MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्

किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
2.5 सेमी साइज़ की कोई छोटी मोमबत्ती 36 सेमी वक्रता त्रिज्या के किसी अवतल दर्पण से 27 सेमी दूरी पर रखी है। दर्पण से किसी परदे को कितनी दूरी पर रखा जाए कि उसका सुस्पष्ट प्रतिबिम्ब परदे पर बने। प्रतिबिम्ब की प्रकृति और साइज का वर्णन कीजिए। यदि मोमबत्ती को दर्पण की ओर ले जाएँ, तो परदे को किस ओर हटाना पड़ेगा?
हल :
दिया है, मोमबत्ती का साइज़ h = 2.5 सेमी, वक्रता त्रिज्या R = 36 सेमी, u = – 27 सेमी, दर्पण से पर की दूरी v = ?
अवतल दर्पण की फोकस दूरी \(f=-\frac{R}{2}=-\frac{36}{2}=-18\) सेमी
∴ दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से,
⇒ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}=-\frac{1}{18}+\frac{1}{27}=\frac{-3+2}{54}=\frac{-1}{54}\)
या v= – 54 सेमी
अतः परदे को वस्तु की ही ओर दर्पण से 54 सेमी की दूरी पर रखना चाहिए।
पूनः  \(m=\frac{h^{\prime}}{h}=\frac{-v}{u}\) से,
\(h^{\prime}=-\frac{v}{u} \times h ⇒h^{\prime}=-\frac{(-54)}{(-27)} \times 2.5=-5.0\) सेमी
प्रतिबिम्ब वास्तविक, आवर्धित तथा उल्टा बनेगा जिसकी लम्बाई 5.0 सेमी होगी।
∵ आंकिक रूप में u> f; अतः जैसे-जैसे मोमबत्ती को दर्पण की ओर ले जाएँगे वैसे-वैसे प्रतिबिम्ब का आकार बढ़ता जाएगा और उसकी दर्पण से दूरी भी बढ़ती जाएगी (जब तक कि u > f है); अत: परदे को धीरे-धीरे दर्पण से दूर हटाना होगा। जब u = f हो जाएगा तो प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनेगा। इसके बाद u < f होने पर प्रतिबिम्ब आभासी तथा दर्पण के पीछे बनेगा। इस प्रतिबिम्ब को परदे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है

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प्रश्न 2.
4.5 सेमी साइज़ की कोई सुई 15 सेमी फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण से 12 सेमी दूर रखी है। प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा आवर्धन लिखिए। क्या होता है जब सुई को दर्पण से दूर ले जाते हैं? वर्णन कीजिए।
हल :
सुई की लम्बाई h = 4.5 सेमी, उत्तल दर्पण हेतु f = + 15 सेमी, u = – 12 सेमी, v = ?, m = ?
दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से,
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}=\frac{1}{15}+\frac{1}{12}=\frac{4+5}{60}=\frac{9}{60}\) या \(v=\frac{60}{9}=\frac{20}{3}\)= सेमी
अतः प्रतिबिम्ब, दर्पण से \(\frac{20}{3}\) सेमी दूरी पर दर्पण के पीछे बनता है।

किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यन्त्र |481
∴ sinr = \(\frac{1 / \sqrt{2}}{1.14}\) = 0.62
∴ अपवर्तन कोण r = sin-1(0.62) = 38°
आवर्धन m = \(-\frac{v}{u}=\frac{-20 / 3}{-12}=+\frac{5}{9}\) तथा \(\frac{h^{\prime}}{h}=m\)
h’ = mh = \(\frac{5}{9}\) × 4.5 = 2.5 सेमी
प्रतिबिम्ब सीधा तथा 2.5 सेमी लम्बाई का है। जैसे-जैसे सुई को दर्पण से दूर ले जाते हैं (u → ∞) वैसे-वैसे प्रतिबिम्ब दर्पण के फोकस की ओर अग्रसर होता है।

प्रश्न 3.
कोई टैंक 12.5 सेमी ऊँचाई तक जल से भरा है। किसी सूक्ष्मदर्शी द्वारा बीकर की तली पर पड़ी किसी सुई की आभासी गहराई 9.4 सेमी मापी जाती है। जल का अपवर्तनांक क्या है? बीकर में उसी ऊँचाई तक जल के स्थान पर किसी 1.63 अपवर्तनांक के अन्य द्रव से प्रतिस्थापन करने पर सुई को पुनः फोकसित करने के लिए सूक्ष्मदर्शी को कितना ऊपर/नीचे ले जाना होगा?
हल :
पहली दशा में, सुई की वास्तविक गहराई h = 12.5 सेमी, आभासी गहराई h’ = 9.4 सेमी
∴ जल का वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक \(a n_{w}=\frac{h}{h^{\prime}}=\frac{12.5}{9.4}\)
7 वाय के सापेक्ष अपवर्तनाक zassdf
anw = 1.33
दूसरी दशा में, द्रव का अपवर्तनांक anl
यदि इस दशा में आभासी गहराई h” है तो \(anl = \frac{h}{h^{\prime \prime}}\)
⇒ \(1.63=\frac{12.5}{h^{\prime \prime}}\)
⇒ \(h^{\prime \prime}=\frac{12.5}{1.63}=7.7\) सेमी
अब, h’- h” = 9.4 – 7.7 = 1.7 सेमी
अतः सूक्ष्मदर्शी को पुनः फोकसित करने के लिए, पूर्व दशा से 1.7 सेमी ऊपर उठाना होगा।

प्रश्न 4.
चित्र 9.1 (a) तथा (b) में किसी आपतित किरण का अपवर्तन दर्शाया गया है जो वायु में क्रमश: काँच-वायु तथा जल-वायु अन्तरापृष्ठ के अभिलम्ब से 60° का कोण बनाती है। उस आपतित किरण का अपवर्तन ‘कोण ज्ञात कीजिए, जो जल में जल-काँच अन्तरापृष्ठ के अभिलम्ब से 45° का कोण बनाती है [चित्र 9.1(c)]।
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हल :
चित्र 9.1 (a) से, वायु से काँच में अपवर्तन हेतु i = 60°, r = 35°
∴ \(a n_{g}=\frac{\sin 60^{\circ}}{\sin 35^{\circ}}=\frac{0.866}{0.574}=1.51\)
चित्र 9.1 (b) से, वायु से जल में अपवर्तन हेतु i = 60, r= 47°
∴ \(a n_{w}=\frac{\sin 60^{\circ}}{\sin 47^{\circ}}=\frac{0.866}{0.656}=1.32\)
चित्र 9.1 (c) से, जल से काँच में अपवर्तन हेतु i = 45°, r = ?
\(w n_{g}=\frac{\sin 45^{\circ}}{\sin r} ⇒ \sin \dot{r}=\frac{\sin 45^{\circ}}{w^{n} g}\)
∵ \(\frac{1.51}{1.32}=1.14=w^{n} g=\frac{a^{n} g}{a^{n} w}\)

प्रश्न 5.
जल से भरे 80 सेमी गहराई के किसी टैंक की तली पर कोई छोटा बल्ब रखा गया है। जल के पृष्ठ का वह क्षेत्र ज्ञात कीजिए जिससे बल्ब का प्रकाश निर्गत हो सकता है। जल का अपवर्तनांक 1.33 है। (बल्ब को बिन्दु प्रकाश स्रोत मानिए)
हल :
माना जल से वायु में अपवर्तन हेतु क्रान्तिक कोण ic है।
स्पष्ट है कि बल्ब की केवल वही किरणें जल के पृष्ठ से अपवर्तित हो पाएँगी जिनके लिए जल-वायु पृष्ठ पर आपतन कोण ic अथवा उससे कम है। ये किरणें अर्द्धशीर्ष कोण ic का एक शंकु बनाएँगी। इस शंकु का जल-वायु अन्तरापृष्ठ द्वारा काटा गया अनुप्रस्थ परिच्छेद ही अभीष्ट प्रकाशित क्षेत्र होगा जो कि वृत्तीय आकार का होगा।
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माना वृत्तीय पृष्ठ की त्रिज्या r है, तब tan ic = \(\frac{r}{h}\) ⇒ r=h tan ic
जबकि \(w n_{a}=\frac{1}{\sin i_{c}}\)
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∴ वृत्त की त्रिज्या r= h tan ic = 0.80 × 1.13 = 0.904 मीटर [∵ tan 48.6° = 1.13]
∴ पृष्ठीय क्षेत्र = πr2 = 3.14 × (0.904)2 = 2.566 ≈ 2.6 मीटर2

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प्रश्न 6.
कोई प्रिज्म अज्ञात अपवर्तनांक के काँच का बना है। कोई समान्तर प्रकाश पुंज इस प्रिज्म के किसी फलक पर आपतित होता है। प्रिज्म का न्यूनतम विचलन कोण 40° मापा गया। प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक क्या है? प्रिज्म का अपवर्तन कोण 60° है। यदि प्रिज्म को जल (अपवर्तनांक 1.33) में रख दिया जाए तो प्रकाश के समान्तर पुंज के लिए नए न्यूनतम विचलन कोण का परिकलन कीजिए।
हल :
दिया है, प्रिज्म के लिए A = 60°, वायु में δm = 40°
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प्रश्न 7.
अपवर्तनांक 1.55 के काँच से दोनों फलकों की समान वक्रता त्रिज्या के उभयोत्तल लेन्स निर्मित करने हैं। यदि 20 सेमी फोकस दूरी के लेन्स निर्मित करने हैं तो अपेक्षित वक्रता त्रिज्या क्या होगी?
हल :
दिया है, n = 1.55, लेन्स की. फोकस दूरी f= + 20 सेमी .
माना अभीष्ट वक्रता त्रिज्या = R
तब उत्तल लेन्स हेतु R1 = + R, R2 = – R .
∴ \(\frac{1}{f}=(n-1)\left(\frac{1}{R_{1}}-\frac{1}{R_{2}}\right)\) से, या \(\frac{1}{20}=0.55\left(\frac{1}{R}+\frac{1}{R}\right)=\frac{0.55 \times 2}{R}\)
R = 2 × 0.55 × 20 = 22 सेमी।
अत: प्रत्येक पृष्ठ की वक्रता त्रिज्या 22 सेमी होनी चाहिए।

प्रश्न 8.
कोई प्रकाश पुंज किसी बिन्दु P पर अभिसरित होता है। कोई लेन्स इस अभिसारी पुंज के पथ में बिन्दु P से 12 सेमी दूर रखा जाता है। यदि यह
(a) 20 सेमी फोकस दूरी का उत्तल लेन्स है
(b) 16 सेमी फोकस दूरी का अवतल लेन्स है तो प्रकाश पुंज किस बिन्दु पर अभिसरित होगा?
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हल :
(a) स्पष्ट है कि इस स्थिति में बिन्दु P लेन्स के लिए आभासी वस्तु (बिम्ब) है।
∴ u = + 12 सेमी (लेन्स के दायीं ओर है), f= + 20 सेमी
∴लेन्स के सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से,
अतः \(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}+\frac{1}{u}=\frac{1}{20}+\frac{1}{12}=\frac{3+5}{60}=\frac{8}{60}\)
⇒ v = \(\frac{60}{8}\) = 7.5 सेमी
अत: प्रकाश पुंज लेन्स के पीछे (दाहिनी ओर) लेन्स से 7.5 सेमी दूरी पर अभिसरित होगा।

(b) इस स्थिति में, f= – 16 सेमी
∴ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}+\frac{1}{u}=-\frac{1}{16}+\frac{1}{12}=\frac{-3+4}{48}=\frac{1}{48}\)
⇒ v = + 48 सेमी
अतः प्रकाश पुंज लेन्स के दाहिनी ओर लेन्स से 48 सेमी दूरी पर अभिसरित होगा।

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प्रश्न 9.
3.0 सेमी ऊँची कोई बिम्ब 21 सेमी फोकस दूरी के अवतल लेन्स के सामने 14 सेमी दूरी पर रखी है। लेन्स द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब का वर्णन कीजिए। क्या होता है जब बिम्ब लेन्स से दूर हटती जाती है?
हल :
दिया है, u = – 14 सेमी, f = – 21 सेमी, h = 3.0 सेमी
लेन्स के सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से,
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अतः प्रतिबिम्ब 1.8 सेमी लम्बा आभासी तथा सीधा होगा, जो लेन्स के बायीं ओर उससे 8.4 सेमी की दूरी पर बनेगा।
जैसे-जैसे बिम्ब लेन्स से दूरी हटती है, (u → ∞) वैसे-वैसे प्रतिबिम्ब फोकस के समीप खिसकता जाता है (v → f)।

प्रश्न 10.
किसी 30 सेमी फोकस दूरी के उत्तल लेन्स के सम्पर्क में रखे 20 सेम फोकस दूरी के अवतल लेन्स के संयोजन से बने संयुक्त लेन्स (निकाय) की फोकस दूरी क्या है? यह तन्त्र अभिसारी लेन्स है अथवा अपसारी? लेन्सों की मोटाई की उपेक्षा कीजिए।
हल :
दिया है, f1= + 30 सेमी, f2 = – 20 सेमी
∴ \(\frac{1}{F}=\frac{1}{f_{1}}+\frac{1}{f_{2}}=\frac{1}{30}-\frac{1}{20}=\frac{2-3}{60}=-\frac{1}{60}\)
∴ संयुक्त लेन्स की फोकस दूरी F = – 60 सेमी
यह लेन्स अपसारी है।

प्रश्न 11.
किसी संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में 2.0 सेमी फोकस दूरी का अभिदृश्यक लेन्स तथा 6.25 सेमी फोकस दूरी का नेत्रिका लेन्स एक-दूसरे से 15 सेमी दूरी पर लगे हैं। किसी बिम्ब को अभिदृश्यक से कितनी दूरी पर रखा जाए कि अन्तिम प्रतिबिम्ब
(a) स्पष्ट दृष्टि की अल्पतम दूरी (25 सेमी) तथा
(b) अनन्त पर बने? दोनों स्थितियों में सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता ज्ञात कीजिए।
हल :
(a) चूँकि नेत्रिका अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनाती है; अतः नेत्रिका के लिए
ve =- 25 सेमी, D = 25 सेमी, fe =+6.25 सेमी
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अतः अभिदृश्यक द्वारा बने प्रतिबिम्ब की नेत्रिका से दूरी = 5 सेमी
∴ इसकी अभिदृश्यक से दूरी = 15 – 5 = 10 सेमी (दायीं ओर) [∵ लेन्सों के बीच दूरी = 15 सेमी]
∴ अभिदृश्यक हेतु v0= + 10 सेमी, f 0= 2.0 सेमी
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अतः बिम्ब को अभिदृश्यक के सामने 2.5 सेमी दूरी पर रखना होगा।
इस स्थिति में सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता M
∴ \(M=\frac{v_{o}}{\left|u_{o}\right|}\left(1+\frac{D}{f_{e}}\right)=\frac{10}{2.5}\left(1+\frac{25}{6.25}\right)=4 \times(1+4)=20\)

(b) इस स्थिति में, ve = ∞
\(\frac{1}{v_{e}}-\frac{1}{u_{e}}=\frac{1}{f_{e}}\) ⇒ \(0-\frac{1}{u_{e}}=\frac{1}{6.25}\)
⇒ ue = – 6.25 सेमी

∴ अभिदृश्यक द्वारा बने प्रतिबिम्ब की नेत्रिका से दूरी = 6.25 सेमी
∴ इसकी अभिदृश्यक से दूरी = 15- 6.25 = 8.75 सेमी
अतः अभिदृश्यक हेतु vo = + 8.75 सेमी, fo= 2.0 सेमी
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अतः वस्तु को अभिदृश्यक के सामने 2.59 सेमी दूरी पर रखना होगा।
आवर्धन क्षमता \(M=\frac{v_{o}}{\left|u_{o}\right|} \times \frac{D}{f_{e}}=\frac{8.75}{2.59} \times \frac{25}{6.25}=13.5\)

प्रश्न 12.
25 सेमी के सामान्य निकट बिन्दु का कोई व्यक्ति ऐसे संयुक्त सूक्ष्मदर्शी जिसका अभिदृश्यक 8.0 मिमी फोकस दूरी तथा नेत्रिका 2.5 सेमी फोकस दूरी की है, का उपयोग करके अभिदृश्यक से 9.0 मिमी दूरी पर रखे बिम्ब को सुस्पष्ट फोकसित कर लेता है। दोनों लेन्सों के बीच पृथक्कन दूरी क्या है? सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता क्या है?
हल :
दिया है, fo = 8.0 मिमी fe= 0.8 सेमी, fo= 2.5 सेमी, u0 = – 9.0 मिमी = – 0.9 सेमी
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∴ व्यक्ति का निकट बिन्दु 25 सेमी है तथा व्यक्ति बिम्ब को स्पष्ट फोकसित कर लेता है, इसका यह अर्थ है कि अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता है।
अत: ve = – 25 सेमी, D = 25 सेमी
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प्रश्न 13.
किसी छोटी दूरबीन के अभिदृश्यक की फोकस दूरी 144 सेमी तथा नेत्रिका की फोकस दूरी 6.0 सेमी है। दूरबीन की आवर्धन क्षमता कितनी है? अभिदृश्यक तथा नेत्रिका के बीच पृथक्कन दूरी क्या है?
हल :
दिया है, fo = 144 सेमी, fe = 6.0 सेमी
दूरबीन की आवर्धन क्षमता \(M=\frac{f_{0}}{f_{e}}=\frac{144}{6.0}\) = 24
दूरबीन की लम्बाई L= fo + fe = 144 + 6 = 150 सेमी।

प्रश्न 14.
(a) किसी वेधशाला की विशाल दूरबीन के अभिदृश्यक की फोकस दूरी 15 मीटर है। यदि 1.0 सेमी फोकस दूरी की नेत्रिका प्रयुक्त की गयी है तो दूरबीन का कोणीय आवर्धन क्या है?
(b) यदि इस दूरबीन का उपयोग चन्द्रमा का अवलोकन करने में किया जाए तो अभिदृश्यक लेन्स द्वारा निर्मित चन्द्रमा के प्रतिबिम्ब का व्यास क्या है? चन्द्रमा का व्यास 3.48x 106 मीटर तथा चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या 3.8 x 108 मीटर है।
हल :
(a) दिया है : fo = 15 मीटर = 1500 सेमी, fe= 1.0 सेमी
∴ दूरबीन का कोणीय आवर्धन M = \(M=\frac{f_{o}}{f_{e}}=\frac{1500}{1.0}\) = 1500

(b) दिया है, चन्द्रमा का व्यास h = 3.48 × 106 मीटर
चन्द्रमा की वेधशाला से दूरी = 3.8 × 108 मीटर
माना अभिदृश्यक द्वारा बने प्रतिबिम्ब का व्यास d है.
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∴ अभिदृश्यक द्वारा बने प्रतिबिम्ब का व्यास = 13.73 सेमी।

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प्रश्न 15.
दर्पण-सूत्र का उपयोग यह व्युत्पन्न करने के लिए कीजिए कि
(a) किसी अवतल दर्पण के f तथा 2f के बीच रखे बिम्ब का वास्तविक प्रतिबिम्ब 26 से दूर बनता है।
(b) उत्तल दर्पण द्वारा सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनता है जो बिम्ब की स्थिति पर निर्भर नहीं करता।
(c) उत्तल दर्पण द्वारा सदैव आकार में छोटा प्रतिबिम्ब, दर्पण के ध्रुव व फोकस के बीच बनता है।
(d) अवतल दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के बीच रखे बिम्ब का आभासी तथा बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है।
हल :
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अवतल दर्पण के लिए f ऋणात्मक होता है जबकि u सभी दर्पणों के लिए ऋणात्मक है; अत: उक्त सूत्र से u व f को चिह्न सहित रखने पर,
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इससे स्पष्ट है कि v का मान ऋणात्मक है अर्थात् प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने बनता है; अत: वास्तविक है।
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अर्थात् प्रतिबिम्ब 2f से दूर बनेगा।

(b) भाग (a) से, \(v=\frac{u f}{u-f}\)
उत्तल दर्पण के लिए f धनात्मक होता है जबकि u प्रत्येक दर्पण के लिए ऋणात्मक होता है; अत: चिह्न सहित मान रखने पर,
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इससे स्पष्ट है कि v धनात्मक है अर्थात् प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे की ओर बनता है। अतः आभासी है।
इस प्रकार उत्तल दर्पण सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनाता है, जो बिम्ब की स्थिति पर निर्भर नहीं करता।

(c) पुनः भाग (b) के परिणाम से, \(v=\frac{u f}{u+f}\)
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∵ रेखीय आवर्धन 1 से कम है; अत: स्पष्ट है कि प्रतिबिम्ब का आकार सदैव बिम्ब के आकार से छोटा है।
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∵ बिम्ब ध्रुव तथा फोकस के बीच स्थित है; अत: 0 0
\(v=\frac{u f}{f-u}\) धनात्मक है।
\(m=\frac{v}{u}\) ⇒ (∵f – u < f)
∵ आवर्धन 1 से अधिक है, अर्थात् प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के आकार से बड़ा है।

प्रश्न 16.
किसी मेज के ऊपरी पृष्ठ पर जड़ी एक छोटी पिन को 50 सेमी ऊँचाई से देखा जाता है। 15 सेमी मोटे आयताकार काँच के गुटके को मेज के पृष्ठ के समान्तर पिन व नेत्र के बीच रखकर उसी बिन्दु से देखने पर पिन नेत्र से कितनी दूर दिखाई देगी? काँच का अपवर्तनांक 1.5 है। क्या उत्तर गुटके की अवस्थिति पर निर्भर करता है?
हल :
दिया है, ang = 1.5,
गुटके की वास्तविक मोटाई t= 15 सेमी तथा पिन की नेत्र से दूरी h = 50 सेमी
पिन से आँख तक पहुँचने वाली किरणें जब काँच के गुटके से होकर गुजरती हैं तो अपवर्तन के कारण गुटके की आभासी मोटाई वास्तविक मोटाई से कम प्रतीत होती है। इसी कारण पिन कुछ उठी हुई प्रतीत होती है।
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अतः पिन 5 सेमी ऊपर उठी दिखाई देगी अर्थात् नेत्र से 45 सेमी गहराई पर दिखाई देगी।
छोटे अपवर्तन कोणों के लिए उत्तर गुटके की अवस्थिति पर निर्भर नहीं करता।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(a) चित्र 9.4 में अपवर्तनांक 1.68 के तन्तु काँच से बनी किसी ‘प्रकाश नलिका’ (लाइट पाइप) का अनुप्रस्थ परिच्छेद दर्शाया गया है। नलिका का बाह्य आवरण 1.44 अपवर्तनांक के पदार्थ का बना है। नलिका के अक्ष से आपतित किरणों के कोणों का परिसर, जिनके लिए चित्र में दर्शाए अनुसार नलिका के भीतर पूर्ण परावर्तन होते हैं, ज्ञात कीजिए।
(b) यदि पाइप पर बाह्य आवरण न हो तो क्या उत्तर होगा?
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हल :
(a) बाह्य आवरण का अपवर्तनांक n1 = 1.44, तन्तु काँच का अपवर्तनांक n2= 1.68
बाह्य आवरण के सापेक्ष तन्तु काँच का अपवर्तनांक \(_{1} n_{2}=\frac{n_{2}}{n_{1}}=\frac{1.68}{1.44}=1.167\)
∵ n2 > n1
अत: तन्तु काँच, बाह्य आवरण के सापेक्ष सघन है।
अतः यदि कोई किरण तन्तु काँच में चलती हुई, सीमा पृष्ठ पर क्रान्तिक कोण i. से बड़े कोण पर आपतित होती है तो वह काँच में पूर्णतः परावर्तित हो जाएगी।
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अत: पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हेतु आपतन कोण i ऐसा होना चाहिए कि i> 59°

(b) इस स्थिति में तन्तु काँच के बाहर का माध्यम वायु होगा।
यदि काँच वायु के लिए क्रान्तिक कोण ic है तो \(n_{2}=\frac{1}{\sin i_{c}}\)
[latex]\sin i_{c}=\frac{1}{n_{2}}=\frac{1}{1.68}=0.59[/latex]
⇒ ic = sin-1(0.59) = 36°
अत: किरणों का आपतन कोण i> 36° होना चाहिए।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(a) आपने सीखा है कि समतल तथा उत्तल दर्पण सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनाते हैं। क्या ये दर्पण किन्हीं परिस्थितियों में वास्तविक प्रतिबिम्ब बना सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।
(b) हम सदैव कहते हैं कि आभासी प्रतिबिम्ब को परदे पर केन्द्रित नहीं किया जा सकता। यद्यपि जब हम किसी आभासी प्रतिबिम्ब को देखते हैं तो हम इसे स्वाभाविक रूप में अपनी आँख की स्क्रीन (अर्थात् रेटिना) पर लेते हैं। क्या इसमें कोई विरोधाभास है?
(c) किसी झील के तट पर खड़ा मछुआरा झील के भीतर किसी गोताखोर द्वारा तिरछा देखने पर अपनी वास्तविक लम्बाई की तुलना में कैसा प्रतीत होगा-छोटा अथवा लम्बा?
(d) क्या तिरछा देखने पर किसी जल के टैंक की आभासी गहराई परिवर्तित हो जाती है? यदि हाँ, तो आभासी गहराई घटती है अथवा बढ़ जाती है।
(e) सामान्य काँच की तुलना में हीरे का अपवर्तनांक काफी अधिक होता है? क्या हीरे को तराशने वालों के लिए इस तथ्य का कोई उपयोग होता है?
उत्तर :
(a) यह सही है कि समतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण अपने सामने स्थित बिम्ब का आभासी प्रतिबिम्ब बनाते हैं। परन्तु ये दर्पण अपने पीछे स्थित किसी बिन्दु (आभासी बिम्ब) की ओर अभिसरित किरण पुंज को परावर्तित करके अपने सामने स्थित किसी बिन्दु पर अभिसरित कर सकते हैं अर्थात् आभासी बिम्ब का वास्तविक प्रतिबिम्ब बन सकते हैं [देखें चित्र-9.5 (a)]।
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(b) जब किसी दर्पण से परावर्तन अथवा लेन्स से अपवर्तन के पश्चात् किरणें अपसरित होती हैं तो प्रतिबिम्ब को आभासी कहा जाता है। इस प्रतिबिम्ब को परदे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता। यदि इन अपसारी किरणों के मार्ग में कोई अन्य दर्पण अथवा लेन्स रखकर इन्हें किसी बिन्दु पर अभिसरित किया जा सकता तो वहाँ वास्तविक प्रतिबिम्ब बनेगा जिसे परदे पर प्राप्त किया जा सकता है। नेत्र लेन्स वास्तव में यही कार्य करता है। यह आभासी प्रतिबिम्ब बनाने वाली अपसारी किरणों को रेटिना पर अभिसरित कर देता है, जहाँ वास्तविक प्रतिबिम्ब बन जाता है। अतः इसमें कोई विरोधाभास नहीं है [देखें चित्र-9.5 (b)]।
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(c) चूँकि इस दशा में अपवर्तन वायु (विरल माध्यम) से पानी (सघन माध्यम) में होता है। अतः झील में डूबे हुए गोताखोर को मछुआरे की लम्बाई अधिक प्रतीत होगी।
(d) हाँ, परिवर्तित हो जाती है। यह आभासी गहराई घट जाती है।
(e) वायु के सापेक्ष हीरे का अपवर्तनांक 2.42 (काफी अधिक) है तथा क्रान्तिक कोण 24° (बहुत कम) है। हीरा तराशने में दक्ष कारीगर इस तथ्य का उपयोग करते हुए हीरे को इस प्रकार तराशता है कि एक बार हीरे में प्रवेश करने वाली प्रकाश किरण हीरे के विभिन्न फलकों पर बार-बार परावर्तित होने के बाद ही किसी फलक से बाहर निकल पाए। इसके लिए हीरे की आन्तरिक सतह पर आपतन कोण 24° से अधिक होना चाहिए। इससे हीरा अत्यधिक चमकीला दिखाई पड़ता है।

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प्रश्न 19.
किसी कमरे की एक दीवार पर लगे विद्युत बल्ब का किसी बड़े आकार के उत्तल लेन्स द्वारा 3 मीटर दूरी पर स्थित सामने की दीवार पर प्रतिबिम्ब प्राप्त करना है। इसके लिए उत्तल लेन्स की अधिकतम फोकस दूरी क्या होनी चाहिए?
हल :
माना किसी उत्तल लेन्स की फोकस दूरी f है तथा यह बल्ब का प्रतिबिम्ब दूसरी दीवार पर बनाता है।
माना बल्ब की लेन्स से दूरी u (आंकिक मान) तथा दूसरी दीवार की लेन्स से दूरी v है, तब
u + v = 3 ⇒ u = 3 – v
लेन्स के सूत्र में चिह्न सहित मान रखने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 26
उक्त समीकरण v के वास्तविक मान देगा यदि
B2 ≥ 4AC  या  (-3)2 ≥ 4 × 3f  या 9 ≥ 12f
[latex]f \leq \frac{9}{12}=\frac{3}{4}[/latex]
∴ लेन्स की अधिकतम फोकस दूरी fmax = \(\frac{3}{4}\) मीटर = 75 सेमी।

प्रश्न 20.
किसी परदे को बिम्ब से 90 सेमी दूर रखा गया है। परदे पर किसी उत्तल लेन्स द्वारा उसे एक-दूसरे से 20 सेमी दूर स्थितियों पर रखकर, दो प्रतिबिम्ब बनाए जाते हैं। लेन्स की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
हल :
माना बिम्ब की लेन्स से दूरी u (आंकिक मान) है तथा प्रतिबिम्ब (परदे) की लेन्स से दूरी v है।
तब u+ v = 90 ⇒ v = 90-u
लेन्स के सूत्र में चिह्न सहित मान रखने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 27
⇒ 90f = (90 – u) u या u2 – 90u + 90f = 0 ……………………….(1)
चूँकि लेन्स दो स्थितियों में वस्तु का प्रतिबिम्ब परदे पर बनाता है तथा दो स्थितियों के बीच की दूरी 20 सेमी है;
अत: समीकरण (1) में u में दो मूल (माना u1 व u2) होंगे जिनका अन्तर 20 सेमी होगा।
अर्थात् (u1 – u2)2 = (20)2 = 400
समीकरण (1) से, u1 + u2 = 90 ⇒ u1u2= 90f
∴(u1 – u2)2 = (u1 + u2)2 – 4u1u2
⇒ 400 = (90)2 – 4 × 90f ⇒ 360f = 8100 – 400 = 7700
∴ फोकस दूरी \(f=\frac{7700}{360}\) = 21.38 ≈ 21.4 सेमी।
अन्य विधि-विस्थापन विधि के सूत्र से, \(f=\frac{a^{2}-d^{2}}{4 a}\)
यहाँ a = बिम्ब तथा प्रतिबिम्ब के बीच की दूरी = 90 सेमी
d = लेन्स की दो स्थितियों के बीच की दूरी = 20 सेमी
∴ फोकस दरी\(f=\frac{(90)^{2}-(20)^{2}}{4 \times 90}=\frac{8100-400}{360}=\frac{7700}{360}\) = 21.4 सेमी।

प्रश्न 21.
(a) प्रश्न 10 के दो लेन्सों के संयोजन की प्रभावी फोकस दूरी उस स्थिति में ज्ञात कीजिए जब उनके मुख्य अक्ष संपाती हैं तथा ये एक-दूसरे से 8 सेमी दूरी पर रखे हैं। क्या उत्तर आपतित समान्तर प्रकाश पुंज की दिशा पर निर्भर करेगा? क्या इस तन्त्र के लिए प्रभावी फोकस दूरी किसी भी रूप में उपयोगी है?
(b) उपर्युक्त व्यवस्था (a) में 1.5 सेमी ऊँचा कोई बिम्ब उत्तल लेन्स की ओर रखा है। बिम्ब की उत्तल लेन्स से दूरी 40 सेमी है। दो लेन्सों के तन्त्र द्वारा उत्पन्न आवर्धन तथा प्रतिबिम्ब का आकार ज्ञात कीजिए।
हल :
(a) लेन्सों की फोकस दूरियाँ f1 = + 30 सेमी, f2 = – 20 सेमी
कल्पना करें कि एक समान्तर किरण पुंज बाईं ओर से उत्तल लेन्स पर आपतित होता है, तब उत्तल लेन्स हेतु
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 28
u = – ∞
∴ \(\frac{1}{v}-\frac{1}{-\infty}=\frac{1}{f_{1}}\)
⇒ v = f1 = + 30 सेमी
अर्थात् उत्तल लेन्स इन किरणों को 30 सेमी की दूरी पर बिन्दु I पर मिलाता है।
बिन्दु I1 अवतल लेन्स के लिए आभासी बिम्ब है।
∴ अवतल लेन्स हेतु, u = (30- 8) = + 22 सेमी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 29
⇒ v = – 220 सेमी
अर्थात् अन्तिम प्रतिबिम्ब, अवतल लेन्स के बाईं ओर इससे 220 सेमी दूर बनता है।
इस प्रतिबिम्ब की लेन्सों के केन्द्र से दूरी 220 – \(\frac{8}{2}\) =216 सेमी है।
अर्थात् अवतल लेन्स की ओर से देखने पर यह किरण पुंज लेन्सों के केन्द्र से 216 सेमी बाईं ओर स्थित बिन्दु से अपसरित प्रतीत होता है।
इस प्रकार यदि इस युग्म की फोकस दूरी अर्थपूर्ण है तो यह फोकस दूरी – 216 सेमी होनी चाहिए।
दूसरी दशा में कल्पना कीजिए कि समान्तर किरण पुंज दाईं ओर से चलता हुआ पहले अवतल लेन्स पर आपतित होता है।
∴ अवतल लेन्स हेतु u = – ∞
∴ \(\frac{1}{v}-\frac{1}{-\infty}=\frac{1}{-20}\) ⇒ v = – 20 सेमी
अर्थात् अवतल लेन्स से अपवर्तन के कारण ये किरणें उसके पीछे 20 सेमी दूरी पर स्थित बिन्दु से आती प्रतीत होती हैं। यह बिन्दु उत्तल लेन्स हेतु आभासी बिम्ब का कार्य करेगा।
∴ उत्तल लेन्स हेतु u = – (20 + 8) = – 28
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 30
अर्थात् उत्तल लेन्स की ओर से देखने पर किरणें इससे पीछे की ओर 420 सेमी दूरी पर स्थित बिन्दु से आती प्रतीत होती हैं।
इस बिन्दु की निकाय के केन्द्र से दूरी 420 – \(\frac{8}{2}\) = 416 सेमी है।
∴ निकाय की फोकस दूरी – 416 सेमी होनी चाहिए।
इस प्रकार हम देखते हैं कि इस निकाय की फोकस दूरी आपतित किरण पुंज की दिशा पर निर्भर करती हैं; अत: यह फोकस दूरी किसी भी रूप में उपयोगी नहीं है।

(b) उत्तल लेन्स हेतु U1 = – 40 सेमी, f1 = + 30 सेमी, h = 1.5 सेमी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 31

∴ अवतल लेन्स हेतु u2 = + (v1 – 8)= + 112 सेमी
जबकि f2 = – 20 सेमी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 32
∴ तन्त्र द्वारा उत्पन्न आवर्धन m = m1 × m2 = \(\frac{v_{1}}{u_{1}} \times \frac{v_{2}}{u_{2}}=\frac{+120}{-40} \times \frac{-560 / 23}{112}\)
m = \(\frac{15}{23}\) = 0.652
m =\( \frac{h^{\prime}}{h}\) से,
h’ = h × m = 1.5 × 0.652 = 0.98 सेमी
अत:” प्रतिबिम्ब का आकार = 0.98 सेमी।

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प्रश्न 22.
60° अपवर्तन कोण के प्रिज्म के फलक पर किसी प्रकाश किरण को किस कोण पर आपतित कराया जाए कि इसका दूसरे फलक से केवल पूर्ण आन्तरिक परावर्तन ही हो? प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक 1.524 है।
हल :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 33
A= 60°, ang = 1.524
चित्र से, 90° – r +90° – θ + 60° = 180° (∆ABC में)
r = 60° – θ
यदि θ = ic हो तो r = 60° – ic
जबकि \(\sin i_{c}=\frac{1}{a^{n} g}=\frac{1}{1.524}=0.656\) ⇒ ic = sin-1(0.656) = 41
अतः r = 60° – 41° = 19°
अतः बिन्दु B पर अपवर्तन हेतु \(a n_{g}=\frac{\sin i}{\sin r}\)
⇒ sin i = ang × sin r
या sin i = 1.524 × sin 19° = 0.5 = \(\frac { 1 }{ 2 }\) =sin 30°.
अतः i= 30°
दूसरे फलक से पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए आवश्यक है कि किरण इस फलक पर क्रान्तिक कोण icसे बड़े कोण पर गिरे।
∵ r = 60° – θ तथा θ = ic के लिए, r = 19°, i = 30°
∴ θ > ic के लिए, r < 19° = i< 30°
अत: दूसरे फलक से पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हेतु आपतन कोण i < 30°

प्रश्न 23.
आपको विविध कोणों के क्राउन काँच व फ्लिण्ट काँच के प्रिज्म दिए गए हैं। प्रिज्मों का कोई ऐसा संयोजन सुझाइए जो
(a) श्वेत प्रकाश के संकीर्ण पंज को बिना अधिक परिक्षेपित किए विचलित कर दे।
(b) श्वेत प्रकाश के संकीर्ण पुंज को अधिक विचलित किए बिना परिक्षेपित (तथा विस्थापित) कर दे।
उत्तर :
हम जानते हैं कि फ्लिण्ट काँच, क्राउन काँच की तुलना में अधिक विक्षेपण उत्पन्न करता है।
(a) बिना विक्षेपण के विचलन उत्पन्न करने हेतु क्राउन काँच का एक प्रिज्म लीजिए तथा एक फ्लिण्ट काँच का प्रिज्म लीजिए जिसका अपवर्तक कोण अपेक्षाकृत कम हो। अब इन्हें एक-दूसरे के सापेक्ष उल्टा रखते हुए सम्पर्क में रखिए। इस प्रकार बना संयोजन श्वेत प्रकाश को बिना अधिक परिक्षेपित किए विचलित कर देगा।
(b) पुराने संयोजन में लिए गए फ्लिण्ट काँच के प्रिज्म के अपवर्तक कोण में वृद्धि कीजिए (परन्तु अभी भी यह कोण दूसरे प्रिज्म की तुलना में कम ही रहेगा)। यह व्यवस्था पुंज को बिना अधिक विचलित किए परिक्षेपण उत्पन्न करेगी।

प्रश्न 24.
सामान्य नेत्र के लिए दूर बिन्दु अनन्त पर तथा स्पष्ट दर्शन का निकट बिन्दु नेत्र के सामने लगभग 25 सेमी पर होता है। नेत्र का स्वच्छ मण्डल (कॉर्निया) लगभग 40 D की अभिसरण क्षमता प्रदान करता है तथा स्वच्छ मण्डल के पीछे नेत्र लेन्स की अल्पतम अभिसरण क्षमता लगभग 20 D होती है। इस स्थूल आँकड़े से सामान्य नेत्र के परास (अर्थात् नेत्र लेन्स की अभिसरण क्षमता का परिसर) का अनुमान लगाइए।
हल :
नेत्र लेन्स की अल्पतम अभिसरण क्षमता P1 = + 20 D
जबकि कॉर्निया की अभिसरण क्षमता P2 = + 40 D
जब वस्तु अनन्त पर होती है तो नेत्र न्यूनतम क्षमता का प्रयोग करके, अनन्त पर स्थित बिन्दु का प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर बनाता है।
इस समय नेत्र की क्षमता P = P1 + P2= 60 D
∴ फोकस दूरी f = \(\frac{100}{P}\) सेमी = \(\frac{100}{60}\) = \(\frac{5}{3}\) सेमी
यदि दृष्टि पटल की लेन्स से दूरी v है तो u =∞, f = \(\frac{5}{3}\) सेमी से,
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) ⇒ \(\frac{1}{v}-\frac{1}{-\infty}=\frac{3}{5}\)
∴ दृष्टि पटल की लेन्स से दूरी v = \(\frac{5}{3}\) सेमी
जब वस्तु नेत्र के निकट बिन्दु (25 सेमी दूरी) पर होती है तो नेत्र सम्पूर्ण अभिसरण क्षमता का प्रयोग करता है।
माना इस दशा में नेत्र लेन्स की अभिसरण क्षमता = P1
जबकि सम्पूर्ण नेत्र की फोकस दूरी माना f’ है, तब \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f^{\prime}}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 34
परन्तु कॉर्निया की अभिसरण क्षमता + 40D नियत है,
∴ नेत्र लेन्स की अधिकतम अभिसरण क्षमता P1‘ = P’ – P2 = 64- 40 = + 24 D [∵ P’ = P’1 + P2]
अत: नेत्र लेन्स की अभिसरण परास + 20D से + 24 D के बीच है।

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प्रश्न 25.
क्या निकट दृष्टिदोष अथवा दीर्घ दृष्टिदोष आवश्यक रूप से यह ध्वनित होता है कि नेत्र ने अपनी समंजन क्षमता आंशिक रूप से खो दी है? यदि नहीं, तो इन दृष्टिदोषों का क्या कारण हो सकता है?
हल :
यह आवश्यक नहीं है कि निकट दृष्टिदोष अथवा दूर दृष्टिदोष केवल नेत्र के आंशिक रूप से अपनी समंजन क्षमता खो देने के कारण ही उत्पन्न होता है। यह नेत्र गोलक के सामान्य आकार से बड़ा अथवा छोटा होने के कारण भी उत्पन्न हो सकता है।

प्रश्न 26.
निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति दूर दृष्टि के लिए – 1D क्षमता का चश्मा उपयोग कर रहा है। अधिक आयु होने पर उसे पुस्तक पढ़ने के लिए अलग से + 2.0 D क्षमता के चश्मे की आवश्यकता होती है। स्पष्ट कीजिए ऐसा क्यों हुआ?
हल :
∴ P= – 1.0D
∴f = \(\frac{100}{P}\) सेमी = \(\frac{100}{1.0}\) = – 100 सेमी
इससे स्पष्ट है कि व्यक्ति का दूर बिन्दु 100 सेमी की दूरी पर आ गया है। इस दशा में अनन्त पर स्थित वस्तुओं को देखने के लिए वह ऐसे चश्मे (-1.0 D) का प्रयोग करता है जो अनन्त पर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब 100 सेमी की दूरी पर बना देता है।
इससे पास की वस्तुओं (25 सेमी व 100 सेमी के बीच की) को मनुष्य, नेत्र की समंजन क्षमता का प्रयोग करके देख लेता है। उम्र के बढ़ने के साथ-साथ उसके नेत्र की समंजन क्षमता भी कम हो जाती है। इस कारण उसे निकट की वस्तुओं को देखने के लिए भी चश्मे की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 27.
कोई व्यक्ति ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज धारियों की कमीज पहने किसी दूसरे व्यक्ति को देखता है। वह क्षैतिज धारियों की तुलना में ऊर्ध्वाधर धारियों को अधिक स्पष्ट देख पाता है। ऐसा किस दृष्टिदोष के कारण होता है? इस दृष्टिदोष का संशोधन कैसे किया जाता है?
हल :
यह घटना अबिन्दुकता नामक दृष्टिदोष के कारण होती है। सामान्य नेत्र पूर्णतः गोलीय होता है तथा इसके विभिन्न तलों की वक्रता सर्वत्र समान होती है। परन्तु अबिन्दुकता दोष में कॉर्निया पूर्णतः गोलीय नहीं रह जाता तथा इसके विभिन्न तलों की वक्रताएँ समान नहीं रह पातीं। प्रश्नानुसार व्यक्ति ऊर्ध्वाधर धारियों को स्पष्ट देख पाता है परन्तु क्षैतिज धारियों को नहीं। इससे स्पष्ट है कि नेत्र में ऊर्ध्वाधर तल में पर्याप्त वक्रता है जिसके कारण ऊर्ध्वाधर रेखाएँ दृष्टि पटल पर स्पष्ट फोकस हो रही हैं। परन्तु क्षैतिज तल की वक्रता पर्याप्त नहीं है।
इस दोष को सिलिण्डरी लेन्स की सहायता से दूर किया जा सकता है।

प्रश्न 28.
कोई सामान्य निकट बिन्दु ( 25 सेमी) का व्यक्ति छोटे अक्षरों में छपी वस्तु को 5 सेमी फोकस दूरी के पतले उत्तल लेन्स के आवर्धक लेन्स का उपयोग करके पढ़ता है।
(a) वह निकटतम तथा अधिकतम दूरियाँ ज्ञात कीजिए जहाँ वह उस पुस्तक को आवर्धक लेन्स द्वारा पढ़ सकता है।
(b) उपर्युक्त सरल सूक्ष्मदर्शी के उपयोग द्वारा सम्भावित अधिकतम तथा न्यूनतम कोणीय आवर्धन (आवर्धन क्षमता) क्या है?
हल :
(a) दिया है, f = + 5 सेमी
निकटतम दूरी वह दूरी होगी जबकि लेन्स पुस्तक का प्रतिबिम्ब मनुष्य के निकट बिन्दु पर बनाएगा।
इसके लिए v = – 25 सेमी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 35
पुनः अधिकतम दूरी वह दूरी होगी, जबकि लेन्स वस्तु का प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनाएगा।
इसके लिए v = ∞.
∴ \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) ⇒ \(\frac{1}{\infty}-\frac{1}{u}=\frac{1}{5}\)
⇒ u = – 5 सेमी
अतः निकटतम दूरी = 4\(\frac{1}{2}\) सेमी तथा अधिकतम दूरी = 5 सेमी।

(b) अधिकतम कोणीय आवर्धन mmax = 1 + \(\frac{D}{f}\) = 1 + \(\frac{25}{5}\) = 6
न्यूनतम कोणीय आवर्धन mmin = \(\frac{D}{f}\) = \(\frac{25}{5}\) = 5

प्रश्न 29.
कोई कार्ड शीट जिसे 1 मिमी2 साइज के वर्गों में विभाजित किया गया है, को 9 सेमी दूरी पर रखकर किसी आवर्धक लेन्स (10 सेमी फोकस दूरी का अभिसारी लेन्स) द्वारा उसे नेत्र के निकट रखकर देखा जाता है।
(a) लेन्स द्वारा उत्पन्न आवर्धन (प्रतिबिम्ब-साइज/ वस्तु-साइज) क्या है? आभासी प्रतिबिम्ब में प्रत्येक वर्ग का . क्षेत्रफल क्या है?
(b) लेन्स का कोणीय आवर्धन (आवर्धन क्षमता) क्या है?
(c) क्या (a) में आवर्धन (b) में आवर्धन के बराबर है? स्पष्ट कीजिए।
हल :
(a) ∵ u = – 9 सेमी, f= + 10 सेमी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 36
⇒ 10 = \(\frac{h^{\prime}}{h}\) ⇒ h’ = 10h = 10 × 1 मिमी = 1 सेमी ::
∴ प्रतिबिम्ब के प्रत्येक वर्ग का क्षेत्रफल = h’ × h’ = 1 सेमी2

(b) लेन्स का कोणीय आवर्धन (आवर्धन क्षमता) \(m=\frac{D}{f}=\frac{25}{10}=2.5\)
(c) नहीं, किसी लेन्स द्वारा उत्पन्न आवर्धन तथा लेन्स की आवर्धन क्षमता दोनों अलग-अलग अवधारणाएँ हैं। .
लेन्स द्वारा उत्पन्न आवर्धन, प्रतिबिम्ब के आकार तथा वस्तु के आकार के अनुपात के बराबर होता है। अत: \frac{v}{u} के बराबर होता है जबकि प्रकाशिक यन्त्र की आवर्धन क्षमता उसके द्वारा बने अन्तिम प्रतिबिम्ब के कोणीय साइज तथा वस्तु के कोणीय साइज के अनुपात के बराबर होता है जबकि वस्तु आँख के निकट बिन्दु पर रखी गई है।
उक्त दोनों राशियाँ केवल तभी बराबर होती हैं जबकि अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता है।

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प्रश्न 30.
(a) प्रश्न 29 में लेन्स को चित्र से कितनी दूरी पर रखा जाए ताकि वर्गों को अधिकतम सम्भव आवर्धन क्षमता के साथ सुस्पष्ट देखा जा सके।
(b) इस उदाहरण में आवर्धन (प्रतिबिम्ब-साइज/ वस्तु-साइज़) क्या है?
(c) क्या इस प्रक्रम में आवर्धन, आवर्धन क्षमता के बराबर है? स्पष्ट कीजिए।
हल :
(a) किसी आवर्धक लेन्स द्वारा अधिकतम आवर्धन तब प्राप्त होता है जबकि अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता है।
इस स्थिति में v = – 25 सेमी, f= 10 सेमी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 37
(b) इस दशा में आवर्धन का परिमाण = \(\frac{v}{u}=\frac{25}{7.14}=3.5\)
(c) आवर्धन क्षमता = \(\frac{D}{u}=\frac{25}{7.14}=3.5\)
हाँ, इस दशा में दोनों राशियाँ बराबर हैं। ऐसा इसलिए सम्भव हुआ है क्योंकि अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बना है।

प्रश्न 31.
प्रश्न 30 में वस्तु तथा आवर्धक लेन्स के बीच कितनी दूरी होनी चाहिए ताकि आभासी प्रतिबिम्ब में प्रत्येक वर्ग 6.25 मिमी2 क्षेत्रफल का प्रतीत हो? क्या आप आवर्धक लेन्स को नेत्र के अत्यधिक निकट रखकर इन वर्गों को सुस्पष्ट देख सकेंगे।
हल
∵ वर्ग का क्षेत्रफल = 1.0 मिमी2
वर्ग के प्रतिबिम्ब का क्षेत्रफल = 6.25 मिमी2
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 38
∴ वस्तु को लेन्स से 6 सेमी दूरी पर रखना होगा।
इस स्थिति में आभासी प्रतिबिम्ब नेत्र के निकट बिन्दु से भी पहले बनेगा; अतः उसे स्पष्ट देख पाना सम्भव नहीं होगा।

प्रश्न 32.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) किसी वस्तु द्वारा नेत्र पर अन्तरित कोण आवर्धक लेन्स द्वारा उत्पन्न आभासी प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर अन्तरित कोण के बराबर होता है। तब फिर इन अर्थों में कोई आवर्धक लेन्स कोणीय आवर्धन प्रदान करता है।
(b) किसी आवर्धक लेन्स से देखते समय प्रेक्षक अपने नेत्र को लेन्स से अत्यधिक सटाकर रखता है। यदि प्रेक्षक अपने नेत्र को पीछे ले जाए तो क्या कोणीय आवर्धन परिवर्तित हो जाएगा?
(c) किसी सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता उसकी फोकस दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है। तब हमें अधिकाधिक आवर्धन क्षमता प्राप्त करने के लिए कम-से-कम फोकस दूरी के उत्तल लेन्स का उपयोग करने से कौन रोकता है?
(d) किसी संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक लेन्स तथा नेत्रिका लेन्स दोनों ही की फोकस दूरी कम क्यों होनी चाहिए?
(e) संयुक्त सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखते समय सर्वोत्तम दर्शन के लिए हमारे नेत्र, नेत्रिका पर स्थित न होकर उससे कुछ दूरी पर होने चाहिए। क्यों? नेत्र तथा नेत्रिका के बीच की यह अल्प दूरी कितनी होनी चाहिए?
उत्तर :
(a) आवर्धक लेन्स के बिना वस्तु को देखते समय उसे नेत्र से 25 सेमी से कम दूरी पर नहीं रखा जा सकता, परन्तु लेन्स की सहायता से वस्तु को देखते समय वस्तु को अपेक्षाकृत नेत्र के अधिक समीप रखा जा सकता है जिससे कि अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने। इस प्रकार कोणीय साइज में वृद्धि वस्तु को नेत्र के समीप रखने के कारण होती है।
(b) हाँ, क्योंकि इस स्थिति में प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर बना दर्शन कोण, उसके द्वारा लेन्स पर बने दर्शन कोण से कुछ छोटा हो जाएगा।

(c) एक-तो अत्यन्त कम फोकस दूरी के लेन्सों (मोटे लेन्सों) को बनाने की प्रक्रिया आसान नहीं है, दूसरे फोकस दूरी घटने के साथ लेन्सों में विपथन का दोष बढ़ने लगता है। इससे उनके द्वारा बने प्रतिबिम्ब अस्पष्ट हो जाते हैं। व्यवहार में किसी एकल उत्तल लेन्स द्वारा 3 से अधिक आवर्धन प्राप्त करना सम्भव नहीं है परन्तु विपथन के दोष से मुक्त लेन्स द्वारा कहीं अधिक आवर्धन (लगभग 10) प्राप्त किया जा सकता है।

(d) सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक का आवर्धन \(\frac{v_{o}}{\left|u_{o}\right|}=\frac{1}{\left(\frac{\left|u_{o}\right|}{f_{o}}-1\right)}\) होता है। इससे स्पष्ट है कि इस आवर्धन को बढ़ाने के लिए | u0| का मान f0 से कुछ अधिक होना चाहिए। परन्तु सूक्ष्मदर्शी समीप की वस्तुओं को देखने के लिए प्रयोग किया जाता है जो अभिदृश्यक के समीप रखी जाती हैं। अतः इन वस्तुओं के लिए | u0 | का मान कम होता है, इसलिए f0 का मान और भी कम रखना पड़ता है।
नेत्रिका का आवर्धन \(\left(1+\frac{D}{f_{e}}\right)\) होता है; अतः स्पष्ट है कि इसे बढ़ाने के लिए fe का मान कम रखा जाता है।

(e) संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में वस्तु से चलने वाला प्रकाश अभिदृश्यक से गुजरने के बाद नेत्रिका से गुजरकर आँख तक पहुँचता है। वस्तु का प्रतिबिम्ब स्पष्ट देखने के लिए आवश्यक है कि वस्तु से चलने वाला अधिकतम प्रकाश नेत्र में पहुँचे। वस्तु से चलने वाले प्रकाश को अधिकतम मात्रा में ग्रहण करने के लिए ही नेत्र को नेत्रिका से अत्यल्प दूरी पर रखा जाता है। यह अत्यल्प दूरी यन्त्र की संरचना पर निर्भर करती है तथा उस पर लिखी गई होती है।

प्रश्न 33.
1.25 सेमी फोकस दूरी का अभिदृश्यक तथा 5 सेमी फोकस दूरी की नेत्रिका का उपयोग करके वांछित कोणीय आवर्धन (आवर्धन क्षमता) 30 होता है। आप संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का समायोजन कैसे करेंगे?
हल : संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के लिए, f0 = 1.25 सेमी, fe = 5 सेमी, आवर्धन क्षमता = 30
माना सूक्ष्मदर्शी सामान्य उपयोग में है (अन्तिम प्रतिबिम्ब निकट बिन्दु पर है) तब
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∴ सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई L = v0+ ue = 7.5 + 4.17 ⇒ L= 11.67 सेमी
अतः वस्तु को अभिदृश्यक से 1.5 सेमी की दूरी पर रखना चाहिए तथा नेत्रिका की अभिदृश्यक से दूरी 11.67 सेमी रखनी चाहिए।

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प्रश्न 34.
किसी दूरबीन के अभिदृश्यक की फोकस दूरी 140 सेमी तथा नेत्रिका की फोकस दूरी 5.0 सेमी है। दूर की वस्तुओं को देखने के लिए दूरबीन की आवर्धन क्षमता क्या होगी जब
(a) दूरबीन का समायोजन सामान्य है ( अर्थात् अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है)।
(b) अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी ( 25 सेमी) पर बनता है।
हल :
दूरदर्शी हेतु f0 = 140 सेमी, fe= 5.0 सेमी .
(a) जब अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर है तब आवर्धन क्षमता \(M = \frac{f_{o}}{f_{e}}=\frac{140}{5}=28\)
(b) जब अन्तिम प्रतिबिम्ब निकट बिन्दु पर है तब आवर्धन क्षमता \(M=\frac{f_{0}}{f_{e}}\left(1+\frac{f_{e}}{D}\right)=\frac{140}{5}\left(1+\frac{5.0}{25}\right)=33.6\)

प्रश्न 35.
(a) प्रश्न 34 (a) में वर्णित दूरबीन के लिए अभिदृश्यक लेन्स तथा नेत्रिका के बीच पृथक्कन दूरी क्या है?
(b) यदि इस दूरबीन का उपयोग 3 किमी दूर स्थित 100 मीटर ऊँची मीनार को देखने के लिए किया जाता है तो अभिदृश्यक द्वारा बने मीनार के प्रतिबिम्ब की ऊँचाई क्या है?
(c) यदि अन्तिम प्रतिबिम्ब 25 सेमी दूर बनता है तो अन्तिम प्रतिबिम्ब में मीनार की ऊँचाई क्या है?
हल :
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प्रश्न 36.
किसी कैसेग्रेन दूरबीन में चित्र-9.8 में दर्शाए अनुसार दो दर्पणों का प्रयोग किया गया है। इस दूरबीन में दोनों दर्पण एक-दूसरे से 20 मिमी दूर रखे गए हैं। यदि बड़े दर्पण की वक्रता त्रिज्या 220 मिमी हो तथा छोटे दर्पण की वक्रता त्रिज्या 140 मिमी हो तो अनन्त पर रखे किसी बिम्ब का अन्तिम प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 41
हल :
प्रथम दर्पण हेतु, u =∞ ,f0= – \(\frac{R_{2}}{2}\) = -110 मिमी
अभिदृश्यक
दर्पण सूत्र \(\frac{1}{v}+\frac{1}{\infty}=\frac{1}{-110}\) से \(\frac{1}{v}+\frac{1}{\infty}=\frac{1}{-110}\)
⇒ v = – 110 मिमी
इस दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने उससे 110 मिमी दूरी पर बनता है।
∴ दर्पणों के बीच की दूरी = 20 मिमी
∴ इस प्रतिबिम्ब की दूसरे दर्पण से दूरी = 110 – 20 = 90 मिमी
प्रथम दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब दूसरे दर्पण के लिए आभासी वस्तु का कार्य करेगा।
∴ दूसरे दर्पण हेतु u = – 90 सेमी*, f’= – \(\frac{R_{2}}{2}\) = – 70 मिमी**

*अभिदृश्यक द्वारा प्रतिबिम्ब उसके सामने 110 सेमी की दूरी पर बनता है अर्थात् यह प्रतिबिम्ब दूसरे दर्पण के बाईं ओर 90 सेमी पर बनता है, अत: u ऋणात्मक लिया गया है।
**ध्यान दें, द्वितीयक दर्पण उत्तल है, जिसका परावर्तक तल दाईं ओर (उल्टा) है, अत: f2 ऋणात्मक लिया गया है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 42
अत: अन्तिम प्रतिबिम्ब दूसरे दर्पण के पीछे की ओर (वस्तु की ही दिशा में) इस दर्पण से 315 मिमी की दूरी पर बनता है।

प्रश्न 37.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुण्डली से जुड़े समतल दर्पण पर लम्बवत् आपतित प्रकाश (चित्र-9.9) दर्पण से टकराकर अपना पथ पुनः अनुरेखित करता है। गैल्वेनोमीटर की कुण्डली में प्रवाहित कोई धारा दर्पण में 3.5° का परिक्षेपण उत्पन्न करती है। दर्पण के सामने 1.5 मीटर की दूरी पर रखे परदे पर प्रकाश के परावर्ती चिह्न में कितना विस्थापन होगा?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 43
हल :
जब दर्पण में θ = 3.5° का विक्षेप उत्पन्न होता है, तब प्रकाश किरण दोगुने कोण (अर्थात् 20 = 2 × 3.5° = 7°) से घूमती है।
अत: R = 1.5 मीटर दूरी पर रखे परदे पर प्रकाश चिह्न का विस्थापन d = R × 2θ (∵ चाप = कोण x त्रिज्या)
⇒ d = 1.5 × \(\frac{7^{\circ} \times \pi}{180^{\circ}}\) = 0.184 मीटर = 18.4 मीटर।

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प्रश्न 38.
चित्र 9.10 में कोई समोत्तल लेन्स (अपवर्तनांक 1.50) किसी समतल दर्पण के फलक पर किसी द्रव की परत के सम्पर्क में दर्शाया गया है। कोई छोटी सुई जिसकी नोक मुख्य अक्ष पर है, अक्ष के अनुदिश ऊपर-नीचे गति कराकर इस प्रकार समायोजित की जाती है कि सुई की नोक का उल्टा प्रतिबिम्ब सुई की स्थिति पर ही बने। इस स्थिति में सुई की लेन्स से दूरी 45.0 सेमी है। द्रव को हटाकर प्रयोग को दोहराया जाता है। नयी दूरी 30.0 सेमी मापी जाती है। द्रव का अपवर्तनांक क्या है?
हल :
द्रव को हटाकर प्रयोग करते समय –
इस स्थिति में सुई से चलने वाली किरणें काँच के लेन्स से अपवर्तित होकर समतल दर्पण पर अभिलम्बवत् आपतित होती हैं। दर्पण इन किरणों को वापस उन्हीं के मार्ग पर लौटा देता है जिससे किरणें वापस सुई. की स्थिति में ही प्रतिबिम्ब बनाती हैं।

यह स्पष्ट है कि दर्पण की अनुपस्थिति में लेन्स से अपवर्तित किरणें अनन्त पर मिलती हैं। ..
∴ काँच के लेन्स हेतु, u = – 30 सेमी, v = ∞
माना फोकस दूरी = f1

∴ लेन्स की फोकस दूरी f1 = 30 सेमी
यदि इसके प्रत्येक तल की वक्रता त्रिज्या R है, तब
R1 = + R, R2 = – R, n= 1.5

द्रव के साथ प्रयोग करते समय
इस स्थिति में काँच के लेन्स तथा समतल दर्पण के बीच एक द्रव का लेन्स भी बना है। माना इस द्रव लेन्स की फोकस दूरी f2 है, तब

स्पष्ट है कि द्रव लेन्स के प्रथम तल की वक्रता त्रिज्या काँच लेन्स के वक्र तल की वक्रता-त्रिज्या के बराबर है।
∴ द्रव लेन्स हेतु R1= – 30 सेमी, R2 = ∞

∴ द्रव का अपवर्तनांक n = 1.33

किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
श्वेत प्रकाश का एक लघु स्पन्द वायु से काँच के एक स्लैब पर लम्बवत् आपतित होता है। स्लैब से । गुजरने के पश्चात् सबसे पहले निर्गत होने वाला वर्ण होगा –
(a) नीला
(b) हरा
(c) बैंगनी
(d) लाल।
उत्तर :
(d) लाल।

प्रश्न 2.
एक बिम्ब कि अभिसारी लेन्स के बाईं ओर से 5 मीटर/सेकण्ड की एकसमान चाल से उपगमन करता है और फोकस पर जाकर रुक जाता है। प्रतिबिम्ब –
(a) 5 मीटर/सेकण्ड की एकसमान चाल से लेन्स से दूर गति करता है
(b) एकसमान त्वरण से लेन्स से दूर गति करता है
(c) असमान त्वरण से लेन्स से दूर गति करता है
(d) असमान त्वरण से लेन्स की ओर गति करता है।
उत्तर :
(c) असमान त्वरण से लेन्स से दूर गति करता है

प्रश्न 3.
वायुयान में कोई यात्री –
(a) कभी भी इन्द्रधनुष नहीं देख पाता है
(b) प्राथमिक तथा द्वितीयक इन्द्रधनुष को संकेन्द्री वृत्तों के रूप में देख पाता है
(c) प्राथमिक तथा द्वितीयक इन्द्रधनुष को संकेन्द्री आर्क के रूप में देख पाता है
(d) कभी भी द्वितीयक इन्द्रधनुष नहीं देख पाता है।
उत्तर :
(b) प्राथमिक तथा द्वितीयक इन्द्रधनुष को संकेन्द्री वृत्तों के रूप में देख पाता है

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प्रश्न 4.
आपको प्रकाश के चार स्रोत दिए गए हैं, जिनमें से प्रत्येक से एकल वर्ण-लाल, नीला, हरा तथा पीला प्रकाश मिलता है। मान लीजिए पीले प्रकाश के एक किरण पुंज के लिए दो माध्यमों के अन्तरापृष्ठ पर किसी विशेष आपतन कोण के लिए संगत अपवर्तन कोण 90° है। यदि आपतन कोण को परिवर्तित किए बगैर पीले प्रकाश स्त्रोत को दूसरे प्रकाश स्रोतों से बदल दिया जाए, तो निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सही है?
(a) लाल प्रकाश के किरण पुंज में पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होगा
(b) दूसरे माध्यम में अपवर्तित होने पर लाल प्रकाश का किरण पुंज अभिलम्ब की ओर मुड़ जाएगा
(c) नीले प्रकाश के किरण पुंज में पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होगा ।
(d) दूसरे माध्यम में अपवर्तित होने पर हरे प्रकाश का किरण पुंज अभिलम्ब से दूर की ओर मुड़ जाएगा।
उत्तर :
(c) नीले प्रकाश के किरण पुंज में पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होगा ।

प्रश्न 5.
किसी समतल उत्तल लेन्स के वक्र पृष्ठ की वक्रता त्रिज्या 20 सेमी है। यदि लेन्स के पदार्थ का अपवर्तनांक 1.5 हो, तो यह –
(a) उन बिम्बों के लिए ही उत्तल लेन्स की भाँति कार्य करेगा जो इसके वक्रित भाग की ओर स्थित हैं
(b) वक्रित भाग की ओर स्थित बिम्बों के लिए अवतल लेन्स की भाँति कार्य करेगा
(c) इस बात का ध्यान किए बिना कि बिम्ब इसके किस भाग की ओर स्थित है, उत्तल लेन्स की भाँति कार्य करेगा
(d) इस बात का ध्यान किए बिना कि बिम्ब इसके किस भाग की ओर स्थित है, अवतल लेन्स की भाँति कार्य करेगा।
उत्तर :
(b) वक्रित भाग की ओर स्थित बिम्बों के लिए अवतल लेन्स की भाँति कार्य करेगा

प्रश्न 6.
आयन मण्डल (आयनोस्फियर) द्वारा रेडियो तरंगों के परावर्तन में सम्मिलित परिघटना –
(a) समतल दर्पण द्वारा प्रकाश के परावर्तन के समान है
(b) मरीचिका के समय वायु में होने वाले प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के समान है
(c) इन्द्रधनुष के बनते समय जल के अणुओं द्वारा प्रकाश के परिक्षेपण (वर्ण-विक्षेपण) के समान है
(d) वायु के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के समान है।
उत्तर :
(b) मरीचिका के समय वायु में होने वाले प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के समान है

प्रश्न 7.
किसी अवतल दर्पण पर आपतित प्रकाश किरण की दिशा PQ द्वारा दर्शाई गई है जबकि परावर्तन के पश्चात् जिन दिशाओं में यह किरण गमन कर 2-4 सकती है वह 1, 2, 3 तथा 4 द्वारा चिह्नित चार किरणों (चित्र 9.11) द्वारा दर्शायी गई है। चारों किरणों में से कौन-सी किरण परावर्तित किरण की दिशा को सही दर्शाती है?
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4

उत्तर :
(b) 2

किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या किसी लेन्स की लाल प्रकाश के लिए फोकस दूरी नीले प्रकाश के लिए उसकी फोकस दूरी से अधिक होगी, समान होगी या कम होगी?
उत्तर :
लेन्स की फोकस दूरी, \(\frac{1}{f}=(n-1)\left(\frac{1}{R_{1}}-\frac{1}{R_{2}}\right)\)
परन्तु nB > nR, अत: fR > fB
अतः लेन्स की लाल प्रकाश के लिए फोकस दूरी, नीले प्रकाश के लिए उसकी फोकस दूरी से अधिक होगी।

प्रश्न 2.
एक असममित पतला उभयोत्तल लेन्स किसी बिन्दु बिम्ब का प्रतिबिम्ब अपने अक्ष पर बनाता है। यदि लेन्स का पार्श्व परिवर्तन कर रखा जाए तो क्या प्रतिबिम्ब की स्थिति में परिवर्तन होगा?
उत्तर :
नहीं, प्रकाश की उत्क्रमणीयता के कारण लेन्स का पार्श्व परिवर्तन (उल्टा करने) कर रखने पर प्रतिबिम्ब की स्थिति में परिवर्तन नहीं होगा।

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प्रश्न 3.
d1 > d2 > d3 घनत्वों तथा μ12 > μ3अपवर्तनांकों के तीन अमिश्रणीय द्रवों को एक बीकर में रखा गया है। प्रत्येक द्रव के स्तम्भ की ऊँचाई । है। बीकर की पैंदी पर एक बिन्दु बनाया गया है। सामान्य निकट-दृष्टि के लिए बिन्दु की आभासी गहराई ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
माना μ2अपवर्तनांक के द्रव से देखने पर बिन्दु O की आभासी स्थिति
O1 तथा आभासी गहराई h1 है।

माना μ3 अपवर्तनांक के द्रव से देखने पर बिन्दु O की आभासी स्थिति O2 तथा आभासी गहराई h2 है। अतः

माना वायु से देखने पर बिन्दु O की आभासी स्थिति O3 तथा आभासी गहराई h’ है।

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र img 58

किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
h ऊँचाई के एक जार को μ अपवर्तनांक के एक पारदर्शी द्रव से भरा गया है (चित्र 9.13 )। जार के केन्द्र में इसकी पैंदी पर एक बिन्दु बनाया गया है। उस डिस्क का न्यूनतम व्यास ज्ञात कीजिए जिसे जार के केन्द्र के इधर-उधर शीर्ष पृष्ठ पर सममिततः रखने पर बिन्दु अदृश्य हो जाए।

उत्तर :
माना उस डिस्क का व्यास d है जिसे जार के केन्द्र के इधर-उधर शीर्ष पृष्ठ पर देखा जा सकता है। यह तभी सम्भव है जब प्रकाश किरण जल-वायु पृष्ठ पर क्रान्तिक कोण c पर आपतित हो।

अतः sin c = \(\frac{1}{\mu}\)
जहाँ μ द्रव का अपवर्तनांक है।
चित्र से, \(\tan c=\frac{d / 2}{h}\) या \(\frac{d}{2}\) = h tan c = \(h\frac{1}{\sqrt{\left(\mu^{2}-1\right)}}\)
या \(d=\frac{2 h}{\sqrt{\left(\mu^{2}-1\right)}}\)

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किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी काँच के प्रिज्म (u = √3) के लिए न्यूनतम विचलन कोण प्रिज्म कोण के बराबर है। प्रिज्म कोण का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है,
u = √3 तथा δm = A

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु

परमाणु NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्रत्येक कथन के अन्त में दिए गए संकेतों में से सही विकल्प का चयन कीजिए
(a) टॉमसन मॉडल में परमाणु का साइज, रदरफोर्ड मॉडल में परमाण्वीय साइज से ……………. होता है। (अपेक्षाकृत काफी अधिक, भिन्न नहीं, अपेक्षाकृत काफी कम)
(b) ……………… में निम्नतम अवस्था में इलेक्ट्रॉन स्थायी साम्य में होते हैं जबकि …………………. में इलेक्ट्रॉन, सदैव नेट बल अनुभव करते हैं। (रदरफोर्ड मॉडल, टॉमसन मॉडल)
(c) …………….. पर आधारित किसी क्लासिकी परमाणु का नष्ट होना निश्चित है। (टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल)
(d) किसी परमाणु के द्रव्यमान का ………………..  में लगभग सतत वितरण होता है लेकिन ………………… में अत्यन्त असमान द्रव्यमान वितरण होता है। (टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल)
(e) ………………. में परमाणु के धनावेशित भाग का द्रव्यमान सर्वाधिक होता है। (रदरफोर्ड मॉडल, दोनों मॉडलों)
उत्तर
(a) भिन्न नहीं
(b) टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल
(c) रदरफोर्ड मॉडल
(d) टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल
(e) रदरफोर्ड मॉडल।

प्रश्न 2.
मान लीजिए कि स्वर्ण पन्नी के स्थान पर ठोस हाइड्रोजन की पतली शीट का उपयोग करके आपको ऐल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग दोहराने का अवसर प्राप्त होता है। (हाइड्रोजन 14K से नीचे ताप पर ठोस हो जाती है।) आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर
हाइड्रोजन परमाणु का नाभिक एक प्रोटॉन है जिसका द्रव्यमान (1.67×10-27 किग्रा) a-कण के द्रव्यमान (6.64 × 10-27 किग्रा) की तुलना में कम है। यह हल्का नाभिक भारी -कण को प्रतिक्षिप्त नहीं कर पाएगा, अत: x-कण सीधे नाभिक की ओर जाने पर भी वापस नहीं लौटेगा और इस प्रयोग में a-कण का बड़े कोणों पर विक्षेपण भी नहीं होगा।

प्रश्न 3.
‘पाश्चन श्रेणी’ में विद्यमान स्पेक्ट्रमी रेखाओं की लघुतम तरंगदैर्घ्य क्या है?
उत्तर :
पाश्चन श्रेणी की स्पेक्ट्रमी रेखाओं की लघुतम तरंगदैर्घ्य 820.4 नैनोमीटर है।

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प्रश्न 4.
2. 3 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा अन्तर किसी परमाणु में दो ऊर्जा स्तरों को पृथक् कर देता है। उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति क्या होगी यदि परमाणु में इलेक्ट्रॉन उच्च स्तर से निम्न स्तर में संक्रमण करता है?
हल
दिया है, ऊर्जा अन्तर ΔE = 2.3 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ।
= 2.3 × 1.6 × 10-19 जूल
h = 6.62 × 10-34 जूल-सेकण्ड
∴ ΔE = hv से,
उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति γ = \(\frac { ΔE }{ h }\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 1
= 5.6 × 1014 हर्ट्स।

प्रश्न 5.
हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा- 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जाएँ क्या होंगी?
हल
हाइड्रोजन परमाणु की nवीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 2
⇒ E = – K1
या – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = – K1 (∴ दिया है, E = – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट)
∴ इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा K1 = 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
तथा स्थितिज ऊर्जा U1 = – 2K1
⇒ U1 = – 27.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

प्रश्न 6.
निम्नतम अवस्था में विद्यमान एक हाइड्रोजन परमाणु एक फोटॉन को अवशोषित करता है जो इसे n= 4स्तर तक उत्तेजित कर देता है। फोटॉन की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल
nवें ऊर्जा स्तर में हाइड्रोजन परमाणु की ऊर्जा
En = \(-\frac{13.6}{n^{2}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ निम्नतम अवस्था n= 1 तथा n = 4 अवस्था में इसकी ऊर्जाएँ।
E1 = \(-\frac{13.6}{1^{2}}\) = – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
तथा E4 = \(-\frac{13.6}{4^{2}}\) = – 0.85 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ n= 1 से n = 4 तक उत्तेजित करने वाले फोटॉन की ऊर्जा
ΔE = E4 – E1 = – 0.85 + 13.6
= 12.75 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
या  ΔE= 12.75 × 1.6 × 10-19 जूल।
यदि इस फोटॉन की आवत्ति ν है तो ν \(=\frac{\Delta E}{h}=\frac{12.75 \times 1.6 \times 10^{-19}}{6.62 \times 10^{-34}}\)
= 3.08 × 1015 हर्ट्स ≈ 3.1 × 1015 हर्ट्स।
तथा तरंगदैर्घ्य λ = \(\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{3.08 \times 10^{15}}\) मीटर
= 9.74 × 10-8 मीटर = 974 Δ.

प्रश्न 7.
(a) बोर मॉडल का उपयोग करके किसी हाइड्रोजन परमाणु में n = 1, 2 तथा 3 स्तरों पर इलेक्ट्रॉन की चाल परिकलित कीजिए।
(b) इनमें से प्रत्येक स्तर के लिए कक्षीय अवधि परिकलित कीजिए।
हल
(a) हाइड्रोजन परमाणु के n स्तर में इलेक्ट्रॉन की कक्षा की त्रिज्या, rn तथा इलेक्ट्रॉन की चाल υn के लिए सूत्र-
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 3

(b) nवें ऊर्जा स्तर में इलेक्ट्रॉन की कक्षीय अवधि
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 4

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प्रश्न 8.
हाइड्रोजन परमाणु में अन्तरतम इलेक्ट्रॉन-कक्षा की त्रिज्या 5.3 × 10-11 मीटर है। कक्षा n= 2 और n = 3 की त्रिज्याएँ क्या हैं?
हल
हाइड्रोजन परमाणु की nवीं इलेक्ट्रॉन कक्षा की त्रिज्या rn ∝ n2
∴ \(\frac{r_{2}}{r_{1}}=\frac{2^{2}}{1^{2}}\) ⇒ r2 = 4r1
परन्तु r1 = 5.3 × 10-11 मीटर
∴ r2 = 4 × 5.3 × 10-11 मीटर
= 2.12 × 10-10 मीटर।
पुनः
\(\frac{r_{3}}{r_{1}}=\frac{3^{2}}{1^{2}}\) ⇒ r3 = 9r1
∴ r3 = 9 × 5.3 × 10-11 मीटर
= 4.77 × 10-10 मीटर।
अत: कक्षा n= 2 व 3 की त्रिज्याएँ r2 = 2.12 × 10-10 मीटर
व r3 = 4.77 × 10-10 मीटर।

प्रश्न 9.
कमरे के ताप पर गैसीय हाइड्रोजन पर किसी 12.5 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट की इलेक्ट्रॉन पुंज की बमबारी की गई। किन तरंगदैयों की श्रेणी उत्सर्जित होगी?
उत्तर
nवें ऊर्जा स्तर में हाइड्रोजन परमाणु की ऊर्जा
En = \(-\frac{13.6}{n^{2}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ n = 1, 2, 3, 4 आदि रखने पर संगत ऊर्जा-स्तरों में हाइड्रोजन परमाणु की ऊर्जाएँ हैं
E1 = – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट,
E2 = \(-\frac{13.6}{2^{2}}\) = 3.4 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
E3 = \(-\frac{13.6}{3^{2}}\) = -1.51 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट, 3.6 .
E4 = \(-\frac{13.6}{4^{2}}\) = – 0.85 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ n = 1 से क्रमश: n = 2, n = 3 व n = 4 ऊर्जा स्तरों में जाने के लिए आवश्यक ऊर्जाएँ हैं
ΔE12 = E2 – E1 = -3.4 + 13.6
= 10.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
ΔE13 = E3 – E1 = -1.51 + 13.6
= 12.09 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
ΔE14 = E4 – E1 = -0.85+ 13.6
= 12.75 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा 12.5eV < Δ E14
परनतु 12.5eV > ΔE13
चित्र-12.1
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 5
अतः हाइड्रोजन परमाणु इलेक्ट्रॉन से ऊर्जा प्राप्त करके n = 2 अथवा n= 3 वें ऊर्जा स्तर में जा सकता है (उससे ऊपर नहीं)।
अब वें ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तरों में लौटता हुआ परमाणु फोटॉन उत्सर्जित करेगा। इस उत्सर्जन के दौरान कुल तीन संक्रमण सम्भव हैं (देखें चित्र)।
इन संक्रमणों में सम्भव ऊर्जा परिवर्तन क्रमश: ΔE31, ΔE32 व ΔE21 हैं।
जहाँ ΔE31 = ΔE13 = 12.09 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 12.09-1.6 × 10-19 जूल
ΔE32 = E3 – E2 = 1.89 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1.89 × 1.6-10-19 जूल
ΔE21 = ΔE12 = 10.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 10.2 × 1.6 × 10-19 जूल
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 17
अत: उत्सर्जित तरंगदैर्घ्य निम्नलिखित हैं
लाइमन श्रेणी λ31 = 103 नैनोमीटर, λ21 = 122 नैनोमीटर
तथा बामर श्रेणी λ32 = 656 नैनोमीटर।

प्रश्न 10.
बोर मॉडल के अनुसार सूर्य के चारों ओर 1.5 × 1011 मीटर त्रिज्या की कक्षा में, 3 × 104 मीटर/सेकण्ड के कक्षीय वेग से परिक्रमा करती पृथ्वी की अभिलाक्षणिक क्वाण्टम संख्या ज्ञात कीजिए।
(पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 किग्रा)
हल
दिया है, पृथ्वी का द्रव्यमान ME = 6.0 × 1024 किग्रा,
कक्षा की त्रिज्या RE = 1.5 × 1011 मीटर,
वेग υE = 3 × 104 मीटर/सेकण्ड
यदि अभिलाक्षणिक क्वाण्टम संख्या n है तो बोर मॉडल के अनुसार,
MEυERE= \(n \frac{h}{2 \pi}\)
n = MEυERE\(\frac { 2π }{h }\)
= 6.0 × 1024 × 3 × 104 × 1.5 × 1011 × \(\frac{2 \times 3.14}{6.6 \times 10^{-34}}\)
= 25.6133 × 1073 ≈ 2.6 × 1074
∴ अभिलाक्षणिक क्वाण्टम संख्या n = 2.6 × 1074.

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए जो आपको टॉमसन मॉडल और रदरफोर्ड मॉडल में अन्तर समझने हेतु अच्छी तरह से सहायक हैं।
(a) क्या टॉमसन मॉडल में पतले स्वर्ण पन्नी से प्रकीर्णित -कणों का पूर्वानुमानित औसत विक्षेपण कोण, रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान में अत्यन्त कम, लगभग समान अथवा अत्यधिक बड़ा है?
(b) टॉमसन मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित पश्च प्रकीर्णन की प्रायिकता (अर्थात् -कणों का 90° से बड़े कोणों पर प्रकीर्णन) रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान से अत्यन्त कम, लगभग समान अथवा अत्यधिक है?
(c) अन्य कारकों को नियत रखते हुए, प्रयोग द्वारा यह पाया गया है कि कम मोटाई के लिए, मध्यम कोणों पर प्रकीर्णित -कणों की संख्या t के अनुक्रमानुपातिक है। पर यह रैखिक निर्भरता क्या संकेत देती है?
(d) किस मॉडल में α-कणों के पतली पन्नी से प्रकीर्णन के पश्चात् औसत प्रकीर्णन कोण के परिकलन हेतु बहुप्रकीर्णन की उपेक्षा करना पूर्णतया गलत है?
उत्तर
(a) औसत विक्षेपण कोण दोनों मॉडलों के लिए लगभग समान है।

(b) टॉमसन मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित पश्च प्रकीर्णन की प्रायिकता, रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान की तुलना में अत्यन्त कम है।

(c) t पर रैखिक निर्भरता यह प्रदर्शित करती है कि प्रकीर्णन मुख्यतः एकल संघट्ट के कारण होता है। मोटाई t के बढ़ने के साथ लक्ष्य स्वर्ण नाभिकों की संख्या रैखिक रूप से बढ़ती है, अतः -कणों के, स्वर्ण नाभिक से एकल संघट्ट की सम्भावना रैखिक रूप से बढ़ती है।

(d) टॉमसन मॉडल में परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश परमाणु में समान रूप से वितरित है, अत: एकल संघट्ट a-कण को अल्प कोणों से विक्षेपित कर पाता है। अतः इस मॉडल में औसत प्रकीर्णन कोण का परिकलन, बहुप्रकीर्णन के आधार पर ही किया जा सकता है। दूसरी ओर रदरफोर्ड मॉडल में प्रकीर्णन एकल संघट्ट के कारण होता है, अतः बहुप्रकीर्णन की उपेक्षा की जा सकती है।

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प्रश्न 12.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन के मध्य गुरुत्वाकर्षण, कूलॉम-आकर्षण से लगभग 10-40 के गुणक से कम है। इस तथ्य को देखने का एक वैकल्पिक उपाय यह है कि यदि इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन गुरुत्वाकर्षण द्वारा आबद्ध हों तो किसी हाइड्रोजन परमाणु में प्रथम बोर कक्षा की त्रिज्या का अनुमान लगाइए। आप मनोरंजक उत्तर पाएँगे।
उत्तर
माना इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान me व प्रोटॉन का द्रव्यमान mp है।
तब गुरुत्वाकर्षण बल FG = \(G \frac{m_{p} \times m_{e}}{r_{n}^{2}}\)
जहाँ rn वीं कक्षा की त्रिज्या है।
यह बल इलेक्ट्रॉन को आवश्यक अभिकेन्द्र बल देता है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 6
इस प्रकार समीकरण (2) व (3) की तुलना करने पर हम देखते हैं कि यदि हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन के बीच स्थिर.
विद्युत बल \(\left(\frac{e \times e}{4 \pi \varepsilon_{0} r^{2}}\right)\) के स्थान पर गुरुत्वीय बल \(\left(G \frac{m_{p} \times m_{e}}{r^{2}}\right)\) कार्यरत हो तो प्रथम बोर कक्षा की त्रिज्या ज्ञात करने के r1 में \(\left(\frac{e^{2}}{4 \pi^{2} \varepsilon_{0} r^{2}}\right)\) के स्थान पर \(\left(\frac{G m_{p} \times m_{e}}{r^{2}}\right)\) रखना चाहिए।
∵ G = 6.67 × 10-11 न्यूटन-मीटर2/किग्रा2
mp = 1.67 × 10-27 किग्रा
h = 6.62 × 10-34 जूल-सेकण्ड,
me = 9.1 × 10-31 किग्रा
समीकरण (2) में उपर्युक्त मान रखने पर,
\(r_{1}=\frac{1}{9.1 \times 10^{-31}} \times\left(\frac{6.62 \times 10^{-34}}{2 \times 3.14}\right)^{2} \times \frac{1}{6.67 \times 10^{-11} \times 1.67 \times 10^{-27} \times 9.1 \times 10^{-31}}\)
= 1.21 × 1029 मीटर।

प्रश्न 13.
जब कोई हाइड्रोजन परमाणु स्तर n से स्तर (n-1) पर व्युत्तेजित होता हैं तो उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति हेतु व्यंजक प्राप्त कीजिए।n के अधिक मान हेतु, दर्शाइए कि यह आवृत्ति, इलेक्ट्रॉन की कक्षा में परिक्रमण की क्लासिकी आवृत्ति के बराबर है।
हल
nवें ऊर्जा स्तर में हाइड्रोजन परमाणु की ऊर्जा
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∴ कक्षा में इलेक्ट्रॉन की क्लासिकी घूर्णन आवृत्ति
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 8
अत: समीकरण (2) एवं (3) से स्पष्ट है कि n के उच्च मानों हेतु nवीं कक्षा में इलेक्ट्रॉन की क्लासिकी पूर्णन आवत्ति, हाइड्रोजन परमाणु द्वारा nवें ऊर्जा स्तर से (n – 1)वें ऊर्जा स्तर में जाने के दौरान उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति के बराबर होती है।

प्रश्न 14.
क्लासिकी रूप में किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर किसी भी कक्षा में हो सकता है। तब प्रारूपी परमाण्वीय साइज किससे निर्धारित होता है? परमाणु अपने प्रारूपी साइज की अपेक्षा दस हजार गुना बड़ा क्यों नहीं है? इस प्रश्न ने बोर को अपने प्रसिद्ध परमाणु मॉडल,जो आपने पाठ्यपुस्तक में पढ़ा है, तक पहुँचने से पहले बहुत उलझन में डाला था।अपनी खोज से पूर्व उन्होंने क्या किया होगा, इसका अनुकरण करने के लिए हम मूल नियतांकों की प्रकृति के साथ निम्न गतिविधि करके देखें कि क्या हमें लम्बाई की विमा वाली कोई राशि प्राप्त होती है, जिसका साइज, लगभग परमाणु के ज्ञात साइज (~10-10 मीटर) के बराबर है।
(a) मूल नियतांकों e, me और c से लम्बाई की विमा वाली राशि की रचना कीजिए। उसका संख्यात्मक मान भी निर्धारित कीजिए।

(b) आप पाएंगे कि (a) में प्राप्त लम्बाई परमाण्वीय विमाओं के परिमाण की कोटि से काफी छोटी है। इसके अतिरिक्त इसमें c सम्मिलित है। परन्तु परमाणुओं की ऊर्जा अधिकतर अनापेक्षिकीय क्षेत्र (non-relativistic domain) में है जहाँ की कोई अपेक्षित भूमिका नहीं है। इसी तर्क ने बोर कोcका परित्याग कर सही परमाण्वीय साइज को प्राप्त करने के लिए कुछ अन्य देखने के लिए प्रेरित किया। इस समय प्लांक नियतांक का कहीं और पहले ही आविर्भाव हो चुका था। बोर की सूक्ष्मदृष्टि ने पहचाना कि h, me और e के प्रयोग से ही सही परमाणु साइज प्राप्त होगा। अतः h, me और eसे ही लम्बाई की विमा वाली किसी राशि की रचना कीजिए और पुष्टि कीजिए कि इसका संख्यात्मक मान, वास्तव में सही परिमाण की कोटि का है।
हल
(a) दी गई राशियों के विमीय सूत्र e= [AT], me = [M], c = [LT-1]
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 9
दोनों पक्षों में विमाओं की तुलना करने पर, y + u = 0 …..(1)
z + 3u = 1 ….(2)
x – z – 4u = 0 ….. (3)
x- 2u = 0 ….. (4)
समीकरण (2) व (3) को जोड़ने पर, x – u = 1 …..(5)
समीकरण (5) में से (4) को घटाने पर, u = 1
तब y= – u = – 1, z = – 2, x = 2
अतः लम्बाई की विमा वाली अभीष्ट राशि निम्नलिखित है-
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 10
या L= 2.81 × 10-15 मीटर।
स्पष्ट है कि यह दूरी परमाणु के साइज की तुलना में लगभग 10 गुनी छोटी है।

(b) पुन: h का विमीय सूत्र [ML2T-1 है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 11
दोनों पक्षों में विमाओं की तुलना करने पर,
y + z + u= 0 …(1)
2z + 3u=1 …(2)
x – z – 4u = 0 …(3)
x – 2u …(4)
समीकरण (4) में से (3) को घटाने पर,
z + 2u=0
समीकरण (5) को दो से गुणा करके समीकरण (2) में से घटाने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 12
यही अभीष्ट राशि है जिसकी विमा लम्बाई की विमा के समान है।
उक्त सूत्र में मान रखने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 13
जो कि स्पष्टतया परमाणु के आमाप की कोटि की है।

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प्रश्न 15.
हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा लगभग – 3.4eV है।
(a) इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा क्या है?
(b) इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा क्या है?
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा के शून्य स्तर के चयन में परिवर्तन कर दिया जाए तो ऊपर दिए गए उत्तरों में से कौन-सा उत्तर परिवर्तित होगा?
हल
(a) माना प्रथम उत्तेजित अवस्था में कक्षा की त्रिज्या है।
∵ इलेक्ट्रॉन को अभिकेन्द्र बल, स्थिर विद्युत बल से मिलता है। अत:
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 14
⇒ U= – 2K
∴ कुल ऊर्जा E = U + K ⇒ E=- K
या – 3.4 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = – K [∵ दिया है, E = – 3.4इलेक्ट्रॉन-वोल्ट]
∴ इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा K= 3.4 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

(b) स्थितिज ऊर्जा U = – 2K ⇒ U = – 6.8 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।।

(c) यदि स्थितिज ऊर्जा के शून्य को बदल दिया जाए तो इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा तथा कुल ऊर्जा बदल जाएगी जबकि गतिज ऊर्जा अपरिवर्तित रहेगी।

प्रश्न 16.
यदि बोर का क्वाण्टमीकरण अभिगृहीत (कोणीय संवेग = \(\frac { nh }{2π }\)) प्रकृति का मूल नियम है तो यह ग्रहीय गति की दशा में भी लागू होना चाहिए। तब हम सूर्य के चारों ओर ग्रहों की कक्षाओं के क्वाण्टमीकरण के विषय में कभी चर्चा क्यों नहीं करते?
उत्तर
माना हम बोर के क्वाण्टम सिद्धान्त को पृथ्वी की गति पर लागू करते हैं। इसके अनुसार,
\(m v r=n \frac{h}{2 \pi} \Rightarrow n=\frac{2 \pi m v r}{h}\)
पृथ्वी के लिए m= 6.0 × 1024 किग्रा, υ= 3 × 104 मीटर/सेकण्ड
r = 1.49 × 1011 मीटर, h = 6.62 × 10-34 जूल-सेकण्ड
∴ \(n=\frac{2 \times 3.14 \times 6.0 \times 10^{24} \times 3 \times 10^{4} \times 1.49 \times 10^{11}}{6.62 \times 10^{-34}}\)
⇒ n = 2.49 × 1074 ⇒ n ≈ 1074
∵ n का मान बहुत अधिक है, अत: इसका यह अर्थ हुआ कि ग्रहों की गति से सम्बद्ध कोणीय संवेग तथा ऊर्जा की। तुलना में अत्यन्त बड़ी हैं। \(\frac { h }{2π }\) के इतने उच्च मान के लिए, किसी ग्रह के बोर मॉडल के दो क्रमागत क्वाण्टमीकृत ऊर्जा स्तरों के बीच ग्रह के कोणीय संवेग तथा ऊर्जाओं के अन्तर किसी ऊर्जा स्तर में ग्रह के कोणीय संवेग तथा ऊर्जा की तुलना में नगण्य हैं, इसी कारण ग्रहों की गति में ऊर्जा स्तर क्वाण्टमीकृत होने के स्थान पर सतत प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 17.
प्रथम बोर त्रिज्या और म्यूओनिक हाइड्रोजन परमाणु [अर्थात् कोई परमाणु जिसमें लगभग 207 me द्रव्यमान का ऋणावेशित म्यूऑन (μ) प्रोटॉन के चारों ओर घूमता है।] की निम्नतम अवस्था ऊर्जा को प्राप्त करने का परिकलन कीजिए।
हल
एक म्यूओनिक हाइड्रोजन परमाणु में प्रोटॉन रूपी नाभिक के चारों ओर एक म्यूऑन (आवेश = – 1.6 × 10-19 कूलॉम, द्रव्यमान mμ = 207me) वृत्तीय कक्षा में चक्कर लगाता है।
अत: \(\frac{m_{\mu}}{m_{e}}=207\)
हाइड्रोजन परमाणु में, इलेक्ट्रॉन की nवीं कक्षा की त्रिज्या
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 15
परन्तु इलेक्ट्रॉन की प्रथम कक्षा की त्रिज्या re = 0.53Ā = 0.53 × 10-10
मीटर म्यूऑन की प्रथम कक्षा की त्रिज्या rμ = \(\frac { 1 }{ 207 }\) × 0.53 × 10-10
⇒ rμ= 2.56 × 10-13 मीटर।
पुनः प्रथम कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा Ee = \(-\frac{1}{2} \times \frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{e^{2}}{r_{e}}\)
तथा प्रथम कक्षा में म्यूऑन की ऊर्जा Eμ = \(-\frac{1}{2} \cdot \frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{e^{2}}{r_{\mu}}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 12 परमाणु img 16
∴ प्रथम कक्षा में हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा Ee = – 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ प्रथम कक्षा में म्यूऑन की ऊर्जा Eμ = 207 × (- 13.6 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट)
= – 2815.2 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= – 2.82 किलोइलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

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परमाणु NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LO Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

परमाणु बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बोर त्रिज्या को α0 = 53 पिकोमीटर लेते हुए, बोर मॉडल के आधार पर Li++ आयन की, इसके निम्नतम अवस्था में, त्रिज्या होगी (लगभग)
(a) 53 पिकोमीटर
(b) 27 पिकोमीटर
(c) 18 पिकोमीटर
(d) 13 पिकोमीटर।
उत्तर
(c) 18 पिकोमीटर

प्रश्न 2.
एक सामान्य बोर मॉडल को कई इलेक्ट्रॉनों वाले एक परमाणु के ऊर्जा स्तों की गणना के लिए प्रत्यक्षतः प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि
(a) इलेक्ट्रॉन केन्द्रीय बल के अधीन नहीं हैं
(b) इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे से टकराते रहते हैं
(c) स्क्रीन प्रभाव बीच में आते हैं
(d) नाभिक तथा इलेक्ट्रॉन के बीच बल, अब कूलॉम के नियम से निर्धारित नहीं होते।
उत्तर
(a) इलेक्ट्रॉन केन्द्रीय बल के अधीन नहीं हैं

प्रश्न 3.
सामान्य बोर मॉडल के अनुसार, निम्नतम अवस्था में, हाइड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग के तुल्य है। कोणीय संवेग एक सदिश है। अतः कक्षाओं की संख्या अनन्त होगी, जिनमें कोणीय संवेग सदिश प्रत्येक सम्भव दिशा की ओर इंगित कर रहा होगा। वास्तव में यह सही नहीं है.
(a) क्योंकि बोर मॉडल कोणीय संवेग का गलत मान देता है
(b) क्योंकि इनमें से केवल एक की ऊर्जा न्यूनतम होगी
(c) कोणीय संवेग इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा में होना चाहिए
(d) क्योंकि इलेक्ट्रॉन केवल क्षैतिज कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं
उत्तर
(a) क्योंकि बोर मॉडल कोणीय संवेग का गलत मान देता है

प्रश्न 4.
o2 अणु में ऑक्सीजन के दो परमाणु होते हैं। अणु में, दो परमाणु नाभिकों के मध्य नाभिकीय बल
(a) महत्त्वपूर्ण नहीं है क्योंकि नाभिकीय बलों का परिसर न्यून होता है
(b) दो परमाणुओं को बाँधने के लिए आवश्यक स्थिर वैद्युत बलों जितने ही महत्त्वपूर्ण हैं ।
(c) नाभिकों के मध्य प्रतिकर्षणात्मक स्थिर वैद्युत बलों को निरस्त कर देते हैं
(d) महत्त्वपूर्ण नहीं है क्योंकि ऑक्सीजन नाभिक में न्यूट्रॉनों और प्रोटॉनों की संख्या बराबर होती है।
उत्तर
(a) महत्त्वपूर्ण नहीं है क्योंकि नाभिकीय बलों का परिसर न्यून होता है

प्रश्न 5.
दो H-परमाणुओं का इनके निम्नतम अवस्था में अप्रत्यास्थ संघट्ट होता है। दोनों की संयुक्त गतिज ऊर्जा में होने वाली अधिकतम कमी है
(a) 10.20eV
(b) 20.40eV
(c) 13.6eV
(d) 27.2eV.
उत्तर
(a) 10.20eV

प्रश्न 6.
उत्तेजित अवस्था में परमाणुओं का एक समूह विघटित होता है
(a) सामान्यत: निम्नतर ऊर्जा की किसी भी अवस्था तक
(b) एक निम्नतर अवस्था तक केवल तभी जब एक बाह्य विद्युत क्षेत्र द्वारा उत्तेजित किया गया हो
(c) जिनमें सभी एक-साथ एक निरन्तर अवस्था में आते हैं
(d) तो इनसे फोटॉन केवल तभी उत्सर्जित होते हैं जब उनमें संघट्ट होता है।
उत्तर
(a) सामान्यत: निम्नतर ऊर्जा की किसी भी अवस्था तक

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परमाणु अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एक हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान, एक प्रोटॉन व एक इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमानों के योग से कम है। ऐसा क्यों है?
उत्तर
हाइड्रोजन परमाणु में एक प्रोटॉन व एक इलेक्ट्रॉन होता है। इनके द्रव्यमानों का कुछ भाग नाभिकीय बन्धन ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है, इसीलिए हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान, एक प्रोटॉन व एक इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमानों के योग से कम होता है।

प्रश्न 2.
जब एक इलेक्ट्रॉन उच्चतर ऊर्जा से निम्नतर ऊर्जा स्तर में आता है तो ऊर्जा का अन्तर विद्युतचुम्बकीय विकिरण के रूप में प्रकट होता है। यह ऊर्जा के अन्य रूपों में उत्सर्जित क्यों नहीं हो सकता?
उत्तर
यह ऊर्जा अन्तर विद्युतचुम्बकीय विकिरण के रूप में ही प्रकट होती है क्योंकि इलेक्ट्रॉन केवल विद्युतचुम्बकीय रूप से ही पारस्परिक क्रिया करते हैं।

प्रश्न 3.
दो भिन्न हाइड्रोजन परमाणुलें। प्रत्येक परमाणु में इलेक्ट्रॉन उत्तेजित अवस्था में है। बोर मॉडल के अनुसार क्या यह सम्भव है कि इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा तो भिन्न हो परन्तु कक्षीय कोणीय संवेग समान हो?
उत्तर
नहीं, क्योंकि भिन्न-भिन्न ऊर्जा के इलेक्ट्रॉनों के लिए ऊर्जा स्तर n के मान भिन्न-भिन्न होंगे, अत: उनके कोणीय संवेग \(\left(m v r=\frac{n h}{2 \pi}\right)\) भी भिन्न होंगे।

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परमाणु आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बामर श्रेणी की Hγ रेखा को उत्सर्जित कर सकने हेतु, हाइड्रोजन परमाणु को निम्नतम अवस्था में दी जाने वाली न्यूनतम ऊर्जा कितनी होगी? यदि निकाय का कोणीय संवेग संरक्षित रहता हो, तो इस Hγ फोटॉन का कोणीय .. संवेग क्या होगा?
हल
बामर श्रेणी की Hγ रेखा उत्सर्जन के लिए संक्रमण n = 5 से n = 2 स्तर में होगा, अतः हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन को पहले n = 1 से n = 5 स्तर में ले जाने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा
ΔE = E5 – E1
= \(-\frac{13.6}{(5)^{2}}-\left(-\frac{13.6}{(1)^{2}}\right)\)
= -0.54 + 13.6
= 13.06 eV.

कोणीय संवेग संरक्षित रहने पर, .
फोटॉन का कोणीय संवेग = इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग में परिवर्तन
= L5 – L2 .
= \(\frac{5 h}{2 \pi}-\frac{2 h}{2 \pi}=\frac{3 h}{2 \pi}\)
= \(\frac{3 \times 6.6 \times 10^{-34}}{2 \times 3.14}\)
= 3.15 × 10-34 जूल-सेकण्ड।

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MP Board Class 12th General Hindi अपठित बोध

MP Board Class 12th General Hindi अपठित बोध

MP Board Class 12 General Hindi अपठित गद्यांश

अपठित रचना से तात्पर्य बिना पढ़े पद्यांश और गद्यांश से है। अपठितांश बहुधा निर्धारित है और प्रचलित पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त किसी भी पुस्तक से प्रश्न-पत्र में दिया जाता है। ऐसे अपठित गद्यांशों और पद्यांशों से छात्रों की योग्यता और अध्ययनशीलता का परिचय मिलता है। अपठित अंश की व्याख्या अथवा संक्षेपण करने से यह भी पता चलता है कि विद्यार्थी में भाषा पर कितना अधिकार है और उसकी अभिव्यंजना शक्ति कितनी है।

अपठित अवतरण

1. हम नाम के आस्तिक हैं, हर बात में ईश्वर का तिरस्कार करके ही हमने आस्तिक की ऊँची उपाधि पाई है। ईश्वर का एक नाम दीनबन्धु है। यदि हम वास्तव में आस्तिक हैं, ईश्वर भक्त हैं, तो हमारा यह पहला धर्म है कि दीनों को प्रेम से गले लगाएँ, उनकी सहायता करें, उनकी सेवा-सुश्रूषा करें तभी न दीनबन्धु ईश्वर हम पर प्रसन्न होगा।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

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2. हमारे समस्त आचरण में संयम की आवश्यकता है। हमें अपने विचारों और आवेगों को भी संयम की वल्गा से रोकना चाहिए। गाँधीजी के देश में यह बताने की आवश्यकता नहीं कि सत्य के लिए दण्ड भोगना समाज का हितकर कार्य है। परन्तु संयम और विवेक से ही यह स्थिर किया जा सकता है कि कौन-सा कार्य नीति संयम है। संयम और विवेक ही इस समय हमें उबार सकता है।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखए।

3. कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है। वह केवल नीति और सद्वृत्ति का ही नाश नहीं करता बल्कि बुद्धि का भी क्षय करता है। किसी युवा पुरुष की संगति यदि बुरी होगी तो वह उसके पैर में बँधी चक्की के समान होगी, जो उसे दिन-रात अवनति के गड्ढे में गिराती जाएगी और यदि अच्छी होगी तो सहारा देने वाली बाहु के समान होगी जो उसे निरन्तर उन्नति की ओर उठाती जाएगी।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

4. भारत आधुनिक युग के विश्व-जीवन में अन्य राष्ट्रों का समभागी होकर . भी उनसे भिन्न है। राष्ट्र केवल सीमाओं और जनसंख्या के समच्चय का नाम नहीं है। उनके साथ परिस्थितियों के एक विशिष्ट आपात और एक विशिष्ट इतिहास का योग होता है। राष्ट्र एक व्यक्ति के सदृश्य ही है। जिन परिस्थितियों और ऐतिहासिक मकरंद : हिंदी सामान्य प्रतिक्रियाओं से भारत गुजरा है वे अपना स्वतन्त्र स्वरूप रखती हैं। उनके अनुरूप हमारी चेतना और व्यापक जीवन परिवेदना का निर्माण हुआ है।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

5. दूर के ढोल सुहावने होते हैं क्योंकि उनकी कर्कशता दूर तक नहीं पहुँचती। जब ढोल के पास बैठे हुए लोगों के कान के पर्दे फटते रहते हैं, तब दूर किसी नदी के तट पर संध्या समय, किसी दूसरे के कान में वही शब्द मधुरता का संचार कर देते हैं। ढोल के उन्हीं शब्दों को सुनकर वह अपने हृदय में किसी के विवाहोत्सव का चित्र अंकित कर लेता है। कोलाहल से पूर्ण घर के एक कोने में बैठी हुई किसी लज्जाशील नववधू की कल्पना वह अपने मन में कर लेता है।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।’

6. उदारता का अभिप्राय केवल निःसंकोच भाव से किसी को धन दे डालना ही नहीं वरन् दूसरों के प्रति उदार भाव रखना भी है। उदार पुरुष सदा दूसरों के विचारों का आदर करता है और समाज में सेवक-भाव से रहता है। यह न समझो कि केवल धन से उदारता हो सकती है। सच्ची उदारता इस बात में है कि मनुष्य को मनुष्य समझा जाए। धन की उदारता के साथ सबसे बड़ी एक और उदारता की आवश्यकता यह है कि उपकृत के प्रति किसी प्रकार का एहसान न जताया जाए।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

7. हमें स्वराज्य तो मिल गया, परन्तु सराज्य अभी हमारे लिए एक सखद स्वप्न ही है। इसका प्रधान कारण यह है कि देश को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से कठोर परिश्रम करना हमने अब तक नहीं सीखा। श्रम का महत्त्व और मूल्य हम जानते ही नहीं। हम अब भी आराम तलब हैं। हमे हाथों से यथेष्ट काम करना रुचता ही नहीं। हाथों से काम करने को हम हीन लक्षण समझते हैं। हम कम से कम काम द्वारा जीविका चाहते हैं। हम यही सोचते रहते हैं किसी तरह काम से बचा जाए। यह दूषित मनोवृत्ति राष्ट्र की आत्मा में आ बैठी है और वहाँ से हटती नहीं। यदि हम इससे मुक्त नहीं होते तो देश आगे बढ़ नहीं सकता।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

8. मनुष्य को स्वयं पर गर्व है। वह स्वयं को जगदीश्वर की अत्युत्तम तथा सर्वश्रेष्ठ कृति समझता है। वह अपने व्यक्तित्व को चिरस्थायी बनाना चाहता है। मनुष्य जाति का इतिहास क्या है? उसके सारे प्रयत्नों का केवल एक ही उद्देश्य है। चिरकाल से मनुष्य यही प्रयत्न कर रहा है कि किसी प्रकार वह उस अप्राप्य अमृत को प्राप्त करे जिसे पीकर वह अमर हो जाए।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

9. जो साहित्य मुर्दे को भी जिन्दा करने वाली संजीवन औषधि का भण्डार है, जो साहित्य पतितों को उठाने वाला और उत्पीड़ितों के मस्तक को उन्नत करने वाला है, उसके उत्पादन और संवर्धन की चेष्टा जो जाति नहीं करती वह अज्ञानांधकार की गर्त में पड़ी रहकर किसी दिन अपना अस्तित्व ही खो बैठती है। अतएव समर्थ होकर भी जो मनुष्य इतने महत्त्वशाली साहित्य की सेवा और श्रीवृद्धि नहीं करता अथवा उससे अनुराग नहीं रखता वह समाज-द्रोही है, वह देश-द्रोही है, वह जाति-द्रोही है।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

10. शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को मनुष्य बनाना, उनमें आत्मनिर्भरता की भावना भरना तथा देशवासियों का चरित्र-निर्माण करना होता है। परन्तु वर्तमान शिक्षा प्रणाली से इस प्रकार का कोई लाभ नहीं हो रहा है। इसे उदर-पूर्ति का साधन मात्र कह सकते हैं। परन्तु यह भी पूर्णतया नहीं, क्योंकि जब भी प्रतिवर्ष विद्यालयों से हजारों नवयुवक डिग्री प्राप्त करके निकलते हैं और उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती। इस कारण बेकारी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

11. सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध हो तो मनुष्य दूसरों के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत-से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके। कोई मनुष्य किसी दुष्ट के नित्य दो-चार प्रहार सहता है। यदि उसमें क्रोध का विकास नहीं हुआ है तो वह केवल आह-ऊँह करेगा, जिसका उस दुष्ट पर कोई प्रभाव नहीं। उस दुष्ट के हृदय में विवेक, दया आदि उत्पन्न करने में बहुत समय लगेगा।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

12. जन का प्रवाह अनन्त होता है। सहस्रों वर्षों से भूमि के साथ राष्ट्रीय जन ने तादात्म्य प्राप्त किया है। जब तक सूर्य की रश्मियाँ नित्य प्रातःकाल भुवन को अमृत से भर देती हैं, तब तक राष्ट्रीय जन का जीवन भी अमर है। इतिहास के अनेक . उतार-चढ़ाव पार करने के बाद भी राष्ट्र निवासी जन नई उठती लहरों से आगे बढ़ने के लिए आज भी अजर-अमर हैं। जन का सततवाही जीवन नदी के प्रवाह की तरह है, जिसमें कर्म और ा के द्वारा उत्थान के अनेक घाटों का निर्माण होता है।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखए।

13. दंडकोप का ही एक विधान है। राजदंड राजकोप है, जहाँ कोप लोककोप और लोककोप धर्मकोप है, जहाँ राजकोप धर्मकोप से एकदम भिन्न दिखाई पड़े वहाँ उसे राजकोप न समझकर कुछ विशेष मनुष्यों का कोप समझना चाहिए। ऐसा कोप राजकोप के महत्त्व और पवित्रता का अधिकारी नहीं हो सकता। उसका सम्मान जनता अपने लिए आवश्यक नहीं समझती।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

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14. विकृत भोजन से जैसे शरीर रुग्ण होकर बिगड़ जाता है उसी तरह विकृत साहित्य से मस्तिष्क भी विकारग्रस्त होकर रोगी हो जाता है। मस्तिष्क का बलवान
और शक्ति सम्पन्न होना अच्छे ही साहित्य पर अवलम्बित है। अतएव एक बात निर्धान्त है कि मस्तिष्क के यथेष्ट विकास का एकमात्र साधन उसका साहित्य है। यदि हमें जीवित रहना है और सभ्यता की दौड़ में अन्य जातियों की बराबरी करना है तो हमें श्रद्धापूर्वक बड़े उत्साह से सत्साहित्य का उत्पादन और प्राचीन साहित्य की रक्षा करनी चाहिए।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

15. हमारा एक जातीय व्यक्तित्व है। वेश-भूषा, रहन-सहन और शक्ल-सूरत में भेद होते हुए भी भारतवासी अपने जातीय व्यक्तित्व से पहचान लिए जाते हैं। वह व्यक्तित्व हमारी जातीय मनोवृत्ति, जीवन-मीमांसा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, उठने-बैठने के ढंग, चाल-ढाल, वेश-भूषा, साहित्य, संगीत आदि में अभिव्यक्त होता है। विदेशी प्रभाव पड़ने पर भी वह बहुत अंशों में अक्षुण्ण बना हुआ है। वह हमारी एकता का मूल सूत्र है।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

16. कश्मीर का नाम लेते ही हृदय में जो आनन्द की लहरें उठने लगती हैं उसकी नम दलदलभरी भूमि किसने सौंदर्य में रंगी? किसने झेलम के तटवर्ती आकाश की सुरभि को बोझिल वाय से मदहोश किया? किसने उसके केसर की फैली क्यारियों में जादू की मिट्टी डाली?

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

17. “यह संसार एक पुलिया है, इसके ऊपर से निकल जा, किन्तु इस पर घर बनाने का विचार मन में न ला। जो यहाँ एक घंटाभर भी ठहरने का इरादा करेगा, वह चिरकाल तक यहाँ ठहरने को उत्सुक हो जाएगा। सांसारिक जीवन तो एक घड़ी भर का ही है, उसे ईश्वर-स्मरण तथा भगवद् भक्ति में बिता। ईश्वरोपासना के अतिरिक्त सब कुछ व्यर्थ है, सब कुछ आसार है।”

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

18. सर्वोदय शब्द का अर्थ सबका उदय, सबका उत्कर्ष तथा सबका विकास है। यह सिद्धान्त भारत का पुरातन आदर्श माना गया है। महात्मा गाँधी के मतानुसार सर्वोदय का अर्थ आदर्श समाज व्यवस्था है। किसी भी व्यक्ति या समूह का दमन, शोषण या विनाश से नहीं किया जाएगा। इस समाज-व्यवस्था में सब बराबर के सदस्य होंगे। सबको उनके परिश्रम की पैदावार में हिस्सा मिलेगा। बलवान दुर्बलों की रक्षा करेंगे और उनके संरक्षक का काम करेंगे तथा प्रत्येक सदस्य सबके कल्याण का ध्यान रखेगा।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

19. पुस्तकों का हम सबको बहुत ऋणी होना चाहिए। मनुष्य जाति ने आज तक जितना भी ज्ञान तथा अनुभव प्राप्त किया है, जो भी अन्वेषण और आविष्कार किए हैं, वे सब इनमें संचित हैं। इनसे हम हर प्रकार का ज्ञान प्राप्त करते हैं। ये अध्यापक हमको बिना दंड प्रकार के, बिना कुटिल शब्द कहे अथवा क्रोध किए और बिना शुल्क लिए ही शिक्षा दे सकते हैं। यदि हम इनके सन्निकट जाएँ तो वे सोते अथवा अन्य किसी कार्य में संलग्न न मिलेंगे। यदि हम जिज्ञासु हैं और इनसे प्रश्न करते हैं तो यह हमसे कुछ परोक्ष न रखेंगे। यदि हम इनके यथार्थ रूप को न समझे तो ये भुनभुना नहीं जाएँगे और यदि हम अज्ञानी हैं तो हमारी मूर्खता पर हँसेंगे नहीं। इसलिए बुद्धि तथा ज्ञान से पूर्ण पुस्तकालय संसार की बहुमूल्य वस्तु है।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

20. दार्शनिक कहते हैं, जीवन एक बुदबुदा है। भ्रमण करती हुई आत्मा को ठहरने की एक धर्मशाला-मात्र है। वे यह भी कहते हैं कि हम जीवन का संग तथा वियोग क्या है? प्रवाह में साथ ही बढ़ते हुए लकड़ी के टुकड़ों का साथ और विलग होने के समान है। परन्तु क्या ये विचार एक संतृप्त हृदय को शांत कर सकते हैं? क्या ये भावनाएँ चिरकाल की विरहाग्नि में जलते हुए हृदय को सांत्वना प्रदान कर सकती हैं। सांसारिक जीवन की व्यवस्थाओं से दूर बैठा सांसारिक जीवन संग्राम का एक तटस्थ दर्शक भले कुछ भी कहे, किन्तु जीवन के इस भीषण संग्राम में युद्ध करते हुए सांसारिक घटनाओं के कठोर धपेड़े खाते हुए हृदयों की क्या दशा होतो है, वह एक भुक्तभोगी कह सकता है।

(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

21. मानव जाति के लिए एक नए युग का सूत्रपात हो गया है। यह नया युग आणविक क्रांति का युग है। भविष्य में इतिहासकार इस युग को आणविक युग कहकर पुकारेंगे या सभ्यता के महाविनाश को बीभत्स और रोमांचकारी गाथा सुनने के लिए कोई इतिहासकार जीवन ही नहीं बचेगा। इसका निर्णय आज हमें समस्त मानव जाति को ही करना है, क्योंकि आज समस्त संसार का भविष्य खतरे में पड़ गया है।
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए।
(ख) संक्षेप में सारांश लिखिए।

MP Board Class 12 General Hindi अपठित पद्यांश

सच्चा कर्म सच्ची सेवा सच्चा धरम।
दुश्मन के आगे कभी झुके नहीं हम॥
खौलता है खून, साँस चलती गरम।
कितने हों कष्ट नहीं होते जो नरम॥
भारत माँ की आबरू ये पहचानते।
माता भारती का दर्द ये ही जानते॥1॥

इनको न कोई प्यारे जाति और पंथ।
इनकी राष्ट्रभक्ति का होता नहीं अंत॥
नहीं जानते हैं ये हिंदू मुसलमान।
इनको चाहिए सलामत हिन्दुस्तान॥
तोप के भी आगे जो हैं सीना तानते।
माता भारती का दर्द ये ही जानते॥2॥

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चाहे हो पहाड़ चाहे गहरी हो खाई।
हर प्रतिकूलता में हिम्मत बनाई।
आग उगलें दुश्मन की गोलियाँ।
बढ़ती गई हैं फिर भी आगे टोलियाँ।
तोड़ते पहाड़ नहीं राख छानते।
माता भारती का दर्द ये ही जानते॥3॥

जिसमें नहीं है देश-भक्ति का जुदून।
उसका कहेंगे हम बेईमान खून॥
चाहे कोई जाति हो या कोई हो धन।
सबकी जुबाँ पे हो वंदे मातरम्।
ये ही सच्ची देशभक्ति हम मानते
इसको ही सच्चा धर्म हम जानते॥4॥

-कमलेश कुमार जैन ‘वसंत’

  • उपर्युक्त पद्यांश का शीर्षक लिखिए।’
  • कवि सच्चा धर्म किसे मानता है?
  • कवि ने कविता में किसका चित्रण किया है?
  • उपर्युक्त कविता का भावार्थ लिखिए।

2. अपठित पद्यांश
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

वन-उपवन पनप गए सब
कितने नव अंकुर आए।
वे पीले-पीले पल्लव
फिर से हरियाली लाए।
वन में मयूर अब नाचें
हँस-हँस आनन्द मनाएँ।
उनकी छवि देख रही हैं
नभ से घनघोर घटाएँ।

-संकलित

  • उक्त पद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए?
  • उक्त पंक्तियों में किस मौसम का वर्णन हुआ है?
  • आकाश से बरसाती बादल कौन-सा दृश्य देख रहे हैं?

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3. अपठित पद्यांश
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

जय हे मातृभूमि कल्याणी
शुभ्र किरीट हिमालय तेरा
सागर है चरणों का चेरा
हृदय देवताओं का डेरा
शस्य श्यामला रूप तुम्हारा
शीतल चूनर धानी।

-मधु चतुर्वेदी

  • उक्त पद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए?
  • ये पंक्तियाँ किस देश के संबंध में कही गई हैं?
  • इन पंक्तियों में मातृभूमि की किन विशेषताओं का उल्लेख किया गया है:

3. अपठित पद्यांश

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
बस कागजी घुड़दौड़ में है आज इति कर्त्तव्यता,
भीतर मलिनता हो, भले की किन्तु बाहर भव्यता,
धनवान ही धार्मिक बनें यद्यपि अधर्मासक्त हैं,
हैं लाख में दो-चार सुहृदय शेष बगुला भक्त हैं।

-मैथिलीशरण गुप्त

  1. उक्त पद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए?
  2. आजकल कर्त्तव्य की समाप्ति किसे समझा जाता है?
  3. अधर्मी किस आधार पर धार्मिक बन गए हैं?
  4. बगुला भक्त से क्या आशय है?

3. अपठित पद्यांश

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
यदि तुम अपनी अमित शक्ति को समझ काम में लाते,
अनुपम चमत्कार अपना तुम देख परम सुख पाते,
यदि उदीप्त हृदय में सच्चे सुख की हो अभिलाषा,
वन में नहीं जगत् में आकर करो प्राप्ति की आशा।

-रामनरेश त्रिपाठी

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  1. उक्त पद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए?
  2. अमित शक्ति से कवि का क्या आशय है?
  3. सच्चा सुख कहाँ प्राप्त किया जा सकता है?

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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य के भेद

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य के भेद

1. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद-

अर्थ के आधार पर वाक्यों के निम्नलिखित आठ – भेद होते हैं –

  • विधानवाचक वाक्य – जिन वाक्यों से किसी क्रिया के करने या होने की – सामान्य सूचना मिलती है, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते हैं। किसी के अस्तित्व का बोध भी इस प्रकार के वाक्यों से होता है।

जैसे–
अशोक राजनगर में रहता है।

  • निषेधवाचक वाक्य – जिन वाक्यों से किसी कार्य के निषेध (न होने) का बोध होता हो, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। इन्हें नकारात्मक वाक्य भी कहते हैं।

जैसे–
मैं आज नहीं जाऊँगा।

  • प्रश्नवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में प्रश्न किया जाए अर्थात् किसी से कोई बात पूछी जाए, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।

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जैसे–
क्या तुम आज ही वापस जाओगे।

  • विस्मयादिवाचक वाक्य – जिन वाक्यों से आश्चर्य (विस्मय), हर्ष, शोक, घृणा आदि के भाव व्यक्त हों, उन्हें विस्मयादिवाचक वाक्य कहते हैं।

जैसे–
अरे! शुभम् तुम!

  • आज्ञावाचक वाक्य – जिन वाक्यों से आज्ञा या अनुमति देने का बोध हो, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं। जैसे तुम बाजार चले जाओ। इच्छावाचक वाक्य – वक्ता की इच्छा, आशा या आशीर्वाद को व्यक्त करने वाले वाक्य इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं।

जैसे–
मैं चाहता हूँ कि मैं भी कल तुम्हारे साथ ही घर चलूँ।

  • संदेहवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में कार्य के होने में संदेह अथवा संभावना का बोध हो, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।

जैसे–
शायद मैं देर से लौटूं।

  • संकेतवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में एक क्रिया के दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का बोध हो, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। इन्हें हेतुवाचक वाक्य भी कहते हैं। इनसे कारण, शर्त आदि का बोध होता है।

जैसे–
अगर तुम मेरे साथ रहोगे तो मुझे सुविधा होगी।

2. रचना के आधार पर वाक्य के भेद-

(a) साधारण वाक्य – जिन वाक्यों में एक मुख्य क्रिया हो, उन्हें साधारण वाक्य कहते हैं।

जैसे–

  • शुभम् उनसे मिलने राजनगर गया।
  • बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।
  • मोहन पुस्तकें खरीदकर घर से होता हुआ आपके पास पहुँचेगा।
  • इस गाँव के लोग कसरत के शौकीन हैं।
  • शिकारी ने वन में अपनी बन्दूक से एक बड़ा जंगली सुअर मारा।
  • लता मंगेशकर की बहन आशा भोंसले ने भी पार्श्वगायन में अपार ख्याति अर्जित की है।

ऊपर के सभी वाक्यों में मुख्य क्रिया एक ही है, जैसा कि वाक्यों से स्पष्ट है। आकार में छोटे – बड़े होते हुए भी रचना की दृष्टि से ये साधारण वाक्य हैं। इन्हें सरल वाक्य भी कहा जाता है।।

2. संयुक्त वाक्य – जहाँ दो या दो से अधिक उपवाक्य किसी समुच्चयबोधक (योजक) अव्यय शब्द से जुड़े होते हैं, वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।

जैसे–

  • उसने एक छोर से दूसरे छोर तक बाजार का चक्कर लगाया किन्तु उसे कपड़ों की कोई अच्छी दुकान दिखाई नहीं दी।
  • हमने सुबह से शाम तक बाजार की खाक छानी, किन्तु काम नहीं बना।
  • इधर अध्यापक पहुँचे और उधर छात्र एक – एक करके खिसकने लगे।

ऊपर लिखे उदाहरणों में शब्दों ‘किंतु’, ‘और’, ‘या’, ‘इसलिए’ अव्यय शब्दों से जुड़े हुए हैं। यदि इन योजक अव्यय शब्दों को हटा दिया जाए तो प्रत्येक में दो – दो स्वतन्त्र वाक्य बनते हैं। योजकों की सहायता से जुड़े हुए होने के कारण इन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं।

3. मिश्र वाक्य – जिन वाक्यों की रचना एक से अधिक ऐसे उपवाक्यों से हुई हो, जिनमें एक प्रधान तथा अन्य वाक्य गोण हों, उन्हें मिश्र वाक्य कहते हैं।

जैसे–

  • अशोक ने बताया कि कल उसकी छुट्टी रहेगी।
  • श्याम लाल, जो गाँधी गली में रहता है, मेरा मित्र है।
  • हिरण ही एक ऐसा वन्य पशु है, जो कुलाँचें भरता है।
  • यह वही भारत देश है, जिसे कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था।

ऊपरलिखित उदाहरणों में वाक्य के अंश गौण वाक्य हैं और दूसर अंश प्रधान वाक्य। अतः ये सभी मिश्र वाक्य के उदाहरण हैं।

वाक्य – परिवर्तन

  • अर्थ की दृष्टि से वाक्य में परिवर्तन।

आप पढ़ चुके हैं कि अर्थ की दृष्टि से वाक्य आठ प्रकार के होते हैं। इनमें से विधानवाचक वाक्य को मूल आधार माना जाता है। अन्य वाक्य भेदों में विधानवाचक वाक्य का मूलभाव ही विभिन्न रूपों में परिलक्षित होता है। किसी भी विधानवाचक वाक्य को सभी प्रकार के भावार्थों में प्रयुक्त किया जा सा है।

जैसे–

  1. विधानवाचक वाक्य – अशोक राजनगर में रहता है।
  2. विस्मयादिवाचक वाक्य – अरे! अशोक राजनगर में रहता है।
  3. प्रश्नवाचक वाक्य – क्या अशोक राजनगर में रहता है।
  4. निषेधवाचक वाक्य – अशोक राजनगर में नहीं रहता है।
  5. संदेहवाचक वाक्य – शायद अशोक राजनगर में रहता है।
  6. आज्ञावाचक वाक्य – अशोक तुम राजनगर में रहता है।
  7. इच्छावाचक वाक्य – काश, अशोक राजनगर में रहता।
  8. संकेतवाचक वाक्य – यदि अशोक राजनगर में रह सका है।

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कुछ अन्य उदाहरण
विधानवाचक अज्ञार्थक सार्थक में परिवर्तन के कुछ उदाहरण
पालक
विधानवाचक – शीला रोज पढ़ने आती है।
अज्ञार्थक – शीला’ तम रोज पढ़ने आया करो।

2. विधानवाचक – रमेश तो खेलने से रोका जाता है।
आज्ञार्थक – रमेश को खेलने से रोको।

विधानवाचक से प्रश्नवाचक और निषेधवाचक में परिवर्तन
1. विधानवाचक – वह जी खोलकर दान देता है।
प्रश्नवाचक – क्या वह जी खोलकर दान देता है?
निषेधवाचक – वह जी खोलकर दान नहीं देता।

2. विधानवाचक – पुलिस को देखते ही चोर भाग गए।
प्रश्नवाचक – क्या पुलिस को देखते ही चोर भाग गए?
निषेधवाचक – पुलिस को देखते ही चोर नहीं भागे।

3. विधानवाचक – राम स्कूल जाएगा।
प्रश्नवाचक – क्या राम स्कूल जाएगा?
निषेधवाचक – राम स्कूल नहीं जाएगा।

विधानवाचक से विस्मयादिवाचक में परिवर्तन
1. विधानवाचक – तुम आ गए हो!
2. विस्मयवाचक – अरे, तुम आ गए हो!

इच्छावाचक वाक्य से प्रश्नवाचक और निषेधवाचक वाक्य
1. इच्छवाचक – संसार में सब सुखी हो जाएँ।
2. प्रश्नवाचक – क्या संसार में सब सुखी हो जाएँ?
3. निषेधवाचक – संसार में सभी सुखी न हों।

विस्मयवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक और निषेधवाचक वाक्य
1. विस्मयवाचक – वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।
2. प्रश्नवाचक – तुमने कौन – सा कमाल कर दिया?
3. निषेधवाचक – तुमने कोई कमाल नहीं किया।

प्रश्नवाचक से विस्मयवाचक और निषेधवाचक में परिवर्तन
1. प्रश्नवाचक – क्या वह इतना मूर्ख है?
2. विस्मयवाचक – बाप रे, वह तो बड़ा मूर्ख है!
3. निषेधवाचक – वह इतना मूर्ख नहीं है।

निषेधवाचक तथा प्रश्नवाचक से विधानवाचक में परिवर्तन
1. प्रश्नवाचक – गाँधीजी का नाम किसने नहीं सुना?
2. विधानवाचक – गाँधीजी का नाम सबने सुना है।
3. निषेधवाचक – उसने कोई उपाय नहीं छोड़ा।
4. विधानवाचक – उसने सब उपाय छोड़ दिए।

साधारण वाक्यों का संयुक्त वाक्य में परिवर्तन-

संयुक्त वाक्य में एक से अधिक साधारण वाक्य विभिन्न योजकों द्वारा जुड़े रहते हैं। अतः दो बाक्यों को संयुक्त बनाते समय उन्हें किसी योजक से जोड़ देना चाहिए।

उदाहरणतया –
रात हुई।
तारे निकले।

संयुक्त वाक्य – रात हुई और तारे निकले।

यदि वाक्य दो से अधिक हों तो पहले उन्हें दो साधारण वाक्यों में बदल लेना चाहिए फिर किसी योजक से जोड़ देना चाहिए। यथा –
(क) दिन हुआ।
(ख) सूरज निकला।
(ग) ठण्ड नहीं रुकी।

संयुक्त वाक्य – दिन होने पर सूरज निकला परन्तु ठण्ड न रुकी।

अनेक साधारण वाक्यों का मिश्र वाक्य में परिवर्तन
→ मिश्र वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एकाधिक आश्रित उच्चाक्य होते हैं। इसलिए पहले साधारण वाक्यों में से किसी एक उपवाक्य को प्रधान उपवाक्य के रूप में प्रयुक्त करना चाहिए तथा शेष उपवाक्यों को संज्ञा उपवाक्य, क्रिया – विशेषण उपवाक्य, विशेषण उपवाक्य आदि बनाकर योजकों की सहायता से यथास्थान प्रयुक्त करना चाहिए।

यथा –
(क) वह राजा प्रतापी था।
(ख) अब वह सत्तालोलुप हो गया है।
मिश्र वाक्य – वह राजा, जो प्रतापी था, अब सत्तालोलुप हो गया है।

उदाहरण
1. साधारण वाक्य से संयुक्त वाक्य

साधारण वाक्य – सयुक्त वाक्य
1. बालक रो – रोकर चुप हो गया। – 1. बालक रोता रहा और चुप हो गया।
2. मुझसे मिलने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। – 2. मुझसे मिल लेना परन्तु प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
3. कठोर बनकर भी. सहृदय बनो। – 3. कठोर बनो परन्तु सहृदय रहो।
4. सूर्योदय होने पर पक्षी बोलने लगे। – 4. सूर्योदय हुआ और पक्षी बोलने लगे।
5. वह फल खरीदने के लिए बाजार गया। – 5. उसे फल खरीदने थे, इसलिए वह बाजार गया।

2. साधारण वाक्य से मिश्र वाक्य।

साधारण वाक्य – सयुक्त वाक्य
1. स्वावलंबी व्यक्ति सदा सुखी रहते हैं। – 1. जो व्यक्ति स्वावलंबी होते हैं, वे सदा सुखी रहते हैं।
2. धनी व्यक्ति हर चीज़ खरीद सकता – 2. जो व्यक्ति धनी है, वह हर चीज खरीद सकता है।
3. वह जूते खरीदने के लिए बाजार गया। – 3. क्योंकि उसे जूते खरीदने थे, इसलिए बाजार गया।
4. दंड क्षमा कराने के लिए प्रार्थना – पत्र लिखो। – 4. एक ऐसा पत्र लिखो, जिसमें दंड क्षमा कराने के लिए प्रार्थना हो।
5. तुम वहाँ चले जाओ, जहाँ गाड़ी रुकती है। – 5. तुम वहाँ चले जाओ, जहाँ गाड़ी रुकती है।

3. संयुक्त वाक्य से साधारण वाक्य
संयुक्त वाक्य – साधारण वाक्य
1. तुम बाहर गए और वह सो गया। – 1. तुम्हारे बाहर जाते ही वह सो गया।
2. यदि वह झूठ न बोलता, तो दंड न पाता। – 2. झूठ न बोलने पर वह दंड न पाता।
3. माँ ने मारा, तो बालक रूठ गया। – 3. माँ के मारने पर बालक रूठ गया।
4. शशि गा रही है और नाच रही है। – 4. शशि गा और नाच रही है।
5. मजदूर परिश्रम करता है लेकिन उसका लाभ उसे नहीं मिलता। – 5. मजदूर को अपनी मेहनत का लाभ नहीं मिलता।

4. मिश्र वाक्य से साधारण वाक्य
मिश्र वाक्य – साधारण वाक्य
1. सुषमा इसलिए स्कूल नहीं गई क्योंकि वह बीमार है। – 1. सुषमा बीमार है इसलिए स्कूल नहीं गई।
2. यदि आप उससे मिलना चाहते हैं तो द्वार पर प्रतीक्षा करें। – 2. आप उससे मिलना चाहते हैं इसलिए द्वार पर प्रतीक्षा करें।
3. मेरे पिताजी वे हैं जो पलंग पर लेटे हैं। – 3. मेरे पिताजी वे हैं जो पलंग पर लेटे हैं।
4. जो विद्यार्थी परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। – 4. जो विद्यार्थी परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है।
5. संगम उस स्थान को कहते हैं, जहाँ दो नदियाँ आकर मिलती हैं। – 5. संगम उस स्थान को कहते हैं, जहाँ दो नदियाँ आकर मिलती हैं।

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5. संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य
संयुक्त वाक्य – मिश्र वाक्य
1. नीरजा ने कहानी सुनाई और नमिता रो पड़ी। – 1. नीरजा ने ऐसी कहानी सुनाई कि नमिता रो पड़ी।
2. तुम महान हो क्योंकि सच बोलते हो। – 2. तुम इसलिए महान हो क्योंकि सच बोलते हो।
3. आपने कठिन परिश्रम किया और उत्तीर्ण हो गए। – 3. आप इसलिए उत्तीर्ण हो गए क्योंकि आपने कठिन परिश्रम किया।
4. मेरे पाठ्यक्रम में गोदान उपन्यास है, जिसके लेखक मुंशी प्रेमचन्द हैं। – 4. मेरे पाठ्यक्रम में गोदान नामक वह उपन्यास है जिसे प्रेमचन्द ने लिखा है।
5. वह बुद्धिमान है इसलिए उसे सोच – समझकर काम करना चाहिए। – 5. क्योंकि वह बुद्धिमान है, इसलिए उसे सोच – समझकर काम करना चाहिए।

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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन

भावों की अभिव्यक्ति प्रायः दो प्रकार से होती है, एक-वाणी के द्वारा हम अपने विचारों को बोलकर प्रकट करते हैं तथा दूसरे-लेखनी द्वारा हम अपनी भावनाओं को लिपिबद्ध करते हैं। भावों को लिपिबद्ध करने के लिए आवश्यक है कि भाषा पर हमारा पूर्ण अधिकार हो अन्यथा अस्पष्ट, अशुद्ध भाषा के माध्यम से भावों का अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाता।

भाषा को परिमार्जित, सशक्त और आकर्षक बनाने के लिए यह आवश्यक है कि हम प्रत्येक शब्द की आत्मा को समझें और उस पर अधिकार कर अपनी अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बना लें। मनुष्य मन के भावों को व्यक्त करने के लिए वाक्यों में शब्दों का उपयुक्त और क्रमबद्ध प्रयोग अत्यधिक आवश्यक है। उचित और अनुरूप शब्दों का चयन तथा उनका व्यवस्थित नियोजन सही और सुन्दर वाक्य रचना के मुख्य उपकरण हैं।

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संक्षेप में शुद्ध लेखन से आशय ऐसे लेखन से है जिसमें सार्थक और उपयुक्त शब्दावली का उपयोग हो। अलंकार, मुहावरों-लोकोक्तियों का विषय के अनुरूप उचित . प्रयोग हो। भाषा अस्वाभाविकता से दूषित न हो। वर्तनी व्याकरण के नियमों के अनुकूल हो और अभिव्यक्ति अपने आप में पूर्ण हो।

वाक्य अशुद्धि

1. क्रम दोष-वाक्य में प्रत्येक शब्द व्याकरण के नियम के अनुसार सही क्रम में होना चाहिए। कर्ता, क्रिया और कर्म को उपयुक्त स्थान पर रखना अत्यन्त आवश्यक है। मिश्र वाक्य में प्रधान वाक्य तथा उसके अन्य उपवाक्यों को ठीक क्रम में न रखने पर वाक्य अशुद्ध हो जाता है,
जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-1

2. पुनरुक्ति दोष-एक ही वाक्य में एक शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग अथवा पर्यायवाची शब्द का प्रयोग भी दोषपूर्ण हो जाता है। यह आडम्बर की रुचि दर्शाता है,
जैसे-
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3. संज्ञा संबंधी दोष-अपने कथन को प्रभावशाली बनाने के लिए हम संज्ञा को प्रयुक्त करते समय उसके सही अर्थ से अनभिज्ञ होकर उसका अशुद्ध प्रयोग करते जाते हैं। ऐसे प्रयोग के द्वारा हमारे कथन का सही अर्थ भी स्पष्ट नहीं होता तथा भाषा दोषपूर्ण हो जाती है, जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-3

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4. लिंग सम्बन्धी दोष-लिंग के प्रयोग में भी सामान्य रूप से अशुद्धि देखने को मिलती हैं, जैसे-
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5. वचन सम्बन्धी अशुद्धियाँ-वचन के प्रयोग में असावधानी बरतने के कारण भी वाक्य में अशुद्धि आ जाती है; जैसे-
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6. सर्वनाम सम्बन्धी अशुद्धियाँ-वाक्य रचना में सर्वनाम सम्बन्धी अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं। सर्वनाम का यथास्थान प्रयोग न करना, सर्वनाम का अधिक प्रयोग करना या गलत सर्वनामों का प्रयोग करना प्रायः देखा गया है; जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-7

7. विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ-वाक्यों में विशेषण सम्बन्धी अनेक अशुद्धियाँ देखने में आती हैं। विशेषणों के अनावश्यक अनुपयुक्त तथा अनियमित प्रयोग से वाक्य भद्दा व प्रभावहीन हो जाता है; जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-8

8. क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियाँ-क्रियाओं सम्बन्धी अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं। जैसे क्रियापदों का अनावश्यक प्रयोग, आवश्यकता के समय प्रयोग न करना, अनुपयुक्त क्रियापद का प्रयोग, सहायक क्रिया में अशुद्धि तथा क्रियाओं में असंगति के कारण ये अशुद्धियाँ होती हैं।
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-9

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9. क्रिया-विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ-क्रिया-विशेषण सम्बन्धी अनेक अशुद्धियाँ। उनके अशुद्ध, अनुपयुक्त और अनियमित प्रयोग से दिखाई देती हैं, जैसे
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-10

10. कारकीय परसों की अशुद्धियाँ-शुद्ध रचना के लिए कारकीय परसर्गों का समुचित प्रयोग करना आवश्यक है। सामान्य रूप से ‘ने’, ‘को’, ‘से’, ‘के ‘द्वारा’, ‘में’, ‘पर’, ‘का’, ‘की’, ‘के लिए’ आदि परसर्गों का गलत प्रयोग करने से वाक्य में अशुद्धि आती है। जैसे-
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण वाक्य अशुद्धि संशोधन img-11
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11. मुहावरे सम्बन्धी अशुद्धियाँ-मुहावरे हमारी भाषा को सुन्दर, समृद्ध व प्रभावशाली बनाते हैं। इनका प्रयोग करते समय यह विशेष ध्यान रखना होता है कि इनका रूप विकृत और हास्यास्पद न हो। जैसे-
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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण भाव पल्लवन

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण भाव पल्लवन

विचारों को अभिव्यक्त करने का माध्यम भाषा है। भाषा और अभिव्यंजना पक्ष पर असाधारण अधिकार रखने वाले व्यक्ति अपने भावों और विचारों को परिष्कृत, सुगठित प्रौढ़ भाषा में संक्षेप में अभिव्यक्त करते हैं। उनके संक्षिप्त कथन में विस्तृत विचारों और गंभीर भावों की अभिव्यक्ति निहित रहती है। उनमें भावों और विचारों की गहराई सूत्र रूप में पिरोई होती है। ये विचार-सूत्र समाज में उक्ति अथवा सूक्ति के रूप में प्रचलित हो जाते हैं। इनमें गागर में सागर भरा होता है। सामान्य जनों को इस प्रकार के गुंथे हुए सूत्रवत एक या एक से अधिक वाक्यों के भाव और विचार स्पष्ट नहीं होते हैं। अब समझने के लिए विचार-सूत्रों के वाक्य अथवा वाक्यों का अर्थ-विस्तार या भाव-विस्तार किया जाता है।

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किसी सुगठित एवं गुम्फित विचार अथवा भाव के विस्तार को पल्लवन कहते हैं।
किसी एक वाक्य या एक से अधिक वाक्यों का पल्लवन करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

  1. मूल वाक्य या अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए।
  2. वाक्य या अवतरण में कोई लोकोक्ति, मुहावरे, अलंकार, रस आदि हो सकते हैं, उन पर ध्यान दीजिए।
  3. पल्लवन काव्य पंक्ति अथवा गद्य पंक्ति किसी का भी किया जा सकता है। उसके केंद्रीय भाव या विचार को समझने का प्रयास कीजिए।
  4. भाव या विस्तार करते समय कथन की पुष्टि हेतु कुछ उदाहरण या तथ्य भी दिए जा सकते हैं।
  5. वाक्य छोटे-छोटे हों और भाषा सरल, स्पष्ट और व्यावहारिक हो।
  6. लेखक या कवि के मूल भाव का ही विस्तार करना उचित है। उसकी आलोचना नहीं करना चाहिए।
  7. पल्लवन हर स्थिति में अन्य पुरुष में कीजिए।
  8. अनावश्यक विस्तार से बचें।
  9. विरामचिह्नों पर ध्यान दें।
  10. पल्लवन हेतु शब्द-चयन सार्थक और प्रभावी है।
  11. पुनरावृत्ति से बचना चाहिए।

उदाहरण
कर्ता से बढ़कर कर्म का स्मारक दूसरा नहीं।

पल्लवन-किसी कर्म का सबसे बड़ा स्मारक उस कर्म को करने वाला अर्थात कर्ता होता है। जब हम किसी कर्म की प्रशंसा करते हैं तो हमारी दृष्टि उस कार्य के कर्ता की ओर जाती है। कर्म को कर्ता से पृथक् करके नहीं देखा जा सकता। जब हमें उसी प्रकार के कार्य करने का सुअवसर प्राप्त होता है तो मार्ग-दर्शन के लिए उसके कर्ता की ओर ध्यान चला जाता है। वह कर्ता हमारा आदर्श बन जाता है। कर्मों द्वारा ही समाज में कर्ता की स्थिति सुदृढ़ और आकर्षक बनती है। भारतीय संस्कृति की पताका विदेशों में फैलाने की चर्चा होती है तो स्वतः ही हमारा ध्यान स्वामी विवेकानंद की ओर आकर्षित हो जाता है। अतः कर्म का स्मारक कर्ता के अतिरिक्त कोई दूसरा नहीं हो सकता है।

अन्य उदाहरण

1. महत्त्वाकांक्षा मनुष्य का असाध्य रोग है।
2. प्रेम में घनत्व अधिक है तो श्रद्धा में विस्तार।
3. आचरण सज्जनता की कसौटी है।
4. सद्भावना टूटे हृदय को जोड़ती है।
5. कर्ता से बढ़कर कर्म का स्मारक दूसरा नहीं।
6. मनुष्य जितना देता है, उतना ही पाता है। प्राण देने से प्राण मिलता है और मन देने से मन मिलता है।
7. आशा उस घास की भाँति है जो ग्रीष्म में ताप से जल जाती है।
8. सत्ता की भूख ज्ञान की वर्तिका को बुझा देती है।
9. लोभ सामान्योन्मुख होता है और प्रेम विशेषोन्मुख।
10. नियम जीवन-वाटिका की रक्षा-परिधि है।
11. बंधन सर्वत्र होते हैं किन्तु जो मनुष्य उन्हें शक्ति मानकर चलता है वही सबल होता है।
12. प्रसिद्धि मनुष्य की शांति की सबसे बड़ी शत्रु है जो उसके हृदय की कोमलता का हनन करती है।
13. विदेशी भाषा का विद्यार्थी होना बुरा नहीं, पर अपनी भाषा सर्वोपरि है।
14. उपकार शील का दर्पण है।
15. प्रेम में घनत्व अधिक है तो श्रद्धा में विस्तार।
16. दुःख की पिछली रजनी बीच, विकसता सुख का नवल प्रभात।
17. दुःख की छाया एक तरह की तपस्या ही है, उससे आत्मा शुद्ध होती है।
18. मंदिर एक उपासना स्थल है, जहाँ मनुष्य अपने आपको ढूँढ़ता है।
19. विश्वासपात्र मित्र जीवन की औषधि है।
20. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।

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21. जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ।
22. होनहार बिरवान के होत चीकने पात।
23. हिंसा बुरी चीज है, पर दासता उससे भी बुरी है।
24. तेते पाँव पसारिए जेती लांबी सौर।
25. लीक-लीक गाड़ी चले, लीकहिं चले कपूत।
लीक छाँड़ि तीनों चलें, शायर, सिंह, सपूत॥
26. जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि।
27. कायर भाग्य की और वीर पुरुषार्थ की बात करते हैं।
28. भाग्यवाद आवरण पाप का और शस्त्र शोषण का।
29. लघुता से प्रभुता मिले प्रभुता से प्रभु दूर।
30. जीवन का नियम स्पर्धा नहीं, सहयोग है।
31. आँखों में हो स्वर्ग लेकिन पाँव पृथ्वी पर टिके हों।
32. महत्त्वाकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में पलता है।
33. भविष्य वर्तमान के द्वारा खरीदा जाता है।
34. जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।
35. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
36. निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।
37. हम नदी के द्वीप हैं, धारा नहीं हैं।
हम बहते नहीं, क्योंकि बहना रेत होना है।
38. आनंद के झरने का उद्गम अपने भीतर है, बाहर नहीं।
39. आलस्य जीवित व्यक्ति का कफन है।
40. वाणी का भूषण ही भूषण है।
41. चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग।
42. खोजी मनुष्य के लिए समुद्र सूख जाता है, पहाड़ झुक जाता है।
43. धर्म और जाति का भेद संकीर्ण विचारों के स्वार्थ की उपज है।
44. धर्म का भूषण वैराग्य है, वैभव नहीं।
45. राष्ट्रभाषा के अभाव से पराधीनता की याद ताजा बनी रहती है।
46. भाषा विचार की पोशाक है।
47. यह सत्य ही है, देवता उसी की सहायता करते हैं, जो परिश्रम करता है।

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48. युद्ध असभ्य लोगों का व्यापार है।
49. जीवन अमरता का शैशवकाल है।

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

नाभिक NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

• अभ्यास के प्रश्न हल करने में निम्नलिखित आँकड़े आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे :

e = 1.6×10-19 कूलॉम,
N = 6.023x 1023 प्रति मोल,
\(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}\) = 9 x 109 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम’2,
k= 1.381 x 1023 जूल/केल्विन,
1 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = 1.6 x 10-13 जूल
1u = 931 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट,
1 year = 3.154 x 107 सेकण्ड,
mp = 1.007825
mH = 1.007823u
mn = 1.008665 u,
m(_{2}^{4} \mathrm{He}) = 4.002603u,
me = 0.000548u.

प्रश्न 1.
(a) लीथियम के दो स्थायी समस्थानिकों को \(_{3}^{6} \mathbf{L i}\) एवं \(_{3}^{7} \mathbf{L i}\) की बहुलता का प्रतिशत क्रमशः 7.5 एवं 92.5 है। इन समस्थानिकों के द्रव्यमान क्रमशः 6.01512 u एवं 7.01600 u हैं। लीथियम का परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
(b) बोरॉन के दो स्थायी समस्थानिक \(\begin{array}{c}{10} \\ {5}\end{array}\)B एवं \(\begin{array}{l}{11} \\ {5}\end{array}\)B हैं। उनके द्रव्यमान क्रमशः 10.01294u एवं 11.00931u एवं बोरॉन का परमाणु भार 10.811u है। Bएवं VB की बहुलता ज्ञात कीजिए।
हल
(a) माना लीथियम के किसी नमूने में 100 परमाणु लिए गए हैं, तब इनमें 7.5 परमाणु \(_{3}^{6} \mathbf{L i}\) के तथा 92.5 परमाणु \(_{3}^{7} \mathbf{L i}\) के होंगे। .
∴ 100 परमाणुओं का द्रव्यमान = (7.5 x 6.01512+ 92.5 x 7.01600)u
= (45.1134 + 648.98)u= 694.0934u
∴ लीथियम का औसत परमाणु द्रव्यमान =
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 1
\(\frac { 694.0934 }{ 100 }\) = 6.940934u
≈ 6.941u

(b) माना बोरॉन के दो समस्थानिकों की बहुलता क्रमश: x% तथा y% है, तब
x+ y= 100
यदि बोरॉन के 100 परमाणु लिए जाएँ तो इनमें x परमाणु \(\begin{array}{c}{10} \\ {5}\end{array}\)B के तथा y परमाणु \(\begin{array}{l}{11} \\ {5}\end{array}\)B के होंगे।
∴ बोरॉन का परमाणु द्रव्यमान =
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 2
⇒ 10.811 = \(\frac { x×10.01294 + y × 11.00931 }{ 100 }\)
था 10.811×100 = 10.01294x + 11.00931 (100-x) [∵ x+ y = 100]
⇒ 1081.1-1100.931 = 10.01294x – 11.00931x
⇒  -19.831= – 0.99637x
∴ x = \(\frac { -19.831 }{ -0.99637 }\) = 19.9 .
∴ y = 100-x= 100 – 19.9 = 80.1
अत: बोरॉन में \(\begin{array}{c}{10} \\ {5}\end{array}\)B तथा \(\begin{array}{l}{11} \\ {5}\end{array}\)B समस्थानिकों की बहुलता प्रतिशत क्रमश: 19.9 तथा 80.1 हैं।

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प्रश्न 2.
नियॉन के तीन स्थायी समस्थानिकों की बहुलता क्रमशः 90.51%, 0.27% एवं 9.22% है। इन समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान क्रमशः 19.99u, 20.99u एवं 21.99u हैं। नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
हल
यदि नियॉन के 100 परमाणु लिए जाएँ तो उनमें नियॉन के तीन समस्थानिकों के क्रमश: 90.51 परमाणु, 0.27 परमाणु तथा 9.22 परमाणु होंगे।
∴ नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान = \(\frac { (90.51 × 19.99 + 0.27 × 20.99+9.22 × 21.99)u }{ 100 }\)
= \(\frac { (1809.2949+ 5.6673+ 202.7478)u }{ 100 }\) = \(\frac { 2017.71 }{ 100 }\)
= 20.177u ≈ 20. 18u

प्रश्न 3.
नाइट्रोजन नाभिक (\(_{7}^{14} \mathrm{N}\)) की बन्धन ऊर्जा मिलियन इलेक्ट्रॉन-ऊर्जा में ज्ञात कीजिए। mr = 14.00307u
हल
दिया है : न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn = 1.00867u, प्रोटॉन का द्रव्यमान mp = 1.00783u
\(_{7}^{14} \mathrm{N}\) नाभिक का द्रव्यमान mN = 14.00307u
∴ \(_{7}^{14} \mathrm{N}\) नाभिक 7 प्रोटॉनों तथा 7 न्यूट्रॉनों से मिलकर बना है।
∴ \(_{7}^{14} \mathrm{N}\) नाभिक में उपस्थित न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान
= 7mp + 7mn
= 7 × 1.00783 + 7 × 1.00867
= 14.1155u
∴ \(_{7}^{14} \mathrm{N}\) की द्रव्यमान क्षति Δ m = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान — नाभिक का द्रव्यमान
= 14.11550- 14.00307 = 0.11243u
1u = 931 MeV
∴ \(_{7}^{14} \mathrm{N}\) नाभिक की बन्धन ऊर्जा = Δ m × 931 = 0.11243 × 931
= 104.67
≈ 104.7 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर \(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array} \mathbf{F} \mathbf{e}\) एवं \(\begin{array}{l}{209} \\ {83}\end{array}\)Bi नाभिकों की बन्धन ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट में ज्ञात कीजिए। m (\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array} \mathbf{F} \mathbf{e}\)) = 55.934939u, m (\(\begin{array}{l}{209} \\ {83}\end{array}\)Bi) = 208.980388u.
हल
दिया है, प्रोटॉन का द्रव्यमान mp = 1.007825u
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn = 1.008665u
(i) \(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array} \mathbf{F} \mathbf{e}\) नाभिक का द्रव्यमान mFe = 55.934939u
इस नाभिक में 26 प्रोटॉन तथा (56- 26) = 30 न्यूट्रॉन हैं।
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 26mp + 30mn
= 26 x 1.007825+ 30 x 1.008665
= 26.20345 + 30.25995 = 56.4634u
द्रव्यमान क्षति Δm = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान – नाभिक का द्रव्यमान
= 56.4634 – 55.934939 = 0.528461u
∴\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array} \mathbf{F} \mathbf{e}\) नाभिक की बन्धन ऊर्जा = Δm x 931
= 0.528461x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 492.26 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ बन्धन ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन = \(\frac { 496.26 }{ 56 }\)
= 8.79 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट/न्यूक्लिऑन।

(ii) \(\begin{array}{l}{209} \\ {83}\end{array}\)Bi नाभिक का द्रव्यमान mBi = 208.980388u
इस नाभिक में 83 प्रोटॉन तथा 126 न्यूट्रॉन हैं। .
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 83mp + 126mn
= 83×1.007825+ 126×1.008665
= 83.649475+127.091790
= 210.741260 u
∴ नाभिक की द्रव्यमान क्षति Δm = 210.741260 – 208.980388
= 1.760872 u
∴ नाभिक की बन्धन ऊर्जा = Δm x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1.760872 x 931.5
= 1640.26 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ बन्धन ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन = \(\frac { 1640.26 }{ 209 }\)
= 7.85 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट/न्यूक्लिऑन।

प्रश्न 5.
एक दिए गए सिक्के का द्रव्यमान 3.0 ग्राम है। उस ऊर्जा की गणना कीजिए जो इस सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक हो। सरलता के लिए मान लीजिए कि सिक्का पूर्णत: \(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) परमाणुओं का बना है। ( \(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) का द्रव्यमान = 62.9260u)
हल
दिया है, न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn = 1.008665u
प्रोटॉन का द्रव्यमान mp = 1.007825u 68
\(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) नाभिक का द्रव्यमान m = 62.9260u
\(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 63 ग्राम
∴ 63 ग्राम कॉपर में परमाणुओं की संख्या
N = 6.02 x 1023
∴ 3 ग्राम कॉपर में परमाणुओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23}}{63}\) × 3
= 2.868x 1022 परमाणु
\(\begin{array}{l}{63} \\ {29}\end{array} \mathbf{C u}\) के एक नाभिक में 29 प्रोटॉन तथा 63-29 = 34 न्यूट्रॉन हैं।
∴ एक नाभिक के न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 29mp + 34 mn
= 29 x 1.007825+ 34×1.008665
= 29.226925+ 34.294610
= 63.521535u
∴ एक नाभिक पर द्रव्यमान क्षति = 63.521535 – 62.9260 = 0.595535u
∴ 3 ग्राम कॉपर के लिए कुल द्रव्यमान क्षति
Δm = 0.595635 x 2.868 x 1022
= 1.70x 1022u
∴ 3 ग्राम कॉपर की बन्धन ऊर्जा = Δm x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1.70 x 1022 x 931.5
= 1583.5 x 1022 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
=1.584 x 1025 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
अथवा
बन्धन ऊर्जा = 1.584 x 1025 x 1.6 x 10-13 जूल
= 2.535 x 1012 जूल ।
अतः सभी न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों को अलग करने के लिए आवश्यक ऊर्जा
= 1.584 x 1025 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 2.535 x 1012 जूल।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित के लिए नाभिकीय समीकरण लिखिए-
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 3
उत्तर
दी गई अभिक्रियाओं के लिए नाभिकीय समीकरण निम्नलिखित हैं
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प्रश्न 7.
एक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक की अर्द्ध-आयु T वर्ष है। कितने समय के बाद इसकी ऐक्टिवता, प्रारम्भिक ऐक्टिवता की
(a) 3. 125%, तथा
(b) 1% रह जाएगी? ।
हल
(a) माना समस्थानिक की प्रारम्भिक रेडियोऐक्टिवता = R0
माना समयान्तराल n अर्धायुकालों के पश्चात् शेष रेडियोऐक्टिवता = R
प्रश्नानुसार, R= R0 का 3.125%
⇒ R = \(\frac{3.125}{100} R_{0}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 5
अभीष्ट समयान्तराल = n × एक अर्द्ध-आयु
= 5T वर्ष।

(b) इस बार R = R0 का 1% = \(\frac { 1 }{ 100 }\) Ro
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प्रश्न 8.
जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए 15 क्षय प्रति मिनट है यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक \(_{6}^{14} \mathbf{c}\) के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव \(_{6}^{12} \mathbf{C}\) के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमण्डल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया (जो उपर्युक्त सन्तुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है) समाप्त हो जाती है तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। \(_{6}^{14} \mathbf{c}\) की ज्ञात अर्द्ध-आयु (5730 वर्ष) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निकट आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली \(_{6}^{14} \mathbf{c}\) कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धान्त है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता 9 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिन्धु घाटी सभ्यता की सन्निकट आयु का आकलन कीजिए।
हल
दिया है, R0 = 15 क्षय प्रति मिनट, R= 9 क्षय प्रति मिनट, T1/2 = 5730 वर्ष
सूत्र R = R0e-λt से, 9= 15e-λt
⇒ \(\frac { 5 }{ 3 }\) eλt या 1.6667 = eλt
दोनों पक्षों का log लेने पर,
loge(1.6667) = λt logee
या 2.303 log10 1.6667 = λt
⇒ λt = 2.3025×0.22185 = 0.5108
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 8
= 4224 वर्ष।

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प्रश्न 9.
8.0 मिलीक्यूरी सक्रियता का रेडियोऐक्टिव स्रोत प्राप्त करने के लिए \(\begin{array}{l}{60} \\ {27}\end{array}\)Co की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी? \(\begin{array}{l}{60} \\ {27}\end{array}\)Co की अर्द्ध-आयु 5.3 वर्ष है।
हल
दिया है, सक्रियता R= 8.0 मिलीक्यूरी = 8.0×10-3 x 3.7 x 1010 विघटन/सेकण्ड
= 29.6 x 107 विघटन/सेकण्ड
तथा T1/2 = 5.3 वर्ष (∵ 1 क्यूरी = 3.7×1010 विघटन/सेकण्ड)
= 5.3 x 365 x 24 x 60 x 60 सेकण्ड .
सक्रियता R=-\(\frac { dN }{ dt }\) = – \(\frac { d }{ dt }\) (N0e-λt) [:: N = N0e-λt]
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 9
∴ आवश्यक परमाणुओं की संख्या N= \(\frac{29.6 \times 10^{7} \times 5.3 \times 365 \times 24 \times 60 \times 60}{0.693}\)
= 7.133 x 1016 परमाणु
∵ \(\begin{array}{l}{60} \\ {27}\end{array}\)Co का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 60
∴ 60 ग्राम Co में परमाणुओं की संख्या = NA = 6.02 x 1023
∴ 7.133 x 1016 परमाणु ओं का द्रव्यमान = \(\frac{60}{6.02 \times 10^{23}} \times 7.133 \times 10^{16}\)
= 7.109 x 10-6 ग्राम
= 7.11 माइक्रोग्राम।

प्रश्न 10.
\(\begin{array}{l}{90} \\ {38}\end{array} \mathbf{S} \mathbf{r}\) की अर्द्ध-आयु 28 वर्ष है। इस समस्थानिक के 15 मिलीग्राम की विघटन दर क्या है?
हल
दिया है : पदार्थ का द्रव्यमान = 15 × 10-3 ग्राम तथा
T1/2 = 28 वर्ष
= 28 × 365 × 24 × 60 × 60 सेकण्ड
= 88.3 × 107 सेकण्ड

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 10
∴ \(\begin{array}{l}{90} \\ {38}\end{array} \mathbf{S} \mathbf{r}\) का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 90 ग्राम ∴ 90 ग्राम Sr में परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 15 × 10-3 ग्राम में परमाणुओं की संख्या .
\(=\frac{6.02 \times 10^{23}}{90} \times 15 \times 10^{-3}\)
= 1.004 × 1020
∴ पदार्थ की विघटन दर (सक्रियता) R= λN (देखें प्रश्न 9)
⇒ \(R=\frac{0.693}{88.3 \times 10^{7}} \times 1.004 \times 10^{20}\)
= 7.879 x 1010 विघटन/सेकण्ड
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 11
= 2.13 क्यूरी।

प्रश्न 11.
स्वर्ण के समस्थानिक \(\begin{array}{l}{197} \\ {79}\end{array}\)Au एवं रजत के समस्थानिक \(\begin{array}{l}{107} \\ {47}\end{array}\)Ag की नाभिकीय त्रिज्या के अनुपात का सन्निकट मान ज्ञात कीजिए।
हल
किसी नाभिक की त्रिज्या निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होती है
R= R0A1/3
जहाँ A= परमाणु द्रव्यमान जबकि R0 = नियतांक
यहाँ \(\begin{array}{l}{197} \\ {79}\end{array}\)Au के लिए, A1 = 197
तथा \(\begin{array}{l}{107} \\ {47}\end{array}\)Ag के लिए, A2 = 107
∴\(\frac{R_{1}}{R_{2}}=\frac{\left(A_{1}\right)^{1 / 3}}{\left(A_{2}\right)^{1 / 3}}=\left(\frac{A_{1}}{A_{2}}\right)^{1 / 3}=\left(\frac{197}{107}\right)^{1 / 3}\)
⇒ \(\frac{R_{1}}{R_{2}}=(1.84)^{1 / 3}=1.23\)
∴ त्रिज्याओं का अनुपात R1: R2 = 1. 23 : 1

प्रश्न 12.
(a) \(\begin{array}{l}{226} \\ {88}\end{array}\)Ra एवं
(b) \(\begin{array}{l}{220} \\ {86}\end{array}\)Rn नाभिकों के -क्षय में उत्सर्जित -कणों का Q-मान एवं गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। दिया है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 12
हल
(a) \(\begin{array}{l}{226} \\ {88}\end{array}\)Ra नाभिक के α-क्षय का समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 13
जहाँ Q अभिक्रिया में उत्पन्न ऊर्जा है।
उक्त अभिक्रिया में द्रव्यमान क्षति Δm = [बाएँ पक्ष का द्रव्यमान – दाएँ पक्ष का द्रव्यमान]
= [226.02540- (222.01750+ 4.002603)]u [दिया है, mα = 4.002603u]
= 0.005297u
∴ अभिक्रिया का Q मान = Δ m × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.005297 × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 4.9342 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
मूल नाभिक का परमाणु द्रव्यमान Z = 226
Rn का परमाणु द्रव्यमान = Z-4
α – कण का परमाणु द्रव्यमान = 4.
माना विघटन के बाद उक्त कणों के संवेग क्रमश: pR व pα हैं।
तब संवेग संरक्षण से, Pα + PR = 0  (∵ मूल परमाणु का संवेग = 0)
⇒ PR = -Pα
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 14
Kα= 4.85 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्टा.

(b) \(\begin{array}{l}{226} \\ {88}\end{array}\)Ra के -क्षय का समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 15
द्रव्यमान क्षति Δm = [बाएँ पक्ष का द्रव्यमान – दाएँ पक्ष का द्रव्यमान]
= [220.01137- (216.00189+ 4.002603)]u
= 0.006877u
∴ अभिक्रिया का Q मान = Δm × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.006877 × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 6.41 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
भाग (a) के अनुसार,
α- कण की गतिज ऊर्जा Kα = \(\frac{m_{P_{0}}}{m_{\alpha}+m_{P_{0}}} Q\)
= \(\frac { Z-4 }{ Z }\) Q = \(\frac { 220-4 }{ 220 }\) × 0.641
Kα= 0.629 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

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प्रश्न 13.
रेडियोन्यूक्लाइड 11c का क्षय निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 16
उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा 0.960 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं
तथा MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 17
Q-मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।
हल
दिया गया समीकरण :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 18
∴ Δm
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 19
= 11.011434 – 11.009305-2 × 0.000548
= 0.001033u
∴ Q=Δm × 931 = 0.001033 × 931
= 0.961मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की महत्तम गतिज ऊर्जा 0.960 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है जो कि Q-मान के तुल्य है।
∴ उत्पाद नाभिक पॉजिट्रॉन की तुलना में अत्यधिक भारी है, अतः इसकी गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होगी, पुनः चूँकि पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा २-मान के तुल्य है, अत: न्यूट्रिनो भी लगभग शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित होगा।

प्रश्न 14.
\(\begin{array}{l}{23} \\ {10}\end{array} \mathrm{Ne}\) का नाभिक, β उत्सर्जन के साथ क्षयित होता है। इस β -क्षय के लिए समीकरण लिखिए और उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
(m\(\begin{array}{l}{23} \\ {10}\end{array} \mathrm{Ne}\)) = 22.994466u, (m\(\begin{array}{l}{23} \\ {11}\end{array} \mathrm{Na}\)) = 22.989770u
हल
\(\begin{array}{l}{23} \\ {10}\end{array} \mathrm{Ne}\) नाभिक के β-क्षय का समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 20
द्रव्यमान क्षति Δm
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 21
= [22.994466 – 22.989770] u= 0.004696u
∴ Q-मान = Δm × 931 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.04696×931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
Q= 4.37 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ \(\begin{array}{l}{23} \\ {10}\end{array} \mathrm{Na}\) नाभिक, \(\begin{array}{c}{0} \\ {-1}\end{array} \beta\) तथा ऐन्टिन्यूट्रिनो की तुलना में अत्यधिक भारी है, अतः इसकी गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होगी। β-कण की ऊर्जा अधिकतम होगी यदि ऐन्टिन्यूट्रिनो शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित हो। इस दशा में β-कण की ऊर्जा अधिकतम होगी यदि ऐन्टिन्यूट्रिनो शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित हो। इस दशा में β-कण की अधिकतम ऊर्जा Q-मान के बराबर अर्थात् 4.37 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट होगी।

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प्रश्न 15.
किसी नाभिकीय अभिक्रिया A+ b → C+d का Q-मान निम्नलिखित समीकरण द्वारा परिभाषित होता है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 22
जहाँ दिए गए द्रव्यमान, नाभिकीय विराम द्रव्यमान (rest mass) हैं। दिए गए आँकड़ों के आधार पर बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ऊष्माक्षेपी हैं या ऊष्माशोषी।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 23
उत्तर
(i) दी गई अभिक्रिया निम्नलिखित है
\(_{1}^{1} \mathrm{H}+_{1}^{3} \mathrm{H} \longrightarrow_{1}^{2} \mathrm{H}+_{1}^{2} \mathrm{H}\)
इस अभिक्रिया का Q-मान निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 24
= 1.007825 + 3.016049- 2.014102 – 2.014102
= – 0.004339u
= – 0.004339x 1.66×10-27 किग्रा ।
[∵ m \(\left(_{1}^{1} \mathrm{H}\right)\) = 1.007825u व 1u = 1.66 x 10-27 किग्रा]
Q= – 0.004339×1.66×10-27x (3×108)2 जूल
= – 6.46 x 10-13 जूल
∵ इस अभिक्रिया का Q-मान ऋणात्मक है, अत: यह ऊष्माशोषी अभिक्रिया है।

(ii)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 25
= 2 × 12.000000 -19.992439 – 4.002603  [∵ m \(\left(_{2}^{4} \mathrm{He}\right)\) = 4.002603]
= 0.004958u= 0.004958×1.66 × 10-27 किग्रा
∴ Q = 0.004958 × 1.66 x 10-27 × (3 × 108)2 जूल
= 7.41 × 10-13 जूल
∴ Qमान धनात्मक है, अतः यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।

प्रश्न 16.
माना कि हम \(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array}\)Fe नाभिक के दो समान अवयवों \(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\) में विखण्डन पर विचार करें। क्या ऊर्जा की दृष्टि से यह विखण्डन सम्भव है? इस प्रक्रम का Q-मान ज्ञात करके अपना तर्क प्रस्तुत करें।
दिया है : m (\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array}\)Fe) = 55.93494u एवं m(\(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\)) = 27.98191u
उत्तर
सम्भावित अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है- .
\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array}\)Fe→ m\(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\)+ m\(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\)+Q
इस अभिक्रिया का Q-मान निम्नलिखित है
Q= [m(\(\begin{array}{l}{56} \\ {26}\end{array}\)Fe)- 2 × m(m(\(\begin{array}{l}{28} \\ {13}\end{array} \mathbf{A} \mathbf{l}\))] × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= [55.93494 – 2 × 27.98191] × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= – 0.02888×931.5
= – 26.90 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
∵ अभिक्रिया का Q-मान ऋणात्मक है, अतः यह अभिक्रिया सम्भव नहीं है।

प्रश्न 17.
\(\begin{array}{l}{239} \\ {94}\end{array} \mathbf{P} \mathbf{u}\) के विखण्डन गुण बहुत कुछ \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U से मिलते-जुलते हैं। प्रति विखण्डन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। यदि 1 किग्रा शुद्ध \(\begin{array}{l}{239} \\ {94}\end{array} \mathbf{P} \mathbf{u}\)के सभी परमाणु विखण्डित हों तो कितनी मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा विमुक्त होगी? ।
हल
यहाँ \(\begin{array}{l}{239} \\ {94}\end{array} \mathbf{P} \mathbf{u}\) के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा = 180 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ \(\begin{array}{l}{239} \\ {94}\end{array} \mathbf{P} \mathbf{u}\) का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 239 ग्राम
∴ 239 ग्राम प्लूटोनियम में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 1 किग्रा (= 1000 ग्राम) में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23}}{239} \times 1000\)
= 2.52 × 1024
∵ 1 परमाणु के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा = 180 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ 1 किग्रा अर्थात् 2.52 × 1024 परमाणुओं के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा
= 180 × 2.52 × 1024
= 4.536 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

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प्रश्न 18.
किसी 1000 मेगावाट विखण्डन रिऐक्टर के आधे ईंधन का 5.00 वर्ष में व्यय हो जाता है। प्रारम्भ में इसमें कितना \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U था? मान लीजिए कि रिऐक्टर 80% समय कार्यरत रहता है, इसकी सम्पूर्ण ऊर्जा \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U के विखण्डन से ही उत्पन्न हुई है तथा \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U न्यूक्लाइड केवल विखण्डन प्रक्रिया में ही व्यय होता है।
हल
रिऐक्टर की शक्ति P= 1000 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 1000 × 106 जूल/सेकण्ड
= 109 जूल/सेकण्ड
समय t = 5.00 वर्ष
= 5 × 365 × 24x 60 × 60 सेकण्ड = 1.577 × 108 सेकण्ड
∴ 5 वर्ष में रिऐक्टर में उत्पन्न ऊर्जा (जबकि यह 80% समय ही कार्य करता है)
E = 80% t × P
= \(\frac { 80 }{ 100 }\) × 1.577×108 × 109
= 1.2616×1017 जूल
235U के एक परमाणु के विखण्डन से औसतन 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है।
∴ 100 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से
या 200 × 1.6×10-13 जूल ऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से
1 जूल ऊर्जा उत्पन्न होगी = \(\frac{1}{200 \times 1.6 \times 10^{-13}}\) परमाणु से
∴ 1.2616 × 1017 जूल ऊर्जा उत्पन्न होगी = \(\frac{1.2616 \times 10^{17}}{200 \times 1.6 \times 10^{-13}}\) परमाणु से
= 3.94 × 1027
∴ 5.0 वर्ष में विखण्डित नाभिकों की संख्या n= 3.94 × 1027 6.0 × 1023 परमाणु उपस्थित हैं
= 235 ग्राम यूरेनियम में ।
∴ 3.94 × 1027 परमाण उपस्थित होंगे = \(\frac{235 \times 3.94 \times 10^{27}}{6.0 \times 10^{23}}\) ग्राम में …
= 1.544 x 106 ग्राम में = 1.544 x 103 किग्रा
= 1544 किग्रा .
∵ 5.0 वर्ष में आधी माग विघटित होती है,
∴ रिऐक्टर में \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array}\)U की प्रारम्भिक मात्रा = 2x 1544 = 3088 किग्रा।

प्रश्न 19.
2.0 किग्रा ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैम्प कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत् ली जा सकती है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 26
हल
लैम्प की शक्ति P = 100W, ड्यूटीरियम का द्रव्यमान m= 2.0 किग्रा
दी गई समीकरण- image 28
इस समीकरण से स्पष्ट है कि इस अभिक्रिया में \(_{1}^{2} \mathrm{H}\) के दो नाभिकों के संलयन से 3.27 मिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है।
∵ 2 ग्राम ड्यूटीरियम में उपस्थित नाभिकों की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 2.0 किग्रा (= 2000 ग्राम) में उपस्थित नाभिकों की संख्या \(\begin{array}{l}{=\frac{6.02 \times 10^{23} \times 2000}{2}} \\ {=6.02 \times 10^{26}}\end{array}\)
दो नाभिकों के संलयन से उत्पन्न ऊर्जा = 3.27 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 3.27 × 1.6 × 10-13 जूल
∴ 2 किग्रा अथवा 6.02 × 1026 नाभिकों के संलयन से उत्पन्न ऊर्जा
= 3.27 ×1.6 × 10-13 × 6.02  × 1026 जल
= 3.27 × 1.6 × 6.02 × 1013 जूल
माना इस ऊर्जा से लैम्प को t सेकण्ड तक प्रकाशित रखा जा सकता है, तब
लैम्प द्वारा व्यय ऊर्जा = 100 वाट × t सेकण्ड
= 100 t जूल
100 t = 3.27 × 1.6 × 6.02 × 1013
t = 3.27 × 1.6 × 6.02 × 1011
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 27
= 4.9 × 104 वर्ष
अर्थात् लैम्प को 4.9 × 104 वर्ष तक प्रकाशित रखा जा सकता है।

प्रश्न 20.
दो ड्यूट्रॉनों के आमने-सामने की टक्कर के लिए कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (संकेत-कूलॉम अवरोध वह न्यूनतम गतिज ऊर्जा है जिसके द्वारा उन्हें एक-दूसरे की ओर भेजे जाने पर वे कूलॉमीय बल के विरुद्ध परस्पर संलयित हो सकें। यह मान सकते हैं कि ड्यूट्रॉन 2.0 फैम्टो मीटर प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं।)
हल
प्रत्येक ड्यूट्रॉन पर आवेश q1= q2 = + 1.6 × 10-19 कूलॉम
ऊर्जा के पदों में कूलॉम अवरोध (विभव प्राचीर)
माना प्रारम्भ में प्रत्येक ड्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा K है। जब ये दोनों एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो सम्पूर्ण ऊर्जा विद्युत स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है। ∴ ऊर्जा संरक्षण से, U= 2K ⇒ \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{q_{1} q_{2}}{r}=2 K\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 28
= 5.76x 10-14 जुल
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 29
= 3.6 × 105 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
विभव प्राचीर K = 360 किलो इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

प्रश्न 21.
समीकरण R = \(\boldsymbol{R}_{0} \boldsymbol{A}^{1 / 3}\) के आधार पर, दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है (अर्थात् A पर निर्भर नहीं करता है)। यहाँ R. एक नियतांक है एवं A नाभिक की द्रव्यमान संख्या है।
उत्तर
∵ नाभिक की द्रव्यमान संख्या = A
∴ नाभिक का द्रव्यमान m = Au = A × 1.66 × 10-27 किग्रा
पुन: नाभिक का आयतन V \(\begin{array}{l}{=\frac{4}{3} \pi R^{3}=\frac{4}{3} \pi\left(R_{0} A^{1 / 3}\right)^{3}} \\ {=\frac{4}{3} \pi R_{0}^{3} A}\end{array}\)
∴ नाभिक का घनत्व p \(\begin{aligned}=& \frac{m}{V}=\frac{A \times 1.66 \times 10^{-27}}{\frac{4}{3} \times \pi R_{0}^{3} A} \\=& \frac{3 \times 1.66 \times 10^{-27}}{4 \pi R_{0}^{3}} \end{aligned}\)
∵ यह घनत्व नाभिक की द्रव्यमान संख्या A से मुक्त है, अत: हम कह सकते हैं कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है।

प्रश्न 22.
किसी नाभिक से β+ (पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेक्ट्रॉन परिग्रहण (Capture) कहते हैं (इसमें परमाणु की आन्तरिक कक्षा, जैसे कि K-कक्षा, से नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनो, v उत्सर्जित करता है)।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 30
दर्शाइए कि यदि β+ उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है कि इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है, परन्तु इसका विलोम अनुमत नहीं है।
उत्तर
पॉजिट्रॉन उत्सर्जन की अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 31
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 32
समीकरण (3) व (4) से स्पष्ट है कि Q1 < Q2
यदि पॉजिट्रॉन उत्सर्जन [अभिक्रिया (1)] ऊर्जा दृष्टि से अनुमत है तो इस अभिक्रिया का Q-मान अर्थात् Q1 धनात्मक होगा।
अर्थात् Q1>0
∵ Q2>Q1, अतः Q1>0 ⇒ Q2>0
अर्थात् तब अभिक्रिया (2) का Q-मान भी धनात्मक होगा अर्थात् ऊर्जा दृष्टि से इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी अनुमत है। अब इस अभिक्रिया के विलोम पर विचार कीजिए,
स्पष्ट है कि इस अभिक्रिया का Q-मान – Q2 के बराबर होगा।
∴ Q20, अतः Q3 = -Q2 < 0
∵ इस अभिक्रिया का Q-मान ऋणात्मक है, अत: यह अभिक्रिया ऊर्जा दृष्टि से अनुमत नहीं है।

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प्रश्न 23.
आवर्त सारणी में मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान 24.312u दिया गया है। यह औसत मान, पृथ्वी पर इसके समस्थानिकों की सापेक्ष बहुलता के आधार पर दिया गया है। मैग्नीशियम के तीनों समस्थानिक तथा उनके द्रव्यमान इस प्रकार हैं –\(\begin{array}{l}{24} \\ {12}\end{array} Mg\)(23. 98504u), \(\begin{array}{l}{25} \\ {12}\end{array} Mg\)(24.98584) एवं \(\begin{array}{l}{26} \\ {12}\end{array} Mg\) (25.98259u)। प्रकृति में प्राप्त मैग्नीशियम में \(\begin{array}{l}{24} \\ {12}\end{array} Mg\) की (द्रव्यमान के अनुसार) बहुलता 78.99% है। अन्य दोनों समस्थानिकों की बहुलता का परिकलन कीजिए।
हल
दिया है, मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान = 24.312u
\(\begin{array}{l}{24} \\ {12}\end{array} Mg\) समस्थानिक की बहुलता = 78.99%
माना समस्थानिक \(\begin{array}{l}{25} \\ {12}\end{array} Mg\) की बहुलता α% है।
तब \(\begin{array}{l}{26} \\ {12}\end{array} Mg\) समस्थानिक की बहुलता
= 100 – 78.99 – α = (21.01-a) %
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 33
तथा 21.01 – a = 21.01- 9.30 = 11.70
अत: \(\begin{array}{l}{25} \\ {12}\end{array} Mg\) की बहुलता 9. 30% तथा \(\begin{array}{l}{26} \\ {12}\end{array} Mg\) की बहुलता 11.70% है।

प्रश्न 24.
न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा (Separation energy), परिभाषा के अनुसार वह ऊर्जा है, जो किसी नाभिक से एक न्यूट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक होती है। नीचे दिए गए आँकड़ों का इस्तेमाल करके \(_{20}^{41} \mathrm{Ca}\) एवं \(_{13}^{27} \mathrm{Al}\) नाभिकों की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
m(\(_{20}^{40} \mathrm{Ca}\)) = 39.962591u
m (\(_{20}^{41} \mathrm{Ca}\)) = 40.962278u
(\(\begin{array}{l}{26} \\ {13}\end{array} \mathrm{Al}\)) = 25. 98689
m(\(_{13}^{27} \mathrm{Al}\)) = 26.981541u
हल
(i) \(_{20}^{41} \mathrm{Ca}\) की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा
न्यूट्रॉन पृथक्करण अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है
\(_{20}^{41} \mathrm{Ca} \longrightarrow_{20}^{40} \mathrm{Ca}+_{0}^{1} n+Q\)
Q = [m(\(_{20}^{41} \mathrm{Ca}\))- m(\(_{20}^{40} \mathrm{Ca}\))- mn ] x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= [40.962278- 39.962591-1.008665] x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट [∵mn = 1.008665u]
= – 0.008978×931.5
= – 8.36 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ Q का मान ऋणात्मक है अर्थात् उक्त अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।
∴ न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा 8. 36 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है।

(ii) \(_{13}^{27} \mathrm{Al}\) की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जाTAI की न्यूट्रॉन पृथक्करण समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 34
Q = [m(\(_{13}^{27} \mathrm{Al}\)Al) – mn (\(\begin{array}{l}{26} \\ {13}\end{array} \mathrm{Al}\))- mn ] x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= [26.981541- 25.986895-1.008665] x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= -0.014019 x 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट .
= – 13.06 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∵ Q का मान ऋणात्मक है, अतः उक्त अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।
∴ \(_{13}^{27} \mathrm{Al}\) की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा 13.06 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है।

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प्रश्न 25.
किसी स्रोत में फॉस्फोरस के दो रेडियो न्यूक्लाइड निहित हैं \(\begin{array}{l}{32}\\{15}\end{array}\)P(T1/2 = 14.3 दिन) एवं \(\begin{array}{l}{32}\\{15}\end{array}\)P(T1/2 = 25.3 दिन)। प्रारम्भ में \(\begin{array}{l}{32}\\{15}\end{array}\)P से 10% क्षय प्राप्त होता है। इससे 90% क्षय प्राप्त करने के लिए कितने समय प्रतीक्षा करनी होगी?
हल
माना प्रारम्भ में \(\begin{array}{l}{33}\\{15}\end{array}\) तथा \(\begin{array}{l}{32}\\{15}\end{array}\) की रेडियोऐक्टिवताएँ R01 व R02 हैं तथा + समय पश्चात् इनकी रेडियोऐक्टिवताएँ R1 व R2 हैं।
तब प्रारम्भ में, पदार्थ की कुल सक्रियता = R01 + R02
परन्तु R01 = 10% प्रारम्भिक सक्रियता = \(\frac { 10 }{100 }\)(R01 + R02)
⇒ 10 R01 = R01 + R02
या 9R01 = R02 ….(1)
पुनः t समय पश्चात् कुल सक्रियता = R1 + R2
परन्तु R1 = 90% कुल सक्रियता = \(\frac { 90 }{100 }\)(R1 + R2)
10R1 = 9R1 + 9R2
R1 = 9R2 ….(2)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 35
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 36

प्रश्न 26.
कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में एक नाभिक, -कण से अधिक द्रव्यमान वाला एक कण उत्सर्जित करके क्षयित होता है। निम्नलिखित क्षय-प्रक्रियाओं पर विचार कीजिए|
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 37
इन दोनों क्षय प्रक्रियाओं के लिए Q-मान की गणना कीजिए और दर्शाइए कि दोनों प्रक्रियाएँ ऊर्जा की दृष्टि से सम्भव हैं। \
उत्तर
दी गई पहली समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 38
= [223.01850- 208.98107-14.00324] × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.03419 × 931.5
= 31.85 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
दूसरी समीकरण निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 39
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 41
= [223.01850- 219.00948- 4.00260] × 931.5 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
या Q= 0.00642 × 931.5
= 5.98 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
∵ दोनों अभिक्रियाओं के Q-मान धनात्मक हैं, अत: ऊर्जा दृष्टि से दोनों अभिक्रियाएँ सम्भव हैं।

प्रश्न 27.
तीव्र न्यूट्रॉनों द्वारा \(\begin{array}{c}{238} \\ {92}\end{array} \mathbf{U}\) के विखण्डन पर विचार कीजिए। किसी विखण्डन प्रक्रिया में प्राथमिक अंशों (Primary fragments) के बीटा-क्षय के पश्चात् कोई न्यूट्रॉन उत्सर्जित नहीं होता तथा \(\begin{array}{c}{140} \\ {58}\end{array} \mathbf{C} \mathbf{e}\) तथा । \(\begin{array}{l}{99} \\ {34}\end{array} \mathbf{R} \mathbf{u}\) अन्तिम उत्पाद प्राप्त होते हैं। विखण्डन प्रक्रिया के लिए Q के मान का परिकलन कीजिए। आवश्यक आँकड़े इस प्रकार हैं
m(\(\begin{array}{c}{238} \\ {92}\end{array} \mathbf{U}\)) = 238.05079u
m(\(\begin{array}{c}{140} \\ {58}\end{array} \mathbf{C} \mathbf{e}\)) = 139.90543u
m(\(\begin{array}{l}{99} \\ {34}\end{array} \mathbf{R} \mathbf{u}\)) = 98.90594u
हल
\(\begin{array}{c}{238} \\ {92}\end{array} \mathbf{U}\) की विखण्डन अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है
\(_{92}^{238} \mathrm{U}+\frac{1}{0} n \longrightarrow_{58}^{140} \mathrm{Ce}+_{34}^{99} \mathrm{Ru}+Q\)
इस समीकरण का Q-मान निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 42
= [238.05079+1.00867- 139.90543- 98.90594] x 931.5मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 0.24809 x 931.5
= 231 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

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प्रश्न 28.
D-T अभिक्रिया (ड्यूटीरियम- ट्राइटियम संलयन),\(_{1}^{2} H+_{1}^{3} H \rightarrow \begin{array}{l}{4} \\ {2}\end{array} H e+n\) पर विचार कीजिए। .
(a) नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर अभिक्रिया में विमुक्त ऊर्जा का मान मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट में ज्ञात कीजिए
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 43
(b) ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम दोनों की त्रिज्या लगभग 1.5 फैमटोमीटर मान लीजिए। इस अभिक्रिया में, दोनों नाभिकों के मध्य कूलॉम प्रतिकर्षण से पार पाने के लिए कितनी गतिज ऊर्जा की आवश्यकता है? अभिक्रिया प्रारम्भ करने के लिए गैसों (D तथा T गैसें) को किस ताप तक ऊष्मित किया जाना चाहिए?
(संकेत : किसी संलयन क्रिया के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा = संलयन क्रिया में संलग्न कणों की औसत तापीय गतिज ऊर्जा = \(\mathbf{2}\left(\frac{3 \boldsymbol{k} \boldsymbol{T}}{\mathbf{2}}\right) ; \boldsymbol{k}:\) बोल्ट्जमान नियतांक तथा T = परम ताप)
हल
(a) दी गई अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है
\(_{1}^{2} \mathrm{H}+_{1}^{3} \mathrm{H} \longrightarrow_{2}^{4} \mathrm{He}+_{0}^{1} n+Q\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 44
= [2.014102 + 3.016049- 4.002603-1.008665] x 931.5
= 0.018883x 931.5
= 17.59 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

(b) ड्यूटीरियम तथा ट्राइटियम प्रत्येक पर आवेश.
q1 + q2 = + 1.6 x 10-19 कूलॉम .
प्रत्येक की त्रिज्या r = 1.5 फैमटोमीटर
= 1.5×10-15 मीटर
दोनों के बीच कूलॉम अवरोध U = निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा जबकि दोनों परस्पर सम्पर्क में हैं।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 45
माना उक्त कूलॉम अवरोध को पार करने के लिए प्रत्येक कण को K गतिज ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
तब K+ K=U
⇒ 2K =U
अतः कुल गतिज ऊर्जा \(=\frac{7.68 \times 10^{-14}}{1: 6 \times 10^{-19}}\) इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 480.0 किलो इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।
परन्तु कण की तापीय गतिज ऊर्जा
K = \(\frac{3}{2} k T\)
\(\frac{3}{2} k T=\frac{1}{2} U \quad \Rightarrow \quad T=\frac{U}{3 k}\)
अभीष्ट परम ताप T = \(\frac{7.68 \times 10^{-14}}{3 \times 1.38 \times 10^{-23}}\)
= 1.85x 109K

प्रश्न 29.
नीचे दी गई क्षय-योजना में, १-क्षयों की विकिरण आवृत्तियाँ एवं -कणों की अधिकतम गतिज ऊर्जाएँ ज्ञात कीजिए। दिया है :
m (198Au) = 197.968233u
m (198Hg) = 197.966760u
हल
चित्र से, E1 = \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा = 0 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
E2 = \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) की प्रथम उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा = 0.412 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
E3 = \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) की द्वितीय उत्तेजित अवस्था में ऊर्जा = 1.088 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
माना उत्सर्जित γ फोटॉनों (γ12 व γ3) की आवृत्तियाँ क्रमशः ν12 व ν3 हैं। –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 46
तब
ν1 = \(\frac { ΔE }{ h }\) = \(\frac{E_{3}-E_{1}}{h}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 47
= 2.63 x 1020 हर्ट्स।

ν2 = \(\frac{E_{2}-E_{1}}{h}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 48
= 9.96 x 1019 हर्ट्स।

ν3 = \(\frac{E_{3}-E_{2}}{h}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 49
6.62x 10-34
= 1.63x 1020 हर्ट्स।

जबकि इन फोटॉनों की ऊर्जाएँ निम्नलिखित हैं –
E(γ1) = E3 – E1
= 1.088 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ।

E(γ2)= E2 – E1
= 0.412 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट

E(γ3) = E3 – E2= 1.088-0.412 .
= 0.676 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट

\(\begin{array}{l}{198} \\ {79}\end{array} \mathrm{Au}\) के β1-क्षय में Au नाभिक पहले एक β कण उत्सर्जित करता है तत्पश्चात् 11-फोटॉन को उत्सर्जित करके \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) नाभिक में बदल जाता है, अत: \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Au}\) के E(β1) -क्षय का समीकरण निम्नलिखित है
\(_{79}^{198} \mathrm{Au} \longrightarrow_{80}^{198} \mathrm{Hg}+_{-1}^{0} e+\cdot E\left(\beta_{1}^{-}\right)+E\left(y_{1}\right)\)
यहाँ E(β1) तथा E(γ1) इन कणों की ऊर्जाएँ हैं। स्पष्ट है कि E(β1) का मान अधिकतम होमा यदि \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) की गतिज ऊर्जा शून्य हो। अर्थात् अभिक्रिया की सम्पूर्ण ऊर्जा केवल 8-कण तथा y-फोटॉन की ऊर्जा के रूप में निकले।
β-कण की महत्तम गतिज ऊर्जा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 50
\(\begin{array}{l}{198} \\ {79}\end{array} \mathrm{Au}\) के β2-क्षय में Au नाभिक पहले β-कण उत्सर्जित करता है तत्पश्चात् γ2 फोटॉन उत्सर्जित करता हुआ \(\begin{array}{l}{198} \\ {80}\end{array} \mathrm{Hg}\) नाभिक में बदल जाता है।

इस क्षय का समीकरण निम्नलिखित है-
\(_{79}^{198} \mathrm{Au} \longrightarrow_{80}^{198} \mathrm{Hg}+_{-1}^{0} e+E\left(\beta_{2}^{-}\right)+E\left(\gamma_{2}\right)\)
∴ उत्सर्जित β2 -कण की महत्तम गतिज ऊर्जा .
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 51

प्रश्न 30.
सूर्य के अभ्यन्तर में (a) 1 किग्रा हाइड्रोजन के संलयन के समय विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (b) विखण्डन रिऐक्टर में 1.0 किग्रा 235U के विखण्डन में विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (c) प्रश्न के खण्ड (a) तथा (b) में विमुक्त ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।
हल :
(a) सूर्य के अभ्यन्तर में हाइड्रोजन के 4 परमाणु निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार संलयित होकर . हीलियम परमाणु का निर्माण करते हैं तथा लगभग 26 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 52
∵ हाइड्रोजन का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 1 ग्राम
∴ 1 ग्राम हाइड्रोजन में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 1 किग्रा (= 1000 ग्राम) में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1026
∵ हाइड्रोजन के 4 परमाणुओं से उत्पन्न ऊर्जा = 26 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ 1 परमाणु से उत्पन्न ऊर्जा = \(\frac { 26 }{4 }\) मिलियन. इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ 6.02 × 1026 परमाणुओं से उत्पन्न ऊर्जा = \(\frac{26 \times 6.02 \times 10^{26}}{4}\)
= 39.13 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ सूर्य के अभ्यन्तर में ‘1 किग्रा हाइड्रोजन के संलयन से उत्पन्न ऊर्जा
.. = 39.13 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट। .

(b) हम जानते हैं कि विखण्डन रिऐक्टर में निम्न अभिक्रिया के अनुसार \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array} \mathrm{u}\) के एक परमाणु के विखण्डन से. लगभग 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा उत्पन्न होती है।
\(_{92}^{235} \mathrm{U}+_{0}^{1} n \longrightarrow_{56}^{141} \mathrm{Ba}+_{36}^{92} \mathrm{Kr}+3_{0}^{1} n+200\) मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा
∵ 235 ग्राम यूरेनियम में परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 1 ग्राम यरेनियम में परमाणओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23}}{235}\)
∴ 1 किग्रा (= 1000 ग्राम) यूरेनियम में परमाणुओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23} \times 1000}{235}\)
= 25.62 × 1023
1 परमाणु के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा = 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ 25.62 × 1023 परमाणुओं से प्राप्त ऊर्जा = 200 × 25.62 × 1023
= 5.124 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
या 1 किग्रा \(\begin{array}{l}{235} \\ {92}\end{array} \mathrm{u}\) के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा = 5.12 × 1026 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट।

(c)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 53
= 7.64≈8
अर्थात् 1 किग्रा हाइड्रोजन के संलयन से प्राप्त ऊर्जा, 1 किग्रा 235U के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा की लगभग 8 गुनी है।

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प्रश्न 31.
मान लीजिए कि भारत का लक्ष्य 2020 तक 200,000 मेगावाट विद्युत शक्ति जनन का है। इसका 10% नाभिकीय शक्ति संयंत्रों से प्राप्त होना है। माना कि रिऐक्टर की औसत उपयोग दक्षता (ऊष्मा को विद्युत में परिवर्तन करने की क्षमता) 25% है। 2020 के अन्त तक हमारे देश को प्रति वर्ष कितने विखण्डनीय यूरेनियम की आवश्यकता होगी? 2350 प्रति विखण्डन उत्सर्जित ऊर्जा 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है। ..
हल
कुल ऊर्जा लक्ष्य = 200,000 मिलियन/वाट
∴ नाभिकीय संयंत्रों से प्राप्त शक्ति = 10% × 200,000 मेगावाट
= \(\frac { 10 }{100 }\) × 200,000 × 106 वाट = 2 × 1010 वाट
∴ प्रतिवर्ष नाभिकीय संयंत्रों से प्राप्त ऊर्जा
= 2x 1010 जूल/सेकण्ड × 1 × 365 × 24 × 60 × 60 सेकण्ड
= 6.31x 1017 जूल
माना संयंत्रों में विखण्डन हेतु – किग्रा 235U की प्रतिवर्ष आवश्यकता होती है।
∵ 235 ग्राम 235U में परमाणुओं की संख्या = 6.02 × 1023
∴ 1 ग्राम 235U में परमाणुओं की संख्या = \(\frac{6.02 \times 10^{23}}{235}\)
∴ x किग्रा (= x × 1000 ग्राम) यूरेनियम में परमाणुओं की संख्य = \(\frac{6.02 \times 10^{23} \times x \times 10^{3}}{235}\)
= 25.62 x × x 1023
235U के एक परमाणु के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा = 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
∴ x किग्रा 235U के परमाणुओं के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा
= 25.62 x × x 1023 × 200 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 51.24 x × x 1025 मिलियन इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
= 51.24 x × x 1025 × 1.6 × 10-13 जूल
= 81.98 x × x 1012 जूल
∵ संयंत्रों की दक्षता 25% है, अत: संयंत्रों से प्राप्त उपयोगी ऊर्जा
= η x 81.98 x × x 1012
= \(\frac { 25 }{100 }\) × 81.98 x × x 1012 जूल
∴ \(\frac { 25 }{100 }\) × 81.98 x × x 1012 = 6.31 x 1017
\( x=\frac{6.31 \times 10^{17} \times 100}{25 \times 81.98 \times 10^{12}}\)
= 3.078x 104 किग्रा।

नाभिक NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LO Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

नाभिक बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मान लीजिए हम ऐसे बहुत से पात्रों पर विचार करते हैं जिनमें प्रत्येक में प्रारम्भ में 1 वर्ष अर्द्ध-आयु वाले रेडियोऐक्टिव पदार्थ के 10000 परमाणु हैं। 1 वर्ष के पश्चात्
(a) सभी पात्रों में इस पदार्थ के 5000 परमाणु होंगे ।
(b) सभी पात्रों में इस पदार्थ के परमाणुओं की संख्या समान होगी, परन्तु यह लगभग 5000 होगी
(c) सामान्य तौर पर इन पात्रों में इस पदार्थ के परमाणुओं की संख्या समान होगी, परन्तु इनका औसत 5000 के निकट होगा
(d) किसी भी पात्र में इस पदार्थ के 5000 परमाणुओं से अधिक नहीं होंगे।
उत्तर
(c) सामान्य तौर पर इन पात्रों में इस पदार्थ के परमाणुओं की संख्या समान होगी, परन्तु इनका औसत 5000 के निकट होगा

प्रश्न 2.
किसी हाइड्रोजन परमाणु तथा m द्रव्यमान के किसी अन्य कण के मध्य गुरुत्वीय बल को न्यूटन के नियम द्वारा निरूपित किया जाएगा
\(\boldsymbol{F}=\boldsymbol{G} \frac{\boldsymbol{M} \cdot \boldsymbol{m}}{\boldsymbol{r}^{2}}\) यहाँ r किलोमीटर में है तथा
(a) M = mप्रोटॉन + mइलेक्ट्रॉन
(b) M = mप्रोटॉन + mइलेक्ट्रॉन \(-\frac{B}{c^{2}}\)(B= 18.6ev)
(c) M हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान से सम्बन्धित नहीं है
(d) M = mप्रोटॉन + mइलेक्टॉन \(-\frac{|V|}{c^{2}}\) (V = H-परमाणु में इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा का परिमाण)।
उत्तर
(b) M = mप्रोटॉन + mइलेक्ट्रॉन \(-\frac{B}{c^{2}}\)(B= 18.6ev)

प्रश्न 3.
जब किसी परमाणु के नाभिक का रेडियोऐक्टिव विघटन होता है तो परमाणु के इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा स्तरों में
(a) किसी भी प्रकार की रेडियोऐक्टिवता के लिए कोई परिवर्तन नहीं होता
(b) α एवं β रेडियोऐक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु γ रेडियोऐक्टिवता के लिए कोई परिवर्तन नहीं होते .
(c) α रेडियोऐक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु अन्य के लिए नहीं
(d) β रेडियोऐक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु अन्य के लिए नहीं।
उत्तर
(b) α एवं β रेडियोऐक्टिवता के लिए परिवर्तन होते हैं, परन्तु γ रेडियोऐक्टिवता के लिए कोई परिवर्तन नहीं होते .

प्रश्न 4.
ट्राइटियम हाइड्रोजन का एक समस्थानिक है जिसके नाभिक टाइटॉन में दो न्यूट्रॉन और एक प्रोटॉन है। मुक्त न्यूट्रॉन \(p+\bar{e}+\bar{v}\) में विघटित हो जाते हैं। यदि ट्राइटॉन के दो न्यूट्रॉनों में किसी एक न्यूट्रॉन का विघटन होता है, तो यह He3 नाभिक में रूपान्तरित हो जाता, परन्तु ऐसा नहीं होता क्योंकि
(a) ट्राइटॉन की ऊर्जा He3 नाभिक की ऊर्जा से कम होती है
(b) β-विघटन प्रक्रिया में उत्पन्न इलेक्ट्रॉन नाभिक के भीतर नहीं रह सकता
(c) ट्राइटॉन में दोनों न्यूट्रॉन साथ-साथ विघटित होते हैं, जिसके फलस्वरूप तीन प्रोटॉनों का एक नाभिक बनता है . जो He3 नाभिक नहीं होता
(d) क्योंकि मुक्त न्यूट्रॉन बाह्म क्षोभ के कारण विघटित होते हैं और ट्राइटॉन नाभिक में मुक्त न्यूट्रॉन नहीं होते।
उत्तर
(a) ट्राइटॉन की ऊर्जा He3 नाभिक की ऊर्जा से कम होती है

प्रश्न 5.
स्थायी भारी नाभिकों में न्यूट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों से अधिक होती है। इसका कारण यह है कि
(a) न्यूट्रॉन, प्रोटॉन से अधिक भारी होते हैं।
(b) प्रोटॉनों के बीच स्थिर विद्युत बल प्रतिकर्षणात्मक होता है
(c) β विघटन द्वारा न्यूट्रॉन, प्रोटॉनों में विघटित हो जाते हैं
(d) न्यूट्रॉनों के बीच नाभिकीय बल प्रोटॉन के बीच नाभिकीय बल की अपेक्षा दुर्बल होता है।
उत्तर
(b) प्रोटॉनों के बीच स्थिर विद्युत बल प्रतिकर्षणात्मक होता है

प्रश्न 6.
किसी नाभिकीय रिऐक्टर में अवमन्दक विखण्डन प्रक्रिया में मुक्त न्यूट्रॉनों की गति को मन्द कर देते हैं। अवमन्दक के रूप में हल्के नाभिकों का प्रयोग किया जाता है। भारी नाभिक यह उद्देश्य पूरा नहीं कर सकते, क्योंकि
(a) वे टूट जाएँगे
(b) भारी नाभिकों के साथ न्यूट्रॉनों का प्रत्यास्थ संघट्ट उन्हें धीमा नहीं करेगा
(c) रिऐक्टर का नेट भार अत्यधिक हो जाएगा
(d) भारी नाभिकों वाले पदार्थ कक्ष-ताप पर द्रव अथवा गैसीय अवस्था में नहीं पाए जाते।
उत्तर
(b) भारी नाभिकों के साथ न्यूट्रॉनों का प्रत्यास्थ संघट्ट उन्हें धीमा नहीं करेगा

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नाभिक अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
\(\begin{array}{l}{3} \\ {2}\end{array} \mathbf{H} \mathbf{e}\) तथा \(\begin{array}{l}{3} \\ {1}\end{array} \mathbf{H} \mathbf{e}\) नाभिकों की द्रव्यमान संख्याएँ समान हैं। क्या इनकी बन्धन ऊर्जाएँ भी समान हैं?
उत्तर
नहीं, \(\begin{array}{l}{3} \\ {2}\end{array} \mathbf{H} \mathbf{e}\) नाभिक की बन्धन ऊर्जाएँ तुलनात्मक रूप में अधिक होंगी।

प्रश्न 2.
सक्रिय नाभिकों की संख्या में परिवर्तन के साथ विघटन की दर में परिवर्तन । दर्शाने वाला ग्राफ खींचिए।
उत्तर :
सक्रिय नाभिकों की संख्या में विघटन की \(\left(-\frac{d N}{d t}\right) \propto N\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 54

प्रश्न 3.
चित्र-13.4 में दर्शाए दो नमूनों A तथा B में किसकी औसत आयु कम
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 55
उत्तर
नमूने B के विघटन की दर अधिक है, अत: B की औसत आयु A की | तुलना में कम है।

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन -विकिरण उत्सर्जित नहीं कर सकता और क्योंउत्तेजित नाभिक, उत्तेजित इलेक्ट्रॉन?
उत्तर
उत्तेजित इलेक्ट्रॉन γ-विकिरण उत्सर्जित नहीं कर सकता है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा-स्तरों का ऊर्जा परास eV कोटि का होता है जबकि γ-विकिरण की ऊर्जा MeV कोटि की होती है।

प्रश्न 5.
युग्म विलोपन में एक इलेक्ट्रॉन तथा एक पॉजिट्रॉन एक-दूसरे का अस्तित्व समाप्त कर गामा विकिरण उत्पन्न करते हैं। इसमें संवेग संरक्षण कैसे होता है?
उत्तर
युग्म विलोपन में एक इलेक्ट्रॉन तथा एक पॉजिट्रॉन एक-दूसरे का अस्तित्व समाप्त कर दो गामा फोटॉन उत्पन्न करते हैं जो संवेग संरक्षण के लिए परस्पर विपरीत दिशाओं में गति करते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्थायी नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या न्यूट्रॉनों की संख्या से कदापि अधिक नहीं हो सकती, क्यों?
उत्तर
नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों के बीच वैद्युत प्रतिकर्षण बल कार्य करता है। 10 से अधिक प्रोटॉन वाले नाभिक में यह प्रतिकर्षण बल इतना अधिक हो जाता है कि नाभिक के स्थायित्व के लिए न्यूट्रॉनों की संख्या, प्रोटॉनों की संख्या से अधिक होनी चाहिए।

प्रश्न 2.
यदि Z1 = N2 तथा Z2 = N1 हो तो किसी नाभिक को किसी दूसरे नाभिक का दर्पण समभारिक कहा जाता है।
(a) \(_{11}^{23} \mathrm{Na}\) का दर्पण समभारिक नाभिक क्या है?
(b) दो दर्पण समभारिकों में से किस नाभिक की बन्धन ऊर्जा अधिक है और क्यों? .
उत्तर
(a) \(_{11}^{23} \mathrm{Na}\) का दर्पण समभारिक नाभिक \(_{12}^{23} \mathrm{Na}\) है।
(b) यहाँ Z2 > Z1, अतः Mg नाभिक की बन्धन ऊर्जा Na नाभिक से अधिक है।

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नाभिक आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी प्राचीन इमारत के खण्डहर से प्राप्त लकड़ी के एक टुकड़े में 14C की सक्रियता इसके कार्बन अंश की 12 विघटन प्रति मिनट प्रति ग्राम पायी जाती है। किसी सजीव लकड़ी की 14C की सक्रियता 16 विघटन प्रति मिनट प्रति ग्राम होती है। कितने समय से पूर्व वह वृक्ष जिसकी लकड़ी का यह प्राप्त नमूना है, काटा गया था?
14C की अर्द्ध-आयु 5760 वर्ष है।
हल
दिया है, R= 12 विघटन प्रति मिनट प्रति ग्राम
R0 = 16 विघटन प्रति मिनट प्रति ग्राम .
अर्द्ध-आयु (T) = 5760 वर्ष ।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 13 नाभिक img 57

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न: 1.
चित्र 8.1 में एक संधारित्र दर्शाया गया है जो 12 सेमी त्रिज्या की दो वृत्ताकार प्लेटों को 5.0 सेमी की दूरी पर रखकर बनाया गया है। संधारित्र को एक बाह्य स्त्रोत (जो चित्र में नहीं दर्शाया गया है) द्वारा आवेशित किया जा रहा है। आवेशकारी धारा नियत है और इसका मान 0.15 ऐम्पियर है।
(a) धारिता एवं प्लेटों के बीच विभवान्तर परिवर्तन की दर का परिकलन कीजिए।
(b) प्लेटों के बीच विस्थापन धारा ज्ञात कीजिए।
(c) क्या किरचॉफ का प्रथम नियम संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर लागू होता है? स्पष्ट कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 1
हल :
दिया है : प्लेट की त्रिज्या r = 0.12 मीटर, बीच की दूरी d = 0.05 मीटर
आवेशन धारा i= 0.15 ऐम्पियर
(a) संधारित्र की धारिता \(C=\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)
[∵ A =πr2 = 3.14 × (0.12)2]
\(=\frac{8.854 \times 10^{-12} \times 3.14 \times(0.12)^{2}}{0.05}\)
= 8.01 × 10-12F= 8.01 pF.
किसी क्षण संधारित्र पर आवेश q= CV ⇒ V=\(\frac { q }{ C }\)
∴\(\frac{d V}{d t}=\frac{1}{C} \frac{d q}{d t}=\frac{1}{C} i\)    ( ∵ \(\frac{d q}{d t}=i\) )
∴ विभवान्तर परिवर्तन की दर \(\frac{d V}{d t}=\frac{0.15}{8.01 \times 10^{-12}}\)
= 1.87 × 1010 वोल्ट सेकण्ड-1.

(b). प्लेटों पर विस्थापन धारा \(i_{D}=\varepsilon_{0} \frac{d \phi_{E}}{d t}\)
जहाँ कै ΦE प्लेटों के बीच स्थित किसी बन्द लूप से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स है।
∵ प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र \(E=\frac{q}{\varepsilon_{0} A}\)
∴ यदि लूप का क्षेत्रफल A है तो
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 2
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 10

(c) हाँ, किरचॉफ का प्रथम नियम संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर भी लागू होता है क्योंकि
प्लेट तक आने वाली चालन धारा = प्लेट से आगे जाने वाली विस्थापन धारा

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प्रश्न 2.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र (चित्र 8.2), R = 6.0 सेमी त्रिज्या की दो वृत्ताकार प्लेटों से बना है और इसकी धारिता C = 100 pF है। संधारित्र को 230 वोल्ट, 300 रेडियन सेकण्ड-1 की (कोणीय) आवृत्ति के किसी स्त्रोत से जोड़ा गया है।
(a) चालन धारा का r.m.s. मान क्या है?
(b) क्या चालन धारा विस्थापन धारा के बराबर है?
(c) प्लेटों के बीच, अक्ष से 3.0 सेमी की दूरी पर स्थित बिन्दु पर B का आयाम ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 3
हल :
दिया है : Vrms = 230 वोल्ट, ω = 300 रेडियन सेकण्ड-1, C = 100 × 10-12F. ..
त्रिज्या R = 0.06 मीटर
(a) चालनं धारा का rms मान \(i_{r m s}=\frac{V_{r m s}}{1 / \omega C}=V_{r m s} \omega C\)
= 230 × 300 × 100 × 10-12
= 6.9 × 10-6 ऐम्पियर
= 6.9 माइक्रोऐम्पियर।
(b) हाँ, संधारित्र के लिए सदैव ही चालन धारा विस्थापन धारा के बराबर होती है, भले ही धारा दिष्ट हो अथवा प्रत्यावर्ती।
(c) प्लेटों के बीच r= 0.03 मीटर त्रिज्या के बन्द लूप पर विचार कीजिए जिसका तल प्लेटों के तल के समान्तर है। इस लूप के प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण समान तथा दिशा स्पर्शरेखीय होगी जबकि वैद्युत क्षेत्र E लूप के तल के प्रत्येक बिन्दु पर समान तथा इसकी दिशा लूप के तल के लम्बवत् होगी।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 4
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 5

प्रश्न 3.
10-10 मीटर तरंगदैर्घ्य की x-किरणों, 6800 A तरंगदैर्घ्य के प्रकाश तथा 500 मीटर की रेडियो तरंगों के लिए किस भौतिक राशि का मान समान है?
हल :
उक्त तीनों प्रकार की तरंगों की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्तियाँ भिन्न-भिन्न हैं परन्तु ये सभी वैद्युतचुम्बकीय तरंगें हैं, अत: इन सबकी निर्वात में चाल (c = 3 x 108 मीटर सेकण्ड-1) समान है। .

प्रश्न 4.
एक समतल वैद्युतचुम्बकीय तरंग निर्वात में Z-अक्ष के अनुदिश चल रही है। इसके वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के सदिश की दिशा के बारे में आप क्या कहेंगे? यदि तरंग की आवृत्ति 30 मेगाहर्ट्स हो तो उसकी तरंगदैर्घ्य कितनी होगी?
हल :
वैद्यत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के सदिशों की दिशाएँ तरंग संचरण की दिशा (Z-अक्ष) के लम्बवत् अर्थात् :समतल के समान्तर होंगी तथा परस्पर भी लम्बवत् होंगी। ::
∵ आवृत्ति υ = 30 × 106 हर्ट्स
तथा चाल c = 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
∴ तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{30 \times 10^{6}}\) = 10 मीटर।

प्रश्न 5.
एक रेडियो 7.5 मेगाहर्ट्स से 12 मेगाहर्ट्स बैण्ड के किसी स्टेशन से समस्वरित हो सकता है। संगत तरंदैर्घ्य बैण्ड क्या होगा?
हल :
दिया है, आवृत्ति बैण्ड υ1 = 7.5 × 106 हर्ट्स से υ2 = 12 × 106 हर्ट्स ।
चाल c = 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
∴ \(\lambda_{1}=\frac{c}{v_{1}}=\frac{3 \times 10^{8}}{7.5 \times 10^{6}}\) = 40 मीटर
तथा \(\lambda_{2}=\frac{c}{v_{2}}=\frac{3 \times 10^{8}}{12 \times 10^{6}}\) = 25 मीटर
∴ संगत तरंगदैर्घ्य बैण्ड 25 मीटर – 40 मीटर होगा।

प्रश्न 6.
एक आवेशित कण अपनी माध्य साम्यावस्था के दोनों ओर 109 हर्ट्स आवृत्ति से दोलन करता है। दोलक द्वारा जनित वैद्युतचुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति कितनी है?
हल :
हम जानते हैं कि त्वरित अथवा कम्पित आवेशित कण कम्पित वैद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। यह वैद्युत क्षेत्र, कम्पित चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। ये दोनों क्षेत्र मिलकर वैद्युतचुम्बकीय तरंग उत्पन्न करते हैं; जिसकी आवृत्ति, कम्पित कण के दोलनों की आवृत्ति के बराबर होती है। ..
∴ तरंगों की आवृत्ति υ = 109 हौ।

प्रश्न 7.
निर्वात में एक आवर्त वैद्युतचुम्बकीय तरंग के चुम्बकीय क्षेत्र वाले भाग का आयाम B0 = 510 नैनो टेस्ला है। तरंग के वैद्युत क्षेत्र वाले भाग का आयाम क्या है?
हल :
निर्वात में, B0 = 510 नैनोटेस्ला ।
= 510 × 10-9 टेस्ला
यदि निर्वात में वैद्युत क्षेत्र वाले भाग का आयाम = Eo
तब \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) ⇒ Eo = cBo
Eo = 3 × 108 × 510 × 10-9
= 153 वोल्ट मीटर-1

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प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि एक वैद्युतचुम्बकीय तरंग के वैद्युत क्षेत्र का आयाम E0 = 120 न्यूटन/कूलॉम है तथा इसकी आवृत्ति υ = 50.0 मेगाहर्ट्स है। (a) Bo , ω , k तथा λ ज्ञात कीजिए, (b) E तथा B के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। .
हल :
दिया है : E0 = 120 न्यूटन कूलॉम-1,
υ = 50.0 × 106 हर्ट्स .
तरंग वेग c= 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
(a) सूत्र \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) से,
\(B_{0}=\frac{E_{0}}{c}=\frac{120}{3 \times 10^{8}}\) = 4.0 × 10-7 टेस्ला
= 400 नैनोटेस्ला ।
ω = 2 πυ = 2 × 3.14 × 50 × 106
= 3.14 × 108 रेडियन सेकण्ड-1
Eok= Bo ω से,
\(k=\frac{B_{0} \omega}{E_{0}}=\frac{400 \times 10^{-9} \times 3.14 \times 10^{8}}{120}\)
= 1.05 रेडियन मीटर-1
\(\lambda=\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{50 \times 10^{6}}\)= 6 मीटर।

(b) माना तरंग X-अक्ष की दिशा में गतिशील है, तब वैद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र क्रमश: Y. तथा Z-अक्ष की दिशाओं में माने जा सकते हैं।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 6

प्रश्न 9.
वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के विभिन्न भागों की पारिभाषिकी पाठ्यपुस्तक में दी गई है। सूत्र E = hυ (विकिरण के एक क्वांटम की ऊर्जा के लिए : फोटॉन) का उपयोग कीजिए तथा em (वैद्युतचुम्बकीय) वर्णक्रम (वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम) के विभिन्न भागों के लिए इलेक्ट्रॉन वोल्ट (ev) के मात्रक में फोटॉन की ऊर्जा निकालिए। फोटॉन ऊर्जा के जो विभिन्न परिमाण आप पाते हैं वे वैद्युतचुम्बकीय विकिरण के स्रोतों से किस प्रकार सम्बन्धित हैं?
हल :
सूत्र E = hυ जूल = \(\frac{h c}{\lambda}\) जूल = \(\frac{h c}{e \lambda} \mathrm{e} \mathrm{V}\)
∵ h = 6.62 × 10-34 जूल सेकण्ड-1, c= 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
e = 1.6 × 10-19C
∴ \(E=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{1.6 \times 10^{-19} \times \lambda}=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{\lambda}\) इलेक्ट्रॉन वोल्ट (ev)

(1) γ-किरणें-इन किरणों का माध्य तरंगदैर्घ्य 10-12 मीटर है। अत:
\(E_{1}=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-12}}=1.24 \times 10^{6} \mathrm{eV}\)
≈ 106 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
अत: γ -किरणों की माध्य ऊर्जा 106 इलेक्ट्रॉन वोल्ट होती है।

(2) x-किरणें-इनकी माध्य तरंगदैर्घ्य 10-9 मीटर है।
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-9}} \approx 10^{3} \text { setagity alteel }\)
≈ 10 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।
इनकी माध्य ऊर्जा 103 इलेक्ट्रॉन वोल्ट होती है।

(3) पराबैंगनी विकिरण–इनकी माध्य तरंगदैर्घ्य 10-8 मीटर होती है।
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-8}}=1.24 \times 10^{2} \mathrm{eV}\)
≈102 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।

(4) दृश्य-प्रकाश–इनकी माध्य तरंगदैर्ध्य 10-6 मीटर होती है।
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-6}}\)
= 1.24 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।

(5) सूक्ष्म तरंगें-इनकी माध्य तरंगदैर्ध्य 10-2 मीटर है जिसके लिए .
\(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{-2}}\)
= 1.24 × 10-4 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।

(6) रेडियो तरंगें—इनकी माध्य तरंगदैर्घ्य 103 मीटर है। .
∴ \(E=\frac{12.41 \times 10^{-7}}{10^{3}}\)
= 1.24 × 10-9 इलेक्ट्रॉन वोल्ट।

उक्त ऊर्जा परिणामों से स्पष्ट होता है कि γ-किरणें नाभिक के संक्रमण से निकलती हैं, X-किरणें पराबैंगनी विकिरण तथा दृश्य प्रकाश परमाणुओं के संक्रमण के कारण उत्सर्जित होते हैं।

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प्रश्न 10.
एक समतल em (वैद्युतचुम्बकीय) तरंग में वैद्युत क्षेत्र, 2.0 × 1010 हर्ट्स आवृत्ति तथा 48 वोल्ट मीटर-1 आयाम से ज्या वक्रीय रूप से दोलन करता है।
(a) तरंग की तरंगदैर्घ्य कितनी है?
(b) दोलनशील चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम क्या है?
(c) यह दर्शाइए कि \(\overrightarrow{\mathbf{E}}\) क्षेत्र का औसत ऊर्जा घनत्व, \(\overrightarrow{\mathbf{B}}\) क्षेत्र के औसत ऊर्जा घनत्व के बराबर है। [c= 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1]
हल :
दिया है : E0 = 48 वोल्ट मीटर-1, वैद्युत क्षेत्र की आवृत्ति = 2.0 × 1010 हर्ट्स
(a) ∵ तरंग की आवृत्ति υ = वैद्युत क्षेत्र की आवृत्ति = 2 × 1010 हर्ट्स
∴ तरंग की तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{c}{v}=\frac{3 \times 10^{8}}{2 \times 10^{10}}\)
= 1.5 × 10-2 मीटर।

(b) \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) से, चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम \(B_{0}=\frac{E_{0}}{c}=\frac{48}{3 \times 10^{8}}\)
= 1.6 × 10-7 टेस्ला ।

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प्रश्न 11.
कल्पना कीजिए कि निर्वात में एक वैद्युतचुम्बकीय तरंग का वैद्युत क्षेत्र E = {(3.1 न्यूटन/कूलॉम) cos [(1.8 रेडियन मीटर-1) y+ (5.4 × 106 रेडियन सेकण्ड-1)t}}\(\hat{\mathbf{i}}\)
(a) तरंग संचरण की दिशा क्या है?
(b) तरंगदैर्घ्य λ कितनी है?
(c) आवृत्ति υ कितनी है?
(d) तरंग के चुम्बकीय क्षेत्र सदिश का आयाम कितना है?
(e) तरंग के चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक लिखिए। .
हल’:
दिया है, E = {(3.1) cos [1.8y+ 5.4 × 106 t]}\(\hat{\hat{\mathbf{\imath}}}\).
जहाँ E न्यूटन/कूलॉम में, दूरी मीटर में तथा समय सेकण्ड में है।
इसकी तुलना E = Eo cos (ky + ωt) \(\hat{\hat{\mathbf{\imath}}}\) से करने पर,
k = 1.8 रेडियन मीटर-1, ω = 5.4 × 106 रेडियन सेकण्ड-1
E0 = 3.1 न्यूटन कूलॉम-1
(a) पद ky में गुणांक y से स्पष्ट है कि यह तरंग ऋणात्मक Y-अक्ष के अनुदिश गतिशील है।
(b)
∵ \(k=\frac{2 \pi}{\lambda} \)
∴ \(\lambda=\frac{2 \pi}{k}\)
या  तरगदध्य तरंगदैर्घ्य \lambda=\frac{2 \times 3.14}{1.8}= 3.48 मीटर ≈ 3.5 मीटर।
= 1.8

(c) ω = 2 πυ से, \(\nu=\frac{\omega}{2 \pi}\)
∴ आवृत्ति \(v=\frac{5.4 \times 10^{6}}{2 \times 3.14}\)
= 8.6 × 105 हर्ट्स
= 0.86 मेगाहर्ट्स।

(d) ∵ E0 = 3.1 न्यूटन कूलॉम-1, c = 3 × 108 मीटर सेकण्ड-1
∴ \(c=\frac{E_{0}}{B_{0}}\) से, चुम्बकीय क्षेत्र का आयाम \(B_{0}=\frac{E_{0}}{c}=\frac{3.1}{3 \times 10^{8}}\)
= 10 × 10-8 टेस्ला
= 10 नैनोटेस्ला।

(e) ∵ तरंग ऋणात्मक Y-अक्ष की दिशा में गतिशील है तथा वैद्युत क्षेत्र के कम्पन X-अक्ष की दिशा में हैं, अत: चुम्बकीय क्षेत्र के कम्पन Z-अक्ष की दिशा में होंगे। ∴ चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक ।
B= Bo cos (ky + ωt) \(\hat{\mathbf{k}}\)
= 10 नैनोटेस्ला cos (1. 8 रेडियन मीटर-1 y+ 5.4 x 106 रेडियन सेकण्ड-1t) \(\hat{\mathbf{k}}\)

प्रश्न 12.
100 वाट वैद्युत बल्ब की शक्ति का लगभग 5% दृश्य विकिरण में बदल जाता है।
(a) बल्ब से 1 मीटर की दूरी पर
(b) 10 मीटर की दूरी पर दृश्य विकिरण की औसत तीव्रता कितनी है?
यह मानिए कि विकिरण समदैशिकतः उत्सर्जित होता है और परावर्तन की उपेक्षा कीजिए।
हल:
दृश्य विकिरण में उत्सर्जित शक्ति = \(\frac{5}{100} \times 100\) = 5 वाट
(a)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 8
\(=\frac{5}{4 \times 3.14 \times 1}\) = 0.4 वाट मीटर2

(b) r = 10 मीटर की दूरी पर औसत शक्ति = \(\frac{5}{4 \times 3.14 \times(10)^{2}}\)
= 0.004 वाट मीटर2

प्रश्न 13.
em वर्णक्रम (वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम) के विभिन्न भागों के लिए लाक्षणिक ताप परिसरों को ज्ञात करने के लिए λm T= 0.29 सेमी K सूत्र का उपयोग कीजिए। जो संख्याएँ आपको मिलती हैं, वे क्या बतलाती हैं?
हल :
λmT = 0.29 सेमी K सूत्र से स्पष्ट है कि 22 को सेमी में प्रयोग किया गया है,
अतः λm = λm ×10-8Å
∴ λmT = 0.29 सेमी K
⇒ λm x 10-8 × T = 0.29
\(T=\frac{29 \times 10^{6}}{\lambda_{m}(\hat{A})} K\)
(a) λm = 10-12 मीटर = 10-2Å के लिए, (-किरणे)
T = 2.9 × 109 K.
(b) λm = 10-10 मीटर = 1Å के लिए, (x-किरणे)
T = 2.9 × 107 K.
(c) λm = 10-6 मीटर = 104Å के लिए, (दृश्य प्रकाश)
T = 29 × 102 = 2900 K.
(d) λm = 1 मीटर = 1010 Å के लिए,
T = 2.9 × 10-3 K आदि।
उक्त परिणाम स्पेक्ट्रम के विभिन्न तरंगदैर्घ्य परास प्राप्त करने हेतु आवश्यक परम ताप प्रदर्शित करते हैं।

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प्रश्न 14.
वैद्युतचुम्बकीय विकिरण से सम्बन्धित नीचे कुछ प्रसिद्ध अंक, भौतिकी में किसी अन्य प्रसंग में वैद्युतचुम्बकीय दिए गए हैं। स्पेक्ट्रम के उस भाग का उल्लेख कीजिए जिससे इनमें से प्रत्येक सम्बन्धित है।
(a) 21 सेमी (अन्तरातारकीय आकाश में परमाण्वीय हाइड्रोजन द्वारा उत्सर्जित तरंगदैर्ध्य)
(b) 1057 मेगाहर्ट्स (लैंब-विचलन नाम से प्रसिद्ध, हाइड्रोजन में, पास जाने वाले दो समीपस्थ ऊर्जा स्तरों से उत्पन्न विकिरण की आवृत्ति)
(c) 2.7 K (सम्पूर्ण अन्तरिक्ष को भरने वाले समदैशिक विकिरण से सम्बन्धित ताप-ऐसा विचार जो विश्व में बड़े धमाके ‘बिग बैंग’ के उद्भव का अवशेष माना जाता है।)
(d) 5890 Å – 5896 Å (सोडियम की द्विक रेखाएँ) ।
(e) 14.4 keV [57 Fe नाभिक के एक विशिष्ट संक्रमण की ऊर्जा जो प्रसिद्ध उच्च विभेदन की स्पेक्ट्रमी विधि से सम्बन्धित है (मॉसबौर स्पेक्ट्रोस्कॉपी)।
हल :
(a) दी गई तरंगदैर्घ्य 10-2 मीटर क्रम की है, जो लघु रेडियो तरंग क्षेत्र में पड़ती है।
(b) यह आवृत्ति 109 हर्ट्स की कोटि की है, जो लघु रेडियो तरंग क्षेत्र में पड़ती है।
(c) λm T = 0.29 सेमी K से, T= 2.7 कूलॉम के लिए,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 8 वैद्युत चुम्बकीय तरंगें img 9
यह तरंगदैर्घ्य माइक्रो तरंगों के क्षेत्र में पड़ती है।
(d) दी गई तरंगदैर्ध्य 10-6 मीटर की कोटि की हैं जो दृश्य विकिरण क्षेत्र में पड़ती हैं।
(e) E = 14.4 kev = 14.4 × 103 eV
परन्तु \(E=\frac{h c}{\lambda e} \mathrm{eV}\)
∴ संगत तरंगदैर्घ्य \(\lambda=\frac{h c}{e E}=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{1.6 \times 10^{-19} \times 14.4 \times 10^{3}}\)
= 8.6 × 10-11 मीटर
⇒ λ≈ 10-10 मीटर = 1 Å
यह तरंगदैर्घ्य x-किरण क्षेत्र में पड़ती है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए
(a) लम्बी दूरी के रेडियो प्रेषित्र लघु-तरंग बैण्ड का उपयोग करते हैं। क्यों?
(b) लम्बी दूरी के TV प्रेषण के लिए उपग्रहों का उपयोग आवश्यक है। क्यों?
(c) प्रकाशीय तथा रेडियो दूरदर्शी पृथ्वी पर निर्मित किए जाते हैं किन्तु x-किरण खगोल विज्ञान का अध्ययन पृथ्वी का परिभ्रमण कर रहे उपग्रहों द्वारा ही सम्भव है। क्यों?
(d) समतापमण्डल के ऊपरी छोर पर छोटी-सी ओजोन की परत मानव जीवन के लिए निर्णायक है। क्यों?
(e) यदि पृथ्वी पर वायुमण्डल नहीं होता तो उसके धरातल का औसत ताप वर्तमान ताप से अधिक होता है या
कम?
(f) कुछ वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि पृथ्वी पर नाभिकीय विश्व युद्ध के बाद ‘प्रचण्ड नाभिकीय शीतकाल’ होगा जिसका पृथ्वी के जीवों पर विध्वंसकारी प्रभाव पड़ेगा। इस भविष्यवाणी का क्या आधार है?
उत्तर :
(a) ये तरंगें पृथ्वी के आयनमण्डल से परावर्तित होकर वापस पृथ्वी तल की ओर लौट आती हैं और इसी कारण बिना ऊर्जा खोए पृथ्वी पर लम्बी दूरियाँ तय कर पाती हैं।
(b) बहुत लम्बी दूरी के सम्प्रेषण के लिए अति उच्च आवृत्ति की तरंगों की आवश्यकता होती है। आयनमण्डल इन तरंगों को पृथ्वी की ओर परावर्तित नहीं कर पाता। अतः ये तरंगें आयनमण्डल से पार निकल जाती हैं। इन्हें वापस पृथ्वी पर भेजने के लिए उपग्रह की आवश्यकता होती है।
(c) चूँकि पृथ्वी का वायुमण्डल x-किरणों को अवशोषित कर लेता है। अत: x-किरण खगोलविज्ञान का अध्ययन वायुमण्डल से ऊपर उपग्रहों द्वारा ही सम्भव है।
(d) यह ओजोन परत सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली मानव जीवन के लिए हानिकारक पराबैंगनी तरंगों को अवशोषित कर लेती है। अतः ओजोन परत, पृथ्वी पर मानव जीवन की सुरक्षा के लिए अति महत्त्वपूर्ण है।
(e) यदि पृथ्वी पर वायुमण्डल नहीं होता तो हरित गृह प्रभाव नहीं होता। इससे पृथ्वी का ताप वर्तमान ताप की तुलना में कम होता।
(f) प्रचण्ड नाभिकीय युद्ध के बाद पृथ्वी धूल तथा गैसों के विशाल बादल से घिर जाएगी जिसके कारण सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाएगी ओर पृथ्वी बहुत अधिक ठण्डी हो जाएगी।

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कार्बन मोनोक्साइड के एक अणु को कार्बन एवं ऑक्सीजन परमाणुओं में विघटित करने के लिए 11 eV ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस विघटन के लिए उपयुक्त वैद्युतचुम्बकीय विकिरण की न्यूनतम आवृत्ति होती है –
(a) दृश्य क्षेत्र में
(b) अवरक्त क्षेत्र में
(c) पराबैंगनी क्षेत्र में
(d) माइक्रोतरंग क्षेत्र में।
उत्तर :
(c) पराबैंगनी क्षेत्र में

प्रश्न 2.
ऊर्जा फ्लक्स 20 W/सेमी2 का प्रकाश एक अपरावर्ती पृष्ठ पर अभिलम्बवत् आपतित होता है। यदि पृष्ठ का क्षेत्रफल 30 सेमी2 हो तो 30 मिनट में (पूर्ण अवशोषण के लिए) प्रदत्त कुल संवेग होगा –
(a) 36 × 10-5 किग्रा मीटर/सेकण्ड
(b) 36 × 10-4 किग्रा मीटर/सेकण्ड
(c) 108 × 104 किग्रा मीटर/सेकण्ड
(d) 1.08 × 107 किग्रा मीटर/सेकण्ड।
उत्तर :
(b) 36 × 10-4 किग्रा मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 3.
100 W के बल्ब से 3 मीटर की दूरी पर पहुँचने वाले विकिरणों से उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E है। उतनी ही दूरी पर 50 W के बल्ब से आने वाले प्रकार के विकिरणों के कारण उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता होगी
(a) \(\frac{E}{2}\)
(b) 2E
(c) \(\frac{E}{\sqrt{2}}\)
(d) √2E
उत्तर :
(d) √2E.

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प्रश्न 4.
यदि E एवं B क्रमशः वैद्युतचुम्बकीय तरंगों के वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र (सदिश) हों तो . वैद्युतचुम्बकीय तरंगों की संचरण दिशा है –
(a) E के अनुदिश
(b) B के अनुदिश
(c) B × E के अनुदिश
(d) E × B के अनुदिश ।
उत्तर :
(d) E × B के अनुदिश ।

प्रश्न 5.
वैद्युतचुम्बकीय तरंग की तीव्रता में वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र घटकों के योगदानों का अनुपात होता है
(a) c : 1
(b) c2 : 1
(c) 1  :1
(d) √c : 1.
उत्तर :
(c) 1 : 1

प्रश्न 6.
एक द्विध्रुव ऐन्टिना से वैद्युत चुम्बकीय तरंगें बाहर की ओर विकिरित होती हैं जिनके वैद्युत क्षेत्र सदिश का आयाम E0 है। वैद्युत क्षेत्र Eo, जो ऊर्जा संचार का प्रमुख वाहक है, स्रोत से दूरी के साथ इसका परिमाण –
(a) \(\frac{1}{r^{3}}\) के अनुसार घटता है …
(b) \(\frac{1}{r^{2}}\) के अनुसार घटता है ..
(c) \(\frac{1}{r}\) के अनुसार घटता है
(d) अचर बना रहता है। [
उत्तर :
(c) \(\frac{1}{r}\) के अनुसार घटता है

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी सुवाह्य रेडियो का प्रसारक स्टेशन के सापेक्ष अभिविन्यास महत्त्वपूर्ण क्यों होता है?
उत्तर :
वैद्युतचुम्बकीय तरंगें समतल ध्रुवित होती हैं, अत: अभिग्राही ऐन्टिना इन तरंगों के वैद्युतचुम्बकीय भाग के समान्तर होना चाहिए।

प्रश्न 2.
माइक्रोवेव ओवन जल अणु युक्त खाद्य पदार्थ का ऊष्मन सर्वाधिक प्रभावी ढंग से क्यों करता है?
उत्तर :
माइक्रोवेव ओवन जल अणुयुक्त खाद्य पदार्थ का ऊष्मन सर्वाधिक प्रभावी ढंग से करता है क्योंकि माइक्रोवेव की आवृत्ति, जल के अणुओं की अनुनाद आवृत्ति के बराबर होती है।

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प्रश्न 3.
किसी समान्तर प्लेट संधारित्र पर आवेश q= qo cos 2πυt के अनुसार परिवर्तित होता है। इसकी प्लेटें बहुत विशाल (क्षेत्रफल = A) हैं और एक-दूसरे के बहुत पास-पास रखी हैं (पृथकन = d)। कोर प्रभावों को नगण्य मानते हुए संधारित्र में विस्थापन धारा की गणना कीजिए।
उत्तर :
संधारित्र में विस्थापन धारा ID = IC = \(\frac{d}{d t}\left(q_{0} \cos 2 \pi v t\right)\)
= qo (- sin 2πυ t) × 2πυ
= -qo 2 πυ.sin 2 πυ t

प्रश्न 4.
परिवर्तनीय आवृत्ति का एक ac स्रोत एक संधारित्र से जुड़ा है। आवृत्ति में कमी करने पर विस्थापन धारा किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर :
संधारित्र का धारितीय प्रतिघात \(\left(X_{C}\right)=\frac{1}{\omega C}=\frac{1}{2 \pi f C}\)
आवृत्ति f कम करने पर, धारितीय प्रतिघात XC बढ़ेगा जिसके परिणामस्वरूप चालन धारा (IC) घटेगी। परन्तु IC = ID, अत: विस्थापन धारा कम हो जाएगी।

वैद्युत चुम्बकीय तरंगें लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वैद्युतचुम्बकीय तरंगें जिनकी तरंगदैर्ध्य –
(i) λ1 है, उपग्रह संचार में प्रयुक्त होती हैं। .
(ii) λ2 है, जलशोधित्रों में जीवाणुनाश के लिए प्रयुक्त होती हैं।
(iii) λ3 है, भूमिगत पाइप लाइनों में तेल के रिसाव के संसूचन के लिए उपयोग में लायी जाती हैं।
(iv) λ4 है, धुंध और कोहरे की स्थिति में वायुयान उड़ान पथ पर दृश्यता में सुधार लाने के लिए उपयोग में लायी जाती हैं।
(a) इन वैद्युतचुम्बकीय विकिरणों को पहचानिए और बताइए कि ये वैद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किस भाग से सम्बन्धित हैं।
(b) इन तरंगदैर्यों को परिमाण के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(c) प्रत्येक की एक अन्य उपयोगिता लिखिए।
उत्तर :
(a) λ1 → सूक्ष्म तरंगें या माइक्रोवेव
λ2 → पराबैंगनी तरंगें
λ3 → x-किरणें
λ4 → अवरक्त किरणें
(b) λ3 < λ2 < λ4 < λ1
(c) सूक्ष्म तरंगें → रेडार
पराबैंगनी तरंगें → नेत्र शल्यता
x-किरणें → अस्थिभंग क्रमवीक्ष्ण
अवरक्त किरणें → प्रकाशीय संचार

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वैद्युत चुम्बकीय तरंगें आंकिक प्रस्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपको एक 2 μF का समान्तर प्लेट संधारित्र दिया गया है। आप इसकी प्लेटों के बीच के अन्तराल में 1 मिलीऐम्पियर की तात्क्षणिक विस्थापन धारा कैसे स्थापित करेंगे?
हल :
दिया हैं, C = 2 μF = 2 × 10-6F, ID = 10-3 मिलीऐम्पियर
विस्थापन धारा (ID) = C \(\frac{d V}{d t}\) × 1 × 10-3 = 2 × 10-6 \(\frac{d V}{d t}\)
∴ \(\frac{d V}{d t}\) = \(\frac{1}{2}\) × 103 = 500 वोल्ट/सेकण्ड
अत: 500 वोल्ट/सेकण्ड की दर से परिवर्तित विभवान्तर लगाकर लक्षित विस्थापन धारा उत्पन्न सकेगी।

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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण अशुद्ध गद्यांश की भाषा का परिमार्जन

भाषा का शुद्ध और स्पष्ट लेखन उस समय तक सम्भव नहीं है, जब तक कि शब्दों और उनके अर्थ के विषय में पूर्ण ज्ञान न हो। शुद्ध वाक्य रचना के लिए अशुद्धियों पर ध्यान देना बड़ा आवश्यक है। अशुद्ध वाक्य उतना ही भद्दा और अरुचिपूर्ण लगता है जितना कि बेतरतीब बनाया हुआ भोजन। अतः अशुद्धियों का विवरण नीचे दिया जा रहा है-

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1. लिंग सम्बन्धी अशुद्धियाँ – संज्ञा शब्दों में लिंग – परिवर्तन होता है; जैसे –
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2. वचन सम्बन्धी अशुद्ध याँ
1. वह किसके कलम है – वह किसकी कलम है।
2. उसका भाग्य फूट गया – उसके भाग्य फूट गए।
3. मेरे बटुआ उड़ गया – मेरा बटुआ उड़ गया।
4. क्या तेरा प्राण निकल रहा है क्या तेरे प्राण निकल रहे हैं।

3. समाज सम्बन्धी अशुद्धियाँ
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4. संधि समास अशुद्धियाँ
1. निरस – नीरस (निः + उक्त)।
2. उपरोक्त – उपर्युक्त (उपरि + उक्त)।
3. सदोपदेश – सदुपदेश (सद् + उपदेश)।

5. कर्ता और क्रिया का समान न होना – कर्ता और क्रिया के वचन, लिंग और पुरुष समान होने चाहिए। यदि ऐसा न हुआ तो वाक्य अः शुद्ध हो जाता है। उदाहरण के लिए –
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6. शब्दों को यथा स्थान रखना – वाक्य में कर्ता, कर्म, करण, विशेषण, विशेष्य, क्रिया – विशेषण आदि के स्थान निश्चित होते हैं। यदि वे निश्चित स्थान पर न रखे
गए अथवा उनका स्थान बदल दिया गया तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है।
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7. अनावश्यक शब्दों का प्रयोग
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8. वर्ण और मात्रा संबंधी अशुद्धियाँ
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महत्त्वपूर्ण परीक्षोपयोगी प्रश्न

निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिए
1. इन्दिरा गाँधी की मृत्यु पर भारत में दुःख छा गया।
2. मैं कल आगरा से वापस लौटूंगा।
3. तुमने यह काम करना है।
4. कोप ही दण्ड का एक विधान है।
5, आग में कई लोगों के जल जाने की आशा है।
उत्तर –
1. इन्दिरा गाँधी की मृत्यु पर भारत में शोक छा गया।
2. मैं कल आगरा से लौटूंगा।
3. तुम्हें यह काम करना है।
4. दण्ड ही कोप का एक विधान है।
5. आग में कई लोगों के जल जाने की आशंका है।

निम्नलिखित अशुद्ध शब्दों को शुद्ध कीजिए-
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अभ्यास के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न
(i) अभ्यास के लिए शुद्ध – अशुद्ध वाक्य।

1. संग्रहित
(क) संघरित (ख) संगृहीत (ग) संग्रहीत (घ) संघह्वीत
उत्तर –
(ख) संगृहीत।।

2. प्रथक
(क) पृथक् (ख) पिरथक (ग) परथिक (घ) पिर्थक
उत्तर –
(क) पृथक्।

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3. उज्जवल
(क) उजवल (ख) उज्ज्वल (ग) उजवल्य (घ) उज्जवल
उत्तर –
(ख) उज्ज्वल

4. प्रनाम
(क) पिरणाम (ख) पिरनाम (ग) पृणाम (घ) प्रणाम
उत्तर –
(घ) प्रणाम।।

5. भैंस और बैल खड़े हैं
(क) भैंस खड़ा और बैल खड़ी है। (ख) भैंस और बैल दोनों खड़ी हैं। (ग) भैंस और बैल खड़ा हुआ है। (घ) भैंस और बैल दोनों खड़े हैं।
उत्तर –
(घ) भैंस और बैल दोनों खड़े हैं।

6. आगरा के अन्दर हैजा का जोर है
(क) आगरा के अन्दर हैजा (ख) हैजा का जोर है आगरा में। का प्रकोप है। (ग) हैजा का प्रकोप है आगरा में। (घ) आगरा में प्रकोप है हैजा का।
उत्तर –
(घ) आगरा में प्रकोप है हैजा का।

7. उसे अनुत्तीर्ण होने की आशा है
(क) आशा है उसे अनुत्तीर्ण (ख) अनुत्तीर्ण होने की उसे आशंका होने की। (ग) उसे आशंका है अनुत्तीर्ण (घ) उसे अनुत्तीर्ण होने की आशंका होने की।
उत्तर –
(घ) उसे अनुत्तीर्ण होने की आशंका है।

(ii) शब्दों के क्रम संबंधी अशुद्धियों को शुद्ध कीजिए
अशुद्ध – राम, जो कल भूखा था, ने अभी तक कोई भोजन नहीं किया।
शुद्ध – राम, जो कल भूखा था अभी तक भोजन नहीं किया।
अशुद्ध – राम बाजार से फूलों की माला एक लाई।।
शुद्ध – राम बाजार से एक फूलों की माला लाया।
अशुद्ध – सब लड़कियाँ अपनी किताब और कल से लिख और पढ़ रहे थे।
शुद्ध – सब लड़कियाँ अपनी किताब और कलम से पढ़ ओर लिख रही थीं।

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(iii) प्रत्यय संबंधी अशुद्धियाँ दूर कीजिए
अशुद्ध – राम यह कार्य आवश्यकीय है।
शुद्ध – राम यह कार्य आवश्यक है।
अशुद्ध – आपकी सौजन्यता से मेरे पुत्र को नौकरी मिल गई।
शुद्ध – आपके सौजन्य से मेरे पुत्र को नौकरी मिल गई।
अशुद्ध – साधु के माथे पर रामानन्द तिलक है।
शुद्ध – साधु के माथे पर रामानन्दी तिलक है।

(iv) अनुस्वार एवं चन्द्र बिन्दु संबंधी अशुद्धियाँ शुद्ध कीजिए–
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MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण मुहावरे व लोकोक्तियाँ

MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण मुहावरे व लोकोक्तियाँ

भाषा को प्राणवान और प्रभावशाली बनाने के लिए आवश्यकतानुसार मुहावरे और कहावतें (लोकोक्तियों) के प्रयोग किए जाते हैं। इनके प्रयोग से भाषा न केवल सार्थक और आकर्षक दिखाई देती है अपितु वह एक अद्भुत शक्ति से परिपूर्ण भी लगने लगती है, जो एक सफल और असाधारण रचना शिल्प व शिल्पकार की अभियोजना और उद्देश्य होता है। इस प्रकार मुहावरों और कहावतों के बिना भाषा प्राणहीन, अशक्त और प्रभावहीन बन जाती है।

मुहावरों और कहावतों से एक विशिष्ट भाषा, संस्कृति, जाति, सभ्यता, लोकजीवन, रहन – सहन, चेतना और भविष्य का पूरा पता लगता है। उसकी छाप सर्वत्र पड़ने लगती है। वह सबको समुन्नत दिशा की ओर अग्रसर करने लगती है।

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मुहावरों और कहावतों से भाषा एक वाक्यांश के रूप में प्रकट होकर एक विलक्षणता और रोचकता के रूप में अपने महान उद्देश्य की ओर रती है और अंततः पाठक – श्रोता वर्ग पर अपनी पूर्व नियोजित छाप छोड़ती है। यही कारण है कि विश्व की सभी भाषाओं में मुहावरों – कहावतों के प्रयोग होते हैं। इस मुहावरों और कहावतों का प्रयोग किसी भी भाषा. के लिए नितान्त आवश्यक है।

मुहावरे
प्रचलित मुहावरे और उनका प्रयोग
1. अपना ही राग अलापना – अपनी बातें ही करते रहना।
प्रयोग – मोहन दूसरे की बात सुनता नहीं है केवल अपना ही राग अलापता रहता है।

2. आँखों का तारा – बहुत प्यारा लगना।
प्रयोग – इकलौता पुत्र अपने माता – पिता की आँखों का तारा होता है।

3. अपना उल्लू सीधा करना – केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करना।
प्रयोग – जो मनुष्य स्वार्थी होता है वह अपना ही उल्लू सीधा करता है।

4. अपने मुँह मियाँ मिठू बनना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
प्रयोग – अभिमानी मनुष्य अपने मुँह मियाँ मिठू बनते हैं।

5. अन्धे को चिराग दिखाना – व्यर्थ का कार्य करना।
प्रयोग – किसी मूर्ख और पागल मनुष्य को उपदेश देना वास्तव में अन्धे को चिराग दिखाना है।

6. अन्धे की लकड़ी – समय पर काम आना।
प्रयोग – वृद्धावस्था में बेटा अन्धे की लकड़ी के समान होता है।

7. अँगूठा दिखाना – अपमानपूर्ण अवज्ञा करना।
प्रयोग – मैंने कल तुमसे पैसा लौटाने के लिए कहा था। आज तुम मुझको अँगूठा दिखा रहे हो।

8. अक्ल पर पत्थर पड़ना – अज्ञानता से काम करना।
प्रयोग – उस समय न जाने क्यों मेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे तब मैंने अपने
बड़े भाई को कटु शब्द कहे थे।

9. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – स्वयं अपना नाश करना।
प्रयोग – राकेश ने अपनी जायदाद जुआ में हारकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है।

10. आगबबूला होना – अधिक क्रोधित होना।
प्रयोग – जब पिता ने अपने पुत्र को घर में चोरी करते देखा तो वे.आगबबूला हो गए।

11. आसमान टूट पड़ना – अचानक विपत्ति आ जाना।
प्रयोग – मोटर दुर्घटना में अपने पुत्र का समाचार सुनकर माँ के हृदय पर जैसे आसमान टूट पड़ा हो।

12. ईद का चाँद होना – कठिनता से दिखाई देना।
प्रयोग – रमेश ने जब दो महीने बाद अपने मित्र को सामने आता हुआ देखा तो कहा कि आजकल तुम तो ईद के चाँद हो गये हो।

13. ईंट से ईंट बजाना – बिलकुल नष्ट करना।
प्रयोग – महाराज शिवाजी ने मुगल बादशाह की ईंट से ईंट बजा दी।

14. उल्टी गंगा बहाना – नियम के विरुद्ध काम करना।
प्रयोग – आजकल लोग नियमित काम न करके उल्टी गंगा बहा रहे हैं।

15. गाल बजाना – बक – बक करना।
प्रयोग – आजकल के नेता मंचों पर गाल बजाते हैं। ठोस काम करना नहीं जानते

16. गले का हार – प्रिय वस्तु।
प्रयोग – महात्मा तुलसीदास का रामचरितमानस हिन्दुओं के गले का हार है।

17. गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी बातें दोहराना।
प्रयोग – वृद्ध मनुष्य सबके सामने गड़े मुर्दे उखाड़कर दूसरों को लज्जित करते रहते हैं।

18. कुत्ते की मौत मरना – बुरी मौत मरना।
प्रयोग – देशद्रोही मनुष्य कुत्ते की मौत मारा जाता है।

19. काम तमाम करना – मार डालना।
प्रयोग – बन्दूक की एक गोली से मैंने डाकू का काम तमाफ कर दिया।

20. छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या होना।
प्रयोग – महेश ने जब से नई मोटर साइकिल खरीदी है, उसके पड़ोसी की छाती पर साँप लोटने लगे हैं।

21. नौ – दो ग्यारह होना – भाग जाना।
प्रयोग – पुलिस (सिपाही) को देखकर चोर नौ – दो ग्यारह हो गए।

22. दाँत खट्टे करना – – पराजित करना।
प्रयोग – भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के दाँत खट्टे कर दिए।

23. मुँह में पानी भर आना – ललचाना।
प्रयोग – मिठाई की दुकान को देखकर बालकों के मुँह में पानी भर आता है।

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24. फूला न समाना – बहुत प्रसन्न होना।
प्रयोग – बहुत दिनों से खोये हुए बालक को अचानक देखकर माँ का हृदय फूला न समाया।

25. हाथ – पाँव फूलना – भयभीत हो जाना।
प्रयोग – जंगल में शेर को देखकर मेरे हाथ – पाँव फूल गए।

26. लोहा मानना – प्रभाव स्वीकार करना।
प्रयोग – एशिया के सभी राष्ट्र भारत की शक्ति का लोहा मानते हैं।

27. हक्का – बक्का रह जाना – आश्चर्यचकित होना।
प्रयोग – ताजमहल की सुंदरता को देखकर लोग हक्के – बक्के रह जाते हैं।

28. हवा से बातें करना – बहुत वेग से चलना।
प्रयोग – महाराणा प्रताप का चेतक घोड़ा बुद्ध के मैदान में हवा से बातें करता था।

29. लकीर का फकीर होना – अंधविश्वासी होना।
प्रयोग – आदिवासी लोग लकीर के फकीर होते हैं।

30. सिर नीचा होना – लज्जित होना।
प्रयोग – अयोग्य पुत्र के अनुचित कार्यों को देखकर माता – पिता का सिर लज्जा से नीचा हो गया।

31. टेढ़ी – सीधी सुनना – खरी – खोटी सुनना।
प्रयोग – मेरे विलम्ब से घर पहुंचने पर पिताजी ने मुझे अनेक टेढ़ी – सीधी बातें सुना डालीं।

32. धूल में मिला देना – नष्ट करना।
प्रयोग – मोहन को परीक्षा में नकल करते हुए जब. अध्यापक ने पकड़ लिया तो उसकी सारी इज्जत धूल में मिल गयी।

33. सिर पटक लेना – दहाड़ मारकर रोना।
प्रयोग – अपने भाई की असफलता का समाचार सुनकर राकेश अपना सिर जमीन पर पटककर खूब रोने लगा।

34. त्यौरियाँ चढ़ जाना – क्रोधित होना।
प्रयोग – आजकल जरा – सी बात पर लोग अपनी त्यौरियाँ चढ़ा लेते हैं।

35. आसमान सिर पर उठाना – बहुत कोलाहल करना।
प्रयोग – जिस समय शिक्षक कक्षा में नहीं होता उस समय विद्यार्थी आसमान सिर पर उठा लेते हैं।

36. आस्तीन का साँप होना – विश्वासघात करना।
प्रयोग – चीन के आक्रमण के समय अनेक लोग देश के आस्तीन के साँप बन गए।

37. आठ – आठ आँसू रोना – फूट – फूटकर रोना।
प्रयोग – माँ की मृत्यु के समय राम आठ – आठ आँसू रोया।

38. कसौटी पर कसना – परीक्षा लेना।
प्रयोग – सोने की कसौटी पर कसकर उसके खरे – खोटे की पहचान की जाती है।

39. कंगाली में आटा – गीला होना – कष्ट पर कष्ट आना।
प्रयोग – इधर मोहन के घर में आग लगी, उधर चोरी में सारा सामान चला गया, उसकी कंगाली में आटा गीला हो गया।

40. कान में तेल डालकर सोना – बात सुनने की चेष्टा न करना।
प्रयोग – मैं तुम्हें कब से बुला रहा हूँ और तुम हो कि कान में तेल डालकर बैठे हो।

41. कलई खुलना – भेद खुलना।
प्रयोग – जब मोहन का झगड़ा राकेश से हुआ तो मोहन ने राकेश की सारी कलई खोल दी।

42. गर्दन पर छुरी फेरना – अत्याचार करना।
प्रयोग – ठेकेदार गरीब मजदूरों के पैसे काटकर उनकी गर्दन पर छुरी फेरते हैं।

43. गोबर गणेश – बिलकुल मूर्ख।
प्रयोग – वह कभी परीक्षा पास नहीं कर सकता, वह तो पूरा गोबर गणेश है।

44. घी के चिराग जलाना – खुशियाँ मनाना।
प्रयोग – जब भगवान श्री राम चौदह वर्ष के बाद वनवास से अयोध्या लौटकर
आये तब पूरी प्रजा ने घी के चिराग जलाए।

45. घोड़ा बेचकर सोना – निश्चित रहना।
प्रयोग – जब परीक्षा समाप्त हो जाती है, तो विद्यार्थी घोड़े बेचकर सोते हैं।

46. छप्पर फाड़कर देना – बिना मेहनत के धन मिलना।
प्रयोग – भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है।

47. टेढ़ी खीर होना – कठिन कार्य होना।
प्रयोग – हिमालय पार करना टेढ़ी खीर है।

48. दाँतकाटी रोटी होना – गहरी दोस्ती होना।
प्रयोग – पहले हम दोनों में दाँतकाटी रोटी थी किंतु जब से झगड़ा हुआ है तब से हम दोनों एक – दूसरे के शत्रु बन गए हैं।

49. कलेजा मुँह को आना – बहुत दुःखी होना।
प्रयोग – अचानक पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर कलेजा मुँह को आ गया।

50. चकमा देना – धोखा देना।
प्रयोग – एक लड़का दुकानदार को चकमा देकर सामान लेकर भाग गया।

51. हाँ में हाँ मिलाना – चापलूसी करना।
प्रयोग – छोटे कर्मचारी अपनी पदोन्नति के लिए बड़े अधिकारियों की दिन – रात हाँ में हाँ मिलाते हैं।

52. सिर धुनना – पश्चात्ताप करना।
प्रयोग – हायर सेकेण्ड्री की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर मोहन ने अपना सिर धुन लिया।

53. बाल – बाल बचना – बड़ी हानि होने से बचना।
प्रयोग – वह कुएं में गिरने से बाल – बाल बच गया।

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54. कफन सिर पर बाँधना – बलिदान के लिए तैयार रहना।
प्रयोग – वीर सैनिक युद्ध के दौरान कफन सिर पर बाँध लेते हैं।

55. लहू सूखना – शक्तिहीन होना। (म.प्र. 1991)
प्रयोग – साँप को सामने देखते ही उसका लहू सूख गया।

56. बाल बाँका न होना – कुछ भी नुकसान न होना। (म.प्र. 1991)
प्रयोग – प्रहलाद को बार – बार कष्ट देने का प्रयास करके भी हिरण्यकशिपु उसका बाल बाँका न कर सका।

57. काया पलट होना – रूप – परिवर्तन होना। (म.प्र. 1992)
प्रयोग – बड़े – बड़े सिद्ध – पुरुष मनचाही काया पलट कर लेते हैं।

58. मिट्टी में मिलाना – बरबाद करना। (म.प्र. 1992)
प्रयोग – भारत ने पाकिस्तान से युद्ध करके पूर्वी पाकिस्तान को मिट्टी में मिला दिया।

59. नेत्र लाल होना – क्रोधित होना। (म.प्र. 1993)
प्रयोग – छात्र के अशिष्टाचार से अध्यापक के नेत्र लाल हो गए।

60. हाथ के तोते उड़ना – कीमती वस्तु का खो जाना। (म.प्र. 1993)
प्रयोग – परीक्षा में भूल से कुछ प्रश्नों के छूटने पर उसने घर आते ही कहा कि मेरे हाथ के तोते उड़ गए।

61. नोन, तेल, लकड़ी के फेर में पड़ना – रोजी – रोटी के लिए परेशान होना।
प्रयोग – शादी होते ही वह नोन, तेल, लकड़ी के फेर में पड़ गया।

62. टूट जाना – बरबाद होना।। (म.प्र. 1994)
प्रयोग – मजदूर जीवनपर्यंत कड़ी मेहनत करते – करते टूट जाते हैं।

63. मौके की तलाश में रहना – स्वार्थ साधना। (म.प्र. 1994)
प्रयोग – स्वार्थी हरदम मौके की तलाश में रहते हैं।

64. भाषण की दुकान खोलना – बतंगड़ी का अड्डा होना। (म.प्र. 1994)
प्रयोग – आजकल तो जगह – जगह भाषण की दुकानें खुल गई हैं।

65. आँखें खोलना – सजग करना। (म.प्र. 1994)
प्रयोग – निंदक अक्सर आँखें खोल देते हैं।

लोकोक्तियाँ
भाषा को प्रभावशाली एवं सारगर्भित बनाने के लिए मुहावरों की भाँति लोकोक्तियों का प्रयोग किया जाता है। लोकोक्ति पारिभाषिक रूप से ऐसा मुहावरेदार वाक्य होता है जिसे व्यक्ति अपने कथन की पुष्टि में प्रमाण – स्वरूप प्रयोग करता है। लोकोक्ति . अपने में एक संपूर्ण वाक्य है और उसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से होता है।

प्रचलित लोकोक्तियाँ और उनका प्रयोग

1. अपना हाथ जगन्नाथ – बड़ी स्वच्छन्दता से किसी वस्तु को ग्रहण करना।
प्रयोग – महावीर को आज भोजन – गृह का मालिक बना दिया है, अब तो उसका अपना हाथ जगन्नाथ है।

2. अपनी ढपली अपना राग – जब सभी लोग मिलकर काम न करें।
प्रयोग – वह संस्था अधिक दिनों तक चल नहीं सकती क्योंकि उसके सभी सदस्य अपनी ढपली अपना राग वाले हैं।

3. ऊँची दुकान फीका पकवान – दुकान तो बड़ी प्रसिद्ध परंतु माल घटिया।
प्रयोग – नगर के सबसे धनाढ्य सेठ की दुकान में घटिया मिष्टान्न देखकर वह बोला – ऊँची दुकान फीका पकवान।

4. एक हाथ से ताली नहीं बजती – कोई भी कार्य में दो पक्षों का होना आवश्यक है।
प्रयोग – मैं यह बात तुम्हारी मान ही नहीं सकता कि तुम्हें पुलिस ने बिना कसूर पीटा है। यह सम्भव नहीं, एक हाथ से ताली नहीं बजती।

5. अंधों में काना राजा – अयोग्य लोगों में अल्पबुद्धि वाला मनुष्य ही योग्य माना जाता है।
प्रयोग – ग्रामों में अधिकतर सभी लोग अशिक्षित होते हैं; किंतु जरा – सा पढ़ा – लिखा व्यक्ति ही उनके लिए अंधों में काना राजा के समान है।

6. काला अक्षर भैंस बराबर – बिलकुल निरक्षर होना।
प्रयोग – अशिक्षित लोग वेद – पुराणों की बातें क्या जाने उनके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर होता है।

7. एक अनार सौ बीमार – वस्तु थोड़ी किंतु माँग अधिक।
प्रयोग कार्यालय में एक स्थान रिक्त है किंतु सौ से भी अधिक आवेदन – प., आने पर अधिकारी कहने लगा कि एक अनार सौ बीमार।

8. घर का भेदी लंका ढाहे – घर का भेद बताने वाला ही सबसे बड़ा शत्रु होता है।
प्रयोग – आजकल देश को बड़ी सावधानी की आवश्यकता है क्योंकि घर का भेदी लंका ढहाना चाहता है।

9. चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता – निर्लज्ज व्यक्ति पर किसी बात का प्रभा. नहीं पड़ता।
प्रयोग – तुम अपने भाई को चार दिन से समझाते – समझाते थक गए किंत उसने
अपनी आदत सुधारी नहीं; सच है कि चिकने घड़े पर पानी ठहरता नहीं है।

10. दूर के ढोल सुहावने – जितनी प्रसिद्धि सुनी वैसा पाया नहीं।
प्रयोग – लखनऊ के दशहरी आम जब स्वादिष्ट न निकले तो मेरा भाई वो दूर के ढोल सुहावने होते हैं।

11. थाली के बैंगन – अस्थिर बुद्धिवाला।
प्रयोग – मैं तो उसकी मित्रता पर कोई भरोसा नहीं करता। वह तो थाली का बैंगन है, कभी इधर तो कभी उधर।।

12. थोथा चना बाजे घना – आडम्बरयुक्त व्यक्ति सारहीन होता है।
प्रयोग – वह हायर सेकंडरी तक पढ़ा नहीं है लेकिन वह बी.ए. पास होने तक की शेखी बघारता है। सच है – थोथा चना बाजे घना वाली कहावत है।

13. एक पंथ दो काज – एक साथ दो कार्य पूर्ण होना।
प्रयोग – प्रयाग पहुँचने पर गंगा स्नान भी किया और कुम्भ का मेला भी देखा; इस तरह एक पंथ दो काज पूरे हुए।

14. का वर्षा जब कृषि सुखानी – समय निकल जाने पर प्रयत्न करना व्यर्थ है।
प्रयोग – जब शहर में डाकू लोग उपद्रव और लूटपाट करके चले गए तब बहुत देर बाद वहाँ पुलिस पहुंची तो सब लोग बोले, का वर्षा जब कृषि सुखानी।

15. मुख में राम बगल में छुरी – कपटपूर्ण व्यवहार।
प्रयोग – रामनरेश सामने तो खुशामद करता फिरता है पर पाडे से वह सबकी बुराई करता है। उसका व्यवहार मुख में राम बगल में छुरी के समान है।

16. सावन सूखा न भादों हरा – सदा एक समान रहना।
प्रयोग – वीरेन्द्र नाथ को हमने जबसे देखा है वह एक समान दिखाई देता है, सच है वह न सावन सूखा न भादों हरा।

17. बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा – अचानक किसी वस्तु का प्राप्त होना।
प्रयोग – एक निर्धन व्यक्ति को अचानक मार्ग में रुपयों का भरा थेला मिल गया, वह बहुत खुश हुआ, उसे ऐसा लगा जैसे बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा हो।

18. गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है – बड़े के साथ में उसके सहारे रहने वाले को भी कष्ट होता है।
प्रयोग – जब बड़े लोग चोरी में पकड़े जाते हों तो उनके साथ नौकर – चाकर भी पुलिस के हाथ पकड़े जाते हैं। सच है – गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है।

19. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का किसी काम का न होना।
प्रयोग – कोई काम न करूं तो भूखा मरता हूँ और जब काम करता हूँ तो बीमार हो जाता हूँ। इस समय मेरी स्थिति ठीक इस प्रकार है, जैसे – धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का।

20. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद – अयोग्य व्यक्ति ज्ञान की बातें नहीं जानता।
प्रयोग – अशिक्षित लोगों के सामने छायावादी कविता सुनाने से क्या लाभ, बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद

21. हाथ कंगन को आरसी क्या – प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की आवश्यकता नहीं।
प्रयोग – तुमने कल मेरी बात का विश्वास नहीं किया, आज दैनिक समाचार – पत्र में वह घटना प्रकाशित हुई है। अब तो आप विश्वास करेंगे। हाथ कंगन को आरसी क्या?

22. साँच को आँच नहीं – सच्चे व्यक्ति को कोई भय नहीं होता।
प्रयोग – आप चाहे मुझे फाँसी पर चढ़ा दें, मुझे मार डालें लेकिन मैं बात सही – सही कहूँगा। साँच को आँच नहीं।

23. यह मुँह और मसूर की दाल – अपनी स्थिति से अधिक इच्छा करना।
प्रयोग – पास में नहीं है फूटी कौडी भी और चले हैं बाजार में मारुति कार खरीदने। कहावत सही है – यह मुँह और मसूर की दाल।

24. बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी – दुष्ट व्यक्ति को एक – न – एक दिन सजा अवश्य मिलेगी।

प्रयोग – चोर कब तक बचा रहेगा। एक – न – एक दिन पुलिस के हाथों पकड़ा जाएगा। आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी।

25. नौ सौ चूहे मार के विल्ली हज को चली – जीवनभर पाप किया, मरने के वक्त साधु बन गए।
प्रयोग – जवानी में तो सदा दूसरों को ठगते रहे और जब बुढ़ापा आ गया तब राम – राम का नाम लेने गए। आखिर नौ सौ चूहे मार के बिल्ली हज को चली।

26. अधजल गगरी छलकत जाय – छोटा और ओछा आदमी दिखावा अधिक करता है।
प्रयोग – सुरेश की जबसे लॉटरी खुली है तब से वह घमण्ड में ही रहता है, जैसे अधजल गगरी छलकत जाय।

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27. न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी – कारण न होने पर कोई नहीं हो सकता।
प्रयोग – जब से रमेश ने दुकान खोली है तब से घर में झगड़ा ही होता रहता है। अब उसने अपनी दुकान बन्द कर दी, न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी।

28. हाथी के दाँत दिखाने के और, और खाने के और – दिखावटी होना।
प्रयोग – महेश का रूप ऐसा है जैसे – हाथी के दाँत खाने के और, और दिखाने के और।

29. नक्कारखाने में तूती की आवाज सुनाई नहीं पड़ती – बड़ों के सामने छोटों की बात नहीं सुनी जाती।
प्रयोग – जब बड़े लोग बोल रहे थे तब मेरी बात तो किसी ने सुनी ही नहीं। नक्कारखाने में तूती की आवाज सुनाई नहीं पड़ती।

30. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – एक व्यक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता।
प्रयोग – मैं अपने घर में अकेला व्यक्ति हूँ, जो बनता है वह करता हूँ। आखिर अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है।

31. मान न मान मैं तेरा मेहमान – जवरदस्ती किसी के गले पड़ना।
प्रयोग – एक अपरिचित व्यक्ति रात के समय घर आकर बोला, में यहाँ ठहरूँगा। मान न मान मैं तेरा मेहमान।

32. अकल बड़ी कि भैंस – शारीरिक शक्ति से मानसिक शक्ति बड़ी होती है।
प्रयोग – उस आदमी ने बुद्धि बल से एक पहलवान को पटक दिया। वास्तव में भैंस से अक्ल बड़ी होती है।

33. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है – एक को देखकर दूसरे के विचारों में परिवर्तन होना।
प्रयोग – एक शराबी को नशे में झूमता हुआ देखकर दूसरा शराबी भी झूम – झूमकर नाचने लगा। सच ही है खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।

34. आम के आम गुठलियों के दाम – दोनों हाथ में लाभ होना।
प्रयोग – रमेश को सरकारी नौकरी मिली साथ ही अमेरिका जाने का निमंत्रण भी मिला। आम के आम गुठलियों के दाम।

35. खोदा पहाड़ निकली चुहिया – खूब परिश्रम किया लेकिन फल थोड़ा – सा मिला।
प्रयोग – एक व्यक्ति ने पुराना गड़ा हुआ धन मिलने की लालच में सारा घर खोद डाला किंतु उसे केवल पीतल के कुछ पुराने बर्तन ही हाथ लगे; यह तो वही बात हुई, खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

36. ऊँट के मुँह में जीरा – अधिक की तो आवश्यकता है और दिया थोड़ा।
प्रयोग – एक व्यक्ति की खुराक दस रोटी है लेकिन जब वह खाने वैटा तो केवल दो रोटी ही दी; यह तो ऊँट के मुंह में जीरे के समान है।

37. सिर मुंड़ाते ओले पड़े – काम शुरू करते ही संकट आ गया।
प्रयोग – रात को दुकान का शुभारम्भ हुआ और सुबह होते ही उसमें आग लग गई, यह तो सिर मुंड़ाते ही ओले पड़ गए।

38. ओखली में सिर दिया फिर मूसर से क्या डरना – जब जान की बाजी लगाना है तो फिर डरना क्या।
प्रयोग – जब युद्ध के मैदान में आ गया तो गोली से क्या डरना। जब ओखली में सिर दिया तो मूसर से क्या डरना।

39. आँखों का अंधा नाम नैनसुख – नाम और गुणों में अंतर।
प्रयोग – नाम तो करोड़ीमल है लेकिन पास में एक पैसा नहीं अर्थात् आँखों का अंधा और नाम नैनसुख।

40. घर की मुर्गी दाल बराबर – गुणवान् की इज्जत घर में नहीं होती है। (म.प्र. 1990)
प्रयोग – अमेरिका में भाषण देने से पहले स्वामी विवेकानंद भारतीयों के लिए घर की मुर्गी दाल बराबर थे।

41. अंधा पीसे कुत्ता खाए – मूर्ख का धन चालाक के हाथ में आना। (म.प्र. 1990)
प्रयोग – मोहन दिन – रात कड़ी मेहनत करता है लेकिन उसके बेटे मौज उड़ाते हैं। सच है अंधा पीसे कुत्ता खाए।

42. पहाड़ खड़ा होना – बड़ी मुसीबत पड़ना। (म.प्र. 1991)
प्रयोग – परीक्षा के समय मोहन को बुखारग्रस्त देखकर मैंने कहा, यार – यह बुखार क्या आया, यह तो तुम्हारे लिए पहाड़ खड़ा हो गया है।

43. बंदर के हाथ में मोतियों की माला होना – अयोग्य के हाथ में मूल्यवान वस्तु का होना। (म.प्र. 1991)
प्रयोग – आजकल तो ऐसे अनेक सरकारी पदाधिकारी हैं जो पद का दुरुपयोग … कर रहे हैं। जिन्हें आए दिन विरोधी बंदर के हाथ में मोतियों की माला होने का उदाहरण देते रहते हैं।

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अभ्यास के लिए मुहावरे व लोकोक्तियाँ
1. हवा खाना।
2. फूंक – फूंककर कदम रखना।
3. पेट में चूहे कूटना।
4. एक थैली के चट्टे – बट्टे होना।
5. अमरौती खा के आना।
6. गट्टा – सी सुना देना।
7. कब्र में पाँव लटकाए होना।
8. चार दिन के पाहुन।
9. टेढ़ी – सीधी सुनाना।
10. सिर पटक लेना।
11. कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली।
12. कहे खेत की सुने खलिहान की।
13. लंकाकाण्ड।
14. हजारों हथौड़े सहकर मूर्ति बनती है।
15. देखो ऊँट किस करवट बैठता है।
16. मूंछों पर ताव देना।
17. करवटें बदलना।
18. गाजर – मूली समझना।
19. कान में तेल डालना।
20. आटे – दाल का भाव मालूम होना।
21. कीचड़ उछालना।
22. जिधर बोले बम उधर हम।

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