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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 19 उपभोक्ता जागरूकता

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 वैस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

उपभोक्ता शोषण के दो प्रकार लिखिए MP Board Class 10th Social Science प्रश्न 1.
उपभोक्ता संरक्षण नियम कब लागू किया ? (2009)
(i) 1986 में
(ii) 1996 में
(iii) 1968 में
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(i) 1986 में

उपभोक्ता शोषण के दो प्रकार MP Board Class 10th Social Science प्रश्न 2.
उपभोक्ता जागरूकता का अर्थ है –
(i) अपने अधिकारों के प्रति सतर्कता
(ii) अपने कर्तव्यों के प्रति सतर्कता
(iii) अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों दोनों के प्रति सतर्कता
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(iii) अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों दोनों के प्रति सतर्कता

Mp Board Class 10th Social Science Chapter 19 प्रश्न 3.
उपभोक्ता जागरूकता आवश्यक है –
(i) शोषण से बचाव के लिए
(ii) उच्च जीवन-स्तर के लिए
(iii) हानिकारक उपभोग रोकने के लिए
(iv) उक्त सभी।
उत्तर:
(iv) उक्त सभी।

Upbhokta Jagrukta MP Board Class 10th Social Science प्रश्न 4.
उत्पादक वस्तु की गुणवत्ता एवं कीमत के सम्बन्ध में मनमानी कर सकते हैं –
(i) प्रतियोगी बाजार में
(ii) एकाधिकार में
(iii) कृषि उत्पादों में
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ii) एकाधिकार में

प्रश्न 5.
एगमार्क सुरक्षा चिन्ह है (2018)
(i) आभूषणों के लिए
(ii) कृषि उत्पादों के लिए
(iii) ऊनी वस्त्रों के लिए
(iv) बिजली के उपकरणों के लिए।
उत्तर:
(ii) कृषि उत्पादों के लिए

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. आई. एस. आई ………….” स्तर का मानक है। (2014)
  2. बिजली के उपकरणों पर ……….. का चिन्ह रहता है।
  3. मिलावटी खाद्य पदार्थ के विरुद्ध उपभोक्ताओं को……………” अधिकार प्राप्त है।
  4. वस्तु की पूर्ति होते हुए उसका अभाव बताना ……….. कहलाता है।
  5. एगमार्क ……………’ सम्बन्धी उत्पादों पर लगाया जाता है।

उत्तर:

  1. गुणवत्ता
  2. आई. एस. आई.
  3. वस्तुओं और सेवाओं की जानकारी
  4. कृत्रिम अभाव, कालाबाजारी
  5. कृषि।

सही जोड़ी मिलाइए
उपभोक्ता शोषण के दो प्रकार लिखिए MP Board Class 10th Social Science
उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (क)
  3. → (घ)
  4. → (ङ)
  5. → (ख)

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्तु या सेवा के खरीदार को क्या कहते हैं ? (2016)
उत्तर:
उपभोक्ता।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता शोषण से क्या आशय है ? (2014, 15, 17)
उत्तर:
उपभोक्ता शोषण से आशय है कि उपभोक्ताओं को कम वजन तोलना, अधिक कीमत वसूलना, मिलावटी एवं दोषपूर्ण वस्तुएँ बेचना, भ्रमित विज्ञापन देकर उपभोक्ताओं को गुमराह करना आदि।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता शोषण के दो प्रकार बताइए। (2016, 18)
उत्तर:

  1. ऊँची कीमतें – प्रायः दुकानदार निर्धारित फुटकर कीमत से अधिक मनमानी कीमत ले लेते हैं।
  2. मिलावट एवं अशुद्धता – मिलावट का आशय है वस्तु में कुछ सस्ती वस्तु को मिला देना। इससे कई बार उपभोक्ता के स्वास्थ्य को हानि होती है।

प्रश्न 4.
सिनेमा की टिकट को उसकी निर्धारित कीमत से अधिक कीमत पर बेचना क्या कहलाता है ?
उत्तर:
टिकट की कालाबाजारी द्वारा उपभोक्ता का शोषण।

प्रश्न 5.
वस्तु के सम्बन्ध में सीमित जानकारी प्राप्त होने का क्या परिणाम होता है ?
उत्तर:
वैश्वीकरण के इस युग में बाजार अनेक प्रकार के उत्पादों से भरा पड़ा है। उत्पादक उत्पादन करने हेतु स्वतन्त्र है। गुणवत्ता एवं मूल्य निर्धारण के कोई निश्चित नियम नहीं हैं। वस्तु के अनेक पहलुओं; जैसे-मूल्य, गुण, संरचना, प्रयोग की शर्ते, क्रय के नियम आदि की उपयुक्त एवं पूर्ण जानकारी का अभाव होता है। अतः उपभोक्ता गलत चुनाव करके अपना आर्थिक नुकसान कर बैठते हैं।

प्रश्न 6.
एकाधिकार क्या है ? (2018)
उत्तर:
एकाधिकार – एकाधिकार का आशय है किसी वस्तु के उत्पादन एवं वितरण पर किसी एक उत्पादक या एक उत्पादक समूह का अधिकार होना। एकाधिकार की स्थिति में उत्पादक कीमतों एवं वस्तु की गुणवत्ता तथा उपलब्धता के सम्बन्ध में मनमानी करते हैं। फलत: वे उपभोक्ताओं का शोषण करने में सफल हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर:
24 दिसम्बर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उपभोक्ता जागरूकता का आशय उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिए। (2010)
उत्तर:
पूँजीवाद एवं वैश्वीकरण के इस युग में प्रत्येक उत्पादक का प्रमुख उद्देश्य अपने लाभ को अधिकतम करना होता है। उत्पादक हर सम्भव तरीके से अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने में लगे हुए हैं। अतः अपने उद्देश्य की पूर्ति करते हुए वे उपभोक्ताओं के पक्ष को भूल जाते हैं और उनका शोषण करते हैं। उदाहरण के लिए-कम वजन तोलना, अधिक कीमत वसूलना, मिलावटी एवं दोषपूर्ण वस्तुएँ बेचना, भ्रमित विज्ञापन देकर उपभोक्ताओं को गुमराह करना आदि। इस प्रकार उपभोक्ता बाजार में ठगा न जा सके इसके लिए उसे जागरूक बनाना आवश्यक है। इस प्रकार उपभोक्ता जागरूकता से आशय उपभोक्ता को अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने से है।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता जागरूकता अराजकता तथा हानिकारक उपभोग पर रोक लगाने में किस प्रकार सहायक है ? (2013)
उत्तर:
उपभोक्ता की जागरूकता हानिकारक उपभोग तथा अराजकता पर नियन्त्रण लगाने में निम्न प्रकार सहायक है –

  1. हानिकारक वस्तुओं के उपभोग पर रोक-बाजार में अनेक ऐसी वस्तुएँ भी उपलब्ध रहती हैं जो कुछ उपभोक्ताओं को हानि पहुँचाती हैं। उदाहरण के लिए, सिगरेट, तम्बाकू, शराब आदि को लिया जा सकता है। उपभोक्ता शिक्षा एवं जागरूकता ऐसी वस्तुओं को न खरीदने की प्रेरणा देती है।
  2. अराजकता पर नियन्त्रण-समाज में प्रत्येक व्यक्ति उपभोक्ता होता है। अत: यदि उपभोक्ता, जागरूक एवं विवेकशील है तब सम्पूर्ण समाज भी स्वस्थ और अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो जाता है। ऐसी स्थिति में समाज में अराजकता पर नियन्त्रण रहता है।

प्रश्न 3.
आई. एस. आई. क्या है ? (2016)
उत्तर:
आई. एस. आई. – भारत सरकार ने कुछ ऐसी संस्थाओं का गठन किया है जो वस्तुओं की गुणवत्ता को प्रमाणित करती हैं। औद्योगिक तथा उपभोक्ता वस्तुओं के लिए आई. एस. आई. चिन्ह दिया गया है। धोखाधड़ी से बचने के लिए उपभोक्ताओं को इस चिन्ह वाली वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम क्या है ? लिखिए।
उत्तर:
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम – देश के उपभोक्ता आन्दोलन में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 का बनाया जाना एक मील का पत्थर है। यह अधिनियम कोपरा (COPRA) के नाम से प्रसिद्ध है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता की शिकायतों को तुरन्त निपटाने तथा कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाना है। कोपरा के अन्तर्गत उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों पर एक त्रिस्तरीय न्यायिक तन्त्र स्थापित किया गया है। जिला स्तर का न्यायालय ₹20 लाख तक के दावों के सम्बन्धित मुकदमों पर विचार करता है राज्य स्तरीय अदालतों में ₹20 लाख से ₹ एक करोड़ तक के मामलों की सुनवाई की जाती है। राष्ट्रीय स्तर की अदालतें एक करोड़ से ऊपर की दावेदारी से सम्बन्धित मुकदमों को देखती हैं।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता एवं महत्व बताइए। (2009)
अथवा
उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता के किन्हीं पाँच बिन्दुओं का वर्णन कीजिए। (2012)
उत्तर:
उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता एवं महत्व

अधिकांशत उपभोक्ता को बाजार में सही वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्राप्त नहीं होती हैं। उससे बहुत ही अधिक कीमत ले ली जाती है या मिलावटी तथा कम गुणवत्ता वाली वस्तुएँ बेच दी जाती हैं। परिणामस्वरूप यह आवश्यक है कि उसे जागरूक किया जाए। उपभोक्ता को जागरूक बनाने की आवश्यकता एवं महत्व निम्नलिखित बातों से स्पष्ट हो जाते हैं –

(1) अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करना – प्रत्येक व्यक्ति की आय सीमित होती है। वह अपनी आय से अधिक वस्तुएँ व सेवाएँ खरीदना चाहता है। इससे ही उसे पूर्ण सन्तुष्टि प्राप्त होती है। अत: यह आवश्यक है कि उसे वस्तुएँ सही माप-तोल के अनुसार प्राप्त हों और उसके साथ किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी न हो। इसके लिए उसे जागरूक बनाना आवश्यक है।

(2) उत्पादकों के शोषण से बचाव – उत्पादक एवं विक्रेता उपभोक्ताओं का कई प्रकार से शोषण करते हैं; जैसे-कम तोलना, अधिक कीमत लेना, बिल न देना, मिलावट करना, नकली वस्तु देना आदि । बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ भी अपने विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को भ्रमित करती हैं। उपभोक्ता जागरूकता ही उन्हें उत्पादकों विक्रेताओं के शोषण से बचाती है।

(3) बचत को प्रोत्साहन – जागरूकता व्यक्तियों को फिजूलखर्ची तथा अपव्यय से रोकती है और उसे सही निर्णय लेने की प्रेरणा देती है। ऐसे उपभोक्ता सेल, छूट, मुफ्त उपहार, आकर्षक पैकिंग आदि के लालच में नहीं फँसते। इससे वे अपनी आय का सही उपयोग करने एवं अधिक बचत करने में सफल रहते हैं।

(4) समस्याओं को हल करने की जानकारी – अशिक्षा, अज्ञानता एवं जानकारी के अभाव में उपभोक्ता वर्ग धोखा खा जाता है। अतः आवश्यक है कि उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की जानकारी दी जाए जिससे वे उत्पादकों एवं विक्रेताओं द्वारा ठगे न जाएँ। उपभोक्ता जागृति के द्वारा उन्हें कानूनी प्रक्रिया से भी अवगत कराया जाता है जिससे वे अपनी समस्याओं को हल कर सकें।

(5) हानिकारक वस्तुओं के उपयोग पर रोक – बाजार में अनेक ऐसी वस्तुएँ भी उपलब्ध रहती हैं जो कुछ उपभोक्ताओं को हानि पहुँचाती हैं। उदाहरण के लिए सिगरेट, शराब, तम्बाकू आदि को लिया जा सकता है। उपभोक्ता की जागरूकता एवं शिक्षा ऐसी वस्तुओं को न खरीदने की प्रेरणा देती है। इससे उन्हें बहुत लाभ होता है।

प्रश्न 2.
उत्पादक एवं व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण किस प्रकार करते हैं ? व्याख्या कीजिए। (2013)
अथवा
उपभोक्ता शोषण के किन्हीं पाँच प्रकारों का वर्णन कीजिए। (2009, 12)
उत्तर:
सामान्यतः उत्पादक एवं व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण निम्नलिखित प्रकार से करते हैं –
(1) मिलावट एवं अशुद्धता – मिलावट का आशय है वस्तु में कुछ सस्ती वस्तु का मिला देना। इससे कई बार उपभोक्ता के स्वास्थ्य को हानि होती है। चावल में सफेद कंकड़, मसालों में रंग, तुअर दाल में खेसरी दाल तथा अन्य महँगे खाद्य पदार्थ में हानिकारक वस्तुओं की मिलावट अधिक लाभ अर्जन के उद्देश्य से की जाती है।

(2) अधिक मूल्य – प्रायः दुकानदार निर्धारित फुटकर कीमत से अधिक मनमानी कीमत ले लेते हैं। अक्सर देखा गया है कि जब हम एक दुकान से महँगी वस्तु खरीद लेते हैं और वही वस्तु दूसरी किसी दुकान में कम कीमत में मिल जाती है। यदि हम अंकित मूल्य दिखाते हैं तो वह कोई कारण बता देता है; जैसे – स्थानीय कर आदि।

झूटी अथवा अधूरी जानकारी – उत्पादक एवं विक्रेता कई बार ग्राहकों को गलत या अधूरी जानकारी देते हैं। इससे ग्राहक गलत वस्तु खरीदकर फंस जाते हैं और उनका पैसा बेकार चला जाता है। वस्तु की कीमत, गुणवत्ता, अन्तिम तिथि, पर्यावरण पर प्रभाव, क्रय की शर्ते आदि के विषय में सम्पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती है। वस्तु को खरीदने के बाद उपभोक्ता परेशान होता रहता है।

(4) घटिया गुणवत्ता – जब कुछ वस्तुएँ बाजार में चल जाती हैं तो कुछ बेईमान उत्पादक जल्दी धन कमाने की लालसा में उनकी बिल्कुल नकल उतारकर बाजार में नकली माल चला देते हैं। ऐसे में दुकानदार भी ग्राहक को घटिया सामान दे देते हैं क्योंकि ऐसी वस्तुएँ बेचने में उन्हें अधिक लाभ रहता है। इस प्रकार उपभोक्ता ठगा जाता है और उसका शोषण होता है।

(5) माप-तौल में गड़बड़ी – माप-तोल में विक्रेता कई प्रकार से गड़बड़ियाँ करते हैं; जैसे-बाँट के तले को खोखला करना, उसका वजन वांछित से कम होना, बाँट के स्थान पर पत्थर का उपयोग करना, लीटर के पैमाने का तला नीचे से मोटा या ऊपर की ओर उठा हुआ होना, तराजू के पलड़े के नीचे चुम्बक लगा देना आदि। इस प्रकार उपभोक्ता जितना भुगतान करता है उसके बदले में उसे वस्तु उचित मात्रा में प्राप्त नहीं होती है।

(6) बिक्री के पश्चात् असन्तोषजनक सेवा – जब तक उपभोक्ता वस्तु खरीद नहीं लेता, उसे तरह-तरह के लालच एवं बाद में प्रदान की जाने वाली सेवाओं का आकर्षण दिया जाता है किन्तु बाद में सेवाएँ उचित समय में प्रदान नहीं की जाती हैं तथा उपभोक्ताओं की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। परिणामस्वरूप उपभोक्ता परेशान होता रहता है।

(7) अनावश्यक शर्ते – बैंक, ऋण देने वाली संस्थाएँ आदि उपभोक्ता को वित्तीय सेवाएँ देती हैं परन्तु जमाकर्ताओं एवं ऋणदाताओं के साथ बैंक स्टाफ सहयोग नहीं करता। इसी प्रकार गैस कनेक्शन, नई टेलीफोन लाइन, लाइसेन्सशुदा सामान आदि प्राप्त करते समय विक्रेता अनावश्यक शर्ते लगाकर उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं।

(8) कृत्रिम अभाव – कभी-कभी त्योहार, पर्व आदि के समय व्यापारी अनुचित लाभ अर्जित करने के लिए वस्तुओं की जमाखोरी कर वस्तु का कृत्रिम अभाव उत्पन्न कर देते हैं और फिर कालाबाजारी के द्वारा अधिक कीमतें वसूलते हैं।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता का शोषण क्यों होता है ? कारणों की व्याख्या कीजिए। (2009, 11)
उत्तर:
उपभोक्ता शोषण के कारण

बाजार में उपभोक्ता क्यों ठगा जाता है, क्यों वह शोषण का शिकार हो जाता है, यह एक गम्भीर प्रश्न है। हमारा शोषण न हो सके, इसके लिए यह जानना आवश्यक हो जाता है कि शोषण के कारण क्या हैं ? इन कारणों की जानकारी के बाद ही हम उनसे बचने का तरीका ढूँढ़ सकते हैं। उपभोक्ता शोषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

(1) अज्ञानता – यह उपभोक्ताओं के शोषण का प्रमुख कारण है। कई उपभोक्ताओं को वस्तु की कीमत, गुणवत्ता, उससे सम्बन्धित सेवा आदि के विषय में जानकारी ही नहीं होती है और वे विक्रेताओं की बताई बातों पर विश्वास कर वस्तु खरीदकर फंस जाते हैं और शोषित होते हैं।

(2) उदासीनता – उपभोक्ताओं की एक बड़ी संख्या ऐसी भी होती है जो खरीदारी के प्रति उदासीनता बरतते हैं; जैसे-क्या करना है, सब ठीक है, रसीद लेकर क्या करना है, दुकानदार ने जो दिया है वह अच्छा ही होगा, वस्तु सस्ती सुन्दर टिकाऊ होनी चाहिए, आई. एस. आई. और एगमार्क जैसे चिन्ह की क्या आवश्यकता है, आदि कुछ ऐसी बातें हैं जो उपभोक्ता की उदासीनता को प्रदर्शित करते हैं। इसका पूरा लाभ विक्रेता उठाते हैं और उपभोक्ताओं का शोषण करने में सफल हो जाते हैं।

(3) टेली मार्केटिंग – वैश्वीकरण के युग में टेली मार्केटिंग और ई-कॉमर्स का चलन हो गया है। टी. वी. पर कई प्रकार के विज्ञापन आते हैं। वस्तु के विषय में जानकारी देकर कीमत भी बता दी जाती है। उपभोक्ता पैसे भेजकर पार्सल द्वारा वस्तु प्राप्त करता है परन्तु कई बार इस सौदे से उपभोक्ता स्वयं को ठगा महसूस करता है। महँगे-महँगे उत्पाद वह झाँसे में आकर मँगा लेता है परन्तु उसका उसे उचित लाभ नहीं मिल पाता है।

(4) सीमित जानकारी – वैश्वीकरण के इस युग में बाजार अनेक प्रकार के उत्पादों से भरा पड़ा है। उत्पादक उत्पादन करने हेतु स्वतन्त्र है। गुणवत्ता एवं मूल्य निर्धारण के कोई निश्चित नियम नहीं हैं। वस्तु के अनेक पहलुओं; जैसे-मूल्य, गुण, संरचना, प्रयोग की शर्ते, क्रय के नियम आदि की उपयुक्त एवं पूर्ण जानकारी का अभाव होता है। अतः उपभोक्ता गलत चुनाव करके अपना आर्थिक नुकसान कर बैठते हैं।

(5) एकाधिकार – एकाधिकार का आशय है किसी वस्तु के उत्पादन एवं वितरण पर किसी एक उत्पादक या एक उत्पादक समूह का अधिकार होना। एकाधिकार की स्थिति में उत्पादक कीमतों एवं वस्तु की गुणवत्ता तथा उपलब्धता के सम्बन्ध में मनमानी करते हैं। फलत: वे उपभोक्ताओं का शोषण करने में सफल हो जाते हैं।

(6) अशिक्षा – जब उपभोक्ता अशिक्षित होते हैं तो उन्हें विक्रेता बहुत सरलता से ठग लेते हैं। मिलते-जुलते शब्दों को ब्राण्डेड बताकर दुकानदार हल्की वस्तुओं को बेच देते हैं, जैसे सोनी के स्थान पर सोनिवा लिखा हो तो स्थानीय उत्पादक उसे सोनी की कीमत पर बेच देते हैं। उपभोक्ता भी कई बार सन्तोषी होते हैं कि हो गया नुकसान तो हो गया या भाग्य में यही था अब कौन झगड़ा मोल ले। इस सोच से भी उपभोक्ता शोषण का शिकार बनते हैं।

प्रश्न 4.
वस्तुओं के मानकीकरण का क्या अर्थ है ? विभिन्न उत्पादों के मानकीकरण बताइए। (2009, 10)
उत्तर:
मानकीकरण का अर्थ – उत्पादों की गुणवत्ता देखकर उनके लिए मानक निर्धारित करना वस्तुओं का मानकीकरण कहलाता है। बाजार में अनेक प्रकार की वस्तुएँ उपलब्ध रहती हैं किन्तु शोषण से बचने के लिए उपभोक्ता को सदैव मानकीकृत वस्तुएँ ही खरीदना चाहिए। भारत सरकार ने कुछ ऐसी संस्थाओं का गठन किया है जो वस्तुओं की गुणवत्ता को प्रमाणित करती है। विभिन्न उत्पादों के मानकीकरण चिन्ह निम्न प्रकार हैं –

  • एगमार्क – कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाला चिन्ह।
  • आई. एस. आई. – औद्योगिक एवं उपभोक्ता वस्तुओं की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाला चिन्ह।
  • वूल मार्क – ऊन या ऊनी वस्त्रों की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाला चिन्ह
  • हॉल मार्क – स्वर्ण आभूषणों की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाला चिन्ह।

प्रश्न 5.
एक उपभोक्ता होने के नाते आप बाजार में ठगे न जाएँ इस हेतु क्या उपाय अपनाएँगे, साथ ही संरक्षण हेतु कानूनी उपायों की भी चर्चा कीजिए। (2011)
अथवा
उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई पाँच उपाय लिखिए। (2009)
उत्तर:
एक उपभोक्ता होने के नाते हम बाजार में ठगे न जाएँ इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए –

(1) रसीद प्राप्त करना – किसी वस्तु को खरीदने के साथ ही उसका कैश मेमो लेना बहुत आवश्यक है। इससे वस्तु खराब निकलने या घटिया होने या निर्धारित समय के पूर्व ही खराब हो जाने की स्थिति में कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

(2) मानकीकृत वस्तुओं का क्रय – बाजार में अनेक प्रकार की वस्तुएँ उपलब्ध रहती हैं किन्तु शोषण से बचने के लिए उपभोक्ताओं को हमेशा मानकीकृत वस्तुएँ ही खरीदनी चाहिए। आई. एस. आई., एगमार्क एवं हॉलमार्क वाले चिन्हों की वस्तुएँ मानकीकृत होती हैं।

(3) उपभोक्ता शिक्षा – शोषण में निदान का सबसे महत्वपूर्ण उपाय उपभोक्ता शिक्षा एवं जागरूकता है सरकार ने उपभोक्ताओं के संरक्षण के अनेक कानून बनाये हैं। किन्तु यह देखा गया है कि जन-सामान्य को इनकी जानकारी नहीं होती है। अतः उपभोक्ताओं को इन अधिकारों की शिक्षा दी जानी चाहिए।

(4) विज्ञापनों के बहकावे में न आना – बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ अपने उत्पादों का दूरदर्शन एवं अन्य माध्यमों से आकर्षक विज्ञापन करते हैं। इसका उपभोक्ता पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है और वे वस्तुएँ खरीदने के लिए तैयार हो जाते हैं, परन्तु उपभोक्ताओं को विज्ञापनों से सावधान रहना चाहिए। वस्तु खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता, कीमत, मात्रा आदि की जाँच कर लेनी चाहिए।

(5) खराब होने की तिथि की जाँच – हमें सदैव वस्तु की निर्माण तिथि एवं खराब होने की तिथि अवश्य देख लेनी चाहिए, क्योंकि इस तिथि के बाद वह वस्तु प्रभावी नहीं रहती है और उसके बुरे प्रभाव होने की सम्भावना रहती है। उदाहरणार्थ-दवाएँ, डिब्बाबन्द पदार्थ, खाद्य-सामग्री आदि।

(6) सामूहिक रूप से शिकायत करना-एक अकेला उपभोक्ता, उत्पादक या विक्रेता के विरुद्ध कुछ नहीं कर सकता है, परन्तु यदि सामूहिक रूप से शिकायत की जाती है तो वह प्रभावी होती है।

संरक्षण हेतु कानूनी उपाय

उपभोक्ताओं के संरक्षण हेतु सन् 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम’ पारित किया गया। इसके पश्चात् सन् 1976 में नाप-तोल को व्यवस्थित करने के लिए ‘बाँट एवं माप मानक अधिनियम’ पारित किया गया।

सन् 1986 में भारत सरकार द्वारा ‘उपभोक्ताओं सुरक्षा अधिनियम’ पारित किया गया। इस कानून का प्रमुख उद्देश्य उपभोक्ता की शिकायतों को तुरन्त निपटाने तथा कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाने से है। इसके अन्तर्गत उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिये जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों पर एक त्रिस्तरीय न्यायिक तन्त्र स्थापित किया गया है।

भारत सरकार ने ‘उपभोक्ता मामलों के विभाग’ ने भी उपभोक्ता को जागरूक बनाने के लिए अनेक योजनाएँ चलाई हैं। जैसे देश के प्रत्येक जिले में उपभोक्ता संगठन एवं स्कूलों में उपभोक्ता क्लबों की स्थापना करना। उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर जागृति शिखरों का भी आयोजन किया जाता है। 24 दिसम्बर भारत में ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आज देश में 700 से अधिक उपभोक्ता संगठन कार्यरत् हैं।

प्रश्न 6.
उपभोक्ताओं के अधिकार कौन-कौनसे हैं एवं उन्हें ये अधिकार क्यों दिये गये हैं ? व्याख्या कीजिए।
अथवा
उपभोक्ताओं के अधिकार संक्षेप में लिखिए। (2009)
उत्तर:
उपभोक्ताओं के अधिकार

उपभोक्ताओं को बाजार से श्रेष्ठ वस्तु एवं सेवाएँ क्रय करने का अधिकार है। उत्पादक या विक्रेता उसे किसी भी प्रकार का धोखा न दे सके, इसके लिए उसे कानून द्वारा संरक्षण दिया गया है। सामान्यतः उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं –

(1) सुरक्षा का अधिकार – उत्पादकों के लिए यह आवश्यक है कि वे उपभोक्ताओं की सुरक्षा से सम्ब. न्धित नियमों का पालन करें। कारण यह है कि यदि उत्पादक इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उपभोक्ता को भारी जोखिम उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, प्रेशर कुकर में एक सेफ्टी वॉल्व होता है जो यदि खराब हों तो भयंकर दुर्घटना हो सकती है सेफ्टी वॉल्व के निर्माता को इसकी उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए। यदि निर्माता ऐसा नहीं करते हैं तो उपभोक्ता कानून का सहारा ले सकते हैं।

(2) चयन का अधिकार – जब कोई उपभोक्ता किसी वस्तु या सेवा को खरीदता है तो उसे चुनने का अधिकार होता है। उदाहरण के लिए, यदि हम गैस कनेक्शन लेते हैं और गैस डीलर साथ में चूल्हा खरीदने के लिए दबाव डालता है किन्तु हम केवल गैस कनेक्शन लेना चाहते हैं और चूल्हे की हमें आवश्यकता नहीं है। इस स्थिति में हमारे चुनने के अधिकार का उल्लंघन होता है। कारण यह है कि जो वस्तु खरीदना नहीं चाहते, उसे खरीदने के लिए विक्रेता या डीलर हमको विवश करता है। ऐसी स्थिति में हम विक्रेता के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं।

(3) जानकारी का अधिकार – जब हम कोई वस्तु खरीदते हैं तब यह पाते हैं कि उसकी पैकिंग पर कुछ खास जानकारियाँ लिखी हुई होती हैं; जैसे-उस वस्तु की बैच संख्या, निर्माण की तारीख, उपयोग करने की अन्तिम तिथि और उसके निर्माण स्थल का पता आदि। जब हम कपड़े खरीदते हैं, तब हमें धुलाई से सम्ब. न्धित निर्देश उल्लेखित होने चाहिए। जब हम कोई दवा खरीदते हैं तो उस दवा के अन्य प्रभावों और खतरों से सम्बन्धित निर्देश भी प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार उपभोक्ता जिन वस्तुओं को खरीदता है, उसके बारे में जानकारी पाने का अधिकार है।

(4) सूचना का अधिकार – भारत सरकार ने वर्ष 2005 को सूचना प्रदान करने का अधिकार (राइट टू इनफॉरमेशन) के नाम से कानून बनाया है। यह कानूनं सरकारी विभागों के कार्य कलापों की सभी सूचनाएँ पाने का अधिकार सुनिश्चित करता है। उपभोक्ताओं को उपभोक्ता शिक्षा प्राप्त करने का भी अधिकार है।

(5) क्षतिपूर्ति का अधिकार – अन्य परीक्षोपयोगी लघु उत्तरीय प्रश्न 1 का उत्तर देखें।

प्रश्न 7.
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन

उपभोक्ता आन्दोलन का प्रारम्भ उपभोक्ताओं के असन्तोष के कारण हुआ है। उपभोक्ताओं में असन्तोष के अनेक कारण थे; जैसे-खाद्य पदार्थों की कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट आदि। इन समस्याओं से निपटने के लिए सबसे पहले सन् 1955 में ‘आवश्यक वस्तु अधिनियम’ पारित किया गया। इस अधिनियम के द्वारा आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, वितरण, मूल्य एवं आपूर्ति को नियन्त्रित करने का प्रयास किया गया। इसके बाद वस्तुओं की नाप-तौल को व्यवस्थित करने के लिए सन् 1976 में बाँट एवं माप मानक अधिनियम पारित किया गया। सन् 1986 में ‘उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम’ पारित किया गया।

“उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम”1 ने भारत में उपभोक्ता आन्दोलन को व्यापक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये अदालतें उपभोक्ताओं के विवादों को निपटाने के साथ-साथ उनका मार्गदर्शन भी करती हैं। भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग’ ने भी उपभोक्ता को जागरूक बनाने के लिए अनेक योजनाएँ चलाई हैं।

भारत में उपभोक्ता आन्दोलन के परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं में अपने अधिकारों के प्रति काफी जागृति आई है। आज राष्ट्र में 700 से अधिक उपभोक्ता संगठन कार्यरत् हैं, किन्तु उपभोक्ताओं की उदासीनता के कारण प्रभावी एवं मान्यता प्राप्त संगठनों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।

भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने में सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संगठनों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने की दिशा में ये संस्थाएँ महत्त्वपूर्ण कार्य कर सकती हैं। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि उपभोक्ता स्वयं अपने अधिकारों को समझे और उपभोक्ता आन्दोलन में अपना सक्रिय योगदान देने के लिए आगे आए।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आवश्यक वस्तु अधिनियम किस वर्ष में पारित किया गया ?
(i) सन् 1949 में
(ii) सन् 1952 में
(iii) सन् 1955 में
(iv) सन् 1960 में।
उत्तर:
(iii) सन् 1955 में

प्रश्न 2.
बाँट एवं माप मानक अधिनियम कब पारित किया गया ?
(i) सन् 1976 में
(ii) सन् 1980 में
(iii) सन् 1985 में
(iv) सन् 1987 में।
उत्तर:
(i) सन् 1976 में

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. प्रायः दुकानदार निर्धारित फुटकर कीमत से …………… मनमानी कीमत ले लेते हैं।
  2. आज ………….. के युग में टेली-मार्केटिंग का चलन हो गया है।
  3. उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम …………… के नाम से प्रसिद्ध है।

उत्तर:

  1. अधिक
  2. कम्प्यूटर
  3. कोपरा।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
24 दिसम्बर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। (2015)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
‘एगमार्क’ कृषि उत्पादों के लिए सुरक्षा चिन्ह है। (2015)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
स्वर्ण आभूषणों की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाला चिन्ह हॉलमार्क कहलाता है। (2014)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1955 में पारित किया। (2015)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5.
उपभोक्ता संरक्षण नियम वर्ष 1986 में लागू हुआ। (2016,18)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 6.
उपभोक्ता प्रत्येक व्यक्ति नहीं होता है। (2017)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 7.
औद्योगिक तथा उपभोक्ता वस्तुओं के लिए हॉलमार्क चिन्ह दिया जाता है। (2017)
उत्तर:
असत्य

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 19 उपभोक्ता जागरूकता 2
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (ग)
  3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है ? (2014, 16)
उत्तर:
24 दिसम्बर

प्रश्न 2.
बाँट एवं माप मानक अधिनियम किस वर्ष में पारित किया गया।
उत्तर:
सन् 1976 में

प्रश्न 3.
सूचना प्राप्त करने का अधिकार (राइट टू इनफॉरमेशन) किस वर्ष में पारित किया गया ?
उत्तर:
वर्ष 2005 में

प्रश्न 4.
हॉलमार्क के द्वारा किसकी गुणवत्ता प्रमाणित किया जाता है ? (2018)
उत्तर:
स्वर्ण आभूषण

प्रश्न 5.
वूलमार्क किसकी गुणवत्ता को प्रमाणित करता है ?
उत्तर:
ऊन एवं ऊनी वस्त्रों की।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कालाबाजारी किसे कहते हैं ? (2017)
उत्तर:
जब उत्पादक एवं व्यापारी आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी कर लेते हैं तो इन वस्तुओं का मूल्य बाजार में बढ़ जाता है। विवशतापूर्ण उपभोक्ताओं को इन्हीं ऊँचे मूल्यों पर वस्तुओं को खरीदना पड़ता है और यदि सरकार इन वस्तुओं की राशनिंग कर देती है तो यही वस्तुएँ काले बाजार में बिकने के लिए आ जाती हैं, इसे ही कालाबाजारी कहते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता शिक्षा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उपभोक्ता अपनी सीमित आय से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त कर सके और बाजार में व्याप्त बुराइयों से अपने आपको शोषण से बचा सके। उपभोक्ता शिक्षा से उन्हें ऐसा ज्ञान प्राप्त होगा जिससे उनमें वस्तुओं को गुण-दोषों के आधार पर परखने की क्षमता पैदा होगी और इस ज्ञान से वे उचित समय पर उचित वस्तुएँ क्रय कर सकेंगे।

प्रश्न 3.
सूचना का अधिकार क्या है ? (2015)
उत्तर:
भारत सरकार ने वर्ष 2005 को सूचना प्राप्त करने का अधिकार (राइट टू इनफॉरमेशन) के नाम से जाने जाना वाला कानून बनाया है। यह कानून सरकारी विभागों के कार्यकलापों की सभी सूचनाएँ पाने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षतिपूर्ति का अधिकार क्या है ? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
क्षतिपूर्ति का अधिकार- उपभोक्ता को अनुचित सौदेबाजी और शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार है। इसे एक उदाहरण के द्वारा सरलता से समझा जा सकता है। एक व्यक्ति केरल के एक निजी चिकित्सालय में टॉन्सिल निकलवाने के लिए भर्ती हुआ। एक ई. एन. टी. सर्जन ने सामान्य बेहोशी की दवा देकर टॉन्सिल निकालने के लिए ऑपरेशन किया। अनुचित बेहोशी के कारण व्यक्ति में दिमागी असामान्यता के लक्षण आ गए, जिसके कारण वह जीवनभर के लिए अपंग हो गया। उपभोक्ता निवारण समिति ने अस्पताल को चिकित्सा में लापरवाही का दोषी पाया और क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया। इस प्रकार स्पष्ट है कि यदि एक उपभोक्ता को कोई क्षति पहुँचाई जाती है तो उसे क्षति की मात्रा के आधार पर क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार होता है।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 19 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक उपभोक्ता शोषित होने से स्वयं का किस प्रकार बचाव कर सकता है ?
अथवा
उपभोक्ता के कर्त्तव्य लिखिए। (कोई दो) (2009, 14)
उत्तर:
शासन के प्रयासों के अतिरिक्त उपभोक्ता को स्वयं भी कुछ कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए। उपभोक्ताओं के निम्न कर्त्तव्य हैं –

  1. बिल, रसीद, गारण्टी कार्ड आदि लेना एवं उन्हें सुरक्षित रखना।
  2. वस्तु की पूर्ति के अनुसार ही उपभोग में वृद्धि या कमी करना।
  3. उपभोक्ता संरक्षक नियमों की जानकारी रखना।
  4. कालाबाजारी एवं तस्करी को हतोत्साहित करना।
  5. वास्तविक समस्या की शिकायत अवश्य करनी चाहिए चाहे वस्तु कितने ही कम मूल्य की क्यों न हो ? इससे विक्रेताओं के ठगने की प्रवृत्ति हतोत्साहित होती है।
  6. आई. एस. आई., एफ. पी. ओ., एगमार्क एवं वूलमार्क जैसे चिन्हों को देखकर वस्तुएँ खरीदना।