MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

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प्रत्यावर्ती धारा NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
एक 1000 का प्रतिरोधक 220 वोल्ट, 50 हर्ट्स आपूर्ति से संयोजित है। (a) परिपथ में धारा का rms मान कितना है? (b) एक पूरे चक्र में कितनी नेट शक्ति व्यय होती है?
हल :
दिया है : Vrms = 220 वोल्ट, R= 100 Ω, v = 50 हर्ट्स
(a) परिपथ में धारा का rms मान irms =\(\frac{V_{r m s}}{R}=\frac{220}{100}\) = 2.2 ऐम्पियर
(b) ∵ परिपथ में केवल शुद्ध प्रतिरोध जुड़ा है। अतः
शक्ति-गुणांक cos Φ = cos 0° = 1 [∴ Φ = 0°]
∴ पूरे एक चक्र में नेट शक्ति क्षय P = Vrms × irms × cosΦ .
= 220 × 2.2 × 1 = 484 वाट।

प्रश्न 2.
(a) ac आपूर्ति का शिखर मान 300 वोल्ट है। rms वोल्टता कितनी है?
(b) ac परिपथ में धारा का rms मान 10 ऐम्पियर है। शिखर धारा कितनी है?
हल :
(a) दिया है : Vo = 300 वोल्ट, Vrms = ?
rms वोल्टता Vrms = \(\frac{V_{0}}{\sqrt{2}}=\frac{300}{1.414}\) = 212 वोल्ट।
(b) दिया है : irms = 10 ऐम्पियर, io = ?
धारा का शिखर मान io = irms√2 = 14.14 ऐम्पियर।

प्रश्न 3.
एक 44 मिलीहेनरी का प्रेरित्र 220 वोल्ट, 50 हर्ट्स आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ में धारा के rms मान को ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : L= 44 मिलीहेनरी = 44 × 10-3 हेनरी, v = 50 हर्ट्स, Vrms = 220 वोल्ट
प्रेरित्र में rms धारा irms = \(\frac{V_{r m s}}{X_{L}}\)
प्रेरित्र का प्रेरण प्रतिघात XL = 2πvL = 2 × \(\frac{22}{7}\) × 50 × 44 × 10-3 = 13.83Ω
irms= \(\frac{V_{r m s}}{X_{L}}\) =\(\frac{220}{13.83}[latex] = 15.90 ऐम्पियर।

प्रश्न 4.
एक 60 μF का संधारित्र 110 वोल्ट, 60 हर्ट्स ac आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ में धारा के rms मान को ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : C = 60 μF = 60 × 10-6F, Vrms = 110 वोल्ट, v = 60 हर्ट्स
संधारित्र में rms धारा irms = [latex]\frac{V_{r m s}}{X_{C}}\)
जबकि संधारित्र का धारितीय प्रतिघात
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प्रश्न 5.
प्रश्न 3 व 4 में एक पूरे चक्र की अवधि में प्रत्येक परिपथ में कितनी नेट शक्ति अवशोषित होती है? अपने उत्तर का विवरण दीजिए।
हल :
प्रश्न 3 व 4 दोनों में ही पूरे चक्र में नेट शून्य शक्ति व्यय होती है।
विवरण-शुद्ध प्रेरित्र तथा शुद्ध धारिता दोनों में धारा तथा विभवान्तर के बीच 90° का कलान्तर होता है।
∴ शक्ति गुणांक cos Φ = cos 90° = 0
∴ प्रत्येक में नेट शक्ति व्यय P = Vrms × irms × cos Φ = 0.

प्रश्न 6.
एक LCR परिपथ की, जिसमें L = 2.0 हेनरी, C = 32 μF तथा R = 10Ω अनुनाद आवृत्ति ωr परिकलित कीजिए। इस परिपथ के लिए Q का क्या मान है?
हल :
दिया है : L= 2.0 हेनरी, C = 32 × 10-6F, R= 10Ω
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प्रश्न 7.
30 μF का एक आवेशित संधारित्र 27 मिलीहेनरी के प्रेरित्र से जोड़ा गया है। परिपथ के मुक्त दोलनों की कोणीय आवृत्ति कितनी है?
हल :
दिया है : C = 30 × 10-6F, L= 27 × 10-3 हेनरी
मुक्त दोलनों की कोणीय आवृत्ति \(\omega_{r}=\frac{1}{\sqrt{L C}}=\frac{1}{\sqrt{27 \times 10^{-3} \times 30 \times 10^{-6}}}\)
= 1.1 × 103 रेडियन सेकण्ड-1

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि प्रश्न 7 में संधारित्र पर प्रारम्भिक आवेश 6 मिलीकूलॉम है। प्रारम्भ में परिपथ में कुल कितनी ऊर्जा संचित होती है। बाद में कुल ऊर्जा कितनी होगी?
हल
दिया है : C= 30 × 10-6F, Qo = 6 × 10-3 कूलॉम
∴ प्रारम्भ में परिपथ में संचित ऊर्जा
E = संधारित्र की ऊर्जा + प्रेरित्र की ऊर्जा
=\(\frac{1}{2} \frac{Q_{0}^{2}}{C}+\frac{1}{2} L i_{0}^{2}=\frac{1}{2} \times \frac{6 \times 10^{-3} \times 6 \times 10^{-3}}{30 \times 10^{-6}}\)
= 0.6 जूल।   [∵io = 0]
∵ परिपथ में कोई प्रतिरोध नहीं जुड़ा है तथा शुद्ध धारिता तथा शुद्ध प्रेरक में ऊर्जा-हानि नहीं होती है। अत: बाद में परिपथ में कुल 0.6 जूल ऊर्जा ही बनी रहेगी।

प्रश्न 9.
एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ को, जिसमें R= 20 Ω, L= 1.5 हेनरी तथा C = 35μF, एक परिवर्ती आवृत्ति को 200 वोल्ट ac आपूर्ति से जोड़ा गया है। जब आपूर्ति की आवृत्ति परिपथ की मूल आवृत्ति के बराबर होती है तो एक पूरे चक्र में परिपथ को स्थानान्तरित की गई माध्य शक्ति कितनी होगी?
हल :
दिया है : R = 20Ω, L = 1.5 हेनरी, C = 35μF, Vrms = 200 वोल्ट
जब आपूर्ति की आवृत्ति, परिपथ की मूल आवृत्ति के बराबर है तो
परिपथ की प्रतिबाधा Z = R = 20Ω (अनुनाद की स्थिति)
∴ परिपथ में धारा irms = \(\frac{V_{r m s}}{Z}=\frac{200}{20}\)= 10 ऐम्पियर
जबकि शक्ति गुणांक cos Φ = cos 0° = 1
∴पूरे चक्र में परिपथ को स्थानान्तरित शक्ति
P= Vrms × irms × cos Φ = 200 × 10 × 1 = 2000 वाट।

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प्रश्न 10.
एक रेडियो को मेगावाट प्रसारण बैण्ड के एक खण्ड के आवृत्ति परास के एक ओर से दूसरी ओर (800 किलोहर्ट्स से 1200 किलोहर्ट्स) तक समस्वरित किया जा सकता है। यदि इसके LC परिपथ का प्रभावकारी प्रेरकत्व 200 माइक्रोहेनरी हो तो उसके परिवर्ती संधारित्र की परास कितनी होनी चाहिए?
हल :
दिया है : प्रसारण बैण्ड की आवृत्ति v = 800 किलोहर्ट्स-1200 किलोहर्ट्स
∴ vmin in = 800 × 103 हर्ट्स, vmax = 1200 × 103 हर्ट्स, L= 200 माइक्रोहेनरी = 200 × 10-6 हेनरी
रेडियो को प्रसारण बैण्ड के साथ समस्वरित करने हेतु LC परिपथ की मूल आवृत्ति, प्रसारण की आवृत्ति के बराबर होनी चाहिए।
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अतः परिवर्ती संधारित्र की परास 88 pF से 198 pF होनी चाहिए।

प्रश्न 11.
चित्र-7.1 में एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ दिखलाया गया है जिसे परिवर्ती आवृत्ति के 230 वोल्ट के स्त्रोत से जोड़ा गया है। L = 5.0 हेनरी, C = 80 μF, R = 40 Ω
(a) स्रोत की आवृत्ति निकालिए जो परिपथ में अनुनाद उत्पन्न करे।
(b) परिपथ की प्रतिबाधा तथा अनुनादी आवृत्ति पर धारा का आयाम निकालिए।
(c) परिपथ के तीनों अवयवों के सिरों पर विभवपात के rms मानों को निकालिए। दिखलाइए कि अनुनादी आवृत्ति पर LC संयोग के सिरों पर विभवपात शून्य है।
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हल :
दिया है : L = 5.0 हेनरी, C = 80 × 10-6F, R= 40Ω, Vrms= 230 वोल्ट
(a) अनुनाद के लिए स्रोत की कोणीय आवृत्ति
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= 50 रेडियन सेकण्ड-1

(b) अनुनाद की स्थिति में XL = Xc
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(c) R के सिरों का rms विभवपात
VR = irms × R = 5.75 × 40 = 230 वोल्ट।
XL= ωrL = 50 × 5.0 = 250Ω
तथा
∵ XC = XL = 250Ω.
∴ प्रेरक के सिरों पर rms विभवपात
VL = irms × XL
= 5.75 x 250 = 1437.5 वोल्ट।
इसी प्रकार,
VC = irms × XC
= 5.75 × 250 = 1437.5 वोल्ट।
∵ VLतथा VC विपरीत कला में है, अत: LC संयोग के
सिरों पर विभवपात V = VL – VC
= 1437.5-1437.5= 0 वोल्ट।

प्रश्न 12.
किसी LC परिपथ में 20 मिलीहेनरी का एक प्रेरक तथा 50 μF का एक संधारित्र है जिस पर प्रारम्भिक आवेश 10 मिलीकूलॉम है। परिपथ का प्रतिरोध नगण्य है। मान लीजिए कि वह क्षण जिस पर परिपथ बन्द किया जाता है t= 0 है।
(a) प्रारम्भ में कुल कितनी ऊर्जा संचित है? क्या यह LC दोलनों की अवधि में संरक्षित है?
(b) परिपथ की मूल आवृत्ति क्या है?
(c) किसी समय पर संचित ऊर्जा?
(i) पूरी तरह से विद्युत है ( अर्थात् वह संधारित्र में संचित है)?
(ii) पूरी तरह से चुम्बकीय है (अर्थात् प्रेरक में संचित है)?
(d) किन समयों पर सम्पूर्ण ऊर्जा प्रेरक एवं संधारित्र के मध्य समान रूप से विभाजित है?
(e) यदि एक प्रतिरोधक को परिपथ में लगाया जाए तो कितनी ऊर्जा अन्ततः ऊष्मा के रूप में क्षयित होगी?
हल :
दिया है : L = 20 × 10-3 हेनरी, C = 50 × 10-6F, Qo = 10 × 10-3 कूलॉम
(a) प्रारम्भ में कुल संचित ऊर्जा
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∵ परिपथ में शुद्ध प्रतिरोध नहीं लगा है; अत: परिपथ की कुल ऊर्जा संरक्षित है।

(b) परिपथ की कोणीय आवृत्ति
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(c) संधारित्र के निरावेशन समीकरण Q= Qo cos ωt से,
आवेश Q महत्तम अर्थात् Qmax = ± Qo होगा, जबकि t = 0, \(\frac{T}{2}\), T,
\(\frac{3T}{2}\),….. आदि। (∵ cos ωt = ± 1)
इन क्षणों पर धारा i शून्य होगी।
इसके विपरीत आवेश Q शून्य होगा, यदि
cos ωt = t = 0, \(\frac{T}{4}\), T,
\(\frac{3T}{4}\), \(\frac{5T}{4}\)…..
इन क्षणों पर धारा i महत्तम होगी।
अत: (i) क्षणों t = 0, \(\frac{T}{2}\), T,
\(\frac{3T}{2}\),….. आदि पर कुल ऊर्जा विद्युतीय होगी अर्थात् संधारित्र में संचित होगी।
(ii) क्षणों t = 0, \(\frac{T}{4}\), T,
\(\frac{3T}{4}\),….. आदि पर कुल ऊर्जा चुम्बकीय होगी अर्थात् प्रेरक में संचित होगी।
जहाँ T = \(\frac{1}{v}\) = \(\frac{1}{159}\)= 0.0063 सेकण्ड।

(d) प्रारम्भ में परिपथ की कुल ऊर्जा E = \(\frac{Q_{0}^{2}}{2 C}\)
यदि किसी समय t पर संधारित्र पर आवेश Q है तथा कुल ऊर्जा संधारित्र व प्रेरक में आधी-आधी बँटी है, तब
इस क्षण संधारित्र की ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\)E.
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अतः व्यापक रूप में,
t = 0, \(\frac{T}{8}\), T,
\(\frac{3T}{8}\), \(\frac{5T}{8}\), \(\frac{7T}{8}\),…….. आदि समयों पर कुल ऊर्जा संधारित्र व प्रेरक में बराबर-बराबर बँटी होगी।
(e) यदि परिपथ में प्रतिरोध जोड़ दिया जाए तो धीरे-धीरे परिपथ की सम्पूर्ण ऊर्जा प्रतिरोधक में ऊष्मा के रूप में व्यय हो जाएगी।

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प्रश्न 13.
एक कुंडली को जिसका प्रेरण 0.50 हेनरी तथा प्रतिरोध 1002 है, 240 वोल्ट व 50 हर्ट्स की एक आपूर्ति से जोड़ा गया है।
(a) कुंडली में अधिकतम धारा कितनी है?
(b) वोल्टेज शीर्ष व धारा शीर्ष के बीच समय-पश्चता (time lag) कितनी है?
हल :
दिया है : L= 0.5 हेनरी, R= 100Ω, Vrms = 240 वोल्ट, v = 50 हर्ट्स
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प्रश्न 14.
यदि परिपथ को उच्च आवृत्ति की आपूर्ति (240 वोल्ट, 10 किलोहर्ट्स) से जोड़ा जाता है तो प्रश्न 13 (a) तथा (b) के उत्तर निकालिए। इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृत्ति पर किसी परिपथ में प्रेरक लगभग खुले परिपथ के तुल्य होता है। स्थिर अवस्था के पश्चात् किसी dc परिपथ में प्रेरक किस प्रकार का व्यवहार करता है?
हल :
दिया है : Vrms = 240 वोल्ट, v = 10 किलोहर्ट्स = 10000 हर्ट्स, L= 0.5 हेनरी, R = 100Ω
(a) प्रेरक का प्रतिघात XL = 2 πVL
= 2 × 3.14 × 10000 × 0.5 = 31400Ω
∴ प्रतिबाधा \(Z=\sqrt{R^{2}+X_{L}^{2}} \approx 31400 \Omega\) [∵ R<<XL]
∴ परिपथ में महत्तम धारा io = \(\frac{V_{r m s} \sqrt{2}}{Z}=\frac{240 \sqrt{2}}{31400} \approx\) ऐम्पियर।
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महत्तम धारा i0 का मान अत्यन्त कम है इससे यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि अति उच्च आवृत्ति की धाराओं के लिए प्रेरक खुले परिपथ की भाँति व्यवहार करता है।
∵ दिष्ट धारा के लिए v = 0.
अत: दिष्ट धारा परिपथ में XL = 2πvL = 0
अत: दिष्ट धारा परिपथ में प्रेरक साधारण चालक की भाँति व्यवहार करता है।

प्रश्न 15.
40Ω प्रतिरोध के श्रेणीक्रम में एक 100 µ F के संधारित्र को 110 वोल्ट, 60 हर्ट्स की आपूर्ति से जोड़ा गया है।
(a) परिपथ में अधिकतम धारा कितनी है?
(b) धारा शीर्ष व वोल्टेज शीर्ष के बीच समय-पश्चता कितनी है?
हल :
दिया है : R = 40Ω, C = 100 × 10-6 F, Vrms = 110 वोल्ट, v = 60 हर्ट्स
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प्रश्न 16.
यदि परिपथ को 110 वोल्ट, 12 किलोहर्ट्स आपूर्ति से जोड़ा जाए तो प्रश्न 15 (a) व (b) का उत्तर निकालिए। इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृत्तियों पर एक संधारित्र चालक होता है। इसकी तुलना उस व्यवहार से कीजिए जो किसी dc परिपथ में एक संधारित्र प्रदर्शित करता है।
हल :
दिया है : R= 40Ω, C= 100 × 10-6 F, Vrms = 110 वोल्ट, v = 12 × 103 हर्ट्स
(a)
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भाग (a) के उत्तर से हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि अति उच्च आवृत्ति की धारा के लिए संधारित्र का प्रतिघात नगण्य होता है, अर्थात् यह एक शुद्ध चालक की भाँति व्यवहार करता है।
स्थायी दिष्ट धारा हेतु v = 0, अत: धारितीय प्रतिघात XC = \(\frac{1}{2 \pi \nu C}\)= ∞
इस दिष्ट धारा के लिए संधारित्र खुले परिपथ की भाँति व्यवहार करता है।

प्रश्न 17.
स्त्रोत की आवृत्ति को एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ की अनुनादी आवृत्ति के बराबर रखते हुए तीन अवयवों L, C तथा R को समान्तर क्रम में लगाते हैं। यह दशाइए कि समान्तर LCR परिपथ में इस आवृत्ति पर कुल धारा न्यूनतम है। इस आवृत्ति के लिए प्रश्न 11 में निर्दिष्ट स्रोत तथा अवयवों के लिए परिपथ की हर शाखा में धारा के rms मान को परिकलित कीजिए।
हल :
समान्तर LCR परिपथ की प्रतिबाधा Z निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होती है –
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अनुनादी आवृत्ति के लिए, XC = XC
अत: इस स्थिति में \(\frac { 1 }{ z }\) न्यूनतम होगी अतः प्रतिबाधा Z अधिकतम होगी।
∴ परिपथ में प्रवाहित कुल धारा न्यूनतम होगी।
प्रश्न 11 से, Vrms = 230 वोल्ट, R = 40Ω, L= 5.0 हेनरी, C = 80 × 10-6F, ω = 50 रेडियन सेकण्ड-1
(अनुनादी आवृत्ति)
∵ L, C व R तीनों समान्तर क्रम में जुड़े हैं।
अतः तीनों के सिरों का विभवान्तर समान (प्रत्येक Vrms = 230 वोल्ट) होगा।
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प्रश्न 18.
एक परिपथ को जिसमें 80 मिलीहेनरी का एक प्रेरक तथा 60 uF का संधारित्र श्रेणीक्रम में है 230 वोल्ट, 50 हर्ट्स की आपूर्ति से जोड़ा गया है। परिपथ का प्रतिरोध नगण्य है।
(a) धारा का आयाम तथा rms मानों को निकालिए।
(b) हर अवयव के सिरों पर विभवपात के rms मानों को निकालिए।
(c) प्रेरक में स्थानान्तरित माध्य शक्ति कितनी है?
(d) संधारित्र में स्थानान्तरित माध्य शक्ति कितनी है?
(e) परिपथ द्वारा अवशोषित कुल माध्य शक्ति कितनी है? [माध्य में यह समाविष्ट है कि इसे ‘पूरे चक्र’ के लिए लिया गया है।]
हल :
दिया है : L = 80 × 10-3 हेनरी, C = 60 × 10-6 F, Vrms = 230 वोल्ट, v = 50 हर्ट्स
(a) प्रेरण प्रतिघात XL = 2 πvL = 2 × 3.14 × 50 × 80 × 10-3 = 25.12Ω
धारितीय प्रतिघात XL =\(\frac{1}{2 \pi v C}=\frac{1}{2 \times 3.14 \times 50 \times 60 \times 10^{-6}}=53.07 \Omega\)
∴ परिपथ की प्रतिबाधा Z = XC – XL = 53.07 – 25.12 = 27.95 ≈ 28Ω
∴ परिपथ में धारा irms= \(\frac{V_{r m s}}{Z}=\frac{230}{28}\) = 8.21ऐम्पियर।

धारा का शिखर मान io = irms√2 = 8.21 × 1.414 = 11.60 ऐम्पियर।

(b) प्रेरक के सिरों पर विभवपात VL = irms x XL = 8.21 × 25.12 = 206 वोल्ट।
∴ संधारित्र के सिरों पर विभवपात VC = irms x XC= 8.21 × 53.07 = 436 वोल्ट।

(c) प्रेरक के लिए धारा तथा विभवान्तर के बीच कलान्तर Φ = \(\frac { π }{ 2 }\)
प्रेरक में माध्य शक्ति PL = Vrms × irms × cos \(\frac { π }{ 2 }\) = 0

(d) संधारित्र के लिए धारा तथा विभवान्तर के बीच कलान्तर क Φ = \(\frac { π }{ 2 }\)
∴ संधारित्र में माध्य शक्ति PC = Vrms × irms × cos\(\frac { π }{ 2 }\)
(e) परिपथ द्वारा अवशोषित माध्य शक्ति भी शून्य होगी।

प्रश्न 19.
कल्पना कीजिए कि प्रश्न 18 में प्रतिरोध 15Ω है। परिपथ के हर अवयव को स्थानान्तरित माध्य शक्ति तथा सम्पूर्ण अवशोषित शक्ति को परिकलित कीजिए।
हल :
प्रश्न 18 से,XL = 25.12 2, XC = 53.07Ω तथा
R = 15Ω, Vrms = 230 वोल्ट
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प्रेरक तथा संधारित्र दोनों को स्थानान्तरित माध्य शक्ति शून्य है।
प्रतिरोध को स्थानान्तरित माध्य शक्ति PR = (irms)2 × R= (7.26)2 × 15 = 791 वाट।
परिपथ द्वारा अवशोषित सम्पूर्ण माध्य शक्ति = 791 वाट।

प्रश्न 20.
एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ को जिसमें L = 0.12 हेनरी, C = 480 µF, R = 23Ω, 230 वोल्ट परिवर्ती आवृत्ति वाले स्रोत से जोड़ा गया है।।
(a) स्त्रोत की वह आवृत्ति कितनी है जिस पर धारा आयाम अधिकतम है। इस अधिकतम मान को निकालिए।
(b) स्रोत की वह आवृत्ति कितनी है जिसके लिए परिपथ द्वारा अवशोषित माध्य शक्ति अधिकतम है।
(c) स्त्रोत की किस आवृत्ति के लिए परिपथ को स्थानान्तरित शक्ति अनुनादी आवृत्ति की शक्ति की आधी है।
(d) दिए गए परिपथ के लिए Q कारक कितना है?
हल :
(a) अधिकतम धारा के लिए XL = XC
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(b) ∵ प्रेरक व संधारित्र द्वारा अवशोषित माध्य शक्तियाँ शून्य हैं।
∴ परिपथ द्वारा अवशोषित माध्य शक्ति P= i2rms × R ⇒ P ∝ i2rms
स्पष्ट है कि शक्ति P महत्तम होगी यदि प्रवाहित धारा महत्तम हो।
इसके लिए XL = XC
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प्रश्न 21.
एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ के लिए जिसमें L = 3.0 हेनरी, C = 27 µ F तथा R = 7.4Ω अनुनादी आवृत्ति तथा Q कारक निकालिए। परिपथ के अनुनाद की तीक्ष्णता को सुधारने की इच्छा से “अर्ध उच्चिष्ठ पर पूर्ण चौड़ाई” को 2 गुणक द्वारा घटा दिया जाता है। इसके लिए उचित उपाय सुझाइए।
हल :
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अर्ध उच्चिष्ठ पर पूर्ण चौड़ाई को आधा करने अथवा समान आवृत्ति के लिए Q को दोगुना करने हेतु प्रतिरोध R का आधा कर देना चाहिए।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) क्या किसी ae परिपथ में प्रयुक्त ताक्षणिक वोल्टता परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़े गए अवयवों के सिरों पर तात्क्षणिक वोल्टताओं के बीजगणितीय योग के बराबर होता है? क्या यही बात rms वोल्टताओं में भी लागू होती है?
(b) प्रेरण कुंडली के प्राथमिक परिपथ में एक संधारित्र का उपयोग करते हैं।
(c) एक प्रयुक्त वोल्टता संकेत एक dc वोल्टता तथ उच्च आवृत्ति के एक ac वोल्टता के अध्यारोपण से निर्मित है। परिपथ एक श्रेणीबद्ध प्रेरक तथा संधारित्र से निर्मित है। दर्शाइए कि dc संकेत C तथा ac संकेत के सिरे पर प्रकट होगा।
(d) एक लैम्प में श्रेणीक्रम में जुड़ी चोक को एक dc लाइन से जोड़ा गया है। लैम्प तेजी से चमकता है। चोक में लोहे के क्रोड को प्रवेश कराने पर लैम्प की दीप्ति में कोई अन्तर नहीं पड़ता है। यदि एक ac लाइन से लैम्प का संयोजन किया जाए तो तद्नुसार प्रेक्षणों की प्रागुक्ति कीजिए।
(e) ac मेंस के साथ कार्य करने वाली फ्लोरोसेंट ट्यूब में प्रयुक्त चोक कुंडली की आवश्यकता क्यों होती है? चोक कुंडली के स्थान पर सामान्य प्रतिरोधक का उपयोग क्यों नहीं होता?
उत्तर :
(a) हाँ, परन्तु यह तथ्य rms वोल्टताओं के लिए सत्य नहीं है क्योंकि विभिन्न अवयवों की rms वोल्टताएँ समान कला में नहीं होती।
(b) संधारित्र को जोड़ने से, परिपथ को तोड़ते समय चिनगारी देने वाली धारा संधारित्र को आवेशित करती है, अत: चिनगारी नहीं निकल पाती।
(c) संधारित्र dc सिग्नल को रोक देता है, अत: dc सिग्नल वोल्टता संधारित्र के सिरों पर प्रकट होगा जबकि ac सिग्नल प्रेरक के सिरों पर प्रकट होगा।
(d) dc लाइन के लिए v = 0.
अत: चोक की प्रतिबाधा XL = 2πvL = 0
अतः चोक दिष्ट धारा के मार्ग में कोई रुकावट नहीं डालती, इससे लैम्प तेज चमकता है।
ac लाइन में चोक उच्च प्रतिघात उत्पन्न करती है (L का मान अधिक होने के कारण), अत: लैम्प में धारा घट जाती है और उसकी चमक मद्धिम पड़ जाती है।
(e) चोक कुंडली एक प्रेरक का कार्य करती है और बिना शक्ति खर्च किए ही धारा को कम कर देती है। यदि चोक के स्थान पर प्रतिरोधक का प्रयोग करें तो वह धारा को कम तो कर देगा परन्तु इसमें वैद्युत शक्ति ऊष्मा के रूप में व्यय होती रहेगी।

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प्रश्न 23.
एक शक्ति संप्रेषण लाइन अपचायी ट्रांसफॉर्मर में जिसकी प्राथमिक कुंडली में 4000 फेरे हैं, 2300 वोल्ट पर शक्ति निवेशित करती है। 230 वोल्ट की निर्गत शक्ति प्राप्त करने के लिए द्वितीयक में कितने फेरे होने चाहिए?
हल :
दिया है : Np = 4000, VP = 2300 वोल्ट, VS = 230 वोल्ट, NS = ?
सूत्र \(\frac{V_{S}}{V_{P}}=\frac{N_{S}}{N_{P}}\) से.
द्वितीयक कुंडली में फेरों की संख्या \(N_{S}=\frac{V_{S}}{V_{P}} \times N_{P}=\frac{230}{2300} \times 4000=400\)

प्रश्न 24.
एक जल विद्युत शक्ति संयंत्र में जल दाब शीर्ष 300 मीटर की ऊँचाई पर है तथा उपलब्ध जल प्रवाह 100 मीटर3 सेकण्ड -1 है। यदि टरबाइन जनित्र की दक्षता 60% हो तो संयंत्र से उपलब्ध विद्युत शक्ति का आकलन कीजिए, g= 9.8 मीटर सेकण्ड-2.
हल :
दिया है : h = 300 मीटर, g= 9.8 मीटर/सेकण्ड2, जल का आयतन V = 100 मीटर3,
समय t = 1 सेकण्ड, जनित्र की दक्षता = 60%
जल विद्युत शक्ति = जल-स्तम्भ का दाब × प्रति सेकण्ड प्रवाहित जल का आयतन
. = hρg × V = 300 x 103 × 9.8 × 100 = 29.4 x 107 वाट
∴ जनित्र द्वारा उत्पन्न वैद्युत शक्ति = कुल शक्ति × दक्षता
= 29.4 × 107 × \(\frac { 60 }{ 100 }\) = 176.4 × 106 वाट = 176. 4 मेगावाट।

प्रश्न 25.
440 वोल्ट पर शक्ति उत्पादन करने वाले किसी विद्युत संयंत्र से 15 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से कस्बे में 220 वोल्ट पर 800 किलोवाट शक्ति की आवश्यकता है। वैद्युत शक्ति ले जाने वाली दोनों तार की लाइनों का प्रतिरोध 0.5Ω प्रति किलोमीटर है। कस्बे को उप-स्टेशन में लगे 4000-220 वोल्ट अपचायी ट्रांसफॉर्मर से लाइन द्वारा शक्ति पहुँचती है।
(a) ऊष्मा के रूप में लाइन से होने वाली शक्ति के क्षय का आकलन कीजिए।
(b) संयंत्र से कितनी शक्ति की आपूर्ति की जानी चाहिए, यदि क्षरण द्वारा शक्ति का क्षय नगण्य है।
(c) संयंत्र के उच्चायी ट्रांसफॉर्मर की विशेषता बताइए।
हल :
(a) तार की लाइनों का प्रतिरोध R= 30 किमी × 0.5 ओम किमी-1 = 150
उप-स्टेशन पर लगे ट्रांसफॉर्मर के लिए VP = 4000 वोल्ट, VS = 220 वोल्ट
माना प्राथमिक परिपथ में धारा = ip व द्वितीयक परिपथ में धारा = is
ट्रांसफॉर्मर द्वारा द्वितीयक परिपथ में दी गई शक्ति
VS × iS = 800 किलोवाट = 800 × 103 वाट
VP × iP = VS × iS से,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा img 20
यह धारा सप्लाई लाइन से होकर गुजरती है।
∴ लाइन में होने वाला शक्ति क्षय
P= i2p × R= (200)2 × 15 वाट = 600 किलोवाट।

(b) संयंत्र द्वारा आपूर्ति की जाने वाली शक्ति
= 800 किलोवाट + 600 किलोवाट = 1400 किलोवाट।

(c) सप्लाई लाइन पर विभवपात ।
V= ip × R = 200 × 15 = 3000 वोल्ट
∴ उप-स्टेशन पर लगा अपचायी ट्रांसफॉर्मर 4000 वोल्ट-220 वोल्ट प्रकार का है, अतः इस ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक कुंडली पर विभवपात = 4000 वोल्ट
∴ संयंत्र पर लगे उच्चायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा प्रदान की जाने वाली वोल्टता = 3000 + 4000 = 7000 वोल्ट
अत: यह ट्रांसफॉर्मर 440 V – 7000 V प्रकार का होना चाहिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा img 21

प्रश्न 26.
प्रश्न 25 को पुनः कीजिए। इसमें पहले के ट्रांसफॉर्मर के स्थान पर 40000-220 वोल्ट की अपचायी ट्रांसफॉर्मर है। [पूर्व की भाँति क्षरण के कारण हानियों को नगण्य मानिए। यद्यपि अब यह सन्निकटन उचित नहीं है । क्योंकि इसमें उच्च वोल्टता पर संप्रेषण होता है। अतः समझाइए कि क्यों उच्च वोल्टता संप्रेषण अधिक वरीय है।
हल :
(a) पूर्व प्रश्न की भाँति
VS × iS = 800 × 103
∴\(i_{P}=\frac{V_{S} \times i_{S}}{V_{P}}=\frac{800 \times 10^{3}}{40000}\) = 20 ऐम्पियर [∵ इस बार Vp= 40000 वोल्ट]
∴ लाइन में होने वाला शक्ति व्यय P = i2 S × R
P = (20)2 × 15 = 6000 वाट = 6 किलोवाट।

(b) ∴ संयंत्र द्वारा प्रदान की जाने वाली शक्ति = 800 किलावाट + 6 किलावाट = 806 किलावाट।

(c) सप्लाई लाइन पर विभवपात V = Ip × R
= 20 × 15 = 300 वोल्ट ::
∵ उप-स्टेशन पर लगा ट्रांसफॉर्मर 40000 वोल्ट – 220 वोल्ट प्रकार का है, अत: इसकी
प्राथमिक कुंडली पर विभवपात = 40000 वोल्ट.
∴ संयंत्र पर लगे उच्चायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा प्रदान की जाने वाली वोल्टता = 40000 वोल्ट + 300 वोल्ट
= 40300 वोल्ट
∴ संयंत्र पर लगा ट्रांसफॉर्मर 440 वोल्ट – 40300 वोल्ट प्रकार का होना चाहिए।
सप्लाई लाइन में प्रतिशत शक्ति क्षय = \(\frac{6}{806} \times 100\) = 0.74%

प्रश्न 25 व 26 के हलों से स्पष्ट है कि वैद्युत शक्ति उच्च वोल्टता पर सम्प्रेषित करने से सप्लाई लाइन में होने वाला शक्ति क्षय बहुत घट जाता है। यही कारण है कि वैद्युत उत्पादन संयंत्रों से वैद्युत शक्ति का सम्प्रेषण उच्च वोल्टता पर किया जाता है।

प्रत्यावर्ती धारा NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

प्रत्यावर्ती धारा बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी वोल्टता मापक युक्ति को ac मेंस से जोड़ने पर यह युक्ति 220V स्थिर निवेश वोल्टता दर्शाती है। इसका अर्थ
यह है कि
(a) निवेश वोल्टता ac वोल्टता नहीं हो सकती, परन्तु यह dc वोल्टता है
(b) अधिकतम निवेश वोल्टता 220V है
(c) मापक युक्ति υ का पाठ्यांक नहीं देती अपितु < υ2 > का पाठ्यांक देती है और इसका अंशांकन \(\sqrt{<v^{2}>}\) का पाठ्यांक लेने के लिए किया गया है
(d) किसी यान्त्रिक दोष के कारण मापक युक्ति का संकेतक अटक जाता है।
उत्तर :
(c) मापक युक्ति υ का पाठ्यांक नहीं देती अपितु < υ2 > का पाठ्यांक देती है और इसका अंशांकन \(\sqrt{<v^{2}>}\) का पाठ्यांक लेने के लिए किया गया है

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प्रश्न 2.
किसी जनित्र से श्रेणीक्रम से जुड़े LCR परिपथ की अनुनादी आवृत्ति कम करने के लिए –
(a) जनित्र की आवृत्ति कम करनी चाहिए।
(b) परिपथ में लगे संधारित्र के पार्श्व क्रम में एक अन्य संधारित्र जोड़ना चाहिए।
(c) प्रेरक के लोह-क्रोड को हटा देना चाहिए
(d) संधारित्र के परावैद्युत को हटा देना चाहिए।
उत्तर :
(b) परिपथ में लगे संधारित्र के पार्श्व क्रम में एक अन्य संधारित्र जोड़ना चाहिए।

प्रश्न 3.
संचार में प्रयुक्त LCR परिपथ के अधिक अच्छे समस्वरण के लिए निम्नलिखित में किस संयोजन का चयन करना
चाहिए?
(a) R = 20 Ω, L = 1.5 H, C = 35μF
(b) R = 25 Ω, L= 2.5 H, C = 45μF
(c) R = 15 Ω, L= 3.5 H, C = 30μF
(d) R = 25 Ω, L= 1.5 H, C = 45μF.
उत्तर :
(c) R = 15 Ω, L= 3.5 H, C = 30μF

प्रश्न 4.
1Ω प्रतिबाधा के किसी प्रेरक तथा 2Ω प्रतिरोध के किसी प्रतिरोधक को 6 V (rms) के ac स्रोत से श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। परिपथ में क्षयित शक्ति का मान है
(a) 8w
(b) 12w
(c) 14.4W
(d) 18 W.
उत्तर :
(c) 14.4W

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प्रश्न 5.
किसी अपचायी ट्रांसफार्मर का निर्गम 12W के प्रकाश बल्ब को संयोजित करने पर 24V मापा जाता है। शिखर धारा का मान है –
(a) \(\frac{1}{\sqrt{2}} \mathrm{A}\)
(b) √2 A
(c) 2 A
(d) 2√2 A.
उत्तर :
(a) \(\frac{1}{\sqrt{2}} \mathrm{A}\)

प्रत्यावर्ती धारा अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
यदि किसी LC परिपथ को आवर्ती दोलनकारी स्प्रिंग-ब्लॉक प्रणाली के तुल्य समझा जाता है तब इस LC परिपथ की कौन-सी ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा के और कौन-सी गतिज ऊर्जा के तुल्य होगी?
उत्तर :
LC परिपथ की चुम्बकीय ऊर्जा, गतिज ऊर्जा के तुल्य एवं वैद्युत ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा के तुल्य होगी।

प्रश्न 2.
अत्युच्च आवृत्ति पर चित्र 7.2 में दर्शाए गए परिपथ का प्रभावी तुल्य परिपथ बनाइए और इसकी प्रभावी प्रतिबाधा ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा img 22
उत्तर :
अति उच्च आवृत्ति पर संधारित्र का प्रतिघात (\(X_{c}=\frac{1}{\omega_{C}}=\frac{1}{2.7 f c}\)) बहुत निम्न होगा तथा प्रेरक का प्रतिघात (XL = ωL = 2 πfL) बहुत उच्च होगा। अतः प्रेरक खुले प्रतिरोध की भाँति कार्य करेगा।
अत: दिए गए परिपथ का प्रभावी तुल्य परिपथ, चित्र में दर्शाया गया है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा img 23
इस परिपथ की प्रभावी प्रतिबाधा (Z) = R1 + R3

प्रश्न 3.
चित्र 7.4 (a) एवं (b) में दर्शाए गए परिपथों का अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) किन दशाओं में दोनों परिपथों में rms धारा समान होगी?
(b) क्या परिपथ (a) से परिपथ (b) में rms धारा अधिक हो सकती है?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा img 24
उत्तर :
(a) यदि दोनों परिपथों में लगाए गए प्रत्यावर्ती स्रोत की rms वोल्टता समान है तब अनुनाद की स्थिति में LCR परिपथ में rms धारा, केवल R वाले परिपथ में rms धारा के बराबर होगी।
(b) नहीं, परिपथ (b) में rms धारा परिपथ (a) में rms धारा से अधिक नहीं हो सकती है क्योंकि LCR परिपथ की प्रतिबाधा Z ≥ R, अतः Ia ≥ Ib.

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प्रश्न 4.
कोई युक्ति र किसी ac स्रोत से जुड़ी है। एक पूर्ण चक्र में वोल्टता, धारा एवं शक्ति के परिवर्तन चित्र 7.5 में दर्शाए गए हैं –
(a) कौन-सा वक्र एक पूर्ण वक्र में शक्ति-क्षय दर्शाता है?
(b) एक पूर्ण चक्र में औसत उपमुक्त शक्ति कितनी है?
(c) युक्ति ‘X’ की पहचान कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा img 25
उत्तर :
(a) वक्र A शक्ति-क्षय दर्शाता है।
(b) एक पूर्ण चक्र में औसत उपमुक्त शक्ति शून्य है।
(c) युक्ति ‘X’, L अथवा C अथवा LC है।

प्रश्न 5.
स्पष्ट कीजिए कि संधारित्र द्वारा प्रदत्त प्रतिघात प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति में वृद्धि करने पर कम क्यों हो जाता है?
उत्तर :
संधारित्र द्वारा प्रदत्त प्रतिघात \(\left(X_{C}\right)=\frac{1}{\omega_{C}}=\frac{1}{2 \pi f C}\)
अतः संधारित्र द्वारा प्रदत्त प्रतिघात, प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति में वृद्धि करने पर कम हो जाता है।

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प्रश्न 6.
स्पष्ट कीजिए कि किसी प्रेरक द्वारा प्रदत्त प्रतिघात प्रत्यावर्ती वोल्टता की आवृत्ति में वृद्धि करने पर क्यों बढ़ता है?
उत्तर :
प्रेरक द्वारा प्रदत्त प्रतिघात (XL) = ωL= 2 πfL
अर्थात् XL∝ f
अतः प्रेरक द्वारा प्रतिघात, प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति में वृद्धि करने पर बढ़ता है।

प्रत्यावर्ती धारा आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
0.01 हेनरी प्रेरकत्व तथा 1 ओम प्रतिरोध की कोई कुंडली 200 वोल्ट, 50 हर्ट्स के ac शक्ति प्रदाय से जोड़ी गई है। परिपथ की प्रतिबाधा तथा अधिकतम प्रत्यावर्ती वोल्टता एवं धारा के बीच काल-पश्चता परिकलित कीजिए।
हल :
दिया है, L= 0.01 हेनरी, R = 1 ओम, Vrms = 200 वोल्ट, f = 50 हर्ट्स।
प्रेरण प्रतिघात XL = ωL = 2πfL = 2 x 3.14 x 50 x 0.01= 3.14Ω
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा img 26

प्रश्न 2.
किसी शक्ति केन्द्र से 1 MW शक्ति 10 किमी दूर स्थित किसी शहर को प्रदान की जानी है। कोई व्यक्ति इस उद्देश्य के लिए 0.5 सेमी त्रिज्या के ताँबे के तारों के जोड़े का उपयोग करता है। संचरित शक्ति की ओमीय क्षति के अंश का परिकलन कीजिए जबकि –
(i) शक्ति प्रेषण 220 वोल्ट पर किया जाता है। इस स्थिति की व्यवहार्यता पर टिप्पणी कीजिए।
(ii) किसी उच्चायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा वोल्टता 11000 वोल्ट तक बढ़ाकर शक्ति संचरण किया जाता है और फिर अपचायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा वोल्टता को 220 वोल्ट किया जाता है।
(ρcu = 1.7 × 10-8 SI)
उत्तर :
दिया है, शक्ति (P) = 1 MW = 106 वाट
r = 0.5 सेमी = 0.5 × 10-2 मीटर
l = 10 किमी = 10000 मीटर .
(i)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा img 27
अत: 220 वोल्ट पर शक्ति प्रेषण पर समस्त ऊर्जा दूर स्थित शहर तक पहुँचने से पहले ही ऊष्मा के रूप में क्षय हो जाएगी। अत: यह विधि शक्ति प्रेषण के लिए उपयुक्त नहीं है।

(ii) उच्चायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा वोल्टता बढ़ाने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा img 28
इस प्रकार शक्ति प्रेषण में केवल 3.3% ऊर्जा क्षय हो रहा है। अत: यह विधि शक्ति प्रेषण के लिए उपयुक्त है।

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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

परीक्षा में कभी–कभी वाक्यांश देकर उनके लिए एक शब्द पूछे जाते हैं। कुछ शब्द तथा अर्थ नीचे दिए जा रहे हैं–
1. जो क्षमा न किया जा सके – अक्षम्य
2. जहाँ पहुँचा न जा सके – अगम्य
3. जिसे पहले गिनना उचित हो – अग्रगण्य
4. जिसका जन्म न हो। – अजन्मा
5. ऐसी वस्तु जिसका कोई मूल्य न हो – अमूल्य
6. जो दूर की बात सोचे। – दूरदर्शी
7. जो दूर की बात न सोचे – अदूरदर्शी
8. जिसका पार न हो – अपार
9. जो दिखाई न दे। – अदृश्य
10. जिसके समान कोई न हो – अद्वितीय

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11. जिसका पता न हो – अज्ञात
12. जो थोड़ा जानता हो। – अल्पज्ञ
13. जो सब कुछ जानता हो – सर्वज्ञ
14. जो सब कुछ नहीं जानता हो – अज्ञ
15. जो कभी बूढ़ा न हो – अजर
16. जो वेतन पर काम करे – वैतनिक
17. जो ऊपर कहा गया हो – उपर्युक्त
18. जो आशा से कहीं बढ़कर हो – आशातीत
19. जिसका कोई आधार न हो – निराधार
20. जो नष्ट न हो सके – अक्षय
21. चारों ओर चक्कर काटना – परिक्रमा
22. जो उचित समय पर न हो – असामयिक
23. जिसका पति मर चुका हो – विधवा
24. जिसकी पत्नी मर चुकी हो – विधुर
25. काँसे का बर्तन बनाने वाला – कसेरा
26. जिसे कर्त्तव्य नहीं सूझ रहा हो – किंकर्तव्यविमूढ़
27. जो उपकार को माने – कृतज्ञ
28. जो उपकार को न माने – कृतघ्न
29. जो आँखों के सामने हो – प्रत्यक्ष
30. जो आँखों के सामने न हो – परोक्ष.

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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अनेकार्थक शब्द

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अनेकार्थक शब्द

प्रश्न 1.
अनेकार्थक शब्द की परिभाषा सोदाहरण दीजिए।
उत्तर –
प्रसंगानुसार भिन्न अर्थों में प्रयुक्त होने वाले अनेकार्थक शब्द कहलाते हैं;

जैसे –
काम – कामदेव, इच्छा, कार्य।
अम्बर – आकाश, वस्त्र।
उत्तर – हल, उत्तर दिशा, जवाब, बाद में।

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महत्त्वपूर्ण अनेकार्थ शब्द

1. अंक – गोद, चिह्न, नाटक का अंक, संध्या, पुण्य, अध्याय।
2. अंग – भाग, एक देश, शरीर का होई हिस्सा।
3. अनंत – अंतहीन, आकाश, विष्णु।
4. अर्क – सूर्य, काढ़ा या तत्त्व, आक का पौधा।
5. अर्थ – धन, मतलब, कारण, लिए, प्रयोजन।
6. अक्ष – आँख, सर्प, शान, धुरी, रथ, आत्मा, कील, मण्डल।
7. अज – बकरा, मेष राशि, दशरथ के पिता, ब्रह्मा, शिव, जीव।
8. अहि – सूर्य, साँप, कष्ट।
9. अक्षर – ब्रह्मा, विष्णु ‘अ’ आदि अक्षर, शिव, धर्म, मोक्ष ।
10. अच्युत – अविनाशी, स्थिर, कृष्ण, विष्णु।
11. आम – आम का फल, सर्वसाधारण, सामान्य।
12. अंतर – अवधि, आकाश, अवसर, मध्य, छिद्र।
13. अरुण – लाल, सूर्य, सूर्य का सारथि, सिन्दूर, वृक्ष, संध्या, राग।
14. अमृत – जल, दूध, अन्न, पारा।
15. अतिथि – मेहमान, साधु, यात्री, अपरिचित, राम का पोता या कुश का बेटा।
16. अपवाद – नियम के विरुद्ध, कलंक।
17. आपत्ति – मुसीबत, एतराज।
18. अलि – भौ .., पंक्ति, सखी।
19. अशोक – शोकरहित, एक प्रसिद्ध राजा, एक वृक्ष ।
20. अयन – घर, मार्ग, स्थान, आधा वर्ष ।
21. आराम – बाग, विश्राम, शांति।
22. आली – पंक्ति, सखी।
23. अर्थी – इच्छुक, मुर्दा रखने का तख्ता, याचक
24. अचल – पर्वत, स्थिर।
25. अवस्था – आयु, दशा।
26. ईश्वर – मालिक, धनी, परमात्मा।
27. इन्दु – चन्द्र, कपूर, नाम।
28. उत्तर – एक दिशा, जवाब, हल।
29. कंद – मिश्री, वह जड़ जो गुद्देदार और बिना रेशे के हो।
30. कनक – धतूरा, सोना।

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31. कला – किसी कार्य को करने की कुलशता, अंश, चन्द्र का सोलहवाँ भाग, शिल्प आदि विद्या।
32. कटाक्ष – तिरछी नजर, व्यथा, आक्षेप।
33. कसरत – व्यायाम, अधिकता।
34. काम – कामदेव, इच्छा, कार्य।
35. केतु – पताका या ध्वजा, एक ग्रह, पुच्छल तारा।
36. कृष्ण – काला, भगवान कृष्ण, वेद व्यास।
37. केवल – एकमात्र, विशुद्ध नाम।
38. कर – हाथ, लँड, किरण, टैक्स, करने की आज्ञा।
39. कोट – किला, पहनने का कोट ।
40. कोटि – करोड़, धनुष का सिरा, श्रेणी।
41. कषाय – कसैला, गेरू के रंग का।
42. कौरव – गीदड़, धृतराष्ट्र।
43. कुशल – खैरियत, चतुर ।
44. कबंध – एक राक्षस विशेष, पेटी (कमरबंध), राहु, धड़।
45. कल – कल आने वाला, दूसरा दिन, बीता हुआ दूसरा दिन, मशीन, सुंदर, चैन, ध्वनि।
46. काल – समय मृत्यु, यम, शिव, अकाल ।
47. केश – बाल, बादल, शुण्ड, बृहस्पति का बेटा।
48. कुम्भ – हाथी का मस्तक, राक्षस का नाम, तीर्थस्थल।
49. खर – गधा, दुष्ट, तीक्ष्ण, तिनका।
50. खल – दुष्ट, धतूरा, दवा आदि कूटने का खल।
51. गुण – रस्सी, विशेषता, तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण।
52. गौ – भूमि, दिशा, वाणी, नेत्र, स्वर्ग, आकाश, शब्द

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53. गुरु – आचार्य, बड़ा, भारी, दो मात्राओं का अक्षर, देवताओं के गुरु बृहस्पति।
54. गण – समूह, भूत – प्रेतादि, शिव के सेवक।
55. गति – चाल, हालत, मोक्ष।

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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण विलोम शब्द

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण विलोम शब्द

प्रश्न 1.
विलोम शब्द की परिभाषा सोदाहरण दीजिए।
उत्तर-
एक-दूसरे के विपरीत या उल्टा, अर्थ बतलाने वाले शब्द विलोम शब्द कहलाते हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि संज्ञा शब्द का विलोम या विपरीत शब्द संज्ञा ही होगा और विशेषण शब्द का विलोम शब्द विशेषण शब्द ही होगा;

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जैसे-
अनुराग = विराग,
आकाश = पाताल,
आज = कल आदि।

महत्त्वपूर्ण विलोम शब्द
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण विलोम शब्द img-1
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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण विलोम शब्द img-3
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण विलोम शब्द img-4
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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण पर्यायवाची शब्द

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण पर्यायवाची शब्द

प्रश्न 1.
पर्यायवाची शब्द की परिभाषा सोदाहरण दीजिए।
उत्तर –
पर्यायवाची शब्दों को समानार्थक या प्रतिशब्द भी कहते हैं। जिन शब्दों के अर्थों में समानता हो, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं।

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जैसे –
अग्नि – आग, पावक, दहन, अनल, हुताशन, कृशानु।
असुर – दानव, दनुज, दैत्य, राक्षस, तमीचर, रजनीचर।

महत्त्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द
1. आकाश – व्योम, गगन, नभ, अम्बर, अन्तरिक्ष, आसमान, अनन्त।
2. कमल – पंकज, सरोज, अरविन्द, शतदल, राजीव, जलज, पद्म, कंज, अम्बुज।
3. चन्द्रमा – हिमांशु, शशि, चन्द्र, सोम, सुधाकर, सुंधाशु, इन्दु, राकापति, राकेश।
4. सूर्य – रवि, दिनकर, भास्कर, पतंग, सविता, आदित्य, भानु।
5. समुद्र – उदधि, सागर, सिन्धु, तोयनिधि, रत्नाकर, पारावार।
6. हवा – वायु, समीर, पवन, प्रभंजन, बयार।
7. तालाब – सर, ताल, सरसी, पुष्कर, जलाशय।
8. अग्नि – पावक, हुताशन, दहन, अनल।
9. जल – नीर, पानी, सलिल, वारि, पय।
10. हाथी – गज, कुंजर, द्विरद, करी, द्वीप, हस्ती।।
11. पर्वत – भूधर, गिरि, नग, तुंग, पहाड़, महीधर।
12. पक्षी – विहग, खग, विहंग, पखेरू, अंडज।
13. घोड़ा – अश्व, हय, बाजि, तुरंग, घोटक।
14. रात – रैन, निशि, रात्रि, यामिनी, तमी।
15. आँख – लोचन, नेत्र, नयन, दृग, चक्षु।
16. सर्प – भुजंग, व्याल, साँप, नाग, फणी, अहि, पन्नग, विषधर।
17. राजा – नृप, भूप, महीप, नरेश, सम्राट, भूपति।
18. फूल – सुमन, पुष्प, कुसुम, प्रसून।
19. अमृत – सुधा, अमी, अभिय, पीयूष।
20. स्त्री – नारी, अबला, बनिता, रमणी, अगना।

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21. सोना – स्वर्ण, हेम, कंचन, कनक, कलधौत।
22. विष – गरल, हलाहल, कालकूट।
23. माता – जननी, अम्बिका, अम्बा, धात्री।
24. मयूर – केकी, शिखण्डी, कलापी, मोर, शिखी।
25. पृथ्वी – भू, धरा, भूमि, वसुंधरा, साडी, वसुमती।
26. बिजली – विद्युत, तड़ित, सौदामिनी, शम्पा, चंचला।
27. घर – गृह, गेह, निकेतन, सदन, धाम, मंदिर।
28. सिंह – शेर, नाहर, व्याघ्र, मृगेन्द, मृगराज।
29. भौंरा – भ्रमर, मधुप, मधुकर, अलि, भृग, मलिन्द।
30. जंगल – वन, विपिन, कानन, अरण्य।
31. बन्दर – कपि, मर्कट, शाखामृग, बानर।
32. नदी – सरिता, तरंगिनी, तटनी।
33. पाँव – पद, पैर, चरण, पग।
34. पेड़ – विटप, वृक्ष, पादप, तरु।
35. महादेव – पशुपति, शिव, शंकर, त्रिलोचन, गिरीश, कैलाशपति।
36. आनंद – हर्ष, मोद, प्रमोद, उल्लास।
37. फूल – सुमन, पुष्प, कुसुम, प्रसून।
38. मनुष्य – मानव, नर, मनुज, आदमी।
39. रास्ता – पथ, राह, मार्ग, पन्थ।
40. असुर – दनुज, दानव, राक्षस, दैत्य, निशाचर।
41. गंगा – भागीरथी, सुरसरि, जाह्नवी, मन्दाकिनी।
42. शत्रु – रिपु, बैरी, प्रतिपक्षी।
43. तलवार – कृपाण, करवाल, आलि, खड्ग।
44. गणेश – विनायक, गजानन, गिरजानन्दन।
45. इन्द्र – सुरेश, पुरन्दर, शचीपति।
46. पुत्र – सुत, वत्स, तात, आत्मज, तनय।
47. दुःख – पीड़ा, व्यथा, वेदना, कष्ट, क्लेश।
48. देवता – देव, सुर, अमर, अमर्त्य।
49. कपड़ा – वस्त्र, पट, अम्बर, वसन, चीर, दुकूल।
50. पुत्री – तनया, बेटी, सुता, आत्मजा, दुहिता, नन्दिनी, तनुजा।
51. संसार – जग, जगत, दुनिया, विश्व, लोक।
52. सखा – मित्र, मीत, प्रिय, स्नेही।

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अति महत्त्वपूर्ण परीक्षोपयोगी पर्यायवाची शब्द
1. पत्थर – पाषाण, प्रस्तर, पाहन।
2. सेना – कटक, दल, फौज, सैन्य।
3. समूह – वृन्द, गण, पुंज, मण्डी, समुदाय।
4. रक्त – लहू, खून, शोणित, रुधिर।
5. सुन्दर – चारू, रम्य, रुचिर, मनोहर।
6. मछली – मीन, झख, मत्स्य, शफरी।
7. पत्नी – भार्या, बधू, बहू, गृहिणी, तिय।
8. बेल – लता, बल्लरी, बेलि।
9. नौका – नाव, तरिणी, तरी, जलयान।
10. धनुष – चाप, शरासन, कोदण्ड, पिनाक।

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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द

प्रश्न 1.
समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द से क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर-
हिन्दी में ऐसे अनेक शब्द प्रयुक्त होते हैं जिनका उच्चारण मात्रा या वर्ण के हल्के हेर-फेर के सिवा प्रायः समान होते हैं, किन्तु अर्थ में भिन्नता होती है, उन्हें समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द या युग्म शब्द कहा जाता है।

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इनके उदाहरण इस प्रकार हैं-

1. अंस = कंधा
अंश = भाग

2. अग = जड़, अगतिशील
अघ = पाप

3. अनल = आग
अनिल = वायु

4. अन्न = अनाज
अन्य = दूसरा

5. अपेक्षा = तुलना में, आवश्यकता
उपेक्षा = अवहेलना

6. अलि = भौंरा
आली = सखी

7. अवलम्ब = सहारा
अविलम्ब = शीघ्र

8. अविराम = निरंतर
अभिराम = सुन्दर

9. आकर = खान
आकार = रूप

10. आदि = आरंभ
आदी = अभ्यस्त

11. आवरण = ढकना
आभरण = अलंकरण

12. आहत = घायल
आहट = आवाज

13. आहुत = हवन किया गया
आहूत = निमंत्रित

14. उद्योत = प्रकाश
उद्योग = प्रयत्न

15. उद्धार = मुक्ति
उधार = ऋण

16. कर्म = काम
क्रम = बारी, सिलसिला

17. कलि = कलयुग
कली = फूल की कली

18. कन = वंश
कुल = किनारा

19. कोप = खजाना
कोस = दूरी का माप (दो मील)

20. क्षति = हानि
क्षिति = पृथ्वी

21. गृह = घर
ग्रह = तारे (बुध, शुक्र आदि)

22. चरम = अंतिग।
चर्म = खाल

23. चीर = वस्त्र
चीड़ = एक वृक्ष का नाम

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24. छात्र = विद्यार्थी.
क्षात्र = क्षत्रिय-संबंधी

25. जलज = कमल
जलद = बादल

26. तरणि = सूर्य
तरणी = नाव

27. दूत = संदेश पहुँचाने वाला
द्यूत = जुआ

28. नगर = शहर
नाग = सर्प हाधी

29. निर्वाण = मुक्ति
निर्माण = रचन

30. नीड़ = घोंसला
नीर = पानी

31. पानी = जल
पाणि = हाथ

32. पालतू = पाला हुआ
फालतू = व्यर्थ

33. पुरुष = आदमी
परुष = कठोर

34. प्रणाम = नमस्कार
प्रमाण = सबूत

35. प्रवाह = बहाव
प्रभाव = असर

36. प्रसाद = देवता को चढ़ाया भोग, कृपा
प्रासाद = महल

37. बात = कथन
वात = वायु

38. बेर = एक फल
बैर = शत्रुभाव

39. मध्य = बीच
मद्य = शराब

40. मनोज = कामदेव
मनोज्ञ = सुन्दर

41. मूल = जड़
मूल्य = कीमत

42. याम = पहर
जाम = प्याला

43. रीति = प्रथा
रीती = खाली

44. रेखा = पंक्ति
लेखा = हिसाब

45. लक्ष्य = निशाना
लक्ष = लाख

46. वसन = वस्त्र
व्यसन = कुटेव

47. शुक्ल = स्वच्छ, सफेद
शुल्क = फीस

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48. शूर = योद्धा
सूर = सूरदास, अंधा

49. संकर = मिश्रित
शंकर = शिव

50. सकल = पूरा
शकल = टुकड़ा

51. सर = तालाब
शर = बाण

52. सुत = बेटा
सूत = सारथी, कच्चा धागा

53. स्वेद = पसीना
श्वेत = सफेद

54. हर = शिव
हरि = विष्णु

समरूपी भिन्नार्थक शब्द-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द img-1
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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण प्रत्यय

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण प्रत्यय

जो शब्दांश किसी शब्द या धातु के अन्त में जुड़कर नए अर्थ का ज्ञान कराते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। जैसे–कड़वाहट, लकड़पन, सज्जनता। ‘हट’, ‘पन’, ‘ता’ ये सभी प्रत्यय के रूप हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शब्द के अंत में प्रत्यय लगने से उनके अर्थ में विशेषता एवं भिन्नता उत्पन्न हो जाती है।

प्रत्यय के दो प्रकार हैं–

  1. कृदन्त,
  2. तद्धित।

1. कृदन्त प्रत्यय
कृदन्त प्रत्यय वे प्रत्यय होते हैं, जो धातुओं (क्रियाओं) के अन्त में लगाए जाते हैं। हिन्दी में कृदन्त प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं।

1. कृतवाचक कृदन्त–जो प्रत्यय कर्ता का बोध कराते हैं, वे कृतवाचक कृदन्त होते हैं।
जैसे
(क) राखन + हारा = राखनहारा।
(ख) पालन + हारा = पालनहारा।
(ग) मिलन + सार = मिलनसार।

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उदाहरण के लिए कुछ कृदन्त प्रत्यय इस प्रकार हैं
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण प्रत्यय img-1
2. कर्मवाचक–ये वे कृदन्त हैं, जो सकर्मक क्रिया में ना, नी, प्रत्यय लगाने से बनते हैं।

जैसे –
नि – चाटना–चटनी, सूंघनी, ओढ़नी।
ना – ओढ़ना–ओढ़ना।
हुआ – लिखना–लिखा

3. क्रिया बोधक–जो क्रिया के अर्थ का बोध कराते हैं, वे क्रिया बोधक कृदन्त कहलाते हैं।
जैसे-
सोता + हुआ = सोता हुआ।
पंच + आयत = पंचायत।
गाता + हुआ = गाता हुआ।
आढ़त + इया = आढ़तिया।

4. करण वाचक–जो क्रिया के साधन का बोध कराते हैं, वे करण वाचक कृदन्त कहलाते हैं। जैसे
कूट + नी = कूटनी।।
चास + नी = चासनी।

उदाहरण के लिए कुछ करण वाचक प्रत्यय–
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण प्रत्यय img-2

5. भाववाचक कृदंत–वे कृदंत हैं जो किसी भाव या क्रिया के व्यापार का व्रोध कराते हैं।

जैसे–
थक + आवट = थकावट।
मिल + आवट = मिलावट ।
धुल + आई = धुलाई।

उदाहरण के लिए कुछ भाववाचक कृदन्त
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण प्रत्यय img-3

2. तद्धित प्रत्यय

तद्धित प्रत्यय वे होते हैं, जो संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और अव्यय के पीछे लगाए जाते हैं। तद्धित प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं, जैसे–..
1. कृतवाचक–तद्धित जो कर्ता का बोध कराते हैं, कृतवाचक तद्धित कहलाते हैं,
जैसे –
सोना + आर = सुनार
तेल + इया = तेलिया
गाड़ी + वाला = गाड़ीवाला
माला + ई = माली
घोड़ा + वाला = घोड़ावाला
लकड़ + हारा = लकड़हारा
लोहा + आर = लुहार
भाँग + एड़ी = भँगेड़ी

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2. भाववाचक–जिनसे किसी प्रकार का भाव प्रकट होता है, उसे भाववाचक प्रत्यय कहते हैं,

जैसे–
ममता + त्व = ममत्व
बुनाई + वट = बुनावट
बूढ़ा + पा = बुढ़ापा
लड़का + पन = लकड़पन
कड़वा + हट = कड़वाहट
मीठा + स = मिठास

3. अपत्य वाचक–वे तद्धित जो सन्तान के अर्थ का बोध कराते हैं, उन्हें अपत्य वाचक तद्धित कहतें हैं।
जैसे–
अ – वसुदेव, मनु–मानव, रघु–राघव।
इ – मारुत–मारुति।
ई – रामानन्द–समानन्दी, दयानंद–दयानंदी, आयन–नर–नारायण, रामा–रामायण, एव–गंगा–गांगेय, राधा–राधेय।

4. गुण वाचक–जिससे किसी का गुण मालूम हो, उसे गुंण वाचक तद्धित कहते हैं।

जैसे–
गुण + वान = गुणवान
भूख + आ = भूखा
बुद्धि + वान = बुद्धिवान
भ + ई = लोभी
प्यास + आ = प्यासा
चचा + एरा = चचेरा
घर + ऊ = घरू.

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5. ऊन वाचक–ऊन वाचक संज्ञाओं में वस्तु की लघुता, ओछापन, हीनता आदि का भाव व्यक्त किया जाता है

जैसे–
लोटा + इया = लुटिया
पहाड़ + ई = पहाड़ी
खाट + इया = खटिया
कोठ + री = कोठरी

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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण उपसर्ग

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण उपसर्ग

वे शब्दांश जो किसी शब्द में जुड़कर उसका अर्थ परिवर्तित कर देते हैं। उपसर्गों का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता; फिर भी वे अन्य शब्दों के साथ मिलकर एक विशेष अर्थ का बोध कराते हैं। उपसर्ग सदैव शब्द के पहले आता है, जैसे-‘परा’ उपसर्ग को ‘जय’ के पहले रखने से एक नया शब्द ‘पराजय’ बन जाता है। जिसका अर्थ होता है-हार।

उपसर्ग के शब्द में तीन प्रकार की स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।

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जैसे-
1. शब्द के अर्थ में विपरीतता आ जाती है।
2. शब्द के अर्थ में नूतनता आ जाती है।
3. शब्द के अर्थ में कोई नया परिवर्तन नहीं होता।
उत्तर-
हिन्दी भाषा में उपसर्ग तीन भाषाओं के हैं
(a) संस्कृत उपसर्ग
(b) हिन्दी उपसर्ग
(c) उर्दू उपसर्ग।

(a) संस्कृत उपसर्ग
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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण उपसर्ग img-4

उपसर्ग के समान प्रयुक्त होने वाले कुछ अन्य शब्द
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण उपसर्ग img-5
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण उपसर्ग img-6

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(b) हिन्दी उपसर्ग
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(c) उर्दू उपसर्ग
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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह

जब परस्पर संबंध रखने वाले शब्दों को मिलाकर उनके बीच आई विभक्ति आदि का लोप करके उनसे एक पद बना दिया जाता है, तो इस प्रक्रिया को समास कहते हैं। जिन शब्दों के मूल से समास बना है उनमें से पहले शब्द को पूर्व पद और दूसरे शब्द को उत्तर पद कहते हैं। जैसे–पालन–पोषण में ‘पालन’ पूर्व पद है और ‘पोषण’ उत्तर पद है। और ‘पालन–पोषण’ समस्त पद है।

समास में कभी पहला पद प्रधान होता है, कभी दूसरा पद और कभी कोई अन्य पद प्रधान होता है जिसका नाम प्रस्तुत सामासिक शब्द में नहीं होता और प्रस्तुत सामासिक शब्द तीसरे पद का विशेषण अथवा पर्याय होता है।

कुछ समासों में विशेषण विशेष्य के आधार पर और कुछ में संख्यावाचक शब्दों के आधार पर और कहीं अव्यय की प्रधानता के आधार पर तो कुछ समासों में विभक्ति चिह्नों की विलुप्तता के आधार पर तो कुछ समासों में विभक्ति चिहों की विलुप्तता के आधार पर इस बात का निर्णय किया जाता है कि इसमें कौन–सा समास है।

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विग्रह–समस्त पद को पुनः तोड़ने अर्थात् उसके खंडों को पृथक् करके पुनः विभक्ति आदि सहित दर्शाने की प्रक्रिया का नाम विग्रह है।

जैसे–
गंगाजल शब्द का विग्रह होगा गंगा का जल।
इस तरह तत्पुरुष समास के छः भेद होते हैं।
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह img-1

1. अव्ययीभाव समास
इन शब्दों को पढ़िए–
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह img-2

इन सामाजिक शब्दों में प्रथम पद अव्यय और प्रधान या उत्तर पद संज्ञा, विशेषण या क्रिया है।

जिन सामासिक शब्दों में प्रथम पद प्रधान और अव्यय होता है, उत्तर पद संज्ञा, विशेषण या क्रिया–विशेषण होता है वहाँ अव्ययीभाव समास होता है।

2. तत्पुरुष समास
इन शब्दों को पढ़िए–
“शरणागत, तुलसीकृत, सत्याग्रह, ऋणमुक्त, सेनापति, पर्वतारोहण।
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह img-3

उपर्युक्त सामासिक शब्दों में ‘को’, ‘द्वाय’, के लिए, से, का, के, की, ‘पर’ संयोजक शब्द बीच में छिपे हुए हैं जो कारक की विभक्तियाँ हैं। दोनों शब्दों के बीच में कर्ता तथा संबोधन कारकों की विभक्तियों को छोड़कर अन्य कारकों की विभक्तियों का लोप होता है।

जिन सामासिक शब्दों के बीच में कर्म है. लेकर अधिकरण कारक की विभल्लियों का लोप होता है तथा उत्तर पद प्रधान होता है, वे तत्पुरुष समास कहलाते है

(i) कर्म तत्पुरुष समास–
उदाहरण–यशप्राप्त, आशातीत, जेबकतरा, परिलोकगमन।
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह img-4
जिस समस्त पद में कर्म कारक की विभक्ति (को) का लोप होता है उसे कर्म तत्पुरुष कहते हैं।

(ii) करण तत्पुरुष–इन उदाहरणों को देखिए
शब्द – विग्रह
शोकातुर – शोक से आतुर।
मुँहमाँगा – मुँह से माँगा।

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जिस समस्त पद में करण कारक (से) की विभक्ति का लोप होता है उसे करण तत्पुरुष कहते हैं।
(ii) सम्प्रदान तत्पुरुष
उदाहरण–
शब्द – विग्रह
विद्यालय – विद्या के लिए घर।
गौशाला – गौ के लिए शाला।
डाक व्यय – डाक के लिए व्यय।

जिसं समस्त पद में सम्प्रदान कारक (के लिए) की विभक्ति का लोप होता है, उसे सम्प्रदान तत्पुरुष कहते हैं।

(iv) अपादान तत्पुरुष
उदाहरण–
शब्द – विग्रह
शक्तिविहीन – शक्ति से विहीन।
पथभ्रष्ट – पथ से भ्रष्ट।
जन्मांध – जन्म से अंधा।
धर्मविमुख – धर्म से विमुख।

जिस सामासिक शब्द में अपादान कारक (से) की विभक्ति का लोप होता है, उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते हैं।
नोट–तृतीया विभक्ति करण कारक और पंचमी विभक्ति अपादान कारक की विभक्तियों के चिह्न ‘से’ में एकरूपता होते हुए भी अर्थ में भिन्नता है। करण कारक का ‘से’ का प्रयोग संबंध जोड़ने के अर्थ में प्रयुक्त होता है और अपादान का ‘से’ संबंध–विच्छेद के अर्थ में प्रयुक्त होता है।

(v) संबंध तत्पुरुष समास–
उदाहरण–
शब्द – विग्रह
रामकहानी – राम की कहानी।
प्रेमसागर – प्रेम का सागर।
राजपुत्र – राजा का पुत्र।
पवनपुत्र – पवन का पुत्र।
पराधीन – पर के अधीन।

अर्थात्
जिस सामासिक शब्द में संबंध कारक की विभक्तियों (का, के, की) का लोप . होता है उसे संबंध तत्पुरुष समास कहते हैं।

(vi) अधिकरण तत्पुरुष
उदाहरण–
शब्द – विग्रह
शरणागत – शरण में आया।
घुड़सवार – घोड़े पर सवार।
लोकप्रिय – लोक में प्रिय।

अर्थात्
जिस सामासिक शब्द में अधिकरण (में, पे, पर) कारक की विभक्तियों का लोप होता है उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं।

3. कर्मधारय समास
महात्मा, शुभागमन, कृष्णसर्प, नीलगाय ।
महात्मा – महान है जो आत्मा।
शुभागमन – जिसका आगमन शुभ है।
कृष्णसर्प – सर्प जो काला है।
नीलगाय – गाय जो नीली है।

उपयुक्त सामासिक शब्दों में पहला पद विशेषण है दूसरा पद विशेष्य अर्थात् दूसरे पद की विशेषता पहला पद बता रहा है।

इन शब्दों को पढ़िए–

शब्द – विग्रह
कनकलता – कनक के समान लता।
कमलनयन – कमल के समान नयन।
घनश्याम – घन के समान श्याम।
चंद्रमुख – चंद्र के समान मुख।
मृगलोचन – मृग के समान नेत्र।

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इन शब्दों में पहले पद की तुलना दूसरे पद से की है। अर्थात् पहला पद उपमान और दूसरा पद उपमेय है।

जब सामासिक शब्द में विशेषण विशेष्य का भाव हो या उपमेय उपमान का भाव हो तब कर्मधारय समास होता है।

इस आधार पर कर्मधारय समास भी दो प्रकार के होते हैं
1. विशेषण विशेष्य कर्मधारय–जैसे– नीलकंठ, महाजन, श्वेताम्बर, अधपका।
2. उपमेयोपमान कर्मधारय–जैसे–करकमल, प्राणप्रिय, पाणिपल्लव, हंसगाभिनी।

4. दिगु समास –
इन शब्दों को पढ़िए
पंचतंत्र, शताब्दी, सप्ताह, त्रिभुवन, त्रिलोक, नवरत्न, दशानन, नवनिधि, चतुर्भुज, . दुराहा। इनका विग्रह इस प्रकार होगा– .

शब्द – विग्रह
पंचतंत्र – पाँच तंत्रों का समूह या समाहार।
शताब्दी – सो वर्षों का समाहार या समूह।
सप्ताह – सात दिनों का समूह।
त्रिभुवन – तीन भवनों का समूह।
त्रिलोक – तीन लोकों का समूह।
नवरत्न – नौ रत्नों का समूह।
दशानन – दस मुखों का समूह।
नवनिधि – नौ निधियों का समूह।

इस प्रकार के शब्दों में पहले पद में संख्यावाचक शब्द का प्रयोग हुआ है।
जिस समास में प्रथम पद संख्यावाचक विशेषण हो और समस्त पद के द्वारा समुदाय का बोध हो, उसे द्विगु समास कहते हैं।

5. द्वन्द्व समास–इन शब्दों को पढ़िए–
सीता–राम – सीता और राम।
धर्मा–धर्म – धर्म या अधर्म।

दोनों पद प्रधान होते हैं। सामासिक शब्द में मध्य में स्थित योजक शब्द और अथवा, वा का लोप हो जाता है उसे द्वन्द्व समास कहते हैं।’
इन समासों को पढ़िए माता–पिता, गंगा–यमुना, भाई–बहिन, नर–नारी, रात–दिन, हानि–लाभ
समास विग्रह

शब्द – विग्रह
माता–पिता – माता और पिता।
गंगा–यमुना – गंगा और यमुना।
भाई–बहिन – भाई और बहिन।
रात–दिन – रात और दिन।

उपर्युक्त शब्दों में दोनों पद प्रधान हैं, सामासिक शब्द के बीच में योजक शब्द ‘और’ लुप्त हो गया है। कुछ शब्द इस प्रकार हैं
शब्द – विग्रह
भला–बुरा – भला या बुरा।
छोटा–बड़ा – छोटा या बड़ा।
थोड़ा–बहुत – थोड़ा या बहुत।
लेन–देन – लेन या देन।

इन शब्दों में ‘या’ अथवा ‘व’ योजक शब्दों का लोप रहता है। उपर्युक्त शब्द परस्पर विरोधीभाव के बोधक होते हैं।
इन शब्दों को पढ़िए–

दाल–रोटी – दाल और रोटी।
कहा–सुनी – कहना और सुनना।
रुपया–पैसा – रुपया और पैसा।
खाना–पीना – खाना और पीना।

इन शब्दों में प्रयुक्त पदों के अर्थ के अतिरिक्त उसी प्रकार का अर्थ साथ वाले पद से सूचित होता है। उपर्युक्त उदाहरणों में हमने तीन तरह की स्थितियाँ देखीं।

पहले उदाहरणों में दोनों पद प्रधान हैं, ‘और’ योजक शब्द का लोप हुआ है। इसे इतरेतर द्वन्द्व कहते हैं।
दूसरे उदाहरणों में दोनों पद प्रधान होते हुए परस्पर विरोधी भाव के बोधक हैं, ‘और’ योजक शब्द से जुड़े हैं। इसे वैकल्पिक द्वन्द्व कहते हैं। .
तीसरे उदाहरणों में प्रयुक्त पदों के अर्थ के अतिरिक्त उसी प्रकार का अर्थ द्वितीय पद से सूचित होता है। इसे समाहार द्वन्द्व कहते हैं।

6. बहुब्रीहि समास

इन शब्दों को पढ़िए
1. गिरिधर – गिरि को धारण करने वाला अर्थात् ‘कृष्ण’।
2. चतुर्भुज – चार भुजाएँ हैं जिसकी अर्थात् ‘विष्णु’ ।
3. गजानन – गज के समान आनन (मुख) है जिसका अर्थात् ‘गणेश’।
4. नीलकंठ – नीला है कंठ, जिसका अर्थात् ‘शिव’ ।
5. पीताम्बर – पीले वस्त्रों वाला ‘कृष्ण’ । उपर्युक्त सामासिक शब्दों में दोनों पद प्रधान नहीं हैं। दोनों पद तीसरे अर्थ की ओर संकेत करते हैं।

जैसे–
अर्थात् – कृष्ण।
अर्थात् – विष्णु।

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जिन सामासिक शब्दों में दोनों पद किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं उन्हें बहुब्रीहि समास कहते हैं।

बहुब्रीहि और कर्मधारय समास में अन्तर–
कर्मधारय समास में दूसरा पद प्रधान होता है और पहला पद विशेष्य के विशेषण का कार्य करता है।

उदाहरण के लिए–
नीलकंठ का विशेषण है नीला–कर्मधारय। नीलकंठ–नीला है कंठ जिसका अर्थात ‘शिव–बहुब्रीहि समास बहुब्रीहि समास में दोनों पद मिलकर तीसरे पद की विशेषता बताते हैं।

बहुब्रीहि और द्विगु में अंतर–जहाँ पहला पद दूसरे पद की विशेषता संख्या में बताता है। वहाँ द्विगु समास होता है। जहाँ संख्यावाची पहला पद और दूसरा पद मिलकर तीसरे पद की विशेषता बताते हैं वहाँ बहुब्रीहि समास होता है।

जैसे–
चतुर्भुज – चार भुजाओं का समूह – द्विगु समास।
चतुर्भुज – चार भुजाएँ हैं जिसकी अर्थात् ‘विष्णु’– बहुब्रीहि समास

समास को पहचानने के कुछ संकेत–

  1. अव्ययी भाव समास – प्रथम पद प्रधान और अव्यय होता है।
  2. तत्पुरुष समास – दोनों पदों के बीच में कारक की विभक्तियों का लोप होता है और उत्तम पद प्रधान होता है।
  3. कर्मधारय समास प्रथम पद विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है। या उपमेय उपमान का भाव होता है।
  4. द्विगु समास – प्रथम पद संख्यावाचक।
  5. द्वन्द्व समास – दोनों पद प्रधान होते हैं और समुच्चय बोधक शब्द से जुड़े होते हैं।
  6. बहुब्रीहि समास – दोनों पद को छोड़कर अन्य पद प्रधान होता है।

1. अव्ययी भाव समास
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह img-5
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह img-6

संधि और समास में अन्तर
सन्धि और समास में मख्य रूप से अन्तर यह है कि सन्धि दो वर्णों (अ. आ. इ, क, च आदि) में होती हैं, जबकि समास दो या दो से अधिक शब्दों में होता है। सन्धि में शब्दों को तोड़ने की क्रिया को ‘विच्छेद’ कहते हैं और समास में सामासिक पद को तोड़ने की क्रिया को ‘विग्रह’ कहते हैं। ..

2. तत्पुरुष समास
तत्पुरुष के भेद

(i) कर्म तत्पुरुष
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(ii) करण तत्पुरुष
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(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष
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(iv) अपादान तसुरुष
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह img-11

(v) संबंध तत्पुरुष
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह img-12

(vi) अधिकरण तत्पुरुष
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण समास-विग्रह img-13
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एकाधिक शब्दों का लोप-
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3. कर्मधारय समास
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उपमेयोपमान कर्मधारय समस्त
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4. द्विगु समास
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5. द्वन्द्व समास
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6. बहुब्रीहि समास
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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
चित्र 6.1 (a) से (f) में वर्णित स्थितियों के लिए प्रेरित धारा की दिशा की प्रागुक्ति (predict) कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 1
उत्तर :
(a) लेन्ज के नियम के अनुसार कुंडली का चुम्बक के दक्षिण ध्रुव के सामने वाला पृष्ठ, चुम्बक की गति का विरोध करेगा अर्थात् यह पृष्ठ दक्षिणी ध्रुव बनेगा। इसके लिए प्रेरित धारा qrpq मार्ग का अनुसरण करेगी।

(b) कुंडली pq का, चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव के सामने का पृष्ठ, दक्षिणी ध्रुव के पास आने का विरोध करेगा अर्थात् यह सिरा दक्षिणी ध्रुव बनेगा। इसके लिए प्रेरित धारा prqp मार्ग का अनुसरण करेगी। कुंडली xy का, चुम्बक के उत्तरी ध्रुव के सामने वाला पृष्ठ, उत्तरी ध्रुव के दूर जाने का विरोध करेगा अर्थात् दक्षिणी ध्रुव बनेगा। इसके लिए कुंडली
xy में धारा xyzx मार्ग का अनुसरण करेगी।

(c) जब प्रथम कुंडली से जुड़ी कुंजी दबाते हैं तो इसमें धारा शून्य से महत्तम मान की ओर बढ़ती है। इस बढ़ती हुई धारा के कारण समीपस्थ कुंडली में विपरीत दिशा में धारा प्रेरित होती है। __ अतः समीपस्थ कुंडली में धारा xyzx मार्ग का अनुसरण करेगी।

(d) इंगित दिशा में धारा नियन्त्रक का समंजन बदलने पर परिपथ का प्रतिरोध घटेगा तथा कुंडली में धारा बढ़ेगी। यह बढ़ती हुई धारा समीपस्थ कुंडली में विपरीत दिशा में धारा प्रेरित करेगी। अतः प्रेरित धारा xzyx मार्ग का अनुसरण करेगी।

(e) लेन्ज के नियम के अनुसार कुंजी छोड़ने पर दूसरी कुंडली में धारा की दिशा वही होगी जो कि कुंजी छोड़ने से पूर्व प्रथम कुंडली में थी। अतः प्रेरित धारा xryx मार्ग का अनुसरण करेगी।

(f) तार में प्रवाहित धारा के कारण चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ, लूप के तल के समान्तर हैं। अत: धारा परिवर्तन के कारण लूप से गुजरने वाले फ्लक्स में कोई परिवर्तन नहीं होगा, अत: लूप में कोई धारा प्रेरित नहीं होगी।

प्रश्न 2.
चित्र 6.2 में वर्णित स्थितियों के लिए लेन्ज के नियम का उपयोग करते हुए प्रेरित विद्युत धारा की दिशा ज्ञात कीजिए।
(a) जब अनियमित आकार का तार वृत्ताकार लूप में बदल रहा हो;
(b) जब एक वृत्ताकार लूप एक सीधे तार में विरूपित किया जा रहा हो।.
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 2
उत्तर :
(a) क्रॉस (x) द्वारा एक ऐसे चुम्बकीय क्षेत्र को प्रदर्शित किया गया है जिसकी दिशा कागज के तल के लम्बवत् भीतर की ओर है अनियमित आकार के लूप को वृत्तीय रूप में खींचने पर इससे गुजरने वाला फ्लक्स बढ़ेगा। अत: लूप में प्रेरित धारा इस प्रकार की होगी कि वह निम्नगामी फ्लक्स को बढ़ने से रोकेगी। प्रेरित धारा कागज के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करेगी। अत: धारा की दिशा adcba मार्ग का अनुसरण करेगी।

(b) चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लम्बवत् बाहर की ओर है। लूप के आकार को बदलने पर उससे गुजरने वाला ऊर्ध्वमुखी फ्लक्स घटेगा। अत: लूप में प्रेरित धारा ऊर्ध्वमुखी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करेगी। इसके लिए धारा a’ d’ c b’a’ मार्ग का अनुसरण करेगी।

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प्रश्न 3.
एक लम्बी परिनालिका के इकाई सेन्टीमीटर लम्बाई में 15 फेरे हैं। उसके अन्दर 2.0 सेमी का एक छोटा-सा लूप परिनालिका की अक्ष के लम्बवत् रखा गया है। यदि परिनालिका में बहने वाली धारा का मान 0.1सेकण्ड में 2.0 ऐम्पियर से 4.0 ऐम्पियर कर दिया जाए तो धारा परिवर्तन के समय प्रेरित विद्युत वाहक बल कितना होगा?
हल :
परिनालिका में फेरों की संख्या N = 15, लम्बाई 1 = 1 सेमी = 0.01 मीटर, i1 = 2.0 ऐम्पियर, i2 = 4.0 ऐम्पियर, ∆t = 0.1 सेकण्ड, लूप का क्षेत्रफल A = 2.0 सेमी2 = 2.0 × 10-4 मीटर2
लूप में प्रेरित वैद्युत वाहक बल
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 3
जबकि परिनालिका के अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 4

प्रश्न 4.
एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 8 सेमी एवं 2 सेमी हैं, एक स्थान पर थोड़ा कटा हुआ है। यह लूप अपने तल के अभिलम्बवत् 0.3 टेस्ला के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर की ओर निकल रहा है। यदि लूप के बाहर निकलने का वेग 1 सेमी सेकण्ड-1 है तो कटे भाग के सिरों पर उत्पन्न वैद्युत वाहक बल कितना होगा, जब लूप की गति अभिलम्बवत् हो (a) लूप की लम्बी भुजा के, (b) लूप की छोटी भुजा के। प्रत्येक स्थिति में उत्पन्न प्रेरित वोल्टता कितने समय तक टिकेगी?
हल :
लम्बी भुजा की लम्बाई l1 = 0.08 मीटर, छोटी भुजा की लम्बाई l2 = 0.02 मीटर
B= 0.3 टेस्ला, υ = 1 सेमी सेकण्ड-1 = 0.01 मीटर सेकण्ड-1
(a) जब लूप लम्बी भुजा के लम्बवत् दिशा में गति कर रहा है तो वैद्युत वाहक बल इसी भुजा के सिरों के बीच उत्पन्न होगा।
∴ वैद्युत वाहक बल e = Bυl1 = 0.3 × 0.01 × 0.08
= 2.4 × 10-4 वोल्ट = 0.24 मिलीवोल्ट
यह वैद्युत वाहक बल तभी तक प्रेरित रहेगा जब तक कि लूप पूर्णतः चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर नहीं निकल जाता। लगा समय
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 5

(b) इस बार वैद्युत वाहक बल छोटी भुजा के सिरों के बीच प्रेरित होगा।
∴ वैद्युत वाहक बल e = Bυl2 = 0.3x 0.01 x 0.02
= 0.6 × 10-4 वोल्ट
= 0.06 मिलीवोल्ट।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 6
= 8 सेकण्ड।

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प्रश्न 5.
1.0 मीटर लम्बी धातु की छड़ उसके एक सिरे से जाने वाले अभिलम्बवत् अक्ष के परितः 400 रेडियन सेकण्ड-1 की कोणीय आवृत्ति से घूर्णन कर रही है। छड़ का दूसरा सिरा एक धात्विक वलय से सम्पर्कित है। अक्ष के अनुदिश सभी जगह 0.5 टेस्ला का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र उपस्थित है। वलय तथा अक्ष के बीच स्थापित वैद्युत वाहक बल की गणना कीजिए।
हल :
छड़ की लम्बाई l = 1.0 मीटर, ω = 400 रेंडियन सेकण्ड-1, B= 0.5 टेस्ला
अक्ष O से x दूरी पर स्थित छड़ के अल्पशि PQ = dx पर विचार कीजिए।

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 7
इस अल्पांश का रेखीय वेग υ = xω
∴ इस अल्पांश का विभवान्तर
de = Bυdx = Bxω dx
∴ वलय तथा अक्ष के बीच प्रेरित वैद्युत वाहक बल
e = छड़ के सिरों O तथा A के बीच प्रेरित वैद्युत वाहक बल
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 8

प्रश्न 6.
एक वृत्ताकार कुंडली जिसकी त्रिज्या 8.0 सेमी तथा फेरों की संख्या 20 है अपने ऊर्ध्वाधर व्यास के परितः 50 रेडियन सेकण्ड-1 की कोणीय आवृत्ति से 3.0 × 10-2 टेस्ला के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में घूम रही है। कुंडली में उत्पन्न अधिकतम तथा औसत प्रेरित वैद्युत वाहक बल का मान ज्ञात कीजिए। यदि कुंडली 10Ω प्रतिरोध का एक बन्द लूप बनाए तो कुंडली में धारा के अधिकतम मान की गणना कीजिए। जूल ऊष्मन के कारण क्षयित औसत शक्ति की गणना कीजिए। यह शक्ति कहाँ से प्राप्त होती है?
हल :
त्रिज्या r = 0.08 मीटर, N = 20, ω = 50 रेडियन सेकण्ड, B= 3.0 × 10-2 टेस्ला, emax = ?,
e = ?
यदि R= 10Ω तब imax= ?
औसत शक्ति क्षय P = ?
जब कुंडली चुम्बकीय क्षेत्र में घूमती है तो उसके सिरों के बीच प्रत्यावर्ती वैद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। वै० वा० बल का महत्तम मान
emax = NBAω
= 20 × 3.0 × 10-2 × [r × (0.08)2] × 50
⇒ emax = 0.603 वोल्ट।
जबकि एक पूर्ण चक्र के लिए प्रत्यावर्ती वैद्युत वाहक बल का औसत मान शून्य होगा।
⇒ e = 0
परिपथ में महत्तम धारा
\(i_{\max }=\frac{e_{\max }}{R}=\frac{0.603}{10}\)
= 0.0603 ऐम्पियर।
परिपथ में औसत शक्ति क्षय
P = \(\frac{1}{2}\) × emax × imax =x emax ximar
= \(\frac{1}{2}\) × 0.603 × 0.0603
= 0.018 वाट।
यह शक्ति कुंडली को घुमाने वाले बाह्य स्रोत के द्वारा किए गए कार्य से प्राप्त होती है।

प्रश्न 7.
पूर्व से पश्चिम दिशा में विस्तृत एक 10 मीटर लम्बा क्षैतिज सीधा तार 0.30 × 10-4 वेबर मीटर-2 तीव्रता वाले पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक के लम्बवत् 5.0 मीटर सेकण्ड-1 की चाल से गिर रहा है।
(a) तार में प्रेरित वैद्युत वाहक बल का तात्क्षणिक मान क्या होगा?
(b) वैद्युत वाहक बल की दिशा क्या है?
(c) तार का कौन-सा सिरा उच्च विद्युत विभव पर है?
हल :
तार की लम्बाई l = 10 मीटर, υ = 5.0 मीटर सेकण्ड-1,
चुम्बकीय क्षेत्र BH = 0.30 × 10-4 वेबर मीटर-2

(a) तार में प्रेरत वैद्युत वाहक बल का तात्क्षणिक मान
e = BHU = 0.30 × 10-4 × 5.0 × 10
= 1.5 × 10-3 वोल्ट
= 1.5 मिलीवोल्ट।
(b) फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से, वैद्युत वाहक बल की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होगी।
(c) यह तार जब वैद्युत वाहक बल के स्रोत की भाँति कार्य करेगा तो पूर्वी सिरा उच्च विद्युत विभव पर होगा।

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प्रश्न 8.
किसी परिपथ में 0.1 सेकण्ड में धारा 5.0 ऐम्पियर से 0.0 ऐम्पियर तक गिरती है। यदि औसत प्रेरित वैद्युत वाहक बल 200 वोल्ट है तो परिपथ में स्वप्रेरकत्व का आकलन कीजिए।
हल :
i1 = 5.0 ऐम्पियर, i2 = 0.0 ऐम्पयर, ∆t = 0.1 सेकण्ड
|e | = 200 वोल्ट, स्वप्रेरकत्व L = ?
सूत्र | e |= \(L \frac{d i}{d t}\)
स्वप्रेरकत्व \(L=\frac{|e|}{d i / d t}=\frac{200}{(5.0-0.0) / 0.1}=\frac{200 \times 0.1}{5.0} \) हेनरी

प्रश्न 9.
पास-पास रखे कुंडलियों के एक युग्म का अन्योन्य प्रेरकत्व 1.5 हेनरी है। यदि एक कुंडली में 0.5 सेकण्ड में धारा 0 से 20 ऐम्पियर परिवर्तित हो तो दूसरी कुंडली की फ्लक्स बंधता में कितना परिवर्तन होगा?
हल :
दिया है : M = 1.5 हेनरी, ∆i = 20 ऐम्पियर – 0 ऐम्पियर = 20 ऐम्पियर, ∆t = 0.5 सेकण्ड दूसरी कुंडली में फ्लक्स बन्धता में परिवर्तन
∆Φ = M∆i = 1.5 × 20 = 30 वेबर।

प्रश्न 10.
एक जेट प्लेन पश्चिम की ओर 1800 किमी/घण्टा वेग से गतिमान है। प्लेन के पंख 25 मीटर लम्बे हैं। इनके सिरों पर कितना विभवान्तर उत्पन्न होगा? पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का मान उस स्थान पर 5 × 10-4 टेस्ला तथा नति कोण (dip angle) 30° है।
हल :
दिया है : वेग υ = 1800 किमी/घण्टा = 1800 × \(\frac{5}{18}\)
= 500 मीटर सेकण्ड-1
पंखों की लम्बाई 1 = 25 मीटर,
B= 5 × 10-4 टेस्ला, नति कोण δ = 30°
∵ प्लेन क्षैतिज दिशा में गतिमान है, अत: प्लेन के पंख पृथ्वी के क्षेत्र के ऊर्ध्व घटक को काटेंगे।
ऊर्ध्व घटक BV = B sin δ = 5 × 10-4 × \(\frac{1}{2}\) = 2.5 × 10-4 टेस्ला
∴ पंखों के सिरों के बीच प्रेरित वैद्युत वाहक बल
e = BVυl = 2.5 × 10-4 × 500 × 25
= 3.125 वोल्ट
= 3.1 वोल्ट।

प्रश्न 11.
मान लीजिए कि प्रश्न 4 में उल्लिखित लूप स्थिर है किन्तु चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने वाले वैद्युत चुम्बक में धारा का मान कम किया जाता है जिससे चुम्बकीय क्षेत्र का मान अपने प्रारम्भिक मान 0.3 टेस्ला से 0.02 टेस्ला सेकण्ड-1 की दर से घटता है। अब यदि लूप का कटा भाग जोड़ दें जिससे प्राप्त बन्द लूप का प्रतिरोध 1.6Ω हो तो इस लूप में ऊष्मन के रूप में शक्ति ह्रास क्या है? इस शक्ति का स्रोत क्या है?
हल :
लूप का क्षेत्रफल A = 8 × 2 सेमी2 = 16 × 10-4 मीटर2
\(\frac{d B}{d t}\) = 0.02 टेस्ला सेकण्ड-1, R = 1.6Ω
प्रेरित वैद्युत वाहक बल \(e=\frac{d \phi}{d t}=\frac{d}{d t}(B A)=A \frac{d B}{d t}\)

⇒ e = 16 × 10-4 × 0.02
= 3.2 × 10-5 वोल्ट।
∴ प्रेरित धारा: \(\frac{e}{R}=\frac{3.2 \times 10^{-5}}{1.6}\)
= 2.0 × 10-5 ऐम्पियर।
∴ शक्ति ह्रास P = e × i
= 3.2 × 10-5 × 2.0 × 10-5
= 6.4 × 10-10 वाट।
यह शक्ति, चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन करने वाले बाह्य स्रोत द्वारा प्रदान की जाती है।

प्रश्न 12.
12 सेमी भुजा वाला वर्गाकार लूप जिसकी भुजाएँ x एवं Y अक्षों के समान्तर हैं, –दिशा में 8 सेमी सेकण्ड-1 की गति से चलाया जाता है। लूप तथा उसकी गति का परिवेश धनात्मक –दिशा के चुम्बकीय क्षेत्र का है। चुम्बकीय क्षेत्र न तो एकसमान है और न ही समय के साथ नियत है। इस क्षेत्र की ऋणात्मक दिशा में प्रवणता 10-3 टेस्ला सेकण्ड-1 है (अर्थात् ऋणात्मक x-अक्ष की दिशा में इकाई सेन्टीमीटर दूरी पर क्षेत्र के मान में 10-3 टेस्ला सेकण्ड-1 की वृद्धि होती है) तथा क्षेत्र के मान में 10-3 टेस्ला सेकण्ड-1 की दर से कमी भी हो रही है। यदि कुंडली का प्रतिरोध 4.50 मिलीओम हो तो प्रेरित धारा का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
हल :
लूप का प्रतिरोध R = 4.50 × 10-3Ω, लूप की भुजा a = 12 सेमी
\(\frac{\partial B}{\partial x}\) = – 10-3 टेस्ला मीटर-1 = – 10-1 टेस्ला मीटर-1
= – 0.1 टेस्ला मीटर-1 [X-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में]
thada \(\frac{\partial x}{\partial t}\) = 8 सेमी सेकण्ड-1 = 0.08 मीटर सेकण्ड-1.
\(\frac{\partial B}{\partial t}\) = – 10-3 टेस्ला सेकण्ड-1
\(\frac{\partial B}{\partial x}\) तथा \(\frac{\partial B}{\partial t}\) दोनों का चिह्न ऋणात्मक लिया गया है क्योंकि x तथा t दोनों के बढ़ने के साथ चुम्बकीय क्षेत्र घट रहा है।
माना लूप की भुजा की लम्बाई ‘a’ है। x दूरी पर स्थित dx चौड़ाई की एक पट्टी ४ पर विचार कीजिए।
माना इस पट्टी पर चुम्बकीय क्षेत्र B(x, t) है तथा इस पट्टी का क्षेत्रफल dA = adx है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 9
∴ इस पट्टी से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
dΦ = BdA = B(x, t) adx
∴ लूप से बद्ध कुल फलक्स
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 10
धारा की दिशा ऐसी होगी जो z-दिशा में चुम्बकीय फ्लक्स के घटने का विरोध करेगी। इसके लिए धारी वामावर्त दिशा में प्रवाहित होगी।

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प्रश्न 13.
एक शक्तिशाली लाउडस्पीकर के चुम्बक के ध्रुवों के बीच चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के परिमाण का मापन किया जाना है। इस हेतु एक छोटी चपटी 2 सेमी क्षेत्रफल की अन्वेषी कुंडली (search coil) का प्रयोग किया गया है। इस कुंडली में पास-पास लिपंटे 25 फेरे हैं तथा इसे चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् व्यवस्थित किया गया है और तब इसे द्रुत गति से क्षेत्र के बाहर निकाला जाता है। तुल्यतः एक अन्य विधि में अन्वेषी कुंडली को 90° से तेजी से घुमा देते हैं जिससे कुंडली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर हो जाए। इन दोनों घटनाओं में कुल 7.5 मिलीकूलॉम आवेश का प्रवाह होता है (जिसे परिपथ में प्रक्षेप धारामापी (ballistic galvanometer) लगाकर ज्ञात किया जा सकता है)। कुंडली तथा धारामापी का संयुक्त प्रतिरोध 0.502 है। चुम्बक की क्षेत्र की तीव्रता का आकलन कीजिए। •
हल :
A = 2 × 10-4 मीटर2, N= 25 फेरे, प्रेरित आवेश q = 7.5×10-3 कूलॉम
परिपथ का प्रतिरोध R = 0.50Ω
माना चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता = B.
प्रारम्भिक फ्लक्स Φ1 = NBA cos 0° = NBA
अन्तिम फ्लक्स Φ2 = 0
∴ प्रेरित वैद्युत वाहक बल e = \(-\frac{d \phi}{d t}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 11

प्रश्न 14.
चित्र 6.5 में एक धातु की छड़ PQ को दर्शाया गया है जो पटरियों AB पर रखी हैं तथा एक स्थायी चुम्बक के ध्रुवों के मध्य स्थित है। पटरियाँ, छड़ एवं चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर अभिलम्बवत् दिशाओं में हैं। एक गैल्वेनोमीटर (धारामापी) G को पटरियों से एक स्विच K की सहायता से संयोजित किया गया है। छड़ की लम्बाई = 15 सेमी, B= 0.50 टेस्ला तथा पटरियों, छड़ तथा धारामापी से बने बन्द लूप का प्रतिरोध = 9.0 मिली ओम है। . क्षेत्र को एकसमान मान लें।
(a) माना कुंजी K खुली (open) है तथा छड़ 12 सेमी सेकण्ड -1की चाल से दर्शायी गई दिशा में गतिमान है। प्रेरित वैद्युत वाहक बल का मान एवं ध्रुवणता (polarity) बताइए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 12
(b) क्या कुंजी K खुली होने पर छड़ के सिरों पर आवेश का आधिक्य हो जाएगा? क्या होगा यदि कुंजी K बंद (close) कर दी जाए।
(c) जब कुंजी K खुली हो तथा छड़ एकसमान वेग से गति में हो तब भी इलेक्ट्रॉनों पर कोई परिणामी बल कार्य नहीं करता यद्यपि उन पर छड़ की गति के कारण चुम्बकीय बल कार्य करता है। कारण स्पष्ट कीजिए।
(d) कुंजी बन्द होने की स्थिति में छड़ पर लगने वाले अवमन्दन बल का मान क्या होगा?
(e) कुंजी बन्द होने की स्थिति में छड़ को उसी चाल (= 12 सेमी सेकण्ड-1) से चलाने हेतु कितनी शक्ति (बाह्य कारक के लिए) की आवश्यकता होगी?
(f) बन्द परिपथ में कितनी शक्ति का ऊष्मा के रूप में क्षय होगा? इस शक्ति का स्रोत क्या है?
(g) गतिमान छड़ में उत्पन्न वैद्युत वाहक बल का मान क्या होगा यदि चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पटरियों के लम्बवत् होने की बजाय उनके समान्तर हो?
हल :
दिया है : B= 0.50 टेस्ला , l = 0.15 मीटर, υ = 0.12 सेमी सेकण्ड-1, R= 9.0 × 10-3
(a) छड़ में प्रेरित वैद्युत वाहक बल e = Bυl = 0.50 × 0.12 × 0.15
= 9 × 10-3 वोल्ट = 9.0 मिलीवोल्ट।
छड़ का सिरा P धनात्मक तथा Q ऋणात्मक होगा।

(b) हाँ, छड़ के Q सिरे पर इलेक्ट्रॉन एकत्र हो जाएँगे जबकि P सिरे पर धनावेश की अधिकता हो जाएगी।
यदि कुंजी K को बन्द कर दिया जाए तो Q सिरे पर एकत्र होने वाले इलेक्ट्रॉन बन्द परिपथ से होते हुए (G से होकर) सिरे P की ओर गति करने लगेंगे। इस प्रकार परिपथ में स्थायी धारा स्थापित हो जाएगी।
(c) जब कुंजी K खुली है तो P सिरा धनात्मक व Q सिरा ऋणात्मक हो जाता है। इससे छड़ के भीतर सिरे P से सिरे Q की ओर एक वैद्युत क्षेत्र स्थित हो जाता है। इस क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉनों पर Q से P की ओर वैद्युत बल लगता है जो विपरीत दिष्ट चुम्बकीय बल को सन्तुलित कर लेता है।
इस प्रकार इलेक्ट्रॉनों पर कोई नेट बल कार्य नहीं करता है।
(d) कुंजी K बन्द होने की स्थिति में छड़ PQ से प्रवाहित धारा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 13
∴ छड़ PQ पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कार्य करने वाला अवमन्दन बल
F = il B sin 90° = 1.0 × 0.15 × 0.50 .
= 75 × 10-3 न्यूटन = 0.075 न्यूटन।
(e) कुंजी K के बन्द होने पर छड़ को खींचते रहने के लिए व्यय की जाने वाली शक्ति
P = Fυ = 0.075 × 0.12 = 9 × 10-3 वाट।
(f) परिपथ में व्यय ऊष्मीय शक्ति
. P= i2R = (1.0)2 × 9.0 × 10-3 = 9 × 10-3 वाट।
इस शक्ति का स्रोत छड़ को एकसमान वेग से खींचते रहने के लिए बाह्य स्रोत द्वारा व्यय की गई शक्ति है।
(g) शून्य; इस स्थिति में छड़ चुम्बकीय बल रेखाओं को नहीं काटेगी। अतः कोई वैद्युत वाहक बल प्रेरित नहीं होगा।

प्रश्न 15.
वायु के क्रोड वाली एक परिनालिका में, जिसकी लम्बाई 30 सेमी तथा अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 25 सेमी तथा कुल फेरे 500 हैं, 2.5 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है। धारा को 10-3 सेकण्ड के अल्पकाल में अचानक बन्द कर दिया जाता है। परिपथ में स्विच के खुले सिरों के बीच उत्पन्न औसत वैद्युत वाहक बल का मान क्या होगा? परिनालिका के सिरों पर चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन की उपेक्षा कर सकते हैं?
हल :
फेरों की संख्या N = 500, लम्बाई 1 = 0.30 मीटर, क्षेत्रफल A = 25 × 10-4 मीटर2,
i1 = 2.5 ऐम्पियर, i2 = 0, dt = 103 सेकण्ड
अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र को एकसमान मानते हुए प्रारम्भिक चुम्बकीय क्षेत्र \(B_{1}=\mu_{0} \frac{N}{l} i_{1}\)
तथा अन्तिम चुम्बकीय क्षेत्र B_{2}=\mu_{0} \frac{N}{l} i_{2}=0
∴ परिनालिका से बद्ध फ्लक्स बन्धुता में परिवर्तन
dΦ = NB2A – NB1A –
= 0 – 500 × 4 π × 10-7 × \(\frac{500}{0.30}\) × 25 × 10-4
= – 65.45 × 10-4 वेबर
अतः स्विच के सिरों के बीच प्रेरित औसत वैद्युत वाहक बल
\(e=-\frac{d \phi}{d t}=\frac{65.45 \times 10^{-4}}{10^{-3}}\)
= 6.545 वोल्ट = 6.5 वोल्ट।

प्रश्न 16.
(a) चित्र 6.6 में दर्शाए अनुसार एक लम्बे, सीधे तार तथा एक वर्गाकार लूप जिसकी एक भुजा की लम्बाई a है, के लिए अन्योन्य प्रेरकत्व का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
(b) अब मान लीजिए कि सीधे तार में 50 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है तथा । लूप एक स्थिर वेग υ = 10 मीटर/सेकण्ड-1 से दायीं ओर को गति कर रहा है। लूप में प्रेरित वैद्युत वाहक बल का परिकलन उस क्षण पर कीजिए जब x= 0.2 मीटर हो। लूप के | लिए a = 0.1 मीटर लीजिए तथा यह मान लीजिए कि उसका प्रतिरोध बहुत अधिक है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 14
हल :
(a) यदि अन्योन्य प्रेरण गुणांक M है तो
Φ = Mi
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 15

(b) लूप के भीतर तार से 2 दूरी पर स्थित dz चौड़ाई की एक ऐसी पट्टी पर विचार कीजिए जो कि तार के समान्तर है।
इस पट्टी का क्षेत्रफल dA = adz
तार के कारण पट्टी पर चुम्बकीय क्षेत्र \(B=\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \cdot \frac{i}{z}\)
यह क्षेत्र पट्टी के तल के लम्बवत् भीतर की ओर है।
∴ पट्टी से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स dΦ = BdA = \(\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \cdot \frac{i}{z}\) .adz
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 16
दिया है : i = 50 ऐम्पियर, υ = 10 मीटर/सेकण्ड-1, e= ?, जबकि x = 0.2 मीटर, a = 0.1 मीटर
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 17

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प्रश्न 17.
किसी M द्रव्यमान तथा R त्रिज्या वाले एक पहिये के किनारे (rim) पर एक रैखिक आवेश स्थापित किया गया है जिसकी प्रति इकाई लम्बाई पर आवेश का मान λ है। पहिये के स्पोक (spoke) हल्के एवं कुचालक हैं तथा वह अपनी अक्ष के परितः घर्षण रहित घूर्णन हेतु स्वतन्त्र है जैसा कि चित्र 6.8 में दर्शाया गया है। पहिये के वृत्तीय भाग पर रिम, के अन्दर एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र विस्तरित है। इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 26
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 19
चुम्बकीय क्षेत्र को अचानक ‘ऑफ’ (switched off) करने के पश्चात्, पहिये का कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
हल :
माना चुम्बकीय क्षेत्र को स्विच ऑफ करने पर E वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है (Note) तथा पहिया ω कोणीय वेग से घूमना प्रारम्भ करता है।
यदि पहिये पर कुल आवेश q है तो एक पूर्ण चक्र के दौरान वैद्युत क्षेत्र द्वारा आवेश को घुमाने में कृत कार्य
w = F x s = qE x 2 1 R
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 20

वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
x- y तल के किसी प्रदेश में, जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र \(B=B_{0}(2 \hat{\mathrm{i}}+3 \hat{\mathrm{j}}+4 \hat{\mathrm{k}}) \mathrm{T}\) है, (यहाँ B0 कोई नियतांक है), L मीटर भुजा का कोई वर्ग रखा है। इस वर्ग से गुजने वाले फ्लक्स का परिमाण है –
(a) 2B0L2 wb
(b) 3B0L2 Wb
(c) 4B0L2 Wb
(d) 29 BoL2 Wb.
उत्तर :
(c) 4B0L2 Wb

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प्रश्न 2.
किसी बेलनाकार छड़ चुम्बक को उसके अक्ष के परित: (चित्र 6.9) घूर्णन कराया जाता है। किसी अ क्ष
तार को इसके अक्ष से संयोजित करके इसके बेलनाकार पृष्ठ से किसी सम्पर्क द्वारा स्पर्श कराया गया है, तब –
(a) ऐमीटर A से दिष्ट धारा प्रवाहित होती है।
(b) ऐमीटर A से दिष्ट धारा प्रवाहित नहीं होती है
(c) ऐमीटर A से आवर्तकाल \(T=\frac{2 \pi}{\omega}\) की प्रत्यावर्ती ज्वावक्रीय धारा प्रवाहित होती है ।
(d) ऐमीटर A से काल परिवर्तित धारा प्रवाहित होती है जो ज्यावक्रीय नहीं होती।
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उत्तर :
(a) ऐमीटर A से दिष्ट धारा प्रवाहित होती है।

प्रश्न 3.
चित्र 6.10 में दर्शाए अनुसार A तथा B दो कुण्डलियाँ हैं। जब A को B की ओर गति कराते हैं तो B में चित्र में दर्शाए अनुसार धारा प्रवाहित होने लगती है तथा A के रुकने पर A धारा प्रवाहित होना बन्द हो जाती है। B में धारा वामावर्ती है। जब A गति करता है तो B को स्थिर रखा जाता है तो हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि –
(a) A में दक्षिणावर्ती दिशा में नियत धारा है
(b) A में परिवर्ती धारा है
(c) A में कोई धारा नहीं है
(d) A में वामावर्ती दिशा में नियत धारा है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 22
उत्तर :
(d) A में वामावर्ती दिशा में नियत धारा है।

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प्रश्न 4.
इस प्रश्न में भी स्थिति प्रश्न 6.10 की भाँति है। अन्तर केवल यह है कि अब कुण्डली A को ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः घूर्णन कराया गया है (चित्र-6.11)। यदि A विराम में है तो B में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती। जब B में (t = 0 पर) धारा वामावर्ती दिशा में है तथा इस क्षण, t = 0, पर कुंडली A दर्शाए अनुसार है तब कुंडली A में प्रवाहित होती है?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 23
(a) दक्षिणावर्त नियत धारा
(b) दक्षिणावर्त परिवर्ती धारा
(c) वामावर्त परिवर्ती धारा
(d) वामावर्त नियत धारा।
उत्तर :
(a) दक्षिणावर्त नियत धारा

प्रश्न 5.
किसी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A तथा नियत फेरों की संख्या N वाली l लम्बाई की परिनालिका का स्वप्रेरकत्व L बढ़
जाता है –
(a) l तथा A में वृद्धि के साथ
(b) l में कमी तथा A में वृद्धि के साथ
(c) l में वृद्धि तथा A में कमी के साथ
(d) l तथा A में कमी के साथ।
उत्तर :
(b) l में कमी तथा A में वृद्धि के साथ

वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी ऐसे चुम्बक पर विचार कीजिए जो एक ऑन/ऑफ स्विच लगे तार के लूप से घिरा है। यदि स्विच को ऑफ स्थिति (खुले परिपथ) से ऑन स्थिति (बन्द परिपथ) पर लाया जाए तो क्या परिपथ में कोई धारा प्रवाहित होगी?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण img 24
उत्तर :
तार का कोई भी भाग गतिमान नहीं है, अत: कोई गतिक वैद्युत वाहक बल उत्पन्न नहीं होगा। चुम्बक भी स्थिर है, अत: समय के साथ चुम्बकीय क्षेत्र परिवर्तित नहीं होगा। अत: कोई प्रेरित वैद्युत वाहक बल भी उत्पन्न नहीं होगा। अत: परिपथ में कोई धारा प्रवाहित नहीं होगी।

प्रश्न 2.
कसकर लिपटी परिनालिका के रूप में कोई तार किसी दिष्ट धारा स्रोत से संयोजित है और इसमें विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। यदि कुंडली को इस प्रकार से खींचा जाए कि सर्पिलाकार कुंडली के क्रमागत लपेटों के बीच अन्तराल हो जाए, तो क्या विद्युत धारा बढ़ेगी अथवा घटेगी, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कुंडली को खींचकर उसके क्रमागत लपेटों के बीच अन्तराल आ जाने पर इन रिक्त स्थानों से चुम्बकीय फ्लक्स की हानि होगी। अत: लेन्ज के नियमानुसार परिनालिका में एक प्रेरित धारा बहेगी जो चुम्बकीय फ्लक्स में कमी का विरोध करेगी। अतः परिनालिका में प्रवाहित विद्यत धारा बढ़ेगी।

प्रश्न 3.
कोई परिनालिका किसी बैटरी से संयोजित है जिसके कारण उसमें अपरिवर्तित धारा प्रवाहित हो रही है। यदि इस परिनालिका के भीतर कोई लोह क्रोड रख दिया जाए तो विद्युत धारा घटेगी अथवा बढ़ेगी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
परिनालिका के भीतर कोई लौह क्रोड रख देने पर चुम्बकीय क्षेत्र में वृद्धि के कारण चुम्बकीय फ्लक्स में वृद्धि हो जाएगी। अत: लेन्ज के नियमानुसार परिनालिका में एक प्रेरित वैद्युत वाहक बल एवं प्रेरित धारा उत्पन्न होगी जोकि फ्लक्स वृद्धि का विरोध करेगी। अतः परिनालिका में प्रवाहित धारा घटेगी।

प्रश्न 4.
धातु के किसी ऐसे छल्ले पर विचार कीजिए जो किसी ऊर्ध्वाधरतः रखी स्थिर परिनालिका (जैसे–कार्ड बोर्ड में जड़ी) के शीर्ष पर रखा है (चित्र 6.13)। छल्ले का केन्द्र परिनालिका के अक्ष के सम्पाती है। यदि अचानक स्विच ऑन करके परिनालिका में धारा प्रवाहित कराएँ तो धातु का छल्ला ऊपर उछलता है। स्पष्ट कीजिए।
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उत्तर :
प्रारम्भ में धातु के छल्ले से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स शून्य है। अचानक स्विच ऑन करने पर छल्लों से चुम्बकीय फ्लक्स गुजरता है। लेज के नियमानुसार धातु के छल्ले में एक प्रेरित वैद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है जो इस चुम्बकीय फ्लक्स में वृद्धि का विरोध करता है। यह केवल तभी सम्भव है जब छल्ला परिनालिका से दूर अर्थात् ऊपर की ओर गति करे। अत: छल्ला ऊपर की ओर उछलता है।

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प्रश्न 5.
1 सेमी आन्तरिक त्रिज्या के किसी धातु के पाइप पर विचार कीजिए। यदि 0.8 सेमी त्रिज्या का कोई बेलनाकार छड़ चुम्बक इस पाइप में गिराया जाए तो वह नीचे गिरने में किसी प्रकार की अचुम्बकित बेलनाकार लौह छड़ की तुलना में अधिक समय लेता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जब बेलनाकार छड़ चुम्बक को धातु के पाइप में गिराया जाता है तो पाइप में भँवर धाराएँ उत्पन्न होगी, जोकि चुम्बक की गति का विरोध करेंगी। अतः इसकी गति का त्वरण, गुरुत्वीय त्वरण से कम हो जाता है। अचुम्बकित बेलनाकार छड़ को पाइप में गिराने पर, पाइप में भँवर धाराएँ उत्पन्न नहीं होंगी और वह गुरुत्वीय त्वरण से नीचे गिरेंगी। अतः बेलनाकार छड़ चुम्बक पाइप में गिरने में, किसी अचुम्बकित बेलनाकार छड़ से अधिक समय लेती है।

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