MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 11 प्रकाश: छायाएँ एवं परावर्तन

MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 11 प्रकाश: छायाएँ एवं परावर्तन

MP Board Class 6th Science Chapter 11 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए बॉक्सों के अक्षरों को पुनर्व्यवस्थित करके एक ऐसा वाक्य बनाइए जिससे हमें अपारदर्शी वस्तुओं के बारे में जानकारी मिलने में सहायता हो सके।
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 11 प्रकाश छायाएँ एवं परावर्तन 1
उत्तर:
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 11 प्रकाश छायाएँ एवं परावर्तन 2

प्रश्न 2.
नीचे दी गई वस्तुओं अथवा पदार्थों को अपारदर्शी, पारदर्शी अथवा पारभासी तथा दीप्त अथवा अदीप्त में वर्गीकृत कीजिए –
वायु, जल, चट्टान का टुकड़ा, ऐलुमिनियम शीट, दर्पण, लकड़ी का तख्ता, पॉलीथीन शीट, CD, धुआँ, समतल काँच की शीट, कुहरा, लाल तप्त लोहे का टुकड़ा, छाता, प्रकाशमान प्रतिदीप्त नलिका, दीवार, कार्बन पेपर की शीट, गैस बर्नर की ज्वाला, गत्ते की शीट, प्रकाशमान टॉर्च, सेलोफोन शीट, तार की जाली, मिट्टी के तेल का स्टोव, सूर्य, जुगनू, चन्द्रमा।
उत्तर:
पारदर्शी वस्तुएँ: वायु, जल, समतल काँच की शीट।

अपारदर्शी वस्तुएँ:
चट्टान का टुकड़ा, ऐलुमिनियम शीट, दर्पण, लकड़ी का तख्ता, लाल तप्त लोहे का टुकड़ा, छाता, प्रकाशमान प्रतिदीप्त नलिका, दीवार, कार्बन पेपर की शीट, गत्ते की शीट, प्रकाशमान टॉर्च, मिट्टी के तेल का स्टोव, सूर्य, जुगनू, चन्द्रमा।

पारभासी वस्तुएँ: पॉलीथीन शीट, CD, धुंआ, कुहरा, गैस बर्नर की ज्वाला, सेलोफेन शीट, तार की जाली।

दीप्त वस्तुएँ:
प्रकाशमान प्रतिदीप्त नलिका, प्रकाशमान, टॉर्च, सूर्य, जुगनू, लाल तप्त लोहे का टुकड़ा, गैस बर्नर की ज्वाला, मिट्टी के तेल का स्टोव।

अदीप्त वस्तुएँ:
वायु, जल, चट्टान का टुकड़ा, ऐलुमिनियम शीट, दर्पण, लकड़ी का तख्ता, पॉलीथीन शीट, CD, धुंआ, समतल काँच की शीट, कुहरा, छाता, दीवार, कार्बन पेपर की शीट, गत्ते की शीट, सेलोफेन शीट, तार की जाली, चन्द्रमा।

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प्रश्न 3.
क्या आप ऐसी आकृति बनाने के बारे में सोच सकते हैं जो एक ढंग से रखे जाने पर पर वृत्ताकार छाया बनाए तथा दूसरे ढंग से रखे जाने पर आयताकार छाया बनाए?
उत्तर:
बेलन (Cylinder) के द्वारा वृत्ताकार और आयताकार छाया बनाई जा सकती है। जब बेलन का ऊपरी सिरा सूर्य की ओर रखेंगे तो ऊपरी सिरे से बनी छाया वृत्ताकार होगी लेकिन जब बेलन को सीधा खड़ा करके सूर्य की ओर रखेंगे तो बेलन से बनने वाली छाया आयताकार होगी।
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 11 प्रकाश छायाएँ एवं परावर्तन 3

प्रश्न 4.
किसी अँधेरे कमरे में यदि आप अपने चेहरे के सामने कोई दर्पण रखें तो क्या आप दर्पण में अपना परावर्तन देखेंगे?
उत्तर:
किसी अँधेरे कमरे में यदि हम अपने चेहरे के सामने कोई दर्पण रखें तो हम दर्पण में अपना परावर्तन नहीं देख सकेंगे। दर्पण में अपना परावर्तन देखने के लिए प्रकाश की आवश्यकता होगी। प्रकाश के अभाव के कारण दर्पण से परावर्तन नहीं होगा अतः हम दर्पण में अपना परावर्तन नहीं देख सकेंगे।

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MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 10 गति एवं दूरियों का मापन

MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 10 गति एवं दूरियों का मापन

MP Board Class 6th Science Chapter 10 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वायु, जल तथा थल पर उपयोग किये जाने वाले परिवहन के साधनों में प्रत्येक के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:

  1. वायु में परिवहन के साधन: हवाई जहाज तथा हेलीकॉप्टर।
  2. जल में परिवहन के साधन: नाव और पानी का जहाज (शिप)।
  3. थल पर परिवहन के साधन: बस और बैलगाड़ी।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. एक मीटर में …….. सेंटीमीटर होते हैं।
  2. पाँच किलोमीटर में ……. मीटर होते हैं।
  3. झूले पर किसी बच्चे की गति ……. होती है।
  4. किसी सिलाई मशीन की सुई की गति ……….. होती है।
  5. किसी साइकिल के पहिए की गति ……….. होती है।

उत्तर:

  1. 100
  2. 5000
  3. आवर्ती गति।
  4. आवर्ती गति।
  5. वर्तुल गति।

प्रश्न 3.
पग अथवा कदम का उपयोग लम्बाई के मानक मात्रक के रूप में क्यों नहीं किया जाता?
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति के पग अथवा कदम की माप अलग-अलग होती है। व्यक्तियों के कदमों की लम्बाई घटती बढ़ती रहती है, यदि दो व्यक्तियों द्वारा किसी लम्बाई को नापा जाता है, तो हो सकता है कि दोनों लम्बाईयाँ समान न हों। अतः कदम का उपयोग लम्बाई के मानक मात्रक के रूप में नहीं किया जाता।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित के लम्बाई के बढ़ते परिमाणों में व्यवस्थित कीजिए –
1 मीटर।
1 सेंटीमीटर।
1 किलोमीटर।
1 मिलीमीटर।
उत्तर:
1 मिलीमीटर < 1 सेंटीमीटर < 1 मीटर < 1 किलोमीटर।

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प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति की लम्बाई 1.65 मीटर है। इसे सेन्टीमीटर तथा मिलीमीटर में व्यक्त कीजिए।
हल:
व्यक्ति की लम्बाई = 1.65 मीटर
1 मीटर = 100 सेंटीमीटर
∴ 1.65 मीटर = 100 × 1.65 सेंटीमीटर = 165 सेंटीमीटर
अतः मनुष्य की लम्बाई = 165 सेंटीमीटर
पुनः 1 मीटर = 100 सेंटीमीटर = 1000 मिलीमीटर
∴ 1.65 मीटर = 165 सेंटीमीटर = 165 × 10 मिलीमीटर = 1650 मिलीमीटर
अतः मनुष्य की लम्बाई = 1650 मिलीमीटर

प्रश्न 6.
राधा के घर तथा उसके स्कूल के बीच की दूरी 3250 मीटर है। इस दूरी को किलोमीटर में व्यक्त कीजिए।
हल:
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 10 गति एवं दूरियों का मापन 1

प्रश्न 7.
किसी स्वेटर बुनने की सलाई की लम्बाई मापते समय स्केल पर यदि इसके एक सिरे का पाठ्यांक 3.0 सेंटीमीटर तथा दूसरे सिरे का पाठ्यांक 33.1 सेंटीमीटर है, तो सलाई की लम्बाई कितनी है?
हल:
स्केल पर एक सिरे का पाठ्यांक = 3.0 सेंटीमीटर दूसरे सिरे का पाठ्यांक = 33.1 सेंटीमीटर
∴ स्वेटर बुनने की सलाई की लम्बाई = 33.1 – 3.0 सेंटीमीटर = 30.1 सेंटीमीटर

प्रश्न 8.
किसी चलती हुई साइकिल के पहिए तथा चलते हुए छत के पंखे की गतियों में समानताएँ तथा असमानताएँ लिखिए।
उत्तर:
चलती हुई साइकिल के पहिए तथा चलते हुए छत के पंखे की गतियों में –

समानताएँ:

  1. साइकिल का पहिया तथा पंखे की पंखुड़ियाँ एक बिन्दु पर स्थित होती हैं।
  2. दोनों में एक स्थिर बिन्दु के सापेक्ष वर्तुल गति (Circular Motion) होती है।

असमानताएँ:

साइकिल के पहिए की गतिछत के पंखे की गति
इसमें रेखीय गति होती है।इसमें रेखीय गति नहीं होती है।
इसमें संरेखीय गति होती है।इसमें आवर्ती गति होती है।

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प्रश्न 9.
आप दूरी मापने में लचीले फीते का उपयोग क्यों नहीं करते? यदि आप किसी दूरी को लचीले फीते से मापें तो अपनी माप को किसी अन्य को बताने में आपको जो समस्याएँ आएँगी उनमें से कुछ समस्याएँ लिखिए।
उत्तर:
दूरी मापने में लचीले फीते का उपयोग इसलिए नहीं करते क्योंकि लचीलेपन के कारण दूरी की लम्बाई बदल जाएगी।

समस्याएँ”

  1. लम्बाई का मान सही नहीं आएगा।
  2. समान लम्बाई की मान भिन्न-भिन्न आएगा।

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प्रश्न 10.
आवर्ती गति के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
आवर्ती गति के उदाहरण:

  1. किसी लोलक की गति।
  2. झूले पर झूलते हुए बालक की गति।

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MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 9 सजीव: विशेषताएँ एवं आवास

MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 9 सजीव: विशेषताएँ एवं आवास

MP Board Class 6th Science Chapter 9 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आवास किसे कहते हैं?
उत्तर:
आवास:
किसी भी प्राणी के रहने के उस विशेष स्थान को जहाँ पर उसे पर्याप्त मात्रा में भोजन मिले तथा वह स्थान जहाँ उसे तथा उसके बच्चों को सुरक्षा प्राप्त हो, आवास कहलाता है।

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प्रश्न 2.
कैक्टस मरुस्थल में जीवनयापन के लिए किस प्रकार अनुकूलित है?
उत्तर:
कैक्टस में मरुस्थलीय वास स्थान के लिए निम्नलिखित अनुकूलन पाए जाते हैं –

  1. वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल की बहुत कम मात्रा निष्कासित होती है।
  2. पत्तियाँ काँटों (शूल) में परिवर्तित हो जाती हैं जिससे वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल की हानि रुक जाती है।
  3. इसका तना पत्ती के समान हरा, चपटा तथा मोमी परत से ढका होता है, जिससे पौधों को जल-संरक्षण में सहायता मिलती है।
  4. इन पौधों की जड़ें जल अवशोषण के लिए मिट्टी में बहुत गहराई तक चली जाती हैं।

MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 9 सजीव विशेषताएँ एवं आवास 1

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. पौधे एवं जन्तुओं में पाए जाने वाले विशिष्ट लक्षण जो उन्हें आवास विशेष में रहने योग्य बनाते हैं, …….. कहलाते हैं।
  2. स्थल पर पाए जाने वाले पौधों एवं जन्तुओं के आवास को …….. आवास कहते हैं।
  3. वे आवास जिनमें जल में रहने वाले पौधे एवं जन्तु रहते हैं, …….. आवास कहलाते हैं।
  4. मृदा, जल एवं वायु किसी आवास के ……… घटक हैं।
  5. हमारे परिवेश में होने वाले परिवर्तन जिनके प्रति हम अनुक्रिया करते हैं, ……. कहलाते हैं।

उत्तर:

  1. अनुकूलन।
  2. स्थलीय।
  3. जलीय।
  4. अजैव।
  5. उद्दीपन।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित सूची में कौन-सी निर्जीव वस्तुएँ हैं?
हल, छत्रक, सिलाई मशीन, रेडियो, नाव, जलकुम्भी, केंचुआ।
उत्तर:
निर्जीव वस्तुएँ: हल, सिलाई मशीन, रेडियो, नाव।

प्रश्न 5.
किसी ऐसी निर्जीव वस्तु का उदाहरण दीजिए जिसमें सजीवों के दो लक्षण दिखाई देते हैं।
उत्तर:
निर्जीव वस्तु का उदाहरण-चन्द्रमा। इसमें सजीवों के दो लक्षण दिखाई देते हैं –

  1. आकाश में चन्द्रमा गति करता है।
  2. इसके आकार में वृद्धि होती है।

प्रश्न 6.
निम्न में से कौन-सी निर्जीव वस्तुएँ किसी समय सजीव का अंश थीं? मक्खन, चमड़ा, मृदा, ऊन, बिजली का बल्ब, खाद्य तेल, नमक, सेब, रबड़।
उत्तर:
निर्जीव वस्तुएँ जो किसी समय सजीव का अंश थीं मक्खन, चमड़ा, ऊन, खाद्य तेल, सेब, रबड़।

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प्रश्न 7.
सजीवों के विशिष्ट लक्षण सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
सजीवों के विशिष्ट लक्षण:

  1. सजीवों में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं –
  2. सजीवों में वृद्धि होती है।
  3. सभी सजीव कोशिकाओं के बने होते हैं।
  4. सजीव श्वसन करते हैं।
  5. सजीवों में पोषण होता है।
  6. सजीवों में उद्दीपन होता है।
  7. सजीव गति करते हैं।
  8. सजीवों में अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन होता है।
  9. सजीवों में प्रजनन होता है।
  10. सजीवों का एक निश्चित जीवन काल होता है अर्थात्

इनकी मृत्यु तय है।

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प्रश्न 8.
घास के मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले जन्तुओं को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए तीव्र गति क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
घास के मैदानी क्षेत्रों में शक्तिशाली शेर जैसे जन्तु तथा हिरण आदि जैसे कमजोर जन्तु रहते हैं। घास स्थल आवासों में छिपने के लिए वृक्षों की संख्या कम होती है। इसलिए शक्तिशाली जन्तु कमजोर जन्तुओं को आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं। हिरण जैसे जन्तुओं को अपने शिकारी से बचने के लिए तेज गति उसे शिकारी से दूर भागने में सहायक होती है। वृक्षों की संख्या कम होने से उन्हें भागने में आसानी रहती है।

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MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 8 शरीर में गति

MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 8 शरीर में गति

MP Board Class 6th Science Chapter 8 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. अस्थियों की सन्धियाँ शरीर को …….. में सहायता करती हैं।
  2. अस्थियाँ एवं उपास्थि संयुक्त रूप से शरीर का …………. बनाते हैं।
  3. कोहनी की अस्थियाँ ………….. सन्धि द्वारा जुड़ी होती हैं।
  4. गति करते समय ……….. के संकुचन से अस्थियाँ खिंचती हैं।

उत्तर:

  1. गति।
  2. कंकाल।
  3. हिंज।
  4. पेशी।

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प्रश्न 2.
अग्रलिखित कथनों के आगे सत्य (T) तथा असत्य (F) को इंगित कीजिए –

  1. सभी जन्तुओं की गति एवं चलन बिलकुल एक समान होता है।
  2. उपास्थि अस्थि की अपेक्षा कठोर होती है।
  3. अंगुलियों की अस्थियों में सन्धि नहीं होती।
  4. अग्र भुजा में दो अस्थियाँ होती हैं।
  5. तिलचट्टों में बाह्य-कंकाल पाया जाता है।

उत्तर:

  1. असत्य (F)
  2. असत्य (F)
  3. असत्य (F)
  4. सत्य (T)
  5. सत्य (T)

प्रश्न 3.
कॉलम 1 में दिए गए शब्दों का सम्बन्ध कॉलम 2 के एक अथवा अधिक कथन से जोडिए –
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 8 शरीर में गति 1
उत्तर:
(क) → (iv)
(ख) → (vii)
(ग) → (v)
(घ) → (ii), (vi)
(ङ) → (i), (ii), (iii)

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प्रश्न 4.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1. कंदुक-खल्लिका सन्धि क्या है?
उत्तर:
कन्दुक-खल्लिका सन्धि:
इस सन्धि में एक लम्बी अस्थि का गेंद की भाँति गोल सिरा एक दूसरी खल्लिका (गड्डा) आकार की खोखली अस्थि में टिका रहता है। इस प्रकार की सन्धि स्वतन्त्रतापूर्वक घूम सकती है। यह सन्धि सभी दिशाओं में गति प्रदान करती है।

2. कपाल की कौन-सी अस्थि गति करती है?
उत्तर:
कपाल का केवल निचला जबड़ा गति करता है।

3. हमारी कोहनी पीछे की ओर क्यों नहीं मुड़ सकती?
उत्तर:
हमारी कोहनी में हिंज (कब्जा) सन्धि होती है, जिससे केवल आगे और पीछे एक ही दिशा में गति हो सकती है। अतः हमारी कोहनी पीछे की ओर नहीं मुड़ सकती।।

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MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 7 पौधों को जानिए

MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 7 पौधों को जानिए

MP Board Class 6th Science Chapter 7 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न कथनों को ठीक करके लिखिए –

  1. तना मिट्टी से जल एवं खनिज अवशोषित करता है।
  2. पत्तियाँ पौधे को सीधा खड़ा रखती हैं।
  3. जड़ें जल को पत्तियों तक पहुँचाती हैं।
  4. पुष्प में बाह्यदल एवं पंखुड़ियों की संख्या सदा समान होती है।
  5. यदि किसी पुष्प के बाह्य दल परस्पर जुड़े हों तो उसकी पंखुड़ियाँ भी आपस में जुड़ी होंगी।
  6. यदि किसी पुष्प की पंखुड़ियाँ परस्पर जुड़ी हों तो स्त्रीकेसर पंखुड़ियों से जुड़ा होगा।

उत्तर:

  1. जड़ें मिट्टी से जल एवं खनिज अवशोषित करती हैं।
  2. तना पौधों को सीधा खड़ा रखता है।
  3. तना जल को पत्तियों तक पहुँचाता है।
  4. विभिन्न पुष्पों में बाह्य दल और पंखुड़ियों की संख्या में अन्तर होता है।
  5. यदि किसी पुष्पं के बाह्य दल परस्पर जुड़ें हों तो उसकी पंखुड़ियाँ आपस में जुड़ी भी हो सकती हैं और जुड़ी नहीं भी हो सकती।
  6. यदि किसी पुष्प की पंखुड़ियाँ परस्पर जुड़ी हों तो स्त्रीकेसर पंखुड़ियों से जुड़ा हो सकता है और जुड़ा नहीं भी हो सकता।

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प्रश्न 2.
निम्न के चित्र बनाइए –

  1. पत्ती
  2. मूसला जड़
  3. एक पुष्प जिसका आपने सारणी 7.3 में अध्ययन किया हो।

उत्तर:
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 7 पौधों को जानिए 1

प्रश्न 3.
क्या आप अपने घर के आस-पास ऐसे पौधे को जानते हैं जिसका तना लम्बा परन्तु दुर्बल हो। इसका नाम लिखिए। आप इसे किस वर्ग में रखेंगे?
उत्तर:
हाँ, अंगूर की बेल का तना लम्बा और दुर्बल होता है। इसे आरोही वर्ग में रखेंगे।

प्रश्न 4.
पौधे में तने का क्या कार्य है?
उत्तर:
पौधे में तने का कार्य जल का संवहन करना, भोजन संग्रह करना, स्थिरता प्रदान करना, मजबूती प्रदान करना तथा पत्तियों से भोजन पौधे के अन्य भागों तक पहुँचाना है।

प्रश्न 5.
निम्न में से किन पत्तियों में जालिका रूपी शिरा विन्यास पाया जाता है?
गेहूँ, तुलसी, मक्का, घास, धनियाँ, गुड़हल।
उत्तर:
तुलसी, धनियाँ और गुड़हल की पत्तियों में जालिका रूपी शिरा-विन्यास पाया जाता है।

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प्रश्न 6.
यदि किसी पौधे की जड़ रेशेदार हो तो उसकी पत्ती का शिरा-विन्यास किस प्रकार का होगा?
उत्तर:
यदि किसी पौधे की जड़ रेशेदार हो, तो उसकी पत्ती का शिरा-विन्यास समान्तर शिरा-विन्यास होगा।

प्रश्न 7.
यदि किसी पौधे की पत्ती में जालिका रूपी शिरा-विन्यास हो तो उसकी जड़ें किसी प्रकार की होंगी?
उत्तर:
यदि किसी पौधे की पत्ती में जालिका रूपी शिरा-विन्यास हो तो उसकी जड़ें मूसला जड़ें होंगी।

प्रश्न 8.
क्या आप किसी पौधे की पत्ती की छाप देखकर यह पहचान कर सकते हैं कि उसकी जड़ मूसला जड़ होगी अथवा झकड़ा जड़? कैसे?
उत्तर:
हाँ, किसी पौधे को पत्ती की छाप देखकर यह पहचान की जा सकती है कि उसकी जड़ मूसला जड़ होगी अथवा रेशेदार। यदि पत्ती में समान्तर शिरा-विन्यास है, तो जड़ रेशेदार जड़ होगी और यदि पत्ती में जालिका रूपी शिरा-विन्यास है, तो जड़ मूसला जड़ होगी।

प्रश्न 9.
किसी पुष्प के विभिन्न भागों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पुष्प के विभिन्न भाग हैं – बाह्य दल, पंखुड़ी, पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर।

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प्रश्न 10.
निम्न में से किन पौधों के फूल आपने देखे हैं?
घास, मक्का, गेहूँ, मिर्च, टमाटर, तुलसी, पीपल, शीशम, बरगद, आम, जामुन, अमरूद, अनार, पपीता, केला, नींबू, गन्ना, आलू, मूंगफली।
उत्तर:
फूल वाले पौधों ये सभी पौधे फूल वाले पौधे हैं। लेकिन तुलसी, पीपल तथा गन्ना के पौधों के फूल इतने छोटे होते हैं जिन्हें हम अपनी नग्न आँखों से नहीं देख सकते।

प्रश्न 11.
पौधों के उस भाग का नाम लिखिए जो अपना भोजन बनाता है। इस प्रक्रम को क्या कहते हैं।
उत्तर:
पौधों का वह भाग जो भोजन बनाता है पत्तियाँ हैं। पत्तियाँ प्रकाश ओर क्लारोफिल की उपस्थिति में अपना भोजन बनाती हैं। इस प्रक्रम को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

प्रश्न 12.
पुष्य के किस भाग में अण्डाशय होता है।
उत्तर:
पुष्प के स्त्रीकेसर में अण्डाशय होता है।

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प्रश्न 13.
ऐसे दो पुष्पों के नाम लिखिए जिनमें से प्रत्येक में संयुक्त और अलग-अलग पंखुड़ियाँ हों।
उत्तर:

  1. संयुक्त पंखुड़ियाँ: धतूरा, सदाबहार।
  2. पृथक पंखाड़ियाँ: गुलाब, सरसों।

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MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 6 हमारे चारों ओर के परिवर्तन

MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 6 हमारे चारों ओर के परिवर्तन

MP Board Class 6th Science Chapter 6 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जब आप जलमग्न इलाके में घूमते हैं तो अपनी पोशाक को मोड़कर उसकी लम्बाई कम कर लेते हैं। क्या इस परिवर्तन को उत्क्रमित किया जा सकता है?
उत्तर:
हाँ, इस परिवर्तन को उत्क्रमित किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
अकस्मात आपका प्रिय खिलौना गिरकर टूट जाता है। आप कतई इस परिवर्तन को नहीं चाहते थे? क्या यह परिवर्तन उत्क्रमित किया जा सकता है?
उत्तर:
नहीं, इस परिवर्तन को उत्क्रमित नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
आगे दी गई सारणी में कुछ परिवर्तन दिए गए हैं। प्रत्येक परिवर्तन के सामने रिक्त स्थान में लिखिए कि वह परिवर्तन उत्क्रमित किया जा सकता है अथवा नहीं?
उत्तर:
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 6 हमारे चारों ओर के परिवर्तन 1
प्रश्न 4.
चित्रकारी करने पर ड्राइंग शीट में परिवर्तन हो जाता है। क्या आप इस परिवर्तन को उत्क्रमित कर सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, इस परिवर्तन को उत्क्रमित नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
उदाहरण देकर उत्क्रमित किए जाने वाले तथा उत्क्रमित न किए जाने वाले परिवर्तनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्क्रमित किए जाने वाले तथा उत्क्रमित न किए जाने वाले परिवर्तनों में अन्तर:

उत्क्रमित किए जाने वाले परिवर्तनउत्क्रमित न किए जाने वाले परिवर्तन
ऐसे परिवर्तन जिसमें वस्तु, परिवर्तन का कारण हटाने पर पूर्व अवस्था में आ जाती है। उत्क्रमित किए जाने वाले परिवर्तन कहलाते हैं।ऐसे परिवर्तन जिनके विपरीत परिवर्तन सम्भव नहीं होते हैं, उत्क्रमित न किए जाने वाले परिवर्तन कहलाते हैं।
इन परिवर्तनों का विपरीत परिवर्तन सम्भव है।
उदाहरण: रबड़ के छल्ले को खींचना, बर्फ को गर्म करने पर पानी में परिवर्तित होना।
इन परिवर्तनों का उलटना सम्भव नहीं है।
उदाहरण: दूध से दही बनना, पेड़ का बढ़ना।

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प्रश्न 6.
टूटी हुई हड्डी पर बँधी पट्टी के ऊपर प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) की एक मोटी परत चढ़ाई जाती है। सूखने पर यह कठोर हो जाती है। जिससे टूटी हुई हड्डी हिलती नहीं है। क्या POP में हुए इस परिवर्तन को उत्क्रमित कर सकते हैं?
उत्तर:
प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) में हुए इस परिवर्तन को उत्क्रमित नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
रात्रि में एक सीमेंट की बोरी जो मैदान में रखी हुई थी, वर्षा के कारण भीग जाती है। अगले दिन तेज धूप निकलती है। सीमेंट में जो परिवर्तन हो गया है क्या उसे उत्क्रमित कर सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, बरसात के कारण सीमेंट में जो परिवर्तन हो गया है उसे उत्क्रमित नहीं किया जा सकता है।

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MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 5 पदार्थों का पृथक्करण

MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 5 पदार्थों का पृथक्करण

MP Board Class 6th Science Chapter 5 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
हमें किसी मिश्रण के विभिन्न अवयवों को पृथक करने की आवश्यकता क्यों होती है? दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
शुद्धता अच्छाई के लिए ही नहीं बल्कि स्वस्थ जीवन के लिए भी आवश्यक है। आजकल खाद्य पदार्थों में मिलावट व्यवसाय का एक हिस्सा बन गया है। खाद्य पदार्थों में गन्दगी, सस्ती व अनुपयोगी वस्तुओं की मिलावट की जाती है। यही मिलावट हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक है कभी-कभी यह मिलावट अनायास या आवश्यकता पड़ने पर हो जाती है। जैसेस्टोर करने के लिए। अतः मिश्रण को शुद्ध रूप में उपयोग करने के लिए उनमें उपस्थित हानिकारक अवयवों को अलग-अलग करने की आवश्यकता होती है।

उदाहरण:

  1. किसी खाद्यान्न में से छोटे-छोटे कंकड़ों धूल, मिट्टी, भूसा आदि को अलग करना।
  2. नदी अथवा तालाब के पंकिल जल को साफ करना।

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प्रश्न 2.
निष्पावन से क्या अभिप्राय है? यह कहाँ उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
किसी मिश्रण से भारी तथा हल्के अवयवों का वायु अथवा पवन के झोंकों द्वारा पृथक करने की क्रिया निष्पावन कहलाती है।
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 5 पदार्थों का पृथक्करण 1
इस विधि का उपयोग हल्के भूसे को भारी अन्न कणों से पृथक करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3.
पकाने से पहले दालों के किसी नमूने से आप भूसे एवं धूल के कण कैसे पृथक करेंगे?
उत्तर:
पकाने से पहले दालों के नमूने से भूसे तथा धूल के कण निस्पावन विधि द्वारा पृथक करते हैं।

प्रश्न 4.
छालन से क्या अभिप्राय है? यह कहाँ उपयोग होता है?
उत्तर:
भिन्न-भिन्न आकार के अवयवों को मिश्रण से अलग करने की विधि छालन कहलाती है। इसका उपयोग आटा से भूसी, बालू से कंकड़ अलग करने में होता है। इसके लिए भिन्न-भिन्न आकार के छेदों वाली छलनियाँ उपयोग में लाई जाती हैं।
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 5 पदार्थों का पृथक्करण 2

प्रश्न 5.
रेत और जल के मिश्रण से आप रेत और जल को कैसे पृथक करेंगे?
उत्तर:
रेत और जल के मिश्रण से रेत को निस्तारण की विधि द्वारा जल को पृथक करते हैं। रेत के भारी कण नीचे बैठ जाते हैं। जल को बिना हिलाए दूसरे बर्तन में इकट्ठा कर लेते हैं।

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प्रश्न 6.
आटे और चीनी के मिश्रण से क्या चीनी को पृथक करना सम्भव है? अगर हाँ, तो आप इसे कैसे करेंगे?
उत्तर:
हाँ, आटे और चीनी के मिश्रण से चीनी को पृथक करना सम्भव है, इसके लिए छलनी का उपयोग करेंगे, मिश्रण को छलनी में डालकर छानेंगे जिससे आटा नीचे चला जाएगा और चीनी छलनी में रह जाएगी। दोनों को अलग-अलग बर्तनों में एकत्र कर लेंगे।

प्रश्न 7.
पंकिल जल के किसी नमूने से आप स्वच्छ जल कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर:
पंकिल जल के नमूने को गिलास में लेकर थोड़ी देर के लिए छोड़ देते हैं, कुछ समय बाद अविलेय गन्दगी बीकर की तली में बैठ जाती है, अब जल को बिना हिलाए इसके ऊपर के जल को दूसरे गिलास में उड़ेल लेते हैं, अब इस जल की अशुद्धियों को फिल्टर पत्र द्वारा निस्यान्दित करते हैं। फिल्टर पत्र को शंकु के रूप में मोड़कर एक कीप में लगा देते हैं तथा मिश्रण को फिल्टर पत्र में उड़ेलते हैं। मिश्रण के ठोस कण फिल्टर पत्र पर ही रह जाते हैं तथा स्वच्छ पानी को दूसरे गिलास में एकत्र कर लेते हैं।

प्रश्न 8.
रिक्त स्थानों को भरिए –

  1. धान के दानों को डंडियों से पृथक करने की विधि को ………… कहते हैं।
  2. किसी एक कपड़े पर दूध को उड़ेलते हैं तो मलाई उस पर रह जाती है। पृथक्करण की यह प्रक्रिया कहलाती है।
  3. समुद्र के जल से नमक …………. प्रक्रिया द्वारा प्राप्त किया जाता है।
  4. जब पंकिल जल को पूरी रात एक बाल्टी में रखा जाता है तो अशुद्धियाँ तली में बैठ जाती हैं। इसके पश्चात् स्वच्छ जल को ऊपर से पृथक कर लेते हैं। इसमें उपयोग होने वाली पृथक्करण की प्रक्रिया को …………. कहते हैं।

उत्तर:

  1. थ्रेशिंग।
  2. निस्यन्दन।
  3. वाष्पन।
  4. निस्तारण।

प्रश्न 9.
सत्य अथवा असत्य?

  1. दूध और जल के मिश्रण को निस्यन्दन द्वारा पृथक किया जा सकता है।
  2. नमक और चीनी के मिश्रण को निस्पावन द्वारा पृथक कर सकते हैं।
  3. चाय की पत्तियों को चाय से पृथक्करण निस्यन्दन द्वारा किया जा सकता है।
  4. अनाज और भूसे का पृथक्करण निस्तारण प्रक्रम द्वारा किया जा सकता है।

उत्तर:

  1. असत्य।
  2. असत्य।
  3. सत्य।
  4. असत्य।

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प्रश्न 10.
जल में चीनी तथा नींबू का रस मिलाकर शिकंजी बनाई जाती है। आप बर्फ डालकर इसे ठण्डा करना चाहते हैं, इसके लिए शिकंजी में बर्फ चीनी घोलने से पहले डालेंगे या बाद में? किस प्रकरण में अधिक चीनी घोलना सम्भव होगा?
उत्तर:
शिकंजी में बर्फ चीनी घोलने के बाद डालेंगे। बर्फ में डालने से पहले जल में अधिक चीनी घोलना सम्भव होगा।

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MP Board Class 6th Hindi निबन्ध लेखन

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विज्ञान के चमत्कार

प्रस्तावना-अनेक वर्षों से विज्ञान निरंतर उन्नति कर रहा है। विज्ञान का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। रामायण काल में भी पुष्पक विमान, अग्नि बाण, ब्रह्मास्त्र आदि ऐसे साधन थे; जिनके मुकाबले अभी भी विज्ञान पीछे है। वैसे 19वीं एवं 20वीं सदी में विज्ञान में नवीन आविष्कार हुए और आज हम विज्ञान से इतने संबद्ध हो चुके हैं कि इसके बिना हमारा जीवन ही अधूरा रह जाएगा।

आधुनिक युग का विज्ञान-आधुनिक युग के विज्ञान को देखा जाए, तो इसे हम आविष्कारों के युग की संज्ञा दे सकते हैं। सुई से हवाई जहाज़ तक के निर्माण में हमें विज्ञान की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। विज्ञान ने मानव में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। भाप, बिजली एवं अणु शक्ति को वश में करने वाला मानव आज वैभव की चरम सीमा पर आरूढ़ है। तेज़ गति से चलने वाले वाहन, समुद्री जहाज़ एवं आकाश में वायुवेग से चलने वाले हवाई जहाज़, चंद्रलोक की यात्रा करने वाला रॉकेट आदि कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने प्रकृति पर मानव की विजय का उज्जवल दृष्टांत प्रस्तुत किया है।

संचार साधनों में वृद्धि-विज्ञान ने हमारे जीवन में तार, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा और ग्रामोफोन आदि ने हमारे जीवन में अनेक सुविधाएँ प्रदान की हैं। इन सुविधाओं की कल्पना हमारे पूर्वजों के लिए कठिन थी।

विज्ञान वरदान के रूप में-हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इसी प्रकार विज्ञान के भी दो पहलू हैं। यदि हम विज्ञान के लाभकारी परिणामों पर दृष्टिपात करें, तो हम पायेंगे कि यह हमारे लिए ईश्वरीय वरदान है। प्रारंभ में मनुष्यों का अधिकांश समय उदर पूर्ति हेतु ही व्यतीत हो जाता था, परंतु आज के वैज्ञानिक युग में व्यक्ति के पास इतने अधिक काम और समय की कमी रहती है कि वह अपना काम बिना विज्ञान की सहायता के कर भी नहीं सकता। बड़ी-बड़ी मशीनों की सहायता से दिन भर का काम घंटों में निपटा लिया जाता है। मशीनीकरण से कीमती समय की बचत हो जाती है तथा कम समय में अधिक उत्पादन कर हम अपना एवं अपने देश का आर्थिक विकास संभव बनाते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि विज्ञान मनुष्य को ईश्वरीय वरदान के रूप में प्राप्त है। इसमें किंचित् मात्रा भी संदेह भी नहीं कि विज्ञान हमारे जीवन का एक अमूल्य अंश है।

विज्ञान अभिशाप के रूप में-जिस प्रकार घोड़े की लगाम पकड़ कर हम घोड़े को सही मार्ग पर चलने को विवश करते हैं, उसी प्रकार विज्ञान भी हमारे हाथ की कठपुतली है। इसका उपयोग यदि निर्माण कार्यों में किया जाए, तो हमारे लिए वरदान है। वहीं यदि इसका प्रयोग अनुचित साधन के रूप में किया जाए, तो यह सर्वनाश का प्रबल प्रतीक बन सकती है, जैसे हिरोशिमा व नागासाकी का भयंकर विस्फोट विज्ञान के अभिशाप का एक सशक्त उदाहरण है।

प्रथम एवं द्वितीय विश्व-युद्ध के मध्य जन-धन का जितना विनाश विज्ञान के द्वारा हुआ, उतना विकास हम जीवनपर्यंत नहीं कर सकते। 40 साल बाद भी वहाँ इसका कुपरिणाम दिखाई दे जाता है। छोटा-सा उदाहरण बिजली को ही लें। वही बिजली बल्ब में जलकर घर के अंधकार को दूर करती है, तो असावधानीवश बिजली के करेंट द्वारा व्यक्ति मृत्यु के मुख में जाकर कुल के दीपक को बुझा कर विज्ञान के दुष्परिणामों को उजागर करता है।

उपसंहार-विज्ञान हमारे लिए वरदान भी है, और अभिशाप भी। हमें चाहिए कि विज्ञान का उपयोग विध्वंसात्मक रूप से न करके रचनात्मक रूप से करें। मानव विज्ञान का स्वामी है अतः उस पर अंकुश लगाए रहें, ताकि विज्ञान द्वारा होने वाले सर्वनाश से बचा जा सके। अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि मनुष्य विज्ञान का उपयोग विध्वंसात्मक रूप से न कर सृजनात्मक रूप से करे, जिससे आसानी से इक्कीसवीं शताब्दी में पदार्पण करें।

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धार्मिक त्योहार : दीपावली

प्रस्तावना-भारतीय त्योहारों में दशहरा, दीपावली, रक्षाबंधन, होली, विजयादशमी आदि का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें दीपावली अपने ढंग का एक अनोखा त्योहार है। इस दिन लोग अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए दीपकों द्वारा सारे संसार को प्रकाशित करते हैं। इसीलिए इस त्योहार का नाम दीपावली पड़ा।

ऐतिहासिक महत्त्व-इस त्योहार के साथ अनेक ऐतिहासिक एवं धार्मिक गाथायें जुड़ी हुई हैं। ऐसी जनश्रुति है कि भगवान् श्रीराम, रावण पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् इसी दिन अयोध्या वापस आए थे। अयोध्यावासियों ने उनका दीपों द्वारा स्वागत किया था। कुछ पौराणिक गाथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन नरकासुर का वध कर खुशियाँ मनाई थीं। दीपावली के मनाने का सामाजिक कारण भी है। वैदिककाल में जब फसल काटकर धान्य घर पर आ जाता था, तो किसान इसे बड़े प्रेम से अपने इष्ट देव को अर्पित करता था, यज्ञ होते थे तथा रात्रि में दीपों के प्रकाश से सारा वातावरण प्रकाशमय हो जाता था। वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका महत्त्व है। बरसात में गंदे पानी के कारण हानिकर कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं। दीपों को जलाकर उन्हें भस्म कर दिया जाता है।

पूर्व तैयारी-दीपावली से कई दिन पूर्व तैयारी आरंभ हो जाती है। लोग अपने घरों की लिपाई-पुताई करवाते हैं एवं घरों को रंगीन चित्रों द्वारा सजाते हैं। पुताई से मच्छर, मक्खी एवं अन्य हानिकारक जीव नष्ट हो जाते हैं और कई तरह की बीमारियाँ होने से लोग बचे रहते हैं। कच्चे मकानों की मरम्मत भी इसी समय की जाती है तथा सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।

पंच दिवसीय कार्यक्रम-यह त्योहार पाँच दिनों का होता है। इस त्योहार का आरंभ कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से होता है। यह दिन धन तेरस के नाम से मनाया जाता है। लोग नये बर्तन एवं वस्त्र आदि का क्रय करते हैं। दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का आयोजन होता है। तीसरे दिन दीपावली का मुख्य आयोजन होता है। लोग शाम के समय लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती आदि का पूजन कर दीपकों द्वारा घरों को प्रकाशित करते हैं। चौथे दिन गोवर्धन पूजा एवं पाँचवें दिन भाई दूज या यम द्वितीया के साथ इस त्योहार का समापन होता है।

दीपावली का पूजन-कार्तिक मास की अमावस्या को व्यापारी अपने बहीखातों का पूजन करते हैं तथा इष्ट मित्रों सहित लक्ष्मी जी का पूजन कर प्रसाद वितरण करते हैं। लक्ष्मी पूजन के उपरांत रात्रि में चारों ओर दीपकों का प्रकाश जगमगा उठता है। नगरों में दियों के स्थान पर मोमबत्तियों एवं बिजली की झालरों द्वारा प्रकाश किया जाता है। आतिशबाजी एवं पटाखों की ध्वनि से सारा आकाश गूंज उठता है। बालक-बालिकाएँ उमंग के साथ नया वस्त्र धारण कर प्रसाद वितरण एवं मिठाइयों का वितरण करते हैं। कुछ लोग रात में जुआ भी खेलते हैं, परंतु यह बुरी बात है। जुआ का दुष्परिणाम हम महाभारत में स्पष्ट रूप से देख चुके हैं, अतः इस आयोजन से हमें बचना चाहिए। बच्चों को खील, मिठाई, आतिशबाजी आदि की प्रसन्नता प्रदान करते हैं। इस दिन चारों ओर एक अनोखी छटा रहती है। चलह-पहल एवं प्रकाश से सारा वातावरण आनान्दित रहता है।

लाभ-हानि-इस त्योहार से जहाँ हमें लाभ होते हैं, वहीं नुकसान भी होते हैं। आतिशबाजी में जलकर लोग प्राण तक गंवा बैठते हैं, एवं जुए में कई घर बरबाद हो जाते हैं।

उपसंहार-यह हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे उचित रूप से मनाया जाना चाहिए। इस दिन हमें शुभ मार्ग पर चलने की शपथ लेनी चाहिए। बुरे मार्ग पर चलने से अपने को बचाना चाहिए। आतिशबाजी आदि पर अधिक पैसा व्यय नहीं करना चाहिए।

महापुरुषों की जीवनी : महात्मा गांधी

प्रस्तावना-महात्मा गांधी हमारे देश के महान् नेताओं में अपना प्रमुख स्थान रखते हैं। सारा राष्ट्र उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ और ‘बापू’ के नाम से जानता है। आपका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। आपने अहिंसा और सत्याग्रह के बल पर भारत को स्वतंत्र कराने का बीड़ा उठाया था। विश्व इतिहास में आपका नाम सदैव सम्मान के साथ लिया जाता रहेगा।

जन्म-महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। आप के. पिता का नाम करमचंद था और वे राजकोट के राजा के दीवान थे। आपकी माता का नाम पुतलीबाई था। आपकी माता धार्मिक एवं सती साध्वी महिला थीं। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव महात्मा गाँधी पर आजीवन रहा।

शिक्षा-दीक्षा-महात्मा गाँधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई। मैट्रिक तक का अध्ययन आपने स्थानीय विद्यालयों में ही किया। तेरह वर्ष की अवस्था में आपका विवाह सुयोग्य कस्तूरबा के साथ हुआ। तदनंतर आप कानूनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए विलायत गए। वहाँ से बैरिस्टरी की परीक्षा पास कर आप स्वदेश वापस आ गए। आपने अपना वकालत का पेशा बंबई नगर में आरंभ किया। कुछ विशेष मुकद्दमों के मामले में आपको पैरवी करने के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका में हो रहे भारतीयों पर अत्याचार को देखकर गाँधी जी का मन परिवर्तित हो गया और वे वकालत का धंधा छोड़कर राष्ट्रीय सेवा में संलग्न हो गए।

आंदोलनों का आरंभ-सन 1915 में जब महात्मा गाँधी आफ्रीका से भारत आए, तो यहाँ अंग्रेजों का दमन-चक्र अपनी चरम स्थिति पर था। रोलट एक्ट जैसा काला कानून भारत में संरक्षण पा रहा था। सन् 1919 में घटित जलियांवाला बांग हत्याकाण्ड से सारा देश क्षुब्ध था। इन सारी परिस्थितियों का अवलोकन कर महात्मा गाँधी के हृदय में शांत किंतु क्रांतिकारी परिवर्तन आया। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन की बागडोर अपने हाथों में ले ली तथा इतिहास में एक नए युग का आरंभ हुआ।

गांधी युग का आरंभ-सन् 1920 में महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन आरंभ किया। भारतीय जनता ने इनका अपूर्व सहयोग दिया और लाखों लोग विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार में कूद पड़े। अंग्रेज़ों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लोगों ने सरकारी कार्यालयों की होली जलाई। शासकीय संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्र इस आंदोलन में कूद पड़े। परिणामस्वरूप भारतीय स्वतंत्रता के प्रति एक नए वातावरण का निर्माण हुआ।

सन् 1928 में ‘साइमन कमीशन’ भारत आया। गाँधी जी ने इस कमीशन का भी बहिष्कार किया। इस आंदोलन में भी उन्हें जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। उन्होंने इस बीच देश को उचित नेतृत्व प्रदान किया।

सन् 1930 में महात्मा गाँधी ने नमक-कर के विरोध में नामक आंदोलन का संचालन किया। उनके साथ असंख्य भारतीय दाण्डी पहुँचे और वहाँ नमक बनाकर कानून को तोड़ा।

भारत छोड़ो आंदोलन का श्री गणेश-द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के साथ ही 1942 में गाँधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का श्री गणेश कर दिया। महात्मा गांधी के अनुसार यह उनकी अन्तिम लड़ाई थी। इस आन्दोलन में गाँधी जी तथा अनेक भारतीय गाँधी नेता और असंख्य आंदोलनकारी देश की विभिन्न जेलों में गिरफ्तार हुए। अंत में अंग्रेजों को इस आंदोलन के सम्मुख झुकना पड़ा एवं 15 अगस्त, 1947 को भारत पूर्ण रूप से आजाद हो गया।

अंतिम यात्रा-बापू के पूजा करने हेतु जाते समय नाथूराम गोडसे नामक एक युवक ने 30 जनवरी, 1948 को उन्हें गोली मार दी, जिसके कारण बापू ‘हे राम!’ कहकर चिर निद्रा में लीन हो गए। भारत में सर्वत्र शोक की लहर व्याप्त हो गयी। एक युग का सूर्य क्षण भर में अस्त हो गया। बापू मरकर भी अपने यशस्वी शरीर से अमर हो गए।

उपसंहार-बापू का नाम भारतीयों में तब तक आदर के साथ लिया जाता रहेगा, जब तक एक-एक भारतवासी के हृदय में देश-प्रेम है। उनका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। हम बापू के कार्यों का स्मरण कर धन्य हो जाते है।

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विद्यार्थी जीवन और अनुशासन

प्रस्तावना-अनुशासन देश का आधार स्तंभ है और विद्यार्थी के लिए इसकी अत्यंत आवश्यकता होती है। अनुशासन शब्द अनु और शासन शब्दों से मिलकर बना है। अनु का अर्थ पीछे चलना एवं शासन से तात्पर्य आज्ञा पालन अर्थात् किसी आदेश के अनुसार चलना ही अनुशासन है। जब तक बालक घर की चारदीवारी में रहता है, तब तक वह माँ-बाप के अनुशासन में रहता है।

अनुशासन का महत्त्व-बालक जो कुछ अपनी छात्रावस्था में गुण ग्रहण करता है और क्षमता प्राप्त करता है, वह उसकी सम्पत्ति बन जाती है। इस सम्पत्ति का लाभ वह जीवन पर्यंत उठाता रहता है। विद्यार्थी का जीवन समाज एवं देश की अमूल्य निधि होता है। समाज एवं देश की उन्नति मात्र विद्यार्थियों पर ही निर्भर है। यही आगे चलकर देश के कर्णधार बनते हैं।

अनुशासन को हम सफलता के मार्ग का सोपान मान सकते हैं। अनुशासन जीवन को उन्नत बनाने का मूल मंत्र है। अनुशासन से बालकों को अपने माता-पिता, गुरु एवं बड़े, लोगों का स्नेह प्राप्त होता है। स्नेह बालक के जीवन के भावी विकास में सहायक सिद्ध होता है। यह स्नेह जिस बालक को जितना प्राप्त होता है, उसका उतना ही चारित्रिक विकास संभव होता है। अनुशासन से बालक के विकास के स्मस्त मार्ग खुल जाते हैं। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का तात्पर्य है-‘विद्यार्थी का अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन’। बालक को बड़ों की आज्ञा के विपरीत कोई काम नहीं करता चाहिए। क्योंकि माता-पिता, गुरु एवं परिजन ही उसके वास्तविक शुभचिंतक होते हैं; ये उसे कभी बुरे मार्ग पर जाने की सलाह नहीं देंगे। विद्यार्थी के अनुशासन का तात्पर्य यह भी है कि उसे समय से उठना, समय से सोना, खेलना, पढ़ना, पाठशाला जाना, गृह-कार्य करना, घर के काम आना आदि समयबद्ध तरीके से करना चाहिए। अर्थात् जीवन में उसे समय की कीमत का ध्यान करना चाहिए।

जो विद्यार्थी अपने अध्यापकों की आज्ञा का पालन कर समय से पढ़ते-लिखते और खेलते हैं, वे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण होते हैं और उनका भविष्य सुखद एवं उज्जवल बनता है।

अनुशासन के प्रकार-अनुशासन को हम दो वर्गों में विभक्त कर सकते हैं। प्रथम आंतरिक अनुशासन एवं द्वितीय बाह्य अनुशासन। आन्तरिक अनुशासन में विद्यार्थी अपने शरीर, मन एवं बुद्धि पर पूर्ण नियन्त्रण रखता है, जबकि बाह्य अनुशासन भय या लोभ वश किया जाता है। आत्म-अनुशासित व्यक्ति ही अपने जीवन में महान् बन सकता है। दुनिया में जितने भी महान् व्यक्तित्व हुए हैं, आत्म-अनुशासित ही थे। जबकि बाह्य अनुशासन बालकों को डरपोक एवं रिश्वतखोर बनाता है। यह हमारे जीवन के लिए हानिकर हो सकता है।

अनुशासनहीनता के दुष्परिवास-आजकल के विद्यार्थियों में अनुशासन का अभाव है। वे अपने माता-पिता एवं गुरुओं की आज्ञा का कम ही पालन करते हैं। स्कूल, कॉलेजों में हड़ताल, आंदोलन, परीक्षा में नकल आदि की गंदी प्रवृत्तियाँ उनमें पनपने लगती हैं। ये उनके लिए घातक है। विद्यार्थियों को इन बुराइयों से बचना चाहिए, क्योंकि इनसे उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। जिससे समाज में बेकारी एवं अव्यवस्था फैल जाती है।

उपसंहार-विद्यार्थी के जीवन के पूर्ण विकास के लिए अनुशासन का विशेष महत्त्व है। अनुशासित व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन बनाए रखता है। सभी लोग अनुशासन प्रिय व्यक्ति पर विश्वास करते हैं। दायित्व का कार्य करने में ऐसे व्यक्ति पूर्ण सक्षम होते हैं। अनुशासन से हमारा जीवन सुंदर बनता है। सुंदर जीवन सभी सुखों का आधार होता है तथा सुखी जीवन स्वस्थ मानसिकता का निर्माण करता है। अतः विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व है।

स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त

प्रस्तावना-15 अगस्त, 1947 का दिन हम भारतवासियों के लिए एक अविस्मरणीय दिन रहेगा। इस दिन को इतिहास कभी भुला नहीं सकता। सदियों की गुलामी के बाद आज ही के दिन हम भारवासी आजाद हुए थे। सब ने शांति एवं सुख का अनुभव किया था। इस दिन का प्रभाव कुछ अद्भुत यादें संजोए हुए आया था। लोग जब सोए तो परतंत्र थे; परंतु जब प्रातः उनकी आँख खुली, तो वे पूर्ण स्वतंत्र नागरिक थे। यह हमारे लिए एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहार है।

अनेक बलिदान-भारत सदियों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। आजादी प्राप्ति के लिए अनेक लोगों को अपनी कुर्बानी देनी पडी। अनेक वीरों की गाथाएँ इस आजादी के साथ जड़ी हुई हैं। देश की आजादी के लिए लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने हमें नारा दिया ‘स्वाधीनता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और इसे लेकर ही रहेंगे, इस हेतु उन्होंने महाराष्ट्र में गणेशोत्सव एवं शिवाजी उत्सव का आयोजन किया, जिसकी आड़ में लोगों में स्वतंत्रता में चिनगारी फॅकी। लाला लाजपत राय ने लाठियों के वार सहकार भी अपना आंदोलन बंद न किया। उनका कहना था कि “मेरी पीठ पर पड़ा एक-एक लाठी का प्रहार अंग्रेजों के कफन में कील का काम करेगा।” वास्तव में हुआ भी ऐसा ही। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने क्रांतिकारी नारा दिया ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’ उनका कहना था कि बिना आत्म-बलिदान के आजादी प्राप्त करना असंभव है।

स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी का योगदान-महात्मा गाँधी का राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक विशेष महत्त्व था। वे अहिंसा एवं सत्याग्रह पर विश्वास करते रहे। वे सन् 1928 से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कूदे और अंत तक अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आंदोलन करते रहे। इन्होंने अहिंसा को अपना सबसे बड़ा अस्त्र बनाया। इन्होंने देश के लोगों को अहिंसा के बल पर आज़ादी प्राप्ति हेतु प्रेरित किया। महात्मा गाँधी के सत्य, अहिंसा एवं त्याग सम्मुख अंग्रेजों को नत मस्तक होना पड़ा। फलस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ। नेहरू परिवार का योगदान भी आजादी के लिए अविस्मरणीय रहेगा। पं. मोतीलाल नेहरू, पं. जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गाँधी आदि ने आज़ादी पाने के लिए अनेक प्रयत्न किए। इन्हें कई बार जेल यात्राएं भी करनी पड़ीं एवं न जाने कितनी यातनाओं का सामना करना पड़ा। पं. जवाहरलाल नेहरू ने सन 1929 में लाहौर में रावी नदी के तट पर भारत को पूर्ण स्वतंत्र कराने की पहली ऐतिहासिक घोषणा की। इन्होंने निरंतर अठारह वर्ष तक अंग्रेजों के साथ संघर्ष किया। अंततः अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा और हम आजाद हुए।

विविध आयोजन-यह उत्सव भारत के प्रत्येक ग्राम, नगर एवं शहर में बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। शालाओं में आज के दिन विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज फहराकर राष्ट्रगीत गाया जाता है एवं सारा वातावरण उल्लासमय रहता है। विदेशों में रहने वाले भारतीय भी अपना राष्ट्रीय पर्व सोल्लास मानते हैं। दिल्ली के लाल किले एवं अन्य प्रमुख स्थलों पर तिरंगा झंडा लहराया जाता है एवं विभिन्न शालाओं में प्रभात फेरियों का आयोजन किया जाता है।

उपसंहार-15 अगस्त के दिन हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि देश की अखंडता, एकता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हर भारतवासी समान रूप से समर्थ है। यह त्योहार हमें देश-भक्ति की प्रेरणा देता है। तथा अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सफलता की प्रेरणा प्रदान करता है। यह हमारे लिए एक महान् राष्ट्रीय पर्व है।

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किसी खेल का वर्णन
(मेरी शाला का हॉकी मैच)

खेल विद्यार्थियों के लिए स्फूर्तिदायक टॉनिक का कार्य करते हैं। अतः स्कूलों में विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन होता रहता है। इनमें प्रमुख हैं-हॉकी, फुटबॉल वालीबॉल, कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट आदि। मेरे विद्यालय में एक हॉकी टीम भी है। एक दिन मेरे स्कूल एवं आदर्श बुनियादी शाला में हॉकी मैच खेलने का निर्णय लिया गया। दोनों ही टीमें अपने-अपने क्षेत्र में एक से बढ़कर एक थीं। यह फाइनल मैच था अतः सभी खेल प्रेमियों की दृष्टि इसी खेल पर अड़ी थी। आखिर वह शुभ घड़ी आ ही गयी, जब दोनों टीमें आमने-सामने आकर अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए तैयार थीं। .. मैच का आयोजन स्टेडियम ग्राउंड में किया गया। लोग पहले से ही आकर वहाँ काफी संख्या में बैठ चुके थे। हमारे स्कूल के छात्र भी जुलूस के रूप में स्टेडियम ग्राउंड पहुंचे। हम लोगों में उत्साह का अपार सागर हिलोरें ले रहा था।

दोनों टीमें आमने-सामने आयीं। निश्चित समय पर खेल आरंभ हुआ। सीटी बजते ही टीम के बालकों में उत्साह का संचार हो गया। शालेय छात्रों ने भी हाथ हिलाकर अपने-अपने दल वालों का हौसला बुलंद किया। खेल आरंभ हुआ। खिलाड़ी गेंद के पीछे-पीछे भागने लगे और दर्शकों की आँखें साथ-ही-साथ दौड़ने लगीं। खिलाड़ियों का प्रदर्शन काफी उत्तम था। इनकी कार्य कुशलता पर लोगों के मुँह से स्वतः ही ‘वाह-वाह’ की ध्वनि निकल जाती थी। तालियों की गड़गड़ाहट से सारा आकाश बीच-बीच में निनादित हो जाया करता था। खेल बड़े उत्तम तरीके से चल रहा था। दोनों टीमें अपने लिए अवसर खोज रही थीं। परंतु यह काम इतना आसान न था। खेल का लगभग आधा समय समाप्त हो गया परंतु किसी भी टीम को अभी तक कोई सफलता प्राप्त न हो सकी। निर्णायक महोदय ने सीटी बजाई और दोनों टीमों ने खेल बंद कर दिया। आराम करने के लिए अवकाश हो गया। प्राचार्य महोदय ने खिलाड़ियों को फल आदि खिलाकर आवश्यक नियमों से उन्हें अवगत कराया।

अवकाश का समय समाप्त हुआ। पुनः निर्णायक की सीटी सुनाई दी और खिलाड़ी दूने उत्साह में भर कर मैदान की ओर लपके। इस बार खिलाड़ियों ने आक्रामक रुख अपनाया। – ऐसा लगता था जैसे खिलाड़ी गेंद के साथ उड़े जा रहे हों। दर्शकों का उत्साह भी दुगुना हो रहा था। बच्चे बीच-बीच में शोरगल भी मचा रहे थे, परंतु इससे खेल में कोई व्यावधान नहीं पड़ रहा था।

खेल समाप्त होने में कुछ ही देर थी, परंतु अभी किसी भी टीम को कोई सफलता प्राप्त न हो सकी थी। हमारी शाला के विद्यार्थियों ने आक्रामक रुख अपनाया और उन्हें एक पेनाल्टी कॉर्नर मिला। बस क्या था, टीम के कप्तान ने रेखा पर गेंद रख कर इस प्रकार कुशल प्रहार किया कि गेंद गोल पोस्ट के भीतर हो गयी। सारा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट एवं बच्चों के शोरगुल से गूंज उठा। प्रतिद्वंद्वी टीम के हौसले पस्त हो गए। इसी बीच एक और पेनाल्टी कॉर्नर मिला और अगले ही हिट में गेंद पुनः गोल पोस्ट में प्रविष्ट हो गयी। पुनः तालियों की गड़गड़ाहट से सारा आकाश गूंज उठा। अगले ही क्षण सीटी बज उठी और निर्णायक ने हमारे विद्यालय को 2 गोल से विजयी घोषित किया। प्राचार्य जी ने पुरस्कार वितरण किया और अगले दिन की छुटी भी घोषित की। हम सभी प्रसन्नतापूर्वक अपने घर आ गए।

उपसंहार-खेलों का नियम ही एक पक्ष को जय तथा दूसरे को पराजय है। हमें जय या पराजय को उतना महत्त्वपूर्ण नहीं मानना चाहिए जितना महत्त्वपूर्ण कौशल को माना जाता
है। हमें पराजय के पश्चात् भी अपने मार्ग से विचलित नहीं __ होना चाहिए, सफलता अवश्य ही हमारे कदमों तले आ गिरेगी,
इसमें संदेह उन्हीं है।

बाल दिवस

हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस का आयोजन किया जाता है। बाल दिवस पूज्य चाचा नेहरू का जन्मदिवस है। चाचा नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे स्वतंत्रता संग्राम के महान् सेनानी थे। उन्होंने अपने देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। अपने जीवन _ के अनेक अमूल्य वर्ष देश की सेवा में बिताए। अनेक वर्षों तक विदेशी शासकों ने उन्हें जेल में बंद रखा। उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और देशवासियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे।

पं. नेहरू बच्चों के प्रिय नेता थे। बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा’ कहकर संबोधित करते थे। उन्होंने देश में बच्चों के लिए शिक्षा सुविधाओं का विस्तार कराया। उनके अच्छे भविष्य के लिए अनेक योजनाएँ आरंभ की। वे कहा करते थे ‘कि आज के बच्चे ही कल के नागरिक बनेंगे। यदि आज उनकी अच्छी देखभाल की जाएगी तो आगे आने वाले समय में वे अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर, सैनिक, विद्वान, लेखक और वैज्ञानिक बनेंगे।’ इसी कारण उन्होंने बाल कल्याण की अनेक योजनाएँ बनाईं। अनेक नगरों में बालघर और मनोरंजन केंद्र बनवाए। प्रतिवर्ष बाल दिवस पर डाक टिकटों का प्रचलन किया। बालकों के लिए अनेक प्रतियोगिताएँ आरंभ कराईं। वे देश-विदेश में जहाँ भी जाते बच्चे उन्हें घेर लेते थे। उनके जन्मदिवस को भारत में बाल-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष बाल-दिवस के अवसर पर बाल मेले का आयोजन किया जाता है। बच्चे अपनी छोटी-छोटी दुकानें लगाते हैं। विभिन्न प्रकार की विक्रय योग्य वस्तुएँ अपने हाथ से तैयार करते हैं। बच्चों के माता-पिता और मित्र उस अवसर पर खरीददारी करते हैं। सारे विद्यालय को अच्छी प्रकार सजाया जाता है। विद्यालय को झंडियों, चित्रों और रंगों की सहायता से आकर्षक रूप दिया जाता है। – बाल दिवस के अवसर पर खेल-कूद प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। बच्चे मंच पर आकर नाटक, गीत, कविता, नृत्य और फैंसी ड्रेस शो का प्रदर्शन करते हैं। सहगान, बाँसुरी वादन का कार्यक्रम दर्शकों का मन मोह लेता है। तत्पश्चात् सफल और अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरण किए जाते हैं। बच्चों को मिठाई का भी वितरण किया जाता है। इस प्रकार दिवस विद्यालय का एक प्रमुख उत्सव बन जाता है।

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अगर मैं प्रधानमंत्री होता

किसी आजाद मुल्क का नागरिक अपनी योग्यताओं का विस्तार करके अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है, वह कोई भी पद, स्थान या अवस्था को प्राप्त कर सकता है, उसको ऐसा होने का अधिकार उसका संविधान प्रदान करता है। भारत जैसे विशाल राष्ट्र में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पद को प्राप्त करना यों तो आकाश कुसुम तोड़ने के समान है फिर भी ‘जहाँ चाह वहाँ राह’ के अनुसार यहाँ का अत्यंत सामान्य नागरिक भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बन सकता है। लालबहादुर शास्त्री और ज्ञानी जैलसिंह इसके प्रमाण हैं।

यहाँ प्रतिपाद्य विषय का उल्लेख प्रस्तुत है कि ‘अगर मैं प्रधानमंत्री होता’ तो क्या करता? में यह भली-भाँति जानता हूँ कि प्रधानमंत्री का पद अत्यंत विशिष्ट और महान् उत्तरदायित्वपूर्ण पद है। इसकी गरिमा और महानता को बनाए रखने में किसी एक सामान्य और भावुक व्यक्ति के लिए संभव नहीं है फिर मैं महत्त्वाकांक्षी हूँ और अगर मैं प्रधानमंत्री बन गया तो निश्चय समूचे राष्ट्र की काया पलट कर दूंगा। मैं क्या-क्या राष्ट्रोत्थान के लिए कदम उठाऊँगा, उसे मैं प्रस्तुत करना पहला कर्तव्य मानता हूँ जिससे मैं लगातार इस पद पर बना रहूँ।

सबसे पहले शिक्षा-नीति में आमूल चूल परिवर्तन लाऊँगा। मुझे सुविज्ञात है कि हमारी कोई स्थायी शिक्षा-नीति नहीं है जिससे शिक्षा का स्तर दिनोंदिन गिरता जा रहा है, यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण से हम शिक्षा के क्षेत्र में बहुत. पीछे हैं, बेरोजगारी की जो आज विभीषिका आज के शिक्षित युवकों को त्रस्त कर रही है, उनका मुख्य कारण हमारी बुनियादी शिक्षा की कमजोरी, प्राचीन काल की गुरु-शिष्य परंपरा की गुरुकुल परिपाटी की शुरुआत नये सिरे से करके धर्म और राजनीति के समन्वय से आधुनिक शिक्षा का सूत्रपात कराना चाहूँगा। राष्ट्र को बाह्य शक्तियों के आक्रमण का खतरा आज भी बना हुआ है। हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा अभी अपेक्षित रूप में नहीं है। इसके लिए अत्याधुनिक युद्ध के उपकरणों का आयात बढ़ाना होगा। मैं खुले आम न्यूक्लीयर विस्फोट का उपयोग सृजनात्मक कार्यों के लिए ही करना चाहूँगा। मैं किसी प्रकार ढुलमुल राजनीति का शिकार नहीं बनूँगा अगर कोई राष्ट्र हमारे राष्ट्र की ओर आँख उठाकर देखें तो मैं उसका मुँहतोड़ जवाब देने में संकोच नहीं करूंगा। मैं अपने वीर सैनिकों का उत्साहवर्द्धन करते हुए उनके जीवन को अत्यधिक संपन्न और खुशहाल बनाने के लिए उन्हें पूरी समुचित सुविधाएँ प्रदान कराऊँगा जिससे वे राष्ट्र की आन-मान पर न्योछावर होने में पीछे नहीं हटेंगे।

हमारे देश की खाद्य समस्या सर्वाधिक जटिल और दुखद समस्या है। कृषि प्रधान राष्ट्र होने के बावजूद यहाँ खाद्य संकट हमेशा मँडराया करता है। इसको ध्यान में रखते हुए मैं नवीनतम कृषि यंत्रों, उपकरणों और रासायनिक खादों और सिंचाई के विभिन्न साधनों के द्वारा कृषि-दशा की दयनीय स्थिति को सबल बनाऊँगा। देश की जो बंजर और बेकार भूमि है उसका पूर्ण उपयोग कृषि के लिए करवाते हुए कृषकों को एक-से-एक बढ़कर उन्नतिशील बीज उपलब्ध कराके उनकी अपेक्षित सहायता सुलभ कराऊँगा।

यदि मैं प्रधानमंत्री हँगा तो देश में फैलती हई राजनीतिक अस्थिरता पर कड़ा अंकुश लगाकर दलों के दलदल को रोक दूंगा। राष्ट्र को पतन की ओर ले जाने वाली राजनीतिक अस्थिरता के फलस्वरूप प्रतिदिन होने वाले आंदोलनों, काम-रोको और विरोध दिवस बंद को समाप्त करने के लिए पूरा प्रयास करूँगा। देश में गिरती हुई अर्थव्यवस्था के कारण मुद्रा प्रसार पर रोक लगाना अपना मैं प्रमुख कर्त्तव्य समझूगा। उत्पादन, उपभोग और विनियम की व्यवस्था को पूरी तरह से बदलकर देश को आर्थिक दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व प्रदान कराऊँगा।

देश को विकलांग करने वाले तत्त्वों, जैसे-मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार ही नव अवगुणों की जड़ है। इसको जड़मूल से समाप्त करने के लिए अपराधी तत्त्वों को कड़ी-से-कड़ी सजा दिलाकर समस्त वातावरण को शिष्ट और स्वच्छ व्यवहारों से भरने की मेरी सबल कोशिश होगी। यहीं आज धर्म और जाति को लेकर तो साम्प्रदायिकता फैलाई जा रही है वह राष्ट्र को पराधीनता की ओर ढकेलने के ही अर्थ में हैं, इसलिए ऐसी राष्ट्र विरोधी शक्तियों को आज दंड की सजा देने के लिए मैं सबसे संसद के दोनों सदनों से अधिक-से-अधिक मतों से इस प्रस्ताव को पारित करा करके राष्ट्रपति से सिफारिश करके संविधान में परिवर्तन के बाद एक विशेष अधिनियम जारी कराऊंगा जिससे विदेशी हाथ अपना बटोर सकें।

संक्षेप में यही कहना चाहता हूँ कि यदि मैं प्रधानमंत्री हूँगा तो राष्ट्र और समाज के कल्याण और पूरे उत्थान के लिए मैं एड़ी-चोटी का प्रयास करके प्रधानमंत्रियों की परम्परा और इतिहास में अपना सबसे अधिक लोकापेक्षित नाम स्थापित करूँगा। भारत को सोने की चिड़िया बनाने वाला यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो कथनी और करनी को साकार कर देता।

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MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 4 वस्तुओं के समूह बनाना

MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 4 वस्तुओं के समूह बनाना

MP Board Class 6th Science Chapter 4 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लकड़ी से बनाई जा सकने वाली पाँच वस्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
लकड़ी से बनाई जाने वाली वस्तुएँ – मेज, कुर्सी, सोफा सेट, बैलगाड़ी, अलमारी आदि।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से चमकदार पदार्थों का चयन कीजिए – काँच की प्याली, प्लास्टिक का खिलौना, स्टील का चम्मच, सूती कमीज।
उत्तर:
चमकदार पदार्थ काँच की प्याली, प्लास्टिक का खिलौना, स्टील का चम्मच।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वस्तुओं का मिलान उन पदार्थों से कीजिए जिनसे उन्हें बनाया जा सकता है। याद रखिए कोई वस्तु एक से अधिक पदार्थों से भी मिलकर बनी हो सकती है तथा किसी दिए गए पदार्थ का उपयोग बहुत-सी वस्तुओं के बनाने में भी किया जा सकता है।
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 4 वस्तुओं के समूह बनाना 1
उत्तर:
MP Board Class 6th Science Solutions Chapter 4 वस्तुओं के समूह बनाना 2

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए कथन सत्य हैं अथवा असत्य। इसका उल्लेख कीजिए –

  1. पत्थर पारदर्शी होता है, जबकि काँच अपारदर्शी होता है।
  2. नोटबुक में द्युति होती है जबकि रबड़ (इरेजर) में नहीं होती।
  3. चाक जल में विलीन हो जाता है।
  4. लकड़ी का टुकड़ा जल पर तैरता है।
  5. चीनी जल में विलीन नहीं होती।
  6. तेल जल के साथ मिश्रणीय है।
  7. बालू (रेत) जल में निःसादित हो जाता है।
  8. सिरका जल में विलीन हो जाता है।

उत्तर:

  1. असत्य।
  2. सत्य।
  3. असत्य।
  4. सत्य।
  5. असत्य।
  6. असत्य।
  7. सत्य।
  8. सत्य।

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प्रश्न 5.
नीचे कुछ वस्तुओं तथा पदार्थों के नाम दिए गए हैं – जल, बॉस्केट बॉल, सन्तरा, चीनी, ग्लोब, सेब तथा मिट्टी का घड़ा। इनको इस प्रकार समूहित कीजिए।

  1. गोल आकृति तथा अन्य आकृतियाँ।
  2. खाद्य तथा अखाद्य।

उत्तर:

  1. गोल आकृति: बॉस्केट बॉल, सन्तरा, ग्लोब, सेब तथा मिट्टी का घड़ा।
    अन्य आकृतियाँ: जल तथा चीनी।
  2. खाद्य वस्तुएँ: जल, सन्तरा, चीनी तथा सेब।
    अखाद्य वस्तुएँ: बॉस्केट बॉल, ग्लोब, तथा मिट्टी का घड़ा।

प्रश्न 6.
जल में तैरने वाली जिन वस्तुओं को आप जानते हैं उनकी सूची बनाइए। जाँच कीजिए और देखिए कि क्या वे तेल अथवा मिट्टी के तेल में तैरती हैं?
उत्तर:
जल में तैरने वाली वस्तुएँ:

  1. लकड़ी का टुकड़ा।
  2. कागज का टुकड़ा।
  3. प्लास्टिक का टुकड़ा।
  4. स्पन्ज।
  5. थर्मोकोल का टुकड़ा।
  6. कॉर्क।
  7. बाँस इत्यादि।

उपर्युक्त वस्तुएँ मिट्टी के तेल मे नहीं तैरती हैं।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित समूह में मेल न खाने वाला ज्ञात कीजिए –

  1. कुर्सी, पलंग, मेज, बच्चा, अलमारी।
  2. गुलाब, चमेली, नाव, गेंदा, कमल।
  3. ऐलुमिनियम, आयरन, ताँबा, चाँदी, रेत।
  4. चीनी, नमक, रेत, कॉपर सल्फेट।

उत्तर:

  1. बच्चा।
  2. नाव।
  3. रेत।
  4. रेत।

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MP Board Class 6th General Hindi पत्र-लेखन

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पिता जी को पत्र

भोपाल
दिनांक ………………………………

आदरणीय पिता जी,
सादर चरण स्पर्श!

आपका पत्र प्राप्त हुआ। समाचार ज्ञात हुआ। माता जी की तबीयत में सुधार का समाचार सुनकर प्रसन्नता हुई। मेरी शाला प्रारंभ हो चुकी है। आप पुस्तकों के लिए 100 रु. भेजने की व्यवस्था करें। छोटे भाई-बहिनों को प्यार एवं दादा-दादी, काका-काकी को चरण स्पर्श। माता जी के लिए ध्यान लगा रहता है।

आपका आज्ञाकारी पुत्र
दिनेश गोस्वामी

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मित्र को पत्र

सागर
दिनांक ………………………………

प्रिय मित्र दिलीप,
सादर अभिवादन्

पत्र प्राप्त कर समाचार ज्ञात किया। आवश्यक कार्य में व्यस्त होने के कारण प्रश्नोत्तर में विलंब हुआ। तिमाही परीक्षा की तैयारी चल रही है। आशा है तुम भी मन लगाकर विद्याध्ययन कर रहे होगे। इस बार भी से इतना परिश्रम करो कि अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करो। इसी आशा से साथ शेष अगले पत्र में।

तुम्हारा मित्र
देवाशीश मिश्र

अस्वस्थता के कारण छुट्टी के लिए आवेदन-पत्र

सेवा में,
माननीय प्रधानाध्यापक महोदय,
शासकीय माध्यमिक शाला, बालाघाट।

विषय : अस्वस्थता के कारण छुट्टी हेतु आवेदन।

महोदय,
नम्र निवेदन है कि मुझे अचानक बुखार आ जाने के कारण मैं शाला आने में असमर्थ हूँ। साथ ही डाक्टर ने पूर्ण आराम करने की सलाह दी है। अतः आप मुझे तीन दिन के लिए. अवकाश देने की कृपा करें। गृहकार्य मैं स्वस्थ होने पर पूरा कर लूँगा। धन्यवाद।

आपका प्रिय शिष्य
प्रदीप बक्शी
7वीं ‘अ’

दिनांक ………………………………

बहिन की शादी के लिए अवकाश हेतु

सेवा में,
माननीय प्राचार्य महोदय,
शासकीय बालक उ.मा. शाला, सिवनी।

महोदय,
निवेदन है कि मेरी बड़ी बहिन उषा का शुभ-विवाह 3-3-20.. को संपन्न होना निश्चित हुआ है। मेरा इस विवाह में सम्मिलित होना अत्यंत आवश्यक है, अतः आप मुझे एक मार्च 20.. से एक सप्ताह का अवकाश देने की कृपा करें। कष्ट के लिए क्षमा!

आपका आज्ञाकारी शिष्य
सुरेश वाधवा
7वीं ‘स’

दिनांक ………………………………

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शिक्षा शुल्क माफी हेतु आवेदन-पत्र

प्रति,
माननीय प्रधानाध्यापक महोदय, शासकीय मिडिल स्कूल, रायसेन।
विषय : शिक्षण शुल्क माफ करने हेतु निवेदन।

महोदय,
मैं अति निर्धन छात्र हूँ। मेरे पिता जी की आर्थिक स्थिति काफी गिरी हुई है तथा वे मुझे पढ़ाने में असमर्थ हैं। यदि आप मेरा शिक्षण शुल्क माफ कर दें, तो मेरा अंधकारमय भविष्य उज्जवल बन सकता है।

कृपया शिक्षण शुल्क माफ करके मुझ पर महती कृपा करें।

निवेदक
राकेश रस्तौगी
सातवीं ‘स’

दिनांक ………………………………

स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र हेतु आवेदन

प्रति,
माननीय प्राचार्य महोदय,
शासकीय मॉडल स्कूल, जबलपुर
विषय : ट्रांस्फर सर्टिफिकेट हेतु आवेदन-पत्र।

महोदय,
मैं आपकी शाला की कक्षा सातवीं ‘अ’ का छात्र हूँ। मेरे पिता जी का ट्रांस्फर इंदौर हो गया है। मुझे इस कारण यहाँ पढ़ने में असुविधा हो रही है। अतः आप मुझे ट्रांस्फर सर्टिफिकेट प्रदान करने की व्यवस्था करें। धन्यवाद!

आपका शिष्य,
मनोहर कश्यप
कक्षा सातवीं ‘अ’

दिनांक ………………………………

पुस्तकें मंगवाने हेतु पत्र

प्रति,

दिनांक ………………………………, रीवा
व्यवस्थापक महोदय
कमल प्रकाशन ………………………………

महोदय,
नीचे लिखी पुस्तकें आप पत्र मिलते ही V.P.P. द्वारा भेजने की व्यवस्था करें। पैकेट पाते ही मैं उन्हें छुड़ा लूँगा। पुस्तकें इस प्रकार हैं-
1. बाल भारती भाग 7 2 प्रति
2. कमल विज्ञान (कक्षा सातवीं के लिए) 2 प्रति
3. कमल गणित VII 3 प्रति
4. कमल गाइड VII 3 प्रति

कृपया पुस्तकें नीचे लिखे पते पर भेजें। मेरा पता-

राम स्वरूप भारती
C/o सीता राम भारती,
बस स्टैण्ड रोड, रीवा (म. प्र.)

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अग्नि-पीड़ितों की सहायता हेतु पत्र

प्रति,
आदरणीय जिलाध्यक्ष महोदय,
भोपाल।

विषय : अग्नि-पीड़ितों की तुरंत सहायता।
मान्यवर,
हमारे ग्राम में गत दिवस गेहूँ के एक खलिहान में आग लगने से आस-पास के अनेक किसानों की गेहूँ की गंजियाँ आग में स्वाहा हो गयीं। हम गरीब किसान दाने-दाने के लिए तरस रहे हैं। अतः श्रीमान् जी से प्रार्थना है कि हम अग्नि-पीड़ितों की तुरंत सहायता की जाए, ताकि हम अपने बाल-बच्चों का पालन-पोषण कर सकें। साथ ही यहाँ पर कोई राहत कार्य खोल दिया जाए, ताकि हम अपनी आजीविका कमा सकें। आशा एवं धन्यवाद सहित,

हम हैं पीड़ित किसान
(ग्राम के बीस किसानों के हस्ताक्षर)

दिनांक ………………………………

ग्राम ………………………………
जिला-भोपाल।

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