MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 2 सूक्ष्मजीव: मित्र एवं शत्रु

MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 2 सूक्ष्मजीव: मित्र एवं शत्रु

MP Board Class 8th Science Chapter 2 पाठ के अन्तर्गत के प्रश्नोत्तर

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 17

प्रश्न 1.
क्या आप जानते हैं ये संरचनाएँ क्या हैं? यह कहाँ से आई हैं?
उत्तर:
हाँ, हम जानते हैं, ये संरचनाएँ सूक्ष्मजीव हैं। ये नम वातावरण से आई हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 19

प्रश्न 1.
हमने अपनी माँ को गर्म (गुनगुने) दूध में थोड़ा-सा दही मिलाते हुए देखा है जिससे दही जम जाता है। हमें आश्चर्य हुआ ऐसा क्यों?
उत्तर:
जब गुनगुने दूध में थोड़ा-सा दही मिलाकर रखते हैं, तो उसमें लैक्टोबैसिलस जीवाणु उत्पन्न हो जाते हैं, जो दूध को दही में परिवर्तित कर देते हैं।

प्रश्न 2.
रवा (सूजी), इडली एवं भटूरे का एक महत्वपूर्ण संघटक दही है। क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि ऐसा क्यों है?
उत्तर:
दही में लैक्टोबैसिलस नामक जीवाणु पाए जाते हैं जो किण्वन (फर्मेंटेशन) की क्रिया करते हैं।

पाठ्य पुस्तक पृष्ठ संख्या # 21

प्रश्न 1.
शिशु एवं बच्चों को टीका क्यों लगाया जाता है?
उत्तर:
शिशु एवं बच्चों के शरीर में प्रतिरक्षी उत्पन्न करके रोगकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने के लिए टीका लगाया जाता है। टीके द्वारा अनेक बीमारियों को रोका जा सकता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 22

प्रश्न 1.
पहेली और बूझो जानना चाहते हैं कि यह किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
सूक्ष्मजीवों द्वारा पादप अपशिष्ट एवं फल-सब्जियों के कचरे का अपघटन करके उसे खाद में बदल दिया जाता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 23

प्रश्न 1.
तब आप संचरणीय रोगों का फैलना किस प्रकार रोकते हैं?
उत्तर:
संचरणीय रोगों का फैलना हम निम्न प्रकार रोकते हैं –

  1. छींकते एवं खाँसते समय अपने मुँह एवं नाक पर रूमाल रख लेते हैं।
  2. संक्रमित व्यक्ति से दूर रहते हैं।
  3. भोजन को ढककर रखते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
अध्यापक हमसे ऐसा क्यों कहते हैं कि अपने आस-पास पानी एकत्रित न होने दें।
उत्तर:
अध्यापक हमसे अपने आस-पास पानी एकत्रित न होने के लिए इसलिए कहते हैं क्योंकि सभी मच्छर जल में उत्पन्न होते हैं जो मलेरिया आदि बीमारी फैलाते हैं। ऐसा करने से मलेरिया, डेंगू आदि को फैलने से रोका जा सकता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 25

प्रश्न 1.
पहेली को आश्चर्य होता है कि भोजन ‘विष’ कैसे बन सकता है?
उत्तर:
हमारे भोजन में उत्पन्न होने वाले सूक्ष्मजीव कभी-कभी विषैले पदार्थ उत्पन्न करते हैं जिससे भोजन ‘विष’ बन जाता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 26

प्रश्न 1.
थैलियों में आने वाला दूध संदूषित क्यों नहीं होता? मेरी माँ ने बताया कि यह दूध ‘पॉश्चरीकृत’ है। पॉश्चरीकरण क्या है?
उत्तर:
इस प्रक्रिया में दूध को पहले 70°C पर 15 – 30 सेकण्ड तक गर्म किया जाता है फिर एकाएक ठण्डा करके उसे थैलियों में भण्डारण करते हैं। ऐसा करने से सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रुक जाती है और दूध सन्दूषित नहीं होता। इस प्रक्रिया की खोज वैज्ञानिक लुई पॉश्चर ने की थी, इसीलिए इसे पॉश्चरीकरण कहते हैं।

MP Board Class 8th Science Chapter 2 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.

  1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए(क) सूक्ष्मजीवों को ……… की सहायता से देखा जा सकता है।
  2. नीले-हरे शैवाल वायु से ……… का स्थिरीकरण करते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है।
  3. ऐल्कोहॉल का उत्पादन …… नामक सूक्ष्मजीव की सहायता से किया जाता है।
  4. हैजा …….. के द्वारा होता है।

उत्तर:

  1. सूक्ष्मदर्शी।
  2. नाइट्रोजन।
  3. यीस्ट।
  4. जीवाणु।

प्रश्न 2.
सही शब्द के आगे (✓) का निशान लगाइए –
(क) यीस्ट का उपयोग निम्न के उत्पादन में होता है –

  1. चीनी।
  2. ऐल्कोहॉल।
  3. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।
  4. ऑक्सीजन।

(ख) निम्न में से कौन-सा प्रतिजैविक है?

  1. सोडियम बाइकार्बोनेट।
  2. स्ट्रेप्टोमाइसिन।
  3. ऐल्कोहल।
  4. यीस्ट।

(ग) मलेरिया परजीवी का वाहक है?

  1. मादा एनॉफिलीज मच्छर।
  2. कॉकरोच।
  3. घरेलू मक्खी।
  4. तितली।

(घ) संचरणीय रोगों का सबसे मुख्य कारक है?

  1. चींटी।
  2. घरेलू मक्खी।
  3. ड्रेगन मक्खी।
  4. मकड़ी।

(ङ) ब्रेड अथवा इडली फूल जाती है, इसका कारण है?

  1. उष्णता।
  2. पीसना।
  3. यीस्ट कोशिकाओं की वृद्धि।
  4. माड़ने के कारण।

(च) चीनी को ऐल्कोहॉल में परिवर्तित करने के प्रक्रम का नाम है –

  1. नाइट्रोजन स्थिरीकरण।
  2. मोल्डिंग।
  3. किण्वन।
  4. संक्रमण।

उत्तर:
(क) ऐल्कोहॉल।

(ख) स्ट्रेप्टोमाइसिन।

(ग) मादा एनॉफिलीज मच्छ।

(घ) घरेलू मक्खी।

(ङ) यीस्ट कोशिकाओं की वृद्धि।

(च) किण्वन।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
कॉलम-I के जीवों का मिलान कॉलम-II में दिए गए उनके कार्य से कीजिए –
MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 2 सूक्ष्मजीव मित्र एवं शत्रु 1
उत्तर:
(क) → (v)
(ख) → (i)
(ग) → (ii)
(घ)  → (iii)
(ङ) → (iv)
(च) → (vi)

प्रश्न 4.
क्या सूक्ष्मजीव बिना यन्त्र की सहायता से देखे जा सकते हैं? यदि नहीं तो वे कैसे देखे जा सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, सूक्ष्मजीव बिना यन्त्र की सहायता से नहीं देखे जा सकते। इन्हें सूक्ष्मदर्शी एवं आवर्धक लेन्स की सहायता से देख सकते हैं।

प्रश्न 5.
सूक्ष्मजीवों के मुख्य वर्ग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सूक्ष्मजीवों के मुख्य वर्ग निम्नलिखित हैं –

  1. जीवाणु।
  2. कवक।
  3. प्रोटोजोआ।
  4. शैवाल।
  5. विषाणु।

प्रश्न 6.
वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का मिट्टी में स्थिरीकरण करने वाले सूक्ष्मजीवों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का मिट्टी में स्थिरीकरण करने वाले सूक्ष्मजीव हैं – राइजोबीय जीवाणु, मिट्टी में उपस्थित जीवाणु तथा नीले-हरे शैवाल।

प्रश्न 7.
हमारे जीवन में उपयोगी सूक्ष्मजीवों के बारे में 10 पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:

  1. सूक्ष्मजीवों का उपयोग पर्यावरण को स्वच्छ रखने में किया जाता है।
  2. जीवाणुओं का उपयोग औषधि बनाने में किया जाता है।
  3. इनका उपयोग टीका बनाने में किया जाता है।
  4. ये कृषि में मृदा की उर्वरता में वृद्धि करने में सहायक
  5. इनका उपयोग ब्रेड, केक एवं दही आदि बनाने में किया जाता है।
  6. ये पौधों को रोगों से बचाने में भी सहायक हैं।
  7. ये जन्तुओं को बीमारी से बचाने में सहायक हैं।
  8. ये किण्वन प्रक्रिया में सहायक हैं।
  9. ये शराब, ऐल्कोहॉल, ऐसीटिक अम्ल आदि बनाने में सहायक है।
  10. अचार, पनीर तथा अन्य खाद्य पदार्थ भी इनकी सहायता से बनाये जाते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले हानिकारक प्रभावों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाली हानियाँ निम्नलिखित हैं –

  1. सूक्ष्मजीव संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में संचरणीय रोग फैलाते हैं। जैसे-क्षयरोग, हैजा आदि।
  2. कुछ सूक्ष्मजीव जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं। जैसे-जीवाणु द्वारा एंथ्रेक्स।
  3. कुछ सूक्ष्मजीव भोजन को विषाक्त कर देते हैं जिसके खाने से मनुष्य की मृत्यु तक हो सकती है।
  4. कुछ जीव पौधों में रोग उत्पन्न करते हैं। जैसे-गेहूँ की रस्ट कवक से, नींबू कैंकर जीवाणु से तथा भिण्डी की पीत विषाणु से आदि।

प्रश्न 9.
प्रतिजैविक क्या हैं? प्रतिजैविक लेते समय कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर:
ऐसी औषधियाँ जो बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देती हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोक देती हैं, प्रतिजैविक कहलाती हैं। ऐसी औषधियों का स्रोत सूक्ष्मजीव होते हैं।

प्रतिजैविक लेते समय सावधानियाँ:

  1. प्रतिजैविक दवाएँ डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेनी चाहिए और उस दवा का पूरा कोर्स करना चाहिए।
  2. आवश्यकता न होने पर प्रतिजैविक का उपयोग नहीं करना चाहिए। अनावश्यक रूप से प्रतिजैविक का उपयोग उतना प्रभावी नहीं होता।
  3. अनावश्यक रूप से ली गई प्रतिजैविक शरीर में उपस्थित उपयोगी जीवाणुओं को नष्ट कर देती है।
  4. सर्दी-जुकाम एवं फ्लू में प्रतिजैविक का उपयोग नहीं करना चाहिए।

MP Board Class 8th Science Solutions

MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध

MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध

MP Board Class 8th Science Chapter 1 पाठ के अन्तर्गत के प्रश्नोत्तर

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 01

प्रश्न 1.
मैं जानना चाहता हूँ कि हम इन औजारों का उपयोग कहाँ और कैसे करते हैं?
उत्तर:
हम इन औजारों का उपयोग कृषि से सम्बन्धित विभिन्न कार्यों में करते हैं; जैसे-मिट्टी तैयार करना, जुताई करना, बुआई करना, कटाई करना इत्यादि।

प्रश्न 2.
हरे पौधे अपना भोजन किस प्रकार संश्लेषित करते हैं?
उत्तर:
हरे पौधे अपना भोजन सूर्य के प्रकाश, वायु और मिट्टी से प्राप्त नमी द्वारा संश्लेषित करते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
जन्तुओं के भोजन का स्त्रोत क्या है?
उत्तर:
जन्तुओं के भोजन का स्रोत हरे पेड़-पौधे और अन्य जन्तु हैं।

प्रश्न 4.
हम भोजन ग्रहण ही क्यों करते हैं?
उत्तर:
हम शारीरिक क्रियाओं हेतु ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भोजन ग्रहण करते हैं। प्राप्त ऊर्जा का उपयोग विभिन्न जैविक प्रक्रमों, जैसे-पाचन, श्वसन एवं उत्सर्जन के सम्पादन में करते हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 02

प्रश्न 1.
धान को शीत ऋतु में क्यों नहीं उगाया जा सकता?
उत्तर:
धान को उगाने के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है, अतः इसे शीत ऋतु में नहीं उगाया जा सकता। इसे केवल वर्षा ऋतु में ही उगाया जा सकता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
पोली मिट्टी किस प्रकार पौधों की जड़ों को सरलता से श्वसन कराने में सहायक है?
उत्तर:
पोली मिट्टी में वायु अधिक गहराई तक जा सकती है इसलिए गहराई में फँसी जड़ें भी सरलता से श्वसन कर सकती हैं।

प्रश्न 3.
मिट्टी को पलटना और पोला करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मिट्टी को पलटने और पोला करने से पोषक तत्व ऊपर आ जाते हैं और पौधे इन पोषक तत्वों का उपयोग कर सकते हैं। अतः मिट्टी को उलटना-पलटना एवं पोला करना फसल उगाने के लिए आवश्यक है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 04

प्रश्न 1.
एक दिन मैंने अपनी माँ को देखा कि माँ चने के कुछ बीज एक बर्तन में रखकर उसमें कुछ पानी डाल रही हैं। कुछ मिनट पश्चात् कुछ बीज पानी के ऊपर तैरने लगे। मुझे आश्चर्य हुआ कि कुछ बीज पानी के ऊपर क्यों तैरने लगे?
उत्तर:
यह अच्छे तथा स्वस्थ बीजों को क्षतिग्रस्त बीजों से अलग करने की एक विधि है। कुछ बीज पानी में इसलिए तैरने लगे क्योंकि वे हल्के, क्षतिग्रस्त व खोखले थे।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 05

प्रश्न 1.
मेरे विद्यालय के समीप एक पौधशाला (नर्सरी) है। मैंने देखा कि पौधे छोटे-छोटे थैलों में रखे हैं। वे इस प्रकार क्यों रखे गए हैं?
उत्तर:
धान जैसे कुछ पौधों के बीजों तथा वनीय एवं पुष्पी पौधों को पौधशाला में उगाया जाता है। जब पौध तैयार हो जाती है तो इन्हें नष्ट होने से बचाने के लिए छोटे-छोटे थैलों में रख देते हैं। फिर जहाँ खेतों में इन्हें रोपित करना होता है, तब इन्हें थैलों से निकाल कर हाथों से खेत में रोपित कर देते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
मैंने एक खेत में उगने वाली स्वस्थ फसल के पौधों को देखा जबकि पास के खेत में पौधे कमजोर थे। कुछ पौधे अन्य पौधों की तुलना में ज्यादा अच्छी तरह से क्यों उगते हैं?
उत्तर:
जिन पौधों को पोषक तत्व, जल, खाद और उर्वरक पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं, वे पौधे उन पौधों की तुलना में ज्यादा अच्छी तरह से उगते हैं जिन्हें खाद्य पदार्थ, जल, खाद और उर्वरक उचित मात्रा में न मिले हों।

प्रश्न 3.
खेत कभी खाली नहीं छोड़े जाते। कल्पना कीजिए कि पोषकों का क्या होता है?
उत्तर:
लगातार फसलों के उगने से मिट्टी में कुछ पोषकों की कमी हो जाती है। इस क्षति को पूरा करने के लिए किसान खेतों में खाद देते हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 10

प्रश्न 1.
क्या ये अन्य पौधे विशेष उद्देश्य के लिए उगाए गए हैं?
उत्तर:
नहीं, ये पौधे विशेष उद्देश्य के लिए नहीं उगाए गए हैं। ये पौधे अवांछित हैं और प्राकृतिक रूप से फसल के साथ उग आते हैं। इन पौधों को खरपतवार कहते हैं।

प्रश्न 2.
क्या खरपतवारनाशी का प्रभाव इसको छिड़कने वाले व्यक्ति पर भी पड़ता है?
उत्तर:
हाँ,खरपतवारनाशी का प्रभाव इसको छिड़कने वाले व्यक्ति पर भी पड़ता है। अतः छिड़काव करते समय इन्हें अपना मुँह और नाक कपड़े से ढक लेना चाहिए।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 11

MP Board Solutions

प्रश्न 1.
मैंने अपनी माँ को अनाज रखे लोहे के ड्रम में नीम की सूखी पत्तियाँ रखते देखा। मुझे आश्चर्य हुआ क्यों?
उत्तर:
माँ ने अनाज रखे लोहे के ड्रम में नीम की सूखी पत्तियाँ इसलिए रखी हैं, जिससे कि अनाज कीटों से सुरक्षित रहे। इसमें आश्चर्य होने की कोई बात नहीं है।

MP Board Class 8th Science Chapter 1 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उचित शब्द छाँटकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
तैरने, जल, फसल, पोषक, तैयारी।

  1. एक स्थान पर एक ही प्रकार की बड़ी मात्रा में उगाए गए पौधों को ……….. कहते हैं।
  2. फसल उगाने से पहले प्रथम चरण मिट्टी की ……….. होती है।
  3. क्षतिग्रस्त बीज जल की सतह पर ……….. लगेंगे।
  4. फसल उगाने के लिए पर्याप्त सूर्य का प्रकाश एवं मिट्टी से ………. तथा ……….. आवश्यक है।

उत्तर:

  1. फसल।
  2. तैयारी।
  3. तैरने।
  4. जल, पोषक।

प्रश्न 2.
‘कॉलम A’ में दिए गए शब्दों का मिलान ‘कॉलम B’ से कीजिए।
MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध 1
उत्तर:

  1. → (e)
  2. → (d)
  3. → (b)
  4. → (c)

प्रश्न 3.
निम्न के दो-दो उदाहरण दीजिए –

  1. खरीफ फसल।
  2. रबी फसल।

उत्तर:

  1. खरीफ फसल-कपास, मक्का।
  2. रबी फसल-गेहूँ, चना।

प्रश्न 4.
निम्न पर अपने शब्दों में एक-एक पैराग्राफ लिखिए

  1. मिट्टी तैयार करना।
  2. बुआई।
  3. निराई।
  4. शिंग।

उत्तर:
1. मिट्टी तैयार करना:
फसल उगाने से पहले यह प्रथम चरण है। इस प्रक्रिया में प्रथम कार्य मिट्टी को पलटना तथा इसे पोला बनाना है। इससे जड़ें भूमि में गहराई तक चली जाती हैं। पोली मिट्टी में जड़ें सरलता से श्वसन कर सकती हैं। पोली मिट्टी में केंचुओं और सूक्ष्मजीवों की वृद्धि होती है जो मिट्टी को ओर पलटकर पोला करते हैं तथा ह्यूमस बनाते हैं। मिट्टी को उलटने-पलटने एवं पोला करने की प्रक्रिया जुताई कहलाती है। खेतों में हल चलाकर जुताई की जाती है। इसके बाद बुआई हेतु खेत को पाटल की सहायता से समतल किया जाता है।

2. बुआई:
यह खेतों में बीज डालने की विधि है। इसके लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का चयन किया जाता है। अच्छी गुणवत्ता वाले बीज अच्छी किस्म के साफ एवं स्वस्थ बीज होते हैं। ये बीज अधिक उपज देते हैं। बीजों की बोआई के लिए परम्परागत औजार को उपयोग में लाते हैं। यह कीप के आकार का होता है। इसमें होकर बीज दो-तीन नुकले सिरे वाले पाइपों से होकर गुजरते हैं। ये सिरे मिट्टी को भेदकर बीज को स्थापित कर देते हैं। आजकल बोआई ट्रैक्टर द्वारा संचालित सीड-ड्रिल से की जाती हैं। इससे बीज समान दूरी और गहराई पर रहते हैं तथा मिट्टी द्वारा ढ़क जाते हैं।

3. निराई:
खेतों में फसल के साथ कई अवांछित पौधे प्राकृतिक रूप से उग आते हैं। ये अवांछित पौधे खरपतवार कहलाते हैं। खरपतवार हटाने को निराई कहते हैं। निराई न करने से फसल की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। खरपतवार के होने से
फसल को जल, जगह, पोषक तत्व तथा प्रकाश पूर्ण रूप से नहीं मिल पाता। ये कटाई में भी बाधा डालते हैं। कुछ खरपतवार मनुष्य एवं पशुओं के लिए विषैले भी हो सकते हैं। फसल को उगाने से पहले खेत जोतने से खरपतवार आसानी से हट जाते हैं। ये सूखकर मिट्टी में मिल जाते हैं। खरपतवार हटाने का उचित समय पुष्पन एवं बीज बनने से पहले का होता है। खरपतवार पौधों को हाथ से जड़ सहित उखाड़कर अथवा भूमि के निकट से काटकर किया जाता है। इस कार्य को खुरपी या हैरो की सहायता से किया जाता है।

4. श्रेशिंग:
जब फसल पक जाती है तो उसे काटा जाता है। फसल को काटना कटाई कहलाता है। काटी गई फसल से बीजों/दानों को अलग किया जाता है। इसे श्रेशिंग कहते हैं। थ्रेशिंग का कार्य कॉम्बाइन मशीन द्वारा किया जाता है, जो वास्तव में हार्वेस्टर और थ्रेशर का संयुक्त रूप है।

प्रश्न 5.
स्पष्ट कीजिए कि उर्वरक खाद से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
उर्वरक और खाद में भिन्नता –
MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध 2

प्रश्न 6.
सिंचाई किसे कहते हैं? जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उचित समय एवं विभिन्न अन्तराल पर खेत में जल देना सिंचाई कहलाता है। जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियाँ हैं –
(1) छिड़काव तन्त्र:
इस विधि का उपयोग असमतल भूमि, जहाँ जल कम मात्रा में उपलब्ध हो, किया जाता है। इस विधि में पाइपों के ऊपर घूमने वाले नोजल लगे होते हैं। ये पाइप निश्चित दूरी पर मुख्य पाइप से जुड़े रहते हैं। जब पम्प द्वारा जल को मुख्य पाइप में भेजा जाता है, तो यह घूमते हुए नोजल से बाहर
निकल कर पौधों पर वर्षा की भाँति छिड़काव करता है। बलुई । मिट्टी के लिए यह विधि अत्यन्त उपयोगी है।

(2) ड्रिप तन्त्र:
इस विधि में जल बूंद-बूंद करके पौधों पर गिरता है। इस विधि का उपयोग करने से जल व्यर्थ नहीं जाता। यह विधि फलदार पौधों, बगीचों एवं वृक्षों को पानी देने के लिए सर्वोत्तम विधि है। यह जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए अधिक उपयुक्त है।

प्रश्न 7.
यदि गेहूँ को खरीफ ऋतु में उगाया जाए तो क्या होगा? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
गेहूँ रबी की फसल है। इसे शीत ऋतु में उगाया जाता है। खरीफ की फसल जून से सितम्बर तक होती है। इस समय वर्षा काफी अधिक मात्रा में होती है। यदि गेहूँ को इस समय उगाया जाये तो गेहूँ के पौधे अधिक मात्रा में पानी मिलने की वजह से सडकर खराब हो जायेंगे और फसल नष्ट हो जाएगी।

प्रश्न 8.
खेत में लगातार फसल उगाने से मिट्टी पर क्या प्रभाव पड़ता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
खेत में लगातार फसल उगाने से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए किसान खेतों में खाद तथा उर्वरक डालते हैं। इससे किसान एक फसल के बाद दूसरी किस्म की फसल उगाते हैं। खेत में अपर्याप्त खाद होने से पौधे कमजोर हो जाते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 9.
खरपतवार क्या है? हम उनका नियन्त्रण कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
खेत में फसल के साथ कुछ अवांछित पौधे उग आते हैं, इन पौधों को खरपतवार कहते हैं। इनको हटाना आवश्यक होता है अन्यथा ये फसल की वृद्धि में बाधा डालते हैं। पशुओं और मनुष्यों के लिए ये विषैले/हानिकार भी हो सकते हैं। इनका नियन्त्रण निम्न प्रकार किया जा सकता है –

  1. फसल उगाने से पहले खेत जोतकर इन्हें नष्ट किया जा सकता है। खेत जोतने पर ये सूखकर नष्ट हो जाते हैं।
  2. पुष्पन एवं बीज बनने से पहले इन्हें हाथ से, खुरपी से या हैरो की सहायता से हटाया जा सकता है।
  3. खेतों में खरपतवारनाशी रसायनों का उपयोग करके इन पर नियन्त्रण किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
निम्न बॉक्स को सही क्रम में इस प्रकार लगाइए कि गन्ने की फसल उगाने का रेखाचित्र तैयार हो जाए –
MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध 4
उत्तर:
MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध 3

प्रश्न 11.
नीचे दिए गए संकेतों की सहायता से पहेली को पूरा कीजिए –
ऊपर से नीचे की ओर:
1. सिंचाई का एक पारस्परिक तरीका।
2. बड़े पैमाने पर पालतू पशुओं की उचित देखभाल करना।
3. फसल जिन्हें वर्षा ऋतु में बोया जाता है।
6. फसल पक जाने के बाद काटना।

बाई से दाईं ओर:
1. शीत ऋतु में उगाई जाने वाली फसलें।
4. एक ही किस्म के पौधे जो बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं।
5. रासायनिक पदार्थ जो पौधों को पोषक प्रदान करते हैं।
7. खरपतवार हटाने की प्रक्रिया।
MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध 5

MP Board Class 8th Science Solutions

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

MP Board Class 10th Science Chapter 16 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 302

प्रश्न 1.
पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण-मित्र बनने के लिए हम अपनी आदतों में निम्न प्रकार परिवर्तन ला सकते हैं –

  1. हम प्राकृतिक संसाधनों (प्राकृतिक सम्पदा) का संरक्षण के लिए कम उपयोग’, ‘पुनः चक्रण’ एवं ‘पुनः उपयोग’ की नीति अपनाकर पर्यावरण पर पड़ने वाले दबाव को कम कर सकते हैं।
  2. हम जल, वायु, मृदा आदि को स्वयं भी प्रदूषित नहीं करेंगे और न औरों को करने देंगे।
  3. पर्यावरण के प्रति जनजागरण (जागरूकता) की अलख जगाएँगे।

प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य से परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर:
अगर संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य से परियोजना वर्तमान पीढ़ी के लिए बहुत लाभदायक होगी क्योंकि आर्थिक विकास की दर तीव्र होगी।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
यह लाभ लम्बी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
अगर हम संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य से परियोजनाएँ तैयार करते तो उसका लाभ वर्तमान पीढ़ी अपनी आवश्यकतानुसार उठा सकती है लेकिन लम्बी अवधि की परियोजनाओं से वर्तमान पीढ़ी भी लाभान्वित होगी साथ ही साथ भावी पीढ़ी भी इसका लाभ उठाएगी।

प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों का सम्पूर्ण मानव समुदाय में समान वितरण होना चाहिए जिससे प्रत्येक व्यक्ति उस साधन का उपयोग कर सके। मनुष्य का लालच, भ्रष्टाचार, समृद्धशाली एवं शक्तिशाली लोगों का दल इस समान वितरण के विरुद्ध कार्य कर सकता है।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 306

प्रश्न 1.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण करना चाहिए क्योंकि वन एवं वन्य जीव हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं।

  1. वनों से हमें भोजन, ईंधन, इमारती लकड़ी, औषधियाँ आदि अनगिनत उपयोगी सामग्री प्राप्त होती है।
  2. वन हमारे पर्यावरण को शुद्ध करते हैं। हमें प्राण वायु ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, भूमि क्षरण रोकते हैं तथा वर्षा को आमंत्रित करते हैं।
  3. वन्य जीवों से हमको बहुकीमती वस्तुएँ एवं औषधियाँ प्राप्त होती हैं; जैसे-हाथी दाँत, कस्तूरी, लाख, चमड़ा आदि।

प्रश्न 2.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:
वन एवं वन्य जीव संरक्षण के उपाय:

  1. वनों के अतिदोहन पर अंकुश लगाकर तथा वृक्षारोपण के द्वारा वनों का संरक्षण किया जा सकता है।
  2. वन्य जीवों के शिकार (वध) पर रोक लगाकर एवं अभयारण्यों द्वारा उनका संरक्षण किया जा सकता है।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 310

प्रश्न 1.
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परम्परागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर:
हमारे क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परम्परागत पद्धति तालाब (पोखर) है।

प्रश्न 2.
इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र से तुलना कीजिए।
उत्तर:
मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र में निचले स्थानों पर जल का संग्रहण एक तालाब या पोखर या झील के रूप में होता है तथा पर्वतीय क्षेत्र में जल के बहाव को रोकने के लिए छोटे बाँध बनाने पड़ते हैं जिससे जल का संग्रहण किया जा सके।

प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में जल का प्रमुख स्रोत भौम जल है जो कुओं या नलकूपों के माध्यम से उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है।

MP Board Class 10th Science Chapter 16 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं?
उत्तर:
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए हम निम्न परिवर्तन सुझाएँगे:

  1. सौर ऊर्जा उपकरणों का अधिकाधिक प्रयोग करना।
  2. किचन गार्डन बनाना तथा पौधारोपण करना।
  3. घरेलू कचरे को दो अलग-अलग पात्रों में रखना एक में जैव निम्नीकरणीय एवं दूसरे में अजैव निम्नीकरणीय।
  4. फल-सब्जियों के छीलन एवं अवशेषों को किचन गार्डन में पौधों में डालना।
  5. वर्षा जल संग्रहण करना।
  6. पॉलीथीन एवं प्लास्टिक की थैलियाँ एवं बर्तनों के स्थान पर कपड़े, कागज एवं पत्तों से बने थैले एवं बर्तनों को उपयोग में लाना।
  7. घर के अन्दर एवं बाहर की सफाई व्यवस्था बनाए रखना।
  8. संसाधनों का न्यूनतम मितव्ययिता के साथ उपयोग करना।

प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके?
उत्तर:
हाँ, हम अपने विद्यालय को पर्यानुकूलित बनाने हेतु निम्न सुझाव दे सकते हैं –

  1. विद्यालय के रिक्त स्थानों एवं प्रवेश मार्ग के दोनों ओर पौधारोपण करना तथा घास के मैदानों (लॉन) का प्रबन्ध करना।
  2. कूड़ा-करकट इत्यादि कूड़ेदान में डालना।
  3. शौचालय एवं पेशाबघरों की उचित व्यवस्था करना।
  4. शान्ति का वातावरण बनाए रखना।
  5. जल का अपव्यय नहीं करना।
  6. जहाँ आवश्यकता हो वहीं पर पंखे एवं बल्बों को चलाना।
  7. व्यर्थ विद्युत का अपव्यय नहीं करना।
  8. विद्यालय परिसर की स्वच्छता एवं सफाई का ध्यान रखना।

प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि हम हम वन एवं वन्य जन्तुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबन्धन हेत निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं? आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर:
हमारे विचार से वन उत्पाद प्रबन्धन हेतु निर्णय लेने का अधिकार स्थानीय निवासियों को दिया जा सकता है। इससे खाद्य पदार्थ, चारा, औषधि आदि की आवश्यकताओं की पूर्ति तो होती रहेगी, साथ ही ईंधन भी मिलता रहेगा, लेकिन पेड़ों का निर्ममता के साथ कटान नहीं होगा और अन्य वन उत्पादों का दोहन नहीं होगा तथा वन्य जीवों का अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए वध भी नहीं होगा। इससे वन एवं वन सम्पदा दोनों ही संरक्षित रहेंगे।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबन्धन में क्या योगदान दे सकते हैं?
(a) वन एवं वन्य जन्तु।
(b) जल संसाधन।
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम।
उत्तर:
अकेले व्यक्ति के रूप में हम विभिन्न क्षेत्रों में प्रबन्धन के लिए निम्न योगदान दे सकते हैं –
(a) वन एवं वन्य जन्तु:

  1. अतिदोहन को रोकना।
  2. वन एवं वन्य जन्तुओं का संरक्षण करना।
  3. वृक्षारोपण एवं उनकी देखभाल करना।

(b) जल संसाधन:

  1. जल संसाधनों को प्रदूषण से बचाना।
  2. जल संसाधनों में कचरे, वाहित मलमूत्र आदि को प्रवाहित न करना।
  3. जल के दुरुपयोग को रोकना।
  4. वर्षा जल संग्रहण करना।

(c) कोयला एवं पेट्रोलियम:

  1. ईंधन एवं ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों का अत्याधिक प्रयोग करना।
  2. साइकिल/बस से अथवा पैदल चलना।
  3. घरों में CFL एवं फ्लोरोसेण्ट ट्यूब तथा एल.ई.डी. लाइट का प्रयोग करना।
  4. सर्दियों में हीटर का प्रयोग न करके गर्म कपड़ों के द्वारा ठण्ड से बचना।
  5. मकान में लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों का प्रयोग करना।

प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए। क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
अकेले व्यक्ति के रूप में हम विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए निम्न कदम उठाएँगे –

  1. उत्पादों को मितव्ययिता के साथ उपयोग करेंगे।
  2. उत्पादों को बर्बादी से रोकेंगे।
  3. इनकी बचत के लिए हम वैकल्पिक मार्ग चुनेंगे।
  4. अपनी आवश्यकताओं को सीमित करेंगे।

प्रश्न 6.
निम्न से सम्बन्धित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं –
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर:
[निर्देश- इस प्रश्न का उत्तर छात्र स्वयं लिखें।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन-शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के सम्पोषण को प्रोत्साहन मिल सके?
उत्तर:
अध्याय में दी गई समस्याओं के आधार पर अपने संसाधनों के सम्पोषण के लिए हम अपनी जीवन-शैली निम्न प्रकार बदलेंगे –

  1. ऐसी वस्तुओं के उपयोग कम कर देंगे जिनसे वन एवं वन्य जीवों तथा वन सम्पदा को क्षति पहुँचती है।
  2. अपनी आवश्यकताओं पर नियन्त्रण रखेंगे।
  3. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग अधिकाधिक करेंगे।
  4. जीवाश्म ईंधन (खनिज तेलों) के उपयोग को कम करने के लिए अधिकतर पैदल, साइकिल या बसों का उपयोग करेंगे।
  5. जल की बचत करेंगे तथा प्रयुक्त जल को दूसरे भागों में उपयोग में लाएँगे।
  6. कम खर्च, पुनःचक्रण एवं पुन:उपयोग के सिद्धान्त को अपनाएँगे।

MP Board Class 10th Science Chapter 16 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 16 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में प्राकृतिक स्रोत कौन-सा नहीं है?
(a) मृदा।
(b) जल।
(c) विद्युत्।
(d) वायु (पवन)।
उत्तर:
(c) विद्युत्।

प्रश्न 2.
विश्व में सबसे तेजी से कम होने वाला प्राकृतिक संसाधन है –
(a) जल।
(b) वन।
(c) पवन।
(d) सौर प्रकाश।
उत्तर:
(b) वन।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
प्राकृतिक स्रोतों की सर्वश्रेष्ठ परिभाषा है, प्राकृतिक स्रोत वे वस्तुएँ हैं जो –
(a) केवल भूमि पर मौजूद हैं।
(b) प्रकृति का एक उपहार है जो मानव जाति के लिए बहुत लाभदायक होता है।
(c) मानव निर्मित वस्तुएँ हैं जो प्रकृति में रखी गई हैं।
(d) केवल जंगलों में मिलती हैं।
उत्तर:
(b) प्रकृति का एक उपहार है जो मानव जाति के लिए बहुत लाभदायक होता है।

प्रश्न 4.
गंगा नदी में प्रचुर मात्रा में कॉलीफॉर्म बैक्टीरियों के पाये जाने का मुख्य कारण है –
(a) अधजले शवों को जल में प्रवाहित करना।
(b) इलेक्ट्रोप्लेटिंग उद्योग के अपशिष्ट को बहाना।
(c) कपड़े धोना।
(d) भस्म एवं अस्थियाँ का विसर्जन।
उत्तर:
(a) अधजले शवों को जल में प्रवाहित करना।

प्रश्न 5.
एक नदी के जल का नमूना अम्लीय पाया गया जिसकी pH मान का परिसर 3.5 से 4.5 थी। नदी के किनारे बहुत-सी फैक्टरियाँ थीं जो अपने अपशिष्टों को नदी में बहा देती थीं। किन फैक्टरियों में से किसका वाहित अपशिष्ट नदी के जल के pH मान को कम करने का मुख्य कारण है?
(a) साबुन एवं डिटर्जेण्ट बनाने वाली फैक्टरी।
(b) लैड बैटरी बनाने वाली फैक्टरी।
(c) प्लास्टिक के कण बनाने वाली फैक्टरी।
(d) ऐल्कोहॉल बनाने वाली फैक्टरी।
उत्तर:
(b) लैड बैटरी बनाने वाली फैक्टरी।

प्रश्न 6.
फ्रैशवाटर पौधे एवं जन्तुओं के जीवन संचालन के लिए सर्वश्रेष्ठ pH रैंज होगी –
(a) 6.5 – 7.5
(b) 2.0 – 3.5
(c) 3.5 – 5.0
(d) 9.0 – 10.5
उत्तर:
(a) 6.5 – 7.5

प्रश्न 7.
लम्बे समय तक प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए तीन ‘री’ हैं –
(a) री-साइकिल, री-जेनेरेट, री-यूज।
(b) री-डयूस, री-जेनेरेट, री-यूज।
(c) री-डयूस, री-यूज, री-डिस्ट्रीब्यूट।
(d) री-डयूस, री-साइकिल, री-यूज।
उत्तर:
(d) री-डयूस, री-साइकिल, री-यूज।

प्रश्न 8.
जैव-विविधता के सन्दर्भ में निम्न कुछ कथन दिए गए हैं। उन कथनों का चयन कीजिए जो जैव-विविधता की अवधारणा की सही व्याख्या करते हैं –
(i) जैव-विविधता किसी क्षेत्र में उपस्थिति जन्तु एवं वनस्पतियों की विभिन्न समष्टियों से सम्बन्ध रखती है।
(ii) जैव-विविधता केवल किसी क्षेत्र के पौधों से सम्बन्ध रखती है।
(iii) जैव-विविधता जंगलों में अधिक पायी जाती है।
(iv) जैव-विविधता किसी क्षेत्र में रहने वाले किसी समष्टि के कुल जीवों की संख्या से सम्बन्धित है।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (ii) एवं (iv)
(c) (i) एवं (iii)
(d) (ii) एवं (iii)
उत्तर:
(c) (i) एवं (iii)

प्रश्न 9
निम्न दिए गए कथनों में से उन कथनों का चयन कीजिए जो संपोषणीय विकास की सही व्याख्या करते हैं –
(i) पर्यावरण को कम से कम हानि पहुँचाने वाला नियोजित विकास।
(ii) विकास पर्यावरण को चाहे कितनी भी हानि क्यों न पहँचाए।
(iii) पर्यावरण के संरक्षण के लिए सभी विकास कार्यों को रोकना।
(iv) सभी दावेदारों द्वारा स्वीकार्य विकास।
(a) (i) एवं (iv)
(b) (ii) एवं (iii)
(c) (ii) एवं (iv)
(d) केवल (iii)
उत्तर:
(a) (i) एवं (iv)

प्रश्न 10.
हमारे देश में विस्तृत वनों का सफाया कर दिया गया है और केवल एक समष्टि के पौधे उगाए गए हैं। यह आदत प्रोत्साहन देती है-
(a) उस क्षेत्र की जैव-विविधता को।
(b) क्षेत्र में एकल फसल को।
(c) प्राकृतिक वनों के विकास को।
(d) क्षेत्र के पारितन्त्र का संरक्षण करती है।
उत्तर:
(b) क्षेत्र में एकल फसल को।

प्रश्न 11.
सफल वन संरक्षण कूटनीति में सम्मिलित होना चाहिए-
(a) उच्चतम पोषी स्तर के जन्तुओं का संरक्षण।
(b) केवल उपभोक्ताओं का संरक्षण।
(c) केवल शाकाहारी उपभोक्ताओं का संरक्षण।
(d) सभी भौतिक एवं जैवीय घटकों के संरक्षण की विशद् योजना।
उत्तर:
(d) सभी भौतिक एवं जैवीय घटकों के संरक्षण की विशद् योजना।

प्रश्न 12.
चिपको आन्दोलन का प्रमख सन्देश है –
(a) वन संरक्षण के प्रयासों में सामूहिक सामुदायिक भागीदारी।
(b) वन संरक्षण के प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी को पृथक रखना।
(c) विकास कार्यों के लिए वनों के वृक्षों को काट डालना।
(d) सरकारी एजेन्सियों को बिना जवाबदेही के वनों को नष्ट करने का आदेश देने का अधिकार।
उत्तर:
(a) वन संरक्षण के प्रयासों में सामूहिक सामुदायिक भागीदारी।

प्रश्न 13.
हमारे देश में अनेक स्थापित बाँधों की ऊँचाई बढ़ाने के प्रयास किए गए जैसे टेहरी एवं अल्मेरी बाँध नर्मदा से होकर। निम्न में से सही कथनों का चयन कीजिए जो बाँधों की ऊँचाई बढ़ाने के दुष्परिणाम होंगे –
(i) क्षेत्र के सभी भू-पादप एवं जन्तुओं का समूह नाश हो जाएगा।
(ii) क्षेत्र में रहने वाले सभी निवासी एवं घरेलू पशु विस्थापित हो जाएँगे।
(iii) कीमती कृषि भूमि का स्थायी नाश हो सकता है।
(iv) यह मनुष्यों के लिए स्थायी रोजगार सृजित होंगे।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (i), (ii) एवं (iii)
(c) (ii) एवं (iv)
(d) (i), (iii) एवं (iv)
उत्तर:
(b) (i), (ii) एवं (iii)

प्रश्न 14.
संक्षिप्त शब्द GAP का विस्तृत रूप लिखिए –
(a) Government Agency for Pollution Control
(b) Gross Assimilation by Photosynthesis
(c) Ganga Action Plan
(d) Government Agency for Animal Protection
उत्तर:
(c) Ganga Action Plan

प्रश्न 15.
असत्य कथन का चयन कीजिए –
(a) आर्थिक विकास पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा है।
(b) संपोषणीय विकास वर्तमान पीढ़ी के विकास को तो प्रोत्साहित करता ही है साथ ही भावी पीढ़ी के लिए संसाधनों का संरक्षण भी करता है।
(c) संपोषणीय विकास दावेदारों की विचारधारा को महत्व नहीं देता।
(d) संपोषणीय विकास दीर्घकालीन योजना और स्थायी विकास है।
उत्तर:
(c) संपोषणीय विकास दावेदारों की विचारधारा को महत्व नहीं देता।

MP Board Solutions

प्रश्न 16.
निम्न में कौन प्राकृतिक संसाधन नहीं है?
(a) आम का पेड़।
(b) सर्प (साँप)।
(c) पवन।
(d) लकड़ी का घर।
उत्तर:
(d) लकड़ी का घर।

प्रश्न 17.
असत्य कथन का चयन कीजिए –
(a) वनों से हमको विभिन्न प्रकार के उत्पाद मिलते हैं।
(b) वनों में अधिकतर पादप विविधता मिलती है।
(c) वन मृदा का संरक्षण नहीं करते हैं।
(d) वन जल का संरक्षण करते हैं।
उत्तर:
(c) वन मृदा का संरक्षण नहीं करते हैं।

प्रश्न 18.
बंगाल के अराबाढ़ी वन क्षेत्र में अधिकता है –
(a) टीक वृक्षों की।
(b) साल वृक्षों की।
(c) बाँस वृक्षों की।
(d) मेंग्रूव की।
उत्तर:
(b) साल वृक्षों की।

प्रश्न 19.
भूमि जल स्तर क्षीण नहीं होगा-
(a) वनों के विकास एवं वृद्धि से।
(b) ताप विद्युत घरों से।
(c) वनों की क्षति एवं वर्षा की कमी से।
(d) उच्च जल माँग वाली फसलों के उगाने से।
उत्तर:
(a) वनों के विकास एवं वृद्धि से।

प्रश्न 20.
बड़े बाँध बनाने का विरोध इसलिए है –
(a) सामाजिक कारण।
(b) आर्थिक कारण।
(c) पर्यावरणीय कारण।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 21.
खादिन, बंधिस, अहार एवं कट्टा आदि प्राचीन परम्परागत संरचनाएँ हैं जो निम्न का उदाहरण –
(a) अन्न भण्डारण।
(b) काष्ट भण्डारण।
(c) जल संग्रहण।
(d) मृदा संरक्षण।
उत्तर:
(c) जल संग्रहण।

प्रश्न 22.
निम्न में से पदों का सही संयोग (युग्म) चुनिए जिसमें जीवाश्म ईंधन नहीं है –
(a) पवन, समुद्र (सागर) एवं कोयला।
(b) कैरोसीन, पवन एवं ज्वार।
(c) पवन, लकड़ी एवं सूर्य।
(d) पेट्रोलियम, लकड़ी, सूर्य।
उत्तर:
(c) पवन, लकड़ी एवं सूर्य।

प्रश्न 23.
निम्न में से पर्यावरण-मित्र क्रियाकलाप का चयन कीजिए –
(a) आवागमन के लिए कार का उपयोग करना।
(b) खरीददारी के लिए पॉलीथीन की थैलियों का उपयोग।
(c) कपड़ों को रंगने के लिए रासायनिक रंगों (डाई) का इस्तेमाल करना।
(d) सिंचाई के लिए ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु पवनचक्की का उपयोग करना।
उत्तर:
(d) सिंचाई के लिए ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु पवनचक्की का उपयोग करना।

प्रश्न 24.
बाढ़ प्रभावित खड्डों या नालियों में चैकडेम बनाना आवश्यक है क्योंकि वे –
(i) सिंचाई के लिए जल संग्रह करते हैं।
(ii) जल संचय करते हैं तथा मृदा अपरदन को रोकते हैं।
(iii) भू-जल संग्रह करते हैं।
(iv) जूल को स्थायी रूप से संग्रह कर लेते हैं।
(a) (i) एवं (iv)
(b) (ii) एवं (iii)
(c) (iii) एवं (iv)
(d) (ii) एवं (iv)
उत्तर:
(b) (ii) एवं (iii)

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ………. हेतु अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार की व्यवस्था भारत सरकार ने की।
  2. सुन्दरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में …… आन्दोलन का काफी प्रचार-प्रसार हुआ।
  3. वर्षा के जल को एकत्रित करके भूमि के अन्दर संग्रहण करने की प्रक्रिया …….. कहलाती है।
  4. जल को नष्ट होने या समाप्त होने तथा प्रदूषित होने से बचाने की प्रक्रिया ……. कहलाती है।
  5. कुआँ …….. का स्रोत है।

उत्तर:

  1. जीव संरक्षण।
  2. चिपको।
  3. वर्षा जल संग्रहण (रेनवाटर हार्वेस्टिंग)।
  4. जल संरक्षण।
  5. जल।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन 1
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. वनों के कटान से आर्थिक लाभ तो होता ही है, लेकिन पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुँचती।
  2. जल जीवन है।
  3. जंगली जन्तुओं का संरक्षण मानव के लिए खतरनाक हो सकता है।
  4. वन वर्षा को आमन्त्रित करते हैं तथा मृदा अपरदन को रोकते हैं।
  5. बाँधो से पर्यावरण को कोई हानि नहीं होती।

उत्तर:

  1. असत्य।
  2. सत्य।
  3. असत्य।
  4. सत्य।
  5. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. जीवाश्म ईंधन का उदाहरण दीजिए।
  2. गंगा प्रदूषण का प्रमुख एक कारण बताइए।
  3. बंगाल के उस वन का नाम क्या है जिसको संरक्षित सर्वश्रेष्ठ वन का उदाहरण माना जाता है?
  4. अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार की व्यवस्था किस कार्य के लिए की गई?
  5. वनों को अंधाधुन्ध कटाव से बचाने के लिए चलाए गए आन्दोलन का क्या नाम है?

उत्तर:

  1. कोयला एवं पेट्रोलियम
  2. अधजले शवों का विसर्जन
  3. अराबाड़ी साल वन
  4. जीव संरक्षण हेतु
  5. चिपको आन्दोलन।

MP Board Class 10th Science Chapter 16 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जल संरक्षण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जल संरक्षण: “जल को नष्ट होने या समाप्त होने तथा प्रदूषित होने से बचाने की प्रक्रिया जल संरक्षण कहलाती है।”

प्रश्न 2.
“वर्षा जल संग्रहण” या “रेनवाटर हार्वेस्टिंग” किसे कहते हैं?
उत्तर:
“वर्षा जल संग्रहण” या “रेनवाटर हार्वेस्टिंग”:
“वर्षा के जल को एकत्रित करके भूमि के अन्दर संग्रह करने की प्रक्रिया “वर्षा जल संग्रहण” या “रेनवाटर हार्वेस्टिंग” कहलाती है।”

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
“ग्राउण्ड वाटर रिचार्जिंग” किसे कहते हैं?
उत्तर:
ग्राउण्ड वाटर रिचार्जिंग:
“रेनवाटर हार्वेस्टिग एवं जल संरक्षण” की विधियों द्वारा जल का भूमि में पुनः संग्रहण करना ग्राउण्ड वाटर रिचार्जिंग कहलाता है।

प्रश्न 4.
गंगा नदी के जल प्रदूषण के दो मुख्य कारकों की सूची बनाइए। उल्लेख कीजिए कि किसी नदी के जल का प्रदूषण और संदूषण होना आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक क्यों सिद्ध होता है?
उत्तर:
गंगाजल को प्रदूषित करने वाले दो मुख्य कारक –

  1. अधजले शवों को गंगा में प्रवाहित करना।
  2. औद्योगिक अपशिष्टों एवं घरेलू अपशिष्टों को गंगा में प्रवाहित करना।
  3. किसी नदी के जल का प्रदूषित एवं संदूषित होना आस-पास के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। यह विभिन्न बीमारियों को जन्म देता है।

प्रश्न 5.
चिपको आन्दोलन क्या था? इस आन्दोलन से अन्ततः स्थानीय लोगों और पर्यावरण को किस प्रकार लाभ हुआ?
उत्तर:
चिपको आन्दोलन:
“हिमालय की ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं वाले गढ़वाल के रेनी नामक ग्राम में पुरुषों की अनुपस्थिति में जब ठेकेदार अपने आदमियों को लेकर वृक्षों को काटने आया तो गाँव की स्त्रियाँ वहाँ पहुँचकर वृक्षों के तनों से चिपककर खड़ी हो गयीं। इस कारण ठेकेदार के आदमी वृक्षों को काट नहीं सके।

इस प्रकार उन स्त्रियों ने वन एवं वन्यजीव एवं पर्यावरण की रक्षा की। यह आन्दोलन चिपको आन्दोलन के नाम से प्रसिद्ध हुआ तथा सुन्दरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में खूब फला-फूला।” इस आन्दोलन से वहाँ के निवासियों को अत्यन्त लाभ मिला, वे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ईंधन तथा अन्य सामग्री प्राप्त कर सके तथा पर्यावरण संरक्षित हुआ।

प्रश्न 6.
(i) वनों एवं (ii) वन्य जीवन के संरक्षण के दो-दो लाभ लिखिए।
उत्तर:
(i) वनों के संरक्षण के लाभ:

  1. इससे पर्यावरण सन्तुलित एवं प्रदूषण रहित रहता है जो वहाँ के निवासियों के लिए स्वास्थ्यप्रद है।
  2. वनों से विविध खाद्य सामग्री एवं औषधियाँ मिलती हैं।

(ii) वन्य जीवन के संरक्षण के लाभ:

  1. वन्य जीवों से हमें अनेक औषधियाँ तथा अन्य लाभदायक सामग्री मिलती है।
  2. वन्य जीव पर्यावरण सन्तुलन को बनाए रखते हैं।

प्रश्न 7.
कोई पाँच वस्तुओं की एक लिस्ट बनाइए जिनका उपयोग आप प्रतिदिन विद्यालय में करते हैं। उस लिस्ट में से उन वस्तुओं की पहचान कीजिए जिनका पुनर्चक्रण सम्भव है।
उत्तर:
विद्यालय में प्रतिदिन प्रयुक्त पाँच वस्तुएँ –
(1) प्लास्टिक बॉक्स।

  1. रेक्सिन बैग।
  2. प्लास्टिक स्केल।
  3. स्टील चम्मच।
  4. कागज की नोटबुक एवं बुक्स।

निम्न का पुनर्चक्रण सम्भव है –

  1. प्लास्टिक बॉक्स।
  2. प्लास्टिक स्केल।
  3. स्टील चम्मच।
  4. कागज की नोटबुक एवं बुक्स।

प्रश्न 8.
यद्यपि कोयला एवं पेट्रोलियम जैव-मात्रा या जैव अवशेषों के अपघटन (नवीकरण) से उत्पन्न होते हैं, फिर भी हम उनका संरक्षण आवश्यक क्यों समझते हैं?
उत्तर:
दोनों ऊर्जा स्रोत कोयला एवं पेट्रोलियम बनने में लाखों-करोड़ों वर्ष का समय लेते हैं तथा इन स्रोतों के उपयोग (दोहन) की दर उनके उत्पादन की दर से कहीं अधिक है तथा प्रकृति में इनका भण्डारण भी सीमित है तथा इन्हें आसानी से उत्पन्न भी नहीं किया जा सकता। इसलिए जिस तरह इनका उपयोग हो रहा है, ये निकट भविष्य में समाप्त हो जाएँगे। इसलिए इनका संरक्षण आवश्यक है ताकि हमारी भावी पीढ़ी को उपयोग के लिए ये मिल सकें।

प्रश्न 9.
सामुदायिक स्तर पर जल संग्रहण के दो लाभ लिखिए।
उत्तर:
सामुदायिक स्तर पर जल संग्रहण के दो लाभ:

  1. पृथ्वी का भूजल स्तर बढ़ जाता है।
  2. वर्षा ऋतु में संग्रह किया हुआ जल जब आवश्यकता हो तब प्रयोग में लाया जा सकता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 16 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वन संरक्षण के लिए किये जाने वाले प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वन संरक्षण के लिए प्रयास-वन संरक्षण के लिए राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। प्रमुख प्रयास अग्रांकित हैं –

  1. वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देना।
  2. आनुवंशिक आधार पर वृक्षों को तैयार करना।
  3. रोग प्रतिरोधी एवं कीट प्रतिरोधी वृक्षों को तैयार करना।
  4. सामाजिक वानिकी को प्रोत्साहित करना।
  5. वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण के कार्यों को जन-आन्दोलन का रूप देना।
  6. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जलाई, 1987 में मुख्य वन संरक्षक के आधीन एक अलग प्रकोष्ठ की स्थापना की गई, जो वन संरक्षण तथा इसके विकास कार्यों की देखरेख करता है।

प्रश्न 2.
भूमिगत जल स्तर गिरने के कारण लिखिए। घर में वर्षा के जल के संग्रहण की विधि लिखिए।
उत्तर:
भूमिगत जल स्तर गिरने के प्रमुख कारण:

  1. हैण्डपम्प या सबमर्सीबल पम्पों की सहायता से भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन।
  2. वर्षा जल की कमी।
  3. स्थानीय स्तर पर जल के अन्य स्रोतों नदी, तालाबों की उपलब्ध में कमी।

घर में वर्षा जल के संग्रहण की विधि:
घर की छतों को इस प्रकार बनाना चाहिए कि उस पर वर्षा के जल का बहाव एक ही दिशा में हो। पाइप लाइन की सहायता से इस पानी को जमीन के अन्दर पहुँचाना चाहिए जहाँ से यह जल कुओं एवं हैण्डपम्प वाले जल-स्रोतों में संग्रहित हो जाये।

प्रश्न 3.
वर्षा जल संग्रहण के मुख्य उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण के मुख्य उद्देश्य:

  1. भूमिगत जल के गुणों में सुधार लाना।
  2. अति दोहन के कारण रिक्त हुए जलस्रोतों में जलापूर्ति बनाये रखना।
  3. वाहित मल-जल एवं औद्योगिक अपशिष्ट जल का पुनः चक्रण करना।
  4. जल के अति प्रवाह एवं भूमि क्षरण को रोकना।
  5. आगामी समय (भविष्य) के लिए जल का संग्रहण करना।

प्रश्न 4.
कर्नाटक के एक गाँव में वहाँ के किसानों ने एक झील के चारों ओर फसल उगाना प्रारम्भ कर दिया। वह झील सदैव जल से भरी रहती थी। फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए वे अपने खेतों में उर्वरकों का प्रयोग करते थे। शीघ्र ही उन्होंने देखा कि वह झील पूर्णतया हरे तैरते पौधों से भर गयी है तथा मछलियों ने बड़ी तेजी से मरना प्रारम्भ कर दिया है। स्थिति का विश्लेषण कीजिए तथा झील में हरे पौधों की अत्यधिक वृद्धि एवं मछलियों की मृत्यु के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
चूँकि किसानों ने अपनी फसल के उत्पादन के लिए अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग किया। वे उर्वरक वर्षा ऋतु में वर्षा के जल के साथ बहकर उस झील में पहुँच गए। चूँकि बहुत से उर्वरकों में फॉस्फेट एवं नाइट्रेटस होते हैं। इसलिए झील इन रसायनों से परिपूर्ण हो गयी। इन रसायनों ने जलीय पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित किया। इसलिए झील की सतह हरे तैरते जलीय पौधों से भर गयी। हरे पौधों से झील के जल की सतह पूर्णतया ढक जाने से जलीय जीवों को सूर्य का प्रकाश नहीं मिल सका तथा जल में घुली ऑक्सीजन की अपर्याप्त मात्रा मछलियों के तेजी से मरने का कारण बनी।

प्रश्न 5.
अपने घरों में विद्युत ऊर्जा के संरक्षण के लिए क्या उपाय करेंगे?
उत्तर:
घरों में विद्युत ऊर्जा के संरक्षण के उपाय –

  1. जब आवश्यकता न हो तो बिजली के पंखे एवं बल्ब आदि को बन्द कर देंगे, उनको तभी प्रयोग में लाएँगे जब आवश्यकता हो।
  2. सौर ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग करेंगे।
  3. प्रकाश के लिए कम शक्ति के फ्लोरोसेण्ट ट्यूब CFL एवं LED बल्बों का उपयोग करेंगे।
  4. जाड़े के दिनों में जल को गर्म करने के लिए सौर तापन युक्तियों को प्रयोग में लाएँगे।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को कम करने के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर कम करने के उपाय –

  1. जीवाश्म ईंधन (खनिज ईंधन) की स्वचालित वाहनों में खपत कम करके अर्थात् इनका न्यूनतम उपयोग करना तथा साइकिल, बस आदि वैकल्पिक साधनों का अधिकतम उपयोग करना।
  2. स्वचालित वाहनों में पेट्रोल डीजल के स्थान पर CNG एवं अन्य स्वच्छ ईंधन का उपयोग करके।
  3. घरों में ईंधन के रूप में लकड़ी, कोयला आदि का उपयोग न करके LPG सौर ऊर्जा एवं विद्युत ऊर्जा का उपयोग करके।
  4. कचरे (कूड़ा करकट) को जलाने के बजाय उसका खाद बनाकर।
  5. औद्योगिक धुएँ को वायुमण्डल में छोड़ने से पहले उसका उपचार करके।
  6. अधिकाधिक पौधारोपण द्वारा।

प्रश्न 7.
क्या जल संरक्षण आवश्यक है? कारण दीजिए।
उत्तर:
प्रकृति में उपलब्ध शुद्ध एवं ताजा जल मानव जाति की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त है। लेकिन इसके असमान वितरण, मौसम में परिवर्तन, वर्षा का कम होना, जल का अपदोहन एवं जल की बर्बादी के कारण विश्व के विभिन्न भागों में जल का अभाव एक गम्भीर समस्या है। इस समस्या के निदान के लिए जल संरक्षण आवश्यक है क्योंकि जल ही जीवन है। जल के बिना जैवजगत (वनस्पति एवं जन्तुओं) का जीवन कठिन हो जायेगा।

प्रश्न 8.
अपशिष्ट जल के उपयोग के कुछ उपाय बताइए।
उत्तर:
अपशिष्ट जल के उपयोग के उपाय:

  1. अपशिष्ट जल का उपयोग भू-गर्म जल का स्तर बढ़ाने में किया जा सकता है।
  2. इसका उपयोग सिंचाई के लिए किया जा सकता है।
  3. प्रदूषित एवं संदूषित जल का उपयोग विभिन्न फसलों के लिए उर्वरक का कार्य कर सकता है।
  4. उपचारित जल का उपयोग वाहनों की सफाई तथा बागवानी में किया जा सकता है।

प्रश्न 9.
बंगाल के अराबाड़ी जंगल (वन) संरक्षित वनों का एक अच्छा उदाहरण है क्यों?
उत्तर:
वन विभाग के एक दूरदर्शी अधिकारी ने बंगाल के अराबाड़ा के क्षतिग्रस्त साल वन के संरक्षण की एक योजना बनायी। वहाँ ग्रामवासियों को अपनी इस योजना में सम्मिलित किया और उनके सामूहिक प्रयासों से वह साल वन समृद्ध हो गया जो पहले बेकार पड़ा था। इसके बदले में उन ग्रामवासियों को, जिनको उस वन की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी थी, अपने पशुओं को चराने तथा कम मूल्य पर ईंधन के लिए लकड़ी एकत्रित करने की अनुमति दे दी गयी। इससे ग्रामवासियों को रोजगार के साथ-साथ फसल का 25 प्रतिशत के उपयोग का अधिकार मिला।

MP Board Class 10th Science Chapter 16 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वन्य संसाधनों के अनियन्त्रित दोहन से क्या हो रहा है?
उत्तर:
वन्य संसाधनों के अनियन्त्रित दोहन के प्रभाव-वन्य संसाधनों में वन्य जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधे आते हैं।

  1. जलवायु में परिवर्तन हो रहा है।
  2. वायुमण्डल में CO2 की मात्रा बढ़ने से वायु प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, अम्ल वर्षा आदि की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है क्योंकि CO2 को पेड़-पौधे
  3. प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा प्राणवायु ऑक्सीजन में बदलते रहते हैं।
  4. वर्षा की कमी, भूमिगत जल स्तर में कमी तथा सतही जल का अभाव हो रहा है।
  5. पशुओं के लिए चारागाहों की कमी हो रही है।
  6. मरुस्थलीय भूमि में वृद्धि हो रही है।
  7. जन्तुओं (पशु एवं पक्षियों) के आवास नष्ट हो रहे हैं।
  8. वन सम्पदा की हानि हो रही है।
  9. भूमि क्षरण बढ़ रहा है।
  10. खाद्य श्रृंखला अव्यवस्थित हो रही है।

प्रश्न 2.
वनों की एक संसाधन के रूप में क्या महत्ता है?
उत्तर:
वन संरक्षण की मानव जीवन में उपयोगिता-वन मानव जीवन के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं –

  1. ये पर्यावरण को सन्तुलित एवं प्रदूषण रहित रखते हैं।
  2. पशु-पक्षियों को आवास उपलब्ध कराते हैं।
  3. वर्षा को प्रोत्साहित करते हैं।
  4. वनों से विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री प्राप्त होती है।
  5. वनों से फल, मेवे इत्यादि प्राप्त होते हैं।
  6. वनों से विभिन्न प्रकार की औषधियाँ मिलती हैं।
  7. वनों से उपयोगी इमारती लकड़ी प्राप्त होती है।
  8. वन पशुओं के लिए चारागाह का कार्य करते हैं। इस प्रकार वनों का संरक्षण करना मानव जीवन के लिए लाभदायक है।

प्रश्न 3.
जल प्रबन्धन एवं जल संरक्षण की विधियाँ लिखिए।
अथवा
जल प्रबन्धन एवं जल संरक्षण के उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जल प्रबन्धन एवं जल संरक्षण की विधियाँ एवं उपाय:

  1. जलीय चक्र को पूरा करने के लिए वनों के विनाश को रोककर नया वृक्षारोपण करना।
  2. घास की अनेक जातियाँ उगाकर सतही जल को बनाये रखना।
  3. जल को सभी प्रकार के प्रदूषण से बचाना।
  4. घरेलू, नगरीय एवं औद्योगिक वाहित अपशिष्टों को जलाशयों में मिलने से रोकना या उपचारित करना।
  5. जल को मितव्ययिता से व्यय करना।
  6. पक्के जलाशय बनाना।
  7. रेन वाटर हार्वेस्टिंग एवं अण्डरग्राउण्ड वाटर रिचार्जिंग की विधियों का उपयोग करना।
  8. वृक्षारोपण करना।
  9. बाढ़ प्रबन्धन के उपाय द्वारा अतिरिक्त जल का उपयोग करके सतही जल का संरक्षण करना।
  10. बाढ़ के प्रकोप से बचने के लिए नदियों के दोनों ओर पक्के कुओं का निर्माण करके पक्की नालियों द्वारा उन्हें नदी से जोड़ना।

प्रश्न 4.
(A) संलग्न चित्र (a) एवं (b) जल संग्राहकों (जल संग्रहण युक्तियों) की पहचान कीजिए तथा उनके नाम लिखिए।
(B) निम्न में कौन दूसरे से अधिक लाभदायक है और क्यों?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन 2
उत्तर:
(A) चित्र (a) में जल संग्राहक (जल संग्रहण युक्ति) एक तालाब (पोखर) है जबकि (b) में जल संग्राहक (जल संग्रहण युक्ति) भू-गर्भ जल संग्राहक या जल संग्रहण युक्ति (Under ground water reservoir) है।
(B) चित्र (a) की अपेक्षा चित्र (b) का जल संग्रहण अधिक लाभप्रद है क्योंकि भूमि के अन्दर जल संग्रहण के अनेक लाभ हैं जोकि मुख्यतः निम्न प्रकार हैं –

  1. यह ऊर्ध्वपातन द्वारा नष्ट नहीं होता।
  2. यह पृथ्वी के अन्दर सभी जगह बहकर कुओं के जल स्तर को बढ़ाता है।
  3. यह पेड़-पौधों के बड़े क्षेत्र को नमी उपलब्ध कराता है।
  4. यह मानवीय अपशिष्टों एवं पशुओं द्वारा जल को प्रदूषित एवं संदूषित होने से रोकता है।
  5. यह कीड़े-मकोड़ों के प्रजनन एवं संपोषण को रोकता है।

प्रश्न 5.
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के सम्बन्ध में निम्न पदों की व्याख्या कीजिए –
(a) मितव्यय अर्थात् कम उपयोग (Reduced use)।
(b) पुनः चक्रण (Recycle)।
(c) पुनः उपयोग (Reuse)। हमारे दैनिक जीवन में प्रयुक्त पदार्थों में से उपर्युक्त प्रत्येक कोटि के दो पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मितव्यय अर्थात् कम उपयोग (Reduced use):
मितव्यय अर्थात् कम उपयोग का मतलब है कि हम किसी संसाधन का कम से कम उपयोग करें।

उदाहरण:

  1. जल एवं।
  2. विद्युत ऊर्जा।

(b) पुनः चक्रण-पुन:
चक्रण का अर्थ है जिस पदार्थ का हम उपयोग कर चुके हैं उस प्रयुक्त अपशिष्ट पदार्थ को किसी भी प्रक्रिया द्वारा उपयोगी पदार्थ में बदलना।

उदाहरण:

  1. प्लास्टिक या पॉलीथीन से बनी वस्तुएँ।
  2. कागज से बनी वस्तुएँ।

(c) पुनः उपयोग:
किसी वस्तु को उपयोग के बाद फेंकने के बजाय उसका बार-बार उपयोग करना। इसमें किसी भी रूप में पुन:चक्रण न तो छोटे स्तर पर और न ही बड़े स्तर पर सम्मिलित हैं। अर्थात् उस वस्तु को पुनः उसी रूप में प्रयुक्त करना है।

उदाहरण:

  1. प्रयुक्त खाली बोतलें।
  2. प्रयुक्त प्लास्टिक या पॉलीथीन की थैलियाँ।

प्रश्न 6.
अपने प्रतिदिन के क्रियाकलापों की एक लिस्ट बनाइए जिनसे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो सके अथवा ऊर्जा का उपयोग कम हो सके।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं ऊर्जा की बचत हेतु दैनिक क्रियाकलाप:

  1. पानी की बोतल में बचे पानी का उपयोग बागवानी में करना।
  2. पौधों में जल पाइप से न देकर हजारे आदि से देना।
  3. वाहनों को प्रतिदिन धोने के बजाय उन्हें तभी धोना जब वे गन्दे हो अथवा इसकी आवश्यकता हो।
  4. कपड़ों के धोवन से घर की सफाई करना अथवा टॉयलेट को साफ करना।
  5. बिजली के पंखों एवं बल्बों का आवश्यकतानुसार उपयोग करना।
  6. सौर जल ऊष्मक का उपयोग जल गर्म करने के लिए तथा सौर कुकर का उपयोग भोजन पकाने के लिए करना।
  7. परम्परागत बल्बों के स्थान पर CFL एवं LED बल्बों को उपयोग में लाना।
  8. चलने के लिए पैदल या साइकिल का उपयोग तथा यात्रा के लिए यात्री बसों का उपयोग करना।

प्रश्न 7.
(a) जल एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, जो जीवन के लिए अमृत है। आपके विज्ञान के शिक्षक यह चाहते हैं कि आप रचनात्मक मूल्यांकन क्रियाकलाप के लिए “प्राणाधार प्राकृतिक सम्पदा-जल को कैसे बचाएँ” विषय पर कोई योजना बनाइए। “जल को कैसे बचाएँ” के बारे में अपने पड़ोस में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए कोई दो उपाय सुझाइए।
(b) किसी एक उपाय का नाम और उसकी व्याख्या कीजिए जिसके द्वारा भौम जल स्तर को नीचे गिरने से रोका जा सके।
उत्तर:
(a) “प्राणाधार प्राकृतिक सम्पदा-जल को कैसे बचाएँ” विषय पर योजना: निर्देश- इस योजना का छात्र अपने विज्ञान शिक्षक के सहयोग से स्वयं तैयार करें।

“जल को कैसे बचाएँ” के बारे में पड़ौस में जागरूकता पैदा करने के उपाय:

  1. जल के अपव्यय एवं दुरुपयोग को रोकने एवं मितव्ययता बरतने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
  2. वर्षा जल संग्रहण के लिए उन्हें प्रोत्साहित करेंगे।

(b) भौम जल स्तर को नीचे गिरने से रोकने के उपाय – घर में वर्षा जल संग्रहण की विधि – भूमिगत जल स्तर गिरने के प्रमुख कारण:

  1. हैण्डपम्प या सबमर्सीबल पम्पों की सहायता से भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन।
  2. वर्षा जल की कमी।
  3. स्थानीय स्तर पर जल के अन्य स्रोतों नदी, तालाबों की उपलब्ध में कमी।

MP Board Class 10th Science Solutions

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

MP Board Class 10th Science Chapter 15 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न शृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 289

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?
उत्तर:
कुछ पदार्थों का मृतोपजीवियों या मृतजीवी अथवा अपघटक एवं जीवाणुओं द्वारा अपघटन या पाचन हो जाता है। इसलिए वे पदार्थ जटिल में सरल में अपघटित हो जाते हैं अथवा जैव निम्नीकरणीय होते हैं लेकिन कुछ पदार्थों का अपघटन नहीं होता इसलिए वे अजैव निम्नीकरणीय होते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का पर्यावरण पर प्रभाव:

  1. अगर जैव निम्नीकरणीय पदार्थों की मात्रा इतनी हो कि वे सूक्ष्मजीवी अपघटकों द्वारा विघटित किए जा सकें तो वे पारिस्थितिक तन्त्र को न केवल सन्तुलित रखते हैं अपितु उपयोगी सिद्ध होते हैं।
  2. अगर जैव निम्नीकरणीय पदार्थों की मात्रा इतनी अधिक हो कि वे सूक्ष्मजीवी अपघटनों द्वारा विघटित न हो सकें तो ऐसे पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करने लगते हैं।

प्रश्न 3.
ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का पर्यावरण पर प्रभाव:

  1. ये पदार्थ कचरे की तरह एकत्रित होते रहते हैं तथा इनका प्रबन्धन करना कठिन होता है तथा ये प्रदूषण पैदा करते हैं।
  2. ये पदार्थ खाद्य श्रृंखला में एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर तक स्थानान्तरित होने के कारण इनका जैविक आवर्धन होता है।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 294

प्रश्न 1.
पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बताइए।
उत्तर:
पोषी स्तर:
“खाद्य शृंखला (आहार श्रृंखला) के विभिन्न चरणों को जहाँ पर भोजन अथवा ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है, पोषी स्तर कहते हैं।”
आहार श्रृंखला एवं पोषी स्तर का उदाहरण –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1

प्रश्न 2.
पारितन्त्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है?
उत्तर:
पारितन्त्र में अपमार्जकों की भूमिका-अपमार्जक (अपघटक सूक्ष्मजीवी) उत्पादकों एवं विभिन्न प्रकार के उपभोक्ताओं के मृत शरीर का अपघटन करके जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं जिनको उत्पादकों (पौधों) द्वारा मृदा में पोषण के लिए अवशोषण कर लिया जाता है।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 296

प्रश्न 1.
ओजोन क्या है? यह किसी पारितन्त्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर:
ओजोन:
ओजोन ऑक्सीजन का एक अपररूप है जिसके एक अणु में ऑक्सीजन के तीन परमाणु होते हैं। इस गैस का अणुसूत्र O3 होता है। ओजोन का पारितन्त्र पर प्रभाव-ओजोन वायुमण्डल में एक सुरक्षात्मक परत का निर्माण करती है जो सूर्य से आने वाली घातक पराबैंगनी किरणों को रोकती है तथा वैश्विक ऊष्मण (ग्लोबल वार्मिंग) पौधाघर प्रभाव (ग्रीन हाउस प्रभाव) आदि से बचाव करती है। पराबैंगनी किरणों से होने वाले घातक रोगों त्वचा कैन्सर, आँख के रोग (मोतियाबिन्द, आँख के घाव) आदि से बचाव करती है।

प्रश्न 2.
आप कचरा निपटान की समस्या को कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कचरा निपटान प्रबन्धन में योगदान:

  1. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों; जैसे-प्लास्टिक एवं पॉलीथीन आदि के उपयोग को बन्द करके जैव निम्नीकरणीय पदार्थों; जैसे-कागज, मिट्टी आदि की बनी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।
  2. कचरे का पुनः चक्रण करके पुनः उपयोग में लाना चाहिए।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा।
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक।
(c) फलों के छिलके, केक तथा नींबू का रस।
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर:
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा।
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस।
(d) केक, लकड़ी तथा घास।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं? (2019)
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बलरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी।
उत्तर:
(b) घास, बकरी तथा मानव।

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं?
(a) बाजार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना।
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बन्द करना।
(c) माँ द्वारा स्कूटर से विद्यालय छोड़ने के बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर;
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें)?
उत्तर:
यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें) तो उसके ऊपर वाले पोषी स्तर के जीव पोषण के अभाव में धीरे-धीरे नष्ट हो जाएँगे तथा नीचे वाले पोषी स्तर में जीवों की संख्या अत्यधिक बढ़ती जायेगी फिर उनमें जीवन संघर्ष होगा।

प्रश्न 5.
क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितन्त्र को प्रभावित किए बिना हटाना सम्भव है?
उत्तर:
हाँ, किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने पर उससे नीचे के पोषी स्तरों एवं ऊपर के पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा। हाँ, किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितन्त्र को प्रभावित किए बिना हटाना सम्भव है यदि हम उच्चतम पोषी स्तर को हटा दें अर्थात् अपमार्जकों को हटाना पारितन्त्र को प्रभावित करेगा क्योंकि फिर मृतजीवों का अपघटन नहीं होगा।

प्रश्न 6.
जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है? क्या पारितन्त्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
उत्तर:
जैविक आवर्धन (Biological magnification):
“पौधों एवं फसलों को रोग मुक्त रखने एवं पीड़कों से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशी, फफूंदनाशी, खरपतवारनाशी एवं पीड़कनाशी आदि रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन रसायनों का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करना पौधों के माध्यम से खाद्य श्रृंखला के विभिन्न पोषण स्तरों में प्रवेश कर जाते हैं तथा वहाँ संचित होने लगते हैं। इस परिघटना को जैविक आवर्धन कहते हैं।” हाँ, पारितन्त्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है। चूँकि मनुष्य आहार श्रृंखला में शीर्षस्थ होता है अतः मनुष्य के जैविक आवर्धन सर्वाधिक होता है।

प्रश्न 7.
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से उत्पन्न समस्याएँ:
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरा जैसे पॉलीथीन आदि एवं विभिन्न रसायनों का जैव अपघटकों द्वारा अपघटन एवं अपमार्जन नहीं होता। अतः ये पर्यावरण में एकत्रित होते जाते हैं और चारों ओर इस कचरे के ढेर लग जाते हैं। पर्यावरण प्रदूषित होता है। प्रमुखतः मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ पैदा होती हैं। कचरे के ढेर की वजह से भू-भाग बेकार हो जाते हैं। जैविक आवर्धन होता है। जब इस कचरे को गाय आदि पशु खाते हैं तो उनके मरने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इसका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?
उत्तर:
हमारे द्वारा उत्पादित जैव निम्नीकरणीय कचरा यदि अल्पमात्रा में हो तो उसका सूक्ष्मजीवियों द्वारा अपघटन हो जाता है और अमूल्य खाद्य का निर्माण होता है जिसका पुनः उपयोग पोषण के लिए पौधों द्वारा कर लिया जाता है, हालांकि इससे दुर्गन्ध युक्त गैसों का निर्माण होता है जो वातावरण को दुर्गन्ध से भर देती हैं और यदि कचरा अत्यधिक है तो उसका अपघटन एवं निपटान कठिन ही नहीं अपितु असम्भव हो जाता है जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है और विभिन्न बीमारियों को आमन्त्रित करता है।

प्रश्न 9.
ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिन्ता का विषय क्यों है? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर:
ओजोन परत की क्षति (क्षरण) हमारे लिए चिन्ता का विषय इसलिए है क्योंकि इसके अनेक दुष्परिणाम हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  1. ओजोन परत के क्षरण के कारण सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरण वायुमण्डल में प्रवेश कर जाती है जिससे त्वचा कैन्सर हो जाता है।
  2. मनुष्य की त्वचा की ऊपरी सतह की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं से हिस्टामिन नामक रासायनिक पदार्थ स्रावित होता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है। फलस्वरूप अल्सर, निमोनिया, ब्रोन्काइटिस जैसी भयानक बीमारियाँ होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।
  3. इससे आनुवंशिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं तथा चिरकालिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
  4. पराबैंगनी विकिरण से आँख के घातक रोग, मोतियाबिन्द, आँख में घाव एवं सूजन हो जाती है।
  5. ओजोन क्षरण से वायुमण्डल का ताप बढ़ जाता है।
  6. इसके सूक्ष्मजीवी एवं वनस्पतियों पर घातक प्रभाव पड़ते हैं। वनस्पतियों में प्रोटीन की कमी हो जाती है। प्रकाश-संश्लेषण एवं चयापचय क्रियाएँ प्रभावित होती हैं।
  7. इसके कारण खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। उत्पादक शैवाल नष्ट हो जाते हैं। शैवालों के नष्ट होने से जलीय जीव मछलियाँ, जलीय पक्षी, समुद्र में रहने वाले स्तनी जीव आदि प्रभावित होते हैं।
  8. ओजोन परत की क्षति को सीमित करने के लिए उठाए गए कदम-ओजोन परत की क्षति क्लोरोफ्लोरो-कार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड तथा मीथेन गैसों के कारण होती है। क्लोरोफ्लोरो-कार्बन सर्वाधिक क्षति पहुँचाता है। इसका विकल्प तलाशा जा रहा है तथा ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 15 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में कौन-सा मानव रचित (कृत्रिम) पारितन्त्र है –
(a) पोखर।
(b) खेत।
(c) झील।
(d) जंगल।
उत्तर:
(b) खेत।

प्रश्न 2.
किसी आहार श्रृंखला में तृतीय पोषण स्तर पर सदैव होते हैं –
(a) माँसाहारी।
(b) शाकाहारी।
(c) अपघटक।
(d) उत्पादक।
उत्तर:
(a) माँसाहारी।

प्रश्न 3.
एक पारितन्त्र में होते हैं –
(a) सभी सजीव।
(b) सभी अजैव वस्तुएँ।
(c) सभी सजीव एवं अजैव वस्तुएँ।
(d) कभी सजीव कभी अजैव वस्तुएँ।
उत्तर:
(c) सभी सजीव एवं अजैव वस्तुएँ।

प्रश्न 4.
एक दी हुई खाद्य श्रृंखला में मान लीजिए चतुर्थ पोषण स्तर पर 5 k J ऊर्जा की मात्रा है तो उपभोक्ता स्तर पर कितनी ऊर्जा उपलब्ध होगी?
घास → टिड्डे → मेंढक → सर्प → चील (गिद्ध)
(a) 5 k J
(b) 50 k J
(c) 500 k J
(d) 5000 k J
उत्तर:
(d) 5000 k J

प्रश्न 5.
अजैव निम्नकरणीय पीड़कनाशकों का आहार श्रृंखला के प्रत्येक पोषण स्तर पर बढ़ती मात्रा में संचयन कहलाता है –
(a) पोषण।
(b) प्रदूषण।
(c) जैव-आवर्धन।
(d) सम्मिश्रण।
उत्तर:
(c) जैव-आवर्धन।

प्रश्न 6.
ओजोन परत का क्षरण मुख्य रूप से इस कारण है –
(a) क्लोरोफ्लोरो-कार्बन।
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड।
(c) मीथेन।
(d) पीड़कनाशक।
उत्तर:
(a) क्लोरोफ्लोरो-कार्बन।

प्रश्न 7.
वे जीव जो अकार्बनिक यौगिकों से विकिरण ऊर्जा का प्रयोग करके कार्बोहाइड्रेट्स में संश्लेषण करते हैं, कहलाते हैं –
(a) अपघटक।
(b) उत्पादक।
(c) शाकाहारी।
(d) माँसाहारी।
उत्तर:
(b) उत्पादक।

प्रश्न 8.
पारितन्त्र में 10% ऊर्जा उपलब्ध होती है। एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर में स्थानान्तरण हेतु निम्न के रूप में –
(a) ऊष्मीय ऊर्जा।
(b) प्रकाश ऊर्जा।
(c) रासायनिक ऊर्जा।
(d) यान्त्रिक ऊर्जा।
उत्तर:
(c) रासायनिक ऊर्जा।

प्रश्न 9.
उच्चतर पोषण स्तर के जीव जो निम्न पोषण स्तर के अनेक प्रकार के जीवों पर पोषण के लिए निर्भर होते हैं, बनाते हैं –
(a) आहार (खाद्य) जाल।
(b) पारितन्त्र का पिरामिड।
(c) पारितन्त्र।
(d) आहार (खाद्य) शृंखला।
उत्तर:
(a) आहार (खाद्य) जाल।

प्रश्न 10.
पारितन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह सदैव होता है –
(a) एकदैशिक।
(b) द्वि-दैशिक।
(c) बहु-दैशिक।
(d) कोई निश्चित दिशा नहीं।
उत्तर:
(a) एकदैशिक।

प्रश्न 11.
अधिक देर तक मनुष्य का पराबैंगनी विकिरण में खुले रहने का परिणाम होता है –
(i) प्रतिरक्षण तन्त्र का नष्ट होना
(ii) फेफड़ों का नष्ट होना
(iii) चर्म कैंसर
(iv) आमाशयिक अल्सर।
(a) (i) एवं (ii)
(b) (ii) एवं (iv)
(c) (i) एवं (iii)
(d) (iii) एवं (iv)
उत्तर:
(c) (i) एवं (iii)

MP Board Solutions

प्रश्न 12.
वस्तुओं के निम्न समूहों में से किनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं?
(i) लकड़ी, कागज, चमड़ा।
(ii) पॉलीथीन, डिटर्जेण्ट, PVC।
(iii) प्लास्टिक, डिटर्जेण्ट, घास।
(iv) प्लास्टिक, बैकेलाइट, DDT।
(a) (iii)
(b) (iv)
(c) (i) एवं (iii)
(d) (ii), (iii) एवं (iv)
उत्तर:
(d) (ii), (iii) एवं (iv)

प्रश्न 13.
एक खाद्य श्रृंखला में पोषण स्तरों को कौन सीमित करता है?
(a) उच्चतर पोषण स्तर में ऊर्जा का कम होना।
(b) अपर्याप्त खाद्य आपूर्ति।
(c) प्रदूषित वायु।
(d) जल।
उत्तर:
(a) उच्चतर पोषण स्तर में ऊर्जा का कम होना।

प्रश्न 14.
निम्न में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) सभी हरे पेड़-पौधे एवं हरी-नीली ऐल्गी उत्पादक होते हैं।
(b) हरे पौधे अपना भोजन कार्बनिक यौगिकों से लेते हैं।
(c) उत्पादक अपना भोजन अकार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं।
(d) पौधे सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं।
उत्तर:
(b) हरे पौधे अपना भोजन कार्बनिक यौगिकों से लेते हैं।

प्रश्न 15.
कौन-से जैव समूह आहार श्रृंखला का निर्माण नहीं करते?
(i) घास, शेर, खरगोश, भेड़िया।
(ii) जलीय पौधे, मनुष्य, मछली, टिड्डे।
(iii) भेड़िया, घास, सर्प, चीता।
(iv) मेंढक, सर्प, चील, घास, टिड्डे।
(a) (i) एवं (iii)
(b) (iii) एवं (iv)
(c) (ii) एवं (iii)
(d) (i) एवं (iv)
उत्तर:
(c) (ii) एवं (iii)

प्रश्न 16.
हरे पौधों द्वारा प्रकाश-संश्लेषण के लिए सौर विकिरण की ऊर्जा का निम्न प्रतिशत भाग अवशोषित किया जाता है –
(a) 1%
(b) 5%
(c) 8%
(d) 10%
उत्तर:
(a) 1%

प्रश्न 17.
संलग्न चित्र के विभिन्न पोषण स्तर दिखाए गए हैं। एक पिरामिड के रूप में किस पोषण स्तर में सर्वाधिक ऊर्जा उपलब्ध होती है?
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 2
(a) T4
(b) T2
(c) T1
(d) T3
उत्तर:
(c) T1

प्रश्न 18.
क्या होगा यदि दी हुई आहार (खाद्य) श्रृंखला से हिरन गायब हो जाएँ –
घास → हिरन → चीता
(a) चीतों की जनसंख्या बढ़ जायेगी।
(b) घास की मात्रा (जनसंख्या) बढ़ जाएगी।
(c) चीते घास खाना प्रारम्भ कर देंगे।
(d) चीतों की जनसंख्या घट जाएगी और घास की जनसंख्या बढ़ जाएगी।
उत्तर:
(d) चीतों की जनसंख्या घट जाएगी और घास की जनसंख्या बढ़ जाएगी।

प्रश्न 19.
किसी पारितन्त्र में अपघटक –
(a) अकार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में परिवर्तित करते हैं।
(b) कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक रूप में परिवर्तित करते हैं।
(c) अकार्बनिक पदार्थों को कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित करते हैं।
(d) कार्बनिक पदार्थों को अपघटित नहीं करते।
उत्तर:
(b) कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक रूप में परिवर्तित करते हैं।

प्रश्न 20.
यदि एक टिड्डे को मेंढक खा जाता है तब ऊर्जा का स्थानान्तरण होगा –
(a) उत्पादक से अपघटक को।
(b) उत्पादक से प्राथमिक उपभोक्ता को।
(c) प्राथमिक उपभोक्ता से द्वितीयक उपभोक्ता को।
(d) द्वितीय उपभोक्ता से प्राथमिक उपभोक्ता को।
उत्तर:
(c) प्राथमिक उपभोक्ता से द्वितीयक उपभोक्ता को।

प्रश्न 21.
डिस्पोजेवल प्लास्टिक प्लेटों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि –
(a) वे हल्के वजन के पदार्थों से बने होते हैं।
(b) वे विषाक्त पदार्थों से बने होते हैं।
(c) वे जैव निम्नीकरणीय पदार्थों से बने होते हैं।
(d) वे अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों से बने होते हैं।
उत्तर:
(d) वे अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों से बने होते हैं।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर के लिए ऊर्जा का स्थानान्तरण …….प्रतिशत होता है। (2019)
  2. हरे पौधे प्रकाश-संश्लेषण के लिए सौर विकिरण ऊर्जा का केवल ……….. प्रतिशत भाग अवशोषित करते हैं।
  3. एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर को ऊर्जा का भाग ………. जाता है।
  4. मनुष्य …….. जीव है।
  5. किसी आहार (खाद्य) श्रृंखला में केवल ……….. पोषण स्तर ही हो सकते हैं।

उत्तर:

  1. दस।
  2. एक।
  3. घटता।
  4. सर्वाहारी।
  5. चार-पाँच।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 3
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. कुत्ता सर्वाहारी है।
  2. मनुष्य अपना भोजन स्वयं पकाता है, इसलिए उत्पादक है।
  3. क्लोरोफ्लोरो-कार्बन ओजोन परत को क्षीण करती है।
  4. पृथ्वी की सतह से ऊपर वायु से घिरा क्षेत्र पर्यावरण कहलाता है।
  5. ओजोन परत पराबैंगनी विकिरण को रोकता है।

उत्तर:

  1. सत्य।
  2. असत्य।
  3. सत्य।
  4. असत्य।
  5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. जो पदार्थ सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित होते हैं, क्या कहलाते हैं?
  2. जो पदार्थ सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित नहीं होते हैं, क्या कहलाते हैं?
  3. पौधे अपना भोजन किस प्रक्रिया द्वारा बनाते हैं?
  4. अपघटक मृतजीवों को किस प्रकार के पदार्थों में अपघटित करते हैं?
  5. अनेक आहार श्रृंखलाओं का एक संयुक्त समूह क्या कहलाता है?

उत्तर:

  1. जैव निम्नीकरणीय।
  2. अजैव निम्नीकरणीय।
  3. प्रकाश-संश्लेषण।
  4. सरल अकार्बनिक।
  5. आहार (खाद्य) जाल।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण क्या है?
उत्तर:
पर्यावरण:
“चारों ओर की उन बाहरी दशाओं का सम्पूर्ण योग, जिसके अन्दर एक जीव या समुदाय रहता है, पर्यावरण कहलाता है।”

प्रश्न 2.
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ:
“वे पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों द्वारा आसानी से अपघटित हो जाते हैं तथा अपघटन के बाद हानिकारक पदार्थ नहीं बनते, जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं।”

उदाहरण:
घरेलू अपशिष्ट, मलमूत्र, वाहितमल, कृषि एवं जन्तु अपशिष्ट आदि।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ-“वे पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित नहीं होते, अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं।” ।

उदाहरण:
विभिन्न कृषि रसायन, पॉलीथीन, कृत्रिम रेशे आदि।

प्रश्न 4.
अपशिष्ट किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अपशिष्ट:
“उपयोग के बाद त्यागा गया पदार्थ जो वातावरण को प्रदूषित करता है, अपशिष्ट कहलाता है।”

उदाहरण:
घरेलू अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट, पॉलीथीन आदि।

प्रश्न 5.
पारिस्थितिकी क्या है? पारिस्थितिक तन्त्र के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
पारिस्थितिकी:
“विज्ञान की वह शाखा, जिसमें पारिस्थितिक तन्त्र का अध्ययन किया जाता है, पारिस्थितिकी कहलाती है।”

पारिस्थितिक तन्त्र के प्रमुख घटक-इसके दो घटक हैं –

  1. जैविक घटक।
  2. अजैविक घटक।

प्रश्न 6.
जैविक घटक क्या हैं? कार्य के आधार पर जैविक घटकों को कौन-कौन से भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
जैविक घटक:
“पारिस्थितिक तन्त्र के वे घटक जो सजीव होते हैं, जैविक घटक कहलाते हैं।”

जैविक घटकों को कार्य के आधार पर निम्न तीन भागों में बाँटा गया है –

  1. उत्पादक।
  2. उपभोक्ता।
  3. अपघटक (अपमार्जक)।

प्रश्न 7.
उत्पादक किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
उत्पादक:
“जो जीव अपने पोषण के लिए सौर ऊर्जा एवं क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल को प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित कर देते हैं, उन्हें उत्पादक कहते हैं।”

उदाहरण: हरे पेड़-पौधे और हरी, नीली शैवाल (ऐल्गी)।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता:
“वे जीव जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने पोषण के लिए पौधों (उत्पादकों) पर निर्भर करते हैं तथा अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते, उपभोक्ता कहलाते हैं।

उदाहरण: सभी प्रकार के जन्तु।

प्रश्न 9.
पोषण के आधार पर उपभोक्ताओं को किन-किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
पोषण के आधार पर उपभोक्ताओं को निम्न तीन भागों में बाँटा गया है –

  1. शाकाहारी।
  2. माँसाहारी।
  3. सर्वाहारी।

प्रश्न 10.
शाकाहारी से क्या समझते हो? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
शाकाहारी: “वे उपभोक्ता जो अपने पोषण के लिए केवल पेड़-पौधों पर निर्भर रहते हैं, शाकाहारी कहलाते हैं।”

उदाहरण: भेड़-बकरी प्रायः सभी पालतू पशु एवं खरगोश आदि।

MP Board Solutions

प्रश्न 11.
माँसाहारी किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
माँसाहारी:
“वे जन्तु जो अपने पोषण के लिए केवल जन्तुओं पर निर्भर करते हैं अर्थात् उनके माँस का भक्षण करते हैं, माँसाहारी कहलाते हैं।”

उदाहरण: भेड़िया, शेर, बिल्ली आदि।

प्रश्न 12.
सर्वाहारी क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सर्वाहारी:
“वे जन्तु जो अपने पोषण के लिए पेड़-पौधों एवं जन्तुओं दोनों पर निर्भर रहते हैं, सर्वाहारी कहलाते हैं।”

उदाहरण: मनुष्य, कुत्ता, कौआ आदि।

प्रश्न 13.
अजैविक घटक क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अजैविक घटक:
“पारितन्त्र के कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ तथा भौतिक वातावरण आदि सभी अजैव पदार्थ अजैविक घटक कहलाते हैं।”

उदाहरण:
कार्बनिक पदार्थ – कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि।
अकार्बनिक पदार्थ – हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।
भौतिक वातावरण – प्रकाश, ताप आदि।

प्रश्न 14.
आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला) किसे कहते हैं?
उत्तर:
आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला):
“भोजन रूपी ऊर्जा की जीवों में क्रमिक रूपान्तरण की श्रृंखला आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला) कहलाती है।”

प्रश्न 15.
खाद्य जाल (आहार जाल) किसे कहते हैं?
उत्तर:
आहार जाल (खाद्य जाल):
“जब अनेक खाद्य शृंखलाएँ परस्पर मिलकर एक जटिल पथ बनाती है तो एक जाल-सा बनता है, जिसे आहार जाल (खाद्य जाल) कहते हैं।”

प्रश्न 16.
ग्रीन हाउस गैसें किन्हें कहते हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस गैसें:
“जो गैसें पौधा घर प्रभाव (ग्रीन हाउस प्रभाव) उत्पन्न करती हैं, ग्रीन हाउस गैसें कहलाती हैं।”

उदाहरण:
कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड एवं क्लोरोफ्लोरो-कार्बन आदि।

प्रश्न 17.
ग्लोबल वार्मिंग से क्या समझते हो?
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग:
“मानव के क्रियाकलापों के फलस्वरूप ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण सम्पूर्ण पृथ्वी का तापमान बढ़कर सामान्य तापमान से अधिक हो रहा है, यह घटना ग्लोबल वार्मिंग कहलाती है।”

प्रश्न 18.
ओजोन परत क्या है? यह क्यों क्षीण हो रही है?
उत्तर:
ओजोन परत:
“हमारे वायुमण्डल में समुद्र सतह से 32 से 80 किमी तक ओजोन की एक मोटी परत पाई जाती है, जिसे ओजोन परत कहते हैं।” ओजोन परत ऐरोसॉल (क्लोरोफ्लोरो-कार्बन) जैसे प्रदूषकों की उपस्थिति के कारण क्षीण हो रही है।

प्रश्न 19.
अम्ल वर्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
अम्ल वर्षा:
वायुमण्डल में जब अम्लीय गैसें; जैसे-CO2, SO2, SO3 एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड एकत्रित हो जाते हैं तो वर्षा के जल में घुलकर अम्ल बनकर बरसते हैं, जिसे अम्ल वर्षा कहते हैं।

प्रश्न 20.
यदि किसी खाद्य श्रृंखला के प्रथम पोषी स्तर पर 10,000 जूल ऊर्जा उपलब्ध है, तो द्वितीय पोषी स्तर के जीवों को कितनी ऊर्जा उपलब्ध होगी?
उत्तर:
द्वितीय पोषी स्तर के जीवों के लिए उपलब्ध –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 4

प्रश्न 21.
ओजोन परत की क्षति चिन्ता का विषय है, क्यों?
उत्तर:
ओजोन परत की क्षति (क्षरण) हमारे लिए चिन्ता का विषय इसलिए है क्योंकि इसके अनेक दुष्परिणाम हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  1. ओजोन परत के क्षरण के कारण सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरण वायुमण्डल में प्रवेश कर जाती है जिससे त्वचा कैन्सर हो जाता है।
  2. मनुष्य की त्वचा की ऊपरी सतह की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं से हिस्टामिन नामक रासायनिक पदार्थ स्रावित होता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है। फलस्वरूप अल्सर, निमोनिया, ब्रोन्काइटिस जैसी भयानक बीमारियाँ होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।
  3. इससे आनुवंशिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं तथा चिरकालिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
  4. पराबैंगनी विकिरण से आँख के घातक रोग, मोतियाबिन्द, आँख में घाव एवं सूजन हो जाती है।
  5. ओजोन क्षरण से वायुमण्डल का ताप बढ़ जाता है।
  6. इसके सूक्ष्मजीवी एवं वनस्पतियों पर घातक प्रभाव पड़ते हैं। वनस्पतियों में प्रोटीन की कमी हो जाती है। प्रकाश-संश्लेषण एवं चयापचय क्रियाएँ प्रभावित होती हैं।
  7. इसके कारण खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। उत्पादक शैवाल नष्ट हो जाते हैं। शैवालों के नष्ट होने से जलीय जीव मछलियाँ, जलीय पक्षी, समुद्र में रहने वाले स्तनी जीव आदि प्रभावित होते हैं।
  8. ओजोन परत की क्षति को सीमित करने के लिए उठाए गए कदम-ओजोन परत की क्षति क्लोरोफ्लोरो-कार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड तथा मीथेन गैसों के कारण होती है। क्लोरोफ्लोरो-कार्बन सर्वाधिक क्षति पहुँचाता है। इसका विकल्प तलाशा जा रहा है तथा ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित खाद्य श्रृंखला में, शेर को 100 J ऊर्जा उपलब्ध है। उत्पादक स्तर पर कितनी ऊर्जा उपलब्ध थी?
पादप → हिरण → शेर
उत्तर:
उत्पादक स्तर (पादपों) के लिए –
उपलब्ध ऊर्जा = 100 J × (10)2 = 10.000 J

प्रश्न 23.
अनुचित तरीके से कचरे (अपशिष्ट) का फेंकना पर्यावरण के लिए अभिशाप क्यों है?
उत्तर:
अनुचित तरीके से फेंके गए कचरे (अपशिष्ट) का उचित विस्तारण न होने के कारण यह वातावरण को प्रदूषित करता है। इससे वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण एवं जल प्रदूषण होता है जो सभी जीवधारियों के लिए हानिकारक होते हैं।

प्रश्न 24.
एक पोखर (तालाब) की सामान्य आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला) लिखिए।
उत्तर:
पोखर (तालाब) की एक सामान्य आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला) –
जलीय पौधे → छोटे जलीय जन्तु, लार्वा, कीड़े-मकोड़े आदि → मछलियाँ → जलीय पक्षी।

प्रश्न 25.
फसल वाले क्षेत्र (खेत) कृत्रिम पारितन्त्र माने जाते हैं, क्यों?
उत्तर:
फसल वाले क्षेत्र (खेत) मनुष्य द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं, प्राकृतिक रूप से नहीं बनते, इसलिए इन्हें कृत्रिम पारितन्त्र माना जाता है।

प्रश्न 26.
निम्न में से गलत जोड़ी को छाँटिए एवं इसका संशोधन कीजिए –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 5
उत्तर:
गलत जोड़ी है –
(b) पारितन्त्र – पर्यावरण के जैवीय घटक

संशोधित रूप
(b) पारितन्त्र – पर्यावरण के जैवीय एवं अजैवीय घटक

प्रश्न 27.
हम तालाबों एवं झीलों की सफाई नहीं करते जबकि जल जीवशाला की सफाई करनी पड़ती है, क्यों?
उत्तर:
तालाब एवं झीलें प्राकृतिक पारितन्त्र हैं जो पूर्ण हैं तथा परस्पर अन्योन्य क्रियाओं को करने में सक्षम हैं जबकि जल जीवशाला एक कृत्रिम एवं अपूर्ण मानवनिर्मित पारितन्त्र है जिसमें परस्पर अन्योन्य क्रियाओं की क्षमता नहीं इसलिए जल जीवशाला को सफाई की आवश्यकता होती है जबकि तालाब एवं झीलों की नहीं।

प्रश्न 28.
उर्वरक उद्योग (कारखानों) के कचरे के निस्तारण की तकनीक सुझाइए।
उत्तर:

  1. वायु प्रदूषण का नियन्त्रण करना चाहिए।
  2. वाहित कचरे को पर्यावरण में बहाने से पहले उपचारित करना चाहिए।

प्रश्न 29.
उर्वरक उद्योग के उप-उत्पाद क्या हैं? वे पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
उर्वरक उद्योग के उप-उत्पाद हानिकारक वायु प्रदूषण गैसें; जैसे-सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) एवं नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) आदि हैं जो वायु प्रदूषक हैं तथा अम्ल वर्षा के कारक हैं।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कचरे के प्रबन्धन की तकनीक पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
कचरे के प्रबन्धन की तकनीक:

  1. कचरे का वर्गीकरण विघटनीय-अविघटनीय; ज्वलनशील-अज्वलनशील इत्यादि में करना।
  2. स्थान-स्थान पर कूड़ेदान रखवाना।
  3. अपशिष्ट को डम्पिंग स्थल तक पहुँचाने की उत्तम व्यवस्था करना।
  4. ठोस जैविक अपशिष्ट को वर्मीकम्पोस्टिंग विधि द्वारा खाद में परिवर्तित करना।
  5. अनुपयोगी अजैविक अपशिष्ट को पुन:चक्रण द्वारा उपयोगी पदार्थों में बदलना।

प्रश्न 2.
अजैविक तथा जैविक घटकों की परस्पर अन्तक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अजैविक एवं जैविक घटकों की अन्तक्रिया:
जैविक घटक के उत्पादक (हरे पौधे) वातावरण से अजैविक अकार्बनिक पदार्थ कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं जल लेकर सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाशसंश्लेषण के द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। वे उत्पादक एवं स्वपोषी होते हैं। अत: उत्पादकों को कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थों एवं भौतिक वातावरण (अजैविक घटकों) की आवश्यकता होती है।

उपभोक्ता अपने पोषण के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर करते हैं तथा उन्हें वातावरण के अजैविक घटकों (प्रकाश, ताप, जल एवं वायु) की भी आवश्यकता होती है। अतः कह सकते हैं कि सजीवों की प्रथम अन्तक्रिया वातावरण के तत्वों से तथा द्वितीय अन्तक्रिया सजीवों के साथ परस्पर होती है। जैविक तत्वों की मृत्यु के बाद सूक्ष्मजीवी अपघटकों के द्वारा उनका अपघटन कर दिया जाता है। उनमें व्याप्त मूल खनिज पदार्थ तथा कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थों को अजैविक वातावरण में मिला दिया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
एक खाद्य श्रृंखला को चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला का चित्र द्वारा प्रदर्शन –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 6

प्रश्न 4.
एक खाद्य जाल को चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
खाद्य जाल का चित्र द्वारा प्रदर्शन –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 7

प्रश्न 5.
पर्यावरण संरक्षण क्या है? पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण:
“प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करके पर्यावरण को प्रदूषण रहित एवं स्वस्थ बनाना, पर्यावरण संरक्षण कहलाता है।”

पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य –

  1. प्राकृतिक सम्पदाओं को निरन्तर बनाये रखना, उनका सदुपयोग करना तथा उनकी वृद्धि करना।
  2. नवीनीकरणीय एवं अनवीनीकरणीय संसाधनों का उपयोग विवेक एवं मितव्ययिता के साथ करना।
  3. प्राकृतिक संसाधनों (जल, मृदा, वन, खनिज, सम्पदा, जन्तुओं एवं ऊर्जा) का संरक्षण करके पर्यावरण का संरक्षण करना।

प्रश्न 6.
पर्यावरण संरक्षण पर प्रकाश डालिए।
अथवा
प्राकृतिक सम्पदा एवं संसाधन के संरक्षण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण एवं प्राकृतिक सम्पदा का संरक्षण –

  1. जल संरक्षण: जल को प्रदूषण से बचाना, उसके अतिव्यय को रोकना, उसका उपयुक्त तरीके से संग्रहण करना। इन सब क्रियाकलापों से जल का संरक्षण किया जा सकता है।
  2. मृदा संरक्षण: इसके संरक्षण के लिए खेतों पर मेंड बनाना, जैविक खाद का प्रयोग करना, वृक्षारोपण करना आदि।
  3. वन संरक्षण: वन के संरक्षण के लिए वनों का रखरखाव ठीक से करना, वृक्षारोपण, राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्यों की स्थापना करना आदि।
  4. खनिज: इनके संरक्षण के लिए इनका मितव्ययिता के साथ सीमित प्रयोग करना।
  5. ऊर्जा: इसके संरक्षण के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का अधिकाधिक उपयोग करना तथा परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के प्रयोग में मितव्ययिता रखना।

प्रश्न 7.
पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूकता क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूकता की आवश्यकता:
पर्यावरण संरक्षण एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। इसे अकेले न तो शासन एवं प्रशासन पूर्ण कर सकता है और न कोई व्यक्ति। यह संयुक्त रूप से प्रयत्न करने पर ही सम्भव है। इसके लिए आवश्यक है जनता को जागरूक बनाया जाए। उसे पर्यावरण के नष्ट होने के कारणों, उसके प्रभावों की जानकारी देना आवश्यक है।

जनजागरण के द्वारा ही वे अपने पर्यावरण की वास्तविक स्थितियों से भलीभाँति परिचित हो सकेंगे और पर्यावरण के संरक्षण में अपना क्रियात्मक योगदान दे सकेंगे। इसलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए समग्र जागरूकता आवश्यक है।

प्रश्न 8.
ग्रीन हाउस प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect):
ठण्डे प्रदेशों में पौधों को ठण्ड से बचाने के लिए काँच या फाइबर ग्लास के बने पौधाघरों में रखा जाता है। सूर्य से निकलने वाली छोटी तरंगदैर्घ्य की विकिरण काँच से होकर इसमें प्रवेश कर जाती है तथा वहाँ ये बड़ी तरंगदैर्घ्य की विकिरणों में बदल जाती है जिनको काँच बाहर आने से रोकता है।

इस प्रकार पौधाघर का ताप वायुमण्डल के ताप से अधिक रहता है। इस घटना को पौधाघर प्रभाव या ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। काँच की जगह यही कार्य पर्यावरण में कार्बन डाइ-ऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, ओजोन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन आदि गैसें करती हैं, जिन्हें ग्रीन हाउस गैसें कहते हैं। इससे पृथ्वी का ताप बढ़ जाता है।

प्रश्न 9.
ग्लोबल वार्मिंग को समझाइए।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग की व्याख्या-मनुष्य के क्रियाकलापों से वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हो रही है। ये गैसें कम्बल का कार्य करती हैं तथा ग्रीन हाउस के प्रभाव के कारण ये सूर्य के प्रकाश की ऊष्मा को पृथ्वी पर आने देती हैं लेकिन पृथ्वी की ऊष्मा को अन्तरिक्ष में नहीं जाने देती। ज्यों-ज्यों ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि होती जा रही है, त्यों-त्यों पृथ्वी पर ऊष्मा की मात्रा में वृद्धि होती जा रही है। इससे वैश्विक ताप में भी वृद्धि होती जा रही है। इस तरह ग्लोबल वार्मिंग की समस्या खड़ी हो रही है। इससे पृथ्वी का सामान्य ताप पहले से काफी बढ़ गया है।

प्रश्न 10.
ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण लिखिए।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण:

  1. वृक्षों के अत्यधिक कटान से कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस की वातावरण में वृद्धि होना।
  2. जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम) आदि के आंशिक या पूर्ण दहन से कार्बन मोनो-ऑक्साइड एवं कार्बन डाइ-ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइडों की मात्रा में वृद्धि।
  3. रेफ्रिजरेटरों एवं एयर कण्डीशनरों में ऐरोसोल का उपायेग, अग्निशमन यन्त्रों तथा फोम के उपयोग से क्लोरोफ्लोरोकार्बन का वातावरण में एकत्रित होना।
  4. अनेक जैविक प्रक्रियाओं, कृषि कार्यों एवं अपशिष्टों के सड़ने से ग्रीन हाउस गैसों का वातावरण में एकत्रित होना।

प्रश्न 11.
ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी परिणामों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी परिणाम:

  1. पृथ्वी का तापमान बढ़ने से पानी के वाष्पीकरण की दर बढ़ेगी जिससे उपलब्ध पानी में कमी आयेगी।
  2. पृथ्वी का तापमान बढ़ने से ध्रुवों की बरफ पिघलेगी जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ने से तटीय आबादी को जीवन का खतरा हो जायेगा।
  3. पेड़-पौधों एवं जन्तुओं की मृत्यु सम्भव है।
  4. जल एवं वायु प्रदूषण में तेजी से वृद्धि होगी।
  5. असामयिक वर्षा, अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि एवं बाढ़ की सम्भावनाएँ बढ़ जायेंगी।

प्रश्न 12.
ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय लिखिए।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय:

  1. वृक्षों के अत्यधिक कटान को प्रतिबन्धित करना चाहिए तथा अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
  2. जीवाश्म ईंधन का मितव्ययिता से तथा पूर्ण दहन के साथ उपयोग करना चाहिए।
  3. क्लोरोफ्लोरोकार्बन (ऐरोसोल) को पूर्णतः प्रतिबन्धित कर देना चाहिए।
  4. रासायनिक खादों के प्रयोग को बन्द करके जैविक खादों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
  5. अधिकाधिक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न 13.
ओजोन स्तर (परत) के ह्रास (क्षरण) के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ओजोन स्तर (परत) के ह्रास (क्षरण) के कारण:

  1. क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस (ऐरोसोल) द्वारा ओजोन को नष्ट करना।
  2. मोटर वाहनों, ऊर्जा संयन्त्रों एवं विभिन्न प्रकार के उद्योगों से निकलने वाले धुएँ में पाई जाने वाली सल्फर डाइ-ऑक्साइड, कार्बन मोनो-ऑक्साइड,
  3. नाइट्रोजन के ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन आदि द्वारा ओजोन स्तर का क्षरण करना।
  4. अन्तरिक्ष यान, जेट वायुयान में ईंधन के जलने से नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्पन्न होना।
  5. ज्वालामुखी विस्फोट के कारण वायुमण्डल में सल्फर डाइ-ऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि होना।
  6. हेलोन-1301, क्लोरोफॉर्म, कार्बन टेट्राक्लोराइड, मीथेन, ऐरोसोल, फोम आदि से ओजोन का क्षरण होना।

प्रश्न 14.
अम्ल वर्षा कैसे होती है?
उत्तर:
अम्ल वर्षा की प्रक्रिया:
वायु प्रदूषण के फलस्वरूप वायुमण्डल में कार्बन डाइ-ऑक्साइड, सल्फर डाइ-ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड जैसी अम्लीय गैसें एकत्रित हो जाती हैं। सूर्य की ऊष्मा के कारण नदियों, झीलों, तालाबों एवं समुद्रों का जल वाष्प बनकर वायुमण्डल में एकत्रित होता है। यह जलवाष्प उन अम्लीय गैसों से मिश्रित हो जाती है।

जब अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, तब जलवाष्प संघनित होकर जल की बूंदों में परिवर्तित होकर अम्लीय गैसों को अपने में घोलकर अम्ल बनाती है। इसमें कार्बनिक अम्ल, सल्फ्यूरस अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल एवं नाइट्रिक अम्ल बनते हैं। जब जल की बूंदें वर्षा के रूप में पृथ्वी पर बरसती हैं तो उनके साथ अम्ल भी बरसता है। इस प्रकार अम्ल वर्षा होती है।

प्रश्न 15.
मानव के क्रियाकलापों ने जीवमण्डल के जीव रूपों को बुरी तरह प्रभावित किया है। मानव द्वारा प्रकृति के असीमित दोहन ने जीवमण्डल के जैव-अजैव अवयवों के संवेदनशील सन्तुलन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मानव द्वारा स्वयं सृजित प्रतिकूल परिस्थितियों ने न केवल उसकी अपनी उत्तरजीविता को ललकारा है, बल्कि पृथ्वी के समस्त जीवों को भी ललकारा है। आपका एक सहपाठी जो आपके स्कूल के ‘ईको क्लब’ का सक्रिय सदस्य है, स्कूल के छात्रों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न कर रहा है तथा इसे समाज में भी फैला रहा है। वह पास-पड़ोस के पर्यावरण के निम्नीकरण को रोकने के लिए भी कठोर कार्य कर रहा है।
(a) हमें अपने पर्यावरण का संरक्षण करना क्यों आवश्यक है?
(b) घरेलू अपशिष्टों के निरापद निपटारे के लिए हरी और नीली कड़ा-पेटियों का महत्व लिखिए।
(c) आपके उस सहपाठी द्वारा प्रदर्शित दो मूल्यों की सूची बनाइए जो आपके विद्यालय के ‘ईको क्लब’ का सक्रिय सदस्य है।
उत्तर:
(a) हमें अपने पर्यावरण का संरक्षण करना अति आवश्यक है क्योंकि हमारे द्वारा प्रकृति के असीमित दोहन ने जीवमण्डल के जैव एवं अजैव अवयवों के संवेदनशील सन्तुलन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। हमारे द्वारा सृजित प्रतिकूल परिस्थितियों ने न केवल हमारी अपनी उत्तरजीविता खतरे पड़ गयी है अपितु पृथ्वी के समस्त जीवों की उत्तरजीविता को भी भारी खतरा हो गया है। सम्पूर्ण पर्यावरण असन्तुलित होता जा रहा है।

(b) घरेलू अपशिष्टों के निपटारे के लिए हरी और नीली कूड़ा-पेटियों का बहुत महत्व है। इससे जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय कचरे को पृथक्-पृथक् रखा जा सकता है जिससे उनका उचित तरीके से निस्तारण किया जा सके। अलग-अलग रंग होने से कचरे के मिश्रित होने की सम्भावना नहीं रहती।

(c) ‘ईको क्लब’ के सक्रिय सदस्य द्वारा प्रदर्शित मूल्य:

  1. पर्यावरणीय-मित्रता।
  2. मानवीय मूल्य।

प्रश्न 16.
जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के बीच प्रत्येक का एक उदाहरण देकर विभेदन कीजिए। उन दो आदतों में परिवर्तन की सूची बनाइए जिन्हें पर्यावरण को बचाने के लिए, व्यक्ति अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों के निपटारा करने में अपना सकते हैं।
उत्तर:
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो सूक्ष्मजीवियों द्वारा आसानी से अपघटित होकर सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल जाते हैं। जैसे जन्तु एवं वनस्पति अवशेष एवं अपशिष्ट, जबकि अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ वे पदार्थ हैं जिनका सूक्ष्मजीवियों द्वारा या तो अपघटन नहीं होता या फिर बहुत अधिक धीमी गति से अपघटन होता है और वे लम्बे समय तक प्रकृति में बने रहकर पर्यावरण को हानि पहुँचाते हैं; जैसे-पॉलीथीन, प्लास्टिक एवं धातुएँ आदि।

पर्यावरण बचाने के लिए अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के निपटारे के लिए आदतों में बदलाव –

  1. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों पॉलीथीन एवं प्लास्टिक आदि के स्थान पर उनकी वैकल्पिक जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अधिकाधिक प्रयोग करना; जैसे-कागज की थैलियाँ, कपड़े के थैले, मिट्टी के कुल्लड़, सकोरे, वृक्ष के पत्तों से बने पत्तल एवं दोने आदि।
  2. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का पुनर्चक्रण करके पुनः उपयोग करना।

प्रश्न 17.
पारितन्त्र में ऊर्जा प्रवाह को दर्शाइए। यह एकदैशिक क्यों होता है? पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
पारितन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 8
चूँकि ऊर्जा का प्रवाह एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर की ओर आगे बढ़ता जाता है और वापस विपरीत दिशा में नहीं होता इसलिए यह एकदैशिक कहलाता है। इसके अतिरिक्त उपलब्ध ऊर्जा हर पोषी स्तर पर कम होती जाती है जिससे ऊर्जा का वापस लौटना असम्भव हो जाता है।

प्रश्न 18.
बाजार से खरीददारी करने के लिए कपड़े के थैलों का उपयोग करना प्लास्टिक की थैलियों से क्यों उत्तम है?
उत्तर:
कपड़े के थैलों का उपयोग प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग से उत्तम है क्योंकि –

  1. कपड़े के थैलों में अधिक सामान आ जाता है।
  2. कपड़ा जैव निम्नीकरणीय पदार्थ है जबकि प्लास्टिक अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ है।
  3. कपड़ा पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करता जबकि प्लास्टिक पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
  4. कपड़े के थैलों को बार-बार उपयोग में लाया जा सकता है जबकि प्लास्टिक (पॉलीथीन) की थैलियों को बार-बार प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।

प्रश्न 19.
निम्न वाक्यों, कथनों एवं परिभाषाओं के लिए एक शब्द सुझाइए –
(a) भौतिक एवं जैवीय दुनिया जहाँ हम रहते हैं?
(b) आहार श्रृंखला (खाद्य शृंखला) का प्रत्येक स्तर जहाँ ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है।
(c) पारितन्त्र के भौतिक कारक; जैसे-तापक्रम, वर्षा, पवन, मृदा आदि।
(d) वे जीव, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पेड़-पौधों पर भोजन के लिए निर्भर होते हैं।
उत्तर:
(a) पर्यावरण या जैवमण्डल।
(b) पोषीस्तर।
(c) पारितन्त्र के अजैव घटक।
(d) उपभोक्ता या परपोषी।

प्रश्न 20.
अपघटक (अपमार्जक) क्या होते हैं? इनकी अनुपस्थिति पारितन्त्र पर क्या कुप्रभाव डालेगी?
उत्तर:
अपघटक (अपमार्जक):
“वे सूक्ष्मजीवी जो जन्तुओं एवं वनस्पतियों के अवशेषों, मृत शरीरों एवं जैव अपशिष्टों का साधारण अकार्बनिक यौगिकों में अपघटन करके पौधों के लिए उपयोगी बनाते हैं, अपघटक (अपमार्जक) कहलाते हैं।”

अपमार्जकों (अपघटकों) की अनुपस्थिति का पारितन्त्र पर प्रभाव:
अगर पारितन्त्र से अपघटक अनुपस्थित हो जाएँ तो जैव निम्नीकरणीय पदार्थों और अपशिष्टों का अपघटन नहीं होगा और पारितन्त्र में उनकी मात्रा इतनी बढ़ जायेगी कि उनका निस्तारण करना असम्भव हो जायेगा। इससे पर्यावरण प्रदूषित होगा अर्थात् अपशिष्टों का पुनर्चक्रण रुक जायेगा।

प्रश्न 21.
अपने दैनिक जीवन के चार ऐसे क्रियाकलापों का वर्णन कीजिए जो पारितन्त्र मैत्रीय हों।
उत्तर:

  1. जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों को पृथक्-पृथक् रखना जिससे उनका आसानी से निपटारन हो सके।
  2. घरों में पेड़-पौधे लगाना, किचन गार्डन में फल-सब्जी उगाना तथा सड़कों के सहारे वृक्षारोपण करना।
  3. प्लास्टिक एवं पॉलीथीन की थैलियों एवं अन्य वस्तुओं के स्थान पर कपड़े एवं कागज के बने थैले तथा पत्तों से बने पत्तल, दोनों एवं मिट्टी के बने कुल्लड़-सकोरों को उपयोग में लाना।
  4. उर्वरकों के स्थान पर कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग करना। (5) वर्षा जल संग्रहण करना।

प्रश्न 22.
आहार जाल (खाद्य जाल) एवं आहार श्रृंखला (खाद्य शृंखला) के दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:

आहार जाल (खाद्य जाल)आहार श्रृंखला (खाद्य श्रृंखला)
आहार जाल अनेक आहार श्रृंखलाओंCका कम संकलन है जो आपस में गुथी होती है।आहार श्रृंखला एक जीवों की श्रृंखला है जो अपने पोषण के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
उच्चतर पोषी स्तर के सदस्य अपने नीचे के पोषी स्तर की किसी अन्य श्रृंखला के सदस्य जीव द्वारा पोषण प्राप्त कर सकते हैं।उच्चतर पोषी स्तर के जीव अपने से निम्न पोषी स्तर के किसी विशेष सदस्य जीव से पोषण प्राप्तकर सकते हैं।

प्रश्न 23.
कृषिकर्म के क्रियाकलापों से पर्यावरण पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कृषिकर्म के क्रियाकलापों का पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव –

  1. उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग मृदा की गुणवत्ता को समाप्त कर देता है तथा कृषि के लिए उपयोगी सूक्ष्मजीवियों का वध कर देती है।
  2. पीड़कनाशक आदि अजैव निम्नीकरणीय रसायनों का अत्यधिक उपयोग जैव संवर्धन को बढ़ावा देता है।
  3. अत्यधिक फसल उत्पादन मृदा की उर्वरक क्षमता का ह्रास करता है।
  4. कृषि के लिए अत्यधिक जमीनी जल का उपयोग जल स्तर को गिराता है।
  5. प्राकृतिक पारितन्त्र एवं आवास को हानि पहुँचाता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 15 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आपके घर में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले अपशिष्टों के नाम लिखिए। आप उनके निस्तारण के लिए क्या उपाय अपनाएँगे?
उत्तर:
घरों में प्रतिदिन उत्पन्न (पैदा होने वाले) अपशिष्ट निम्न प्रकार के हैं –

  1. रसोईघर के अपशिष्ट।
  2. कागज के अपशिष्ट; जैसे-अखबार, कॉपी-किताब, लिफाफे, थैलियाँ आदि।
  3. पॉलीथीन या प्लास्टिक की थैलियाँ, गिलास, प्लेट, कटोरियाँ एवं चम्मच आदि।
  4. फल एवं तरकारियों की छीलन तथा उनके अन्य अपशिष्ट।

उनके निस्तारण के उपाय एवं सावधानियाँ:

  1. जैव निम्नीकरणीय एवं अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों का पृथक्-पृथक् संचय करना जिससे उनके निस्तारण में आसानी हो।
  2. पॉलीथीन एवं प्लास्टिक की थैलियाँ एवं अन्य वस्तुओं का सुरक्षापूर्वक निस्तारण के लिए उन्हें पुनर्चक्रण के लिए दे देंगे।
  3. फल एवं तरकारियों के छिलके, छीलन एवं अन्य अवशेषों को पौधों में डालना ताकि उनका उपयोग खाद के रूप में हो सके जो पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध करा सके।
  4. कागज के अखबार, कापियाँ एवं पुस्तकों तथा अन्य अप्रयुक्त कागज उत्पादों को पुनर्चक्रण के लिए दे देंगे।
  5. रसोईघर के अपशिष्टों के निपटान (निस्तारण) के लिए कम्पोस्ट गड्डे का निर्माण करेंगे।

प्रश्न 2.
पर्यावरणीय समस्याएँ क्या-क्या हैं? लिखिए।
उत्तर:
प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएँ-प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएँ निम्न हैं –

  1. वायु, जल, मृदा एवं ध्वनि के प्रदूषण की समस्याएँ।
  2. मरुस्थल, भूस्खलन, बाढ़, नदियों के मार्ग में परिवर्तन, मृदा अपरदन की समस्याएँ।
  3. प्राणी एवं पादप जातियों के विलोपन के कारण जंगलों के विनाश की समस्या।
  4. लवणों के कारण मरुस्थल बनने अर्थात् लवणीकरण की समस्या।
  5. कचरे के जमाव एवं उसके निस्तारण की समस्या।
  6. प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास की समस्या।
  7. ग्लोबल वार्मिंग एवं ग्रीन हाउस के प्रभाव की समस्या।
  8. ओजोन परत के पतले होने तथा उसमें छेद होने की समस्या।

प्रश्न 3.
अम्ल वर्षा का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
अम्ल वर्षा का पर्यावरण पर प्रभाव:

  1. धरती का हरा-भरा आवरण नष्ट हो जाता है।
  2. पेड़-पौधों की जड़ें सिकुड़ने लगती हैं।
  3. पेड़-पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है।
  4. पेड़-पौधों की पत्तियाँ झड़ जाती हैं।
  5. मृदा की अम्लीयता बढ़ जाती है तथा उसकी उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है।
  6. सभी जैविक क्रियाएँ मन्द पड़ जाती हैं।
  7. खड़ी फसलें नष्ट हो जाती हैं।
  8. पेयजल प्रदूषित हो जाता है।
  9. मनुष्य की त्वचा एवं आँखों में जलन होने लगती है तथा श्वसन रोग हो जाते हैं।
  10. ऐतिहासिक महत्व के भवनों (जैसे ताजमहल) पर दुष्प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 4.
पर्यावरण हेतु जागरूकता पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
पर्यावरण हेतु जागरूकता:
दिन-प्रतिदिन पर्यावरण असन्तुलित होता जा रहा है जिससे मानव जीवन एवं जन्तुओं तथा पेड़-पौधों का जीवन संकट में पड़ सकता है। अतः इसके संरक्षण की महती आवश्यकता है। लेकिन यह कार्य एक अकेले के बूते का नहीं है। शासन-प्रशासन भी इस कार्य को पूर्ण रूप से करने में सक्षम नहीं, जब तक कि जन-जन इसके लिए जागरूक नहीं होगा। जन-जागृति के लिए तथा मनुष्यों में जागरूकता पैदा करने के लिए उन क्षेत्रों की जानकारी होना आवश्यक है जिनमें उन्हें जागरूक करना है और वे निम्न हैं –

  1. जनसंख्या वृद्धि: जनसंख्या वृद्धि से प्रदूषण की समस्या बढ़ती है, संसाधनों का अधिकाधिक दोहन होता है। इसलिए इस पर नियन्त्रण आवश्यक है।
    संसाधनों का समुचित प्रयोग: संसाधन सीमित हैं अतः उनका विवेकपूर्ण एवं मितव्ययिता के साथ उपयोग करना आवश्यक है तथा उन्हें लम्बे समय तक बनाये रखना है।
  2. प्रदूषण के प्रति सचेत करना: प्रदूषण से नाना प्रकार की असाध्य बीमारियाँ पैदा होती हैं। सबसे ज्यादा प्रदूषण मनुष्य के क्रियाकलापों से होता है।
  3. अतः इसके प्रति सचेत करना आवश्यक है। उन्हें प्रदूषणों के कारणों, उनके दुष्परिणामों एवं उनसे निदान के सम्बन्ध में बताना है।
  4. संरक्षण के प्रति जागरूकता: प्राकृतिक संसाधनों के प्रति उन्हें जागरूक बनाना है कि वे उन संसाधनों का अति दोहन न करें बल्कि उन्हें संरक्षित करें।
  5. आदतों में सुधार: मनुष्य के अन्दर मितव्ययिता की प्रवृत्ति को बढ़ाना है जिससे वे संसाधनों के अपव्यय को रोक सकें क्योंकि ऊर्जा बचाना, ऊर्जा पैदा करने के समान होता है।
  6. उपर्युक्त सभी क्षेत्रों में जागरूकता लाकर पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है। इसके लिए पर्यावरण शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  7. प्रारम्भ से ही बच्चों के पाठ्यक्रम में पर्यावरण पर पाठ्य सामग्री होना आवश्यक है।
  8. पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए प्रतियोगिताएँ (निबन्ध, वाद-विवाद, पोस्टर), सेमीनार, कार्यशालाएँ एवं प्रदर्शन रैली आयोजित करना अधिक कारगर होगा।

MP Board Class 10th Science Solutions

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

MP Board Class 10th Science Chapter 14 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न श्रृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 273

प्रश्न 1.
ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक उत्तम ऊर्जा स्रोत वह कहलाता है जो –

  1. सतत् अनवरत रूप से प्रचुरता में आसानी से उपलब्ध हो।
  2. नवीकरणीय हो।
  3. पर्यावरण के लिए हानि रहित (पर्यावरण-मित्र) हो।
  4. मितव्ययी हो।

प्रश्न 2.
उत्तम ईंधन किसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्तम ईंधन:
“अधिक कैलोरी मान वाला आसानी से कम मूल्य पर सर्वदा उपलब्ध, संग्रहण एवं परिवहन में प्ररक्षित ईंधन उत्तम ईंधन या आदर्श ईंधन कहलाता है।”

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी भी ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों?
उत्तर:
हम भोजन को गर्म करने के लिए गैसीय जीवाश्म ईंधन (LPG या प्राकृतिक गैस) का प्रयोग करेंगे क्योंकि यह एक उत्तम एवं प्रयोग में आसान ईंधन है।

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 279

प्रश्न 1.
जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं?
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन से हानियाँ:

  1. इनके दहन से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर के ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, लेड ऑक्साइड आदि अनेक वायु प्रदूषक उत्पन्न होते हैं।
  2. ठोस जीवाश्म ईंधन से राख आदि अपशिष्ट बचते हैं।
  3. वायु में हानिकारक गैसों के अतिरिक्त कार्बन के कण एवं धुआँ उत्पन्न होता है।
  4. इसके अतिरिक्त यह एक अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।

प्रश्न 2.
हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की ओर क्यों बढ़ रहे हैं?
उत्तर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत हमारी जीवन शैली के बढ़ते स्तर के कारण उत्पन्न ईंधन की अत्यधिक आवश्यकता की आपूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं है इसलिए हम ऊर्जा के वैकल्पिक (गैर-परम्परागत) ऊर्जा स्रोत की ओर बढ़ रहे हैं।

प्रश्न 3.
हमारी सुविधा के लिए पवन तथा जल ऊर्जा के पारम्परिक उपयोग में किस प्रकार से सुधार किए गए हैं?
उत्तर:
हमारी सुविधा के लिए पवन तथा जल ऊर्जा के पारम्परिक उपयोग के स्थान पर उससे विद्युत् उत्पादन किया जा रहा है जो बहु उपयोगी और सरल है।

प्रश्न शृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 285

प्रश्न 1.
सौर कुकर के लिए कौन-सा दर्पण (अवतल, उत्तल अथवा समतल) सर्वाधिक उपयुक्त होता है?
उत्तर:
समतल दर्पण।

प्रश्न 2.
महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:
महासागरीय ऊर्जाओं (ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा एवं महासागरीय तापीय ऊर्जा) की दक्षता अति विशाल है परन्तु इनके दक्षता पूर्वक व्यापारिक दोहन में अनेक कठिनाइयाँ हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
भूतापीय ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर:
भूतापीय ऊर्जा:
“जब जल भूमि के अन्दर तप्त स्थलों के सम्पर्क में आता है तो वाष्पीकृत हो जाता है जो पृथ्वी से बाहर गरम वाष्प (ऊष्मा स्रोत) के रूप में निकल जाती है। इस वाष्प की ऊर्जा का उपयोग विद्युत् ऊर्जा उत्पन्न करने में किया जाता है। इस ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।”

प्रश्न 4.
नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्व है?
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा का महत्व:

  1. नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पादन में किया जा सकता है।
  2. नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग पनडुब्बी को चलाने में किया जाता है।
  3. कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग होता है।
  4. कृषि एवं उद्योग क्षेत्र में इसका उपयोग होता है।
  5. इसमें ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने वाली गैसें उत्पन्न नहीं होती हैं।

प्रश्न शृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 285

प्रश्न 1.
क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
हाँ, हो सकता है क्योंकि सौर सेल युक्ति का वास्तविक प्रचालन प्रदूषण मुक्त है लेकिन यह हो सकता है कि उस युक्ति के संयोजन में पर्यावरणीय क्षति हुई हो। इसके अतिरिक्त हाइड्रोजन एक प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत है क्योंकि इसके दहन से जल वाष्प उत्पन्न होती है जो प्रदूषण उत्पन्न नहीं करती।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है? क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
हाँ, हम हाइड्रोजन को CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं क्योंकि हाइड्रोजन के दहन से जलवाष्प बनती है जो प्रदूषण पैदा नहीं करती जबकि CNG के दहन से कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड गैसें बनती हैं जो वायु प्रदूषण करती हैं।

प्रश्न श्रृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 286

प्रश्न 1.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं? अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत:

  1. बायो गैस।
  2. सौर ऊर्जा हैं। क्योंकि ये समाप्त होने वाले नहीं हैं बायोगैस, बायोमास (जन्तु एवं वनस्पति अपशिष्टों) से बनती है जो सदैव प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो सकती है और सूर्य सदैव चमकता रहेगा और हमको ऊर्जा प्रदान करता रहेगा।

प्रश्न 2.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:
समाप्य ऊर्जा स्त्रोत:

  1. कोयला।
  2. पेट्रोलियम हैं क्योंकि ये दोनों ही ऊर्जा स्रोत प्राकृतिक उथल-पुथल के परिणामस्वरूप हजारों लाखों वर्षों में बनकर तैयार हुए हैं। इनका प्राकृतिक भण्डारण भी सीमित है तथा इनका नवीकरण नहीं किया जा सकता।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का प्रयोग किस दिन नहीं कर सकते?
(a) धूप वाले दिन।
(b) बादलों वाले दिन।
(c) गरम दिन।
(d) पवनों (वायु) वाले दिन।
उत्तर:
(b) बादलों वाले दिन।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन जैव-मास ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है?
(a) लकड़ी।
(b) गोबर गैस।
(c) नाभिकीय ऊर्जा।
(d) कोयला।
उत्तर:
(c) नाभिकीय ऊर्जा।

प्रश्न 3.
जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्त्रोत अन्ततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है?
(a) भूतापीय ऊर्जा।
(b) पवन ऊर्जा।
(c) नाभिकीय ऊर्जा।
(d) जैव-मास।
उत्तर:
(c) नाभिकीय ऊर्जा।

प्रश्न 4.
ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अन्तर लिखिए।
उत्तर:
जीवाश्मी ऊर्जा स्रोत एवं सौर ऊर्जा स्रोत में अन्तर –

जीवाश्म ऊर्जा स्रोतसौर ऊर्जा स्त्रोत
ये स्रोत समाप्य हैं।ये स्रोत असमाप्य हैं।
ये पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।ये पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करते हैं।
इनका उपयोग किसी भी मौसम एवं रात्रि में भी किया जा सकता है।इनका उपयोग केवल दिन में और वह भी धूप निकलने पर ही किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
जैव मास का ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अन्तर लिखिए।
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 1
प्रश्न 6.
निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए –
(a) पवनें।
(b) तरंगें।
(c) ज्वार-भाटा।
उत्तर:
(a) पवनों से ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ:

  1. पवन ऊर्जा फॉर्म केवल उन्हीं क्षेत्रों में स्थापित किये जा सकते हैं जहाँ वर्ष के अधिकांश दिनों में तीव्र पवन चलती हों।
  2. टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाये रखने के लिए पवन की चाल भी कम से कम 15 km/h होनी चाहिए।
  3. ऊर्जा फार्म स्थापित करने के लिए विशाल भूखण्ड की आवश्यकता होती है। 1 MW के जनित्र के लिए पवन फॉर्म को लगभग 2 हेक्टेयर भूमि चाहिए।
  4. संचायक सेलों जैसी कोई सुविधा होनी चाहिए जिससे पवन ऊर्जा का उपयोग उस समय किया जा सके जब पवन नहीं चलती है।
  5. पवन ऊर्जा फॉर्म की स्थापना में प्रारम्भिक लागत अत्यधिक है।
  6. पवन चक्कियों के दृढ़ आधार, विशाल पंखुड़ियाँ वायुमण्डल में खुले होने के कारण अंधड़, चक्रवात, धूप, वर्षा आदि प्राकृतिक थपेड़ों को सहन करना पड़ता है, अत: इनके लिए उच्च स्तर के रख-रखाव की आवश्यकता होती है।

(b) समुद्री तरंगों से ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ: तरंग ऊर्जा का वहीं पर व्यावहारिक उपयोग हो सकता है जहाँ तरंगें अत्यन्त प्रबल हों।

(c) ज्वार-भाटा से ज्वारीय ऊर्जा निष्कर्षण की सीमाएँ: ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके होता है। इस प्रकार के बाँध निर्मित किए जा सकने वाले स्थान सीमित हैं।

प्रश्न 7.
ऊर्जा स्त्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे –
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय।
(b) समाप्य तथा अक्षय।
क्या (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं?
उत्तर:
(a) ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में उत्पन्न होते रहते हैं तथा जिनका पुनः उपयोग किया जा सकता है तथा समाप्त नहीं होते, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के वर्ग में आते हैं। जबकि ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में प्राचीनकाल से एक लम्बी समयावधि में संचित हो पाते हैं तथा उन्हें पुनः प्राप्त करना असम्भव है तथा उनके निरन्तर उपयोग से जो समाप्त हो जाते हैं, अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के वर्ग में आते हैं।

(b) वे ऊर्जा स्रोत जो निरन्तर उपयोग के कारण समाप्त हो जाते हैं। समाप्य ऊर्जा स्रोत के वर्ग में आते हैं तथा जो निरन्तर उपयोग के बाद भी समाप्त नहीं होते, असमाप्य (अक्षय) ऊर्जा स्रोत के वर्ग में आते हैं।
हाँ (a) तथा (b) के विकल्प प्रायः समान हैं।

प्रश्न 8.
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं? (2019)
उत्तर:
आदर्श ऊर्जा स्रोत के गुण:

  1. प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करता है अर्थात् अधिक ऊर्जा देता है।
  2. सरलता से उपलब्ध होता है।
  3. परिवहन तथा भण्डारण में आसान होता है।
  4. वह सस्ता होता है।

प्रश्न 9.
सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ एवं हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
उत्तर:
सौर कुकर के उपयोग के लाभ:

  1. ईंधन की बचत होती है।
  2. प्रदूषण नहीं होता है।
  3. रख-रखाव पर कोई खर्चा नहीं होता अर्थात् आर्थिक बचत होती है।
  4. खाना स्वादिष्ट एवं पौष्टिक बनता है।
  5. खाने के जलने की सम्भावना नहीं रहती।
  6. एक ही समय में चार-पाँच खाद्य पदार्थ पकाए जा सकते हैं।

सोलर कुकर के उपयोग की हानियाँ (सीमाएँ):

  1. सौर प्रकाश (धूप) की अनुपस्थिति में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता।
  2. वस्तुओं को तलने, रोटी-पूड़ी आदि सेकना सम्भव नहीं।
  3. खाना बनने में अधिक समय लगता है। इसलिए तुरन्त खाना नहीं बना सकते।
  4. चाय आदि बनाना मुश्किल ही नहीं असम्भव ही होता है।

हाँ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है जहाँ धूप (सूर्य प्रकाश) कम समय के लिए तथा कम तीव्रता की होती है।

प्रश्न 10.
ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर:
ऊर्जा की बढ़ती माँग की पूर्ति हेतु पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों का दोहन बढ़ेगा। लकड़ी के लिए पेड़-पौधों का अत्यधिक कटान होगा। जीवाश्म (खनिज) ईंधन एवं लकड़ी एवं अन्य पारम्परिक ईंधन के दहन से पर्यावरण प्रदूषित होगा। वनों के कटान से पर्यावरण को पर्याप्त हानि होगी।

ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय:

  1. ऊर्जा के परम्परागत स्रोतों का उपयोग मितव्ययिता के साथ करना।
  2. अनावश्यक रूप से ऊर्जा के दुरुपयोग को रोकना।
  3. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना।
  4. सौर ऊर्जा पर आधारित उपकरणों का अधिकाधिक उपयोग करना।
  5. पवन ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग करना आदि।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है –
(a) लकड़ी।
(b) सूर्य।
(c) जीवाश्म ईंधन।
(d) पवन।
उत्तर:
(c) जीवाश्म ईंधन।

प्रश्न 2.
अम्ल वर्षा होती है क्योंकि –
(a) सूर्य वायुमण्डल की ऊपरी परत को गर्म करता है।
(b) जीवाश्म ईंधन के दहन से वायुमण्डल में कार्बन, नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साइड उत्सर्जित होते हैं।
(c) बादलों में घर्षण के कारण विद्युत आवेश पैदा होता है।
(d) पृथ्वी के वायुमण्डल में अम्ल होता है।
उत्तर:
(b) जीवाश्म ईंधन के दहन से वायुमण्डल में कार्बन, नाइट्रोजन एवं सल्फर के ऑक्साइड उत्सर्जित होते हैं।

प्रश्न 3.
ताप विद्युत् संयन्त्र में ईंधन प्रयुक्त होता है –
(a) जल।
(b) यूरेनियम।
(c) जैव-मास।
(d) जीवाश्म ईंधन।
उत्तर:
(d) जीवाश्म ईंधन।

प्रश्न 4.
जल विद्युत् संयन्त्र में प्रयुक्त होता है –
(a) संग्रहित जल में उपस्थित स्थितिज ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत् ऊर्जा में होता है।
(b) संग्रहित जल में उपस्थित गतिज ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत् ऊर्जा में होता है।
(c) जल से विद्युत् का निष्कर्षण किया जाता है।
(d) विद्युत् उत्पादन के लिए जल वाष्प में परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(a) संग्रहित जल में उपस्थित स्थितिज ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत् ऊर्जा में होता है।

प्रश्न 5.
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रमुखतः ऊर्जा स्रोत है –
(a) जल।
(b) सूर्य।
(c) यूरेनियम।
(d) जीवाश्म ईंधन।
उत्तर:
(b) सूर्य।

प्रश्न 6.
निम्न में से ऊर्जा का कौन-सा रूप उत्पन्न होने तथा प्रयुक्त होने के दौरान सबसे कम पर्यावरण को प्रदूषित करता है?
(a) नाभिकीय ऊर्जा।
(b) तापीय ऊर्जा।
(c) सौर ऊर्जा।
(d) भू-तापीय ऊर्जा।
उत्तर:
(c) सौर ऊर्जा।

प्रश्न 7.
महासागरीय तापीय ऊर्जा (OTE) निम्न के कारण होती है –
(a) महासागर में तरंगों द्वारा संग्रहित ऊर्जा।
(b) महासागर के विभिन्न स्तरों पर तापान्तर।
(c) महासागर के विभिन्न स्तरों पर दाबान्तर।
(d) महासागर में ज्वार का आना।
उत्तर:
(b) महासागर के विभिन्न स्तरों पर तापान्तर।

प्रश्न 8.
नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन में प्रमुख समस्या है कि किस प्रकार –
(a) केन्द्रक को विखण्डित किया जाय
(b) अभिक्रिया का संचालन किया जाय।
(c) ईंधन के कचरे को निस्तारित किया जाय।
(d) नाभिकीय ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जाय।
उत्तर:
(c) ईंधन के कचरे को निस्तारित किया जाय।

प्रश्न 9.
सौर कुकर का कौन-सा भाग पौधा घर प्रभाव के लिए जिम्मेदार है?
(a) बॉक्स के अन्दर की सतह पर काला रंग करना।
(b) दर्पण।
(c) काँच की प्लेट।
(d) सौर कुकर बाहरी खोल।
उत्तर:
(c) काँच की प्लेट।

प्रश्न 10.
बायोगैस का मुख्य अवयव है –
(a) मीथेन।
(b) कार्बन डाइऑक्साइड।
(c) हाइड्रोजन।
(d) हाइड्रोजन सल्फाइड।
उत्तर:
(a) मीथेन।

प्रश्न 11.
एक पवन चक्की में उत्पन्न शक्ति –
(a) वर्षा ऋतु में अधिक होती है क्योंकि नम वायु अधिक द्रव्यमान से ब्लेड से टकराती है।
(b) मीनार (टॉवर) की ऊँचाई पर निर्भर होती है।
(c) पवन के वेग पर निर्भर करती है।
(d) मीनार के पास ऊँचे वृक्ष लगाकर बढ़ायी जा सकती है।
उत्तर:
(c) पवन के वेग पर निर्भर करती है।

प्रश्न 12.
सही कथन चुनिए
(a) सूर्य एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है।
(b) जीवाश्म ईंधन के पृथ्वी में अनन्त भण्डार हैं।
(c) जल विद्युत् एवं पवन ऊर्जा संयन्त्र प्रदूषण रहित ऊर्जा स्रोत है।
(d) नाभिकीय ऊर्जा संयन्त्र में उत्पन्न कचरे का आसानी से निस्तारण किया जा सकता है।
उत्तर:
(a) सूर्य एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है।

MP Board Solutions

प्रश्न 13.
जल विद्युत् संयन्त्र में अधिक विद्युत् ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है यदि जल अधिक ऊँचाई से गिरे क्योंकि –
(a) इसका तापमान बढ़ जाता है।
(b) अधिक स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है।
(c) जल में उपस्थिति से विद्युत् ऊर्जा ऊँचाई पर बढ़ जाती है।
(d) जल के अधिक अणु आयनों में विभक्त हो जाते हैं।
उत्तर:
(b) अधिक स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है।

प्रश्न 14.
पवन ऊर्जा के सन्दर्भ में निम्न में से असत्य कथन चुनिए –
(a) पवन ऊर्जा के दोहन की खुले क्षेत्र में न्यूनतम अपेक्षा की जाती है।
(b) बहुत अधिक ऊँचाई पर बहने वाली पवन में उपस्थित स्थितिज ऊर्जा पवन ऊर्जा का स्रोत है।
(c) पवन जब पवन चक्की के ब्लेड से टकराती है तो उसे घुमा देती है। इस प्रकार प्राप्त घूर्णन को पुनः प्रयुक्त किया जा सकता है।
(d) घूर्णन ऊर्जा के उपयोग का एक सम्भव तरीका यह है कि ब्लेडों के घूर्णन से एक विद्युत् जनित्र के टरबाइन को घुमाया जा सकता है।
उत्तर:
(b) बहुत अधिक ऊँचाई पर बहने वाली पवन में उपस्थित स्थितिज ऊर्जा पवन ऊर्जा का स्रोत है।

प्रश्न 15.
असत्य कथन चुनिए –
(a) हम अधिक पौधारोपण के लिए उत्साहित हैं जिससे अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सके तथा ईंधन के लिए जैव-मास (लकड़ी आदि) उपलब्ध हो सके।
(b) जब फसल के अपशिष्ट एवं वनस्पति अपशिष्टों का ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटन होता है तो गोबर गैस का निर्माण होता है।
(c) बायोगैस (गोबर गैस) का मुख्य अवयव ईथेन गैस है। यह अत्यधिक धुआँ देती है तथा अत्यधिक मात्रा में ठोस अपशिष्ट बनाती है।
(d) जैव-मास एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।
उत्तर:
(c) बायोगैस (गोबर गैस) का मुख्य अवयव ईथेन गैस है। यह अत्यधिक धुआँ देती है तथा अत्यधिक मात्रा में ठोस अपशिष्ट बनाती है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ….. का प्रमुख अवयव मीथेन है।
  2. कोयला ऊर्जा का ……….. स्रोत है।
  3. सौर तापन युक्ति की सतह ……… रंग दी जाती है।
  4. बायोमास ऊर्जा का …… स्रोत है।
  5. बाँधों का उपयोग ……. ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है।

उत्तर:

  1. बायो गैस।
  2. अनवीकरणीय।
  3. काली।
  4. नवीकरणीय।
  5. जल विद्युत्।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 2
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. जो ऊर्जा स्रोत अनवीकरणीय होते हैं, वे असमाप्य होते हैं।
  2. सौर ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पादन में किया जाता है।
  3. जो ऊर्जा स्रोत नवीकरणीय होते हैं, वे समाप्य होते हैं।
  4. सौर कुकर में बाह्य सतह काली कर दी जाती है।
  5. सोलर कुकर का उपयोग रात्रि में भी कर सकते हैं।

उत्तर:

  1. असत्य।
  2. सत्य।
  3. असत्य।
  4. सत्य।
  5. असत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. ऊर्जा का विशाल प्राकृतिक स्रोत क्या है?
  2. बायोगैस संयन्त्र के लिए मुख्य निवेशी घटक क्या है?
  3. रसोईघर में प्रयुक्त गैस का नाम लिखिए।
  4. दो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए।
  5. दो अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए।
    अथवा
  6. दो जीवाश्म ईंधन के नाम लिखिए। (2019)

उत्तर:

  1. सूर्य।
  2. जैव-मास।
  3. L.P.G.।
  4. जल, पवन।
  5. कोयला, पेट्रोलियम।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत किन्हें कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत:
वे ऊर्जा स्रोत जिनको हम सदियों से पारम्परिक रूप से प्रयोग करते आये हैं, पारम्परिक ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।

उदाहरण: लकड़ी, गोबर, कोयला, पेट्रोलियम आदि।

प्रश्न 2.
जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन (खनिज ईंधन):
“उच्च ताप एवं दाब पर जन्तु एवं वनस्पतियों के जीवाश्मों के अपघटन से भूगर्भ में निर्मित ईंधन जीवाश्म ईंधन या खनिज ईंधन कहलाता है।”

उदाहरण: कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।

प्रश्न 3.
जैव-मात्रा (जैवमास) किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जैव-मात्रा (जैवमास): “जन्तु एवं वनस्पतियों के अपशिष्ट जैव-मात्रा या जैवमास कहलाते है।”

प्रश्न 4.
बायोगैस किसे कहते हैं? इसका मुख्य अवयव क्या है?
उत्तर:
बायोगैस:
“बायो मात्रा के सूक्ष्मजीवियों द्वारा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटन के फलस्वरूप प्राप्त होने वाली गैस बायोगैस कहलाती है।” इसका प्रमुख अवयव मीथेन है।

MP Board Solutions

प्रश्न 5.
सोलर कुकर में काँच की पट्टी का क्या महत्व है?
उत्तर:
सोलर कुकर में काँच की पट्टी का महत्व-काँच की पट्टी और ऊर्जा के लिए पारगम्य है लेकिन बॉक्स की सतह से उत्सर्जित होने वाली अवरक्त किरणों के लिए अपारगम्य है। इस प्रकार अवशोषित ऊष्मा बॉक्स के अन्दर ही रहती है।

प्रश्न 6.
ज्वार-भाटा किसे कहते हैं? यह क्यों आता है?
उत्तर:
ज्वार-भाटा:
“सागर जल स्तर के चढ़ने एवं गिरने की घटना ज्वार-भाटा कहलाती है।” यह घूर्णन करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चन्द्रमा के गुरुत्वीय आकर्षण के कारण आता है।

प्रश्न 7.
महासागरीय तापीय ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
महासागरीय तापीय ऊर्जा:
“महासागर के जलस्तरों के बीच तापान्तर के कारण प्राप्त ऊर्जा महासागरीय तापीय ऊर्जा कहलाती है।”

प्रश्न 8.
पवन चक्की क्या होती है? इसका प्रमुख उपयोग क्या है?
उत्तर:
पवन चक्की:
“पवन ऊर्जा का सदुपयोग करने वाला संयन्त्र पवन चक्की कहलाता है।” पवन चक्की का प्रमुख उपयोग विद्युत् उत्पन्न करना है।

प्रश्न 9.
नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा:
“नाभिकीय अभिक्रियाओं जैसे नाभिकीय विखण्डन एवं नाभिकीय संलयन के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है।”

प्रश्न 10.
प्राकृतिक गैस क्या है तथा CNG किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक गैस एवं CNG:
“तेलकूपों से खनिज तेल के साथ तथा अन्य कूपों से प्राप्त ज्वलनशील गैसीय मिश्रण प्राकृतिक गैस कहलाती है।” उच्च दाब पर जब प्राकृतिक गैस को सम्पीडित किया जाता है तो इसे CNG कहते हैं।

प्रश्न 11.
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
“ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में निरन्तर उत्पन्न होते रहते हैं तथा समाप्त नहीं होते, नवीकरण णीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।”
उदाहरण: सूर्य, पवन, जल आदि।

प्रश्न 12.
अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत क्या होते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत:
“ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में प्राचीन काल से तथा बहुत लम्बी अवधि से संचित हैं और जो निरन्तर उपयोग से समाप्त हो रहे हैं तथा पुनः आसानी से प्राप्त नहीं होते, अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत कहलाते हैं।”

उदाहरण:
जीवाश्म ईंधन; जैसे-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।

प्रश्न 13.
हम वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की ओर क्यों बढ़ रहे हैं? दो मुख्य कारण दीजिए।
उत्तर:
हम वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के उपयोग की तरफ इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि –

  1. अपने जीवन स्तर की गुणवत्ता सुधारने के लिए एवं बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण हमारी ऊर्जा की आवश्यकताएँ बढ़ने से माँग बढ़ रही है।
  2. खनिज जीवाश्म ईंधन का भण्डारण प्रकृति में सीमित है।

प्रश्न 14.
एक सोलर कुकर में समतल दर्पण एवं काँच की पट्टिका की क्या भूमिका है?
उत्तर:
समतल दर्पण एक परावर्तक का काम करता है तथा सौर ऊष्मा को कुकर पर डालता है। काँच की पट्टिका का काम पौधाघर प्रभाव पैदा करके सौर ऊर्जा को तो कुकर के अन्दर जाने देता है लेकिन कुकर से उत्सर्जित विकिरणों को बाहर नहीं आने देता।

प्रश्न 15.
“जीवाश्म ईंधन को जलाने से वैश्विक ऊष्मण होता है।” इस कथन की पुष्टि के लिए कारण दीजिए।
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड आदि पौधाघर प्रभाव (Green House Effect):
डालने वाली गैसें उत्पन्न होती हैं जो सौर ऊष्मा को तो वायुमण्डल में प्रवेश करने देती हैं लेकिन पृथ्वी की विकिरण ऊष्मा को अन्तरिक्ष में जाने से रोकती हैं। इस कारण पृथ्वी का ताप बढ़ता जाता है जिससे वैश्विक ऊष्मण होता है।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भूतापीय ऊर्जा क्या होती है? समझाइए।
उत्तर:
भूतापीय ऊर्जा:
पृथ्वी के गर्त में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। पृथ्वी के अन्दर कुछ चट्टानों का ताप काफी अधिक होता है जो चट्टानों में स्थित रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन से प्राप्त होता है। पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित तप्त चट्टानों वाले क्षेत्र, तप्त क्षेत्र कहलाते हैं। जब पृथ्वी के अन्दर स्थित जल इन चट्टानों के संपर्क में आता है तो वाष्प में परिणित हो जाता है तथा चट्टानों के बीच किसी भाग में एकत्रित हो जाता है। वाष्प के अधिक मात्रा में एकत्रित होने से दाब बढ़ जाता है। इन चट्टानों में छेद करके तथा पाइप डालकर वाष्प को निकालकर उससे टरबाइन चलाकर विद्युत् उत्पन्न की जाती है। इस ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 2.
ज्वारीय ऊर्जा एवं तरंग ऊर्जा को संक्षेप में समझाइए।
अथवा
महासागरीय ऊर्जा के दोहन के दो भिन्न तरीके लिखिए।
उत्तर:
ज्वारीय ऊर्जा:
घूर्णन करती पृथ्वी पर चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण सागरों के जल का स्तर चढ़ता-गिरता रहता है जिसको ज्वार-भाटा आना कहते हैं। सागर में ज्वार-भाटे की स्थिति निरन्तर चलती रहती है। ज्वार-भाटे में ऊर्जा होती है जिसका दोहन बाँध बनाकर तथा बाँध के द्वार पर टरबाइन स्थापित करके विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित करके किया जा सकता है।

तरंग ऊर्जा:
समुद्र तट के निकट विशाल तरंगों की गतिज ऊर्जा का उपयोग विद्युत् उत्पन्न करने में किया जा सकता है। जहाँ महासागर के पृष्ठों पर प्रबल तरंगें उत्पन्न होती हैं वहाँ विभिन्न युक्तियों के प्रयोग द्वारा टरबाइन चलाकर तरंगों की गतिज ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदला जा सकता है।

प्रश्न 3.
पवन ऊर्जा का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर:
पवन ऊर्जा के उपयोग-पवन ऊर्जा का उपयोग निम्न प्रकार किया जा सकता है –

  1. पवन क्षेत्रों में पवन चक्कियाँ लगाकर उनके द्वारा टरबाइन चलाकर विद्युत् ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
  2. पाल नौकाओं में दिशा परिवर्तन के लिए पवन ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है।
  3. पवन चक्की द्वारा जल पम्प चलाकर पानी निकाला जा सकता है।
  4. ग्लाइडर की उड़ान में पवन ऊर्जा का उपयोग होता है।
  5. पवन चक्की से आटा पीसने का काम किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
बायोगैस एक उपयुक्त ईंधन क्यों माना जाता है?
उत्तर:
बायोगैस की विशेषताएँ:

  1. बायोगैस के जलाने से प्रदूषण नहीं होता।
  2. बायोगैस के जलने से कोई ठोस अवशिष्ट नहीं बचता।
  3. इसका कैलोरी मान पर्याप्त होता है।
  4. यह नीली लौ के साथ जलती है। धुआँ नहीं देती तथा बर्तनों को काला भी नहीं करती।

प्रश्न 5.
बायोगैस संयन्त्र किसानों के लिए वरदान है, क्यों?
उत्तर:
बायोगैस संयन्त्र किसानों के लिए वरदान है, क्योंकि –

  1. आवश्यक कच्चा माल बायोमास, गोबर एवं कृषि अपशिष्ट किसानों के पास उपलब्ध होता है।
  2. अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण होता है।
  3. बायोगैस मिलती है जो एक आदर्श ईंधन है जिससे खाना पकाया जा सकता है, रोशनी की जा सकती है तथा विद्युत् उत्पन्न की जा सकती है। .
  4. बची स्लरी एक उत्तम खाद का कार्य करती है।

प्रश्न 6.
नाभिकीय ऊर्जा की क्या हानियाँ हैं?
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा से हानियाँ-इसकी निम्नलिखित हानियाँ हैं –

  1. रेडियोधर्मी विकिरण मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके द्वारा कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ हो सकती हैं।
  2. नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन के प्रत्येक चरण से प्राप्त “रेडियोधर्मी नाभिकीय कचरे” से वनस्पति एवं प्राणी जगत् को गम्भीर खतरा बना रहता ।
  3. नाभिकीय विकिरण से प्रभावित मनुष्य में आनुवंशिक विकृति उत्पन्न हो सकती है, जिसका दुष्प्रभाव आने वाली अनेक पीढ़ियों तक रहता है।
  4. नाभिकीय ऊर्जा पर आधारित परमाणु बम एवं हाइड्रोजन बम अत्यन्त विनाशकारी होते हैं।

प्रश्न 7.
सोलर कुकर के उपयोग के लाभ लिखिए। (2019)
उत्तर:
सौर कुकर के उपयोग के लाभ:

  1. ईंधन की बचत होती है।
  2. प्रदूषण नहीं होता है।
  3. रख-रखाव पर कोई खर्चा नहीं होता अर्थात् आर्थिक बचत होती है।
  4. खाना स्वादिष्ट एवं पौष्टिक बनता है।
  5. खाने के जलने की सम्भावना नहीं रहती।
  6. एक ही समय में चार-पाँच खाद्य पदार्थ पकाए जा सकते हैं।

सोलर कुकर के उपयोग की हानियाँ (सीमाएँ):

  1. सौर प्रकाश (धूप) की अनुपस्थिति में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता।
  2. वस्तुओं को तलने, रोटी-पूड़ी आदि सेकना सम्भव नहीं।
  3. खाना बनने में अधिक समय लगता है। इसलिए तुरन्त खाना नहीं बना सकते।
  4. चाय आदि बनाना मुश्किल ही नहीं असम्भव ही होता है।

हाँ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है जहाँ धूप (सूर्य प्रकाश) कम समय के लिए तथा कम तीव्रता की होती है।

MP Board Class 10th Science Chapter 14 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आदर्श ईंधन के प्रमुख लक्षण लिखिए।
उत्तर:
आदर्श ईंधन के प्रमुख लक्षण (Main Characteristics of Ideal Fuel):
आदर्श ईंधन के निम्नलिखित प्रमुख लक्षण हैं –

  1. ऊष्मीय मान उच्च होना।
  2. दहन दर का सरलता से नियन्त्रित होना।
  3. दहन ताप का उचित होना।
  4. पूर्णरूप से दहन होना।
  5. विषैले पदार्थों का अनुपस्थित होना।
  6. प्रदूषण मुक्त होना।
  7. अपशिष्ट पदार्थों का न्यूनतम होना।
  8. पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना।
  9. न्यूनतम मूल्य होना।
  10. भण्डारण आसान एवं सुरक्षित होना।
  11. परिवहन आसान एवं सुरक्षित होना।

प्रश्न 2.
अच्छे ईंधन का चयन (चुनाव) किस प्रकार किया जाता है? समझाइए।
उत्तर:
अच्छे ईंधन का चयन-अच्छे ईंधन के चयन के लिए हमको उस ईंधन में निम्न लक्षण देखने चाहिए कि –

  1. वह आसानी से जलता हो।
  2. वह लगातार जलता हो।
  3. वह पर्याप्त ऊर्जा मुक्त करता हो।
  4. वह पर्याप्त मात्रा में तथा आसानी से उपलब्ध हो।
  5. उसका परिवहन आसान एवं सुरक्षित हो।
  6. उसका भण्डारण आसान एवं सुरक्षित हो।
  7. वह जलने पर वायु को प्रदूषित नहीं करता हो।
  8. वह धुआँ नहीं देता हो तथा बर्तनों को काला भी नहीं करता हो।
  9. उसके जलने पर ठोस अवशिष्ट पदार्थ (राख) भी नहीं बचती हो।
  10. उसकी कीमत भी अधिक न हो।
  11. अगर किसी ईंधन में उपर्युक्त लक्षण हों तो वह अच्छा ईंधन होगा।

प्रश्न 3.
सौर ऊर्जा पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
सौर ऊर्जा:
सूर्य, ऊर्जा का सबसे अधिक प्रत्यक्ष एवं विशाल प्राकृतिक स्रोत है। यह एक नवीकरणीय स्रोत है। सूर्य लगभग 4.6 × 109 वर्ष से लगातार अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विकरित कर रहा है और आगे भी करता रहेगा। इसकी इस ऊर्जा की उत्पत्ति का कारण इसके केन्द्र में विद्यमान हाइड्रोजन का उच्च ताप एवं दाब के कारण नाभिकीय संलयन की क्रिया है जिसके फलस्वरूप हीलियम बनती है तथा द्रव्यमान क्षति के कारण अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसके विकिरण में रेडियो तरंगों से लेकर गामा तरंगों तक सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें उपस्थित रहती हैं। एक्स एवं गामा किरणें आयनमंडल का निर्माण करके पृथ्वी को जीवधारी ग्रह बनाने में मदद करती हैं।

सौर ऊर्जा के कारण ही हरे पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। इसके कारण ही पवन प्रवाहित होती है, चक्रवात एवं जलचक्र सम्पन्न होते हैं। भारतवर्ष प्रतिवर्ष सूर्य से 5 × 108 करोड़ किलो वाट घण्टा सौर ऊर्जा प्राप्त करता है।
हमारे वायुमण्डल की ऊपरी सतह का प्रत्येक वर्ग मीटर लगभग 1.4 किलो जूल ऊर्जा प्रति सेकण्ड प्राप्त करता है जिसका लगभग 47% भाग पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है तथा शेष भाग अन्तरिक्ष में परावर्तित हो जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
आजकल नाभिकीय ऊर्जा को उपयोगी बनाने के लिए कौन-सी प्रक्रिया अपनायी जाती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
नाभिकीय रिएक्टर के मुख्य भागों के नाम लिखकर उन्हें चित्र द्वारा संक्षिप्त में समझाइए।
अथवा
नाभिकीय रिएक्टर का वर्णन निम्न शीर्षकों में कीजिए –
(i) नामांकित चित्र।
(ii) कार्यविधि।
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा को उपयोगी बनाने के लिए नाभिकीय रियेक्टर द्वारा विद्युत् उत्पादन करते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 3
नाभिकीय रिएक्टर का वर्णन (Description of Nuclear Reactor):
नाभिकीय रिएक्टर कंक्रीट की मोटी दीवारों से बनाया जाता है। इसमें नियन्त्रित नाभिकीय विखण्डन की क्रिया द्वारा अत्यधिक मात्रा में ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, जिससे जल को वाष्पित करके, उस वाष्प से टर्बाइन चलाकर विद्युत् ऊर्जा प्राप्त की जाती है। इसका उपयोग मानव कल्याण के लिये रचनात्मक कार्यों में किया जाता है।
एक सामान्य नाभिकीय रिएक्टर में निम्न अवयव होते हैं –

  1. ईंधन (Fuel): परिष्कृत यूरेनियम (U235) एवं प्लूटोनियम (Pu239) का उपयोग ईंधन के लिये होता है।
  2. नियन्त्रक (Controller): नाभिकीय क्रिया के नियन्त्रण के लिये कैडमियम तथा बोरॉन की छड़ें प्रयुक्त होती हैं। ये न्यूट्रॉन के अच्छे अवशोषक हैं।
  3. मन्दक (Moderator): ग्रेफाइट, कैडमियम का उपयोग न्यूट्रॉन की गति को कम करने के लिये मंदक के रूप में किया जाता है।
  4. शीतलक (Coolant): नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त असीम ऊष्मीय ऊर्जा के अवशोषण के लिये भारी पानी तथा द्रवित सोडियम का उपयोग शीतलक के रूप में होता है।

कार्यविधि (Working) यूरेनियम:
235 का न्यूट्रॉनों के द्वारा विखण्डन कराया जाता है। मंदक द्वारा न्यूट्रॉन की गति कम कर दी जाती है। नियन्त्रक द्वारा अतिरिक्त न्यूट्रॉनों को अवशोषित कर लिया जाता है। उत्पन्न असीम ऊर्जा को भारी पानी या सोडियम द्वारा अवशोषण कर लिया जाता है, जिसका उपयोग विद्युत् उत्पादन में कर लिया जाता है।

प्रश्न 5.
पवन चक्की का वर्णन निम्न बिन्दुओं के वायु का टकराना आधार पर कीजिए –
(i) नामांकित चित्र।
(ii) कार्यकारी सिद्धान्त।
उत्तर:
कार्यकारी सिद्धान्त:
जब पवन चक्की के ब्लेडों से वायु टकराती है तो उन ब्लेडों पर एक बल लगता है। जिससे उसके ब्लेड घूमने लगते हैं। ब्लेडों के घूमने से पवन चक्की भी घूमने लगती है। पवन चक्की का घूर्णन उसके ब्लेडों की विशिष्ट बनावट के कारण सम्भव होता है जो विद्युत् पंखों के ब्लेडों के समान होती है। जिस प्रकार पंखे के ब्लेडों के घूमने से वायु गतिशील हो जाती है। इसके ठीक विपरीत उसी प्रकार गतिशील वायु से ब्लेड घूमते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 4

प्रश्न 6.
जल-विद्युत् उत्पादक यन्त्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
जल-विद्युत् का उत्पादन किस प्रकार किया जाता है? चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
जल-विद्युत् उत्पादक यन्त्र (Hydroelectric Generator):
जल-विद्युत् उत्पादक यन्त्र के प्रमुख दो अंग होते हैं –
(1) जेनरेटर।
(2) टर्बाइन।
(1) जेनरेटर (Generator):
जेनरेटर के दो भाग होते हैं –
(i) स्टेटर (Stator): यह भाग स्थिर रहता है। यह एक खोखले बेलन के अन्दर कई कुण्डलियों से बनाया जाता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 5
(ii) रोटर (Rotor): यह भाग एक धुरी पर घूर्णन करता है। घूर्णन करने वाली धुरी पर शक्तिशाली चुम्बक के अनेक दुकड़े संगलित करके इसे बनाया जाता है।

(2) टर्बाइन (Turbine): टर्बाइन की धुरी रोटर की धुरी से दृढ़ता से जुड़ी रहती है।

कार्यविधि (Working):
जब टर्बाइन को प्राकृतिक या कृत्रिम जल प्रपात के द्वारा घुमाया जाता है तो रोटर की धुरी पर जुड़े चुम्बक, स्टेटर के मध्य घूर्णन करने लगते हैं जिससे कुण्डलियों में विद्युत् धारा उत्पन्न होती है। इस प्रकार उत्पन्न विद्युत् जल-विद्युत् कहलाती है।

प्रश्न 7.
सौर सेल पेनल का सचित्र वर्णन कीजिए। सौर सेल पेनल की क्रियाविधि एवं उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
सौर सेल पेनल:
सौर सेलों का विशिष्ट क्रम में संकलन सौर सेल पेनल कहलाता है जहाँ सौर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करनी की एक युक्ति है।

सौर सेल पेनल की क्रियाविधि:
जब किसी सौर सेल या सौर सेल पेनल में प्रयुक्त अर्द्धचालकों पर सौर प्रकाश डाला जाता है, तो उससे इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होकर प्रवाहित होने लगते हैं। इसके फलस्वरूप परिपथ में धारा प्रवाहित होने लगती है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 6
सौर सेल पेनल की उपयोगिता:

  1. तट से दूर निर्मित खनिज तेल के कुएँ खोदने के यन्त्रों तक विद्युत् आपूर्ति करना।
  2. दूरदर्शन की अभिग्रहियों को प्रचालित करने के लिए।
  3. दुर्गम क्षेत्रों में विद्युत् आपूर्ति करने में।
  4. कृत्रिम उपग्रहों एवं अन्तरिक्ष अन्वेषकों के लिए प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में।
  5. रेडियो एवं बेतार संचार यन्त्रों, यातायात संकेतों आदि के संचालन में।
  6. सड़क प्रकाश योजना में।

प्रश्न 8.
सौर ऊष्मक (कुकर) का निम्न शीर्षकों में वर्णन कीजिए –

  1. सिद्धान्त।
  2. उपकरण का नामांकित चित्र।
  3. कार्यविधि।
  4. उपयोग।

अथवा
सोलर कुकर का चित्र बनाकर कार्यविधि समझाइए।
अथवा
सोलर कुकर का वर्णन कीजिए। स्वच्छ नामांकित चित्र बनाकर इसके प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर:
सौर ऊष्मक (कुकर) का सिद्धान्त:
काले और खुरदरे पदार्थ ऊष्मा के अच्छे अवशोषक होते हैं। अतः काली तापन युक्ति को सूर्य के प्रकाश में रख देते हैं तो वह सौर ऊष्मा को अवशोषित कर लेती है। यदि इसे काँच की पट्टिका द्वारा ढक दिया जाये तो उत्सर्जन द्वारा होने वाले ऊष्मा ह्रास को रोका जा सकता है जिससे अन्दर के ताप में वृद्धि होती रहती है।

कार्यविधि:
सौर ऊष्मक को धूप में रखा जाता है। ढक्कन को इस प्रकार समंजित सूर्य)४ किया जाता है कि सूर्य का प्रकाश समतल दर्पण से परावर्तित होकर, सौर ऊष्मक के अन्दर प्रवेश करे। बॉक्स के अन्दर का काला रंग तथा बर्तनों के बाहर का काला रंग ऊष्मा को अवशोषित करता है। बॉक्स के ऊपर रखी हुई काँच की प्लेट ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करती है जिसके कारण बॉक्स के अन्दर का ताप बढ़ता जाता है, जिससे भोजन पक जाता है।

उपयोग:
सौर ऊष्मक का उपयोग प्रायः खाना बनाने में किया जाता है। आजकल मूंगफली भूनने, अनाज के दाने भूनने में भी सौर ऊष्मक का उपयोग किया जाता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 7

प्रश्न 9.
स्थायी गुम्बद प्रकार के बायो गैस (गोबर गैस) संयन्त्र का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्थिर गुम्बदनुमा टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र:
इस संयन्त्र में गैस एकत्रित करने के लिए गुम्बदनुमा स्थिर टंकी रहती है। इसलिए इसे स्थिर गुम्बदनुमा टंकी वाला बायोगैस संयन्त्र कहते हैं। इसके प्रमुखतः निम्नलिखित चार भाग होते हैं –
(1) संपाचक टैंक (Digestion Tank):
यह टैंक कंक्रीट द्वारा जमीन के अन्दर या बाहर बनाया जाता है। इसी के अन्दर जन्तु अवशेषों के आसानी से अनॉक्सी सूक्ष्म-जीवों द्वारा पानी की उपस्थिति में अपघटन से मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे बायोगैस कहते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 8

(2) मिलाने का टैंक (Mixing Tank):
यह टैंक सीमेण्ट से जमीन के ऊपर बनाया जाता है। इसका सम्बन्ध संपाचक टैंक से होता है। इस टैंक में गोबर में जल मिलाकर घोल बनाया जाता है जिसे एक खिड़की की सहायता से संपाचक टैंक में भेज दिया जाता है।

(3) गुम्बदनुमा टैंक (Dome Type Tank):
यह टैंक बायोगैस को एकत्रित करने के काम आता है। यह गुम्बद के आकार का होता है तथा संपाचक टैंक के ऊपर स्थित होता है। इसके ऊपर गैस वाल्व सहित गैस निर्गम पाइप लगा होता है जिसके द्वारा गैस की आपूर्ति की जाती है।

(4) निर्गम टैंक (Exhaust Tank):
यह टैंक संपाचक टैंक से लगा हुआ होता है। इसका सम्बन्ध संपाचक टैंक से एक खिड़की के द्वारा होता है जिसमें से स्लरी निकलकर इस टैंक में एकत्रित होती रहती है। दाब बढ़ने पर यह स्लरी बाहर आ जाती है। यह उत्तम किस्म की खाद का काम करती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 10.
तैरती हुई टंकी वाले बायो गैस संयन्त्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तैरती हुई टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र:
इस संयन्त्र में गैस की टंकी पानी में तैरती है, इसलिए इसे तैरती हुई टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र कहते हैं। इसके मुख्यतः निम्नलिखित भाग होते हैं –
(1) मिश्रण टैंक (Mixing Tank): इसमें गोबर और पानी का घोल तैयार किया जाता है।

(2) संपाचक टैंक (Digestion Tank):
गोबर पानी का घोल मिश्रण टैंक से संपाचक टैंक में आ जाता है तब यहाँ सूक्ष्मजीवी द्वारा इसका अपघटन होने से बायो गैस का निर्माण होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 9
(3) गैस की तैरती टंकी (Floating Tank of Gas):
यह टंकी पानी में तैरती रहती है। इसमें गैस एकत्रित होती रहती है। इस टंकी में गैस-वाल्व युक्त गैस निर्गम पाइप लगा होता है जिससे गैस की आपूर्ति की जाती है।

(4) स्लरी निर्गम टैंक (Slurry Exhaust Tank): अवशेष स्लरी इस टैंक में एकत्रित हो जाती है जो खाद के रूप में प्रयुक्त होती है।

प्रश्न 11.
“ऊर्जा संकट के दौर में नाभिकीय ऊर्जा का विकल्प प्रासंगिक है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ऊर्जा संकट के दौर में नाभिकीय ऊर्जा का विकल्प-जनसंख्या बेतहाशा बढ़ रही है। भौतिक संसाधनों के उपयोग की प्रवृत्ति बहुत तेजी से बढ़ रही है। हमारे परम्परागत ऊर्जा स्रोत सीमित एवं निश्चित हैं लेकिन उनकी खपत की दर बहुत तीव्र है। यही हाल रहा तो हमारे सभी परम्परागत ऊर्जा स्रोत शीघ्र समाप्त हो जायेंगे और मानव जीवन दुश्वार हो जायेगा। न खाना बन पायेगा और न पानी ही गर्म होगा। चारों ओर अँधेरा ही अँधेरा नजर आयेगा। विकट ऊर्जा संकट पैदा हो जायेगा।

ऊर्जा संकट के इस दौर में नाभिकीय ऊर्जा का विकल्प ही सामने रहता है। इससे अपार ऊर्जा प्राप्त हो सकती है। नाभिकीय ऊर्जा से इतनी विशाल मात्रा में विद्युत् ऊर्जा तैयार की जा सकती है जो हमारी सम्पूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। इससे ग्लोबल वार्मिंग वाली गैसें भी नहीं बनेंगी व पर्यावरण प्रदूषण मुक्त रहेगा।

लेकिन नाभिकीय विद्युत् गृहों में घटित, चेरनोबिल (सोवियत संघ) एवं थ्रीमाइल द्वीप (अमेरिका) जैसी दुर्घटनाएँ मन में आशंका उत्पन्न करती हैं। अतः इनके संयमित एवं सावधानीपूर्वक उपयोग करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 12.
ऊर्जा संकट के इस दौर में दैनिक जीवन में ऊर्जा के सदुपयोग करने के लिए किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
ऊर्जा समाज की मूलभूत आवश्यकता है। जिस तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ रही है तथा जिस तीव्र गति से ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि पारम्पारिक ऊर्जा स्रोत शीघ्र ही समाप्त हो जायेंगे क्योंकि वर्तमान ऊर्जा आपूर्ति मुख्य रूप से इन स्रोतों पर ही निर्भर है। इससे एक विशाल ऊर्जा संकट पैदा हो जायेगा। अतः ऊर्जा संकट के इस दौर में हमें दैनिक जीवन में ऊर्जा के सदुपयोग करने के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए –

  1. ऊर्जा के परम्परागत स्रोतों का उपयोग मितव्ययिता के साथ करना चाहिए।
  2. घरों में विद्युत् बल्बों के स्थान पर एल. ई. डी या सी. एफ. एल. का उपयोग करना चाहिए तथा ए. सी., माइक्रोवेव आदि का कम से कम उपयोग करना चाहिए।
  3. विवाह समारोह आदि में जहाँ तक हो सके विद्युत् ऊर्जा का कम से कम उपयोग करना चाहिए। अनावश्यक रूप से ऊर्जा का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
  4. जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल, डीजल, कैरोसीन) का विवेकपूर्ण एवं मितव्ययिता से प्रयोग करना चाहिए।
  5. ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
  6. सौर ऊर्जा पर आधारित उपकरणों (सोलर कुकर, सोलर जल ऊष्मक, सौर सेल पैनल) का उपयोग बहुतायत में करना चाहिए।
  7. जैव ईंधन (बायोगैस) पर आधारित तकनीक और उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।
  8. पवन ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न 13.
ताप विद्युत् उत्पादन की प्रक्रिया को निदर्शित करने के लिए एक मॉडल का नामांकित चित्र बनाइए तथा उसकी क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
संलग्न चित्रानुसार ताप विद्युत् उत्पादन को निदर्शित करने हेतु एक मॉडल बनाइए। जब कुकर को गर्म करते हैं तो उसका जल वाष्पीकृत होकर भाप नली से होता हुआ टरबाइन की पंखुड़ियों पर दबाव डालता है जिसे पंखुड़ियाँ घूमती हैं इससे रोटर घूमता है जिससे डायनमो (जनित्र) का थैफ्ट घूमता है जिससे विद्युत् उत्पादन होता है जिसका निदर्शन बल्ब के जलने से होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 10

प्रश्न 14.
सौर ऊर्जा का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है और ऊर्जा के उपयोग की दो सीमाएँ लिखिए। किस प्रकार इन बाधाओं को दूर किया जा सकता है?
उत्तर:
सौर ऊर्जा का उपयोग सौर कुकर, सौर जल ऊष्मक के द्वारा किया जा सकता है। ये सौर तापन युक्ति द्वारा सम्भव होता है।

सौर तापन युक्तियाँ (Solar Heating Devices):
वे युक्तियाँ जिनके द्वारा सौर ऊर्जा का उपयोग ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में पानी गरम करने या खाना पकाने के कार्य में लाया जाता है, सौर तापन युक्तियाँ कहलाती हैं।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 11

सौर तापन युक्ति का सिद्धान्त (Principle of Solar Heating Device):
कृष्ण (काली) सतह ऊष्मीय ऊर्जा की अच्छी अवशोषक होती है। अत: सौर प्रकाश में रखी हुई कोई कृष्ण पट्टिका (काली सतह) एक सरल सौर तापन युक्ति मानी जा सकती है परन्तु वायुमण्डल का ताप गिरने पर यही कृष्ण पट्टिका (काली सतह) ऊष्मा को विकरित करना प्रारम्भ कर देती है, जब तक कि इसका ताप वायुमण्डल के ताप के बराबर न हो जाये। यदि इस युक्ति को काँच की प्लेट से ढक दिया जाये तो इस प्रकार विकिरण से होने वाले ऊर्जा हास को रोका जा सकता है।

सौर ऊर्जा के उपयोग की सीमाएँ:

  1. इसका उपयोग रात्रि में नहीं किया जा सकता।
  2. इसका उपयोग केवल सूर्य के प्रकाश में दिन में किया जा सकता है।

सौर ऊर्जा के उपयोग की बाधाओं को दूर करना:
इसके लिए हमको सौर सेल पेनलों का उपयोग करके सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करके बैटरी में संचित कर लेना चाहिए।

प्रश्न 15.
अपारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की क्या आवश्यकता है? महासागरीय ऊर्जा का किन भिन्न-भिन्न तरीकों से दोहन किया जा सकता है?
उत्तर:
अपारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की आवश्यकता:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत हमारी जीवन शैली के बढ़ते स्तर के कारण उत्पन्न ईंधन की अत्यधिक आवश्यकता की आपूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं है इसलिए हम ऊर्जा के वैकल्पिक (गैर-परम्परागत) ऊर्जा स्रोत की ओर बढ़ रहे हैं।

महासागरीय ऊर्जा के उपयोग (दोहन) के विभिन्न विधियाँ:
पृथ्वी के गर्त में निरन्तर परिवर्तन होते रहते हैं। पृथ्वी के अन्दर कुछ चट्टानों का ताप काफी अधिक होता है जो चट्टानों में स्थित रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन से प्राप्त होता है। पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित तप्त चट्टानों वाले क्षेत्र, तप्त क्षेत्र कहलाते हैं। जब पृथ्वी के अन्दर स्थित जल इन चट्टानों के संपर्क में आता है तो वाष्प में परिणित हो जाता है तथा चट्टानों के बीच किसी भाग में एकत्रित हो जाता है। वाष्प के अधिक मात्रा में एकत्रित होने से दाब बढ़ जाता है। इन चट्टानों में छेद करके तथा पाइप डालकर वाष्प को निकालकर उससे टरबाइन चलाकर विद्युत् उत्पन्न की जाती है। इस ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

ज्वारीय ऊर्जा:
घूर्णन करती पृथ्वी पर चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण सागरों के जल का स्तर चढ़ता-गिरता रहता है जिसको ज्वार-भाटा आना कहते हैं। सागर में ज्वार-भाटे की स्थिति निरन्तर चलती रहती है। ज्वार-भाटे में ऊर्जा होती है जिसका दोहन बाँध बनाकर तथा बाँध के द्वार पर टरबाइन स्थापित करके विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित करके किया जा सकता है।

प्रश्न 16.
परम्परागत एवं अपरम्परागत ऊर्जा स्रोतों की एक लिस्ट (तालिका) बनाइए। किसी एक अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत से ऊर्जा के उपयोग का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत: जीवाश्म या खनिज ईंधन, जल, पवन एवं जीव-मास आदि।

अपरम्परागत ऊर्जा स्त्रोत: नाभिकीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, महासागरीय ऊर्जा स्रोत एवं भूतापीय ऊर्जा स्रोत।

सौर ऊर्जा से ऊर्जा का दोहन (सौर सेल पेनल द्वारा):
सौर सेलों का विशिष्ट क्रम में संकलन सौर सेल पेनल कहलाता है जहाँ सौर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करनी की एक युक्ति है।

सौर सेल पेनल की क्रियाविधि:
जब किसी सौर सेल या सौर सेल पेनल में प्रयुक्त अर्द्धचालकों पर सौर प्रकाश डाला जाता है, तो उससे इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होकर प्रवाहित होने लगते हैं। इसके फलस्वरूप परिपथ में धारा प्रवाहित होने लगती है।

सौर सेल पेनल की उपयोगिता:

  1. तट से दूर निर्मित खनिज तेल के कुएँ खोदने के यन्त्रों तक विद्युत् आपूर्ति करना।
  2. दूरदर्शन की अभिग्रहियों को प्रचालित करने के लिए।
  3. दुर्गम क्षेत्रों में विद्युत् आपूर्ति करने में।
  4. कृत्रिम उपग्रहों एवं अन्तरिक्ष अन्वेषकों के लिए प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में।
  5. रेडियो एवं बेतार संचार यन्त्रों, यातायात संकेतों आदि के संचालन में।
  6. सड़क प्रकाश योजना में।

प्रश्न 17.
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा अन्ततः प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सूर्य से ही प्राप्त होती है? क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
हाँ, हम सहमत हैं कि विभिन्न ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा वास्तव में सूर्य से ही उत्पादित है।
सौर ऊर्जा:
सूर्य, ऊर्जा का सबसे अधिक प्रत्यक्ष एवं विशाल प्राकृतिक स्रोत है। यह एक नवीकरणीय स्रोत है। सूर्य लगभग 4.6 × 109 वर्ष से लगातार अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विकरित कर रहा है और आगे भी करता रहेगा। इसकी इस ऊर्जा की उत्पत्ति का कारण इसके केन्द्र में विद्यमान हाइड्रोजन का उच्च ताप एवं दाब के कारण नाभिकीय संलयन की क्रिया है जिसके फलस्वरूप हीलियम बनती है तथा द्रव्यमान क्षति के कारण अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसके विकिरण में रेडियो तरंगों से लेकर गामा तरंगों तक सभी विद्युत् चुम्बकीय तरंगें उपस्थित रहती हैं। एक्स एवं गामा किरणें आयनमंडल का निर्माण करके पृथ्वी को जीवधारी ग्रह बनाने में मदद करती हैं।

सौर ऊर्जा के कारण ही हरे पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। इसके कारण ही पवन प्रवाहित होती है, चक्रवात एवं जलचक्र सम्पन्न होते हैं। भारतवर्ष प्रतिवर्ष सूर्य से 5 × 108 करोड़ किलो वाट घण्टा सौर ऊर्जा प्राप्त करता है। हमारे वायुमण्डल की ऊपरी सतह का प्रत्येक वर्ग मीटर लगभग 1.4 किलो जूल ऊर्जा प्रति सेकण्ड प्राप्त करता है जिसका लगभग 47% भाग पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है तथा शेष भाग अन्तरिक्ष में परावर्तित हो जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 18.
जैव-मात्रा क्या है? एक बायो गैस (गोबर गैस) संयन्त्र का सिद्धान्त एवं कार्यविधि का नामांकित रेखाचित्र की सहायता से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैव-मात्रा: “जन्तु एवं वनस्पतियों के अपशिष्ट जैव-मात्रा या जैवमास कहलाते है।”

स्थिर गुम्बदनुमा टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र:
इस संयन्त्र में गैस एकत्रित करने के लिए गुम्बदनुमा स्थिर टंकी रहती है। इसलिए इसे स्थिर गुम्बदनुमा टंकी वाला बायोगैस संयन्त्र कहते हैं। इसके प्रमुखतः निम्नलिखित चार भाग होते हैं –
(1) संपाचक टैंक (Digestion Tank):
यह टैंक कंक्रीट द्वारा जमीन के अन्दर या बाहर बनाया जाता है। इसी के अन्दर जन्तु अवशेषों के आसानी से अनॉक्सी सूक्ष्म-जीवों द्वारा पानी की उपस्थिति में अपघटन से मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे बायोगैस कहते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 8

(2) मिलाने का टैंक (Mixing Tank):
यह टैंक सीमेण्ट से जमीन के ऊपर बनाया जाता है। इसका सम्बन्ध संपाचक टैंक से होता है। इस टैंक में गोबर में जल मिलाकर घोल बनाया जाता है जिसे एक खिड़की की सहायता से संपाचक टैंक में भेज दिया जाता है।

(3) गुम्बदनुमा टैंक (Dome Type Tank):
यह टैंक बायोगैस को एकत्रित करने के काम आता है। यह गुम्बद के आकार का होता है तथा संपाचक टैंक के ऊपर स्थित होता है। इसके ऊपर गैस वाल्व सहित गैस निर्गम पाइप लगा होता है जिसके द्वारा गैस की आपूर्ति की जाती है।

(4) निर्गम टैंक (Exhaust Tank):
यह टैंक संपाचक टैंक से लगा हुआ होता है। इसका सम्बन्ध संपाचक टैंक से एक खिड़की के द्वारा होता है जिसमें से स्लरी निकलकर इस टैंक में एकत्रित होती रहती है। दाब बढ़ने पर यह स्लरी बाहर आ जाती है। यह उत्तम किस्म की खाद का काम करती है।

तैरती हुई टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र:
इस संयन्त्र में गैस की टंकी पानी में तैरती है, इसलिए इसे तैरती हुई टंकी वाला बायो गैस संयन्त्र कहते हैं। इसके मुख्यतः निम्नलिखित भाग होते हैं –
(1) मिश्रण टैंक (Mixing Tank): इसमें गोबर और पानी का घोल तैयार किया जाता है।

(2) संपाचक टैंक (Digestion Tank):
गोबर पानी का घोल मिश्रण टैंक से संपाचक टैंक में आ जाता है तब यहाँ सूक्ष्मजीवी द्वारा इसका अपघटन होने से बायो गैस का निर्माण होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत 9
(3) गैस की तैरती टंकी (Floating Tank of Gas):
यह टंकी पानी में तैरती रहती है। इसमें गैस एकत्रित होती रहती है। इस टंकी में गैस-वाल्व युक्त गैस निर्गम पाइप लगा होता है जिससे गैस की आपूर्ति की जाती है।

(4) स्लरी निर्गम टैंक (Slurry Exhaust Tank): अवशेष स्लरी इस टैंक में एकत्रित हो जाती है जो खाद के रूप में प्रयुक्त होती है।

MP Board Class 10th Science Solutions

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

MP Board Class 10th Science Chapter 13 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न शृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 250

प्रश्न 1.
चुम्बक के निकट लाने पर दिक् सूचक की सुई विक्षेपित क्यों होती है?
उत्तर:
दिक् सूचक भी एक छोटा चुम्बक है तथा दो चुम्बकों के ध्रुवों के मध्य आकर्षण एवं प्रतिकर्षण के बल कार्य करते हैं फलस्वरूप दिक् सूचक की सुई चुम्बक के निकट लाने पर विक्षेपित हो जाती है।

प्रश्न शृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 255

प्रश्न 1.
किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:
छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 1

प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए। (2019)
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण:

  1. चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चिकने बन्द वक्र होते हैं जो परस्पर कभी प्रतिच्छेद नहीं करते।
  2. ये रेखाएँ चुम्बक के बाहर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।
  3. अधिक प्रबलता वाले चुम्बकीय क्षेत्र में ये क्षेत्र रेखाएँ पास-पास तथा कम प्रबलता वाले क्षेत्र में दूर-दूर होती हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ अगर परस्पर प्रतिच्छेद करेंगी तो प्रतिच्छेद बिन्दु पर क्षेत्र की तीव्रता की दो दिशाएँ होंगी जो असम्भव हैं।

प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 256-257

प्रश्न 1.
मेज के तल पर पड़े तार के वृत्ताकार पाथ पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाथ में दक्षिणावर्त विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त-अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाथ के भीतर तथा बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
पाथ के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाथ के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर होगी तथा पाथ के बाहर ऊपर की ओर।

प्रश्न 2.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
हल:
समान चुम्बकीय क्षेत्र के लिए आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 2

प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिएकिसी विद्युत् धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र –
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरों की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरों की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिन्दुओं पर समान रहता है।
उत्तर:
(d) सभी बिन्दुओं पर समान रहता है।

प्रश्न श्रृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 259

प्रश्न 1.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुम्बकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते है)
(a) द्रव्यमान।
(b) चाल।
(c) वेग।
(d) संवेग।
उत्तर:
(c) वेग एवं (d) संवेग।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
पाठ्य-पुस्तक के क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि –
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत् धारा में वृद्धि हो जाय।
(ii) अधिक प्रबल नाल चुम्बक प्रयोग किया जाय।
(iii) छड़ AB की लम्बाई में वृद्धि कर दी जाये।
उत्तर:
छड़ AB के विस्थापन की दिशा में उपर्युक्त तीनों स्थितियों (a), (b) एवं (c) में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा प्रत्येक स्थिति में छड़ पर बल अधिक लगेगा। इसलिए विस्थापन तेज तथा अधिक होगा।

प्रश्न 3.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेश कण (अल्फा कण) किसी चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी?
(a) दक्षिण की ओर।
(b) पूर्व की ओर।
(c) अधोमुखी।
(d) उपरिमुखी।
उत्तर:
(d) उपरिमुखी।

प्रश्न शृंखला-5 # पृष्ठ संख्या 261

प्रश्न 1.
फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम लिखिए। (2019)
उत्तर:
फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम:
“अपने वाम-हस्त (बाएँ हाथ) की तर्जनी, मध्यमा एवं अंगूठे को हम परस्पर लम्बवत् दिशा में फैलाएँ और यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करती है, तो अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर लगने वाले बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 3

प्रश्न 2.
विद्युत् मोटर का क्या सिद्धान्त है?
उत्तर:
विद्युत् मोटर का सिद्धान्त-विद्युत् मोटर विद्युत् धारा के चुम्बकीय प्रभाव के सिद्धान्त पर कार्य करता है जिसके परिणामस्वरूप विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। यह फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम पर आधारित होता है। इसके आधार पर चुम्बकीय क्षेत्र में रखी धारावाही कुण्डली पर आरोपित बलों के कारण कुण्डली घूमती है।

प्रश्न 3.
विद्युत् मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विभक्त वलय के कारण मोटर DC विद्युत् पर कार्य करती है। विभक्त वलय की भूमिका दिक् परिवर्तक की है।

प्रश्न श्रृंखला-6 # पृष्ठ संख्या 264

प्रश्न 1.
किसी कुण्डली में विद्युत् धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी कुण्डली में विद्युत् धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग:

  1. एक प्रबल चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली की तरफ लाने पर कुण्डली में वामवर्त विद्युत् धारा प्रेरित होगी।
  2. प्रबल चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाने पर कुण्डली में दक्षिणावर्त विद्युत् धारा प्रेरित होगी।
  3. इसके दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली की ओर लाने पर कुण्डली में दक्षिणावर्त विद्युत् धारा प्रेरित होगी।
  4. दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाने पर कुण्डली में वामावर्त विद्युत् धारा प्रेरित होगी।
  5. चुम्बक को स्थिर रखकर कुण्डली में सापेक्ष गति कराने पर भी कुण्डली में विद्युत् धारा प्रेरित होगी।

प्रश्न शृंखला-7 # पृष्ठ संख्या 265-266

प्रश्न 1.
विद्युत् जनित्र का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् जनित्र का सिद्धान्त-विद्युत् जनित्र का सिद्धान्त विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की परिघटना पर आधारित है जिसके अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा प्रवाहित होती है जिसकी दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम पर आधारित है तथा इससे यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दिष्ट धारा के स्रोत:

  1. दिष्ट धारा जनित्र।
  2. रासायनिक विद्युत् सेल (बैटरी)।
  3. सौर विद्युत् सेल आदि।

प्रश्न 3.
प्रत्यावर्ती विद्युत् धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रत्यावर्ती विद्युत् धारा जनित्र।

प्रश्न 4.
सही विकल्प का चयन कीजिए –
ताँबे के तार की एक आयताकार कुण्डली किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात् परिवर्तन होता है?
(a) दो।
(b) एक।
(c) आधे।
(d) चौथाई।
उत्तर:
(c) आधे।

प्रश्न श्रृंखला-8 # पृष्ठ संख्या 267

प्रश्न 1.
विद्युत् परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् परिपथों एवं साधित्रों में प्रयुक्त सुरक्षा उपाय:

  1. भू-सम्पर्कन।
  2. विद्युत् फ्यूज।

प्रश्न 2.
2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत् तंदूर किसी घरेलू परिपथ (220 V) में प्रचलित किया जाता है जिसका विद्युत् धारा अनुमतांक 5 A है। इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चूँकि परिपथ में अधिकतम प्रयुक्त हो सकने वाली शक्ति की मात्रा P = 220 V × 5 A = 1100 W अर्थात् 1.1 kW है जबकि तंदूर की शक्ति 2 kW है जो अधिक है अतः अतिभारण के कारण विद्युत् फ्यूज उड़ जायेगा।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत् परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर:
अतिभारण से बचने के लिए परिपथ के गर्म तारों के साथ उपयुक्त विद्युत् फ्यूज लगा देना चाहिए।

MP Board Class 10th Science Chapter 13 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लम्बे विद्युत्वाही तार के निकट चुम्बकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लम्बवत् होती हैं।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समान्तर होती हैं।
(c) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्री क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।
उत्तर:
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्री क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।

प्रश्न 2.
विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की परिघटना –
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुण्डली में विद्युत् धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया
(c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत् मोटर की कुण्डली घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर:
(c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न

प्रश्न 3.
विद्युत् धारा को उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं –
(a) जनित्र।
(b) गैल्वेनोमीटर।
(c) अमीटर।
(d) मोटर।
उत्तर:
(a) जनित्र।

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अन्तर यह है कि –
(a) ac जनित्र में विद्युत् चुम्बक होता है जबकि dc जनित्र में स्थायी चुम्बक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं तथा dc जनित्र में दिक् परिवर्तक होता है।
उत्तर:
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं तथा dc जनित्र में दिक् परिवर्तक होता है।

प्रश्न 5.
लघु पाथन के समय परिपथ में विद्युत् धारा का मान –
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरन्तर परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए –
(a) विद्युत् मोटर यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
(b) विद्युत् जनित्र वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
(c) किसी लम्बी वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र समानान्तर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युत् रोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर:
(a) असत्य।
(b) सत्य।
(c) सत्य।
(d) असत्य।

प्रश्न 7.
चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीकों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के तरीके:

  1. छड़ चुम्बक द्वारा।
  2. धारावाही चालक (सीधा, वृत्ताकार पाथ या परिनालिका) द्वारा।

प्रश्न 8.
परिनालिका चुम्बक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी विद्युत् धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?
उत्तर:
जब किसी परिनालिका में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो यह परिनालिका एक चुम्बक की तरह व्यवहार करती है अर्थात् स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर इसका एक सिरा उत्तर की ओर तथा दूसरा सिरा दक्षिण की ओर स्थिर हो जाता है ठीक स्वतन्त्रतापूर्वक लटके छड़ चुम्बक की तरह।

इस प्रकार परिनालिका एक चुम्बक की तरह व्यवहार करती है। जब हम एक छड़ चुम्बक को स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी धारावाही परिनालिका के समीप लाते हैं तो परिनालिका का जो सिरा छड़ चुम्बक के दक्षिण ध्रुव की ओर आकर्षित होगा वह उत्तरी ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा।

प्रश्न 9.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होगा?
उत्तर:
जब धारावाही चालक चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् होगा तब उस पर आरोपित बल अधिकतम होगा।

प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैम्बर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आपके दायीं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र की अभीष्ट दिशा ऊर्ध्वाधर अधोमुखी होगी।

प्रश्न 11.
विद्युत् मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत् मोटर में विभक्त विलय का क्या महत्व है?
उत्तर:
विद्युत् मोटर का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 4

विद्युत् मोटर का सिद्धान्त एवं कार्यविधि:
सिद्धान्त:
विद्युत् मोटर विद्युत् धारा के चुम्बकीय प्रभाव के सिद्धान्त पर फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम के अनुसार विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है।

कार्यविधि:
जब चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखी धारावाही कुण्डली ABCD में वामावर्त दिशा में विद्युत् धारा अर्थात् भुजा AB में A से B की ओर तथा CD में C से D की ओर बहती है तो फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम के अनुसार AB एवं CD पर विपरीत दिशा में बल लगेंगे जो AB को अधोमुखी तथा CD को उपरमुखी विस्थापित करेगा। आधे घूर्णन के बाद AB एवं CD में धारा की दिशा में परिवर्तन हो जायेगा। इससे CD अधोमुखी एवं AB उपरमुखी विस्थापन करेगा। इस प्रकार कुण्डली एक दिशा में लगातार घूमती रहेगी।

विभक्त वलय का महत्व:
विभक्त वलय कुण्डली में प्रवाहित धारा की दिशा उसकी भुजाओं AB तथा CD में क्रमश: B से A तथा D से C की बदलकर दिक् परिवर्तक का कार्य करते हैं जिससे कुण्डली लगातार एक ही दिशा में घूमती रहती है।

प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत् मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्त:
विद्युत् मोटर को प्रयुक्त करने वाली युक्तियाँ:

  1. विद्युत् पंखे।
  2. विद्युत् मिक्सर।
  3. रेफ्रिजरेटर।
  4. विद्युत् वाशिंग मशीन।
  5. कम्प्यूटर।
  6. MP-3 प्लेयर आदि।

प्रश्न 13.
कोई विद्युत्रोधी ताँबे के तार की कुण्डली किसी गैल्वेनो से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुम्बक –
(i) कुण्डली में धकेला जाता है?
(ii) कुण्डली के भीतर से बाहर खींचा जाता है?
(iii) कुण्डली के भीतर स्थिर रखा जाता है?
उत्तर:
(i) गैल्वेनोमीटर की सुई एक दिशा में क्षणिक गति करेगी।
(ii) गैल्वेनोमीटर की सुई (i) के विपरीत दिशा में क्षणिक गति करेगी।
(iii) गैल्वेनोमीटर की सुई में कोई परिवर्तन दिखाई नहीं देगा।

MP Board Solutions

प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुण्डली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुण्डली A में विद्युत् धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुण्डली B में कोई विद्युत् धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।
उत्तर:
हाँ, कुण्डली B में विद्युत् धारा प्रेरित होगी क्योंकि कुण्डली A में धारा परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन होगा जो कुण्डली B के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन करेगा, फलस्वरूप कुण्डली B में प्रेरित वि. बा. बल उत्पन्न होगा।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा निर्धारित करने वाला नियम लिखिए –

  1. किसी विद्युत् धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र।
  2. किसी चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् स्थित, विद्युत् धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल तथा
  3.  किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुण्डली के घूर्णन करने पर उस कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत् धारा।

उत्तर:
1. दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम:
“यदि आप दाहिने हाथ में धारावाही सीधे चालक को इस प्रकार पकड़ें कि आपका अंगूठा विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करें तो आपकी अंगुलियाँ चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेंगी।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 5

2. फ्लेमिंग के बाएँ हाथ का नियम:
“यदि बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा एवं अंगूठे को परस्पर लम्बवत् फैलाएँ और यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, मध्यमा विद्युत् धारा की दिशा को प्रदर्शित करे तो अंगूठा लगने वाले बल की दिशा प्रदर्शित करेगा।”

3. फ्लेमिंग का दायें हाथ का नियम:
“यदि दाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा एवं अंगूठे को परस्पर लम्बवत् दिशा में फैलाएँ और यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा एवं अंगूठा चालक की दिशा को प्रदर्शित करे तो मध्यमा प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा को प्रदर्शित करेगी।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 6

प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत् जनित्र का मूल सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रुशों का क्या कार्य है?
उत्तर:
विद्युत् जनित्र का नामांकित आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 7

जनित्र विद्युत् जनित्र का मूल सिद्धान्त:
विद्युत् जनित्र का सिद्धान्त विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की परिघटना पर आधारित है जिसके आधार पर जब किसी कुण्डली के तल पर चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उस कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा प्रवाहित होती है और इस प्रकार यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य विद्युत् जनित्र करता है।

कार्यविधि:
जब आर्मेचर (कुण्डली) ABCD को दक्षिणावर्त दिशा में घुमाया जाता है तो कुण्डली में विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के कारण विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से ज्ञात की जाती है। कुण्डली के आधा चक्कर पूरा करने तक धारा की दिशा वही रहती है अतः पहले आधे चक्कर में धारा B2 से B1 की दिशा में बहती है। अगले आधे चक्कर में विद्युत् धारा की दिशा बदल जाती है। अतः धारा B2 से B1 की ओर बहती है। इस प्रकार परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित होती है।

ब्रुशों का कार्य:
दोनों ब्रुश घूर्णन करती कुण्डली के वलयों के सम्पर्क में रहते हैं जिससे उसके घूर्णन में कोई बाधा नहीं आती तथा उससे प्राप्त विद्युत् धारा को बाह्य परिपथ में प्रवाहित करने में सहायक है।

प्रश्न 17.
किसी विद्युत् परिपथ में लघु पाथन कब होता है?
उत्तर:
खराब तथा क्षतिग्रस्त तारों के कारण जब कभी विद्युन्मय एवं उदासीन तार आपस में मिल जाते हैं तो परिपथ का प्रतिरोध लगभग शून्य हो जाता है तथा उसमें धारा की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है। इस प्रकार लघु पाथन हो जाता है।

प्रश्न 18.
भू-सम्पर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत् साधित्रों को भू-सम्पर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भू-सम्पर्क तार का कार्य-भू-सम्पर्क तार एक सुरक्षा युक्ति है जो यह सुनिश्चित करता है कि साधित्र के धात्विक आवरण में यदि विद्युत् धारा का कोई भी क्षरण होता है तो भू-सम्पर्क तार विद्युत् धारा के लिए अल्प प्रतिरोध का कार्य करता है जिससे इसका सम्पर्क भूमि से हो जाता है। इस प्रकार साधित्र को उपयोग करने वाले व्यक्ति तीव्र विद्युत् आघात से बच जाते हैं। इसलिए धातु के आवरणों वाले विद्युत् साधित्रों को भू-सम्पर्क तार से जोड़कर भू-सम्पर्कित करना आवश्यक है।

MP Board Class 10th Science Chapter 13 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 10th Science Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के सम्बन्ध में अग्र में से असत्य कथन छाँटिए –
(a) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चुम्बकीय कम्पास के उत्तरी ध्रुव की दिशा ही उस चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होती है।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ बन्द वक्र होते हैं।
(c) यदि चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ समान्तर तथा समदूरस्थ हैं तो ये शून्य चुम्बकीय क्षेत्र को प्रदर्शित करती हैं।
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की आपेक्षिक प्रबलता चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की सन्निकटता से प्रदर्शित होती है।
उत्तर:
(c) यदि चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ समान्तर तथा समदूरस्थ हैं तो ये शून्य चुम्बकीय क्षेत्र को प्रदर्शित करती हैं।

प्रश्न 2.
निम्न संलग्न आकृति में परिपथ की व्यवस्था से कुंजी को निकाल दिया जाय अर्थात् परिपथ को खोल दिया जाय और चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींची जायें क्षैतिज तल ABCD पर, तो क्षेत्र रेखाएँ होंगी –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 8
(a) संकेन्द्री वृत्त।
(b) दीर्घ वृत्ताकार।
(c) परस्पर समान्तर सीधी रेखाएँ।
(d) बिन्दु O के पास वृत्ताकार और दूर जाने पर दीर्घ वृत्ताकार।
उत्तर:
(c) परस्पर समान्तर सीधी रेखाएँ।

प्रश्न 3.
एक वृत्ताकार कुण्डली कागज की तल के लम्बवत् तल में रखी जाती है तथा इसमें विद्युत् धारा बह रही होती है जब कुंजी को चालू कर दिया जाता है। विद्युत् धारा कुण्डली के अक्ष से होकर कागज के तल में A से B की ओर प्रवाहित हो रही है जो A और B से क्रमशः एण्टी-क्लॉकवाइज एवं क्लॉक वाइज दिखाई देती है। चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ B से A की ओर संकेत करती हैं। देखिए संलग्न आकृति।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 9
(a) A के नजदीक।
(b) B के नजदीक।
(c) A के नजदीक यदि धारा की तीव्रता कम है और अगर धारा की तीव्रता अधिक है तो B के नजदीक।
(d) B के नजदीक यदि धारा की तीव्रता कम है और अगर धारा की तीव्रता अधिक है तो A के नजदीक।
उत्तर:
(a) A के नजदीक।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
किसी लम्बी धारावाही परिनालिका के सिरे पर N एवं S ध्रुव (पोल) उत्पन्न होते हैं। निम्न कथनों में असत्य कथन है –
(a) परिनालिका के अन्दर की क्षेत्र रेखाएँ सीधी समान्तर रेखाओं के रूप में होती हैं ये यह प्रदर्शित करती है कि परिनालिका के अन्दर प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र समान है।
(b) परिनालिका के अन्दर उत्पन्न शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग उसके अन्दर चुम्बकीय पदार्थ जैसे कच्चा लोहा आदि रखकर उसे चुम्बक बनाने में किया जा सकता है।
(c) परिनालिका से सम्बन्धित चुम्बकीय क्षेत्र का स्वरूप एक छड़ चुम्बक के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र के स्वरूप से भिन्न होता है।
(d) यदि परिनालिका में विद्युत् धारा की दिशा बदल दी जाय तो परिनालिका के सिरों पर उत्पन्न चुम्बकीय ध्रुव N एवं S भी परिवर्तित हो जाते हैं।
उत्तर:
(c) परिनालिका से सम्बन्धित चुम्बकीय क्षेत्र का स्वरूप एक छड़ चुम्बक के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र के स्वरूप से भिन्न होता है।

प्रश्न 5.
एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल में बाईं ओर से दायीं ओर को आरोपित है। जैसा कि संलग्न आकृति में दिखाया गया है। एक इलेक्ट्रॉन एवं एक प्रोटॉन उस चुम्बकीय क्षेत्र में गति करते हैं।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 10
इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन पर लगने वाले बल होंगे –
(a) दोनों बल कागज के लम्बवत् अन्दर की ओर।
(b) दोनों बल कागज के लम्बवत् बाहर की ओर।
(c) एक बल कागज के लम्बवत् अन्दर की ओर तथा दूसरा बल कागज के लम्बवत् बाहर की ओर क्रमशः।
(d) दोनों बल समरूप चुम्बकीय क्षेत्र के समानान्तर लेकिन विपरीत दिशाओं में।
उत्तर:
(a) दोनों बल कागज के लम्बवत् अन्दर की ओर।

प्रश्न 6.
वाणिज्यिक (व्यापारिक) विद्युत् मोटर प्रयोग नहीं करती –
(a) आर्मेचर को घुमाने के लिए विद्युत् चुम्बक।
(b) धारावाही चालक कुण्डली में चालक तार की अधिक चक्करों की संख्या।
(c) आर्मेचर को घुमाने के लिए स्थायी चुम्बक।
(d) एक कच्चे लोहे की क्रोड जिस पर कुण्डली लपेटी जाती है।
उत्तर:
(c) आर्मेचर को घुमाने के लिए स्थायी चुम्बक।

प्रश्न 7.
संलग्न चित्र में दी गयी व्यवस्था में दो कुण्डलियाँ अचालक बेलनाकार छड़ पर लपेटी गयी हैं। प्रारम्भ में कुंजी का प्लग नहीं लगाया गया है। जब कुंजी का प्लग लगाया जाता है और फिर निकाल दिया जाता है, तब –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 11
(a) गैल्वेनोमीटर में पूरे समय तक विस्थापन शून्य रहेगा।
(b) गैल्वेनोमीटर में क्षणिक विस्थापन होगा लेकिन यह शीघ्र ही समाप्त हो जायेगा और कुंजी निकालने पर कोई असर नहीं होगा।
(c) गैल्वेनोमीटर में क्षणिक विस्थापन होगा और शीघ्र ही समाप्त हो जायेगा और बाद में विस्थापन उसी दिशा में होगा।
(d) गैल्वेनोमीटर में क्षणिक विस्थापन होकर और शीघ्र ही वह समाप्त हो जायेगा बाद में विस्थापन विपरीत दिशा में होगा।
उत्तर:
(d) गैल्वेनोमीटर में क्षणिक विस्थापन होकर और शीघ्र ही वह समाप्त हो जायेगा बाद में विस्थापन विपरीत दिशा में होगा।

प्रश्न 8.
असत्य कथन का चयन कीजिए –
(a) फ्लेमिंग दक्षिण-हस्त नियम प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने में प्रयुक्त होता है।
(b) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के लिए प्रयुक्त होता है।
(c) DC एवं AC में यह अन्तर है कि DC सदैव एक ही दिशा में प्रवाहित होती है जबकि AC निश्चित समय अन्तराल के बाद अपनी दिशा बदलती रहती है।
(d) भारत में AC हर 1/50 सेकण्ड बाद अपनी दिशा बदलती है।
उत्तर:
(d) भारत में AC हर 1/50 सेकण्ड बाद अपनी दिशा बदलती है।

प्रश्न 9.
एक क्षैतिज चालक तार में समान निश्चित धारा कागज के तल में पूर्व से पश्चिम की ओर बह रही है जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है। उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा एक बिन्दु पर उत्तर से दक्षिण होगी –
(a) सीधे तार के ऊपर।
(b) सीधे तार के नीचे।
(c) तार की उत्तरी दिशा में कागज पर स्थित किसी बिन्द पर।
(d) तार की दक्षिण दिशा में कागज पर स्थित किसी बिन्दु पर।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 12
उत्तर:
(b) सीधे तार के नीचे।

प्रश्न 10.
किसी धारावाही लम्बी सीधी परिनालिका के अन्दर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता होगी –
(a) क्रोड की अपेक्षा सिरों पर अधिक।
(b) मध्य में सबसे कम।
(c) सभी स्थानों पर समान।
(d) एक सिरे से दूसरे सिरे तक बढ़ती हुई।
उत्तर:
(c) सभी स्थानों पर समान।

प्रश्न 11.
एक AC जनित्र को DC जनित्र में बदलने के लिए प्रयुक्त होना चाहिए –
(a) विभक्त वलय प्रकार का दिशा परिवर्तक।
(b) विसी वलय एवं ब्रुश।
(c) शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र।
(d) एक आयताकार तार की कुण्डली।
उत्तर:
(a) विभक्त वलय प्रकार का दिशा परिवर्तक।

प्रश्न 12.
लघुपाथन एवं अतिभारण से होने वाली हानि से उपकरणों को बचाने की सर्वश्रेष्ठ एवं अति आवश्यक युक्ति है –
(a) भूसम्पर्क करना।
(b) फ्यूज वायर का प्रयोग।
(c) स्टेबलाइजर का प्रयोग।
(d) विद्युत् मीटर का प्रयोग।
उत्तर:
(b) फ्यूज वायर का प्रयोग।

प्रश्न 13.
विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलने वाली युक्ति है –
(a) जनित्र।
(b) मोटर।
(c) धारा नियन्त्रक।
(d) धारामापी।
उत्तर:
(b) मोटर।

प्रश्न 14.
यांन्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलने वाली युक्ति है –
(a) जनित्र।
(b) मोटर।
(c) धारा नियन्त्रक।
(d) फ्यूज।
उत्तर:
(a) जनित्र।

MP Board Solutions

प्रश्न 15.
उपकरणों को विद्युत् आघात से बचाने वाली युक्ति है –
(a) जनित्र।
(b) मोटर।
(c) फ्यूज।
(d) धारा नियन्त्रक।
उत्तर:
(c) फ्यूज।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में खींची गयी क्षेत्र रेखाएँ परस्पर … होती हैं।
  2. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद ……….. हैं।
  3. चुम्बकीय ध्रुवों के पास क्षेत्र रेखाएँ ……होती हैं।
  4. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ ………. वक्र होती हैं।
  5. विद्युत् तथा चुम्बकत्व में सम्बन्ध ज्ञात किया।

उत्तर:

  1. समान्तर।
  2. नहीं करती।
  3. सघन (पास-पास)।
  4. बन्द।
  5. आर्टेड।

जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 13
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (d)
  3. → (e)
  4. → (a)
  5. → (b)

सत्य/असत्य कथन

  1. घरेलू विद्युत् प्रत्यावर्ती धारा (AC) होती है।
  2. विद्युत् उपकरण श्रेणीक्रम में संयोजित होते हैं।
  3. AC जनित्र में विसर्णी वलय प्रयोग होते हैं।
  4. किसी परिपथ में अत्यधिक धारा प्रवाह भूसम्पर्क कहलाता है।
  5. DC जनित्र में विभक्त वलय प्रयुक्त होते हैं।

उत्तर:

  1. सत्य।
  2. असत्य।
  3. सत्य।
  4. असत्य।
  5. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. उस युक्ति का क्या नाम है जो विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलती है?
  2. उस युक्ति का क्या नाम है जो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदल देती है?
  3. उस युक्ति का क्या नाम है जो अतिभारण एवं लघुपाथन से उपकरणों की रक्षा करती है?
  4. घरेलू परिपथ में किस प्रकार की धारा प्रवाहित होती है?
  5. विद्युत् घंटी में किस प्रकार की चुम्बक का प्रयोग किया जाता है?

उत्तर:

  1. विद्युत् मोटर।
  2. विद्युत् जनित्र।
  3. फ्यूज तार।
  4. प्रत्यावर्ती धारा।
  5. विद्युत् चुम्बक (अस्थायी चुम्बक)।

MP Board Class 10th Science Chapter 13 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र: “किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जहाँ चुम्बकीय बल की अनुभूति होती है, चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।”

प्रश्न 2.
परिनालिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
परिनालिका: “पास-पास लिपटे विद्युत्रोधी ताँबे के तार की बेलनाकार अनेक फेरौं वाली कुण्डली परिनालिका कहलाती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
विद्युत् चुम्बक क्या होती है?
उत्तर:
जब किसी चुम्बकीय पदार्थ जैसे कच्चा लोहा आदि की छड़ को किसी धारावाही परिनालिका के अन्दर रखा जाता है तो उसके अन्दर अस्थायी चुम्बक के गुण उत्पन्न हो जाते हैं। इस प्रकार बनी चुम्बक विद्युत् चुम्बक कहलाती है।

प्रश्न 4.
विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण से क्या समझते हो?
उत्तर:
विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण:
जब किसी कुण्डली और चुम्बक के बीच सापेक्ष गति होती है तो कुण्डली में विद्युत् धारा उत्पन्न हो जाती है। इस परिघटना को विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं और इस प्रकार उत्पन्न विद्युत् धारा को प्रेरित विद्युत् धारा कहते हैं।

प्रश्न 5.
दिक् परिवर्तक किसे कहते हैं?
उत्तर:
दिक् परिवर्तक:
वह युक्ति जो किसी विद्युत् परिपथ में विद्युत् धारा के प्रवाह को उत्क्रमित कर देती है, दिक् परिवर्तक कहलाती है।”

प्रश्न 6.
एक धारावाही परिनालिका का उपयोग करके स्थायी चम्बक किन शर्तों के अन्तर्गत प्राप्त किया जा सकता है। नामांकित
परिपथ द्वारा अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
धारावाही परिनालिका द्वारा स्थायी चुम्बक प्राप्त करने के लिए आवश्यक शर्ते –

  1. परिनालिका में दिष्ट धारा प्रवाहित होनी चाहिए।
  2. परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय पदार्थ जैसे स्टील आदि की छड़ चित्र रखी होनी चाहिए।

MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 14

प्रश्न 7.
जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है। कागज के तल में AB एक धारावाही सीधा चालक है। बिन्दु P एवं Q पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या होगी? यदि r1 > r2 हो तो किस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक होगी?
उत्तर:
बिन्दु P पर कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर तथा बिन्दु Q पर कागज के तल के लम्बवत् बाहर की ओर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होगी। निकटस्थ बिन्दु अर्थात् बिन्दु Q पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक होगी।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 15

प्रश्न 8.
जब किसी चुम्बकीय कम्पास को किसी धारावाही चालक के पास रखा जाता है तो वह विक्षेपित हो जाती है। यदि चालक में विद्युत् धारा की तीव्रता बढ़ा दी जाय तो उसके विक्षेप पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अपने उत्तर का कारण बताइए।
उत्तर:
कम्पास का विक्षेप बढ़ जाता है क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता धारावाही चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की मात्रा के समानुपाती होती है।

प्रश्न 9.
यह सर्व ज्ञात है कि जब किसी धात्विक तार में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों ओर एक चम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है। यदि एक पतली किरण पंज (i) अल्फा कणों की (ii) न्यूट्रॉनों की प्रवाहित हो तो क्या उनके चारों ओर भी इसी प्रकार का चुम्बकीय क्षेत्र पैदा होगा? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
(i) अल्फा कणों के किरण पुंज के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र पैदा होगा क्योंकि अल्फा कण धनावेशित होते हैं और उनका प्रवाह उनकी दिशा में विद्युत् धारा के प्रवाह की तरह ही है।
(ii) चूँकि न्यूट्रॉन उदासीन कण होते हैं इसलिए उनके किरण पुंज के चारों ओर कोई भी चुम्बकीय क्षेत्र पैदा नहीं होगा।

प्रश्न 10.
दक्षिण हस्त-अंगुष्ठ नियम में अंगूठे की दिशा क्या प्रदर्शित करती है? यह नियम फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
दक्षिण-हस्त-अंगुष्ठ नियम में अंगूठा विद्युत् धारा की दिशा को प्रदर्शित करता है। दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम किसी धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को निर्धारित करता है जबकि फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर लगने वाले बल की दिशा निर्धारित करता है।

प्रश्न 11.
मीना किसी धारावाही वृत्ताकार पाथ के अक्ष के पास चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचती है। वह जैसे ही वृत्ताकार पाथ के केन्द्र से दूर हटती है वह प्रेक्षित करती है कि क्षेत्र रेखाएँ मुड़ती जाती हैं। आप उसके प्रेक्षण की कैसे व्याख्या करेंगे?
उत्तर:
जैसे-जैसे पाथ के केन्द्र से दूरी बढ़ती जाती है। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कम होती जाती है। यह चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की समीपता को कम करती जाती है। इसलिए क्षेत्र रेखाएँ मुड़ती जाती हैं।

प्रश्न 12.
किसी धारावाही परिनालिका के सिरों के पास चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का मुड़ना क्या प्रदर्शित करता है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का मुड़ना अर्थात् क्षेत्र रेखाओं की समीपता कम होना परिनालिका के सिरे से दूर जाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का कम होते जाना प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 13.
चार ऐसे उपकरणों के नाम लिखिए जहाँ विद्युत् मोटर एक घूर्णन युक्ति, जो विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है, एक आवश्यक अवयव की तरह प्रयुक्त होती है? किस सम्बन्ध में एक मोटर एक जनित्र से भिन्न होती है?
उत्तर:
उपकरण जिनमें विद्युत् मोटर प्रयुक्त होती है:

  1. विद्युत् पंखा।
  2. विद्युत् मिक्सर ग्राइण्डर।
  3. वाशिंग मशीन।
  4. कम्प्यूटर ड्राइव आदि।

विद्युत् मोटर विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है जवकि जनित्र यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में।

प्रश्न 14.
एक साधारण विद्युत् मोटर में दो स्थायी (स्थिर) चालक ब्रशों की क्या भूमिका है?
उत्तर:
एक साधारण विद्युत् मोटर में दो स्थिर चालक ब्रुश बैटरी से संयोजित होते हैं तथा ये दो अर्ध विभक्त वलयों के बाहरी तल को स्पर्श करते हैं जिनके आन्तरिक तल एक्सल से जुड़े रहते हैं तथा पृथक्कृत होते हैं। इससे एक्सल को घूमने में आसानी रहती है।

प्रश्न 15.
दिष्टधारा (D.C.) एवं प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) में क्या अन्तर है? भारत में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा कितनी बार एक सेकण्ड में दिशा परिवर्तन करती है?
उत्तर:
दिष्टं धारा सदैव एक दिशा में प्रवाहित होती है जबकि प्रत्यावर्ती धारा एक निश्चित समयान्तराल के बाद अपनी दिशा बदलती है। भारत में प्रयुक्त AC की आवृत्ति 50 हर्ट्ज़ है और प्रत्येक चक्र में यह दो बार अपनी दिशा बदलती है अर्थात् भारत में प्रयुक्त AC एक सेकण्ड में 100 बार दिशा बदलती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 16.
किसी विद्युत् उपकरण के परिपथ में श्रेणीक्रम में फ्यूज लगाने की क्या भूमिका है? उपयुक्त क्षमता के फ्यूज को अधिक क्षमता के फ्यूज से क्यों नहीं बदलना चाहिए?
उत्तर:
परिपथ में अधिक धारा के हिसाब से उपयुक्त क्षमता का फ्यूज लगा होता है यदि लघुपाथन या अतिभारण के कारण परिपथ में धारा का मान बढ़ जाता है तो ऊष्मीय प्रभाव के कारण फ्यूज का तार पिघल जाता है और विद्युत् धारा का प्रवाह रुक जाता है। इससे उपकरण क्षतिग्रस्त होने से बच जाते हैं।

अगर उचित क्षमता से अधिक का फ्यूज लगा दिया जायेगा तो फ्यूज का तार पिघलेगा नहीं और अधिक धारा प्रवाह के कारण उपकरण नष्ट होने की सम्भावना अधिक हो जाती है। इसलिए हमको उचित क्षमता का समान फ्यूज लगाना चाहिए।

MP Board Class 10th Science Chapter 13 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक चुम्बकीय कम्पास सुई कागज के तल में बिन्दु A के पास रखी है जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है। एक धारावाही सीधे चालक को किस तल में रखना चाहिए कि यह A से होकर जाता हो लेकिन कम्पास सुई के विस्थापन (विक्षेप) चित्र में कोई अन्तर नहीं आये। किस अवस्था में सुई में विक्षेप सर्वाधिक होगी और क्यों?
उत्तर:
स्वयं कागज के तल में क्योंकि इस अवस्था में कम्पास का अक्ष ऊर्ध्वाधर है और धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र भी ऊर्ध्वाधर है। कम्पास सुई का घूमना एक दिक्पात (डिप) की अवस्था है जो इस अवस्था में सम्भव नहीं। डिप की अवस्था तभी सम्भव है जब कम्पास सुई का अक्ष क्षैतिज हो। विक्षेप अधिकतम होगा जब चालक कागज के तल के लम्बवत् A से होकर जाय तथा इसके द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल में अधिकतम हो।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 16

प्रश्न 2.
विद्युत् फ्यूज क्या होता है? इसकी बनावट का सचित्र वर्णन कीजिए। इसकी क्रियाविधि का भी वर्णन कीजिए।
अथवा
फ्यूज तार क्या है? इसका उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
विद्युत् फ्यूज (Electric Fuse):
विद्युत् फ्यूज वह युक्ति होल्डर है जिसकी सहायता से किसी विद्युत् परिपथ में होकर जाने वाली धारा की अधिकतम सीमा नियन्त्रित की जा सकती है। यह उच्च प्रतिरोध एवं कम गलनांक की मिश्रधातु का छोटा तार F होता है जो पोर्सिलेन होल्डर के दोनों टर्मिनलों T1 एवं T2 के बीच कसा रहता है। इस होल्डर को पोर्सिलेन केसिंग में लगा देते हैं। यह परिपथ में गर्म तार के साथ श्रेणीक्रम में लगाया जाता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 17

क्रियाविधि:
जब परिपथ में अतिभारण या लघुपाथन के कारण बहुत अधिक धारा प्रवाहित होती है, तब फ्यूज का तार गर्म होकर पिघल जाता है; जिससे परिपथ टूट जाता है और धारा बन्द हो जाती है। इसका उपयोग विद्युत् उपकरण की सुरक्षा के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत् परिपथ का नामांकित चित्र बनाइए।
अथवा
एक कमरे में एक प्लग सॉकेट, एक बल्ब एवं एक रेगुलेटर सहित पंखा के लिए एक सरल परिपथ का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
परिपथ का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 18

प्रश्न 4.
निकट में चुम्बक के अभाव में एक चुम्बकीय सुई उत्तर-दक्षिण दिशा में संकेत करती है लेकिन जब-जब उसके पास एक छड़ चुम्बक या धारावाही वृत्ताकार पाथ लाया जाता है तो वह विक्षेपित हो जाती है। चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के कुछ प्रमुख गुण लिखिए।
उत्तर:
बिना किसी चुम्बक की उपस्थिति के चुम्बकीय कम्पास सुई पर केवल पार्थिव चुम्बकीय क्षेत्र लागू होता है। इस कारण वह उत्तर दक्षिण दिशा में संकेत करती है लेकिन जब उसके पास चुम्बक या धारावाही पाथ (जो चुम्बक की तरह व्यवहार करता है) लाया जाता है तो उसके परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में कम्पास सुई विक्षेपित हो जाती है।
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के प्रगुण:

  1. चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चिकने बन्द वक्र होते हैं जो परस्पर कभी प्रतिच्छेद नहीं करते।
  2. ये रेखाएँ चुम्बक के बाहर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।
  3. अधिक प्रबलता वाले चुम्बकीय क्षेत्र में ये क्षेत्र रेखाएँ पास-पास तथा कम प्रबलता वाले क्षेत्र में दूर-दूर होती हैं।

प्रश्न 5.
एक नामांकित परिपथ आरेख की सहायता से धारावाही सरल सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं के पैटर्न प्रदर्शित कीजिए। किस प्रकार दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम इनकी दिशा निर्धारण में सहायक होता है ?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ तार के चारों ओर वृत्ताकार होती हैं। तार के पास ये सघन तथा परस्पर विरल होती जाती हैं।
आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 19

दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम:
“यदि आप दाहिने हाथ में धारावाही सीधे चालक को इस प्रकार पकड़ें कि आपका अंगूठा विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करें तो आपकी अंगुलियाँ चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा को प्रदर्शित करेंगी।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 5

प्रश्न 6.
एक नामांकित आकृति की सहायता से एक वृत्ताकार धारावाही वृत्ताकार पाथ (कुण्डली) के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के वितरण को समझाइए। ऐसा क्या है कि धारावाही n फेरों की कुण्डली में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र किसी बिन्दु पर उस चुम्बकीय क्षेत्र का n गुना होता है जो एक फेरे के वृत्ताकार पाथ के द्वारा उत्पन्न होता है ?
उत्तर:
किसी धारावाही कुण्डली द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र किसी बिन्दु पर उन सभी चुम्बकीय क्षेत्रों का योगफल होता है जो कुण्डली के प्रत्येक फेरे के द्वारा उत्पन्न होता है। इसलिए n फेरों वाली धारावाही कुण्डली द्वारा किसी बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उसके एक फेरे द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का n गुना होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 20

प्रश्न 7.
विद्युत् मोटर का नामांकित चित्र बनाइए। (2019)
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 4

प्रश्न 8.
विद्युत् जनित्र का नामांकित चित्र बनाइए। (2019)
उत्तर:
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 7

MP Board Class 10th Science Chapter 13 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक क्रियाकलाप का वर्णन कीजिए जिससे यह प्रदर्शित होता हो कि धारावाही चालक पर किसी चुम्बकीय क्षेत्र के कारण लगने वाला बल चालक की लम्बाई एवं बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र दोनों के लम्बवत् होता है। इस बल की दिशा ज्ञात करने में फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
संलग्न चित्र के अनुसार एक ऐलुमिनियम की छड़ लेकर एक स्टैण्ड से लटकाकर एक विद्युत् परिपथ तैयार कीजिए तथा एक प्रबल नाल चुम्बक इस प्रकार व्यवस्थित कीजिए कि छड़ नाल चुम्बक के दोनों ध्रुवों के बीच रहे।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 21
आकृति 13.20 जब हम परिपथ में विद्युत् धारा प्रवाहित करते हैं तो ऐलुमिनियम की छड़ विस्थापित होती है जो उस पर लगने वाले बल के कारण है। हम प्रेक्षित करते हैं कि छड़ बाईं ओर विस्थापित होती है और जब हम विद्युत्

धारा के चुम्बकीय प्रभाव 285 धारा की दिशा बदलते हैं तब छड़ के विस्थापन की दिशा भी बदल जाती है। यह विस्थापन हर स्थिति में बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र एवं विद्युत् धारा (चालक की लम्बाई) दोनों के लम्बवत् है।

फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम:
“अपने वाम-हस्त (बाएँ हाथ) की तर्जनी, मध्यमा एवं अंगूठे को हम परस्पर लम्बवत् दिशा में फैलाएँ और यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की दिशा की ओर संकेत करती है, तो अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर लगने वाले बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।”
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 3

प्रश्न 2.
“विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की व्याख्या कीजिए। एक प्रयोग का वर्णन कीजिए जिससे यह प्रदर्शित हो कि जब एक बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र किसी चालक के बंद पाथ के परिच्छेद में होकर बढ़ता या घटता है तो उस बन्द पाथ में विद्युत् धारा प्रवाहित होती है।
उत्तर:
विद्युत् चुम्बकीय प्ररेण:
जब किसी कुण्डली और चुम्बक के बीच सापेक्ष गति होती है तो कुण्डली में विद्युत् धारा उत्पन्न हो जाती है। इस परिघटना को विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं और इस प्रकार उत्पन्न विद्युत् धारा को प्रेरित विद्युत् धारा कहते हैं।

प्रयोग-प्रेरित विद्यत् धारा के प्रदर्शन के लिए:
संलग्न चित्रानुसार एक कुण्डली को एक परिपथ द्वारा एक गैल्वेनोमीटर से संयोजित कीजिए। अब एक छड़ चुम्बक को कुण्डली के पास तेजी से लाइए तो देखते हैं कि गैल्वेनोमीटर में विक्षेप होता है। यदि छड़ चुम्बक स्थिर रहती है तो विक्षेप नहीं होता। चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली के पास लाने पर अथवा दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाने पर एक दिशा में विक्षेप होता है लेकिन उत्तरी ध्रुव कुण्डली से दूर ले जाने एवं दक्षिणी ध्रुव को कुण्डली के पास लाने पर विक्षेप दूसरी दिशा में होता है।
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 22
इससे प्रदर्शित होता है कि किसी बन्द कुण्डली (पाथ) के परिच्छेद से होकर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के घटने या बढ़ने पर कुण्डली (पाथ) में प्रेरित विद्युत् धारा प्रवाहित होती है।

प्रश्न 3.
एक AC जनित्र का सिद्धान्त एवं क्रियाविधि नामांकित परिपथ आरेख की सहायता से वर्णन कीजिए। एक AC जनित्र को एक DC जनित्र में बदलने के लिए उसकी संरचना व्यवस्था में क्या परिवर्तन करेंगे?
उत्तर:
विद्युत् जनित्र का नामांकित आरेख –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 7
AC को DC में बदलने के लिए व्यवस्था में परिवर्तन – AC को DC में बदलने के लिए सी वलयों के स्थान पर अर्द्ध-विभक्त वलयों का प्रयोग करेंगे।

प्रश्न 4.
घरेलू विद्युत् परिपथ का एक व्यवस्थात्मक आरेख खींचिए। विद्युत् फ्यूज के महत्व को समझाइए। ऐसा क्यों है कि फ्यूज के जल जाने पर उसी क्षमता का फ्यूज लगाना चाहिए?
उत्तर:
परिपथ का नामांकित चित्र –
MP Board Class 10th Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 18
परिपथ में अधिक धारा के हिसाब से उपयुक्त क्षमता का फ्यूज लगा होता है यदि लघुपाथन या अतिभारण के कारण परिपथ में धारा का मान बढ़ जाता है तो ऊष्मीय प्रभाव के कारण फ्यूज का तार पिघल जाता है और विद्युत् धारा का प्रवाह रुक जाता है। इससे उपकरण क्षतिग्रस्त होने से बच जाते हैं।

प्रश्न 5.
विद्युत् धारा का उपयोग करते समय हमें कौन-कौन सी मुख्य सावधानियाँ रखनी चाहिए?
अथवा
विद्युत् धारा परिपथों को उपयोग में लाते समय क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर:
विद्युत् परिपथ के उपयोग में सावधानियाँ:

  1. आग लगने या अन्य किसी दुर्घटना के समय परिपथ का स्विच तुरन्त बन्द कर देना चाहिए।
  2. परिपथ में अतिभारण एवं लघुपाथन से बचने के लिए उपयुक्त क्षमता का फ्यूज प्रयोग में लाना चाहिए।
  3. विद्युत् उपकरणों के उपयोग में सदैव भू-सम्पर्क तार प्रयोग में लाना चाहिए।
  4. प्रयोग में लाते समय धातु के बने विद्युत् उपकरणों को नहीं छूना चाहिए।
  5. परिपथ में फ्यूज एवं स्विचों को सदैव गर्म तार (विद्युन्मय तार) में लगाना चाहिए।
  6. अच्छे किस्म की विद्युत् युक्तियों को उपयोग में लाना चाहिए।
  7. संयोजन तारों के जोड़ों को विद्युत्रोधी टेप से ढक देना चाहिए।
  8. विद्युत् परिपथ में लगे स्विच ऑन-ऑफ करते समय हमारे हाथ गीले नहीं होने चाहिए।
  9. घरेलू विद्युत् उपकरणों का प्रयोग रबर या प्लास्टिक की चप्पल पहनकर करना चाहिए।
  10. उच्च शक्ति के उपकरणों के लिए 15 ऐम्पियर विद्युत् धारा के प्लग, सॉकेट एवं स्विच का प्रयोग करना चाहिए।

MP Board Class 10th Science Solutions