑक्सीकरक है जो +4 से +3 में परिवर्तित हो जाता है तथा दूसरी ओर लैन्थेनाइड में +2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रबल अपचायक की तरह कार्य करती है। जैसे-Sm+2, Eu+2 और Yb+2 आयन अच्छा अपचायक है जो जलीय विलयन में +2 से +3 में ऑक्सीकृत हो जाता है।

प्रश्न 2.
क्रोमाइट अयस्क से K2Cr2O7 बनाने की विधि लिखिए तथा K2Cr2O7 की अम्लीय FeSO4 KI एवं H2S के मध्य अभिक्रिया के लिए संतुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर
बनाने की विधि-K2Cr2O7 को क्रोमाइट अयस्क (Fe2Cr2O4) या क्रोम आयरन (FeO.Cr203) से बनाया जाता है, जो निम्नलिखित पदों में होते हैं।

(1) क्रोमाइट अयस्क का सोडियम क्रोमेट में परिवर्तन-क्रोमाइट अयस्क को NaOH या Na2CO3 के साथ वायु की उपस्थिति में एक परावर्तनी भट्टी में गर्म करने पर सोडियम क्रोमेट (पीला रंग) बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 35

पदार्थ को छिद्रमय रखने हेतु कुछ मात्रा में शुष्क चूने को मिलाते हैं । जल के साथ निष्कर्षण करने पर Na2Cr2O3 विलयन में चला जाता है। जबकि Fe2O3 रह जाता है जिसे छानकर पृथक् कर लेते हैं।

(2) सोडियम क्रोमेट (Na2CrO4) का सोडियम डाइक्रोमेट (Na2Cr2O7) में परिवर्तन-सोडियम क्रोमेट विलयन सान्द्र H2SO4 के साथ अपचयित करके सोडियम डाइक्रोमेट बनाते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 36
2Na2CrO4 कम विलेय होता है जिसका वाष्पन करने पर Na2SO410H2O के रूप में क्रिस्टलीकृत हो जाता है जिसे पृथक् कर लिया जाता है।

(3) Na2Cr2O7 का K2Cr2O7 में परिवर्तन-सोडियम डाइक्रोमेट के जलीय विलयन का उपचार KCI के साथ किये जाने पर पोटैशियम डाइ क्रोमेट प्राप्त होता है। K2Cr207 के अल्प विलेय प्रकृति के कारण इसके क्रिस्टल ठण्डे में प्राप्त किये जाते हैं।

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 37

K2Cr2O7 की निम्न के साथ होने वाली रासायनिक अभिक्रिया –

(1) अम्लीय फेरस सल्फेट के साथ-K2Cr207 अम्लीय माध्यम में यह फेरस सल्फेट को फेरिक सल्फेट में ऑक्सीकृत कर देता है। K2Cr2O7 पहले H2SO4 से क्रिया करके नवजात ऑक्सीजन का तीन परमाणु देता है जो Fe2+ को Fe3+ आयन में ऑक्सीकृत कर देता है।
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प्रश्न 3.
अम्लीय, क्षारीय तथा उदासीन माध्यम में KMnO के ऑक्सीकारक गुण को दो-दो उदाहरण द्वारा समझाइए।
अथवा, पोटैशियम परमैंगनेट के अम्लीय माध्यम में कोई ऑक्सीकारक गुणों को समीकरण द्वारा समझाइए।
उत्तर
KMnO4 का विलयन उदासीन हो, क्षारीय हो या अम्लीय हो, प्रत्येक परिस्थिति में यह तीव्र ऑक्सीकारक का कार्य करता है।
(1) अम्लीय माध्यम में-तनु H2SO4 की उपस्थिति में KMnO4 अपचयित हो जाता है तथा इसके दो अणुओं से ऑक्सीजन के पाँच परमाणु प्राप्त होते हैं।
2KMnO4 + 3H2SO4→K2SO4 + 2MnSO4 + 3H2O + 5[0]

उदाहरण – (i) फेरस लवण का फेरिक लवण में ऑक्सीकरण –
अम्लीय KMnO4 से प्राप्त नवजात ऑक्सीजन फेरस लवण को फेरिक लवण में ऑक्सीकृत करता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 39

(ii) ऑक्जेलिक अम्ल का ऑक्सीकरण-अम्लीय माध्यम में KMnO4 ऑक्जेलिक अम्ल को CO2 में ऑक्सीकृत कर देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 40

(iii) आयोडाइड आयन का आयोडीन में परिवर्तन
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 41

(iv) नाइट्राइट का नाइट्रेट में ऑक्सीकरण
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 42

(2) क्षारीय माध्यम में-क्षारीय माध्यम में KMnOa, MnO, में अपचयित होता है तथा 3 नवजात ऑक्सीजन देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 43
उदाहरण-(i) आयोडाइड का आयोडेट में ऑक्सीकरणक्षारीय माध्यम में KI का आयोडेट में ऑक्सीकरण होता है।
2KMnO4 + H2O +KI→KIO3 +2MnO2 + 2KOH

(ii) एथिलीन का ग्लाइकॉल में ऑक्सीकरण –
क्षारीय KMnO4 एथिलीन का एथिलीन ग्लाइकॉल में ऑक्सीकरण करता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 44

(3) उदासीन माध्यम में-उदासीन माध्यम में भी KMnO4 ऑक्सीकारक की तरह कार्य करता है। अभिक्रिया में बना KOH विलयन को क्षारीय बना देता है। KMnO4, MnO2 में अपचयित हो जाता है एवं 2 मोल KMnO4 से 2 मोल नवजात ऑक्सीजन मुक्त होते हैं।
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प्रश्न 4.
पायरोलुसाइट से KMnO4 बनाने की विधि लिखिए तथा KMnO4 की अम्लीय, क्षारीय तथा उदासीन माध्यम में ऑक्सीकारक गुणों को एक-एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
पायरोलुसाइट से KMnO4 का निर्माण
1. पायरोलुसाइट का KMnO4 (हरे पदार्थ) में परिवर्तन-पायरोलुसाइट को वायुमण्डलीय O2 में KOH या K2CO3 के साथ गलित करने पर पोटैशियम मैंगनेट का हरा पदार्थ बनता है।
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2. K2MnO4 का KMnO4 में परिवर्तन-K2MnO4 के हरे पदार्थ को जल के साथ निष्कासित करके रासायनिक ऑक्सीकरण या विद्युत्-अपघटनी ऑक्सीकरण द्वारा KMnO4 में ऑक्सीकृत करते हैं।
(a) रासायनिक ऑक्सीकरण-KMnO4 के हरे विलयन का उपचार Cl2, O2 या CO2 की धारा में प्रवाहित करके KMnO में ऑक्सीकृत किया गया है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 47

(b) विद्युत्-अपघटनी ऑक्सीकरण-इस विधि में आयरन कैथोड एवं निकिल ऐनोड के मध्य K2MnO4 विलयन का विद्युत्-अपघटन किया जाता है, तो मैंगनेट आयन का ऐनोड पर परमैंगनेट आयन (MnO4) में ऑक्सीकरण हो जाता है तथा कैथोड पर H, मुक्त होती है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व - 49
अम्लीय, क्षारीय तथा उदासीन माध्यम में ऑक्सीकारक गुणों के उदाहरण-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न क्र. 3 देखिए।

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम

तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सारणी 6.1 में दर्शाए गए अयस्कों में से किसका सान्द्रण चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा करते हैं ?
उत्तर
नोट-सारणी के लिए NCERT पाठ्य-पुस्तक देखें।
चुम्बकीय अयस्क को अचुम्बकीय अशुद्धियों से पृथक् चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा करते हैं। उदाहरण के लिए-मैग्नेटाइट को अचुम्बकीय सिलिका एवं अन्य अशुद्धियों से पृथक् इस विधि द्वारा करते हैं।

प्रश्न 2.
ऐल्युमिनियम के निष्कर्षण में प्रक्षालन का महत्व क्या है?
उत्तर
ऐल्युमिनियम का मुख्य अयस्क बॉक्साइट (Al2O3xH2O) है। इसमें अशुद्धियों के रूप में SiO2, FeO एवं टाइटेनियम ऑक्साइड (TiO2) होती है। इस अशुद्धियों को प्रक्षालन द्वारा पृथक् करते हैं। बॉक्साइट से शुद्ध एलुमिना बनाने में प्रक्षालन का महत्व है। बॉक्साइट चूर्ण को NaOH विलयन के साथ 473 – 523 K पर गर्म करते हैं । एलुमिना घुलकर सोडियम मेटा ऐलुमिनेट बनाता है, जबकि अशुद्धियाँ आयरन एवं टाइटेनियम शेष रह जाती है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 1
अशुद्धियों को छानकर अलग कर लेते हैं। छनित में CO2 प्रवाहित कर उदासीन करते हैं । ऐल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड को पृथक् कर लेते हैं, जबकि सोडियम सिलिकेट विलयन में शेष रह जाता है। ऐल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड को गर्म कर शुद्ध ऐलुमिना प्राप्त होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 2
ऐलुमिना के वैद्युत-अपघटन से ऐल्युमिनियम प्राप्त होता है।

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प्रश्न 3.
Cr2O3 + 2Al → Al2O3 +2Cr; (∆G° = -421kJ)
गिब्स ऊर्जा मान से स्पष्ट है कि उपरोक्त अभिक्रिया संभव है। यह कमरे के तापक्रम पर क्यों नहीं होती?
उत्तर
कमरे के ताप पर सभी अभिकारक एवं उत्पाद ठोस हैं। इसलिए कमरे के ताप पर अभिक्रिया नहीं होती। उच्च ताप पर अभि-कारक पिघलकर क्रिया करते हैं।

प्रश्न 4.
यह सत्य है कि कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में, Mg, SiO2 को अपचयित करता है एवं Si, MgO को अपचयित करता है। ये उपरोक्त परिस्थितियाँ क्या हैं ?
उत्तर
मैग्नीशियम 1693 K पर अथवा कम पर SiO2 को अपचयित करते हैं । सिलिकॉन 1693 K के ऊपर Mgo को अपचयित करते हैं।
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तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कॉपर का निष्कर्षण हाइड्रो धातुकर्म द्वारा किया जाता है, परन्तु जिंक का नहीं। व्याख्या कीजिए।
उत्तर
कॉपर तुलनात्मक कम क्रियाशील धातु है, इसका अपचयन विभव E° (Cu2+/Cu) उच्च है (+0.34V)। यह Cu2+ आयनों के विलयन से अधिक क्रियाशील धातुओं, जिनके E° मान कॉपर से कम होते हैं, द्वारा विस्थापित हो जाता है। उदाहरण के लिए, जिंक का E° (Zn2+/zn) – 0.76 है, जिंक कॉपर से Cu2+आयनों के विलयन से विस्थापित करता है। इसके विपरीत Zn2+ आयनों के विलयन से Zn को अधिक क्रियाशील धातु जैसे-Na, K, Mg, Ca आदि द्वारा विस्थापित किया जाता है। परन्तु ये अधिक क्रियाशील धातुएँ जल से क्रिया कर अपने आयनों को बनाकर हाइड्रोजन गैस निकालती हैं।
[2Na + 2H2O → 2NaOH + H2] इस प्रकार Zn2+ आयनों के विलयन से Zn को विस्थापित करना कठिन है। अत: कॉपर को हाइड्रोधातुकर्म द्वारा निष्कर्षित किया जाता है, जिंक को नहीं।

प्रश्न 2.
फेन प्लवन विधि में अवनमक (Depressant) की क्या भूमिका है?
उत्तर
दो सल्फाइड अयस्कों को पृथक् करने के लिए फेन प्लवन विधि में अवनमक (Depressant) का उपयोग किया जाता है। इसके लिए जल में तेल का भाग समायोजित करते हैं। यदि अयस्क में ZnS एवं Pbs है, तो अवसाद या अवनमक के रूप में NaCN का उपयोग करते हैं। NaCN, Pbs को झाग के रूप में ऊपर आने देता है, जबकि ZnS को झाग की बनी परत जिंक संकुल Na2[Zn(CN)6] के रूंप में रोकता है।

प्रश्न 3.
अपचयन द्वारा ऑक्साइड अयस्कों की अपेक्षा पाइराइट से ताँबे का निष्कर्षण अधिक कठिन है ?
उत्तर
H2S एवं CS2 से Cu2S की निर्माण की मानक मुक्त ऊर्जा (ΔfG°) अधिक ऋणात्मक है। उसी प्रकार Cu2S को कार्बन या H2 द्वारा अपचयित नहीं किया जा सकता। निम्न दो अभिक्रिया समान नहीं होतीं। इन अभिक्रियाओं की ΔrG° धनात्मक है।

Cu2S + H2 → 2Cu + H2S
2Cu2S + C → 4Cu + CS2

इसके विपरीत Cu2O की ΔfG°, CO से कम ऋणात्मक है एवं कार्बन सरलता से Cu2O को Cu में अपचयित करता है।

Cu2O(s) +Cs → 2Cu + CO(g)

इस कारण से पाइराइट अयस्क से कॉपर का निष्कर्षण, इसके ऑक्साइड से कठिन है।

प्रश्न 4.
व्याख्या कीजिए –
(i) मंडल परिष्करण (Zone refining)
(ii) स्तंभ वर्णलेखिकी (Column chromatography)।
उत्तर
(i) मंडल परिष्करण या प्रभाजी क्रिस्टलीकरण (Zone refining or Fractional crystallisation) विशिष्ट उपयोगों हेतु शुद्धतम धातु प्राप्त करने हेतु इस विधि का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये, अर्द्धचालक (Semiconductors) के रूप में उपयोग के लिये सिलिकॉन व जर्मेनियम को इसी विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है। यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि अशुद्ध धातु के ठोस अवस्था की तुलना में द्रव में अधिक विलेय होती हैं तथा अशुद्धियाँ होने पर उसका गलनांक शुद्ध धातु से कम होता है।

इस विधि में अशुद्ध धातु के छड़ के एक सिरे में गोलाकार चलित हीटर फिट कर दिया जाता है। हीटर को छड़ में धीरे-धीरे विस्थापित किया जाता है। हीटर के आसपास धातु पिघलती है। जैसे-जैसे हीटर आगे बढता है शुद्ध धातु क्रिस्टलीकृत होता जाता है तथा अशुद्धियाँ पिघले क्षेत्र में चली जाती हैं । यह प्रक्रिया तब तक दोहरायी जाती है जब तक पूरी अशुद्धियाँ छड़ के एक सिरे पर नहीं आ जाती जिसे बाद में अलग कर दिया जाता है। यह विधि प्रभाजी क्रिस्टलीकरण (Fractional crystallisation) भी कहलाती है।
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(ii) स्तम्भ वर्णप्रक्रम या अधिशोषण स्तम्भ वर्णप्रक्रम (Column chromatography or Adsorption column chromatography)- यह विधि काँच नली में बंद (Packed) अधिशोषक के स्तम्भ पर मिश्रण के पृथक्करण से संबंधित है। स्तम्भ के निचले सिरे पर स्टॉप कॉक (Stop cock) लगा होता है। अधिशोषक पर अधिशोषित होने वाले मिश्रण को अधिशोषक स्तम्भ के ऊपर रखा जाता है। अब एक अन्य द्रव मिश्रण, जो वाहक (Eluant) का कार्य करता है, स्तम्भ में नीचे की ओर बहने दिया जाता है। यह वाहक मिश्रण अपने साथ धीरे-धीरे पूर्व अधिशोषित पदार्थों को बहाकर ले जाता है। मिश्रण के विभिन्न अवयव स्तम्भ के विभिन्न भागों में अधिशोषित हो जाते हैं।

वह अवयव जो अधिक प्रबलता से अधिशोषित होता है, स्तम्भ के ऊपरी भाग में रहता है और पट्टी बनाता है। अधिशोषित यौगिकों को विभिन्न घोलकों में घुलाकर एक-एक करके पृथक् कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को निक्षालन (Elution) कहते हैं। निक्षालन की क्रिया के लिए प्रायः जल, ऐल्कोहॉल, ऐसीटोन, पेट्रोलियम, ईथर आदि घोलकों का उपयोग होता है। अधिशोषक के रूप में प्राय: एलुमिना, मैग्नीशियम
ऑक्साइड, सिलिका जेल, कैल्सियम कार्बोनेट आदि का व्यवहार होता है। इस विधि में साधारणतः एक भाग यौगिक के लिए चालीस भाग अधिशोषक प्रयुक्त होता है।

कभी-कभी नली से अधिशोषित स्तम्भ को बाहर निकालकर प्रत्येक रंगीन बैण्ड को काट लिया जाता है। इन रंगीन बैण्डों से अधिशोषित यौगिकों को घोलक द्वारा निष्कर्षित (Extract) कर रवाकरण की क्रिया द्वारा शुद्ध अवयव प्राप्त किये जाते हैं।

इस विधि द्वारा किसी मिश्रण से रंगहीन (Colourless) अवयवों का पृथक्करण तभी संभव है जब वे पराबैंगनी प्रकाश (Ultra-violet light) में विभिन्न प्रतिदीप्त (Fluorescence) प्रदर्शित करते हों। यदि वे प्रतिदीप्ति प्रदर्शित नहीं करते तो अधिशोषक को ही प्रतिदीप्तिशील पदार्थ (Fluorescent material) में डुबोया जाता है। मिश्रण के विभिन्न अवयवों को अधिशोषित करने वाले क्षेत्र पराबैंगनी प्रकाश में गहरे रंग (Dark colour) के दिखाई पड़ने लगते हैं जिससे अवयवों के पृथक्करण में सुविधा होती है। प्रयोग शीशे की नली की जगह क्वार्ट्स (Quartz) की नली में किया जाता है।
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प्रश्न 5.
673 K ताप पर C तथा CO में से कौन-सा अच्छा अपचायक है ?
उत्तर
जब कार्बन, डाइऑक्सीजन से क्रिया करता है, दो अभिक्रियाएँ संभावित हैं।
C(s) + O2(g) → CO2(g) …………..(i)
2C(s) + O2(g) → 2CO(g) …………..(ii)

यदि CO अपचायक अभिकर्मक के रूप में उपयोग होती है, तब यह CO2 में ऑक्सीकृत होती है।

2CO + O2 → 2CO2…………..(iii)

एलिन्गम आरेख से स्पष्ट है कि 673 K पर CO से CO2 में ऑक्सीकरण पर ΔG° अभिक्रिया (i) एवं अभिक्रिया (ii) से अधिक ऋणात्मक है। इस प्रकार C से CO अच्छा अपचायक अभिकर्मक है। इस बात की पुष्टि अभिक्रिया (iii) का ग्राफ 673 K पर अभिक्रिया (i) एवं (ii) से नीचे है, से होती है। एलिन्गम आरेख में जो तत्व नीचे हैं, अन्य धातुओं के ऑक्साइड इससे ऊपर होते हैं।

प्रश्न 6.
कॉपर के वैद्युत अपघटन शोधन में ऐनोड पंक (Anode mud) में उपस्थित सामान्य तत्वों के नाम दीजिए। वे कहाँ कैसे उपस्थित होते है ?
उत्तर
ऐनोड पंक में उपस्थित सामान्य तत्वों Ag, Au, Pt, Sb, Se आदि हैं। ये तत्व कम क्रियाशील होते हैं एवं CuSO4 एवं H2SO4 विलयन से अप्रभावित रहते हैं, एवं इस प्रकार ये ऐनोड के नीचे ऐनोड पंक (Anode mud) के रूप में बैठ जाते हैं।

प्रश्न 7.
आयरन (लोहे) के निष्कर्षण के दौरान वात्या भट्टी के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं को लिखिए।
उत्तर
वात्या-भट्ठी में होने वाली क्रियाएँ –
(i) कोक वायु की उपस्थिति में जलकर CO2 बनाता है, जो कोक की अधिक मात्रा से रासायनिक संयोग करके CO बनाता है।
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(ii) CO ऊपर की ओर उठकर 600°C पर हेमेटाइट अयस्क (Fe2O3) को फेरस ऑक्साइड (FeO) में अपचयित कर देता है।
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(iii) लगभग 750°C पर CO द्वारा FeO को आयरन (Fe) में अपचयित कर देता है।

FeO + CO —> Fe+ CO2

इस प्रकार प्राप्त लोहे को स्पंजी आयरन कहते हैं। स्पंजी लोहा नीचे जाते-जाते ताप बढ़ने के कारण पिघल जाता है तथा अपने में कुछ C, S, Mn को घोल लेता है।
(iv) चूना पत्थर 1100°C ताप पर CaO और CO2 में अपघटित हो जाता है।
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(v) CaO अयस्क उपस्थित सिलिका (SiO2) से क्रिया करके धातुमल (Slag) बना लेता है।
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ये धातुमल पिघले लोहे के ऊपर तैरता रहता है, जिसे ऊपरी छिद्र से बाहर निकाल लेते हैं। वात्या-भट्ठी का नामांकित रेखाचित्र –
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प्रश्न 8.
जिंक ब्लैण्ड से जिंक के निष्कर्षण में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं को लिखिए।
उत्तर
जस्ते के अयस्क – (i) जिंक ब्लैण्ड ZnS, (ii) कैलामाइन ZnCO3, (iii) विलैमाइट ZnSiO4.
धातु निष्कर्षण की आधुनिक विधि-जिंक ब्लैण्ड तथा कैलामाइन अयस्कों से प्रायः धातु का निष्कर्षण किया जाता है।
1. सान्द्रण-जिंक ब्लैण्ड अयस्क का सान्द्रण झाग उत्प्लावन विधि से करते हैं।
2. भर्जन-सान्द्रित अयस्क को वायु की अधिकता में भर्जित करने से अयस्क ZnO में परिवर्तित हो जाता है। कुछ ZnS, ZnSO4 में परिवर्तित होते हैं, जो ZnO में अपघटित हो जाता है।

2ZnS + 3O2 → 2ZnO + 2SO2(g)
ZnS + 2O2 → ZnSO4
2ZnSo4 → 2ZnO + 2SO2(g) + O2(g)

कैलामाइन अयस्क केवल निस्तापन से ही ZnO बनाता है।
ZnCO3 → ZnO + CO2(g)

3. अपचयन- भर्जित या निस्तापित अयस्क को कोक से साथ ऊर्ध्वाधर रिटॉर्ट में रखकर प्रोड्यूसर गैस द्वारा 140°C तक गर्म किया जाता है, जिससे ZnO का Zn में अपचयन हो जाता है। प्राप्त Zn वाष्प को संघनित्र में एकत्रित करते हैं। इस प्रकार प्राप्त Zn को स्पेल्टर कहते हैं। इसमें Pb, As, Fe, Si, Cd और C की अशुद्धियाँ होती हैं और शेष 97.8% Zn होता है।
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4. शोधन-अतिशुद्ध Zn विद्युत्-अपघटनी विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसमें अम्लीय ZnSO4 विलयन विद्युत्-अपघटन का कार्य करता है। प्राप्त अशुद्ध Zn ऐनोड तथा शुद्ध Zn छड़ कैथोड का कार्य करता है। विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर शुद्ध Zn कैथोड पर एकत्रित होता है। यह लगभग 99.98% शुद्ध होता है।

प्रश्न 9.
कॉपर के धातुकर्म में सिलिका की भूमिका समझाइए।
उत्तर
सिलिका अम्लीय गालक के रूप में प्रयुक्त होता है, जो आयरन ऑक्साइड की क्षारीय अशुद्धि को हटाता है।
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प्रश्न 10.
‘वर्णलेखिकी’ पद का क्या अर्थ है ?
उत्तर
पृथक्करण एवं शोधन के लिए वर्णलेखिकी एक तकनीक है, जो धातु एवं इसकी अशुद्धियों की उपयुक्त अधिशोषक द्वारा अधिशोषण क्षमताओं में अंतर पर आधारित है। यह इस सिद्धांत पर आधारित है, कि मिश्रण के विभिन्न यौगिक अधिशोषक द्वारा भिन्न-भिन्न अधिशोषित होता है। यह पद मुलतः ग्रीक शब्द ‘क्रोमा’ का अर्थ रंग एवं ग्राफी लिखते हैं, इस आधार पर इस विधि का नाम क्रोमेटोग्राफी रखा गया, जिसका अर्थ होता है, वर्णलेखन (Colour writing) जिसका सर्वप्रथम उपयोग पौधों के रंगीन वर्णकों के लिए किया गया।

प्रश्न 11.
वर्णलेखिकी में स्थिर प्रावस्था के चयन में क्या मापदंड अपनाए जाते हैं ?
उत्तर
अचल या स्थिर (Stationary phase) प्रावस्था का चयन इस प्रकार करते हैं कि जिन तत्वों का शोधन करना होता है, उनकी तुलना में अशुद्धियों को अधिक शक्ति से अधिशोषित करें। इन परिस्थितियों में, अशुद्धियाँ अचल या स्थिर प्रावस्था द्वारा रोक ली जाती हैं, जिसका अर्थ है, इन्हें सरलता से हटाया नहीं जा सकता, जबकि शुद्ध अवयव दुर्बल अधि-शोषित होते हैं, अतः सरलता से हटाए जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
निकिल शोधन की विधि समझाइए।
उत्तर
(i) मंडल परिष्करण (Zone refining)- मंडल परिष्करण या प्रभाजी क्रिस्टलीकरण (Zone refining or Fractional crystallisation) विशिष्ट उपयोगों हेतु शुद्धतम धातु प्राप्त करने हेतु इस विधि का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये, अर्द्धचालक (Semiconductors) के रूप में उपयोग के लिये सिलिकॉन व जर्मेनियम को इसी विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है। यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि अशुद्ध धातु के ठोस अवस्था की तुलना में द्रव में अधिक विलेय होती हैं तथा अशुद्धियाँ होने पर उसका गलनांक शुद्ध धातु से कम होता है।

इस विधि में अशुद्ध धातु के छड़ के एक सिरे में गोलाकार चलित हीटर फिट कर दिया जाता है। हीटर को छड़ में धीरे-धीरे विस्थापित किया जाता है। हीटर के आसपास धातु पिघलती है। जैसे-जैसे हीटर आगे बढता है शुद्ध धातु क्रिस्टलीकृत होता जाता है तथा अशुद्धियाँ पिघले क्षेत्र में चली जाती हैं । यह प्रक्रिया तब तक दोहरायी जाती है जब तक पूरी अशुद्धियाँ छड़ के एक सिरे पर नहीं आ जाती जिसे बाद में अलग कर दिया जाता है। यह विधि प्रभाजी क्रिस्टलीकरण (Fractional crystallisation) भी कहलाती है।
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(ii) स्तम्भ वर्णप्रक्रम या अधिशोषण स्तम्भ वर्णप्रक्रम (Column chromatography or Adsorption column chromatography)- यह विधि काँच नली में बंद (Packed) अधिशोषक के स्तम्भ पर मिश्रण के पृथक्करण से संबंधित है। स्तम्भ के निचले सिरे पर स्टॉप कॉक (Stop cock) लगा होता है। अधिशोषक पर अधिशोषित होने वाले मिश्रण को अधिशोषक स्तम्भ के ऊपर रखा जाता है। अब एक अन्य द्रव मिश्रण, जो वाहक (Eluant) का कार्य करता है, स्तम्भ में नीचे की ओर बहने दिया जाता है। यह वाहक मिश्रण अपने साथ धीरे-धीरे पूर्व अधिशोषित पदार्थों को बहाकर ले जाता है। मिश्रण के विभिन्न अवयव स्तम्भ के विभिन्न भागों में अधिशोषित हो जाते हैं।

वह अवयव जो अधिक प्रबलता से अधिशोषित होता है, स्तम्भ के ऊपरी भाग में रहता है और पट्टी बनाता है। अधिशोषित यौगिकों को विभिन्न घोलकों में घुलाकर एक-एक करके पृथक् कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को निक्षालन (Elution) कहते हैं। निक्षालन की क्रिया के लिए प्रायः जल, ऐल्कोहॉल, ऐसीटोन, पेट्रोलियम, ईथर आदि घोलकों का उपयोग होता है। अधिशोषक के रूप में प्राय: एलुमिना, मैग्नीशियम
ऑक्साइड, सिलिका जेल, कैल्सियम कार्बोनेट आदि का व्यवहार होता है। इस विधि में साधारणतः एक भाग यौगिक के लिए चालीस भाग अधिशोषक प्रयुक्त होता है।

कभी-कभी नली से अधिशोषित स्तम्भ को बाहर निकालकर प्रत्येक रंगीन बैण्ड को काट लिया जाता है। इन रंगीन बैण्डों से अधिशोषित यौगिकों को घोलक द्वारा निष्कर्षित (Extract) कर रवाकरण की क्रिया द्वारा शुद्ध अवयव प्राप्त किये जाते हैं।

इस विधि द्वारा किसी मिश्रण से रंगहीन (Colourless) अवयवों का पृथक्करण तभी संभव है जब वे पराबैंगनी प्रकाश (Ultra-violet light) में विभिन्न प्रतिदीप्त (Fluorescence) प्रदर्शित करते हों। यदि वे प्रतिदीप्ति प्रदर्शित नहीं करते तो अधिशोषक को ही प्रतिदीप्तिशील पदार्थ (Fluorescent material) में डुबोया जाता है। मिश्रण के विभिन्न अवयवों को अधिशोषित करने वाले क्षेत्र पराबैंगनी प्रकाश में गहरे रंग (Dark colour) के दिखाई पड़ने लगते हैं जिससे अवयवों के पृथक्करण में सुविधा होती है। प्रयोग शीशे की नली की जगह क्वार्ट्स (Quartz) की नली में किया जाता है।
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(ii) वैद्युत अपघटन परिष्करण (Electrolytic refining) धातुएँ अपने लवण के विलयन का विद्युत्अपघटन करने पर कैथोड पर जमा होती है। एक से अधिक धातुएँ रहने पर अपनी विद्युत् धनात्मक प्रवृत्ति के क्रम पर या बढ़ते ऑक्सीकरण विभव के क्रम में मुक्त होकर कैथोड पर जमा होती हैं । इस विधि में एक उपयुक्त विद्युत्-अपघट्य का चुनाव करके उसे विद्युत्-अपघटन सेल में ले लिया जाता है। शुद्ध धातु को कैथोड बनाकर विद्युत्-अपघटन सेल में लगाया जाता है। अशुद्ध धातु जिसका कि शोधन किया जाना है उसका एक मोटा एनोड बनाया जाता है। विद्युत्-अपघटन सेल में उपयुक्त विभव में जब विद्युत् प्रवाहित की जाती है तो एनोड से शुद्ध धातु विलयन में घुलेती है तथा विलयन से शुद्ध धातु, कैथोड के ऊपर लगातार संग्रहित होता रहता है। इस प्रकार विद्युत्-अपघटन की क्रिया में एनोड निरन्तर पतला होता चला जाता है तथा कैथोड लगातार मोटा होता जाता है। अशुद्धियाँ, एनोड पंक (Anode mud) के रूप में एनोड के नीचे जमा होती है। समय-समय पर आवश्यकतानुसार इलेक्ट्रोड परिवर्तित कर लिये जाते हैं।
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(iii) वाष्प प्रावस्था परिष्करण (Vapour-phase refining)- कच्ची धातु को विशिष्ट अभिकर्मक के साथ गर्म करने पर निम्न ताप पर वाष्पशील यौगिक प्राप्त होता है। इस वाष्पशील यौगिक को उच्च तापक्रम पर गर्म करने से विघटित होकर धातु देता है। इस विधि द्वारा Ni, Ti, Zr आदि का शोधन किया जाता है।
(a) माण्ड प्रक्रम (Mond process)- इस विधि का उपयोग निकिल जैसी धातुओं के शोधन में किया जाता है जो कि वाष्पशील कार्बोनिल यौगिक बनाती है। ये धातु के कार्बोनिल यौगिक उच्च ताप पर विघटित हो जाते हैं तथा कार्बन मोनोऑक्साइड गैस मुक्त करती हैं व शुद्ध धातु शेष रह जाती है।
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(b) वान-अर्केल विधि (Van-Arkel method)-जिर्कोनियम व टाइटेनियम जैसी धातुओं को अतिशुद्ध रूप में प्राप्त करने हेतु इस विधि का उपयोग किया जाता है। इस विधि में अशुद्ध धातु को वाष्पशील अस्थायी यौगिक (मुख्यतः धात्विक आयोडाइड) में परिवर्तित किया जाता है, जो गर्म करने पर विघटित होकर शुद्ध धातु प्रदान करते हैं। जैसे –
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प्रश्न 13.
सिलिका युक्त बॉक्साइट अयस्क में से सिलिका को ऐलुमिना से कैसे अलग करते है ? यदि कोई समीकरण हो तो दीजिए।
उत्तर-
ऐल्युमिनियम का मुख्य अयस्क बॉक्साइट (Al2O3xH2O) है। इसमें अशुद्धियों के रूप में SiO2, FeO एवं टाइटेनियम ऑक्साइड (TiO2) होती है। इस अशुद्धियों को प्रक्षालन द्वारा पृथक् करते हैं। बॉक्साइट से शुद्ध एलुमिना बनाने में प्रक्षालन का महत्व है। बॉक्साइट चूर्ण को NaOH विलयन के साथ 473 – 523 K पर गर्म करते हैं । एलुमिना घुलकर सोडियम मेटा ऐलुमिनेट बनाता है, जबकि अशुद्धियाँ आयरन एवं टाइटेनियम शेष रह जाती है।
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अशुद्धियों को छानकर अलग कर लेते हैं। छनित में CO2 प्रवाहित कर उदासीन करते हैं । ऐल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड को पृथक् कर लेते हैं, जबकि सोडियम सिलिकेट विलयन में शेष रह जाता है। ऐल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड को गर्म कर शुद्ध ऐलुमिना प्राप्त होता है।
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ऐलुमिना के वैद्युत-अपघटन से ऐल्युमिनियम प्राप्त होता है।

प्रश्न 14.
उदाहरण देते हुए भर्जन एवं निस्तापन में अन्तर बताइए।
उत्तर
भर्जन एवं निस्तापन में अन्तर –
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प्रश्न 15.
ढलवाँ लोहा कच्चे लोहे से किस प्रकार भिन्न होता है ?
उत्तर
वात्या भट्टी से प्राप्त लोहे को कच्चा लोहा (Pig iron) कहते हैं। इसमें लगभग 4% कार्बन एवं अन्य अशुद्धियाँ S, P. Si, Mn आदि होती है। इस कच्चे लोहे दो स्क्रेप आयरन एवं कोक में मिलाकर गर्म वायु के झोकों से गर्म करते हैं, कुछ अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं, तब ढलवाँ लोहा (Cast iron) प्राप्त होता है। इसमें 3% कार्बन एवं कुछ अन्य अशुद्धियाँ होती है। यह कठोर एवं भंगुर होता है।

प्रश्न 16.
खनिजों एवं अयस्कों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
खनिज और अयस्क में अन्तर –
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प्रश्न 17.
कॉपरमेट को सिलिका की परत चढ़े हुए परिवर्तन में क्यों रखा जाता है ?
उत्तर
कॉपरमेट में Cu2S एवं Fes होता है। कॉपरमेट को सिलिका के साथ गर्म करने से FeS की अशुद्धि FeSiO3 (धातुमल) के रूप में अलग हो जाती है।
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प्रश्न 18.
ऐल्युमिनियम के धातुकर्म में क्रायोलाइट की क्या भूमिका है ?
उत्तर
क्रायोलाइट के दो उदेश्य हैं –
(i) यह ऐल्युमिना को विद्युत् का अच्छा सुचालक बनाता है।
(ii) यह वैद्युत अपघट्य के गलन का तापक्रम कम करता है।

प्रश्न 19.
निम्न कोटि के कॉपर अयस्कों के लिए निक्षालन क्रिया को कैसे किया जाता है ?
उत्तर
निम्न कोटि के कॉपर अयस्कों के निक्षालन क्रिया, वायु की उपस्थिति में अम्लों से करते हैं। जब कॉपर विलयन में Cu2+ आयनों के रूप में जाता है, तब
2Cu + 2H2SO4+O2 → 2CuSO4 + 2H2O

प्रश्न 20.
CO का उपयोग करते हुए अपचयन द्वारा जिंक ऑक्साइड से जिंक का निष्कर्षण क्यों नहीं किया जाता?
उत्तर
एलिन्गम आरेख में, CO का CO2 में ऑक्सीकरण का ग्राफ, Zn के ऑक्सीकरण ग्राफ से ऊपर रहता है। इस प्रकार CO,Zno को Zn में अपचयित नहीं करती। अन्य प्रकार से, कार्बन का CO में ऑक्सीकरण का ग्राफ, 1120 K अथवा ऊपर ताप-पर Zn के ऑक्सीकरण ग्राफ से नीचे है। इस प्रकार ‘C’ का उपयोग 1120 K अथवा अधिक ताप पर ZnO के ऑक्सीकरण में करते हैं।

प्रश्न 21.
Cr2O3 के विरचन के लिए ΔfG° का मान – 540kJmol-1 है, तथा Al2O3 के लिए-827 kJmol-1 है, क्या Cr2O3 का अपचयन AI से संभव है।
उत्तर
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प्रश्न 22.
‘C’ एवं ‘Co’ में से Zno के लिए कौन-सा अपचायक अच्छा है?
उत्तर
कार्बन अच्छा अपचायक अभिकर्मक है।
एलिन्गम आरेख में, CO का CO2 में ऑक्सीकरण का ग्राफ, Zn के ऑक्सीकरण ग्राफ से ऊपर रहता है। इस प्रकार CO,Zno को Zn में अपचयित नहीं करती। अन्य प्रकार से, कार्बन का CO में ऑक्सीकरण का ग्राफ, 1120 K अथवा ऊपर ताप-पर Zn के ऑक्सीकरण ग्राफ से नीचे है। इस प्रकार ‘C’ का उपयोग 1120 K अथवा अधिक ताप पर ZnO के ऑक्सीकरण में करते हैं।

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प्रश्न 23.
किसी विशेष स्थिति में अपचायक का चयन ऊष्मागतिकी कारकों पर आधारित है। आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं ? अपने मत के समर्थन में दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
किसी निश्चित धातु-ऑक्साइड को धातु में अपचयन के लिए उपयुक्त अपचायक अभिकर्मक के चयन के लिए ऊष्मागतिकी कारक के रूप में सहायता करता है। ऑक्साइडों के निर्माण में ΔfG° vs T के बीच ग्राफ के आधार पर तापीय अपचयन की संभावना का अनुमान लगाया जाता है। इसे एलिन्गम आरेख कहते हैं। इस आरेख से यह अनुमान लगाया जाता है कि ऐसी धातु ऑक्साइड, जिनमें ΔfG° ऑक्साइड अधिक ऋणात्मक है, अपचयित की जा सकती है। अन्य शब्दों में एलिन्गम आरेख में अन्य धातुओं के ऑक्साइड ऊपर हैं अपचयित की जा सकती है, क्योंकि संयुक्त रेडॉक्स अभिक्रिया के लिए ΔrG° ऋणात्मक दो धातुएँ, जिनके ΔfG° ऑक्साइड कम ऋणात्मक है, की तुलना में, ऐसी धातु ऑक्साइडों को ΔfG° के अन्तर के बराबर होगा। उदाहरण के लिए, Al, Cr2O3 को अपचयित करता है, जबकि MgO को नहीं। इसी भाँति कार्बन ZnO को Zn में अपचयित करता है, किन्तु CO को नहीं। अतः निश्चित अपचायक अभिकर्मक का चयन ऊष्मागतिकी कारक पर निर्भर करता है।

प्रश्न 24.
उस विधि का नाम लिखिए, जिसमें क्लोरीन सहउत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। क्या होगा यदि NaCl के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन किया जाए ?
उत्तर
सोडियम धातु को डाउन प्रक्रम द्वारा बनाया जाता है। NaCl एवं CaCl2 के गलित मिश्रण को 873 K पर यह वैद्युत अपघटन से प्राप्त होता है।
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यदि NaCl के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन किया जाये, तो कैथोड पर H2 निकलती है, जबकि Cl2 एनोड पर प्राप्त होती है। इसका कारण \(\mathrm{E}_{\mathrm{Na}^{+} / \mathrm{Na}}^{\mathrm{o}}\) (-2.71) \(\mathrm{E}_{\mathrm{H}_{2} \mathrm{O} / \mathrm{H}_{2}}^{\circ} (-0.832)\) से अधिक कम है। जल, Na+ आयनों की उपस्थिति में H2 में अपचयित हो जाता है।
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प्रश्न 25.
ऐल्युमिनियम के वैद्युत-धातुकर्म में ग्रेफाइट छड़ की क्या भूमिका है ?
उत्तर
ऐलुमिना के विद्युतीय अपचयन में ग्रेफाइट एनोड वैद्युत अपघटन द्वारा Al2O3 का ऐल्युमिनियम में अपचयन की सुविधा प्रदान करता है। कार्बन ऑक्सीजन से क्रिया कर एनोड पर CO एवं CO2 निकालता है।

एनोड पर – C + O2- → CO + 2e
C + 2O2- → CO2 + 4e
कैथोड पर – Al3+ + 3e → Al.

प्रश्न 26.
निम्नलिखित विधियों द्वारा धातुओं के शोधन के सिद्धांतों की रूपरेखा दीजिए
(i) मंडल परिष्करण (Zone refining); (ii) वैद्युत अपघटन परिष्करण (Electrolytic refining), (ii) वाष्प प्रावस्था परिष्करण (Vapour phase refining)।
उत्तर
(i) मंडल परिष्करण (Zone refining)- मंडल परिष्करण या प्रभाजी क्रिस्टलीकरण (Zone refining or Fractional crystallisation) विशिष्ट उपयोगों हेतु शुद्धतम धातु प्राप्त करने हेतु इस विधि का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये, अर्द्धचालक (Semiconductors) के रूप में उपयोग के लिये सिलिकॉन व जर्मेनियम को इसी विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है। यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि अशुद्ध धातु के ठोस अवस्था की तुलना में द्रव में अधिक विलेय होती हैं तथा अशुद्धियाँ होने पर उसका गलनांक शुद्ध धातु से कम होता है।

इस विधि में अशुद्ध धातु के छड़ के एक सिरे में गोलाकार चलित हीटर फिट कर दिया जाता है। हीटर को छड़ में धीरे-धीरे विस्थापित किया जाता है। हीटर के आसपास धातु पिघलती है। जैसे-जैसे हीटर आगे बढता है शुद्ध धातु क्रिस्टलीकृत होता जाता है तथा अशुद्धियाँ पिघले क्षेत्र में चली जाती हैं । यह प्रक्रिया तब तक दोहरायी जाती है जब तक पूरी अशुद्धियाँ छड़ के एक सिरे पर नहीं आ जाती जिसे बाद में अलग कर दिया जाता है। यह विधि प्रभाजी क्रिस्टलीकरण (Fractional crystallisation) भी कहलाती है।
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(ii) स्तम्भ वर्णप्रक्रम या अधिशोषण स्तम्भ वर्णप्रक्रम (Column chromatography or Adsorption column chromatography)- यह विधि काँच नली में बंद (Packed) अधिशोषक के स्तम्भ पर मिश्रण के पृथक्करण से संबंधित है। स्तम्भ के निचले सिरे पर स्टॉप कॉक (Stop cock) लगा होता है। अधिशोषक पर अधिशोषित होने वाले मिश्रण को अधिशोषक स्तम्भ के ऊपर रखा जाता है। अब एक अन्य द्रव मिश्रण, जो वाहक (Eluant) का कार्य करता है, स्तम्भ में नीचे की ओर बहने दिया जाता है। यह वाहक मिश्रण अपने साथ धीरे-धीरे पूर्व अधिशोषित पदार्थों को बहाकर ले जाता है। मिश्रण के विभिन्न अवयव स्तम्भ के विभिन्न भागों में अधिशोषित हो जाते हैं।

वह अवयव जो अधिक प्रबलता से अधिशोषित होता है, स्तम्भ के ऊपरी भाग में रहता है और पट्टी बनाता है। अधिशोषित यौगिकों को विभिन्न घोलकों में घुलाकर एक-एक करके पृथक् कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को निक्षालन (Elution) कहते हैं। निक्षालन की क्रिया के लिए प्रायः जल, ऐल्कोहॉल, ऐसीटोन, पेट्रोलियम, ईथर आदि घोलकों का उपयोग होता है। अधिशोषक के रूप में प्राय: एलुमिना, मैग्नीशियम
ऑक्साइड, सिलिका जेल, कैल्सियम कार्बोनेट आदि का व्यवहार होता है। इस विधि में साधारणतः एक भाग यौगिक के लिए चालीस भाग अधिशोषक प्रयुक्त होता है।

कभी-कभी नली से अधिशोषित स्तम्भ को बाहर निकालकर प्रत्येक रंगीन बैण्ड को काट लिया जाता है। इन रंगीन बैण्डों से अधिशोषित यौगिकों को घोलक द्वारा निष्कर्षित (Extract) कर रवाकरण की क्रिया द्वारा शुद्ध अवयव प्राप्त किये जाते हैं।

इस विधि द्वारा किसी मिश्रण से रंगहीन (Colourless) अवयवों का पृथक्करण तभी संभव है जब वे पराबैंगनी प्रकाश (Ultra-violet light) में विभिन्न प्रतिदीप्त (Fluorescence) प्रदर्शित करते हों। यदि वे प्रतिदीप्ति प्रदर्शित नहीं करते तो अधिशोषक को ही प्रतिदीप्तिशील पदार्थ (Fluorescent material) में डुबोया जाता है। मिश्रण के विभिन्न अवयवों को अधिशोषित करने वाले क्षेत्र पराबैंगनी प्रकाश में गहरे रंग (Dark colour) के दिखाई पड़ने लगते हैं जिससे अवयवों के पृथक्करण में सुविधा होती है। प्रयोग शीशे की नली की जगह क्वार्ट्स (Quartz) की नली में किया जाता है।
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(ii) वैद्युत अपघटन परिष्करण (Electrolytic refining) धातुएँ अपने लवण के विलयन का विद्युत्अपघटन करने पर कैथोड पर जमा होती है। एक से अधिक धातुएँ रहने पर अपनी विद्युत् धनात्मक प्रवृत्ति के क्रम पर या बढ़ते ऑक्सीकरण विभव के क्रम में मुक्त होकर कैथोड पर जमा होती हैं । इस विधि में एक उपयुक्त विद्युत्-अपघट्य का चुनाव करके उसे विद्युत्-अपघटन सेल में ले लिया जाता है। शुद्ध धातु को कैथोड बनाकर विद्युत्-अपघटन सेल में लगाया जाता है। अशुद्ध धातु जिसका कि शोधन किया जाना है उसका एक मोटा एनोड बनाया जाता है। विद्युत्-अपघटन सेल में उपयुक्त विभव में जब विद्युत् प्रवाहित की जाती है तो एनोड से शुद्ध धातु विलयन में घुलेती है तथा विलयन से शुद्ध धातु, कैथोड के ऊपर लगातार संग्रहित होता रहता है। इस प्रकार विद्युत्-अपघटन की क्रिया में एनोड निरन्तर पतला होता चला जाता है तथा कैथोड लगातार मोटा होता जाता है। अशुद्धियाँ, एनोड पंक (Anode mud) के रूप में एनोड के नीचे जमा होती है। समय-समय पर आवश्यकतानुसार इलेक्ट्रोड परिवर्तित कर लिये जाते हैं।
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(iii) वाष्प प्रावस्था परिष्करण (Vapour-phase refining)- कच्ची धातु को विशिष्ट अभिकर्मक के साथ गर्म करने पर निम्न ताप पर वाष्पशील यौगिक प्राप्त होता है। इस वाष्पशील यौगिक को उच्च तापक्रम पर गर्म करने से विघटित होकर धातु देता है। इस विधि द्वारा Ni, Ti, Zr आदि का शोधन किया जाता है।
(a) माण्ड प्रक्रम (Mond process)- इस विधि का उपयोग निकिल जैसी धातुओं के शोधन में किया जाता है जो कि वाष्पशील कार्बोनिल यौगिक बनाती है। ये धातु के कार्बोनिल यौगिक उच्च ताप पर विघटित हो जाते हैं तथा कार्बन मोनोऑक्साइड गैस मुक्त करती हैं व शुद्ध धातु शेष रह जाती है।
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(b) वान-अर्केल विधि (Van-Arkel method)-जिर्कोनियम व टाइटेनियम जैसी धातुओं को अतिशुद्ध रूप में प्राप्त करने हेतु इस विधि का उपयोग किया जाता है। इस विधि में अशुद्ध धातु को वाष्पशील अस्थायी यौगिक (मुख्यतः धात्विक आयोडाइड) में परिवर्तित किया जाता है, जो गर्म करने पर विघटित होकर शुद्ध धातु प्रदान करते हैं। जैसे –
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प्रश्न 27.
उन परिस्थितियों का अनुमान लगाइए, जिनमें AI, Mgo को अपचयित कर सकता है।
उत्तर
1623 K के ऊपर, AI, Mgo को Mg में अपचयित करता है।
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Mgo से Al2O, अधिक स्थायी है, अत: Al, 1623 K के ऊपर MgO को अपचयित करता है।

तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
ऐल्युमिना के वैद्युत-अपघटन में क्रायोलाइट इसलिए मिलाया जाता है
(a) ऐल्युमिना के गलनांक घटाने के लिए
(b) वैद्युत-चालकता घटाने के लिए
(c) ऐल्युमिना की अशुद्धियाँ पृथक् करने के लिए
(d) एनोड प्रभाव को कम करने के लिए।
उत्तर
(a) ऐल्युमिना के गलनांक घटाने के लिए

प्रश्न 2.
कौन-सी धातु अपनी ही ऑक्साइड की परत से रक्षित होती है –
(a) Ag
(b) Fe
(c) Cu
(d) Al.
उत्तर
(d) Al.

प्रश्न 3.
बॉक्साइट से Al के निर्माण में कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है –
(a) मैग्नीशियम द्वारा अपचयन
(b) कोक द्वारा अपचयन
(c) विद्युत्-अपघटनी अपचयन
(d) लोहे द्वारा अपचयन।
उत्तर
(c) विद्युत्-अपघटनी अपचयन

प्रश्न 4.
आयरन ऑक्साइड की अशुद्धियों वाले बॉक्साइट का शोधन किस विधि द्वारा किया जाता है –
(a) हुप की विधि
(b) सर्पक विधि
(c) बेयर विधि
(d) विद्युत्-अपघटनी विधि।
उत्तर
(c) बेयर विधि

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प्रश्न 5.
फफोलेदार ताँबा है –
(a) Cu का अयस्क
(b) Cu की मिश्र-धातु
(c) शुद्ध ताँबा .
(d) 1% अशुद्धियाँ युक्त ताँबा।
उत्तर
(d) 1% अशुद्धियाँ युक्त ताँबा।

प्रश्न 6.
वात्या-भट्टी में आयरन ऑक्साइड अवकृत होता है
(a) SiO2 से
(b) CO से
(c)C से
(d) CaCO3 से।
उत्तर
(b) CO से

प्रश्न 7.
हेमेटाइट से लोहे के निष्कर्षण में चूने का पत्थर का कार्य है –
(a) अपचायक पदार्थ
(b) धातुमल
(c) अधात्री
(d) गालक।
उत्तर
(d) गालक।

प्रश्न 8.
क्यूपेलीकरण इसके धातुकर्म में प्रयुक्त होती है –
(a) Cu
(b) Ag
(c) Al .
(d) Fe.
उत्तर
(b) Ag

प्रश्न 9.
फोटोग्राफी में काम आने वाली प्लेट तथा फिल्मों का यह आवश्यक अवयव है
(a) AgNO3
(b) Ag2S2O3
(c) AgBr
(d) Ag2CO3.
उत्तर
(c) AgBr

प्रश्न 10.
जिंक, कॉस्टिक सोडा विलयन के आधिक्य से क्रिया करके बनाता है
(a) Zn(OH)2
(b) ZnO
(c) Na2ZnO2
(d) ZnH2.
उत्तर
(c) Na2ZnO2

प्रश्न 11.
कैलोमल है
(a) Hg2Cl2
(b) HgCl2
(c) Hg2Cl2 + Hg
(d) Hg + HgCl2.
उत्तर
(a) Hg2Cl2

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प्रश्न 12.
पोटैशियम आयोडाइड घोल को मरक्यूरिक आयोडाइड पर अत्यधिक मात्रा में डालने पर बनाता
(a) Hg2Cl2
(b) K2HgI4
(c) Hg
(d) Hg + KI3
उत्तर
(b) K2HgI4

प्रश्न 13.
HgCI, के विलयन में अधिक मात्रा में KI मिलाने पर प्राप्त होने वाला रंग है –
(a) नारंगी
(b) भूरा
(c) लाल
(d) रंगहीन।
उत्तर
(c) लाल

प्रश्न 14.
निम्न में से कौन-सी धातु अमलगम नहीं बनाती है –
(a) Zn
(b) Cu
(c) Mg
(d) Fe.
उत्तर
(d) Fe.

प्रश्न 15.
निम्नलिखित अयस्क मैलेकाइट है –
(a) Cu2S
(b) CuCO3.Cu(OH)2
(c) Cu2O
(d) CuCO3
उत्तर
(b) CuCO3.Cu(OH)2

प्रश्न 16.
हाइपो में AgBr की विलेयता इसके बनने के कारण है –
(a) Ag2SO3
(b) Ag2S2O3
(c) [Ag(S2O3)]
(d) [Ag(S2O3)2]3-
उत्तर
(c) [Ag(S2O3)]

प्रश्न 17.
AgCI अमोनिया में इसके बनने के कारण विलेय है –
(a) [Ag(NH3)4]+
(b) [Ag(NH3)2]2+
(c) [Ag(NH3)4] 3+
(d) [Ag(NH3)2]+
उत्तर
(d) [Ag(NH3)2]+

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प्रश्न 18.
कॉपर सल्फेट घोल में KI डालने से बनाता है –
(a) CuI2
(b) CuI22+
(c) K2[CuI4]
(d) Cu2F2 + I2.
उत्तर
(d) Cu2F2 + I2.

प्रश्न 19.
CuSO4 विलयन की KCN के साथ क्रिया से बनता है
(a) Cu(CN)2
(b) CuCN
(c) K2[Cu(CN4)]
(d) K3[Cu(CN)4].
उत्तर
(d) K3[Cu(CN)4].

प्रश्न 20.
फोटोग्राफी में निम्न रूप में Na2S2O3,, प्रयुक्त होता है –
(a) अपचयन करने वाला
(b) डेवलेपर
(c) स्थिर करने वाला
(d) टोनिंग करने वाला।
उत्तर
(c) स्थिर करने वाला

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. मैलेकाइट ……………. का एक अयस्क है।
  2. स्टेनलेस स्टील में लोहे के साथ ………… एवं ……….. धातु मिश्र-धातु बनाती है।
  3. ………… का उपयोग परगेटिव के रूप में किया जाता है।
  4. …………. का कोलॉइडी विलयन का उपयोग आँख की दवाई बनाने में होता है।
  5. AgNO3 को ………….. कहते हैं।
  6. कोरोसिव सब्लीमेट का रासायनिक सूत्र ……….. है।
  7. झाग उत्प्लावन विधि ………… अयस्कों के लिए प्रयोग की जाती है।
  8. ऐल्युमिनियम द्वारा किसी धातु का अपचयन ………… कहलाता है।
  9. अमोनिया को सुखाने में प्रयुक्त होता है।
  10. ……….. को लूनर कॉस्टिक कहते हैं।
  11. फ्लोरस्पार का सूत्र ………… है।
  12. HgCl2 व KI का क्षारीय विलयन …………… कहलाता है।
  13. रक्त तप्त स्टील को वायु में धीरे-धीरे ठण्डा करने पर वह मृदु इस्पात में परिवर्तित होता है, इसे …………… कहते है।

उत्तर

  1. कॉपर
  2. Cr, Ni
  3. कैलोमल
  4. Ag
  5. लूनर कॉस्टिक,
  6. HgCl2
  7. सल्फाइड
  8. ऐल्युमिनोतापी
  9. CuO
  10. सिल्वर नाइट्रेट
  11. CaF2
  12. नेस्लर अभिकर्मक,
  13. एनीलिंग।

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3. उचित संबंध जोड़िए –

I.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 33
उत्तर
1. (d), 2. (c), 3. (e), 4. (b), 5. (a), 6. (f), 7. (g).

II.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 34
उत्तर
1. (d), 2. (a), 3. (b), 4. (e), 5. (c).

III.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 35
उत्तर
1. (d), 2. (e), 3. (1), 4. (c), 5. (b), 6. (a).

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4. एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. वात्या-भट्टी से प्राप्त Cu2S तथा FeS का मिश्रण कहलाता है।
  2. प्रदण्डन (Polling) से किस धातु का शोधन किया जाता है ?
  3. डेवलप करने के पश्चात् फोटोग्राफिक फिल्म को स्थिर करने के लिए किस विलयन में डुबाया जाता
  4. दार्शनिक वुल का रासायनिक सूत्र है।
  5. हार्न सिल्वर का रासायनिक सूत्र लिखिए।
  6. फोटोग्राफी में टोनिंग के लिए सामान्यतः किस यौगिक का उपयोग किया जाता है ?
  7. सिक्का धातु किसे कहते हैं ?
  8. कॉपर प्राप्त करने का प्रमुख अयस्क कौन-सा है ?
  9. आयरन प्राप्त करने का प्रमुख अयस्क कौन-सा है ?
  10. तत्वों की ऑक्साइड निर्माण के लिए मानक मुक्त उर्जा परिवर्तन (∆G°) व परमताप आरेख क्या कहलाता है?
  11. ढलवाँ लोहे से अशुद्धि दूर कर जो लोहा प्राप्त होता है, इसका नाम क्या है ?
  12. कठोर इस्पात को गर्म कर धीरे -धीरे ठण्डा करने की विधि क्या कहलाती है ?
  13. कठोर इस्पात को गर्म करने की विधि क्या कहलाती है ?
  14. इस्पात को अमोनिया के वातावरण में गर्म करने की विधि क्या कहलाती है ?
  15. लूनर कॉस्टिक किसे कहते है ?

उत्तर

  1. मैट
  2. कॉपर
  3. हाइपो विलयन (Na2S2O3)
  4. ZnO
  5. AgCl
  6. ऑरिक क्लोराइड
  7. Cu,Ag और Au को
  8. कॉपर पायराइटीज
  9. हेमेटाइट
  10. एलिन्गम आरेख
  11. पिटवाँ लोहा
  12. तापानुशीतन
  13. मृदुकरण
  14. नाइट्राइडीकरण
  15. AgNO3.

तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एल्युमिना के विद्युत् अपघटन में AI प्राप्त करते समय क्रायोलाइट मिलाया जाता है। कारण बताइए। .
उत्तर
एल्युमिना का गलनांक अति उच्च है (2050°C) क्रायोलाइट मिलाने पर एल्युमिना का गलनांक कम हो जाता है। साथ ही साथ क्रायोलाइट का विद्युत् अपघटन आसान हो जाता है।

प्रश्न 2.
जब AI को सान्द्र HNO3 के संपर्क में रखा जाता है तो किसी भी अभिक्रिया के होने का पता नहीं लगता है। क्यों?
उत्तर
चूँकि AI को सान्द्र HNO3 से क्रिया करके Al2O3 बनाता है जो AI धातु या एक सुरक्षात्मक आवरण बना लेता है, जिससे अभिक्रिया आगे नहीं बढ़ती।

प्रश्न 3.
AI का कौन-सा यौगिक अच्छा अपचायक है ?
उत्तर
AI का जटिल हाइड्राइड Li(AlH4 ) मुख्यतः कार्बनिक यौगिकों के लिये अच्छा अपचायक है।

प्रश्न 4.
निम्न के रासायनिक सूत्र लिखिए(i) कैलोमल, (ii) फिलॉस्फर वूल, (ii) कोरोसिव सब्लिमेट।
उत्तर
(i) कैलोमल-Hg2Cl2 मरक्यूरस क्लोराइड
(ii) फिलॉस्फर वूल-ZnO
(iii) कोरोसिव सब्लिमेट-HgCl2 मरक्यूरिक क्लोराइड।
उपयोग- (i) एण्टीसेप्टिक के रूप में, (ii) लकड़ी को सुरक्षित करने के लिए, (iii) प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।

प्रश्न 5.
कॉपर के मुख्य अयस्क लिखिए।
उत्तर
कॉपर के मुख्य अयस्क निम्नलिखित हैं –
(1) ऑक्साइड-क्यूप्राइट या रूबी कॉपर (Cu2O)
(2) कार्बोनेट-ऐज्युराइट-2CuCO2.Cu(OH)2
मैलेकाइट-CuCO3.Cu(OH)2 या CuCO3.CuO.H2O
(3) सल्फाइड-कॉपर पायराइटीज या कैल्कोपाइराइट-Cu2S + Fe2S3,या CuFeS2
कॉपर ग्लांस या कैल्कोसाइट – Cu2S

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प्रश्न 6.
लूनर कॉस्टिक का रासायनिक नाम, सूत्र व दो उपयोग लिखिए।
उत्तर
(1) रासायनिक नाम-सिल्वर नाइट्रेट।
(2) सूत्र- AgNO3
(3) उपयोग-(i) दवाइयों में इसका उपयोग क्षार के रूप में
(ii) विशेष प्रकार की स्थायी व हेयर डाई बनाने में।

तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इस्पात के कठोरीकरण, तापानुशीतन, पायनीकरण एवं नाइट्राइडीकरण को समझाइए।
उत्तर-
1. कठोरीकरण-यदि रक्त-तप्त इस्पात को पानी में डालकर एकदम ठण्डा किया जाये तो प्राप्त इस्पात अति कठोर और भंगुर हो जाता है। इस क्रिया को इस्पात का कठोरीकरण कहते हैं।
2. तापानुशीतन-जब रक्त-तप्त इस्पात को धीरे-धीरे ठण्डा किया जाता है तब वह बहुत मुलायम हो जाता है। इस क्रिया को इस्पात का तापानुशीतन कहते हैं।
3. पायनीकरण-जब कठोर एवं भंगुर इस्पात को गर्म करके धीरे-धीरे भिन्न तापों पर ठण्डा किया जाता है। भिन्न-भिन्म तापों पर इस्पात की कठोरता कम होती जाती है और ताप के अनुसार इस्पात अलग-अलग गुण प्रदर्शित करता है। इस क्रिया को इस्पात का पायनीकरण कहते हैं।
4. नाइट्राइडीकरण-इस्पात की सतह का नाइट्रोजन द्वारा संतृप्त होना नाइट्राइडीकरण कहलाता है। इस्पात को 500-600°C ताप पर अमोनिया गैस में गर्म करने पर इस्पात का नाइट्राइडीकरण हो जाता है। आयरन नाइट्राइड की पर्त इस्पात को कठोर बना देती है।

प्रश्न 2.
कॉपर सल्फेट (नीला थोथा) बनाने की विधि व इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर
कॉपर सल्फेट बनाने की विधियाँ –
(1) कॉपर को वायु की उपस्थिति में तनु H,SOR के साथ गरम करके

2Cu + 2H2SO4 + O2 → 2CuSO4 + 2H2O .

(2) कॉपर ऑक्साइड, हाइड्रॉक्साइड या कार्बोनेट पर H2SO4 की क्रिया से

CuO + H2SO4 → CuSO4 + H2O
Cu(OH)2 +H2SO4 → CuSO4 + 2H2O
CuCO3 + H2SO4 → CuSO4 + H2O + CO2.

उपयोग-(1) कपड़ों की रंगाई एवं छपाई में। (2) जीवाणुनाशी के रूप में। (3) कीटाणुनाशी के रूप में। (4) विद्युत् सेलों में। .

प्रश्न 3.
कॉपर सल्फेट विलयन की निम्न के साथ होने वाली अभिक्रिया का समीकरण लिखिए(i) NaOH विलयन, (ii) NH4OH, (iii) KI विलयन, (iv) KCN.
उत्तर
(i) कॉपर सल्फेट विलयन में NaOH विलयन मिलाने से हल्के नीले रंग का क्यूप्रिक हाइड्रॉक्साइड का अवक्षेप बनता है।

CuSO4 +2NaOH → Cu(OH)2 + Na2SO4.

(ii) कॉपर सल्फेट विलयन में अमोनियम हाइड्रॉक्साइड आधिक्य में मिलाने पर क्यूप्रिक अमोनियम सल्फेट का विलेय संकर लवण का गहरा नीला रंग प्राप्त होता है।

CuSO4 + 4NH4OH → [Cu(NH3)4]SO4 + 4H2O

(iii) कॉपर सल्फेट के विलयन में KI विलयन मिलाने पर I2 मुक्त होती है।

CuSO4 +2KI → K2SO4 + CuI2
2CuI2 → I2 + Cu2I2.

(iv) कॉपर सल्फेट KCN के आधिक्य में घुलकर पोटैशियम क्यूप्रोसाइनाइड बनाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 36

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प्रश्न 4.
नीला थोथा क्या है ? इस पर ऊष्मा का प्रभाव लिखिए।
उत्तर
कॉपर सल्फेट का व्यापारिक नाम नीला थोथा है, जिसमें पाँच अणु क्रिस्टलन जल के होते हैं। यह नीले रंग का क्रिस्टलीय ठोस.पदार्थ है जो जल में विलेय है।
ऊष्मा का प्रभाव – CuSO4.5H2O को 100°C ताप पर गर्म करने पर 4 क्रिस्टलन जल के अणु निकल जाते हैं और मोनोहाइड्रेटेड CuSO4 प्राप्त होता है, जो 130°C ताप निर्जल कॉपर सल्फेट देता है तथा 730°C ताप पर वियोजित होकर क्यूप्रिक ऑक्साइड व सल्फर ट्राइऑक्साइड देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 37
प्रश्न 5.
Al के मुख्य अयस्क कौन-कौन से हैं ? अशुद्ध Al का शोधन किस प्रकार किया जाता है ?
अथवा, ऐल्युमिना के विद्युत्-अपघटनी सेल का नामांकित चित्र बनाइए व इसमें होने वाली रासायनिक अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर
Al के मुख्य अयस्क
(1) बॉक्साइट – Al2O3.2H2O
(2) फेल्स्पार – K2O.Al2O3.6H2O
(3) क्रायोलाइट- Na3AIF6
Al का शोधन- Al का शोधन विद्युतीय हूप विधि द्वारा किया जाता है जिससे सेल में तीन स्तर होते हैं
(1) AL, Cu एवं Si की बनी मिश्र धातु की तली पर ऐनोड परत।
(2) क्रायोलाइट एवं बेरियम फ्लुओराइड का गलित मिश्रण मध्य परत।
(3) शुद्ध धातु की ऊपरी के कैथोड परत।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 38
सेल-कार्बन अस्तर युक्त लोहे का एक बॉक्स होता है। धारा प्रवाहित करने पर मध्य पर्त के ऐल्युमिनियम आयन ऊपरी पर्त की ओर गमन करते हैं तथा शुद्ध Al के रूप में कैथोड पर जाकर अपचयित हो जाते हैं और उतनी ही मात्रा में AI निचली परत (ऐनोड) से मध्य परत में आ जाते हैं और अशुद्धियाँ नीचे रह जाती हैं। इस विधि से 99.9% शुद्ध Al धातु प्राप्त होता है।

समीकरण- 2Al2O3 + 3C → 4Al + 3CO2
कैथोड पर- Al3+(l) + 3e → Al(l)
ऐनोड पर- C + O2 → CO + 2e

प्रश्न 6.
हलवा लोहा, पिटवाँ लोहा और इस्पात के गुणों की तुलना कीजिए।
उत्तर
ढलवाँ लोहा, पिटवाँ लोहा और इस्पात के गुणों की तुलना –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 39

प्रश्न 7.
निम्नलिखित धातु के दो अयस्कों के रासायनिक नाम व सूत्र लिखिए –
(1) ऐल्युमिनियम
(2) जिंक
(3) लोहा
(4) ताँबा
(5) चाँदी।
उत्तर
अयस्कों के नाम –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 40

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प्रश्न 8.
ताँबे की नाइट्रिक अम्ल से होने वाली चार विभिन्न रासायनिक अभिक्रिया समीकरण सहित लिखिए।
उत्तर
ताँबे पर नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया –
(i) तनु और ठण्डे HNO3 के साथ नाइट्रस ऑक्साइड बनाता है।
4Cu + 10HNO3 → 4Cu(NO3)2 + 5H2O+N2O

(ii) तनु और गर्म HNO3 के साथ नाइट्रिक ऑक्साइड बनाता है।
3Cu + 8HNO3 → 3Cu(NO3)2 + 4H20+ 2NO

(iii) सान्द्र और ठण्डे HNO3 के साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड बनाता है।
Cu + 4HNO3 → Cu(NO3)2 + 2NO2+2H2O

(iv) सान्द्र और गर्म HNOJ के साथ नाइट्रोजन गैस बनती है।
5Cu+12HNO3 → 5Cu(NO3)2 + 6H2O + N2

प्रश्न 9.
बॉक्साइट से ऐल्युमिनियम के निष्कर्षण हॉल की विधि की रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
हॉल की विधि की रासायनिक समीकरण इस प्रकार है –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 41

प्रश्न 10.
कॉपर की प्रमुख मिश्र धातु, उनके संघटन एवं उपयोग लिखिए।
उत्तर
कॉपर की प्रमुख मिश्र धातु संघटन एवं उपयोग –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 42

प्रश्न 11.
Al2O3 से Al के निष्कर्षण में विद्युत् परिपथ के समानान्तर क्रम में बल्ब लगाया जाता है। कारण समझाइए।
उत्तर-ऐल्युमिना सें A1 धातु का निष्कर्षण करते समय विद्युत् परिपथ के समानान्तर क्रम में बल्ब लगा दिया जाता है। इसका कारण यह है कि विद्युत्-अपघटन से जब ऐल्युमिना समाप्त हो जाता है तो विद्युत् प्रतिरोध बढ़ जाता है जिससे विद्युत् धारा बल्ब में से प्रवाहित होने लगती है और बल्ब जलने लगता है बल्ब के जलने पर ऐल्युमिना की और मात्रा मिला देते हैं, जिससे विद्युत्-अपघटन का प्रक्रम लगातार चलते रहता है।

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प्रश्न 12.
बॉक्साइट के शोधन की बेयर विधि को समीकरण सहित लिखिए।
उत्तर
बेयर की विधि (Baeyer’s Process)—यदि बॉक्साइट में Fe2O3 अशुद्धि की मात्रा अधिक हो तो उसका शुद्धिकरण बेयर विधि से किया जाता है। इसमें बॉक्साइट अयस्क को पीसकर NaOH विलयन के साथ 80 वायुमण्डलीय दाब तथा 130°C ताप पर एक ऑटोक्लेव भट्टी में गर्म करते हैं, जिससे बॉक्साइट विलेय होकर सोडियम मेटा ऐल्युमिनेट (NaAlO2) में परिवर्तित हो जाता है तथा अशुद्धियाँ (Fe2O3) अविलेय रहती हैं जो छानकर अलग कर दी जाती हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 43
प्राप्त सोडियम मेटा ऐल्युमिनेट (NaAlO2) विलयन को जल के साथ तनु करने पर Al(OH)3 का अवक्षेप प्राप्त होता है। इसमें ताजा AI(OH)3 की कुछ मात्रा मिला दी जाती है जो अवक्षेप देने में सहायता करती है, इसे सीडिंग (Seeding) कहते हैं।

NaAlO2 + 2H2O → Al(OH)3 + NaOH

Al(OH)3 को छानकर, धोकर सुखाने के पश्चात् गर्म करने पर शुद्ध Al2O3 प्राप्त होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 44

प्रश्न 13.
कॉपर पायराइटीज से स्वअपचयन विधि द्वारा शुद्ध कॉपर प्राप्त करने का समीकरण दीजिए।
उत्तर
प्रगलन से प्राप्त द्रवित मैट को बेसेमर परिवर्तक में लेकर रेत और वायु को ट्वीयर के द्वारा पिघले मैट में प्रवाहित कराने पर मैट में उपस्थित FeS, FeO में बदल जाता है जो SiO2 से क्रिया करके धातुमल (FeSiO3) बना लेता है और Cu2S का कुछ भाग Cu2O में ऑक्सीकृत हो जाता है –

2FeS +3O2 → 2FeO + 2SO2
FeO + SiO2 → FeSiO3
2Cu2S+3O2 → 2Cu2O + 2SO2

जो बचे हुए Cu2S से क्रिया कर धात्विक कॉपर में अपचयित हो जाता है इसे स्वअपचयन कहते हैं।

2Cu2O + Cu2S → 6Cu+SO2

प्रश्न 14.
लोहा कितने प्रकार का होता है ? प्रत्येक के नाम और दो-दो विशेषताएँ लिखिए। उत्तर-लोहे के प्रकार व विशेषताएँ –

  • ढलवाँ लोहा – (i) इसमें C की मात्रा 2:2 -4.5% होती है।
    (ii) आघात करने पर भंगुर प्रकृति का होता है।
  • पिटवाँ लोहा – (i) इसमें C की मात्रा 0.10 – 0.25% होती है।
    (ii) आघात करने पर फैलता है।
  • इस्पात – (i) इसमें C की मात्रा 0-25 से 2% होती है।
    (ii) यह आघातवर्धनीय एवं भंगुर होता है।

प्रश्न 15.
बॉक्साइट अयस्क का शोधन किस विधि से किया जाता है, जबकि उसमें सिलिका की मात्रा अधिक होती है ? इस विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
सर्पक विधि – इस विधि में सिलिकायुक्त बॉक्साइट का शोधन किया जाता है। बारीक पीसे बॉक्साइट अयस्कों को कोक के साथ मिलाकर नाइट्रोजन की धारा में 1800°C तक गर्म किया जाता है, जिससे एल्युमिनियम नाइट्राइड बनता है तथा वाष्पशील सिलिकॉन के रूप में सिलिका से पृथक् हो जाता है। AlN का जल-अपघटन करके AI(OH)3 बना लेते हैं, जिसके निस्तापन द्वारा शुद्ध Al2O3 प्राप्त होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 45

तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फोटोग्राफी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
फोटोग्राफी में सिल्वर हैलाइडों (AgX) के अत्यन्त प्रकाश सुग्राहिता का उपयोग करके वस्तुओं के स्थायी चित्र प्राप्त किये जाते हैं। इसे निम्न पदों में समझा जा सकता है –

(1) प्लेट या फिल्म बनाना-फोटोग्राफिक प्लेट या (फोटोरील) AgBr का जिलेटिन में इमल्सन होता है, जो कि प्रकाश में बैंगनी व नीली किरणों के प्रति विशेष सुग्राही होता है। इसे और सुग्राही बनाने हेतु कुछ विशेष रंजक मिला दिये जाते हैं। इसे निम्नांकित प्रकार से बनाया जाता है –

NH4Br + AgNO3 → AgBr↓ + + NH4NO3

(2) चित्र लेना (Exposure) कैमरे के लेंस को वस्तु पर केन्द्रित करके प्रकाश को कुछ क्षण के लिए प्लेट या फिल्म में आने देते हैं। इसके कारण AgBr के उपस्थित होने से वस्तु का उल्टा प्रतिबिम्ब बन जाता है।

(3) डेवलपमेण्ट (Development)-डेवलपर क्विनोल, पाइरोगैलाल, हाइड्रोक्विनोन या एमिडाल का क्षारीय घोल होता है, जो कि AgBr के Ag में अपचयन होने वाली क्रिया को पूर्ण कर देता है। इस प्रक्रिया में काला भाग सफेद व सफेद भाग काला हो जाता है तथा उल्टा चित्र प्राप्त होता है, जिसे निगेटिव कहते हैं।

C6H4 (OH)2 + 2AgBr → C6H4O2 + 2Ag↓ + 2HBr

(4) स्थिरीकरण (Fixation) सोडियम थायोसल्फेट (हाइपो विलयन) का उपयोग निगेटिव के स्थिरीकरण हेतु किया जाता है। अप्रयुक्त AgBr हाइपो में घुलकर अलग हो जाता है।

AgBr + Na2S2O3 → NaAgS2O3 + NaBr
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(5) प्रिंटिंग (Printing)-P.O.P. (Printing out paper) या ब्रोमाइड पेपर पर निगेटिव के द्वारा प्रकाश डालकर कुछ समय के लिए रख दिया जाता है जिससे पेपर पर वस्तु का सही चित्र अंकित हो जाता है। प्रिंटिंग पेपर पर AgCl, जिलेटिन व सिल्वर सिट्रेट का लेप लगा होता है।

(6) रंग-संस्करण (Toning)—काले-सफेद चित्र को चमकीला बनाने हेतु ऑरिक क्लोराइड (AuCl3) या प्लैटिनम क्लोराइड का विलयन उपयोग किया जाता है, जिसे (Toning) कहते हैं।

AuCl3 + 3Ag → 3AgCl + Au

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प्रश्न 2.
फफोलेदार ताँबा क्या है ? इसके शोधन हेतु विद्युत्-अपघटन विधि का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर
बेसेमर परिवर्तक से प्राप्त पिघली हुई कॉपर धातु में बहुत-सी SO2, गैस घुली रहती है, जिसे ठंडा करने: पर SO2 गैस बुलबुलों के रूप में निकलती है। इस प्रकार कॉपर धातु की सतह पर छोटे-छोटे छिद्र हो जाते हैं, यही फफोलेदार ताँबा कहलाता है जिसमें 98% शुद्ध कॉपर प्राप्त होता है।
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कॉपर धातु शोधन की विद्युत्-अपघटन विधि – अति शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए बड़ी टंकी में 15% CusO4 और 5 % H2SO4 विलयन भरकर तथा अशुद्ध Cu धातु की मोटी प्लेटों का एनोड और शुद्ध Cu की पतली प्लेटों का कैथोड लगाकर विद्युत्-अपघटन करते हैं। विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर एनोड का अशुद्ध ताँबा धुलकर विलयन में चला जाता है और विलयन में से शुद्ध कॉपर कैथोड पर जमा हो जाता है। एनोड के नीचे अशुद्धियाँ, जिनमें Au, Ag जैसी मूल्यवान धातुएँ भी होती है, एकत्र हो जाती है इन्हें एनोड कीचड़ कहते हैं। इस प्रकार 99.99 % शुद्ध धातु प्राप्त होती है।

प्रश्न 3.
इस्पात निर्माण की सीमेन-मार्टिन विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। अथवा, इस्पात को ढलवाँ लोहा से किस प्रकार खुले तल की भट्ठी विधि से प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर
सीमेन और मार्टिन की खुले तल वाली भट्ठी से (By Seimen and Martin’s Open Hearth Furnace)—यह इस्पात बनाने की आधुनिक विधि है। इस विधि में अशुद्धियों का ऑक्सीकरण वायु द्वारा न करके फेरिक ऑक्साइड (हेमेटाइट) द्वारा किया जाता है। इस
विधि में एक विशेष प्रकार की भट्ठी होती है, जिसका तल उथला और खुला रहता है। इसके भीतरी भाग में अम्लीय विधि के लिये सिलिका तथा क्षारीय विधि के लिये चूना और मैग्नेशिया का अस्तर लगा रहता है। इस भट्ठी को प्रोड्यूसर गैस (Producer gas) या वायु अंगार गैस द्वारा गर्म करते हैं चूल्हे में आने के पहले प्रोड्यूसर गैस को काफी गर्म कर लेते हैं, वह भट्ठी में जलकर लगभग 1800°C ताप देता है। भट्ठी को गर्म करने के बाद उसके उथले तल पर 70-80% ढलवाँ लोहा, 20-30% लोहे की छीलन (Scrap iron) तथा हेमेटाइट (Fe2O3) डाल देते हैं । ढलवाँ लोहे में उपस्थित कार्बन ऑक्सीकृत होकर CO बनाता है तथा बाहर निकल जाता है। अन्य अशुद्धियाँ जैसे-सल्फर, फॉस्फोरस, सिलिकॉन और मैंगनीज, हेमेटाइट (Fe2O3) द्वारा ऑक्सीकृत हो जाती है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 48
Fe2O3 + 3C → 2Fe + 3CO
2Fe2O3 + 3S → 4Fe + 3SO2
10Fe2O3 + 3P4 → 20Fe + 6P2O5
2Fe2O3 + 3Si → 4Fe + 3SiO2
Fe2O3 + 3Mn → 2Fe + 3MnO

इन क्रियाओं से बनने वाली CO और SO2 गैसें बाहर निकल जाती हैं। शेष अशुद्धियाँ भट्ठी के अस्तर से क्रिया करके धातुमल (Slag) बना लेती हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 6 तत्त्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम - 49
थोड़ी-थोड़ी देर बाद भट्ठी से इस्पात की कुछ मात्रा निकालकर उसमें कार्बन की मात्रा ज्ञात करते रहते हैं। जब इस्पात में कार्बन की उपयुक्त मात्रा रह जाती है, तो इस्पात को भट्ठी से बाहर निकाल लिया जाता है। आवश्यक हो तो कार्बन स्पीजील के रूप में मिला दिया जाता है।

प्रश्न 4.
सिल्वर के दो मुख्य अयस्कों के नाम एवं सूत्र लिखिए तथा उसमें से किसी भी एक अयस्कों से शुद्ध धातु प्राप्त करने की विधि का समीकरण सहित वर्णन कीजिए।
अथवा, सिल्वर के दो अयस्कों के नाम और सूत्र लिखिए। चाँदी का निष्कर्षण सायनाइड विधि द्वारा किस प्रकार करते हैं ?
उत्तर
चाँदी प्रकृति में मुक्त एवं संयुक्त दोनों रूपों में पायी जाती है। संयुक्त अवस्था में यह प्रायः निम्नलिखित रूपों में पायी जाती है –
सल्फाइड – अर्जेन्टाइट या सिल्वर ग्लास (Ag2S), सिल्वर कॉपर ग्लास (Ag2S.Cu2S) आदि।
हैलाइड – हार्न सिल्वर (AgCl), ब्रोमाइड (AgBr) आदि। मुक्त अवस्था में यह सोने व ताँबा के साथ मिश्रित रहती है।

सायनाइड विधि – इसे मैक आर्थर फारेस्ट विधि भी कहते हैं । यह सिल्वर ग्लांस से सिल्वर प्राप्त करने की उपयुक्त विधि है। सान्द्रित सल्फाइड अयस्क को सोडियम सायनाइड के जलीय विलयन के साथ खूब हिलाकर मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया में विलयन में वायु भी प्रवाहित की जाती है। सोडियम सायनाइड के आधिक्य में संकर सोडियम अर्जेण्टो सायनाइड (विलेय) बनता है।
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विलयन में Zn चूर्ण मिलाने पर चाँदी अवक्षेपित हो जाती है।

2Na [Ag(CN)2] + Zn → Na2[Zn(CN)4] + 2Ag↓

गलन मिश्रण के साथ अवक्षेप को गलाने पर चमकदार चाँदी प्राप्त हो जाती है।
उपयोग – (i) सस्ती धातुओं की वस्तुओं पर चाँदी का लेपन करने में।
(ii) कलिल सिल्वर का उपयोग आँख की दवाई बनाने में होता है।

प्रश्न 5.
निम्न की मिश्र धातुओं के संघटन, उपयोग का वर्णन कीजिए –
(1) ऐल्युमिनियम, (2) ताँबा, (3) लोहा।।
उत्तर
मिश्र धातुओं के संघटन तथा उपयोग –
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प्रश्न 6.
कॉपर के प्रमुख अयस्क कौन-से हैं ? कॉपर पायराइट से कॉपर धातु के निष्कर्षण का वर्णन कीजिए।
उत्तर
कॉपर के प्रमुख अयस्क-(i) क्यूप्राइट या रूबी कॉपर Cu2O, (ii) कॉपर पायराइट CuFeS2, या CuS.Fe2S3, (iii) मैलेकाइट CuCO3.Cu(OH)2, (iv) ऐज्युराइट 2CuCo3.Cu(OH)2.

पायराइट अयस्क से कॉपर का निष्कर्षण निम्न पदों में किया जाता है –

1. सान्द्रण (Concentration)-अयस्क को महीन पीसकर उसका सान्द्रण फेन उत्प्लावन विधि (Froth floatation process) द्वारा करते हैं।

2. भर्जन क्रिया (Roasting)—सान्द्रित अयस्क को एक उथले तल की परावर्तनी भट्ठी (Reverberatory furnace) में रखकर कम ताप पर (जिससे अयस्क पिघलने न पाए) वायु की धारा में गर्म करते हैं। पायराइट अयस्क का कॉपर, कॉपर सल्फाइड और आयरन सल्फाइड के मिश्रण में परिवर्तित हो जाता है।

2CuFeS2 + O2 → Cu2S + 2Fes + SO2

पायराइट से प्राप्त कॉपर सल्फाइड और आयरन सल्फाइड का कुछ भाग उनके ऑक्साइडों में परिणित हो जाता है।

2FeS + 3O2 → 2FeO + 2SO2
2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2

3. प्रमलन (Smelting)-भर्जन क्रिया (Roasting) से प्राप्त अयस्क में रेत और कोक मिलाकर वात्याभट्ठी (Blast furnace) में प्रगलित (विगलित) करते हैं । भट्ठी के ऊपरी भाग में अयस्क डालने के लिए द्वार होता है तथा व्यर्थ गैसों के निकलने के लिए ऊपरी कोने में रास्ता बना होता है। । भट्ठी में उच्च ताप पर भर्जन से प्राप्त Cuho और Fes संयोग करके आयरन ऑक्साइड बनाते हैं।

Cu2O + FeS → Cu2S + Feo

आयरन ऑक्साइड सिलिका (रेत) गालक (flux) से मिलकर आयरन सिलिकेट, धातुमल (Slag) बनाता

FeO + SiO2 → FeSiO3 (धातुमल)

वात्या-भट्ठी के ऊपर की सतह हल्के धातुमल की होती है तथा नीचे की सतह में क्यूप्रस सल्फाइड तथा थोड़ा फेरस सल्फाइड रहता है। इसे मैट (Matte) कहते हैं। ऊपरी सतह पर स्थित हल्की धातुमल बाहर निकाल दी जाती है।

4. बेसेमरीकरण (Bessemerization) – प्रगलन की क्रिया से प्राप्त द्रवित मैट को थोड़ा सिलिका (रेत) मिलाकर बेसेमर परिवर्तक में भर देते हैं। इस भट्ठी के भीतरी सतह पर चूने या मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) का अस्तर लगा होता है। इसके बाजू में काफी ऊँचाई पर ट्वीयर (tuyer) द्वारा हवा भेजी जाती है।

मैट में उपस्थित FeS, FeO में परिवर्तित हो जाता है। Feo रेत से क्रिया करके धातुमल FeSiO3, बनाता है। यह धातुमल बेसेमर परिवर्तक की ऊपरी सतह पर तैरने लगता है, इसे बाहर निकाल लिया जाता है।
पिघली धातु dirty

2FeS + 3O2 → 2FeO + 2SO2
FeO + SiO2 → FeSiO3 (धातुमल)

क्यूप्रस सल्फाइड का कुछ भाग ऑक्सीकृत होकर क्यूप्रस ऑक्साइड बनाता है, जो बचे हुए Cu2s से क्रिया करके Cu देता है।
2Cu2S + 3O2→ 2Cu2O + 2SO2
Cu2S + 2Cu2O→ 6Cu+ SO2

बेसेमर परिवर्तक को उल्टा कर ताँबे को निकाल लिया जाता है। इस प्रकार प्राप्त पिघली हुई धातु में बहुत-सी SO2 गैस रहती है। जब धातु को ठण्डा किया जाता है तो SO2 गैस बुलबुलों के रूप में निकलती है। इस प्रकार कॉपर धातु की सतह पर छोटे-छोटे छिद्र हो जाते हैं और यह फफोलेदार ताँबा (Blister copper) कहलाता है। इसमें 98% शुद्ध कॉपर होता है। .
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5.शोधन-दो विधियों द्वारा शोधन किया जाता है –
(a) विद्युत्-अपघटनी विधि। (b) प्रदण्डन विधि।
विद्युत्-अपघटनी विधि-अति शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए एक बड़ी टंकी में 15% CuSO4 और 5% H2SO4 विलयन भरकर तथा अशुद्ध Cu धातु की मोटी प्लेटों का ऐनोड और शुद्ध Cu धातु की पतली प्लेटों का कैथोड लगाकर विद्युत्-अपघटन करते हैं। कैथोड पर 99.9% शुद्ध ताँबा प्राप्त होता है।

प्रश्न 7.
जिंक के निष्कर्षण की ऊर्ध्वाधर रिटॉर्ट विधि का नामांकित चित्र बनाइये।
अथवा, जस्ते के प्रमुख अयस्क कौन-कौन से हैं ? किसी अयस्क से जिंक धातु के निष्कर्षण की आधुनिक विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
जस्ते के अयस्क – (i) जिंक ब्लैण्ड ZnS, (ii) कैलामाइन ZnCO3, (iii) विलैमाइट ZnSiO4.
धातु निष्कर्षण की आधुनिक विधि-जिंक ब्लैण्ड तथा कैलामाइन अयस्कों से प्रायः धातु का निष्कर्षण किया जाता है।
1. सान्द्रण-जिंक ब्लैण्ड अयस्क का सान्द्रण झाग उत्प्लावन विधि से करते हैं।
2. भर्जन-सान्द्रित अयस्क को वायु की अधिकता में भर्जित करने से अयस्क ZnO में परिवर्तित हो जाता है। कुछ ZnS, ZnSO4 में परिवर्तित होते हैं, जो ZnO में अपघटित हो जाता है।

2ZnS + 3O2 → 2ZnO + 2SO2(g)
ZnS + 2O2 → ZnSO4
2ZnSo4 → 2ZnO + 2SO2(g) + O2(g)

कैलामाइन अयस्क केवल निस्तापन से ही ZnO बनाता है।
ZnCO3 → ZnO + CO2(g)

3. अपचयन- भर्जित या निस्तापित अयस्क को कोक से साथ ऊर्ध्वाधर रिटॉर्ट में रखकर प्रोड्यूसर गैस द्वारा 140°C तक गर्म किया जाता है, जिससे ZnO का Zn में अपचयन हो जाता है। प्राप्त Zn वाष्प को संघनित्र में एकत्रित करते हैं। इस प्रकार प्राप्त Zn को स्पेल्टर कहते हैं। इसमें Pb, As, Fe, Si, Cd और C की अशुद्धियाँ होती हैं और शेष 97.8% Zn होता है।
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4. शोधन-अतिशुद्ध Zn विद्युत्-अपघटनी विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसमें अम्लीय ZnSO4 विलयन विद्युत्-अपघटन का कार्य करता है। प्राप्त अशुद्ध Zn ऐनोड तथा शुद्ध Zn छड़ कैथोड का कार्य करता है। विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर शुद्ध Zn कैथोड पर एकत्रित होता है। यह लगभग 99.98% शुद्ध होता है।

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प्रश्न 8.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए) –
(i) नीले थोथे को गर्म किया जाता है।
(ii) सिल्वर नाइट्रेट के विलयन में अमोनियम हाइड्रॉक्साइड मिलाया जाता है।
(iii) स्टैनस क्लोराइड के विलयन में मरक्यूरिक क्लोराइड मिलाया जाता है।
(iv) ताँबा गर्म व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल से क्रिया करता है।
(v) मरक्यूरिक क्लोराइड की KI से अभिक्रिया होती है।
(vi) मरक्यूरिक क्लोराइड पोटैशियम आयोडाइड से किया करता है।
(vii) सिल्वर नाइट्रेट हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से क्रिया करता है।
(viii) सिल्वर नाइट्रेट को गर्म किया जाता है।

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प्रश्न 9.
शुद्ध ऐल्युमिनियम धातु प्राप्त करने के विद्युत्-अपघटन विधि का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर
Al धातु प्राप्त करने की विद्युत्-अपघटन विधि-उपयुक्त विधि से प्राप्त शुद्ध Al2O3, का गलनांक 2050°C होता है अत: इसमें थोड़ा-सा क्रायोलाइट (Na3AlF6) तथा कैल्सियम फ्लोराइड (CaF2) के संगलित मिश्रण घोल दिया जाता है जिससे (Al2O3) का गलनांक कम हो जाता है तथा विद्युत् चालकता बढ़ जाती है।

हॉल एवं हैराल्ट द्वारा विकसित विधि में एक खुली लोहे की टंकी जिसके भीतर कार्बन का अस्तर लगा होता है जो कैथोड का कार्य करता है कई कार्बन की छड़ों को विद्युत् अपघटन में लटका दिया जाता है जो एनोड का कार्य करते हैं। विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर क्रायोलाइट (Na3AlF6) पिघलकर अपने में (Al2O3) को घोल लेता है विद्युत् धारा के प्रवाह से उत्पन्न ताप 900-950°C पर मिश्रण में घुले हुए Al2O3, Al और ऑक्सीजन में अपघटित हो जाता है। जिसमें Al कैथोड पर तथा O2 एनोड पर मुक्त हो जाता है।
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क्रायोलाइट (Na3AlF6) में उपस्थित फ्लोराइड निम्न प्रकार से आयनित होते हैं


इस प्रकार, ऐल्युमिनियम आयन (Al3+) कैथोड पर AI धातु के रूप में और F आयन एनोड पर फ्लोरीन के रूप में मुक्त होते हैं। एनोड में मुक्त F ,Al2O3 से क्रिया करके AlF3 बनाता है।

इस प्रकार वास्तव में ऐल्युमिना का ही विद्युत्-अपघटन होता है और इस प्रकार एनोड पर मुक्त O2 का कुछ भाग कार्बन एनोड से क्रिया करके CO बनाती है। जिसके कारण कार्बन एनोड को बार-बार बदलना पड़ता है जब Al2O3 की मात्रा एक निश्चित स्तर से गिर जाती है तो सेल का प्रतिरोध बढ़ जाता है, तो समान्तर क्रम में जुड़ा हुआ बल्ब जलने लगता है उस समय Al2O3 की और अधिक मात्रा मिला दी जाती है। कैथोड पर मुक्त हुआ Al पिछली अवस्था में टंकी के तली से एकत्र होता है जिसे निकास द्वार से समय-समय पर निकाल लेते हैं। पिघले हुए क्रायोलाइट और एल्युमिना के मिश्रण के ऊपर कोक का चूर्ण डाल देते हैं जो उसे ठण्डा नहीं होने देता तथा इससे आँखों को चमक भी कम लगती है। इस विधि से 99% शुद्ध Al धातु प्राप्त होता है।

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पृष्ठ रसायन NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जलीय विलयनों के वैद्युत अपघटन में प्रायः प्लैटिनम एवं पैलेडियम जैसे पदार्थ क्यों प्रयुक्त किये जाते हैं ?
उत्तर
प्लैटिनम एवं पैलेडियम जैसी धातु कम क्रियाशील धातु हैं, इसलिए सामान्यत: ये क्रिया नहीं करती उत्पाद के साथ जब जलीय विलयनों का वैद्युत अपघटन किया जाता है।

प्रश्न 2.
ताप बढ़ने पर भौतिक अधिशोषण क्यों घटता है ?
उत्तर
भैतिक अधिशोषण एक ऊष्मा अपक्षेपी प्रक्रम है तथा यह उत्क्रमणीय भी ठोस + गैस ⇌ अधिशोषण + ऊष्मा भौतिक अधिशोषण कम ताप पर सम्पन्न होता है तथा तापमान बढ़ाने पर यह ली-चेटलियर नियम के अनुसार कम होता है।

प्रश्न 3.
अपने क्रिस्टलीय रूपों की तुलना में चूर्णित पदार्थ अधिक प्रभावी अधिशोषक क्यों होते हैं ?
उत्तर
अधिशोषक के पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ने के साथ अधिशोषण बढ़ता जाता है। अत: चूर्ण अवस्था में या छिद्र युक्त अवस्था में धातुओं का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होता है। इसलिए इन अवस्थाओं में अधिशोषण अधिक होता है।

प्रश्न 4.
अमोनिया प्राप्त करने के लिए हॉबर प्रक्रम में CO को हटाना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर
हॉबर प्रक्रम से अमोनिया बनाने के लिए ठोस उत्प्रेरक का प्रयोग होता है। उत्पन्न CO को हटाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि CO लोहे से क्रिया कर Fe(CO)5 बनाती है जो कक्ष ताप पर द्रव अवस्था में होता है तथा NH3 उत्पादन में बाधा उत्पन्न करता है क्योंकि उच्च ताप पर CO तथा H2 क्रिया करते हैं जिससे उत्पादन घटता है।

प्रश्न 5.
एस्टर का जल अपघटन प्रारंभ में धीमा एवं कुछ समय पश्चात् तीव्र क्यों हो जाता है ?
उत्तर
एस्टर के जलयोजन के दौरान एक उत्पाद कार्बनिक अम्ल बनता है जो उत्प्रेरक की भाँति व्यवहार करता है तथा अभिक्रिया को सक्रिय बनाता है। अतः एस्टर का जलयोजन आरंभ में मंद व बाद में तीव्र हो जाता है।

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प्रश्न 6.
उत्प्रेरण के प्रक्रम में विअधिशोषण की क्या भूमिका है ?
उत्तर
ठोस उत्प्रेरक द्वारा गैसीय अभिकारकों को अधिशोषित करने के बाद मध्य अवस्था ग्रहण करता है। इसके बाद विअधिशोषण होता है जिसमें अणु अलग होते हैं । अतः ठोस उत्प्रेरकों के पृष्ठ बार-बार उपलब्ध होते रहते हैं।

प्रश्न 7.
आप हार्डी शुल्जे नियम में संशोधन के लिए क्या सुझाव दे सकते हैं ?
उत्तर
हार्डी शुल्जे के नियम को निम्न रूप से वर्णित किया जा सकता है। स्कंदन या अवक्षेपण क्षमता स्कंदन या अवक्षेपण मान के व्युत्क्रमानुपाती होता है। दो वैद्युत अपघट्यों की स्कंदन क्षमता की तुलना निम्न रूप से की जाती है –
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अत: AlCl3, 559 गुना अधिक स्कंदन क्षमता रखता है NaCl की तुलना में।

प्रश्न 8.
अवक्षेप का मात्रात्मक आकलन करने से पूर्व उसे जल से धोना आवश्यक क्यों है ?
उत्तर
गुणात्मक मान ज्ञात करने के लिए यह आवश्यक है कि अवयवों को पहले धो लेना चाहिए ताकि अशुद्धीय कोलॉइड उत्पन्न होने पर अवक्षेप उत्पन्न न करे। हम जानते हैं कि छानक पेपर से कोलॉइड आर-पार हो जाते हैं।

पृष्ठ रसायन NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अधिशोषण एवं अवशोषण शब्दों (पदों) के तात्पर्य में विभेद कीजिए। प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
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प्रश्न 2.
भौतिक अधिशोषण एवं रासायनिक अधिशोषण में क्या अन्तर है?
उत्तर-
भौतिक अधिशोषण- भौतिक अधिशोषण में अधिशोषित पदार्थ के अणु अधिशोषक की सतह से दुर्बल आकर्षण बल द्वारा बँधे रहते हैं।
रासायनिक अधिशोषण – रासायनिक अधिशोषण में अधिशोषित पदार्थ अधिशोषक से सामान्य रासायनिक बन्धों द्वारा जुड़े रहते हैं।
भौतिक अधिशोषण और रासायनिक अधिशोषण में अन्तर –
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प्रश्न 3.
कारण बताइए कि सूक्ष्म विभाजित पदार्थ अधिक प्रभावी अधिशोषक क्यों होता है ?
उत्तर
चूर्ण अवस्था में पदार्थ का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होता है। पृष्ठीय क्षेत्रफल जितना अधिक होगा अधिशोषित गैस का आयतन भी उतना अधिक होगा।
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प्रश्न 4.
किसी ठोस पर गैस के अधिशोषण को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं ?
उत्तर
किसी ठोस या गैस के अधिशोषण को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार है –

  • गैस की प्रकृति
  • अधिशोषक का पृष्ठीय क्षेत्रफल
  • दाब
  • ताप
  • अधिशोषक की सक्रियता।

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प्रश्न 5.
अधिशोषण समतापी वक्र क्या है ? फ्रेण्डलिक अधिशोषण समतापी वक्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर
अधिशोषक द्वारा अधिशोषित गैस की मात्रा में स्थिर ताप पर दाब के साथ परिवर्तन एक वक्र के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है, जिसे अधिशोषण समतापी वक्र कहते हैं। अधिशोषण समतापी वक्र दो प्रकार के होते हैं
(i) फ्रॉयन्डलिक समतापी वक्र,
(ii) लैंगमूर समतापी वक्र।

(i) फ्रॉयन्डलिक समतापी वक्र-फ्रॉयन्डलिक ने ठोस अधिशोषक के इकाई द्रव्यमान द्वारा एक निश्चित ताप पर अधिशोषित गैस की मात्रा तथा दाब के मध्य एक प्रयोगाश्रित संबंध दिया। इस संबंध को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है –
\(\frac{x}{m}\) = k.p1/n(n>a)………..(1)

जहाँ, x अधिशोषक के m द्रव्यमान द्वारा p दाब पर अधिशोषित गैस का द्रव्यमान है। k एवं n स्थिरांक हैं जो किसी निश्चित ताप पर अधिशोषक एवं गैस की प्रकृति पर निर्भर करते हैं।
ये वक्र इंगित करते हैं कि एक निश्चित दाब पर, ताप बढ़ाने से भौतिक अधिशोषण घटता है। समीकरण (1) का लघुगणक लेने पर

log\(\frac{x}{m}\) = = logk + \(\frac{1}{n}\) log p ………….(2)

जब log\(\frac{x}{m}\) को y-अक्ष तथा log p को x-अक्ष पर लेकर वक्र खींचते हैं, तो एक सीधी रेखा प्राप्त होती
है। यह फ्रॉयन्डलिक समतापी वक्र की वैधता को इंगित करती है।
ढाल = \(\frac{1}{n}\) = और y-अक्ष पर अन्त: खण्ड = log k
गुणक \(\frac{1}{n}\) का मान 0 एवं 1 के मध्य हो सकता है अतः समीकरण (2) दाब के सीमित विस्तार तक ही
लागू होती है।
(i) जब \(\frac{1}{n}\) =0,\(\frac{x}{m}\) = स्थिरांक, तब अधिशोषण दाब से स्वतंत्र होता है।
(ii) जब \(\frac{1}{n}\) =1 \(\frac{x}{m}\) = kp अर्थात , तब अधिशोषण में परिवर्तन दाब के अनुक्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 6.
अधिशोषक के सक्रियण से आप क्या समझते हैं ? यह कैसे प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर
अधिशोषक के सक्रियण का अर्थ है, अधिशोषक की अधिशोषण क्षमता। अतः अधिशोषक की सक्रियता को बढ़ाने के लिए निम्न क्रियाकलाप किये जाते हैं
(i) धात्विक अधिशोषक को यांत्रिक या रासायनिक विधि द्वारा खुरदरा करके।
(ii) अधिशोषक को छोटे टुकड़ों में तोड़कर।
(iii) कुछ अधिशोषकों की अधिशोषण क्षमता उच्च ताप पर गर्म करके बढ़ाई जा सकती है।

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प्रश्न 7.
विषमांगी उत्प्रेरण में अधिशोषण की क्या भूमिका है ?
उत्तर
सामान्यतः विषमांगी उत्प्रेरण में, अभिक्रिया गैसीय जबकि उत्प्रेरक ठोस अवस्था में होते हैं। अभिक्रियक अणुओं का ठोस उत्प्रेरक के पृष्ठ पर भौतिक या रासायनिक अधिशोषण द्वारा अधिशोषण हो जाता है। अभिक्रियत अणुओं की सान्द्रता बढ़ने से या ठोस उत्प्रेरक के पृष्ठ पर अभिक्रियक अणुओं में टूटकर सक्रिय स्पीशिज बनने से जो कि तीव्रता से अभिक्रिया करती है। अभिक्रिया की गति बढ़ जाती है। उत्पाद अणुओं का विशोषण हो जाता है और अब उत्प्रेरक सतह दोबारा अधिक अभिक्रियक अणुओं को अधिशोषित करने के लिए उपलब्ध हो जाती है। यह सिद्धान्त विषमांगी उत्प्रेरण का अधिशोषण कहलाता है।

प्रश्न 8.
अधिशोषण हमेशा ऊष्माक्षेपी क्यों होता है ?
उत्तर
अधिशोषण से अव्यवस्था कम होती है अर्थात् ΔS = + होता है। प्रक्रम को सम्पन्न करने के लिए ΔG का मान ऋणात्मक होना आवश्यक है। अतः समीकरण ΔG = ΔH – TΔS में ΔG तभी ऋणात्मक होगा, जब ΔH का मान ऋणात्मक होगा अर्थात् ऊष्माक्षेपी। अत: अधिशोषण प्रक्रम ऊष्माक्षेपी होता है।

‘प्रश्न 9.
कोलॉइडी विलयनों को परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्थाओं के आधार पर कैसे वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर
परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्थाओं (ठोस, द्रव अथवा गैस) के आधार पर निम्नलिखित आठ प्रकार के कोलॉइडी निकाय बनते हैं।
3 परिक्षिप्त प्रावस्था x 3 परिक्षेपण माध्यम -1 = 8 कोलॉइड
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प्रश्न 10.
ठोसों द्वारा गैसों के अधिशोषण पर दाब एवं ताप के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर
अधिशोष्य गैस का दाब – साम्यावस्था पर अधिशोषक पर अधिशोष्य गैस के दाब का मान बढ़ाने से अधिशोषण बढ़ जाता है। कम ताप पर गैस में वृद्धि करने से अधिशोषण की मात्रा तेजी से बढ़ती है, किन्तु उच्च दाब पर अधिशोषण एक अधिकतम मान प्राप्त कर लेता है।
ताप (Temperature) – अधिशोषण एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। अतः लीशातेलिए सिद्धान्त से, ताप बढ़ाने पर अधिशोषण कम हो जाता है।

प्रश्न 11.
द्रवरागी एवं द्रवविरागी सॉल क्या होते हैं ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए। द्रवविरोधी सॉल आसानी से स्कंदित क्यों हो जाते हैं ?
उत्तर
द्रवरागी कोलॉइड (द्रव से स्नेह करने वाला) उन कोलॉइडी सॉल को जिन्हें परिक्षिप्त प्रावस्था तथा उचित परिक्षेपण माध्यम को सम्पर्क में लाने मात्र से प्राप्त किया जाता है, द्रवरागी (द्रव-स्नेही) कोलॉइडी सॉल कहते हैं । यह स्थायी होते हैं। इन्हें उत्क्रमणीय कोलॉइडी सॉल भी कहते हैं, क्योंकि कोलॉइडी विलयन में से परिक्षेपण माध्यम को भौतिक विधियों जैसे वाष्पीकरण द्वारा अलग किया जा सकता है।
उदाहरण-गोंद, जिलेटिन, स्टार्च, रबड़ आदि।

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द्रवविरागी कोलॉइड (द्रव से घृणा करने वाला) इस प्रकार के सॉल केवल पदार्थों (परिक्षिप्त प्रावस्था) को परिक्षेपण माध्यम में मिश्रित करने से नहीं बनते है। ये स्थायी नहीं होते है। ऐसे सॉल को वैद्युत-अपघट्य की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर, गर्म करके या हिलाकर आसानी से अवक्षेपित या स्कंदित किया जा सकता है। द्रवविरागी सॉल के परिरक्षण के लिए स्थायी कारकों की आवश्यकता होती है। ।
उदाहरण-गोल्ड सॉल, As2O3 सॉल, Fe(OH)3 सॉल आदि।

द्रवविरागी सॉल के स्कंदन का कारण-सॉल के कणों पर उपस्थित आवेश को हटाकर या आवेश को … उदासीन करके दवविरागी सॉल का स्कंदन या अवक्षेपण हो जाता है अर्थात् ये कण एक-दूसरे के समीप आकर पुंजित हो जाते हैं एवं गुरुत्व बल के कारण नीचे बैठ जाते हैं (दूसरे शब्दों में, स्कंदन या अवक्षेपण हो जाते हैं)। वैद्युत-अपघट्य की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर ऐसा किया जाता है।

प्रश्न 12.
बहुअणुक एवं वृहदाणुक कोलॉइड में क्या अन्तर है ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए। संगुणित या सहचारी कोलॉइड (Micelle) इन दोनों प्रकार के कोलॉइडों से कैसे भिन्न हैं ?
उत्तर
बहुआण्विक, वृहत् आण्विक एवं संगुणित कोलॉइड में अंतर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 7

प्रश्न 13.
एन्जाइम क्या होते हैं ? एन्जाइम उत्प्रेरण की क्रिया विधि को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर
एन्जाइम, जीवित स्पीशीज में पाये जाने वाले नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक संकुल यौगिक हैं। एन्जाइम, मानव शरीर में होने वाली बहुत-सी बायो रासायनिक अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं जैसे पाचन क्रिया। एन्जाइमों को इसी कारण जैव उत्प्रेरक (Bio-catalyst) भी कहा जाता है।
उदाहरणार्थ –
(i) केन सुगर (शर्करा) का व्युत्क्रमण, इन्वर्टेज के द्वारा उत्प्रेरित होता है।
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ग्लूकोज फ्रक्टोज एन्जाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि (Mechanism of enzyme catalysis)-एन्जाइम की सतह पर अभिलाक्षणिक आकृति युक्त विभिन्न कोटर या रिक्तियाँ उपस्थित होती हैं। अभिकारक के अणु (सब्सट्रेट) जिनकी आकृति इनकी पूरक होती हैं, वे इन रिक्तियों या कोटर में व्यवस्थित हो जाते हैं या फिट हो जाते हैं। यह उसी प्रकार से सम्पन्न होता है जैसे उपयुक्त चाबी, ताले में फिट हो जाती है। इस तरह सक्रिय एन्जाइम पदार्थ (सब्सट्रेट) संकुल बन जाता है जो कि बाद में उत्पाद में विघटित हो जाता है। इसमें निम्न पद होते हैं –

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प्रश्न 14.
कोलॉइडी को निम्न आधार पर कैसे वर्गीकृत किया गया है ?
(i) घटकों की भौतिक अवस्था
(ii) परिक्षिप्त प्रावस्था की प्रकृति
(iii) परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्य क्रिया।
उत्तर
कोलॉइड का वर्गीकरण (Classification of colloid)-कोलॉइड विलयन को निम्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है –

  • परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था के आधार पर ।
  • परिक्षेपण माध्यम की प्रकृति के आधार पर।
  • प्रावस्थाओं की अन्तःक्रिया के आधार पर।

1. परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था के आधार पर वर्गीकरणपरिक्षिप्त प्रावस्था (Dispersed phase) व परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था जो कि क्रमशः ठोस, द्रव या गैस हो सकते हैं, कुल आठ प्रकार के कोलॉइडी तंत्र सम्भव है। इसके उदाहरण तथा विशिष्ट नाम नीचे तालिका में दिया गया है। यहाँ यह ध्यान देने योग्य है, एक गैस को दूसरी गैस में मिलाने पर पूरी तरह से समांग मिश्रण बनता है अतः यह कोलॉइडी तंत्र नहीं हो सकता।
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विभिन्न प्रकार के कोलॉइडी तंत्र में से सॉल जेल व पायस अधिक महत्वपूर्ण हैं।

2. परिक्षेपण माध्यम की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण-इस प्रकार का वर्गीकरण परिक्षेपण माध्यम पर आधारित होता है जिसमें कोलॉइडी कण धंसे रहते हैं। परिक्षेपण माध्यम के आधार पर कोलॉइडी निकायों को कुछ विशिष्ट नाम प्रदान किये जाते हैं।
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3. परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम के बीच अन्तःक्रिया की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण-परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम के बीच की क्रिया की प्रकृति के आधार पर कोलॉइडी विलयनों को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

  • द्रवस्नेही (Lyophilic solutions)
  • garanteit (Lyophobic solutions)

(i) द्रवस्नेही कोलॉइड (Lyophilic colloids) – ये इस प्रकार के कोलॉइडी विलयन होते हैं जिसमें परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों की परिक्षेपण माध्यम से बन्धुता या लगाव रहता है। ये प्रायः कोलॉइडी विलयन स्थायित्व युक्त होते हैं। ये विलयन दोनों प्रावस्थाओं के बीच प्रबल आकर्षण बलों के कारण स्वयं ही स्थायित्व युक्त होते हैं । इस प्रकार के कोलॉइडी विलयन उत्क्रमणीय प्रकृति के होते हैं । वाष्पन करने के पश्चात् प्राप्त ठोस को सरलतापूर्वक परिक्षेपण माध्यम से मिलाने पर पुनः कोलॉइडी विलयन प्राप्त हो जाता है। उदाहरण-गोंद, जिलेटिन, स्टार्च आदि।

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(ii) द्रवविरोधी कोलॉइड (Lyophobic colloids) – इस प्रकार के कोलॉइडी विलयन में परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों की, परिक्षेपण माध्यम के साथ किसी प्रकार की बन्धुता या आकर्षण नहीं होता। इस प्रकार के विलयन कम स्थायी होते हैं तथा आसानी से बनाये भी नहीं जा सकते। इस प्रकार के कोलॉइडी विलयन में अल्प मात्रा में विद्युत्-अपघट्य मिलाने पर या गर्म करने पर आसानी से अवक्षेपण या स्कन्दन हो जाता है। ये अनुत्क्रमणीय प्रकृति के होते हैं। विलयन के वाष्पन के बाद प्राप्त ठोस को पुनः परिक्षेपण माध्यम से मिलाने पर कोलॉइडी विलयन प्राप्त नहीं होता है।
उदाहरण-स्वर्ण, रजत के कोलॉइडी विलयन, Fe(OH)3, As2S3 आदि।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित परिस्थितियों में क्या प्रेक्षण होंगे –
(i) जब प्रकाश किरण पुंज कोलॉइडी सॉल में से गमन करता है?
(ii) जलयोजित फेरिक ऑक्साइड सॉल में NaCl वैद्युत अपघट्य मिलाया जाता है।
(iii) कोलॉइडी सॉल में से विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है ?
उत्तर
(i) जब प्रकाश किरण पुंज कोलॉइडी सॉल में गमन करता है तो प्रकाश का प्रकीर्णन होता है और किरण का पथ प्रदीप्त हो जाता है।
(ii) जब जलयोजित फेरिक ऑक्साइड सॉल में NaCl वैद्युत अपघट्य मिलाया जाता है तो फेरिक हाइड्रॉक्साइड सॉल के कणों पर उपस्थित धनावेश Cl आयनों पर उपस्थित ऋणावेश से उदासीन हो जाता है जिससे स्कंदन हो जाता है।
(iii) जब कोलॉइडी सॉल में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो कोलॉइडी कण विपरीत आवेश युक्त इलेक्ट्रोड की ओर गमन करते हैं । यह परिघटना वैद्युत कण संचलन कहलाती है।

प्रश्न 16.
इमल्सन क्या है ? इनके विभिन्न प्रकार क्या हैं ? प्रत्येक प्रकार का उदाहरण दीजिए।
उत्तर
“ऐसा कोलॉइडी तन्त्र जिसमें परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम दोनों द्रव हों, पायस कहलाता है।”
पायस दो प्रकार के होते हैं –

  • जल में तेल (O/w) – जब किसी परिक्षेपण माध्यम जल में तेल की छोटी-छोटी कोलॉइडी आकार की बूंदें परिक्षिप्त प्रावस्था के रूप में होती हैं तो इस प्रकार के पायस को जल में तेल प्रकार के पायस कहते हैं। उदाहरण—मक्खन, कोल्ड-क्रीम। .
  • तेल में जल (W/O) – जब जल की थोड़ी-सी मात्रा को तेल की अधिक मात्रा में परिक्षिप्त किया जाता है तो इस प्रकार बनने वाला पायस तेल में जल प्रकार का पायस कहलाता है।
    MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 13

प्रश्न 17.
पायसीकर्मक पायस को स्थायित्व कैसे देते हैं ? दो पायसीकर्मकों के नाम लिखिए।
उत्तर
पायसीकर्मक पायस-पायस के स्थायित्व के लिये इसमें पायसीकारक मिलाया जाता है। पायसीकारक माध्यम एवं निलंबित कणों के मध्य एक अंतरापृष्ठीय फिल्म बनाता है।
तेल/जल पायस के लिए प्रोटीन, गोंद पायसीकारक है। तथा जल/तेल पायस के लिए वसीय अम्लों के, भारी धातुओं के लवण प्रमुख पायसीकारक हैं।

प्रश्न 18.
“साबुन की क्रिया पायसीकरण एवं मिसेल बनने के कारण होती है,” इस पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
साबुन की कार्यविधि (Action of Soap)-साबुन की कार्यविधि उसके मिसेल के समान कार्य करने की प्रवृत्ति पर आधारित है । साबुन में मैले कपड़े को साफ करने की क्षमता है सिर्फ जल यह कार्य नहीं कर सकता। हमारे द्वारा पहने गये कपड़ों के मैले हो जाने का कारण यह है कि हमारे शरीर से जो पसीना निकलता है उसके कारण कपड़ा तेलयुक्त हो जाता है। वायुमण्डल से धूल के कण तेल में चिपक जाते हैं और हमारा कपड़ा मैला हो जाता है। कपड़े को साफ करने के लिए उसे पानी में डुबाकर उसमें साबुन लगाते हैं । जलीय विलयन में साबुन के वियोजन से कार्बोक्सिलेट आयन (RCOO) तथा सोडियम आयन (Na+) प्राप्त होते हैं। कार्बोक्सिलेट आयन के ऐल्किल भाग में लम्बी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला रहती है। वह कार्बोक्सिलेट आयन की पूँछ बनाता है जो तेल की बूंद की ओर निर्देशित रहती है। कार्बोक्सिलेट आयन का COO भाग सिर (head) बनाता है जो जल की ओर निर्देशित रहती है। डिटरजेण्ट में So42- भाग सिर बनाता है (चित्र देखिए)

चित्र को देखने से यह स्पष्ट है कि साबुन, तेल का जल में स्थायी पायस बनने में सहायक है। साबुन दोनों के बीच सेतु का कार्य कर रहा है, अत: पायसीकारक है। तेल की बूँद के धूल के कणों सहित कपड़े से निकल जाती है तथा पायस बना लेती है। इस प्रकार कपड़ा धूल के कण से मुक्त हो जाता है।
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प्रश्न 19.
विषमांगी उत्प्रेरण के चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर
विषमांग उत्प्रेरण (Heterogeneous catalysis)-यदि अभिकारक व उत्प्रेरक अलग-अलग प्रावस्था में रहते हैं तो इसे विषमांग उत्प्रेरण कहा जाता है।
उदाहरण
(i) N2व H2 के संयोग से अमोनिया बनने की क्रिया (हैबर विधि) में आयरन ठोस उत्प्रेरक के रूप में होते हैं।
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(ii) H2SO4 निर्माण की सम्पर्क विधि में SO2(g) का ऑक्सीकरण SO3 में Pt उत्प्रेरक की उपस्थिति में होता है।
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(iii) प्लेटिनम उत्प्रेरक की उपस्थिति में अमोनिया का नाइट्रिक ऑक्साइड में ऑक्सीकरण। (नाइट्रिक एसिड बनाने की ओस्टवाल्ड विधि)
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(iv) हाइड्रोजनीकरण अभिक्रिया
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प्रश्न 20.
उत्प्रेरक की सक्रियता एवं वरणक्षमता का क्या अर्थ है ?
उत्तर
सक्रियता (Activity)-उत्प्रेरक की सक्रियता का आशय है, रासायनिक अभिक्रिया की गति बढ़ाने की इसकी क्षमता। कुछ उदाहरणों में अभिक्रिया का वेग लगभग 10 गुना तक बढ़ जाता है। उदाहरणार्थ शुद्ध हाइड्रोजन व शुद्ध ऑक्सीजन का आपस का मिश्रण उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में आपस में कोई अभिक्रिया नहीं करता । उत्प्रेरक के रूप में प्लैटिनम की उपस्थिति में मिश्रण में अभिक्रिया अत्यन्त तेज गति से सम्पन्न होकर जल बनता है।
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रासायनिक अधिशोषण की मात्रा के ऊपर सक्रियता निर्भर करती है। अधिशोषण को निश्चित रूप से मजबूत होना चाहिए परन्तु इतना भी अधिक सामर्थ्य युक्त न हो कि अधिशोषित पदार्थ की गतिशीलता बिल्कुल समाप्त हो जाये या दूसरे अभिकारक के अधिशोषित होने के लिये स्थान ही उपलब्ध न हो।

(ii) वरणक्षमता या चयनात्मकता (Selectivity)-उत्प्रेरक की चयनात्मकता का अर्थ है अभिक्रिया अन्य को छोड़कर किसी उत्पाद विशेष को बनाने हेतु दिशा प्रदान करना। अर्थात कोई उत्प्रेरक किसी विशेष अभिक्रिया को ही उत्प्रेरित करता है सभी को नहीं।
उदाहरणार्थ –
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प्रश्न 21.
जिओलाइटों द्वारा उत्प्रेरण के कुछ लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
जिओलाइट महीन छिद्रयुक्त सिलिकेट्स के त्रिविमीय नेटवर्क वाले सूक्ष्म-रन्ध्री ऐलुमिनोसिलीकेट होते हैं। जिओ-लाइट का सामान्य सूत्र –
Mx/n [(AlO2)x (SiO)2y] mH2O
जहाँ n धातु आयन Mn+ की संयोजकता है । त्रिविमीय संरचना के कारण जिओलाइट अत्यधिक छिद्रयुक्त संरचना का होता है। इसमें कुछ सिलिकन परमाणु ऐलुमिनियम के परमाणुओं द्वारा प्रतिस्थापित होकर Al – 0 – Si ढाँचा बनाते हैं।

जिओलाइट पेट्रो रसायन उद्योग में हाइड्रोकार्बनों के भंजन एवं समावयवन में उत्प्रेरक के रूप में व्यापक रूप से प्रयुक्त किये जा रहे हैं। ZMS-5 पेट्रोलियम उद्योग में प्रयुक्त होने वाला एक महत्वपूर्ण जिओलाइट उत्प्रेरक है। यह ऐल्कोहॉल का निर्जलीकरण करके हाइड्रो-कार्बनों का मिश्रण बनाता है और उन्हें सीधे ही गैसोलीन में परिवर्तित कर देता है।

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प्रश्न 22.
आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण क्या है ?
उत्तर
आकृति वरणात्मक उत्प्रेरक या जिओलाइट (Shape selective catalysts or Zeolites)उत्प्रेरक की क्रिया अति विशिष्ट होती है। यह अति विशिष्ट प्रकृति उत्प्रेरक की रन्ध्र या छिद्र संरचना तथा अभिकारक एवं उत्पाद के अणुओं के आकार पर निर्भर करती है। इस प्रकार के उत्प्रेरकों को आकृति चयन करने वाला उत्प्रेरक कहा जाता है। जैसे-जिओलाइट। .

जिओलाइट उत्प्रेरकों का सर्वाधिक दिलचस्प पहलू इनका आकृति चयनात्मक होना है। उत्प्रेरक की आकृति चयनात्मकता, उत्प्रेरक की कोटर संरचना या छिद्र संरचना पर आधारित होती है। जिओलाइट में कोटर का आकार सामान्यतया 260 pm से 740 pm के मध्य होता है। अभिकारक व उत्पाद में अणुओं के आकार के आधार तथा जिओलाइट के पिंजड़ों (Cage) या कोटर के आकार पर रासायनिक क्रिया विशिष्ट ढंग से सम्पन्न होती है। यह इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी विशेष आकार व आकृति के अणु ही इन कोटरों में घुसकर अधिशोषित हो पाते हैं। यदि अणु इनके आकार से बड़े होते हैं तो ये छिद्रों में नहीं घुस पाते और यदि ये आकार में छोटे होते हैं तो ये उत्प्रेरक के छेद में से निकल जाते हैं। अभिक्रिया जल के अणुओं के निष्कासन तथा बहुलीकरण के द्वारा आगे बढ़ती है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 21
प्रश्न 23.
निम्न पदों (शब्दों) को समझाइए-
(i) वैद्युत कण संचलन
(ii) स्कंदन
(iii) अपोहन
(iv) टिण्डल प्रभाव।
उत्तर
(i) विद्युत् कण संचलन (Electrophoresis)—कोलॉइड कणों पर धन अथवा ऋण विद्युत् आवेश रहता है। अतः जब कोलॉइड विद्युत्-क्षेत्र में रखा जाता है तो ये कण विपरीत आवेश वाले इलेक्ट्रोड की ओर चलने लगते हैं और उन पर पहुँचकर उदासीन होकर अवक्षेपित हो जाते हैं । जैसे-As2S3 के कण जो ऋण आवेशयुक्त होते हैं, ऐनोड की ओर चलकर वहाँ अवक्षेपित हो जाते हैं । कोलॉइड कणों का विद्युत्-प्रभाव से इस प्रकार का अभिगमन विद्युत् कण संचलन कहलाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 22

(ii) स्कन्दन (Coagulation)—कोलॉइड कण धनात्मक या ऋणात्मक विद्युत् आवेश युक्त होते हैं। यह देखा गया है कि कोलॉइड में उन पर आवेश से विरुद्ध आवेश वाले विद्युत्-अपघट्य उचित मात्रा में मिला दें तो उनका आवेश नष्ट हो जाता है और वे आपस में इकट्ठा होकर अवक्षेप बना देते हैं। कोलॉइडी कणों का विद्युत्-अपघट्यों द्वारा अवक्षेपित हो जाना स्कन्दन कहलाता है।

(iii) अपोहन (Dialysis)—कोलॉइडी विलयन से उसमें उपस्थित घुले हुए पदार्थों (क्रिस्टलाभों) को पार्चमेंट झिल्ली द्वारा निष्कासित करने की विधि अपोहन कहलाती है।

कोलॉइडी विलयन को पार्चमेण्ट पेपर से बने थैले में भरकर आसुत जल में लटका देते हैं। क्रिस्टलीय पदार्थ के कण थैले से बाहर निकलकर जल में वितरित हो जाते हैं, इस क्रिया को अपोहन कहते हैं।

(iv) टिण्डल प्रभाव (Tyndall Effect)—“यदि प्रकाश पुंज को कोलॉइडी विलयन में से गुजारा जाये तो प्रकाश मार्ग . एक चमकते हुए शंकु के रूप में दिखायी देता है। इसका अध्ययन सबसे पहले टिण्डल ने किया था अतः इसे टिण्डल प्रभाव व
कोलॉइडी चमकीले शंकु को टिण्डल शंकु कहते हैं।” टिण्डल ने यह बताया कि कोलॉइडी कण प्रकाश को बिखेर देते हैं जिसके
चित्र-टिण्डल प्रभाव कारण ये चमकने लगते हैं। प्रकाश का यह प्रकीर्णन साधारण प्रकीर्णन से भिन्न होता है। वास्तविक विलयन के कण अति सूक्ष्म आकार के कारण प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं करते हैं जिससे उनमें प्रकाश का मार्ग अदृश्य रहता है। कोलॉइडी कण प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करके स्वयं दीप्त हो जाते हैं और फिर अवशोषित प्रकाश छोटी तरंगदैर्घ्य की किरणों के रूप में प्रकीर्णित होने लगता है। चूंकि अधिकतम प्रकीर्णन प्रकाश के मार्ग के लम्बवत् होता है इसलिए प्रकाश के मार्ग को समकोण पर देखने पर एक चमकीला शंकु दिखायी देता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 23

प्रश्न 24.
इमल्सनों (पायस) के चार उपयोग लिखिए।
उत्तर
पायसों के अनुप्रयोग –

  • साबुन तथा अपमार्जकों की क्रियाविधि पायसीकरण पर आधारित है।
  • औषधि के रूप में कॉड लिवर ऑयल, हैली बुट यकृत तेल आदि के रूप में पायस का उपयोग किया जाता है।
  • संक्रमणहारी (Disinfectants) जैसे—फिनाइल, डेटॉल और लाइसॉल जल में मिलाने पर जल में तेल के समान पायस बनाते हैं।
  • धातु अयस्क के सान्द्रण की झाग उत्प्लावन विधि भी पायसीकरण के सिद्धान्त पर आधारित है।
  • वसा का आँतों द्वारा पाचन पायसीकरण के कारण सरलता से होता है।

प्रश्न 25.
मिसेल क्या है ? मिसेल निकाय का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
बहुआण्विक, वृहत् आण्विक एवं संगुणित कोलॉइड में अंतर –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 24

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प्रश्न 26.
निम्न पदों को उचित उदाहरण सहित समझाइए –
(i) एल्कोसॉल
(ii) एरोसॉल
(iii) हाइड्रोसॉल।।
उत्तर
(i) एल्कोसॉल-एल्कोसॉल वह कोलॉइडी सॉल होता है जिसमें परिक्षेपण माध्यम ऐल्कोहॉल होता है। जैसे-बहुलक सॉल। .
(ii) ऐरोसॉल-कोलॉइडी का वह प्रक्रम जिसमें परिक्षेपण माध्यम वायु होती है। जैसे-धुआँ, धूल, कोहरा आदि।
(iii) हाइड्रोसॉल-वह कोलॉइडी प्रक्रम जिसमें परिक्षेपण माध्यम जल होता है। जैसे-स्टॉर्च, साबुन झाग आदि।

प्रश्न 27.
“कोलॉइड एक पदार्थ नहीं पदार्थ की एक अवस्था है। इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर
दिया गया कथन यह है कि कोलॉइड एक पदार्थ नहीं पदार्थ की अवस्था है सत्य कथन है। क्योंकि कोई पदार्थ कुछ शर्तों पर कोलॉइड अवस्था ग्रहण करता है जबकि अन्य शर्तों पर वह क्रिस्टल के रूप में हो सकता है।
उदाहरण-जल में NaCl क्रिस्टलन की भाँति कार्य करता है और एक वास्तविक विलयन बनाता है, जबकि बेंजीन में कोलॉइड की भाँति व्यवहार करता है। इसी प्रकार साबुन कम सान्द्रता पर क्रिस्टल की भाँति व्यवहार करता है तथा उच्च सान्द्रता पर कोलॉइड की भाँति । अत: यह पदार्थ के आकार पर निर्भर करता है। यदि अवयव का आकार 1 nm से 100 nm के मध्य है तो यह कोलॉइडी अवस्था है। दूसरी ओर यदि अवयव का आकार 100 nm से अधिक है तो अवक्षेप के रूप में और यदि 1 nm से कम हो तब यह वास्तविक विलयन के रूप में व्यवहार करता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कोलॉइडी अवस्था वास्तविक विलयन और अवक्षेप के मध्य की अवस्था है।

पृष्ठ रसायन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

पृष्ठ रसायन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
सक्रिय चारकोल में ऐसीटिक अम्ल की अधिशोषण प्रक्रिया में ऐसीटिक अम्ल है –
(a) ऐडजॉर्बर (अवशोषक)
(b) ऐबजॉर्बर (अवशोष्य)
(c) ऐडजॉर्बेट (अधिशोषक)
(d) ऐडजॉर्बेट (अधिशोष्य)।
उत्तर
(d) ऐडजॉर्बेट (अधिशोष्य)।

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प्रश्न 2.
द्रवविरोधी सॉल के स्थायित्व का कारण होता है –
(a) ब्राउनी गति
(b) टिण्डल प्रभाव
(c) विद्युत् आवेश
(d) ब्राउनी गति तथा विद्युत् आवेश।
उत्तर
(d) ब्राउनी गति तथा विद्युत् आवेश।

प्रश्न 3.
As2S3 कोलॉइडी विलयन को स्कंदित करने में निम्नलिखित में किसका स्कन्दन मान न्यूनतम
होगा
(a) NaCl
(b) KCI
(c) BaCl2
(d) AICI3
उत्तर
(d) AICI3

प्रश्न 4.
अधिशोषण क्रिया है –
(a) ऊष्माशोषी
(b) ऊष्माक्षेपी
(c) ऊष्मा का परिवर्तन नहीं होता
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(b) ऊष्माक्षेपी

प्रश्न 5.
कोलॉइडी कणों का आकार होता है –
(a) 10-7 – 10-9सेमी के मध्य
(b) 10-7 – 10-11 सेमी के मध्य
(c) 10-5 – 10-7 सेमी के मध्य
(d) 10-2 – 10-3 सेमी के मध्य ।
उत्तर
(c) 10-5 – 10-7 सेमी के मध्य

प्रश्न 6.
निम्न में से किसका प्रयोग द्रवस्नेही कोलॉइड बनाने में नहीं होता है –
(a) स्टार्च
(b) गोन्द
(c) जिलेटिन
(d) धातु सल्फाइड।
उत्तर
(d) धातु सल्फाइड।

प्रश्न 7.
रक्षी कोलॉइड की तरह कार्य करने वाला सॉल है –
(a) AS2S3
(b) जिलेटिन
(c)Au
(d) Fe (OH)3.
उत्तर
(b) जिलेटिन

प्रश्न 8.
कोहरा (Fog) एक कोलॉइडी तंत्र का उदाहरण है –
(a) गैस में परिक्षिप्त द्रव
(b) गैस में गैस का परिक्षेपण
(c) ठोस का गैस में परिक्षेपण
(d) ठोस का द्रव में परिक्षेपण।
उत्तर
(a) गैस में परिक्षिप्त द्रव

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प्रश्न 9.
जिलेटिन का उपयोग बहुधा आइसक्रीम बनाने में होता है क्योंकि यह
(a) कोलॉइडी विलयन बनने से रोकता है
(b) खुशबू बढ़ाता है
(c) क्रिस्टलन होने से रोकता है एवं मिश्रण को स्थायित्व प्रदान करता है
(d) स्वाद बढ़ाता है।
उत्तर
(c) क्रिस्टलन होने से रोकता है एवं मिश्रण को स्थायित्व प्रदान करता है

प्रश्न 10.
अभिक्रिया
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 25
(a) स्व-उत्प्रेरक
(b) विष
(c) ऋणात्मक उत्प्रेरक
(d) धन उत्प्रेरक। .
उत्तर
(b) विष

प्रश्न 11.
कोलॉइडी कणों का अभिगमन विद्युत् क्षेत्र के प्रभाव द्वारा होने का नाम है –
(a) धन-कण संचलन
(b) अपोहन
(c) वैद्युत-कण संचलन
(d) विद्युत् परिक्षेपण।
उत्तर
(c) वैद्युत-कण संचलन

प्रश्न 12.
हार्डी-शूल्जे नियम सम्बन्धित है
(a) विलयन से
(b) स्कन्दन से
(c) ठोसों से
(d) गैसों से।
उत्तर
(b) स्कन्दन से

प्रश्न 13.
कोलॉइडी विलयन में कितनी अवस्थाएँ पायी जाती हैं –
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4.
उत्तर
(b) 2

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प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से पायस है –
(a) मक्खन
(b) वायु
(c) लकड़ी
(d) दूध।
उत्तर
(d) दूध।

प्रश्न 15.
मक्खन एक है –
(a) जेल
(b) पायस
(c) सॉल
(d) कोलॉइड।
उत्तर
(a) जेल

प्रश्न 16.
ब्राउनी गति का कारण है –
(a) कोलॉइडी कणों तथा विकिरण माध्यम के अणुओं के बीच आकर्षण बल
(b) संवहन धाराएँ
(c) परिक्षेपण माध्यम के अणुओं का कोलॉइडी कणों पर प्रहार
(d) द्रव अवस्था में ऊष्मा परिवर्तन।
उत्तर
(c) परिक्षेपण माध्यम के अणुओं का कोलॉइडी कणों पर प्रहार

प्रश्न 17.
रक्षी कोलॉइड की तरह कार्य करने वाला सॉल है –
(a) जिलेटिन
(b) Au
(c) Fe(OH)2
(d) As2S3.
उत्तर
(a) जिलेटिन

प्रश्न 18.
निम्नलिखित में से कौन-सा भौतिक अधिशोषण के लिए गलत कथन है
(a) यह एक उत्क्रमणीय प्रक्रम है
(b) इसे कम अधिशोषण की ऊष्मा की आवश्यकता होती है
(c) इसे सक्रियण ऊर्जा की आवश्यकता होती है
(d) यह कम ताप पर होता है।
उत्तर
(c) इसे सक्रियण ऊर्जा की आवश्यकता होती है

प्रश्न 19.
निम्न में से किसमें टिण्डल प्रभाव नहीं है
(a) निलम्बन
(b) पायस
(c) शर्करा विलयन
(d) स्वर्ण सॉल।
उत्तर
(c) शर्करा विलयन

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. भौतिक अधिशोषण की दर ताप बढ़ाने के साथ ………….. है।
  2. As2S3के सॉल के कणों में …………… होता है।
  3. सम्पर्क विधि द्वारा H2SO4 के निर्माण में ………….. Pt उत्प्रेरक के लिए ………..का कार्य करता है।
  4. KMnO4 द्वारा ऑक्जेलिक अम्ल का ऑक्सीकरण …………….का उदाहरण है।
  5. जैविक उत्प्रेरक आवश्यक रूप से …………….. होता है।
  6. वैद्युत क्षेत्र के प्रभाव में कोलॉइडी कणों की गति ……………. कहलाती है।
  7. कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन …………… प्रभाव कहलाता है।
  8. माध्यमिक यौगिक सिद्धान्त ……………. उत्प्रेरकों के लिए लागू होता है।
  9. जिस पदार्थ की सतह पर अधिशोषण होता है, उसे … ……… कहते हैं।
  10. दूध एक ……………. का उदाहरण है।
  11. रक्त एक …………… आवेशित सॉल है।
  12. अधिशोषण एक ………….. प्रक्रिया है।
  13. द्रव का ठोस में कोलॉइडी विलयन …………….. कहलाता है।
  14. उत्प्रेरक वर्धक पदार्थ ………………… है।
  15. विद्युत्-अपघट्य मिलाने से कोलॉइडी कणों का अवक्षेपण … कहलाता है।
  16. हार्डी-शुल्जे नियम के अनुसार, आयनों की स्कन्दन क्षमता आयनों की ……………….. पर निर्भर करती है।

उत्तर

  1. घटती
  2. ऋणावेश
  3. As2O3
  4. विष,
  5. स्व-उत्प्रेरण,
  6. ‘एन्जाइम,
  7. धन-कण संचलन,
  8. टिण्डल प्रभाव,
  9. समांगी,
  10. अधिशोषक,
  11. पायस,
  12. ऋणात्मक,
  13. ऊष्माक्षेपी,
  14. जेल,
  15. मॉलिब्डेनम,
  16. स्कंदन,
  17. आवेश संख्या।

3. उचित संबंध जोड़िए –
I.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 26
उत्तर
1. (1), 2. (d), 3. (a), 4. (c), 5. (g), 6. (e), 7. (b).

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II.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 27
उत्तर
1. (d), 2. (a), 3. (b), 4. (e), 5. (c), 6. (1), 7. (g).

4. एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. क्या होता है, जब गोल्ड के कोलॉइडी विलयन में जिलेटिन मिलाया जाता है ?
  2. वे पदार्थ जो उत्प्रेरक के उत्प्रेरण शक्ति को बढ़ा देते हैं लेकिन स्वयं उत्प्रेरक का कार्य नहीं करते वे – कहलाते हैं।
  3. किसी पायस का अपने अवयवी द्रवों में विघटित हो जाना कहलाता है।
  4. तेलों के हाइड्रोजनीकरण में प्रयुक्त किये जाने वाले उत्प्रेरक का नाम लिखिए।
  5. H2O2 के अपघटन में फॉस्फोरिक अम्ल किस प्रकार के उत्प्रेरक का कार्य करता है ?
  6. ग्लूकोज को ऐल्कोहॉल में बदलने के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले उत्प्रेरक का नाम लिखिए।
  7. Na+, Ba2+, Al3+, Sn4+ आयनों में से किसकी स्कंदन शक्ति सर्वाधिक होगी?
  8. Cl2 गैस मास्क का उपयोग किस सिद्धांत पर आधारित है ?
  9. किसी अवक्षेप को कोलॉइडी कणों में बदलना क्या कहलाता है ?
  10. साबुन की प्रक्षालन क्रिया किस सिद्धांत पर आधारित है ?
  11. उत्प्रेरण शब्द का प्रथम बार प्रयोग किसने किया था ?
  12. कोलॉइडी कणों का आकार लिखिए।
  13. KMnO4 द्वारा ऑक्जेलिक अम्ल के ऑक्सीकरण में प्रयुक्त उत्प्रेरक की प्रकृति लिखिए।
  14. उत्प्रेरक विष का एक उदाहरण दीजिए।
  15. कोलॉइडी कणों की गति को क्या कहते हैं ?
  16. शर्करा का जल-अपघटन करने के लिए कौन-से उत्प्रेरक का प्रयोग किया जाता है ?

उत्तर

  1. रक्षण
  2. उत्प्रेरक वर्धक
  3. विपायसीकरण
  4. निकिल
  5. ऋणात्मक
  6. जाइमेस
  7. Sn4+
  8. अधिशोषण
  9. पेप्टीकरण
  10. पायसीकरण
  11. वर्जीलिथिम
  12. 10-5 सेमी से 10-7 सेमी, “
  13. स्व-उत्प्रेरक,
  14. H2SO4 बनाने की संपर्क विधि में Al2O3,
  15. ब्राउनी गति,
  16. इन्वर्टेज ।

पृष्ठ रसायन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-सी अक्रिय गैस चारकोल की सतह पर
(i) सबसे कम मात्रा में
(ii) सबसे ज्यादा मात्रा में अधिशोषित होगी और क्यों ?
उत्तर
(i) हीलियम अपने कम आण्विक द्रव्यमान एवं अणुओं के बीच न्यूनतम वाण्डर वॉल्स बल के कारण चारकोल की सतह पर सबसे कम मात्रा में अधिशोषित होगी।
(ii) जीनॉन अपने उच्च आण्विक द्रव्यमान एवं अणुओं के बीच अधिकतम वाण्डर वॉल्स बल के कारण चारकोल की सतह पर सबसे ज्यादा अधिशोषित होगी।

प्रश्न 2.
आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर
वायुमण्डल में उपस्थित धूल के कण एक कोलॉइडी विलयन का निर्माण करते हैं । इन धूल के कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन (टिण्डल प्रभाव) के कारण आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।

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प्रश्न 3.
ऑक्जेलिक अम्ल में KMnO4 मिलाने से उसका रंग पहले धीरे-धीरे विलुप्त होता है किन्तु बाद में तेजी से गायब होने लगता है, क्यों?
उत्तर
ऑक्जेलिक अम्ल में KMnO4 मिलाने पर ऑक्जेलिक अम्ल का ऑक्सीकरण होता है। इस अभिक्रिया में बनने वाला Mn2+ आयन स्व-उत्प्रेरक का कार्य करता है जिससे अभिक्रिया तेजी से होने लगती है और KMnO4 का रंग तेजी से विलुप्त होने लगता है।
2MnO4 +5C2O4 + 16H+ → 2Mn+2 + 10CO2 + 8H2O

प्रश्न 4.
कोलॉइडी विलयन के बारे में लिखिए।
उत्तर
कोलॉइडी विलयन के कणों का आकार वास्तविक विलयन से बड़ा तथा निलंबन से छोटा होता है। यह एक विषमांग मिश्रण है जिसमें परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों का आकार 10-5 से 10-7 cm के बीच एवं परिक्षेपण माध्यम के कणों का आकार लगभग 10-7cm होता है। उदाहरण-कोहरा, रक्त, धुंआ।

प्रश्न 5.
अधिशोषक किसे कहते हैं ? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
अधिशोषक-अधिशोषक ठोस जो गैस, वाष्प या किसी विलयन में विलेय को अधिशोषित करते हैं, अधिशोषक कहलाते हैं।
उदाहरण-जन्तु चारकोल, सिलिका इत्यादि।

प्रश्न 6.
अधिशोष्य क्या है ?
उत्तर
गैस या वाष्प या विलेय के अणु जो ठोस की सतह पर अधिशोषित होते हैं, अधिशोष्य कहलाते हैं।

प्रश्न 7.
नदियों के समुद्र में मिलने से डेल्टा बनता है। समझाइए।।
उत्तर
नदियों के जल में मिट्टी के ऋण आवेशित कण होते हैं, जो समुद्र के जल में उपस्थित Na+ , K+ या Mg+2 आयनों से स्कन्दित हो जाते हैं, जिससे डेल्टा का निर्माण होता है।

प्रश्न 8.
बादलों पर सिल्वर आयोडाइड का स्प्रे करने पर वर्षा का होना कैसे संभव है ?
उत्तर
बादलों की प्रकृति कोलॉइडी होने के कारण इन पर आवेश होता है। सिल्वर आयोडाइड एक वैद्युत-अपघट्य है बादलों पर इसका स्प्रे करने के परिणामस्वरूप स्कंदन होता है, जिससे वर्षा होती है।

प्रश्न 9.
किसी गैस का अधिशोषण क्रान्तिक ताप से किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर
किसी गैस के लिये क्रान्तिक ताप उच्च होने पर उसका द्रवीकरण उतना ही आसान होता है एवं उसके अणुओं के बीच में उच्च वाण्डर वॉल्स आकर्षण बल लगता है। फलस्वरूप ऐसी गैसों का अधिशोषण उच्च मात्रा में होता है।

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प्रश्न 10.
क्या होता है, जब ताजे अवक्षेपित Fe(OH)3 को थोड़े से तनु FeCl3 विलयन के साथ हिलाया जाता है ?
उत्तर
ताजे अवक्षेपित Fe(OH)3 को तनु FeCl3 विलयन के साथ हिलाने पर Fe(OH)3 लाल-भूरे रंग के कोलॉइडी विलयन में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रम को पेप्टीकरण कहते हैं। इसमें FeCl3 विलयन से प्राप्त Fe+3 आयन Fe(OH)3 अवक्षेप के कणों पर अधिशोषित होकर धनावेशित कोलॉइडी विलयन बनाते हैं।

पृष्ठ रसायन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कोलॉइडी विलयन किसे कहते हैं ? डायलिसिस क्या है ? इसका सामान्य सिद्धान्त क्या है?
उत्तर
वे विलयन जिनमें विलेय के कणों का व्यास 10-4 सेमी से 10-7 सेमी होता है तथा विलायक के कणों का व्यास 10-7 सेमी से 10-8 सेमी होता है, कोलॉइडी विलयन कहलाते हैं। इस प्रकार के विलयन आँख से देखने पर समांग दिखाई देते हैं जबकि सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर समांग नहीं दिखायी देते हैं।

प्रश्न 2.
सॉल, जेल और पायस को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
सॉल (Sol)—जब कोई ठोस पदार्थ किसी द्रव में परिक्षिप्त (disperse) होकर कोलॉइडी विलयन बनाता है तो वह सॉल कहलाता है। जैसे—फेरिक हाइड्रॉक्साइड, गोल्ड आदि के जल में बने कोलॉइडी विलयन।
जेल (Gel)—जब कोई द्रव किसी ठोस में परिक्षेपित होकर कोलॉइडी विलयन बनाता है तब इसे जेल कहते हैं। उदाहरणार्थ-जेली, पनीर, मक्खन आदि।
पायस (Emulsion)—जब एक द्रव दूसरे अमिश्रणीय द्रव में परिक्षेपित कोलॉइडी विलयन बनाता है तब इसे पायस कहते हैं। जैसे—क्रीम, दूध आदि।

प्रश्न 3.
समांगी तथा विषमांगी उत्प्रेरण को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
समांगी उत्प्रेरण–वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें क्रियाकारक पदार्थ और उत्प्रेरक एक ही प्रावस्था में हों, समांगी उत्प्रेरण अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 28
विषमांगी उत्प्रेरण—जब क्रियाकारक पदार्थ और उत्प्रेरक की प्रावस्थाएँ अलग-अलग हों, तो ऐसे उत्प्रेरण विषमांगी उत्प्रेरण कहलाते हैं।
अमोनिया निर्माण की हैबर विधि में,
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 29

प्रश्न 4.
स्वर्ण संख्या किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
स्वर्ण संख्या-जिगमोण्डी ने आपेक्षिक रक्षण शक्ति ज्ञात करने के लिए एक संख्या निर्धारित की जो स्वर्ण संख्या (Gold Number) कहलाती है। इसके अनुसार
“यह मिलीग्रामों में रक्षी कोलॉइडों की वह मात्रा है, जो दिये हुए स्वर्ण कोलॉइडी विलयन में 10 मिलीलीटर में उपस्थित होने पर उसका एक मिलीलीटर 10% NaCl विलयन द्वारा स्कन्दन होने से रोकती है।” स्वर्ण संख्या अधिक होने पर रक्षण शक्ति कम होती है।
जिलेटिन की रक्षण शक्ति सर्वाधिक एवं डेक्सट्रीन की रक्षण शक्ति सबसे कम होती है।

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प्रश्न 5.
पायसीकरण में पायसीकारक का क्या महत्त्व है ? ।
उत्तर
पायस बनाने की क्रिया पायसीकरण कहलाती है। उपयुक्त द्रवों को मिलाकर तेजी से हिलाने पर पायस बनते हैं परन्तु इस प्रकार से बना हुआ पायस स्थायी नहीं होता। पायस को स्थायी बनाने के लिए एक तीसरे पदार्थ को,मिलाना अनिवार्य है जिसे पायसीकारक कहते हैं। साबुन, गोंद, स्टार्च आदि पायसीकारक का कार्य करते हैं। पायसीकारक की अनुपस्थिति में द्रव की परिक्षिप्त बूंदें आपस में मिल जाने से पायस नष्ट हो जाता है।

प्रश्न 6.
अधिशोषण क्या है ? इसके दो उदाहरण तथा इसकी क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर
जब गैस या द्रव के अणु किसी वृहत क्षेत्रफल वाले ठोस के सम्पर्क में आते हैं तो कभी-कभी गैस या द्रव के अणुओं की ठोस की सतह पर सान्द्रता बढ़ जाती है। इस घटना को अधिशोषण कहते हैं।
अधिशोषण के उदाहरण – (i) चीनी उद्योग में जन्तु चारकोल रंगीन पदार्थों का अधिशोषण कर लेता है।
(ii) परम्यूटिट विधि में Ca2+,Mg2+ आयन अधिशोषित हो जाते हैं तथा Na+ आयन मुक्त हो जाते हैं जिससे जल की कठोरता दूर हो जाती है।
अधिशोषण की क्रियाविधि – ठोस के पृष्ठ पर उपस्थित परमाणुओं या अणुओं में मुक्त संयोजकताएँ रहती हैं। ये मुक्त संयोजकताएँ अधिशोष्य अणुओं को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

प्रश्न 7.
विद्युत्-अपोहन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
विद्युत्-अपोहन (Electro-dialysis) यदि कोलॉइडी विलयन में वैद्युत-अपघटन की अशुद्धियाँ होती हैं तो अपोहन की दर बढ़ाने के लिए द्रोणिका में दो विपरीत आवेश के इलेक्ट्रोड लगाये जाते हैं। आयनिक अशुद्धियाँ विपरीत आवेश के इलेक्ट्रोड की ओर तेजी से गति करती हैं। इस विधि को विद्युत्-अपोहन (Electro-dialysis) कहते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 30

प्रश्न 8.
रक्षी कोलॉइड किसे कहते हैं ?
उत्तर
रक्षी कोलॉइड-द्रव-विरोधी कोलॉइडी विलयन में थोड़ा-सा विद्युत्-अपघट्य मिलाने पर उसका स्कन्दन शीघ्र ही हो जाता है, परन्तु यदि विद्युत्-अपघट्य मिलाने से पहले द्रव विरोधी कोलॉइडों में कोई जल-स्नेही कोलॉइड जैसे—जिलेटिन, अगर-अगर, ऐल्ब्यूमिन आदि की थोड़ी-सी मात्रा मिला दी जाय तो विद्युत्-अपघट्य का प्रभाव बहुत कम हो जाता है और स्कन्दन बहुत धीमा हो जाता है या बिल्कुल नहीं होता। इस घटना को कोलॉइडी रक्षण कहते हैं तथा रक्षण के लिए मिलाये गये जल-स्नेही कोलॉइड को रक्षी कोलॉइड (Protective colloid) कहते हैं।
उदाहरण—किसी सोडियम सॉल में थोड़ा जिलेटिन मिला देने पर सोडियम क्लोराइड विलयन द्वारा उसका स्कन्दन नहीं होता।

प्रश्न 9.
फेरिक हाइड्रॉक्साइड एवं सल्फर की जल में कोलॉइडी विलयन बनाने की विधि दीजिए।
उत्तर
फेरिक हाइड्रॉक्साइड का सॉल बनाने के लिए FeCl3 विलयन को उबलते जल में बूंद-बूंद करके हिलाते हुए डालते हैं। FeCI3 की अतिरिक्त मात्रा व HCl को विद्युत्-अपोहन द्वारा पृथक् कर देते हैं जिससे विलयन स्थायी रह सके।
FeCl3 +3H2O → Fe(OH)3 +3HCl
नाइट्रिक अम्ल (ऑक्सीकारक) के विलयन में H,S गैस प्रवाहित करने पर सल्फर कोलॉइडी विलयन बनता है।
2HNO3 +H2S → S+2H2O+2NO2

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प्रश्न 10.
भौतिक अधिशोषण और रासायनिक अधिशोषण को समझाइए।
उत्तर:
यदि अधिशोष्य, अधिशोषक की सतह पर अत्यन्त दुर्बल वाण्डरवाल्स आकर्षण बल द्वारा बँधा रहता है तो उस अधिशोषण प्रक्रम को भौतिक अधिशोषण (Physical Adsorption or Physisorption) कहते हैं । यदि अधिशोष्य को बाँधे रहने वाले बल रासायनिक बन्ध में कार्य करने वाले बल के समान ही प्रबल हों तो इस प्रकार के अधिशोषण को रासायनिक अधिशोषण (Chemical Adsorption or Chemisorption) कहते हैं। रासायनिक अधिशोषण में अधिशोष्य के अणु अधिशोषक के पृष्ठ-तल पर रासायनिक बन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। अधिशोषण प्रक्रम में सामान्यतः ऊर्जा मुक्त होती है अतः यह एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है।

प्रश्न 11.
अधिशोषण की एन्थैल्पी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
अधिशोषण की एन्थैल्पी (Enthalpy of Adsorption) या अधिशोषण ऊष्मा (Heat of Adsorption)— “अधिशोषण प्रक्रम में एक मोल अधिशोष्य के अधिशोषक सतह पर अधिशोषण होने पर होने वाला एन्थैल्पी परिवर्तन अधिशोषण की एन्थैल्पी या अधिशोषण ऊष्मा कहलाता है।”

रासायनिक अधिशोषण की अधिशोषण ऊष्मा का मान भौतिक अधिशोषण की अधिशोषण ऊष्मा के मान से अधिक होता है। रासायनिक अधिशोषणों के लिए अधिशोषण ऊष्मा का मान लगभग 400 kJ per mol तथा भौतिक अधिशोषणों के लिए अधिशोषण ऊष्मा का मान लगभग 40 kJ per mol होता है।

प्रश्न 12.
उत्प्रेरण क्या है ? प्रेरित उत्प्रेरण के एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
वह पदार्थ जो अपनी उपस्थिति मात्र से किसी रासायनिक क्रिया के वेग को घटा या बढ़ा देता है और स्वयं क्रिया के अन्त में भार व रासायनिक संघटन की दृष्टि से अपरिवर्तित रहता है, उत्प्रेरक कहलाता है तथा इस प्रकार की क्रिया उत्प्रेरण (Catalysis) कहलाती है।
उदाहरण – H2O2 अपघटित होकर सरलता से H2O व O2 देता है किन्तु फॉस्फोरिक अम्ल की उपस्थिति में अपघटन की क्रिया मन्द हो जाती है। यह वेग को घटाता है।

प्रेरित या उपपादित उत्प्रेरण (Induced catalysis)-जब कोई एक रासायनिक अभिक्रिया दूसरी रासायनिक अभिक्रिया के लिए उत्प्रेरक का कार्य करती है तो पहली अभिक्रिया प्रेरित उत्प्रेरक कहलाती है। इस घटना को प्रेरित उत्प्रेरण कहते हैं।
उदाहरण-सोडियम सल्फाइट वायु में रखने से ऑक्सीकृत हो जाता है परन्तु सोडियम आर्सेनाइट वायु में ऑक्सीकृत नहीं होता। सोडियम सल्फाइट और सोडियम आर्सेनाइट को मिलाकर हवा में रखने पर दोनों का ऑक्सीकरण हो जाता है।

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प्रश्न 13.
धनात्मक एवं ऋणात्मक उत्प्रेरण को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
धनात्मक उत्प्रेरण—जब उत्प्रेरक रासायनिक क्रिया के वेग को बढ़ाता है, तो उसे धनात्मक उत्प्रेरक तथा इस प्रक्रम को धनात्मक उत्प्रेरण कहते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 31
यहाँ आयरन चूर्ण एक धनात्मक उत्प्रेरक का कार्य करता है।
ऋणात्मक उत्प्रेरण—जब कोई उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रिया की गति को कम कर देता है, तो उसे ऋणात्मक उत्प्रेरक तथा इस प्रक्रम को ऋणात्मक उत्प्रेरण कहते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 32
फॉस्फोरिक अम्ल यहाँ ऋणात्मक उत्प्रेरक का कार्य करता है।

प्रश्न 14.
पेप्टीकरण की क्रिया को सचित्र समझाइए।
उत्तर
पेप्टीकरण (Peptisation)-इस विधि में जिस पदार्थ का कोलॉइडी विलयन बनाना है उसका ताजा अवक्षेप लेते हैं। इस अवक्षेप में एक अन्य उपयुक्त अभिकर्मक मिलाते हैं जो पेप्टीकारक कहलाता है। यह पेप्टीकारक बहुधा समान आयन (common ion) वाले विद्युत्-अपघट्य का तनु विलयन होता है। पेप्टीकरण स्कन्दन । का विपरीत है। उदाहरण—ऐल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड के कोलॉइडी कण के ताजे अवक्षेप को कुछ तनु HCl मिले जल के साथ उबालने से AI(OH)3 का कोलॉइडी विलयन प्राप्त होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 33
जब किसी ताजे अवक्षेपित पदार्थ में विद्युत्-अपघट्य मिलाते हैं तो अवक्षेप के कण विद्युत्-अपघट्य के किसी एक आयन को वर्णात्मक अधिशोषण (preferential adsorption) करके स्थिर विद्युतीय प्रतिकर्षण (electrostatic repulsion) के कारण कोलॉइडी अवस्था में चले जाते हैं । इसे फेरिक हाइड्रॉक्साइड के अवक्षेप में विद्युत्-अपघट्य फेरिक क्लोराइड मिलाने पर प्राप्त फेरिक हाइड्रॉक्साइड सॉल के द्वारा समझा सकते हैं।

प्रश्न 15.
कोलॉइडी कणों पर विद्युतीय आवेश की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
उत्तर
कोलॉइडी कणों पर विद्युत्-आवेश होता है। किसी कोलॉइडी विलयन में उपस्थित सभी कोलॉइडी कणों पर समान आवेश होता है। प्रतिकर्षण के कारण समान आवेश कणों को परिक्षिप्त प्रावस्था में रखता है। कोलॉइडी कणों पर विद्युतीय आवेश की उत्पत्ति निम्नलिखित कारणों से होती है –

  • घर्षण द्वारा आवेश की उत्पत्ति—परिक्षेपण माध्यम और परिक्षिप्त प्रावस्था में परस्पर घर्षण के कारण कणों पर आवेश की उत्पत्ति होती है।
  • सतह के समूहों के आयनीकरण द्वारा–कोलॉइडी कणों पर आवेश पृष्ठ पर उपस्थित समूहों के आयनीकरण से उत्पन्न होता है, ये समूह या तो कोलॉइडी पदार्थों के कण हो सकते हैं अथवा स्कंदन रोकने हेतु मिलाया गया कोई विद्युत्-अपघट्य हो सकता है।
  • वैद्युत् द्विपरत सिद्धान्त (Electric Double Layer Theory)—इस धारणा के अनुसार कोलॉइडी कणों पर आवेश की द्वि-स्तर परत होती है। एक परत अधिशोषित आयनों की होती है और दूसरी परत परिक्षेपण माध्यम में विपरीत आवेश वाले आयनों की होती है जिसे विसरित परत (diffused layer) कहते हैं।

प्रश्न 16.
कारण स्पष्ट कीजिए –
(i) दूध में खटाई डालने पर वह फट जाता है।
(ii) जल को साफ करने के लिए फिटकरी मिलाते हैं।
(iii) जहाँ नदी अपना पानी समुद्र में मिलाती है वहाँ डेल्टा बन जाता है।
उत्तर
(i) दूध वसा का जल में पायस है जिसमें ऐल्ब्यूमिन तथा केसिन पायसीकारक हैं, जब इसमें खटाई मिलाई जाती है तो उसका स्कन्दन हो जाता है और थक्का जम जाता है। इस प्रकार दूध में खटाई डालने पर वह फट जाता है।
(ii) अशुद्ध जल में मिट्टी के कण, बैक्टीरिया तथा अन्य विलेय अशुद्धियाँ रहती हैं। उनमें ऋण आवेश रहता है। अशुद्ध जल को टंकियों में लेकर उसमें फिटकरी मिलाते हैं। फिटकरी में Al3+ आयन अशुद्धि के ऋण आवेश को नष्ट कर देते हैं। इससे अशुद्धियाँ स्कन्दित होकर नीचे बैठ जाती हैं।
(iii) नदियों के जल में मिट्टी तथा रेत के ऋणावेशित कोलॉइडी कण पाये जाते हैं । जब नदी का जल समुद्र में मिलता है तो समुद्र के जल में पाये जाने वाले अनेक लवणों की स्कन्दन क्रिया के फलस्वरूप मिट्टी आदि के कण नदी के मुहाने पर नीचे एकत्रित होते रहते हैं तथा डेल्टा का निर्माण धीरे-धीरे हो जाता है।

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प्रश्न.17.
उत्प्रेरकों के पाँच गुणधर्म लिखिए।
उत्तर
उत्प्रेरकों के गुणधर्म –

  • रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप उत्प्रेरकों के अन्य मान व रासायनिक संघटन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता केवल भौतिक अवस्था में कुछ परिवर्तन हो सकता है।
  • उत्प्रेरक की रासायनिक अभिक्रिया में सूक्ष्म मात्रा की ही आवश्यकता होती है।
  • उत्प्रेरक किसी अभिक्रिया को प्रारम्भ नहीं करते बल्कि ये अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करते हैं।
  • उत्प्रेरक किसी रासायनिक अभिक्रिया के साम्य को प्रभावित नहीं करते क्योंकि ये अग्र व प्रतीप दोनों अभिक्रियाओं को समान ढंग से प्रभावित करते हैं।
  • उत्प्रेरक विशिष्ट स्वभाव युक्त होते हैं। अलग-अलग अभिक्रियाओं के लिये अलग-अलग उत्प्रेरक प्रयुक्त होते हैं । उत्प्रेरक किसी निश्चित अनुकूल ताप पर सर्वाधिक प्रभावी होते हैं । इस ताप से कम तथा अधिक ताप होने पर उत्प्रेरक की क्रियाशीलता प्रभावित होती है।

प्रश्न 18.
रंगीन काँच, धुआँ, दूध, क्रीम, कोहरा, जेली, झाँबा पत्थर, साबुन का झाग, कौन-से कोलॉइडी तन्त्र के उदाहरण हैं, उनके नाम लिखिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 34

प्रश्न 19.
वास्तविक विलयन, कोलॉइडी विलयन एवं निलम्बन में विभेद कीजिए। · उत्तरवास्तविक विलयन (Real Solution), कोलॉइडी विलयन (Colloidal Solution) एवं निलम्बन (Suspension) में विभेद –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 36

प्रश्न 20.
अधिशोषक के सक्रियण से आप क्या समझते हैं ? यह कैसे प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर
अधिशोषक के सक्रियण का अर्थ है, अधिशोषक की अधिशोषण शक्ति को बढ़ाना। यह अधिशोषक के पृष्ठीय क्षेत्रफल को बढ़ाकर किया जा सकता है जिसे निम्न प्रकार प्राप्त किया जा सकता है –

  • अधिशोषित गैसों को हटाकर अर्थात् लकड़ी के चारकोल को निर्वात में या अति उच्च तापीय भाप में 650 K से 1330 K ताप के मध्य गर्म करके सक्रिय किया जा सकता है।
  • अधिशोषक को छोटे टुकड़ों में तोड़कर।
  • अधिशोषक के पृष्ठ को रफ (ऊबड़-खाबड़) बनाकर।

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प्रश्न 21.
विषमांगी उत्प्रेरण में, अधिशोषक की क्या भूमिका है ?
उत्तर
सामान्यतः विषमांगी उत्प्रेरण में, अभिक्रियक गैसीय जबकि उत्प्रेरक ठोस अवस्था में होते हैं। अभिक्रियक अणुओं का ठोस उत्प्रेरक के पृष्ठ पर भौतिक या रासायनिक अधिशोषण द्वारा अधिशोषित हो जाता है। अभिक्रियत अणुओं की सान्द्रता बढ़ने से या ठोस उत्प्रेरक के पृष्ठ पर अभिक्रियक अणुओं के टूटकर स्पीशीज बनने से जोकि तीव्रता से अभिक्रिया करती है, अभिक्रिया की गति बढ़ जाती है। उत्पाद अणुओं का विशोषण हो जाता है और अब उत्प्रेरक सतह दोबारा अधिक अभिक्रियक अणुओं को अधिशोषित करने के लिए उपलब्ध हो जाती है। यह सिद्धान्त विषमांगी उत्प्रेरण का अधिशोषण कहलाता है।

पृष्ठ रसायन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए – (i) ब्राउनी गति, (ii) स्व-उत्प्रेरण।
उत्तर
(i) ब्राउनी गति (Brownian Movement)-कोलॉइडी विलयन का सूक्ष्मदर्शी से निरीक्षण करने पर ज्ञात होता है कि कोलॉइडी कण सदैव टेढ़े-मेढ़े (Zig-Zag) तरीके से सभी दिशाओं में गति करते रहते हैं। इस प्रकार की गति को सबसे पहले रॉबर्ट ब्राउन ने सन् 1827 में देखा था इसलिए इसे ब्राउनी गति कहते . हैं। इस गति का प्रयोग किसी अँधेरे कमरे में एक छिद्र द्वारा प्रकाश की किरणों को देखने से भी किया जा सकता है। धूल के कण वायु में इधर-उधर घूमते हुए दिखाई पड़ते हैं। वीनर (Weiner) के अनुसार वह गति कोलॉइडी कण के परिक्षेपण माध्यम के अणुओं के साथ असमान रूप से टकराने से उत्पन्न होती है। जैसे-जैसे कणों का आकार बढ़ता जाता है यह गति कम होती जाती है और निलम्बन में पूर्णतः समाप्त हो जाती है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 37

(ii) स्व-उत्प्रेरण (Autocatalysis)-जब क्रिया से उत्पन्न पदार्थों में से कोई पदार्थ उत्प्रेरक का कार्य करने लगता है तो वह स्व-उत्प्रेरक कहलाता है तथा अभिक्रिया को स्व-उत्प्रेरण कहते हैं।
उदाहरण-एथिल ऐसीटेट के जल-अपघटन से ऐसीटिक अम्ल बनता है, जो स्व-उत्प्रेरक का कार्य करता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 38

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प्रश्न 2.
द्रव-स्नेही और द्रव-विरोधी कोलॉइड में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
द्रव-स्नेही (Lyophillic) व द्रव-विरोधी (Lyophobic) कोलॉइड में अन्तर –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 39

प्रश्न 3.
हार्डी-शूल्जे का नियम क्या है ?
उत्तर
हार्डी-शूल्जे का नियम-धन आवेश वाले कोलॉइड कण जैसे कोलॉइड Fe(OH), का स्कन्दन SO2-4,PO3-4 आदि आयनों से तथा As2S3 जैसे ऋणावेश वाले कोलॉइड Ba2+, Al3+ आदि आयनों द्वारा स्कन्दित होते हैं। विभिन्न आयनों की स्कन्दन क्षमता हार्डी शूल्जे नियम द्वारा प्रतिपादित की गई है जिसके अनुसार, “किसी आयन की स्कन्दन शक्ति उसकी संयोजकता पर निर्भर है, जितनी अधिक संयोजकता होगी उतनी ही अधिक स्कन्दन शक्ति होगी।”
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 40

प्रश्न 4.
उत्प्रेरक के माध्यमिक यौगिक सिद्धान्त को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर
माध्यमिक यौगिक सिद्धान्त इस सिद्धान्त के अनुसार उत्प्रेरक किसी एक अभिकारक के साथ संयोग करके एक माध्यमिक यौगिक बनाता है। माध्यमिक यौगिक फिर दूसरे अभिकारक के साथ क्रिया करके अभीष्ट यौगिक बनाता है तथा उत्प्रेरक मुक्त हो जाता है जो उपर्युक्त अनुसार पुनः कार्य करता है। यदि पदार्थ A व B संयोग करके यौगिक AB बनाते हैं तब प्रयुक्त उत्प्रेरक X का कार्य इस सिद्धान्त के अनुसार निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है –
A + X → AX माध्यमिक यौगिक
AX + B → AB + X
इस प्रकार मुक्त हुआ उत्प्रेरक बार-बार क्रिया में भाग लेता रहता है। अभिक्रिया में लगा समय, A व B के मध्य सीधी अभिक्रिया में लगने वाले समय से कम होगा।
उदाहरण-सीस-कक्ष विधि द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) के निर्माण में नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) उत्प्रेरक का कार्य करता है। यह पहले ऑक्सीजन से संयोग करके NO2 (नाइट्रोजन परॉक्साइड) (माध्यमिक यौगिक) बनाता है। NO2 फिर सल्फर डाइ-ऑक्साइड (SO2) से क्रिया करके SO3 (सल्फर ट्राइ-ऑक्साइड) बनाता है तथा उत्प्रेरक NO मुक्त हो जाता है, जो अभिक्रिया को श्रृंखला के रूप में बढ़ाता रहता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 41

प्रश्न 5.
एन्जाइम उत्प्रेरक व सामान्य उत्प्रेरक में कोई पाँच अन्तर लिखिए।
उत्तर
एन्जाइम उत्प्रेरक और सामान्य उत्प्रेरक में अन्तर-
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 5 पृष्ठ रसायन - 42

प्रश्न 6.
अधिशोषण क्या है ? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
(a) ठोसों के द्वारा गैसों की अधिशोषण की मात्रा किन कारकों पर निर्भर करती है ? (छः कारक)
(b) अधिशोषण के पाँच अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर
जब किसी पदार्थ (गैस या द्रव) की किसी ठोस की सतह पर संलग्न सान्द्रता उसके स्थूल (Bulk) में उपस्थित सान्द्रता की अपेक्षा अधिक होती है तब इस घटना को अधिशोषण (Adsorption) कहते हैं। यह एक पृष्ठ घटना है जो कि किसी ठोस की सतह पर असन्तुलित बलों की उपस्थिति के कारण होती है।
(a) किसी गैस का ठोस पर अधिशोषण निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है –
1. अधिशोषक की प्रकृति-कठोर तथा रन्ध्रहीन (Non-porous) पदार्थों की तुलना में रन्ध्रयुक्त (Porous) तथा महीन चूर्ण के रूप में ठोस पदार्थ जैसे चारकोल आदि में अधिशोषण अधिक होता है। इसी गुण के कारण गैस मॉस्क में चारकोल पाउडर का उपयोग होता है। इसका कारण है, रन्ध्रयुक्त या चूर्ण रूप में होने पर ठोस का पृष्ठ क्षेत्रफल बहुत अधिक बढ़ जाता है।

2. ठोस अधिशोष्य के पृष्ठ का क्षेत्रफल-अधिशोषण का कम या अधिक होना अधिशोष्य के पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। अधिशोष्य के पृष्ठ का क्षेत्रफल जितना अधिक होगा, अधिशोषण उतना ही अधिक होगा। सूक्ष्म वितरित (Finely divided) ठोस में अधिक अधिशोषण होने का यही कारण है।

3. अधिशोष्य गैस का दाब-साम्यावस्था पर अधिशोषक पर अधिशोष्य गैस के दाब का मान बढ़ाने से अधिशोषण बढ़ जाता है। कम ताप पर गैस में वृद्धि करने से अधिशोषण की मात्रा तेजी से बढ़ती है, किन्तु उच्च दाब पर अधिशोषण एक अधिकतम मान प्राप्त कर लेता है।
4. ताप (Temperature)—अधिशोषण एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। अतः लीशातेलिए सिद्धान्त से, ताप बढ़ाने पर अधिशोषण कम हो जाता है।
5.अधिशोषक का सक्रियण-यह किसी अधिशोषक की अधिशोषण शक्ति को बढ़ाने की विधि है, जैसे-अधिशोषक को यान्त्रिक विधियों द्वारा खुरदुरा बनाया जाता है या अधिशोषक को दानेदार बनाकर पृष्ठ क्षेत्रफल में वृद्धि की जाती है।
6.गैस की प्रकृति-अधिशोषक अधिशोषण की प्रवृत्ति वाले गैसों की प्रकृति पर निर्भर करती है। H2, O2, N2, की तुलना में CO2, NH3, Cl2 आदि का अधिशोषण अधिक होता है। .

(b) हमारे दैनिक जीवन में अधिशोषण के अनेक उपयोग हैं, उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं –

  • गैस मॉस्क में-विषैली गैसें, जैसे-CO, CH4 आदि को दूर करने के लिए गैस मॉस्क में सक्रियित चारकोल प्रयुक्त होता है, जो वायुमण्डल में उपस्थित विषैली गैसों को अधिशोषित कर लेते हैं। ..
  • चीनी के निर्माण में-चीनी के निर्माण में जन्तु चारकोल का प्रयोग, इसे रंगहीन करने में करते हैं।
  • नमी दूर करने में-सिलिका जेल का उपयोग नमी को दूर करने में किया जाता है।
  • क्रोमैटोग्राफी में-क्रोमैटोग्राफी द्वारा यौगिकों का शुद्धिकरण भी अधिशोषण सिद्धान्त पर आधारित
  • उत्प्रेरण में-विषमांग उत्प्रेरक प्रक्रिया में अधिशोषण प्रक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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प्रश्न 7.
कोलॉइड रसायन के कोई पाँच अनुप्रयोग लिखिए। उत्तर-कोलॉइड रसायन के पाँच अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं

  • औषधियों में अनेक औषधियों का उपयोग कोलॉइड के रूप में ही होता है, क्योंकि कोलॉइड अवस्था में होने के कारण शरीर द्वारा इनका शोषण एवं पाचन आसानी से हो जाता है। जैसे-कोलॉइडी गोल्ड तथा कैल्सियम बल वर्धक औषधियों के रूप में काम आता है।
  • जल को शुद्ध करना-अशुद्ध जल में धूल, मिट्टी के कण, बैक्टीरिया आदि की अशुद्धियाँ कोलॉइडी रूप में रहती है और इन अशुद्धियों पर ऋण आवेश होता है। जब इस जल में फिटकरी डालते हैं तो उससे AI+ आयन इस ऋणावेशित कणों आदि की अशुद्धियों को उदासीन कर देते हैं तथा अवक्षेप के रूप में नीचे बैठ जाते हैं और शुद्ध जल को निकालकर पृथक् कर लेते हैं।
  • नदियों के डेल्टा बनाने में-नदी के जल में मिट्टी के कण कोलॉइडी अवस्था में होते हैं जिन पर ऋण आवेश होता है। जब नदी समुद्र में गिरती है तो उसमें उपस्थित विद्युत्-अपघट्य इन ऋणावेशित मिट्टी के कणों का स्कन्दन कर देते हैं जो डेल्टा के रूप में बन जाता है।
  • चमड़ा उद्योग में-चमड़े में प्रोटीन कोलॉइडी अवस्था में रहता है। इन कणों पर धनावेश होता है। पेड़ों की छाल से प्राप्त ऋणावेशित टेनिन का कोलॉइडी विलयन चमड़े पर डाले जाते हैं जिससे वे परस्पर स्कंदित हो जाते हैं और चमड़ा कड़ा हो जाता है और सड़ने नहीं पाता।।
  • साबुन की क्रिया में-साबुन पानी के साथ कोलॉइडी विलयन देता है। कोलॉइडी विलयन का गुण अधिशोषण करने का होता है। कपड़ों में उपस्थित धूल के कणों का कोलॉइडी साबुन द्वारा उसकी सतह पर अधिशोषण हो जाता है और सतह से ये धूल के कण पानी द्वारा धोने पर दूर हो जाते हैं।

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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता विविध प्रश्नावली

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता विविध प्रश्नावली

प्रश्न 1.
एक डिब्बे में 10 लाल, 20 नीली व 30 हरी गोलियाँ रखी हैं। डिब्बे से 5 गोलियाँ यादृच्छया निकाली जाती हैं। प्रायिकता क्या है कि
(i) सभी गोलियाँ नीली हैं?
(ii) कम से कम एक गोली हरी है ?
हल:
एक डिब्बे में 10 लाल, 20 नीली तथा 30 हरी कुल 60 गोलियाँ हैं।
(i) 60 गोलियों में से 5 गोलियाँ निकालने के तरीके = \(60 \mathrm{C}_{5}\)
∴ n(S) = \(60 \mathrm{C}_{5}\)
20 नीली गोलियाँ हैं इनमें से 5 गोलियाँ चुनने के तरीके = \(20 \mathrm{C}_{5}\)
5 नीली गोलियाँ निकालने की प्रायिकता
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता विविध प्रश्नावली img-1

प्रश्न 2.
ताश के 52 पत्तों की एक अच्छी तरह फेंटी गई गड्डी से 4 पत्ते निकाले जाते हैं। इस बात की क्या प्रायिकता है कि निकाले गए पत्तों में 3 ईंट और एक हुकुम का पत्ता है ?
हल:
कुल 52 पत्तों की ताश की गड्डी में से 4 पत्ते निकालने के तरीके = \(^{52} C_{4}\)
∴ n(S) = \(^{52} C_{4}\)
3 ईट के पत्ते निकालने के तरीके = \(^{13} C_{3}\)
एक हुकुम का पत्ता निकालने के तरीके = \(^{13} C_{1}\)
3 ईट और 1 हुकुम का पत्ता निकालने के तरीके = \(^{13} C_{3} \times^{13} C_{1}\)
अनुकूल परिणामों की कुल संख्या = \(^{13} C_{3} \times^{13} C_{1}\)
अतः 3 ईंट और एक हुकुम के पत्ते निकालने की प्रायिकता = \(\frac{13 C_{3} \times 13 C_{1}}{^{52} C_{4}}\).

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प्रश्न 3.
एक पासे के दो फलकों में से प्रत्येक पर संख्या 1 अंकित है। तीन फलकों में प्रत्येक पर संख्या 2 अंकित है और एक फलक पर संख्या 3 अंकित है। यदि पासा एक बार फेंका जाता है, तो निम्नलिखित ज्ञात कीजिए :
(i) P(2)
(ii) P(i या 3)
(iii) P(3 – नहीं)
हल:
पासे पर कुल संभावित परिणाम = 6
(i) 2 अंक 3 फलकों पर अंकित है
2 प्राप्त करने के 3 तरीके हैं
P(2) = \(\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

(ii) दो फलकों पर 1 है।
∴ 1 प्राप्त करने के तरीके, P(1) = \(\frac{2}{6}\)
3 एक फलक पर अंकित है। अत: 3 एक तरीके से मिल सकता है, P(3) = \(\frac{1}{6}\)
∴ P(1 या 3) = \(\frac{2}{6}+\frac{1}{6}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

(iii) 6 फलकों में 3 केवल एक फलक पर है।
अतः 3 प्राप्त न करने के तरीके = 6 – 1 = 5
∴ P(3 – नहीं) = \(\frac{5}{6}\).

प्रश्न 4.
एक लाटरी में 10000 टिकट बेचे गए जिनमें दस समान इनाम दिए जाने हैं। कोई भी इनाम न मिलने की प्रायिकता क्या है यदि आप
(a) एक टिकट खरीदते हैं
(b) दो टिकट खरीदते हैं
(c) 10 टिकट खरीदते हैं ?
हल:
टिकटों की संख्या जिन पर इनाम नहीं है
= 10000 – 10 = 9990
∵ कुल टिकटों की संख्या = 10000
(a) एक टिकट जिससे कोई इनाम नहीं मिलेगा ऐसे कुल तरीके
= \(9990 C_{1}\) = 9990
जबकि कुल संभावी परिणाम = 10,000
एक टिकट के साथ इनाम न मिलने की प्रायिकता
= \(\frac{9990}{10000}=\frac{999}{1000}\)

(ii) बिना इनाम वाले 9990 में से 2 टिकट मिलने के तरीके
= \(9990 \mathrm{C}_{2}\)
कुल 10000 टिकट हैं। उनमें से 2 टिकट पाने के तरीके
= \(10000 \mathrm{C}_{2}\)
दो टिकट के साथ इनाम न मिलने की प्रायिकता = \(\frac{9990 C_{2}}{10000 C_{2}}\).

(iii) इसी प्रकार 9990 में बिना इनाम वाले 10 टिकट को पाने के तरीके
= \(9990 \mathrm{C}_{10}\)
10000 में से 10 टिकट पाने के तरीके = \(10000 C_{10}\)
अतः 10 टिकट के साथ इनाम न मिलने की प्रायिकता
= \(\frac{9990 \mathrm{C}_{10}}{10000 \mathrm{C}_{10}}\).

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प्रश्न 5.
100 विद्यार्थियों में से 40 और 60 विद्यार्थियों के दो वर्ग बनाए गए हैं। यदि आप और आपकाएक मित्र 100 विद्यार्थियों में हैं तो प्रायिकता क्या है कि
(a) आप दोनों एक ही वर्ग में हों।
(b) आप दोनों अलग-अलग वर्गों में हों।
हल:
माना दो वर्ग A और B हैं जिनमें क्रमशः 40 और 60 विद्यार्थी हैं।
(i) मान लीजिए दोनों विद्यार्थी वर्ग A में आते हैं।
∴ 98 विद्यार्थियों में से 38 विद्यार्थी चुने जाते हैं।
98 विद्यार्थियों में से 38 विद्यार्थी चुनने के तरीके = \(98 \mathrm{C}_{38}\)
बिना किसी शर्त के, 100 में से 40 विद्याथीं चुनने के तरीके n(S) = \(^{100} C_{40}\)
दोनों विद्यार्थी (वह और उसका मित्र) एक ही वर्ग A में प्रवेश करने की प्रायिकता
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता विविध प्रश्नावली img-2

(ii) यदि दोनों विद्यार्थी वर्ग B में प्रवेश करते हैं। तब 98 विद्यार्थियों में से 58 विद्यार्थी चुनने के तरीके = \(98 \mathrm{C}_{58}\)
100 विद्यार्थियों में से 60 विद्यार्थी चुनने के तरीके = \(^{100} C_{60}\)
अतः यदि वे विद्यार्थी वर्ग B में प्रवेश पाते हैं तो उसकी प्रायिकता
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता विविध प्रश्नावली img-3
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता विविध प्रश्नावली img-4
दोनों विद्यार्थी वर्ग A या वर्ग B में प्रवेश पाते हैं तो उसकी प्रायिकता
= \(\frac{26}{165}+\frac{59}{165}=\frac{85}{165}=\frac{17}{33}\).
(b) दोनों विद्यार्थियों के विभिन्न वर्गों में प्रवेश पाने की प्रायिकता
= 1 – \(\frac{17}{33}=\frac{33-17}{33}=\frac{16}{33}\).

प्रश्न 6.
तीन व्यक्तियों के लिए तीन पत्र लिखवाए गए हैं और प्रत्येक के लिए पता लिखा एक लिफाफा है। पत्रों को लिफाफों में यादृच्छया इस प्रकार डाला गया कि प्रत्येक लिफाफे में एक ही पत्र है। प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि कम से कम एक पत्र अपने सही लिफाफे में डाला गया है।
हल:
मान लीजिए लिफाफों को A, B, C और संगत पत्रों को क्रमशः a, b, c से निरूपित किया गया है।
(i) एक पत्र उसके संगत लिफाफे में और दूसरे दो गलत लिफाफे में रखने के तरीके
(Aa, Bc, Cb), (Ac, Bb, Ca), (Ab, Ba, Cc)

(ii) यदि दो पत्र संगत (ठीक) लिफाफों में रखे गए हैं तो तीसरा भी संगत (ठीक) लिफाफे में होगा।

(iii) तीनों पत्र उनके संगत (ठीक) लिफाफों में रखे जाए (Aa, Bb, Cc) एक तरीका है।
पत्र कम से कम एक संगत लिफाफे में रखे जाने के तरीके
3 + 1 = 4
तीन पत्रों को तीन लिफाफा में रखने के कुल तरीके = 3! = 6
∴ कम से कम एक पत्र संगत लिफाफे में रखे जाने की प्रायिकता
= \(\frac{4}{6}=\frac{2}{3}\).

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प्रश्न 7.
A और B दो घटनाएँ इस प्रकार हैं कि P(A) = 0.54, P(B) = 0.69 और P(A ∩ B) = 0.35, ज्ञात कीजिए:
(i) P(A ∪ B)
(ii) P(A’ ∩ B)
(iii) P(A ∩ B’)
(iv) P(B ∩ A’)
हल:
P(A) = 0.54, P(B) = 0.69, P(A ∩ B) = 0.35
P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – (A ∩ B)
= 0.54 + 0.69 – 0.35 = 0.88

(ii)P(A’ ∩ B’) = P[(A ∪ B)’] = 1 – P(A ∪ B)
= 1 – 0.88 = 0.12.

(iii) P(A ∩ B’) = P(A) – P(A ∩ B)
= 0.54 – 0.35 = 0.19.

(iv) P(B ∩ A’) = P(B) – P(B ∩ A)
= 0.69 – 0.35 = 0.34.

प्रश्न 8.
एक संस्था के कर्मचारियों में से 5 कर्मचारियों का चयन प्रबन्ध समिति के लिए किया गया है। पाँच कर्मचारियों का ब्यौरा निम्नलिखित है :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता विविध प्रश्नावली img-5
इस समूह से प्रवक्ता पद के लिए यादृच्छया एक व्यक्ति का चयन किया गया। प्रवक्ता के पुरुष या 35 वर्ष से अधिक आयु का होने की प्रायिकता क्या है ?
हल:
माना A पुरुष के चयन और B व्यक्ति की आयु 35 वर्ष से अधिक को दर्शाते हैं।
पुरुषों की कुल संख्या = 3
35 वर्ष से अधिक आयु के कुल लोग = 2
35 वर्ष से अधिक आयु का पुरुष 1 है।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता विविध प्रश्नावली img-6

प्रश्न 9.
यदि 0, 1, 3, 5 और 7 अंकों द्वारा 5000 से बड़ी चार अंकों की संख्या का यादृच्छया निर्माण किया गया हो तो पाँच से भाज्य संख्या के निर्माण की क्या प्रायिकता है जब :
(i) अंकों की पुनरावृत्ति नहीं की जाए ?
(ii) अंकों की पुनरावृत्ति की जाए ?
हल:
(i) जब अंकों की पुनरावृत्ति नहीं होती।
मान लीजिए अंकों के स्थानों को I, II, III, IV से निरूपित किया गया हैं।
5000 से बड़ी संख्या बनाने के लिए स्थान I पर 5 या 7 रखना होगा अर्थात स्थान I को भरने के तरीके = 2
अब 5 अंक शेष रह जाते हैं।
स्थान II, III और IV को 4, 3 व 2 तरीकों से भर सकते हैं।
∴ 5000 से बड़ी संख्याएँ = 4 x 4 x 3 x 2 = 48 = n(S)
5 से भाज्य संख्याएँ वे हैं जब इकाई (स्थान IV) पर 0 या 5 हो। 5 को स्थान I पर तथा 0 को स्थान IV पर रखने के बाद 3 अंक बचते हैं। स्थान II और III, को 2 x 3 = 6 तरीकों से भरा जा सकता है।
इस प्रकार स्थान I पर जब 5 हो और IV पर 0 हो तो 6 संख्याएँ बनती हैं।
जब स्थान I पर 7 और स्थान IV पर 5 हो तो भी 6 संख्याएँ बनेंगी।
∴ 5000 से बड़ी और 5 से भाज्य संख्याएँ
= 6 + 6 + 6 = 18
अत: 5000 से बड़ी और 5 से भाज्य संख्याओं के बनने की प्रायिकता
= \(\frac{18}{24}=\frac{3}{4}\)

(ii) जब पुनरावृत्ति की जा सकती है।
स्थान [ पर 5 या 7 रख सकते है जिससे संख्या 5000 से बड़ी बन सके।
∴ स्थान I को 2 तरीकों से भर सकते हैं।
क्योंकि पुनरावृत्ति की अनुमति है तो प्रत्येक स्थान II, III, IV को 5 तरीकों से भर सकते हैं।
चारों स्थानों को भरने के तरीके या 5000 से बड़ी संख्याएँ
= 2 × 5 × 5 × 5 = 250 = n(S)
संख्या यदि 5 से भाज्य है तो इकाई (IV) स्थान पर 0 या 5 रखना होगा।
इसलिए इकाई के स्थान को 2 तरीकों से भर सकते हैं।
बीच के स्थान II और III को 5 × 5 तरीकों से भर सकते हैं।
इस प्रकार 5000 से बड़ी और 5 से भाज्य संख्याएँ = 2 × 5 × 5 × 2 = 100
5000 से बड़ी और 5 से भाज्य बनाने वाली संख्याओं की प्रायिकता
= \(\frac{100}{250}=\frac{2}{5}\).

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प्रश्न 10.
किसी अटैची के ताले में चार चक्र लगे हैं। जिनमें प्रत्येक पर 0 से 9 तक 10 अंक अंकित हैं। ताला चार अंकों के एक विशेष क्रम (अंकों की पुनरावृत्ति नहीं) द्वारा ही खुलता है। इस बात की क्या प्रायिकता है कि कोई व्यक्ति अटैची खोलने के लिए सही क्रम का पता लगा ले।
हल:
प्रथम स्थान पर कोई अंक 10 तरीकों से ही लाया जा सकता है। यहाँ 0, 1, 2, …. 9 में से कोई भी अंक ‘हो सकता है।
दूसरे, तीसरे व चौथे स्थान को 9 × 8 × 7 तरीकों से भरा जा सकता है।
इस प्रकार चार अंकों की संख्या (जबकि पुनरावृत्ति नहीं की गई है) बनने के तरीके = 10 × 9 × 8 × 7 = 5040
ताले को खोलने के लिए सही संख्या केवल एक ही है।
∴ अटैची को खोलने का सही क्रम ज्ञात करने की प्रायिकता = \(\frac{1}{5040}\).

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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता Ex 16.3

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता Ex 16.3

प्रश्न 1.
प्रतिदर्श समष्टि S = {ω1, ω2, ω3, ω4, ω5, ω6} के परिणामों के लिए निम्नलिखित में से कौन से प्रायिकता निर्धारण वैध नहीं हैं :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता Ex 16.3 img-1
हल:
(a) 0.1 + 0.01 + 0.05 + 0.03 + 0.01 + 0.2 + 0.6 = 1.00
घटनाओं की दी गयी प्रायिकता का योगफल 1 है।
अतः निर्धारित प्रायिकता वैध है।
(b) दी गयी प्रायिकताओं का योगफल
= \(\frac{1}{7}+\frac{1}{7}+\frac{1}{7}+\frac{1}{7}+\frac{1}{7}+\frac{1}{7}+\frac{1}{7}=\frac{7}{7}\) = 1
∴ दी गयी प्रायिकता वैध है।
(c) दी हुई प्रायिकताओं का योग
= 0.1 + 0.1 + 0.3 + 0.4 + 0.5 + 0.6 + 0.7
= 2.7
यह एक से अधिक है
अतः दी गयी प्रायिकता वैध नहीं है।
(d) किसी भी घटना की प्रायिकता ऋणात्मक नहीं हो सकती।
यहाँ पर दो प्रायिकताएँ – 0.1 और – 0.2 ऋणात्मक हैं।
अतः दी गयी प्रायिकता वैध नहीं है।
(e) दी गयी प्रायिकताओं का योगफल
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता Ex 16.3 img-2
जो कि एक से अधिक है
अतः दी गयी प्रायिकता वैध नहीं है।

प्रश्न 2.
एक सिक्का दो बार उछाला जाता है। कम से कम एक पट प्राप्त होने की क्या प्रायिकता है ?
हल:
दिए हुए परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि
S = {HH, HT, TH, TT}
∴ कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 4 कम से कम एक पट प्राप्त करने के तरीके TH, HT, TT = 3
एक सिक्के को दो बार उछालने से कम से कम 1 पट प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{3}{4}\).

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प्रश्न 3.
एक पासा फेंका जाता है। निम्नलिखित घटनाओं की प्रायिकता ज्ञात कीजिए :
(i) एक अभाज्य संख्या प्रकट होना।
(ii) 3 या 3 से बड़ी संख्या प्रकट होना।
(iii) 1 या 1 से छोटी संख्या प्रकट होना।
(iv) छः से बड़ी संख्या प्रकट होना।
(v) छः से छोटी संख्या प्रकट होना।
हल:
एक पासे को फेंकने में परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि
S = {1, 2, 3, 4, 5, 6}
अर्थात् कुल सम्भावित परिणाम n (S) = 6
(i) अभाज्य संख्याएँ 2, 3, 5 हैं।
n (A)= 3
अतः एक अभाज्य संख्या प्रकट होने की प्रायिकता
= \(\frac{n(A)}{n(S)}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)

(ii) माना घटना 3 या 3 से बड़ी संख्या को B से दर्शाया गया है, 3 या 3 से बड़ी संख्याएँ 3, 4, 5, 6 हैं।
n (B) = 4
अतः प्रायिकता, P(B) = \(\frac{n(B)}{n(S)}=\frac{4}{6}=\frac{2}{3}\).

(iii) माना घटना 1 या 1 से छोटी संख्या को C से दर्शाया गया है।
1 या 1 से छोटी संख्याएँ = 1
∴ n(C) = 1
अतः प्रायिकता, P(C) = \(\frac{1}{6}\).

(iv) एक पासे पर 6 से बड़ी कोई संख्या नहीं होती है, अर्थात् इसकी प्रायिकता
= \(\frac{0}{6}\) = 0

(v) 6 से छोटी संख्याएँ : 1, 2, 3, 4, 5 हैं। यदि इसे E से दर्शाया गया हो, तब
n(E) = 5
अतः प्रायिकता, P(E) = \(\frac{5}{6}\).

प्रश्न 4.
ताश की एक गड्डी के 52 पत्तों में से एक पत्ता यादृच्छया निकाला गया है।
(a) प्रतिदर्श समष्टि में कितने बिन्दु हैं ?
(b) पत्ते का हुकुम का इक्का होने की प्रायिकता क्या है ?
(c) प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि पत्ता
(i) इक्का है
(ii) काले रंग का है।
हल:
(a) ताश की गड्डी में कुल 52 पत्ते होते हैं। जब एक पत्ता निकाला जाता है तो इसके प्रतिदर्श समष्टि में 52 बिन्दु होते हैं।
(b) ताश को गड्डी में हुकुम का एक इक्का होता है। यदि एक पत्ता निकालने की घटना को A से दर्शाया जाए तो
n(A) = 1, n(S) = 52
P(A) = P(हुकुम का इक्का) = \(\frac{1}{52}\).
(c) (i) यदि B इक्का निकालने को दर्शाता हो तो
n(B) = 4 [∵ ताश की गड्डी में 4 इक्के होते हैं।]
n(S) = 52
∴ P(B) = \(\frac{1}{13}\).

(ii) C काले रंग हुकुम की पत्ते आने की घटना को दर्शाता है .
n(C) = 26 [∵ ताश की गड्डी में 26 काले पत्ते होते हैं।]
n(s) = 52
∴ P(C) = \(\frac{26}{52}=\frac{1}{2}\)

प्रश्न 5.
एक अनभिनत (unbiased) सिक्का जिसके एक तल पर 1 और दूसरे तल पर 6 अंकित है तथा एक अनभिनत पासा दोनों को उछाला जाता है। प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि प्रकट संख्याओं का योग (i) 3 है (ii) 12 है।
हल:
एक पासे पर 1 व 6 अंकित है और दूसरे पर 1, 2, 3, 4, 5, 6.
∴ प्रतिदर्श समष्टि = {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (1, 5), (1, 6), (6, 1), (6, 2), (6, 3), (6, 4), (6, 5), (6, 6)}
(i) दी गयी संख्याओं का योग 3 घटना (1, 2) से प्राप्त होता है।
अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
∴ प्रायिकता जब प्राप्त संख्याओं का योग 3 है = \(\frac{1}{12}\)

(ii) दी गयी संख्याओं का योग घटना (6, 6) से प्राप्त होता है। यहाँ अनुकूल परिणामों की संख्या = 1
∴ प्रायिकता जब प्राप्त संख्याओं का योग 12 है = \(\frac{1}{12}\)

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प्रश्न 6.
नगर परिषद् में चार पुरुष व छः स्त्रियाँ हैं। यदि एक समिति के लिए यादृच्छया एक परिषद् सदस्य चुना गया है तो एक स्त्री के चुने जाने की कितनी सम्भावना है ?
हल:
नगर परिषद् में चार पुरुष व छः स्त्रियाँ हैं।
उनमें से किसी एक को चुनने के तरीके = \(^{10} C_{1}\)
∴ कुल सम्भावित परिणामों की संख्या = 10
कुल 6 स्त्रियाँ हैं। उनमें से एक स्त्री को चुनने के तरीके = 6
अनुकूल परिणामों की संख्या = 6
एक स्त्री को चुने जाने की प्रायिकता = \(\frac{6}{10}=\frac{3}{5}\).

प्रश्न 7.
एक अनभिनत सिक्के को चार बार उछाला जाता है और एक व्यक्ति प्रत्येक चित्त पर एक रूपया जीतता है और प्रत्येक पट पर 1.50 रू हारता है। इस परीक्षण के प्रतिदर्श समष्टि से ज्ञात कीजिए कि आप चार उछालों में कितनी विभिन्न राशियाँ प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही इन राशियों से प्रत्येक की प्रायिकता भी ज्ञात कीजिए।
हल:
सिक्के की उछाल में पाँच तरीकों से चित्त प्राप्त कर सकते हैं। जो निम्न प्रकार हैं।
कुल संभावित परिणाम = {HHHH, HHHT, HHTH, HHTT, HTHH, HTHT, HTTH, HTTT, THHH, THHT, THTH, THTT, TTHH, TTHT, TTTH, TTTT}
(i) कोई भी चित्त प्राप्त नहीं होता या चारों पट प्राप्त होते हैं।
चारों पट् के आने पर हानि = 4 × 1.50 = 6 रू
चार पट प्राप्त करने के तरीके (TTTT) = 1
कुल सम्भावित परिणाम = 16
∴ चार पट प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{1}{16}\).

(ii) जब एक चित्त और 3 पट प्राप्त होते हैं।
हानि = 3 × 1.50 – 1 × 1
= 4.50 – 1.00 = 3.50 रू
एक चित्त और 3 पट इस प्रकार आ सकते हैं :
{TTTH, TTHT, THTT, HTTT}
∴ 4 तरीकों से एक चित्त और 3 पट प्राप्त हो सकते हैं।
कुल सम्भावित परिणाम = 16
एक चित्त प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{6}{16}=\frac{1}{4}\).

(iii) जब 2 चित्त और 2 पट् प्रकट होते हैं
हानि = 2 × 1.5 – 1 × 2 .
= 3 – 2 = 1 रू
2 चित्त और 2 पट् इस प्रकार प्राप्त हो सकते हैं।
{HHTT, HTHT, HTTH, THHT, THTH, TTHH}
छः तरीकों से 2 चित्त और 2 पट प्राप्त हो सकते हैं।
कुल सम्भावित परिणाम = 16
2 चित्त प्राप्त करने की प्रायिकता = 2.

(iv) जब 3 चित्त और 1 पट् प्रकट होता है, तब
लाभ = 3 × 1 – 1 × 1.5
= 3 – 1.50 = 1.50 रू
3 चित्त प्राप्त करने के तरीके = {HHHT, HHHH, HTHH, THHH}
चार तरीकों से 3 चित्त और 1 पट प्राप्त होता है।
कुल सम्भावित परिणाम = 16
3 चित्त प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{4}{16}=\frac{1}{4}\).

(v) चारों चित्त एक तरीके से प्राप्त कर सकते हैं, तब
लाभ = 4 × 1 = 4 रू
कुल सम्भावित परिणाम = 16.
चार चित्त प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{4}{16}=\frac{1}{4}\).

प्रश्न 8.
तीन सिक्के एक बार उछाले जाते हैं। निम्नलिखित की प्रायिकता ज्ञात कीजिए :
(i) तीन चित्त प्रकट होना
(ii) 2 चित्त प्रकट होना
(iii) न्यूनतम 2 चित्त प्रकट होना
(iv) अधिकतम 2 चित्त प्रकट होना
(v) एक भी चित्त प्रकट न होना
(vi) 3 पट प्रकट होना
(vii) तथ्यतः 2 पट् प्रकट होना
(viii) कोई भी पट प्रकट न होना
(ix) अधिकतम 2 पट् प्रकट होना
हल:
यदि 3 सिक्के उछाले जाते हैं तो परीक्षण का प्रतिदर्श समष्टि
S = {HHH, HHT, HTH, THH, TTH, THT, HTT, TTT}
कुल सम्भावित परिणाम = 8
(i) तीन चित्त {HHH} एक तरीके से प्रकट होता है।
अतः 3 चित्त प्राप्त करने की प्रायिकता = \(\frac{1}{8}\).

(ii) 2 चित्त या 2 चित्त 1 पट प्राप्त करने के HHT, HTH, THH तीन तरीके हैं।
कुल सम्भावित परिणाम = 8
2 चित्त प्रकट होने की प्रायिकता = \(\frac{3}{8}\)

(iii) न्यूनतम 2 चित्त प्राप्त करने के लिए 2 चित्त 1 पट् या 3 चित्त आएंगे
∴ न्यूनतम 2 चित्त HHT, HTH, THH, HHH, चार तरीकों से प्रकट हो सकते हैं।
अतः न्यूनतम 2 चित्त प्रकट होने की प्रायिकता = \(\frac{4}{3}=\frac{1}{2}\).

(iv) अधिकतम 2 चित्त, इस प्रकार प्रकट होंगे।
(a) कोई चित्त नहीं या तीन पट्
(b) एक चित्त 2 पट्
(c) 2 चित्त 1 पट्
यह {TIT, HTT, THT, TTH, HHT, HTH, THH} सात तरीकों से प्रकट हो सकते हैं।
कुल संभावित परिणाम = 8
∴ अधिकतम 2 चित्त प्रकट होने की प्रायिकता = \(\frac{7}{8}\)

(v) एक भी चित्त न आने का अर्थ है तीन पट प्रकट होना जो (TTT) एक तरीके से हो सकता है।
कुल संभावित परिणाम = 8
अतः एक भी चित्त न आने की प्रायिकता = \(\frac{1}{8}\)

(vi) तीन पट (TIT) एक तरीके से प्रकट हो सकते हैं।
तीन पट् प्रकट होने की प्रायिकता = \(\frac{1}{8}\)

(vii) तथ्यतः 2 पट् (TTH, THT, HTT) तीन तरीकों से प्राप्त हो सकते हैं।
कुल संभावित परिणाम = 8
∴ दो पट् प्रकट होने की प्रायिकता = \(\frac{3}{8}\)

(viii) कोई पट् नहीं का अर्थ है तीनों चित्त प्रकट होते हैं तो (HHH) 1 तरीके से ही हो सकता है।
कुल संभावित परिणाम = 8
कोई पट् प्रकट न होने की प्रायिकता = \(\frac{1}{8}\)

(ix) अधिकतम दो पट् प्रकट होना
⇒ तीनों पट् प्रकट नहीं होते।
तीनों पट् प्रकट होने की प्रायिकता = \(\frac{1}{8}\)
∴ अधिकतम दो पट् प्रकट होने की प्रायिकता = 1 – (तीनों पट् प्रकट होने की प्रायिकता)
= 1 – \(\frac{1}{8}=\frac{7}{8}\).

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प्रश्न 9.
यदि किसी घटना A की प्रायिकता \(\frac{2}{11}\) है तो घटना ‘A – नहीं’ की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल:
P(A) = \(\frac{2}{11}\)
P(A – नहीं) = P (A’) = 1 – P(A)
= 1 – \(\frac{2}{11}=\frac{9}{11}\).

प्रश्न 10.
शब्द ‘ASSASSINATION’ से एक अक्षर यादृच्छया चुना जाता है। प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि चुना गया अक्षर
(i) एक स्वर (vowel) है
(ii) एक व्यंजन (consonant) है।
हल:
शब्द ASSASSINATION में कुल 13 अक्षर हैं जिसमें (AAAIIO) 6 स्वर और (SSSSNNT) 7 व्यंजन है।
(i) n(S) = 13
स्वरों की संख्या = 6
एक स्वर चुनने की प्रायिकता = \(\frac{6}{13}\).
(ii) व्यंजनों की संख्या = 7
n(S) = 13
एक व्यंजन चुनने की प्रायिकता = \(\frac{7}{13}\)

प्रश्न 11.
एक लाटरी में एक व्यक्ति 1 से 20 तक की संख्याओं में से छः भिन्न-भिन्न संख्याएँ यादृच्छया चुनता है और यदि ये चुनी गई छः संख्याएँ उन छः संख्याओं से मेल खाती हैं जिन्हें लाटरी समिति ने पूर्व निर्धारित कर रखा है, तो वह व्यक्ति इनाम जीत जाता है। लाटरी के खेल में इनाम जीतने की प्रायिकता क्या है ?
हल:
1 से 20 तक की प्राकृत संख्याओं में से 6 संख्या चुनने के तरीके = \(20 \mathrm{C}_{6}\)
= \(\frac{20 \times 19 \times 18 \times 17 \times 16 \times 15}{1 \times 2 \times 3 \times 4 \times 5 \times 6}\)
= 38760
केवल एक ही अनुकूल परिणाम है।
अतः लाटरी जीतने की प्रायिकता = \(\frac{1}{38760}\).

प्रश्न 12.
जाँच कीजिए कि निम्न प्रायिकताएँ P(A) और P(B) युक्ति संगत (consistently) परिभाषित की गई हैं:
(i) P(A) = 0.5, P(B) = 0.7, P(A ∩ B) = 0.6
(ii) P(A) = 0.5, P(B) = 0.4, P(A ∪ B) = 0.8
हल:
(i) दिया है : P(A) = 0.5, P(B) = 0.7, P(A ∩ B) = 0.6
∴ यहाँ P(A ∩ B) = 0.6 > P(A)
अत: P(A) और (B) युक्ति संगत नहीं है।
(ii) यहाँ पर P(A) = 0.5, P(B) = 0.4, P(A ∪ B) = 0.8
अब
P(A ∩ B) = P(A) + P(B) – P(A ∪ B)
= 0.5 + 0.4 – 0.8
∴ P(A ∩ B) = 0.1
अतः P(A) और P(B) युक्ति संगत है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित सारणी में खाली स्थान भरिए :
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता Ex 16.3 img-3
हल:
(i) P(A) = \(\frac{1}{3}\), P(B) = \(\frac{1}{5}\), P(A ∩ B ) = \(\frac{1}{15}\). P(A∪ B) = ?
P (A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
= \(\frac{1}{3}+\frac{1}{5}-\frac{1}{15}=\frac{8}{15}-\frac{1}{15}=\frac{7}{15}\).
(ii) P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
0.6 = 0.35 + P(B) – 0.25
या P(B) = 0.6 – 0.35 + 0.25 = 0.5.
(iii) P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
0.7 = 0.5 + 0.35 – P(A ∩ B)
∴ P(A ∪ B) = 0.5 + 0.35 – 0.7 = 0.15.

MP Board Solutions

प्रश्न 14.
P(A) = \(\frac{3}{5}\) और P(B) = \(\frac{1}{5}\) दिया गया है। यदि A और B परस्पर अपवर्जी घटनाएँ हैं, तो P(A या B) ज्ञात कीजिए।
हल:
A और B परस्पर अपवर्जी घटनाएँ हैं, तब
P(A ∩ B) = 0
P(A) = \(\frac{3}{5}\), P(B) = \(\frac{1}{5}\)
P(A या B) = P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
∴ P(A ∪ B) = \(\frac{3}{5}+\frac{1}{5}-0=\frac{4}{5}\).

प्रश्न 15.
यदि E और F घटनाएँ इस प्रकार की हैं कि P(E) = \(\frac{1}{4}\), P(F) = \(\frac{1}{2}\), और P(E और F) = \(\frac{1}{8}\) तो ज्ञात कीजिए
(i) P(E या F)
(ii) P(E – नहीं और F – नहीं)।
हल:
P(E) = \(\frac{1}{4}\), P(F) = \(\frac{1}{2}\), P(E और F) = P(E ∩ B) = \(\frac{1}{8}\)
(i) P (E) या F) = P(E U F) = P(E) + P(F) – P(E ∩ F)
= \(\frac{1}{4}+\frac{1}{2}-\frac{1}{8}=\frac{2+4-1}{8}=\frac{5}{8}\)
(ii) P(E नहीं और F – नहीं) = P(E ∩ F)
= P[(E ∪ F)’] = 1 – P(E ∪ F)
= 1 – \(\frac{5}{8}=\frac{3}{8}\).

प्रश्न 16.
घटनाएँ E और F इस प्रकार हैं कि P(E – नहीं और F – नहीं) = 0.25, बताइए कि E और F परस्पर अपवर्जी हैं या नहीं।
हल:
P(E – नहीं और F – नहीं) = P(E ∩ F)
= P[(E ∪ F)’]
अर्थात् = 1 – P(E ∪ F) = 0.25
या P(E ∪ F) = 1 – 0.25
= 0.75.
∴ P(E) ∪ F) ≠ 0 इसलिए E और F परस्पर अपवर्जी नहीं है।

प्रश्न 17.
घटनाएँ A और B इस प्रकार हैं कि P(A) = 0.42, P(B) = 0.48 और P(A और B) = 0.16, ज्ञात कीजिए: .
(i) P(A – नहीं)
(ii) P (B – नहीं)
(iii) P(A या B)
हल:
P(A) = 0.42, P(B) = 0.48
P(A और B) = P(A ∩ B) = 0.16
(i) P(A – नहीं) = P(A’) = 1 – P(A) = 1 – 0.42 = 0.58.
(ii) P(B – नहीं) = P(B’) = 1 – P(B) = 1 – 0.48 = 0.52.
(iii) P(A या B) = P (A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
= 0.42 + 0.48 – 0.16
= 0.90 – 0.16 = 0.74.

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प्रश्न 18.
एक पाठशाला की कक्षा XI के 40% विद्यार्थी गणित पढ़ते हैं और 30% जीव विज्ञान पढ़ते हैं। कक्षा के 10% विद्यार्थी गणित और जीव विज्ञान दोनों पढ़ते हैं । यदि कक्षा का एक विद्यार्थी यादृच्छया चुना जाता है, तो प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि वह गणित या जीव विज्ञान पढ़ता होगा।
हल:
एक पाठशाला के 40% विद्यार्थी गणित पढ़ते हैं।
∴ गणित पढ़ने वाले विद्यार्थी की प्रायिकता P(M) = \(\frac{40}{100}\) = 0.4
30% विद्यार्थी जीव विज्ञान पढ़ते हैं।
∴ जीव विज्ञान पढ़ने वाले विद्यार्थी की प्रायिकता P(B) = \(\frac{30}{100}\) = 0.3
∴ 10% विद्यार्थी गणित और जीव विज्ञान दोनों पढ़ते हैं।
∴ गणित और जीव विज्ञान वाले विद्यार्थियों की प्रायिकता, P(M ∩ B)
= \(\frac{10}{100}\)
= 0.1
अब एक विद्यार्थी यादृच्छया चुना गया हो, तब उस विद्यार्थी द्वारा गणित या जीव विज्ञान लिए गए विषय की प्रायिकता
P(M ∪ B) = P(M) + P(B) – P(M ∩ B)
= 0.4 + 0.3 – 0.1
= 0.6

प्रश्न 19.
एक प्रवेश परीक्षा की दो परीक्षणों (Tests) के आधार पर श्रेणीबद्ध किया जाता है। किसी यादृच्छया चुने गए विद्यार्थी की पहले परीक्षण में उत्तीर्ण होने की प्रायिकता 0.8 है और दूसरे परीक्षण में उत्तीर्ण होने की प्रायिकता 0.7 है। दोनों में से कम से कम एक परीक्षण उत्तीर्ण करने की प्रायिकता 0.95 है। दोनों परीक्षणों को उत्तीर्ण करने की प्रायिकता क्या है?
हल:
माना A और B क्रमशः पहले और दूसरे परीक्षण में उत्तीर्ण होने को दर्शाते हैं।
P(A) = 0.8, P(B) = 0.7
कम से कम एक परीक्षण में उत्तीर्ण होने की प्रायिकता
= 1 – P(A’ ∩ B’) = 0.95
⇒ P(A’ ∩ B’) = 1 – 0.95 = 0.05
परन्तु A’ ∩ B’ = (A ∪ B)’ (डी-मोर्गन नियम से)
∴ P(A’ ∩ B’) = P(A ∪ B)’ = 1 – P(A ∪ B) = 0.05
∴ P(A ∪ B) = 1 – 0.05 = 0.95
अब P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
0.95 = 0.8 + 0.7 – P(A ∩ B)
P(A ∩ B) = 1.5 – 0.95 = 0.55
इस प्रकार दोनों परीक्षणों को उत्तीर्ण करने की प्रायिकता = 0.55.

प्रश्न 20.
एक विद्यार्थी के अंतिम परीक्षा के अंग्रेजी और हिन्दी दोनों विषयों को उत्तीर्ण करने की प्रायिकता 0.5 है और दोनों में से कोई भी विषय उत्तीर्ण न करने की प्रायिकता 0.1 है। यदि अंग्रेजी की परीक्षा उत्तीर्ण करने की प्रायिकता 0.75 हो तो हिन्दी की परीक्षा उत्तीर्ण करने की प्रायिकता क्या है?
हल:
माना E और H क्रमशः अंग्रेजी और हिन्दी में पास करने को दर्शाते हैं।
तब अंग्रेजी और हिन्दी दोनों परीक्षा में उत्तीर्ण होने की प्रायिकता
P(E ∩ H) = 0.5
दोनों में से कोई परीक्षा उत्तीर्ण न करने की प्रायिकता
= P(E’ ∩ H’) = 0.1
या P[(E ∪ H)’] = 1 – P(E ∪ H) = 0.1
⇒ P(E ∪ H) = 1 – 0.1 = 0.9
अंग्रेजी परीक्षा में उत्तीर्ण होने की प्रायिकता = P(E) = 0.75
अतः
P(E ∪ H) = 0.9, P(E) = 0.75, P(E ∩ H) = 0.5
P(E ∪ H) = P(E) + P(H) – P(E ∩ H)
0.9 = 0.75 + P(H) – 0.5
P(H) = 0.9 + 0.5 – 0.75
= 1.4 – 0.75 = 0.65
अतः हिन्दी परीक्षा में उत्तीर्ण होने की प्रायिकता = 0.65.

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प्रश्न 21.
एक कक्षा के 60 विद्यार्थियों में से 30 ने एन.सी.सी. (NCC), 32 ने एन.एस.एस. (NSS) और 24 ने दोनों को चुना है। यदि इनमें से एक विद्यार्थी यादृच्छया चुना गया है तो प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि
(i) विद्यार्थी ने एन.सी.सी. या एन.एस.एस. को चुना है।
(ii) विद्यार्थी ने न तो एन.सी.सी. और न ही एन.एस.एस. को चुना है।
(iii) विद्यार्थी ने एन.एस.एस. को चुना है किन्तु एन.सी.सी को नहीं चुना है।
हल:
माना A और B क्रमशः एन.सी.सी. और एन.एस.एस. चुनने की घटना को दर्शाते हैं।
विद्यार्थियों की कुल संख्या = 60
एन.सी.सी. चुनने वाले विद्यार्थियों की संख्या = 30
एन.सी.सी. चुनने की प्रायिकता P(A) = \(\frac{30}{60}=\frac{1}{2}\)
एन.एस.एस. चुनने वाले विद्यार्थियों की संख्या = 32
∴ एन.एस.एस. चुने जाने की प्रायिकता P(B) = \(\frac{32}{60}\)
एन.सी.सी. और एन.एस.एस. चुनने वालों की संख्या = 24
एन.सी.सी. और एन.एस.एस. चुनने की प्रायिकता = \(\frac{24}{60}\)
(i) एन.सी.सी. और एन.एस.एस. चुने जाने की प्रायिकता P(A ∪ B) = P(A) + P(B) – P(A ∩ B)
= \(\frac{30}{60}+\frac{32}{60}-\frac{24}{60}=\frac{38}{60}=\frac{19}{30}\).
(ii) एन.सी.सी. और एन.एस.एस. में से कोई भी विषय न चुने जाने की प्रायिकता
P(A’ ∩ B’) = P[(A ∪ B)’]
= 1 – P(A ∪ B)
= 1 – \(\frac{19}{30}=\frac{11}{30}\).
(iii) विद्यार्थी ने एन.एस.एस. को चुना है परन्तु एन.सी.सी. को नहीं
इसकी प्रायिकता = P(A’ ∩ B) = P(B) – P(A ∩ B)
= \(\frac{32}{60}-\frac{24}{60}=\frac{8}{60}=\frac{2}{15}\).

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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता Ex 16.2

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 16 प्रायिकता Ex 16.2

प्रश्न 1.
एक पासा फेंका जाता है। मान लीजिए घटना E ‘पासे पर संख्या 4’ दर्शाता है और घटना F ‘पासे पर सम संख्या’ दर्शाता है। क्या E और F परस्पर अपवर्जी हैं?
हल:
पासा फेंकने पर प्रतिदर्श समष्टि
= {1, 2, 3, 4, 5, 6}
E (संख्या 4 दर्शाता है) = {4}
F (सम संख्या ) = {2, 4, 6}
E ∩ F = {4} {2, 4, 6} = {4} ≠ ϕ
अत: E और F परस्पर अपवर्जी नहीं हैं।

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प्रश्न 2.
एक पासा फेंका जाता है। निम्नलिखित घटनाओं का वर्णन कीजिए :
(i) A : संख्या 7 से कम है।
(ii) B : संख्या 7 से बड़ी है।
(iii) C : संख्या 3 का गुणज है।
(iv) D : संख्या 4 से कम है।
(v) E : 4 से बड़ी सम संख्या है।
(vi) F : संख्या 3 से कम नहीं है।
A ∪ B, A ∩ B, B ∪ C, E ∪ F, D ∩ E, A – C, D – E, F’, E ∩ F’ भी ज्ञात कीजिए।
हल:
S = {1, 2, 3, 4, 5, 6}
(i) A : संख्या 7 से कम है = {1, 2, 3, 4, 5, 6}
(ii) B : संख्या 7 से बड़ी है = पासे में कोई संख्या 7 से बड़ी नहीं है
= ϕ
(iii) C : संख्या 3 का गुणज है = {3, 6}
(iv) D : संख्या 4 से कम है = {1, 2, 3}
(v) E : 4 से बड़ी सम संख्या है = {6}
(vi) F = संख्या 3 से कम नहीं है
= {3, 4, 5, 6}
अब A ∪ B = {1, 2, 3, 4, 5, 6} ∪ϕ
= {1, 2, 3, 4, 5, 6}.
A ∩ B= {1, 2, 3, 4, 5, 6} ∩ ϕ
= ϕ
B ∪ C = ϕ ∪ {3, 6} = {3, 6}.
E ∪ F = {6} ∪ {3, 4, 5, 6} = {3, 4, 5, 6}.
D ∩ E = {1, 2, 3} ∩ {6}
A – C= {1, 2, 3, 4, 5, 6} – {3, 6}
= {1, 2, 4, 5}.
F’ = {3, 4, 5, 6}’ = S – {3, 4, 5, 6}
= {1, 2, 3, 4, 5, 6} – {3, 4, 5, 6}
= {1, 2}.
E ∩ F’ = {6} ∩ {3, 4, 5, 6}’
= {6} ∩ {1, 2} = ϕ.

प्रश्न 3.
एक परीक्षण में पासे के एक जोड़े को फेंकते हैं और उन पर प्रकट संख्याओं को लिखते हैं। निम्नलिखित संख्याओं का वर्णन कीजिए।
A : प्राप्त संख्याओं का योग 8 से अधिक है।
B : दोनों पासों पर संख्या 2 प्रकट होती है।
C : प्रकट संख्याओं का योग कम से कम 7 है और 3 का गुणज है।
इन घटनाओं के कौन-कौन से युग्म परस्पर अपवर्जी हैं ?
हल:
जब दो पासे फेंके जाते हैं, तो कुल संभावित परिणामों की संख्या
= 6 × 6 = 36
A= प्राप्त संख्याओं का योग 8 से अधिक है।
= {(3, 6), (4, 5), (5, 4), (6, 3), (4, 6), (5, 5), (6, 4), (5, 6), (6, 5), (6, 6)}
B = कम से कम एक पासे पर संख्या 2 प्रकट होती है
= {(1, 2), (2, 2), (3, 2), (4, 2), (5, 2), (6, 2), (2, 1), (2, 3), (2, 4), (2, 5), (2, 6)}
C = प्रकट संख्याओं का योग कम से कम 7 है और 3 का गुणज है।
= प्रकट संख्याओं का योग 9 और 12 है जो कि 3 का गुणज है।
= {(3, 6), (6, 3), (4, 5), (5, 4), (6, 6)}
A ∩ C = {(3, 6), (4, 5), (5, 4), (6, 3), (4, 6), (5, 5), (6, 4), (5, 6), (6, 5), (6, 6)} ∩ {(3, 6), (6, 3), (5, 4), (6, 6)}
= {(3, 6), (6, 3), (4, 5), (5, 4), (6, 6)}
A ∩ B = {(3, 6), (6, 3), (4, 5), (5, 4), (4, 6), (6, 4), (5, 5), (5, 6), (6, 5), (6, 6) ∩ {(1, 2), (3, 2), (2, 1), (2, 3), (4, 2), (2, 4), (5, 2), (2, 5), (2, 6), (6, 2)}
= ϕ
B ∩ C = {(1, 2), (2, 1), (2, 2), (2, 3), (3, 2), (2, 4), (4, 2), (2, 5), (5, 2), (2, 6), (6, 2)} ∩ {(3, 6), (6, 3), (4,5), (5, 4), (6, 6)}
= ϕ
A ∩ B = ϕ , B ∩ C = ϕ अर्थात् A और B, B और C परस्पर अपवर्जी हैं।
परन्तु A ∩ C ≠ ϕ, अत: A और C परस्पर अपवर्जी नहीं हैं।

प्रश्न 4.
तीन सिक्कों को एक बार उछाला जाता है। मान लीजिए कि घटना “तीन चिल दिखना” को A से, घटना 2 चित्त और 1 पट दिखना’ को B से, घटना “3 पट लिखना’ को C से और घटना ‘पहले सिक्के पर चित्त दिखना’ को D से निरूपित किया गया है। बताइए कि इनमें से कौन-सी घटनाएँ
(i) परस्पर अपवर्जी हैं ?
(ii) सरल हैं
(iii) मिश्र हैं ?
हल:
जब तीन सिक्के उछाले जाते हैं तो प्रतिदर्श समष्टि
S = {HHH, HHT, HTH, THH, TTH, THT, HTT, TIT}
A : तीन चित्त दिखना = {HHH}
B : दो चित्त और एक पट दिखना
= {HHT, HTH, THH}
C : तीन पट दिखना = {TTT}
D : पहले सिक्के पर चित्त दिखना
= {HHH, HHT, HTH, HTT}
(i)A ∩ B = {HHH} ∩ {HHT, HTH, THH}
= ϕ
A ∩ C = {HHH} ∩ {TIT} = ϕ
A ∩ D = {HHH} {HHH, HHT, HTH, HTT}
= {HHH} ≠ ϕ
B ∩ C = {HHT, HTH, THH} ∩ {TTT}
= ϕ
B ∩ D = {HHT, HTH, THH) ∩ {HHH, HHT, HTH, HTT}
= (HHT, HTH} ≠ ϕ
C ∩ D = {TTT} {HHH, HHT, HTH, HTT}
= ϕ
A ∩ B ∩ C = {HHH} ∩ {HHT, HTH, THH} ∩ {TTT)
= ϕ
अतः परस्पर अपवर्जी घटनाएँ
A और B, A और C, B और C, C और D, A, B और C.
(ii) सरल घटनाएँ : A और C
(iii) मिश्र घटनाएँ : B और D.

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प्रश्न 5.
तीन सिक्के एक बार उछाले जाते हैं। वर्णन कीजिए
(i) दो घटनाएँ जो परस्पर अपवर्जी हैं।
(ii) तीन घटनाएँ जो परस्पर अपवर्जी और निःशेष हैं।
(iii) दो घटनाएँ जो परस्पर अपवर्जी नहीं हैं।
(iv) दो घटनाएँ जो परस्पर अपवर्जी हैं किन्तु निःशेष नहीं हैं।
(v) तीन घटनाएँ जो परस्पर अपवर्जी हैं किन्तु निःशेष नहीं हैं।
हल:
(i) दो घटनाएँ जो परस्पर अपवर्जी हैं
A = कम से कम दो चित्त प्राप्त करना
= {HHH, HHT, HTH, THH}
B = कम से कम दो पेर्ट प्राप्त करना
= {TTT, TTH, THT, HTT}

(ii) तीन घटनाएँ A, B, C जो परस्पर अपवर्जी और निःशेष हैं।
A = अधिक से अधिक एक चित्त प्राप्त करना
= {TIT, TTH, THT, HTT}
B = तथ्यत, 2 चित्त प्राप्त करना
= {HHT, HTH, THH}
C = तथ्यतः, 3 चित्त प्राप्त करना = {HHH}

(iii) दो घटनाएँ A और B जो परस्पर अपवर्जी नहीं हैं।
A : अधिकतम 2 पट प्राप्त करना
= {HHH, HHT, HTH, THH, TTH, THT, HTT}
B : तथ्यतः 2 चित्त प्राप्त करना
= {HHT, HTH, THH}
A ∩ B = {HHT, HTH, THH} ≠ ϕ

(iv) दो घटनाएँ A और B जो परस्पर अपवर्जी हैं किन्तु निःशेष नहीं हैं।
A : तथ्यतः एक चित्त प्राप्त करना
= {TTH, THT, HTT}
B : तथ्यतः 2 चित्त प्राप्त करना
{HHT, HTH, THH)

(v) तीन घटनाएँ A, B, C जो परस्पर उपवर्जी हैं किन्तु निःशेष नहीं हैं।
A : तथ्यतः एक पट प्राप्त करना
= {HHT, THT, THH}
B : तथ्यतः 2 पट प्राप्त करना
= {TTH, THT, HTT}
C : तथ्यतः 3 पट प्राप्त करना = {TTT}
[नोट : घटनाएँ भिन्न-भिन्न भी हो सकती हैं।

प्रश्न 6.
दो पासे फेंके जाते हैं। घटनाएँ A, B और C निम्नलिखित प्रकार से हैं :
A : पहले पासे पर सम संख्या प्राप्त होना।
B : पहले पासे पर विषम संख्या प्राप्त होना।
C : पासों पर प्राप्त संख्याओं का योग 55 होना।
निम्नलिखित घटनाओं का वर्णन कीजिए :
(1) A’
(ii) B – नहीं
(iii) A या B
(iv) A और B
(v) A किन्तु C नहीं
(vi) B या C
(vii) B और C
(viii) A ∩ B’ ∩ C’
हल:
दो सिक्के फेंकने पर प्रतिदर्श समष्टि
S = {(1, 1), (1, 2), …(1, 6), (2, 1), (2, 2), … (2, 6), (3, 1), (3, 2), … (3, 6), (4, 1), (4, 2), … (4, 6), (5, 1), (5, 2),… (5, 6), (6, 1), … (6, 6)}
A= पहले पासे पर सम संख्या प्राप्त होगा।
= {(2, 1), (2, 2), (2, 3), (2, 4), (2, 5), (2, 6), (4, 1), (4, 2), (4, 3), (4, 4), (4,5), (4, 6), (6, 1), (6, 2), (6, 3), (6, 4), (6, 5), (6, 6)} = A
B = पहले पासे पर विषम संख्या प्राप्त होना।
= {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (1, 5), (1, 6), (3, 1), (3, 2), (3, 3), (3, 4), (3, 5), (3, 6), (5, 1), (5, 2), (5, 3), (5, 4), (5, 5), (5, 6)}
C = पासों पर प्राप्त संख्याओं का योग ≤ 5 होना।
= {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (2, 1), (2, 2), (2, 3), (3, 1), (3, 2), (4, 1)}
(i) A’ = S – A
= {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (1, 5), (1, 6), (3, 1), (3, 2), (3, 3), (3, 4), (3, 5), (3, 6), (5, 1), (5, 2), (5, 3), (5, 4), (5, 5), (5, 6)}
= B

(ii) B-नहीं = B’ = पहले पासे पर विषम संख्या का न होना
= {(2, 1), (2, 2), (2, 3), (2, 4), (2, 5), (2, 6), (4, 1), (4, 2), (4, 3), (4, 4), (4,5), (4,6), (6, 1), (6, 2), (6, 3), (6, 4), (6, 5), (6, 6)} = A

(iii) A या B= A ∪ B= {x : x पहले पासे पर सम संख्या का होना} ∪ {पहले पासे पर विषम संख्या का होना}
= S

(iv) A और B = A ∩ B
= {x : x पहले पासे पर सम संख्या का होना} ∩ {पहले पासे पर विषम संख्या का होना}
= ϕ

(v) A किन्तु C – नहीं
= {x : x पहले पासे पर सम संख्या का होना} – {पासों पर प्राप्त संख्याओं का योग ≤ 5}
A – C = {(2, 1), (2, 2), …, (2, 6), (4, 1), (4, 2), … (4, 2), … (4, 6), (6, 1), (6, 2), …. (6,6)} – {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1,4), (2, 1), (2, 2), (2, 3), (3, 1), (3, 2), (4, 1)}
= {(2, 4), (2, 5), (2, 6), (4, 2), (4, 3),…(4, 6), (6, 1), (6, 2), … (6, 6)}

(vi) B या C = B ∪ C = {x : x, पहले पासे पर विषम संख्या होगा} ∪ {पासों पर प्राप्त संख्याओं का योग ≤ 5}
= {(1, 1), (1, 2), …, (1, 6), (3, 1), (3, 2), …, (3, 6), (5, 1), (5, 2), … (5, 6)} ∪ (1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (2, 1), (2, 2), (2, 3), (3, 2), (4, 1)}
= {(1, 1), (1, 2), … (1, 6), (2, 1), (2, 2), (2, 3), (3, 1), (3, 2), … (3, 6), (4, 1), (5, 1), (5, 2), (5, 3), … (5, 6).

(vii) B और C अर्थात् B ∩ C = {(1, 1), … (1, 6), (3, 1), (3, 2),… (3, 6), (5, 1), (5, 2), (5, 3), … (5, 6) ∩ {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (2, 1), (2, 2) (2, 3), (3, 1), (3, 2), (4, 1)}.
= {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (3, 1), (3, 2)}

(viii) यहाँ B’ = A
∴ A ∩ B’ = A ∩ A = A
∴ A ∩ B’ ∩ C’ = {(2, 1), (2, 2), … (2, 6), (4, 1), (4, 2),…,(4, 6), (6, 1), (6, 2),… (6, 6)} ∩ {(1, 5), (1, 6), (2, 4), (2, 5), (2, 6), (3, 3), (3, 4), (3, 5), (3, 6), (4, 2), (4, 3),…(4, 6), (5, 1), (5, 2),… (5, 6), (6, 1), (6, 2), … (6, 5)}
= {(2, 4), (2, 5), (2, 6), (4, 2), (4, 3), (4, 4), (4, 5), (4, 6), (6, 1), (6, 2), (6, 3), (6, 4), (6, 5), (6, 6)}.

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प्रश्न 7.
उपर्युक्त प्रश्न 6 को देखिए और निम्नलिखित में सत्य या असत्य बताइए (अपने उत्तर का कारण दीजिए :
(i) A और B परस्पर अपवर्जी हैं।
(ii) A और B परस्पर अपवर्जी और निःशेष हैं।
(iii) A = B’
(iv) A और C परस्पर अपवर्जी हैं।
(v) A और B’ परस्पर अपवर्जी हैं।
(vi) A’, B’, C परस्पर अपवर्जी और निःशेष घटनाएँ हैं।
हल:
(i) सत्य A : पहले पासे पर सम संख्या का होना
B : पहले पासे पर विषम संख्या का होना
A और B में कोई भी घटना समान नहीं है।
A ∩ B = ϕ ⇒ A और B परस्पर अपवर्जी घटनाएँ हैं।

(ii) सत्य : A = पहले पासे पर सम संख्या होना
B : पहले पासे पर विषम संख्या होना
A ∪ B = पहले पासे पर सम या विषम कोई भी संख्या हो सकती है, दूसरे पासे पर 1 से 6
तक कोई भी संख्या हो सकती है।
अर्थात् A और B परस्पर अपवर्जी और निःशेष घटनाएँ हैं।

(iii) सत्य : B’ = {पहले पासे पर विषम संख्या होना। .
= पहले पासे पर विषम संख्या न होना
= पहले पासे पर सम संख्या होना
= A
(iv) असत्य A= पहले पासे पर सम संख्या होना
C = {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (2, 1), (2, 2), (2, 3), (3, 1), (3, 2), (4, 1}}
A और C में (2, 1), (2, 2), (2, 3), (4, 1) समान घटनाएँ हैं।
∴ A ∩ C ≠ ϕ
अत: A और C परस्पर अपवर्जी नहीं हैं।

(v) असत्य B’= A
∴ A ∩ B’= A ∩ A = A ≠ ϕ
A तथा B’ परस्पर अपवर्जी नहीं हैं।

(vi) असत्य A’ = B, B’ =A
∴ A’ ∩ B’ = B ∩ A = ϕ
परन्तु A’ ∩ C = B ∩ C = {x : x पहले पासे पर विषम संख्या होना} {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (2, 1), (2, 2), (2, 3), (3, 1), (3, 2), (4, 1)}
= {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (3, 1), (3, 2)} ≠ ϕ
B’ ∩ C = A ∩ C [∵ B’ = A]
= {x : x, पहले पासे पर सम संख्या का होना} ∩ {(1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (2, 1), (2, 2), (2, 3), (3, 1), (3, 2), (4, 1)
(2, 1), (2, 2), (2, 3), (4, 1), A और C दोनों में समान घटनाएँ हैं।
B’ ∩ C ≠ ϕ
अर्थात् A’, B’, और C परस्पर अपवर्जी नहीं हैं और न ही नि:शेष हैं।

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