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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solution Chapter 17 रहीमन-विलास

प्रश्न अभ्यास
अनुभव विस्तार

Mp Board Class 8 Hindi Chapter 17 प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
Mp Board Class 8 Hindi Chapter 17
Class 8 Hindi Chapter 17 Mp Board
उत्तर
(अ) 4, (ब) 1, (स) 2, (द) 3

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
Class 8 Hindi Chapter 17 Mp Board प्रश्न 2.
(अ) कपूत की गति किसके समान होती है?
(ब) रहीम के अनुसर अब कौन से वृक्ष दिखाई नहीं देते?
(स) रहीम ने सबसे बड़ा लाभ किसे माना है?
(द) दीनबंधु के समान कौन हो जाता है?
(ई) पावस आने पर कौन मौन साध लेता है?
उत्तर
(अ) कपूत की गति दीपक के समान होती है।
(ब) रहीम के अनुसार अब घनी छाया देने वाले वृक्ष नहीं दिखाई देते।
(स) रहीम ने सबसे बड़ा लाभ समय के सदुपयोग को माना है।
(द) दीनबंधु के समान दीनों (गरीबों) को देखने वाले हो जाते हैं।
(इ) पावस आने पर कोयल मौन साध लेता है। लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

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Rahiman Vilas Class 8 MP Board Chapter 17 प्रश्न 3.
(अ)
रहीम ‘रिस की गाँस’ के विषय में क्या कहते हैं?
उत्तर
रहीम ‘रिस की गाँस’ के विषय में यह कहते हैं कि अमृत ऐसे वचन हैं, जो रिस की गाँस अर्थात् क्रोध की चुभन को कम कर देते हैं।

(ब)
‘जीभ के बावलेपन’ का क्या दुष्परिणाम होता है?
उत्तर
‘जीभ के बावलेपन” का दष्परिणाम यह होता है कि वह तो भीतर चली जाती है और सिर को जूती खानी पड़ती है।

(स)
रहीम ने तन की तुलना नाव से क्यों की है?
उत्तर
रहीम ने तन की तुलना नाव से की है। यह इसलिए कि दोनों की गति एक ही तरह की होती है।

(द)
कवि के अनुसार ‘सच्चा मीत’ कौन है?
उत्तर
कवि के अनुसार ‘सच्चा मित्र’ वही होता है, जो विपत्ति में साथ देता है।

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Mp Board Class 8 Hindi Book Solution Chapter 17 प्रश्न 4.
निम्नलिखित दोहे के माध्यम से कवि क्या कहना चाहते हैं, स्पष्ट कीजिए
विपति भए धन ना रहे, रहे जो लाख करोर।
नभ तारे छिपि जात हैं, ज्यों रहीम भए भोर।।
उत्तर
उपर्युक्त दोहे के माध्यम कवि यह कहना चाहता है कि धन-सुख अस्थिर होते हैं। वे कब रहेंगे और कब नष्ट हो जाएंगे, कहा नहीं जा सकता है। इसलिए हमें धन को पाकर इतराना और घमंड करना नहीं चाहिए।

भाषा की बात

Mp Board Solution Class 8 Hindi Chapter 17 प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिएमिसिरिहु, विरछ, दीनबंधु, सेंहुड, बक्ता।
उत्तर
मिसिरिङ, विरछ, दीनबंधु, सेंहुड़, वक्ता।

Mp Board Class 8 Hindi Chapter 17 प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी खाली स्थान में लिखिए
बिरछ वृक्ष बिरक्छ निरस निरीस नीरस संपत्ति संपनी संपति बाँसवाँस वासँ
Rahiman Vilas Class 8 MP Board Chapter 17
उत्तर
वृक्ष, नीरस, संपत्ति, बाँस।

Mp Board Class 8th Hindi Solution Chapter 17 प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
उत्तर
शब्द – विलोम शब्द
उपकार – अपकार
अमृत –  विष
लाभ – हानि
सबल – निर्बल
अनुरक्ति – विरक्ति
कपूत – सपूत

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हिंदी सुगम भारती आठवीं कक्षा Pdf MP Board Chapter 17 प्रश्न 4.
निम्नलिखित तत्सम एवं तद्भव शब्दों को पहचानकर जोड़ी बनाइए
अँधरो, दीप, स्वर्ग, जीभ, कुपुत्र, दुग्ध, दीया, अंधकार, कपूत, दूध, जिह्वा, सरग।
उत्तर
अधरो – अंधकार
दीप – दीया
स्वर्ग – सरग
जीभ – जिह् वा
कुपुत्र – कपूत
दुग्ध – दुध

दोहों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ

1. जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय
बारे अजियारो कर, बड़े अँधेरो होय ॥1॥

शब्दार्थ
कुल-वंश। दीप-दीपक। गति-दशा। उजियारो-अजेला।

संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’
(हिंदी सामान्य) भाग-8 के ‘पाठ-17’ के ‘रहिमन-विलास’ से ली गई हैं। इसके रचयिता कविवर रहीम हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पक्तियों में रहीम ने कुपुत्र की दशा दीपक के समान बतलाते हुए कहा है कि

Sugam Bharti Class 8 MP Board Chapter 17 व्याख्या
कुपुत्र और दीपक की दशा एक ही होती है। दीपक के जलने पर प्रकाश होता है और बुझने पर अंधेरा हो जाता है। उसी प्रकार कुपुत्र का बचपन अच्छा लगता है लेकिन जब वह बड़ा हो जाता है, तब वह परिवार के लिए दुखदायक हो जाता है।

विशेष

  • भाषा में प्रवाह है।
  • यह अंश ज्ञानवर्धक है।

2. अमृत ऐसे वचन में, रहिमन रिस की गाँस ।
जैसे मिसिरिहु में मिली, निरस बाँस की फाँस।।2।।

शब्दार्थ
रिस की गाँस-क्रोध की चुभन !

संदर्भ – पूर्ववत् ।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कविवरम ने मीठी बोली के महत्त्व बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या- अमृत के समान मीठी बोली का बहुत ही अधिक महत्त्व और प्रभाव है। इससे क्रोध की चुभन समाप्त हो जाती है। यह ठीक उसी प्रकार से है, जैसे मिश्री में नीरस बाँस की फाँस का अभाव नहीं रहता है।
विशेष

  • मीठी बोली बोलने की सीख दी गई है।
  • दोहा छंद है।

3. रहीमन अब वे विरठ कहैं जिनकी छाँह गंभीर।
यागन बिच-बिच देखियत, सेंहुड़ कुंज करीर ॥3॥

शब्दार्थ
बिरछ-पेड़ । कुंज-लता। करीर-काँटेदार झाड़ी।

संदर्भ – पूर्ववत्।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर रहीम ने उपकारी व्यक्तियों की हो रही कमी के बारे में कहा है कि

व्याख्या
आजकल वे बड़े-बड़े और घनी छाया देने वाले पेड़ नहीं दिखाई दे रहे हैं। आजकल तो बागों के बीच-बीच में सेंहुड़, लता और काँटेदार झाड़ियाँ ही दिखाई दे रही हैं।

विशेष

  • दोहा छंद है।
  • यह अंश आर्कषक है।।

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4. रहिमन जिह्वा बाबरी, कहि गई सरग पताल ।
आपु तो कहि भीतर गई, जूती खात कपाल  ||4||

शब्दार्थ
बावरी-बावली। सरग = स्वर्ग। आपु-स्वयं । कपाल-सिर।

संदर्भ – पूर्ववत्।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर रहीम ने दुष्ट की संगति के कुपरिणाम को बदलते हुए कहा है कि

व्याखा
बावली जीभ ने बिना किसी सोच-विचार के स्वर्ग-पताल आदि अनाप-शनाप कह दिया। फिर वह अंदर चली गई। उसके इस प्रकार अनाप-शनाप कहने के कारण ही सिर को जूतों की मार खानी पड़ी।

विशेष

  • दोहा छंद है।
  • दुष्टों की निंदा की गई है।

5. तन रहीम है कर्म बस, मन राखो ओहि ओर।
जल में उलटी नाव ज्यों, बँचत गुन के जोर । ॥5॥

शब्दार्थ
बस-वश । राखो-रखो। ओहि-उस ।

संदर्भ – पूर्ववत्।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर रहीम ने मन को केन्द्रित करके कर्म की करने सीख देते हुए कहा है कि

व्याख्या
यह शरीर कर्म के अधीन है। इसलिए इसे मन से उस ओर ही लगाना चाहिए। जिस प्रकार पानी में उलटी नाव अर्थात् धारा के विपरीत नाव को चलाने के लिए नाव को खींच करके उस ओर लाया जाता है।

विशेष

  • मन को लगाकर कर्म करने की सीख दी
  • दोहा इंद है।

6. समय लाभ सम लाभ नहि, समय चूक सम चूक।
चतुरन चित रहिमन लगी, समय चूक की हूक ॥6॥

शब्दार्थ
सम-समान। चूक-भूल। चतुरन-चतुराई। = चित-हदय । हूक-चोट।

संदर्भ- पूर्ववत् ।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर रहीम ने समय के सदुपयोग को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या
समय के सदुपयोग के समान और कोई बड़ा लाभ नहीं है। इसी प्रकार समय के दुरुपयोग के समान और
कोई भूल अर्थात् हानि नहीं है। इसलिए इसे बड़ी चतुराई से । चतुर लोग हृदय से जानते हैं कि समय के चूक जाने से हृदय को बड़ी चोट पहुँचती है।।

विशेष

  • दोहा छंद है।
  • भाषा सरल है।

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7. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत ॥7॥

शब्दार्थ
संपत्ति-धन। सगे-संबंधी। रीति-प्रकार। कसौटी-परीक्षा । साँचे-सच्चा। मीत-मित्र।

संदर्भ- पूर्ववत्।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बलताते हुए कहा है कि

व्याख्या
जब व्यक्ति धनवान होता है उसके अनेक मित्र होते हैं। अनेक संबंधी बन जाते हैं। लेकिन सच्चे मित्र तो वे ही होते हैं, जो विपत्ति में साथ देते हैं।

विशेष

  • दोहा छंद है।
  • सच्चे मित्र की पहचान बताई गई है।

8. दीन सबन को लखत है, दीनहि लबै न कोय।
जो रहीम दीनहि लखे, दीनबंधु सम होय ॥8॥

शब्दार्थ
दीन-गरीब । सबन-सभी को। लखे-देखता।

संदर्भ – पूर्ववत्।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर रहीम ने गरीब लोगों के महत्त्व को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या
गरीब लोग सभी को महत्त्व देते हैं। सबके दुख में अपना हाथ बँटाते हैं। लेकिन गरीबों को कोई महत्त्व नहीं देता है। उनके दुख में कोई हाथ नहीं बँटाता है। जो कोई गरीबों के दुख में साथ देता है, वह ईश्वर के समान होता है।

विशेष

  • दोहा छंद है।
  • भाषा-शैली में प्रवाह है।

9. पावस देखि रहीम मन, कोइल साये मौन।
अब दादुर बक्ता भए, हमको पूछत कौन ॥9॥

शब्दार्थ
पावस-वर्षा ऋतु । कोइल-कोयल । साधे मौन-चुप हो जाती है। दादुर-मेंढक।

संदर्भ- पूर्ववत्।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर रहीम ने समयानुसार रहने की सीख देते हुए कहा है कि

व्याख्या
वर्षा ऋतु में कोयल मौन धारण कर लेती। वर्षा ऋतु में मेंढक टरटर्राने लगते हैं। ऐसे समय में वह यह सोच लेती है कि उसके मधुर स्वर की कोई नहीं प्रशंसा करेगा। इसलिए चुप रहना ही ठीक है।

विशेष

  • भाषा में प्रवाह है।
  • दोहा छंद है।

10. विपति भए धन ना रहे, रहे जो लाख करोर।
नभ तारे छिपि जात हैं, ज्यों रहीम भए भोर ॥10॥

शब्दाव
विपत्ति-संकट । करोर-करोड़। छिपि-छिप । जात हैं-जाते हैं। भोर-प्रातःकाल ।

संदर्भ – पूर्ववत् ।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में कविवर रहीम ने धन की अस्थिरता और नश्वरता को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या
जब विपत्ति आती है, तो सारे धन-सुख नष्ट हो जाते हैं। धन चाहे लाख करोड़ क्यों न हो। वह ठीक वैसे ही समाप्त हो जाता है, जैसे प्रातःकाल होने पर आकाश के तारे नहीं दिखाई देते हैं।

विशेष

  • भाषा-शैली आकर्षक है।
  • दोहा छंद है।