MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 21 सुभाषितानि

MP Board Class 6th Sanskrit Chapter 21 अभ्यासः

Class 6 Sanskrit Shlok MP Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) कस्मिन् काले काकपिकयोः मध्ये अन्तर दृश्यते? (किस समय कौए और कोयल के मध्य अन्तर दिखाई पड़ता है?)
उत्तर:
वसन्तकाले

(ख) नरस्य आभरणं किम् अस्ति? (मनुष्य का आभूषण क्या है?)
उत्तर:
रूपम्

(ग) कार्याणि केन सिध्यन्ति? (कार्य सिद्ध किससे होता है?)
उत्तर:
उद्यमेन

(घ) धीमताम् कालः कथं गच्छति? (विद्वानों का समय किस तरह व्यतीत होता है?)
उत्तर:
काव्यशास्त्रविनोदेन।

Class 6th Sanskrit Shlok MP Board प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखिए)
(क) गुणस्य आभरणं किम्? (गुण का आभूषण क्या है?)
उत्तर:
गुणस्य आभरणं ज्ञानम्। (गुण का आभूषण ज्ञान है।)

(ख) मूर्खाणां कालः कथं गच्छति? (मूर्ख लोग अपना समय कैसे व्यतीत करते हैं?)
उत्तर:
मूर्खाणां तु कालो व्यसनेन, निद्रया, कलेहन वा गच्छति।. (मूर्ख लोग अपना समय बुरी आदतों से, सोते हुए अथवा लड़ाई-झगड़ा करके व्यतीत करते हैं।)

(ग) केन सर्वे जन्तवः तुष्यन्ति? (किसके कारण सभी प्राणी सन्तुष्ट हो जाते हैं?)
उत्तर:
प्रियवाक्यन प्रदानेन सर्वे जन्तवः तुष्यन्ति। (प्रिय वचन बोलने से सभी प्राणी सन्तुष्ट हो जाते हैं।)

Class 6 Sanskrit Chapter 21 MP Board प्रश्न 3.
श्लोकांशान् यथोचितं योजयत (श्लोक के अंशों को उचित रूप में जोडिए)
(क) येषां न विद्या न तपो न दानं – (1) को भेदः पिककाकयोः॥
(ख) लोचनाभ्याम् विहीनस्य – (2) रूपास्याभरणं गुणः॥
(ग) काकः कृष्णः पिकः कृष्णः – (3) ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः॥
(घ) न हि सुप्तस्य सिंहस्य – (4) दर्पण: किं करिष्यति॥
(ङ) नरस्याभरणं रूपम् – (5) प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥
उत्तर:
(क) → 3
(ख) → 4
(ग) → 1
(घ) → 5
(ङ) → 2

सुभाषितानि Class 6 MP Board प्रश्न 4.
रिक्तस्थानानि पूरयत (रिक्त स्थानों को पूरा करो)
(क) काकचेष्टो बकध्यानी…………॥
(ख) ………… कालो गच्छति धीमताम्॥
(ग) वसन्तकाले सम्प्राप्ते …………..॥
(घ) ……….. शास्त्रं तस्य करोति किम्॥
(ङ) ……….. मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति॥
उत्तर:
(क) श्वाननिद्रस्तथैव च। अल्पाहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पञ्चलक्षणः॥
(ख) काव्यशास्त्र विनोदेन।
(ग) काकः काकः पिक: पिकः॥
(घ) यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा।
(ङ) ते मृत्युलोके भुवि भारभूताः॥

सुभाषितानि श्लोक अर्थ सहित Class 6 MP Board प्रश्न 5.
शुद्धकथनानां समक्षम् “आम्” अशुद्धकथनानां समक्षं “न” इति लिखत (शुद्ध कथनों के समक्ष ‘हाँ’ व अशुद्ध कथनों के सामने ‘न’ लिखो)
(क) सर्वदा प्रियवाक्यं वक्तव्यम्। (सदा प्रिय वाक्य बोलना चाहिए।)
(ख) विद्वान् सर्वत्र पूज्यते। (विद्वान् सभी जगह पूजे जाते हैं।)
(ग) काव्यशास्त्रविनोदेन मूर्खाणां कालः गच्छति। (काव्यशास्त्र के विनोद से मूों का समय व्यतीत होता है।)
(घ) नरस्याभरणं रूपं भवति। (मनुष्य का आभूषण रूप होता है।)
(ङ) उद्यमेन कार्याणि न सिद्धयन्ति। (उद्यम करने से कार्य सिद्ध नहीं होते हैं।)
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न।

6th Class Sanskrit Shlok MP Board प्रश्न 6.
उदाहरणानुगुणम् अन्वयपूर्ति कुरुत (उदाहरण के अनुसार अन्वय की पूर्ति करो)
(क) काकः ……….. , ………… कृष्णः कः भेदः ………….. , काले सम्प्राप्ते काकः ……….. पिकः।
(ख) येषां न ……….. न ………… न दानं, ज्ञानं न ………… न …………. न धर्मः, ते ………… लोके भुवि ………. मनुष्यरूपेण ………. चरन्ति।
उत्तर:
(क) कृष्णः, पिकः, पिक काकयोः, वसन्त, काकः, पिकः।
(ख) विद्या, तपो, शीलं, गुणो, मृत्यु भारभूता, मृगाः।

Subhashitani Shlok Class 6 MP Board योग्यताविस्तारः

1. पाठे दत्तानां श्लोकानां सस्वरवाचनं कण्ठस्थीकरणं च कुरुत।
(पाठ में दिये गये श्लोकों का सस्वर वाचन और उनको कण्ठाग्र करो)

2. विद्यार्थिनः पञ्च लक्षणानि कानि? तानि लिखत, पठत, स्मरत च।
(विद्यार्थियों के पाँच लक्षण क्या हैं? उन्हें लिखो, पढ़ो और याद रखो)
उत्तर:
विद्यार्थियों के पाँच लक्षण-
(1) काकचेष्टा
(2) बकध्यानी
(3) श्वान निद्रा
(4) अल्प आहारी
(5) गृहत्यागी।

सुभाषितानि हिन्दी अनुवाद

उद्यमेन हि सिध्यन्ति, कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य, प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥ 1 ॥

अनुवाद :
परिश्रम करने से कार्य सिद्ध होते हैं केवल इच्छा करने से नहीं। क्योंकि सोते हुए शेर के मुख में पशु स्वयं प्रवेश नहीं करते अर्थात् उसे अपना शिकार परिश्रमपूर्वक ही करना पड़ता है।

काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदः पिककाकयो:
वसन्तकाले सम्प्राप्ते काकः काकः पिकः पिकः ॥ 2 ॥

सुभाषितानि अर्थ सहित Class 6 MP Board अनुवाद :
कौआ काला होता है और कोयल भी काली होती है। इस तरह कोयल ओर कौए में कौन सा भेद है अर्थात् रंग और आकृति के समान होने से उनमें भेद कर पाना मुश्किल है। परन्तु वसन्त ऋतु के आगमन पर कौआ कौआ है और कोयल कोयल ही होती है अर्थात् वसन्त के आने पर कौआ और कोयल का भेद उनके स्वर से स्पष्ट हो जाता है।

नरस्याभरणं रूपं, रूपस्याभरणं गुणः।
गुणस्याभरणं ज्ञानं, ज्ञानस्याभरणं क्षमा ॥ 3 ॥

Sanskrit Shlok Class 6 MP Board अनुवाद :
मनुष्य का आभूषण रूप-सौन्दर्य है तथा रूप का आभूषण गुण हुआ करता है। गुण का आभूषण ज्ञान होता है तथा ज्ञान का आभूषण क्षमा है अर्थात् क्षमाशीलता मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण होता है।

काकचेष्टो बकध्यानी श्वाननिद्रस्तथैव च।
अल्पाहारी गृहत्यागी, विद्यार्थी पञ्चलक्षणः ॥ 4 ॥

Sanskrit Class 6 Chapter 21 MP Board अनुवाद :
कौए की तरह चेष्टावान्, बगुले की तरह ध्यान मग्नता तथा कुत्ते जैसी निद्रा (अर्थात् नींद में भी सावधानता), स्वल्प (कम) आहार करने वाला तथा घर का त्याग करने वाला-इस प्रकार विद्यार्थी के ये पाँच लक्षण होते हैं।

काव्यशास्त्रविनोदेन, कालो गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन तु मूर्खाणां, निद्रया कलेहन वा ॥ 5 ॥

अनुवाद :
बुद्धिमान लोग अपना समय काव्यशास्त्र से विनोद करते हुए (मनोरंजन करते हुए) व्यतीत करते हैं जबकि मूर्ख लोग बुरी आदतों से, सोते हुए होने से, अथवा लड़ाई-झगड़े करते रहने के द्वारा अपना समय व्यतीत करते हैं।

यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्र तस्य करोति किम्।
लोचनाभ्यां विहीनस्य, दर्पणः किं करिष्यति ॥ 6 ॥

संस्कृत श्लोक 6 वीं कक्षा MP Board अनुवाद :
जिसके पास स्वयं बुद्धि नहीं है, उसका शास्त्र भला क्या कर सकते हैं? आँखों से अन्धे व्यक्ति के लिए भला शीशा क्या कर सकता है?

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ॥ 7 ॥

अनुवाद-प्रिय वचन बोलने से तो सभी प्राणी सन्तुष्ट हो जाते हैं, इसलिए प्रिय ही बोलना चाहिए। (प्रिय) वचन बोलने से कौन सी दरिद्रता आती है? अर्थात् प्रिय वचन बोलने से किसी भी प्रकार की धनहीनता नहीं आ सकती।

येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मृत्युलोके भुवि भारभूताः, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति॥8॥

कार्याणि केन सिध्यन्ति Meaning MP Board अनुवाद :
जिसमें न विद्या, न तपस्या, न दान, न ज्ञान, न शील, न गुण और न ही धर्म है, ऐसे वे व्यक्ति मृत्युलोक में पृथ्वी पर भारस्वरूप हैं और मनुष्य के रूप में पशु के समान रहते हैं।

सुभाषितानि शब्दार्थाः

काकः = कौआ। बकः = बगुला। पञ्चलक्षणः = पाँच लक्षण वाला। श्वानः = कुत्ता। पिकः = कोयल। नरस्य = मनुष्य का। आभरणं = आभूषण। उद्यमेन = परिश्रम से। मनोरथैः = इच्छा करने से। प्रविशन्ति = प्रवेश करते हैं। विनोदेन = मनोरंजन से। धीमताम् = बुद्धिमानों का। व्यसनेन = बुरी आदतों से। प्रज्ञा = बुद्धि। लोचनाभ्याम् = नेत्रों से। तुष्यन्ति = सन्तुष्ट होते हैं। मृगाः = पशु।

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