MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य के भेद

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य के भेद

1. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद-

अर्थ के आधार पर वाक्यों के निम्नलिखित आठ – भेद होते हैं –

  • विधानवाचक वाक्य – जिन वाक्यों से किसी क्रिया के करने या होने की – सामान्य सूचना मिलती है, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते हैं। किसी के अस्तित्व का बोध भी इस प्रकार के वाक्यों से होता है।

जैसे–
अशोक राजनगर में रहता है।

  • निषेधवाचक वाक्य – जिन वाक्यों से किसी कार्य के निषेध (न होने) का बोध होता हो, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। इन्हें नकारात्मक वाक्य भी कहते हैं।

जैसे–
मैं आज नहीं जाऊँगा।

  • प्रश्नवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में प्रश्न किया जाए अर्थात् किसी से कोई बात पूछी जाए, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।

MP Board Solutions

जैसे–
क्या तुम आज ही वापस जाओगे।

  • विस्मयादिवाचक वाक्य – जिन वाक्यों से आश्चर्य (विस्मय), हर्ष, शोक, घृणा आदि के भाव व्यक्त हों, उन्हें विस्मयादिवाचक वाक्य कहते हैं।

जैसे–
अरे! शुभम् तुम!

  • आज्ञावाचक वाक्य – जिन वाक्यों से आज्ञा या अनुमति देने का बोध हो, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं। जैसे तुम बाजार चले जाओ। इच्छावाचक वाक्य – वक्ता की इच्छा, आशा या आशीर्वाद को व्यक्त करने वाले वाक्य इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं।

जैसे–
मैं चाहता हूँ कि मैं भी कल तुम्हारे साथ ही घर चलूँ।

  • संदेहवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में कार्य के होने में संदेह अथवा संभावना का बोध हो, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।

जैसे–
शायद मैं देर से लौटूं।

  • संकेतवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में एक क्रिया के दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का बोध हो, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। इन्हें हेतुवाचक वाक्य भी कहते हैं। इनसे कारण, शर्त आदि का बोध होता है।

जैसे–
अगर तुम मेरे साथ रहोगे तो मुझे सुविधा होगी।

2. रचना के आधार पर वाक्य के भेद-

(a) साधारण वाक्य – जिन वाक्यों में एक मुख्य क्रिया हो, उन्हें साधारण वाक्य कहते हैं।

जैसे–

  • शुभम् उनसे मिलने राजनगर गया।
  • बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।
  • मोहन पुस्तकें खरीदकर घर से होता हुआ आपके पास पहुँचेगा।
  • इस गाँव के लोग कसरत के शौकीन हैं।
  • शिकारी ने वन में अपनी बन्दूक से एक बड़ा जंगली सुअर मारा।
  • लता मंगेशकर की बहन आशा भोंसले ने भी पार्श्वगायन में अपार ख्याति अर्जित की है।

ऊपर के सभी वाक्यों में मुख्य क्रिया एक ही है, जैसा कि वाक्यों से स्पष्ट है। आकार में छोटे – बड़े होते हुए भी रचना की दृष्टि से ये साधारण वाक्य हैं। इन्हें सरल वाक्य भी कहा जाता है।।

2. संयुक्त वाक्य – जहाँ दो या दो से अधिक उपवाक्य किसी समुच्चयबोधक (योजक) अव्यय शब्द से जुड़े होते हैं, वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।

जैसे–

  • उसने एक छोर से दूसरे छोर तक बाजार का चक्कर लगाया किन्तु उसे कपड़ों की कोई अच्छी दुकान दिखाई नहीं दी।
  • हमने सुबह से शाम तक बाजार की खाक छानी, किन्तु काम नहीं बना।
  • इधर अध्यापक पहुँचे और उधर छात्र एक – एक करके खिसकने लगे।

ऊपर लिखे उदाहरणों में शब्दों ‘किंतु’, ‘और’, ‘या’, ‘इसलिए’ अव्यय शब्दों से जुड़े हुए हैं। यदि इन योजक अव्यय शब्दों को हटा दिया जाए तो प्रत्येक में दो – दो स्वतन्त्र वाक्य बनते हैं। योजकों की सहायता से जुड़े हुए होने के कारण इन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं।

3. मिश्र वाक्य – जिन वाक्यों की रचना एक से अधिक ऐसे उपवाक्यों से हुई हो, जिनमें एक प्रधान तथा अन्य वाक्य गोण हों, उन्हें मिश्र वाक्य कहते हैं।

जैसे–

  • अशोक ने बताया कि कल उसकी छुट्टी रहेगी।
  • श्याम लाल, जो गाँधी गली में रहता है, मेरा मित्र है।
  • हिरण ही एक ऐसा वन्य पशु है, जो कुलाँचें भरता है।
  • यह वही भारत देश है, जिसे कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था।

ऊपरलिखित उदाहरणों में वाक्य के अंश गौण वाक्य हैं और दूसर अंश प्रधान वाक्य। अतः ये सभी मिश्र वाक्य के उदाहरण हैं।

वाक्य – परिवर्तन

  • अर्थ की दृष्टि से वाक्य में परिवर्तन।

आप पढ़ चुके हैं कि अर्थ की दृष्टि से वाक्य आठ प्रकार के होते हैं। इनमें से विधानवाचक वाक्य को मूल आधार माना जाता है। अन्य वाक्य भेदों में विधानवाचक वाक्य का मूलभाव ही विभिन्न रूपों में परिलक्षित होता है। किसी भी विधानवाचक वाक्य को सभी प्रकार के भावार्थों में प्रयुक्त किया जा सा है।

जैसे–

  1. विधानवाचक वाक्य – अशोक राजनगर में रहता है।
  2. विस्मयादिवाचक वाक्य – अरे! अशोक राजनगर में रहता है।
  3. प्रश्नवाचक वाक्य – क्या अशोक राजनगर में रहता है।
  4. निषेधवाचक वाक्य – अशोक राजनगर में नहीं रहता है।
  5. संदेहवाचक वाक्य – शायद अशोक राजनगर में रहता है।
  6. आज्ञावाचक वाक्य – अशोक तुम राजनगर में रहता है।
  7. इच्छावाचक वाक्य – काश, अशोक राजनगर में रहता।
  8. संकेतवाचक वाक्य – यदि अशोक राजनगर में रह सका है।

MP Board Solutions

कुछ अन्य उदाहरण
विधानवाचक अज्ञार्थक सार्थक में परिवर्तन के कुछ उदाहरण
पालक
विधानवाचक – शीला रोज पढ़ने आती है।
अज्ञार्थक – शीला’ तम रोज पढ़ने आया करो।

2. विधानवाचक – रमेश तो खेलने से रोका जाता है।
आज्ञार्थक – रमेश को खेलने से रोको।

विधानवाचक से प्रश्नवाचक और निषेधवाचक में परिवर्तन
1. विधानवाचक – वह जी खोलकर दान देता है।
प्रश्नवाचक – क्या वह जी खोलकर दान देता है?
निषेधवाचक – वह जी खोलकर दान नहीं देता।

2. विधानवाचक – पुलिस को देखते ही चोर भाग गए।
प्रश्नवाचक – क्या पुलिस को देखते ही चोर भाग गए?
निषेधवाचक – पुलिस को देखते ही चोर नहीं भागे।

3. विधानवाचक – राम स्कूल जाएगा।
प्रश्नवाचक – क्या राम स्कूल जाएगा?
निषेधवाचक – राम स्कूल नहीं जाएगा।

विधानवाचक से विस्मयादिवाचक में परिवर्तन
1. विधानवाचक – तुम आ गए हो!
2. विस्मयवाचक – अरे, तुम आ गए हो!

इच्छावाचक वाक्य से प्रश्नवाचक और निषेधवाचक वाक्य
1. इच्छवाचक – संसार में सब सुखी हो जाएँ।
2. प्रश्नवाचक – क्या संसार में सब सुखी हो जाएँ?
3. निषेधवाचक – संसार में सभी सुखी न हों।

विस्मयवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक और निषेधवाचक वाक्य
1. विस्मयवाचक – वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।
2. प्रश्नवाचक – तुमने कौन – सा कमाल कर दिया?
3. निषेधवाचक – तुमने कोई कमाल नहीं किया।

प्रश्नवाचक से विस्मयवाचक और निषेधवाचक में परिवर्तन
1. प्रश्नवाचक – क्या वह इतना मूर्ख है?
2. विस्मयवाचक – बाप रे, वह तो बड़ा मूर्ख है!
3. निषेधवाचक – वह इतना मूर्ख नहीं है।

निषेधवाचक तथा प्रश्नवाचक से विधानवाचक में परिवर्तन
1. प्रश्नवाचक – गाँधीजी का नाम किसने नहीं सुना?
2. विधानवाचक – गाँधीजी का नाम सबने सुना है।
3. निषेधवाचक – उसने कोई उपाय नहीं छोड़ा।
4. विधानवाचक – उसने सब उपाय छोड़ दिए।

साधारण वाक्यों का संयुक्त वाक्य में परिवर्तन-

संयुक्त वाक्य में एक से अधिक साधारण वाक्य विभिन्न योजकों द्वारा जुड़े रहते हैं। अतः दो बाक्यों को संयुक्त बनाते समय उन्हें किसी योजक से जोड़ देना चाहिए।

उदाहरणतया –
रात हुई।
तारे निकले।

संयुक्त वाक्य – रात हुई और तारे निकले।

यदि वाक्य दो से अधिक हों तो पहले उन्हें दो साधारण वाक्यों में बदल लेना चाहिए फिर किसी योजक से जोड़ देना चाहिए। यथा –
(क) दिन हुआ।
(ख) सूरज निकला।
(ग) ठण्ड नहीं रुकी।

संयुक्त वाक्य – दिन होने पर सूरज निकला परन्तु ठण्ड न रुकी।

अनेक साधारण वाक्यों का मिश्र वाक्य में परिवर्तन
→ मिश्र वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एकाधिक आश्रित उच्चाक्य होते हैं। इसलिए पहले साधारण वाक्यों में से किसी एक उपवाक्य को प्रधान उपवाक्य के रूप में प्रयुक्त करना चाहिए तथा शेष उपवाक्यों को संज्ञा उपवाक्य, क्रिया – विशेषण उपवाक्य, विशेषण उपवाक्य आदि बनाकर योजकों की सहायता से यथास्थान प्रयुक्त करना चाहिए।

यथा –
(क) वह राजा प्रतापी था।
(ख) अब वह सत्तालोलुप हो गया है।
मिश्र वाक्य – वह राजा, जो प्रतापी था, अब सत्तालोलुप हो गया है।

उदाहरण
1. साधारण वाक्य से संयुक्त वाक्य

साधारण वाक्य – सयुक्त वाक्य
1. बालक रो – रोकर चुप हो गया। – 1. बालक रोता रहा और चुप हो गया।
2. मुझसे मिलने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। – 2. मुझसे मिल लेना परन्तु प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
3. कठोर बनकर भी. सहृदय बनो। – 3. कठोर बनो परन्तु सहृदय रहो।
4. सूर्योदय होने पर पक्षी बोलने लगे। – 4. सूर्योदय हुआ और पक्षी बोलने लगे।
5. वह फल खरीदने के लिए बाजार गया। – 5. उसे फल खरीदने थे, इसलिए वह बाजार गया।

2. साधारण वाक्य से मिश्र वाक्य।

साधारण वाक्य – सयुक्त वाक्य
1. स्वावलंबी व्यक्ति सदा सुखी रहते हैं। – 1. जो व्यक्ति स्वावलंबी होते हैं, वे सदा सुखी रहते हैं।
2. धनी व्यक्ति हर चीज़ खरीद सकता – 2. जो व्यक्ति धनी है, वह हर चीज खरीद सकता है।
3. वह जूते खरीदने के लिए बाजार गया। – 3. क्योंकि उसे जूते खरीदने थे, इसलिए बाजार गया।
4. दंड क्षमा कराने के लिए प्रार्थना – पत्र लिखो। – 4. एक ऐसा पत्र लिखो, जिसमें दंड क्षमा कराने के लिए प्रार्थना हो।
5. तुम वहाँ चले जाओ, जहाँ गाड़ी रुकती है। – 5. तुम वहाँ चले जाओ, जहाँ गाड़ी रुकती है।

3. संयुक्त वाक्य से साधारण वाक्य
संयुक्त वाक्य – साधारण वाक्य
1. तुम बाहर गए और वह सो गया। – 1. तुम्हारे बाहर जाते ही वह सो गया।
2. यदि वह झूठ न बोलता, तो दंड न पाता। – 2. झूठ न बोलने पर वह दंड न पाता।
3. माँ ने मारा, तो बालक रूठ गया। – 3. माँ के मारने पर बालक रूठ गया।
4. शशि गा रही है और नाच रही है। – 4. शशि गा और नाच रही है।
5. मजदूर परिश्रम करता है लेकिन उसका लाभ उसे नहीं मिलता। – 5. मजदूर को अपनी मेहनत का लाभ नहीं मिलता।

4. मिश्र वाक्य से साधारण वाक्य
मिश्र वाक्य – साधारण वाक्य
1. सुषमा इसलिए स्कूल नहीं गई क्योंकि वह बीमार है। – 1. सुषमा बीमार है इसलिए स्कूल नहीं गई।
2. यदि आप उससे मिलना चाहते हैं तो द्वार पर प्रतीक्षा करें। – 2. आप उससे मिलना चाहते हैं इसलिए द्वार पर प्रतीक्षा करें।
3. मेरे पिताजी वे हैं जो पलंग पर लेटे हैं। – 3. मेरे पिताजी वे हैं जो पलंग पर लेटे हैं।
4. जो विद्यार्थी परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। – 4. जो विद्यार्थी परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है।
5. संगम उस स्थान को कहते हैं, जहाँ दो नदियाँ आकर मिलती हैं। – 5. संगम उस स्थान को कहते हैं, जहाँ दो नदियाँ आकर मिलती हैं।

MP Board Solutions

5. संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य
संयुक्त वाक्य – मिश्र वाक्य
1. नीरजा ने कहानी सुनाई और नमिता रो पड़ी। – 1. नीरजा ने ऐसी कहानी सुनाई कि नमिता रो पड़ी।
2. तुम महान हो क्योंकि सच बोलते हो। – 2. तुम इसलिए महान हो क्योंकि सच बोलते हो।
3. आपने कठिन परिश्रम किया और उत्तीर्ण हो गए। – 3. आप इसलिए उत्तीर्ण हो गए क्योंकि आपने कठिन परिश्रम किया।
4. मेरे पाठ्यक्रम में गोदान उपन्यास है, जिसके लेखक मुंशी प्रेमचन्द हैं। – 4. मेरे पाठ्यक्रम में गोदान नामक वह उपन्यास है जिसे प्रेमचन्द ने लिखा है।
5. वह बुद्धिमान है इसलिए उसे सोच – समझकर काम करना चाहिए। – 5. क्योंकि वह बुद्धिमान है, इसलिए उसे सोच – समझकर काम करना चाहिए।

MP Board Class 12th Hindi Solutions

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन

भावों की अभिव्यक्ति प्रायः दो प्रकार से होती है, एक-वाणी के द्वारा हम अपने विचारों को बोलकर प्रकट करते हैं तथा दूसरे-लेखनी द्वारा हम अपनी भावनाओं को लिपिबद्ध करते हैं। भावों को लिपिबद्ध करने के लिए आवश्यक है कि भाषा पर हमारा पूर्ण अधिकार हो अन्यथा अस्पष्ट, अशुद्ध भाषा के माध्यम से भावों का अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाता।

भाषा को परिमार्जित, सशक्त और आकर्षक बनाने के लिए यह आवश्यक है कि हम प्रत्येक शब्द की आत्मा को समझें और उस पर अधिकार कर अपनी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बना लें। मनुष्य मन के भावों को व्यक्त करने के लिए वाक्यों में शब्दों का उपयुक्त और क्रमबद्ध प्रयोग अत्यधिक आवश्यक है। उचित और अनुरूप शब्दों का चयन तथा उनका व्यवस्थित नियोजन सही और सुन्दर वाक्य रचना के मुख्य उपकरण हैं।

MP Board Solutions

संक्षेप में शुद्ध लेखन से आशय ऐसे लेखन से है जिसमें सार्थक और उपयुक्त शब्दावली का उपयोग हो। अलंकार, मुहावरों-लोकोक्तियों का विषय के अनुरूप उचित . प्रयोग हो। भाषा अस्वाभाविकता से दूषित न हो। वर्तनी व्याकरण के नियमों के अनुकूल हो और अभिव्यक्ति अपने आप में पूर्ण हो।

वाक्य अशुद्धि

1. क्रम दोष-वाक्य में प्रत्येक शब्द व्याकरण के नियम के अनुसार सही क्रम में होना चाहिए। कर्ता, क्रिया और कर्म को उपयुक्त स्थान पर रखना अत्यन्त आवश्यक है। मिश्र वाक्य में प्रधान वाक्य तथा उसके अन्य उपवाक्यों को ठीक क्रम में न रखने पर वाक्य अशुद्ध हो जाता है,
जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-1

2. पुनरुक्ति दोष-एक ही वाक्य में एक शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग अथवा पर्यायवाची शब्द का प्रयोग भी दोषपूर्ण हो जाता है। यह आडम्बर की रुचि दर्शाता है,
जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-2

3. संज्ञा संबंधी दोष-अपने कथन को प्रभावशाली बनाने के लिए हम संज्ञा को प्रयुक्त करते समय उसके सही अर्थ से अनभिज्ञ होकर उसका अशुद्ध प्रयोग करते जाते हैं। ऐसे प्रयोग के द्वारा हमारे कथन का सही अर्थ भी स्पष्ट नहीं होता तथा भाषा दोषपूर्ण हो जाती है, जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-3

MP Board Solutions

4. लिंग सम्बन्धी दोष-लिंग के प्रयोग में भी सामान्य रूप से अशुद्धि देखने को मिलती हैं, जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-4

5. वचन सम्बन्धी अशुद्धियाँ-वचन के प्रयोग में असावधानी बरतने के कारण भी वाक्य में अशुद्धि आ जाती है; जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-5
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-6

6. सर्वनाम सम्बन्धी अशुद्धियाँ-वाक्य रचना में सर्वनाम सम्बन्धी अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं। सर्वनाम का यथास्थान प्रयोग न करना, सर्वनाम का अधिक प्रयोग करना या गलत सर्वनामों का प्रयोग करना प्रायः देखा गया है; जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-7

7. विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ-वाक्यों में विशेषण सम्बन्धी अनेक अशुद्धियाँ देखने में आती हैं। विशेषणों के अनावश्यक अनुपयुक्त तथा अनियमित प्रयोग से वाक्य भद्दा व प्रभावहीन हो जाता है; जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-8

8. क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियाँ-क्रियाओं सम्बन्धी अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं। जैसे क्रियापदों का अनावश्यक प्रयोग, आवश्यकता के समय प्रयोग न करना, अनुपयुक्त क्रियापद का प्रयोग, सहायक क्रिया में अशुद्धि तथा क्रियाओं में असंगति के कारण ये अशुद्धियाँ होती हैं।
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-9

MP Board Solutions

9. क्रिया-विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ-क्रिया-विशेषण सम्बन्धी अनेक अशुद्धियाँ। उनके अशुद्ध, अनुपयुक्त और अनियमित प्रयोग से दिखाई देती हैं, जैसे
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-10

10. कारकीय परसों की अशुद्धियाँ-शुद्ध रचना के लिए कारकीय परसर्गों का समुचित प्रयोग करना आवश्यक है। सामान्य रूप से ‘ने’, ‘को’, ‘से’, ‘के ‘द्वारा’, ‘में’, ‘पर’, ‘का’, ‘की’, ‘के लिए’ आदि परसर्गों का गलत प्रयोग करने से वाक्य में अशुद्धि आती है। जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-11
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-12

11. मुहावरे सम्बन्धी अशुद्धियाँ-मुहावरे हमारी भाषा को सुन्दर, समृद्ध व प्रभावशाली बनाते हैं। इनका प्रयोग करते समय यह विशेष ध्यान रखना होता है कि इनका रूप विकृत और हास्यास्पद न हो। जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-13

MP Board Class 12th Hindi Solutions

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 12 उपभोक्ता संरक्षण

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 12 उपभोक्ता संरक्षण

उपभोक्ता संरक्षण Important Questions

उपभोक्ता संरक्षण लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शिकायत कौन दायर कर सकता है ?
उत्तर:
निम्नलिखित शिकायत दायर कर सकते हैं –

  1. एक उपभोक्ता
  2. मान्यता प्राप्त उपभोक्ता संघ
  3. एक या अधिक उपभोक्ता (जहाँ अनेक उपभोक्ताओं का समान हित है।)
  4. केन्द्रीय सर
  5. राज्य सरकार

प्रश्न 2.
उपभोक्ताओं के अधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ताओं के अधिकार –

  1. सुरक्षा का अधिकार
  2. सूचना प्राप्त करने का अधिकार
  3. सुनवाई का अधिकार
  4. प्रतियोगी मूल्य पर माल प्राप्त करने का अधिकार
  5. क्षतिपूर्ति या उपचार का अधिकार
  6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
  7. उचित प्रतिफल का अधिकार
  8. स्वच्छ वातावरण का अधिकार
  9. हानिकारक बिक्री को रुकवाने का
  10. अपना पक्ष रखने का अधिकार।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
उपभोक्ता संरक्षण का महत्व बताइये।
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण का महत्व निम्न हैं –

  1. उपभोक्ताओं के सामाजिक जीवन में वृद्धि करने के लिए
  2. उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने के लिए
  3. सामाजिक दायित्व के प्रति जागरूकता लाने के लिए
  4. परिवेदनाओं, शिकायतों का शीघ्र समाधान करने के लिए।

प्रश्न 4.
भारत में उपभोक्ता संरक्षण के साधनों व तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता संरक्षण के साधन व तरीके निम्न हैं –

  1. लोक अदालत – उपभोक्ता अपनी शिकायतों के समाधान हेतु लोक अदालत की शरण ले सकता है जिसमें तुरन्त बहस करके फैसले दिए जाते हैं।
  2. शिकायत निवारण मंच – शिकायत निवारण मंच के अंतर्गत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में त्रिस्तरीय न्याय व्यवस्था सन् 1986 में स्थापित की जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम, राज्य फोरम, राष्ट्रीय फोरम की स्थापना की गई।
  3. जनहित में मुकदमा – इसमें निर्धन, अल्पसंख्यक या सामूहिक हित रखने वाले व्यक्तियों अथवा उपभोक्ताओं की ओर से जनहित में सामूहिक मुकदमा भी दायर किया जा सकता है।
  4. मुद्रित साहित्य में उपभोक्ता संरक्षण की दशा में भारत सरकार विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता साहित्य प्रकाशित करती है। जैसे-उपभोक्ता जागरण, उपभोक्ता के अधिकार आदि।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता संरक्षण अथवा गैर सरकारी संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका (महत्व) पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण हेतु गैर सरकारी संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका जिसे निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. उपभोक्ता जागरुकता व उपभोक्ता शिक्षा अभियान चलाना।
  2. मिलावट व जमाखोरी के विरुद्ध आवाज उठाना।

प्रश्न 6.
उपभोक्ता संरक्षण के कई तरीके एवं साधन हैं। कोई ऐसे पाँच तरीके लिखें तथा एक उपाय को समझायें।
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण के कई तरीके हैं। उनमें से पाँच निम्नलिखित हैं –

  1. व्यवसाय द्वारा स्वयं नियमन
  2. व्यावसायिक संगठन
  3. उपभोक्ता जागरुकता
  4. उपभोक्ता संगठन
  5. सरकार

व्यवसाय द्वारा स्वयं नियमन (Self regulation by business) – विकसित व्यावसायिक इकाइयाँ अब यह समझती है कि उपभोक्ता को भली-भाँति सेवा प्रदान करना उनके अपने दीर्घकालीन हित में है। अतः उन्होंने ग्राहकों की भली – भाँति सेवा करने और उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए अपने स्वयं की उपभोक्ता सेवायें एवं शिकायत कक्षों की स्थापना की है।

MP Board Solutions

प्रश्न 7.
आप कैसे कह सकते हैं कि उपभोक्ता संरक्षण का क्षेत्र विस्तृत है ?
अथवा
उपभोक्ता संरक्षण का क्षेत्र विस्तृत है। टिप्पणी करें।
उत्तर:
विस्तृत क्षेत्र (Wide scope)- उपभोक्ता संरक्षण का क्षेत्र विस्तृत है। निम्नलिखित तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं –

  1. यह उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों तथा दायित्वों की जानकारी देता है।
  2. यह उपभोक्ताओं को अपनी शिकायतों को दूर करवाने में सहायता करता है।
  3. उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिये यह न्यायिक तंत्र की व्यवस्था करता है।
  4. यह उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों को संरक्षित करने तथा उन्हें बढ़ाने के लिये संगठित होने तथा अपने संगठन बनाने के लिये प्रेरित करता है।
  5. यह सभी वस्तुओं तथा सेवाओं पर लागू होता है।
  6. इसमें सभी संस्थायें (निजी, सार्वजनिक, सहकारी) सम्मिलित होती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
उपभोक्ता का अधिकार से क्या आशय है ?
उत्तर:
भारत की तुलना में अमेरिका का उपभोक्ता काफी जागरूक व सावधान रहता है क्योंकि भारत की तुलना में वह अधिक शिक्षित राष्ट्र है। वहाँ के उपभोक्ताओं को भारत की तुलना में अधिक व्यापक अधिकार प्राप्त हैं तथा शिकायत करने पर उपचार अतिशीघ्र प्राप्त हो जाता है। अमेरिका में उपभोक्ताओं के अधिकारों पर सर्वाधिक ध्यान वहाँ के भूतपूर्व राष्ट्रपति कैनेडी ने दिया। उन्होंने सर्वप्रथम निम्न चार अधिकारों का पुरजोर समर्थन किया

  1. सुरक्षा का अधिकार
  2. चुनाव का अधिकार
  3. जानने का अधिकार
  4. सुनवाई का अधिकार

कुछ समय पश्चात् ‘मूल्य का अधिकार’ भी वहाँ के अधिनियम में जोड़ दिया गया। उपभोक्ताओं के संरक्षण के संबंध में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘उपभोक्ता संघों का अन्तर्राष्ट्रीय संगठन’ (International organization of consumer union) गठित किया जा चुका है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उपर्युक्त पाँच अधिकारों के साथसाथ निम्न तीन अधिकार और जोड़े गये हैं –

  1. उपचार का अधिकार
  2. शिक्षा का अधिकार
  3. स्वस्थ (स्वच्छ) वातावरण का अधिकार।
  4. उपभोक्ता के संरक्षण हेतु आवश्यक होने पर मुकदमा दायर करना।
  5. विभिन्न व्यावसायिक व उपभोक्ताओं से संबंधित सूचनाओं व आँकड़ों का संकलन करना तथा इन सूचनाओं के प्रयोग द्वारा उपभोक्ता संरक्षण का प्रयास करना।
  6. सरकार को उपभोक्ता संरक्षण संबंधी कार्यों में सहयोग प्रदान करना।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता संरक्षण के तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सन् 1986 में उपभोक्ताओं के विवादों के समाधान के लिए त्रिस्तरीय अर्द्ध-न्यायिक तंत्र (Threetier quasi-Judicial Machinery) की स्थापना की गई है जो निम्नानुसार है –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 12 उपभोक्ता संरक्षण IMAGE - 1
प्रश्न 10.
उपभोक्ता संरक्षण के कई उपायों में से एक उपाय उपभोक्ता जागरुकता (Consumer awareness) है। उपभोक्ता जागरुकता का क्या अर्थ है ? उपभोक्ता जागरुकता के लाभ लिखिए।
उत्तर:
उपभोक्ता जागरुकता (Consumer awareness)- उपभोक्ता जागरुकता से अभिप्राय उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों, दायित्वों तथा उनको उपलब्ध उपचारों के बारे में पूरी जानकारी होना है।
उपभोक्ता जागरुकता केलाभ (Advantages of consumer awarness) –

  1. एक जागरुक उपभोक्ता किसी भी अनुचित व्यापार या बेईमान उत्पादकों और व्यापारियों की दोषपूर्ण कार्यवाहियों के विरुद्ध आवाज उठा सकता है।
  2. अपनी जिम्मेदारियों की समझ से उपभोक्ता अपने हितों की रक्षा कर सकता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 11.
उपभोक्ता तथा व्यापारी उपभोक्ताओं का कई तरीके से शोषण करते हैं। शोषण के ऐसे कोई पाँच तरीके लिखिए।
उत्तर:
शोषण के पाँच तरीके निम्न हैं –

  1. उपभोक्ताओं द्वारा घटिया किस्म या नकली उत्पादों को बेचना।
  2. वस्तुओं का वजन उसके पैकेज पर छपी मात्रा से कम होना।
  3. मिलावटी वस्तुएं बेचना।
  4. वस्तुओं के बारे में मिथ्यापूर्ण विज्ञापन देना।
  5. नकली माल बेचना।

प्रश्न 12.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत शिकायत के आधारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
शिकायत के आधार (Grounds for complaints) –

  1. अनुचित/प्रतिबंधित व्यापार व्यवहार
  2. अनुचित व्यापार व्यवहार
  3. दोषयुक्त वस्तुएँ
  4. सेवाओं में न्यूनता
  5. अधिक कीमत लेना
  6. जोखिमपूर्ण वस्तुओं की पूति।

प्रश्न 13.
जिला फोरस की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
जिला फोरम (District forum) – उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार राज्य सरकार प्रत्येक जिले में एक या अधिक जिला फोरम स्थापित कर सकती है। इसकी विशेषताएँ निम्न हैं

  1. इसमें एक अध्यक्ष सहित तीन सदस्य होते हैं जिनमें से एक महिला सदस्य का होना अनिवार्य है। इनकी नियुक्ति राज्य सरकार करती है।
  2. जिला फोरम में 20 लाख रुपये से कम मूल्य के विवादों से संबंधित शिकायतों का समाधान किया जाता है।
  3. शिकायत उपभोक्ता अथवा किसी उपभोक्ता संघ द्वारा की जा सकती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 14.
उपभोक्ता शिकायत कहाँ दर्ज कराई जा सकती है ?
अथवा उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण करने वाली न्यायिक प्रणाली के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
भारत में उपभोक्ताओं की शिकायतों को दूर करने की त्रि-स्तरीय न्यायिक प्रणाली स्थापित की गई है।

1.जिला फोरम (District forum)- जिला फोरम में उन शिकायतों को दर्ज कराया जा सकता है जहाँ वस्तुओं या सेवाओं का मूल्य और क्षति के लिए दावे की राशि बीस लाख रुपये तक हो।

2. राज्य आयोग (State commission)- इस आयोग में केवल वही शिकायतें दर्ज कराई जा सकती है जहाँ वस्तुओं या सेवाओं का मूल्य और क्षतिपूर्ति के लिए दावे की राशि बीस लाख से अधिक किंतु एक करोड़ से कम हो। जिला फोरम के विरुद्ध भी अपील की जा सकती है।

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण भाव पल्लवन

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण भाव पल्लवन

विचारों को अभिव्यक्त करने का माध्यम भाषा है। भाषा और अभिव्यंजना पक्ष पर असाधारण अधिकार रखने वाले व्यक्ति अपने भावों और विचारों को परिष्कृत, सुगठित प्रौढ़ भाषा में संक्षेप में अभिव्यक्त करते हैं। उनके संक्षिप्त कथन में विस्तृत विचारों और गंभीर भावों की अभिव्यक्ति निहित रहती है। उनमें भावों और विचारों की गहराई सूत्र रूप में पिरोई होती है। ये विचार-सूत्र समाज में उक्ति अथवा सूक्ति के रूप में प्रचलित हो जाते हैं। इनमें गागर में सागर भरा होता है। सामान्य जनों को इस प्रकार के गुंथे हुए सूत्रवत एक या एक से अधिक वाक्यों के भाव और विचार स्पष्ट नहीं होते हैं। अब समझने के लिए विचार-सूत्रों के वाक्य अथवा वाक्यों का अर्थ-विस्तार या भाव-विस्तार किया जाता है।

MP Board Solutions

किसी सुगठित एवं गुम्फित विचार अथवा भाव के विस्तार को पल्लवन कहते हैं।
किसी एक वाक्य या एक से अधिक वाक्यों का पल्लवन करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

  1. मूल वाक्य या अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए।
  2. वाक्य या अवतरण में कोई लोकोक्ति, मुहावरे, अलंकार, रस आदि हो सकते हैं, उन पर ध्यान दीजिए।
  3. पल्लवन काव्य पंक्ति अथवा गद्य पंक्ति किसी का भी किया जा सकता है। उसके केंद्रीय भाव या विचार को समझने का प्रयास कीजिए।
  4. भाव या विस्तार करते समय कथन की पुष्टि हेतु कुछ उदाहरण या तथ्य भी दिए जा सकते हैं।
  5. वाक्य छोटे-छोटे हों और भाषा सरल, स्पष्ट और व्यावहारिक हो।
  6. लेखक या कवि के मूल भाव का ही विस्तार करना उचित है। उसकी आलोचना नहीं करना चाहिए।
  7. पल्लवन हर स्थिति में अन्य पुरुष में कीजिए।
  8. अनावश्यक विस्तार से बचें।
  9. विरामचिह्नों पर ध्यान दें।
  10. पल्लवन हेतु शब्द-चयन सार्थक और प्रभावी है।
  11. पुनरावृत्ति से बचना चाहिए।

उदाहरण
कर्ता से बढ़कर कर्म का स्मारक दूसरा नहीं।

पल्लवन-किसी कर्म का सबसे बड़ा स्मारक उस कर्म को करने वाला अर्थात कर्ता होता है। जब हम किसी कर्म की प्रशंसा करते हैं तो हमारी दृष्टि उस कार्य के कर्ता की ओर जाती है। कर्म को कर्ता से पृथक् करके नहीं देखा जा सकता। जब हमें उसी प्रकार के कार्य करने का सुअवसर प्राप्त होता है तो मार्ग-दर्शन के लिए उसके कर्ता की ओर ध्यान चला जाता है। वह कर्ता हमारा आदर्श बन जाता है। कर्मों द्वारा ही समाज में कर्ता की स्थिति सुदृढ़ और आकर्षक बनती है। भारतीय संस्कृति की पताका विदेशों में फैलाने की चर्चा होती है तो स्वतः ही हमारा ध्यान स्वामी विवेकानंद की ओर आकर्षित हो जाता है। अतः कर्म का स्मारक कर्ता के अतिरिक्त कोई दूसरा नहीं हो सकता है।

अन्य उदाहरण

1. महत्त्वाकांक्षा मनुष्य का असाध्य रोग है।
2. प्रेम में घनत्व अधिक है तो श्रद्धा में विस्तार।
3. आचरण सज्जनता की कसौटी है।
4. सद्भावना टूटे हृदय को जोड़ती है।
5. कर्ता से बढ़कर कर्म का स्मारक दूसरा नहीं।
6. मनुष्य जितना देता है, उतना ही पाता है। प्राण देने से प्राण मिलता है और मन देने से मन मिलता है।
7. आशा उस घास की भाँति है जो ग्रीष्म में ताप से जल जाती है।
8. सत्ता की भूख ज्ञान की वर्तिका को बुझा देती है।
9. लोभ सामान्योन्मुख होता है और प्रेम विशेषोन्मुख।
10. नियम जीवन-वाटिका की रक्षा-परिधि है।
11. बंधन सर्वत्र होते हैं किन्तु जो मनुष्य उन्हें शक्ति मानकर चलता है वही सबल होता है।
12. प्रसिद्धि मनुष्य की शांति की सबसे बड़ी शत्रु है जो उसके हृदय की कोमलता का हनन करती है।
13. विदेशी भाषा का विद्यार्थी होना बुरा नहीं, पर अपनी भाषा सर्वोपरि है।
14. उपकार शील का दर्पण है।
15. प्रेम में घनत्व अधिक है तो श्रद्धा में विस्तार।
16. दुःख की पिछली रजनी बीच, विकसता सुख का नवल प्रभात।
17. दुःख की छाया एक तरह की तपस्या ही है, उससे आत्मा शुद्ध होती है।
18. मंदिर एक उपासना स्थल है, जहाँ मनुष्य अपने आपको ढूँढ़ता है।
19. विश्वासपात्र मित्र जीवन की औषधि है।
20. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।

MP Board Solutions
21. जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ।
22. होनहार बिरवान के होत चीकने पात।
23. हिंसा बुरी चीज है, पर दासता उससे भी बुरी है।
24. तेते पाँव पसारिए जेती लांबी सौर।
25. लीक-लीक गाड़ी चले, लीकहिं चले कपूत।
लीक छाँड़ि तीनों चलें, शायर, सिंह, सपूत॥
26. जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि।
27. कायर भाग्य की और वीर पुरुषार्थ की बात करते हैं।
28. भाग्यवाद आवरण पाप का और शस्त्र शोषण का।
29. लघुता से प्रभुता मिले प्रभुता से प्रभु दूर।
30. जीवन का नियम स्पर्धा नहीं, सहयोग है।
31. आँखों में हो स्वर्ग लेकिन पाँव पृथ्वी पर टिके हों।
32. महत्त्वाकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में पलता है।
33. भविष्य वर्तमान के द्वारा खरीदा जाता है।
34. जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।
35. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
36. निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।
37. हम नदी के द्वीप हैं, धारा नहीं हैं।
हम बहते नहीं, क्योंकि बहना रेत होना है।
38. आनंद के झरने का उद्गम अपने भीतर है, बाहर नहीं।
39. आलस्य जीवित व्यक्ति का कफन है।
40. वाणी का भूषण ही भूषण है।
41. चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग।
42. खोजी मनुष्य के लिए समुद्र सूख जाता है, पहाड़ झुक जाता है।
43. धर्म और जाति का भेद संकीर्ण विचारों के स्वार्थ की उपज है।
44. धर्म का भूषण वैराग्य है, वैभव नहीं।
45. राष्ट्रभाषा के अभाव से पराधीनता की याद ताजा बनी रहती है।
46. भाषा विचार की पोशाक है।
47. यह सत्य ही है, देवता उसी की सहायता करते हैं, जो परिश्रम करता है।

MP Board Solutions
48. युद्ध असभ्य लोगों का व्यापार है।
49. जीवन अमरता का शैशवकाल है।

MP Board Class 12th Hindi Solutions

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध

विपणन प्रबंध Important Questions

विपणन प्रबंध लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विपणन क्या है ? वस्तु एवं सेवाओं की विनिमय प्रक्रिया में इसके क्या कार्य हैं ? समझाइए।
उत्तर:
विपणन का अर्थ-विपणन के अंतर्गत वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन से पूर्व की क्रियाओं से लेकर उनके विक्रय के बाद तक की क्रियाएँ शामिल की जाती हैं। इस प्रकार विपणन में वे सभी कार्य सम्मिलित किये जाते हैं। जिनके द्वारा मानवीय आवश्यकताओं को ज्ञात किया जाता है तथा उनकी संतुष्टि के लिए वस्तुओं का नियोजन, मूल्य निर्धारण, संवर्द्धन एवं वितरण किया जाता है।
परिभाषाएँ-

  1. प्रो.पॉल मजूर के अनुसार-“समाज को जीवन-स्तर प्रदान करना ही विपणन है।’
  2. प्रो. मैकनियर के अनुसार-“जीवन स्तर का सृजन करना एवं उसकी पूर्ति करना ही विपणन है ।’

विपणन का मुख्य केन्द्र वस्तुओं व सेवाओं के विनिमय पर होता है । फिलिप कोटलर ने विपणन प्रबंध को इस प्रकार परिभाषित किया है “लक्षित बाजारों का चुनाव करने और प्राप्त करने, प्रबंध के विशिष्ट ग्राहक मूल्यों के संप्रेषण और सुपुर्दगी के सृजन द्वारा ग्राहकों को बनाने और वृद्धि करने की कला और विज्ञान” यदि हम इस परिभाषा को तोड़ते हैं तो हम कह सकते हैं कि विपणन प्रबंध में निम्नलिखित क्रियाएँ शामिल होती हैं

1. विशिष्ट मूल्य का सृजन करना-विपणन प्रबंध प्रक्रिया का अगला चरण प्रतिस्पर्धी के उत्पादों की बजाय अपने उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए उत्पादों में कुछ विशिष्ट मूल्य का सृजन करना होता है।

2. एक लक्षित बाजार का चुनाव करना-विपणन प्रबंध की क्रियाएँ लक्षित बाजार को निश्चित करने द्वारा आरंभ होती है, उदाहरण के लिए औषधि निर्माता के लिए लक्षित बाजार, चिकित्सालय, डॉक्टर, दवाई की दुकानें इत्यादि।

3. लक्षित बाजार में ग्राहकों की वृद्धि करना-एक लक्षित बाजार के चुनाव करने के बाद विपणन प्रक्रिया में अगला चरण ग्राहकों की आवश्यकताओं, इच्छाओं और माँग का विश्लेषण करके ग्राहकों की संख्या में वृद्धि करने के लिए कदम उठाना और ग्राहकों की संतुष्टि को महत्व देना होता है।

प्रश्न 2.
विपणन की उत्पाद अवधारणा एवं उत्पादन अवधारणा में अंतर बताइए।
उत्तर:
विपणन की उत्पाद अवधारणा एवं उत्पादन अवधारणा में निम्न अंतर हैं

1. उत्पादन अवधारणा (Production concept) – विपणन की यह एक पुरानी अवधारणा है। यह अवधारणा उस समय प्रचलित थी जब माल का उत्पादन कम होता था और बाजार की स्थिति विक्रेता प्रधान होती थी। माँग अधिक व पूर्ति कम होने से विक्रय की कोई समस्या नहीं थी। उत्पादक यह सोचता था कि जिस माल का वह उत्पादन करेगा वह स्वतः ही बिक जायेगा। फलतः उत्पादक विक्रय के लिये कोई प्रयास नहीं करता था। आज भी तीसरे विश्व (Third World) के कुछ अविकसित राष्ट्रों में जहाँ उत्पादन कम होता है यही विचारधारा प्रचलित है।

2. उत्पाद (वस्तु) अवधारणा (Product concept) – यह विचारधारा वस्तु की किस्म, गुण, डिजाइन आदि पर बल देती है। इस धारणा का मानना है कि ग्राहक केवल वस्तु की किस्म, गुण, डिजाइन व आकर्षकता पर जोर देता है तथा ग्राहक सदैव श्रेष्ठ माल चाहते हैं। अतः सदैव उत्तम किस्म एवं आकर्षक माल तैयार करना चाहिए।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
‘उत्पाद उपयोगिताओं का समूह होता है। क्या आप इससे सहमत हैं ? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
उत्पाद अवधारणा, शब्द सर्वप्रथम थियोडोर लेविट द्वारा प्रयोग में लाया गया था। उनके अनुसार
“उत्पाद अवधारणा से आशय उपयोगिताओं के योग से है जिसमें विभिन्न उत्पाद विशेषताएँ तथा सेवाएँ सम्मिलित होती है” एक प्रस्तावना को विकसित करते समय एक विपणनकर्ता उत्पाद स्तरों की अवधारणा का अनुसरण कर सकता है

(1) प्रथम स्तर पर मूलभूत लाभ होते हैं अर्थात् आधारभूत या आधारिक लाभ जिसे ग्राहक उस उत्पाद या सेवा से प्राप्त करते हैं जिसे वे क्रय करते हैं । उदाहरण के लिए एक कार द्वारा प्रदान किए जाने वाले मूलभूत लाभ परिवहन सुविधा है।

(2) उत्पाद या सेवा का द्वितीय स्तर ग्राहक उस उत्पाद या सेवा से क्या आशा करता है जिसे वह क्रय कर रहा है। उदाहरण के लिए एक ग्राहक आशा करता है कि कार चलाने में सुविधाजनक हो, बेहतर औसत, अच्छा आकार और शैली इत्यादि हो।

(3) उत्पाद या सेवा का तृतीय स्तर वृद्धि अवधारणा है अर्थात् प्रतिस्पर्धी के उत्पाद से बेहतर कैसे है। वृद्धि का अर्थ है अतिरिक्त विशेषताएँ जिन्हें एक विपणनकर्ता को उत्पाद या सेवा में जोड़ना चाहिए जो ग्राहक की मूलभूत आकांक्षा से अधिक हो, उदाहरण के लिए, कार में विपणनकर्ता मुफ्त बीमा, मुफ्त सीट कवर या विक्रय बाद की सेवा प्रदान कर सकता है।

प्रश्न 4.
औद्योगिक उत्पाद क्या है ? यह उपभोक्ता उत्पादों से किस प्रकार भिन्न है ? समझाइए।
उत्तर:
औद्योगिक उत्पाद का अर्थ-औद्योगिक उत्पाद उपभोक्ताओं के उपभोग हेतु नहीं होते बल्कि कारखानों में उपभोक्ता माल बनाने के काम आते हैं।
परिभाषा –
अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन की परिभाषा समिति के अनुसार- “औद्योगिक उत्पाद वे हैं जो मुख्यतः अन्य माल के उत्पादन में अथवा सेवाएँ प्रदान करने में प्रयोग हेतु बनाये जाते हैं। इनमें साज-सामान, संघटक हिस्से, अनुरक्षण, मरम्मत, परिचालन आपूर्तियाँ, कच्चा माल और गढ़ी हुई सामग्रियाँ सम्मिलित हैं।”

औद्योगिक उत्पाद बनाम उपभोक्ता उत्पाद विपणन हैं। औद्योगिक उत्पाद और उपभोक्ता उत्पाद एकदूसरे से भिन्न हैं। औद्योगिक उत्पादों की माँग को प्रायः व्युत्पन्न माँग की संज्ञा दी जाती है। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता के संबंध में जानकारी की आवश्यकता के संबंध में भी औद्योगिक और उपभोक्ता के उत्पादों में भिन्नता की जा सकती है। अतः औद्योगिक उत्पादों के संबंध में वैयक्तिक विक्रय पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके विपरीत उपभोक्ता उत्पादों के संबंध में अधिकांश विज्ञापन अवैयक्तिक विक्रय द्वारा किया जाता है।
औद्योगिक उत्पाद एवं उपभोक्ता उत्पाद में भिन्नता
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 11

प्रश्न 5.
सुविधा उत्पाद एवं प्रतिदिन के उपयोगी उत्पादों में अंतर कीजिए।
उत्तर:
सुविधा उत्पाद-सुविधाजनक उत्पाद वे हैं जिन्हें उपभोक्ता बार-बार ; तुरंत एवं न्यूनतम तुलना करके और बहुत कम क्रय मूल्यों पर खरीदता है जैसे-साबुन, अखबार, माचिस, सिगरेट, बीड़ी, दवाइयाँ इत्यादि। ऐसे उत्पाद टिकाऊ नहीं होते हैं और उपभोक्ता द्वारा इसे शीघ्रता से खत्म कर दिया जाता है। ऐसे उत्पादों को उपभोक्ता द्वारा बार-बार क्रय किया जाता है और इसे प्रायः उपभोक्ता अग्रिम रूप से खरीदकर नहीं रखते हैं।

प्रतिदिन उत्पाद (बिक्रीगत उत्पाद)-प्रतिदिन उत्पाद या बिक्रीगत उत्पाद वे होते हैं जिनका चुनाव और क्रय करने से पूर्व उपभोक्ता उपयुक्तता, किस्म, कीमत और शैली आदि आधारों पर विभिन्न निर्माताओं के उत्पादों से तुलना करता है । इन उत्पादों में फर्नीचर, जूते, बढ़िया चीनी के बर्तनों के सेट, महिला परिधान, कीमती साड़ियाँ आदि को सम्मिलित किया जा सकता है। प्रतिदिन उत्पादों में क्रेता बाजार में घूम-फिर कर विभिन्न भंडारों पर कीमत और किस्म की तुलना करने के पश्चात् ही क्रय करते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 6.
उत्पादों के विपणन में लेबलिंग के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विपणन में लेबलिंग के कार्य- लेबलिंग के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं

1. उत्पाद के प्रवर्तन में सहायता-लेबलिंग का प्रमुख कार्य विक्रय संवर्द्धन करना है। एक आकर्षक लेबल ग्राहकों को उत्पाद खरीदने के लिए अभिप्रेरित करता है। आज लेबलिंग का विक्रय संवर्द्धन का एक महत्वपूर्ण उपाय के रूप में प्रयोग किया जाता है।

2. उत्पाद का विवरण एवं विषय-वस्तु-लेबल पर निर्माता उत्पादन से संबंधित पूर्ण जानकारी प्रदान करता है। लेबल पर दी जाने वाली मुख्य जानकारी इस प्रकार है:

  1. वस्तु किन-किन चीजों को मिलाकर तैयार की गई
  2. इसकी प्रतियोगिता
  3. प्रयोग करने में सावधानियाँ
  4. प्रयोग करते समय ध्यान रखने वाली बातें
  5. उत्पादन तिथि
  6. बैच नंबर आदि।

3. उत्पाद अथवा ब्राण्ड की पहचान कराना-लेबल अनेक वस्तुओं में से किसी एक विशेष वस्तु को पहचानना संभव बनाता है। उदाहरण के लिए एक ढेर में अनेक साबुनें रखी हैं । आप लिरिल साबुन लेना चाहते हैं। लेबल की मदद से इच्छित साबुन को पहचानना संभव होता है।

4. कानून सम्मत जानकारी देना-लेबलिंग का एक और महत्वपूर्ण कार्य कानूनी रूप से अनिवार्य वैधानिक चेतावनी देना है। सिगरेट के पैकेट पर ‘सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तथा पान मसाले के पैकैट पर ‘तंबाकू चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।’ लिखा जाना वैधानिक चेतावनी के उदाहरण है।

5. उत्पादों का श्रेणीकरण-जब एक ही उत्पाद की कई क्वालिटी होती हैं तो लेबल ही यह बताता है कि किस पैक में किस क्वालिटी का उत्पाद है। उदाहरण के लिए-हिन्दुस्तान लीवर लिमि. तीन किस्म की चाय बनाती है। प्रत्येक किस्म की चाय की अलग पहचान करने के लिए हरे, लाल व पीले रंग के लेबल का प्रयोग किया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 7.
उपभोक्ता एवं गैर टिकाऊ उत्पादों के वितरण में मध्यस्थों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गैर टिकाऊ उत्पादों, अस्थायी उत्पादों जैसे-टूथपेस्ट, साबुन, डिटर्जेंट इत्यादि के वितरण के लिए द्वि-स्तरीय माध्यम का प्रयोग किया जाता है। इस माध्यम में उत्पादों को बेचने के लिए फर्मों द्वारा बिचौलियों को शामिल किया जाता है। जैसे इसे निम्न चित्र द्वारा समझा जा सकता है
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 12
निर्माता थोक विक्रेता को अधिक मात्रा में वस्तुएँ बेचता है और थोक विक्रेता फुटकर विक्रेता को कम मात्रा में बेचता है, फुटकर विक्रेता इन्हें अंतिम ग्राहकों को बेचता है।

प्रश्न 8.
वितरण के माध्यमों के चयन में निर्धारक तत्वों को समझाइए।
उत्तर:
वितरण के माध्यमों के चयन में निर्धारक तत्व-निर्माताओं अथवा उत्पादकों को अपनी वस्तुओं को अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिए वितरण के किसी उपयुक्त माध्यम का चुनाव करना पड़ता है। वितरण के उपयुक्त माध्यम को निर्धारित करने वाले घटक अग्र हैं –

(I) बाजार अथवा विपणि संबंधी-बाजार संबंधी निम्न बातें वितरण माध्यम के चुनाव पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।

1. संभावित ग्राहकों की संख्या-यदि वस्तु विशेष का संभावित बाजार विस्तृत (जैसे-कपड़ा, अनाज, साइकिल आदि) है तो मध्यस्थों की सेवाओं का सहारा लेना होगा। इसके विपरीत यदि वस्तु का बाजार देशव्यापी है तो ऐसी स्थिति में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के विक्रय के तरीकों को अपनाना होगा।

2. आदेशों का आकार-यदि आदेश कम किंतु बड़ी मात्रा में आते हैं तो प्रत्यक्ष विक्रय के तरीकों को अपनाना चाहिए। इसके विपरीत यदि आदेश बहुत अधिक आते हैं किंतु आदेशित वस्तुओं की मात्रा कम होती है तो थोक व्यापारियों की सहायता लेनी होगी।
3. ग्राहकों की क्रय करने संबंधी आदतें-ये भी वितरण के माध्यम को प्रभावित करती हैं जैसे-उधार क्रय करने की इच्छा, क्रय के उपरांत की सेवा, व्यय करने की आदत आदि।

(II) वस्तु या उत्पादक संबंधी बातें-वस्तु की प्रकृति तथा निम्न विशेषताएँ वितरण में मध्यस्थों की संख्या आदि को निश्चित वितरण में मध्यस्थों की संख्या आदि को निश्चित एवं प्रभावित करती हैं। इस प्रकार यह वितरण के माध्यमों को प्रभावित करती है

1. वस्तु का स्वभाव-शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं के लिए कम-से-कम मध्यस्थों की जरूरत होती है। शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं का जल्दी विक्रय करना जरूरी होता है नहीं तो इनके खराब होने का भय होता है। अतः ऐसी वस्तु का फुटकर व्यापारियों द्वारा विक्रय करना ही उचित होता है। जबकि टिकाऊ वस्तुओं का बाजार विस्तृत होता है। इसलिए इसके विक्रय के लिए मध्यस्थों की आवश्यकता होगी।

2. मूल्यवान व भारी वस्तुओं का विक्रय-जैसे कूलर, फ्रीज, पंखे, स्कूटर, मोटर, अलमारी आदि। ऐसे विक्रेता मध्यस्थों को चुनना चाहिए जिनके पास संग्रहालय की सुविधा हो। इनके बिक्री के लिए कम मध्यस्थों की आवश्यकता होती है।

3. सरकारी नियमन-वस्तु के वितरण माध्यम पर सरकारी नियंत्रण होने पर उनके विक्रय के लिए सरकार द्वारा अधिकृत विक्रेताओं की आवश्यकता होगी।

(III) मध्यस्थों संबंधी बातें-मध्यस्थ संबंधी बातें भी वितरण पर प्रभाव डालती हैं जैसे-(1) वितरण की लागत, (2) भावी विक्रय की मात्रा, (3) मध्यस्थों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ।

प्रश्न 9.
भौतिक वितरण के घटकों को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
भौतिक वितरण के घटक-भौतिक वितरण सेवा प्रदान करने हेतु प्रबंध को मुख्यतः चार निर्णय लेने पड़ते हैं
1. आदेश प्रक्रिया-इस प्रक्रिया से आशय ग्राहक से आदेश प्राप्त करने और आदेशानुसार वस्तुओं की सुपुर्दगी में लगने वाले समय और अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से है। सामान्य रूप से आदेश प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं-

  1. विक्रयकर्ता को आदेश देना
  2. विक्रयकर्ता द्वारा आदेश कंपनी को भेजना
  3. कंपनी द्वारा ग्राहक की साख की जाँच
  4. कंपनी द्वारा स्टॉक मात्रा
  5. आदेश के अनुसार वस्तुओं की सुपुर्दगी करना इत्यादि।

2. परिवहन-परिवहन का आशय है कि उत्पादन के स्थान से वस्तुओं को भौतिक रूप से आवश्यकता वाले स्थान पर पहुँचाना। परिवहन उस स्थान पर, जहाँ वस्तुओं की आवश्यकता होती है, पहुँचाने द्वारा वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि करता है। उदाहरण के लिए चाय का दार्जिलिंग, गंगटोक, असम इत्यादि में उत्पादन किया जाता है परंतु इसका परिवहन पूरे देश में किया जाता है और साथ ही चाय उत्पादन क्षेत्र की तुलना में दूसरे देशों में इसका मूल्य उच्च होता है।

3. भंडारणं-जो भी उत्पादित किया जाता है, उसको तुरंत बेचा नहीं जाता। इसीलिए प्रत्येक कंपनी को निर्मित वस्तुओं को संग्रह करने की आवश्यकता होती है जब तक उन्हें बाजार में बेचा नहीं जाता। कुछ फसलों का संग्रह करना जरूरी होता है क्योंकि उनकी माँग वर्ष भर होती है और इनका उत्पादन भी मौसमी होता है इसलिए इसे पूरे वर्ष आपूर्ति के लिए भंडारण करना आवश्यक होता है। .

4. स्टॉक मात्रा-इससे अभिप्राय वस्तुओं के स्टॉक को रखने या उसके अनुरक्षण से है। स्टॉक को बनाए रखने की आवश्यकता होती है ताकि जब भी वस्तुओं की माँग हो उनकी पूर्ति की जा सके। उचित स्टॉक अनुरक्षण उत्पाद उपलब्धता को सुनिश्चित करता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 10.
विज्ञापन की परिभाषा दीजिए।इसकी मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ? समझाइए।
उत्तर:
विज्ञापन का अर्थ-विज्ञापन शब्द दो शब्दों विज्ञापन से मिलकर बना है जिसका आशय क्रमशः विशेष एवं जानकारी देने से लगाया जाता है। इस प्रकार विज्ञापन शब्द से तात्पर्य विशिष्ट जानकारी प्रदान करना है। इसके अंतर्गत उत्पादित वस्तुओं व सेवाओं की जानकारी उपभोक्ता तक पहुँचाना एवं विज्ञापन के माध्यम से ही उपभोक्ता की रुचि व आदत को ज्ञात करना शामिल है।
परिभाषाएँ

1. डॉ. जॉन्स के अनुसार – “विज्ञापन उत्पादन को बहुत बड़ी मात्रा में विक्रय करने की एक मशीन है जो विक्रेता की वाणी और व्यक्तित्व को सहायता पहुँचाती है।”

2. लस्कर के अनुसार – “विज्ञापन मुद्रण के रूप में विक्रय कला है।” विज्ञापन की विशेषताएँ-विज्ञापन की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

1. अवैयक्तिक संचार – विज्ञापन पूर्णतः अव्यक्तिगत संचार होता है अर्थात् विज्ञापन किसी विशिष्ट व्यक्ति के लिए नहीं किया जाता अपितु यह जनसामान्य के लिए किया जाता है।

2. विज्ञापन प्रकाशन से भिन्न है – विज्ञापन खुला होता है जबकि प्रकाशन बंद रहता है। विज्ञापन व प्रकाशन दोनों के स्वभाव, उद्देश्य अलग-अलग होते हैं।

3. व्यापक संचार – विज्ञापन व्यापक संचार है। पत्र, तार, टेलीफोन, वैयक्तिक विक्रय के साथ-साथ पत्र-पत्रिकाएँ, समाचार पत्र, टेलीविजन, आकाशवाणी आदि के माध्यम से विज्ञापन किया जाता है। अतः विज्ञापन में व्यापक संचार साधनों का प्रयोग किया जाता है।

4. ग्राहक बनाना उद्देश्य – विज्ञापन का एक प्रमुख उद्देश्य है ग्राहक बनाना। नये ग्राहक बनाना, पुराने ग्राहकों को स्थायी ग्राहक बनाकर अपनी वस्तु का अधिकतम विक्रय करना विज्ञापन का उद्देश्य है।

MP Board Solutions

प्रश्न 11.
विपणन के उद्देश्य लिख़िये।।
उत्तर:
विपणन प्रबन्धक के उद्देश्य-

  1. विपणन कार्यों का नियोजन करना
  2. विपणन व्ययों में कमी लाना
  3. विपणन का उचित संगठन करना
  4. विपणन का उचित नेतृत्व करना
  5. विपणन कार्यों में समन्वय बनाना
  6. विपणन कार्यों का मूल्यांकन करना
  7. रोजगार एवं क्रय शक्ति में वृद्धि करना
  8. सामाजिक जीवन स्तर को बढ़ाना
  9. माँग व पूर्ति के मध्य समन्वय बनाना
  10. माँग का पूर्वानुमान लगाना
  11. नये बाजार की खोज करना।

प्रश्न 12.
विपणन व विक्रयण में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
विपणन व विक्रयण में अन्तर
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 13

प्रश्न 13.
विपणन के कार्य लिखिये।
उत्तर:
विपणन के कार्य –

(अ) नियोजन सम्बन्धी कार्य –

  1. विपणन अनुसन्धान
  2. वस्तु नियोजन एवं विकास
  3. वस्तु का प्रमापीकरण
  4. पैकेजिंग
  5. वस्तु विविधीकरण।

(ब) वितरण सम्बन्धी कार्य –

  1. क्रय एवं संग्रहण
  2. भण्डारण
  3. परिवहन
  4. बीमा
  5. बाजार वर्गीकरण।

(स) विक्रय सम्बन्धी कार्य –

  1. विज्ञापन
  2. मूल्य निर्धारण
  3. व्यक्तिगत विक्रय
  4. विक्रय शर्तों का निर्धारण
  5. उधार वसूली
  6. विक्रय पश्चात् सेवा।

प्रश्न 14.
विज्ञापन के छः उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
विज्ञापन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. नयी माँग उत्पन्न करना
  2. ख्याति में वृद्धि करना
  3. नये ग्राहक आकर्षित करना
  4. विक्रयकर्ता की सहायता
  5. प्रतिस्पर्धा का सामना करना
  6. उत्पादन लागत में कमी करना।

प्रश्न 15.
विपणन मिश्रण को प्रभावित करने वाले तत्वों को समझाइये।
उत्तर:
विपणन मिश्रण को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं

(अ) बाजार संबंधी तत्व –

  1. उपभोक्ता का व्यवहार
  2. प्रतिस्पर्धा
  3. सरकारी नियंत्रण।

(ब) विपणन संबंधी तत्व –

  1. उत्पाद नियोजन
  2. ब्राण्ड नीति
  3. संवेष्ठन नीति
  4. वितरण वाहिकाएँ
  5. विज्ञापन नीति
  6. विक्रय संवर्धन
  7. भौतिक वितरण
  8. बाजार अनुसंधान।

प्रश्न 16.
विक्रय संवर्द्धन से क्या आशय है ? इसके कोई चार उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन-किसी वस्तु के सामान्य विक्रय की मात्रा में वृद्धि करने की क्रियायें विक्रय संवर्द्धन कहलाती हैं । इसके अन्तर्गत कूपन, पोस्टर्स, प्रदर्शनी, प्रसार-प्रचार, संपर्क, ईनामी योजना, मूल्य वापसी, गारण्टी, प्रीमियम एवं प्रतियोगिताओं को शामिल किया जाता है।
उद्देश्य-

  1. नये ग्राहकों को वस्तुओं एवं सेवा के संबंध में जानकारी प्रदान कर क्रय हेतु प्रेरित करना।
  2. आम लोगों में वस्तु को लोकप्रिय बनाना
  3. वर्तमान ग्राहकों को स्थायी बनाना।
  4. उपभोक्ताओं, विक्रेताओं को वस्तु से परिचित कराकर उनका ज्ञान बढ़ाना।

प्रश्न 17.
एक अच्छे पैकेजिंग की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
पैकेजिंग की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. पैकेजिंग एक कला व विज्ञान है।
  2. इसका संबंध उत्पादन नियोजन से है।
  3. इसका उद्देश्य वस्तु को सुरक्षित रखकर उपभोग के योग्य बनाये रखना होता है।
  4. इसके अन्तर्गत लेबलिंग व ब्राण्डिंग की क्रियाएँ स्वतः शामिल हो जाती हैं।
  5. यह विज्ञापन का कार्य करता है।

प्रश्न 18.
अच्छे ब्राण्ड का नाम चयन करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
अथवा
एक अच्छे ब्राण्ड के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
एक अच्छे ब्राण्ड के लिए अग्रलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए

  1. ब्राण्ड का नाम छोटा व सामान्य होना चाहिए।
  2. नाम का उच्चारण सरल होना चाहिए।
  3. नाम स्मरणीय होना चाहिए।
  4. ब्राण्ड का नाम आकर्षक होना चाहिए।
  5. ब्राण्ड का नाम पंजीकरण योग्य होना चाहिए।
  6. ब्राण्ड के नाम से वस्तु की जानकारी होने का गुण होना चाहिए।

प्रश्न 19.
निम्न को संक्षेप में समझाइये

(अ) लेबलिंग
(ब) विक्रय संवर्धन
(स) विज्ञापन।

उत्तर:

(अ) लेबलिंग-लेबिल शब्द का आशय एक ऐसी पर्ची या पत्र से है जिसमें कुछ सूचना या विवरण दिया रहता है। इस सूचना पत्र में पूर्ण विवरण के साथ उपयोग की विधि, उत्पादक का नाम, कीमत व जीवन अवधि आदि का उल्लेख रहता है।
मैसन एवं रथ के अनुसार -“लेबिल सूचना देने वाली चिट, लपेटने वाला कागज या सील है जो वस्तु या पैकेज से जुड़ी रहती है।”
लेबिल के प्रकार निम्नलिखित होते हैं

1. ब्रांड लेबिल- इस प्रकार के लेबिल में ब्रांड का नाम या चिन्ह या कोई डिजाइन हो सकता है जैसेरेडलेबिल चाय का ब्रांड या बुक ब्रांड इंडिया लिमिटेड आदि।

2. वर्ग लेबिल- इस प्रकार के लेबिल संख्यात्मक होते हैं । वर्ग लेबिल में संख्याएं वस्तु की क्वालिटी या किसी विशिष्ट वर्ग की जानकारी प्रदान करते हैं । जैसे- गेहूँ के बैग में PR-20 K-68 ‘7’ ° clock ब्लेड ग्रेड ए आदि वर्ग आदि वर्ग के लेबिल लगे रहते हैं।

3. विवरणात्मक लेबिल- इस प्रकार के लेबिलों में उत्पाद के संबंध में पूर्ण जानकारी दी जाती है। जैसे- वस्तु का मिश्रण, तैयार करने की विधि, वस्तु के प्रयोग करने का ढंग, वस्तु का अधिकतम दाम, वस्तु की प्रभावी अवधि की जानकारी आदि।

(ब) विक्रय संवर्धन- इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 16 देखिये।

(स) विज्ञापन-विज्ञापन शब्द का तात्पर्य विशिष्ट जानकारी प्रदान करना है। वर्तमान में विज्ञापन शब्द काफी विस्तृत अर्थ से लिया जाने लगा है जिसके अंतर्गत उत्पादित वस्तु की जानकारी उपभोक्ताओं तक पहुँचाना एवं उपभोक्ता की रुचि व आदत की जानकारी प्राप्त करता है।
लस्कर के अनुसार- “विज्ञापन मुद्रण के रूप में विक्रय कला है।’
विज्ञापन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. अवैयक्तिक संचार-विज्ञापन पूर्णतः अवैयक्तिगत संचार होता है अर्थात् विज्ञापन किसी विशिष्ट व्यक्ति के लिए नहीं होता अपितु जनसामान्य के लिये किया जाता है।

2. व्यापक संचार-विज्ञापन व्यापक संचार है। पत्र, तार, टेलीफोन, वैयक्तिक विक्रय के साथ-साथ पत्र-पत्रिकाएँ, समाचार पत्र, टेलीविजन, आकाशवाणी आदि के माध्यम से विज्ञापन किया जाता है। अतः विज्ञापन में व्यापक संचार साधनों का प्रयोग किया जाता है।

3. दैनिक व्यावसायिक क्रिया-विज्ञापन व्यवसाय का अंग बन गया है। व्यवसाय की अन्य क्रियाओं की भाँति विज्ञापन भी दैनिक व्यावसायिक क्रिया बन गई है।

MP Board Solutions

प्रश्न 20.
ब्राण्डिंग तथा ट्रेडमार्क में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ब्राण्डिंग तथा ट्रेडमार्क में भेद –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 14

प्रश्न 21.
विज्ञापन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
विज्ञापन की उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर निम्न विशेषताएँ दी जा सकती हैं

1. व्यापक संचार-विज्ञापन व्यापक संचार है। पत्र, तार, टेलीफोन, पत्र-पत्रिकाओं में, समाचार पत्र, टेलीविजन, आकाशवाणी के माध्यम से विज्ञापन किया जाता है।

2. विज्ञापन व्यय का भुगतान-विज्ञापन व्यय को वह व्यक्ति वहन करता है जिसके द्वारा विज्ञापन कराया जाता है। सामान्यतः विज्ञापन से लाभान्वित पक्ष ही विज्ञापन व्यय का भुगतान करता है।

3. विज्ञापन प्रकाशन से भिन्न है-विज्ञापन खुला होता है जबकि प्रकाशन बन्द रहता है। विज्ञापन व प्रकाशन दोनों के स्वभाव, उद्देश्य अलग-अलग होते हैं।

4. अवैयक्तिक संचार-विज्ञापन पूर्णत: अवैयक्तिगत संचार होता है अर्थात् विज्ञापन किसी विशिष्ट व्यक्ति के लिये नहीं किया जाता अपितु यह जन सामान्य के लिए किया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 22.
विज्ञापन एवं विक्रय सवर्द्धन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
विज्ञापन एवं विक्रय सवर्द्धन में अन्तर निम्नलिखित हैं
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 15

प्रश्न 23.
मूल्य का अर्थ बताइए एवं उसे प्रभावित करने वाले घटक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
मूल्य का अर्थ-मूल्य से आशय किसी उत्पाद या सेवा के लिए ग्राहक से वसूल की जाने वाली मुद्रा से है। दूसरे शब्दों में, यह उत्पाद का विनिमय मूल्य है अर्थात् ग्राहक को उत्पाद के बदले में देता है।
परिभाषा – वॉल्टन हैमिल्टन के अनुसार – “मूल्य उन सभी दशाओं का मौद्रिक सार है जो एक उत्पाद को मूल्यन प्रदान करता है।”
मूल्य निर्धारण को प्रभावित करने वाले घटक-मूल्य या मूल्य निर्धारण को प्रभावित करने वाले निम्न घटक हैं

1. उत्पादन लागत-उत्पादन लागत मूल्य को प्रभावित करने वाला सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण घटक है। कोई भी व्यवसायी अपने उत्पाद को उत्पादन लागत में जोड़ दिया जाता है।

2. लाभ दर-लाभ की दर भी मूल्य को प्रभावित करती है। व्यवसायी चाहे तो लाभ की अधिक दर निर्धारित कर सकता है अथवा लाभ की कम दर निर्धारित कर सकता है, जैसे-लाभ की 5% दर अथवा 10% दर। इसे भी उत्पाद की लागत में जोड़ दिया जाता है।

3. प्रतिस्पर्धा-बाजार में विद्यमान प्रतिस्पर्धा भी उत्पाद के मूल्य के निर्धारण को प्रभावित करती है। इसमें प्रतियोगी फर्मों के मूल्य पर विचार करना आवश्यक है।

4. अपनाई गई विपणन विधियाँ-विक्रेता द्वारा किसी उत्पाद के विपणन के संबंध में अपनाई जाने वाली विधियाँ भी मूल्य निर्धारण को प्रभावित करती है। इस पर होने वाले व्यय को भी मूल्य में जोड़ दिया जाता है; जैसे-विक्रय के उपरांत ग्राहकों को अर्पित की जाने वाली सेवाओं पर होने वाला खर्च तथा मध्यस्थों की सेवाएँ लेने पर दिया जाने वाला कमीशन।

MP Board Solutions

प्रश्न 24.
ब्राह्य विज्ञापन से क्या आशय है ? उसके विभिन्न प्रारूपों को समझाइए।
उत्तर:
ब्राह्य विज्ञापन का अर्थ-ब्राह्य विज्ञापन से आशय दीवारों, गली के कोनों, सड़कों के किनारों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैण्डों, चलते-फिरते वाहनों आदि पर विज्ञापन करने से होता है। . ब्राह्य विज्ञापन के प्रारूप- इसके प्रारूप निम्नलिखित हैं

1. पोस्टर्स- पोस्टर्स से हमारा आशय विज्ञापन का संदेश रखने वाले ऐसे छपे हुए कागजों, कार्ड-बोर्डों तथा धातु या लकड़ी की प्लेटों से होता है जो चौराहों, रेलवे स्टेशनों, सड़क एवं गलियों के किनारे तथा दुकानों के बाहर एवं अंदर लगे रहते हैं।

2. विज्ञापन बोर्ड-विज्ञापन बोर्ड को साइन बोर्ड भी कहा जाता है। अपितु साइन बोर्ड वे होते हैं जिन्हें स्टील की चादर पर बड़े-बड़े अक्षरों में आकर्षक ढंग से लिखवाकर चौराहे पर या दुकान के ऊपर टाँग दिया जाता है।

3. बिजली द्वारा सजावट-विज्ञापन बोर्डों को जब बिजली द्वारा सजावट कर दी जाती है तब इसे बिजली द्वारा सजावट के विज्ञापन कहते हैं । इसमें बोर्ड के आसपास झालर या छोटे-छोटे बल्ब, ट्यूब लाइटों के अक्षरों के बोर्ड, जलते-बुझते बल्ब या लाईन से एक के बाद एक जलने वाली सीरीज आदि प्रमुख होते हैं।

4. सैण्डविच मैन विज्ञापन-बाह्य विज्ञापन का एक महत्वपूर्ण व विशिष्ट विज्ञापन माध्यम है। इसमें किसी व्यक्ति को विचित्र व असामान्य कपड़े पहनाकर शरीर पर अद्भुत पोस्टर लगा दिये जाते हैं। साथ ही सिर पर एक लंबी नोक वाली टोपी पहना दी जाती है इस प्रकार इस व्यक्ति को शहर की गलियों में, मेलों में या जहाँ भीड़ हो ऐसे स्थलों पर घुमाया जाता है। साथ में एक ढोल भी रहता है, ढोल की विशिष्ट आवाज व असामान्य व्यक्ति आकर्षण का केंद्र बन जाता है। जैसे बीड़ी, सिगरेट, दवाएँ व अन्य सामग्री के विज्ञापन के लिए यह अच्छी विधि है।

प्रश्न 25.
विपणन की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
विपणन की विशेषताएँ (Features of marketing)

1. आवश्यकताएँ (Needs) – विपणन प्रक्रिया के द्वारा ग्राहकों को अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ तथा सेवाएँ प्राप्त होती हैं । आवश्यकता से अभिप्राय ग्राहक की मानसिक स्थिति है जिसमें यदि उसकी वह आवश्यकता की पूर्ति न हो तो वह अपने आपको बेचैन महसूस करता है।

2. बाजार में माँगी जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करना (Creating a market offering) – बाजार में माँगी जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन से अभिप्राय उन वस्तुओं का उत्पादन करना है जो एक निश्चित कीमत पर ग्राहकों द्वारा अपनी चाहतों तथा इच्छाओं की पूर्ति हेतु माँगी जाती हैं।

3. उपभोक्ता मूल्य (Customer value) – उत्पादक कौन-सी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करे तथा किन वस्तुओं को उपभोक्ताओं तक पहुँचाए, इस तथ्य का निर्धारण उपभोक्ता करते हैं । उन्हें कौन से पदार्थ से अधिक संतुष्टि मिलती है अथवा उन्हें पहले कौन-सी वस्तु या सेवा की आवश्यकता है इसका निर्णय उपभोक्ता करते हैं। उत्पादक उसी के अनुसार वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन कर ग्राहकों तक पहुँचाते हैं।
4.हस्तांतरण प्रक्रिया (Exchange mechanism) – विपणन का आधार एक्सचेंज प्रक्रिया है। ग्राहक उत्पादकों को उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य देते हैं परिणामतः वे ग्राहकों की आवश्यकताओं की संतुष्टि करने का प्रयास करते हैं।

प्रश्न 26.
हस्तांतरण प्रक्रिया की आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हस्तांतरण प्रक्रिया की आवश्यक शर्ते (Essential conditions of exchange mechanism) –

  1. दो पक्षों अर्थात् ग्राहक तथा उत्पादकों की आवश्यकता होती है।
  2. दोनों पक्षों में एक-दूसरे की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की क्षमता होनी चाहिए।
  3. दोनों पक्षों में एक-दूसरे से संप्रेषण करने की योग्यता होनी चाहिए। संप्रेषण के अभाव में कोई भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती।
  4. दोनों पक्षों में एक-दूसरे के विचारों को अपनाने या छोड़ने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए।

प्रश्न 27.
विपणन प्रबंध से क्या अभिप्राय है ? इसकी प्रक्रिया लिखिए।
उत्तर:
विपणन प्रबंध (Marketing management)- विपणन संबंधी समस्त क्रियाओं के नियोजन, संगठन तथा नियंत्रण को विपणन प्रबंध कहते हैं।
विपणन प्रबंध की प्रक्रिया (Process of marketing management)-

  1. एक उपयुक्त बाजार का चुनाव।
  2. उस बाजार के ग्राहकों की आवश्यकताओं को भली-भाँति समझकर उनको पूरा करना। 3. अधिक-से-अधिक मात्रा में क्रेताओं को वस्तुएँ तथा सेवाएँ खरीदने के लिए प्रेरित करना।

प्रश्न 28.
विपणन धारणा के कौन-से स्तंभ हैं ?
उत्तर:
विपणन धारणा के स्तंभ (Pillars of marketing concept)-

  1. बाजार अथवा ग्राहकों का पता लगाना जिन्हें विपणन के प्रयासों का लक्ष्य बनाया जा सके।
  2. लक्ष्य वाले बाजार में ग्राहकों की आवश्यकताओं एवं इच्छाओं को समझना।
  3. लक्ष्य वाले बाजार की आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए उत्पादों अथवा सेवाओं का विकास करना।

प्रश्न 29.
ब्रांडिंग में उपयोग होने वाली विभिन्न व्यूह रचनाओं को समझायें।
उत्तर:
विभिन्न प्रकार की व्यूह रचना (Strategy) जिनका ब्रांडिंग में प्रयोग किया जाता है

  1. ब्रांड (Brand)- इसके अंतर्गत प्रत्येक उत्पाद के लिए फर्म द्वारा अलग-अलग ब्रांड का प्रयोग किया जाता है जिससे वह अपने ब्रांड को दूसरी कंपनियों के ब्रांड से अलग रख सके।
  2. ब्रांड को नाम देना (Brand name)- ब्रांड को जिस नाम से पुकारा अथवा बुलाया जाता है उसे ब्रांड का नाम कहा जाता है।
  3. ब्रांड मार्क (Brand mark)- जब ब्रांड के साथ में कोई निशान अथवा मार्क बनाया जाता है उसे ब्रांड मार्क कहा जाता है।
  4. व्यापार चिन्ह (Trade mark)- व्यापार का वह चिह्न जिसे कोई जानी-मानी हस्ती चलाती है, व्यापार चिन्ह कहलाता है। यह सामान्य रूप में एक चिन्ह, प्रतीक, निशान, शब्द या कई शब्द होते हैं । व्यापार चिन्ह उत्पाद को उसी श्रेणी के दूसरे उत्पादों से अलग रखता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 30.
बिक्री संवर्धन के विभिन्न उपायों को बताइये।
उत्तर:
बिक्री संवर्धन के विभिन्न उपाय (Techniques of sales promotion)

  1. मुफ्त नमूने बाँटना (Distribution of free samples) – दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली वस्तुओं के नमूने विशिष्ट व्यक्तियों में बाँटकर उन्हें लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जाता है।
  2. कूपन (Coupon)- कूपन एक ऐसी पर्ची है जिसके आधार पर उपभोक्ता वस्तु खरीदते समय कुछ बचत कर सकता है।
  3. प्रीमियम (Premium)- इसका अर्थ है- एक वस्तु क्रय करने वाले को एक अन्य वस्तु मुफ्त देना।
  4. व्यापारिक टिकटें (Trading stamps)- इसके अंतर्गत वस्तु की खरीद पर प्रायः 20 प्रतिशत की दर से टिकटें दी जाती हैं। उपभोक्ता वे टिकटें एकत्रित करता रहता है। जब टिकटें 100 रु. से अधिक की हो जाती हैं तो वह इनके बदले की उतनी राशि की कोई वस्तु निर्धारित दुकान से प्राप्त कर लेता है।
  5. इनामी प्रतियोगिता (Prize contests)- उत्पादक अक्सर प्रतियोगिताएँ आयोजित करते रहते हैं।

प्रश्न 31.
वितरण के माध्यम के कार्य बताइये।
उत्तर:
वितरण माध्यम के कार्य (Functions of distribution channels)

  1. छाँटना (Sorting)- वितरण के माध्यम के द्वारा अलग-अलग वस्तुओं को क्वालिटी, रंग, किस्म इत्यादि गुणों के आधार पर छाँटा जाता है।
  2. एकत्रित करना (Accumulation)- छाँटने के बाद एक गुण वाले सभी पदार्थों को बड़े-बड़े कंटेनर्स अथवा जगहों पर एकत्रित किया जाता है।
  3. छोटे-छोटे वर्गों में बाँटना (Allocation)- एक जैसे पदार्थों को एक जगह पर एकत्रित करने के बाद संभालने के दृष्टिकोण से तथा ग्राहकों में बेचने के लिए तथा लेबलिंग व ब्रांडिंग के दृष्टिकोण से छोटे-छोटे समूहों में बाँटा जाता है।
  4. अन्य पदार्थों को भी साथ में मिलाना (Assortment)- केवल एक पदार्थ को वितरित करने से न उपभोक्ता की आवश्यकताएँ पूरी होती हैं और न ही वितरण के माध्यम अपनी लागत निकालने में सफल होते हैं। अतः वे तीन अथवा चार अधिक वस्तुओं के समूहों को वितरित करते हैं।

प्रश्न 32.
विपणन अवधारणा की विशेषताएँ बताइए। – उत्तर– विपणन अवधारणा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. विपणन धारणा उपभोक्ता मूलक है जिसमें विपणन प्रक्रिया उत्पादन से पहले प्रारंभ हो जाती है और वस्तुओं या सेवाओं के हस्तांतरण के बाद भी चलती रहती है।

2. इसके अंतर्गत उपभोक्ताओं की इच्छाओं तथा आवश्यकताओं का अध्ययन किया जाता है और उन्हों वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाता है जो माँग के अनुरूप हों। इसलिए आजकल विपणन शोध एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य बन गया है।

3. इस विचारधारा को कार्यान्वित करने के लिए ग्राहक को सर्वोच्च स्थान देना होगा और ग्राहक के दृष्टिकोण से ही समस्त व्यावसायिक क्रियाओं का संचालन तथा समन्वय किया जाना चाहिए। ग्राहक का सृजन एवं संतुष्टि ही व्यवसाय का औचित्य समझा जाता है।

4. विपणन अवधारणा के अंतर्गत विपणन का अर्थ अधिकतम लाभ कमाना नहीं बल्कि उत्पादक या व्यापारी तथा ग्राहक दोनों की संतुष्टि करना है।

MP Board Solutions

प्रश्न 33.
‘ग्राहक को उत्पाद के अनुसार ढालना’ तथा ‘ग्राहक की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पाद विकसित करना’ विपणन प्रबंध की दो महत्वपूर्ण अवधारणायें हैं। इन अवधारणाओं की पहचान कर दोनों में अंतर्भेद कीजिये।
उत्तर:
‘ग्राहक को उत्पाद के अनुसार ढालना’ विक्रय अवधारणा है जबकि ‘ग्राहक की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पाद विकसित करना’ विपणन अवधारणा है।
विक्रय अवधारणा तथा विपणन अवधारणा में अंतर- प्रश्न क्र. 35 का उत्तर देखें।

प्रश्न 34.
पैकेजिंग तथा लेबलिंग अवधारणाओं में अंतर्भेद कीजिये।
उत्तर-
पैकेजिंग तथा लेबलिंग में अंतर- पैकेजिंग का अर्थ है उत्पाद के लिए पात्र या रेपर तैयार करना ताकि उत्पाद को परिवहन, बिक्री और उपयोग के लिये तैयार किया जा सके। पैकेजिंग उत्पाद की रक्षा करती है। इससे वस्तु की पहचान होती है। यह स्वतः विज्ञापन का कार्य करता है। यह एक मूक विक्रयकर्ता के रूप में कार्य करता है। यह वस्तुओं को सुरक्षित रखता है। इसके विपरीत लेबलिंग का अर्थ है पैकेज पर पहचान चिन्ह अंकित करना। यह किसी पैकेज का वह भाग है जो उत्पाद तथा उत्पादक के बारे में सूचनायें देता है।

लेबलिंग उत्पाद को पहचान देता है। इस पर उत्पाद का मूल्य लिखा होता है। यह उत्पाद की विभिन्न श्रेणियों को बताता है।

प्रश्न 35.
“आवश्यकताओं को ढूंढ़िए एवं उनकी पूर्ति कीजिए” तथा “वस्तुएँ बनाइए एवं उनकी बिक्री कीजिये ये विपणन प्रबंध की दो महत्वपूर्ण अवधारणायें हैं। पहचान कर दोनों अवधारणाओं में अंतर्भेद कीजिये।
उत्तर:
“आवश्यकताओं को दूँढ़िए एवं उनकी पूर्ति कीजिए” यह विपणन अवधारणा है तथा “वस्तुएँ बनाइए एवं उनकी बिक्री कीजिये” यह विक्रय अवधारणा है।
विपणन अवधारणा तथा विक्रय अवधारणा में अंतर
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 16

प्रश्न 36.
विपणन प्रबंध क्या है ? विपणन प्रबंध के विभिन्न उद्देश्यों को बताइये।
उत्तर:
विपणन प्रबंध का अर्थ-विपणन प्रबंधन, प्रबंध की एक शाखा है। विपणन किसी संस्था के विपणन कार्यों को नियोजित, सुव्यवस्थित व नियंत्रित करता है। –
परिभाषा-

1. फिलिप कोटलर के अनुसार-“संगठनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बनाये गये विपणन कार्यक्रमों का विश्लेषण नियोजन, क्रियान्वयन एवं नियंत्रण ही विपणन प्रबंध है। ।

2. विलियन जे.स्टैन्टन के अनुसार-“विपणन विचार का क्रियात्मक रूप ही विपणन प्रबंध होता है।’ विपणन प्रबन्ध के उद्देश्य (Objectives of Marketing Management) –
विपणन एक विस्तृत शब्द है जिसमें उत्पादन से लेकर विक्रय व विक्रय पश्चात् सेवा ( Service after sales) भी शामिल है। इन सभी क्रियाओं के लिये उचित संगठन, नियोजन, नियंत्रण, सम्प्रेषण व समन्वय की कार्यवाही प्रबन्ध के अन्तर्गत आती है। विपणन प्रबन्ध के प्रमुख उद्देश्य निम्नांकित हैं

1. विपणन कार्यों का नियोजन करना – विपणन के अन्तर्गत क्रेताओं की खोज करना, उपभोक्ता के अनुकूल वस्तुओं का निर्माण करना, उचित मूल्य निर्धारित करना, उचित परिवहन एवं भण्डारण व्यवस्था करना, वितरण की उचित व्यवस्था करना, बाजार सूचना आदि महत्वपूर्ण कार्य आते हैं । इन सभी कार्यों को एक योजना के तहत् सम्पादित करने के लिये विपणन प्रबन्ध आवश्यक है। अत: विपणन प्रबन्ध का प्राथमिक उद्देश्य विपणन कार्यों को नियोजित ढंग से करना है।

2. विपणन व्ययों में कमी लाना – वर्तमान प्रतियोगी बाजार में वस्तु की लागत कम-से-कम करने का प्रयास किया जाता है। किसी भी वस्तु की कीमत उत्पादन लागत से काफी अधिक होती है क्योंकि उत्पादन के पश्चात् वितरण एवं विक्रय के समस्त व्यय भी जोड़ दिये जाते हैं। अत: इन व्ययों में कमी लाना विपणन प्रबन्ध का महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है।

3. विपणन का उचित संगठन करना-बिना विपणन संगठन के विपणन कार्य आसानी से नहीं किया जा सकता है। अत: विपणन के समस्त कार्यों में उचित संगठन व्यवस्था का विकास करना विपणन प्रबन्ध का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

4. विपणन का उचित नेतृत्व करना- खराब नेतृत्व अच्छे से अच्छे संगठन व्यवस्था को नष्ट कर देता है। विपणन कार्यों का निष्पादन सही एवं योग्य व्यक्तियों के द्वारा सम्पन्न कराना विपणन प्रबन्ध का उद्देश्य होता है।

प्रश्न 37.
विपणन के विभिन्न कार्यों को संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर:
विपणन के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं

1. विपणन अनुसन्धान (Marketing research) – विपणन अनुसन्धान के अन्तर्गत, उपभोक्ताओं की संख्या, उनकी रुचि, फैशन, आदत, आवश्यकता व माँग की जानकारी ज्ञात की जाती है ताकि उसी के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन किया जा सके।

2. वस्तु नियोजन एवं विकास (Product planning and development) – उपभोक्ता की सन्तुष्टि व रुचि के अनुरूप वस्तु का विक्रय करने पर ही विक्रेता अधिक लाभ की आशा रख सकता है। वस्तु का निर्माण व विक्रय दो बातों पर निर्भर है, प्रथम-उपभोक्ताओं की पसन्द की वस्तु निर्मित करना और द्वितीय समय-समय पर वस्तु का आकार-प्रकार व रंग में परिवर्तन करना। ये कार्य पूर्व में इंजीनियरिंग व अन्य अनुसंधान विभाग द्वारा किये जाते थे, वर्तमान में इन सभी कार्यों की जिम्मेदारी विपणन की है, अतः वर्तमान में विपणन वस्तु का नियोजन व विकास दोनों कार्य करता है।

3. प्रमापीकरण एवं श्रेणीयन (Standardization and grading) – प्रमापीकरण विपणन का महत्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि प्रमाप के आधार पर वस्तु को वर्गीकृत किया जाता है, तत्पश्चात् ही उसका विक्रय सरलतापूर्वक किया जा सकता है। उत्पादक द्वारा विभिन्न ब्रान्ड एवं गुण (Brand and Quality) की वस्तुएँ तैयार की जाती हैं, अतः वस्तु के प्रमाप के अनुरूप उसका वर्गीकरण सम्बन्धी कार्य विपणन द्वारा ही किया जाता है।

4. पैकेजिंग (Packaging) – विक्रय एवं वितरण प्रमापी में अब पैकिंग का विशेष महत्व है अच्छी सी अच्छी वस्तु खराब पैकिंग के कारण कम मूल्य की हो जाती है। इसी कारण वर्तमान में वस्तु की पैकिंग कर उपभोक्ता को देने का एक फैशन चल पड़ा है। वस्तु खराब न हो या उसकी उपयोगिता नष्ट न हो उसके लिए डिब्बों, हार्डबोर्ड, प्लास्टिक की थैलियाँ या पुढे के डिब्बों में पैकिंग कार्य किया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 38.
विक्रय संवर्द्धन एवं वैयक्तिक विक्रय में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन एवं वैयक्तिक विक्रय में अन्तर
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 17

प्रश्न 39.
वैयक्तिक विक्रय की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
वैयक्तिक विक्रय की विशेषताएँ (Characteristics of Personal Selling)

1. प्रत्यक्ष विक्रय (Direct sales) – प्रत्यक्ष विक्रय में विक्रेता स्वयं प्रत्यक्ष रूप से वस्तु का विक्रय करता है स्वयं सामग्री को लेकर क्रेता से मूल्य प्राप्तकर वस्तु की सुपुर्दगी देती है।

2. वैयक्तिक सम्बन्ध (Personal relation) – वैयक्तिक विक्रय में क्रेता व विक्रेता के मध्य सीधे वैयक्तिक सम्बन्ध होते हैं। क्रेता व विक्रेता के मध्य कोई कड़ी (Chain) नहीं होती है। वैयक्तिगत सम्बन्धों में व्यक्तिगत भेंट एवं निजी अनुरोध उसके सार तत्त्व हैं । बर्नाड लेस्टर के अनुसार “यह एक मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क तक सम्पर्क है (Mind to mind approach)

3. वस्तु का ज्ञान (Knowledge of product)—इसमें विक्रेता को वस्तु के गुणों की सम्पूर्ण जानकारी रहती है। अत: वह वस्तु बेचने तक सीमित न रहकर वस्तु का उपयोग, उसके लाभ आदि जानकारी भी क्रेता को देता है।

4. सृजनात्मक कला (Creative art)-वैयक्तिक विक्रय, विक्रय लक्ष्यों की पूर्ति के लिये नये ग्राहक, नयी माँग, नये बाजारों व नये विक्रय व्यवहारों के सृजन की कला है। इसमें विक्रेता नई-नई आवश्यकताओं व माँग को विकसित करता है।

प्रश्न 40.
उत्पादों में अंतर करने में ब्रांडिंग किस प्रकार से सहायक होती है ? क्या यह वस्तु एवं सेवाओं के विपणन में भी सहायता करती है ? समझाइए।
उत्तर:
ब्रांड एक उत्पादन की पहचान होती है। यह एक नाम चिन्ह या डिजाइन के रूप में हो सकता है। ब्रांड निर्धारण न केवल विक्रेता या उत्पादक को पहचानने के लिए किया जाता है बल्कि आपके उत्पाद को प्रतिस्पर्धी के उत्पाद की तुलना में श्रेष्ठ बनाने के लिए भी किया जाता है।

ब्रांड निर्धारण एक पहचान चिन्ह से कहीं अधिक होता है । यह क्रेता की आशाओं को संतुष्टि प्रदान करने और गुणवत्ता की सुपुर्दगी करने का विक्रेता का वचन होता है। ब्रांड के साथ हम आसानी से पहचान सकते हैं कि विशिष्ट कंपनी से संबंधित सभी उत्पाद कौन से हैं। जब फर्मे किस्म के बारे में अच्छी प्रसिद्धि विकसित करती हैं। तब ब्रांड विश्वस्तता विकसित करने में उनकी सहायता करता है।
ब्रांड वस्तु एवं सेवाओं के विपणन में सहायक

1. उत्पाद में अंतर्भेद करने में सहायक-ब्रांड के कारण विज्ञापन सरल हो जाता है यह न केवल उत्पाद के बारे में जागरूकता फैलाता है अपितु ब्रांड को भी प्रचलित करता है।

2. नये उत्पादों को परिचित करवाना-ब्रांडिंग एक कंपनी के नये उत्पादों को बाजार में परिचित करवाने का काम करता है। यदि एक कंपनी का ब्रांड नाम प्रसिद्ध हो जाए तो वह कंपनी उसी नाम से अपने किसी अन्य उत्पाद को आसानी से बाजार में उतार सकती है। जैसे-Samsung एक सफल ब्रांड है और इसने इसी ब्रांड का प्रयोग अपने अन्य उत्पादों को बाजार में लाने के लिए किया जैसे-LED;A.C., Computer, Washing Machine इत्यादि।

3. विभेदात्मक मूल्य निश्चित करना-प्रसिद्ध ब्रांड नाम के कारण कंपनी अपने उत्पाद का मूल्य अन्य कंपनियों से भिन्न निश्चित कर सकती है। यदि ग्राहक को एक बार आपका ब्रांड पसंद आ जाए तो भविष्य में वह इसका अधिक मूल्य देने में भी संकोच नहीं करेगा।

MP Board Solutions

प्रश्न 41.
एक अच्छे विक्रेता के गुण बताइए।
उत्तर:
एक अच्छे विक्रेता के आवश्यक गुण निम्नलिखित हैं

1. व्यक्तित्व-एक अच्छे विक्रेता का एक अच्छा व्यक्तित्व होना चाहिए जैसे एक फूल के लिए उसकी खुशबू। व्यक्ति का अच्छा व्यक्तित्व दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। एक आकर्षक व्यक्तित्व हमेशा एक अच्छा प्रभाव बनाता है। इसके लिए अच्छा स्वास्थ्य, आकर्षक स्वरूप और प्रभावशाली आवाज होना चाहिए। उन्हें बाध्यकारी और लंगड़ा आदि जैसे शारीरिक बाधाओं से पीड़ित नहीं होना चाहिए।

2. हँसमुख स्वभाव-उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा होना चाहिए। यह सही कहा जाता है कि मुस्कुराते हुए चेहरे के बिना एक आदमी को दुकान नहीं खोलना चाहिए। ग्राहकों को प्रभावित करने के लिए उन्हें हमेशा हँसमुख और मीठे स्वभाव का होना चाहिए। उचित पोशाक पहनना चाहिए क्योंकि अच्छे पोशाक व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है।

3. सौजन्य-एक विक्रेता को हमेशा अपने ग्राहकों के प्रति विनम्र और सरल होना चाहिए। इसके लिए कुछ भी लागत नहीं लगती है, बल्कि बिक्री के लिए स्थायी ग्राहकों के मन को जीतता है। उन्हें सही – सही विकल्प बनाने या उत्पादों को चुनने में ग्राहकों की सहायता करनी चाहिए।

4. धैर्य और दृढ़ता-एक विक्रेता के पास विभिन्न प्रकार के ग्राहक आते हैं उनमें से कुछ उत्पादों के बारे में अप्रासंगिक प्रश्न पूछकर कुछ भी नहीं खरीदते हैं और समय बर्बाद करते हैं। ऐसी परिस्थितियों में, उसे गुस्सा नहीं करना चाहिए तथा ग्राहकों की बातें सुननी चाहिए।

प्रश्न 42.
विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय में अंतर कीजिए।
उत्तर:
विज्ञापन एवं व्यक्तिगत विक्रय में स्पष्ट अंतर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 18

प्रश्न 43.
किसी वस्तु अथवा सेवा की कीमत निर्धारण को प्रभावित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं ? समझाइए।
उत्तर:
वस्तु अथवा सेवा की कीमत निर्धारण को प्रभावित करने वाले तत्व –

1. वस्तु की माँग-किसी वस्तु की माँग पर उसकी कीमत का सीधा प्रभाव पड़ता है अर्थात् जिस वस्तु की माँग अधिक होगी उसकी कीमत भी अधिक होगी। कीमत अधिक रहने पर भी उसकी बिक्री होती रहेगी। जबकि मांग कम या सामान्य रहने पर कीमत भी कम या सामान्य रखना उचित होगा।
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 19

2. वस्तु की विशेषताएँ – वस्तु की विशेषताओं के अंतर्गत वस्तु का जीवन, वैकल्पिक वस्तु की प्राप्ति, वस्तु की माँग का स्थगन आदि प्रमुख है। यदि वस्तु नाशवान किस्म की है तो उसके सड़ने – गलने या खराब होने के पूर्व कम से कम दाम में विक्रय करना उचित होता है वैकल्पिक वस्तु की प्राप्ति के अंतर्गत यदि एक वस्तु के अन्य विकल्प हैं तो कीमत कम रखना उचित होगा जबकि वैकल्पिक वस्तु न रहने से दाम कितने भी ऊँचे रखे जा.सकते हैं । इसी प्रकार ऐसी कोई वस्तु जिसकी माँग को स्थगित रखा जा सकता है जैसे कार, फ्रिज या टी.वी. खरीदना आदि। इस प्रकार वस्तु की विशेषताएँ भी उसकी कीमत को प्रभावित करती हैं।

3. वस्तु की लागत – किसी वस्तु की लागत प्रत्यक्ष रूप से कीमत को प्रभावित करती है जिस वस्तु की लागत अधिक होगी उस वस्तु की कीमत अधिक होना स्वाभाविक है। यही कारण है कि वर्तमान में उत्पादक वस्तु की लागत कम-से-कम करने के उपाय खोजते रहते हैं।

4. वस्तु के वितरण मार्ग – वस्तु के वितरण मार्ग का स्वभाव उसकी कीमत निर्धारण को प्रभावित करता है। यदि वितरण में मध्यस्थ अधिक है तो उन सभी का लाभ जोड़ते हुए अधिक कीमत निर्धारण करना होगा। जबकि वितरण मार्ग कम रहने पर कीमत कम निर्धारित होगी।

MP Board Solutions

प्रश्न 44.
वितरण के माध्यम से आप क्या समझते हैं ? वस्तु एवं सेवाओं के वितरण में इनके क्या कार्य हैं ? समझाइए।
उत्तर:
वितरण के माध्यम का आशय-“किसी भी वस्तु का उत्पादन उपभोग करने के लिए किया जाता है। वर्तमान समय में उत्पादन व उपभोग काफी दूर-दूर होने के कारण वस्तु को उपभोक्ता तक पहुँचाने में विभिन्न माध्यमों का सहारा लेना आवश्यक होता है जिसमें वितरक, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी, प्रतिनिधि आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहता है ये माध्यम या मध्यरूप की वाहिकाएँ कहलाती हैं या इसे वितरण का माध्यम भी कहा जाता है।
वस्तु एवं सेवाओं के वितरण में इनका कार्य-वस्तु एवं सेवाओं के वितरण में ‘वितरण माध्यम’ के निम्नलिखित कार्य हैं

1. छाँटना-मध्यस्थ विभिन्न निर्माताओं से वस्तुएँ उत्पादित करते हैं और तब उसकी छंटाई करते हैं अर्थात् गुणवत्ता, आकार या कीमत के अनुसार उनकी पुनः पैकिंग करना।

2.विविधता-मध्यस्थ विभिन्न प्रकार के वस्तु अपने पास रखते हैं। वे विभिन्न निर्माताओं से वस्तुएँ प्राप्त करते हैं ताकि ग्राहक केवल एक स्थान पर जाकर अपनी आवश्यकता को पूरा कर सके।

प्रश्न 45.
विपणन व विक्रयण में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
विपणन व विक्रयण में अन्तर
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 11 विपणन प्रबंध IMAGE - 20

प्रश्न 46.
विपणन के कार्य लिखिये।
उत्तर:
विपणन के कार्य-

(अ) नियोजन सम्बन्धी कार्य –

  1. विपणन अनुसन्धान
  2. वस्तु नियोजन एवं विकास
  3. वस्तु का प्रमापीकरण
  4. पैकेजिंग
  5. वस्तु विविधीकरण।

(ब) वितरण सम्बन्धी कार्य –

  1. क्रय एवं संग्रहण
  2. भण्डारण
  3. परिवहन
  4. बीमा
  5. बाजार वर्गीकरण।

(स) विक्रय सम्बन्धी कार्य –

  1. विज्ञापन
  2. मूल्य निर्धारण
  3. व्यक्तिगत विक्रय
  4. विक्रय शर्तों का निर्धारण
  5. उधार वसूली
  6. विक्रय पश्चात् सेवा।

प्रश्न 47.
लेबलिंग के लाभ बताइये।(कोई चार)
उत्तर:
लेबलिंग के लाभ निम्नलिखित हैं

  1. वस्तु की जानकारी-लेबलिंग से ग्राहक को उस वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त होती है तथा उसका उपयोग किस प्रकार करना है उसकी जानकारी मिलती है।
  2. ग्राहक के प्रति सेवा-लेबलिंग के माध्यम से ग्राहकों की सेवा की जाती है। यह एक पर्ची या पत्र है जिसमें कुछ सूचना या वितरण दिया रहता है।
  3. गुणवत्ता-लेबलिंग के माध्यम से वस्तु की गुणवत्ता की जानकारी उपलब्ध होती है।
  4. विज्ञापन-लेबलिंग के द्वारा विज्ञापन सरलता से किया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 48.
विक्रय संवर्द्धन की विधियों का वर्णन कीजिये।
अथवा
विक्रय संवर्द्धन विधि की ग्राहक संवर्धन विधि के चार बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन की विधियाँ –

I. ग्राहक संवर्द्धन विधियाँ –

  1. नमूना
  2. कूपन
  3. प्रीमियम
  4. प्रतियोगिताएँ
  5. कम मूल्य पर विक्रय
  6.  प्रदर्शन
  7. मेले एवं प्रदर्शनियाँ
  8. प्रतिभाओं का सम्मान
  9. छूट या रिबेट
  10. उधार या किस्तों में विक्रय
  11. धन वापसी प्रस्ताव
  12. एक्सचेंज ऑफर ।

II. व्यापार संवर्द्धन विधियाँ –

  1. विक्रय प्रतियोगिताएँ
  2. व्यापारियों को सुविधाएँ
  3. विक्रय सामग्री को उपलब्ध करना
  4. विक्रय रैली का आयोजन
  5. उत्पाद मॉडल देना।

प्रश्न 49.
विज्ञापन के माध्यम का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य घटकों (कारकों) का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
एक विज्ञापनकर्ता को अपनी वस्तु का विज्ञापन करते समय या विज्ञापन करने के पूर्व निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिये

1. बाजार का स्वभाव – बाजार के स्वभाव से अर्थ है कि वस्तु के ग्राहक किस स्थान पर रहते हैं। अतः विज्ञापन ऐसे साधन से कराया जाना चाहिए कि वह उन तक पहुँच सके। यदि ग्राहक सम्पूर्ण देश में रहते हैं तो विज्ञापन राष्ट्रीय स्तर पर रेडियो, टेलीविजन आदि से कराया जा सकता है।

2. वितरण व्यवस्था – साधन का चुनाव करते समय वितरण व्यवस्था को भी ध्यान में रखना चाहिए। जिन स्थानों पर विज्ञापनकर्ता की वस्तु के बेचने वाले नहीं हैं वहाँ पर विज्ञापन कराना व्यर्थ ही होता है।

3. सन्देश सम्बन्धी आवश्यकताएँ-विज्ञापन सन्देशों को सभी प्रकार के माध्यमों में एक – सा प्रसारित नहीं किया जा सकता है जैसे-यदि किसी विज्ञापन में चित्र दिखाना या प्रदर्शन करना आवश्यक है तो ऐसा विज्ञापन टेलीविजन से करना उचित होगा।

4. वस्तुओं की प्रकृति – वस्तुएँ कई प्रकार की होती हैं। जैसे-खाद्य वस्तुएँ, व्यापारिक वस्तुएँ। इन विभिन्न वस्तुओं के लिए विभिन्न प्रकार के माध्यम प्रभावी एवं उचित रहते हैं। अतः विज्ञापन का चुनाव करते समय वस्तु की प्रकृति को ध्यान में अवश्य रखना चाहिए।

MP Board Solutions

प्रश्न 50.
विपणन मिश्रण को प्रभावित करने वाले तत्वों को समझाइये।
उत्तर:
विपणन मिश्रण को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं

(अ) बाजार संबंधी तत्व –

  1. उपभोक्ता का व्यवहार
  2. प्रतिस्पर्धा
  3. सरकारी नियंत्रण।

(ब) विपणन संबंधी तत्व –

  1. उत्पाद नियोजन
  2. ब्राण्ड नीति
  3. संवेष्ठन नीति
  4. वितरण वाहिकाएँ
  5. विज्ञापन नीति
  6. विक्रय संवर्धन
  7. भौतिक वितरण
  8. बाजार अनुसंधान।

प्रश्न 51.
विक्रय संवर्द्धन से क्या आशय है ? इसके कोई चार उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
विक्रय संवर्द्धन-किसी वस्तु के सामान्य विक्रय की मात्रा में वृद्धि करने की क्रियायें विक्रय संवर्द्धन कहलाती हैं। इसके अन्तर्गत कूपन, पोस्टर्स, प्रदर्शनी, प्रसार – प्रचार, संपर्क, ईनामी योजना, मूल्य वापसी, गारण्टी, प्रीमियम एवं प्रतियोगिताओं को शामिल किया जाता है।
उद्देश्य:

  1. नये ग्राहकों को वस्तुओं एवं सेवा के संबंध में जानकारी प्रदान कर क्रय हेतु प्रेरित करना।
  2. आम लोगों में वस्तु को लोकप्रिय बनाना।
  3. वर्तमान ग्राहकों को स्थायी बनाना।
  4. उपभोक्ताओं, विक्रेताओं को वस्तु से परिचित कराकर उनका ज्ञान बढ़ाना।
  5. प्रतिस्पर्धा में आगे रहना।
  6. किसी विशिष्ट नये बाजार में बिक्री प्रारंभ करना।
  7. मध्यस्थों एवं व्यापारियों को अधिकाधिक माल बेचने के लिए प्रेरित करना।

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

नाभिक NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

• अभ्यास के प्रश्न हल करने में निम्नलिखित आँकड़े आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे :

e = 1.6×10-19 कूलॉम,
N = 6.023x 1023 प्रति मोल,
\(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}\) = 9 x 109 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम’2,
k= 1.381 x 1023 जूल/केल्विन,
1 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = 1.6 x 10-13 जूल
1u = 931 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट,
1 year = 3.154 x 107 सेकण्ड,
mp = 1.007825
mH = 1.007823u
mn = 1.008665 u,
m(_{2}^{4} \mathrm{He}) = 4.002603u,
me = 0.000548u.

प्रश्न 1.
(a) लीथियम के दो स्थायी समस्थानिकों को \(_{3}^{6} \mathbf{L i}\) एवं \(_{3}^{7} \mathbf{L i}\) की बहुलता का प्रतिशत क्रमशः 7.5 एवं 92.5 है। इन समस्थानिकों के द्रव्यमान क्रमशः 6.01512 u एवं 7.01600 u हैं। लीथियम का परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
(b) बोरॉन के दो स्थायी समस्थानिक \(\begin{array}{c}{10} \\ {5}\end{array}\)B एवं \(\begin{array}{l}{11} \\ {5}\end{array}\)B हैं। उनके द्रव्यमान क्रमशः 10.01294u एवं 11.00931u एवं बोरॉन का परमाणु भार 10.811u है। Bएवं VB की बहुलता ज्ञात कीजिए।
हल
(a) माना लीथियम के किसी नमूने में 100 परमाणु लिए गए हैं, तब इनमें 7.5 परमाणु \(_{3}^{6} \mathbf{L i}\) के तथा 92.5 परमाणु \(_{3}^{7} \mathbf{L i}\) के होंगे। .
∴ 100 परमाणुओं का द्रव्यमान = (7.5 x 6.01512+ 92.5 x 7.01600)u
= (45.1134 + 648.98)u= 694.0934u
∴ लीथियम का औसत परमाणु द्रव्यमान =
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 1
\(\frac { 694.0934 }{ 100 }\) = 6.940934u
≈ 6.941u

(b) माना बोरॉन के दो समस्थानिकों की बहुलता क्रमश: x% तथा y% है, तब
x+ y= 100
यदि बोरॉन के 100 परमाणु लिए जाएँ तो इनमें x परमाणु \(\begin{array}{c}{10} \\ {5}\end{array}\)B के तथा y परमाणु \(\begin{array}{l}{11} \\ {5}\end{array}\)B के होंगे।
∴ बोरॉन का परमाणु द्रव्यमान =
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 2
⇒ 10.811 = \(\frac { x×10.01294 + y × 11.00931 }{ 100 }\)
था 10.811×100 = 10.01294x + 11.00931 (100-x) [∵ x+ y = 100]
⇒ 1081.1-1100.931 = 10.01294x – 11.00931x
⇒  -19.831= – 0.99637x
∴ x = \(\frac { -19.831 }{ -0.99637 }\) = 19.9 .
∴ y = 100-x= 100 – 19.9 = 80.1
अत: बोरॉन में \(\begin{array}{c}{10} \\ {5}\end{array}\)B तथा \(\begin{array}{l}{11} \\ {5}\end{array}\)B समस्थानिकों की बहुलता प्रतिशत क्रमश: 19.9 तथा 80.1 हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
नियॉन के तीन स्थायी समस्थानिकों की बहुलता क्रमशः 90.51%, 0.27% एवं 9.22% है। इन समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान क्रमशः 19.99u, 20.99u एवं 21.99u हैं। नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
हल
यदि नियॉन के 100 परमाणु लिए जाएँ तो उनमें नियॉन के तीन समस्थानिकों के क्रमश: 90.51 परमाणु, 0.27 परमाणु तथा 9.22 परमाणु होंगे।
∴ नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान = \(\frac { (90.51 × 19.99 + 0.27 × 20.99+9.22 × 21.99)u }{ 100 }\)
= \(\frac { (1809.2949+ 5.6673+ 202.7478)u }{ 100 }\) = \(\frac { 2017.71 }{ 100 }\)
= 20.177u ≈ 20. 18u

प्रश्न 3.
नाइट्रोजन नाभिक (\(_{7}^{14} \mathrm{N}\)) की बन्धन ऊर्जा मिलियन इलेक्ट्रॉन-ऊर्जा में ज्ञात कीजिए। mr = 14.00307u
हल
दिया है : न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn = 1.00867u, प्रोटॉन का द्रव्यमान mp = 1.00783u
\(_{7}^{14} \mathrm{N}\) नाभिक का द्रव्यमान mN = 14.00307u
∴ \(_{7}^{14} \mathrm{N}\) नाभिक 7 प्रोटॉनों तथा 7 न्यूट्रॉनों से मिलकर बना है।
∴ \(_{7}^{14} \mathrm{N}\) नाभिक में उपस्थित न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान
= 7mp + 7mn
= 7 × 1.00783 + 7 × 1.00867
= 14.1155u
∴ \(_{7}^{14} \mathrm{N}\) की द्रव्यमान क्षति Δ m = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान — नाभिक का द्रव्यमान
= 14.11550- 14.00307 = 0.11243u
1u = 931 MeV
∴ \(_{7}^{14} \mathrm{N}\) नाभिक की बन्धन ऊर्जा = Δ m × 931 = 0.11243 × 931
= 104.67
≈ 104.7 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर \(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array} \mathbf{F} \mathbf{e}\) एवं \(\begin{array}{l}{209} \\ {83}\end{array}\)Bi नाभिकों की बन्धन ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट में ज्ञात कीजिए। m (\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array} \mathbf{F} \mathbf{e}\)) = 55.934939u, m (\(\begin{array}{l}{209} \\ {83}\end{array}\)Bi) = 208.980388u.
हल
दिया है, प्रोटॉन का द्रव्यमान mp = 1.007825u
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn = 1.008665u
(i) \(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array} \mathbf{F} \mathbf{e}\) नाभिक का द्रव्यमान mFe = 55.934939u
इस नाभिक में 26 प्रोटॉन तथा (56- 26) = 30 न्यूट्रॉन हैं।
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 26mp + 30mn
= 26 x 1.007825+ 30 x 1.008665
= 26.20345 + 30.25995 = 56.4634u
द्रव्यमान क्षति Δm = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान – नाभिक का द्रव्यमान
= 56.4634 – 55.934939 = 0.528461u
∴\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array} \mathbf{F} \mathbf{e}\) नाभिक की बन्धन ऊर्जा = Δm x 931
= 0.528461x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 492.26 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ बन्धन ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन = \(\frac { 496.26 }{ 56 }\)
= 8.79 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट/न्यूक्लिऑन।

(ii) \(\begin{array}{l}{209} \\ {83}\end{array}\)Bi नाभिक का द्रव्यमान mBi = 208.980388u
इस नाभिक में 83 प्रोटॉन तथा 126 न्यूट्रॉन हैं। .
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 83mp + 126mn
= 83×1.007825+ 126×1.008665
= 83.649475+127.091790
= 210.741260 u
∴ नाभिक की द्रव्यमान क्षति Δm = 210.741260 – 208.980388
= 1.760872 u
∴ नाभिक की बन्धन ऊर्जा = Δm x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1.760872 x 931.5
= 1640.26 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ बन्धन ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन = \(\frac { 1640.26 }{ 209 }\)
= 7.85 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट/न्यूक्लिऑन।

प्रश्न 5.
एक दिए गए सिक्के का द्रव्यमान 3.0 ग्राम है। उस ऊर्जा की गणना कीजिए जो इस सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक हो। सरलता के लिए मान लीजिए कि सिक्का पूर्णत: \(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) परमाणुओं का बना है। ( \(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) का द्रव्यमान = 62.9260u)
हल
दिया है, न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn = 1.008665u
प्रोटॉन का द्रव्यमान mp = 1.007825u 68
\(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) नाभिक का द्रव्यमान m = 62.9260u
\(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 63 ग्राम
∴ 63 ग्राम कॉपर में परमाणुओं की संख्या
N = 6.02 x 1023
∴ 3 ग्राम कॉपर में परमाणुओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23}}{63}\) × 3
= 2.868x 1022 परमाणु
\(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) के एक नाभिक में 29 प्रोटॉन तथा 63-29 = 34 न्यूट्रॉन हैं।
∴ एक नाभिक के न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 29mp + 34 mn
= 29 x 1.007825+ 34×1.008665
= 29.226925+ 34.294610
= 63.521535u
∴ एक नाभिक पर द्रव्यमान क्षति = 63.521535 – 62.9260 = 0.595535u
∴ 3 ग्राम कॉपर के लिए कुल द्रव्यमान क्षति
Δm = 0.595635 x 2.868 x 1022
= 1.70x 1022u
∴ 3 ग्राम कॉपर की बन्धन ऊर्जा = Δm x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1.70 x 1022 x 931.5
= 1583.5 x 1022 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
=1.584 x 1025 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
अथवा
बन्धन ऊर्जा = 1.584 x 1025 x 1.6 x 10-13 जूल
= 2.535 x 1012 जूल ।
अतः सभी न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों को अलग करने के लिए आवश्यक ऊर्जा
= 1.584 x 1025 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 2.535 x 1012 जूल।

MP Board Solutions

प्रश्न 6.
निम्नलिखित के लिए नाभिकीय समीकरण लिखिए-
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 3
उत्तर
दी गई अभिक्रियाओं के लिए नाभिकीय समीकरण निम्नलिखित हैं
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 4

प्रश्न 7.
एक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक की अर्द्ध-आयु T वर्ष है। कितने समय के बाद इसकी ऐक्टिवता, प्रारम्भिक ऐक्टिवता की
(a) 3. 125%, तथा
(b) 1% रह जाएगी? ।
हल
(a) माना समस्थानिक की प्रारम्भिक रेडियोऐक्टिवता = R0
माना समयान्तराल n अर्धायुकालों के पश्चात् शेष रेडियोऐक्टिवता = R
प्रश्नानुसार, R= R0 का 3.125%
⇒ R = \(\frac{3.125}{100} R_{0}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 5
अभीष्ट समयान्तराल = n × एक अर्द्ध-आयु
= 5T वर्ष।

(b) इस बार R = R0 का 1% = \(\frac { 1 }{ 100 }\) Ro
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 6
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 7

प्रश्न 8.
जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए 15 क्षय प्रति मिनट है यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक \(_{6}^{14} \mathbf{c}\) के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव \(_{6}^{12} \mathbf{C}\) के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमण्डल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया (जो उपर्युक्त सन्तुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है) समाप्त हो जाती है तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। \(_{6}^{14} \mathbf{c}\) की ज्ञात अर्द्ध-आयु (5730 वर्ष) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निकट आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली \(_{6}^{14} \mathbf{c}\) कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धान्त है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता 9 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिन्धु घाटी सभ्यता की सन्निकट आयु का आकलन कीजिए।
हल
दिया है, R0 = 15 क्षय प्रति मिनट, R= 9 क्षय प्रति मिनट, T1/2 = 5730 वर्ष
सूत्र R = R0e-λt से, 9= 15e-λt
⇒ \(\frac { 5 }{ 3 }\) eλt या 1.6667 = eλt
दोनों पक्षों का log लेने पर,
loge(1.6667) = λt logee
या 2.303 log10 1.6667 = λt
⇒ λt = 2.3025×0.22185 = 0.5108
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 8
= 4224 वर्ष।

MP Board Solutions

प्रश्न 9.
8.0 मिलीक्यूरी सक्रियता का रेडियोऐक्टिव स्रोत प्राप्त करने के लिए \(\begin{array}{l}{60} \\ {27}\end{array}\)Co की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी? \(\begin{array}{l}{60} \\ {27}\end{array}\)Co की अर्द्ध-आयु 5.3 वर्ष है।
हल
दिया है, सक्रियता R= 8.0 मिलीक्यूरी = 8.0×10-3 x 3.7 x 1010 विघटन/सेकण्ड
= 29.6 x 107 विघटन/सेकण्ड
तथा T1/2 = 5.3 वर्ष (∵ 1 क्यूरी = 3.7×1010 विघटन/सेकण्ड)
= 5.3 x 365 x 24 x 60 x 60 सेकण्ड .
सक्रियता R=-\(\frac { dN }{ dt }\) = – \(\frac { d }{ dt }\) (N0e-λt) [:: N = N0e-λt]
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 9
∴ आवश्यक परमाणुओं की संख्या N= \(\frac{29.6 \times 10^{7} \times 5.3 \times 365 \times 24 \times 60 \times 60}{0.693}\)
= 7.133 x 1016 परमाणु
∵ \(\begin{array}{l}{60} \\ {27}\end{array}\)Co का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 60
∴ 60 ग्राम Co में परमाणुओं की संख्या = NA = 6.02 x 1023
∴ 7.133 x 1016 परमाणु ओं का द्रव्यमान = \(\frac{60}{6.02 \times 10^{23}} \times 7.133 \times 10^{16}\)
= 7.109 x 10-6 ग्राम
= 7.11 माइक्रोग्राम।

प्रश्न 10.
\(\begin{array}{l}{90} \\ {38}\end{array} \mathbf{S} \mathbf{r}\) की अर्द्ध-आयु 28 वर्ष है। इस समस्थानिक के 15 मिलीग्राम की विघटन दर क्या है?
हल
दिया है : पदार्थ का द्रव्यमान = 15 × 10-3 ग्राम तथा
T1/2 = 28 वर्ष
= 28 × 365 × 24 × 60 × 60 सेकण्ड
= 88.3 × 107 सेकण्ड

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 10
∴ \(\begin{array}{l}{90} \\ {38}\end{array} \mathbf{S} \mathbf{r}\) का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 90 ग्राम ∴ 90 ग्राम Sr में परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 15 × 10-3 ग्राम में परमाणुओं की संख्या .
\(=\frac{6.02 \times 10^{23}}{90} \times 15 \times 10^{-3}\)
= 1.004 × 1020
∴ पदार्थ की विघटन दर (सक्रियता) R= λN (देखें प्रश्न 9)
⇒ \(R=\frac{0.693}{88.3 \times 10^{7}} \times 1.004 \times 10^{20}\)
= 7.879 x 1010 विघटन/सेकण्ड
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 11
= 2.13 क्यूरी।

प्रश्न 11.
स्वर्ण के समस्थानिक \(\begin{array}{l}{197} \\ {79}\end{array}\)Au एवं रजत के समस्थानिक \(\begin{array}{l}{107} \\ {47}\end{array}\)Ag की नाभिकीय त्रिज्या के अनुपात का सन्निकट मान ज्ञात कीजिए।
हल
किसी नाभिक की त्रिज्या निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होती है
R= R0A1/3
जहाँ A= परमाणु द्रव्यमान जबकि R0 = नियतांक
यहाँ \(\begin{array}{l}{197} \\ {79}\end{array}\)Au के लिए, A1 = 197
तथा \(\begin{array}{l}{107} \\ {47}\end{array}\)Ag के लिए, A2 = 107
∴\(\frac{R_{1}}{R_{2}}=\frac{\left(A_{1}\right)^{1 / 3}}{\left(A_{2}\right)^{1 / 3}}=\left(\frac{A_{1}}{A_{2}}\right)^{1 / 3}=\left(\frac{197}{107}\right)^{1 / 3}\)
⇒ \(\frac{R_{1}}{R_{2}}=(1.84)^{1 / 3}=1.23\)
∴ त्रिज्याओं का अनुपात R1: R2 = 1. 23 : 1

प्रश्न 12.
(a) \(\begin{array}{l}{226} \\ {88}\end{array}\)Ra एवं
(b) \(\begin{array}{l}{220} \\ {86}\end{array}\)Rn नाभिकों के -क्षय में उत्सर्जित -कणों का Q-मान एवं गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। दिया है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 12
हल
(a) \(\begin{array}{l}{226} \\ {88}\end{array}\)Ra नाभिक के α-क्षय का समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 13
जहाँ Q अभिक्रिया में उत्पन्न ऊर्जा है।
उक्त अभिक्रिया में द्रव्यमान क्षति Δm = [बाएँ पक्ष का द्रव्यमान – दाएँ पक्ष का द्रव्यमान]
= [226.02540- (222.01750+ 4.002603)]u [दिया है, mα = 4.002603u]
= 0.005297u
∴ अभिक्रिया का Q मान = Δ m × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.005297 × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 4.9342 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
मूल नाभिक का परमाणु द्रव्यमान Z = 226
Rn का परमाणु द्रव्यमान = Z-4
α – कण का परमाणु द्रव्यमान = 4.
माना विघटन के बाद उक्त कणों के संवेग क्रमश: pR व pα हैं।
तब संवेग संरक्षण से, Pα + PR = 0  (∵ मूल परमाणु का संवेग = 0)
⇒ PR = -Pα
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 14
Kα= 4.85 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्टा.

(b) \(\begin{array}{l}{226} \\ {88}\end{array}\)Ra के -क्षय का समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 15
द्रव्यमान क्षति Δm = [बाएँ पक्ष का द्रव्यमान – दाएँ पक्ष का द्रव्यमान]
= [220.01137- (216.00189+ 4.002603)]u
= 0.006877u
∴ अभिक्रिया का Q मान = Δm × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.006877 × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 6.41 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
भाग (a) के अनुसार,
α- कण की गतिज ऊर्जा Kα = \(\frac{m_{P_{0}}}{m_{\alpha}+m_{P_{0}}} Q\)
= \(\frac { Z-4 }{ Z }\) Q = \(\frac { 220-4 }{ 220 }\) × 0.641
Kα= 0.629 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

MP Board Solutions

प्रश्न 13.
रेडियोन्यूक्लाइड 11c का क्षय निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 16
उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा 0.960 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं
तथा MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 17
Q-मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।
हल
दिया गया समीकरण :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 18
∴ Δm
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 19
= 11.011434 – 11.009305-2 × 0.000548
= 0.001033u
∴ Q=Δm × 931 = 0.001033 × 931
= 0.961मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की महत्तम गतिज ऊर्जा 0.960 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है जो कि Q-मान के तुल्य है।
∴ उत्पाद नाभिक पॉजिट्रॉन की तुलना में अत्यधिक भारी है, अतः इसकी गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होगी, पुनः चूँकि पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा २-मान के तुल्य है, अत: न्यूट्रिनो भी लगभग शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित होगा।

प्रश्न 14.
\(\begin{array}{l}{23} \\ {10}\end{array} \mathrm{Ne}\) का नाभिक, β उत्सर्जन के साथ क्षयित होता है। इस β -क्षय के लिए समीकरण लिखिए और उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
(m\(\begin{array}{l}{23} \\ {10}\end{array} \mathrm{Ne}\)) = 22.994466u, (m\(\begin{array}{l}{23} \\ {11}\end{array} \mathrm{Na}\)) = 22.989770u
हल
\(\begin{array}{l}{23} \\ {10}\end{array} \mathrm{Ne}\) नाभिक के β-क्षय का समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 20
द्रव्यमान क्षति Δm
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 21
= [22.994466 – 22.989770] u= 0.004696u
∴ Q-मान = Δm × 931 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.04696×931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
Q= 4.37 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ \(\begin{array}{l}{23} \\ {10}\end{array} \mathrm{Na}\) नाभिक, \(\begin{array}{c}{0} \\ {-1}\end{array} \beta\) तथा ऐन्टिन्यूट्रिनो की तुलना में अत्यधिक भारी है, अतः इसकी गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होगी। β-कण की ऊर्जा अधिकतम होगी यदि ऐन्टिन्यूट्रिनो शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित हो। इस दशा में β-कण की ऊर्जा अधिकतम होगी यदि ऐन्टिन्यूट्रिनो शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित हो। इस दशा में β-कण की अधिकतम ऊर्जा Q-मान के बराबर अर्थात् 4.37 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट होगी।

MP Board Solutions

प्रश्न 15.
किसी नाभिकीय अभिक्रिया A+ b → C+d का Q-मान निम्नलिखित समीकरण द्वारा परिभाषित होता है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 22
जहाँ दिए गए द्रव्यमान, नाभिकीय विराम द्रव्यमान (rest mass) हैं। दिए गए आँकड़ों के आधार पर बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ऊष्माक्षेपी हैं या ऊष्माशोषी।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 23
उत्तर
(i) दी गई अभिक्रिया निम्नलिखित है
\(_{1}^{1} \mathrm{H}+_{1}^{3} \mathrm{H} \longrightarrow_{1}^{2} \mathrm{H}+_{1}^{2} \mathrm{H}\)
इस अभिक्रिया का Q-मान निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 24
= 1.007825 + 3.016049- 2.014102 – 2.014102
= – 0.004339u
= – 0.004339x 1.66×10-27 किग्रा ।
[∵ m \(\left(_{1}^{1} \mathrm{H}\right)\) = 1.007825u व 1u = 1.66 x 10-27 किग्रा]
Q= – 0.004339×1.66×10-27x (3×108)2 जूल
= – 6.46 x 10-13 जूल
∵ इस अभिक्रिया का Q-मान ऋणात्मक है, अत: यह ऊष्माशोषी अभिक्रिया है।

(ii)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 25
= 2 × 12.000000 -19.992439 – 4.002603  [∵ m \(\left(_{2}^{4} \mathrm{He}\right)\) = 4.002603]
= 0.004958u= 0.004958×1.66 × 10-27 किग्रा
∴ Q = 0.004958 × 1.66 x 10-27 × (3 × 108)2 जूल
= 7.41 × 10-13 जूल
∴ Qमान धनात्मक है, अतः यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।

प्रश्न 16.
माना कि हम \(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array}\)Fe नाभिक के दो समान अवयवों \(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\) में विखण्डन पर विचार करें। क्या ऊर्जा की दृष्टि से यह विखण्डन सम्भव है? इस प्रक्रम का Q-मान ज्ञात करके अपना तर्क प्रस्तुत करें।
दिया है : m (\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array}\)Fe) = 55.93494u एवं m(\(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\)) = 27.98191u
उत्तर
सम्भावित अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है- .
\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array}\)Fe→ m\(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\)+ m\(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\)+Q
इस अभिक्रिया का Q-मान निम्नलिखित है
Q= [m(\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array}\)Fe)- 2 × m(m(\(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\))] × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= [55.93494 – 2 × 27.98191] × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= – 0.02888×931.5
= – 26.90 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
∵ अभिक्रिया का Q-मान ऋणात्मक है, अतः यह अभिक्रिया सम्भव नहीं है।

प्रश्न 17.
\(\begin{array}{l}{239} \\ {94}\end{array} \mathbf{P} \mathbf{u}\) के विखण्डन गुण बहुत कुछ \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U से मिलते-जुलते हैं। प्रति विखण्डन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। यदि 1 किग्रा शुद्ध \(\begin{array}{l}{239} \\ {94}\end{array} \mathbf{P} \mathbf{u}\)के सभी परमाणु विखण्डित हों तो कितनी मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा विमुक्त होगी? ।
हल
यहाँ \(\begin{array}{l}{239} \\ {94}\end{array} \mathbf{P} \mathbf{u}\) के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा = 180 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ \(\begin{array}{l}{239} \\ {94}\end{array} \mathbf{P} \mathbf{u}\) का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 239 ग्राम
∴ 239 ग्राम प्लूटोनियम में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 1 किग्रा (= 1000 ग्राम) में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23}}{239} \times 1000\)
= 2.52 × 1024
∵ 1 परमाणु के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा = 180 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ 1 किग्रा अर्थात् 2.52 × 1024 परमाणुओं के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा
= 180 × 2.52 × 1024
= 4.536 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

MP Board Solutions

प्रश्न 18.
किसी 1000 मेगावाट विखण्डन रिऐक्टर के आधे ईंधन का 5.00 वर्ष में व्यय हो जाता है। प्रारम्भ में इसमें कितना \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U था? मान लीजिए कि रिऐक्टर 80% समय कार्यरत रहता है, इसकी सम्पूर्ण ऊर्जा \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U के विखण्डन से ही उत्पन्न हुई है तथा \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U न्यूक्लाइड केवल विखण्डन प्रक्रिया में ही व्यय होता है।
हल
रिऐक्टर की शक्ति P= 1000 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1000 × 106 जूल/सेकण्ड
= 109 जूल/सेकण्ड
समय t = 5.00 वर्ष
= 5 × 365 × 24x 60 × 60 सेकण्ड = 1.577 × 108 सेकण्ड
∴ 5 वर्ष में रिऐक्टर में उत्पन्न ऊर्जा (जबकि यह 80% समय ही कार्य करता है)
E = 80% t × P
= \(\frac { 80 }{ 100 }\) × 1.577×108 × 109
= 1.2616×1017 जूल
235U के एक परमाणु के विखण्डन से औसतन 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है।
∴ 100 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से
या 200 × 1.6×10-13 जूल ऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से
1 जूल ऊर्जा उत्पन्न होगी = \(\frac{1}{200 \times 1.6 \times 10^{-13}}\) परमाणु से
∴ 1.2616 × 1017 जूल ऊर्जा उत्पन्न होगी = \(\frac{1.2616 \times 10^{17}}{200 \times 1.6 \times 10^{-13}}\) परमाणु से
= 3.94 × 1027
∴ 5.0 वर्ष में विखण्डित नाभिकों की संख्या n= 3.94 × 1027 6.0 × 1023 परमाणु उपस्थित हैं
= 235 ग्राम यूरेनियम में ।
∴ 3.94 × 1027 परमाण उपस्थित होंगे = \(\frac{235 \times 3.94 \times 10^{27}}{6.0 \times 10^{23}}\) ग्राम में …
= 1.544 x 106 ग्राम में = 1.544 x 103 किग्रा
= 1544 किग्रा .
∵ 5.0 वर्ष में आधी माग विघटित होती है,
∴ रिऐक्टर में \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U की प्रारम्भिक मात्रा = 2x 1544 = 3088 किग्रा।

प्रश्न 19.
2.0 किग्रा ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैम्प कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत् ली जा सकती है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 26
हल
लैम्प की शक्ति P = 100W, ड्यूटीरियम का द्रव्यमान m= 2.0 किग्रा
दी गई समीकरण- image 28
इस समीकरण से स्पष्ट है कि इस अभिक्रिया में \(_{1}^{2} \mathrm{H}\) के दो नाभिकों के संलयन से 3.27 मिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है।
∵ 2 ग्राम ड्यूटीरियम में उपस्थित नाभिकों की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 2.0 किग्रा (= 2000 ग्राम) में उपस्थित नाभिकों की संख्या \(\begin{array}{l}{=\frac{6.02 \times 10^{23} \times 2000}{2}} \\ {=6.02 \times 10^{26}}\end{array}\)
दो नाभिकों के संलयन से उत्पन्न ऊर्जा = 3.27 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 3.27 × 1.6 × 10-13 जूल
∴ 2 किग्रा अथवा 6.02 × 1026 नाभिकों के संलयन से उत्पन्न ऊर्जा
= 3.27 ×1.6 × 10-13 × 6.02  × 1026 जल
= 3.27 × 1.6 × 6.02 × 1013 जूल
माना इस ऊर्जा से लैम्प को t सेकण्ड तक प्रकाशित रखा जा सकता है, तब
लैम्प द्वारा व्यय ऊर्जा = 100 वाट × t सेकण्ड
= 100 t जूल
100 t = 3.27 × 1.6 × 6.02 × 1013
t = 3.27 × 1.6 × 6.02 × 1011
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 27
= 4.9 × 104 वर्ष
अर्थात् लैम्प को 4.9 × 104 वर्ष तक प्रकाशित रखा जा सकता है।

प्रश्न 20.
दो ड्यूट्रॉनों के आमने-सामने की टक्कर के लिए कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (संकेत-कूलॉम अवरोध वह न्यूनतम गतिज ऊर्जा है जिसके द्वारा उन्हें एक-दूसरे की ओर भेजे जाने पर वे कूलॉमीय बल के विरुद्ध परस्पर संलयित हो सकें। यह मान सकते हैं कि ड्यूट्रॉन 2.0 फैम्टो मीटर प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं।)
हल
प्रत्येक ड्यूट्रॉन पर आवेश q1= q2 = + 1.6 × 10-19 कूलॉम
ऊर्जा के पदों में कूलॉम अवरोध (विभव प्राचीर)
माना प्रारम्भ में प्रत्येक ड्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा K है। जब ये दोनों एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो सम्पूर्ण ऊर्जा विद्युत स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है। ∴ ऊर्जा संरक्षण से, U= 2K ⇒ \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{q_{1} q_{2}}{r}=2 K\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 28
= 5.76x 10-14 जुल
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 29
= 3.6 × 105 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
विभव प्राचीर K = 360 किलो इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

प्रश्न 21.
समीकरण R = \(\boldsymbol{R}_{0} \boldsymbol{A}^{1 / 3}\) के आधार पर, दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है (अर्थात् A पर निर्भर नहीं करता है)। यहाँ R. एक नियतांक है एवं A नाभिक की द्रव्यमान संख्या है।
उत्तर
∵ नाभिक की द्रव्यमान संख्या = A
∴ नाभिक का द्रव्यमान m = Au = A × 1.66 × 10-27 किग्रा
पुन: नाभिक का आयतन V \(\begin{array}{l}{=\frac{4}{3} \pi R^{3}=\frac{4}{3} \pi\left(R_{0} A^{1 / 3}\right)^{3}} \\ {=\frac{4}{3} \pi R_{0}^{3} A}\end{array}\)
∴ नाभिक का घनत्व p \(\begin{aligned}=& \frac{m}{V}=\frac{A \times 1.66 \times 10^{-27}}{\frac{4}{3} \times \pi R_{0}^{3} A} \\=& \frac{3 \times 1.66 \times 10^{-27}}{4 \pi R_{0}^{3}} \end{aligned}\)
∵ यह घनत्व नाभिक की द्रव्यमान संख्या A से मुक्त है, अत: हम कह सकते हैं कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है।

प्रश्न 22.
किसी नाभिक से β+ (पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेक्ट्रॉन परिग्रहण (Capture) कहते हैं (इसमें परमाणु की आन्तरिक कक्षा, जैसे कि K-कक्षा, से नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनो, v उत्सर्जित करता है)।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 30
दर्शाइए कि यदि β+ उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है कि इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है, परन्तु इसका विलोम अनुमत नहीं है।
उत्तर
पॉजिट्रॉन उत्सर्जन की अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 31
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 32
समीकरण (3) व (4) से स्पष्ट है कि Q1 < Q2
यदि पॉजिट्रॉन उत्सर्जन [अभिक्रिया (1)] ऊर्जा दृष्टि से अनुमत है तो इस अभिक्रिया का Q-मान अर्थात् Q1 धनात्मक होगा।
अर्थात् Q1>0
∵ Q2>Q1, अतः Q1>0 ⇒ Q2>0
अर्थात् तब अभिक्रिया (2) का Q-मान भी धनात्मक होगा अर्थात् ऊर्जा दृष्टि से इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी अनुमत है। अब इस अभिक्रिया के विलोम पर विचार कीजिए,
स्पष्ट है कि इस अभिक्रिया का Q-मान – Q2 के बराबर होगा।
∴ Q20, अतः Q3 = -Q2 < 0
∵ इस अभिक्रिया का Q-मान ऋणात्मक है, अत: यह अभिक्रिया ऊर्जा दृष्टि से अनुमत नहीं है।

MP Board Solutions

प्रश्न 23.
आवर्त सारणी में मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान 24.312u दिया गया है। यह औसत मान, पृथ्वी पर इसके समस्थानिकों की सापेक्ष बहुलता के आधार पर दिया गया है। मैग्नीशियम के तीनों समस्थानिक तथा उनके द्रव्यमान इस प्रकार हैं –\(\begin{array}{l}{24} \\ {12}\end{array} Mg\)(23. 98504u), \(\begin{array}{l}{25} \\ {12}\end{array} Mg\)(24.98584) एवं \(\begin{array}{l}{26} \\ {12}\end{array} Mg\) (25.98259u)। प्रकृति में प्राप्त मैग्नीशियम में \(\begin{array}{l}{24} \\ {12}\end{array} Mg\) की (द्रव्यमान के अनुसार) बहुलता 78.99% है। अन्य दोनों समस्थानिकों की बहुलता का परिकलन कीजिए।
हल
दिया है, मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान = 24.312u
\(\begin{array}{l}{24} \\ {12}\end{array} Mg\) समस्थानिक की बहुलता = 78.99%
माना समस्थानिक \(\begin{array}{l}{25} \\ {12}\end{array} Mg\) की बहुलता α% है।
तब \(\begin{array}{l}{26} \\ {12}\end{array} Mg\) समस्थानिक की बहुलता
= 100 – 78.99 – α = (21.01-a) %
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 33
तथा 21.01 – a = 21.01- 9.30 = 11.70
अत: \(\begin{array}{l}{25} \\ {12}\end{array} Mg\) की बहुलता 9. 30% तथा \(\begin{array}{l}{26} \\ {12}\end{array} Mg\) की बहुलता 11.70% है।

प्रश्न 24.
न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा (Separation energy), परिभाषा के अनुसार वह ऊर्जा है, जो किसी नाभिक से एक न्यूट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक होती है। नीचे दिए गए आँकड़ों का इस्तेमाल करके \(_{20}^{41} \mathrm{Ca}\) एवं \(_{13}^{27} \mathrm{Al}\) नाभिकों की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
m(\(_{20}^{40} \mathrm{Ca}\)) = 39.962591u
m (\(_{20}^{41} \mathrm{Ca}\)) = 40.962278u
(\(\begin{array}{l}{26} \\ {13}\end{array} \mathrm{Al}\)) = 25. 98689
m(\(_{13}^{27} \mathrm{Al}\)) = 26.981541u
हल
(i) \(_{20}^{41} \mathrm{Ca}\) की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा
न्यूट्रॉन पृथक्करण अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है
\(_{20}^{41} \mathrm{Ca} \longrightarrow_{20}^{40} \mathrm{Ca}+_{0}^{1} n+Q\)
Q = [m(\(_{20}^{41} \mathrm{Ca}\))- m(\(_{20}^{40} \mathrm{Ca}\))- mn ] x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= [40.962278- 39.962591-1.008665] x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट [∵mn = 1.008665u]
= – 0.008978×931.5
= – 8.36 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ Q का मान ऋणात्मक है अर्थात् उक्त अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।
∴ न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा 8. 36 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है।

(ii) \(_{13}^{27} \mathrm{Al}\) की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जाTAI की न्यूट्रॉन पृथक्करण समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 34
Q = [m(\(_{13}^{27} \mathrm{Al}\)Al) – mn (\(\begin{array}{l}{26} \\ {13}\end{array} \mathrm{Al}\))- mn ] x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= [26.981541- 25.986895-1.008665] x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= -0.014019 x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट .
= – 13.06 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ Q का मान ऋणात्मक है, अतः उक्त अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।
∴ \(_{13}^{27} \mathrm{Al}\) की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा 13.06 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है।

MP Board Solutions

प्रश्न 25.
किसी स्रोत में फॉस्फोरस के दो रेडियो न्यूक्लाइड निहित हैं \(\begin{array}{l}{32}\\{15}\end{array}\)P(T1/2 = 14.3 दिन) एवं \(\begin{array}{l}{32}\\{15}\end{array}\)P(T1/2 = 25.3 दिन)। प्रारम्भ में \(\begin{array}{l}{32}\\{15}\end{array}\)P से 10% क्षय प्राप्त होता है। इससे 90% क्षय प्राप्त करने के लिए कितने समय प्रतीक्षा करनी होगी?
हल
माना प्रारम्भ में \(\begin{array}{l}{33}\\{15}\end{array}\) तथा \(\begin{array}{l}{32}\\{15}\end{array}\) की रेडियोऐक्टिवताएँ R01 व R02 हैं तथा + समय पश्चात् इनकी रेडियोऐक्टिवताएँ R1 व R2 हैं।
तब प्रारम्भ में, पदार्थ की कुल सक्रियता = R01 + R02
परन्तु R01 = 10% प्रारम्भिक सक्रियता = \(\frac { 10 }{100 }\)(R01 + R02)
⇒ 10 R01 = R01 + R02
या 9R01 = R02 ….(1)
पुनः t समय पश्चात् कुल सक्रियता = R1 + R2
परन्तु R1 = 90% कुल सक्रियता = \(\frac { 90 }{100 }\)(R1 + R2)
10R1 = 9R1 + 9R2
R1 = 9R2 ….(2)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 35
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 36

प्रश्न 26.
कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में एक नाभिक, -कण से अधिक द्रव्यमान वाला एक कण उत्सर्जित करके क्षयित होता है। निम्नलिखित क्षय-प्रक्रियाओं पर विचार कीजिए|
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 37
इन दोनों क्षय प्रक्रियाओं के लिए Q-मान की गणना कीजिए और दर्शाइए कि दोनों प्रक्रियाएँ ऊर्जा की दृष्टि से सम्भव हैं। \
उत्तर
दी गई पहली समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 38
= [223.01850- 208.98107-14.00324] × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.03419 × 931.5
= 31.85 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
दूसरी समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 39
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 41
= [223.01850- 219.00948- 4.00260] × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
या Q= 0.00642 × 931.5
= 5.98 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
∵ दोनों अभिक्रियाओं के Q-मान धनात्मक हैं, अत: ऊर्जा दृष्टि से दोनों अभिक्रियाएँ सम्भव हैं।

प्रश्न 27.
तीव्र न्यूट्रॉनों द्वारा \(\begin{array}{c}{238} \\ {92}\end{array} \mathbf{U}\) के विखण्डन पर विचार कीजिए। किसी विखण्डन प्रक्रिया में प्राथमिक अंशों (Primary fragments) के बीटा-क्षय के पश्चात् कोई न्यूट्रॉन उत्सर्जित नहीं होता तथा \(\begin{array}{c}{140} \\ {58}\end{array} \mathbf{C} \mathbf{e}\) तथा । \(\begin{array}{l}{99} \\ {34}\end{array} \mathbf{R} \mathbf{u}\) अन्तिम उत्पाद प्राप्त होते हैं। विखण्डन प्रक्रिया के लिए Q के मान का परिकलन कीजिए। आवश्यक आँकड़े इस प्रकार हैं
m(\(\begin{array}{c}{238} \\ {92}\end{array} \mathbf{U}\)) = 238.05079u
m(\(\begin{array}{c}{140} \\ {58}\end{array} \mathbf{C} \mathbf{e}\)) = 139.90543u
m(\(\begin{array}{l}{99} \\ {34}\end{array} \mathbf{R} \mathbf{u}\)) = 98.90594u
हल
\(\begin{array}{c}{238} \\ {92}\end{array} \mathbf{U}\) की विखण्डन अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है
\(_{92}^{238} \mathrm{U}+\frac{1}{0} n \longrightarrow_{58}^{140} \mathrm{Ce}+_{34}^{99} \mathrm{Ru}+Q\)
इस समीकरण का Q-मान निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 42
= [238.05079+1.00867- 139.90543- 98.90594] x 931.5मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.24809 x 931.5
= 231 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

MP Board Solutions

प्रश्न 28.
D-T अभिक्रिया (ड्यूटीरियम- ट्राइटियम संलयन),\(_{1}^{2} H+_{1}^{3} H \rightarrow \begin{array}{l}{4} \\ {2}\end{array} H e+n\) पर विचार कीजिए। .
(a) नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर अभिक्रिया में विमुक्त ऊर्जा का मान मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट में ज्ञात कीजिए
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 43
(b) ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम दोनों की त्रिज्या लगभग 1.5 फैमटोमीटर मान लीजिए। इस अभिक्रिया में, दोनों नाभिकों के मध्य कूलॉम प्रतिकर्षण से पार पाने के लिए कितनी गतिज ऊर्जा की आवश्यकता है? अभिक्रिया प्रारम्भ करने के लिए गैसों (D तथा T गैसें) को किस ताप तक ऊष्मित किया जाना चाहिए?
(संकेत : किसी संलयन क्रिया के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा = संलयन क्रिया में संलग्न कणों की औसत तापीय गतिज ऊर्जा = \(\mathbf{2}\left(\frac{3 \boldsymbol{k} \boldsymbol{T}}{\mathbf{2}}\right) ; \boldsymbol{k}:\) बोल्ट्जमान नियतांक तथा T = परम ताप)
हल
(a) दी गई अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है
\(_{1}^{2} \mathrm{H}+_{1}^{3} \mathrm{H} \longrightarrow_{2}^{4} \mathrm{He}+_{0}^{1} n+Q\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 44
= [2.014102 + 3.016049- 4.002603-1.008665] x 931.5
= 0.018883x 931.5
= 17.59 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

(b) ड्यूटीरियम तथा ट्राइटियम प्रत्येक पर आवेश.
q1 + q2 = + 1.6 x 10-19 कूलॉम .
प्रत्येक की त्रिज्या r = 1.5 फैमटोमीटर
= 1.5×10-15 मीटर
दोनों के बीच कूलॉम अवरोध U = निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा जबकि दोनों परस्पर सम्पर्क में हैं।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 45
माना उक्त कूलॉम अवरोध को पार करने के लिए प्रत्येक कण को K गतिज ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
तब K+ K=U
⇒ 2K =U
अतः कुल गतिज ऊर्जा \(=\frac{7.68 \times 10^{-14}}{1: 6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 480.0 किलो इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
परन्तु कण की तापीय गतिज ऊर्जा
K = \(\frac{3}{2} k T\)
\(\frac{3}{2} k T=\frac{1}{2} U \quad \Rightarrow \quad T=\frac{U}{3 k}\)
अभीष्ट परम ताप T = \(\frac{7.68 \times 10^{-14}}{3 \times 1.38 \times 10^{-23}}\)
= 1.85x 109K

प्रश्न 29.
नीचे दी गई क्षय-योजना में, १-क्षयों की विकिरण आवृत्तियाँ एवं -कणों की अधिकतम गतिज ऊर्जाएँ ज्ञात कीजिए। दिया है :
m (198Au) = 197.968233u
m (198Hg) = 197.966760u
हल
चित्र से, E1 = \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा = 0 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
E2 = \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) की प्रथम उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा = 0.412 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
E3 = \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) की द्वितीय उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा = 1.088 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
माना उत्सर्जित γ फोटॉनों (γ12 व γ3) की आवृत्तियाँ क्रमशः ν12 व ν3 हैं। –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 46
तब
ν1 = \(\frac { ΔE }{ h }\) = \(\frac{E_{3}-E_{1}}{h}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 47
= 2.63 x 1020 हर्ट्स।

ν2 = \(\frac{E_{2}-E_{1}}{h}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 48
= 9.96 x 1019 हर्ट्स।

ν3 = \(\frac{E_{3}-E_{2}}{h}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 49
6.62x 10-34
= 1.63x 1020 हर्ट्स।

जबकि इन फोटॉनों की ऊर्जाएँ निम्नलिखित हैं –
E(γ1) = E3 – E1
= 1.088 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ।

E(γ2)= E2 – E1
= 0.412 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट

E(γ3) = E3 – E2= 1.088-0.412 .
= 0.676 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट

\(\begin{array}{l}{198} \\ {79}\end{array} \mathrm{Au}\) के β1-क्षय में Au नाभिक पहले एक β कण उत्सर्जित करता है तत्पश्चात् 11-फोटॉन को उत्सर्जित करके \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) नाभिक में बदल जाता है, अत: \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Au}\) के E(β1) -क्षय का समीकरण निम्नलिखित है
\(_{79}^{198} \mathrm{Au} \longrightarrow_{80}^{198} \mathrm{Hg}+_{-1}^{0} e+\cdot E\left(\beta_{1}^{-}\right)+E\left(y_{1}\right)\)
यहाँ E(β1) तथा E(γ1) इन कणों की ऊर्जाएँ हैं। स्पष्ट है कि E(β1) का मान अधिकतम होमा यदि \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) की गतिज ऊर्जा शून्य हो। अर्थात् अभिक्रिया की सम्पूर्ण ऊर्जा केवल 8-कण तथा y-फोटॉन की ऊर्जा के रूप में निकले।
β-कण की महत्तम गतिज ऊर्जा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 50
\(\begin{array}{l}{198} \\ {79}\end{array} \mathrm{Au}\) के β2-क्षय में Au नाभिक पहले β-कण उत्सर्जित करता है तत्पश्चात् γ2 फोटॉन उत्सर्जित करता हुआ \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) नाभिक में बदल जाता है।

इस क्षय का समीकरण निम्नलिखित है-
\(_{79}^{198} \mathrm{Au} \longrightarrow_{80}^{198} \mathrm{Hg}+_{-1}^{0} e+E\left(\beta_{2}^{-}\right)+E\left(\gamma_{2}\right)\)
∴ उत्सर्जित β2 -कण की महत्तम गतिज ऊर्जा .
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 51

प्रश्न 30.
सूर्य के अभ्यन्तर में (a) 1 किग्रा हाइड्रोजन के संलयन के समय विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (b) विखण्डन रिऐक्टर में 1.0 किग्रा 235U के विखण्डन में विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (c) प्रश्न के खण्ड (a) तथा (b) में विमुक्त ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।
हल :
(a) सूर्य के अभ्यन्तर में हाइड्रोजन के 4 परमाणु निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार संलयित होकर . हीलियम परमाणु का निर्माण करते हैं तथा लगभग 26 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 52
∵ हाइड्रोजन का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 1 ग्राम
∴ 1 ग्राम हाइड्रोजन में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 1 किग्रा (= 1000 ग्राम) में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1026
∵ हाइड्रोजन के 4 परमाणुओं से उत्पन्न ऊर्जा = 26 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ 1 परमाणु से उत्पन्न ऊर्जा = \(\frac { 26 }{4 }\) मिलियन. इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ 6.02 × 1026 परमाणुओं से उत्पन्न ऊर्जा = \(\frac{26 \times 6.02 \times 10^{26}}{4}\)
= 39.13 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ सूर्य के अभ्यन्तर में ‘1 किग्रा हाइड्रोजन के संलयन से उत्पन्न ऊर्जा
.. = 39.13 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट। .

(b) हम जानते हैं कि विखण्डन रिऐक्टर में निम्न अभिक्रिया के अनुसार \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array} \mathrm{u}\) के एक परमाणु के विखण्डन से. लगभग 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है।
\(_{92}^{235} \mathrm{U}+_{0}^{1} n \longrightarrow_{56}^{141} \mathrm{Ba}+_{36}^{92} \mathrm{Kr}+3_{0}^{1} n+200\) मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा
∵ 235 ग्राम यूरेनियम में परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 1 ग्राम यरेनियम में परमाणओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23}}{235}\)
∴ 1 किग्रा (= 1000 ग्राम) यूरेनियम में परमाणुओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23} \times 1000}{235}\)
= 25.62 × 1023
1 परमाणु के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा = 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ 25.62 × 1023 परमाणुओं से प्राप्त ऊर्जा = 200 × 25.62 × 1023
= 5.124 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
या 1 किग्रा \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array} \mathrm{u}\) के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा = 5.12 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

(c)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 53
= 7.64≈8
अर्थात् 1 किग्रा हाइड्रोजन के संलयन से प्राप्त ऊर्जा, 1 किग्रा 235U के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा की लगभग 8 गुनी है।

MP Board Solutions

प्रश्न 31.
मान लीजिए कि भारत का लक्ष्य 2020 तक 200,000 मेगावाट विद्युत शक्ति जनन का है। इसका 10% नाभिकीय शक्ति संयंत्रों से प्राप्त होना है। माना कि रिऐक्टर की औसत उपयोग दक्षता (ऊष्मा को विद्युत में परिवर्तन करने की क्षमता) 25% है। 2020 के अन्त तक हमारे देश को प्रति वर्ष कितने विखण्डनीय यूरेनियम की आवश्यकता होगी? 2350 प्रति विखण्डन उत्सर्जित ऊर्जा 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। ..
हल
कुल ऊर्जा लक्ष्य = 200,000 मिलियन/वाट
∴ नाभिकीय संयंत्रों से प्राप्त शक्ति = 10% × 200,000 मेगावाट
= \(\frac { 10 }{100 }\) × 200,000 × 106 वाट = 2 × 1010 वाट
∴ प्रतिवर्ष नाभिकीय संयंत्रों से प्राप्त ऊर्जा
= 2x 1010 जूल/सेकण्ड × 1 × 365 × 24 × 60 × 60 सेकण्ड
= 6.31x 1017 जूल
माना संयंत्रों में विखण्डन हेतु – किग्रा 235U की प्रतिवर्ष आवश्यकता होती है।
∵ 235 ग्राम 235U में परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 1 ग्राम 235U में परमाणुओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23}}{235}\)
∴ x किग्रा (= x × 1000 ग्राम) यूरेनियम में परमाणुओं की संख्य = \(\frac{6.02 \times 10^{23} \times x \times 10^{3}}{235}\)
= 25.62 x × x 1023
235U के एक परमाणु के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा = 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ x किग्रा 235U के परमाणुओं के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा
= 25.62 x × x 1023 × 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 51.24 x × x 1025 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 51.24 x × x 1025 × 1.6 × 10-13 जूल
= 81.98 x × x 1012 जूल
∵ संयंत्रों की दक्षता 25% है, अत: संयंत्रों से प्राप्त उपयोगी ऊर्जा
= η x 81.98 x × x 1012
= \(\frac { 25 }{100 }\) × 81.98 x × x 1012 जूल
∴ \(\frac { 25 }{100 }\) × 81.98 x × x 1012 = 6.31 x 1017
\( x=\frac{6.31 \times 10^{17} \times 100}{25 \times 81.98 \times 10^{12}}\)
= 3.078x 104 किग्रा।

नाभिक NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LO Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

नाभिक बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मान लीजिए हम ऐसे बहुत से पात्रों पर विचार करते हैं जिनमें प्रत्येक में प्रारम्भ में 1 वर्ष अर्द्ध-आयु वाले रेडियोऐक्टिव पदार्थ के 10000 परमाणु हैं। 1 वर्ष के पश्चात्
(a) सभी पात्रों में इस पदार्थ के 5000 परमाणु होंगे ।
(b) सभी पात्रों में इस पदार्थ के परमाणुओं की संख्या समान होगी, परन्तु यह लगभग 5000 होगी
(c) सामान्य तौर पर इन पात्रों में इस पदार्थ के परमाणुओं की संख्या समान होगी, परन्तु इनका औसत 5000 के निकट होगा
(d) किसी भी पात्र में इस पदार्थ के 5000 परमाणुओं से अधिक नहीं होंगे।
उत्तर
(c) सामान्य तौर पर इन पात्रों में इस पदार्थ के परमाणुओं की संख्या समान होगी, परन्तु इनका औसत 5000 के निकट होगा

प्रश्न 2.
किसी हाइड्रोजन परमाणु तथा m द्रव्यमान के किसी अन्य कण के मध्य गुरुत्वीय बल को न्यूटन के नियम द्वारा निरूपित किया जाएगा
\(\boldsymbol{F}=\boldsymbol{G} \frac{\boldsymbol{M} \cdot \boldsymbol{m}}{\boldsymbol{r}^{2}}\) यहाँ r किलोमीटर में है तथा
(a) M = mप्रोटॉन + mइलेक्ट्रॉन
(b) M = mप्रोटॉन + mइलेक्ट्रॉन \(-\frac{B}{c^{2}}\)(B= 18.6ev)
(c) M हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान से सम्बन्धित नहीं है
(d) M = mप्रोटॉन + mइलेक्टॉन \(-\frac{|V|}{c^{2}}\) (V = H-परमाणु में इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा का परिमाण)।
उत्तर
(b) M = mप्रोटॉन + mइलेक्ट्रॉन \(-\frac{B}{c^{2}}\)(B= 18.6ev)

प्रश्न 3.
जब किसी परमाणु के नाभिक का रेडियोऐक्टिव विघटन होता है तो परमाणु के इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा स्तरों में
(a) किसी भी प्रकार की रेडियोऐक्टिवता के लिए कोई परिवर्तन नहीं होता
(b) α एवं β रेडियोऐक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु γ रेडियोऐक्टिवता के लिए कोई परिवर्तन नहीं होते .
(c) α रेडियोऐक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु अन्य के लिए नहीं
(d) β रेडियोऐक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु अन्य के लिए नहीं।
उत्तर
(b) α एवं β रेडियोऐक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु γ रेडियोऐक्टिवता के लिए कोई परिवर्तन नहीं होते .

प्रश्न 4.
ट्राइटियम हाइड्रोजन का एक समस्थानिक है जिसके नाभिक टाइटॉन में दो न्यूट्रॉन और एक प्रोटॉन है। मुक्त न्यूट्रॉन \(p+\bar{e}+\bar{v}\) में विघटित हो जाते हैं। यदि ट्राइटॉन के दो न्यूट्रॉनों में किसी एक न्यूट्रॉन का विघटन होता है, तो यह He3 नाभिक में रूपान्तरित हो जाता, परन्तु ऐसा नहीं होता क्योंकि
(a) ट्राइटॉन की ऊर्जा He3 नाभिक की ऊर्जा से कम होती है
(b) β-विघटन प्रक्रिया में उत्पन्न इलेक्ट्रॉन नाभिक के भीतर नहीं रह सकता
(c) ट्राइटॉन में दोनों न्यूट्रॉन साथ-साथ विघटित होते हैं, जिसके फलस्वरूप तीन प्रोटॉनों का एक नाभिक बनता है . जो He3 नाभिक नहीं होता
(d) क्योंकि मुक्त न्यूट्रॉन बाह्म क्षोभ के कारण विघटित होते हैं और ट्राइटॉन नाभिक में मुक्त न्यूट्रॉन नहीं होते।
उत्तर
(a) ट्राइटॉन की ऊर्जा He3 नाभिक की ऊर्जा से कम होती है

प्रश्न 5.
स्थायी भारी नाभिकों में न्यूट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों से अधिक होती है। इसका कारण यह है कि
(a) न्यूट्रॉन, प्रोटॉन से अधिक भारी होते हैं।
(b) प्रोटॉनों के बीच स्थिर विद्युत बल प्रतिकर्षणात्मक होता है
(c) β विघटन द्वारा न्यूट्रॉन, प्रोटॉनों में विघटित हो जाते हैं
(d) न्यूट्रॉनों के बीच नाभिकीय बल प्रोटॉन के बीच नाभिकीय बल की अपेक्षा दुर्बल होता है।
उत्तर
(b) प्रोटॉनों के बीच स्थिर विद्युत बल प्रतिकर्षणात्मक होता है

प्रश्न 6.
किसी नाभिकीय रिऐक्टर में अवमन्दक विखण्डन प्रक्रिया में मुक्त न्यूट्रॉनों की गति को मन्द कर देते हैं। अवमन्दक के रूप में हल्के नाभिकों का प्रयोग किया जाता है। भारी नाभिक यह उद्देश्य पूरा नहीं कर सकते, क्योंकि
(a) वे टूट जाएँगे
(b) भारी नाभिकों के साथ न्यूट्रॉनों का प्रत्यास्थ संघट्ट उन्हें धीमा नहीं करेगा
(c) रिऐक्टर का नेट भार अत्यधिक हो जाएगा
(d) भारी नाभिकों वाले पदार्थ कक्ष-ताप पर द्रव अथवा गैसीय अवस्था में नहीं पाए जाते।
उत्तर
(b) भारी नाभिकों के साथ न्यूट्रॉनों का प्रत्यास्थ संघट्ट उन्हें धीमा नहीं करेगा

MP Board Solutions

नाभिक अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
\(\begin{array}{l}{3} \\ {2}\end{array} \mathbf{H} \mathbf{e}\) तथा \(\begin{array}{l}{3} \\ {1}\end{array} \mathbf{H} \mathbf{e}\) नाभिकों की द्रव्यमान संख्याएँ समान हैं। क्या इनकी बन्धन ऊर्जाएँ भी समान हैं?
उत्तर
नहीं, \(\begin{array}{l}{3} \\ {2}\end{array} \mathbf{H} \mathbf{e}\) नाभिक की बन्धन ऊर्जाएँ तुलनात्मक रूप में अधिक होंगी।

प्रश्न 2.
सक्रिय नाभिकों की संख्या में परिवर्तन के साथ विघटन की दर में परिवर्तन । दर्शाने वाला ग्राफ खींचिए।
उत्तर :
सक्रिय नाभिकों की संख्या में विघटन की \(\left(-\frac{d N}{d t}\right) \propto N\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 54

प्रश्न 3.
चित्र-13.4 में दर्शाए दो नमूनों A तथा B में किसकी औसत आयु कम
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 55
उत्तर
नमूने B के विघटन की दर अधिक है, अत: B की औसत आयु A की | तुलना में कम है।

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन -विकिरण उत्सर्जित नहीं कर सकता और क्योंउत्तेजित नाभिक, उत्तेजित इलेक्ट्रॉन?
उत्तर
उत्तेजित इलेक्ट्रॉन γ-विकिरण उत्सर्जित नहीं कर सकता है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा-स्तरों का ऊर्जा परास eV कोटि का होता है जबकि γ-विकिरण की ऊर्जा MeV कोटि की होती है।

प्रश्न 5.
युग्म विलोपन में एक इलेक्ट्रॉन तथा एक पॉजिट्रॉन एक-दूसरे का अस्तित्व समाप्त कर गामा विकिरण उत्पन्न करते हैं। इसमें संवेग संरक्षण कैसे होता है?
उत्तर
युग्म विलोपन में एक इलेक्ट्रॉन तथा एक पॉजिट्रॉन एक-दूसरे का अस्तित्व समाप्त कर दो गामा फोटॉन उत्पन्न करते हैं जो संवेग संरक्षण के लिए परस्पर विपरीत दिशाओं में गति करते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्थायी नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या न्यूट्रॉनों की संख्या से कदापि अधिक नहीं हो सकती, क्यों?
उत्तर
नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों के बीच वैद्युत प्रतिकर्षण बल कार्य करता है। 10 से अधिक प्रोटॉन वाले नाभिक में यह प्रतिकर्षण बल इतना अधिक हो जाता है कि नाभिक के स्थायित्व के लिए न्यूट्रॉनों की संख्या, प्रोटॉनों की संख्या से अधिक होनी चाहिए।

प्रश्न 2.
यदि Z1 = N2 तथा Z2 = N1 हो तो किसी नाभिक को किसी दूसरे नाभिक का दर्पण समभारिक कहा जाता है।
(a) \(_{11}^{23} \mathrm{Na}\) का दर्पण समभारिक नाभिक क्या है?
(b) दो दर्पण समभारिकों में से किस नाभिक की बन्धन ऊर्जा अधिक है और क्यों? .
उत्तर
(a) \(_{11}^{23} \mathrm{Na}\) का दर्पण समभारिक नाभिक \(_{12}^{23} \mathrm{Na}\) है।
(b) यहाँ Z2 > Z1, अतः Mg नाभिक की बन्धन ऊर्जा Na नाभिक से अधिक है।

MP Board Solutions

नाभिक आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी प्राचीन इमारत के खण्डहर से प्राप्त लकड़ी के एक टुकड़े में 14C की सक्रियता इसके कार्बन अंश की 12 विघटन प्रति मिनट प्रति ग्राम पायी जाती है। किसी सजीव लकड़ी की 14C की सक्रियता 16 विघटन प्रति मिनट प्रति ग्राम होती है। कितने समय से पूर्व वह वृक्ष जिसकी लकड़ी का यह प्राप्त नमूना है, काटा गया था?
14C की अर्द्ध-आयु 5760 वर्ष है।
हल
दिया है, R= 12 विघटन प्रति मिनट प्रति ग्राम
R0 = 16 विघटन प्रति मिनट प्रति ग्राम .
अर्द्ध-आयु (T) = 5760 वर्ष ।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 57

MP Board Class 12th Physics Solutions

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न: 1.
चित्र 8.1 में एक संधारित्र दर्शाया गया है जो 12 सेमी त्रिज्या की दो वृत्ताकार प्लेटों को 5.0 सेमी की दूरी पर रखकर बनाया गया है। संधारित्र को एक बाह्य स्त्रोत (जो चित्र में नहीं दर्शाया गया है) द्वारा आवेशित किया जा रहा है। आवेशकारी धारा नियत है और इसका मान 0.15 ऐम्पियर है।
(a) धारिता एवं प्लेटों के बीच विभवान्तर परिवर्तन की दर का परिकलन कीजिए।
(b) प्लेटों के बीच विस्थापन धारा ज्ञात कीजिए।
(c) क्या किरचॉफ का प्रथम नियम संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर लागू होता है? स्पष्ट कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 1
हल :
दिया है : प्लेट की त्रिज्या r = 0.12 मीटर, बीच की दूरी d = 0.05 मीटर
आवेशन धारा i= 0.15 ऐम्पियर
(a) संधारित्र की धारिता \(C=\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)
[∵ A =πr2 = 3.14 × (0.12)2]
\(=\frac{8.854 \times 10^{-12} \times 3.14 \times(0.12)^{2}}{0.05}\)
= 8.01 × 10-12F= 8.01 pF.
किसी क्षण संधारित्र पर आवेश q= CV ⇒ V=\(\frac { q }{ C }\)
∴\(\frac{d V}{d t}=\frac{1}{C} \frac{d q}{d t}=\frac{1}{C} i\)    ( ∵ \(\frac{d q}{d t}=i\) )
∴ विभवान्तर परिवर्तन की दर \(\frac{d V}{d t}=\frac{0.15}{8.01 \times 10^{-12}}\)
= 1.87 × 1010 वोल्ट सेकण्ड-1.

(b). प्लेटों पर विस्थापन धारा \(i_{D}=\varepsilon_{0} \frac{d \phi_{E}}{d t}\)
जहाँ कै ΦE प्लेटों के बीच स्थित किसी बन्द लूप से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स है।
∵ प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र \(E=\frac{q}{\varepsilon_{0} A}\)
∴ यदि लूप का क्षेत्रफल A है तो
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 2
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 10

(c) हाँ, किरचॉफ का प्रथम नियम संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर भी लागू होता है क्योंकि
प्लेट तक आने वाली चालन धारा = प्लेट से आगे जाने वाली विस्थापन धारा

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र (चित्र 8.2), R = 6.0 सेमी त्रिज्या की दो वृत्ताकार प्लेटों से बना है और इसकी धारिता C = 100 pF है। संधारित्र को 230 वोल्ट, 300 रेडियन सेकण्ड-1 की (कोणीय) आवृत्ति के किसी स्त्रोत से जोड़ा गया है।
(a) चालन धारा का r.m.s. मान क्या है?
(b) क्या चालन धारा विस्थापन धारा के बराबर है?
(c) प्लेटों के बीच, अक्ष से 3.0 सेमी की दूरी पर स्थित बिन्दु पर B का आयाम ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 3
हल :
दिया है : Vrms = 230 वोल्ट, ω = 300 रेडियन सेकण्ड-1, C = 100 × 10-12F. ..
त्रिज्या R = 0.06 मीटर
(a) चालनं धारा का rms मान \(i_{r m s}=\frac{V_{r m s}}{1 / \omega C}=V_{r m s} \omega C\)
= 230 × 300 × 100 × 10-12
= 6.9 × 10-6 ऐम्पियर
= 6.9 माइक्रोऐम्पियर।
(b) हाँ, संधारित्र के लिए सदैव ही चालन धारा विस्थापन धारा के बराबर होती है, भले ही धारा दिष्ट हो अथवा प्रत्यावर्ती।
(c) प्लेटों के बीच r= 0.03 मीटर त्रिज्या के बन्द लूप पर विचार कीजिए जिसका तल प्लेटों के तल के समान्तर है। इस लूप के प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण समान तथा दिशा स्पर्शरेखीय होगी जबकि वैद्युत क्षेत्र E लूप के तल के प्रत्येक बिन्दु पर समान तथा इसकी दिशा लूप के तल के लम्बवत् होगी।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 4
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 5

प्रश्न 3.
10-10 मीटर तरंगदैर्घ्य की x-किरणों, 6800 A तरंगदैर्घ्य के प्रकाश तथा 500 मीटर की रेडियो तरंगों के लिए किस भौतिक राशि का मान समान है?
हल :
उक्त तीनों प्रकार की तरंगों की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्तियाँ भिन्न-भिन्न हैं परन्तु ये सभी वैद्युतचुम्बकीय तरंगें हैं, अत: इन सबकी निर्वात में चाल (c = 3 x 108 मीटर सेकण्ड-1) समान है। .

प्रश्न 4.
एक समतल वैद्युतचुम्बकीय तरंग निर्वात में Z-अक्ष के अनुदिश चल रही है। इसके वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के सदिश की दिशा के बारे में आप क्या कहेंगे? यदि तरंग की आवृत्ति 30 मेगाहर्ट्स हो तो उसकी तरंगदैर्घ्य कितनी होगी?
हल :
वैद्यत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के सदिशों की दिशाएँ तरंग संचरण की दिशा (Z-अक्ष) के लम्बवत् अर्थात् :समतल के समान्तर होंगी तथा परस्पर भी लम्बवत् होंगी। ::
∵ आवृत्ति υ = 30 × 106 हर्ट्स
तथा चाल c = 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
∴ तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{30 \times 10^{6}}\) = 10 मीटर।

प्रश्न 5.
एक रेडियो 7.5 मेगाहर्ट्स से 12 मेगाहर्ट्स बैण्ड के किसी स्टेशन से समस्वरित हो सकता है। संगत तरंदैर्घ्य बैण्ड क्या होगा?
हल :
दिया है, आवृत्ति बैण्ड υ1 = 7.5 × 106 हर्ट्स से υ2 = 12 × 106 हर्ट्स ।
चाल c = 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
∴ \(\lambda_{1}=\frac{c}{v_{1}}=\frac{3 \times 10^{8}}{7.5 \times 10^{6}}\) = 40 मीटर
तथा \(\lambda_{2}=\frac{c}{v_{2}}=\frac{3 \times 10^{8}}{12 \times 10^{6}}\) = 25 मीटर
∴ संगत तरंगदैर्घ्य बैण्ड 25 मीटर – 40 मीटर होगा।

प्रश्न 6.
एक आवेशित कण अपनी माध्य साम्यावस्था के दोनों ओर 109 हर्ट्स आवृत्ति से दोलन करता है। दोलक द्वारा जनित वैद्युतचुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति कितनी है?
हल :
हम जानते हैं कि त्वरित अथवा कम्पित आवेशित कण कम्पित वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। यह वैद्युत क्षेत्र, कम्पित चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। ये दोनों क्षेत्र मिलकर वैद्युतचुम्बकीय तरंग उत्पन्न करते हैं; जिसकी आवृत्ति, कम्पित कण के दोलनों की आवृत्ति के बराबर होती है। ..
∴ तरंगों की आवृत्ति υ = 109 हौ।

प्रश्न 7.
निर्वात में एक आवर्त वैद्युतचुम्बकीय तरंग के चुम्बकीय क्षेत्र वाले भाग का आयाम B0 = 510 नैनो टेस्ला है। तरंग के वैद्युत क्षेत्र वाले भाग का आयाम क्या है?
हल :
निर्वात में, B0 = 510 नैनोटेस्ला ।
= 510 × 10-9 टेस्ला
यदि निर्वात में वैद्युत क्षेत्र वाले भाग का आयाम = Eo
तब \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) ⇒ Eo = cBo
Eo = 3 × 108 × 510 × 10-9
= 153 वोल्ट मीटर-1

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि एक वैद्युतचुम्बकीय तरंग के वैद्युत क्षेत्र का आयाम E0 = 120 न्यूटन/कूलॉम है तथा इसकी आवृत्ति υ = 50.0 मेगाहर्ट्स है। (a) Bo , ω , k तथा λ ज्ञात कीजिए, (b) E तथा B के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। .
हल :
दिया है : E0 = 120 न्यूटन कूलॉम-1,
υ = 50.0 × 106 हर्ट्स .
तरंग वेग c= 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
(a) सूत्र \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) से,
\(B_{0}=\frac{E_{0}}{c}=\frac{120}{3 \times 10^{8}}\) = 4.0 × 10-7 टेस्ला
= 400 नैनोटेस्ला ।
ω = 2 πυ = 2 × 3.14 × 50 × 106
= 3.14 × 108 रेडियन सेकण्ड-1
Eok= Bo ω से,
\(k=\frac{B_{0} \omega}{E_{0}}=\frac{400 \times 10^{-9} \times 3.14 \times 10^{8}}{120}\)
= 1.05 रेडियन मीटर-1
\(\lambda=\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{50 \times 10^{6}}\)= 6 मीटर।

(b) माना तरंग X-अक्ष की दिशा में गतिशील है, तब वैद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र क्रमश: Y. तथा Z-अक्ष की दिशाओं में माने जा सकते हैं।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 6

प्रश्न 9.
वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न भागों की पारिभाषिकी पाठ्यपुस्तक में दी गई है। सूत्र E = hυ (विकिरण के एक क्वांटम की ऊर्जा के लिए : फोटॉन) का उपयोग कीजिए तथा em (वैद्युतचुम्बकीय) वर्णक्रम (वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम) के विभिन्न भागों के लिए इलेक्ट्रॉन वोल्ट (ev) के मात्रक में फोटॉन की ऊर्जा निकालिए। फोटॉन ऊर्जा के जो विभिन्न परिमाण आप पाते हैं वे वैद्युतचुम्बकीय विकिरण के स्रोतों से किस प्रकार सम्बन्धित हैं?
हल :
सूत्र E = hυ जूल = \(\frac{h c}{\lambda}\) जूल = \(\frac{h c}{e \lambda} \mathrm{e} \mathrm{V}\)
∵ h = 6.62 × 10-34 जूल सेकण्ड-1, c= 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
e = 1.6 × 10-19C
∴ \(E=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{1.6 \times 10^{-19} \times \lambda}=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{\lambda}\) इलेक्ट्रॉन वोल्ट (ev)

(1) γ-किरणें-इन किरणों का माध्य तरंगदैर्घ्य 10-12 मीटर है। अत:
\(E_{1}=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-12}}=1.24 \times 10^{6} \mathrm{eV}\)
≈ 106 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
अत: γ -किरणों की माध्य ऊर्जा 106 इलेक्ट्रॉन वोल्ट होती है।

(2) x-किरणें-इनकी माध्य तरंगदैर्घ्य 10-9 मीटर है।
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-9}} \approx 10^{3} \text { setagity alteel }\)
≈ 10 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
इनकी माध्य ऊर्जा 103 इलेक्ट्रॉन वोल्ट होती है।

(3) पराबैंगनी विकिरण–इनकी माध्य तरंगदैर्घ्य 10-8 मीटर होती है।
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-8}}=1.24 \times 10^{2} \mathrm{eV}\)
≈102 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।

(4) दृश्य-प्रकाश–इनकी माध्य तरंगदैर्ध्य 10-6 मीटर होती है।
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-6}}\)
= 1.24 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।

(5) सूक्ष्म तरंगें-इनकी माध्य तरंगदैर्ध्य 10-2 मीटर है जिसके लिए .
\(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-2}}\)
= 1.24 × 10-4 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।

(6) रेडियो तरंगें—इनकी माध्य तरंगदैर्घ्य 103 मीटर है। .
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{3}}\)
= 1.24 × 10-9 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।

उक्त ऊर्जा परिणामों से स्पष्ट होता है कि γ-किरणें नाभिक के संक्रमण से निकलती हैं, X-किरणें पराबैंगनी विकिरण तथा दृश्य प्रकाश परमाणुओं के संक्रमण के कारण उत्सर्जित होते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 10.
एक समतल em (वैद्युतचुम्बकीय) तरंग में वैद्युत क्षेत्र, 2.0 × 1010 हर्ट्स आवृत्ति तथा 48 वोल्ट मीटर-1 आयाम से ज्या वक्रीय रूप से दोलन करता है।
(a) तरंग की तरंगदैर्घ्य कितनी है?
(b) दोलनशील चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम क्या है?
(c) यह दर्शाइए कि \(\overrightarrow{\mathbf{E}}\) क्षेत्र का औसत ऊर्जा घनत्व, \(\overrightarrow{\mathbf{B}}\) क्षेत्र के औसत ऊर्जा घनत्व के बराबर है। [c= 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1]
हल :
दिया है : E0 = 48 वोल्ट मीटर-1, वैद्युत क्षेत्र की आवृत्ति = 2.0 × 1010 हर्ट्स
(a) ∵ तरंग की आवृत्ति υ = वैद्युत क्षेत्र की आवृत्ति = 2 × 1010 हर्ट्स
∴ तरंग की तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{2 \times 10^{10}}\)
= 1.5 × 10-2 मीटर।

(b) \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) से, चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम \(B_{0}=\frac{E_{0}}{c}=\frac{48}{3 \times 10^{8}}\)
= 1.6 × 10-7 टेस्ला ।

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 7

प्रश्न 11.
कल्पना कीजिए कि निर्वात में एक वैद्युतचुम्बकीय तरंग का वैद्युत क्षेत्र E = {(3.1 न्यूटन/कूलॉम) cos [(1.8 रेडियन मीटर-1) y+ (5.4 × 106 रेडियन सेकण्ड-1)t}}\(\hat{\mathbf{i}}\)
(a) तरंग संचरण की दिशा क्या है?
(b) तरंगदैर्घ्य λ कितनी है?
(c) आवृत्ति υ कितनी है?
(d) तरंग के चुम्बकीय क्षेत्र सदिश का आयाम कितना है?
(e) तरंग के चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक लिखिए। .
हल’:
दिया है, E = {(3.1) cos [1.8y+ 5.4 × 106 t]}\(\hat{\hat{\mathbf{\imath}}}\).
जहाँ E न्यूटन/कूलॉम में, दूरी मीटर में तथा समय सेकण्ड में है।
इसकी तुलना E = Eo cos (ky + ωt) \(\hat{\hat{\mathbf{\imath}}}\) से करने पर,
k = 1.8 रेडियन मीटर-1, ω = 5.4 × 106 रेडियन सेकण्ड-1
E0 = 3.1 न्यूटन कूलॉम-1
(a) पद ky में गुणांक y से स्पष्ट है कि यह तरंग ऋणात्मक Y-अक्ष के अनुदिश गतिशील है।
(b)
∵ \(k=\frac{2 \pi}{\lambda} \)
∴ \(\lambda=\frac{2 \pi}{k}\)
या  तरगदध्य तरंगदैर्घ्य \lambda=\frac{2 \times 3.14}{1.8}= 3.48 मीटर ≈ 3.5 मीटर।
= 1.8

(c) ω = 2 πυ से, \(\nu=\frac{\omega}{2 \pi}\)
∴ आवृत्ति \(v=\frac{5.4 \times 10^{6}}{2 \times 3.14}\)
= 8.6 × 105 हर्ट्स
= 0.86 मेगाहर्ट्स।

(d) ∵ E0 = 3.1 न्यूटन कूलॉम-1, c = 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
∴ \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) से, चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम \(B_{0}=\frac{E_{0}}{c}=\frac{3.1}{3 \times 10^{8}}\)
= 10 × 10-8 टेस्ला
= 10 नैनोटेस्ला।

(e) ∵ तरंग ऋणात्मक Y-अक्ष की दिशा में गतिशील है तथा वैद्युत क्षेत्र के कम्पन X-अक्ष की दिशा में हैं, अत: चुम्बकीय क्षेत्र के कम्पन Z-अक्ष की दिशा में होंगे। ∴ चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक ।
B= Bo cos (ky + ωt) \(\hat{\mathbf{k}}\)
= 10 नैनोटेस्ला cos (1. 8 रेडियन मीटर-1 y+ 5.4 x 106 रेडियन सेकण्ड-1t) \(\hat{\mathbf{k}}\)

प्रश्न 12.
100 वाट वैद्युत बल्ब की शक्ति का लगभग 5% दृश्य विकिरण में बदल जाता है।
(a) बल्ब से 1 मीटर की दूरी पर
(b) 10 मीटर की दूरी पर दृश्य विकिरण की औसत तीव्रता कितनी है?
यह मानिए कि विकिरण समदैशिकतः उत्सर्जित होता है और परावर्तन की उपेक्षा कीजिए।
हल:
दृश्य विकिरण में उत्सर्जित शक्ति = \(\frac{5}{100} \times 100\) = 5 वाट
(a)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 8
\(=\frac{5}{4 \times 3.14 \times 1}\) = 0.4 वाट मीटर2

(b) r = 10 मीटर की दूरी पर औसत शक्ति = \(\frac{5}{4 \times 3.14 \times(10)^{2}}\)
= 0.004 वाट मीटर2

प्रश्न 13.
em वर्णक्रम (वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम) के विभिन्न भागों के लिए लाक्षणिक ताप परिसरों को ज्ञात करने के लिए λm T= 0.29 सेमी K सूत्र का उपयोग कीजिए। जो संख्याएँ आपको मिलती हैं, वे क्या बतलाती हैं?
हल :
λmT = 0.29 सेमी K सूत्र से स्पष्ट है कि 22 को सेमी में प्रयोग किया गया है,
अतः λm = λm ×10-8Å
∴ λmT = 0.29 सेमी K
⇒ λm x 10-8 × T = 0.29
\(T=\frac{29 \times 10^{6}}{\lambda_{m}(\hat{A})} K\)
(a) λm = 10-12 मीटर = 10-2Å के लिए, (-किरणे)
T = 2.9 × 109 K.
(b) λm = 10-10 मीटर = 1Å के लिए, (x-किरणे)
T = 2.9 × 107 K.
(c) λm = 10-6 मीटर = 104Å के लिए, (दृश्य प्रकाश)
T = 29 × 102 = 2900 K.
(d) λm = 1 मीटर = 1010 Å के लिए,
T = 2.9 × 10-3 K आदि।
उक्त परिणाम स्पेक्ट्रम के विभिन्न तरंगदैर्घ्य परास प्राप्त करने हेतु आवश्यक परम ताप प्रदर्शित करते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 14.
वैद्युतचुम्बकीय विकिरण से सम्बन्धित नीचे कुछ प्रसिद्ध अंक, भौतिकी में किसी अन्य प्रसंग में वैद्युतचुम्बकीय दिए गए हैं। स्पेक्ट्रम के उस भाग का उल्लेख कीजिए जिससे इनमें से प्रत्येक सम्बन्धित है।
(a) 21 सेमी (अन्तरातारकीय आकाश में परमाण्वीय हाइड्रोजन द्वारा उत्सर्जित तरंगदैर्ध्य)
(b) 1057 मेगाहर्ट्स (लैंब-विचलन नाम से प्रसिद्ध, हाइड्रोजन में, पास जाने वाले दो समीपस्थ ऊर्जा स्तरों से उत्पन्न विकिरण की आवृत्ति)
(c) 2.7 K (सम्पूर्ण अन्तरिक्ष को भरने वाले समदैशिक विकिरण से सम्बन्धित ताप-ऐसा विचार जो विश्व में बड़े धमाके ‘बिग बैंग’ के उद्भव का अवशेष माना जाता है।)
(d) 5890 Å – 5896 Å (सोडियम की द्विक रेखाएँ) ।
(e) 14.4 keV [57 Fe नाभिक के एक विशिष्ट संक्रमण की ऊर्जा जो प्रसिद्ध उच्च विभेदन की स्पेक्ट्रमी विधि से सम्बन्धित है (मॉसबौर स्पेक्ट्रोस्कॉपी)।
हल :
(a) दी गई तरंगदैर्घ्य 10-2 मीटर क्रम की है, जो लघु रेडियो तरंग क्षेत्र में पड़ती है।
(b) यह आवृत्ति 109 हर्ट्स की कोटि की है, जो लघु रेडियो तरंग क्षेत्र में पड़ती है।
(c) λm T = 0.29 सेमी K से, T= 2.7 कूलॉम के लिए,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 9
यह तरंगदैर्घ्य माइक्रो तरंगों के क्षेत्र में पड़ती है।
(d) दी गई तरंगदैर्ध्य 10-6 मीटर की कोटि की हैं जो दृश्य विकिरण क्षेत्र में पड़ती हैं।
(e) E = 14.4 kev = 14.4 × 103 eV
परन्तु \(E=\frac{h c}{\lambda e} \mathrm{eV}\)
∴ संगत तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{h c}{e E}=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{1.6 \times 10^{-19} \times 14.4 \times 10^{3}}\)
= 8.6 × 10-11 मीटर
⇒ λ≈ 10-10 मीटर = 1 Å
यह तरंगदैर्घ्य x-किरण क्षेत्र में पड़ती है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए
(a) लम्बी दूरी के रेडियो प्रेषित्र लघु-तरंग बैण्ड का उपयोग करते हैं। क्यों?
(b) लम्बी दूरी के TV प्रेषण के लिए उपग्रहों का उपयोग आवश्यक है। क्यों?
(c) प्रकाशीय तथा रेडियो दूरदर्शी पृथ्वी पर निर्मित किए जाते हैं किन्तु x-किरण खगोल विज्ञान का अध्ययन पृथ्वी का परिभ्रमण कर रहे उपग्रहों द्वारा ही सम्भव है। क्यों?
(d) समतापमण्डल के ऊपरी छोर पर छोटी-सी ओजोन की परत मानव जीवन के लिए निर्णायक है। क्यों?
(e) यदि पृथ्वी पर वायुमण्डल नहीं होता तो उसके धरातल का औसत ताप वर्तमान ताप से अधिक होता है या
कम?
(f) कुछ वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि पृथ्वी पर नाभिकीय विश्व युद्ध के बाद ‘प्रचण्ड नाभिकीय शीतकाल’ होगा जिसका पृथ्वी के जीवों पर विध्वंसकारी प्रभाव पड़ेगा। इस भविष्यवाणी का क्या आधार है?
उत्तर :
(a) ये तरंगें पृथ्वी के आयनमण्डल से परावर्तित होकर वापस पृथ्वी तल की ओर लौट आती हैं और इसी कारण बिना ऊर्जा खोए पृथ्वी पर लम्बी दूरियाँ तय कर पाती हैं।
(b) बहुत लम्बी दूरी के सम्प्रेषण के लिए अति उच्च आवृत्ति की तरंगों की आवश्यकता होती है। आयनमण्डल इन तरंगों को पृथ्वी की ओर परावर्तित नहीं कर पाता। अतः ये तरंगें आयनमण्डल से पार निकल जाती हैं। इन्हें वापस पृथ्वी पर भेजने के लिए उपग्रह की आवश्यकता होती है।
(c) चूँकि पृथ्वी का वायुमण्डल x-किरणों को अवशोषित कर लेता है। अत: x-किरण खगोलविज्ञान का अध्ययन वायुमण्डल से ऊपर उपग्रहों द्वारा ही सम्भव है।
(d) यह ओजोन परत सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली मानव जीवन के लिए हानिकारक पराबैंगनी तरंगों को अवशोषित कर लेती है। अतः ओजोन परत, पृथ्वी पर मानव जीवन की सुरक्षा के लिए अति महत्त्वपूर्ण है।
(e) यदि पृथ्वी पर वायुमण्डल नहीं होता तो हरित गृह प्रभाव नहीं होता। इससे पृथ्वी का ताप वर्तमान ताप की तुलना में कम होता।
(f) प्रचण्ड नाभिकीय युद्ध के बाद पृथ्वी धूल तथा गैसों के विशाल बादल से घिर जाएगी जिसके कारण सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाएगी ओर पृथ्वी बहुत अधिक ठण्डी हो जाएगी।

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कार्बन मोनोक्साइड के एक अणु को कार्बन एवं ऑक्सीजन परमाणुओं में विघटित करने के लिए 11 eV ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस विघटन के लिए उपयुक्त वैद्युतचुम्बकीय विकिरण की न्यूनतम आवृत्ति होती है –
(a) दृश्य क्षेत्र में
(b) अवरक्त क्षेत्र में
(c) पराबैंगनी क्षेत्र में
(d) माइक्रोतरंग क्षेत्र में।
उत्तर :
(c) पराबैंगनी क्षेत्र में

प्रश्न 2.
ऊर्जा फ्लक्स 20 W/सेमी2 का प्रकाश एक अपरावर्ती पृष्ठ पर अभिलम्बवत् आपतित होता है। यदि पृष्ठ का क्षेत्रफल 30 सेमी2 हो तो 30 मिनट में (पूर्ण अवशोषण के लिए) प्रदत्त कुल संवेग होगा –
(a) 36 × 10-5 किग्रा मीटर/सेकण्ड
(b) 36 × 10-4 किग्रा मीटर/सेकण्ड
(c) 108 × 104 किग्रा मीटर/सेकण्ड
(d) 1.08 × 107 किग्रा मीटर/सेकण्ड।
उत्तर :
(b) 36 × 10-4 किग्रा मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 3.
100 W के बल्ब से 3 मीटर की दूरी पर पहुँचने वाले विकिरणों से उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E है। उतनी ही दूरी पर 50 W के बल्ब से आने वाले प्रकार के विकिरणों के कारण उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता होगी
(a) \(\frac{E}{2}\)
(b) 2E
(c) \(\frac{E}{\sqrt{2}}\)
(d) √2E
उत्तर :
(d) √2E.

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
यदि E एवं B क्रमशः वैद्युतचुम्बकीय तरंगों के वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र (सदिश) हों तो . वैद्युतचुम्बकीय तरंगों की संचरण दिशा है –
(a) E के अनुदिश
(b) B के अनुदिश
(c) B × E के अनुदिश
(d) E × B के अनुदिश ।
उत्तर :
(d) E × B के अनुदिश ।

प्रश्न 5.
वैद्युतचुम्बकीय तरंग की तीव्रता में वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र घटकों के योगदानों का अनुपात होता है
(a) c : 1
(b) c2 : 1
(c) 1  :1
(d) √c : 1.
उत्तर :
(c) 1 : 1

प्रश्न 6.
एक द्विध्रुव ऐन्टिना से वैद्युत चुम्बकीय तरंगें बाहर की ओर विकिरित होती हैं जिनके वैद्युत क्षेत्र सदिश का आयाम E0 है। वैद्युत क्षेत्र Eo, जो ऊर्जा संचार का प्रमुख वाहक है, स्रोत से दूरी के साथ इसका परिमाण –
(a) \(\frac{1}{r^{3}}\) के अनुसार घटता है …
(b) \(\frac{1}{r^{2}}\) के अनुसार घटता है ..
(c) \(\frac{1}{r}\) के अनुसार घटता है
(d) अचर बना रहता है। [
उत्तर :
(c) \(\frac{1}{r}\) के अनुसार घटता है

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी सुवाह्य रेडियो का प्रसारक स्टेशन के सापेक्ष अभिविन्यास महत्त्वपूर्ण क्यों होता है?
उत्तर :
वैद्युतचुम्बकीय तरंगें समतल ध्रुवित होती हैं, अत: अभिग्राही ऐन्टिना इन तरंगों के वैद्युतचुम्बकीय भाग के समान्तर होना चाहिए।

प्रश्न 2.
माइक्रोवेव ओवन जल अणु युक्त खाद्य पदार्थ का ऊष्मन सर्वाधिक प्रभावी ढंग से क्यों करता है?
उत्तर :
माइक्रोवेव ओवन जल अणुयुक्त खाद्य पदार्थ का ऊष्मन सर्वाधिक प्रभावी ढंग से करता है क्योंकि माइक्रोवेव की आवृत्ति, जल के अणुओं की अनुनाद आवृत्ति के बराबर होती है।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
किसी समान्तर प्लेट संधारित्र पर आवेश q= qo cos 2πυt के अनुसार परिवर्तित होता है। इसकी प्लेटें बहुत विशाल (क्षेत्रफल = A) हैं और एक-दूसरे के बहुत पास-पास रखी हैं (पृथकन = d)। कोर प्रभावों को नगण्य मानते हुए संधारित्र में विस्थापन धारा की गणना कीजिए।
उत्तर :
संधारित्र में विस्थापन धारा ID = IC = \(\frac{d}{d t}\left(q_{0} \cos 2 \pi v t\right)\)
= qo (- sin 2πυ t) × 2πυ
= -qo 2 πυ.sin 2 πυ t

प्रश्न 4.
परिवर्तनीय आवृत्ति का एक ac स्रोत एक संधारित्र से जुड़ा है। आवृत्ति में कमी करने पर विस्थापन धारा किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर :
संधारित्र का धारितीय प्रतिघात \(\left(X_{C}\right)=\frac{1}{\omega C}=\frac{1}{2 \pi f C}\)
आवृत्ति f कम करने पर, धारितीय प्रतिघात XC बढ़ेगा जिसके परिणामस्वरूप चालन धारा (IC) घटेगी। परन्तु IC = ID, अत: विस्थापन धारा कम हो जाएगी।

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वैद्युतचुम्बकीय तरंगें जिनकी तरंगदैर्ध्य –
(i) λ1 है, उपग्रह संचार में प्रयुक्त होती हैं। .
(ii) λ2 है, जलशोधित्रों में जीवाणुनाश के लिए प्रयुक्त होती हैं।
(iii) λ3 है, भूमिगत पाइप लाइनों में तेल के रिसाव के संसूचन के लिए उपयोग में लायी जाती हैं।
(iv) λ4 है, धुंध और कोहरे की स्थिति में वायुयान उड़ान पथ पर दृश्यता में सुधार लाने के लिए उपयोग में लायी जाती हैं।
(a) इन वैद्युतचुम्बकीय विकिरणों को पहचानिए और बताइए कि ये वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किस भाग से सम्बन्धित हैं।
(b) इन तरंगदैर्यों को परिमाण के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(c) प्रत्येक की एक अन्य उपयोगिता लिखिए।
उत्तर :
(a) λ1 → सूक्ष्म तरंगें या माइक्रोवेव
λ2 → पराबैंगनी तरंगें
λ3 → x-किरणें
λ4 → अवरक्त किरणें
(b) λ3 < λ2 < λ4 < λ1
(c) सूक्ष्म तरंगें → रेडार
पराबैंगनी तरंगें → नेत्र शल्यता
x-किरणें → अस्थिभंग क्रमवीक्ष्ण
अवरक्त किरणें → प्रकाशीय संचार

MP Board Solutions

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें आंकिक प्रस्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपको एक 2 μF का समान्तर प्लेट संधारित्र दिया गया है। आप इसकी प्लेटों के बीच के अन्तराल में 1 मिलीऐम्पियर की तात्क्षणिक विस्थापन धारा कैसे स्थापित करेंगे?
हल :
दिया हैं, C = 2 μF = 2 × 10-6F, ID = 10-3 मिलीऐम्पियर
विस्थापन धारा (ID) = C \(\frac{d V}{d t}\) × 1 × 10-3 = 2 × 10-6 \(\frac{d V}{d t}\)
∴ \(\frac{d V}{d t}\) = \(\frac{1}{2}\) × 103 = 500 वोल्ट/सेकण्ड
अत: 500 वोल्ट/सेकण्ड की दर से परिवर्तित विभवान्तर लगाकर लक्षित विस्थापन धारा उत्पन्न सकेगी।

MP Board Class 12th Physics Solutions

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 10 विपणन (वित्तीय) बाजार

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 10 विपणन (वित्तीय) बाजार

विपणन (वित्तीय) बाजार Important Questions

विपणन (वित्तीय) बाजार वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
प्राथमिक एवं द्वितीयक बाजार –
(a) एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं
(b)एक दूसरे को सहयोग देते (संपूरक) हैं
(c) स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं
(d) एक दूसरे को नियंत्रित करते हैं।
उत्तर:
(b)एक दूसरे को सहयोग देते (संपूरक) हैं

प्रश्न 2.
भारत में कुल स्टॉक एक्सचेंज (शेयर बाजारों) की संख्या है –
(a) 20
(b) 21
(c) 24
(d) 23
उत्तर:
(d) 23

प्रश्न 3.
रेपो (Repo) है –
(a) पुनर्खरीद समझौता (विलेख)
(b) रिलायंस पेट्रोलियम
(c) रीड एंड प्रोसेस (पढ़ो और प्रक्रम करो)
(d) उपर्युक्त कुछ भी नहीं।
उत्तर:
(a) पुनर्खरीद समझौता (विलेख)

प्रश्न 4.
एन.एस.ई. (NSE) के भावी व्यापार की शुरुआत किस वर्ष में हुई –
(a) 1999
(b)2000
(c) 2001
(d) 2002
उत्तर:
(b)2000

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय शेयर बाजार (NSE) का निपटान (उधार चुकता) चक्र है –
(a) टी+5
(b) टी+3
(c) टी+2
(d) टी+11
उत्तर:
(c) टी+2

प्रश्न 6.
तरलता का निर्माण करता है –
(a) संगठित बाजार
(b) असंगठित बाजार
(c) प्राथमिक बाजार
(d) गौण बाजारे।
उत्तर:
(d) गौण बाजारे।

प्रश्न 7.
सेबी का मुख्य कार्यालय है –
(a) दिल्ली
(b) मुंबई
(c) कोलकाता
(d) चेन्नई।
उत्तर:
(b) मुंबई

प्रश्न 8.
विश्व में सबसे पहले स्कन्ध विपणि की स्थापना हुई थी –
(a) दिल्ली
(b) लंदन
(c) अमेरिका
(d) जापान।
उत्तर:
(b) लंदन

प्रश्न 9.
भारत में असंगठित मुद्रा बाजार का अंग है –
(a) देशी बैंकर
(b) महाजन व साहूकार
(c) दोनों (a) और (b)
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) दोनों (a) और (b)

प्रश्न 10.
मुद्रा बाजार की मुख्य धुरी होती है –
(a) केन्द्रीय बैंक
(b) व्यापारिक बैंक
(c) सहकारी बैंक
(d) देशी बैंक।
उत्तर:
(a) केन्द्रीय बैंक

प्रश्न 11.
NSEI की स्थापना कब हुई –
(a) सन् 1990
(b) सन् 1991
(c) सन् 1992
(d) सन् 1994
उत्तर:
(c) सन् 1992

प्रश्न 12.
पूँजी बाजार की प्रतिभूति नहीं है –
(a) समता अंश
(b) पूर्वाधिकार अंश
(c) ऋणपत्र
(d) वाणिज्यिक बिल।
उत्तर:
(d) वाणिज्यिक बिल।

प्रश्न 13.
भारत में पहली स्कंध विपणि स्थापित हुई –
(a) 1857 में
(b) 1877 में
(c) 1887 में
(d) 1987 में।
उत्तर:
(c) 1887 में

प्रश्न 14.
राजकोष बिल मूलतः होते हैं –
(a) अल्पकालीन फंड उधार के प्रपत्र
(b) दीर्घकालीन फंड उधार के प्रपत्र
(c) पूँजी बाजार के एक प्रपत्र
(d) उपर्युक्त कुछ भी नहीं।
उत्तर:
(a) अल्पकालीन फंड उधार के प्रपत्र

प्रश्न 15.
स्कन्ध विपणियों के लिए सेबी की सेवाएँ हैं –
(a) ऐच्छिक
(b) आवश्यक
(c) अनावश्यक
(d) अनिवार्य।
उत्तर:
(d) अनिवार्य।

प्रश्न 16.
सन् 2004 में भारत में स्कन्ध विपणियों की संख्या थी –
(a) 25
(b) 21
(c) 23
(d) 24.
उत्तर:
(d) 24.

प्रश्न 17.
नवीन निर्गमित अंशों में व्यवहार करता है –
(a) गौण बाजार
(b) प्राथमिक बाजार
(c) गौण बाजार तथा प्राथमिक बाजार दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) प्राथमिक बाजार

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. NSEI की दत्त पूँजी ………….. है।
  2. OTCEI की दत्त पूँजी ………… है।
  3. OTCEI की स्थापना ………… में हुई।
  4. NSEI की स्थापना ………….. में हुई।
  5. छोटी कम्पनियों की प्रतिभूतियों में तरलता निर्माण हेतु ……… की स्थापना की गई।
  6. पूँजी बाजार …………. व्यवहार करना है।
  7.  कोषागार विपत्र की अधिकतम अवधि …………. होती है।
  8. मुद्रा बाजार ……….. व्यवहार करता है।
  9. वाणिज्यिक विपत्र …………. लिखा जाता है।
  10. मध्यम व दीर्घ अवधि वाली प्रतिभूतियों का संबंध …………. से होता हैं।
  11. NSEI एक ………….. स्तर का बाजार है।
  12. सेबी की स्थापना ………….. में हुई थी।
  13. द्वितीयक बाजार को …………. भी कहते हैं।
  14. अंशो, ऋणपत्रों आदि में व्यवहार करने वाले बाजार को …………. कहा जाता हैं।
  15. सामान्यतया …………. वित्त से संबंधित बाजार को पूँजी बाजार कहा जाता है।
  16. माँग मुद्रा, व्यापार बिल आदि …………. के प्रमुख उपकरण होते हैं।
  17. तरलता का निर्माण …………. करता है।

उत्तर:

  1. 3 करोड़ रु
  2. 30 लाख रु
  3. 1990
  4. 1992
  5. OTCEI
  6. दीर्घकालीन कोष में
  7. वर्ष
  8. अल्पकालीन कोष में
  9. विक्रेता द्वारा
  10.  पूँजी बाजार
  11. सुसंगठित
  12. 1992
  13. स्टॉक विनिमय
  14. पूँजी बाजार
  15. दीर्घकालीन
  16. मुद्रा बाजार
  17. गौण बाजार

प्रश्न 3.
एक शब्द या वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. दीर्घकालीन वित्त व्यवस्था से संबंधित बाजार को क्या कहते हैं ?
  2. पूर्व निर्गमित प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय कहाँ होता है ?
  3. अल्पकालीन वित्त व्यवस्था हेतु किस बाजार का प्रयोग होता है ?
  4. विनियोजकों के हितों की रक्षा हेतु किसकी स्थापना की गई ?
  5. राष्ट्रीय स्तर के स्कन्ध विपणि का क्या नाम है ?
  6. ट्रेजरी बिल, वाणिज्यिक बिल आदि किस बाजार के प्रलेख हैं ?
  7. कौन सा पूँजी बाजार नई प्रतिभूतियों के निर्गमन से संबंधित होता है ?
  8. महाजन व साहूकार कौन-से मुद्रा बाजार के प्रमुख अंग हैं ?
  9. प्राथमिक पूँजी बाजार में मध्यस्थ के माध्यम से प्रतिभूति निर्गमन की विधि क्या कहलाती है ?
  10. किस बाजार में अल्पकालीन कोषों का क्रय-विक्रय होता है ?
  11. पूँजी बाजार के दो खण्ड कौन-कौन से हैं ?
  12. मुद्रा बाजार का नियंत्रण किस संस्था द्वारा होता है ?
  13. बट्टे पर निर्गमित होने वाली प्रतिभूति क्या है ?
  14. सेबी किस बाजार का नियमन एवं संवर्धन करता है ?
  15. किस पूँजी बाजार का संबंध नए निर्गमनों से होता है ?
  16. देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज कौन-सा है ?

उत्तर:

  1. पूँजी बाजार
  2. स्कंध विपणि
  3. मुद्रा बाजार
  4. सेबी
  5. NSEI
  6. मुद्रा बाजार
  7. प्राथमिक
  8. असंगठित
  9. निजी स्थानन
  10. मुद्रा बाजार
  11. प्राथमिक व गौण बाजार
  12. केन्द्रीय बैंक
  13. ट्रेजरी बिल
  14. स्टॉक एक्सचेंज/द्वितीयक बाजार
  15. प्राथमिक बाजार
  16. मुंबई स्टॉक एक्सचेंज।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
सत्य या असत्य बताइये

  1. सेबी एक सार्वमुद्रा रखने वाला निगम-निकाय है।
  2. भारत में 24 स्कन्ध निर्माण है।
  3. सेबी का मुख्यालय मुंबई में है।
  4. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड को सेबी के नाम से भी जाना जाता है।
  5. प्रतिभूतियों के आदान-प्रदान का स्थान इलेक्ट्रॉनिक बुक प्रविष्ट ने ले लिया है।
  6. म्यूचुअल फंड पर सेबी का नियंत्रण नहीं होता है।
  7. मुद्रा बाजार दीर्घकालीन कोषों में व्यवहार करता है।
  8. मुद्रा बाजार में सेबी का नियंत्रण है।
  9. देश के औद्योगिक विकास के लिए स्वस्थ पूँजी बाजार आवश्यक है।
  10. प्राथमिक बाजार तथा गौण बाजार में अन्तर है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. सत्य
  6. असत्य
  7. असत्य
  8. असत्य
  9. सत्य
  10. सत्य।

प्रश्न 5.
सही जोड़ी बनाइये –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 10 विपणन (वित्तीय) बाजार IMAGE - 1
उत्तर:

  1. (d)
  2. (e)
  3. (b)
  4. (a)
  5. (c)
  6. (f)
  7. (g)
  8. (i)
  9. (h)

विपणन (वित्तीय) बाजार दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक वित्त बाजार के क्या प्रकार्य हैं ?
उत्तर:
वित्त बाजार के प्रमुख प्रकार्य निम्नलिखित हैं

1. कीमत खोज को सुगम बनाना-किसी वस्तु की कीमत माँग और पूर्ति कारकों पर निर्भर करती है। वित्तीय बाजारों में वित्तीय संपत्तियों और प्रतिभूतियों की माँग और पूर्ति विभिन्न वित्तीय प्रतिभूतियों के मूल्य को निश्चित करने में सहायता करती है।

2. लेन-देन की लागत को कम करना-वित्तीय बाजार विभिन्न वित्तीय प्रतिभूतियों की लागत. उपलब्धता और मूल्य से संबंधित पूर्ण सूचना प्रदान करता है। इसीलिए निवेशकों और कंपनियों को इस सूचना को प्राप्त करने के लिए अधिक खर्च नहीं करना पड़ता है क्योंकि यह वित्तीय बाजारों में पहले से उपलब्ध होती है।

3. बचत राशियों को गतिशील बनाना और उन्हें अधिक उत्पादक प्रयोग में स्थानांतरित करनावित्तीय बाजार बचतकर्ताओं और निवेशकों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। वित्तीय बाजार बचतकर्ताओं की बचत को अधिक उपयुक्त निवेश अवसरों में स्थानांतरण करता है।

4. वित्तीय संपत्तियों को तरलता प्रदान करना-वित्तीय बाजार में वित्तीय प्रतिभूतियों को आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है इसीलिए वित्तीय बाजार प्रतिभूतियों को नगद में परिवर्तित करने के लिए एक आधार प्रदान करता है।

प्रश्न 2.
पूँजी बाजार का क्या अर्थ होता है ? भारत के संगठित व असंगठित पूँजी बाजारों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
पूँजी बाजार का अर्थ – “पूँजी बाजार वह स्थान या प्रबंध व्यवस्था है जहाँ व्यवसाय व उद्योगों के लिए दीर्घकालीन ऋणों की व्यवस्था होती है।” –
भारत में पूँजी बाजार दो प्रकार के हैं

1. संगठित पूँजी बाजार (Formal or Organised Capital Market) – संगठित पूँजी बाजार के अन्तर्गत वित्त संबंधी कार्य पंजीबद्ध (Registered) विभिन्न वित्तीय संस्थायें करती हैं जो विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्रों से निजी बचतों को एकत्र कर दीर्घकालीन पूँजी की व्यवस्था करती है। जैसे –

भारतीय यूनिट ट्रस्ट (UTI), जीवन बीमा निगम (LIC), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI), वाणिज्यिक बैंक, औद्योगिक वित्त निगम (IFC), भारतीय औद्योगिक साख एवं विनियोग निगम (ICICI), भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI), राष्ट्रीय औद्योगिक विकास निगम (NIDC), भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक (IRBI), सामान्य बीमा निगम (GIC), राज्य वित्तीय संस्थाएँ (SFCs), आवासीय वित्त बैंक (RFB) आदि प्रमुख हैं। इन सभी का नियन्त्रण व नियमन भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा किया जाता है। –

2. असंगठित या गैर संगठित बाजार (Internal or Unorganised Market) – इसे अनौपचारिक बाजार भी कहा जाता है। इनमें देशी बैंकर्स, साहूकार, महाजन आदि प्रमुख होते हैं। काले धन का बहुत बड़ा भाग गैर संगठित क्षेत्र में वित्त व्यवस्था करता है। ये उद्योग, व्यापार तथा कृषि क्षेत्रों में पूँजी का विनियोजन करते हैं। इनकी ब्याज दरें व वित्तीय नीति कभी भी एकसमान नहीं होती हैं।

इन पर विनिमय सम्बन्धी नियंत्रण भी नहीं होती है। जिसके परिणामस्वरूप ये साहूकार कभी-कभी ऊँची दर पर ऋण देकर अधिक लाभ कमाने का प्रयास करते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक इन पर नियंत्रण करने के लिये प्रयासरत् है।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
पूंजी बाजार तथा मुद्रा बाजार के बीच अंतर करें।
उत्तर:
मुद्रा बाजार एवं पूंजी बाजार में अंतर (Distinction Between Money Market and Capital Market)
जैसा कि पूर्व में ही बताया जा चुका है कि मुद्रा बाजार व पूँजी बाजार दोनों आकार व स्वभाव के दृष्टिकोण से भिन्न-भिन्न होते हैं। प्रमुख अन्तर इस प्रकार हैं

1. मुद्रा बाजार अल्पकालीन ऋणों में लेनदेन करता है जबकि पूँजी बाजार दीर्घकालीन ऋणों में लेनदेन करता है।

2. अल्पकाल का आशय एक वर्ष तक की अवधि से है जबकि दीर्घकाल की अवधि का आशय 15 वर्ष से 25 वर्ष या उसके ऊपर की अवधि से होता है।

3. मुद्रा बाजार में केन्द्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंक, गैरवित्तीय संस्थायें आदि मुद्रा में लेनदेन करते हैं जबकि पूँजी बाजार का लेनदेन स्कन्ध विपणियों, म्यूचुअल फन्ड, लीजिंग कम्पनियाँ, यू.टी.आई. बीमा कम्पनियाँ, निवेशक बैंक, वित्तीय निगम आदि के माध्यम से किया जाता है। इस प्रकार दोनों की संस्थायें अलग-अलग होती हैं

4. मुद्रा बाजार बचत पत्र, विनिमय बिल, राजकोषीय बिल, जमा प्रमाण-पत्र आदि उपकरणों (Instruments) के द्वारा लेनदेन करता है जबकि पूँजी बाजार में बड़ी कम्पनियों, औद्योगिक संस्थाओं के अंश व ऋणपत्र, सरकारी एवं गैर सरकारी बाण्ड्स तथा प्रतिभूतियों जैसे उपकरणों से लेनदेन किया जाता है।

5. मुद्रा बाजार में मुद्रा की मात्रा अपेक्षाकृत कम रहती है, क्योंकि किसी बड़े कारखाने या उद्योग को प्रारम्भ करने के लिये मुद्रा बाजार से वित्त प्राप्त नहीं किया जाता। जबकि पूंजी बाजार में मुद्रा की मात्रा अपेक्षाकृत काफी अधिक रहती है।

6. मुद्रा बाजार में दिये गये ऋण के बदले ब्याज प्राप्त होता है जो पूर्व निर्धारित रहता है। पूँजी बाजार में दिये गये ऋण के बदले लाभांश प्राप्त होता है, जो लाभ के अनुसार कम या अधिक होते रहता है।

7.मुद्रा बाजार का नियंत्रण सामान्य होता है जबकि पूँजी बाजार का नियंत्रण ‘सेबी’ द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4.
जमा प्रमाण पत्र (CD) तथा सावधि/मुद्दती जमा (FD) में अंतर बताइए।
उत्तर:
तथा सावधि जमा में अंतरजमा प्रमाण पत्र
जमा प्रमाण पत्र

  1. ये स्वतंत्र रूप से विनिमय साध्य होते हैं।
  2. ये वास्तविक जमा राशि पर कटौती काटकर जाते हैं।
  3. ये प्रमाण पत्र 91 दिनों से 1 वर्ष की अवधि

सावधि जमा

  1. ये स्वतंत्र रूप से विनिमय साध्य नहीं होते हैं।
  2. ये वास्तव में जमा की गई राशि पर जारी किये जारी किये जाते हैं।
  3. ये 14 दिनों की न्यूनतम अवधि के लिए

प्रश्न 5.
SEBI के सुरक्षात्मक कार्य क्या हैं ?
उत्तर:
SEBI के सुरक्षात्मक कार्य – SEBI द्वारा ये कार्य निवेशक के हित की सुरक्षा और निवेश की सुविधा प्रदान करने के लिए निष्पादित किए जाते हैं। SEBI के सुरक्षात्मक कार्य निम्न हैं

1. यह भाव बढ़ाने व घटाने का निरीक्षण करता है। इसका अर्थ प्रतिभूतियों के बाजार मूल्य को बढ़ाने या कम करने के मुख्य उद्देश्य के साथ प्रतिभूतियों के मूल्यों में हेर – फेर करने से है।

2. SEBI कपटपूर्ण और अनुचित व्यापारिक कार्यवाहियों को प्रतिबंधित करता है।

3. SEBI निवेशकों को शिक्षित करने के लिए कई उपाय करता है ताकि वे विभिन्न कंपनियों की प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करने के योग्य हो अधिक लाभप्रद प्रतिभूति का चयन करें।

प्रश्न 6.
प्राथमिक बाजार एवं गौण बाजार में अंतर बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक बाजार एवं गौण बाजार में अंतर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 10 विपणन (वित्तीय) बाजार IMAGE - 2

प्रश्न 7.
भारत में कितनी स्कन्ध विपणियाँ हैं ?
उत्तर:
भारत में कुल 24 स्कन्ध विपणियाँ हैं। ये निम्नलिखित स्थानों पर है

  1. चेन्नई
  2. अहमदाबाद
  3. बैंगलोर
  4. भुवनेश्वर
  5. कोचीन
  6. कटक
  7. कोयम्बटूर
  8. दिल्ली
  9. गुवाहाटी
  10.  इंदौर
  11.  हैदराबाद
  12. जयपुर
  13.  कानपुर
  14. मंगलौर
  15. कोलकाता
  16. लुधियाना
  17. मुंबई
  18. OTCEI
  19. पटना
  20. पुणे
  21. NSEI
  22. बड़ोदरा
  23.  राजकोट
  24. सिक्किम।

प्रश्न 8.
NSEI की विशेषताओं और उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
NSEI की विशेषताएँ – NSEI की मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं

1. व्यापार की जाने वाली प्रतिभूतियाँ – NSEI प्रतिभूतियों के दो प्रखंडों के साथ लेन-देन करना है। ये इस प्रकार हैं-

  • पूँजी बाजार प्रखण्ड
  • मुद्रा बाजार प्रतिभूतियाँ ।

2. NSEI पर भुगतान और सुपुर्दगी लेन – देन के 15 दिनों के अंदर पूर्ण की जाती है। NSEI के उद्देश्य-

  1. एक उपयुक्त संप्रेषण नेटवर्क द्वारा देशभर में निवेशकों की आसान पहुँच सुनिश्चित करना।
  2. अंतर्राष्ट्रीय मानकों से मिलान करना।
  3. सभी प्रकार की प्रतिभूतियों के लिए एक राष्ट्रव्यापी व्यापारिक सुविधा की स्थापना करना।
  4. इलेक्ट्रॉनिक व्यापारिक पद्धति का प्रयोग करके एक उचित कुशल और पारदर्शी प्रतिभूतियों का बाजार प्रदान करना।
  5. छोटे निबटान का चक्र बनाना।

प्रश्न 9.
प्राथमिक पूँजी बाजार की पाँच विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक पूँजी बाजार का आशय – प्राथमिक बाजार का आशय उस बाजार से है, जिसमें नवीन प्रतिभूतियों (जैसे-अंश, ऋणपत्र, बॉण्ड्स आदि) का निर्गमन किया जाता है। इसे नवीन निर्गमन बाजार भी कहा जाता है। जिस बाजार में प्रतिभूतियाँ कम्पनियों द्वारा प्रथम बार बेची जाती है। उसे प्राथमिक बाजार कहा जाता है।
विशेषताएँ-

  1. नवीन प्रतिभूतियाँ – प्राथमिक बाजार में नवीन प्रतिभूतियों के व्यवहार का निर्गमन होता है।
  2. कीमत का निर्धारण – प्रतिभूतियों की कीमत-कम्पनी के प्रबंधकों द्वारा निर्धारित की जाती है।
  3. प्रत्यक्ष निर्माण – प्राथमिक बाजार में कम्पनी सीधे या बिचौलिये के माध्यम से विनियोजकों को प्रतिभूतियों का निर्गमन करती है।
  4. स्थान – प्राथमिक बाजार के लिये कोई विशेष स्थान नहीं होता है।
  5. पूँजी निर्माण प्राथमिक बाजार प्रत्यक्ष रूप से पूँजी निर्माण में वृद्धि करता है, क्योंकि कोषों का प्रवाह, बचत करने वाली से विनियोगकर्ताओं को जाता है, जो यंत्र, मशीनरी, भवन आदि के लिये उनका उपयोग करते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 10.
पूँजी बाजार के महत्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पूँजी बाजार राष्ट्रीय पूँजी निर्माण तथा विकास में सहायता करता है। पूँजी बाजार के महत्व को हम निम्नांकित ढंग से स्पष्ट कर सकते हैं

  1. पूँजी बाजार पूँजी निवेशकों एवं बचत धारियों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बचतकर्ता निधि के स्रोत व ऋणदाता होते हैं तथा निवेशक निधि के ऋणी होते हैं। इन दोनों के मध्य पूँजी बाजार एक कड़ी का कार्य करता है।
  2. अपनी समस्त आय खर्च न करने वाले बचतकर्ताओं के लिए विनियोग करने का सरल साधन पूँजी बाजार होता है।
  3. आम जनता की छोटी-छोटी बचतों के लाभकारी विनियोग के लिए पूँजी बाजार एक अच्छा क्षेत्र प्रदान करता है।
  4. इसी प्रकार कम दर पर अधिक समय के लिए पूँजी प्राप्त करने का एक अच्छा मार्ग पूँजी बाजार होता है।
  5. पूँजी बाजार में माँग व पूर्ति के मध्य सन्तुलन बनाये रखने का कार्य पूँजी बाजार अपने उपकरणों के माध्यम से करता है।

प्रश्न 11.
प्राथमिक व द्वितीयक बाजार अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक बाजार (Primary market) – ऐसा स्थल या व्यवस्था जहाँ से पूँजी सीधे प्रथम बार जनता द्वारा प्राप्त की जाती है उसे प्राथमिक बाजार (Primary Market) कहा जाता है। इस व्यवस्था में कम्पनियों द्वारा नये अंशों व ऋणपत्रों का निर्गमन कर जनता से सीधे पूँजी प्राप्त की जाती है। इसी प्रकार सरकार व निगमित संस्थायें अपने बॉण्ड्स एवं प्रतिभूतियों का विक्रय कर सीधे जनता से पूँजी प्राप्त कर सकती हैं। कम्पनियों की स्थापना के समय भी अंशों का निर्गमन कर जनता से जो अंशपूँजी आमन्त्रित की जाती है वह भी प्राथमिक पूँजी कहलाती है। व्यापारिक बैंकर्स द्वारा प्राप्त जमायें, म्यूचुअल फन्ड व अन्य बचत प्रमाण-पत्रों से प्राप्त पूँजी भी प्राथमिक पूँजी के रूप में मानी जाती है। संक्षिप्त में “ऐसी पूँजी जिसे प्रथम बार जनता से सीधे किसी भी माध्यम से प्राप्त किया जाता है उसे प्राथमिक पूँजी कहते हैं।”

द्वितीयक बाजार (Secondary market) – द्वितीयक बाजार के अन्तर्गत विभिन्न स्रोतों से पूँजी प्राप्त की जाती है उसका पुनः विनियोग करने की क्रिया द्वितीयक बाजार कहलाती है। सामान्यतः स्कन्ध विपणि (Stock Exchange) में व्यवहार किये जाने वाले समस्त लेनदेन द्वितीय पूँजी बाजार के अन्तर्गत आते हैं क्योंकि स्कन्ध विपणियों में अंशों व प्रतिभूतियों का ही क्रय-विक्रय होता है। दलालों द्वारा, म्यूचुअल फन्ड द्वारा, यूनिट ट्रस्ट द्वारा, सामान्य बीमा कम्पनियों व गैर बैंकिंग वित्त से सम्बन्धित समस्त कार्य द्वितीय पूँजी बाजार की श्रेणी में आता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 12.
स्टॉक एक्सचेंज (शेयर बाजार) के प्रकार्य लिखिए।
उत्तर:
स्टॉक एक्सचेंज के प्रकार्य – स्टॉक एक्सचेंज के निम्नलिखित प्रकार्य हैं-

1. दलाल-एक दलाल स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य होता है। वह बाह्य व्यक्तियों, जो कि सदस्य नहीं होते, की ओर से प्रतिभूतियों को खरीदता और बेचता है।

2. आढ़तिया – आढ़तिया स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य होता है। वह अपनी ओर से प्रतिभूतियों को खरीदता और बेचता है। वह एक प्रकार की प्रतिभूति में विशिष्ट होता है और वह उच्च कीमत पर प्रतिभूतियाँ बेचकर लाभ कमाता है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में उसे तरावनीवाला कहा जाता है।

3. तेजड़िया – तेजड़िया एक सटोरिया होता है जो मूल्य में वृद्धि की आशा करता है। वह उच्च कीमत पर भविष्य में प्रतिभूतियों को बेचने और उनसे लाभ कमाने के दृष्टिकोण से प्रतिभूतियों को खरीदता है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में उसे तेजीवाला के नाम से जाना जाता है।

4. मंदड़िया – मंदड़िया एक सटोरिया होता है जो मूल्य में कमी की आशा करता है। वह ऐसी प्रतिभूतियों को बेचता है जो उसके पास नहीं होती स्टॉक एक्सचेंज में उसे मंडीवाला के नाम से जाना जाता है।

5.स्टैग – स्टैग भी एक सटोरिया है जो इस आशा के साथ कि आबंटन के समय मूल्यों में उछाल होगा, नई प्रतिभूतियों के लिए आवेदन करता है और वह उन्हें प्रीमियम पर बेच सकता है।

प्रश्न 13.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर:
NSE के उद्देश्य – NSE की स्थापना के निम्नांकित उद्देश्य हैं

  1. सामान्य अंशों, ऋणपत्रों एवं मिश्रित (Hybrid) प्रतिभूतियों में राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार की सुविधा प्रदान करना।
  2. सम्पूर्ण राष्ट्र के विनियोजकों की बाजार तक पहुंच आसान करना।
  3. प्रतिभूतियों के व्यापार में स्वच्छता,पारदर्शिता व कुशलता लाना।
  4. सौदों के निपटारा की प्रक्रिया को कम करना
  5. अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिभूति बाजार के मानकों (Standard) का पालन करना।

प्रश्न 14.
प्राथमिक बाजार की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्राथमिक बाजार की विशेषताएँ (Features of Primary Market)- प्राथमिक बाजार की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. इसका संबंध नये निर्गमनों से हैं (It is related with new issues) – प्राथमिक बाजार की प्रथम विशेषता इसका नये निर्गमनों से संबंधित होना है। जब भी कोई कम्पनी नये अंश अथवा ऋणपत्र जारी करती है तो यह प्राथमिक बाजार की ही क्रिया होती है।

2. इसका कोई विशेष स्थान नहीं होता है (It has no particular place) –  प्राथमिक बाजार किसी विशेष स्थान का नाम नहीं है बल्कि नये निर्गमन लाने को ही प्राथमिक बाजार की क्रिया कहा जाता है।

3. इसमें पूँजी एकत्रित करने की कई विधियाँ हैं (It has various methods of Raising Capital)प्राथमिक बाजार में पूँजी एकत्रित करने की पाँच विधियाँ होती हैं

  1. विवरण पत्रिका के माध्यम से प्रस्ताव
  2. विक्रय के लिए प्रस्ताव
  3. निजी नियोजन या विनियोग
  4. अधिकार निर्गम तथा
  5. इलेक्ट्रॉनिक आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव।

4. यह गौण बाजार से पहले आता है (It comes before secondary market) – प्राथमिक बाजार में व्यवहार पहले होते हैं और उसके बाद गौण बाजार की बारी आती है।

5. कीमतों का निर्धारण (Determination of prices) – प्रतिभूतियों की कीमतों का निर्धारण कंपनी के प्रबन्ध द्वारा किया जाता है।

6. निधि का प्रवाह (Flow of funds) – निधियों का प्रवाह बचतकर्ताओं से निवेशकों की ओर होता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 15.
द्वितीय बाजार की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
द्वितीय या गौण बाजार की विशेषताएँ (Fetures of Secondary Market) – गौण बाजार की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. यह तरलता उत्पन्न करता है (It Creates Liquidity) – गौण बाजार की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता प्रतिभूतियों में तरलता उत्पन्न करना है। तरलता का अभिप्राय प्रतिभूतियों को अतिशीघ्र नकदी में बदलने से है। यह काम गौण बाजार द्वारा किया जाता है।

2. यह प्राथमिक बाजार के बाद आता है (It comes after Primary Market) – किसी भी नई प्रतिभूति को पहली बार गौण बाजार में नहीं बेचा जा सकता है। नई प्रतिभूतियों को पहले प्राथमिक बाजार में बेचा जाता है उसके बाद गौण बाजार की बारी आती है।

3. इसका एक विशेष स्थान होता है (It has a Particular Place) – गौण बाजार का एक विशेष स्थान होता है जिसे एक्सचेंज कहते हैं। ध्यान रहे कि यह जरूरी नहीं है कि प्रतिभूतियों के सभी क्रय-विक्रय स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से ही किये जाएँ । दो व्यक्ति आपस में भी इनका क्रय-विक्रय कर सकते हैं। यह भी गौण बाजार का व्यवहार ही कहलायेगा। प्रायः अधिकतर व्यवहार एक्सचेंज के माध्यम से ही होते हैं।

4. यह नये निवेश को प्रोत्साहित करता है-शेयर बाजार के अंशों व अन्य प्रतिभूतियों के भाव कम या अधिक होते रहते हैं। इस स्थिति का लाभ उठाने के उद्देश्य से अनेक नये निवेशक इस बाजार में प्रवेश करते हैं। इसे औद्योगिक क्षेत्र के विनियोग में वृद्धि होती है।

प्रश्न 16.
मुद्रा बाजार प्रपत्रों की विशेषतायें लिखिए।
उत्तर:
मुद्रा बाजार प्रपत्रों की सामान्य विशेषताएँ (General Feature of Money Instruments)मुद्रा बाजार में व्यवहार किये जाने वाले प्रपत्रों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. अल्पकालीन (Short-term) – ये अल्पकाल के लिए जारी किये जाते हैं। इनकी अवधि कम-सेकम दिन और अधिकतम 364 दिन होती है।
  2. अधिक सुरक्षा (High Safety)-इनको जारी करने वाली संस्थाएँ वित्तीय दृष्टि से मजबूत होती हैं। अतः इनमें अधिक सुरक्षा रहती हैं।
  3. अधिक तरलता (High Liquidity) – इन प्रपत्रों में अतिशीघ्र नकदी में बदलने का गुण होता है।
  4. अधिक राशि (Large Amount)-ये प्रपत्रक अधिक राशि के होते हैं।
  5. कम निवेशक (Lower Investos)-इनमें निवेश करने वाली संस्थाओं व व्यक्तियों की संख्या सीमित होती है।

प्रश्न 17.
राजकोषीय बाजार प्रपत्रों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
राजकोषीय प्रपत्र की विशेषताएँ (Features of Treasury Bills) – राजकोषीय प्रपत्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. यह एक अल्पकालीन प्रपत्र है।
  2. इसे केन्द्रीय सरकार अपनी अल्पकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जारी रहती है।
  3. इसका निर्गमन केन्द्रीय सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है।
  4. यह एक वर्ष से कम अवधि में परिपक्व होने वाला प्रपत्र है।
  5. इसे शून्य कूपन बंधक पत्र के नाम से भी जाना जाता है।
  6. इसे अंकित मूल्य से कम मूल्य पर जारी किया जाता है और इसका भुगतान अंकित मूल्य पर होता है।
  7. यह प्रपत्र एक वचन के स्वरूप में जारी किया जाता है।
  8. इसमें उच्च तरलता पायी जाती है।
  9. इसमें अदायगी का जोखिम नगण्य होता है।

प्रश्न 18.
माँग मुद्रा/अल्प सूचना ऋण की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
माँग मुद्रा की विशेषताएँ (Features of Call Money) – माँग मुद्रा की मुख्य विशेषताएँ . निम्नलिखित हैं

  1. यह एक लघुकालिक माँग पर पुनः भुगतान वित्त है।
  2. इसकी परिपक्वता अवधि एक दिन से 15 दिन तक की होती है।
  3. यह अंतःबैंक अंतरण के लिए प्रयोग में लायी जाती है अर्थात् इसका प्रयोग बैंकों द्वारा किया जाता है। निम्न कारण से बैंक इसका प्रयोग करते हैं-
    • वैधानिक तरलता अनुपात बनाये रखना।
    • आवश्यकता से अधिक नकदी को अल्पकाल निवेश के लिए रखना।
  4. माँग मुद्रा का व्यवहार प्रायः टेलीफोन पर ही होता है, कागजी कार्यवाही बाद में पूरी की जाती है।
  5. माँग मुद्रा पर चुकाए जाने वाले ब्याज को शीघ्रावधि दर कहते हैं। यह दर बहुत ही चंचल (अस्थिर) होती है। यह दिन-प्रतिदिन और कभी-कभी घंटों के अनुसार बदलती है।

प्रश्न 19.
मुद्रा बाजार की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
मुद्रा बाजार की विशेषताएँ (Features of Money Market) – मुद्रा बाजार की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1.वित्तीय बाजार का मुख्य अंग (Important Component of Financial Market) – मुद्रा बाजार वित्तीय बाजार का एक मुख्य अंग है। इसके माध्यम से व्यापारियों, उद्योगपतियों तथा सरकार की अल्पकालीन वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है।

2. अत्यधिक तरलता (More Liquidity) – मुद्रा बाजार की एक महत्वपूर्ण विशेषता इसमें अत्यधिक तरलता का पाया जाना है।

3. कम व्यवहार लागत (Low Transaction Cost) – मुद्रा बाजार में किये जाने वाले व्यवहारों के लिए प्रायः दलालों की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए यहाँ किये जाने वाले क्रय-विक्रय पर कम खर्चे सहन करने पड़ते हैं।

4. अल्पकालीन वित्तीय संपत्तियाँ (Short-term Financial Assets) – इस बाजार में व्यवहार की जाने वाली संपत्तियों की अवधि अधिकतम एक वर्ष होती है। वित्तीय संपत्तियों का अर्थ वित्तीय प्रलेखों (Financial Instruments) से है।

5. वित्तीय बाजार के दो स्वरूप (Two Forms)
– इस बाजार के दो स्वरूप हैं –

  1. संगठित तथा
  2. असंगठित।

संगठित मुद्रा बाजार में रिजर्व बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक तथा सहकारी बैंकों को सम्मिलित किया जाता है। असंगठित मुद्रा बाजार के अंतर्गत साहूकार (Moneylender), देशी बैंक (Indigenous Banks), चिट फंड (Chit Fund), निधियाँ (Nidhis) आदि को सम्मिलित किया जाता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 20.
सेबी (SEBI) के कोई चार सुरक्षात्मक कार्य बताइये।
उत्तर:
SEBI के चार सुरक्षात्मक कार्य निम्नलिखित हैं –

  1. सेबी निवेशकों को शिक्षित करने के लिए कदम उठाती है।
  2. यह भीतरी कार्य पर रोक लगाती है।
  3. यह बाजार में उचित कार्यों एवं आचार संहिता को बढ़ावा देती है।
  4. यह बाजार में नई प्रतिभूतियाँ जारी करने जा रही है कंपनियों के कपटपूर्ण व्यवहारों पर रोक लगाती है।

प्रश्न 21.
सेबी (SEBI) के कोई चार नियामक कार्य लिखिए।
उत्तर:
SEBI के चार नियामक कार्य (Regulatory functions) निम्नलिखित हैं

  1. SEBI दलालों एवं उप दलालों तथा प्रतिभूति बाजार से किसी भी रूप में जुड़े बिचौलियों का पंजीकरण करती है।
  2. यह सामूहिक निवेश योजनाओं तथा म्युचुअल फंडों का पंजीकरण करती है।
  3. यह धोखेबाजी एवं अनुचित व्यापारों की रोकथाम करती है।
  4. यह अधिनियम के उद्देश्यों से बाहर किये जाने वाली गतिविधियों पर अधि-शुल्क या कोई अन्य प्रभार लगाती है।

प्रश्न 22.
वित्तीय बाजार के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वित्तीय बाजार के कार्य-देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में वित्तीय बाजार का मुख्य स्थान है। इरके मुख्य कार्य निम्न हैं

1. मूल्य खोज में सहायक-किसी भी वस्तु या सेवा का मूल्य माँग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है। वित्तीय बाजार में वित्तीय संपत्तियों और प्रतिभूतियों की माँग और पूर्ति विभिन्न प्रतिभूतियों के मूल्य को निश्चित करता है।

2. लेन-देन की लागतों को कम करना वित्तीय बाजार विभिन्न प्रतिभूतियों की लागत उपलब्धता और मूल्य से संबंधित पूर्ण सूचना प्रदान करता है। इसीलिए निवेशक और कंपनी को इन सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए अधिक खर्च नहीं करना पड़ता अर्थात् वित्तीय बाजार लेन-देनों की लागत को कम करता है।

3. बचतों को गति प्रदान करना एवं अत्यधिक उत्पादकीय प्रयोगों की ओर ले जाना-वित्तीय बाजार बचतकर्ताओं को विभिन्न विनियोग विकल्प प्रदान कर लोगों की बचतों को गति प्रदान करता है।

4.वित्तीय संपत्तियों को तरलता प्रदान करता है-वित्तीय बाजारों में प्रतिभूतियों को सरलता से खरीदा और बेचा जा सकता है। यहाँ प्रत्येक प्रतिभूति के क्रेता व विक्रेता हर समय उपलब्ध होते हैं। इसलिए वित्तीय बाजार वित्तीय संपत्तियों को तरलता प्रदान करता है क्योंकि निवेशक जब चाहे निवेश को रोकड़ में बदल सकते हैं तथा जब चाहे अपने रोकड़ को प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 23.
शेयर बाजार की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
शेयर बाजार की विशेषताएँ – शेयर बाजार की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

1.संगठित बाजार – शेयर बाजार एक संगठित बाजार होता है। इसके संगठित होने का अभिप्राय यह है कि प्रत्येक शेयर बाजार की एक प्रबंध समिति होती है जिसको प्रबंधक एवं नियंत्रण संबंधी सभी अधिकार प्राप्त होते हैं।

2. केवल अधिकृत सदस्यों द्वारा व्यवहार – शेयर बाजार में निवेशकों के लिए प्रतिभूतियों का क्रयविक्रय केवल अधिकृत सदस्यों के माध्यम से ही किया जा सकता है। शेयर बाजार एक विशेष बाजार-स्थान होता है जहाँ केवल अधिकृत सदस्य ही जा सकते हैं। लोगों की प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करने के लिए इनकी सहायता लेनी पड़ती है।

3.नियमों एवं उपनियमों का पालन करना आवश्यक – शेयर बाजार में किए जाने वाले समस्त लेन देनों के लिए उसके द्वारा निर्धारित नियमों व उपनियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

4. गौण बाजार – शेयर बाजार को द्वितीयक या गौण भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ उन प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता है जो पहले से निर्गमित की गई हो।

5. विभिन्न संस्थाओं द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों में व्यवहार- शेयर बाजार में प्रायः उन संस्थाओं की प्रतिभूतियों में ही व्यवहार होता है जो वहाँ पर सूचीबद्ध होती है। एक संस्था कुछ विशेष शर्तों का पालन करके अपनी प्रतिभूति को एक शेयर बाजार पर सूचीबद्ध करवा सकती है।

प्रश्न 24.
प्राथमिक पूँजी बाजार का अर्थ एवं इसमें प्रतिभूतियों के निर्गमन की क्या विधियाँ हैं ?
उत्तर:
प्राथमिक पूँजी बाजार का अर्थ – ऐसा स्थल या व्यवस्था जहाँ से पूँजी सीधे प्रथम बार जनता द्वारा प्राप्त की जाती है उसे प्राथमिक बाजार कहा जाता है।
प्रतिभूतियों के निर्गमन की विधियाँ

1. प्रविवरण – इस विधि में निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र अपनी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रविवरण जारी करता है। यह एक प्रकार का जनसाधारण को प्रस्ताव होता है कि वे कंपनी व संस्थाओं की प्रतिभूतियों अर्थात् अंशों व ऋण पत्रों के लिए अभिदान करें।

2. बिक्री प्रस्तावना – इस विधि के अंतर्गत साधारण जनता को नई प्रतिभूतियाँ प्रस्तावित की जाती हैं परंतु प्रत्यक्ष रूप से कंपनी द्वारा नहीं, बल्कि बिचौलियों द्वारा जो कंपनी से प्रतिभूतियों का सारा समूह खरीदता है। इसीलिए प्रतिभूतियों की बिक्री दो चरणों में होती है-पहला चरण जब कंपनी अंकित मूल्य पर बिचौलिए को प्रतिभूतियाँ निर्गमित करती है और दूसरा चरण जब लाभ कमाने के लिए बिचौलिए साधारण जनता को उच्च कीमत पर प्रतिभूतियाँ निर्गमित करते हैं।

3. अधिकार निर्गमन – यह विद्यमान शेयरधारकों को नए अंशों का निर्गमन है। इसे अधिकार निर्गमन कहा जाता है। क्योंकि यह अंशधारकों का पूर्व क्रय अधिकार होता है कि कंपनी को बाह्य व्यक्तियों को निर्गमन करने से पहले नए अंश इन्हें प्रस्तावित करने चाहिए। प्रत्येक अंशधारक को उसके द्वारा धारित मौजूदा शेयरों के अनुपात में अतिरिक्त शेयर खरीदने का अधिकार होता है।

4. इलेक्ट्रॉनिक – प्राथमिक सार्वजनिक प्रस्ताव-इस विधि के अंतर्गत कंपनियां अपनी प्रतिभूतियों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम द्वारा जारी करती है। इस माध्यम से प्रतिभूति जारी करने वाली कंपनी एक शेयर बाजार से समझौता करती है। शेयर बाजार में काम करने वाले सेबी द्वारा अधिकृत किसी दलाल को ऑन लाइन प्रार्थना पत्र प्राप्त करने के लिए नियुक्त किया जाता है। इसकी सूचना कंपनी को भेजता है।

5.स्वत्व निर्गमन – इस विधि का प्रयोग वह पुरानी कंपनी करती है जिसने पहले अंश निर्गमित कर रखे हों। जब कोई पुरानी कंपनी नए अंश निर्गमित करती है तो नए अंश बेचने के लिए पहले पुराने अंशधारियों को आमंत्रित करना होता है। इस निर्गमन को स्वत्व निर्गमन कहते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 25.
अंश विपणि पर सौदा करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्टॉक एक्सचेंज में प्रतिभूतियों के क्रय एवं विक्रय की कार्यविधि इस प्रकार है

(1) दलाल का चुनाव-कोई भी व्यक्ति जो प्रतिभूतियाँ खरीदना अथवा बेचना चाहता है, उसे एक दलाल को चुनना होता है जो स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य होता है। प्रतिभूतियाँ केवल दलालों के माध्यम से क्रय-विक्रय किया जाता है। ये दलाल व्यक्ति, साझेदारी फर्मे अथवा निगमित संस्थाएँ व कंपनियाँ हो सकती हैं। पहले दलाल स्वयं स्टॉक एक्सचेंज के स्वामी या प्रबंधक होते थे जिससे दलाल व ग्राहकों के बीच टकराव होता रहता था। लेकिन अब स्टॉक एक्सचेंज में सदस्यों के स्वामित्व अधिकारों को सौदा करने के अधिकारों से पृथक कर दिया गया है।

(2) डिपॉजिटरी के पास डीमेट खाता खोलना-आजकल प्रतिभूतियों में होने वाले सभी व्यवहार ऑनलाइन होते हैं। इसे संभव बनाने के लिए एक डीमेट खाते का खोला जाना ज़रूरी है। डीमेट खाता डिपॉजिटरी सेवा के एक पक्षकार डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट के माध्यम से खोला जाता है। इस समय भारत में डिपॉजिटरी संस्थान दो हैं, जो निम्नलिखित हैं

  • National Securities Depository Limited (NSDL)
  • Central Depository services Limited (CDSL)

(3) आदेश देना-दलाल का चयन करने के बाद व्यक्ति उसे प्रतिभूतियों के क्रय अथवा विक्रय के लिए आदेश दे सकता है। आदेश देने से पहले वह अपने मित्रों (दलाल) से सलाह कर सकता है। दलाल को व्यक्तिगत रूप से या टेलीफोन, ई-मेल इत्यादि के माध्यम से भी आदेश दिया जा सकता है। आदेश देते समय विनियोगकर्ता क्रय या विक्रय की जाने वाली प्रतिभूतियों का विस्तृत विवरण देता है तथा बताता है कि सौदा किस मूल्य तक किया जाना है। साथ में प्रतिभूतियों के मूल्य तथा संख्या का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। उदाहरण के लिए, “रिलायंस के 100 समता अंश ₹ 250 पर खरीदो।”

(4) आदेश पूरा करना-आदेश प्राप्त करने के पश्चात् दलाल उसे अपनी डायरी में नोट कर लेगा जहाँ से यह आदेश पुस्तिका में हस्तांतरित किया जाएगा। इसके तुरंत बाद दलाल निवेशक के पास सूचना भेजने के लिए प्रसंविदा नोट तैयार करता है। प्रसंविदा नोट में क्रय-विक्रय की गई प्रतिभूतियों का नाम, संख्या व मूल्य लिखा जाता है। यह दलाल द्वारा हस्तांतरित किया जाता है तथा ग्राहक के पास सौदे के प्रमाण के रूप में रहता है।

(5) निबटारा-दलालों द्वारा अपने ग्राहकों की तरफ से किए जाने वाले सौदों का यह अंतिम चरण है। निपटारे की विधि सौदों की प्रकृति पर निर्भर करती है। निबटारा दो प्रकार के हो सकते हैं-

  • मौके पर निबटारा
  • अग्रिम निबटारा।

प्रश्न 26.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के कोई पाँच रक्षात्मक कार्य बताइए।
उत्तर:
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के रक्षात्मक कार्य

(1) प्रतिभूति बाजार से संबंधित धोखा-धड़ी तथा अनुचित व्यवहारों (उदाहरण के लिए निवेशकों को धोखा देने के लिए मिथ्या विवरण जारी करना) को रोकना।

(2) आंतरिक व्यापार पर रोक लगाना। कंपनी में कुछ व्यक्ति (जैसे-संचालक तथा प्रवर्तक) ऐसे होते हैं जो कंपनी से निकटतम रूप से जुड़े होते हैं एवं जिन्हें कंपनी की आंतरिक स्थिति का पता होता है। अपनी इस स्थिति का लाभ उठाकर कंपनी की प्रतिभूतियों में क्रय-विक्रय करते हैं और भारी मात्रा में लाभ कमाते हैं।

(3) प्रतिभूति बाजार से संबंधित आचार संहिता लागू करना।

(4) SEBI निवेशकों को शिक्षित करने के लिए कई उपाय करता है ताकि वे विभिन्न कंपनियों की प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करने योग्य हों और अधिक लाभप्रद प्रतिभूति का चयन करें।

(5) प्रतिभूतियों में आंतरिक ट्रेडिंग को रोकना (आंतरिक ट्रेडिंग का आशय कंपनी की गुप्त जानकारी रखने वाले व्यक्तियों द्वारा गुप्त सूचनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रतिभूतियों का कम क्रय-विक्रय करना है

MP Board Solutions

प्रश्न 27.
विभिन्न द्रव्य बाजार प्रपत्रों की व्याख्या कीजिए
उत्तर:
द्रव्य बाजार के प्रमुख प्रपत्र निम्नलिखित हैं
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 10 विपणन (वित्तीय) बाजार IMAGE - 3

1. खजाना बिल – खजाना बिलों (Treasury Bill) को रिजर्व बैंक द्वारा भारत सरकार की ओर से अल्प अवधि की देयता के रूप में निर्गमित किया जा सकता है। इन्हें बैंक एवं जनसाधारण में बेचा जा सकता है। इसकी अवधि एक वर्ष से अधिक नहीं हो सकती। इसका निर्गमन RBI के द्वारा सरकार की ओर से किया जाता है। सामान्यतः इसकी अवधि 14 दिन, 91 दिन, 182 दिन एवं 364 दिन की होती है।

2. वाणिज्यिक पत्र – वाणिज्यिक पेपर एक गैर-जमानती प्रतिज्ञा पत्र है जिसे निगम एक निश्चित अवधि, जो 12 महीने तक की होती है, के लिए जारी करता है। क्योंकि ये गैर-जमानती होते हैं अत: इसे केवल उच्च साख फर्मों के द्वारा ही निर्गमित किया जाता है। यह अल्पकालीन असुरक्षित प्रतिज्ञा पत्र होते हैं। इससे प्रायः कार्यशील पूँजी के लिए ही राशि प्राप्त की जाती है।

3. माँग मुद्रा – अधिकांश बैंकों के दिन-प्रतिदिन के आधिक्य कोषों का मुद्रा के रूप में व्यापार होता है। ऋण प्राप्तकर्ता वे बैंक होते हैं जिनके पास नगद की अस्थायी कमी होती है। इसका कारण संचय की आवश्यकता एवं कोषों की आकस्मिक माँग है।

4. जमा प्रमाण पत्र – यह सावधि जमा है जिसे गौण बाजार में बेचा जा सकता है। केवल एक बैंक ही जमा प्रमाण पत्र जारी कर सकता है। यह एक वाहक पत्र या आगाम दस्तावेज होता है। यह भी एक विनिमय साध्य विलेख है और आसानी से हस्तांतरित किया जा सकता है।

5. वाणिज्यिक बिल – वाणिज्यिक बिल एक व्यावसायिक फर्म द्वारा दूसरी फर्म पर लिखा जाने वाला बिल होता है। ये उधार क्रय और विक्रय में प्रयोग किये जाने वाले सामान्य उपकरण होते हैं इनकी परिपक्वता अवधि छोटी होती है सामान्यतया 90 दिन और परिपक्वता अवधि से पहले इन्हें बैंक में भुनाया जा सकता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 28.
प्राथमिक बाजार में फ्लोटेशन (अस्थिर पूँजी) की क्या विधियाँ हैं ?
उत्तर:
प्राथमिक बाजार में अस्थिर पूँजी की निम्नलिखित विधियाँ हैं

1. प्रविवरण पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक निर्गमन-इस विधि के अंतर्गत कंपनी, साधारण जनता को सूचित और आकर्षित करने के लिए प्रविवरण जारी करती है। प्रविवरण में कंपनी उस उद्देश्य के बारे में विवरण देती है जिसके लिए कोष प्राप्त किये जाते हैं, कंपनी के पिछले वित्तीय निष्पादन,कंपनी की पृष्ठभूमि और भावी प्रत्याशाओं के बारे में भी विवरण प्रदान करती है।

2. बिक्री की प्रस्तावना – इस विधि के अंतर्गत साधारण जनता को नई प्रतिभूतियाँ प्रस्तावित की जाती हैं परंतु प्रत्यक्ष रूप से कंपनी द्वारा नहीं बल्कि बिचौलिए द्वारा जो कंपनी से प्रतिभूतियों का सारा समूह खरीदता है, इसीलिए प्रतिभूतियों की बिक्री दो चरणों में होती है-पहला चरण जब कंपनी अंकित मूल्य पर बिचौलिए को प्रतिभूतियाँ निर्गमित करती है और दूसरा – चरण जब लाभ कमाने के लिए बिचौलिए साधारण जनता को उच्च कीमत पर प्रतिभूतियाँ निर्गमित करते हैं।

3. निजी व्यवस्था – इस विधि के अंतर्गत कंपनी द्वारा बिचौलिए को एक निश्चित कीमत पर प्रतिभूतियाँ बेची जाती हैं और दूसरे चिरण में बिचौलिए इन प्रतिभूतियों को साधारण जनता को नहीं बेचते अपितु उच्च कीमत पर चुने हुए ग्राहकों को बेचते हैं। निर्गमित करने वाली कंपनी, अपने उद्देश्यों, भावी संभावनाओं के बारे में विवरण देने के लिए प्रविवरण निर्गमित करती है ताकि प्रसिद्ध ग्राहक बिचौलिए से प्रतिभूति क्रय करने को प्राथमिकता दें।

4. अधिकार निर्गमन – यह विद्यमान शेयरधारकों को नए अंशों का निर्गमन है। इसे अधिकार निर्गमन कहा जाता है। क्योंकि यह अंशधारियों का पूर्वक्रय अधिकार होता है कि कंपनी को बाह्य व्यक्तियों को निर्गमन करने से पहले नए अंश इन्हें प्रस्तावित करने चाहिए। प्रत्येक अंशधारक को उसके द्वारा धारित मौजूदा शेयरों के अनुपात में अतिरिक्त शेयर खरीदने का अधिकार होता है कि कंपनी को बाह्य व्यक्तियों को निर्गमन करने से पहले नए अंश इन्हें प्रस्तावित करने चाहिए।

5. ईप्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्तावना – यह स्टॉक एक्सचेंज/शेयर बाजार की प्रतिभूतियों को आनॅलाइन पद्धति द्वारा निर्गमित करने की नई विधि है। इसमें कंपनी को आवेदनों को स्वीकार करने और ऑर्डर देने के प्रयोजन के लिए पंजीकृत दलालों को नियुक्त करना पड़ता है।

प्रश्न 29.
भारत में पूंजी बाजार के सुधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में पूंजी बाजार में सुधार-भारत में पूंजी बाजार में निम्नलिखित सुधार किए गये हैं

(i) पूँजी बाजार में निगमों के स्कन्ध, अंश व ऋणपत्रों (Stock, Share and Debentures) तथा सरकारी बॉण्ड, प्रतिभूतियों आदि में लेनदेन करता है।

(ii) पूँजी बाजार में कार्य करने वाले व्यक्तियों, व्यापारिक बैंक, वाणिज्यिक बैंक, बीमा कम्पनियाँ, विभिन्न औद्योगिक बैंक, औद्योगिक वित्त निगम, यूनिट ट्रस्ट, निवेश ट्रस्ट लीजिंग वित्त, भवन समितियाँ आदि प्रमुख होते हैं।

(iii) कुछ संस्थाएं ऐसी हैं जो प्रत्यक्षतः ऋण प्रदान नहीं करते हैं किन्तु ऋण प्रदान करने में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती हैं। जिनमें अंशों व ऋणपत्रों के अभिगोपक (Underwriter) महत्वपूर्ण होते हैं। इन अभिगोपकों को ‘हामीदार’ (Underwriter) भी कहा जाता है।

(iv) सम्पूर्ण पूँजी का लेनदेन या क्रय – विक्रय स्कन्ध विपणि (Stock Exchange) के माध्यम से किया जाता है इसलिये इन बाजारों को स्कन्ध बाजार भी कहा जाता है। स्कन्ध बाजार में अंश, ऋणपत्र, बॉण्ड्स, प्रतिभूतियाँ आदि का लेनदेन होता है।

(v) स्कन्ध विपणि में नई एवं पुरानी सभी प्रकार की प्रतिभूतियों का क्रय – विक्रय होता है।

(vi) पूँजी बाजार में लेनदेन सामान्यतः दलालों के माध्यम से ही किया जाता है क्योंकि पूँजी बाजार के स्वभाव से ये अच्छी तरह परिचित रहते हैं।
इस प्रकार पूँजी बाजार में स्कन्ध विपणि के माध्यम से नई पूँजी प्राप्त करने के लिये विभिन्न उपाय किये जाते हैं । पूँजी बाजार के द्वारा दीर्घकालीन व मध्यकालीन वित्त (पूँजी) की व्यवस्था की जाती है वर्तमान में पूँजी प्राप्त करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्था प्रारम्भ हो चुकी है।

प्रश्न 30.
सेबी (SEBI) के प्रकार्यों एवं उददेश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सेबी के कार्य (Functions of ‘SEBI’) सेबी के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं

  1. प्रतिभूति बाजार (Security market) में विनियोजकों के हितों की रक्षा करना तथा प्रतिभूति बाजार को उचित ढंग से विकसित कर उसे नियमित करना।
  2. स्कन्ध विपणि तथा अन्य प्रतिभूति बाजार के व्यवसाय का नियमन करना।
  3. स्कन्ध दलाल (Stock brokers), अंश हस्तान्तरण एजेण्ट (Share transfer agent), प्रन्यासी (Trustees), मर्चेण्ट बैंकर्स, अभिगोपक पोर्टफोलियो मैनेजर, सब-ब्रोकर्स आदि के कार्यों को देखना, उनका पंजीयन करना व उसका नियमन करना।
  4. म्यूचुअल फन्ड सहित समस्त सामूहिक निवेश की योजना को विधिवार पंजीकृत कर उसका नियमन करना।
  5. स्वयं नियमित संगठनों का नियमन व नियन्त्रण करना। . 6. प्रतिभूतियों का अनियमित व अनुचित व्यापार व्यवहार पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाना।
  6. प्रतिभूति से सम्बन्धित व्यक्तियों के लिये आवश्यक प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
  7. निवेशकों के लिये आवश्यक शिक्षा की व्यवस्था करना।
  8. प्रतिभूतियों के अन्दरुनी व्यापार पर रोक लगाना।।
  9. प्रतिभूति बाजार से सम्बन्धित आवश्यक शोध करना।

प्रश्न 31.
प्राथमिक बाजार एवं द्वितीयक बाजार में अंतर बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक बाजार एवं द्वितीयक बाजार में अंतर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 10 विपणन (वित्तीय) बाजार IMAGE - 4

प्रश्न 32.
पूँजी बाजार के महत्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पूँजी बाजार राष्ट्रीय पूँजी निर्माण तथा विकास में सहायक करता है । पूँजी बाजार के महत्व को हम निम्नांकित ढंग से स्पष्ट कर सकते हैं

  1. पूँजी बाजार पूँजी निवेशकों एवं बचत धारियों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बचतकर्ता निधि के स्रोत व ऋणदाता होते हैं तथा निवेशक निधि के ऋणी होते हैं । इन दोनों के मध्य पूँजी बाजार एक कड़ी का कार्य करता है।
  2. अपनी समस्त आय खर्च न करने वाले बचतकर्ताओं के लिए विनियोग करने का सरल साधन पूँजी बाजार होता है।
  3. आम जनता की छोटी-छोटी बचतों के लाभकारी विनियोग के लिए पूँजी बाजार एक अच्छा क्षेत्र प्रदान करता है।
  4. इसी प्रकार कम दर पर अधिक समय के लिए पूँजी प्राप्त करने का एक अच्छा मार्ग पूँजी बाजार होता है।
  5. पूँजी बाजार में माँग व पूर्ति के मध्य सन्तुलन बनाये रखने का कार्य पूँजी बाजार अपने उपकरणों के माध्यम से करता है।

प्रश्न 33.
पूँजी बाजार और मुद्रा बाजार में निम्नलिखित आधारों पर अंतर्भेद कीजिए

  1. प्रतिभागी
  2. व्यापारिक साख
  3. प्रतिभूतियों की व्यापारिक अवधि
  4. अपेक्षित प्रतिफल
  5. सुरक्षा।

उत्तर:
पूँजी बाजार और मुद्रा बाजार में अंतर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 10 विपणन (वित्तीय) बाजार IMAGE - 5

प्रश्न 34.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSEI) तथा ओवर दि काउंटर एक्सचेंज ऑफ इंडिया (OTCET) में निम्नलिखित आधारों पर अंतर्भेद कीजिए

  1. स्थापना वर्ष
  2. चुकता पूँजी
  3. व्यापारित प्रतिभूतियाँ
  4. निपटान की अवधि
  5. उद्देश्य।

उत्तर:
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया तथा ओवर दि काउंटर एक्सचेंज ऑफ इंडिया में अंतर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 10 विपणन (वित्तीय) बाजार IMAGE - 6

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन

भाषा का शुद्ध और स्पष्ट लेखन उस समय तक सम्भव नहीं है, जब तक कि शब्दों और उनके अर्थ के विषय में पूर्ण ज्ञान न हो। शुद्ध वाक्य रचना के लिए अशुद्धियों पर ध्यान देना बड़ा आवश्यक है। अशुद्ध वाक्य उतना ही भद्दा और अरुचिपूर्ण लगता है जितना कि बेतरतीब बनाया हुआ भोजन। अतः अशुद्धियों का विवरण नीचे दिया जा रहा है-

MP Board Solutions

1. लिंग सम्बन्धी अशुद्धियाँ – संज्ञा शब्दों में लिंग – परिवर्तन होता है; जैसे –
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन img-1

2. वचन सम्बन्धी अशुद्ध याँ
1. वह किसके कलम है – वह किसकी कलम है।
2. उसका भाग्य फूट गया – उसके भाग्य फूट गए।
3. मेरे बटुआ उड़ गया – मेरा बटुआ उड़ गया।
4. क्या तेरा प्राण निकल रहा है क्या तेरे प्राण निकल रहे हैं।

3. समाज सम्बन्धी अशुद्धियाँ
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन img-2
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन img-3

4. संधि समास अशुद्धियाँ
1. निरस – नीरस (निः + उक्त)।
2. उपरोक्त – उपर्युक्त (उपरि + उक्त)।
3. सदोपदेश – सदुपदेश (सद् + उपदेश)।

5. कर्ता और क्रिया का समान न होना – कर्ता और क्रिया के वचन, लिंग और पुरुष समान होने चाहिए। यदि ऐसा न हुआ तो वाक्य अः शुद्ध हो जाता है। उदाहरण के लिए –
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन img-4

6. शब्दों को यथा स्थान रखना – वाक्य में कर्ता, कर्म, करण, विशेषण, विशेष्य, क्रिया – विशेषण आदि के स्थान निश्चित होते हैं। यदि वे निश्चित स्थान पर न रखे
गए अथवा उनका स्थान बदल दिया गया तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है।
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन img-5

7. अनावश्यक शब्दों का प्रयोग
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन img-6

8. वर्ण और मात्रा संबंधी अशुद्धियाँ
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन img-7

MP Board Solutions

महत्त्वपूर्ण परीक्षोपयोगी प्रश्न

निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिए
1. इन्दिरा गाँधी की मृत्यु पर भारत में दुःख छा गया।
2. मैं कल आगरा से वापस लौटूंगा।
3. तुमने यह काम करना है।
4. कोप ही दण्ड का एक विधान है।
5, आग में कई लोगों के जल जाने की आशा है।
उत्तर –
1. इन्दिरा गाँधी की मृत्यु पर भारत में शोक छा गया।
2. मैं कल आगरा से लौटूंगा।
3. तुम्हें यह काम करना है।
4. दण्ड ही कोप का एक विधान है।
5. आग में कई लोगों के जल जाने की आशंका है।

निम्नलिखित अशुद्ध शब्दों को शुद्ध कीजिए-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन img-8

अभ्यास के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न
(i) अभ्यास के लिए शुद्ध – अशुद्ध वाक्य।

1. संग्रहित
(क) संघरित (ख) संगृहीत (ग) संग्रहीत (घ) संघह्वीत
उत्तर –
(ख) संगृहीत।।

2. प्रथक
(क) पृथक् (ख) पिरथक (ग) परथिक (घ) पिर्थक
उत्तर –
(क) पृथक्।

MP Board Solutions

3. उज्जवल
(क) उजवल (ख) उज्ज्वल (ग) उजवल्य (घ) उज्जवल
उत्तर –
(ख) उज्ज्वल

4. प्रनाम
(क) पिरणाम (ख) पिरनाम (ग) पृणाम (घ) प्रणाम
उत्तर –
(घ) प्रणाम।।

5. भैंस और बैल खड़े हैं
(क) भैंस खड़ा और बैल खड़ी है। (ख) भैंस और बैल दोनों खड़ी हैं। (ग) भैंस और बैल खड़ा हुआ है। (घ) भैंस और बैल दोनों खड़े हैं।
उत्तर –
(घ) भैंस और बैल दोनों खड़े हैं।

6. आगरा के अन्दर हैजा का जोर है
(क) आगरा के अन्दर हैजा (ख) हैजा का जोर है आगरा में। का प्रकोप है। (ग) हैजा का प्रकोप है आगरा में। (घ) आगरा में प्रकोप है हैजा का।
उत्तर –
(घ) आगरा में प्रकोप है हैजा का।

7. उसे अनुत्तीर्ण होने की आशा है
(क) आशा है उसे अनुत्तीर्ण (ख) अनुत्तीर्ण होने की उसे आशंका होने की। (ग) उसे आशंका है अनुत्तीर्ण (घ) उसे अनुत्तीर्ण होने की आशंका होने की।
उत्तर –
(घ) उसे अनुत्तीर्ण होने की आशंका है।

(ii) शब्दों के क्रम संबंधी अशुद्धियों को शुद्ध कीजिए
अशुद्ध – राम, जो कल भूखा था, ने अभी तक कोई भोजन नहीं किया।
शुद्ध – राम, जो कल भूखा था अभी तक भोजन नहीं किया।
अशुद्ध – राम बाजार से फूलों की माला एक लाई।।
शुद्ध – राम बाजार से एक फूलों की माला लाया।
अशुद्ध – सब लड़कियाँ अपनी किताब और कल से लिख और पढ़ रहे थे।
शुद्ध – सब लड़कियाँ अपनी किताब और कलम से पढ़ ओर लिख रही थीं।

MP Board Solutions

(iii) प्रत्यय संबंधी अशुद्धियाँ दूर कीजिए
अशुद्ध – राम यह कार्य आवश्यकीय है।
शुद्ध – राम यह कार्य आवश्यक है।
अशुद्ध – आपकी सौजन्यता से मेरे पुत्र को नौकरी मिल गई।
शुद्ध – आपके सौजन्य से मेरे पुत्र को नौकरी मिल गई।
अशुद्ध – साधु के माथे पर रामानन्द तिलक है।
शुद्ध – साधु के माथे पर रामानन्दी तिलक है।

(iv) अनुस्वार एवं चन्द्र बिन्दु संबंधी अशुद्धियाँ शुद्ध कीजिए–
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन img-9

MP Board Class 12th Hindi Solutions

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण मुहावरे व लोकोक्तियाँ

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण मुहावरे व लोकोक्तियाँ

भाषा को प्राणवान और प्रभावशाली बनाने के लिए आवश्यकतानुसार मुहावरे और कहावतें (लोकोक्तियों) के प्रयोग किए जाते हैं। इनके प्रयोग से भाषा न केवल सार्थक और आकर्षक दिखाई देती है अपितु वह एक अद्भुत शक्ति से परिपूर्ण भी लगने लगती है, जो एक सफल और असाधारण रचना शिल्प व शिल्पकार की अभियोजना और उद्देश्य होता है। इस प्रकार मुहावरों और कहावतों के बिना भाषा प्राणहीन, अशक्त और प्रभावहीन बन जाती है।

मुहावरों और कहावतों से एक विशिष्ट भाषा, संस्कृति, जाति, सभ्यता, लोकजीवन, रहन – सहन, चेतना और भविष्य का पूरा पता लगता है। उसकी छाप सर्वत्र पड़ने लगती है। वह सबको समुन्नत दिशा की ओर अग्रसर करने लगती है।

MP Board Solutions

मुहावरों और कहावतों से भाषा एक वाक्यांश के रूप में प्रकट होकर एक विलक्षणता और रोचकता के रूप में अपने महान उद्देश्य की ओर रती है और अंततः पाठक – श्रोता वर्ग पर अपनी पूर्व नियोजित छाप छोड़ती है। यही कारण है कि विश्व की सभी भाषाओं में मुहावरों – कहावतों के प्रयोग होते हैं। इस मुहावरों और कहावतों का प्रयोग किसी भी भाषा. के लिए नितान्त आवश्यक है।

मुहावरे
प्रचलित मुहावरे और उनका प्रयोग
1. अपना ही राग अलापना – अपनी बातें ही करते रहना।
प्रयोग – मोहन दूसरे की बात सुनता नहीं है केवल अपना ही राग अलापता रहता है।

2. आँखों का तारा – बहुत प्यारा लगना।
प्रयोग – इकलौता पुत्र अपने माता – पिता की आँखों का तारा होता है।

3. अपना उल्लू सीधा करना – केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करना।
प्रयोग – जो मनुष्य स्वार्थी होता है वह अपना ही उल्लू सीधा करता है।

4. अपने मुँह मियाँ मिठू बनना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
प्रयोग – अभिमानी मनुष्य अपने मुँह मियाँ मिठू बनते हैं।

5. अन्धे को चिराग दिखाना – व्यर्थ का कार्य करना।
प्रयोग – किसी मूर्ख और पागल मनुष्य को उपदेश देना वास्तव में अन्धे को चिराग दिखाना है।

6. अन्धे की लकड़ी – समय पर काम आना।
प्रयोग – वृद्धावस्था में बेटा अन्धे की लकड़ी के समान होता है।

7. अँगूठा दिखाना – अपमानपूर्ण अवज्ञा करना।
प्रयोग – मैंने कल तुमसे पैसा लौटाने के लिए कहा था। आज तुम मुझको अँगूठा दिखा रहे हो।

8. अक्ल पर पत्थर पड़ना – अज्ञानता से काम करना।
प्रयोग – उस समय न जाने क्यों मेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे तब मैंने अपने
बड़े भाई को कटु शब्द कहे थे।

9. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – स्वयं अपना नाश करना।
प्रयोग – राकेश ने अपनी जायदाद जुआ में हारकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है।

10. आगबबूला होना – अधिक क्रोधित होना।
प्रयोग – जब पिता ने अपने पुत्र को घर में चोरी करते देखा तो वे.आगबबूला हो गए।

11. आसमान टूट पड़ना – अचानक विपत्ति आ जाना।
प्रयोग – मोटर दुर्घटना में अपने पुत्र का समाचार सुनकर माँ के हृदय पर जैसे आसमान टूट पड़ा हो।

12. ईद का चाँद होना – कठिनता से दिखाई देना।
प्रयोग – रमेश ने जब दो महीने बाद अपने मित्र को सामने आता हुआ देखा तो कहा कि आजकल तुम तो ईद के चाँद हो गये हो।

13. ईंट से ईंट बजाना – बिलकुल नष्ट करना।
प्रयोग – महाराज शिवाजी ने मुगल बादशाह की ईंट से ईंट बजा दी।

14. उल्टी गंगा बहाना – नियम के विरुद्ध काम करना।
प्रयोग – आजकल लोग नियमित काम न करके उल्टी गंगा बहा रहे हैं।

15. गाल बजाना – बक – बक करना।
प्रयोग – आजकल के नेता मंचों पर गाल बजाते हैं। ठोस काम करना नहीं जानते

16. गले का हार – प्रिय वस्तु।
प्रयोग – महात्मा तुलसीदास का रामचरितमानस हिन्दुओं के गले का हार है।

17. गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी बातें दोहराना।
प्रयोग – वृद्ध मनुष्य सबके सामने गड़े मुर्दे उखाड़कर दूसरों को लज्जित करते रहते हैं।

18. कुत्ते की मौत मरना – बुरी मौत मरना।
प्रयोग – देशद्रोही मनुष्य कुत्ते की मौत मारा जाता है।

19. काम तमाम करना – मार डालना।
प्रयोग – बन्दूक की एक गोली से मैंने डाकू का काम तमाफ कर दिया।

20. छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या होना।
प्रयोग – महेश ने जब से नई मोटर साइकिल खरीदी है, उसके पड़ोसी की छाती पर साँप लोटने लगे हैं।

21. नौ – दो ग्यारह होना – भाग जाना।
प्रयोग – पुलिस (सिपाही) को देखकर चोर नौ – दो ग्यारह हो गए।

22. दाँत खट्टे करना – – पराजित करना।
प्रयोग – भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के दाँत खट्टे कर दिए।

23. मुँह में पानी भर आना – ललचाना।
प्रयोग – मिठाई की दुकान को देखकर बालकों के मुँह में पानी भर आता है।

MP Board Solutions

24. फूला न समाना – बहुत प्रसन्न होना।
प्रयोग – बहुत दिनों से खोये हुए बालक को अचानक देखकर माँ का हृदय फूला न समाया।

25. हाथ – पाँव फूलना – भयभीत हो जाना।
प्रयोग – जंगल में शेर को देखकर मेरे हाथ – पाँव फूल गए।

26. लोहा मानना – प्रभाव स्वीकार करना।
प्रयोग – एशिया के सभी राष्ट्र भारत की शक्ति का लोहा मानते हैं।

27. हक्का – बक्का रह जाना – आश्चर्यचकित होना।
प्रयोग – ताजमहल की सुंदरता को देखकर लोग हक्के – बक्के रह जाते हैं।

28. हवा से बातें करना – बहुत वेग से चलना।
प्रयोग – महाराणा प्रताप का चेतक घोड़ा बुद्ध के मैदान में हवा से बातें करता था।

29. लकीर का फकीर होना – अंधविश्वासी होना।
प्रयोग – आदिवासी लोग लकीर के फकीर होते हैं।

30. सिर नीचा होना – लज्जित होना।
प्रयोग – अयोग्य पुत्र के अनुचित कार्यों को देखकर माता – पिता का सिर लज्जा से नीचा हो गया।

31. टेढ़ी – सीधी सुनना – खरी – खोटी सुनना।
प्रयोग – मेरे विलम्ब से घर पहुंचने पर पिताजी ने मुझे अनेक टेढ़ी – सीधी बातें सुना डालीं।

32. धूल में मिला देना – नष्ट करना।
प्रयोग – मोहन को परीक्षा में नकल करते हुए जब. अध्यापक ने पकड़ लिया तो उसकी सारी इज्जत धूल में मिल गयी।

33. सिर पटक लेना – दहाड़ मारकर रोना।
प्रयोग – अपने भाई की असफलता का समाचार सुनकर राकेश अपना सिर जमीन पर पटककर खूब रोने लगा।

34. त्यौरियाँ चढ़ जाना – क्रोधित होना।
प्रयोग – आजकल जरा – सी बात पर लोग अपनी त्यौरियाँ चढ़ा लेते हैं।

35. आसमान सिर पर उठाना – बहुत कोलाहल करना।
प्रयोग – जिस समय शिक्षक कक्षा में नहीं होता उस समय विद्यार्थी आसमान सिर पर उठा लेते हैं।

36. आस्तीन का साँप होना – विश्वासघात करना।
प्रयोग – चीन के आक्रमण के समय अनेक लोग देश के आस्तीन के साँप बन गए।

37. आठ – आठ आँसू रोना – फूट – फूटकर रोना।
प्रयोग – माँ की मृत्यु के समय राम आठ – आठ आँसू रोया।

38. कसौटी पर कसना – परीक्षा लेना।
प्रयोग – सोने की कसौटी पर कसकर उसके खरे – खोटे की पहचान की जाती है।

39. कंगाली में आटा – गीला होना – कष्ट पर कष्ट आना।
प्रयोग – इधर मोहन के घर में आग लगी, उधर चोरी में सारा सामान चला गया, उसकी कंगाली में आटा गीला हो गया।

40. कान में तेल डालकर सोना – बात सुनने की चेष्टा न करना।
प्रयोग – मैं तुम्हें कब से बुला रहा हूँ और तुम हो कि कान में तेल डालकर बैठे हो।

41. कलई खुलना – भेद खुलना।
प्रयोग – जब मोहन का झगड़ा राकेश से हुआ तो मोहन ने राकेश की सारी कलई खोल दी।

42. गर्दन पर छुरी फेरना – अत्याचार करना।
प्रयोग – ठेकेदार गरीब मजदूरों के पैसे काटकर उनकी गर्दन पर छुरी फेरते हैं।

43. गोबर गणेश – बिलकुल मूर्ख।
प्रयोग – वह कभी परीक्षा पास नहीं कर सकता, वह तो पूरा गोबर गणेश है।

44. घी के चिराग जलाना – खुशियाँ मनाना।
प्रयोग – जब भगवान श्री राम चौदह वर्ष के बाद वनवास से अयोध्या लौटकर
आये तब पूरी प्रजा ने घी के चिराग जलाए।

45. घोड़ा बेचकर सोना – निश्चित रहना।
प्रयोग – जब परीक्षा समाप्त हो जाती है, तो विद्यार्थी घोड़े बेचकर सोते हैं।

46. छप्पर फाड़कर देना – बिना मेहनत के धन मिलना।
प्रयोग – भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है।

47. टेढ़ी खीर होना – कठिन कार्य होना।
प्रयोग – हिमालय पार करना टेढ़ी खीर है।

48. दाँतकाटी रोटी होना – गहरी दोस्ती होना।
प्रयोग – पहले हम दोनों में दाँतकाटी रोटी थी किंतु जब से झगड़ा हुआ है तब से हम दोनों एक – दूसरे के शत्रु बन गए हैं।

49. कलेजा मुँह को आना – बहुत दुःखी होना।
प्रयोग – अचानक पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर कलेजा मुँह को आ गया।

50. चकमा देना – धोखा देना।
प्रयोग – एक लड़का दुकानदार को चकमा देकर सामान लेकर भाग गया।

51. हाँ में हाँ मिलाना – चापलूसी करना।
प्रयोग – छोटे कर्मचारी अपनी पदोन्नति के लिए बड़े अधिकारियों की दिन – रात हाँ में हाँ मिलाते हैं।

52. सिर धुनना – पश्चात्ताप करना।
प्रयोग – हायर सेकेण्ड्री की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर मोहन ने अपना सिर धुन लिया।

53. बाल – बाल बचना – बड़ी हानि होने से बचना।
प्रयोग – वह कुएं में गिरने से बाल – बाल बच गया।

MP Board Solutions

54. कफन सिर पर बाँधना – बलिदान के लिए तैयार रहना।
प्रयोग – वीर सैनिक युद्ध के दौरान कफन सिर पर बाँध लेते हैं।

55. लहू सूखना – शक्तिहीन होना। (म.प्र. 1991)
प्रयोग – साँप को सामने देखते ही उसका लहू सूख गया।

56. बाल बाँका न होना – कुछ भी नुकसान न होना। (म.प्र. 1991)
प्रयोग – प्रहलाद को बार – बार कष्ट देने का प्रयास करके भी हिरण्यकशिपु उसका बाल बाँका न कर सका।

57. काया पलट होना – रूप – परिवर्तन होना। (म.प्र. 1992)
प्रयोग – बड़े – बड़े सिद्ध – पुरुष मनचाही काया पलट कर लेते हैं।

58. मिट्टी में मिलाना – बरबाद करना। (म.प्र. 1992)
प्रयोग – भारत ने पाकिस्तान से युद्ध करके पूर्वी पाकिस्तान को मिट्टी में मिला दिया।

59. नेत्र लाल होना – क्रोधित होना। (म.प्र. 1993)
प्रयोग – छात्र के अशिष्टाचार से अध्यापक के नेत्र लाल हो गए।

60. हाथ के तोते उड़ना – कीमती वस्तु का खो जाना। (म.प्र. 1993)
प्रयोग – परीक्षा में भूल से कुछ प्रश्नों के छूटने पर उसने घर आते ही कहा कि मेरे हाथ के तोते उड़ गए।

61. नोन, तेल, लकड़ी के फेर में पड़ना – रोजी – रोटी के लिए परेशान होना।
प्रयोग – शादी होते ही वह नोन, तेल, लकड़ी के फेर में पड़ गया।

62. टूट जाना – बरबाद होना।। (म.प्र. 1994)
प्रयोग – मजदूर जीवनपर्यंत कड़ी मेहनत करते – करते टूट जाते हैं।

63. मौके की तलाश में रहना – स्वार्थ साधना। (म.प्र. 1994)
प्रयोग – स्वार्थी हरदम मौके की तलाश में रहते हैं।

64. भाषण की दुकान खोलना – बतंगड़ी का अड्डा होना। (म.प्र. 1994)
प्रयोग – आजकल तो जगह – जगह भाषण की दुकानें खुल गई हैं।

65. आँखें खोलना – सजग करना। (म.प्र. 1994)
प्रयोग – निंदक अक्सर आँखें खोल देते हैं।

लोकोक्तियाँ
भाषा को प्रभावशाली एवं सारगर्भित बनाने के लिए मुहावरों की भाँति लोकोक्तियों का प्रयोग किया जाता है। लोकोक्ति पारिभाषिक रूप से ऐसा मुहावरेदार वाक्य होता है जिसे व्यक्ति अपने कथन की पुष्टि में प्रमाण – स्वरूप प्रयोग करता है। लोकोक्ति . अपने में एक संपूर्ण वाक्य है और उसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से होता है।

प्रचलित लोकोक्तियाँ और उनका प्रयोग

1. अपना हाथ जगन्नाथ – बड़ी स्वच्छन्दता से किसी वस्तु को ग्रहण करना।
प्रयोग – महावीर को आज भोजन – गृह का मालिक बना दिया है, अब तो उसका अपना हाथ जगन्नाथ है।

2. अपनी ढपली अपना राग – जब सभी लोग मिलकर काम न करें।
प्रयोग – वह संस्था अधिक दिनों तक चल नहीं सकती क्योंकि उसके सभी सदस्य अपनी ढपली अपना राग वाले हैं।

3. ऊँची दुकान फीका पकवान – दुकान तो बड़ी प्रसिद्ध परंतु माल घटिया।
प्रयोग – नगर के सबसे धनाढ्य सेठ की दुकान में घटिया मिष्टान्न देखकर वह बोला – ऊँची दुकान फीका पकवान।

4. एक हाथ से ताली नहीं बजती – कोई भी कार्य में दो पक्षों का होना आवश्यक है।
प्रयोग – मैं यह बात तुम्हारी मान ही नहीं सकता कि तुम्हें पुलिस ने बिना कसूर पीटा है। यह सम्भव नहीं, एक हाथ से ताली नहीं बजती।

5. अंधों में काना राजा – अयोग्य लोगों में अल्पबुद्धि वाला मनुष्य ही योग्य माना जाता है।
प्रयोग – ग्रामों में अधिकतर सभी लोग अशिक्षित होते हैं; किंतु जरा – सा पढ़ा – लिखा व्यक्ति ही उनके लिए अंधों में काना राजा के समान है।

6. काला अक्षर भैंस बराबर – बिलकुल निरक्षर होना।
प्रयोग – अशिक्षित लोग वेद – पुराणों की बातें क्या जाने उनके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर होता है।

7. एक अनार सौ बीमार – वस्तु थोड़ी किंतु माँग अधिक।
प्रयोग कार्यालय में एक स्थान रिक्त है किंतु सौ से भी अधिक आवेदन – प., आने पर अधिकारी कहने लगा कि एक अनार सौ बीमार।

8. घर का भेदी लंका ढाहे – घर का भेद बताने वाला ही सबसे बड़ा शत्रु होता है।
प्रयोग – आजकल देश को बड़ी सावधानी की आवश्यकता है क्योंकि घर का भेदी लंका ढहाना चाहता है।

9. चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता – निर्लज्ज व्यक्ति पर किसी बात का प्रभा. नहीं पड़ता।
प्रयोग – तुम अपने भाई को चार दिन से समझाते – समझाते थक गए किंत उसने
अपनी आदत सुधारी नहीं; सच है कि चिकने घड़े पर पानी ठहरता नहीं है।

10. दूर के ढोल सुहावने – जितनी प्रसिद्धि सुनी वैसा पाया नहीं।
प्रयोग – लखनऊ के दशहरी आम जब स्वादिष्ट न निकले तो मेरा भाई वो दूर के ढोल सुहावने होते हैं।

11. थाली के बैंगन – अस्थिर बुद्धिवाला।
प्रयोग – मैं तो उसकी मित्रता पर कोई भरोसा नहीं करता। वह तो थाली का बैंगन है, कभी इधर तो कभी उधर।।

12. थोथा चना बाजे घना – आडम्बरयुक्त व्यक्ति सारहीन होता है।
प्रयोग – वह हायर सेकंडरी तक पढ़ा नहीं है लेकिन वह बी.ए. पास होने तक की शेखी बघारता है। सच है – थोथा चना बाजे घना वाली कहावत है।

13. एक पंथ दो काज – एक साथ दो कार्य पूर्ण होना।
प्रयोग – प्रयाग पहुँचने पर गंगा स्नान भी किया और कुम्भ का मेला भी देखा; इस तरह एक पंथ दो काज पूरे हुए।

14. का वर्षा जब कृषि सुखानी – समय निकल जाने पर प्रयत्न करना व्यर्थ है।
प्रयोग – जब शहर में डाकू लोग उपद्रव और लूटपाट करके चले गए तब बहुत देर बाद वहाँ पुलिस पहुंची तो सब लोग बोले, का वर्षा जब कृषि सुखानी।

15. मुख में राम बगल में छुरी – कपटपूर्ण व्यवहार।
प्रयोग – रामनरेश सामने तो खुशामद करता फिरता है पर पाडे से वह सबकी बुराई करता है। उसका व्यवहार मुख में राम बगल में छुरी के समान है।

16. सावन सूखा न भादों हरा – सदा एक समान रहना।
प्रयोग – वीरेन्द्र नाथ को हमने जबसे देखा है वह एक समान दिखाई देता है, सच है वह न सावन सूखा न भादों हरा।

17. बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा – अचानक किसी वस्तु का प्राप्त होना।
प्रयोग – एक निर्धन व्यक्ति को अचानक मार्ग में रुपयों का भरा थेला मिल गया, वह बहुत खुश हुआ, उसे ऐसा लगा जैसे बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा हो।

18. गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है – बड़े के साथ में उसके सहारे रहने वाले को भी कष्ट होता है।
प्रयोग – जब बड़े लोग चोरी में पकड़े जाते हों तो उनके साथ नौकर – चाकर भी पुलिस के हाथ पकड़े जाते हैं। सच है – गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है।

19. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का किसी काम का न होना।
प्रयोग – कोई काम न करूं तो भूखा मरता हूँ और जब काम करता हूँ तो बीमार हो जाता हूँ। इस समय मेरी स्थिति ठीक इस प्रकार है, जैसे – धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का।

20. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद – अयोग्य व्यक्ति ज्ञान की बातें नहीं जानता।
प्रयोग – अशिक्षित लोगों के सामने छायावादी कविता सुनाने से क्या लाभ, बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद

21. हाथ कंगन को आरसी क्या – प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की आवश्यकता नहीं।
प्रयोग – तुमने कल मेरी बात का विश्वास नहीं किया, आज दैनिक समाचार – पत्र में वह घटना प्रकाशित हुई है। अब तो आप विश्वास करेंगे। हाथ कंगन को आरसी क्या?

22. साँच को आँच नहीं – सच्चे व्यक्ति को कोई भय नहीं होता।
प्रयोग – आप चाहे मुझे फाँसी पर चढ़ा दें, मुझे मार डालें लेकिन मैं बात सही – सही कहूँगा। साँच को आँच नहीं।

23. यह मुँह और मसूर की दाल – अपनी स्थिति से अधिक इच्छा करना।
प्रयोग – पास में नहीं है फूटी कौडी भी और चले हैं बाजार में मारुति कार खरीदने। कहावत सही है – यह मुँह और मसूर की दाल।

24. बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी – दुष्ट व्यक्ति को एक – न – एक दिन सजा अवश्य मिलेगी।

प्रयोग – चोर कब तक बचा रहेगा। एक – न – एक दिन पुलिस के हाथों पकड़ा जाएगा। आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी।

25. नौ सौ चूहे मार के विल्ली हज को चली – जीवनभर पाप किया, मरने के वक्त साधु बन गए।
प्रयोग – जवानी में तो सदा दूसरों को ठगते रहे और जब बुढ़ापा आ गया तब राम – राम का नाम लेने गए। आखिर नौ सौ चूहे मार के बिल्ली हज को चली।

26. अधजल गगरी छलकत जाय – छोटा और ओछा आदमी दिखावा अधिक करता है।
प्रयोग – सुरेश की जबसे लॉटरी खुली है तब से वह घमण्ड में ही रहता है, जैसे अधजल गगरी छलकत जाय।

MP Board Solutions

27. न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी – कारण न होने पर कोई नहीं हो सकता।
प्रयोग – जब से रमेश ने दुकान खोली है तब से घर में झगड़ा ही होता रहता है। अब उसने अपनी दुकान बन्द कर दी, न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी।

28. हाथी के दाँत दिखाने के और, और खाने के और – दिखावटी होना।
प्रयोग – महेश का रूप ऐसा है जैसे – हाथी के दाँत खाने के और, और दिखाने के और।

29. नक्कारखाने में तूती की आवाज सुनाई नहीं पड़ती – बड़ों के सामने छोटों की बात नहीं सुनी जाती।
प्रयोग – जब बड़े लोग बोल रहे थे तब मेरी बात तो किसी ने सुनी ही नहीं। नक्कारखाने में तूती की आवाज सुनाई नहीं पड़ती।

30. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – एक व्यक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता।
प्रयोग – मैं अपने घर में अकेला व्यक्ति हूँ, जो बनता है वह करता हूँ। आखिर अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है।

31. मान न मान मैं तेरा मेहमान – जवरदस्ती किसी के गले पड़ना।
प्रयोग – एक अपरिचित व्यक्ति रात के समय घर आकर बोला, में यहाँ ठहरूँगा। मान न मान मैं तेरा मेहमान।

32. अकल बड़ी कि भैंस – शारीरिक शक्ति से मानसिक शक्ति बड़ी होती है।
प्रयोग – उस आदमी ने बुद्धि बल से एक पहलवान को पटक दिया। वास्तव में भैंस से अक्ल बड़ी होती है।

33. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है – एक को देखकर दूसरे के विचारों में परिवर्तन होना।
प्रयोग – एक शराबी को नशे में झूमता हुआ देखकर दूसरा शराबी भी झूम – झूमकर नाचने लगा। सच ही है खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।

34. आम के आम गुठलियों के दाम – दोनों हाथ में लाभ होना।
प्रयोग – रमेश को सरकारी नौकरी मिली साथ ही अमेरिका जाने का निमंत्रण भी मिला। आम के आम गुठलियों के दाम।

35. खोदा पहाड़ निकली चुहिया – खूब परिश्रम किया लेकिन फल थोड़ा – सा मिला।
प्रयोग – एक व्यक्ति ने पुराना गड़ा हुआ धन मिलने की लालच में सारा घर खोद डाला किंतु उसे केवल पीतल के कुछ पुराने बर्तन ही हाथ लगे; यह तो वही बात हुई, खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

36. ऊँट के मुँह में जीरा – अधिक की तो आवश्यकता है और दिया थोड़ा।
प्रयोग – एक व्यक्ति की खुराक दस रोटी है लेकिन जब वह खाने वैटा तो केवल दो रोटी ही दी; यह तो ऊँट के मुंह में जीरे के समान है।

37. सिर मुंड़ाते ओले पड़े – काम शुरू करते ही संकट आ गया।
प्रयोग – रात को दुकान का शुभारम्भ हुआ और सुबह होते ही उसमें आग लग गई, यह तो सिर मुंड़ाते ही ओले पड़ गए।

38. ओखली में सिर दिया फिर मूसर से क्या डरना – जब जान की बाजी लगाना है तो फिर डरना क्या।
प्रयोग – जब युद्ध के मैदान में आ गया तो गोली से क्या डरना। जब ओखली में सिर दिया तो मूसर से क्या डरना।

39. आँखों का अंधा नाम नैनसुख – नाम और गुणों में अंतर।
प्रयोग – नाम तो करोड़ीमल है लेकिन पास में एक पैसा नहीं अर्थात् आँखों का अंधा और नाम नैनसुख।

40. घर की मुर्गी दाल बराबर – गुणवान् की इज्जत घर में नहीं होती है। (म.प्र. 1990)
प्रयोग – अमेरिका में भाषण देने से पहले स्वामी विवेकानंद भारतीयों के लिए घर की मुर्गी दाल बराबर थे।

41. अंधा पीसे कुत्ता खाए – मूर्ख का धन चालाक के हाथ में आना। (म.प्र. 1990)
प्रयोग – मोहन दिन – रात कड़ी मेहनत करता है लेकिन उसके बेटे मौज उड़ाते हैं। सच है अंधा पीसे कुत्ता खाए।

42. पहाड़ खड़ा होना – बड़ी मुसीबत पड़ना। (म.प्र. 1991)
प्रयोग – परीक्षा के समय मोहन को बुखारग्रस्त देखकर मैंने कहा, यार – यह बुखार क्या आया, यह तो तुम्हारे लिए पहाड़ खड़ा हो गया है।

43. बंदर के हाथ में मोतियों की माला होना – अयोग्य के हाथ में मूल्यवान वस्तु का होना। (म.प्र. 1991)
प्रयोग – आजकल तो ऐसे अनेक सरकारी पदाधिकारी हैं जो पद का दुरुपयोग … कर रहे हैं। जिन्हें आए दिन विरोधी बंदर के हाथ में मोतियों की माला होने का उदाहरण देते रहते हैं।

MP Board Solutions

अभ्यास के लिए मुहावरे व लोकोक्तियाँ
1. हवा खाना।
2. फूंक – फूंककर कदम रखना।
3. पेट में चूहे कूटना।
4. एक थैली के चट्टे – बट्टे होना।
5. अमरौती खा के आना।
6. गट्टा – सी सुना देना।
7. कब्र में पाँव लटकाए होना।
8. चार दिन के पाहुन।
9. टेढ़ी – सीधी सुनाना।
10. सिर पटक लेना।
11. कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली।
12. कहे खेत की सुने खलिहान की।
13. लंकाकाण्ड।
14. हजारों हथौड़े सहकर मूर्ति बनती है।
15. देखो ऊँट किस करवट बैठता है।
16. मूंछों पर ताव देना।
17. करवटें बदलना।
18. गाजर – मूली समझना।
19. कान में तेल डालना।
20. आटे – दाल का भाव मालूम होना।
21. कीचड़ उछालना।
22. जिधर बोले बम उधर हम।

MP Board Class 12th Hindi Solutions